Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार Notes.
Haryana Board 10th Class Social Science Notes Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार
उपभोक्ता अधिकार Notes HBSE 10th Class
→ कोई भी व्यक्ति जब किसी वस्तु अथवा सेवा की प्राप्ति के लिए धन प्रदान करना है तो उसे उपभोक्ता कहा जाता है।
→ जिनके द्वरा वस्तुओं का उत्पादन होता है वे उत्पादक कहलाते है। वस्तुओं को उत्पादक से उपभोक्ता तक व्यापारियों द्वारा पहुँचाया जाता है।
→ उत्पादकों व व्यापारियों द्वारा उपभोक्ताओं को उनका संपूर्ण अधिकार प्रदान न किया जाना उपभोक्ता शोषण कहलाता है। उपभोक्ता से अधिक मूल्य वसूलना, उचित माप से कम वस्तु तौलना, निम्न गुणवत्ता की वस्तु देना सभी कुछ उपभोक्ता शोष्क्षण के ही रूप हैं।
→ उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए 1960 के दशक में भारत में व्यवस्थत रूप से उपभोक्ता आंदोलन का उदय हुआ।
→ रैल्फ नाडर को आधुनिक उपभोक्ता हितों के संरक्षण का जनक माना जाता है। यद्यपि इस आंदोलन की शुरुआत इंग्लैंड से हुई तथापि इसकी प्रथम घोषणा का श्रेय अमेरिका को जाता है।
उपभोक्ता अधिकार Class 10 Notes HBSE
→ भारत में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिये विभिन्न स्तरों पर 500 से अधिक उपभोक्ता अदालतों की स्थापना की गई है इनकी प्रक्रिया इतनी सहज है कि उपभोक्ता बिना किसी कानूनी सहायता के अपने मामले की पैरवी स्वयं कर सकता है।
→ उपभोक्ता उदालमों को सभी मामलों को तीन महीने के अदंर निपटारा करने का निर्देश दिया गया है।
→ उपभोक्ता हितों के संरक्षण के लिए भारत सरकार ने 1986 ई. में उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम बनाया था, जो COPRA के नाम से प्रसिद्ध है।
→ इसके अलावा सार्वजनिक वितरण व्यवस्था की शुरुआत हुई है जिससे आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता व कीमतों की एकरूपता सुनिश्चित किया जा सके।
→ उपभोक्ता आंदोलन का आरंभ : द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, इंग्लैंड में।
→ उपभोक्ता अधिकारों की पहली घोषणा : 1962 ई. में, अमेरिका में।
→ उपभोक्ता के चार मूल अधिकार : चुनाव, सूचना, सुरक्षा एवं सुनवाई।
→ उपभोक्ता आंदोलन का जन्मदाता : रैल्फ नाडर।
→ विश्व उपभोक्ता दिवस : 15 मार्च।
→ संयुक्त राष्ट्र संघ ने उपभोक्ताओं के सरंक्षण : 1985 ई में। हेतु दिशा-निर्देश स्वीकार किये
→ भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाया गया : 1986 ई. में
→ कानून के तहत सर्वोच्च उपभोक्ता अदालत : राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग।
→ द्वितीय स्तर पर उपभोकता अदालत : राज्य उपभोक्ता आयो।
Class 10 Social Science Economics Chapter 5 Notes HBSE
→ तृतीय स्तर पर उपभोक्ता अदालत : जिला उपभोक्ता अदालत।
→ आई. एस. आई. : भारतीय मानक संस्थान।
→ एगमार्क का संशोधन : 1986 ई.।
→ आई. एस. ओ. : अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संस्था।
→ आई. एस. ओ. मुख्यालय : जेनेवा
→ कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन की स्थापना : 1963 ई. में एफ. ए. ओ. और डब्ल्यू. एच. ओ. द्वारा की गई।
→ आई. एस. ओ. की स्थापना : 1945 ई.।
→ कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन : यह संस्था अंतर्राष्ट्रीय खाद्य सामग्री के मानक निर्धारण का कार्य करती है।
→ उपभोक्ता इंटरनेशनल : उपभोक्ता आंदोलन से संबंधित अन्तर्राष्ट्रीय संस्था। 100 से भी अधिक देशों के 240 संस्थाओं का सरंक्षक।
→ उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए तीन उपाय-
- कानूनी
- प्रशासनिक
- तकनीकी।
→ एगमार्क भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अधीन मार्केटिंग एवं इंटेलिजेंस निदेशालय, डी, एम. आई. द्वारा संचालित होता है।
→ वर्तमान समय में भारत में 500 जिला उपभोक्ता अदालतें हैं।
→ 1986 ई. में बने उपभोक्ता कानूनों में पहले 1991 ई. फिर 1993 ई. में संशोध न कर उन्हें और कड़ा बनाया गया।
→ शहद, मसाले आदि उत्पादों को गुणवत्ता के लिए एगमार्क चिन्ह प्रदान किया जाता है।
→ कोडेक्स एलीमेंटोरियस कमीशन का मुख्यालय रोम में हैं।
→ भारत में उपभोक्ता अदालतों द्वारा अब तक 77% मामलों का निपटारा, किया जा चुका है।
→ औद्योगिक और उपभोक्ता वस्तुओं के लिए बी.एस. आई. का चिन्ह दिया जाता है।
→ संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1992 ई. में बच्चों के कल्याण तथा जीवन विकास के लिए चार्टर ऑफ राइट्स बनाया।
→ 1960 ई. के दशक में व्यवस्थित रूप से उपभोक्ता आंदोलन का. उदय हुआ।
→ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम क्रेता को विक्रेता के शोषण से सुरक्षा प्रदान करता हैं।
→ उपभोक्ता अदालतों में अपने मामने की पैरवी स्वयं की जा सकती है।
→ उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 COPRA के नाम से प्रसिद्ध है।
→ भारत सरकार ने अक्टूबर, 2005 में राइट टू इनफारमेशन एक्ट पारित किया।
→ उपभोक्ता-वह व्यक्ति, संस्था या व्यक्तियों का समूह जो किसी वस्तु या सेवा का क्रय करता है।
→ उत्पादक-जिसके द्वारा वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।
→ उत्पाद-वह प्रक्रिया जो उपभोग के बिंदु तक चलती है।
→ मानकीकरण-उत्पादों की गुणवत्ता की परख के लिए उपयुक्त मानक निर्धारित करना।
→ उपभोग-आवश्यकता की पूर्ति के लिए वस्तुओं या सेवाओं का उपयोग करना।
→ कृत्रिम अभाव-अधिक लाभ कमाने के लालच मे व्यापारियों द्वारा जान-बूझकर उत्पन्न किया गया अभाव!