HBSE 10th Class Social Science Notes Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास Notes.

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

संसाधन एवं विकास Notes HBSE 10th Class Geography

→ किसी भी देश या समाज की अर्थव्यवस्था की धूरी वहां के संसाधन होते हैं। संसाधनों के अभाव में किसी भी देश का आत्मनिर्भर हो पाना अत्यंत दुष्कर है।

→ मनुष्य न आज जो इतनी उन्नति की है वह निस्संदेह पर्यावरण के साथ अंतः क्रिया का ही परिणाम है। मानव निर्मित संसाधन यद्यपि मनुष्य की प्रगति के सूचक हैं तथापि इनकी आधारशिला प्राकृतिक संसाधन ही है।

→ दूसरी ओर प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग और विकास दोनों ही मनुष्य पर निर्भर हैं। वस्तुतः आज मनुष्य ने अपनी बुद्धि अपने विवेक के बल पर प्राकृतिक संसाधनों को अपने स्वप्न के अनुरूप ढालकर ही आज उन्नति का यह शिखर खड़ा किया है।

→ संसाधन कई प्रकार के होते हैं। कुछ संसाधन ऐसे होते हैं जो समय के साथ-साथ स्वयं ही बन जाते हैं। इनके भंडार का यदि समुचित योजना के साथ प्रयोग किया जाय तो समाप्त होने का भय नहीं रहता।

→ दूसरी ओर अनेक संसाधन ऐसे हैं जो एक निश्चित मात्रा में ही उपलब्ध हैं और जिनका भंडार एक न एक दिन समाप्त हो ही जाएगा। ऐसे संसाधनों के प्रयोग में और भी अधिक सावधानी बरतने की आवश्कता है।

संसाधन एवं विकास Class 10 Notes HBSE Geography

HBSE 10th Class Social Science Notes Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

→ वस्तुतः मनुष्य का दायित्व है कि वह संसाधनों का विकास करे। संसाधन विकास का तात्पर्य संसाधनों के उपयोग के साथ ही उनका संरक्षण और पुन: उपयोग करने से है।

→ हमारी प्रत्येक पीढ़ी का यह दायित्व बनता है कि आगे वाली पीढ़ी तक संसाधनों को यथेष्ट मात्रा में सौंप सके। साथ ही वर्तमान समय की आवश्यकता ओं की अधिकाधिक पूर्ति कर सके। इन उद्देश्यों की पूर्ति मात्र तभी संभव है जब हम संसाधनों का उचित नियोजन करें।

→ संसाधन नियोजन तीन स्तरों पर संपन्न होता है-

  • संसाधन अन्वेषण
  • संसाधन सर्वेक्षण
  • क्रियान्वयन।

→ प्रकृति प्रदत्त संसाधनों में से सर्वाधिक प्रमुख संसाधनों में से एक है भमि। भूमि हमारा निवासस्थल है, भूमि से ही हम अन्न ग्रहण करते हैं। भूमि से हमें अमूल्य खनिज मिलते हैं।

→ हमारा नितांत कर्त्तव्य है कि हम भूमि संसाधन का संरक्षण करें। परंतु आज हमारी लापरवाही से, अत्यधिक खनिज उत्खनन से, और कारखानों से उत्पन्न पर्यावरण प्रदुषण से भूमि का बहुत-सा भाग क्षरित हो चुका है।

→ वनों की अंधाधुंध कटाई जहाँ पर्यावरण को हानि पहुँचा रही है वहीं खनिज संपदा व संसाधनों में भी गिरावट का कारण बन रही है।

→ हमें इनमें से प्रत्येक तथ्य पर बल देते हुए ध्यान देकर अपने अमूल्य ससाधनों का संरक्षण और विकास करना चाहिए। साथ ही अपनी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहिए।

→ भूमि के संरक्षण हेतु हमें वनों का संरक्षण करना चाहिए। पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि के लिए सीढ़ीदार खेत बनाकर मृदा अपरदन को रोका जा सकता है।

→ वृक्षारोपण से ढ़ालों पर मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है। औद्योगिक अपशिष्टों का उचित प्रकार से अपसारित कर लेने पर भूक्षरण कम किया जा सकता है।

संसाधन और विकास Notes HBSE 10th Class Geography

भौगोलिक शब्दावली

→ परती भूमि- यह वह भूमि है जिस पर दो-तीन वर्षों में एक बार खेती हो पाती है।

→ शुद्ध बोया गया क्षेत्र-वह कृषि भूमि है जिस पर वर्ष में एक ही बार फसल उगाई जाय।

→ मृदा अपरदन-प्राकृतिक कारणों से मिट्टी का एक स्थान से दूसरे स्थान पर हटना!

HBSE 10th Class Social Science Notes Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

→ अवनालिका अपरदन-सबसे विचित्र प्रकार का मृदा अपरदन।

→ संसाधन नियोजन-संसाधनों का उचित व उपयुक्त प्रयोग।

→ संसाधन संरक्षण-मनुष्य द्वारा संसाधनों का प्रबंधन।

→ व्यक्तिगत संसाधन-वे संसाधन जो निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में होते हैं। व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं।

→ सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन-ऐसे संसाधन समुदाय के सभी सदस्यों को उपलब्ध होते हैं।

→ संभावी संसाधन-वे संसाधन हैं जो किसी प्रदेश में विद्यमान होते हैं परंतु इनका उपयोग नहीं किया गया है।

→ विकसित संसाधन-वे संसाधन जिनका सर्वेक्षण किया जा चुका है और उनके उपयोग की गुणवत्ता और मात्रा निर्धारित की जा चुकी है, विकसित संसाधन कहलाते हैं।

→ भंडार-पर्यावरण में उपलब्ध वे पदार्थ जो मानव की हर आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं परंतु उपयुक्त प्रौद्योगिकी के अभाव में उसकी पहुँच से परे हैं, भंडार में शामिल हैं।

→ संचित कोष-यह संसाधन भंडार का ही हिस्सा है, जिन्हें उपलब्ध तकनीकी ज्ञाने की सहायता से प्रयोग में लाया जा सकता है, परंतु इनका उपयोग अभी आरंभ नहीं हुआ है। इनका उपयोग भविष्य में आवश्यकता पूर्ति हेतु किया जा सकता है।

→ सतत् पोषणी विकास-सतत् पोषणीय आर्थिक विकास से अर्थ यह है कि विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकता की अवलेहलना न करे।

→ संसाधन-हमारे पर्यावरण में उपलब्ध ऐसी प्रत्येक वस्तु जो हमारी आवश्यकताओं को पूरा करने में प्रयुक्त की जा सकती है और जिसको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है, जो आर्थिक रूप से सम्भाव्य और सांस्कृतिक रूप से मान्य है, एक संसाधन न है।

→ जैव संसाधन-वे संसाधन जिनकी प्राप्ति जीवमण्डल से होती है और उनमें जीवन व्याप्त है जैव संसाधन कहलाते हैं।

→ अजैव संसाधन-वे सारे संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से निर्मित हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं।

संसाधन एवं विकास HBSE 10th Class Geography

HBSE 10th Class Social Science Notes Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

→ नवीकरण योग्य संसाधन-वे संसाधन जिन्हें भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा नवीकृत या पुन: उत्पन्न किया जा सकता है, उन्हें नवीकरण योग्य अथवा पुनः पूर्ति योग्य संसाधन कहा जाता है।

→ अनवीकरण योग्य संसाधन-वे संसाधन जिनके बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं अनवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-

  • पुनः चक्रीय
  • अचक्रीय।

→ उत्खात भूमि ( ठंक संदक)-ऐसी भूमि जो जोतने योग्य नहीं रहती उसे उत्खात भूमि कहते हैं।

→ चादर अपरदन ममज मतवेपवद) – जब जल विस्तृत क्षेत्र को ढके हुए ढाल के साथ नीचे की ओर बहता है। तब उस क्षेत्र की ऊपरी मिट्टी घुलकर जल के साथ बह जाती है। इसे चादर अपरदन कहते हैं।

→ पट्टी कृषि (जतपच तिउपदह)-बड़े खेतों को पट्टियों में बांटा जाता है। फसलों के बीच में घास की पट्टीयों उगाई जाती हैं। ये पवनों द्वारा जनित हैं।

कुछ तथ्य, कुछ सत्य

→ मानव निर्मित संसाधन : इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, मशीनें, भवन, स्मारक, चित्रकला, संगीत, प्रथा, परंपरा।

→ नवीनीकरण संसाधन : जल, सौर, ऊर्जा, वन, मृदा, पवन, ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा

→ अनवीनीकरण संसाधन : खनिज पदार्थ, प्राकृतिक गैस

→ मृदा अपरदन : प्राकृतिक कारकों द्वारा मिट्टी का एक स्थान से दूसरे स्थान से दूसरे स्थान पर हटना।

→ देश में कृषि योग्य बंजर भूमि का भाग : 4.41% (2002-03)

→ शुद्ध बोया गया क्षेत्र (2002-03) : 43.41%

HBSE 10th Class Social Science Notes Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

→ अवनालिका अपरदन से प्रभावित भूमि : 40 लाख हैक्टेयर।

→ परती भूमि का प्रतिशत : 8%

→ कुल क्षेत्रफल पर बागों का प्रतिशत :1%

→ जल अपदित क्षेत्र : 56%

→ वन क्षेत्र : 22.57%

→ भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्र : 32.8 लाख वर्ग किमी.

→ भू-उपयोग आंकड़े : 93%

→ राष्ट्रीय वन नीति द्वारा निर्धारित वन क्षेत्र : 33%

→ कृषि योग्य बंजर भूमि : 4.41%

→ वर्तमान परती : 7.03%

→ जल अपरदित क्षेत्र : 56%

→ वनों द्वारा निम्नीकृत क्षेत्र : 28%

→ लवणीय व क्षारीय क्षेत्र : 6%

HBSE 10th Class Social Science Notes Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

→ वायु अपरदित क्षेत्र : 10%

→ मैदानी क्षेत्र : 43%

→ पर्वतीय क्षेत्र : 30%

→ पठार : 27%

→ वर्तमान परती (2002-03) : 7.03%

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