Haryana State Board HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 6 Poets and Pancakes Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 6 Poets and Pancakes
HBSE 12th Class English Poets and Pancakes Textbook Questions and Answers
Question 1.
The author has used gentle humour to point out human foibles. Pick out instances of this to show how this serves to make the piece interesting? (मानवीय कमजोरियों को दर्शाने के लिए लेखक ने मंद हास्य का प्रयोग किया है। यह दर्शाने के लिए कि इससे लेख रोचक बन गया है, इसके उदाहरण बताइए।)
Answer:
In this essay, the author uses gentle humour to point out human weaknesses. This use of humour makes the essay quite interesting. The make-up material came with the brand name pancake. The writer says that the truck-loads of this material were consumed by the Studios. In the make-up department, there are people from the various states of India. This is an example of the national integration. The make-up, instead of making the actors look beautiful made them look ugly.
Then he says that there was strict hierarchy in the department. The chief make-up man made the main hero and the heroine ‘ugly’. The make-up of the actors who played the crowd was done by the office-boy. He took the material in a bucket and applied it on the faces of the actors. The office-boy was not exactly a boy. He was in his forties. He was a frustrated man. He had aspired to be a top actor but got the job of an office-boy. The story department had a lawyer and a number of writers and poets. The lawyer is an interesting character. Once he unwittingly brought an end to the career of an actress. The other staff members wore khadi uniforms. But the lawyer wore coat, pant and tie. He stood aloof from the others at Gemini Studios. The author’s description of the English poet is also humorous.
(इस लेख में लेखक मानवीय कमजोरियों को दर्शाने के लिए मंद हास्य का प्रयोग करता है। हास्य का प्रयोग इस लेख को काफी रोचक बना देता है। मेकअप का सामान पैनकेक के ब्रॉन्ड नाम से आता था। लेखक कहता है इस पदार्थ के ट्रक स्टूडियो में खर्च होते थे। मेकअप विभाग में भारत के विभिन्न राज्यों के लोग थे। यह राष्ट्रीय एकता का एक उदाहरण है। मेकअप, अभिनेताओं को सुन्दर बनाने की बजाए ‘भद्दा’ बनाता था। फिर वह कहता है कि मेकअप विभाग में पूर्ण श्रेणी तन्त्र था। मुख्य मेकअप मैन मुख्य नायक और नायिका को ‘भद्दा’ बनाता था। जो अभिनेता भीड़ में भाग लेते थे उनका चेहरा मेकअप ऑफिस ब्वॉय करता था। वह मेकअप के सामान को बाल्टी में ले जाता था और उसे अभिनेताओं के चेहरों पर लगा देता था।
ऑफिस ब्वॉय वास्तव में कोई लड़का नहीं होता था। वह चालीस की उम्र के आस-पास होता था। वह एक निराश व्यक्ति होता था। उसने ऊँचा अभिनेता बनने की कामना की थी, मगर उसे केवल ऑफिस ब्वॉय की नौकरी ही मिली। कहानी विभाग में एक वकील, बहुत से लेखक और कवि थे। वकील एक रोचक पात्र है। एक बार उसने अनजाने में एक अभिनेत्री का अभिनय जीवन समाप्त कर दिया। बाकी के लोग खादी की वर्दी पहनते थे। मगर वकील कोट, पैन्ट और टाई पहनता था। वह जैमिनी स्टूडियो में अन्य लोगों से अलग नज़र आता था। लेखक का अंग्रेज कवि का वर्णन भी हास्यपूर्ण है।)
Question 2.
Why was Kothamangalam Subbu considered No. 2 in Gemini Studios ? (कोथमंगलम सुब्बु जैमिनी स्टूडियो में नम्बर 2 का व्यक्ति क्यों था ?)
Answer:
Kothamangalam Subbu was the No. 2 at the Gemini Studios. He seemed very close and intimate with The Boss. Subbu had entered the Studios in more uncertain and difficult times. Subbu had the ability to look cheerful at all time, even after having a hand in a flop film. He could never do things on his own, but his senses of loyalty made him identify himself with “The Boss’. He uses all his energy and creativity for the advantage of The Boss. He was tailor-made for films. Whenever the producer told him about any problem, he would come out with a solution. If the producer was not satisfied, he would suggest fourteen more alternatives.
Film-making seemed easy with a man like Subbu around. It was Subbu who gave direction and definition to Gemini Studios during its golden years. He was a poet also and he chose to write for the masses. His success in films overshadowed his literary achievements. He composed several original story poems in folk-song style. He wrote a novel ‘Thillana Mohanambal’. He was a good actor. He never aspired to the lead roles. He played secondary roles in films but performed better than the main actors. Because of these factors, he was considered No. 2 in the Studios.
(कोथमंगलम सुब्बु जैमिनी स्टूडियो में नंबर दो पर था। वह बॉस के नज़दीक और घनिष्ठ प्रतीत होता था। सुब्बु स्टूडियो में अधिक अनिश्चित और कठिन समय में आया था। सुब्बु में यह क्षमता थी कि वह हर समय प्रसन्न नज़र आता था। यहाँ तक कि किसी पिटी फिल्म में अपना हाथ होने के बावजूद भी वह कभी कोई काम अपने आप नहीं कर सकता था। मगर उसकी वफादारी की भावना ने उसके बॉस के साथ उसकी पहचान बना दी। वह अपनी ऊर्जा और रचनात्मकता को बॉस के फायदे के लिए प्रयोग करता था। वह तो फिल्मों के लिए ही बना हुआ प्रतीत होता था। जब भी निर्माता उसे किसी समस्या के बारे में बताता था तो वह फौरन कोई-न-कोई समाधान बता देता था। अगर निर्माता सन्तुष्ट नहीं होता तो वह चौदह विकल्प बता देता था।
जब सुब्बु जैसा व्यक्ति आस-पास होता था तो फिल्म बनाना आसान काम प्रतीत होता था। वह सुब्बु ही था जिसने जैमिनी स्टूडियो को इसके स्वर्णिम दिनों में इसे दिशा-निर्देश और परिभाषा प्रदान की। वह कवि भी था और उसने आम जनता के लिए लिखने का फैसला किया था। फिल्मों में उसकी सफलता ने उसकी साहित्यिक प्रतिभा को छुपा दिया था। उसने लोक गीत शैली में कई मौलिक गाथागीत लिखे थे। उसने एक उपन्यास “थिल्लाना मोहनाम्बल’ लिखा था। वह एक अच्छा अभिनेता था। उसने कभी बड़ी भूमिकाओं की कामना नहीं की थी। वह फिल्मों में दूसरे स्थान की भूमिकाएँ निभाता था मगर वह मुख्य अभिनेताओं से अधिक अच्छा अभिनय करता था। इन तथ्यों के कारण उसे स्टूडियो में नम्बर दो पर माना जाता था।)
Question 3.
How does the author describe the incongruity of an English poet addressing the audience at Gemini Studios ? (लेखक एक अंग्रेज कवि के द्वारा जैमिनी स्टूडियो के श्रोताओं को सम्बोधित करने की बेमेलता का वर्णन कैसे करता है?)
Answer:
One day, there was the news that an English poet was visiting the Gemini Studios. But the rumour was that he was not a poet but an editor. Mr. Vasan, The Boss of Gemini Studios was also the editor of a popular Tamil weekly. Then the day of the poet’s arrival came. He arrived around four in the afternoon. He was a tall man, very English and very serious. The Boss read a long speech. He did not know much about the English poet. The speech was all in the most general terms. Then the poet spoke.
He spoke in such an accent that none among the audience could understand him. He left after speaking for one hour. The audience also dispersed in utter bafflement. They wondered what an English poet was doing in a film studio, which made Tamil films. That is why, the English poet addressing the audience at the Gemini Studios seemed quite incongruous.
(एक दिन खबर आई कि एक अंग्रेज कवि जैमिनी स्टूडियो में आ रहा है। मगर अफवाह थी कि वह कवि नहीं अपितु एक सम्पादक था। जैमिनी स्टूडियो का बॉस श्री वासन भी एक प्रसिद्ध तमिल साप्ताहिक का सम्पादक था। तब कवि के आने का समय आ गया। वह दोपहर के बाद लगभग चार बजे आया। वह एक लम्बा व्यक्ति था। जो पूरी तरह अंग्रेज लगता था और बहुत गम्भीर था। बॉस ने एक लम्बा भाषण पढ़ा। वह अंग्रेजी कवि के बारे में अधिक नहीं जानता था। भाषण आम बातों के बारे में था। फिर कवि बोला। उसने ऐसे लहजे में बात की कि उसके श्रोताओं में से कोई भी उसकी बात को नहीं समझ पाया। वह एक घन्टा बोलने के बाद चला गया। श्रोता भी पूरी तरह हैरानी से चले गए। वे हैरान हो रहे थे कि एक ऐसे फिल्म स्टूडियो जो तमिल फिल्में बनाता है, में एक अंग्रेज कवि क्या कर रहा था। इसीलिए एक अंग्रेज कवि का जैमिनी स्टूडियो में श्रोताओं को सम्बोधित करना बेमेल लगता था।)
Question 4.
What do you understand about the author’s literary inclinations from the account? (इस पाठ से आपको लेखक के साहित्यिक झुकाव का कैसे पता चलता है ?)
Answer:
The author had literary inclinations. He could enjoy the company of great poets like S.D.S. Yogiar, Sangu Subramanyam, Krishna Sastry and Harindranath Chattopadhyaya. He says that the Studios radiated leisure, a pre-requisite for poetry. He had a knowledge of English poet including T.S.Eliot. He writes that prose writing is not and cannot be the true pursuits of a genius. Prose is only for drudges with shrunken hearts. The author wanted to take part in a story writing competition.
There was an announcement in The Hindu that a short story contest was being organized by a British periodical ‘The Encounter’. He wanted to take part in this contest. He wanted to have an idea of the periodical before sending his contribution. He went to the British Council Library to read this magazine. When he read the name of the poet, he recalled that the same poet had visited the Gemini Studios. His name was Stephen Spender. He purchased the book “The God That Failed’. All this shows the author had literary inclinations.
(लेखक का साहित्यिक झुकाव था। वह एस. डी. एस. योगियार, संगु सुब्रामानयम, कृष्णा शास्त्री और हरिन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय जैसे कवियों की संगति का आनंद उठा सकता था। वह कहता है कि स्टूडियो आराम प्रदान करता था जोकि कविता की पहली शर्त है। उसे टी.एस. एलियट जैसे अंग्रेजी कवियों का ज्ञान था। वह कहता है कि पद्य लिखना एक महान् विद्वान का शौक नहीं होता है और न ही हो सकता है। गद्य तो केवल बोर लोगों और सिकुड़े हुए दिल वाले लोगों के लिए है। लेखक एक कहानी लेखन प्रतियोगिता में भाग लेना चाहता था। “द हिन्दू” में एक घोषणा छपी कि ब्रिटिश पत्रिका “द एनकाउन्टर” एक कहानी लेखन प्रतियोगिता का आयोजन करने जा रही है। वह अपनी कहानी भेजने से पहले उस पत्रिका के बारे में जानना चाहता था। वह इस पत्रिका को पढ़ने के लिए ब्रिटिश काउन्सिल पुस्तकालय में गया। जब उसने कवि का नाम पढ़ा तो उसने महसूस किया कि यह वही कवि था जो जैमिनी स्टूडियो में आया था। उसका नाम स्टीफन स्पैंडर था। उसने “भगवान जो असफल हो गया” किताब भी खरीदी। यह सब दर्शाता है कि लेखक का साहित्यिक झुकाव था।)
Think As You Read
Question 1.
What does the writer mean by the fiery misery’ of those subjected to make-up’? (जिनका मेकअप होना था उनकी ‘आग भरी तकलीफ’ से लेखक का क्या अभिप्राय है ?)
Answer:
The make-up department had the look of a hair cutting salon. There were incandescent lights at all angles around half a dozen large mirrors. These lights were glowing with heat. So those who were subjected to make-up had to suffer a lot of hardship. The writer calls it their ‘fiery misery’.
(मेकअप विभाग बाल काटने का सैलून लगता था। वहाँ आधा दर्जन बड़े शीशों के गिर्द तेज चमक वाली रोशनियाँ थीं। ये रोशनियाँ गर्मी से चमक रही होती थी। जिन लोगों का वहाँ पर मेकअप होता था। उन्हें बहुत कष्ट से गुजरना पड़ता था। लेखक इसे उनकी ‘आग भरी तकलीफ’ कहता है।)
Question 2.
What is the example of national integration that the author refers to? (लेखक द्वारा दिया गया राष्ट्रीय एकता का क्या उदाहरण है ?)
Answer:
The make-up department was first headed by a Bengali. He was succeeded by a Maharashtrian. He was assisted by men from Dharward, Andhra Pradesh, Burma and the usual local Tamils. Thus, the make-up department was an example of national integration. (मेकअप विभाग का मुखिया पहले एक बंगाली होता था। उसके बाद महाराष्ट्र का एक व्यक्ति आया। उसकी सहायता धारवाड़, आन्ध्र प्रदेश, बर्मा और स्थानीय तमिल लोग करते थे। इस प्रकार मेकअप विभाग राष्ट्रीय एकता का उदाहरण था।)
Question 3.
What work did the ‘office-boy’ do in the Gemini Studios ? Why did he join the Studios? Why was he disappointed? (जैमिनी स्टूडियो में ऑफिस ब्वॉय क्या काम करता था ? वह स्टूडियो में काम करने क्यों आया था ? वह हताश क्यों था?)
Answer:
The office-boy had the responsibility of doing the make-up of the junior actors who played the crowd. He had joined the studios in the hope of becoming a top actor, screen writer, director or lyricist. He was a bit of poet also. He was disappointed that his talent was being wasted in the Gemini Studios. (वे जूनियर कलाकार जो भीड़ में भाग लेते थे उनका मेकअप करना ऑफिस ब्वॉय की जिम्मेदारी थी। वह स्टूडियो में कई साल पहले मुख्य अभिनेता, ऊँचे दर्जे का स्क्रीन लेखक, निर्देशक या गीतकार बनने का सपना लेकर आया था। वह कुछ अंश तक कवि भी था। वह इस बात पर निराश था कि जैमिनी स्टूडियो में उसकी प्रतिभा नष्ट हो रही थी।)
Question 4.
Why did the author appear to be doing nothing at the Studios ? (लेखक स्टूडियो में कुछ भी काम न करता हुआ प्रतीत क्यों होता था ?)
Answer:
The writer’s duty was to cut out newspaper clippings on a wide variety of subjects and store them in files. When people saw him tearing newspapers all the day long, they thought that he was doing nothing. (लेखक का यह काम था कि अखबारों से बहुत अलग-अलग विषयों की कतरने काटे और उन्हें एक फाईल में लगाए। जब लोग उसे सारा दिन अखबार फाड़ते देखते थे तो वे सोचते थे कि वह कुछ भी नहीं करता।)
Question 5.
Why was the office-boy frustrated? Who did he show his anger on ? (ऑफिस बॉय हताश क्यों था ? वह अपना गुस्सा किस पर जाहिर करता था ?)
Answer:
The office-boy had joined the Gemini Studios with big dreams. He had aspired to be a top class actor, director or screen writer. But his dreams were shattered. He had to become an office-boy. As a result, he was frustrated. He showed his anger on Subbu. He thought that Subbu was responsible for his misery. (ऑफिस ब्वॉय जैमिनी स्टूडियो में बड़े सपने लेकर आया था। उसने ऊँचे दर्जे का अभिनेता, निर्देशक या स्क्रीन लेखक बनने की कामना की थी। मगर उसके सपने टूट गए। उसे ऑफिस ब्वॉय बनना पड़ा। परिणामस्वरूप वह निराश हो गया था। उसने अपना गुस्सा सुब्बु पर उतारा। वह सोचता था कि सुब्बु उसके कष्टों के लिए जिम्मेदार है।)
Question 6.
Who was Subbu’s principal? [H.B.S.E. March, 2017 (Set-C), 2018 (Set-B)] (सुब्बु का अफसर कौन था ?)
Answer:
Subbu was the No. 2 at the Gemini Studios. So he identified himself with Mr. Vasan, who his principal or The Boss. He turned his entire creativity to his principal’s advantage. (सुब्बु जैमिनी स्टूडियो में नम्बर दो पर था। इसलिए वह अपनी पहचान श्री वासन से करता था जोकि उसका बॉस था। वह अपनी सारी ऊर्जा बॉस के फायदे के लिए प्रयोग करता था।)
Question 7.
Subbu is described as a many-sided genius. List four of his special abilities. (सुब्बु का वर्णन एक बहुमुखी प्रतिभा के रूप में किया गया है। उसके चार विशेष गुण बताइए।)
Answer:
Subbu was a talented man. He was a many-sided genius. He was the director in films. He was a poet also. Thirdly, he was an amazing actor. He never got the lead roles, but he performed well in whatever role he got. Finally, he was a charitable man. He helped and fed a number of people. (सुब्बु एक योग्यवान व्यक्ति था। वह एक बहुमुखी प्रतिभाशाली था। वह फिल्मों में निर्देशक था। वह कवि भी था। तीसरे, वह एक अद्भुत अभिनेता भी था। उसे कभी मुख्य भूमिकाएँ नहीं मिली मगर उसे जो भी भूमिकाएँ मिलती थी उन्हें वह बहुत अच्छी तरह करता था। अंत में, वह एक दानशील व्यक्ति था। वह बहुत-से लोगों को भोजन खिलाता था और सहायता करता था।)
Question 8.
Why was the legal adviser referred to as the opposite by others? (कानूनी सलाहकार को सब लोग बिल्कुल विपरीत क्यों समझते थे ?)
Answer:
The legal adviser was a lawyer. He had been engaged to give advice to the company. But he seldom gave legal advice. He brought a sad end to the career of a heroine. He even made a film which flopped. So he was referred to as the opposite by the others. (कानूनी सलाहकार एक वकील था। उसे कम्पनी को सलाह देने के लिए काम पर लगाया गया था। मगर बहुत कम ही वह कभी कानूनी सलाह देता था। उसने एक अभिनेत्री के अभिनय जीवन का उदास अंत कर दिया। उसने एक फिल्म बनाई जो पिट गई। इसलिए उसे सब अपने पद का विपरीत व्यक्ति कहते थे।)
Question 9.
What made the lawyer stand out from the others at Gemini Studios? (जैमिनी स्टूडियो में वकील सबसे अलग क्यों नजर आता था ?)
Answer:
The other staff members of the Gemini Studios wore khadi uniforms. But the lawyer wore coat, pant and tie. His coat looked like a coat of mail. He looked alone and helpless. He was man of cold logic in a crowd of dreamers. So he stood out from the others at Gemini Studios. (जैमिनी स्टूडियो के अन्य विभाग के सदस्य खादी की वर्दी; मगर वकील कोट, पैन्ट और टाई पहनता था। उसका कोट एक कवच की तरह लगता था। वह अकेला और असहाय प्रतीत होता था। सपने लेने वालों की भीड़ में वह ठंडे तर्क वाला एक व्यक्ति था। इसलिए वह जैमिनी स्टूडियो के अन्य लोगों से अलग था।)
Question 10.
Did the people at Gemini Studios have any particular political affiliations ? [H.B.S.E. 2020 (Set-B)] (क्या जैमिनी स्टूडियो के लोगों का कोई विशेष राजनीतिक झुकाव था ?)
Answer:
The people at Gemini Studios had no particular political affiliations. Most of them worshipped Gandhi. But they did not take part in politics. They did not have the faintest appreciation of political thoughts. They were all averse to communism.
(जैमिनी स्टूडियो के लोगों के कोई विशेष राजनैतिक झुकाव नहीं थे। उनमें से अधिकतर गाँधी जी की पूजा करते थे। मगर राजनीति में भाग नहीं लेते थे। उनमें राजनैतिक विचार की जरा-सी भी समझ नहीं थी। वे सब साम्यवाद से नफरत करते थे।)
Question 11.
Why was the Moral Rearmament Army welcomed at the Studios ? (H.B.S.E. 2017 (Set-D)] (मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी का स्टूडियो में स्वागत क्यों किया गया ?)
Answer:
People at the Gemini Studios had natural aversion to communism. The Moral Rearmament Army (MRA) was a kind of counter movement to international communism. Therefore it was natural that the Moral Rearmament Army was welcomed at the Studios. (जैमिनी स्टूडियो के लोगों को साम्यवाद के लिए स्वाभाविक नफरत थी। मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी एक प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय साम्यवाद का विरोधी आन्दोलन था। इसलिए यह स्वाभाविक था कि मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी का जैमिनी स्टूडियो में स्वागत हुआ।)
Question 12.
Name one example to show that Gemini Studios was influenced by the plays staged by MRA. (यह दर्शाने के लिए एक उदाहरण दो कि MRA द्वारा खोले गए नाटकों द्वारा जैमिनी स्टूडियो प्रभावित हुआ था ।)
Answer:
The Moral Rearmament Army staged two plays. These were ‘Jotham Valley’ and ‘The Forgotten Factor. The plays were staged in a most professional way. These plays ran several shows in Madras. The Gemini family of six hundred saw the plays over and over again. They were highly impressed by the plays. The message was simple, but the sets and the costumes were first rate. (मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी ने दो नाटक खेले। इन नाटकों के नाम थे, ‘Jotham Valley’ और ‘The Forgotten Factor’ यह नाटक बड़े व्यवसायी तरीके से खेल गए। मद्रास में इनके कई शो हुए। जैमिनी परिवार के छह सौ लोगों ने इन नाटकों को बार-बार देखा। वे इन नाटकों से बहुत प्रभावित हुए। उनका सन्देश साधारण था। मगर मंच और वेशभूषा पहले दर्जे की थे।)
Question 13.
Who was The Boss of Gemini Studios ? [H.B.S.E. March, 2017, 2018 (Set-A)] (जैमिनी स्टूडियो का बॉस कौन था ?)
Answer:
Mr. Vasan was The Boss of the Gemini Studios. He was also the editor of the popular Tamil weekly ‘Ananda Vikatan’. He was a hard task master. If he was not satisfied, he could close down the whole department. The closure of the Story Department proves this fact. (श्री वासन जैमिनी स्टूडियो के बॉस थे। वे एक प्रसिद्ध तमिल साप्ताहिक “आनन्द विकातन” के सम्पादक भी थे। वह बहुत कठोर बॉस था। अगर वह सन्तुष्ट नहीं होता था तो वह पूरा विभाग भी बन्द कर सकता था। विभाग का बन्द होना इस तथ्य को साबित करता है।)
Question 14.
What caused the lack of communication between the Englishman and the people at Gemini Studios ? (अंग्रेज व्यक्ति और जैमिनी स्टूडियो के लोगों के बीच बातचीत में कमी का क्या कारण था?)
Answer:
An English poet once visited the Gemini Studios. His name was Stephen Spender. He addressed the staff of the Studios for one hour. No one in the audience know the subject of his talk. Moreover, his accent was peculiar. His way of speaking made it difficult for the simple Tamil people to understand him. Therefore, there was a lack of communication between him and the people at the Gemini Studios.
(एक बार एक अंग्रेज कवि जैमिनी स्टूडियो में आया। उसका नाम स्टीफन स्पैंडर था। उसने जैमिनी स्टूडियो के स्टॉफ को एक घन्टे तक सम्बोधित किया। श्रोताओं में से किसी को भी उसके भाषण के विषय के बारे में पता नहीं चला। इसके अलावा उसका उच्चारण अज़ीब था। उसके बोलने के तरीके ने सादे तमिल लोगों के लिए उसे समझना कठिन बना दिया। इस प्रकार उसमें और जैमिनी स्टूडियो के लोगों के बीच में सम्पर्क की कमी थी।)
Question 15.
Why is the Englishman’s visit referred to as unexplained mystery ? (अंग्रेज व्यक्ति के आगमन को अनसुलझा रहस्य क्यों बताया गया है ?)
Answer:
The people at the Gemini Studios made simple films for simple Tamils. They had no interest in English poetry. Moreover, the English poet spoke on a subject which no one could understand. They also looked perplexed. So, the Englishman’s visit to the Gemini Studios was an unexplained mystery.
(जैमिनी स्टूडियो के लोग सादे तमिलों के लिए सादी फिल्में बनाते थे। उनकी अंग्रेजी कविता में कोई रुचि नहीं थी। इसके अलावा अंग्रेज कवि ने ऐसे विषय पर भाषण दिया जिसे कोई नहीं समझता था। वे परेशान नज़र आए। इस प्रकार जैमिनी स्टूडियो में एक अंग्रेज कोव का आना एक अनसुलझा रहस्य था।)
Question 16.
Who was the English visitor to the studios ? (स्टूडियो में आया अंग्रेज मेहमान कौन था ?)
Answer:
The English visitor to the Gemini Studios was a poet named Stephen Spender. He was the editor of a magazine also. Once he used to be a follower of communism. But later he was disillusioned with it. He and some of his friends jointly wrote a book entitled ‘The God That Failed’ about the failure of communism. (जैमिनी स्टूडियो में आने वाला मेहमान स्टीफन स्पैंडर नाम का एक अंग्रेज कवि था। वह एक पत्रिका का संपादक भी था। कभी वह साम्यवाद का अनुयायी था। मगर बाद में उसका इससे मोह-भंग हो गया था। उसने और उसके कुछ मित्रों ने मिलकर साम्यवाद की असफलता के बारे में एक किताब लिखी जिसका नाम था, “भगवान जो असफल हो गया” ।)
Question 17.
How did the author discover who the English visitor to the studios was? (लेखक ने यह कैसे पता लगा लिया कि स्टूडियो में आया अंग्रेज मेहमान कौन था ?)
Answer:
The author was at the Gemini Studios when the English poet paid a visit. At that time he did not know his name. But years later, when he had left the Studios, he once visited the British Council Library. There he saw his name in the magazine ‘The Encounter’. Then the author recalled that it was Stephen Spender who had visited the Gemini Studios. (जब अंग्रेज कवि आया तो लेखक जैमिनी स्टूडियो में था। उस समय वह उसका नाम नहीं जानता था। मगर कई साल बाद, जब वह जैमिनी स्टूडियो को छोड़ चुका था, तो वह एक बार ब्रिटिश काउंसिल पुस्तकालय में आया। वहाँ पर उसने उसका नाम ‘एनकाउंटर’ नाम की एक पत्रिका में देखा। तब लेखक ने महसूस किया कि जो कवि जैमिनी स्टूडियो में आया था वह स्टीफन स्पैंडर था।)
Question 18.
What does ‘The God That Failed’ refer to? (‘भगवान जो असफल हो गया’ से क्या अभिप्राय है ?)
Answer:
The book “The God That Failed’ contains six essays written by six eminent men of letters. Stephen Spender, the poet who had visited the Gemini Studios, was one of them. They were all once attracted towards communism. But soon they were disillusioned with. The ‘God’ here is communism and the failure of the God means the failure of the communist ideology. (पुस्तक ‘भगवान जो असफल हो गया’ छह प्रसिद्ध विद्वानों द्वारा लिखे गए लेख हैं। स्टीफन स्पैंडर, जो जैमिनी स्टूडियो में आया था, उनमें से एक था। कभी वे सभी साम्यवाद की तरफ आकर्षित हुए थे। मगर शीघ्र ही उनका मोह-भंग हो गया था। यहाँ पर ‘भगवान’ साम्यवाद है और भगवान की असफलता का अर्थ है, साम्यवादी विचारधारा का असफल होना।)
Talking About The Text
Discuss in small groups taking off from points in the text.
Question 1.
Film-production today has come a long way from the early days of the Gemini Studios. (आज फिल्म निर्माण जैमिनी स्टूडियो के आरम्भ के दिनों से बहुत आगे आ गया है।)
Answer:
Film production in India started about a century ago. In the beginning there were silent films. About seventy five years ago, India’s first talking film ‘Alam Ara’ was made. Even then the film technology was not much advanced. There were no advanced studios. There was no technique for sound recording of songs after the shooting. So the singers had to sing at the time of shooting. That is why, there was the trend of signing stars, like K.L.Sehgal and Suraiya who could sing even while acting. The musicians had to hide or remain away from the camera focus so that the music could be recorded simultaneously.
But now with the advancement of technology and new discoveries, film production has come a long way from the early days of the Gemini Studios. Now we have a cinemascope screening. Previously, there were only black and white films. When the technique for colour shooting was adopted in India, the prints had to be got developed in foreign countries. But now all this has changed. Even the contents, songs and dances of the films have been changed keeping in view the tastes of people.
(भारत में फिल्म निर्माण लगभग एक शताब्दी पहले आरम्भ हुआ। आरम्भ में मूक फिल्में थी। लगभग पचहत्तर साल पहले भारत की पहली बोलती फिल्म, “आलमआरा” बनी। फिर भी फिल्म तकनीक अधिक विकसित नहीं थी। कोई विकसित स्टूडियो नहीं होते थे। शटिंग के बाद गीतों की रिकॉर्डिंग की कोई तकनीक नहीं थी। इसलिए गायकों को शटिंग के समय गीत गाने होते थे। इसलिए उस समय गायक-अभिनेताओं का युग था जैसेकि के. एल. सहगल और सुरैया, जो अभिनय करते समय गा सकते थे। संगीतकारों को छुपना पड़ता था या कैमरे के फोकस से दूर रहना पड़ता था ताकि साथ-साथ संगीत रिकॉर्ड हो सके।
मगर अब तकनीक में प्रगति और नई खोजों के कारण फिल्म निर्माण जैमिनी स्टूडियो के शुरूआती दिनों से बहुत आगे आ चुका है। अब हमारे पास सिनेमास्कोप स्क्रीनिंग होती है। पहले केवल ब्लैक और व्हाईट फिल्में होती थीं। जब भारत में रंगीन शूटिंग की तकनीक आई, तो छापों को विकसित करवाने के लिए विदेशों में भेजना पड़ता था। मगर अब यह सब बदल गया है। यहाँ तक कि फिल्मों के विषय, गीत और नृत्य लोगों की रुचियों के अनुसार बदल गए हैं।)
Question 2.
Poetry and films. (कविता और फिल्में।)
Answer:
Songs are an integral part of Indian cinema. Songs provide colour and spice to the story in our films. Most of the times, the popularity of the film depends on its songs. A number of Hindi film songs are still popular even after fifty years. That is why, the lyricist or the song writer has an important place in the Indian film industry. Thus, poetry plays an important part in our films. A number of eminent poets have given their services to the film industry. Poets like Indiver, Neeraj, Kaifi Azmi, Gulzar, Mazrooh Sultanpuri, Sahir Ludhianavi, etc. have written immortal songs for the Indian films. Although, these days, the serious songwriters are absent, yet poetry has not lost its charm for the filmmakers.
(गीत भारतीय सिनेमा का एक अभिन्न भाग हैं। गीत हमारी फिल्मों को रंग और चटपटापन प्रदान करते हैं। प्रायः फिल्मों की प्रसिद्धि इसके गीतों पर निर्भर करती है। हिन्दी फिल्मों के बहुत-से गीत पचास सालों के बाद भी आज तक प्रसिद्ध है। इसी लिए गीतकार का भारतीय फिल्म उद्योग में महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस प्रकार कविता हमारी फिल्मों में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। बहुत-से प्रसिद्ध कवियों ने फिल्म उद्योग को अपनी सेवाएँ अर्पित की हैं। इन्दीवर, नीरज, कैफी आज़मी, गुलज़ार, मजरूह सुल्तानपुरी, साहिर लुधियानवी जैसे कवियों ने भारतीय फिल्मों के लिए अमर गीत लिखे हैं। बेशक गम्भीर गीतकार नदारद है, फिर भी कविता ने फिल्म निर्माताओं के लिए अपना आकर्षण नहीं खोया है।)
Question 3.
Humour and criticism. (हास्य और आलोचना।)
Answer:
Humour is the spice of life. It adds charm to a story. Humour has played its role in Hindi films also. A number of comedians have become immortal. Comedians like Johnny Walker, Mehmood, Mukri, Dhumal, Polson, Om Prakash, Sunder, etc. enlivened our films. There was a time when no film-maker could dream of making films without comedians. Humour in a film provided relief to the audience after a serious scene. We find criticism also in films. Many filmmakers were dedicated artists and they took up social causes in their films. Film-makers like Satyajit Ray, Bimal Roy, Govind Nihalani, B.R.Chopra, Ramanand Sagar, etc. made films which were a criticism of the evils found in society. They took up the causes like the plight of the farmers, the atrocities of the landlords, dowry system, corruption in the police, etc.
(हास्य जीवन का मसाला है, हास्य ने भारतीय फिल्मों में अपनी भूमिका निभाई है। बहुत-से हास्य कलाकार अमर हो गए हैं। जॉनी वाकर, महमूद, मुकरि, धूमल, पोल्सन, ओम प्रकाश, सुन्दर आदि हास्य कलाकारों ने हमारी फिल्मों को सजीवता प्रदान की है। एक समय था जब कोई भी फिल्म-निर्माता हास्य कलाकारों के बिना फिल्म बनाने की सोच भी नहीं सकता था। फिल्म में हास्य, दर्शकों को किसी गम्भीर दृश्य के बाद राहत प्रदान करता है। हमें फिल्मों में आलोचना भी मिलती है। बहुत-से फिल्म-निर्माता समर्पित कलाकार थे और उन्होंने अपनी फिल्मों में सामाजिक समस्याओं को उठाया। सत्यजीत रे, बिमल रॉय, गोविन्द निहलानी, बी.आर. चोपड़ा, रामानंद सागर आदि फिल्म-निर्माताओं ने ऐसी फिल्में बनाई जो समाज में फैली बुराईयों की आलोचना थी। उन्होंने किसानों के अत्याचार, दहेज प्रथा, पुलिस में भ्रष्टाचार आदि विषयों को उठाया।)
Noticing Transitions
This piece is an example of a chatty, rambling style. One thought leads to another which is then dwelt upon at length.
Read the text again and mark the transitions from one idea to another. The first one is indicated below.
Make-up department
Office-boy
Subbu Ans. Make-up department → Office-boy – → Subbu Hierarchy in the make-up department Office-boy → The narrator The narrator Office-boy- → Subbu The Legal adviser of the Story Department — →Subbu — The Boss The Gemini Studios — Moral Re-Armament Army → Communism The Gemini Studios — Gandhiji ——-Communists The Boss Mr. Vasan → Stephen Spender -→ ‘The God that Failed’
Writing
You must have met some interesting characters in your neighborhood or among your relatives. Write a humourous piece about their idiosyncrasies. Try to adopt the author’s rambling style, if you can.
Answer:
For self-attempt, with the help of the teacher.
HBSE 12th Class English Poets and Pancakes Important Questions and Answers
Short Answer Type Questions
Answer the following questions in about 20-25 words :
Question 1.
What does the writer tell us about the make-up room of the Gemini Studios? (लेखक हमें जैमिनी स्टूडियो के मेकअप रूम के बारे में क्या बताता है ?) [H.B.S.E. March, 2020 (Set-A)]
Answer:
In the beginning of the essay, the writer describes the make-up department of the Gemini Studios. This department was in the upstairs of a building. It was believed that this building was once Robert Clive’s stables. The department had the look of a hair-cutting salon. There were incandescent lights at all angles around half a dozen large mirrors.
(लेख के आरम्भ में लेखक जैमिनी स्टूडियो के मेकअप विभाग का वर्णन करता है। वह विभाग इमारत की ऊपरी मंजिल में था। ऐसा माना जाता था कि यह इमारत कभी रॉबर्ट क्लाइव का तबेला हुआ करती थी। मेकअप विभाग देखने में बाल काटने का सैलून लगता था। वहाँ आधा दर्जन बड़े शीशों के गिर्द तेज चमक वाली रोशनियाँ थीं।)
Question 2.
What was pancake? What was the effect of pancake on the faces of actors? (पैनकेक क्या था ? कलाकारों के चेहरे पर पैनकेक का क्या प्रभाव था ?) Or What was pancake and what was it used for ? [H.B.S.E. 2020 (Set-D)] (पैनकेक क्या था और इसका प्रयोग किस लिए किया जाता था?)
Answer:
The pancake was the brand name of the make-up material that the Gemini Studios bought in truck loads. Pancake and the other locally made material were used in the make-up. Heavy make-up was used for the actors. The writer comments that the make-up men could turn any decent-looking person into an ugly-looking, crimson-coloured monster.
(पैनकेक मेकअप के उस सामान का ब्रॉन्ड नाम था जिसे जैमिनी स्टूडियो ट्रक-भरकर खरीदता था। मेकअप करने में पैनकेक और अन्य स्थानीय रूप से निर्मित पदार्थ का प्रयोग होता था। अभिनेताओं पर भारी मेकअप किया जाता था। लेखक कहता है कि मेकअप करने वाले व्यक्ति किसी भी अच्छे दिखने वाले व्यक्ति को भद्दा दिखने वाला और लाल रंग वाला राक्षस बना देते थे।)
Question 3.
Who did the make-up of the different actors? (विभिन्न कलाकारों का मेकअप कौन करते थे ?)
Answer:
There was a strict hierarchy in the make-up department. The chief make-up man made the chief actors and actresses ‘ugly’. His senior assistant did the make-up of the second hero and heroine. The junior assistant handled the main comedian. The players who played the crowd were the responsibility of the office boy.
(मेकअप विभाग में कठोर श्रेणी-तन्त्र होता था। मुख्य मेकअप मैन मुख्य नायकों और नायिकाओं को “भद्दा” बनाता था। उसका सीनियर सहायक दूसरे दर्जे के नायक और नायिका का मेकअप करता था। जूनियर सहायक आमतौर पर हास्य कलाकार का मेकअप करता था। वे जूनियर कलाकार जो भीड़ में भाग लेते थे वे ऑफिस ब्वॉय की जिम्मेदारी होते थे।)
Question 4.
What does the writer tell us about the office-boy? (लेखक हमें ऑफिस ब्वॉय के बारे में क्या बताता है ?)
Answer:
The office boy was not exactly a boy. He was in his early forties. He had entered the studios years ago with dreams in his eyes. He had dreamed of becoming a star actor or a top screenwriter, director, or lyrics writer. He was a bit of a poet also.
(ऑफिस ब्वॉय वास्तव में कोई लड़का नहीं था। वह शुरू से चालीस की आयु में था। वह स्टूडियो में कई साल पहले अपनी आँखों में सपने लेकर आया था। वह मुख्य अभिनेता, ऊँचे दर्जे का स्क्रीन लेखक, निर्देशक या गीतकार बनने का सपना लेकर आया था। वह कुछ अंश तक कवि भी था।)।
Question 5.
Why was the writer fed up with the office-boy? (लेखक ऑफिस ब्वॉय से तंग क्यों आ गया था ?)
Answer:
The office boy would often come to the writer’s cubicle and tell him how his literary talent was being wasted in the make-up department. He thought that the department was fit only for barbers and perverts. He insisted on reading out his poems to the author. So the writer was often fed up with him.
(ऑफिस ब्वॉय अक्सर लेखक के क्यूबिकल में आता था और उसको बताता था कि किस प्रकार उसकी साहित्यिक प्रतिभा मेकअप विभाग में नष्ट हो रही थी। वह सोचता था कि मेकअप विभाग तो केवल नाइयों और उल्टे लोगों के काबिल है। वह आग्रह करता था कि वह लेखक को अपनी कविताएँ सुनाए। लेखक अक्सर उससे तंग आ जाता था।)
Question 6.
Describe the times when Subbu joined the Gemini Studios. (उस समय का वर्णन करो जब सुब्बु जैमिनी स्टूडियो में आया था।)
Answer:
Subbu had entered the studios in more uncertain and difficult times. Then there were no firmly established film-producing companies or studios. In education also, he was not more formally educated than the office boy. But being a Brahmin, he had exposure to more affluent situations and people.
(सुब्बु स्टूडियो में अधिक अनिश्चित और कठिन समय में आया था। उस समय कोई स्थिर फिल्म कम्पनियाँ या स्टूडियो नहीं हुआ करते थे। शिक्षा के मामले में भी वह औपचारिक रूप से ऑफिस ब्वॉय से अधिक शिक्षित नहीं था। मगर ब्राह्मण होने के कारण वह अधिक समृद्ध अवस्थाओं और लोगों के सम्पर्क में आ चुका था।)
Question 7.
How did Subbu help The Boss? (सुब्बु बॉस की सहायता किस प्रकार करता था ?)
Answer:
Subbu had the ability to look cheerful at all time, even after having a hand in a flop film. He could never do things on his own, but his sense of loyalty made him identify himself with The Boss. He uses all his energy and creativity for the advantage of The Boss.
(सुब्बु में यह क्षमता थी कि वह हर समय प्रसन्न नज़र आता था, यहाँ तक कि किसी पिटी हुई फिल्म में अपना हाथ होने के बावजूद भी। वह कभी कोई काम अपने आप नहीं कर सकता था मगर उसकी वफादारी की भावना ने उसके बॉस के साथ उसकी पहचान बना दी। वह अपनी ऊर्जा और रचनात्मकता को बॉस के फायदे के लिए प्रयोग करता था।)
Question 8.
Why does the writer say that Subbu was tailor-made for films? . (लेखक यह क्यों कहता है कि सुब्बु फिल्मों के लिए ही बना था ?)
Answer:
The writer says that Subbu was tailor-made for films. Whenever the producer told him about any problem, he would come out with a solution. If the producer was not satisfied, he would suggest fourteen more alternatives. Film-making seemed easy with a man like Subbu around. It was Subbu who gave direction and definition to Gemini Studios during its golden years.
(लेखक कहता है कि सुब्बु फिल्मों के लिए ही बना हुआ प्रतीत होता था। जब भी निर्माता उसे किसी समस्या के बारे में बताता था तो वह फौरन कोई-न-कोई समाधान बता देता था। अगर निर्माता सन्तुष्ट नहीं होता तो वह चौदह विकल्प बता देता था। जब सुब्बु जैसा व्यक्ति आस-पास होता था तो फिल्म बनाना आसान काम प्रतीत होता था। वह सुब्बु ही था जिसने जैमिनी स्टूडियो को इसके स्वर्णिम दिनों में इसे दिशा-निर्देश और परिभाषा प्रदान की।)
Question 9.
What does the writer say about the literary talent of Subbu? (लेखक सुब्बु की साहित्यिक प्रतिभा के बारे में क्या कहता है?)
Answer:
The writer says that Subbu was a poet also and he chose to write for the masses. His success in films overshadowed his literary achievements. He composed several original story poems in folk-song style. He wrote a novel ‘Thillana Mohanambal’.
(लेखक कहता है कि सुब्बु कवि भी था और उसने आम जनता के लिए लिखने का फैसला किया था। फिल्मों में उसकी सफलता ने उसकी साहित्यिक प्रतिभा को छुपा दिया था। उसने लोकगीत शैली में कई मौलिक गाथागीत लिखे थे। उसने एक उपन्यास “थल्लाना मोहनाम्बल” लिखा था।)
Question 10.
What good qualities of Subbu does the writer refer to? (लेखक सुब्बु के किन अच्छे गुणों का जिक्र करता है ?)
Answer:
He was a good actor. He never aspired to the lead roles. He played secondary roles in films but performed better than the main actors. Subbu had a genuine love for anyone he came across. He used to feed and support many persons. But even he had enemies. Perhaps it was because he seemed so close and intimate with The Boss.
(वह एक अच्छा अभिनेता था। उसने कभी बड़ी भूमिकाओं की कामना नहीं की थी। वह फिल्मों में दूसरे स्थान की भूमिकाएँ निभाता था मगर वह मुख्य अभिनेताओं से अधिक अच्छा अभिनय करता था। जिससे वह मिलता था उससे सुब्बु को सच्चा स्नेह होता था। वह बहुत-से लोगों को भोजन खिलाता था और सहारा देता था। फिर भी उसके दुश्मन थे। शायद ऐसा इसलिए था कि वह बॉस के नज़दीक और घनिष्ठ प्रतीत होता था।)
Question 11.
How did the lawyer put an end to the career of an actress? (वकील ने एक अभिनेत्री के कार्य जीवन का अन्त कैसे कर दिया?)
Answer:
Once a talented but moody actress burst out on the sets. Everyone looked stunned. The lawyer quietly switched on the recording equipment. When the actress relaxed for sometime, the lawyer played back the recording. The actress was shocked to hear her own voice. She never quite recovered form the shock and that was the end of her acting career.
(एक बार एक बहुत प्रतिभाशाली मगर तुनक मिजाज अभिनेत्री मंच पर गुस्से में फूट पड़ी। हर व्यक्ति स्तब्ध रह गया। वकील ने चुपके से रिकॉर्डिंग उपकरण को चालू कर दिया। अभिनेत्री अपनी खुद की आवाज सुनकर अचम्भित हो गई। वह इस सदमे से कभी पूरी तरह नहीं उबरी और वह उसके अभिनय जीवन का अंत था।)
Question 12.
How did the lawyer lose his job? (वकील की नौकरी किस प्रकार चली गई ?)
Answer:
Once the lawyer tried his hand at film-making. But unfortunately, the film made by him had flopped. Then The Boss closed down the story department and the lawyer lost his job.
(एक बार वकील ने एक फिल्म बनाई थी। मगर दुर्भाग्यवश वह फिल्म पिट गई थी। फिर बॉस ने कहानी विभाग बन्द कर दिया और वकील की नौकरी चली गई।)
Question 13.
Name some of the poets who visited Gemini Studio. [B.S.E.H. 2020 (Set-A)] (कुछ कवियों के नाम बताइए जो जैमिनी स्टूडियों में आया करते थे।)
Answer:
Gemini Studio was the favorite haunt of various poets. Poets like S.D.S. Yogiar, Sangu Subramanyam, Krishna Sastry, and Harindranath Chattopadhyaya used to come to the Studios. The studios radiated leisure which is the first requirement for poetry.
(जैमिनी स्टूडियो कई कवियों का मनपसंद स्थान था। एस. डी. एस. योगियार, संगु सुब्रामानयम, कृष्णा शास्त्री और हरिन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय जैसे कवि स्टूडियो में आया करते थे। स्टूडियो में आराम नज़र आता था जो कवि की पहली ज़रूरत है।)
Question 14.
What was a notion about ‘A communist’ at that time? (उस समय में ‘एक कम्युनिस्ट’ के बारे में क्या अवधारणा थी?)
Answer:
The men at the Studios had a natural dislike for Communism. They thought that the Communists were godless people. They had no love for wives and children. They were ready to spread unrest and violence.
(स्टूडियो के लोगों को साम्यवाद के लिए स्वाभाविक नफ़रत थी। वे सोचते थे कि साम्यवादी लोग नास्तिक होते हैं उनमें पत्नियों और बच्चों के लिए प्यार नहीं होता। वे अशान्ति और हिंसा फैलाने के लिए तैयार रहते थे।)
Question 15.
What does the writer say about The Boss’s speech in honour of the English poet? (अंग्रेज कवि के सम्मान में दिए गए बॉस के भाषण के बारे में लेखक क्या कहता है ?)
Answer:
A few months later, there was the news that an English poet was visiting the Gemini Studios. The poet arrived around four in the afternoon. He was a tall man, very English and very serious. The Boss read a long speech. He did not know much about the English poet. The speech was all in the most general terms.
(कुछ महीनों के बाद खबर आई कि एक अंग्रेज कवि जैमिनी स्टूडियो में आ रहा है। कवि दोपहर के बाद लगभग चार बजे आया। वह एक लम्बा व्यक्ति था, जो पूरी तरह अंग्रेज लगता था और बहुत गम्भीर था। बॉस ने एक लम्बा भाषण पढ़ा। वह अंग्रेजी कवि के बारे में अधिक नहीं जानता था। भाषण आम बातों के बारे में था।)
Question 16.
Why did the author get a copy of ‘The Encounter’ from the British Library? (लेखक ने “द एनकाउन्टर” की एक प्रति ब्रिटिश पुस्तकालय से क्यों ली ?)
Answer:
The Hindu, a daily from Madras, published a small announcement that a short story contest was being organized by a British magazine named ‘The Encounter’. The author wanted to know about the periodical before sending his story. He got a copy of “The Encounter’ from the British Library.
(मद्रास के एक दैनिक “द हिन्दू” ने एक छोटी-सी घोषणा प्रकाशित की कि “द एनकाउंटर” नाम की एक ब्रिटिश पत्रिका एक लघुकथा प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। लेखक अपनी कहानी भेजने से पहले पत्रिका के बारे में जानना चाहता था। उसने ब्रिटिश पुस्तकालय से “द एनकाउंटर” की एक प्रति ली।)
Long Answer Type Questions
Answer the following questions in about 80 words
Question 1.
Give a brief description of the make-up room of the Gemini Studios. (जैमिनी स्टूडियो के मेकअप रूम का संक्षिप्त वर्णन करो।)
Answer:
In the beginning of the essay, the writer describes the make-up department of the Gemini Studios. This department was in the upstairs of a building. It was believed that this building was once Robert Clive’s stables. The department had the look of a hair-cutting salon. There were incandescent lights at all angles around half a dozen large mirrors. These lights were glowing with heat. So those who were subjected to make-up had to suffer a lot of hardship. The make-up department was first headed by a Bengali. He was succeeded by a Maharashtrian. He was assisted by men from Dharwad, Andhra Pradesh, Burma, and the usual local Tamils. Thus, the make-up department was an example of national integration.
(लेख के आरम्भ में लेखक जैमिनी स्टूडियो के मेकअप विभाग का वर्णन करता है। वह विभाग इमारत की ऊपरी मंजिल में था। ऐसा माना जाता था कि यह इमारत कभी रॉबर्ट क्लाइव का तबेला हुआ करती थी। मेकअप विभाग बाल काटने का सैलून लगता था। वहाँ आधा दर्जन बड़े शीशों के गिर्द तेज चमक वाली रोशनियाँ थी। ये रोशनियाँ गर्मी से चमक रही होती थीं इसलिए जिन लोगों का वहाँ पर मेकअप होता था उन्हें बहुत कष्ट से गुजरना पड़ता था। मेकअप विभाग का मुखिया पहले एक बंगाली होता था। उसके बाद महाराष्ट्र का एक व्यक्ति आया। उसकी सहायता धारवाड़, आन्ध्र प्रदेश, बर्मा और स्थानीय तमिल लोग करते थे। इस प्रकार मेकअप विभाग राष्ट्रीय एकता का उदाहरण था।)
Question 2.
How was the make-up of different actors done by the people of the make-up department? (मेकअप विभाग के लोगों द्वारा विभिन्न कलाकारों का मेकअप किस प्रकार किया जाता था ?)
Answer:
The pancake was the brand name of the make-up material that the Gemini Studios bought in truckloads. Pancake and the other locally made material were used in the make-up. Heavy make-up was used for the actors. The writer comments that the make-up men could turn any decent-looking person into an ugly-looking, crimson-colored monster. Those were the days of mainly indoor shooting. Only five percent of the film was shots outdoors. There was a strict hierarchy in the make-up department. The chief make-up man made the chief actors and actresses ‘ugly’. His senior assistant did the make-up of the second hero and heroine. The junior assistant handled the main comedian. The players who played the crowd were the responsibility of the office boy.
(पैनकेक मेकअप के उस सामान का ब्रॉन्ड नाम था जिसे जैमिनी स्टूडियो ट्रक भरकर खरीदता था। मेकअप करने में पैन केक और अन्य स्थानीय रूप से निर्मित पदार्थ का प्रयोग होता था। अभिनेताओं पर भारी मेकअप किया जाता था। लेखक कहता कि मेकअप करने वाले व्यक्ति किसी भी अच्छे दिखने वाले व्यक्ति को भद्दा दिखने वाला और लाल रंग वाला राक्षस बना देते थे। वे आम तौर पर इनडोर शूटिंग के दिन होते थे। केवल पाँच प्रतिशत शूटिंग बाहर होती थी। मेकअप विभाग में कठोर श्रेणी-तन्त्र होता था। मुख्य मेकअप मैन मुख्य नायकों और नायिकाओं को ‘भद्दा’ बनाता था। उसका वरिष्ठ सहायक दूसरे दर्जे के नायक और नायिका का मेकअप करता था। कनिष्ठ सहायक आमतौर पर हास्य कलाकार का मेकअप करता था। वे कनिष्ठ कलाकार जो भीड़ में भाग लेते थे वे ऑफिस ब्वॉय की जिम्मेदारी होते थे।)
Question 3.
Who was the office-boy? Why was the writer fed up with him? (ऑफिस बॉय कौन था ? लेखक उससे तंग क्यों आ गया था ?)
Answer:
The office boy was not exactly a boy. He was in his early forties. He had entered the studios years ago with dreams in his eyes. He had dreamed of becoming a star actor, or a top screenwriter, director or lyrics writer. He was a bit of a poet also. In those days the writer worked in a cubicle. He was always seen sitting at his table tearing newspapers day in and day out. Therefore, many people in the studios thought that he had no work.
The office boy would often come to the writer’s cubicle and tell him how his literary talent was being wasted in the make-up department. He thought that the department was fit only for barbers and perverts. He insisted on reading out his poems to the author. The writer was often fed up with him. So he prayed for crowd shooting all time. Then the office boy would be busy doing their make-up and the author could be spared from listening to his epics.
(ऑफिस ब्वॉय वास्तव में लड़का नहीं होता था। वह शुरू के चालीस की उम्र में होता था। वह स्टूडियो में कई साल पहले अपनी आँखों में सपने लेकर आया था। वह मुख्य अभिनेता, ऊँचे दर्जे का स्क्रीन लेखक, निर्देशक या गीतकार बनने का सपना लेकर आया था। वह कुछ अंश तक कवि भी था। उन दिनों में लेखक एक क्यूबिकल (छोटा कमरा) में काम करता था। उसे दिन-रात अपने मेज पर बैठे हुए अखबार फाड़ते हुए देखा जा सकता था।
इसलिए विभाग के कई लोग सोचते थे कि उसके पास कोई काम नहीं था। ऑफिस ब्वॉय अक्सर लेखक के क्यूबिकल में आता था और उसको बताता था कि किस प्रकार उसकी साहित्यिक प्रतिभा मेकअप विभाग में नष्ट हो रही थी। वह सोचता था कि मेकअप विभाग तो केवल नाइयों और विपरीत लोगों के काबिल है। वह आग्रह करता था कि वह लेखक को अपनी कविताएँ सुनाए। लेखक अक्सर उससे तंग आ जाता था। इसलिए वह प्रार्थना करता था कि सदा भीड़ वाली शूटिंग होती रहे। तब ऑफिस ब्वॉय सदा मेकअप और लेखक उसकी लम्बी कविताएँ सुनने से बच जाएगा।)
Question 4.
Write a brief character sketch of Subbu. [H.B.S.E. 2017 (Set-B)] (सुब्बु का संक्षिप्त चरित्र-चित्रण करो।) Kothamangalam Subbu, “a compassionate man, was tailor-made for films”. Elaborate. (कोथमंगलम सुब्बु “एक दयालु आदमी था, वह विशेष रूप से फिल्मों के लिए बनाया गया था।” वर्णन करो।)
Answer:
Subbu had entered the studios in more uncertain and difficult times. Then there were no firmly established film-producing companies or studios. Subbu had the ability to look cheerful at all time, even after
Or
having a hand in a flop film. He could never do things on his own, but his senses of loyalty made him identify himself with the ‘Boss’. He uses all his energy and creativity for the advantage of the boss. He was tailor-made for films. Whenever the producer told him about any problem, he would come out with a solution. If the producer was not satisfied he would suggest fourteen more alternatives. Film-making seemed easy with a man like Subbu around. It was Subbu who gave direction and definition to Gemini Studios during its golden years. He was a poet also and he chose to write for the masses.
His success in films overshadowed his literary achievements. He composed several original story poems in folk-song style. He wrote a novel “Thillana Mohanambal’. He was a good actor. He never aspired to the lead roles. He played secondary roles in films but performed better than the main actors. Subbu had a genuine love for anyone he came across. He used to feed and support many persons. But even then he had enemies. Perhaps it was because he seemed so close and intimate with the Boss.
(सुब्बु स्टूडियो में अधिक अनिश्चित और कठिन समय में आया था। उस समय कोई स्थिर फिल्म कम्पनियाँ या स्टूडियो नहीं हुआ करते थे। सुब्बु में यह क्षमता थी कि वह हर समय प्रसन्न नज़र आता था, यहाँ तक कि किसी पिटी हुई फिल्म में अपना हाथ होने के बावजूद भी। वह कभी कोई काम अपने आप नहीं कर सकता था मगर उसकी वफादारी की भावना ने उसकी बॉस के साथ उसके पहचान बना दी। वह अपनी ऊर्जा और रचनात्मकता को बॉस के फायदे के लिए प्रयोग करता था। वह तो फिल्मों के लिए ही बना हुआ प्रतीत होता था। जब भी निर्माता उसे किसी समस्या के बारे में बताता था तो वह फौरन कोई-न-कोई समाधान बता देता था। अगर निर्माता सन्तुष्ट नहीं होता तो वह चौदह विकल्प बता देता था। जब सुब्बु जैसा व्यक्ति आस-पास होता था तो फिल्म बनाना आसान काम प्रतीत होता था। वह सुब्बु ही था जिसने जैमिनी स्टूडियो को इसके स्वर्णिम दिनों में इसे दिशा-निर्देश और परिभाषा प्रदान की। वह कवि भी था और उसने आम जनता के लिए लिखने का फैसला किया था।
फिल्मों में उसकी सफलता ने उसकी साहित्यिक प्रतिभा को छुपा दिया था। उसने लोकगीत शैली में कई मौलिक गाथागीत लिखे थे। उसने एक उपन्यास “थिल्लाना मोहनम्बल’ लिखा था। वह एक अच्छा अभिनेता था। उसने कभी बड़ी भूमिकाओं की कामना नहीं की थी। वह फिल्मों में दूसरे स्थान की भूमिकाएं निभाता था मगर वह मुख्य अभिनेताओं से अधिक अच्छा अभिनय करता था। जिससे वह मिलता था उससे सुब्बु को सच्चा स्नेह होता था। वह बहुत-से लोगों को भोजन खिलाता था। फिर भी उसके दुश्मन थे शायद ऐसा इसलिए था कि वह बॉस के नज़दीक और घनिष्ठ प्रतीत होता था।)
Question 5.
Write a note on the lawyer of the story department. (कहानी विभाग के वकील पर एक नोट लिखो।)
Answer:
The story department of the Gemini Studios was very important. This department comprised a lawyer and a group of writers and poets. The lawyer was officially known as legal adviser, but everybody referred to him as the opposite. Once an extremely talented but moody actress burst out on the sets. Everyone looked stunned. The lawyer quietly switched on the recording equipment. When the actress relaxed for sometime, the lawyer played back the recording.
The actress was shocked to hear her own voice. She never quite recovered form the shock and that was the end of her acting career. Everyone in the department wore a khadi uniform. But the legal adviser wore pants, a tie and a coat. He was a man of cold logic in a crowd of dreams. He also once made a film which flopped. Then The Boss closed down the story department and the lawyer lost his job.
(जैमिनी स्टूडियोज़ का कहानी विभाग बहुत महत्त्वपूर्ण था। इस विभाग में एक वकील, लेखकों और कवियों का एक समूह शामिल था। वकील को सरकारी रूप से कानूनी सलाहकार कहा जाता था मगर हर व्यक्ति उसे इसके विपरीत सम्बोधित करता था। एक बार एक बहुत प्रतिभाशाली मगर तुनक मिजाज अभिनेत्री मंच पर गुस्से में फूट पड़ी। हर व्यक्ति स्तब्ध रह गया। वकील ने चुपके से रिकॉर्डिंग उपकरण चालू कर दिया।
जब अभिनेत्री कुछ देर के लिए चुप हुई तो वकील ने रिकॉर्डिंग को बजा दिया। अभिनेत्री अपनी खुद की आवाज सुनकर अचम्भित हो गई। वह उस सदमें से कभी पूरी तरह नहीं उबरी और वह उसके अभिनय जीवन का अंत था। विभाग में हर व्यक्ति खाकी वर्दी पहनता था। मगर कानूनी सलाहकार पैन्ट, टाई और कोट पहनता था। सपने लेने वालों की भीड़ में वह एक ठण्डे तर्क वाला व्यक्ति था। उसने भी एक बार एक फिल्म बनाई थी जो पिट गई थी। फिर बॉस ने कहानी विभाग बन्द कर दिया और वकील की नौकरी चली गई।)
Question 6.
Write a note on the literary and political inclinations of the men of the Gemini Studios. (जैमिनी स्टूडियो के लोगों के साहित्यिक एवं राजनीतिक झुकावों के बारे में एक नोट लिखो।)
Answer:
Gemini Studio was the favourite haunt of various poets. Poets like S.D.S. Yogiar, Sangu Subramanyam, Krishna Sastry and Harindranath Chattopadhyaya used to come to the Studios. It had an excellent mess which supplied good coffee at all times of the day and for the most part of the night. The studios radiated leisure which is the first requirement for poetry. Most of them wore khadi and worshipped Gandhi, but beyond that they had not the vague appreciation for political thought of any kind.
The men at the studios had a natural dislike for Communism. They thought that the Communists were godless people. They had no love for wives and children. They were ready to spread unrest and violence. When Frank Buchman’s Moral Re-Armament Army of two hundred people visited Madras in 1952, the Gemini Studios played the host. The MRA was a kind of counter-movement to international communism. They couldn’t find a better host in India than the Gemini Studios.
(जैमिनी स्टूडियो कई कवियों का मनपसंद स्थान था। एस. डी. एस. योगियार, संगु सुब्रामानयम, कृष्णा शास्त्री और हरिन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय जैसे कवि स्टूडियो में आया करते थे। इसकी मेस बहुत शानदार थी जो सारा दिन और रात के अधिकतर भाग में भी शानदार कॉफी प्रदान करती थी। स्टूडियो में आराम नज़र आता था जो कि कविता की पहली ज़रूरत है। अधिकतर लोग खादी पहनते थे और गाँधी जी की पूजा करते थे। मगर इससे बढ़कर किसी प्रकार के भी राजनैतिक विचार का कुछ भी पता नहीं था। स्टूडियो के लोगों को साम्यवाद के लिए स्वाभाविक नफरत थी।
वे सोचते थे कि साम्यवादी लोग नास्तिक लोग होते हैं। उनमें पत्नियों और बच्चों के लिए प्यार नहीं होता। वे अशान्ति और हिंसा फैलाने के लिए तैयार रहते हैं। जब फ्रैन्क बुचमैन की दो सौ लोगों की मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी 1952 में मद्रास आई तो जैमिनी स्टूडियो ने उनकी यजमानी की। एम. आर. ए. एक प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय साम्यवाद का विरोधी आन्दोलन था। उन्हें भारत में जैमिनी स्टूडियो से बेहतर यजमान नहीं मिल सकता था।)
Question 7.
Describe the visit of the English poet to the Gemini Studios. What did the author later find out about him? (जैमिनी स्टूडियो में अंग्रेज कवि के आगमन का वर्णन करो। बाद में लेखक ने उसके बारे में क्या पता लगाया ?)
Answer:
Once an English poet visited the Gemini Studios. He arrived around four in the afternoon. He was a tall man, very English and very serious. The Boss read a long speech. He did not know much about the lish poet. The speech was all in the most general terms. Then the poet spoke. He spoke in such an accent that none among the audience could understand him. He left after speaking for one hour. The audience also dispersed in utter bafflement. They wondered what an English poet was doing in a film studio, which made Tamil films.
One day, The Hindu, a daily from Madras, published a small announcement that a short story contest was being organized by a British magazine named ‘The Encounter’. The author wanted to know about the periodical before sending his story. He got a copy of ‘The Encounter’ from the British Library. When he read the name of the poet, he recalled that it was the same poet who had visited the Gemini Studios. He was Stephen Spender. Years later, one day, the writer got a book called ‘The God that Failed.
It had six essays written by six famous writers. They described their joining communism and their disillusionment with it. These writers were: Andre Gide, Richard Wright, Ignazio Silone, Arthur Koestler, Louis Fischer and Stephen Spender. Now everything became clear to the author. The Boss of the Gemini Studios may not have much to do with Spender’s poetry. But he had definitely nothing to do with Communism – The God That Failed.
(एक दिन एक अंग्रेज कवि जैमिनी स्टूडियो में आया। वह दोपहर के बाद लगभग चार बजे आया। वह एक लम्बा व्यक्ति था, पूरी तरह अंग्रेज और बहुत गम्भीर था। बॉस ने एक लम्बा भाषण पढ़ा। वह अंग्रेजी कवि के बारे में अधिक नहीं जानता था। भाषण आम बातों के बारे में था। फिर कवि बोला। उसने ऐसे लहजे में बात की कि उसके श्रोताओं में से कोई भी उसकी बात को नहीं समझ पाया। वह एक घन्टा बोलने के बाद चला गया।
श्रोता भी पूरी तरह हैरानी से चले गए। वे हैरान हो रहे थे कि एक ऐसे फिल्म स्टूडियो जो तमिल फिल्में बनाता है, में एक अंग्रेज कवि क्या कर रहा था। एक दिन मद्रास के एक दैनिक पत्र “द हिन्दू” ने एक छोटी-सी घोषणा प्रकाशित की कि “द एनकाउंटर” नाम की एक ब्रिटिश पत्रिका एक लघुकथा प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। लेखक अपनी कहानी भेजने से पहले पत्रिका के बारे में जानना चाहता था।
उसने ब्रिटिश पुस्तकालय से “द एकाउन्टर” की एक प्रति ली। जब उसने कवि का नाम पढ़ा तो उसे याद आया कि यह वही कवि था जो जैमिनी स्टूडियो में आया था। वह स्टीफन स्पैंडर था। कई साल बाद जब लेखक जैमिनी स्टूडियो के स्टॉफ में नहीं था, तो वह आम तौर पर कम कीमत पर किताबें खरीदता था। एक दिन उसे एक किताब मिली जिसका नाम था ‘द गॉड दैट फेल्ड’ । इसमें छह प्रसिद्ध लेखकों के छह प्रसिद्ध लेख थे। उन्होंने अपने साम्यवाद में जाने और उससे अपने भ्रम टूटने के बारे में लिखा था। ये लेखक थे, ऐन्ड्रे गाइड, रिचर्ड राइट, इगनैज़िओ सिलोन, ऑर्थर कोइस्लर, लुईस फिशर और स्टीफन स्पैंडर। अब लेखक के लिए हर बात साफ हो गई। जैमिनी स्टूडियो के बॉस का शायद स्पैंडर की कविता से अधिक कुछ लेना देना नहीं था। मगर उसका वास्ता साम्यवाद-“भगवान जो असफल हो गया”-से अवश्य था।)
Poets and Pancakes MCQ Questions with Answers
1. Who is the writer of the story ‘Poets and Pancakes’?
(A) Asokamitran
(B) Nashok Nitran
(C) R.K.Narayan
(D) Sonia Gandhi
Answer:
(A) Asokamitran
2. The writer describes the make-up department of a film studios. What is the name of the studios?
(A) R.K.Films Studios
(B) Navketan Studios
(C) Navketan Films
(D) Gemini Studios
Answer:
(D) Gemini Studios
3. For what purpose was the building of the Gemini Studios used in the past?
(A) School
(B) Robert Clive’s Stables
(C) A hospital
(D) A post office
Answer:
(B) Robert Clive’s Stables
4. By whom was the make-up department first headed?
(A) A Bengali
(B) A Punjabi
(C) A Kashmiri
(D) A Keralite
Answer:
(A) A Bengali
5. What was pancake?
(A) A kind of cake
(B) The makeup material
(C) A kind of paan
(D) Ice-cream
Answer:
(B) The makeup material
6. According to the writer, the make-up man could turn a decent-looking person into …………………… .
(A) a handsome man
(B) an attractive person
(C) an ugly-looking monster
(D) a fine woman
Answer:
(C) an ugly-looking monster
7. Who did the make-up of the chief actors and actresses?
(A) The director
(B) The producer
(C) The light boy
(D) The chief make-up man
Answer:
(D) The chief make-up man
8. Who did the make-up of the main comedian?
(A) The director
(B) The chief make-up man
(C) The junior assistant
(D) The office boy
Answer:
(C) The junior assistant
9. What was the approximate age of the office boy?
(A) Ten years
(B) Twenty years
(C) Thirty years
(D) Forty years
Answer:
(D) Forty years
10. Who was number 2 at the Gemini studios?
(A) Kothamanglam Subbu
(B) Sothamanglam Kubu
(C) Anand Mahadevan
(D) Mahadev Desai
Answer:
(A) Kothamanglam Subbu
11. How did Subbu look all the times?
(A) Angry
(B) Irritated
(C) Disappointed
(D) Cheerful
Answer:
(D) Cheerful
12. Who gave direction and definition to Gemini Studios?
(A) Tabbu
(B) Subbu
(C) Rubbu
(D) Bubbu
Answer:
(B) Subbu
13. Subbu’s success in films overshadowed his achievements. (fill in the blank)
(A) political
(B) medicinal
(C) literary
(D) economic
Answer:
(C) literary
14. What was the name of the novel written by Subbu?
(A) Thillanaa Mohanambal
(B) Mhillanaa Tohanambal
(C) Bhillanaa Mohanambal
(D) Lillanaa Rohanlal
Answer:
(A) Thillanaa Mohanambal
15. With whom was Subbu always seen?
(A) The manager
(B) The leader
(C) The clown
(D) The boss
Answer:
(D) The boss
16. Everyone in department, except the legal adviser, wore a khadi uniform? What did the legal adviser wear?
(A) Lungi
(B) Pants, a tie, and a coat
(C) Kurta and pajama
(D) Sari
Answer:
(B) Pants, a tie, and a coat
17. Gemini Studios was the favourite haunt of (fill in the blank)
(A) robbers
(B) criminals
(C) doctors
(D) various poets
Answer:
(D) various poets
18. Which English poet visited the Gemini Studios?
(A) Philip Larkin
(B) Ted Hughes
(C) Stephen Spender
(D) T.S.Eliot
Answer:
(C) Stephen Spender
19. What was the name of the book that the author bought many years later?
(A) The God that failed
(B) The man who was jailed
(C) The actor who failed
(D) The leader who failed
Answer:
(A) The God that failed
Indigo Important Passages for Comprehension
Seen Comprehension Passages
Read the following passages and answer the questions given below:
Type (i)
Passage 1
The make-up room had the look of a hair-cutting salon with lights at all angles around half a dozen large mirrors. They were all incandescent lights, so you can imagine the fiery misery of those subjected to make-up. The make-up department was first headed by a Bengali who became too big for a studio and left. He was succeeded by a Maharashtrian who was assisted by a Dharwar Kannadiga, an Andhra, a Madras Indian Christian, an Anglo-Burmese, and the usual local Tamils. All this shows that there was a great deal of National Integration long before A.I.R. and Doordarshan began broadcasting programmes on national integration. [H.B.S.E. 2019 (Set-A)]
Word-meanings :
Incandescent=bright (चमकीली);
misery = suffering (कष्ट);
integration=unity (एकता)।
Questions :
(i) Name the chapter from which this passage has been taken :
(A) Indigo
(B) Poets and Pancakes
(C) The Interview
(D) Going Places
Answer:
(B) Poets and Pancakes
(ii) How did the make-up room look?
(A) like a hair-cutting salon
(B) like a junk-shop
(C) both (A) and (B)
(D) neither (A) nor (B)
Answer:
(A) like a hair-cutting salon
(iii) Of the following who headed the makeup room first of all?
(A) A Maharashtrian
(B) A Madrasi
(C) A Bengali
(D) all of the above
Answer:
(C) A Bengali
(iv) The make-up room presented a picture of
(A) Social discrimination
(B) The Rich and the poor
(C) National Integration
(D) none of the above
Answer:
(C) National Integration
(v) Which of the following contributed for National Integration?
(A) All India Radio
(B) Doordarshan
(C) both (A) and (B)
(D) none of the above
Answer:
(C) both (A) and (B)
Passage 2
This gang of nationally integrated make-up men could turn any decent-looking person into a hideous crimson-hued monster with the help of truck-loads of pancake and a number of other locally made potions and lotions. Those were the days of mainly indoor shooting, and only five percent of the film was shot outdoors. I suppose the sets and studio lights needed the girls and boys to be made to look ugly in order to look presentable in the movie.[H.B.S.E. 2019 (Set-B)]
Word-meanings :
Decent = nice (अच्छा);
hideous = ugly (भद्दा);
potion = mixture (मिश्रण)।
Questions :
(i) Name the author of the chapter from which this passage has been taken :
(A) Louis Fischer
(B) Asokamitran
(C) Christopher Silvester
(D) A.R. Barton
Answer:
(B) Asokamitran
(ii) What could make-up men do ?
(A) change the appearance of a person
(B) cheat any person
(C) teach moral values
(D) all of the above
Answer:
(A) change the appearance of a person
(iii) What is used by the make-up men?
(A) pancakes
(B) potions
(C) lotions
(D) all of the above
Answer:
(D) all of the above
(iv) What type of shooting was done mostly in those days?
(A) indoor
(B) outdoor
(C) both (A) and (B)
(D) neither (A) nor (B)
Answer:
(A) Indoor
(v) In those days only …………. films were shooted outdoors.
(A) 1%
(B) 5%
(C) 10%
(D) 20%
Answer:
(B) 5%
Passage 3
In those days I worked in a cubicle, two whole sides of which were French windows. (I didn’t know at that time they were called French windows.) Seeing me sitting at my desk tearing up newspapers a day in and day out, most people thought I was doing next to nothing. It is likely that the Boss thought likewise too. So anyone who felt I should be given some occupation would barge into my cubicle and deliver an extended lecture.
Word-meanings :
Cubicle =a small room (एक छोटा कमरा);
barge into =come at once (एकदम आना);
extended = long (लम्बा)।
Questions :
(i) Where did the author work?
(A) In a Church
(B) In a castle
(C) In a cubicle
(D) all of the above
Answer:
(C) In a cubicle
(ii) What did most people think about the author?
(A) he was a very busy man
(B) he was an eccentric man
(C) he was doing next to nothing
(D) none of the above
Answer:
(C) he was doing next to nothing
(iii) Why did the people enter the author’s cubicle?
(A) to provide him some occupation
(B) to deliver an extended lecture
(C) both (A) and (B)
(D) neither (A) nor (B)
Answer:
(C) both (A) and (B)
(iv) What was the routine of the author in his cubicle?
(A) selling things
(B) shouting loudly
(C) tearing newspapers
(D) all of the above
Answer:
(C) tearing newspapers
(v) Who is the author of this lesson?
(A) Louis Fischer
(B) Asokamitran
(C) Christopher Silvester
(D) A. R. Barton
Answer:
(B) Asokamitran
Passage 4
Subbu was the No. 2 at Gemini Studios. He couldn’t have had a more encouraging opening in films than our grown-up make-up boy had. On the contrary, he must have had to face more uncertain and difficult times, for when he began his career, there were no firmly established film-producing companies or studios. Even in the matter of education, especially formal education, Subbu couldn’t have had an appreciable lead over our boy. But by virtue of being born a Brahmin – a virtue, indeed! – he must have had exposure to more affluent situations and people. [H.B.S.E. 2017 (Set-C)]
Word-meanings :
On the contrary = on the other hand (दूसरी ओर);
affluent = rich (अमीर)।
Questions :
(i) Who was Subbu?
(A) An actor
(B) A director
(C) No. 2 at Gemini Studios
(D) none of the above
Answer:
(C) No. 2 at Gemini Studios
(ii) Subbu worked in …………………………
(A) German Studios
(B) Yamini Studios
(C) Gemini Studios
(D) Gemini House
Answer:
(C) Gemini Studios
(iii) Was Subbu well educated?
(A) yes
(B) no
(C) maybe
(D) may not be
Answer:
(B) no
(iv) Which feature is true to the make-up boys in general?
(A) they were not much educated
(B) they were lazy
(C) they were Cheat
(D) all of the above
Answer:
(A) they were not much educated
(v) What was Subbu by caste?
(A) Brahmin
(B) Punjabi
(C) Maratha
(D) none of the above
Answer:
(A) Brahmin
Passage 5
Film-making must have been and was so easy with a man like Subbu around and if ever there was a man who gave direction and definition to Gemini Studios during its golden years, it was Subbu. Subbu had a separate identity as a poet and though he was certainly capable of more complex and higher forms, he deliberately chose to address his poetry to the masses. His success in films overshadowed and dwarfed his literary achievements — or so his critics felt. He composed several truly original ‘story poems’ in folk refrain and diction and also wrote a sprawling novel Thillana Mohanambal with dozens of very deftly etched characters.[H.B.S.E. 2017 (Set-D)]
Word-meanings :
Identity = recognition (पहचान);
capable of =able (समर्थ);
dwarfed =become small (छोटा बनना);
sprawling = big (बहुत बड़ा)।
Questions :
(i) What identity did Subbu have?
(A) Poet
(B) Painter
(C) Actor
(D) Director
Answer:
(A) Poet
(ii) What did he compose?
(A) Lyrical poems
(B) Story poems
(C) Heroic poems
(D) Love poems
Answer:
(B) Story poems
(iii) Who wrote Thillana Mohanambal?
(A) The author
(B) Subbu
(C) The Boss
(D) none of the above
Answer:
(B) Subbu
(iv) Which profession is referred in this passage?
(A) film making
(B) toy making
(C) craft making
(D) sculpture making
Answer:
(A) film making
(v) How was film-making profession for Subbu?
(A) very tough
(B) very duel
(C) very easy
(D) none of the above
Answer:
(C) very easy
Type (ii)
Passage 6
He was an amazing actor – he never aspired to the lead roles -but whatever subsidiary role he played in any of the films, he performed better than the supposed main players. He had a genuine love for anyone he came across and his house was a permanent residence for dozens of near and far relations and acquaintances. It seemed against Subbu’s nature to be even conscious that he was feeding and supporting so many of them. Such a charitable and improvident man, and yet he had enemies! Was it because he seemed so close and intimate with The Boss? Or was it his general demeanor that resembled a sycophant’s? Or his readiness to say nice things about everything? In any case, there was this man in the make-up department who would wish the direst things for Subbu.
Word-meanings :
Amazing = wonderful (अदुभुत);
subsidiary = small (तुच्छ);
acquaintance = known (परिचित);
charitable = philanthropic (दानशील)।
Questions :
(i) How would you describe Subbu?
(ii) How was Subbu in social behaviour?
(iii) Why did Subbu have enemies?
(iv) What did Subbu never aspire to?
(v) Name the chapter and the author of these lines?
Answers :
(i) Subbu was an amazing actor but he never aspired to lead roles.
(ii) He was feeding and supporting so many of his relatives and acquaintances.
(iii) Subbu had enemies because he was close to the Boss.
(iv) Subbu never aspired to the lead roles.
(v) Chapter: Poets and Pancakes.
Author: Asokmitran.
Passage 7
When Frank Buchman’s Moral Re-Armament Army, some two-hundred strong, visited Madras sometime in 1952, they could not have found a warmer host in India than the Gemini Studios. Someone called the group an international circus. They weren’t very good on the trapeze and their acquaintance with animals was only at the dinner table, but they presented two plays in a most professional manner. [H.B.S.E. Þarch, 2018 (Set-A)]
Word-meanings :
acquaintance = known (परिचित);
trapeze = a swing for acrobats (सर्कस का झूला)।
Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) What did the MRA present in Madras?
(iv) How did someone describe MRA?
(v) How many members did the MRA have?
Answers :
(i) Poets and Pancakes
(ii) Asokamitran
(iii) The MRA presented two plays in Madras.
(iv) Someone described the MRA the group of international circuses.
(v) The MRA had two hundred members.
Passage 8
While every other member of the Department wore a kind of uniform – khadi dhoti with a slightly oversized and clumsily tailored white khadi shirt – the legal adviser wore pants and a tie and sometimes a coat that looked like a coat of mail. Often he looked alone and helpless – a man of cold logic in a crowd of dreamers – a neutral man in an assembly of Gandhiites and khadi items. Like so many of those who were close to The Boss, he was allowed to produce a film and though a lot of raw stock and pancake were used on it, not much came of the film. Then one day The Boss closed down the Story Department and this was perhaps the only instance in all human history where a lawyer lost his job because the poets were asked to go home.
Word-meanings :
Clumsily = awkwardly (भद्दे ढंग से);
instance = example (उदाहरण)।
Questions :
(i) Name the chapter and the author?
(ii) What did every other member of the Department wear?
(iii) What did the lawyer wear?
(iv) What did the Boss do?
(v) What were the poets asked to do?
Answers :
(i) Chapter: Poets and Pancakes.
Author: Asokmitran.
(ii) Every other member of the Department wore a Khadi dhoti with a slightly oversized white Khadi shirt.
(iii) The lawyer wore a pants and a tie and sometimes a coat.
(iv) The Boss closed down the Story Department.
(v) The poets were asked to go home.
Poets and Pancakes Summary in English and Hindi
Poets and Pancakes Introduction to the Chapter
The Tamil writer Asokamitran was a part of the staff of the Gemini Studios. In his book “My years with Boss” he talks of the influence of movies on every aspect of Indian life. This essay has been taken from that book. In this essay, he recalls his days with the Studios. He describes the working culture, the people, including his boss, and various departments of the Studios. In particular, he describes the make-up department and the story department in detail. He describes a number of interesting incidents which took place during his stay with the Gemini Studios. The visits of the MRA and the English poet Stephen Spender have been described vividly.
(तमिल लेखक अशोकमित्रन जैमिनी स्टूडियो के विभाग का एक भाग था। अपनी पुस्तक “माई यीअर्ज विद बॉस’ में वह भारतीय जीवन के हर पहलू पर फिल्मों के प्रभाव के बारे में लिखता है। यह लेख उस पुस्तक से लिया गया है। इस लेख में वह स्टूडियो के साथ बिताए गए अपने दिनों को याद करता है। वह स्टूडियो की कार्य संस्कृति, अपने बॉस सहित सभी लोगों के और विभिन्न विभागों का वर्णन करता है। विशेषतौर पर वह मेकअप विभाग और कहानी विभाग का वर्णन विस्तार से करता है। वह जैमिनी स्टूडियो में उसके होने के दौरान घटित बहुत-सी रोचक घटनाओं का वर्णन करता है। एम. आर. ए. और अंग्रेजी कवि स्टीफन स्पैंडर के आगमन का वर्णन बहुत स्पष्ट रूप से किया गया है।)
Poets and Pancakes Summary
In the beginning of the essay, the writer describes the make-up department of the Gemini Studios. This department was in the upstairs of a building. It was believed that this building was once Robert Clive’s stables. The department had the look of a hair-cutting salon. There were incandescent lights at all angles around half a dozen large mirrors. These lights were glowing with heat. So those who were subjected to make-up had to suffer a lot of hardship. The make-up department was first headed by a Bengali. He was succeeded by a Maharashtrian. He was assisted by men from Dharwad, Andhra Pradesh, Burma and the usual local Tamils. Thus, the make-up department was an example of national integration.
Pancake was the brand name of the make-up material that the Gemini Studios bought in truck-loads. Pancake and the other locally made material were used in the make-up. Heavy make-up was used for the actors. The writer comments that the make-up men could turn any decent-looking person into an ugly-looking, crimson-coloured monster.
Those were the days of mainly indoor shooting. Only five percent of the film was shot outdoors. There was a strict hierarchy in the make-up department. The chief make-up man made the chief actors and actresses ‘ugly’. His senior assistant did the make-up of the second hero and heroine. The junior assistant handled the main comedian. The players who played the crowd were the responsibility of the office boy.
The office boy was not exactly a boy. He was in his early forties. He had entered the studios years ago with dreams in his eyes. He had dreamed of becoming a star actor, or a top screenwriter, director or lyrics writer. He was a bit of a poet also. In those days the writer worked in a cubicle. He was always seen sitting at his table tearing newspapers day in and day out.
Therefore, many people in the studios thought that he had no work. The office boy would often come to the writer’s cubicle and tell him how his literary talent was being wasted in the make-up department. He thought that the department was fit only for barbers and perverts. He insisted on reading out his poems to the writer. The writer was often fed up with him. So he prayed for crowd shooting all time. Then the office boy would be busy doing their make-up and the writer could be spared from listening to his epics.
Kothamangalam Subbu was the No. 2 at the Gemini Studios. The office boy did not like him. He felt that all his sufferings, disgrace and neglect were due to him. Subbu had entered the studios in more uncertain and difficult times. Then there were no firmly established film-producing companies or studios. In education also, he was not more formally educated than the office boy. But being a Brahmin, he had exposure to more affluent situations and people. Subbu had the ability to look cheerful at all time, even after having a hand in a flop film. He could never do things on his own, but his sense of loyalty made him identify himself with the ‘Boss’.
He used all his energy and creativity for the advantage of The Boss. He was tailor-made for films. Whenever the producer told him about any problem, he would come out with a solution. If the producer was not satisfied, he would suggest fourteen more alternatives. Film-making seemed easy with a man like Subbu around. It was Subbu who gave direction and definition to Gemini Studios during its golden years. He was a poet also and he chose to write for the masses.
His success in films overshadowed his literary achievements. He composed several original story poems in folk-song style. He wrote a novel ‘Thillana Mohanambal”. He was a good actor. He never aspired to the lead roles. He played secondary roles in films but performed better than the main actors. Subbu had a genuine love for anyone he came across. He used to feed and support many persons. But even he had enemies. Perhaps it was because he seemed so close and intimate with The Boss.
Subbu was always seen with the Boss. Yet in the attendance rolls, he was grouped under the Story Department. This department comprised a lawyer and a group of writers and poets. The lawyer was officially known as legal adviser, but everybody referred to him as the opposite. Once an extremely talented but moody actress burst out on the sets. Everyone looked stunned.
The lawyer quietly switched on the recording equipment. When the actress relaxed for some time, the lawyer played back the recording. The actress was shocked to hear her own voice. She never quite recovered form the shock and that was the end of her acting career. Everyone in the department wore a khadi uniform. But the legal adviser wore pants, a tie and a coat. He was a man of cold logic in a crowd of dreamers. He also once made a film which flopped. Then The Boss closed down the story department and the lawyer lost his job.
Gemini Studio was the favourite haunt of various poets. Poets like S.D.S. Yogiar, Sangu Subramanyam, Krishna Sastry and Harindranath Chattopadhyaya used to come to the Studios. It had an excellent mess which supplied good coffee at all times of the day and for the most part of the night. The studios radiated leisure which is the first requirement for poetry.
Most of them wore khadi and worshipped Gandhi, but beyond that they had not the vague appreciation for political thought of any kind. The men at the studios had a natural dislike for Communism. They thought that the Communists were godless people.
They had no love for wives and children. They were ready to spread unrest and violence. When Frank Buchman’s Moral Re-Armament Army of two hundred people visited Madras in 1952, the Gemini Studios played the host. The MRA was a kind of counter-movement to international communism. They couldn’t find a better host in India than the Gemini Studios.
They presented two plays in a most professional manner. These plays were “Jotham Valley’ and ‘The Forgotten Factor’ and they ran several shows in Madras. Their sets and costumes were first rate and greatly impressed and influenced the Madras and the Tamil drama community.
A few months later, there was the news that; an English poet was visiting the Gemini Studios. But the rumour was that he was not a poet but an editor. Mr. Vasan, The Boss of Gemini Studios was also the editor of a popular Tamil weekly. Then the day of the poet’s arrival came. He arrived around four in the afternoon. He was a tall man, very English and very serious. The Boss read a long speech.
He did not know much about the English poet. The speech was all in the most general terms. Then the poet spoke. He spoke in such an accent that none among the audience could understand him. He left after speaking for one hour. The audience also dispersed in utter bafflement. They wondered what an English poet was doing in a film studio, which made Tamil films.
The Hindu, a daily from Madras, published a small announcement that a short story contest was been organized by a British magazine named ‘The Encounter’. The author wanted to know about the periodical before sending his story. He got a copy of ‘The Encounter’ from the British Library.
When he read the name of the poet, he recalled that it was the same poet who had visited the Gemini Studios. He was Stephen Spender. Years later, when the author was not on the staff of the Gemini Studios, he generally bought books at reduced prices. One day he got a book called ‘The God that Failed. It had six essays written by six famous writers.
They described their joining Communism and their disillusionment with it. These writers were: Andre Gide, Richard Wright, Ignazio Silone, Arthur Koestler, Louis Fischer and Stephen Spender. Now everything became clear to the author. The Boss of the Gemini Studios may not have much to do with Spender’s poetry. But he had definitely nothing to do with Communism – The God That Failed.
लेख के आरम्भ में लेखक जैमिनी स्टूडियो के मेकअप विभाग का वर्णन करता है। वह विभाग इमारत की ऊपरी मंजिल में था। ऐसा माना जाता था कि यह इमारत कभी रॉबर्ट क्लाइव का तबेला हुआ करता था। मेकअप विभाग देखने में बाल काटने का सैलून लगता था। वहाँ आधा दर्जन बड़े शीशों के गिर्द तेज चमक वाली रोशनियाँ थीं। ये रोशनियाँ गर्मी से चमक रही होती थीं। जिन लोगों का वहाँ पर मेकअप होता था उन्हें बहुत कष्ट से गुजरना पड़ता था। मेकअप विभाग का मुखिया पहले एक बंगाली होता था। उसके बाद महाराष्ट्र का एक व्यक्ति आया। उसकी सहायता धारवाड़, आन्ध्र प्रदेश, बर्मा और स्थानीय तमिल लोग करते थे। इस प्रकार मेकअप विभाग राष्ट्रीय एकता का उदाहरण था।
पैनकेक मेकअप के उस सामान का ब्रॉन्ड नाम था जिसे जैमिनी स्टूडियो ट्रक भरकर खरीदता था। मेकअप करने में पैनकेक और अन्य स्थानीय रूप से निर्मित पदार्थ का प्रयोग होता था। अभिनेताओं पर भारी मेकअप किया जाता था। लेखक कहता है कि मेकअप करने वाले व्यक्ति किसी भी अच्छे दिखने वाले व्यक्ति को भद्दा दिखने वाला और लाल रंग वाला राक्षस बना देते थे। वे आमतौर पर इनडोर शूटिंग के दिन होते थे। केवल पाँच प्रतिशत शूटिंग बाहर होती थी। मेकअप विभाग में कठोर श्रेणी-तंत्र होता था। मुख्य मेकअप मैन मुख्य नायकों और नायिकाओं को “भद्दा” बनाता था। उसका वरिष्ठ सहायक दूसरे नायक और नायिका का मेकअप करता था। जूनियर सहायक आमतौर पर हास्य कलाकार का मेकअप करता था। वे जूनियर कलाकार जो भीड़ में भाग लेते थे वे ऑफिस ब्वॉय की जिम्मेदारी होते थे।
ऑफिस ब्वॉय सचमुच में लड़का नहीं था। वह शुरु के चालीस की आयु में था। वह स्टूडियो में कई साल पहले अपनी आँखों में सपने लेकर आया था। वह मुख्य अभिनेता, ऊँचे दर्जे का स्क्रीन लेखक, निर्देशक या गीतकार बनने का सपना लेकर आया था। वह कुछ अंश तक कवि भी था। उन दिनों में लेखक एक क्यूबिकल (छोटा कमरा) में काम करता था। उसे दिन-रात अपने मेज पर बैठे हुए अखबार फाड़ते हुए देखा जा सकता था।
इसलिए विभाग के कई लोग सोचते थे कि उसके पास कोई काम नहीं था। ऑफिस ब्वॉय अक्सर लेखक के क्यूबिकल (छोटा कमरा) में आता था और उसको बताता था कि किस प्रकार उसकी साहित्यिक प्रतिभा मेकअप विभाग में नष्ट हो रही थी। वह सोचता था कि मेकअप विभाग तो केवल नाइयों और विपरीत लोगों के काबिल है। वह आग्रह करता था कि वह लेखक को अपनी कविताएँ सुनाए। लेखक अक्सर उससे तंग आ जाता था। इसलिए वह प्रार्थना करता था कि सदा भीड़ वाली शूटिंग होती रही। तब ऑफिस ब्वॉय सदा मेकअप और लेखक उसकी लम्बी कविताएँ सुनने से बच जाएगा।
कोथमंगलम सुब्बु जैमिनी स्टूडियो में नंबर दो पर था। ऑफिस ब्वॉय उसे पसंद नहीं करता था। वह महसूस करता था कि उसके सारे कष्ट, अपमान और उपेक्षा उसके कारण थे। सुब्बु स्टूडियो में अधिक अनिश्चित और कठिन समय में आया था। उस समय कोई स्थिर फिल्म कम्पनियाँ या स्टूडियो नहीं हुआ करते थे। शिक्षा के मामले में भी वह औपचारिक रूप से ऑफिस ब्वॉय से अधिक शिक्षित नहीं था। मगर ब्राह्मण होने के कारण वह अधिक समृद्ध अवस्थाओं और लोगों के सम्पर्क में आ चुका था।
सुब्बु में यह क्षमता थी कि वह हर समय प्रसन्न नज़र आता था, यहाँ तक कि किसी पिटी हुई फिल्म में अपना हाथ होने के बावजूद भी। वह कभी कोई काम अपने आप नहीं कर सकता था मगर उसकी वफादारी की भावना ने उसके बॉस के साथ उसकी पहचान बना दी। वह अपनी ऊर्जा और रचनात्मकता को बॉस के फायदे के लिए प्रयोग करता था। वह तो फिल्मों के लिए ही बना हुआ प्रतीत होता था। जब भी निर्माता उसे किसी समस्या के बारे में बताता था तो वह फौरन कोई-न-कोई समाधान बता देता था। अगर निर्माता सन्तुष्ट नहीं होता तो वह चौदह विकल्प बता देता था।
जब सुब्बु जैसा व्यक्ति आस-पास होता था तो फिल्म बनाना आसान काम प्रतीत होता था। वह सुब्बु ही था जिसने जैमिनी स्टूडियो को इसके स्वर्णिम दिनों में इसे दिशा-निर्देश और परिभाषा प्रदान की। वह कवि भी था और उसने आम जनता के लिए लिखने का फैसला किया था। फिल्मों में उसकी सफलता ने उसकी साहित्यिक प्रतिभा को छुपा दिया था। उसने लोकगीत शैली में कई मौलिक गाथा-गीत लिखे थे। उसने एक उपन्यास “थिल्लाना मोहनाम्बल’ लिखा था।
वह एक अच्छा अभिनेता था। उसने कभी बड़ी भूमिकाओं की कामना नहीं की थी। वह फिल्मों में दूसरे स्थान की भूमिकाएं निभाता था मगर वह मुख्य अभिनेताओं से अधिक अच्छा अभिनय करता था। जिससे वह मिलता था उससे सुब्बु को सच्चा स्नेह होता था। वह बहुत-से लोगों को भोजन खिलाता था और सहारा देता था। फिर भी उसके दुश्मन थे। शायद ऐसा इसलिए था कि वह बॉस के नज़दीक और घनिष्ठ प्रतीत होता था।
सुबु सदा बॉस के साथ नज़र आता था। फिर भी शामिल रजिस्टर में उसे कहानी विभाग में दर्शाया गया था। इसी विभाग में एक वकील, लेखकों तथा कवियों का एक समूह था। वकील को सरकारी रूप से कानूनी कहा जाता था मगर हर व्यक्ति उसे इसके विपरीत सम्बोधित करता था। एक बार एक बहुत प्रतिभाशाली मगर तुनक मिजाजी मंच अभिनेत्री सलाहकार पर गुस्से में फूट पड़ी। हर व्यक्ति स्तब्ध रह गया। वकील ने चुपके से रिकॉर्डिंग उपकरण चालू कर दिया।
जब अभिनेत्री कुछ देर के लिए चुप हुई तो वकील ने रिकॉर्डिंग को बजा दिया। अभिनेत्री अपनी खुद की आवाज सुनकर अचम्भित हो गई। वह उस सदमे से कभी पूरी तरह नहीं उबरी और वह उसके अभिनय जीवन का अंत था। विभाग में हर व्यक्ति खाकी वर्दी पहनता था। मगर कानूनी सलाहकार पैन्ट, टाई और कोट पहनता था। सपने लेने वालों की भीड़ में वह एक ठण्डे तर्क वाला व्यक्ति था। उसने भी एक बार एक फिल्म बनाई थी जो पिट गई थी। फिर बॉस ने कहानी विभाग बन्द कर दिया और वकील की नौकरी भी चली गई।
जैमिनी स्टूडियो कई कवियों का मनपसंद स्थान था। एस. डी. एस. योगियार, संगु सुब्रामानयम, कृष्णा शास्त्री और हरिन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय जैसे कवि स्टूडियो में आया करते थे। इसकी मेस बहुत शानदार थी जो सारा दिन और रात के अधिकतर भाग में भी शानदार कॉफी प्रदान करती थी। स्टूडियो में आराम नज़र आता था जोकि कविता की पहली ज़रूरत है। अधिकतर लोग खादी पहनते थे और गाँधी जी की पूजा करते थे। मगर इससे बढ़कर किसी प्रकार के भी राजनैतिक विचार का कुछ भी पता नहीं था। स्टूडियो के लोगों को साम्यवाद के लिए स्वाभाविक नफरत थी। वे सोचते थे कि साम्यवादी लोग नास्तिक लोग होते हैं। उनमें पत्नियों और बच्चों के लिए प्यार नहीं होता। वे अशान्ति और हिंसा फैलाने के लिए तैयार रहते हैं।
जब फ्रैन्क बुचमैन की दो सौ लोगों की मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी 1952 में मद्रास आई तो जैमिनी स्टूडियो ने उनकी यजमानी की। एम. आर. ए. एक प्रकार से अंतर्राष्ट्रीय साम्यवाद का विरोधी आन्दोलन था। उन्हें भारत में जैमिनी स्टूडियो से बेहतर यजमान नहीं मिल सकता था। उन्होंने बड़े व्यावसायिक तरीके से दो नाटक खेले। इन नाटकों के नाम थे, “Jotham Valley” और “The Forgotten Factor” और मद्रास में इनके कई शो हुए। उनका मंच और वेशभूषा प्रथम दर्जे के थे और इन्होंने मद्रास और तमिल नाटक समुदाय को बहुत अधिक प्रभावित किया।
कुछ महीनों के बाद खबर आई कि एक अंग्रेज कवि जैमिनी स्टूडियो में आ रहा है। मगर अफवाह थी कि वह कवि नहीं अपितु एक सम्पादक था। जैमिनी स्टूडियो का बॉस श्री वासन भी एक प्रसिद्ध तमिल साप्ताहिक का सम्पादक था। तब कवि के आने का समय आ गया। वह दोपहर के बाद लगभग चार बजे आया। वह एक लम्बा व्यक्ति था। जो पूरी तरह अंग्रेज लगता था और बहुत गम्भीर था। बॉस ने एक लम्बा भाषण पढ़ा। वह अंग्रेजी कवि के बारे में अधिक नहीं जानता था। भाषण आम बातों के बारे में था। फिर कवि बोला। उसने ऐसे लहजे में बात की कि उसके श्रोताओं में से कोई भी उसकी बात को नहीं समझ पाया। वह एक घन्टा बोलने के बाद चला गया। श्रोता भी पूरी तरह हैरानी से चले गए। वे हैरान हो रहे थे कि एक ऐसे फिल्म स्टूडियो जो तमिल फिल्में बनाता है, में एक अंग्रेज कवि क्या कर रहा था।
मद्रास के एक दैनिक पत्र “द हिन्दू” ने एक छोटी-सी घोषणा प्रकाशित की कि “द एनकाउंटर” नाम की एक ब्रिटिश पत्रिका एक लघु कथा प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। लेखक अपनी कहानी भेजने से पहले पत्रिका के बारे में जानना चाहता था। उसने ब्रिटिश पुस्तकालय से “द एनकाउंटर” की एक प्रति ली। जब उसने कवि का नाम पढ़ा तो उसे याद आया कि यह वही कवि था जो जैमिनी स्टूडियो में आया था। वह स्टीफन स्पैंडर था।
कई साल बाद जब लेखक जैमिनी स्टूडियो के स्टॉफ में नहीं था, तो वह आमतौर पर कम कीमत पर किताबें खरीदता था। एक दिन उसे एक किताब मिली जिसका नाम था “द गॉड दैट फेल्ड” इसमें छह प्रसिद्ध लेख थे। उन्होंने अपने साम्यवाद में जाने और उससे अपने भ्रम टूटने के बारे में लिखा था। ये लेखक थे, ऐन्ड्रे गाइड, रिचर्ड राइट, इग्नैजिओ सिलोन, ऑर्थर कोइस्लर, लईस फिशर और स्टीफन स्पैंडर। अब लेखक के लिए हर बात साफ हो गई। जैमिनी स्टूडियो के बॉस का शायद स्पैंडर की कविता से अधिक कुछ लेना-देना नहीं था। मगर उसका वास्ता साम्यवाद -“वह भगवान जो असफल हो गया” से अवश्य था।
Poets and Pancakes Word Meanings
[Page 57]:
Pancake (brand name of make-up material)=मेकअप करने के सामान के ब्रांड का नाम;
truck-loads (trucks full with material) = सामान से भरे ट्रक;
Greta garbo(a Hollywood actress) = हॉलीवुड की एक अभिनेत्री;
Vyjayantimala (a famous Indian actress) प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री;
RatiAgnihotri (an Indian actress) = भारतीय अभिनेत्री;
stables (building for keeping horses) = तबेला।
[Page 58] :
Residence (living place) = रहने का स्थान;
remote (far off) = दूर;
maiden (a virgin) = कुंवारी;
salon (ahairdressing shop)=नाई की दुकान;
incandescent(bright)=चमकीली;
fiery (like fire)=आग की तरह;
misery (trouble)= मुसीबत;
assisted (helped)= सहायता की;
great deal (enough) = पर्याप्त;
integration (combination) = एकता;
hideous (dreadful)=भयानक;
hued (coloured) रंगीन;
monster(giant)=दैत्य;
potion (drinkwith medicinal effect) = दवाई;
hierarchy (graded order) = क्रमवार संगठन;
giant (huge) = विशाल;
vessel (pot) = बर्तन।
[Page 59]:
Process (operation) = काम;
lyrics(songs)= गीत;
cubicle (small room or enclosure) = छोटा कमरा;
occupation (job) = काम;
barge into (to move in awkwardly) = बेढंगे रूप से घुस पाना;
extended (elaborate) = विस्तृत;
enlighten (give knowledge) = ज्ञान देना;
talent (skill/knowledge)=गुण;
perverts (abnormal) = असामान्य;
epics (long poems) = महाकाव्य;
instances (examples) = उदाहरण;
covertly (hidden) = छुपा हुआ;
convinced (satisfied) = सन्तुष्ट;
woes(troubles)=मुसीबतें;
contrary (opposite)= विपरीत;
firmly (strongly)=कठोरता से;
appreciable(enough) = पर्याप्त;
virtue (noble quality) = गुण;
affluent (rich, prosperous) = अमीर।
[Page 60] :
Flop (a failure) = असफलता;
identify (to recognize) = पहचानना;
creativity (ability to create) = सृजनात्मकता;
inspired (infused spirit) = प्रेरित किया;
commanded (ordered)= आदेश दिया;
offspring (progeny) = संतान;
alternatives (other options) = विकल्प;
deliberately (knowingly) = जान-बूझकर;
dwarfed (made small/overshadowed) = छोटा कर देना;
composed (wrote) = लिखा;
refrain (to keep away) = दूर रहना;
diction (style of writing) = शेली;
sprawling (big/spreading) = बड़ा;
deftly (skillfully) = कुशलता से;
etched (drawn carefully) = अंकित किया;
amazing (wonderful) = अदुभुत;
aspired (had ambition) = महत्त्वाकांक्षी;
subsidiary (secondary)=छोटे-मोटे;
genuine (real/true) = सही;
acquaintance (known person) = परिचित;
performed (acted) = खेला, अभिनय किया;
conscious (aware) = जागरूक;
feeding (giving food) = भोजन देना;
charitable (generous) = दयालु;
improvident (thrifty) = मितव्ययी;
boss (master) = मालिक;
demeanour (behaviour)= व्यवहार;
resembled (looked like) = शक्ल मिलना;
sycophant (flatterer) = चापलूस;
readiness (preparedness) = तैयारी।
[Page 61]:
Direst (most horrible)=बहुत भयानक;
comprising(having)= होना/से बने होना;
assembly (group) = समूह;
legal (concerning law) = कानूनी;
extremely (very much) = बहुत अधिक;
talented (having talent) = गुणी;
temperamental(regarding disposition)= मिज़ाजी;
unwittingly (unintentionally) = अनजाने में;
precede (go before) = पहले होना;
catapulted (lifted up ) =उठाया;
tirade(violent speech)=हिंसात्मक भाषण;
slightly (a little) =कम;
clumsily (awkwardly) = भद्दे ढंग से;
coat of mail (armour) = कवच;
logic (reasoning) = तर्क;
neutral (impartial) = निष्पक्ष।
[Page 62] :
Raw (unripe) = कच्चा;
stock (material)= पदार्थ;
instance (example) = उदाहरण;
haunt (place frequently visited) = जहाँ कोई बार-बार जाए;
prohibition (ban on sale and consumption of liquor) =मद्य-निषेध;
radiated (reflected)= नजर आना;
pre-requisite (requirement) = जरूरत;
faintest (slightest) = बहुत कम;
appreciation (understanding) = समझ;
filial (pertaining to son/daughter) = पुत्र/पुत्री से सम्बन्धित;
conjugal (married) = विवाहित;
compunction (regret) = पश्चात्ताप;
notions (assumptions) = धारणाएँ;
prevailed (spread) = फैला;
vaguely (not clearly) = अस्पष्ट;
forthcoming (next) = अगला;
trapeze (a swing for acrobats) = सर्कस का झूला;
professional (well trained) = प्रशिक्षित;
homilies (sermons) = उपदेश।
[Page 63]:
Terribly (greatly) = बहुत अधिक;
counter(to oppose) = विरोध करना;
enterprises (organizations) = संगठन;
aspects (attitude) = दृष्टिकोण;
hosting (playing host to) = मेजबानी करना;
hues (colours)= रंग;
buzzed (sounded) = आवाज करना;
initiative (first step)= पहला कदम;
surmise (guess) = अंदाजा लगाना;
pedestal (support/ base) = आधार
[Page 64] :
Obvious (clear) = स्पष्ट;
peppered with (sprinkled with) = से मिला हुआ;
dazed (stunned) = भौचक्का;
accent (pronunciation) = उच्चारण;
attempt(effort)= प्रयत्ल;
utter(complete)= पूर्ण;
bafflement(perplexity) = घबराहट;
cultivating (developing) = विकसित करना;
pretty (enough)= पर्याप्त;
sheer (complete) = पूर्ण;
thrills (excitements) = उत्तेजना;
mystery (unexplainable thing) = रहस्य;
conviction (faith)= विश्वास;
persistent (constant) = लगातार;
drudge (one who does hard work) = मेहनती;
shrunken (contracted) = सिकुड़ा हुआ;
insignificant (not important) =तुच्छ;
literati (learned) = विद्वान्;
periodical (magazine) = पत्रिका;
considerable(substantial) = अधिक;
commodity (thing) = वस्तु ।
[Page 65] :
Winded (meandering) = घुमावदार;
sneaking (moving stealthily)= चोरी-चोरी जाना;
forbidden (banned) = निषेध;
pile (heap) = ढेर;
elegant (attractive) = आकर्षक;
eminent (famous)= प्रसिद्ध;
disillusioned (freefrom illusion) = भ्रमहीन;
assumed (became) = बन गया;
tremendous (too much) = बहुत अधिक।
[Page 66] :
Significance (importance) = महत्त्व;
hazy (not clear) = अस्पष्ट;
illumination (lighting) = प्रकाश करना।
Poets and Pancakes Translation in Hindi
Pancake was the brand name of the make-up material that Gemini Studios bought in truck-loads. Greta Garbo must have used it, Miss Gohar must have used it, Vyjayantimala must also have used it but Rati Agnihotri may not have even heard of it. The make-up department of the Gemini Studios was in the upstairs of a building that was believed to have been Robert Clive’s stables. A dozen other buildings in the city are said to have been his residence. For his brief life and an even briefer stay in Madras, Robert Clive seems to have done a lot of moving, besides fighting some impossible battles in remote corners of India and marrying a maiden in St. Mary’s Church in Fort St. George in Madras.
(पैनकेक मेकअप सामग्री का एक ब्रॉन्ड नाम था जिसे जैमिनी स्टूडियो ट्रक भरकर खरीदता था। ग्रेटा गारबो ने इसका प्रयोग किया होगा, मिस गोहर ने इसे प्रयोग किया होगा, वैजयन्तीमाला ने भी इसे प्रयोग किया होगा, परन्तु रति अग्निहोत्री ने शायद इसके बारे में सुना भी नहीं होगा। जैमिनी स्टूडियो का मेकअप विभाग एक भवन के ऊपर स्थित था, जिसके बारे में कहा जाता था कि वह कभी रॉबर्ट क्लाइव की घुड़साल थी। शहर के एक दर्जन और भवन भी उसके आवास माने जाते हैं। उसके छोटे जीवन और मद्रास में उसके और भी थोड़े समय रहते हुए ऐसा लगता है कि वह बहुत घूमा है और इसके अतिरिक्त भारत के दूर-दराज के क्षेत्रों में असम्भव युद्ध लड़े और मद्रास के Fort St. George के St. Mary के चर्च में एक लड़की से शादी की।)
The make-up room had the look of a hair-cutting salon with lights at all angles around half a dozen large mirrors. They were all incandescent lights, so you can imagine the fiery misery of those subjected to make-up. The make-up department was first headed by a Bengali who became too big for a studio and left. He was succeeded by a Maharashtrian who was assisted by a Dharwar Kannadiga, an Andhra, a Madras Indian Christian, an Anglo-Burmese and the usual local Tamils.
All this shows that there was a great deal of national integration long before A.I.R. and Doordarshan began broadcasting programmes on national integration. This gang of nationally integrated make-up men could turn any decent-looking person into a hideous crimson-hued monster with the help of truck-loads of pancake and a number of other locally made potions and lotions. Those were the days of mainly indoor shooting, and only five percent of the film was shot outdoors. I suppose the sets and studio lights needed the girls and boys to be made to look ugly in order to look presentable in the movie.
A strict hierarchy was maintained in the make-up department. The chief make-up man made the chief actors and actresses ugly, his senior assistant the ‘second’ hero and heroine, the junior assistant the main comedian, and so forth. The players who played the crowd were the responsibility of the office boy. (Even the make-up department of the Gemini Studio had an ‘office boy’!) On the days when there was a crowd shooting, you could see him mixing his paint in a giant vessel and slapping it on the crowd players. The idea was to close every pore on the surface of the face in the process of applying make-up. He wasn’t exactly a ‘boy’; he was in his early forties, having entered the studios years ago in the hope of becoming a star actor or a top screenwriter, director or lyrics writer. He was a bit of a poet.
(मेकअप का कमरा हेयर-कटिंग सैलून जैसा लगता था जिसमें आधा दर्जन बड़े-बड़े शीशे और उनके चारों ओर हर कोण पर बल्ब लगे थे। वे सब तेज लाइटें थीं, अतः आप कल्पना कर सकते हैं कि जिनका मेकअप होता था उन्हें आग जैसा कष्ट झेलना पड़ता था। सबसे पहली बार मेकअप विभाग का प्रमुख एक बंगाली था जिसने तब स्टूडियो छोड़ दिया जब वह इसके लिए अधिक बड़ा हो गया। उसके बाद वहाँ एक कार्यक्रम आया जिसकी सहायता के लिए एक धारवाड़ कन्नड़ी, एक आन्ध्र का, एक मद्रासी हिन्दुस्तानी ईसाई, एक ऐंग्लो बर्मी और सामान्य स्थानीय तमिल थे। इससे पता चलता है कि ए०आई०आर० और दूरदर्शन द्वारा राष्ट्रीय एकता पर कार्यक्रम प्रसारित करने के बहुत पहले ही बड़ी मात्रा में वहाँ राष्ट्रीय एकता थी। राष्ट्रीय एकता से जुड़े मेकअप मैनों का यह गिरोह, किसी भी अच्छी-खासी शक्ल-सूरत वाले इन्सान को ट्रक-भरे पैनकेक और अन्य बहुत-से स्थानीय मिश्रणों और मरहमों के द्वारा एक घृणित जामनी-लाल रंग के दैत्य में बदल सकता था।
उन दिनों शटिंग प्रायः चारदीवारी के अन्दर ही होती थी और फिल्म की केवल पाँच प्रतिशत शूटिंग ही बाहर होती थी। मेरा ख्याल है कि सेटों और स्टूडियों की लाइटों की, लड़के और लड़कियों को बदसूरत बनाने की आवश्यकता होती थी ताकि उन्हें सिनेमा में प्रस्तुति योग्य बनाया जा सके। मेकअप विभाग में ऊँच-नीच क्रम का बड़ी कठोरता से पालन होता था। मुख्य मेकअप मैन मुख्य अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को बदसूरत बनाता था जबकि उसका वरिष्ठ सहायक दूसरे नम्बर के हीरो और हीरोइनों को, कनिष्ठ सहायक प्रमुख कामेडियन को और आगे इसी तरह से। ऑफिस ब्वॉय उन कलाकारों का मेकअप करता था जो भीड़ में अभिनेता बनते थे। (जैमिनी स्टूडियो के मेकअप विभाग में भी एक ऑफिसब्वॉय था!) जिस दिन भीड़ की शूटिंग होती थी, (उस दिन) आप उसे एक विशाल बर्तन में पेंट मिलाते हुए और भीड़ के कलाकारों पर उसे पोतते हुए देख सकते थे। उसका काम था कि मेकअप लगाते हुए चेहरे के एक-एक रोमकूप को बन्द कर दिया जाए। वह वास्तव में कोई ‘लड़का’ नहीं था, वह उम्र के चार दशक पार कर चुका था, वर्षों पहले वह स्टूडियों में उच्च अभिनेता या उच्च कहानी लेखक, निर्देशक या गीतकार बनने की आशा से आया था। वह छोटा-मोटा कवि भी था।)
In those days I worked in a cubicle, two whole sides of which were French windows. (I didn’t know at that time they were called French windows.) Seeing me sitting at my desk tearing up newspapers day in and day out, most people thought I was doing next to nothing. It is likely that the Boss thought likewise too. So anyone who felt I should be given some occupation would barge into my cubicle and deliver an extended lecture. The ‘boy’ in the make-up department had decided I should be enlightened on how great literary talent was being allowed to go waste in a department fit only for barbers and perverts. Soon I was praying for crowd-shooting all the time. Nothing short of it could save me from his epics.
(उन दिनों मैं एक क्यूबिकल (छोटा कमरा) में काम करता था जिसकी दो पूरी दीवारें फ्रेंच खिड़कियाँ थीं। (उस समय मुझे यह नहीं पता था कि उन्हें फ्रैंच खिड़कियाँ कहा जाता है।) मुझे अपनी मेज पर बैठे दिन-रात अखबार फाड़ते देख अधिकतर लोग सोचते थे कि मैं कोई काम नहीं कर रहा। सम्भव है कि बॉस भी यही सोचता हो। अतः जिसे भी लगता कि मुझे कोई काम दिया जाना चाहिए, वह धड़ल्ले से मेरे कमरे में चला आता और एक भारी-भरकम भाषण दे देता। मेकअप रूम के ‘ब्वॉय’ ने निश्चय कर लिया था कि मुझे ज्ञात होना चाहिए कि उस जैसी कैसी महान् साहित्यिक प्रतिभा उस जगह पर नष्ट हो रही है जो जगह केवल नाइयों और विकृत पुरुषों के लिए उपयुक्त थी। शीघ्र ही मैं प्रार्थना करने लगा कि हर समय भीड़ की शूटिंग चलती रहे। इससे कम कोई चीज मुझे उसके महाकाव्य से नहीं बचा सकती थी।)
In all instances of frustration, you will always find the anger directed towards a single person openly or covertly and this man of the make-up department was convinced that all his woes, ignominy, and neglect were due to Kothamangalam Subbu. Subbu was the No. 2 at Gemini Studios. He couldn’t have had a more encouraging opening in films than our grown-up make-up boy had. On the contrary, he must have had to face more uncertain and difficult times, for when he began his career, there were no firmly established film-producing companies or studios.
Even in the matter of education, especially formal education, Subbu couldn’t have had an appreciable lead over our boy. But by virtue of being born a Brahmin – a virtue, indeed! – he must have had exposure to more affluent situations and people. He had the ability to look cheerful at all times even after having had a hand in a flop film. He always had work for somebody – he could never do things on his own – but his sense of loyalty made him identify himself with his principal completely and turn his entire creativity to his principal’s advantage. He was tailor-made for films. Here was a man who could be inspired when commanded.
“The rat fights the tigress underwater and kills her but takes pity on the cubs and tends them lovingly – I don’t know how to do the scene,” the producer would say and Subbu would come out with four ways of the rat pouring affection on its victim’s offspring. “Good, but I am not sure it is effective enough,” the icer would say and in a minute Subbu would come out with fourteen more alternatives. Film-making must have been and was so easy with a man like Subbu around and if ever there was a man who gave direction and definition to Gemini Studios during its golden years, it was Subbu. Subbu had a separate identity as a poet and though he was certainly capable of more complex and higher forms, he deliberately chose to address his poetry to the masses.
His success in films overshadowed and dwarfed his literary achievements – or so his critics felt. He composed several truly original ‘story poems’ in folk refrain and diction and also wrote a sprawling novel Thillana Mohanambal with dozens of very deftly etched characters. He quite successfully recreated the mood and manner of the Devadasis of the early 20th century.
He was an amazing actor – he never aspired to the lead roles — but whatever subsidiary role he played in any of the films, he performed better than the supposed main players. He had a genuine love for anyone he came across and his house was a permanent residence for dozens of near and far relations and acquaintances. It seemed against Subbu’s nature to be even conscious that he was feeding and supporting so many of them.
Such a charitable and improvident man, and yet he had enemies! Was it because he seemed so close and intimate with The Boss? Or was it his general demeanor that resembled a sycophant’s? Or his readiness to say nice things about everything? In any case, there was this man in the make-up department who would wish the direst things for Subbu.
(हताशा के सारे उदाहरणों में आप पाएँगे कि प्रकट अथवा गुप्त रूप से क्रोध एक ही व्यक्ति पर केन्द्रित होता है और मेकअप विभाग के इस व्यक्ति को विश्वास था कि उसके सारे दुःख, अपमान और अवहेलना कोथमंगलम सुब्बु के कारण थीं। जैमिनी स्टूडियो में सुब्बु का नम्बर दूसरा था। फिल्मों में उसका प्रवेश हमारे बड़ी उम्र के मेकअप ब्वॉय से अधिक उत्साहवर्धक नहीं था। इसके विपरीत, उसे अवश्य ही अधिक अनिश्चित और कठोर समय का सामना करना पड़ा होगा क्योंकि जब उसने अपने कैरियर का प्रारम्भ किया था, तब पक्के तौर पर स्थापित कोई फिल्म-निर्माण कम्पनियाँ या स्टूडियो नहीं थे। शिक्षा में भी, विशेष रूप से औपचारिक शिक्षा के क्षेत्र में, सुब्बु हमारे ब्वॉय से कुछ अधिक बेहतर न पा सका। परन्तु ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के कारण-सचमुच यह एक गुण है! उसे अवश्य ही अधिक धनवान परिस्थितियों और व्यक्तियों का सम्पर्क मिला होगा। किसी असफल फिल्म में हाथ डालने के बाद भी उसमें हर समय प्रसन्न रहने की क्षमता थी।
उसके पास सदा हर व्यक्ति के लिए काम रहता था वह अपने आप कभी काम नहीं कर सकता था-परन्तु उसके निष्ठा-भाव ने उसे अपने प्रमुख के साथ पूरी तरह एकाकार कर दिया था और उसकी सारी सृजनात्मकता अपने प्रमुख के लाभ के लिए अर्पित थी। वह फिल्मों के लिए विशेष रूप से बनाया गया था। वह ऐसा व्यक्ति था जो आज्ञा पाकर प्रेरित हो सकता था। निर्माता कहेगा “पानी के नीचे चूहा बाघिन से लड़ता है और उसे मार देता है पर बाघिन के बच्चों पर तरस खाता है और प्यार से उनकी देखभाल करता है मुझे समझ नहीं आता कि इस दृश्य को कैसे किया जाए”, और सुब्बु चार तरीके बताएगा जिनसे चूहा शिकार के बच्चों पर प्यार उडेल सकता है।” “अच्छा है, पर मुझे विश्वास नहीं है कि यह काफी प्रभावशाली होगा”, निर्माता कहेगा और एक मिनट के अन्दर सुब्बु चौदह और विकल्प बताएगा। सुब्बु जैसे आदमी के पास होने पर फिल्म बनाना अवश्य ही बड़ा सरल होता होगा और अगर कभी कोई ऐसा आदमी हुआ जिसने जैमिनी स्टूडियो के स्वर्णकाल में उसे दिशा-निर्देश और परिभाषा दी तो वह व्यक्ति सुब्बु था। एक कवि के रूप में सुब्बु की अलग पहचान थी और यद्यपि वह निश्चित रूप से अधिक जटिल और ऊँची कृतियों के योग्य था,
वह जान-बूझकर अपनी कविता सामान्य जन को सम्बोधित करता था। फिल्मों में उसकी सफलता ने उसकी साहित्यिक उपलब्धियों को कम महत्त्वपूर्ण और बौना कर दिया-जैसाकि उसके आलोचकों का कहना था। उसने लोकगीत की टेक और शब्दावली पर कितनी ही वास्तविक मौलिक गीत-कथाएँ लिखीं और थिल्लाना मोहनाम्बलनाम का बड़ा उपन्यास लिखा जिसमें बड़ी कुशलता से दर्जनों पात्रों का चित्रण किया गया है। उसने बीसवीं शताब्दी की देवदासियों की मानसिक स्थिति और तौर-तरीकों का बड़ी सफलता से चित्रण किया। वह एक अद्भुत अभिनेता था उसने कभी प्रमुख भूमिकाओं की इच्छा नहीं की पर किसी भी फिल्म में जो दूसरे दर्जे की भूमिका उसे मिली उसने उसका निर्वाह तथाकथित प्रमुख अभिनेताओं से बेहतर किया।
अपने जीवन में आए हर व्यक्ति के प्रति उसके मन में सच्चा प्यार था और उसका घर दर्जनों पास और दूर के नातेदारों और परिचितों का स्थायी निवास था। लगता था कि यह सुब्बु के स्वभाव के विपरीत था कि उसे यह एहसास भी हो कि वह इतने लोगों को खाना और सहारा दे रहा है। वह ऐसा परोपकारी और निःस्वार्थ व्यक्ति था मगर फिर भी उसके शत्रु थे! क्या यह इस कारण से था कि वह बॉस के इतना निकट और अंतरंग था ? या फिर उसका साधारण व्यवहार एक चापलूस जैसा था ? या हर बात के बारे में अच्छी बातें कहने की उसकी तत्परता। बात चाहे जो हो मेकअप विभाग का यह व्यक्ति जो उसके बारे में बुरी से बुरी बातें चाहता था।)
You saw Subbu always with The Boss but in the attendance rolls, he was grouped under a department called the Story Department comprising a lawyer and an assembly of writers and poets. The lawyer was also officially known as the legal adviser, but everybody referred to him as the opposite. An extremely talented actress, who was also extremely temperamental, once blew over on the sets. While everyone stood stunned, the lawyer quietly switched on the recording equipment.
When the actress paused for breath, the lawyer said to her, “One minute, please”, and played back the recording. There was nothing incriminating or unmentionably foul about the actress’s tirade against the producer. But when she heard her voice again through the sound equipment, she was struck dumb.
A girl from the countryside, she hadn’t gone through all the stages of worldly experience that generally precede a position of importance and sophistication that she had found herself catapulted into. She never quite recovered from the terror she felt that day. That was the end of a brief and brilliant acting career – the legal adviser, who was also a member of the Story Department, had unwittingly brought about that sad end. While every other member of the Department wore a kind of uniform – khadi dhoti with a slightly oversized and clumsily tailored white khadi shirt – the legal adviser wore pants and a tie and sometimes a coat that looked like a coat of mail.
Often he looked alone and helpless – a man of cold logic in a crowd of dreamers – a neutral man in an assembly of Gandhiites and khadiites. Like so many of those who were close to The Boss, he was allowed to produce a film and though a lot of raw stock and pancake were used on it, not much came of the film. Then one day The Boss closed down the Story Department and this was perhaps the only instance in all human history where a lawyer lost his job because the poets were asked to go home.
(सुब्बु हमेशा बॉस के साथ दिखाई देता था, परन्तु उपस्थिति रजिस्टर में उसे कहानी विभाग में दर्शाया गया था जिसमें एक वकील तथा लेखक और कवि शामिल थे। वकील को सरकारी रूप से कानूनी सलाहकार के रूप में जाना जाता था, लेकिन हर कोई उसको इसके विपरीत समझता था। एक बेहद प्रतिभावान अभिनेत्री, जो बेहद तुनक मिजाज भी थी, एक बार मंच पर बिगड़ गई। हर कोई हैरान हो गया, तो वकील ने चुपचाप रिकॉर्ड करने की मशीन को चला दिया। जब अभिनेत्री सांस लेने के लिए रुकी तो वकील ने उससे कहा, “एक मिनट, कृपया”, और रिकॉर्डिंग को दोबारा चलाया।
अभिनेत्री द्वारा निर्माता की निन्दा में कोई भी दोषपूर्ण एवं न बताए जा सकने वाली बात नहीं थी। परन्तु जब उसने अपनी आवाज को दोबारा रिकॉर्डिंग मशीन में सुना तो वह हैरान रह गई। देहात की वह लड़की उन सांसारिक अनुभवों की अवस्थाओं से नहीं गुजरी थी जो प्रायः उस महत्त्वपूर्ण और शुद्धता के स्थान को प्राप्त करने से पहले आती है जिस स्थान पर उसने अपने आपको पहुँचा पाया था।
वह उस सदमे से कभी नहीं उबर पाई थी जो उसने उस दिन महसूस किया था। वह उसके संक्षिप्त एवं अच्छे अभिनय जीवन का अन्त था वह कानूनी सलाहकार, जो कहानी विभाग का सदस्य भी था, ने अनजाने में उसके कैरियर का अन्त कर दिया। जबकि विभाग का प्रत्येक सदस्य एक प्रकार की वर्दी पहनता था, खादी धोती थोड़े से बड़े आकार की और भद्दे ढंग से सिली गई सफेद कमीज के साथ-कानूनी सलाहकार पैंट व टाई पहनता था और कई बार एक कोट जो एक कवच की तरह दिखता था।
प्रायः वह अकेला और असहाय नजर आता थासपने देखने वालों की भीड़ में ठण्डे तर्क वाला आदमी-गाँधीवादियों और खादीवादियों की सभा में एक उदासीन आदमी। बॉस के बहुत से करीबी लोगों की तरह, उसे भी फिल्म बनाने की अनुमति मिली, और यद्यपि बहुत-सा कच्चा माल और पैनकेक इस पर खर्च किया गया, परन्तु फिर भी एक अच्छी फिल्म नहीं बनी। तब एक दिन बॉस ने कहानी विभाग बन्द कर दिया और शायद यह मानव इतिहास में पहला उदाहरण था जब कवियों को हटाए जाने के कारण एक वकील की नौकरी चली गई थी।)
Gemini Studios was the favorite haunt of poets like S.D.S. Yogiar, and Sangu Subramanyam. Krishna Sastry and Harindranath Chattopadhyaya. It had an excellent mess which supplied good coffee at all times of the day and for the most part of the night. Those were the days when congress rule meant Prohibition and meeting over a cup of coffee was rather satisfying entertainment. Barring the office boys and a couple of clerks, everybody else at the Studios radiated leisure, a pre-requisite for poetry.
Most of them wore khadi and worshipped Gandhiji but beyond that they had not the faintest appreciation for political thought of any kind. Naturally, they were all averse to the term Communism’. communist was a godless man: he had no filial or conjugal love; he had no compunction about killing his own parents or his children; he was always out to cause and spread unrest and violence among innocent and ignorant people. Such notions which prevailed everywhere else in South India at that time also, naturally, floated about vaguely among the khadi-clad poets of Gemini Studios. Evidence of it was soon forthcoming.
(जैमिनी स्टूडियो एस.डी.एस. योगियार, संगु सुब्रामानयम, कृष्णा शास्त्री और हरीन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय जैसे कवियों का मनपसन्द अड्डा था। इसमें एक शानदार मेस था जिसमें सारा दिन और रात्रि के अधिकांश समय तक बढ़िया कॉफी मिला करती थी। ये वे दिन थे जब काँग्रेस राज्य का मतलब मद्यनिषेध होता था और कॉफी के कप पीने के लिए मिलना अपेक्षाकृत एक सन्तोषजनक मनोरंजन माना जाता था। ऑफिस बॉयज और दो क्लर्कों को छोड़कर हर चेहरे पर फुर्सत होती थी जो कविता की प्रथम आवश्यकता है।
उसमें से अधिकांश खादी पहनते और गाँधी जी की पूजा करते थे परन्तु इसके किसी भी प्रकार के राजनीतिक विचारों की उन्हें जरा भी समझ नहीं थी। स्वभावतः वे सभी ‘कम्युनिज्म’ शब्द के विरोधी थे। कम्युनिस्ट का अर्थ एक ईश्वर-विहीन व्यक्ति था जिसे न तो माँ-बाप के प्रति और न ही अपने विवाह से प्राप्त साथी के प्रति कोई प्यार था, उसे अपने माँ-बाप अथवा सन्तान को मारने में कोई ग्लानि नहीं होती थी, वह सदा मासूम और अज्ञानी व्यक्तियों के बीच में बेचैनी और हिंसा फैलाने को तत्पर होता था। ये विचार जो उन दिनों दक्षिण भारत के अन्य भागों में भी सर्वत्र फैले हुए थे, स्वाभाविक था कि जैमिनी स्टूडियो के खादीधारी कवियों में भी अस्पष्ट रूप से मौजूद थे। इसका प्रमाण शीघ्र सामने आ रहा था।)
When Frank Buchman’s Moral Re-Armament army, some two hundred strong, visited Madras sometime in 1952, they could not have found a warmer host in India than the Gemini Studios. Someone called the group an international circus. They weren’t very good on the trapeze and their acquaintance with animals was only at the dinner table, but they presented two plays in a most professional manner. Their ‘Jotham Valley’ and ‘The Forgotten Factor’ran several shows in Madras and along with the other citizens of the city, the Gemini family of six hundred saw the plays over and over again.
The message of the plays were usually plain and simple homilies, but the sets and costumes were first-rate. Madras and the Tamil drama community were terribly impressed and for some years almost all Tamil plays had a scene of sunrise and sunset in the manner of Jotham Valley’ with a bare stage, a white background curtain and a tune played on the flute.
It was some years later that I learnt that the MRA was a kind of counter-movement to international Communism and the big bosses of Madras like Mr. Vasan simply played into their hands. I am not sure, however, that this was indeed the case, for the unchangeable aspects of these big bosses and their enterprises remained the same, MRA or no MRA, international Communism or no international Communism.
The staff of Gemini Studios had a nice time hosting two hundred people of all hues and sizes of at least twenty nationalities. It was such a change from the usual collection of crowd players waiting to be slapped with thick layers of make-up by the office boy in the make-up department.
(जब फ्रैंक बुचमैन की सेना, मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी, जिसमें करीब दो सौ लोग थे, 1952 में मद्रास आई, तो उनको जैमिनी स्टूडियो से अधिक अच्छा मेजबान कहीं नहीं मिल सकता था। किसी ने इस समूह को अन्तर्राष्ट्रीय सर्कस कहा। वे सर्कस के झूले अच्छे नहीं थे और पशुओं के बारे में उनका ज्ञान डिनर टेबल तक ही सीमित था, परन्तु उन्होंने दो नाटक बड़े ही व्यावसायिक ढंग से प्रस्तुत किए। उनके नाटक ‘Jotham Valley’ और ‘The Forgotten Factor’ के कई शो मद्रास में चले, और शहर के लोगों के साथ-साथ जैमिनी परिवार के छः सौ सदस्यों ने ये नाटक बार-बार देखे। नाटकों के सन्देश प्रायः स्पष्ट और साधारण उपदेश थे, परन्तु सेट्स और साज-सज्जा पहले दर्जे की थी।
मद्रास और तमिल नाटक समुदाय इनसे बहुत अधिक प्रभावित हुए और कुछ वर्षों तक लगभग सभी तमिल नाटकों में ‘Jotham Valley’ की तर्ज पर खाली स्टेज पर सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य दिखाए जाते थे, और एक सफेद पृष्ठभूमि का पर्दा और बाँसुरी पर बजती हुई धुन थी। मुझे कुछ वर्ष बाद पता चला कि MRA एक प्रकार का अन्तर्राष्ट्रीय साम्यवाद का विरोधी आन्दोलन था और मि० वासन की तरह के मद्रास के बड़े बॉस केवल उनके हाथों में खेल रहे थे।
लेकिन मैं निश्चित नहीं हूँ कि वास्तव में यही बात थी, क्योंकि इन बड़े अफसरों के न बदलने वाले पक्ष और उनके उपक्रम जैसे के तैसे रहे, चाहे MRA का प्रभाव हो या न हो, चाहे अन्तर्राष्ट्रीय साम्यवाद हो या न हो। जैमिनी स्टूडियो के स्टाफ का समय कम-से-कम 20 देशों के सभी प्रकार के दो सौ लोगों की मेजबानी करते हुए अच्छा बीता। मेकअप विभाग के ऑफिस बॉय द्वारा मेकअप की मोटी परत पोते जाने के इन्तजार में खड़े भीड़ की भूमिका करने वालों के संग्रह से हटकर यह एक अच्छा बदलाव था।)
A few months later, the telephone lines of the big bosses of Madras buzzed and once again we at Gemini Studios cleared a whole shooting stage to welcome another visitor. All they said was that he was a poet from England. The only poets from England the simple Gemini staff knew or heard of were Wordsworth and Tennyson; the more literate ones knew of Keats, Shelley and Byron; and one or two might have faintly come to know of someone by the name Eliot. Who was the poet visiting the Gemini Studios now?
(कुछ महीने बाद मद्रास के बड़े अफसरों की टेलीफोन लाइनें भिन-भिनाई और एक बार फिर से हमें जैमिनी स्टूडियो की पूरी शूटिंग स्टेज को एक अन्य मेहमान का स्वागत करने के लिए हटाना पड़ा। उन्होंने केवल यही कहा था कि वह इंग्लैण्ड का एक कवि था। जिन कवियों के बारे में जैमिनी स्टूडियो के स्टाफ ने सुन रखा था वे थे वर्डसवर्थ और टेनिसन; अधिक पढ़े-लिखे कीटस, शैले और बायरन को जानते थे; और एक या दो किसी इलियट नाम के कवि को जानते थे। अब जैमिनी स्टूडियों में आने वाला कवि कौन था?)
“He is not a poet. He is an editor. That’s why The Boss is giving him a big reception.” Vasan was also the editor of the popular Tamil weekly Ananda Vikatan. He wasn’t the editor of any of the known names of British publications in Madras, that is, those known at the Gemini studios. Since the top men of The Hindu were taking the initiative, the surmise was that the poet was the editor of a daily – but not from The Manchester Guardian or the London Times. That was all that even the most well-informed among us knew.
(“वह कवि नहीं है। वह एक सम्पादक है। यही कारण है कि बॉस उसके लिए इतना बड़ा स्वागत समारोह कर रहा है।” वासन भी एक लोकप्रिय तमिल साप्ताहिक ‘आनंदा विकाटन’ के सम्पादक थे। वह मद्रास में ज्ञात ब्रिटिश प्रकाशनों में से किसी का सम्पादक नहीं था, अर्थात् वे नाम जो जैमिनी स्टूडियो में जाने जाते थे। क्योंकि ‘द हिन्दू’ के उच्चतम लोग पहल कर रहे थे, ऐसा समझा जाता था कि यह कवि किसी दैनिक का सम्पादक होगा-पर मैन्चेस्टर, गार्जियन या लंदन टाइम्स का नहीं। हम में से सबसे अधिक ज्ञानी भी इतना ही जानता था।)
At last, around four in the afternoon, the poet (or the editor) arrived. He was a tall man, very English, very serious and of course very unknown to all of us. Battling with half a dozen pedestal fans on the shooting stage, The Boss read out a long speech. It was obvious that he too knew precious little about the poet (or the editor). The speech was all in the most general terms but here and there it was peppered with words life ‘freedom’ and ‘democracy’. Then the poet spoke. He couldn’t have addressed a more dazed and silent audience – no one knew what he was talking about and his accent defeated any attempt to understand what he was saying.
The whole thing lasted about an hour; then the poet left and we all dispersed in utter bafflement – what are we doing? What is an English poet doing in a film studio which makes Tamil films for the simplest sort of people? People whose lives least afforded them the possibility of cultivating a taste for English poetry? The poet looked pretty baffled too, for he too must have felt the sheer incongruity of his talk about the thrills and travails of an English poet. His visit remained an unexplained mystery.
(आखिर दोपहर बाद लगभग चार बजे वह कवि (अथवा सम्पादक) आया। वह लम्बा व्यक्ति था, पूरा अंग्रेज, बहुत गम्भीर और हाँ हम सबके लिए बहुत अनजाना। शूटिंग स्टेज में लगे आधा दर्जन पैडस्टल पंखों से संघर्ष करते हुए बॉस ने एक लम्बा भाषण पढ़ा। साफ था कि उसे भी उस कवि (अथवा सम्पादक) के बारे में कुछ नहीं पता था। भाषण बड़ी सामान्य शब्दावली में था पर उसमें जहाँ-तहाँ ‘स्वतन्त्रता’ और ‘प्रजातन्त्र’ जैसे शब्द भरे हुए थे। फिर वह कवि बोला । हो नहीं सकता कि उसने पहले कभी ऐसी हैरान और शान्त सभा में भाषण दिया हो-किसी को नहीं पता था कि वह किस विषय पर बोल रहा था और उसका उच्चारण उसकी बात को समझने के सारे प्रयत्न को असफल कर देता था।
पूरा समारोह करीब एक घण्टा चला और हम सब बड़ी उलझन के साथ वहाँ से उठे-हम क्या कर रहे हैं ? एक अंग्रेज कवि उस फिल्म स्टूडियो में क्या कर रहा है जो अति साधारण लोगों के लिए तमिल फिल्म बनाता है ? ऐसे लोग जिनका जीवन उन्हें अंग्रेजी कविता में रुचि लेने का बहुत कम अवसर देता था। कवि भी काफी उलझन से ग्रस्त दिखाई देता था क्योंकि उसने भी एक अंग्रेज कवि के रोमांच और श्रम की चर्चा की पूर्ण बेमेलता को अवश्य अनुभव किया होगा। उसका आना एक अनसुलझा रहस्य बना रहा।)
The great prose-writers of the world may not admit it, but my conviction grows stronger day after day that prose-writing is not and cannot be the true pursuit of a genius. It is for the patient, persistent, persevering drudge with a heart so shrunken that nothing can break it; rejection slips don’t mean a thing to him; he at once sets about making a fresh copy of the long prose piece and sends it on to another editor enclosing postage for the return of the manuscript. It was for such people that The Hindu had published a tiny announcement in an insignificant corner of an unimportant page-a short story contest organized by a British periodical by the name The Encounter.
Of course, The Encounter wasn’t known commodity among he Gemini literati. I wanted to get an idea of the periodical before I spent a considerable sum in postage sending a manuscript to England. In those days, the British Council Library had an entrance with no long-winded signboards and notices to make you feel you were sneaking into a forbidden area. And there were copies of The Encounter lying about in various degrees of freshness, almost untouched by readers.
When I read the editor’s name, I heard a bell ringing in my shrunken heart. It was the poet who had visited the Gemini Studios: I felt like I had found a long-lost brother and I sang as I sealed the envelope and wrote out his address. I felt that he too would be singing the same song at the same time – long-lost brothers of Indian films discover each other by singing the same song in the first reel and in the final reel of the film. Stephen Spender. Stephen – that was his name.
(संसार के महान् गद्य-लेखक बेशक चाहे यह बात मानें परन्तु मेरा यह विश्वास दिन-प्रतिदिन बढ़ता जाता है कि गद्य-लेखन किसी प्रतिभावान व्यक्ति के करने योग्य सही कार्य नहीं है और न ही हो सकता है। यह तो ऐसे दिल का काम है जो लगातार उस धैर्यपूर्वक, हठपूर्वक, मेहनत करते रहते हैं और जो दिल इतने सिकुड़े होते हैं कि कोई बात उनके दिल को तोड़ ही नहीं सकती; अस्वीकृति की चिटें उसके लिए कोई अर्थ नहीं रखती; वह तुरन्त अपने लम्बे गद्य की एक नई कापी तैयार करने में लग जाता है और पाण्डुलिपि को लौटाने के लिए पोस्टेज स्टैम्प लिफाफे के साथ डालकर किसी दूसरे सम्पादक के पास भेज देता है। ऐसे लोगों के लिए ‘दि हिन्दू’ ने एक महत्त्वहीन पेज के एक महत्त्वहीन कोने में एक छोटी-सी घोषणा प्रकाशित की थी-‘द एनकाउंटर’ नाम की एक ब्रिटिश पत्रिका द्वारा एक कहानी प्रतियोगिता का आयोजन। निःसन्देह, जैमिनी के पुस्तकों से सम्बन्ध रखने वाले व्यक्तियों के लिए, ‘द एनकाउन्टर’ कोई जानी-मानी वस्तु नहीं थी।
इंग्लैण्ड भेजने के लिए पाण्डुलिपि पर भारी खर्च करने से पहले मैं उस पत्रिका के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करना चाहता था। उन दिनों ब्रिटिश कौंसिल लाइब्रेरी के प्रवेश-द्वार पर ऐसे बड़े और प्रभावशाली साइनबोर्ड नहीं थे कि आपको लगे कि आप किसी प्रतिबन्धित क्षेत्र में डरते हुए प्रवेश कर रहे हो। और वहाँ पर ‘द एनकाउंटर’ की कापियाँ अलग-अलग मात्रा की ताजगी से बिखरी पड़ी थीं, पाठकों द्वारा लगभग अनछुई सी। जब मैंने सम्पादक का नाम पढ़ा तो मैंने अपने सिकुड़े हुए दिल में एक घण्टी बजती सुनी। यह वही कवि था जो जैमिनी स्टूडियो में आया था। मुझे लगा कि जैसे मुझे मेरा बड़े दिनों से खोया हुआ भाई मिल गया है और लिफाफा बन्द करते और उस पर उसका पता लिखते हुए मैं गा रहा था। मुझे लगा कि ठीक उसी समय वह भी वही गाना गा रहा होगा-भारतीय फिल्मों में बहुत दिनों से खोए हुए भाई पिक्चर की पहली और अन्तिम रील में एक ही गाना गाकर एक-दूसरे को ढूँढ लेते हैं। स्टीफन स्पैंडर। स्टीफन यही उसका नाम था।)
And years later, when I was out of Gemini Studios and I had much time but not much money, anything at a reduced price attracted my attention. On the footpath in front of the Madras Mount Road Post Office, there was a pile of brand new books for fifty paise each. Actually, they were copies of the same book, an elegant paperback of American origin. ‘Special low-priced student edition, in connection with the 50th Anniversary of the Russian Revolution, I paid fifty paise and picked up a copy of the book, The God That Failed.
Six eminent men of letters in six separate essays described their journeys into Communism and their disillusioned return’, Andre Gide, Richard Wright, Ignazio Silone, Arthur Koestler, Louis Fischer, and Stephen Spender. Stephen Spender! Suddenly the book assumed tremendous significance. Stephen Spender, the poet who had visited Gemini Studios! In a moment I felt a dark chamber of my mind lit up by a hazy illumination. The reaction to Stephen Spender at Gemini Studios was no longer a mystery. The Boss of the Gemini Studios may not have much to do with Spender’s poetry. But not with his god that failed.
(और कई सालों जब मैं जैमिनी स्टूडियो से बाहर था और मेरे पास समय बहुत था पर पैसे न थे, घटी दर पर मिलने वाली कोई भी वस्तु मुझे आकर्षित कर लेती थी। मद्रास की माउण्ट रोड के सामने फुटपाथ पर बिल्कुल नई किताबों का एक ढेर लगा था, हर पुस्तक पचास पैसे में। वास्तव में वे एक ही पुस्तक की प्रतियाँ थीं, एक मूल अमेरिकन पुस्तक ‘रूसी क्रान्ति के 50वें वर्ष पर एक विशेष सस्ता छात्र संस्करण’ की शानदार पेपरबैक, मैंने पचास पैसे दिए और ‘ईश्वर जो असफल रहा’ की एक प्रति उठा ली।
छः प्रमुख विद्वानों ने छः अलग-अलग निबन्धों में साम्यवाद तक अपनी यात्रा और ज्ञान-प्राप्ति के बाद वापसी का वर्णन किया था; “ऐन्द्रे गाइड”, रिजर्ड राइट, इगनैजिओ सिलोन, ऑर्थर कोइस्लर, लूईस फिशर और स्टीफन स्पैंडर। स्टीफन स्पैंडर! अचानक ही पुस्तक बड़ी महत्त्वपूर्ण बन गई। स्टीफन स्पैंडर, वह कवि जो जैमिनी स्टूडियो में आया था! क्षण भर ही में मुझे लगा कि मेरे दिमाग के अन्धेरे कमरे में अचानक धुंध भरा प्रकाश हो गया है। जैमिनी स्टूडियो में स्टीफन स्पैंडर के प्रति हुई प्रतिक्रिया अब रहस्य नहीं रह गई थी। जैमिनी स्टूडियो के बॉस को स्पैंडर की कविता से चाहे कुछ लेना-देना न हो। परन्तु उसके उस ईश्वर से तो था जो असफल हो गया था।)