Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Notes.
Haryana Board 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था
वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Notes HBSE 10th Class
→ वैश्वीकारण विभिन्न देशों के बीच तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया है। अधिकाधिक विदेशी निवेश और विदेश व्यापार के कारण यह संभव हो रहो है।
→ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ मुख्य भूमिका निभा रही हैं।
→ आधुनिक में उत्पादन कार्य अत्यन्त जटिल तरीके से संपन्न हो रहो हैं इसका कारण यह है कि अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ विश्व के उन स्थानों की ओर जा रही हैं जो उनके उत्पादन के लिए सस्ता हो, जहाँ बाजार नजदीक हो और सस्ती दर पर श्रमिक उपलब्ध हों।
→ कभी-कभी ये बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ स्थानीय कंपनियों के साथ गठजोड़ कर उत्पादन करती हैं, जिससे दोनों को फायदा होता है।
→ विदेश व्यापार के कारण बाजारों के एकीकरण में काफी सहायता मिली है। विदेश व्यापार घरेलू बाजारों को दूसरे बाहर के बाजारों तक पहुँचने के लिए उत्पादकों को एक अवसर प्रदान करता है।
वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Class 10 Notes HBSE
→ अप्रतिबंधित व्यापार से वस्तुओं का एक बाजर से दूसरे बाजार में आवागमन आसान हो जाता है। बाजार में वस्तुओं का विकल्प बढ़ जाता है। और मूल्य में भी समानता रहती है।
→ प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तीव्र उन्नति ने वैश्वीकरण की प्रक्रिया को अत्यन्त उत्प्रेरित किया है। परिवहन प्रौद्योगिकी में उन्नति के कारण विभिन्न देशों के बीच दूरियाँ कम हो गई हैं, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी विशेषकर दूरसंचार, कप्यूटर और इटंरनेट के क्षेत्र में द्रुतगामी परिवर्तन के कारण विभिन्न देशों के बीच सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में क्रांति सी आ गई है।
→ सन् 1991 ई. में भारत में नई आर्थिक नीति अपनाई गई जिसके चलते उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। इससे भारत को विश्व का व्यापक बाजार प्राप्त हुआ और अपने उत्पादों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने का मौका मिला।
→ भारत में उपलब्ध विशाल श्रम को विश्व के लिए उपलब्ध कराना अधिक सहज हो गया। परंतु इन सभी लाभों के साथ कुछ हानियाँ भी हुई, जैसे भारतीय लघु एवं कुटीर उद्योग को विशाल बहुराष्ट्रीय कपंनियों से जी-तोड़ मुकाबला करना पड़ रहा है।
→ विश्व व्यापार संगठन का उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना है किंतु व्यवहार में देखा गया है कि डब्ल्यू.टी.ओ. ने व्यापार और निवेश के उदारीकरण के लिए विकासशील देशों पर ही दबाव डाला है, जबकि विकसित देशों ने अनुचित ढंग से व्यापार अवरोधकों को बरकरार रखा है।
→ वैश्वीकरण से धनी उपभोक्ता, कुशल, शिक्षित एवं धनी उत्पादक काफी लाभान्वित हुए हैं। आज उपभोक्ताओं के समक्ष वस्तुओं तथा सेवाओं का ज्यादा विकल्प हैं अब उन्हें उत्पादों की उत्कृष्टता, गुणवत्ता तथा कम कीमत का लाभ भी मिल रहा है।
→ पणिामतः लोगों का जीवन स्तर भी ऊँचा हुआ है। वैश्वीकरण से सेवा प्रदाता कंपनियों, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी वाली कंपनियों के लिए नये अवसरों का सृजन हुआ है।
→ परंतु बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अनेक छोटे उत्पादक और श्रमिक प्रभावित भी हुए हैं बढ़ती प्रतिस्पर्धाके कारण अधिकांश नियोक्ता इन दिनों श्रमिकों को रोजगार देने में लचीलापन पसंद करते हैं। इस कारण श्रमिकों को शोषण होता है।
Class 10 Social Science Economics Chapter 4 Notes HBSE
→ उन्हें रोजगार सुरक्षा की गारंटी नहीं मिलती, उन्हें वेतन भी कम मिलता है श्रमिकों से काफी लंबे कार्य-घंटों तक काम लिया जाता है।
→ अतः वैश्वीकरण को अधिकाधिक न्याय संगत बनाने की जरूरत है जिससे वैश्वीकरण के लाभों में सबकी बेहतर हिस्से री हो।
→ भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया आरंभ : सन् 1991 से।
→ आई. एम. एफ. : अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रय कोष।
→ 1950-65 के मध्य औद्योगिक विकास दर : 8%
→ प्रथम पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल : 1951-56
→ वैश्वीकरण : अपने देश की तथा विश्व की अर्थव्यवस्था के मध्य सामंजस्य स्थापित करना
→ 1991 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश : 174 करोड़ रुपये।
→ वर्ष 2000 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश : 9338 करोड़ रुपये
→ सन् 1991 में भारत का विदेशी मुद्रा कोष था : 4622 करोड़ रुपये का।
→ सन् 2000 में भारत का विदेशी मुद्रा कोष हुआ : 1, 52, 924 करोड़ रुपये का।
→ सतत पोषणीय विकास : ऐसा विकास जो परिवेश को हानि न पहुंचाये।
→ सन् 1990-91 में मूल्य वृद्धि दर : 12%
→ 90 के दशक के अंत में मूल्य वृद्धि दर : 5%
→ सन् 2000 में भारत का मुद्रा कोष : 1, 52, 924 करोड़ रुपये।
→ सन् 1991 में भारत का मुद्रा कोष : 4622 करोड़ रुपये मात्र था।
→ विश्व व्यापार संगठन की स्थापना : 1996
→ विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय : जेनेवा।
→ वर्ष 2000 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश : 9338 करोड़ रुपये।
→ नवीं पंचवर्षीय योजना में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में लगभग 34, 200 करोड़ रुपये खर्च किए।
→ भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था से जोड़ने का मुख्य उद्देश्य है। विभिन्न देशों के साथ पूंजी, तकनीकी ज्ञान और अनभव का निर्बाध रूप से आदान-प्रदान करना।
→ 1965-1980 के मध्य भारत में औद्योगिक उतपादनों के बढ़ने की दर 4% थी।
→ वैश्वीकरण की प्रक्रिया में तीन कारकों पर बल दिया हो गया है :
- प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति
- व्यापार और निवेश नीतियों का उदारीकरण
- डब्ल्यू. टी. ओ. जैसे अन्तर्राष्ट्रीय सगठना का दबावा
→ आधुनिक युग में उपभोक्ताओं के समक्ष वस्तुओं और सेवाओं का बहुत अधिक विकल्प हैं।
→ 20 वीं सदी के मध्य तक उत्पादन मुख्यतः देशों की सीमाओं के अंदर ही सीमित थी।
→ बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश का सामान्य तरीका हैं, स्थानीय कपंनियों को खरीदना, उसके बाद उत्पादन का प्रसार करना।
→ व्यापारिक हितों के कारण ही व्यापारिक कंपनियाँ जैसे, ईस्ट इंडिया केपनी भारत की ओर आकर्षित हुई।
→ अप्रतिबंधित व्यापार से वस्तुओं का एक बाजार से दूसरे बाजार में आवागमन होता है।
→ प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति वह कारक है जिसन वैश्वीकरण की प्रक्रिया को उत्प्रेरित किया।
→ अधिकांश बहुराष्ट्रीय कंपनियों के क्रियाकलाप में वस्तुओं व सेवाओं का बड़े पैमाने पर व्यापार शमिल होता है।
→ आई. टी. ने विभिन्न देशों के बीच सेवाओं के उत्पादन के प्रसार में मुख्य भूमिका निभाई है।
→ भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया की प्रक्रिया 1991 ई. से शुरू हुई।
→ विश्व व्यापार संगठन का ध्येय अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना है।
→ वर्तमान समय में 149 देश डब्ल्यू. टी. ओ. के सदस्य
→ अमेरिका के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का हिस्सा मात्र 1% और कुल रोजगार में 0.5% हैं।
→ विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने वाली कंपनियों को आरंभिक 5 वर्षों तक कोई कर नहीं देना है।
→ भारत में 2 करोड़ लोग लघु उद्योगों में नियोजित हैं।
→ शिक्षित, कुशल और संपन्न लोगों ने वैश्वीकरण से मिले नये अवसरों का सर्वोत्तम उपयोग किया है।
→ वैश्वीकरण विभिन्न देशों के बीच तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया है।
→ वैश्वीकरण-इसका तात्पर्य किसी देश द्वारा अपनी अर्थवव्यस्था तथा विश्व अर्थव्यवस्था में सामंजस्य स्थापित करना है।
→ उदारीकरण-इसका तात्पर्य निजी क्षेत्र को नियमों, शर्तों और प्रतिबन्धों से छूट देने से हैं।
→ आयात कोटा-किसी देश द्वारा आयात किये जाने वाली वस्तुओं की अधिकतम सीमा।
→ निर्यात कोटा- सरकार द्वारा निर्यात करने की निश्चित की गई अधिकतम सीमा।
→ आयात शुल्क-आयतित सामग्री पर लगाया गया शुल्क।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश-किसी देश में किसी और देश द्वारा माल और सेवाओं के उत्पादन में किया जाने वाला निवेश।
→ डब्लू. टी. ओ.-विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) (वर्ल्ड ट्रेड ऑरगेनाइजेशन)।
→ निजी क्षेत्र-अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र जिसमें आर्थिक संस्थाओं पर व्यक्ति या समूहों का नियंत्रण हों।
→ सार्वजनिक क्षेत्र-यह अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र है जिसमें आर्थिक संस्थाओं पर राज्य का पूर्ण नियंत्रण होता है।
→ बहुराष्ट्रीय कंपनी-वह है जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण अथवा स्वामित्व रखती है।
→ निवेश-परिसंपत्तियों जैसे-भूमि, भवन, मशीन व अन्य उपकरणों की खरीद में व्यय की गई मुद्रा को निवेश कहते हैं।
→ कोटा-सरकार द्वारा आयात होने वाली वस्तुओं की संख्या को सीमित करने की प्रक्रिया को कोटा कहते हैं।