HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Notes.

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Class 10 Notes HBSE

→ विभिन्न आर्थिक गतिविधियों को उनके उद्देश्य एवं अन्य महत्त्वपूर्ण मानंदडों के आधार पर प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रकों में विभाजित किया जाता है।

→ इन तीनों क्षेत्रकों के विविध उतपादन कार्यों से काफी मात्रा में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। साथ ही कई लोगों को इन क्षेत्रकों में रोजगार मिलता है।

→ भारत के संदर्भ में आँकड़ों के अध्ययन से यह पता चलता है कि हालांकि वस्तुओं व सेवाओं का मूल्य अधिकांशतः तृतीयक क्षेत्र में उतपादित होता है लेकिन लोगों को रोजगार अधिकांशतः प्राथमिक क्षेत्रक में ही मिलता है।

→ किसी विशेष वर्ष में प्रत्येक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित अंतिम वस्तुओं व सेवाओं का मूल्य उस वर्ष मे कुल उतपादन की जानकारी देता है तीनों क्षेत्रकों के उतपादों के योगफल को देश का सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं जी.डी.पी. से किसी देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का पता चलता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Class 10 Notes In Hindi HBSE

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

→ भारत में आधे से अधिक लोग प्राथमिक क्षेत्र में नियोजित हैं लेकिन जी. डी. पी. में इसका योगदान सिर्फ एक-चौथाई हैं इसकी तुलना में द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक का जी. डी. पी. में हिस्सा तीन-चौथाई है।

→ जबकि इन क्षेत्रकों में आधे से भी कम लोगों को रोजगार मिला हुआ हैं इस कारण कृषि क्षेत्रक के श्रमिकों में अल्प-बेरोजगारी है। अतः देश में रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने की जरूरत है।

→ इसके लिए भारत सरकार ने कई उपाय भी किए हैं हाल ही में सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनिमय 2005 पारित किया है जिसके अन्तर्गत सभी सक्षम लोगों को वर्ष में सौ दिन रोजगार की गारी दी गई है।

→ आर्थिक कार्यो की विभाजित करने का एक अन्य तरीका संगठित और असंगठित क्षेत्रकों का विभाजन हैं संगठित क्षेत्रकों में कर्मचारियों को रोजगार सुरक्षा का लाभ प्राप्त होता है, उनसे एक निश्चित समयावधि तक ही कार्य लिया जा सकता है।

→ उन्हें सवेतन अवकाश, सेवानुदान, भविष्य निधि आदि सुविध प्राप्त होती है। परंतु असंगठित क्षेत्रक के कर्मचारियों को इन सुविधाओं का लाभ नहीं प्राप्त होता है। अतः असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को सरंक्षण देने की आवश्यकता है।

→ आर्थिक गतिविधियों को स्वामित्व के आधार पर सार्वजनिक व निजी क्षेत्रकों में विभाजित किया जाता है। सार्वजनिक क्षेत्रक में, परिसंपत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है।

→ दूसरी ओर निजी क्षेत्रक के उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व होता है। कई चीजें ऐसी होती हैं जिनकी आवश्यकता समाज के सभी सदस्यों को होती है लेकिन उन्हें उपलब्ध कराना निजी क्षेत्रक के बस में नहीं होता है। अतः सरकार स्वयं इन पर व्यय करती है और लोगों के लिए इन सुविधाओं को सुनिश्चित करती है।

→ प्राथमिक क्षेत्रक आर्थिक सक्रियता का सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक होता है।

→ प्राथमिक क्षेत्रक-मुख्यतः कृषि क्षेत्र का देश की जी.डी.पी. में एक-चौथाई योगदान है।

Bhartiya Arthvyavastha Ke Kshetra Ke Notes HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

→ द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रक का जी.डी.पी. में तीन-चौथाई हिस्सा है।

→ भारत में क्रियाशील जनता का कृषि में लगा भाग – 60%

→ प्राथमिक क्रियाओं में लगे लो – 60%

→ द्वितीयक क्रियाओं में लगे लो – 17%

→ तृतीयक कार्यों में संलग्न भारतीय श्रम का भाग – 23%

→ सहायक क्रियाओं का अर्थव्यवस्था में योगदान – 48%

→ भारत में विद्यालय जाने के आयु वर्ग में लगभग 20 करोड़ बच्चे हैं। इनमें लगभग, दो-तिहाई ही विद्यालय जाते हैं।

→ अधिकांश प्राकतिक उत्पाद जैसे-कषि, डेयरी वन उत्पाद, मछली पालन आदि को प्राथमिक क्षेत्रक वा कृषि एवं संबंधित क्षेत्रक भी कहा जाता हे

→ कपास के पौधे से प्राप्त रेशे सत कातना और कपडा बुनना और गन्ने से चीनी और गुड बनना द्वितीयक क्षेत्रक के उदाहरण है।

→ विकसित देशों में अधिकांश श्रमजीवी लोग सेवा क्षेत्रक में नियोजित होते हैं

→ भारत में कषि क्षेत्रक में अल्प बेरोजगारी की समस्या है।

Bhartiya Arthvyavastha Ke Chetrak Class 10 Notes HBSE

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

→ अल्प बेरोजगारी को प्रछन्न बेरोजगारी भी कहा जाता है।

→ योजना आयोग के एक अध्ययन के अनुसार, अकेले शिक्षा क्षेत्र में लगभग 20 लाख रोजगारों का सृजन हो सकता है।

→ योजना आयोग के एक अध्ययन के अनुसार पर्यटन क्षेत्रक में सुधार से 35 लाख से अधिक लोगों को प्रतिवर्ष रोजगार मिल सकता है।

→ भारत के 200 जिलों में काम का अधिकार’ लागू करने के लिए कानून बनाया गया है।

→ राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम, 2005 के अन्तर्गत उन सभी लोगों को जो काम में सक्षम हैं और जिन्हें काम की जरूरत है, को सरकार द्वारा 100 दिन के रोजगार की गांरटी दी गई है।

→ भारत में लगभग 80 प्रतिशत ग्रामीण परिवार छोटे और सीमांत किसानों की श्रेणी में आते हैं।

→ रेलवे अथवा डाकघर सार्वजनिक क्षेत्रक के उदाहरण

→ टिस्कों, रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमिटेड आदि निजी क्षेत्रक के उदाहरण है।

→ वस्तुओं व सेवओं का मूल्य अधिकांशतः तृतीयक, क्षेत्रक में उत्पादित होता लेकिन रोजगार अधिकांशतः प्राथमिक क्षेत्रक में मिलता है।

→ खुली बाजार अर्थव्यवस्था में संसाधनों का स्वामित्व नीजी हाथों में रहता है।

→ नियोजित अर्थव्यवस्था में निर्णय सामान्य जनता के हित में लिया जाता है।

Bhartiya Arthvyavastha Ke Kshetra Class 10th Notes In Hindi HBSE

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

→ स्वामित्व के आधार पर उद्यमों के तीन क्षेत्र हैं-निजी क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र और मिश्रित क्षेत्र।

→ अर्थव्यस्था-आर्थिक ढांचे का वह स्वरूप जिसके अनुसार किसी देश की आर्थिक दशा तथा लोगों के जीवन का वर्णन किया जाता है।

→ राष्ट्रीय आय-राष्ट्रीय आय का तात्पर्य उस कुल आय से है जिसे देश के अंदर उत्पन्न सभी वस्तुओं और संवाओं के मूल्य के साथ-साथ विदेशों से प्राप्त आय को जोड़कर प्राप्त किया जाता है।

→ क्षेत्रक-कुछ महत्त्वपूर्ण मानंदडों के आधार पर कार्यो को विभिन्न समूहों में वर्गीकृत किया जाता है। इन समूहों को क्षेत्रक भी कहते हैं।

→ सकल घरेलू उत्पाद-प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक, तीनों क्षेत्रकों के उत्पादों के योगफल को देश का सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं।

→ संगठित क्षेत्रक-संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम या कार्य स्थान आते हैं। जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है। और वे क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं।

→ असंगठित क्षेत्रक-असंगठित क्षेत्रक छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयों, अधिकांशतः सरकारी नियंत्रण से बाहर होती हैं, से निर्मित होता है।

→ सार्वजनिक क्षेत्रक- सार्वजिनक क्षेत्रक में, अधिकांश परिसंपत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है। और सरकार ही सभी संवाएं उपलब्ध कराती है।

→ निजी क्षेत्रक-निजी क्षेत्रक में परिसंपत्तियों पर स्वामित्व और सेवाओं के वितरण की जिम्मेदारी एकल व्यकित या कंपनी के हाथों में होती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *