HBSE 9th Class Social Science Solutions Economics Chapter 4 भारत में खाद्य सुरक्षा

Haryana Board 9th Class Social Science Solutions Economics Chapter 4 भारत में खाद्य सुरक्षा

HBSE 9th Class Economics भारत में खाद्य सुरक्षा Textbook Questions and Answers

पाठ्य पुस्तक प्रश्न-पृष्ठ 42

सारणी : बंगाल प्रांत में चावल की उपज

HBSE 9th Class Social Science Solutions Economics Chapter 4 भारत में खाद्य सुरक्षा 1
(i) कुछ लोगों का कहना है कि बंगल का अकाल चावल की कमी के कारण हुआ था। उपर्युक्त सारणी का अध्ययन करें और बताएँ कि क्या अप इस कथन से सहमत हैं?
(ii) किस वर्ष में खाद्य उपलब्धता में भारी कमी हुई?
उत्तर-(i) बंगाल में अकाल का मुख्य कारण चावल की कमी रहा है।
(ii) 1941 में खाद्य उपलब्धता की भारी कमी रही है।

भारत में खाद्य सुरक्षा प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class

HBSE 9th Class Social Science Solutions Economics Chapter 4 भारत में खाद्य सुरक्षा

पाठ्य पुस्तक प्रश्न-पृष्ठ 43

HBSE 9th Class Social Science Solutions Economics Chapter 4 भारत में खाद्य सुरक्षा 2

चित्र-1: राहत केंद्र पर भुखमरी से पीड़ित लोग, 1945
चित्र-2: 1943 के बंगाल के अकाल के दौरान पूर्वी बंगाल के चटगाँव जिले में गाँव छोड़ कर जाता हुआ एक परिवार।

(क) चित्र (1) में आप क्या देखते हैं? ।
(ख) पहले चित्र में कौन-सा आयु वर्ग दिख रहा है?
(ग) क्या आप कह सकते हैं कि चित्र (2) में दिखाया गया परिवार गरीब है? क्यों?
(घ) क्या आप अकाल पड़ने से पहले (दोनों चित्रों में दिखाए गए) लोगों की जीविका के स्त्रोत के बारे में अनुमान लगा सकते हैं? (गाँव के संदर्भ में)।
(ड) ज्ञात करें कि किसी राहत शिविर में प्राकृतिक आपद के पीड़ितों को किस तरह की मदद दी जाती है।
(च) क्या आपने इस तरह के पीड़ितों की कभी (धन, खाद्य, कपड़ों, दवाओं आदि के रूप में) सहायता की है?
उत्तर-
(क) कुछ गरीब प्रायः वृद्ध।
(ख) वृद्ध आयु के व्यक्तियों का वर्ग।
(ग) यह गरीब परिवार है। इस परिवार के बच्चों के पास पहनने को कपड़े नहीं हैं। इनका स्वास्थ्य कमज़ोर है।
(घ) अकल से पहले के दिनों चित्रों में दर्शाए गए लोग मेहनत मजदूरी करने वाले लोग दिखायी पड़ते हैं।
(ड) अकरण पीडित शिविरों में इन गरीबी को राहत मिल सकती है।
(च) प्रायः प्राकृतिक आपदों के दिनों में ऐसे पीडितों की धन, खाद्य, कपड़ों, दवाओं आदि के रूप में सहायता की जाती है।

भारत में खाद्य सुरक्षा Class 9 HBSE

पाठ्य पुस्तक प्रश्न-पृष्ठ

(i) चर्चा करें कि कृषि एक मौसमी क्रिया क्यों हैं?
उत्तर-
कृषि कार्य वर्ष में दो अथवा तीन फसलों के लिए होता है। यह पूरा वर्ष चलने वाला कार्य नहीं है। अतः यह मौसमी क्रिया है।

(ii) रामू वर्ष में लगभग चार महीने बेरोज़गार क्यों रहता है?
उत्तर-
रामू तक खेतिहर मज़दर है। क्योंकि कृषि एक मौसमी क्रिया है, इसलिए इसे तब काम/रोज़गार मिलता है जब कृषि क्रिया की जाती है। क्योंकि तेजी क्रिया वर्ष में चार महीने नहीं की जाती, इसलिए रामू चार महीने बेरोज़गार रहता है।

(iii) जब रामू बेरोज़गार होता है तो वह क्या करता है?
उत्तर-
जब रामू बेरोज़गार होता है तो वह गैर-कृषि क्रियाओं की तलाश में रहता है तथा उन कार्यों को करता

(iv) रामू के परिवार में पूरक आय कौन प्रदान करता है?
उत्तर-
रामू का सबसे बड़ा लड़का सोनू तथा उसकी पत्नी सुंदरी पूरक आय प्रदान करते हैं।

(v) कोई काम पाने में असमर्थ होने पर रामू को कठिनाई क्यों होती है?
उत्तर-
जब काम नहीं होता तो काम करने में कठिनाई होती है। रामू मज़दूर है तथा उसे मज़दरी के अतिरिक्त कोई दूसरा काम आता भी नहीं है। कभी-कभी मज़दूरी भी नहीं मिलती।

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(vi) रामू खाद्य की दृष्टि से कब असुरिक्षत होता है?
उत्तर-
जब रामू चार महीने बेरोज़गार होता है, तब वह खाद्य असुरक्षित होता है।

(vii) क्या रिक्शा चलाने से अहमद को नियमित आय होती है?
उत्तर-
नहीं। रिक्श कार्य नियमित कार्य नहीं है। कभी आय अच्छी हो जाती है तथा कभी कम।

(viii) रिक्शा चलाने से होने वाली थोड़ी-सी आय के बावजूद पीला कार्ड अहमद को अपना परिवार चलने में कैसे मदद कर रहा है?
उत्तर-
गरीबी रेखा से नीचे रहने के कारण अहमद के पास पीला कार्ड है। इस कार्ड से उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान से गेहूँ, चावल, चीनी, मिट्टी का तेल पर्याप्त मात्र में मिल जाता है। इन वस्तुओं के लिए अहमद को बाज़ार मूल्य से आधी कीमत देनी पड़ती है।

पाठ्य पुस्तक प्रश्न-पृष्ठ 46

उपर्युक्त आरेख का अध्ययन करें और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
आरेख भारत में अनाज की उपज (करोड़ टन)
(i) हमारे देश में किस वर्ष में अनाज उत्पादन 200 करोड़ टन प्रतिवर्ष से अधिक हुआ?
(ii) भारत में किस दशक में अनाज उत्पादन में सर्वाधिक दशकीय वृद्धि हुई?
(iii) क्या 2000-01 से भारत में उत्पादन में वृद्धि स्थायी है?
उत्तर-
(i) 2003-2004 में।
(ii) 1960 वे 1970 के दशक में।
(iii) नहीं, वृद्धि स्थायी नहीं थी। सुझाई गई क्रियएँ
विद्यार्थी अपने अध्यापकों के साथ चर्चा करें-

पाठ्य पुस्तक प्रश्न-पृष्ठ 49

उपर्युक्त आरेख का अध्ययन करें और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें
(i) हाल में किस वर्ष में सरकार के पास खाद्यान्न का स्टॉक सबसे अधिक था?
(ii) एफ. सी. आई. का न्यूनतम बफर स्टॉक प्रतिमान क्या है?
(i) एफ. सी. आई. के भंडारों में खाद्यान्न ठसाठस क्यों भरा हुआ है?
उत्तर-
(i) जुलाई 2002 में,
(ii) 2.43 करोड़ टन।
(iii) एफ. सी. आई. में खाद्यान्न ठसाठस इसलिए भरा हुआ है कि सरकर ने किसानों से खाद्यान्न खरीद रखा है। साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत खाद्यान्नों की अपेक्षाकृत कम हो रही है।

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पाठ्य पुस्तक प्रश्न-पृष्ठ 52

प्रश्न 1.
भारत में खाद्य सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाती है?
उत्तर-
भारत में खाद्य सुरक्षा निम्न व्यवस्थाओं द्वारा की जाती है-

(क) बफर स्टॉक : इसमें सरकार अपने गोदामों में खाद्य के भंडार रखती है।
(ख) सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा उचित दर की दुकानों के माध्यम से लोगों तक खाद्य का वितरण कराती है।

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प्रश्न 2.
कौन लोग खाद्य असुरक्षा वे अधिक ग्रस्त हो सकते हैं?
उत्तर-
ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन किसान, खेतिहर मज़दूर, व निर्धनता से पीड़ित जनता। शहरी क्षेत्रों में श्रमिक, रिक्शा चलाने वाले. मेहनत मज़दूरी करने वाले एवं छोटा-मोट काम करने वाले लोग खाद्य असुरक्ष ग्रस्त हेते हैं।

प्रश्न 3.
भारत में कौन से राज्य खाद्य असुरक्षा से अधिक ग्रस्त है?
उत्तर-
उत्तर प्रदेश के पूर्वी व दक्षिणी भाग, बिहार, झारखंड उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के कुछ भाग एवं महाराष्ट्र के कुछ भांग खाद्य असुरक्षा ग्रस्त हैं।

प्रश्न 4.
क्या आप जानते हैं कि हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना दिया है? कैसे?
उत्तर-
हरित क्रांति के फलस्वरूप भारत में कुछ राज्यों में खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता देखने को मिली है। इस राज्यों में पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश अदि का नाम लिया ज सकत है। इस क्रांति से और अधिक राज्य प्रभावित नहीं हो पाए थे। इस क्रांति के करण रासायनिक उर्वरके, अधिक उपज वाले बीजें व सिंचाई सुविधाओं के चलते अधिक खाद्यान्न पैदा किये जा सके थे। 1964-65 में पंजाब व हरियाणा में 0.723 करोड़ टन खाद्यान्न पैदा किये जाते थे; 1995-96 में यह उपज 3.033 करोड़ टन हो गयी थी। बाद में कुछ अन्य राज्यों में भी खाद्य उत्पादन अच्छा हुआ था।

प्रश्न 5.
भारत में लोगों का एक वर्ग अब भी खाद्य से वंचित है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
भारत में ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोग आज भी खाद्य असुरक्ष की स्थिति में रहते हैं। इनमें खेतिहर, मज़दूर, श्रमिक, निर्धन आदि का विशेष उल्लेख किया जा सकता है।

प्रश्न 6.
जब कोई आपदा आती है तो खाद्य पूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
जब कोई आपदा आती है तो खाद्य पर्ति के सभी साधनों को प्रयोग में लाया जाता है। सरकार अपने बफर स्टॉक व सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वार लोगों तक खाद्यान्न पहुँचती है; मुख्य वृद्धि पर नज़र रखती है; जमाखोरो के विरुद्ध कर्यवाही करती है।

प्रश्न 7.
मौसमी भुखमरी व दीर्घकालिक भूखमरी में भेद कीजिए।
उत्तर-
दीर्घकालिक भुखमरी तो पर्याप्त खुराक न मिलने सकने की स्थिति होती है। ऐसी भुखमरी स्थायी होती है।
ऐसी भुखमरी स्थायी हो सकती है, अस्थायी भी; यह गुणात्मक भी हो सकती है तथा मात्रात्मक भी। ऐसी भुखमरी से लोगों की जाने जाने का खतरा होता है। मौसमी – भुखमरी उस स्थिति का नम है जो वक्ती होता है। कम फसल होने के कारण, जब खाद्य की कमी होती है तो उसे मौसमी भुखमरी कहा जाता है। समय रहते राहत कार्य करने पर मौसमी भुखमरी पर काबू पाया जा सकता है।

प्रश्न 8.
गरीबों को खाद्य सुरक्षा देने के लिए सरकार ने क्या किया? सरकार की ओर से शुरू की गई किन्हीं दो योजनाओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
गरीबों को खाद्य सुरक्षा देने के लिए सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था करती है तथा उसके माध्यम से उन्हें खाद्य सुरक्षा प्रदान करती है। एकीकृत बाल विकास सेवाएँ, काम के बदले अनाज, अंत्योदय अन्न योजना, अन्नापूर्णा योजनाएँ सरकार द्वारा चलायी गयी ऐसे कुछ योजनाएँ हैं।

प्रश्न 9.
सरकार बफर स्टाक क्यों बनाती है?
उत्तर-
खाद्यान्न की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सरकार खाद्य के भंडार एकत्रित करती है। इसे बफर स्टाक कहा जाता है। सरकार अपने गोदामों में खाद्यान्नों को जमा करती है। ज़रूरत व आपदा के समय में खाद्यान्न उपलब्ध कराना सरकार का दायित्व है।

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प्रश्न 10.
टिप्पणी लिखें-
(क) न्यूनतम समर्थित कीमत
(ख) बफर स्टॉक
(ग) निर्गम कीमत
(घ) उचित दर की दुकान।
उत्तर-
(क) फूड कारपोरेशन द्वारा किसानों से खाद्यान्न खरीदना सरकर का खाद्य सुरक्षा संबंधी कार्य हैं। सरकार इन किसानों को खाद्यान्न के लिए न्यूनतम समर्पित कीमतें तय करती हैं ताकि किसानों को खाद्य का सही मुख्य मिल सके।
(ख) प्रश्न 9 देखें।
(ग) निर्गम कीमत उस कीमत को कहते हैं जिसके द्वारा सरकार उन क्षेत्रों में खाद्यान्न भेजती है जहाँ उनका संकट हो तथा उन क्षेत्रों में खाद्यान्न वितरित करती है।
(घ) उचित दर की दुकान वह दुकान है जहाँ सरकर खाद्यान्नों के लोगों को निर्धारित कीमतों पर बेचती है।

प्रश्न 11.
राशन की दुकानों में संचालन में क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर-
राशन की दुकानों के संचालन की कुछेक समस्याएँ निम्नलिखित हैं

(1) कई वस्तुओं की कीमतें बाज़र कीमतों से बहुत अधिक कम नहीं होती।
(2) ऐसे दुकानदार फर्जी राशन कार्ड बनवाकर खाद्यान्नों को बाज़ार में बेच देते हैं।
(3) कई बर ऐसे दुकानदारों को लोगों के साथ व्यवहार ठीक नहीं होता।
(4) ऐसी दुकानों पर खाद्यान्नों की गुणवता सही नहीं होती।
(5) ऐसी दुकानों पर खाद्य स्टॉक समय पर उपलब्ध नहीं होता।

प्रश्न 12.
खाद्य और संबंधित वस्तुओं को उपलब्ध कराने में सहकारी समितियों की भूमिका पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
भारत में विशेषकर देश के दक्षिणी और पश्चिमी भागों में सहकारी समितियाँ भी खाद्य सुरक्षा में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। सरकारी समितियाँ निर्धन लोगों को खाद्यान्न की बिक्री के लिए कम कीमत वाली दुकानें खोलती हैं। उदाहरणार्थ, तमिलनाडु में जितनी राशन की दुकानें हैं, उनमें से करीब 94 प्रतिशत सहकारी समितियों के माध्यम से चलाई जा रही हैं।

दिल्ली में मदर डेयरी उपभोक्ताओं को दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित नियंत्रित दरों पर दूध और सब्जियाँ उपलब्ध कराने में तेजी से प्रगति कर रही है। गुजरात में दूध तथा दुग्ध उत्पादों में अमूल एक और सफल सहकारी समिति का उदाहरण है। इसने देश में श्वेत क्रांति ला दी है।
इसी तरह, महाराष्ट्र में एकेडमी ऑफ डेवलपमेंट साईंस (ए. डी. एस.) ने विभिन्न क्षेत्रों में अनाज बैंकों की स्थापना के लिए गैर-सरकारी संगठनों के नेटवर्क में सहायत की है। ए. डी. एस. गैर-सरकारी संगठनों के लिए खाद्य सुरक्षा के विषय में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम संचालित करती है। अनाज बैंक अब धीरे-धीरे महाराष्ट्र के विभिन्न भागों में खुलते जा रहे हैं।

भारत में खाद्य सुरक्षा Class 9 HBSE Notes in Hindi

अध्याय का सार

जैसे जिंदा रहने के लिए साँस लेना अनिवार्य है, वैसे ही जीवित रहने के लिए खाद्य होना भी ज़रूरी है। खाद्य असुरक्षा का अर्थ मात्र दो वक्त की रोटी ही नहीं होती। खाद्य सुरक्षा का अर्थ है, खाद्यान्न का उपलब्ध रहना तथा लोगों को खाद्यान्न खरीदने की स्थिति में होना।

भारत खाद्य सुरक्षा प्राप्ति के लिए भरसक प्रयास कर रहा है। इस कारण खाद्य संबंधी ऐसी रणनीति अपनायी गयी जिसके कारण हरित क्रांति संभव हो पायी है जिसके परिणामस्वरूप देश में गेहूँ व चावल की पर्याप्त मात्रा पैदा हो सकी है। सही कारण है कि 1970 के दशक के बाद से देश अकाल आदि की स्थिति से उबर पाया है।

खाद्य सुरक्षा के लिए सरकार ने पर्याप्त प्रयास किए हैं। इन प्रयासों में बफ़रस्टॉक तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली दो व्यवस्थाओं का प्रयोजन किया गया है। सरकर खाद्य निगम (फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया) द्वारा अपने गोदामों में खाद्यान्नों का पर्याप्त भंडार बनाए रखती है खाद्यान्नों की कमी की स्थिति में सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वरा जन-साधारण तथा खाद्य आवश्यकताओं की पूर्ति का प्रबंध करती है। बफरस्टॉक में खाद्यान्नों के भंडार रखने के लिए सरकार खाद्यान्न न्यूनतम समर्पित कीमातों का समय-समय पर एलान भी करती रहती है। किसान अपनी फसलें बना सकें, सरकार अपनी अनेक योजनाओं द्वारा आर्थिक सहायता भी देती रहती है। प्राकृतिक आपदों से बचने के लिए फसल बीम, अच्छे बीजों की व्यवस्थ, सिंचाई सुविधाएँ, उपकरणों के लिए सरल दरों पर ऋण आदि का प्रयोजन भी सरकार द्वारा होता रहता है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़ी नीतियाँ भी समय-समय पर सुनिश्चित की जाती हैं। इस प्रणाली के अंतर्गत दुकानों पर उचित दरों पर खाद्यान्नों व अन्य वस्तुओं का सही रूप से वितरण भी होता रहत है। इस प्रणाली में अनेक समस्याएँ व बाधाएँ आती रहती हैं जिन्हें दूर करने के प्रयास किए जाते हैं।

खाद्य असुरक्षा को दूर करने के लिए सरकार योजनाएँ बनाती रहती हैं इन योजनाओं द्वारा अंत्योदय अन्न योजना और अन्नपूर्णा योजना आदि का उल्लेख किया जा सकता है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अतिरिक्त कई निध ‘नता उन्मूलन कार्यक्रम भी शुरू किए गए, जिनमें खाद्य सुरक्षा का घटक भी शामिल था। इनमें से कुछ कार्यक्रम हैं : एकीकृत बाल विकास सेवाएँ, काम के बदले अनाज, दोपहर का भोजन, अंत्योदय अन्न योजना अदि। खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराने में सरकार की भूमिका के अतिरिक्त अनेक सहकारी समितियाँ और गैर-सरकारी संगठन भी हैं, जो इस दिश में तेजी से काम कर रहे हैं।

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जानने योग्य तथ्य

1. खाद्य सुरक्षा – खाद्य उपलब्धता; पर्याप्त खाद्य व खरीदने की क्षमता।
2. वफ़रटॉक – सरकर द्वारा अधिक प्राप्त अनाज-गेहूँ व चावल का भंडार।
3. सार्वजनिक वितरण प्रणाली – सरकार द्वारा विनियमित राशन दुकानों पर उचित दर से बेची जानी वाली वस्तुएँ।
4. खाद्य सुरक्षित लोग – वह लोग जिन्हें खाद्य संबंधी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं होती।
5. न्यूनतम समर्पित कीमतें – सरकार द्वारा किसानों को उनके फसलों की न्यूनतम समर्पित कीमतें देने के मूल्य।
6. भूखमरी – एक ऐसी स्थिति जिसमें लोगों को खाने को नहीं मिलता।
7. आपदा – कोई मानवकृत अथवा प्राकृतिक कष्ट वाली स्थिति।
8. अकाल – अभव की स्थिति जब खाद्य प्राकृतिक आपदओं के कारण खाद्यान्न उपलब्ध नहीं होता।

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