Author name: Prasanna

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.3

Haryana State Board HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.3

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर देने के लिए, आकृति में दिए दंड आलेख का प्रयोग कीजिए :
(a) कौन-सा पालतु पशु अधिक लोकप्रिय है?
(b) कितने विद्यार्थियों का पालतू पशु कुत्ता है?
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.3 - 1
हल :
दण्ड आलेख से स्पष्ट है कि
(a) सबसे लोकप्रिय पालतू पशु बिल्ली है।
(b) आठ विद्यार्थियों का पालतू पशु कुत्ता है।

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.3

प्रश्न 2.
निम्नलिखित दंड आलेख को पढ़िए जो एक पुस्तक भंडार द्वारा 5 क्रमागत वर्षों में बेची गई पुस्तकों की संख्या दर्शाता है और आगे आने वाले प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(i) वर्षों 1989, 1990 और 1992 में से प्रत्येक में लगभग कितनी पुस्तकें बेची गई?
(ii) किस वर्ष में लगभग 475 पुस्तकें बेची गई ? किस वर्ष में लगभग 225 पुस्तकें बेची गई?
(iii) किन वर्षों में 250 से कम पुस्तकें बेची गईं ?
(iv) क्या आप स्पष्ट कर सकते हैं कि आप वर्ष 1989 में बेची गई पुस्तकों का आकलन किस प्रकार करेंगे?
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.3 - 2
हल :
दण्ड आलेख से स्पष्ट है कि :
(i)

वर्षबेची गई पुस्तकों की संख्या
1989170 (लगभग)
1990475 (लगभग)
1992225 (लगभग)

(ii) वर्ष 1990 में 475 पुस्तकें बेची गई हैं। वर्ष 1992 में 225 पुस्तकें बेची गई हैं।
(iii) वर्ष 1989 और 1992 में 250 से कम पुस्तकें बेची गई है।
(iv) दण्ड आलेख की ऊँचाई का आकलन 1 इकाई = 100 पुस्तकों से किया गया है।
अतः हम देखते हैं कि वर्ष 1989 में दण्ड आलेख की ऊँचाई, पुस्तकों की संख्या के 100-200 वाले खाने के लगभग सातवें हिस्से तक है, इसलिए बेची गई पुस्तकों की संख्या लगभग 170 होगी।

प्रश्न 3.
छः विभिन्न कक्षाओं के विद्यार्थियों की संख्याएँ नीचे दी गई हैं। इन आँकड़ों को एक दंड आलेख द्वारा निरूपित कीजिए:

कक्षाविद्यार्थियों की संख्या
पाँचवीं135
छठी120
सातवीं95
आठवीं100
नौवीं90
दसवीं80

(a) आप स्केल किस प्रकार चुनेंगे ?
(b) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) किस कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या अधिकतम है? किस कक्षा में न्यूनतम है?
(ii) कक्षा 6 के विद्यार्थियों की संख्या का कक्षा 8 के विद्यार्थियों की संख्या से अनुपात ज्ञात कीजिए।
हल :
(a) दण्ड आलेख : माना पैमाना : 1 बड़ा खाना -10 विद्यार्थी
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.3 - 3
(b) (i) पाँचवीं कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या अधिकतम है। दसर्वी कक्षा में न्यूनतम है।
(ii) कक्षा 6 और कक्षा 8 के विद्यार्थियों का अनुपात = 120 : 100 = 6 : 5 है।

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प्रश्न 4.
एक विद्यार्थी के प्रथम सत्र और द्वितीय सत्र का प्रदर्शन दिया हुआ है। एक उपयुक्त स्केल चुनकर एक दोहरा दंड आलेख खींचिए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

विषयप्रथम सत्र (अधिकतम अंक 100)द्वितीय सत्र (अधिकतम अंक 100)
अंग्रेजी6770
हिन्दी7265
गणित8895
विज्ञान8185
सामाजिक विज्ञान7375

(i) किस विषय में विद्यार्थी ने अपने प्रदर्शन में सबसे अधिक सुधार किया है ?
(ii) किस विषय में सुधार सबसे कम है ?
(iii) क्या किसी विषय में प्रदर्शन नीचे गिरा है ?
हल:
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.3 - 4
(i) गणित विषय में विद्यार्थियों ने अपने प्रदर्शन में सबसे अधिक सुधार किया है।
(ii) सामाजिक विज्ञान विषय में सुधार सबसे कम है।
(iii) हाँ, हिन्दी विषय में प्रदर्शन नीचे गिरा है।

प्रश्न 5.
किसी कॉलोनी में किए गए सर्वेक्षण से प्राप्त निम्नलिखित आँकड़ों पर विचार कीजिए :

पसंदीदा खेलदेखनाभाग लेना
क्रिकेट1240620
बॉस्केट बॉल470320
तैरना510320
हॉकी430250
खेलकुद250105

(i) एक उपयुक्त स्केल चुनकर, एक दोहरा दंड आलेख खींचिए। इस दंड आलेख से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं ?
(ii) कौन-सा खेल अधिक लोकप्रिय है ?
(iii) खेलों को देखना अधिक पसन्द किया जाता है या उनमें भाग लेना ?
हल :
(i)
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.3 - 5
इस आलेख से हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि अधिक व्यक्ति क्रिकेट को चुनते हैं और खेलकूद को कम चुनते हैं।
(ii) क्रिकेट सबसे अधिक लोकप्रिय है।
(iii) भाग लेने से देखना अधिक पसन्द किया जाता है।

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प्रश्न 6.
विभिन्न नगरों के न्यूनतम और अधिकतम तापमानों के आँकड़ों (सलंग्न सारणी) को लीजिए। इन आँकड़ों का एक दोहरा दंड आलेख खींचकर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

नगरों के तापमान 20.6.2006 को

अधिकतमन्यूनतम
अहमदाबाद38°C29°C
अमृतसर37°C26°C
बेंगलूर28°C21°C
चेन्नई36°C27°C
दिल्ली38°C28°C
जयपुर39°C29°C
जम्मू41°C26°C
मुंबई32°C27°C

(i) दी हुई तिथि पर किस नगर के न्यूनतम और अधिकतम तापमान का अंतर सबसे अधिक है?
(ii) कौन-सा नगर सबसे गर्म है और कौन-सा नगर सबसे ठंडा है?
(iii) ऐसे दो नगरों के नाम लिखिए, जिनमें से एक का अधिकतम तापमान दूसरे के न्यूनतम तापमान से कम था।
(iv) उस नगर का नाम लिखिए, जिसके न्यूनतम और अधिकतम तापमानों का अंतर सबसे कम है।
हल:
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.3 - 6
(i) दिए गए आँकड़ों में जम्मू शहर के न्यूनतम और अधिकतम तापमान का अन्तर सबसे अधिक है।
(ii) जम्मू शहर सबसे गर्म शहर है और बेंगलूरु शहर सबसे ठंडा।
(iii) दो नगर जिनमें से एक का अधिकतम तापमान दूसरे के न्यूनतम तापमान से कम है, बेंगलुरु और जयपुर या बैंगलूरु और अहमदाबाद हैं।
(iv) मुम्बई के अधिकतम व न्यूनतम तापमानों में अन्तर सबसे कम है।

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HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 3 मुद्रा और बैंकिंग

Haryana State Board HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 3 मुद्रा और बैंकिंग Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Economics Solutions Chapter 3 मुद्रा और बैंकिंग

पाठयपुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
वस्तु-विनिमय प्रणाली क्या है? इसकी क्या कमियाँ हैं?
उत्तर:
वस्तु-विनिमय प्रणाली का अर्थ मुद्रा का आविष्कार होने से पूर्व, वस्तुओं एवं सेवाओं का लेन-देन प्रत्यक्ष रूप से विनिमय के आधार पर होता था। इसे ही वस्तु-विनिमय प्रणाली कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, वस्तु-विनिमय प्रणाली से अभिप्राय वस्तुओं के ऐसे व्यापार से है जहाँ बिना मुद्रा के प्रत्यक्ष रूप से एक वस्तु का दूसरी वस्तु के साथ लेन-देन किया जाता है। वस्तु-विनिमय प्रणाली के अंतर्गत अर्थव्यवस्था में वस्तुओं के बदले वस्तुएँ खरीदी जाती हैं। उदाहरणार्थ, गेहूँ के बदले कपड़ा प्राप्त करना, घोड़ों का विनिमय मकान से करना आदि। इसी प्रकार, एक अध्यापक को उसकी सेवाओं का भुगतान गेहूँ अथवा चावल के रूप में किया जा सकता है। ऐसी अर्थव्यवस्था जिसमें लेन-देन वस्तुओं के माध्यम से संपन्न होते हैं, वस्तु-विनिमय अर्थव्यवस्था (Barter Economy) अथवा C-C Economy कहलाती है।

वस्तु-विनिमय की कमियाँ-वस्तु-विनिमय की निम्नलिखित कमियाँ हैं-
1. मूल्य के सामान्य मापदंड का अभाव-वस्तु-विनिमय प्रणाली में ऐसी सामान्य इकाई का अभाव होता है, जिसके द्वारा वस्तुओं और सेवाओं का माप किया जा सके जैसे एक मीटर कपड़े के बदले में कितना अनाज देना चाहिए या एक मकान के बदले कितनी जमीन का टुकड़ा आता है या एक जोड़ी जूते के बदले कितना घी-दूध देना चाहिए, यह जानना चाहे असंभव न हो, परंतु
कठिन अवश्य है।

2. आवश्यकताओं के दोहरे संयोग का अभाव-वस्तु का वस्तु के साथ विनिमय तभी संभव हो सकता है जब दो ऐसे व्यक्ति परस्पर विनिमय करें जिन्हें एक-दूसरे की आवश्यकता हो; जैसे एक व्यक्ति के पास भैंस है और उसे चने चाहिएँ तो उसे ऐसा व्यक्ति चाहिए जिसके पास चने हों। इस प्रकार दोहरे संयोग की समस्या उत्पन्न होती है।

3. वस्तु की अविभाज्यता-जो वस्तुएँ अविभाज्य होती हैं, उनकी विनिमय दर का निर्धारण करना विनिमय प्रणाली के अंतर्गत एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर देता है; जैसे एक भैंस तथा कुत्तों का विनिमय करने में कठिनाई उपस्थित होती है।

4. संचय की समस्या-वस्तु-विनिमय प्रणाली के अंतर्गत वस्तुओं का संग्रह करके रखने की समस्या उत्पन्न होती है; जैसे अनाज, फल, सब्जियाँ आदि का संग्रह करके रखने की समस्या सामने आती है।

5. भविष्य में भुगतान करने की समस्या-वर्तमान में उधार ली गई वस्तुओं के भुगतान के संबंध में समस्या उत्पन्न हो सकती है। भुगतान की जाने वाली वस्तु की किस्म को लेकर विवाद उत्पन्न हो सकता है। ब्याज का भुगतान करने की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।

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प्रश्न 2.
मुद्रा के प्रमुख कार्य क्या-क्या हैं? मुद्रा किस प्रकार वस्तु-विनिमय प्रणाली की कमियों को दूर करती है?
उत्तर:
मुद्रा के चार प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-

  • विनिमय का माध्यम।
  • मूल्य का मापक।
  • स्थगित भुगतान का आधार।
  • मूल्य संचय।

मुद्रा निम्नलिखित प्रकार से वस्तु-विनिमय प्रणाली की कमियों को दूर करती है-
1. विनिमय का माध्यम मुद्रा विनिमय के माध्यम के रूप में विनिमय सौदों को दो भागों क्रय और विक्रय में विभाजित करती है। मुद्रा का यह कार्य आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की कठिनाई को दूर करता है। लोग अपनी वस्तुओं को मुद्रा के बदले में बेचते हैं और बेचने से प्राप्त रकम से अन्य वस्तुओं व सेवाओं का क्रय करते हैं।

2. मूल्य मापक-मुद्रा एक सामान्य मूल्य मापक के रूप में काम करती है जिसमें सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य व्यक्त किए जाते हैं। मुद्रा में व्यक्त कीमतों के आधार पर दो वस्तुओं के सापेक्षिक मूल्यों की तुलना करना सरल हो जाता है। इस प्रकार मुद्रा विनिमय के सामान्य मापक के अभाव की समस्या हल कर देती है।

3. स्थगित भुगतान का मानक-चूँकि मुद्रा को निश्चित एवं मानकित इकाइयों में व्यक्त किया जा सकता है और सामान्यतः मुद्रा का मूल्य समय के साथ स्थिर रहता है। मुद्रा स्थगित भुगतान का मानक होती है। इस प्रकार मुद्रा ने वस्तु-विनिमय की उधार के लेन-देन की कठिनाई दूर करके भविष्य में भुगतान किए जाने वाले सौदों को संभव बना दिया है।

4. मूल्य के भंडार के रूप में जब मुद्रा को मूल्य की इकाई और भुगतान का माध्यम मान लिया जाता है तो मुद्रा सहज ही मूल्य के भंडार का कार्य करने लगती है। यद्यपि संपत्तियों को मुद्रा के अतिरिक्त किसी भी रूप में संचित किया जा सकता है, परंतु मुद्रा संपत्ति (क्रय-शक्ति) को संचय करने का सबसे किफायती व सुविधाजनक तरीका है। इस प्रकार मुद्रा ने मूल्य संचय के रूप में वस्तु-विनिमय के मूल्य संचय की कठिनाई दूर कर दी है।

प्रश्न 3.
संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग क्या है? किसी निर्धारित समयावधि में संव्यवहार मूल्य से यह किस प्रकार संबंधित है?
उत्तर:
संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग (Transaction Demand for Money) से अभिप्राय एक अर्थव्यवस्था में संव्यवहारों को पूरा करने के लिए मुद्रा की माँग से है।
सूत्र के रूप में, मुद्रा की संव्यवहार माँग \(\left(\mathrm{M}_{\mathrm{T}}^{d}\right)\) = k.T
यहाँ, k = धनात्मक अंश
T = एक इकाई समयावधि में संव्यवहारों का कुल मौद्रिक मूल्य (Total Value of Transactions Over Unit Period)
संव्यवहार के लिए मुद्रा की माँग और किसी निर्धारित समयावधि में संव्यवहार मूल्य में घनिष्ठ संबंध है। यदि अर्थव्यवस्था में किसी निर्धारित समयावधि में संव्यवहार मूल्य अधिक है तो मुद्रा की माँग भी अधिक होगी।

प्रश्न 4.
मान लीजिए कि एक बंधपत्र दो वर्षों के बाद 500 रुपए के वादे का वहन करता है, तत्काल कोई प्रतिफल प्राप्त नहीं होता है। यदि ब्याज दर 5% वार्षिक है, तो बंधपत्र की कीमत क्या होगी?
हल:
माना बंधपत्र की कीमत = A
ब्याज की दर = 5%
समय = 2 वर्ष
पहले वर्ष का ब्याज = (\(\frac{\mathrm{A} \times 5}{100}\)) = \(\frac { 5A }{ 100 }\)
दूसरे वर्ष के लिए बंधपत्र की कीमत = A + \(\frac { 5A }{ 100 }\)
= A + \(\frac { 5A }{ 100 }\)
= A + \(\frac { A }{ 20 }\)
= \(\frac { 21A }{ 20 }\)
दूसरे वर्ष का ब्याज = \(\frac{\frac{21 \mathrm{~A}}{20} \times 5}{100}\)
= \(\frac{21 \mathrm{~A}}{20} \times \frac{1}{20}=\frac{21 \mathrm{~A}}{400}\)
कुल ब्याज = \(\frac{5 \mathrm{~A}}{100}+\frac{21 \mathrm{~A}}{400}\)
= \(\frac{20 \mathrm{~A}+21 \mathrm{~A}}{400}=\frac{41 \mathrm{~A}}{400}\)
चूँकि, = \(\frac { 41A }{ 400 }\) = 500
A = \(\frac{500 \times 400}{41}\)
= 4,878
अतः बंधपत्र की कीमत = 4,878 रुपए उत्तर

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प्रश्न 5.
मुद्रा की सट्टा माँग और ब्याज की दर में विलोम संबंध क्यों होता है?
उत्तर:
मुद्रा की सट्टा माँग और ब्याज की दर में विलोम संबंध होता है। इसका अर्थ यह है कि अधिक ब्याज दर पर मुद्रा की सट्टा माँग कम होगी और कम ब्याज दर पर मुद्रा की सट्टा माँग अधिक होगी। यदि ब्याज दर अधिक है तो लोग बंधपत्र अधिक खरीदेंगे और कम मुद्रा रखना चाहेंगे। यदि ब्याज दर कम है तो लोग बंधपत्र में निवेश कम अथवा नहीं करेंगे और अपने पास अधिक मुद्रा रखेंगे।

प्रश्न 6.
तरलता पाश क्या है?
उत्तर:
मुद्रा की सट्टे की माँग ब्याज की दर का ऋणात्मक फलन होती है। ब्याज की दर जितनी ऊँची होती है मुद्रा की सट्टे की माँग उतनी ही कम होगी, क्योंकि बहुत ऊँची ब्याज की दर पर लोग अपनी समस्त मुद्रा राशि आय अर्जित करने वाले बंधपत्र में परिवर्तित कर देते हैं। इसी प्रकार ब्याज की दर के घटने पर लोग बंधपत्र में निवेश कम करेंगे। ब्याज की दर मुद्रा अधिशेष की अवसर लागत अथवा कीमत है। यदि ब्याज की दर पहले से ही काफी निम्न है तो इस दर पर सट्टे की माँग पूर्णतया लोचदार बन जाती है क्योंकि लोग यह अनुभव करते हैं कि ब्याज की दर और नीचे नहीं गिरेगी। इस स्थिति में बंधपत्रों में मुद्रा निवेश करना अनाकर्षक और जोखिमपूर्ण हो जाता है। इस स्थिति को तरलता पाश (Liquidity Trap) कहते हैं। तरलता पाश को हम संलग्न रेखाचित्र द्वारा दिखा सकते हैं।
HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 3 मुद्रा और बैंकिंग 1
संलग्न रेखाचित्र में हम देखते हैं कि ORH ऊँची ब्याज दर पर मुद्रा की सट्टा माँग शून्य है क्योंकि हर व्यक्ति बंधपत्रों में निवेश करना चाहेगा। जैसे-जैसे ब्याज दर कम होती जाती है, मुद्रा की सट्टा माँग बढ़ती जाएगी। जब ब्याज दर ORm पर निम्नतम होती है तो मुद्रा का सट्टा माँग वक्र एक सीधी रेखा बन जाता है और मुद्रा की सट्टा माँग अनंत (∞) अर्थात् पूर्ण लोचदार हो जाती है। जैसे संलग्न रेखाचित्र में माँग वक्र बिंदु L के बाद X-अक्ष के समानांतर हो जाता है। रेखांचित्र में LT तरलता पाश की स्थिति है।

प्रश्न 7.
भारत में मुद्रा पूर्ति की वैकल्पिक परिभाषाएँ क्या हैं?
उत्तर:
मुद्रा पूर्ति से अभिप्राय किसी समय बिंदु पर सभी प्रकार की मुद्राओं (कागज़ी मुद्रा, सिक्के, बैंक जमा) के उपलब्ध स्टॉक से है। भारत में भारतीय रिज़र्व बैंक मुद्रा पूर्ति की वैकल्पिक परिभाषाएँ निम्नलिखित चार रूपों में प्रकाशित करता है जिनके नाम क्रमशः M1, M2, M3 और M4 हैं। ये सभी निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किए जा सकते हैं
(i) M1 – M1 मुद्रा पूर्ति मापन का यह सबसे संकुचित दृष्टिकोण है। इस मत के अनुसार मुद्रा पूर्ति की गणना निम्नलिखित प्रकार से की जाती है
M1 = C + DD + OD
जहाँ, C = जनता के पास धारित करेंसी।
DD = बैंकों के पास निवल माँग जमाएँ।
OD = भारतीय रिज़र्व बैंक के पास संगृहीत समस्त जमाएँ।।

(ii) M2 – M2 को भी मुद्रा पूर्ति मापन का संकुचित मत माना जाता है। इस मत के अनुसार मुद्रा पूर्ति की गणना निम्नलिखित प्रकार से की जाती है
M2 = M1 + डाकघर बचत बैंकों में बचत जमाएँ।

(iii) M3 – M3 मुद्रा पूर्ति का सबसे अधिक प्रयोग होने वाला मापक है। M3 को समाज के समग्र मौद्रिक संसाधनों का नाम दिया जाता है। इसकी गणना निम्नलिखित प्रकार से की जाती है-
M3 = M1 + बैंकों के पास जमा निवल सावधि जमाएँ।

(iv) M4 – M1 को सर्वाधिक विस्तृत मुद्रा (Broad Money) का माप माना जाता है। इसकी गणना निम्नलिखित प्रकार से की जाती है-
M4 = M1 + डाकघर बचत संगठनों के पास कुल जमाएँ। (राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्रों (NSCs) को छोड़कर) उपरोक्त रचनाएँ स्पष्ट दर्शाती हैं कि M1 और M2 संकुचित मुद्रा (Narrow Money) के माप हैं। जबकि M3 और M4 विस्तृत मुद्रा (Broad Money) के माप हैं। इनमें M3 के पूर्ति के माप के रूप में सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। इसी को समाज के समग्र मौद्रिक संसाधनों (Aggregate Monetary Resources) का नाम दिया जाता है। भारतीय रिज़र्व बैंक मुद्रा पूर्ति .के उपरोक्त चार मानों का तरलता के स्तर (Degree of Utility) के आधार पर भी वर्गीकृत करता है। M4 सर्वाधिक तरल है जबकि M4 सबसे कम तरल है। तरलता का अर्थ है किसी परिसंपत्ति को (मूल्य में घाटा उठाए बिना) तुरंत नकदी में बदलने की क्षमता।

प्रश्न 8.
वैधानिक पत्र क्या है? कागज़ी मुद्रा क्या है?
उत्तर:
वैधानिक पत्र अथवा वैधानिक मुद्रा (Legal Tender) से अभिप्राय उस मुद्रा से है जिसे विधि (कानून) का समर्थन प्राप्त है और कोई भी व्यक्ति इसे अस्वीकार नहीं कर सकता। उदाहरण के लिए, भारतवर्ष में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए 100 रुपए के नोटों को लेने से कोई व्यक्ति मना नहीं कर सकता और अगर कोई ऐसा करता है तो वह दंड का भागी होगा।

प्रादिष्ट मुद्रा (Fiat Money) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी करेंसी नोट और सिक्कों को कहते हैं। इसका सोने और चाँदी के सिक्कों की तरह कोई आंतरिक मूल्य नहीं होता और यह सरकार के आदेश पर प्रचलित होती है। इस मुद्रा को आवेश मुद्रा के नाम से भी जाना जाता है; जैसे भारत में मौद्रिक प्राधिकरण (Monetory Authority) द्वारा जारी कागज़ी मुद्रा।

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प्रश्न 9.
उच्च शक्तिशाली मुद्रा क्या है?
उत्तर:
उच्च शक्तिशाली मुद्रा (High Powered Money) से अभिप्राय देश के मौद्रिक प्राधिकरण द्वारा निर्गमित की गई मुद्रा से है। इसे मौद्रिक आधार के नाम से भी जाना जाता है। उच्च शक्तिशाली मुद्रा में करेंसी तथा व्यावसायिक बैंक और भारत सरकार द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक में रखी गई जमाएँ आती हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्गमित किए गए करेंसी नोट को उसके सामने प्रस्तुत करने पर उसे अंकित मूल्य की राशि के बराबर भुगतान करना पड़ता है।

प्रश्न 10.
व्यावसायिक बैंक के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक बैंक के कार्य निम्नलिखित हैं-
1. जमाओं की स्वीकृति-व्यावसायिक बैंक व्यक्तियों, व्यावसायिक फर्मों और अन्य संस्थाओं से निम्नलिखित रूपों में जमाएँ स्वीकार करते हैं

  • चालू जमा खाता
  • बचत जमा खाता
  • सावधि जमा।

2. ऋण देना-व्यावसायिक बैंक सामान्यतया निम्नलिखित रूपों में ऋण प्रदान करते हैं-

  • नकद साख
  • माँग उधार
  • अल्पावधि ऋण
  • अधिविकर्ष (ओवरड्राफ्ट)
  • हुंडियों (बिलों) की कटौती।

3. जमा राशियों का निवेश-व्यावसायिक बैंक अपने पास संगृहीत धनराशियों का सरकारी व अनुमोदित प्रतिभूतियों में भी निवेश करते हैं।

4. एजेंसी कार्य-व्यावसायिक बैंक निम्नलिखित एजेंसी कार्य भी करता है-

  • नकद कोषों का हस्तांतरण।
  • नकद संग्रहण।
  • ग्राहकों की ओर से अंशपत्रों व अन्य प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय।
  • ग्राहकों की ओर से अंशपत्रों पर लाभांश और ऋणपत्रों पर ब्याज वसूलना।
  • ग्राहकों के निर्देश पर उनके भुगतान करना।
  • वसीयतों (Wills) के न्यासी (Executor) एवं प्रबंधकर्ता (Trustee) का दायित्व निभाना।
  • ग्राहकों को आय कर से संबंधित परामर्श देना।
  • ग्राहकों की ओर से माल के आवागमन (Transportation) संबंधित प्रलेखों की व्यवस्था करना।

5. अन्य कार्य-व्यावसायिक बैंक निम्नलिखित कार्य भी करता है

  • विदेशी मुद्रा का क्रय-विक्रय।
  • पर्यटक तथा उपहार चैक जारी करना।
  • कीमती वस्तुओं को लॉकरों में संभालकर रखना।
  • प्रतिभूतियों की बिक्री की व्यवस्था करना।

प्रश्न 11.
मुद्रा गुणक क्या है? इसका मूल्य आप कैसे निर्धारित करेंगे? मुद्रा गुणक के मूल्य के निर्धारण में किन अनुपातों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है?
उत्तर:
मुद्रा गुणक (Money Multiplier) से अभिप्राय अर्थव्यवस्था में मुद्रा के स्टॉक और शक्तिशाली मुद्रा के स्टॉक के अनुपात से है। इसे निम्नलिखित सूत्र द्वारा निर्धारित किया जाता है
मुद्रा गुणक = \(\frac { M }{ H }\)
यहाँ, M= मुद्रा का स्टॉक
H = शक्तिशाली मुद्रा
चूँकि मुद्रा का स्टॉक सामान्यतया शक्तिशाली मुद्रा के मूल्य से अधिक होता है, इसलिए मुद्रा गुणक का मूल्य 1 से अधिक होता है।
मुद्रा गुणक के मूल्य के निर्धारण में निम्नलिखित अनुपातों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है-
1. करेंसी जमा अनुपात करेंसी जमा अनुपात का सूत्र निम्नलिखित है-
करेंसी जमा अनुपात = \(\frac { CU }{ DD }\)
यहाँ, CU = लोगों के पास रखी हुई करेंसी
DD = व्यावसायिक बैंक की कोष्ठ नकदी

2. रिज़र्व जमा अनुपात-रिज़र्व जमा अनुपात का सूत्र निम्नलिखित है-
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प्रश्न 12.
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति के कौन-कौन से उपकरण हैं? बाह्य आघातों के विरुद्ध भारतीय रिजर्व बैंक किस प्रकार मद्रा की पर्ति को स्थिर करता है?
उत्तर:
भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति के उपकरण निम्नलिखित हैं-
1. सदस्य बैंकों के रिज़र्व अनुपात में परिवर्तन कानून के अंतर्गत सभी व्यावसायिक बैंकों को अपने माँग जमा दायित्व का एक न्यूनतम प्रतिशत भारतीय रिज़र्व बैंक के पास नकदी के रूप में जमा रखना होता है। इस अनुपात में वृद्धि करके बैंकों के नकदी साधनों को कम किया जा सकता है और बैंकों को अपने ऋण को कम करने पर मजबूर किया जा सकता है।

2. बैंक दर या कटौती दर में परिवर्तन भारतीय रिज़र्व बैंक (जैसे थोक ऋण के व्यापारी) जिस दर पर व्यावसायिक बैंकों (जैसे परचून में ऋण का व्यापार करने वालों) को उधार देते हैं, उसे कटौती दर या बैंक दर कहते हैं। सदस्य बैंक दो प्रकार से भारतीय रिज़र्व बैंक से ऋण ले सकते हैं आरक्षित प्रोमिसरी नोट (I.O.U) देकर या ड्राफ्ट, हुंडियाँ तथा ग्राहकों के आरक्षित प्रोमिसरी नोटों की पुनः कटौती करके। बैंकों को ऋण की आवश्यकता अपने घटते हुए रिज़र्व को पूरा करने के लिए होती है। कटौती की दर बढ़ाकर भारतीय रिज़र्व बैंक बैंकों द्वारा ऋण की लागत को प्रत्यक्ष रूप से तथा ब्याज की दर और ऋण की स्थिति को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकता है।

3. खली बाजार प्रक्रिया-खली बाजार प्रक्रिया से अभिप्राय भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय से है। इन प्रक्रियाओं से नकदी आरक्षण की मात्रा पर प्रभाव पड़ता है और अंततः कुल लागत तथा ऋण की उपलब्धता पर भी प्रभाव पड़ता है। सरकारी प्रतिभूतियों के बेचने से बैंकों के पास नकदी रिज़र्व प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही तरीकों से कम हो जाती है जिससे जमाराशि भी कई गुना कम हो जाती है।

4. बाह्य आघातों के विरुद्ध भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मुद्रा पूर्ति का स्थिरीकरण-बाह्य आघातों (Exogeneous Shocks) के विरुद्ध भारतीय रिज़र्व बैंक स्थिरीकरण के द्वारा मुद्रा की पूर्ति को स्थिर करता है। स्थिरीकरण से अभिप्राय भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विदेशी विनिमय अंतःप्रवाह में वृद्धि के विरुद्ध मुद्रा की पूर्ति को स्थाई रखने के लिए किए गए हस्तक्षेप से है। स्थिरीकरण के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी विनिमय की मात्रा के बराबर की मात्रा में सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री खुले बाज़ार में करता है जिससे अर्थव्यवस्था में कुल मुद्रा पूर्ति अपरिवर्तित रहती है।

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प्रश्न 13.
क्या आप ऐसा मानते हैं कि अर्थव्यवस्था में व्यावसायिक बैंक ही ‘मुद्रा का निर्माण करते’ हैं?
उत्तर:
हाँ, हम ऐसा मानते हैं कि अर्थव्यवस्था में व्यावसायिक बैंक ही मुद्रा का निर्माण करते हैं। व्यावसायिक बैंकों का महत्त्वपूर्ण कार्य जमाओं के रूप में नकदी को स्वीकार करना है और अपने ग्राहकों को ऋण देना है। जब एक बैंक ऋण प्रदान करता है तो बैंक ऋणी को नकदी नहीं देता, बल्कि उनके खाते में उनके लिए दावे (Claims) और निक्षेप (Advance) उत्पन्न कर देता है। इस प्रकार एक बैंक अपनी जमा राशि की तुलना में कई गुना अधिक साख निर्माण करता है। व्यावसायिक बैंक सरकारी बंधपत्रों और प्रतिभूतियों के क्रय में निवेश करके भी मुद्रा निर्माण करता है।

प्रश्न 14.
भारतीय रिज़र्व बैंक की किस भूमिका को अंतिम ऋणदाता कहा जाता है?
उत्तर:
अंतिम ऋणदाता (Lender of the Last Resort) से अभिप्राय उस स्थिति से होता है जब व्यावसायिक बैंक को अन्य किसी स्रोत से ऋण प्राप्त नहीं होता, तो ऐसे समय में भारतीय रिज़र्व बैंक व्यावसायिक बिलों की पुनःकटौती करके अथवा प्रतिभूतियों की जमानत पर ऋण प्रदान करता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब व्यावसायिक बैंक को अपने ग्राहकों की नकद मुद्रा की माँग के भुगतान के लिए कभी-कभी अधिक मात्रा में मुद्रा की आवश्यकता पड़ती है। ऐसी स्थिति में जब व्यावसायिक बैंक अपने ग्राहकों की माँग की पूर्ति अपने साधनों से नहीं कर पाते तो वे भारतीय रिज़र्व बैंक से सहायता की माँग करते हैं तथा भारतीय रिजर्व बैंक अंतिम ऋणदाता के रूप में अनिवार्य रूप से उनकी सहायता करता है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा व्यावसायिक बैंकों को इस प्रकार की साख देने के लाभ इस प्रकार हैं

  • व्यावसायिक बैंक थोड़े से ही नकद कोषों के आधार पर अपना व्यवसाय चला सकते हैं।
  • संकटकाल में व्यावसायिक बैंकों को आर्थिक सहायता उपलब्ध हो जाने पर बैंक संकट का सफलतापूर्वक मुकाबला कर सकते हैं।
  • व्यावसायिक बैंक उद्योग और व्यापार की वित्त संबंधी महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
  • इससे भारतीय रिज़र्व बैंक को देश की बैंकिंग व्यवस्था पर नियंत्रण स्थापित करने का अच्छा अवसर मिल जाता है। भारत में
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) केंद्रीय बैंक के रूप में अंतिम ऋणदाता की भूमिका निभाता है।

मुद्रा और बैंकिंग HBSE 12th Class Economics Notes

→ वस्तु विनिमय प्रणाली-जब एक वस्तु का लेन-देन प्रत्यक्ष रूप में दूसरी वस्तु से होता है, तो उसे वस्तु विनिमय कहते हैं। दूसरे शब्दों में, वस्तु विनिमय प्रणाली उस प्रणाली को कहा जाता है जिसमें वस्तु का लेन-देन (विनिमय) वस्तु से या वस्तु का वस्तु से व्यापार किया जाता है। जो अर्थव्यवस्था वस्तु विनिमय प्रणाली पर आधारित होती है उसे वस्तु-वस्तु अर्थव्यवस्था (Commodity for Commodity Economy) कहा जाता है।

→ वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयाँ-

  • आवश्यकताओं के दोहरे संयोग का अभाव
  • विनिमय की समान इकाई का अभाव
  • भावी भुगतान के मान का अभाव
  • मूल्य के संचय का अभाव।

→ मुद्रा के कार्य-

  • यह एक विनिमय का माध्यम है
  • मुद्रा मूल्य का माप है
  • यह स्थगित भुगतानों का माप है
  • यह मूल्य का संचय है
  • भावी भुगतान का मान है
  • यह मूल्य के हस्तांतरण आदि का कार्य भी करती है।

→ भारतीय मौद्रिक प्रणाली-भारतीय मौद्रिक प्रणाली, पत्र मुद्रा मान पर आधारित है।

→ करेंसी का जारी करना भारत में जारी करेंसी न्यूनतम सुरक्षित प्रणाली पर आधारित है। भारत में जारी करेंसी अपरिवर्तनशील (Inconvertible) है। निर्गमन अधिकारी इसे सोने या चाँदी में परिवर्तित नहीं करेगा।

→ मुद्रा की माँग केज के अनुसार मुद्रा की माँग से अभिप्राय लोगों द्वारा मुद्रा को अपने पास तरल (नकदी) के रूप में रखने की इच्छा से है। इसे ही उन्होंने तरलता अधिमान कहा है।

→ मुद्रा की पूर्ति मुद्रा की पूर्ति एक स्टॉक अवधारणा है। किसी समय बिंदु पर जनता के पास उपलब्ध मुद्रा का स्टॉक ही मुद्रा की पूर्ति कहलाता है।

HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 3 मुद्रा और बैंकिंग

→ मुद्रा की पूर्ति के माप-M1, M2, M3 तथा M4। भारत में RBI के अनुसार मुद्रा की पूर्ति के चार मापक हैं
M1 = जनता के पास करेंसी + माँग जमाएँ + रिज़र्व बैंक के पास अन्य जमाएँ।
M2 = M1 + डाकघर बचत बैंकों में जमा राशियाँ
M3 = M1 + व्यावसायिक बैंकों की निवल सावधि जमाएँ
M4 = M3 + डाकघर बचत संगठनों की कुल जमा राशियाँ

  • M1 मुद्रा पूर्ति का बहुत तरल किंतु बहुत कम विस्तृत मापक है।
  • M2 को मुद्रा पूर्ति के माप के रूप में सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है।
  • M4 मुद्रा पूर्ति का बहुत विस्तृत किंतु सबसे कम तरल मापक है।

→ बैंक का अर्थ बैंक ऐसी संस्था है जो लाभ प्राप्त करने के लिए मुद्रा व साख में लेन-देन करती है।

→ व्यावसायिक बैंक ये ऐसी वित्तीय संस्थाएँ हैं जो लोगों से जमाएँ स्वीकार करने तथा उन्हें ऋण देने का कार्य करती हैं।

→ व्यावसायिक बैंकों के प्राथमिक कार्य-

  • जमा स्वीकार करना
  • ऋण प्रदान करना
  • साख निर्माण।

→ व्यावसायिक बैंकों के गौण कार्य-

  • बैंकों के एजेंसी कार्य
  • बैंकों की सामान्य उपयोगिता संबंधी सेवाएँ।

→ साख निर्माण-बैंकों द्वारा उनकी प्राथमिक जमाओं के आधार पर गौण जमाओं के विस्तार को साख निर्माण कहते हैं। बैंक अपनी प्राथमिक जमा से अधिक रुपया उधार देकर साख का निर्माण करते हैं।

→ केंद्रीय बैंक केंद्रीय बैंक एक देश की समस्त बैंकिंग प्रणाली का सिरमौर बैंक है। रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) भारत का केंद्रीय बैंक है।

→ केंद्रीय बैंक के कार्य-

  • नोट जारी करने का एकाधिकार
  • सरकार का बैंकर
  • बैंकों का बैंक
  • अंतिम ऋणदाता
  • देश के विदेशी मुद्रा कोषों का संरक्षक
  • साख नियंत्रण
  • समाशोधन गृह का कार्य
  • आँकड़े इकट्ठे करना।

→ मौद्रिक नीति-मौद्रिक नीति से अभिप्राय किसी देश के केंद्रीय बैंक की उस नीति से है जिसका उपभोग अर्थव्यवस्था में मुद्रा तथा साख की पूर्ति के नियंत्रण के लिए किया जाता है।

→ भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति के उपकरण-RBI की मौद्रिक नीति के उपकरण हैं-

  • खुली बाज़ार कार्रवाई
  • बैंक दर नीति
  • आरक्षित आवश्यकताओं में अंतर तथा
  • भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बाह्य आघातों के विरुद्ध स्थिरीकरण।

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HBSE 10th Class Social Science Notes Haryana Board

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HBSE 10th Class Social Science Important Questions Haryana Board

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HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.2

Haryana State Board HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.2

प्रश्न 1.
गणित की एक परीक्षा में, 15 विद्यार्थियों द्वारा (25 में से) प्राप्त किए गए अंक निम्नलिखित हैं :
19, 25, 23, 20, 9, 20, 15, 10, 5, 16, 25, 20, 24, 12, 20.
इन आँकड़ों के बहुलक और माध्यक ज्ञात कीजिए। क्या ये समान हैं ?
हल :
गणित के प्राप्तांकों को आरोही क्रम में व्यवस्थित करने पर,
5, 9, 10, 12, 15, 16, 19, 20, 20, 20, 20, 23, 24, 25, 25
स्पष्ट है, 20 सबसे अधिक बार आया है। .
∴ बहुलक = 20
यहाँ N = 15 है। विषम है।
∴ माध्यक = (\(\frac{N+1}{2}\)) वाँ पद
= (\(\frac{15+1}{2}\))वाँ = 8वाँ पद = 20
हाँ, बहुलक और माध्यक समान हैं।

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.2

प्रश्न 2.
एक क्रिकेट मैच में खिलाड़ियों द्वारा बनाए गए रन इस प्रकार हैं:
6, 15, 120, 50, 100, 80, 10, 15, 8, 10, 15
इन आँकड़ों के माध्य, बहुलक और माध्यक ज्ञात कीजिए। क्या ये तीनों समान हैं ?
हल:
माध्य = रनों का योग / खिलाडियों की संख्या
= \(\frac{6+15+120+50+100+80+10+15+8+10+15}{11}\)
= \(\frac {429}{11}\) = 39 उत्तर
अब, रनों को आरोही क्रम में रखने पर,
6, 8, 10, 10, 15, 15, 15, 50, 80, 100, 120
यहाँ 15 सबसे अधिक बार आया है।
∴ बहुलक = 15 उत्तर
अब, आँकड़ों की संख्या (N) विषम है अर्थात् N = 11
माध्यक : = \(\frac{N+1}{2}\) वाँ पद
= \(\frac{11+1}{2}=\frac{12}{2}\) = 6वाँ पद = 15
ये तीनों समान नहीं हैं। उत्तर

प्रश्न 3.
एक कक्षा के 15 विद्यार्थियों के भार (किग्रा में) इस प्रकार हैं:
38, 42, 35, 37, 45, 50, 32, 43, 43, 40, 36, 38, 43, 38, 47
(i) इन आँकड़ों के बहुलक और माध्यक ज्ञात कीजिए।
(ii) क्या इनके एक से अधिक बहुलक हैं?
हल :
(i) दिए गए भारों को आरोही क्रम में लिखने पर,
32, 35, 36, 37, 38, 38, 38, 40, 42, 43, 43, 43, 45, 47, 50
यहाँ 38 और 43 सबसे अधिक बार आया है।
∴ बहुलक = 38 और 43 हैं।
अब, दिए गए आँकड़ों की संख्या विषम अर्थात् 15 है।
∴ माध्यक = \(\frac{N+1}{2}\) वाँ पद = \(\frac{15+1}{2}\) वाँ पद
= \(\frac{16}{2}\)वाँ पद = 8वाँ पद = 40

(ii) हाँ, एक से अधिक बहुलक हैं।

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 3 आँकड़ो का प्रबंधन Ex 3.2

प्रश्न 4.
निम्नलिखित आँकड़ों से बहुलक और माध्यक ज्ञात कीजिए:
13, 16, 12, 14, 19, 12, 14, 13, 14
हल :
आँकड़ों को आरोही क्रम में रखने पर,
12, 12, 13, 13, 14, 14, 14, 16. 19
स्पष्ट : यहाँ 14 सबसे अधिक बार आया है।
∴ बहुलक = 14.
अब, आँकड़ों की संख्या विषम है अर्थात् N = 9
∴ माध्यक = \(\frac{N+1}{2}\) वाँ पद = \(\frac{9+1}{2}\) वाँ पद
= \(\frac{10}{2}\)वाँ पद = 5 वाँ पद = 14 उत्तर

प्रश्न 5.
बताइए कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं अथवा असत्य:
(i) बहुलक आँकड़ों में से सदैव एक संख्या होता है।
(ii) माध्य दिए हुए आँकड़ों में से एक संख्या हो सकता है।
(iii) माध्यक आँकड़ों में से सदैव एक संख्या होता है।
(iv) आँकड़ों 6, 4, 3, 8, 9, 12, 13,9 का माध्य है।
हल :
(i) सत्य,
(ii) सत्य,
(iii) सत्य,
(iv) असत्य।

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HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

Haryana State Board HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Economics Solutions Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

पाठयपुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
सार्वजनिक वस्तु सरकार के द्वारा ही प्रदान की जानी चाहिए, क्यों? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से यह अनुभव किया जाता है कि सार्वजनिक वस्तु सरकार के द्वारा ही प्रदान की जानी चाहिए
(i) सार्वजनिक वस्तुओं का उपभोग सामूहिक रूप से किया जाता है। सार्वजनिक वस्तुएँ अप्रतिस्पर्धी (Non-rivalrous) होती हैं अर्थात् एक व्यक्ति दूसरे की संतुष्टि में कमी किए बगैर अपनी संतुष्टि में वृद्धि कर सकता है। सार्वजनिक वस्तुएँ अवर्ण्य (Non-excludable) होती हैं अर्थात् किसी को इन वस्तुओं का लाभ उठाने से वर्जित करने का कोई संभव तरीका नहीं है। इसे ही मुफ्तखोरी की समस्या कहा जाता है।

(ii) सार्वजनिक वस्तुओं के उपयोग का शुल्क संग्रह करना कठिन होता है, जबकि निजी उद्यम आमतौर पर ऐसी वस्तुओं को उपलब्ध नहीं कराते हैं।

प्रश्न 2.
राजस्व व्यय और पूँजीगत व्यय में भेद कीजिए।
उत्तर:
सरकारी बजट में राजस्व व्यय और पूँजीगत व्यय के बीच निम्नलिखित भेद हैं-

  1. राजस्व व्यय अल्पकालीन और बार-बार होने वाले व्यय हैं जबकि पूँजीगत व्यय दीर्घकालीन तथा आकस्मिक होने वाले व्यय हैं।
  2. राजस्व व्ययों की आवृत्ति अधिक होती है जबकि पूँजीगत व्ययों की आवृत्ति बहुत कम होती है।
  3. राजस्व व्यय से परिसंपत्तियों का निर्माण नहीं होता और न ही ये व्यय दायित्वों में कमी करते हैं। पूँजीगत व्ययों से या तो परिसंपत्तियों का निर्माण होता है या दायित्वों में कमी आती है।

राजस्व व्यय (Revenue Expenditure) के उदाहरण निम्नलिखित हैं-

  1. सुरक्षा पर व्यय
  2. कानून व्यवस्था पर व्यय
  3. स्वास्थ्य पर व्यय।

पूँजीगत व्यय (Capital Expenditure) के उदाहरण निम्नलिखित हैं

  1. गैर-आवासीय इमारतों पर व्यय
  2. वैज्ञानिक अनुसंधान संगठनों पर व्यय
  3. सड़कों एवं पुलों पर व्यय।

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प्रश्न 3.
राजकोषीय घाटा से सरकार को ऋण-ग्रहण की आवश्यकता होती है, समझाइए।
उत्तर:
राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) से अभिप्राय उस घाटे से है जिसमें सरकार का कुल बजट व्यय उसकी राजस्व प्राप्तियों तथा गैर-ऋण पूँजीगत प्राप्तियों के जोड़ से अधिक होता है। अर्थात्

राजकोषीय घाटा = कुल बजट (राजस्व व्यय + पूँजीगत व्यय + सरकार द्वारा दिए गए शुद्ध ऋण) – राजस्व प्राप्तियाँ-गैर-ऋण पूँजीगत प्राप्तियाँ

इस प्रकार राजकोषीय घाटे में ऋण सम्मिलित नहीं होता। राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए सरकार के पास ऋण ग्रहण के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होता। सरकार के पास ऋण ग्रहण के निम्नलिखित तीन स्रोत होते हैं-

  • लोगों से ऋण
  • केंद्रीय बैंक से ऋण
  • विदेशों से ऋण।

इस प्रकार,
राजकोषीय घाटा = सरकार का ऋणभार।

प्रश्न 4.
राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा में संबंध बताइए।
उत्तर:
राजस्व घाटा वह स्थिति है जिसमें सरकार का राजस्व व्यय उसकी राजस्व प्राप्तियों से अधिक होता है। अर्थात
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय (चालू व्यय) – राजस्व प्राप्तियाँ (कर प्राप्तियाँ – गैर-कर प्राप्तियाँ)
राजकोषीय घाटा वह स्थिति है जिसमें सरकार का कुल व्यय (राजस्व व्यय + पूँजीगत व्यय) उसकी राजस्व प्राप्तियों तथा गैर-ऋण पूँजीगत प्राप्तियों से अधिक होता है। अर्थात्
राजकोषीय घाटा = कुल व्यय (राजस्व व्यय + पूँजीगत व्यय) – राजस्व प्राप्तियाँ – गैर-ऋण पूँजीगत प्राप्तियाँ
राजकोषीय घाटा एक विस्तृत तथ्य है जबकि राजस्व घाटा एक संकुचित तथ्य है और यह राजकोषीय घाटा में सम्मिलित है।

प्रश्न 5.
मान लीजिए कि एक विशेष अर्थव्यवस्था में निवेश 200 के बराबर है, सरकार के क्रय की मात्रा 150 है, निवल कर (अर्थात् एकमुश्त कर से अंतरण को घटाने पर) 100 है और उपभोग C = 100 + 0.75 Y दिया हुआ है, तो (a) संतुलन आय का स्तर क्या है? (b) सरकारी व्यय गुणक और कर गुणक के मानों की गणना करें। (c) यदि सरकार के व्यय में 200 की बढ़ोत्तरी होती है, तो संतुलन आय में क्या परिवर्तन होगा?
हल:
उपभोग = C = 100 + 0.75Y
यहाँ पर,
\(\overline{\mathrm{C}}\) = 100
c = 0.75
निवल कर (T – \(\overline{\mathrm{T}}\)R) = 100
निवेश (I) = 260
सरकार का क्रय (G) = 150
(a) संतुलन आय का स्तर (Y) = \(\overline{\mathrm{C}}\) + c[Y – (T – \(\overline{\mathrm{T}}\)R)] + I + G
= 100 + 0.75 [Y – 100] + 200 + 150
= 100 + 0.75Y – 75 + 350
= 0.75Y + 375
Y – 0.75Y = 375
0.25Y = 375
Y = \(\frac{375 \times 100}{25}\)
संतुलन आय स्तर = 1,500 उत्तर

(b) सरकारी व्यय गुणक =\(\frac { 1 }{ 1-c }\)
= \(\frac { 1 }{ 1-0.75 }\)
= \(\frac { 1 }{ 0.25 }\) = 4
कर गुणक = \(\frac { -c }{ 1 – c }\)
= \(\frac { -0.75 }{ 1 – 0.75 }\)
= \(\frac { -0.75 }{ 0.25 }\)
= – 3 उत्तर

(c) संतुलन आय में परिवर्तन (∆Y) = \(\frac { 1 }{ 1-c }\)∆G
= सरकारी व्यय गुणक – सरकारी व्यय में परिवर्तन
= 4 x 200 = 800
यदि सरकारी व्यय में 200 की बढ़ोत्तरी होती है तो संतुलन आय में 800 की बढ़ोत्तरी होगी। उत्तर

HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

प्रश्न 6.
एक ऐसी अर्थव्यवस्था पर विचार कीजिए, जिसमें निम्नलिखित फलन हैं-
C = 20 + 0.80Y, I = 30, G = 50, TR = 100
(a) आय का संतुलन.स्तर और मॉडल में स्वायत्त व्यय गुणक ज्ञात कीजिए।
(b) यदि सरकार के व्यय में 30 की वृद्धि होती है, तो संतुलन आय पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
(c) यदि एकमुश्त कर 30 जोड़ दिया जाए, जिससे सरकार के क्रय में बढ़ोत्तरी का भुगतान किया जा सके, तो संतुलन आय में किस प्रकार का परिवर्तन होगा?
हल:
उपभोग (C) = 20 + 0.80Y
यहाँ पर,
\(\overline{\mathrm{C}}\) = 20
c = 0.80
निवेश (I) = 30
सरकारी व्यय (G) = 50
अंतरण (T – \(\overline{\mathrm{T}}\)R) = 100
(a) आय का संतुलन स्तर (Y) = C + c[Y- (T – TR )] + I + G
Y = 20 + 0.80 [Y – (-100)] + 30 + 50
= 20 + 0.80 [Y + 100] + 80
= 20 + 0.08Y + 80 + 80
= 0.80Y + 180
Y – 0.80 = 180
0.20Y = 180
Y = 900
आय का संतुलन स्तर = 900
स्वायत्त व्यय गुणक = \(\frac { 1 }{ 1-c }\)
= \(\frac { 1 }{ 1-0.80 }\)
= \(\frac { 1 }{ 0.20 }\)
= 5 उत्तर

(b) संतुलन आय में वृद्धि (∆Y) = व्यय गुणक x व्यय में वृद्धि
= 5 x 30 = 150 उत्तर

(c) कर गुणक = \(\frac { -c }{ 1-c }\)
= \(\frac { -0.80 }{ 1-0.80 }\)
= \(\frac { -0.80 }{ 0.20 }\)
= – 4
संतुलन आय में परिवर्तन = कर गुणक x कर में वृद्धि
= – 4 x 30
= – 120
संतुलन आय में कमी = 120 उत्तर

प्रश्न 7.
उपर्युक्त प्रश्न में अंतरण में 10% की वृद्धि और एकमुश्त करों में 10% की वृद्धि का निर्गत पर पड़ने वाले प्रभाव की गणना करें। दोनों प्रभावों की तुलना करें।
हल:
अंतरण गुणक = \(\frac { c }{ 1-c }\)
= \(\frac { 0.80 }{ 1-0.80 }\)
= \(\frac { 0.80 }{ 0.20 }\) = 4
अंतरण में वृद्धि = 10%
निर्गत में अंतरण के कारण वृद्धि
= अंतरण गुणक x अंतरण में वृद्धि
= 4 x 10% = 40%
एकमुश्त कर में वृद्धि = 10%
निर्गत में एकमुश्त कर में वृद्धि के कारण कमी
= 4 x 10% = 40% उत्तर
अंतरण में वृद्धि से राष्ट्रीय आय में वृद्धि होगी और एकमुश्त कर में वृद्धि से राष्ट्रीय आय में कमी होगी। चूँकि अंतरण व कर में वृद्धि की मात्रा व गुणक एक बराबर हैं, अतः दोनों का मिश्रित प्रभाव शून्य होगा।

प्रश्न 8.
हम मान लेते हैं कि C = 70 + 0.70YD, 1 = 90, G = 100, T = 0.10Y (a) संतुलन आय ज्ञात कीजिए। (b) संतुलन आय पर कर राजस्व क्या है? क्या सरकार का बजट संतुलित बजट है?
हल:
(a) C = 70 + 0.70YD
यहाँ पर, \(\overline{\mathrm{C}}\) = 70
c = 0.70
I = 90 G = 100
T = 0.10Y
संतुलन आय (Y) = \(\overline{\mathrm{C}}\) + c[Y – (T – \(\overline{\mathrm{T}}\)R)] + I + G
Y = 70+ 0.70[Y – (0.10Y)] + 90 + 100
Y = 70+ 0.70[Y – 0.10Y] + 190
Y = 260 + 0.70Y – 0.07Y
Y = 260 + 0.63Y
Y – 0.63Y = 260
0.37Y = 260
Y = 703 (लगभग)
संतुलन आय = 703 उत्तर

(b) T = 0.10Y
T = 0.10 x 703
T = 70.3
कर राजस्व = 70.3
चूँकि सरकार द्वारा अर्जित कर राजस्व 70.3 है और सरकार द्वारा किया व्यय 100 है, इसलिए सरकार का बजट संतुलित नहीं है। संतुलित बजट के लिए यह आवश्यक है कि सरकारी व्यय और कर राजस्व दोनों ही एक-दूसरे के बराबर हों।

HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

प्रश्न 9.
मान लीजिए कि सीमांत उपभोग प्रवृत्ति 0.75 है और आनुपातिक आय कर 20 प्रतिशत है। संतुलन आय में निम्नलिखित परिवर्तनों को ज्ञात करें
(a) सरकार के क्रय में 20 की वृद्धि
(b) अंतरण में 20 की कमी।
हल:
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC) = 0.75
आनुपातिक आय कर (t) = 20%
सरकारी व्यय गुणक =\(\frac{1}{(1-c)(1-t)}\)
= \(\frac{1}{(1-0.75)(1-0.20)}\)
\(\frac{1}{0.25 \times 0.80}\) = 5
अंतरण गुणक = \(\frac { 1 }{ 1-c }\)
= \(\frac { 1 }{ 1-0.75 }\)
= \(\frac { 1 }{ 0.25 }\)
= 4
(a) सरकार के क्रय में वृद्धि = 20
संतुलन आय में वृद्धि = 20 x 5 = 100 उत्तर

(b) अंतरण में कमी = 20
संतुलन आय में कमी = 20 x 4 = 80 उत्तर
अतः दोनों का मिश्रित प्रभाव = संतुलन आय में 20 की वृद्धि

प्रश्न 10.
निरपेक्ष मूल्य में कर गुणक सरकारी व्यय गुणक से छोटा क्यों होता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यह कहना सही है कि निरपेक्ष मूल्य में कर गुणक सरकारी व्यय गुणक से छोटा होता है।
कर गुणक = \(\frac { -c }{ 1-c }\)
सरकारी व्यय गुणक = \(\frac { 1 }{ 1 – c }\)
‘इसका कारण यह है कि सरकारी व्यय में वृद्धि राष्ट्रीय आय को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती है जबकि कर गुणक राष्ट्रीय आय को प्रयोज्य आय के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।

प्रश्न 11.
सरकारी घाटे और सरकारी ऋण-ग्रहण में क्या संबंध है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सरकारी घाटे और सरकारी ऋण-ग्रहण में घनिष्ठ संबंध है। सरकारी घाटा प्रवाह अवधारणा है, लेकिन सरकारी घाटा ऋण के स्टॉक में वृद्धि करता है। यदि सरकार वर्ष प्रतिवर्ष ऋण ग्रहण करती है तो ब्याज के दायित्व में वृद्धि से बजट घाटे में भी वृद्धि करती है। इस प्रकार बजट घाटा ऋण का कारण और प्रभाव दोनों हैं।

प्रश्न 12.
क्या सार्वजनिक ऋण बोझ बनता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सार्वजनिक ऋण हमेशा बोझ नहीं बनता, लेकिन निम्नलिखित परिस्थितियों में सार्वजनिक ऋण बोझ बन जाता है-

  1. सार्वजनिक ऋण का भार भावी पीढ़ी पर पड़ता है।
  2. विदेशियों से लिए गए ऋण के बदले में ब्याज की अदायगी के अनुरूप वस्तुएँ विदेश भेजनी पड़ती हैं।
  3. देश में कुल माँग में वृद्धि होती है जिससे मुद्रास्फीति में वृद्धि होती है।

प्रश्न 13.
क्या राजकोषीय घाटा आवश्यक रूप से स्फीतिकारी है?
उत्तर:
राजकोषीय घाटा आवश्यक रूप से स्फीतिकारी नहीं होता। यदि राजकोषीय घाटे के फलस्वरूप माँग में वृद्धि और निर्गत में वृद्धि होती है तो राजकोषीय घाटा स्फीतिकारी नहीं होता। यदि राजकोषीय घाटे के मूल्य से कम अर्थव्यवस्था में निर्गत होता है तो राजकोषीय घाटा स्फीतिकारी होता है।

प्रश्न 14.
घाटे में कटौती के विषय पर विमर्श कीजिए।
उत्तर:
घाटे में कटौती करने के बारे में दोनों प्रकार के तर्क दिए जाते हैं। घाटे में कटौती करना निम्नलिखित परिस्थितियों में उचित नहीं माना जाता

  • घाटे से महामंदी और बेरोज़गारी की समस्या का समाधान किया जा सकता है।
  • घाटे से अल्पविकसित देशों को अतिरिक्त संसाधन प्राप्त होते हैं जिससे आर्थिक विकास में सहायता मिलती है।
  • घाटे से सरकार सामाजिक कल्याण की गतिविधियाँ संचालित कर सकती है।

घाटे में कटौती करना निम्नलिखित परिस्थितियों में उचित माना जाता है-

  • घाटे के बजट से सरकार को ऋण लेने के लिए बाध्य होना पड़ता है जिससे सरकार के समक्ष ऋण के भुगतान की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
  • घाटे के बजट से मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि होती है जिससे कीमतों में वृद्धि होती है।
  • घाटे का बजट सरकार को अनावश्यक व्यय करने की सुविधा देता है।

घाटे में कटौती निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है-

  • करों में वृद्धि
  • सार्वजनिक व्यय में कमी
  • विनिवेश।

सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था HBSE 12th Class Economics Notes

→ बजट-बजट एक वित्तीय वर्ष, जो 1 अप्रैल से अगले 31 मार्च तक चलता है, की अवधि में सरकार की अनुमानित प्राप्तियों (आय) और अनुमानित व्यय का ब्यौरा होता है।

→ बजट के संघटक बजट के दो मुख्य संघटक हैं-

  • बजट प्राप्तियाँ तथा
  • बजट व्यय।

→ बजट प्राप्तियाँ बज़ट प्राप्तियों से अभिप्राय उस मौद्रिक आय से है जो कि सरकार को आने वाले वित्तीय वर्ष में विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होने का अनुमान है। इसमें दो प्रकार की प्राप्तियाँ शामिल की जाती हैं

  • राजस्व प्राप्तियाँ
  • पूँजीगत प्राप्तियाँ।

→ राजस्व प्राप्तियाँ-राजस्व प्राप्तियाँ सरकार की वह प्राप्ति अथवा आय है जिसमें सरकार की कोई देनदारियाँ नहीं होती और न ही सरकार की परिसंपत्तियों में कोई कमी होती है। इसमें दो प्रकार की प्राप्तियाँ शामिल की जाती हैं

  • कर राजस्व प्राप्तियाँ
  • गैर-कर राजस्व प्राप्तियाँ।

HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 5 सरकारी बजट एवं अर्थव्यवस्था

→ पूँजीगत प्राप्तियाँ-पूँजीगत प्राप्तियों में सरकार की वह आय आती है जो या तो देनदारियाँ पैदा करती है या सरकार की परिसंपत्तियों में कमी करती है। इनका विभाजन तीन भागों में किया गया है

  • ऋणों की वसूली
  • उधार तथा अन्य देयताएँ
  • अन्य प्राप्तियाँ।

→ कर-कर एक ऐसा भगतान है जोकि लोगों द्वारा सरकार को किया जाता है। इसके बदले में किसी सेवा-प्राप्ति की आशा – नहीं की जा सकती।

→ कर के प्रकार कर तीन प्रकार के होते हैं

  • प्रगतिशील कर तथा प्रतिगामी कर
  • मूल्यवृद्धि कर तथा वजन अनुसार कर
  • प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर।

→ प्रत्यक्ष कर वह कर, जिसका अंतिम भार उसी व्यक्ति को उठाना पड़ता है जो इसका भुगतान करता है। इसके उदाहरण हैं-आयकर, व्यवसाय कर, संपत्ति कर, उपहार कर आदि।

→ अप्रत्यक्ष कर वह कर जिसका प्रारंभिक भार एक व्यक्ति पर पड़ता है, परंतु उस भार को वह दूसरों पर टालने में सफल हो जाता है। इसके उदाहरण हैं-बिक्री कर, उत्पादन कर, सीमा शुल्क आदि।

→ बजट व्यय बजट व्यय से अभिप्राय सरकार द्वारा आने वाले वित्तीय वर्ष में विभिन्न मदों पर किए जाने वाले अनुमानित व्यय से है। इसमें दो प्रकार के व्यय शामिल किए जाते हैं-

  • राजस्व व्यय
  • पूँजीगत व्यय।

→ राजस्व व्यय-राजस्व व्यय से अभिप्राय सरकार द्वारा एक वित्तीय वर्ष में किए जाने वाले उस अनुमानित व्यय से है जिसके फलस्वरूप न तो सरकार की परिसंपत्तियों का निर्माण होता है और न ही देनदारियों में कमी होती है।

→ पूँजीगत व्यय-पूँजीगत व्यय सरकार का वह खर्च है जो या तो सरकार के लिए परिसंपत्तियाँ पैदा करता है या सरकारी देनदारियाँ कम करता है।

→ बजट के प्रकार बजट तीन प्रकार का होता है-

  • संतुलित बजट
  • बचत का बजट
  • घाटे का बजट।

→ संतुलित बजट-संतुलित बजट = कुल व्यय = कुल प्राप्तियाँ।

→ बचत का बजट-बचत का बजट = कुल व्यय < कुल प्राप्तियाँ। → घाटे का बजट-घाटे का बजट = कुल व्यय > कुल प्राप्तियाँ।

→ बजट घाटा-बजट घाटे का अर्थ उस स्थिति से है जिसमें सरकार का बजट व्यय सरकार की बजट प्राप्तियों से अधिक होता है। बजट घाटा तीन प्रकार का होता है-

  • राजस्व घाटा
  • राजकोषीय घाटा
  • प्राथमिक घाटा।

→ राजस्व घाटा-राजस्व घाटा = राजस्व व्यय > राजस्व प्राप्तियाँ।

→ राजकोषीय घाटा-राजकोषीय घाटा = कुल व्यय > (राजस्व प्राप्तियाँ + गैर ऋण पूँजीगत प्राप्तियाँ)

→ प्राथमिक घाटा-प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज की अदायगी।

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HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4

Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Exercise 8.4

प्रश्न 1.
त्रिकोणमितीय अनुपातों sin A, sec A और tan A को cotA के पदों में व्यक्त कीजिए।
हल :
हम जानते हैं कि
cot2A+ 1 = cosec2A
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 1

प्रश्न 2.
∠A के अन्य सभी त्रिकोणमितीय अनुपातों को secA के पदों में लिखिए।
हल :
हम जानते हैं कि
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 2

प्रश्न 3.
मान निकालिए-
(i) \(\frac{\sin ^{2} 63^{\circ}+\sin ^{2} 27^{\circ}}{\cos ^{2} 17^{\circ}+\cos ^{2} 73^{\circ}}\)
(ii) sin 25° cos 65° + cos 25° sin 650.
हल :
(i) \(\frac{\sin ^{2} 63^{\circ}+\sin ^{2} 27^{\circ}}{\cos ^{2} 17^{\circ}+\cos ^{2} 73^{\circ}}\)
= \(\frac{\cos ^{2} 27^{\circ}+\sin ^{2} 27^{\circ}}{\sin ^{2} 73^{\circ}+\cos ^{2} 73^{\circ}}\)
= 1/1 [∵ sinθ + cosθ = 1]
= 1

(ii) sin 25°.cos 65° + cos 25°.sin 65°
= sin (90° – 65°).cos 65° + cos (90° -65°).sin 65°
= cos 65°.cos.65° + sin 65°.sin 65°
= cos265° + sin2 65° = 1

प्रश्न 4.
सही विकल्प चुनिए और अपने विकल्प की पुष्टि कीजिए-
(i) 9 sec2A – 9 tan2A बराबर है.
(A) 1
(B) 9
(C) 8
(D) 0

(ii) (1 + tanθ + secθ) (1 + cotθ – cosecθ) बराबर है-
(A) 0
(B) 1
(C) 2
(D) -1

(iii) (sec A+ tan A) (1 – sin A) बराबर है-
(A) sec A
(B) sin A
(C) cosec A
(D) cos A

(iv) \(\frac{1+\tan ^{2} A}{1+\cot ^{2} A}\) बराबर है-
(A) sec2 A
(B)-1
(C) cot2 A
(D) tan2 A.
हल :
9 sec2 A – 9 tan2 A = 9 (tan2 A + 1) – 9 tan2 A
= 9 tan2 A + 9 – 9 tan2 A.
= 9
अतः सही विकल्प = B

(ii) (1 + tanθ + secθ) (1 + cotθ – cosecθ)
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 3
अतः सही विकल्प = C

(iii) (sec A+ tan A) (1 – sin A)
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 4
अतः सही विकल्प = D

(iv)
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 5
अतः सही विकल्प = D

प्रश्न 5.
निम्नलिखित सर्वसमिकाएँ सिद्ध कीजिए, जहाँ वे कोण, जिनके लिए व्यंजक परिभाषित है, न्यून कोण है
(i) (cosec θ – cot θ)2 = \(\frac{1-\cos \theta}{1+\cos \theta}\)
(ii) \(\frac{\cos A}{1+\sin A}+\frac{1+\sin A}{\cos A}=2 \sec A\)
(iii) \(\frac{\tan \theta}{1-\cot \theta}+\frac{\cot \theta}{1-\tan \theta}\) = 1 + sec θ cosec θ
(iv) \(\frac{1+\sec A}{\sec A}=\frac{\sin ^{2} A}{1-\cos A}\)
सर्वसमिका cosec2 A = 1 + cot2 A को लागू करके
\(\frac{\cos A-\sin A+1}{\cos A+\sin A-1}\) = cosec A+ cot A
(vi) \(\sqrt{\frac{1+\sin \mathrm{A}}{1-\sin \mathrm{A}}}\) = sec A + tan A
(vii) \(\frac{\sin \theta-2 \sin ^{3} \theta}{2 \cos ^{3} \theta-\cos \theta}\) = tan θ
(viii) (sin A + cosec A)2 + (cos A + sec A)2 = 7 + tan2 A+ cot2 A
(ix) (cosec A-sin A) (sec A- cos A) = \(\frac{1}{\tan A+\cot A}\)
(x) \(\left(\frac{1+\tan ^{2} A}{1+\cot ^{2} A}\right)=\left(\frac{1-\tan A}{1-\cot A}\right)^{2}\) = tan2A

(i) यहाँ पर,
= (cosec θ – cot θ)2
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 6

(ii) यहाँ पर,
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 7
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 8

(iii) यहाँ पर,
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 9

(iv) यहाँ पर,
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 10
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 11

(v) यहाँ पर,
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 12
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 13

(vi) यहाँ पर,
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 14

(vii) यहाँ पर,
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 15

(viii) यहाँ पर,
बायाँ पक्ष = (sin A+ cosec A)2 + (cos A + sec A)2
= sin2 A + cosec2 A + 2 sin A.cosec A + cos2 A + sec2 A + 2cos A.sec A
= (sin2 A + cos2 A) + 2 sin A. cosec A + 2cosA. sec A + cosec2 A + sec2 A
= 1+2 sin A. \(\frac{1}{\sin A}\) + 2 cos A. \(\frac{1}{\cos A}\)
+(cot2 A + 1) + (tan2 A + 1)
= 1 + 2 + 2 + cot2 A + 1 + tan2 A + 1
= 7 + tan2 A + cot2 A = दायाँ पक्ष

(ix) यहाँ पर,
बायाँ पक्ष = (cosec A- sin A) (sec A- cos A)
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 17

(x) यहाँ पर,
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 18
HBSE 10th Class Maths Solutions Chapter 8 त्रिकोणमिति का परिचय Ex 8.4 19

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HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.4

Haryana State Board HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.4

प्रश्न 1.
ΔABC की रचना कीजिए, जब m∠A = 60°, m∠B = 30° और AB = 5.8 सेमी दिया है।
हल :
रचना के पद :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.4 1
1. एक रेखाखण्ड AB = 5.8 सेमी खींचते हैं।
2. बिन्दु A पर कोण ∠BAX = 60° का बनाया।
3. बिन्दु B पर कोण ∠ABY = 30° का बनाते हैं।
4. AX और BY आपस में बिन्दु C पर काटते हैं।
5. इस प्रकार अभीष्ट त्रिभुज ABC प्राप्त होगा।

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.4

प्रश्न 2.
ΔPQR की रचना कीजिए, यदि PQ = 5 सेमी, m∠PQR = 105° और m∠QRP = 40° दिया है।
हल :
यहाँ भुजा PQ = 5 सेमी
∠Q = 105°
∠R = 40°
∠P = ज्ञात करना है ?
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.4 2
हम जानते हैं
∠P + ∠Q + ∠R = 180°
⇒ ∠P + 105° + 40° = 180°
⇒ ∠P + 145° = 180°
⇒ ∠P = 180° – 145°= 350
PQ = 5 सेमी, ∠P = 35° और ∠Q = 105°
अब हम ΔPQR की रचना कर सकते हैं।

रचना के पद :
1. एक रेखाखण्ड PQ = 5 सेमी खींचा।
2. बिन्दु P पर 35° का कोण बनाते हुए PX रेखा खींची।
3. बिन्दु Q पर 105° का कोण बनाते हुए QY रेखा खींची।
4. PX और QY आपस में R बिन्दु पर काटती हैं।
इस प्रकार अभीष्ट त्रिभुज PQR प्राप्त हुआ।

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.4

प्रश्न 3.
जाँच कीजिए कि आप ΔDEF की रचना कर सकते हैं या नहीं, यदि EF= 7.2 सेमी, m∠E = 110° और m∠F = 80° हैं। अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
हल :
m∠E + m∠F = 110° + 80° = 190°
∵ दिए गए Δ में दो कोणों का योग 180° से अधिक है।
अत: ΔDEF बनाना सम्भव नहीं होगा, क्योंकि Δ के तीनों कोणों का योग 180° होता है।

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HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 13 घातांक और घात Ex 13.3

Haryana State Board HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 13 घातांक और घात Ex 13.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Maths Solutions Chapter 13 घातांक और घात Ex 13.3

प्रश्न 1.
निम्नलिखित संख्याओं को प्रसारित रूप में लिखिए :
279404, 3006194, 2806196, 120719, 20068
हल :
दी गई संख्याओं के प्रसारित रूप निम्नलिखित हैं :
279404 = 2 × 100000 + 7 × 10000 × 9 × 1000 + 4 × 100 + 0 × 10 + 4 × 1
= 2 × 105 + 7 × 104 + 9 × 103 + 4 × 102 + 0 × 101 + 4 × 100

3006194 = 3 × 1000000 + 0 × 100000 + 0 × 10000 + 6 × 1000 + 1 × 100 + 9 × 10 + 4 × 1
= 3 × 106 + 0 × 105 + 0 × 104 +6 × 103 + 1 × 102 + 9 × 101 + 4 × 100

2806196 = 2 × 1000000 + 8 × 100000 + 0 × 10000 + 6 × 1000 + 1 × 100 + 9 × 10 + 6 × 1
= 2 × 106 + 8 × 105 + 0 × 104 + 6 × 103 + 1 × 102 + 9 × 101 + 6 × 100

120719 = 1 × 100000 + 2 × 10000 + 0 × 1000 + 7 × 100 + 1 × 10 + 9 × 1
= 1 × 105 + 2 × 104 + 0 × 103 + 7 × 102 + 1 × 101 + 9 × 100

20068 = 2 × 10000 + 0 × 1000 + 0 × 100 + 6 × 10 + 8 × 1
= 2 × 104 + 0 × 103 + 0 × 102 + 6 × 101 + 8 × 100

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 13 घातांक और घात Ex 13.3

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रसारित रूपों में से प्रत्येक के लिए संख्या ज्ञात कीजिए :
(a) 8 × 104 + 6 × 103 + 0 × 102 + 4 × 101 + 5 × 100
(b) 4 × 105 + 5 × 103 + 3 × 102 + 2 × 100
(c) 3 × 104 + 7 × 102 + 5 × 100
(d) 9 × 105 + 2 × 102 + 3 × 101
हलं :
(a) 8 × 104 + 6 × 103 + 0 × 102 + 4 × 101 + 5 × 100
= 8 × 10000 + 6 × 1000 + 0 × 100 + 4 × 10 × 5 x 1
= 86045

(b) 4 × 105 + 5 × 103 + 3 × 102 + 2 × 100
= 4 × 100000 + 5 × 1000 + 3 × 100 + 2 × 1
= 405302

(c) 3 × 104 + 7 × 102 + 5 × 100
= 3 × 10000 + 7 × 100 + 5 × 1
= 30705

(d) 9 × 105 + 2 × 102 + 3 × 101
= 9 × 100000 + 2 × 100 + 30
= 900230

प्रश्न 3.
निम्नलिखित संख्याओं को मानक रूप में व्यक्त कीजिए :
(i) 5,00,00,000
(ii) 70,00,000
(iii) 3,18,65,00,000
(iv) 3,90,878
(v) 39087.8
(vi) 3908.78
हल :
(i) 5,00,00,000 = 5 × 10000000
= 5 × 107
(ii) 70,00,000 = 7 × 1000000
= 7 × 106
(iii) 3,18,65,00,000 = 3.1865 × 1000000000
= 3.1865 × 109
(iv) 3,90,878 = 3.90878 × 100000
= 3.90878 × 105
(v) 39087.8 = 3.90878 × 10000
= 3:90878 × 104
(vi) 3908.78 = 3.90878 × 1000
= 3.90878 × 103

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 13 घातांक और घात Ex 13.3

प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों में प्रकट होने वाली (आने वाली) संख्याओं को मानक रूप में व्यक्त कीजिए :
(a) पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच की दूरी 384,000,000 मीटर है।
(b) निर्वात स्थान में प्रकाश की चाल (या वेग) 300,000,000 मीटर/सेकण्ड है।
(c) पृथ्वी का व्यास 12756000 मीटर है।
(d) सूर्य का व्यास 1,400,000,000 मीटर है।
(e) एक आकाशगंगा में औसतन 100,000,000,000 तारे हैं।
(f) विश्व मण्डल (या सौर मंडल) 12,000,000,000 वर्ष पुराना आकलित किया गया है।
(g) आकाशगंगा के मध्य से सूर्य की दूरी 300,000,000,000,000,000,000 मीटर आकलित की गई
(h) 1.8 ग्राम भार वाली पानी की एक बूंद में 60,230,000,000,000,000,000,000 अणु (molecules) होते हैं।
(i) पृथ्वी में 1,353,000,000 किमी समुद्र जल है।
(j) मार्च 2001 में भारत की जनसंख्या 1,027,000,000 थी।
हल :
(a) पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच की दूरी
= 384000000 मीटर
= 3.84 × 100000000 मीटर
= 3.84 × 108 मीटर।

(b) निर्वात में प्रकाश की चाल
= 300000000 मीटर/सेकण्ड
= 3.0 × 100000000 मीटर/सेकण्ड
= 3.0 × 108 मीटर/सेकण्ड।

(c) पृथ्वी का व्यास = 12756000 मीटर
= 1.2756 × 10000000 मीटर
= 1.2756 × 107 मीटर।

(d) सूर्य का व्यास = 1400000000 मीटर
= 1.4 × 1000000000 मीटर
= 1.4 × 109 मीटर।

(e) आकाशगंगा में औसतन तारे हैं
= 100,000,000,000
= 1 × 1000000000000
= 1 × 1011 तारे।

(f) सौरमण्डल 12,000,000,000 वर्ष पुराना है
= 12.0 × 1000000000 वर्ष
= 1.2 x 10000000000 वर्ष
= 1.2 × 1011 वर्ष।

(g) आकाशगंगा के मध्य से सूर्य की दूरी
= 300,000,000,000,000,000,000 मीटर
= 3 × 100000000000000000000 = 3 × 1020 मीटर।

(h) 1.8 ग्राम भार वाली द में
= 60,230,000,000,000,000,000,000
= 6.023 × 100000000000000000000000
= 6.023 x 1023

(i) पृथ्वी में 1,353,000,000 किमी3 समुद्र जल है
= 1.353 × 1000000000
= 1.353 × 109 किमी3

(j) मार्च 2001 में भारत की जनसंख्या
= 1.027,000,000
= 1.027 × 1000000000
= 1.027 × 109

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HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 4 सरल समीकरण Ex 4.1

Haryana State Board HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 4 सरल समीकरण Ex 4.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Maths Solutions Chapter 4 सरल समीकरण Ex 4.1

प्रश्न 1.
निम्नलिखित सारणी के अंतिम स्तंभ को पूरा कीजिए :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 4 सरल समीकरण Ex 4.1 - 1
हल:
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 4 सरल समीकरण Ex 4.1 - 2

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 4 सरल समीकरण Ex 4.1

प्रश्न 2.
जाँच कीजिए कि कोष्ठकों में दिये हुए मान, दिए गए संगत समीकरणों के हल हैं या नहीं:
(a) n + 5 = 19,(n = 1)
(b) 7n + 5 = 19, (n = – 2)
(c) 7n + 5 = 19, (n = 2)
(d) 4p – 3 = 13, (p = 1)
(e) 4p – 3 = 13, (p = – 4)
(f) 4p – 3 = 13, (p = 0)
हल :
(a) जब 13 1 हो, तब
n + 5 = 1 + 5 = 6
= 6 ≠ 19
∴ n = 1 समीकरण का हल नहीं है।

(b) जब n = – 2 हो, तब
7n + 5 = 7(-2) + 5 + 5
= – 9 ≠ 19
∴ n = -2 समीकरण का हल नहीं है।

(c) जब n = 2 हो, तब
7n + 5 = 7 × 2 + 5
= 14 + 5 = 19
∴ n = 2 समीकरण का हल है।

(d) जब p = 1 हो, तब
4p – 3 = 4 × 1 – 3
= 4 – 3
= 1 ≠ 13
∴ p = 1 समीकरण का हल नहीं है।

(e) जब p = -4 हो, सब
4p – 3 = 4 × (-4) – 3
= – 16 – 3
= – 19 ≠ 13
∴ p = – 4 समीकरण का हल नहीं है।

(f) जब p = 0 हो, तब
4p – 3 = 4(0) – 3
= 0 – 3
= – 3 ≠ 13
∴ p = 0 समीकरण का हल नहीं है।

प्रश्न 3.
प्रयत्न और भूल विधि से निम्नलिखित समीकरणों को हल कीजिए:
(i) 5p + 2 = 17
(ii) 3m – 14 = 4
हल :
(i) हम समीकरण के बायें पक्ष में p का मान 1, 2, 3, …….. रखकर हल करते हैं जब तक दायाँ पक्ष बायें पक्ष के बराबर न हो जाए।
दिया गया समीकरण 5p + 2 = 17
बायाँ पक्ष = 5p + 2 और दायाँ पक्ष = 17

pबायाँ पक्षदायाँ पक्षक्या
बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष?
15 × 1 + 2 = 5 + 2 = 717नहीं
25 ×  2 + 2 = 10  + 2 = 1217नहीं
35 × 3 + 2 = 15 + 2 = 1717नहीं

स्पष्ट है, दायाँ पक्ष = बायाँ पक्ष ।
इसलिए, p = 3 दिये गये समीकरण का हल है।

(ii) हम बाएँ पक्ष को m के कुछ मानों के लिए हल करते हैं और m के मान रखते चलते हैं, जब तक दायाँ पक्ष बाएँ पक्ष के बराबर न हो जाए।
दिया गया समीकरण 3m – 14 = 4 है।
अत: बायाँ पक्ष = 3m -14 और दायाँ पक्ष = 4

mबायाँ पक्षदायाँ पक्षक्या
बायाँ पक्ष = दायाँ पक्ष?
53 × 5 – 14 = 15 – 14 = 14नहीं
63 × 6 – 14 = 18 – 14 = 44हाँ

स्पष्ट है, m = 6 के लिए, दायाँ पक्ष = बायाँ पक्ष।
अत: m = 6 दिए गए समीकरण का हल है।

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 4 सरल समीकरण Ex 4.1

प्रश्न 4.
निम्नलिखित कथनों के लिए समीकरण दीजिए :
(i) संख्याओं x और 4 का योग है।
(ii) y में से 2 घटाने पर 8 प्राप्त होते हैं।
(iii) a का 10 गुना 70 है।
(iv) संख्या 6 को 5 से भाग देने पर 6 प्राप्त होता है।
(v) t का तीन-चौथाई 15 है।
(vi) m का 7 गुना और 7 का योगफल आपको 77 देता है।
(vii) एक संख्या x की चौथाई ऋण 4 आपको 4 देता
(viii) यदि आपy के 6 गुने में से 6 घटाएँ, तो आपको 60 प्राप्त होता है।
(ix) यदि आप: z के एक-तिहाई में 3 जोड़ें, तो आपको 30 प्राप्त होता है।
हल :
दिए गए कथनों के समीकरण निम्न प्रकार हैं :
(i) x + 4 = 9
(ii) y – 2 = 8
(iii) 10a = 70
(iv) b ÷ 5 = 6
(v) \(\frac {3}{4}\) × t = 15
(vi) 7m + 7 = 77
(vii) \(\frac {1}{4}\) × x – 4 = 4 जहाँ x एक संख्या है
(viii) 6y – 6 = 60
(ix) \(\frac {1}{3}\) × z + 3 = 30

प्रश्न 5.
निम्नलिखित समीकरणों को सामान्य कथनों के रूप में लिखिए :
(i) p + 4 = 15
(ii) m – 7= 3
(iii) 2m = 7
(iv) \(\frac {m}{5}\) = 3
(v) \(\frac {3m}{5}\) = 6
(vi) 3p + 4 = 25
(vii) 4p – 2 = 18
(viii) \(\frac {p}{2}\) + 2 = 8
हल :
दिये गये समी करणों के कथन निम्न प्रकार हैं :
(i) p और 4 योग 15 है।
(ii) m और 7 का अन्तर 3 है।
(iii) m का दुगुना 7 है।
(iv) m को 5 से भाग देने पर 3 आता है।
(v) m के तीन गुने को 5 से भाग देने पर 6 आता है।
(vi) p के तीन गुने में 4 जोड़ने पर 25 आता है।
(vii) p के 4 गुने में से 2 घटाने पर 18 आता है।
(viii) p में 2 का भाग दिया जाए और 2 जोड़ने पर 8 आता है।

HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 4 सरल समीकरण Ex 4.1

प्रश्न 6.
निम्नलिखित स्थितियों में समीकरण बनाइए:
(i) इरफान कहता है कि उसके पास, परमीत के पास जितने कंचे हैं उनके पाँच गुने से 7 अधिक कैचे हैं। इरफान के पास 37 कंचे हैं। (परमीत के कंचों की संख्या को m लीजिए।)
(ii) लक्ष्मी के पिता की आयु 49 वर्ष है। उनकी आयु, लड़की की आयु के तीन गुने से 4 वर्ष अधिक है। (लक्ष्मी की आयु को। वर्ष लीजिए।)
(iii) अध्यापिका बताती हैं कि उनकी कक्षा में एक विद्यार्थी द्वारा प्राप्त किए गए अधिकतम अंक, प्राप्त किए न्यूनतम अंक का दुगुना धन 7 हैं। प्राप्त किए गए अधिकतम अंक 87 हैं। (न्यूनतम प्राप्त किए गए अंकों को l लीजिए।)
(iv) एक समद्विबाहु त्रिभुज में शीर्ष कोण प्रत्येक आधार कोण का दुगुना है। (मान लीजिए प्रत्येक आधार कोण b डिग्री है। याद रखिए कि त्रिभुज के तीनों कोणों का योग 180 डिग्री होता है।)
हल :
(i) माना परमीत के पास कंचेm हैं।
m के पाँच गुने में 7 जोड़ा जाता है, तब 5m + 7
5 गुने से 7 अधिक कंचे = 37
∴ समीकरण 5m + 7 = 37 होगा। उत्तर

(ii) माना लक्ष्मी की आयु वर्ष है।
y के तीन गुने में 4 जोड़ा जाता हैं 3y + 4
उसके पिता की आयु 49 वर्ष है।
∴ समीकरण 3y + 4 = 49 होगा। उत्तर

(iii) माना न्यूनतम अंक l हैं।
तब न्यूनतम अंकों के दुगुने में 7 जोड़ने पर 87 अंक प्राप्त होते हैं।
∴ समीकरण 2l + 7 = 87 है। उत्तर

(iv) माना आधार कोण b° है तब शीर्ष कोण = 2b°
त्रिभुज के तीनों कोणों का योग = 180°
∴ b° + b° + 2b° = 180°
4b° = 180°
अभीष्ट समीकरण है। उत्तर

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HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.3

Haryana State Board HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.3

प्रश्न 1.
ΔDEF की रचना कीजिए, ताकि DE = 5 सेमी, DF = 3 सेमी और m∠EDF = 90° हो।
हल :
रचना के पद :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.3 1
1. एक रेखाखण्ड DE = 5 cm खींचते है।
2. बिन्दु D पर 90° का कोण बनाते हुए DX किरण खींची।
3. D को केन्द्र मानकर 3 cm त्रिज्या का चाप खींचा जो DX को F पर काटता है।
4. DF और EF को मिलाया।
इस प्रकार अभीष्ट त्रिभुज DEF प्राप्त होगा।

प्रश्न 2.
एक समद्विबाहु त्रिभुज की रचना कीजिए, जिसकी प्रत्येक समान भुजा की लंबाई 6.5 सेमी हो और उनके बीच का कोण 110° का हो।
हल :
रचना के पद :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.3 2
1. BC रेखाखण्ड 6.5 सेमी खींचते हैं।
2. बिन्दु B पर ∠CBX = 110° का बनाया।
3. बिन्दु B को केन्द्र मानकर 6.5 सेमी की त्रिज्या का चाप खींचते है जो BX को A बिन्दु पर काटता है।
4. AC को मिलाया।
इस प्रकार अभीष्ट त्रिभुज ABC प्राप्त होगा।

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प्रश्न 3.
BC = 7.5 सेमी और AC = 5 सेमी और m∠C = 60° वाले ΔABC की रचना कीजिए।
हल :
रचना के पद :
HBSE 7th Class Maths Solutions Chapter 10 प्रायोगिक ज्यामिती Ex 10.3 3
1. एक रेखाखण्ड BC = 7.5 सेमी खींचा।
2. बिन्दु C पर कोण ∠BCX = 60° का बनाया।
3. बिन्दु C को केन्द्र मानकर 5 सेमी त्रिज्या का चाप खींचा जो CX को A पर काटता है।
4. AB को मिलाया।
इस प्रकार अभीष्ट त्रिभुज ABC प्राप्त होगा।

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