HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख Notes.

Haryana Board 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

Mudra Or Sakh Notes HBSE 10th Class

→ आधुनिक युग में मुद्रा का प्रयोग वस्तु या सेवाओं को खरीदने के लिए किया जाता है। मुद्रा के उपयोग से मांगों के दुहरे संयोग की जरूरत खत्म हो जाती है!

→ चूँकि मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में मध्यस्थता का काम करती है इसलिए इसे विनिमय का माध्यम कहा जाता है।

→ मुद्रा के आधुनिक रूपों में करेंसी-कागज के नोट और सिकके शामिल हैं। हमारे देश में भारतीय रिजर्व बैंक केंद्रीय सरकार की तरफ से करेंसी नोट जारी करता है।

→ मुद्रा के आधुनिक रूप-करेंसी और जमा. आधुनिक बैंक प्रणाली के काम से बहुत नजदीक से जुड़े हुए हैं। लोग बैकों में अपना धन जमा कर सकते हैं और अपनी मर्जी से कभी पी निकाल सकते हैं।

→ बैंको के पास जमा धन सुरक्षित रहता है और सूद भी मिलता है। आधुनिक अर्थव्यवस्था में करेंसी के साथ-साथ माँग जमा को भी मुद्रा समझा जाता है।

मुद्रा और साख Notes HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

→ बैंक उनके पास जमा राशि के प्रमुख भाग को कर्ज देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। कर्जदारों से लिये एग ब्याज तथा जमाकर्ताओं को दिये गये ब्याज के बीच का अंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत है।

→ शहीर क्षेत्रों में कर्ज की माँग प्रायः व्यापार के लिए एवं ग्रामीण क्षेत्रों में फसल उगाने के लिए होती है। . हर एक ऋण समझौते में ब्याज दर तय की जाती है जिसे कर्जदार महाजन को मूल रकम के साथ वापस करता है।

→ ब्याज दर, संपत्ति और कागजात की माँग और भुगतान के तरीके आदि को ऋण की शर्ते कहा जाता है। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण का मुख्य स्रोत महाजन, कृषि व्यापारी, बैंक, भूपति मालिक और सहकारी समितियाँ होती हैं।

→ विभिन्न प्रकार के ऋणों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है: औपचारिक तथा अनौपचारिक खण्ड। औपचारिक वर्ग में बैंक और सहकारी समितियाँ आती हैं। जबकि दूसरे वर्ग में साहूकार, व्यापारी, मालिक, दोस्त, रिश्तेदार आदि आते हैं।

→ भारतीय रिजर्व बैंक कों के औपचारिक स्रोतों की गतिविधियों पर नजर रखता है लेकिन अनौपचारिक खण्ड में ऋणदाताओं की गतिविधियों को देख-रेख करने वाली कोई संस्था नहीं है।

→ इस कारण अनौपचारिक स्तर पर लिया गया ऋण कर्जदाता को अधिक महँगा पड़ता है। वर्तमान समय में, अमीर परिवार औपचारिक स्रोतों से अधिक ऋण प्राप्त करते हैं जबकि गरीबों को अब भी अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है।

→ अतः यह आवश्यक है कि औपचारिक खंड का कुल ऋण बढ़े जिससे महँगे अनौपचारिक ऋण पर से लोगों की निर्भरता घट सके।

→ पिछले कुछ वर्षों में, गरीबों में आत्मनिर्भर गुट बनाने की प्रवृत्ति जोर पकड़ रही है। बचत और ऋण गतिविधियों से जुड़े ज्यादातर महत्त्वपूर्ण निर्णय गुट के सदस्य खुद करते हैं। आत्मनिर्भर गुट कर्जदारों को ऋणाधार की कमी की समस्या से उबारने में मद्द करते हैं।

→ ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण उपलब्ध कराने के क्षेत्र में बांग्लादेश ग्रामीण बैंक का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इसकी शुरुआत 1970 में हुई। अब इस बैंक के 60 लाख कर्जदार हैं जो बाग्लादेश के 40,000 गाँवों में बसते हैं।

मुद्रा और साख Class 10 Notes HBSE

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

→ जब किसी व्यक्ति के बेचने की इच्छा दूसरे व्यक्ति की खरीदने की इच्छा से बिलकुल मेल खाती है, तो इसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहते हैं।

→ मुद्रा का प्रयोग माँगों के दोहरे संयोग की जरूरत को खतम कर देता है।

→ प्राचीन काल में भारतीय लोग अनाज और पशु मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करते थे।

→ आधुनिक मुद्रा का अपना कोई इस्तेमाल नहीं है।

→ भारत में रुपया व्यापक स्तर पर विनिमय का माध्यम स्वीकार किया गया है।

→ बैंक उनके पास जमा राशि के प्रमुख भाग को कर्ज देने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

→ कर्जदारों से लिए गये ब्याज और जमाकर्ताओं को दिए गए ब्याज के बीज का अंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत है।

→ जमीन, बैंकों में जमा पूँजी, पशु आदि समर्थक ऋणाधार के आम उदाहरण हैं।

→ ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन लोगों के लिए ऋण का मुख्य स्रोत भूपति-मालिक हैं।

→ अनौपचारिक खण्ड में ऋणदाताओं की गतिविधियों की देख-रेख करनेवाली कोई संस्था नहीं है।

→ बीज, खाद, बाँस आदि कार्यशील पूँजी के उदाहरण हैं।

→ बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के अब 60 लाख कर्जदार हैं जो बांग्लादेश के 40,000 गाँवों में फैले हुए हैं।

Mudra Aur Sakh Class 10th Notes HBSE

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

→ मुद्रा के आधुनिक रूप अधिकोष प्रणाली से जुड़े हुए है।

→ वस्तु विनिमय प्रणाली में मुद्रा का उपयोग किये बिना वस्तुएँ सीधे आदान-प्रदान की जाती हैं।

→ चूँकि मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में मध्यस्थता का काम करती है, इसलिए इसे विनिमय का माध्यम कहा जाता है।

→ भारतीय रिजर्व बैंक कंद्रीय सरकार की तरफ से करेंसी नोट जारी करता है।

→ आधुनिक अर्थव्यवस्था में करेंसी के साथ-साथ माँग जमा को भी मुद्रा समझा जाता है।

→ आजकल भारत में बैंक जमा केवल 15 प्रतिशत हिस्सा नकद में अपने पास रखते हैं।

→ भारतीय रिजर्व बैंक कों के औपचारिक स्रोतों की गतिविधियों पर नजर रखता है।

→ शहरी इलाकों के गरीब परिवारों के कर्जो की 85 प्रतिशत जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती है।

→ शहरी इलाकों के अमीर परिवारों के कर्जो की केवल 10 प्रतिशत जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी की जाती है।

→ औपचारिक खण्ड ग्रामीण परिवारों की ऋण की जरूरतों को केवल 50 प्रतिशत पूरा कर पाता है।

→ बांग्लादेश ग्रामीण बैंक की शुरूआत 1970 में हुई।

→ बांग्लादेश ग्रामीण बैंक से ऋण लेनेवाली ज्यादातर गरीब तबकों की महिलाएँ हैं।

→ वस्तु विनिमय प्रणाली-जब मुद्रा का उपयोग किये बिना वस्तुएँ सीधे आदान-प्रदान की जाती हैं, उसे वस्तु विनिमय प्रणाली कहते हैं।

→ माँग जमा-चूँकि बैंक खातों में जमा धन को मांग के जरिए निकाला जा सकता है, इसलिए इस जमा धन को मांग जमा कहा जाता है।

Mudra Aur Sakh Notes In Hindi HBSE 10th Class

HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

→ ऋण-ऋण एक सहमति है जहाँ उधारदाता कर्जदार को धन, वस्तुएँ या सेवाएँ मुहैया कराता है और बदले में भविष्य में कर्जदार से भुगतान करने का वादा लेता है।

→ ऋण-फंदा-जब कोई गरीब किसान फसल उगाने के लिए ऋण लेता है। किसी कारणवश फसल बर्बाद हो जाने पर कर्ज की अदायगी के लिए उसे पुनः ऋण लेना पड़ता है तो ऐसी स्थिति को ऋण-फंदा कहा जाता है।

→ कार्यशील पूँजी-कच्चा माल, नकदी, धन आदि को कार्यशील पूँजी कहा जाता है।

→ समर्थक ऋणाधार-समर्थक ऋणाधार ऐसी संपत्ति है जिसका कर्जदार मालिक है ओर इसका इस्तेमाल वह उधारदाता को गांरटी देने के रूप में करता है, जब तक कि ऋण का भुगतान नहीं हो जाता।

→ ऋण की शर्ते-ब्याज-दर, संपत्ति और कागजात की मांग और भुगतान के तरीके इन सबको मिलाकर ऋण की शर्ते कहा जाता है।

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