HBSE 10th Class Social Science Important Questions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

Haryana State Board HBSE 10th Class Social Science Important Questions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Important Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Social Science Important Questions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Class 10 प्रश्न उत्तर HBSE प्रश्न-1.
सकल घरेलू उत्पाद क्या है? यह क्या प्रदर्शित करता है?
उत्तर-
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक तीनों क्षेत्रकों के उत्पादों के योगदान को देश का सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं यह किसी देश के भीतर किसी विशेष वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य है। जी.डी.पी. किसी देश के अर्थव्यवस्था की विशालता प्रदर्शित करता है।

HBSE 10th Class Important Questions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक प्रश्न-2.
जी.डी.पी. मापन कैसे करते हैं?
उत्तर-
भारत में जी.डी.पी. मापन का कार्य केंद्र सरकार के मंत्रालय द्वारा किया जाता है। यह मंत्रालय राज्यों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों के विभिन्न सरकारी विभागों की सहायता से वस्तुओं और सेवाओं की कुल संख्या और उनके मूल्य से संबंधित सूचनाएँ एकत्र करता है और जी.डी.पी. का अनुमान लगता है।

Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक Important Questions HBSE 10th Class प्रश्न-3.
क्या अल्प बेरोजगारी की स्थिति सिर्फ कृषि क्षेत्रक में है?
उत्तर-
अल्प बेरोजगारी की स्थिति कृषि के अतिरिक्त अन्य क्षेत्रकों में भी हो सकती है। जैसे, शहरों में सेवा क्षेत्रक में काम करनेवाले हजारों अनियमित श्रमिक हैं जो दैनिक रोजगार की तलाश करते हैं। वे प्लम्बर, पेंटर, मरम्मत आदि कार्य करते हैं। फिर भी, उनमें से कई को काम नहीं मिलता है। वे इस तरह के कार्य इसलिए करते हैं क्योंकि उनके पास बेहतर अवसर नहीं हैं।

HBSE 10th Class Social Science Important Questions Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

प्रश्न-4.
तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से अलग कैसे है? सोदाहरण व्याख्या कीजिये।
उत्तर-
(क) तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से भिन्न है क्योंकि इस क्षेत्रक की गतिविधियाँ प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मद्द करती हैं।
(ख) ये गतिविधियाँ स्वयं वस्तुओं का उत्पादन नहीं करती हैं बल्कि उत्पादन प्रक्रिया आर्थिक सहयोग देती हैं।
(ग) परिवहन, भंडारण, संचार बैंक सेवाएँ, व्यापार आदि तृतीयक गतिविधियाँ सेवाओं का सृजन करती हैं, इसलिए तृतीयक क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहा जाता है।

प्रश्न-5.
भारत में सेवा क्षेत्रक में दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? ये विभिन्न प्रकार के लोग कौन हैं?
उत्तर-
भारत में सेवा क्षेत्रक में दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित हैं। एक ओर लोग परिवहन, भडारण, संचार, बैंक सेवाएँ, व्यापार आदि सार्वजनिक सेवाओं से जुड़े हैं तो दूसरी ओर हमें शिक्षकों, डॉक्टरों, वकील, धोबी, नाई, मोची आदि व्यक्तिगत सेवाएँ उपलब्ध कराने वाले लोगों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न-6.
आर्थिक क्रियाओं को किन-किन प्रमुख भागों में बाँटा जाता है? सोदाहरण स्पष्ट करें।
अथवा
किसी अर्थव्यवस्था में प्राथमिक, दवितीयक और तृतीयक क्षेत्रों का अर्थ स्पष्ट करते हुए प्रत्येक के कम से कम तीन-तीन उदाहरण दें?
उत्तर-
आर्थिक क्रियाओं को उनके स्वरूपों के आधार पर प्रमुख रूप से तीन भागों में बाँटा गया है-1. प्राथमिक क्रियायें 2. द्वितीयक क्रियायें 3. तृतीयक क्रियायें।

इन क्रियाओं के अर्थ को निम्न प्रकार से स्पष्ट कर सकते

1. प्राथमिक क्रियायें-इनका तात्पर्य उन क्रियाओं से है जो प्रकृतिक प्रदत्त संसाधनों पर ही आश्रित होती हैं। इनमें प्रकृति से प्राप्त किये गये उपहारों को ज्यों का त्यों प्रयोग किया जाता है। जैसे कृषि, खनन, मछली पालन आदि। देश में आर्थिक विकास के साथ-साथ प्राथमिक क्रियाओं पर निर्भरशीलता कम होती जाती है। अर्थात् जो देश जितना अधिक विकसित होता है उसकी जनता का उतना ही कम भाग प्राथमिक क्रियाओं में संलग्नन होता है।

2. दृवितीयक क्रियायें-ये वे क्रियायें हैं जो प्रकृति पर आधारित तो हैं परंतु प्रकृति से ज्यों की त्यों ग्रहण न की जाकर प्रकृति प्रदत्त सामग्री के आधार पर किसी नवीन वस्तु का सृजन किया जाता है। इन क्रियाओं में मुख्य रूप से उद्योगों को शामिल किया जाता है। इस प्रकार की क्रियायें विकसित देशों में प्रचुरता से की जाती हैं। इस प्रकार के उद्योग औद्योगीकरण, मशीनीकरण, तकनीकीकरण तो करते ही हैं। साथ ही नगरीकरण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार की क्रियाओं पर बल दिये जाने से नागरिकों के जीवन का स्तर उन्नत होता है। द्वितीयक क्षेत्र प्राथमिक क्षेत्र की उन्नति में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साथ ही तृतीयक क्षेत्र का भी आधार तैयार होता है। यही कारण है कि इस क्षेत्र को सहयोगी क्षेत्र कहा जाता है।

3. तृतीयक क्रियायें-यह वह क्षेत्र है जहाँ किसी वस्तु का _ उत्पादन या निर्माण नहीं किया जाता बल्कि केवल सेवायें प्रदान की जाती हैं। प्रशासनिक सेवाएँ हों या बीमा सुविधा; सभी तृतीयक क्रियाओं के ही उदाहरण हैं।

प्रश्न-7.
“सेवा क्षेत्रक में कुछ ऐसी अपरिहार्य सेवाएँ भी हैं जो प्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं के उत्पादन में सहायता नहीं करती हैं।” उदाहरण दीजिये।।
उत्तर-
(i) सेवा क्षेत्रक में कुछ ऐसी अपरिहार्य सेवाएँ भी हैं जो प्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं के उत्पादन में सहायता नहीं करती हैं। जैसे, शिक्षकों, डॉक्टरों, धोबी, नाई मोची एवं वकील जैसे व्यक्तिगत सेवाएँ उपलब्ध कराने वाले और प्रशासनिक एवं लेखाकरण कार्य करने वाले लोगों की आवश्कयता होती है।
(ii) वर्तमान समय में सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित कुछ नवीन सेवाएँ जैसे-इंटरनेट कैफे, ए.टी.एम. बूथ, कॉल सेंटर, सॉफ्टवेयर कंपनी आदि भी महत्त्वपूर्ण हो गई।

प्रश्न-8.
भारत में तृतीयक क्षेत्रक के महत्त्व का क्या कारण है?
उत्तर-
भारत में तृतीयक क्षेत्रक के महत्त्वपूर्ण होने के निम्नलिखित कारण है-

  • किसी भी विकासशील देश में बुनियादी सेवाओं जैसे अस्पताल, शैक्षिक संस्थाओं, डाक व तार सेवा, थाना, कचहरी, नगर निगम, रक्षा, परिवहन, बैंक, बीमा कपंनी आदि सेवाओं के प्रबधन की जिम्मेदारी सरकार उठाती है।
  • कृषि एवं उद्योग के विकास से परिवहन, व्यापार, भंडारण आदि का विकास होता है। प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रक का जितना विकास होगा, ऐसी सेवाओं की माँग उतनी ही अधिक होगी।
  • आय में बढ़ोत्तरी होने पर लोग कई अन्य सेवाओं जैसे रेस्तराँ, पर्यटन, शापिंग, निजी अस्पताल, निजी विद्यालय, व्यावसायिक प्रशिक्षण आदि की माँग करते हैं।
  • पिछले कुछ वर्षों से सूचना व संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित कुछ नवीन सेवाओं की माँग काफी बढ़ी है, जिस कारण इन सेवाओं के उत्पादन में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है।

प्रश्न-9.
अल्प बेरोजगारी की स्थिति कब पैदा होती है?
उत्तर-
अल्प बेरोजगारी की स्थिति तब पैदा होती है जब लो

  1. काम करना नहीं चाहते हैं।
  2. सुस्त ढंग से काम करते हैं।
  3. अपनी क्षमता से कम काम करते हैं।
  4. उनके काम के लिए भुगतान नहीं किया जाता है।

प्रश्न-10.
संगठित क्षेत्रक किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइये।
उत्तर-

  • संगठित क्षेत्रक में वे उद्यम अथवा कार्य स्थान आते हैं जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती है इसलिए लोगों के पास सुनिश्चित काम होता है।
  • ये क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं और उन्हें सरकारी नियमों व विनियमों का पालन करना पड़ता है। इन नियमों व विनियमों का अनेक विधियों जैसे-कारखाना अधि नियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, सेवानुदान अधिनियम, दुकान एवं प्रतिष्ठान अधिनियम आदि में उल्लेख किया गया है।
  • इसे संगठित क्षेत्रक इसलिए कहते हैं क्योंकि इसकी कुछ औपचारिक प्रक्रिया एवं कार्यविधि है।
  • कुछ लोग स्वतः नियोजित होते हैं लेकिन वे भी सरकार के समक्ष स्वयं को पंजीकृत कराते हैं तथा नियमों एवं विनियमों का पालन करते है।

प्रश्न-11.
“असंगठित क्षेत्रक में और अधिक रोजगार की जरूरत के अलावा श्रमिकों को सरंक्षण और सहायता की भी आवश्यकता है।” सिद्ध कीजिये।
उत्तर-

  • संगठित क्षेत्रक के अनेक उद्यम कर-वंचन एवं श्रमिकों को संरक्षण प्रदान करने वाली विधियों के अनुपालन से बचने के लिए असंगठित क्षेत्रक के रूप में काम करते हैं। परिणामतः बहुत अधिक श्रमिक असंगठित क्षेत्र में काम करने के लिए विवश हैं।
  • असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों का शोषण होता है। उनको आय कम और अनियमित होती है। उन्हें रोजगार सुरक्षा का लाभ प्राप्त नहीं है।
  • 1990 ई. के बाद संगठित क्षेत्र के रोजगार में कमी आई है। अत: लोग असंगठित क्षेत्र में कार्य करने के लिए विवश हैं। अतः असंगठित क्षेत्रक में और अधिक रोजगार की जरूरत के अलावा श्रमिकों को सरंक्षण और सहायता की भी आवश्यकता है।

प्रश्न-12.
सरकार किसानों व उपभोक्ताओं को कैसे लाभ पहुँचाती है?
उत्तर-
(i) कुछ आर्थिक गतिविधियाँ ऐसी होती हैं, जिन्हें सरकारी समर्थन की जरूरत पड़ती है। निजी क्षेत्रक उन उत्पादनों या व्यवसायों को तब तक जारी नहीं रख सकते, जब तक उन्हें सरकारी प्रोत्साहन नहीं मिले। जैसे, उत्पादन मूल्य पर बिजली की बिक्री से औद्योगिक उत्पादन लागत में वृद्धि हो सकती है। अनेक छोटी इकाइयाँ बंद हो सकती है। ऐसी स्थिति में सरकार उस दर पर बिजली उत्पादन ओर वितरण के लिए कदम उठाती है जिस पर ये उद्योग बिजली खरीद सकते हैं। सरकार लागत का कुछ हिसा वहन करती है।
(ii) इसी तरह सरकार किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए उनसे चावल और गेहूँ खरीदती है। इसे अपने गोदामों में भण्डारित करती है और राशन दुकानों के माध्यम से उपभोक्ताओं को कम मूल्य पर बेचती है। इस प्रकार सरकार किसानों व उपभोक्ताओं को सहायता पहुँचाती है।

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प्रश्न-13.
“भारत में विकास प्रक्रिया से जी.डी.पी. में तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी में वृद्धि हुई है।” क्या आप इस कथन से सहमत हैं? विस्तार से बताइए।
उत्तर-
वर्ष 1973 और 2003 के बीच तीस वर्षों में यद्यपि सभी क्षेत्रकों में उत्पादन में वृद्धि, परंतु सबसे अधिक वृद्धि तृतीयक क्षेत्र में हुई। परिणामतः वर्ष 2003 में भारत में प्राथमिक क्षेत्रक को प्रतिस्थापित करते हुए तृतीयक क्षेत्र सबसे बड़े उत्पादक क्षेत्र के रूप में उभरा।
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ठीक इसी प्रकार 1973 से 2003 के बीच जी.डी.पी. के विकास पर नजर डालें तो पता लगता है, कि जी.डी.पी. में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी में परिवर्तन हुआ है। 1973 में जी.डी.पी. में तृतीयक क्षेत्रक का हिस्सा मात्र 35 प्रतिशत था जो 2003 में बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया। जबकि प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रक के जी.डी.पी. में योगदान में या तो कोई परिवर्तन नहीं हुआ या फिर उनकी हिस्सेदारी में कमी आई।

प्रश्न-14.
कृषि क्षेत्रक से प्रछन्न बेरोजगारी की समाप्ति के लिए किए जा सकने वाले उपायों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
(i) भूमि की सिंचाई हेतु कुओं के निर्माण हेतु सरकार व्यय कर सकती है अथवा बैंक आसन शर्तो पर ऋण प्रदान कर सकता है।
(ii) कई खेतों की सिंचाई हेतु नये बाँध का निर्माण किया जा सकता है या नहर खेदी जा सकती है।
(iii) सरकार परिवहन और फसलों के भण्डारण पर तथा बेहतर ग्रामीण सड़कों के निर्माण पर मुद्रा निवेश कर सकती है।
(iv) अर्द्ध-ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित उन उद्योगों व सेवाओं की पहचान करना और उन्हें बढ़ावा देना जहाँ ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके।

प्रश्न-15.
उन उपायों को बताइए जिन्हें आप असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों के सरंक्षण में सहायक मानते हैं।
उत्तर-
(i) ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को समय से बीज, कृषि-उपकरणों, साख, भण्डारण सुविधा और विपणन केंद्र की पर्याप्त सुविधा प्रदान करने की जरूरत है।
(ii) लघु उद्योगों को कच्चे माल की प्राप्ति और उत्पाद विपणन के लिए सरकारी मद्द की आवश्यकता होती है।
(iii) सामाजिक भेदभाव को दूर करना अत्यन्त आवश्यक

प्रश्न-16.
क्या असंगठित क्षेत्रके के श्रमिकों को संरक्षण दिया जाना चाहिए? कारण बताइए?
उत्तर-

(i) संगठित क्षेत्रक में अत्यधिक माँग होने पर ही रोजगार की संभावना बनती है। इसके अलावा संगठित क्षेत्रक में रोजगार के अवसरों में अत्यन्त धीमी गति से वृद्धि हो रही
(ii) कई बार संगठित क्षेत्रक के अनेक उद्यम कर वंचन एवं श्रमिकों को संरक्षण प्रदान करने वाले नियमों व कानूनों के अनुपालन से बचने के लिए असंगठित क्षेत्रक के रूप में काम करते हैं। इसकारण बहुत श्रमिक असंगठित क्षेत्र में काम करने के लिए विवश हैं।
(iii) असंगठित क्षेत्र में क्षमिकों का शोषण होता है। उन्हें उचिः मजदूरी नहीं मिलती और कम वेतन पर काम करना पड़ता है।
(iv) असंगठित क्षेत्र में रोजगार संरक्षण नहीं है और न ही इसमें कोई अन्य लाभ हैं। इसलिए असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को संरक्षण दिया जाना चाहिए।

प्रश्न-17.
‘असंगठित क्षेत्रक के श्रमिक सामाजिक भेदभाव के भी शिकार हैं।’ क्या आप सहमत हैं? कारण बताइए।
उत्तर-

(i) बहुसंख्यक श्रमिक अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ी जातियों से संबंधित होते हैं जो असंगठित क्षेत्र में रोजगार करते हैं।
(ii) कार्य के बँटवारे के समय उनकी जाति को भी आधार बनाया जाता है।
(iii) यदा-कदा बेगार पर काम करने का समाचार भी सुना और पढ़ा जाता है।
(iv) असंगठित क्षेत्रक में प्रायः भूमिहीन कृषि श्रमिक, छोटे व सीमांत किसान, कारीगर जैसे-बुनकर, लुहार, बढ़ई, सुनार आदि काम करते हैं और उनका शोषण किया जाता है।

प्रश्न-18.
क्या सार्वजनिक क्षेत्रक का होना अपरिहार्य है?
सरकार की भूमिका की छानबीन करते हुए अपने उत्तर की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
सार्वजनिक क्षेत्रक में अधिकांश परिसंपत्तियों पर सरकार का स्वामित्व होता है और सरकार ही सभी सेवाएँ उपलब्ध कराती है। सार्वजनिक क्षेत्र का ध्येय लाभ कमान नहीं होता है।
कई चीजों की जरूरत समाज के सभी सदस्यों को होती है। लेकिन निजी क्षेत्रक उन्हें उचित कीमत पर उपलब्ध नहीं कराते हैं। इसका कारण यह है कि इनमें से कुछ चीजों पर बहुत अधिक खर्च आता है, जो निजी क्षेत्रकों की क्षमता से बाहर होता है। फिर, यदि वे इन चीजों को उपलब्ध कराते भी हैं तो इसके लिए काफी ऊँची कीमत वसूलते है। जैसे, सड़कों, पुलों, रेलवे, पत्तनों, बिजली आदि का निर्माण और बाँध से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना। इसलिए सरकार ऐसे भारी व्यय स्वयं उठाती है और सभी लोगों के लिए इन सुविधाओं को सुनिश्चित करती है। इसलिए सार्वजनिक क्षेत्रक का होना अपरिहार्य है।

प्रश्न-19.
विकसित देशों का इतिहास क्षेत्रकों के महत्त्व के संबंध में क्या संकेत करते हैं?
उत्तर-
(i) अधिकांश विकसित देशों के इतिहास से यह पता चलता है कि विकास की प्रारंभिक अवस्थाओं में प्राथमिक क्षेत्रक का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।
(ii) कृषि प्रणाली में परिवर्तन के साथ-साथ कृषि क्षेत्रक समृद्ध होता गया और उत्पादन में भी वृद्धि हुई। इस अवस्था में अधिकांश उत्पादित वस्तुएँ प्राकृतिक उत्पाद थीं, जो प्राथमिक क्षेत्रक में आती थीं और अधिकांश लोगों को इसी क्षेत्रक में रोजगार मिलता था।
(iii) कारखानों के बनने व प्रचार-प्रसार से बहुत से लोग कृषि से हटकर इन कारखानों में काम करने लगे। इस कारण
उत्पादन भी बढ़ा और रोजगार की दृष्टि से द्वितीयक क्षेत्रक सबसे महत्त्वपूर्ण हो गया। .
(iv) पिछले सौ वर्षों में विकसित देशों में द्वितीयक क्षेत्रक से तृतीयक क्षेत्रक की ओर पुनः बदलाव देखने को मिला है।
कुल उत्पादन की दृष्टि से सेवा क्षेत्रक का महत्त्व बढ़ गया;
साथ ही सेवा क्षेत्रक में रोजगार में भी वृद्धि हुई है। विकसित देशों में यही सामान्य पैटर्न देखा गया है।

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प्रश्न-20.
आप कैसे कह सकते हैं कि कृषि क्षेत्रक में अल्प बेरोजगारी की स्थिति है?
उत्तर-
(i) भारत में आधे से अधिक लोग प्राथमिक क्षेत्रक, मुख्यतः कृषि क्षेत्र में काम कर रहे हैं। जिसका जी.डी.पी. में योगदान मात्र एक-चौथाई है।
(ii) द्वितीय एवं तृतीयक क्षेत्रक आधे से भी कम लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं परंतु जी.डी.पी. में इनका योगदान तीन-चौथाई है।
(iii) इसका अर्थ यह है कि कृषि क्षेत्र में लगे श्रमिक अपनी क्षमता से काम उत्पादन कर रहे हैं तथा कृषि कार्य में आवश्यकता से अधिक लोग ले हुए हैं। यदि इन्हें कृषि क्षेत्र से हटा दिया जाए तो भी उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दूसरे शब्दों में, कृषि क्षेत्रक में श्रमिकों में अल्प बेरोजगारी है।
(iv) उदाहरण के तौर पर, यदि एक छोटे किसान के पास मात्र दो हेक्टेयर असिंचित भूमि है जो सिंचाई के लिए केवल वर्षा पर निर्भर है और ज्वार एवं अरहर जैसी फसलें उपजाती है और उसके परिवार में पाँच सदस्य हैं जो साल भर उसी भूमि पर काम करते हैं। इसका अर्थ यह है कि उनका श्रम प्रयास विभाजित है। प्रत्येक व्यक्ति कुछ काम करता दिख रहा है परंतु किसी को भी पूर्ण रोजगार प्राप्त नहीं है। यह अल्प-बेरोजगा री की स्थिति है, जहाँ लोग अपनी क्षमता से कम काम करते हैं। कुछ लोगों के पास कोई रोजगार नहीं है और वे बेकार बैठे दिखाई देते हैं। इस किस्म की अल्प-बेरोजगारी को इसीलिए प्रच्छन्न बेरोजगारी भी कहा जाता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के चार विकल्प दिए गए हैं।

सही विकल्प का चयन करें।

प्रश्न 1.
जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं तो इसे कहा जाता है-
(क) क्षेत्रक
(ख) प्राथमिक क्षेत्र की गतिविधि
(ग) द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधि
(घ) तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधि
उत्तर-
(ख) प्राथमिक क्षेत्र की गतिविधि

प्रश्न 2.
तृतीयक क्षेत्रक का दूसरा नाम है
(क) उत्पादन क्षेत्रक
(ख) बाजार क्षेत्रक
(ग) सेवा क्षेत्रक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) सेवा क्षेत्रक

प्रश्न 3.
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रक के विविध उत्पादन कार्यों से काफी मात्रा में उत्पादन होता है-
(क) वस्तुओं का
(ख) सेवाओं का
(ग) क और ख दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) क और ख दोनों

प्रश्न 4.
उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की गणना के लिए ध्यान में रखा जाता है
(क) प्रारंभिक वस्तुओं व सेवाओं का
(ख) अंतिम वस्तुओं व सेवाओं का
(ग) क और ख दोनों
(घ) सिर्फ अंतिम वस्तुओं का
उत्तर-
(ख) अंतिम वस्तुओं व सेवाओं का

प्रश्न 5.
तीनों क्षेत्रकों के उत्पादों के योगफल को कहते हैं
(क) राष्ट्रीय आय
(ख) प्रति व्यक्ति आय
(ग) वैश्वीकरण
(घ) सकल घरेलू उत्पाद
उत्तर-
(घ) सकल घरेलू उत्पाद

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प्रश्न 6.
विकसित देशों के विकास की प्रारंभिक अवस्था में किस क्षेत्रक का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है?
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) तृतीयक
(घ) सेवा क्षेत्रक
उत्तर-
(क) प्राथमिक

प्रश्न 7.
कारखानों के अस्तित्व में आने व उनके प्रचार-प्रसार के किस क्षेत्रक का महत्त्व बढ़ा?
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) तृतीयक
(घ) सेवा क्षेत्रक
उत्तर-
(ख) द्वितीयक

प्रश्न 8.
विकसित देशों में अधिकांश श्रमजीवी लोग किस क्षेत्रक में नियोजित हैं?
(क) सेवा क्षेत्रक
(ख) प्राथमिक
(ग) द्वितीयक
(घ) तृतीयक
उत्तर-
(घ) तृतीयक

प्रश्न 9.
भारत में 2003 ई. में कौन सा क्षेत्रक सबसे बड़े उत्पादक क्षेत्रक के रूप में उभरा?
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) तृतीयक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) तृतीयक

प्रश्न 10.
वर्ष 1973 और 2003 के बीच औद्योगिक उत्पादन में कितनी बढ़ोत्तरी हुई?
(क) 5 गुना
(ख) 6 गुना
(ग) 7 गुना
(घ) 8 गुना
उत्तर-
(ख) 6 गुना

प्रश्न 11.
वर्ष 1973-2003 के बीच औद्योगिक रोजगार में कितनी वृद्धि हुई?
(क) 2.5 गुना
(ख) 3 गुना
(ग) 4 गुना
(घ) 5 गुना
उत्तर-
(क) 2.5 गुना

प्रश्न 12.
वर्ष 1973-2003 के मध्य सेवा क्षेत्रक में उत्पादन में कितनी वृद्धि हुई?
(क) 10 गुना
(ख) 11 गुना
(ग) 12 गुना
(घ) 20 गुना
उत्तर-
(ख) 11 गुना

प्रश्न 13.
देश में कितने लागे कृषि क्षेत्रक में काम कर रहे हैं?
(क) आधे से अधिक
(ख) आधे से कम
(ग) 75 प्रतिशत
(घ) 50 प्रतिशत
उत्तर-
(क) आधे से अधिक

प्रश्न 14.
प्राथमिक क्षेत्रक का जी.डी.पी. में योगदान है
(क) तीन-चौथाई
(ख) दो-तिहाई
(ग) एक-चौथाई
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) एक-चौथाई

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प्रश्न 15.
द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रक का जी.डी.पी. में हिस्सा है-
(क) एक-चौथाई
(ख) तीन-चौथाई
(ग) दो-तिहाई
(घ) एक-तिहाई
उत्तर-
(ख) तीन-चौथाई

प्रश्न 16.
उल्प-बेरोजगारी का दूसरा नाम है
(क) मौसमी बेरोजगारी
(ख) चक्रीय बेरोजगारी
(ग) तकनीकी बेरोजगारी
(घ) प्रछन्न बेरोजगारी
उत्तर-
(घ) प्रछन्न बेरोजगारी

प्रश्न 17.
भारत में विद्यालय जाने के आयु वर्ग में कितने बच्चे आते हैं?
(क) 15 करोड़
(ख) 17 करोड़
(ग) 18 करोड़
(घ) लगभग 20 करोड़
उत्तर-
(घ) लगभग 20 करोड़

प्रश्न 18.
हमारे देश में विद्यालय जाने के आयु-वर्ग में कितने बच्चे विद्यालय जाते हैं?
(क) एक-तिहाई
(ख) दो-तिहाई
(ग) एक-चौथाई
(घ) तीन-चौथाई
उत्तर-
(ख) दो-तिहाई

प्रश्न 19.
योजना आयोग के एक अध्ययन के अनुसार अकेले शिक्षा क्षेत्र में लगभग कितने रोजगार का सृजन किया जा सकता है?
(क) लगभग 20 लाख
(ख) लगभग 10 लाख
(ग) लगभग 15 लाख
(घ) लगभग 30 लाख
उत्तर-
(क) लगभग 20 लाख

प्रश्न 20.
योजना आयोग के एक अध्ययन के अनुसार पर्यटन क्षेत्र में सुधार से प्रतिवर्ष कितने अतिरिक्त रोजगार का सृजन हो सकता है?
(क) 35 लाख से अधिक
(ख) 40 लाख
(ग) 20 लाख
(घ) 30 लाख
उत्तर-
(क) 35 लाख से अधिक

प्रश्न 21.
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम 2005 के अंतर्गत सक्षम लोगों को वर्ष में कितने दिनों तक काम की गारंटी दी गई है?
(क) 50 दिन
(ख) 150 दिन
(ग) 300 दिन
(घ) 100 दिन
उत्तर-
(घ) 100 दिन

प्रश्न 22.
केंद्र सरकार AIEGA 2005 को सबसे पहले कितने जिलों में लागू किया था?
(क) 100
(ख) 200
(ग) 300
(घ) 350
उत्तर-
(ख) 200

प्रश्न 23.
भारत में लगभग कितने प्रतिशत ग्रामीण परिवार छोटे व सीमांत किसानों की श्रेणी में आते हैं?
(क) 60
(ख) 70
(ग) 80
(घ) 85
उत्तर-
(ग) 80

प्रश्न 24.
सार्वजनिक क्षेत्रक में परिसंपत्तियों पर किसका स्वामित्व होता है?
(क) सरकार
(ख) व्यक्ति
(ग) संस्था
(घ) समाज
उत्तर-
(क) सरकार

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प्रश्न 25.
रेलवे एवं डाकघर उदाहरण हैं
(क) सार्वजनिक क्षेत्रक
(ख) निजी क्षेत्रक
(ग) मिश्रित क्षेत्रक
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(क) सार्वजनिक क्षेत्रक

प्रश्न 26.
निजी क्षेत्रक में परिसंपत्तियों पर किसका स्वामित्व होता है?
(क) सरकार
(ख) एकल व्यक्ति या कंपनी
(ग) राजनीतिक दल
(घ) समाज
उत्तर-
(ख) एकल व्यक्ति या कंपनी

प्रश्न 27.
रिलायंस इण्डस्ट्रीज लिमिटेड उदाहरण है
(क) सरकारी
(ख) निजी क्षेत्रक
(ग) सामाजिक क्षेत्रक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) निजी क्षेत्रक

प्रश्न 28.
विश्व में निरक्षरों की संख्या सबसे अधिक है
(क) पाकिस्तान
(ख) आयरलैंड
(ग) श्रीलंका
(घ) भारत
उत्तर-
(घ) भारत

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