Haryana Board 9th Class Social Science Solutions Economics Chapter 1 पालमपुर गाँव की कहानी
HBSE 9th Class Economics पालमपुर गाँव की कहानी Textbook Questions and Answers
पाठ्य-पुस्तक प्रश्न-पृष्ठ 3
(i) निम्न सारणी 10 लाख हेक्टेयर की इकाइयों में भारत में कृषि क्षेत्र को दिखाया गया है। सारणी के नीचे दिए गए आरेख में इसे चित्रित करें। आरेख क्या दिखाता है? कक्षा में चर्चा करें।
(ii) क्या सिंचाई के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र को बढ़ाना . आवश्यक है? क्यों?
(iii) आप पालमपुर में पैदा की जाने वाली फसलों के बारे में पढ़ चुके हैं। अपने क्षेत्र में पैदा की जाने वाली फसलों की सूचना के आधार पर निम्न सारणी को भरिए
सारणी: पिछले वर्षों में जुलाई क्षेत्र
उत्तर-
(ii) ज्यों भूमि स्थिर होती है, इसलिए उपलब्ध भूमि से उत्पादन बढ़ाना ज़रूरी हो जाता है। उपज बढ़ाने के लिए जो उपाय अपनाए जा सकते हैं, उनमें सिंचाई को विकसित करना, खाद्य का प्रयोग तथा, बीजों का प्रयोग ज़रूरी है।
(iii) विद्यार्थी स्वयं करें।
पाठ्य-पुस्तक प्रश्न-पृष्ठ 5
पालमपुर गांव की कहानी पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
बहुविधि फसल प्रणाली और खेती की आधुनिक विधियों में क्या अंतर है?
उत्तर-
बहुविधि फसल प्रणाली एवं खेती की आधुनिक विधियों में अंतर निम्नलिखित बताया जा सकता है
बहुविधि फसल प्रणाली
- इस प्रणाली में भूमि पर एक वर्ष में एक से अधिक फसल पैदा की जाती है।
- एक से अधिक फसले, भले ही उपज कम हो।
- उपलब्ध बीज तथ गोबर-खाद्य प्रयोग।
आधुनिक विधियाँ
- फसल की संख्या एक भी हो सकती है।
- उपज की अधिकता।
- सिंचाई, नलकूपों द्वारा, अधिक उपज वाले बीज रसायन उर्वरकों तथा कीटनाशकों का प्रयोग। ।
पालमपुर गाँव की कहानी HBSE 9th Class प्रश्न 2.
सारणी में भारत में हरित क्रांति के बाद गेहूँ और दालों के उत्पादन को करोड़ टन इकाइयों में दिखाया गया है। इसे एक आरेख बनाकर दिखाइए। क्या हरित क्रांति दोनों ही फसलों के लिए समान रूप से सफल सिद्ध हुई?
उत्तर-
हरित क्रांति दोनों प्रकार की फसलों में एक समान सफल नहीं हुई है। गत वर्षों में गेहूँ के उत्पादन में वृद्धि हुई है परंतु दालों के उत्पादन में एक दृष्टि से स्थिरता दिखायी देती है। 1965 से 2001 तक दाल के उपज में
वृद्धि 10 से 11 हुई है जबकि इसी काल में गेहूँ के . उत्पादन में 10 से 70 की वृद्धि हुई है।
पालमपुर गाँव की कहानी के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 3.
आधुनिक कृषि विधियों को अपनाने के लिए किसान के लिए आवश्यक कार्यशील पूँजी क्या
उत्तर-
आधुनिक कृषि विधियों को अपनाने के लिए किसान के लिए आवश्यक कार्यशील पूँजी इस प्रकार की होती है-अधिक उपज वाले बीज, रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक, नलकूप की सुविधाएँ।
प्रश्न 4.
पहले की तुलना में कृषि की आधुनिक विधियों के लिए किसान को अधिक नकदी की ज़रूरत पड़ती है? क्यों? .
उत्तर-
पहले की अपेक्षा कृषि की आधुनिक विधियों के लिए किसानों को अधिक नकदी की आवश्यकता पड़ती है। इस संदर्भ में मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
1. रासायनिक उर्वरक, तथ कीटनाशकों का उत्पादन कारखानों में होता है। इनकी खरीद के लिए नकदी की आवश्यकता ओती है।
2. नलकूप आदि के प्रयोजन के लिए धन-पैसे की ज़रूरत पड़ती है।
3. बिजली आदि सुविधाओं की उपलब्धि भी बिना पैसे की नहीं की जा सकती।
पहले इन सभी कारकों का प्रयोग नहीं होता था। किसाना सिंचाई के लिए वर्षा पर तथा खाद्य अदि के लिए
प्राकृतिक खाद्य अर्थात् गोबर आदि पर निर्भर हुआ करते थे जो उन्हें अपने प्रयासों के फलस्वरूप प्राप्त हो पाते थे।
सुझाई गई क्रियाएँ
खेत पर जाने के पश्चात् अपने क्षेत्र के कुछ किसानों से बातें कर यह मालूम कीजिए
1. आधुनिक या परंपरागत या मिश्रित-खेती की इन विधियों में से किसान किसका प्रयोग करते हैं? एक टिप्पणी लिखिए।
2. सिंचाई के क्या स्त्रोत हैं?
3. कृषि भूमि के कितने भाग में सिंचाई होती है? (बहुत कम/लगभग/अधिकांश/समस्त)।
4. किसान अपने लिए आवश्यक आगत कहाँ से प्राप्त करते हैं?
उत्तर-
विद्यार्थी स्वयं करें।
सुझाई गई क्रिया
अखबारों/पत्रिकाओं से पाठ में दी गई रिपोर्ट पढ़ने के बाद, कृषि मंत्री को यह बताते हुए अपने शब्दों में एक पत्र लिखिए कि कैसे रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग हानिकारक हो सकता है।
….रसायनिक उर्वरक ऐसे खनिज देते हैं, जो पानी में घुल जाते हैं और पौधों की तुरंत उपलब्ध हो जाते हैं। लेकिन, मिट्टी इन्हें लंबे समय तक धारण नहीं कर सकती। वे मिट्टी से निकलकर भौम जल, नदियों और तालाबों को प्रदूषित करते हैं। रासायनिक उर्वरक मिट्टी में उपस्थित जीवाणुओं और सूक्ष्म-अवयवों को नष्ट कर सकते हैं। इसका अर्थ है कि उनके प्रयोग के कुछ समय पश्चात्, मिट्टी वाले की तुलना में कम उपजाऊ रह जाएगी….
(स्रोत : डाउन टू अर्थ, नयी दिल्ली)
देश में रासायनिक खाद्य का सबसे अधिक प्रयोग पंजाब में है। रासायनिक खाद्य के निरंतर प्रयोग ने मिट्टी की गुणवत्ता को कम कर दिया है। पंजाब के किसानों को पहले का उत्पादन स्तर पाने के लिए अब अधिक से अधि क रासायनिक उर्वरकों और अन्य आगतों का प्रयोग करना पड़ता हैं। इसका मतलब है कि वहाँ खेती की लागत बहुत तेज़ी से बढ़ रही है।
(स्रोत : ट ट्रिब्यून, चंडीगढ़)
माननीय कृषि मंत्री
कृषि विभग
नई दिल्ली।
विषय : रासायनिक उर्वरकों के कुप्रभाव
श्रीमान जी,
इस पत्र द्वारा हम आपका ध्यान रासायनिक उर्वरकों के स्वास्थ्य तथा भूमि की गुणवता में कमी पर आकर्षित करना चाहते हैं। किसानों को अपनी प्राप्त भूमि की उपज बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करके फसल में वृद्धि अवश्य हो जाती है। परंतु उससे भूमि, जल तथा लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़त है। इन उर्वरकों के कारण जलका प्रदूषण बढ़ जाता है; भूमि में उपज शक्ति कम हो जाती है। इसके फलस्वरूप समाज के सदस्यों के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव तो पड़ता ही है, साथ ही भूमि की उपज पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
आपसे अनुरोध है कि कृषि में इन रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग पर रुकावट लगायी जाए तथा किसानों को उपज बढ़ाने के लिए नए-नए तरीके सुझाए जाएँ।
आशा है कि आपका मंत्रालय शीघ्र ही अनुकूल कदम उठाएगा।
धन्यवाद के साथ,
आपका शुभचिंतक
अ. ब. स.
पाठ्य पुस्तक प्रश्न-पृष्ठ 7
(i) किसानों के इतने अधिक परिवार भूमि के इतने छोटे प्लॉटों क्यों खेतीकरते हैं?
उत्तर-
जनसंख्या में वृद्धि के कारण, भूमि का बराबर वितरण होता रहा है तथा जोतें छोटी होती रही हैं।
(ii) आरेख में भारत में किसानों और उनके द्वारा खेती में प्रयुक्त भूमिका वितरण दिया गया है। इसकी कक्षा में चर्चा करें।
उत्तर-
विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न (iii) चित्र में क्या तुम छोटे किसानों द्वार खेती में प्रयुक्त भूमि को छायांकित कर सकते हो?
उत्तर-
(iv) क्या आप इस बात से सहमत हैं कि पालमपुर में भी ऐसी ही स्थिति है?
उत्तर-
पालमपुर में भूमि की स्थिति कुछ ऐसी है कि इस ग्राम में भूमि का वितरण बराबर नहीं हुआ है। वास्तव में, पूरे भारत में असमान वितरण की स्थिति है। किसानों ” का अधिकांश भाग छोटे-छोटे प्लाटों पर कृषि करते हैं
जबकि किसानों का एक छोटा सा भाग बड़े-बड़े प्लॉटों पर कृषि करता हैं।
पाठ्य पुस्तक प्रश्न-पृष्ठ 9
(i) डाला तथ रामकली जैसे खेतिहर श्रमिक गरीब क्यों हैं? . .
उत्तर-
डाला तथा रामकली जैसे लोग भूमिहीन मज़बूर हैं। यह दूसरे लोगों के खेतों पर मजदूरी करते हैं। कई बार तो ऐसे लोग मज़दूरी के लिए पास-पड़ोस के ग्रामों में भी जाते हैं। परंतु इन्हें सरकार द्वारा निर्धारित मज़दूरी से भी कम मज़दूरी मिलती हैं। यही कारण है कि वे गरीब हैं।
(ii) गोसाईपुर और मझौली उत्तर बिहार के दो गाँव हैं। दोनो गाँवों के कुल 850 परिवारों में 250 से अधिक पुरुष ऐसे हैं, जो पंजाब और हरियाणा के ग्रामीण इलाकों या दिल्ली, मुंबई, सूरत, हैदराबाद या नागपुर में काम कर रहे हैं। इस प्रकार का प्रवास अधि संख्य भारतीय गाँवों में होता है। लोग प्रवास क्यों करते हैं? क्या आप इस बात की व्याख्या (अपनी कल्पना के आधार पर) कर सकते हैं कि गोसाईंपुर और मंझोली के प्रवासी अपने गंतव्यों पर किस तरह का काम करते होंगे?
उत्तर-
गोसाई और मझौली के प्रवासी अपने गंतव्यों पर नौकरी की तलाश में जाते हैं। ऐसे प्रवासी अपना गाँव छोड़ शहरों में आ जाते हैं। ऐसे अनेक उदाहरण मिलते हैं जबकि गरीब राज्यों से लोग मजदूरी की तलाश में अन्य राज्यों में काम के लिए (जैसे-पंजाब, हरियाणा व महाराष्ट्र आदि में) अपने घर छोड़ देते हैं। यह खेतों पर काम करते हैं, घर बनाने के लिए ईंट-रोड़े ढोने के काम करते हैं; दुकानों पर सहायकों के रूप में काम करते हैं।
अब तक की कहानी
हमने उत्पादन के तीन कारकों-भूमि, श्रम और पूँजी तथा खेती में उनके प्रयोग के बारे में पढ़ा अइए अब दिए गए रिक्त स्थानों को भरें-
उत्पादन के तीन कारकों में श्रम उत्पादन का सर्वाधिक प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कारक है। ऐसे अनेक लोग हैं, जो गाँवों में खेतिहर मज़दूरों के रूप में काम करने को तैयार हैं, जबकि काम के अवसर सीमित हैं। वे या तो भूमिहीन परिवारों से हैं या……। उन्हें बहुत कम मजूदरी मिलती है और वे एक कठिन जीवन जीते है।
श्रम के विपरीत ……., उत्पादन का एक दुर्लभ कारक है। कृषि भूमि का क्षेत्र …. है। इसके अतिरिक्त उपलब्ध भूमि भी …..(समान/असमान) रूपसे खेती में लगे लोगों में वितरीत है। ऐसे कई छोटे किसान हैं जो भूमि के छोटे टुकड़ों पर खेती करते हैं और जिनकी स्थिति भूमिहीन खेतिहर मज़दरों से बेहतर नहीं है। उपलब्ध भूमि का अधिकतम प्रयोग करने के लिए किसान… और ….. का उपयोग करते हैं। इन दोनों से फसलों के उत्पादन में वृद्धि हुई है।
खेती की आधुनिक विधियों में……की अत्यधिक आवश्यकता होती है। छोटे किसानों को सामान्यतः पूँजी की व्यवस्थ करने के लिए पैसा उधार लेना पड़ता है और कर्ज चुकाने के लिए उन्हें बहुत कष्ट सहने पड़ते हैं इसलिए, विशेष रूप से छोटे किसानों के लिए पूँजी भी उत्पादन का एक दुर्लभ कारक है।
यद्यपि भूमि और पूँजी दोनों दुर्लभ हैं, उत्पादन के इन दोनों कारकों में एक मूल अंतर है।…….प्राकृतिक संसाधन है, जबकि भूमि स्थिर है। इसलिए, यह बहुत आवश्यक है कि हम भूमि और खेती में प्रयुक्त अन्य प्राकृतिक संसाधनों की अच्छी तरह देखभाल करें।
उत्तर-
1. निर्धन,
2. पूँजी,
3. स्थिर,
4. असमान,
5. एच. वाई. वी. बीज,
6. उर्वरकों,
7. पूँजी,
8. भूमि,
9. पूँजी।
पाठ्य पुस्तक प्रश्न-पृष्ठ 11
वैकल्पिक अभ्यास
हम तीनों किसानों के उदाहरण लेते हैं। प्रत्येक ने अपने खेतों में गेहूँ बोया है, यद्यपि उत्पादन भिन्न-भिन्न है (देखिए स्तंभ 2 ‘दूसरा किसान’)। प्रत्येक किसान के परिवार द्वारा गेहूँ का उपयोग समान है (देखिए स्तंभ 3, ‘तीसरा किसान’)। इस वर्ष के समस्त अधिशेष गेहूँ का उपयोग अगले वर्ष के उत्पादन के लिए पूँजी. के रूप में किय जाता है। यह भी मान लीजिए कि उत्पादन, इसमें प्रयुक्त होने वाली पूँजी का दोगुना होता है।
सारणियों को पूरा करें-
आइए चर्चा करें
(i) तीनों किसानों के गेहूँ के तीनों वर्षों के उत्पादन की तुलना कीजिए।
(ii) तीसरे वर्ष, तीसरे किसान के साथ क्या हुआ? क्या वह उत्पादन जारी रख सकता है? उत्पादन जारी रखने के लिए उसे क्या करना होगा?
उत्तर-
(i) तीनों किसानों के गेहूँ का उत्पादन तीनों वर्षों में भिन्न-भिन्न है। पहले किसानका गेहूँ का उत्पादन प्रतिवर्ष बढ़ा है। दूसरी आरे, दूसरे व तीसरे किसान का गेहूँ का उत्पादन स्थिर रहा है, यद्यपि तीसरे किसान का गेहूँ का उत्पादन दूसरे किसान के उत्पादन की अपेक्षा कम हुआ है। दूसरे व तीसरे किसानों का गेहूँ का उत्पादन दूसरे व तीसर वर्ष हुआ ही नहीं है।
(ii) तीसरे किसान का गेहूँ का उत्पादन हुआ ही नहीं है। ऐसी स्थिति दूसरे किसान की भी है। इन किसानों को कृषि के लिए पूँजी लगानी आवश्यक है, कृषि आधुनिक उपकरणों का प्रयोग ज़रूरी है, तथा उपज बढ़ाने के वाले बीजों के प्रयोग की आवश्यकता है।
पाठ्य पुस्त प्रश्न-पृष्ठ 12
(i) मिश्रीलाल को गुड़ बनाने की उत्पादन इकाई लगाने में कितनी पूँजी की ज़रूरत पड़ी?
(ii) इस कार्य में श्रम कौन उपलब्ध कराता है?
(ii) क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि मिश्रीलाल क्यों अपना लाभ नहीं बढ़ा पा रहा है?
(iv) क्या आप ऐसे करणों के बारे में सोच सकते हैं जिनसे उसे हानि भी हो सकती है। .
(v) क्या मिश्रीलाल अपना गुड़ गाँव में न बेचकर शाहपुर के व्यापारियों को क्यों बेचता है?
(vi) करीम की पूँजी और श्रम किस रूप से मिश्रीलाल की पूँजी और श्रम से भिन्न है?
(vii) इससे पहले किसी और ने कंप्यूटर केंद्र क्यों नहीं शुरू किया? संभवित कारणों की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
(i) उसे गन्ने को पेरने वाली मशीन हेतु पूँजी की ज़रूरत है।
(ii) मिश्रीलाल ने स्वयं तथा उसके परिवार-सदस्यों ने श्रम प्रदन किया।
(iii) मिश्रीलाल इसलिए अपना लाभ नहीं बढ़ा पा रहा था क्योंकि वह छोटे स्तर पर गुड़ बनाता था। साथ ही उसे बाज़ार में गुड़ बिचौलियों के माध्यम से बेचना पड़ता था।
(iv) उसे उस स्थिति में हानि हो सकती थी जबकि दूसरे किसान उसे गन्ना न बेचें अथवा जब गन्ने की फसल फेल हो जाए।
(v) मिश्रीलाल अपना गन्ना निकट गुड़ की मंडी में (शाहपुर में) अपना गुड़ बेचता था।
(vi) करीम की पूँजी और श्रम मिश्रीलाल की पूँजी व श्रम से भिन्न है। मिश्रीलाल की पूँजी उत्पादन करने से संबंधित थी तथा उसका श्रम गन्ने के उत्पादन से जुड़ा था। दूसरी ओर करीम की पूँजी तृतीय प्रकार के व्यवसायों पर लगी है। उसका श्रम भी गाँव के विद्यार्थियों को कंप्यूटर सिखाने से जुड़ा है।
(vii) करीम से पहले गाँव में कंप्यूटर शिक्षा कार्य आरंभ नहीं किया गया। इससे संबंधित कराण निम्नलिखित बताए जा सकते हैं-
(क) लोगों को कंप्यूटर की जानकारी नहीं थी।
(ख) लोग शिक्षित नहीं थे।
(ग) कंप्यूटर सिखाने के लिए अध्यापक पहले गाँव में नहीं थे तथा बाहर से कोई कंप्यूटर सिखाने के लिए गाँव में नहीं आता था।
पाठ्य पुस्तर प्रश्न-पृष्ठ 13
(i) किशोर की स्थायी पूँजी क्या हैं?
(ii) क्या आप सोच सकते हैं कि उसकी कार्यशील पूँजी कितनी होगी?
(iii) किशोर कितनी उत्पादन क्रियाओं में लगा हुआ है?
(iv) क्या आप कह सकते हैं कि किशोर को . पालमपुर की अच्छी सड़कों से लाभ हुआ है?
उत्तर-
(i) किशोर की स्थायी पूँजी उसकी अपनी मेहनत मजदूरी है।
(ii) बैंक से कर्ज पर ली गयी पूँजी, किशोर की कार्यशील पूँजी हैं।
(iii) भैंस का दूध बेचना, भैंसे की गाड़ी बनाकर सामान ढोना, गंगा किनारे से मिट्टी लाकर कुम्हार को देना, गुड़ व अन्य वस्तुओं को शाहपुर मंडी में लाना आदि उसके उत्पादन व अन्य कार्य हैं।
(iv) अच्छी सड़कों के प्रयोजन द्वारा किशोर को समान ढोकर पैसे कमाने हेतु काफ़ी लाभ हुआ है।
पाठ्य पुस्तक प्रश्न-पृष्ठ 14
प्रश्न 1.
भारत में जनगणना के दौरान दस वर्ष में एक बार प्रत्येक गाँव का सर्वेक्षण किया जाता है।
पालमपुर में संबंधित सूचनाओं के आधार पर निम्नतालिका को भरिए
(क) अवस्थिति क्षेत्र
(ख) गाँव का कुल क्षेत्र
(ग) भूमि का उपयेग (हैक्टेयर में)।
(घ) सुविधाएँ
उत्तर-
(क) उत्तर प्रदेश का पश्चिमी भाग।
(ख) 226 हेक्टेयर।
(ग) सिंचाई वाला : 200 हेक्टेयर, बिना-सिंचाई :कोई नहीं।
(ii) पाभिक स्वास्थ्य केंद्र जो सरकार द्वारा चलाया जाता है; एक गैर-सरकारी डिसपैंसरी।
(iii) रायगंज में एक निकट मार्केट।
(iv) अधिकांश घरों में बिजली की व्यवस्था है।
(v) दूरभाष का प्रयोजन है।
(vi) निकट का एक शहर-शाहपुर।
प्रश्न. 2.
खेती की आधुनिक विधियों के लिए ऐसे अधिक आगतों की आवश्यकता होती है, जिन्हें उद्योगों में विनिर्मित किया जाता है, क्य आप सहमत हैं? .
उत्तर-
यह सही है कि कृषि की आधुनिक विधियों के लिए अधिक आगतों की ज़रूरत पड़ती है। उपज बढ़ाने के लिए उपलब्ध नहीं है (निवास स्थानों, सड़को, तालाबों, चरागाहों आदि के क्षेत्र) 26 हेक्टेयर के लिए एच. वाई. वी. बीज कारखानों में तैयार होते हैं। रासायनिक उर्वरक भी कारखानों में उत्पादित किए जाते हैं। सिंचाई के लिए नलकूप का प्रयोजन भे उद्योग द्वारा होता है।
प्रश्न 3.
पालमपुर में बिजली के प्रसार ने किसानों . की किस तरह मदद की?
उत्तर-
पालमपुर में बिजली की व्यवस्थ शीघ्र कर दी गयी थी। इससे किसानों को निम्नलिखित कार्यों में सहायता मिली.
(i) सिंचाई की व्यवस्था में।
(ii) नलकूप का प्रयोजन व प्रचलन किया जाने लगा।
(iii) गाँव के समस्त कृषि-योग्य भूमि के लिए सिंचाई का प्रयोजन होने लगा।
प्रश्न 4.
क्या सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है? क्यों?
उत्तर-
कृषि के लिए उपलब्ध भूमि तो स्थिर है। अधि क उपज के लिए अन्य तरीकों का प्रयोग अनिवार्य हो जाता है। सिंचाई ऐसा ही एक प्रयोग है। भूमि से अधिक उपज के लिए विकसित सिंचाई ज़रूरी है।
प्रश्न 5.
पालमपुर के 450 परिवारों में भूमि के वितरण की एक सरणी बनाइए।
उत्तर
im
प्रश्न 6.
पालमपुर में खेतिहर श्रमिकों की मजदूरी न्यूनतम मजदूरी से कम क्यों है?
उत्तर-
सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी साठ रुपये प्रतिदिन निश्चित की गयी है। पालमपुर एक मजदूर को दिनभर के लिए 35-40 रुपये मिलते हैं। इसका मुख्य करण यह है कि मज़दूरी प्राप्त करने के लिए खेतिहर मजदूरों में परस्पर प्रतियोगिता रहती है।
प्रश्न 7.
अपने क्षेत्र में दे श्रमिकों से बात कीजिए। खेतों में काम करने वले या विनिर्माण कार्य में लगे मज़दरों में से किसी को चुनें। उन्हें कितनी मजदूरी मिलती है? क्या उन्हें नकद पैसा मिलता है या वस्तु-रूप में? क्या उन्हें नियमित रूप से काम मिलता है? क्या वे कर्ज़ में हैं?
उत्तर-
विद्यार्थी अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।
प्रश्न 8.
एक ही भूमि पर उत्पादन बढ़ाने के लिए अलग-अलग कौन-से तरीके हैं? समझाने वे लिए उदाहरणों का प्रयोग कीजिए।
उत्तर-
खेती करने के प्रायः दो तरीके हैं
एक-इसे बहुविध फसल बनायी जाती है। पालमपुर में, वर्षा ऋतु में, किसान खरीफ का फलवा (जैसे ज्वर
बाज़रा आदि) की उपज करते हैं तथा सर्दी ऋतु (रबी) में गेहूँ की पैदावार करते हैं।
दूसरा-एक अन्य प्रकार की फसल प्रणाली में खेती के लिए नयी विधियाँ अपनायी जाती हैं। इनमें अधिक उपज वाले उपज कले बीजों का प्रयोग, रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों का प्रयोग सम्मिलित हैं। 1960 के दशक में पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसी विधियों का प्रयोग करके अधिक फसल का उत्पादन संभव हो पाया
था।
प्रश्न 9.
एक हैक्टेयर भूमि के मालिक किसान के काम का ब्यौरा दीजिए।
उत्तर-
क्योंकि एक हैक्टेयर भूमि के मालिक किसान के पास भूमि का एक छोटा-सा टुकड़ा होता है, उसके लिए उसे अपने खेत से बहुत प्राप्त होने की संभावना नहीं होती। अपनी गुजर-बसर के लिए ऐसा किसान मेहनत-मजदूरी करता है तथ उससे अपना पेट पालता है।
प्रश्न 10.
मझौले और बड़े किसान कृषि से कैसे पूँजी प्राप्त करते हैं? वे छोटे किसानों से कैसे भिन्न हैं?
उत्तर-
मझौले और बड़े किसान कृषि से सारा लाभ उठाते हैं। उनके पास कृषि योग्य भूमि इतनी अधिक होती है कि वे अच्छी फसल पैदा करने में सफल होते हैं। फलस्वरूप वह अपने खर्च निकाल करके भी बचत-पूँजी जमाकर लेते है तथा पूँजी भी अधिक होती है। वह आध निक तरीकों के माध्यम से काफी लाभ उठा पाते है जो छोटे किसानों के लिए संभव नहीं होता।
प्रश्न 11.
सविता को किन शर्तों पर तेजपाल सिंह से ऋण मिला है? क्या ब्याज की कम दर पर बैंक से कर्ज़ मिलने पर सविता की स्थिति अलग होती? .
उत्तर-
सविता एक छोटे प्रकर की सिान है। उसके पास कृषि के लिए भूमि भी बहुत थोड़ी हैं। उसके पास कार्यशील पूँजी की कमी है। अपना काम चलाने के लिए उसे एक बड़े किसान तेजपाल से ऋण लेना पड़ा। इस संदर्भ में उसे निम्नलिखित शर्ते माननी पड़ी__ (1) ऋण पर ब्याज की दर 24 प्रतिशत थी।
(2) उसे यह ऋण चार महीने के लिए लेना पड़ा था।
(3) फसल कटाई के दिनों उसने तेजपाल के खेत पर 32 रुपये प्रतिदिन मजदूरी करने के लिए भी सहमत होना पड़ता था।
यदि सविता तेजपाल से कर्ज लेने की बजाए बैंक से कर्ज लेती तो उसे न तो इतना अधिक ब्याज देना पड़ता और न ही मज़दूरी करनी पड़ती।
प्रश्न 12.
अपने क्षेत्र के कुद पुराने निवासियों से बात कीजिए और पिछले 30 वर्षों में सिंचाई और उत्पादन के तरीकों में हुए परिवर्तनों पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट लिखिए। (वैकल्पिक)।
उत्तर-
गत 30 वर्षों में सिंचाई व उत्पादन के तरीकों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आए हैं। आज किसान सिंचाई के लिए वर्षा पर निर्भर नहीं हैं। आज उसे बिजली की सहायता से सिंचाई हेतु नलकूल लगाने की सुविधा है। इसके अतिरिक्त वह प्राकृतिक खाद्य अर्थात् गाय-गोबर आदि द्वारा कार्य नहीं करता, वह रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कर अधिक उपज कर पाता है; अपनी पादपों के कीटनाशकों से सुरक्षित भी रखता है। अधिक उपज बढ़ाने के लिए आज किसान हाई. वाई. पी. बीजों का प्रयोग भी करता है।
प्रश्न 13.
आपके क्षेत्र में कौन से गैर-कृषि उत्पादन कार्य हो रहे है? इसकी एक संक्षिप्त सूची बनाइए।
उत्तर-
हमारे क्षेत्र में होने वाले गैर-कृषि उत्पादन वर्षों में निम्नलिखित कार्य हो रहे हैं-
- छोटी-मोटी दुकानदारी;
- लघु स्तर पर उत्पादन;
- यातायात, रिक्शा, ऑटो-रिक्शा आदि;
- मनोरंजन कार्य।
प्रश्न 14.
गाँवों में और अधिक गैर-कृषि कार्य प्रारंभ करने के लिए क्या किया जा सकता है?
उत्तर-
गाँवों में गैर-कृषि कार्य छोटे-छोटे किसानों के लिए गुजर-बसर हेतु आवश्यक बन गए हैं। ऐसे कार्यों के लिए ऐसे किसानों को ऋण आदि की सुविधाएँ मिलनी चाहिए ताकि वह गैर-कृषि कार्य करके कुछ पूँजी कमा सके। कम ब्याज पर प्राप्त ऋण लेकर ऐसे किसान अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं।
पालमपुर गाँव की कहानी Class 9 HBSE Notes in Hindi
अध्याय का साराश
ग्रामों में प्रायः दो प्रकार के उत्पादकीय कार्य किये जाते हैं-(i) कृषि से संबंधित अर्थात् कृषि-कार्य तथा, गैर-कृषि कार्य। कृषि कार्य में खेती, उपज आदि कार्य सम्मिलित होते हैं जबकि गैर-कृषि कार्यों में जुलाहे, दूध बेचने आदि जैसे कार्य बताए जा सकते हैं। दोनों प्रकार के कार्यों में चार कारकों की आवश्यकता पड़ती है।-भूमि, श्रम, भौतिक पूँजी, मानव-पूँजी। इन्हें उत्पादन के कारक कहा जात है। इन कारकों से वस्तुओं व सेवओं की व्यवस्था की जाती है।
कृषि ग्रामों का एक मुख्य कार्य है। प्रायः किसान जो ग्रामों में रहते हैं, अधिकतम कृषि-कार्य करते हैं। बड़े-बड़े किसानों के पास तो बिजली, पानी, खाद्य आदि की सुविधाएँ होती हैं। वह उनकी सहायता से कृषि कार्य सरलता व सुगमत से कर पाते हैं। मझौले किसान भी ऐसी सुविधाओं के फलस्वरूप कृषि-कार्य कर लेते हैं, परंतु छोटे किसान जिनकी संख्या कुल किसानों का लगभग 80 प्रतिशत है, उनके लिए कृषि-कर्य में काफी बाधाएँ आती हैं। उनके पास भूमि के छोटे-छोटे टुकड़े होते हैं; उनके पास सिंचाई-सुविधाएँ भी कम होती हैं और बिजली की सुविधाएँ भी न के बराबर होती हैं।
कृषि कार्यों की अपेक्षा गैर-कृषि कार्य कम होते हैं तथा उनमें लगे लोगों की संख्या भी अपेक्षाकृत कम होती है। प्रायः ऐसे लोग निर्धन का जीवन गुजारते हैं। अतः ग्रामों में गैर-कृषि कार्यों की संख्या में वृद्धि की संभावनाएँ बढ़ायी जा रही हैं।
कृषि कार्यों में छोटे किसानों के समक्ष अनेक बाधाएँ हैं। कई बार उन्हें अपने प्रतिफल के बदलें फल नहीं मिलता; अनेकों को ऋण आदि लेकर अपनी गुजर-बसर – करनी पड़ती है। प्रायः ग्रामों में किसानों की स्थिति सुधारने ‘की योजनाओं को कार्यरूप दिया जाने लगा है।
जानने योग्य तथ्य
1. उत्पादन : प्रारंभिक वस्तुओं में मनुष्य के परिश्रम से जो दूसरी वस्तुएँ बनायी जाती हैं, उन्हें उत्पादन कहा जाता है। जैसे-गन्ने से गुड़ बनाना।
2. उत्पादन के कारक : भूमि, श्रम, भौतिक पूँजी, मानव पूँजी।
3. स्थायी पूँजी : औज़ार, मशीनें आदि को स्थायी पूँजी कहा जाता है।
4. कार्यशील पूँजी : कच्चा माल, नकदी, धन आदि को कार्यशील पूँजी कहा जाता है।
5. हेक्टेयर : भूमि मापने की मानक इकाई।
7. रवी : सर्दी में बोई जाने वाली फसल जैसे-गेहूँ।
8. बहुविध फसल प्रणाली : एक वर्ष में जब किसी भूमि पर एक से अधिक फसल पैदा होती है, उसे बहुविधफसल कहते हैं। पालमपुर गाँव में इस प्रणाली को अपनाया जाता है।
9. उपज : भूमि के किसी टुकड़े में एक ही मौसम में पैदा की गयी फसल को उपज कहा जाता है।
10. हरित क्रांति : खाद्यान्नों को बड़ी मात्रा में उपज किया जाना; 1960 के दशक में पंजाब, हरियाणा व भारत के कुछ अन्य राज्यों में हरित क्रांति आयी थी।