HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 6 किसान और काश्तकार

Haryana State Board HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 6 किसान और काश्तकार Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Social Science Solutions History Chapter 6 किसान और काश्तकार

HBSE 9th Class History किसान और काश्तकार Textbook Questions and Answers

किसान और काश्तकार के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
अठारहवीं शताब्दी में इंग्लैंड की ग्रामीण जनता खुले खेत को किस दृष्टि से देखती थी। संक्षेप में व्याख्या करें। इस व्यवस्था को
(i) एक संपन्न किसान
(ii) एक मजदूर और
(ii) एक खेतिहर स्त्री की दृष्टि से देखने का प्रयास करें।
उत्तर-
(i) एक सम्पन्न किसान अपने हिस्से के खेत पर कृषि करता था। यह कृषि की टुकड़ा अच्छी व बुरी भूमि का मिला-जुला क्षेत्र होता था।
(ii) एक मजदूर खुले तथा मुक्त भूमि की अर्थव्यवस्था में मात्र मजदूरी करता था। वह बिना शोषण के अपनी मजदूरी प्राप्त करता था।
(iii) एक खेतिहर स्त्री की दृष्टि से : खुले व मुक्त खेती व्यवस्था में वह अपने घर-बाहर को संभालती थी। जलावन की लकड़ी एकत्रित करती थी तथा अपने पति की कृषि-कार्य में सहायता करती थी।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 6 किसान और काश्तकार

किसान और काश्तकार Class 9 Question Answer HBSE प्रश्न 2.
इंग्लैंड में हुए बाड़ाबंदी आन्दोलन के कारणों की, संक्षेप में व्याख्या करें।
उत्तर-
इंग्लैंड में हुए बाड़ाबंदी आन्दोलन के निम्नलिखित कारण बताए जा सकते हैं .-

  • जब विश्व बाज़ार में उनके दाम बढ़ने लगे तो सम्पन्न किसानों ने 16वीं शताब्दी में अधिक लाभ कमाने हेतु उनके उत्पादन में वृद्धि आरंभ कर दी।
  • सम्पन्न किसानों ने भेड़ों की नस्ल बढ़ाने हेतु प्रयास किए। इस कारण उन्होंने ज़मीन को घेरने के प्रयास किए।
  • साझी भूमि के विभाजन तथा उसकी बाड़ाबंदी से बाड़ों को बनाना आवश्यकता हो गया।
  • सम्पन्न किसानों ने गरीब ग्रामीणों को साझी ज़मीन से अलग कर दिया जहाँ वह छोटी-छोटी झोंपड़ियों में रहते थे। इससे बाड़ाबंदी का वातावरण बनने लगा।

किसान और काश्तकार HBSE 9th Class प्रश्न 3.
इंग्लैंड के गरीब किसान श्रेशिंग मशीनों का विरोध क्यों कर रहे थे?
उत्तर-
इंग्लैंड के गरीब किसानों ने थ्रेशिंग मशीनों का विरोध इस कारण किया था कि इनसे उनके लिए रहती-सहती मजदूरी करने की सभी सम्भावनाएँ समाप्त हो गई थीं।
श्रेशिंग मशीनों से बेराजगारी बढ़ने लगी।

किसान और काश्तकार Class 9 HBSE प्रश्न 4.
कैप्टन स्विंग कौन था? यह नाम किस बात का प्रतीक था और किन वर्गों का प्रतिनिधितव करता था?
उत्तर-
कैप्टन स्विंग एक काल्पनिक नाम था एक मिथकीय नाम। यह उन लोगों का नेता था जो श्रेशिंग मशीनों के प्रयोग का विरोध कर रहे थे। गेहूँ के उत्पादन में थेशिंग मशीनों के प्रयोग से हज़ारों की संख्या में खेतिहर मज़दूर बेरोज़गार हो गए थे, कैप्टन स्विंग तथा उसके अनुयायियों ने हिंसा का प्रयोग कर थ्रेशिंग मशीनों को नष्ट कर दिया। ऐसा करके वह इन मशीनों के विरुद्ध अपना रोष व्यक्त करते थे।

Class 9th History Chapter 5 Question Answer In Hindi HBSE प्रश्न 5.
अमेरिका पर नए आप्रवासियों के पश्चिमी प्रसार का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
अमेरिका पर पश्चिम की ओर बसने वाले आप्रवासियों का प्रभाव महत्त्वपूर्ण था जैस-जैसे वह पश्चिम की ओर बढ़ते चले गए, उन्होंने स्थानीय कबीलों को बेघर कर दिया तथा पूरी भूमि को कृषि उत्पादन के घेरे में ले लिया। इसका परिणाम यह हुआ कि अमेरिका की कृषि भूमि का विस्तार हो गया तथा वह कृषि उत्पादों में विश्व बाज़ार पर प्रभुत्व स्थापित करने लगा।

प्रश्न 6.
अमेरिका में फसल काटने वाली मशीन के फायदे-नुकसान क्या-क्या थे?
उत्तर-
फायदे

  • 500 हेक्टेयर भूमि की फसल काटने में केवल दो सप्ताह का समय लगता था,
  • इन मशीनों से भूमि के बड़े-बड़े टुकड़ों का शीघ्र ही साफ कर लिया जाता था,
  • इनसे मृदा का विभाजन भी हो सकता था,
  • इनसे जमीन से घास हटायी जा सकती थी तथा नयी खेती के लिए जमीन तैयार की जा सकती थी,
  • एक साथ चार लोग हल चला सकते थे तथा एक ऋतु में 2,000 से 4,000 हेक्टेयर भूमि पर फसल की जा सकती थी।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 6 किसान और काश्तकार

प्रश्न 7.
अमेरिका में गेहूँ की खेती में आए उछाल और बाद में पैदा हुए पर्यावरण संकट से हम क्या सबक ले सकते हैं?
उत्तर-

  • पूरे-के-पूरे क्षेत्र में हल नहीं चलाया जाना चाहिए था। वन काटने से जो काले तूफान आए थे, वह इसी तथ्य की दुहाई दे रहे थे।
  • सभी प्रकार के पौधों को नष्ट करके केवल गेहूँ की फसल नहीं पैदा की जानी चाहिए थी। यह इसी तथ्य का उदाहरण था कि साड धूल-मिट्टी में बदल गया।
  • पर्यावरणीय परिस्थितियों का मान-सम्मान करना चाहिए। था। ऐसा न करके प्रकृति को अपना उत्तर-तो देना ही था। प्रकृति ने अपना उत्तर-दिया भी एक समूह भूमि को अधंकार के घेरे में ले लिया।

प्रश्न 8.
अंग्रेज अफीम की खेती करने के लिए भारतीय किसानों पर क्यों दबाव डाल रहे थे?
उत्तर-
अंग्रेजों द्वारा भारतीय किसानों पर अफीम की । खेती करने के दबाव डालने के अनेक कारण बताए जा सकते हैं। इनमें कुछेक का वर्णन निम्नलिखित है

  • अंग्रेज चीन से खरीदी गयी चाय के बदले में अफीम के द्वारा राशि का भुगतान करना चाहते थे।
  • अफीम व्यापार से कुछेक लोभ-प्रलोभन के फलस्वरूप अफीम की खेती करायी जा सकती थी।

प्रश्न: 9.
भारतीय किसान अफीम की खेती के प्रति क्यों उदासीन थे?
उत्तर-
भारतीय किसान अफीम की खेती के प्रति काफी उदासीन थे। अफीम की खेती अन्य प्रकार की खेती से भिन्न भी थी तथा कठिन भी। इस प्रकार की खेती से जमीन की उत्पादकता में कमी होना लाजमी था। अफीम की खेती से मिलने वाला लाभ बहुत कम था। अफीम की खेती से भारतीय किसानों को न्यूनतम प्राप्ति होती थी जबकि अंग्रेज औपनिवेशिक शासकों को अधिकतम लाभ होता था।

HBSE 9th Class History किसान और काश्तकार Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
इंग्लैंड के छोटे किसाना (काटेजर) . कौन थे?
उत्तर-
वह ग्रामीण जो साझी भूमि पर झोपड़ियों में रहते तथा उस जमीन से अपनी गुजर-बसर चलाते थे, उन्हें काटेजर कहा जाता था।

प्रश्न 2.
कैप्टन स्विंग कौन था? .
उत्तर-
एक काल्पनिक मिथकीय पात्र जो गेहूँ उत्पादन में शुरू की गयी थ्रेशिंग मशीन के प्रयोग का विरोध करता था।

प्रश्न 3.
खुली व मुक्त प्रणाली में खेती कैसे की जाती थी?
उत्तर-
वर्ष के आरम्भ में एक सभा में ग्रामीणवासियों को कृषि हेतु ज़मीन के टुकड़ें बांट दिए जाते थे जिन पर ग्रामीणवासी खेती किया करते थे।

प्रश्न 4.
साझी जमीन पर किसकी पहुँच होती थी?
उत्तर-
साझी ज़मीन पर गाँव के सभीवासियों का नियन्त्रण होता था।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 6 किसान और काश्तकार

प्रश्न 5.
साझी ज़मीन से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
खुले व मुक्त व्यवस्था में बाँटे गए टुकड़ों से परे की जमीन का साझी जमीन कहा जाता है।

प्रश्न 6.
सम्पन्न किसान ऊन उत्पादन में वृद्धि क्यों करना चाहते थे?
उत्तर-
विश्व बाज़ार में ऊन के दाम बढ़ गए। इससे सम्पन्न किसानों ने उनके उत्पादन में वृद्धि करना लाभकारी समझा।

प्रश्न 7.
बाड़ाबंदी को कानूनी रूप देने के लिए अंग्रेज संसद ने का किया?
उत्तर-
अंग्रेज संसद ने लगभग 4,000 बाड़ाबंदी कानून बनाए।

प्रश्न 8.
“शिलिंग’ मुद्रा का सम्बन्ध किस देश से है?
उत्तर-
इंग्लैंड से। 20 शिलिंग का एक पौंड होते है।

प्रश्न 9.
1868 में इंग्लैंड कितना खाद्यान्न आयात करता था?
उत्तर-
लगभग 20%1 80% खाद्यान्न इंग्लैंड स्वयं पैदा करता था।

प्रश्न 10.
बाड़ाबंदी इंग्लैंड के किस भाग से सम्बन्धित थी?
उत्तर-
काउंटियों तथा मिडलैंड के आस-पास।

प्रश्न 11.
बाड़ाबंदी से गरीबों की कौन-सी मुश्किलें बढ़ी? किन्ही दो का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
(क) अब गरीब जलावन की लकड़ी वहाँ से नहीं ले सकते थे।
(ख) वह साझी ज़मीन पर अपने पशु नहीं चरा सकते थे।

प्रश्न 12.
अमरीकी सरकार अमेरिकन इण्डियनज को पश्चिम प्रसार की ओर बढ़ाने की नीति के लिए कब प्रतिबद्ध थी?
उत्तर-
अमरीकी सरकार की अमेरिकन इण्डियंस को पश्चिम प्रसार की ओर बढ़ाने की नीति 1800 के बाद के दशकों में प्रतिबद्ध हुई थी।

प्रश्न 13.
अमेरिका में विशाल मैदान कहाँस्थित हैं?
उत्तर-
मिसिसिप्पी नदी के आर-पास।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 6 किसान और काश्तकार

प्रश्न 14.
किसने तथा कब यांत्रिक टीपर का आविष्कार किया था?
उत्तर-
साइरस मैक्करमाक, 1831 में।

प्रश्न 15.
अमेरिका में महान आर्थिक महामंदी का दशक कौन सा था?
उत्तर-
1930 का दशक।

प्रश्न 16.
पश्चिमी कंपास में काला तूफान कब आया था?
उत्तर-
14 अप्रैल, 19351

प्रश्न 17.
प्लासी का युद्द कब हुआ था?
उत्तर-
1757 में।

प्रश्न. 18.
19वीं शताब्दी के आरम्भिक वर्षों में भारत द्वारा दो मुख्य व्यावसायिक फसलों के नाम बताइए।
उत्तर-
लीन तथा अफीम।

प्रश्न 19.
किस वर्ष में अंग्रेज सरकार ने बंगाल में अफीम व्यापार का एकाधिकार स्थापित किया था?
उत्तर-
1773 में।

प्रश्न 20.
क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि आधुनिकीरण की कहानी विकास व प्रगति की कहानी
उत्तर-
आधुनिकीकरण की कहानी मात्र विकास व प्रगति की कहानी नहीं है, यह एक निर्धनता व बेघर होने की कहानी भी है।

प्रश्न 21.
बाड़ाबंदी की शरूआत कैसे हुई?
उत्तर-
सोलहवीं सदी में जब ऊन के दाम विश्व बाज़ार में चढ़ने लगे तो संपन्न किसान लाभ कमाने के लिए ऊन का उत्पादन बढ़ाने की कोशिश करने लगे। इसके लिए उन्हें भेड़ों की नस्ल सुधारने और बेहतर चरागाहों की आवश्यकता हुई। नतीजा यह हुआ कि साझा ज़मीन को काट-छाँट कर घेरना शुरू कर दिया गया ताकि एक की संपत्ति दूसरे से या साझा ज़मीन से अलग हो जाए। साझा ज़मीन पर झोपड़ियाँ डाल कर रहने वाले ग्रामीणों को उन्होंने निकाल बाहर किया औश्र बाड़ाबंद खेतों में उनका प्रवेश निषिद्ध कर दिया गया। यह बाड़ाबंदी की शुरूआत थी।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 6 किसान और काश्तकार

प्रश्न 22.
18वीं शताब्दी में बाड़ाबंदी आन्दोलन की गति कैसी थी? इस गति में तेजी क्यों आयी? .
उत्तर-
अठारहवीं शताब्दी के मध्य तक बाड़ाबंदी आंदोलन की रफ्तार काफी धीमी रही। शुरू में गिने-चुने भस्वामियों ने अपनी पहल पर ही बाड़ाबंदी की थी। इसके पीछे राज्य या चर्चा का हाथ नहीं था लेकिन अठारहवीं सदी के दूसरे हिस्से में बाड़ाबंदी आंदोलन इंग्लैंड के पूरे देहाते में फैल गया और इसने इंग्लैंड के भूदृश्य को आमूल – बदलकर रख दिया। 1750 से 1850 के बीच 60 लाख एकड़ जमीन पर बाड़ें लगाई गई ब्रिटेन की संसद ने सक्रिय भूमिका निभाते हुए इन बाड़ों को वैधता प्रदान करने के लिए 4,000 कानून पारित किए।

प्रश्न 23.
इंग्लैंड में आनज की मांग के बढ़ने के कारण बताइए।
उत्तर-
18वीं शताब्दी के मध्य में इंग्लैंड की जनसंख्या तेजी से बढ़ी। 1750 से 1900 के बीच इंग्लैंड की आबादी चार गुना बढ़ गई। 1750 में कुल आबादी 70 लाख थी जो 1850 में 2.1 करोड़ और 1900 में 3 करोड़ तक जा पहुंची।ज़ाहिर है कि अब ज्यादा बनाज की ज़रूरत थी। इसी दौर में इंग्लैंड का औद्योगिकीकरण भी होने लगा था। बहुत सारे लोग रहने और काम करने के लिए गांव से शहरों का रुख करने लगे थे। खाद्यान्नों के लिए वह बाज़ार पर निर्भर होते गए। इस तरह जैसे-जैसे शहरी आबादी बढ़ी वैसे-वैसे खाद्यान्नों का बाजार भी फैलता गया और खाद्यान्नों की माँग के साथ उनके दाम भी बढ़ने लगे।

प्रश्न 24.
बाड़ाबंदी के युग में इसे निवेश क्यों कहा जाने लगा?
उत्तर-
बाड़ाबंदी को एक दीर्घकालिक निवेश के रूपं में देखा जाने लगा था और मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए लोग बदल-बदल कर फसलें बोने लगे थे। बाड़ाबंदी से अमीर भूस्वामियों को अपनी जोत बढ़ाने और बाज़ार के लिए पहले से ज्यादा उत्पादन करने की सहूलियत मिली।

प्रश्न 25.
इंग्लैंड में आधुनिक खेती के आगमन से किस प्रकार के बदलाव आए?
उत्तर-
इंग्लैंड में आधुनिक खेती के आगमन से कई तरह के बदलाव आए। मुक्त खेत समाप्त हो गए और किसानों के पारंपरिक अधिकार भी जाते रहे। अमीर किसानों ने पैदावार में वृद्धि और अनाज को बाजार में बेच कर मोटा मुनाफा कमाया और ताकतवर हो गए। गाँव के गरीब बड़ी संख्या में शहरों की ओर पलायन करने लगे। कुछ लोग मध्यवर्ती क्षेत्रों को अन्य शहरों की ओर चल पड़े। मजदूरों की आय का ठिकाना न रहा, रोजगार असुरक्षित और आजीविका के स्रोत अस्थिर हो गए।

प्रश्न 26.
18वी शताब्दी में अमेरिका के मूल निवासियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
18वीं शताब्दी के दौरान अमेरिका में जगह-जगह मूल निवासियों के समूह देखे जा सकते थे। इन समूहों में कुछ घुमंतु समूह थे अन्यथा कुछ अन्य स्थायी रूप से यहाँ .. वहाँ रहते थे। बहुत सारे समूह केवल शिकार करके, खाद्य पदार्थ बीन कर और मछीलयाँ पकड़ कर गुजारा करते थे जबकि कुछ मक्का, फलियों, तंबाकू और कुम्हड़े की खेती करते थे। अन्य समूह जगली पशुओं को पकड़ने में माहिर थे।

प्रश्न 27.
“खूब गेहूँ उपजाओं। गेहूँ ही हमें जंग जिताएगा।” (विल्सन) विवेचन कीजिए।
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गेहूँ की माँग बढ़ने लगी। अमेरिका यूरोप के देशों को गेहूँ देने लिए प्रतिबद्ध था। इसलिए अमेरिका में गेहूँ की पैदावार बढ़ने लगी। राष्ट्रपति विल्सन ने कहा था “खूब गेहूँ उपजाओ, गेहूँ ही हमें जंग जिताएगा।”1910 में अमेरिका की 4.5 करोड़ एकड़ जमीन पर गेहूँ की खेती की जा रही थी। नौसाल बाद गेहूँ उत्पादन का क्षेत्र फल बढ़कर 7.4 करोड़ एकड़ यानी लगभग 65 प्रतिशत ज्यादा हो गया था। इसमें से ज्यादातर वृद्धि विशाल मैदानों (ग्रेट प्लेन्स) में हुई थी जहाँ नित नए क्षत्रों को जोता जा रहा था। गेहूँ उत्पादन बहुधा बड़े किसानों के कब्जे में था। कई बड़े किसानों के पास तो दो-तीन हजार एकड़ तक जमीन होती थी।

प्रश्न 28.
विश्व बाजार की माँग के अनुसार औपनिवेशिक काल में भारत में किन-किन फसलों को बोया जाता था।
उत्तर-
औपनिवेशिक काल के दौरान भारत के ग्रामीण क्षेत्र ने विश्व बाजार की मांग के अनुसार कई नई फसलों को उगाना शुरू किया गया। उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में नील जैसी व्यावसायिक फसलों की खेती इसी अंतर्राष्ट्रीय बाजार की मांग के फलस्वरूप शुरू की गई थी। शताब्दी का अंत होते-होते यहाँ के किसान गन्ना, कपास, जूट (पटसन), गेहूँ और अन्य ऐसी ही निर्यात आधारित ‘फसलें पैदा करने लगे थे। ये फसले यूरोप की शहरी आबादी और इंग्लैंड स्थित लंकाशायर और मैनचेस्टर की
कपड़ा मिलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पैदा की जा रही थी।

प्रश्न 29.
अंग्रेजों द्वारा चीन के द्वारा अफीम का व्यापार कैसे गैर-कानूनी थी?
उत्तर-
चीन में अफीम मुख्यतः एक दवाई के रूप में प्रयोग की जाती थी। परन्तु धीरे-धीरे यह चीनवासियों के लिए एक आदत बन गयी। चीनी के शासकों ने औषधि के अलावा अफीम के उत्पादन और विक्रय पर रोक लगा रखी थी। लेकिन राजकीय पाबंदी के बावजूद अठारहवीं शताब्दी के मध्य में पश्चिम के व्यापारियों ने चीन में अफीम का अवैध व्यापार करना शुरू कर दिया। पश्चिम के व्यापारी चीन के दक्षिण-पूर्ण बंदरणाहों पर अफीम लाते थे टौर वहां से स्थानीय एजेंटों के जरिए देश के आंतारिक हिस्सों में भेज देते थे। 1820 के आसपास अफीम के लगभग 10,000 क्रेट बवैध रूप से चीन में लगाए जा रहे थे। 15 साल बाद गैरकानूनी ढंग से लाए जाने वाली इस अफीम की मात्रा 35,000 क्रेट का आंकड़ा पार कर चुकी थी चीन में अफीम का प्रयोग समाज का प्रत्येक वर्ग शौक से करता था। 1870 के आते-आते भारत की अंग्रेज सरकार प्रतिवर्ष 50,000 पेटी अफीम का निर्याता. करती थी।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 6 किसान और काश्तकार

प्रश्न 30.
भारत में किसानों को अफीम की खेती के लिए कैसे मनाया गया? ।
उत्तर-
भारत में किसानों को अफीम की खेती के लिए ऋण दिया जाता था। इस ऋण से किसान महाजनों से लिये गए न केवल कर्ज को चुका पाता था, अपितु वह अपनी वर्तमान स्थिति को भी सुधार पाने में सफल हो जाता था।
ऋण लेने के बाद किसान अफीम बोने से इन्कार नहीं कर सकते थे। फसल अफीम के एजेंटों द्वारा काटी जाती थी।
एक बार फसल बोने के बाद उस पर किसान का कोई अधिकार नहीं रह जाता था। वह इस ज़मीन पर कोई दूसरी फसल नहीं उगा सकता था। उसे इस फसल को कहीं और बेचने की भी आजादी नहीं थी। साथ ही फसल के दाम एजेंट द्वारा किए जाते थे और ये दाम हमेशा ही बहुत कम होते थे।

प्रश्न 31.
कैप्टन स्विंग कौन थे? यह अथवा उसके अनुयायियों द्वारा थैशिंग मशीनों के प्रयोग का विरोध क्यों किया जाता था?
उत्तर-
कैप्टन स्विंग एक मिकीय नाम था। वह तथा उसके अनुयायी इंग्लैंड में थैशिंग मशीनों के प्रयोग का विरोध इस कारण करते थे कि इन मशीनों ने हजारों लोगों को बेरोजगार बना दिया था। इस कारण स्विंग तथा उसके साथ हिंसा व आतंक फैलाया करते थे। 28 अगस्त 1880 के दिन इंग्लैंड के ईस्ट केंट में मजदूरों ने एक थ्रेशिंग मशीन को तोड़ कर नष्ट कर दिया। इसके बाद दो साल तक दंगों का दौर चुना जिसमें तोड़-फोड़ की ये घटनाएँ पूरे दक्षिणी इंग्लैंड में फैल गई। इस दौरान लगभग 387 थ्रेशिंग मशीनें तोड़ी गई। किसानों को धमकी भरे पत्र मिलने लगे कि वे इन मशीनों का इस्तेमाल करना बंद कर दें। क्योंकि इनके कारण मेहनतकशों की रोजी छिन गई है। ज्यादातर खतों पर ‘कैप्टेन स्विंग’ नाम के किसी आदमी के दस्तखत होते थे। जमींदारों को यह खतरा समाने लगा कि कहीं हथियारबंद गिरोह रात में उन पर भी हमला न बोल दें। इस चक्कर में बहुत सारे जमींदारों ने तो अपनी मशीनें खुद ही तोड़ डाली। जवाब में सरकार ने सख्त कार्रवाई की। जिन लोगों पर शक था कि वे दंगे में लिप्त हैं उन्हें फौरन गिरफ्तार कर लिया गया। 1976 लोगों पर मुकदमा चला, 9 को फाँसी दी गई और 505 को देश लिकाला दिया गया, जिनमें से 450 को ऑस्ट्रेलिया भेज दिया गया। लगभग 644 लोगों को बंदी बनाया गया।

प्रश्न 32.
इंग्लैंड में 18वीं सदी के अंतिम वर्षों व 19वीं सदी के आरम्भिक दौर में देहाती इलाकों में क्या बदलाव आए?
उत्तर-
अठारहवीं सदी के अंतिम वर्षों और उन्नीसवीं सदी के शुरुआती दौर में इंग्लैंड के देहाती इलाकों में नाटकीय बदलाव हुए। पहले इंग्लैंड का ग्रामीण क्षेत्र काफी खुला-खुला हुआ करता था। न तो जमीन भूस्वामियों की निजी संपत्ति थी और न ही उसकी बाड़ाबंदी की गई थी। किसान अपने गाँव के आसपास की जमीन पर फसल उगाते थे। साल की शुरूआत मे एक सभा बुलाई जाती थी। जिसमें गाँव के हर व्यक्ति को जमीन के टुकड़े आबंटित कर दिए जाते थे। जमीन के ये टुकड़े समान रूप से उपजाऊ नहीं होते थे और खराब, दोनों तरह की जमीन मिले। खेती की इस जमीन के परे साझा जमीन होती थी। इस साझा जमीन पर सारे ग्रामीणों का हक होता था। यहाँ वे अपने मवेशी और भेड़-बकरियाँ चराते थे, जलावन की लकड़ियाँ बीनते थे और खाने के लिए कंद-मूल-फल कहट्टा करते थे। जंगल में वे शिकार करते और नदियों, ताल-तलैयों में मछली पकड़ते। गरीबों के लिए तो यह साझा जमीन जिंदा रहने का बुनियादी साधन थी। इसी जमीन के बल पर वे लोग अपनी आय में कमी को पूरा करते, अपने जानवरों को पालते। जब किसी साल फसल चौपट हो जाती तो यह जमीन उन्हें संकट से उबारती थी।

प्रश्न 33.
इंग्लैंड में बाड़ाबंदी के फलस्वरूप गरीबों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बाड़ाबंदी ने भूस्वामियों की तिजोरियाँ भर दी। पर उन लोगों की स्थिति जिनकी रोजी-रोटी कॉमन्स पर आश्रित थी, बहुत खराब थी। बाड़ लगने से बाड़े के भीतर की जमीन भूस्वामी की निजी संपत्ति बन जाती थी। गरीब अब न तो जंगल से जलावन की लकड़ी बटोर सकते थे और न ही साझा जमीन पर अपने पशु चरा सकते थे। वे न तो सेब या कंद-मूल बीन सकते थे और न ही गोश्त के लिए शिकार कर सकते थे। अब उनके पास फसल कटाई के बाद बची लूंठो को बटोरने का विकल्प भी नहीं रह गया था। हर चीज पर जमींदारों को कब्जा हो गया, हर चीज बिकने लगी और वह भी ऐसी कीमतों पर जिन्हें अदा करने की सामर्थ्य गरीबों के पास नहीं थी। – जहाँ कहीं बड़े पैमाने पर बाड़ाबंदी हुई, खासतौर पर इंग्लैंड के मध्यवर्ती क्षेत्रों और आसपास के प्रांतों (काउंटियों) में, वहाँ गरीबों को जमीन से बेदखल कर दिया गया। उनके पारंपरिक अधिकार धीरे-धीरे खत्म होते गए। अपने अधिकारों
से वंचित और जमीन से बेदखल होकर वे नए रोजगार की तलाश मे दर-दर भटकने लगे। मध्यवर्ती क्षेत्रों से वे दक्षिणी प्रांतों की ओर जाने लगे। मध्य क्षेत्र में सबसे सघन खेती होती थी और वहाँ खेतिहर मजदूरों की भारी माँग थी। लेकिन अब कहीं भी गरीबों को एक सुरक्षित और नियमित रोजगार नहीं मिल पा रहा था।
पुराने जमाने में आमतौर पर मजदूर भूस्वामियों के साथ ही रहा करते थे। वे मालिकों के साथ खाना खाते और साल भर उनकी सेवा-टहल करते थे। यह रिवाज 1800 तक आते-आतें समाप्त होने लगा था। अब मजदूरों को काम के बदले दिहाड़ी दी जाती थी और काम भी केवल कटाई के दौरान ही होता था। जमींदार अपना मुनाफा बढ़ाने के लिए मजदूरों की दिहाड़ी की मद में कटौती करने लगे। काम अनिश्चित, रोजगार असुरक्षित और आय अस्थिर हो गई। वर्ष के बड़े हिस्से में गरीब बेरोजगार रहने लगे।

प्रश्न 34.
अमेरिका में घास के मैदान किस प्रकार विश्व के रोटी की टोकरी में बदले? विवेचना कीजिए।
उत्तर-
पूर्वी तट से देखने पर अमेरिका संभावनाओं से भरा दिखता था। वहाँ के बियाबानों को कृषि योग्य भूमि में बदला जा सकता था, जंगल से इमारती लकड़ी का निर्यात किया जा सकता था, खाल के लिए पशुओं का शिकार किया जा सकता था और पहाड़ियों से सोने जैसे खनिज पदार्थों का दाहन किया जा सकता था। लेकिन इसका मतलब था कि पहले यहाँ के अश्वेत निवासियों को निकाल बाहर किया जाए। संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार ने 1800 के बाद के दशकों में औपचारिक नीति बना कर अमेरिकी इंडियनों को पहले मिसीसिपी नदी’ पार और बाद में और भी पश्चिम की तरफ खदेड़ना शुरू किया। इस प्रक्रिया में कई लड़ाइयाँ लड़ी गई, मूल निवासियों का जनसंहार किया गया और उनके गाँव जला दिए गए। इंडियनों ने प्रतिरोध किया, कई लड़ाइयों में जीते भी लेकिन अंततः उन्हें समझौता-संधियाँ करनी पड़ीं और अपना घर-बार छोड़कर पश्चिम की ओर कूच करना पड़ा।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 6 किसान और काश्तकार

मूल निवासियों की जगहों पर नए प्रवासी बसने लगे। प्रवासियों की लहर पर लहर आती गई। अठारहवीं शताब्दी के पहले दशक तक ये प्रवासी एपलाचियन पठार में बस चुके थे और 1820-1850 के बीच उन्होंने मिसिसिपी की घाटी में पैर जमा लिए। उन्होंने जंगल को काट-जलाकर, तने उखाड़कर, खेत और घर बना लिए। फिर उन्होंने बाकी जंगलों का सफाया करके बाड़ें लगा दीं। इस जमीन पर वह मक्का और गेहूँ की खेती करने लगे।

प्रश्न 35.
गेहूँ उत्पादन में नई तकनीक के शुरू किए जाने के क्या परिणाम हुए?
उत्तर-
गेहूँ उत्पादन में हुई यह विलक्षण वृद्धि नई तकनीक का परिणाम थी। उन्नीसवीं शताब्दी में नए प्रवासी । जैसे-जैसे नई जमीन को अपने कब्जे में लेते गए वैसे-वैसे उन्होंने नई जरूरतों के मुताबिक अपनी तकनीक में भी बदलाव किए। जब वे लोग मध्य पश्चिम के घास के मैदानों में पहुंचे तो उनके वे साधारण हल बेकार साबित हुए जिनका वे पूर्वी तट पर इस्तेमाल करते आए थे। यहाँ के मैदान घनी घास से ढके थे जिसकी जड़ें बहुत गहरी होती थीं। इस सख्त जमीन को तोड़ने के लिए कई तरह के हल विकसित किए गए। स्थानीय स्तर पर विकसित इन हलों में कुछ हल 12 फुट लंबे होते थे। इन हलों का अगला हिस्सा छोटे-छोटे पहियों पर टिका होता था और उन्हें 6 बैल या घोड़े खींचते थे। बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में विशाल मैदानी क्षेत्र के किसान इस सख्त जमीन को ट्रेक्टर और डिस्क हलों की मद्द से गेहूँ की खेती करने के लिए तैयार करने में जुटे थे।

लेकिन 1831 में सामान्य मैक्कॉर्मिक ने एक ऐसे औजार का आविष्कार किया जो एक ही दिन में इतना काम कर देता था जितना कि 16 आदमी हंसियों के साथ कर सकते थे। इस तरह बीसवीं शताब्दी के शुरू होते-होते अमेरिका के ज्यादातर किसान फसल काटने के लिए कम्बाइन्ड हार्वेस्टर्स का इस्तेमाल करने लगे थे। इन मशीनों की सहायता से 500 एकड़ के खेत की कटाई का काम सिर्फ दो सप्ताह में ही निपटाया जा सकता था। मशीनों से जमीन के बड़े टुकड़ों पर फसल काटने, ढूँठ निकालने, घास हटाने और जमीन को दाबारा खेती के लिए तैयार करने का काम बहुत आसान हो गया था। यह सारा काम मशीनें बहुत जल्दी कर डालती थीं। इसके लिए मानव श्रम की भी बहुत आवश्यकता नहीं पड़ती थी। विद्युत से चलने वाली ये मशीनें इतनी उपयोगी थीं कि उनकी सहायता से सिर्फ चार व्यक्ति मिलकर एक सीजन में 2,000 से 4,000 एकड़ भूमि पर फसल पैदा कर सकते थे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित में सही (√) व गलत (x) का चयन कीजिए।

(i) पहले की हुई बाड़ाबंदी ने गेहूँ के उत्पादन की . वृद्धि में सहायता की।
(ii) बाड़ों को कानूनी घोषित करने के लिए ब्रिटिश संसद न बाड़ाबंदी कानून बनाए।
(iii) कैप्टन स्विंग एक वास्तविक पात्र था जो थेशिंग मशीनों के प्रयोग का समर्थन करता था।
(iv) श्वेत आवासियों ने अमेरिका में स्थानीय अमेरिका को बेदखल कर दिया।
(v) अफीम ने अंग्रेजों के लिए भारी लाभ उपलब्ध कराया।
उत्तर-
(i) x,
(ii) √,
(iii) x,
(iv) √,
(v) √,

प्रश्न 2. निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों को उपयुक्त शब्दों से भरें

(i) बाड़ाबंदी से……………किसानों को लाभ पहुंचा। (गरीब, अमीर)
(ii) ……… मशीनों ने इंग्लैंड में बेरोजगारी लाने में एक विशेष भूमिका निभायी। (थ्रेशिंग, सिलाई)
(iii) “गेहूँ हमारे लिए युद्ध जीताने में सहायता करेगा।” (विल्सन, वाशगिटन)
(iv) इंग्लैंड ने ……..के साथ अफीम युद्ध लड़ा था। (भारत, चीन)
(v) भारतीय किसान अफीम बोने के लिए ……थे। (तैयार, तैयार नहीं)
उत्तर-
(i) अमीर,
(ii) थ्रेशिंग,
(iii) विल्सन,
(iv) चीन,
(v) तैयार नहीं।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 6 किसान और काश्तकार

प्रश्न 3. निम्नलिखित विकल्पों में सही विकल्प का चयन कीजिए।

(i) थ्रेशिंग मशीनों का विरोध करने वालों का निम्नलिखित नेता था
(a) कैप्टन
(b) मेजर स्विंग
(c) कर्नल स्विंग
(d) लैफ्टिनेंट स्विलंग
उत्तर-
(a) कैप्टन

(ii) श्वेत अमेरिकनों ने निम्न को उजाड़ा था
(a) रेड इण्डियनों को
(b) श्वेत इण्डियनों को
(c) नीले इण्डियनों को
(d) अश्वेत इण्डियनों को।
उत्तर-
(a) रेड इण्डियनों को

(iii) महान् कृषि मंदी अमेरिका में निम्न वर्ष घटी थी
(a) 1920
(b) 1930
(c) 1940
(d) 1950
उत्तर-
(b) 1930

(iv) अफीम युद्ध से निम्न को लाभ हुआ था
(a) चीनीवासियों को
(b) भारतीयों को
(c) अंग्रेजों को
(d) इनमें किसी को नहीं।
उत्तर-
(c) अंग्रेजों को

किसान और काश्तकार Class 9 HBSE Notes in Hindi

अध्याय का सार

किसान व काश्तकार समाज के वह वर्ग हैं जो कृषि से जुड़े होते हैं तथा जिनकी जीविका कृषि-कायो से सम्बन्धित होती है। यह भी शोषणा का शिकार होते रहेते _हैं, कभी बड़े-बड़े जमींदारों द्वारा, कभी प्रकृति द्वारा तथा कभी औपनिवेशिक शासकों द्वारा। पहली स्थिति इंग्लैंड से, दूसरी’ अमेरिका से तथा तीसरी भारत से सम्बन्धित है।

18वीं व 19वीं शताब्दियों से पूर्व, इंग्लैंड का बहुत बड़ा भाग, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र खुला क्षेत्र था। इसका विभाजन किन्हीं बाड़े-खेतों में नहीं हुआ था। तथा न ही यह क्षेत्र किन्ही जमीदारों के स्वामित्व में थे। किसान अपने गाँव के आस-पास की जमीर पर फसल उगाते थे वर्ष के शुरू मे एक सभा बुलाई जाती थी जिसमें गाँव के हर व्यक्ति को जमीन के टुकड़े विभाजित कर दिए जाते थे। यह टुकड़े समान रूप से उपजाऊ नहीं होते थे। और कई जगह पर बिखरे होते थे। खेती की इस ज़मीन के परे सामना _ज़मीन होती थी जिस पर सभी गांव वालों का एक समान अधिकार होता था। ऐसी ज़मीन पर ग्रामीण लोग अपने मवेशी तथा भेड़-बकरी चलाते थे, जलावन की लकड़ियां बीनते थे तथा खाने के लिए कंद-मूल-फल एकत्रित करते थे।

इंग्लैंड में खुले खेतों व मुक्त और साझाी ज़मीन की यह व्यवस्था 16वीं शताब्दी से ही बदलने लगी। थी। 16वीं शताब्दी में जब उनके दाम विश्व जाज़ार में बढ़ने लगे तो सम्पन्न किसानों ले लाभ कमाने के लिए उनके उत्पादन को बढ़ाने की कोशिश ही, व भेड़ों की नस्ल सुधारने के लिए बेहतर चरागाहों की आवश्यकता हुई। इसके चलते सामना ज़मीन को काट-छाँट कर घेरना शुरू कर दिया, ताकि एक की सम्पत्ति दूसरे से तथा साझाी ज़मीन से अलग हो जाए। साझी ज़मीन पर झोपड़ियों में रहने वाले ग्रामीणों को निकाल हर कर दिया तथा बाड़ा-बंद खेतों में उनका प्रवेश निषिद्ध कर दिया। यहाँ से बाड़ा बंद आरम्भ हो गई। 1750 से 1850 तक ज़मीन का 60 लाख क्षेत्र बाड़ाबंदी की लपेट में आ गया। संसद ने बाड़ाबंदी से जुड़े ताप भाग 4 हजार कानून पास कर दिए। बाड़ाबंदी से बाद अमीर किसानों को गेहूँ व खाद्यान्न की पैदावार में सहायता मिलीं। इस सारी प्रक्रिय में रीबों की स्थिति बिगड़ती चली गई, उन्हें पारम्परिक ज़मीन से अलग कर दिया गया तथा इंग्लैंड के दक्षिणी क्षेत्रों की ओर धकेल दिए गए, कुछ अन्य खेतिहर मजदूरों के रूप काम करने लगे। कृषि पर आधारित इंग्लैंड में थैशिंग मशीनों ने छोटे किसानों व मज़दूरों रोज़गार से अलग कर दिया। बेरोगाजरी के आलम में स्विंग के अनुयायियों ने देहातीत्रों में आतंक फैलता आरम्भ कर दिया।

अमेरिका में आधुनिक कृषि का विकास इतना तीव्रता से हुआ कि अमेरिका को संसार “रोटी की टोकरी” कहा जाने लगा। 20वीं शताब्दी के आते श्वेत अमेरिकन पश्चिम
ओर बढ़ने लगे तथा पश्चिम तटीय क्षेत्रों के विशाल मैदानों में गेंहूँ व खाद्यान्नों का उत्पादन रहने लग। जैसे-जैसे विश्व बाज़ार में गेंहूँ की माँग बढ़ने लगा गई, गेहूँ के दाम बढ़ने लग इससे उत्पादकों ने गेहूँ के उत्पादन के प्रयास बढ़ा दिये। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने यूरोप को खाद्यान्न उपलब्ध कराए। विल्सन कहा करते थे ‘गेहूँ का उत्पादन करो तथा युद्ध जीतो।’ 1910 में अमेरिका में 450 लाख हेक्टेयर क्षेत्र गेहूँ के उत्पादन के साथ जुड़ा हुआ था। 9वर्ष बाद यह क्षेत्र 740 लाख हेक्टेयर हो गया। बड़े-बड़े गेहूँ सामन्तों ने व्यक्तिगत रूप में 2 हजार से तीन हजार हेक्टेयर भूमि पर नियन्त्रण किया हुआ था।

गेहूँ के उत्पादन में वृद्धि नयी प्रौद्योगिकी के साथ जुड़ी हुई थी। कृषि के आधुनिकीकारण ने चकित करने वाला काम किया। नया चलने वाला हल इसी प्रकार का एक उदाहरण है। गरीब किसानों के लिए यह सभी यंत्र दुःख एवं कष्ट लेकर आए थे। फलस्वरूप कुछ ने तो अपने पुराने काम को छोड़ दिया। गेहूँ के उत्पादन की वृद्धि को एक दिन कम होना था। 1920 के दशके आते-आते गेहूँ का उत्पादन इतना बढ़ गया कि बहुत कुछ अतिरिक्त जा लगने लगा। न बिकने वाला स्टोर में पड़ा स्टॉक बढ़ने लगा तथा बहुत-सा अनाज मवेशियों के खाने में बदल गया। जैसे यह सब कुछ काफी नहीं था। प्रकृति से गेहूँ के विशाल मैदानों में धूल-मिट्टी व तूफान आने लगे जिनकी ऊँचाई. 7,000से 8,000 फीट होती थी। 1930 के दशक में तो तूफानों की गति तीव्र होती थी। सारा आकाश काले अंधरे में बदल जाता था। लोंगों की तकलीफें बढ़ने लगी, जानवर निढाल होने गले तथा मृत्यु की कगार पर आ गए। . भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत कुछ नया से घर रहा था। 18वीं व 19वीं शताब्दी के दौरान भारत से विश्व बाज़ार के लिए अनेक वस्तुएं बनाई जाती थी। तब अफीम व नील दो व्यवसायिक फसलें प्रसिद्ध थीं। 19वीं शताब्दी के अन्तिम दिनों में भारत के किसान गन्ना, पटसन, सूत, गेहूँ आदि का निर्यात कर रहे थे।

18वीं शताब्दी तक अंग्रेज़ ईस्ट इण्डिया कम्पनी चीन से चाय खरीद रही थी। परन्तु इंग्लैंड चीन को कुछ नहीं बेच रहा था। इस प्रक्रिया में इंग्लैंड चीन को सोने व चांदी के रूप में धन ले रहा था जो स्थिति को मंजूर नहीं था। नतीज यह हुआ कि अंग्रेज कम्पनी ने भारत के किसानों को अफीम की खेती करने पर मज़दूर किया तथा भारतीय किसानों को खासा लोभ-लालच भी दिया। अंग्रेज चीन को अफीम बेचने लगे तथा चीनियों को अफीम पीने की आदत में लत कर दिया। जहाँ एक ओर अंग्रेज चीनियों को अफीम प्रयोग की आदत डाल रहा था; वहाँ दूसरी ओर वह भारतीय किसानों को अफीम के उत्पादन पर जोर डाल रहा था। यह एक ओर चीनियों से अफीम के व्यापार में लाभ कमाने का अवसर था तथा दूसरी ओर भारतीय किसानों का शोषण।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *