HBSE 10th Class Social Science Important Questions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Important Questions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Important Questions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

मुद्रा और साख Important Questions Economics HBSE 10th Class प्रश्न-1.
आवश्यकताओं का दोहरा संयोग किसे कहते
उत्तर-
(क) जब क्रेता और विक्रेता दोनों एक दूसरे से चीजें खरीदने तथा बेचने पर सहमति रखतें हों तो इसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहा जाता है।
(ख) वस्तु विनितय प्रणाली में मांगों का दोहरा संयोग होना लाजिमी विशिष्टता हैं।

HBSE 10th Class मुद्रा और साख Important Questions Economics प्रश्न-2.
मुद्रा माँगों के दोहर संयोग को कैसे खत्म करती
उत्तर-
ऐसी अर्थव्यवस्था जहाँ मुद्रा का प्रयोग होता है, विनिमय प्रक्रिया में मुद्रा बीच का महत्त्वपूर्ण चरण प्रदान करके माँगों के दोहरे संयोग की जरूरत को खत्म कर देते हैं।

Chapter 3 मुद्रा और साख Important Questions HBSE 10th Class प्रश्न-3.
माँग जमा किसे कहते हैं?
उत्तर-
चूंकि बैंक खातों में जमा धन को माँग के जरिये निकाला जा सकता हैं इसीलिए इस जमा धन को मांग जमा कहा जाता है।

HBSE 10th Class Social Science Important Questions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

प्रश्न-4.
चेक क्या है?
उत्तर-
चेक एक ऐसा कागज है जो बैंक को किसी व्यक्ति के खाते से चेक पर लिखे नाम के किसी दूसरे व्यक्ति को एक खास रकम का भुगतन करने कजा आदेश देता है।

प्रश्न-5.
माँग जमा को मुद्रा क्यों माना जाता हैं?
उत्तर-
चूंकि मांग जमा व्यापक स्तर पर भुगतान का जरिया स्वीकार किये जाते हैं, इसलिये आधुनिक अर्थव्यवस्था मे करेंसी के साथ-साथ इसे भी मुद्रा समझा जाता है।

प्रश्न-6.
ऋण से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
ऋण से हमारा तात्पर्य एक सहमति से है जहाँ उध परदाता कर्जदार को धन, वस्तुएं या सेवाएँ प्रदान करता है। और बदले में भविष्य में कर्जदार से भुगतान करने का वादा लेता है।

प्रश्न-7.
ऋण की शर्ते क्या हैं?
उत्तर-
ब्याज-दर, संपत्ति एवं कागजात की माँग और भुगतान के तरीके, इन सबको मिलकार ऋण की शर्ते कहा जाता है। ऋण की शर्तो में एक ऋण व्यवस्था से दूसरी ऋण व्यवस्था में काफी फर्क आता हैं। ऋण की शर्ते उधारदाता और कर्जदार की प्रकृति पर भी निर्भर करती हैं।

प्रश्न-8.
सहकारी समितियाँ किन कार्यो के लिए ऋण उपलब्ध कराती हैं?
उत्तर-
सहकारी समितियाँ कृषि उपकरण खरीदने, खेती तथा कृषि व्यापार करने, मछली पकड़ने, घर बननाने और तमाम अन्य खर्चा के लिए ऋण उपलब्ध कराती है।

प्रश्न-9.
ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण के विभिन्न स्रोतों की सूची बनाइए।
उत्तर-
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में निम्नलिखित स्रोतों से ऋण उपलब्ध है
(क) महाजन (ख) साहूकार (ग) कृषि-व्यापारी (घ) सहाकारी समितियाँ (ङ) भूपति मालिक एवं (च) बैंक

प्रश्न-10.
किन स्रोतों से प्राप्त ऋण ज्यादा महँगा होता
उत्तर-
औपचारिक स्तर पर ऋण देनेवालों की तुलना में अनौपचारिक खण्ड के ज्यादात ऋणदाता कहीं ज्यादा ब्याज वसूलते हैं। इसलिए, अनौपचारिक स्तर पर लिया गया ऋण कर्जदाता को अधिक महँगा पड़ता है।

प्रश्न-11.
भारत में औपचारिक क्षेत्र के ऋणदाताओं की गतिविधियों पर कौन नजर रखता है?
उत्तर-
भारत में भारतीर रिजर्व बैंक कर्जा के औपचारिक स्रोतों की गतिविधियों पर नजर रखता है।

प्रश्न-12.
औपचरिक खण्ड के ऋण का लोगों तक पहुँचना क्यों जरूरी हैं?
उत्तर-
(क) औपचारिक खण्ड के ऋण का विस्तार होने के साथ-साथ इसका लोगों तक पहुँवना जरूरी है। क्योंकि वर्तमान समय में अमीर परिवारों की पहुँच औपचारिक स्रोतों तक हैं परंतु गरीब परिवारों को ज्यादातर अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता है।
(ख) औपचारिक खण्ड से ऋण का वितरण बराबरी के स्तर पर होना चाहिए। जिससे गरीब लोगों को भी सस्ते ऋण का लाभ प्राप्त हो सके।

प्रश्न-13.
कार्यशील पूँजी के कुछ उदाहरण दीजिये।
उत्तर-
कच्चा माल, नकदी, धन, बीज, खाद, बाँस खरीदना आदि कार्यशील पूँजी के उदहरण हैं।

प्रश्न-14.
बैंक आत्मनिर्भर गुटों से जुडः महिलाओं को कर्ज देने के लिए क्यों तैयार होते हैं?
उत्तर-
(क) जब महिलाएं स्वयं को आत्मनिर्भर गुटों में आयोजित कर लेती हैं तो बैकि उन्हें ऋण देने के लिए तैयार हो जाते हैं हालांकि उनके पास कोई ऋणाधार नहीं होता है।
(ख) इसका कारण यह है कि बचत और ऋण गतिविधि यों से जुड़े ज्यादातर महत्त्वपूर्ण निर्णय गुट के सदस्य खुद करते हैं गुट फैसला करता है कि कितना कर्ज दिया जागण, उसका लक्ष्य, उसकी रकम. ब्याज दर, वापस लौटाने की अवधि क्या होगी आदि।
(ग) ऋण उतारने की जिम्मेदारी भी गुट की होती है एक भी सदस्य यदि ऋण नहीं लौटाता तो गुट के अन्य सदस्य इस मामले को गंभीरता से उठाते हैं।

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प्रश्न-15.
आधुनिक करेंसी (मुद्रा) का उत्पाद के रूप में अपने आप में कोई मूल्य नहीं हैं फिर इसे मुद्रा के जेसे क्यों स्वीकार किया गया?
उत्तर-
(क) मुद्रा के आधुनिक रूपों में करेंसी कागज के नोट और सिक्के शामिल हैं। आधुनिक मुद्रा का अपना कोई इस्तेमाल नहीं है।
(ख) इसे मुद्रा के रूप में विनिमय को माध्यम इसलिए स्वीकार किया जाता है। क्योंकि किसी देश की सरकार इसे प्राधिकृत करती है।

प्रश्न-16.
आधुनिक मुद्रा को विनिमय के साधन के रूप में क्यों स्वीकार किया जाता है? उदारहण दीजिये।
उत्तर-
(क) मुद्रा के आधुनिक रूपों में करेंसी कागज के नोट और सिक्के शामिल हैं। आधुनिक मुद्रा का अपना कोई इस्तेमाल नहीं है फिर भी इसे विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाता है इसका कारण यह है कि देश की सरकार इसे प्राधिककृत करती है।
(ख) उदाहरण के लिए, भारत में भारतीय रिजर्व बैंक केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करने के लिए प्राधिकृत हैं।
(ग) कानून रुपयों को विनिमय का माध्यम जैसे उपयोग की वैधता प्रदान करता है।
(घ) भारत में कोई व्यक्ति कानूनी तौर पर रुपयों में अदायगी को अस्वीकार नहीं कर सकता। इसलिए रूपया व्यापक स्तर पर विनिमय का माध्यम स्वीकार किया गया है।

प्रश्न-17.
बैंकों की कर्ज संबंधी गतिविधियों पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
बैंकों में लोग मुद्रा निक्षेप के रूप में रखते हैं। बैंक उसके पास जमा रकम का 15 प्रतिशत हिस्सा नकद के रूप में अपने पास रखते हैं। इस धन को किसी एक दिन में जमाकर्ताओं द्वारा धन निकालने की संभावना को देखते हुए संभार के रूप में रखा जाता है।
बैंक उनके पास जमा राशि के प्रमुख भाग को कर्ज देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए कर्ज की बहुत मांग रहती है इस प्रकार बैंक दो गुटों-जमाकर्ता और कर्जदार के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं। जमाकर्ताओं को दिये गये ब्याज और कर्जदारों से लिये गये बयाज का बंतर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत होता है।

प्रश्न-18.
ऋण-फंदा से आपका क्या अभिप्राय हैं?
उत्तर-
लोग ग्रामीण गतिविधियों के लिए ऋण लेते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की मुख्य मांग फसल उगाने के लिए होती है।
मान लीजिये एक छोटा किसान अपने छोटे जमीन के टुकड़े पर फसल उगाने के लिये महाजन से ऋण लेता है। वह उम्मीद करता है कि अच्छी फसल होने पर वह कर्ज वापस कर देगा।
परंतु मौसम के बीच में फसल पर नाशक कीओं के हमले से फसल बर्बाद हो जाने के कारण वह कर्ज लौटाने में असफल हो जाता है और साल के भीतर ही यह कर्ज बड़ी रकम बन जाता है। अलगे वर्ष वह पुनः उधार लेता है। इस बार फसल सामान्य होती हैं लेकिन इतनी कमाई नहीं होती कि वह पिछला कर्ज उतार सके। उसे कर्ज लौटाने के लिए अपनी जमीन का कुछ हिस्सा बेचना पड़ता है। इस प्रकार वह ऋण फंदे में फंस जाता है। ऐसी परिस्थिति में कर्जदार का ऋण फंदे से निकलना अति कष्टदायक होता है।

प्रश्न-19.
ऋण की शर्ते क्या होती हैं?
उत्तर-
(क) ब्याज दर, संपत्ति, कागजात की मांग और भुगतान के तरीके इन सबको मिलाकर ऋण की शर्ते कहा जाता है। ऋण की शतों में एक ऋण व्यवस्था से दूसरी ऋण व्यवस्था में काफी फर्क होता है। ऋण की शर्ते ऋणदाता और कदार की प्रकृति पर भी निर्भर करती हैं।
(ख) हरेक ऋण समझौते में ब्याज-दर साफ तरीके से दी जाती है। जिसे कर्जदार महाजन को मूल रकम के साथ वापस करता है।
(ग) ऋणदाता ऋण के खिलाफ कोई समर्थक ऋणाधार की मांग कर सकता है। समर्थक ऋणाधार ऐसी संपत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है। जैसे, भूमि, मकान, गाड़ी, पशु, बैंक में जमा पूंजी आदि। इसका इस्तेमाल ऋणदाता को गारंटी के रूप में किया जाता है, जब तक कि ऋण का भुगतान नहीं हो जाता है!
(घ) यदि कर्जदार ऋण वापस नहीं कर पाता है तो ऋणदाता को भुगतान प्राप्ति के लिए समर्थक ऋणाधार को बेचने का अधिकार होता है।

प्रश्न-20.
ऋणों को कितने वर्गों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर-
(क) विभिन्न प्रकार के ऋणों को दो वर्गों में बांटा जा सकता है : औपचारिक तथा अनौपचारिक खण्ड।
(ख) औपचारिक वर्ग में बैंकों व सहकारी समितियों से लिये कर्ज आते हैं।
(ग) अनौपचारिक वर्ग में महाजन, व्यापारी, साहूकार, मालिक, दोस्त, रिश्तेदार आदि आते हैं।

प्रश्न-21.
गरीबों में आत्मनिर्भर गुट के संगठन का क्या लाभ होता है?
उत्तर-
(क) आत्मनिर्भर गुट कर्जदारों को ऋणाधार की कमी की समस्या का समाधान करते हैं।
(ख) विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए उन्हें सस्ती ब्याज-दर पर ऋण उपलब्ध हो जाता है।
(ग) आत्मनिर्भर गुट ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों को संघबद्ध करने में मदद करते हैं।
(घ) इससे महिलाएं स्वावलंबी बनती हैं। गुट की नियमित बैंठकों में तरह-तरह के सामाजिक विषयों जैसे, स्वास्थ्य, पोषण, हिंसा आदि पर विचार-विमर्श करने का मौका मिलता है।

प्रश्न-22.
बांग्लादेश ग्रामीण बैंक पर एक नोट लिखें।
उत्तर-
बांग्लोदश ग्रामीण बैंक की शुरुआत 1970 में हुई। इसकी सफलता सस्ती ब्याज दरों पर गरीबों को ऋण देने में रही है। इसके 60 लाख कर्जदार हैं जो बांग्लादेश के 40, 000 गांवों में फैले हुए हैं। इससे ऋण लेने वाली ज्यादातर गरीब महिलाएँ हैं।

प्रश्न-23.
सोनपुर के छोटे किसान, मध्य किसान और भूमिहीन कृषि मजदूर के लिए ऋण की शर्तों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
1. छोटा किसान-सोनपुर के एक छोटे किसान श्यामल के पास 1.5 एकड़ जमीन है, जिसे जोतने के लिए उसे हर मोसम में ऋण की जरूरत होती है। पहले वह गांव के एक महाजन से ऋण लेता था जिस पर उसे पाँ प्रतिशत मासिक ब्याज देना पड़ता । बाद में वह एक कृषि व्यापारी से तीन प्रतिशत ब्याज पर ऋण लेने लगा। जुताई के मौसम की शुरुआत होने पर व्यापारी उसे कृषि संबंधी उपकरण और माल ऋण पर मुहैया कराता हैं, फसल तैयार होने पर ये उपकरण उसे व्यापारी को वापस करने पड़ते हैं।
ऋण पर ब्याज के अलावा व्यापारी किसानों से यह वादा लेता हैं कि वे अपनी फसल उसे ही बेचेंगे। इससे उसकी ऋण की अदायगी तेजी से हो जाती है। फिर वह सस्ते दाम पर फसल खरीदकर बाद में उसे बढ़े दामों पर बेचता है।

2. मध्यम किसान-अरुण एक मध्यम वर्गीय किसान है; उसके पास 7 एकड़ जमीन हैं वह कृषि कार्य के लिए बैंक से 8.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर !ण लेता है। इस ऋण को वह अगले तीन सालों में कभी भी लौटा सकता है। पिछला ऋण अदायगी के बाद बचे फसलों के खिलाफ वह और भी ऋण ले सकता है। बैंक उन किसानों को ऐसी सुविधा देने को तैयार रहता है जो पहले भी खेती के लिए उससे ऋण ले चुके

3. भूमिहीन कृषि मजदूर-रमा एक कृषि मजदूर हैं साल के कई महीनों में उसके पास कोई काम नहीं होता और रोजमर्रा के खर्चों के लिए उसे ऋण लेना पड़ता है बीमारी की स्थिति में या पारिवारिक समारोहों पर खर्च करने के लिए भी उसे ऋण लेना पड़ता है।
वह ऋण के लिए सोनपुर के एक मध्यम वरीय भूपति पर निर्भर है जो उसका मालिक भी है। भूपति उसे 5 प्रतिशत मासिक ब्याज दर पर ऋण देता है। इस कर्ज को वापस करने के लिए रमा को उसके घर पर काम करना पड़ता है। वह पुराना ऋण वापस नहीं कर पाती है। परंतु अगली खर्चों के लिए उसे नया ऋण लेना पड़ता है। उसका मालिक उसके साथ अच्छा व्यवहार नही करता लेकिन वह उसके यहाँ काम करना जारी रखती है क्योंकि उसे उससे नये ऋण मिलने की उम्मीद रहती है।

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प्रश्न-24.
सहकारी समितियाँ किस प्रकार अपने सदस्यों को ऋण उपलब्ध कराती हैं?
उत्तर-
(क) ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ते ऋण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत सहकारी समितियां हैं। सहकारी समिति के सदस्य कुछ विशेष क्षेत्रों में सहयोग के लिए अपने संसाधनों के जोड़ लेते
(ख) सहकारी समितियां कई प्रकार की हो सकती हैं, जैसे, किसानों, बुनकरों, औद्योगिक मजदूरों आदि की सहकारी समितियां।
(ग) ये अपने सदस्यों से जमा कबूल करती हैं इस जमा पूंजी के आधार पर बैंकों से इन्हें बड़ा ऋण भी मिलता है। ___ (घ) सहकारी समितियाँ इस रकम का इस्तेमाल सदस्यों को ऋण देने के लिए करती हैं।
(ङ) पुराना ऋण लौटाने के बाद नया ऋण लिया जा सकता है।
(च) सहकारी समितियाँ अपने सदस्यों को कृषि उपकरण खरीदने खेती तथा कृषि-व्यापार करने, मछली पकड़ने, घर बनाने आदि के लिए ऋण देती हैं।

प्रश्न-25.
ऋण की औपचारिक स्रोतों के विस्तार की जरूरत क्यों हैं? इससे क्या लाभ प्राप्त हो सकता हैं?
उत्तर-
(क) औपचारिक स्तर पर ऋण देनेवालों की तुलना में अनौपचारिक वर्ग के ऋणदाता ज्यादा ब्याज लेते हैं। अतः अनौपचारिक ऋण कर्जदाता को अधिक महंगा पड़ता है।
(ख) ऋण पर ऊँचीब्याज दरों के कारण कर्जदारों की आय का अधिकतर हिस्सा ऋण अदायगी में खर्च हो जाता हैं इस तरह, उनके पास निजी खर्चे के लिए कम आय बच जाती
(ग) कुछ मामलों ऋण की ऊँ ब्याज दरों के कारण कर्ज वापसी की रकम कर्जदार की आय से भी अधिक हो जाती हैं जिस कारण वह ऋण-फंदे में फंस सकता हैं ।
(घ) कई बार ऊँची ब्याज दरों के डर से लोग नया काम शुरू ही नहीं कर पाते हैं।
उपरोक्त कारणों से ऋण के औपचारिक स्रोतों यथा, बैंक और सहकारी समितियों को अधिक से अधिक कर्ज उपलब्ध कराना चाहिए।

मुख्य लाभ-
(क) सस्ते ऋण से लोगों की आय बढ़ सकती है। (ख) गाँवों में लोग सफल उगाने के लिय या छोटा-मोटा कारोबार करने के लिए ऋण ले सकते हैं। शहरोंम में लोग नया उद्योग लगा सकते हैं या व्यापार कर सकते हैं। सस्ता ऋण देश के विकास के लिए अति आवश्यक है।,

प्रश्न-26.
शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में मिलने वाली ओपचारिक व अनौपचारिक ऋणों की तुलना करें।
उत्तर-
(क) शहरी क्षेत्रों के गरीब परिवारों की कर्जा की 85% जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पुरी होती हैं। इसकी तुलना में शहरी-इलाकों में अमीर परिवार 90% औपचारिक स्रोतों से ऋण लेते हैं सिफ 10% लोग अनौपचारिक स्रोतों से अपनी ऋण की जरूरतें पूरी करते हैं।
(ख) ग्रामीण इलाकों में भी अमीर लोग औपचारिक स्रोतों से अधिक ऋण लेते हैं जबकि गरीब परिवार अपनी ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर हैं।
(ग) औपचारिक वर्ग ग्रामीण परिवारों के ऋण की जरूरतों का मात्र 50% ही पूरा कर पाता हैं
(घ) अनौपचारिक वर्ग के ऋणदाताओं का ब्याज दर • काफी ऊँची होती हैं जिससे कर्जदारों की समस्या साधारणतया बढ़ती ही हैं।
(ङ) वतमान समय में अमीर परिवारों की पहुँच औपचारिक स्रोतों तक हैं, परंतु गरीब परविरों को अधिकतर अनौपचारिक ऋणों पर निर्भर रहना पड़ता हैं।

प्रश्न-27.
भारत में गरीब परिवार अब भी ऋण के लिए अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर क्यों हैं।
उत्तर-
भारत में अधिकांश गरीब परिवार ऋण संबंधी जरूरतों के लिए अब भी अनौपचारिक स्त्रोतों पर निर्भर हैं, इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
(क) भारत के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद नहीं हैं।
(ख) बैंकों से कर्ज लेना महाजनों से कर्ज लेने की अपेक्षा ज्यादा मुश्किल हैं
(ग) बैंक से कर्ज लेने के लिए संपत्ति और तमाम किस्म के कागजातों की जरूरत होती हैं।
(घ) ऋणाधार नहीं होने पर कज्र नहीं मिल पाता है।
(ङ) अनौपचारिक ऋणदाता इन कर्जदारों को निजी स्तर पर जानते हैं, इस कारण वे बना ऋणाधार के ही ऋण देने को तैयार हो जाते हैं।
(च) कर्जदार जरूरत पड़ने पर पुराना बकाया चुकाये बिना, साहूकार से नया ऋण ले सकते हैं।

प्रश्न-28.
गरीबों में आत्मनिर्भर गुट पर एक टिप्पणी लिखिये।
उत्तर-
(क) पिछले कुछ सालों में, लोंगों ने गरीबों को उधार देने के लिए कई नये तरीकों को ईजाद किया हैं, इनमें एक विचार ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों, खासकर महिलाओं को छोटे-छोटे आत्मनिर्भर गुटों में जोड़कर उनकी बचत पूंजी को एकचित्र करना है।
(ख) आमतौर पर एक गुट में 15-20 सदस्य होते हैं जो नियमित रूप से मिलते है। और बचत करते हैं परिवारों की बचत क्षमता के आधार पर प्रतिव्यक्ति 5 रुपये से 100 रुपये तक बचत की जा सकती है।
(ग) आत्मनिर्भर गुट के सदस्य अपनी जरूरतों के हिसाब से गुट से ही कर्ज ले सकते हैं जिस पर उन्हें ब्याज देना पड़ता है परंतु यह ब्याज साहूकारों की अपेक्षा बहुत कम होता
(घ) एक या दो वर्षों बाद यह गुट बैंक से ऋण ले सकता है। इसका उद्देश्य सदस्यों को अपनी गिरवी जमीन छुड़वाने के लिए तथा कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऋण उपलब्ध कराना है।
(ङ) बचत और ऋण गतिविधियों से जुड़े ज्यादातर महत्त्वपूर्ण निणय गुट के सदस्य खुद करते है।। गुट ही फैसला करता है कि किमना कर्ज दिया जाएगा, उसका लक्ष्य, उसकी रकम, ब्याज दर, वापस लौटाने की अवधि आदि।
(च) इस ऋण को वापस करने की जिम्मेदारी भी गुट की होती हैं यदि गुट का कोई सदस्य ऋण वापस नहीं करता तो गुट के अन्य सदस्य इस मामले को गंभीरता से उठाते हैं।
(छ) आत्मनिर्भर गुट कर्जदारों को ऋणाधार की कमी की समस्या से उबारने में मदद करते हैं।
(ज) उन्हें समायनुसार विभिन्न प्रकार के लक्ष्यों के लिए एक यथोचित ब्याज दर पर ऋण मिल जाता है।
(झ) यह गुट ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों को संघबद्ध करने में मदद करते हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प का चयन करें।

प्रश्न 1.
जब क्रेता और विक्रेता दोनों एक-दूसरे से चीजें खरीदने और बेचने पर सहमति रखते हों, तो इसे कहते हैं-
(क) आवश्यकताओं का दोहरा संयोग
(ख) माँग तथा उत्पादन का दोहरा संयोग
(ग) उत्पादन का तिहरा संयोग
(घ) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(क) आवश्यकताओं का दोहरा संयोग

प्रश्न 2.
प्रारंभिक काल मे भारत में मुद्रा के रूप में इस्तेमाल होते थे-
(क) सिक्के
(ख) करेंसी
(ग) अनाज और पुश
(घ) रुपये
उत्तर-
(ग) अनाज और पुश

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प्रश्न 3.
मुद्रा के आधुनिक रूपों में शामिल हैं
(क) सोना और चाँदी के सिक्के
(ख) करैसी कागज के नोट और सिक्के
(ग) अनाज तथा पशु
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ख) करैसी कागज के नोट और सिक्के

प्रश्न 4.
केंद्र सरकार की ओर से नोट जारी करता हैं–
(क) भारतीय रटेट बैंक
(ख) सहकारी बैंक
(ग) कारपोरेशन बैंक
(घ) भारतीय रिजर्व बैंक
उत्तर-
(घ) भारतीय रिजर्व बैंक

प्रश्न 5.
भारत की मुद्रा हैं-
(क) रुपया
(ख) डॉलर
(ग) पौंड
(घ) दिनार
उत्तर-
(क) रुपया

प्रश्न 6.
चूंकि बैंक खातों में जमा धन को मांग के जरिये निकाला जा सकता है, इसलएि इसे कहते हैं-
(क) धन जमा
(ख) माँग जमा
(ग) चेक जमा
(घ) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(ख) माँग जमा

प्रश्न 7.
आजकल भारत में बैंक जमा का कितना प्रतिशत हिस्सा नकद के रूप में रखते हैं?
(क) 5
(ख) 10
(ग) 15
(घ) 20
उत्तर-
(ग) 15

प्रश्न 8.
ऐसी संपत्ति जिसका मालिक कर्जदार है औश्र इसका इस्तेमाल वह उधारदाता को गांरटी देने के रूप में करता है, जब तक कि ऋण का भुगतान नहीं हो जाता है, कहते हैं-
(क) समर्थक ऋणाधार
(ख) ऋण
(ग) पूंजी
(घ) समर्थक धन
उत्तर-
(क) समर्थक ऋणाधार

प्रश्न 9.
ब्याज दर, संपत्ति और कागजात की मांग और भुगतान के तरीके, इन सबकों मिलाकर क्या कहा जाता हैं?
(क) समर्थक ऋणाधार
(ख) ऋण की शर्ते
(ग) उत्पादन के साधन
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ख) ऋण की शर्ते

प्रश्न 10.
औपचारिक स्रोतों के ऋणदाता हैं–
(क) बैंक
(ख) सहकारी समितियाँ
(ग) a और b दोंनो
(घ) साहूकार
उत्तर-
(ग) a और b दोंनो

प्रश्न 11.
अनौपचारिक ऋण स्रोतों के उदाहरण हैं–
(क) बैंक
(ख) सहकारी समितियाँ
(ग) साहूकार
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ग) साहूकार

प्रश्न 12.
सोनपुर में भूमिहीन लोगों के लिए ऋण का स्रोत
(क) बैंक
(ख) गुर्ट
(ग) व्यापारी
(घ) भूपति मालिक
उत्तर-
(घ) भूपति मालिक

प्रश्न 13.
भारत में कों के औपचारिक स्रोतों पर नजर रखता हैं.
(क) भारतीय स्टेट बैंक
(ख) सहकारी समितियाँ
(ग) भारतीय रिजर्व बैंक
(घ) वित्त मंत्रालय
उत्तर-
(ग) भारतीय रिजर्व बैंक

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प्रश्न 14.
शहरी इलाकों के गरीब परिवारों के कर्ज की कितनी प्रतिशत जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं-
(क) 70
(ख) 75
(ग) 80
(घ) 85
उत्तर-
(घ) 85

प्रश्न 15.
शहरी इलाकों में अमीर परिवारों के कर्ज का कितना प्रतिशत अनौपचारिक स्रोतों से पूरा होता
(क) 5
(ख) 10
(ग) 15
(घ) 20
उत्तर-
(ख) 10

प्रश्न 16.
शहरी इलाकों में अमीर परिवारो के कर्ज का कितना प्रतिश औपचारिक स्रोतों से पूरा होता हैं?
(क) 70
(ख) 85
(ग) 90
(घ) 95
उत्तर-
(ग) 90

प्रश्न 17.
ग्रामीण परिवारों की ऋण की जरूरतों का कितना प्रतिशत औपचारिक खण्ड से पूरा होता हैं?
(क) 30
(ख) 40
(ग) 50
(घ) 80
उत्तर-
(ग) 50

प्रश्न 18.
साधारणतया आत्मनिर्भर गुट में कितने सदस्य होते है-
(क) 15-20
(ख) 20-25
(ग) 25-30
(घ) 30-50
उत्तर-
(क) 15-20

प्रश्न 19.
बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के आज कितने कर्जदार
(क) 1952
(ख) 1965
(ग) 1970
(घ) 1972
उत्तर-
(ग) 1970

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प्रश्न 20.
बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के आज कितने कर्जदार
(क) 50 लाख
(ख) 60 लाख
(ग) 70 लाख ।
(घ) 75 लाख
उत्तर-
(ख) 60 लाख

प्रश्न 21.
बांग्लादेश ग्रामीण बैंक से ऋण लेने वाले ज्यादातर
(क) विद्यार्थी
(ख) व्यापारी
(ग) किसान
(घ) महिलायें
उत्तर-
(घ) महिलायें

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