HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति

Haryana State Board HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Social Science Solutions History Chapter 1 लोकतंत्र के परिणाम

HBSE 9th Class History फ्रांसीसी क्रांति Textbook Questions and Answers

फ्रांस की क्रांति प्रश्न उत्तर Class 9 HBSE प्रश्न 1.
फ्रांस में क्रांति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई?
उत्तर-
फ्रांस में क्रांति की शुरुआत से जुड़ी परिस्थितियों का वर्णन निम्नलिखित किया जा सकता है –

  • फ्रांस में असमानताओं व विषमताओं की स्थिति थी। एक ओर पादरी व सामन्तों की व्यवस्था थी. जिन्हें राज्य की ओर से सभी सुविधाएं प्राप्त थी, उन्हें सभी प्रकार के पद प्राप्त थे एवं कोई कर नहीं दिया करते थे। दूसरी ओर, एक तृतीय वर्ग भी या जिस पर सभी प्रकार के कर लागू किए जाते थे तथा वसूले जाते थे।
  • किसानों की स्थिति दयनीय थी। उन पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष राजस्व व कर लगाया जाता था। कृषि के पुराने तरीकों से किसी अच्छी फसल की उन्हें कोई आशा नहीं होती थी। फलस्वरूप ये किसान सदैव कर्जदारी की अवस्था में रहते थे।
  • फ्रांस की तेजी से बढ़ती जनसंख्या को किसी भी रूप में खाद्यान्नों की पूर्ति नहीं हो पा रही थी। जनसख्या थी कि निरन्तर बढ़ रही थी, उपज थी कि निरन्तर कम होती थी। भुखमरी क्रांति से पहले की अवस्था थी।
  • 18वीं शताब्दी के यूरोप ने मध्य वर्ग को पनपने में सहायता की। यह वर्ग शिक्षा प्राप्त वर्ग था तथा तब के कुछेक राजनीतिक विचारकों से काफी प्रभावित था। इन विचारकों में जॉन, लॉक, माण्टेस्क्यू, रूसों आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। इन्होंने लोगों में स्वतंत्रता, एकता, समानता के विचारों का प्रयार किया एवं शक्तियों के केन्द्रीकरण के विरुद्ध आवाज उठायी।
  • फ्रांस की क्रांति से पूर्व अमेरिका में हो रहे स्वतंत्रता संग्राम ने भी फ्रांस में क्रांति के वातावरण को स्फूर्ति प्रदान की।
  • फ्रांस क्रांति से पूर्व दिवालियापन के कगार पर था। 1787 में यह प्रयास किया गया के देश को वित्तीय संकट से बचाने के लिए अमीर वर्ग अपना कुछ योगदान दें। उनके इंकार करने पर देश में आर्थिक संकट की स्थिति बन गई। तब क्रांति रूपी घटना कोई अधिक दूर नहीं थी।

फ्रांसीसी क्रांति प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 2.
फ्रांसीसी समाज के किन तबकों को फ्रांति का फायदा मिला? कौन से समूह सत्ता छोड़ने के लिए मजबूर हो गए? क्रांति के नतीजों से समाज के किन समूहों को निराशा हुई होगी?
उत्तर-

  • फ्रांसीसी क्रांति से फ्रांसीसी समाज के जिन तबकों को फायदा हुआ था वह लोग थे-बड़े-बड़े व्यापारी, सौदागार, सरकारी कर्मचारी, वकील अर्थात् एक शब्द में मध्य वर्ग-तब के फ्रांस का तीसरा एस्टेट।
  • क्रांति के फलस्वरूप जिन समूहों को सत्ता छोड़ने पर मजबूर किया गया, वह वर्ग था पादरी तथा समान्त अर्थात् तब के समाज के पहले दो बड़े एस्टेट।
  • क्रांति से जिस फ्रांसीसी समाक के वर्ग को निराशा हुई, उनमें सम्मिलित लोग थे किसान गरीब तथा महिलाएं।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति

HBSE 9th Class History Chapter 1 फ्रांसीसी क्रांति प्रश्न 3.
19वीं व 20वीं सदी की दुनिया के लिए फ्रांसीसी क्रांति कौन-सी विरासत छोड़ गई? .
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति 18वीं शताब्दी में हुई थी 1789 में। यह क्रांति अनेक पहलुओं में महत्त्वपूर्ण समझी जाती है। 19वीं व 20वीं सदी की दुनिया के लिए फ्रांसीसी क्रांति ने, मोटे रूप से, निम्नलिखित विरासत छोड़ी थी-

  • इस क्रांति ने फ्रांस के लोगों को क्रांति के मंच पर ला खड़ा किया। इस क्रांति ने दुनिया को यह बता दिया कि क्रांति समाज के राजनीतिक व सासायनिक ढांचे को बदल सकती है।
  • इस क्रांति ने यूरोप के मानचित्र को सदा के लिए परिवर्तित कर दिया। यह परिवर्तन जितना सामाजिक था, उतना ही राजनीतिक।
  • इस क्रांति ने आने वाली सन्तानों के मन-मस्तिष्क पर स्वंतत्रता व समानता को गहरी छाप छोड़ दी। “लोग स्वतंत्र व समान पैदा होते है”, “स्वतंत्रता, समानता, बन्धुत्व आदि इस क्रांति के महत्त्वपूर्ण नारे थे जिन्होंने आने वाली शताब्दियों में लोगों के लिए मूल मंत्र के कार्य किये थे।’
  • इस क्रांति ने यह संकेत दिया कि अत्याचारी : राजतंत्र व निरंकुश व्यवस्था के दिन समाप्त हो गए हैं।
  • इस क्रांति ने लोकतंत्र की नींव डालने का भी प्रयास किया। 19वीं व 20वीं सदी लोकतंत्र की शताब्दियां बन गई।

प्रश्न 5.
उन जनवादी अधिकारों की सूची बनाएं जो आज हमें मिले हुए हैं और जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रांति में हुआ?
उत्तर-
निम्नलिखित रूप में हम उन स्वंतत्रताओं व अधिकारों का वर्णन कर सकते हैं जो आज हमें प्राप्त हैं तथा जिनका उद्गम फ्रांसीसी क्रांति में देखा जा सकता है अधिकारों के सम्बन्ध में फ्रांसीसी क्रांति व भारतीय संविधान में अनेक प्रयोजन समान हैं।

अधिकार (फ्रांसीसी क्रांति) :

  1. लोग स्वतंत्र पैदा होते हैं, स्वतंत्र रहते है तथा अधिकारों में समान होते हैं।
  2. वह अधिकार जिनका सम्बन्ध स्वतंत्रता, समानता, सम्पति सुरक्षा तथा अत्याचार का प्रतिरोध आदि।
  3. एक राष्ट्र के रूप में लोग सम्प्रभुत्ता सम्पन्न है।
  4. नागरिक, कानून के समक्ष समान हैं।
  5. किसी को भी कानून के अधिकार के बिना बन्दी नहीं बनाया जा सकता।
  6. प्रत्येक नागरिक भाषण दे सकता हैं, लिख सकता है, विचारों की अभिव्यक्ति कर सकता हैं।

अधिकार (भारतीय संविधान) :

  1. समानता व स्वतंत्रता के अधिकार।
  2. स्वतंत्रता, जीवन, सम्पति के अधिकार।
  3. भारत का संविधान भारत के लोगों को सम्प्रभु मानता है।
  4. कानून का शासन।
  5. लोगों को प्राप्त स्वतंत्रताएं।
  6. स्वतंत्रता का अधिकार अनेक स्वतंत्रताएं।

प्रश्न 5.
क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि सार्वभौमिक अधिकारों के संदेश में नाना अंतर्विरोध थे?
उत्तर-
अधिकारों को तभी वास्तविक कहा जा सकता है जब वे सबको समान रूप से प्राप्त हों। यदि किसी समाज में कुछ को अधिकार प्राप्त हों तथा कुछ को न हों, तो वह न तो व्यवहारिक हो सकता है और न ही वास्तविक एवं सार्वभौमिक क्रांति से पूर्व फ्रांस में पादरी व सामन्ती वर्गों को विशेषाधिकार प्राप्त थे, तीसरे वर्ग को वैसी सुविधाएं प्राप्त नहीं थीं। इसी प्रकार क्रांति के पश्चात् फ्रांस में अधिकारों का प्रयोजन सम्पत्ति वाले लोगों के लिए था, किसानों व गरीबों के लिए नहीं था, पुरुषों के लिए तो था, महिलाओं के लिए नहीं था। अतः स्पष्ट है कि यदि सार्वभौतिक अधिकारों का संदेश सबके लिए एक समान नहीं है तो यह परस्पर अंतर्विरोध का संकेत होता है।

प्रश्न 6.
नैपालियन के उदय को कैसे समझा जा सकता हैं?
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रांति (1789) के पश्चात् लगभग अगले दो वर्षों की स्थिति फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता व तोड़-फोड़ एवं संकट की स्थिति थी। 1791 को संविधान ने भले ही फ्रासं में संवैधानिक की स्थापना की हो, परन्तु राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बना रहा 1792 से 1794 तब रोबेस्प्येर के समय फ्रांसीसी गणराज्य की स्थापना हुई परन्तु यह काल भी आतंक का काल माना जाता है। 1794 में डिरेक्ट्री के शासन ने भी फ्रांस को राहत नहीं थी। 1799 में नैपोलियन की विजयों ने फ्रांस की स्थिति सुधारा, परन्तु बाद में वह स्वयं फ्रांस का सम्राट् बन बैठा। 1815 में वाटरलू के युद्ध में उसकी हार हुई थी।

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HBSE 9th Class History फ्रांसीसी क्रांति Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
फ्रांस में राजतंत्र का अंत कब हुआ? उत्तर-1789 की क्रांति के पश्चात्।

प्रश्न 2.
बास्तील क्या था?
उत्तर-
बास्तील एक किले की भांति था जो लुई सोलहवें से सम्बन्धित था। इसके पतन के साथ फ्रांसीसी क्रांति जुड़ी हुई मानी जाती है।

प्रश्न 3.
1789 में क्रांति के समय फ्रांस के सम्राट कौन थे?
उत्तर-
क्रांति से पूर्व फ्रांसीसी मुद्रा की एक इकाई, इसे 1794 में समाप्त कर दिया था।

प्रश्न 4.
लिने क्या था?
उत्तर-
क्रांति से पूर्व फ्रांसीसी मुद्रा की एक इकाई, इसे 1794 में समाप्त कर दिया था।

प्रश्न 5.
पुरानी राज्य व्यवस्था से क्या अभिप्राय था?
उत्तर-
1789 से पूर्व की फ्रांसीसी व्यवस्था को पुरानी राज्य व्यवस्था कहा जाता था।

प्रश्न 6.
पहली व दूसरी एस्टेट में कौन शामिल थे?
उत्तर-

  1. पहली एस्टेट में पादरी वर्ग।
  2. दूसरी एस्टेट में सामन्त वर्ग।

प्रश्न 7.
टाइद क्या थे?
उत्तर-
टाइद एक प्रकार का कर था जो किसानों से चर्च प्राप्त करता था। यह व्यवस्था क्रांति से पूर्व के दिनों __ में विद्यमान थी।

प्रश्न 8.
टाइल क्या थे?
उत्तर-
टाइल वह कर था जो तीसरे एस्टेट द्वारा सीधे राज्य को प्राप्त होता था। ,

प्रश्न 9.
समाज के उन वर्गों का वर्णन कीजिए जिन्हें फ्रांस में तीसरी एस्टेट में सम्मिलित किया जाता । था।
उत्तर-
बड़े-बड़े व्यापारी, सौदागर, अदालती कर्मचारी, वकील आदि। इनके नीचे किसान, कारीगर, मजदूर आदि थे। निम्न आरेख फ्रांस में तीनों एस्टेट के लोगों को वर्णित करता है।

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प्रश्न 10.
आजीविका संकट से आपका क्या अभिप्राय था?
उत्तर-
आजीविका संकट से अभिप्राय उस स्थिति से था जिसमें लोगों के खाने-पीने के भी लाले पड़ जाते थे।

प्रश्न 11.
जॉन लॉक द्वारा लिखी गई पुस्तक का नाम बताइए।
उत्तर-
टू ट्राइजिज ऑन गवर्नमैंट।

प्रश्न 12.
सोशल कान्ट्रेक्ट लिखने वाले दार्शनिक का नाम बताइए।
उत्तर-
रूसो।

प्रश्न 13.
माण्टेस्क्यू कौन था? उसकी रचना का नाम बताइए।
उत्तर-
माण्टेस्क्यू एक फ्रांसीसी विचारक थां उसकी रचना का नाम था : द स्पीरिट ऑफ लॉज।

प्रश्न 14.
एस्टेट्स जनरल क्या थी?
उत्तर-
एस्टेट्स जनरल एक राजनीतिक संस्था थी जिसमें तीनों एस्टेट्स के प्रतिनिधि सम्मिलित होते थे।

प्रश्न 15.
मिराब्यो कौन था? ।
उत्तर-
मिराब्यो तीसरी एस्टेट का एक नेता था जिसके सदस्यों अपने आपको राष्ट्रीय असेंम्बली घोषित कर दिया था।

प्रश्न 16.
आबेसिए कौन था?
उत्तर-
मिराब्यो की भांति आबेसिए राष्ट्रीय असेंम्बली का एक नेता था। वह इश्तहार लिखने वाला विद्वान था। उसने “तीसरा एस्टेट क्या है” की रचना की थी।

प्रश्न 17.
मेनर क्या था?
उत्तर-
मेनर ऐसा प्रयोजन था जिसमें सामन्त/कुलीन का भूमि व उसका महल सम्मिलित किए जाते थे।

प्रश्न 18.
‘टूटी हुई जंजीर’ प्रतीक से क्या अर्थ था?
उत्तर-
क्रांति से पूर्व दासों को जंजीरों से बांधा जाता था। टूटी हुई जंजीर (हथकड़ी) उनकी स्वंतत्रता का प्रतीक थी।

प्रश्न 19.
‘छड़ो का बींदार गटुर’ किसका प्रतीक था? . .
उत्तर-
‘एकता में ही बल’ होता है।

प्रश्न 20.
“त्रिभुज के अंदर रोशनी गिखेरती आंख’ किसका प्रतीक हैं?
उत्तर-
सर्वदर्शी आंख ज्ञान का प्रतीक है। सूर्य किरणों अज्ञान रूपी अंधेर को मिटा देंगी।

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प्रश्न 21.
‘राजदण्ड’ से आपका क्या अभिप्राय
उत्तर-
शाही सत्ता।

प्रश्न 22.
‘अपनी पूंछ मुंह में लिए सांप’ किसका प्रतीक समझा गया हैं? –
उत्तर-
समानता का प्रतीक।

प्रश्न 23.
“लाल फ्राइजियन टोपी” का मतलब क्या हैं?
उत्तर-
दासों द्वारा स्वतंत्र होने के बाद पहनी जाने वाली टोपी।

प्रश्न 24.
“नीला-सफेद-लाल” किसका प्रतीक
उत्तर-
फ्रांस के राष्ट्रीय रंग में यह तीनों रंग शामिल होते हैं।

प्रश्न 25.
“नों वाली स्त्री” क्या है?
उत्तर-
कानून के मानवीय रूप को डैनों वाली स्त्री कहा जाता था।

प्रश्न 26.
14 जुलाई 1789 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में कैसा माहौल था?
उत्तर-
चौदह जुलाई 1789 की सुबह, पेरिस नगर में आतंक का माहौल था। सम्राट ने सेना को शहर में घुसने का आदेश दे दिया था। अफवाद थी कि वह सेना को नागरि पर गोलियां चलाने का आदेश देने वाला हैं लगभग 7,000 मर्द तथा औरतें टॉउन हॉल के सामने एकत्र हुए और उन्होंने एक जन-सेना का गठन करने का निर्णय किया। हथियारों की खोज में वे बहुत-से सरकारी भवनों में जबरन प्रदेश कर गए।

प्रश्न 27.
बास्तील का पतन किस बात का प्रतीक माना जाता है?
उत्तर-
14 जुलाई, 1789 को बास्तील का पतन फ्रांसीसी क्रांति का प्रतीक माना जाता है। इस दिन सैंकड़ों __ लोगों का समूह पेरिस के पूर्वी भाग की ओर चल पड़ा तथा
वहां बास्तील किले को तोड़ डाला। उन्हें आशा थी कि इस – किले से उन्हें काफी हथियार प्राप्त होंगे किले के कमाण्डर __को मार दिया गया, कैदियों को छुड़ा दिया गया। सम्राट की निरंकुश शक्तियों का प्रतीक होने के कारण बास्तील किला लोगों की घृणा का केंद्र था। इसलिए किले को ढहा दिया गया और उसके अवशेष बाजार में उन लोगों को बेच दिए गए जो इस ध्वंस को बतौर स्मृति-चिह्न संजोना चाहते थे।

प्रश्न 28.
प्राचीन राजतंत्र से क्या अभिप्राय था? उस समय फ्रांस में उत्पन्न आजीविका संकट आम क्यों थे?
उत्तर-
1789 से पूर्व के फ्रांस को प्राचीन राजतंत्र के नाम से जाना जाता था। उस समय फ्रांस में आजीविका . संकट आम थे। बढ़ती जनसंख्या के लिए पैदावार सदैव
कम होती थी। मजदूरी की दरें मालिकों द्वारा तय होती थी। यह प्रायः बहुत कम बढ़ती थी। फलस्वरूप लोगों में रोटी-रोजी की चिन्ता बनी रहती थी। अमीरी-गरीबी में फासला दिनोंदिन बढ़ता रहता था। खाद्यान्न की कमी ही नहीं थी, अपितु इनकी कीमतें बढ़ी चली जाती थीं स्थितियां तब और बदतर हो जाती जब सूखे व ओले के कारण पैदावार गिर जाती थीं। आजीविका संकट आम हुआ करते थे।

प्रश्न 29.
लॉक, रूसों व माण्टेस्क्यू ने किस प्रकार फ्रांस के क्रांतिकारियों को प्रभावित किया?
उत्तर-
लॉक ने राजा के दैवी और निरंकुश अधिकारों के सिद्धांत का खंडन किया था। रूसों ने इसी विचार को बागे बढ़ाते हुए जनता और उसके प्रतिनिधियों के बीच एक सामाजिक अनुबंध पर आधारित सरकार का प्रस्ताव रखा। माण्टेस्क्यू ने दस्पिरिट ऑफदलॉज नामक रचना में सरकार के अदंर विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता विभाजन की बात कही। जग संयुक्त राज्य अमेरिक में 13 उपनिवेशों ने ब्रिटेन से खुद को आजाद घोषित कर दिया तो वहां इसी मॉडल की सरकार बनी। फ्रांस के लोगों ने इन दार्शनिकों के विचारों से प्रेरणा ली थी।

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प्रश्न 30.
पुस्तक के स्रोत (क) से लिए गए निम्नलिखित वर्णन में यंग क्या संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं? ‘गुलामों’ से उनका क्या बाश्य है? वह किसकी आलोचना कर रहे हैं, सन् 1787 में उन्हें किन खतरों का आभास होता है? ‘सेवा-टहल में लगे अपने गुलामों, खासतौर पर उनके साथ बुरा व्यवहार करने वाले को पता होना चाहिए। कि इस तरह वह अपनी जिंदगी को ऐसी स्थिति में डाल रहा है जो उस स्थिति से बिल्कुल भिन्न होती जिसमें उसने मुक्त लोगों की सेवाएं ली होती और उनसे बेहतर बर्ताव करता। जो अपने पीड़ितों की कराह सुनते हुए भोज उड़ाना पसंद करते हैं उन्हें दंगे के दौरान अपनी बेटी के अपहरण या बेटे का गला रेत दिए जाने का दुखड़ा नहीं राना चाहिए।’
उत्तर-यंग ऐसे समाज का वर्णन कर रहा है जहां गुलामी प्रचलित है वह बताता है कि गुलामों के साथ दुर्व्यवाहर किया जा रहा है। वह सम्भ्रात व्यक्तियों की आलोचना करता है जिस खतरे का वह संकेत दे रहा है, वह या तो यह है कि दंगों के दौरान सामन्तों की बेटी का कोई अपहरण कर लेगा या उनके बेटे का गला काट लेगा।

प्रश्न 31.
प्राचीन राजतंत्र के अनुसार कर लगाने की अनुमति कैसे ली जाती थी? एस्टेट्स जनरल की बैठल कब तथा क्यों बुलाई जाती थी?
उत्तर-
प्राचीन राजतंत्र के तहत फ्रांसीसी सम्राट अपनी मर्जी से कर नहीं लगा सकता था। इसके लिए उसे एस्टेट्स जनरल (प्रतिनिधि सभा) की बैठक बुला कर नए करों के अपने प्रस्तावों पर मंजूरी लेना पड़ती थी। एस्टेट्स जनरल एक राजनीतिक संस्था थी जिसमें तीनों एस्टेट अपने-अपने प्रतिनिधि भेजते थे। लेकिन सम्राट ही यह निर्णय करता था कि इस संस्था की बैठक कब बुलाई जाए। इसकी अंतिम बैठक सन् 1614 में बुलाई गई थी।

प्रश्न 32.
तृतीय एस्टेट के प्रतिनिधि मध्य में एक मेज पर खड़े असेंबली अध्यक्ष बेयली की ओर हाथ उठाकर शपथ लेते हैं। क्या आप मानते हैं कि उस समय बेयली निर्वाचित प्रतिनिधियों की ओर पीठ करके खड़ा रहा होगा? बेयली को इस तरह दर्शाने (पुस्तक के पृष्ठ 9 में चित्र 5) के पीछे छेविड का क्या इरादा प्रतीत होता है?
उत्तर-
बेयली मध्य में एक मेज पर खड़े असेंम्बली में जमा प्रतिनिधियों को प्रेरित करना चाहता था। चित्र में वह जमा प्रतिनिधियों की ओर पीठ करके दिखाया गया है। डेविड कलाकार ने ऐसा करके यह दर्शाया है कि बेयली राष्ट्रीय असेंबली के प्रतिनिधियों का नेतृत्व कर रहा है।

प्रश्न 33.
जॉर्ज दान्तन ने पढ़ाई पूरी करने के बाद के समय को याद करते हुए 1793 में अपने मित्र को निम्नलिखित लिखा था। इस लिखित वर्णन का अध्ययन कीजिए तथा नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर-
दीजिए।

“मैं प्लेसिस के आवासीय कॉलेज में था। वहाँ मुझे कई महत्त्वपूर्ण लोगों का सान्निध्य मिला…। पढ़ाई पूरी होने के बाद बेकारी के दिनों में मै। नौकरी की तलाश में जट गया। पेरिस के न्यायालय में नौकरी मिलनी असंभव थी। सेना में नौकरी का विकल्प भी मेरे लिए नहीं था क्योंकि मैं न तो जन्मजात कुलीन था और न ही मेरा कोई संरक्षक था। चर्च भी मुझे आसरा नहीं दे सका। मैं कोई ओहदा भी खरीदने की स्थिति में नहीं था क्योंकि मेरी जेब में एक सू (फ्रासीसी पैसाऋ तक नही था। पुराने दोस्तों ने भी मुँह मोड़ लिया था। व्यवस्था ने हमें पढ़ा-लिखा तो दिया था लेकिन हमारी प्रतिभा के इस्तेमाल के अवसर उपलब्ध नहीं कराए थे।’

(1) कानूनी अदालत में दान्तन को नौकरी क्यों नहीं मिल पायी थी?
उत्तर-
फ्रांस में उन दिनों शिक्षा के प्रसार व नौकरी की उपलब्धि में कोई तालमेल नहीं था।

(2) वह सेना में भी नौकरी क्यों प्राप्त नहीं कर पाया था?
उत्तर-
दान्तन का सम्बन्ध कुलीन वर्ग से नहीं था। तब के फ्रांस में कुलीनों को ही सेना में नौकरी मिला करती थी। उसके पास कोई सिफारिश भी नहीं थी। वह चर्च में नौकरी इसलिए प्राप्त नहीं कर पाया कि उसके पास नौकरी प्राप्त करने के लिए रुपया-पैसा नहीं था।

प्रश्न 34.
विद्रोही प्रजा की इच्छा के समक्ष झुकते हुए सम्राट द्वारा क्या प्रतिक्रिया हुई थी? तब हुए निर्णयों का खुलासा कीजिए।
उत्तर-
अपनी विद्रोही प्रजा की शक्ति का अनुमान करके लुई XVI ने अंततः नैशनल असेंबली को मान्यता दे दी और यह भी मान लिया कि उसकी सत्ता पर अब से संविधान का अंकुश होगा 14 अगस्त, 1789. की रात को असेंबली ने करों, कर्तव्यों और बंधनों वाली सामंती व्यवस्था के उन्मूलन का आदेश पारित किया। पादरी वर्ग के लोगों को भी अपने विशेषाधिकारों को छोड़ देने के लिए विवश किया गया। धार्मिक कर दिया गया और चर्च के स्वामित्व वाली भूमि जब्त कर ली गई। इस प्रकार कम से कम 20 अरब लिने की संपत्ति सरकार के हाथ में आ गई।

प्रश्न 35.
1791 के संविधान की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
1791 के संविधान की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित को बताया जा सकता है
(1) फ्रांसीसी सम्राट की शक्तियाँ सीमित कर दी गई।
(2) शक्तियाँ विधायिका, कार्यपालिका, एवं न्यायपालिका आदि संस्थाओं में विभाजित कर दी गई।
(3) फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र लागू कर दिया गया।’
(4) कानून बनाने वाली संस्था राष्ट्रीय असेंबली के सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रखा गया।
(5) केवल 25 वर्ष तथा उससे अधिक आयु वाले पुरुषों को ही मताधिकार प्राप्त था। इन्हें ही सक्रिय नागरिक कहा जाता था, क्योंकि वे तीन दिन तक की मजदूरी के बराबर कर दिया करते थे।
(6) संविधान में पुरुष एवं नागरिक अधिकार शोषण पत्र की व्यवस्था की गई थी। इसमें जीवन स्वतंत्रता, सम्पत्ति आदि के अधिकारों का उल्लेख किया गया था।

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प्रश्न 36.
राष्ट्रीय असेंबली ने प्रशिया व आस्ट्रिया पर आक्रमण क्यों किया? इस घटना का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
यद्यपि फ्रांसीसी सम्राट ने 1191 के संविधान पर हस्ताक्षर कर दिये थे, फिर भी वह अपनी शक्तियों को बनाए रखने के लिए पड़ोसी राज्यों से साँठ-गाँठ कर अपनी स्थिति सुधारना चाहता था। प्रशिया व आस्ट्रिया के शासकों के साथ गुप्त संधि करके लुई सोलहवाँ अपने लोगों को नाराज कर बैठा। इसका परिणाम यह हुआ कि राष्ट्रीय असेंबली ने प्रशिया व आस्ट्रिया पर आक्रमण कर दिया।
लोगों ने हजारों की संख्या में आक्रमण में भाग लिया तथा अपनी देशभक्ति का प्रमाण दिया, स्वयंसेवियों ने कवि रागेट द्वारा रचित गीत गाकर पेरिस पर मार्च किया।
बाद में सम्राट पर देशद्रोह का मुकदमा चलाकर राष्ट्रीय असेंबली ने उसे मृत्यु दण्ड दिया था। तब फ्रांस को गणराज्य घोषित किया गया था।

प्रश्न 37.
मैक्सीमिलियन रोबेस्प्येर कौन था? उसके काल को आतंक का काल क्यों कहा जाता था?
उत्तर-
मैक्सीमिलियन जैकोबिनों का नेता था जो अपने क्लबों में सजनीतियों नीतियों पर विचार-गोष्ठी करते रहते थे। जब जैकाबिनों को फ्रांस की सत्ता प्राप्त हुई तब रोबेस्प्येर के हाथों में शक्ति आ गई। रोबेस्प्येर ने सख्ती से शासन किया तथा जो लोग उसके विचारों व नीतियों से सहमत नही होते थे, वह गिलोटिन तरीके से उन्हें मृत्यु दण्ड दिया करता था। गिलोटिन में दो खम्बों में लटकते – आरे से सिर काट लिया जाता था। इस कारण उसके शासन काल को आतंक का काल कहा जाता था। उसके पतन पर उसको भी स्वयं गिलोटिन का शिकार होना पड़ा था।

प्रश्न 38.
सम्राट घोषित किये जाने के पश्चात् नैपोलियन बोनापार्ट की गतिविधियों पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर-
1804 ई. में नैपोलियन बोनापार्ट ने अपने आपको फ्रांस का सम्राट घोषित कर दिया। साथ ही, वह अन्य यूरोपीय देशों की विजय अभियान में जुट गया। वह अपने आपको यूरोप का मसीहा बनाने के स्वप्न देखने लगा। उसने अनेक कानून लागू किए जिनमें सम्पत्ति की रक्षा तथा माप-तोल प्रणाली आदि थे। परन्तु शीघ्र ही वह एक अधिनायकवादी के रूप में उभरने लगा। अंततः 1815 में वाटरलू की लड़ाई में उसे पराजय प्राप्त हुई।

प्रश्न 39.
फ्रांसीसी क्रांति के प्रभाव पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
स्वतंत्रता व लोकतांत्रिक अधिकारों के विचार फ्रांसीसी क्रांति के महत्त्वपूर्ण मूलमंत्र कहे जा सकते हैं। ये विचार पूरे यूरोप में फैल गए। शीघ्र ही इन विचारों की छाप संसार के दूसरे क्षेत्रों पर भी पड़ी। भारत में टीपू सुल्तान व राजा राममोहन राय भी फ्रांसीसी क्रांति से काफी प्रभावित हुए थे। इस क्रांति से पूरे यूरोप में क्रांतिकारिता की लहर दौड़ गई।

प्रश्न 40.
उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिए जो यह दर्शाती हों कि 1789 की क्रांति से पूर्व फ्रांस किस प्रकार संकट में घिरा हुआ था?
उत्तर-
सन् 1774 में बूढे राजवंश का लुई XVI खफ्रांस की राजगद्दी पर आसीन हुआ उस समय उसकी उम्र केवल बीस साल थी और उसका विवाह ऑस्ट्रिया की राजकुमारी मेरी एन्तोएनेत से हुआ था। राज्यारोहण के समय उसने राजकोष खाली पाया। लंबे समय तक चले युद्धों के कारण फ्रांस के वित्तीय संसाधन नष्ट हो चुके थे। वर्साय (Versailles) के विशाल महल और दाजदरबार की शानो-शौकत बनाए रखने की फिजूलखर्ची का बोझ अलग से था। लुई XVI के शासनकाल में फ्रांस ने अमेरिका के 13 उपनिवेशों को साझा शत्रु ब्रिटेन से आजाद कराने में सहायता दी थी। इस युद्ध के चलते फ्रांस पर दस अरब लिने से भी अधिक का कर्ज और जुड़ गया जबकि उस पर पहले से ही दो अरब लिने का बोझ चढ़ा हुआ था। सरकार से कर्जदाता अब 10 प्रतिशत ब्याज की माँग करने लगे थे। फलस्वरूप फ्रांसीसी सरकार अपने बजट का बहुत बड़ा हिस्सा दिनोंदिन बढ़ते जा रहे कर्ज को चुकाने पर ही खर्च करने को मजबूर थी। अपने नियमित ख) जैसे, सेना के रख-रखाव, राजदरबार, सरकारी कार्यालयों या विश्वविद्यालयों को चलाने के लिए फ्रांसीसी सरकार करों में वृद्धि के लिए बाध्य हो गई।

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प्रश्न 41.
1789 से पूर्व फ्रांसीसी समाज के विभिन्न गुटों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अठारहवीं सदी में फ ांसीसी समाज तीन एस्टेट्स में बँटा था और केवल तीसरे एस्टेट के लोग (जनसाधारण) ही कर अदा करते थे। ___ वर्गों में विभाजित फ्रांसीसी समाज मध्यकालीन सामंती व्यवस्था का अंग था। ‘प्राचीन राजतंत्र’ पद का प्रयोग सामान्यतः सन् 1789 से पहले के फ्रांसीसी समाज एवं संस्थाओं के लिए होता है।
चित्र 2 फ्रांसीसी समाज की वर्ग-व्यवस्था को दर्शाता है। पूरी आबादी में लगभग 90 प्रतिशत किसान थे। लेकिन, ज़मीन के मालिक किसानों की संख्या बहुत कम थी। लगभग 60 प्रतिशत ज़मीन पर कुलीनों, चर्च और तीसरे एस्टेट्स के अमीरों का अधिकार था। प्रथम दो एस्टेट्स, कुलीन वर्ग एवं पादरी वर्ग के लोगों को कुछ विशेषाधिकार जन्मना प्राप्त थे। इनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषाधिकार था–राज्य को दिए जाने वाले करों से छूट। कुलीन वर्ग को कुछ अन्य सामंती विशेषाधिकार भी हासिल थे। वह किसानों से सामंती कर वसूल करता था। किसान अपने स्वामी की सेवा–स्वामी के घर एवं खेतों में काम करना, सैन्य सेवाएँ देना अथवा सड़कों के निर्माण में सहयोग आदि–करने के लिए बाध्य थे।
चर्च भी किसानों से करों का एक हिस्सा, टाइद (Tithe, धार्मिक कर) के रूप में वसूलता था। ऊपर से तीसरे एस्टेट के तमाम लोगों को सरकार को तो कर चुकाना ही होता था। इन करों में टाइल (Taille, प्रत्यक्ष कर ) और अनेक अप्रत्यक्ष कर शामिल थे। अप्रत्यक्ष कर नमक और तम्बाकू जैसी रोज़ाना उपभोग की वस्तुओं पर लगाया जाता था। इस प्रकार राज्य के वित्तीय कामकाज का सारा बोझ करों के माध्यम से जनता वहन करती थी।

प्रश्न 42.
फ्रांस में 1793 से 1794 के काल को आतंक का युग क्यों कहा जाता था?
उत्तर-
सन् 1793 से 1794 तक के काल को आतंक का युग कहा जाता है। रोबेस्प्येर ने नियंत्रण एवं दंड की सख्त नीति अपनाई। उसके हिसाब से गणतंत्र के जो भी शत्रु थे – कुलीन एवं पादरी, अन्य राजनीतिक दलों के सदस्य, उसकी कार्यशैली से असहमति रखने वाले पार्टी सदस्य – उन सभी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया और एक क्रांतिकारी न्यायालय द्वारा उन पर मुकदमा चलाया गया। यदि न्यायालय उन्हें ‘दोषी’ पाता तो गिलोटिन . पर चढ़ाकर उनका सिर कलम कर दिया जाता था।
गिलोटिन दो खंभों के बीच लटकते आरे वाली मशीन था जिस पर रख कर अपराधी का सिर धड़ से अलग कर दिया जाता था। इस मशीन का नाम इसके आविष्कारक  डॉ. गिलोटिन के नाम पर पड़ा।

रोबेस्प्येर सरकार ने कानून बना कर मज़दूरी एवं कीमतों की अधिकतम सीमा तय कर दी। गोश्त एवं पावरोटी की राशनिंग कर दी गई। किसानों को अपना अनाज शहरों में ले जाकर सरकार द्वारा तय कीमत पर बेचने के लिए बाध्य किया गया। अपेक्षाकृत महँगे सफ़ेद आटे के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई। सभी नागरिकों के लिए साबुत गेहूँ से बनी और बराबरी का प्रतीक मानी जाने वाली, ‘समता रोटी’ खाना अनिवार्य कर दिया गया। बोलचाल और संबोधन में भी बराबरी का आचार-व्यवहार लागू करने की कोशिश की गई। परंपरागत मॉन्स्यूर (महाशय) एवं मदाम (महोदया) के स्थान पर अब सभी फ़्रांसीसी पुरुषों एवं महिलाओं को सितोयेन (नागरिक) एवं सितोयीन (नागरिका) नाम से संबोधित किया जाने लगा। चर्चों को बंद कर दिया गया और उनके भवनों को बैरक या दफ् तर बना दिया गया।

रोबेस्प्येर ने अपनी नीतियों को इतनी सख्ती से लागू किया कि उसके समर्थक भी त्राहि-त्राहि करने लगे। अंततः जुलाई 1794 में न्यायालय द्वारा उसे दोषी ठहराया गया और गिरफ्तार करके अगले ही दिन उसे गिलोटिन पर चढ़ा दिया गया।

प्रश्न 43.
क्या आप समझते हैं कि 1789 की फ्रांसीसी क्रांति महिलाओं के लिए भी क्रांति थी?
उत्तर-
महिलाएँ शुरू से ही फ़ासीसी समाज में इतने अहम परिवतर्न लाने वाली गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल थीं। उन्हें उम्मीद थी कि उनकी भागीदारी क्रांतिकारी सरकार को उनका जीवन सुधारने हेतु ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करेगी। तीसरे एस्टेट की अधिकांश महिलाएँ जीविका निर्वाह के लिए काम करती थीं। वे सिलाई-बुनाई, कपड़ों की धुलाई करती थीं, बाजारों में फल-फूल-सब्जियाँ बेचती थीं अथवा संपन्न घरों में घरेलू काम करती थीं।

बहुत सारी महिलाएँ वेश्यावृत्ति करती थीं। अधिकांश . महिलाओं के पास पढ़ाई-लिखाई तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण के मौके नहीं थे। केवल कुलीनों की लड़कियाँ अथवा तीसरे एस्टेट के धनी परिवारों की लड़कियाँ ही कॉन्वेंट में पढ़ पाती थीं, इसके बाद उनकी शादी कर दी जाती थी। कामकाजी महिलाओं को अपने परिवार का पालन-पोषण भी करना पड़ता था–जैसे खाना पकाना, पानी लाना, लाइन लगा कर पावरोटी लाना और बच्चों की देख-रेख आदि करना। उनकी मज़दूरी पुरुषों की तुलना में कम थी।

महिलाओं ने अपने हितों की हिमायत करने और उन पर चर्चा करने के लिए खुद के राजनीतिक क्लब शुरू किए और अखबार निकाले। फ्रांस के विभिन्न नगरों में महिलाओं के लगभग 60 क्लब अस्तित्व में आए। उनमें ‘द सोसाइटी ऑफ रेवलूशनरी एंड रिपब्लिकन विमेन’ सबसे मशहूर क्लब था। उनकी एक प्रमुख माँग यह थी कि महिलाओं को पुरुषों के समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त होने चाहिए। महिलाएँ इस बात से निराश हुईं कि 1791 के संविधान में उन्हें निष्क्रिय नागरिक का दर्जा दिया गया था। महिलाओं ने मताधिकार, असेंबली के लिए चुने जाने तथा राजनीतिक पदों की माँग रखी। उनका मानना था कि तभी नई सरकार में उनके हितों का प्रतिनिधित्व हो पाएगा।

राजनीतिक अधिकारों के लिए महिलाओं का संघर्ष जारी रहा। आतंक राज के दौरान सरकार ने. महिला क्लबों को बंद करने और उनकी राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून लागू किया। कई जानी-मानी महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया और उनमें से कुछ को फाँसी पर चढ़ा दिया गया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित रिक्त स्थानों को दिए गए उपयुक्त शब्दों से पूरा करें।

(i) ……. किला क्रांतिकारियों द्वारा नष्ट कर दिया गया। (बास्तील, वर्साय)
(ii) ……. प्रथम एस्टेट के रूप में प्रसिद्ध था। (पादरी, कुलीन)
(iii) लिने मुद्रा की एक इकाई थी। इस इकाई का सम्बन्ध ………. था। (अमेरिका, फ्रांस)
(iv) लुई सोलहवाँ ……… में फ्रांस के सिंहासन पर बैठा था। . (1775, 1774)
(v) ……. नामक विचारक का फ्रांसीसी क्रांति पर काफ़ी प्रभाव पड़ा था। (मार्क्स, रूसो)
(vi) नैपोलियन 1815 में …….. युद्ध में हार गया था। (वाटरलू, एलपैप)
(vii) रोबेस्पयेर के काल को ……. के काल से जाना जाता है। (आतंक, शक्ति)
(viii) ओलम्प दे गूज …… महिला नेता थीं। (क्रांतिकारी, प्रतिक्रियावादी)
उत्तर-
(i) बास्तील,
(ii) पादरी,
(iii) फ्रांस,
(iv)1774,
(v) रूसो,
(vi) वाटरलू, आतंक,
(viii) क्रांतिकारी।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में सही (√) व गलत (x) की पहचान करें।

(i) पुरुष व नागरिक के अधिकार घोषणा पत्र का सम्बन्ध अमरीकी स्वतंत्रता संग्राम से था।
(ii) फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित एक भारतीय टीपू सुल्तान था तथा दूसरा स्वामी विवेकानन्द।
(iii) अंततः दासता 1848 में फ्रांस में समाप्त कर दी गई थी।
(iv) रोबेस्प्येर जैकोबिनों को नेता था।
(v) मार्सिलेबो फ्रांस का राष्ट्रीय गीत है।
(vi) फ्रांस 1789 में गणराज्य घोषित किया गया था।
(vii) नैपोलियन को 1804 में फ्रांसीसी गणराज्य का राष्ट्रपति बनाया गया था।
(viii) राजा राममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना की थी।
उत्तर-
(i) x,
(ii) x,
(iii) √,
(iv) √,
(v) √,
(vi) x,
(vii) x,
(viii) √.

प्रश्न 3. निम्नलिखित में दिए गए विकल्पों में सही का चयन कीजिए।

(i) फ्रांसीसी फ्रांति निम्नलिखित वर्ष हुई थी
(a) 1776
(b) 1789
(c) 1814
(d) 1830
उत्तर-
(b) 1789

(ii) आतं के शासन का निम्नलिखित काल था
(a) 1789-1790
(b) 1790-1791
(c) 1792-1793
(d) 1794-1795
उत्तर-
(c) 1792-1793

(iii) डायरेक्ट्री एक ऐसी कार्यपालिका था जिसके सदस्य थे
(a) 3
(b) 4
(c) 5
(d) 6
उत्तर-
(c) 5

(iv) फ्रांस में महिलाओं को निम्नलिखित मताधिकार मिला था
(a) 1945
(b) 1946 सन् में
(c) 1997
(d) 1948
उत्तर-
(b) 1946 सन् में

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(v) फ्रांसीसी क्रांति के समय निम्नलिखित फ्रांस का सम्राट था-
(a) लुई तेहरवाँ
(b) लुई चौदहवाँ
(c) लुई पन्द्रहवाँ
(d) लुई सोलहवाँ
उत्तर-
(d) लुई सोलहवाँ

(vi) प्राचीन राजतंत्र का समय था
(a) 1789 से पूर्व
(b) 1789 के बाद
(c) 1979 से पूर्व व बाद का
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) 1789 से पूर्व

(vii) फ्रांस निम्नलिखित वर्ष गणराज्य बना था
(a) 1791
(b) 1792
(c) 1793
(d) 1794
उत्तर-
(b) 1792

(viii) इनमें निम्नलिखित ने फ्रांसीसी क्रांति में भाग लिया था
(a) रूसो
(b) रोबेस्प्येर
(c) रुजवैल्ट
(d) रैम्से मैक्डोनल्ड
उत्तर-
(b) रोबेस्प्येर

फ्रांसीसी क्रांति Class 9 HBSE Notes in Hindi

अध्याय का सार

जुलाई 1789 फ्रांस के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण – महीना व एक महत्त्वपूर्ण वर्ष कहा जा सकता है यह वह समय था जब फ्रांस में क्रांति हुई थी। यह घटना बास्तील के पतन (14 जुलाई, 1789) के साथ जोड़ी जाती है इस दिन के बाद फ्रांस में अनेक तोड़-फोड़ की घ्ज्ञटनाएं हुई तथा बाद में लुई सोलहवें को 35 वर्ष की आयु में मृत्यु दण्ड दे दिया गा था।

1789 की क्राति के अनेक कारण बताए जाते हैं जब 1774 में लुई सोलहवां फ्रांस के राजसिंहासन पर बैठा था। तब तक फ्रांस का खजाना लगभग खाली था। इसके अतिरिक्त बर्साय में अदालती खर्च भी अलग करना पड़ रहा था। प्रशासन हेतु सेना पर खर्च सो अलग। स्वयं अंग्रेजों को यह संदेह था कि फ्रांस अमरीकी स्वतंत्रता संनानियों को आर्थिक सहायता दे रहा है। सरकार को कर्ज देने वाले महाजन ब्याज की दर बढ़ाने के मनसूबे बना रहे थे। इन सबके कारण सरकार को कर लगाने की जरूरत महसूस हुई। यह कर समाज के तृतीय एस्टेट के लोगों से ही हलए जा सकते थे। पहले दो एस्टेट (पादरी तथा सामन्त) के वर्गो को तो पहले से ही विशेषाधिकार प्राप्त थे, वह करों से भी मुक्त थे। सामन्तों के अधीन किसान वर्ग तो शुरू से ही शोषित हो रहा था। पादरी किसानों से टाइद नामक कर वसूल करते थे। स्पष्ट है कि सरकार को वित्त दातित्व निभाने के लिए केवल तृतीय वर्ग से कर लेने की सम्भावना रह गई थी।

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दूसरी ओर जनसंख्या में वृद्धि तथा उनकी खाद्यान्न की मांग में कोई मेल नहीं था। जनसंख्या अधिक थी तथा बढ़ रही थी। जबकि दूसरी ओर खाद्यान्नों में वृद्धि उस अनुपात में बढ़ नहीं रही थी। प्रति वर्ष रोटी के दामों में निरन्तर वृद्धि होती जा रही थी। सरकार द्वारा लोगों की समस्याओं में वृद्धि का एक अन्य कारण बढ़ती स्वास्थ्य-सुविधाओं की कमी थी। लोग सरकार द्वारा हो रही गतिविधियों से खुश नहीं थे।

18वीं शताब्दी के दौरान यूरोप में एक सामाजिक वर्ग के रूप में मध्य वर्ग का उदय हुआ। यह व्यापारी वर्ग था क्योंकि यह वर्ग पढ़ा-लिखा वर्ग था, इस कारण इस वर्ग ने सरकार से रियायतों व अधिकारों की मांग आरम्भ करनी शुरू कर दी। लॉक, रूसो तथा माण्टेस्क्यू इस वर्ग के दार्शनिक व प्रेरक थे। उन्होंने स्वतंत्रता व अधिकारों से जुड़े विचारों का विकास आरंभ किया था तथा शक्ति के केन्द्रीकरण के विरुद्ध आवाज उठायी थी।

लुई सोलहवें के समक्ष कर बढ़ाने तथा कर लगाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं था। उसने एस्टेट जरनल, जिसमें पहले, दूसरे तथा तीसरे वर्ग के प्रतिनिधि सम्मिलित थे, का अधिवेशन 5 मई, 1789 को वर्साय में बुलाया। इन प्रतिनिधियों की संख्या 600 थी जिनमें 300 प्रतिनिधि पहले व दूसरे वर्ग से तथा 300 सदस्य तीसरे एस्टेट से लिए गए थे। मत-व्यवस्था हेजु प्रत्येक एस्टेट को एक मत दिए जाने की सम्भावना की गई थी। सम्राट ने सोचा था कि वह पहले दो वर्गों का समर्थन प्राप्त कर लेगा तथा अपने कर लगाने के सुझाव को पास कराने में सफल हो जाएगा। परन्तु तीसरे वर्ग को ऐसा प्रयास रास नहीं आना था और रास आया भी नहीं। उसने सभी एस्टेरस के सदस्यों को एकमत रखने तथा मत देने के लिए सोचा था गतिरोध होने पर तीसरे एस्टेट के नेताओं मिराब्यों और आबेसिए ने इस वर्ग की बैठक वर्साय के मैदान में बुलाई तथा उसे राष्ट्रीय असेम्बली घोषित कर दिया इस वर्ग के प्रतिनिधियों ने यह शपथ ली कि जब तक वह नया संविधान तैयार नहीं कर लेंगे तब तक वह विघटित नहीं होंगे। बास्तील के पतन तथा तोड़-फोड़ के बाद 1719 में नया संविधान तैयार कर लिया गया।

1719 के संविधान ने फ्रांस में संवैधानिक राजतंत्र की घोषणा की तथा अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रीय असेम्बली के चुनाव का प्रयोजन किया। इनसे पूर्व सामन्तवाद तथा चर्च की शक्तियों पर अकुंश लगाने की व्यवस्था की गई । इस संविधान में मानव व नागरिक के अधिकारों की घोषणा को भी सम्मिलित किया गया था।

इस बीच आस्ट्रिया तथा प्रशिया ने लुई सोलहवें के साथ गुप्त संधि की योजना बनाई ताकि क्रांतिकारियों को कुचलने के लिए फ्रांस के सम्राट को सैनिक सहायता दी .जा सके इससे पूर्व कि ऐसी कोई घटना घटती, रास्ट्रीय असेम्बली ने प्रशिया व आस्ट्रिया पर आक्रमण कर दिया तथा मार्सिले गीत गाया जो फ्रांस का राष्ट्रगान बन गया था सम्राट पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया तथा उसे एवं बाद में उसकी पत्नी को मृत्यु दण्ड दिया गया रोबेस्टप्येर के नेतृत्व में जैकोबिनों ने फ्रांस पर शासन करना शुरू किया। उनका शासन 1794 तक रहा इस शासन के दौरान फ्रांस भले ही गणराज्य घोषित किया गया था, परन्तु यह शासन आतंक के शासन के रूप में प्रसिद्ध हुआ था। रोबेस्प्येर ने अपने विरोधियों को गिलोटिन के माध्यम से मृत्यु का दण्ड देना आरंभ किया, स्वंय उसका भी गिलोटिन हुआ अर्थात् उसका सिर कलम कर दिया गया। रोबेस्प्येर की मृत्यु के पश्चात् फ्रांस में डिरेक्टी अर्थात् पांच व्यक्तियों की कार्य पालिका का शासन शुरू हुआ। यह काल फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता काल था। बाद में नैपोलियन बोनापार्ट शासक बना व अपने आपको फ्रांस का सम्राट् घोषित कर दिया। 1815 में वाटरलू के युद्ध में नैपोलियन की हार हुई।

18वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों व 19वीं शताब्दी के आरंभ के वर्षों में फ्रांस में स्वतंत्रता व अधिकारों के क्रांतिकारी विचारों का खूब प्रचार-प्रसार हुआ था।

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