Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 1 विकास Notes.
Haryana Board 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 1 विकास
विकास Class 10 Notes HBSE Economics
→ विकास अथवा प्रगति की धारणा हमेशा से हमारे साथ है। हमारी आकांक्षाएँ और इच्छाएँ हैं कि हम क्या करना चाहते हैं और अपना जीवन कैसे जीना चाहते हैं? इसी तरह हम विचार रखते हैं कि कोई देश कैसा होना चाहिए?
→ हमें किन अनिवार्य वस्तुओं की आवश्यकता है? क्या सभी का जीवन बेहतर हो सकता है? लोग मिल-जुलकर कैसे रह सकते हैं? क्या और अधिक समानता हो सकती है? विकास इन सभी प्रश्नों पर विचार करने और इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के उपायों से जुड़ा है।
→ यह काम जटिल है और इस अध्याय में हम विकास को समझने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। आप उच्च कक्षाओं में इन मुद्दों को अधिक गहराई से सीखेंगे। इसके अतिरिक्त, ऐसे बहुत से प्रश्नों के उत्तर आपको अर्थशास्त्र में ही नहीं बल्कि इतिहास और राजनीति विज्ञान के पाठयक्रम मे भी मिलेंगे।
→ ऐसा इसलिए है कि हम आज जो जीवन जी रहे हैं, वह अतीत से प्रभावित है। हम इसे जाने बिना बदलाव की इच्छा नहीं रख सकते। इसी तरह, हम केवल एक लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रक्रिया के द्वारा ही इन आशाओं और संभावनाओं को वास्तविक जीवन में प्राप्त कर सकते हैं।
Vikas Class 10th Notes HBSE Economics
→ इसी प्रकार राष्ट्रीय विकास के सदर्भ में लोगों की धारणाएँ अलग-अलग और परस्पर विरोधी भी हो सकती हैं। लेकिन क्या सभी विचारों को समान महत्त्व देना संभव है?
→ परस्पर विरोध होने पर निर्णय कैसे हो? किसी कार्य को बेहतर करने का तरीका क्या हो सकता है? किसी विचार विशेष से लोगों का कितना लाभ हो सकता है?
→ राष्ट्रीय विकास का अर्थ उपरोक्त प्रश्नों पर विचार करना है। विकास की धारणा में विविधता एवं परस्पर विरोध के साथ-साथ विकास के तरीकों में भी फर्क हो सकता है।
→ यही कारण है कि दुनिया के देशों को विकसित, विकासशील एवं अविकसित देशों की श्रेणी में रखा गया है। देशों की तुलना के लिए उस देश की औसत आय को मापदण्ड बनाया जाता है।
→ परंतु बेहतर आय के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन की सुविधा, सामाजिक सद्भाव, प्रदूषण मुक्त वातावरण, सामूहिक सुरक्षा प्रणाली, छुतहा बीमारियों से बचाव उत्तम जन वितरण प्रणाली आदि भी राष्ट्रीय विकास के संकेतक हैं।
→ UNDP द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट भी देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक एवं स्वास्थ्य स्तर तथा प्रति व्यक्ति आय के आधार पर करती है। इसके लिए मानव विकास सूचकांक में कई अवयवों को जोड़ा जाता है।
→ विकास से पूर्व मानव जोड़कर यह स्पष्ट कर दिया गया है कि विकास के लिए लोग महत्त्वपूर्ण हैं, उनका स्वास्थ्य शिक्षा और खुशहाली सबसे अधिक जरूरी है।
→ जहाँ तक विकास की धारणीयता का प्रश्न है, बहुत से वैज्ञानिक मानते हैं कि वर्तमान किस्म और स्तर का विकास धारणीय नहीं है क्योंकि संसाधनों के अति उपयोग के कारण उनके भण्डार में कमी होती जा रही है।
→ दूसरी ओर नवीनीकरण योग्य साधनों का पूर्ण इस्तेमाल नहीं हो रहा। दूषित पर्यावरण की समस्या संपूर्ण विश्व की समस्या बन गई है।
→ विकास की धारणीयता तुलनात्मक स्तर पर गन का नया क्षेत्र है जिसमें अर्थशास्त्री, समाज शास्त्री, दार्शानिक, वैज्ञानिक आदि सभी मिल-जुलकर कार्य कर रहे हैं।
→ भारत की राष्ट्रीय आय : 16,80,000 करोड़ रुपये (1998-99 की गणना के (अनुसार)
→ भारत में प्रति-व्यक्ति आय : 16500 रुपये (2000-01 को गणना के अनुसार)
→ आर्थिक क्रियायें : वे सभी क्रियायें जिनके बदले में धन प्राप्त हो।
→ आर्थिकतर क्रियायें : वे क्रियायें जिनसे धन प्राप्त नहीं होता।
→ उपभोग : वस्तुओं तथा सेवाओं का प्रयोग करना।
→ 1950-51 में भारत में प्रति-व्यक्ति आय : 255 रुपये मात्र।
→ 1950-51 में भारत की राष्ट्रीय आय : 9140 करोड़ रुपये।
→ भारत में क्रियाशील जनता का कृषि में लगा भाग : 60%
→ प्राथमिक क्रियाओं में संलग्न भारतीय जनता का भाग : 60%
→ द्वितीयक कार्यों में लगा भारतीय जनता का भाग : 17%
→ तृतीयक कार्यों में संलग्न भारतीय श्रम का भाग : 23%
→ सहायक क्रियाओं का अर्थव्यवस्था में योगदान : 48%
→ पहली पंचवर्षीय योजना में सरकार द्वारा प्रस्तावित व्यय : 2400 करोड़ रुपये।
→ भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे प्रमुख स्थान : सार्वजनिक क्षेत्र का।
→ भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप : मिश्रित अर्थव्यवस्था।
→ भारत में वर्तमान में जीवन प्रत्याशा : 61 वर्ष।
→ भारत में साक्षर महिलाएँ : 54%
→ भारत में साक्षरं पुरुष : 75% स्मरणीय तथ्य
→ विश्व बैंक ने आय के आधार पर देशों को तीन भागों में बाँटा है।
→ 4, 35, 500 रुपये या अधिक प्रति-व्यक्ति आय वाले देश अधिक आय वाले देश है।
→ 35, 500-4, 35, 500 रुपये तक प्रति-व्यक्ति आय वाले देश मध्यम आय वाले देश हैं।
→ 35, 500 रुपये या इससे कम आय वाले देश निम्न आया वाले देश हैं।
→ सेल, आई. ओ. सी., डी. टी. सी. आदि सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम हैं।
→ माँग का अर्थ किसी वस्तु की उस मात्रा से है जिसे खरीदने के लिए लोग कीमत देने को तैयार हों।
→ खुली बाजार अर्थव्यवस्था में संसाधनों का स्वामित्व निजी हाथों में रहता है।
→ नियोजित अर्थव्यवस्था में निर्णय सामान्य जनता के हित में लिया जाता है।
→ पूर्ति का आशय वस्तु की उस मात्रा से है जिसे विक्रेता बाजार में रखने को तैयार हैं।
→ सन् 1990 के आरंभ में देश की 40% संपत्ति केवल ऊपर के 20% लोगों के हाथों में थीं।
→ अर्थव्यवस्था-आर्थिक ढाँचे का वह स्वरूप जिसके अनुसार किसी देश की आर्थिक दशा तथा लोगों के जीवन का वर्णन किया जाता है।
→ उत्पाद-निर्मित वस्तु या सेवा या वह क्रिया जो उपभोग के बिंदु तक चलती है।
→ पूँजीपति-वह छोटा सा वर्ग जो उत्पादन प्रक्रियाओं का स्वामित्व धारण करता है।
→ आधारिक संरचना-वह ढाँचा जो अर्थव्यवस्था में सेवाओं को आधार प्रदान करता है।
→ मुद्रा-यह एक सामान्य क्रयशक्ति है जो वस्तु के नियंत्रण में सहायक होती है।
→ आर्थिक नियोजन-इसका तात्पर्य देश के साधनों का लाभ उठाकर देश के आर्थिक विकास तथा लोगों के जीवन स्तर को उन्नत बनाने और सामाजिक न्याय की स्थापना के लिए अपनाये गये कार्यक्रम से है।
→ कीमत यंत्र-यह वह माध्यम है जिससे क्रेता और विक्रेता इस बात का निर्णय करते हैं कि बाजार में किन-किन वस्तुओं व सेवाओं का कितना भाग किस कीमत पर खरीदा और बेचा जाता है।
→ वस्तु विनिमय-दो पक्षों (व्यक्तियों या देशों) के मध्य वस्तुओं का आदान-प्रदान या बदला-बदली।
→ पूँजी-धन तथा वे समस्त सुविधायें जो वस्तुओं और सेवाओं के लिए परम आवश्यक हैं।
→ निवेश-साधनों का उपभोग न करके इनका दूसरे उपकरणों के निर्माण के लिए प्रयोग करना।
→ मिश्रित अर्थव्यवस्था-वह अर्थव्यवस्था जिसमें निजी और सार्वजनिक दोनों प्रकार की संस्थायें होती हैं।
→ राष्ट्रीय आय-राष्ट्रीय आय का तात्पर्य उस सकल आय से है जिसे देश के अंदर उत्पन्न सभी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य के साथ-साथ विदेशों से प्राप्त आय को जोड़कर प्राप्त किया जाता है।
→ साक्षरता दर-सात वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षरता का अनुपात।
→ निवल हाजिरी अनुपात-6-10 वर्ष की आयु के विद्यालय जाने वाले कुल बच्चों का उस आयु वर्ग के कुल बच्चों के साथ अनुपात।
→ शिशु मृत्यु दर-किसी वर्ष में पैदा हुए 1000 जीवित बच्चों में से एक वर्ष की आयु से पहले मृत्यु होने वाले बच्चों का अनुपात।
→ शरीर द्रव्यमान सूचकांक-अल्पपोषित वयस्कों की गणना करने का एक तरीका।
→ मानव विकास सूचकांक-इसका तात्पर्य उस सूचकांक से है जिसके माध्यम से विश्व के किसी देश के मानव विकास के स्तर को जाना जाता है।
→ नवीनीकरण साधन-वे साधन हैं जिनका उपयोग बार-बार हो सकता है।