HBSE 10th Class Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

HBSE 10th Class Civics लोकतंत्र के परिणाम Important Questions and Answers

लोकतंत्र के परिणाम Important Questions Civics HBSE 10th Class प्रश्न-1.
बताइए कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या होती है?
उत्तर-
लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे बड़ी उपलब्धि स्वयं लोकतांत्रिक व्यवस्था होती है। लोग अपनी शासकीय व्यवस्था स्वयं बनाते हैं तथा स्वयं शासन करते हैं।

HBSE 10th Class लोकतंत्र के परिणाम Important Questions Civics प्रश्न-2.
क्या लोकतंत्र का शासन बहुमत का शासन होता है? यदि हाँ, तो लोकतंत्र गरीबों का शासन होना चाहिए। वह बहुमत में होते हैं। (इन्टैक्टस प्रश्न : पृष्ठ : 95)
उत्तर-
नि:संकोच लोकतंत्र बहुत का शासन होता है। परन्तु गरीब बहुमत में होते अवश्य हैं, शासन उनका नहीं होता। गरीबों के वोट खरीद लिये जाते हैं। अपनी आर्थिक गरीबी के कारण वह अपने राजनीतिक अधिकारों का सही प्रयोग नहीं कर पाते।

Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम Important Questions HBSE 10th Class प्रश्न-3.
क्या आप सोचते हैं कि लोकतंत्र को अनेक परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है? स्पष्ट करें। (इन्टैक्सट प्रश्न : पृष्ठ : 98)
उत्तर-
लोकतंत्र सदैव चुनौतियों से भरी व्यवस्था होती है: प्रतिदिन नयी चुनौतियाँ एवं नए लोकतंत्र जितनी परीक्षाओं से गुजरता है, यह उतना ही मजबूत होता है।

HBSE 10th Class Social Science Important Questions Civics Chapter 7 लोकतंत्र के परिणाम

प्रश्न-4.
क्या लोकतंत्र में निर्णय लेने में देरी से ऐसी सरकार कम प्रभाव हो जाती है? तर्क दीजिए।
उत्तर-
लोकतंत्र में निर्णय लेने की प्रक्रिया में अनेकों विचारों व लोगों की बातें सुननी पड़ती हैं। इससे लोकतांत्रिक व्यवस्था कम प्रभावी नहीं होते, अपितु किए गए फैसलों को अधिक मान्यतः मिलती है।

प्रश्न-5.
बांग्लादेश में कितने लोग लोकतंत्र को बेहतर समझते हैं तथा कितने तानाशाही को?
उत्तर-
लोकतंत्र को बेहतर व्यवस्था समझने वाले लगभग 69% हैं। जहाँ तानाशाही को बेहतर समझने वालों का प्रतिशत 6 है।

प्रश्न-6.
पाकिस्तान में लोकतंत्र के प्रति लोगों के विचारों का मूल्यांकन करें।
उत्तर-
पाकिस्तान में लोगों के मन लोकतंत्र से सम्बन्धित विचार कुछ अधिक अच्छे नहीं हैं। 37% लोग इसे बेहतर मानते हैं। 49% लोगों के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था हो अथवा न हो, कोई फर्क नहीं पड़ता।

प्रश्न-7.
श्रीलंका में कितने प्रतिशत लोग लोकतंत्र को बेहतर तथा कितने प्रतिशत लोग तानाशाही को बेहतर समझते हैं?
उत्तर-
श्रीलंका में 71% लोग लोकतंत्र को तथा 11 प्रतिशत लोग तानाशाही को बेहतर समझते हैं।

प्रश्न-8.
भारत में लोगों का कितना प्रतिशत लोकतंत्र को तथा कितना प्रतिशत तानाशाही को बेहतर मानते हैं?
उत्तर-
भारत में 70% लोग लोकतंत्र को तथा 9% लोग तानाशाही को बेहतर समझते हैं।

प्रश्न-9.
किन प्रमुख दक्षिणी एशियायी देशों में लोगों का कितना प्रतिशत लोकतंत्र के लिए भरपूर समर्थन देता है? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर-
श्रीलंका में 98%, बांग्लादेश में 96%, भारत में 95%, नेपाल में 94% तथा पाकिस्तान में 81% लोग लोकतंत्र को भरपूर समर्थन देते हैं।

प्रश्न-10.
उदाहरण देकर बताइए कि लोकतांत्रिक व तानाशाही देशों में विकास दर कितनी है?
उत्तर-
1990-2000 के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि लोकतांत्रिक देशों की औसतन विकास दर 3.95% रही है जबकि तानाशाहियों में यह दर 4.42% रही है।

प्रश्न-11.
उदाहरण देकर बताइए कि लोकतंत्रीय व तानाशाही देशों में गरीब देशों में विकास दर कितनी रही
उत्तर-
1990-2000 के आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि लोकतांत्रिक व तानाशाही देशों में गरीब देशों की विकास दर में कोई अत्यधिक अंतर नहीं है। पहली श्रेणी का विकास दर 4. 34% तथा दूसरी श्रेणी का विकास दर 4.28 था।

प्रश्न-12.
स्पष्ट कीजिए कि लोकतंत्र सबसे बेहतर प्रणाली क्यों बतायी जाती है?
उत्तर-
लोकतंत्र सबसे बेहतर प्रणाली बतायी जाती है। इस तथ्य की पुष्टि निम्नलिखित से स्पष्ट है:

  • नागरिकों में समानता को बढ़ावा देता है;
  • व्यक्ति की गरिमा को बढ़ाता है;
  • इससे फैसलों में बेहतरी आती है;
  • टकरावों को टालने सँभालने का तरीका देता है और
  • इसमें गलतियों को सुधारने की गुंजाइश होती है।

प्रश्न-13.
आप इस बात की कल्पना कर सकते हैं कि सरकार आपके तथा आपके परिवार के बारे में राशन कार्ड, मतदान पहचान-पत्र आदि बहुत जानकारी रखती है। सरकार के बारे में जानकारी के लिए आप कौन-कौन-से स्रोत हैं? (इन्टैक्सट प्रश्न : पृष्ठ : 91)
उत्तर-
हमारे पास सरकार के बारे में जानकारी के लिए अनेकों स्रोत है। समय-समय पर सरकार के अनेकों विभागों की वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित होती रहती है। संसद की कार्यवाही को दूसरे दिन समाचार-पत्रों में पढ़ने को मिलता है। हम समाचार-पत्रों व अनेकों वार्षिक रिपोर्टों में सरकार के बारे में जानकारी प्राप्त करते रहते हैं।

प्रश्न-14.
क्या आर्थिक संवृद्धि का लाभ सब देशों को बराबर हुआ है? राष्ट्र के धन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए गरीब किस तरह आवाज उठा सकते हैं? संसद में धन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए गरीब देश क्या करें? (इन्टैक्सट प्रश्न : पृष्ठ : 93)
उत्तर-
आर्थिक संवृद्धि का लाभ लोकतांत्रिक देशों की अपेक्षा तानाशाहियों को अधिक होता है। तानाशाही देशों में विकास दर औसत 4.42 है जब कि गरीब देशों में ऐसी दर 3. 95% गरीबों को राष्ट्र के धन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए नयी योजनाओं व रोजगार के अवसरों की वृद्धि के लिए आवाज उठानी चाहिए। संसार में गरीब देश अपने धन की वृद्धि के लिए एक-दूसरे के साथ व्यापार बढ़ाने का प्रयास करें तथा संसार में एक प्रकार की अर्न्तराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की माँग करें।

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प्रश्न-15.
क्या आप समझते हैं कि लोकतांत्रिक शासन के अंदर भी भारी आर्थिक असमानता हो सकती है? (इन्टैक्सट प्रश्नः पृष्ठ : 94)
उत्तर-
गरीब देशों के अन्दर भी आपसी भारी आर्थिक असमानता हो सकती है। दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील जैसे देशों में ऊपरी 20 फीसदी लोगों का ही कुल राष्ट्रीय आय के 60 फीसदी हिस्से पर कब्जा है जबकि सबसे नीचे के 20 फीसदी लोग राष्ट्रीय आय के मात्र 3 फीसदी हिस्से पर जीवन बसर करते हैं। डेनमार्क और हंगरी जैसे मुल्क इस मामले में कहीं ज्यादा बेहतर कहें जाएँगे।

प्रश्न-16.
क्या आप सोचते हैं कि गरीब वर्ग के आगे सदा अवसरों की असमानता बरकरार रहेगी? (इन्टैक्सट प्रश्न : पृष्ठः 94)
उत्तर-
यह एक अजीब तर्क है कि जो आज गरीब वर्ग है वह सदा ही गरीब वर्ग रहेगा। इतिहास उदाहरण है कि गरीब अमीर बनते रहे हैं तथा गरीब देश अमीर बनते रहे हैं। भारत में
गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में कमी आयी है। भारत की आर्थिक स्थिति 1991 के बाद निरन्तर बेहतर हुई

प्रश्न-17.
लोकतंत्र में एक जाँच-परख समाप्त होती है तो दूसरी जाँच-परख आरम्भ हो जाती है, ऐसा क्यों?
उत्तर-
लोकतंत्र सदैव रहने वाले एक परीक्षा का उदाहरण है। एक जाँच-परख की समाहित के साथ दूसरी जाँच-परख का उभरना स्वाभाविक होता है। लोगों की एक माँग पूरी होती है तो दूसरी माँग तुरन्त खड़ी हो जाती है। एक शिकयत समाप्त होती है ता दूसरी शिकायत उभर आती है। शिकायतों का बना रहना लोकतंत्र की सफलता की गवाही है। इससे संकेत होता है कि लोग सत्ता के प्रयोग करने वाले लोगों के कामकाज का मूल्यांकन करते रहते हैं।

प्रश्न-18.
‘गरिमा व आजादी की चाह ही लोकतंत्र का आधार है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
गरिमा और आजादी की चाह ही लोकतंत्र का आध र है। दुनिया भर की लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ इस चीज को __ मानती हैं-कम-से-कम सिद्धांत के तौर पर तो जरूर।
अलग-अलग लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में इन बातों पर अलग-अलग स्तर का आचरण होता है। लोकतांत्रिक सरकारें सदा नागरिकों के अधिकारों का सम्मान नहीं करतीं। फिर जो समाज लंबे समय तक गुलामी में रहे हैं उनके लिए यह एहसास करना आसान नहीं है कि सभी व्यक्ति बराबर हैं। यहाँ स्त्रियों की गरिमा का ही उदाहरण लें। दुनिया के अधिकांश समाज पुरुष-प्रधान समाज रहे हैं। महिलाओं के लंबे संघर्ष के बाद अब जाकर यह माना जाने लगा है कि महिलाओं के साथ गरिमा और समानता का व्यवहार लोकतंत्र की जरूरी शर्त है।

प्रश्न-19.
क्या आप मानते हैं कि लोग अपने अधिकारों के प्रति अपेक्षाकृत अधिक चौकस हुए हैं?
‘उत्तर-
भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था ने कमजोर और भेदभाव का शिकार हुई जातियों के लोगों के समान दर्जे और समान अवसर के दावे को बल दिया है। आज भी जातिगत भेदभाव और दमन के उदाहरण देखने को मिलते हैं पर इनके पक्ष में कानूनी या नैतिक बल नहीं होता। संभवतः इसी अहसास के चलते आम लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति ज्यादा चौकस हुए हैं।

प्रश्न-20.
संसार में अपनायी जाने वाली लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के प्रभाव को संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर-
आज दुनिया के सौ देश किसी-न-किसी तरह मकी लोकतांत्रिक व्यवस्था चलाने का दावा करते हैं। इनका औपचारिक संविधान है, इनके यहाँ चुनाव होते हैं और राजनीतिक दल भी हैं। साथ ही, वे अपने नागरिकों को कुछ बुनियादी अधिकारों की गारंटी देते हैं। लोकतंत्र के ये तत्व तो अधिकांश देशों में समान हैं पर सामाजिक स्थिति, अपनी आर्थिक उपलब्धि और अपनी संस्कृतियों के मामले में ये देश एक-दूसरे से काफी अलग-अलग हैं। स्पष्ट है कि इन सबका लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के नतीजों पर भी असर पड़ता है और एक जगह जो उपलब्धि हो वह दूसरी जगह भी उसी तरह दिखे यह जरूरी नहीं है। इन लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के अनुभव अलग-अलग हैं। इनकी शासन प्रणालियों के प्रभाव भी अलग-अलग हैं। परन्तु इन सबके बावजूद लोगों की लोकतंत्र में आस्था है।

प्रश्न-21.
क्या आप समझते हैं कि लोकतंत्र में फैसले लेने में जो देरी होती है, वह बेकार में जाती है?
उत्तर-
एक गैर-लोकतांत्रिक देश में फैसले जल्दी लेता है। परन्तु वह ऐसे फैसले लेता है। लेकिन यह सरकार ऐसे फैसले भी ले सकती है जिस लोग स्वीकार न करें और तब ऐसे फैसलों _से परेशानी हो सकती है। इसकी तुलना में लोकतांत्रिक सरकार सारी प्रक्रिया को पूरा करने में ज्यादा समय ले सकती है। लेकिन इसने पूरी प्रक्रिया को माना है इसलिए इस बात की ज्यादा संभावना है कि लोग उसके फैसलों को मानेगे और वे ज्यादा प्रभावी होंगे। इस प्रकार लोकतंत्र में फैसला लेने में जापे वक्त लगता है वह बेकार नहीं जाता। हमें यह भी याद रखना चाहिए कि लोकतंत्र में फैसले किन्हीं कायदा-कानूनों से लिये जाते हैं। ऐसी व्यवस्था में शासन-कार्यों में देरी जरूर लगती है। परन्तु किन्हीं कार्यों के लिए कायदा-कानून के कारण देरी लगती है तो ऐसी देरी बेकार नहीं होती।

प्रश्न-22.
लोकतंत्रीय व्यवस्था के परीक्षण हेतु उसकी संस्थाओं व व्यवहारों पर चर्चा करें।
उत्तर-
लोकतांत्रिक व्यवस्था को उसके नतीजों के आधार पर तौलें तो हमें उसकी संस्थाओं व व्यवहारों पर नजर डालनी पड़ेगी: नियमित तथा निष्पक्ष चुनाव, प्रमुख नीतियों और नए कानूनों पर खुली सार्वजनिक पड़ेगी: नियमित तथा निष्पक्ष चुनाव, प्रमुख नीतियों और नए कानूनों पर खुली सार्वजनिक चर्चा और सरकार तथा इसके कामकाज के बारे में जानकारी पाने का नागरिकों का सूचना का अधिकार। इन पैमानों पर लोकतांत्रिक शासकों का रिकॉर्ड मिला जुला रहा है। नियमित और निष्पक्ष चुनाव कराने और खुली सार्वजनिक चर्चा के लिए उपयुक्त स्थितियाँ बनाने के मामले में लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ ज्यादा सफल हुई हैं। लोकतांत्रिक सरकारें लोगों की जरूरतों और माँगों का ध्यान रखने वाली हों और कुल मिलाकर भ्रष्टाचार से मुक्त शासन दें। इन दो मामलों में भी लोकतांत्रिक सरकारों का रिकॉर्ड प्रभावशाली नहीं है। लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ अक्सर लोगों को उनकी जरूरतों के लिए तरसाती हैं और पर ऐसे चुनाव कराने में जिसमें सबको अवसर मिले अथवा हर फैसले पर सार्वजनिक बहस कराने के मामले में उनका रिकॉर्ड ज्यादा अच्छा नहीं रहा है। नागरिकों के साथ सूचनाओं का साझा करने के मामले में भी उनका रिकॉर्ड खराब रहा है। पर इनकी तुलना जब हम गैर लोकतांत्रिक शासनों से करते हैं तो इन क्षेत्रों का भी उनका प्रदर्शन बेहतर ही ठहरता है। आबादी के एक बड़े हिस्से की माँगों की उपेक्षा करती हैं। भ्रष्टाचार के आम किस्से इस बात की गवाही देते हैं कि लोकतांत्रिक सरकारें कम भ्रष्ट हैं या लोगों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील हैं-यह कहने का कोई आधार नहीं है।

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प्रश्न-23.
यह जानते हुए भी तानाशाही में आर्थिक विकास दर अधिक अच्छी है, फिर भी तानाशाही की अपेक्षा हम लोकतंत्रीय व्यवस्था को क्यों बेहतर समझते हैं?
उत्तर-
तानाशाही और लोकतांत्रिक शासन वाले देशों के आर्थिक विकास दर में अंतर भले ज्यादा हो लेकिन इसके बावजूद लोकतांत्रिक व्यवस्था का चुनाव ही बेहतर है क्योंकि इसके अन्य अनेक सकारात्मक फायदे हैं। लोकतंत्रीय व्यवस्थाएँ आर्थिक असमानता कम करती है। यह व्यवस्थाएँ राजनीतिक समानता पर आधारित होती हैं। कहीं-न-कहीं ऐसी व्यवस्थाएँ आर्थिक समानता को दूर करने का प्रयास भी करती हैं। यह सद्भावनापूर्ण सामाजिक जीवन भी उपलब्ध कराती है लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ आमतौर पर अपने अंदर की प्रतिद्वंद्विताओं को सँभालने की प्रक्रिया विकसित कर लेती हैं। इससे इन टकरावों के विस्फोटक या हिंसक रूप लेने का अंदेशा कम हो जाता है। लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ बहुमत का शासन अवश्य होता है। परन्तु इसमें अल्पमत के हितों का भी ध्यान रखा जाता है। बहुमत के

विकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित में रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों में भरिए-

(i) आर्थिक विकास दर की दृष्टि से तानाशाही का रिकार्ड लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं से …………………. हैं।
(ii) भारत की अपेक्षा पाकिस्तान का ……………….. का अनुभव अपेक्षाकृत अच्छा नहीं रहा है।
(iii) लोकतंत्र ………………… की अपेक्षा अधिक वैधपूर्ण सरकार होती है।
(iv) लोकतंत्र में टकरावों को टालने-संभालने को तरीका .. ……………….. होता है।
(v) श्रीलंका में . ……………… प्रतिशत लोग लोकतंत्र को बेहतर समझते हैं।
उत्तर-
(i) बेहतर
(ii) लोकतंत्र,
(iii) तानाशाही,
(iv) अधि क,
(v)711

प्रश्न 2. निम्नलिखित में सही का चयन कीजिए।

(i) प्रायः देखा गया है कि लोकतंत्र में चुनाव नियमित व निष्पक्ष होते हैं।
(ii) लोकतंत्र में आर्थिक समानता में वृद्धि का संभालना अधिक होती है।
(iii) पाकिस्तान में लोग लोकतंत्र की बहाली के लिए जन आंदोलन चलाते रहे हैं।
(iv) श्रीलंका में लोकतंत्रीय ताल-मेल बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
(v) बेल्जियम सामाजिक विभाजन की समस्या को हल करने में विफल रहा है।
उत्तर-
(i) सही,
(ii) सही
(iii) गलत,
(iv) गलत,
(v) गलत!

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