Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले Notes.
Haryana Board 10th Class Social Science Notes Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले
Jati Dharm Aur Langik Masle Class 10 Notes HBSE
→ सामाजिक विभाजन और भेदभाव वाली तीन सामाजिक असमानताओं को लिंग, धम्र व जाति के आधार पर बताया जा सकता है।
→ स्त्री व पुरुष में कार्य-विभाजन को लेकर जो भेद सामने आया है : वह है लिंग का भेद। घर के अन्दर किए जाने वाला कार्य ‘निजी’ (प्राइवेट) कार्य कहा जाता है और यह कार्य प्रायः स्त्रियाँ करती हैं।
→ घर से बाहर के कार्यों को प्रायः करते हैं और इस कारण उन कार्यों को ‘सार्वजनिक’ (पब्लिक) कार्य कहा जाता है। महिला-पुरुष विभेद ‘निजी-सार्वजनिक’ भेद का रूप धारण कर चुका है।
→ स्त्री व पुरुष में भेद अवश्य होता है-यौन का भेद। यौन के कारण कोई स्त्री होती है तथा कोई पुरुष होता है। जब हम ‘लिंग’ शब्द का प्रयोग करते हैं। यह भेद सामाजिक रूप का भेद होता हैं, कार्य-विभाजन का भेद।
→ यौन-भेद प्राकृतिकहैं, लिंग भेद सामाजिक है। लिंग भेद के कारण महिलाओं की स्थिति को पुरुष की अपेक्षा कम अधिकार प्राप्त होते हैं।
Jati Dharm Aur Langik Masle Notes HBSE 10th Class
→ पारिवारिक कानून भी पुरुष के पक्ष में होते हैं;उनकी शिक्षा व उन्हें दी जाने वाली सुविधाएं पुरुषों के मुकाबले में कम होती है।
→ सार्वजनिक जीवन में उनका प्रवेश बहुत कम होता है। राजनीति में महिलाओं का पतिनिधित्व न होने के बराबर होता है। और फिर सामाजिक दृष्टि से महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है।
→ उनके समान व आदर की समस्या सदैव बनी रहती हैं; सुसराल में उन्हें अनेक प्रकार की तकलीफों को सहना पड़ता है। दहेज व दाहउत्पीड़न उदाहरण अक्सर सुनने में आते हैं सरकार द्वारा उनकी स्थिति से सम्बन्धित अनेक कानून बनाए जा रहे हैं।
→ समाज में उनके उत्थान से सम्बन्धित जागृति जरूरी बन गयी हैं। धर्म के नकारात्मक रूप से साम्प्रदायिकता का प्रश्न जुड़ा है। साम्प्रदायिकता धर्म का राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति का साध न बन गयी है।
→ धर्म को साम्प्रदायिक रंग से समाज, राज्य व राजनीति में बुरे परिणाम देखने को मिलते है। धर्म के आधार पर सामाजिक विभाजन अनेक समस्याओं को जन्म देता है।
→ सामप्रदायिकता का समाधान पंथनिरपेक्षता ने अनुसरण से जुड़ा है। धन का राजनीतिकरण तथा राजनीति का धार्मिकीकरण दोनों ही समाज व राज्य के लिए हानिकारक हैं।
→ जाति सामाजिक विभाजन का एक अन्य कारण है। भारत जैसे देश में वर्ण-अवस्था से उभरी जाति-व्यवस्था ने समाज, राज्य व राजनीति को प्रदुषित कर दिया हैं कुछेक राजनीतिक दल अपने वोट-बैंक को सुदृढ़ करने के लिए जाति व धर्म का सहारा लेते हैं।
→ जाति द्वारा राजनीतिकरण उतना ही दूषित हे। जितना राजनीति का जातिकरण। समाज को स्वस्थ व सुचारू रूप देने के लिए जाति की नकारात्मक भूमिका के विरुद्ध क्रान्ति आवश्यक हैं।
→ श्रम का लैगिक विभाजन : काम के बँटवारे का वह तरीका जिसमें घर के अन्दर के सारे काम परिवार की औरतें करती हैं या अपनी देख-रेख के नौकर/नौकरानियों से कराती हैं।
Jati Dharm Aur Langik Masle Notes In Hindi HBSE 10th Class
→ नारीवाद : औरत और मर्द के समान अधिकारों और अवसरों में विश्वास करने वाली महिला या पुरुष।
→ पितृ-प्रधान : इसका शाब्दिक अर्थ पिता का शासन होता है परन्तु, इस पद का प्रयोग महिलाओं की तुलना में पुरुषों का ज्यादा महत्व, ज्यादा शक्ति देने वाली व्यवस्था के लिए भी किया जाता है।
→ पारिवारिक कानून : विवाह, तलाक, गोद लेना और उत्तराधिकार जैसे परिवार से जुड़े मसलों से सम्बन्धित कानून। भारत में सभी धर्मों के लिए अलग-अलग पारिवारिक कानून है।
→ वर्ण-अवस्था : जाति समूहों का पदानुक्रम जिसमें जाति के लोग हर हाल में सामाजिक पायदान में सबसे ऊपर रहेंगे तो किसी अन्य जाति समूह के लोग क्रमागत के रूप से नीचे।
→ शहरीकरण : गाँवों से निकलकर लोगों का शहरों में बसना
→ लैंगिक मुद्दे : वह मुद्दे जो महिला-पुरुष से जुड़े हों।
→ यौन विभेद : महिलाओं व पुरुषों में यौन के आधार पर भेद करना।
Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले HBSE 10th Class
→ लिंग विभेद : स्त्र्यिों व पुरुषों में स्त्री व पुरुष को दिए जाने वाले कार्यों का समाजशास्त्रीय विभेद।
→ साम्प्रदायिकता : धर्म का राजनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयोग।