Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Geography Chapter 4 कृषि Notes.
Haryana Board 10th Class Social Science Notes Geography Chapter 4 कृषि
कृषि Class 10 Notes HBSE Chapter 4
→ भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि संपूर्ण भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है। भारत के कुल श्रम का लगभग 2/3 हिस्सा कृषि में लगा हुआ है।
→ भारत के सकल घरेलु उत्पाद में कृषि का 26% का हिस्सा है। भारत शुद्ध बोय गये क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व में प्रथम स्थान पर है।
→ भारत का 143 लाख हेक्टेयर भाग शुद्ध बोये गये क्षेत्र आता है।
→ स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में कृषि में त्वरित विकास हुआ और इस विकास के लिए हरित क्रांति अभियान चलाया गया। इस अभियान से जहां भारत खाद्यान उत्पादन में आत्मनिर्भर हो सका वहीं आज कई उत्पदों का निर्यात भी करने लगा है।
→ चावल और गेहूँ उत्पादन में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है। दुग्ध और चाय उत्पादन में पहले स्थान पर फल उत्पादन में भारत का स्थान यद्यपि दूसरा है परंतु आम उत्पादन में भारत का प्रथम स्थान पर है। काजू निर्यात में भारत प्रथम स्थान पर है।
Class 10 Geography Chapter 4 Notes HBSE
→ भारत में पशुपालन अपनी विकसित अवस्था में हैं। संसार की लगभग 57% भैंसे भारत में पायी जाती है। विश्व के गोध न का 16% भारत में ही पाया जाता है।
→ भारत की कुल गायों का 2/3 हिस्सा मध्यप्रदेश, उत्तर प्रेदश, बिहार, महाराष्ट्र, उडीसा, कर्नाटक और राजस्थान मेंपाली जाती हैं। भारत में पायी जाने वाली 25% भैसें अकेल उत्तर प्रदेश में है।
→ भेड़ों का 20% राजस्थान में पाया जाता है। भेड़ से ऊन और मांस प्राप्त होता है। 50 प्रतिशत भेड़े, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, जम्मू और कश्मीर तथा उत्तरप्रदेश में पाली जाती है।
→ भारत में मुर्गीपालन मुख्यतः घरेलु उद्योग के रूप में प्रचलित हैं अपनी लंबी तटरेखा के कारण मछली पालन के लिए एक अत्यंत विकसित और उपयुक्त स्थल है। मत्स्य पालन भारत में तटीय क्षेत्रों के लोग की आजीविका का मुख्य साधन है।
→ सन् 1950-51 में भारत में 510 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ था, वही 1999-2000 में यह बढ़कर 2090 लाख टन हो गया। 2001 में भारत में 4 करोड लाख टन खाद्यान्न का भंडारण किया गया।
→ 1990 ई. के बाद वैश्वीकरण के कारण भारतीय किसानों को कई नई चुने का सामना करना पड़ रहा हैं विकसित देशों द्वारा अपने किसानों को अत्यधिक सहायिकी देने के कारण भारतीय कृषि विश्व के उन देशों के साथ स्पर्धा करने में असमर्थ है।
→ भारतीय कृषि को सक्षम और लाभदायक बनाने के लिए सीमांत और छोटे किसानों की स्थिति सुधारने की जरूरत है। कार्बानिक कृषि पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसका हमारे पर्यावरण पर कोई नकारात्मक असर नहीं होता है।
Chapter 4 कृषि HBSE 10th Class Geography
→ भारतीय किसानों को खाद्यान्नों के स्थान पर फसलें उगानी चाहिए। इसमें उनकी आमदनी भी बढ़ेगी और पर्यावरण निम्नीकरण में भी कमी आएगी।
भौगोलिक शब्दावली
→ शद्ध बोया गया क्षेत्र-वह कृषि-भूमि जो वर्षभर में केवल एक बार ही बोयी जाती है।
→ कुल बोया गया क्षेत्र-शुद्ध बोया गया क्षेत्र + एकाधिक बार बोया गया क्षेत्र।
→ आत्मनिर्वाह कृषि-छोटी जोतों पर पारस्परिक प्रकार की कृषि। इस तरह की कृषि में आधुनिक तकनीकी सुविधाओं का प्रयोग न के बराबर होता है।
→ स्थानांतरी कृषि-कृषि का वह प्रकार जिसमें किसान कृषि के लिए हर दो तीन साल बाद भूमि परिवर्तित करता रहता है।
→ रोपण कृषि-इस प्रकार की कृषि के अंतर्गत वृक्ष या फसलों को ही उगाया जाता है।
→ गहन कृषि-वह कृषि का उन्नत प्रकार है तथा उन क्षेत्रों में प्रचलित है जहां सिंचाई संभव है।
→ शुष्क कृषि-कृषि का वह प्रकार जो कम वर्षावाले क्षेत्र में अपनाया जाता है।
→ आर्द्र कृषि-अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाने वाली कृषि।
→ हरित कृषि-देश का खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने हेतु चलाया गया अभियान।
→ श्वेत क्रान्ति-देश में दुग्ध उत्पादन की बढ़ोत्तरी हेतु चलाया गया अभियान।
→ ऑपरेशन फ्लड-श्वेत क्रांति का तहत चलाया गया अभियान जिससे भारत दुग्ध उत्पादन मे विश्व में प्रथम स्थान पर आ सका।
→ वैश्वीकरण-संपूर्ण विश्व भर में होने वाला व्यपार।
→ ड्रिप सिंचाई-इसमें खेती को पानी से लबालब ने भर कर ऊपर से फुहारों के रूप में सिंचाई की जाती है। इस आधुनिक सिंचाई से कम जल में अधिक से अधिक लाभ
दिया जाता है।
→ जैव खाद-इस प्रकार की खाद में उन कीड़ों का प्रयोग होता है जो मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाते हैं और फसलों को हानि नहीं पहुंचाते।
→ गरीबी रेखा-निर्धारित मानदंडों से नीचे के स्तर पर जीवन यापन करना।
→ रबी फसलें-रबी फसलें शीत ऋतु में अक्टूबर से दिसम्बर के मध्य बोई जाती है तथा ग्रीष्म ऋतु में अप्रैल से जून के मध्य काट ली जाती है।
→ खरीब फसलें-ये फसलें देश के विभिन्न क्षेत्रों में मानसून के आगमन के साथ बोई जाती है और सितंबर-अक्टूबर में काट ली जाती है।
→ जायद-रबी और ,खरीब फसल ऋतुओं के बीच ग्रीष्म ऋतु में बोई जाने वाली फसल को जायद कहा जाता है।
→ वाणिज्यिक कृषि-इस प्रकार की कृषि के मुख्य लक्षण आधुनिक निवेशों जैसे अधिक पैदावार देने वाले बीजों, रसायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से उच्च पैदावार प्राप्त करना है।
→ रोपण कृषि-इस प्रकार की खेती में लम्बे-चौड़े क्षेत्र में एकल फसल बोई जाती है जिसके लिए अत्यधिक पूंजी प्रवासी श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
कुछ तथ्य, कुछ सत्य
→ कृषि का महत्त्व – भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 26% है।
→ एग्रीकल्चर – भूमि की जुताई।
→ खरीफ – जून-जुलाई से अक्टूबर-नवंबर तक का फसल चक्र।
→ रबी की ऋतु – अक्टूबर-नवम्बर से मार्च-अप्रैल का फसल चक्र।
→ जायद – ग्रीष्मकालीन छोटी फसल ऋतु।
→ मूंगफली – भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण तिलहन।
→ खरीफ की दलहन – मूंग, अरहर, उड़द।
→ रबी का दलहन – मसूर, मटर, चना।
→ अलसी – रबी की फसल
- उत्पादन में भारत का तीसरा स्थान
- सबसे अधिक उत्पादन रूस में होता है।
→ जूट उत्पादक राज्य – पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, उड़ीसा, मेघालय।
→ कपास – खरीफ की फसल।
- उष्ण और उपोष्ण क्षेत्रों की फसल
- 6-8 महीने में फसल तैयार
- उत्पादन में भारत का स्थान तीसरा।
- प्रधम और दूसरे स्थान पर क्रमशः चीन और अमेरिका।
→ गरीबी रेखा से नीचे – 66 करोड़ भारतीय (26 प्रतिशत)
→ 2001-01 में कुल खाद्यान्न – 1990 लाख टन।
→ भारत में – संसार की 57 प्रतिशत भैंसे पायी जाती हैं