HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

Haryana State Board HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

HBSE 9th Class History यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Textbook Questions and Answers

कक्षा 9 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति प्रश्न उत्तर HBSE प्रश्न 1.
1905 से पहले रूस के सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक आलात कैसे थे?
उत्तर-
1905 से पहले रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात का वर्णन निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है
सामाजिक हालात-19वीं शताब्दी के दौरान रूस का समाज विषमताओं से परिपूर्ण था। समाज में एक ओर कलूक व कुलीन जैसे जमीदार थे तो दूसरी ओर गरीब व खेतिहर मजदूर। गरीब किसानों को भूमिपतियों द्वारा अनेक प्रकार की यातानाएँ दी जाती थीं, उन्हें पशुओं की भाँति बेचा-खरीदा जाता था। अतः स्पष्ट है कि किसानों की स्थिति दयनीय थी। देश में मजदूरों की स्थिति खाफी खराब थी, उनके लिए कोई सामाजिक कानून नहीं होते थे तथा वे गरीबी का जीवन व्यतीत करते थे।

आर्थिक हालात-1904 के दिनों तक रूस के आर्थिक हालात बहुत खराब थे। मजदूरों के पास काम बने रहने के लिए कोई आश्वासन नहीं थे: 1861 के कानून ने किसानों को केवल कागज पर ही स्वतंत्र किया था, वह वास्तविक रूप अब भी दास बने हुए थे, जरूरी वस्तुओं के दाम आसमान को छू रहे थे; मजदूरों व किसानों के काम करने के हालात बदतर थे।
राजनीतिक हालात-19वीं शताब्दी रूसी जार शासकों के अतयाचार की कहानी था। जार राजाओं के पास निरंकुश अधिकार थे, वह जासूसों के मध्यम से पूरे देश पर शासन करते थे। पुलिस द्वारा अत्याचार का शासन चला करता था। जार राजाओं के साथ राजकीय कर्मचारी भी अत्याचार करते

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Exercise Questions HBSE 9th Class प्रश्न 2.
1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी?
उत्तर-
1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले में निम्नलिखित स्तरों से भिन्न बताई जा सकती है
(1) रूस में लगभग 85% जनसंख्या कृषि पर आधारित थी जबकि जर्मनी व फ्रांस जैसे देशों में इनका प्रतिशत 40% तथा 50% के बीच था,
(2) रूस में किसानों का सामन्तों द्वारा शोषण होता था, यूरोप के अन्य देशों में, तथा विशेष रूप से फ्रांस में किसानों ने अपने भूमिपतियों के लिए लड़ाई लड़ी थी।

अध्याय 2 – यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति HBSE 9th Class प्रश्न 3.
1917 में जार का शासन क्यों खत्म हो गया?
उत्तर-
रूसी जार निरंकुश ढंग से शासन करते थे। उनके द्वारा किए गए सुधार (विशेष तथा किसानों की मुक्ति) सफल नहीं हुए थे। सरकारी कर्मचारी जारशाही के आशीर्वाद के फलस्वरूप अतयाचार करते थे। फरवरी, 1917 तक स्थिति खाफी गम्भीर थी। 1914 में शुरू हुए प्रथम विश्व युद्ध में जार राजाओं को बिना संसद की सलाह ‘. लिए लड़ना पड़ा था, युद्ध में उन्हें काफी क्षति उठानी पड़ी, हजारों की संख्या में सैनिकों की मृत्यु हो गई थी।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 4.
दो सूचियाँ बनाइए। एक सूची में फरवरी, 1917 की क्रांति की मुख्य घटनाओं तथा प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची में अक्तूबर, 1917 की क्रांति की प्रमुख घटनाओं तथा प्रभावों को. दर्ज कीजिए।
उत्तर-
पहली सूची-फरवरी, 1917 की प्रमुख घटनाएँ व प्रभाव

1. 26 फरवरी – 50 प्रदर्शनकारियों को नामनसिकिए चौक पर मार दिया गया।
2. 27 फरवरी – सैनिकों ने प्रदर्शकारियों को गोलियाँ मारने से इंकार किया; जेलों, अदालतों तथा पुलिस स्टेशनों पर हमले किए, रोषकारियों ने लूट-पाट की, असंख्य इमारतों में आग लगा दी गई, सैनिकों ने क्रांतिकारियों का साथ दिया, पैट्रोग्राड सोवियत बनाई गई।
3. प्रथम मार्च – पैट्रोग्राड ने पहला आदेश जारी किया।
4. दुसरी मार्च – निकोलस द्वितीय को पद छोड़ने के लिए कहा गया, प्रधानमंत्री प्रिंस ताववो के नेतृत्व में अस्थायी सरकार का गठन किया गया।

दूसरी सूची-अक्तूबर, 1917 की प्रमुख घटनाएँ व प्रभाव

1. 10 अक्तूबर – बोल्शेविक केन्द्रीय समिति की बैठक में सशस्त्र क्रांति का अनुमोदन किया गया।
2. 11 अक्तूबर – 13 अक्तूबर, तक, उत्तरी क्षेत्र की सोवियत कांग्रेस की स्थापना। .
3. 20 अक्तूबर – सैनिक क्रांतिकारी समिति की प्रथम बैठक।
4. 25 अक्तूबर – क्रांति का प्रारम्भ, सैनिक क्रांतिकारी समिति ने सशस्त्र श्रमिकों तथा सैनिकों को पैट्रोग्राड की मुख्य इमारतों पर कब्जा करने का आदेश दिया; 9.40 रात्रि का विन्टर पैलेस पर आक्रमण किया गया तथा प्रातः 2 बजे कैरेन्सकी भाग खड़ा हुआ। द्वितीय अखिल रूसी सोवित कांग्रेस का प्रारम्भ होना।

फरवरी क्रांति के नेताओं में लववो व केरेन्सकी नेता थे जबकि अक्तूबर क्रांति में लेनिन व ट्राटस्की नेता थे; फरवरी क्रांति ने जारशाही समाप्त कर उदारवादी पूंजीवादी व्यवस्था को स्थापना की। अक्तूबर क्रांति ने उदारवादीपूँजीवादी व्यवस्था नष्ट करके समाजवादी व्यवस्था का निर्माण किया।

Europe Mein Samajwad Avn Rusi Kranti Class 9 HBSE प्रश्न 5.
बोल्शेविकों ने अक्तूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन किए?
उत्तर-
बोल्शेविकों ने अक्तूबर क्रांति के फौरन बाद निम्नलिखित प्रमुख परिवर्तन किए थे-

  1. उद्योगों व बैंकों का राष्ट्रीयकरण,
  2. बड़े-बड़े घरानों को आवश्यकतानुसार छोटे-छोटे भागों में आबंटन,
  3. कुलीनों के पदों का उन्मूलन,
  4. सैनिकों व कर्मचारियों के लिए नई यूनीफार्म, सोवियत लाल टोपी की शुरुआत,
  5. बोल्शेविक पार्टी को रूसी साम्यवादी दल का नाम दिया गया,
  6. ट्रेड यूनियन को पार्टी के नियन्त्रण में लाया गया, तथा
  7. चीका की स्थापना जिसके अंतर्गत बोल्शेविकों के विरोधियों को दण्ड दिए जाने का काम किया जाता था।

Socialism In Europe And The Russian Revolution Questions And Answers HBSE प्रश्न 6.
निम्नलिखित के बारे में, संक्षेप में लिखिए।
(i) कुलक
(ii) ड्यूमा
(iii) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार
(iv) उदारवादी
(v) स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम।
उत्तर-
(i) कुलक-ये भूमिपति व बड़े-बड़े कुलीन
(ii) ड्यूमा-रूसी संसद को ड्यूमा कहा जाता था,
(iii) 1900 से 1930 के बीच महिला कामगार-1905 की क्रांति में महिलाओं ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी; फरवरी व अक्तूबर, 1917 की क्रांतियों में भी उन्होंने बढ़चढ़कर भाग लिया था तथा हड़तालों में भाग लिया था।
(iv) उदारवादी-ये अधिकांशतः पूँजीवादी थे; वैक्यतिक अधिकारों का समर्थन करते थे एवं शासन में परिवर्तनों के पक्षधर थे।
(v) स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम-कुलवाद को समाप्त करने के लिए स्तालिन ने कृषि क्षेत्र में सामूहिकीकरण कार्यक्रम आरम्भ किया। देश में कुछ विरोध हुआ, 1929 से 1931 के बीच एक-तिहाई मवेशी खत्म हो गए। जिन लोगों ने सामूहिकीकरण का विरोध किया, उन्हें भारी दण्ड दिया गया। सामूहिकीकरण के बावजूद उत्पादन में कोई खास वृद्धि नहीं हुई थी।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

HBSE 9th Class History यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Important Questions and Answers

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति का प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
19वीं शताब्दी के उदारवादियों के दो मुख्य उद्देश्य बताइए।
उत्तर-

  1. उदारवादी पुरानी व्यवस्था में परिवर्तन चाहते थे। .
  2. वह धार्मिक सहनशीलता की वकालत करते थे।

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति HBSE 9th Class प्रश्न 2.
क्रांतिकारी क्या चाहते थे?
उत्तर-
18वीं 19वीं शताब्दियों के क्रांतिकारी यूरोप में विद्यमान विशेषाधिकारों की व्यवस्था का विरोध करते हुए जनसाधारण द्वारा बनाई गई सरकार की स्थापना चाहते थे।

Socialism In Europe And The Russian Revolution Question Answer HBSE 9th Class प्रश्न 3.
रूढ़िवादी कौन थे तथा वे उदारवादियों व क्रांतिकारियों से कैसे भिन्न थे?
उत्तर-
रूढ़िवादी व्यवस्था में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं चाहते थे। इस कारण वे उदारवादियों व क्रांतिकारियों से भिन्न थे जो परिवर्तन का पक्ष लेते थे।

Europe Mein Samajwad Avn Rusi Kranti HBSE 9th Class  प्रश्न 4.
मैजीनी कौन था?
उत्तर-
एक इतालवी क्रांतिकारी जो इटली में राष्ट्रवाद व एकीकरण का समर्थन करता था।

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 5.
समाजवाद के दो लक्षण बताइए।
उत्तर-

  1. उत्पादन के साधनों का समाजीकरण,
  2. उत्पादों का समांनातर वितरण।

Socialism In Europe And Russian Revolution Question Answer HBSE 9th Class प्रश्न 6.
रॉबर्ट ओवेन कौन था? ‘
उत्तर-
रॉबर्ट ओवेन (1771-1858) एक अंग्रेज उद्योगपति था। इसने सहकारिता का विचार दिया था। वह अमेरिका में-न्यूहारमनी रूसी सहकारी समुदाय की स्थापना चाहता था।

Socialism In Europe And The Russian Revolution Class 9 Question Answer HBSE प्रश्न 7.
लुई ब्लांक कौन था?
उत्तर-
लुई ब्लांक (1813-1882) एक फ्रांसीसी विद्वान था जो सहकारिता के विचार को प्रोत्साहन देता था। …

Socialism In Europe And The Russian Revolution Question Answers HBSE प्रश्न 8.
द्वितीय इन्टरनैशनल कब स्थापित किया गया था?
उत्तर-
1889 में।

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Class 9 Question Answer HBSE प्रश्न 9.
रूस में समाजवादी क्रांति कब हुई थी?
उत्तर-
जूलियन कैलेण्डर के अनुसार अक्तूबर में तथा ग्रेगोरियन कैलेण्डर अनुसार नवम्बर, 1917 में।

Socialism In Europe And The Russian Revolution Notes Question Answers HBSE प्रश्न 10.
रूसी समावादी क्रांति के समय रूस में कौन सम्राट था?
उत्तर-
निकोलस द्वितीय। इसे जार भी कहा जाता था।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

प्रश्न 11.
रूसी सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी कब बनायी गई थी?
उत्तर-
1998 में।

प्रश्न 12.
रूसी सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पाटी के 1902 के विभाजन के बाद कौन से दो गुट बन गए थे? उनके नेताओं के नाम बताइए।
उत्तर-

  1. बोल्शेविक, इसके नेता लेनिन थे।
  2. मैनशेविक, इसके नेता प्लैखनोव थे।

प्रश्न 13.
जदीदी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
रूस में मुस्लिम सुधारकों को जदीदी कहा जाता था।

प्रश्न 14.
फादर गागोन कौन थे?
उत्तर-
1905 में जिस व्यक्ति ने मजदूरों के जुलूस का नेतृत्व करते हुए सम्राट को माँगें रखी थी, उसका नाम फादर गागोन था।

प्रश्न 15.
किसे रूसी स्टीम रोलर कहा जाता है?
उत्तर-
रूसी जार सेना को रूसी स्टीम रोलर कहा जाता है।

प्रश्न 16.
सैंट पीटर्सबर्ग तथा पीटरग्राड शब्दों को समझाइए।
उत्तर-
सैंट पीटर्सबर्ग शब्द से यह बोध मिलता है कि यह कोई जर्मन प्रभाव का शहर है। इस प्रभाव से मुक्त होने के लिए पीटरग्राड शब्द, पहले विश्व युद्ध के बाद, प्रयोग किया गया।

प्रश्न 17.
लेनिन द्वारा प्रतिपादित अप्रैल थीमस क्या थे?
उत्तर-
लेनिन द्वारा प्रतिपादि अप्रैल थीमस निम्नलिखित थे-

  1. युद्ध को समाप्त किया जाए,
  2. भूमि को किसानों को दिया जाए,
  3. बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए। .

प्रश्न 18.
चीका क्या था?
उत्तर-
बोल्शेविकों के विरोधियों के पतन हेतु जिसआयोग को बनाया गया था, उसका नाम चीका था। यह एक पुलिस प्रकार का संगठन था। बाद में ओ.जी.पी.यू. तथा एन.के.बी.डी. कहा जाने लगा।

प्रश्न 19.
बुदियोनोव्का क्या था?
उत्तर-
बुदियोनोव्का एक सोवियत प्रकार की टोपी थी जिसे सोवियत नेता पहना करते थे।

प्रश्न 20.
अक्तूबर क्रांति ने पश्चात रूस में किस प्रकार के राज्य की स्थापना हुई थी?
उत्तर-
अक्तूबर क्रांति के पश्चात रूस में समाजवादी राज्य की स्थापना हुई थी। दिसम्बर, 1922 में इस देश का नाम सोवियत संघ पड़ गया।

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प्रश्न 21.
‘लाल’, ‘हरा’ व ‘श्वेत’ किनके प्रतीक थे?
उत्तर-
बोल्शेविक ‘लाल’, समाजवादी क्रांतिकारी ‘हरे’ तथा जार-समर्थक ‘श्वेत’ के प्रतीक थे।

प्रश्न 22.
मध्य एशिया (केन्द्रीय एशिया) के लोगों ने रूसी क्रांति के प्रति अलग व्यवहार क्यों रखा था?
उत्तर-
मध्य (केन्द्रीय) एशिया के लोग नहीं जानते थे ‘कि रूसी क्रांति करने वाले बोल्शेविक किस प्रकार का व्यवहार करेंगे।

प्रश्न 23.
एम. एन. राय कौन थे?
उत्तर-
एम. एन. राय (1887-1954) एक भारतीय क्रांतिकारी थे। उन्होंने मार्क्सवाद अपनाया था। बाद के दिनों में वह एक क्रांतिकारी मानवतावादी बन गए थे।

प्रश्न 24.
स्तालिन कौन थे? .
उत्तर-
लेनिन की मृत्यु के पश्चात् स्टालिन सोवियत संघ में एक शक्तिशाली नेता के रूप में उभरे थे।

प्रश्न 25.
नियोजित अर्थवयवस्था से आपका क्या अर्थ है?
उत्तर-
वह अर्थव्यवस्था जिसका आधार ‘नयोजन’ पर आधारित हो। सोवियत संघ में नियोजित अर्थव्यवस्था अपनायी गई थी।

प्रश्न 26.
‘परिवर्तन’ के प्रश्न को लेकर 19वीं शताब्दी की क्या सोच थी?
उत्तर-
औद्योगीकरण के पश्चात् समाज में परिवर्तन के सवाल पर (19वीं शताब्दी में), मुख्यतया, निम्नलिखित सोच थी-

  1. उदारवादी-परिवर्तन हो, परन्तु धीरे-धीरे हो,
  2. रैडिकल-परिवर्तन हो, तथा आमूल परिवर्तन हो,
  3. रूढ़िवादी-परिवर्तन नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 27.
19वीं शताब्दी के उदारवादियों के समाज परिवर्तन पर विचारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
19वीं शताब्दी में समाज परिवर्तन पर उदारवादियों के विचारों का वर्णन निम्नलिखित किया जा सकता है-

  1. सभी धर्मों को सम्मान व बराबर स्थान मिले,
  2. वंश-आधारित शासकों की सता पर नियन्त्रण
  3. व्यक्तियों के अधिकार की सुरक्षा, तथा
  4. प्रतिनिधित्व पर आधारित सरकार का चुनाव हो।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

तब के उदारवादी लोकतंत्रवादी इसलिए नहीं थे क्योंकि वे सार्वभौम व्यस्क मताधिकार का समर्थन नहीं करते थे।

प्रश्न 28.
रैडिकल समूह समाज परिवर्तन पर कैसे विचार रखता था? समझाइए।
उत्तर-
उदारवादियों के विपरीत रैडिकल समूह के लोग ऐसी सरकार के पक्ष में थे जो देश की आबादी के बहुमत के समर्थन पर आधारित हो। इनमें से बहुत सारे लोग महिला मताधिकार आंदोलन के भी समर्थक थे। उदारवादियों के विपरीत ये लोग बड़े जमींदारों और संपन्न उद्योगपतियों को प्राप्त किसी भी तरह के विशेषाधिकारों के खिलाफ थे। वे निजी संपत्ति के विरोधी नहीं थे लेकिन केवल कुछ लोगों के पास संपत्ति के संक्रेद्रण का विरोध जरूर करते थे।

प्रश्न 29.
समाज परिवर्तन के प्रश्न पर रूढ़िवादियों के विचार बताइए।
उत्तर-
रूढ़िवादी तबका रैडिकल और उदारवादी. दोनों के खिलाफ था। मगर फ्रांसीसी क्रांति के बाद तो रूढ़िवादी भी बदलाव की जरूरत को स्वीकार करने लगे थे। पुराने समय में यानी अठारहवीं शताब्दी में रूढिवादी आमतौर पर परिवर्तन के विचारों का विरोध करते थे। लेकिन उन्नीसवीं सदी तक आते-आते वे भी मानने लगे थे कि कुछ परिवर्तन आवश्यक हो गया है परंतु वह चाहते थे कि अतीत का सम्मान किया जाए अर्थात् अतीत को पूरी तरह ठुकराया न जाए और बदलाव की प्रक्रिया धीमी हो।

प्रश्न 30.
यूरोप में 19वीं शताब्दी के दौरान औद्योगीकरण से उत्पन्न समस्याओं में कुछेक उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
यूरोप में 19वीं शताब्दी के दौरान औद्योगीकरण से उत्पन्न समस्याओं में कुछेक प्रमुख समस्याओं का उल्लेख निम्नलिखित किया जा सकता है-

  1. बेरोजगारी आम समस्या थी। औद्योगिक वस्तुओं की माँग में गिरावट आ जाने पर तो बेरोजगारी और बढ़ जाती थी।
  2. शहर तेजी से बसते और फैलते जा रहे थ इसलिए आवास और साफ़-सफ़ाई का काम भी मुश्किल होता जा रहा था।
  3. मजदूरों को काम के आश्वासन नहीं थे और न ही उनके पास कोई सामाजिक सुरक्षा गारण्टी।

प्रश्न 31.
निजी सम्पत्ति पर समाजवादियों की धारणाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
समाजवादी निजी संपत्ति के विरोधी थे। वे संपत्ति पर निजी स्वामित्व को सही नहीं मानते थे। उनका कहना था कि संपत्ति के निजी स्वामित्व की व्यवस्था ही सारी समस्याओं की जड़ है। उनका तर्क था कि बहुत सारे लोगों के पास संपत्ति तो है जिससे दूसरों को रोजगार भी मिलता है लेकिन समस्या यह है कि संपत्तिधारी व्यक्ति को सिर्फ अपने फायदे से ही मतलब रहता है, वह उनके बारे में नहीं सोचता जो उसकी संपत्ति की उत्पादनशील बनाते हैं। इसलिए, अगर संपत्ति पर किसी एक व्यक्ति के बाजाय पूरे समाज का नियंत्रण हो तो साझा सामाजिक हितों पर ज्यादा अच्छी तरह ध्यान दिया जा सकता है।

प्रश्न 32.
उदाहरण देकर समझाइए कि ओवेन तथा ब्लाक जैसे समाजवादी कोऑपरेअिव के पक्षधर थे? ।
उत्तर-
कुछ समाजवादियों को कोऑपरेटिव यानी सामूहिक उद्यम के विचार में दिलचस्पी थी। इंग्लैंड के जाने-माने उद्योगपति रॉबर्ट ओवेन (1771-1858) ने इंडियाना (अमेरिका) में नया समन्वय (New Harmony) के नाम से एक नये तरह के समुदाय की रचना का प्रयास किया। कुछ समाजवादी मानते थे कि केवल व्यक्तिगत पहलकदमी से बहुत बड़े सामूहिक खेत नहीं बनाए जा सकते। वह चाहते थे कि सरकार अपनी तरफ से सामूहिक खेती को बढ़ावा दे। उदाहरण के लिए, फ्रांस में लुई ब्लांक (1813-1882) चाहते थे कि सरकार पूँजीवादी उद्यमों की जगह सामूहिक उद्यमों को बढ़ावा दे। कोऑपरेटिव ऐसे लोगों के समूह थे जो मिल कर चीजें बनाते थे और मुनाफे को प्रत्येक सदस्य द्वारा किए गए काम के हिसाब से आपस में बाँट लेते थे।

प्रश्न 33.
समाजवाद से जुड़े विचारों पर मार्क्स व एंगेल्स के क्या विचार थे?
उत्तर-
कार्ल मार्क्स (1818-1882) और फ्रे डरिक एंगेल्स (1820-1895) ने इस दिशा में कई नए तर्क पेश किए। मार्क्स का विचार था कि औद्योगिक समाज ‘पूँजीवादी’ समाज है। फैक्ट्रियों में लगी पूँजी पर पूँजीपतियों का स्वामित्व है और पूँजीपतियों का मुनाफ़ा मज़दूरों की मेहनत से पैदा होता है। मार्क्स का निष्कर्ष था कि जब तक निजी पूँजीपति इसी तरह मुनाफ़े का संचय करते जाएँगे तब तक मज़दूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता। अपनी स्थिति में सुधार लाने के लिए मज़दूरों को पूँजीवाद व निजी संपत्ति पर आधारित शासन को उखाड़ फेंकना होगा। मार्क्स का विश्वास था कि खुद को पूँजीवादी शोषण से मुक्त कराने के लिए मजदूरों को एक अत्यंत भिन्न किस्म का समाज बनाना होगा जिसमें सारी संपत्ति पर पूरे समाज का यानी सामाजिक नियंत्रण और स्वामित्व रहेगा। उन्होंने भविष्य के इस समाज को साम्यवादी (कम्युनिस्ट) समाज का नाम दिया। मार्क्स को विश्वास था कि पूँजीपतियों के साथ होने वाले संघर्ष में जीत अंततः मजदूरों की ही होगी। उनकी राय में कम्युनिस्ट समाज ही भविष्य का समाज होगा।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

प्रश्न 34.
जार के शासन काल में मजदूरों की स्थिति कैसी थी? बताइए।
उत्तर-
20वीं शताब्दी के आरम्भ के वर्षों में यस पर जार राजा निकोलस का निरंकुश शासन था। तब रूस में उद्योग बहुत कम थे और जो थे वह उद्योगपतियों की निजी सम्पत्ति थे। मजदूरों की स्थिति खासी खराब थी। उनके लिए काम करने के घन्टे निश्चित नहीं थे, उनको सही मजदूरी भी नहीं मिलती थी, स्वयं मजदूरों में भी काफी विषमताएँ थीं, स्त्रियों व बच्चों को भी देर तक काम करने व कम मजदूरी पर गलाया जाता था। मजदूरों की बदतर हालत पर हड़ताले आम थीं।

प्रश्न 35.
जारशाही के समय किसानों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
देहातों में अधिकांशतः किशान खेती का काम करते थे। परन्तु 1861 के कानून के बाद भी किसानों को मुक्ति प्राप्त नहीं थी। ग्रामीण सम्पत्ति पर फूलकों, भूमिपतियों
तथा सामंतों का नियंत्रण था। किसानों को दो वक्त की रोटी ही मिल पाती थी। कुछेक खेतिहर मजदूरों को अपने कुलक के लिए बिना मजदूरी प्राप्त किए काम करना पड़ता था। खेतिहर मजदूरों व किसानों का रोष सामंतों के विरुद्ध जागता रहता था।

प्रश्न 36.
रूसी सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी का गठन कब हुआ था? इसमें किस कारण फूट पड़ी थी?
उत्तर-
1914 से पहले रूस में सभी राजनीतिक पार्टियाँ गैरकानूनी थीं। मार्क्स के विचारों को मानने वाले समाजवादियों ने 1898 में रशियन सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी रूसी सामाजिक लोकतांत्रिक श्रमिक पार्टी) का गठन किया था। सरकारी आतंक के कारण इस पार्टी को गैरकानूनी संगठन के रूप में काम करना पड़ता था। इस पार्टी का एक अखबार निकलता था, उसने मजदूरों को संगठित किया था और अड़ताल आदि कार्यक्रम आयोजित किए थे।
संगठननिक रणनीति के प्रश्न पर 1902-03 में इस पार्टी में फूट पड़ गई। बोल्शेविक खेमे के मुखिया लेनिन सोचते थे कि जार के शासित रूस में पार्टी गुप्त रूप से तथा अत्यंत अनुशासित रूप से काम करे जबकि मैनशेविक खेमे के नेता रूस में पश्चिमी यूरोपीय तरह की पार्टी का समर्थन कर रहे थे।

प्रश्न 37.
रूसी मजदूरों के लिए 1904 का वर्ष क्यों बुरा था? व्याख्या करें। . .
उत्तर-
रूसी मज़दूरों के लिए 1904 का साल बहुत बुरा रहा। ज़रूरी चीज़ों की कीमतें इतनी तेजी से बढ़ीं कि वास्तविक वेतन में 20 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई। उसी समय मजदूर संगठनों की सदस्यता में भी तेजी से वृद्धि हुई। जब 1904 में ही गठित की गई असेंबली ऑप रशियन वर्कर्स (रूसी श्रमिक सभा) के चार सदस्यों को प्युतिलोव आयरन वर्क्स में उनकी नौकरी से हटा दिया गया तो मज़दूरों ने आंदोलन छेड़ने का एलान कर दिया। अगले कुछ दिनों के भीतर सेंट पीटर्सबर्ग के 110, 000 से ज़्यादा मज़दूर काम के घंटे घटाकर आठ घंटे किए जाने, वेतन में वृद्धि और कार्यस्थितियों में सुधार की माँग करते हुए हड़ताल पर चले गए।

प्रश्न 38.
1914 में लड़े गए युद्ध को प्रथम विश्व युद्ध क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
1914 में दो यूरोपीय गठबंधनों के बीच युद्ध छिड़ गया। एक खेमे में जर्मनी, ऑस्ट्रिया और तुर्की (केंद्रीय शक्तियाँ) थे तो दूसरे खेमे में फ्रांस, ब्रिटेन व रूस (बाद में इटली और रूमानिया भी इस खेमे में शमिल हो गए) थे। इन सभी देशों के पास विशाल वैश्विक साम्राज्य थे इसलिए यूरोप के साथ-साथ यह युद्ध यूरोप के बाहर भी फैल गया था। इसी युद्ध को पहला विश्वयुद्ध कहा जाता है।

प्रश्न 39.
प्रथम विश्व युद्ध में रूसी जनता क्यों जार की नीतियों के विरुद्ध हो गई थी? कारण बताइए।
उत्तर-

  1. जार राजा ने युद्ध के मामले पर रूसी संसद (ड्यूमा) से सलाह लेनी छोड़ दी।
  2. जार राजा जर्मन प्रभाव में अधिक था, प्रायः रूसी जनता जर्मन प्रभाव से मुक्त होना चाहती थी। इस कारण उन्होंने पीटर्सवर्ग का नाम बदल पीटर्सग्राड रखा। साथ ही रूसी महारानी जो जर्मन मूल की थीं, वह रूसी जनता में लोकप्रिय नहीं थीं। इन सबका प्रभाव युद्ध नीति पर भी पड़ा।
  3. पूर्वी मोर्चों पर लड़ रहे रूसी सैनिकों को काफी क्षति होने लगी थी। 1917 तक लगभग 70 लाख रूसी सैनिक मारे जा चुके थे।
  4. जर्मन वअ ऑस्ट्रिया की सेनाओं ने पूर्वी मोर्चों पर रूस को काफी नुकसान पहुंचाया।

प्रश्न 40.
प्रथम विश्व युद्ध का रूस पर क्या प्रभाव पड़ा? समझाइए।
उत्तर-
युद्ध से उद्योगों पर भी बुरा असर पड़ा। रूस के अपने उद्योग तो वैसे भी बहुत कम थे, अब तो बाहर से मिलने वाली आपर्ति भी बंद हो गई क्योंकि बाल्टिक समुद्र में जिस रास्ते से विदेशी औद्योगिक सामान आते थे उस पर जर्मनी का कब्जा हो चुका था। यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले रूस के औद्योगिक उपकरण ज़्यादा तेजी से बेकार होने लगे। 1916 तक रेलवे लाइनें टूटने लगीं। अच्छी सेहत वाले मर्दो को युद्ध में झोंक दिया गया। देश भर में मजदूरों की कमी पड़ने लगी और ज़रूरी सामान बनाने वाली छोटी-छोटी वर्कशॉप्स ठप्प होने लगीं। ज्यादातर अनाज सैनिकों का पेट भरने के लिए मोर्चे पर भेजा जाने लगा। ‘शहरों में रहने वालों के लिए रोटी और आटे की किल्लत पैदा हो गई। 1916 की सर्दियों में रोटी की दुकानों पर अकसर दंगे होने लगे।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

प्रश्न 41.
लेनिन द्वारा प्रतिपादित अप्रैल थीसस के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर-
फरवरी, 1917 की क्रांति के पश्चात् रूस में सत्ता उदारवादी-पूँजीवादी ताकतों के हाथों आ गई। उनके काल में बिगड़ते हालात का लेनिन ने लाभ उठाया। वह अप्रैल, 1917 में रूस लौट आए। वह तथा उनके बोलशेविक दल रूस द्वारा 1914 के युद्ध से अलग होने की बात आरम्भ से कर रहे थे। तब उन्होंने अपने अप्रैल थीमस की बात कही। उसमें निम्नलिखित विशेषताएँ थीं-

  1. युद्ध समाप्त किया जाए, रूस युद्ध से अपने आपको अलग कर ले,
  2. सारी जमीन किसानों के हवाले कर दी जाए, तथा
  3. बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए।

लेनिन ने तब यह भी सुझाव दिया कि बोलशेविक पार्टी अपना नाम बदल साम्यवादी दल रख दे तथा सत्ता प्राप्त कर ले।

प्रश्न 42.
सोशलिस्ट रेवलूशनरी पार्टी का गठन कब हुआ था? यह पार्टी रूस में किस प्रकार का समाजवाद चाहती थी। इस दल के शोशल डेमोक्रेटिक से क्या भेद थे?
उत्तरं-
कुछ रूसी समाजवादियों को लगता था कि रूसी किसान जिस तरह समय-समय पर ज़मीन बाँटते हैं उससे पता चलता है कि वह स्वाभाविक रूप से समाजवादी भावना वाले लोग हैं। इसी आधार पर उनका मानना था कि रूस में मज़दूर नहीं बल्कि किसान ही क्रांति की मुख्य शक्ति बनेंगे। वे क्रांति का नेतृत्व करेंगे और रूस बाकी देशों के मुकाबले ज्यादा जल्दी समाजवादी देश बन जाएगा। उन्नीसवीं सदी के आखिर में रूस के ग्रामीण इलाकों में समाजवादी काफी सक्रिय थे। सन् 1900 में उन्होंने सोशलिस्ट रेवलूशनरी पार्टी (समाजवादी क्रांतिकारी पार्टी) का गठन कर लिया। इस पार्टी ने किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और माँग की कि सामंतों के कब्जे वाली ज़मीन फौरन किसानों को सौंपी जाए। किसानों के सवाल पर सामाजिक लोकतंत्रवादी खेमा समाजवादी क्रांतिकारियों से सहमत नहीं था। लेनिन का मानना था कि किसानों में एकजुटता नहीं हैवे बँटे हुए हैं। कुछ किसान गरीब थे तो कुछ अमीर, कुछ मज़दूरी करते थे जो कुछ पूँजीपति थे जो नौकरों से खेती करवाते थे। इन आपसी ‘विभेदों’ के चलते वे सभी समाजवादी आंदोलन का हिस्सा नहीं हो सकते थे।

प्रश्न 43.
रूस की 1905 की क्रांति पर एक निबन्ध लिखिए। इस क्रांति के बाद की घटनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
रूस एक निरंकुश राजशाही था। अन्य यूरोपीय शासकों के विपरीत बीसवीं सदी की शुरुआत में भी ज़ार राष्ट्रीय संसद के अधीन नहीं था। उदारवादियों ने इस स्थिति को खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर मुहिम चलाई। 1905 की क्रांति के दौरान उन्होंने संविधान की रचना के लिए सोशल डेमोक्रेट और समाजवादी क्रांतिकारियों को साथ लेकर किसानों और मजदूरों के बीच काफी काम किया। रूसी साम्राज्य के तहत उन्हें राष्ट्रवादियों (जैसे पोलैंड में) और इस्लाम के आधुनिकीकरण के समर्थक जदीदियों (मुस्लिम-बहुल इलाकों में) का भी समर्थन मिला।

इसी दौरान जब पादरी गैपॉन के नेतृत्व में मजदूरों का एक जुलूस विंटर पैलेस (जार का महल) के सामने पहुँचा तो पुलिस और कोसैक्स ने मज़दूरों पर हमला बोल दिया। इस घटना में 100 से ज्यादा मज़दूर मारे गए और लगभग 300 घायल हुए। इतिहास में इस घटना को खूनी रविवार के नाम से याद किया जाता है। 1905 की क्रांति की शुरुआत इसी घटना से हुई थी। सारे देश में हड़तालें होने लगीं। जब नागरिक स्वतंत्रता के अभाव का विरोध करते हुए विद्यार्थी अपनी कक्षाओं का बहिष्कार करने लगे तो विश्वविद्यालय भी बंद कर दिए गए। वकीलों, डॉक्टरों, इंजीनियरों और अन्य मध्यवर्गीय कामगारों ने संविधान सभा के गठन की माँग करते हुए यूनियन ऑफ़ यूनियंस की स्थापना कर दी।

1905 की क्रांति के दौरान ज़ार ने एक निर्वाचित परामर्शदाता संसद या ड्यूमा के गठन पर अपनी सहमति दे दी। क्रांति के समय कुछ दिन तक फैक्ट्री मज़दूरों की बहुत सारी ट्रेड यूनियनें और फैक्ट्री कमेटियाँ भी अस्तित्व में रहीं। 1905 के बाद ऐसी ज़्यादातर कमेटियाँ और यूनियनें अनधिकृत रूप से काम करने लगी क्योंकि उन्हें गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था। राजनीतिक गतिविधियों पर भारी पाबंदियाँ लगा दी गईं। ज़ार ने पहली ड्यूमा को मात्र 75 दिन के भीतर और पुनर्निर्वाचित दूसरी ड्यूमा को 3 महीने के भीतर बर्खास्त कर दिया। वह किसी तरह की जवाबदेही या अपनी सत्ता पर किसी तरह का अंकुश नहीं चाहता था। उसने मतदान कानूनों में फेरबदल करके तीसरी ड्यूमा में रुढ़िवादी राजनेताओं को भर डाला। उदारवादियों और क्रांतिकारियों को बाहर रखा गया।

प्रश्न 44.
रूस में अक्तुबर, 1917 की क्रांति के बाद हुए परिवर्तनों का विवरण दीजिए।
उत्तर-
रूस में अक्तूबर, 1917 की क्रांति के बाद हुए परिवर्तनों का विवरण निम्नलिखित दिया जा सकता है:-

  • बोल्शेविक निजी संपत्ति की व्यवस्था के पूरी तरह खिलाफ थे। ज्यादातर उद्योगों और बैंकों का नवंबर 1917 में ही राष्ट्रीयकरण किया गया।
  • इन उद्योगों का स्वामित्व और प्रबंधन सरकार के नियंत्रण में आ गया।
  • जमीन को समाजिक संपत्ति घोषित कर दिया गया।
  • किसानों को सामंतों की जमीनों पर कब्जा करने की खुली छूट दे दी गइ।
  • शहरों में बोल्शेविको ने मकान-मालिकों के लिए पर्याप्त हिस्सा छोड़कर उनके बड़े मकानों के छोटे-छोटे हिस्से कर दिए ताकि बेघरबार या जरूरतमंद लोगों को भी रहने की जगह दी जा सके।
  • बोल्शेविकों ने अभिजात्य वर्ग द्वारा पुरानी पदवियों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी।
  • परिवर्तन को स्पष्ट रूप से सामने लाने के लिए सेना और सरकारी अफसरों की वर्दियाँ बदल दी गई। इसके लिए 1918 में एक परिश्रम प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें सोवियत टोपी (बुदियोनाव्का) का चुनाव किया गया।

प्रश्न 45.
रूसी क्रांति (अक्तूबर, 1917) के बाद होने वाले राजनीतिक परिवर्तनों की विवेचना कीजिए।
उत्तर-

  1. बोल्शेविक पार्टी सोवियत संघ का साम्यवादी दल बन गया। .
  2. सोवियत संघ एक-दलीय राजनीतिक व्यवस्था वाला देश बन गया।
  3. देश की ट्रेड यूनियनों पर साम्यवादी दल का कड़ा नियंत्रण होना शुरू हो गया।
  4. गुप्तचर पुलिस (पहले चीका तथा बाद में आ. जी.पी.यू. तथा एनके-वीडी)। बोल्शेविकों की आलोचना करने वालों को दण्डित करने लग गई।
  5. बहुत से युवा लेखक जो समाजवाद के प्रति समर्पित थे उन्होंने कला व सास्तुशिल्प के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग करने शुरू कर दिए।
  6. 1918 के संविधान में गैर-समाजवादियों को दूर रखने के लिए खुली मतदान व्यवस्था आरम्भ की गई। जमीदारों, पादरियों व पूँजीपतियों को मतदान से वंचित रखा गया।

प्रश्न 46.
अक्तूबर, 1917 की क्रांति के पश्चात् समाजवादी समाज के निर्माण के क्षेत्र में हुए कुछेक कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
अक्तूबर, 1917 की क्रांति के बाद बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। उद्योगों के समाजीकरण के फलस्वरूप उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किए गए। सामन्तों की जमीनों पर किसानों को खेती करने की छूट दी गई। अर्थव्यवस्था को नियोजित रूप देन के प्रयास शुरू कर दिए गए। इस आधार पर पंचवर्षीय योजनाओं को बनाने हेतु काम आसान हो गया। पहली दो योजनाओं’ (1927-1932 और 1933-1938) के दौरान औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सभी तरह की कीमतें स्थिर कर दी। केंद्रीकृत नियोजन से आर्थिक विकास को काफी गति मिली। औद्योगिक उत्पादन बढ़ने लगा (1929 से 1933 के बीच तेल, कोयले और स्टील के उत्पादन में 100 प्रतिशत वृद्धि हुई)। नए-नए औद्योगिक शहर अस्तित्व में आए। मगर, तेज निर्माण कार्यों के दबाव में कार्यस्थितियाँ खराब होने लगीं। मैग्नीटोगोर्क शहर में एक स्टील संयंत्र का निर्माण कार्य तीन साल के भीतर पूरा कर लिया गया। इस दौरान मजदूरों को बड़ी सख्त जिंदगी गुजारनी पड़ी जिसका नतीजा ये हुआ कि पहले ही साल में 550 बार काम रुका। रिहायशी क्वार्टरों में ‘जाड़ों में शौचालय जाने के लिए 40 डिग्री कम तापमान पर लोग चौथी मंजिल से उतर कर सड़क के पार दौड़कर जाते थे।’

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एक विस्तारित शिक्षा व्यवस्था विकसित की गई और फैक्ट्री कामगारों एवं किसानों को विश्वविद्यालयों में दाखिला दिलाने के लिए खास इंतजाम किए गए। महिला कामगारों के बच्चों के लिए फैक्ट्रियों में बालवाड़ियाँ खोल दी गईं। सस्ती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करायी गई। मजदूरों के लिए आदर्श रिहायशी मकान बनाए गए। लेकिन इन सारी कोशिशों के नतीजे सभी जगह एक जैसे नहीं रहे क्योंकि सरकारी संसाधन सीमित थे। . . प्रश्न 47. स्तालिन द्वारा प्रतिपादित सामूहिकीकरण का विवेचन कीजिए।

उत्तर-अक्तूबर क्रांति के दस वर्ष बाद भी तथा समाजवादी समाज के निर्माण कार्य के फलस्वरूप भी खाद्यान्नों की कमी जारी है। लेनिन के बाद स्तालिन ने खाद्यान्न/अनाज की कमी दूर करने के लिए सामूहिकीकरण का तरीका अपनाया। कुलकों का सफाया तथा छोट-छोटे खेतों को विशालकाय बनाने के बाद ही सामूहिकीकरण का कार्यक्रम लागू हो सकता था।

इसी के बाद स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम शुरू हुआ। 1929 से पार्टी ने सभी किसानों को सामूहिक – खेतों (कोलखोज) में काम करने का आदेश जारी कर दिया। ज्यादातर ज़मीन और साजो-सामान सामूहिक खेतों के स्वामित्व में सौंप दिए गए। सभी किसान सामूहिक खेतों पर काम करते थे और कोलखोज़ के मुनाफे को सभी किसानों के बीच बाँट दिया जाता था। इस फैंसले से गुस्साए किसानों ने सरकार का विरोध किया और वे अपने जानवरों को खत्म करने लगे। 1929 से 1931 के बीच मवेशियों की संख्या में एक-तिहाई कमी आ गई। सामूहिकीकरण का विरोध करने वालों को सख्त सज़ा दी जाती थी। बहुत सारे लोगों को निर्वासन या देश-निकाला दे दिया गया। सामूहिकीकरण का विरोध करने वाले किसानों का कहना था कि वे न तो अमीर हैं और न ही समाजवाद के विरोधी हैं। वे बस विभिन्न कारणों से सामूहिक खेतों पर काम नहीं करना चाहते थे। स्तालिन सरकार ने सीमित स्तर पर स्वतंत्र किसानी की व्यवस्था भी जारी रहने दी लेकिन ऐसे किसानों को कोई खास मदद नहीं दी जाती थी।

सामूहिकीकरण के बावजूद उत्पादन में नाटकीय वृद्धि नहीं हुई। बल्कि 1930-1933 की खराब फसल के बाद तो सोवियत इतिहास का सबसे बड़ा अकाल पड़ा जिसमें 40 लाख से ज्यादा लोग मारे गए। पार्टी में भी बहुत सारे लोग नियोजित अर्थव्यवस्था के अंतर्गत औद्योगिक उत्पादन में पैदा हो रहे भ्रम और सामूहिकीकरण के परिणामों की आलोचना करने लगे थे। स्तालिन और उनके सहयोगियों ने ऐसे आलोचकों पर समाजवाद के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया। देश भर में बहुत सारे लोगों पर इसी तरह के आरोप लगाए गए और 1939 तक आते-आते 20 लाख से ज्यादा लोगों को या तो जेलों में या श्रम शिविरों में भेज दिया गया था।

प्रश्न 48.
रूसी अक्तूबर क्रांति का सोवियत संघ तथा विश्व पर उसके पड़े प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर-
बोल्शेविकों ने जिस तरह सत्ता पर कब्जा किया था और जिस तरह उन्होंने शासन चलाया उसके बारे में यूरोप की समाजवादी पार्टियाँ बहुत सहमत नहीं थीं। लेकिन मेहनतकशों के राज्य की स्थापना की संभावना ने दुनिया भर के लोगों में एक नई उम्मीद जगा दी थी। बहुत सारे देशों में कम्युनिस्ट पार्टियों का गठन किया गया – जैसे, इंग्लैंड में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ ग्रेट ब्रिटेन की स्थापना की गई। बोल्शेविकों ने उपनिवेशों की जनता को भी उनके रास्ते का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित किया। सोवियत संघ के अलावा भी बहुत सारे देशों के प्रतिनिधियों ने कॉन्फ्रेस आफॅ द पीपुल ऑफ दि ईस्ट (1920) और बोल्शेविकों द्वारा बनाए गए कॉमिन्टन (बोल्शेविक समर्थक समाजवादी पार्टियों का अंतर्राष्ट्रीय महासंघ) में हिस्सा लिया था। कुछ विदेशियों को सोवियत संघ की कम्युनिस्ट युनिवर्सिटी ऑफ़ द वर्कर्स ऑफ दि ईस्ट में शिक्षा दी गई। जब दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हुआ तब तक सोवियत संघ की वजह से समाजवाद को एक वैश्विक पहचान और हैसियत मिल चुकी थी। लेकिन पचास के दशक तक देश के भीतर भी लोग यह समझने लगे थे कि सोवियत संघ की शासन शैली रूसी क्रांति के आदर्शों के अनुरूप नहीं है। विश्व समाजवादी आंदोलन में भी इस बात को मान लिया गया था कि सोवियत संघ में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। एक पिछड़ा हुआ देश महाशक्ति बन चुका था। उसके उद्योग और खेती विकसित हो चुके थे और गरीबों को भोजन मिल रहा था। लेकिन वहाँ के नागरिकों को कई तरह की आवश्यक स्वतंत्रता नहीं दी जा रही थी और विकास परियोजनाओं को दमनकारी नीतियों के बल पर लागू किया गया था। बीसवीं सदी के अंत तक एक समाजवादी देश के रूप में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोवियत संघ की प्रतिष्ठा काफी कम रह गई थी हालाँकि वहाँ के लोग अभी भी समाजवाद के आदर्शों का सम्मान करते थे। लेकिन सभी देशों में समाजवाद के बारे में विविध प्रकार से व्यापक पुनर्विचार किया गया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. निम्नलिखित रिक्त स्थानों को दिए गए उपयुक्त शब्दों से पूरा करें।

(i) ……. वंशगत आधारित शासकों की निरंकुश शक्तियों का विरोध करते थे। (उदारवादी, रूढ़िवादी)
(ii) …….. एक अंग्रेज उद्योगपति व उत्पादक था। वह नई समन्वय व्यवस्था का समर्थन करता था। (कोरियर, ओवेन)
(iii) लुई ब्लांक का सम्बन्ध एक ……… समाजवादी के रूप में जाना जाता है। (रूसी, फ्रांसीसी)
(iv) इसमें 1914 में शासक का नाम ……….. था। (निकोलस प्रथम, निकोलस द्वितीय)
(v) …….. बोल्शेविक पार्टी का एक नेता था। (लेनिन, ब्लांक)
(vi) 1929 में स्तालिन द्वारा शुरू किए गए कार्यक्रम को …….. कहा जाता है। (व्यक्तिकीकरण, सामूहिकीकरण)
(vii) ……… क्रांति में केरेन्सकी को सत्ता प्राप्त हुई। ‘ (फरवरी, अक्तूबर)
उत्तर-
(i) उदारवादी,
(ii) ओवेन,
(iii) फ्रांसीसी,
(iv) निकोलस द्वितीय,
(v) लेनिन,
(vi) सामूहिकीकरण,
(vii) फरवरी।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में सही (√) व गलत (x) की पहचान करें।

(i) पुरुष व नागरिक के अधिकार घोषणा पत्र का सम्बन्ध अमरीकी स्वतंत्रता संग्राम से था।
(ii) फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित एक भारतीय टीपू सुल्तान था तथा दूसरा स्वामी विवेकानन्द।।
(iii) अंततः दासता 1848 में फ्रांस में समाप्त कर दी गई थी।
(iv) रोबेस्प्येर जैकोबिनों को नेता था।
(v) मार्सिलेबो फ्रांस का राष्ट्रीय गीत है।
(vi) फ्रांस 1789 में गणराज्य घोषित किया गया था।
(vii) नैपोलियन को 1804 में फ्रांसीसी गणराज्य का राष्ट्रपति बनाया गया था।
(viii) राजा राममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना की थी।
उत्तर-
(i) x,
(ii) x,
(iii) √,
(iv) √,
(v) √,
(vi) x,
(vii) x,
(viii) √

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प्रश्न 3. निम्नलिखित में दिए गए विकल्पों में सही का चयन कीजिए।

(i) फ्रांसीसी फ्रांति निम्नलिखित वर्ष हुई थी
(a) 1776
(b) 1789
(c) 1814
(d) 1830
उत्तर-
(b) 1789

(ii) आतं के शासन का निम्नलिखित काल था
(a) 1789-1790
(b) 1790-1791
(c) 1792-1793
(d) 1794-1795
उत्तर-
(c) 1792-1793

(iii) डायरेक्ट्री एक ऐसी कार्यपालिका था जिसके सदस्य थे
(a) 3
(b) 4
(c) 5
(d) 6
उत्तर-
(c) 5

(iv) फ्रांस में महिलाओं को निम्नलिखित मताधिकार मिला था
(a) 1945
(b) 1946 सन् में
(c) 1997
(d), 1948
उत्तर-
(b) 1946 सन् में

(v) फ्रांसीसी क्रांति के समय निम्नलिखित फ्रांस का सम्राट था
(a) लुई तेहरवाँ
(b) लुई चौदहवाँ
(c) लुई पन्द्रहवाँ
(d) लुई सोलहवाँ
उत्तर-
(d) लुई सोलहवाँ

(vi) प्राचीन राजतंत्र का समय था
(a) 1789 से पूर्व
(b) 1789 के बाद
(c) 1979 से पूर्व व बाद का
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(a) 1789 से पूर्व

(vii) फ्रांस निम्नलिखित वर्ष गणराज्य बना था
(a) 1791
(b) 1792
(c) 1793
(d) 1794
उत्तर-
(b) 1792

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(viii) इनमें निम्नलिखित ने फ्रांसीसी क्रांति में भाग लिया था
(a) रूसो
(b) रोबेस्प्येर
(c) रुजवैल्ट
(d) रैम्से मैक्डोनल्ड
उत्तर-
(b) रोबेस्प्येर

यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Class 9 HBSE Notes in Hindi

अध्याय का सार

यूरोप में औद्योगीकरण के फलस्वरूप समाज व राज्य परिवर्तन चाहते थे। इस कारण उन्होंने वंशगत शासन का विरोध किया, सरकार के विरुद्ध व्यक्तिगत अधिकारों का पक्ष लिया, मताधिकार द्वारा लोकप्रिय सरकार की स्थापना की माँग की। इससे अलग व आगे, क्रांतिकारी थे जो सबके लिए अधिकारों की मांग कर रहे थे, भूमिपतियों व कुलीनों को प्राप्त विशेषाधिकारों की समाप्ति पर जोर दे रहे थे। रूढ़िवादी सभी प्रकार के परिवर्तनों का विरोध करते थे तथा पुरानी व्यवस्था को बनाए रखने की वकालत कर रहे थे। , औद्योगीकरण से शहरीकरण बढ़ने लगा, शहरों का उदय हुआ, फैक्ट्रियों में मशीनों द्वारा बड़ी व भारी मात्रा में उत्पादन होने लगा, कारखानों में बच्चों व महिलाओं को काम दिया जाने लगा। क्योंकि तब सामाजिक प्रकार के कानून नहीं थे, इसलिए मजदूरों का शोषण आम था, महिलाओं व बच्चों को कम मजदूरी दिया जाना आम था, बेरोजगारी आम थी। दूसरी ओर राष्ट्रीय एकता व राष्ट्रीयकरण की प्रवृत्तियाँ जोर पकड़ रही थीं।

समाज के पुनर्गठन की संभवतः सबसे दूरगामी दृष्टि प्रदान करने वाली विचारधारा समाजवाद ही थी। उन्नीसवीं सदी के मध्य तक यूरोप में समाजवाद एक जाना-पहचाना विचार था। उसकी तरफ बहुत सारे लोगों का ध्यान आकर्षित हो रहा था। समाजवादी निजी संपत्ति के विरोधी थे। यानी, वे संपत्ति पर निजी स्वामित्व को सही नहीं मानते थे। उनका कहना था कि संपत्ति के निजी स्वामित्व की व्यवस्था ही सारी समस्याओं की जड़ है। वे ऐसा क्यों मानते थे? उनका . तर्क था कि बहुत सारे लोगों के पास संपत्ति तो है जिससे दूसरों को रोजगार भी मिलता है लेकिन समस्या यह है कि संपत्तिधारी व्यक्ति को सिर्फ अपने फ़ायदे से ही मतलब रहता है वह उनके बारे में नहीं सोचता जो उसकी संपत्ति को उत्पादनशील बनाते हैं। इसलिए, अगर संपत्ति पर किसी एक व्यक्ति के बजाय पूरे समाज का नियंत्रण हो तो साझा सामाजिक हितों पर ज्यादा अच्छी तरह ध्यान दिया जा सकता है। समाजवादी इस तरह का बदलाव चाहते थे और इसके लिए उन्होंने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया। कोई समाज संपत्ति के बिना कैसे चल सकता है? समाजवादी समाज का आधार क्या होगा?

समाजवादियों के पास भविष्य की एक बिल्कुल भिन्न दृष्टि थी। कुछ समाजवादियों को कोऑपरेटिव यानी सामूहिक उद्यम के विचार में दिलचस्पी थी। इंग्लैंड के जाने-माने उद्योगपति रॉबर्ट ओवेन (1771-1858) ने इंडियाना (अमेरिका) में नया समन्वय (New Harmony) के नाम से एक नये तरह के समुदाय की रचना का प्रयास किया। कुछ समाजवादी मानते थे कि केवल व्यक्तिगत पहलकदमी से बहुत बड़े सामूहिक खेत नहीं बनाए जा सकते। वह चाहते थे कि सरकार अपनी तरफ से सामूहिक खेती को बढ़ावा दे। उदाहरण के लिए, फ्रांस में लुई ब्लांक (1813-1882) चाहते थे कि सरकार पूँजीवादी उद्यमों की जगह सामूहिक उद्यमों को बढ़ावा दे। कोऑपरेटिव ऐसे लोगों के समूह थे जो मिल कर चीजें बनाते थे और मुनाफ़े को प्रत्येक सदस्य द्वारा किए गए काम के हिसाब से आपस में बाँट लेते थे। कार्ल मार्क्स (1818-1882) और फ्रेडरिक एंगेल्स (1820-1895) ने इस दिशा में कई नए तर्क पेश किए। मार्क्स का विचार था कि औद्योगिक समाज ‘पूँजीवादी’ समाज है। फैक्ट्रियों में लगी पूँजी पर पूँजीपतियों का स्वामित्व है और पूंजीपतियों का मुनाफ़ा मज़दूरों की मेहनत से पैदा होता है। मार्क्स का निष्कर्ष था कि जब तक निजी पूँजीपति इसी तरह मुनाफे का संचय करते जाएँगे तब तक मज़दूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता। अपनी स्थिति में सुधार लाने के लिए मजदूरों को पूँजीवाद व निजी संपत्ति पर आधारित शासन को उखाड़ फेंकना होगा। मार्क्स का विश्वास था कि खुद को पूँजीवादी शोषण से मुक्त कराने के लिए मजदूरों को एक अत्यंत भिन्न किस्म का समाज बनाना होगा जिसमें सारी संपत्ति पर पूरे समाज का यानी सामाजिक नियंत्रण और स्वामित्व रहेगा।

यूरोप के सबसे पिछड़े औद्योगिक देशों में से एक, रूस में यह समीकरण उलट गया। 1917 की अक्तूबर क्रांति के ज़रिए रूस की सत्ता पर समाजवादियों ने कब्जा कर लिया। फरवरी 1917 में राजशाही के पतन और अक्तूबर की घटनाओं को ही अक्तूबर क्रांति कहा जाता है।

HBSE 9th Class Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति

1914 में दो यूरोपीय गठबंधनों के बीच युद्ध छिड़ गया। एक खेमे में जर्मनी, ऑस्ट्रिया और तुर्की (केंद्रीय शक्तियाँ) थे तो दूसरे खेमे में फ्रांस, ब्रिटेन व रूस (बाद में इटली और रूमानिया भी इस खेमे में शमिल हो गए) थे। इन सभी देशों के पास विशाल वैश्विक साम्राज्य थे इसलिए यूरोप के साथ-साथ यह युद्ध यूरोप के बाहर भी फैल गया था। इसी युद्ध को पहला विश्वयुद्ध कहा जाता है। इस युद्ध को शुरू-शुरू में रूसियों का काफी समर्थन मिला। जनता ने जार का साथ दिया। लेकिन जैसे-जैसे युद्ध लंबा खिंचता गया, ज़ार ने ड्यूमा में मौजूद मुख्य पार्टियों से सलाह लेना छोड़ दिया। उसके प्रति जनसमर्थन कम होने लगा। जर्मनी-विरोधी भावनाएँ दिनोंदिन बलवती होने लगीं। जर्मनी-विरोधी भावनाओं के कारण ही लोगों ने सेंट पीटर्सबर्ग का नाम बदल कर पेत्रोग्राद रखं दिया क्योंकि सेंट पीटर्सबर्ग जर्मन नाम था। ज़ारीना (जार की पत्नी-महारानी) अलेक्सांद्रा के जर्मन मूल का होने और उसके घटिया सलाहकारों, खास तौर से रासपुतिन नामक एक संन्यासी ने राजशाही को और अलोकप्रिय बना दिया।

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