Class 12

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

HBSE 12th Class Sociology भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ Textbook Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
हित समूह प्रकार्यशील लोकतंत्र के अभिन्न अंग हैं। चर्चा कीजिए।
उत्तर:
दबाव समूह या हित समूह संगठित अथवा असंगठित समूह होते हैं जो सरकार की नीतियां प्रभावित करते या हित समूह है तथा अपने हितों को बढ़ावा देते हैं। यह विभिन्न स्तरों पर अपने सदस्यों के हितों की रक्षा करते हैं। यह प्रकार्यशील लोकतंत्र का निम्नलिखित ढंग से अभिन्न अंग होते हैं-
(i) यह हित समह किसी विशेष मददे पर आंदोलन चलाते हैं ताकि जनता का समर्थन हासिल किया जा सके। दोनों ही संचार माध्यमों की सहायता लेते हैं ताकि जनता का ध्यान अधिक से अधिक अपनी ओर खींचा जा सके।

(ii) यह साधारणतया हड़तालें करवाते हैं, रोषमार्च निकालते हैं तथा सरकारी कार्यों में बाधा पहुँचाने का प्रयास करते हैं। यह हड़ताल की घोषणा करते हैं तथा धरने पर बैठते हैं ताकि अपनी आवाज़ उठा सकें। अधिकतर फैडरेशन तथा यूनियनें सरकारी नीतियों को प्रभावित करने के लिए इन्हीं ढंगों का प्रयोग करते हैं।

(iii) साधारण तथा व्यापारी समूह लॉबी का निर्माण करते हैं जिसके कुछ आम हित होते हैं ताकि सरकार पर उसकी नीतियाँ बदलने के लिए दबाव बनाया जा सके।

(iv) यह समूह समाचार पत्रों को निकालते हैं तथा उन्हें अपने नियंत्रण में रखते हैं ताकि जनता में अपने हितों का प्रचार करके उन्हें अपने पक्ष में किया जा सके।

प्रश्न 2.
संविधान सभा की बहस के अंशों का अध्ययन कीजिए। हित समूहों को पहचानिए। समकालीन भारत में किस प्रकार के हित समूह हैं? वे कैसे कार्य करते हैं?
उत्तर:
संविधान सभा की बहस के अंश पाठ्य पुस्तक में दिए गए हैं। इसका अध्ययन करने के बाद हमें यह पता चलता है कि हमारे देश में कई प्रकार के आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, व्यपारिक हित समूह पाए जाते हैं। यह सभी हित समूह अपने सदस्यों के हितों की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं। यह अपने हितों की पूर्ति के लिए सरकार पर कई प्रकार से दबाव डालते हैं तथा अपनी मांगें मनवाते हैं। ट्रेड यूनियन, किसान संघ इसकी उदाहरणे हैं।

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प्रश्न 3.
विद्यालय में चुनाव लड़ने के समय अपने आदेशपत्र के साथ एक फड़ बनाइए। (यह पाँच लोगों के एक छोटे समूह में भी किया जा सकता है, जैसा पंचायत में होता है।)
उत्तर:
इस प्रश्न को विद्यार्थी स्वयं अपने अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 4.
क्या आपने बाल मजदूर और मज़दूर किसान संगठन के बारे में सुना है? यदि नहीं तो पता कीजिए और उनके बारे में 200 शब्दों में एक लेख कीजिए।
उत्तर:
(i) बाल मज़दूर-अगर किसी की आयु 14 वर्ष से कम है तथा वह मजदूरी करता है तो इसे बाल मजदूरी कहते हैं। हमारे देश में यह एक बहुत बड़ी समस्या है। चाहे हमारे देश में बाल मजदूरी कानूनन जुर्म है तथा इसके लिए सज़ा का भी प्रावधान है परंतु फिर भी यह समस्या कम होने की बजाए बढ़ रही है। इसका कारण है अत्यधिक निर्धनता तथा अधिक जनसंख्या।

निर्धन लोगों के पास बच्चों को पढ़ाने के लिए पैसा नहीं होता जिस कारण वह अपने बच्चों को छोटी आयु में ही कार्य करने को लगा देते हैं जिससे बाल अपराध बढ़ता है। इस समस्या को दूर करने के लिए निःशुल्क शिक्षा तथा मुफ्त किताबों का प्रबन्ध किया है, दोपहर के खाने का भी प्रबन्ध किया है ताकि बच्चे बाल मज़दूरी को छोड़ कर शिक्षा को अपनाएं तथा जीवन में प्रगति करें।

(ii) किसान संगठन-हमारा देश कषि प्रधान देश है जहाँ पर 70% के लगभग जनसंख्या कषि या उससे संबंधित कार्यों से जुड़ी हुई है। इस प्रकार के कृषि प्रधान देश में किसान संगठनों का होना लाज़मी है जो किसानों के हितों के लिए कार्य करते हैं। कृषि बहुल प्रदेशों जैसे कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश इत्यादि में तो इनकी स्थिति काफ़ी महत्त्वपूर्ण है।

यह प्रदेशों की राजनीति को काफ़ी हद तक प्रभावित करते हैं। यह संगठन किसानों की समस्याओं को सरकार के सामने लाते हैं, सरकार पर दबाव बनाते हैं ताकि किसानों की समस्याओं को दूर किया जा सके। यह किसान संगठन एक प्रकार से दबाव समूह अथवा हित समूहों की तरह ही कार्य करते हैं।

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प्रश्न 5.
ग्रामीणों की आवाज़ को सामने लाने में 73वाँ संविधान संशोधन अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। चर्चा कीजिए।
उत्तर:
1992 में 73वां संवैधानिक संशोधन हुआ जिससे प्रारंभिक स्तर पद लोकतंत्र तथा विकेंद्रीकृत शासन का पता चलता है। इस संशोधन से पंयाचती राज संस्थाओं को संवैधानिक स्थिति प्राप्त हुई। अब स्थायी स्वशासन के सदस्यों का गाँवों तथा नगरों में हरेक 5 वर्षों बाद चुना जाना जरूरी हो गया। इसके साथ ही स्थानीय संसाधनों पर चुने हुए निकायों का नियंत्रण स्थापित हो गया। इसकी विशेषताएं हैं-
(i) ग्राम स्तर पर सबसे पहले ग्राम सभा स्थापित की गई जिसके सदस्य गाँव के सभी बालिग होते हैं। यही सभा स्थानीय सरकार का चुनाव करके उसे निश्चित उत्तरदायित्व सौंपती है। ग्राम सभा में गांव के विकास कार्यों की चर्चा होती है तथा यह गाँव के सदस्यों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में भागीदार बनती है।

(ii) इस संशोधन से 20 लाख से अधिक जनसंख्या वाले हरेक राज्य में तीन स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई।

(iii) अब हरेक पाँच वर्षों बाद इसके सदस्यों का चुनाव करना ज़रूरी हो गया।

(iv) इस संशोधन से इन संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33% स्थान तथा अनुसूचित जातियों व जनजातियों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुसार स्थान आरक्षित रखे गए।

(v) इसने पूरे जिले के विकास को प्रारूप निर्मित करने के लिए जिला योजना समिति गठित की।

73वें तथा 74वें संवैधानिक संशोधन से ग्रामीण तथा नगरीय स्वःशासन की संस्थाओं में 33% स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित रखे गए जिनमें से 17% सीटें अनूसूचित जातियों तथा जनजातियों की महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इससे महिलाओं को स्थानीय स्तर पर पहली बार निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया गया। यह प्रावधान 1992-93 से सम्पूर्ण देश में लागू है।

प्रश्न 6.
एक निबंध लिखकर उदाहरण देते हुए उन तरीकों को बताइए जिनसे भारतीय संविधान ने साधारण जनता में दैनिक महत्त्वपूर्ण समस्याओं का अनुभव किया है?
अथवा
संविधान द्वारा भारतीय समाज में क्या-क्या परिवर्तन लाए गए?
अथवा
संविधान से भारतीय समाज में क्या-क्या परिवर्तन आए हैं? सविस्तार प्रतिपादित करें।
अथवा
भारतीय संविधान लोगों के दैनिक जीवन से जुड़ा है। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(i) भारतीय संविधान ने अपने सभी नागरिकों को समानता का अधिकार दिया है कि कानून के सामने सभी समान हैं। किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी आधार अर्थात् जन्म, जाति, प्रजाति, लिंग, रंग इत्यादि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। इससे निम्न जातियों की स्थिति उच्च जातियों के समान हो गई है।

(ii) भारतीय संविधान ने अपने नागरिकों को अच्छा जीवन जीने के लिए कुछ मौलिक अधिकार दिए हैं। ये सभी को बिना किसी भेदभाव के दिए गए हैं। इस प्रकार निम्न जातियों के लोग पहले की अपेक्षा अच्छा जीवन जी सकते हैं, जो कि भारतीय संविधान द्वारा दिया गया है।

(iii) हमारे संविधान ने देश को एक लोकतांत्रिक देश बनाया है। इसका अर्थ यह है कि यहां पर किसी प्रकार की तानाशाही का कोई स्थान नहीं है तथा जनता अपना शासक स्वयं चुनती है तथा सर्वोच्च अधिकार रखती है। इस प्रकार सत्ता जनता के हाथों में होती है तथा इससे जनता का रोज़ाना जीवन काफी हद तक प्रभावित हुआ है।

(iv) भारत एक ऐसा देश है जहां पर कई धर्मों के लोग रहते हैं। इन सभी धर्मों में धार्मिक हिंसा को टालना अति आवश्यक था। इसलिए ही हमारे संविधान ने देश को एक धर्म निष्पक्ष राज्य बनाया है अर्थात् राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है। इसका अर्थ यह है कि सभी धर्मों को समान स्थिति प्रदान की गई है। इसने भी जनता के रोज़ाना जीवन को प्रभावित किया है।

भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ HBSE 12th Class Sociology Notes

→ दिवंगत अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा था कि लोकतंत्र जनता की, जनता के लिए तथा जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार होती है। प्रत्यक्ष लोकतंत्र में सभी नागरिक बिना किसी चयनित या मनोनीत अधिकारी की मध्यस्थता के, सार्वजनिक निर्णयों में स्वयं भाग लेते हैं।

→ हमारे देश में सहभागी लोकतंत्र तथा शक्तियों के विकेंद्रीकरण की व्यवस्था की गई है। सहभागी लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें समूह या समुदाय के सभी सदस्य महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने में भाग लेते हैं। विकेंद्रीकृत व्यवस्था में शक्तियों का ऊपर से नीचे तक बँटवारा किया गया है।

→ भारतीय संविधान को 1946 में संविधान सभा ने बनाना शुरू किया तथा इसे बनते-बनते लगभग तीन वर्ष लग गए। 26 जनवरी, 1950 को यह लागू भी हो गया। इसमें देश के सभी नागरिकों को समानता, मौलिक अधिकार तथा मौलिक कर्तव्य दिए गए हैं तथा भेदभाव का इसमें कोई स्थान नहीं रखा गया है।

→ संविधान में कुछ मूल उद्देश्य शामिल किए गए हैं जिन्हें भारतीय राजनीति में न्यायोचित माना जाता है। निर्धन तथा पिछड़े हुए लोगों को सक्षम बनाना, निर्धनता उन्मूलन, जातिवाद समाप्त करने तथा सभी के प्रति समानता का व्यवहार करने के लिए यह कुछ सकारात्मक चरण हैं।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

→ हमारे देश में पंचायती राज की व्यवस्था की गई है। इसका शाब्दिक अर्थ है पाँच व्यक्तियों का शासन। यह विचार विदेश से नहीं बल्कि देश में ही शक्तियों को बाँटने की इच्छा के कारण आया। परंपरागत पंचायतों को चुनी हुई पंचायतों में परिवर्तित करने का उद्देश्य था शक्तियों में सभी को भागीदार बनाकर उनके क्षेत्रों का विकास करना।

→ 1992 के 73वें संवैधानिक संशोधन से पंचायती राज्य संस्थाओं को संवैधानिक परिस्थति प्रदान की तथा अब स्थानीय स्वः शासन के सदस्य गाँवों तथा नगरों में प्रत्येक 5 वर्ष बाद चुने जाते हैं। इसके साथ ही स्थानीय संसाधनों पर चुने हुए निकायों का नियंत्रण होता है।

→ पंचायतों को अपने क्षेत्रों का विकास करने के लिए बहुत सी शक्तियाँ दी गई हैं और जैसे कि योजनाएं बनाना, जुर्माना या शुल्क लगाकर एकत्र करना, गाँवों के विकास के लिए पैसा सरकार से प्राप्त करना इत्यादि। इनके लिए तो सरकार ने कई कार्यक्रम भी चला रखे थे जैसे कि C.D.P., I.R.D.P., J.R.Y. NREGA, MNREGA इत्यादि।

→ चाहे संविधान ने सभी को समानता का अधिकार दिया है परंतु फिर भी लोकतंत्र और असमानता का गहरा संबंध है। बहुत से मामलों में गाँव के कुछ विशेष समूहों को न तो शामिल किया जाता है तथा न ही उन्हें बताया जाता है। अमीर लोग ग्राम सभा को नियंत्रित करते हैं तथा बहुसंख्यक उन्हें केवल देखते ही रह जाते है।

→ राजनीतिक दल एक ऐसा संगठन होता है जो सत्ता हथियाने तथा सत्ता का उपयोग कुछ विशिष्ट कार्यों को संपन्न करने के उद्देश्य से स्थापित करता है। लोकतंत्र में राजनीतिक दल तथा उनके निर्णयों को प्रभावित करने वाले दबाव समूह काफ़ी महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं क्योंकि लोकतंत्र इन्हीं के कारण ही तो चलता है।

→ प्रत्यक्ष लोकतंत्र-लोकतंत्र का वह रूप जिसमें सभी नागरिक बिना किसी मनोनीत मध्यस्थ के सार्वजनिक निर्णयों में भाग लेते हैं।

→ सहभागी लोकतंत्र-एक ऐसी व्यवस्था जिसमें महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए समूदाय के सभी सदस्य एक साथ भाग लेते हैं।

→ विकेंद्रीकरण-वह प्रक्रिया जिसमें राज्य की शक्तियों को ऊपर से लेकर नीचे तक विभाजित किया जाता है।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

→ संविधान-एक ऐसा दस्तावेज जिससे किसी राष्ट्र के सिद्धांतों का निर्माण होता है।

→ पंचायत-पाँच व्यक्तियों के शासन को पंचायत कहते हैं।

→ दबाव समूह-वह शक्तिशाली समूह जो सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए किसी न किसी प्रकार से दबाव डालते हैं।

→ राजनीतिक दल-ऐसा संगठन जिसकी स्थापना सत्ता हथियाने और सत्ता का उपयोग कुछ विशिष्ट कार्यों को संपन्न करने के उद्देश्य से होती है।

→ निजीकरण-सरकारी उद्यमों को निजी व्यक्तियों या समूहों को बेचने की प्रक्रिया।

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HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों का मुख्य पेशा क्या है?
(A) कृषि
(B) नौकरी
(C) व्यापार
(D) उद्योग।
उत्तर:
कृषि।

2. कितने प्रतिशत भारतीय जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर करती है?
(A) 60%
(B) 70%
(C) 80%
(D) 50%
उत्तर:
70%.

3. भारत में अंदाजन कितने गांव हैं?
(A) 4 लाख
(B) 5 लाख
(C) 6 लाख
(D) 4.5 लाख।
उत्तर:
6 लाख।

4. कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी किस पर निर्भर करती है?
(A) नई तकनीक
(B) उन्नत बीज
(C) रासायनिक उर्वरक
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन

5. किस क्रांति ने कृषि उत्पादन के क्षेत्र में अत्यधिक बढ़ौत्तरी की है?
(A) हरित क्रांति
(B) श्वेत क्रांति
(C) नीली क्रांति
(D) पीली क्रांति।
उत्तर:
हरित क्रांति।

6. 1793 में ज़मींदार व्यवस्था किसने शुरू की थी?
(A) लॉर्ड विलियम बैंटिक
(B) लॉर्ड कार्नवालिस
(C) लॉर्ड माऊँटबेंटन
(D) लॉर्ड डलहौज़ी।
उत्तर:
लॉर्ड कार्नवालिस।

7. कृषि को प्रोत्साहित करने के लिए सबसे पहले कौन-सा कार्यक्रम शुरू किया गया था?
(A) IRDP
(B) IADP
(C) CDP
(D) SJSY
उत्तर:
IADP

8. भारत में रैय्यतवाड़ी प्रथा किसने शुरू की थी?
(A) लॉर्ड डलहौज़ी
(B) लॉर्ड कार्नवालिस
(C) लॉर्ड बैंटिक
(D) लॉर्ड माऊँटबेटन।
उत्तर:
लॉर्ड बैंटिक।

9. हरित क्रांति के द्वारा किस चीज़ का उत्पादन बढ़ाया गया?
(A) गेहूँ
(B) चावल
(C) a + b दोनों
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
a + b दोनों।

10. कृषि उत्पादन कैसे बढ़ाया जा सकता है?
(A) मशीनों का प्रयोग करके
(B) उन्नत बीजों का प्रयोग करके
(C) कैमिकल उर्वरक प्रयोग करके
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

11. हरित क्रांति का अधिक लाभ उत्तर भारतीय प्रदेशों ने क्यों उठाया था?
(A) उपजाऊ भूमि के कारण
(B) सिंचाई के साधनों की उपलब्धता के कारण
(C) निवेश के लिए पैसा होने के कारण
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन

12. जब कुछ किसान इकट्ठे होकर कृषि करते हैं तो उसे क्या कहते हैं?
(A) सहकारी कृषि
(B) एकत्रता कृषि
(C) इकट्ठ कृषि
(D) ज़मींदारी व्यवस्था।
उत्तर:
सहकारी कृषि।

13. रैय्यत का क्या अर्थ है?
(A) ज़मींदार
(B) किसान
(C) मज़दूर
(D) सरकार।
उत्तर:
किसान।

14. इनमें से कौन-सी ज़मींदारी व्यवस्था की विशेषता है?
(A) ज़मींदार भूमि का स्वामी होता था।
(B) ज़मींदार अपनी भूमि ग़रीब किसानों को कृषि करने के लिए देता था।
(C) ज़मींदार किसानों से लगान इकट्ठा करके सरकार को देता था।
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

15. महलवाड़ी प्रथा में भूमि का स्वामी कौन होता था?
(A) किसान
(B) परिवार
(C) गाँव
(D) जमींदार।
उत्तर:
गाँव।

16. महलवाड़ी प्रथा में लोगों से लगान कौन इकट्ठा करता था?
(A) नंबरदार
(B) ज़मींदार
(C) परिवार
(D) सरकार।
उत्तर:
नंबरदार।

17. ज़मींदार उन्मूलन की क्या विशेषता थी?
(A) बंजर भूमि सरकार के हाथों में आ गई
(B) ज़मींदारों को उनकी भूमि का मुआवजा दिया गया
(C) मुआवजा नगद या किस्तों में दिया गया
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

18. भारत में स्वतंत्रता के पश्चात् कौन-सा भूमि सुधार किया गया?
(A) ज़मींदार प्रथा का खात्मा
(B) भूमि के स्वामित्व की सीमा तय करना
(C) काश्तकारी व्यवस्था में सुधार
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

19. हरित क्रांति की हानि क्या थी?
(A) सीमित क्षेत्रों में आई थी
(B) सीमित फसलों को प्रोत्साहित किया था
(C) अमीरों को अधिक लाभ हुआ
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

20. हरित क्रांति का मुख्य आधार क्या था?
(A) फसलों का मूल्य निर्धारित करना
(B) कीटनाशकों का प्रयोग
(C) तकनीकों तथा उर्वरकों का प्रयोग
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

21. प्राचीन भारत में किस प्रकार की व्यवस्था थी?
(A) जाति प्रथा
(B) वर्ग व्यवस्था
(C) सामाजिक व्यवस्था
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
जाति प्रथा।

22. आधुनिक भारत में किस प्रकार की व्यवस्था मिल जाती है?
(A) जाति प्रथा
(B) वर्ग व्यवस्था
(C) सामाजिक व्यवस्था
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
वर्ग व्यवस्था।

23. इनमें से कौन-सा वर्ग नगरों में देखने को मिल जाता है?
(A) व्यापारी वर्ग
(B) अध्यापक वर्ग
(C) ट्रेड यूनियन
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

24. इनमें से कौन-सा वर्ग ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल जाता है?
(A) छोटे किसान
(B) पूंजीपति किसान
(C) सज्जन किसान
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

25. क्या यह मुमकिन है कि सभी व्यक्तियों की सामाजिक स्थिति एक जैसी हो जाए?
(A) हाँ
(B) नहीं
(C) कह नहीं सकते
(D) पता नहीं।
उत्तर:
नहीं।

26. उस समूह को ……………… समूह कहते हैं जिसे समाज में कोई विशेष स्थान प्राप्त होता है।
(A) सज्जन
(B) अभिजात
(C) विशेष
(D) पूंजीपति।
उत्तर:
अभिजात।

27. उस व्यक्ति को …………….. किसान कहते हैं जिसने रिटायर होने के पश्चात् अपना पैसा कृषि में लगा दिया है।
(A) मध्यमवर्गीय
(B) पूंजीपति
(C) सीमांट
(D) सज्जन।
उत्तर:
सज्जन।

28. ……………… किसान उस समूह का सदस्य होता है जो कृषि कार्यों में इस तरह पूंजी निवेश करता ताकि अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त हो सके।
(A) मध्यमवर्गीय
(B) पूंजीपति
(C) सीमांत
(D) सज्जन।
उत्तर:
पूंजीपति।

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29. इनमें से कौन-सा संविदा खेती का समाजशास्त्रीय महत्त्व रखता है?
(A) सभी व्यक्तियों को उत्पादन प्रक्रिया से जोड़ना
(B) बहुत से व्यक्तियों को उत्पादन प्रक्रिया से अलग कर देना
(C) देशीय कृषि-ज्ञान को निरर्थक बना देना।
(D) (B) व (C) दोनों।
उत्तर:
(B) व (C) दोनों।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राचीन समय में भारत में किस प्रकार की व्यवस्था थी?
उत्तर:
प्राचीन समय में भारत में जाति व्यवस्था थी जोकि जातियों में स्तरीकरण पर निर्भर थी।

प्रश्न 2.
आजकल भारतीय समाज में किस प्रकार की व्यवस्था आगे आ रही है?
उत्तर:
आजकल भारतीय समाज में जाति व्यवस्था की जगह वर्ग व्यवस्था आगे आ रही है।

प्रश्न 3.
शहरों में किस प्रकार के वर्ग देखने को मिल जाते हैं?
उत्तर:
शहरों में व्यवसायी, अध्यापक, मध्यम वर्ग तथा और कई प्रकार के वर्ग देखने को मिल जाते हैं।

प्रश्न 4.
गांवों में आजकल किस प्रकार के वर्ग देखने को मिलते हैं?
उत्तर:
गांवों में आजकल छोटे किसान, मध्यमवर्गीय किसान, पूंजीपति किसान तथा मज़दूर या बगैर भूमि के किसान देखने को मिल जाते हैं।

प्रश्न 5.
गांव की पहचान किस तरह होती है?
उत्तर:
आम तौर पर गांव की पहचान जाति के आधार पर होती है।

प्रश्न 6.
क्या मनुष्यों के समाज में सभी व्यक्तियों की स्थिति या पद एक समान हो सकते हैं?
उत्तर:
जी नहीं, मनुष्यों के समाज में सभी व्यक्तियों की स्थिति या पद एक समान नहीं हो सकते हैं क्योंकि ऐसा करने से शक्ति संतुलन बिगड़ सकता है।

प्रश्न 7.
भारत के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध कब तथा क्यों लगे थे?
उत्तर:
कुछ देशों ने भारत के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे क्योंकि सन् 1998 में भारत ने पोखरन (राजस्थान में) परमाणु परीक्षण किए थे।

प्रश्न 8.
भारत में उदारीकरण तथा भूमंडलीकरण कब शुरू हुए थे?
उत्तर:
भारत में उदारीकरण तथा किरण 1991 के बाद शुरू हुए जब नरसिम्हा राव सरकार में मनमोहन सिंह वित्त मंत्री बने थे।

प्रश्न 9.
भारत में कितने टेलीफोन एक्सचेंज हैं?
उत्तर:
भारत में 35000 के करीब टेलीफोन एक्सचेंज हैं।

प्रश्न 10.
भारत में नयी औद्योगिक नीति की घोषणा कब हुई थी?
उत्तर:
भारत में नयी औद्योगिक नीति की घोषणा 1991 में हुई थी।

प्रश्न 11.
जाति वर्ग में क्यों बदल रही है?
उत्तर:
जाति-प्रथा में बहुत से बंधन जैसे विवाह, खाने-पीने इत्यादि पर बंधन हुआ करते थे परंतु नगरीकरण, औद्योगीकरण, पश्चिमीकरण इत्यादि की वजह से जाति-प्रथा कमज़ोर पड़ रही है तथा उसकी जगह वर्ग व्यवस्था सामने आ रही है।

प्रश्न 12.
सन् 2000 में भारत में खाद्यान्न का कितना उत्पादन हुआ था?
उत्तर:
सन् 2000 में भारत में खाद्यान्न का उत्पादन 250 मिलियन टन के करीब हुआ था।

प्रश्न 13.
भारत में ज़मींदारी प्रथा कब शुरू हुई थी?
अथवा
ज़मींदारी व्यवस्था किसने शुरू की?
उत्तर:
भारत में ज़मींदारी प्रथा लार्ड कार्नवालिस द्वारा 1793 में शुरू हुई थी।

प्रश्न 14.
लगान क्या होता है?
उत्तर:
जो पैसा किसान हरेक वर्ष ज़मींदार को भूमि के कर के रूप में देता हैं उसे लगान कहते हैं।

प्रश्न 15.
कृषि को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले कौन-सा कार्यक्रम चलाया गया था?
उत्तर:
कृषि को बढ़ावा देने के लिए सबसे पहले IADP (Intensive Agricultural District Programme) 1960-61 में चलाया गया था।

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प्रश्न 16.
रैय्यतवाड़ी प्रथा कब शुरू हुई थी?
उत्तर:
रैय्यतवाड़ी प्रथा 1792 में मद्रास प्रांत में लार्ड विलियम बैंटिंक ने शुरू की थी।

प्रश्न 17.
यूरिया या खाद क्या होती है?
उत्तर:
ये वे रासायनिक पदार्थ होते हैं जिनसे भूमि की खाद्यान्न पैदा करने की क्षमता बढ़ती है। उदाहरण के तौर पर पोटाश, नाइट्रोजन, फॉस्फेट इत्यादि।

प्रश्न 18.
किस खाद्यान्न का उत्पादन भारत में ज्यादा है?
उत्तर:
चावल का उत्पादन भारत में सबसे ज्यादा है।

प्रश्न 19.
हरित क्रांति के फलस्वरूप कौन-सी फसलों का उत्पादन बढ़ा है?
उत्तर:
हरित क्रांति के फलस्वरूप चावल तथा गेहूँ का उत्पादन बढ़ा है।

प्रश्न 20.
सामाजिक स्तरीकरण की खुली व बंद व्यवस्था में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वर्ग सामाजिक स्तरीकरण में खुली व्यवस्था है जिसकी सदस्यता व्यक्ति की योग्यता पर आधारित होती है तथा इसे कभी भी बदला जा सकता है। परंतु सामाजिक स्तरीकरण की बंद व्यवस्था जाति होती है जिसकी सदस्यता जन्म पर आधारित होती है तथा योग्यता होते हुए भी व्यक्ति इसे बदल नहीं सकता।

प्रश्न 21.
भूमि सुधार से आप क्या समझते हैं?
अथवा
भूमि सुधार का अर्थ बताएं।
उत्तर:
आज़ादी से पहले भूमि, कृषि, कृषक बीच की कड़ियों व सरकार के बीच संबंधों के कुछ दोष थे जिन्हें दूर करने के लिए कुछ सुधार किए गए जिन्हें भूमि सुधार कहा गया। ज़मींदारों का उन्मूलन बिचौलियों का उन्मूलन, गरीबों को भूमि देना इत्यादि इन सुधारों में शामिल था।

प्रश्न 22.
गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या होता है?
उत्तर:
गाँव के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि ही होता है। भूमि से उत्पादन उनके स्रोत का मुख्य साधन है। भारत की 70% के करीब जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर करती है।

प्रश्न 23.
भारत में कितने गाँव हैं?
उत्तर:
भारत में 5,50,000 के करीब गाँव हैं।

प्रश्न 24.
कृषि के उत्पादन में विकास किस चीज़ पर निर्भर करता है?
उत्तर:
कृषि के उत्पादन में विकास भूमि के लिए किए गए सुधारों, नई-नई तकनीकों के प्रयोग, नए आविष्कारों को प्रयोग करने से होता है।

प्रश्न 25.
हरित क्रांति से पहले भारत में खाद्यान्न की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
हरित क्रांति से पहले भारत अपनी जरूरतों के अनुसार उत्पादन नहीं कर पाता था तथा उसे अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए बाहर के देशों से खाद्यान्न मंगवाना पड़ता था।

प्रश्न 26.
किस क्रांति से भारत में कृषि उत्पादन में बहुत विकास हुआ था?
उत्तर:
हरित क्रांति से भारत में कृषि उत्पादन में बहुत विकास हुआ था।

प्रश्न 27.
हरित क्रांति में उत्पादन में बढ़ोत्तरी किन वैज्ञानिकों की कोशिशों का नतीजा है?
उत्तर:
हरित क्रांति में उत्पादन में बढ़ोत्तरी का श्रेय डॉ० एम० एस० स्वामीनाथन तथा डॉ० बोरमान बोरलाग को जाता है।

प्रश्न 28.
हरित क्रांति से धनी किसानों को कैसे ज्यादा लाभ हुआ?
उत्तर:
हरित क्रांति से नई तकनीकें, बीज तथा खादें हमारे सामने आईं तथा इन सब चीज़ों को खरीदना धनी किसानों के लिए ही मुमकिन था। इसलिए हरित क्रांति से धनी किसानों को ज्यादा लाभ हुआ।

प्रश्न 29.
भूमि सुधार के क्या कारण थे?
उत्तर:

  • भूमि सुधार का पहला कारण कृषि के क्षेत्र तथा उत्पादन में वृद्धि करना था।
  • दूसरा कारण दलालों या मध्यस्थों को खत्म करके किसानों का शोषण खत्म करना था ताकि किसानों को भूमि मिल सके।

प्रश्न 30.
चकबंदी क्या होती है?
उत्तर:
यह भूमि को इकटठा करने की व्यवस्था है। अगर किसी किसान की एक ही गाँव में अलग-अलग जगह जोतने लायक ज़मीन होती थी तो उस किसान को एक ही जगह इकट्ठी ज़मीन दे दी जाती था या उन्हें एक ही स्थान पर संगठित कर दिया जाता था। उसे चकबंदी कहा जाता था।

प्रश्न 31.
सहकारी खेती क्या होती है?
उत्तर:
सहकारी खेती का अर्थ है कि छोटे-छोटे भूमि के टुकड़ों के मालिक इकट्ठे होकर अपनी जमीन इकट्ठी करके सहकारिता के आधार पर खेती करना तथा उस भूमि से होने वाली आय को अपनी भूमि के अनुसार बांट लेना। इससे व्यक्ति अपनी भूमि का मालिक भी बना रहता है तथा कृषि संबंधी काम भी मिल-बांट कर हो जाते हैं। उससे जो लाभ होता है उसे बांट लिया जाता है।

प्रश्न 32.
काश्तकारी प्रथा क्या होती है?
उत्तर:
हमारे देश में 40% खेती इसी काश्तकारी प्रथा से होती है। इस प्रथा के अनुसार जब व्यक्ति अपनी भूमि पर खुद खेती नहीं करता बल्कि किसी ओर की जमीन जोतने के लिए दे देता है। इसके लिए जोतने वाला व्यक्ति ज़मीन के मालिक को किराया देता है। जोतने वाले को काश्तकार कहते हैं।

प्रश्न 33.
आर्थिक विकास क्या होता है?
उत्तर:
जब जीव जीने के लिए सभी ज़रूरी साधनों का विकास हो जाए या जीवन जीने के ज़रूरी साधन आराम से उपलब्ध हों तो हम कह सकते हैं कि आर्थिक विकास हो गया है।

प्रश्न 34.
हरित क्रांति से सबसे अधिक विकास उत्तर भारत के प्रदेशों को क्यों पहुँचा है?
उत्तर:
हरित क्रांति से सबसे अधिक विकास उत्तर भारत के प्रदेशों को इन क्षेत्रों में उपलब्ध अच्छी उपजाऊ जमीन तथा कृषि के लिए उपलब्ध सिंचाई की काफ़ी ज्यादा सुविधाओं की वजह से है।

प्रश्न 35.
उत्पादन में सुधार कैसे किया जा सकता है?
उत्तर:

  • अच्छे बीजों का प्रयोग करके उत्पादन सुधारा जा सकता है।
  • रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करके भी उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

प्रश्न 36.
ज़मींदारी प्रथा भारत में कब खत्म हुई थी?
उत्तर:
आज़ादी से पहले भारत में काफ़ी ज्यादा ज़मींदारी प्रथा प्रचलित थी। आजादी के बाद ज़मींदारी प्रथा खत्म कर दी गई। 1950 के बाद सभी राज्यों ने ज़मींदारी प्रथा के विरुद्ध कानून बनाए जिस वजह से यह ज़मींदारी प्रथा हमारे देश में खत्म हो गई।

प्रश्न 37.
हरित क्रांति क्या है?
अथवा
हरित क्रांति किसे कहते हैं?
अथवा
हरित क्रांति क्या होती है?
अथवा
हरित क्रांति से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भारत में नई तकनीकों, नए बीजों तथा उर्वरकों के प्रयोग से कृषि के उत्पादन के क्षेत्र में जो वृद्धि हुई है उसे हरित क्रांति कहते हैं।

प्रश्न 38.
भारत का आर्थिक विकास किस तरह कृषि पर निर्भर करता है?
उत्तर:
भारत का आर्थिक विकास इस तरह कृषि पर निर्भर करता है कि भारत की 70% के करीब जनसंख्या कृषि पर निर्भर करती है। ये लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आमदनी के लिए कृषि पर ही निर्भर करते हैं। अगर देश को विकास करना है तो इन लोगों का विकास ज़रूरी है। इसीलिए अगर यह 70% लोग तरक्की करेंगे तो ही देश आर्थिक तौर पर तरक्की कर पाएगा।

प्रश्न 39.
जाति वर्ग में क्यों बदल रही है?
उत्तर:
जाति-प्रथा में बहुत से बंधन जैसे विवाह, खाने-पीने इत्यादि पर बंधन हुआ करते थे परंतु नगरीकरण, औद्योगीकरण, पश्चिमीकरण इत्यादि की वजह से जाति-प्रथा कमज़ोर पड़ रही है तथा उसकी जगह वर्ग व्यवस्था सामने आ रही है।

प्रश्न 40.
अभिजात वर्ग या Elite Group क्या होता है?
उत्तर:
Elite का मतलब होता है विशिष्ट अर्थात् जिसे समाज में कोई विशेष (खास) या उच्च स्थिति प्राप्त हो उसे अभिजात या Elite कहते हैं। इस तरह अभिजात वर्ग वह वर्ग होता है जिसे समाज में कोई विशिष्ट स्थान प्राप्त हो।

प्रश्न 41.
सज्जन किसान कौन होते हैं?
उत्तर:
इस किसान वर्ग में काफ़ी ऐसे लोग होते हैं जो सरकारी, गैर-सरकारी, सैनिक तथा असैनिक सेवाओं में कार्यरत थे तथा रिटायर हो चुके हैं। अपनी नौकरी से प्राप्त धन को वह कृषि फार्मों में लगाते हैं तथा विकास करते हैं।

प्रश्न 42.
मध्यमजातीय किसान कौन होते हैं?
उत्तर:
इस प्रकार के किसान मध्यम जातियों के समूह होते हैं। यह बीच की जातियों के होते हैं। यह न तो बहुत अमीर होते हैं तथा न ही ग़रीब होते हैं। इसलिए इन्हें मध्यमवर्गीय कहते हैं।

प्रश्न 43.
पूंजीपति किसान कौन होते हैं?
उत्तर:
पूंजीपति किसान वर्ग एक ऐसा वर्ग है जो कृषि कार्यों में इस तरह से पूंजी निवेश करता है ताकि अधिक से-अधिक लाभ प्राप्त हो सकें। यह खाद्यान्न का उत्पादन बढ़ाने के लिए ऋण, अन्न प्रौद्योगिकी, मंडियों, यातायात तथा दरसंचार के साधनों तथा सस्ते श्रमिकों इत्यादि का प्रयोग करता है।

प्रश्न 44.
उदारीकरण क्या होता है?
उत्तर:
नियंत्रित अर्थव्यवस्था के अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उद्योगों तथा व्यापार पर से अनावश्यक प्रतिबंध हटाना ताकि अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं। यह एक आर्थिक प्रक्रिया है तथा यह समाज में आर्थिक परिवर्तनों की प्रक्रिया है।

प्रश्न 45.
भूमंडलीकरण क्या होता है?
उत्तर:
भूमंडलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक देश की अर्थव्यवस्था का संबंध अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं से जोड़ा जाता है अर्थात् एक देश के अन्य देशों के साथ वस्तु, सेवा, पूंजी तथा श्रम के अप्रतिबंधित आदान-प्रदान को भूमंडलीकरण कहते हैं। व्यापार का देशों के बीच मुक्त आदान-प्रदान होता है।

प्रश्न 46.
उदारीकरण के क्या कारण होते हैं?
उत्तर:

  • देश में रोज़गार के साधन विकसित करने के लिए ताकि लोगों को रोजगार मिल सके।
  • उद्योगों में ज्यादा-से-ज्यादा प्रतिस्पर्धा पैदा करना ताकि उपभोक्ता को ज्यादा-से-ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके।

प्रश्न 47.
निजीकरण क्या होता है?
उत्तर:
लोकतांत्रिक तथा समाजवादी देशों जहां पर मिश्रित प्रकार की अर्थव्यवस्था होती है। इस अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक उपक्रम होते हैं जोकि सरकार के नियंत्रण में होते हैं। इन सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपना ताकि यह और ज्यादा लाभ कमा सकें। इन सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने को निजीकरण कहते हैं।

प्रश्न 48.
ज़मींदारी व्यवस्था क्या है?
उत्तर:
इस प्रथा को लॉर्ड कार्नवालिस ने बंगाल में शुरू किया था। इसके अनुसार ज़मींदारों को भूमि का मालिक मान लिया गया तथा उनका लगान निश्चित कर दिया गया। ज़मींदार आगे भूमि किराए पर देकर छोटे किसानों से जितना मर्जी चाहे लगान वसूल कर सकते थे। इससे छोटे किसानों का शोषण होना शुरू हो गया।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन

प्रश्न 49.
महलवारी प्रथा का क्या अर्थ है?
अथवा
महलवारी व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
यह प्रथा अंग्रेजों के समय 19वीं सदी की शुरुआत में शुरू की थी जिसके अनुसार गांव के पूरे समुदाय को ही भूमि का मालिक मानकर उसका लगान निश्चित कर दिया जाता था। समुदाय का एक व्यक्ति गांव के सभी घरों से निश्चित लगान इकट्ठा करके सरकार तक पहुंचाता था परंतु इस प्रथा में लगान काफी अधिक होता था।

प्रश्न 50.
रैय्यतवाड़ी व्यवस्था क्या है?
अथवा
रैयतबाड़ी व्यवस्था में रैयत’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
रैय्यत का अर्थ है किसान अथवा कृषक। यह प्रथा लॉर्ड विलियम बैंटिंक ने चलाई थी जिसमें सरकार का सीधा संपर्क कृषक या रैय्यत के साथ होता था। इसमें हरेक रैय्यत का लगान निश्चित कर दिया जाता था तथा वह सीधे सरकार को ही इसका भुगतान करते थे। परंतु इसमें लगान काफी अधिक निश्चित किया जाता था।

प्रश्न 51.
किसी शैक्षणिक वर्ग का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अध्यापकों का वर्ग शैक्षणिक वर्ग का उदाहरण है।

प्रश्न 52.
हरित क्रांति से किस वस्तु का उत्पादन बढ़ा।
उत्तर:
हरित क्रांति से गेहूँ तथा चावल का उत्पादन बढ़ा।

प्रश्न 53.
पूँजीपति वर्ग क्या होता है?
उत्तर:
वह वर्ग जिसके पास बहुत-सा पैसा होता है जिसकी सहायता से वह नए उद्योग लगाता है ताकि और पैसा कमाया जा सके तथा जो मजदूरों का शोषण करता है उसे पूँजीपति वर्ग कहते हैं।

प्रश्न 54.
भारत में हरित क्रांति किस क्षेत्र में आई?
उत्तर:
भारत में हरित क्रांति कृषि क्षेत्र में गेहूँ तथा चावल में उत्पादन के क्षेत्र में आई।

प्रश्न 55.
कृषक वर्ग का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जो वर्ग कृषि करके तथा चीज़ों को उगा कर अपना गुजारा करता है उसे कृषक वर्ग कहते हैं।

प्रश्न 56.
ज़मींदार किसे कहते हैं?
उत्तर:
गांवों में मिलने वाला शक्तिशाली व्यक्ति जिसके पास बहुत-सा पैसा तथा भूमि होती है, जो भूमि को किसानों को किराए पर देता है तथा स्वयं कम कार्य करता है उसे ज़मींदार कहते हैं।

प्रश्न 57.
कृषि मज़दूर किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह मज़दूर जो कृषि के क्षेत्र में किसानों के पास कार्य करता है उसे कृषि मजदूर कहते हैं।

प्रश्न 58.
हरित क्रांति का संबंध कृषि तथा उद्योग में से किससे है?
उत्तर:
हरित क्रांति का संबंध कृषि से है।

प्रश्न 59.
निर्धनता (गरीबी) रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्ति आर्थिक आधार पर उच्च, मध्य तथा निम्न में से किस वर्ग में आते हैं?
उत्तर:
निर्धनता रेखा से नीचे रहने वाले व्यक्ति आर्थिक आधार पर निम्न वर्ग में आते हैं।

प्रश्न 60.
भारत में हरित क्रांति (दूध, फल या कृषि) किस क्षेत्र में आई?
उत्तर:
भारत में हरित क्रांति कृषि क्षेत्र में आई।

प्रश्न 61.
स्वतंत्रता से पूर्व भारत में कितने प्रकार की भू-काश्तकारी व्यवस्थाएं थीं?
अथवा
स्वतंत्रता से पूर्व भारत में कितनी भू-व्यवस्थाएँ प्रचलित थीं?
उत्तर:
तीन प्रकार की-ज़मींदारी व्यवस्था, रैयतवाड़ी तथा महलवाड़ी व्यवस्था।

प्रश्न 62.
भारत में हरित क्रांति किस क्षेत्र से संबंधित है?
उत्तर:
भारत में हरित क्रांति खाद्यानों के उत्पादन बढ़ाने से संबंधित है।

प्रश्न 63.
ग्राम पंचायत की सभा का अध्यक्ष कौन होता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत की सभा का अध्यक्ष सरपंच या प्रधान होता है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
उदारीकरण के क्या मुख्य उद्देश्य हैं?
उत्तर:
उदारीकरण के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

  • उदारीकरण का मुख्य उद्देश्य उद्योगों में रोज़गार के अवसर बढ़ाना था।
  • विदेशी निवेश को आकर्षित करना ताकि रोज़गार के अवसर बढ़े।
  • अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के साथ भारतीय कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में खड़ा करना।
  • निजी क्षेत्र को ज्यादा-से-ज्यादा स्वतंत्रता प्रदान करना।
  • देश की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करना।

प्रश्न 2.
उदारीकरण नीति की विशेषताएं बताएं।
उत्तर:

  • उदारीकरण के तहत कुछ विशेष चीज़ों को छोड़कर लाइसैंस राज की नीति को खत्म कर दिया गया ताकि सारे उद्योग आराम से विकसित हो सकें।
  • उदारीकरण के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करना शुरू कर दिया गया है ताकि घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को लाभ में बदला जा सके।
  • सार्वजनिक क्षेत्र के लिए अब बहुत कम उद्योग रह गए हैं ताकि सभी उद्योगों को बढ़ावा दिया जा सके।
  • देश में विदेशी निवेश की सीमा भी बढ़ा दी गई है। कई क्षेत्रों में तो यह 51% तथा कई क्षेत्रों में पूर्ण निवेश तथा कई क्षेत्रों में यह 74% तक रखी गई है।

प्रश्न 3.
भूमंडलीकरण की विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने भूमंडलीकरण की चार विशेषताओं का वर्णन किया है-

  • भूमंडलीकरण में लोगों के लिए नए-नए उपकरण आ गए हैं क्योंकि अब विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियां हर देश में आ रही हैं।
  • अब कंपनियों के लिए नए-नए बाजार खुल गए हैं क्योंकि भूमंडलीकरण में कंपनियां किसी भी देश में मुक्त व्यापार कर सकती हैं।
  • भूमंडलीकरण में कार्यों के संपादन के लिए नए-नए कर्ता आगे आ गए हैं जैसे रैडक्रास, विश्व व्यापार संगठन (W.T.O.)।
  • भूमंडलीकरण के कारण नए-नए नियम सामने आए हैं जैसे पहले नौकरी पक्की होती थी पर अब यह पक्की न होकर ठेके पर होती है।

प्रश्न 4.
भारत में उदारीकरण को कितने चरणों में बांटा जा सकता है?
उत्तर:
भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया को चार चरणों में बांटा जा सकता है-

  • 1975 से 1980 का काल
  • 1980 से 1985 का काल
  • 1985 से 1991 का काल
  • 1991 से आगे का काल।

प्रश्न 5.
भूमंडलीकरण के कोई चार सिद्धांत बताओ।
उत्तर:

  • विदेशी निवेश के लिए देश की अर्थव्यवस्था को खोलना।
  • सीमा शुल्क कम-से-कम करना।
  • सरकारी क्षेत्रों के प्रतिष्ठानों का विनिवेश करना।
  • निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देना।

प्रश्न 6.
ज़मींदारी व्यवस्था क्या होती है?
उत्तर:
आज़ादी के समय कृषि योग्य कुल भूमि में से 1/4 भाग पर ज़मींदारी व्यवस्था प्रचलित थी। ज़मींदारी व्यवस्था ब्रिटिश शासन में लार्ड कार्नवालिस ने 1793 में बंगाल में शुरू की थी। इस व्यवस्था के अंदर जमींदार भूमि का मालिक होता है पर यह जरूरी नहीं है कि वह अपनी भूमि पर आप ही कृषि करे।

कृषि करने के लिए वह अपनी भूमि किसानों को दे देता था। वह किसानों से लगान इकट्ठा करता था तथा सरकार को राजस्व या कर देता था। भूमि, किसान, जमींदार तथा सरकार के बीच इस तरह एक संबंध स्थापित हो जाता था। यह प्रथा बंगाल के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार तथा मद्रास राज्यों में प्रचलित थी।

प्रश्न 7.
ज़मींदारी प्रथा की विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  • भूमि का स्वामित्व ज़मींदार के पास होना।
  • ज़मींदारों द्वारा कृषि के लिए भूमि काश्तकारों को सौंपना।
  • काश्तकारों द्वारा ज़मींदार को लगान देना।
  • ज़मींदार द्वारा सरकार को राजस्व का भुगतान करना।

प्रश्न 8.
रैय्यतवाड़ी व्यवस्था क्या होती थी?
उत्तर:
आज़ादी के समय कृषि भूमि में से 36% भाग पर रैय्यतवाड़ी प्रथा प्रचलित थी। लार्ड विलियम बैंटिंक ने ज़मींदारी प्रथा के दोषों को दूर करने के लिए रैय्यतवाड़ी व्यवस्था शुरू की थी। यह एक हिंदू प्रथा थी। इस भूमि व्यवस्था के अंतर्गत भूमि का स्वामित्व जिस व्यक्ति या परिवार के पास होता था वही सरकार को राजस्व का भुगतान करता था। रैय्यत का अर्थ है जोतदार या कृषक या किसान। एक निश्चित अवधि तक सरकार को राजस्व देने के पश्चात् वह रैय्यत भूमि का मालिक बन जाता था। रैय्यत भूमि को किराए पर किसी ओर किसान को भी दे सकता था।

प्रश्न 9.
महलवारी व्यवस्था क्या होती थी?
उत्तर:
महलवारी भूमि व्यवस्था की एक और महत्त्वपूर्ण व्यवस्था थी। इस व्यवस्था में भूमि का स्वामित्व पूरे गांव के पास होता था। गांव के नियंत्रण अधीन भूमि को शामलाट भूमि के नाम से जाना जाता था। इस भूमि को गांवों के विभिन्न परिवारों में बांट दिया जाता था जो निश्चित लगान देते थे। विभिन्न सदस्यों तथा परिवारों से लंबरदार लगान इकट्ठा किया करता था जिसके बदले उसे पाँच प्रतिशत दलाली मिलती थी। इसके बाद गांव सरकार को निश्चित राजस्व का भुगतान करता था। इस व्यवस्था में भी कृषक का सरकार के साथ कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं होता था।

प्रश्न 10.
ज़मींदारी उन्मूलन की क्या विशेषताएं थीं?
उत्तर:

  • गांव की बंजर भूमि चरागाह इत्यादि सरकार के कब्जे में आ गई।
  • सभी राज्यों में ज़मींदारों से ज़मीन लेकर उन्हें मुआवजा दे दिया गया।
  • कुछ राज्यों में मुआवजा नकद तथा कुछ राज्यों में यह किस्तों में दिया गया।
  • जिस भूमि पर जमींदार खुद खेती करते थे वह उन्हीं के पास रहने दी गई।

प्रश्न 11.
हरित क्रांति क्या थी? इसका भारत में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
भारत में योजना बना कर कृषि के क्षेत्र में उत्पादन को बढ़ाया गया इससे उत्पादन के क्षेत्र में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई। कृषि के उत्पादन के क्षेत्र में इतनी ज्यादा वृद्धि को हरित क्रांति कहते हैं। इस तरह हरित क्रांति शब्द का प्रयोग उस तेज़ गति से हुए परिवर्तन से है जो भारत के खाद्यान्न उत्पादन में हुआ था।

भारत में हरित क्रांति का बहत महत्त्व है क्योंकि हरित क्रांति जो कि 1966-67 के बाद शरू हई थी, की वजह से भारत खादयान्न के क्षेत्र में आत्म-निर्भर हो गया था। आजादी के बाद से 1965 तक भारत के पास खाद्यान्न की कमी थी। उसे बाहर से अपनी ज़रूरतों के लिए खाद्यान्न मंगवाना पड़ता था पर हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्म-निर्भर बना दिया था।

प्रश्न 12.
आज़ादी के बाद भारत में कौन-कौन से भूमि सुधार किए गए हैं?
अथवा
स्वतंत्रता के बाद कृषीय सुधारों के लिये क्या सुझाव दिये गये हैं?
उत्तर:
आज़ादी के बाद भारत में निम्नलिखित भूमि सुधार किए गए हैं-

  • सबसे पहले ज़मींदारी प्रथा का उन्मूलन किया गया।
  • किसी व्यक्ति के लिए भूमि रखने की अधिकतम सीमा रखी गई।
  • चकबंदी को लागू किया गया।
  • काश्तकारी प्रथा में बहुत से सुधार किए गए।
  • सहकारी खेती तथा भूमि संबंधी नए तरीकों से रिकार्ड रखे गए।

प्रश्न 13.
जोतों की सीमाओं का क्या अर्थ है? इसमें सुधार कैसे किए गए?
अथवा
भू-सीमा निर्धारण से क्या तात्पर्य है?
अथवा
हदबंदी अधिनियम क्या है?
उत्तर:
जोतों की सीमाओं का अर्थ है किसी व्यक्ति के पास कृषि योग्य भूमि एक सीमा तक होनी चाहिए उससे अधिक नहीं। इस सीमा से पहले किसी के पास तो हज़ारों एकड़ भूमि थी तथा कइयों के पास कुछ भी नहीं। इसलिए सभी को भूमि देने के लिए व्यक्ति के पास कृषि योग्य भूमि रखने की सीमा निर्धारित की गई जिसे जोतों की सीमाएं कहा गया। इसके लिए कई प्रकार के अधिनियम बनाए गए। 1973 के बाद हरियाणा तथा पंजाब में यह सीमा क्रमश 18 एकड़ तथा 27 एकड़ निश्चित कर दी गई। जिसके पास इन सीमा से अधिक भूमि थी उनसे भूमि ले ली गई तथा भूमिहीन किसानों में बांट दी गई।

प्रश्न 14.
देश में भूमि सुधार क्यों किए गए थे?
अथवा
भूमि सुधार के चार उद्देश्य बताएँ।
उत्तर:
(i) देश में कई किसानों के पास सैंकड़ों एकड़ भूमि थी तथा कइयों के पास बिल्कुल भी नहीं थी। भूमिहीन किसानों को भूमि देने के लिए भूमि सुधार लागू किए गए।

(ii) स्वतंत्रता के बाद देश के नेताओं को लगा कि अगर देश में से असमानता को निकाल कर सामाजिक तथा आर्थिक समानता स्थापित करनी है तो भूमि सुधार लागू करने ही होंगे। इसलिए भूमि सुधार लागू किए गए।

(iii) देश में किसानों की निम्न स्थिति का सबसे बड़ा कारण सरकार तथा छोटे किसानों के बीच मध्यस्थों की मौजूदगी थी। इसलिए सरकार को लगा कि किसानों की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए मध्यस्थों का उन्मूलन ज़रूरी है तथा यह भूमि सुधारों का मुख्य उद्देश्य था।

(iv) स्वतंत्रता के समय देश को अपनी खाद्यान ज़रूरतों को पूर्ण करने के लिए खाद्यान को आयात करना पड़ता था। इसलिए सरकार ने भूमि सुधारों को लागू किया ताकि खाद्यान आवश्यकताओं को पूर्ण किया जा सके।

प्रश्न 15.
कृषिक या ग्रामीण वर्ग संरचना और जाति के मध्य पाए जाने वाले विभिन्न संबंधों को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण वर्ग संरचना तथा जाति के बीच काफ़ी गहरा संबंध पाया जाता है। आम तौर पर यह सोचा जाता है कि दोनों के बीच गहरे संबंध ही होंगे। साधारणतयाः हम यह सोचते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों की उच्च जातियों के पास अधिक भूमि तथा अधिक धन होता है तथा यह कल्पना ठीक ही साबित होती है। ग्रामीण समाज में उच्च जातियों का दबदबा पाया जाता है। बहुत-से क्षेत्रों में ग्रामीण समाज में उच्च जातियों में ब्राह्मण कम ही होते हैं तथा यह जाट अथवा वैशा जातियों से संबंधित होती है।

बहुत ही कम बार ऐसा होता है कि ब्राह्मण कृषि कार्यों में लगे होते हैं तथा निम्न जातियों के लोगों के पास अधिक भूमि होती है। प्रसिद्ध समाजशास्त्री एम० एन० श्रीनिवास ने प्रबल जाति का संकल्प दिया है जोकि ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाती है। पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में जाट प्रबल जाति के रूप में पाए जाते हैं। जाट लोगों के पास अधिक भूमि होती है तथा इनके पास अच्छा जीवन जीने के भरपूर साधन होते हैं।

प्रश्न 16.
भूदान आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
भूदान आंदोलन को विनोबा भावे ने स्वतंत्रता के बाद चलाया था। उस समय बहुत से ऐसे ज़मींदार थे जिनके पास सैंकड़ों एकड़ भूमि थी। वह स्वयं इस पर कृषि नहीं करते थे बल्कि ग़रीब किसानों को किराए पर देते थे। वह स्वयं न तो भूमि पर कृषि करते थे तथा न ही करने को इच्छुक थे। दूसरी तरफ हज़ारों लाखों ऐसे निर्धन किसान थे जिनके पास एक इंच भी भूमि नहीं थी। स्वतंत्रता के पश्चात् आंध्र प्रदेश तथा बंगाल में ज़मींदारों के विरुद्ध विद्रोह शुरू हो गया तथा ऐसा लगता था कि सब कुछ लाल हो जाएगा।

परंतु इससे पहले ही विनोबा भावे ने भूदान आंदोलन शुरू कर दिया। विनोबा भावे ने ज़मींदारों को कुल 40 लाख एकड़ भूमि ग़रीबों को दान करने को कहा। इसके लिए उन्होंने अहिंसात्मक संघर्ष भी किया। 3 साल के भीतर ही 27,40,000 एकड़ भूमि उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में एकत्रित कर ली गई है।

राज्यों ने भूदान आंदोलन के समय कई प्रकार के कानून बनाए। इस आंदोलन के अंतर्गत 50 लाख एकड़ भूमि निर्धन किसानों को दान कर दी गई परंतु यह अपने 150 लाख एकड़ भूमि के लक्ष्य से पिछड़ गया। इस आंदोलन ने ग्रामीण समाज की restructuring की तथा सदियों से चली आ रही निर्धनता और दुःखों को ख़त्म करने में सहायता की।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन

प्रश्न 17.
समाचार-पत्रों को पढ़ें, दूरदर्शन अथवा रेडियो के समाचार सुनें तथा बताएं कि कब-कब ग्रामीण क्षेत्रों को इनमें शामिल किया जाता है? किस तरह के मुद्दे आमतौर पर बताएं जाते हैं?
उत्तर:
अगर हम रोज़ाना के समाचार-पत्र पढ़ें अथवा दूरदर्शन या रेडियो के समाचार सुनें तो हमें पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों के बहुत से मुद्दों को इनमें लगातार शामिल किया जाता है। कृषि उत्पादन के क्षेत्र में आने वाली मुश्किलें, उनमें प्रयोग होने वाले बीज, उर्वरक, कीटनाशक, उन्हें मिलने वाली बिजली, सिंचाई का पानी, उनके उत्पाद का सही मूल्य इत्यादि ऐसे मुद्दे हैं जो इनमें बार-बार शामिल होते हैं। रेडियो के आकाशवाणी जालंधर पर रोज़ाना कृषि करने के अलग-अलग ढंगों के बारे में बताया जाता है।

किसानों को उत्पादन बढ़ाने के नए-नए ढंग, नए उन्नत बीज तथा उर्वरक, समय-समय पर मिलने वाली सब्सिडी इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया जाता है। परंतु आजकल कुछेक नए मुद्दे ऐसे हैं जो आजकल सामने आ रहे हैं तथा वह हैं किसानों की ऋणग्रस्तता तथा किसानों में बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति।

कृषि की आधुनिक मशीनों को खरीदने के लिए किसान कर्जा लेते हैं। परंतु जब वह कर्जा वापिस नहीं कर पाते हैं तो वह आत्महत्या कर लेते हैं। इसके साथ बढ़ती लागत, कृषि का विस्तार, राज्य द्वारा कृषि के विकास के लिए किए जाने वाले कार्य ऐसे मुद्दे हैं जो आजकल के समाचारों की सुर्खियां बन रहे हैं।

प्रश्न 18.
भूमि चकबंदी पर निबंध लिखें।
उत्तर:
भूमि सुधार की तीसरी मुख्य श्रेणी में भूमि की चकबंदी या हदबंदी के कानून थे। इन कानूनों के अनुसार एक विशेष परिवार के लिए कृषि योग्य भूमि रखने की उच्चतम सीमा निर्धारित की गई। प्रत्येक क्षेत्र में हदबंदी भूमि के प्रकार, उपज तथा कई अन्य प्रकार के कारकों पर निर्भर थी। जो ज़मीन अधिक उपजाऊ थी, उसकी हदबंदी कम थी परंतु कम उपजाऊ भूमि की तथा बिना पानी वाली भूमि की हदबंदी अधिक सीमा तक थी।

यह राज्यों का कार्य था कि वह निश्चत करे कि अतिरिक्त भूमि (हदबंदी सीमा से अधिक भूमि) को वह अधिगृहित कर लें और इसे भूमिहीन परिवारों को तय की गई श्रेणी के अनुसार दोबारा वितरित कर दें जैसे कि अनुसूचित जातियों व जनजातियों। परंतु अधिकतर राज्यों में यह कानून दंतविहीन ही साबित हुए हैं।

इसमें बहुत से ऐसे बचाव के रास्ते थे जिससे परिवारों व घरानों ने अपनी भूमि को राज्यों को देने से बचा लिया। लोगों ने अपनी बच्चों के नाम पर भूमि कर दी तथा अधिकतर मामलों में उन्होंने अपने रिश्तेदारों, नौकरों तथा कई स्थानों पर तो बेनामी स्थानों पर भूमि की मल्कियत बदल दी।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
ज़मींदारी प्रथा के बारे में आप क्या जानते हैं? ज़मींदारी व्यवस्था की विशेषताओं तथा दोषों का वर्णन करो।
अथवा
जमींदारी व्यवस्था में भारतीय समाज पर दुष्परिणामों की व्याख्या करें।
उत्तर:
हमारे देश में आजादी से पहले कृषि के क्षेत्र में ज़मींदारी प्रथा प्रचलित थी। आज़ादी के समय कृषि योग्य कुल भूमि में से 25% अर्थात एक चौथाई भाग पर ज़मींदारी व्यवस्था प्रचलित थी। ज़मींदारी व्यवस्था ब्रिटिश शासन काल में लार्ड कार्नवालिस ने 1793 में बंगाल में शुरू की। इस व्यवस्था के अंर्तगत ज़मींदार भूमि का स्वामी होता है पर यह जरूरी नहीं कि वह अपनी भूमि पर स्वयं ही कृषि करे। कृषि करने के लिए वह अपनी भूमि किसानों को दे देता था।

वह किसानों से लगान इकट्ठा करता था तथा सरकार को राजस्व या कर देता था। ब्रिटिश सरकार ने ज़मींदारों को बड़े-बड़े भू-भाग का स्वामित्व प्रदान किया ताकि उन्हें ज़मींदारों से राजस्व के रूप में निश्चित पैसा नियमित रूप से मिलता रहे। ज़मींदारों की संख्या कम होने के कारण उनसे संपर्क रख पाना भी आसान था। ज्यादातर मामलों में ज़मींदारों ने स्वयं कृषि करने की जगह भूमि काश्तकारों को पट्टे पर दे दी।

काश्तकारों में से भी ज्यादातर ने आगे कई व्यक्तियों को भूमि सौंप दी। इस तरह ज़मींदार की भूमि बहुत सारे काश्तकारों तथा उप-काश्तकारों में बंटती चली गई। हरेक उप-काश्तकार उत्पादन में से निश्चित मात्रा में अनाज या धनराशि के रूप में काश्तकार को लगान देता था तथा इस तरह प्रथम काश्तकार ज़मींदार को निश्चित लगान देता था जिसमें से ज़मींदार सरकार को राजस्व का भुगतान करता था। ज़मींदार प्रथा बंगाल के अलावा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार तथा मद्रास राज्यों में प्रचलित थी।

ज़मींदारी प्रथा की विशेषताएं (Characteristics of Zamindari System)-ज़मींदारी प्रथा की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

  • ज़मींदारी प्रथा की सबसे पहली विशेषता यह है कि भूमि की मलकीयत ज़मींदार के पास ही रहती थी चाहे वह आगे काश्तकारों या उप-काश्तकारों को पट्टे पर दी हुई थी।
  • इस प्रथा में भूमि पर कृषि ज़मींदार खुद नहीं किया करते थे बल्कि यह उन्होंने आगे काश्तकारों को पट्टे पर दी होती थी।
  • काश्तकार भी कई बार खुद कृषि नहीं किया करते थे बल्कि वह भी आगे भूमि उप-काश्तकारों को कृषि करने के लिए दिया करते थे।
  • यहां पर काश्तकार ज़मींदार को या तो अपनी तरफ से या उप-काश्तकारों से लगान इकट्ठा करके दिया करते थे।
  • ज़मींदार काश्तकारों से लगान इकट्ठा करके सरकार को राजस्व या कर का भुगतान किया करता था।
  • इस में भूमि के असली काश्तकार तथा सरकार के बीच कोई सीधा संपर्क नहीं होता था।
  • क्योंकि असली काश्तकार तथा सरकार के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता था इसलिए ज़मींदार इन दोनों के बीच मध्यस्थ या बिचौलिए की भूमिका निभाता था।
  • ज़मींदार जो लगान इकट्ठा करता था तथा सरकार को जो राजस्व का भुगतान करता था उसमें भारी अंतर होता था क्योंकि उसे
  • एक बंधी हुई धनराशि सरकार को देनी होती थी पर वह अपनी मनमर्जी से काश्तकारों से लगान वसूल करता था।
  • इस व्यवस्था में ज़मींदारों द्वारा काश्तकारों तथा उप-काश्तकारों का बहुत ज्यादा शोषण होता था क्योंकि ज़मींदार काश्तकारों से अपनी मनमर्जी का लगान वसूल करते थे।
  • काश्तकारों का बाढ़, अकाल, सूखे आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं में ज़मींदार या सरकार की तरफ से सुरक्षा का अभाव होता था क्योंकि जमींदार या सरकार को सिर्फ लगान से मतलब होतालथा।
  • काश्तकार भूमि के रख-रखाव तथा भूमि की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने के प्रति उदासीन होते थे क्योंकि उन को पता होता था कि यह भूमि जिस पर वह कृषि कर रहे हैं यह उनकी अपनी नहीं है तथा यह कभी भी उनके हाथ से जा सकती है।
  • इस प्रथा में ज़मींदारों में कई बुराइयां आ गई थीं क्योंकि उनके पास पैसा आने लग गया था जिस वजह से उन्होंने विलासिता में अपना जीवन शुरू कर दिया था।

ज़मींदारी प्रथा के दोष (Demerits of Zamindari System)-

  • जमींदारी प्रथा का सबसे बड़ा दोष यह था कि भूमि का छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजन हो जाता था क्योंकि भूमि काश्तकारों से आगे उप-काश्तकारों में बंट जाती थी।
  • काश्तकारों में पट्टे की भूमि पर सुरक्षा का अभाव होता था क्योंकि उन्हें पता होता था कि यह ज़मीन उनकी अपनी नहीं है, पता नहीं है कि कब यह ज़मीन उनके हाथ से निकल जाए।
  • लगान के प्रतिशत में निश्चितता तथा किसी प्रकार के नियमों का अभाव होता था क्योंकि ज़मींदार तो सरकार को एक निश्चित रकम लगान के रूप में दिया करते थे पर वह काश्तकारों से अपनी मर्जी के अनुसार लगान वसूल किया करते थे। कई बार तो यह उत्पादन का आधा भाग होता था।
  • इस प्रथा में असली कृषकों का शोषण हुआ करता था क्योंकि उनके द्वारा उत्पादित चीज़ों का ज्यादातर भाग जमींदार लगान के रूप में ले जाया करता था।
  • असली कृषकों के पास भूमि का स्वामित्व नहीं होता था क्योंकि भूमि तो उनको पट्टे पर मिली होती थी जो कभी भी छिन सकती थी।
  • सरकार का असली कृषकों के साथ कोई प्रत्यक्ष संपर्क नहीं होता था क्योंकि सरकार का संबंध तो सिर्फ ज़मींदार से हुआ करता था।
  • जमींदार किसानों से लगान की उच्च दर वसूलते थे। कभी-कभी तो यह कुल उपज का दो तिहाई भाग भी होता था।

प्रश्न 2.
हरित क्रांति के आने से क्या-क्या समस्याएं उत्पन्न हुईं? उनका वर्णन करो।
उत्तर:
आजादी के बाद भारत की सबसे बड़ी समस्या थी देश की बढ़ रही जनसंख्या के लिए खाद्यान्न उत्पन्न करने की। 1950 से लेकर 1960 तक के सालों में भारत को अपनी जनता की खाद्यान्न की ज़रूरत पूरा करने के लिए बाहर के देशों या विदेशों से खाद्यान्न आयात करना पड़ता था। परंतु उस समय सरकार के सामने यह प्रश्न था कि देश की खाद्यान्न की ज़रूरत को कैसे पूरा किया जाए। इसलिए कई कमेटियां बनाई गईं तथा उन सब कमेटियों को ध्यान में रखते हुए जो कुछ भी सरकार ने किया उसका परिणाम हमारे सामने आया हरित क्रांति के रूप में।

हरित क्रांति के पहले ही साल भारत का खाद्यान्न का उत्पादन 25% तक बढ़ गया। इस तरह हरित क्रांति ने न सिर्फ देश की खाद्यान्न की ज़रूरत को पूरा किया बल्कि देश में इतना खाद्यान्न होने लग गया कि भारत इसे बाहर के देशों को भी भेजने या निर्यात करने लग गया। हरित क्रांति के हमारे देश को बहुत से फायदे हुए पर इन फायदों के साथ-साथ कुछ समस्याएं भी पैदा हो गईं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) सीमित प्रदेश (Limited States) सबसे पहली समस्या हरित क्रांति के साथ यह हुई कि यह सिर्फ कुछ एक प्रदेशों में आई न कि पूरे भारत में। जिन राज्यों में सिंचाई के साधन काफ़ी अच्छे थे जैसे पंजाब, हरियाणा वहां पर हरित क्रांति ने जबरदस्त बदलाव ला कर रख दिया परंतु बहुत से प्रदेश इस हरित क्रांति से अछूते ही रहे।

जिन राज्यों में हरित क्रांति आई वह आर्थिक रूप से काफ़ी समृद्ध हो गए पर जिन राज्यों में यह नहीं आई वह आर्थिक रूप से पिछड़े ही रहे। इस तरह आर्थिक स्तर पर क्षेत्रीय असमानता फैल गई। उदाहरण के तौर पर पंजाब जैसा छोटा-सा प्रदेश देश का सबसे अमीर प्रदेश बन गया था। इस तरह सिर्फ उन राज्यों में ही कृषि का विकास हुआ जो पहले ही कृषि के क्षेत्र में उन्नत थे। जो राज्य पहले भी कृषि में पिछड़े हुए थे वे अब भी पिछड़े हुए हैं।

(ii) सीमित फसलें (Limited Number)- इस हरित क्रांति का एक और दोष यह रहा कि यह सिर्फ कछ एक फसलों तक ही सीमित रही। इसके क्षेत्र में सभी फसलें नहीं आईं। इस वजह से सिर्फ गेहूँ, चावल, ज्वार, मक्का, बाजरा इत्यादि फसलों का उत्पादन बढ़ा। व्यापारिक महत्त्व की फसलें जैसे कपास, चाय, जूट इत्यादि के उत्पादन में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई। इन फसलों में स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। इस तरह कुछ एक फसलों को छोड़ कर यह और क्षेत्रों में क्रांति नहीं ला पायी।

(iii) अमीर किसानों को ज्यादा लाभ-हरित क्रांति से एक और समस्या उभर कर सामने आई कि इसने सिर्फ अमीर किसानों को ही ज्यादा लाभ पहुंचाया। ग़रीब किसानों की हालत में इससे कोई सुधार नहीं हुआ। इसका कारण यह है कि हरित क्रांति लाने के लिए यह जरूरी है कि आप ट्रैक्टर, नए उन्नत बीजों. नए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करें। अगर आप इनका प्रयोग नहीं करेंगे तो आपके लिए हरित क्रांति का कोई फायदा नहीं होगा।

इस तरह इन सब के लिए पैसे की ज़रूरत थी और पैसा सिर्फ अमीर किसान ही खर्च कर सकते थे। अमीर किसानों ने पैसा खर्च किया और वे ज्यादा अमीर हो गए। जिन किसानों के पास 10-15 एकड़ तक से ऊपर तक की जमीन थी वहे तो हरित क्रांति से काफ़ी ज्यादा लाभ ले गए पर जिनके पास 5 एकड़ से कम भूमि थी उनकी स्थिति और भी खराब हो गई। इस तरह बड़े किसानों के लिए तो यह हरित क्रांति सिद्ध हुई पर छोटे किसानों को फायदे की बजाए नुकसान ही हुआ।

(iv) आर्थिक असमानता का बढ़ना-हरित क्रांति ने आर्थिक असमानता को भी बढ़ाया। बड़े-बड़े किसान जो पैसा खर्च कर सकते थे उन्होंने पैसा खर्च किया तथा उससे और ज्यादा पैसा कमाया पर जिन किसानों के पास ज़मीन कम थी या जो छोटे किसान थे उनको इससे कोई फायदा नहीं हुआ और उनकी स्थिति जैसी की तैसी बनी रही। इस तरह एक तरफ बढ़ती अमीरी तथा दूसरी तरफ बढ़ती ग़रीबी या जस की तस की स्थिति से आर्थिक असमानता में बहुत ज्यादा वृद्धि हुई।

इस तरह हम हरित क्रांति का सही लाभ तभी उठा सकते हैं जब इसका सही लाभ सभी वर्गों को प्राप्त हो न कि कुछ वर्गों को। अगर इसका लाभ सिर्फ कुछेक वर्गों को हुआ तो इस प्रकार की क्रांति का कोई फायदा नहीं है।

प्रश्न 3.
आज़ादी के बाद भारत में कौन-से भूमि सुधार किए गए? इन सुधारों के क्या परिणाम निकले?
अथवा
भूमि सुधार के चार लाभ बताएँ।
अथवा
भारत में भूमि सुधारों की व्याख्या करें।
उत्तर:
भारत में भूमि सुधार (Land Reforms in India)-आज़ादी से पहले भूमि, कृषि, कृषक बीच की कड़ियों व सरकार के बीच संबंधों के दोषों को देखते हुए इनमें तुरंत परिवर्तन करना अनिवार्य था। भारत स्वतंत्रता के समय अविकसित राष्ट्र था। उद्योगों का बहुत कम विकास हो पाया था। तकनीक व विज्ञान क्षेत्र भी पिछड़ा हुआ था। देश तथा लोगों की आय का मुख्य साधन कृषि करना ही था। उस समय 80 प्रतिशत से अधिक लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते थे।

जो अधिकतर कृषि कार्य करते थे। गांव में उच्च निम्न-संपन्न वर्ग को छोड़कर अन्य लोगों की आर्थिक-सामाजिक स्थिति दयनीय थी। इससे निपटने के लिए सरकारी एवं गैर-सरकारी स्तर पर प्रयास अति आवश्यक थे ताकि कृषि संबंधों में सुधार लाया जा सके। सरकार ने भूमि व्यवस्था व कृषि संबंधों को सुधारने संबंधी कानूनों का निर्माण किया।

इन्हें लागू किया, विनोबा भावे तथा अन्य कई सामाजिक कर्ताओं ने जन-आंदोलनों के माध्यम से कृषि संबंधों को सुधारने में सराहनीय योगदान दिया। देश में भूमि सुधार के उद्देश्य से किए गए प्रयासों व कार्यों का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-

1. भूमि की चकबंदी (Consolidation of Land)-देश में लाखों किसानों की भूमि इधर-उधर बिखरी पड़ी थी। खेत दूर-दूर थे। इस प्रकार उन्हें एक स्थान पर उनकी भूमि के बराबर भूमि मुहैया करवाई गई ताकि कृषि करने में उन्हें कठिनाई न हो।

2. सहकारी कृषि को प्रोत्साहन (To Encourage Co-operative Farming)-विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में सहकारी कृषि को प्रोत्साहित किया गया है। फलस्वरूप वर्तमान समय में देश में दस हज़ार सहकारी समितियों के अंतर्गत लाखों सदस्य लाखों हेक्टेयर भूमि पर सहकारी कृषि कर रहे हैं।

3. बिचौलियों का उन्मूलन (Abolition of Intermediaries)-सरकार ने स्वतंत्रता के पश्चात् कृषक एवं राज्य के बीच बिचौलियों/मध्यस्थों के उन्मूलन के लिए कानूनों का निर्माण किया। 1948 में सर्वप्रथम चेन्नई राज्य ने ऐसा कानून बनाया। पश्चिमी बंगाल में ज़मींदारों तथा अनुपस्थित भू-स्वामियों के रूप में कृषि क्षेत्र में बिचौलिया प्रथा विकट रूप में थी, सबसे पहले ज़मींदारी व्यवस्था इसी राज्य में प्रारंभ की गई।

ज़मींदारी उन्मूलन कानून का निर्माण इस प्रदेश में 1954-55 में किया गया। साम्यवादी राज्यों-रूस व चीन के विपरीत भारत में ज़मींदारों से भूमि लेने के बदले उन्हें मुआवजा दिया जाने लगा। केरल में मुआवजे की राशि “मार्किट मूल्य” के समान थी, इस तरह अरबों रुपये की धन राशि बिचौलियों को देनी पड़ी।

4. भूमि-स्वामित्व के अभिलेख (Records of Land-ownership)-भूमि-स्वामित्व संबंधी रिकार्ड का सही रख-रखाव किया जाने लगा। अधिकतर राज्यों ने भू-स्वामित्व अभिलेख ठीक कर लिए हैं। हिमाचल प्रदेश ने तो सन् 2000-2001 में किसान पुस्तकें तैयार की हैं। जिनमें उनकी भूमि-संबंधी पूरी सूचना दी गई है ताकि किसानों को अपनी भूमि संबंधी जानकारी रहे।

5. जोतों की सीमाओं का निर्धारण (Ceiling of Holdings)-अधिकतम सीमा जोतों में निर्धारित की गई। ऐसी सीमा निर्धारण संबंधी विभिन्न राज्यों में अधिनियम दो चरणों में बनाए गए। प्रथम सन् 1972 से पूर्व तथा द्वितीय 1973 व उसके पश्चात् निर्मित कानून। हरियाणा एवं पंजाब में 1973 से पूर्व सिंचाई एवं गैर-सिंचाई वाली भूमि क्रमशः 27 एवं 100 एकड़ तक रखने की अनुमति थी, जबकि 1973 के पश्चात् यह सीमा क्रमशः 18 एकड़ तथा 27 एकड़ कर दी गई। जबकि हिमाचल प्रदेश में 1973 के पश्चात् जोत सीमा क्रमशः 10 एकड़ तथा 15 एकड़ तय की गई।

6. काश्तकारी व्यवस्था में सुधार (Reform in Tenancy System)-पट्टेदारों को स्वतंत्रता से पूर्व सामान्य उत्पादन का आधा तथा कई मामलों में तीन-चौथाई भाग लगान के रूप में देना होता था। मगर प्रथम पंचवर्षीय योजना में यह सिफारिश की गई कि पट्टेदार से लगान के रूप में 20-25 प्रतिशत से अधिक न लिया जाए।

तत्पश्चात् विभिन्न राज्यों द्वारा अधिनियम पारित किए गए व अधिकांश राज्यों में लगान प्रतिशत 25 प्रतिशत या इससे कम है। कुछ एक राज्यों (जैसे तमिलनाडु में सिंचित एवं शुष्क भूमि के लिए लगान दर 45% तथा 25% है।) में इससे अधिक लगान भी लिया जाता है। पट्टेदारों को पट्टे का स्वामित्व प्रदान किया गया है उन्हें पट्टे की सुरक्षा भी प्रदान की गई।

7. भू-स्वामित्व के अभिलेख (Records of Land-ownership)-भू-स्वामित्व संबंधी रिकार्ड का सही रख रखाव किया जाने लगा। ज्यादातर राज्यों ने भू-स्वामित्व अभिलेख ठीक कर दिये। हिमाचल प्रदेश ने तो सन् 2000-01 में किसान पुस्तकें तैयार की हैं जिसमें उनकी भूमि संबंधी पूरी सूचना दी गई है ताकि किसानों को अपनी भूमि संबंधी जानकारी रहे।

सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रयासों का परिणाम (Consequences of Governmental and Non-Governmental Efforts)-भारतीय समाज में भूमि सुधारों के उद्देश्य से किये गये सरकारी, गैर-सरकारी प्रयासों के अच्छे परिणाम निकले, जिनका संक्षिप्त ब्यौरा निम्नलिखित है-

  • कृषकों के शोषण का अंत हुआ।
  • भूमिहीन किसानों को भू-स्वामित्व प्राप्त हुआ।
  • सामंतवाद का अंत हो गया।
  • कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई।
  • लाखों कृषक सरकार के प्रत्यक्ष संपर्क में आये।
  • भूमि के असमान वितरण में भारी कमी आई।
  • सरकार की आय में वृद्धि हुई।
  • कृषकों की आर्थिक दशा में सुधार हुआ।
  • भूमि के अभिलेखों का ठीक रख-रखाव होने लगा।
  • देश की अर्थ व्यवस्था सुदृढ़ हुई।
  • कृषि में किसानों द्वारा पूंजी निवेश में रुचि बढ़ी, भूमि का विकास किया जाने लगा।
  • भूमिहीन किसानों की भूमि वितरण से व्यर्थ तथा बंजर भूमि का सदुपयोग होने लगा।
  • लगान का नियमन किया गया।

प्रश्न 4.
हरित क्रांति क्या है? इसके कौन-से प्रमुख आधार हैं?
अथवा
हरित क्रांति के प्रमुख आधार कौन-कौन से हैं? सविस्तार वर्णन करें।
उत्तर:
हरित क्रांति कृषि उत्पादन को बढ़ाने का एक नियोजित एवं वैज्ञानिक तरीका है। पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन करने के पश्चात् यह स्पष्ट हो गया कि यदि हमें खाद्यान्न में आत्म-निर्भरता प्राप्त करनी है तो उत्पादन संबंधी नवीन तरीकों व तकनीकों का प्रयोग करना होगा। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए भारतवर्ष में सन् 1966-67 में कृषि में तकनीकी परिवर्तन आरंभ हुए। इसके अंतर्गत अधिक उपज वाली नयी किस्मों (विशेषतः गेहूँ व चावल की खेती आती है।) सिंचाई के विकसित साधनों तथा कीटनाशक दवाओं का प्रयोग किया जाने लगा।

कृषि में उन्नत साधनों के प्रयोग को ही ‘हरित क्रांति’ का नाम दिया गया। यहां पर हरित शब्द ग्रामीण क्षेत्रों के हरे भरे खेतों के लिये प्रयुक्त हुआ है और क्रांति व्यापक रूप से परिवर्तन को दर्शाती है। हरित क्रांति के पहले चरण में गहन कृषि जिला कार्यक्रम शुरू किये गये जिसके अंतर्गत पहले तीन ज़िलों और बाद में सौलह-ज़िलों को शामिल किया गया। चुने गये जिलों में कृषि की उन्नत विधियां, खाद्य बीज एवं सिंचाई का एक साथ प्रयोग करने के कारण इस कार्यक्रम को पैकेज प्रोग्राम भी कहा गया।

सन् 1967-68 में इस कार्यक्रम को देश के अन्य भागों में भी शुरू कर दिया गया। लेकिन उसमें विस्तार कार्य के लिए स्टाक छोटे पैमाने पर रखा गया है। इसी कारण इसे गहन कृषि क्षेत्रीय कार्यक्रम भी कहा गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत किसानों को कृषि संबंधी नई तकनीक, ज्ञान, साख, एवं उत्पादन के नवीन साधनों का वितरण किया गया ताकि कृषि उत्पादन में अधिक-से-अधिक वृद्धि की जा सके।

हरित क्रांति के प्रमुख आधार (Main bases of Green Revolution)
1. उत्पाद का सही मूल्य (Determination of Price of Produce)-सरकार ने किसानों को उनके उत्पादन का सही मूल्य दिलाने, शोषण से छुटकारा पाने तथा मूल्यों में आने वाली गिरावट से सुरक्षा प्रदान कराने के लिये उचित मूल्य की गारंटी दी है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए कृषि मूल्य आयोग की स्थापना की गई। यह आयोग समय-समय पर उपज की वसूली और खरीद मूल्य के बारे में सुझाव देता रहता है।

2. पशु-पालन विकास (Development of Animal Husbandry) देश में पशुओं की नस्ल सुधार उनके रोगों की रोकथाम, दुधारू एवं उन्नत नस्ल पशुओं का विकास, भेड़ पालन, सुअर पालन, मुर्गी पालन एवं डेयरी विकास को विशेष महत्त्व दिया गया है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में पशु-पालन व कृषि का गहरा संबंध है। कृषि उत्पादकता में तभी वृद्धि की जा सकती है यदि हमारा पशु पालन सही व उन्नत तरीकों पर आधारित हो।

अन्यथा नहीं। भारत में डेयरी विकास तथा ग्रामीण रोजगार व आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से सन् 1988 में डेयरी विकास के टेकनोलोजी मिशन की स्थापना की गई। 1966-1976 में दग्ध उत्पादन 6.8 करोड से बढ़ 1997-98 में 7.2 करोड़ टन हो गया। यह पश-पालन को बढ़ावा देने के कारण संभव हो

3. निगमों की स्थापना (Establishment of Corporation षि के विकास के लिये विभिन्न प्रकार के कृषि उपकरण तथा मशीनों एवं गोदामों की व्यवस्था के लिये सरकार ने कृषि उद्योग निगम (Agricultural Industry Corporation) की स्थापना की। इसी के साथ कृषि में उत्पादित माल की ब्रिकी प्रोसेसिंग एवं संग्रह के लिये 1953 में राष्ट्रीय सरकारी विकास निगम की स्थापना की गई। उन्नत बीजों की बिक्री के लिये राष्ट्रीय बीज निगम तथा भारतीय राजकीय कार्य निगम स्थापित किये गये हैं। अनेक राज्यों ने भी अपने बीज निगम खोले हैं। राष्ट्रीय बीज निगम के अनाज, तिलहन, दाल इत्यादि के प्रमाणित बीज तैयार किये हैं।

4. कीटनाशक औषधियों का प्रयोग (Use of Insecticides)-ऐसा अनुमान है कि फसलों का एक चौथाई भाग कीटनाशकों, पतंगों, चूहों इत्यादि द्वारा नष्ट किया जाता है। फ़सलों को कीड़े-मकोड़ों से होने वाली हानि से बचाने के लिये ये आवश्यक है कि कीटनाशक दवाओं का प्रयोग किया जाये ताकि उत्पादन को बढ़ाया जा सके। हरित क्रांति में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिये यह एक उत्तम उपाय है। पौधों की सुरक्षा के लिये दवाओं का प्रयोग किया जाए ताकि पेड़-पौधे समय से पहले नष्ट न हों। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए पौध संरक्षण केंद्रों की स्थापना की गई।

5. बहु फ़सल कार्यक्रम (Multi Crop Programme) बहु फ़सल कार्यक्रम के अंतर्गत थोड़े समय में पक कर तैयार हो जाने वाली फ़सलें बोई जाती हैं। जैसे-सब्जियां, मक्का, ज्वार, बाजरा इत्यादि। हरित क्रांति में अधिक उपज देने वाली किस्मों के साथ-साथ अल्पाविधि वाली फ़सलें भी विकसित की गईं। फ़सलों के नये तरीके भी अपनाये गये, जिससे पैदावार में काफ़ी वृद्धि हुई। वर्तमान समय में लगभग 930 हैक्टेयर भूमि पर बहु फ़सल कार्यक्रम को लागू किया गया है तथा इसके सकारात्मक परिणाम भी आये हैं।

6. सिंचाई को बढ़ावा (Promotion of Irrigation) किसान की कृषि कार्य के लिये वर्षा पर निर्भरता कम करने के लिये बड़ी-बड़ी सिंचाई परियोजनाएं प्रारंभ की गईं। डैम बनाये गये नहरें खुदवाई गईं, लघु सिंचाई परियोजनाएं प्रारंभ की गईं। इन परियोजनाओं में भू-गर्भ जल योजना पंपसैट, निजी ट्यूब्वेलों, फिल्टर प्वाईंट आदि का विकास किया गया।

इन योजनाओं के कारण भूमि की सिंचाई में काफ़ी विकास हुआ तथा पैदावार में भी वृद्धि हुई। लघु सिंचाई कार्यक्रम के दौरान 1970-71 में जहां 207 हैक्टेयर भूमि की सिंचाई की गई। वहीं 1997 98 में 14.4 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई लघु सिंचाई कार्यक्रम के तहत की गई। वर्तमान समय में किसानों की निजी पंपसैटों एवं ट्यूब्वेलों की संख्या में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है।

7. भूमि सुधार (Land Reforms) भूमि सुधारों की देश में हरित क्रांति लाने में विशेष भूमिका रही है। कानूनों द्वारा अधिकतम भूमि रखने की सीमा तय की गई। भूमि की चकबंदी की गई। भूमि संबंधी अभिलेख (Records) तैयार किये गये। जमींदारों से फालतू भूमि लेकर भूमिहीन किसानों में बांटी गई।

8. यांत्रिक खेती (Mechanical Farming) यांत्रिक खेती को प्रोत्साहन देने तथा किसानों को आधुनिक कृषि संबंधी मशीनें, ट्रैक्टर, इत्यादि खरीदने के लिये सरकार अन्य सहायता प्रदान करती है। सस्ती दर पर ऋण देती है तथा इसका मुख्य उद्देश्य देश भर में खेती की उत्पादकता को बढ़ावा तथा किसानों में सामाजिक व आर्थिक असमानता को दूर करना है।

सरकार के इन प्रयासों के फलस्वरूप ही किसान कृषि मशीनरी का प्रयोग कर पाया जिससे पैदावार में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। 1997-98 की अवधि में ट्रैक्टरों में, 2,51,200 तथा 13,100 पावर टिलरों का निर्माण हुआ जोकि पहले की तुलना में अधिक है। 9वीं पंचवर्षीय योजना में भी इन उपकरणों को अधिक लोकप्रिय बनाने तथा इनके उपयोग पर बल दिया गया।

9. उर्वरकों का अधिक प्रयोग (More use of Fertilizers) उत्पादन को बढ़ाने के लिये रासायनिक उर्वरकों का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाने लगा है। देश भर में रासायनिक खाद के उत्पादन के लिये पूर्व स्थापित कारखानों की उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाया गया। कई नयी इकाइयों की स्थापना की गई। उर्वरकों का आयात किया जाने लगा। नाइट्रोजन, यूरिया, अपनी मांग का, तथा पोटाश के खादों के उपयोग के नये स्तर प्राप्त किये गये।

देश में 1986-87 में खादों का प्रयोग 86.4 लाख टन था जो बढ़कर 1997-98 में 163 लाख टन हो गया है। भारत केवल मात्र अपनी मांग का 60 प्रतिशत ही पूरा कर पाता है जबकि 40 प्रतिशत खादों के लिये विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है।

10. उन्नत बीजों का प्रयोग (Use of high yield variety seeds)-अधिक उपज देने वाला कार्यक्रम 1982-83 में 4 करोड़ 77 लाख हेक्टेयर पर भूमि में लागू किया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत गेहूँ, धान, मक्का, ज्वार, बाजरा आदि की फ़सलों को चुना गया। परंतु सबसे अधिक सफलता गेहूँ को प्राप्त हुई। इसके साथ ही सन् 1990-91 में चावल, गेहूँ, मक्का तथा दालों का. उत्पादन 17.63 करोड़ टन था जो 1997-98 में बढ़कर 19.11 करोड़ टन हो गया।

वर्तमान समय में देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन 20 करोड टन से अधिक ‘होने लगा है। इस कार्यक्रम के तहत नयीं विकसित तकनीकों के साथ-साथ रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशक दवाओं तथा अन्य साधनों का प्रयोग भी किया जाता है जिससे फ़सलों के उत्पादन में और भी वृद्धि होती जाती है। पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में अधिक उपज देने वाली अनाज की किस्मों में वृद्धि होती जा रही है।

उपर्युक्त विश्लेषण के आधार पर यह स्पष्ट है कि हरित क्रांति के अंतर्गत अधिक उपज देने वाली फ़सलों का विकास, रासायनिक खादों का अधिक प्रयोग, कीटनाशक दवाओं का प्रयोग, यांत्रिक खेती, लघु सिंचाई सुविधाओं का विकास, भूमि सुधार, पशु पालन का विकास तथा कृषि उत्पादन का उचित मूल्य निर्धारण इत्यादि अनेक कार्यक्रमों को शामिल किया गया है। इन सब कार्यक्रमों का संयुक्त उद्देश्य कृषि उत्पादन में वृद्धि करना ही है।

प्रश्न 5.
हरित क्रांति के सामाजिक, आर्थिक प्रभावों का वर्णन करो।
अथवा
भारतीय समाज पर हरित क्रांति के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
अथवा
जहाँ हरित क्रांति लागू हुई, उन क्षेत्रों में (विशेषकर ग्रामीण) सामाजिक संबंधों में क्या परिवर्तन देखे गए?
उत्तर:
हरित क्रांति ने देश की उत्पादकता में काफ़ी वृद्धि की है। इसके परिणामस्वरूप देश की खाद्यान्नों के उत्पादन में बहुत बढ़ोत्तरी हुई। साथ ही गैर-पारंपरिक (Traditional) फ़सलों जैसे-सोयाबीन, सूरजमुखी, ग्रीष्मकालीन मूंग, मूंगफली आदि को बढ़ावा दिया गया। हरित क्रांति के कारण ही खाद्यान्नों का उत्पादन जो 1967-68 में 9.5 करोड़ टन था, वह 1997-98 में बढ़कर 19.11 तथा 2002-03 में 21 करोड़ टन हो गया। इन लाभों के बावजूद हरित क्रांति के साथ कुछ एक नयी समस्याएं भी उत्पन्न हुईं जो निम्नलिखित हैं-

1. वर्ग संघर्ष (Class Struggle) हरित क्रांति के प्रभाव के कारण गांवों में पाई जाने वाली वर्ग व्यवस्था में भी परिवर्तन आया है। क्रांति के लाभों के कारण जो किसान मज़दूर वर्ग की श्रेणी में आये थे, अब आर्थिक रूप से संपन्न और उच्च वर्ग की श्रेणी में आने लगे हैं। इसमें ग्रामों की परंपरागत वर्ग व्यवस्था परिवर्तित हो रही है। इसके साथ ही आर्थिक संपन्नता के आधार पर ये खेतीहर मजदूर वर्ग अब राजनीतिक शक्ति भी प्राप्त करना चाह रहे हैं जो पहले भू-स्वामियों और उच्च जातियों में निहित थी। अतः ग्रामों में वर्ग संघर्ष एवं जातीय संघर्ष हरित क्रांति का परिणाम माना जा रहा है।

2. खाद्यान्नों की कीमत में वृद्धि (Increase in the Price of food-grains) हरित क्रांति के परिणामस्वरूप कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई है। परंतु रासायनिक खादों, बीजों, कीटनाशक औषधियों एवं नये कृषि यंत्रों के महंगा होने के कारण कृषि उपज की लागत में वृद्धि हुई है। फलस्वरूप छोटे व सीमांत किसान इन विधियों का प्रयोग नहीं कर पाते जिससे इनका लाभ केवल बड़े किसानों को ही अधिक हो जाता है। महंगी कृषि प्रौद्योगिकी के कारण खाद्यान्नों की कीमतें बढ़ी हैं।

3. खेतीहर मज़दूर और ग़रीब हुए (Agricultural Labourers become Poor)-अनेक विचारकों का मत है कि हरित क्रांति के प्रभावों के परिणामस्वरूप गांवों में बेकारी और बेरोज़गारी की समस्या बड़ी है। खेतीहर मज़दूरी की वास्तविक मज़दरी भी कम हई है। प्रणव वर्धन के “पंजाब और हरियाणा” के 15 जिलों के अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकला है कि हरित क्रांति के कारण खेतीहर श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी कम हुई है। इसी प्रकार अन्य विचारक जैसे-उमा श्री वास्तव, आर० डी० क्राऊन तथा ए० ओ० हैडी के अध्ययनों से इस बात का पता चलता है कि भारत जैसे देश में कृषि में यंत्रीकरण की यह नीति उचित नहीं है। इससे कृषक की स्थिति निम्न ही रही है।

4. राजनीतिक प्रभाव (Political Impact) हरित क्रांति के परिणामस्वरूप धनी किसान राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अधिक शक्तिशाली बन गये हैं। धनी किसान समय-समय पर भूमि संबंधी सुधार अधिनियमों को लागू करने में रुकावट पैदा करते हैं, जिसके कारण भू-सुधार कानूनों को लागू करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बिहार राज्य में छोटे एवं मध्यम दर्जे के किसानों ने नयी तकनीक का प्रयोग करके अपनी कृषि आय में वृद्धि कर ली है, जिससे वह राजनीतिक शक्ति को भी मजबूत करने में लगे हुए हैं।

5. उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी छोटे किसानों की पहुंच से बाहर होती गई (Advance Technology become beyond the reach of Small Farmers)-हरित क्रांति में लघु और ग़रीब किसानों, भूमिहीन कृषि मजदूरों की सामाजिक आर्थिक स्थिति और कमजोर हुई है। नयी तकनीक, उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक दवाएं, सिंचाई आदि जैसे निवेश लघु एवं सीमांत किसानों की पहुंच से बाहर है। इसमें लघु किसानों और धनी किसानों के बीच की दूरी बढ़ गई है।

6. आर्थिक असमानता में वृद्धि (Increase in Economic Inequality)-हरित क्रांति के परिणामस्वरूप विभिन्न क्षेत्रों की आय में असमानता विकसित हुई है। इसका कारण यह है कि अधिक उपज देने वाली किस्मों के बीजों का प्रयोग देश के कुछ ही क्षेत्रों में ही हुआ। जबकि अधिकतर क्षेत्रों में कृषि कार्य परंपरागत तरीकों से ही किये जाते रहे हैं। इन क्षेत्रों में नयी तकनीक व पुरानी तकनीक के प्रयोग के परिणामस्वरूप उत्पादन क्षमता में असमानता विकसित हो गई है और इसी असमानता से विभिन्न क्षेत्रों की आय भी असमान हो गई है। अतः हरित क्रांति ने देश में आर्थिक असमानता को बढ़ावा दिया है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 4 ग्रामीण समाज में विकास एवं परिवर्तन

प्रश्न 6.
ग्रामीण क्षेत्रों में किस प्रकार के वर्ग पाए जाते हैं? उनका वर्णन करो।
उत्तर:
आज़ादी के बाद भारत में तेज़ गति से आर्थिक विकास हुआ है। आर्थिक विकास के लिए नियोजित प्रयास किए जा रहे हैं जिसके फलस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में नए समूह तथा वर्ग विकसित हो रहे हैं जिनमें से प्रमुख वर्गों का वर्णन निम्नलिखित है-
(i) भूस्वामी किसान (Land Owner Farmer)-आज़ादी प्राप्त करने के बाद भारत में आज़ादी से पहले से चली आ रही भूमि व्यवस्थाओं को बदलने के प्रयास किए। ज़मींदारों से कानूनी तरीके से तथा भू-दान आंदोलन द्वारा फालतू ज़मीन लेकर लाखों भूमिहीन किसानों में बांटी गई। प्रत्येक भूमिहीन किसान को एक-एक एकड़ जमीन मुफ्त दी गई। इसके फलस्वरूप लाखों भूमिहीन किसान भू-स्वामी किसान बन गए।

पहले वे ज़मींदारों के लिए जमींदारों की ज़मीन पर कृषि किया करते थे। अब वह अपनी ज़मीन पर खेती करने लगे। 1992 तक 50 लाख लोगों में 50 लाख एकड़ ज़मीन बांटी गई। ज़मीन का मालिक बनने पर किसानों में कृषि कार्यों में रुचि बढ़ी। देश में हरित क्रांति के बाद थोड़ी ज़मीन पर भी अधिक उत्पादन होने लगा जिससे किसानों की आर्थिक दशा सुधरने लगी। उन्नत बीजों, उर्वरकों, कृषि औजारों तथा सिंचाई आदि पर उन्होंने धन निवेश करना प्रारंभ किया। आजकल छोटे से छोटे किसान के पास भी ट्रैक्टर हैं।

(ii) सज्जन किसान (Gentleman Farmer)-सज्जन किसान भी भू-स्वामी किसानों का एक वर्ग है। इन किसानों के पास ज़मींदारों की तरह बड़े-बड़े ज़मीन के टुकड़े नहीं हैं। इनमें ऐसे किसान शामिल होते है, जिन्हें ज़मीन या तो अपने पूर्वजों से उत्तराधिकार में प्राप्त हुई या फिर उन्होंने खुद ज़मीन खरीदी है। इस किसान वर्ग में काफी ऐसे लोग भी शामिल होते हैं जो सरकारी या गैर-सरकारी नौकरियां करते हैं. सैनिक तथा असैनिक सेवाओं में लगे थे, रिटायर हो चुके हैं, अपना छोटा-छोटा कारोबार करते हैं।

सज्जन किसान गेहूं, मक्की तथा धान इत्यादि की पारंपरिक खेती तो करते हैं इसके अलावा वह फल, फूल, साब्जियां इत्यादि भी उगाते हैं। उन्नत बीजों, उर्वरकों, यांत्रिक हल, सिंचाई सुविधाओं तथा धैशर इत्यादि का प्रयोग करते हैं जिससे उत्पादन तथा उत्पादकता बढ़ती है। इस तरह इनकी खेती में पारंपरिक आधुनिक कृषि प्रणाली के तत्त्व देखे जा सकते हैं।

(iii) मध्यम जातीय एवं मध्यम वर्गीय किसान (Middle Caste and Middle Class Farmer)-स्वतंत्रता के बाद भारतीय समाज के ग्रामीण क्षेत्रों में शक्तिशाली मध्यम जातीय तथा मध्यम वर्गीय किसानों के समूह का विकास हुआ है। इसे मध्यम जातीय इसलिए कहते हैं क्योंकि जातीय संस्तरण में इनकी स्थिति उच्च जातियों से निम्न तथा निम्न जातियों से उच्च है। इस वर्ग को मध्यम वर्गीय किसान भी कहते हैं क्योंकि यह न तो ज़मींदार हैं तथा न ही ये भूमिहीन किसान हैं।

इनकी स्थिति बड़े किसानों तथा भूमिहीन किसानों के बीच की है। औद्योगीकरण तथा नगरीकरण का लाभ उठाने के लिए काफ़ी बड़े-बड़े किसान, उच्च जातियों से संबंधित बड़े किसान नगरों में स्थानांतरित हो गए। उन्होंने उद्योगों की स्थापना करनी प्रारंभ कर दी। ऐसे हालातों में ग्रामीण क्षेत्रों से मध्यम जातीय तथा मध्यम वर्गीय किसान वर्ग विकसित हुआ।

(iv) पूंजीपति किसान (Capitalist Farmer)-अंत में पूंजीपति किसान वर्ग एक ऐसा वर्ग है जो कृषि कार्यों में इस तरह से पूंजी निवेश करता है ताकि अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त किया जा सके। यह वर्ग आजादी से पहले के ज़मींदार वर्ग से अलग है क्योंकि ज़मींदार वर्ग सरकार तथा किसान के बीच विचौलिया हुआ करता था। उत्पादन तथा उत्पादकता बढ़ाने के लिए वह विशेष प्रयास नहीं करता था।

जबकि पूंजीपति किसान खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लिए ऋण अन्न प्रौद्योगिकी, मंडियों, यातायात तथा दूर संचार के साधनों तथा सस्ते श्रमिकों इत्यादि का प्रयोग करता है। चाहे पूंजीपति किसान वर्ग देश की कुल आबादी का छोटा सा भाग है पर देश की घरेलू खपत तथा निर्यात के लिए खाद्यान्न उत्पादन करने में इस वर्ग की अहम भूमिका है। भू-स्वामी किसान, सज्जन किसान, मध्यम जातीय तथा मध्यम वर्गीय किसान तथा पूंजीपति किसानों के वर्गों का विकास आजादी के बाद हुआ। इस तरह सभी प्रकार के वर्गों का संबंध कृषि से है तथा यह वर्ग मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में पाए जाते हैं।

प्रश्न 7.
भारत की आज़ादी के बाद ग्रामीण समाज में कौन-से परिवर्तन आए? उनकी व्याख्या करें।
उत्तर:
देश की स्वतंत्रता के बाद जिन-जिन प्रदेशों मे हरित क्रांति आई उन प्रदेशों में ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक संबंधों और प्रकृति में बहुत से बदलाव आए जैसे कि

  • अधिक कृषि के कारण कृषि मजदूरों का बढ़ना।
  • अनाज के स्थान पर नगद भुगतान।
  • प्रारंपरिक बंधनों का कमज़ोर होना अथवा किसान व मजदूर के पुश्तैनी संबंधों में कमी आना।
  • मुफ़्त दिहाड़ी मजदूरों के वर्ग का सामने आना।

प्रसिद्ध समाज शास्त्री जान ब्रेमन ने किसानों तथा मजदूरों के संबंधों की प्रकृति में परिवर्तन के बारे में बताया है। यह परिवर्तन उन सभी क्षेत्रों में आए जहां कृषि का व्यापारीकरण हुआ अर्थात जहां फसलों को बाज़ार में वेचने के लिए उगाया गया। कुछ विद्वानों के अनुसार मज़दूर संबंधों में यह बदलाव पूंजीवादी कृषि के काम आया। पूंजीवादी व्यवस्था में उत्पादन, उत्पादन के साधनों, मजदूरों के पृथक्करण तथा मुफ़्त दिहाड़ी मजदूरों के प्रयोग पर आधारित होता है।

आजकल विकसित क्षेत्रों में किसान बाजार के लिए उत्पादन कर रहे हैं। कृषि में व्यापारीकरण के कारण ग्रामीण क्षेत्र विस्तृत अर्थ व्यवस्था से जुड़ रहे हैं। इस कारण गांवों की तरफ पूंजी का निवेश बढ़ा है तथा व्यापार के अवसर व रोजगार बढ़ गए। परंतु हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में यह परिर्वतन अंग्रेजों के समय ही शुरू हो गए थे। 19वीं सदी में महाराष्ट्र में जमीन के बड़े टुकड़ों पर कपास का उत्पादन करके किसानों को सीधे विश्व बाजार से जोड़ दिया गया।

चाहे इसकी गति स्वतंत्रता के बाद तेज़ हुई क्योंकि सरकार ने खाद्यान उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक सुविधाएं ग्रामीण क्षेत्रों में मुहईया करवाई। सरकार ने सड़कें, सिंचाई की सुविधाएं तथा सहकारी समितियां उपलब्ध करवाई। ग्रामीण विकास के सरकारी प्रयासों से न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा कृषि में परिर्वतन आए बल्कि कृषक संरचना तथा ग्रामीण समाज में भी परिवर्तन आए। 1960 तथा 1970 के दशक में हरित क्रांति आई तथा बड़े किसानों ने कृषि के क्षेत्र में निवेश करना शुरू किया जिससे वह समृद्ध हो गए।

आंध्र प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा मध्य गुजरात में प्रबल जातियों के संपन्न किसानों ने कृषि से होने वाले लाभ को और प्रकार के व्यापारों में पैसा लगाना शुरू किया। इससे नए उद्यमी समूह सामने आए जिन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों से कस्बों की तरफ पलायन किया। इससे नए क्षेत्रीय अभिजात वर्ग सामने आए जो आर्थिक और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली हो गए। वर्ग संरचना में इस परिर्वतन से ग्रामीण क्षेत्रों तथा कस्बों में उच्च शिक्षा के संस्थान शुरू हो गए जिससे ग्रामीण लोग अपने बच्चों को पढ़ाने लग गए। इनमें से बहुत ने व्यावसायिक अर्थव्यवसथा अथवा व्यापार करना शुरु किया तथा नगरों के मध्य वर्ग के विस्तार में योगदान दिया।

प्रश्न 8.
भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण का ग्रामीण समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
भूमंडलीकरण से भारतीय कृषि व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
वैश्वीकरण का भारतीय कृषि व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1980 के दशक के उत्तरार्ध से ही भारत में उदारीकरण की नीति अपनायी जा रही है जिसका देश के ग्रामीण समाज तथा कृषि पर काफ़ी प्रभाव पड़ा है जिसका वर्णन इस प्रकार है-
(i) भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में विश्व व्यापार संगठन में भागीदारी होती है जिसका मुख्य उद्देश्य मुक्त अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार स्थापित करना है। इसके लिए भारतीय बाजारों को आयात के लिए खोलने की ज़रूरत है। दशकों तक भारतीय बाजार बंद बाज़ार था परन्तु भूमंडलीकरण के कारण अब यह अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से प्रतियोगिता करने को तैयार है।

बहुत सी ऐसी वस्तुएं हैं, जैसे कि कई प्रकार के फल तथा खाद्यान्न सामग्री जो आयात पर प्रतिबंध होने के कारण कुझ समय पहले तक उपलब्ध नहीं थी। कुछ समय पहले तक भारत गेहूं के क्षेत्र में आत्मनिर्भर था परंतु पिछले वर्ष इसे आयात करना पड़ा। इस तरह भूमंडलीकरण के कारण ग्रामीण समाज अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार से प्रतिस्पर्धा कर रहा है।

(ii) कृषि के भूमंडलीकरण के कारण कृषि विस्तृत अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में शामिल हो गई है जिसका किसानों तथा ग्रामीण समाज पर सीधा प्रभाव पड़ा है। जैसे पंजाब तथा कर्नाटक में किसानों ने बहु राष्ट्रीय कंपनियों (कोक, पेप्सी) से कुछ निश्चित फसलें उगाने (टमाटर, आलू) का ठेका लिया है। यह कंपनियां उन फसलों को निर्यात या प्रसंस्करण के लिए खरीद लेती हैं। इस प्रकार की संविदा खेती या ठेका करने वाली कृषि में कंपनियां निश्चित फसलें उगाने को कहती हैं, बीज तथा और वस्तुएं निवेश के रूप में उपलब्ध करवाती हैं।

इसके साथ ही वह जानकारी तथा कार्यकारी पूंजी भी देती हैं। इसके बदले में किसान पूर्व निर्धारित मूल्य पर फसल बेचने का आश्वासन देते हैं। फूल, अंगूर, अंजीर, अनार, कपास, तिलहन संविदा खेती की प्रमुख फसलें हैं। संविदा खेती बहुत से लोगों को उत्पादन प्रक्रिया से अलग कर देती हैं तथा उनके अपने प्राचीन ज्ञान को निरर्थक कर देती है। इसके अलावा इन फसलों को उगाने में उवर्रकों तथा कीटनाशकों का अधिक प्रयोग होता है जिस कारण यह पर्यावरण की दृष्टि से ठीक नहीं है।

(iii) कृषि के भूमंडलीकरण के कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियां बीज, कीटनाशकों तथा उर्वरकों के विक्रेता के रूप में सामने आएं हैं। पिछले एक दशक में इस क्षेत्र में सरकारी कार्यक्रमों की कमी के कारण इन कंपनियां के एजेंटों ने अपने पाँव जमा लिए हैं। यह एजेंट किसानों को बीजों तथा कृषि की जानकारी के एकमात्र स्रोत होते हैं तथा यह एजेंट अपने उत्पाद बेचने को इच्छुक होते हैं। इसलिए किसान महंगी खादों, कीटनाशकों का प्रयोग करने को बाध्य हुए हैं। इससे किसान ऋणी हो गए हैं तथा पर्यावरण का संकट भी उत्पन्न हो गया है।

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HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 6 Poets and Pancakes

Haryana State Board HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 6 Poets and Pancakes Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 6 Poets and Pancakes

HBSE 12th Class English Poets and Pancakes Textbook Questions and Answers

Question 1.
The author has used gentle humour to point out human foibles. Pick out instances of this to show how this serves to make the piece interesting? (मानवीय कमजोरियों को दर्शाने के लिए लेखक ने मंद हास्य का प्रयोग किया है। यह दर्शाने के लिए कि इससे लेख रोचक बन गया है, इसके उदाहरण बताइए।)
Answer:
In this essay, the author uses gentle humour to point out human weaknesses. This use of humour makes the essay quite interesting. The make-up material came with the brand name pancake. The writer says that the truck-loads of this material were consumed by the Studios. In the make-up department, there are people from the various states of India. This is an example of the national integration. The make-up, instead of making the actors look beautiful made them look ugly.

Then he says that there was strict hierarchy in the department. The chief make-up man made the main hero and the heroine ‘ugly’. The make-up of the actors who played the crowd was done by the office-boy. He took the material in a bucket and applied it on the faces of the actors. The office-boy was not exactly a boy. He was in his forties. He was a frustrated man. He had aspired to be a top actor but got the job of an office-boy. The story department had a lawyer and a number of writers and poets. The lawyer is an interesting character. Once he unwittingly brought an end to the career of an actress. The other staff members wore khadi uniforms. But the lawyer wore coat, pant and tie. He stood aloof from the others at Gemini Studios. The author’s description of the English poet is also humorous.

(इस लेख में लेखक मानवीय कमजोरियों को दर्शाने के लिए मंद हास्य का प्रयोग करता है। हास्य का प्रयोग इस लेख को काफी रोचक बना देता है। मेकअप का सामान पैनकेक के ब्रॉन्ड नाम से आता था। लेखक कहता है इस पदार्थ के ट्रक स्टूडियो में खर्च होते थे। मेकअप विभाग में भारत के विभिन्न राज्यों के लोग थे। यह राष्ट्रीय एकता का एक उदाहरण है। मेकअप, अभिनेताओं को सुन्दर बनाने की बजाए ‘भद्दा’ बनाता था। फिर वह कहता है कि मेकअप विभाग में पूर्ण श्रेणी तन्त्र था। मुख्य मेकअप मैन मुख्य नायक और नायिका को ‘भद्दा’ बनाता था। जो अभिनेता भीड़ में भाग लेते थे उनका चेहरा मेकअप ऑफिस ब्वॉय करता था। वह मेकअप के सामान को बाल्टी में ले जाता था और उसे अभिनेताओं के चेहरों पर लगा देता था।

ऑफिस ब्वॉय वास्तव में कोई लड़का नहीं होता था। वह चालीस की उम्र के आस-पास होता था। वह एक निराश व्यक्ति होता था। उसने ऊँचा अभिनेता बनने की कामना की थी, मगर उसे केवल ऑफिस ब्वॉय की नौकरी ही मिली। कहानी विभाग में एक वकील, बहुत से लेखक और कवि थे। वकील एक रोचक पात्र है। एक बार उसने अनजाने में एक अभिनेत्री का अभिनय जीवन समाप्त कर दिया। बाकी के लोग खादी की वर्दी पहनते थे। मगर वकील कोट, पैन्ट और टाई पहनता था। वह जैमिनी स्टूडियो में अन्य लोगों से अलग नज़र आता था। लेखक का अंग्रेज कवि का वर्णन भी हास्यपूर्ण है।)

Question 2.
Why was Kothamangalam Subbu considered No. 2 in Gemini Studios ? (कोथमंगलम सुब्बु जैमिनी स्टूडियो में नम्बर 2 का व्यक्ति क्यों था ?)
Answer:
Kothamangalam Subbu was the No. 2 at the Gemini Studios. He seemed very close and intimate with The Boss. Subbu had entered the Studios in more uncertain and difficult times. Subbu had the ability to look cheerful at all time, even after having a hand in a flop film. He could never do things on his own, but his senses of loyalty made him identify himself with “The Boss’. He uses all his energy and creativity for the advantage of The Boss. He was tailor-made for films. Whenever the producer told him about any problem, he would come out with a solution. If the producer was not satisfied, he would suggest fourteen more alternatives.

Film-making seemed easy with a man like Subbu around. It was Subbu who gave direction and definition to Gemini Studios during its golden years. He was a poet also and he chose to write for the masses. His success in films overshadowed his literary achievements. He composed several original story poems in folk-song style. He wrote a novel ‘Thillana Mohanambal’. He was a good actor. He never aspired to the lead roles. He played secondary roles in films but performed better than the main actors. Because of these factors, he was considered No. 2 in the Studios.

(कोथमंगलम सुब्बु जैमिनी स्टूडियो में नंबर दो पर था। वह बॉस के नज़दीक और घनिष्ठ प्रतीत होता था। सुब्बु स्टूडियो में अधिक अनिश्चित और कठिन समय में आया था। सुब्बु में यह क्षमता थी कि वह हर समय प्रसन्न नज़र आता था। यहाँ तक कि किसी पिटी फिल्म में अपना हाथ होने के बावजूद भी वह कभी कोई काम अपने आप नहीं कर सकता था। मगर उसकी वफादारी की भावना ने उसके बॉस के साथ उसकी पहचान बना दी। वह अपनी ऊर्जा और रचनात्मकता को बॉस के फायदे के लिए प्रयोग करता था। वह तो फिल्मों के लिए ही बना हुआ प्रतीत होता था। जब भी निर्माता उसे किसी समस्या के बारे में बताता था तो वह फौरन कोई-न-कोई समाधान बता देता था। अगर निर्माता सन्तुष्ट नहीं होता तो वह चौदह विकल्प बता देता था।

जब सुब्बु जैसा व्यक्ति आस-पास होता था तो फिल्म बनाना आसान काम प्रतीत होता था। वह सुब्बु ही था जिसने जैमिनी स्टूडियो को इसके स्वर्णिम दिनों में इसे दिशा-निर्देश और परिभाषा प्रदान की। वह कवि भी था और उसने आम जनता के लिए लिखने का फैसला किया था। फिल्मों में उसकी सफलता ने उसकी साहित्यिक प्रतिभा को छुपा दिया था। उसने लोक गीत शैली में कई मौलिक गाथागीत लिखे थे। उसने एक उपन्यास “थिल्लाना मोहनाम्बल’ लिखा था। वह एक अच्छा अभिनेता था। उसने कभी बड़ी भूमिकाओं की कामना नहीं की थी। वह फिल्मों में दूसरे स्थान की भूमिकाएँ निभाता था मगर वह मुख्य अभिनेताओं से अधिक अच्छा अभिनय करता था। इन तथ्यों के कारण उसे स्टूडियो में नम्बर दो पर माना जाता था।)

Question 3.
How does the author describe the incongruity of an English poet addressing the audience at Gemini Studios ? (लेखक एक अंग्रेज कवि के द्वारा जैमिनी स्टूडियो के श्रोताओं को सम्बोधित करने की बेमेलता का वर्णन कैसे करता है?)
Answer:
One day, there was the news that an English poet was visiting the Gemini Studios. But the rumour was that he was not a poet but an editor. Mr. Vasan, The Boss of Gemini Studios was also the editor of a popular Tamil weekly. Then the day of the poet’s arrival came. He arrived around four in the afternoon. He was a tall man, very English and very serious. The Boss read a long speech. He did not know much about the English poet. The speech was all in the most general terms. Then the poet spoke.

He spoke in such an accent that none among the audience could understand him. He left after speaking for one hour. The audience also dispersed in utter bafflement. They wondered what an English poet was doing in a film studio, which made Tamil films. That is why, the English poet addressing the audience at the Gemini Studios seemed quite incongruous.

(एक दिन खबर आई कि एक अंग्रेज कवि जैमिनी स्टूडियो में आ रहा है। मगर अफवाह थी कि वह कवि नहीं अपितु एक सम्पादक था। जैमिनी स्टूडियो का बॉस श्री वासन भी एक प्रसिद्ध तमिल साप्ताहिक का सम्पादक था। तब कवि के आने का समय आ गया। वह दोपहर के बाद लगभग चार बजे आया। वह एक लम्बा व्यक्ति था। जो पूरी तरह अंग्रेज लगता था और बहुत गम्भीर था। बॉस ने एक लम्बा भाषण पढ़ा। वह अंग्रेजी कवि के बारे में अधिक नहीं जानता था। भाषण आम बातों के बारे में था। फिर कवि बोला। उसने ऐसे लहजे में बात की कि उसके श्रोताओं में से कोई भी उसकी बात को नहीं समझ पाया। वह एक घन्टा बोलने के बाद चला गया। श्रोता भी पूरी तरह हैरानी से चले गए। वे हैरान हो रहे थे कि एक ऐसे फिल्म स्टूडियो जो तमिल फिल्में बनाता है, में एक अंग्रेज कवि क्या कर रहा था। इसीलिए एक अंग्रेज कवि का जैमिनी स्टूडियो में श्रोताओं को सम्बोधित करना बेमेल लगता था।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 6 Poets and Pancakes

Question 4.
What do you understand about the author’s literary inclinations from the account? (इस पाठ से आपको लेखक के साहित्यिक झुकाव का कैसे पता चलता है ?)
Answer:
The author had literary inclinations. He could enjoy the company of great poets like S.D.S. Yogiar, Sangu Subramanyam, Krishna Sastry and Harindranath Chattopadhyaya. He says that the Studios radiated leisure, a pre-requisite for poetry. He had a knowledge of English poet including T.S.Eliot. He writes that prose writing is not and cannot be the true pursuits of a genius. Prose is only for drudges with shrunken hearts. The author wanted to take part in a story writing competition.

There was an announcement in The Hindu that a short story contest was being organized by a British periodical ‘The Encounter’. He wanted to take part in this contest. He wanted to have an idea of the periodical before sending his contribution. He went to the British Council Library to read this magazine. When he read the name of the poet, he recalled that the same poet had visited the Gemini Studios. His name was Stephen Spender. He purchased the book “The God That Failed’. All this shows the author had literary inclinations.

(लेखक का साहित्यिक झुकाव था। वह एस. डी. एस. योगियार, संगु सुब्रामानयम, कृष्णा शास्त्री और हरिन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय जैसे कवियों की संगति का आनंद उठा सकता था। वह कहता है कि स्टूडियो आराम प्रदान करता था जोकि कविता की पहली शर्त है। उसे टी.एस. एलियट जैसे अंग्रेजी कवियों का ज्ञान था। वह कहता है कि पद्य लिखना एक महान् विद्वान का शौक नहीं होता है और न ही हो सकता है। गद्य तो केवल बोर लोगों और सिकुड़े हुए दिल वाले लोगों के लिए है। लेखक एक कहानी लेखन प्रतियोगिता में भाग लेना चाहता था। “द हिन्दू” में एक घोषणा छपी कि ब्रिटिश पत्रिका “द एनकाउन्टर” एक कहानी लेखन प्रतियोगिता का आयोजन करने जा रही है। वह अपनी कहानी भेजने से पहले उस पत्रिका के बारे में जानना चाहता था। वह इस पत्रिका को पढ़ने के लिए ब्रिटिश काउन्सिल पुस्तकालय में गया। जब उसने कवि का नाम पढ़ा तो उसने महसूस किया कि यह वही कवि था जो जैमिनी स्टूडियो में आया था। उसका नाम स्टीफन स्पैंडर था। उसने “भगवान जो असफल हो गया” किताब भी खरीदी। यह सब दर्शाता है कि लेखक का साहित्यिक झुकाव था।)

Think As You Read

Question 1.
What does the writer mean by the fiery misery’ of those subjected to make-up’? (जिनका मेकअप होना था उनकी ‘आग भरी तकलीफ’ से लेखक का क्या अभिप्राय है ?)
Answer:
The make-up department had the look of a hair cutting salon. There were incandescent lights at all angles around half a dozen large mirrors. These lights were glowing with heat. So those who were subjected to make-up had to suffer a lot of hardship. The writer calls it their ‘fiery misery’.
(मेकअप विभाग बाल काटने का सैलून लगता था। वहाँ आधा दर्जन बड़े शीशों के गिर्द तेज चमक वाली रोशनियाँ थीं। ये रोशनियाँ गर्मी से चमक रही होती थी। जिन लोगों का वहाँ पर मेकअप होता था। उन्हें बहुत कष्ट से गुजरना पड़ता था। लेखक इसे उनकी ‘आग भरी तकलीफ’ कहता है।)

Question 2.
What is the example of national integration that the author refers to? (लेखक द्वारा दिया गया राष्ट्रीय एकता का क्या उदाहरण है ?)
Answer:
The make-up department was first headed by a Bengali. He was succeeded by a Maharashtrian. He was assisted by men from Dharward, Andhra Pradesh, Burma and the usual local Tamils. Thus, the make-up department was an example of national integration. (मेकअप विभाग का मुखिया पहले एक बंगाली होता था। उसके बाद महाराष्ट्र का एक व्यक्ति आया। उसकी सहायता धारवाड़, आन्ध्र प्रदेश, बर्मा और स्थानीय तमिल लोग करते थे। इस प्रकार मेकअप विभाग राष्ट्रीय एकता का उदाहरण था।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 6 Poets and Pancakes

Question 3.
What work did the ‘office-boy’ do in the Gemini Studios ? Why did he join the Studios? Why was he disappointed? (जैमिनी स्टूडियो में ऑफिस ब्वॉय क्या काम करता था ? वह स्टूडियो में काम करने क्यों आया था ? वह हताश क्यों था?)
Answer:
The office-boy had the responsibility of doing the make-up of the junior actors who played the crowd. He had joined the studios in the hope of becoming a top actor, screen writer, director or lyricist. He was a bit of poet also. He was disappointed that his talent was being wasted in the Gemini Studios. (वे जूनियर कलाकार जो भीड़ में भाग लेते थे उनका मेकअप करना ऑफिस ब्वॉय की जिम्मेदारी थी। वह स्टूडियो में कई साल पहले मुख्य अभिनेता, ऊँचे दर्जे का स्क्रीन लेखक, निर्देशक या गीतकार बनने का सपना लेकर आया था। वह कुछ अंश तक कवि भी था। वह इस बात पर निराश था कि जैमिनी स्टूडियो में उसकी प्रतिभा नष्ट हो रही थी।)

Question 4.
Why did the author appear to be doing nothing at the Studios ? (लेखक स्टूडियो में कुछ भी काम न करता हुआ प्रतीत क्यों होता था ?)
Answer:
The writer’s duty was to cut out newspaper clippings on a wide variety of subjects and store them in files. When people saw him tearing newspapers all the day long, they thought that he was doing nothing. (लेखक का यह काम था कि अखबारों से बहुत अलग-अलग विषयों की कतरने काटे और उन्हें एक फाईल में लगाए। जब लोग उसे सारा दिन अखबार फाड़ते देखते थे तो वे सोचते थे कि वह कुछ भी नहीं करता।)

Question 5.
Why was the office-boy frustrated? Who did he show his anger on ? (ऑफिस बॉय हताश क्यों था ? वह अपना गुस्सा किस पर जाहिर करता था ?)
Answer:
The office-boy had joined the Gemini Studios with big dreams. He had aspired to be a top class actor, director or screen writer. But his dreams were shattered. He had to become an office-boy. As a result, he was frustrated. He showed his anger on Subbu. He thought that Subbu was responsible for his misery. (ऑफिस ब्वॉय जैमिनी स्टूडियो में बड़े सपने लेकर आया था। उसने ऊँचे दर्जे का अभिनेता, निर्देशक या स्क्रीन लेखक बनने की कामना की थी। मगर उसके सपने टूट गए। उसे ऑफिस ब्वॉय बनना पड़ा। परिणामस्वरूप वह निराश हो गया था। उसने अपना गुस्सा सुब्बु पर उतारा। वह सोचता था कि सुब्बु उसके कष्टों के लिए जिम्मेदार है।)

Question 6.
Who was Subbu’s principal? [H.B.S.E. March, 2017 (Set-C), 2018 (Set-B)] (सुब्बु का अफसर कौन था ?)
Answer:
Subbu was the No. 2 at the Gemini Studios. So he identified himself with Mr. Vasan, who his principal or The Boss. He turned his entire creativity to his principal’s advantage. (सुब्बु जैमिनी स्टूडियो में नम्बर दो पर था। इसलिए वह अपनी पहचान श्री वासन से करता था जोकि उसका बॉस था। वह अपनी सारी ऊर्जा बॉस के फायदे के लिए प्रयोग करता था।)

Question 7.
Subbu is described as a many-sided genius. List four of his special abilities. (सुब्बु का वर्णन एक बहुमुखी प्रतिभा के रूप में किया गया है। उसके चार विशेष गुण बताइए।)
Answer:
Subbu was a talented man. He was a many-sided genius. He was the director in films. He was a poet also. Thirdly, he was an amazing actor. He never got the lead roles, but he performed well in whatever role he got. Finally, he was a charitable man. He helped and fed a number of people. (सुब्बु एक योग्यवान व्यक्ति था। वह एक बहुमुखी प्रतिभाशाली था। वह फिल्मों में निर्देशक था। वह कवि भी था। तीसरे, वह एक अद्भुत अभिनेता भी था। उसे कभी मुख्य भूमिकाएँ नहीं मिली मगर उसे जो भी भूमिकाएँ मिलती थी उन्हें वह बहुत अच्छी तरह करता था। अंत में, वह एक दानशील व्यक्ति था। वह बहुत-से लोगों को भोजन खिलाता था और सहायता करता था।)

Question 8.
Why was the legal adviser referred to as the opposite by others? (कानूनी सलाहकार को सब लोग बिल्कुल विपरीत क्यों समझते थे ?)
Answer:
The legal adviser was a lawyer. He had been engaged to give advice to the company. But he seldom gave legal advice. He brought a sad end to the career of a heroine. He even made a film which flopped. So he was referred to as the opposite by the others. (कानूनी सलाहकार एक वकील था। उसे कम्पनी को सलाह देने के लिए काम पर लगाया गया था। मगर बहुत कम ही वह कभी कानूनी सलाह देता था। उसने एक अभिनेत्री के अभिनय जीवन का उदास अंत कर दिया। उसने एक फिल्म बनाई जो पिट गई। इसलिए उसे सब अपने पद का विपरीत व्यक्ति कहते थे।)

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Question 9.
What made the lawyer stand out from the others at Gemini Studios? (जैमिनी स्टूडियो में वकील सबसे अलग क्यों नजर आता था ?)
Answer:
The other staff members of the Gemini Studios wore khadi uniforms. But the lawyer wore coat, pant and tie. His coat looked like a coat of mail. He looked alone and helpless. He was man of cold logic in a crowd of dreamers. So he stood out from the others at Gemini Studios. (जैमिनी स्टूडियो के अन्य विभाग के सदस्य खादी की वर्दी; मगर वकील कोट, पैन्ट और टाई पहनता था। उसका कोट एक कवच की तरह लगता था। वह अकेला और असहाय प्रतीत होता था। सपने लेने वालों की भीड़ में वह ठंडे तर्क वाला एक व्यक्ति था। इसलिए वह जैमिनी स्टूडियो के अन्य लोगों से अलग था।)

Question 10.
Did the people at Gemini Studios have any particular political affiliations ? [H.B.S.E. 2020 (Set-B)] (क्या जैमिनी स्टूडियो के लोगों का कोई विशेष राजनीतिक झुकाव था ?)
Answer:
The people at Gemini Studios had no particular political affiliations. Most of them worshipped Gandhi. But they did not take part in politics. They did not have the faintest appreciation of political thoughts. They were all averse to communism.
(जैमिनी स्टूडियो के लोगों के कोई विशेष राजनैतिक झुकाव नहीं थे। उनमें से अधिकतर गाँधी जी की पूजा करते थे। मगर राजनीति में भाग नहीं लेते थे। उनमें राजनैतिक विचार की जरा-सी भी समझ नहीं थी। वे सब साम्यवाद से नफरत करते थे।)

Question 11.
Why was the Moral Rearmament Army welcomed at the Studios ? (H.B.S.E. 2017 (Set-D)] (मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी का स्टूडियो में स्वागत क्यों किया गया ?)
Answer:
People at the Gemini Studios had natural aversion to communism. The Moral Rearmament Army (MRA) was a kind of counter movement to international communism. Therefore it was natural that the Moral Rearmament Army was welcomed at the Studios. (जैमिनी स्टूडियो के लोगों को साम्यवाद के लिए स्वाभाविक नफरत थी। मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी एक प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय साम्यवाद का विरोधी आन्दोलन था। इसलिए यह स्वाभाविक था कि मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी का जैमिनी स्टूडियो में स्वागत हुआ।)

Question 12.
Name one example to show that Gemini Studios was influenced by the plays staged by MRA. (यह दर्शाने के लिए एक उदाहरण दो कि MRA द्वारा खोले गए नाटकों द्वारा जैमिनी स्टूडियो प्रभावित हुआ था ।)
Answer:
The Moral Rearmament Army staged two plays. These were ‘Jotham Valley’ and ‘The Forgotten Factor. The plays were staged in a most professional way. These plays ran several shows in Madras. The Gemini family of six hundred saw the plays over and over again. They were highly impressed by the plays. The message was simple, but the sets and the costumes were first rate. (मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी ने दो नाटक खेले। इन नाटकों के नाम थे, ‘Jotham Valley’ और ‘The Forgotten Factor’ यह नाटक बड़े व्यवसायी तरीके से खेल गए। मद्रास में इनके कई शो हुए। जैमिनी परिवार के छह सौ लोगों ने इन नाटकों को बार-बार देखा। वे इन नाटकों से बहुत प्रभावित हुए। उनका सन्देश साधारण था। मगर मंच और वेशभूषा पहले दर्जे की थे।)

Question 13.
Who was The Boss of Gemini Studios ? [H.B.S.E. March, 2017, 2018 (Set-A)] (जैमिनी स्टूडियो का बॉस कौन था ?)
Answer:
Mr. Vasan was The Boss of the Gemini Studios. He was also the editor of the popular Tamil weekly ‘Ananda Vikatan’. He was a hard task master. If he was not satisfied, he could close down the whole department. The closure of the Story Department proves this fact. (श्री वासन जैमिनी स्टूडियो के बॉस थे। वे एक प्रसिद्ध तमिल साप्ताहिक “आनन्द विकातन” के सम्पादक भी थे। वह बहुत कठोर बॉस था। अगर वह सन्तुष्ट नहीं होता था तो वह पूरा विभाग भी बन्द कर सकता था। विभाग का बन्द होना इस तथ्य को साबित करता है।)

Question 14.
What caused the lack of communication between the Englishman and the people at Gemini Studios ? (अंग्रेज व्यक्ति और जैमिनी स्टूडियो के लोगों के बीच बातचीत में कमी का क्या कारण था?)
Answer:
An English poet once visited the Gemini Studios. His name was Stephen Spender. He addressed the staff of the Studios for one hour. No one in the audience know the subject of his talk. Moreover, his accent was peculiar. His way of speaking made it difficult for the simple Tamil people to understand him. Therefore, there was a lack of communication between him and the people at the Gemini Studios.

(एक बार एक अंग्रेज कवि जैमिनी स्टूडियो में आया। उसका नाम स्टीफन स्पैंडर था। उसने जैमिनी स्टूडियो के स्टॉफ को एक घन्टे तक सम्बोधित किया। श्रोताओं में से किसी को भी उसके भाषण के विषय के बारे में पता नहीं चला। इसके अलावा उसका उच्चारण अज़ीब था। उसके बोलने के तरीके ने सादे तमिल लोगों के लिए उसे समझना कठिन बना दिया। इस प्रकार उसमें और जैमिनी स्टूडियो के लोगों के बीच में सम्पर्क की कमी थी।)

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Question 15.
Why is the Englishman’s visit referred to as unexplained mystery ? (अंग्रेज व्यक्ति के आगमन को अनसुलझा रहस्य क्यों बताया गया है ?)
Answer:
The people at the Gemini Studios made simple films for simple Tamils. They had no interest in English poetry. Moreover, the English poet spoke on a subject which no one could understand. They also looked perplexed. So, the Englishman’s visit to the Gemini Studios was an unexplained mystery.
(जैमिनी स्टूडियो के लोग सादे तमिलों के लिए सादी फिल्में बनाते थे। उनकी अंग्रेजी कविता में कोई रुचि नहीं थी। इसके अलावा अंग्रेज कवि ने ऐसे विषय पर भाषण दिया जिसे कोई नहीं समझता था। वे परेशान नज़र आए। इस प्रकार जैमिनी स्टूडियो में एक अंग्रेज कोव का आना एक अनसुलझा रहस्य था।)

Question 16.
Who was the English visitor to the studios ? (स्टूडियो में आया अंग्रेज मेहमान कौन था ?)
Answer:
The English visitor to the Gemini Studios was a poet named Stephen Spender. He was the editor of a magazine also. Once he used to be a follower of communism. But later he was disillusioned with it. He and some of his friends jointly wrote a book entitled ‘The God That Failed’ about the failure of communism. (जैमिनी स्टूडियो में आने वाला मेहमान स्टीफन स्पैंडर नाम का एक अंग्रेज कवि था। वह एक पत्रिका का संपादक भी था। कभी वह साम्यवाद का अनुयायी था। मगर बाद में उसका इससे मोह-भंग हो गया था। उसने और उसके कुछ मित्रों ने मिलकर साम्यवाद की असफलता के बारे में एक किताब लिखी जिसका नाम था, “भगवान जो असफल हो गया” ।)

Question 17.
How did the author discover who the English visitor to the studios was? (लेखक ने यह कैसे पता लगा लिया कि स्टूडियो में आया अंग्रेज मेहमान कौन था ?)
Answer:
The author was at the Gemini Studios when the English poet paid a visit. At that time he did not know his name. But years later, when he had left the Studios, he once visited the British Council Library. There he saw his name in the magazine ‘The Encounter’. Then the author recalled that it was Stephen Spender who had visited the Gemini Studios. (जब अंग्रेज कवि आया तो लेखक जैमिनी स्टूडियो में था। उस समय वह उसका नाम नहीं जानता था। मगर कई साल बाद, जब वह जैमिनी स्टूडियो को छोड़ चुका था, तो वह एक बार ब्रिटिश काउंसिल पुस्तकालय में आया। वहाँ पर उसने उसका नाम ‘एनकाउंटर’ नाम की एक पत्रिका में देखा। तब लेखक ने महसूस किया कि जो कवि जैमिनी स्टूडियो में आया था वह स्टीफन स्पैंडर था।)

Question 18.
What does ‘The God That Failed’ refer to? (‘भगवान जो असफल हो गया’ से क्या अभिप्राय है ?)
Answer:
The book “The God That Failed’ contains six essays written by six eminent men of letters. Stephen Spender, the poet who had visited the Gemini Studios, was one of them. They were all once attracted towards communism. But soon they were disillusioned with. The ‘God’ here is communism and the failure of the God means the failure of the communist ideology. (पुस्तक ‘भगवान जो असफल हो गया’ छह प्रसिद्ध विद्वानों द्वारा लिखे गए लेख हैं। स्टीफन स्पैंडर, जो जैमिनी स्टूडियो में आया था, उनमें से एक था। कभी वे सभी साम्यवाद की तरफ आकर्षित हुए थे। मगर शीघ्र ही उनका मोह-भंग हो गया था। यहाँ पर ‘भगवान’ साम्यवाद है और भगवान की असफलता का अर्थ है, साम्यवादी विचारधारा का असफल होना।)

Talking About The Text
Discuss in small groups taking off from points in the text.

Question 1.
Film-production today has come a long way from the early days of the Gemini Studios. (आज फिल्म निर्माण जैमिनी स्टूडियो के आरम्भ के दिनों से बहुत आगे आ गया है।)
Answer:
Film production in India started about a century ago. In the beginning there were silent films. About seventy five years ago, India’s first talking film ‘Alam Ara’ was made. Even then the film technology was not much advanced. There were no advanced studios. There was no technique for sound recording of songs after the shooting. So the singers had to sing at the time of shooting. That is why, there was the trend of signing stars, like K.L.Sehgal and Suraiya who could sing even while acting. The musicians had to hide or remain away from the camera focus so that the music could be recorded simultaneously.

But now with the advancement of technology and new discoveries, film production has come a long way from the early days of the Gemini Studios. Now we have a cinemascope screening. Previously, there were only black and white films. When the technique for colour shooting was adopted in India, the prints had to be got developed in foreign countries. But now all this has changed. Even the contents, songs and dances of the films have been changed keeping in view the tastes of people.

(भारत में फिल्म निर्माण लगभग एक शताब्दी पहले आरम्भ हुआ। आरम्भ में मूक फिल्में थी। लगभग पचहत्तर साल पहले भारत की पहली बोलती फिल्म, “आलमआरा” बनी। फिर भी फिल्म तकनीक अधिक विकसित नहीं थी। कोई विकसित स्टूडियो नहीं होते थे। शटिंग के बाद गीतों की रिकॉर्डिंग की कोई तकनीक नहीं थी। इसलिए गायकों को शटिंग के समय गीत गाने होते थे। इसलिए उस समय गायक-अभिनेताओं का युग था जैसेकि के. एल. सहगल और सुरैया, जो अभिनय करते समय गा सकते थे। संगीतकारों को छुपना पड़ता था या कैमरे के फोकस से दूर रहना पड़ता था ताकि साथ-साथ संगीत रिकॉर्ड हो सके।

मगर अब तकनीक में प्रगति और नई खोजों के कारण फिल्म निर्माण जैमिनी स्टूडियो के शुरूआती दिनों से बहुत आगे आ चुका है। अब हमारे पास सिनेमास्कोप स्क्रीनिंग होती है। पहले केवल ब्लैक और व्हाईट फिल्में होती थीं। जब भारत में रंगीन शूटिंग की तकनीक आई, तो छापों को विकसित करवाने के लिए विदेशों में भेजना पड़ता था। मगर अब यह सब बदल गया है। यहाँ तक कि फिल्मों के विषय, गीत और नृत्य लोगों की रुचियों के अनुसार बदल गए हैं।)

Question 2.
Poetry and films. (कविता और फिल्में।)
Answer:
Songs are an integral part of Indian cinema. Songs provide colour and spice to the story in our films. Most of the times, the popularity of the film depends on its songs. A number of Hindi film songs are still popular even after fifty years. That is why, the lyricist or the song writer has an important place in the Indian film industry. Thus, poetry plays an important part in our films. A number of eminent poets have given their services to the film industry. Poets like Indiver, Neeraj, Kaifi Azmi, Gulzar, Mazrooh Sultanpuri, Sahir Ludhianavi, etc. have written immortal songs for the Indian films. Although, these days, the serious songwriters are absent, yet poetry has not lost its charm for the filmmakers.

(गीत भारतीय सिनेमा का एक अभिन्न भाग हैं। गीत हमारी फिल्मों को रंग और चटपटापन प्रदान करते हैं। प्रायः फिल्मों की प्रसिद्धि इसके गीतों पर निर्भर करती है। हिन्दी फिल्मों के बहुत-से गीत पचास सालों के बाद भी आज तक प्रसिद्ध है। इसी लिए गीतकार का भारतीय फिल्म उद्योग में महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस प्रकार कविता हमारी फिल्मों में एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। बहुत-से प्रसिद्ध कवियों ने फिल्म उद्योग को अपनी सेवाएँ अर्पित की हैं। इन्दीवर, नीरज, कैफी आज़मी, गुलज़ार, मजरूह सुल्तानपुरी, साहिर लुधियानवी जैसे कवियों ने भारतीय फिल्मों के लिए अमर गीत लिखे हैं। बेशक गम्भीर गीतकार नदारद है, फिर भी कविता ने फिल्म निर्माताओं के लिए अपना आकर्षण नहीं खोया है।)

Question 3.
Humour and criticism. (हास्य और आलोचना।)
Answer:
Humour is the spice of life. It adds charm to a story. Humour has played its role in Hindi films also. A number of comedians have become immortal. Comedians like Johnny Walker, Mehmood, Mukri, Dhumal, Polson, Om Prakash, Sunder, etc. enlivened our films. There was a time when no film-maker could dream of making films without comedians. Humour in a film provided relief to the audience after a serious scene. We find criticism also in films. Many filmmakers were dedicated artists and they took up social causes in their films. Film-makers like Satyajit Ray, Bimal Roy, Govind Nihalani, B.R.Chopra, Ramanand Sagar, etc. made films which were a criticism of the evils found in society. They took up the causes like the plight of the farmers, the atrocities of the landlords, dowry system, corruption in the police, etc.

(हास्य जीवन का मसाला है, हास्य ने भारतीय फिल्मों में अपनी भूमिका निभाई है। बहुत-से हास्य कलाकार अमर हो गए हैं। जॉनी वाकर, महमूद, मुकरि, धूमल, पोल्सन, ओम प्रकाश, सुन्दर आदि हास्य कलाकारों ने हमारी फिल्मों को सजीवता प्रदान की है। एक समय था जब कोई भी फिल्म-निर्माता हास्य कलाकारों के बिना फिल्म बनाने की सोच भी नहीं सकता था। फिल्म में हास्य, दर्शकों को किसी गम्भीर दृश्य के बाद राहत प्रदान करता है। हमें फिल्मों में आलोचना भी मिलती है। बहुत-से फिल्म-निर्माता समर्पित कलाकार थे और उन्होंने अपनी फिल्मों में सामाजिक समस्याओं को उठाया। सत्यजीत रे, बिमल रॉय, गोविन्द निहलानी, बी.आर. चोपड़ा, रामानंद सागर आदि फिल्म-निर्माताओं ने ऐसी फिल्में बनाई जो समाज में फैली बुराईयों की आलोचना थी। उन्होंने किसानों के अत्याचार, दहेज प्रथा, पुलिस में भ्रष्टाचार आदि विषयों को उठाया।)

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Noticing Transitions
This piece is an example of a chatty, rambling style. One thought leads to another which is then dwelt upon at length.
Read the text again and mark the transitions from one idea to another. The first one is indicated below.
Make-up department
Office-boy
Subbu Ans. Make-up department → Office-boy – → Subbu Hierarchy in the make-up department Office-boy → The narrator The narrator Office-boy- → Subbu The Legal adviser of the Story Department — →Subbu — The Boss The Gemini Studios — Moral Re-Armament Army → Communism The Gemini Studios — Gandhiji ——-Communists The Boss Mr. Vasan → Stephen Spender -→ ‘The God that Failed’

Writing
You must have met some interesting characters in your neighborhood or among your relatives. Write a humourous piece about their idiosyncrasies. Try to adopt the author’s rambling style, if you can.
Answer:
For self-attempt, with the help of the teacher.

HBSE 12th Class English Poets and Pancakes Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions
Answer the following questions in about 20-25 words : 

Question 1.
What does the writer tell us about the make-up room of the Gemini Studios? (लेखक हमें जैमिनी स्टूडियो के मेकअप रूम के बारे में क्या बताता है ?) [H.B.S.E. March, 2020 (Set-A)]
Answer:
In the beginning of the essay, the writer describes the make-up department of the Gemini Studios. This department was in the upstairs of a building. It was believed that this building was once Robert Clive’s stables. The department had the look of a hair-cutting salon. There were incandescent lights at all angles around half a dozen large mirrors.
(लेख के आरम्भ में लेखक जैमिनी स्टूडियो के मेकअप विभाग का वर्णन करता है। वह विभाग इमारत की ऊपरी मंजिल में था। ऐसा माना जाता था कि यह इमारत कभी रॉबर्ट क्लाइव का तबेला हुआ करती थी। मेकअप विभाग देखने में बाल काटने का सैलून लगता था। वहाँ आधा दर्जन बड़े शीशों के गिर्द तेज चमक वाली रोशनियाँ थीं।)

Question 2.
What was pancake? What was the effect of pancake on the faces of actors? (पैनकेक क्या था ? कलाकारों के चेहरे पर पैनकेक का क्या प्रभाव था ?) Or What was pancake and what was it used for ? [H.B.S.E. 2020 (Set-D)] (पैनकेक क्या था और इसका प्रयोग किस लिए किया जाता था?)
Answer:
The pancake was the brand name of the make-up material that the Gemini Studios bought in truck loads. Pancake and the other locally made material were used in the make-up. Heavy make-up was used for the actors. The writer comments that the make-up men could turn any decent-looking person into an ugly-looking, crimson-coloured monster.
(पैनकेक मेकअप के उस सामान का ब्रॉन्ड नाम था जिसे जैमिनी स्टूडियो ट्रक-भरकर खरीदता था। मेकअप करने में पैनकेक और अन्य स्थानीय रूप से निर्मित पदार्थ का प्रयोग होता था। अभिनेताओं पर भारी मेकअप किया जाता था। लेखक कहता है कि मेकअप करने वाले व्यक्ति किसी भी अच्छे दिखने वाले व्यक्ति को भद्दा दिखने वाला और लाल रंग वाला राक्षस बना देते थे।)

Question 3.
Who did the make-up of the different actors? (विभिन्न कलाकारों का मेकअप कौन करते थे ?)
Answer:
There was a strict hierarchy in the make-up department. The chief make-up man made the chief actors and actresses ‘ugly’. His senior assistant did the make-up of the second hero and heroine. The junior assistant handled the main comedian. The players who played the crowd were the responsibility of the office boy.

(मेकअप विभाग में कठोर श्रेणी-तन्त्र होता था। मुख्य मेकअप मैन मुख्य नायकों और नायिकाओं को “भद्दा” बनाता था। उसका सीनियर सहायक दूसरे दर्जे के नायक और नायिका का मेकअप करता था। जूनियर सहायक आमतौर पर हास्य कलाकार का मेकअप करता था। वे जूनियर कलाकार जो भीड़ में भाग लेते थे वे ऑफिस ब्वॉय की जिम्मेदारी होते थे।)

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Question 4.
What does the writer tell us about the office-boy? (लेखक हमें ऑफिस ब्वॉय के बारे में क्या बताता है ?)
Answer:
The office boy was not exactly a boy. He was in his early forties. He had entered the studios years ago with dreams in his eyes. He had dreamed of becoming a star actor or a top screenwriter, director, or lyrics writer. He was a bit of a poet also.
(ऑफिस ब्वॉय वास्तव में कोई लड़का नहीं था। वह शुरू से चालीस की आयु में था। वह स्टूडियो में कई साल पहले अपनी आँखों में सपने लेकर आया था। वह मुख्य अभिनेता, ऊँचे दर्जे का स्क्रीन लेखक, निर्देशक या गीतकार बनने का सपना लेकर आया था। वह कुछ अंश तक कवि भी था।)।

Question 5.
Why was the writer fed up with the office-boy? (लेखक ऑफिस ब्वॉय से तंग क्यों आ गया था ?)
Answer:
The office boy would often come to the writer’s cubicle and tell him how his literary talent was being wasted in the make-up department. He thought that the department was fit only for barbers and perverts. He insisted on reading out his poems to the author. So the writer was often fed up with him.

(ऑफिस ब्वॉय अक्सर लेखक के क्यूबिकल में आता था और उसको बताता था कि किस प्रकार उसकी साहित्यिक प्रतिभा मेकअप विभाग में नष्ट हो रही थी। वह सोचता था कि मेकअप विभाग तो केवल नाइयों और उल्टे लोगों के काबिल है। वह आग्रह करता था कि वह लेखक को अपनी कविताएँ सुनाए। लेखक अक्सर उससे तंग आ जाता था।)

Question 6.
Describe the times when Subbu joined the Gemini Studios. (उस समय का वर्णन करो जब सुब्बु जैमिनी स्टूडियो में आया था।)
Answer:
Subbu had entered the studios in more uncertain and difficult times. Then there were no firmly established film-producing companies or studios. In education also, he was not more formally educated than the office boy. But being a Brahmin, he had exposure to more affluent situations and people.
(सुब्बु स्टूडियो में अधिक अनिश्चित और कठिन समय में आया था। उस समय कोई स्थिर फिल्म कम्पनियाँ या स्टूडियो नहीं हुआ करते थे। शिक्षा के मामले में भी वह औपचारिक रूप से ऑफिस ब्वॉय से अधिक शिक्षित नहीं था। मगर ब्राह्मण होने के कारण वह अधिक समृद्ध अवस्थाओं और लोगों के सम्पर्क में आ चुका था।)

Question 7.
How did Subbu help The Boss? (सुब्बु बॉस की सहायता किस प्रकार करता था ?)
Answer:
Subbu had the ability to look cheerful at all time, even after having a hand in a flop film. He could never do things on his own, but his sense of loyalty made him identify himself with The Boss. He uses all his energy and creativity for the advantage of The Boss.
(सुब्बु में यह क्षमता थी कि वह हर समय प्रसन्न नज़र आता था, यहाँ तक कि किसी पिटी हुई फिल्म में अपना हाथ होने के बावजूद भी। वह कभी कोई काम अपने आप नहीं कर सकता था मगर उसकी वफादारी की भावना ने उसके बॉस के साथ उसकी पहचान बना दी। वह अपनी ऊर्जा और रचनात्मकता को बॉस के फायदे के लिए प्रयोग करता था।)

Question 8.
Why does the writer say that Subbu was tailor-made for films? . (लेखक यह क्यों कहता है कि सुब्बु फिल्मों के लिए ही बना था ?)
Answer:
The writer says that Subbu was tailor-made for films. Whenever the producer told him about any problem, he would come out with a solution. If the producer was not satisfied, he would suggest fourteen more alternatives. Film-making seemed easy with a man like Subbu around. It was Subbu who gave direction and definition to Gemini Studios during its golden years.

(लेखक कहता है कि सुब्बु फिल्मों के लिए ही बना हुआ प्रतीत होता था। जब भी निर्माता उसे किसी समस्या के बारे में बताता था तो वह फौरन कोई-न-कोई समाधान बता देता था। अगर निर्माता सन्तुष्ट नहीं होता तो वह चौदह विकल्प बता देता था। जब सुब्बु जैसा व्यक्ति आस-पास होता था तो फिल्म बनाना आसान काम प्रतीत होता था। वह सुब्बु ही था जिसने जैमिनी स्टूडियो को इसके स्वर्णिम दिनों में इसे दिशा-निर्देश और परिभाषा प्रदान की।)

Question 9.
What does the writer say about the literary talent of Subbu? (लेखक सुब्बु की साहित्यिक प्रतिभा के बारे में क्या कहता है?)
Answer:
The writer says that Subbu was a poet also and he chose to write for the masses. His success in films overshadowed his literary achievements. He composed several original story poems in folk-song style. He wrote a novel ‘Thillana Mohanambal’.
(लेखक कहता है कि सुब्बु कवि भी था और उसने आम जनता के लिए लिखने का फैसला किया था। फिल्मों में उसकी सफलता ने उसकी साहित्यिक प्रतिभा को छुपा दिया था। उसने लोकगीत शैली में कई मौलिक गाथागीत लिखे थे। उसने एक उपन्यास “थल्लाना मोहनाम्बल” लिखा था।)

Question 10.
What good qualities of Subbu does the writer refer to? (लेखक सुब्बु के किन अच्छे गुणों का जिक्र करता है ?)
Answer:
He was a good actor. He never aspired to the lead roles. He played secondary roles in films but performed better than the main actors. Subbu had a genuine love for anyone he came across. He used to feed and support many persons. But even he had enemies. Perhaps it was because he seemed so close and intimate with The Boss.
(वह एक अच्छा अभिनेता था। उसने कभी बड़ी भूमिकाओं की कामना नहीं की थी। वह फिल्मों में दूसरे स्थान की भूमिकाएँ निभाता था मगर वह मुख्य अभिनेताओं से अधिक अच्छा अभिनय करता था। जिससे वह मिलता था उससे सुब्बु को सच्चा स्नेह होता था। वह बहुत-से लोगों को भोजन खिलाता था और सहारा देता था। फिर भी उसके दुश्मन थे। शायद ऐसा इसलिए था कि वह बॉस के नज़दीक और घनिष्ठ प्रतीत होता था।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 6 Poets and Pancakes

Question 11.
How did the lawyer put an end to the career of an actress? (वकील ने एक अभिनेत्री के कार्य जीवन का अन्त कैसे कर दिया?)
Answer:
Once a talented but moody actress burst out on the sets. Everyone looked stunned. The lawyer quietly switched on the recording equipment. When the actress relaxed for sometime, the lawyer played back the recording. The actress was shocked to hear her own voice. She never quite recovered form the shock and that was the end of her acting career.
(एक बार एक बहुत प्रतिभाशाली मगर तुनक मिजाज अभिनेत्री मंच पर गुस्से में फूट पड़ी। हर व्यक्ति स्तब्ध रह गया। वकील ने चुपके से रिकॉर्डिंग उपकरण को चालू कर दिया। अभिनेत्री अपनी खुद की आवाज सुनकर अचम्भित हो गई। वह इस सदमे से कभी पूरी तरह नहीं उबरी और वह उसके अभिनय जीवन का अंत था।)

Question 12.
How did the lawyer lose his job? (वकील की नौकरी किस प्रकार चली गई ?)
Answer:
Once the lawyer tried his hand at film-making. But unfortunately, the film made by him had flopped. Then The Boss closed down the story department and the lawyer lost his job.
(एक बार वकील ने एक फिल्म बनाई थी। मगर दुर्भाग्यवश वह फिल्म पिट गई थी। फिर बॉस ने कहानी विभाग बन्द कर दिया और वकील की नौकरी चली गई।)

Question 13.
Name some of the poets who visited Gemini Studio. [B.S.E.H. 2020 (Set-A)] (कुछ कवियों के नाम बताइए जो जैमिनी स्टूडियों में आया करते थे।)
Answer:
Gemini Studio was the favorite haunt of various poets. Poets like S.D.S. Yogiar, Sangu Subramanyam, Krishna Sastry, and Harindranath Chattopadhyaya used to come to the Studios. The studios radiated leisure which is the first requirement for poetry.
(जैमिनी स्टूडियो कई कवियों का मनपसंद स्थान था। एस. डी. एस. योगियार, संगु सुब्रामानयम, कृष्णा शास्त्री और हरिन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय जैसे कवि स्टूडियो में आया करते थे। स्टूडियो में आराम नज़र आता था जो कवि की पहली ज़रूरत है।)

Question 14.
What was a notion about ‘A communist’ at that time? (उस समय में ‘एक कम्युनिस्ट’ के बारे में क्या अवधारणा थी?)
Answer:
The men at the Studios had a natural dislike for Communism. They thought that the Communists were godless people. They had no love for wives and children. They were ready to spread unrest and violence.
(स्टूडियो के लोगों को साम्यवाद के लिए स्वाभाविक नफ़रत थी। वे सोचते थे कि साम्यवादी लोग नास्तिक होते हैं उनमें पत्नियों और बच्चों के लिए प्यार नहीं होता। वे अशान्ति और हिंसा फैलाने के लिए तैयार रहते थे।)

Question 15.
What does the writer say about The Boss’s speech in honour of the English poet? (अंग्रेज कवि के सम्मान में दिए गए बॉस के भाषण के बारे में लेखक क्या कहता है ?)
Answer:
A few months later, there was the news that an English poet was visiting the Gemini Studios. The poet arrived around four in the afternoon. He was a tall man, very English and very serious. The Boss read a long speech. He did not know much about the English poet. The speech was all in the most general terms.
(कुछ महीनों के बाद खबर आई कि एक अंग्रेज कवि जैमिनी स्टूडियो में आ रहा है। कवि दोपहर के बाद लगभग चार बजे आया। वह एक लम्बा व्यक्ति था, जो पूरी तरह अंग्रेज लगता था और बहुत गम्भीर था। बॉस ने एक लम्बा भाषण पढ़ा। वह अंग्रेजी कवि के बारे में अधिक नहीं जानता था। भाषण आम बातों के बारे में था।)

Question 16.
Why did the author get a copy of ‘The Encounter’ from the British Library? (लेखक ने “द एनकाउन्टर” की एक प्रति ब्रिटिश पुस्तकालय से क्यों ली ?)
Answer:
The Hindu, a daily from Madras, published a small announcement that a short story contest was being organized by a British magazine named ‘The Encounter’. The author wanted to know about the periodical before sending his story. He got a copy of “The Encounter’ from the British Library.
(मद्रास के एक दैनिक “द हिन्दू” ने एक छोटी-सी घोषणा प्रकाशित की कि “द एनकाउंटर” नाम की एक ब्रिटिश पत्रिका एक लघुकथा प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। लेखक अपनी कहानी भेजने से पहले पत्रिका के बारे में जानना चाहता था। उसने ब्रिटिश पुस्तकालय से “द एनकाउंटर” की एक प्रति ली।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 6 Poets and Pancakes

Long Answer Type Questions
Answer the following questions in about 80 words

Question 1.
Give a brief description of the make-up room of the Gemini Studios. (जैमिनी स्टूडियो के मेकअप रूम का संक्षिप्त वर्णन करो।)
Answer:
In the beginning of the essay, the writer describes the make-up department of the Gemini Studios. This department was in the upstairs of a building. It was believed that this building was once Robert Clive’s stables. The department had the look of a hair-cutting salon. There were incandescent lights at all angles around half a dozen large mirrors. These lights were glowing with heat. So those who were subjected to make-up had to suffer a lot of hardship. The make-up department was first headed by a Bengali. He was succeeded by a Maharashtrian. He was assisted by men from Dharwad, Andhra Pradesh, Burma, and the usual local Tamils. Thus, the make-up department was an example of national integration.
(लेख के आरम्भ में लेखक जैमिनी स्टूडियो के मेकअप विभाग का वर्णन करता है। वह विभाग इमारत की ऊपरी मंजिल में था। ऐसा माना जाता था कि यह इमारत कभी रॉबर्ट क्लाइव का तबेला हुआ करती थी। मेकअप विभाग बाल काटने का सैलून लगता था। वहाँ आधा दर्जन बड़े शीशों के गिर्द तेज चमक वाली रोशनियाँ थी। ये रोशनियाँ गर्मी से चमक रही होती थीं इसलिए जिन लोगों का वहाँ पर मेकअप होता था उन्हें बहुत कष्ट से गुजरना पड़ता था। मेकअप विभाग का मुखिया पहले एक बंगाली होता था। उसके बाद महाराष्ट्र का एक व्यक्ति आया। उसकी सहायता धारवाड़, आन्ध्र प्रदेश, बर्मा और स्थानीय तमिल लोग करते थे। इस प्रकार मेकअप विभाग राष्ट्रीय एकता का उदाहरण था।)

Question 2.
How was the make-up of different actors done by the people of the make-up department? (मेकअप विभाग के लोगों द्वारा विभिन्न कलाकारों का मेकअप किस प्रकार किया जाता था ?)
Answer:
The pancake was the brand name of the make-up material that the Gemini Studios bought in truckloads. Pancake and the other locally made material were used in the make-up. Heavy make-up was used for the actors. The writer comments that the make-up men could turn any decent-looking person into an ugly-looking, crimson-colored monster. Those were the days of mainly indoor shooting. Only five percent of the film was shots outdoors. There was a strict hierarchy in the make-up department. The chief make-up man made the chief actors and actresses ‘ugly’. His senior assistant did the make-up of the second hero and heroine. The junior assistant handled the main comedian. The players who played the crowd were the responsibility of the office boy.
(पैनकेक मेकअप के उस सामान का ब्रॉन्ड नाम था जिसे जैमिनी स्टूडियो ट्रक भरकर खरीदता था। मेकअप करने में पैन केक और अन्य स्थानीय रूप से निर्मित पदार्थ का प्रयोग होता था। अभिनेताओं पर भारी मेकअप किया जाता था। लेखक कहता कि मेकअप करने वाले व्यक्ति किसी भी अच्छे दिखने वाले व्यक्ति को भद्दा दिखने वाला और लाल रंग वाला राक्षस बना देते थे। वे आम तौर पर इनडोर शूटिंग के दिन होते थे। केवल पाँच प्रतिशत शूटिंग बाहर होती थी। मेकअप विभाग में कठोर श्रेणी-तन्त्र होता था। मुख्य मेकअप मैन मुख्य नायकों और नायिकाओं को ‘भद्दा’ बनाता था। उसका वरिष्ठ सहायक दूसरे दर्जे के नायक और नायिका का मेकअप करता था। कनिष्ठ सहायक आमतौर पर हास्य कलाकार का मेकअप करता था। वे कनिष्ठ कलाकार जो भीड़ में भाग लेते थे वे ऑफिस ब्वॉय की जिम्मेदारी होते थे।)

Question 3.
Who was the office-boy? Why was the writer fed up with him? (ऑफिस बॉय कौन था ? लेखक उससे तंग क्यों आ गया था ?)
Answer:
The office boy was not exactly a boy. He was in his early forties. He had entered the studios years ago with dreams in his eyes. He had dreamed of becoming a star actor, or a top screenwriter, director or lyrics writer. He was a bit of a poet also. In those days the writer worked in a cubicle. He was always seen sitting at his table tearing newspapers day in and day out. Therefore, many people in the studios thought that he had no work.

The office boy would often come to the writer’s cubicle and tell him how his literary talent was being wasted in the make-up department. He thought that the department was fit only for barbers and perverts. He insisted on reading out his poems to the author. The writer was often fed up with him. So he prayed for crowd shooting all time. Then the office boy would be busy doing their make-up and the author could be spared from listening to his epics.
(ऑफिस ब्वॉय वास्तव में लड़का नहीं होता था। वह शुरू के चालीस की उम्र में होता था। वह स्टूडियो में कई साल पहले अपनी आँखों में सपने लेकर आया था। वह मुख्य अभिनेता, ऊँचे दर्जे का स्क्रीन लेखक, निर्देशक या गीतकार बनने का सपना लेकर आया था। वह कुछ अंश तक कवि भी था। उन दिनों में लेखक एक क्यूबिकल (छोटा कमरा) में काम करता था। उसे दिन-रात अपने मेज पर बैठे हुए अखबार फाड़ते हुए देखा जा सकता था।

इसलिए विभाग के कई लोग सोचते थे कि उसके पास कोई काम नहीं था। ऑफिस ब्वॉय अक्सर लेखक के क्यूबिकल में आता था और उसको बताता था कि किस प्रकार उसकी साहित्यिक प्रतिभा मेकअप विभाग में नष्ट हो रही थी। वह सोचता था कि मेकअप विभाग तो केवल नाइयों और विपरीत लोगों के काबिल है। वह आग्रह करता था कि वह लेखक को अपनी कविताएँ सुनाए। लेखक अक्सर उससे तंग आ जाता था। इसलिए वह प्रार्थना करता था कि सदा भीड़ वाली शूटिंग होती रहे। तब ऑफिस ब्वॉय सदा मेकअप और लेखक उसकी लम्बी कविताएँ सुनने से बच जाएगा।)

Question 4.
Write a brief character sketch of Subbu. [H.B.S.E. 2017 (Set-B)] (सुब्बु का संक्षिप्त चरित्र-चित्रण करो।) Kothamangalam Subbu, “a compassionate man, was tailor-made for films”. Elaborate. (कोथमंगलम सुब्बु “एक दयालु आदमी था, वह विशेष रूप से फिल्मों के लिए बनाया गया था।” वर्णन करो।)
Answer:
Subbu had entered the studios in more uncertain and difficult times. Then there were no firmly established film-producing companies or studios. Subbu had the ability to look cheerful at all time, even after
Or
having a hand in a flop film. He could never do things on his own, but his senses of loyalty made him identify himself with the ‘Boss’. He uses all his energy and creativity for the advantage of the boss. He was tailor-made for films. Whenever the producer told him about any problem, he would come out with a solution. If the producer was not satisfied he would suggest fourteen more alternatives. Film-making seemed easy with a man like Subbu around. It was Subbu who gave direction and definition to Gemini Studios during its golden years. He was a poet also and he chose to write for the masses.

His success in films overshadowed his literary achievements. He composed several original story poems in folk-song style. He wrote a novel “Thillana Mohanambal’. He was a good actor. He never aspired to the lead roles. He played secondary roles in films but performed better than the main actors. Subbu had a genuine love for anyone he came across. He used to feed and support many persons. But even then he had enemies. Perhaps it was because he seemed so close and intimate with the Boss.

(सुब्बु स्टूडियो में अधिक अनिश्चित और कठिन समय में आया था। उस समय कोई स्थिर फिल्म कम्पनियाँ या स्टूडियो नहीं हुआ करते थे। सुब्बु में यह क्षमता थी कि वह हर समय प्रसन्न नज़र आता था, यहाँ तक कि किसी पिटी हुई फिल्म में अपना हाथ होने के बावजूद भी। वह कभी कोई काम अपने आप नहीं कर सकता था मगर उसकी वफादारी की भावना ने उसकी बॉस के साथ उसके पहचान बना दी। वह अपनी ऊर्जा और रचनात्मकता को बॉस के फायदे के लिए प्रयोग करता था। वह तो फिल्मों के लिए ही बना हुआ प्रतीत होता था। जब भी निर्माता उसे किसी समस्या के बारे में बताता था तो वह फौरन कोई-न-कोई समाधान बता देता था। अगर निर्माता सन्तुष्ट नहीं होता तो वह चौदह विकल्प बता देता था। जब सुब्बु जैसा व्यक्ति आस-पास होता था तो फिल्म बनाना आसान काम प्रतीत होता था। वह सुब्बु ही था जिसने जैमिनी स्टूडियो को इसके स्वर्णिम दिनों में इसे दिशा-निर्देश और परिभाषा प्रदान की। वह कवि भी था और उसने आम जनता के लिए लिखने का फैसला किया था।

फिल्मों में उसकी सफलता ने उसकी साहित्यिक प्रतिभा को छुपा दिया था। उसने लोकगीत शैली में कई मौलिक गाथागीत लिखे थे। उसने एक उपन्यास “थिल्लाना मोहनम्बल’ लिखा था। वह एक अच्छा अभिनेता था। उसने कभी बड़ी भूमिकाओं की कामना नहीं की थी। वह फिल्मों में दूसरे स्थान की भूमिकाएं निभाता था मगर वह मुख्य अभिनेताओं से अधिक अच्छा अभिनय करता था। जिससे वह मिलता था उससे सुब्बु को सच्चा स्नेह होता था। वह बहुत-से लोगों को भोजन खिलाता था। फिर भी उसके दुश्मन थे शायद ऐसा इसलिए था कि वह बॉस के नज़दीक और घनिष्ठ प्रतीत होता था।)

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Question 5.
Write a note on the lawyer of the story department. (कहानी विभाग के वकील पर एक नोट लिखो।)
Answer:
The story department of the Gemini Studios was very important. This department comprised a lawyer and a group of writers and poets. The lawyer was officially known as legal adviser, but everybody referred to him as the opposite. Once an extremely talented but moody actress burst out on the sets. Everyone looked stunned. The lawyer quietly switched on the recording equipment. When the actress relaxed for sometime, the lawyer played back the recording.

The actress was shocked to hear her own voice. She never quite recovered form the shock and that was the end of her acting career. Everyone in the department wore a khadi uniform. But the legal adviser wore pants, a tie and a coat. He was a man of cold logic in a crowd of dreams. He also once made a film which flopped. Then The Boss closed down the story department and the lawyer lost his job.

(जैमिनी स्टूडियोज़ का कहानी विभाग बहुत महत्त्वपूर्ण था। इस विभाग में एक वकील, लेखकों और कवियों का एक समूह शामिल था। वकील को सरकारी रूप से कानूनी सलाहकार कहा जाता था मगर हर व्यक्ति उसे इसके विपरीत सम्बोधित करता था। एक बार एक बहुत प्रतिभाशाली मगर तुनक मिजाज अभिनेत्री मंच पर गुस्से में फूट पड़ी। हर व्यक्ति स्तब्ध रह गया। वकील ने चुपके से रिकॉर्डिंग उपकरण चालू कर दिया।

जब अभिनेत्री कुछ देर के लिए चुप हुई तो वकील ने रिकॉर्डिंग को बजा दिया। अभिनेत्री अपनी खुद की आवाज सुनकर अचम्भित हो गई। वह उस सदमें से कभी पूरी तरह नहीं उबरी और वह उसके अभिनय जीवन का अंत था। विभाग में हर व्यक्ति खाकी वर्दी पहनता था। मगर कानूनी सलाहकार पैन्ट, टाई और कोट पहनता था। सपने लेने वालों की भीड़ में वह एक ठण्डे तर्क वाला व्यक्ति था। उसने भी एक बार एक फिल्म बनाई थी जो पिट गई थी। फिर बॉस ने कहानी विभाग बन्द कर दिया और वकील की नौकरी चली गई।)

Question 6.
Write a note on the literary and political inclinations of the men of the Gemini Studios. (जैमिनी स्टूडियो के लोगों के साहित्यिक एवं राजनीतिक झुकावों के बारे में एक नोट लिखो।)
Answer:
Gemini Studio was the favourite haunt of various poets. Poets like S.D.S. Yogiar, Sangu Subramanyam, Krishna Sastry and Harindranath Chattopadhyaya used to come to the Studios. It had an excellent mess which supplied good coffee at all times of the day and for the most part of the night. The studios radiated leisure which is the first requirement for poetry. Most of them wore khadi and worshipped Gandhi, but beyond that they had not the vague appreciation for political thought of any kind.

The men at the studios had a natural dislike for Communism. They thought that the Communists were godless people. They had no love for wives and children. They were ready to spread unrest and violence. When Frank Buchman’s Moral Re-Armament Army of two hundred people visited Madras in 1952, the Gemini Studios played the host. The MRA was a kind of counter-movement to international communism. They couldn’t find a better host in India than the Gemini Studios.

(जैमिनी स्टूडियो कई कवियों का मनपसंद स्थान था। एस. डी. एस. योगियार, संगु सुब्रामानयम, कृष्णा शास्त्री और हरिन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय जैसे कवि स्टूडियो में आया करते थे। इसकी मेस बहुत शानदार थी जो सारा दिन और रात के अधिकतर भाग में भी शानदार कॉफी प्रदान करती थी। स्टूडियो में आराम नज़र आता था जो कि कविता की पहली ज़रूरत है। अधिकतर लोग खादी पहनते थे और गाँधी जी की पूजा करते थे। मगर इससे बढ़कर किसी प्रकार के भी राजनैतिक विचार का कुछ भी पता नहीं था। स्टूडियो के लोगों को साम्यवाद के लिए स्वाभाविक नफरत थी।

वे सोचते थे कि साम्यवादी लोग नास्तिक लोग होते हैं। उनमें पत्नियों और बच्चों के लिए प्यार नहीं होता। वे अशान्ति और हिंसा फैलाने के लिए तैयार रहते हैं। जब फ्रैन्क बुचमैन की दो सौ लोगों की मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी 1952 में मद्रास आई तो जैमिनी स्टूडियो ने उनकी यजमानी की। एम. आर. ए. एक प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय साम्यवाद का विरोधी आन्दोलन था। उन्हें भारत में जैमिनी स्टूडियो से बेहतर यजमान नहीं मिल सकता था।)

Question 7.
Describe the visit of the English poet to the Gemini Studios. What did the author later find out about him? (जैमिनी स्टूडियो में अंग्रेज कवि के आगमन का वर्णन करो। बाद में लेखक ने उसके बारे में क्या पता लगाया ?)
Answer:
Once an English poet visited the Gemini Studios. He arrived around four in the afternoon. He was a tall man, very English and very serious. The Boss read a long speech. He did not know much about the lish poet. The speech was all in the most general terms. Then the poet spoke. He spoke in such an accent that none among the audience could understand him. He left after speaking for one hour. The audience also dispersed in utter bafflement. They wondered what an English poet was doing in a film studio, which made Tamil films.

One day, The Hindu, a daily from Madras, published a small announcement that a short story contest was being organized by a British magazine named ‘The Encounter’. The author wanted to know about the periodical before sending his story. He got a copy of ‘The Encounter’ from the British Library. When he read the name of the poet, he recalled that it was the same poet who had visited the Gemini Studios. He was Stephen Spender. Years later, one day, the writer got a book called ‘The God that Failed.

It had six essays written by six famous writers. They described their joining communism and their disillusionment with it. These writers were: Andre Gide, Richard Wright, Ignazio Silone, Arthur Koestler, Louis Fischer and Stephen Spender. Now everything became clear to the author. The Boss of the Gemini Studios may not have much to do with Spender’s poetry. But he had definitely nothing to do with Communism – The God That Failed.

(एक दिन एक अंग्रेज कवि जैमिनी स्टूडियो में आया। वह दोपहर के बाद लगभग चार बजे आया। वह एक लम्बा व्यक्ति था, पूरी तरह अंग्रेज और बहुत गम्भीर था। बॉस ने एक लम्बा भाषण पढ़ा। वह अंग्रेजी कवि के बारे में अधिक नहीं जानता था। भाषण आम बातों के बारे में था। फिर कवि बोला। उसने ऐसे लहजे में बात की कि उसके श्रोताओं में से कोई भी उसकी बात को नहीं समझ पाया। वह एक घन्टा बोलने के बाद चला गया।

श्रोता भी पूरी तरह हैरानी से चले गए। वे हैरान हो रहे थे कि एक ऐसे फिल्म स्टूडियो जो तमिल फिल्में बनाता है, में एक अंग्रेज कवि क्या कर रहा था। एक दिन मद्रास के एक दैनिक पत्र “द हिन्दू” ने एक छोटी-सी घोषणा प्रकाशित की कि “द एनकाउंटर” नाम की एक ब्रिटिश पत्रिका एक लघुकथा प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। लेखक अपनी कहानी भेजने से पहले पत्रिका के बारे में जानना चाहता था।

उसने ब्रिटिश पुस्तकालय से “द एकाउन्टर” की एक प्रति ली। जब उसने कवि का नाम पढ़ा तो उसे याद आया कि यह वही कवि था जो जैमिनी स्टूडियो में आया था। वह स्टीफन स्पैंडर था। कई साल बाद जब लेखक जैमिनी स्टूडियो के स्टॉफ में नहीं था, तो वह आम तौर पर कम कीमत पर किताबें खरीदता था। एक दिन उसे एक किताब मिली जिसका नाम था ‘द गॉड दैट फेल्ड’ । इसमें छह प्रसिद्ध लेखकों के छह प्रसिद्ध लेख थे। उन्होंने अपने साम्यवाद में जाने और उससे अपने भ्रम टूटने के बारे में लिखा था। ये लेखक थे, ऐन्ड्रे गाइड, रिचर्ड राइट, इगनैज़िओ सिलोन, ऑर्थर कोइस्लर, लुईस फिशर और स्टीफन स्पैंडर। अब लेखक के लिए हर बात साफ हो गई। जैमिनी स्टूडियो के बॉस का शायद स्पैंडर की कविता से अधिक कुछ लेना देना नहीं था। मगर उसका वास्ता साम्यवाद-“भगवान जो असफल हो गया”-से अवश्य था।)

Poets and Pancakes MCQ Questions with Answers

1. Who is the writer of the story ‘Poets and Pancakes’?
(A) Asokamitran
(B) Nashok Nitran
(C) R.K.Narayan
(D) Sonia Gandhi
Answer:
(A) Asokamitran

2. The writer describes the make-up department of a film studios. What is the name of the studios?
(A) R.K.Films Studios
(B) Navketan Studios
(C) Navketan Films
(D) Gemini Studios
Answer:
(D) Gemini Studios

3. For what purpose was the building of the Gemini Studios used in the past?
(A) School
(B) Robert Clive’s Stables
(C) A hospital
(D) A post office
Answer:
(B) Robert Clive’s Stables

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4. By whom was the make-up department first headed?
(A) A Bengali
(B) A Punjabi
(C) A Kashmiri
(D) A Keralite
Answer:
(A) A Bengali

5. What was pancake?
(A) A kind of cake
(B) The makeup material
(C) A kind of paan
(D) Ice-cream
Answer:
(B) The makeup material

6. According to the writer, the make-up man could turn a decent-looking person into …………………… .
(A) a handsome man
(B) an attractive person
(C) an ugly-looking monster
(D) a fine woman
Answer:
(C) an ugly-looking monster

7. Who did the make-up of the chief actors and actresses?
(A) The director
(B) The producer
(C) The light boy
(D) The chief make-up man
Answer:
(D) The chief make-up man

8. Who did the make-up of the main comedian?
(A) The director
(B) The chief make-up man
(C) The junior assistant
(D) The office boy
Answer:
(C) The junior assistant

9. What was the approximate age of the office boy?
(A) Ten years
(B) Twenty years
(C) Thirty years
(D) Forty years
Answer:
(D) Forty years

10. Who was number 2 at the Gemini studios?
(A) Kothamanglam Subbu
(B) Sothamanglam Kubu
(C) Anand Mahadevan
(D) Mahadev Desai
Answer:
(A) Kothamanglam Subbu

11. How did Subbu look all the times?
(A) Angry
(B) Irritated
(C) Disappointed
(D) Cheerful
Answer:
(D) Cheerful

12. Who gave direction and definition to Gemini Studios?
(A) Tabbu
(B) Subbu
(C) Rubbu
(D) Bubbu
Answer:
(B) Subbu

13. Subbu’s success in films overshadowed his achievements. (fill in the blank)
(A) political
(B) medicinal
(C) literary
(D) economic
Answer:
(C) literary

14. What was the name of the novel written by Subbu?
(A) Thillanaa Mohanambal
(B) Mhillanaa Tohanambal
(C) Bhillanaa Mohanambal
(D) Lillanaa Rohanlal
Answer:
(A) Thillanaa Mohanambal

15. With whom was Subbu always seen?
(A) The manager
(B) The leader
(C) The clown
(D) The boss
Answer:
(D) The boss

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16. Everyone in department, except the legal adviser, wore a khadi uniform? What did the legal adviser wear?
(A) Lungi
(B) Pants, a tie, and a coat
(C) Kurta and pajama
(D) Sari
Answer:
(B) Pants, a tie, and a coat

17. Gemini Studios was the favourite haunt of (fill in the blank)
(A) robbers
(B) criminals
(C) doctors
(D) various poets
Answer:
(D) various poets

18. Which English poet visited the Gemini Studios?
(A) Philip Larkin
(B) Ted Hughes
(C) Stephen Spender
(D) T.S.Eliot
Answer:
(C) Stephen Spender

19. What was the name of the book that the author bought many years later?
(A) The God that failed
(B) The man who was jailed
(C) The actor who failed
(D) The leader who failed
Answer:
(A) The God that failed

Indigo Important Passages for Comprehension

Seen Comprehension Passages
Read the following passages and answer the questions given below:

Type (i)
Passage 1
The make-up room had the look of a hair-cutting salon with lights at all angles around half a dozen large mirrors. They were all incandescent lights, so you can imagine the fiery misery of those subjected to make-up. The make-up department was first headed by a Bengali who became too big for a studio and left. He was succeeded by a Maharashtrian who was assisted by a Dharwar Kannadiga, an Andhra, a Madras Indian Christian, an Anglo-Burmese, and the usual local Tamils. All this shows that there was a great deal of National Integration long before A.I.R. and Doordarshan began broadcasting programmes on national integration. [H.B.S.E. 2019 (Set-A)]

Word-meanings :
Incandescent=bright (चमकीली);
misery = suffering (कष्ट);
integration=unity (एकता)।

Questions :
(i) Name the chapter from which this passage has been taken :
(A) Indigo
(B) Poets and Pancakes
(C) The Interview
(D) Going Places
Answer:
(B) Poets and Pancakes

(ii) How did the make-up room look?
(A) like a hair-cutting salon
(B) like a junk-shop
(C) both (A) and (B)
(D) neither (A) nor (B)
Answer:
(A) like a hair-cutting salon

(iii) Of the following who headed the makeup room first of all?
(A) A Maharashtrian
(B) A Madrasi
(C) A Bengali
(D) all of the above
Answer:
(C) A Bengali

(iv) The make-up room presented a picture of
(A) Social discrimination
(B) The Rich and the poor
(C) National Integration
(D) none of the above
Answer:
(C) National Integration

(v) Which of the following contributed for National Integration?
(A) All India Radio
(B) Doordarshan
(C) both (A) and (B)
(D) none of the above
Answer:
(C) both (A) and (B)

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Passage 2
This gang of nationally integrated make-up men could turn any decent-looking person into a hideous crimson-hued monster with the help of truck-loads of pancake and a number of other locally made potions and lotions. Those were the days of mainly indoor shooting, and only five percent of the film was shot outdoors. I suppose the sets and studio lights needed the girls and boys to be made to look ugly in order to look presentable in the movie.[H.B.S.E. 2019 (Set-B)]

Word-meanings :
Decent = nice (अच्छा);
hideous = ugly (भद्दा);
potion = mixture (मिश्रण)।

Questions :
(i) Name the author of the chapter from which this passage has been taken :
(A) Louis Fischer
(B) Asokamitran
(C) Christopher Silvester
(D) A.R. Barton
Answer:
(B) Asokamitran

(ii) What could make-up men do ?
(A) change the appearance of a person
(B) cheat any person
(C) teach moral values
(D) all of the above
Answer:
(A) change the appearance of a person

(iii) What is used by the make-up men?
(A) pancakes
(B) potions
(C) lotions
(D) all of the above
Answer:
(D) all of the above

(iv) What type of shooting was done mostly in those days?
(A) indoor
(B) outdoor
(C) both (A) and (B)
(D) neither (A) nor (B)
Answer:
(A) Indoor

(v) In those days only …………. films were shooted outdoors.
(A) 1%
(B) 5%
(C) 10%
(D) 20%
Answer:
(B) 5%

Passage 3
In those days I worked in a cubicle, two whole sides of which were French windows. (I didn’t know at that time they were called French windows.) Seeing me sitting at my desk tearing up newspapers a day in and day out, most people thought I was doing next to nothing. It is likely that the Boss thought likewise too. So anyone who felt I should be given some occupation would barge into my cubicle and deliver an extended lecture.

Word-meanings :
Cubicle =a small room (एक छोटा कमरा);
barge into =come at once (एकदम आना);
extended = long (लम्बा)।

Questions :
(i) Where did the author work?
(A) In a Church
(B) In a castle
(C) In a cubicle
(D) all of the above
Answer:
(C) In a cubicle

(ii) What did most people think about the author?
(A) he was a very busy man
(B) he was an eccentric man
(C) he was doing next to nothing
(D) none of the above
Answer:
(C) he was doing next to nothing

(iii) Why did the people enter the author’s cubicle?
(A) to provide him some occupation
(B) to deliver an extended lecture
(C) both (A) and (B)
(D) neither (A) nor (B)
Answer:
(C) both (A) and (B)

(iv) What was the routine of the author in his cubicle?
(A) selling things
(B) shouting loudly
(C) tearing newspapers
(D) all of the above
Answer:
(C) tearing newspapers

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(v) Who is the author of this lesson?
(A) Louis Fischer
(B) Asokamitran
(C) Christopher Silvester
(D) A. R. Barton
Answer:
(B) Asokamitran

Passage 4
Subbu was the No. 2 at Gemini Studios. He couldn’t have had a more encouraging opening in films than our grown-up make-up boy had. On the contrary, he must have had to face more uncertain and difficult times, for when he began his career, there were no firmly established film-producing companies or studios. Even in the matter of education, especially formal education, Subbu couldn’t have had an appreciable lead over our boy. But by virtue of being born a Brahmin – a virtue, indeed! – he must have had exposure to more affluent situations and people. [H.B.S.E. 2017 (Set-C)]

Word-meanings :
On the contrary = on the other hand (दूसरी ओर);
affluent = rich (अमीर)।

Questions :
(i) Who was Subbu?
(A) An actor
(B) A director
(C) No. 2 at Gemini Studios
(D) none of the above
Answer:
(C) No. 2 at Gemini Studios

(ii) Subbu worked in …………………………
(A) German Studios
(B) Yamini Studios
(C) Gemini Studios
(D) Gemini House
Answer:
(C) Gemini Studios

(iii) Was Subbu well educated?
(A) yes
(B) no
(C) maybe
(D) may not be
Answer:
(B) no

(iv) Which feature is true to the make-up boys in general?
(A) they were not much educated
(B) they were lazy
(C) they were Cheat
(D) all of the above
Answer:
(A) they were not much educated

(v) What was Subbu by caste?
(A) Brahmin
(B) Punjabi
(C) Maratha
(D) none of the above
Answer:
(A) Brahmin

Passage 5
Film-making must have been and was so easy with a man like Subbu around and if ever there was a man who gave direction and definition to Gemini Studios during its golden years, it was Subbu. Subbu had a separate identity as a poet and though he was certainly capable of more complex and higher forms, he deliberately chose to address his poetry to the masses. His success in films overshadowed and dwarfed his literary achievements — or so his critics felt. He composed several truly original ‘story poems’ in folk refrain and diction and also wrote a sprawling novel Thillana Mohanambal with dozens of very deftly etched characters.[H.B.S.E. 2017 (Set-D)]

Word-meanings :
Identity = recognition (पहचान);
capable of =able (समर्थ);
dwarfed =become small (छोटा बनना);
sprawling = big (बहुत बड़ा)।

Questions :
(i) What identity did Subbu have?
(A) Poet
(B) Painter
(C) Actor
(D) Director
Answer:
(A) Poet

(ii) What did he compose?
(A) Lyrical poems
(B) Story poems
(C) Heroic poems
(D) Love poems
Answer:
(B) Story poems

(iii) Who wrote Thillana Mohanambal?
(A) The author
(B) Subbu
(C) The Boss
(D) none of the above
Answer:
(B) Subbu

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(iv) Which profession is referred in this passage?
(A) film making
(B) toy making
(C) craft making
(D) sculpture making
Answer:
(A) film making

(v) How was film-making profession for Subbu?
(A) very tough
(B) very duel
(C) very easy
(D) none of the above
Answer:
(C) very easy

Type (ii)
Passage 6

He was an amazing actor – he never aspired to the lead roles -but whatever subsidiary role he played in any of the films, he performed better than the supposed main players. He had a genuine love for anyone he came across and his house was a permanent residence for dozens of near and far relations and acquaintances. It seemed against Subbu’s nature to be even conscious that he was feeding and supporting so many of them. Such a charitable and improvident man, and yet he had enemies! Was it because he seemed so close and intimate with The Boss? Or was it his general demeanor that resembled a sycophant’s? Or his readiness to say nice things about everything? In any case, there was this man in the make-up department who would wish the direst things for Subbu.

Word-meanings :
Amazing = wonderful (अदुभुत);
subsidiary = small (तुच्छ);
acquaintance = known (परिचित);
charitable = philanthropic (दानशील)।

Questions :
(i) How would you describe Subbu?
(ii) How was Subbu in social behaviour?
(iii) Why did Subbu have enemies?
(iv) What did Subbu never aspire to?
(v) Name the chapter and the author of these lines?
Answers :
(i) Subbu was an amazing actor but he never aspired to lead roles.
(ii) He was feeding and supporting so many of his relatives and acquaintances.
(iii) Subbu had enemies because he was close to the Boss.
(iv) Subbu never aspired to the lead roles.
(v) Chapter: Poets and Pancakes.
Author: Asokmitran.

Passage 7
When Frank Buchman’s Moral Re-Armament Army, some two-hundred strong, visited Madras sometime in 1952, they could not have found a warmer host in India than the Gemini Studios. Someone called the group an international circus. They weren’t very good on the trapeze and their acquaintance with animals was only at the dinner table, but they presented two plays in a most professional manner. [H.B.S.E. Þarch, 2018 (Set-A)]

Word-meanings :
acquaintance = known (परिचित);
trapeze = a swing for acrobats (सर्कस का झूला)।

Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) What did the MRA present in Madras?
(iv) How did someone describe MRA?
(v) How many members did the MRA have?
Answers :
(i) Poets and Pancakes
(ii) Asokamitran
(iii) The MRA presented two plays in Madras.
(iv) Someone described the MRA the group of international circuses.
(v) The MRA had two hundred members.

Passage 8
While every other member of the Department wore a kind of uniform – khadi dhoti with a slightly oversized and clumsily tailored white khadi shirt – the legal adviser wore pants and a tie and sometimes a coat that looked like a coat of mail. Often he looked alone and helpless – a man of cold logic in a crowd of dreamers – a neutral man in an assembly of Gandhiites and khadi items. Like so many of those who were close to The Boss, he was allowed to produce a film and though a lot of raw stock and pancake were used on it, not much came of the film. Then one day The Boss closed down the Story Department and this was perhaps the only instance in all human history where a lawyer lost his job because the poets were asked to go home.

Word-meanings :
Clumsily = awkwardly (भद्दे ढंग से);
instance = example (उदाहरण)।

Questions :
(i) Name the chapter and the author?
(ii) What did every other member of the Department wear?
(iii) What did the lawyer wear?
(iv) What did the Boss do?
(v) What were the poets asked to do?
Answers :
(i) Chapter: Poets and Pancakes.
Author: Asokmitran.
(ii) Every other member of the Department wore a Khadi dhoti with a slightly oversized white Khadi shirt.
(iii) The lawyer wore a pants and a tie and sometimes a coat.
(iv) The Boss closed down the Story Department.
(v) The poets were asked to go home.

Poets and Pancakes Summary in English and Hindi

Poets and Pancakes Introduction to the Chapter

The Tamil writer Asokamitran was a part of the staff of the Gemini Studios. In his book “My years with Boss” he talks of the influence of movies on every aspect of Indian life. This essay has been taken from that book. In this essay, he recalls his days with the Studios. He describes the working culture, the people, including his boss, and various departments of the Studios. In particular, he describes the make-up department and the story department in detail. He describes a number of interesting incidents which took place during his stay with the Gemini Studios. The visits of the MRA and the English poet Stephen Spender have been described vividly.

(तमिल लेखक अशोकमित्रन जैमिनी स्टूडियो के विभाग का एक भाग था। अपनी पुस्तक “माई यीअर्ज विद बॉस’ में वह भारतीय जीवन के हर पहलू पर फिल्मों के प्रभाव के बारे में लिखता है। यह लेख उस पुस्तक से लिया गया है। इस लेख में वह स्टूडियो के साथ बिताए गए अपने दिनों को याद करता है। वह स्टूडियो की कार्य संस्कृति, अपने बॉस सहित सभी लोगों के और विभिन्न विभागों का वर्णन करता है। विशेषतौर पर वह मेकअप विभाग और कहानी विभाग का वर्णन विस्तार से करता है। वह जैमिनी स्टूडियो में उसके होने के दौरान घटित बहुत-सी रोचक घटनाओं का वर्णन करता है। एम. आर. ए. और अंग्रेजी कवि स्टीफन स्पैंडर के आगमन का वर्णन बहुत स्पष्ट रूप से किया गया है।)

Poets and Pancakes Summary

In the beginning of the essay, the writer describes the make-up department of the Gemini Studios. This department was in the upstairs of a building. It was believed that this building was once Robert Clive’s stables. The department had the look of a hair-cutting salon. There were incandescent lights at all angles around half a dozen large mirrors. These lights were glowing with heat. So those who were subjected to make-up had to suffer a lot of hardship. The make-up department was first headed by a Bengali. He was succeeded by a Maharashtrian. He was assisted by men from Dharwad, Andhra Pradesh, Burma and the usual local Tamils. Thus, the make-up department was an example of national integration.

Pancake was the brand name of the make-up material that the Gemini Studios bought in truck-loads. Pancake and the other locally made material were used in the make-up. Heavy make-up was used for the actors. The writer comments that the make-up men could turn any decent-looking person into an ugly-looking, crimson-coloured monster.

Those were the days of mainly indoor shooting. Only five percent of the film was shot outdoors. There was a strict hierarchy in the make-up department. The chief make-up man made the chief actors and actresses ‘ugly’. His senior assistant did the make-up of the second hero and heroine. The junior assistant handled the main comedian. The players who played the crowd were the responsibility of the office boy.

The office boy was not exactly a boy. He was in his early forties. He had entered the studios years ago with dreams in his eyes. He had dreamed of becoming a star actor, or a top screenwriter, director or lyrics writer. He was a bit of a poet also. In those days the writer worked in a cubicle. He was always seen sitting at his table tearing newspapers day in and day out.

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Therefore, many people in the studios thought that he had no work. The office boy would often come to the writer’s cubicle and tell him how his literary talent was being wasted in the make-up department. He thought that the department was fit only for barbers and perverts. He insisted on reading out his poems to the writer. The writer was often fed up with him. So he prayed for crowd shooting all time. Then the office boy would be busy doing their make-up and the writer could be spared from listening to his epics.

Kothamangalam Subbu was the No. 2 at the Gemini Studios. The office boy did not like him. He felt that all his sufferings, disgrace and neglect were due to him. Subbu had entered the studios in more uncertain and difficult times. Then there were no firmly established film-producing companies or studios. In education also, he was not more formally educated than the office boy. But being a Brahmin, he had exposure to more affluent situations and people. Subbu had the ability to look cheerful at all time, even after having a hand in a flop film. He could never do things on his own, but his sense of loyalty made him identify himself with the ‘Boss’.

He used all his energy and creativity for the advantage of The Boss. He was tailor-made for films. Whenever the producer told him about any problem, he would come out with a solution. If the producer was not satisfied, he would suggest fourteen more alternatives. Film-making seemed easy with a man like Subbu around. It was Subbu who gave direction and definition to Gemini Studios during its golden years. He was a poet also and he chose to write for the masses.

His success in films overshadowed his literary achievements. He composed several original story poems in folk-song style. He wrote a novel ‘Thillana Mohanambal”. He was a good actor. He never aspired to the lead roles. He played secondary roles in films but performed better than the main actors. Subbu had a genuine love for anyone he came across. He used to feed and support many persons. But even he had enemies. Perhaps it was because he seemed so close and intimate with The Boss.

Subbu was always seen with the Boss. Yet in the attendance rolls, he was grouped under the Story Department. This department comprised a lawyer and a group of writers and poets. The lawyer was officially known as legal adviser, but everybody referred to him as the opposite. Once an extremely talented but moody actress burst out on the sets. Everyone looked stunned.

The lawyer quietly switched on the recording equipment. When the actress relaxed for some time, the lawyer played back the recording. The actress was shocked to hear her own voice. She never quite recovered form the shock and that was the end of her acting career. Everyone in the department wore a khadi uniform. But the legal adviser wore pants, a tie and a coat. He was a man of cold logic in a crowd of dreamers. He also once made a film which flopped. Then The Boss closed down the story department and the lawyer lost his job.

Gemini Studio was the favourite haunt of various poets. Poets like S.D.S. Yogiar, Sangu Subramanyam, Krishna Sastry and Harindranath Chattopadhyaya used to come to the Studios. It had an excellent mess which supplied good coffee at all times of the day and for the most part of the night. The studios radiated leisure which is the first requirement for poetry.

Most of them wore khadi and worshipped Gandhi, but beyond that they had not the vague appreciation for political thought of any kind. The men at the studios had a natural dislike for Communism. They thought that the Communists were godless people.

They had no love for wives and children. They were ready to spread unrest and violence. When Frank Buchman’s Moral Re-Armament Army of two hundred people visited Madras in 1952, the Gemini Studios played the host. The MRA was a kind of counter-movement to international communism. They couldn’t find a better host in India than the Gemini Studios.

They presented two plays in a most professional manner. These plays were “Jotham Valley’ and ‘The Forgotten Factor’ and they ran several shows in Madras. Their sets and costumes were first rate and greatly impressed and influenced the Madras and the Tamil drama community.

A few months later, there was the news that; an English poet was visiting the Gemini Studios. But the rumour was that he was not a poet but an editor. Mr. Vasan, The Boss of Gemini Studios was also the editor of a popular Tamil weekly. Then the day of the poet’s arrival came. He arrived around four in the afternoon. He was a tall man, very English and very serious. The Boss read a long speech.

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He did not know much about the English poet. The speech was all in the most general terms. Then the poet spoke. He spoke in such an accent that none among the audience could understand him. He left after speaking for one hour. The audience also dispersed in utter bafflement. They wondered what an English poet was doing in a film studio, which made Tamil films.

The Hindu, a daily from Madras, published a small announcement that a short story contest was been organized by a British magazine named ‘The Encounter’. The author wanted to know about the periodical before sending his story. He got a copy of ‘The Encounter’ from the British Library.

When he read the name of the poet, he recalled that it was the same poet who had visited the Gemini Studios. He was Stephen Spender. Years later, when the author was not on the staff of the Gemini Studios, he generally bought books at reduced prices. One day he got a book called ‘The God that Failed. It had six essays written by six famous writers.

They described their joining Communism and their disillusionment with it. These writers were: Andre Gide, Richard Wright, Ignazio Silone, Arthur Koestler, Louis Fischer and Stephen Spender. Now everything became clear to the author. The Boss of the Gemini Studios may not have much to do with Spender’s poetry. But he had definitely nothing to do with Communism – The God That Failed.

लेख के आरम्भ में लेखक जैमिनी स्टूडियो के मेकअप विभाग का वर्णन करता है। वह विभाग इमारत की ऊपरी मंजिल में था। ऐसा माना जाता था कि यह इमारत कभी रॉबर्ट क्लाइव का तबेला हुआ करता था। मेकअप विभाग देखने में बाल काटने का सैलून लगता था। वहाँ आधा दर्जन बड़े शीशों के गिर्द तेज चमक वाली रोशनियाँ थीं। ये रोशनियाँ गर्मी से चमक रही होती थीं। जिन लोगों का वहाँ पर मेकअप होता था उन्हें बहुत कष्ट से गुजरना पड़ता था। मेकअप विभाग का मुखिया पहले एक बंगाली होता था। उसके बाद महाराष्ट्र का एक व्यक्ति आया। उसकी सहायता धारवाड़, आन्ध्र प्रदेश, बर्मा और स्थानीय तमिल लोग करते थे। इस प्रकार मेकअप विभाग राष्ट्रीय एकता का उदाहरण था।

पैनकेक मेकअप के उस सामान का ब्रॉन्ड नाम था जिसे जैमिनी स्टूडियो ट्रक भरकर खरीदता था। मेकअप करने में पैनकेक और अन्य स्थानीय रूप से निर्मित पदार्थ का प्रयोग होता था। अभिनेताओं पर भारी मेकअप किया जाता था। लेखक कहता है कि मेकअप करने वाले व्यक्ति किसी भी अच्छे दिखने वाले व्यक्ति को भद्दा दिखने वाला और लाल रंग वाला राक्षस बना देते थे। वे आमतौर पर इनडोर शूटिंग के दिन होते थे। केवल पाँच प्रतिशत शूटिंग बाहर होती थी। मेकअप विभाग में कठोर श्रेणी-तंत्र होता था। मुख्य मेकअप मैन मुख्य नायकों और नायिकाओं को “भद्दा” बनाता था। उसका वरिष्ठ सहायक दूसरे नायक और नायिका का मेकअप करता था। जूनियर सहायक आमतौर पर हास्य कलाकार का मेकअप करता था। वे जूनियर कलाकार जो भीड़ में भाग लेते थे वे ऑफिस ब्वॉय की जिम्मेदारी होते थे।

ऑफिस ब्वॉय सचमुच में लड़का नहीं था। वह शुरु के चालीस की आयु में था। वह स्टूडियो में कई साल पहले अपनी आँखों में सपने लेकर आया था। वह मुख्य अभिनेता, ऊँचे दर्जे का स्क्रीन लेखक, निर्देशक या गीतकार बनने का सपना लेकर आया था। वह कुछ अंश तक कवि भी था। उन दिनों में लेखक एक क्यूबिकल (छोटा कमरा) में काम करता था। उसे दिन-रात अपने मेज पर बैठे हुए अखबार फाड़ते हुए देखा जा सकता था।

इसलिए विभाग के कई लोग सोचते थे कि उसके पास कोई काम नहीं था। ऑफिस ब्वॉय अक्सर लेखक के क्यूबिकल (छोटा कमरा) में आता था और उसको बताता था कि किस प्रकार उसकी साहित्यिक प्रतिभा मेकअप विभाग में नष्ट हो रही थी। वह सोचता था कि मेकअप विभाग तो केवल नाइयों और विपरीत लोगों के काबिल है। वह आग्रह करता था कि वह लेखक को अपनी कविताएँ सुनाए। लेखक अक्सर उससे तंग आ जाता था। इसलिए वह प्रार्थना करता था कि सदा भीड़ वाली शूटिंग होती रही। तब ऑफिस ब्वॉय सदा मेकअप और लेखक उसकी लम्बी कविताएँ सुनने से बच जाएगा।

कोथमंगलम सुब्बु जैमिनी स्टूडियो में नंबर दो पर था। ऑफिस ब्वॉय उसे पसंद नहीं करता था। वह महसूस करता था कि उसके सारे कष्ट, अपमान और उपेक्षा उसके कारण थे। सुब्बु स्टूडियो में अधिक अनिश्चित और कठिन समय में आया था। उस समय कोई स्थिर फिल्म कम्पनियाँ या स्टूडियो नहीं हुआ करते थे। शिक्षा के मामले में भी वह औपचारिक रूप से ऑफिस ब्वॉय से अधिक शिक्षित नहीं था। मगर ब्राह्मण होने के कारण वह अधिक समृद्ध अवस्थाओं और लोगों के सम्पर्क में आ चुका था।

सुब्बु में यह क्षमता थी कि वह हर समय प्रसन्न नज़र आता था, यहाँ तक कि किसी पिटी हुई फिल्म में अपना हाथ होने के बावजूद भी। वह कभी कोई काम अपने आप नहीं कर सकता था मगर उसकी वफादारी की भावना ने उसके बॉस के साथ उसकी पहचान बना दी। वह अपनी ऊर्जा और रचनात्मकता को बॉस के फायदे के लिए प्रयोग करता था। वह तो फिल्मों के लिए ही बना हुआ प्रतीत होता था। जब भी निर्माता उसे किसी समस्या के बारे में बताता था तो वह फौरन कोई-न-कोई समाधान बता देता था। अगर निर्माता सन्तुष्ट नहीं होता तो वह चौदह विकल्प बता देता था।

जब सुब्बु जैसा व्यक्ति आस-पास होता था तो फिल्म बनाना आसान काम प्रतीत होता था। वह सुब्बु ही था जिसने जैमिनी स्टूडियो को इसके स्वर्णिम दिनों में इसे दिशा-निर्देश और परिभाषा प्रदान की। वह कवि भी था और उसने आम जनता के लिए लिखने का फैसला किया था। फिल्मों में उसकी सफलता ने उसकी साहित्यिक प्रतिभा को छुपा दिया था। उसने लोकगीत शैली में कई मौलिक गाथा-गीत लिखे थे। उसने एक उपन्यास “थिल्लाना मोहनाम्बल’ लिखा था।

वह एक अच्छा अभिनेता था। उसने कभी बड़ी भूमिकाओं की कामना नहीं की थी। वह फिल्मों में दूसरे स्थान की भूमिकाएं निभाता था मगर वह मुख्य अभिनेताओं से अधिक अच्छा अभिनय करता था। जिससे वह मिलता था उससे सुब्बु को सच्चा स्नेह होता था। वह बहुत-से लोगों को भोजन खिलाता था और सहारा देता था। फिर भी उसके दुश्मन थे। शायद ऐसा इसलिए था कि वह बॉस के नज़दीक और घनिष्ठ प्रतीत होता था।

सुबु सदा बॉस के साथ नज़र आता था। फिर भी शामिल रजिस्टर में उसे कहानी विभाग में दर्शाया गया था। इसी विभाग में एक वकील, लेखकों तथा कवियों का एक समूह था। वकील को सरकारी रूप से कानूनी कहा जाता था मगर हर व्यक्ति उसे इसके विपरीत सम्बोधित करता था। एक बार एक बहुत प्रतिभाशाली मगर तुनक मिजाजी मंच अभिनेत्री सलाहकार पर गुस्से में फूट पड़ी। हर व्यक्ति स्तब्ध रह गया। वकील ने चुपके से रिकॉर्डिंग उपकरण चालू कर दिया।

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जब अभिनेत्री कुछ देर के लिए चुप हुई तो वकील ने रिकॉर्डिंग को बजा दिया। अभिनेत्री अपनी खुद की आवाज सुनकर अचम्भित हो गई। वह उस सदमे से कभी पूरी तरह नहीं उबरी और वह उसके अभिनय जीवन का अंत था। विभाग में हर व्यक्ति खाकी वर्दी पहनता था। मगर कानूनी सलाहकार पैन्ट, टाई और कोट पहनता था। सपने लेने वालों की भीड़ में वह एक ठण्डे तर्क वाला व्यक्ति था। उसने भी एक बार एक फिल्म बनाई थी जो पिट गई थी। फिर बॉस ने कहानी विभाग बन्द कर दिया और वकील की नौकरी भी चली गई।

जैमिनी स्टूडियो कई कवियों का मनपसंद स्थान था। एस. डी. एस. योगियार, संगु सुब्रामानयम, कृष्णा शास्त्री और हरिन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय जैसे कवि स्टूडियो में आया करते थे। इसकी मेस बहुत शानदार थी जो सारा दिन और रात के अधिकतर भाग में भी शानदार कॉफी प्रदान करती थी। स्टूडियो में आराम नज़र आता था जोकि कविता की पहली ज़रूरत है। अधिकतर लोग खादी पहनते थे और गाँधी जी की पूजा करते थे। मगर इससे बढ़कर किसी प्रकार के भी राजनैतिक विचार का कुछ भी पता नहीं था। स्टूडियो के लोगों को साम्यवाद के लिए स्वाभाविक नफरत थी। वे सोचते थे कि साम्यवादी लोग नास्तिक लोग होते हैं। उनमें पत्नियों और बच्चों के लिए प्यार नहीं होता। वे अशान्ति और हिंसा फैलाने के लिए तैयार रहते हैं।

जब फ्रैन्क बुचमैन की दो सौ लोगों की मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी 1952 में मद्रास आई तो जैमिनी स्टूडियो ने उनकी यजमानी की। एम. आर. ए. एक प्रकार से अंतर्राष्ट्रीय साम्यवाद का विरोधी आन्दोलन था। उन्हें भारत में जैमिनी स्टूडियो से बेहतर यजमान नहीं मिल सकता था। उन्होंने बड़े व्यावसायिक तरीके से दो नाटक खेले। इन नाटकों के नाम थे, “Jotham Valley” और “The Forgotten Factor” और मद्रास में इनके कई शो हुए। उनका मंच और वेशभूषा प्रथम दर्जे के थे और इन्होंने मद्रास और तमिल नाटक समुदाय को बहुत अधिक प्रभावित किया।

कुछ महीनों के बाद खबर आई कि एक अंग्रेज कवि जैमिनी स्टूडियो में आ रहा है। मगर अफवाह थी कि वह कवि नहीं अपितु एक सम्पादक था। जैमिनी स्टूडियो का बॉस श्री वासन भी एक प्रसिद्ध तमिल साप्ताहिक का सम्पादक था। तब कवि के आने का समय आ गया। वह दोपहर के बाद लगभग चार बजे आया। वह एक लम्बा व्यक्ति था। जो पूरी तरह अंग्रेज लगता था और बहुत गम्भीर था। बॉस ने एक लम्बा भाषण पढ़ा। वह अंग्रेजी कवि के बारे में अधिक नहीं जानता था। भाषण आम बातों के बारे में था। फिर कवि बोला। उसने ऐसे लहजे में बात की कि उसके श्रोताओं में से कोई भी उसकी बात को नहीं समझ पाया। वह एक घन्टा बोलने के बाद चला गया। श्रोता भी पूरी तरह हैरानी से चले गए। वे हैरान हो रहे थे कि एक ऐसे फिल्म स्टूडियो जो तमिल फिल्में बनाता है, में एक अंग्रेज कवि क्या कर रहा था।

मद्रास के एक दैनिक पत्र “द हिन्दू” ने एक छोटी-सी घोषणा प्रकाशित की कि “द एनकाउंटर” नाम की एक ब्रिटिश पत्रिका एक लघु कथा प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। लेखक अपनी कहानी भेजने से पहले पत्रिका के बारे में जानना चाहता था। उसने ब्रिटिश पुस्तकालय से “द एनकाउंटर” की एक प्रति ली। जब उसने कवि का नाम पढ़ा तो उसे याद आया कि यह वही कवि था जो जैमिनी स्टूडियो में आया था। वह स्टीफन स्पैंडर था।

कई साल बाद जब लेखक जैमिनी स्टूडियो के स्टॉफ में नहीं था, तो वह आमतौर पर कम कीमत पर किताबें खरीदता था। एक दिन उसे एक किताब मिली जिसका नाम था “द गॉड दैट फेल्ड” इसमें छह प्रसिद्ध लेख थे। उन्होंने अपने साम्यवाद में जाने और उससे अपने भ्रम टूटने के बारे में लिखा था। ये लेखक थे, ऐन्ड्रे गाइड, रिचर्ड राइट, इग्नैजिओ सिलोन, ऑर्थर कोइस्लर, लईस फिशर और स्टीफन स्पैंडर। अब लेखक के लिए हर बात साफ हो गई। जैमिनी स्टूडियो के बॉस का शायद स्पैंडर की कविता से अधिक कुछ लेना-देना नहीं था। मगर उसका वास्ता साम्यवाद -“वह भगवान जो असफल हो गया” से अवश्य था।

Poets and Pancakes Word Meanings

[Page 57]:
Pancake (brand name of make-up material)=मेकअप करने के सामान के ब्रांड का नाम;
truck-loads (trucks full with material) = सामान से भरे ट्रक;
Greta garbo(a Hollywood actress) = हॉलीवुड की एक अभिनेत्री;
Vyjayantimala (a famous Indian actress) प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री;
RatiAgnihotri (an Indian actress) = भारतीय अभिनेत्री;
stables (building for keeping horses) = तबेला।

[Page 58] :
Residence (living place) = रहने का स्थान;
remote (far off) = दूर;
maiden (a virgin) = कुंवारी;
salon (ahairdressing shop)=नाई की दुकान;
incandescent(bright)=चमकीली;
fiery (like fire)=आग की तरह;
misery (trouble)= मुसीबत;
assisted (helped)= सहायता की;
great deal (enough) = पर्याप्त;
integration (combination) = एकता;
hideous (dreadful)=भयानक;
hued (coloured) रंगीन;
monster(giant)=दैत्य;
potion (drinkwith medicinal effect) = दवाई;
hierarchy (graded order) = क्रमवार संगठन;
giant (huge) = विशाल;
vessel (pot) = बर्तन।

[Page 59]:
Process (operation) = काम;
lyrics(songs)= गीत;
cubicle (small room or enclosure) = छोटा कमरा;
occupation (job) = काम;
barge into (to move in awkwardly) = बेढंगे रूप से घुस पाना;
extended (elaborate) = विस्तृत;
enlighten (give knowledge) = ज्ञान देना;
talent (skill/knowledge)=गुण;
perverts (abnormal) = असामान्य;
epics (long poems) = महाकाव्य;
instances (examples) = उदाहरण;
covertly (hidden) = छुपा हुआ;
convinced (satisfied) = सन्तुष्ट;
woes(troubles)=मुसीबतें;
contrary (opposite)= विपरीत;
firmly (strongly)=कठोरता से;
appreciable(enough) = पर्याप्त;
virtue (noble quality) = गुण;
affluent (rich, prosperous) = अमीर।

[Page 60] :
Flop (a failure) = असफलता;
identify (to recognize) = पहचानना;
creativity (ability to create) = सृजनात्मकता;
inspired (infused spirit) = प्रेरित किया;
commanded (ordered)= आदेश दिया;
offspring (progeny) = संतान;
alternatives (other options) = विकल्प;
deliberately (knowingly) = जान-बूझकर;
dwarfed (made small/overshadowed) = छोटा कर देना;
composed (wrote) = लिखा;
refrain (to keep away) = दूर रहना;
diction (style of writing) = शेली;
sprawling (big/spreading) = बड़ा;
deftly (skillfully) = कुशलता से;
etched (drawn carefully) = अंकित किया;
amazing (wonderful) = अदुभुत;
aspired (had ambition) = महत्त्वाकांक्षी;
subsidiary (secondary)=छोटे-मोटे;
genuine (real/true) = सही;
acquaintance (known person) = परिचित;
performed (acted) = खेला, अभिनय किया;
conscious (aware) = जागरूक;
feeding (giving food) = भोजन देना;
charitable (generous) = दयालु;
improvident (thrifty) = मितव्ययी;
boss (master) = मालिक;
demeanour (behaviour)= व्यवहार;
resembled (looked like) = शक्ल मिलना;
sycophant (flatterer) = चापलूस;
readiness (preparedness) = तैयारी।

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[Page 61]:
Direst (most horrible)=बहुत भयानक;
comprising(having)= होना/से बने होना;
assembly (group) = समूह;
legal (concerning law) = कानूनी;
extremely (very much) = बहुत अधिक;
talented (having talent) = गुणी;
temperamental(regarding disposition)= मिज़ाजी;
unwittingly (unintentionally) = अनजाने में;
precede (go before) = पहले होना;
catapulted (lifted up ) =उठाया;
tirade(violent speech)=हिंसात्मक भाषण;
slightly (a little) =कम;
clumsily (awkwardly) = भद्दे ढंग से;
coat of mail (armour) = कवच;
logic (reasoning) = तर्क;
neutral (impartial) = निष्पक्ष।

[Page 62] :
Raw (unripe) = कच्चा;
stock (material)= पदार्थ;
instance (example) = उदाहरण;
haunt (place frequently visited) = जहाँ कोई बार-बार जाए;
prohibition (ban on sale and consumption of liquor) =मद्य-निषेध;
radiated (reflected)= नजर आना;
pre-requisite (requirement) = जरूरत;
faintest (slightest) = बहुत कम;
appreciation (understanding) = समझ;
filial (pertaining to son/daughter) = पुत्र/पुत्री से सम्बन्धित;
conjugal (married) = विवाहित;
compunction (regret) = पश्चात्ताप;
notions (assumptions) = धारणाएँ;
prevailed (spread) = फैला;
vaguely (not clearly) = अस्पष्ट;
forthcoming (next) = अगला;
trapeze (a swing for acrobats) = सर्कस का झूला;
professional (well trained) = प्रशिक्षित;
homilies (sermons) = उपदेश।

[Page 63]:
Terribly (greatly) = बहुत अधिक;
counter(to oppose) = विरोध करना;
enterprises (organizations) = संगठन;
aspects (attitude) = दृष्टिकोण;
hosting (playing host to) = मेजबानी करना;
hues (colours)= रंग;
buzzed (sounded) = आवाज करना;
initiative (first step)= पहला कदम;
surmise (guess) = अंदाजा लगाना;
pedestal (support/ base) = आधार

[Page 64] :
Obvious (clear) = स्पष्ट;
peppered with (sprinkled with) = से मिला हुआ;
dazed (stunned) = भौचक्का;
accent (pronunciation) = उच्चारण;
attempt(effort)= प्रयत्ल;
utter(complete)= पूर्ण;
bafflement(perplexity) = घबराहट;
cultivating (developing) = विकसित करना;
pretty (enough)= पर्याप्त;
sheer (complete) = पूर्ण;
thrills (excitements) = उत्तेजना;
mystery (unexplainable thing) = रहस्य;
conviction (faith)= विश्वास;
persistent (constant) = लगातार;
drudge (one who does hard work) = मेहनती;
shrunken (contracted) = सिकुड़ा हुआ;
insignificant (not important) =तुच्छ;
literati (learned) = विद्वान्;
periodical (magazine) = पत्रिका;
considerable(substantial) = अधिक;
commodity (thing) = वस्तु ।

[Page 65] :
Winded (meandering) = घुमावदार;
sneaking (moving stealthily)= चोरी-चोरी जाना;
forbidden (banned) = निषेध;
pile (heap) = ढेर;
elegant (attractive) = आकर्षक;
eminent (famous)= प्रसिद्ध;
disillusioned (freefrom illusion) = भ्रमहीन;
assumed (became) = बन गया;
tremendous (too much) = बहुत अधिक।

[Page 66] :
Significance (importance) = महत्त्व;
hazy (not clear) = अस्पष्ट;
illumination (lighting) = प्रकाश करना।

Poets and Pancakes Translation in Hindi

Pancake was the brand name of the make-up material that Gemini Studios bought in truck-loads. Greta Garbo must have used it, Miss Gohar must have used it, Vyjayantimala must also have used it but Rati Agnihotri may not have even heard of it. The make-up department of the Gemini Studios was in the upstairs of a building that was believed to have been Robert Clive’s stables. A dozen other buildings in the city are said to have been his residence. For his brief life and an even briefer stay in Madras, Robert Clive seems to have done a lot of moving, besides fighting some impossible battles in remote corners of India and marrying a maiden in St. Mary’s Church in Fort St. George in Madras.

(पैनकेक मेकअप सामग्री का एक ब्रॉन्ड नाम था जिसे जैमिनी स्टूडियो ट्रक भरकर खरीदता था। ग्रेटा गारबो ने इसका प्रयोग किया होगा, मिस गोहर ने इसे प्रयोग किया होगा, वैजयन्तीमाला ने भी इसे प्रयोग किया होगा, परन्तु रति अग्निहोत्री ने शायद इसके बारे में सुना भी नहीं होगा। जैमिनी स्टूडियो का मेकअप विभाग एक भवन के ऊपर स्थित था, जिसके बारे में कहा जाता था कि वह कभी रॉबर्ट क्लाइव की घुड़साल थी। शहर के एक दर्जन और भवन भी उसके आवास माने जाते हैं। उसके छोटे जीवन और मद्रास में उसके और भी थोड़े समय रहते हुए ऐसा लगता है कि वह बहुत घूमा है और इसके अतिरिक्त भारत के दूर-दराज के क्षेत्रों में असम्भव युद्ध लड़े और मद्रास के Fort St. George के St. Mary के चर्च में एक लड़की से शादी की।)

The make-up room had the look of a hair-cutting salon with lights at all angles around half a dozen large mirrors. They were all incandescent lights, so you can imagine the fiery misery of those subjected to make-up. The make-up department was first headed by a Bengali who became too big for a studio and left. He was succeeded by a Maharashtrian who was assisted by a Dharwar Kannadiga, an Andhra, a Madras Indian Christian, an Anglo-Burmese and the usual local Tamils.

All this shows that there was a great deal of national integration long before A.I.R. and Doordarshan began broadcasting programmes on national integration. This gang of nationally integrated make-up men could turn any decent-looking person into a hideous crimson-hued monster with the help of truck-loads of pancake and a number of other locally made potions and lotions. Those were the days of mainly indoor shooting, and only five percent of the film was shot outdoors. I suppose the sets and studio lights needed the girls and boys to be made to look ugly in order to look presentable in the movie.

A strict hierarchy was maintained in the make-up department. The chief make-up man made the chief actors and actresses ugly, his senior assistant the ‘second’ hero and heroine, the junior assistant the main comedian, and so forth. The players who played the crowd were the responsibility of the office boy. (Even the make-up department of the Gemini Studio had an ‘office boy’!) On the days when there was a crowd shooting, you could see him mixing his paint in a giant vessel and slapping it on the crowd players. The idea was to close every pore on the surface of the face in the process of applying make-up. He wasn’t exactly a ‘boy’; he was in his early forties, having entered the studios years ago in the hope of becoming a star actor or a top screenwriter, director or lyrics writer. He was a bit of a poet.

(मेकअप का कमरा हेयर-कटिंग सैलून जैसा लगता था जिसमें आधा दर्जन बड़े-बड़े शीशे और उनके चारों ओर हर कोण पर बल्ब लगे थे। वे सब तेज लाइटें थीं, अतः आप कल्पना कर सकते हैं कि जिनका मेकअप होता था उन्हें आग जैसा कष्ट झेलना पड़ता था। सबसे पहली बार मेकअप विभाग का प्रमुख एक बंगाली था जिसने तब स्टूडियो छोड़ दिया जब वह इसके लिए अधिक बड़ा हो गया। उसके बाद वहाँ एक कार्यक्रम आया जिसकी सहायता के लिए एक धारवाड़ कन्नड़ी, एक आन्ध्र का, एक मद्रासी हिन्दुस्तानी ईसाई, एक ऐंग्लो बर्मी और सामान्य स्थानीय तमिल थे। इससे पता चलता है कि ए०आई०आर० और दूरदर्शन द्वारा राष्ट्रीय एकता पर कार्यक्रम प्रसारित करने के बहुत पहले ही बड़ी मात्रा में वहाँ राष्ट्रीय एकता थी। राष्ट्रीय एकता से जुड़े मेकअप मैनों का यह गिरोह, किसी भी अच्छी-खासी शक्ल-सूरत वाले इन्सान को ट्रक-भरे पैनकेक और अन्य बहुत-से स्थानीय मिश्रणों और मरहमों के द्वारा एक घृणित जामनी-लाल रंग के दैत्य में बदल सकता था।

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उन दिनों शटिंग प्रायः चारदीवारी के अन्दर ही होती थी और फिल्म की केवल पाँच प्रतिशत शूटिंग ही बाहर होती थी। मेरा ख्याल है कि सेटों और स्टूडियों की लाइटों की, लड़के और लड़कियों को बदसूरत बनाने की आवश्यकता होती थी ताकि उन्हें सिनेमा में प्रस्तुति योग्य बनाया जा सके। मेकअप विभाग में ऊँच-नीच क्रम का बड़ी कठोरता से पालन होता था। मुख्य मेकअप मैन मुख्य अभिनेताओं और अभिनेत्रियों को बदसूरत बनाता था जबकि उसका वरिष्ठ सहायक दूसरे नम्बर के हीरो और हीरोइनों को, कनिष्ठ सहायक प्रमुख कामेडियन को और आगे इसी तरह से। ऑफिस ब्वॉय उन कलाकारों का मेकअप करता था जो भीड़ में अभिनेता बनते थे। (जैमिनी स्टूडियो के मेकअप विभाग में भी एक ऑफिसब्वॉय था!) जिस दिन भीड़ की शूटिंग होती थी, (उस दिन) आप उसे एक विशाल बर्तन में पेंट मिलाते हुए और भीड़ के कलाकारों पर उसे पोतते हुए देख सकते थे। उसका काम था कि मेकअप लगाते हुए चेहरे के एक-एक रोमकूप को बन्द कर दिया जाए। वह वास्तव में कोई ‘लड़का’ नहीं था, वह उम्र के चार दशक पार कर चुका था, वर्षों पहले वह स्टूडियों में उच्च अभिनेता या उच्च कहानी लेखक, निर्देशक या गीतकार बनने की आशा से आया था। वह छोटा-मोटा कवि भी था।)

In those days I worked in a cubicle, two whole sides of which were French windows. (I didn’t know at that time they were called French windows.) Seeing me sitting at my desk tearing up newspapers day in and day out, most people thought I was doing next to nothing. It is likely that the Boss thought likewise too. So anyone who felt I should be given some occupation would barge into my cubicle and deliver an extended lecture. The ‘boy’ in the make-up department had decided I should be enlightened on how great literary talent was being allowed to go waste in a department fit only for barbers and perverts. Soon I was praying for crowd-shooting all the time. Nothing short of it could save me from his epics.

(उन दिनों मैं एक क्यूबिकल (छोटा कमरा) में काम करता था जिसकी दो पूरी दीवारें फ्रेंच खिड़कियाँ थीं। (उस समय मुझे यह नहीं पता था कि उन्हें फ्रैंच खिड़कियाँ कहा जाता है।) मुझे अपनी मेज पर बैठे दिन-रात अखबार फाड़ते देख अधिकतर लोग सोचते थे कि मैं कोई काम नहीं कर रहा। सम्भव है कि बॉस भी यही सोचता हो। अतः जिसे भी लगता कि मुझे कोई काम दिया जाना चाहिए, वह धड़ल्ले से मेरे कमरे में चला आता और एक भारी-भरकम भाषण दे देता। मेकअप रूम के ‘ब्वॉय’ ने निश्चय कर लिया था कि मुझे ज्ञात होना चाहिए कि उस जैसी कैसी महान् साहित्यिक प्रतिभा उस जगह पर नष्ट हो रही है जो जगह केवल नाइयों और विकृत पुरुषों के लिए उपयुक्त थी। शीघ्र ही मैं प्रार्थना करने लगा कि हर समय भीड़ की शूटिंग चलती रहे। इससे कम कोई चीज मुझे उसके महाकाव्य से नहीं बचा सकती थी।)

In all instances of frustration, you will always find the anger directed towards a single person openly or covertly and this man of the make-up department was convinced that all his woes, ignominy, and neglect were due to Kothamangalam Subbu. Subbu was the No. 2 at Gemini Studios. He couldn’t have had a more encouraging opening in films than our grown-up make-up boy had. On the contrary, he must have had to face more uncertain and difficult times, for when he began his career, there were no firmly established film-producing companies or studios.

Even in the matter of education, especially formal education, Subbu couldn’t have had an appreciable lead over our boy. But by virtue of being born a Brahmin – a virtue, indeed! – he must have had exposure to more affluent situations and people. He had the ability to look cheerful at all times even after having had a hand in a flop film. He always had work for somebody – he could never do things on his own – but his sense of loyalty made him identify himself with his principal completely and turn his entire creativity to his principal’s advantage. He was tailor-made for films. Here was a man who could be inspired when commanded.

“The rat fights the tigress underwater and kills her but takes pity on the cubs and tends them lovingly – I don’t know how to do the scene,” the producer would say and Subbu would come out with four ways of the rat pouring affection on its victim’s offspring. “Good, but I am not sure it is effective enough,” the icer would say and in a minute Subbu would come out with fourteen more alternatives. Film-making must have been and was so easy with a man like Subbu around and if ever there was a man who gave direction and definition to Gemini Studios during its golden years, it was Subbu. Subbu had a separate identity as a poet and though he was certainly capable of more complex and higher forms, he deliberately chose to address his poetry to the masses.

His success in films overshadowed and dwarfed his literary achievements – or so his critics felt. He composed several truly original ‘story poems’ in folk refrain and diction and also wrote a sprawling novel Thillana Mohanambal with dozens of very deftly etched characters. He quite successfully recreated the mood and manner of the Devadasis of the early 20th century.

He was an amazing actor – he never aspired to the lead roles — but whatever subsidiary role he played in any of the films, he performed better than the supposed main players. He had a genuine love for anyone he came across and his house was a permanent residence for dozens of near and far relations and acquaintances. It seemed against Subbu’s nature to be even conscious that he was feeding and supporting so many of them.

Such a charitable and improvident man, and yet he had enemies! Was it because he seemed so close and intimate with The Boss? Or was it his general demeanor that resembled a sycophant’s? Or his readiness to say nice things about everything? In any case, there was this man in the make-up department who would wish the direst things for Subbu.

(हताशा के सारे उदाहरणों में आप पाएँगे कि प्रकट अथवा गुप्त रूप से क्रोध एक ही व्यक्ति पर केन्द्रित होता है और मेकअप विभाग के इस व्यक्ति को विश्वास था कि उसके सारे दुःख, अपमान और अवहेलना कोथमंगलम सुब्बु के कारण थीं। जैमिनी स्टूडियो में सुब्बु का नम्बर दूसरा था। फिल्मों में उसका प्रवेश हमारे बड़ी उम्र के मेकअप ब्वॉय से अधिक उत्साहवर्धक नहीं था। इसके विपरीत, उसे अवश्य ही अधिक अनिश्चित और कठोर समय का सामना करना पड़ा होगा क्योंकि जब उसने अपने कैरियर का प्रारम्भ किया था, तब पक्के तौर पर स्थापित कोई फिल्म-निर्माण कम्पनियाँ या स्टूडियो नहीं थे। शिक्षा में भी, विशेष रूप से औपचारिक शिक्षा के क्षेत्र में, सुब्बु हमारे ब्वॉय से कुछ अधिक बेहतर न पा सका। परन्तु ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के कारण-सचमुच यह एक गुण है! उसे अवश्य ही अधिक धनवान परिस्थितियों और व्यक्तियों का सम्पर्क मिला होगा। किसी असफल फिल्म में हाथ डालने के बाद भी उसमें हर समय प्रसन्न रहने की क्षमता थी।

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उसके पास सदा हर व्यक्ति के लिए काम रहता था वह अपने आप कभी काम नहीं कर सकता था-परन्तु उसके निष्ठा-भाव ने उसे अपने प्रमुख के साथ पूरी तरह एकाकार कर दिया था और उसकी सारी सृजनात्मकता अपने प्रमुख के लाभ के लिए अर्पित थी। वह फिल्मों के लिए विशेष रूप से बनाया गया था। वह ऐसा व्यक्ति था जो आज्ञा पाकर प्रेरित हो सकता था। निर्माता कहेगा “पानी के नीचे चूहा बाघिन से लड़ता है और उसे मार देता है पर बाघिन के बच्चों पर तरस खाता है और प्यार से उनकी देखभाल करता है मुझे समझ नहीं आता कि इस दृश्य को कैसे किया जाए”, और सुब्बु चार तरीके बताएगा जिनसे चूहा शिकार के बच्चों पर प्यार उडेल सकता है।” “अच्छा है, पर मुझे विश्वास नहीं है कि यह काफी प्रभावशाली होगा”, निर्माता कहेगा और एक मिनट के अन्दर सुब्बु चौदह और विकल्प बताएगा। सुब्बु जैसे आदमी के पास होने पर फिल्म बनाना अवश्य ही बड़ा सरल होता होगा और अगर कभी कोई ऐसा आदमी हुआ जिसने जैमिनी स्टूडियो के स्वर्णकाल में उसे दिशा-निर्देश और परिभाषा दी तो वह व्यक्ति सुब्बु था। एक कवि के रूप में सुब्बु की अलग पहचान थी और यद्यपि वह निश्चित रूप से अधिक जटिल और ऊँची कृतियों के योग्य था,

वह जान-बूझकर अपनी कविता सामान्य जन को सम्बोधित करता था। फिल्मों में उसकी सफलता ने उसकी साहित्यिक उपलब्धियों को कम महत्त्वपूर्ण और बौना कर दिया-जैसाकि उसके आलोचकों का कहना था। उसने लोकगीत की टेक और शब्दावली पर कितनी ही वास्तविक मौलिक गीत-कथाएँ लिखीं और थिल्लाना मोहनाम्बलनाम का बड़ा उपन्यास लिखा जिसमें बड़ी कुशलता से दर्जनों पात्रों का चित्रण किया गया है। उसने बीसवीं शताब्दी की देवदासियों की मानसिक स्थिति और तौर-तरीकों का बड़ी सफलता से चित्रण किया। वह एक अद्भुत अभिनेता था उसने कभी प्रमुख भूमिकाओं की इच्छा नहीं की पर किसी भी फिल्म में जो दूसरे दर्जे की भूमिका उसे मिली उसने उसका निर्वाह तथाकथित प्रमुख अभिनेताओं से बेहतर किया।

अपने जीवन में आए हर व्यक्ति के प्रति उसके मन में सच्चा प्यार था और उसका घर दर्जनों पास और दूर के नातेदारों और परिचितों का स्थायी निवास था। लगता था कि यह सुब्बु के स्वभाव के विपरीत था कि उसे यह एहसास भी हो कि वह इतने लोगों को खाना और सहारा दे रहा है। वह ऐसा परोपकारी और निःस्वार्थ व्यक्ति था मगर फिर भी उसके शत्रु थे! क्या यह इस कारण से था कि वह बॉस के इतना निकट और अंतरंग था ? या फिर उसका साधारण व्यवहार एक चापलूस जैसा था ? या हर बात के बारे में अच्छी बातें कहने की उसकी तत्परता। बात चाहे जो हो मेकअप विभाग का यह व्यक्ति जो उसके बारे में बुरी से बुरी बातें चाहता था।)

You saw Subbu always with The Boss but in the attendance rolls, he was grouped under a department called the Story Department comprising a lawyer and an assembly of writers and poets. The lawyer was also officially known as the legal adviser, but everybody referred to him as the opposite. An extremely talented actress, who was also extremely temperamental, once blew over on the sets. While everyone stood stunned, the lawyer quietly switched on the recording equipment.

When the actress paused for breath, the lawyer said to her, “One minute, please”, and played back the recording. There was nothing incriminating or unmentionably foul about the actress’s tirade against the producer. But when she heard her voice again through the sound equipment, she was struck dumb.

A girl from the countryside, she hadn’t gone through all the stages of worldly experience that generally precede a position of importance and sophistication that she had found herself catapulted into. She never quite recovered from the terror she felt that day. That was the end of a brief and brilliant acting career – the legal adviser, who was also a member of the Story Department, had unwittingly brought about that sad end. While every other member of the Department wore a kind of uniform – khadi dhoti with a slightly oversized and clumsily tailored white khadi shirt – the legal adviser wore pants and a tie and sometimes a coat that looked like a coat of mail.

Often he looked alone and helpless – a man of cold logic in a crowd of dreamers – a neutral man in an assembly of Gandhiites and khadiites. Like so many of those who were close to The Boss, he was allowed to produce a film and though a lot of raw stock and pancake were used on it, not much came of the film. Then one day The Boss closed down the Story Department and this was perhaps the only instance in all human history where a lawyer lost his job because the poets were asked to go home.

(सुब्बु हमेशा बॉस के साथ दिखाई देता था, परन्तु उपस्थिति रजिस्टर में उसे कहानी विभाग में दर्शाया गया था जिसमें एक वकील तथा लेखक और कवि शामिल थे। वकील को सरकारी रूप से कानूनी सलाहकार के रूप में जाना जाता था, लेकिन हर कोई उसको इसके विपरीत समझता था। एक बेहद प्रतिभावान अभिनेत्री, जो बेहद तुनक मिजाज भी थी, एक बार मंच पर बिगड़ गई। हर कोई हैरान हो गया, तो वकील ने चुपचाप रिकॉर्ड करने की मशीन को चला दिया। जब अभिनेत्री सांस लेने के लिए रुकी तो वकील ने उससे कहा, “एक मिनट, कृपया”, और रिकॉर्डिंग को दोबारा चलाया।

अभिनेत्री द्वारा निर्माता की निन्दा में कोई भी दोषपूर्ण एवं न बताए जा सकने वाली बात नहीं थी। परन्तु जब उसने अपनी आवाज को दोबारा रिकॉर्डिंग मशीन में सुना तो वह हैरान रह गई। देहात की वह लड़की उन सांसारिक अनुभवों की अवस्थाओं से नहीं गुजरी थी जो प्रायः उस महत्त्वपूर्ण और शुद्धता के स्थान को प्राप्त करने से पहले आती है जिस स्थान पर उसने अपने आपको पहुँचा पाया था।

वह उस सदमे से कभी नहीं उबर पाई थी जो उसने उस दिन महसूस किया था। वह उसके संक्षिप्त एवं अच्छे अभिनय जीवन का अन्त था वह कानूनी सलाहकार, जो कहानी विभाग का सदस्य भी था, ने अनजाने में उसके कैरियर का अन्त कर दिया। जबकि विभाग का प्रत्येक सदस्य एक प्रकार की वर्दी पहनता था, खादी धोती थोड़े से बड़े आकार की और भद्दे ढंग से सिली गई सफेद कमीज के साथ-कानूनी सलाहकार पैंट व टाई पहनता था और कई बार एक कोट जो एक कवच की तरह दिखता था।

प्रायः वह अकेला और असहाय नजर आता थासपने देखने वालों की भीड़ में ठण्डे तर्क वाला आदमी-गाँधीवादियों और खादीवादियों की सभा में एक उदासीन आदमी। बॉस के बहुत से करीबी लोगों की तरह, उसे भी फिल्म बनाने की अनुमति मिली, और यद्यपि बहुत-सा कच्चा माल और पैनकेक इस पर खर्च किया गया, परन्तु फिर भी एक अच्छी फिल्म नहीं बनी। तब एक दिन बॉस ने कहानी विभाग बन्द कर दिया और शायद यह मानव इतिहास में पहला उदाहरण था जब कवियों को हटाए जाने के कारण एक वकील की नौकरी चली गई थी।)

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Gemini Studios was the favorite haunt of poets like S.D.S. Yogiar, and Sangu Subramanyam. Krishna Sastry and Harindranath Chattopadhyaya. It had an excellent mess which supplied good coffee at all times of the day and for the most part of the night. Those were the days when congress rule meant Prohibition and meeting over a cup of coffee was rather satisfying entertainment. Barring the office boys and a couple of clerks, everybody else at the Studios radiated leisure, a pre-requisite for poetry.

Most of them wore khadi and worshipped Gandhiji but beyond that they had not the faintest appreciation for political thought of any kind. Naturally, they were all averse to the term Communism’. communist was a godless man: he had no filial or conjugal love; he had no compunction about killing his own parents or his children; he was always out to cause and spread unrest and violence among innocent and ignorant people. Such notions which prevailed everywhere else in South India at that time also, naturally, floated about vaguely among the khadi-clad poets of Gemini Studios. Evidence of it was soon forthcoming.

(जैमिनी स्टूडियो एस.डी.एस. योगियार, संगु सुब्रामानयम, कृष्णा शास्त्री और हरीन्द्रनाथ चट्टोपाध्याय जैसे कवियों का मनपसन्द अड्डा था। इसमें एक शानदार मेस था जिसमें सारा दिन और रात्रि के अधिकांश समय तक बढ़िया कॉफी मिला करती थी। ये वे दिन थे जब काँग्रेस राज्य का मतलब मद्यनिषेध होता था और कॉफी के कप पीने के लिए मिलना अपेक्षाकृत एक सन्तोषजनक मनोरंजन माना जाता था। ऑफिस बॉयज और दो क्लर्कों को छोड़कर हर चेहरे पर फुर्सत होती थी जो कविता की प्रथम आवश्यकता है।

उसमें से अधिकांश खादी पहनते और गाँधी जी की पूजा करते थे परन्तु इसके किसी भी प्रकार के राजनीतिक विचारों की उन्हें जरा भी समझ नहीं थी। स्वभावतः वे सभी ‘कम्युनिज्म’ शब्द के विरोधी थे। कम्युनिस्ट का अर्थ एक ईश्वर-विहीन व्यक्ति था जिसे न तो माँ-बाप के प्रति और न ही अपने विवाह से प्राप्त साथी के प्रति कोई प्यार था, उसे अपने माँ-बाप अथवा सन्तान को मारने में कोई ग्लानि नहीं होती थी, वह सदा मासूम और अज्ञानी व्यक्तियों के बीच में बेचैनी और हिंसा फैलाने को तत्पर होता था। ये विचार जो उन दिनों दक्षिण भारत के अन्य भागों में भी सर्वत्र फैले हुए थे, स्वाभाविक था कि जैमिनी स्टूडियो के खादीधारी कवियों में भी अस्पष्ट रूप से मौजूद थे। इसका प्रमाण शीघ्र सामने आ रहा था।)

When Frank Buchman’s Moral Re-Armament army, some two hundred strong, visited Madras sometime in 1952, they could not have found a warmer host in India than the Gemini Studios. Someone called the group an international circus. They weren’t very good on the trapeze and their acquaintance with animals was only at the dinner table, but they presented two plays in a most professional manner. Their ‘Jotham Valley’ and ‘The Forgotten Factor’ran several shows in Madras and along with the other citizens of the city, the Gemini family of six hundred saw the plays over and over again.

The message of the plays were usually plain and simple homilies, but the sets and costumes were first-rate. Madras and the Tamil drama community were terribly impressed and for some years almost all Tamil plays had a scene of sunrise and sunset in the manner of Jotham Valley’ with a bare stage, a white background curtain and a tune played on the flute.

It was some years later that I learnt that the MRA was a kind of counter-movement to international Communism and the big bosses of Madras like Mr. Vasan simply played into their hands. I am not sure, however, that this was indeed the case, for the unchangeable aspects of these big bosses and their enterprises remained the same, MRA or no MRA, international Communism or no international Communism.

The staff of Gemini Studios had a nice time hosting two hundred people of all hues and sizes of at least twenty nationalities. It was such a change from the usual collection of crowd players waiting to be slapped with thick layers of make-up by the office boy in the make-up department.

(जब फ्रैंक बुचमैन की सेना, मोरल रीआर्मामेन्ट आर्मी, जिसमें करीब दो सौ लोग थे, 1952 में मद्रास आई, तो उनको जैमिनी स्टूडियो से अधिक अच्छा मेजबान कहीं नहीं मिल सकता था। किसी ने इस समूह को अन्तर्राष्ट्रीय सर्कस कहा। वे सर्कस के झूले अच्छे नहीं थे और पशुओं के बारे में उनका ज्ञान डिनर टेबल तक ही सीमित था, परन्तु उन्होंने दो नाटक बड़े ही व्यावसायिक ढंग से प्रस्तुत किए। उनके नाटक ‘Jotham Valley’ और ‘The Forgotten Factor’ के कई शो मद्रास में चले, और शहर के लोगों के साथ-साथ जैमिनी परिवार के छः सौ सदस्यों ने ये नाटक बार-बार देखे। नाटकों के सन्देश प्रायः स्पष्ट और साधारण उपदेश थे, परन्तु सेट्स और साज-सज्जा पहले दर्जे की थी।

मद्रास और तमिल नाटक समुदाय इनसे बहुत अधिक प्रभावित हुए और कुछ वर्षों तक लगभग सभी तमिल नाटकों में ‘Jotham Valley’ की तर्ज पर खाली स्टेज पर सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य दिखाए जाते थे, और एक सफेद पृष्ठभूमि का पर्दा और बाँसुरी पर बजती हुई धुन थी। मुझे कुछ वर्ष बाद पता चला कि MRA एक प्रकार का अन्तर्राष्ट्रीय साम्यवाद का विरोधी आन्दोलन था और मि० वासन की तरह के मद्रास के बड़े बॉस केवल उनके हाथों में खेल रहे थे।

लेकिन मैं निश्चित नहीं हूँ कि वास्तव में यही बात थी, क्योंकि इन बड़े अफसरों के न बदलने वाले पक्ष और उनके उपक्रम जैसे के तैसे रहे, चाहे MRA का प्रभाव हो या न हो, चाहे अन्तर्राष्ट्रीय साम्यवाद हो या न हो। जैमिनी स्टूडियो के स्टाफ का समय कम-से-कम 20 देशों के सभी प्रकार के दो सौ लोगों की मेजबानी करते हुए अच्छा बीता। मेकअप विभाग के ऑफिस बॉय द्वारा मेकअप की मोटी परत पोते जाने के इन्तजार में खड़े भीड़ की भूमिका करने वालों के संग्रह से हटकर यह एक अच्छा बदलाव था।)

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A few months later, the telephone lines of the big bosses of Madras buzzed and once again we at Gemini Studios cleared a whole shooting stage to welcome another visitor. All they said was that he was a poet from England. The only poets from England the simple Gemini staff knew or heard of were Wordsworth and Tennyson; the more literate ones knew of Keats, Shelley and Byron; and one or two might have faintly come to know of someone by the name Eliot. Who was the poet visiting the Gemini Studios now?

(कुछ महीने बाद मद्रास के बड़े अफसरों की टेलीफोन लाइनें भिन-भिनाई और एक बार फिर से हमें जैमिनी स्टूडियो की पूरी शूटिंग स्टेज को एक अन्य मेहमान का स्वागत करने के लिए हटाना पड़ा। उन्होंने केवल यही कहा था कि वह इंग्लैण्ड का एक कवि था। जिन कवियों के बारे में जैमिनी स्टूडियो के स्टाफ ने सुन रखा था वे थे वर्डसवर्थ और टेनिसन; अधिक पढ़े-लिखे कीटस, शैले और बायरन को जानते थे; और एक या दो किसी इलियट नाम के कवि को जानते थे। अब जैमिनी स्टूडियों में आने वाला कवि कौन था?)

“He is not a poet. He is an editor. That’s why The Boss is giving him a big reception.” Vasan was also the editor of the popular Tamil weekly Ananda Vikatan. He wasn’t the editor of any of the known names of British publications in Madras, that is, those known at the Gemini studios. Since the top men of The Hindu were taking the initiative, the surmise was that the poet was the editor of a daily – but not from The Manchester Guardian or the London Times. That was all that even the most well-informed among us knew.

(“वह कवि नहीं है। वह एक सम्पादक है। यही कारण है कि बॉस उसके लिए इतना बड़ा स्वागत समारोह कर रहा है।” वासन भी एक लोकप्रिय तमिल साप्ताहिक ‘आनंदा विकाटन’ के सम्पादक थे। वह मद्रास में ज्ञात ब्रिटिश प्रकाशनों में से किसी का सम्पादक नहीं था, अर्थात् वे नाम जो जैमिनी स्टूडियो में जाने जाते थे। क्योंकि ‘द हिन्दू’ के उच्चतम लोग पहल कर रहे थे, ऐसा समझा जाता था कि यह कवि किसी दैनिक का सम्पादक होगा-पर मैन्चेस्टर, गार्जियन या लंदन टाइम्स का नहीं। हम में से सबसे अधिक ज्ञानी भी इतना ही जानता था।)

At last, around four in the afternoon, the poet (or the editor) arrived. He was a tall man, very English, very serious and of course very unknown to all of us. Battling with half a dozen pedestal fans on the shooting stage, The Boss read out a long speech. It was obvious that he too knew precious little about the poet (or the editor). The speech was all in the most general terms but here and there it was peppered with words life ‘freedom’ and ‘democracy’. Then the poet spoke. He couldn’t have addressed a more dazed and silent audience – no one knew what he was talking about and his accent defeated any attempt to understand what he was saying.

The whole thing lasted about an hour; then the poet left and we all dispersed in utter bafflement – what are we doing? What is an English poet doing in a film studio which makes Tamil films for the simplest sort of people? People whose lives least afforded them the possibility of cultivating a taste for English poetry? The poet looked pretty baffled too, for he too must have felt the sheer incongruity of his talk about the thrills and travails of an English poet. His visit remained an unexplained mystery.

(आखिर दोपहर बाद लगभग चार बजे वह कवि (अथवा सम्पादक) आया। वह लम्बा व्यक्ति था, पूरा अंग्रेज, बहुत गम्भीर और हाँ हम सबके लिए बहुत अनजाना। शूटिंग स्टेज में लगे आधा दर्जन पैडस्टल पंखों से संघर्ष करते हुए बॉस ने एक लम्बा भाषण पढ़ा। साफ था कि उसे भी उस कवि (अथवा सम्पादक) के बारे में कुछ नहीं पता था। भाषण बड़ी सामान्य शब्दावली में था पर उसमें जहाँ-तहाँ ‘स्वतन्त्रता’ और ‘प्रजातन्त्र’ जैसे शब्द भरे हुए थे। फिर वह कवि बोला । हो नहीं सकता कि उसने पहले कभी ऐसी हैरान और शान्त सभा में भाषण दिया हो-किसी को नहीं पता था कि वह किस विषय पर बोल रहा था और उसका उच्चारण उसकी बात को समझने के सारे प्रयत्न को असफल कर देता था।

पूरा समारोह करीब एक घण्टा चला और हम सब बड़ी उलझन के साथ वहाँ से उठे-हम क्या कर रहे हैं ? एक अंग्रेज कवि उस फिल्म स्टूडियो में क्या कर रहा है जो अति साधारण लोगों के लिए तमिल फिल्म बनाता है ? ऐसे लोग जिनका जीवन उन्हें अंग्रेजी कविता में रुचि लेने का बहुत कम अवसर देता था। कवि भी काफी उलझन से ग्रस्त दिखाई देता था क्योंकि उसने भी एक अंग्रेज कवि के रोमांच और श्रम की चर्चा की पूर्ण बेमेलता को अवश्य अनुभव किया होगा। उसका आना एक अनसुलझा रहस्य बना रहा।)

The great prose-writers of the world may not admit it, but my conviction grows stronger day after day that prose-writing is not and cannot be the true pursuit of a genius. It is for the patient, persistent, persevering drudge with a heart so shrunken that nothing can break it; rejection slips don’t mean a thing to him; he at once sets about making a fresh copy of the long prose piece and sends it on to another editor enclosing postage for the return of the manuscript. It was for such people that The Hindu had published a tiny announcement in an insignificant corner of an unimportant page-a short story contest organized by a British periodical by the name The Encounter.

Of course, The Encounter wasn’t known commodity among he Gemini literati. I wanted to get an idea of the periodical before I spent a considerable sum in postage sending a manuscript to England. In those days, the British Council Library had an entrance with no long-winded signboards and notices to make you feel you were sneaking into a forbidden area. And there were copies of The Encounter lying about in various degrees of freshness, almost untouched by readers.

When I read the editor’s name, I heard a bell ringing in my shrunken heart. It was the poet who had visited the Gemini Studios: I felt like I had found a long-lost brother and I sang as I sealed the envelope and wrote out his address. I felt that he too would be singing the same song at the same time – long-lost brothers of Indian films discover each other by singing the same song in the first reel and in the final reel of the film. Stephen Spender. Stephen – that was his name.

(संसार के महान् गद्य-लेखक बेशक चाहे यह बात मानें परन्तु मेरा यह विश्वास दिन-प्रतिदिन बढ़ता जाता है कि गद्य-लेखन किसी प्रतिभावान व्यक्ति के करने योग्य सही कार्य नहीं है और न ही हो सकता है। यह तो ऐसे दिल का काम है जो लगातार उस धैर्यपूर्वक, हठपूर्वक, मेहनत करते रहते हैं और जो दिल इतने सिकुड़े होते हैं कि कोई बात उनके दिल को तोड़ ही नहीं सकती; अस्वीकृति की चिटें उसके लिए कोई अर्थ नहीं रखती; वह तुरन्त अपने लम्बे गद्य की एक नई कापी तैयार करने में लग जाता है और पाण्डुलिपि को लौटाने के लिए पोस्टेज स्टैम्प लिफाफे के साथ डालकर किसी दूसरे सम्पादक के पास भेज देता है। ऐसे लोगों के लिए ‘दि हिन्दू’ ने एक महत्त्वहीन पेज के एक महत्त्वहीन कोने में एक छोटी-सी घोषणा प्रकाशित की थी-‘द एनकाउंटर’ नाम की एक ब्रिटिश पत्रिका द्वारा एक कहानी प्रतियोगिता का आयोजन। निःसन्देह, जैमिनी के पुस्तकों से सम्बन्ध रखने वाले व्यक्तियों के लिए, ‘द एनकाउन्टर’ कोई जानी-मानी वस्तु नहीं थी।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 6 Poets and Pancakes

इंग्लैण्ड भेजने के लिए पाण्डुलिपि पर भारी खर्च करने से पहले मैं उस पत्रिका के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करना चाहता था। उन दिनों ब्रिटिश कौंसिल लाइब्रेरी के प्रवेश-द्वार पर ऐसे बड़े और प्रभावशाली साइनबोर्ड नहीं थे कि आपको लगे कि आप किसी प्रतिबन्धित क्षेत्र में डरते हुए प्रवेश कर रहे हो। और वहाँ पर ‘द एनकाउंटर’ की कापियाँ अलग-अलग मात्रा की ताजगी से बिखरी पड़ी थीं, पाठकों द्वारा लगभग अनछुई सी। जब मैंने सम्पादक का नाम पढ़ा तो मैंने अपने सिकुड़े हुए दिल में एक घण्टी बजती सुनी। यह वही कवि था जो जैमिनी स्टूडियो में आया था। मुझे लगा कि जैसे मुझे मेरा बड़े दिनों से खोया हुआ भाई मिल गया है और लिफाफा बन्द करते और उस पर उसका पता लिखते हुए मैं गा रहा था। मुझे लगा कि ठीक उसी समय वह भी वही गाना गा रहा होगा-भारतीय फिल्मों में बहुत दिनों से खोए हुए भाई पिक्चर की पहली और अन्तिम रील में एक ही गाना गाकर एक-दूसरे को ढूँढ लेते हैं। स्टीफन स्पैंडर। स्टीफन यही उसका नाम था।)

And years later, when I was out of Gemini Studios and I had much time but not much money, anything at a reduced price attracted my attention. On the footpath in front of the Madras Mount Road Post Office, there was a pile of brand new books for fifty paise each. Actually, they were copies of the same book, an elegant paperback of American origin. ‘Special low-priced student edition, in connection with the 50th Anniversary of the Russian Revolution, I paid fifty paise and picked up a copy of the book, The God That Failed.

Six eminent men of letters in six separate essays described their journeys into Communism and their disillusioned return’, Andre Gide, Richard Wright, Ignazio Silone, Arthur Koestler, Louis Fischer, and Stephen Spender. Stephen Spender! Suddenly the book assumed tremendous significance. Stephen Spender, the poet who had visited Gemini Studios! In a moment I felt a dark chamber of my mind lit up by a hazy illumination. The reaction to Stephen Spender at Gemini Studios was no longer a mystery. The Boss of the Gemini Studios may not have much to do with Spender’s poetry. But not with his god that failed.

(और कई सालों जब मैं जैमिनी स्टूडियो से बाहर था और मेरे पास समय बहुत था पर पैसे न थे, घटी दर पर मिलने वाली कोई भी वस्तु मुझे आकर्षित कर लेती थी। मद्रास की माउण्ट रोड के सामने फुटपाथ पर बिल्कुल नई किताबों का एक ढेर लगा था, हर पुस्तक पचास पैसे में। वास्तव में वे एक ही पुस्तक की प्रतियाँ थीं, एक मूल अमेरिकन पुस्तक ‘रूसी क्रान्ति के 50वें वर्ष पर एक विशेष सस्ता छात्र संस्करण’ की शानदार पेपरबैक, मैंने पचास पैसे दिए और ‘ईश्वर जो असफल रहा’ की एक प्रति उठा ली।

छः प्रमुख विद्वानों ने छः अलग-अलग निबन्धों में साम्यवाद तक अपनी यात्रा और ज्ञान-प्राप्ति के बाद वापसी का वर्णन किया था; “ऐन्द्रे गाइड”, रिजर्ड राइट, इगनैजिओ सिलोन, ऑर्थर कोइस्लर, लूईस फिशर और स्टीफन स्पैंडर। स्टीफन स्पैंडर! अचानक ही पुस्तक बड़ी महत्त्वपूर्ण बन गई। स्टीफन स्पैंडर, वह कवि जो जैमिनी स्टूडियो में आया था! क्षण भर ही में मुझे लगा कि मेरे दिमाग के अन्धेरे कमरे में अचानक धुंध भरा प्रकाश हो गया है। जैमिनी स्टूडियो में स्टीफन स्पैंडर के प्रति हुई प्रतिक्रिया अब रहस्य नहीं रह गई थी। जैमिनी स्टूडियो के बॉस को स्पैंडर की कविता से चाहे कुछ लेना-देना न हो। परन्तु उसके उस ईश्वर से तो था जो असफल हो गया था।)

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HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 7 The Interview

Haryana State Board HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 7 The Interview Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 7 The Interview

HBSE 12th Class English The Interview Textbook Questions and Answers

Question 1.
Do you think Umberto Eco likes being interviewed? Give reasons for your opinion. (क्या आपके विचार में अम्बरटो ईको साक्षात्कार देना पसन्द करता है ? अपने विचार के लिए कारण बताओ।)
Answer:
Yes, it appears that Umberto Eco likes being interviewed. He is interviewed by Mukund Padmanabhan from ‘The Hindu’. Some writers consider that the interview is an unwarranted intrusion into a person’s life. But Eco does not seem to think so. He waits for coming of Mukund. He answers every question asked by him with due interest. He does not boast about himself. On the other hand, he is quite modest about his achievements. He says that he writes novels only on Sundays.

When the interviewer asks him how he can do so many things, he replies that he is always doing the same thing. He is quite cooperative with the interviewer. The replies given by Eco not only show his sense of humour but also reveal the fact that he enjoys being interviewed. He talks freely of his philosophical interests. He takes pains to explain how he works in ’empty spaces. He enlightens us about his scholarly works and his famous novel ‘The Name of the Rose’. So we can say that Umberto Eco does not despise being interviewed.

(हाँ, ऐसा लगता है कि अम्बरटो ईको साक्षात्कार देना पसन्द करता है। उसका साक्षात्कार “द हिन्दू” अख़बार का पत्रकार मुकुन्द पद्मनाभन लेता है। कुछ लेखक सोचते हैं कि साक्षात्कार किसी व्यक्ति के जीवन में अवांछनीय दखल है। मगर ईको ऐसा नहीं सोचता। वह मुकुन्द के आने का इन्तज़ार करता है। वह उस द्वारा पूछे गए हर प्रश्न का उत्तर रुचि से देता है। वह अपने बारे में गप्प नहीं मारता। इसके विपरीत, वह अपनी उपलब्धियों के बारे में बहुत विनम्र है।

वह कहता है कि वह केवल रविवार को ही उपन्यास लिखता है। जब साक्षात्कारकर्ता उससे पूछता है कि वह इतनी चीजें, एक-साथ कैसे कर लेता है तो वह कहता है कि सदा एक ही काम करता रहता है। वह साक्षात्कारकर्ता के साथ पूरा सहयोग करता है। ईको द्वारा दिए गए उत्तर न केवल उसकी हास्य भावना को दर्शाते हैं अपितु यह भी बताते हैं कि वह साक्षात्कार देना पसंद करता है। वह खुले रूप से अपनी दार्शनिक रुचि के बारे में बताता है। वह काफी जोर देकर यह समझाता है कि उसका “खाली स्थानों” से क्या अभिप्राय है। वह हमें अपने विद्वत्तापूर्ण कामों के बारे में और अपने उपन्यास ‘द नेम ऑफ द रोज़’ के बारे में बताता है। इसलिए हम यह कह सकते हैं कि वह साक्षात्कार देने से नफ़रत नहीं करता।)

Question 2.
How does Eco find the time to write so much? (ईको को इतना अधिक लिखने के लिए समय कैसे मिल जाता है ?)
Answer:
Mukund, the interviewer, refers to David Lodge who once wondered how Eco could find time to do so many things. Umberto Eco answers quite modestly. He says that he only appears to be doing so many things. But he is always doing the same thing.

Umberto Eco says that we have a lot of empty spaces in our life. He calls such spaces ‘interstices’. If these empty spaces are eliminated, the world will shrink. The universe will then be only as big as our fist. Then he tells Mukund that he always works in these empty spaces. He gives an example. He asks Mukund to suppose that he is coming over to Eco’s room to interview him.

over to Eco’s room to interview him. He is in an elevator. While Mukund is coming up, Eco is waiting for him. The time while he is waiting for his elevator to come from the first to third floor, is an empty space or an interstice. Eco has already written an article during this period.
(साक्षात्कार, मुकुन्द, डेविड लॉज का जिक्र करता है जिसे एक बार हैरानी हुई थी कि ईको इतने काम करने के लिए किस प्रकार समय निकाल लेता है। अम्बरटो ईको बहुत अधिक विनम्रता से उत्तर देता है। वह कहता है कि वह केवल बहुत-से काम करते हुए प्रतीत होता है। मगर वह सदा एक ही काम करता रहता है।

अम्बरटो ईको कहता है कि हमारे जीवन में बहुत-से खाली स्थान होते हैं। यह इन स्थानों को “अन्तराल” कहता है। अगर ये खाली स्थान हटा दिए जाए तो संसार सिकुड़ जाएगा। ब्रह्माण्ड तब केवल हमारी मुट्ठी के बराबर हो जाएगा। वह मुकुन्द को बताता है कि वह सदा इन खाली स्थानों में काम करता है। वह एक उदाहरण देता है। जब मुकुन्द आ रहा है तो, ईको उसका इन्तज़ार कर रहा है। जिस समय वह उसके लिफ्ट के पहली से तीसरी मंजिल तक आने की इन्तज़ार कर रहा है। एक खाली स्थान या एक इन्टरस्टिस है। ईको पहले ही उस अवधि के बारे में एक लेख लिख चुका है।)

Question 3.
What was distinctive about Eco’s academic writing style? (इको के शैक्षणिक लेखन की शैली के बारे में खास बात क्या है ?)
Answer:
Umberto Eco has written 40 scholarly works of non-fiction, but only five novels. Yet he is known more as a novel writer than for his non-fiction or academic work. His scholarly work has a certain playful and personal quality about it. It is different from the usual and regular academic style, which tends to be depersonalized and is often dry and boring.

The interviewer asks him if this style came to him naturally or if he has cultivated this informal style consciously. Eco tells him that he is different from other writers. When he presented his doctoral dissertation, his professor told him that generally scholars learn a lot of a certain subject. Then they make a lot of false hypotheses. Then they correct them. In the end, they put the conclusion.

On the contrary, Eco tells the story of his research. He mentions even his trials and errors. His professors recognized that he was right. At the age of 22, he understood that scholarly books should be written in the narrative style. This is why his essays have a narrative aspect. Eco started writing novels at the age of 50. Eco tells about his friend Roland Barthes. He was frustrated because he was an essayist and not a novelist. But Eco was first an academician. He became a novelist quite by chance.

(अम्बरटो ईको ने चालीस विद्वत्तापूर्ण गैर-उपन्यासिक कृतियाँ लिखी हैं, और केवल पाँच उपन्यास लिखे हैं। फिर भी लोग उसे केवल एक उपन्यासकार के रूप में अधिक पहचानते हैं न कि उसके गैर-उपन्यासिक कृत्तियों या अकादमी कार्य के लिए। उसके विद्वत्तापूर्ण काम में कुछ चंचलता और व्यक्तिगत गुण हैं। यह आम एवं नियमित अकादमी काम की शैली से भिन्न है, जोकि गैर-व्यक्तिगत हो जाती है और अक्सर शुष्क और नीरस होती है। साक्षात्कारकर्ता उससे पूछता है कि क्या यह शैली उसमें स्वाभाविक रूप से आई थी, या उसने अपना यह अनौपचारिक स्टाइल जान-बूझकर विकसित किया है। ईको उसे बताता है कि वह अन्य लेखकों से भिन्न है, जब उसने अपना पहला शोधग्रन्थ दिया था, तब उसके एक प्रोफेसर ने टिप्पणी की थी कि विद्वान लोग किसी विषय के बारे में बहुत कुछ सीखते हैं। फिर वे बहुत-से गलत अनुमान लगाते हैं तब उन्हें सही करते हैं।

अंत में वे निष्कर्ष निकालते हैं। इसके विपरीत, ईको ने अपने शोध की कहानी बताई थी। वह तो अपने प्रयत्न और गलतियाँ भी बताता है। उसके प्रोफेसर ने यह बात पहचानी थी कि ईको सही था। जिस समय वह बाईस साल का था, उसने समझ लिया था कि विद्वत्तापूर्ण किताबों में अपने शोध की कहानी बताकर लिखी जानी चाहिए। इसलिए ईको के लेख का रूप सदा वर्णनात्मक होता है। उसने उपन्यास पचास साल की उम्र में लिखने आरम्भ किए थे। ईको अपने मित्र रोलैन्ड बार्थिज के बारे में बताता है। वह निराश था क्योंकि वह निबन्धकार था न कि उपन्यासकार। मगर ईको पहले एक शिक्षाविद् था। वह उपन्यासकार केवल संयोगवश बन गया।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 7 The Interview

Question 4.
Did Umberto Eco consider himself a novelist first or an academic scholar? (अम्बरटो ईको स्वयं को पहले उपन्यासकार मानते हैं या शैक्षणिक विद्वान?)
H.B.S.E. 2017 (Set-C)]
Answer:
Umberto Eco is a famous writer. Mukund Padmanabhan interviews him. He asks Eco about his work and style. Eco tells him that he is a professor who writes novels on Sundays. This clearly shows that novel writing is not his first choice. He is an academician and has written more than 40 scholarly books. But he has written only five novels. He tells the interviewer that he started writing novels quite late, that is, at the age of 50. He makes its clear that he ‘started writing novels by accident. He says that one day he had nothing to do and so he started writing novels. He is different from other scholars.

He does not adopt the dull and boring style for his scholarly writings. He tells the story of his researchings. He tells the story of his research. That is why his scholarly work too has a narrative quality about it. Novel writing satisfied his taste for narration. Among his scholarly works, there is a seminal piece of work on semiotics. But Eco’s fame does not depend on his academic writings. He is known as a novelist. However, Eco makes it clear that he is a academician first and novelist afterwards. He completely identifies himself with the academic community.

(अम्बरटो ईको एक प्रसिद्ध लेखक है। मुकुन्द पद्मनाभन उसका साक्षात्कार लेता है। वह ईको से उसके काम और तरीके के बारे में पूछता है। ईको उसे बताता है कि वह एक प्रोफेसर है जो रविवार को उपन्यास लिखता है। यह स्पष्ट रूप से दिखता है कि उपन्यास लिखना उसकी पहली रुचि नहीं है। वह एक शिक्षाविद् है और उसने चालीस से अधिक विद्वत्तापूर्ण किताबें लिखीं हैं। मगर उसने केवल पाँच उपन्यास लिखे हैं। वह साक्षात्कारकर्ता को बताता है कि उसने उपन्यास लिखने बहुत देरी से आरम्भ किए, अर्थात् पचास साल की उम्र में, वह इस बात को स्पष्ट करता है कि उसने ‘उपन्यास लिखने बिल्कुल संयोग से शुरू’ किए थे। वह कहता है कि एक दिन उसके पास करने को कुछ नहीं था और इसलिए उसने उपन्यास लिखने आरम्भ कर दिए। वह अन्य विद्वानों से अलग है। अपने विद्वत्तापूर्ण लेखन के लिए वह नीरस और अरुचिकर तरीका नहीं अपनाता। वह अपने शोध की कहानी बताता है।

इसलिए उसकी विद्वत्तापूर्ण लेखन में भी वर्णात्मक गुण है। उपन्यास लेखन उसके वर्णन की रुचि को सन्तुष्ट करता है। उसके विद्वत्तापूर्ण लेखन में, प्रतीकों और चिन्हों पर एक बहुत महत्त्वपूर्ण कृति है। किंतु उसकी प्रसिद्धि शैक्षणिक लेखन पर निर्भर नहीं करती। वह उपन्यासकार के रूप में जाना जाता है। परंतु ईको यह बात स्पष्ट कर देता है कि वह पहले विद्वान है और उपन्यासकार बाद में है। वह अपनी पहचान पूरी तरह विद्वान समुदाय से करता है।)

Question 5.
What is the reason for the huge success of Eco’s novel ‘The Name of the Rose’? (ईको के उपन्यास ‘दि नेम ऑफ दि रोज़’ की महान् सफलता का क्या कारण है ?)
Answer:
Umberto Eco is famous for his novel “The Name of the Rose’ which was a grand success. Through this novel, the writer reaches the millions of readers. In the U.S. alone more than two million copies of the novel were sold. This is a serious kind of novel. It is a detective story at one level. But it delves deep into metaphysics, theology and medieval history. Even then the novel was a huge success. Eco says that journalists and publishers believe that people like trash or worthless stuff and do not like difficult reading experiences. But Eco does not agree with them.

His publishers had told him that his novel would probably sell about three thousand copies. But it sold between 10 and 15 million copies. Eco himself thinks that the huge success of the novel is a mystery. This success might be due to the fact that it deals with a period of medieval history. He says that. He often tells stories like a Chinese wise man.” The superb style of the novel is also one of the reasons for its grand success.

(अम्बरटो ईको अपने उपन्यास ‘द नेम ऑफ द रोज़’ के लिए प्रसिद्ध है जोकि बहुत अधिक सफल था। इस उपन्यास के द्वारा, लेखक लाखों पाठकों तक पहुँचा। केवल अमेरिका में ही इस उपन्यास की बीस लाख प्रतियाँ बिक गई थीं। यह एक गम्भीर प्रकार का उपन्यास है। यह एक स्तर पर जासूसी कहानी है। मगर यह आलौकिकता, धर्मविज्ञान और मध्ययुगीन इतिहास का एक गहन अध्ययन भी है। फिर भी यह बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गया।

ईको कहता है कि पत्रकार और प्रकाशक मानते हैं कि लोग बेकार किताबों को पढ़ते हैं और कठिन पठन के अनुभव को पसन्द नहीं करते। मगर ईको उनसे सहमत नहीं होते। उसके प्रकाशक ने उसे बताया था कि उसके उपन्यास की शायद तीन हजार प्रतियाँ ही बिकेंगी। मगर यह एक और डेढ़ करोड़ के बीच बिका। ईको खुद सोचता है कि उसके उपन्यास की विशाल सफलता एक रहस्य है। यह सफलता इस तथ्य के कारण भी हो सकती है कि यह मध्यकालीन इतिहास के बारे में है। वह कहता है कि, “वह अक्सर एक चीनी बुद्धिमान व्यक्ति की तरह कहानियाँ बताता है।” उपन्यास का बढ़िया तरीका भी इसकी महान सफलता का एक कारण है।)

Think As You Read

Question 1.
What are some of the positive views on interviews? [H.B.S.E. 2017 (Set-B), 2018 (Set-A)] (साक्षात्कार की कुछ सकारात्मक बातें क्या हैं ?)
Answer:
The interview as a form of journalism was invented about 130 years ago. Since then it has become an important tool of communicating. Some people think that the interview is in its highest form is a source of truth. In practice it is an art. Through the interview we come to know about a celebrity. Through the medium of interview, the celebrity talks to us.
(पत्रकारिता के एक तरीके के रूप में साक्षात्कार का आविष्कार लगभग 130 साल पहले हुआ था। तब से यह संचार का एक महत्त्वपूर्ण साधन बन गया है। कुछ लोग सोचते हैं कि अपने उच्चतम रूप में साक्षात्कार सच्चाई का स्रोत है। इसका प्रयोग एक कला है। साक्षात्कार के द्वारा हम किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के बारे में जानते हैं। साक्षात्कार के माध्यम से, वह प्रसिद्ध व्यक्ति हमसे बात करता है।)

Question 2.
Why do most celebrity writers despise being interviewed? [H.B.S.E. 2017 (Set-C), 2020 (Set-B)] (अधिकतर प्रसिद्ध लेखक साक्षात्कार से नफरत क्यों करते हैं ?)
Answer:
A number of celebrities writers despise being interviewed. They think that it is an unwarranted intrusion in their lives. They feel that the interview makes them feel small. V.S.Naipaul believes that during an interview people lose a part of themselves.
(बहुत-से प्रसिद्ध लेखक साक्षात्कार लिए जाने से नफ़रत करते हैं। वे सोचते हैं कि यह उनके जीवन में बेकार का दखल है। वे महसूस करते हैं कि साक्षात्कार उन्हें छोटा महसूस करवाता है। वी. एस. नाइपाल का विचार है कि साक्षात्कार के दौरान व्यक्ति अपने अस्तित्व का कुछ भाग खो देता है।)

Question 3.
What is the belief in some primitive cultures about being photographed? (कुछ प्राचीन संस्कृतियों में फोटो खिंचवाने के बारे में क्या विश्वास है ?)
Answer:
Some primitive cultures and tribes do not like being photographed. They believe that if one takes a photographic picture of somebody, he is stealing that person’s soul. They think that in this process, the person who is photographed loses a part of himself.
(कुछ प्राचीन संस्कृतियाँ और कबीले फोटो खिंचवाने से नफरत करते हैं। उनका विश्वास है कि अगर कोई व्यक्ति किसी की फोटो ले रहा है तो वह उस व्यक्ति की आत्मा चुरा रहा है। वे सोचते हैं कि इस प्रक्रिया में जिस व्यक्ति का फोटो लिया जा रहा है, वह अपना एक भाग खो देता है।)

Question 4.
What do you understand by the expression “thumbprints on his windpipe”? (“गले पर अंगूठों के निशानों” अभिव्यक्ति से आप क्या समझते हैं ?)
Answer:
Saul Bellow was an American writer. He was himself interviewed on many occasions. But he did not like being interviewed. He thought that it was an assault on a person’s privacy. He said that he felt suffocated when he was interviewed. So he thought that an interview let thumbprints on his windpipe.
(सॉल बैलो एक अमेरिकी लेखक था। उसका कई बार साक्षात्कार लिया गया। मगर वह साक्षात्कार देना पसंद नहीं करता था। उसका विचार था कि यह व्यक्ति की गोपनीयता पर प्रहार है। उसने कहा कि साक्षात्कार देते समय उसका दम घुटता था। इसलिए वह सोचता था कि साक्षात्कार वर्णन में सांस की नली पर अंगूठे के निशान होते हैं।)

Question 5.
Who, in today’s world, is our chief source of information about personalities? (महान व्यक्तियों के बारे में आज के संसार में, जानकारी का हमारा मुख्य स्रोत क्या है ?)/H.B.S.E. 2017 (Set-A)]
Answer:
In today’s world, the interview has become an important part of journalism. Through the interview we can know about a famous’s person’s ideas and views. So, in the modern world, the interviewer is our chief source of information about personalities.
(आज के संसार में साक्षात्कार पत्रकारिता का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन चुका है। साक्षात्कार के द्वारा हम किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के विचारों को जान सकते हैं। इसलिए, आधुनिक संसार में साक्षात्कार व्यक्तित्व के बारे में सूचना का हमारा मुख्य स्रोत है।)

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Talking About The Text
Discuss in pairs or small groups: (जोड़े बनाकर या छोटे समूहों में चर्चा करो-)

Question 1.
Talk about any interview that you have watched on television or read in a newspaper. How did it add to your understanding of the celebrity, the interviewer and the field of the celebrity? (किसी ऐसे साक्षात्कार की चर्चा करो जो आपने टी०वी० पर देखा हो या अखबार में पढ़ा हो। इस बात ने प्रसिद्ध व्यक्ति की साक्षात्कारी या प्रसिद्ध व्यक्ति के क्षेत्र के बारे में आपकी समझ को कैसे बढ़ाया है ?)
Answer:
For self attempt with the help of the teacher. (विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।)

Question 2.
The medium you like best for an interview, print, radio or television? (साक्षात्कार के लिए जो माध्यम आपको सर्वोत्तम लगता है, छपा हुआ, रेडियो या टी०वी०?)
Answer:
For self attempt with the help of the teacher. (विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।)

Question 3.
Every famous person has a right to his or her privacy. Interviewers sometimes embarrass celebrities with very personal questions.
(प्रत्येक प्रसिद्ध व्यक्ति को अपनी गोपनीयता का अधिकार है। साक्षात्कारी कई बार व्यक्तिगत प्रश्न पूछकर प्रसिद्ध व्यक्तियों को परेशान करते हैं।)
Answer:
It is true that every person has a right to his or her privacy. When a person becomes famous, people want to know about him. Then the media, whether it is print media or the electronic media, wants to exploit his or her popularity. The interviewers come to him to ask about himself, his work, his style etc. But the interviewers often cross the boundary between public and personal interests. They often ask personal or embarrassing questions. There is no doubt that when a person becomes famous, he loses some of his privacy. Yet the interviewers should not ask such questions as pertain to his very personal life, likes or dislikes. The interviewer may ask only such questions which enlighten the public about his life and work. They must not ask embarrassing questions.

(यह सच है कि हर व्यक्ति को अपनी गोपनीयता का अधिकार होता है। जब कोई व्यक्ति प्रसिद्ध हो जाता है, तो लोग उसके बारे में जानना चाहते हैं। तब मीडिया, चाहे यह अख़बार मीडिया हो या इलैक्ट्रोनिक मीडिया, यह उसकी प्रसिद्धि का फायदा उठाना चाहता है। साक्षात्कारकर्ता आकर उसके बारे में, उसके काम, या उसके तरीके आदि के बारे में पूछते हैं। मगर साक्षात्कारकर्ता कई बार सार्वजनिक और व्यक्तिगत बातों के बीच की सीमा को भूल जाते हैं। वह कई बार व्यक्तिगत या परेशान करने वाले प्रश्न पूछते हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं है कि जब कोई व्यक्ति प्रसिद्ध हो जाता है, तो वह कुछ हद तक अपनी गोपनीयता खो देता है। फिर भी साक्षात्कारकर्ता को केवल ऐसे प्रश्न नहीं पूछने चाहिए जो उसके व्यक्तिगत जीवन, पसन्द और नापसंद के बारे में हों। साक्षात्कारकर्ता को केवल ऐसे प्रश्न पूछने चाहिएँ जो जनता को उसके जीवन और कृत्तियों के बारे में अवगत करवाएं। उन्हें परेशान कर देने वाले प्रश्न नहीं पूछने चाहिएँ।)

Noticing Discourse Linkers And Signallers Linkers

Notice how the utterances of the interviewer and the interviewee are linked to one another. The linkers have been italicized for you.
Linking is done either through the use of reference pronouns, like ‘that’, ‘this’, ‘which’ etc. It can also be done through a repetition of words.
I am convinced 1 am always doing the same thing.
Which is?
Aah, now that is more difficult to explain. ………………………..

While waiting for your elevator to come up from the first to the third floor, I have already written an article! (Laughs).
Not everyone can do that of course.
……………………………………………

Novels probably satisfied my taste for narration.
Talking about novels,
…………………………. .
at least more than 20 of them ………………..
Over 40.
Over 40
…………………..
I cannot expect to have one million readers with stuff on semiotics.
Which brings me to my next question.
…………………………
Were you puzzled at all by this?
No. Journalists are puzzled.
Could the huge success of the novel have anything to do with the fact that it dealt with a period of medieval history that…
That’s possible
………………………
The use of linkers is important in all continuous stretches of text. It is very important in conversation, especially a structured conversation like an interview.

Signallers
When there are shifts in the topic the speaker usually indicates them through phrases that prepare the listener for the shift.
Notice these two examples taken from the interview:
“Which brings me to another question …..”.
“But let me tell you another story…..”
Without these preparatory signallers, the flow of ideas in a conversation will not be smooth and continuous.
Answer:
For self-study.

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Writing
If the interviewer Mukund Padmanabhan had not got the space in the newspaper to reproduce the interview verbatim, he may have been asked to produce a short report of the interview with the salient points. Write this report for him. [The teacher should be able to help the pupils in what to include and what can be omitted. We could also provide a short report of an interview as a sample.]
Answer:
An interview with Umberto Eco by Mukund Padmanabhan
New Delhi, 19th May, 20…….
Umberto Eco needs no introduction. He is an academician and a novelist. He recently shot into fame with the roaring success of his novel ‘The Name of the Rose’. Last week he was in New Delhi, in connection with a seminar. I was asked by my newspaper to interview him in his hotel. I took the appointment telephonically. As I entered his room, I found him waiting for me. As the interview began I asked Eco how he could do all the things he does.

He replied that although he appeared to be doing many different things, they were all linked with each other. He said that he worked in empty spaces or interstices. He said that while waiting for me to come up to his room, he had written an article. I asked him whether he considered himself more a novelist or an academician. He replied in good humour that he is a University professor who writes novels on Sundays. Then I referred to his famous novel “The Name of the Rose’. Eco was modest to admit that he himself had not expected such a huge success for his novel. The novel has a detective story at one level. On the other, it deals with theology, metaphysics and medieval history. He admitted that his taste for narration helped him to become a novelist.

Things To Do
Interview a person whom you admire either in school or your neighborhood and record it in writing.
Answer:
For self-attempt.

HBSE 12th Class English The Interview Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions
Answer the following questions in about 20-25 words : 

Question 1.
What does the writer say about the importance of the interview? (लेखक साक्षात्कार के महत्त्व के बारे में क्या कहता है ?)
Answer:
In the first part of the lesson, the author says that the interview has acquired an important place in journalism. Over the years, several thousand celebrities have been interviewed. Many people believe that the interview is a source of truth and is an art.
(पाठ के पहले भाग में, लेखक बताता है कि साक्षात्कार ने पत्रकारिता में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है। इन सालों में, कई हजार प्रसिद्ध लोगों के साक्षात्कार लिए गए हैं। बहुत-से लोग मानते हैं कि साक्षात्कार सच्चाई का स्रोत है और एक कला है।)

Question 2.
What did Lewis Carroll, Kipling and H.GWells think about the interview? (लूईस कैरोल, किपलिंग और एच.जी. वैल्स साक्षात्कार के बारे में क्या सोचते थे ?)
Answer:
Lewis Carroll had ‘a just horror of the interviewer’ and never consented to be interviewed. Rudyard Kipling considered an interview a crime, an assault, a cowardly act and vile. Yet Kipling had interviewed Mark Twain. H.G Wells referred to the ‘interviewing ordeal’, but he was frequently interviewed. Once he himself interviewed Joseph Stalin, the Russian leader,
(लूईस कैरोल को ‘साक्षात्कार से सही भय’ लगता था और वह कभी साक्षात्कार देने के लिए राजी नहीं हुआ। रूडयार्ड किपलिंग साक्षात्कार को एक अपराध, एक हमला, एक कायरतापूर्ण कार्य और बेकार मानता था। फिर भी किपलिंग ने मार्क ट्वेन का साक्षात्कार लिया था। एच. जी. वैल्ज़ ने ‘साक्षात्कार की कठोर परीक्षा” का जिक्र किया था, मगर उसका साक्षात्कार अक्सर लिया जाता था। एक बार उसने स्वयं रूस के नेता जोसेफ स्टॉलिन, का साक्षात्कार लिया था।)

Question 3.
What do Saul Bellow and Denis Brian say about the interview? (सॉल बैलो और डेनिस ब्रायन साक्षात्कार के बारे में क्या कहते हैं ?)
Answer:
Saul Bellow, the American writer, was frequently interviewed. He once described interviews as being like thumbprints on his windpipe. Yet despite its drawbacks, the interview is a good medium of communication. According to Denis Brian, more than in any other time, our most vivid impressions of our contemporaries are through the interviews. The interviewer holds a position of power and influence.
(अमेरिकी लेखक, सॉल बैलो, का कई बार साक्षात्कार लिया गया। उसने साक्षात्कार का वर्णन सांस की नली पर किसी अंगूठे के रूप में किया था। फिर भी इन कमियों के बावजूद साक्षात्कार संचार का एक अच्छा माध्यम है। डेनिस ब्रायन के अनुसार, किसी भी अन्य समय की अपेक्षा, हमारे समकालीन लोगों के बारे में हमारे स्पष्ट विचार साक्षात्कार के द्वारा ही बने हैं। साक्षात्कार लेने वाला शक्ति और प्रभाव का स्थान रखता है।)

Question 4.
What does Eco say about his philosophical interest? [H.B.S.E. 2017 (Set-D)] (ईको अपनी दार्शनिक रुचि के बारे में क्या कहता है ?)
Answer:
The interviewer is Mukund Padmanabhan from ‘The Hindu.’ Mukund asks Eco how he is able to do so many things. Eco replies that he has some philosophical interests. He pursues these interests through his novels and his academic work. He shows these interests in his books for children which are about nonviolence and peace.
(साक्षात्कारकर्ता ‘हिन्दू’ का मुकुन्द पद्मनाभन है। मुकुन्द ईको से पूछता है कि वह किस प्रकार इतने अधिक काम कर लेता है। ईको उत्तर देता है कि उसकी कुछ दार्शनिक रुचियाँ हैं। वह इन रुचियों को अपने उपन्यासों और अपने शैक्षणिक काम के द्वारा पूरा करता है। वह अपनी बच्चों वाली किताबों में इन रुचियों को दर्शाता है जोकि अहिंसा और शान्ति के बारे में है।)

Question 5.
What does Eco say when the interviewer asks him how he can do so many things? (जब साक्षात्कारी उससे पूछता है कि वह इतने अधिक काम कैसे करता है तो ईको क्या कहता है ?)
Answer:
Eco says that we all have a lot of ’empty spaces’ in our lives. He calls them “interstices’. He gives Mukund an example. He asks him to suppose that he is coming to Eco’s place. The time during which Eco is waiting for Mukund is an interstice, or an empty space. Eco says that he works in such empty spaces. Eco tells him that he has already written an article while waiting for him.

(ईको कहता है कि हम सबके जीवन में बहुत-से ‘खाली स्थान’ होते हैं। वह इन्हें ‘अन्तराल’ कहता है। वह मुकुन्द को एक उदाहरण देता है। वह उसे कहता है कि वह कल्पना करे कि वह ईको के स्थान पर है। वह समय जिस दौरान वह ईको का इन्तज़ार कर रहा है, एक इन्टरस्टीस या एक खाली स्थान है। ईको कहता है कि वह ऐसे खाली स्थान में काम करता है। ईको उसे कहता है कि उसने उसके लिए इन्तज़ार करने के समय में पहले ही एक लेख लिख लिया है।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 7 The Interview

Question 6.
What did Lewis Carroll have a horror of ? [H.B.S.E. March, 2018, 2020 (Set-C)] (लुईस कैराल किस चीज से डरता था?)
Answer:
Lewis Carroll, the creator of ‘Alice in Wonderland, was said to have had a just horror of the interviewer. He never consented to be interviewed. It was his horror to have meetings with interviewers.
(लुईस कैराल, एलिस इन वण्डरलैंड के रचनाकार को साक्षात्कार लेने वाले से बहुत डर लगता था। वह कभी भी साक्षात्कार के लिए अनुमति प्रदान नहीं करता था। साक्षात्कार लेने वालों से मिलना उसके लिए बहुत डरावना था।)

Question 7.
How does Eco find time to write so much? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-B)] (ईको को इतना अधिक लिखने के लिए समय कैसे मिल जाता है?)
Answer:
Mukund, the interviewer, refers to David Lodge who once wondered how Eco could find time to do so many things. Umberto Eco answers quite modestly. He says that he only appears to be doing so many things. But he is always doing the same thing.
(साक्षात्कार, मुकुन्द, डेविड लॉज का जिक्र करता है जिसे एक बार हैरानी हुई थी कि ईको इतने काम करने के लिए किस प्रकार समय निकाल लेता है। अम्बरटो ईको बहुत अधिक विनम्रता से उत्तर देता है। वह कहता है कि वह केवल बहुत-से काम करते हुए प्रतीत होता है। मगर वह सदा एक ही काम करता रहता है।)

Question 8.
What is distinctive about Umberto Eco’s academic writing style? [H.B.S.E. 2020 (Set-A)] (अम्बरटो ईको की शैक्षणिक लेखन शैली के बारे में क्या विशिष्ट है?)
Answer:
Umberto Eco has written 40 scholarly works of non-fiction, but only five novels. Yet he is known more as novel writer for his non-fiction or academic work. His scholarly work has certain playful and personal quality about it. It is different from the usual and regular academic style, which tends to be depersonalized and is often dry and boring.
(अम्बरटो ईको ने नॉन-फिक्शन के 40 विद्वानों के कामों को लिखा है, लेकिन केवल पांच उपन्यास। फिर भी उन्हें अपने नॉन-फिक्शन या शैक्षणिक कार्यों के लिए उपन्यास लेखक के रूप में अधिक जाना जाता है। उनके विद्वतापूर्ण कार्य में इसके बारे में कुछ चंचल और व्यक्तिगत गुण हैं। यह सामान्य और नियमित शैक्षणिक शैली से अलग है, जो कि प्रतिरूपित किया जाता है और अक्सर सूखा और उबाऊ होता है।)

Question 9.
What did the publisher think of ‘The Name of the Rose’? [H.B.S.E. 2020 (Set-D)] (‘द नेम ऑफ द रोज़’ के बारे में प्रकाशक का क्या विचार था ?)
Answer:
Umberto Eco took his novel “The Name of the Rose” to an American publisher for publication. She said that she loved his book. But she did not expect to sell more than 3000 copies in a country where nobody has seen a cathedral or studies Latin. So the author was given an advance for 3000 copies, but in the end, it sold two or three million in the end.

(अम्बरटो ईको अपने उपन्यास ‘द नेम ऑफ द रोज़’ को प्रकाशन के लिए एक अमरीकी प्रकाशक के पास लेकर गया। उसने कहा कि वह उसकी पुस्तक को पसंद करती है। लेकिन वह ऐसे देश में जहाँ किसी ने कैथेड्रल नहीं देखा अथवा लैटिन नहीं पढ़ी है, उसे 3000 से अधिक प्रतियाँ बिकने की उम्मीद नहीं है। इसलिए मुझे 3000 प्रतियों का एडवान्स दिया गया। परन्तु अन्त में अमरीका में यह 20 से 30 लाख की संख्या तक बिकी।)

Question 10.
How did the success of Eco’s novel ‘The Name of the Rose’ go against the general opinion of public about the success of a novel?
(ईको के उपन्यास ‘दि नेम ऑफ दि रोज़’ की सफलता किसी उपन्यास की सफलता के बारे में लोगों के विचार से विपरीत कैसे गई ?)
Answer:
It is generally thought that the common people do not like serious or difficult reading experiences. But Eco’s novel ‘The Name of the Rose’ sold between ten million and 15 million copies. Yet, according to Eco, he reached only a small percentage of readers. But it is exactly this kind of readers who do not want easy reading experience. He thinks that one of the reasons for the grand success of his novel “The Name of the Rose’ may be that it deals with a period of medieval history.

(आमतौर पर यह माना जाता है कि आम लोग गम्भीर या कठिन पठन अनुभव पसन्द नहीं करते हैं। ‘द नेम ऑफ द रोज़’ की एक करोड़ से डेढ़ करोड़ तक प्रतियाँ बिकीं। फिर भी, ईको के अनुसार, वह पाठकों के केवल थोड़े अनुपात तक ही पहुँचा मगर ये, पूरी तरह से वही पाठक हैं जो आसान प्रकार का पठन अनुभव नहीं चाहते। वह सोचता है कि क्या उसके उपन्यास “द नेम ऑफ द रोज़” की सफलता इस बात के कारण है कि यह मध्यकालीन इतिहास के एक भाग के बारे में है।)

Question 11.
What does Umberto Eco say about the success of his book? (अम्बरटो ईको अपनी पुस्तक की सफलता के बारे में क्या कहता है ?)
Answer:
Umberto Eco says that before his book appeared, a number of books had been written about the medieval past. He says that the success of a book is always a mystery. No one can predict it. He says that if he had written his novel ten years earlier or ten years later, it would not have been the same. Why his novel succeeded at that time is a mystery.

(अम्बरटो ईको कहता है कि उसकी पुस्तक छपने से पहले, मध्यकालीन अतीत के बारे में कई पुस्तकें छप चुकी थीं। वह कहता है कि किसी पुस्तक की सफलता सदा एक रहस्य होती है। कोई इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकता। वह कहता है कि अगर उसने अपना उपन्यास दस साल पहले या दस साल बाद, लिखा होता तो इसकी सफलता ऐसी नहीं होती। इस समय उसका उपन्यास क्यों सफल हो गया एक रहस्य है।)

Question 12.
What is ‘The Name of the Rose’ about? (‘द नेम ऑफ द रोज़’ का क्या विषय है?)
Answer:
The Name of the Rose’ is a famous novel by Umberto Eco. This is a serious kind of novel. It is a detective story at one level. But it is deep study into metaphysics, theology and medieval history.

(‘द नेम ऑफ द रोज़’ अम्बरटो ईको का एक प्रसिद्ध उपन्यास है। यह गम्भीर किस्म का उपन्यास है। यह एक प्रकार की जासूसी कहानी है। लेकिन यह आलौकिकता, धर्मशास्त्र और मध्ययुगीन इतिहास का एक गहन अध्ययन भी है।)

Question 13.
What did Umberto Eco do after dinner? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-D)] (रात्रिभोज के बाद अम्बरटो ईको क्या करता था?)
Answer:
Umberto Eco would watch television after dinner. At 9 p.m. he wanted to watch either ‘Miami Vice’ or ‘Emergency Room’. He enjoyed it and he actually needed it. But he did not watch television all day. (रात्रिभोज के बाद अम्बरटो ईको टी०वी० देखता था। रात्रि 9 बजे वह या तो ‘मियामी वाइस’ या ‘इमरजैंसी रूम’, देखता था। वह इसे देखना पसन्द करता था और उसे इसकी आवश्यकता भी थी। लेकिन वह सारा दिन टेलीविजन नहीं देखता था।)

Long Answer Type Questions
Answer the following questions in about 80 words

Question 1.
What are the different views about the interview as a form of communication? (संचार के माध्यम के रूप में साक्षात्कार के बारे में अलग-अलग विचार क्या हैं ?)
Or
How have different writers and celebrities reacted to the concept of ‘interview’ ? (भिन्न-भिन्न लेखकों और प्रसिद्ध हस्तियों ने साक्षात्कार के बारे में क्या प्रतिक्रियाएँ दी हैं?)
Answer:
The author says that the interview has acquired an important place in journalism. Many people believe that the interview is a source of truth and is an art. But a number of celebrities hate being interviewed. They think that it is an unwarranted intrusion in their lives. They feel that the interview makes them feel small. V.S.Naipaul believes that during an interview people lose a part of themselves. Lewis Carroll had ‘a just horror of the interviewer’ and never consented to be interviewed. Rudyard Kipling considered an interview a crime, an assault, a cowardly act and vile.

Yet Kipling had interviewed Mark Twain. H.G. Wells referred to the ‘interviewing ordeal’, but he was frequently interviewed. Once he himself interviewed Joseph Stalin, the Russian leader. Saul Bellow, the American writer, was frequently interviewed. He once described interviews as being like thumbprints on his windpipe. Yet despite its drawbacks, the interview is a good medium of communication. According to Denis Brian, more than in any other time, our most vivid impressions of our contemporaries are through the interviews. The interviewer holds a position of power and influence.

(लेखक कहता है कि साक्षात्कार ने पत्रकारिता में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। बहुत-से लोग मानते हैं कि साक्षात्कार सच्चाई का स्रोत है और एक कला है। मगर बहुत-से प्रसिद्ध लोग साक्षात्कार लिए जाने से नफरत करते हैं। वे सोचते हैं कि यह उनके जीवन में बेकार का दखल है। वे महसूस करते हैं कि साक्षात्कार उन्हें छोटा महसूस करवाता है। वी. एस. नाइपाल का विश्वास है कि साक्षात्कार के दौरान व्यक्ति अपने अस्तित्व का कुछ भाग खो देता है। लूईस कैराल को ‘साक्षात्कार से सही भय’ लगता था और वह कभी साक्षात्कार देने के लिए राज़ी नहीं हुआ। रूडयार्ड किपलिंग साक्षात्कार को एक अपराध, एक हमला, एक कायरतापूर्ण काम और बेकार मानता था।

फिर भी किपलिंग ने मार्क ट्वेन का साक्षात्कार लिया था। एच. जी. वैल्ज़ ने ‘साक्षात्कार की कठोर परीक्षा’ का जिक्र किया था, मगर उसका साक्षात्कार अक्सर लिया जाता था। एक बार उसने स्वयं रूस के नेता जोसेफ स्टॉलिन का साक्षात्कार लिया था। अमेरिकी लेखक, सॉल बैलो, का कई बार साक्षात्कार लिया गया। उसने साक्षात्कार का वर्णन सांस की नली पर किसी अंगूठे के रूप में किया था। फिर भी इन कमियों के बावजूद, साक्षात्कार संचार का एक अच्छा माध्यम है। डैनिस ब्रायन के अनुसार, किसी भी अन्य समय की अपेक्षा, हमारे समकालीन लोगों के बारे में हमारे स्पष्ट विचार साक्षात्कार के द्वारा ही बने हैं। साक्षात्कार लेने वाला शक्ति और प्रभाव का स्थान रखता है।)

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Question 2.
What does Umberto Eco say when the interviewer wonders how he can do so many things? (जब साक्षात्कारी को इस बात की हैरानी होती है कि अम्बरटो ईको इतने काम कैसे कर लेता है तो वह क्या कहता है ?)
Answer:
The second part of the lesson is an extract from the interview of Umberto Eco. The interviewer is Mukund Padmanabhan from ‘The Hindu.’ Mukund asks Eco how he is able to do so many things. Eco replies modestly that he only appears to be doing so many things. But he is always doing the same thing. He says that he has some philosophical interests. He pursues these interests through his novels and his academic work. He shows these interests in his books for children which are about non-violence and peace. Then Eco tells the interviewer his secret.

He says that we all have a lot of empty spaces in our lives. He calls such spaces ‘interstices’. If these empty spaces are eliminated, the world will shrink. The universe will then be only as big as our fist. He gives Mukund an example. He asks him to suppose that he is coming to Eco’s place. The time during which Eco is waiting for Mukund is an interstice or an empty space. Eco says that he works in such empty spaces. Eco tells him that he has already written an article while waiting for him.

(पाठ का दूसरा भाग अम्बरटो ईको के साक्षात्कार का अंश है। साक्षात्कार लेने वाला ‘हिन्दू’ का मुकुन्द पदमनाभन है। मुकुन्द ईको से पूछता है कि वह किस प्रकार इतने अधिक काम कर लेता है। ईको विनम्रता से उत्तर देता है कि वह केवल काम करता हुआ नज़र आता है। मगर वह सदा एक ही काम करता रहता है। वह कहता है कि उसकी कुछ दार्शनिक रुचियाँ हैं। वह इन रुचियों को दर्शाता है जोकि अहिंसा और शान्ति के बारे हैं। तब ईको साक्षात्कार लेने वाले को अपने रहस्य के बारे में बताता है। वह कहता है कि हम सबके जीवन में बहुत-से ‘खाली स्थान’ होते हैं। वह इन्हें ‘अन्तराल’ कहता है।

अगर ये खाली स्थान हटा दिए जाएँ, तो संसार सिकुड़ जाएगा। तब ब्रह्माण्ड हमारी मुट्ठी के बराबर हो जाएगा। वह मुकुन्द को एक उदाहरण देता है। वह उसे कहता है कि वह कल्पना करे कि वह ईको के स्थान पर है। वह समय जिसके दौरान वह ईको का इन्तज़ार कर रहा है, एक इन्टरस्टीस या खाली स्थान है। ईको कहता है कि वह ऐसे खाली स्थान में काम करता है। ईको उसे कहता है कि उसने उसके लिए इन्तज़ार करने के समय में पहले ही एक लेख लिख लिया है।)

Question 3.
What do we know about the style of Umberto Eco’s writing, from this interview? (इस साक्षात्कार से हमें अम्बरटो ईको के लेखन के स्टाइल के बारे में क्या पता चलता है ?)
Answer:
The interviewer asks Umberto Eco why the style of his scholarly work and his non-fictional writing has a personal and peculiar quality to it. In reply, Eco recalls the time when he submitted his first doctoral dissertation in Italy. Then one of his professors had commented that scholars learn a lot of a certain subject. Then they make a lot of hypotheses and correct them, and at the end, they put the conclusions. On the contrary, Eco had told the story of his research, including even his trials and errors.

At the same time, however, the professor had recognized that Eco was right. Eco told the interviewer that at that time, at the age of twenty-two, he had understood that scholarly books should be written by telling the story of the research. That is why Eco’s essays always have a narrative aspect. He has written 40 scholarly works of non-fiction, but only five novels. He started writing novels at the age of fifty. He says that novels satisfy his taste for narration. Then the interviewer, asks him if it bothers him when most people recognize him as a novelist only. Eco says that it does not bother him because he considers himself a university professor who writes novels on Sundays.

(साक्षात्कारकर्ता अम्बरटो ईको से उसके बारे में पूछता है कि उसका विद्वत्तापूर्ण काम और उसके गैर-उपन्यासिक काम में एक खास गुण क्यों है। इसके उत्तर में, ईको वह समय याद करता है जब उसने इटली में अपना पहला डॉक्ट्रेट का शोधग्रन्थ दिया था। तब उसके एक प्रोफेसर ने टिप्पणी की थी कि विद्वान लोग किसी विषय के बारे में बहुत कुछ सीखते हैं। फिर वे बहुत-से अनुमान लगाते हैं और उन्हें सही करते हैं, और अन्त में, वे अपने निष्कर्ष बताते हैं। इसके विपरीत, ईको ने अपने शोध की कहानी बताई थी, जिसमें उसके प्रयत्न और गलतियाँ भी शामिल थे।

इसके साथ ही, लेकिन, प्रोफेसर ने यह बात पहचानी थी कि उस समय वह सही था। ईको ने साक्षात्कारकर्ता को बताया कि उस समय वह बाईस साल का था, उसने समझ लिया था कि विद्वत्तापूर्ण किताबें अपने शोध की कहानी बताकर लिखी जानी चाहिए। इसलिए ईको के लेख का रूप सदा वर्णनात्मक होता है।

उसने चालीस विद्वत्तापूर्ण गैर-उपन्यासिक कृतियाँ लिखी हैं, और केवल पाँच उपन्यास लिखे हैं। उसने उपन्यास पचास साल की उम्र में लिखने आरम्भ किए थे। वह कहता है कि उपन्यास ही उसके वर्णन की रुचि को सन्तुष्ट करते हैं। साक्षात्कार मुकुन्द उससे पूछता है कि क्या उसे इस बात से परेशानी होती है, जब लोग उसे केवल एक उपन्यासकार के रूप में ही पहचानते हैं। ईको कहता है कि उसे इस बात से कोई परेशानी नहीं होती क्योंकि वह खुद को एक विश्वविद्यालय का प्रोफेसर मानता है जो रविवार को उपन्यास लिखता है।)

Question 4.
What does this interview tell us about Umberto Eco’s novel ‘The Name of the Rose’? (यह साक्षात्कार हमें अम्बरटो इको के उपन्यास ‘दि नेम ऑफ दि रोज़’ के बारे में क्या बताता है ?)
Answer:
The interview talks about Eco’s famous ‘The Name of the Rose’. It is a very serious novel. It is a detective story at one level, but it is also a deep study into metaphysics, theology and medieval history. Yet it turned out to be a huge success. Mukund asks Eco if he was puzzled by its unexpected success. Eco says that he was not puzzled, but the journalists and publishers were puzzled. It is generally thought that the common people do not like serious or difficult reading experiences. Yet, according to Eco, he reached only a small percentage of readers. But it is exactly this kind of readers who do not want easy reading experiences. They like the poor quality. ‘The Name of the Rose’ sold between ten million and 15 million copies.

Mukund wants to know if the grand success of his novel ‘The Name of the Rose’ is due to the fact that it deals with a period of medieval history. Eco says that he often tells stories like a Chinese wise man. He says that before his book appeared, a number of books had been written about the medieval past. He thinks that the success of a book is always a mystery. No one can predict it. He says that if he had written his novel ten years earlier or ten years later, it would not have been the same. Why his novel succeeded at that time is a mystery.

(साक्षात्कार ईको के प्रसिद्ध उपन्यास “द नेम ऑफ द रोज़” के बारे में बात करता है। यह बहुत गम्भीर उपन्यास है। यह एक स्तर पर जासूसी कहानी है, मगर यह आलौकिकता, धर्मविज्ञान और मध्ययुगीन इतिहास का एक गहन अध्ययन भी है। फिर भी यह बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गया। मुकुन्द ईको से पूछता है कि क्या इसकी अप्रत्याशित सफलता से हैरान हो गया था। ईको कहता है कि वह हैरान नहीं हो गया था, मगर पत्रकार और प्रकाशक हैरान हो गए थे। आमतौर पर यह माना जाता है कि आम लोग गम्भीर या कठिन पठन अनुभव पसन्द नहीं करते हैं। वे घटिया किस्म पसंद करते हैं। ‘द नेम ऑफ द रोज़’ की एक करोड़ से डेढ़ करोड़ तक प्रतियाँ बिकीं।

फिर भी, ईको के अनुसार, वह पाठकों के केवल थोड़े अनुपात तक ही पहुँचा मगर ये, पूरी तरह से वही पाठक हैं जो आसान प्रकार का पठन अनुभव नहीं चाहते। मुकुन्द जानना चाहता है कि क्या उसके उपन्यास ‘द नेम ऑफ द रोज़’ की सफलता इस बात के कारण है कि यह मध्यकालीन इतिहास के एक भाग के बारे में है। ईको कहता है कि वह प्रायः एक चीनी बुद्धिमान व्यक्ति की तरह कहानियाँ बताता है। वह कहता है कि उसकी पुस्तक छपने से पहले, मध्यकालीन अतीत के बारे में कई पुस्तकें छप चुकी थीं। वह कहता है कि किसी पुस्तक की सफलता सदा एक रहस्य होती है। कोई इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकता। वह कहता है कि अगर उसने अपना उपन्यास दस साल पहले या दस साल बाद, लिखा होता तो इसकी सफलता ऐसी नहीं होती। उस समय उसका उपन्यास क्यों सफल हो गया एक रहस्य है।)

The Interview MCQ Questions with Answers

1. Who is the writer of the lesson ‘The Interview’?
(A)Christopher Silvester
(B) Christopher Sylvester
(C) Umberto Eco
(D) Umberto Uco
Answer:
(A) Christopher Silvester

2. What has acquired an important place in journalism, according to the author?
(A) the short story
(B) the essay
(C) the interview
(D) the report
Answer:
(C) the interview

3. What do many people believe about the interview?
(A) It is a wastage of time
(B) it is false
(C) it is a bad thing
(D) it is a source of truth and is an art
Answer:
(D) it is a source of truth and is an art.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 7 The Interview

4. Why do many celebrities hate the interview?
(A) it is a time waster
(B) it is an intrusion in their life
(C) they fear the questions asked by journalists
(D) they hate journalists
Answer:
(B) it is an intrusion in their life

5. What does V.S.Naipaul believe about an interview?
(A) it exposes the person concerned
(B) it is bad form of journalism
(C) in .it the person loses a part of himself
(D) interviews should be banned
Answer:
(C) in it the person loses a part of himself

6. What did Rudyard Kipling think an interview to be?
(A) a crime
(B) an assault
(C) a cowardly act
(D) all these three
Answer:
(D) all these three

7. Which leader did H.G Wells interview?
(A) Joseph Stalin
(B) Hitler
(C) Gandhi
(D) George Bush
Answer:
(A) Joseph Stalin

8. Who interviewed of Umberto Eco?
(A) Saul Bellow
(B) H.G.Wells
(C) Mark Twain
(D) Mukund Padmanabhan
Answer:
(D) Mukund Padmanabhan

9. What kind of interests does Umberto Eco have?
(A) literary
(B) philosophical
(C) political
(D) filmi
Answer:
(B) philosophical

10. How does Umberto Eco pursue his philosophical interests?
(A) through his novels
(B) through chess
(C) through politics
(D) through films
Answer:
(A) through his novels

11. Umberto Eco says that we all have empty spaces in our lives. What name does he give to these spaces?
(A) intervals
(B) intermissions
(C) interstices
(D) interactions
Answer:
(C) interstices.

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12. What is the quality of Umberto Eco’s non-fictional writing?
(A) bad and disagreeable
(B) impersonal and bad
(C) harmful
(D) personal and peculiar
Answer:
(D) personal and peculiar

13. What aspect of Umberto Eco’s essays does the author talk about?
(A) prose aspect
(B) narrative aspect
(C) poetry aspect
(D) play aspect
Answer:
(B) narrative aspect

14. How many non-fiction books has Umberto Eco written?
(A) 70
(B) 60
(C) 50
(D) 40
Answer:
(D) 40

15. How many novels has Umberto Eco written?
(A) five
(B) six
(C) seven
(D) eight
Answer:
(A) five

16. When does Umberto Eco writes novels?
(A) during holidays
(B) on Sundays
(C) on Tuesdays
(D) on Mondays
Answer:
(B) on Sundays

17. What is the name of Umberto Eco’s famous book?
(A) The Fame of the Nose
(B) The Frame of the Nose
(C) The Name of the Rose
(D) The Shame of Saroj
Answer:
(C) The Name of the Rose

18. What does Umberto Eco’s book “The Name of the Rose’ deal with?
(A) Metaphysics
(B) Theology
(C) Medieval History
(D) all these three
Answer:
(D) all these three

19. Who were puzzled by the success of the book “The Name of the Rose’?
(A) Umberto Eco
(B) the leaders
(C) journalists and publishers
(D) teaches
Answer:
(C) journalists and publishers.

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20. How should scholarly books be written, according to Umberto Eco?
(A) by telling the story of the research
(B) by keeping suspense
(C) by avoiding suspense
(D) in a grand style
Answer:
(A) by telling the story of the research.

The Interview Important Passages for Comprehension

Seen Comprehension Passages
Read the following passages and answer the questions given below:

Type (i)
Passage 1
Since its invention a little over 130 years ago, the interview has become commonplace of journalism. Today, almost everybody who is literate will have read an interview at some point in their lives, while from the other point of view, several thousand celebrities have been interviewed over the years, some of them repeatedly. So it is hardly surprising that opinions of the interview-of its functions, methods, and merits – vary considerably. Some might make quite extravagant claims for it as being, in its highest form, a source of truth, and in its practice, an art. Others, usually celebrities who see themselves as its victims, might despise the interview as an unwarranted intrusion into their lives, or feel that it somehow diminishes them, just as in some primitive cultures it is believed that if one takes a photographic portrait of somebody then one is stealing that person’s soul.

Word-Meanings :
Invention = discovery (आविष्कार);
celebrities = famous people (प्रसिद्ध लोग);
unwarranted = unwanted (अवांछनीय);
intrusion = interference (घुसपैठ);
diminish = reduce (कम करना)।

Questions :
(i) To which field is the interview related?
(A) Judiciary
(B) Fiction
(C) Journalism
(D) Publicity
Answer:
(C) Journalism

(ii) When was the interview, as a genre, invented?
(A) In antiquity
(B) About 130 years ago
(C) In the 21st century
(D) Merely 50 years ago
Answer:
(B) About 130 years ago

(iii) Which sort of interview is being talked about?
(A) Printed in Newspapers/magazines
(B) Video-taped
(C) Broadcast on radio
(D) Audio-taped
Answer:
(A) Printed in Newspapers/magazines

(iv) How are the opinions of the celebrities interviewed?
(A) Similar in nutshell
(B) With little variance
(C) Quite different
(D) Quite bitter
Answer:
(C) Quite different.

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(v) In what respect do the opinions about the interview vary?
(A) Functions
(B) Methods
(C) Merits
(D) all of the above
Answer:
(D) all of the above

Passage 2
Some might make quite extravagant claims for it as being, in its highest form, a source of truth, and, in its practice, an art. Others, usually celebrities who see themselves as its victims, might despise the interview as an unwarranted intrusion into their lives, or feel that it somehow diminishes them, just as in some primitive cultures it is believed that if one takes a photographic portrait of somebody then one is stealing that person’s soul.

V. S. Naipaul ‘feels that some people are wounded by interviews and lose a part of themselves.’ Lewis Caroll, the creator of Alice in Wonderland, was said to have had a ‘just horror of the interviewer’ and he never consented to be interviewed.

Word-meanings :
Extravagant = profuse (बहुत अधिक);
despise=hate (नफरत करना);
intrusion = intervention (दखल);
consented = agreed (राजी हो गया)।

Questions :
(i) How is interview praised?
(A) As a source of truth
(B) In practice, an art
(C) both (A) and (B)
(D) none of the above
Answer:
(C) both (A) and (B)

(ii) Who see themselves as the victims of interview?
(A) Journalists
(B) Interviewers
(C) Publishers
(D) Celebrities
Answer:
(D) Celebrities

(iii) How is interview despised?
(A) As an attempt to expose their secrets
(B) As an intrusion into their lives
(C) As an attempt to define and limit them
(D) As an exercise to explore their curious habits
Answer:
(B) As an intrusion into their lives

(iv) How did some primitive cultures react to being photographed?
(A) they despise it
(B) they like it
(C) they love it
(D) they praise it
Answer:
(A) they despise it

(v) Why do some people dislike being interviewed?
(A) they are wounded by interviews
(B) they lose a part of themselves
(C) both (A) and (B)
(D) neither (A) nor (B)
Answer:
(C) both (A) and (B)

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Passage 3
Aah, now that is more difficult to explain. I have some philosophical interests and I pursue them through my academic work and my novels. Even my books for children are about non-violence and peace…you see, the same bunch of ethical, philosophical interests. And then I have a secret. Did you know what will happen if you eliminate the empty spaces from the universe, eliminate the empty spaces in all the atoms? The universe will become as big as my fist. Similarly, we have a lot of empty spaces in our lives.

I call them interstices. Say you are coming over to my place. You are in an elevator and while you are coming up, I am waiting for you. This is an interstice, an empty space. I work in empty spaces. While waiting for your elevator to come up from the first to the third floor, I have already written an article!
Word-meanings :
Ethical = moral (नैतिक);
elevator = lift (लिफ्ट)।

Questions :
(i) Who is “I” in the above lines?
(A) Mukund Padmanabhan
(B) Asokamitran
(C) Christopher Silvester
(D) Umberto Eco
Answer:
(D) Umberto Eco

(ii) What do the speaker’s academic work and novels reveal?
(A) his obligation to society
(B) his aesthetic sense
(C) his philosophical interests
(D) his commitment to religion
Answer:
(C) his philosophical interests

(iii) What are his books for children about?
(A) fun and games
(B) non-violence and peace
(C) bedtime stories
(D) growing up properly
Answer:
(B) non-violence and peace

(iv) What are “interstices”?
(A) empty spaces
(B) interactions
(C) crowded spaces
(D) intersections
Answer:
(A) empty spaces

(v) What secret does the speaker reveal?
(A) he works till midnight
(B) he writes in the early morning
(C) he writes only during holidays
(D) he works in empty spaces
Answer:
(D) he works in empty spaces

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Passage 4
When I presented my first Doctoral dissertation in Italy, one of the Professors said, “Scholars learn a lot of a certain subject, then they make a lot of false hypotheses, then they correct them, and at the end, they put the conclusions. You, on the contrary, told the story of your research. Even including your trials and errors.” At the same time, he recognized I was right and went on to publish my dissertation as a book, which meant he appreciated it. [H.B.S.E. 2017 (Set-D)]

Word-meanings :
Hypotheses = supposition (कल्पना);
trial = attempt (प्रयत्न) ।

Questions :
(i) Where did the speaker present his first Doctoral dissertation?
(A) Germany
(B) Italy
(C) India
(D) England
Answer:
(B) Italy

(ii) Whose academic work is doing discussed?
(A) Umberto Eco’s
(B) Mukund Padmanabhan’s
(C) Both (A) and (B)
(D) Neither (A) nor (B)
Answer:
(A) Umberto Eco’s

(iii) Which of the following is true about scholars?
(A) Learn a lot of a certain subject
(B) Make a lot of false hypotheses
(C) Correct the false hypotheses
(D) all of the above
Answer:
(D) all of the above

(iv) “You one the contrary told the story of your research.” Who does ‘you refer to?
(A) The Professor
(B) Mukund
(C) Umberto Eco
(D) Christopher Silvester
Answer:
(C) Umberto Eco

(v) Who is the interviewer of this passage?
(A) Louis Fischer
(B) Asokamitran
(C) Christopher Silvester
(D) Mukund Padmanabhan
Answer:
(D) Mukund Padmanabhan.

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Type (ii)
Passage 5
I remember that my dear friend Roland Barthes was always frustrated that he was an essayist and not a novelist. He wanted to do creative writing one day or another but he died before he could do so. I never felt this kind of frustration. I started writing novels by accident, I had nothing to do one day and so I started. Novels probably satisfied my taste for narration.

Word-meanings :
Frustrated = disappointed (निराश);
probably = perhaps (शायद) ।

Questions :
(i) Name the chapter and the author.
(ii) Who is the speaker of these lines?
(iii) Who was Roland Barther?
(iv) How did Roland Barther feel always?
(v) How did the speaker start writing novels?
Answers:
(i) Chapter: The Interview.
Author: Christopher Silvester.
(ii) Umberto Eco is the speaker of these lines.
(iii) Roland Barther was an essayist.
(iv) He always felt frustrated.
(v) The speaker started writing novels by accident.

Passage 6
That’s possible. But let me tell you another story because I often tell stories like a Chinese wise man. My American publisher said while she loved my book, she didn’t expect to sell more than 3,000 copies in a country where nobody has seen a cathedral or studies Latin. So I was given an advance for 3,000 copies, but in the end it sold two or three million in the U.S.

A lot of books have been written about the medieval past far before mine. I think the success of the; book is a mystery. Nobody can predict it, I think if; I had written The Name of the Rose ten years earlier or ten years later, it wouldn’t have been the Why it worked at that time is a mystery.

Word-meanings :
Medieval = of middle ages (मध्यकालीन);
mystery =secret(रहस्य)।

Questions :
(i) Who is the speaker of the given passage?
(ii) What did the American Publisher think of the speaker’s novel?
(iii) According to the speaker, what is the success of the book?
(iv) Who can predict the success to a book?
(v) Name the writer of the book “The Name of the Rose’.
Answers:
(i) Umberto Eco is the speaker of the given passage.
(ii) The American Publisher thought that only 3000 copies could be sold of the speaker’s novel.
(iii) According to the speaker, the success of a book is a mystery.
(iv) Nobody can predict the success of a book.
(v) Umberto Eco.

The Interview Summary in English and Hindi

The Interview Introduction to the Chapter

This lesson has been taken from ‘The Penguin Book of Interviews. The first part of the lesson is an excerpt from Christopher Silvester’s introduction to this book. Here Silvester tells us the importance of the interview in journalism. People have diverse views about the interview. Most of the journalists think that we can get vivid impressions about contemporary celebrities through the interview. But some celebrities think that the interview is an intrusion into their lives. The second part of the lesson is an excerpt from an interview of Umberto Eco. The interviewer is Mukund Padmanabhan from the ‘Hindu’. Eco is a famous Italian writer. His novel “The Name of the Rose’ is world famous. He tells the interviewer that he is an academic first and a novelist afterwards.

(यह पाठ ‘पेंग्विन बुक ऑफ इन्टरव्यूज़’ पुस्तक से लिया गया है। पाठ का पहला भाग क्रिस्टोफर सिल्वेस्टर के इस पुस्तक के परिचय से लिया गया है। यहाँ सिल्वेस्टर हमें पत्रकारिता में साक्षात्कार के महत्त्व के बारे में बताता है। साक्षात्कार के बारे में लोगों के अलग-अलग विचार हैं। कुछ पत्रकार सोचते हैं कि हम साक्षात्कार के द्वारा समकालीन प्रसिद्ध व्यक्तियों के स्पष्ट विचार ले सकते हैं। मगर कुछ प्रसिद्ध लोग सोचते हैं कि साक्षात्कार उनके निजी जीवन में अतिक्रमण है। पाठ का दूसरा भाग अम्बरटो ईको के साक्षात्कार का अंश है। साक्षात्कारकर्ता ‘हिन्दू’ का मुकुन्द पद्मनाभन है। ईको इटली का एक प्रसिद्ध लेखक है। उसका उपन्यास ‘द नेम ऑफ द रोज़’ विश्व प्रसिद्ध है। वह साक्षात्कारकर्ता को बताता है कि वह विद्वान पहले और उपन्यासकार बाद में है।)

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The Interview Summary

In the first part of the lesson, the author says that the interview has acquired an important place in journalism. Over the years, several thousand celebrities have been interviewed. Many people believe that the interview is a source of truth and is an art. But a number of celebrities hate being interviewed. They think that it is an unwarranted intrusion in their lives. They feel that the interview makes them feel small. V.S.Naipaul believes that during an interview people lose a part of themselves.

Lewis Carroll had a just horror of the interviewer’ and never consented to be interviewed. Rudyard Kipling considered an interview a crime, an assault, a cowardly act and vile. Yet Kipling had interviewed Mark Twain. H.G.Wells referred to the ‘interviewing ordeal, but he was frequently interviewed.

Once he himself interviewed Joseph Stalin, the Russian leader. Saul Bellow, the American writer, was frequently interviewed. He once described interviews as being like thumbprints on his windpipe. Yet despite its drawbacks, the interview a good medium of communication. According to Denis Brian, more than in any other time, our most vivid impressions of our contemporaries are through the interviews. The interviewer holds a position of power and influence.

The second part of the lesson is an extract from the interview of Umberto Eco. The interviewer is Mukund Padmanabhan from ‘The Hindu’. Mukund asks Eco how he is able to do so many things. Eco replies that he has some philosophical interests. He pursues these interest through his novels and his academic work. He shows these interests in his books for children which are about non-violence and peace.

Then Eco tells the interviewer his secret. He says that we all have a lot of ’empty spaces’ in our lives. He calls them ‘interstices’. He gives Mukund an example. He asks him to suppose that he is coming to Eco’s place. The time during which Eco is waiting for Mukund is an interstice, or an empty space. Eco says that he works in such empty spaces. Eco tells him that he has already written an article while waiting for him.

The interviewer asks Umberto Eco why the style of his scholarly work and his non-fictional writing has a personal and peculiar quality to it. In reply, Eco recalls the time when he submitted his first doctoral dissertation in Italy.

Then one of his professors had commented that scholars learn a lot of a certain subject. Then they make a lot of hypotheses and correct them, and at the end, they put the conclusions. On the contrary, Eco had told the story of his research, including even his trials and errors. At the same time, however, the professor had recognized that Eco was right.

Eco published his dissertation in a book form. Eco told the interviewer that at that time, at the age of twenty-two, he had understood that scholarly books should be written by telling the story of the research. That is why Eco’s essays always have a narrative aspect. He has written 40 scholarly works of non-fiction, but only five novels.

He started writing novels at the age of fifty. He says that only novels satisfy his taste for narration. Mukund, the interviewer, asks him if it bothers him when most people recognise him as a novelist only. Eco says that it does not bother him because he considers himself a university professor who writes novels on Sundays.

Then Mukund talks about Eco’s famous ‘The Name of the Rose’. It is a very serious novel. It is a detective story at one level, but it is also a deep study into metaphysics, theology and medieval history. Yet it turned out to be a huge success. Mukund asks Eco if he was puzzled by its unexpected success. Eco says that he was not puzzled, but the journalists and publishers were puzzled. It is generally thought that the common people do not like serious or difficult reading experience. They like the poor quality. “The Name of the Rose’ sold between ten million and 15 million copies.

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Yet, according to Eco, he reached only a small percentage of readers. But it is exactly this kind of readers who do not want easy reading experiences. Mukund wants to know if the grand success of his novel “The Name of the Rose’ is due to the fact that it deals with a period of medieval history. Eco says that he often tells stories like a Chinese wise man.

He says that before his book appeared, a number of books had been written about the medieval past. He thinks that the success of a book is always a mystery. No one can predict it. He says that if he had written his novel ten years earlier or ten years later, it would not have been the same. Why his novel succeeded at that time is a mystery.

(पाठ के पहले भाग में, लेखक बताता है कि साक्षात्कार ने पत्रकारिता में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया है। इन सालों में, कई हजार प्रसिद्ध लोगों के साक्षात्कार लिए गए हैं। बहुत-से लोग मानते हैं कि साक्षात्कार सच्चाई का स्रोत है और एक कला है। मगर बहुत-से प्रसिद्ध लोग साक्षात्कार लिए जाने से नफरत करते हैं। वे सोचते हैं कि यह उनके जीवन में बेकार का दखल है। वे महसूस करते हैं कि साक्षात्कार उन्हें छोटा महसूस करवाता है। वी. एस. नाइपाल का विश्वास है कि साक्षात्कार के दौरान व्यक्ति अपने अस्तित्व का कुछ भाग खो देता है।

लुईस कैराल को, ‘साक्षात्कार से सही भय’ लगता था और वह कभी साक्षात्कार देने के लिए राजी नहीं हुआ। रूडयार्ड किपलिंग साक्षात्कार को एक अपराध, एक हमला, एक कायरतापूर्ण कार्य और बेकार मानता था। फिर भी किपलिंग ने मार्क ट्वेन का साक्षात्कार लिया था। एच. जी. वैल्ज़ ने ‘साक्षात्कार की कठोर परीक्षा’ का जिक्र किया था, मगर उसका साक्षात्कार अक्सर लिया जाता था।

एक बार उसने स्वयं रूस के नेता, जोसेफ स्टॉलिन का साक्षात्कार लिया था। अमेरिकी लेखक सॉल बैलो का, कई बार साक्षात्कार लिया गया। उसने साक्षात्कार का वर्णन सांस की नली पर किसी अंगूठे के रूप में किया था। फिर भी इन कमियों के बावजूद, साक्षात्कार संचार का एक अच्छा माध्यम है। डैनिस बरियान के अनुसार, किसी भी अन्य समय की अपेक्षा, हमारे समकालीन लोगों के बारे में हमारे स्पष्ट विचार साक्षात्कार के द्वारा ही बने हैं। साक्षात्कार लेने वाला शक्ति और प्रभाव का स्थान रखता है।

पाठ का दूसरा भाग अम्बरटो ईको के साक्षात्कार का एक अंश है। साक्षात्कार लेने वाला ‘हिन्दू’ का मुकुन्द पद्मनाभन है। मुकुन्द ईको से पूछता है कि वह किस प्रकार इतने अधिक काम कर लेता है। ईको उत्तर देता है कि उसकी कुछ दार्शनिक रुचियाँ हैं वह इन रुचियों को अपने उपन्यासों और अपने शैक्षणिक काम के द्वारा पूरा करता है। वह अपनी बच्चों वाली किताबों में इन रुचियों को दर्शाता है जोकि अहिंसा और शान्ति के बारे में है। तब ईको साक्षात्कार लेने वाले को अपने रहस्य के बारे में बताता है। वह कहता है कि हम सब के जीवन में बहुत-से ‘खाली स्थान’ होते हैं। वह इन्हें ‘अंतराल’ कहता है। वह मुकुन्द को एक उदाहरण देता है। वह उसे कहता है कि वह कल्पना करे कि वह ईको के स्थान पर है।

वह समय जिसके दौरान वह ईको का इन्तज़ार कर रहा है एक इन्टरस्टीस या एक खाली स्थान है। ईको कहता है कि वह ऐसे खाली स्थान में काम करता है। ईको उसे कहता है कि उसने उसके लिए इन्तज़ार करने के समय में पहले ही एक लेख लिख लिया है। साक्षात्कार लेने वाला अम्बरटो ईको से उसके बारे में पूछता है कि उसका विद्वत्तापूर्ण काम और उसके गैर-उपन्यासिक काम में एक खास गुण क्यों है। इसके उत्तर में, ईको वह समय याद करता है जब उसने इटली में अपनी पहली डॉक्ट्रेट का शोधग्रन्थ दिया था। तब उसके एक प्रोफेसर ने टिप्पणी की थी कि विद्वान लोग किसी विषय के बारे में बहुत कुछ सीखते हैं।

फिर वे बहुत से अनुमान लगाते हैं और उन्हें सही करते हैं और अन्त में वे अपने निष्कर्ष बताते हैं, इसके विपरीत ईको ने अपने शोध की कहानी बताई थी, जिसमें उसके प्रयत्न और गलतियाँ भी शामिल थीं। इसके साथ ही, लेकिन, प्रोफेसर ने यह बात पहचानी थी कि उस समय वह बाईस साल का था। उसने समझ लिया था कि विद्वत्तापूर्ण किताबें अपने शोध की कहानी बताकर लिखी जानी चाहिए। इसलिए ईको के लेख का रूप सदा वर्णनात्मक होता है। उसने चालीस विद्वत्तापूर्ण गैर-उपन्यासिक कृतियाँ लिखी हैं और केवल पाँच उपन्यास लिखे हैं। उसने उपन्यास पचास साल की उम्र में लिखने आरम्भ किए थे। वह कहता है कि केवल ईको सही था।

ईको ने अपने शोधग्रन्थ को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवाया था। ईको ने साक्षात्कार लेने वाले को बताया कि उपन्यास ही उसके वर्णन की रुचि को सन्तुष्ट करते हैं। मुकुन्द साक्षात्कारकर्ता उससे पूछता है कि क्या उसे इस बात से परेशानी होती है जब लोग उसे केवल एक उपन्यासकार के रूप में ही पहचानते हैं। ईको कहता है कि उसे इस बात से कोई परेशानी नहीं होती क्योंकि वह खुद को एक विश्वविद्यालय का प्रोफेसर मानता है जो रविवार को उपन्यास लिखता है।

तब मुकुन्द ईको के प्रसिद्ध उपन्यास ‘द नेम ऑफ द रोज़’ के बारे में बात करता है। यह बहुत गम्भीर उपन्यास है। यह एक स्तर पर जासूसी कहानी है, मगर यह आलौकिकता, धर्मविज्ञान और मध्ययुगीन इतिहास का एक गहन अध्ययन भी है। फिर भी यह बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गया। मुकुन्द ईको से पूछता है कि क्या वह इसकी अप्रत्याशित सफलता से हैरान हो गया था। ईको कहता है कि वह हैरान नहीं हो गया था, मगर पत्रकार और प्रकाशक हैरान हो गए थे।

आमतौर पर यह माना जाता है कि आम लोग गम्भीर या कठिन पठन अनुभव पसन्द नहीं करते हैं। वे घटिया प्रकार के उपन्यास पसन्द करते हैं। ‘द नेम ऑफ द रोज़’ की एक करोड़ से डेढ़ करोड़ तक प्रतियाँ बिकी। फिर भी, ईको के अनुसार, वह पाठकों के केवल थोड़े अनुपात तक ही पहुँचा मगर ये, पूरी तरह से वही पाठक हैं जो आसान प्रकार का पठन अनुभव नहीं चाहते।

मुकुन्द जानना चाहता है कि क्या उसके उपन्यास “द नेम ऑफ द रोज़” की सफलता इस बात के कारण है कि यह मध्यकालीन इतिहास के एक भाग के बारे में है। ईको कहता है कि वह प्रायः एक चीनी बुद्धिमान व्यक्ति की तरह कहानियाँ बताता है। वह कहता है कि उसकी पुस्तक छपने से पहले, मध्यकालीन अतीत के बारे में कई पुस्तकें छप चुकी थीं। वह कहता है कि किसी पुस्तक की सफलता सदा एक रहस्य होती है। कोई इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकता। वह कहता है कि अगर उसने अपना उपन्यास दस साल पहले या दस साल बाद लिखा होता तो इसकी सफलता ऐसी नहीं होती। इस समय उसका उपन्यास क्यों सफल हो गया। यह एक रहस्य है।)

The Interview Word Meanings

[Page 68] :
Invention (invented ormade forthe firsttime)=आविष्कार या सबसे पहले बनाया गया;
journalism (press reportage) पत्रकारिता;
literate (educated)=साक्षर;
celebrities (famous people)=प्रसिद्ध व्यक्ति ;
repeatedly (again and again) = बार-बार;
merits (virtues) =गुण;
vary (differ)= अलग होना;
considerably (enough)= पर्याप्त;
victims (sufferers)= पीड़ित;
extravagant (profuse)= बहुत अधिक, मर्यादा से अधिक;
despise (hate)= नफरत करना;
unwarranted (groundless, unjustified)=बेकार, अन्यायपूर्ण;
intrusion (intervention)=दखल;
diminishes (reduces in size)= आकार कम करना;
primitive (very ancient)=प्राचीन;
portrait (picture)=तस्वीर;
V.S.Naipaul (a famous writer) = एक प्रसिद्ध लेखक;
creator (one who creates) = रचयिता;
consented (agreed, gave permission) = राजी हो गया, आज्ञा देना।

[Page 69] :
Lionized (made important)=महत्त्वपूर्ण बनाया;
repel (driveaway) भगाना, दूर करना;
persistent (constant) = लगातार;
petitioners (applicants) =प्रार्थी;
autograph (a famous person’s signature)= प्रसिद्ध व्यक्ति के हस्ताक्षर;
amusement(entertainment) मनोरंजन;
condemnatory (censuring) निन्दात्मक;
wrecked (ruined)= बर्बाद करना;
immortal (who does not die) = अमर;
crime (offence)= अपराध;
assault (attack) = प्रहार;
cowardly (timidly) = कायरता से;
vile (wicked)= बुरा;
perpetrated (did something wrong)= गलत काम करना;
ordeal (testing time)= परीक्षा का समय;
windpipe (throat pipe) = गले की नली;
drawbacks (shortcomings)= कमियाँ;
medium (means)= साधन, माध्यम;
vivid (clear)= स्पष्ट;
contemporaries (living at the same time)=समकालीन।

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[Page 70] :
Holds (maintains/keeps)=रखना;
impression (influence)=प्रभाव;
unprecedented (that which never happened before) = अभूतपूर्व;
convinced (satisfied) = सन्तुष्ट;
pursue (to continue) = जारी रखना;
bunch (group)= समूह;
ethical (moral) = नैतिक।

[Page 71] :
Holds (maintains/keeps) =रखना;
impression (influence) = प्रभाव;
unprecedented (that which never happened before) = अभूतपूर्व;
convinced (satisfied) = सन्तुष्ट;
pursue (to continue) = जारी रखना;
bunch (group)= समूह;
ethical (moral)= नैतिक।

[Page 72]:
Interstices (intervals) = अन्तराल;
elevator (lift) = लिफ्ट, ऊँचा उठाना;
non-fictional (other spectacularly in a grand way) =शानदार ढंग से;
seminal (new and important)=नया एवं महत्त्वपूर्ण;
participate (to take part)=भाग लेना;
conferences(meetings) = सभाएँ;
metaphysics (beyond the physical world) = आलौकिक;
theology (science of religion) = धर्म विज्ञान;
medieval (of the Middle Ages) = मध्यकालीन;
huge (very big) = बहुत बड़ा;
puzzled (confused)= उलझा,
trash (something worthless) = बेकार की चीज़।

[Page 73]:
Cathedral (church)= चर्च;
mystery (something unexplained) = रहस्य;
predict (forecast) = भविष्यवाणी करना।

The Interview Translation in Hindi

Since its invention a little over 130 years ago, the interview has become a common place of journalism. Today, almost everybody who is literate will have read an interview at some point in their lives, while from the other point of view, several thousand celebrities have been interviewed over the years, some of them repeatedly. So it is hardly surprising that opinions of the interview-of its functions, methods and merits vary considerably. Some might make quite extravagant claims for it as being, in its highest form, a source of truth, and, in its practice, an art. Others, usually celebrities who see themselves as its victims, might despise the interview as an unwarranted intrusion into their lives, or feel that it somehow diminishes them, just as in some primitive cultures it is believed that if one takes a photographic portrait of somebody then one is stealing that person’s soul.

V.S. Naipaul ‘feels that some people are wounded by interviews and lose a part of themselves, Lewis Carroll, the creator of Alice in Wonderland, was said to have had ‘a just horror of the interviewer’ and he never consented to be interviewed – It was his horror of being lionized which made him thus repel would be acquaintances, interviewers, and the persistent petitioners for his autograph and he would afterwards relate the stories of his success in silencing all such people with much satisfaction and amusement. Rudyard Kipling expressed an even more condemnatory attitude towards the interviewer. His wife, Caroline, writes in her diary for 14 October 1892 that their day was ‘wrecked by two reporters from Boston’.

She reports her husband as saying to the reporters, ‘Why do I refuse to be interviewed? Because it is immoral! It is a crime, just as much of a crime as an offence against my person, as an assault, and just as much merits punishment. It is cowardly and vile. No respectable man would ask it, much less give it,’ Yet Kipling had himself perpetrated such an ‘assault’ on Mark Twain only a few years before. H.G. Wells in an interview in 1894 referred to the interviewing ordeal, but was a fairly frequent interviewee and forty years later found himself interviewing Joseph Stalin. Saul Bellow, who has consented to be interviewed on several occasions, nevertheless once described interviews as being like thumbprints on his windpipe.

Yet despite the drawbacks of the interview, it is a supremely serviceable medium of communication. “These days, more than at any other time, our most vivid impressions of our contemporaries are through interviews,” Denis Brian has written. “Almost everything of moment reaches us through one man asking questions of another. Because of this, the interviewer holds a position of unprecedented power and influence”.

(130 साल से कुछ अधिक पहले जब इसका आविष्कार हुआ था, तब से साक्षात्कार पत्रकारिता का सामान्य भाग बन गया है। आज लगभग हर साक्षर व्यक्ति ने अपने जीवन में कभी-न-कभी एक साक्षात्कार तो जरूर पढ़ा होगा, जबकि दूसरे दृष्टिकोण से इन वर्षों में कई हजार प्रसिद्ध व्यक्ति साक्षात्कार कर चुके हैं, कुछ तो कई-कई बार। अतः यह कोई हैरानी की बात नहीं है कि साक्षात्कार के विषय में राय इसके कार्य, तरीके और गुणों के बारे में काफी अलग-अलग है। कुछ लोग शायद बढ़ा-चढ़ाकर यह दावा करें कि अपने उच्चतम रूप में यह सच्चाई का स्रोत है और व्यावहारिक में एक कला है। दूसरे, प्रायः वे जो स्वयं को इसका शिकार समझते हैं शायद अपने जीवन में इसे एक अनचाही दखलांदाजी माने, अथवा ऐसा अनुभव करें कि मानो यह उनको कुछ बौना बना देता है जैसे कि कुछ प्राचीन सभ्यताओं में विश्वास किया जाता था कि अगर कोई व्यक्ति किसी का फोटो खींचे तब वह उसकी आत्मा को चुरा लेता है।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 7 The Interview

वी.एस. नाइपाल को लगता है कि ‘कुछ लोग साक्षात्कारों से आहत होते हैं और अपने व्यक्तित्व का एक भाग खो देते हैं’, कहते हैं कि ‘एलिस इन वण्डरलैण्ड’ का रचनाकार लूइस कैरोल ‘साक्षात्कार लेने वाले से बड़ा डरता था’ और वह कभी साक्षात्कार देने को तैयार नहीं हुआ यह प्रसिद्ध किए जाने का भय ही था कि वह अपने भविष्य के परिचितों, साक्षात्कार लेने वालों और लगातार हस्ताक्षर माँगने वालों को दूर रखता था और बाद में वह बड़े सन्तोष और मजे के साथ ऐसे सारे लोगों को खामोश करने की अपनी सफलता के किस्से सुनाया करता था।

साक्षात्कार लेने वालों के प्रति रूडियार्ड किपलिंग ने तो और भी निन्दात्मक दृष्टिकोण व्यक्त किया। उसकी पत्नी केरोलीन 14 अक्टूबर, 1892 को अपनी डायरी में लिखती है कि वह दिन ‘बोस्टन से आए दो संवाददाताओं के कारण बर्बाद हो गया’ था। वह लिखती है कि उसके पति ने संवाददाताओं से कहा था, ‘मैं साक्षात्कार देने से क्यों मना करता हूँ ? क्योंकि यह अनैतिक है। यह एक अपराध है। यह वैसा ही अपराध है जैसा कोई व्यक्ति मेरे शरीर पर हमला करके करे, और उतने ही दण्ड का अधिकारी भी। यह कायरतापूर्ण और बेकार है।

कोई भी इज्जतदार व्यक्ति साक्षात्कार नहीं माँगेगा और देगा तो और भी कम।’ फिर भी कुछ वर्ष पहले किपलिंग स्वयं ऐसा आक्रमण मार्क ट्वेन पर कर चुका था। 1894 के एक साक्षात्कार में एच.जी. वेल्स ने ‘साक्षात्कार की मुसीबत’ का जिक्र किया है पर वह काफी अवसर देता रहा और चालीस वर्ष बाद उसने स्वयं जासेफ स्टालिन का साक्षात्कार लिया। सॉल बेलो जो कितने ही अवसरों पर साक्षात्कार देने के लिए राजी हुआ है फिर भी उसने साक्षात्कारों का वर्णन करते हुए एक बार लिखा कि वे उसके गले पर अंगूठों के निशान हैं।

फिर भी साक्षात्कारों की कमियों के बावजूद, यह वार्तालाप का बड़ा काम का माध्यम है। “किसी भी अन्य समय की तुलना में आजकल, अपने समकालीन व्यक्तियों के बारे में हमारी सर्वाधिक स्पष्ट धारणाएँ साक्षात्कारों के द्वारा ही बनी हैं,” डेनिस ब्रायन ने लिखा है। “लगभग हर महत्त्वपूर्ण बात, एक व्यक्ति के द्वारा दूसरे से प्रश्न करने के द्वारा ही हम तक पहुँचती है। इस कारण से साक्षात्कार लेने वाला व्यक्ति अपूर्व शक्ति और प्रभाव की स्थिति में होता है।”)

“I am a professor who writes novels on Sundays”-Umberto Eco The following is an extract from an interview of Umberto Eco. The interviewer is Mukund Padmanabhan from The ‘Hindu’. Umberto Eco, a professor at the University of Bologna in Italy had already acquired a formidable reputation as a scholar for his ideas on semiotics (the study of signs), literary interpretation, and medieval aesthetics before he turned to writing fiction. Literary fiction, academic texts, essays, children’s books, newspaper articles — his written output is staggeringly large and wide-ranging. In 1980, he acquired the equivalent of intellectual superstardom with the publication of the Name of the Rose, which sold more than 10 million copies.

Mukund: The English novelist and academic David Lodge once remarked, “I can’t understand how one man can do all the things he [Eco] does.”
Umberto Eco: Maybe I give the impression of doing many things. But in the end, I am convinced I am always doing the same thing.
Mukund : Which is ? (“मैं एक प्रोफेसर हूँ जो रविवार को उपन्यास लिखता है”- अम्बरटो ईको। नीचे वह अंश दिया है जो अम्बरटो ईको के साक्षात्कार का एक भाग है। साक्षात्कार करने वाला ‘द हिन्दू’ का मुकुन्द पद्मनाभन है। अम्बरटो ईको, इटली के विश्वविद्यालय बोलोगना में एक प्रोफेसर, ने संकेत भाषा (चिन्हों के अध्ययन), साहित्यिक व्याख्यान और मध्यकालीन सौन्दर्यशास्त्र के बारे में अपने विचारों के लिए एक विद्वान के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त कर ली थी।

इसके बाद उसका रुझान कथा साहित्य की तरफ हुआ। साहित्यिक कथा, शैक्षिक पाठ्य-पुस्तक, निबन्ध, बाल-पुस्तकें, अखबार में लेखउसका लिखित संग्रह आश्चर्यजनक रूप से बहुत बड़ा तथा असीमित है। 1980 में, उसने ‘The Name of the Rose’ के प्रकाशन के साथ बौद्धिक महानता प्राप्त कर ली जिसकी 10 लाख से भी अधिक प्रतियाँ बिकीं।

मुकुन्द : अंग्रेज उपन्यास लेखक और शिक्षाशास्त्री डेविड लॉज ने एक बार कहा था, “मैं नहीं जानता कि कोई व्यक्ति कैसे इतने सारे काम एक-साथ कर सकता है जितने वह (ईको) करता है।”

अम्बरटो इको : हो सकता है मेरे तौर-तरीकों से ऐसा लगता हो कि मैं बहुत-से काम कर रहा हूँ। परन्तु अन्ततः, मेरा विश्वास है कि मैं सदा एक ही काम करता हूँ।
मुकुन्द : वह क्या है ?)
Umberto Eco: Aah, now that is more difficult to explain. I have some philosophical interests and I pursue them through my academic work and my novels. Even my books for children are about non-violence and peace…you see, the same bunch of ethical, philosophical interests. And then I have a secret. Did you know what will happen if you eliminate the empty spaces from the universe, eliminate the empty spaces in all the atoms? The universe will become as big as my fist.

(अम्बरटो ईको : आह, अब समझाना तो अधिक मुश्किल है। मेरी कुछ दर्शन सम्बन्धी रुचियाँ हैं और मैं उनको मेरे शैक्षणिक कार्यों और मेरे उपन्यास के माध्यमों से पूरा करता हूँ। मेरी बच्चों की किताबें भी अहिंसा और शान्ति के बारे में हैं…आप देखते हैं, वही मूल्य और दर्शनशास्त्रीय रुचियाँ और मेरा एक रहस्य है। क्या आप जानते थे क्या होगा यदि आपके ब्रह्माण्ड से खाली स्थानों को दूर कर दिया जाए, सभी परमाणुओं के अन्दर खाली जगहों को हटा दिया जाए ? ब्रह्माण्ड मेरी हथेली के बराबर बन जाएगा।)

Similarly, we have a lot of empty spaces in our lives. I call them interstices. Say you are coming over to my place. You are in an elevator and while you are coming up, I am waiting for you. This is an interstice, an empty space. I work in empty spaces. While waiting for your elevator to come up from the first to the third floor, I have already written an article! (Laughs).

(इसी प्रकार हमारे जीवन में बहुत-से खाली स्थान हैं। मैं उन्हें अन्तराल कहता हूँ। उदाहरण के लिए आप मेरे घर आ रहे हैं। आप एक लिफ्ट में हैं और जब आप ऊपर आ रहे हैं, मैं आपकी प्रतीक्षा कर रहा हूँ। यह इन्टरस्टिस है, एक खाली जगह। मैं इस जगह खाली समय में काम करता हूँ। आपकी लिफ्ट के पहली मंजिल से तीसरी मंजिल आने तक मैं एक लेख पूरा कर चुका हूँ। (हँसता है))

Mukund: Not everyone can do that of course. Your non-fictional writing, your scholarly work has a certain playful and personal quality about it. It is a marked departure from a regular academic style – which is invariably depersonalized and often dry and boring. Have you consciously adopted an informal approach or is it something that just came naturally to you?

(मुकुन्द : निःसन्देह हर आदमी तो यह नहीं कर सकता। आपके गैर-उपन्यासिक लेखन, विद्वतापूर्ण कार्य में एक विशेष चपलता और व्यक्तिवादी गुण है। एक साधारण शैक्षणिक शैली से यह स्पष्टतः अलग है-वह जो सदा तथ्यपरक और प्रायः उबाऊ होती है। आपने सोच-समझकर इस अनौपचारिक शैली को अपनाया है अथवा यह आप में स्वाभाविक रूप से ही है।)

Umberto Eco: When I presented my first Doctoral dissertation in Italy, one of the Professors said, “Scholars learn a lot of a certain subject, then they make a lot of false hypotheses, then they correct them and at the end, they put the conclusions. You, on the contrary, told the story of your research. Even including your trials and errors.” At the same time, he recognized I was right and went on to publish my dissertation as a book, which meant he appreciated it.

(अम्बरटो ईको : जब मैंने डॉक्टर की उपाधि प्राप्त करने हेतु अपना पहला शोधग्रन्थ इटली में प्रस्तुत किया, तो मेरे प्रोफेसरों में से एक ने कहा “विद्वान किसी विषय के बारे में बहुत पढ़ते हैं, फिर वे बहुत-से गलत अन्दाजे लगाते हैं, फिर वे उन्हें सही करते हैं और अन्त में वे निष्कर्ष निकालते हैं। इसके विपरीत तुमने अपनी शोध की कहानी बताई। यहाँ तक कि तुमने अपने प्रयत्नों और गलतियों के बारे में भी बताया।” इसके साथ ही उसने स्वीकार किया कि मेरा तरीका सही था और मेरे कार्य को पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया, जिसका अर्थ था कि वह इसकी कद्र करता था।)

At that point, at the age of 22, I understood scholarly books should be written the way I had done – by telling the story of the research. This is why my essays always have a narrative aspect. And this is why probably I started writing narratives [novels] so late – at the age of 50, more or less.

I remember that my dear friend Roland Barthes was always frustrated that he was an essayist and not a novelist. He wanted to do creative writing one day or another but he died before he could do so. I never felt this kind of frustration. I started writing novels by accident. I had nothing to do one day and so I started. Novels probably satisfied my taste for narration.

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(उस समय, बाईस वर्ष की उम्र में मैं समझ गया कि विद्वतापूर्ण पुस्तकें वैसे ही लिखी जानी चाहिएँ जैसे मैंने लिखी थींशोध की कहानी बताकर। यही कारण है कि मेरे निबन्धों में सदा एक वर्णनात्मक पहलू होता है। और शायद यही कारण कि मैंने कथाएँ (उपन्यास) लिखना इतना देरी से प्रारम्भ किया-करीब 50 वर्ष की आयु में या तनिक कम। मुझे याद है कि मेरा प्रिय मित्र रोलैंड बार्थ सदा यह सोचकर निराश हो जाता था कि वह निबन्धकार है, कहानी लेखक नहीं, वह किसी-न-किसी दिन कुछ सृजनात्मक लेखन करना चाहता था पर ऐसा करने से पहले ही उसकी मृत्यु हो गई। मुझे कभी निराशा नहीं हुई। एक संयोग था कि मैंने उपन्यास लिखना प्रारम्भ कर दिया। एक दिन मेरे पास कोई काम नहीं था और इसलिए मैंने प्रारम्भ कर दिया। सम्भवतः उपन्यासों ने मेरी कथा कहने के शौक को पूरा कर दिया।)

Mukund: Talking about novels, from being a famous academic you went on to becoming spectacularly famous after the publication of The Name of the Rose. You’ve written five novels against many more scholarly works of non-fiction, at least more than 20 of them…
Umberto Eco : Over 40.

(मुकुन्द : उपन्यासों की बात करें तो, ‘दि नेम ऑफ दि रोज’ के प्रकाशन के बाद आप प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री से आगे बढ़कर चमत्कारिक रूप से प्रसिद्ध हो गए। आपने पाँच उपन्यास लिखे हैं जबकि कितने ही गैर-उपन्यासिक ग्रन्थ लिखें हैं, कम-से-कम 20 से अधिक……।
अम्बरटो ईको : 40 से अधिक।)

Mukund: Over 40! Among them a seminal piece of work on semiotics. But ask most people about Umberto Eco and they will say, “Oh, he’s the novelist.” Does that bother you?
(मुकुन्द : 40 से अधिक! उनमें से एक तो संकेत-भाषा के प्रजनक के बारे में है। लेकिन अधिकांश लोगों से अगर अम्बरटो ईको के बारे में पूछो तो वे कहेंगे, “ओह, वह एक उपन्यासकार है।” क्या इस बात से आप परेशान होते हैं ?)

Umberto Eco: Yes. Because I consider myself a university professor who writes novels on Sundays. It’s not a joke. I participate in academic conferences and not meetings of Pen Clubs and writers. I identify myself with the academic community. But okay, if they [most people) have read only the novels… (laughs and shrugs). I know that by writing novels, I reach a larger audience. I cannot expect to have one million readers with stuff on semiotics.

(अम्बरटो ईको : हाँ। क्योंकि मैं स्वयं को विश्वविद्यालय का एक प्रोफेसर मानता हूँ जो रविवार को उपन्यास लिखता है। यह मज़ाक की बात नहीं है। मैं शैक्षणिक सभाओं में हिस्सा लेता हूँ न कि पेन-क्लब और लेखकों की गोष्ठियों में । मैं अपने-आपको शैक्षणिक समाज के साथ जोड़ता हूँ। लेकिन ठीक है, अगर उन्होंने (अधिकांश लोगों ने) केवल उपन्यास ही पढ़े हैं …(हँसता और कन्धे उचकाता है)। मैं जानता हूँ कि उपन्यास लिखकर, मैं अधिक श्रोताओं तक पहुँचता हूँ। संकेत-भाषा के बारे में चर्चा करके, मैं यह आशा नहीं कर सकता कि मैं दस लाख पाठकों तक पहुँच सकूँ।)

Mukund : Which brings me to my next question. The Name of the Rose is a very serious novel. It’s a detective yarn at one level but it also delves into metaphysics, theology, and medieval history. Yet it enjoyed a huge mass audience. Were you puzzled at all by this?(मुकुन्द : यह बात मुझे मेरे अगले प्रश्न पर ले आती है। ‘दि नेम ऑफ दि रोज’ एक बड़ा गम्भीर उपन्यास है। एक स्तर पर यह एक जासूसी उपन्यास है परन्तु साथ ही यह आलौकिक संसार, धर्म अध्ययन और मध्यकालीन इतिहास में पैठ करता है। फिर भी इसे श्रोता अधिक मात्रा में पसन्द कर रहे हैं। क्या यह सब आपको हैरान करता है ?)

Umberto Eco: No. Journalists are puzzled. And sometimes publishers. And this is because journalists and publishers believe that people like trash and don’t like difficult reading experiences. Consider there are six billion people on this planet. The Name of the Rose sold between 10 and 15 million copies. So in a way I reached only a small percentage of readers. But it is exactly these kinds of readers who don’t want easy experiences. Or at least don’t always want this. I myself, at 9 p.m. after dinner, watch television and want to see either ‘Miami Vice’ or ‘Emergency Room’. I enjoy it and I need it. But not all day.

(अम्बरटो ईको : नहीं। पत्रकार हैरान होते हैं और कभी-कभी प्रकाशक भी। और ऐसा इसलिए है कि पत्रकार और प्रकाशक सोचते हैं कि लोगों को निचले दरजे का साहित्य पसन्द आता है और वे गम्भीर अध्ययन का अनुभव पसन्द नहीं करते हैं। जरा सोचो इस धरती पर छः अरब लोग हैं। ‘दि नेम ऑफ दि रोज’ की 10 और 15 लाख के बीच प्रतियाँ बिकीं। अतः एक तरह से मैं केवल पाठकों के एक छोटे प्रतिशत तक ही पहुँचा। किन्तु ये बिल्कुल उस प्रकार के पाठ हैं जो सरल अनुभव नहीं चाहते हैं। अथवा कम-से-कम हमेशा ऐसा नहीं चाहते हैं। मैं स्वयं भी रात को डिनर के बाद 9 बजे टेलीविजन देखता हूँ और या तो ‘मियामी वाइस’ या ‘इमरजैंसी रूम’ देखता हूँ। मुझे इससे आनन्द मिलता है और मुझे इसकी आवश्यकता होती है। पर सारे दिन नहीं।’)

Mukund: Could the huge success of the novel have anything to do with the fact that it dealt with a period of medieval history that…
Umberto Eco: That’s possible. But let me tell you another story because I often tell stories like a Chinese wise man. My American publisher said while she loved my book, she didn’t expect to sell more than 3,000 copies in a country where nobody has seen a cathedral or studied Latin. So I was given an advance for 3,000 copies, but in the end, it sold two or three million in the U.S.
A lot of books have been written about the medieval past far before mine. I think the success of the book is a mystery. Nobody can predict it. I think if I had written The Name of the Rose ten years earlier or ten years later, it wouldn’t have been the same. Why it worked at that time is a mystery.

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(मुकुन्द : क्या उस उपन्यास की सफलता का सम्बन्ध इस तथ्य से हो सकता है कि यह मध्ययुगीन काल की एक अवधि के विषय में है कि…
अम्बरटो ईको : हो सकता है। परन्तु मैं आपको एक दूसरी कहानी बताता हूँ, क्योंकि मैं प्रायः किसी समझदार चीनी व्यक्ति की तरह कहानियाँ सुनाता हूँ। मेरे अमेरिकन प्रकाशक ने कहा था कि हालांकि वह मेरी किताब पसन्द करती है पर ऐसे देश में जहाँ किसी ने कैथेड्रल नहीं देखा है अथवा लैटिन नहीं पढ़ी है, उसे 3000 से अधिक प्रतियाँ बिकने की आशा नहीं है। अतः मुझे 3000 प्रतियों का एडवान्स दिया गया, परन्तु अन्त में अमेरिका में यह 20 या 30 लाख बिकीं मध्यकालीन भूतकाल के विषय में मुझसे पहले बहुत-सी पुस्तकें लिखी गई हैं। मेरे विचार में इस पुस्तक की सफलता एक रहस्य है। कोई भी इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकता। मेरा ख्याल है कि अगर मैंने ‘दि नेम ऑफ दि रोज’ दस वर्ष पहले या दस वर्ष बाद लिखी होती, तो शायद इतनी सफल न हो पाती। उस समय ऐसा क्यों हुआ, यह एक रहस्य है।)

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HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. भारत में औद्योगीकरण की नींव किसने रखी थी?
(A) अंग्रेजों ने
(B) मुग़लों ने
(C) भारत सरकार ने
(D) पुर्तगालियों ने।
उत्तर:
अंग्रेजों ने।

2. इनमें से कौन-सा भारत का प्रथम आधुनिक उद्योग था?
(A) रूई, जूट
(B) कोयला खाने
(C) रेलवे
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

3. 1991 में कुल कार्यकारी जनसंख्या में से कितने लोग बड़े उद्योगों में नौकरी कर रहे थे?
(A) 35%
(B) 28%
(C) 40%
(D) 38%
उत्तर:
28%

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4. 1991 में लोग छोटे पैमाने के एवं परंपरागत उद्योगों में कार्यरत् थे?
(A) 40%
(B) 62%
(C) 72%
(D) 80%
उत्तर:
72%

5. 1990 के बाद भारत सरकार ने ………………… की नीति को अपनाया है।
(A) पश्चिमीकरण
(B) उदारीकरण
(C) सरकारी नियंत्रण
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
उदारीकरण।

6. सार्वजनिक कंपनियों को निजी क्षेत्र की कंपनियों को बेचने की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
(A) विनिवेश
(B) उदारीकरण
(C) विश्वव्यापीकरण
(D) औद्योगीकरण।
उत्तर:
विनिवेश।

7. निजीकरण की जाने वाली पहली सार्वजनिक कंपनी कौन-सी थी?
(A) नाल्को
(B) वी० एस० एन० एल०
(C) माडर्न फूड
(D) आई० पी० सी० एल०
उत्तर:
मार्डन फूड।

8. औद्योगीकरण का क्या नुकसान होता है?
(A) प्रदूषण का बढ़ना
(B) कुटीर उद्योगों का ख़ात्मा
(C) बेरोज़गारी का बढ़ना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

9. इनमें से कौन मशीनों के प्रति पागलपन का विरोधी था?
(A) महात्मा गाँधी
(B) जवाहर लाल नेहरू
(C) सुभाष चंद्र बोस
(D) इंदिरा गाँधी।
उत्तर:
महात्मा गाँधी।

10. टेलरिज्म का आविष्कारक कौन था?
(A) ऐल्फरिड टेलर
(B) फ्रेडरिक विनस्लो टेलर
(C) मार्लिन टेलर
(D) आर्कराइट।
उत्तर:
फ्रेडरिक विनस्लो टेलर।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
असंगठित अथवा अनौपचारिक क्षेत्र का क्या अर्थ है?
उत्तर:
असंगठित अथवा अनौपचारिक क्षेत्र का अर्थ उन श्रमिकों या कामगारों से है जो रोजगार के अस्थायी स्वरूपों, निरक्षरता, अज्ञानता, बिखरे हुए तथा छोटे उद्योगों जैसे कुछेक कारणों के कारण अपने साझे हितों के लिए अपने आपको संगठित करने में असमर्थ होते हैं। हमारे देश में 90% के लगभग लोग असंगठित क्षेत्र में कार्य करते हैं।

प्रश्न 2.
लघु उद्योग से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सरकार ने लघु उद्योगों को उसमें निवेश किए जाने वाले पैसे या पूँजी की मात्रा के अनुसार परिभाषित किया है। आजकल के समय में जिस उद्योग में 1 करोड़ तक का निवेश किया गया है उसे लघु उद्योग कहा जाता है। 1950 में यह सीमा पाँच लाख रुपये थी।

प्रश्न 3.
सरकार लघु उद्योगों को कैसे प्रोत्साहित करती है?
उत्तर:

  • लघु उद्योगों को कम ब्याज पर ऋण प्रदान किया जाता है।
  • लघु उद्योगों के द्वारा उत्पादित कुछ वस्तुओं को कर मुक्त रखा गया है।
  • देश में औदयोगिक बस्तियों या Focal Points की अलग-अलग शहरों में स्थापना की गई है ताकि लघु उद्योगों को विकसित किया जा सके।

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प्रश्न 4.
औदयोगिक क्षेत्र में अलगाव की स्थिति से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आजकल औद्योगिक क्षेत्र में श्रम विभाजन का काफ़ी महत्त्व है। श्रम विभाजन के कारण व्यक्ति को एक ही कार्य बार-बार करना पड़ता है। इससे उस व्यक्ति की और चीज़ उत्पादित करने की क्षमता खत्म हो जाती है तथा वह किसी और कार्य को नहीं कर पाता है इसे ही अलगाव कहा जाता है।

प्रश्न 5.
औद्योगीकरण का आपसी संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर:
लोग गाँवों में परिवारों को छोड़कर उद्योगों में कार्य करने के लिए नगरों की तरफ भागते हैं। कार्य मिलने के पश्चात् वह अपनी पत्नी व बच्चों को भी शहर में बुला लेते हैं। इससे गांवों के संयुक्त परिवार टूट जाते हैं तथा रिश्तेदारों में दूरियां भी बढ़ जाती हैं।

प्रश्न 6.
संरक्षण की नीति किस मान्यता पर आधारित है?
उत्तर:
एक मान्यता यह है कि विकसित देशों के उत्पाद की तुलना में देशी उत्पाद उनका सामना नहीं कर पाएंगे। इसलिए घरेलू उद्योगों को अगर कुछ समय के लिए संरक्षण दे दिया जाए तो वह विकसित देशों के उत्पादों के सामने खड़े हो पाएंगे। इसलिए उन्हें सरकार की तरफ से संरक्षण दे दिया जाता है। संरक्षण की नीति इस मान्यता पर आधारित है।

प्रश्न 7.
विनिवेश क्या है?
उत्तर:
मिश्रित अर्थव्यवस्था में कुछ सार्वजनिक उद्यम होते हैं जिन पर सरकार का नियंत्रण होता है। जब सरकार इन सार्वजनिक उद्योगों में अपना हिस्सा किसी निजी उद्योग या व्यक्ति को बेचकर उससे अलग हो जाती है तो इसे विनिवेश कहा जाता है। उदाहरण के लिए NALCO, IPCL, VSNL इत्यादि।

प्रश्न 8.
मज़दूर संघ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
किसी भी उद्योग, मिल या कारखाने में कार्य करने वाले मजदूरों के हितों की रक्षा करने के लिए सभी मजदूर इकट्ठे होकर एक संघ का निर्माण करते हैं जिसे मज़दूर संघ कहा जाता है। उद्योग के सभी मज़दूर इसके सदस्य होते हैं।

प्रश्न 9.
आउटसोर्सिंग सर्विस से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब आउटसोर्सिंग कंपनी किसी कार्य को सस्ती दर पर विकासशील देशों की छोटी कंपनियों से करवाती है तो इसे आउटसोर्सिंग सर्विस कहा जाता है। बहुत-सी बहुराष्ट्रीय कंपनियां आजकल भारत में ऐसे ही कार्य करवा रही हैं।

प्रश्न 10.
बड़े उद्योग की कोई एक विशेषता दें।
उत्तर:

  1. बड़े उद्योग में उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है तथा उस उत्पादन का वितरण भी बड़े पैमाने पर होता है।
  2. बड़े उद्योग में अधिक उत्पादन के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाता है तथा श्रमिकों के स्थान पर मशीनों से कार्य लिया जाता है।

प्रश्न 11.
लघु उद्योग की एक उदाहरण दें।
उत्तर:
हथकरघा उद्योग, घरों में साबुन तैयार करना, चटाई इत्यादि तैयार करना लघु उद्योग की उदाहरण हैं।

प्रश्न 12.
लघु उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह उद्योग जो घरों से शुरू हो सकते हैं, जिन्हें लगाने में अधिक पूँजी की आवश्यकता नहीं होती तथा जिनमें मशीनों के स्थान पर व्यक्तिगत श्रम का अधिक महत्त्व होता है उन्हें लघु उद्योग कहा जाता है।

प्रश्न 13.
बड़े उद्योग की एक उदाहरण दें।
उत्तर:
कार बनाने की फैक्ट्री, स्कूटर-मोटरसाइकिल बनाने की फैक्ट्री, कपड़ा उद्योग, लोहा उद्योग इत्यादि बड़े उद्योग की उदाहरण हैं।

प्रश्न 14.
निजीकरण का संबंध कौन-सी नीति से है?
उत्तर:
निजीकरण का संबंध सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपने से है।

प्रश्न 15.
‘वर्ग’ कैसी सामाजिक व्यवस्था है?
उत्तर:
वर्ग एक खुली हुई सामाजिक व्यवस्था है जिसे कभी भी परिवर्तित किया जा सकता है।

प्रश्न 16.
सामाजिक वर्ग का क्या अर्थ है?
उत्तर:
सामाजिक वर्ग एक ऐसे व्यक्तियों का समूह होता है जिनमें किसी न किसी आधार पर कोई न कोई समानता अवश्य होती है।

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प्रश्न 17.
पूँजीवाद किसे कहते हैं?
उत्तर:
पूँजीवाद अर्थव्यवस्था का एक प्रकार है जिसमें सभी कुछ व्यक्तिगत हाथों में निर्भर होता है तथा सरकार की भागीदारी न के बराबर होती है।

प्रश्न 18.
श्रम विभाजन क्या है?
उत्तर:
श्रम विभाजन एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें कार्यों का बँटवारा होता है या अलग-अलग लोग अलग-अलग कार्य करने में माहिर होते हैं।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समाजशास्त्र ने औद्योगीकरण की शुरुआती दशा में कौन-से कार्य किए थे?
उत्तर:
जब औद्योगीकरण एक नयी धारणा थी तथा जब मशीनों ने एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया था उस समय समाजशास्त्र ने कई महत्त्वपूर्ण कार्य किए थे। कार्ल मार्क्स, मैक्स वैबर तथा एमील दुर्खाइम जैसे समाजशास्त्रियों ने तो उद्योगों से संबंधित कई संकल्पों के साथ अपने आपको जोड़ा। यह थी नगरीकरण जिन आमने-सामने के उन संबंधों को बदला जोकि ग्रामीण समाजों में मिलते थे। ग्रामीण समाज के लोग अपने या जान पहचान के भूमि मालिकों के खेतों में कार्य करते थे, उन संबंधों की जगह आधुनिक कारखाने तथा कार्यस्थलों के अज्ञात व्यावसायिक संबंध सामने आ गए।

औद्योगीकरण के कारण विस्तृत श्रम विभाजन सामने आता है। लोगों को संपूर्ण उत्पादन के एक छोटे से पुर्जे को बनाना होता है जिस कारण वह कार्य का अंतिम रूप नहीं देख पाते हैं। चाहे यह कार्य बार-बार होता है तथा थकावट वाला होता है परंतु यह बेरोज़गार होने से अच्छा होता है। मार्क्स के अनुसार यह स्थिति अलगाव की होती है। इसमें लोग अपने कार्य से खुश नहीं होते। उनकी जीविका भी इस बात पर निर्भर करती है कि मशीनें मानवीय श्रम के लिए कितना काम छोड़ती हैं।

प्रश्न 2.
औद्योगीकरण के समाज पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:

  1. श्रम विभाजन-औदयोगीकरण के समाज में श्रम विभाजन उत्पन्न हआ जिसमें किसी चीज़ का उत्पादन कई चरणों में होता है। हरेक व्यक्ति अलग-अलग कार्य करता है।
  2. यातायात के साधनों का विकास-इसके कारण यातायात के साधन विकसित हो गए । कच्चे माल को लाने तथा उत्पादित माल को बाज़ार तक पहुँचाने के लिए यह साधन विकसित हुए।
  3. उत्पादन का बढ़ना-इस कारण उत्पादन घरों से निकल कर फैक्टरियों में आ गया जहां उत्पादन मशीनों के साथ होता है। मशीनें उत्पादन तेजी से करती हैं जिससे उत्पादन बढ़ गया।
  4. जाति प्रथा का कम होना-उद्योगों में अलग-अलग जातियों के लोग इकट्ठे मिल कर कार्य करते हैं, इससे जाति प्रथा का प्रभाव कम हो गया।

प्रश्न 3.
भारत में स्वतंत्रता के प्रारंभिक वर्षों में औद्योगीकरण की दशा का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत के प्रथम आधुनिक उद्योग रूई, जूट, कोयला खाने तथा रेलवे थे। स्वतंत्रता के बाद सरकार ने की पर बल दिया। इसमें सुरक्षा, ऊर्जा खनन, परिवहन तथा संचार और कई अन्य परियोजनाओं को शामिल किया जिन्हें सरकार कर सकती थी। यह निजी क्षेत्र के उद्योगों की प्रगति के लिए भी ज़रूरी था। सरकारी मिश्रित आर्थिक नीति में सरकार लाइसेंसिग नीति से यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती है कि यह उद्योग अलग-अलग भागों में फैले हों।

स्वतंत्रता के बाद यह बड़े शहरों से निकल कर बड़ौदा, कोयंबटूर, बैंगलोर, पूना, फरीदाबाद, राजकोट जैसे शहरों में फैल गए। सरकार कई और छोटे पैमाने के उद्योगों को सहायता देकर प्रोत्साहित कर रही है। कई वस्तुएं जैसे कि कागज़, लकड़ी का सामान, लेखन सामग्री, शीशा, चीनी मिट्टी जैसे छोटे पैमाने के क्षेत्रों के लिए आरक्षित थे। 1991 तक कुल कार्यकारी जनसंख्या में से सिर्फ 28% ही बड़े उद्योगों में कार्य करते थे। 72% लोग छोटे व परंपरागत उद्योगों में कार्य करते थे।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास

प्रश्न 4.
भूमंडलीकरण व उदारीकरण से भारतीय उद्योगों में क्या परिवर्तन आए?
उत्तर:

  1. भारतीय उद्योग विदेशी निवेश के लिए खोल दिए गए तथा विदेशी कंपनियों ने भारतीय उद्योगों का अधिग्रहण करना शुरू कर दिया।
  2. भारतीय दुकानों पर विदेशी माल आसानी से उपलब्ध होने लग गया जो पहले उपलब्ध नहीं होता था।
  3. सरकार ने सार्वजनिक कंपनियों का विनिवेश करके उन्हें निजी उद्योगों को बेचना शुरू कर दिया। निजी उद्योगों ने सरकारी कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी।
  4. अधिकांश कंपनियों ने अपने स्थायी कर्मचारियों की छंटनी करके अपने कार्य बाहरी स्रोतों जैसे कि छोटी कंपनियों से करवाने शुरू कर दिए।

प्रश्न 5.
आजकल लोग किस तरह काम पाते हैं?
उत्तर:
आजकल फैक्ट्री में कामगारों को रोजगार देने का तरीका भिन्न होता है। आजकल काम दिलाने वालों का महत्त्व कम हो गया है। यूनियन तथा कार्यकारिणी दोनों ही अपने लोगों को काम दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कुछ कामगार यह भी चाहते हैं कि उनके बच्चों को उनका कार्य दे दिया जाए।

बहुत-सी फैक्ट्रियों में बदली कामगार होते हैं, जोकि छुट्टी पर गए श्रमिकों की जगह कार्य करते हैं। बहुत से बदली श्रमिक एक ही उद्योग में काफी लंबे समय तक कार्य कर रहे होते हैं। परन्तु उन्हें सबके जैसी सुरक्षा तथा स्थायी पद नहीं दिया जाता। इसे संगठित क्षेत्र में अनुबंधित कार्य कहते हैं।

प्रश्न 6.
टेलरिज्म या औदयोगिक इंजीनियरिंग व्यवस्था का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इस व्यवस्था में कार्य को छोटे-से-छोटे पुनरावृत्ति तत्त्वों में तोड़कर श्रमिकों में बाँट दिया जाता था। कामगारों को निश्चित समय में कार्य को खत्म करना ही पड़ता था। इसके लिए स्टाप वाच की सहायता भी ली जाती थी। कार्य को जल्दी खत्म करने के लिए असैंबली लाइन सामने आयी।

हरेक श्रमिक को कन्वेयर बेल्ट के साथ बैठकर अंतिम उत्पाद के केवल एक पुर्जे को उसमें जोड़ना था। कार्य करने की गति को बेल्ट की गति के साथ व्यवस्थित किया गया। 1980 के दशक में प्रत्यक्ष नियंत्रण की जगह अप्रत्यक्ष नियंत्रण की व्यवस्था की गई थी जहां कामगारों को प्रेरित तथा प्रबोधित करने का प्रावधान था। परंतु हम कभी-कभी ही इस पुरानी टेलरिज्म प्रक्रिया को बचा हुआ पाते हैं।

प्रश्न 7.
औद्योगीकरण का श्रमिकों पर क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:

  1. अधिक मशीनों वाले उद्योगों में कम लोगों को काम दिया जाता है परंतु जो भी होते हैं उन्हें भी मशीनी गति से कार्य करना पड़ता है जिससे उनमें काम के प्रति लगाव नहीं रहता।
  2. कामगारों को कार्य करने के समय के दौरान विश्राम का काफ़ी कम समय मिलता है जिस कारण वह 40 वर्ष तक पहुँचते-पहुँचते बुरी तरह थक जाता है तथा स्वैच्छिक अवकाश ले लेता है।
  3. कंपनियां बाहरी स्रोतों से कार्य करवाती है। अगर सप्लाई समय पर नहीं आती तो कामगारों में तनाव आ जाता है तथा अलगाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  4. सप्लाई न आने की स्थिति में उत्पादन का लक्ष्य देर से होता है और जब वह आ जाता है तो उसे रखने के लिए उन्हें भाग दौड़ करनी पड़ती है। ऐसा करने में वह पूरी तरह निढाल हो जाते हैं।

प्रश्न 8.
भारत में उद्योगों की विभाजित श्रेणियों की व्याख्या करें।
उत्तर:
1956 में बनी भारतीय औद्योगिक नीति के अनुसार भारतीय उद्योगों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है तथा वह हैं-

  1. प्रथम श्रेणी-इस श्रेणी से सुरक्षा से संबंधित उद्योग, रेल यातायात, डाकघर, परमाणु शक्ति के उत्पादन तथा नियंत्रण जैसे उद्योग रखे गए थे। केंद्र सरकार ही इनके संचालन तथा विकास को संभालती है।
  2. द्वितीय श्रेणी-12 उद्योग जैसे कि मशीनें, औजार, दवाएं, रबड़, जल यातायात, उवर्रक, सड़क यातायात इत्यादि इस श्रेणी में रखे गए थे। इनके विकास में सरकार अधिक हिस्सा डालेगी।
  3. तृतीय श्रेणी-इस श्रेणी में वह सभी उद्योग शामिल किए गए जो निजी क्षेत्र के लिए रखे गए थे। चाहे निजी क्षेत्र इनका विकास करते हैं परंतु सरकार चाहे तो इनकी स्थापना भी कर सकती है।

प्रश्न 9.
खानों में किस प्रकार मजदूरों का शोषण होता है?
उत्तर:

  1. छोटी तथा खुली खानों में नियमों का पालन नहीं किया जाता। मजदूरों को ठेकेदारी व्यवस्था के अंतर्गत रखा जाता है तथा उन्हें बराबर वेतन नहीं दिया जाता।
  2. ठेकेदार मजदूरों का रजिस्टर भी ठीक नहीं रखते। दुर्घटना होने की स्थिति में ठेकेदार मज़दूरों को किसी भी प्रकार का लाभ नहीं देते हैं।
  3. खानों में भूमि के नीचे जाकर कार्य करना पड़ता है जिस कारण गैसों के उत्सर्जन तथा ऑक्सीजन के बंद होने से कामगारों को साँस से संबंधित बीमारियां भी हो जाती हैं।
  4. खान के फटने या किसी चीज़ के गिरने से उन्हें चोट का सामना करना पड़ता है परंतु कोई उनका इलाज नहीं करता।

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निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1992 में बंबई की एक मिल में हड़ताल हुई। इस हड़ताल के बारे में दिए गए परिच्छेद को पढ़ें तथा उसके बाद दिए गए प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दें-
उत्तर:
जय प्रकाश भिलारे-मिल के भूतपूर्व कामगारः महाराष्ट्र गिरनी कामगार संघ के महासचिवः कपड़ा मिल के कामगार केवल अपना वेतन और महँगाई भत्ता लेते हैं इसके अलावा उन्हें कोई और भत्ता नहीं मिलता। हमें केवल पाँच दिन का आकस्मिक अवकाश मिलता है। दूसरे उद्योगों के कामगारों को अन्य भत्ते जैसे यातायात, स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएँ इत्यादि मिलने शुरू हो गए साथ ही 10-12 दिन का आकस्मिक अवकाश भी।

इससे कपड़ा मिल के कामगार भड़क गए…… 22 अक्तूबर, 1981 को स्टैंडर्ड मिल के कामकार डॉ० दत्ता सामंत के घर गए और उनसे अपनी अगुआई करने को कहा। पहले सामंत ने मना कर दिया, उन्होंने कहा कि कपड़ा मिलें बी०आई०आर०ए० के अंतर्गत आती हैं, और मुझे इसके बारे में अधिक जानकारी भी नहीं है। परंतु ये कामगार किसी भी हालत में ना नहीं सुनना चाहते थे। वे रात भर उनके घर के बाहर चौकसी करते रहे और अंत में सुबह सामंत मान गए।

लक्ष्मी भाटकर-हड़ताल की सहभागीः मैंने हड़ताल का समर्थन किया। हम रोज़ाना गेट के बाहर बैठ जाते थे और सलाह करते थे कि आगे क्या करना होगा। हम समय-समय पर संगठित होकर मोर्चे भी निकालते थे…….. मोर्चे बहुत बड़े हुआ करते थे……. हमने कभी किसी को लूटा या चोट नहीं पहुँचाई मुझे कभी-कभी बोलने के लिए कहा गया, लेकिन मैं भाषण नहीं दे सकती। मेरे पाँव बुरी तरह काँपने लगते हैं। इसके अलावा मैं अपने बच्चों से भी डरती हूँ-वो क्या कहेंगे?

वो सोचेंगे कि यहाँ हम भूखे मर रहे हैं और वो वहाँ अपना फोटो अखबार में छपवा रही है…….. एक बार हमने सेंचुरी मिल के शोरूम की तरफ़ भी मोर्चा निकाला। हमें गिरफ्तार करके बोरीवली ले जाया गया। मैं अपने बच्चों के बारे में सोच रही थी। मैं खाना नहीं खा पाईं मैं अपने बारे में सोचने लगी कि हम लोग कोई अपराधी नहीं, मिल के कामगार हैं। हम अपने खून पसीने की कमाई के लिए लड़ रहे हैं?

किसन सालुंके-स्पिन मिल्स का भूतपूर्व कामगारः सेंचुरी मिल में हड़ताल शुरू हुए मुश्किल से डेढ़ महीना ही हुआ होगा कि आर०एम०एम०एस० वालों ने मिल खुलवा दी। वे ऐसा कर सकते हैं क्योंकि उन्हें राज्य और सरकार दोनों का समर्थन प्राप्त है। वे बाहर के लोगों को बिना उनके बारे में पूरी तरह जाने मिल के अंदर ले आए……. भोसले (तब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री) ने 30 रुपए बढ़ाने की पेशकश की।

दत्ता सामंत ने इस विषय पर विचार करने के लिए मीटिंग बुलाई आगे के सारे क्रियाकलाप यहीं होते थे। हमने कहा, ‘हमें यह नहीं चाहिए’। अगर हड़ताल के नेताओं के पास कोई मर्यादा, कोई बातचीत नहीं है, हम बिना किसी उत्पीड़न के काम पर वापस जाने के लिए तैयार नहीं हैं।

दत्ता इसवालकर-मिल चाल्स टेनैंट एसोसिएशन के अध्यक्ष : (प्रेसीडेंट) कांग्रेस ने बाबू रेशिम, रमा नायक और अरुण गावली जैसे सभी गुंडों को स्ट्राइक खत्म करवाने के लिए जेल से बाहर कर दिया।

हमारे पास स्ट्राइक तोड़ने वालों को मारने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। हमारे लिए यह जीवन मृत्यु का प्रश्न था। भाई भोंसले-1982 की हड़ताल में आर०एम०एम०एस० के महासचिव : हमने तीन महीने की हड़ताल के बाद लोगों को वापस काम पर बुलाना शुरू कर दिया…. हम सोचते थे, कि अगर लोग काम पर जाना चाहते हैं तो उन्हें जाने देना चाहिए, वास्तव में यह उनकी सहायता ही थी….

माफिया गैंग के बीच में आ जाने के बारे में, मैं उसके लिए उत्तरदायी था….. ये दत्ता सामंत जैसे लोग सुविधाजनक समय का इंतजार कर रहे हैं, और आराम से काम पर जाने वालों का इंतज़ार कर रहे हैं। हमने परेल एवं अन्य स्थानों पर प्रतिपक्षी समूहों को तैयार किया था। स्वाभाविक रूप से वहाँ कुछ झगड़ा कुछ खूनखराबा हो सकता था…. जब रमा नायक की मृत्यु हुई तो उस वक्त के मेयर भुजबल उसके सम्मान में अपनी ऑफ़िस की कार में आए। इन लोगों की ताकतों को एक समय या अन्य अनेक लोगों द्वारा राजनीति में इस्तेमाल किया गया।

किसन सालुंके-भूतपूर्व मिल कामगार : वह मुश्किल समय था हमने अपने सारे बर्तन बेच दिए थे। हमें अपने बर्तनों को सीधा उठाकर ले जाते हुए शर्म आती थी इसलिए हम उन्हें बोरियों में लपेटकर बेचने के लिए दुकानों पर ले जाते थे। वो ऐसे दिन थे जब हमारे पास खाने के लिए पानी के अलावा कुछ नहीं था, लकड़ी के बुरादे को ईंधन की जगह जलाते थे। मेरे तीन बेटे हैं। कई बार बच्चों के पीने के लिए दूध नहीं होता था, मुझसे उनकी यह भूख बर्दाश्त नहीं होती थी। मैं अपनी छतरी लेकर घर से बाहर चला जाता था।

सिंदु मरहने-भूतपूर्व मिल कामगारः आर०एम०एम०एस० वाले और गुंडे मुझे भी जबरदस्ती काम पर वापस ले जाने के लिए आए। पर मैंने जाने से इन्कार कर दिया…. जो महिलाएँ मिल में रह कर काम कर रही थीं उनके साथ क्या हो रहा था इस बारे में तरह-तरह की अफवाहें चारों तरफ़ फैली थीं। वहाँ बलात्कार की घटनाएँ घटी थीं।

प्रश्न 2.
1. 1982 की कपड़ा मिल हड़ताल के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों का वर्णन कीजिए।
2. कामगार हड़ताल पर क्यों गए?
3. दत्ता सामंत ने किस तरह हड़ताल की नेतागिरी स्वीकार की?
4. हड़ताल तोड़ने वालों की क्या भूमिका थी?
5. माफिया गिरोहों ने किस तरह इन स्थानों पर अपनी जगह बनाई?
6. इस हड़ताल के दौरान महिलाएँ कैसे परेशान, हुईं, और उनके मुख्य सरोकार क्या थे?
7. हड़ताल के दौरान कामगार और उनके परिवार कैसे अपने आप को बचाए रख पाए?
उत्तर:
1. 1982 की कपड़ा मिल हड़ताल के मजदूरों ने अपने वेतन, बोनस, छुट्टी इत्यादि के मुद्दों को लेकर हड़ताल की थी।

2. मिल के कामगारों ने वेतन, महँगाई भत्ते के अतिरिक्त मिलने वाली और सुविधाओं तथा भत्तों की माँग को लेकर हड़ताल की थी।

3. जब मजदूरों ने काफ़ी अधिक आग्रह किया तो ही दत्ता सामंत ने हड़ताल की नेतागिरी स्वीकार की थी।

4. हड़ताल तोड़ने वालों की इसमें काफ़ी बड़ी भूमिका थी। उन्हें सरकार तथा राज्य दोनों का ही समर्थन प्राप्त था तथा इसलिए ही उन्होंने मिल को जबरन ही खुलवा दिया था।

5. सरकार ने माफिया के गुंड़ों जैसे कि बाबू रेशिम, रमा नायक और अरुण गवली को जेल से छोड़ दिया। इन सभी ने दबाव डालकर इन स्थानों पर अपनी जगह बनाई।

6. महिलाओं को बेइज्जत किया गया, उन्हें मोर्चा निकालने के कारण जेल भेज दिया गया। महिलाओं का मुख्य सरोकार मेहनत मजदूरी करके इज्ज़त के साथ अपने बच्चों का पेट भरना था।

7. हड़ताल का समय काफ़ी मुश्किल समय था। इस समय के दौरान उन्होंने अपने घरों के बर्तन बेचे, वस्तुएं बेची ताकि वह अपने परिवारों को बचा कर रख सकें।

प्रश्न 3.
उदारीकरण की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
1991 में भारत में आर्थिक नीति लागू की गई। उदारीकरण, निजीकरण तथा भूमंडलीकरण इस नीति की प्रमुख विशेषताएं हैं। उदारीकरण की प्रक्रिया 20वीं शताब्दी के अंत में शुरू हुई। चाहे भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया लगभग तीन दशक से चली आ रही है पर सरकारों में बदलाव के साथ-साथ उदारीकरण की नीतियों तथा गति में भी परिवर्तन आता रहा है। उदारीकरण के महत्त्वपूर्ण पहलू तथा विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
(i) उद्योगों को लाइसेंस मुक्त करना ताकि ज्यादा-से-ज्यादा लोग निजी तौर पर पूंजी लगाकर उद्योगों का विकास कर सकें।

(ii) उदयोगों को अनावश्यक प्रतिबंधों से मुक्त करना ताकि उदयोग लगाते समय कोई झिझके न तथा उदयोगों में तेजी से प्रगति हो।

(iii) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ावा देना ताकि देश में विदेशी मुद्रा बढ़े तथा उद्योग ज्यादा-से-ज्यादा लग सकें।

(iv) उद्योगों को बाज़ार की ज़रूरतों के अनुसार उत्पादन करने की छूट देना ताकि मार्किट में चीज़ों के उत्पादन पर किसी एक कंपनी का एकाधिकार न हो तथा मूल्यों में बढ़ोत्तरी न हो।

(v) उद्योगों की मांग तथा अपनी क्षमता के अनुसार वस्तुओं का उत्पादन करने की अनुमति देना।

(vi) उद्योगों तथा व्यापार को नौकरशाही के चंगुल से मुक्त करना क्योंकि व्यापार तथा उद्योगों में सबसे ज्यादा अडंगे नौकरशाही ही डालती है। अगर नौकरशाही अड़गे न डाले तो उद्योग तेज़ गति से तरक्की करेंगे।

(vii) अर्थव्यवस्था पर सरकारी नियंत्रण को कम करना ताकि लोग निजी तौर पर उद्योग लगाने के लिए आगे आएं तथा देश का औद्योगिक विकास हो सके।

(viii) सीमा शुल्क कम करना ताकि आयात-निर्यात को बढ़ावा मिल सके। आयात बढ़ने से कीमतें नियंत्रण में रहेंगी तथा निर्यात बढ़ने से देश के आंतरिक व्यापार में वृद्धि होगी।

(ix) वस्तुओं तथा सेवाओं के आयात-निर्यात से अनावश्यक प्रतिबंध हटाना ताकि व्यापार में बढ़ोत्तरी हो सके।

(x) सार्वजनिक उपागमों को समाप्त करना तथा उनको निजी उद्योगों में बदलना क्योंकि सार्वजनिक उपागमों में सरकारी नियंत्रण ज्यादा होता है तथा उनमें मुनाफा कमाने की क्षमता कम होती है पर निजी हाथों में उद्योगों के आ जाने से कार्यक्षमता बढ़ जाती है तथा निजी क्षेत्र हमेशा मुनाफा कमाने पर ज्यादा ध्यान देते हैं। इस तरह सार्वजनिक उपागमों को निजी हाथों में देने से उनकी कार्यक्षमता बढ़ेगी तथा मुनाफा कमाने के मौके ज्यादा बढ़ेंगे।

प्रश्न 4.
भूमंडलीकरण से भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1991 में देश में आर्थिक सुधार शुरू होने के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के भूमंडलीकरण की प्रक्रिया में तेजी आ गई। भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न चरणों में भूमंडलीकरण किया जा रहा है। एक सर्वेक्षण के अनुसार भूमंडलीकरण में 50 राष्ट्रों में सिंगापुर प्रथम तथा भारत 49वें स्थान पर है।

इससे पता चलता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के भूमंडलीकरण की गति अभी धीमी है। भूमंडलीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर क्या प्रभाव पड़ा उसका संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित है-
(i) भारत की विश्व निर्यात हिस्से में वृद्धि (Increase of Indian Share in World Export)-भूमंडलीकरण की प्रक्रिया के चलते भारत का विश्व में निर्यात का हिस्सा बढ़ा है।

20वीं शताब्दी के आखिरी दशक के दौरान भारत की वस्तुओं तथा सेवाओं में 125% की वृद्धि हुई है। 1990 में भारत का विश्व की वस्तुओं तथा सेवाओं के निर्यात में हिस्सा 0.55% था जोकि 1999 में बढ़कर 0.75% हो गया था।

(ii) भारत में विदेशी निवेश (Foreign Investment in India)-विदेशी निवेश वृद्धि भी भूमंडलीकरण का एक लाभ है क्योंकि विदेशी निवेश से अर्थव्यवस्था की उत्पादन क्षमता बढ़ती है। भारत में निरंतर विदेशी निवेश बढ़ रहा है। 1995-96 से 2000-01 के दौरान इसमें 53% की वृद्धि हुई। इस अवधि के दौरान वार्षिक औसत लगभग $ 500 करोड़ विदेशी निवेश हुआ।

(iii) विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) आयात के लिए विदेशी मुद्रा आवश्यक है। जून, 1991 में विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ One Billion था जिससे सिर्फ दो सप्ताह की आयात आवश्यकताएं ही पूरी की जा सकती थीं। जुलाई, 1991 में भारत में नयी आर्थिक नीतियां अपनायी गईं।

भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण को बढ़ावा दिया गया जिस वजह से देश के विदेशी मुद्रा भंडार में काफ़ी तेज़ी से बढ़ोत्तरी हुई। फलस्वरूप वर्तमान समय में देश में $ 300 Billion के करीब विदेशी मद्रा है। इससे पहले कभी भी देश में इतना विदेशी मद्रा का भंडार नहीं था।

(iv) सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर (Growth of Gross Domestic Product)-भूमंडलीकरण से सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि होती है। देश में 1980 के दशक में वृद्धि दर 5.63% तथा 1990 के दशक के दौरान वृद्धि दर 5.80% रहा। इस तरह सकल घरेलू उत्पादन में थोड़ी सी वृद्धि हुई।

(v) बेरोज़गारी में वृद्धि (Increase in Unemployment)-भूमंडलीकरण से बेरोज़गारी बढ़ती है। 20वीं शताब्दी के आखिरी दशक में मैक्सिको, दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, सिंगापुर, इंडोनेशिया तथा मलेशिया में भूमंडलीकरण के प्रभाव के कारण आर्थिक संकट आया। फलस्वरूप लगभग एक करोड़ लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा तथा वे ग़रीबी रेखा से नीचे आ गए। 1990 के दशक के शुरू में देश में बेरोजगारी दर 6% थी जो दशक के अंत में 7% हो गई। इस तरह भूमंडलीकरण से रोजगार विहीन विकास हो रहा है।

(vi) कृषि पर प्रभाव (Impact on Agriculture)-देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि तथा इससे संबंधित कार्यों का हिस्सा लगभग 29% है जबकि यह अमेरिका में 2%, फ्रांस तथा जापान में 5.5% है। अगर श्रम शक्ति की नजर से देखें तो भारत की 69% श्रम शक्ति को कृषि तथा इससे संबंधित कार्यों में रोजगार प्राप्त है जबकि अमेरिका तथा इंग्लैंड में ऐसे कार्यों में 2.6% श्रम शक्ति कार्यरत है। विश्व व्यापार के नियमों के अनुसार विश्व को इस संगठन के सभी सदस्य देशों को कृषि क्षेत्र निवेश के लिए विश्व के अन्य राष्ट्रों के लिए खोलना है। इस तरह आने वाला समय भारत की कृषि तथा अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती भरा रहने की उम्मीद है।

(vii) शिक्षा व तकनीकी सुधार (Educational and technical reforms) भूमंडलीकरण तथा उदारीकरण का शिक्षा पर भी काफ़ी प्रभाव पड़ा है तथा तकनीकी शिक्षा में तो चमत्कार हो गया है। आज संचार तथा परिवहन के साधनों की वजह से दूरियां काफ़ी कम हो गई हैं। आज अगर किसी देश में शिक्षा तथा तकनीक में सुधार आते हैं तो वह पलक झपकते ही सारी दुनिया में पहुंच जाते हैं। इंटरनेट तथा कंप्यूटर ने तो इस क्षेत्र में क्रांति ला दी है।

(viii) वर्गों के स्वरूप में परिवर्तन (Change in the form of Classes) भूमंडलीकरण ने वर्गों के स्वरूप में भी परिवर्तन ला दिया है। 20वीं सदी में सिर्फ तीन प्रमुख वर्ग-उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग तथा निम्न वर्ग थे पर आजकल वर्गों की संख्या काफी ज्यादा हो गई है। प्रत्येक वर्ग में ही बहत से उपवर्ग बन गए हैं जैसे मज़दर वर्ग. डॉक्टर वर्ग. शिक्षक वर्ग इत्यादि के उनकी आय के अनुसार वर्ग बन गए हैं।

(ix) निजीकरण (Privatization)-भूमंडलीकरण का एक अच्छा प्रभाव यह है कि निजीकरण देखने को मिल रहा है। विकसित तथा विकासशील देशों में बहुत से सार्वजनिक उपक्रम निजी हाथों में चल रहे हैं तथा यह अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। इसी से प्रेरित होकर और ज्यादा सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण हो रहा है।

(x) उद्योग-धंधों का विकास (Development of Industries) आर्थिक विकास की ऊँची दर प्राप्त करने के लिए विदेशी पूंजी निवेश से काफ़ी सहायता मिलती है। इससे न सिर्फ उद्योगों को लाभ मिलता है बल्कि उपभोक्ता को अच्छी तकनीक, अच्छे उत्पाद मिलते हैं तथा साथ ही साथ भारतीय उद्योगों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने की प्रेरणा मिलती है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास

प्रश्न 5.
भारत में मज़दूर संघों की भूमिका पर प्रकाश डालें तथा किसी लंबी चली हड़ताल के बारे में बताएं।
उत्तर:
हमारे देश में बहुत से मजदूर संघ मजदूरों के हितों के लिए कार्य करते हैं परंतु बहुत से मज़दूर संघों में क्षेत्रीयवाद तथा जातिवाद जैसी कई समस्याएँ होती हैं। कई बार काम को बुरी दशाओं के कारण मज़दूर हड़ताल कर देते हैं। वे काम करने नहीं जाते. तालाबंदी होने की स्थिति में मालिक मिल का दरवाजा बंद करके मज़दरों को अंदर जाने नहीं देते हैं। हड़ताल करना काफी मुश्किल निर्णय होता है क्योंकि मालिक बाहर से मजदूर बुलाने की कोशिश करते हैं। श्रमिकों के लिए वेतन के बिना रहना मुश्किल होता है। इस समय पर मजदूर संघ उनके हितों के लिए लड़ते हैं तथा मालिकों पर दबाव बनाते हैं ताकि उनकी मांगों को माना जा सके।

यहां हम 1982 में बंबई कपड़ा मिल में हुई सामंत हड़ताल के बारे में बता सकते हैं जो व्यापार संघ के नेता डॉ० दत्ता सामंत के नेतृत्व में हुई थी। इस हड़ताल के कारण लगभग ढाई लाख मज़दूर तथा उनके परिवार प्रभावित हुए। मजदूरों की माँग थी कि उन्हें अधिक वेतन दिया जाए तथा अपना संघ बनाने की आज्ञा दी जाए। बंबई इंडस्ट्रियल रिलेशंस एक्ट के अनसार संघ बनाने केलिए अनुमति लेनी चाहिए तथा अनमति लेने के लिए हडताल नहीं होनी चाहिए।

कांग्रेस द्वारा समर्थित राष्ट्रीय मिल मजदूर संघ ही एकमात्र मान्यता प्राप्त संघ था तथा उसने बाहर से मजदूर की मांगों को नहीं सुना। धीरे-धीरे दो साल बाद मजदूरों ने काम पर जाना शुरू कर दिया क्योंकि वह हड़ताल से परेशान हो चुके थे। लगभग एक लाख मज़दूर बेरोज़गार हो गए तथा वह अपने गाँवों को लौट गए या दिहाड़ी पर कार्य करने लग गए। बाकी आसपास के क्षेत्रों के बिजली करघा क्षेत्रों
में कार्य करने चले गए।

प्रश्न 6.
औद्योगीकरण की क्या विशेषताएं होती हैं?
उत्तर:
औद्योगीकरण की विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित हैं-
(i) मशीनों से उत्पादन-औद्योगीकरण की प्रक्रिया में उत्पादन मशीनों से होता है न कि हाथों से। इस प्रक्रिया में नयी-नयी मशीनों का ईजाद होता है तथा उन मशीनों की मदद से उत्पादन बढ़ाया जाता है। प्राचीन समाजों में उत्पादन हाथों से होता था इसलिए औद्योगीकरण इतनी उन्नत अवस्था में नहीं था। औद्योगीकरण में उत्पादन नयी मशीनों से तथा ज़्यादा मात्रा में होता है।

(ii) औद्योगीकरण का संबंध उत्पादन की प्रक्रिया से होता है-औद्योगीकरण का संबंध उत्पादन की प्रक्रिया से होता है क्योंकि इस प्रक्रिया के दौरान उत्पादन बढ़ जाता है। इसमें मशीनों की मदद से उत्पादन किया जाता है तथा उत्पादन भी ज़्यादा मात्रा में होता है।

(iii) औद्योगीकरण में परंपरागत शक्ति का प्रयोग नहीं होता-परंपरागत शक्ति वह शक्ति होती है जो मानव शक्ति या पशु शक्ति पर आधारित होती है। औद्योगीकरण में इस मानव या पशु शक्ति की बजाए पेट्रोल, डीज़ल, कोयला, विद्युत् या परमाणु शक्ति का प्रयोग होता है क्योंकि परंपरागत शक्ति की अपेक्षा यह शक्ति ज़्यादा तेज़ी से मशोनों को चलाती है तथा आजकल की मशीनें भी इसी शक्ति से चलती हैं।

(iv) औद्योगीकरण में उत्पादन तेज़ी से होता है-इस प्रक्रिया में उत्पादन बहुत तेज़ गति से होता है। प्राचीन समय में क्योंकि उत्पादन हाथों से होता था इसलिए उत्पादन बहुत कम हुआ करता था परंतु औद्योगीकरण में उत्पादन मशीनों से होता है इसलिए उत्पादन भी ज्यादा मात्रा में होता है। क्योंकि आजकल जनसंख्या भी काफ़ी बढ़ गई है इसलिए उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए ज्यादा मशीनों का प्रयोग होता है ताकि ज्यादा उत्पादन किया जा सके।

(v) औद्योगीकरण में आर्थिक विकास होता है-इस प्रक्रिया में आर्थिक विकास होना ज़रूरी है। उदयोग लग जाते हैं जो न सिर्फ अपने देश की ज़रूरतें परी करते हैं बल्कि दसरे देशों की भी जरूरतें परी करते हैं। इस वजह से ये ज्यादा मुनाफ़ा कमाते हैं तथा देश के लिए भी पैसा कमाते हैं। पैसा कमाने के साथ ये देश को काफ़ी कर भी देते हैं जिससे देश को काफ़ी आमदनी हो जाती है जो कि देश के विकास में खर्च होती है। लोगों को उद्योगों में काम मिलता है जिससे उनका जीवन स्तर ऊँचा होता है जिससे देश का आर्थिक विकास होता है।

(vi) औद्योगीकरण से प्राचीन मान्यतएं टूट जाती हैं-औद्योगीकरण से प्राचीन मान्यताएं टूट जाती हैं। उदाहरण के तौर पर, भारत में इस प्रक्रिया के फलस्वरूप संयुक्त परिवार की मान्यता तथा परंपरा में विघटन हो गया है। इस वजह से संयुक्त परिवार टूट कर केंद्रीय परिवारों में बदल रहे हैं। इस तरह और भी की परंपराओं जैसे जाति प्रथा, विवाह नाम की संस्था में भी बहुत से परिवर्तन आ रहे हैं। इस तरह हम कह सकते हैं कि औद्योगीकरण में प्राचीन परंपराएं टूट जाती हैं।

(vii) औद्योगीकरण में नए वर्गों का उदय होता है-औद्योगीकरण में नए-नए वर्ग सामने आते हैं। अमीर वर्ग, गरीब वर्ग, मध्यम वर्ग, मालिक वर्ग, मज़दूर वर्ग जैसे कई और वर्ग हमारे सामने आते हैं। इस वजह से कइयों को पैसा आ जाता है, कइयों के पास कम हो जाता है। कई ट्रेड यूनियन इत्यादि जैसे वर्ग सामने आ जाते हैं जोकि हमारे समाज में जरूरी हो जाते हैं।

(vii) औद्योगीकरण में प्राकृतिक साधनों का पूरी तरह प्रयोग होता है-इस प्रक्रिया में देश के प्राकृतिक साधनों का पूरी तरह प्रयोग होता है। मशीनों से उत्पादन की वजह से कोयला, डीज़ल, पेट्रोल, बिजली इत्यादि शक्ति का प्रयोग होता है जोकि प्राकृतिक साधनों का हिस्सा होते हैं। इसके अलावा कच्चे माल के लिए कृषि पर तथा भूमि पर ज़रूरत से ज्यादा बोझ पड़ता है जिससे प्राकृतिक साधनों का विनाश होना शुरू हो जाता है।

(ix) औदयोगीकरण में कई तकनीकों का प्रयोग होता है-औदयोगीकरण में हमेशा नई तकनीकों का प्रयोग होता रहता है क्योकि औद्योगीकरण में नयी-नयी मशीनों का प्रयोग होता है। इस वजह से नए-नए आविष्कार होते रहते हैं जिसके कारण हमारे सामने नयी-नयी मशीनें आती हैं जिनका प्रयोग उत्पादन को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस तरह हमने देखा कि औद्योगीकरण में बहुत-सी विशेषताएं होती हैं पर इस प्रक्रिया की वजह से कई समस्याएं भी आती हैं।

प्रश्न 7.
औद्योगीकरण के समाज पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
औद्योगीकरण के समाज पर बहुत से अच्छे-बुरे प्रभाव पड़ते हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) श्रम विभाजन-प्राचीन समय में किसी चीज़ का उत्पादन परिवार में ही हुआ करता था। सभी को उस चीज़ के उत्पादन से संबंधित कार्य आते थे तथा वे सभी मिल-जुल कर कार्य करके उसका उत्पादन कर लिया करते थे। पर औद्योगीकरण की वजह से काम मशीनों पर होना शुरू हो गया जिस वजह से श्रम विभाजन का संकल्प हमारे सामने आया।

किसी चीज़ का उत्पादन कई चरणों में होता है। हर चरण में अलग-अलग काम होते हैं। अब हर कोई अलग-अलग काम करता है, जैसे कपड़ा बनाने में कोई किसी मशीन को चलाता है, कोई किसी मशीन को। अगर कोई रंगाई करता है तो यह भी श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण का काम हो जाता है। इस तरह हर काम में श्रम विभाजन हो गया है। हर कोई एक खास काम करता है तथा उसका उसी काम में विशेषीकरण हो जाता है। यह औद्योगीकरण की वजह से हुआ है।

(ii) यातायात के साधनों का विकास-औद्योगीकरण की वजह से यातायात से साधनों का भी विकास हुआ है। फैक्टरियों में उत्पादन के लिए कच्चे माल की ज़रूरत होती है। कच्चे माल की फैक्टरियों तक दूर-दूर के इलाकों से पहुँचाने के लिए ट्रेन, ट्रकों इत्यादि जैसे यातायात के साधनों का विकास हुआ है। इसके अलावा बने हुए माल को फैक्टरी से बाज़ार तक पहुँचाने के लिए भी इन यातायात के साधनों की जरूरत होती है जिनका धीरे-धीरे विकास हो गया। इस तरह औद्योगीकरण की वजह से यातायात के साधनों का विकास तेजी से हुआ।

(iii) फैक्टरियों के उत्पादन में बढ़ौतरी-औदयोगीकरण की वजह से चीजों का उत्पादन घरों से निकल कर फैक्टरी में आ गया जहां पर उत्पादन हाथों की बजाए मशीनों से होता है। हाथों से उत्पादन धीरे-धीरे होता है पर मशीनों से उत्पादन तेजी से होता है। चाहे जनसंख्या के बढ़ने से खपत में भी बढ़ोत्तरी हुई पर इसके साथ-साथ नए-नए आविष्कार हुए जिनसे उत्पादन भी और बढ़ता गया। इस तरह चीज़ों के उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी औद्योगीकरण की वजह से हुई।

(iv) शहरों के आकार में बढ़ौतरी-औद्योगीकरण के बढ़ने से शहरों के आकार भी बढ़ने लगे। उद्योग शहरों में लगते थे जिस वजह से गांवों के लोग शहरों की तरफ जाने लगे। रोज़-रोज़ गांव में जाना मुमकिन नहीं था इसलिए लोग अपने परिवार भी शहर ले जाने लगे। जनसंख्या के बढ़ने से शहरों में जनसंख्या कम होने लगी जिस वजह से धीरे-धीरे शहरों के आकार बढ़ने लगे तथा धीरे-धीरे नगरीयकरण का संकल्प हमारे सामने आया।

(v) पूंजीवाद-औद्योगीकरण की वजह से पूंजीवाद का भी जन्म हुआ। जब घरों में उत्पादन हुआ करता था तो ज़्यादा पूंजी की ज़रूरत नहीं होती थी क्योंकि उत्पादन कम होता था तथा उत्पादन घर में ही हो जाता था पर औदयोगीकरण ने फैक्टरी प्रथा को जन्म दिया। फैक्टरी बनाने के लिए बहुत ज्यादा पूंजी की ज़रूरत पड़ी। फैक्टरी बनाने के लिए, कच्चा माल खरीदने के लिए, बनी हुई चीज़ को बाज़ार में बेचने के लिए, मज़दूरों को तनख्वाह देने तथा कई और कामों के लिए बहुत ज्यादा पूंजी की ज़रूरत पड़ी।

जिनके पास पैसा था उन्होंने बड़ी-बड़ी फैक्टरियां खड़ी कर ली तथा धीरे-धीरे पैसे की मदद से और पैसा कमाने लग गए। इसके साथ-साथ समाज में कई और वर्ग जैसे व्यापारी, मालिक, मज़दूर, दलाल इत्यादि हमारे सामने आए तथा व्यापार में भी बढ़ोत्तरी हुई। पैसे की मदद से उत्पादित चीजें और देशों को भेजी जाने लगी जिससे और पैसा आने लगा। इस पैसे की वजह से और देशों पर कब्जे होने लगे जिसे हम साम्राज्यवाद कहते हैं। इसने और देशों का शोषण करने को प्रेरित किया। इस तरह पूंजीवाद का जन्म हुआ जिसने कई और समस्याओं को जन्म दिया।

(vi) कुटीर उद्योगों का ख़त्म होना-इसकी वजह से गांवों में लगे कुटीर उद्योग ख़त्म हो जाते हैं। इसमें उत्पादन मशीनों से होता है जोकि सस्ता तथा अच्छा भी होता है। पर कुटीर उद्योग में क्योंकि उत्पादन हाथों से होता है जिस वजह से वह महंगा तथा मशीनों जैसा अच्छा भी नहीं होता है। इस तरह फैक्टरियों का माल बिकने लग जाता है तथा कुटीर उद्योगों का माल बिकना बंद हो जाता है जिस वजह से इन कुटीर उद्योगों में आर्थिक संकट आ जाता है तथा यह धीरे-धीरे बंद हो जाते हैं। इस तरह औद्योगीकरण कुटीर उद्योगों के विनाश का कारण बनता है।

(vii) रहने की जगह की समस्या-उद्योग नगरों में लगते हैं। गाँवों से हजारों लोग शहरों में इन उद्योगों में काम की तलाश में आते हैं जिस वजह से शहरों में रहने की जगह की या मकानों की समस्या हो जाती है। इस समस्या से निपटने के लिए कई-कई लोग एक कमरे में रहते हैं जिस वजह से उनमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जन्म लेती हैं। इसी के साथ गंदी बस्तियां भी पनप जाती हैं जो शहरों में गंदगी फैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं।

(viii) बेकारी-औद्योगीकरण की वजह से बेकारी की समस्या भी बढ़ जाती है। पुराने तरीकों से उत्पादन हाथों से होता है जिस वजह से सभी को काम मिल जाता है पर इस प्रक्रिया में नए-नए आविष्कार होते रहते हैं तथा मशीनें भी आती रहती हैं जिस वजह से मजदूरों को काम से हटा दिया जाता है। उनकी जगह मशीनें आ जाती हैं। एक एक मशीन दस-दस मज़दूरों का काम कर सकती है। वे मजदूर बेकार हो जाते हैं। इस तरह औद्योगीकरण बेकारी की समस्या को भी बढ़ावा देता है द्धनहीं जाती, उन्हें प्रदूषण में काम करना पड़ता है जिस वजह से उनके स्वास्थ्य पर काफ़ी हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

(ix) स्वास्थ्य की समस्या-औद्योगीकरण का एक और प्रभाव मजदूरों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। इन उद्योगों का वातावरण मजदूरों की सेहत के लिए काफ़ी हानिकारक होता है। वहां ताजी हवा नहीं जाती, उन्हें प्रदूषण में काम करना पड़ता है जिस वजह से उनके स्वास्थ्य पर काफ़ी हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

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HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Solutions Chapter 5 औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास

HBSE 12th Class Sociology औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास Textbook Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
अपने आसपास वाले किसी भी व्यवसाय को चुनिए-और इसका वर्णन निम्नलिखित पंक्तियों में कीजिए-
(क) कार्य शक्ति का सामाजिक संघटन-जाति, लिंग, आयु, क्षेत्र;
(ख) मज़दूर प्रक्रिया-काम किस तरह किया जाता है;
(ग) वेतन एवं अन्य सुविधाएँ;
(घ) कार्यवस्था-सुरक्षा, आराम का समय, कार्य के घंटे इत्यादि।
अथवा
ईंटें बनाने के, बीड़ी रोल करने के, सॉफ्टवेयर इंजीनियर या खदान के काम जो बॉक्स में वर्णित किए गए हैं के कामगारों के सामाजिक संघटन का वर्णन कीजिए। कार्यावस्थाएँ कैसी हैं और उपलब्ध सुविधाएँ कैसी हैं? मधु जैसी लड़कियाँ अपने काम के बारे में क्या सोचती हैं?
उत्तर:
मैंने अध्यापन व्यवसाय का चुनाव किया है।
(i) कार्यशक्ति का सामाजिक संघटन-जिस स्कूल में मैं पढ़ाता हूँ वहां पर सभी जातियों तथा दोनों लिंगों के लोग कार्य करते हैं। स्त्री-पुरुष इकठे मिलकर कार्य करते हैं तथा जाति से संबंधित कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। वृद्ध युवा इत्यादि सभी इकट्ठे मिलकर कार्य करते हैं। वृद्ध अध्यापक युवा अध्यापकों को दिशा दिखाते हैं ताकि वह ठीक ढंग से पढ़ा सकें।

(ii) मज़दूर प्रक्रिया-सवेरे सभी अध्यापक स्कूल जाते हैं। सभी को अपनी-अपनी क्लास, टाईम टेबल के बारे में पता होता है। सभी समय तथा पीरियड के अनुसार अपनी-अपनी कक्षाएं लेते हैं। विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को दूर-दराज के क्षेत्रों से लाने के लिए स्कूल की बसें भी चलती हैं। अध्यापकों को उनकी योग्यता तथा अनुभव के अनुसार ही परिश्रम दिया जाता है।

(iii) आराम का समय-अध्यापकों को पढ़ाने के पीरियडों के बीच आराम भी दिया जाता है ताकि वह अधिक थक न जाएं।

(iv) कार्य के घंटे-स्कूल में अध्यापकों को लगभग 7 घंटे बिताने पड़ते हैं तथा बच्चों को पढ़ाना पड़ता है।
अथवा
इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी स्वयं दें।

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प्रश्न 2.
उदारीकरण ने रोज़गार के प्रतिमानों को किस प्रकार प्रभावित किया है?
उत्तर:
हमारा देश एक कषि प्रधान देश है। उदारीकरण के कारण अधिक-से-अधिक लोग सेवा क्षेत्र जैसे कि दुकानों, बैंक, आई.टी., उद्योग, होटल्स तथा और सेवाओं के क्षेत्रों में आ रहे हैं। इससे नगरों में मौजूद मध्यवर्ग की संख्या भी बढ़ रही है। शहरों में मौजूद मध्यवर्ग के साथ उन मूल्यों की भी बढ़ौतरी हो रही है जो हमें टी.वी. सीरियलों तथा फिल्मों में दिखाई देते हैं। परन्तु हमें यह दिखाई देता है कि देश में काफ़ी कम लोगों के पास सुरक्षित रोजगार हैं तथा जिनके पास है वह भी अनुबंधित श्रमिकों के कारण असुरक्षित हो रहे हैं।

अब तक सरकारी नौकरियां ही अधिकतर लोगों के कल्याण करने का बड़ा रास्ता थी परंतु अब वह भी कम होती जा रही हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार विश्वव्यापी उदारीकरण तथा निजीकरण के साथ व्यक्तियों की आय के बीच असमानताएँ भी बढ़ती जा रही हैं। इसके साथ-साथ बड़े-बड़े उद्योगों में सुरक्षित रोज़गार के मौके कम होते जा रहे हैं।

सरकार बड़े-बड़े उद्योग लगवाने के लिए किसानों की भूमि अधिग्रहण कर रही है। यह उद्योग उस क्षेत्र के लोगों को रोजगार नहीं देते क्योंकि उद्योगों के लिए पेशेवर तथा सिलाई प्राप्त कामगारों की आवश्यकता होती है बल्कि यह तो वहाँ पर हरेक प्रकार का जबरदस्त प्रदूषण फैलाते हैं।

बहुत से किसानों, जिनमें से मुख्य आदिवासी हैं, ने जमीन की कम कीमत देने का विरोध किया है। इन्हें मजबूरी में दिहाड़ीदार मज़दूर बनना पड़ा तथा इन्हें बड़े उद्योगों के फुटपाथ पर कार्य करते हुए देखा जा सकता है। इस प्रकार उदारीकरण ने रोज़गार के प्रतिमानों को कई प्रकार से प्रभावित किया है।

औद्योगिक समाज में परिवर्तन और विकास HBSE 12th Class Sociology Notes

→ यह अध्याय मुख्यतः हमें औद्योगीकरण तथा उदारीकरण के प्रभावों के बारे में बता रहा है कि किस प्रकार औद्योगीकरण ने हमारे समाज को प्रभावित किया है। यह अध्याय हमें यह भी बताता है कि किस प्रकार प्रौदयोगिकी में होने वाले परिवर्तनों से उदयोगों तथा सामाजिक संबंधों में परिवर्तन आते हैं।

→ औद्योगीकरण एक ऐसी धारणा है जिसमें मशीनों का सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान है। बड़े-बड़े उद्योगों में क मशीनों तथा श्रम विभाजन की सहायता से कार्य किया जाता है। हरेक श्रमिक एक छोटा सा पुर्जा बनाता है तथा वह मुख्य उत्पाद को देख तक नहीं पाता है।

→ सन् 2000 में भारत के लगभग 60% लोग प्राथमिक क्षेत्र, 17% द्वितीयक क्षेत्र तथा 23% लोग तृतीयक क्षेत्र के कार्यों से जुड़े हुए थे। इस समय में कृषि कार्यों के हिस्से में काफ़ी तेजी से कमी आयी तथा औद्योगिक क्षेत्र से जुड़ने वाले लोग तेज़ी से बढ़ गए।

→ भारत में स्वतंत्रता से पहले औद्योगिक प्रगति न के बराबर थी। चाहे स्वतंत्रता के बाद सरकार ने उद्योगों की तरफ विशेष ध्यान दिया परंतु इतनी तेज़ी से उद्योग विकसित न हो पाए। परंतु 1990 के दशक में सरकार ने उदारीकरण की नीति को अपनाया जिससे लाइसेंस नीति को खत्म किया गया। इसके बाद भारत में उद्योग तेजी से विकसित हुए।

→ 1991 के बाद सरकार ने विनिवेश की नीति अपनायी जिसमें सार्वजनिक कंपनियों को निजी उद्योगों को बेचा गया। निजी कंपनियों ने अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए कर्मचारियों की छंटनी शुरू की। यह छंटनी केवल भारत में ही नहीं बल्कि संपूर्ण संसार में ही हो रही है।

→ आजकल उद्योगों में कर्मचारियों को पक्के तौर पर नहीं बल्कि ठेके या संविदा के अनुसार रखा जाता है। कर्मचारी को निश्चित समय के लिए निश्चित तनखाह पर रखा जाता है। अगर उसका कार्य अच्छा हो तो ठेका आगे बढ़ा दिया जाता है नहीं तो नौकरी से निकाल दिया जाता है।

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→ आजकल उद्योगों में मैनेजर रखे हुए होते हैं जिनका मुख्य कार्य है कामगारों को नियंत्रित रखना तथा उनसे अधिक काम करवाना। उनके कार्य के घंटों में वृद्धि कर दी जाती है तथा कार्य को संगठित रूप से करवाकर उत्पादन भी बढ़ा लिया जाता है। उद्योगों में श्रमिकों से काफ़ी अधिक काम लिया जाता है तथा विश्राम का काफ़ी कम समय दिया जाता है। रोज़ाना इतना अधिक कार्य करते-करते श्रमिक इतना थक जाते हैं कि 40 वर्ष की आयु तक पहुँचते पहुँचते वह निढाल हो जाते हैं।

→ उद्योगों में कार्य करने की अवस्थाएं शोषण से भरपूर होती हैं। उदाहरण के तौर पर कोयले की खानों में कार्य करने के स्पष्ट नियम बनाए गए हैं परंतु ठेकेदार इनका पालन नहीं करते। दुर्घटना के समय किसी को मुआवजा नहीं दिया जाता तथा गड्ढ़ों को भरा नहीं जाता।

→ घरों पर किया जाने वाला कार्य आर्थिकी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है जो महिलाओं तथा बच्चों द्वारा किया जाता है। उन्हें कच्चा माल पर पीस के हिसाब से दे दिया जाता है तथा उनसे प्रत्येक पीस के हिसाब से उत्पादित माल ले लिया जाता है तथा पैसे दे दिए जाते हैं।

→ बहुत बार काम की बुरी दशाओं के कारण श्रमिक हड़ताल भी कर देते हैं। वे काम पर नहीं जाते हैं, तालाबंदी हो जाती है तथा बिना वेतन के कामगारों के लिए रहना मुश्किल हो जाता है।

→ औद्योगीकरण-देश में उद्योगों के बढ़ने की प्रक्रिया।

→ मिश्रित आर्थिक नीति-वह आर्थिक नीति जिसमें कुछ क्षेत्र सरकार के लिए आरक्षित होते हैं तथा कुछ निजी क्षेत्रों के लिए खुले होते हैं।

→ उदारीकरण-वह प्रक्रिया जिसमें विदेशी फर्मों को देश में निवेश करने के लिए प्रोत्सहित किया जाता है।

→ विनिवेश-सार्वजनिक कंपनियों के शेयर्स को निजी क्षेत्र की कंपनियों को बेचने की प्रक्रिया।

→ विस्थापति-वह लोग जिन्हें अपनी भूमि से बेदखल कर कहीं और बसाने का प्रयास किया जाता है।

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HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Haryana State Board HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water Textbook Exercise Questions and Answers.

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HBSE 12th Class English Deep Water Textbook Questions and Answers

Question 1.
How does Douglas make clear to the reader the sense of panic that gripped him as he almost drowned? Describe the details that have made the description vivid. (डगलस ने पाठकों को किस प्रकार अपने भय की वह भावना स्पष्ट की जिसने उसे उस समय जकड़ लिया जब वह लगभग डूब गया था ? उस विस्तार का वर्णन करो जो इसे स्पष्ट बनाता है।)
Or
Narrate briefly the writer’s emotions and fears when he was thrown into the pool ? What plans did he make to come to the surface ? (लेखक की भावनाओं और उसके भयों का वर्णन करो जब उसे पानी में फेंक दिया गया ? उसने सतह पर आने के लिए क्या योजनाएँ बनाई ?)
Answer:
Douglas was alone at the pool. He sat at the edge of the pool. He could not imagine what was going to happen to him. Suddenly a big boy came and threw him into the pool. He landed at the bottom of the pool in its deepest part. Douglas was greatly frightened. But still he had not lost his presence of mind. He was planned to touch the bottom of the pool with his feet and jump upwards. He thought that he then swim on the surface of the water towards the edge of the pool. But it took a long time going down. The nine feet appeared to be more than ninety. His feet touched the bottom.

As planned, he hit the bottom with his feet and started coming up. But he was coming up very slowly. He opened his eyes and saw nothing but water. He grew panicky. It appeared to him as if a great force was pulling him down. His leg seemed to be paralyzed. He made another jump upwards. But that made no difference. He thought that he was going to die. He called for help, but nothing happened. When he came to his senses, he was lying beside the pool, vomiting. Someone had saved him from drowning.

(डगलस ताल के पास अकेला था। वह ताल के किनारे पर बैठा था। वह इस बात की कल्पना नहीं कर सकता था कि उसके साथ क्या होने जा रहा था। अचानक ही एक बड़ा लड़का आया और उसे ताल में फेंक दिया। वह तालाब के सबसे गहरे सिरे में ताल के तल पर जा गिरा। डगलस बहुत अधिक डर गया था। लेकिन फिर भी उसने अपनी बुद्धि को नहीं खोया था। वह नीचे जा रहा था, उसने योजना बनाई कि जब वह अपने पैरों के साथ ताल के तल को स्पर्श करेगा तो वह ऊपर की ओर छलाँग लगाएगा। उसने सोचा कि वह पानी से बाहर आ जाएगा। तब वह पानी की सतह पर तैर कर ताल के सिरे तक आ जाएगा।

लेकिन नीचे जाने में काफी समय लगा। नौं फुट, नब्बे फुट से भी गहरे प्रतीत हो रहे थे। उसके पैरों ने तल को स्पर्श किया। योजना के अनुसार, उसने अपने पैरों के साथ तल पर प्रहार किया और ऊपर आना शुरू कर दिया। लेकिन वह बहुत धीरे-धीरे ऊपर आ रहा था। उसने अपनी आँखें खोली और उसे पानी के सिवाय और कुछ भी दिखाई नहीं दिया। वह भयभीत हो गया। उसे ऐसा लगा कि कोई बहुत बड़ी ताकत उसे नीचे की ओर खींच रही थी। उसकी टाँगें सुन्न हो गई थीं। उसने ऊपर की ओर एक और छलाँग लगाई। लेकिन उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने सोचा कि अब वह मर जाएगा। वह मदद के लिए चिल्लाया लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। जब उसे होश आया, तो वह ताल के पास में पड़ा हुआ उल्टियाँ कर रहा था। किसी ने उसे डूबने से बचा लिया था।)

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Question 2.
How did Douglas overcome his fear of water? [H.B.S.E. 2017 (Set-A)] (डगलस ने पानी के प्रति अपने भय पर किस प्रकार काबू पाया ?)
Answer:
After that incident, a haunting fear remained in his heart. He never went back to the pool. He feared water and tried to avoid it. The fear of water remained with him as years rolled by. He tried his best to overcome this fear but it remained with him. Finally, one October, he got an instructor. With him he practiced for five days a week. The instructor taught him step by step how to swim. He taught him how to put his face under water and exhale. And then how to raise his nose and inhale. He repeated the exercises hundreds of time.

Still, he wondered whether he would be terrified when he would be alone in a pool. In order to overcome his fear, the author went to Lake Wentworth in New Hampshire. He dived off a dock at Triggs Island. He swam two miles across the lake to Stamp Act Island. Only once he felt some fear when he was in the middle of the lake. But soon he overcame that fear. Then he swam back. He shouted with joy. Thus finally, he was able to conquer his fear of water and swimming.

(उस दुर्घटना के पश्चात्, उसके मन में डर रहने लगा। वह फिर कभी ताल पर नहीं गया। वह पानी से डरता था और उससे दूर रहने का प्रयास करता था। जैसे-जैसे वर्ष बीतते गए उसके अंदर पानी का डर उसी प्रकार से बना रहा। उसने अपने डर के ऊपर काबू पाने का पूरा प्रयास किया लेकिन यह डर उसके अंदर बना ही रहा। अंततः एक अक्तूबर मास में उसे एक प्रशिक्षक मिला। उसके साथ उसने सप्ताह में पाँच दिन अभ्यास किया। प्रशिक्षक ने उसे क्रमवार सिखाया कि कैसे तैरा जाता है। उसने उसे बताया कि पानी के अन्दर मुँह से कैसे साँस छोड़ना है। और फिर कैसे अपनी नाक ऊपर करके साँस लेना है।

उसने इन अभ्यासों को सैंकड़ों बार दोहराया। फिर भी वह हैरान था कि जब कभी वह ताल में अकेला होगा तो उसे फिर भी डर लगेगा। अपने डर पर विजय हासिल करने के उद्देश्य से, लेखक न्यू हैम्पशायर में वेंटवर्थ झील पर गया। उसने एक डॉक से ट्रिग्स आइलैंड पर छलाँग लगा दी। वह झील में स्टैम्प एक्ट आइलैंड तक दो मील तक तैरता रहा। केवल एक बार उसे कुछ डर लगा। जब वह झील के मध्य में था। लेकिन शीघ्र ही उसने उस डर पर विजय हासिल कर ली। तब वह तैर कर वापस आया। वह खुशी से चिल्ला उठा। इस तरह अंततः वह पानी से भय और तैराकी पर विजय हासिल करने में सफल रहा।)

Question 3.
Why does Douglas as an adult recount a childhood experience of terror and his conquering of it? What larger meaning does he draw from this experience? (वयस्क होने पर डगलस अपने बचपन के भय के अनुभव और उस पर काबू पाने का वर्णन क्यों करता है ? वह इस अनुभव से क्या वृहत अर्थ निकालता है ?)
Answer:
In ‘Deep Water’, Douglas recounts a childhood experience of terror. He was almost drowned in a pool. Douglas also tells us about his determination to overcome his fear of water. When he was a boy, one day William Douglas went to a swimming pool. He sat at the edge of the pool. Suddenly a muscular boy came and threw him into the pool. Douglas was nearly drowned in the water. That incident created a fear of water in him.

That fear remained with him till he grew up. Then he decided to overcome that fear. He made determined efforts and learnt swimming. In the end, he was able to overcome his fear of water and swimming. This experience has a symbolic meaning. Douglas wants to convey the idea those persons can appreciate an experience who have gone through it. Secondly his experience tells us that with determination we can overcome our fears.

The fear of water was created in Douglas’ mind after a boyhood experience. One day a big boy threw him into a swimming pool. He was nearly drowned. That fear remained with him as he grew up. Finally he made up his mind to get rid of that fear. He got a swimming instructor. He taught Douglas how to swim. Still he was not fully free from fear. Then one day, he went to Lake Wentworth in New Hampshire.

He dived off a dock at Triggs Island. He swam two miles across the lake to Stamp Act Island. Only once he felt some fear when he was in the middle of the lake. But soon he overcame that fear. Then he swam back. He shouted with joy. Thus finally, he was able to conquer his fear of water and swimming.

(‘डीप वॉटर’ अध्याय में डगलस बचपन की अति आतंकित करने वाली बचपन की एक घटना याद करता है। वह एक ताल में लगभग डूब ही गया था। डगलस हमें पानी से लगने वाले डर पर विजय पाने के अपने दृढ़ निश्चय के बारे में बताता है। जब वह एक लड़का था, एक दिन विलियम डगलस एक तरणताल पर गया। वह ताल के किनारे पर बैठा था। अचानक ही एक हृष्ट-पुष्ट लड़का आया और उसने डगलस को पानी में फेंक दिया। डगलस पानी में लगभग डूब ही चुका था। इस घटना ने उसके अंदर भय पैदा कर दिया। यह भय उसके अंदर बड़ा होने तक भी बना रहा। तब उसने इस डर पर विजय हासिल करने का निर्णय लिया। उसने दृढ़-निश्चय भरे प्रयास किए और तैरना सीख लिया। अंत में, वह पानी और तैराकी से लगने वाले डर पर काबू पाने में सफल रहा।

इस अनुभव का एक सांकेतिक अर्थ है। डगलस इस विचार को प्रसारित करना चाहता है कि जो लोग किसी अनुभव से गुजरते हैं वे लोग ही उस अनुभव की प्रशंसा कर सकते हैं। दूसरी बात यह अनुभव हमें बताता है कि दृढ़-निश्चय के साथ हम अपने डर पर काबू पा सकते हैं। पानी से डर लगने की बात डगलस के मन में बचपन के एक अनुभव के बाद पैदा हुई थी। एक दिन एक बड़े लड़के ने उसको एक तरणताल में फेंक दिया। वह लगभग डूब ही चुका था। यह डर उसके अन्दर तब भी बना रहा जब वह बड़ा हो गया। आखिरकार उसने इस डर से छुटकारा पाने का निर्णय कर लिया। वह एक तैराकी प्रशिक्षक से मिला। उसने डगलस को तैरना सिखाया, लेकिन अभी भी वह पूरी तरह डर से मुक्त नहीं हुआ था। तब एक दिन वह न्यू हैम्पशायर में वेंटवर्थ लेक पर गया। वहाँ उसने एक डॉक से ट्रिग्स आइलैंड पर छलाँग लगा दी। वह स्टैम्प एक्ट आइलैंड तक दो मील तक झील में तैर कर गया। केवल एक बार उसे डर लगा जब वह झील के मध्य में था। लेकिन शीघ्र ही उसने उस डर पर काबू पा लिया। तब वह तैर कर वापस आया। वह खुशी से चिल्ला उठा। अंततः वह पानी और तैराकी से डर पर काबू पाने में सफल रहा।)

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Think As You Read

Question 1.
What is the “misadventure” that William Douglas speaks about? (विलियम डगलस किस “दुर्घटना” का वर्णन करता है ?) [H.B.S.E. 2017 (Set-C)]
Answer:
When he was a boy, William Douglas went to the YMCA swimming pool. He was alone there. Just then a big boy came there. He was physically stronger than the author. He picked up the author and threw him into the deep end of the pool. William Douglas went at once to the bottom of the pool. He feared that he would be drowned. However, some people saved him. This is the misadventure, he speaks about.

(जब विलियम डगलस एक बालक था, तो वह YMCA के तरणताल गया। वह वहाँ अकेला था। तभी वहाँ एक बहुत बड़ा लड़का आया। वह लेखक की तुलना में शारीरिक रूप से अधिक शक्तिशाली था। उसने लेखक को ऊपर उठाया और ताल के गहरे वाले सिरे में फेंक दिया। विलियम डगलस एकदम से ताल के गहरे तल में चला गया। वह भयभीत था कि वह डूब जाएगा। हालाँकि कुछ लोगों ने उसे बचा लिया। यह वही दुर्घटना है, जिसके बारे में वह बात कर रहा है।)

Question 2.
What were the series of emotions and fears that Douglas experienced when he was thrown into the pool? What plans did he make to come to the surface?
(जब डगलस को ताल में फेंक दिया गया तो उसने किन भावनाओं एवं भय का अनुभव किया ? उसने सतह पर आने के लिए क्या योजनाएँ बनाईं ?)
Answer:
A big boy threw Douglas into the pool. He landed in a sitting position at the bottom. He was frightened. But he did not lose heart. He planned that as soon as his feet touched the bottom, he would make a big jump upwards. It would bring him to the surface. He would float on the surface and then would paddle to the edge of the pool.

(एक बड़े लड़के ने डगलस को ताल में फेंक दिया। वह तल पर बैठने की स्थिति में पहुँच गया। वह डरा हुआ था। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने योजना बना ली थी कि जैसे ही उसके पाँव तल को छूएँगे, तो वह ऊपर की ओर एक बड़ी छलाँग लगाएगा। इससे वह सतह पर आ जाएगा। वह सतह के ऊपर तैर जाएगा और वहाँ से तैरते हुए वह ताल के किनारे तक पहुंच जाएगा।)

Question 3.
How did this experience affect him? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-A)] (इस अनुभव ने उसे किस प्रकार प्रभावित किया ?)
Or
Mention any two long term consequences of the drowing incident on Douglas. (डगलस पर डूबने की घटना के किसी भी दो दीर्घावधिक परिणामों का उल्लेख करें।) [H.B.S.E. 2019 (Set-D)]
Answer:
Douglas was nearly drowned in the swimming pool. This experience greatly affected him. He was afraid of water. He never went back to the pool. He tried to avoid it whenever he could. Whenever he tried to swim, the memory of that painful experience came back to him. His fear would return. Then he started trembling and his legs were paralyzed.

(डगलस तरणताल में लगभग डूब ही चुका था। उसके इस अनुभव ने उसको बुरी तरह प्रभावित किया। उसे पानी से डर लगने लगा। वह फिर कभी ताल पर नहीं गया। जब भी कभी मौका होता था तो वह वहाँ जाने से बचता था। जब कभी वह तैरने का प्रयास करता था तो उस भयानक अनुभव की यादें उसे ताजा हो जाती थीं। उसका डर लौट आता था। तब वह काँपने लग जाता था और जैसे उसकी टाँगें तो सुन्न हो जाती थीं।)

Question 4.
Why was Douglas determined to get over his fear of water? [H.B.S.E. 2017, 2018 (Set-B)] (डगलस पानी के प्रति अपने भय पर काबू पाने के लिए दृढ़ संकल्प क्यों था ?)
Answer:
In his boyhood, Douglas was nearly drowned in a pool. That incident created in him a fear of water. This fear stayed with him as the years rolled by. That fear ruined his joy of boating, fishing and swimming. So he was determined to get rid of this fear of water.

(बचपन में, डगलस एक ताल में लगभग डूब ही गया था। उस घटना ने उसके मन में पानी के प्रति एक भय पैदा कर दिया था। जैसे-जैसे साल बीतते गए उसका डर उसके साथ बना रहा। उस डर ने उसके नौका चालन करने, मछली पकड़ने और तैरने का मजा लेने को समाप्त कर दिया था। इसलिए उसने पानी के डर से मुक्ति पाने का पक्का निश्चय कर लिया था।)

Question 5.
How did the instructor “build a swimmer” out of Douglas? (प्रशिक्षक ने डगलस को किस प्रकार तैराक बना दिया ?) Or What special method did the instructor use to teach the writer (Douglas) to swim? (प्रशिक्षक ने लेखक (डगलस) को तैराकी सिखाने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया?) [H.B.S.E. 2020 (Set-B)]
Answer:
Douglas got an instructor to teach him how to swim. The instructor put a belt around him. A rope was attached to this belt. It went through a pulley that ran on an overhead cable. Thus Douglas was able to go back and forth across the pool. He was taught to put his face under water and exhale and to raise his nose and exhale. Gradually Douglas shed his fear of water. In this way the instructor built a swimmer out of Douglas.

(डगलस को तैराकी सिखाने वाला एक प्रशिक्षक मिला। प्रशिक्षक ने उसके चारों ओर एक बेल्ट बाँध दी। उसकी बेल्ट से एक रस्सी बंधी हुई थी। यह एक पुली से होकर ऊपर बंधी केबल तक जाती थी। इस तरह से डगलस ताल में अंदर-बाहर जाता रहा और पुल को पार करने लायक हो गया। उसे पानी के अन्दर मुँह डालकर साँस छोड़ना और नाक ऊपर उठाकर साँस लेना सिखाया गया। धीरे-धीरे डगलस का पानी के प्रति भय समाप्त हो गया। इस तरह से प्रशिक्षण ने डगलस को एक तैराक के रूप में तैयार कर दिया।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Question 6.
How did Douglas make sure that he conquered his old terror? (डगलस ने यह किस प्रकार सुनिश्चित किया कि उसने अपने पुराने भय पर काबू पा लिया है?) Or Why did Douglas go to Lake Wentworth in New Hampshire?[H.B.S.E.2019 (Set-A), 2020 (Set-D)] (डगलस न्यू हैम्पशायर में लेक वेटवर्थ पर क्यों गया?)
Answer:
Douglas learnt how to swim. But whenever he was alone in the pool, the memories of the old terror were revived. He was still not fully confident. He wanted to make sure that he was free from fear. For this purpose, he went to Lake Wentworth. There he dived off a dock at Triggs Island. He swam for two miles. In this way he conquered his fear of water.

(डगलस ने तैरना सीख लिया। लेकिन जब कभी वह ताल में अकेला होता था, तो पुराने वाले भय की यादें ताजा हो जाती थीं। वह अभी भी पूरी तरह से विश्वास से भरा हुआ नहीं था। वह इस बात का यकीन करना चाहता था कि वह भय से मुक्त था। इस लक्ष्य को लेकर वह वेंटवर्थ झील पर गया। वहाँ उसने ट्रिग्स आइलैंड पर डॉक से छलाँग लगा दी। वह दो मील तक तैरता रहा। इस तरह से उसने अपने भय पर विजय हासिल कर ली।)

Talking About The Text

Question 1.
“All we have to fear is fear itself.” Have you ever had a fear that you have now overcome? Share your experience with your partner. (“हमें जिससे डरना है वह केवल डर है।” क्या आपको कभी कोई भय हुआ है, जिस पर आपने काबू पा लिया है ? अपने अनुभव को अपने मित्र के साथ बांटिए।)
Answer:
Roosevelt rightly said, “All we have to fear is fear itself.” These words have a deeper meaning. Often some fears remain with us for a long time. But if we take courage and face them, we find that most of our fears are baseless. As a child, I was afraid of darkness and ghosts. I had often heard the stories that there are ghosts in the darkness. As a result, I could not sleep in the darkness. My parents tried their best to remove that fear. As the years passed, I was able to sleep in the dark in the presence of others. But I could never sleep alone in a dark room.

One day, my parents had to go to Delhi because of the death of some relative. I could not go as my exams were to start the next day. They told me that they would come the next day and I would have to remain alone. As the night came, my fear of the dark returned. I slept in my room with the lights on. But at about midnight, the lights went off and I woke up. I started trembling with fear. I looked out of the window.

There was a tree in our courtyard. I saw something white on it. I thought that it was a ghost. I tried to cry, but could not. I kept trembling for the whole night. As the day dawned, I looked out of the window again. There was a white shirt on the tree. It had been flown into the tree by the wind. I laughed at my folly. After that I was determined to overcome that fear. I started sleeping with lights off. At first, I felt fear. But with the passage of time, I was able to overcome that fear.

(रूजवेल्ट ने ठीक कहा था, “हमें जिससे डरना है वह केवल डर है।” इन शब्दों का एक बहुत गहरा अर्थ है। प्रायः कुछ डर एक लंबे समय तक हमारे अंदर बने रहते हैं। लेकिन यदि हम हिम्मत दिखाते हैं और उनका सामना करते हैं, तो हम पाते हैं कि हमारे अधिकतर डर आधारहीन होते हैं। जब मैं बच्चा था, तो मुझे भी अंधेरे और भूतों से डर लगता था। मैने हमेशा ऐसी कहानियाँ सुनी थीं कि अंधेरे में भूत होते हैं। फलस्वरूप, मैं अंधेरे में नहीं सो सकता था।

मेरे माता-पिता ने इस डर को दूर करने का पूरा प्रयास किया। जैसे-जैसे साल बीतते गए, तो मैं दूसरे लोगों के साथ में अंधेरे में सोने लग गया था। लेकिन मैं कभी भी अकेला अंधेरे कमरे में नहीं सो सकता था। एक दिन किसी रिश्तेदार की मृत्यु हो जाने की वजह से मेरे माता-पिता को दिल्ली जाना पड़ा।

लेकिन मैं नहीं जा सकता था क्योंकि अगले दिन मेरी परीक्षा शुरू होनी थी। उन्होंने मुझे बताया कि वे अगले दिन आएँगे और मुझे अकेले रहना होगा। जैसे ही रात हुई, तो अंधेरे से लगने वाला डर मुझ में लौट आया। मैं अपने कमरे में लाइट जगाकर सो गया। परन्तु लगभग आधी रात को लाइट चली गई और मैं उठ गया। मैं डर के मारे काँपने लगा। मैंने खिड़की में से बाहर देखा। हमारे आँगन में एक पेड़ था। मैंने उस पेड़ पर कोई सफेद-सी चीज देखी। मैंने सोचा कि वह भूत था।

मैंने चीखने का प्रयास किया, लेकिन चीख नहीं पाया। मैं सारी रात काँपता रहा। जब दिन निकला, मैंने फिर से खिड़की के बाहर देखा। पेड़ के ऊपर एक सफेद कमीज थी। वह हवा के साथ उड़कर पेड़ में आ अटकी थी। मैं अपनी मूर्खता पर हँसा। उसके बाद से मैंने उस डर पर काबू पाने का दृढ़-निश्चय कर लिया। मैंने लाइटें बंद करके सोना शुरू कर दिया। पहले तो मुझे डर लगता था। लेकिन समय के साथ-साथ, मैं उस डर पर काबू पाने में सफल रहा।)

Question 2.
Find and narrate other stories about conquest of fear and what people have said about courage. For example, you can recall Nelson Mandela’s struggle for freedom, his perseverance to achieve his mission, to liberate the oppressed and the oppressor as depicted in his autobiography. The story We’re Not Afraid To Die, which you have read in Class XI, is an apt example of how courage and optimism that helped a family survive under the direst stress.
(भय पर काबू पाने के बारे में और लोग साहस के बारे में क्या कहते हैं, के बारे में अन्य कहानियाँ ढूंढिए और वर्णन कीजिए। उदाहरण के तौर पर आप नेल्सन मंडेला के आजादी के बारे में संघर्ष, अपने लक्ष्य को पाने के बारे में उसके धैर्य, दलित लोगों को आजाद करवाना आदि जैसा कि उसकी आत्मकथा में लिखा है, का वर्णन कर सकते हैं। कहानी ‘हम मरने से नहीं डरते’ जो तुमने कक्षा 11 में पढ़ी है इस बात का सही उदाहरण है कि किस प्रकार साहस एवं आशा ने एक परिवार को खतरे का सामना करने की हिम्मत दी।)
Answer:
It is said that fortune favours the brave. History is full of stories of human courage and conquest of fear. Brave people as Mahatma Gandhi and Nelson Mandela are two examples of conquest of fear. They both fought against the British for freedom of their countries. Gandhi told the peasants and the common people of India not to fear the British. Fear is the main culprit, he told the people. Himself was fearless. Many a time, he was thrown into the jail. But he never lost courage. In the end, his efforts brought fruit and the British left India.

In the same way, Nelson Mandela fought for the freedom of his country. He was put into jail for demanding freedom for the black people of his country. But he did not lose courage. His courage affected others. The blacks of South Africa became united and rose against the white rulers. Mandela spent all his youth in prison. In the end, he was freed. It was because of his courage and fearlessness that the blacks of South Africa got their rights. In this way, the stories of great men remind us that we should not be afraid. We must shed our fear if we want to forge ahead in life.

(ऐसा कहा जाता है कि भाग्य बहादुरों का साथ देता है। इतिहास मानव के शौर्य और डर पर विजयों की कहानियों से भरा पड़ा है। महात्मा गाँधी और नेल्सन मंडेला डर पर विजय पाने वाले बहादुर लोगों के दो उदाहरण हैं। वे अपने देशों की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के साथ लड़े। गाँधी ने किसानों और भारत के जन साधारण से कहा कि वे अंग्रेजों से न डरें। उन्होंने लोगों को बताया कि मुख्य अपराधी डर है। वह स्वयं भी निडर था। उसको कई बार जेल में डाला गया। लेकिन उसने कभी भी हिम्मत नहीं हारी। अंत में, उनके प्रयास सफल रहे और अंग्रेज भारत को छोड़कर चले गए।

इसी तरह से, नेल्सन मंडेला भी अपने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़े। अपने देश के काले लोगों की स्वतंत्रता की माँग करने के कारण उन्हें जेल में डाल दिया गया। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसके साहस ने दूसरों को प्रभावित किया। दक्षिण अफ्रीका के अश्वेत लोग संगठित हो गए और श्वेत शासकों के खिलाफ उठ खड़े हुए। मंडेला ने अपनी सारी जवानी जेल में बिता दी। अंत में, उसे स्वतंत्र कर दिया गया। यह सिर्फ उसके साहस और निडरता की वजह से हुआ कि दक्षिण अफ्रीका के अश्वत लोगों को उनके अधिकार मिल सकें। इस तरह से महान् लोगों की कहानियाँ हमें याद दिलाती हैं कि हमें डरना नहीं चाहिए। हमें अपने डर को दूर भगा देना चाहिए यदि हम जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं।)

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Thinking About Language

Question 1.
If someone else had narrated Douglas’s experience, how would it have different from this account? Write out a sample paragraph or paragraphs from this text from the point of view of a third person or observer, to find out which style of narration would you consider to be more effective? Why? (अगर डगलस के अनुभव का वर्णन कोई अन्य व्यक्ति करता तो वह उसके स्वयं के वर्णन से कैसे अलग होता ? तीसरे व्यक्ति या पर्यवेक्षक के दृष्टिकोण से एक या अधिक गद्यांश लिखो ताकि पता लगे कि आप किस वर्णन को अधिक प्रभावशाली 9 ? R ?)
Answer:
If someone else had narrated Douglas’s experience, it would have been in the third person narrative. The first-person narrative is the best form for expressing one’s experiences. Sample Paragraph Douglas was alone at the pool. He sat at the edge of the pool. He could not imagine what was going to happen to him. Suddenly a big boy came and threw him into the pool. He landed at the bottom of the pool in its deepest part. Douglas was greatly frightened.

But still, he had not lost his presence of mind. As he was going down, he planned to touch the bottom of the pool with his feet and jump upwards. But it took a long time going down. The nine feet appeared to be more than ninety. His feet touched the bottom. As planned, he hit the bottom with his feet and started coming up. But he was coming up very slowly. He opened his eyes and saw nothing but water. He grew panicky.

He called for help, but nothing happened. When he came to his senses, he was lying beside the pool, vomiting. Someone had saved him from drowning. That fear remained with him as he grew up. Finally, he made up his mind to get rid of that fear. He got a swimming instructor. He taught Douglas how to swim. Still, he was not fully free from fear. Then one day, he went to Lake Wentworth in New Hampshire.

He dived off a dock at Triggs Island. He swam two miles across the lake to Stamp Act Island. Only once he felt some fear when he was in the middle of the lake. But soon he overcame that fear. Then he swam back. He shouted with joy. Thus finally, he was able to conquer his fear of water and swimming.

Writing
Question 1.
Doing well in any activity, for example, a sport, music, dance or painting, riding a motorcycle or a car, involves a great deal of struggle. Most of us are very nervous to begin with until gradually we overcome our fears and perform well. Write an essay of about five paragraphs recounting such an experience. Try to recollect minute details of what caused the fear, your feelings, the encouragement you got from others or the criticism. You could begin with the last sentence of the essay you have just read: “At last, I felt released-free to walk the trails and climb the peaks and to brush aside fear.”
(किसी भी काम में विलक्षणता दिखाना, उदाहरणतया, खेल, संगीत, नाच या चित्रकला, मोटरसाइकिल या कार चलाना, में बहुत संघर्ष की जरूरत पड़ती है। हममें से अधिकतर आरम्भ में बहुत घबराते हैं मगर धीरे-धीरे हम अपने भय पर काबू पा लेते हैं और सही काम करते हैं। लगभग पाँच गद्यांशों का निबन्ध लिखिए जिसमें ऐसे अनुभव का वर्णन करो। प्रयत्न करो कि उन बातों का गहन वर्णन हो जिनसे आपको भय हुआ, तुम्हारी भावनाएँ, तुम्हें अन्य लोगों से जो प्रोत्साहन या आलोचना मिली। आप इस पाठ के अन्तिम वाक्य से आरम्भ कर सकते हो जो आपने अभी-अभी पढ़ा है।)
Answer:
“At last I felt released-free to walk the trails and climb into peaks and to brush aside fear.” This statement of Douglas fits my experience. When I was in tenth class, I wanted to learn how to drive a scooter. I told my elder brother to teach me scooter driving. He agreed. One Sunday, he took me to the grounds outside the city. He gave me preliminary verbal lessons about the various functions of the scooter.

Then I sat on the seat and he sat behind me. I placed my hands on the handlebars. I drove scooter three or four days with my brother behind me. Then it was time for me to go solo. With a trembling heart, I kicked, started the scooter, and sat on it. My brother encouraged me. I started driving. My heart was trembling with fear, but I drove on. Soon I was at the end of the ground. Then instead of turning back, I went on as I could neither turn back nor apply brakes. I came on the road and suddenly a car came from left. I tried my best, but I was paralyzed. Luckily the car driver slowed down but it collided against my scooter and I was injured. I remained on bed for one week.

Now the fear of driving entered my mind. I gave up the idea of learning how to drive the scooter. But my friends laughed at me and called me a coward. At last I decided that I would have to come out of that fear. I knew the technique. I had only to fight my fear. I started the scooter and immediately came on the road. With great courage I kept driving and avoiding the other vehicles. After about one hour, my fear was gone. I could now drive with confidence.

Question 2.
Write a short letter to someone you know about your having learnt something new. (अपने किसी परिचित को संक्षिप्त पत्र लिखो जिसमें किसी नई चीज़ को सीखने पर अपनी भावनाएँ बताओ।)
Answer:
275 Gandhi Nagar
Pathankot
September 21, ….
My Dear Rishi.

You will be glad to know I have learnt something new. It is paper pulp modeling. For this purpose, I collected small bits of rough paper. I put them down in an earthen pot and covered it them with water. After a few days, the paper pieces became soft. I took them out and beat them into a pulp. Then I added some Multani clay and added more water. Now I kneaded it like dough. It became a fine pulp.

Then I took an earthen vase. I covered it all around with a fine layer of the pulp prepared by me. After it had dried, I cut it out with a knife. I joined the cut edges with fevicol. Then I made it smooth with sandpaper. hite paint on it. Then I painted a picture on it. It became a fine piece of art. Everyone praised my effort. Since then I have made three more such pieces. I will show you my creations when we meet next.

Yours sincerely,
Abhishek Shrivastava

Things To Do

Question 1.
Are there any water sports in India? Find out about the areas or places which are known for water sports. (क्या भारत में पानी के खेल हैं ? ऐसे स्थानों का पता लगाओ जहाँ पर ऐसे खेल होते हैं।)
Answer:
For self-attempt with the help of the teacher.

HBSE 12th Class English Deep Water Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions
Answer the following questions in about 20-25 words : 

Question 1.
What did the author’s mother tell him about the Yakima river? (लेखक की माता ने उसे याकीमा नदी के बारे में क्या बताया ?)
Answer:
When he was ten or eleven years old, the author decided to learn how to swim. He could learn swimming in the Yakima River. But his mother forbade him to do so. She told him that the Yakima River was treacherous. She reminded him about the details of each drowning in the river.
(जब लेखक दस या ग्यारह वर्ष का था तो उसने तैराकी सीखने का निर्णय लिया। वह याकीमा नदी में तैराकी सीख सकता था। लेकिन उसकी माँ ने उसे ऐसा करने से मना कर दिया। उसने उसे बताया कि याकीमा नदी खतरनाक है। उसने उसको नदी में डूबने की घटनाओं के बारे में विस्तार से बताया।)

Question 2.
Why did Douglas think that the YMCA pool was safe? [H.B.S.E. 2017 (Set-D)] (डगलस ने ऐसा क्यों सोचा कि YMCA पूल सुरक्षित है ?) Or
When did the writer join the YMCA pool and why? [H.B.S.E. 2020 (Set-A)] (लेखक YMCA ताल से कब और क्यों जुड़ा?)
Answer:
Douglas wanted to learn how to swim. He decided to learn swimming in the YMCA pool. He felt that it was a safe pool. This pool was only two or three feet deep at the shallow end. It was nine feet deep at the other end. But the drop was gradual.
(डगलस तैराकी सीखना चाहता था। उसने YMCA के ताल में तैराकी सीखने का निर्णय लिया। उसने महसूस किया कि वह एक सुरक्षित ताल था। यह ताल उथले सिरों की ओर केवल दो या तीन फुट गहरा था। दूसरे सिरे की ओर यह नौ फुट गहरा था। लेकिन ताल की गहराई धीरे-धीरे बढ़ती थी।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Question 3.
What misadventure took place when Douglas was ten or eleven years old? (जब डगलस दस या ग्यारह साल का था तो क्या दुर्घटना हुई ?)
Answer:
One day, Douglas went to the Y.M.C.A. swimming pool. He was alone at the pool. He sat at the edge of the pool. Suddenly, a big boy came. He picked up Douglas and threw him into the pool. Douglas landed at the deepest part of the pool. He was nearly drowned in the pool. That incident created a fear of water in him. It took him many years to get rid of that fear.

(एक दिन डगलस YMCA के तरणताल पर गया। वह ताल पर अकेला था। वह ताल के तट पर बैठा था। अचानक ही एक बड़ा लड़का आया। उसने डगलस को ऊपर उठाया और उसको ताल के अन्दर फेंक दिया। डगलस ताल के सबसे अधिक गहरे भाग में गिरा। वह ताल में लगभग डूब ही चुका था। इस घटना ने उसके मन में पानी से भय पैदा कर दिया। इस भय पर काबू पाने में उसे कई साल लग गए।)

Question 4.
When and why did Douglas develop an aversion for water when he was in it? (पानी में होने पर डगलस को कब और क्यों पानी से नफरत हो गई ?)
Answer:
When Douglas was three or four years old, his father took him to the beach in California. They stood together in the surf. Suddenly the waves came and swept over him. He was knocked down. He was frightened. Then Douglas developed aversion for water when he was in it.

(जब डगलस तीन या चार साल का था तो उसका पिता उसे कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर ले गया। वे पानी की लहरों से उठने वाली झाग में इकट्ठे खड़े थे। अचानक ही लहरें आई और उसे बहा दिया। लहरों के प्रहार से वह नीचे गिर गया। वह डर गया। इस तरह से डगलस जब भी पानी के अंदर होता था तो उसके मन में पानी के प्रति नफरत पैदा हो गई।)

Question 5.
What did Douglas do when once he went to the swimming pool when no one was there? (जब डगलस स्विमिंग पूल में गया तब वहाँ कोई नहीं था तो उसने क्या किया ?)
Answer:
One day, Douglas went to the Y.M.C.A swimming pool. He found that there was no one there. The water was still and the tiled floor of the swimming pool was clean. He was alone to go into the water alone. So he sat on the side of the pool and waited for others.

(एक दिन डगलस YMCA के तरणताल पर गया। उसने देखा कि वहाँ पर कोई भी नहीं था। पानी शांत था और ताल का पक्का फर्श बिल्कुल साफ था। वह पानी के अन्दर जाने के लिए बिल्कुल अकेला था। इसलिए वह ताल के किनारे बैठकर किसी अन्य के आने का इन्तजार करने लगा।)

Question 6.
What did Douglas plan to do when the big boy threw him into the pool? (जब बड़े लड़के ने उसे पूल में फेंक दिया तो डगलस ने क्या योजना बनाई ?)
Answer:
A big boy threw Douglas into the pool. He was frightened. But he did not lose his presence of mind. He planned that when his feet hit the bottom of the pool, he would make a big jump upwards and come to the surface. Then he would lie flat on the surface for some time. After that he would paddle to the edge of the pool.

(एक बड़े लड़के ने डगलस को ताल के अन्दर फेंक दिया। वह डर गया। लेकिन उसने अपनी बुद्धि को नहीं खोया। उसने योजना बनाई कि जैसे ही उसके पाँव ताल को स्पर्श करेंगे तो वह ऊपर की ओर छलाँग लगाएगा और पानी की सतह पर आ जाएगा। तब वह कुछ समय तक पानी की सतह पर चपटा पड़ा रहेगा। उसके बाद वह तैरते हुए ताल के तट तक आ जाएगा।)

Question 7.
How did Douglas feel when he went down in the water and there was water all around him? (जब डगलस पानी के नीचे गया और उसके चारों तरफ पानी था तो उसने क्या महसूस किया ?)
Answer:
When he was in the water, he opened his eyes. He saw water all around him. He was not coming up quickly. He was seized with terror. He felt that he would die. He started shrieking. But even his screams were frozen in his throat. He felt alive only because he could hear the beating of his heart and the pounding in his head.’
(जब वह पानी के अन्दर था तो उसने अपनी आँखें खोली। उसने अपने चारों ओर पानी देखा। वह तेजी से ऊपर की ओर नहीं आ रहा था। वह डर से भरा हुआ था। उसने महसूस किया कि वह मर जाएगा। उसने चीखना शुरू कर दिया। लेकिन उसकी चीखें भी उसके गले में जमकर रह गई थीं। उसे अपने जिंदा होने का मात्र एहसास हो रहा था क्योंकि वह अपने हृदय तथा सिर की धड़कन को सुन सकता था।)

Question 8.
Who threw Douglas into the swimming pool? [H.B.S.E. 2017 (Set-A)] (डगलस को स्विमिंग पूल में किसने फेंका ?)
Answer:
Douglas was sitting alone at the edge of the swimming pool. He did not want to go into the water alone. Suddenly an eighteen-year-old boy came there. He was strongly built. He had strong muscles on his arms and legs. He called Douglas skinny. Then he lifted Douglas and threw him into the deep end of the pool.

(डगलस तरणताल के तट पर अकेला बैठा था। वह पानी के अन्दर अकेला नहीं जाना चाहता था। अचानक ही एक अठारह वर्ष की आयु का लड़का वहाँ आया। वह मजबूत शरीर वाला था। उसकी बाँहों और टाँगों की माँसपेशियाँ बहुत मजबूत थीं। उसने डगलस को दुबला कहा। तब उसने डगलस को ऊपर उठाया और उसे ताल के गहरे वाले सिरे में फेंक दिया।)

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Question 9.
What was Douglas’s condition when he was under water in the pool? . (जब वह पूल में पानी के नीचे था तो डगलस की अवस्था कैसी थी ?)
Answer:
Douglas made a jump upwards. But he was coming very slowly. He opened his eyes. He found only water around him. Once his eyes and nose came out of the water. But then he went down again. He felt suffocating under the water. He tried to bring his legs up. But they seemed lifeless and paralyzed. His lungs ached and his head throbbed. He thought that he was going to die.

(डगलस ने ऊपर की ओर छलाँग लगाई। लेकिन वह बहुत धीरे-धीरे ऊपर आ रहा था। उसने अपनी आँखें खोलीं। उसने अपने चारों ओर केवल पानी ही पानी पाया। एक बार उसकी आँखें और नाक पानी से बाहर आए। लेकिन वह फिर से पानी के नीचे चला गया। पानी के अन्दर उसका दम घुट रहा था। उसने अपनी टाँगों को ऊपर लाने का प्रयास किया। लेकिन वे बेजान और सुन्न प्रतीत हो रही थीं। उसके फेफड़े पीड़ा कर रहे थे तथा सिर धक-धक कर रहा था। उसने सोचा कि वह मर जाएगा।)

Question 10.
What did Douglas do to save himself? Did he succeed? (डगलस ने स्वयं को बचाने के लिए क्या किया ? क्या वह सफल हुआ ?)
Answer:
Douglas was seized with fear. He felt paralyzed. Suddenly, an idea came to him. He planned to make a jump when his feet touched the bottom. He jumped with all his energy. But the jump made no difference. Now fear seized him. He cried and called for help. But nothing happened.

(डगलस अति भयभीत था। वह सुन्न हो चुका था। अचानक ही उसे एक विचार सूझा। उसने योजना बनाई कि जब उसके पाँव तल को स्पर्श करेंगे तो वह ऊपर की ओर एक छलाँग लगाएगा। उसने अपनी पूरी ताकत के साथ छलाँग लगाई। लेकिन इस छलाँग का कोई असर नहीं पड़ा। अब उसका डर और अधिक बढ़ गया। वह चिल्लाया और मदद के लिए पुकारा। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।)

Question 11.
What did Douglas find when he became conscious? . (जब उसे होश आया तो डगलस ने क्या देखा ?)
Answer:
When Douglas went down for the third time, he felt that he would die. All efforts seized. A blackness swept over him. Now there was no panic. All was quiet and peaceful. He crossed into oblivious. When he came to his senses, he found that he was lying on his stomach by the side of the pool and was vomiting.

(जब डगलस तीसरी बार नीचे गया, तो उसे लगा कि वह मर जाएगा। सारे प्रयास थम चुके थे। उसके ऊपर अंधेरा-छा चुका था। अब कोई भय शेष नहीं बवा था। सब कुछ एक दम से शांत हो चुका था। वह सब कुछ भूल जाने की स्थिति में आ चुका था। जब उसे होश आया तो उसने पाया कि वह ताल के पास में अपने पेट के बल लेटा हुआ पड़ा था और उल्टियां कर रहा था।)

Question 12.
Why did the boy who had thrown him into the pool say in the end? (अन्त में उस लड़के ने क्या कहा जिसने उसे पूल में फेंका था ?)
Answer:
A big boy threw Douglas into the pool. He was nearly drowned in the pool. When he came to his senses, he found the big boy standing by him. He defended himself by saying that he was only ‘fooling’. Someone told him, “The kid nearly died.’
(एक बड़े लड़के ने डगलस को ताल के अन्दर फेंक दिया। वह ताल में लगभग डूब ही चुका था। जब उसे होश आया, तो उसने उस बड़े लड़के को अपने पास खड़े पाया। उसने यह कहते हुए अपना बचाव किया कि वह तो केवल मजाक कर रहा था। किसी ने उसे बताया, “बच्चा तो लगभग मर ही चुका था’।)

Question 13.
How did Douglas feel when he wanted to get into the waters of the Cascades? (जब डगलस जलप्रपातों के पानी में जाना चाहता था तो उसने क्या महसूस किया ?)
Answer:
Douglas’s boyhood misadventure created a fear of water in him. Whenever he wanted to get into the waters of the Cascades or other places, the old fear came back. It would take possession of him completely.
(डगलस की बचपन की दुर्घटना ने उसके अन्दर पानी के प्रति एक भय पैदा कर दिया। वह जब कभी भी झरने या किसी अन्य स्थान पर जल के अन्दर प्रवेश करने का प्रयास करता था, तो वहीं पुराना डर उसके अन्दर लौट आता था। वह डर उसके ऊपर पूरी तरह से काबू पा लेता था।)

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Question 14.
How did the fear of water ruin Douglas’s trips and other joys? (पानी के डर ने डगलस की यात्राओं एवं अन्य खुशियों को कैसे बर्बाद कर दिया ?)
Answer:
The fear of water stayed with Douglas as he grew up. Wherever he went, this fear accompanied him. In canoes on the Maine Lakes or fishing for trout and salmon, he always felt the old fear. It ruined his fishing trips. It deprived him of the joys of swimming and boating.
(जब डगलस बड़ा हो गया तो पानी से लगने वाला डर फिर भी उसके अन्दर बना रहा। जब कभी भी वह पानी के पास जाता तो उसका डर भी उसके साथ ही रहता। मेन की झीलों में नौका चालन करने या ट्राउट और सेलमन मछली पकड़ते समय, उसे हमेशा ही पुराने डर का एहसास होता था। उसने उसकी मछली पकड़ने की यात्राओं का मजा ही खो दिया था। इसने उसके तैराकी करने और नौका चालन करने के मजे को भी खो दिया था।)

Question 15.
What did Douglas do get rid of his fear of the water? Did he succeed? (डगलस ने स्वयं को पानी के भय से छुटकारा दिलाने के लिए क्या किया ? क्या वह सफल हुआ ?) Or Where did Douglas finally learn to Swim? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-D)] (आखिर डगलस ने तैरना कहाँ सीखा?)
Answer:
Douglas tried his best to overcome his fear of the water. But he did not get much success. Finally, one October, he got an instructor and decided to learn how to swim. He went to a pool and practiced five days a week, an hour each day. Douglas succeeded in overcoming his fear of water. He became a swimmer.
(डगलस ने पानी से लगने वाले डर पर काबू पाने के लिए अपना पूरा प्रयास किया। लेकिन उसे कोई अधिक सफलता नहीं मिली। अंततः ‘एक अक्तूबर मास में’ वह एक प्रशिक्षक से मिला और तैराकी सीखने का निर्णय ले लिया। वह एक ताल पर गया और वहाँ सप्ताह में पाँच दिन और हर दिन एक घंटा अभ्यास करने लगा। डगलस पानी से लगने वाले भय पर काबू पाने में सफल रहा। वह एक तैराक बन गया।)

Question 16.
How did Douglas finally overcome his fear of the water? (आखिर डगलस ने पानी के भय से छुटकारा कैसे पा लिया ?)
Answer:
The instructor made Douglas a perfect swimmer. Yet he was not satisfied. He was not sure whether the fear of water had completely left him. So he went to Lake Wentworth and dived off a dock at Triggs Island. He swam for two hours across the lake. Only once did he feel afraid of the water. But it fled soon and he swam on. In this way, he conquered his fear of the water.
(प्रशिक्षक ने डगलस को एक संपूर्ण तैराक बना दिया। लेकिन फिर भी वह संतुष्ट नहीं था। उसे इस बात का अभी भी पक्का यकीन नहीं था कि उसका पानी से लगने वाला डर पूरी तरह से समाप्त हो चुका था। इसलिए वह वेंटवर्थ लेक पर गया और एक डॉक से ट्रिग्स आइलैंड पर छलाँग लगा दी। वह पूरे दो घंटे तक झील में तैरता रहा। उसे केवल एक बार ही पानी से डर लगा। लेकिन उसका यह डर शीघ्र ही भाग गया और वह तैरता गया। इस तरह से, उसने पानी से लगने वाले भय पर काबू पा लिया।)

Question 17.
What message does Douglas convey in this lesson ? (इस पाठ में डगलस क्या सन्देश देता है ?)
Answer:
Douglas conveys the message that all we have to fear is fear itself. All fears and terrors are only in the mind. A determined man does not feel any fear. Douglas felt fear of water only till he had not made up his mind to get rid of it. Finally, he was able to overcome his fear of the water.
(डगलस हमें संदेश देता है कि हमें जिस चीज से डरना है वह है स्वयं डर। सारे डर और दहशत सिर्फ मन के अन्दर होते हैं। एक दृढ़-निश्चय वाला आदमी किसी भी डर से नहीं डरता। डगलस को पानी से केवल तभी तक डर लगा जब तक कि उसने अपने मन को इस डर से मुक्त कराने का इरादा नहीं कर लिया। अंततः वह अपने इस भय पर काबू पाने में सफल रहा।)

Long Answer Type Questions
Answer the following questions in about 80 words

Question 1.
How did Douglas develop an aversion and then fear of water? How did he overcome his fear of water? [HB.S.E. March, 2019 (Set-A)] (डगलस को पानी के प्रति घृणा और फिर डर कैसे पैदा हो गया ? उसने इस डर पर काबू कैसे पाया ?)
Answer:
Douglas developed an aversion for water when he was only three or four years old. One day his father took him to the California Beach. They stood in the surf. Suddenly a huge wave came and swept over him. He was knocked down. He developed an aversion for water. Then a boyhood ‘misadventure’ changed that aversion into fear. One day when he was ten or eleven years old, he went to the Y.M.C.A. swimming pool.

He sat at the edge of the pool. A big boy came and threw him into the pool. He was nearly drowned in the pool. Now the fear of water seized him. This fear remained with him as he grew up. Finally, he made up his mind to get rid of that fear. He engaged an instructor to teach him how to swim. He practiced swimming one hour daily for fives days a week. The instructor made him a perfect swimmer. Yet the writer was not completely sure that the fear had left him. So he went to Lake Wentworth and dived off a dock at Triggs Island. He swam for two hours across the lake. Only once did he feel afraid of the water. But it fled soon and he swam on. In this way, he conquered his fear of the water.

(जब डगलस केवल तीन या चार साल का था तो उसके मन में पानी के प्रति नफरत पैदा हो गई। एक दिन उसका पिता उसको कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर ले गया। वे लहरों के बीच खड़े थे। अचानक ही एक बड़ी लहर आई और उसके ऊपर से बह गई। वह नीचे गिर गया। उसके मन में पानी के प्रति नफरत पैदा हो गई। बालपन की दुर्घटना की यह नफरत डर में बदल गई। एक दिन जब वह दस या ग्यारह वर्ष का था तो वह YMCA के तरणताल पर गया। वह ताल के एक सिरे पर बैठा था। एक बड़ा लड़का आया और उसने उसे ताल के अंदर फेंक दिया। वह ताल के अन्दर लगभग डूब ही चुका था। तब पानी से लगने वाले डर ने उसे जकड़ लिया। यह डर उसके अंदर तब भी बना रहा जब वह बड़ा हुआ। अंततः, उसने उस डर से छुटकारा पाने के लिए अपना मन पक्का कर लिया।

उसने एक प्रशिक्षक की व्यवस्था की जो उसे तैराकी सिखा सके। वह सप्ताह के पाँच दिन हर रोज एक घंटे तक तैराकी का अभ्यास करता था। प्रशिक्षक ने उसको एक संपूर्ण तैराक बना दिया। लेकिन लेखक को इस बात का अभी भी पूरा यकीन नहीं था कि उसका भय उसको छोड़ चुका था। इसलिए वह वेंटवर्थ लेक पर गया और वहाँ एक डॉक के ऊपर से ट्रिग्स आइलैंड पर छलाँग लगा दी। वह दो घंटे तक झील में तैरता रहा। उसे केवल एक बार तो पानी से डर लगा। लेकिन वह डर जल्दी ही भाग गया और वह तैरता रहा। इस तरह से, उसने पानी से लगने वाले अपने डर पर विजय हासिल कर ली।)

Question 2.
Describe the ‘misadventure’ of Douglas and how he survived it. (डगलस की दुर्घटना का वर्णन करो और वह कैसे इससे बचा।) Or What was misadventure at the Y.M.C.A. pool that the writer William Douglas speaks about? (Y.M.C.A. ताल में लेखक विलियम डगलस के साथ क्या घटित हुआ जिसका वह वर्णन करता है?) [2020 (Set-C)]
Answer:
Douglas describes a ‘misadventure’ of his boyhood days. One day, when he was ten or eleven years old, Douglas went to the Y.M.C.A. swimming pool. He was alone there and sat at the edge of the pool. Suddenly a big boy came and threw him into the pool. He landed at the bottom of the pool in its deepest part. Douglas was greatly frightened. But still, he had not lost his presence of mind. He was going down, he planned to touch the bottom of the pool with his feet and jump upwards. He thought that he would come out of the water. He would then swim on the surface of the water towards the edge of the pool. But it took a long time going down.

The nine feet appeared to be more than ninety. His feet touched the bottom. As planned, he hit the bottom with his feet and started coming up. But he was coming up very slowly. He opened his eyes and saw nothing but water. He grew panicky. It appeared to him as if a great force was pulling him down. His leg seemed to be paralyzed. He made another jump upwards. But that made no difference. He thought that he was going to die. He called for help, but nothing happened. When he came to his senses, he was lying beside the pool, vomiting. The boy who had thrown him into the water was standing near. He said that he had only been ‘fooling’ with Douglas.

(डगलस अपने बचपन के दिनों की एक दुर्घटना का वर्णन करता है। एक दिन, जब वह दस या ग्यारह वर्ष की उम्र का था, डगलस YMCA के तरणताल पर गया। वह वहाँ अकेला था और ताल के एक किनारे पर बैठ गया। अचानक ही एक बडा लडका आया और उसने उसे ताल के अन्दर फेंक दिया। वह ताल के सबसे गहरे हिस्से में ताल के तल पर जा गिरा। डगलस बुरी तरह से डर गया था। लेकिन फिर भी उसने अपनी बुद्धि को नहीं खोया था। जब वह नीचे की ओर जा रहा था तो उसने ताल के तल को अपने पैरों से छकर ऊपर की ओर छलाँग लगाने की योजना बनाई। उसने सोचा कि वह पानी से बाहर आ जाएगा।

तब वह पानी की सतह पर तैरकर ताल के सिरे तक आ जाएगा। लेकिन नीचे जाने में उसे बहुत लंबा समय लगा। नौ फुट की दूरी नब्बे फुट से भी अधिक प्रतीत हो रही थी। उसके पाँवों ने तल के छूआ। योजना के अनुसार, उसने अपने पैरों से तल पर प्रहार किया और ऊपर आना शुरू कर दिया। लेकिन वह बहुत ही धीरे-धीरे ऊपर आ रहा था। उसने अपनी आँखें खोली और उसको पानी के सिवाय कुछ भी दिखाई नहीं दिया। वह आतंकित हो गया। उसे ऐसा लगा कि कोई बड़ी ताकत उसे नीचे की ओर खींच रही थी। उसकी टाँगों को मानो लकवा मार गया था। उसने ऊपर की ओर एक और छलाँग लगाई। लेकिन उससे भी कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने सोचा कि वह मर रहा था। उसने मदद के लिए आवाज लगाई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। जब उसे होश आया, वह ताल के पास में पड़ा हुआ उल्टियाँ कर रहा था। जिस लड़के ने उसे अंदर फेंका था, वह पास में ही खड़ा था। उसने कहा कि वह तो डगलस के साथ सिर्फ मजाक कर रहा था।)

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Question 3.
How did the fear of water stay with Douglas as the years rolled by? (समय के बीतने के साथ भी पानी का भय डगलस के साथ किस प्रकार रहा ?)
Answer:
When he was a boy, a misadventure created in him a deep fear of water. Once he went to the Y.M.C.A swimming pool. There, a big boy threw him into the water. He was nearly drowned. But the incident created a fear of water in him. After a few years, he came to know the waters of the Cascades. He wanted to get into them. But whenever he tried to do so, the old fear of water returned. That fear would take possession of him completely. His legs would become paralyzed. The fear of water remained with him for many more years.

It ruined his joy of swimming, fishing or boating. In canoes on Maine Lakes, fishing for salmon, he felt the same old fear. The paralyzing fear came back when he went for bass fishing in New Hampshire or trout fishing on the Deschutes and Metolius in Oregon. The same fear troubled him while fishing for salmon on the Columbia or at Bumping lake in the Cascades. Whenever he went, the haunting fear of water followed him. It deprived him of the joy of canoeing, boating, and swimming.

(जब वह एक लड़का था तो एक दुर्घटना ने उसके अन्दर पानी के प्रति गहरा भय पैदा कर दिया। एक बार वह YMCA के तरणताल पर गया। वहाँ पर एक बड़े लड़के ने उसको पानी के अन्दर फेंक दिया। वह लगभग डूब ही चुका था। लेकिन उस घटना ने उसके अंदर पानी से भय पैदा कर दिया। कुछ वर्षों के पश्चात्, उसे झरनों के जल के बारे में जानकारी मिली। वह झरनों के जल का आनन्द लेना चाहता था। लेकिन जब भी वह ऐसा करने का प्रयास करता था तो उसका पुराना भय फिर से लौट आता था। यह डर पूरी तरह से उसे अपने काबू में कर लेता था। उसकी टाँगें सुन्न हो जाती थीं। पानी से लगने वाला डर उसके अन्दर कई सालों तक बना रहा। इस डर ने उसके तैराकी करने, मछली पकड़ने और नौका चालन से मिलने वाले आनन्द को खो दिया था।

जब वह मेन झीलों में नौका चलाता था या सेलमन मछली पकड़ता था तो उसे उसी पुराने डर का एहसास होता था। उसका वही पुराना डर उसको सुन्न कर देता था जब वह न्यू हैम्पशायर में बास मछली पकड़ने और आरेगन के मेटोलियस, डेस्यूट्स में ट्राउट मछली पकड़ने जाता था। वही पुराना डर उसे उस समय भी कष्ट पहुँचाता था जब वह कोलम्बिया या बम्पिंग लेक के झरनों में सेलमन मछली को पकड़ने जाता था। वह जहाँ भी जाता था, वह आतंकित कर देने वाला भय उसके साथ ही बना रहता था। इस डर ने उसके छोटी नाव चलाने, बड़ी नाव चलाने और तैराकी करने के आनन्द को नष्ट कर दिया था।)

Question 4.
“I still wondered if I would be terror-stricken when I was alone in the pool.” How did Douglas overcome that terror? (“मुझे अभी भी हैरानी थी कि जब मैं पूल में अकेला होऊँगा तो क्या मैं भयभीत होऊँगा।” डगलस ने उस डर पर काबू कैसे पाया ?)
Answer:
Douglas developed an aversion for water when he was only three or four years old. One day his father took him to the California Beach. They stood in the surf. Suddenly a huge wave came and swept over him. He was knocked down. He developed an aversion for water. Then a boyhood ‘misadventure’ changed that aversion into fear. One day when he was ten or eleven years old, he went to the Y.M.C.A. swimming pool.

He sat at the edge of the pool. A big boy came and threw him into the pool. He was nearly drowned in the pool. Now the fear of water seized him. This fear remained with him as he grew up. Finally, he made up his mind to get rid of that fear. He engaged an instructor to teach him how to swim. He practiced swimming one hour daily for fives days a week. The instructor made him a perfect swimmer. Yet the writer was not completely sure that the fear had left him. So he went to Lake Wentworth and dived off a dock at Triggs Island. He swam for two hours across the lake. Only once did he feel afraid of the water. But it fled soon and he swam on. In this way, he conquered his fear of the water.

(जब डगलस केवल तीन या चार साल का था तो उसके मन में पानी के प्रति नफरत पैदा हो गई। एक दिन उसका पिता उसको कैलिफोर्निया के समुद्री तट पर ले गया। वे लहरों के बीच खड़े थे। अचानक ही एक बड़ी लहर आई और उसके ऊपर से बह गई। वह नीचे गिर गया। उसके मन में पानी के प्रति नफरत पैदा हो गई। बालपन की दुर्घटना की यह नफरत डर में बदल गई। एक दिन जब वह दस या ग्यारह वर्ष का था तो वह YMCA के तरणताल पर गया। वह ताल के एक सिरे पर बैठा था। एक बड़ा लड़का आया और उसने उसे ताल के अंदर फेंक दिया। वह ताल के अन्दर लगभग डूब ही चुका था। तब पानी से लगने वाले डर ने उसे जकड़ लिया। यह डर उसके अंदर तब भी बना रहा जब वह बड़ा हुआ। अंततः, उसने उस डर से छुटकारा पाने के लिए अपना मन पक्का कर लिया।

उसने एक प्रशिक्षक की व्यवस्था की जो उसे तैराकी सिखा सके। वह सप्ताह के पाँच दिन हर रोज एक घंटे तक तैराकी का अभ्यास करता था। प्रशिक्षक ने उसको एक संपूर्ण तैराक बना दिया। लेकिन लेखक को इस बात का अभी भी पूरा यकीन नहीं था कि उसका भय उसको छोड़ चुका था। इसलिए वह वेंटवर्थ लेक पर गया और वहाँ एक डॉक के ऊपर से ट्रिग्स आइलैंड पर छलाँग लगा दी। वह दो घंटे तक झील में तैरता रहा। उसे केवल एक बार तो पानी से डर लगा। लेकिन वह डर जल्दी ही भाग गया और वह तैरता रहा। इस तरह से, उसने पानी से लगने वाले अपने डर पर विजय हासिल कर ली।)

Question 5.
What message does Douglas want to convey? (डगलस क्या सन्देश देना चाहता है ?)
Or
What is the theme of the lesson ‘Deep Water’? (‘डीप वाटर’ पाठ का विषय क्या है ?)
Answer:
In ‘Deep Water’, Douglas recounts a childhood experience of terror. He was almost drowned in a pool. Douglas also tells us about his determination to overcome his fear of water. When he was a boy, one day William Douglas went to a swimming pool. He sat at the edge of the pool. Suddenly a muscular boy came and threw him into the pool. Douglas was nearly drowned in the water. That incident created a fear of water in him. That fear remained with him till he grew up. Then he decided to overcome that fear.

He made determined efforts and learnt swimming. He engaged an instructor to teach him swimming. Finally, he went alone to Lake Wentworth and dived off a dock at Triggs Island. He swam for two hours across the lake. Only once did he feel afraid of the water. But it fled soon and he swam on. In the end, he was able to overcome his fear of water and swimming. This experience has a symbolic meaning. Douglas wants to convey the idea those persons can appreciate an experience who have gone through it. Secondly, his experience tells us that with determination we can overcome our fears.
(‘डीप वॉटर’ अध्याय में, डगलस बचपन के एक आतंकित कर देने वाले अनुभव का वर्णन करता है। वह एक ताल में लगभग डूबने ही वाला था। डगलस हमें अपने पानी से लगने वाले डर पर विजय हासिल करने के निश्चय के बारे में भी बताता है। जब विलियम डगलस एक लड़का था तो एक दिन वह एक तरणताल पर गया। वह ताल के किनारे पर बैठा था। अचानक ही एक हृष्ट-पुष्ट लड़का आया और उसने उसे ताल के अन्दर फेंक दिया। डगलस पानी में डूबते-डूबते ही बचा। इस घटना ने उसके अन्दर पानी के प्रति भय पैदा कर दिया। यह भय उसके अन्दर बड़ा होने तक भी बना रहा।

तब उसने उस डर पर काबू पाने का निर्णय लिया। उसने दृढ़-निश्चय वाले प्रयास किए और तैरना सीख लिया। उसने स्वयं को तैराकी सिखाने के लिए एक प्रशिक्षक का प्रबन्ध किया। अंततः, वह अकेला वेंटवर्थ लेक पर गया और एक डॉक से ट्रिग्स आइलैंड पर छलाँग लगा दी। वह झील में दो घंटे तक तैरता रहा। उसे केवल एक बार तो पानी से भय लगा। लेकिन उसका यह भय जल्दी ही भाग गया और वह तैरता रहा। अंत में, वह अपने को पानी से लगने वाले भय पर काबू पाने और तैराकी सीखने में सफल रहा। इस अनुभव का एक सांकेतिक अर्थ है। डगलस यह संदेश देना चाहता है कि वही लोग किसी अनुभव की प्रशंसा कर सकते हैं जिन लोगों ने उस अनुभव को भुगता हो। दूसरा उसका अनुभव हमें यह बताता है कि दृढ़-निश्चय के साथ हम अपने भय पर काबू पा सकते हैं।)

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The Deep Water MCQ Questions with Answers

1. Who is the writer of the story ‘Deep Water’?
(A) William Douglas
(B) William o Douglas
(C) Tagore
(D) R.K. Narayan
Answer:
(A) William Douglas

2. For what thing did the author have a version since his childhood?
(A) air
(B) earth
(C) water
(D) sky
Answer:
(C) water

3. When the author was three years old, where did his father take him?
(A) to a theatre
(B) to a college
(C) a farm
(D) the beach in California
Answer:
(D) the beach in California

4. When the author went to a beach with his father, why was he frightened?
(A) he saw a whale
(B) the waves knocked him down and swept over him
(C) he saw a ship
(D) he saw a crocodile
Answer:
(B) the waves knocked him down and swept over him

5. When the author was ten or eleven years old, what did he decide to learn?
(A) to swim
(B) to dance
(C) to play
(D) to play guitar
Answer:
(A) to swim

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6. What did the big boy do to the author?
(A) he helped the author
(B) he offered him ice-cream
(C) he threw the author into the pool
(D) he gave money to the author
Answer:
(C) he threw the author into the pool

7. When the big boy threw the author into the pool, he did not lose his presence of mind?
(A) true
(B) false
(C) both (A) and (B)
(D) none of these
Answer:
(A) true

8. What did author do when his feet touched the bottom of the pool?
(A) he remained there
(B) he was drowned
(C) he started swimming underwater
(D) he made a spring upwards
Answer:
(D) he made a spring upwards

9. What happened when he opened his eyes and saw nothing but water?
(A) he became panicky
(B) he did not lose courage
(C) he started swimming
(D) he was drowned
Answer:
(A) he became panicky

10. What was the condition of his legs?
(A) they were active
(B) they seemed paralyzed
(C) they were soft
(D) his legs were kicking
Answer:
(B) they seemed paralyzed

11. Suddenly the author saw light. What did that mean?
(A) there was a bulb in the water
(B) some people came with a torch
(C) he was coming out of the water
(D) he saw the light of heaven
Answer:
(C) he was coming out of the water

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12. What happened when his eyes and nose were out of the water?
(A) he took a sigh of relief
(B) he came out
(C) he started swimming
(D) he again found himself going down
Answer:
(D) he again found himself going down

13. What did the author do when his feet touched the bottom again?
(A) he remained there
(B) he made a leap
(C) he swam underwater
(D) he was drowned
Answer:
(B) he made a leap

14. Why did Douglas cease all efforts?
(A) he felt as if he was going to become unconscious
(B) he did not want to live
(C) he wanted to remain underwater
(D) he was already out of danger.
Answer:
(A) he felt as if he was going to become unconscious

15. Where did Douglas find himself when he regained consciousness?
(A) in a hospital
(B) in a room
(C) lying near the pool
(D) near the sea-shore
Answer:
(C) lying near the pool

16. Who was standing near him when he regained consciousness?
(A) a doctor
(B) a nurse
(C) his teacher
(D) the boy who had thrown him into the pool
Answer:
(D) the boy who had thrown him into the pool

17. What did the big boy said to the author?
(A) I did the right thing
(B) “But I was only fooling.”
(C) I’ll throw you again
(D) I like throwing boys into the pool
Answer:
(B) “But I was only fooling”

18. How did the author feel when he walked back to his home after becoming alright?
(A) his legs were trembling
(B) he was happy
(C) he was weeping
(D) he had temperature
Answer:
(A) his legs were trembling

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19. After the incident in the pool what feeling remained in the author’s heart?
(A) love for water
(B) fear for water
(C) fear for a pool
(D) fear for sea
Answer:
(B) fear for water

20. Where did the author go in order to overcome his fear of water?
(A) in the same pool where he had accident
(B) to a sea beach
(C) into a well
(D) Lake Wentworth in New Hampshire
Answer:
(D) Lake Wentworth in New Hampshire.

The Deep Water Important Passages for Comprehension

Seen Comprehension Passages
Read the following passages and answer the questions given below:

Type (i)
Passage 1
Yet I had residual doubts. At my first opportunity 1 hurried west, went up the Tieton to Conrad Meadows, up the Conrad Creek Trail to Meade Glacier, and camped in the high meadow by the side of Warm Lake. The next morning I stripped, dived into the lake, and swam across to the other shore and back — just as Doug Corpron used to do. I shouted with joy, and Gilbert Peak returned the echo. I had conquered my fear of water.

Word-meanings :
Hurried = went in a hurry (जल्दी से गया)
stripped = took off clothes (कपड़े उतारे);
meadow = grassland (चरागाह)।

Questions :
(i) Name the chapter from which this passage has been taken.
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(C) Deep Water

(ii) Where did the writer go at his first opportunity?
(A) Went to West
(B) Went to North
(C) Went to South
(D) None of these
Answer:
(A) Went to West

(iii) The next morning he stripped and ………………………. into the lake.
(A) hurried
(B) dived
(C) pride
(D) none of these
Answer:
(B) dived

(iv) He shouted with joy as he had conquered his …………………….. of water.
(A) fear
(B) love
(C) both (A) and (B)
(D) none of these
Answer:
(A) fear

(v) Find word from the passage having the meaning same as ‘grassland’:
(A) Shouted
(B) Stripped
(C) Meadow
(D) Opportunity
Answer:
(C) Meadow

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Passage 2
I went to the pool when no one else was there. The place was quiet. The water was still, and the tiled bottom was as white and clean as a bathtub. I was timid about going in alone, so I sat on the side of the pool to wait for others. · I had not been there long when in came a big bruiser of a boy, probably eighteen years old. He had thick hair on his chest. He was a beautiful physical specimen, with legs and arms that showed rippling muscles. He yelled, “Hi, Skinny! How’d you like to be ducked?”

Word-meanings :
Bruiser = muscular man (हट्टा-कट्टा व्यक्ति);
specimen = sample (नमूना);
rippling waving = (हिलते हुए)।

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(C) Deep Water

(ii) Name the writer of this passage.
(A) Alphonse Daudet
(B) Anees Jung
(C) William Douglas
(D) Selma Lagerl of
Answer:
(C) William Douglas

(iii) When did the author go to the pool?
(A) when there was a great rush
(B) when no one else was there
(C) in the evening
(D) at midnight
Answer:
(B) when no one else was there

(iv) Why did the author sit on the side of the pool?
(A) he was timid about going in alone
(B) he was feeling very tired
(C) Both (A) and (B)
(D) none of the above
Answer:
(A) he was timid about going in alone

(v) What was true about the other boy?
(A) he had thick hair on his chest
(B) he was eighteen years old
(C) he was muscular
(D) all the above
Answer:
(D) all the above

Passage 3
I struck at the water as I went down, expending my strength as one in a nightmare fights an irresistible force. I had lost all my breath. My lungs ached, my head throbbed. I was getting dizzy. But I remembered the strategy – I would spring from the bottom of the pool and come like a cork to the surface. I would lie flat on the water, strike out with my arms, and thrash with my legs. Then I would get to the edge of the pool and be safe. I went down, down, endlessly. I opened my eyes. Nothing but water with a yellow glow – dark water that one could not see through.

Word-meanings :
Expending = spending (फैलाना);
nightmare = terrifying dream (डरावना स्वप्न);
ached = pained (दर्द होने लगा);
throbbed = palpitated (धड़का)।

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(C) Deep Water

(ii) Name the writer of this passage.
(A) Alphonse Daudet
(B) Anees Jung
(C) William Douglas
(D) Selma Lagerl of
Answer:
(C) William Douglas

(iii) What did the writer do when he went down?
(A) he floated at the water
(B) he struck at the water
(C) he swam at the water
(D) all the above
Answer:
(D) all the above

(iv) What is true about his condition when he was going down?
(A) his lungs ached
(B) his head throbbed
(C) he was getting dizzy
(D) all the above
Answer:
(D) all the above

(v) Why couldn’t he see through the water?
(A) his eyes were closed
(B) the water was dark
(C) he had died
(D) his eyes were watery
Answer:
(B) the water was dark

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Passage 4
But the jump made no difference. The water was still around me. I looked for ropes, ladders, water wings. Nothing but water. A mass of yellow water held me. Stark terror took an even deeper hold on me, like a great charge of electricity. I shook and trembled with fright. My arms wouldn’t move. My legs wouldn’t move. I tried to call for help, to call for mother. Nothing happened.

Word-meanings :
Stark = complete (पूर्ण);
fright = fear(डर)।

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(C) Deep Water

(ii) Name the writer of this passage.
(A) Alphonse Daudet
(B) Anees Jung
(C) William Douglas
(D) Selma Lagerl Of
Answer:
(C) William Douglas

(iii) What did the author find when he looked for something?
(A) ropes
(B) ladders
(C) water wings
(D) water
Answer:
(D) water

(iv) What was the colour of the water?
(A) Black
(B) Yellow
(C) Blue
(D) Green
Answer:
(B) Yellow

(v) How did the terror grip the author?
(A) like a great charge of electricity
(B) like a gust of wind
(C) like the striking of lightning
(D) all the above
Answer:
(A) like a great charge of electricity

Passage 5
Then all effort ceased. I relaxed. Even my legs felt limp, and a blackness swept over my brain. It wiped out fear; it wiped out terror. There was no more panic. It was quiet and peaceful. Nothing to be afraid of. This is nice …………. to be drowsy ……… to go to sleep ……………. no need to jump ……………. to tired to jump ……………. it’s nice to be carried gently………. to float along in space ……….. tender arms around me …….. tender arms like Mother’s …….. now I must go to sleep …………………. .

Word meanings :
ceased = stopped (बंद हो गए);
limp = lifeless (बेजान);
wiped of = removed (हटा दिया);
drowsy = slepy (निंद्राग्रस्त)।

Questions :
(i) Name the lesson from which this passage has been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(C) Deep Water

(ii) Name the writer of this passage.
(A) Alphonse Daudet
(B) Anees Jung
(C) William Douglas
(D) Selma Lagerl of
Answer:
(C) William Douglas

(iii) What for efforts were being made that ceased?
(A) To escape drowning
(B) To climb a mountain
(C) To cross the river
(D) To win the first prize
Answer:
(A) To escape drowning

(iv) “It wiped out fear’ This means ……………………………. .
(A) it increased fear
(B) it lessened fear
(C) it eliminated fear
(D) it deepened fear
Answer:
(B) it lessened fear

(v) How did ‘l’ feel at last?
(A) very panicky
(B) very nervous
(C) quiet and peaceful
(D) alarmed
Answer:
(C) quiet and peaceful

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Type (ii)
Passage 6
It had happened when I was ten or eleven years old. I had decided to learn to swim. There was a pool at the Y.M.C.A. in Yakima that offered exactly the opportunity. The Yakima River was treacherous. Mother continually warned against it, and kept fresh in my mind the details of each drowning in the river. But the Y.M.C.A. pool was safe. It was only two or three feet deep at the shallow end; and while it was nine feet deep at the other, the drop was gradual. I got a pair of water wings and went to the pool. I hated to walk naked into it and show my skinny legs. But I subdued my pride and did it. [H.B.S.E. 2017 (Set-B)]

Word-meanings :
Opportunity = chance (अवसर);
treacherous = dangerous (खतरनाक);
skinny = very thin (बहुत पतला)।

Questions :
(i) Name the chapter and its author.
(ii) What does Y.M.C.A. stand for?
(iii) Which river is mentioned in this passage?
(iv) Did the writer enter the Y.M.C.A. pool?
(v) Find words from the passage which mean the same as :
(a) chance, (b) dangerous.
Answers :
(i) Chapter: Deep Water.
Author: William Douglas.
(ii) Y.M.C.A. stands for Young Men’s Christian Association.
(iii) The Yakima river is mentioned in the passage.
(iv) Yes, the writer entered the Y.M.C.A. pool.
(v) (a) opportunity, (b) treacherous.

Passage 7
With that, he picked me up and tossed me into the deep end. I landed in a sitting position, swallowed water, and went at once to the bottom. I was frightened, but not yet frightened out of my wits. On the way down I planned: When my feet hit the bottom. I would make a big jump, come to the surface, lie flat on it, and paddle to the edge of the pool.

It seemed a long way down. Those nine feet were more like ninety, and before I touched bottom my lungs were ready to burst. But when my feet hit bottom I summoned all my strength and made what I thought was a great spring upwards. I imagined I would bob to the surface like a cork. Instead, I came up slowly. I opened my eyes and saw nothing but water – water that had a dirty yellow tinge to it.

Word-meanings :
Frightened = afraid (डर) ;
summoned = gathered (एकत्रित की);
tinge =colour (रंग)।

Questions :
(i) Name the chapter and its author.
(ii) What did the big boy to do the author?
(iii) What is the author talking of when he says “long way down”?
(iv) What did the author see when he opened his eyes?
(v) Find words from the passage which mean the same as :
(a) afraid, (b) collect.
Answers :
(i) Chapter: Deep Water.
Author: William Douglas.
(ii) He picked him up and tossed him into the deep end of the pool.
(iii) When the author says “Long way down” he is talking of the depth of the Y.M.C.A. pool.
(iv) When the author opened his eyes he saw water all around.
(v) (a) frightened, (b) summoned.

Passage 8
My introduction to the Y.M.C.A. swimming pool revived unpleasant memories and stirred childhood fears. But in a little while, I gathered confidence. I paddled with my new water wings, watching the other boys and trying to learn by aping them. I did this two or three times on different days and was just beginning to feel at ease in the water when the misadventure happened. [H.B.S.E. March 2018 (Set-C)]

Word-meanings :
Revived = reminded (याद दिलाया);
aping = imitating (नकल करना);
misadventure accident = (दुर्घटना)।

Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) What stirred childish fears in the author?
(iv) What did the author do two or three times?
(v) When did the misadventure happen?
Answers:
(i) Deep Water.
(ii) William Douglas.
(iii) The author’s introduction to the Y.M.C.A. swimming pool stirred childish fears in him.
(iv) The author tried to learning two or three times.
(v) The misadventure happened when the author was just trying to learn swimming.

Deep Water Summary in English and Hindi

Deep Water Introduction to the Chapter
William Douglas was an American writer. He was born in Maine, Minnesota. This lesson has been taken from his book “Of Men and Mountains’. This deals with a childhood experience of the author. One day he went to a swimming pool. A boy threw him into the pool. He was nearly drowned in the swimming pool. That was a terrifying experience for him. This childhood incident created fear of water in his mind. It took several years of his life to overcome this fear. But he was able to conquer his fear with courage and determination.

(William Douglas एक अमेरिकी लेखक था। उसका जन्म मेन, मिनेसोटा में हुआ था। यह पाठ उनकी पुस्तक } “Of Men and Mountains’ से लिया गया है। यह लेखक के बचपन के एक अनुभव का वर्णन करता है। एक दिन वह एक तरणताल पर गया। एक लड़के ने उसे ताल में फेंक दिया। वह तरणताल में लगभग डूबने ही वाला था। यह उसके लिए एक डरावना अनुभव था। बचपन की इस घटना ने उसके मन में पानी से भय को भर दिया। इस भय पर काबू पाने के लिए उसके जीवन के कई साल लग गए। लेकिन वह साहस और दृढ़-निश्चय के साथ अपने भय पर विजय पाने में सफल रहा।)

Deep Water Summary

The author had an aversion for water since his childhood. When he was only three or four years old, his father took him to the beach in California. He and his father stood together in the waves. He hug on to his father. But the waves knocked him down and swept over him. He was frightened. His father laughed, but the waves created a fear in the author’s mind. When the author was ten or eleven years old, he decided to learn to swim.

There was a pool at the Y.M.C.A in Yakima. It offered him a good opportunity to learn swimming. The pool was only two or three feet deep at the shallow end, while it was nine feet deep at the other end. The drop was gradual. One day, he took a pair of water wings and went to the pool. He was alone at the pool. He felt afraid to go into the water alone. He sat on the side of the pool. Just then a big eighteen-year-old boy came there. He picked up the author and threw him into the pool.

The author was terrified. But he did not lose his presence of mind. He thought that when his feet touched the bottom of the pool, he would make a jump upwards and would come to the surface. Finally he would lie flat on it and paddle to the end of the pool.

But when he went down, the nine feet seemed like ninety to him. But when his feet touched the bottom, he gathered courage and made a spring upwards. He came up rather slowly. Whenever he opened his eyes, he saw nothing but water. He was suffocating. He became panicky. He tried to cry but no words came out. His legs seemed paralyzed and were rigid.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

Instead of coming up, he went down and down. A great force seemed to pull him under water. He tried to scream but could not. Only his heart and pounding in his head showed that he was alive. He sucked for air, but got water. He looked for ropes, ladder, water wings, but there was nothing except water.

And then there was light. He was coming out of the water. He felt that his eyes and nose were out of the water. But his mouth was still under water. Then he again found himself going down. He again remembered to make a leap when his feet touched the bottom. But nothing happened. He thought that he was going to die. He ceased all efforts. He felt as if he was going to become unconscious.

After some time, Douglas regained consciousness. He found himself lying on his stomach near the pool. He was vomiting. The boy who had thrown him into the pool was standing near him. He was saying, “But I was only fooling.” Someone said that Douglas had nearly died. But he was alright now. After some hours, he walked back to his home. But he was weak and his legs were trembling.

After that incident, a haunting fear remained in his heart. He never went back to the pool. He feared water and tried to avoid it. The fear of water remained with him as years rolled by. He tried his best to overcome this fear but it remained with him. Finally, one October, he got an instructor. With him he practiced for five days a week. The instructor taught him step by step how to swim. He taught him how to put his face under water and exhale. And then how to raise his nose and inhale. He repeated the exercises hundreds of time. Still he wondered whether he would be terrified when he would be alone in a pool.

In order to overcome his fear, the author went to Lake Wentworth in New Hampshire. He dived off a dock at Triggs Island. He swam two miles across the lake to Stamp Act Island. Only once he felt some fear when he was in the middle of the lake. But soon he overcame that fear. Then he swam back. He shouted with joy. Thus finally, he was able to conquer his fear of water and swimming.

(लेखक को अपने बचपन से ही पानी के प्रति नफरत थी। जब वह केवल तीन या चार साल का था, उसके पिता उसे कैलिफोर्निया के समुद्र तट पर ले गए। लहरों के बीच में वह और उसका पिता एक साथ खड़े थे। उसने अपने पिता को पकड़ रखा था। लेकिन लहरों ने उसे नीचे गिरा दिया और उसके ऊपर से बह गईं। वह भयभीत था। उसका पिता हँस रहा था लेकिन लहरों ने लेखक के मन में भय उत्पन्न कर दिया।

जब लेखक दस या ग्यारह वर्ष का था, उसने तैराकी सीखने का निर्णय लिया। याकीमा के Y.M.C.A में एक तरणताल था। इसने उसे तैराकी के लिए एक अच्छा अवसर प्रदान किया। छिछले सिरे पर तालाब केवल दो या तीन फुट गहरा था और दूसरे सिरे पर वह नौ फुट गहरा था। यह गहराई धीरे-धीरे बढ़ रही थी। एक दिन उसने अपने जलपरों की एक जोड़ी ली और तरणताल पर चला गया। ताल पर वह अकेला था। पानी के अंदर अकेले जाने से उसे डर लग रहा था। वह ताल के सिरे पर बैठ गया। तभी अट्ठारह वर्ष का एक बड़ा लड़का वहाँ आया। उसने लेखक को उठाया और उसे ताल के अंदर फेंक दिया।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

लेखक भयभीत था। लेकिन उसने अपनी दिमागी तत्परता को नहीं खोया। उसने सोचा कि जब उसके पाँव पानी के तल पर लगेंगे तो वह ऊपर की ओर कूदेगा और सतह पर आ जाएगा। अंततः वह पानी की सतह पर सीधा लेट जाएगा और तैर कर ताल के सिरे तक आ जाएगा। लेकिन जब वह नीचे गया तो उसे नौ फुट नब्बे फुट के समान प्रतीत हुए। लेकिन जब उसके पाँवों ने तली को स्पर्श किया, उसने साहस एकत्र किया और ऊपर की तरफ छलांग लगाई।

वह थोड़ा धीरे-से ऊपर आया। जब कभी भी उसने अपनी आँखें खोलीं, उसे पानी के सिवाय कुछ नज़र नहीं आया। उसका दम घुट रहा था। वह भयभीत हो गया। उसने चिल्लाने का प्रयास किया लेकिन शब्द ही बाहर नहीं निकले। उसकी टाँगें लकवाग्रस्त और अकड़ी हुई प्रतीत हो रही थीं।

ऊपर आने की बजाय, वह नीचे-ही-नीचे जाता रहा। जैसे कोई बड़ी ताकत उसे पानी के नीचे की ओर खींच रही थी। उसने चिल्लाने का प्रयास किया लेकिन चिल्ला नहीं सका। केवल उसकी दिल की धड़कन और दिमागी हलचल से उसे लगा कि वह जीवित है। उसने हवा को ग्रहण करना चाहा, लेकिन पानी मिला। उसने रस्सियाँ, सीढ़ी, जलपरों की खोज की लेकिन पानी के सिवाय कुछ भी नहीं था।

और तब प्रकाश नजर आया। वह पानी से बाहर आ रहा था। उसने महसूस किया कि उसकी आँखें और नाक पानी से बाहर आ रहे थे। लेकिन उसका मुँह अभी भी पानी के अंदर था। तब उसने पुनः स्वयं को नीचे की ओर जाते पाया। उसने पुनः छलाँग लगाने के बारे में याद किया कि जब उसके पाँव जमीन से स्पर्श करेंगे। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। उसने सोचा कि वह मरने जा रहा है। उसने सारे प्रयास बंद कर दिए। उसे ऐसा लगा जैसे कि वह बेहोश होने जा रहा था।

कुछ समय के पश्चात्, डगलस को होश आ गया। उसने स्वयं को पेट के बल ताल के पास लेटे पाया। वह उल्टियाँ कर रहा था। जिस लड़के ने उसे पानी के अंदर फेंका था वह उसके पास खड़ा था। वह कह रहा था, “मैं तो केवल मजाक कर रहा था” किसी ने कहा कि डगलस लगभग मर ही चुका था। लेकिन अब वह बिल्कुल ठीक था। कुछ घंटों के पश्चात्, वह अपने घर लौट आया। लेकिन वह कमजोर था और उसकी टाँगें काँप रही थीं।

उस घटना के पश्चात्, उसके हृदय में बार-बार आने वाला भय बैठ गया था। वह कभी भी ताल पर वापिस नहीं गया। उसे पानी से भय लगता था और वह उससे बचने का प्रयास करता था। वर्षों के बीतने के बाद भी यह भय उसके मन में बना रहा। उसने इस भय पर नियंत्रण पाने के लिए पूरे प्रयास किए लेकिन वह उसके साथ बना रहा। अंततः अक्तूबर के एक दिन उसे एक अनुदेशक मिला। उसके साथ उसने सप्ताह में पाँच दिन अभ्यास किया। अनुदेशक ने उसे कदम-दर-कदम तैरना सिखाया। उसने उसे सिखाया कि पानी के नीचे अपना चेहरा कैसे रखा जाता है और साँस कैसे छोड़ा जाता है। और तब अपने नाक को ऊपर उठाकर कैसे साँस लिया जाता है। उसने सैकड़ों बार इसी अभ्यास को दोहराया। फिर भी वह जानने को उत्सुक था कि क्या अभी भी वह भयभीत होगा जब वह ताल में अकेला होगा।

अपने भय पर नियंत्रण पाने के लिए, लेखक न्यू हैम्पशायर में लेक वेटवर्थ पर गया। उसने ट्रिग्स द्वीप पर एक जहाज से कूद लगा दी। वह झील में दो मील तक स्टैंप एक्ट द्वीप तक तैर कर गया। केवल एक बार तो उसे कुछ भय लगा जब वह झील के मध्य में था। लेकिन शीघ्र ही उसने उस भय पर काबू पा लिया। तब वह तैर कर वापिस आया। वह खुशी से चिल्ला उठा। तब अंततः वह पानी और तैराकी के प्रति अपने भय पर विजय पाने में सफल रहा।)

Deep Water Word Meanings

[Page 23] :
Graduating (receiving a bachelor’s degree) = स्नातक की उपाधि मिलना;
pursue (to follow) = अनुसरण करना;
excerpt (part)= अंश, भाग;
pool (swimming pool) = तैरने का ताल (तालाब);
offered (provided)= पेश किया;
opportunity (chance) = अवसर;
treacherous (dangerous)=खतरनाक;
shallow (not deep)= उथला;
gradual (by degrees) = शनै: शनैः ।

[Page 25] :
Skinny (very thin) = बहुत पतला;
subdued (overcame) = काबू पाया;
aversion (dislike) = नफरत;
surf (wave) = लहर;
beach (seashore) = सागर तट;
buried (dug in ) = गाड़ा;
frightened (terrified)= भयभीत;
terror (fear) = डर;
revived (reminded) = याद दिलाया;
unpleasant (not enjoyable)=अप्रिय;
stirred (arose)=पैदा की;
paddled (moved on water)=पानी पर तैरा;
aping (imitating)=नकल करना;
misadventure (accident)=दुर्घटना;
timid (lacking courage)= कायर;
bruiser (muscular man) = हट्टा-कट्टा व्यक्ति;
specimen (example)=उदाहरण;
rippling (waving) = हिलते हुए;
yelled (shouted) = चिल्लाया;
duck (dive) = डुबकी लगाना;
toss (throw)=फेंकना;
swallow (gulp down) = निगलना;
summoned (gathered) = एकत्रित की;
bob (come up) = ऊपर आना।

[Page 26]:
Tinge (colour)=रंग;
panicky (afraid)=भयभीत;
grab (grip)=पकड़ना;
clutched (grabbed)= पकड़ा;
suffocating (choking)=दम घुटना;
choked (blocked)= रोकना;
paralyzed (unable to move)=सुन्न होना;
rigid (stiff) = सख्त;
struck (thumped) = थपथपाया;
expending (spending) = फैलाना;
nightmare (a bad dream)= बुरा स्वप्न;
throbbed (palpitated) = धड़का;
dizzy (feeling giddy)=सिर चकराना;
strategy (plan) = योजना;
thrash (strike) = प्रहार करना;
stark (complete) = पूर्ण;
sheer (only) =केवल;
endlessly (completely)=पूरी तरह;
shrieking (crying)= चिल्लाना;
seized (caught) = पकड़ा;
frozen (choked) = जम गया;
midst (in the middle of) = के बीच में;
mass (heap) = ढेर;
charge (current) = घाटा;
fright (fear) = डर ।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

[Page 27]:
Awful(fearful) =भयानक;
sucked (inhaled)= सांस अन्दर ली;
ceased (ended) =समाप्त हुआ;
relaxed (eased) = आराम मिला;
limp (lifeless) = निर्जीव;
drowsy (sleepy) = ऊँघना;
oblivion (forgetfulness) = भुलक्कड़पन;
haunting (coming again and again)= बार-बार आना;
slightest (least) = कम से कम;
exertion (tiredness)=थकान;
wobbly (unstable) = अस्थिर;
cascade (waterfall) = जलप्रपात;
wading (walking through water)=पानी में से चलना;
bumping (bouncing)= उछलना;
handicap (hindrance) = रुकावट;
canoes(small boats)=छोटी नौकाएँ;
salmon, basstrout (kind of fish) = मछली की जातियाँ ।

[Page 28]:
Ruined (destroyed) = नष्ट किया;
trips (journeys) = यात्राएँ;
forth (ahead) = आगे;
relaxed (let loose) = ढीला छोड़ा;
hold (grip) = पकड़ना;
tension (stress)=तनाव;
slack (lessen)= कम करना;
exhale (breathe out) = सांस बाहर निकालना;
inhale (breathe in) = सांस अन्दर लेना;
shed (gave up) = त्याग दिया;
command (order/direct)= आदेश;
integrated (complete)= पूर्ण;
tiny (little)= छोटा;
vestiges (signs)=चिह्न;
frown (scowl)=लोरी।

[Page 29] :
Dock (part of port) = बन्दरगाह;
sensation (strong feeling) = भावना;
residual (left over) = बचा हुआ;
hurried (went in a hurry) = जल्दी में गया;
meadow (grassland) = चरागाह;
stripped (took off clothes)= कपड़े उतारे;
appreciate (praise) = प्रशंसा करना;
intensity (power/strength) = शक्ति;
released (freed) =आजाद किया;
trails (paths) = रास्ते।

Deep Water Translation in Hindi

It had happened when I was ten or eleven years old. I had decided to learn to swim. There was a pool at Y.M.C.A. in Yakima that offered exactly the opportunity. The Yakima River was treacherous. Mother continually warned against it, and kept fresh in my mind the details of each drowning in the river. But the Y.M.C.A. pool was safe. It was only two or three feet deep at the shallow end; and while it was nine feet deep at the other, the drop was gradual. I got a pair of water wings and went to the pool. I hated to walk naked into it and show my skinny legs. But I subdued my pride and did it.

(यह बात तब हुई जब मैं दस या ग्यारह वर्ष का था। मैंने तैरना सीखने का फैसला किया था। याकीमा में वाई०एम०सी०ए० के अन्दर एक तालाब था जो ठीक ऐसा अवसर देता था। याकीमा नदी खतरनाक थी। माँ सदा इसके खिलाफ चेतावनी देती रहती थी और हर डूबने की दुर्घटना का विस्तृत वर्णन मेरे दिमाग में ताजा बनाए रखती थी। परन्तु वाई०एम०सी०ए० का ताल सुरक्षित था। उथले किनारे पर तो यह केवल दो या तीन फुट ही गहरा था और यद्यपि दूसरे किनारे पर यह नौ फुट गहरा था और गहराई धीरे-धीरे बढ़ती थी। मैंने जल-परों का एक जोड़ा लिया और ताल की ओर चल पड़ा। उसके अन्दर नंगे जाकर अपनी पतली-पतली टाँगें दिखाने से मुझे नफरत थी। पर मैंने अपने अभिमान को दबाया और ऐसा ही किया।)

From the beginning, however, I had an aversion to the water when I was in it. This started when I was three or four years old and father took me to the beach in California. He and I stood together in the surf. I hung on to him. Yet the waves knocked me down and swept over me. I was buried in water. My breath was gone. I was frightened. Father laughed, but there was terror in my heart at the overpowering force of the waves.

(पर प्रारम्भ से ही, पानी के अन्दर होने पर मुझे पानी से घृणा थी। यह तब से प्रारम्भ हुई थी जब मैं 3-4 साल का था और मेरे पिता मुझे कैलीफोर्निया के समुद्र तट पर ले गए थे। वह और मैं लहरों के बीच खड़े थे। मैं उन्हें पकड़े हुए था, फिर भी लहरों ने मुझे गिरा दिया और मेरे ऊपर से गुजर गईं। मैं पानी के अन्दर दब-सा गया था। मेरी साँस रुक गई थी। मैं डर गया था। पिता जी हँस रहे थे, परन्तु लहरों की पराजित करने वाली शक्ति का आतंक मेरे दिल में था।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

My introduction to the Y.M.C.A. swimming pool revived unpleasant memories and stirred childish fears. But in a little while, I gathered confidence. I paddled with my new water wings, watching the other boys and trying to learn by aping them. I did this two or three times on different days and was just beginning to feel at ease in the water when the misadventure happened.

(मेरे वाई०एम०सी०ए० के तरण-ताल के परिचय ने दुःखद यादों को पुनर्जीवित कर दिया और बचपन के डर को जगा दिया। पर कुछ देर में ही मुझमें आत्मविश्वास आ गया। अपने नए जल-परों को पहनकर मैंने तैरना प्रारम्भ किया और दूसरे लड़कों की नकल करके सीखने का प्रयत्न किया। अलग-अलग दिनों में मैंने तीन-चार बार ऐसा किया और मैंने पानी में अच्छा महसूस करना आरम्भ ही किया था कि दुर्घटना घट गई।)

I went to the pool when no one else was there. The place was quiet. The water was still, and the tiled bottom was as white and clean as a bathtub. I was timid about going in alone, so I sat on the side of the pool · to wait for others.

(जब कोई और वहाँ नहीं था, मैं ताल पर पहुँचा। वहाँ पर सन्नाटा था। जल शान्त था और टाइल लगा हुआ तल स्नानघर के टब की तरह सफेद और साफ था। अकेले अन्दर प्रवेश करते मैं डर रहा था, अतः दूसरों की प्रतीक्षा करते हुए मैं तालाब के एक तरफ बैठ गया।)

I had not been there long when in came a big bruiser of a boy, probably eighteen years old. He had thick hair on his chest. He was a beautiful physical specimen, with legs and arms that showed rippling muscles. He yelled, “Hi, Skinny! How’d you like to be ducked ?”

(मुझे अभी वहाँ अधिक देर नहीं हुई थी कि एक हट्टा-कट्टा(शक्तिशाली) लड़का वहाँ आया जो लगभग अठारह साल का होगा। उसकी छाती पर घने काले बाल थे। वह सुन्दर स्वास्थ्य का एक उदाहरण था, उसकी टाँग और बाजू की मांसपेशियाँ लहरा रही थीं। वह चिल्लाकर बोला, “ओए पतलू, तू पानी में छलाँग लगाना चाहेगा, क्या ?”)

With that, he picked me up and tossed me into the deep end. I landed in a sitting position, swallowed water, and went at once to the bottom. I was frightened, but not yet frightened out of my wits. On the way down I planned : When my feet hit the bottom, I would make a big jump, come to the surface, lie flat on it, and paddle to the edge of the pool.

(इसी के साथ उसने मुझे उठाया और ताल के गहरे छोर की तरफ फेंक दिया। मैं बैठे होने की अवस्था में गिरा, पानी निगला और फौरन तल पर पहुँच गया। मैं डरा हुआ था, मगर मैंने होश नहीं खोए थे नीचे जाते हुए मैंने योजना बनाई; जब मेरे पैर तली को छुएँगे तो ऊपर की ओर छलाँग लगाऊँगा, सतह पर आऊँगा, इस पर लेट जाऊँगा और पुल के किनारे तक तैरता हुआ पहुँच जाऊँगा।)

It seemed a long way down. Those nine feet were more like ninety, and before I touched bottom my lungs were ready to burst. But when my feet hit bottom I summoned all my strength and made what I thought was a great spring upwards. I imagined I would bob to the surface like a cork. Instead, I came up slowly. I opened my eyes and saw nothing but water-water that had a dirty yellow tinge to it. I grew panicky. I reached up as if to grab a rope and my hands clutched only at water. I was suffocating. I tried to yell but no sound came out. Then my eyes and nose came out of the water-but not my mouth.

(नीचे जाते हुए काफी देर लगती हुई प्रतीत हुई। वे नौ फुट नब्बे जितने लगे और इससे पहले कि मैं तल को छूता मेरे फेफड़े फटने को हो रहे थे, परन्तु जैसे ही मेरे पैरों ने तली को छुआ तो मैंने अपनी सारी शक्ति बटोरी और मेरे विचार में मैंने एक बहुत बड़ी कूद ऊपर की तरफ लगाई। मैंने कल्पना की कि मैं एक कॉर्क की तरह सतह पर उछलकर आ जाऊँगा। इसके विपरीत मैं धीरे-धीरे आया। मैंने अपनी आँखें खोली और पानी के अलावा कुछ नहीं देखा-पानी जो एक मैला पीला रंग लिए हुए था। मैं बौखला गया। मैंने ऊपर हाथ किए मानो एक रस्सी पकड़ने के लिए और मेरे हाथों में केवल पानी आया। मेरा दम घुट रहा था। मैंने चीखने की कोशिश की पर कोई आवाज़ नहीं निकली। फिर मेरी आँख व नाक पानी से बाहर आए परन्तु मेरा मुँह बाहर नहीं आया।)

I flailed at the surface of the water, swallowed, and choked. I tried to bring my legs up, but they hung as dead weights, paralyzed and rigid. A great force was pulling me under. I screamed, but only the water heard me. I had started on the long journey back to the bottom of the pool.

(मैंने पानी की सतह पर हाथ-पाँव पटके, पानी को निगला और मेरा गला रुंध गया। मैंने अपनी टाँगों को ऊपर लाने की कोशिश की, मगर वे निर्जीव बोझ बनी लटकी रहीं, बिल्कुल लकवाग्रस्त एवं कठोर। एक बड़ी शक्ति मुझे नीचे खींच रही थी। मैं चीखा पर मेरी आवाज़ सिर्फ पानी ने सुनी। ताल के तल की ओर की लम्बी यात्रा मैंने पुनः प्रारम्भ कर दी थी।)

I struck at the water as I went down, expending my strength as one in a nightmare fights against an irresistible force. I had lost all my breath. My lungs ached, my head throbbed. I was getting dizzy. But I remembered the strategy: I would spring from the bottom of the pool and come like a cork to the surface. I would lie flat on the water, strike out with my arms, and thrash with my legs. Then I would get to the edge of the pool and be safe.

(नीचे जाते हुए मैंने पानी को धकेला, मैं अपनी शक्ति उस तरह लगा रहा था जैसे भयानक स्वप्न में कोई किसी अपराजय शक्ति से लड़ रहा हो। मेरी साँस फूल गई थी। मेरे फेफड़ों में दर्द हो रहा था, मेरा सिर धड़क रहा था, मुझे चक्कर आ रहे थे। पर मुझे योजना याद थी मैं ताल के तल से ऊपर को कूदूंगा और कार्क की तरह सतह पर आऊँगा। मैं पानी के ऊपर सीधा लेट जाऊँगा, अपने बाजू से पानी काटूंगा और टाँगें मारूँगा। इस प्रकार मैं ताल के ऊपर आ जाऊँगा और सुरक्षित हो जाऊँगा।

I went down, down endlessly. I opened my eyes. Nothing but water with a yellow glow-dark water that one could not see through. And then sheer, stark terror seized me, terror, that knows no understanding, terror that knows no control, terror that no one can understand who has not experienced it. I was shrieking underwater. I was paralyzed under water-stiff, rigid with fear. Even the screams in my throat were frozen. Only my heart, and the pounding in my head, said that I was still alive.

(मैं नीचे, नीचे लगातार चलता गया। मैंने अपनी आँखें खोलीं। पीले पानी के अतिरिक्त कुछ भी नहीं था-अन्धेरा-सा पानी जिसके पार कुछ नज़र न आता था। और तब घोर भय ने मुझे काबू कर लिया, वह भय जहाँ समझ काम नहीं करती, वह भय जो काबू के बाहर हो जाता है, वह भय जो वही जान सकता है जिसने उसे अनुभव किया हो। मैं पानी के नीचे चीख रहा था। मैं पानी के नीचे संज्ञाशून्य हो गया था-डर से कठोर और जड़वत। मेरे गले से निकलने वाली चीखें भी जम गई थीं। केवल मेरा दिल और मेरे सिर की धड़कन कह रही थी मैं अभी जीवित था।)

And then in the midst of the terror came a touch of reason. I must remember to jump when I hit the bottom. At last I felt the tiles under me. My toes reached out as if to grab them. I jumped with everything I had. But the jump made no difference. The water was still around me. I looked for ropes, ladders, water wings. Nothing but water. A mass of yellow water held me. Stark terror took an even deeper hold on me, like a great charge of electricity. I shook and trembled with fright. My arms wouldn’t move. My legs wouldn’t move. I tried to call for help, to call for mother. Nothing happened.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 3 Deep Water

(और तब डर के मध्य शक्ति लगाने का विचार आया। जब मैंने तल को छुआ तो मुझे कूदना याद आया। आखिरकार मैंने अपने नीचे टाइलें महसूस की। मेरे पैरों की उंगलियाँ ऐसे पहुँची जैसे उन्हें पकड़ना हो। मैं अपनी पूरी शक्ति से कूदा। लेकिन कूदने से भी कोई फर्क नहीं पड़ा। पानी अब भी मेरे चारों ओर था। मैंने रस्सियों, सीढ़ियों, पानी के पंखों को ढूँढ़ा। कुछ नहीं था सिवाय पानी के। पीले पानी का बोझ मुझे जकड़े हुए था। घोर भय ने मुझे और भी गहराई से जकड़ लिया था, बिजली के तेज चार्ज की तरह। मैं हिला और भय के साथ काँपा। मेरी बाँहें हिलती नहीं थीं। मेरी टाँगें हिलती नहीं थीं। मैंने सहायता के लिए पुकारने की कोशिश की, माँ को पुकारने की कोशिश की। कुछ नहीं हुआ।)

And then, strangely, there was light. I was coming out of the awful yellow water. At least my eyes were. My nose was almost out too. Then I started down a third time. I sucked for air and got water. The yellowish light was going out.

(और तब, अजीब तरह से, वहाँ रोशनी थी। मैं इस भयानक पानी से बाहर आ रहा था। कम-से-कम मेरी आँखें तो बाहर थी हीं। मेरी नाक भी लगभग बाहर थी। फिर मैं तीसरी बार नीचे जाना शुरु हुआ। मैंने हवा को अन्दर खींचने की कोशिश की और मुझे पानी मिला। पीली रोशनी जा रही थी।)

Then all effort ceased. I relaxed. Even my legs felt limp, and a blackness swept over my brain. It wiped out fear; it wiped out terror. There was no more panic. It was quiet and peaceful. Nothing to be afraid of. This is nice ………. to be drowsy …… to go to sleep …….. no need to jump ……… to tired to jump ………. it’s nice to be carried gently….to float along in space ……. tender arms around me ……… tender arms like Mother’s ……… now I must go to sleep …………………. I crossed to oblivion, and the curtain of life fell.

(तब सभी प्रयत्न समाप्त हो गए। मैंने आराम किया। मेरी टाँगें अपंग महसूस हुईं; और मेरे दिमाग पर एक कालापन छा गया। इसने डर को दूर कर दिया था; इसने मेरे भय को दूर कर दिया। अब और बौखलाहट नहीं थी। चुप्पी और शान्ति थी। डरने के लिए कुछ नहीं। यह अच्छा है ………. निद्राजनक होना नींद में चले जाना ………… कूदने की कोई ज़रूरत नहीं……इतना थका हुआ कि कूद नहीं सकता ……….. इतनी कोमलता से ले जाता हुआ कि अच्छा लगता था ……… खाली जगह में तैरना ………. मेरे चारों ओर कोमल बाँहें ………. माँ की बाँहों जैसी कोमल ………. अब मुझे सोना पड़ा ………. । मैं सब कुछ भूल गया था और जीवन का पर्दा गिर गया था।)

The next I remember I was lying on my stomach beside the pool, vomiting. The chap that threw me in was saying, “But I was only fooling.” Someone said, “The kid nearly died. Be all right now. Let’s carry him to the locker room.”
(अगली बात जो मुझे याद थी वह थी कि मैं उलटी करता हुआ अपने पेट के बल ताल के किनारे लेटा हुआ था। वह लड़का जिसने मुझे अन्दर फेंका था, कह रहा था, “परन्तु मैं केवल मजाक कर रहा था।” किसी ने कहा, “बच्चा मरते-मरते बचा है। अब सब ठीक हो जाए। चलो इसे लॉकर रूम में ले चलते हैं।”)

Several hours later, I walked home. I was weak and trembling. I shook and cried when I lay on my bed. I couldn’t eat that night. For days a haunting fear was in my heart. The slightest exertion upset me, making me wobbly in the knees and sick to my stomach. I never went back to the pool. I feared water. I avoided it whenever I could.

(कई घण्टे बाद, मैं घर गया। मैं कमजोर था, काँप रहा था। जब मैं बिस्तर में लेटा तो मैं काँपा और रोया, मैं उस रात को खा नहीं पाया। कई दिनों तक मेरे दिल में डर छाया रहा। थोड़ी-सी भी मेहनत मुझे परेशान कर देती थी, मेरे घुटने लड़खड़ाने लगते और पेट बीमार-सा लगता। उसके बाद मैं कभी भी ताल में नहीं गया। मुझे पानी से डर लगता था और जहाँ तक हो सकता था, मैं पानी से दूर रहने की कोशिश करता था।)

A few years later when I came to know the waters of the Cascades, I wanted to get into them. And whenever I did-whether I was wading the Tieton or Bumping River or bathing in Warm Lake of the Goat Rocks-The terror that had seized me in the pool would come back. It would take possession of me completely. My legs would become paralyzed. Icy horror would grab my heart.

(कुछ सालों बाद जब मैंने झरनों के पानी को देखा, तब मैं उनमें जाना चाहता था और जब भी मैंने ऐसा किया चाहे वह टीटन या बमपिंग नदी को लांघना हो या गोट रॉक्स की गर्म झील में नहाना हो वह आतंक जो ताल में मुझे वशीभूत कर चुका था, वापस मेरे पास आ जाता था। मैं पूरी तरह इसके वश में हो जाता था। मेरी टाँगें संज्ञाशून्य हो जाती थीं। एक बर्फीला डर मेरे दिल को जकड़ लेता था।)

This handicap stayed with me as the years rolled by. In canoes on Maine lakes fishing for landlocked salmon, bass fishing in New Hampshire, trout fishing on the Deschutes and Metolius in Oregon, fishing for salmon on the Columbia, at Bumping lake in the Cascades-wherever I went, the haunting fear of the water followed me. It ruined my fishing trips; deprived me of the joy of canoeing, boating, and swimming.

(साल पर साल बीतते गए और अपंगता मेरे साथ बनी रही। मेन की झीलों में नौकाओं में बैठ जमीन से घिरी सेलमन मछली को पकड़ना, न्यू हैम्पशायर में बास मछली का शिकार और आरेगन के मेट्रोलियस, डेस्यूट्स में ट्राउट मछली को पकड़ना, कोलम्बिया और बमपिंग लेक के झरनों में सेलमन को पकड़ना-मैं जहाँ भी जाता, पानी का आतंकित करने वाला डर मेरा पीछा करता रहता। यह मेरी मछली के ट्रिप को तबाह कर देता, मुझे छोटी नाव, बड़ी नाव चलाने और तैरने के आनन्द से वंचित कर देता।)

I used every way I knew to overcome this fear, but it held me firmly in its grip. Finally, one October, I decided to get an instructor and learn to swim. I went to a pool and practiced five days a week, an hour each day. The instructor put a belt around me. A rope attached to the belt went through a pulley that ran on an overhead cable. He held on the to end of the rope, and we went back and forth, back and forth across the pool, hour after hour, day after day, week after week. On each trip across the pool a bit of the panic seized me.

Each time the instructor relaxed his hold on the rope and I went under, some of the old terror returned and my legs froze. It was three months before the tension began to slack. Then he taught me to put my face under water and exhale, and to raise my nose and inhale. I repeated the exercise hundreds of times. Bit by bit I shed part of the panic that seized me when my head went underwater.

(मैंने अपने इस भय पर काबू पाने के लिए वह हर तरीका अपनाया जो मैं जानता था, मगर इसने मुझे जकड़े रखा। आखिर एक अक्टूबर में मैंने तैरना सीखने के लिए एक प्रशिक्षक लेने का निर्णय किया। मैं एक ताल पर जाकर एक सप्ताह में पाँच दिन, प्रतिदिन एक घण्टे तक अभ्यास करता। प्रशिक्षक मेरे चारों ओर एक पेटी बाँध देता। पेटी से एक रस्सी बंधी होती जो एक पुली से होकर जाती जो सिर के ऊपर एक तार की रस्सी चलती थी। वह रस्सी के किनारे को पकड़े रहता और हम आगे-पीछे जाते रहते। घण्टा के बाद घण्टा, दिन के बाद दिन, हफ्ते के बाद हफ्ता हम ताल में एक तरफ से दूसरी तरफ आगे-पीछे जाते रहे। ताल के आर-पार की हर यात्रा में कुछ भय मेरे मन में बना रहता। हर बार जब प्रशिक्षक रस्सी पर अपनी पकड़ ढीली करता और मैं पानी के अन्दर चला जाता, पुराने भय का कुछ अंश लौट आता और मेरी टाँगें जम जातीं। मेरा तनाव कम होने में तीन महीने लग गए। तब उसने मुझे पानी के अन्दर मुँह डालकर सांस छोड़ना सिखाया और नाक उठाकर सांस लेना। मैंने यह व्यायाम सैकड़ों बार किया। धीरे-धीरे करके, उस भय का एक भाग जाता रहा जो मुझे पानी के अन्दर सिर डालने पर होता था।)

Next, he held me at the side of the pool and had me kick with my legs. For weeks I did just that. At first my legs refused to work. But they gradually relaxed, and finally, I could command them.
(उसके बाद ताल के किनारे पर वह मुझे पकड़े रहता और मैं पानी में टाँगें मारता रहता। हफ्तों तक मैं यही करता रहा। पहले-पहले तो मेरी टाँगों ने जवाब ही दे दिया, पर धीरे-धीरे वे तनाव-हीन होने लगी और अन्ततः मैं उन्हें आज्ञा दे सकता था।)

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Thus, piece by piece, he built a swimmer. And when he had perfected each piece, he put them together into an integrated whole. In April he said, “Now you can swim. Dive off and swim the length of the pool, crawl or stroke.”
I did. The instructor was finished.

(इस प्रकार धीरे-धीरे उसने मुझे तैराक बनाया। और जब उसने हर भाग को त्रुटिहीन कर लिया, उसने उन सबको जोड़कर एक पूर्ण वस्तु बना ली। अप्रैल में वह बोला, “अब तुम तैर सकते हो। गोता लगाओ और ताल की पूरी लम्बाई तैरकर पार कर लो, धीरे-धीरे जाओ चाहे तेजी से।” मैंने यह किया। प्रशिक्षक का कार्य पूरा हो चुका था।)

But I was not finished. I still wondered if I would be terror-stricken when I was alone in the pool. I tried it. I swam the length up and down. Tiny vestiges of the old terror would return. But now I could frown and say to that terror, “Trying to scare me, eh ? Well, here’s to you! Look!” And off I’s go for another length of the pool.

(परन्तु मेरा कार्य पूरा नहीं हुआ था। मैं अब भी डरता था कि कहीं ताल के अन्दर अकेला होने पर मैं भयभीत तो नहीं हो जाऊँगा। मैंने ऐसा करके देखा। मैं ताल के एक किनारे से दूसरे और फिर वापस उसी किनारे पर तैरकर गया। पुराने आतंक के छोटे चिह्न लौटा करते थे। पर अब मैं क्रोधित होकर उस भय से कह सकता था, “अच्छा, तू मुझे डराना चाहता है ? ठीक है, वह तुम्हारे नाम पर! देख! और मैं पुनः ताल की लंबाई को एक बार और पार कर देता।”)

This went on until July. But I was still not satisfied. I was not sure that all the terror had left. So I went to Lake Wentworth in New Hampshire, dived off a dock at Triggs Island, and swam to miles across the lake to Stamp Act Island. I swam the crawl, breaststroke, side stroke, and backstroke. Only once did the terror return. When I was in the middle of the lake, I put my face under and saw nothing but bottomless water. The old sensation returned in miniature. I laughed and said, “Well, Mr. Terror, what do you think you can do to me?” It fled and I swam on.

(जुलाई तक यही काम चलता रहा। मगर मैं सन्तुष्ट नहीं हुआ। मुझे विश्वास नहीं था कि मेरा सारा भय समाप्त हो गया है। अतः मैं न्यू हैंपशायर की लेक वैन्टबर्थ गया, ट्रग्स आयलैण्ड में डॉक से कूदा और दो मील झील में तैरकर स्टैंप ऐक्ट आयलैंड पहुँचा। मैंने क्राल, ब्रेस्ट स्ट्रोक, साइड स्ट्रोक और बैक स्ट्रोक को तैरने में प्रयोग किया। केवल एक बार भय लगा जब मैं झील के बीच में था तब मैंने जल में सिर डाला और मुझे अतल जल के अतिरिक्त कुछ नज़र नहीं आया। पुरानी भावना छोटे रूप में लौट आई। मैं हँसा और बोला, “अच्छा, आतंक साहब, आपके ख्याल में आप मेरा क्या बिगाड़ सकते हैं ?” वह भाग गया और मैं तैरता हुआ आगे चला गया।)

Yet I had residual doubts. At my first opportunity, I hurried west, went up the Tieton to Conrad Meadows, up the Conrad Creek Trial to Meade Glacier, and camped in the high meadow by the side of Warm Lake. The next morning I stripped, dived into the lake, and swam across to the other shore and back-just as Doug Corpron used to do. I shouted with joy, and Gilbert Peak returned the echo. I had conquered my fear of water.

(फिर भी मेरे मन में शंका का अंश बाकी था। पहला अवसर मिलते ही मैं पश्चिम की ओर गया, टीटन से ऊपर कोनार्ड मीडोज तक गया, कोनार्ड ग्रीक ट्रेल से मीडे ग्लेशियर तक और वार्म लेक के किनारे हाई मीडोज में पड़ाव डाला। अगले दिन प्रातः मैंने कपड़े उतारे, झील में गोता लगाया और तैरकर दूसरे किनारे तक पहुँचा और फिर तैरकर ही वापस आया-बिल्कुल वैसे जैसे डग कार्पन किया करता था। मैं खुशी से चीख पड़ा और गिलवर्ट पीक ने गूंजकर चीख दोहराई। मैं अपने पानी के भय पर विजय पा चुका था।)

The experience had a deep meaning for me, as only those who have known stark terror and conquered it can appreciate it. In death there is peace. There is terror only in the fear of death, as Roosevelt knew when he said, “All we have to fear is fear itself.” Because I had experienced both the sensation of dying and the terror that fear of it can produce, the will to live somehow grew in intensity. At last, I felt released-free to walk the trails and climb the peaks and to brush aside fear.

(इस अनुभव का मेरे लिए गहरा अर्थ था जिसे सिर्फ वही समझ सकते हैं जिन्होंने शुद्ध भय को जाना है और इस पर विजय पाई है। मृत्यु में एक शान्ति होती है। आतंक तो केवल मृत्यु के भय में होता है जैसा कि रूजवैल्ट जानता था तब उसने कहा, “हमें जिस वस्तु से डरना है वह डर ही है।” क्योंकि मैंने मरने का और मरने के भय के कारण पैदा होने वाले भय, दोनों का ही अनुभव किया था, जीवित रहने की इच्छा कुछ अधिक ही तेज हो गई थी। अन्ततः मुझे मुक्ति का अनुभव हुआ मैं आज़ाद था पगडण्डियों पर चलने के लिए और पहाड़ की चोटियों पर चढ़ने के लिए और भय को एक तरफ छोड़ देने के लिए।)

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HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. भारत किस प्रकार का देश है?
(A) कल्याणकारी
(B) तानाशाही
(C) राजतंत्र
(D) कुलीनतंत्र।
उत्तर:
कल्याणकारी।

2. …………………. एक कानूनी किताब या दस्तावेज़ है जिसमें देश को चलाने के सभी नियम दिए गए हैं?
(A) महाकाव्य
(B) आचार संहिता
(C) संविधान
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
संविधान।

3. भारतीय संविधान कब लागू हुआ था?
(A) 26 जनवरी, 1947
(B) 26 जनवरी, 1950
(C) 26 जनवरी, 1952
(D) 26 जनवरी 1949
उत्तर:
26 जनवरी, 1950.

4. संविधान बनाने वाली Drafting Committee के अध्यक्ष कौन थे?
(A) लाल बहादुर शास्त्री
(B) महात्मा गांधी
(C) जवाहर लाल नेहरू
(D) डॉ० अंबेदकर।
उत्तर:
डॉ० अंबेदकर।।

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5. सभी भारतीयों को कितने मौलिक अधिकार दिए गए हैं?
(A) छः
(B) चार
(C) पाँच
(D) सात।
उत्तर:
छः।

6. …………….. एक समूह है जिसकी वैधानिक संस्थाएं उसके नाम से जानी जाती हैं, जिसका अपना एक भौगोलिक क्षेत्र होता है तथा जिसे शक्ति के शारीरिक पक्ष को प्रयोग करने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है?
(A) देश
(B) सरकार
(C) राज्य
(D) राजनीतिक दल।
उत्तर:
राज्य।

7. सामाजिक नियोजन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(A) देश का सर्वपक्षीय विकास
(B) देश के एक पक्ष का विकास
(C) अपने देश के साथ और देशों का विकास
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
देश का सर्वपक्षीय विकास।

8. आज तक कितनी पंचवर्षीय योजनाएं बन चुकी हैं?
(A) नौ
(B) दस
(C) आठ
(D) बारह।
उत्तर:
बारह।

9. देश में योजना आयोग कब बना था?
(A) 1952
(B) 1951
(C) 1954
(D) 1950
उत्तर:
1950

10. योजना आयोग का अध्यक्ष कौन होता है?
(A) प्रधानमंत्री
(B) वित्त मंत्री
(C) राष्ट्रपति
(D) वित्त सचिव।
उत्तर:
प्रधानमंत्री।

11. पहली पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल क्या था?
(A) 1950-1955
(B) 1952-1957
(C) 1951-1956
(D) 1953-1958
उत्तर:
1951-1956

12. पंचवर्षीय योजनाओं का माडल किस देश से लिया गया था?
(A) यू० एस० एस० आर०
(B) ब्रिटेन
(C) अमेरिका
(D) जर्मनी।
उत्तर:
यू० एस० एस० आर० (U.S.S.R.)।

13. स्थानीय स्वः संस्थाओं में स्त्रियों को कितना आरक्षण दिया गया है?
(A) एक तिहाई
(B) पाँचवां हिस्सा
(C) एक चौथाई
(D) दसवां हिस्सा।
उत्तर:
एक तिहाई।

14. सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जनजातियों को कितना आरक्षण दिया गया है?
(A) 10%
(B) 15%
(C) 7.5%
(D) 27%
उत्तर:
7.5%

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15. संसद् में अनुसूचित जनजातियों के लिए कितने स्थान आरक्षित हैं?
(A) 39
(B) 41
(C) 49
(D) 46
उत्तर:
41

16. पहली पंचवर्षीय योजना का क्या उद्देश्य था?
(A) कृषि व्यवस्था को सुदृढ़ करनाड्ड
(B) औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना
(C) सामाजिक कल्याण के अधिक-से-अधिक कार्यक्रम बनाना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

17. सभी भारतीयों को कितने मौलिक कर्तव्य दिए गए हैं?
(A) छः
(B) दस
(C) आठ
(D) नौ।
उत्तर:
दस।

18. पंचवर्षीय योजनाओं से देश में क्या परिवर्तन आया?
(A) शिक्षा का फैलाव
(B) स्त्रियों की स्थिति में सुधार
(C) पिछड़े वर्गों का उत्थान
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

19. नियोजित विकास का क्या लाभ है?
(A) समय की बचत
(B) सभी क्षेत्रों का विकास
(C) पैसे की बचत
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

20. इनमें से कौन-सा पंचायती राज का एक स्तर है?
(A) पंचायत
(B) ब्लॉक समिति
(C) जिला परिषद्
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

21. ………………. एक नियमों की व्यवस्था है जिसे सरकार द्वारा लोगों पर लागू किया जाता है?
(A) कानून
(B) संविधान
(C) राज्य
(D) सरकार।
उत्तर:
कानून।

22. देश के लिए कानून कौन बनाता है?
(A) संसद्
(B) लोक सभा
(C) राज्य सभा
(D) प्रदेश की वैधानिक संस्था।
उत्तर:
संसद्।

23. राज्य के लिए कानून कौन बनाता है?
(A) संसद्
(B) राज्य विधान सभा
(C) राज्य सभा में
(D) लोकसभा।
उत्तर:
राज्य विधान सभा।

24. भारत में पंचायती राज्य व्यवस्था कब लागू हुई थी?
(A) 1952
(B) 1959
(C) 1955
(D) 1962
उत्तर:
1959

25. ग्राम सभा की अधिक-से-अधिक समयावधि कितनी होती है?
(A) 4 साल
(B) 5 साल
(C) 6 साल
(D) असीमित।
उत्तर:
5 साल।

26. पंचों और सरपंचों की नियुक्ति कैसे होती है?
(A) प्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा
(B) जिले के डी० सी० द्वारा नियुक्ति
(C) जिले के संसद् सदस्य द्वारा नियुक्ति
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
प्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा।

27. पंचायती राज्य की तीन स्तरीय संरचना में सबसे निम्न स्तर कौन-सा है?
(A) ब्लॉक समिति
(B) पंचायत
(C) जिला परिषद्
(D) नगर कौंसिल।
उत्तर:
पंचायत।

28. पंचायती राज्य की तीन स्तरीय संरचना में बीच का स्तर कौन-सा है?
(A) ब्लॉक समिति
(B) पंचायत
(C) नगर कौंसिल
(D) जिला परिषद्।
उत्तर:
ब्लॉक समिति।

29. पंचायती राज्य की तीन स्तरीय संरचना में सबसे उच्च स्तर कौन-सा है?
(A) नगर निगम
(B) ब्लॉक समिति
(C) पंचायत
(D) जिला परिषद्।
उत्तर:
जिला परिषद्।

30. पंचायत समिति द्वारा बनाई गई योजनाओं को कौन लागू करता है? .
(A) B.D.O.
(B) S.S.P.
(C) D.C.
(D) S.D.M.
उत्तर:
B.D.O.

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31. किस कानून से बहु-विवाह की प्रथा समाप्त कर दी गई थी?
(A) हिंदू तलाक कानून, 1955
(B) हिंदू विवाह अधिनियम, 1955
(C) हिंदू उत्तराधिकार कानून, 1956
(D) दहेज निषेध कानून, 1961.
उत्तर:
हिंदू विवाह अधिनियम, 1955

32. अस्पृश्यता अपराध अधिनियम कब पास हुआ था?
(A) 1949
(B) 1954
(C) 1955
(D) 1961
उत्तर:
1955

33. नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम कब पास हुआ था?
(A) 1975
(B) 1974
(C) 1977
(D) 1976
उत्तर:
1976.

34. प्राचीन पंचायती राज्य व्यवस्था में क्या कमी थी?
(A) लगातार चुनाव की कमी
(B) वित्तीय साधनों की कमी
(C) लोगों द्वारा दिलचस्पी न लेना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

35. इनमें से कौन-सा पंचायत का कार्य है?
(A) पीने के पानी का प्रबंध
(B) सड़कें बनाना
(C) स्कूल का प्रबंध
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

36. ग्राम सभा में गाँव के सभी ………………… सदस्य होते हैं।
(A) बालिग
(B) बच्चे
(C) जवान
(D) स्त्रियाँ।
उत्तर:
बालिग।

37. इनमें से कौन-सा पंचायत समिति की आय का स्रोत है?
(A) अनुदान
(B) मेलों से आय
(C) मार्कीट से आय
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

38. विकेंद्रीकरण का अर्थ है ……………….. का ऊपर से नीचे तक विभाजन।
(A) कार्यों
(B) शक्तियों
(C) व्यवस्था
(D) देश।
उत्तर:
शक्तियों।

39. पंचायत का सदस्य बनने के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?
(A) वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
(B) वह दिवालिया घोषित न किया गया हो
(C) उसकी आयु 21 वर्ष से अधिक होनी चाहिए
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

40. भारतीय संविधान की प्रस्तावना इनमें से किसे सुनिश्चित करने का प्रयास करती है?
(A) धार्मिक न्याय
(B) सामाजिक न्याय
(C) राजनीतिक न्याय
(D) उपर्युक्त सभी को।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी को।

41. इनमें से कौन-सा 1931 के कराची कांग्रेस संकल्प घोषणा पत्र में शामिल था?
(A) धार्मिक स्वतंत्रता
(B) धर्म निरपेक्ष राज्य
(C) वयस्क मताधिकार।
(D) उपर्युक्त सभी को।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक नियोजन का मुख्य उदेश्य क्या होता है?
उत्तर:
सामाजिक नियोजन का मुख्य उदेश्य देश का हर तरफ से विकास करना होता है।

प्रश्न 2.
हमारे देश में अब तक कितनी पंचवर्षीय योजनाएं बन चुकी हैं?
उत्तर:
हमारे देश में अब तक 12 पंचवर्षीय योजनाएं बन चुकी हैं।

प्रश्न 3.
हमारे देश में अब तक कितनी एकवर्षीय योजनाएं लागू हो चुकी हैं?
उत्तर:
हमारे देश में अब तक तीन एकवर्षीय योजनाएं 1966-69 तक लागू हो चुकी हैं।

प्रश्न 4.
हमारे देश के योजना आयोग को कब बनाया गया था?
उत्तर:
हमारे देश के योजना आयोग को 1950 में बनाया गया था।

प्रश्न 5.
योजना आयोग का अध्यक्ष कौन होता है?
उत्तर:
योजना आयोग का अध्यक्ष हमेशा प्रधानमंत्री होता है क्योंकि हमारे संविधान के अनुसार योजना आयोग का अध्यक्ष हमेशा प्रधानमंत्री ही होगा।

प्रश्न 6.
महिला अधिकारिता दिवस कब मनाया गया था?
उत्तर:
महिला अधिकारिता दिवस सन् 2001 में मनाया गया था।

प्रश्न 7.
पहली पंचवर्षीय योजना की अवधि क्या थी?
अथवा
प्रथम पंचवर्षीय योजना कब लागू की गई?
उत्तर:
पहली पंचवर्षीय योजना की अवधि 1951-1956 तक थी।

प्रश्न 8.
पहली पंचवर्षीय योजना में कितने रुपये खर्च करने का प्रावधान था?
उत्तर:
पहली पंचवर्षीय योजना में ₹ 1960 करोड़ खर्च करने का प्रावधान था।

प्रश्न 9.
दूसरी तथा तीसरी पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल बताएं।
उत्तर:
दूसरी पंचवर्षीय योजना 1956-1961 तक थी तथा तीसरी पंचवर्षीय योजना 1961-1966 तक थी।

प्रश्न 10.
दूसरी तथा तीसरी पंचवर्षीय योजना में कितने रुपये खर्च करने का प्रावधान था?
उत्तर:
दूसरी योजना में ₹ 4672 करोड़ तथा तीसरी पंचवर्षीय योजना में ₹ 8577 करोड़ खर्च करने का प्रावधान था।

प्रश्न 11.
तीन एकवर्षीय योजनाओं में कितने रुपये खर्च किए गए?
उत्तर:
तीन एकवर्षीय योजनाओं में ₹ 6625 करोड़ खर्च किए गए।

प्रश्न 12.
चौथी, पाँचवीं तथा छठी पंचवर्षीय योजनाओं का कार्यकाल बताएं।
उत्तर:
चौथी पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 1969-74, पाँचवीं का 1974-79 तथा छठी पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 1979-85 तक था।

प्रश्न 13.
इन तीन योजनाओं में कितने पैसे खर्च किए गए?
उत्तर:
चौथी योजना में ₹ 15779 करोड़, पाँचवीं योजना में ₹ 39,426 करोड़ तथा छठी पंचवर्षीय योजना में ₹ 1,10,467 करोड़ खर्च किए गए।

प्रश्न 14.
सातवीं तथा आठवीं पंचवर्षीय योजनाओं की अवधि बताएं।
उत्तर:
सातवीं तथा आठवीं पंचवर्षीय योजनाओं की अवधि क्रमशः 1985-90 तथा 1992-97 थी।

प्रश्न 15.
सातवीं तथा आठवीं पंचवर्षीय योजनाओं में कितने पैसे खर्च किए गए?
उत्तर:
सातवीं योजना में ₹ 2,21,436 करोड़ तथा आठवीं पंचवर्षीय योजना में ₹ 4,74,121 करोड़ खर्च किए गए।

प्रश्न 16.
नौवीं तथा दसवीं पंचवर्षीय योजनाओं की अवधि बताएं।
उत्तर:
नौवीं योजना की अवधि 1997-2002 तथा दसवीं पंचवर्षीय योजना की अवधि 2002-2007 तक है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

प्रश्न 17.
नौवीं योजना में कितने रुपये खर्च किए गए?
उत्तर:
नौवीं योजना में ₹ 8,59,200 करोड़ खर्च किए गए।

प्रश्न 18.
दसवीं पंचवर्षीय योजना में कितने रुपये खर्च किए जाएंगे?
उत्तर:
दसवीं पंचवर्षीय योजना में ₹ 15.92,300 करोड़ खर्च किए जाएंग।

प्रश्न 19.
पंचवर्षीय योजनाओं का मॉडल भारत ने किस देश से लिया था?
उत्तर:
पंचवर्षीय योजनाओं का मॉडल भारत ने सोवियत संघ (U.S.S.R.) से लिया था।

प्रश्न 20.
आर्थिक विकास मख्यतः किन बातों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
आर्थिक विकास मुख्यतः उद्योगों के होने तथा अधिक उत्पादन होने, कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी, विदेशी निवेश के बढ़ने, देश में सामान की खपत, आयात-निर्यात इत्यादि पर निर्भर करता है।

प्रश्न 21.
भारतीय संविधान की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
भारतीय संविधान इतना लचकीला तथा आसान है कि इसमें परिवर्तन किया जा सकता है तथा साथ ही साथ इतना कठोर है कि इसे परिवर्तित करने के लिए संसद् तथा राज्य विधानसभाओं के दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता है।

प्रश्न 22.
बहु विवाह की प्रथा किस कानून द्वारा खत्म की गई थी?
उत्तर:
बहु विवाह प्रथा को हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के द्वारा खत्म किया गया था।

प्रश्न 23.
पुत्र गोद लेने का कानून कब पास हआ था?
उत्तर:
पुत्र गोद लेने या हिंदू दत्तक पुत्र गोद लेने का कानून 1950 में पास हुआ था।

प्रश्न 24.
दहेज निरोधक कानून कब पास हुआ?
उत्तर:
दहेज निरोधक कानून पहली बार 1961 में तथा दूसरी बार 1986 में पास हुआ था।

प्रश्न 25.
अस्पृश्यता अपराध कानून कब पास हुआ था?
उत्तर:
अस्पृश्यता अपराध कानून 1955 में पास हुआ था पर यह कारगर सिद्ध नहीं हुआ था। इसलिए इसमें संशोधन करके नागरिक संरक्षण अधिकार कानून 1976 में पास हुआ था।

प्रश्न 26.
विधवा पुनर्विवाह कानून कब पास हुआ था?
उत्तर:
विधवा पुनर्विवाह कानून 1856 में पास हुआ था।

प्रश्न 27.
सती प्रथा विरोधी कानून कब पास हुआ था?
उत्तर:
सती प्रथा विरोधी कानून 1829 में पास हुआ था।

प्रश्न 28.
प्रभुत्व जाति होने के लिए कौन-सी विशेषताएँ आवश्यक हैं?
उत्तर:
प्राचीन समय में उच्च जाति, धन का होना प्रभुत्व जाति होने के लिए आवश्यक था। परंतु आधुनिक समय में जाति का प्रभाव कम हो गया है। इसलिए अधिक जनसंख्या का होना ही प्रभुत्व जाति के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 29.
भारत किस प्रकार का राज्य है?
उत्तर:
भारत एक कल्याणकारी राज्य है जिसका मुख्य उद्देश्य जनता के कल्याण में कार्य करना है।

प्रश्न 30.
संविधान क्या होता है?
उत्तर:
संविधान एक कानूनी किताब या दस्तावेज़ है जिसमें देश पर शासन करने के तरीके तथा प्रणालियाँ लिखी हुई हैं।

प्रश्न 31.
भारत देश का संविधान कब लागू हुआ था?
उत्तर:
भारत देश का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था, तभी हमारा देश गणतंत्र बना था।

प्रश्न 32.
संविधान बनाने वाली Drafting Committee के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
संविधान बनाने वाली Drafting Committee के अध्यक्ष डॉ० अंबेदकर थे।

प्रश्न 33.
भारत के नागरिकों को कितने मौलिक अधिकार दिए गए हैं?
उत्तर:
भारत के नागरिकों को छः (6) मौलिक अधिकार दिए गए हैं।

प्रश्न 34.
राज्य क्या होता है?
अथवा
राज्य की परिभाषा दें।
अथवा
राज्य क्या है?
अथवा
राज्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
राज्य वह समूह है जिसमें समाज में चल रही विभिन्न वैधानिक संस्थाएं उसके नाम से जानी जाती हैं तथा उसका निश्चित भू-भाग होता है जिसमें उसे शक्ति के शारीरिक पक्ष का प्रयोग करने का पूरा अधिकार होता है।

प्रश्न 35.
पंचवर्षीय योजनाओं का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
पंचवर्षीय योजनाओं का मुख्य उद्देश्य देश का हर तरफ से विकास करना है तथा राज्यों को उनके हक के मुताबिक विकास कार्यों पर खर्च करने के लिए पैसा देना है। इससे देश का सामाजिक तथा आर्थिक विकास होता है।

प्रश्न 36.
कल्याणकारी राज्य क्या होता है?
उत्तर:
कल्याणकारी राज्य में राज्य अपने नागरिकों तथा जनता के कल्याण करने की ज़िम्मेवारी उठाता है तथा उनके कल्याण के प्रयास करता है।

प्रश्न 37.
कल्याणकारी राज्य किस प्रकार की भूमिका निभाता है?
उत्तर:
कल्याणकारी राज्य देश में नागरिकों के कल्याण में सबसे अहम भूमिका अदा करता है। देश के कमजोर तथा पिछड़े वर्गों के आर्थिक विकास के लिए वह कार्य करता है। महिलाओं तथा बच्चों के लिए विधान रखता है ताकि कोई उनका शोषण न कर सके। इस तरह कल्याणकारी राज्य बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

प्रश्न 38.
नियोजन क्या होता है?
उत्तर:
नियोजन एक व्यवस्था होती है जिसके आधार पर समाज या व्यक्तिगत तौर पर लक्ष्यों की पूर्ति के लिए प्रयास किए जाते हैं।

प्रश्न 39.
सामाजिक नियोजन क्या होता है?
उत्तर:
यह वह व्यवस्था या विधि है जिसकी मदद से समाज की विभिन्न प्रकार की सामाजिक तथा सांस्कृतिक समस्याओं के समाधान के प्रयास किए जाते हैं।

प्रश्न 40.
आर्थिक नियोजन क्या होता है?
उत्तर:
यह वह योजना या कार्यक्रम है जिसमें हम आर्थिक तौर के सभी पक्षों जैसे कृषि, व्यापार, संपत्ति, संचार, परिवहन के साधनों के विकास के कार्य या प्रयास करते हैं।

प्रश्न 41.
हमारे देश में सामाजिक नियोजन की क्या ज़रूरत है?
उत्तर:
हमारे देश में विभिन्न धर्मों, जातियों के लोग रहते हैं। इन सबको एक-दूसरे के निकट लाने के लिए तथा इस निकटता में से निकली समस्याओं के समाधान के लिए सामाजिक नियोजन की बहुत ज़रूरत है।

प्रश्न 42.
राज्य तथा सरकार में क्या अंतर है?
उत्तर:
राज्य स्थायी होती है उसे कोई हिला नहीं सकता पर सरकार अस्थायी होती है जोकि पाँच साल या उससे पहले भी बदल सकती है। राज्य के कुछ लक्ष्य होते हैं, सरकार उन लक्ष्यों को प्राप्त करने का साधन है।

प्रश्न 43.
पंचायत किसे कहते हैं?
उत्तर:
पंचायत का अर्थ है-पाँच व्यक्तियों की सभा यां पंचों का समूह। पंचायती राज का अर्थ पंचों या पाँच व्यक्तियों द्वारा शासन करने के आधार पर समझा जा सकता है। इसे स्थानीय स्वशासन भी कह सकते हैं।

प्रश्न 44.
पंचायती राज के तीन स्तर कौन-कौन से हैं?
अथवा
नई पंचायती राज व्यवस्था के तीन स्तर कौन से हैं?
अथवा
पंचायती राज संस्थाओं के स्तरों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
पंचायती राज के तीन स्तर हैं-

  • पंचायत-गांव के स्तर पर
  • पंचायत समिति-ब्लॉक स्तर पर
  • जिला परिषद्-ज़िला के स्तर पर।

प्रश्न 45.
कानून क्या हैं?
अथवा
सामाजिक अधिनियम किसे कहते हैं?
उत्तर:
नियमों व सिद्धांतों की वह व्यवस्था जिसे जनता पर सरकार द्वारा लागू किया जाता है उसे कानून कहते है।

प्रश्न 46.
देश के लिए कानून कौन बनाता है?
उत्तर:
देश के लिए कानून देश की संसद् बनाती है तथा राज्य के लिए कानून राज्य के विधानमंडल बनाते हैं।

प्रश्न 47.
भारत में पंचायती राज व्यवस्था कब लागू हुई थी?
उत्तर:
भारत में पंचायती राज व्यवस्था 1959 में लागू हुई थी।

प्रश्न 48.
ग्राम पंचायत का गठन कितने समय के लिए होता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत का गठन 73वें संशोधन के अनुसार 5 साल के लिए होता है पर इसे पहले भी भंग किया जा सकता है।

प्रश्न 49.
ग्राम पंचायत में कितने सदस्य होते हैं?
उत्तर:
हमारे देश में ग्राम पंचायत के सदस्यों की संख्या निश्चित नहीं है। हरेक राज्य में यह भिन्न-भिन्न है। हरियाणा में यह संख्या 6 से 20 तक है।

प्रश्न 50.
ग्राम पंचायत के सदस्यों तथा प्रधान का चुनाव कैसे होता है?
उत्तर:
भारत में प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली चलती है ताकि लोगों के प्रतिनिधियों को चुना जा सके। इस तरह ग्राम पंचायत के पंचों तथा सरपंच का चुनाव भी प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली से होता है।

प्रश्न 51.
पंचायत समिति तथा जिला परिषद् किस स्तर पर गठित होते हैं?
उत्तर:
पंचायत समिति ब्लॉक स्तर पर तथा जिला परिषद् जिला स्तर पर गठित होते हैं।

प्रश्न 52.
पंचायत समिति द्वारा बनाई योजनाओं को कौन लागू करता है?
उत्तर:
पंचायत समिति द्वारा बनाई गई योजनाओं को ब्लॉक विकास अधिकारी (Block Development Officer) लागू करता है।

प्रश्न 53.
पुरानी पंचायत राज व्यवस्था में क्या त्रुटियां थीं?
उत्तर:

  1. नियमित चुनावों का अभाव था।
  2. पंचायतों के पास वित्तीय साधन नहीं थे।
  3. लोगों की इन संस्थाओं में कम रुचि थी।
  4. सरकारी अधिकारियों का इनके ऊपर अत्यधिक नियंत्रण था।

प्रश्न 54.
कानून कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
कानून दो प्रकार के होते हैं-

  1. दीवानी कानून
  2. फ़ौजदारी कानून।

प्रश्न 55.
गाँवों के विकास के लिए पंचायती राज में कौन-सी संस्थाएं कार्य करती हैं?
उत्तर:
गाँवों के विकास के लिए पंचायती राज में तीन संस्थाएं कार्य करती हैं।

  1. गाँव में पंचायत
  2. ब्लॉक में पंचायत समिति
  3. जिले में जिला परिषद्।

प्रश्न 56.
ग्राम सभा क्या है?
उत्तर:
यह सभा गाँव में बनती है। गाँव के सभी बालिग मर्द तथा औरतें इसके सदस्य होते हैं तथा यही लोग पंचायत का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 57.
पंचायत की आय के कोई दो साधन बताओ।
उत्तर:

  1. सरकार से मिलने वाली ग्रांट
  2. मकानों पर लगे टैक्स से आमदनी
  3. शामलाट ज़मीन से आमदनी।

प्रश्न 58.
पंचायत के कोई चार कार्य बताओ।
उत्तर:

  1. गाँव में पीने के पानी का प्रबंध करना।
  2. गाँवों में सड़कों का निर्माण करना।
  3. गाँवों की सफाई रखने की व्यवस्था करनी।
  4. गाँवों में बिजली का प्रबंध करना।

प्रश्न 59.
पंचायत समिति की आय के कोई तीन साधन बताओ।
उत्तर:

  1. सरकार से ग्रांट मिलना
  2. मेलों से आमदनी
  3. मंडियां लगने से आय की प्राप्ति।

प्रश्न 60.
पंचायत समिति के कोई दो कार्य बताओ।
उत्तर:

  1. अपने क्षेत्र के विकास के लिए योजनाएं बनाना तथा उन्हें लागू करना।
  2. अपने क्षेत्र के अंतर्गत आती पंचायतों के काम-काज की निगरानी करना।

प्रश्न 61.
जिला परिषद् की आय के कोई दो साधन बताओ।
उत्तर:

  1. सरकार द्वारा प्राप्त ग्रांट
  2. अपनी संपत्ति से मिलती आमदनी
  3. उस क्षेत्र में से इकट्ठे हुए करों का कुछ भाग।

प्रश्न 62.
जिला परिषद् के प्रमुख कार्य क्या है?
उत्तर:

  1. अपने क्षेत्र में आती पंचायत समितियों के काम का निरीक्षण करना।
  2. अपने क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों का निरीक्षण करना।

प्रश्न 63.
ग्राम पंचायत का सदस्य बनने के लिए क्या योग्यता चाहिए?
उत्तर:
ग्राम पंचायत का सदस्य बनने के लिए 21 वर्ष की आयु होनी चाहिए। चुनाव लड़ने वाला व्यक्ति राज्य विधानसभा का चुनाव लड़ने तथा पंचायतों का चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य न ठहराया गया हो।

प्रश्न 64.
उदारीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
नियंत्रित अर्थव्यवस्था के अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाना उदारीकरण है। उद्योगों तथा व्यापार पर से अनावश्यक प्रतिबंध हटाना अर्थव्यवस्था अधिक प्रतिस्पर्धात्मक, प्रगतिशील तथा खुली बन सके, इसे उदारीकरण कहते हैं। यह एक आर्थिक प्रक्रिया है तथा यह समाज में आर्थिक परिवर्तनों की प्रक्रिया हैं।

प्रश्न 65.
निजीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
लोकतांत्रिक तथा समाजवादी देशों में मिश्रित प्रकार की व्यवस्था होती है। इस अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक उपक्रम होते हैं। इन सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपना, ताकि यह अधिक लाभ कमा सकें, निजीकरण कहलाता है।

प्रश्न 66.
मौलिक अधिकारों से आप क्या समझते हैं?
अथवा
मौलिक अधिकार क्या हैं?
अथवा
मौलिक अधिकारों की परिभाषा दें।
उत्तर:
हमारे देश के संविधान ने देश के सभी नागरिकों को कुछ मूलभूत अधिकार प्रदान किए हुए हैं जिन्हें मौलिक अधिकार कहा जाता है। यह अधिकार व्यक्ति के लिए अच्छा जीवन जीने के लिए आवश्यक हैं जिस कारण इन्हें मौलिक अधिकार कहा जाता है।

प्रश्न 67.
भारतीय नागरिकों को संविधान में दिए गए प्रमुख मौलिक अधिकारों का वर्णन करें।
अथवा
मौलिक अधिकारों का एक उदाहरण दें।
अथवा
भारतीय संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
किन्हीं दो मौलिक अधिकारों का वर्णन करें।
अथवा
कोई दो मौलिक अधिकार लिखिए।
उत्तर:

  1. समानता का अधिकार
  2. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
  3. स्वतंत्रता का अधिकार
  4. सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक अधिकार
  5. शोषण के विरुद्ध अधिकार
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 3 भारतीय लोकतंत्र की कहानियाँ

प्रश्न 68.
संवैधानिक उपचारों के अधिकार का क्या अर्थ है?
उत्तर:
यह अधिकार देश के सभी नागरिकों को दिया गया है। इसके अनुसार अगर कोई और व्यक्ति, राज्य सरकार अथवा केन्द्र सरकार किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन या उनमें हस्तक्षेप करने का प्रयास करता है तो वह व्यक्ति न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर अपने अधिकार वापिस पा सकता है।

प्रश्न 69.
लोकतंत्र क्या है?
अथवा
लोकतंत्रीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
लोकतंत्र सरकार का ही एक प्रकार है जिसमें जनता का शासन चलता है। इसमें जनता के प्रतिनिधि साधारण जनता में से बालिगों को वोट देने के अधिकार से चुने जाते हैं तथा यह प्रतिनिधि ही जनता का प्रतिनिधित्व करते है और उनकी तरफ से बोलते हैं। यह कई संकल्पों जैसे कि समानता, स्वतंत्रता तथा भाईचारे में विश्वास रखता है तथा यह ही इसके कार्यवाहक आधार है।

प्रश्न 70.
दबाव समूह क्या होता है?
अथवा
दबाव समूह से आप क्या समझते हैं?
अथवा
दबाव समूह क्या है?
उत्तर:
दबाव समूह वह संगठित अथवा असंगठित समूह होते हैं जो सरकारी नीतियों को प्रभावित करते हैं तथा अपने हितों को बढ़ावा देते हैं। उनके कुछ उद्देश्य होते हैं तथा वे सरकार पर दबाव डालकर अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के प्रयास करते हैं। यह प्रत्यक्ष रूप से कभी भी चनाव नहीं लड़ते बल्कि अपने प्रभाव से स रखते हैं। ट्रेड यूनियन, किसान संघ इसकी उदाहरणें हैं।

प्रश्न 71.
स्थानीय स्वः शासन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब स्थानीय स्तर पर जनता का शासन स्थापित हो जाए तो उसे स्थानीय स्वः शासन कहते हैं। इसमें जनता स्थानीय स्तर पर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है तथा वह प्रतिनिधि स्थानीय स्तर पर ही जनता की समस्याओं का समाधान करते हैं।

प्रश्न 72.
राज्य क्या होता है?
उत्तर:
राज्य वह समूह है जिसमें समाज में चल रही विभिन्न वैधानिक संस्थाएं उसके नाम से जानी जाती हैं तथा उसका निश्चित भू-भाग होता है जिसमें उसे शक्ति के शारीरिक पक्ष का प्रयोग करने का पूरा अधिकार होता है।

प्रश्न 73.
पंचवर्षीय योजनाओं का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
पंचवर्षीय योजनाओं का मुख्य उद्देश्य देश का हर तरफ से विकास करना है तथा राज्यों को उनके हक के मुताबिक विकास कार्यों पर खर्च करने के लिए पैसा देना है। इससे देश का सामाजिक तथा आर्थिक विकास होता है।

प्रश्न 74.
संगठित अपराध किसे कहते हैं?
उत्तर:
आजकल के समय में लोग एक निश्चित योजना बनाकर, हथियारों के साथ अपराध करते हैं। उन्हें ही संगठित अपराध कहा जाता है।

प्रश्न 75.
सफेद कॉलर अपराध का एक उदाहरण दें।
उत्तर:
नेताओं, अफसरों इत्यादि द्वारा किया जाने वाला घोटाला सफेद कॉलर अपराध का उदाहरण है।

प्रश्न 76.
चार नीति निर्देशक सिद्धांतों के नाम दें।
उत्तर:
राज्य बाल मजदूरी को रोकेगा, राज्य समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित करेगा, सभी नागरिकों के लिए आजीविका के उपयुक्त स्रोत विकसित करेगा तथा देश की प्राचीन धरोहरों की रक्षा करेगा।

प्रश्न 77.
समानता के अधिकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समानता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है जिसके अनुसार देश के सभी नागरिक कानून की दृष्टि में समान हैं तथा किसी के साथ भी जाति, वर्ण, रंग, भाषा, आयु, प्रजाति इत्यादि में आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।

प्रश्न 78.
शैक्षणिक अधिभार से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
शैक्षणिक अधिकार का अर्थ यह है कि सरकार 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों को मुफ्त तथा अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगी।

प्रश्न 79.
भारत के किसी एक क्षेत्रीय राजनीतिक दल का नाम बताएं।
उत्तर:
इंडियन नैशनल लोकदल हरियाणा राज्य में मौजूद क्षेत्रीय राजनीतिक दल है।

प्रश्न 80.
ग्राम पंचायत का उप-प्रधान कैसे निर्वाचित किया जाता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत के निर्वाचित सदस्य अर्थात पंच अपने में से ही एक उप प्रधान का चुनाव करते हैं।

प्रश्न 81.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि ‘भारत एक समाजवादी ……………… है।
उत्तर:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में कहा गया है कि भारत एक समाजवादी पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य है।

प्रश्न 82.
स्वतंत्रता के अधिकार क्या है?
उत्तर:
स्वतंत्रता के अधिकार के अनुसार भारत में सभी नागरिक स्वतंत्र हैं तथा किसी भी देशी, विदेशी प्रभाव से मुक्त है।

प्रश्न 83.
भारत के किसी एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल का नाम बताएँ।
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत का एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं।

प्रश्न 84.
ग्राम पंचायत के प्रधान का चुनाव कैसे किया जाता है?
उत्तर:
ग्राम पंचायत के प्रधान का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान के द्वारा होता है।

प्रश्न 85.
भारतीय संविधान में लिखा है कि भारत एक प्रजातंत्रीय …………………….. है।
उत्तर:
भारतीय संविधान में लिखा है कि भारत एक प्रजातन्त्रीय गणराज्य है।

प्रश्न 86.
अस्पृश्यता में उन्मूलन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अस्पृश्यता में उन्मूलन का अर्थ है कि देश में से विधानों के द्वारा अस्पृश्यता का खात्मा कर दियागया है तथा जो भी अस्पृश्यता का पालन करेगा उसे विधानों के अनुसार कठोर दंड दिया जाएगा।

प्रश्न 87.
कोई एक मौलिक कर्तव्य बताएं।
उत्तर:
संविधान का पालन करना तथा इसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज व राष्ट्रीय गान का सम्मान करना

प्रश्न 88.
ग्राम पंचायत की मीटिंग की अध्यक्षता प्रधान या पंच में से कौन करता ह