Class 9

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व

Haryana State Board HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व

HBSE 9th Class Physical Education व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व Textbook Questions and Answers

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न [Long Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य से क्या अभिप्राय है? इसके आवश्यक नियमों का वर्णन कीजिए। अथवा व्यक्तिगत स्वास्थ्य क्या है? इसको सुधारने वाले तरीकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार करने वाले साधनों या ढंगों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ (Meaning of Personal Health):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य दो शब्दों से मिलकर बना है’व्यक्ति’ एवं स्वास्थ्य’। इससे स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य की सफाई के सिद्धांत जो व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर व्यवहार में लाए जाते हैं। इसके लिए व्यक्ति को स्वयं ही प्रयत्नशील होना पड़ता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधी आचरण; जैसे शरीर की स्वस्थता, दाँतों की सफाई,Meaning and Importance of Personal Health आँखों की सफाई, बालों की सफाई, हाथों की सफाई, भोजन या आहार, व्यायाम तथा मद्यपान संबंधी नियमों का पालन आदि इसके अंतर्गत आते हैं। इनके प्रति लापरवाही हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। उदाहरण के लिए, दाँतों की सफाई न करने से दाँतों पर जमे रोगाणुओं से दाँतों में कृमि एवं अन्य विकार पैदा हो सकते हैं। इसलिए हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य के आवश्यक नियम या तरीके (Important Rules or Methods of Personal Health)-व्यक्तिगत स्वास्थ्य को ठीक तथा स्वस्थ रखने के लिए हमें अपने जीवन में स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन करने की आदत डालनी चाहिए। ये नियम देखने में बड़े साधारण-से लगते हैं लेकिन इनका पालन करना हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। स्वास्थ्य मानव जीवन की आधारशिला होती है। केवल, एक स्वस्थ व्यक्ति ही अपने जीवन को सफलता के पथ पर अग्रसर कर सकता है। स्वस्थ व्यक्ति के लिए असंभव कार्य भी संभव हो जाता है, जबकि अस्वस्थ व्यक्ति के लिए ऐसा करना कठिन होता है। अतः व्यक्ति को हमेशा व्यक्तिगत रूप से स्वयं को स्वस्थ बनाने के लिए प्रयासशील रहना चाहिए। इसलिए हमें अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए निम्नलिखित तरीकों या नियमों को अपनाना चाहिए

1. शारीरिक स्वस्थता (Physical Fitness):
हमें अपने शरीर की सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। प्रतिदिन ताजे पानी से नहाना चाहिए। स्वास्थ्य हेतु शुद्ध जल, शुद्ध वायु एवं संतुलित आहार के साथ-साथ शारीरिक स्वस्थता पर नियमित रूप से ध्यान देना चाहिए।

2. दाँतों की सफाई (Cleanliness of Teeth):
सुबह स्नान करने से पहले तथा रात्रि को सोने से पहले अपने दाँतों को मंजन, दातुन या ब्रश से साफ करना चाहिए। .

3. नाखूनों की सफाई (Cleanliness of Nails):
हमें अपने नाखूनों को समय-समय पर काटते रहना चाहिए। यदि इनमें मैल होगी तो वह खाते समय भोजन के साथ हमारे शरीर के अंदर चली जाएगी और हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाएगी।

4. कपड़ों की सफाई (Cleanliness of Clothes):
हमें कपड़े साफ-सुथरे, मौसम के अनुसार तथा ढीले पहनने चाहिएँ। गंदे कपड़े साफ शरीर को भी गंदा कर देते हैं।

5. नाक द्वारा साँस लेना (Breathing by Nose):
साँस हमेशा नाक द्वारा ही लेनी चाहिए। नाक से साँस लेने से वायु एक तो साफ होकर अंदर जाती है और दूसरे फेफड़ों तक पहुँचते-पहुँचते थोड़ा गर्म भी हो जाती है।

6. भोजन का उचित समय (Proper Time of Diet/Food):
भोजन प्रतिदिन उचित समय पर ही करना चाहिए। भोजन अच्छी तरह चबाकर और धीरे-धीरे करना चाहिए। भोजन संतुलित एवं पौष्टिक होना चाहिए।

7. मादक वस्तुओं का सेवन निषेध (No use of Drugs or Intoxicants):
मादक वस्तुओं के प्रयोग से सदैव बचना चाहिए। इससे शरीर को नुकसान होता है। सिग्रेट, तम्बाकू, शराब आदि पीने की आदत कभी नहीं डालनी चाहिए।

8. खुले वातावरण में व्यायाम (Exercise in Open Environment):
अपनी अवस्था, काम और स्वास्थ्य के अनुसार प्रतिदिन खुले वातावरण में व्यायाम अवश्य करना चाहिए। इससे शरीर चुस्त एवं गठीला बनता है।

9. जल्दी सोना और जल्दी उठना (Early to bed and Early to rise):
हमें रात को जल्दी सोना तथा प्रातः जल्दी उठना चाहिए। इससे स्वास्थ्य ठीक रहता है। बेंजामिन फ्रैंकलिन के अनुसार, “जल्दी सोना और जल्दी उठना, व्यक्ति को समृद्ध, स्वस्थ एवं बुद्धिमान बनाता है।”

10. शुद्ध एवं संतुलित भोजन (Pure and Balanced Diet):
हमारा भोजन शुद्ध एवं सादा होना चाहिए। हमें सदैव संतुलित भोजन करना चाहिए।

11. उचित मुद्रा (Correct Posture):
चलते-फिरते, काम करते समय, पढ़ते समय एवं सोते समय उचित मुद्रा (आसन) का ध्यान रखना चाहिए। ऊपर वर्णित नियमों का पालन करने से प्रत्येक व्यक्ति अपने-आपको स्वस्थ रख सकता है। अपने-आपको स्वस्थ रखना भी एक महान् देश सेवा है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 2.
आँखों की सफाई और संभाल या देखभाल हेतु हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
आँखें मनुष्य के शरीर का कोमल अंग हैं। सुंदर आँखें सुंदरता की निशानी हैं। इनकी सफाई और रक्षा ध्यान से करनी चाहिए। आँखों को कई प्रकार के रोग हो जाते हैं; जैसे आँखों का फ्लू, कुकरे, आँखों की सूजन और आँखों की खुजली आदि। आँखों की सफाई और संभाल निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है

(1) तेज प्रकाश और अंधेरे में आँखों से काम नहीं लेना चाहिए। नंगी आँख से सूर्यग्रहण नहीं देखना चाहिए।
(2) बहुत कम और बहुत तेज प्रकाश में तथा नीचे को झुककर कभी नहीं पढ़ना चाहिए। .
(3) पुस्तक को बहुत निकट रखकर नहीं पढ़ना चाहिए। पढ़ते समय पुस्तक आँखों से लगभग 30 सेंटीमीटर की दूरी पर होनी चाहिए।
(4) आँखों में पसीना नहीं पड़ने देना चाहिए। आँखों को हमेशा स्वच्छ व शुद्ध पानी से नियमित रूप से धोना चाहिए।
(5) बहुत देर तक एक स्थान पर नजर नहीं टिकानी चाहिए।
(6) आँखों की सफाई करने के लिए स्वयं का स्वच्छ रूमाल प्रयोग में लेना चाहिए।
(7) पढ़ते समय कुर्सी और मेज व्यक्ति के कद के अनुसार होना चाहिए।
(8) खसरा और छोटी माता जैसी बीमारियों के दौरान बच्चों की आँखों का ध्यान रखना चाहिए।
(9) खट्टी चीजें, तेल, लाल मिर्च, तम्बाकू, शराब और अफीम आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(10) सिनेमा और टेलीविजन अधिक निकट बैठकर नहीं देखना चाहिए।
(11) प्रतिदिन आँखों पर ठंडे पानी के छीटें मारने चाहिएँ।
(12) तेज धूप एवं धूल से बचने के लिए धूप के चश्मे का प्रयोग अधिक लाभदायक है।
(13) आँखों की निकट एवं दूर की दृष्टि की जाँच नेत्र चिकित्सक से कराकर चिकित्सक की सलाह के अनुसार चश्मे आदि का प्रयोग करना चाहिए।
(14) आँखों के लिए विटामिन ‘ए’ युक्त खाद्य पदार्थों; जैसे गाजर, पपीता, पत्तेदार सब्जियाँ, दूध, मक्खन, घी, आम आदि का प्रयोग करना चाहिए।
(15) सुबह सूर्य निकलने के समय दो मिनट तक सूर्य की ओर अवश्य देखना चाहिए, परंतु तेज रोशनी में नहीं देखना चाहिए।
(16) आँखों को बिना गर्दन हिलाए चारों ओर घुमाना चाहिए।
(17) चलती बस या ट्रेन में कभी नहीं पढ़ना चाहिए। इससे आँखों पर अधिक दबाव पड़ता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित का संक्षेप में वर्णन कीजिए
(क) व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान
(ख) त्वचा की सफाई
(ग) नाक की देखभाल।
उत्तर:
(क) व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान (Personal Health Science):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जो हमें तंदुरुस्ती और नीरोग रहने की शिक्षा देती है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान में अरोग्यता प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन करने पर बल दिया गया है। जिंदगी केवल जीवित रहने के लिए नहीं, अपितु रोग-रहित रहने के लिए भी है। रोग-रहित रहना ही व्यक्तिगत अरोग्यता प्राप्त करना है। स्वास्थ्य विज्ञान में व्यक्तिगत अरोग्यता एक ऐसी धारा है, जिसके नियमों को अपनाकर मनुष्य अरोग्य रह सकता है। बचपन मनुष्य की संपूर्ण जिंदगी का आधार होता है। इस कारण निजी अरोग्यता नियमों का पालन मनुष्य को बचपन से ही करना चाहिए।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान के मौलिक नियम निम्नलिखित हैं
(1) अंगों और कपड़ों की सफाई
(2) अंगों और कपड़ों का सही प्रयोग
(3) अंगों की सुरक्षा
(4) संतुलित व पौष्टिक भोजन का प्रयोग
(5) शारीरिक बीमारियों से बचने के लिए उचित प्रबंध आदि।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान मनुष्य को रहन-सहन, खाने-पीने, शारीरिक और मानसिक तंदुरुस्ती के लिए व्यायाम करने का ढंग बताता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान का उद्देश्य है कि मनुष्य को दवाइयों के प्रयोग के बिना स्वस्थ बनाना। इसलिए व्यक्ति को खाने-पीने की वस्तुओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का ज्ञान प्राप्त करना बहुत आवश्यक है। पर्यावरण को साफ कैसे रखना है, कौन-सी वस्तु का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है आदि का ज्ञान व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान से मिलता है।

(ख) त्वचा की सफाई (Cleanliness of Skin):
त्वचा हमारे शरीर की चारदीवारी है। यह हमारे शरीर के आंतरिक अंगों को ढकती है और उसकी रक्षा करती है। यह हमारे शरीर का तापमान ठीक रखती है। इसके द्वारा हमारे शरीर में से पसीना और अन्य बदबूदार पदार्थों का निकास होता है। इसको स्पर्श करने से ही किसी बाहरी वस्तु के गुण और लक्षणों का ज्ञान होता है। त्वचा शरीर को सुंदरता प्रदान करती है। इसलिए हमें अपनी त्वचा की नियमित सफाई करनी चाहिए और इसकी सफाई का सबसे उत्तम ढंग प्रतिदिन स्वच्छ पानी से स्नान करना या नहाना है। नहाने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना बहुत आवश्यक है

(1) नहाने से पहले पेट साफ और खाली होना चाहिए।
(2) खाने के तुरंत पश्चात् नहीं नहाना चाहिए।
(3) व्यायाम अथवा बहुत थकावट के एकदम पश्चात् नहीं नहाना चाहिए।
(4) सर्दियों में नहाने से पहले धूप में शरीर की मालिश करें। यह शरीर को विटामिन ‘डी’ देने के लिए उपयोगी होता है।
(5) ताजे और स्वच्छ पानी से नहाना लाभदायक होता है।
(6) नहाने के लिए साबुन का प्रयोग कम करना चाहिए। नहाने के लिए उपयुक्त साबुन, जिसमें क्षार की मात्रा कम हो, प्रयोग में लेना हितकर है।
(7) नहाने के पश्चात् शरीर को साफ तौलिए या साफ कपड़े से पौंछकर स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए।
(8) शरीर को पौंछने के लिए अपने स्वयं का ही तौलिया काम में लाना चाहिए।

(ग) नाक की देखभाल (Care of Nose):
नाक श्वास लेने और सूंघने की शक्ति रखती है। नाक की संभाल शरीर के बाकी अंगों की तरह करनी चाहिए। इसको बीमारी से बचाने के लिए साफ वायु में श्वास लेना चाहिए। जिस व्यक्ति को जुकाम लगा हो, उसके पास नहीं बैठना चाहिए। नाक में उँगली नहीं मारनी चाहिए और किसी का रूमाल भी प्रयोग नहीं करना चाहिए। नाक को जोर से साफ नहीं करना चाहिए। इसकी सफाई हेतु स्वच्छ रूमाल का प्रयोग करना चाहिए। हमें हमेशा नाक द्वारा श्वास लेना चाहिए। नाक में छोटे-छोटे बाल होते हैं। वायु के कीटाणु और मिट्टी इनमें रुक जाती हैं जिससे हमारे अंदर साफ वायु जाती है। नाक के बालों को कभी भी काटना और तोड़ना नहीं चाहिए। यदि हमारे नाक के अंदर ये बाल न हों तो हमारे शरीर के अंदर गंदी हवा प्रवेश कर जाएगी और हमारा शरीर रोग का शिकार हो जाएगा। इसलिए हमें नाक की देखभाल की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 4.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधित नियमों के बारे में लिखिए तथा बालों की सही प्रकार से सफाई करने की विधि बताइए।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधित नियम (Rules related to Personal Health)-व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधित प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं
(1) शरीर के आंतरिक अंगों; जैसे दिल, फेफड़े, जिगर, आमाशय, तिल्ली, गुर्दे और बाहरी अंग; जैसे हाथ, आँख, कान, नाक, त्वचा, पैर और बाल आदि की नियमित सफाई व संभाल करनी चाहिए।
(2) समय-समय पर अपने शरीर का नियमित डॉक्टरी परीक्षण करवाना चाहिए।
(3) हमेशा खुश व प्रसन्न रहना चाहिए।
(4) हमेशा साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिएँ। पहनावा ऋतु और मौसम के अनुसार होना चाहिए।
(5) खुले एवं स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए। घर हमेशा साफ-सुथरा होना चाहिए।
(6) हमेशा नाक द्वारा श्वास लेनी चाहिए।
(7) नियमित शारीरिक क्रियाएँ या व्यायाम करने चाहिएँ।
(8) हमें हमेशा संतुलित एवं पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए।
(9) हमें पर्याप्त विश्राम करना चाहिए और उचित समय तक सोना चाहिए।

बालों की सफाई करने की विधि (Method of Cleanliness of Hair):
पुराने समय में बालों के रख-रखाव व निखार के लिए महिलाएँ अनेक प्राकृतिक तरीके इस्तेमाल करती थीं, जिनसे उनके बाल वास्तव में ही काले, घने, मजबूत और चमकदार होते थे। आज के युग में कई तरह के साबुन और अन्य चीजों से बालों को धोने या साफ करने के लिए प्रयोग में लाया जाने लगा है। इनसे बाल पोषक तत्त्व हासिल करने के स्थान पर समय से पूर्व टूट कर गिरने लगते हैं, साथ ही सफेद होने लगते हैं। हमें भूलकर भी बालों के साथ ज्यादा प्रयोग नहीं करने चाहिएँ। ऐसा करने से बाल कमजोर होकर असमय टूटने लगते हैं। इसलिए बालों की सही प्रकार से सफाई करनी चाहिए, ताकि ये मजबूत, काले व चमकदार बने रहें। बालों की सफाई हेतु निम्नलिखित विधि अपनानी चाहिए

(1) खट्टी दही में चुटकी भर फिटकरी मिला लें, साथ ही थोड़ी-सी हल्दी भी मिला लें। इस मिश्रण को सिर के बालों में लगाने से सिर की गंदगी तो दूर होती ही है, साथ ही बाल भी निखर जाते हैं।
(2) बालों को धोने के बाद गोलाकार कंघी से बालों में भली प्रकार से ब्रश करना चाहिए। इसके बाद सिर के बालों की जड़ों में उंगली घुमाते हुए अपना हाथ ऊपर से नीचे की ओर फिराएँ। ऐसा करने से बाल हमेशा मुलायम बने रहते हैं।
(3) धूल-मिट्टी के प्रभाव से सिर के बाल रूखे एवं बेजान से हो जाते हैं । इनसे छुटकारा पाने के लिए उत्तम किस्म के शैम्पू से बालों को धोना चाहिए।
(4) कुदरती साधनों के इस्तेमाल से बालों को सुंदर बनाया जा सकता है। बालों को अच्छी तरह धोने के बाद बालों में ताजी मेहंदी पीसकर लगानी चाहिए। कुछ समय बाद बालों को पानी से धो लेना चाहिए।
(5) बालों को पानी में भीगे आँवलों से धोना चाहिए। बालों को आँवले से धोने से बाल चमकदार व मुलायम बनते हैं।
(6) पसीना बालों की जड़ों में पहुंचने पर बालों को नुकसान होता है। इसलिए नियमित अंतराल पर उचित विधि द्वारा बालों को साफ करना चाहिए।
(7) बालों को गर्म पानी में धोने से ये कमजोर होते हैं। इसलिए बालों को हमेशा गुनगुने पानी से ही धोना चाहिए।
(8) कंघी हमेशा बालों को सुखाने के बाद ही करनी चाहिए। गीले बालों में कंघी करने से बाल कमजोर हो सकते हैं।

प्रश्न 5.
दाँतों की सफाई पर विस्तृत नोट लिखें। अथवा दाँतों की देखभाल हेतु हमें किन-किन बातों की ओर ध्यान देना चाहिए?
उत्तर:
दाँतों के न रहने से मुँह का स्वाद चला जाता है और चेहरे की खूबसूरती भी समाप्त हो जाती है। गंदे दाँतों से स्वयं को और दूसरों को बदबू भी आती है। यदि दूध के दाँतों का ध्यान अच्छी प्रकार न रखा जाए तो पक्के दाँत शुरू से कमजोर हो सकते हैं जोकि टूटने के उपरांत टेढ़े-मेढ़े निकलते हैं। दाँत साफ न रहने के कारण इनके ऊपर जो इनैमल और इंटीन की तह होती है, वह दाँत गंदे रहने से नष्ट हो जाती है। फिर दाँतों के नीचे तक कीटाणु चले जाते हैं और मसूड़े कमजोर हो जाते हैं। इसलिए हमें नियमित रूप से दाँतों की सफाई करनी चाहिए। दाँतों की संभाल और सफाई निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है

(1) हमें मिठाई, चीनी, टॉफियाँ आदि अधिक नहीं खानी चाहिएँ।
(2) दाँतों में कभी भी कोई तीखी चीज़ नहीं मारनी चाहिए।
(3) कठोरै बोतलों के ढक्कन अथवा कठोर खाने वाली चीजें दाँतों से न खोलें/तोड़ें।
(4) हमें बहुत अधिक गर्म और ठंडी चीजों का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
(5) किसी दूसरे का ब्रश प्रयोग में नहीं लाना चाहिए।
(6) दाँतों को रेत, कोयले की राख आदि से साफ नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे दाँतों की ऊपरी परत को हानि पहुँचती है।
(7) पान, गुटका, तम्बाकू आदि दाँतों एवं मसूड़ों के लिए घातक होते हैं। इसलिए इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
(8) यदि दाँत खराब हो जाएँ तो निकलवा लेने चाहिएँ ताकि छूत के कारण दूसरे दाँत भी खराब न हो जाएँ।।
(9) प्रतिदिन सुबह उठकर और रात को सोने से पहले ब्रश करना चाहिए और खाना खाने के पश्चात् कुल्ला करना चाहिए।
(10) दाँतों की मजबूती के लिए कैल्शियम एवं विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थों; जैसे गाजर, मूली, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, … आँवला, नींबू, टमाटर, बन्दगोभी आदि का सेवन करना चाहिए।

प्रश्न 6.
कानों एवं नाखूनों की सफाई पर संक्षिप्त नोट लिखें। अथवा कानों तथा नाखूनों की सफाई करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
कानों की सफाई (Cleanliness of Ears):
कान सुनने की शक्ति रखते हैं। कान की बाहरी बनावट टेढ़ी और कठोर दिखाई देती है परंतु अंदर इसका पर्दा नाजुक होता है। यदि कान में कोई फोड़ा अथवा फुसी हो जाए तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कोई तेज दवाई डालने से कान के पर्दे को नुकसान पहुँच सकता है। कान में कभी भी कोई नुकीली चीज़ नहीं मारनी चाहिए। इससे कान में चोट लग सकती है। यदि कान में दर्द है तो समय पर इसका इलाज करवाना चाहिए, नहीं तो पीब (Pus) पड़ने का डर होता है और पर्दा भी गल सकता है। कान को साफ करने के लिए खुरदरे और मोटे तिनके पर अच्छी प्रकार से रूई लपेटकर हाइड्रोजन परऑक्साइड में भिगोकर साफ करें। यह सप्ताह में एक बार अवश्य करें। नहाने के पश्चात् कान के बाहरी भाग को जरूर साफ करना चाहिए। स्वयं को शोरगुल से दूर रखना चाहिए।

नाखूनों की सफाई (Cleanliness of Nails):
हाथों व पैरों की उँगलियों के आगे कठोर बढ़ा हुआ भाग नाखून होता है। इसकी सफाई मनुष्य के शरीर के बाकी अंगों की भाँति बहुत जरूरी है। नाखूनों को साफ न करने से कई हानियाँ हो सकती हैं। अतः नाखूनों की सफाई के लिए निम्नलिखित कार्य करने चाहिएँ
(1)नाखून बढ़ने नहीं देने चाहिएँ अर्थात् समय-समय पर बढ़े हुए नाखूनों को काटते रहना चाहिए, ताकि इनमें मैल आदि न जमा हो सके।
(2) खाना खाने से पहले और बाद में हाथ साबुन आदि से धोने चाहिएँ।
(3) नाखून दाँतों से नहीं तोड़ने चाहिए। इससे नाखूनों के बीच वाली मैल मुँह द्वारा हमारे शरीर के अंदर पहुँच जाती है और कई प्रकार की बीमारियाँ पैदा करती है।
(4) नाखून ब्लेड और कैंची से भी नहीं काटने चाहिएँ, बल्कि इनको नेलकटर से काटना चाहिए।
(5) नाखूनों को सोडियम कार्बोनेट के पानी से धोना चाहिए।
(6) कठोर, खुरदरे, पीले, काले अथवा सफेद धब्बों वाले नाखून डॉक्टर को जरूर दिखा लेने चाहिएँ।
(7) कई फैशन के तौर पर अपने नाखून बढ़ा लेते हैं परंतु ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
(8) पैरों के नाखून भी काटने आवश्यक हैं। इनको न काटने से उँगलियों में दर्द होना शुरू हो जाता है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 7.
व्यायाम क्या है? व्यायाम करने से हमें क्या-क्या लाभ होते हैं?
अथवा
व्यायाम हमारे लिए क्यों आवश्यक है? इसके क्या-क्या फायदे हैं?
उत्तर:
व्यायाम का अर्थ (Meaning of Exercise):
कुछ विशेष तथा तेज शारीरिक क्रियाएँ जो मनुष्य अपनी इच्छानुसार करता है, व्यायाम कहलाता है। जिस प्रकार भोजन, जल और वायु जीवन के लिए आवश्यक हैं उसी प्रकार व्यायाम भी शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। व्यायाम न करने से शरीर आलसी एवं रोगी हो जाता है, जबकि व्यायाम करने से शरीर चुस्त, फुर्तीला व सक्रिय बनता है। व्यायाम करने से शरीर नीरोग रहता है। बुद्धि व स्मरण शक्ति तेज होती है, जिससे मनुष्य दिन-प्रतिदिन उन्नति करता है। व्यायाम से अनेक प्रकार की दुर्बलताएँ दूर हो जाती हैं। इसलिए हमारे लिए व्यायाम बहुत आवश्यक है।
व्यायाम करने के लाभ या फायदे (Advantages of doing Exercise)-व्यायाम करने से होने वाले लाभ. निम्नलिखित हैं

(1) व्यायाम करने से शरीर की माँसपेशियाँ लचकदार तथा मजबूत बनती हैं। शरीर में कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है।
(2) व्यायाम करने से शरीर हृष्ट-पुष्ट रहता है और बुढ़ापा देर से आता है।
(3) व्यायाम करने से भूख अधिक लगती है और पाचन क्रिया ठीक रहती है।
(4) व्यायाम करने से क्षयरोग, दमा और कब्ज आदि नहीं हो सकते। अत: व्यायाम करने से शरीर नीरोग रहता है।
(5) व्यायाम करने से रात को नींद अच्छी आती है।
(6) व्यायाम करने से रक्त का संचार तेज होता है। वृक्क (Kidneys) में रक्त के अधिक पहुँचने से उसके सारे विषैले पदार्थ मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
(7) व्यायाम करने से शरीर के सभी अंग सुचारु रूप से कार्य करते हैं।
(8) व्यायाम करने से नाड़ी प्रणाली स्वस्थ रहती है। ज्ञानेंद्रियों की शक्ति बढ़ जाती है।
(9) व्यायाम करने से फेफड़ों में ऑक्सीजन अधिक पहुँचती है और कार्बन-डाइऑक्साइड भी बाहर निकलती है।
(10) व्यायाम शरीर की बहुत-सी कमियों तथा जोड़ों के रोगों को दूर करने में सहायक होता है।
(11) व्यायाम से हृदय बलशाली हो जाता है तथा धमनियाँ, शिराएँ और केशिकाएँ आदि मजबूत बनती हैं।
(12) व्यायाम करने से टूटी कोशिकाओं को ऑक्सीजन तथा ताजा रक्त मिलता है। इस प्रकार इनकी मुरम्मत हो जाती है।
(13) व्यायाम करने से शरीर में फूर्ति बढ़ती है और आलस्य दूर होता है।
(14) व्यायाम करने से स्मरण शक्ति, तर्क शक्ति एवं कल्पना शक्ति बढ़ती है।

प्रश्न 8.
सोते समय हमें क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिएँ?
उत्तर:
थकान को दूर करने के लिए तथा व्यय हुई शक्ति को पुनः प्राप्त करने के लिए हमें आराम के साथ-साथ नींद की नितांत आवश्यकता होती है। इसलिए परमात्मा ने काम के लिए दिन और विश्राम के लिए रात को बनाया। जब हम प्रकृति के इस नियम का उल्लंघन करते हैं तो अनेक प्रकार के कष्ट सहते हैं। पूरी नींद लेने से थकी माँसपेशियाँ और दिमाग भी ताजा हो जाता है। इसलिए गहरी नींद में सोना भोजन से भी अधिक आवश्यक है।

सोते समय हमें निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिएँ
(1) सोने का कमरा साफ-सुथरा तथा हवादार होना चाहिए।
(2) खिड़कियाँ व रोशनदान हवादार होने चाहिएँ।
(3) प्रतिदिन नियमित समय पर सोना चाहिए।
(4) सोने से दो घंटे पहले कुछ नहीं खाना चाहिए।
(5) मुँह ढककर कभी नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से कार्बन-डाइऑक्साइड फेफड़ों में चली जाती है और ऑक्सीजन नहीं मिलती।
(6) सोने के कमरे में कोयले की अंगीठी जलती हुई छोड़कर कभी नहीं सोना चाहिए।
(7) रात को जल्दी सोना चाहिए और प्रातः जल्दी उठना चाहिए।
(8) रात को सोने से पूर्व चाय या कॉफी के स्थान पर दूध पीना चाहिए।
(9) गर्मियों में सोने से पहले स्नान करना चाहिए। सर्दियों में गर्म पानी से मुँह-हाथ धो लेने चाहिएँ।
(10) सोने वाले स्थान के पास पशु नहीं बाँधने चाहिएँ।
(11) सोते समय शरीर पर हल्के कपड़े होने चाहिएँ।
(12) रात को वृक्षों के नीचे सोना हानिकारक है। इसका कारण यह है कि रात के समय वृक्ष कार्बन-डाइऑक्साइड गैस छोड़ते हैं और ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं। इसलिए ऐसे वातावरण में साँस लेना हानिकारक है।
(13) चिंता, क्रोध तथा दुःखों को भूलकर बिना किसी तनाव के सोना चाहिए।
(14) गर्मी के मौसम में यदि बाहर सोना हो तो मच्छरदानी का प्रयोग करें।
(15) पलंग या चारपाई कद के अनुसार होनी चाहिए। इस पर बिछा हुआ बिस्तर मौसम के अनुसार तथा साफ-सुथरा होना चाहिए।
(16) चारपाई खटमल रहित होनी चाहिए क्योंकि वे मनुष्य का रक्त चूसते हैं तथा गहरी नींद नहीं सोने देते।

प्रश्न 9.
अच्छी मुद्रा या आसन (Good Posture) के लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शरीर की किसी एक स्थिति को मुद्रा नहीं कहा जाता। हम अपने शरीर को कई अलग-अलग ढंगों से टिकाते हैं। शरीर को स्थिर रखने की स्थितियों को मुद्रा या आसन कहा जाता है। शरीर को बिना तकलीफ उठाना, बैठाना, घुमाना आदि मुद्रा में ही आते हैं । शरीर की प्रत्येक प्रकार की स्थिति ठीक हो अथवा गलत मुद्रा ही कहलाएगी। परंतु गलत और ठीक मुद्रा में बहुत
अंतर होता है। ठीक मुद्रा देखने में सुंदर व आकर्षक लगती है। इससे शरीर की माँसपेशियों पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ता। ठीक मुद्रा वाला व्यक्ति काम करने, चलने-फिरने में चुस्त और फुर्तीला लगता है। भद्दी मुद्रा व्यक्ति के शरीर के लिए अनावश्यक बोझ बन जाती है। इसलिए हमेशा शरीर की स्थिति प्रत्येक प्रकार का आसन (Posture) प्राप्त करते समय ठीक रखनी चाहिए। संक्षेप में, अच्छी मुद्रा के निम्नलिखित लाभ हैं
(1) शरीर को अच्छी स्थिति में रखने से हिलाना-डुलाना आसान हो जाता है और शरीर के दूसरे भागों पर भी भार नहीं पड़ता।
(2) अच्छी मुद्रा शरीर में आत्मविश्वास पैदा करती है।
(3) अच्छी मुद्रा मन को प्रसन्नता एवं खुशी प्रदान करती है।
(4) अच्छी मुद्रा वाले व्यक्ति की कार्य करने में शक्ति कम लगती है।
(5) अच्छी मुद्रा हड्डियों और माँसपेशियों को संतुलित रखती है।
(6) अच्छी मुद्रा वाले व्यक्ति को बीमारियाँ कम लगती हैं।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 10.
भद्दी मुद्रा के कारणों का उल्लेख करते हुए मुद्रा ठीक करने के ढंगों का वर्णन कीजिए। अथवा मुद्रा संबंधी विकार बताइए। मुद्रा संबंधी विकार ठीक करने के तरीकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मुद्रा संबंधी विकार या विकृतियाँ (Postural Deformities): मुद्रा संबंधी विकार या विकृतियाँ निम्नलिखित हैं
(1) कूबड़पन,
(2) कमर का आगे निकलना,
(3) रीढ़ की हड्डी का टेढ़ा होना,
(4) दबी हुई छाती होना,
(5) घुटनों अथवा टखनों का भिड़ना,
(6) गोल कंधे,
(7) टेढ़ी गर्दन,
(8) चपटे पैर आदि।

भद्दी मुद्रा के कारण (Cause of Incorrect Posture): भद्दी मुद्रा के निम्नलिखित कारण हैं
(1) भोजन की कमी के कारण शरीर कमजोर हो जाता है, इस कारण मुद्रा भी ठीक नहीं रहती।
(2) व्यायाम न करने से मुद्रा भद्दी हो जाती है।
(3) घर अथवा स्कूल में सही ढंग से बैठने का प्रबंध न होना।
(4) भारी बैग को ठीक ढंग से न पकड़ना।
(5) तंग कपड़े और तंग जूते पहनना भी मुद्रा के लिए हानिकारक हैं।
(6) पढ़ते समय बैठने के लिए सही कुर्सी या मेज का न होना और कुर्सी पर ठीक से न बैठना।

मुद्रा ठीक रखने के ढंग या तरीके (Methods of Keep Right to Posture): मुद्रा ठीक करने के ढंग निम्नलिखित हैं
(1) बच्चों को ठीक मुद्रा के बारे में जानकारी देनी चाहिए। स्कूल में अध्यापकों और घर में माँ-बाप का कर्त्तव्य है कि बच्चों
की खराब मुद्रा को ठीक करने के लिए निरंतर प्रयास करें।
(2) भोजन की कमी के कारण आई कमजोरी को ठीक करना चाहिए।
(3) बच्चों को न तो तंग कपड़े डालने चाहिएँ और न ही तंग जूते।
(4) हमें गलत ढंग से न तो चलना चाहिए और न ही पढ़ना और बैठना चाहिए।
(5) हमें उचित और पूरी नींद लेनी चाहिए।
(6) बच्चों के स्कूल बैग का भार हल्का होना चाहिए।
(7) आवश्यकतानुसार डॉक्टरी परीक्षण करवाते रहना चाहिए ताकि मुद्रा-त्रुटि को समय पर ठीक किया जा सके।
(8) हमारे घरों, स्कूलों और कॉलेजों में ठीक मुद्रा की जानकारी देने वाले चित्र लगे होने चाहिएँ।
(9) घरों और स्कूलों में पूरे कद वाला शीशा लगा होना चाहिए जिसके आगे खड़े होकर बच्चा अपनी मुद्रा देख सके।
(10) सोते समय शरीर को अधिक मोड़ना नहीं चाहिए।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आसनों या मुद्राओं (Postures) पर संक्षिप्त नोट लिखें
(क) बैठने की मुद्रा
(ख) खड़े होने की मुद्रा
(ग) चलने की मुद्रा
(घ) लेटने की मुद्रा।
उत्तर:
(क) बैठने की मुद्रा (Posture of Sitting):
कई कामों में हमें अधिक देर तक बैठना पड़ता है। अधिक देर बैठने से धड़ की माँसपेशियाँ थक जाती हैं और धड़ में कई दोष आ जाते हैं। बैठते समय रीढ़ की हड्डी सीधी, छाती आमतौर पर खुली, कंधे समतल, पेट स्वाभाविक तौर पर अंदर की ओर, सिर और धड़ सीधी स्थिति में होने चाहिए। बच्चे स्कूल में अधिक समय बैठते हैं परंतु घर में चलते-फिरते रहते हैं। बैठने वाला स्थान हमेशा खुला और समतल होना चाहिए। बैठने वाला स्थान साफ-सुथरा हो। देखा जाता है कि कई व्यक्ति सही ढंग से बैठकर नहीं पढ़ते। पढ़ते समय हमें ऐसी मुद्रा में बैठना चाहिए जिससे आँखों व शरीर पर कम-से-कम दबाव पड़े। लिखने के लिए मेज या डैस्क का झुकाव आगे की ओर होना चाहिए। हमें कभी भी सिर झुकाकर न तो पढ़ना चाहिए और न ही लिखना चाहिए। इससे हमारी रीढ़ की हड्डी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। गलत ढंग से बैठने से शरीर में कई विकार पैदा हो सकते हैं।

(ख) खड़े होने की मुद्रा (Posture of Standing):
गलत ढंग से खड़े होने अथवा चलने से भी शरीर में थकावट आ जाती है। खड़े होने के दौरान शरीर का भार दोनों पैरों पर बराबर होना चाहिए। खड़े होने के दौरान पेट सीधा, छाती फैली हुई और धड़ सीधा होना चाहिए। ठीक ढंग से खड़े होने से हमारे शरीर में रक्त की गति ठीक रहती है। यदि आपको अधिक देर खड़े होना पड़े तो दोनों पैरों पर बदल-बदल कर खड़े होना चाहिए ताकि प्रत्येक टाँग पर शरीर का भार बारी-बारी पड़े।

(ग) चलने की मुद्रा (Posture of Walking):
हमारी चाल हमेशा सही होनी चाहिए। ठीक चाल से अच्छा प्रभाव पड़ता है। चलते समय पंजे और एड़ियों पर ठीक भार पड़ना चाहिए। अच्छी चाल वाला व्यक्ति प्रत्येक मनुष्य को अपनी ओर आकर्षित करता है। चलते समय पैरों का अंतर समान रहना चाहिए। हाथ आगे पीछे आने-जाने चाहिएँ। घुटने आपस में टकराने नहीं चाहिएँ। चलते समय पैरों की रेखाएँ चलने की दिशा की रेखा के समान होनी चाहिएँ।

(घ) लेटने की मुद्रा (Posture of Lying):
लेटते समय हमारा शरीर विश्राम अवस्था में और शांत होना चाहिए। सोते समय शरीर प्राकृतिक तौर पर टिका होना चाहिए। हमें सोते समय कभी भी गलत ढंग से नहीं लेटना चाहिए। इससे हमारे रक्त के संचार पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे श्वास क्रिया भी रुक जाने का खतरा पैदा हो सकता है। गर्दन अथवा अन्य किसी भाग की. नाड़ी आदि चढ़ जाने का खतरा रहता है।

प्रश्न 12.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं
1. व्यायाम (Exercises):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को व्यायाम अर्थात् शारीरिक गतिविधियाँ काफी प्रभावित करती हैं। व्यायाम करने से शरीर की उचित वृद्धि एवं विकास होता है। व्यायाम शरीर के सभी अंगों की कार्यक्षमता को सुचारू करने में सहायक होता है। व्यायाम करने से न केवल हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य का विकास होता है बल्कि यह सर्वांगीण विकास में सहायक होता है।

2. भोजन (Food):
हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य को सबसे अधिक भोजन प्रभावित करता है। यदि हमारे भोजन में सभी आवश्यक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में हैं तो इनका हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। हमारे शारीरिक अंगों की कार्यक्षमता बढ़ती है। इसलिए हमारा भोजन संतुलित एवं पौष्टिक होना चाहिए।

3. नशीले पदार्थों से परहेज (Away from Intoxicants):
हमारे स्वास्थ्य के लिए नशीले पदार्थों का सेवन सबसे अधिक हानिकारक है। इन पदार्थों के सेवन से हमारे शरीर के सभी पहलुओं या पक्षों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इनके सेवन से हमारा शरीर अनेक रोगों से ग्रस्त हो जाता है। इसलिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इन पदार्थों के सेवन से स्वयं को बचाना चाहिए।

4. भोजन संबंधी आदतें (Food Related Habits):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए भोजन करने संबंधी आदतें भी महत्त्वपूर्ण होती हैं। खाने-पीने की आदतें जितनी उचित होंगी, व्यक्ति का स्वास्थ्य भी उतना अच्छा होगा।

5. चिकित्सा जाँच (Medical Checkup):
नियमित चिकित्सा जाँच स्वास्थ्य के सभी पक्षों को प्रभावित करती है। नियमित चिकित्सा जाँच से हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहता हैं और शारीरिक अंग रोगमुक्त रहते हैं।

6. आसन (Posture):
आसन भी हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसलिए हमें उचित आसन की आदत डालनी चाहिए।

7. विश्राम एवं निद्रा (Rest and Sleep):
विश्राम एवं निद्रा न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं बल्कि सभी प्रकार के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। सामान्य तौर पर व्यक्ति को आठ घंटे तक सोना चाहिए। लंबी अवधि तक कार्य करने के बीच में थोड़ा-बहुत विश्राम कर लेना चाहिए।

8. अच्छी आदतें (Good Habits):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को अच्छी आदतें भी प्रभावित करती हैं। अच्छी आदतें हमारी दिनचर्या को प्रभावित करती हैं; जैसे जल्दी सोना, जल्दी उठना, दाँतों पर नियमित ब्रश करना, स्नान करने के बाद नाश्ता करना आदि। अच्छी आदतों से हमारा आसन और स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 13.
व्यक्तित्व के विकास में स्वास्थ्य की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अधिकांश लोग स्वास्थ्य के महत्त्व को नहीं समझते। हम जब भी स्वास्थ्य की बात करते हैं तो हमारा ध्यान शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित रहता है। हम शरीर के अन्य पहलुओं के बारे में नहीं सोचतें। अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता हम सभी को है। एक व्यक्ति को स्वस्थ तभी कहा जाता है जब उसका शरीर स्वस्थ एवं मन साफ व शांत हो। वास्तव में अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना संपूर्ण स्वास्थ्य का नाम है जिसमें शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, व्यक्तिगत स्वास्थ्य, सामाजिक स्वास्थ्य एवं बौद्धिक स्वास्थ्य आदि शामिल हैं। स्वास्थ्य का व्यक्ति के व्यक्तित्व को सुधारने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। स्वास्थ्य निम्नलिखित प्रकार से व्यक्तित्व में अपना योगदान देता है

(1) स्वास्थ्य जीवन को बढ़ाने के लिए कौशल और ज्ञान को विकसित करने की क्षमता बढ़ाता है। हमारी बौद्धिक क्षमता हमारी रचनात्मकता को प्रोत्साहित करती है जिससे हमारा व्यक्तित्व आकर्षिक बनता है।
(2) अच्छे स्वास्थ्य का हमारे शरीर के प्रत्येक पहलू पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। हमारा शरीर चुस्त, फुर्तीला एवं मजबूत बनता है जिससे हमारा व्यक्तित्व काफी आकर्षित लगता है।
(3) स्वास्थ्य संबंधी जानकारी होने से शरीर नीरोग रहता है जो शरीर रोगमुक्त होता है और उसका जीवनकाल भी अधिक होता है अर्थात् शरीर को विकारों से मुक्त बनाए रखता है और हमेशा अच्छा महसूस कराता है।
(4) अच्छे स्वास्थ्य से खुशी एवं प्रसन्नता महसूस होती है। प्रसन्नता एवं खुशी से व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता चलता है।
(5) किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को उसका स्वभाव सबसे अधिक प्रभावित करता है। जो व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर एवं बीमार होता है उसमें अनेक विकार पैदा हो जाते हैं; जैसे क्रोध करना, चिंता करना, घृणा करना आदि। परन्तु जो व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ या रोगमुक्त होता है वह अपने मनोविकारों पर नियंत्रण करने में समर्थ होता है। इस प्रकार स्वास्थ्य व्यक्ति के स्वभाव को सुधारने में सहायक होता है जिससे उसका व्यक्तित्व अन्य व्यक्तियों से अधिक आकर्षित एवं अच्छा होता है।
(6) अच्छे स्वास्थ्य से शारीरिक सुंदरता में वृद्धि होती है। शारीरिक सुंदरता का आकर्षण व्यक्तित्व के विकास में योगदान देता है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि आप सुंदर नहीं हैं तो आपका व्यक्तित्व आकर्षक नहीं हो सकता।
(7) अच्छा स्वास्थ्य व्यक्ति के आत्मविश्वास को बढ़ाता है और आत्मविश्वास व्यक्तित्व की कुंजी है।

निष्कर्ष (Conclusion):
उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि अच्छा स्वास्थ्य व्यक्तित्व की कुंजी है। आकर्षित व्यक्तित्व से कोई भी व्यक्ति किसी को भी प्रभावित कर सकता है। स्वास्थ्य न केवल व्यक्तित्व के विकास में सहायक होता है बल्कि यह शरीर के प्रत्येक पहलू के विकास में सहायक होता है। इसलिए हमें स्वास्थ्य के बारे में संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए।

लघूत्तरात्मक प्रश्न [Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
कानों की सफाई करते समय किन-किन बातों की ओर ध्यान देना चाहिए?
उत्तर:
कान सुनने की शक्ति रखते हैं। कान की बाहरी बनावट टेढ़ी और कठोर दिखाई देती है परंतु अंदर इसका पर्दा नाजुक होता है। यदि कान में कोई फोड़ा अथवा फुसी हो जाए तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कोई तेज दवाई डालने से कान के पर्दे को .. नुकसान पहुंच सकता है। कान में कभी भी कोई नुकीली चीज़ नहीं मारनी चाहिए। इससे कान में चोट लग सकती है। यदि कान में दर्द है तो समय परं इसका इलाज करवाना चाहिए, नहीं तो पीब (Pus) पड़ने का डर होता है और पर्दा भी गल सकता है। कान को साफ करने के लिए खुरदरे और मोटे तिनके पर अच्छी प्रकार से रूई लपेटकर हाइड्रोजन परऑक्साइड में भिगोकर साफ करें। यह सप्ताह में एक बार अवश्य करें। नहाने के पश्चात् कान के बाहरी भाग को जरूर साफ करना चाहिए। स्वयं को शोरगुल से दूर रखना चाहिए।

प्रश्न 2.
नाखूनों की सफाई करते समय किन-किन बातों की ओर ध्यान देना चाहिए?
उत्तर:
नाखूनों की सफाई के लिए हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
(1) नाखून बढ़ने नहीं देने चाहिएँ अर्थात् समय-समय पर बढ़े हुए नाखूनों को काटते रहना चाहिए, ताकि इनमें मैल आदि न जमा हो सके।
(2) खाना खाने से पहले और बाद में हाथ साबुन आदि से धोने चाहिएँ।
(3) नाखून दाँतों से नहीं तोड़ने चाहिएँ। इससे नाखूनों के बीच वाली मैल मुँह द्वारा हमारे शरीर के अंदर पहुँच जाती है और कई प्रकार की बीमारियाँ पैदा करती है।
(4) नाखून ब्लेड और कैची से भी नहीं काटने चाहिएँ, बल्कि इनको नेलकटर से काटना चाहिए।
(5) नाखूनों को सोडियम कार्बोनेट के पानी से धोना चाहिए।
(6) कठोर, खुरदरे, पीले, काले अथवा सफेद धब्बों वाले नाखून डॉक्टर को जरूर दिखा लेने चाहिएँ।
(7) कई फैशन के तौर पर अपने नाखून बढ़ा लेते हैं परंतु ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

प्रश्न 3.
व्यायाम करने के कोई पाँच लाभ बताएँ। उत्तर-व्यायाम करने से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं
(1) व्यायाम करने से शरीर की माँसपेशियाँ लचकदार तथा मजबूत बनती हैं। शरीर में कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है।
(2) व्यायाम करने से शरीर हृष्ट-पुष्ट रहता है और बुढ़ापा देर से आता है।
(3) व्यायाम करने से भूख अधिक लगती है और पाचन क्रिया ठीक रहती है।
(4) व्यायाम करने से रात को नींद अच्छी आती है।
(5) व्यायाम करने से रक्त का संचार तेज होता है। वृक्क (Kidneys) में रक्त के अधिक पहुंचने से उसके सारे विषैले पदार्थ मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।

प्रश्न 4.
बालों की सफाई न रखने या करने से होने वाली हानियाँ बताएँ। उत्तर-यदि बालों को सही ढंग से साफ न किया जाए तो इससे निम्नलिखित हानियाँ हो सकती हैं
(1) बालों की सफाई न करने से सिर में सिकरी (Dandruff) हो जाती हैं।
(2) बालों की नियमित सफाई न करने से ये कमजोर हो जाते हैं।
(3) सिर में जुएँ आदि हो जाती हैं।
(4) बालों की सफाई न करने से बाल सड़ने लगते हैं।
(5) समय से पहले बाल सफेद होने लगते हैं।

प्रश्न 5.
भद्दी मुद्रा के मुख्य कारण बताएँ।
उत्तर:
भद्दी मुद्रा के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
(1) भोजन की कमी के कारण शरीर कमजोर हो जाता है, इस कारण मुद्रा भी ठीक नहीं रहती।
(2) व्यायाम न करने से मुद्रा भद्दी हो जाती है।
(3) घर अथवा स्कूल में सही ढंग से बैठने का प्रबंध न होना।
(4) भारी बैग को ठीक ढंग से न पकड़ना।
(5) तंग कपड़े और तंग जूते पहनना भी मुद्रा के लिए हानिकारक हैं।
(6) पढ़ते समय बैठने के लिए सही कुर्सी या मेज का न होना और कुर्सी पर ठीक से न बैठना।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 6.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले किन्हीं चार कारकों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले चार कारक निम्नलिखित हैं
(1) व्यक्तिगत स्वास्थ्य को व्यायाम अर्थात् शारीरिक गतिविधियाँ काफी प्रभावित करती हैं। व्यायाम करने से शरीर की उचित वृद्धि एवं विकास होता है। व्यायाम शरीर के सभी अंगों की कार्यक्षमता को सुचारु करने में सहायक होता है। व्यायाम करने से न केवल हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य का विकास होता है बल्कि यह सर्वांगीण विकास में सहायक होता है।

(2) हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य को सबसे अधिक भोजन प्रभावित करता है। यदि हमारे भोजन में सभी आवश्यक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में हैं तो इनका हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। हमारे शारीरिक अंगों की कार्यक्षमता बढ़ती है। इसलिए हमारा भोजन संतुलित एवं पौष्टिक होना चाहिए।

(3) हमारे स्वास्थ्य के लिए नशीले पदार्थों का सेवन सबसे अधिक हानिकारक है। इन पदार्थों के सेवन से हमारे शरीर के सभी पहलुओं या पक्षों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इनके सेवन से हमारा शरीर अनेक रोगों से ग्रस्त हो जाता है। इसलिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इन पदार्थों के सेवन से स्वयं को बचाना चाहिए।

(4) व्यक्तिगत स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए भोजन करने संबंधी आदतें भी महत्त्वपूर्ण होती हैं। खाने-पीने की आदतें जितनी उचित होंगी, व्यक्ति का स्वास्थ्य भी उतना अच्छा होगा।

प्रश्न 7.
हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से पड़ती है
(1) एक अच्छा, स्वस्थ व सुडौल शरीर बनाने के लिए।
(2) माँसपेशियों में निरंतर शक्ति संचार बनाए रखने के लिए।
(3) दाँतों को नष्ट होने से बचाने के लिए।
(4) त्वचा को साफ-सुथरा व स्वस्थ रखने तथा रोगों से मुक्त रखने के लिए।
(5) संक्रमण रोगों की रोकथाम एवं बचाव करने के लिए।
(6) आँख, कान एवं नाक को स्वस्थ तथा रोगों से मुक्त रखने के लिए।
(7) व्यक्ति में ऊर्जा या शक्ति को बनाए रखने तथा कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए।
(8) शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति को बनाए रखने के लिए।

प्रश्न 8.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिएँ
(1) आयु और आवश्यकतानुसार व्यायाम अथवा सैर करें।
(2) पौष्टिक और संतुलित भोजन खाएँ।
(3) प्रतिदिन स्नान करके साफ व स्वच्छ कपड़े पहनें।
(4) समय-समय पर शरीर का डॉक्टरी परीक्षण करवाएँ।
(5) अच्छी आदतों को अपनाएँ।

प्रश्न 9.
त्वचा के हमारे शरीर के लिए क्या लाभ हैं?
अथवा
त्वचा के प्रमुख कार्य क्या हैं?
उत्तर:
त्वचा के हमारे शरीर के लिए निम्नलिखित लाभ या कार्य हैं-
(1) त्वचा शरीर को ढककर रखती है।
(2) यह शरीर का तापमान स्थिर रखती है।
(3) यह शरीर के अंदर बीमारी के कीटाणुओं को प्रवेश होने से रोकती है।
(4) त्वचा शरीर को सुंदरता प्रदान करती है।

प्रश्न 10.
त्वचा की सफाई के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? अथवा नहाते समय हमें किन नियमों की पालना करनी चाहिए?
उत्तर:
त्वचा हमारे शरीर की चारदीवारी है। यह हमारे शरीर के आंतरिक अंगों को ढकती है और उसकी रक्षा करती है। यह हमारे शरीर का तापमान ठीक रखती है। इसके द्वारा हमारे शरीर में से पसीना और अन्य बदबूदार पदार्थों का निकास होता है। इसको स्पर्श करने से ही किसी बाहरी वस्तु के गुण और लक्षणों का ज्ञान होता है। त्वचा शरीर को सुंदरता प्रदान करती है। इसलिए हमें अपनी त्वचा की नियमित सफाई करनी चाहिए और इसकी सफाई का सबसे उत्तम ढंग प्रतिदिन स्वच्छ पानी से स्नान करना या नहाना है। नहाने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना बहुत आवश्यक है
(1) नहाने से पहले पेट साफ और खाली होना चाहिए।
(2) खाने के तुरंत पश्चात् नहीं नहाना चाहिए।
(3) व्यायाम अथवा बहुत थकावट के एकदम पश्चात् नहीं नहाना चाहिए।
(4) सर्दियों में नहाने से पहले धूप में शरीर की मालिश करें। यह शरीर को विटामिन ‘डी’ देने के लिए उपयोगी होता है।
(5) ताजे और स्वच्छ पानी से नहाना लाभदायक होता है।
(6) नहाने के लिए साबुन का प्रयोग कम करना चाहिए। नहाने के लिए उपयुक्त साबुन, जिसमें क्षार की मात्रा कम हो, प्रयोग में लेना हितकर है।
(7) नहाने के पश्चात् शरीर को साफ तौलिए या साफ कपड़े से पौंछकर स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिएँ।
(8) शरीर को पौंछने के लिए अपने स्वयं का ही तौलिया काम में लाना चाहिए।

प्रश्न 11.
बालों की सफाई और संभाल कैसे करनी चाहिए?
उत्तर:
बालों की सफाई और संभाल निम्नलिखित प्रकार से करनी चाहिए
(1) नहाने के पश्चात् बालों को तेल लगाएँ परंतु बाल बहुत चिकने न हों।
(2) प्रतिदिन सुबह और सोने से पहले बालों में कंघी करनी चाहिए।
(3) हमें कभी भी गिले बालों में कंघी नहीं करनी चाहिए।
(4) बालों को हमेशा हर्बल व प्राकृतिक शैंपू से ही धोना चाहिए।
(5) बालों पर कंघी करने के बाद इसको साफ कर लेना चाहिए और दूसरों की कंघी कभी भी प्रयोग नहीं करनी चाहिए।
(6) बालों की चमक एवं मजबूती हेतु सप्ताह में एक बार बालों पर तेल की मालिश जरूर करनी चाहिए।

प्रश्न 12.
व्यायाम करते समय कौन-कौन-सी सावधानियाँ अपनानी चाहिएँ? उत्तर-व्यायाम करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ अपनानी चाहिएँ
(1) व्यायाम सदैव खुली हवा, खुली जगह पर करना चाहिए अर्थात् खुले एवं स्वच्छ वातावरण में करना चाहिए। इससे रक्त में अधिक ऑक्सीजन जाती है।
(2) व्यायाम करने के शीघ्र बाद नहाना नहीं चाहिए। इससे स्वास्थ्य बिगड़ने का डर रहता है।
(3) व्यायाम प्रात:काल या सायंकाल करना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद किसी भी प्रकार का व्यायाम लाभदायक नहीं होता।
(4) शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्तियों एवं वृद्धों को आसान व्यायाम करने चाहिएँ।
(5) व्यायाम के बाद थोड़ा विश्राम करना चाहिए।
(6) व्यायाम करने के पश्चात् कुछ समय शरीर को ढीला छोड़कर लंबे तथा गहरे साँस लेने चाहिएँ।
(7) बीमारी में या बीमारी से उठने के शीघ्र बाद व्यायाम नहीं करना चाहिए।
(8) व्यायाम करते समय न अधिक तंग और न अधिक खुले कपड़े पहनने चाहिएँ।
(9) व्यायाम सदा सावधानी से और नियमों के अनुसार ही करना चाहिए।

प्रश्न 13.
दाँतों की संभाल कैसे की जानी चाहिए?
उत्तर:
दाँतों की संभाल अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी है, इसलिए इनकी संभाल के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिएँ.
(1) प्रतिदिन सुबह-शाम ब्रश करना चाहिए।
(2) बहुत गर्म और बहुत ठंडी चीजें खाने से परहेज करें।
(3) यदि दाँत में खोल हो जाए तो तुरंत भरवा लेना चाहिए।
(4) प्रतिदिन कीकर, नीम और फलाही या टाहली की दातुन यदि संभव हो तो करें।
(5) प्रतिदिन खाने के पश्चात् साफ पानी से कुल्ला करें और सुबह-शाम दंत-मंजन करें।

प्रश्न 14.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य की महत्ता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
हमारे लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे लिए निम्नलिखित प्रकार से उपयोगी होता है
(1) जो व्यक्ति अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रति सजग रहता है उसका व्यक्तित्व आकर्षित एवं प्रभावित होता है।
(2) शरीर की छवि आत्म-सम्मान, आत्म-विश्वास आदि को प्रभावित करती है। अत: व्यक्तिगत स्वास्थ्य से आत्मविश्वास में बढोत्तरी होती है।
(3) व्यक्तिगत स्वास्थ्य के कारण अनेक प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है।
(4) व्यक्तिगत स्वास्थ्य के कारण शारीरिक अंगों; जैसे आँख, नाक, कान, त्वचा, दाँत आदि पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
(5) व्यक्तिगत स्वास्थ्य के कारण हमारी कार्यक्षमता एवं योग्यता में वृद्धि होती है।
(6) व्यक्तिगत स्वास्थ्य के कारण हमारा शरीर नीरोग रहता है। हमारे शरीर की रोग निरोधक क्षमता पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
(7) व्यक्तिगत स्वास्थ्य हमारे आसन को ठीक करने में सहायक होता है।
(8) यह हमारी हीन भावनाओं को दूर करने में सहायक होता है।
(9) यह हमारे व्यक्तित्व को आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाने में हमारी सहायता करता है।
(10) यह हमारी अच्छी आदतों को विकसित करने में सहायता करता है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 15.
लेटते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
लेटते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
(1) लेटते समय शरीर विश्राम की स्थिति में होना चाहिए।
(2) तकिया बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए।
(3) सोते समय शरीर प्राकृतिक रूप से टिका होना चाहिए।
(4) सोते समय कठोर गद्दे का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे गद्दे पर लेटने से शरीर का आसन सही रहता है।
(5) कभी भी लेटकर नहीं पढ़ना चाहिए।

प्रश्न 16.
मुद्रा ठीक रखने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर:
मुद्रा ठीक रखने के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिएँ
(1) बच्चों को ठीक मुद्रा के बारे में जानकारी देनी चाहिए। स्कूल में अध्यापकों और घर में माँ-बाप का कर्तव्य है कि बच्चों की खराब मुद्रा को ठीक करने के लिए निरंतर प्रयास करें।
(2) भोजन की कमी के कारण आई कमजोरी को ठीक करना चाहिए।
(3) बच्चों को न तो तंग कपड़े पहनने चाहिएँ और न ही तंग जूते।
(4) हमें गलत ढंग से न तो चलना चाहिए और न ही पढ़ना और बैठना चाहिए।
(5) उचित और पूरी नींद लेनी चाहिए।
(6) बच्चों के स्कूल बैग का भार हल्का होना चाहिए।
(7) आवश्यकतानुसार डॉक्टरी परीक्षण करवाते रहना चाहिए ताकि मुद्रा-त्रुटि को समय पर ठीक किया जा सके।
(8) हमारे घरों, स्कूलों और कॉलेजों में ठीक मुद्रा की जानकारी देने वाले चित्र लगे होने चाहिएँ।
(9) घरों और स्कूलों में पूरे कद वाला शीशा लगा होना चाहिए जिसके आगे खड़े होकर बच्चा अपनी मुद्रा देख सके।
(10) सोते समय शरीर को अधिक मोड़ना नहीं चाहिए।

प्रश्न 17.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रमुख नियमों का उल्लेख कीजिए। उत्तर-व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं
(1) शरीर के आंतरिक अंगों; जैसे दिल, फेफड़े, जिगर, आमाशय, तिल्ली, गुर्दे और बाहरी अंग; जैसे हाथ, आँख, कान, नाक, दाँत, त्वचा, पैर और बाल आदि की जानकारी प्राप्त करके इनकी संभाल करनी चाहिए।
(2) अपनी आयु के अनुसार और समय पर नींद लेनी चाहिए।
(3) समय-समय पर अपने शरीर का डॉक्टरी परीक्षण करवाना चाहिए।
(4) सदा साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिएँ और संतुलित भोजन का प्रयोग करना चाहिए।
(5) कपड़ों और घर को सदा साफ रखना चाहिए।
(6) सदा प्रसन्न रहना चाहिए।
(7) ऋतु और मौसम के अनुसार पहनावा पहनना चाहिए।
(8) खुले एवं स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए।
(9) सदा नाक द्वारा श्वास लेनी चाहिए।

प्रश्न 18.
हाथों की सफाई करने की विधि बताइए।
उत्तर:
हाथ हमारे शरीर के ऐसे अंग हैं, जिनके द्वारा प्रत्येक कार्य किए जाते हैं; जैसे-खाना-पीना, लिखना, घरेलू कार्य करना आदि। हमें खाना खाते समय, खाना खाने के बाद तथा किसी भी कार्य को करने के बाद अच्छी तरह हाथ साफ करने चाहिएँ। हाथ साफ करने की विधि निम्नलिखित हैं
(1) पानी के बहाव को समायोजित करें जिससे यह छलके न।
(2) अपने हाथों को गीला करें।
(3) अपने गीले हाथों पर साबुन लगाकर अच्छे से रगड़ें।
(4) हथेलियों, हाथों के पिछले भाग और कलाइयों पर झाग मलें। अपने हाथों को सभी तरफ, अपनी उंगलियों के बीच और अपने नाखूनों के आस-पास कम-से-कम 20 सेकिण्ड तक रगड़ें। अपने नाखूनों के नीचे और आस-पास सफाई करने के लिए नाखून के ब्रश या किसी पुराने टूथब्रश का इस्तेमाल कर सकते हैं।
(5) अपने हाथों को चलते पानी से अच्छी तरह से धोएँ।
(6) पानी के नल को बन्द करने के लिए अपने हाथ में कागज़ या साफ तौलिए का उपयोग करें। इससे आपका साफ हाथ नल के हैंडल, जो साफ नहीं होता, से छूने से बचा रहता है।
(7) अब अपने हाथों को सुखा लें।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न  [Very Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य दो शब्दों से मिलकर बना है-‘व्यक्ति’ एवं स्वास्थ्य’। इससे स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य की सफाई के सिद्धांत जो व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर व्यवहार में लाए जाते हैं। इसके लिए व्यक्ति को स्वयं ही प्रयत्नशील होना पड़ता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधी आचरण; जैसे शरीर की स्वस्थता, दाँतों की सफाई, आँखों की सफाई, बालों की सफाई, हाथों की सफाई, भोजन, आहार, व्यायाम तथा मद्यपान संबंधी नियमों का पालन आदि इसके अंतर्गत आते हैं। इनके प्रति लापरवाही हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। उदाहरण के लिए, दाँतों की सफाई न करने से दाँतों पर जमे रोगाणुओं से दाँतों में कृमि एवं अन्य विकार पैदा हो सकते हैं। इसलिए हमें व्यक्तिगत स्वच्छता की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

प्रश्न 2.
त्वचा की सफाई रखनी क्यों आवश्यक है? अथवा त्वचा की सफाई की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
यदि त्वचा की सफाई न रखी जाए तो पसीना और त्वचा में से निकले हुए बदबूदार पदार्थ शरीर पर जम जाते हैं, जिसके कारण शरीर को त्वचा की बीमारियाँ लगने का डर रहता है। इसलिए त्वचा की सफाई रखना उतना ही आवश्यक है, जितना कि जीवित रहने के लिए भोजन।

प्रश्न 3.
अच्छी मुद्रा क्या है?
उत्तर:
अच्छी मुद्रा का अर्थ, व्यक्ति के सही एवं उचित संतुलन से है जब वह बैठा हो, खड़ा हो, पढ़ रहा हो, पैदल चल रहा हो, भाग रहा रहो या कोई क्रिया कर रहा हो। इसका अर्थ यह है कि अच्छी मुद्रा शरीर की वह स्थिति है जिससे व्यक्ति को थकान महसूस नहीं होती या बहुत कम होती है।

प्रश्न 4.
बालों की सफाई क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
बालों की सफाई करने से बाल मजबूत और स्वस्थ बने रहते हैं। बालों को हमेशा हर्बल या प्राकृतिक शैंपू से साफ करना चाहिए, क्योंकि इससे बालों को आवश्यक पोषण मिलता है और लम्बे समय तक बाल सुरक्षित रहते हैं।

प्रश्न 5.
गीले बालों में कंघी क्यों नहीं करनी चाहिए?
उत्तर:
गीले बालों में कंघी करने से बाल कमजोर होकर टूटने लगते हैं। इसलिए गीले बालों में कंघी नहीं करनी चाहिए। गीले बालों को सुखाने के बाद ही कंघी करनी चाहिए।

प्रश्न 6.
कान के पर्दे के बचाव के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर:
कान का पर्दा एक नर्म झिल्ली का बना हुआ होता है, जिसका बचाव बहुत आवश्यक होता है। इसलिए गले की बीमारियों और जुकाम का तुरंत इलाज किया जाए। कान में कोई सख्त और तीखी चीज न डाली जाए। कान में दर्द होने पर कानों में बोरिक एसिड ग्लिसरीन में मिलाकर डालें। मोटे तिनके पर रूई लपेटकर हाइड्रोजन परऑक्साइड में भिगोकर कान साफ करें।

प्रश्न 7.
क्या ठीक चाल शरीर को आकर्षक बनाती है?
अथवा
व्यक्तिगत स्वास्थ्य में चलने की उचित मुद्रा किस प्रकार से सहायक है?
अथवा
चलने की सही मुद्रा क्या है?
उत्तर:
अंग्रेजी भाषा में इसको गेट और पंजाबी में चाल अथवा तोर आदि कहा जाता है। हमारी चाल हमेशा सही होनी चाहिए। ठीक चाल से अच्छा प्रभाव पड़ता है। चलते समय पंजे और एड़ियों पर ठीक भार पड़ना चाहिए। अच्छी चाल वाला व्यक्ति प्रत्येक मनुष्य को अपनी ओर आकर्षित करता है। चलते समय पैरों का अंतर समान रहना चाहिए। हाथ आगे-पीछे आने-जाने चाहिए। घुटने आपस में टकराने नहीं चाहिएँ। चलते समय पैरों की रेखाएँ चलने की दिशा की रेखा के समान होनी चाहिएँ।

प्रश्न 8.
नाक के बाल किस प्रकार से लाभदायक हैं?
उत्तर:
हमें हमेशा नाक द्वारा श्वास लेना चाहिए। नाक में छोटे-छोटे बाल होते हैं। वायु के कीटाणु और मिट्टी इनमें रुक जाती हैं जिससे हमारे अंदर साफ वायु जाती है। नाक के बालों को कभी भी काटना और तोड़ना नहीं चाहिए। यदि हमारे नाक के अंदर ये बाल न हों तो हमारे शरीर के अंदर गंदी हवा प्रवेश कर जाएगी और हमारा शरीर रोग का शिकार हो जाएगा।

प्रश्न 9.
हमें किस आसन में लेटना चाहिए? अथवा व्यक्तिगत स्वास्थ्य में लेटने की उचित मुद्रा किस प्रकार से सहायक है? अथवा लेटने की सही मुद्रा क्या है?
उत्तर:
लेटते समय हमारा शरीर विश्राम अवस्था में और शांत होना चाहिए। सोते समय शरीर प्राकृतिक तौर पर टिका होना चाहिए। हमें सोते समय कभी भी गलत ढंग से नहीं लेटना चाहिए। इससे हमारे रक्त के संचार पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे श्वास क्रिया भी रुक जाने का खतरा पैदा हो सकता है। गर्दन अथवा अन्य किसी भाग की नाड़ी आदि चढ़ जाने का खतरा रहता है।

प्रश्न 10.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य में संतुलित एवं पौष्टिक भोजन किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
स्वस्थ जीवन जीने के लिए भोजन ही मुख्य आधार होता है। वास्तव में हमें भोजन की आवश्यकता न केवल शरीर की खोई हुई शक्ति को पुनः प्राप्त करने के लिए होती है, बल्कि शरीर की वृद्धि एवं विकास के लिए और शरीर को नीरोग रखने के लिए भी होती है। इसलिए इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु व्यक्ति को संतुलित एवं पौष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए। ऐसा भोजन करने से शारीरिक अंगों की कार्यक्षमता पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 11.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले किन्हीं तीन कारकों के नाम बताएँ।
उत्तर:
(1) व्यायाम,
(2) उचित आसन,
(3) विश्राम एवं निद्रा।

प्रश्न 12.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य हेतु.हमें कौन-कौन-सी सफाई करनी चाहिए?
उत्तर:
(1) कपड़ों की सफाई,
(2) आँखों की सफाई,
(3) कान, नाक की सफाई,
(4) दाँतों की सफाई,
(5) मुँह की सफाई,
(6) नाखूनों की सफाई,
(7) त्वचा व बालों की सफाई आदि।

प्रश्न 13.
व्यक्तिगत सफाई (Personal Cleanliness) क्या है?
उत्तर:
व्यक्तिगत सफाई या स्वच्छता से अभिप्राय व्यक्ति का तन, मन और आत्मा से शुद्ध और निर्मल होना है। इसमें व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वच्छता शामिल है। व्यावहारिक रूप में व्यक्तिगत सफाई का तात्पर्य शरीर के अंगों की साफ-सफाई से है।

प्रश्न 14.
नाक साफ न करने से क्या हानि हो सकती है?
उत्तर:
नाक साफ न करने से हमारे शरीर के अंदर गंदी हवा व धूल-कण प्रवेश कर जाएँगे और हमारा शरीर रोगग्रस्त हो जाएगा; जैसे जुकाम आदि हो जाना।

प्रश्न 15.
आराम और नींद में क्या अंतर है?
उत्तर:
आराम और नींद दोनों ही हमारी खोई हुई ऊर्जा या शक्ति को पुनः प्राप्त करने के लिए बहुत ही आवश्यक हैं। आराम या विश्राम के लिए हमारी आखें कभी-कभी बंद रहती हैं, परन्तु हमारा मस्तिष्क सचेत अवस्था में होता है और सक्रिय रूप से कार्य करता है। आराम की अवस्था में हमें आस-पास की गतिविधियों की जानकारी रहती है। दूसरी ओर, नींद की अवस्था में हमारा मस्तिष्क सक्रिय रूप से कार्य नहीं करता। इस अवस्था में हमें आस-पास के वातावरण व गतिविधियों के बारे में कोई चेतना नहीं रहती।

HBSE 9th Class Physical Education व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न [Objective Type Questions]

प्रश्न 1.
हमें अपने बढ़े हुए नाखून किससे काटने चाहिएँ?
उत्तर:
हमें अपने बढ़े हुए नाखून नेलकटर से काटने चाहिएँ।

प्रश्न 2.
हमें शुद्ध और साफ वायु कैसे प्राप्त हो सकती है?
उत्तर:
खुली वायु में रहने और नाक द्वारा श्वास लेने से शुद्ध और साफ वायु प्राप्त हो सकती है।

प्रश्न 3.
त्वचा शरीर में से अनावश्यक पदार्थों का निकास किस रूप में करती है?
उत्तर:
त्वचा शरीर में से अनावश्यक पदार्थों का निकास पसीने के रूप में करती है।

प्रश्न 4.
त्वचा शरीर को क्या प्रदान करती है?
उत्तर:
त्वचा शरीर को सुंदरता प्रदान करती है।

प्रश्न 5.
त्वचा की सफाई का सबसे उत्तम ढंग कौन-सा होता है?
उत्तर:
ताजे पानी से स्नान करना।

प्रश्न 6.
बालों की सुंदरता के लिए बालों का किस प्रकार का होना आवश्यक है?
उत्तर:
घना, मजबूत व चमकदार।

प्रश्न 7.
बालों की सफाई न रखने से बालों में क्या पड़ जाती हैं?
उत्तर:
बालों की सफाई न रखने से बालों में सिकरी व जुएँ पड़ जाती हैं।

प्रश्न 8.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य का कोई एक नियम बताएँ।
उत्तर:
खुले एवं स्वच्छ वातावरण में रहना।

प्रश्न 9.
नाक द्वारा श्वास क्यों लेना चाहिए?
उत्तर:
नाक द्वारा श्वास लेने से हवा कीटाणुरहित, गर्म होकर व छनकर फेफड़ों में प्रवेश करती है।

प्रश्न 10.
दाँतों की संभाल के लिए क्या नहीं खाना चाहिए?
उत्तर:
दाँतों की संभाल के लिए अधिक मिठाइयाँ, ठंडी चीजें व अधिक गर्म चीजें नहीं खानी चाहिएँ।

प्रश्न 11.
त्वचा की कितनी परतें होती हैं?
उत्तर:
त्वचा की दो परतें होती हैं।

प्रश्न 12.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य हेतु कोई एक अच्छी आदत बताएँ।
उत्तर:
जल्दी सोना और जल्दी उठना।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 13.
हमें कैसे वातावरण में सैर करनी चाहिए?
उत्तर:
हमें स्वच्छ एवं खुले वातावरण में सैर करनी चाहिए।

प्रश्न 14.
हमें किस प्रकार का भोजन करना चाहिए?
उत्तर:
हमें पौष्टिक एवं संतुलित भोजन करना चाहिए।

प्रश्न 15.
कान की सफाई किस प्रकार करनी चाहिए?
उत्तर:
कान की सफाई खुरदरे तिनके पर रुई लपेटकर ग्लिसरीन का प्रयोग करके करनी चाहिए।

प्रश्न 16.
हमें दाँतों की सफाई कब करनी चाहिए?
उत्तर:
हमें दाँतों की सफाई सुबह स्नान करने से पहले और रात को सोने से पहले करनी चाहिए।

प्रश्न 17.
हमें कपड़े किसके अनुसार पहनने चाहिएँ?
उत्तर:
हमें कपड़े मौसम के अनुसार पहनने चाहिएँ।

प्रश्न 18.
हमें कब नहीं नहाना चाहिए?
उत्तर:
हमें व्यायाम करने और खाना खाने के तुरंत बाद नहीं नहाना चाहिए।

प्रश्न 19.
वयस्क व्यक्ति को कितने घंटे सोना चाहिए?
उत्तर:
वयस्क व्यक्ति को लगभग 8 घंटे सोना चाहिए।

प्रश्न 20.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बढ़ावा कैसे दिया जा सकता है?
उत्तर:
शरीर के अंगों की उचित सफाई करके व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जा सकता है।

प्रश्न 21.
आँखों की सफाई न करने से कौन-सा रोग सामान्यतया हो सकता है?
उत्तर:
सामान्यतया आँखों की सफाई न करने से फ्लू नामक रोग हो सकता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न [Multiple Choice Questions]

प्रश्न 1.
आँखों की सफाई न रखने से कौन-से रोग हो जाते हैं?
(A) आँखों का फ्लू
(B) आँखों की जलन
(C) कुकरे
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 2.
व्यक्ति के जीवन की अनमोल वस्तु कौन-सी है?
(A) आराम
(B) पैसा
(C) स्वास्थ्य
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) स्वास्थ्य

प्रश्न 3.
व्यक्तिगत स्वच्छता संबंधी नियमों की पालना कब से आरंभ की जानी चाहिए?
(A) युवावस्था से
(B) प्रौढ़ावस्था से
(C) बुढ़ापे में
(D) बचपन से
उत्तर:
(D) बचपन से

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 4.
हमें स्नान कब करना चाहिए?
(A) शौचादि के पश्चात्
(B) खाना खाने से पहले
(C) (A) और (B) दोनों ।
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) और (B) दोनों

प्रश्न 5.
व्यायाम अथवा कार्य करने के पश्चात् कब नहाना चाहिए?
(A) तुरंत
(B) 5 मिनट बाद…
(C) शरीर को ठंडा करने के बाद
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) शरीर को ठंडा करने के बाद

प्रश्न 6.
नहाने से पहले धूप में बैठकर शरीर की मालिश किस मौसम में करनी चाहिए?
(A) गर्मियों में
(B) सर्दियों में
(C) वर्षा में
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) सर्दियों में

प्रश्न 7.
आँखों की सफाई हेतु हमें ध्यान देना चाहिए
(A) आँखों की नियमित सफाई की ओर
(B) आँखों के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थ की ओर
(C) आँखों की नियमित चिकित्सा जाँच की ओर
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 8.
शरीर का सबसे कोमल अंग कौन-सा है?
(A) नाक
(B) कान
(C) आँख
(D) सिर
उत्तर:
(C) आँख

प्रश्न 9.
नंगी आँख से सूर्य की ओर कब बिल्कुल नहीं देखना चाहिए?
(A) सूर्योदय के समय
(B) सूर्यास्त के समय
(C) सूर्यग्रहण के समय
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) सूर्यग्रहण के समय

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 10.
पढ़ते समय किताब आँखों से कितनी दूर रखनी चाहिए?
(A) लगभग 40 सेंटीमीटर
(B) लगभग 60 सेंटीमीटर
(C) लगभग 30 सेंटीमीटर
(D) लगभग 50 सेंटीमीटर
उत्तर:
(C) लगभग 30 सेंटीमीटर

प्रश्न 11.
दाँतों के लिए कौन-से वृक्ष की दातुन करना लाभदायक होता है?
(A) नीम की
(B) कीकर की
(C) फलाही या टाहली की
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 12.
कान का कौन-सा भाग बहुत नर्म झिल्ली का बना होता है?
(A) बाह्य कान
(B) आंतरिक कान
(C) कान का पर्दा
(D) कर्णपट उ
त्तर:
(C) कान का पर्दा

प्रश्न 13.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य के नियम निम्नलिखित हैं
(A) नियमित डॉक्टरी परीक्षण करवाना चाहिए
(B) स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए
(C) संतुलित एवं पौष्टिक भोजन खाना चाहिए
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 14.
“जल्दी सोना और जल्दी उठना, व्यक्ति को समृद्ध, स्वस्थ एवं बुद्धिमान बनाता है।” यह कथन है
(A) बेंजामिन फ्रैंकलिन का
(B) स्वामी विवेकानंद का
(C) गाँधी जी का
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) बेंजामिन फ्रैंकलिन का

प्रश्न 15. कान की सफाई करनी चाहिए
(A) सिर की सूई से
(B) खुरदरे मोटे तिनके पर रूई लपेटकर
(C) कठोर एवं नोकदार सिलाई से
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) खुरदरे मोटे तिनके पर रूई लपेटकर

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 16.
खाना खाते समय क्या करना चाहिए?
(A) खाना खाने से पहले हाथ और नाखून साबुन से धोने चाहिएँ
(B) भोजन चबाकर खाना चाहिए
(C) भोजन बिना बोले करना चाहिए
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 17.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य हेतु निम्नलिखित कथन सही है
(A) प्रतिदिन उठने के बाद साफ पानी से मुँह धोना चाहिए
(B) शौच से निवृत्त के बाद दाँतों की सफाई करनी चाहिए
(C) हमेशा हाथ धोकर ही भोजन करना चाहिए
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 18.
हमें त्वचा की देखभाल हेतु करना चाहिए
(A) नियमित रूप से ताजे पानी से नहाना चाहिए
(B) स्वयं को धूल भरे वातावरण से दूर रखना चाहिए
(C) त्वचा की नियमित सफाई करनी चाहिए।
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व Summary

व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व परिचय

प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन का पूरी तरह आनंद लेना चाहता है। जीवन का पूरा आनंद तभी लिया जा सकता है जब व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा हो। अच्छा स्वास्थ्य आचरण व नियमों पर निर्भर करता है। हमारा दैनिक आचरण, रहन-सहन, खान-पान, व्यवहार विचार आदि हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य (Personal Health):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य से अभिप्राय है कि हम कैसे अपने-आपको मेहनत करने के योग्य, स्वस्थ तथा नीरोग बना सकते हैं जिससे हम अपने जीवन का अधिक-से-अधिक लाभ समाज और देश को दे सकें तथा अपने-आपको नीरोग बना सकें। अतः हम कह सकते हैं कि स्वास्थ्य ही व्यक्ति की सबसे बड़ी संपत्ति है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘व्यक्ति’ एवं ‘स्वास्थ्य’। इससे स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य की सफाई के सिद्धांत जो व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर व्यवहार में लाए जाते हैं। इसके लिए व्यक्ति को स्वयं ही प्रयत्नशील होना पड़ता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधी आचरण; जैसे शरीर की स्वस्थता, दाँतों की सफाई, आँखों की सफाई, बालों की सफाई, हाथों की सफाई, भोजन या आहार, व्यायाम तथा मद्यपान संबंधी नियमों का पालन आदि इसके अंतर्गत आते हैं। इनके प्रति लापरवाही हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकती है।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य की आवश्यकता (Importance of Personal Health):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य व्यक्ति को निम्नलिखित बातों में सहायता करता है
(1) एक अच्छा, स्वस्थ व सुडौल शरीर बनाने में।
(2) मांसपेशियों में निरंतर शक्ति संचार बनाए रखने में।।
(3) दाँतों को नष्ट होने से बचाने में।
(4) त्वचा को साफ-सुथरा व स्वस्थ रखने तथा रोगों से मुक्त रखने में।
(5) संक्रमण रोगों की रोकथाम एवं बचाव करने में। आँख, कान एवं नाक को स्वस्थ तथा रोगों से मुक्त रखने में।
(6) व्यक्ति में ऊर्जा या शक्ति को बनाए रखने तथा कार्यक्षमता बढ़ाने में।
(7) शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति को बनाए रखने में।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व Read More »

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

Haryana State Board HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

HBSE 9th Class Physical Education स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व Textbook Questions and Answers

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न [Long Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य का अर्थ व परिभाषा बताएँ। इसका हमारे लिए क्या महत्त्व है? अथवा स्वास्थ्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं? इसकी हमारे जीवन में क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
स्वास्थ्य का अर्थ (Meaning of Health):
स्वास्थ्य से सभी परिचित हैं। सामान्यतया पारस्परिक व रूढ़िगत संदर्भ में स्वास्थ्य से अभिप्राय बीमारी की अनुपस्थिति से लगाया जाता है, परंतु यह स्वास्थ्य का विस्तृत अर्थ नहीं है। स्वास्थ्य व्यक्ति का वह गुण है, जिसमें वह मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है तथा जिसके सभी शारीरिक संस्थान व्यवस्थित रूप से सुचारु होते हैं। इसका अर्थ न केवल बीमारी अथवा शारीरिक कमजोरी की अनुपस्थिति है, अपितु शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से पूर्णत: स्वस्थ होना भी है। यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति का मन या आत्मा प्रसन्नचित्त और शरीर रोग-मुक्त रहता है।

स्वास्थ्य की परिभाषाएँ (Definitions of Health): विद्वानों ने स्वास्थ्य को निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित किया है
1. जे०एफ० विलियम्स (J.E. Williams) के अनुसार, “स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है, जिससे व्यक्ति दीर्घायु होकर उत्तम सेवाएं प्रदान करता है।”

2. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-W.H.O.) के अनुसार, “स्वास्थ्य केवल रोग या विकृति की अनुपस्थिति को नहीं, बल्कि संपूर्ण शारीरिक, मानसिक व सामाजिक सुख की स्थिति को कहते हैं।”

3. वैबस्टर्स विश्वकोष (Webster’s Encyclopedia) के कथनानुसार, “उच्चतम जीवनयापन के लिए व्यक्तिगत, भावनात्मक और शारीरिक स्रोतों को संगठित करने की व्यक्ति की अवस्था को स्वास्थ्य कहते हैं।”

4. रोजर बेकन (Roger Bacon) के अनुसार, “स्वस्थ शरीर आत्मा का अतिथि-भवन और दुर्बल तथा रुग्ण शरीर आत्मा का कारागृह है।”

स्वास्थ्य का महत्त्व या उपयोगिता (Importance or Utility of Health)-अच्छे स्वास्थ्य के बिना कोई भी व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं कर सकता। अस्वस्थ व्यक्ति समाज की एक लाभदायक इकाई होते हुए भी बोझ बन जाता है। एक प्रसिद्ध कहावत है- “Health is Wealth.” अर्थात् स्वास्थ्य ही धन है। यदि हम संपूर्ण रूप से स्वस्थ हैं तो हम जिंदगी में बहुत-सा धन कमा सकते हैं। अच्छे स्वास्थ्य का न केवल व्यक्ति को लाभ होता है, बल्कि जिस समाज या देश में वह रहता है, उस पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है। अतः स्वास्थ्य का हमारे जीवन में निम्नलिखित प्रकार से भी विशेष महत्त्व है

(1) स्वास्थ्य मानव व समाज का आधार स्तंभ है। यह वास्तव में खुशी, सफलता और आनंदमयी जीवन की कुंजी है।
(2) अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति समाज व राष्ट्र के लिए उपयोगी होते हैं।
(3) स्वास्थ्य के महत्त्व के बारे में अरस्तू ने कहा-“स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है।” अतः इस कथन से भी हमारे जीवन में स्वास्थ्य की उपयोगिता व्यक्त हो जाती है।
(4) स्वास्थ्य व्यक्ति के व्यक्तित्व को सुधारने व निखारने में सहायक होता है।
(5) अच्छे स्वास्थ्य से हमारा जीवन संतुलित रहता है।
(6) किसी भी देश के नागरिकों के स्वास्थ्य व आर्थिक विकास में प्रत्यक्ष संबंध पाया जाता है। यदि किसी देश के नागरिक शारीरिक रूप से स्वस्थ होंगे तो उस देश का आर्थिक विकास भी उचित दिशा में होगा।
(7) स्वास्थ्य की महत्ता बताते हुए गाँधी जी ने कहा-“स्वास्थ्य ही असली धन है न कि सोने एवं चाँदी के टुकड़े।”

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

प्रश्न 2.
स्वास्थ्य से आप क्या समझते हैं? स्वास्थ्य के विभिन्न पहलुओं का वर्णन कीजिए। अथवा स्वास्थ्य के विभिन्न रूपों अथवा आयामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य का अर्थ (Meaning of Health)-स्वास्थ्य व्यक्ति का वह गुण है, जिसमें वह मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है तथा जिसके सभी शारीरिक संस्थान व्यवस्थित रूप से सुचारु होते हैं। स्वास्थ्य का अर्थ न केवल बीमारी अथवा शारीरिक कमजोरी की अनुपस्थिति है, अपितु शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना भी है। यह ऐसी अवस्था . है जिसमें व्यक्ति का मन या आत्मा प्रसन्नचित और शरीर रोग-मुक्त रहता है।
स्वास्थ्य के विभिन्न आयाम या पहलू (Dimensions or Aspects of Health) स्वास्थ्य के विभिन्न आयाम या पहलू निम्नलिखित हैं

1. शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health):
शारीरिक स्वास्थ्य संपूर्ण स्वास्थ्य का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। इसके अंतर्गत हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य की जानकारी प्राप्त होती है। शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के लिए आवश्यक है कि उसके सभी शारीरिक संस्थान सुचारु रूप से कार्य करते हों। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को न केवल शरीर के विभिन्न अंगों की रचना एवं उनके कार्यों की जानकारी होनी चाहिए, अपितु उनको स्वस्थ रखने की भी जानकारी होनी चाहिए। शारीरिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति समाज व देश के विकास एवं प्रगति में भी सहायक होता है। अतः प्रत्येक व्यक्ति को अपने शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाने हेतु संतुलित एवं पौष्टिक भोजन, व्यक्तिगत सफाई, नियमित व्यायाम, चिकित्सा जाँच और नशीले पदार्थों के निषेध आदि की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

2. मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health):
मानसिक या बौद्धिक स्वास्थ्य के बिना सभी स्वास्थ्य अधूरे हैं, क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य का संबंध मन की प्रसन्नता व शांति से है अर्थात् इसका संबंध तनाव व दबाव मुक्ति से है। यदि व्यक्ति का मन चिंतित एवं अशांत रहेगा तो उसका कोई भी विकास पूर्ण नहीं होगा। आधुनिक युग में मानव जीवन इतना व्यस्त हो गया है कि उसका जीवन निरंतर तनाव, दबाव व चिंताओं से घिरा रहता है। परन्तु जिन व्यक्तियों का मानसिक स्वास्थ्य उत्तम होता है वे आधुनिक संदर्भ में भी स्वयं को चिंतामुक्त अनुभव करते हैं। मानसिक अस्वस्थता के कारण न केवल मानसिक रोग हो जाते हैं बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य भी गिर जाता Meaning and Importance of Health Education है और शारीरिक कार्य-कुशलता में भी कमी आ जाती है। अत: व्यक्ति को अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए तनाव व दबाव से दूर रहना चाहिए, उचित विश्राम करना चाहिए और सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।

3. सामाजिक स्वास्थ्य (Social Health):
सामाजिक स्वास्थ्य भी स्वास्थ्य का एक महत्त्वपूर्ण रूप है। यह व्यक्ति की सामाजिक सुरक्षा पर निर्भर करता है। व्यक्ति सामाजिक प्राणी होने के नाते समाज के नियमों, मान-मर्यादाओं आदि का पालन करता है। यदि एक व्यक्ति अपने परिवार व समाज के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत है तो उसे सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति कहा जाता है। सामाजिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति सैद्धांतिक, वैचारिक, आत्मनिर्भर व जागरूक होता है। वह अनेक सामाजिक गुणों; जैसे आत्म-संयम, धैर्य, बंधुत्व, आत्म-विश्वास आदि से पूर्ण होता है। समाज, देश, परिवार व जीवन के प्रति उसका दृष्टिकोण रचनात्मक व सकारात्मक होता है।

4. संवेगात्मक या भावनात्मक स्वास्थ्य (Emotional Health):
संवेगात्मक स्वास्थ्य में व्यक्ति के अपने संवेग; जैसे डर, गुस्सा, सुख, क्रोध, दुःख, प्यार आदि शामिल होते हैं। इसके अंतर्गत स्वस्थ व्यक्ति का अपने संवेगों पर पूर्ण नियंत्रण होता है। वह प्रत्येक परिस्थिति में नियंत्रित व्यवहार करता है। हार-जीत पर वह अपने संवेगों को नियंत्रित रखता है और अपने परिवार, मित्रों व अन्य व्यक्तियों से मिल-जुल कर रहता है।

5. आध्यात्मिक स्वास्थ्य (Spiritual Health):
आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति उसे कहा जाता है जो नैतिक नियमों का पालन करता हो, दूसरों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करता हो, सत्य व न्याय में विश्वास रखने वाला हो और जो दूसरों को किसी भी प्रकार का कोई नुकसान न पहुँचाए आदि। ऐसा व्यक्ति व्यक्तिगत मूल्यों से संबंधित होता है। दूसरों के प्रति सहानुभूति एवं सहयोग की भावना रखना, सहायता करने की इच्छा आदि आध्यात्मिक स्वास्थ्य के महत्त्वपूर्ण पहलू हैं। आध्यात्मिक स्वास्थ्य की प्राप्ति हेतु मुख्यतः योग व ध्यान सबसे उत्तम माध्यम हैं। इनके द्वारा आत्मिक शांति व आंतरिक प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 3.
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा बताएँ तथा इसके प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा को परिभाषित करते हुए इसके उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषाएँ (Meaning and Definitions of Health Education)-स्वास्थ्य शिक्षा मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों या पहलुओं के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्मनिर्भर बनाने में सहायता करते हैं। स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने विचार निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किए हैं

1. डॉ० थॉमस वुड (Dr. Thomas Wood):
के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का समूह है, जो व्यक्ति, समुदाय और सामाजिक स्वास्थ्य से संबंधित आदतों, व्यवहारों और ज्ञान को प्रभावित करते हैं।”

2. प्रसिद्ध स्वास्थ्य शिक्षक ग्राऊंट (Grount):
के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा से अभिप्राय है कि स्वास्थ्य के ज्ञान को शिक्षा द्वारा व्यक्तिगत और सामाजिक व्यवहार में बदलना है।”

3.विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation):
के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षाशारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ रहने की स्थिति को कहते हैं न कि केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ या रोगमुक्त होने को।”

इस प्रकार स्वास्थ्य शिक्षा से अभिप्राय उन सभी बातों और आदतों से है जो व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान देती हैं। स्वास्थ्य शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य (Main Objectives of Health Education)-स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

1. सामाजिक गुणों का विकास (Development of Social Qualities):
स्वास्थ्य शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य व्यक्ति में अच्छे सामाजिक गुणों का विकास करके अच्छा नागरिक बनाना है। स्वास्थ्य शिक्षा जहाँ सर्वपक्षीय विकास करके अच्छे व्यक्तित्व को निखारती है, वहीं कई प्रकार के गुण; जैसे सहयोग, त्याग-भावना, साहस, विश्वास, संवेगों पर नियंत्रण एवं सहनशीलता आदि का भी विकास करती है।

2. सर्वपक्षीय विकास (All Round Development):
सर्वपक्षीय विकास से अभिप्राय व्यक्ति के सभी पक्षों का विकास करना है। वह शारीरिक पक्ष से बलवान, मानसिक पक्ष से तेज, भावात्मक पक्ष से संतुलित, बौद्धिक पक्ष से समझदार और सामाजिक पक्ष से स्वस्थ हो। सर्वपक्षीय विकास से व्यक्ति के व्यक्तित्व में बढ़ोत्तरी होती है। वह परिवार, समाज और राष्ट्र की संपत्ति बन जाता है।

3. उचित मनोवृत्ति का विकास (Development of Right Attitude):
स्वास्थ्य शिक्षा का मुख्य उद्देश्य केवल निर्देश देकर ही पूरा नहीं किया जा सकता बल्कि इसे पूरा करने के लिए सकारात्मक सोच की अति-आवश्यकता होती है। स्वास्थ्य संबंधी उचित मनोवृत्ति का विकास तभी हो सकता है, जब प्रत्येक व्यक्ति अपनी आदतें और व्यवहार इस प्रकार परिवर्तित करे कि वे उसकी आवश्यकताओं का अंग बन जाएँ।

4. स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान (Knowledge about Health):
पुराने समय में बच्चों और जन-साधारण में स्वास्थ्य संबंधी बहुत अज्ञानता थी, परन्तु समय बदलने से रेडियो, टी०वी०, अखबारों और पत्रिकाओं ने संक्रामक बीमारियों और उनकी रोकथाम, मानसिक चिंताओं और उन पर नियंत्रण और संतुलित भोजन के गुणों के बारे में वैज्ञानिक ढंग से जानकारी साधारण लोगों तक पहुँचाई है। यह ज्ञान उन्हें अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रेरित करता है।

5. स्वास्थ्य संबंधी नागरिक ज़िम्मेदारी का विकास (To Develop Civic Sense related Health):
स्वास्थ्य शिक्षा का उद्देश्य छात्रों या व्यक्तियों में स्वास्थ्य संबंधी नागरिक ज़िम्मेदारी या उत्तरदायित्व की भावना का विकास करना है।

6. आर्थिक कुशलता का विकास (Development of Economic Efficiency):
आर्थिक कुशलता का विकास तभी हो सकता है अगर स्वस्थ व्यक्ति अपने कामों को सही ढंग से करें। अस्वस्थं मनुष्य अपनी आर्थिक कुशलता में बढ़ोत्तरी नहीं कर सकता। स्वस्थ व्यक्ति जहाँ अपनी आर्थिक कुशलता में बढ़ोत्तरी करता है, वहीं उससे देश की आर्थिक कुशलता में भी बढ़ोत्तरी होती है। इसीलिए स्वस्थ नागरिक समाज व देश के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं । उनको देश की बहुमूल्य संपत्ति कहना गलत नहीं होगा।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

प्रश्न 4.
स्वास्थ्य शिक्षा से क्या अभिप्राय है? इसकी महत्ता पर प्रकाश डालिए। अथवा स्वास्थ्य शिक्षा क्या है? इसकी हमारे जीवन में क्या उपयोगिता है? वर्णन करें।
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए उसके महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning of Health Education and Definition):
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ उन सभी आदतों से है जो किसी व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान देती हैं । यह शिक्षा मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्म-निर्भर बनने में सहायता करते हैं। अतः स्वास्थ्य शिक्षा एक ऐसी शिक्षा है जिसके बिना मनुष्य की सारी शिक्षा अधूरी रह जाती है। इस प्रकार स्वास्थ्य शिक्षा से अभिप्राय उन सभी बातों और आदतों से है जो व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान देती हैं। विश्व “स्वास्थ्य संगठन के शारीरिक रूप से स्वस्थ या रोगमुक्त होने को।”

स्वास्थ्य शिक्षा की महत्ता या उपयोगिता (Importance or Utility of Health Education):
स्वास्थ्य की हमारे जीवन में विशेष उपयोगिता है। स्वस्थ व्यक्ति ही समाज, देश आदि के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। अरस्तू ने कहा था कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। इसलिए हमें अपने स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति को स्वास्थ्य से संबंधित विशेष जानकारियाँ प्रदान करती है, जिनकी पालना करके व्यक्ति स्वच्छ एवं सुखदायी जीवन व्यतीत कर सकता है। अतः स्वास्थ्य शिक्षा हमारे लिए निम्नलिखित कारणों से महत्त्वपूर्ण व उपयोगी है

1. मानवीय संबंधों को सुधारना (Improvement in Human Relations):
स्वास्थ्य शिक्षा अच्छे मानवीय संबंधों का निर्माण करती है। स्वास्थ्य शिक्षा विद्यार्थियों को यह ज्ञान देती है कि किस प्रकार वे अपने दोस्तों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों व समुदाय के

2. बीमारियों से बचाववरोकथाम के विषय में सहायक (Helpful Regarding Prevention and Control of Diseases):
स्वास्थ्य शिक्षा संक्रामक-असंक्रामक बीमारियों से बचाव व उनकी रोकथाम के विषय में हमारी सहायता करती है। इन बीमारियों के फैलने के कारण, लक्षण तथा उनसे बचाव व इलाज के विषय में जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा से ही मिलती है।

3. शारीरिक विकृतियों को खोजने में सहायक (Helpful in Discovering Physical Deformations):
स्वास्थ्य शिक्षा शारीरिक विकृतियों को खोजने में सहायक होती है। यह विभिन्न प्रकार की शारीरिक विकृतियों के समाधान में सहायक होती है।

4. स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक आदतों को बढ़ाने में सहायक (Helpful in increase the Desirable Health Habits):
स्वास्थ्य शिक्षा जीवन के सिद्धांतों एवं स्वास्थ्य की अच्छी आदतों का विकास करती है; जैसे स्वच्छ वातावरण में रहना।

5. सामाजिक गुणों का विकास (Development of Social Qualities):
स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति में सामाजिक गुणों का विकास करके उसे अच्छा नागरिक बनाने में सहायक होती है। स्वास्थ्य शिक्षा जहाँ सर्वपक्षीय विकास करके अच्छा व्यक्तित्व निखारती है, वहीं इसके साथ-साथ यह और कई प्रकार के गुण; जैसे सहयोग, त्याग-भावना, साहस, विश्वास, संवेगों पर नियंत्रण एवं सहनशीलता आदि का भी विकास करती है।

6. स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान (Knowledge about Health):
पुराने समय में बच्चों और साधारण लोगों में स्वास्थ्य संबंधी बहुत अज्ञानता थी, परन्तु समय बदलने से रेडियो, टी०वी०, अखबारों और पत्रिकाओं ने शारीरिक बीमारियों और उनकी रोकथाम, मानसिक चिंताओं और उन पर नियंत्रण और संतुलित भोजन के गुणों के बारे में वैज्ञानिक ढंग से जानकारी साधारण लोगों तक पहुँचाई है। स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान के कारण व्यक्तियों का जीवन सुखमय व आरामदायक हुआ है।.

7. स्वास्थ्यप्रद आदतों का विकास (Development of Healthy Habits):
आदत बालक के साथ जीवनपर्यन्त चलती हैं। अत: बालक को स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने की कोशिश करनी चाहिए। उदाहरण के तौर पर साफ-सफाई का ध्यान, सुबह जल्दी उठना, रात को जल्दी सोना, खाने-पीने तथा शौच का समय निश्चित होना ऐसी स्वास्थ्यप्रद आदतों को अपनाने से व्यक्ति स्वस्थ तथा दीघार्यु रह सकता है। यह स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही सम्भव है।

8. प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान करना (Provide the Knowledge of FirstAid):
स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा व्यक्ति को प्राथमिक चिकित्सा प्रदान की जा सकती है जिसके अंतर्गत व्यक्तियों को प्राथमिक चिकित्सा के सामान्य सिद्धांतों की तथा विभिन्न परिस्थितियों में; जैसे साँप के काटने पर, डूबने पर, जलने पर, अस्थि टूटने आदि पर प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी प्रदान की जाती है। इस प्रकार की दुर्घटनाएँ कहीं पर भी तथा किसी के भी साथ घट सकती हैं तथा व्यक्ति का जीवन खतरे में पड़ सकता है। ऐसी जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा ही दी जा सकती है।

9. जागरूकता एवं सजगता का विकास (Development of Awareness and Alertness):
स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा एक स्वस्थ व्यक्ति सजग एवं जागरूक रह सकता है। उसके चारों तरफ क्या घटित हो रहा है उसके प्रति वह हमेशा सचेत रहता है। ऐसा व्यक्ति अपने कर्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति सजग एवं जागरूक रहता है।

10. सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive View):
स्वास्थ्य शिक्षा से व्यक्ति की सोच काफी विस्तृत होती है। वह दूसरे व्यक्तियों को भली-भांति समझता है। उसकी सोच संकीर्ण न होकर व्यापक दृष्टिकोण वाली होती है।

प्रश्न 5.
स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों के विभिन्न सिद्धांतों या नियमों का ब्योरा दें। अथवा स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रमों के लिए किन-किन बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए? अथवा आप अपने स्कूल में स्वास्थ्य शिक्षण कार्यक्रम को कैसे अधिक प्रभावशाली बनाएँगे?
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा के मुख्य सिद्धांतों का विस्तारपूर्वक वर्णन करें।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी सिद्धांत अथवा नियम निम्नलिखित हैं
(1) स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम बच्चों की आयु और लिंग के अनुसार होना चाहिए।
(2) स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में जानकारी देने का तरीका साधारण और जानकारी से भरपूर होना चाहिए।
(3) स्वास्थ्य शिक्षा पढ़ने-लिखने तक ही सीमित नहीं रहनी चाहिए अपितु उसकी प्राप्तियों के बारे में कार्यक्रम बनाने चाहिएँ।
(4) स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम लोगों या छात्रों की आवश्यकताओं, रुचियों और पर्यावरण के अनुसार होना चाहिए।
(5) मनुष्य का व्यवहार ही उसका सबसे बड़ा गुण है, जिसमें उसकी रुचि ज्यादा है वह उसे सीखने और करने के लिए तैयार रहता है। इसलिए कार्यक्रम बनाते समय बच्चों की उत्सुकता, रुचियों और इच्छाओं का ध्यान रखना चाहिए।
(6) स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में जानकारी देते समय जीवन से संबंधित मुश्किलों पर भी बातचीत होनी चाहिए।
(7) स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्तर के अनुसार बनाना चाहिए।
(8) स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम ऐसे होने चाहिएँ जो बच्चों की अच्छी आदतों को उत्साहित कर सकें ताकि वे अपने सोचने के तरीके को बदल सकें।
(9) स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी कार्यक्रमों में बुरी आदतों को छोड़ने और अच्छी आदतों को ग्रहण करने हेतु फिल्में, चार्ट, टी०वी०, रेडियो आदि माध्यमों के प्रयोग द्वारा बच्चों को प्रेरित किया जाना चाहिए।
(10) स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम केवल स्कूलों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का अंग होना चाहिए।
(11) स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम रुचिपूर्ण, शिक्षा से भरपूर और मनोरंजनदायक होना चाहिए।
(12) स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम प्रस्तुत करते समय लोगों में प्रचलित भाषा का प्रयोग करना चाहिए। यह भाषा उनकी आयु और समझने की क्षमता के अनुसार होनी चाहिए।
(13) स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम बनाते समय संक्रामक-असंक्रामक बीमारियों के बारे में व उनकी रोकथाम के उपायों के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
(14) स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम केवल एक व्यक्ति तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसका क्षेत्र विशाल होना चाहिए।
(15) स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम लोगों की आंतरिक भावनाओं को जानकर ही बनाना चाहिए।
(16) स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम में पारिवारिक, सामाजिक एवं राष्ट्रीय स्तर के विषय शामिल होने चाहिएँ।

प्रश्न 6.
स्कूली स्वास्थ्य कार्यक्रम के विभिन्न तत्त्व या घटक कौन-कौन-से हैं? वर्णन कीजिए।
अथवा
स्वास्थ्य शिक्षा के मुख्य क्षेत्रों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का क्षेत्र बहुत विशाल है। यह केवल स्वास्थ्य तक ही सीमित नहीं है। इसमें स्वास्थ्य ज्ञान के अतिरिक्त और बहुत-से घटक शामिल हैं, जिनका आपस में गहरा संबंध होता है। ये सभी घटक बच्चों के स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव डालते हैं। स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम के विभिन्न घटक या क्षेत्र निम्नलिखित हैं

1. स्वास्थ्य सेवाएँ (Health Services):
छात्रों को शिक्षा देने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना भी विद्यालय का मुख्य उत्तरदायित्व माना जाता है। स्वास्थ्य सेवाएँ वे सेवाएँ हैं जिनके माध्यम से छात्रों के स्वास्थ्य की जाँच की जाती है और उनमें पाए जाने वाले दोषों से माता-पिता को अवगत करवाया जाता है ताकि समय रहते उन दोषों का उपचार किया जा सके। इन सेवाओं के अंतर्गत स्कूल के अन्य कर्मचारियों एवं अध्यापकों के स्वास्थ्य की भी जाँच की जाती है।

आधुनिक युग में स्वास्थ्य सेवाओं की बहुत महत्ता है। स्वास्थ्य सेवाओं की सहायता से बच्चे और वयस्क अपने स्वास्थ्य का स्तर , ऊँचा उठा सकते हैं। साधारण जनता को ये सेवाएँ सरकार की ओर से मिलनी चाहिएँ, जबकि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल की ओर से ये सुविधाएँ मिलनी चाहिएँ। स्वास्थ्य सेवाओं का कार्य बच्चों में संक्रामक रोगों को ढूँढकर उनके माता-पिता की सहायता से ठीक करना है। इस कार्य को पूर्ण करने के लिए डॉक्टर, नर्स, मनोरोग चिकित्सक और अध्यापक विशेष योगदान दे सकते हैं।

2. स्वास्थ्यपूर्णस्कूली जीवन या वातावरण (HealthfulSchool Living or Environment):
स्वास्थ्यपूर्ण स्कूली वातावरण का अर्थ है कि स्कूल में संपूर्ण स्वच्छ वातावरण का होना या ऐसे वातावरण का निर्माण करना जिससे छात्रों की सभी क्षमताओं एवं योग्यताओं को विकसित किया जा सके। स्कूल का स्वच्छ वातावरण ही छात्रों के सामाजिक-भावनात्मक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और साथ-ही-साथ उन्हें अधिक-से-अधिक सीखने हेतु प्रेरित करता है।

बच्चे के स्कूल का वातावरण, रहने का स्थान और काम करने का स्थान स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। जिस देश के बच्चे और नवयुवक स्वस्थ होते हैं वह देश प्रगति के रास्ते पर अग्रसर होता है, क्योंकि आने वाला भविष्य उनसे बंधा होता है। बच्चा अपना अधिकांश समय स्कूल में गुजारता है। बच्चे का उचित विकास स्कूल के वातावरण पर निर्भर करता है । यह तभी संभव हो सकता है, अगर साफ़-सुथरा व स्वच्छ स्कूल अर्थात् वातावरण हो। स्वच्छ वातावरण बच्चे और वयस्क दोनों को प्रभावित करता है। स्वच्छ वातावरण केवल छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य लोगों के शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावात्मक और नैतिक विकास में भी सहायक होता है।

3. स्वास्थ्य अनुदेशन या निर्देशन (Health Instructions):
स्वास्थ्य निर्देशन का आशय है-स्कूल के बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देना। बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी ऐसी जानकारी देना कि वे स्वयं को स्वच्छ एवं नीरोग बना सकें।स्वास्थ्य निर्देशन स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों एवं दृष्टिकोणों का विकास करते हैं। ये बच्चों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाते हैं । इनका मुख्य उद्देश्य बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी सभी महत्त्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराना है ताकि वे स्वयं को स्वस्थ रख सकें। स्वास्थ्य संबंधी निर्देशन में वे सभी बातें आ जाती हैं जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होती हैं; जैसे अच्छी आदतें, स्वास्थ्य को ठीक रखने के तरीके और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना आदि। शरीर की बनावट एवं संरचना, संक्रामक रोगों के लक्षण एवं कारण, इनकी रोकथाम या बचाव के उपायों के लिए बच्चों को फिल्मों या तस्वीरों आदि के माध्यम से अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। स्वास्थ्य निर्देशन की जानकारी प्राप्त कर बच्चे अनावश्यक विकृतियों या कमजोरियों का शिकार होने से बच सकते हैं।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

प्रश्न 7.
स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
स्वास्थ्य के प्रमुख निर्धारक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक या तत्त्व निम्नलिखित हैं

1. वंशानुक्रमण (Heredity):
व्यक्ति के मानसिक व शारीरिक गुण जीन (Genes) द्वारा निर्धारित होते हैं। जीन या गुणसूत्र को ही वंशानुक्रमण (Heredity) की इकाई माना जाता है। अतः वंशानुक्रमण द्वारा व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। बहुत-सी बीमारियाँ हैं जो वंशानुक्रमण द्वारा आगामी पीढ़ी को भी हस्तान्तरित हो जाती हैं।

2. वातावरण (Environment):
अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ वातावरण का होना बहुत आवश्यक होता है। यदि वातावरण प्रदूषित है तो ऐसे वातावरण में व्यक्ति अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाते हैं।

3. संतुलित व पौष्टिक भोजन (Balanced and Nutritive Diet):
भोजन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और शरीर को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाता है। यदि हमारा भोजन संतुलित एवं पौष्टिक है तो इसका हमारे स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा

4. सामाजिक-सांस्कृतिक कारक (Social and Cultural Factors):
वातावरण के अतिरिक्त व्यक्ति का अपना सामाजिक व सांस्कृतिक वातावरण भी उसके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यदि व्यक्ति और उसके सामाजिक-सांस्कृतिक वातावरण के बीच असामंजस्य है तो इसका उसके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। इसीलिए व्यक्ति को अपने अच्छे स्वास्थ्य हेतु सामाजिक व सांस्कृतिक वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए। इसमें न केवल उसका कल्याण है बल्कि समाज व देश का भी कल्याण है।

5. आर्थिक कारक (Economic Factors):
स्वास्थ्य आर्थिक कारकों से भी प्रभावित होता है। यदि किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है अर्थात् गरीब है तो वह अपने परिवार के सदस्यों के लिए न तो संतुलित आहार की व्यवस्था कर पाएगा और न ही उन्हें चिकित्सा सुविधाएँ दे पाएगा। इसके विपरीत यदि किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी है तो वह अपने परिवार के सदस्यों की सभी आवश्यकताएँ पूर्ण कर पाएगा।

प्रश्न 8.
स्वस्थ रहने के लिए व्यक्ति को किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए? अथवा अच्छे स्वास्थ्य हेतु हमें किन-किन नियमों का पालन करना चाहिए? उत्तर-स्वस्थ रहने के लिए हमें निम्नलिखित आवश्यक नियमों का पालन करना चाहिए

1. शारीरिक संस्थानों या अगों का ज्ञान (Knowledge of Body Systems or Organs):
हमें अपने शरीर के संस्थानों या अंगों; जैसे दिल, आमाशय, फेफड़े, तिल्ली, गुर्दे, कंकाल संस्थान, माँसपेशी संस्थान, उत्सर्जन संस्थान आदि का ज्ञान होना चाहिए।

2. डॉक्टरी जाँच (Medical Checkup):
समय-समय पर अपने शरीर की डॉक्टरी जाँच भी करवानी चाहिए।

3. पर्याप्त निद्रा व विश्राम (Proper Sleep and Rest):
रात को समय पर सोना चाहिए और शरीर को पूरा विश्राम देना आवश्यक है।

4. व्यायाम (Exercises):
प्रतिदिन व्यायाम या सैर आदि करनी आवश्यक है। हमें नियमित योग एवं आसन आदि भी करने चाहिएँ।

5. नाक से साँस लेना (Breathing by Nose):
हमें हमेशा नाक द्वारा साँस लेनी चाहिए। नाक से साँस लेने से हमारे शरीर को शुद्ध हवा प्राप्त होती है, क्योंकि नाक के बाल हवा में उपस्थित धूल-कणों को शरीर के अंदर जाने से रोक लेते हैं।

6. साफ वस्त्र (Clean Cloth):
हमें हमेशा साफ-सुथरे और ऋतु के अनुसार कपड़े पहनने चाहिएँ।

7. शुद्ध एवं स्वच्छ वातावरण (Pure and Clean Environment):
हमें हमेशा शुद्ध एवं स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए।

8. संतुलित भोजन (Balanced Diet):
हमें ताजा, पौष्टिक और संतुलित भोजन खाना चाहिए।

9. शुद्ध आचरण (Good Conduct):
हमेशा अपना आचरण व विचार शुद्ध व सकारात्मक रखने चाहिएँ और हमेशा खुश एवं सन्तुष्ट रहना चाहिए। कभी भी किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए। हमेशा बड़ों का आदर करना चाहिए।

10. मादक वस्तुओं से परहेज (Away from Intoxicants):
अफीम, शराब, चरस, गाँजा, तंबाकू और दूसरी नशीली वस्तुओं के प्रयोग से बचना चाहिए।

11. उचित मनोरंजन (Proper Recreation):
आज के इस दबाव एवं तनाव-युक्त युग में स्वास्थ्य को बनाए रखने हेतु मनोरंजनात्मक क्रियाओं का होना अति आवश्यक है। हमें मनोरंजनात्मक क्रियाओं में अवश्य भाग लेना चाहिए। इनसे हमें आनंद एवं संतुष्टि की प्राप्ति होती है।

12. नियमित दिनचर्या (Daily Routine):
समय पर उठना, समय पर सोना, समय पर खाना, ठीक ढंग से खड़े होना, बैठना, चलना, दौड़ना आदि क्रियाओं से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। कपड़ों की सफाई व आस-पास की सफाई दिनचर्या के आवश्यक अंग होने चाहिएँ।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

प्रश्न 9.
छात्रों के स्वास्थ्य संबंधी सुधार हेतु शारीरिक शिक्षा का अध्यापक क्या भूमिका निभा सकता है? अथवा शारीरिक शिक्षा का अध्यापक विद्यार्थियों के स्वास्थ्य निर्माण में क्या भूमिका निभाता है? वर्णन करें।
उत्तर:
छात्र अपना अधिकांश समय स्कूल में व्यतीत करते हैं। जितना वे स्कूल के वातावरण में सीखते हैं उतना शायद ही कहीं ओर सीखते हैं। स्कूल के वातावरण में सबसे अधिक वे अध्यापकों से प्रभावित होते हैं । उनको अपना आदर्श मानते हैं। स्कूल में शारीरिक शिक्षा के अध्यापक का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। वह विद्यार्थियों को अच्छे स्वास्थ्य हेतु प्रेरित करता है। शारीरिक शिक्षा का अध्यापक बच्चों के स्वास्थ्य को सुधारने के लिए निम्नलिखित उपाय कर अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देता है या दे सकता है

(1) शारीरिक शिक्षा का अध्यापक छात्रों को उनके व्यक्तिगत स्वास्थ्य हेतु प्रेरित करता है। वह व्यक्तिगत स्वास्थ्य के महत्त्व को ब्रताकर उनके स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।

(2) वह विद्यार्थियों को नियमित दिनचर्या के महत्त्व बताता है। वह छात्रों को नियमित समय पर सोने एवं उठने के लिए प्रोत्साहित करता है। जो छात्र नियमित समय पर सोते एवं उठते हैं वे हमेशा चुस्त एवं फुर्तीले होते हैं। उनमें आलस्य नहीं होता।

(3) वह छात्रों को स्वास्थ्य की महत्ता बताकर उनको अपने स्वास्थ्य हेतु जागरूक करता है। “स्वास्थ्य ही धन है।” यह कथन इस प्रक्रिया में बहुत महत्त्वपूर्ण है।

(4) वह अभिभावकों को भी स्वास्थ्य संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारी देकर अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है ताकि अभिभावक अपने बच्चों के स्वास्थ्य की ओर विशेष रूप से ध्यान दे सकें।

(5) वह स्कूल में स्वास्थ्य संबंधी अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करवाकर भी छात्रों के स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।

(6) अधिकांश शारीरिक शिक्षा के अध्यापक चुस्त एवं फुर्तीले होते हैं। वे अपने व्यक्तित्व से भी छात्रों को प्रभावित कर सकते हैं।
(7) वह छात्रों को संक्रामक बीमारियों के कारणों से अवगत करवाता है तथा उनकी रोकथाम के उपाय से भी परिचित करवाता है।
(8) वह छात्रों को भोजन के आवश्यक तत्त्वों की महत्ता के बारे में बताता है। यदि भोजन में सभी आवश्यक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में विद्यमान होंगे तो इसका इनके स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।

(9) वह विद्यार्थियों को नशीले पदार्थों के दुष्परिणामों से अवगत करवाता है।
(10) वह विद्यार्थियों को स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों को विकसित करने में सहायता करता है।
(11) शारीरिक शिक्षा का अध्यापक स्कूल में अनेक शारीरिक क्रियाएँ करवाता है जिनका छात्रों के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 10.
स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आज के बच्चे कल के भविष्य हैं। उनको इस बात का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है कि वे अपने तन व मन को किस प्रकार से स्वस्थ रख सकते हैं। एक पुरानी कहावत है-“स्वास्थ्य ही जीवन है।” अगर धन खो दिया तो कुछ खास नहीं खोया, लेकिन यदि स्वास्थ्य खो दिया तो सब कुछ खो दिया। अतः सुखी व प्रसन्नमय जीवन व्यतीत करने के लिए उत्तम स्वास्थ्य का होना बहुत आवश्यक है। एक स्वस्थ व्यक्ति अपने परिवार, समाज तथा देश के लिए हर प्रकार से सेवा प्रदान कर सकता है, जबकि अस्वस्थ या बीमार व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता। तन व मन को स्वस्थ व प्रसन्न रखने में स्वास्थ्य शिक्षा महत्त्वपूर्ण योगदान देती है, क्योंकि स्वास्थ्य शिक्षा में वे सभी क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं जिनसे व्यक्ति में स्वास्थ्य के प्रति सजगता बढ़ती है और इनके परिणामस्वरूप उसका स्वास्थ्य तंदुरुस्त रहता है। स्वास्थ्य शिक्षा को बहुत-से कारक प्रभावित करते हैं जिनमें से प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं

1. संतुलित भोजन (Balanced Diet):
संसार में प्रत्येक व्यक्ति स्वस्थ जीवन व्यतीत करना चाहता है और स्वस्थ जीवन हेतु भोजन ही मुख्य आधार है। वास्तव में हमें भोजन की जरूरत न केवल ऊर्जा या शक्ति की पूर्ति हेतु होती है बल्कि शरीर की वृद्धि, उसकी क्षतिपूर्ति और उचित शिक्षा प्राप्त करने हेतु भी होती है। अतः स्पष्ट है कि संतुलित भोजन स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करता है।

2. शारीरिक व्यायाम (Physical Exercise):
स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा व्यक्ति अपने शरीर को शारीरिक व्यायामों द्वारा लचीला एवं सुदृढ़ बनाता है। शारीरिक व्यायाम की क्रियाओं द्वारा पूरे शरीर को तंदुरुस्त बनाया जा सकता है। कौन-से व्यायाम कब करने चाहिएँ और कब नहीं करने चाहिएँ, का ज्ञान स्वास्थ्य शिक्षा द्वारा प्राप्त होता है।

3. आदतें (Habits):
आदतें भी स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करती हैं। प्रत्येक व्यक्ति का स्वभाव व आदतें अलग-अलग होती हैं । बालक की स्वास्थ्य शिक्षा उसके स्वभाव एवं आदत पर निर्भर करती है। बच्चों में अच्छी आदतों का विकास किया जाए, ताकि वह एक सफल नागरिक बन सके। अच्छी आदतों वाला व्यक्ति उचित मार्ग पर अग्रसर होकर तरक्की करता है। स्वास्थ्य शिक्षा अच्छी आदतों का विकास करने में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है।

4. बीमारी (Illness):
स्वामी विवेकानन्द जी ने कहा है कि “एक कमजोर आदमी जिसका शरीर या मन कमजोर है वह कभी भी मज़बूत काया का मालिक नहीं बन सकता।” अत: बीमारी भी स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करती है। एक बीमार बालक कोई भी शिक्षा प्राप्त करने में पूर्ण रूप से समर्थ नहीं होता। स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से एक स्वस्थ व्यक्ति या बालक प्रायः बीमारियों से मुक्त रहता है।

5. जीवन-शैली (Life Style):
जीवन-शैली जीवन जीने का एक ऐसा तरीका है जो व्यक्ति के नैतिक गुणों या मूल्यों और दृष्टिकोणों को प्रतिबिम्बित करता है। यह किसी व्यक्ति विशेष या समूह के दृष्टिकोणों, व्यवहारों या जीवन मार्ग का प्रतिमान है। स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान प्राप्त करने हेतु एक स्वस्थ जीवन-शैली बहुत आवश्यक होती है। एक स्वस्थ जीवन-शैली व्यक्तिगत रूप से पुष्टि के स्तर को बढ़ाती है। यह हमें बीमारियों से बचाती है और हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करती है। इसके माध्यम से आसन संबंधी विकृतियों में सुधार होता है। इसके माध्यम से मनोवैज्ञानिक शक्ति या क्षमता में वृद्धि होती है जिससे तनाव, दबाव व चिंता को कम किया जाता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि एक स्वस्थ जीवन-शैली स्वास्थ्य शिक्षा को प्रभावित करती है।

6. वातावरण (Environment):
स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान प्राप्त करने हेतु स्वच्छ वातावरण का होना बहुत आवश्यक है। वातावरण दो प्रकार के होते हैं-
(i) आन्तरिक वातावरण,
(ii) बाह्य वातावरण। दोनों प्रकार के वातावरण बालक को प्रभावित करते हैं।
शिक्षा प्राप्त करने हेतु स्कूली वातावरण विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। बिना वातावरण के कोई भी विद्यार्थी किसी प्रकार का ज्ञान अर्जित नहीं कर सकता। इसलिए स्कूल प्रबन्धों को स्कूली वातावरण की ओर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए, ताकि विद्यार्थी बिना किसी बाधा के ज्ञान अर्जित कर सकें।

लघूत्तरात्मक प्रश्न [Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य हैं

(1) विद्यालय में स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण बनाए रखना।
(2) बच्चों में ऐसी आदतों का विकास करना जो स्वास्थ्यप्रद हों।
(3) रोगों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करना तथा प्राथमिक चिकित्सा की जानकारी देना।
(4) सभी विद्यार्थियों के स्वास्थ्य का निरीक्षण करना व निर्देश देना।
(5) सभी विद्यार्थियों में स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान तथा अभिव्यक्ति का विकास करना।
(6) व्यक्तिगत सफाई तथा स्वच्छता के बारे में जानकारी देना।
(7) स्वास्थ्य संबंधी आदतों का विकास करना।
(8) रोगों से बचने का उपाय करना और शारीरिक रोगों की जांच करना।
(9) निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि स्वास्थ्य शिक्षा के उपर्युक्त उद्देश्यों को अपनाते हुए हम इस लक्ष्य को प्राप्त करते हुए प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य के स्तर को ऊपर उठा सकते हैं।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

प्रश्न 2.
स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत हमें किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा का ज्ञान स्वयं में ही सरल उपाय है जिसके द्वारा रोगों को फैलने से रोका जा सकता है। हमें स्वास्थ्य शिक्षा । के अंतर्गत निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए तथा उनका प्रचार करना चाहिए

  1. विभिन्न खाद्य-पदार्थों में कौन-कौन-से पोषक तत्त्व उपलब्ध होते हैं?
  2. विभिन्न रोगों के क्या कारण होते हैं? वे किस प्रकार फैलते हैं तथा उनसे बचने के तरीके क्या हैं?
  3. स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तिगत स्तर पर अच्छी आदतों का ज्ञान तथा सामुदायिक स्तर पर अच्छी परंपराओं की आवश्यकता।
  4. विभिन्न नशीले व मादक पदार्थों के सेवन से होने वाले कुप्रभावों तथा दुष्परिणामों की जानकारी।
  5. खाद्य-पदार्थों को पकाने तथा उन्हें संगृहीत करने की विधियाँ।
  6. वातावरण को किस प्रकार स्वच्छ रखा जा सकता है?
  7. घरेलू या औद्योगिक स्तर पर उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों के निपटान की विधियाँ।

प्रश्न 3.
स्वास्थ्य शिक्षा का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है? अथवा – स्वास्थ्य शिक्षा हमारे लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था-“एक कमजोर आदमी जिसका शरीर या मन कमजोर है वह कभी भी मजबूत काया का मालिक नहीं बन सकता।” अतः स्वास्थ्य शिक्षा हमारे लिए निम्नलिखित कारणों से महत्त्वपूर्ण है.

(1) स्वास्थ्य शिक्षा अच्छे मानवीय संबंधों में वृद्धि करती है। स्वास्थ्य शिक्षा विद्यार्थियों को यह ज्ञान भी देती है कि किस प्रकार वे अपने दोस्तों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों व समुदाय के अच्छे स्वास्थ्य के लिए कार्य कर सकते हैं।

(2) स्वास्थ्य शिक्षा कई प्रकार की बीमारियों के बचाव व रोकथाम के विषय में हमारी सहायता करती है। विभिन्न प्रकार की बीमारियों के फैलने के कारण, लक्षण, उनसे बचाव व इलाज के विषय में जानकारी स्वास्थ्य शिक्षा से ही मिलती है।

(3) स्वास्थ्य शिक्षा व्यक्ति में सामाजिक गुणों का विकास करके उसे अच्छा नागरिक बनाने में सहायक होती है। स्वास्थ्य शिक्षा जहाँ सर्वपक्षीय विकास करके अच्छा व्यक्तित्व निखारती है, वहीं इसके साथ-साथ यह और कई प्रकार के गुण; जैसे . सहयोग, त्याग-भावना, साहस, विश्वास, संवेगों पर नियंत्रण एवं सहनशीलता आदि का भी विकास करती है।

प्रश्न 4.
स्वस्थ व्यक्ति किसे कहते हैं? अच्छे स्वास्थ्य के कोई दो लाभ बताएँ। .
उत्तर:
स्वस्थ व्यक्ति-स्वस्थ व्यक्ति के शरीर के सभी अंगों की बनावट और उनके कार्य ठीक-ठाक होते हैं। वह हर प्रकार के मनोवैज्ञानिक, मानसिक व सामाजिक तनावों से मुक्त होता है। केवल शारीरिक रोगों से मुक्त व्यक्ति पूर्ण स्वस्थ नहीं होता, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति को रोग घटकों से भी मुक्त होना चाहिए।
अच्छे स्वास्थ्य के लाभ:
(1) अच्छे स्वास्थ्य से व्यक्ति का जीवन सुखमय व आनंदमय होता है।
(2) अच्छे स्वास्थ्य का न केवल व्यक्तिगत लाभ होता है, बल्कि इसका सामूहिक लाभ भी होता है। इसका समाज व देश पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। अच्छे स्वास्थ्य वाला व्यक्ति ही देश के आर्थिक विकास में सहायक हो सकता है।

प्रश्न 5.
अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने में स्वास्थ्य शिक्षा किस प्रकार सहायक होती है?
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक तौर पर विकारों तथा तनावों को दूर करने की आवश्यकता है, परंतु भारतवर्ष में बहुत-से लोग इस बात से भी अनभिज्ञ हैं कि कौन-कौन-से रोग किस-किस कारण से होते हैं? उनकी रोकथाम कैसे की जा सकती है तथा उनके बचाव के क्या उपाय हैं? केवल रोगों के निदान से ही स्वास्थ्य कायम नहीं होता। इसके लिए बाह्य कारक; जैसे प्रदूषण तथा सूक्ष्म-जीवों के संक्रमण से भी बचाव अत्यंत आवश्यक है। स्वास्थ्य शिक्षा संतुलित आहार और उनमें पौष्टिक तत्त्व की कितनी-कितनी मात्रा होनी चाहिए आदि की जानकारी देने में हमारी सहायता करती है। स्वास्थ्य शिक्षा के द्वारा ही हमें किसी रोग के कारण, लक्षण और उनकी रोकथाम के उपायों का पता चलता है। स्वास्थ्य शिक्षा ही हमें पर्यावरण से संबंधित आवश्यक जानकारी देती है।

प्रश्न 6.
स्वास्थ्य शिक्षा के प्रमुख सिद्धांतों का उल्लेख करें।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा के प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित हैं

  1. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम व पाठ्यक्रम बच्चों की आयु और रुचि के अनुसार होना चाहिए।
  2. स्वास्थ्य शिक्षा के बारे में जानकारी देने का तरीका साधारण और जानकारी से भरपूर होना चाहिए।
  3. स्वास्थ्य शिक्षा पढ़ने-लिखने तक ही सीमित नहीं रखनी चाहिए अपितु उसकी प्राप्तियों के बारे में कार्यक्रम बनाने चाहिएँ।
  4. स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम छात्रों की आवश्यकताओं, इच्छाओं और पर्यावरण के अनुसार होना चाहिए।
  5. स्वास्थ्य शिक्षा में स्वास्थ्य के सभी पक्षों की विस्तृत जानकारी दी जानी चाहिए।

प्रश्न 7.
स्वास्थ्यपूर्ण विद्यालयी वातावरण हेतु किन मुख्य बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए?
उत्तर:
स्वास्थ्यपूर्ण विद्यालयी वातावरण हेतु निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए

(1) अध्यापकों को अपना पाठ्यक्रम बच्चों की इच्छाओं, आवश्यकताओं एवं रुचियों के अनुसार बनाना चाहिए। इसके लिए अध्यापक को अपने अनुभव का प्रयोग करना चाहिए।
(2) बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विद्यालय का भवन रेलवे स्टेशनों, सिनेमाघरों, कारखानों, यातायात सडकों आदि से दूर होना चाहिए।
(3) बच्चों के संपूर्ण विकास हेतु अध्यापकों एवं छात्रों में सहसंबंध होना चाहिए।
(4) विद्यालय की समय-सारणी का विभाजन छात्रों के स्तर के अनुसार होना चाहिए।

प्रश्न 8.
स्कूल स्वास्थ्य सेवाओं के प्रमुख उपाय या अभिकरण बताएँ। अथवा आजकल स्कूलों में बच्चों को अपने परिवेश के बारे में जागरूक बनाने हेतु अपनाए गए प्रमुख तरीके बताएँ।
उत्तर:
वर्तमान समय में स्कूलों में स्वास्थ्य के प्रति बच्चों को जागरूक बनाने के लिए नए-नए तरीके या उपकरण अपनाए जा रहे हैं। इनका विवरण निम्नलिखित है
1. मेडिकल निरीक्षण:
अनेक स्कूल सर्वप्रथम तो उस समय निरीक्षण की माँग करते हैं, जब बच्चे स्कूल में प्रवेश पाते हैं और उसके बाद वे नियमित अंतराल के बाद मेडिकल निरीक्षण करवाने पर जोर डाल सकते हैं । इसके अंतर्गत वे शारीरिक माप, स्वास्थ्य जाँच, बोलने एवं सुनने की जाँच तथा खून की जाँच करवाते हैं। इसके अतिरिक्त दाँतों की देखभाल, संचरणीय रोगों के लक्षण, कारण एवं इसकी रोकथाम के उपायों आदि की जानकारी भी सेमिनारों के माध्यम से दी जाती है।

2. रोगों से मुक्ति के कार्यक्रम:
अधिकतर स्कूल अनेक रोगों से मुक्ति के कार्यक्रम चलाते हैं; जैसे पल्स पोलियो, टी०बी०, मलेरिया, हेपेटाइटिस-बी, चेचक आदि।

3. एड्स जागरूकता संबंधी कार्यक्रम:
स्कूल राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिकतर भयानक बीमारियों; जैसे एड्स को नियंत्रण करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

4. प्राथमिक सहायता और आपातकालीन सेवाओं के पाठ्यक्रम:
स्कूलों के आधुनिक तरीकों के अंतर्गत विद्यार्थियों को कक्षाओं तथा पाठ्यक्रम के माध्यम से प्राथमिक सहायता तथा आपातकालीन सेवाओं की जानकारी दी जाती है।

प्रश्न 9.
स्वास्थ्य शिक्षा में सुधार के प्रमुख उपाय बताएँ। उत्तर-स्वास्थ्य शिक्षा में सुधार के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं

  1. स्वास्थ्य शिक्षा का पाठ्यक्रम बच्चों की आवश्यकताओं एवं रुचियों के अनुसार होना चाहिए।
  2. स्वास्थ्य शिक्षा संबंधी कार्यक्रम व्यावहारिक जीवन से संबंधित होने चाहिएँ।
  3. स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधी आदतें, पर्यावरण प्रदूषण, प्राथमिक उपचार, बीमारियों की रोकथाम आदि को चित्रों या फिल्मों की सहायता से समझाया या दिखाया जाना चाहिए।
  4. स्वास्थ्य शिक्षा में वाद-विवाद और भाषण आदि को अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  5. स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत स्वास्थ्यपूर्ण कार्यक्रमों को अधिक-से-अधिक बढ़ावा दिया जाना चाहिए, ताकि बच्चों को नियमित डॉक्टरी जाँच और अन्य सुविधाओं से लाभ हो सके।
  6. स्वास्थ्य शिक्षा में उन सभी पक्षों को शामिल करना चाहिए, जो छात्रों के सर्वांगीण विकास में सहायक हों।

प्रश्न 10.
हमारे जीवन में अच्छे स्वास्थ्य की महत्ता या उपयोगिता पर प्रकाश डालिए। अथवा स्वास्थ्य (Health) का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य के बिना कोई भी व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं कर सकता। अस्वस्थ व्यक्ति समाज की एक लाभदायक इकाई होते हुए भी बोझ बन जाता है। अतः स्वास्थ्य का हमारे जीवन में निम्नलिखित प्रकार से विशेष महत्त्व है

(1)स्वास्थ्य मानव व समाज का आधार स्तंभ है। यह असल में खुशी, सफलता और आनंदमयी जीवन की कुंजी है।
(2)अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति समाज व राष्ट्र के लिए उपयोगी होते हैं।
(3) स्वास्थ्य के महत्त्व के बारे में अरस्तू ने कहा था-“स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है।” अतः इस कथन से भी हमारे जीवन में स्वास्थ्य की उपयोगिता व्यक्त हो जाती है।
(4) स्वास्थ्य व्यक्ति के व्यक्तित्व को सुधारने व निखारने में सहायक होता है।
(5) स्वास्थ्य हमारे जीवन को उचित व संतुलित बनाने में सहायक होता है।
(6) किसी भी देश के नागरिकों के स्वास्थ्य व आर्थिक विकास में प्रत्यक्ष संबंध पाया जाता है यदि किसी देश के नागरिक स्वस्थ होंगे तो आर्थिक विकास भी अच्छा होगा।

प्रश्न 11.
स्कूल के स्वास्थ्य कार्यक्रम में शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
स्कूल के स्वास्थ्य कार्यक्रम में शिक्षक निम्नलिखित प्रकार से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है

  1. शिक्षक छात्रों को स्वास्थ्य कार्यक्रम की उपयोगिता बताकर उन्हें अपने स्वास्थ्य हेतु प्रेरित कर सकता है।
  2. वह छात्रों को व्यक्तिगत सफाई के लिए प्रेरित कर सकता है, ताकि छात्र स्वयं को नीरोग एवं स्वस्थ रख सकें।
  3. शिक्षक छात्रों को संक्रामक रोगों के कारणों एवं रोकथाम के उपायों की जानकारी दे सकता है।
  4. शिक्षक को चाहिए कि वह स्वास्थ्य शिक्षा की विषय-वस्तु से संबंधित विभिन्न सेमिनारों का आयोजन करे।
  5. वह छात्रों को अच्छी आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करे।

प्रश्न 12.
स्वास्थ्य अनुदेशन या निर्देशन से आप क्या समझते हैं? अथवा विद्यालयी स्वास्थ्य निर्देशन पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
स्वास्थ्य निर्देशन का आशय है-स्कूल के बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी ऐसी जानकारी देना कि वे स्वयं को स्वस्थ एवं नीरोग बना सकें। स्वास्थ्य निर्देशन स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों एवं दृष्टिकोणों का विकास करते हैं। ये बच्चों को अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाते हैं । इनका मुख्य उद्देश्य बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी सभी महत्त्वपूर्ण पहलुओं से अवगत कराना है ताकि वे स्वयं को स्वस्थ रख सकें। स्वास्थ्य संबंधी निर्देशन में वे सभी बातें आ जाती हैं जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होती हैं; जैसे अच्छी आदतें, सेहत को ठीक रखने के तरीके और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना आदि। शरीर की बनावट एवं संरचना, संक्रामक रोगों के लक्षण एवं कारण, इनकी रोकथाम या बचाव के उपायों के लिए बच्चों को फिल्मों या तस्वीरों आदि के माध्यम से अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। स्वास्थ्य निर्देशन की जानकारी प्राप्त कर बच्चे अनावश्यक विकृतियों या कमजोरियों का शिकार होने से बच सकते हैं।

प्रश्न 13.
शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा में क्या अंतर है?
उत्तर:
शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य शिक्षा में परस्पर अटूट संबंध है। दोनों एक-दूसरे के पूरक माने जाते हैं, क्योंकि आज एक ओर जहाँ स्वास्थ्य शिक्षा को शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत पढ़ाया जाता है, वहीं दूसरी ओर स्वास्थ्य शिक्षा के अध्ययन में भी शारीरिक शिक्षा के पक्षों पर जोर दिया जाता है। फिर भी इनमें कुछ अंतर है। शारीरिक शिक्षा के अंतर्गत शारीरिक गतिविधियों या क्रियाओं पर विशेष बल दिया जाता है, जबकि स्वास्थ्य शिक्षा के अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

प्रश्न 14.
अभिभावकों को शिक्षित करके बच्चों में होने वाले रोगों की रोकथाम किस प्रकार की जा सकती है?
अथवा
माता-पिता किस प्रकार बच्चों की रोगों से बचाव हेतु सहायता कर सकते हैं?
उत्तर:
अभिभावकों को शिक्षित करके बच्चों में होने वाले रोगों की रोकथाम निम्नलिखित उपायों द्वारा की जा सकती है

  1. अभिभावकों को उचित एवं संतुलित आहार तथा विशेष परिस्थितियों में भोजन की आवश्यकताओं का ज्ञान कराने से बच्चों में कुपोषण से होने वाले रोगों की रोकथाम की जा सकती है।
  2. बच्चों के जन्म के समय मृत्यु होने की घटनाएँ बहुत अधिक होती हैं। इससे बचने के लिए गर्भवती स्त्री को गर्भकाल में पौष्टिक आहार देना चाहिए तथा टैटनस के टीके भी लगवाने चाहिएँ।
  3.  जन्म के बाद बच्चों में रोगों के कारण मृत्यु होने की घटनाएँ अधिक संख्या में होती हैं। इनकी रोकथाम के लिए आवश्यक है कि अभिभावक अपने बच्चों को समय-समय पर प्रतिरक्षी टीके लगवाएँ।
  4. बच्चों के रोगी होने का एक प्रमुख कारण माताओं द्वारा स्तनपान न कराना है। महिलाओं को यह ज्ञान कराना आवश्यक है कि बच्चे के लिए माँ का दूध सर्वोत्तम आहार है। इससे बच्चे को सभी पोषक तत्त्व तथा प्रतिजैविक पदार्थ प्राप्त होते हैं।
  5. अभिभावकों को विभिन्न रोगाणुओं से संक्रमण के तरीके तथा उनसे बचाव के उपायों की शिक्षा देकर भी बच्चों को इनसे होने वाले रोगों से बचाया जा सकता है।

प्रश्न 15.
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के महत्त्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर:
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम से बच्चे अनेक बीमारियों की रोकथाम तथा उपचार के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। स्वास्थ्य तथा स्वच्छता की जानकारी स्वस्थ समाज के निर्माण में सहायक है। स्कूल के दिनों में बच्चों में जिज्ञासा की प्रवृत्ति अति तीव्र होती है। उनकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए ये कार्यक्रम अति आवश्यक होते हैं। सभी स्कूली छात्र कक्षा के अनुसार समान आयु के होते हैं, इसलिए उनकी समस्याएँ भी लगभग एक-जैसी होती हैं और उनके निदान के प्रति दृष्टिकोण भी एक-जैसा ही होता है। इसलिए स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम सभी छात्रों के लिए समान रूप से उपयोगी होते हैं। स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों को पोषक तत्त्वों एवं खनिज-लवणों की जानकारी की महत्ता बताई जाती है जो उनकी संपूर्ण जिंदगी में सहायक होती है। स्कूल के दिनों के दौरान विद्यालयी स्वास्थ्य कार्यक्रम अनेक अच्छी आदतों के निर्माण में सहायक हैं जो समाज के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 16.
स्कूल में स्वास्थ्य निर्देशन के मुख्य उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
स्कूल में स्वास्थ्य निर्देशन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. बच्चों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य की जानकारी देना।
  2. बच्चों को स्वास्थ्य के विषय में पर्याप्त ज्ञान देना।
  3. स्वास्थ्य संबंधी महत्त्वपूर्ण नियमों या सिद्धांतों की जानकारी देना।
  4. संक्रामक रोगों की रोकथाम के उपायों की जानकारी देना।
  5. बच्चों को अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देने हेतु प्रेरित करना।
  6. अच्छी आदतें एवं सेहत को ठीक रखने के उपाय बताना।

प्रश्न 17.
विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाओं पर संक्षिप्त नोट लिखें। अथवा विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाओं से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
छात्रों को शिक्षा देने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य की रक्षा करना भी विद्यालय का मुख्य उत्तरदायित्व माना जाता है। विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाएँ, वे सेवाएँ हैं जिनके माध्यम से छात्रों के स्वास्थ्य की जाँच की जाती है और उनमें पाए जाने वाले दोषों से माता-पिता को अवगत करवाया जाता है ताकि समय रहते उन दोषों का उपचार किया जा सके। इन सेवाओं के अंतर्गत स्कूल के अन्य कर्मचारियों एवं अध्यापकों के स्वास्थ्य की भी जाँच की जाती है। इनके अंतर्गत छाों को स्वास्थ्य संबंधी शिक्षा प्रदान की जाती है और उन्हें सभी प्रकार की बीमारियों के लक्षणों, कारणों, रोकथाम या बचाव के उपायों की जानकारी प्रदान की जाती है। स्कूल/विद्यालय में ऐसी सुविधाओं को विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाएँ (School Health Services) कहा जाता है। आधुनिक युग में इन सेवाओं की बहुत आवश्यकता है।

प्रश्न 18.
प्रो० एण्डर्सन के अनुसार स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
प्रो० एण्डर्सन (Prof. Anderson) के अनुसार स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. सभी तरह के रोगों के कारणों व लक्षणों का पता लगाना तथा इलाज व रोकथाम के उपाय ढूंढना।
  2. छात्रों की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताओं को समझना।
  3. छात्रों का नियमित डॉक्टरी निरीक्षण करवाना।
  4. छात्रों को स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक परीक्षण देना।
  5. छात्रों में अपने स्वास्थ्य हेतु जागरूकता पैदा करना।
  6. छात्रों को पर्यावर्णिक स्वास्थ्य या आस-पास के स्वास्थ्य की महत्ता समझाना।
  7. छात्रों को व्यक्तिगत व पर्यावरण की स्वच्छता या सफाई की उपयोगिता बताना।
  8. छात्रों में स्वास्थ्य संबंधी अभिरुचियों का विकास करना।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न [Very Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
स्वास्थ्य व्यक्ति का वह गुण है, जिसमें वह मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है तथा जिसके सभी शारीरिक संस्थान व्यवस्थित रूप से सुचारु होते हैं। इसका अर्थ न केवल बीमारी अथवा शारीरिक कमजोरी की अनुपस्थिति है, अपितु शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ होना भी है। यह एक ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति का मन या आत्मा प्रसन्नचित और शरीर रोग-मुक्त रहता है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

प्रश्न 2.
स्वास्थ्य की कोई दो परिभाषा लिखें।
उत्तर:
(1) जे०एफ० विलियम्स के अनुसार, “स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है, जिससे व्यक्ति दीर्घायु होकर उत्तम सेवाएँ प्रदान करता है।”
(2) विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, “स्वास्थ्य केवल रोग या विकृति की अनुपस्थिति को नहीं, बल्कि संपूर्ण शारीरिक, मानसिक व सामाजिक सुख की स्थिति को कहते हैं।”

प्रश्न 3.
विद्यालयी स्वास्थ्य कार्यक्रम के विभिन्न अंग कौन-कौन-से हैं?
उत्तर:
(1) स्वास्थ्य सेवाएँ,
(2) स्वास्थ्यपूर्ण स्कूली वातावरण,
(3) स्वास्थ्य निर्देश।

प्रश्न 4.
सर्वपक्षीय विकास से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सर्वपक्षीय विकास से अभिप्राय व्यक्ति के सभी पक्षों का विकास करना है। वह शारीरिक पक्ष से बलवान, मानसिक पक्ष से तेज़, भावात्मक पक्ष से संतुलित, बौद्धिक पक्ष से समझदार और सामाजिक पक्ष से स्वस्थ हो। सर्वपक्षीय विकास से व्यक्ति के व्यक्तित्व में बढ़ोत्तरी होती है। वह परिवार, समाज और राष्ट्र की संपत्ति बन जाता है।

प्रश्न 5.
स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम मुख्यतः कैसे होने चाहिएँ?
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा के कार्यक्रम रुचिकर, मनोरंजक तथा शिक्षाप्रद होने चाहिएँ, ताकि इनमें सभी बढ़-चढ़कर भाग ले सकें। ये बच्चों की रुचि, स्वास्थ्य के स्तर तथा वातावरण की आवश्यकता के अनुसार तथा व्यावहारिक भी होने चाहिएँ, ताकि इनसे स्वास्थ्य संबंधी सभी पहलुओं की उचित जानकारी प्राप्त हो सके।

प्रश्न 6.
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ लिखते हुए कोई एक परिभाषा लिखें।
अथवा
डॉ० थॉमस वुड के अनुसार स्वास्थ्य शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य शिक्षा मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों या पहलुओं के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्मनिर्भर बनने में सहायता करते हैं। डॉ० थॉमस वुड के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का समूह है, जो व्यक्ति, समुदाय और सामाजिक स्वास्थ्य से संबंधित आदतों, व्यवहारों और ज्ञान को प्रभावित करते हैं।”

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

प्रश्न 7.
अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के आवश्यक कारक बताएँ।
उत्तर:
(1) व्यक्तिगत तथा पर्यावरण स्वच्छता,
(2) व्यायाम तथा उचित विश्राम,
(3) भोजन में पौष्टिक तत्त्व एवं खनिज-लवण,
(4) स्वच्छ भोजन व जल का उपयोग।

प्रश्न 8.
विद्यालयी स्वास्थ्य निर्देशन के कोई दो उद्देश्य लिखें।
उत्तर:
(1) बच्चों को व्यक्तिगत स्वास्थ्य की महत्ता की जानकारी देना,
(2) बच्चों को स्वास्थ्य के विषय में पर्याप्त ज्ञान देना।

प्रश्न 9.
स्वास्थ्यपूर्ण विद्यालयी जीवन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
स्वास्थ्यपूर्ण स्कूली जीवन का अर्थ है कि स्कूल में संपूर्ण स्वच्छ वातावरण का होना या ऐसे वातावरण का निर्माण करना जिससे छात्रों की सभी क्षमताओं एवं योग्यताओं को विकसित किया जा सके। स्कूल का स्वच्छ वातावरण ही छात्रों के सामाजिक-भावनात्मक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है और साथ-ही-साथ उन्हें अधिक-से-अधिक सीखने हेतु प्रेरित करता है।

प्रश्न 10.
स्वास्थ्य अनुदेशन के कोई दो मार्गदर्शक सिद्धांत बताइए।
उत्तर:
(1) स्वास्थ्य संबंधी किसी विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता करवाना।
(2) स्वास्थ्य के सभी पहलुओं से संबंधित साहित्य स्कूल पुस्तकालय में उपलब्ध करवाना।

प्रश्न 11.
विद्यालयी स्वास्थ्य सेवाओं के कोई तीन उद्देश्य लिखें।
उत्तर:
(1) छात्रों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देना,
(2) उन्हें स्वास्थ्य के नियमों से अवगत कराना,
(3) उन्हें संक्रामक व असंक्रामक रोगों के कारणों और उनकी रोकथाम या बचाव के उपायों की जानकारी देना।

प्रश्न 12.
स्वस्थ व्यक्ति के कोई दो गुण लिखें।
उत्तर:
(1) स्वस्थ व्यक्ति का व्यक्तित्व आकर्षक एवं सुंदर होता है,
(2) वह चुस्त एवं फुर्तीला होता है।

प्रश्न 13.
पोषण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जीव की वृद्धि, विकास, अनुरक्षण एवं सभी सजीव प्रक्रमों को सुचारु रूप से चलाने के लिए आवश्यक सभी पदार्थों (पोषकों) के अधिग्रहण को पोषण कहते हैं।

प्रश्न 14.
स्वस्थ व्यक्ति की क्या पहचान है?
अथवा
स्वस्थ व्यक्ति की मुख्य विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
(1) स्वस्थ व्यक्ति अपने सभी कार्य अच्छे से एवं तीव्रता से करने में समर्थ होता है।
(2) उसके शरीर में फूर्ति एवं लचकता होती है।
(3) उसके शारीरिक संस्थान सुचारु रूप से कार्य करते हैं और उनकी कार्यक्षमता अधिक होती है।
(4) उसका मन शांत और शरीर स्वस्थ होता है।

प्रश्न 15.
विद्यार्थियों के लिए स्वस्थ रहना क्यों अधिक महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
विद्यार्थी का मुख्य उद्देश्य शिक्षा प्राप्त करना होता है। शिक्षा प्राप्त करने हेतु विद्यार्थी का स्वास्थ्य बहुत महत्त्वपूर्ण होता है, इसलिए विद्यार्थियों के लिए स्वस्थ रहना अधिक महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि अस्वस्थ विद्यार्थी के लिए शिक्षा प्राप्त करना कठिन होता है। किसी ने ठीक ही लिखा है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है। अच्छे स्वास्थ्य के द्वारा ही विद्यार्थी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकता है। अच्छी शिक्षा प्राप्त करके वह देश के विकास में अपना योगदान देता है।

प्रश्न 16.
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
बच्चे राष्ट्र की धरोहर हैं । स्कूल में जाने वाले बच्चे किसी राष्ट्र को सशक्त व मजबूत बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समस्त राष्ट्र का उत्तरदायित्व उनके कोमल कंधों पर टिका होता है। इसलिए स्कूल के बच्चों का स्वास्थ्य ही स्कूल प्रणाली का महत्त्वपूर्ण तथा प्राथमिक मुद्दा है। अतः स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम वह ग्रहणित प्रक्रिया है जिसको स्कूली स्वास्थ्य सेवाओं, स्वास्थ्यप्रद स्कूली जीवन और स्वास्थ्य निर्देश में बच्चों के स्वास्थ्य के विकास के लिए अपनाया जाता है।

HBSE 9th Class Physical Education स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न [Objective Type Questions]

प्रश्न 1.
“स्वास्थ प्रथम पूँजी है।” यह किसका कथन है?
उत्तर:
यह कथन इमर्जन का है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

प्रश्न 2.
किसके बिना मानसिक स्वास्थ्य अधूरा है?
उत्तर:
शारीरिक स्वास्थ्य के बिना मानसिक स्वास्थ्य अधूरा है।

प्रश्न 3.
सोफी के अनुसार, स्वास्थ्य शिक्षा किसे कहते हैं?
उत्तर:
सोफी के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े व्यवहार से संबंधित है।”

15 प्रश्न 4.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, स्वास्थ्य शिक्षा किसे कहते हैं?
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ रहने की स्थिति को कहते हैं न कि केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ या रोगमुक्त होने को।”

प्रश्न 5.
“स्वस्थ शरीर आत्मा का अतिथि-भवन और दुर्बल तथा रुग्ण शरीर आत्मा का कारागृह है।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन रोजर बेकन ने कहा।

प्रश्न 6.
“स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क वास करता है।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन अरस्तू ने कहा।

प्रश्न 7.
किसी देश का कल्याण किसके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है?
उत्तर:
किसी देश का कल्याण उस देश के नागरिकों के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।

प्रश्न 8.
स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत आने वाले कोई दो कार्यक्रमों के नाम बताएँ।
उत्तर:
(1) एड्स जागरूकता संबंधी कार्यक्रम,
(2) मेडिकल निरीक्षण कार्यक्रम।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

प्रश्न 9.
प्राचीनकाल में स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध किससे था?
उत्तर:
प्राचीनकाल में स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध स्वास्थ्य निर्देशन से था।

प्रश्न 10.
विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को मनाया जाता है।

प्रश्न 11.
‘प्रोटीन’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया?
उत्तर:
प्रोटीन’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम जे० बरजेलियास ने किया।

प्रश्न 12.
“एक कमजोर आदमी जिसका शरीर या मन कमजोर है वह कभी भी मजबूत काया का मालिक नहीं बन सकता।” यह कथन किसने कहा?
उत्तर:
यह कथन स्वामी विवेकानंद जी ने कहा।

प्रश्न 13.
W.H.O. का पूरा नाम लिखें।
उत्तर:
World Health Organisation

प्रश्न 14.
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम तीन प्रकार के होते हैं।

प्रश्न 15.
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य संबंधी कोई एक समस्या बताएँ।
उत्तर:
डॉक्टरों व अस्पतालों का अभाव।

प्रश्न 16.
शहरों में स्वास्थ्य संबंधी प्रमुख समस्या क्या है?
उत्तर:
यातायात वाहनों की अधिकता के कारण प्रदूषण बढ़ना।

प्रश्न 17.
जन-साधारण को स्वास्थ्य-संबंधी उपयोगी जानकारी देने वाले माध्यम या साधन बताएँ।
उत्तर:
टेलीविजन, रेडियो, वार्तालाप, भाषण, अखबार आदि।

प्रश्न 18.
अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति का व्यक्तिगत जीवन कैसा होता है?
उत्तर:
अच्छे स्वास्थ्य वाले व्यक्ति का व्यक्तिगत जीवन शांत एवं सुखमय होता है।

प्रश्न 19.
आनन्दमय जीवन की कुंजी क्या है?
उत्तर:
आनन्दमय जीवन (Felicitious Life) की कुंजी स्वस्थ शरीर अर्थात् स्वास्थ्य है।

प्रश्न 20.
वंशानुक्रम क्या है? उत्तर-जो गुण या विशेषता हम अपने जन्म के समय प्राप्त करते हैं, उसे ही वंशानुक्रम कहते हैं।

प्रश्न 21.
स्वास्थ्य का कोई एक पहलू बताएँ।
उत्तर:
शारीरिक स्वास्थ्य।

प्रश्न 22.
मानसिक स्वास्थ्य का क्या अर्थ है?
उत्तर:
दबाव व तनाव से मुक्ति।

बहुविकल्पीय प्रश्न [Multiple Choice Questions]

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य का शाब्दिक अर्थ है
(A) स्वस्थ शरीर
(B) स्वस्थ दिमाग
(C) स्वस्थ आत्मा
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

प्रश्न 2.
स्वास्थ्य हृष्ट-पुष्ट होने की एक दशा है।” यह कथन किसके अनुसार है?
(A) यूनिसेफ के
(B) विश्व स्वास्थ्य संगठन के
(C) अंग्रेज़ी पद के
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) अंग्रेजी पद के

प्रश्न 3.
स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम किसको ध्यान में रखकर तय करना चाहिए?
(A) बच्चों की आयु और लिंग को
(B) बच्चे के स्वास्थ्य को
(C) बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक स्तर को
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4.
“स्वास्थ्य ही असली धन है, न कि सोने एवं चाँदी के टुकड़े।” यह कथन है
(A) महात्मा गाँधी का
(B) डॉ० थॉमस वुड का
(C) हरबर्ट स्पेंसर का
(D) जे०एफ०विलियम्स का
उत्तर:
(A) महात्मा गाँधी का

प्रश्न 5.
स्कूल स्वास्थ्य के चरण हैं
(A) स्वास्थ्य सेवाएँ
(B) स्कूली वातावरण
(C) स्वास्थ्य निर्देश
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 6.
स्वास्थ्य के आयाम हैं
(A) शारीरिक स्वास्थ्य
(B) मानसिक स्वास्थ्य
(C) सामाजिक व आध्यात्मिक स्वास्थ्य
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 7.
किसने स्वास्थ्य को प्रथम पूँजी’ कहा?
(A) स्वामी विवेकानंद ने
(B) इमर्जन ने
(C) गाँधी जी ने
(D) डॉ० थॉमस वुड ने
उत्तर:
(B) इमर्जन ने

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

प्रश्न 8.
स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्य हैं
(A) स्वास्थ्य संबंधी ज्ञान देना
(B) उचित मार्गदर्शन करना
(C) स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों का विकास करना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 9.
प्राचीनकाल में स्वास्थ्य शिक्षा का संबंध किससे था?
(A) स्वास्थ्य सेवाओं से
(B) स्वास्थ्य अनुदेशन से
(C) स्वास्थ्य निरीक्षण से
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) स्वास्थ्य अनुदेशन से

प्रश्न 10.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
(A) न्यूयार्क में
(B) पेरिस में
(C) जेनेवा में
(D) लंदन में
उत्तर:
(C) जेनेवा में

प्रश्न 11.
साधारण जनता को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी जाती है
(A) रेडियो द्वारा
(B) टेलीविजन द्वारा
(C) अखबार द्वारा
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 12.
स्कूल स्वास्थ्य प्रणाली का सबसे महत्त्वपूर्ण एवं प्राथमिक मुद्दा है
(A) स्कूल का प्रबंधन
(B) बच्चों का स्वास्थ्य
(C) बच्चों की पढ़ाई
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) बच्चों का स्वास्थ्य

प्रश्न 13.
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम मुख्यतः कितने प्रकार का होता है?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5.
उत्तर:
(B) 3

प्रश्न 14.
स्वास्थ्य शिक्षा का कार्यक्रम होना चाहिए
(A) रुचिपूर्ण
(B) शिक्षा से भरपूर
(C) मनोरंजनात्मक
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व

प्रश्न 15.
अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए उत्तरदायी कारक है
(A) व्यक्तिगत तथा घरेलू स्वच्छता
(B) व्यायाम तथा विश्राम
(C) संतुलित व पौष्टिक आहार
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 16.
विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रतिवर्ष कब मनाया जाता है?
(A) 7 अप्रैल को
(B) 8 मार्च को
(C) 14 अप्रैल को
(D) 15 मार्च को
उत्तर:
(A) 7 अप्रैल को

प्रश्न 17.
W.H.0. का पूरा नाम है
(A) Organisation of World Health
(B) World Health Organisation
(C) World Healthy Organisation
(D) Health World Organisation
उत्तर:
(B) World Health Organisation

प्रश्न 18.
व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक क्षमता की पूर्णरूपेण समन्वित स्थिति को क्या कहते हैं?
(A) स्वास्थ्य
(B) स्वस्थता
(C) सुयोग्यता
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) स्वास्थ्य

स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व Summary

स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व परिचय

स्वास्थ्य (Health):
अच्छा स्वास्थ्य होना जीवन की सफलता के लिए बहुत आवश्यक है, क्योंकि अच्छे स्वास्थ्य से कोई व्यक्ति किसी निर्धारित उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल हो सकता है। आरोग्य व्यक्ति को स्वस्थ कहना बहुत बड़ी भूल है। स्वस्थ व्यक्ति उसे कहा जाता है जिसकी सभी शारीरिक प्रणालियाँ ठीक ढंग से कार्य करती हों और वह स्वयं को वातावरण के अनुसार ढालने में सक्षम हो। प्रत्येक व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य का अर्थ भिन्न-भिन्न होता है। कुछ लोगों के लिए यह बीमारी से छुटकारा है तो कुछ के लिए शरीर और दिमाग का सुचारु रूप से कार्य करना। स्वास्थ्य का शाब्दिक अर्थ स्वस्थ शरीर, दिमाग तथा मन से चुस्त-दुरुस्त होने की अवस्था है, विशेष रूप से किसी बीमारी या रोग से मुक्त होना है। अत: स्वास्थ्य कोई लक्ष्य नहीं, बल्कि जीवन में उपलब्धि प्राप्त करने का साधन है। महात्मा गौतम बुद्ध (Mahatma Gautam Budh) ने स्वास्थ्य के बारे में कहा- “हमारा कर्तव्य है कि हम अपने शरीर को स्वस्थ रखें अन्यथा हम अपने मन को सक्षम और शुद्ध नहीं रख पाएंगे।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation-W.H.O.):
के अनुसार, “स्वास्थ्य केवल रोग या विकृति की अनुपस्थिति को नहीं, बल्कि संपूर्ण शारीरिक, मानसिक व सामाजिक सुख की स्थिति को कहते हैं।” अतः स्वास्थ्य के नए दर्शन-शास्त्र को निम्नलिखित बातों से समझा जा सकता है

(1) स्वास्थ्य एक आधारभूत अधिकार है।
(2) स्वास्थ्य समस्त संसार का सामाजिक ध्येय है।
(3) स्वास्थ्य विकास का अभिन्न अंग है।
(4) स्वास्थ्य जीवन की गुणवत्ता की धारणा का केंद्र बिंदु है।

स्वास्थ्य शिक्षा (Health Education):
स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ उन सभी आदतों से है जो किसी व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान देती हैं। इसका संबंध मनुष्य के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य से है। यह शिक्षा मनुष्य को स्वास्थ्य के उन सभी मौलिक सिद्धांतों के बारे में जानकारी देती है जो स्वस्थ जीवन के अच्छे ढंगों, आदतों और व्यवहार का निर्माण करके मनुष्य को आत्म-निर्भर बनाने में सहायता करते हैं। अत: यह एक ऐसी शिक्षा है जिसके बिना मनुष्य की सारी शिक्षा अधूरी रह जाती है।

डॉ० थॉमस वुड (Dr. Thomas Wood):
के अनुसार, “स्वास्थ्य शिक्षा उन अनुभवों का समूह है, जो व्यक्ति, समुदाय और सामाजिक स्वास्थ्य से संबंधित आदतों, व्यवहारों और ज्ञान को प्रभावित करते हैं।”

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 1 स्वास्थ्य शिक्षा का अर्थ एवं महत्त्व Read More »

HBSE 9th Class English Solutions Beehive & Moments Haryana Board

Haryana Board HBSE 9th Class English Solutions Beehive & Moments

HBSE 9th Class English Solutions Beehive

HBSE Haryana Board 9th Class English Beehive Prose

HBSE Haryana Board 9th Class English Beehive Poem

HBSE 9th Class English Solutions Moments

HBSE Haryana Board 9th Class English Supplementary Reader Moments

HBSE Class 9 English Grammar

HBSE Class 9 English Composition

HBSE Class 9 English Reading Comprehension

HBSE 9th Class English Solutions Beehive & Moments Haryana Board Read More »

HBSE 9th Class Solutions in Hindi Medium & English Medium Haryana Board

HBSE 9th Class Solutions in Hindi Medium & English Medium Haryana Board Read More »

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Haryana Board

Haryana Board HBSE 9th Class Physical Education Solutions

HBSE 9th Class Physical Education Solutions in Hindi Medium

HBSE 9th Class Physical Education Solutions in English Medium

  • Chapter 1 Meaning and Importance of Health Education
  • Chapter 2 Meaning and Importance of Personal Health
  • Chapter 3 Meaning, Aims and Objectives of Physical Education
  • Chapter 4 Role of Physical Education in the Development of Individual and Society
  • Chapter 5 Meaning, Definition and Values of Yoga
  • Chapter 6 Role of Various Competitive Games & Sports in Physical Education
  • Chapter 7 Effects of Drinking, Smoking and Abuses of Drugs
  • Chapter 8 Safety Education and First Aid

HBSE 9th Class Physical Education Question Paper Design

Class: 9th
Subject: Health & Physical Education
Paper: Annual or Supplementary
Marks: 60
Time: 3 Hours

1. Weightage to Objectives:

ObjectiveKUATotal
Percentage of Marks403525100
Marks24211560

2. Weightage to Form of Questions:

Forms of QuestionsESAVSAOTotal
No. of Questions3761228
Marks Allotted1521121260
Estimated Time70702515180

3. Weightage to Content:

Units/Sub-UnitsMarks
1. Meaning & Importance of Health Education11
2. Meaning & Importance of Personal Health6
3. Meaning, aims and objectives of Physical Education7
4. Role of Physical Education in the development of Individual and Society7
5. Meaning, Definition and Values of Yoga9
6. Role of Various Competitive Games and Sports in Physical Education4
7. Effects of Drinks, Smoking and Abuse of Drugs7
8. Safety Education and First Aid9
Total60

4. Scheme of Sections:

5. Scheme of Options: Internal Choice in Long Answer Question, i.e. Essay Type

6. Difficulty Level:
Difficult: 10% marks
Average: 50% marks
Easy: 40% marks

Abbreviations: K(Knowledge), U(Understanding), A(Application), S(Skill), E(Essay Type), SA(Short Answer Type), VSA(Very Short Answer Type), O(Objective Type).

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Haryana Board Read More »

HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र

Haryana State Board HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र

HBSE 9th Class Civics समकालीन विश्व में लोकतंत्र Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्नलिखित विकल्पों में सही विकल्प का चयन कीजिए।
(क) लोगों को संघर्ष
(ख) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण .
(ग) उपनिवेशवाद का अंत
(घ) लोगों की स्वतंत्रता की चाह
उत्तर-
(ख) विदेशी शासन द्वारा आक्रमण .

2. आज की दुनिया के बारे में इनमें से कौन-सा कथन सही है?
(क) राजशाही शासन की वह पद्धति है जो अब समाप्त हो गई हैं।
(ख) विभिन्न देशों में बीच संबंध पहले के किसी वक्त से अब नहीं ज्यादा लोकतांत्रिक हैं।
(ग) आज पहले के किसी दौर से ज्यादा देशों में शासकों का चुनाव लोगों के द्वारा हो रहा है।
(घ) आज दुनिया में सैनिक तानाशाह नहीं रह गए हैं।
उत्तर-
(ग) आज पहले के किसी दौर से ज्यादा देशों में शासकों का चुनाव लोगों के द्वारा हो रहा है।

3. निम्नलिखित वाक्यांशाके में से किसी एक का चुनाव करके इस वाक्य को पूरा कीजिए। अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में लोकतंत्र की जरूरत है ताकि…….
(क) अमीर देशों की बातों का ज्यादा वजन हो।
(ख) विभिनन देशों की बात का वजन उनकी सैन्य शक्ति के अनुपात में हो।
(ग) देशों को उनकी आबादी के अनुपात में समान मिले।
(घ) दुनिया के सभी देशों के साथ समान व्यवहार हो।
उत्तर-
(घ) दुनिया के सभी देशों के साथ समान व्यवहार हो।

4. इन देशों और लोकतंत्र की उनकी राह में मेल बैठाएँ
I. देश — II. लोकतंत्र की ओर
(क) चिले — 1. ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से आजादी
(ख) नेपाल — 2. सैनिक तानाशाही की समाप्ति ।
(ग) पोलैंड — 3. एक दल के शासन का अंत
(घ) घाना — 4. राजा ने अपने अधिकार छोड़ने पर सहमति दी।
उत्तर-
(क-2, ख-4, ग-3, घ-1)

प्रश्न 5.
गैर-लोकतांत्रिक शासन वाले देशों के लोगों को किन-किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है? इस अध्याय में दिए गए उदाहरणों के आधार पर इस कथन मे पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर-

  • ऐसे लोगों को मूल अधिकारों से वंचित किया जात है।
  • उन पर हुए अत्याचारों के विरुद्ध उन्हें आवाज उठाने की आज़ादी नहीं होती।
  • वह अपना विरोध व्यक्त नहीं कर सकते।
  • अपनी शिकायतों को ज़ाहिर करने के लिए उन्हें संघ-समुदाय बनाने की अनुमति नहीं होती।
  • उन्हें स्वतंत्रताएँ प्राप्त नहीं होती।

HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र

प्रश्न 6.
जब सेना लोतंत्र को उखाड़ फेंकती हैं, तो सामान्यतः कौन-सी स्वतंत्रताएँ छीन ली जाती हैं?
उत्तर-
जब सेना लोकतंत्र को उखाड़ फेंकती है तो सामान्यतः लोगों की सभी स्वतंत्रताएँ छीन ली जाती हैं। वह अपने विचार नहीं रख सकते, उन विचारों की अभिव्यक्ति नहीं कर सकते। अपने संघ-समुदाय नहीं बना सकते तथा गतिविधियों व आन्दोलन के लिए एकत्रित नहीं हो सकते।

प्रश्न 7.
वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र बढ़ाने में किन बातों में मदद मिलेगी? प्रत्येक मामले में अपने जवाब के पक्ष में तर्क दीजिए।
(क) मेरा देश अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं को ज्यादा पैसे देता है इसलिए मैं चाहता हूँ कि मेरे साथ ज्यादा सम्मानजनक व्यवहार हो और मुझे ज्यादा अधिकार मिलें।
(ख) मेरा देश छोटा या गरीब हो सकता है लेकिन मेरी आवाज को समान आदर के साथ सुना जाना चाहिए क्योंकि इन फैसलों का मेरे देश पर भी असर होगा।
(ग) अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अमीर देशों की ज्यादा चलनी चाहिए। गरीब देशों की संख्या ज्यादा है, सिफ, इसके चलते अमीर देश अपने हितों का नुकसान नहीं होने दे सकते।
(घ) भारत जैसे बड़े देशों की आवाज का अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में ज्यादा वज़न होना ही चाहिए।
उत्तर-
(क) एक ऐश द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं को अधिक धन देने का यह अर्थ नहीं है कि उसे अन्य देशों की अपेक्षा अधिक समान प्राप्त हो तथा दूसरे देशों को उस देश की अपेक्षा कम अधिकार प्राप्त हों। लोकतंत्र धन के बलबूते पर नहीं पनपने चाहिए और न ही ऐसी व्यवस्था में धनियों का शासन हो।
(ख) एक देश छोटा व निर्धन देश हो सकता है। लोकतंत्र के स्वच्छ संचालन के लिए सभी देशों को (छोटे-बड़े, अमीर-अनर्धन आदि) समान व्यवहार मिलना चाहिए। लोकतंत्र में निर्णय सभी देशों द्वारा समान रूप से किए जाने चाहिएँ।
(ग) यदि अमीर देशों को अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में अधिक महत्त्व मिलता है तथा उनकी बात अधिक सुनी जाती है तो विश्व मंच पर वह अपवने हितों को प्रोत्साहित करेंगे। यह प्रवृत्ति लोकतंत्र को मज़बूत नहीं करती, अपितु छति पहुँचाती हैं।
(घ) वह देश जो जनंसख्या तथा आकार में बड़े देश – हैं जैसे भारत, ऐसे देशों को आनुपातिक आधार पर प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। मिल ने कहा था कि लोकतंत्र में आनुपातिक आधार पर प्रतिनिधित्व प्राप्त हो, गैर-आनुपातिक आधार पर नहीं।

प्रश्न 8.
नेपाल के संकट पर हुई एक टीवी चर्चा में व्यक्त किए गए तीन विचार कुछ इस प्रकार के थे। इनमें से आप किसे सही मानते हैं और क्यों?
वक्त-1: भारत एक लोकतांत्रिक देश है इसलिए राजशाही के खिलाफ और लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले नेपाली लोगों के समर्थन में भारत सरकार को ज्यादा दखल देना चाहिए।
वक्ता 2: यह एक खतरनाक तर्क है। हम उस स्थिति में पहुँच जाएँगे जहाँ इराक के मामले में अमेरिका पहुँचा है। किसी भी बाहरी शक्ति के सहारे लोकतंत्र नहीं आ सकता।
वक्ता-3: लेकिन हमें किसी देश के आंतरिक मामलों की चिंता ही क्यों करनी चाहिए? हमें वहाँ अपने व्यावसायिक हितों की चिंता करनी चाहिए लोकतंत्र की नहीं।
उत्तर-
लोकतंत्र थोपा नहीं जा सकता, थोपा जाना चाहिए भी नहीं। जब लोकतंत्र को थोपा जाता है जैसाकि अमेरिका ने इराक में करने का प्रयास किया है।, यह लोकतंत्र थोपने का प्रयास है भारत सहित अन्य देशों का यह यत्न होना चाहिए कि लोकतंत्र ऊपर से थोपा नहीं जाना चाहिए। कोई किसी को तैरना सिखा सकता है, परन्तु यदि कोई तैरना सीखता ही नहीं चाहता, तो कोई क्या कर सकता है, तीसरे वक्ता के विचार अधिक वज़नी हैं। हमें अन्य देशों में अपने हित सुरक्षित करने चाहिएँ, परंतु अपने हितों के बदले उन्हें लोकतांत्रिक नहीं बनाना चाहिए।

HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र

प्रश्न 9.
एक काल्पनिक देश आनंदलोक में लोग विदेशी शासन को समाप्त करके पुराने राजपरिवार को सत्ता सौपते हैं। वे कहते हैं, ‘आखिर ज विदेशियों ने हमारे ऊपर राज करना शुरू किया तब इन्ही के पूर्वज हमारे राजा थे। यह अच्छा है कि हमारा एक मजबूत शासक है जो हमें अमीर और ताकतवर बनने में मदद कर सकता है।’ जब किसी ने लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की बात की तो वहाँ के सयाने लागों ने कह कि यह तो एक विदेशी विचार है। हमारी लड़ाई विदेशियों और उनके विचारों को देश से खदेड़ने की थी। जब किसी ने मीडिया की आज़ादी की माँग की तो बड़े-बुजुर्गों ने कहा कि शासन की ज्यादा आलोचना करने से नुकसान होगा और इससे अपने जीवन स्तर को सुधारने में कोई मदद नहीं मिलेगी। “आखिर महाराज दयावान हैं और अपनी पूरी प्रजा के कल्याण में बहुत दिलचस्पी लेते हैं। उनके लिए मुश्किलें क्यों पैदा की जाएँ? क्या हम सभी खुशहाल नहीं होना चाहते?”
उपरोक्त उद्धरण को पढ़ने के बाद चयन, चंपा और चंदू ने कुछ इस तरह के निष्कर्ष निकाले :
चमन-:-आनंदलोक एक लोकतांत्रिक देश है क्योंकि लोगों ने विदेशी शासकों का उखाड़ फेका औरा राजा का शासन बहाल किया।
चंपा-:-आनंदलोक लोकतांत्रिक देश नही हैं क्योंकि लोग अपने शासन की आलोचना नहीं कर सकते। राजा अच्छा हो सकता है और आर्थिक समृद्धि भी जा सकता है लेकिन राजा लोकतांत्रिक शासन नहीं ला सकता।
चंदू-:-लोगों की खुशहाली चाहिए इसलिए वे अपने शासन को अपनी तरफ से फैसले लेने देना चाहते हैं। अगर लोग खुश हैं तो वहाँ का शासन लोकतांत्रिक ही है। . इन तीनों कथनों के बारे में आपकी क्या राय है? इस देश में सरकार के स्वरूप के बारे में आपकी राय
उत्तर-
लोकतंत्र का अर्थ, लोगों का शासन, लोगों द्वारा तथा लोगों के लिए। एक गुलाम देश कभी स्वतंत्र देश नहीं होता। राष्ट्रीय स्वतंत्रता वहाँ होती है जहाँ लोग विदेशी शासन से मुक्त होते हैं। अंग्रेजों से मुक्ति तथा देश की स्वतंत्रता लोकतंत्र के साथ जुड़े विचार थे। यदि एक देश जब विदेशी ताकत से मुक्त हो जाता है तथा बाद में राजतंत्रीय व्यवस्था को अपना लेता है, तो यह लोकतंत्र नहीं है, क्योंकि राजतंत्र लोकतंत्र नहीं होता।।

वास्तव मे जहाँ शासक लोगों द्वारा आलोचना के दायरे में नहीं आते अर्थात् लोगों को अपने शासकों की आलोचना का अधिकार नहीं होता, वहाँ लोकतंत्र नहीं होता। लोकतंत्र का सार यह है कि वहाँ शासकीय अधिकार अंततः लोगों के पास हों, वह अपने शासकों की आलोचना कर सकते हों, चुनावों में उन्हें बदल सकते हों।

लोकतंत्र तथा सुख एक नहीं होते। ज़रूरी नहीं कि ये सुखी व्यक्ति लोकतांत्रिक व्यक्ति भी हो और कि एक लोकतांत्रिक व्यक्ति सुखी व्यक्ति भी हो। यह अलग बात हैं कि एक स्वदल अर्थव्यवस्था लोकतंत्र को सुदृढ़ करने में विशेष भूमिका निभा सकती है तथा निभाती भी है। लोकतंत्र व अर्थव्यवस्था एक-दूसरे के पूरक है।

एक देश जहाँ राज्य अध्यक्ष कोई सम्राट हो तथा वहाँ राजतंत्र हो, तो यह लोकतंत्र नहीं है। यदि सम्राट मात्र एक संवैधानिक मुखिया है जैसा कि ब्रिटेन में हैं, वहाँ लोकतंत्रीय व्यवस्था हो सकती हैं।

HBSE 9th Class Civics समकालीन विश्व में लोकतंत्र Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
आयेंदे का सम्बन्ध किस देश से था?
उत्तर-
चिले से। वे चिले के राष्ट्रपति थे।

प्रश्न 2.
आयेंदे की सरकार का कब तख्ता पलट हुआ था?
उत्तर-
11 सितम्बर, 1973 को।

प्रश्न 3.
आयेंदे को चिले का राष्ट्रपति कब बनाया गया था? .
उत्तर-
1970 में।

प्रश्न 4.
1970 में चिले में किस राजनीतिक दल के पास सत्ता था?
उत्तर-
पापुलर यूनिटी. नातक गठबंधन के पास सत्ता थी।

HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र

प्रश्न 5.
चिले में तख्ता पलट के पश्चात् आयेंदे के बाद किसके पास सत्ता आयी थी?
उत्तर-
जनरल ऑगस्तों पिनोशे के हाथों में सत्ता आयी थी।

प्रश्न 6.
कालामा कहाँ स्थित हैं?
उत्तर-
चिले की राजधानी संटियागों से हजार मील दूर।

प्रश्न 7.
कालामा की स्त्रियों ने अपने दःख का इजहार कैसे किया था?
उत्तर-
चुप रह कर, सदैव चुप रह कर।

प्रश्न 8.
आपके देश में कौन-सा राज्य है जो आकार में चिले से मिलता-जुलता हैं?
उत्तर-
केरल।

प्रश्न 9.
जैसा कि चिले में महिलाओं के साथ हुआ, आप संसार के किसी अन्य देश में ऐसे हुए व्यवहार के बारे में जानते हो?
उत्तर-
जारशाही के रूस में महिलाओं के साथ ऐसा कुछ व्यवहार हुआ था।

प्रश्न 10.
कालामा में हुए महिलाओं के बारे में वहाँ के समाचार पत्रों ने क्यों नहीं लिखा/प्रकाशित किया?
उत्तर-
तब समाचार पत्र सरकार के नियंत्रण में थे। इस कारण उनमें महिलाओं के विषय में कुछ प्रकाशित नहीं हो पाया था।

प्रश्न 11.
आज चिले के राष्ट्रपति कौन हैं?
उत्तर-
मिशेल बैशले (जनवरी, 2006)।

प्रश्न 12.
1980 में पोलैंड में कौन-सा राजनीतिक दल शासन करता था?
उत्तर-
पॉलिश यूनाइटिड वर्कर्स पार्टी। वहाँ तक एक-दलीय शासकीय व्यवस्था थी।

प्रश्न 13.
गोलसंक में 1980 में किस फैक्ट्री में हड़ताल हुई थी?
उत्तर-
लेनिन शिपयार्ड।

HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र

प्रश्न 14.
1980 में पोलैंड में जिस व्यक्ति ने हड़ताल में प्रवेश किया था, उसका नाम बताइए।
उत्तर-
लेक वालेशा।

प्रश्न 15.
पोलैंड को घेरे कुछ देशों के नाम बताइए।
उत्तर-
जर्मनी, लुथआनिया, बेलारूस, यूक्रेन।

प्रश्न 16.
पोलैण्ड के अतिरिक्त 1980 में उन दो देशों का नाम बताइए। जहाँ साम्यवादी दल का शासन था?
उत्तर-
बुल्गारिया तथा हंगरी।

प्रश्न 17.
पोलैंड में स्वतंत्र सजदूर दल के गठन की आवश्यकता क्यों थी?
उत्तर-
तब तक वहाँ सरकार के अधीन ही मजदूर दलों का गठन होता था जो सरकार की नीतियों का ही प्रचार करती थी।

प्रश्न 18.
इंग्लैंड में शानदारी क्रांति कब घटी थी?
उत्तर-
1688 में।

प्रश्न 19.
किस वर्ष अमेरिका के तेरह उपनिवेशों – ने अपना स्वतंत्रता संग्राम लड़ा था?
उत्तर-
1776 में।

प्रश्न 20.
अमरीकी स्वतंत्रता संग्राम किस देश के विरुद्ध लड़ा गया था?
उत्तर-
इंग्लैंड के विरुद्ध।

प्रश्न 21.
उन प्रयासों का वर्णन कीजिए जो यह बताएँ कि गरीबों की सहायता के लिए आयेंदे सरकार ने अनुकूल कदम उठाए हों?
उत्तर-

  1. शिक्षा प्रणाली में सुधार।
  2. बच्चों को मुफ्त दूध की आपूर्ति।
  3. किसानों में भूमि का पुनः वितरण।

प्रश्न 22.
दो कारण बताएं जिनस यह मालूम हा कि चिले मे आयोंदे की सरकार लोकप्रिय दिखायी देती थी?
उत्तर-

  • आयोंदे सरकार उन विदेशी ताकतों का विरोध करती थी जो चिले के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण कर रही थीं।
  • उसकी सरकार अमीरों का भी विरोध कर रही थी जो गरीबों के हितों की अनेदखी करते थे।

प्रश्न 23.
1973 में आयेंदे को हराकर पिनोशे शासन ने क्या किया?
उत्तर-

  • पिनोशे सरकार ने जनसाधारण पर अत्याचार करने शुरू किए, विशेष रूप से उन पर आयोंदे का समर्थन करते थे।
  • पिनोशे सैनिकों ने लगभग दो हजार व्यक्तियों को मार दिया; हज़ारों लापता हो गए।
  • लोगों से सभी स्वतंत्रताएँ व अधिकार छीन लिये

प्रश्न 24.
बताइए कि कालामा की महिलाएँ व बच्चे चुप करा दिए गए। इन घटनाओं क विरुद्ध लोगों ने प्रतिक्रिया क्यों नहीं दिखायी थी? ..
उत्तर-
कालामा की महिलाएं व बच्चों को चुप करा दिया गया। लोगों ने इसके विरुद्ध आवाज उठाई कि सैनिक शासन अत्याचारी शासन था तथा लोग उस शासन के अत्याचार से डरते थे।

HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र

प्रश्न 25.
1980 में पोलैंड में कौन शासन करता था?
उत्तर-
1980 में पोलैंड में साम्यवादी दल का शासन था। इस दल का नाम था पॉलिश यूनाटिड वर्कर्स पार्टी। यह एक दलीय व्यवस्था की। सभी शासकीय ताकतें इसी दल । के हाथों में थीं। सरकार का पूरी अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण था। सरकार ही मज़दूरों के संघों पर नियंत्रण रखती थी। मज़दूर संघ सरकार व दल से अलग नहीं थे।

प्रश्न 26.
गंदान्सक के मजदूरों की क्या माँगें थीं?
उत्तर-
1980 के आसपास गंदान्सक में लेमिन शिपयार्ड में हड़ताल हो गयी। मजदूरों की माँगें निम्नलिखित थीं:

  1. सभी मजदूरों को जिन्हें निकाल दिया गया था, वापस लिया जाए।
  2. मजदूरों ने स्वतंत्र मज़दूर संगठन बनाने के अधिकार की माँग की।
  3. राजनीतिक प्रक्रिया को अंकुश-मुक्त किया जाए।
  4. समाचार पत्रों पर से सैंसरशिप हटायी जाए।

प्रश्न 27.
सरकार व वालेश के बीस हुए समझौते की दो बातें बताइए।
उत्तर-
पॉलिश सरकार तथा वालेशा के नेतृत्व के बीच हुए मजदूरों के बीच हड़ताल के समाप्त होने पर समझौते की दो बातें निम्नलिखित बतायी जा सकती हैं-

  1. मजदूरों को स्वतंत्र मज़दूर संघ बनाने का अधिकार मिल गया;
  2. मजदूरों हड़ताल करने का अधिकार मिल गया।

प्रश्न 28.
पॉलिश यूनारिड वर्कर्स पार्टी की सरकार क्यों कमज़ोर पड़ने लग गयी?
उत्तर-
पॉलिश यूनारिड बर्कर्स पार्टी की पॉलिश सरकार के कमजोर पड़ने के कारणों में निम्नलिखित का उल्लेख किया जा सकता है।

  • वालेशा की सोलिडेरिटी की सदस्या संख्या एक करोड़ तक पहुँच गयी।
  • सरकार भ्रष्टाचार की ओर बढ़ने लगी। उसे डर पैदा हो गया कि वालेशा की सोलिडेरिटी उन पर हावी हो जाएगी। घबराहट में सरकार ने सैनिक कानून लागू कर दिया।
  • सरकार ने अत्याचार आरंभ कर दिए। वालेशा के लोगों को जेल में डाल दिया; उनकी स्वतंत्रताएँ वापस ले लीं।
  • अर्थव्यवस्था में तंज़ी से गिरावट आने लगी। सरकार वितीय संकट में ग्रस्त होती चली गयी।

प्रश्न 29.
लेक वालेशा ने पोलैण्ड में किस प्रकार सत्ता प्राप्त की?
उत्तर-
1988 में सोलिडेरिटी ने फिर से हड़तालें करवाई और लेक वालेशा ने इनकी अगुवाई की। इस समय पोलैंड की सरकार पहले से कमजोर थी, सोवियत संघ से मदद का भी पहले जैसा भरोसा न था और अर्थव्यवस्था में तेजी से – गिरावट आ रही थी। लेक वालेशा के साथ समझौता-वार्ता का एक और दौर चला और अप्रैल 1989 में जो समझौता हुआ उसमें स्वतंत्र चुनाव कराने की माँग मान ली गई। सोलिडेरिटी ने सीनेट के सभी 100 सीटों के लिए चुनाव लड़ा और उसे 99 सीटों पर सफलता मिली। अक्तूबर 1990 में पोलैंड मे राष्ट्रपति पद के लिए पहली बार चुनाव हुए जिसमें एक से ज्यादा दल हिस्सा ले सकते थे। लेक वालेशा को पोलैंड का राष्ट्रपति चुना गया।

प्रश्न 30.
पोलैण्ड में सोलिडेरिटी के लोकप्रिय होने के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-

  • सोलिडेरिटी एक ऐसा संगठन था जो मज़दूरों के हितों की प्राप्ति के लिए गठित किया गया था।
  • यह मजदूरों के अधिकारों के लिए संघर्षरत रही।
  • लोगों के विचारों की अभिव्यक्ति के लिए भी सोलिडेरिटी लड़ रही थी।
  • बाद के दिनों में यह पार्टी लोकतंत्र की बहाली के लिए लड़ने लगी थी।

प्रश्न 31.
चिले की पिनोशे सरकार तथा पोलैण्ड के साम्यवादी दल के शासन में अंतर व समानताएँ बताइए।
उत्तर-
जिले में पिनोशे शासन और पोलैंड के साम्यवादी शासन में काफी अंतर है। चिले में सैनिक तानाशाह का राज था। जबकि पोलैंड में एक पार्टी का राज था। पोलैंड की सरकार का दावा था कि वह मजदूर वर्ग की ओर से शासन चला रही है। पिनोशे ने ऐसा कोई दावा नहीं किया और खुलेआम बड़े पूंजीपतियों को लाभ पहुँचाया। इन असमानताओं के बावजूद दोनों में कुछ समानताएँ भी थीं ।

  • लोग अपने शासकों को चुनाव या उनमें बदलाव नहीं कर सकते थे।
  • किसी को अपने विचार व्यक्त करने, संगइन बनाने, विरोध करने और राजनैतिक गतिवियिों में हिस्सा लेने की वास्तविक आजादी न थी।

HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र

प्रश्न 32.
आयोंदे, वालेश तथा मिशेल (चिले की वर्तमान राष्ट्रपति) में आर्थिक मामलों के समान नजरिया ‘नहीं था? समझाइए।
उत्तर-
आयेंदे, वालेशा तथा मिशेल में आर्थिक व सामाजिक मामलों के संदर्भ में एक जैसा नज़रिया नहीं था। आयेंदे न अर्थव्यवस्था को नियंत्रित ढंग से चलाना पंसद किया जबकि वालेशा चाहते थे कि बाज़ार सरकारी दखल से मुक्त हों। मिशेल इस मामले में कुछ मध्यमार्गी रास्ता अपनाने वाली हैं। फिर भी इन तीनों सरकारों की कुछ विशेषताएँ समान थीं। यहाँ लोगों द्वारा चुनी गई सरकारें ही शासन चला रही थी। बिना चुने हुए नेता या बाहर से संचालित शक्तियाँ या फौज शासन नहीं चला रही थीं। लोगों को विभिन्न प्रकार की बुनियादी राजनैतिक स्वतंत्रता हासिल थीं।

प्रश्न 33.
लोकतंत्र की पहचान के कोई दो तरीके बताइए।
उत्तर-
लोकतंत्र में यह व्यवस्था रहती है कि लोग अपनी मर्जी की सरकार चुनें।
लोकतंत्र में सिर्फ लोगों द्वारा चुने गए नेताओं को ही देश पर शासन करना चाहिए।
लोगों को अभिव्यक्ति की आजादी, संगठन बनाने और विरोध करने की आज़ादी जरूरी हैं।

प्रश्न 34.
जब चिले व पोलैण्ड में फौजी शासन था तब लोगों पर क्या-क्या प्रतिबंध थे?
उत्तर-

  • लोगों के पास वैयक्तिक स्वतंत्रताएँ नहीं थीं।
  • उन्हें विचार रखने का अधिकार नहीं था।
  • वह हड़ताल नहीं कर सकते थे।
  • वह अपना रोष एवं शिकायतें नहीं बता सकते थे।
  • वह प्रेस में अपने विचार नहीं रख सकते थे।

प्रश्न 35.
चिले के वर्तमान राष्ट्रपति के विषय में जानकारी दीजिए।
उत्तर-
चिले की वर्तमान राष्ट्रपति मिशेल बैशले आयोंदे सरकार के जनरल बैशेल की बेटी हैं। जनवरी 2006 में उन्होंने सत्ता सम्भाली है। समाजवादी विचारों वाली मिशेल पेशे से डॉक्टर हैं और लातिनी अमेरिका में रक्षा मंत्री के पद पर आने वाली पहली महिला हैं। राष्ट्रपति के चुनाव में उन्होंने जिस व्यक्ति को हराया वह चिले के सर्वाधिक धनी व्यक्तियों में गिना जाता है। चिले में लोकतंत्र के पतन और उत्थान की इस कथा को हम उनके ही भाषण के एक अंश समाप्त करते हैं।
“चूंकि मैं नफरत का शिकर बनी थी इसलिए मैंने अपना यह जीवन नफरत को खत्म करने, सहनशीलता और समझदारी के साथ-साथ प्रेम को बढ़ाने के प्रति समर्पित कर दिया है।”

प्रश्न 36.
लोकतंत्र के विकास में शुरुआती चरणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
आधुनिक लोकतंत्र की कहानी कम-से-कम दो सदी पहले शुरू हुई। 1789 के जनविद्रोह ने फ्रांस में टिकाऊ और पक्के लोकतंत्र की स्थापना नहीं की थी। पूरी उन्नीसवीं सदी भर फ्रांस में बार-बार लोकतंत्र को उखाड़ फेंका गया और बार-बार इसे बहाल किया गया। लेकिन फ्रांसीसी क्रांति ने पूरे यूरोप में जगह-जगह पर लोकतंत्र के लिए संघर्षों की प्रेरणा दी। ब्रिटेन में लोकतंत्र की तरफ कदम उठने की शुरुआत फ्रांसीसी क्रांति से काफी पहले ही हो गई थी। लेकिन यहाँ प्रगति की रफ्तार काफी कम थी। अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी में हुए राजनैतिक घटनाक्रमों ने राजशाही और सामंत – वर्ग की शक्ति में कमी कर दी थी। फ्रांसीसी क्रांति के आसपास ही उत्तर-अमेरिका में स्थित ब्रिटिश उपनिवेशों ने 1776 में खुद को आजाद घोषित कर दिया था। अगले कुछ ही वर्षों में इन उपनिवेशों ने साथ मिलकर संयुक्त राज्यअमेरिका आधुनिक अमेरिका का गठन किया। 1787 में उन्होंने एक लोकतांत्रिक संविधान को मंजूर किया। लेकिन इस व्यवस्था में भी मतदान का अधिकार पुरुषों तक सीमित था।
उन्नीसवीं सदी में लोकतंत्र के लिए होने वाले संघर्ष अकसर राजनैतिक समानता, आजादी और न्याय जैसे मूल्यों को लेकर ही होते थे। एक मुख्य माँग रहा करती थी कि सभी वयस्क नागरिकों को मतदान का अधिकार हो।

प्रश्न 37.
घाना का उदाहरण देते हुए बताइए कि – वहाँ किस प्रकार उपनिवेशवाद का अंत तथा लोकतंत्र की शुरुआत थी?
उत्तर-
पश्चिमी अफ्रीका देश घाना का उदाहरण उपनिवेश रहे देशों के सामान्य अनुभव हो बहुत अच्छी तरह दर्शाता है। यह ब्रिटिश उपनिवेश था और तब इसका नाम .गोल्ड कोस्ट था। यह 1957 मे आज़ाद हुआ। यह अफ्रीका में सबसे पहले आज़ादी पाने वाले देशों में एक था। इससे
अनेक अफ्रीकी देशों को आजादी के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा मिली। एक सुनार के पुत्र और शिक्षक रहे वामे एनक्र्मा ने देश की आजादी की लड़ाई से सक्रिय भूमिका निभाई थी।

HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र

आज़ादी के बाद एनक्रूमा घाना के पहले प्रधानमंत्री और फिर राष्ट्रपति बने। वे जवाहर लाल नेहरू के मित्र और अफ्रीका में लोकतंत्रादियों के लिए प्रेरणा पुरुष थे। लेकिन वे नेहरू के नवशे-कदम पर टिक नहीं पाए। उन्हेंने अपने आपको आजीवन राष्ट्रपति के रूप में चुनवा लिया। लेकिन थोडे समय बाद ही 1966 में सेना ने उनका तख्तापलट कर दिया।

प्रश्न 38.
भारत में पड़ोसी देश मे लोकतंत्र के अनुभव पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
भारत के पड़ोस में भी काफी बड़े बदलाव हुए। 1990 के दशक में ही पाकिस्तान और बांग्लादेश में सैनिक शासन की जगह लोकतंत्र का आगमन हुआ। नेपाल में राजा ने अपने अनेक अधिकार, चुने हुए प्रतिनिधियों की – सरकार को सौंपे और खुद संवैधानिक प्रमुख बने रहे।
लेकिन ये बदलाव स्थायी नहीं थे। 1999 में जनरल मुशर्रफ ने पाकिस्तान मे फिर से सैनिक शासन कायम कर लिया। 2005 में नेपाल के नए राजा ने चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर दिया और पिछले दशक में लोगों को दी गई राजनैतिक आज़ादी को समाप्त कर दिया। लेकिन 2006 में फिर लोकतांत्रिक शक्तियों की विजय हुई। राजा का संसद की बैठक बुलानी पड़ी और संसद ने राजा की शक्तियों को घटाकर उसे सिर्फ नाममात्र का शासक बना दिया।
नए देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था की ओर प्रयास तेज हो रहे हैं। सन् 2005 तक करीब 140 देशों में बहुदलीय प्रणाली के दायरे में चुनाव कराए जाते रहे हैं।

प्रश्न 39.
म्यांमार में लोकतंत्र का अनुभव किस प्रकार रहा है? चर्चा कीजिए।
उत्तर-
म्यांमार, जिसे पहले बर्मा कहा जाता था, यह 1948 में ही औपनिवेशिक शासन से आजाद हुआ और इसने लोकतंत्र को अपनाया। लेकिन 1962 में सैनिक तख्तापलट से लोकतंत्र का अंत हो गया। 1990 में लगभग 30 वर्षों बाद पहली बार चुनाव कराए गए। आंग सान सू ची का अगुवाई वाली नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी कई ने चुनाव जीते। पर म्यांमार के फौजी शासकों ने सत्ता छोड़ने से इंकार कर दिया और चुनाव परिणामों का मान्यता नहीं दी। बल्कि उन्होंने सूची समेत चुने हुए लोकतंत्र समर्थक नेताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया या उनके घर में ही नज़रबंद कर दिया। बहुत छोटी-छोटी राजनैतिक गतिविधियों के लिए भी लोगों को पकड़ कर जेल की सज़ा दी गई। यहाँ सरकार के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बोलने या बयान जारी करने वाले किसी व्यक्ति सरकार के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बोलने या बयान जारी करने वाने किसी भी व्यक्ति को बीस वर्ष तक की जेल की सज़ा हो सकती है।

म्यांमार की फौजी सरकार की ज्यादतियों से तंग आकर वहाँ के 6 से 10 लाख लोगों ने अपना घर-बार छोड़ दिया है और दूसरी जगहों पर शरणार्थी बनकर रह रहे हैं।
नज़रबंदी की सज़ा झेलने के बावजूद सूची ने लोकतंत्र के लिए अपना अभियान जारी रखा है। उनके अनुसार “बर्मा में लोकतंत्र की मुहिम वहां के लोगों की विश्व समुदाय के स्वतंत्र और बराबर सदस्य के रूप मे पूर्ण और अर्थपूर्ण जीवन जीने का संघर्ष हैं।”

उनके संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है। उन्हें नोबल शांति पुरस्कार भी मिला है। फिर भी म्यांमार के लोगों को अपने देश में लोकतांत्रिक सरकार कायम करने का संघर्ष समाप्त नहीं हुआ हैं।

प्रश्न 40.
यहाँ विश्व-लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कुछ सुझाव हैं। क्या आप इन बदलावों का समर्थन करते हैं? क्या ये बदलाव हो सकते हैं? प्रत्येक सुझाव के लिए अपने तर्क दीजिए। सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़नी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र को आम सभा को विश्व संसद के रूप में काम करना चाहिए। जिसमें सदस्य देशों में प्रतिनिधिों की संख्या उस देश की आबादी के आधार पर तय हों। ये प्रतिनिधि एक विश्व सरकार का चुनाव करें।
अलग-अलग देश अपनी सेना नहीं रखें। विभिन्न राष्ट्रों के बीच टकराव की स्थिति में शांति कायम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र अपने कार्य दल रखे।
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख का चुनाव दुनिया भर के लोग प्रत्यक्ष मतदान से करें।
उत्तर-
समय बदलता है तथा समय के साथ परिवर्तन भी होने चाहिए। सुरक्षा परिषद् में बेहतर प्रतिनिधित्व के लिए तथा उसके प्रभावकारी कार्य-संचालन के लिए उसके स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ायी जानी चाहिए अथवा सुरक्षा परिषद् की रचना व कार्य प्रणाली मे फेर-बदल होना चाहिए। महासभा को विश्व संसद के रूप में करना चाहिए तथा उसमें आनुपातिक आधार पर प्रतिनिधित्व होना चाहिए। यदि संयुक्त राष्ट्र के पास अपनी सेना हो, तो शांति स्थापना में काफी सहायता हो सकती है। संयुक्त राष्ट्र राष्ट्रपति की व्यवस्था हो सकती हैं तथा चुने हुए सदस्य उसका चुनाव कर सकते हैं।

HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र

प्रश्न 41.
क्या हम वैश्विक लोकतंत्र की ओर अग्रसर हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
यह सही है कि लोकतंत्र का विस्तार हुआ है तथा विस्तार भी हो रहा है, यद्यपि कहीं-कहीं अलोकतंत्र के उदाहरण भी मिलते हैं। राष्ट्रों में लोकतंत्र का विस्तार हुआ है। परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं में लोकतंत्र के विस्तार में कुछेक कठिनाइयाँ स्पष्ट दिखायी दे रही हैं।

  • आज संयुक्त राष्ट्र संघ के 192 सदस्य हैं। यह – एक विश्व संस्था है। यह सभी महासभा के सदस्य भी हैं। क्योंकि यह प्रभुसत्ता सम्पन्न राष्ट्रों की संस्था है, इसमें प्रत्येक देश दूसरे देश के समान है; प्रत्येक सदस्य राज्य को एक मत प्राप्त होता है। दूसरे सदस्य राज्य के समान। वस्तुतः आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अभाव में इस तथ्य को पूर्णतयः लोकतांत्रिक नहीं कहा जा सकता।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् एक कार्यपालिका जैसी है। इसके कुल 15 सदस्य हैं 5 : स्थायी तथा 10 अस्थायी। 5 स्थायी सदस्यों अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन चीन मे प्रत्येक को वीटो शक्ति प्राप्त है। दूसरे शब्दों में सुरक्षा परिषद् के सभी सदस्य बराबर नहीं हैं। यह बात भी अपने आप मे लोकतांत्रिक नहीं है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा निधि के 173 सदस्य एक-दूसरे के समान नहीं हैं प्रत्येक देश को मिलने वाला धन इस तथ्य पर तोला जाता है कि उस देश ने कितना वित्तीय योगदान दिया है। जी 8 के देशों को अपंखाकृत अधिक-अधिकार प्राप्त हैं।
  • विश्व व्यापार केंद्र में भले ही सभी देश एक-दूसरे के बराबर हों, परन्तु वास्तविक निर्णय पहले ही अनुपाचिक बैठकों में बड़े-बड़े देशों द्वारा ले लिए जाते हैं। यह तथ्य भी अन्तर्राष्ट्रिय स्तर पर लोकतांत्रिक प्रवृत्ति को धक्का पहुँचा रहा है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों से भरें।

(i) 1973 में पदमुक्त चिले का नेता था…..। (आयेंदे, पिनोशे)
(ii) कालामा ………….से हजारों मील दूर तक स्थान (शिकागो, संटयागो)
(iii) 1980 के दशक मे पोलैण्ड के मजदूर संगठन के नेता का ना………था। (वालेशा, त्युक्मवर्ग)
(iv) फ्रांसीसी क्रांति की घटना…….में हुई थी। (1776, 1789)
(v) सालाजार…………..का एक तानाशाह था। (पुर्तगाल, म्यांमार)
(vi) सूची को…………में नोबेल पुरस्कार मिला था। (अर्थशास्त्र में, शांति)
उत्तर-
(i) आयोंदे,
(ii) संटयागों,
(iii) वालेशा,
(iv) 1789,
(v) पुर्तगाल,
(v) शान्ति।

प्रश्न 2. निम्नलिखित वाक्यों में सही (√) च गलत (x) का चयन कीजिए।

(i) रूस लोकतंत्र-प्रोत्साहन कार्यों में लगा हुआ है।
(ii) म्यांमार बर्मा का बदला हुआ नाम हैं।
(iii) गोल्ड कोस्ट को नामीबिया कहा जाता है।
(iv) सालाजार पुर्तगाल का तानाशाह था।
(v) पोलैण्ड के एक लोकप्रिय/निर्वाचित राष्ट्रपति का नाम था पिनोशे।
(vi) लोकतंत्र सरकार की एक प्रणाली है।
उत्तर-
(i) x,
(ii) √,
(iii) x,
(iv) √,
(v) x,
(vi) √,

HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र

प्रश्न 3. निम्नलिखित विकल्पों में सही विकल्प का चयन कीजिए।

(i) आयेंदे के राजनीतिक दल का नाम था
(a) सोलिडेरिटी
(b) पापुलर युनिटी
(c) यूनाइटिड वर्कर्स पार्टी
उत्तर-
(b) पापुलर युनिटी

(ii) म्यांमार को कभी कहा जाता था –
(a) हांग-काग
(b) बर्मा
(c) लाओस
(d) इन्डोनेशिया
उत्तर-
(b) बर्मा

(iii) निम्नलिखित देश लोकतंत्र से अलोकतंत्र में परिवर्तित हुआ था.
(a) अमेरिका
(b) चिले
(c) इंग्लैंड
(d) फ्रांस
उत्तर-
(b) चिले

(iv) वालेश 1990 में निम्नलिखित देश का राष्ट्रपति चुना गया था
(a) चिले
(b) पोलैण्ड
(c) पुर्तगाल
(d) म्यांमार
उत्तर-
(b) पोलैण्ड

(v). वर्ल्ड ट्रेड संस्था का सम्बन्ध निम्नलिखित से हैं
(a) यातायात ,
(b) व्यापार
(c) टेलीविजन
(d) ट्रैफिक
उत्तर-
(b) व्यापार

HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र

(vi) निम्नलिखित जी-8 का सदस्य नहीं है
(a) इटली
(b) स्वीडन
(c) जापान
(d) कानाडा।
उत्तर-
(b) स्वीडन

समकालीन विश्व में लोकतंत्र Class 9 HBSE Notes in Hindi

अध्याय का सार

लोकतंत्र में चुनावों का होना अनिवार्य होता है। लोग अपने द्वारा चुनावों के माध्यम से सरकार का गठन करते हैं। लोकतंत्र में लोगों को स्वतंत्रताएँ प्राप्त होता हैं : भाषण की, अभिव्यक्ति की , विचार लिखने की। ऐसी व्यवस्था में लोग अपने आपकों समुदायों व संगठनों में भी एकत्रित कर सकते हैं।

इस अध्याय में लोकतंत्र से जुड़े दो देशों का वर्णन किया गया है। एक देश चिले में लोकतंत्र द्वारा संगठित सरकार जिसके राष्ट्रपति सल्वाडो आयेंदे थे, उन्हें सैनिक तख्ता पलट में पिनोशे ने हटा दिया तथा इस प्रक्रिया में उसकी हत्या कर दी गयी। दूसरा किस्सा पोलैंड का है जहां एक दलीय साम्यवादी दल की सरकार, जो तानाशाही की प्रतीक थी, उसके एक मजदूर नेता लेक वालेशा ने लोकतंत्रीय सरकार की रचना की थी एक किस्सा लोकतंत्र से अलोकतंत्र का तथा दूसरा किस्सा अलोकतंत्र से लोकतंत्र का।

20वीं शताब्दी ऐसे दौर का प्रतीक है जहाँ अनेकों देशों में लोकतंत्र की स्थापना की गयी तथा अनेक अन्य देशों मे लोकतंत्रीय व्यवस्था को चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 1945 से 1985 तक जिन अफ्रीकी देशों को विदेशी ताकतों से स्वाधीनता मिली थी, थे: नाइजर (1960) नाइजीरिया (1963), चाड (1960)। इस बीच एशियायी देश जो स्वतंत्र हुए, वे थे: भारत (1947), इन्डोनेशिया, सिंगापुर (1965) 1980 से 2004 के बीच स्वाधीन होने वाले यूरोपीय देशों में चैक गणराज्य (1993), सलोवेनिया (1991-92) स्लोवाकिया (1993) आदि आदि। इस दौरान विश्व में अलोकतंत्रीय सरकारें भी कहीं-कहीं स्थापित थीं : चिले (1973-1989) बोलिविया .(1963-64) पेरू (1969)।

दूसरे विश्व युद्ध के बाद की घटनाएं स्पष्ट करती हैं कि संसार के अनेक देशों में लोकतंत्र का प्रसार हुआ है, यद्यपि यह प्रसार एक जैसा नहीं हुआ है। 1945 से अब तक संसार में लोकतांत्रिक व अलोकतांत्रिक सरकारें दोनों ही देखने को मिलती हैं।

लोकतंत्र का आगमन एकदम नहीं हुआ है। लोकतंत्र के लिए लोगों ने त्याग व कष्ट सहे हैं। इस संदर्भ में क्रांतियों का वर्णन किया जा सकता है: फ्रांसीसी क्रांति (1789) तथा उससे पूर्व अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम आदि का उल्लेख किया जा सकता है। अनेक एशियायी व अफ्रीकी देशों में मुक्ति आन्दोलनों के बाद ही स्वाधीनता प्राप्त हुई है। लोकतंत्र के आगमन के साथ मताधिकार बढ़ा है। उत्तरदायी सरकारों की स्थापना हुई है। लोगों को अधिकारों व स्वतंत्रताओं का आश्वासन मिला है, चुनाव स्वतंत्र, निरपेक्ष तथा सामयिक हुए हैं। यह सही है कि कहीं-कहीं लोकतंत्रीय व्यवस्थाएँ अलोकतंत्रीय व्यवस्थाओं में परिवर्तित हुई है। पुर्तगाल में सालाजार का शासन, म्यांमार में सैनिक व्यवस्था, पाकिस्तान में सैनिक-सत्ता, घाना में सैनिकों का राज आदि ऐसे उदाहरण हैं।

कुछ बड़े देशों ने, जिनमें अमेरिका उल्लेखनीय है, अन्य में लोकतंत्र थोपने के प्रयास किए हैं। ऐसे मामलों में लोकतंत्र को तुरन्त सफलता तो मिल जाती है, परन्त दीर्घकालीन समय में लोकतंत्रीय व्यवस्था में चुनौतियों पनप उठती हैं।

HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र

लोकतंत्र के आगमन से एक नयी बात यह है कि जहाँ राष्ट्रों के जीवन में लोकतंत्र का आगमन हुआ है, वहाँ अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर लोकतंत्रीय मूल्यों को क्षति पहुँची है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में कुछ देशों को वीटो अधिकार तथा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं जैसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा निधि में सदस्यों को एक प्रकार की सुविधाओं का न होना अलोकतंत्रीय प्रवृतियाँ हैं।

HBSE 9th Class Social Science Solutions

HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 1 समकालीन विश्व में लोकतंत्र Read More »

HBSE 9th Class Social Science Solutions SST Haryana Board

Haryana Board HBSE 9th Class Social Science Solutions

HBSE 9th Class Social Science Solutions in Hindi Medium

HBSE Class 9 Social Science History: India and The Contemporary World – I (इतिहास-भारत और समकालीन विश्व-I)

HBSE Class 9 Social Science Geography: Contemporary India – I (भूगोल-समकालीन भारत-I)

HBSE Class 9 Social Science Civics (Political Science): Democratic Politics – I (राजनीति विज्ञान-लोकतांत्रिक राजनीति-I)

HBSE Class 9 Social Science Economics (अर्थशास्त्र)

HBSE 9th Class Social Science Solutions in English Medium

Haryana Board HBSE 9th Class Social Science Solutions History: India and The Contemporary World – I

Haryana Board HBSE 9th Class Social Science Solutions Geography: Contemporary India – I

Haryana Board HBSE 9th Class Social Science Solutions Civics (Political Science): Democratic Politics – I

HBSE Class 9 Social Science Economics

HBSE 9th Class Social Science Solutions SST Haryana Board Read More »

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes Notes.

Haryana Board 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes

Introduction
So far, in all our study, we have been dealing with figures that can be easily drawn on page of our note book or blackboards. These are called plane figures. In previous classes, we have learnt about the perimeters and areas of rectangles, squares, rhombus and circles. If we cut out many of these plane figures of same shape and size from cardboard sheet and stack them up in a vertical pile, then by this process, we will obtain some solid figures such as a cuboid, a cylinder etc. In this chapter, we will learn to find the surface areas and volumes of cubes, cuboids, cylinders, cones and spheres.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 1

Units measurement of Area:
1 km2 = 1 km × 1 km = 10 hm × 10 hm = 100 hm2 or 100 hectares
1 hm2 = 1 hm × 1 hm = 10 dam × 10 dam = 100 dam2
1 hm2 = 1 hm × 1 hm = 100 m × 100 m = 10000 m2
1 dam2 = 1 dam × 1 dam = 10 m × 10 m = 100 m2
1 m2 = 1m × 1m = 10 dm × 10 dm = 100 dm2
1 m2 = 1m × 1m = 100 cm × 100 cm = 10000 cm2
1 dm2 = 1 dm × 1 dm = 10 cm × 10 cm = 100 cm2
1 cm2 = 1 cm × 1 cm = 10 mm × 10 mm = 100 mm2
1 km2 = 1 km × 1 km = 1000 m × 1000 m = 106 m2
1m2 = 1m × 1m = 1000 mm × 1000 mm = 106 mm2

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes

Units measurement of volume:
1 km3 = 1 km × 1 km × 1 km = 1000 m × 1000 m × 1000 m = 109 m3
1 km3 = 1 km × 1 km × 1 km = 10 hm × 10 hm × 10 hm = 1000 hm3
1 hm3 = 1 hm × 1 hm × 1 hm = 10 dam × 10 dam × 10 dam = 1000 dam3
1 hm3 = 1 hm × 1 hm × 1 hm = 100 m × 100 m × 100 m = 106 m3
1 dam3 = 1 dam × 1 dam × 1 dam = 10 m × 10 m × 10 m = 1000 m3
1 m3 = 1 m × 1 m × 1 m = 100 cm × 100 cm × 100 cm = 106 cm3
1 m3 = 1 m × 1 m × 1 m = 1000 mm × 1000 mm × 1000 mm = 109 mm3
1m3 = 1m × 1m × 1m = 10 dm × 10 dm × 10 dm = 1000 dm3
1 cm3 = 1 ml = 1 cm × 1 cm × 1 cm = 10 mm × 10 mm × 10 mm = 1000 mm3
1 litre = 1000 ml = 1000 cm3
1 m3 = 106 cm3 = 1000 litre = 1 kilolitre

Key Words:
→ Solids: Bodies which have three dimensions in space are called solids.

→ Volume: The amount of space occupied by a solid or bounded by a closed surface is known as the volume of solid.

→ Surface area: Surface area is the total sum of all the areas of all the shapes that cover the surface of solid.

→ Lateral surface area: Lateral surface in a solid is the sum of surface areas of all its faces excluding the bases of solid.

→ Cubold: A cuboid is a solid bounded by six rectangular plane regions.

→ Cube: When all the edges of cuboid are equal in length, it is called a cube.

→ Right circular cylinder: If a rectangle is revolved about one of its sides, the solid thus formed is called a right circular cylinder.

→ Right circular cone: If a right angled triangle is revolved about one of the sides containing a right angle, the solid thus generated is called a right circular cone.

→ Sphere: The set of all points in space which are equidistant from a fixed point, is called a sphere.

→ Hemisphere: A plane through the centre of a sphere divides the sphere into two equal parts. Each part is called a hemisphere.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes

Basic Concepts
Surface Area of a Cuboid and a Cube:
(a) Cuboid: A solid bounded by six rectangular faces is called a cuboid.
e.g., a book, a brick, a matchbox, a tile etc. A cuboid has 6 rectangular faces, 12 edges and 8 vertices.
6 rectangular faces are ABCD, EFGH, BCGF, ADHE, ABFE and DCGH.
ABCD is the bottom face and EFGH is the top face and these are one pair of opposite faces. Similarly, other pairs of opposite faces are BCGF, ADHE and ABFE, DCGH.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 2
Out of these six faces, BCGF, ADHE, ABFE and DCGH are called the lateral faces of the cuboid. Any two faces other than the opposite faces are called adjacent faces.

In the given figure, ABCD and ABFE are adjacent faces.
Similarly, EFGH and ADHE are adjacent faces.
AB, BC, CD, DA, EF, FG, GH, HE, AE, BF, CG and DH are 12 edges of a cuboid. A, B, C, D, E, F, G and H are its 8 vertices.
(i) Total surface area of a cuboid:
Area of the face ABCD = Area of the face EFGH = (1 × b) sq. units
Area of the face BCGF = Area of the face ADHE = (b × h) sq. units
Area of the face ABFE = Area of the face DCGH = (1 × h) sq. units
Total surface area of the cuboid = Sum of the areas of six faces
= 2(l × b) + 2(b × h) + 2(l × h).
= 2(l × b + b × h + h × l)
= 2(lb + bh + hl) sq. units
where l = length, b = breadth and h = height.

(ii) Lateral surface area of the cuboid: Out of the six faces of a cuboid, we only find the area of the four faces, leaving the bottom and top faces. In such a case, area of these four faces is called the lateral surface of the cuboid.
Lateral surface area of the cuboid = Area of face BCGF+ Area of face ADHE + Area of face ABFE + Area of face DCGH
=bxh+bxh+lxh+lxh
= 2(l × h) + 2(b × h)
=2(l + b) × h sq. units
= Perimeter of the base × height.

(iii) Diagonal of a cuboid = \(\sqrt{l^2+b^2+h^2}\) units
(b) Cube: A cuboid whose length, breadth and height are all equal is called a cube eg., ice cubes, dice etc.
Each edge of a cube is called its edge. A cube has six faces, All the six faces of a cube are congruent square faces. Length of each edge of the cube is same. It has also 12 edges and 8 vertices.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 3
(i) Total surface area of the cube : Total surface area of the cube is the sum of the areas of the six congruent square faces. Area of the one face is a3, where a is the edge of a cube.
∴ Total surface of the cube = 6a3 sq. units
(ii) Lateral surface area of the cube = 4a3 sq. units
Diagonal of the cube = \(\sqrt{3}\)a units

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes

(a) Right Circular Cylinder: If we take a number of circular sheets of paper and stack them vertical pile, we will get a solid called a right circular cylinder.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 4
eg., circular pipes, circular pillars, road rollers, gas cylinders, measuring jars etc. In case if circular sheets are not stack up vertically as shown figure 13.8 (I) then the cylinder is not a right circular cylinder. Of course, if we have a cylinder with a non-circular base as shown in figure 13.8 (II), then we also cannot call it a right circular cylinder.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 5
Remarks: 1. From now onwards, the word cylinder would mean a right circular cylinder.

(b) Some Terms Related to the Cylinder:
(i) Base: Two circular ends of cylinder are called its bases.
(ii) Radius: The radius of the circular bases is called the radius of the cylinder. In the adjoining figure AO, OB, A’O’ and O’B’ are equal radii of the cylinder.
(iii) Axis: A line segment joining the centres of two circular bases is the called the axis of the cylinder.
In the figure 13.9, OO’ is the axis of the cylinder.
(iv) Height: The length of the axis of the right circular cylinder is called the height of the cylinder. In the figure, OO’ is the height of the cylinder.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 6

(c) Surface Area of Right Circular Cylinder:
(i) Lateral surface area of right circular cylinder: We take a rectangular sheet of paper, whose length is just enough to go round the cylinder and whose breadth is equal to the height of the cylinder as shown figure below.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 7
If we fold rectangular sheet along its length, we get a right circular cylinder of height h. Lateral surface area of the cylinder is the area of the rectangular sheet. The length of the sheet is equal to the circumference of the circular base which is equal to 2πr. Lateral surface area of a cylinder is also called the curved surface area of the cylinder.
Lateral or curved surface area of the cylinder = Area of the rectangular sheet
= length × breadth
=2πr × h = 2πrh sq. units
Therefore, lateral surface area of a cylinder = 2πrh sq. units.

(ii) Total surface area of the right circular cylinder: If we include areas of top and bottom of the cylinder to its lateral surface area, we get the total surface area of the cylinder.
If r is the radius of the cylinder and h its height.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 8
∴ Total surface area of the cylinder = lateral surface area + 2 bases area
= 2πrh + 2πr2[∵ base area = πr2]
= 2πr(h + r) sq. units
Therefore, total surface area of the cylinder = 2πr(h + r) sq. units

(d) Surface Area of Hollow Cylinder: Hollow cylinder is a solid bounded by two coaxial cylinders of the same height and different radii.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 9
eg., iron pipes, rubber tubes etc.
Let external and internal radii of a hollow cylinder be R and r and h be its height as shown in the given figure.
(i) Area of each base = π(R2 – r2) sq, units
(ii) Lateral or curved surface area of the cylinder = External surface area + Internal surface area
= 2πRh + 2πrh = 2πh(R + r) sq units
(iii) Total surface area of the cylinder
= Lateral surface area + 2 area of the base ring
= 2πh(R + r) + 2π(R2 – r2)
= 2πh(R + r) + 2π(R + r) (R – r)
= 2π(R + r) [h + R – r] sq. units.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes

(a) Right Circular Cone: A solid described by the revolution of a right angled triangle about one of its sides (containing the right angle) which remains fixed. In the given figure revolves about side AO. It generates a cone. O is the centre of base BC and A is its vertex.
eg., ice cream cone, clow’s cap, conical vessel etc.

(b) Some Terms Related to the Cone : (i) Radius of the cone: The length segment OB = OC is called radius of the cone. It is usually denoted by r.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 10
(ii) Height of the cone: The length segment AO is called the height of the cone. It is usually denoted by h.
(iii) Slant height of the cone: Slant height of a right circular cone is the distance of its vertex from any point on the circumference of the base. In the given figure, AB and AC represents the slant height of the cone. It is usually denoted by l.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 11
(iv) Vertical angle of the cone: ∠BAC is called the vertical angle of the cone.

(c) Surface Area of a Right Circular Cone: (i) Lateral surface area of a right circular cone: On a sheet of paper, we draw a circle with centre O and radius l. Now cut out a circular region from the sheet of a paper. We obtain a circular disc of paper [see in figure 13.19 (I)].
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 12
Now cut cone OAB from the circular disc of paper [see figure 13.19 (II, III) and open it out (see in figure 13.19 (IV)]. AB is the perimeter of base of cone OAB. The cone OAB is cut into small pieces of triangles such as ΔOAb1, ΔOb1b2, ΔOb2b3, …… whose height is the slant height of the cone.
Area of each small triangle = \(\frac{1}{2}\)base of each triangle × l
Area of entire piece of paper (cone ΔOAB) = Sum of the areas of all triangles
= \(\frac{1}{2}\)b1l + \(\frac{1}{2}\)b2l + \(\frac{1}{2}\)b3l + ……..
= \(\frac{1}{2}\)l(b1 + b2 + b3 + ………)
\(\frac{1}{2}\) × l × AB
\(\frac{1}{2}\)l × 2πr = πrl
So, curved surface area of a cone = πrl.

(ii) Total surface area of a right circular cone:
Total surface of the cone = Lateral surface area + Area of the base of a cone
= πrl + πr2 = πr(l + r)
So, total surface area of the cone = πr(l + r),
where r is its base radius and l its slant height.

(iii) Relation between the height, slant height and radius of cone:
l2 = h2 + r2
⇒ l = \(\sqrt{h^2+r^2}\)

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes

1. (a) Sphere: A sphere is a solid described by the revolution of a semicircle about its diameter, which remains fixed, e.g., football, volleyball, throwball, etc.
In the given figure 13.27 (i) semicircle ABC by revolving about its diameter AB describes the sphere [(see in figure 13.27 (ii)]

The mid point of AB is the centre. Any line which passes through the centre and is terminated both ways by the surface is a diameter. Any line drawn from the centre to the surface is known as radius. A sphere may also defined as:
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 13
A sphere is a three dimensional figure (solid figure) which is made up of all points in the space, which lie at a constant distance from a fixed point is called the radius and the fixed point called the centre of the sphere.

(b) Surface Area of a Sphere: Let us take a rubber ball and drive a nail into it. Let us wind a string around the ball. When you reached the fullest part of the ball, use pins to keep the string in place and continue to wind the string around the remaining part of the ball till it is fully covered [see in figure 13.28 (I) and (II)].
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 14
Now, we unwind the string from the surface of the ball.

Start filling the circles one by one, with the string you had wound around the wall (see fig. 13.28). Then, on a sheet of paper, we draw four circles with radius equal to the radius of the ball. Now string is used to completely fill the regions of four circles, all of the same radius as of the sphere. It means, the surface area of a sphere of radius r = 4 times the area of a circle of radius r.
Therefore,surface area of sphere = 4πr2.

2. Hemisphere: A plane through the centre of a sphere divides the sphere into two equal parts. Each part is called a hemisphere.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 15
For a hemisphere of radius r, we have
(i) Curved surface area of the hemisphere = 2πr2
(ii) Total surface area of the hemisphere
= 2πr2 + πr2
= 3πr2.

3. (a) Spherical Shell: The difference of two solid concentric spheres is called a spherical shell.
(b) Surface Area of Spherical Shell: If R and be the external and internal radii of a spherical shell, then
Total surface area of spherical shell = 4π(R2 + l2).
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 16

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes

1. Volume of a Cuboid: In previous classes, we have learnt about of certain figures. Recall that solids occupy space. The measure of this occupied space is called the volume of the object.
If the object is hollow, then interior is empty and can be filled with air or some liquid that will take the shape of its container. In this case, the volume of the substance that can fill the interior is called the capacity of the container. Thus, we may say that the volume of an object is the measure of the space it occupies and the capacity of an object is the volume of substance its interior can accommodate. Unit of measurement of volume is cubic unit. If we take some rectangular sheets and place it one over the other. If we place these sheets vertically in pile, we get a cuboid. (see figure below)
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 17
If area of each rectangle is A, the height upto which the rectangles are stacked is h. Measure of the space occupied by the cuboid
= Area of a rectangular sheet × height
= A × h = l × b × h [∵ A = l × b]
Hence, volume of the cuboid = l × b × h
= length × breadth × height
Also, volume of the cuboid = Area of the base × height

2. Volume of Cube: If length, breadth and height of a cuboid are equal, then it is known as the cube.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 18
Volume of a cube = edge × edge × edge
= a × a × a = a3,
where a is the edge of a cube. Unit of measurement of volume is cubic unit.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes

(a) Volume of a Cylinder: If we stack the circular sheets of radius r vertically, we will get a solid called a right circular cylinder of radius r and height h.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 19
Volume of the cylinder = The area of each circular sheet × height
= πr2 × h = πr2h
or Volume of the cylinder = Area of the base × height
= πr2h.

(b) Volume of the Hollow Cylinder: Let the external and internal radii of the hollow cylinder be R and r respectively and h be its height, then
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 20
Volume of the material = External volume – Internal volume.
= πR2h – πr2h
= πh(R2 – r2).

Volume of a Right Circular Cone:
Experiment: Take a hollow cylinder and a hollow cone of the same base radius and the same height.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 21
Fill the cone with water to the brim and empty it into the cylinder. Repeat the process two times more. We observe that 3 cone full to brim will fill the cylinder competely. With this, we can safely come to the conclusion that three times the volume of a cone, makes up the volume of a cylinder.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 22
It means volume of a cone of radius ‘r’ and height ‘h’
= \(\frac{1}{3}\) of volume of cylinder of radius ‘r’ and height ‘h’
Volume of a cone = \(\frac{1}{3}\) × πr2h
or Volume of a cone = \(\frac{1}{3}\) × Area of the base × height

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes

1. Volume of a Sphere: We take a cylindrical container and two or three spheres of different radii. Also take a large trough in which we can place the cylindrical container. Then fill the container up to the brim with water.
Now, we place a sphere in the container. Some of the water will overflow into the trough in which it is kept (see in figure given below).
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes 23
We pour out the water from the trough into a measuring cylinder and find the volume of the over flowed water. If r is the radius of immersed sphere on evaluating \(\frac{4}{3}\)πr3, we find this value atmost equal to the volume of over flowed water.

We repeat this process with two or three spheres of different radii, we find:
Volume of overflowed water = The volume of the sphere immersed in the water
= \(\frac{4}{3}\)πr3
Thus,volume of the sphere = \(\frac{4}{3}\)πr3.

2. Volume of the hollow sphere: If R and r are respectively the outer and inner radii of hollow sphere.
Volume of the material = Volume of outer sphere – Volume of inner sphere
= \(\frac{4}{3}\)πrR3 – \(\frac{4}{3}\)πr3
= \(\frac{4}{3}\)π(R3 – r3)

3. Volume of the hemisphere :
Volume of the hemisphere \(\frac{2}{3}\)πr3
where r is the radius of the hemisphere.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 13 Surface Areas and Volumes Read More »

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula Notes.

Haryana Board 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula

Introduction
In previous classes, we have studied about various plane figures such as squares, rectangles, triangles, quadrilaterals etc. We have also learnt the formula for finding the areas and the perimeters of these figures like rectangle, square, triangle etc. as given below:
1. Triangle :
(i) \(\frac{1}{2}\) × Base × Height
\(\frac{1}{2}\) × BC × AD
(ii) Perimeter = sum of the sides of a triangle
= AB + BC + CA
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula 1

2. Right angled triangle:
(i) Area = \(\frac{1}{2}\) × base × height
= \(\frac{1}{2}\) × BC × AB
(ii) Perimeter = AB + BC + CA
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula 2

3. Equilateral triangle: Let each side of an equilateral triangle be a units.
(i) Area = \(\frac{1}{2}\) × base × height
= \(\frac{1}{2}\) × BC × AD
[∵ AD = \(\sqrt{a^2-\frac{a^2}{4}}\)
⇒ AD = \(\sqrt{\frac{3 a^2}{4}}\)
⇒ AD = \(\frac{\sqrt{3} a}{2}\) ]
= \(\frac{1}{2}\) × a × \(\frac{\sqrt{3} a}{2}\)
(ii) Perimeter = a + a + a
3a = 3 × side
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula 3

4. Parallelogram:
(i) Area = base x height
= AB × DE
(ii) Perimeter = sum of the sides of ||gm
= AB + BC + CD + AD
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula 4

5. Square: (i)
Area = side × side = side2
or Area = \(\frac{1}{2}\) × d2
(where d = diagonal of a square)
(ii) Perimeter = side + side + side + side
= 4 × side
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula 5

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula

6. Rectangle :
(i) Area = base × height
= length × breadth
(ii) Perimeter = AB + BC + CD + DA
= L + B + L + B
= 2L + 2B
= 2(L + B)
where L = length of a rectangle
and B = breadth of a rectangle
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula 6

7. Rhombus :
(i) Area = base × height
or Area = \(\frac{1}{2}\) × d1 × d2
where d1 and d2 are the diagonals of a rhombus.
(ii) Perimeter = side + side + side + side
= 4 × side
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula 7

8. Trapezium:
(i) Area = \(\frac{1}{2}\) × (sum of parallel sides) × distance between them
= \(\frac{1}{2}\) × (AB + DC) × DE
(ii) Perimeter = AB + BC + CD + AD
Unit of measurement for length, breadth, height and perimeter is taken as metre (m) or centimetre (cm), milimetre (mm) etc.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula 8
Units measurement of Perimeter
1 m = 10 dm, 1 m = 100 cm, 1 m = 1000 mm, 1 km = 10 hm, 1 km = 100 dakm, 1 km = 1000 m Unit of measurement for area of any plane figure is taken as square metre (m2) or square centimetre (cm2) or square millimetre (mm2) etc.
Units measurement of Area
1 km2 = 1 km × 1 km = 10 hm × 10 hm = 100 hm2
1 km2 = 1 km × 1 km = 1000 m × 1000 m = 1000000 m2 = 106 m2
1 hectare = 10000 m2
1 m2 = 1m × 1m = 100 cm × 100 cm = 10000 cm2
1m2 = 1m × 1m = 10 dm × 10 dm = 100 dm2 etc.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula

Key Words
→ Area: The area of a triangle or a polygon is the measure of the surface enclosed by its sides.

→ Perimeter: The perimeter of a plane figure is the length of its boundary.
OR
A perimeter is the sum of lengths of sides of a polygon.

→ Right angled triangle: A triangle with one angle a right angle (90°) is called a right angled triangle.

→ Scalene triangle: If all three sides of a triangle are unequal or different, it is called scalene triangle.

→ Isosceles triangle: If at least two sides of a triangle are equal, it is called isosceles triangle.

→ Equilateral triangle: If all three sides of a triangle are equal, it is called. equilateral triangle.

→ Quadrilateral: A plane figure bounded by four line segments is called a quadrilateral.

→ Parallelogram: A quadrilateral in which opposite sides are parallel and equal is known as a parallelogram.

→ Square: A quadrilateral whose each angle is 90° and all sides are equal to each other is known as a square.

→ Rectangle: A quadrilateral each of whose angles is 90° is called a rectangle.

→ Rhombus: A quadrilateral having all the four sides equal is called a rhombus.

→ Trapezium: A quadrilateral in which one pair of opposite sides are parallel is called a trapezium.

→ Diagonal: A line joining any two vertices of a polygon that are not connected by an edge and which does not go outside the polygon.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula

Basic Concepts
Area of a Triangle by Heron’s Formula: Heron was born in about 10 AD possibly in Alexandria in Egypt. He worked in applied mathematics and wrote three books on mensuration. Book I deals with the area of rectangles, squares, triangles, trapezia, various other specialized quadri- laterals, regular polygons, circles, surfaces of cylinders, cones and spheres etc.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula 9
He derived the famous formula for finding the area of a triangle in terms of its three sides.
The formula for finding the area of a triangle was given by Heron is stated as below:
Area of a triangle = \(\sqrt{s(s-a)(s-b)(s-c)}\),
where a, b and c are the sides of a triangle and s = semi-perimeter of the triangle, ie.,
\(\frac{a+b+c}{2}\)
This formula is helpful where it is not possible to find the height of the triangle.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula

Application of Heron’s Formula in Finding Areas of Quadrilaterals: In this section, we have studied the areas of such figures which are the shape of a quadrilaterals. We need to divide the quadrilateral in two triangles and then use the formula 12.25 area of the triangle.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 12 Heron’s Formula Read More »

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions Notes.

Haryana Board 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions

Introduction
In previous chapters, we have drawn rough diagrams to prove theorems or solving exercise. But sometimes we need to construct accurate figures. For example, to draw a map of building to be constructed, to design the parts of machine and tools etc. To draw such figures the following geometrical instruments are needed:
(i) A graduated scale, (ii) a pair of set squares, (iii) a pair of dividers, (iv) a pair of compasses, (v) a protractor (see in the figure below).
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions 1
These instruments are used in drawing a geometrical figure, such as a triangle, quadrilateral, trapezium, circle etc. In this chapter we will learn about some simple and basic constructions such as bisector of a line segment, bisector of a given angle, constructions of some standard angle and some constructions of triangles with the help of graduated scale, compass and protractor.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions

Key Words
→ Geometrical Construction: A geometrical construction is the process of drawing a geometrical figure using only two instruments-an ungraduated ruler and compass.

→ Perpendicular bisector: A line which divides the given line in two equal parts and is perpendicular to the line segment is called the perpendicular bisector.

→ Corresponding: Angles, lines and points in one figure which bear a similar relationship, each to each, to angles, lines and points in another figure.

→ Triangle: A closed figure which bounded by three line segments is called a triangle.

→ Isosceles triangle: If at two sides of a triangle are equal, it is called an isosceles triangle.

→ Equilateral triangle: If all three sides of a triangle are equal, it is called an equilateral triangle.

→ Perimeter of a triangle: Sum of the all sides of a triangle is called the perimeter of a triangle.

→ Median: The median of a triangle, corresponding to any side, is the line joining the midpoint of that side with the opposite vertex.

→ Altitude: An altitude of a triangle, corresponding to any side, is the length of perpendicular drawn from the opposite vertex to that side.

Basic Concepts
Basic Constructions
(a) Construction 11.1: To construct the bisector of a given angle.
We have an ∠ABC, we need to construct its bisector.
Steps of construction:
Step – I: Taking B as centre and any suitable radius draw an arc cutting AB and BC at P and Q respectively.
Step – II: Taking P and Q as centres and radius more than \(\frac{1}{2}\)PQ, draw two arcs intersecting each other at R.
Step-III: Draw the ray BR. The ray BR is the required bisector of the angle ABC.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions 2
Justification: Join PR and QR.
In ΔBPR and ΔBQR, we have
PB = QB [Radii of the same arc]
PR = QR [Arcs of equal radii]
BR = BR [Common]
ΔBPR ≅ ΔBQR [By SSS congruence rule]
⇒ ∠PBR = ∠QBR [CPCT]
Hence, BR is the bisector of ∠ABC.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions

Construction 11.2:
To construct the perpendicular bisector of a given line segment.
We have a line segment AB, we need to construct its perpendicular bisector.
Steps of construction:
Step-I: Draw a line segment AB of given length.
Step-II: Taking A as centre and radius more than \(\frac{1}{2}\)AB, draw arcs one on each side of AB.
Step-III: Taking B as centre and the same radius as in Step (II), draw arcs intersecting previous arcs at P and Q.
Step-IV: Join PQ intersecting AB at M. Then line PQ is the perpendicular bisector of AB.
Justification: Join AP, BP, AQ and BQ.
In ΔPAQ and ΔPBQ, we have
AP = BP Arcs of equal radii]
AQ = BQ [Arcs of equal radii]
PQ = PQ [Common]
∴ ΔPAQ ≅ ΔPBQ [By SSS congruence rule]
⇒ ∠APQ ≅ ∠BPQ [CPCT]
⇒ ∠APM = ∠BPM ……(i)
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions 3
In ΔPMA and ΔPMB, we have
PA = PB [Arcs of equal radii]
∠APM = ∠BPM [As proved in (i)]
PM = PM [Common]
ΔPMA ≅ ΔPMB (By SAS congruence rule)
⇒ AM = BM
and ∠PMA = ∠PMB (CPCT)
But, ∠PMA + ∠PMB = 180° [By linear pair axiom]
∠PMA + ∠PMA = 180°
2∠PMA = 180°
∠PMA = \(\frac{180^{\circ}}{2}\) = 90°
∠PMA = ∠PMB = 90°.
Hence, PM is the perpendicular bisector of AB.

Construction 11.3:
To construct an angle of 60° at the initial point of a given ray.
Let us take a ray AB with initial point A.
We need to construct a ray AC such that
∠CAB = 60°.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions 4
Steps of construction:
Step-I: Draw a ray AB with initial point A.
Step-II: Taking A as centre and suitable radius, draw an arc which intersects AB at P.
Step-III: Taking P as centre and same radius as before, draw an arc intersecting the previous are at point Q.
Step-IV: Draw a ray AC passing through Q. Then ∠CAB is the required angle of 60°.
Justification: Join PQ.
AP = PQ = AQ [By construction]
⇒ ΔPAQ is an equilateral triangle.
∴ ∠QAP = 60°
⇒ ∠CAB = 60°.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions

Some Constructions of Triangles:
Construction 11.4 To construct a triangle, given its base, a base angle and sum of other two sides.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions 5
Given: The base BC, a base angle, say ∠B and the sum AB + AC of the other two sides of a triangle ABC, we need to construct ΔABC.
Steps of construction:
Step-I: Draw the given base BC and the point B construct an angle ∠CBX equal to the given angle with BC.
Step-II: From the ray BX,
cut BD = AB + AC.
Step-III: Join DC and construct
∠DCY = ∠BDC.
Step-IV: Let CY intersects BX at A.
Then, ABC is the required triangle.
Justification: Since,
∠BDC = ∠DCY (By construction)
⇒ ∠ADC = ∠ACD
⇒ AD = AC
[Sides opp. to equal angles are equal]
Now, AB = BD – AD
⇒ AB = BD – AC [∵AD = AC]
⇒ AB + AC = BD
⇒ BD = AB + AC.
Alternative method

Steps of construction:
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions 6
Step-I: Draw the given base BC and at the point B construct ∠CBX equal to the given angle with BC.
Step-II: From the ray BX, cut BD = AB + AC.
Step-III: Join DC and draw perpendicular bisector PY of CD intersecting BD at point A. Join AC.
Remarks: The construction of the trinagle is not possible if the sum AB + AC ≤ BC.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions

Construction 11.5: To construct a triangle given its base, a base angle and the difference of the other two sides.
Given: Base BC and a base angle, say ∠B and the difference of other two sides AB – AC or AC – AB. We need to construct AABC. There are following two cases arise:
Case I: If AB > AC that is AB – AC is given.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions 7
Steps of construction:
Step-I: Draw the given base BC. At the point B, construct ∠CBX equal to the given angle with BC.
Step-II: From ray BX, cut the line segment BD is equal to AB – AC.
Step-III Join DC and draw perpendicular bisector of CD intersecting BX at A.
Step-IV: Join AC. Then ABC is required triangle.
Justification: Since AP is the perpendicular to CD.
∴ AD = AC
So, BD = AB – AD
⇒ BD = AB – AC.
Case II: If AB < AC that is AC – AB is given.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions 8
Steps of construction:
Step-I: Draw the given base BC. At the point B, construct ∠CBX equal to the given angle with BC.
Step-II: Extend XB to D to the opposite side of BC such that
BD = AC – AB.
Step-III: Join CD and draw perpendicular bisector PQ of CD intersecting BX at A.
Step-IV: Join AC, then ABC is required triangle.
Justification: Since PQ is the perpendicular bisector of CD.
∴ AD = AC
Now, BD = AD – AB
⇒ BD = AC – AB.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions

Construction 11.6:
To construct a triangle, given its perimeter and its two base angles.
Given: Base angles ∠B and ∠C and perimeter of a triangle ABC (ie., BC + CA + AB) are given. We need to construct the triangle ABC.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions 9
Steps of construction:
Step – I: Draw a line segment XY equal to BC + CA + AB.
Step – II: Construct ∠LXY equal to ∠B and ∠MYX equal to ∠C with XY.
Step – III: Draw the bisectors of ∠LXY and ∠MYX intersecting at A.
Step – IV: Draw perpendicular bisectors PQ of AX and RS of AY.
Step – V: Let perpendicular bisectors PQ and RS intersect XY at B and C respectively.
Step – VI: Join AB and AC, then ABC is the required triangle.
Justification: Since PQ is the perpendicular bisector of AX.
∴ XB = AB …..(i)
Similarly, RS is the perpendicular bisector of AY.
∴ CY = AC ……(ii)
Now, XY = XB + BC + CY
XY = AB + BC + AC [Using (i) & (ii)]
Since, XB = AB
⇒ ∠AXB = ∠XAB ……(iii)
and CY = AC
⇒ ∠CAY = ∠CYA …..(iv)
∠ABC = ∠AXB + ∠XAB
[∵ Exterior angle is equal to its opp. two interior angles]
⇒ ∠ABC = ∠AXB + ∠AXB [Using (iii)]
⇒ ∠ABC = 2∠AXB
⇒ ∠ABC = ∠LXY
Similarly, ∠ACB = ∠MYX.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 11 Constructions Read More »

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles Notes.

Haryana Board 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles

Introduction
We used various objects in our daily life which are round in shape, such as coins of dimensions ₹ 1, ₹ 2 and ₹ 5, buttons of shirts, key rings, dials of clocks, wheels of vehicles etc. (see in figure 10.1). In a clock we have observed that the second’s hand goes round the dial of the clock rapidly and its tip moves round path. This path traced by the tip of the second’s hand is called a circle.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 1

If we fix a pencil in compass and put its pointed leg on a point on a sheet of a paper, open the other leg to some distance. Keeping the pointed leg on the same point, rotate the other leg through one revolution we get a closed figure traced by the pencil on the paper which is known as the circle (see in figure 10.2). In this chapter we will study about circles, it’s related terms and some properties of a circle.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 2

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles

Key Words
→ Circle: A circle is a plane figure bounded by one curved line and is such that all straight lines drawn to this line from certain point within it are equal.

→ Radius: A line segment joining the centre and a point on the circle is called its radius.

→ Circular Region: The region consisting of all points which are either on the circle or lies inside the circle is called the circular region or circular disc.

→ Concentric Circles: The circles which have same centre and different radii are called concentric circles.

→ Centroid: The point of concurrency of the three medians of a triangle is called the centroid of the triangle.

→ Circumcentre: The point of concurrency of the perpendicular bisectors of the sides of a triangle is called the circumcentre of the triangle.

→ Circumcircle: The circumcentre O is equidistant from the three vertices of a triangle. A circle with centre O and radius OA is called the circumcircle of the triangle. It passes through all the three vertices.

→ Concyclic: A number of points are concyclic if there is a circle that passes through all of them.

Basic Concepts
Circles and Its Related Terms: A Review
(i) Circle: The collection of all the points in a plane, which are at a fixed distance from a fixed point in the plane, is called a circle.
(ii) Centre: The fixed point is called the centre of the circle. In the figure, O is the centre.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 3
(iii) Radius: The constant distance from its centre is called the radius of the circle. The plural of radius is radii.
In the figure, OA, OB and OC are radii of the circle C(O, r).
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 4
(iv) Circumference: The length of the complete circle is called its circumference. The perimeter of a circle is also known as the circumference of the circle.

(v) Chord: A line segment joining any two points on the circle is known as the chord of the circle. In the figure, AB and CD are chords of a circle with centre O.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 5
(vi) Diameter: The chord, which passes through the centre of the circle is called a diameter of the circle. A diameter is the longest chord and all diameters are equal in lengths. In the figure, AOB is the diameter.
Diameter = 2 × radius
A diameter divides the circle into two equal arcs. Each of these two arcs is called a semicircle. In the figure, \(\widehat{A P B}\) and \(\widehat{A Q B}\) are two semicircles. The degree measure of a semicircle is 180°.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 6

(vii) Secant: A line which intersects a circle in two distinct points is called a secant of the cricle. In the figure, the line l cuts the circle in two points A and B. So, l is a secant of the circle.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 7
(viii) Arc: A piece of a circle between two points is called an arc.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 8
Let P and Q be two points on the circle. These points P and Q divide the circle into two pieces. Each piece is an arc. These arcs are denoted in anticlockwise direction from P to Q as PQ and from Q to Pas QP. The arc PQ is called the minor are and arc QRP is called the major arc,
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 9
where R is any point (figure 10.9) on the arc between P and Q. When arcs PQ and QRP are equal, then each is called a semicircle.

(ix) Interior and Exterior of a circle: A circle divides the plane on which it lies into three parts. They are:
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 10
(a) Inside the circle, which is also called the interior of the circle.
(b) Circle.
(c) Outside the circle, which is also called the exterior of the circle (see in figure).
The circle and its interior make up the circular region.
(x) Position of a point with respect to a circle:
(a) Point inside the circle: A point P is said to lie inside the circle C(O, r), if OP < r.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 11
(b) Point on the circle: A point is said to lie on the circle C(O, r), if OP = r.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 12
(c) Point outside the circle: A point is said to lie outside the circle C(O, r), if OP > r.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 13

(xi) Segment of a circle: The region between a chord and either of its arcs is called a segment of the circular region or simply a segment of the circle.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 14
The segment containing the minor area is called the minor segment. Thus APBA is the minor segment of the circle.
The segment containing the major arc is called the major segment. Thus ARBA is the major segment of the circle.
(xii) Sector of a circle: The region between an arc and the two radii, joining the centre to the end points of the arc is called a sector. The minor are corresponds to the minor sector and the major arc corresponds to the major sector. In the figure, the region OPQO is the minor. sector and remaining part of the circular region is the major sector.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 15

(xiii) Quadrant of a circle: One fourth of a circle is called a quadrant of a circle. In the figure, OABO is the quadrant of the circle C(O, r).
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 16
(xiv) Central angle: Let C(O, r) be any circle, then any angle whose vertex is O, is called a central angle of the circle. In the figure, ∠AOB is a central angle of the circle C (O, r).
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 17
(xv) Degree measure of an arc: Degree measure of a minor arc is the measure of the central angle subtended by the arc. In the given figure 10.17, the measure of the minor are AB is 50° ie., m\(\widehat{A B}\) = 50°. The degree measure of the major are is 360° – 50° = 310°.
⇒ m\(\widehat{B A}\) = 310°
The degree measure of a circle is 360°.
∴ mC(O, r) = m arc AB + m arc BA
= 50° + 310° = 360°.

(xvi) Congruent circles: Two circles are said to be congruent, if and only if one of them can be superposed on the other so as to cover it exactly. This is possible only when the radii of the two circles are equal. Let C(O, r1) and C(O’, r2) be two circles such that C(O, r1) is superposed on C(O’, r2) so that O’ coincides with O. Then C(O, r1) will cover C(O’, r2) completely if and only if r1 = r2.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 18
Thus two circles are congruent, if and only if, they have equal radii.

(xvii) Congruent arcs: Two arcs of a circle are said to be congruent if and only if they have the same degree measures.
If arc AB is congruent to arc CD. They are written as
AB = CD
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 19
In particular case, arcs of semicircles will be congruent because each has degree. measure = 180°.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles

Angle subtended by a chord at a point: The angle subtended by chord PQ at a point R (not on the chord PQ) on the circumference of the circle is ∠PRQ. And the angle subtended by chord PQ at the centre O is ∠POQ.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 20

Theorem 10.1:
Equal chords of a circle subtend equal angles at the centre.
Given: Two equal chords AB and CD of a circle with centre O.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 21
To prove: ∠AOB = ∠COD.
Proof: In ΔAOB and ΔCOD, we have
OA = OC (Equal radii of a circle)
OB = OD (Equal radii of a circle)
AB = CD (given)
∴ ΔAOB ≅ ΔCOD (By SSS congruence rule)
⇒ ∠AOB = ∠COD (CPCT)
Hence proved

Theorem 10.2: [Converse of theorem 10.1]
If the angles subtended by the chords of a circle at the centre are equal, then the chords are equal.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 22
Given: Two chords AB and CD of a circle are such that
∠AOB = ∠COD.
To prove: AB = CD.
Proof: In ΔAOB and ΔCOD, we have
OA = OC [Equal radii of a circle]
∠AOB = ∠COD (given)
OB = OD [Equal radii of a circle]
∴ ΔAOB ≅ ΔCOD (By SAS congruence rule)
⇒ AB = CD (CPCT)
Hence proved

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles

Perpendicular from the centre to a chord :
Theorem 10.3:
The perpendicular from the centre of a circle to a chord bisects the chord.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 23
Given: A chord AB of a circle C(O, r) and OM ⊥ to the chord AB.
To prove: AM = MB.
Construction: Join OA and OB.
Proof: In the right ΔOMA and ΔOMB, we have
OA = OB (Equal radii of a circle)
∠OMA = ∠OMB (Each is 90°)
OM = OM (Common)
ΔΟΜΑ ≅ ΔΟΜΒ (By RHS congruence rule)
⇒ AM = MB (CPCT)
Hence proved

Theorem 10.4:
[Converse of theorem 10.3]
The line drawn through the centre of a circle to bisect a chord is perpendicular to the chord.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 24
Given: A chord AB of a circle C(O, r) with mid point M.
To prove: OM ⊥ AB.
Construction: Join OA and OB.
Proof: In ΔOAM and ΔOBM, we have
OA = OB (Equal radii of a circle)
AM = BM
[∵ M is the mid point of AB]
OM = OM (common)
∴ ΔOAM ≅ ΔOBM (By SSS congruence rule)
⇒ ∠OMA = ∠OMB (CPCT) …..(i)
But ∠OMA + ∠OMB = 180° (Linear pair axiom)
⇒ ∠OMA + ∠OMA = 180° [using (i)]
⇒ ∠OMA = 180°
⇒ ∠OMA = \(\frac{180^{\circ}}{2}\) = 90°
∠OMA = ∠OMB = 90°
Hence OM ⊥ AB.
Hence proved

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles

Circle Through Three Points: We take a point P on a paper. There are many circles passing through this point.
Take two points P and Q. There are many infinite number of circle passing through P and Q.
If you take three non-collinear points A, B and C. There is only one circle passing through these points (see in figure below).
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 25

Theorem 10.5:
There is one and only one circle passing through three given. noncollinear points.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 26
Given: Three non-collinear points A, B and C.
To prove: There is one and only one circle passing through three points A, B and C.
Construction: Join AB and BC. Draw the 1 bisectors PQ and RS of AB and BC. Since A, B and C are non-collinear, PQ and RS are not parallel and will intersect, say the point O. Join OA, OB and OC.
Proof: Since, O lies on the perpendicular bisector of AB, we have
OA = OB …..(i)
Similarly, O lies on the perpendicular bisector of BC, we have
OC = OB …..(ii)
From (i) and (ii), we get
OA = OB = OC = r (say)
With O as the centre and r the radius, draw circle C(O, r) which will pass through A, B and C.
Hence, there is one and only one circle passing through three non-collinear points.
Remark: If ABC is a triangle, then by Theorem 10.5, there is a unique circle passing through the three vertices A, B and C of the triangle. This circle is called the circumcircle of the ΔABC. Its centre and radius are called respectively the circumcentre and the circumradius of the triangle.

Equal chords and their distances from the centre: Let AB be a line and P be a point (not on the line). There are many infinite number of points L1, L2, L3, L4, L5 on the line. If we join these points to P, we will get many line segments PL1, PL2, PM, PL3, PL4, PL5, where PM is the perpendicular from P to AB. On measuring these line segments PL1, PL2, PM, PL3, PL4, PL5, we find that PM is the shortest line segment.

So, we conclude that the length of the perpendicular from a point to a line is the distance of the line from the point.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 27
Note: If the point lies on the line, the distance of the line from the point is zero.

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles

Theorem 10.6:
Equal chords of a circle (or of congruent circles) are equidistant from the centre (or centres).
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 28
Given: A circle C(O, r) in which chord AB is equal to chord CD, OL ⊥ AB and OM ⊥ CD.
To prove: OL = OM.
Construction: Join OA and OC.
Proof: We have
AB = CD
\(\frac{1}{2}\)AB = \(\frac{1}{2}\)CD ……(i)
∵ OL ⊥ AB
∴ AL = LB = \(\frac{1}{2}\)AB
(By theorem 10.3)…(ii)
and OM ⊥ CD
∴ CM = MD = \(\frac{1}{2}\)CD
(By theorem 10.3)…(iii)
From (i), (ii) and (iii), we get
AL = CM
Now, right ΔOLA and ΔOMC, we have
Hyp. OA = Hyp. OC [Equal radii of a circle]
AL = CM (as proved above)
∠OLA = ∠OMC (Each is 90°)
ΔOLA ≅ ΔOMC (By RHS congruence rule)
⇒ OL = OM (CPCT)
Hence, equal chords of a circle are equidistant from the centre. Proved.

Theorem 10.7:
Chords equidistant from the centre of a circle are equal in length.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 29
Given: Two chords AB and CD of a circle C(O, r) are such that OL = OM, OL ⊥ AB and OM ⊥ CD.
To prove: AB = CD.
Construction: Join OB and OD.
Proof: ∵ OL ⊥ AB and OM ⊥ CD
∴ LB = \(\frac{1}{2}\)AB and MD = \(\frac{1}{2}\)CD ……(i)
(By theorem 10.3)
Now, right ΔOLB and ΔOMD, we have
Hyp. OB = Hyp. OD [Equal radii of a circle]
∠OLB = ∠OMD (Each is 90°)
OL = OM (given)
∴ ΔΟLΒ ≅ ΔΟΜD (By RHS congruence rule)
⇒ LB = MD (CPCT)
⇒ 2LB = 2MD
⇒ AB = CD [using (i)]
Hence, chords of a circle, which are equidistant from the centre are equal.
Proved

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles

Angle Subtended by an Arc of a Circle: If we cut two arcs corresponding to the equal chords AB and CD respectively. We observe that are AB superimpose the arc CD completely (see in figure). This shows that equal chords make congruent arcs and conversely congruent arcs make equal chords of a circle. You can state it as follows:
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 30

If two chords of a circle are equal, then their corresponding arcs are congruent and conversely, if two arcs are congruent, then their corresponding chords are equal.
In the given figure, minor are AB subtends ∠AOB at the centre O and major are BA subtends reflex ∠AOB at the centre.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 31
In view of the property above and theorem 10.1, the following result is true:
Congruent ares (or equal arcs) of a circle subtend equal angles at the centre.

Theorem 10.8:
The angle subtended by an arc at the centre is double the angle subtended by it at any point on the remaining part of the circle.
Given: An arc PQ of a circle subtends ∠POQ at the centre and ∠PAQ at a point A on the remaining part of the circle.
To prove: ∠POQ = 2∠PAQ.
Construction: Join AO and produced it to B.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 32
Proof : Consider three different cases as given in figures. In figure (i) \(\widehat{P Q}\) is minor arc, in (ii) \(\widehat{P Q}\) is a semi-circle and in (iii) \(\widehat{P Q}\) is major arc.
In figure (i) and (ii), In ΔAOP, we have
AO = OP [Equal radii of same circle]
⇒ ∠1 = ∠2 [Angles to the opposite sides are equal]
∠POB = ∠1 + ∠2
[Exterior angle is equal to sum of its two opposite interior angles]
⇒ ∠POB = ∠1 + ∠1
⇒ ∠POB = 2∠1 …..(i)
Similarly, In ΔAOQ, we have
∠3 = ∠4 [∵ AO = OQ]
∠QOB = ∠3 + ∠4
⇒ ∠QOB = ∠3 + ∠3
⇒ ∠QOB = 2∠3 ……(ii)
Adding (i) and (ii), we get
∠POB + ∠QOB = 2∠1 + 2∠3
⇒ ∠POQ = 2(∠1 + ∠3)
⇒ ∠POQ = 2∠PAQ
In figure (iii),
∠POB + ∠QOB = 2 (∠1 + ∠3)
⇒ Reflex ∠POQ = 2∠PAQ. Hence proved

Corollary: The angle in a semicircle is a right angle.
Given: In a circle C(O, r), AB is the diameter with centre O and ∠ACB is an angle in a semicircle.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 33
To prove: ∠ACB = 90°,
Proof: ∠AOB = 2∠ACB (By theorem 10.8)
⇒ 180° = 2∠ACB (∵ AOB is a straight line)
∠ACB = \(\frac{180^{\circ}}{2}\)
∠ACB = 90°
Hence, angle in a semicircle is a right angle. Proved

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles

Theorem 10.9:
Angles in the same segment of a circle are equal.
Given: A circle C(O, r) in which ∠ACB and ∠ADB are two angles made by arc AB in the same segment ACDB of the circle.
To prove: ∠ACB = ∠ADB.
Construction: Join OA and OB.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 34
Proof: In figure (i), by theorem 10.8, we have
∠AOB = 2∠ACB…(i)
and ∠AOB = 2∠ADB…(ii)
From (i) and (ii), we get
2∠ACB = 2∠ADB
∠ACB = ∠ADB
In figure (ii), by theorem 10.8, we have
reflex ∠AOB = 2∠ACB…(iii)
and reflex ∠AOB = 2∠ADB…(iv)
From (iii) and (iv), we get
2∠ACB = 2∠ADB
∠ACB = ∠ADB
In both cases, ∠ACB = ∠ADB
Hence, angles in the same segment of a circle are equal. Hence proved

Theorem 10.10:
If a line segment joining two points subtends equal angles at two other points lying on the same side of the line containing the line segment, the four points lie on a circle (i.e., they are concyclic).
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 35
Given: AB is a line segment, which subtends equal angles at two points C and D, such that
∠ACB = ∠ADB.
To prove: The points A, B, C and D lie on a circle (i.e., they are concyclic).
Construction: Draw a circle through three non-collinear points A, B, C.
Proof: Suppose circle does not pass through D. Let it will intersect AD (or extended AD) at point, say E (or E’). If points A, C, E and B lie on a circle, then
∠ACB = ∠AEB …(i) (By theorem 10.9)
But, ∠ACB = ∠ADB (given)…(ii)
From (i) and (ii), we get
∠AEB = ∠ADB
This is not possible unless E coincides with D.
Therefore D lies on the circle passing through A, B, C.
Similarly, E’ should also coincide with D.
Hence, the points A, B, C and D are concylic. Hence Proved

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles

Cyclic Quadrilaterals: A quadrilateral ABCD is called cyclic, if all the four vertices of it lie on a circle.
Theorem 10.11:
The sum of either pair of opposite angles of a cyclic quadrilateral is 180°.
Or
The opposite angles of a cyclic quadrilateral are supplementary.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 36
Given: A cyclic quadrilateral ABCD.
To prove: ∠A + ∠C = 180° and ∠B + ∠D = 180°.
Construction: Join AC and BD.
Proof: ∠ADB = ∠ACB [Angles in a same segment are equal]…(i)
∠ABD = ∠ACD [Angles in a same segment are equal]…(ii)
Adding (i) and (ii), we get
∠ADB + ∠ABD = ∠ACB + ∠ACD
⇒ ∠ADB + ∠ABD = ∠C
Adding ∠BAD on both sides, we get
∠ADB + ∠ABD + ∠BAD = ∠C + ∠BAD
⇒ 180° = ∠C + ∠A
[∵ Sum of angles of a ΔBAD is 180°]
∠A + ∠C = 180° …(iii)
But, we know that the sum of angles of a quadrilateral is 360°.
∴ ∠A + ∠B + ∠C + ∠D = 360°
⇒ ∠B + ∠D + 180° = 360° [using (iii)]
⇒ ∠B + ∠D = 360° – 180° = 180°
Hence, ∠A + ∠C = 180° and
∠B + ∠D = 180°. Proved

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles

Theorem 10.12:
If the sum of a pair of opposite angles of a quadrilateral is 180°, the quadrilateral is cyclic.
Given: A quadrilateral ABCD in which ∠A + ∠C = 180°.
To prove: ABCD is a cyclic quadrilateral.
Construction: If possible, let ABCD be not a cyclic quadrilateral. Draw a circle, passing through non-collinear points D, A, B. Let this circle meet DE or DE produced at C. Join EB.
HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles 37
Proof: ∠A + ∠C = 180° (given) …(i)
Now ABED is a cyclic quadrilateral.
∠A + ∠E = 180° ….(ii)
[∵ opposite angles of a cyclic quadrilateral is 180°]
From (i) and (ii), we get
∠A + ∠C = ∠A + ∠E
⇒ ∠C = ∠E
This is not possible, since an exterior angle of a triangle can never be equal to its interior opposite angle.
So, ∠C = ∠E is possible only when C coincides with E.
Hence, the circle passing through D, A, B must pass through C also.
Hence, ABCD is a cyclic quadrilateral.
Proved

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 10 Circles Read More »