Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Important Questions History Chapter 7 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया Important Questions and Answers.
Haryana Board 10th Class Social Science Important Questions History Chapter 7 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया
मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया प्रश्न उत्तर HBSE 10th Class प्रश्न 1.
मुद्रण की आरम्भिक तकनीति किन देशों में विकसित हुई?
उत्तर-
चीन, जापान तथा कोरिया।
HBSE 10th Class Important Questions History Chapter 7 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया प्रश्न-2.
594 ई. में चीन में मुद्रण तकनीक क्या थी?
उत्तर-
चीन में काठ की तख्ती पर कागज को रगड़कर पुस्तकें छापी जाती थीं। इस तख्ती पर स्याही लगी होती थी तत्पश्चात् किनारों से किताब को सिला जाता था।
मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया Important Questions History HBSE 10th Class प्रश्न-3.
खुशनवीसी कौन थे?
उत्तर-
चीन के वे लेखक जो किताबों को लिखने में निपुण एवं दक्ष थे, उन्हें खुशनवीसी कहा जाता था। उनमें बड़े-बड़े अक्षरो में किताबें लिखने की दक्षता थी।
प्रश्न-4.
चीनी राजतन्त्र पुस्तकों का प्रयोग क्यों करता था?
उत्तर-
चीने में आरंभ से नौकरशाही विद्यमान थी। कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षाएं ली जाती थी। जिसके लिए परीक्षार्थी पुस्तकों का प्रयोग करते थे।
प्रश्न-5.
17वीं सदी में चीन में छपाई के प्रयोग मे क्या परिवर्तन आया?
उत्तर-
चीन की शहरी संस्कृति का विकास 17वीं सदी में हुआ। मुद्रित सामग्री का प्रयोग विभिन्न व्यावसायी करने लगे। पाठक वर्ग रोचक कहानियां, कविताएँ आदि पढ़ता तो व्यापारी प्रतिदिन की सूचना मुद्रित पत्रिकाओं से प्राप्त करना।
प्रश्न-6.
19वीं सदी तक चीन में किस नई मुद्रण तकनीक का विकास हुआ?
उत्तर-
19वीं सदी में पश्चिमी मुद्रण तकनीक और मशीनी प्रेस का आयात हुआ। शंघाई-प्रिंट संस्कृतिक का जन्म हुआ। यांत्रिक मशीनों ने हाथ की मशीनों की जगह ले ली।
प्रश्न 7.
जापन में छपाई तकनीकी किस प्रकार पहंची?
उत्तर-
चीन में बौद्ध प्रचारक लगभग 768-770 ई. में छपाई की तकनीक जापान लेकर गए।
प्रश्न-8.
डायतंड सत्र क्या है?
उत्तर-
जापान में 868 ई. में डायमन्ड सूत्र नामक पुस्तक थी। इसमे पाठ के साथ-साथ चित्र भी छापे गए थे।
प्रश्न-9.
जापान में पुस्तकों के अतिरिक्त चित्रों को कहाँ छापा जाता था।
उत्तर-
चित्रों को पुस्तकों के अतिरिक्त कपड़ों, ताश के पत्तों एवं कागज के नोटों पर छापा जाता था।
प्रश्न-10.
एदो या तोक्यो संस्कृति किसे कहा गया?
उत्तर-
एदो या तोक्यो जापान की शहरी संस्कृति थी जो चित्रकारी से जुड़ी थी। इसका प्रचलन जापान में 18वीं सदी के अंत तक हुआ जिसमें हाथ से मुद्रित तरह-तरह के चित्र, जैसे-फूलसाजी शिष्टाचार आदि की सामग्री चित्रित थी।
प्रश्न-11.
कितागावा उतामारो पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
कितागावा उतामारो का जन्म 1753 में एदो (जापान के शहर) में हुआ। उन्होंने उकियो नामक चित्रकला शैली में अहम् योगदान दिया। उन्होंने अपनी कला के द्वारा साधारण जन-जीवन का चित्रण किया।
प्रश्न-12.
यूरोप में चीनी कागज किस प्रकार पहँचा?
उत्तर-
आंरभ से ही यूरोप और चीन के बीच व्यापार होता रहा इसी व्यापार के माध्यम से चीनी कागज यूरोप पहुँच गया। इस कागज का प्रयोग पाण्डुलिपियाँ लिखने के लिए किया जाता था।
प्रश्न-13.
वुड ब्लॉक छपाई की तकनीक का यूरोप पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
मार्को पोलो 1295 में चीन से वुड ब्लाक छपाई की तकनीक लेकर इटली गया। जल्दी ही इटली में इस तकनीक से पुस्तकें छपने लगीं। यह तकनीक सम्पूर्ण यूरोप में फैल गई।
प्रश्न-14.
यूरोप के कुलीन वर्गो ने मुद्रित पुस्तकों के लिए क्या राय व्यक्त की?
उत्तर-
कुलीन वर्गों के लोग मुद्रित पुस्तकों को सस्ती, अश्लील तथा अत्यन्त घटिया मानते थे। उनके संस्करण चर्म-पत्रों पर ही सदैव की तरह रहे।
प्रश्न-15.
किताबों की मांग बढ़ने से यूरोप पर क्या असर हुआ?
उत्तर-
जब किताबों की मांग बढ़ी तक पुस्तक विक्रेता पुस्तकें निर्यात करने लगे। पुस्तकों के मेले लगाए जाने लगे। माँग की पूर्ति के लिए नई तकनीकियों का विकास किया जाने लगा। सुलेखक केवल अमीरों यहाँ ही नहीं बल्कि पुस्तक विक्रेताओं के यहाँ भी काम करने लगे। इससे रोजगार वृद्धि हुई और लगभग 50 सुलेखक एक ही विक्रेता के यहाँ काम करने लगे।
प्रश्न-16.
हस्तलिखित पाण्डुलिपियों में क्या कमियाँ थी?
उत्तर-
हस्तलिखित पाण्डुलिपियों से यूरोप में बढ़ती हुई पुस्तकों की माँग की आपूर्ति सम्भव नहीं थी। पुस्तकों की हीथ से नकल करना बहुत खर्चीला था। इससे श्रम तथा समय दोनों ही अधिक लगते थे। हस्तलिखित पाण्डुलिपियों को अत्यन्त ध्यान से रखना पड़ता था। अतः ये अधिक प्रचलित नहीं रहीं।
प्रश्न-17.
पन्द्रहवी सदी में वुड ब्लॉक प्रिटिंग का प्रयोग यूरोप में कहाँ किया जा रहा था?
उत्तर-
वुड ब्लॉक प्रिटिंग के द्वारा चित्र टिप्पणियों के साथ ताश, कपड़ों आदि पर छापे जाते थे।
प्रश्न-18.
आरम्भिक छपी पुस्तकें किस प्रकार की दिखती थीं?
उत्तर-
छपी पुस्तके आरंभ में हस्तलिखित पाण्डुलिपियों के समान दिखती थीं। धातु के बने अक्षर हाथ की शैली के समान ही थे। फूल-पत्तियों के डिजाइन हाशिए पर बनाए जाते, जबकि अमीरों के लिए यह जगह खाली छोड़ दी जाती थी। वे स्वयं ही इस स्थान पर अपनी मनपसद डिजाइन बनवा सकते थे।
प्रश्न-19.
1450-1550 के मध्य यूरोप में मुद्रण क्षेत्र में क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर-
यूरोप के अधिकतर देशों में 1450-1550 के बीच छापेखाने खुल गए। मुद्रक अन्य देशों में छापेखाने को खोलने थे। पुस्तकों के उत्पादन में अत्यन्त वृद्धि हुई। 1450 के बाद लगभग 2 करोड़ मुद्रित पुस्तकें बाजार में आई, जबकि 16वीं सदी में यह संख्या 20 करोड़ हो गई!
प्रश्न-20.
प्लाटेन किसे कहते हैं?
उत्तर-
प्लाटेन लेटन प्रेस छपाई मे एक बोर्ड होता हैं इसे कागज के पीछे दबाकर टाइप की छाप प्राप्त की जाती है।
प्रश्न-21.
छापेखाने के आने से समाज में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर-
छापेखाने से अधिक से अधिक पुसतकें छपने लगीं जिसके कारण नए पाठक वर्ग का उदय हुआ जैसे-जैसे बाजार में किताबें आई, पाठक वर्ग की संख्या में वृद्धि आई।
प्रश्न-22.
किताबों से किस प्रकार नई सस्कृति विकसित हुई?
उत्तर-
किताबों के विकास से पूर्व लोग धार्मिक ज्ञान, कहानियां आदि सुनते थे। पहले पुस्तकें अधिक संख्या में नहीं छप पाती थीं, परन्तु छपाई से पुस्तकें अधिक लोगों तक पहुँचने लगी। अब जनता श्रोता नहीं, पाठक बन चुकी थी।
प्रश्न-23.
पुस्तकों का संक्रमण सरल क्यों नहीं था?
उत्तर-
पुस्तकों का संक्रमण कठिन था। अधिक लोग पढ़े-लिखे नहीं थे। प्रकाशकों का उद्देश्य था कि वे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँच सकें। जो पाठक पढ़ नहीं सकते थे, वे सूचना या कहानियाँ आदि सुनते थे। प्रकाशक गाथा-गीत, लोक-कथाएँ छापने लगे जिनमें सुन्दर चित्र भी छपे होते थे। प्रकाशक पुस्तकों का मौखिक प्रसार किया।
प्रश्न-24.
विचारों के प्रसार किस प्रकार बहस का मुद्दा बनें?
उत्तर-
छापेखाने के कारण पुस्तकें सरलता से छपने तथा उपलब्ध हाने लगीं सभी प्रकार के लोग अपने विचार व्यक्त कर सकते जिनमें सत्ता का विरोध, धर्म-सुधार आदि की बातें प्रमुख होती थीं। यह डर पनपने लगा कि इन विचारों के द्वारा आम जनता पर गलत प्रभाव पड़ेगा। धर्मगुरू, सम्राट आदि अक्सर ऐसे विचारों के आलोचक थे जो इन्हें बागी मानते थे।
प्रश्न-25.
प्रोटेस्टेन्ट धर्म सुधार आंदोलन क्या था?
उत्तर-
प्रोटेस्टेन्ट धर्म सुधार आंदोलन का आरम्भ मार्टिन लूथर ने किया। वे कैथोलिक चर्च की कुरीतियों के विरोधी थे। उन्होंने यह आंदोलन 19वीं सदी में 95 प्रतिज्ञप्तियां विटेनबर्ग के चर्च के दरवाजे पर आँगी। इन सभी में कैथोलिक चर्च का विरोध किया गया था। इस आंदोलन से चर्च के विरोध की धाराएँ निकलीं।
प्रश्न-26.
इक्वीजीशन क्या हैं?
उत्तर-
वह प्रथा जिसके अन्तर्गत धर्म-विद्रोहियों को ढूँढ़ कर रोमन कैथोलिक चर्च नियमानुसार सजा देता है, यह इन्क्वीजीशन कहलाता है।
प्रश्न-27.
यूरोप में 17वीं तथा 18वीं शताब्दी में लोगों में पढ़ने का जुनून क्यों उत्पन्न हुआ?
उत्तर-
17वीं सदी सेपूर्व लोगों में साक्षरता दर अत्यन्त कम थी। अगल-अलग धर्मो के समूह 17वीं और 18वीं सदी में गाँवों में स्कूल स्थापित करने लगे। इस प्रकार किसान, गरीब आदि भी शिक्षा पाने लगे। 18वीं सदी के अन्त तक यूरोप के देशों की साक्षरता 60% से 80% तक पहुँच गई। अब लोगों को पढ़ने के लिए पुस्तकें चाहिए थीं, क्योंकि उनमें पढने का जुनून उत्पन्न हो चुका था।
प्रश्न-28.
नए पाठकों के लिए किस प्रकार की पुस्तकें छपने लगीं?
उत्तर-
पाठकों की संख्या बढ़ती देख विक्रेताओं ने अगल-अगल प्रकार की पुस्तकें छापनी शुरू कर दी। ये पुस्तकें मनोरंजन प्रधान होती थीं फिर उन्होंने पॉकेट बुक्स (चैपबुक्स) बनानी आरम्भ की। कभी इतिहास की कहानियाँ, ताक कभी लोक-कथाएँ और कभी प्रेम-कहानियाँ छपने लगीं। अखबारों में दूर-देशों के युद्धों और व्यापार की खबरें छापी जाती थीं। इसके अतिरिक्त दार्शनिक तथा विज्ञान संबंधी पुस्तकें लोगों तक पहुँचने लगीं।
प्रश्न-29.
अठारहवीं सदी में यूरोप में कुछ लोगों को क्यों ऐसा लगता था कि मुद्रण संस्कृति से निरंकुशवाद का अंत और ज्ञानोदय होगा?
उत्तर-
लोगों में यह विश्वास 18वीं सदी तक पनप चुका था कि पुस्तकें ज्ञान का एक महत्त्वपूर्ण साधन हैं। लोगों के विचार, अभिव्यक्तियाँ इन पुस्तकों में छपती थीं जो आम जनता के हित की बात करती थी। जनता का मानना था कि किताबें विश्व का स्वरूप बदल सकती हैं। इनके द्वारा निरंकुशवादी सत्ता को समाप्त किया जा सकता है। छापाखाना एक ताकतवर औजार है जिससे ज्ञानोदय होता है।
प्रश्न-30.
क्या मुद्रण संस्कृति और फ्रांसीसी क्रांति में कोई संबंध है? स्पष्ट करें।
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति का संबंध मुद्रण संस्कृति से किया गया, क्योंकि इसके कारण क्रांति के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई इसके मुख्यतः तीन कारण दिए गए-
- छपाई के कारण अभिव्यक्ति और ज्ञानेदय हुआ। चिंतक गलत का विरोध करते तथा सही का समर्थन करते थे। अंधविश्वास, निरंकुश शासन आदि का विरोध हुआ।
- मुद्रण संस्कृति ने वाद-विवाद की स्थिति उत्पन्न की। पुरानी रीतियों, अंधविश्वासों आदि की आलोचना होने लगी। यह रूढ़ियाँ लोगों में बहस का मुद्दा बनती। जनता धर्म और आस्था पर प्रश्न उठाने लगी।
- राजशाही/राजतन्त्र का मजाक 1780 के दशक में अनन्त पुस्तकों में उड़ाया गया। पत्रिकाओं में इनके विरुद्ध कार्टून छपा। जनता पुस्तकों के कारण राजतन्त्र के विरुद्ध भड़क उठी।
प्रश्न-31.
19वीं सदी में पाठकों में क्या अन्तर आए?
उत्तर-
19वीं सदी में यूरोप में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य कर दी गई। प्रकाशक बाल-पुस्तकें भी छापने लगे। बच्चों के रूप में नया पाठक पर्ग उभरा। उनके लिए कहानियों की पुस्तकें छपने लगीं। महिलाएँ लेखिका तथा पाठिकाओं के रूप में उभर रहीं थीं। वे उपन्यास भी लिखने लगीं। निम्नवर्गीय लोग किराए पर पुस्तकें लेकर पढ़ने लगे। मजदूरों ने स्वयं आत्मकथाएँ लिखीं।
प्रश्न-32:
19वीं सदी में छपाई के क्षेत्र में क्या नए तकनीकी सुधार हुए?
उत्तर-
18वीं शताब्दी के अंत तक प्रेस धातु से बनने लगी। 19वीं सदी के मध्य में शक्ति चालित बेलनकार प्रेस का निर्माण हुआ जो 8,000 शीट प्रति घण्टा छाप सकती थीं। पेपर रील, रंगों, कागज डालने की विधियों में सुधार हुआ।
प्रश्न-33.
मुद्रण युग से पूर्व भारत में छपाई का काम किस प्रकार किया जाता था?
उत्तर-
पहले भारत में हस्तलिखित पाण्डुलिपियों का निर्माण किया जाता था। पुस्तकें हाथ से विभिन्न भाषाओं में लिखीं जाती थीं। इसके लिए ताड़-पत्रों का प्रयोग होता था। इन पर चित्र भी बनाए जा सकते थे।
प्रश्न-34.
भारत में प्रिटिंग प्रेस का काम कब आरंभ हुआ?
उत्तर-
पुर्तगाली 16वीं शताब्दी में भारत के गोवा क्षेत्र में प्रिंटिश प्रेस लाए। आरंभ में कोंकणी भाषा में पुस्तकें छापी गई। तत्पश्चात् 1674 से कन्नड़ भाषा में भी पुस्तकें छपी। 1713 में मलयालम पुस्तक छपी तो डच प्रोटेस्टेन्ट प्रचारकों ने 32 तमिल पुस्तकें छापी। इनमें से कई पुस्तकें अनुवादित होती थीं।
प्रश्न-35.
जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने भारत में छपाई में किस प्रकार योगदान दिया?
उत्तर-
1780 में जेम्स ऑगस्ट हिक्की ने बंगाल गजट नामक पत्रिका आरंभ की। यह एक व्यावसायिक पत्रिका थी जो एक निजी उद्यम थी। इसमें विज्ञापन छपते थे। वरिष्ठ अंग्रेज अफसरों की खबरे छपती। औपनिवेशिक शासन का विरोध भी छापा जाता था।
प्रश्न-36.
मुद्रण संस्कृति को किस प्रकार धर्म-सुधार एवं समाज-सुधार के लिए प्रयोग किया गया?
उत्तर-
यूरोप की तरह भारत में भी मुद्रण तकनीक अभिव्यक्ति का स्रोत बनी। सुधारकों ने जमकर पुरानी रूढ़ियों की कटु आलोचना पत्रिकाओं में की। विधवा-प्रथा, सती-प्रथा, मूर्ति-पूजा आदि का विरोध हुआ तो एकेश्वरवाद का समर्थन किया गया। आम भाषा छापी गई ताकि लोग समझ सकें राजा राममोहन राय का नाम सुधारकों में शामिल किया गया।
प्रश्न-37.
उलेमा समूह किस कारण चिंतित थे? इस चिंता को उन्होंने किस प्रकार दूर किया?
उत्तर-
मुस्लिम राजवंशों का पतन उत्तर भारत में औपनिवेशिक सरकार कारण हो रहा था। उलेमा को लग रहा था कि ब्रिटिश सरकार मुस्लिम कानूनों में परिवर्तन आरंभ कर देगी। इस कारण उन्होंने फारसी तथा उर्दू में मुस्लिम धर्म ग्रन्थों के अनुसार छापे। मुसलमान पाठकों को जीवन जीने का तरीक सिखाया गया। धर्म को लेकर व्याख्या की गई।
प्रश्न-38.
उन्नीसवी सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण संस्कृति का क्या असर हुआ?
उत्तर-
दक्षिण भारत के मद्रासी क्षेत्रों में 19 वीं सदी में सस्ती किताबें चौराहों पर बेची जान लेगी। इस कारण बड़ी संख्या में गरीबों ने पुस्तकें खरीदनी आरंभ कर दी। इस प्रकार पुस्तकालय भी खोले गए जहाँ कम किराए पर पुस्तकें उपलब्ध होती थी। जो गरीबों की पहुँच में थीं।
प्रश्न-39.
जाति-प्रथा का विरोध किस प्रकार किया गया?
उत्तर-
भारत में जाति-प्रथा सदैव विद्यमान थी। लेखकों ने पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में जाति-प्रथा की आलोचना कर इसका विरोध किया। ज्योतिबा फुले ने गुलामगिरी में इस विषय पर लिखा। इसके अतिरिक्त भीमराव-अम्बेडकर, ई.वी. रामास्वामी नायकर ने खुलकर लेखों में जाति-प्रथा का विरोध किया। लेखक धर्म ग्रंथों के भी आलोचक थे।
प्रश्न-40.
मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में क्या मदद की?
उत्तर-
औपनिवेशिक शासनकाल का विरोध पुस्तकों के द्वारा सामने आया। सभी राष्ट्रवादियों ने पत्रिकाओं, अखबारों आदि का प्रयोग लोगों में राष्ट्रवाद की भावना जागृत करने के लिए किया। तिलक ने, उदाहरण के लिए, केसरी अखबार आरंभ किया जिसमें वे ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लेख छापते थे। लेखों में राष्ट्रवादी भारतीय जनता को औपनिवेशिक शासन के विरोध में एक होने का आग्रह करते। इस कारण सभी धर्मों के लोग अंग्रेजों के विरुद्ध उठ खड़े हुए।
वस्तुनिष्ठ-प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित रिक्त स्थानों को दिए गए उपयुक्त शब्दों से पूरा करें।
(i) …………….के विद्रोह से प्रेस की स्वतन्त्रता के प्रति रवैया बदल गया।
(ii) काशीबाबा ने 1938 में…………..पुस्तक छापी।
(iii) सुदर्शन चक्र ने……………नामक संग्रह छापा।
(iv) ……………के दशक से महिलाओं के अनुभवों के विषय में लिखा जाने लगा।
(v) इंग्लैंड की एक श्रृंखला का नाम…………..था।
(vi) 1930 की…………के आने से प्रकाशकों को किताबों की बिक्री गिरने का भय हुआ। (आर्थिक मंदी, अकाल)
उत्तर-
(i) 1857,
(ii) छोटे और बड़े सवाल,
(iii) सच्ची कविताएँ,
(iv) 1860,
(v) शिलिंग श्रृंखला,
(vi) आर्थिक मंदी।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में सही (√) व गलत (x) की पहचान करें।
(i) भारत में संस्कृत, अरबी, फारसी में हस्तलिखित पाण्डुलिपियाँ लिखी जाती थीं।
(ii) 19वीं सदी के अंत तक भी पाण्डुलिपियाँ छापी जाती रहीं।
(iii) चैपबुक्स बड़ी-बड़ी पुस्तकें होती थीं।
(iv) लोगों का विश्वास था कि मुद्रण क्रांति से निरकुंशवाद को समाप्त किया जा सकता है।
(v) मार्टिन लूथर की न्यू टेस्टामेन्ट की 500 प्रतियाँ बिकीं।
(vi) मेनोकियो को कैथोलिक धर्म न धर्म-विद्रोही मानकर मौत की सजा दी।
(vii) 1568 से प्रतिबंधित किताबों की सूची रखी जाने लगीं।
(viii) मार्टिन लूथर ने कैथोलिक चर्च का समर्थन किया।
(ix) सामूहिक ग्रामीण सभाओं या शहरी शराबघरों में किताबों को सुनाया जाता था।
उत्तर-
(i) (√),
(ii) (√),
(iii) (x),
(iv) (√),
(v) (x),
(vi) (√),
(vii) (x),
(viii) (x),
(ix) (√)।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में दिए गए विकल्पों में सही का चयन कीजिए।
(i) मार्को पोलो ……… में इटली वुडब्लॉक तकनीक लेकर आया।
(क) 1290
(ख) 295
(ग) 1300
(घ) 1305
उत्तर-
(ख) 295
(ii) वेलम क्या है-
(क) कागज
(ख) ताड़ पत्र
(ग) चर्म पत्र
(घ) उपर्युक्त कोई नहीं
उत्तर-
(ग) चर्म पत्र
(iii) सबसे पहली पुस्तक गुटेनबर्ग ने कौन-सी छापी
(क) बाइबल
(ख) कहानियों की किताब
(ग) उपन्यास
(घ) कविताएँ
उत्तर-
(क) बाइबल
(iv) पहले मुद्रण की तकनीक कहाँ विकसित हुई
(क) कोरिया
(ख) जापान
(ग) चीन
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर-
(ख) जापान
(v) ‘डायमण्ड सूत्र’ किस वर्ष में प्रकाशित हुई
(क) 865 ई.
(ख) 868 ई.
(ग) 870 ई.
(घ) 871 ई.
(vi) ………ने आमार जीवन नामक आत्मकथा लिखी।
(क) रशसुंदरी देवी
(ख) पंडिता रमावाई
(ग) कैलाश बाशिनी देवी
(घ) ताराबाई शिंदे
उत्तर-
(क) रशसुंदरी देवी