HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व

Haryana State Board HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व

HBSE 9th Class Physical Education व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व Textbook Questions and Answers

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न [Long Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य से क्या अभिप्राय है? इसके आवश्यक नियमों का वर्णन कीजिए। अथवा व्यक्तिगत स्वास्थ्य क्या है? इसको सुधारने वाले तरीकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार करने वाले साधनों या ढंगों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ (Meaning of Personal Health):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य दो शब्दों से मिलकर बना है’व्यक्ति’ एवं स्वास्थ्य’। इससे स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य की सफाई के सिद्धांत जो व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर व्यवहार में लाए जाते हैं। इसके लिए व्यक्ति को स्वयं ही प्रयत्नशील होना पड़ता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधी आचरण; जैसे शरीर की स्वस्थता, दाँतों की सफाई,Meaning and Importance of Personal Health आँखों की सफाई, बालों की सफाई, हाथों की सफाई, भोजन या आहार, व्यायाम तथा मद्यपान संबंधी नियमों का पालन आदि इसके अंतर्गत आते हैं। इनके प्रति लापरवाही हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। उदाहरण के लिए, दाँतों की सफाई न करने से दाँतों पर जमे रोगाणुओं से दाँतों में कृमि एवं अन्य विकार पैदा हो सकते हैं। इसलिए हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य के आवश्यक नियम या तरीके (Important Rules or Methods of Personal Health)-व्यक्तिगत स्वास्थ्य को ठीक तथा स्वस्थ रखने के लिए हमें अपने जीवन में स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन करने की आदत डालनी चाहिए। ये नियम देखने में बड़े साधारण-से लगते हैं लेकिन इनका पालन करना हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। स्वास्थ्य मानव जीवन की आधारशिला होती है। केवल, एक स्वस्थ व्यक्ति ही अपने जीवन को सफलता के पथ पर अग्रसर कर सकता है। स्वस्थ व्यक्ति के लिए असंभव कार्य भी संभव हो जाता है, जबकि अस्वस्थ व्यक्ति के लिए ऐसा करना कठिन होता है। अतः व्यक्ति को हमेशा व्यक्तिगत रूप से स्वयं को स्वस्थ बनाने के लिए प्रयासशील रहना चाहिए। इसलिए हमें अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए निम्नलिखित तरीकों या नियमों को अपनाना चाहिए

1. शारीरिक स्वस्थता (Physical Fitness):
हमें अपने शरीर की सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। प्रतिदिन ताजे पानी से नहाना चाहिए। स्वास्थ्य हेतु शुद्ध जल, शुद्ध वायु एवं संतुलित आहार के साथ-साथ शारीरिक स्वस्थता पर नियमित रूप से ध्यान देना चाहिए।

2. दाँतों की सफाई (Cleanliness of Teeth):
सुबह स्नान करने से पहले तथा रात्रि को सोने से पहले अपने दाँतों को मंजन, दातुन या ब्रश से साफ करना चाहिए। .

3. नाखूनों की सफाई (Cleanliness of Nails):
हमें अपने नाखूनों को समय-समय पर काटते रहना चाहिए। यदि इनमें मैल होगी तो वह खाते समय भोजन के साथ हमारे शरीर के अंदर चली जाएगी और हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाएगी।

4. कपड़ों की सफाई (Cleanliness of Clothes):
हमें कपड़े साफ-सुथरे, मौसम के अनुसार तथा ढीले पहनने चाहिएँ। गंदे कपड़े साफ शरीर को भी गंदा कर देते हैं।

5. नाक द्वारा साँस लेना (Breathing by Nose):
साँस हमेशा नाक द्वारा ही लेनी चाहिए। नाक से साँस लेने से वायु एक तो साफ होकर अंदर जाती है और दूसरे फेफड़ों तक पहुँचते-पहुँचते थोड़ा गर्म भी हो जाती है।

6. भोजन का उचित समय (Proper Time of Diet/Food):
भोजन प्रतिदिन उचित समय पर ही करना चाहिए। भोजन अच्छी तरह चबाकर और धीरे-धीरे करना चाहिए। भोजन संतुलित एवं पौष्टिक होना चाहिए।

7. मादक वस्तुओं का सेवन निषेध (No use of Drugs or Intoxicants):
मादक वस्तुओं के प्रयोग से सदैव बचना चाहिए। इससे शरीर को नुकसान होता है। सिग्रेट, तम्बाकू, शराब आदि पीने की आदत कभी नहीं डालनी चाहिए।

8. खुले वातावरण में व्यायाम (Exercise in Open Environment):
अपनी अवस्था, काम और स्वास्थ्य के अनुसार प्रतिदिन खुले वातावरण में व्यायाम अवश्य करना चाहिए। इससे शरीर चुस्त एवं गठीला बनता है।

9. जल्दी सोना और जल्दी उठना (Early to bed and Early to rise):
हमें रात को जल्दी सोना तथा प्रातः जल्दी उठना चाहिए। इससे स्वास्थ्य ठीक रहता है। बेंजामिन फ्रैंकलिन के अनुसार, “जल्दी सोना और जल्दी उठना, व्यक्ति को समृद्ध, स्वस्थ एवं बुद्धिमान बनाता है।”

10. शुद्ध एवं संतुलित भोजन (Pure and Balanced Diet):
हमारा भोजन शुद्ध एवं सादा होना चाहिए। हमें सदैव संतुलित भोजन करना चाहिए।

11. उचित मुद्रा (Correct Posture):
चलते-फिरते, काम करते समय, पढ़ते समय एवं सोते समय उचित मुद्रा (आसन) का ध्यान रखना चाहिए। ऊपर वर्णित नियमों का पालन करने से प्रत्येक व्यक्ति अपने-आपको स्वस्थ रख सकता है। अपने-आपको स्वस्थ रखना भी एक महान् देश सेवा है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 2.
आँखों की सफाई और संभाल या देखभाल हेतु हमें किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
आँखें मनुष्य के शरीर का कोमल अंग हैं। सुंदर आँखें सुंदरता की निशानी हैं। इनकी सफाई और रक्षा ध्यान से करनी चाहिए। आँखों को कई प्रकार के रोग हो जाते हैं; जैसे आँखों का फ्लू, कुकरे, आँखों की सूजन और आँखों की खुजली आदि। आँखों की सफाई और संभाल निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है

(1) तेज प्रकाश और अंधेरे में आँखों से काम नहीं लेना चाहिए। नंगी आँख से सूर्यग्रहण नहीं देखना चाहिए।
(2) बहुत कम और बहुत तेज प्रकाश में तथा नीचे को झुककर कभी नहीं पढ़ना चाहिए। .
(3) पुस्तक को बहुत निकट रखकर नहीं पढ़ना चाहिए। पढ़ते समय पुस्तक आँखों से लगभग 30 सेंटीमीटर की दूरी पर होनी चाहिए।
(4) आँखों में पसीना नहीं पड़ने देना चाहिए। आँखों को हमेशा स्वच्छ व शुद्ध पानी से नियमित रूप से धोना चाहिए।
(5) बहुत देर तक एक स्थान पर नजर नहीं टिकानी चाहिए।
(6) आँखों की सफाई करने के लिए स्वयं का स्वच्छ रूमाल प्रयोग में लेना चाहिए।
(7) पढ़ते समय कुर्सी और मेज व्यक्ति के कद के अनुसार होना चाहिए।
(8) खसरा और छोटी माता जैसी बीमारियों के दौरान बच्चों की आँखों का ध्यान रखना चाहिए।
(9) खट्टी चीजें, तेल, लाल मिर्च, तम्बाकू, शराब और अफीम आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(10) सिनेमा और टेलीविजन अधिक निकट बैठकर नहीं देखना चाहिए।
(11) प्रतिदिन आँखों पर ठंडे पानी के छीटें मारने चाहिएँ।
(12) तेज धूप एवं धूल से बचने के लिए धूप के चश्मे का प्रयोग अधिक लाभदायक है।
(13) आँखों की निकट एवं दूर की दृष्टि की जाँच नेत्र चिकित्सक से कराकर चिकित्सक की सलाह के अनुसार चश्मे आदि का प्रयोग करना चाहिए।
(14) आँखों के लिए विटामिन ‘ए’ युक्त खाद्य पदार्थों; जैसे गाजर, पपीता, पत्तेदार सब्जियाँ, दूध, मक्खन, घी, आम आदि का प्रयोग करना चाहिए।
(15) सुबह सूर्य निकलने के समय दो मिनट तक सूर्य की ओर अवश्य देखना चाहिए, परंतु तेज रोशनी में नहीं देखना चाहिए।
(16) आँखों को बिना गर्दन हिलाए चारों ओर घुमाना चाहिए।
(17) चलती बस या ट्रेन में कभी नहीं पढ़ना चाहिए। इससे आँखों पर अधिक दबाव पड़ता है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित का संक्षेप में वर्णन कीजिए
(क) व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान
(ख) त्वचा की सफाई
(ग) नाक की देखभाल।
उत्तर:
(क) व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान (Personal Health Science):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जो हमें तंदुरुस्ती और नीरोग रहने की शिक्षा देती है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान में अरोग्यता प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य संबंधी नियमों का पालन करने पर बल दिया गया है। जिंदगी केवल जीवित रहने के लिए नहीं, अपितु रोग-रहित रहने के लिए भी है। रोग-रहित रहना ही व्यक्तिगत अरोग्यता प्राप्त करना है। स्वास्थ्य विज्ञान में व्यक्तिगत अरोग्यता एक ऐसी धारा है, जिसके नियमों को अपनाकर मनुष्य अरोग्य रह सकता है। बचपन मनुष्य की संपूर्ण जिंदगी का आधार होता है। इस कारण निजी अरोग्यता नियमों का पालन मनुष्य को बचपन से ही करना चाहिए।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान के मौलिक नियम निम्नलिखित हैं
(1) अंगों और कपड़ों की सफाई
(2) अंगों और कपड़ों का सही प्रयोग
(3) अंगों की सुरक्षा
(4) संतुलित व पौष्टिक भोजन का प्रयोग
(5) शारीरिक बीमारियों से बचने के लिए उचित प्रबंध आदि।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान मनुष्य को रहन-सहन, खाने-पीने, शारीरिक और मानसिक तंदुरुस्ती के लिए व्यायाम करने का ढंग बताता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान का उद्देश्य है कि मनुष्य को दवाइयों के प्रयोग के बिना स्वस्थ बनाना। इसलिए व्यक्ति को खाने-पीने की वस्तुओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का ज्ञान प्राप्त करना बहुत आवश्यक है। पर्यावरण को साफ कैसे रखना है, कौन-सी वस्तु का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है आदि का ज्ञान व्यक्तिगत स्वास्थ्य विज्ञान से मिलता है।

(ख) त्वचा की सफाई (Cleanliness of Skin):
त्वचा हमारे शरीर की चारदीवारी है। यह हमारे शरीर के आंतरिक अंगों को ढकती है और उसकी रक्षा करती है। यह हमारे शरीर का तापमान ठीक रखती है। इसके द्वारा हमारे शरीर में से पसीना और अन्य बदबूदार पदार्थों का निकास होता है। इसको स्पर्श करने से ही किसी बाहरी वस्तु के गुण और लक्षणों का ज्ञान होता है। त्वचा शरीर को सुंदरता प्रदान करती है। इसलिए हमें अपनी त्वचा की नियमित सफाई करनी चाहिए और इसकी सफाई का सबसे उत्तम ढंग प्रतिदिन स्वच्छ पानी से स्नान करना या नहाना है। नहाने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना बहुत आवश्यक है

(1) नहाने से पहले पेट साफ और खाली होना चाहिए।
(2) खाने के तुरंत पश्चात् नहीं नहाना चाहिए।
(3) व्यायाम अथवा बहुत थकावट के एकदम पश्चात् नहीं नहाना चाहिए।
(4) सर्दियों में नहाने से पहले धूप में शरीर की मालिश करें। यह शरीर को विटामिन ‘डी’ देने के लिए उपयोगी होता है।
(5) ताजे और स्वच्छ पानी से नहाना लाभदायक होता है।
(6) नहाने के लिए साबुन का प्रयोग कम करना चाहिए। नहाने के लिए उपयुक्त साबुन, जिसमें क्षार की मात्रा कम हो, प्रयोग में लेना हितकर है।
(7) नहाने के पश्चात् शरीर को साफ तौलिए या साफ कपड़े से पौंछकर स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए।
(8) शरीर को पौंछने के लिए अपने स्वयं का ही तौलिया काम में लाना चाहिए।

(ग) नाक की देखभाल (Care of Nose):
नाक श्वास लेने और सूंघने की शक्ति रखती है। नाक की संभाल शरीर के बाकी अंगों की तरह करनी चाहिए। इसको बीमारी से बचाने के लिए साफ वायु में श्वास लेना चाहिए। जिस व्यक्ति को जुकाम लगा हो, उसके पास नहीं बैठना चाहिए। नाक में उँगली नहीं मारनी चाहिए और किसी का रूमाल भी प्रयोग नहीं करना चाहिए। नाक को जोर से साफ नहीं करना चाहिए। इसकी सफाई हेतु स्वच्छ रूमाल का प्रयोग करना चाहिए। हमें हमेशा नाक द्वारा श्वास लेना चाहिए। नाक में छोटे-छोटे बाल होते हैं। वायु के कीटाणु और मिट्टी इनमें रुक जाती हैं जिससे हमारे अंदर साफ वायु जाती है। नाक के बालों को कभी भी काटना और तोड़ना नहीं चाहिए। यदि हमारे नाक के अंदर ये बाल न हों तो हमारे शरीर के अंदर गंदी हवा प्रवेश कर जाएगी और हमारा शरीर रोग का शिकार हो जाएगा। इसलिए हमें नाक की देखभाल की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 4.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधित नियमों के बारे में लिखिए तथा बालों की सही प्रकार से सफाई करने की विधि बताइए।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधित नियम (Rules related to Personal Health)-व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधित प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं
(1) शरीर के आंतरिक अंगों; जैसे दिल, फेफड़े, जिगर, आमाशय, तिल्ली, गुर्दे और बाहरी अंग; जैसे हाथ, आँख, कान, नाक, त्वचा, पैर और बाल आदि की नियमित सफाई व संभाल करनी चाहिए।
(2) समय-समय पर अपने शरीर का नियमित डॉक्टरी परीक्षण करवाना चाहिए।
(3) हमेशा खुश व प्रसन्न रहना चाहिए।
(4) हमेशा साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिएँ। पहनावा ऋतु और मौसम के अनुसार होना चाहिए।
(5) खुले एवं स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए। घर हमेशा साफ-सुथरा होना चाहिए।
(6) हमेशा नाक द्वारा श्वास लेनी चाहिए।
(7) नियमित शारीरिक क्रियाएँ या व्यायाम करने चाहिएँ।
(8) हमें हमेशा संतुलित एवं पौष्टिक आहार का सेवन करना चाहिए।
(9) हमें पर्याप्त विश्राम करना चाहिए और उचित समय तक सोना चाहिए।

बालों की सफाई करने की विधि (Method of Cleanliness of Hair):
पुराने समय में बालों के रख-रखाव व निखार के लिए महिलाएँ अनेक प्राकृतिक तरीके इस्तेमाल करती थीं, जिनसे उनके बाल वास्तव में ही काले, घने, मजबूत और चमकदार होते थे। आज के युग में कई तरह के साबुन और अन्य चीजों से बालों को धोने या साफ करने के लिए प्रयोग में लाया जाने लगा है। इनसे बाल पोषक तत्त्व हासिल करने के स्थान पर समय से पूर्व टूट कर गिरने लगते हैं, साथ ही सफेद होने लगते हैं। हमें भूलकर भी बालों के साथ ज्यादा प्रयोग नहीं करने चाहिएँ। ऐसा करने से बाल कमजोर होकर असमय टूटने लगते हैं। इसलिए बालों की सही प्रकार से सफाई करनी चाहिए, ताकि ये मजबूत, काले व चमकदार बने रहें। बालों की सफाई हेतु निम्नलिखित विधि अपनानी चाहिए

(1) खट्टी दही में चुटकी भर फिटकरी मिला लें, साथ ही थोड़ी-सी हल्दी भी मिला लें। इस मिश्रण को सिर के बालों में लगाने से सिर की गंदगी तो दूर होती ही है, साथ ही बाल भी निखर जाते हैं।
(2) बालों को धोने के बाद गोलाकार कंघी से बालों में भली प्रकार से ब्रश करना चाहिए। इसके बाद सिर के बालों की जड़ों में उंगली घुमाते हुए अपना हाथ ऊपर से नीचे की ओर फिराएँ। ऐसा करने से बाल हमेशा मुलायम बने रहते हैं।
(3) धूल-मिट्टी के प्रभाव से सिर के बाल रूखे एवं बेजान से हो जाते हैं । इनसे छुटकारा पाने के लिए उत्तम किस्म के शैम्पू से बालों को धोना चाहिए।
(4) कुदरती साधनों के इस्तेमाल से बालों को सुंदर बनाया जा सकता है। बालों को अच्छी तरह धोने के बाद बालों में ताजी मेहंदी पीसकर लगानी चाहिए। कुछ समय बाद बालों को पानी से धो लेना चाहिए।
(5) बालों को पानी में भीगे आँवलों से धोना चाहिए। बालों को आँवले से धोने से बाल चमकदार व मुलायम बनते हैं।
(6) पसीना बालों की जड़ों में पहुंचने पर बालों को नुकसान होता है। इसलिए नियमित अंतराल पर उचित विधि द्वारा बालों को साफ करना चाहिए।
(7) बालों को गर्म पानी में धोने से ये कमजोर होते हैं। इसलिए बालों को हमेशा गुनगुने पानी से ही धोना चाहिए।
(8) कंघी हमेशा बालों को सुखाने के बाद ही करनी चाहिए। गीले बालों में कंघी करने से बाल कमजोर हो सकते हैं।

प्रश्न 5.
दाँतों की सफाई पर विस्तृत नोट लिखें। अथवा दाँतों की देखभाल हेतु हमें किन-किन बातों की ओर ध्यान देना चाहिए?
उत्तर:
दाँतों के न रहने से मुँह का स्वाद चला जाता है और चेहरे की खूबसूरती भी समाप्त हो जाती है। गंदे दाँतों से स्वयं को और दूसरों को बदबू भी आती है। यदि दूध के दाँतों का ध्यान अच्छी प्रकार न रखा जाए तो पक्के दाँत शुरू से कमजोर हो सकते हैं जोकि टूटने के उपरांत टेढ़े-मेढ़े निकलते हैं। दाँत साफ न रहने के कारण इनके ऊपर जो इनैमल और इंटीन की तह होती है, वह दाँत गंदे रहने से नष्ट हो जाती है। फिर दाँतों के नीचे तक कीटाणु चले जाते हैं और मसूड़े कमजोर हो जाते हैं। इसलिए हमें नियमित रूप से दाँतों की सफाई करनी चाहिए। दाँतों की संभाल और सफाई निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है

(1) हमें मिठाई, चीनी, टॉफियाँ आदि अधिक नहीं खानी चाहिएँ।
(2) दाँतों में कभी भी कोई तीखी चीज़ नहीं मारनी चाहिए।
(3) कठोरै बोतलों के ढक्कन अथवा कठोर खाने वाली चीजें दाँतों से न खोलें/तोड़ें।
(4) हमें बहुत अधिक गर्म और ठंडी चीजों का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
(5) किसी दूसरे का ब्रश प्रयोग में नहीं लाना चाहिए।
(6) दाँतों को रेत, कोयले की राख आदि से साफ नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे दाँतों की ऊपरी परत को हानि पहुँचती है।
(7) पान, गुटका, तम्बाकू आदि दाँतों एवं मसूड़ों के लिए घातक होते हैं। इसलिए इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
(8) यदि दाँत खराब हो जाएँ तो निकलवा लेने चाहिएँ ताकि छूत के कारण दूसरे दाँत भी खराब न हो जाएँ।।
(9) प्रतिदिन सुबह उठकर और रात को सोने से पहले ब्रश करना चाहिए और खाना खाने के पश्चात् कुल्ला करना चाहिए।
(10) दाँतों की मजबूती के लिए कैल्शियम एवं विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थों; जैसे गाजर, मूली, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, … आँवला, नींबू, टमाटर, बन्दगोभी आदि का सेवन करना चाहिए।

प्रश्न 6.
कानों एवं नाखूनों की सफाई पर संक्षिप्त नोट लिखें। अथवा कानों तथा नाखूनों की सफाई करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
कानों की सफाई (Cleanliness of Ears):
कान सुनने की शक्ति रखते हैं। कान की बाहरी बनावट टेढ़ी और कठोर दिखाई देती है परंतु अंदर इसका पर्दा नाजुक होता है। यदि कान में कोई फोड़ा अथवा फुसी हो जाए तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कोई तेज दवाई डालने से कान के पर्दे को नुकसान पहुँच सकता है। कान में कभी भी कोई नुकीली चीज़ नहीं मारनी चाहिए। इससे कान में चोट लग सकती है। यदि कान में दर्द है तो समय पर इसका इलाज करवाना चाहिए, नहीं तो पीब (Pus) पड़ने का डर होता है और पर्दा भी गल सकता है। कान को साफ करने के लिए खुरदरे और मोटे तिनके पर अच्छी प्रकार से रूई लपेटकर हाइड्रोजन परऑक्साइड में भिगोकर साफ करें। यह सप्ताह में एक बार अवश्य करें। नहाने के पश्चात् कान के बाहरी भाग को जरूर साफ करना चाहिए। स्वयं को शोरगुल से दूर रखना चाहिए।

नाखूनों की सफाई (Cleanliness of Nails):
हाथों व पैरों की उँगलियों के आगे कठोर बढ़ा हुआ भाग नाखून होता है। इसकी सफाई मनुष्य के शरीर के बाकी अंगों की भाँति बहुत जरूरी है। नाखूनों को साफ न करने से कई हानियाँ हो सकती हैं। अतः नाखूनों की सफाई के लिए निम्नलिखित कार्य करने चाहिएँ
(1)नाखून बढ़ने नहीं देने चाहिएँ अर्थात् समय-समय पर बढ़े हुए नाखूनों को काटते रहना चाहिए, ताकि इनमें मैल आदि न जमा हो सके।
(2) खाना खाने से पहले और बाद में हाथ साबुन आदि से धोने चाहिएँ।
(3) नाखून दाँतों से नहीं तोड़ने चाहिए। इससे नाखूनों के बीच वाली मैल मुँह द्वारा हमारे शरीर के अंदर पहुँच जाती है और कई प्रकार की बीमारियाँ पैदा करती है।
(4) नाखून ब्लेड और कैंची से भी नहीं काटने चाहिएँ, बल्कि इनको नेलकटर से काटना चाहिए।
(5) नाखूनों को सोडियम कार्बोनेट के पानी से धोना चाहिए।
(6) कठोर, खुरदरे, पीले, काले अथवा सफेद धब्बों वाले नाखून डॉक्टर को जरूर दिखा लेने चाहिएँ।
(7) कई फैशन के तौर पर अपने नाखून बढ़ा लेते हैं परंतु ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
(8) पैरों के नाखून भी काटने आवश्यक हैं। इनको न काटने से उँगलियों में दर्द होना शुरू हो जाता है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 7.
व्यायाम क्या है? व्यायाम करने से हमें क्या-क्या लाभ होते हैं?
अथवा
व्यायाम हमारे लिए क्यों आवश्यक है? इसके क्या-क्या फायदे हैं?
उत्तर:
व्यायाम का अर्थ (Meaning of Exercise):
कुछ विशेष तथा तेज शारीरिक क्रियाएँ जो मनुष्य अपनी इच्छानुसार करता है, व्यायाम कहलाता है। जिस प्रकार भोजन, जल और वायु जीवन के लिए आवश्यक हैं उसी प्रकार व्यायाम भी शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। व्यायाम न करने से शरीर आलसी एवं रोगी हो जाता है, जबकि व्यायाम करने से शरीर चुस्त, फुर्तीला व सक्रिय बनता है। व्यायाम करने से शरीर नीरोग रहता है। बुद्धि व स्मरण शक्ति तेज होती है, जिससे मनुष्य दिन-प्रतिदिन उन्नति करता है। व्यायाम से अनेक प्रकार की दुर्बलताएँ दूर हो जाती हैं। इसलिए हमारे लिए व्यायाम बहुत आवश्यक है।
व्यायाम करने के लाभ या फायदे (Advantages of doing Exercise)-व्यायाम करने से होने वाले लाभ. निम्नलिखित हैं

(1) व्यायाम करने से शरीर की माँसपेशियाँ लचकदार तथा मजबूत बनती हैं। शरीर में कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है।
(2) व्यायाम करने से शरीर हृष्ट-पुष्ट रहता है और बुढ़ापा देर से आता है।
(3) व्यायाम करने से भूख अधिक लगती है और पाचन क्रिया ठीक रहती है।
(4) व्यायाम करने से क्षयरोग, दमा और कब्ज आदि नहीं हो सकते। अत: व्यायाम करने से शरीर नीरोग रहता है।
(5) व्यायाम करने से रात को नींद अच्छी आती है।
(6) व्यायाम करने से रक्त का संचार तेज होता है। वृक्क (Kidneys) में रक्त के अधिक पहुँचने से उसके सारे विषैले पदार्थ मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
(7) व्यायाम करने से शरीर के सभी अंग सुचारु रूप से कार्य करते हैं।
(8) व्यायाम करने से नाड़ी प्रणाली स्वस्थ रहती है। ज्ञानेंद्रियों की शक्ति बढ़ जाती है।
(9) व्यायाम करने से फेफड़ों में ऑक्सीजन अधिक पहुँचती है और कार्बन-डाइऑक्साइड भी बाहर निकलती है।
(10) व्यायाम शरीर की बहुत-सी कमियों तथा जोड़ों के रोगों को दूर करने में सहायक होता है।
(11) व्यायाम से हृदय बलशाली हो जाता है तथा धमनियाँ, शिराएँ और केशिकाएँ आदि मजबूत बनती हैं।
(12) व्यायाम करने से टूटी कोशिकाओं को ऑक्सीजन तथा ताजा रक्त मिलता है। इस प्रकार इनकी मुरम्मत हो जाती है।
(13) व्यायाम करने से शरीर में फूर्ति बढ़ती है और आलस्य दूर होता है।
(14) व्यायाम करने से स्मरण शक्ति, तर्क शक्ति एवं कल्पना शक्ति बढ़ती है।

प्रश्न 8.
सोते समय हमें क्या-क्या सावधानियाँ रखनी चाहिएँ?
उत्तर:
थकान को दूर करने के लिए तथा व्यय हुई शक्ति को पुनः प्राप्त करने के लिए हमें आराम के साथ-साथ नींद की नितांत आवश्यकता होती है। इसलिए परमात्मा ने काम के लिए दिन और विश्राम के लिए रात को बनाया। जब हम प्रकृति के इस नियम का उल्लंघन करते हैं तो अनेक प्रकार के कष्ट सहते हैं। पूरी नींद लेने से थकी माँसपेशियाँ और दिमाग भी ताजा हो जाता है। इसलिए गहरी नींद में सोना भोजन से भी अधिक आवश्यक है।

सोते समय हमें निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिएँ
(1) सोने का कमरा साफ-सुथरा तथा हवादार होना चाहिए।
(2) खिड़कियाँ व रोशनदान हवादार होने चाहिएँ।
(3) प्रतिदिन नियमित समय पर सोना चाहिए।
(4) सोने से दो घंटे पहले कुछ नहीं खाना चाहिए।
(5) मुँह ढककर कभी नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से कार्बन-डाइऑक्साइड फेफड़ों में चली जाती है और ऑक्सीजन नहीं मिलती।
(6) सोने के कमरे में कोयले की अंगीठी जलती हुई छोड़कर कभी नहीं सोना चाहिए।
(7) रात को जल्दी सोना चाहिए और प्रातः जल्दी उठना चाहिए।
(8) रात को सोने से पूर्व चाय या कॉफी के स्थान पर दूध पीना चाहिए।
(9) गर्मियों में सोने से पहले स्नान करना चाहिए। सर्दियों में गर्म पानी से मुँह-हाथ धो लेने चाहिएँ।
(10) सोने वाले स्थान के पास पशु नहीं बाँधने चाहिएँ।
(11) सोते समय शरीर पर हल्के कपड़े होने चाहिएँ।
(12) रात को वृक्षों के नीचे सोना हानिकारक है। इसका कारण यह है कि रात के समय वृक्ष कार्बन-डाइऑक्साइड गैस छोड़ते हैं और ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं। इसलिए ऐसे वातावरण में साँस लेना हानिकारक है।
(13) चिंता, क्रोध तथा दुःखों को भूलकर बिना किसी तनाव के सोना चाहिए।
(14) गर्मी के मौसम में यदि बाहर सोना हो तो मच्छरदानी का प्रयोग करें।
(15) पलंग या चारपाई कद के अनुसार होनी चाहिए। इस पर बिछा हुआ बिस्तर मौसम के अनुसार तथा साफ-सुथरा होना चाहिए।
(16) चारपाई खटमल रहित होनी चाहिए क्योंकि वे मनुष्य का रक्त चूसते हैं तथा गहरी नींद नहीं सोने देते।

प्रश्न 9.
अच्छी मुद्रा या आसन (Good Posture) के लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शरीर की किसी एक स्थिति को मुद्रा नहीं कहा जाता। हम अपने शरीर को कई अलग-अलग ढंगों से टिकाते हैं। शरीर को स्थिर रखने की स्थितियों को मुद्रा या आसन कहा जाता है। शरीर को बिना तकलीफ उठाना, बैठाना, घुमाना आदि मुद्रा में ही आते हैं । शरीर की प्रत्येक प्रकार की स्थिति ठीक हो अथवा गलत मुद्रा ही कहलाएगी। परंतु गलत और ठीक मुद्रा में बहुत
अंतर होता है। ठीक मुद्रा देखने में सुंदर व आकर्षक लगती है। इससे शरीर की माँसपेशियों पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ता। ठीक मुद्रा वाला व्यक्ति काम करने, चलने-फिरने में चुस्त और फुर्तीला लगता है। भद्दी मुद्रा व्यक्ति के शरीर के लिए अनावश्यक बोझ बन जाती है। इसलिए हमेशा शरीर की स्थिति प्रत्येक प्रकार का आसन (Posture) प्राप्त करते समय ठीक रखनी चाहिए। संक्षेप में, अच्छी मुद्रा के निम्नलिखित लाभ हैं
(1) शरीर को अच्छी स्थिति में रखने से हिलाना-डुलाना आसान हो जाता है और शरीर के दूसरे भागों पर भी भार नहीं पड़ता।
(2) अच्छी मुद्रा शरीर में आत्मविश्वास पैदा करती है।
(3) अच्छी मुद्रा मन को प्रसन्नता एवं खुशी प्रदान करती है।
(4) अच्छी मुद्रा वाले व्यक्ति की कार्य करने में शक्ति कम लगती है।
(5) अच्छी मुद्रा हड्डियों और माँसपेशियों को संतुलित रखती है।
(6) अच्छी मुद्रा वाले व्यक्ति को बीमारियाँ कम लगती हैं।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 10.
भद्दी मुद्रा के कारणों का उल्लेख करते हुए मुद्रा ठीक करने के ढंगों का वर्णन कीजिए। अथवा मुद्रा संबंधी विकार बताइए। मुद्रा संबंधी विकार ठीक करने के तरीकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मुद्रा संबंधी विकार या विकृतियाँ (Postural Deformities): मुद्रा संबंधी विकार या विकृतियाँ निम्नलिखित हैं
(1) कूबड़पन,
(2) कमर का आगे निकलना,
(3) रीढ़ की हड्डी का टेढ़ा होना,
(4) दबी हुई छाती होना,
(5) घुटनों अथवा टखनों का भिड़ना,
(6) गोल कंधे,
(7) टेढ़ी गर्दन,
(8) चपटे पैर आदि।

भद्दी मुद्रा के कारण (Cause of Incorrect Posture): भद्दी मुद्रा के निम्नलिखित कारण हैं
(1) भोजन की कमी के कारण शरीर कमजोर हो जाता है, इस कारण मुद्रा भी ठीक नहीं रहती।
(2) व्यायाम न करने से मुद्रा भद्दी हो जाती है।
(3) घर अथवा स्कूल में सही ढंग से बैठने का प्रबंध न होना।
(4) भारी बैग को ठीक ढंग से न पकड़ना।
(5) तंग कपड़े और तंग जूते पहनना भी मुद्रा के लिए हानिकारक हैं।
(6) पढ़ते समय बैठने के लिए सही कुर्सी या मेज का न होना और कुर्सी पर ठीक से न बैठना।

मुद्रा ठीक रखने के ढंग या तरीके (Methods of Keep Right to Posture): मुद्रा ठीक करने के ढंग निम्नलिखित हैं
(1) बच्चों को ठीक मुद्रा के बारे में जानकारी देनी चाहिए। स्कूल में अध्यापकों और घर में माँ-बाप का कर्त्तव्य है कि बच्चों
की खराब मुद्रा को ठीक करने के लिए निरंतर प्रयास करें।
(2) भोजन की कमी के कारण आई कमजोरी को ठीक करना चाहिए।
(3) बच्चों को न तो तंग कपड़े डालने चाहिएँ और न ही तंग जूते।
(4) हमें गलत ढंग से न तो चलना चाहिए और न ही पढ़ना और बैठना चाहिए।
(5) हमें उचित और पूरी नींद लेनी चाहिए।
(6) बच्चों के स्कूल बैग का भार हल्का होना चाहिए।
(7) आवश्यकतानुसार डॉक्टरी परीक्षण करवाते रहना चाहिए ताकि मुद्रा-त्रुटि को समय पर ठीक किया जा सके।
(8) हमारे घरों, स्कूलों और कॉलेजों में ठीक मुद्रा की जानकारी देने वाले चित्र लगे होने चाहिएँ।
(9) घरों और स्कूलों में पूरे कद वाला शीशा लगा होना चाहिए जिसके आगे खड़े होकर बच्चा अपनी मुद्रा देख सके।
(10) सोते समय शरीर को अधिक मोड़ना नहीं चाहिए।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित आसनों या मुद्राओं (Postures) पर संक्षिप्त नोट लिखें
(क) बैठने की मुद्रा
(ख) खड़े होने की मुद्रा
(ग) चलने की मुद्रा
(घ) लेटने की मुद्रा।
उत्तर:
(क) बैठने की मुद्रा (Posture of Sitting):
कई कामों में हमें अधिक देर तक बैठना पड़ता है। अधिक देर बैठने से धड़ की माँसपेशियाँ थक जाती हैं और धड़ में कई दोष आ जाते हैं। बैठते समय रीढ़ की हड्डी सीधी, छाती आमतौर पर खुली, कंधे समतल, पेट स्वाभाविक तौर पर अंदर की ओर, सिर और धड़ सीधी स्थिति में होने चाहिए। बच्चे स्कूल में अधिक समय बैठते हैं परंतु घर में चलते-फिरते रहते हैं। बैठने वाला स्थान हमेशा खुला और समतल होना चाहिए। बैठने वाला स्थान साफ-सुथरा हो। देखा जाता है कि कई व्यक्ति सही ढंग से बैठकर नहीं पढ़ते। पढ़ते समय हमें ऐसी मुद्रा में बैठना चाहिए जिससे आँखों व शरीर पर कम-से-कम दबाव पड़े। लिखने के लिए मेज या डैस्क का झुकाव आगे की ओर होना चाहिए। हमें कभी भी सिर झुकाकर न तो पढ़ना चाहिए और न ही लिखना चाहिए। इससे हमारी रीढ़ की हड्डी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। गलत ढंग से बैठने से शरीर में कई विकार पैदा हो सकते हैं।

(ख) खड़े होने की मुद्रा (Posture of Standing):
गलत ढंग से खड़े होने अथवा चलने से भी शरीर में थकावट आ जाती है। खड़े होने के दौरान शरीर का भार दोनों पैरों पर बराबर होना चाहिए। खड़े होने के दौरान पेट सीधा, छाती फैली हुई और धड़ सीधा होना चाहिए। ठीक ढंग से खड़े होने से हमारे शरीर में रक्त की गति ठीक रहती है। यदि आपको अधिक देर खड़े होना पड़े तो दोनों पैरों पर बदल-बदल कर खड़े होना चाहिए ताकि प्रत्येक टाँग पर शरीर का भार बारी-बारी पड़े।

(ग) चलने की मुद्रा (Posture of Walking):
हमारी चाल हमेशा सही होनी चाहिए। ठीक चाल से अच्छा प्रभाव पड़ता है। चलते समय पंजे और एड़ियों पर ठीक भार पड़ना चाहिए। अच्छी चाल वाला व्यक्ति प्रत्येक मनुष्य को अपनी ओर आकर्षित करता है। चलते समय पैरों का अंतर समान रहना चाहिए। हाथ आगे पीछे आने-जाने चाहिएँ। घुटने आपस में टकराने नहीं चाहिएँ। चलते समय पैरों की रेखाएँ चलने की दिशा की रेखा के समान होनी चाहिएँ।

(घ) लेटने की मुद्रा (Posture of Lying):
लेटते समय हमारा शरीर विश्राम अवस्था में और शांत होना चाहिए। सोते समय शरीर प्राकृतिक तौर पर टिका होना चाहिए। हमें सोते समय कभी भी गलत ढंग से नहीं लेटना चाहिए। इससे हमारे रक्त के संचार पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे श्वास क्रिया भी रुक जाने का खतरा पैदा हो सकता है। गर्दन अथवा अन्य किसी भाग की. नाड़ी आदि चढ़ जाने का खतरा रहता है।

प्रश्न 12.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं
1. व्यायाम (Exercises):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को व्यायाम अर्थात् शारीरिक गतिविधियाँ काफी प्रभावित करती हैं। व्यायाम करने से शरीर की उचित वृद्धि एवं विकास होता है। व्यायाम शरीर के सभी अंगों की कार्यक्षमता को सुचारू करने में सहायक होता है। व्यायाम करने से न केवल हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य का विकास होता है बल्कि यह सर्वांगीण विकास में सहायक होता है।

2. भोजन (Food):
हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य को सबसे अधिक भोजन प्रभावित करता है। यदि हमारे भोजन में सभी आवश्यक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में हैं तो इनका हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। हमारे शारीरिक अंगों की कार्यक्षमता बढ़ती है। इसलिए हमारा भोजन संतुलित एवं पौष्टिक होना चाहिए।

3. नशीले पदार्थों से परहेज (Away from Intoxicants):
हमारे स्वास्थ्य के लिए नशीले पदार्थों का सेवन सबसे अधिक हानिकारक है। इन पदार्थों के सेवन से हमारे शरीर के सभी पहलुओं या पक्षों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इनके सेवन से हमारा शरीर अनेक रोगों से ग्रस्त हो जाता है। इसलिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इन पदार्थों के सेवन से स्वयं को बचाना चाहिए।

4. भोजन संबंधी आदतें (Food Related Habits):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए भोजन करने संबंधी आदतें भी महत्त्वपूर्ण होती हैं। खाने-पीने की आदतें जितनी उचित होंगी, व्यक्ति का स्वास्थ्य भी उतना अच्छा होगा।

5. चिकित्सा जाँच (Medical Checkup):
नियमित चिकित्सा जाँच स्वास्थ्य के सभी पक्षों को प्रभावित करती है। नियमित चिकित्सा जाँच से हमारा स्वास्थ्य अच्छा रहता हैं और शारीरिक अंग रोगमुक्त रहते हैं।

6. आसन (Posture):
आसन भी हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसलिए हमें उचित आसन की आदत डालनी चाहिए।

7. विश्राम एवं निद्रा (Rest and Sleep):
विश्राम एवं निद्रा न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं बल्कि सभी प्रकार के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। सामान्य तौर पर व्यक्ति को आठ घंटे तक सोना चाहिए। लंबी अवधि तक कार्य करने के बीच में थोड़ा-बहुत विश्राम कर लेना चाहिए।

8. अच्छी आदतें (Good Habits):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को अच्छी आदतें भी प्रभावित करती हैं। अच्छी आदतें हमारी दिनचर्या को प्रभावित करती हैं; जैसे जल्दी सोना, जल्दी उठना, दाँतों पर नियमित ब्रश करना, स्नान करने के बाद नाश्ता करना आदि। अच्छी आदतों से हमारा आसन और स्वास्थ्य भी ठीक रहता है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 13.
व्यक्तित्व के विकास में स्वास्थ्य की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अधिकांश लोग स्वास्थ्य के महत्त्व को नहीं समझते। हम जब भी स्वास्थ्य की बात करते हैं तो हमारा ध्यान शारीरिक स्वास्थ्य तक ही सीमित रहता है। हम शरीर के अन्य पहलुओं के बारे में नहीं सोचतें। अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यकता हम सभी को है। एक व्यक्ति को स्वस्थ तभी कहा जाता है जब उसका शरीर स्वस्थ एवं मन साफ व शांत हो। वास्तव में अच्छे स्वास्थ्य की कल्पना संपूर्ण स्वास्थ्य का नाम है जिसमें शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, व्यक्तिगत स्वास्थ्य, सामाजिक स्वास्थ्य एवं बौद्धिक स्वास्थ्य आदि शामिल हैं। स्वास्थ्य का व्यक्ति के व्यक्तित्व को सुधारने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। स्वास्थ्य निम्नलिखित प्रकार से व्यक्तित्व में अपना योगदान देता है

(1) स्वास्थ्य जीवन को बढ़ाने के लिए कौशल और ज्ञान को विकसित करने की क्षमता बढ़ाता है। हमारी बौद्धिक क्षमता हमारी रचनात्मकता को प्रोत्साहित करती है जिससे हमारा व्यक्तित्व आकर्षिक बनता है।
(2) अच्छे स्वास्थ्य का हमारे शरीर के प्रत्येक पहलू पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। हमारा शरीर चुस्त, फुर्तीला एवं मजबूत बनता है जिससे हमारा व्यक्तित्व काफी आकर्षित लगता है।
(3) स्वास्थ्य संबंधी जानकारी होने से शरीर नीरोग रहता है जो शरीर रोगमुक्त होता है और उसका जीवनकाल भी अधिक होता है अर्थात् शरीर को विकारों से मुक्त बनाए रखता है और हमेशा अच्छा महसूस कराता है।
(4) अच्छे स्वास्थ्य से खुशी एवं प्रसन्नता महसूस होती है। प्रसन्नता एवं खुशी से व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता चलता है।
(5) किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को उसका स्वभाव सबसे अधिक प्रभावित करता है। जो व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर एवं बीमार होता है उसमें अनेक विकार पैदा हो जाते हैं; जैसे क्रोध करना, चिंता करना, घृणा करना आदि। परन्तु जो व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ या रोगमुक्त होता है वह अपने मनोविकारों पर नियंत्रण करने में समर्थ होता है। इस प्रकार स्वास्थ्य व्यक्ति के स्वभाव को सुधारने में सहायक होता है जिससे उसका व्यक्तित्व अन्य व्यक्तियों से अधिक आकर्षित एवं अच्छा होता है।
(6) अच्छे स्वास्थ्य से शारीरिक सुंदरता में वृद्धि होती है। शारीरिक सुंदरता का आकर्षण व्यक्तित्व के विकास में योगदान देता है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि आप सुंदर नहीं हैं तो आपका व्यक्तित्व आकर्षक नहीं हो सकता।
(7) अच्छा स्वास्थ्य व्यक्ति के आत्मविश्वास को बढ़ाता है और आत्मविश्वास व्यक्तित्व की कुंजी है।

निष्कर्ष (Conclusion):
उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि अच्छा स्वास्थ्य व्यक्तित्व की कुंजी है। आकर्षित व्यक्तित्व से कोई भी व्यक्ति किसी को भी प्रभावित कर सकता है। स्वास्थ्य न केवल व्यक्तित्व के विकास में सहायक होता है बल्कि यह शरीर के प्रत्येक पहलू के विकास में सहायक होता है। इसलिए हमें स्वास्थ्य के बारे में संपूर्ण जानकारी होनी चाहिए।

लघूत्तरात्मक प्रश्न [Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
कानों की सफाई करते समय किन-किन बातों की ओर ध्यान देना चाहिए?
उत्तर:
कान सुनने की शक्ति रखते हैं। कान की बाहरी बनावट टेढ़ी और कठोर दिखाई देती है परंतु अंदर इसका पर्दा नाजुक होता है। यदि कान में कोई फोड़ा अथवा फुसी हो जाए तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कोई तेज दवाई डालने से कान के पर्दे को .. नुकसान पहुंच सकता है। कान में कभी भी कोई नुकीली चीज़ नहीं मारनी चाहिए। इससे कान में चोट लग सकती है। यदि कान में दर्द है तो समय परं इसका इलाज करवाना चाहिए, नहीं तो पीब (Pus) पड़ने का डर होता है और पर्दा भी गल सकता है। कान को साफ करने के लिए खुरदरे और मोटे तिनके पर अच्छी प्रकार से रूई लपेटकर हाइड्रोजन परऑक्साइड में भिगोकर साफ करें। यह सप्ताह में एक बार अवश्य करें। नहाने के पश्चात् कान के बाहरी भाग को जरूर साफ करना चाहिए। स्वयं को शोरगुल से दूर रखना चाहिए।

प्रश्न 2.
नाखूनों की सफाई करते समय किन-किन बातों की ओर ध्यान देना चाहिए?
उत्तर:
नाखूनों की सफाई के लिए हमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
(1) नाखून बढ़ने नहीं देने चाहिएँ अर्थात् समय-समय पर बढ़े हुए नाखूनों को काटते रहना चाहिए, ताकि इनमें मैल आदि न जमा हो सके।
(2) खाना खाने से पहले और बाद में हाथ साबुन आदि से धोने चाहिएँ।
(3) नाखून दाँतों से नहीं तोड़ने चाहिएँ। इससे नाखूनों के बीच वाली मैल मुँह द्वारा हमारे शरीर के अंदर पहुँच जाती है और कई प्रकार की बीमारियाँ पैदा करती है।
(4) नाखून ब्लेड और कैची से भी नहीं काटने चाहिएँ, बल्कि इनको नेलकटर से काटना चाहिए।
(5) नाखूनों को सोडियम कार्बोनेट के पानी से धोना चाहिए।
(6) कठोर, खुरदरे, पीले, काले अथवा सफेद धब्बों वाले नाखून डॉक्टर को जरूर दिखा लेने चाहिएँ।
(7) कई फैशन के तौर पर अपने नाखून बढ़ा लेते हैं परंतु ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

प्रश्न 3.
व्यायाम करने के कोई पाँच लाभ बताएँ। उत्तर-व्यायाम करने से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं
(1) व्यायाम करने से शरीर की माँसपेशियाँ लचकदार तथा मजबूत बनती हैं। शरीर में कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है।
(2) व्यायाम करने से शरीर हृष्ट-पुष्ट रहता है और बुढ़ापा देर से आता है।
(3) व्यायाम करने से भूख अधिक लगती है और पाचन क्रिया ठीक रहती है।
(4) व्यायाम करने से रात को नींद अच्छी आती है।
(5) व्यायाम करने से रक्त का संचार तेज होता है। वृक्क (Kidneys) में रक्त के अधिक पहुंचने से उसके सारे विषैले पदार्थ मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।

प्रश्न 4.
बालों की सफाई न रखने या करने से होने वाली हानियाँ बताएँ। उत्तर-यदि बालों को सही ढंग से साफ न किया जाए तो इससे निम्नलिखित हानियाँ हो सकती हैं
(1) बालों की सफाई न करने से सिर में सिकरी (Dandruff) हो जाती हैं।
(2) बालों की नियमित सफाई न करने से ये कमजोर हो जाते हैं।
(3) सिर में जुएँ आदि हो जाती हैं।
(4) बालों की सफाई न करने से बाल सड़ने लगते हैं।
(5) समय से पहले बाल सफेद होने लगते हैं।

प्रश्न 5.
भद्दी मुद्रा के मुख्य कारण बताएँ।
उत्तर:
भद्दी मुद्रा के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं
(1) भोजन की कमी के कारण शरीर कमजोर हो जाता है, इस कारण मुद्रा भी ठीक नहीं रहती।
(2) व्यायाम न करने से मुद्रा भद्दी हो जाती है।
(3) घर अथवा स्कूल में सही ढंग से बैठने का प्रबंध न होना।
(4) भारी बैग को ठीक ढंग से न पकड़ना।
(5) तंग कपड़े और तंग जूते पहनना भी मुद्रा के लिए हानिकारक हैं।
(6) पढ़ते समय बैठने के लिए सही कुर्सी या मेज का न होना और कुर्सी पर ठीक से न बैठना।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 6.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले किन्हीं चार कारकों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले चार कारक निम्नलिखित हैं
(1) व्यक्तिगत स्वास्थ्य को व्यायाम अर्थात् शारीरिक गतिविधियाँ काफी प्रभावित करती हैं। व्यायाम करने से शरीर की उचित वृद्धि एवं विकास होता है। व्यायाम शरीर के सभी अंगों की कार्यक्षमता को सुचारु करने में सहायक होता है। व्यायाम करने से न केवल हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य का विकास होता है बल्कि यह सर्वांगीण विकास में सहायक होता है।

(2) हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य को सबसे अधिक भोजन प्रभावित करता है। यदि हमारे भोजन में सभी आवश्यक तत्त्व पर्याप्त मात्रा में हैं तो इनका हमारे व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। हमारे शारीरिक अंगों की कार्यक्षमता बढ़ती है। इसलिए हमारा भोजन संतुलित एवं पौष्टिक होना चाहिए।

(3) हमारे स्वास्थ्य के लिए नशीले पदार्थों का सेवन सबसे अधिक हानिकारक है। इन पदार्थों के सेवन से हमारे शरीर के सभी पहलुओं या पक्षों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इनके सेवन से हमारा शरीर अनेक रोगों से ग्रस्त हो जाता है। इसलिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए इन पदार्थों के सेवन से स्वयं को बचाना चाहिए।

(4) व्यक्तिगत स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए भोजन करने संबंधी आदतें भी महत्त्वपूर्ण होती हैं। खाने-पीने की आदतें जितनी उचित होंगी, व्यक्ति का स्वास्थ्य भी उतना अच्छा होगा।

प्रश्न 7.
हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
हमें व्यक्तिगत स्वास्थ्य की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से पड़ती है
(1) एक अच्छा, स्वस्थ व सुडौल शरीर बनाने के लिए।
(2) माँसपेशियों में निरंतर शक्ति संचार बनाए रखने के लिए।
(3) दाँतों को नष्ट होने से बचाने के लिए।
(4) त्वचा को साफ-सुथरा व स्वस्थ रखने तथा रोगों से मुक्त रखने के लिए।
(5) संक्रमण रोगों की रोकथाम एवं बचाव करने के लिए।
(6) आँख, कान एवं नाक को स्वस्थ तथा रोगों से मुक्त रखने के लिए।
(7) व्यक्ति में ऊर्जा या शक्ति को बनाए रखने तथा कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए।
(8) शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति को बनाए रखने के लिए।

प्रश्न 8.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिएँ
(1) आयु और आवश्यकतानुसार व्यायाम अथवा सैर करें।
(2) पौष्टिक और संतुलित भोजन खाएँ।
(3) प्रतिदिन स्नान करके साफ व स्वच्छ कपड़े पहनें।
(4) समय-समय पर शरीर का डॉक्टरी परीक्षण करवाएँ।
(5) अच्छी आदतों को अपनाएँ।

प्रश्न 9.
त्वचा के हमारे शरीर के लिए क्या लाभ हैं?
अथवा
त्वचा के प्रमुख कार्य क्या हैं?
उत्तर:
त्वचा के हमारे शरीर के लिए निम्नलिखित लाभ या कार्य हैं-
(1) त्वचा शरीर को ढककर रखती है।
(2) यह शरीर का तापमान स्थिर रखती है।
(3) यह शरीर के अंदर बीमारी के कीटाणुओं को प्रवेश होने से रोकती है।
(4) त्वचा शरीर को सुंदरता प्रदान करती है।

प्रश्न 10.
त्वचा की सफाई के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? अथवा नहाते समय हमें किन नियमों की पालना करनी चाहिए?
उत्तर:
त्वचा हमारे शरीर की चारदीवारी है। यह हमारे शरीर के आंतरिक अंगों को ढकती है और उसकी रक्षा करती है। यह हमारे शरीर का तापमान ठीक रखती है। इसके द्वारा हमारे शरीर में से पसीना और अन्य बदबूदार पदार्थों का निकास होता है। इसको स्पर्श करने से ही किसी बाहरी वस्तु के गुण और लक्षणों का ज्ञान होता है। त्वचा शरीर को सुंदरता प्रदान करती है। इसलिए हमें अपनी त्वचा की नियमित सफाई करनी चाहिए और इसकी सफाई का सबसे उत्तम ढंग प्रतिदिन स्वच्छ पानी से स्नान करना या नहाना है। नहाने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना बहुत आवश्यक है
(1) नहाने से पहले पेट साफ और खाली होना चाहिए।
(2) खाने के तुरंत पश्चात् नहीं नहाना चाहिए।
(3) व्यायाम अथवा बहुत थकावट के एकदम पश्चात् नहीं नहाना चाहिए।
(4) सर्दियों में नहाने से पहले धूप में शरीर की मालिश करें। यह शरीर को विटामिन ‘डी’ देने के लिए उपयोगी होता है।
(5) ताजे और स्वच्छ पानी से नहाना लाभदायक होता है।
(6) नहाने के लिए साबुन का प्रयोग कम करना चाहिए। नहाने के लिए उपयुक्त साबुन, जिसमें क्षार की मात्रा कम हो, प्रयोग में लेना हितकर है।
(7) नहाने के पश्चात् शरीर को साफ तौलिए या साफ कपड़े से पौंछकर स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिएँ।
(8) शरीर को पौंछने के लिए अपने स्वयं का ही तौलिया काम में लाना चाहिए।

प्रश्न 11.
बालों की सफाई और संभाल कैसे करनी चाहिए?
उत्तर:
बालों की सफाई और संभाल निम्नलिखित प्रकार से करनी चाहिए
(1) नहाने के पश्चात् बालों को तेल लगाएँ परंतु बाल बहुत चिकने न हों।
(2) प्रतिदिन सुबह और सोने से पहले बालों में कंघी करनी चाहिए।
(3) हमें कभी भी गिले बालों में कंघी नहीं करनी चाहिए।
(4) बालों को हमेशा हर्बल व प्राकृतिक शैंपू से ही धोना चाहिए।
(5) बालों पर कंघी करने के बाद इसको साफ कर लेना चाहिए और दूसरों की कंघी कभी भी प्रयोग नहीं करनी चाहिए।
(6) बालों की चमक एवं मजबूती हेतु सप्ताह में एक बार बालों पर तेल की मालिश जरूर करनी चाहिए।

प्रश्न 12.
व्यायाम करते समय कौन-कौन-सी सावधानियाँ अपनानी चाहिएँ? उत्तर-व्यायाम करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ अपनानी चाहिएँ
(1) व्यायाम सदैव खुली हवा, खुली जगह पर करना चाहिए अर्थात् खुले एवं स्वच्छ वातावरण में करना चाहिए। इससे रक्त में अधिक ऑक्सीजन जाती है।
(2) व्यायाम करने के शीघ्र बाद नहाना नहीं चाहिए। इससे स्वास्थ्य बिगड़ने का डर रहता है।
(3) व्यायाम प्रात:काल या सायंकाल करना चाहिए। खाना खाने के तुरंत बाद किसी भी प्रकार का व्यायाम लाभदायक नहीं होता।
(4) शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्तियों एवं वृद्धों को आसान व्यायाम करने चाहिएँ।
(5) व्यायाम के बाद थोड़ा विश्राम करना चाहिए।
(6) व्यायाम करने के पश्चात् कुछ समय शरीर को ढीला छोड़कर लंबे तथा गहरे साँस लेने चाहिएँ।
(7) बीमारी में या बीमारी से उठने के शीघ्र बाद व्यायाम नहीं करना चाहिए।
(8) व्यायाम करते समय न अधिक तंग और न अधिक खुले कपड़े पहनने चाहिएँ।
(9) व्यायाम सदा सावधानी से और नियमों के अनुसार ही करना चाहिए।

प्रश्न 13.
दाँतों की संभाल कैसे की जानी चाहिए?
उत्तर:
दाँतों की संभाल अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी है, इसलिए इनकी संभाल के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिएँ.
(1) प्रतिदिन सुबह-शाम ब्रश करना चाहिए।
(2) बहुत गर्म और बहुत ठंडी चीजें खाने से परहेज करें।
(3) यदि दाँत में खोल हो जाए तो तुरंत भरवा लेना चाहिए।
(4) प्रतिदिन कीकर, नीम और फलाही या टाहली की दातुन यदि संभव हो तो करें।
(5) प्रतिदिन खाने के पश्चात् साफ पानी से कुल्ला करें और सुबह-शाम दंत-मंजन करें।

प्रश्न 14.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य की महत्ता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
हमारे लिए व्यक्तिगत स्वास्थ्य बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे लिए निम्नलिखित प्रकार से उपयोगी होता है
(1) जो व्यक्ति अपने व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रति सजग रहता है उसका व्यक्तित्व आकर्षित एवं प्रभावित होता है।
(2) शरीर की छवि आत्म-सम्मान, आत्म-विश्वास आदि को प्रभावित करती है। अत: व्यक्तिगत स्वास्थ्य से आत्मविश्वास में बढोत्तरी होती है।
(3) व्यक्तिगत स्वास्थ्य के कारण अनेक प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है।
(4) व्यक्तिगत स्वास्थ्य के कारण शारीरिक अंगों; जैसे आँख, नाक, कान, त्वचा, दाँत आदि पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
(5) व्यक्तिगत स्वास्थ्य के कारण हमारी कार्यक्षमता एवं योग्यता में वृद्धि होती है।
(6) व्यक्तिगत स्वास्थ्य के कारण हमारा शरीर नीरोग रहता है। हमारे शरीर की रोग निरोधक क्षमता पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
(7) व्यक्तिगत स्वास्थ्य हमारे आसन को ठीक करने में सहायक होता है।
(8) यह हमारी हीन भावनाओं को दूर करने में सहायक होता है।
(9) यह हमारे व्यक्तित्व को आकर्षक एवं प्रभावशाली बनाने में हमारी सहायता करता है।
(10) यह हमारी अच्छी आदतों को विकसित करने में सहायता करता है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 15.
लेटते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर:
लेटते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए
(1) लेटते समय शरीर विश्राम की स्थिति में होना चाहिए।
(2) तकिया बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए।
(3) सोते समय शरीर प्राकृतिक रूप से टिका होना चाहिए।
(4) सोते समय कठोर गद्दे का प्रयोग करना चाहिए। ऐसे गद्दे पर लेटने से शरीर का आसन सही रहता है।
(5) कभी भी लेटकर नहीं पढ़ना चाहिए।

प्रश्न 16.
मुद्रा ठीक रखने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर:
मुद्रा ठीक रखने के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिएँ
(1) बच्चों को ठीक मुद्रा के बारे में जानकारी देनी चाहिए। स्कूल में अध्यापकों और घर में माँ-बाप का कर्तव्य है कि बच्चों की खराब मुद्रा को ठीक करने के लिए निरंतर प्रयास करें।
(2) भोजन की कमी के कारण आई कमजोरी को ठीक करना चाहिए।
(3) बच्चों को न तो तंग कपड़े पहनने चाहिएँ और न ही तंग जूते।
(4) हमें गलत ढंग से न तो चलना चाहिए और न ही पढ़ना और बैठना चाहिए।
(5) उचित और पूरी नींद लेनी चाहिए।
(6) बच्चों के स्कूल बैग का भार हल्का होना चाहिए।
(7) आवश्यकतानुसार डॉक्टरी परीक्षण करवाते रहना चाहिए ताकि मुद्रा-त्रुटि को समय पर ठीक किया जा सके।
(8) हमारे घरों, स्कूलों और कॉलेजों में ठीक मुद्रा की जानकारी देने वाले चित्र लगे होने चाहिएँ।
(9) घरों और स्कूलों में पूरे कद वाला शीशा लगा होना चाहिए जिसके आगे खड़े होकर बच्चा अपनी मुद्रा देख सके।
(10) सोते समय शरीर को अधिक मोड़ना नहीं चाहिए।

प्रश्न 17.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रमुख नियमों का उल्लेख कीजिए। उत्तर-व्यक्तिगत स्वास्थ्य के प्रमुख नियम निम्नलिखित हैं
(1) शरीर के आंतरिक अंगों; जैसे दिल, फेफड़े, जिगर, आमाशय, तिल्ली, गुर्दे और बाहरी अंग; जैसे हाथ, आँख, कान, नाक, दाँत, त्वचा, पैर और बाल आदि की जानकारी प्राप्त करके इनकी संभाल करनी चाहिए।
(2) अपनी आयु के अनुसार और समय पर नींद लेनी चाहिए।
(3) समय-समय पर अपने शरीर का डॉक्टरी परीक्षण करवाना चाहिए।
(4) सदा साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिएँ और संतुलित भोजन का प्रयोग करना चाहिए।
(5) कपड़ों और घर को सदा साफ रखना चाहिए।
(6) सदा प्रसन्न रहना चाहिए।
(7) ऋतु और मौसम के अनुसार पहनावा पहनना चाहिए।
(8) खुले एवं स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए।
(9) सदा नाक द्वारा श्वास लेनी चाहिए।

प्रश्न 18.
हाथों की सफाई करने की विधि बताइए।
उत्तर:
हाथ हमारे शरीर के ऐसे अंग हैं, जिनके द्वारा प्रत्येक कार्य किए जाते हैं; जैसे-खाना-पीना, लिखना, घरेलू कार्य करना आदि। हमें खाना खाते समय, खाना खाने के बाद तथा किसी भी कार्य को करने के बाद अच्छी तरह हाथ साफ करने चाहिएँ। हाथ साफ करने की विधि निम्नलिखित हैं
(1) पानी के बहाव को समायोजित करें जिससे यह छलके न।
(2) अपने हाथों को गीला करें।
(3) अपने गीले हाथों पर साबुन लगाकर अच्छे से रगड़ें।
(4) हथेलियों, हाथों के पिछले भाग और कलाइयों पर झाग मलें। अपने हाथों को सभी तरफ, अपनी उंगलियों के बीच और अपने नाखूनों के आस-पास कम-से-कम 20 सेकिण्ड तक रगड़ें। अपने नाखूनों के नीचे और आस-पास सफाई करने के लिए नाखून के ब्रश या किसी पुराने टूथब्रश का इस्तेमाल कर सकते हैं।
(5) अपने हाथों को चलते पानी से अच्छी तरह से धोएँ।
(6) पानी के नल को बन्द करने के लिए अपने हाथ में कागज़ या साफ तौलिए का उपयोग करें। इससे आपका साफ हाथ नल के हैंडल, जो साफ नहीं होता, से छूने से बचा रहता है।
(7) अब अपने हाथों को सुखा लें।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न  [Very Short Answer Type Questions]

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वास्थ्य दो शब्दों से मिलकर बना है-‘व्यक्ति’ एवं स्वास्थ्य’। इससे स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य की सफाई के सिद्धांत जो व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर व्यवहार में लाए जाते हैं। इसके लिए व्यक्ति को स्वयं ही प्रयत्नशील होना पड़ता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधी आचरण; जैसे शरीर की स्वस्थता, दाँतों की सफाई, आँखों की सफाई, बालों की सफाई, हाथों की सफाई, भोजन, आहार, व्यायाम तथा मद्यपान संबंधी नियमों का पालन आदि इसके अंतर्गत आते हैं। इनके प्रति लापरवाही हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। उदाहरण के लिए, दाँतों की सफाई न करने से दाँतों पर जमे रोगाणुओं से दाँतों में कृमि एवं अन्य विकार पैदा हो सकते हैं। इसलिए हमें व्यक्तिगत स्वच्छता की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।

प्रश्न 2.
त्वचा की सफाई रखनी क्यों आवश्यक है? अथवा त्वचा की सफाई की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
यदि त्वचा की सफाई न रखी जाए तो पसीना और त्वचा में से निकले हुए बदबूदार पदार्थ शरीर पर जम जाते हैं, जिसके कारण शरीर को त्वचा की बीमारियाँ लगने का डर रहता है। इसलिए त्वचा की सफाई रखना उतना ही आवश्यक है, जितना कि जीवित रहने के लिए भोजन।

प्रश्न 3.
अच्छी मुद्रा क्या है?
उत्तर:
अच्छी मुद्रा का अर्थ, व्यक्ति के सही एवं उचित संतुलन से है जब वह बैठा हो, खड़ा हो, पढ़ रहा हो, पैदल चल रहा हो, भाग रहा रहो या कोई क्रिया कर रहा हो। इसका अर्थ यह है कि अच्छी मुद्रा शरीर की वह स्थिति है जिससे व्यक्ति को थकान महसूस नहीं होती या बहुत कम होती है।

प्रश्न 4.
बालों की सफाई क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
बालों की सफाई करने से बाल मजबूत और स्वस्थ बने रहते हैं। बालों को हमेशा हर्बल या प्राकृतिक शैंपू से साफ करना चाहिए, क्योंकि इससे बालों को आवश्यक पोषण मिलता है और लम्बे समय तक बाल सुरक्षित रहते हैं।

प्रश्न 5.
गीले बालों में कंघी क्यों नहीं करनी चाहिए?
उत्तर:
गीले बालों में कंघी करने से बाल कमजोर होकर टूटने लगते हैं। इसलिए गीले बालों में कंघी नहीं करनी चाहिए। गीले बालों को सुखाने के बाद ही कंघी करनी चाहिए।

प्रश्न 6.
कान के पर्दे के बचाव के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर:
कान का पर्दा एक नर्म झिल्ली का बना हुआ होता है, जिसका बचाव बहुत आवश्यक होता है। इसलिए गले की बीमारियों और जुकाम का तुरंत इलाज किया जाए। कान में कोई सख्त और तीखी चीज न डाली जाए। कान में दर्द होने पर कानों में बोरिक एसिड ग्लिसरीन में मिलाकर डालें। मोटे तिनके पर रूई लपेटकर हाइड्रोजन परऑक्साइड में भिगोकर कान साफ करें।

प्रश्न 7.
क्या ठीक चाल शरीर को आकर्षक बनाती है?
अथवा
व्यक्तिगत स्वास्थ्य में चलने की उचित मुद्रा किस प्रकार से सहायक है?
अथवा
चलने की सही मुद्रा क्या है?
उत्तर:
अंग्रेजी भाषा में इसको गेट और पंजाबी में चाल अथवा तोर आदि कहा जाता है। हमारी चाल हमेशा सही होनी चाहिए। ठीक चाल से अच्छा प्रभाव पड़ता है। चलते समय पंजे और एड़ियों पर ठीक भार पड़ना चाहिए। अच्छी चाल वाला व्यक्ति प्रत्येक मनुष्य को अपनी ओर आकर्षित करता है। चलते समय पैरों का अंतर समान रहना चाहिए। हाथ आगे-पीछे आने-जाने चाहिए। घुटने आपस में टकराने नहीं चाहिएँ। चलते समय पैरों की रेखाएँ चलने की दिशा की रेखा के समान होनी चाहिएँ।

प्रश्न 8.
नाक के बाल किस प्रकार से लाभदायक हैं?
उत्तर:
हमें हमेशा नाक द्वारा श्वास लेना चाहिए। नाक में छोटे-छोटे बाल होते हैं। वायु के कीटाणु और मिट्टी इनमें रुक जाती हैं जिससे हमारे अंदर साफ वायु जाती है। नाक के बालों को कभी भी काटना और तोड़ना नहीं चाहिए। यदि हमारे नाक के अंदर ये बाल न हों तो हमारे शरीर के अंदर गंदी हवा प्रवेश कर जाएगी और हमारा शरीर रोग का शिकार हो जाएगा।

प्रश्न 9.
हमें किस आसन में लेटना चाहिए? अथवा व्यक्तिगत स्वास्थ्य में लेटने की उचित मुद्रा किस प्रकार से सहायक है? अथवा लेटने की सही मुद्रा क्या है?
उत्तर:
लेटते समय हमारा शरीर विश्राम अवस्था में और शांत होना चाहिए। सोते समय शरीर प्राकृतिक तौर पर टिका होना चाहिए। हमें सोते समय कभी भी गलत ढंग से नहीं लेटना चाहिए। इससे हमारे रक्त के संचार पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे श्वास क्रिया भी रुक जाने का खतरा पैदा हो सकता है। गर्दन अथवा अन्य किसी भाग की नाड़ी आदि चढ़ जाने का खतरा रहता है।

प्रश्न 10.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य में संतुलित एवं पौष्टिक भोजन किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
स्वस्थ जीवन जीने के लिए भोजन ही मुख्य आधार होता है। वास्तव में हमें भोजन की आवश्यकता न केवल शरीर की खोई हुई शक्ति को पुनः प्राप्त करने के लिए होती है, बल्कि शरीर की वृद्धि एवं विकास के लिए और शरीर को नीरोग रखने के लिए भी होती है। इसलिए इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु व्यक्ति को संतुलित एवं पौष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए। ऐसा भोजन करने से शारीरिक अंगों की कार्यक्षमता पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 11.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले किन्हीं तीन कारकों के नाम बताएँ।
उत्तर:
(1) व्यायाम,
(2) उचित आसन,
(3) विश्राम एवं निद्रा।

प्रश्न 12.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य हेतु.हमें कौन-कौन-सी सफाई करनी चाहिए?
उत्तर:
(1) कपड़ों की सफाई,
(2) आँखों की सफाई,
(3) कान, नाक की सफाई,
(4) दाँतों की सफाई,
(5) मुँह की सफाई,
(6) नाखूनों की सफाई,
(7) त्वचा व बालों की सफाई आदि।

प्रश्न 13.
व्यक्तिगत सफाई (Personal Cleanliness) क्या है?
उत्तर:
व्यक्तिगत सफाई या स्वच्छता से अभिप्राय व्यक्ति का तन, मन और आत्मा से शुद्ध और निर्मल होना है। इसमें व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वच्छता शामिल है। व्यावहारिक रूप में व्यक्तिगत सफाई का तात्पर्य शरीर के अंगों की साफ-सफाई से है।

प्रश्न 14.
नाक साफ न करने से क्या हानि हो सकती है?
उत्तर:
नाक साफ न करने से हमारे शरीर के अंदर गंदी हवा व धूल-कण प्रवेश कर जाएँगे और हमारा शरीर रोगग्रस्त हो जाएगा; जैसे जुकाम आदि हो जाना।

प्रश्न 15.
आराम और नींद में क्या अंतर है?
उत्तर:
आराम और नींद दोनों ही हमारी खोई हुई ऊर्जा या शक्ति को पुनः प्राप्त करने के लिए बहुत ही आवश्यक हैं। आराम या विश्राम के लिए हमारी आखें कभी-कभी बंद रहती हैं, परन्तु हमारा मस्तिष्क सचेत अवस्था में होता है और सक्रिय रूप से कार्य करता है। आराम की अवस्था में हमें आस-पास की गतिविधियों की जानकारी रहती है। दूसरी ओर, नींद की अवस्था में हमारा मस्तिष्क सक्रिय रूप से कार्य नहीं करता। इस अवस्था में हमें आस-पास के वातावरण व गतिविधियों के बारे में कोई चेतना नहीं रहती।

HBSE 9th Class Physical Education व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न [Objective Type Questions]

प्रश्न 1.
हमें अपने बढ़े हुए नाखून किससे काटने चाहिएँ?
उत्तर:
हमें अपने बढ़े हुए नाखून नेलकटर से काटने चाहिएँ।

प्रश्न 2.
हमें शुद्ध और साफ वायु कैसे प्राप्त हो सकती है?
उत्तर:
खुली वायु में रहने और नाक द्वारा श्वास लेने से शुद्ध और साफ वायु प्राप्त हो सकती है।

प्रश्न 3.
त्वचा शरीर में से अनावश्यक पदार्थों का निकास किस रूप में करती है?
उत्तर:
त्वचा शरीर में से अनावश्यक पदार्थों का निकास पसीने के रूप में करती है।

प्रश्न 4.
त्वचा शरीर को क्या प्रदान करती है?
उत्तर:
त्वचा शरीर को सुंदरता प्रदान करती है।

प्रश्न 5.
त्वचा की सफाई का सबसे उत्तम ढंग कौन-सा होता है?
उत्तर:
ताजे पानी से स्नान करना।

प्रश्न 6.
बालों की सुंदरता के लिए बालों का किस प्रकार का होना आवश्यक है?
उत्तर:
घना, मजबूत व चमकदार।

प्रश्न 7.
बालों की सफाई न रखने से बालों में क्या पड़ जाती हैं?
उत्तर:
बालों की सफाई न रखने से बालों में सिकरी व जुएँ पड़ जाती हैं।

प्रश्न 8.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य का कोई एक नियम बताएँ।
उत्तर:
खुले एवं स्वच्छ वातावरण में रहना।

प्रश्न 9.
नाक द्वारा श्वास क्यों लेना चाहिए?
उत्तर:
नाक द्वारा श्वास लेने से हवा कीटाणुरहित, गर्म होकर व छनकर फेफड़ों में प्रवेश करती है।

प्रश्न 10.
दाँतों की संभाल के लिए क्या नहीं खाना चाहिए?
उत्तर:
दाँतों की संभाल के लिए अधिक मिठाइयाँ, ठंडी चीजें व अधिक गर्म चीजें नहीं खानी चाहिएँ।

प्रश्न 11.
त्वचा की कितनी परतें होती हैं?
उत्तर:
त्वचा की दो परतें होती हैं।

प्रश्न 12.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य हेतु कोई एक अच्छी आदत बताएँ।
उत्तर:
जल्दी सोना और जल्दी उठना।

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 13.
हमें कैसे वातावरण में सैर करनी चाहिए?
उत्तर:
हमें स्वच्छ एवं खुले वातावरण में सैर करनी चाहिए।

प्रश्न 14.
हमें किस प्रकार का भोजन करना चाहिए?
उत्तर:
हमें पौष्टिक एवं संतुलित भोजन करना चाहिए।

प्रश्न 15.
कान की सफाई किस प्रकार करनी चाहिए?
उत्तर:
कान की सफाई खुरदरे तिनके पर रुई लपेटकर ग्लिसरीन का प्रयोग करके करनी चाहिए।

प्रश्न 16.
हमें दाँतों की सफाई कब करनी चाहिए?
उत्तर:
हमें दाँतों की सफाई सुबह स्नान करने से पहले और रात को सोने से पहले करनी चाहिए।

प्रश्न 17.
हमें कपड़े किसके अनुसार पहनने चाहिएँ?
उत्तर:
हमें कपड़े मौसम के अनुसार पहनने चाहिएँ।

प्रश्न 18.
हमें कब नहीं नहाना चाहिए?
उत्तर:
हमें व्यायाम करने और खाना खाने के तुरंत बाद नहीं नहाना चाहिए।

प्रश्न 19.
वयस्क व्यक्ति को कितने घंटे सोना चाहिए?
उत्तर:
वयस्क व्यक्ति को लगभग 8 घंटे सोना चाहिए।

प्रश्न 20.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बढ़ावा कैसे दिया जा सकता है?
उत्तर:
शरीर के अंगों की उचित सफाई करके व्यक्तिगत स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जा सकता है।

प्रश्न 21.
आँखों की सफाई न करने से कौन-सा रोग सामान्यतया हो सकता है?
उत्तर:
सामान्यतया आँखों की सफाई न करने से फ्लू नामक रोग हो सकता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न [Multiple Choice Questions]

प्रश्न 1.
आँखों की सफाई न रखने से कौन-से रोग हो जाते हैं?
(A) आँखों का फ्लू
(B) आँखों की जलन
(C) कुकरे
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 2.
व्यक्ति के जीवन की अनमोल वस्तु कौन-सी है?
(A) आराम
(B) पैसा
(C) स्वास्थ्य
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) स्वास्थ्य

प्रश्न 3.
व्यक्तिगत स्वच्छता संबंधी नियमों की पालना कब से आरंभ की जानी चाहिए?
(A) युवावस्था से
(B) प्रौढ़ावस्था से
(C) बुढ़ापे में
(D) बचपन से
उत्तर:
(D) बचपन से

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 4.
हमें स्नान कब करना चाहिए?
(A) शौचादि के पश्चात्
(B) खाना खाने से पहले
(C) (A) और (B) दोनों ।
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) और (B) दोनों

प्रश्न 5.
व्यायाम अथवा कार्य करने के पश्चात् कब नहाना चाहिए?
(A) तुरंत
(B) 5 मिनट बाद…
(C) शरीर को ठंडा करने के बाद
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) शरीर को ठंडा करने के बाद

प्रश्न 6.
नहाने से पहले धूप में बैठकर शरीर की मालिश किस मौसम में करनी चाहिए?
(A) गर्मियों में
(B) सर्दियों में
(C) वर्षा में
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) सर्दियों में

प्रश्न 7.
आँखों की सफाई हेतु हमें ध्यान देना चाहिए
(A) आँखों की नियमित सफाई की ओर
(B) आँखों के लिए आवश्यक खाद्य पदार्थ की ओर
(C) आँखों की नियमित चिकित्सा जाँच की ओर
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 8.
शरीर का सबसे कोमल अंग कौन-सा है?
(A) नाक
(B) कान
(C) आँख
(D) सिर
उत्तर:
(C) आँख

प्रश्न 9.
नंगी आँख से सूर्य की ओर कब बिल्कुल नहीं देखना चाहिए?
(A) सूर्योदय के समय
(B) सूर्यास्त के समय
(C) सूर्यग्रहण के समय
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) सूर्यग्रहण के समय

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 10.
पढ़ते समय किताब आँखों से कितनी दूर रखनी चाहिए?
(A) लगभग 40 सेंटीमीटर
(B) लगभग 60 सेंटीमीटर
(C) लगभग 30 सेंटीमीटर
(D) लगभग 50 सेंटीमीटर
उत्तर:
(C) लगभग 30 सेंटीमीटर

प्रश्न 11.
दाँतों के लिए कौन-से वृक्ष की दातुन करना लाभदायक होता है?
(A) नीम की
(B) कीकर की
(C) फलाही या टाहली की
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 12.
कान का कौन-सा भाग बहुत नर्म झिल्ली का बना होता है?
(A) बाह्य कान
(B) आंतरिक कान
(C) कान का पर्दा
(D) कर्णपट उ
त्तर:
(C) कान का पर्दा

प्रश्न 13.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य के नियम निम्नलिखित हैं
(A) नियमित डॉक्टरी परीक्षण करवाना चाहिए
(B) स्वच्छ वातावरण में रहना चाहिए
(C) संतुलित एवं पौष्टिक भोजन खाना चाहिए
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 14.
“जल्दी सोना और जल्दी उठना, व्यक्ति को समृद्ध, स्वस्थ एवं बुद्धिमान बनाता है।” यह कथन है
(A) बेंजामिन फ्रैंकलिन का
(B) स्वामी विवेकानंद का
(C) गाँधी जी का
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) बेंजामिन फ्रैंकलिन का

प्रश्न 15. कान की सफाई करनी चाहिए
(A) सिर की सूई से
(B) खुरदरे मोटे तिनके पर रूई लपेटकर
(C) कठोर एवं नोकदार सिलाई से
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) खुरदरे मोटे तिनके पर रूई लपेटकर

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

प्रश्न 16.
खाना खाते समय क्या करना चाहिए?
(A) खाना खाने से पहले हाथ और नाखून साबुन से धोने चाहिएँ
(B) भोजन चबाकर खाना चाहिए
(C) भोजन बिना बोले करना चाहिए
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 17.
व्यक्तिगत स्वास्थ्य हेतु निम्नलिखित कथन सही है
(A) प्रतिदिन उठने के बाद साफ पानी से मुँह धोना चाहिए
(B) शौच से निवृत्त के बाद दाँतों की सफाई करनी चाहिए
(C) हमेशा हाथ धोकर ही भोजन करना चाहिए
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 18.
हमें त्वचा की देखभाल हेतु करना चाहिए
(A) नियमित रूप से ताजे पानी से नहाना चाहिए
(B) स्वयं को धूल भरे वातावरण से दूर रखना चाहिए
(C) त्वचा की नियमित सफाई करनी चाहिए।
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

HBSE 9th Class Physical Education Solutions Chapter 2 व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्वव

व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व Summary

व्यक्तिगत स्वास्थ्य का अर्थ एवं महत्त्व परिचय

प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन का पूरी तरह आनंद लेना चाहता है। जीवन का पूरा आनंद तभी लिया जा सकता है जब व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा हो। अच्छा स्वास्थ्य आचरण व नियमों पर निर्भर करता है। हमारा दैनिक आचरण, रहन-सहन, खान-पान, व्यवहार विचार आदि हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य (Personal Health):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य से अभिप्राय है कि हम कैसे अपने-आपको मेहनत करने के योग्य, स्वस्थ तथा नीरोग बना सकते हैं जिससे हम अपने जीवन का अधिक-से-अधिक लाभ समाज और देश को दे सकें तथा अपने-आपको नीरोग बना सकें। अतः हम कह सकते हैं कि स्वास्थ्य ही व्यक्ति की सबसे बड़ी संपत्ति है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘व्यक्ति’ एवं ‘स्वास्थ्य’। इससे स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य की सफाई के सिद्धांत जो व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत स्तर पर व्यवहार में लाए जाते हैं। इसके लिए व्यक्ति को स्वयं ही प्रयत्नशील होना पड़ता है। व्यक्तिगत स्वास्थ्य संबंधी आचरण; जैसे शरीर की स्वस्थता, दाँतों की सफाई, आँखों की सफाई, बालों की सफाई, हाथों की सफाई, भोजन या आहार, व्यायाम तथा मद्यपान संबंधी नियमों का पालन आदि इसके अंतर्गत आते हैं। इनके प्रति लापरवाही हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकती है।

व्यक्तिगत स्वास्थ्य की आवश्यकता (Importance of Personal Health):
व्यक्तिगत स्वास्थ्य व्यक्ति को निम्नलिखित बातों में सहायता करता है
(1) एक अच्छा, स्वस्थ व सुडौल शरीर बनाने में।
(2) मांसपेशियों में निरंतर शक्ति संचार बनाए रखने में।।
(3) दाँतों को नष्ट होने से बचाने में।
(4) त्वचा को साफ-सुथरा व स्वस्थ रखने तथा रोगों से मुक्त रखने में।
(5) संक्रमण रोगों की रोकथाम एवं बचाव करने में। आँख, कान एवं नाक को स्वस्थ तथा रोगों से मुक्त रखने में।
(6) व्यक्ति में ऊर्जा या शक्ति को बनाए रखने तथा कार्यक्षमता बढ़ाने में।
(7) शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति को बनाए रखने में।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *