Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Important Questions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन Important Questions and Answers.
Haryana Board 10th Class Social Science Important Questions Civics Chapter 5 जन-संघर्ष और आंदोलन
जन-संघर्ष और आंदोलन प्रश्न उत्तर HBSE 10th Class प्रश्न-1.
क्या हड़तालें, धरने, प्रदर्शन व बंद भारत में इसलिए होते हैं कि हमारा देश लोकतंत्र में परिपक्व नहीं हुआ? (इन्टैक्सट प्रश्न : पृष्ठ : 60)
उत्तर-
हड़ताल, प्रदर्शन बंद आदि का सम्बन्ध लोकतंत्र के परिपक्व होने से नहीं है। जहाँ लोकतंत्र होता है, वहाँ भी हड़ताले होती हैं। यह सब जन-जागृति के साधन हैं।
जन-संघर्ष और आंदोलन के प्रश्न उत्तर HBSE 10th Class प्रश्न-2.
लामबंदी क्या होती है? (इन्टैक्सट प्रश्न : पृष्ठ :62)
उत्तर-
लामबन्दी लोगों को मात्र एकत्रित करना नहीं होता। यह आलू की बोरी नहीं है। यह लोगों में चेतना जगाने व उन्हें किसी आन्दोलन व संघर्ष के लिए एक-जुट करना होता है।
प्रश्न-3.
2006 में नेपाल में किस प्रकार का आन्दोलन हुआ था?
उत्तर-
एक विलक्षण प्रकार का जन-आन्दोलन, लोकतंत्र की वापसी के लिए।
प्रश्न-4.
नेपाल लोकतंत्र के मामले में किस लहर के देशों में एक है?
उत्तर-
तीसरी लहर के देशों का एक देश।
प्रश्न-5.
अप्रैल, 2004 को नेपाल के आन्दोलनकारियों ने राजा को कैसा अल्टीमेटम दिया था?
उत्तर-
देश में लोकतंत्र की बहाली का अल्टीमेटम।
प्रश्न-5(i).
माओवादी कौन हैं?
उत्तर-
नेपाल के वह साम्यवादी जो चीन गणराज्य के नेता माओ के विचारों से प्रभावित हुए तथा जो सशस्त्र तरीकों से क्रान्ति चाहते थे।
प्रश्न-6.
बोलिविया के लोगों ने किस कारण संघर्ष किया था?
उत्तर-
बोलिवया के लोगों ने (2000 में) पानी के निजीकरण के विरुद्ध संघर्ष किया था। इसे जलयुद्ध भी कहा जाता है।
प्रश्न- 7.
‘मार्शल ला’ किसे कहते हैं?
उत्तर-
सैनिकों के शासन जो सैनिक कानूनों द्वारा चलता है। सैनिकों के कानून को मार्शल ला कहा जाता है।
प्रश्न-8.
‘फेडेकोर’ क्या है?
उत्तर-
बोलिविया में पानी के निजीकरण के विरुद्ध आन्दोलन की अगुआई इंजीनियरों, पर्यावरणवादियों व कामकाजी लोगों के संगठन ने की थी। इसे फेडेकोर कहते हैं।
प्रश्न-9.
दबाव-समूह का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
अपनी माँगों के लिए सरकार व अधिकारियों पर जोर डालने वाले संगठित समूह को दबाव-समूह कहते हैं।
प्रश्न- 10.
‘बामसेफ’ क्या है?
उत्तर-
पिछड़ी जाति व अल्पसंख्यक सामुदायिक कर्मचारियों का एक संगठन जो अपने साथ अनेकों समूहों को माँगों की पूर्ति के लिए एकत्रित कर लेते हैं।
प्रश्न-11.
क्या दबाव-समूह व जन-आन्दोलन लोकतंत्र को मजबूत करते हैं?
उत्तर-
कुछ सीमा तक, ऐसे समूह व आन्दोलन लोकतंत्र को मजबूत करते हैं। यह शासकों पर दबाव डाल कर लोकहित के कार्य करने का साधन होते हैं।
प्रश्न-12.
क्या दबाव-समूहों का सम्बन्ध किसी विशेष तबके से होता है अथवा पूरे समान से?
उत्तर-
किसी विशेष तबके से।
प्रश्न-13.
नेपाल में 2006 में चले आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर-
नेपाल के राजा बीरेन्द्र के रहस्यमय कत्लेआम के बाद नए राजा ज्ञानेन्द्र ने सत्ता सम्भाली। वह नेपाल में चल रहे लोकतांत्रिक शासन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं थे। लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार की अलोकप्रियता और कमजोरी का उन्होंने फायदा उठाया। सन् 2005 की फरवरी में राजा ज्ञानेन्द्र ने तत्कालीन प्रधानमंत्री को अपदस्थ करके जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया। 2006 की अप्रैल में जो आन्दोलन उठ खड़ा हुआ उसका लक्ष्य शासन की बागडोर राजा के हाथ से लेकर दोबारा जनता के हाथों में सौंपना था।
प्रश्न-14.
बोलिविया में जलसंकट की चर्चा कीजिए। वहाँ जल संघर्ष क्यों भड़का?
उत्तर-
बोलिविया लातिनी अमेरिका का एक गरीब देश है। विश्व बैंक ने यहाँ की सरकार पर नगरपालिका द्वारा की जा रही जलापूर्ति से अपना नियंत्रण छोड़ने के लिए दबाव डाला। सरकार ने कोचबंबा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को बेच दिए। इस कंपनी ने आनन-फानन में पानी की कीमत में चार गुना इजाफा कर दिया। अनेक लोगों का पानी का मासिक बिल 100 रुपये तक जा पहुँचा जबकि बोलिविया में लोगों की औसत आमदनी 5000 रुपये महीना है। इसके फलस्वरूप स्वतरुस्फूर्त जन-संघर्ष भड़क उठा।
प्रश्न-15.
लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी संघर्ष के पीछे संगठन किस प्रकार की भूमिका निभाते हैं?
उत्तर-
एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी संघर्ष के पीछे बहुत से संगठन होते हैं। पर संगठन दो तरह से अपनी भूमिका निभाते हैं। राजनीतिक दलों के निर्माण द्वारा ऐसे संगठन राजनीति में प्रत्यक्ष भागीदारी करते हैं, चुनाव लड़ते हैं, सरकार बनाते हैं, विपक्ष सशक्त करते हैं। दूसरी भूमिका यह होती है कि दबाव-समूहों जैसे संगठन बनाकर लोग अप्रत्यक्ष रूप से अपने हितों की पूर्ति करते हैं।
प्रश्न-16.
दबाव-समूहों व जन-आन्दोलनों में क्या अंतर होता है?
उत्तर-
दबाव-समूहों की भांति जन-आन्दोलन भी चुनावी मुकाबले में सीधे भाग नहीं लेते। परन्तु वह दबाव-समूहों की भांति राजनीति को प्रभावित करने को कोशिश करते हैं। लेकिन, दबाव-समूहों के विपरीत आन्दोलनों में संगठन ढीला-ढाला होता है। आन्दोलनों में फैसले अनौपचारिक ढंग से लिए जाते हैं और ये फैसले लचीले भी होते हैं। आन्दोलन जनता की स्वतःस्फूर्त भागीदारी पर निर्भर होते हैं न कि दबाव-समूह पर।
प्रश्न-17.
जन-सामान्य के हित-समूहों अर्थात कल्याणकारी समूहों के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
दबाव-समूहों में कुछेक जन-सामान्य समूह भी होते हैं। इन्हें कल्याणकारी समूह कहा जाता है। ऐसे संगठन किसी विशेष हित की बजाए सामूहिक हित का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस का लक्ष्य अपने सदस्यों की नहीं बल्कि किन्हीं और की मदद करना होता है। मिसाल के लिए हम बँधुआ मजदूरी के खिलाफ लड़ने वाले समूहों का नाम ले सकते हैं। ऐसे समूह अपनी भलाई के लिए नहीं बल्कि बँधुआ मजदूरी के बोझ तले पिस रहे लोगों के लिए लड़ते हैं। कुछ मामलों में संभव है कि जन-सामान्य के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूह ऐसे उद्देश्य को साधने के लिए आगे आएँ जिससे बाकियों के साथ-साथ उन्हें भी फायदा होता हो। उदाहरण के लिए ‘बामसेफ’ (बैकवर्ड एंड मायनॉरिटी कम्युनिटी एम्पलाइज फेडरेशन-BAMCEF) का नाम लिया जा सकता है!
प्रश्न-18.
नेपाल में लोकतंत्र की वापसी हेतु चले आन्दोलन की सक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर-
राजा ज्ञानेन्द्र की अलोकतांत्रिक नीतियों के विरुद्ध में नेपाल में चलाया गया आन्दोलन नेपालवासियों द्वारा एक महत्त्वपूर्ण आन्दोलन था। संसद की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने एक-सेवेन पार्टी अलायंस’ (सप्तदलीय गठबंधन-एस.पी.ए. ) बनाया और नेपाल की राजधानी काठमांडू में चार दिन के ‘बंद’ का आह्वान किया। इस प्रतिरोध ने जल्दी ही अनियतकालीन ‘बंद’ का रूप ले लिया और इसमें माओवादी बागी तथा अन्य संगठन भी साथ हो गए। लोग कप! तोड़कर सड़कों पर उतर आए। तकरीबन एक लाख लोग रोजाना एकजुट होकर लोकतंत्र की बहाली की माँग कर रहे थे और लोगों की इतनी बड़ी तादाद के आगे सुरक्षा बलों की एक न चल सकी। 21 अप्रैल के दिन आन्दोलनकारियों की संख्या 3-5 लाख तक पहुँच गई और आन्दोलनकारियों ने राजा को ‘अल्टीमेटम’ दे दिया। राजा ने आधे-अधूरे मन से कुछ रियासत देने की घोषणा की जिसे आन्दोलन के नेताओं ने स्वीकार नहीं किया। नेता अपनी मांगों पर अडिग रहे कि संसद को बहाल किया जाए; सर्वदलीय सरकार बने तथा एक नयी संविधान सभा का गठन हो।
24 अप्रैल अल्टीमेटम का अंतिम दिन था। इस दिन राजा तीनों माँगों को मानने के लिए बाध्य हुआ। एस.पी.ए. ने गिरिजा प्रसाद कोईराला को अंतिम सरकार का प्रधानमंत्री चुना। संसद फिर बहाल हुई और इसने अपनी बैठक में कानून पारित किए, इन कानूनों के सहारे राजा की अधिकांश शक्तियाँ वापस ले ली गईं। नयी संविधान-सभा के निर्वाचन के तौर-तरीकों पर एस.पी. ए. और माओवादियों के बीच सहमति बनी।’ इस संघर्ष को नेपाल का ‘लोकतंत्र के लिए दूसरा आन्दोलन’ कहा जाता है। नेपाल के लोगों का यह संघर्ष पूरे विश्व के लोकतंत्र-प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
प्रश्न-19.
बोलिविया में सन् 2000 में चले जलयुद्ध की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
बोलिविया में जल आपूर्ति को निजीकरण के विरुद्ध वहाँ के लोगों ने जो संघर्ष किया था, उसे जलयुद्ध भी कहा जाता है। सन् 2000 की जनवरी में श्रमिकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं तथा सामुदायिक नेताओं के बीच एक गठबंधन ने आकार ग्रहणकिया और इस गठबंधन ने शहर में चार दिनों की कामयाब आम हड़ताल की। सरकार बातचीत के लिए राजी हुई और हड़ताल वापस ले ली गई। फिर भी, कुछ हाथ नहीं लगा। फरवरी में फिर आन्दोलन शुरू हुआ लेकिन इस बार पुलिस ने बर्बरतापूर्वक दमन किया। अप्रैल में एक औरप हड़ताल हुई और सरकार ने ‘मार्शल लॉ’ लगा दिया। लेकिन, जनता की ताकत के आगे बहुराष्ट्रीय कंपनी के अधिकारयों को शहर छोड़कर भागना पड़ा। सरकार को आन्दोलनकारियों की सारी माँगें माननी पड़ी। बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ किया गया करार रद्द कर दिया गया और जलापूर्ति दोबारा नगरपालिका को सौंपकर पुरानी दरें कायम कर दी गईं।
प्रश्न-20.
नेपाल के जन-आन्दोलन व बोलिविया के जल-युद्ध से निकलने वाले परिणामों का ब्यौरा दीजिए।
उत्तर-
नेपाल के जन-आन्दोलन व बोलिविया के जल-युद्ध से निकलने वाले सामान्य निष्कर्ष निम्नलिखित बताए जा सकते
(i) लोकतंत्र का जन-संघर्ष के जरिए विकास होता है। यह भी संभव है कि कुछ महत्त्वपूर्ण फैसले आम सहमति से हो जाएँ और ऐसे फैसलों के पीछे किसी तरह का संघर्ष न हो। फिर भी, इसे अपवाद ही कहा जाएगा। लोकतंत्र की निर्णायक बड़ी अमूमन वही होती है जब सत्ताधारियों और सत्ता में हिस्सेदारी चाहने वालों के बीच संघर्ष होता है। ऐसी घड़ी तब आती है जब कोई देश लोकतंत्र की ओर कदम बढ़ा रहा हो; उस देश में लोकतंत्र का विस्तार हो रहा हो अथवा वहाँ लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होने की प्रक्रिया में हों।
(ii) लोकतांत्रिक संघर्ष का समाधान जनता की व्यापक लामबंदी के जरिए होता है। संभव है, कभी-कभी इस संघर्ष का समाधान मौजूदा संस्थाओं मसलन संसद अथवा न्यायपालिका के जरिए हो जाए। लेकिन, जब विवाद ज्यादा गहन होता है तो ये संस्थाएँ स्वयं उस विवाद का हिस्सा बन जाती है। ऐसे में समाध न इन संस्थाओं के जरिए नहीं बल्कि उनके बाहर यानी जनता के माध्यम से होता है।
(ii) ऐसे संघर्ष और लामबंदियों का आधार राजनीतिक संगठन होते हैं। यह बात सच है कि ऐसी ऐतिहासिक घटनाओं में स्वतःस्फूर्त होने का भाव भी कहीं-न-कहीं जरूर मौजूद होता है लेकिन जनता की स्वतःस्फूर्त सार्वजनिक भागीदारी संगठित राजनीति के जरिए कारगर हो पाती है। संगठित राजनीति के कई माध्यत हो सकते हैं। ऐसे माध्यमों में राजनीतिक दल, दबाव-समूह और आन्दोलनकारी समूह शामिल हैं।
प्रश्न-21.
क्या आप सोचते हैं कि दबाव-समूहों व आन्दोलनों के कारण लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती हैं?
उत्तर-
दबाव-समूहों व आन्दोलनों के कारण लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती है। शासकों व अधिकारियों के ऊपर दबाव डालना लोकतंत्र में कोई अहितकर गतिविधि नहीं बशर्ते इसका अवसर सबको प्राप्त होना चाहिए। सरकारें अक्सर थोड़े से ध नी और ताकतवर लोगों के अनुचित दबाव में आ जाती हैं। जन-साधारण के हित-समूह तथा आन्दोलन इस अनुचित दबाव के प्रतिकार में उपयोगी भूमिका निभाते हैं और आम नागरिक की जरूरतों तथा सरोकारों से सरकार को अवगत कराते हैं।
विकल्पीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में सही व गलत का चयन कीजिए।
(i) नेपाल के सम्राट बीरेन्द्र ने अपना शासन खुशी से ज्ञानेन्द्र को सौंप दिया था। .. (ii) ज्ञानेन्द्र ने नेपाल में लोकतंत्र की बहाली का विरोध किया।
(iii) बोलिविया में जलयुद्ध पानी की आपूर्ति में कमी के कारण हुआ।
(iv) दबाव-समूह सरकार की सत्ता प्राप्त करने हेतु कार्यरत रहते हैं।
(v) कर्नाटक सरकार के पल्पवुड कम्पनी को कुछेक अधि कार दिए थे।
उत्तर-
(i) गलत,
(ii) सही,
(iii) सही,
(iv) गलत,
(v) सही।
प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों से भरिए
(i) कर्नाटक सरकार ने एक पल्पवुड कम्पनी को …….. के पेड़ लगाने की अनुमति दी।
(ii) दबाव-समूह किन्हीं माँगों के लिए सरकार व अधि कारियों पर …………. डालते हैं।
(iii) नेपाल का जन-आन्दोलन ………. की बहाली के लिए चलाया गया था।
(iv) केन्या में हरित पट्टी हेतु …….. करोड़ पेड़ लगाए गए।
(v) सूचना कानून भारत की ………… ने याद किया है।
उत्तर-
(i) युक्लिप्टस,
(ii) दबाव,
(iii) लोकतंत्र,
(iv) तीन,
(v) संसद।