Haryana Board 9th Class Social Science Solutions Civics Chapter 3 संविधान निर्माण
HBSE 9th Class Civics संविधान निर्माण Textbook Questions and Answers
संविधान निर्माण Class 9 HBSE Civics प्रश्न 1.
नीचे कुछ गलत वाक्य हैं। हर एक में की गई गलती पहचानें और इस अध्याय के आधार पर उसको ठीक करके लिखें।
(क) स्वतंत्रता के बाद देश लोकतांत्रिक हो या नहीं, इस विषय पर स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने अपना दिमाग खुला रखा था।
(ख) भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान मे कही गई हरेक बात पर सहमत थे।
(ग) जिन देशों में सविधान है वहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ही होगी।
(घ) संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है। इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता।
उत्तर-
(क) स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं के मन में यह स्पष्ट था कि स्वतंत्रता के पश्चात् वह देश में लोकतंत्र की स्थापना करेंगे।
(ख) नहीं, संविधान सभा में सभी सदस्यों की सभी बातें व विचार एक समान नहीं थे।
(ग) जिस देश में संविधान होता है, प्रायः वह लोकतांत्रिक ही होता है। इस कारण लोकतंत्र होना चाहिए और उसके लिए संविधान भी।
(घ) बदलते समय के अनुसार संविधान में संशोधन/बदलाव होने चाहिएँ।
संविधान निर्माण Class 9 Question Answer HBSE Civics प्रश्न 2.
दक्षिण अफ्रीका का लोकतांत्रिक संविधान बनाने में इनमें से कौन-सा टकराव सबसे महत्त्वपूर्ण था
(क) दक्षिण अफ्रीका और उसके पड़ोसी देशों का.
(ख) स्त्रियों और पुरुषों का
(ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का
(घ) रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का।
उत्तर-
(घ) जब दक्षिण अफ्रीका में लोकतांत्रिक संविधान बनाया गया था तब वह सभी नस्लों में समानता व सबके साथ न्याय पर ही बनाया गया था।
संविधान निर्माण प्रश्न उत्तर HBSE Civics Class 9 प्रश्न 3.
लोकतांत्रिक संविधान में इनमें से कौन-सा प्रावधान नहीं रहता? ..
(क) शासन प्रमुख के अधिकार (ख) शासन प्रमुख का नाम (ग) विधायिका के अधिकार (घ) देश का नाम।
उत्तर-
(ख) शासन प्रमुख का नाम लोकतांत्रिक संविधान में नहीं लिखा जाता।
प्रश्न 4.
संविधान निर्माण में इन नेताओं और उनकी भूमिका में मेल बैठाएँ
(क) मोतीलाल नेहरू — 1. संविधान सभा के अध्यक्ष
(ख) बी.आर. अम्बेडकर — 2. संविधान सभा की सदस्य
(ग) राजेंद्र प्रसाद — 3. प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष
(घ) सरोजिनी नायडू — 4. 1928 में भारत का संविधान बनाया
उत्तर-
(क) 4,
(ख) 3,
(ग) 1,
(घ) 2।
प्रश्न 5. जवाहर लाल नेहरू के नियति के साथ साक्षात्मकार वाले भाषण के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों का जवाब दें
(क) नेहरू ने क्यों कहा कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम करने का नहीं है?
(ख) नए भारत के सपने किस तरह विश्व से जुड़े हैं?
(ग) वे संविधान निर्माताओं से क्या शपथ चाहते थे?
(घ) “हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की कामना हर आँख के आँसू पोंछने की है।” वे इस .कथन में किसका जिक्र कर रहे थे?
उत्तर-
(क) संकल्प को पूरा अथवा आधा नहीं, उसे उसके सार में लागू किया जाना चाहिए।
(ख) पूरी मानव जाति से।
(ग) जिस संकल्प की बात नेहरू ने की थी वह देश, उसके लोगों तथा पूरी मानव जाति की सेवा करने से सम्बन्धित थी।
(घ) वह भारत के लोगों की बात कर रहे थे जिन्होंने काफी दुःख व तकलीफे सही थीं।
प्रश्न 6.
हमारे संविधान को दिशा देने वाले ये कुछ मूल्य और उनके अर्थ हैं। इन्हें आपस में मिलाकर दोबारा लिखिए।
(क) संप्रभु – 1. सरकार किसी धर्म के
निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी।
(ख) गणतंत्र – 2. फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है।
(ग) बंधुत्व – 3. शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है।
(घ) धर्मनिरपेक्ष – 4. लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए।
उत्तर-
(क) 2,
(ख) 3,
(ग) 4,
(घ) 1
प्रश्न 7.
कुछ दिन पहले नेपाल से आपके एक मित्र ने वहाँ की राजनैतिक स्थिति के बारे में आपको पत्र लिखा था। वहाँ अनेक राजनैतिक पार्टियाँ राजा के शासन का विरोध कर रही थीं। उनमें से कुछ का कहना था कि राजा द्वारा दिए गए मौजूदा संविधान में ही संशोधन करके चुने गए प्रतिनिधियों को ज्यादा धिक्कार दिए जा सकते हैं। अन्य पार्टियाँ नया गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए नई संविधान सभा गठित करने की माँग कर रही थीं। इस विषय में अपनी राय बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें।.
उत्तर-
हमारे विचार में नया संविधान देश के लिए बनाया जाना चाहिए। नया संविधान गणतांत्रिक हो जहाँ राज्य अध्यक्ष लोगों द्वारा प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाए। यदि नेपाल के लोग पारम्परिक रूप से राजतंत्र से जुड़े हैं तो संविधान द्वारा सम्राट की शक्तियाँ ब्रिटेन व जापान के राज्य अध्यक्षों की भाँति कम कर देनी चाहिए। इन दोनों देशों में राजतंत्र है।
प्रश्न 8.
भारत के लोकतंत्र के स्वरूप में विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग विचार इस प्रकार हैं। आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कितना महत्त्वपूर्ण कारण मानते हैं?
(क) अंग्रेज शासकों ने भारत को उपहार के रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था दी। हमने ब्रिटिश हुकूमत के
समय बनी प्रांतीय असेंबलियों के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया।
(ख) हमारे स्वतंत्रता संग्राम ने औपनिवेशिक शोषण और भारतीय लोगों को तरह-तरह की आजादी न दिए जाने का विरोध किया। ऐसे में स्वतंत्र भारत को लोकतांत्रिक होना ही था।
(ग) हमारे राष्ट्रवादी नेताओं की आस्था लोकतंत्र में थी। अनेक नव स्वतंत्र राष्ट्रों में लोकतंत्र का न आना हमारे नेताओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
उत्तर-
यह सही है कि भारत ने लोकतंत्र की शिक्षा अंग्रेजों से प्राप्त की थी। परंतु भारतवासियों को जो दुःख हुआ वह था अंग्रेजों द्वारा उनके साम्राज्यवादी स्वार्थों के लिए भारत के संसाधनों का शोषण। यह भी सही है कि जब भारत की आजादी के लिए हमारे नेता मुक्ति आंदोलन चला रहे थे, वे स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत को लोकतांत्रिक बनाने के लिए प्रतिबद्ध थे। वास्तव में, गुलाम संसद मात्र स्वतंत्रता की माँग नहीं करती, वह लोकतंत्र की – स्थापना भी चाहती है। भला भारतीय कोई अपवाद कैसे हो. सकते थे?
प्रश्न 9.
1912 में प्रकाशित “विवाहित महिलाओं के लिए आचरण पुस्तक के निम्नलिखित अंश को पढ़ें “ईश्वर ने औरत जाति को शारीरिक और भावनात्मक, दोनों ही तरह से ज्यादा नाजुक बनाया है, उन्हें आत्म रक्षा के भी योग्य नहीं बनाया है। इसलिए ईश्वर ने ही उन्हें जीवन भर पुरुषों के संरक्षण में रहने का भाग्य दिया है-कभी पिता के, कभी पति के और कभी पुत्र के। इसलिए महिलाओं को निराश होने की जगह इस बात से अनुगृहीत होना चाहिए कि वे अपने आपको पुरुषों की सेवा में समर्पित कर सकती हैं।” क्या इस अनुच्छेद में व्यक्त मूल्य संविधान के दर्शन से मेल खाते हैं या वे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं?
उत्तर-
इस अनुच्छेद में व्यक्त मूल्यों से हमारा संविधान मेल नहीं खाता। हमारा संविधान लिंग समानता के मूल्य को स्वीकारता है-महिलाएँ व पुरुष पत्येक दृष्टि से बराबर हैं। वस्तुत, भारत का संविधान महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा प्राथमिकता दे रहा है। ऐसी सुविधा समाज के कमजोर वर्गों को भी प्राप्त हैं।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप उनसे सहमत हैं? अपने कारण भी बताइए।
(क) संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून के बराबर है।
(ख) संविधान बताता है कि शासन व्यवस्था के विविध अंगों का गठन किस तरह होगा।
(ग) नागरिकों के अधिकार और सरकार की सत्ता की सीमाओं का उल्लेख भी संविधान में स्पष्ट रूप में है।
(घ) संविधान संस्थाओं की चर्चा करता है, उसका मूल्यों से कुछ लेना-देना नहीं है।
उत्तर-
(क) नहीं, संविधान देश का सर्वोच्च कानून है। सभी अन्य कानूनों को संविधान के अनुरूप होना होता
(ख) यह कथन सही है। संविधान बताता है कि शासन व्यवस्था के विविध अंगों का गठन किस प्रकार होगा। . .
(ग) यह सही है कि संविधान नागरिकों के लिए मूल अधिकारों की व्यवस्था करता है। यह तो सरकार पर लगने वाली सीमाओं का भी प्रयोजन करता है।
(घ) यह सही नहीं है। हमारा संविधान सरकार रूपी संस्थाओं के विषय में भी बताता है तथा स्वतंत्रता, न्याय, समानता व बन्धुत्व जैसे मूल्यों के विषय में भी।
HBSE 9th Class Civics संविधान निर्माण Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
2001 में तीन राज्य भारतीय संघ के सदस्य बने। उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
छत्तीसगढ़, उत्तरांचल, झारखण्ड।
प्रश्न 2.
केन्द्र शासित प्रदेश किसे कहते हैं?
उत्तर-
भारतीय संघ में राज्यों के अतिरिक्त केन्द्रशासित प्रदेशों का वर्णन भी मिलता है। ये वे क्षेत्र/प्रदेश हैं जिनके शासन पर संघीय सरकार का प्रभावपूर्ण नियंत्रण रहता है। 2003 में ऐसे केन्द्रशासित प्रदेशों की संख्या सात थी। .
प्रश्न 3.
संविधान मुख्य रूप से किन-किन तथ्यों का वर्णन करता है?
उत्तर-
संविधान सरकार के मूल ढाँचे को सुनिश्चित करता है। यह सरकार के मुख्य अंगों की व्यवस्था करता है, प्रत्येक अंग को शक्तियों को परिभाषित करता है, जनता व सरकार के सम्बन्धों को स्पष्ट करता है।
प्रश्न 4.
संविधान से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
संविधान वह लिखित कानून है जिसे आधारभूत कानून भी कहा जाता है और जो स्रोत के रूप में यह बताता है कि किन नियमों/सिद्धांतों के अनुरूप सरकार को कानून बनाने चाहिएँ।
प्रश्न 5.
संविधान निर्माण सभा को भारत का लघु रूप क्यों कहते हैं?
उत्तर-
संविधान निर्माण सभा को भारत का लघु रूप इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें देश के सभी भागों से लोगों द्वारा प्रतिनिधियों को सम्मिलित किया गया था। –
प्रश्न 6.
संविधान निर्माण सभा के प्रमुख सदस्यों की सूची तैयार कीजिए।
उत्तर-
जवाहर लाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद, सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, सरदार बलदेव सिंह, फ्रैंक एन्थनी, एच.पी. मोदी, अलवादी कृष्णास्वायी अय्यर, बी.आर. अम्बेडकर, के.एम. मुंशी आदि।
प्रश्न 7.
संविधान निर्माण सभा द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव कब पास किया गया था तथा इस प्रस्ताव को किसने प्रस्तुत किया था?
उत्तर-
संविधान निर्माण सभा द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव 20 जनवरी, 1947 को पास किया गया था। इस प्रस्ताव को पंडित जवाहर लाल नेहरू ने प्रस्तुत किया था।
प्रश्न 8.
भारत कब प्रभुसत्तासम्पन्न घोषित हुआ?
उत्तर-
भारत विधिवत तरीके से 26 जनवरी, 1950 को प्रभुसत्तासम्पन्न राज्य घोषित हुआ था परन्तु व्यावहारिक दृष्टि से उसे प्रभुसत्ता सम्पन्नता तो 15 अगस्त, 1947 को ही प्राप्त हो गई थी।
प्रश्न 9.
भारत में मतदान करने के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष से 18 वर्ष कम की गई थी?
उत्तर-
भारत में मतदान के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष इक्कीसवें संविधान संशोधन द्वारा 1989 में निश्चित की गई थी।
प्रश्न 10.
उन राज्यों का नाम ज्ञात कीजिए जहाँ द्विसदनीय विधायिका है?
उत्तर-
प्रदेश, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, बिहार, महाराष्ट्र।
प्रश्न 11.
संविधान निर्माण सभा को संविधान बनाने में कितना समय लगा था?
उत्तर-
संविधान निर्माण सभा को संविधान बनाने में 2 वर्ष 11 महीने तथा 18 दिन लगे थे। इस सभा की कुल 166 बैठकें हुई थीं।
प्रश्न 12.
संविधान की प्रस्तावना द्वारा शासन -के स्वरूप में किन मुख्य बातों का वर्ण मिलता है?
उत्तर-
संविधान को प्रस्तावना में शासन के स्वरूप में भारत को प्रभुसत्ता सम्पन्न, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष, लोकतंत्रीय गणराज्य बताया गया है।
प्रश्न 13.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में किस प्रकार के न्याय, स्वतंत्रता, समता तथा बन्धुत्व का वर्णन मिलता है।
उत्तर-
भारतीय संविधान में निम्न प्रकार के न्याय, स्वतंत्रता, समता तथा बन्धुत्व का वर्णन मिलता है
- न्याय-सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक
- स्वतंत्रता-विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म तथा उपासना की;
- समता-प्रतिष्ठा तथा अवसर की; तथा
- बन्धुत्व-व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता तथा अखण्डता की।
प्रश्न 14.
परिवर्तनतशील संविधान का अर्थ बताइए।
उत्तर-
परिवर्तनशील संविधान उस संविधान को कहते हैं जहाँ संशोधन साधारण बहुमत द्वारा किया जाता हो।
प्रश्न 15.
सार्वजनिक वयस्क मताधिकार का अर्थ बताइए।
उत्तर-
सार्वजनिक वयस्क मताधिकार से अभिप्राय यह है कि एक निश्चित आयु प्राप्त करने पर सभी को, बिना किसी भेदभाव के मताधिकार प्राप्त हो।
प्रश्न 16.
1950 में बने भारत के संविधान में कितनी धाराएँ थीं, उसके कितने भाग थे तथा उसमें कितनी अनुसूचियाँ थीं?
उत्तर-
1950 में बने भारत के संविधान में 395 धाराएँ थीं जो 22 भागों में विभाजित थीं। तब इसमें सम्मिलित 8 अनुसूचियाँ थीं। बाद में चार अनुसूचियाँ और बढ़ा दी गई थीं।
प्रश्न 17.
भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ व पंथनिरपेक्ष शब्द कब जोड़े गए थे?
उत्तर-
भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ . व ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द 42वें संशोधन द्वारा 1976 में जोड़े गए
प्रश्न 18.
भारत में कितने राज्य व कितने संघीय क्षेत्र हैं?
उत्तर-
(क) राज्यः 28; (ख) संघीय क्षेत्र: 7
प्रश्न 19.
भारत की संविधान सभा के सभापति का नाम बताइए।
उत्तर-
डॉ. राजेंद्र प्रसाद।
प्रश्न 20.
संविधान ड्राफ्टिंग समिति के अध्यक्ष नाम क्या था?
उत्तर-
डॉ. बी.आर. अम्बेडकर।
प्रश्न 21.
किन्हीं पाँच देशों का नाम बताइए जिसके संविधानों से भारत ने प्रेरणा ली।
उत्तर-
ब्रिटेन, आयरलैण्ड, फ्रांस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया।
प्रश्न 22.
संघ सूची, राज्य सूची व समवर्ती सूची के विषयों की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
1. संघ सूची : 97 विषय; 2. राज्य सूची : 66 विषय; 3. समवर्ती सूची : 47 विषय।
प्रश्न 23.
भारत में अवशेष शक्तियों पर कानून बनाने का अधिकार किसको है?
उत्तर-
संसद।
प्रश्न 24.
कराची कांग्रेस अधिवेशन कब हुआ था?
उत्तर-
मार्च, 1931 में।
प्रश्न 25.
फैजपुर कांग्रेस अधिवेशन के सभापति का नाम बताइए।
उत्तर-
जवाहरलाल नेहरू।
प्रश्न 26.
भारत के संविधान को कब तथा उस दिन ही क्यों लागू किया गया था?
उत्तर-
भारत के संविधान को संविधान निर्माण सभा ने 26 नवम्बर, 1949 को पारित किया था। परन्तु इसे 26 जनवरी, 1950 को ही लागू किया गया था जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। इस दिन संविधान लागू करने के पीछे कारण इस प्रकार था। 1929 के दिसम्बर महीने में कांग्रेस ने लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतंत्रता प्रस्ताव पास किया था तथा यह घोषणा की थी कि 1930 के जनवरी महीने की 26 तारीख को पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा। 26 जनवरी 1930 को तथा उसके बाद प्रत्येक वर्ष की 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस मनाया जताया था। परन्तु जब भारत को स्वतंत्रता 15 अगस्त, 1947 को मिल गई तब 26 जनवरी के महत्त्व को बनाए रखने के लिए उस दिन संविधान लागू किया गया।
प्रश्न 27.
संविधान निर्माण सभा में उद्देश्य प्रस्ताव की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर-
(1) भारत एक स्वतंत्र व प्रभुसत्ता सम्पन्न गणराज्य होगा।
(2) भारत में संघीय व्यवस्था की स्थापना की जाएगी।
(3) भारतीय संघ में शक्ति का स्रोत स्वयं जनता होगी।
(4) सभी लोगों को सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्याय प्राप्त होगा तथा उन्हें स्वतंत्रताएँ व अधिकार प्राप्त होंगे।
प्रश्न 28.
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में बने अनेक प्रकार के राज्यों को तालिका में दशाईए
उत्तर-
im
प्रश्न 29.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में गणतंत्र का अर्थ संक्षिप्त में समझाइए।
उत्तर-
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में शासकीय व्यवस्था के रूप में गणतंत्र (Republic) शब्द का प्रयोग किया गया है। गणतंत्र से अर्थ एक ऐसी शासकीय व्यवस्था से है जहाँ राज्य अध्यक्ष जनता द्वारा अथवा जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाए। भारत में गणतंत्रीय व्यवस्था है। भारत के राष्ट्रपति (जो कि राज्य अध्यक्ष हैं) का चुनाव एक निर्वाचन मण्डल द्वारा होता है जिसमें (1) संसद के दोनों सदनों के चुने हुए सदस्य तथा (2) राज्यों की विधान सभाओं के चुने हुए सदस्य भाग लेते हैं।
प्रश्न 30.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक और आर्थिक न्याय के अर्थ को संक्षिप्त में समझाइए।
उत्तर-
भारतीय संविधान ने न्याय पर जोर दिया है। सामाजिक तथा आर्थिक न्याय से अभिप्राय न्याय के उन पहलुओं से है जो राजनीतिक लोकतंत्रीय व्यवस्था के उस विकसित चरण की ओर संकेत देते हैं जहाँ प्रत्येक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के समान समझा जाए तथा जहाँ किसी व्यक्ति का सामाजिक व आर्थिक शोषण न हो। नागरिकों के बीच किसी प्रकार के भेदभाव का न होना ही सामाजिक व आर्थिक न्याय का दूसरा नाम है, सामाजिक व आर्थिक न्याय एक स्वस्थ तथा न्यायसंगत समाज का नाम है जहाँ समाज के प्रत्येक व्यक्ति को विकास हेतु समान अवसर प्राप्त होते हैं। भारतीय संविधान ऐसे ही सामाजिक व आर्थिक न्याय की कामना करता है।
प्रश्न 31.
क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना करता है?
उत्तर-
भारतीय संविधान भारत में धर्म निरपेक्ष राज्य की व्यवस्था करता है। पंथ निरपेक्ष राज्य का उल्लेख 42वें संशोधन द्वारा प्रस्तावना में किया गया है। इसका अर्थ है कि सरकार देश में माने जाने वाले सभी धर्मों के प्रति समानता की दृष्टि से देखेगा। धारा 25 के प्रथम भाग के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति किसी भी धर्म तथा विश्वास के प्रति निष्ठा रख सकता है, परन्तु राज्य (धारा 27 के अंतर्गत) कोई भी ऐसा कर नहीं लगाएगा जिससे प्राप्त धन किसी विशेष धर्म पर खर्च किया जा सके। दूसरे शब्दों में, राज्य के समक्ष सब धर्म समान हैं जबकि नागरिकों को यह स्वतंत्रता है कि वे कोई भी धर्म मान सकते हैं।
प्रश्न 32.
संविधान किसे कहते हैं।
उत्तर-
संविधान किसी भी देश के उन आधारभूत सिद्धांतों का समूह होता है जो वहाँ की सरकार के निर्माण, संचालन व कार्यपद्धति का ब्यौरा देता है। संविधान लिखित भी हो सकता है, अलिखित भी यह बताता है कि एक अमुक देश में शासन किस प्रकार चलेगा सरकार के कौन-कौन से अंग होंगे उन अंगों का परस्पर सम्बन्ध कैसे होगा नागरिकों व सरकार का क्या सम्बन्ध होगा, लोगों को क्या-क्या अधिकार प्राप्त होंगे। सरकार किन आधारभूत राष्ट्रीय लक्ष्यों की पूर्ति के लिए कार्य करेगी, सरकार का क्या रूप होगा आदि।
प्रश्न 33.
आपके विचार में लोकतांत्रिक देशों में संविधान का महत्त्व अपेक्षाकृत क्यों अधिक होता है?
उत्तर-
किसी भी देश में संविधान का अपना ही विशेष महत्त्व होता है। लोकतांत्रिक देशों में तो संविधान का महत्त्व अपेक्षाकृत अधिक होता है। लोकतंत्र में सरकार के क्रियाकलापों में प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से नागरिक अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हैं। यह ऐसी सरकार होती है जिसमें सरकार की शक्तियाँ स्पष्ट रूप से परिभाषित रहती हैं। इस सरकार में नागरिक के अधिकारों का भी स्पष्ट विवरण दिया होता है। सरकार तथा नागरिकों की गतिविधियों की सीमाएँ किस प्रकार निर्धारित की जाएँ, यह संविधान द्वारा निश्चित किया जाता है।
प्रश्न 34.
संविधान की प्रस्तावना अत्यंत महत्त्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर-
संविधान की प्रस्तावना संविधान की आत्मा कही जा सकती है। भारतीय संविधान में भी प्रस्तावना का वर्णन किया गया है। प्रस्तावना संविधान का भाग नहीं है, परन्तु यह संविधान का प्रकाश-स्तम्भ अवश्य है। संविधान में प्रस्तावना का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रस्तावना संविधान के आदर्शो तथा उसमें निहित सिद्धांतों का विवरण देती है। यह बताती है कि भारत में शासन का क्या स्वरूप होगा। इसके अनुसार भारत में, प्रभुत्वसम्पन्न समाजवादी, पंथ-निरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना का प्रयोजन है। प्रस्तावना बताती है कि भारत में किन लक्ष्यों की प्राप्ति की कामना की जाएगी-ये लक्ष्य हैं- न्याय, सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक स्वतंत्रता, विश्वास व विचारों की समता, प्रतिष्ठा तथा अवसर की एकता, बन्धुत्व व अखण्डता, राष्ट्र की। प्रस्तावना में इस तथ्य का भी जिक्र है कि भारत के संविधान को भारत के लोगों ने बनाया तथा इसे 26 नवम्बर 1949 को अंगीकृत किया है।
प्रश्न 35.
संसदात्मक शासन प्रणाली क्या है?
उत्तर-
संसदात्मक शासन प्रणाली वह शासन प्रणाली होती है जहाँ कार्यपालिका व विधानपालिका के बीच अटूट सम्बन्ध होता है। कार्यपालिका विधानपालिका से ली जाती है तथा विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होती है। कार्यपालिका अर्थात् मन्त्रिपरिषद के सदस्य संसद के सदस्य होते हैं तथा अपनी नीतियों व शक्तियों/ के प्रयोग के लिए संसद (विशेषतया उसके निम्न सदन) के प्रति उत्तरदायी होते हैं। सभी मन्त्री प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कार्य करते हैं तथा उनका प्रधानमंत्री की ओर निजी दायित्व होता है। भारत में संसदात्मक प्रणाली अपनायी गई है। वास्तविक कार्यपालिका अर्थात मंत्रि परिषद् संसद से की जाती है तथा सभी मंत्रियों का लोक सभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व होता है।
प्रश्न 36.
प्रभुसत्ता सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
प्रभुसत्ता सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य-प्रभुसत्ता सम्पन्नता का अर्थ है-राज्य का बाहरी रूप से किसी भी अन्य राज्य के अधीन न होना तथा आन्तरिक रूप ये सर्वोच्च होना। भारत में सरकार का स्वरूप लोकतंत्रात्मक इस दृष्टि से है कि हमारे देश में सभी स्तरों पर सरकार लोगों द्वारा एक निश्चित समय के लिए चुनी जाती है तथा लोगों के प्रति उस सरकार का दायित्व होता है। गणराज्य से यह बोध मिलता है कि राज्य अध्यक्ष जनता द्वारा प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से चुना जाता है।
प्रश्न 37.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
(क) समाजवादी पंथनिरपेक्ष राज्य।
(ख) कल्याणकारी राज्य।
उत्तर-
(क) समाजवादी पंथनिरपेक्ष राज्यसमाजवादी राज्य शब्द का प्रयोग भारतीय संदर्भ में इस रूप में किया गया है कि देश में ऐसी सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था बनाई जाएगी जहाँ मजदूरों के हितों को प्रोत्साहन मिल सके तथा सरकार शोषण रहित समतावादी समाज का रूप ग्रहण कर सके। पंथ निरपेक्ष राज्य का अभिप्राय ऐसे राज्य से है जो किसी धर्म विशेष का पक्ष न लेते हुए सभी धर्मों को समान सम्मान दे तथा नागरिकों को धार्मिक स्वतन्त्रता की गारंटी दे।
(ख) कल्याणकारी राज्य-भारत के संविधान में कल्याणकारी राज्य की स्थापना की बात कही गई है? कल्याणकारी राज्य उस राज्य को कहा जाता है जिसमें राज्य के सारे कार्य जनता के कल्याण की दृष्टि से किए जाते हैं। ऐसे राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य अथवा कृषि जैसे विषयों को उतना ही महत्त्व दिया जाता है जितना सुरक्षा व विदेश सम्बन्धों को। संविधान के चौथे भाग में राज्य नीति के निदेशक तत्त्वों का उल्लेख मिलता है। इन तत्त्वों का लक्ष्य भारत में कल्याणकारी राज्य की स्थापना है।
प्रश्न 38.
हमें संविधान की जरूरत क्यों होती है?
उत्तर-
संविधान अनेक काम करता है। हमारे लिए संविधान निम्नलिखित कारणों वश जरूरी है-
- ‘पहला’ यह साथ रह रहे विभिन्न तरह के लोगों के बीच जरूरी भरोसा और सहयोग विकसित करता है।
- ‘दूसरा’ यह स्पष्ट करता है कि सरकार का गठन कैसे होगा और किसे फैसले लेने का अधिकार होगा।
- ‘तीसरा’ यह सरकार के अधिकारों की सीमा तय करता है और हमें बताता है कि नागरिकों के क्या अधिकार हैं, और .
- चौथा, यह अच्छे समाज के गठन के लिए लोगों की आकांक्षाओं को व्यक्त करता है।
प्रश्न 39.
भारत व दक्षिणी अफ्रीका में निम्नलिखित बातों में समानताएँ तलाशें.
(1) उपनिवेशवाद का स्वरूप
(2) विभिन्न समुदायों में परस्पर सम्बन्ध
(3) नेतृत्व
(4) राजनीतिक दल जिसने स्वतंत्रता संग्राम लड़ा,
(5) संघर्ष का तरीका।
उत्तर-
(1) दोनों (भारत व अफ्रीका) देशों में अंग्रेजी उपनिवेशवाद था। अंग्रेजों ने भारत तथा दक्षिणी अफ्रीका के संसाधनों का खूब शोषण किया। .
(2) दोनों देशों में धर्म, रंग व जातियों के आधार पर भिन्न-भिन्न समुदाय थे। स्वतंत्रता के पश्चात् दोनों देशों में इन समुदायों में शांति बनाए रखने के प्रयास किये जाते रहे।
(3) गाँधी जी ने भारत में तथा नेल्सन मण्डेला ने दक्षिणी अफ्रीका में मुक्ति आंदोलन के लिए नेतृत्व प्रदान किया।
(4) भारत में कांग्रेस पार्टी तथा दक्षिणी अफ्रीका में अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम की अगुवाई की।
(5) दोनों देशों में स्वतंत्रता संग्राम में सामान्यतया अहिंसात्मक तरीका अपनाया गया था।
प्रश्न 40.
1947 तथा 2002 के भारत के राजनीतिक मानचित्रों का अंतर अपने शब्दों में समझाइए।
उत्तर-
भारत को 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। स्वतंत्रता के साथ भारत का विभाजन भी हुआ था। भारत के उत्तर-पश्चिम के क्षेत्र से पाकिस्तान का एक भाग बना जिसे पश्चिमी पाकिस्तान कहा जाता था तथा दूसरा भाग पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था। पश्चिमी पाकिस्तान में पश्चिमी पंजाब, उत्तर-पश्चिम सीमांद प्राग, बलूचिस्तान आदि क्षेत्र थे तथा पूर्वी पाकिस्तान में पूर्वी बंगाल व असम के कुछ क्षेत्र थे। पूर्वी पाकिस्तान 1971 में पाकिस्तान से अलग बंग्लादेश बन गया था। पाकिस्तान के अतिरिक्त ब्रिटिश भारत के साथ भारत में पाँच सौ से भी अधिक रियासतें थीं। इनमें जम्मू-कश्मीर, हैदराबाद व जूनागढ़ को छोड़ अन्य लगभग सभी रियासतें 15 अगस्त, 1947 तक भारत में आ मिलीं। हैदराबाद व जूनागढ़ कुछेक कठिनाइयों के बाद भारत के अंग बना लिये गए। 26 अक्टूबर, 1947 को जम्मू-कश्मीर ने भी भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर लिया था।
अंग्रेजों से मुक्ति प्राप्त करने के बावजूद भी भारत के कुछेक क्षेत्र अन्य विदेशी देशों के नियंत्रण में थे। इनमें फ्रांस के आधिपत्य में पांडिचेरी, कराइकल (तमिलनाडु), माहे (केरल), यनाम (आमन्ध्र प्रदेश) चन्द्र नगर (पश्चिमी बंगला) क्षेत्र थे। अंततः ये क्षेत्र भी भारत में आ मिले। ____1956 में भारत के विभिन्न राज्यों के गठन से 14 राज्य बनाए गए। 2002 में इन राज्यों की संख्या 28 हो गई। इसके अतिरिक्त सात संघीय प्रदेश भी भारत का हिस्सा हैं।
प्रश्न 41.
भारत के संविधान में दी गई प्रस्तावना में जिन प्रमुख लक्ष्यों का उल्लेख किया गया है, उनकी विवेचना कीजिए।
उत्तर-
भारत के संविधान में दी गई प्रस्तावना में निम्नलिखित लक्ष्यों का उल्लेख मिलता है-
1. न्याय-संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक न्याय का उल्लेख मिलता है। सामाजिक न्याय से अभिप्राय सब प्रकार के भेद-विभेद की समाप्ति है। एक भारतीय का कोई-सा धर्म हो, वह कोई-सी भी भाषा बोलता हो, उसका सम्बन्ध किसी भी जाति से हो? यह सब बातें बाद की हैं, सर्व-प्रथम प्रत्येक व्यक्ति भारतीय समाज का एक सदस्य है। आर्थिक न्याय से अभिप्राय ऐसे आर्थिक ढाँचे से है जहाँ प्रत्येक भारतीय को आजीविका के साधन उपलब्ध हो सकें, किसी का आर्थिक शोषण न हो – आर्थिक तथा भौतिक साधनों का केन्द्रीकरण कुछ एक हाथों में न हो तथा समाजवादी ढंग के समाज की स्थापना संभव हो पाएं। राजनैतिक न्याय से अभिप्राय है कि प्रत्येक भारतीय को शासन सम्बन्धी मामलों में समान रूप से भाग लेने का अधिकार प्राप्त हो। कोई भी व्यक्ति सार्वजनिक पद प्राप्त करने के लिए चुनाव लड़ सकता हो।
2. स्वतंत्रता-संविधान की प्रस्तावना में विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म तथा उपासना की स्वतंत्रता का वर्णन मिलता है। विचार तथा अभिव्यक्ति सम्बन्धी स्वतंत्रता का अर्थ न केवल विचार रखने की स्वतंत्रता है, परन्तु इन विचारों को प्रकट करने का भी पूर्ण अधिकार है। विश्वास, धर्म तथा उपासना सम्बन्धी स्वतंत्रता से यह संकेत मिलता है कि धर्म तथा राजनीति को अलग-अलग रखने का प्रयास किया गया है तथा प्रत्येक भारतीय धर्म, विश्वास तथा उपासना सम्बन्धी विषयों में पूर्ण स्वतंत्र होगा।
3. समता-संविधान की प्रस्तावना में खोखली समता के स्थान पर व्यावहारिक समता का ज्ञान मिलता है। समता से अभिप्राय राज्य द्वारा दिये गए अवसरों की समानता है तथा प्रत्ऐक व्यक्ति की प्रतिष्ठा दूसरे व्यक्ति के समान समझी जाएगी।
4. बन्धुवा-न्याय, स्वतंत्रता तथा समता की कामना का उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा प्राप्त करना है। व्यक्तिगत गरिमा का उद्देश्य विषमताओं में एकता बनाए रखना तथा राष्ट्र की एकता बनाए रखना है। 42वें संशोधन के अनुसार प्रस्तावना में एकता के साथ अखण्ड-1 शब्द भी जोड़ा गया है। इससे एकता को धारणा को निश्चित किया गया है।
संविधान में दिये गए इन उद्देश्यों के फलस्वरूप व्यक्ति के व्यक्तित्व को विकास की ओर प्रेरित करना है तथा ऐसे समाज की स्थापना करना है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्रता का आनन्द लेते हुए राष्ट्र की एकता बनाए रखने में अपनी भूमिका निभा सके।
प्रश्न 42.
भारत में ढाँचा संघात्मक है परन्तु स्वरूप एकात्मक है।
उत्तर-
भारत में शासन का ढाँचा संघात्मक है, परन्तु राज्य तंत्र का सार एकात्मक है। किसी भी संघीय व्यवस्था के लिए जिन विशेषताओं की आवश्यकत होती है वे भारतीय संविधान के अंतर्गत विद्यमान हैं। लिखित संविधान, जटिल संविधान, शासकी शक्तियों की बाँट, संघीय विधानपालिका के ऊपरीय सदन में राज्य सरकारों का प्रतिनिधित्व, सर्वोच्च न्यायालय का विशेष स्थान आदि ऐसी विशेषताएं हैं जो भारतीय व्यवस्था में मिल पाती हैं।
संघीय व्यवस्था की सभी विशेषताओं के होने पर भारतीय संघ को स्वस्थ तथा वास्तविक संघ कहना कठिन है। इसका मुख्य कारण यह है कि संघीय सरकार राज्य सरकारों की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली है। वैधानिक मामलों में संघीय सरकार के पास न केवल कानून-निर्माण के अधिक विषय हैं परन्तु विशेष परिस्थितियों में वह राज्य सरकारों को दिए गए विषयों पर भी कानून बना सकती है। प्रशासनीय क्षेत्र में संघीय सरकार का राज्य सरकारों पर पूर्ण नियंत्रण होता है। वित्तीय क्षेत्र में संघीय सरकार राज्य सरकारों को अनुदान के रूप में सहायता करके उन पर नियंत्रण करती है। फलस्वरूप भारतीय संघ की व्यवस्था को अर्ध-संघ तो कहा जा सकता है, पूर्ण संघ नहीं।
प्रश्न 43.
भारत के संविधान में ‘मूल ढाँचे’ से जुड़े तत्त्वों का वर्णन करें-
उत्तर-
भारत के संविधान में ‘मूल ढाँचे’ से जुड़े तत्त्वों का वर्णन निम्नलिखित किया जा सकता है
- संविधान सर्वोच्च है। इसके मूल्यों के अनुरूप ही शासन व्यवस्था होगी।
- शासन का स्वरूप लोकतंत्रात्मक व गणतंत्रात्मक ही रहेगा।
- राज्यतंत्र का पंथनिरपेक्ष रूप।
- शक्तियों का विधानपालिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका में बाँट व पृथक्करण।
- राज्यतंत्र का संघीय स्वरूप।
- समाज के कमजोर वर्गों के हितों का संरक्षण।
प्रश्न 44.
भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित किया जा सकता है
- भारतीय संविधान संसार में सबसे बड़ा संविधान है। 1950 के संविधान में 395 धाराएँ थीं। इसमें लगभग 90 हजार शब्द थे।
- यह संघीय व्यवस्था का प्रतिपादन करता है परन्तु परिस्थितियों के अनुसार यह एकात्मक भी बन सकता हैं।
- इस संविधान ने भारत में संसदीय व्यवस्था का प्रयोजन किया है।
- यह संविधान सार्वजनिक वयस्क मताधिकार की चर्चा करता है। प्रत्येक व्यक्ति जिसकी आयु 18 वर्ष अथवा उससे अधिक है, रो पर देने का अधिकार दिया गया है।संविधान भारत के नागरिकों को मूल अधिकारों का आश्वास देता है।
- संविधान सर्वोच्च कानून है। इसकी रक्षा का दायित्व सर्वोच्च न्यायालय के पास है।
- भारत में प्रभुसत्ता सम्पन्न लोकतांत्रिक, पंथनिरपेक्ष व समाजवादी गणराज्य की व्यवस्था की गई हैं।
- संविधान समाज के कमजोर वर्गों को उनके हितों की संरक्षण का आश्वासन देता है। वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों से भरें
(i) हमारे देश के संविधान को……..वर्ष……….महीनों तथा………….दिनों में बनाया गया था।
(ii) संविधान सभा में पारसी समुदाय का प्रतिनिधित्व …………… ने किया था।
(iii) संविधान सभा में ब्रिटिश प्रान्तों से ………… सदस्यों की व्यवस्था की गई थी।
(iv) उद्देश्य प्रस्ताव को ……….. ने सुझाया था।
उत्तर-
(i) 2, 11, 18,
(ii) एच.पी. मोदी,
(iii) 296,
(iv) जवाहरलाल नेहरू।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों में सही (√) व गलत (x) का चयन कीजिए।
(i) संविधान सभा जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से नहीं चुनी गई थी।
(ii) श्याम प्रसाद मुखर्जी उन नेताओं में से नहीं थे जिन्होंने संविधान सभा में वार्ताओं का संचालन किया था।
(iii) संविधान एक प्रमुख कानूनी लेख होता है।
(iv) ब्रिटिश भारत प्रभुसत्ता सम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्य था।
(v) संविधान के उद्देश्य प्रस्ताव को नेहरू जी ने प्रस्तुत किया था।
(vi) यानाम क्षेत्र फ्रांस के पास था।
(vii) ड्राफ्टिंग समिति को लघु भारत कहा जाता था।
उत्तर-
(i) √,
(ii) x,
(iii) √,
(iv) x,
(v) √,
(vi) √,
(vii). x,
प्रश्न 3. निम्नलिखित विकल्पों में सही विकल्प का चयन कीजिए।
(i) संविधान निर्माण सभा के निम्न सभापति थे.
(a) डॉ. अम्बेडकर
(b) डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(c) गाँधी जी
(d) नेहरू
उत्तर-
(b) डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(ii) निम्नलिखित संविधान प्रारूप समिति के सभापति थे
(a) डॉ. अम्बेडकर
(b) डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(c) गाँधीजी
(d) नेहरू
उत्तर-
(a) डॉ. अम्बेडकर
(iii) भारत ने अपना संविधान निम्नलिखित को लागू किया था
(a) 26 जनवरी, 1930
(b) 26 नवम्बर, 1949 .
(c) 15 अगस्त, 1947
(d) 26 जनवरी, 1950
उत्तर-
(d) 26 जनवरी, 1950
(iv) भारत का संविधान है
(a) लचीला
(b) जटिल
(c) आंशिक लचीला व आंशिक जटिल
(d) इनमें कोई नहीं।
उत्तर-
(c) आंशिक लचीला व आंशिक जटिल
(v) भारत की संघीय इकाइयों में निम्न राज्य संख्या
(a) 25
(b) 26
(c) 27
(d) 28
उत्तर-
(d) 28
संविधान निर्माण Class 9 HBSE Notes in Hindi
अध्याय का सार
संविधान उन मूल नियमों का संग्रह होता है जो किसी राज्य में शासन संचालन से सम्बन्धित होते हैं। यह राज्य का मूल व सर्वो च्चा काननू होता है। सभी लोकतांत्रिक देशों के अपने-अपने संविधान होते हैं। ऐसा ही एक संविधान दक्षिणी अफ्रीका का संविधान है।स्वतंत्रता के पश्चात् इस संविधान को समानता व न्याय के आधार पर बनाया गया था। भारत का संविधान एक अन्य प्रकार का उदाहरण हैं
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत की सरकार के समक्ष अनेक प्रकार की समस्याएं थीं। पाँच सौ से भी अधिक रियासतों का एकीकरण ऐसी समस्या थी जिसका समाधान भली-भांति कर लिया गया, यद्यपि कुदेक रजवाड़ों व विदेशियों के अधीन क्षेत्रों को भारत के साथ विलय कराने में मुश्किलें अवश्य आयी थीं।
स्वतंत्रया के पश्चात् अनेक राज्यों को भाषायी आधार पर गठित किया गया। 1956 ई. में राज्यों के पुनर्गठन का काम सम्पन्न हुआ। सरकार विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की – आकांक्षाओं को यथासम्भव पूरा करने का प्रयास करना चाहती थी। उसके बाद समय-समय पर, नए राज्यों का निर्माण भी हुआ। ऐसे राज्यों में गुजरात, नागालैंड, हरियाणा, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, गोवा और हाल के तीन राज्य छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उत्तरांचल आदि उल्लेखनीय हैं। आरंभ में संविधान ने 15 भाषाओं को मान्यता दी गयी थी। बाद में तीन और भाषाएँ जोड़ दी गई। अब इनकी कुल संख्या 22 हो गई है।
भारत का संविधान कैबिनेट मिशन के अंतर्गत बनी संविधान निर्माण सभा ने बनाया था। इस संविधान निर्माण सभा में भारत के सभी भाषायी, जातीय क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को सम्मिलित किया गया था। इसमें मजदूरों, वकीलों, डॉक्टर, महिलाओं, अध्यापकों, पूंजीपतियों आदि सभी को प्रतिनिधित्व प्राप्त था। शायद ही कोई वर्ग हो जिसका प्रतिनिधित्व इस सभा में न किया गया हो। संविधान 26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा ने पारित किया, परन्तु इसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था। इस संविधान निर्माण सभा ने 2 वर्ष 11 महीने तथा 18 दिन लगाकर संविधान बनाया था। इस सभा की 166 बैठकें भारत के संविधान निर्माण में 1925 के भारतीय सरकार अधिनियम कीछाप स्पष्ट दिखायी देती है। इसके अतिरिक्त ब्रिटेन, आयरलैंड, फ्रांस तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधानों की कुछ विशिष्टताओं का भी समावेश संविधान में मिलता है।
भारत का संविधान भारत का लिखित आधारभूत कानून है जिसमें लोकतंत्र की नींव पर सरकार का गठन किया गया है। यह केंद्रीकृत संघात्मक व्यवस्था के दायरे में संसदीय प्रणाली की रचना करता है। इस संविधान के आधार स्तम्भों में लोकतंत्र, समाजवाद, पंथनिरपेक्षता, राष्ट्रीय अखंडता का उल्लेख किया जा सकता है।