Class 9

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अलंकार

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Alankar अलंकार Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran अलंकार

अलंकार

अलंकार Class 9 HBSE  प्रश्न 1.
अलंकार किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अलंकार शब्द का अर्थ है-आभूषण या गहना। जिस प्रकार स्त्री की सौंदर्य-वृद्धि में आभूषण सहायक होते हैं, उसी प्रकार काव्य में प्रयुक्त होने वाले अलंकार शब्दों एवं अर्थों में चमत्कार उत्पन्न करके काव्य-सौंदर्य में वृद्धि करते हैं; जैसे
“खग-कुल कुल-कुल-सा बोल रहा।
किसलय का आँचल डोल रहा।”
साहित्य में अलंकारों का विशेष महत्त्व है। अलंकार प्रयोग से कविता सज-धजकर सुंदर लगती है। अलंकारों का प्रयोग गद्य और पद्य दोनों में होता है। अलंकारों का प्रयोग सहज एवं स्वाभाविक रूप में होना चाहिए। अलंकारों को जान-बूझकर लादना नहीं चाहिए।

Alankar Class 9 HBSE प्रश्न 2.
अलंकार के कितने भेद होते हैं ? सबका एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
साहित्य में शब्द और अर्थ दोनों का महत्त्व होता है। कहीं शब्द-प्रयोग से तो कहीं अर्थ-प्रयोग के चमत्कार से और कहीं-कहीं दोनों के एक साथ प्रयोग से काव्य-सौंदर्य में वृद्धि होती है। इस आधार पर अलंकार के तीन भेद माने जाते हैं
1. शब्दालंकार।
2. अर्थालंकार।
3. उभयालंकार।

1. शब्दालंकार:
जहाँ शब्दों के प्रयोग से काव्य-सौंदर्य में वृद्धि होती है, वहाँ शब्दालंकार होता है; जैसे
“चारु चंद्र की चंचल किरणें,
खेल रही हैं जल-थल में।”

2. अर्थालंकार:
जहाँ शब्दों के अर्थों के कारण काव्य में चमत्कार एवं सौंदर्य उत्पन्न हो, वहाँ अर्थालंकार होता है; जैसे-
“चरण-कमल बंदौं हरि राई।”

3. उभयालंकार:
जिन अलंकारों का चमत्कार शब्द और अर्थ दोनों पर आश्रित होता है, उन्हें उभयालंकार कहते हैं; जैसे-
“नर की अरु नल-नीर की, गति एकै कर जोइ।
जेतौ नीचौ है चले, तेतौ ऊँचौ होइ ॥”

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प्रमुख अलंकार

1. अनुप्रास

Class 9th Alankar HBSE प्रश्न 3.
अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जहाँ व्यंजनों की बार-बार आवृत्ति के कारण चमत्कार उत्पन्न हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है; यथा-
(1) मुदित महीपति मंदिर आए। सेवक सचिव सुमंत बुलाए।
यहाँ ‘मुदित’, ‘महीपति’ तथा ‘मंदिर’ शब्दों में ‘म’ व्यंजन की और ‘सेवक’, ‘सचिव’ तथा ‘सुमंत’ शब्दों में ‘स’ व्यंजन की आवृत्ति है। अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

(2) भगवान भक्तों की भूरि भीति भगाइए।
यहाँ ‘भगवान’, ‘भक्तों’, ‘भूरि’, ‘भीति’ तथा ‘भगाइए’ में ‘भ’ व्यंजन की आवृत्ति के कारण चमत्कार उत्पन्न हुआ है।

(3) कल कानन कुंडल मोरपखा उर पै बिराजति है।

(4) जौं खग हौं तो बसेरो करौं मिलिकालिंदी कूल कदंब की डारनि।
यहाँ दोनों उदाहरणों में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति होने के कारण शब्द-सौंदर्य में वृद्धि हुई, अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

(5) “कंकन किंकन नूपुर धुनि सुनि।
कहत लखन सन राम हृदय गुनि ॥” यहाँ ‘क’ तथा ‘न’ वर्गों की आवृत्ति के कारण शब्द-सौंदर्य में वृद्धि हुई है, अतः अनुप्रास अलंकार है।

(6) तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए।
इसमें ‘त’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

(7) बंदऊँ गुरुपद पदुम परागा।
सुरुचि सुवास सरस अनुरागा ॥
(‘प’ तथा ‘स’ की आवृत्ति है।)

(8) मैया मैं नहिं माखन खायो।
(‘म’ की आवृत्ति है।)

(9) सत्य सनेह सील सागर।
(‘स’ की आवृत्ति)। ”

(10) रघुपति राघव राजा राम।”
(‘र’ की आवृत्ति)।

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2. यमक

Alankar In Hindi Class 9 HBSE  प्रश्न 4.
यमक अलंकार किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
जहाँ किसी शब्द या शब्दांश का एक से अधिक बार भिन्न-भिन्न अर्थों में प्रयोग हो, वहाँ यमक अलंकार होता है; जैसे-
(1) कनक कनक तैं सौ गुनी, मादकता अधिकाइ।
उहिं खायें बौरातु है, इहिं पाएँ बौराई ॥
इस दोहे में ‘कनक’ शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है। एक ‘कनक’ का अर्थ है-सोना और दूसरे ‘कनक’ का अर्थ है-धतूरा। एक ही शब्द का भिन्न-भिन्न अर्थों में प्रयोग होने के कारण यहाँ यमक अलंकार है।

(2) माला फेरत युग गया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर ॥
इस दोहे में ‘फेर’ और ‘मनका’ शब्दों का भिन्न-भिन्न अर्थों में प्रयोग हुआ है। ‘फेर’ का पहला अर्थ है-माला फेरना और दूसरा अर्थ है-भ्रम। इसी प्रकार से ‘मनका’ का अर्थ है-हृदय और माला का दाना। अतः यमक अलंकार का सुंदर प्रयोग है।

(3) काली घटा का घमंड घटा।
यहाँ ‘घटा’ शब्द की आवृत्ति भिन्न-भिन्न अर्थ में हुई है।
घटा = वर्षा काल में आकाश में उमड़ने वाली मेघमाला
घटा = कम हुआ।

(4) कहैं कवि बेनी बेनी व्याल की चुराई लीनी।
इस पंक्ति में ‘बेनी’ शब्द का भिन्न-भिन्न अर्थों में आवृत्तिपूर्वक प्रयोग हुआ है। प्रथम ‘बेनी’ शब्द कवि का नाम है और दूसरा ‘बेनी’ (बेणी) चोटी के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है।

(5) गुनी गुनी सबके कहे, निगुनी गुनी न होतु।
सुन्यो कहुँ तरु अरक तें, अरक समानु उदोतु ॥ ‘अरक’ शब्द यहाँ भिन्न-भिन्न अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। एक बार अरक के पौधे के रूप में तथा दूसरी बार सूर्य के अर्थ के रूप में प्रयुक्त हुआ है, अतः यहाँ यमक अलंकार सिद्ध होता है।

(6) ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहनवारी,
ऊँचे घोर मंदर के अंदर रहाती है।
यहाँ ‘मंदर’ शब्द के दो अर्थ हैं। पहला अर्थ है- भवन तथा दूसरा अर्थ है पर्वत, इसलिए यहाँ यमक अलंकार है।

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3. श्लेष

Class 9 Alankar HBSE प्रश्न 5.
श्लेष अलंकार का लक्षण लिखकर उसके उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
जहाँ एक शब्द के एक ही बार प्रयुक्त होने पर दो अर्थ निकलें, उसे श्लेष अलंकार कहते हैं; जैसे-
(1) नर की अरु नल-नीर की, गति एकै कर जोय।
जेते नीचो है चले, तेतो ऊँचो होय ॥

मनुष्य और नल के पानी की समान ही स्थिति है, जितने नीचे होकर चलेंगे, उतने ही ऊँचे होंगे। अंतिम पंक्ति में बताया गया सिद्धांत नर और नल-नीर दोनों पर समान रूप से लागू होता है, अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।

(2) मधुवन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियाँ।
यहाँ ‘कलियाँ’ शब्द का प्रयोग एक बार हुआ है किंतु इसमें अर्थ की भिन्नता है।

(क) खिलने से पूर्व फूल की दशा।
(ख) यौवन पूर्व की अवस्था।

(3) रहिमन जो गति दीप की, कुल कपूत गति सोय।
बारे उजियारो लगे, बढे अँधेरो होय ॥ इस दोहे में ‘बारे’ और ‘बढ़े’ शब्दों में श्लेष अलंकार है।

(4) गाधिसूनु कह हृदय हँसि, मुनिहिं हरेरिय सूझ।
अयमय खाँड न ऊखमय, अजहुँ न बूझ अबूझ ॥

(5) मेरी भव-बाधा हरो, राधा नागरि सोइ।
जा तन की झाँईं परै, स्यामु हरित-दुति होइ ॥

(6) बड़े न हूजे गुननु बिनु, बिरद बड़ाई पाइ।।
कहत धतूरे सौं कनकु, गहनौ, गढ्यौ न जाइ ॥
कनकु शब्द के यहाँ दो अर्थ हैं सोना और धतूरा।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अलंकार

4. उपमा

Alankar Class 9th HBSE प्रश्न 6.
उपमा अलंकार की परिभाषा देते हुए उसके उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
जहाँ किसी वस्तु, पदार्थ या व्यक्ति के गुण, रूप, दशा आदि का उत्कर्ष बताने के लिए किसी. लोक-प्रचलित या लोक-प्रसिद्ध व्यक्ति से तुलना की जाती है, वहाँ उपमा अलंकार होता है।
(1) ‘उसका हृदय नवनीत सा कोमल है।’
इस वाक्य में ‘हृदय’ उपमेय ‘नवनीत’ उपमान, ‘कोमल’ साधारण धर्म तथा ‘सा’ उपमावाचक शब्द है।

(2) लघु तरण हंसिनी-सी सुंदर,
तिर रही खोल पालों के पर ॥
यहाँ छोटी नौका की तुलना हंसिनी के साथ की गई है। अतः ‘तरण’ उपमेय, ‘हंसिनी’ उपमान, ‘सुंदर’ गुण और ‘सी’ उपमावाचक शब्द चारों अंग हैं।

(3) हाय फूल-सी कोमल बच्ची।
हुई राख की थी ढेरी ॥
यहाँ ‘फूल’ उपमान, ‘बच्ची’ उपमेय और ‘कोमल’ साधारण धर्म है। ‘सी’ उपमावाचक शब्द है, अतः यहाँ पूर्णोपमा अलंकार है।

(4) यह देखिए, अरविंद से शिशुवृंद कैसे सो रहे।
इस पंक्ति में ‘अरविंद से शिशुवृंद’ में साधारण धर्म नहीं है, इसलिए यहाँ लुप्तोपमा अलंकार है।

(5) नदियाँ जिनकी यशधारा-सी
बहती हैं अब भी निशि-वासर ॥
यहाँ ‘नदियाँ’ उपमेय, ‘यशधारा’ उपमान, ‘बहना’ साधारण धर्म और ‘सी’ उपमावाचक शब्द है, अतः यहाँ उपमा अलंकार है।

(6) मखमल के झूल पड़े हाथी-सा टीला।
यहाँ हाथी और टीला में उपमान, उपमेय का संबंध है, दोनों में ऊँचाई सामान्य धर्म है। ‘सा’ उपमावाचक शब्द है, अतः यहाँ उपमा अलंकार है।

(7) वेदना बोझ वाली-सी

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5.रूपक

9th Class Alankar HBSE प्रश्न 7.
रूपक अलंकार किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जहाँ अत्यंत समानता दिखाने के लिए उपमेय और उपमान में अभेद बताया जाता है, वहाँ रूपक अलंकार होता है; जैसे-
(1) चरण कमल बंदौं हरि राई। उपर्युक्त पंक्ति में ‘चरण’ और ‘कमल’ में अभेद बताया गया है, अतः यहाँ रूपक अलंकार का प्रयोग है।

(2) मैया मैं तो चंद-खिलौना लैहों।
यहाँ भी ‘चंद’ और ‘खिलौना’ में अभेद की स्थापना की गई है।

(3) बीती विभावरी जाग री।
अंबर पनघट में डुबो रही।
तारा-घट ऊषा नागरी।
इन पंक्तियों में नागरी में ऊषा का, अंबर में पनघट का और तारों में घट का आरोप हुआ है, अतः रूपक अलंकार है।

(4) मेखलाकार पर्वत अपार;
अपने सहस्र दृग सुमन फाड़,
अवलोक रहा था बार-बार,
नीचे जल में निज महाकार।
यहाँ दृग (आँखों) उपमेय पर फूल उपमान का आरोप है, अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

(5) बढ़त बढ़त संपति-सलिलु, मन-सरोजु बढ़ि जाइ।
घटत घटत सु न फिरि घटै, बरु समूल कुम्हिलाइ ॥
इस दोहे में संपत्ति में सलिल का एवं मन में सरोज का आरोप किया गया है, अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

Alankar 9th Class HBSE प्रश्न 8.
उपमा और रूपक अलंकार का अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपमा अलंकार में उपमेय और उपमान में समानता दिखाई जाती है, जबकि ‘रूपक’ में उपमेय में उपमान का आरोप करके दोनों में अभेद स्थापित किया जाता है।
उदाहरण-
पीपर पात सरिस मन डोला (उपमा)
यहाँ ‘मन’ उपमेय तथा ‘पीपर पात’ उपमान में समानता बताई गई है। अतः उपमा अलंकार है।
उदाहरण-
‘चरण कमल बंदी हरि राई।” (रूपक)
यहाँ उपमेय ‘चरण’ में उपमान ‘कमल’ का आरोप है। अतः यहाँ रूपक अलंकार है।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran अलंकार

6. अतिशयोक्ति

Hindi Vyakaran Alankar HBSE 9th Class प्रश्न 9.
अतिशयोक्ति अलंकार किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब किसी वस्तु अथवा घटना का इतना अधिक बढ़ा-चढ़ा कर वर्णन किया जाता है कि वह लोक-सीमा को लांघ जाए, तो उसे अतिशयोक्ति अलंकार कहते हैं; अतिशय + उक्ति अर्थात् बढ़ा-चढ़ा कर कहना (कथन)। अर्थात् किसी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना। जैसे-
राघव की चतुरंग-चमू चय को गने केसव राज समाजनि।
सूर-तुरंगनि के उलझे पग तुंग पताकनि की पटसाजनि।।
यहाँ रामचन्द्र जी की सेना के झण्डों को इतना अधिक ऊँचा बताया गया है कि वे सूर्य के रथ के घोड़ों से उलझ गए हैं। इस प्रकार लोक सीमा को लांघ जाने के कारण यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।

अतिशयोक्ति अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण-
(1) यह शर इधर गांडीव गुण से भिन्न जैसे ही हुआ।
धड़ से जयद्रथ का उधर सिर छिन्न वैसे ही हुआ।।

(2) प्राण छूटे प्रथम रिपु के रघुनायक सायक छूटि न पाये।

(3) केकई के कहत ही राम-गमन की बात।
नृप दशरथ के ताहि छिन सूखि गये सब गात।

(4) हनुमान की पूंछ को लगन न पाई आग।
लंका सिगरी जल गई, गये निशाचर भाग।।।

(5) बांधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से,
मणि वाले फणियों का मुख, क्यों भरा हुआ हीरों से।

(6) तब सिव तीसरे नैन उघारा ।
चितवत काम भयेहु जरि छारा ।।

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7. अन्योक्ति

प्रश्न 10.
अन्योक्ति अलंकार किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। .
उत्तर:
जहाँ अप्रस्तुत वर्णन (उपमान) के माध्यम से प्रस्तुत (उपमेय) अर्थ की प्रतीति कराई जाए, वहाँ अन्योक्ति अलंकार होता है। इस अलंकार की विशेषता यह है कि इसमें किसी के नाम पर बाण चलाकर किसी दूसरे को घायल किया जाता है। इस अलंकार में अप्रस्तुत का वर्णन किया जाता है अतः इसे अप्रस्तुत प्रशंसा अलंकार भी कहते हैं; जैसे
“स्वारथ सुकृत न श्रम वृथा, देखि विहंग विचारि।
बाज पराये पानि पर, तू पच्छीनु न मारि।”

ऊपर के दोहे में प्रस्तुत में बाज का वर्णन किया जा रहा है लेकिन अप्रस्तुत में यह उक्ति राजा जयसिंह के प्रति है जो औरंगजेब की तरफ से शिवाजी को पकड़ने के लिए जा रहे थे। इस प्रकार यहाँ बाज के बहाने से राजा जयसिंह पर निशाना किया गया है अतः यहाँ अन्योक्ति अलंकार है।

अन्योक्ति अलंकार के अन्य उदाहरण-
(1) नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकास इहि काल।
अली कली ही सों विंध्यौ, आनें कौन हवाल।।

(2) जिन दिन देखे वे सुमन गई सुबीति बहार।
अब तो अली गुलाब में, अपत कंटीली डार ।।

(3) अरे हंस ! या नगर में जइयो आप विचारि।
कागन सों जिन प्रीति करो, कोयल दीन्हीं विडारि ।।

(4) को छूट्यो यह जाल पड़ी, कत कुरंग अकुलाय।।
ज्यों-ज्यों सुरझि भज्यौ चहै, त्यों-त्यों उरझत जाय।।

8. उत्प्रेक्षा

प्रश्न 11.
उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं ? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जहाँ समानता के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाती है; जैसे
(1) सोहत ओ पीतु पटु, स्याम सलौनै गात।
मनौ नीलमणि सैल पर, आतपु पर्यो प्रभात ॥
यहाँ श्रीकृष्ण के साँवले रूप तथा उनके पीले वस्त्रों में प्रातःकालीन सूर्य की धूप से सुशोभित नीलमणि पर्वत की संभावना होने के कारण उत्प्रेक्षा अलंकार है।

(2) उस काल मारे क्रोध के, तनु काँपने उनका लगा।
मानो हवा के जोर से, सोता हुआ सागर जगा ॥
यहाँ क्रोध से काँपता हुआ अर्जुन का शरीर उपमेय है तथा इसमें सोए हुए सागर को जगाने की संभावना की गई है।

(3) लंबा होता ताड़ का वृक्ष जाता।
मानो नभ छूना चाहता वह तुरंत ही ॥
यहाँ ताड़ का वृक्ष उपमेय है जिसमें आकाश को छूने की संभावना की गई है।

(4) कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए।
हिम के कणों से पूर्ण मानो, हो गए पंकज नए ॥
यहाँ आँसुओं से पूर्ण उत्तरा के नेत्र उपमेय है जिनमें कमल की पंखड़ियों पर पड़े हुए ओस के कणों की कल्पना की गई है, अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।

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9. मानवीकरण

प्रश्न 12.
मानवीकरण अलंकार की सोदाहरण परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
जहाँ जड़ प्रकृति पर मानवीय भावनाओं तथा क्रियाओं का आरोप हो, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है; जैसे-
लो यह लतिका भी भर लाई
मधु मुकुल नवल रस गागरी।

यहाँ लतिका में मानवीय क्रियाओं का आरोप है, अतः लतिका में मानवीय अलंकार सिद्ध है। मानवीकरण अलंकार के कुछ अन्य उदाहरण हैं
(1) दिवावसान का समय
मेघमय आसमान से उतर रही
संध्या सुंदरी परी-सी धीरे-धीरे,

(2) मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

(3) आए महंत बसंत

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्तनी

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वर्तनी

वर्तनी हिंदी व्याकरण Class 9 Solutions HBSE प्रश्न 1.
हिन्दी वर्तनी का अर्थ बताते हुए उसकी परिभाषा और स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
‘वर्तनी’ लिपि का महत्त्वपूर्ण पक्ष है। वर्तनी का शाब्दिक अर्थ है-अक्षर-विन्यास, अक्षरन्यास, अक्षरी, वर्णन्यास आदि। “भाषिक ध्वनियों के लिए निर्धारित प्रतीक चिह्नों (लिपि वर्णो) के सार्थक, व्यवस्थित और व्यावहारिक अनुपयोग का आधारतत्त्व वर्तनी ही है।” वस्तुतः भाषा-लिपि-वर्तनी परस्पर पूर्णतः सम्बद्ध हैं। लिपि भाषा को दृश्य रूप देती है। भाषा के शब्दों, पदों, वाक्यों, वाक्यांशों का सही, शुद्ध उच्चरित और लिखित रूप उपयुक्त एवं संगत वर्तनी पर निर्भर करता है। सार में का जा सकता है, “शब्द के शुद्ध लेखन को वर्तनी कहते हैं।” डॉ० नरेश मिश्र ने वर्तनी की वैज्ञानिक परिभाषा देते हुए लिखा है, “शब्द के विभिन्न वर्गों की क्रमशः शुद्ध रूप में की जाने वाली प्रयोगव्यवस्था को वर्तनी कहते हैं।”

यहाँ कुछ शब्दों के उदाहरण से वर्तनी के स्वरूप को समझा जा सकता है-‘पाट’ और ‘पाठ’, ‘काल’ और ‘खाल’, ‘जरा’ और ‘ज़रा’, ‘अवधि’ और ‘अवधी’, ‘सुत’ और ‘सूत’ शब्द कुछ विशेष पदार्थों-प्रयोजनों के संवाहक शब्द हैं जिनका समावेश हिन्दी भाषा के अन्तर्गत है। प्, आ, ट, ठ, क्, ल, ज्, जू, इ (ि), ई (ी), उ ु(), ऊ (ू) आदि प्रतीक चिह्नों अर्थात् विशेष लिपि (देवनागरी) के माध्यम से ये साकार रूप में प्रत्यक्ष हो पाए हैं। किन्तु भाषिक रूपों के लिखित स्वरूप की सार्थकता अथवा संगति या उपयुक्तता सही वर्तनी के माध्यम से ही सम्भव है। यदि इस संगति या व्यवस्था में छोटी-सी भी भूल हो जाए या तनिक-सा उल्ट-फेर हो जाए तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है; जैसे ‘अध्यापक पाट पढ़ाता है। वाक्य के ‘पाट’ शब्द में ‘ठ’ के स्थान पर ‘ट’ के आने से प्रयोजनीय अर्थ स्पष्ट नहीं होता। इसका कारण देवनागरी लिपि को सही वर्तनी में प्रयुक्त न किया जाना है। इस प्रकार लिपि और वर्तनी में अन्तःसम्बन्ध है।

प्रयोजनमूलक हिन्दी भाषा में पारिभाषिक शब्दों में तो एकरूपता का होना और भी आवश्यक है। आज ज्ञान-विज्ञान की पारिभाषिक शब्दावली का निर्माण किया जा रहा है। ऐसे शब्दों की वर्तनी पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

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स्वरूप: प्रयोजनमूलक हिन्दी के शब्दों की वर्तनी की शुद्धता के लिए निम्नांकित बातों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है-
1. हलन्त:
हिन्दी के परम्परागत तत्सम शब्दों में से अनेक शब्द व्यंजनान्त हो गए हैं अर्थात् उन शब्दों का अन्तिम अक्षर व्यंजन हो गया है; जैसे महान्, विद्वान्, भगवान् आदि। हिन्दी में अनेक व्यंजनान्त शब्द हैं, किन्तु उनमें हलन्त का प्रयोग नहीं किया जाता जैसे काम, नाम, राम, घनश्याम, मन, तन, धन आदि। इसी प्रकार पारिभाषिक शब्दों के व्यंजन होने पर भी उनमें हलन्त का प्रयोग नहीं किया जाता। उसी प्रकार परिभाषिक शब्दों के व्यंजनान्त होने पर उनमें हलन्त का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए; उदाहरणार्थ-
कमान – (Command)
प्रसार – (Expansion)
निगम – (Corporation)
जोखिम – (Risk)
अवमूल्यन – (Devaluation)
ग्राहक – (Client)
किन्तु संस्कृत शब्दों में आज भी हलन्त का प्रयोग किया जाता है; यथा-अभिवाक्, श्रीमन्, अभिषद् आदि।

2. अनुस्वार बिन्दु (ं):
हिन्दी में अनुस्वार का प्रयोग प्रायः पाँच वर्गों के अन्तिम वर्णों (ङ्, ञ, ण, न, म्) के अर्ध रूप के लिए किया जाता है। ऐसा करने से लेखन एवं मुद्रण में सरलता एवं एकरूपता का समावेश होता है। आज मानक हिन्दी में अनुस्वार के इसी रूप का प्रयोग किया जा रहा है-
ङ्- अंग, काव्यांग, रंगशाला, पतंग आदि।
ञ्- मंजन, मंचन, कुंजी आदि।
ण- टंडन, कंगन, बंटन आदि।
न्- हिंदी, बिंदी, चिंदी, पंत आदि।
म्- पंप, संभावना, संबंध आदि।
पारिभाषिक शब्दावली में भी यही मानक पद्धति अपनानी चाहिए-
ङ् – अङक पत्र (कवर्ग-ङ्) – अंक पत्र (Mark sheet)
रङ्गशाला (कवर्ग-ङ्) – रंगशाला (Theatre)

३ – बञ्जर (चवर्ग-ज्) – बंजर (Barren)
सर्व कुञ्जी (चवर्ग-ञ्) – सर्वकुंजी (Master Key)

ण् – बण्टन (टवर्ग-ण) – बंटन (Distribution)
भण्डारण (टवर्ग-ण) – भंडारण (Storage)

न्- अन्तरिम (तवर्ग-न) – अंतरिम (Interim)
(टवर्ग-न्) संदर्भ – (Context)

म्- आलम्ब (पवर्ग-म) – आलंब (Support)
प्रकाश स्तम्भ (पवर्ग-म्) – प्रकाश स्तम्भ (Light house)
कम्प्यूटर (पवर्ग-म्) – कम्प्यूटर (Computer)

किंतु जब कोई अर्ध नासिक्य व्यंजन उसी नासिक्य व्यंजन के पूर्ण रूप से पहले लगाया जाता है तो उसे अनुस्वार (-) में न लिखकर उसके मूल नासिक्य के अर्ध रूप में ही लिखा जाना चाहिए; यथा-सम्मेलन, सम्मति, अन्न आदि।

3. अनुनासिकता/अर्धचन्द्राकार (ँ):
जिस ध्वनि के उच्चारण में निश्वास मुख और नासिका से एक साथ निकले, उसे अनुनासिक ध्वनि (ँ) कहते हैं; जैसे चाँद, साँप, आँख आदि। आज सर्वत्र सरलीकरण की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। भाषा के क्षेत्र में भी इसके प्रयोग किए जा रहे हैं। अनुनासिक (ँ) के लिए अनुस्वार (-) का प्रयोग किया जाने लगा है, किन्तु इससे अर्थ की अभिव्यक्ति में रुकावट पड़ती है; जैसे हंस (पक्षी), हँस (हँसना), यदि दोनों को हंस-हंस लिख दिया जाए तो अर्थबोध अस्पष्ट हो जाएगा। मैं हंस रहा हूँ। इस वाक्य में हंस शब्द का अर्थ स्पष्ट नहीं होता।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्तनी

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्तनी

4. संयुक्त वर्ण-रचना:
हिन्दी एक ऐसी भाषा है जिसमें पूर्ण एवं अर्ध दोनों प्रकार के वर्गों का प्रयोग समान रूप से होता है। वर्णों की अर्ध-रूप रचना के लिए निम्नांकित आधार अपनाए जाने चाहिएं-
(i) जिन वर्णों के दाहिनी ओर खड़ी पाई होती है उसे हटा देना चाहिए। इससे वह अर्ध व्यंजन बन जाता है। इससे ही संयुक्त अक्षरों का निर्माण भी होता है; जैसे-
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्तनी 1

(ii) जिन व्यंजनों के दाहिनी ओर अर्ध पाई हो तो उसे हटा देने से वह अर्धवर्ण बन जाता है; यथा-
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्तनी 2
(iii) जिन व्यंजनों में पाई का प्रयोग नहीं किया जाता; जैसे ट, ड, ढ आदि। इन व्यंजनों के अर्धरूप बनाने के लिए हलन्त का प्रयोग किया जाता है; यथा-
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्तनी 3
5. रकार के प्रमुख चार रूप-हिन्दी में रकार के चार रूप मिलते हैं-
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्तनी 4
इस संबंध में भाषा-वैज्ञानिकों का मत है कि ‘र’ के इन सभी रूपों के स्थान पर स्वतन्त्र वर्ण ‘र’ का ही प्रयोग होना चाहिए। भाषा-वैज्ञानिक अध्ययन के लिए यह सुझाव उपयोगी है, किन्तु प्रयोजनमूलक हिन्दी में इन चारों रूपों को पूर्ववत् अपनाना चाहिए।

उदाहरणार्थ ये शब्द देखिए-ट्रक, परस्पर, पार्ट, क्रय, अनिवार्य आदि। अर्ध ‘र’ वर्ण (.) को शब्द में जहाँ उच्चारण किया जाए, उसके आगे वाले पूर्ण वर्ण या अक्षर पर लगाना चाहिए; जैसे स्वीकार्य, अनिवार्य, पार्ट, वर्क्स आदि।

यहाँ ‘अनिवार्य’ में र् का उच्चारण ‘वा’ के बाद होता है, इसलिए ‘य’ में लगी ‘आ’ की मात्रा-‘I’ पर लगाया गया है। ‘वर्क्स’ में र् का उच्चारण ‘क’ के पूर्व होता है किन्तु ‘क’ र के आगे होने पर भी आधा अर्थात् स्वरविहीन है, इसलिए ‘स’ पर लगाया गया है।

6. य-श्रुति:
हिन्दी स्वर प्रधान भाषा है। केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय के निर्देशानुसार जिन शब्दों में ‘य’ ध्वनि क्षीण हो और उनमें ‘ई’ अथवा ‘ए’ सुनाई दे, तो उनमें स्वर रूप अपनाना चाहिए; यथा
अशुद्ध – शुद्ध
नयी – नई
मिठायी – मिठाई
लिये – लिए
आयिये – आइए
शब्द के मूल रूप होने पर स्वरात्मक परिवर्तन नहीं किया जाए; यथा-स्थायी, अव्ययीभाव, दायित्व आदि।

7. क्रिया पद:
हिन्दी में क्रिया पदों तथा सहायक क्रियाओं को अलग-अलग करके लिखा जाता है ‘मैं महाविद्यालय जा रहा था।’ इस वाक्य में ‘जा रहा था’ क्रिया पद है। इसमें ‘जा’ मूल क्रिया है और ‘रहा था’ सहायक क्रिया है। यहाँ इनको अलग-अलग करके लिखा गया है। ‘मैं पत्र लिखता हूँ।’ इस वाक्य में ‘लिखता हूँ क्रिया पद है। ‘लिखता’ मूल क्रिया तथा ‘हूँ’ सहायक क्रिया है जिन्हें अलग-अलग लिखा गया है।

8. विभक्ति चिह्न:
हिन्दी भाषा में विभक्ति चिह्न अर्थ तत्त्व से अलग लिखे जाते हैं; यथा-
राम ने पत्र लिखा।
आपने एक पुस्तक पढ़ी।
विद्यार्थी ने पुस्तक देखी।
इन वाक्यों में कर्ता राम, आप, विद्यार्थी आदि से अलग ‘ने’ विभक्ति चिह्न का प्रयोग किया गया है।

9. अंग्रेजी की ‘ऑ’ ध्वनि का प्रयोग:
आज हिन्दी में अंग्रेजी के अनेक शब्द अपनाए जा रहे हैं। उनके शुद्ध रूप को अपनाने के लिए हमें ॉ (ऑ) ध्वनि चिह्न को भी हिन्दी के ध्वनि चिह्नों में स्थान दे देना चाहिए। ऐसा करने से इन शब्दों का शुद्ध उच्चारण एवं लेखन सम्भव हो सकेगा। उदाहरणार्थ ये शब्द देखिए
डॉक्टर – Doctor
कॉलेज – College
ऑपरेशन – Operation
बॉक्स – Box
उपर्युक्त शब्दों में उच्चारित ऑ (आ और ओ) से भिन्न, किन्तु उनके मध्यवर्ती स्वर हैं।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्तनी

10. पुनरुक्ति:
जब भाव विशेष पर बल देने के लिए एक शब्द को दो या अधिक बार प्रयुक्त किया जाता है, उसे पुनरुक्ति कहते हैं। ऐसी स्थिति में कभी-कभी योजक (-) के साथ अंक-2 (दो) लिखा जाता है; जैसे चलते-चलते, रोते-रोते, बार-बार। ऐसा लिखना वैज्ञानिक पद्धति के अनुकूल नहीं है। इसे चलते-दो, रोते-दो तथा बार-दो पढ़ा जा सकता है। अतः पुनरुक्ति में सर्वत्र एक शब्द को दो बार लिखना चाहिए; जैसे मुझे बार-बार प्यास लग रही है।
वह चलते-चलते गिर पड़ा।
गीता रोते-रोते गा रही थी।

11. योजक चिहून:
योजक अंग्रेजी के ‘हाइफन’ का हिन्दी पर्यायवाची है। द्वन्द्व समास के दोनों पदों के बीच में योजक (-) चिह्न का प्रयोग करना नितान्त आवश्यक है; जैसे माता-पिता, दाल-रोटी, अमीरी-गरीबी, पढ़ना-लिखना आदि।

क्योंकि हिन्दी भाषा अत्यधिक लोगों द्वारा बोली जाती है और उसका क्षेत्र भी बहुत विस्तृत है। इसलिए हिन्दी भाषा के उच्चारण व कहीं-कहीं रूप में भी विविधता दिखाई देती है। वातावरण व मानसिक भिन्नता के कारण ऐसा होना स्वाभाविक है, किन्तु प्रयोजनमूलक हिन्दी में ऐसी भिन्नता उचित नहीं है। उसमें सर्वत्र वर्तनी के मानक रूप को ही अपनाना चाहिए। कम्प्यूटर में प्रयुक्त होने वाली प्रयोजनमूलक हिन्दी के लिए तो यह और भी जरूरी हो जाता है। अतः प्रयोजनमूलक हिन्दी में उसके मानक रूप को अपनाने से उसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मान मिलेगा और उसे समझना भी सरल हो जाएगा।

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HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Exercise 8.1

Question 1.
The angles of a quadrilateral are in the ratio 3 : 5 : 9 : 13. Find all the angles of the quadrilateral
Solution :
Ratio of the angles of a quadrilateral = 3 : 5 : 9 : 13.
Sum of ratios= 3 + 5 + 9 + 13 = 30
Sum of angles of a quadrilateral = 360°
Ist angle = \(\frac {3}{30}\) × 360° = 36°
IInd angle = \(\frac {5}{30}\) × 360° = 60°
IIIrd angle = \(\frac {9}{30}\) × 360° = 108°
IVth angle = \(\frac {13}{30}\) × 360° = 156°
Hence, angles of a quadrilateral are 36°, 60°, 108° and 156°.

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1

Question 2.
If the diagonals of a parallelogram are equal, then show that it is a rectangle.
Solution :
Given: A parallelogram ABCD in which diagonal AC = diagonal BD.
To prove: ABCD is a rectangle.
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1 - 1
Proof: In ΔABC and ΔDCB, we have
AB = DC, (Opposite sides of a parallelogram)
BC = BC, (Common)
and AC = BD, (Given)
∴ ΔABC ≅ ΔDCB, (By SSS congruence rule)
⇒ ∠ABC ≅ ∠DCB, (CPCT) …(i)
But AB || CD and BC intersects them.
∠ABC + ∠DCB = 180°,
[∵ Sum of co-interior angles is 180°]
⇒ ∠ABC + ∠ABC = 180°, [Using (i)]
⇒ 2∠ABC = 180°
⇒ ∠ABC = \(\frac {180°}{2}\) = 90°
∴ ∠ABC – ∠DCB = 90°
Thus, ABCD is a parallelogram in which one angle is 90°.
Hence, ABCD is a rectangle. Proved

Question 3.
Show that if the diagonals of a quadrilateral bisect each other at right angles, then it is a rhombus. Solution :
Given : A quadrilateral ABCD in which diagonals AC and BD bisect each other at right angles i.e., AO = OC, OB = OD and ∠AOB = ∠BOC = 90°.
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1 - 2
To prove : ABCD is a rhombus.
Proof: In ΔAOB and ΔCOB, we have
AO = OC, (Given)
∠AOB = ∠COB, (Each = 90°)
and BO = BO, (Common)
∴ ΔAOB ≅ ΔCOB,
(By SAS congruence rule)
⇒ AB = BC, (CPCT) …(i)
Similarly, ΔBOC ≅ ΔDOC,
(By SAS congruence rule)
⇒ BC = CD, (CPCT) …(ii)
and ΔCOD ≅ ΔAOD,
(By SAS congruence rule)
⇒ CD = AD, (CPCT) …(iii)
From (i), (ii) and (iii), we get
AB = BC = CD = AD
Hence, ABCD is a rhombus. Proved

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1

Question 4.
Show that diagonals of a square are equal and bisect each other at right angles.
Solution:
Given: A square ABCD.
To prove : AC = BD, OA = OC, OB = OD and AC ⊥ BD.
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1 - 3
Proof : In ΔABC and ΔDCB, we have
AB = DC, (Sides of square)
∠ABC = ∠DCB, (Each angle of square is 90°)
and BC = BC (Common)
∴ ΔABC ≅ ΔDCB,
(By SAS congruence rule)
⇒ AC = BD, (CPCT)
Since ABCD is a square.
∴ AB || CD and AC intersects them.
⇒ ∠BAC = ∠DCA,
(Alternate interior angles)
⇒ ∠BAO = ∠DCO …….(i)
Again, AB || CD and BD intersects them.
⇒ ∠ABD = ∠CDB,
(Alternate interior angles)
⇒ ∠ABO = ∠CDO …(ii)
Now, in ΔAOB and ΔCOD, we have
∠BAO = ∠DCO, [From (i)]
∠ABO = ∠CDO, [From (ii)]
and AB = CD
ΔAOB ≅ ΔCOD,
(By ASA congruence rule)
⇒ AO = OC and BO = OD, (CPCT) …(iii)
In ΔAOB and ΔCOB, we have
AO = OC (From (iii)]
BO = BO, (Common)
and AB = BC, (Square’s sides)
∴ ΔAOB ≅ ΔCOB, (By SSS congruence rule)
⇒ ∠AOB = ∠COB, (CPCT)
But ∠AOB + ∠COB = 180°, (Linear pair)
⇒ ∠AOB + ∠AOB = 180°, [∵ ∠COB = ∠AOB]
⇒ 2∠AOB = 180°
⇒ ∠AOB = \(\frac {180°}{2}\) = 90°
∴ ∠AOB = ∠COB = 90°
Hence, diagonals of a square are equal and bisect each other at 90°. Proved

Question 5.
Show that if the diagonals of a quadrilateral are equal and bisect each other at right angles, then it is a square.
Solution:
Given : A quadrilateral ABCD in which diagonal AC = diagonal BD, AO = OC, OB = OD and BD ⊥ AC.
To prove: ABCD is a square.
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1 - 4
Proof: We know that in a parallelogram diagonals bisect each other.
∴ ABCD is a parallelogram.
(By theorem 8.7)
In ΔAOB and ΔCOB, we have
AO = OC, (Given)
∠AOB = ∠COB, (Each = 90°)
and OB = OB, (Common)
∴ ΔAOB ≅ ΔCOB,
(By SAS congruence rule)
AB = CB, (CPCT)
But, AD = BC and AB = CD, (Opposite sides of a parallelogram)
∴ AB = BC = CD = AD …(i)
Now in ΔDAB and ΔCBA, we have
AD = BC, [From (i)]
AB = AB, (Common)
and BD = AC, (Given)
ΔDAB ≅ ΔCDA,
(By SSS congruence rule)
⇒ ∠DAB = ∠CBA, (CPCT) …(ii)
But, ∠DAB + ∠CBA = 180°,
[∵ Sum of co-interior angles is 180°]
⇒ ∠DAB + ∠DAB = 180°
⇒ 2∠DAB = 180°
⇒ ∠DAB = \(\frac {180°}{2}\) = 90°
Thus, in a parallelogram ABCD, AB = BC = CD = DA and ∠A = 90°.
Hence, ABCD is a square. Proved

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1

Question 6.
Diagonal AC of a parallelogram ABCD bisects ∠A (see figure 8.31). Show that:
(i) it bisect ∠C also.
(ii) ABCD is a rhombus. [NCERT Exemplar Problems]
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1 - 5
Solution :
(i) Since ABCD is a parallelogram.
AD || BC and AC intersects them.
⇒ ∠1 = ∠4 ……(i) (Alternate interior angles)
Again, AB || CD and AC intersects them.
⇒ ∠2 = ∠3 ……(ii) (Alternate interior angles)
But, ∠1 = ∠2, (Given) … (iii)
From (i), (ii) and (iii), we get
∠3 = ∠4
Hence AC bisects ∠C. Proved

(ii) ∠2 = ∠3, [From (ii) …(iv)]
∠4 = ∠3,
(As proved above) …(v)
From, (iv) and (v), we get
∠2 = ∠4
⇒ AB = BC
Thus, adjacent sides of a parallelogram are equal. Hence, ABCD is a rhombus. Proved

Question 7.
ABCD is a rhombus. Show that diagonal AC bisects ∠A as well as ∠C and diagonal BD bisects ∠B as well as ∠D.
Solution:
Given: A rhombus ABCD.
To prove : (i) Diagonal AC bisects ∠A as well as ∠C
i.e.,∠1 = ∠2 and ∠3 = ∠4.

(ii) Diagonal BD bisects ∠B as well as ∠D.
i.e., ∠5 = ∠6 and ∠7 = ∠8
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1 - 6
Proof: Since ABCD is a rhombus.
AB = BC, (Rhombus sides)
⇒ ∠2 = ∠4 …(i)
(Angles opposite to equal sides are equal)
Now, AD || BC and AC intersects them.
∴ ∠1 = ∠4 …(ii)
(∵ Alternate interior angles)
From (i) and (ii), we get
∠1 = ∠2 …(iii)
Again, AB || CD and AC intersects them.
∴ ∠2 = ∠3 …(iv)
(∵ Alternate interior angles)
From (i) and (iv), we get
∠3 = ∠4
Thus, ∠1 = ∠2 and ∠3 = ∠4
Hence, AC bisects ∠A as well as ∠C.
Similarly, we can prove that
∠5 = ∠6 and ∠7 = ∠8
Hence, BD bisects ∠B as well as ∠D.
Proved

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1

Question 8.
ABCD is a rectangle in which diagonal AC bisects ∠A as well as ∠C. Show that:
(i) ABCD is a square.
(ii) diagonal BD bisects ∠B as well as ∠D.
Solution :
Given: A rectangle ABCD in which diagonal AC bisects ∠A as well as ∠C
i.e., ∠1 = ∠2 and ∠3 = ∠4.
To prove : (i) ABCD is a square.

(ii) diagonal BD bisects ∠B as well as ∠D
i.e., ∠5 = ∠6 and ∠7 = ∠8.
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1 - 7
Proof :
(i) Since AC bisects ∠A as well as ∠C.
∠1 = ∠2 …(i)
But, ABCD is a rectangle.
AD || BC and AC intersects them.
∠1 = ∠4, …(ii)
(Alternate interior angles)
From (i) and (ii), we get
∠2 = ∠4
⇒ AB = BC (Sides opposite to equal angles are equal)
Thus, adjacent sides of a rectangle are equal.
Hence, ABCD is a square. Proved

(ii) In ΔABD, AB = AD, (Sides of a square)
⇒ ∠7 = ∠5 …….(iii)
(Angles opposite to equal sides are equal)
But AD || BC and BD intesects them.
∴ ∠7 = ∠6, ……(iv) (Alternate interior angles)
From (iii) and (iv), we get
∠5 = ∠6
In ΔBCD, BC = CD (Sides of a square)
⇒ ∠8 = ∠6 …..(v) (Angles opposite to equal sides are equal]
But, AD || BC and BD intersects them.
⇒ ∠7 = ∠6 …..(vi) (Alternate interior angles)
From (v) and (vi), we get
∠7 = ∠8
Thus, ∠5 = ∠6 and ∠7 = ∠8
Hence, diagonal BD bisects ∠B as well as ∠D.
Hence Proved

Question 9.
In a parallelogram ABCD, two points P and Q are taken on diagonal BD such that DP = BQ (see figure 8.84). Show that:
(i) ΔAPD ≅ ΔCQB
(ii) AP = CQ
(iii) ΔAQB ≅ ΔCPD
(iv) AQ = CP
(v) APCQ is a parallelogram.
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1 - 8
Solution :
Since ABCD is a parallelogram.
BC || AD and BD intersects them.
∴ ∠ADB = ∠CBD,
(Alternate interior angles)
⇒ ∠ADP = ∠CBQ ……..(i)
In ΔAPD and ΔCQB,
we have DP = BQ, (Given)
∴ ∠ADP = ∠CBQ, [From (i)]
and AD = BC, (Opposite sides of a parallelogram)
∴ ΔAPD ≅ ΔCQB, (By SAS congruence rule)
Hence proved

(ii) ΔAPD ≅ ΔCQB,
⇒ AP = CQ (CPCT) …(ii)
Hence proved

(iii) AB || CD and BD intersects them.
∠ABD = ∠CDB,
(Alternate interior angles)
⇒ ∠ABQ = ∠CDP …(iii)
Now in ΔAQB and ΔCPD, we have
BQ = DP, (Given)
∠ABQ = ∠CDP, [From (iii)]
and AB = CD, (Opposite sides of a parallelogram)
∴ ΔAQB ≅ ΔCPD, (By SAS congruence rule)
Hence proved

(iv) ∵ ΔAQB ≅ ΔCPD
⇒ AQ = CP, (CPCT) …(iv)
Hence proved

(v) From (ii) and (iv), we have
AP = CQ and
AQ = CP,
Hence, APCQ is a parallelogram.
(By theorem 8.3) Hence proved

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1

Question 10.
ABCD is a parallelogram and AP and CQ are perpendiculars from vertices A and C on diagonal BD (see figure 8.36). Show that:
(i) ΔAPB ≅ ΔCQD.
(ii) AP = CQ.
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1 - 9
Solution:
(i) Since, ABCD is a parallelogram.
AB || CD and BD intersects them.
∴ ∠ABD = ∠CDB, (Alternate interior angles)
⇒ ∠ABP = ∠CDQ …..(i)
In ΔAPB and ΔCQD, we have
∠APB = ∠CQD, (Each = 90°)
∠ABP = ∠CDQ, [From (i)] and
AB = CD, (Opposite sides of a parallelogram)
∴ ΔAPB ≅ ΔCQD,
(By AAS congruence rule)

(ii) ∵ ΔAPB ≅ ΔCQD
⇒ AP = CQ (CPCT)
Hence proved

Question 11.
In ΔABC and ΔDEF, AB = DE, AB || DE, BC=EF and BC || EF. Vertices A, B and C are joined to vertices D, E and F respectively (see figure 8.36). Show that
(i) quadrilateral ABED is a parallelogram.
(ii) quadrilateral BEFC is a parallelogram.
(iii) AD || CF and AD = CF.
(iv) Quadrilateral ACFD is a parallelogram
(v) AC = DE
(vi) ΔABC ≅ ΔDEF,
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1 - 10
Solution :
(i) In quadrilateral ABED, we have
AB = DE and AB || DE, (Given)
∴ ABCD is a parallelogram.
(By theorem 8.8)

(ii) In quadrilateral BEFC, we have
BC = EF and BC || EF
∴ BEFC is a parallelogram.
(By theorem 8.8)

(iii) Since, ABED is a parallelogram.
[Proved in (i)]
BE = AD and BE || AD …… (1)
(Opposite sides of a parallelogram) and BEFC is a parallelogram.
BE = CF and BE || CF ……(2)
(Opposite sides of a parallelogram)
From (1) and (2), we get
AD = CF and AD || CF ……(3)

(iv) Since, AD = CF and AD || CF,
(As proved above)
∴ ACFD is a parallelogram.
(By theorem 8.8)

(v) ∵ ACFD is a parallelogram.
∴ AC = DF,
(Opposite sides of a parallelogram)

(vi) In ΔABC and ΔDEF, we have
AB = DE (Given)
BC = EF, (Given) and
AC = DF, [From (4)]
∴ ΔABC ≅ ΔDEF, (By SSS congruence rule)
Hence proved

HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1

Question 12.
ABCD is a trapezium in which AB CD and AD = BC (see figure 8.37). Show that:
(i) ∠A = ∠B.
(ii) ∠C = ∠D.
(iii) ΔABC ≅ ΔBAD.
(iv) diagonal AC = diagonal BD.
(Hint : Extend AB and draw a line through C parallel to DA intersecting AB produced at E] OR ABCD is a quadrilateral in which AB || CD and AD = BC. Prove that ∠A = ∠B and ∠C = ∠D. [NCERT Exemplar Problems]
HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.1 - 11
Solution:
Given : ABCD is a trapezium in which AB || CD and AD = BC.
To prove : (i) ∠A = ∠B,
(ii) ∠C = ∠D,
(iii) ΔABC = ΔBAD,
(iv) diagonal AC = diagonal BD.
Construction : Extend AB and draw a line through C parallel to DA intersecting AB propduced at E. Join AC and BD.

Proof: (i) Since AD || CE and AE intersects them.
∴ ∠A + ∠E = 180° ….(i)
[∵ Sum of co-interior angles is 180°]
Now AE || CD (Given)
and AD || CE, (By construction)
∴ AECD is a parallelogram.
⇒ AD = CE
(Opposite sides of parallelogram)
But, AD = BC (Given)
∴ BC = CE
⇒ ∠CBE = ∠CEB …….(ii)
(Angles opposite to equal sides are equal)
Now, ∠B + ∠CBE = 180°, (Linear pair)
⇒ ∠B + ∠CEB = 180°, [Using (ii)]
⇒ ∠B + ∠E = 180° ….(iii)
From (i) and (iii), we get
∠A + ∠E = ∠B + ∠E
⇒ ∠A = ∠B ……..(iv)
Hence proved

(ii) Since AB || CD and AD intersects them.
∠A + ∠D = 180°, ……..(v)
[∵ Sum of co-interior angles is 180°]
Again, AB || CD and BC intersects them.
∠B + ∠C = 180°, ……..(vi)
From (v) and (vi), we have
∠A + ∠D = ∠B + ∠C
⇒ ∠A + ∠D = ∠A + ∠C, [Using (iv)]
⇒ ∠D = ∠C. Hence proved

(iii) In ΔABC and ΔBAD, we have
AB = BA (Common)
∠B = ∠A,
[As proved above in (iv)]
and BC = AD (Given)
∴ ΔABC ≅ ΔBAD, (By SAS congruence rule)
proved ΔABC = ABAD
⇒ AC = BD. (CPCT)
Hence,diagonal AC = diagonal BD.
proved

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

HBSE 9th Class Hindi दो बैलों की कथा Textbook Questions and Answers

रीढ़ की हड्डी एकांकी HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 1.
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा जमाना था….” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है ?
उत्तर-
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद दोनों वृद्ध अथवा पुरानी पीढ़ी के पात्र हैं। दोनों को अपना युग ही अच्छा लगता है। इसलिए वे बार-बार उसे ही याद करके सराहते रहते हैं। उनके लिए ऐसा करना स्वाभाविक है। अपने युग की यादें अपने-आप ही मन में उभरती रहती हैं। स्वयं की या अपने युग की तारीफ करना बुरा नहीं। किंतु उन्हें दूसरों के सामने व्यक्त करना और इस युग को अपने से हीन दिखाना या तुच्छ बताना अनुचित है। यह तर्कसंगत भी नहीं है। ऐसा करके वे नई पीढ़ी के सामने अपने-आपको उनसे श्रेष्ठ सिद्ध करने का प्रयास करते हैं। वैसे प्रत्येक युग की अलग-अलग परिस्थितियाँ होती हैं। प्रत्येक युग के जीवन में सब बातें अच्छी नहीं होती और सब बातें बुरी नहीं होतीं। हर युग में कुछ कमियाँ होती हैं। इसलिए हमें कमियों की अपेक्षा अच्छाई की ओर ध्यान देना चाहिए। अपने युग के अनुभव सुनाते रहना और दूसरों की एक न सुनना भी तर्कसंगत नहीं है। इससे नए युग के लोग उत्साहित नहीं होते। उनके दिलों में बड़ों के लिए सद्भावना व सम्मान नहीं रहता, अपितु दूरियाँ बढ़ने की संभावना रहती है।

रीढ़ की हड्डी Class 9 Summary HBSE प्रश्न 2.
रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है ?
उत्तर-
निश्चय ही रामस्वरूप अपनी बेटी उमा को बी.ए. तक की शिक्षा दिलवाता है। वह लड़कियों को शिक्षा दिलवाना पिता का कर्त्तव्य मानता है। किंतु जब विवाह-शादी की बात होती है तो वह अपनी बेटी की शिक्षा को छिपाता है। ऐसा वह इसलिए करता है कि उसमें लड़कियों की शिक्षा को बुरा बताने एवं पिछड़े हुए विचारों वाले लोगों का सामना करने की हिम्मत नहीं थी। लोग शिक्षित बहू को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होते। उनके अनुसार पढ़ी-लिखी बहू नियंत्रण में नहीं रहती। वह बात-बात पर नखरे करती है। वे बहू का पढ़ा-लिखा होना उचित नहीं समझते। इसलिए वे कम पढ़ी-लिखी बहू ही चाहते हैं। रामस्वरूप के घर जो व्यक्ति अपने बेटे के साथ उसकी लड़की उमा को देखने आते हैं वे भी इसी विचारधारा के हैं। इसलिए रामस्वरूप विचित्र स्थिति में फँस जाता है। वह अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाने के लिए विवश होता है।

प्रश्न 3.
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है ?
उत्तर-
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप अपनी बेटी उमा से इस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे थे कि वह सीधी-सादी, चुपचाप तथा कम पढ़ी-लिखी लगने वाली लड़की लगे। उनकी ऐसी अपेक्षा करना नितांत उचित नहीं था। लड़की कोई भेड़-बकरी या मेज-कुर्सी तो नहीं होती। उसका भी दिल होता है। उसका उच्च शिक्षा पाना कोई अपराध नहीं है। वह यदि पढ़ी-लिखी है तो व्यवहार भी ऐसा ही करेगी। इसके अतिरिक्त झूठी बातों पर आधारित रिश्ते अधिक देर तक नहीं टिकते। अतः रामस्वरूप द्वारा अपनी बेटी से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा करना न केवल अनुचित अपितु तर्कसंगत भी नहीं है।

प्रश्न 4.
गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं ? अपने विचार लिखें।
उत्तर-
गोपाल प्रसाद और रामस्वरूप, दोनों ही अपने-अपने विचारों के अपराधी हैं। गोपाल प्रसाद विवाह जैसे पवित्र बंधन के महत्त्व को नहीं समझते। वे इसे व्यापार की भाँति ही समझते हैं, जिस प्रकार व्यापार करते समय लाभ-हानि को ध्यान में रखते हुए तरह-तरह की जाँच-पड़ताल की जाती है। उसी प्रकार विवाह के समय भी लाभ-हानि का पूरा ध्यान रखा जाता है।

रामस्वरूप अपनी पढ़ी-लिखी बेटी की योग्यता (पढ़ाई) को छिपाते हैं। गुणों को छिपाना अच्छी बात नहीं है। रामस्वरूप की भले ही यह मजबूरी थी। हमारी राय में उन्हें ऐसे संकीर्ण विचारों वाले युवक से अपनी गुणवती बेटी का रिश्ता नहीं करना चाहिए, जिससे वह बेचारी आजीवन दुःखी रहे। जब किसी बात को छिपाया जाता है, तब वह गलत लगने लगती है। इसलिए रामस्वरूप को ऐसा नहीं करना चाहिए था।

प्रश्न 5.
“……आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं….” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है ?
उत्तर-
इस कथन के माध्यम से उमा शंकर की निम्नलिखित कमियों की ओर संकेत करना चाहती है-

(1) सर्वप्रथम वह बताना चाहती है कि शंकर शारीरिक दृष्टि से अत्यंत कमजोर है, जो सीधा भी नहीं बैठ सकता। उसकी कमर सदा झुकी रहती है। .
(2) वह चरित्रहीन युवक है। लड़कियों के पीछे जाने के कारण वह बुरी तरह से अपमानित हो चुका है। अपमानित व्यक्ति का समाज में कोई स्थान नहीं होता।
(3) शंकर रीढ़ की हड्डी के बिना है अर्थात् उसका कोई व्यक्तित्व व दृढ़ मत नहीं है। वह अपने पिता के इशारों पर चलने वाला निरीह प्राणी है। जैसा उसका पिता उसे कहता है, वह वैसा ही करता है। वह बिना सोचे-समझे पिता की उचित-अनुचित बातों में हाँ-में-हाँ मिलाता है। उसका अपना कोई ठोस विचार या मत नहीं है। अतः ऐसा व्यक्ति पति बनने के योग्य नहीं है।

प्रश्न 6.
शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की-समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर-
वस्तुतः ‘समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की जरूरत है। उमा के व्यक्तित्व में साहस और हिम्मत है। वह स्पष्टवक्ता है। वह समाज में व्याप्त दकियानूसी अर्थात् रूढ़िवादी विचारों का विरोध कर सकती है। वह गोपाल दास जैसे समाज के तथाकथित ठेकेदारों की वास्तविकता को उजागर करने की हिम्मत रखती है। यहाँ तक कि डरपोक किस्म के (रामस्वरूप जैसे) व्यक्तियों को भी वह आड़े हाथों लेती है। वह समझदार एवं शिक्षित युवती है। उसमें किसी प्रकार की हीन भावना नहीं है। .
शंकर एक चरित्रहीन, दब्बू एवं कमजोर व्यक्तित्व वाला युवक है। वह समाज का किसी प्रकार भला नहीं कर सकता। अतः स्पष्ट है कि समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है।

प्रश्न 7.
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-प्रस्तुत एकांकी का शीर्षक ‘रीढ़ की हड्डी’ सर्वथा उपयुक्त एवं सार्थक है। शरीर में रीढ़ की हड्डी का महत्त्वपूर्ण स्थान है। रीढ़ की हड्डी ही शरीर को सीधा और मजबूत बनाए रखती है। यही दशा समाज की भी है। शंकर जैसे युवक रीढ़ की हड्डी से रहित हैं। उनका अपना व्यक्तित्व नहीं है। वे चरित्रहीन हैं। ऐसे लोगों से समाज कभी भी मजबूत व विकसित नहीं हो सकता। उसे उमा जैसे चरित्रवान, कर्मठ एवं दृढ़ निश्चय वाले लोगों.की जरूरत है। ऐसे लोग ही समाज की रीढ़ बनने के योग्य होते है। दूसरी
ओर जिन लोगों की अपनी कोई सत्ता या अस्तित्व नहीं होता उन्हें बैकबोन-विहीन कहा जाता है। प्रस्तुत शीर्षक एकांकी के लक्ष्य को अभिव्यक्त करने में पूर्णतः सार्थक है। अतः यह पूरी तरह से उपयुक्त है।

प्रश्न 8.
कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों ?
उत्तर-
प्रस्तुत एकांकी की कथावस्तु के आधार पर हम उमा को एकांकी का प्रमुख पात्र मानते हैं। इसके अनेक कारण हैं। संपूर्ण कथावस्तु उमा के चरित्र के इर्द-गिर्द घूमती है। एकांकीकार ने अपने लक्ष्य की अभिव्यक्ति भी उसके चरित्र के माध्यम से की है। उसके द्वारा व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं। लेखक को उमा से पूर्ण सहानुभूति भी है। वह अपने सशक्त चरित्र के द्वारा अन्य सभी पात्रों एवं पाठकों को प्रभावित कर लेती है। कथावस्तु की सभी घटनाएँ उसके चरित्र को उजागर करने के लिए ही आयोजित की गई हैं। वह एकांकी का केन्द्र-बिंदु मानी जाती है। संपूर्ण कथानक उसके आस-पास ही चक्कर काटता रहता है।

प्रश्न 9.
एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद दोनों ही एकांकी के प्रमुख पात्र हैं। एकांकी में दोनों की चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं
रामस्वरूप वह लड़कियों की शिक्षा के पक्ष में है। इसलिए वह अपनी बेटी उमा को बी०ए० तक पढ़ाता है। वह अपनी पत्नी का विरोध सहन करके भी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाता है। वह चाहता है कि लड़कियों को भी लड़कों की भाँति आत्मनिर्भर होना चाहिए।
रामस्वरूप दब्बू स्वभाव वाला व्यक्ति है। वह स्थिति का सामना नहीं कर सकता। इसलिए वह लड़के वालों के सामने अपनी बेटी की उच्च शिक्षा वाली बात को छुपा जाता है। वह न चाहते हुए भी गोपाल प्रसाद की हाँ-में-हाँ मिलाता है।

गोपाल प्रसाद-गोपाल प्रसाद अत्यंत चतुर एवं लालची है। वह समाज की पुरानी परंपराओं व अंधविश्वासों को मानने वाला व्यक्ति है। उसकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है। वह विवाह जैसे पवित्र संस्कार को भी बिजनेस मानता है और लड़कियों को हीन दृष्टि से देखता है। शिक्षित होते हुए भी वह लिंग भेदभाव का शिकार है। वह कहता है कि ऊँची तालीम केवल मर्दो के लिए होती है। वह अपने बेटे की कमियों पर पर्दा डालता है और अपनी गलत बात को भी तर्क के सहारे सही करना चाहता है।

प्रश्न 10.
इस. एकांकी का क्या उद्देश्य है ? लिखिए।
उत्तर-
रीढ़ की हड्डी’ एक सोद्देश्य रचना है। इस रचना का प्रमुख लक्ष्य नारी की बदलती स्थिति को चित्रित करना है। वह मूक बनकर पशु की भाँति सब कुछ सहन नहीं कर सकती। वह संवेदनशील है। अब कोई निर्जीव वस्तुओं की भाँति उसके जीवन का सौदा नहीं कर सकता। उमा के चरित्र-चित्रण के माध्यम से एकांकीकार ने पुरानी एवं परंपरावादी विचारधारा पर कड़ा प्रहार किया है। शंकर व उसका पिता गोपाल प्रसाद उमा से व्यर्थ की जाँच-पड़ताल करते हैं। इससे उमा के स्वाभिमान को ठेस पहुँचती हैं। वह शिक्षित युवती है। उसकी भी जीवन के प्रति रुचि-अरुचि है। वह मूक बनकर लालची लोगों के द्वारा किए गए अपमान को सहन नहीं करती अपितु, वह ऐसे लोगों के वास्तविक रूप को प्रकट कर देती है। इस प्रकार लेखक यह बताना चाहता है कि आज नारी शिक्षित हो चुकी है तथा अपने अस्तित्व को पहचानने लगी है।

प्रश्न 11.
समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं ? उत्तर-समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं-
(क) समाज में महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व के लिए संघर्ष कर सकते हैं।
(ख) घर-परिवार में महिलाओं को उचित सम्मान दिलवा सकते हैं।
(ग) महिलाओं को शिक्षा दिलवाकर उनको आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
(घ) दहेज की प्रथा को समाप्त करके लड़कियों का उनकी योग्यता के अनुसार योग्य वर से विवाह करवाकर उन्हें उचित गरिमा दिलवा सकते हैं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

HBSE 9th Class Hindi रीढ़ की हड्डी Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर-
रीढ़ की हड्डी’ एक सामाजिक एकांकी है। इसमें लेखक ने जहाँ समाज की रूढ़िवादिता पर व्यंग्य किया है, वहीं समाज में नारी को सम्माननीय स्थान दिलाने की प्रेरणा भी दी है। हमारा समाज नारी शिक्षा को महत्त्व नहीं देता। इससे समाज के पुराने एवं रूढ़िवादी मूल्य टूटते हैं। पुरुष का आसन हिलता है। पुरुष वर्ग नारी से अपने आपको श्रेष्ठ समझता है, भले ही वह कैसे भी बुरे काम क्यों न करता हो। पति चाहता है कि उसकी पत्नी उसके हाथ की कठपुतली हो। जैसा वह चाहे, वैसा ही वह नाचती रहे। लेखक ने नई रोशनी व ज्ञान के माध्यम से बताया है, कि नारी को मेज-कुर्सी की भाँति नहीं समझना चाहिए। वह भी समाज का ही अभिन्न अंग है। उसे प्रतिष्ठित स्थान मिलना चाहिए। नारी द्वारा शिक्षा प्राप्त करना पाप नहीं, अपितु गर्व की बात है।

प्रश्न 2.
उमा किसकी तुलना मेज-कुर्सी से करती है और क्यों?
उत्तर-
उमा को एकांकी में एक शिक्षित युवती के रूप में दिखाया गया है। वह अपनी और अपने जैसी अन्य लड़कियों की तुलना मेज-कुर्सी से करती है। वह सोचती है कि जैसे बाजार में मेज-कुर्सियों को बेचा जाता है, ठीक वैसे ही विवाह के समय भी लड़कियों से पूछताछ की जाती है। लड़की को देखने आए लोग उससे अपमानजनक प्रश्न पूछते हैं। लड़की के माँ-बाप भी लड़की के गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं ताकि वह बिकने योग्य बन सके। वे उसके दोषों को छिपाते हैं। बेचारी लड़की की इच्छाओं की ओर कोई ध्यान नहीं देता। उसे मेज-कुर्सी की भाँति बेजान समझा जाता है।

प्रश्न 3.
लड़कियों की खूबसूरती के विषय में गोपाल प्रसाद की विचारधारा कैसी है ?
उत्तर-
गोपाल प्रसाद की दृष्टि में खूबसूरती का अत्यधिक महत्त्व है। वह खूबसूरती का पक्ष लेते हुए कहता है कि अगर सरकार को आमदनी बढ़ानी है तो उसे खूबसूरती पर टैक्स लगाना चाहिए। वह लड़कियों का खूबसूरत होना निहायत जरूरी मानता है। उसका कथन है, “लड़की का खूबसूरत होना निहायत जरूरी है। कैसे भी हो, चाहे पाऊडर वगैरह लगाए चाहे वैसे ही। बात यह है कि हम आप मान भी जाएँ, मगर घर की औरतें तो राजी नहीं होतीं।”

प्रश्न 4.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के आधार पर शंकर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर-
शंकर प्रस्तुत एकांकी का प्रमुख पुरुष पात्र है। उसकी चरित्र रूपी हड्डी नहीं है। वह आवारा किस्म का युवक है। वह अपना ध्यान पढ़ाई की ओर कम और लड़कियों को देखने में अधिक लगाता है। लड़कियों के होस्टल में ताक-झांक करने के कारण उसकी पिटाई भी होती है।
शंकर की सबसे बड़ी कमज़ोरी है-उसका व्यक्तित्वहीन होना। उसके कोई ठोस विचार नहीं है। उसके मन में इतना दृढ़ निश्चय भी नहीं है कि वह अपनी सही बात पर भी अड़ा रह सके। उसकी अपनी कोई विचारधारा नहीं है। उसका पिता उसे जो कहता है, उसे वह आँखें बंद करके मान लेता है। यहाँ तक कि वह फूहड़ बातों पर भी ही-हीं कर देता है। वह स्वयं पढ़-लिखकर भी कम पढ़ी-लिखी पत्नी चाहता है। उसमें आत्मविश्वास नाम की कोई भावना नहीं है। वह बिन पैंदे का लोटा है। अतः एकांकी में उसका चरित्र एक कमजोर पात्र का चरित्र है।

प्रश्न 5.
प्रेमा अपनी बेटी को इंट्रेंस तक ही क्यों पढ़ाना चाहती थी?
उत्तर-
प्रेमा पुराने विचारों वाली औरत थी। वह चाहती है कि उसकी बेटी केवल इंट्रेंस की परीक्षा ही पास करे। उसे लगता था कि कम पढ़ी-लिखी लड़कियाँ नखरे कम करती हैं। वह माता-पिता की आज्ञा का पालन करती हैं। अधिक पढ़-लिख जाने पर लड़कियाँ मन-मर्जी करती हैं। अतः माता-पिता को परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं। इसलिए प्रेमा चाहती थी कि उसकी बेटी उमा केवल इंट्रेंस तक ही पढ़े।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

 

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
रीढ़ की हड्डी’ एक है
(A) कहानी
(B) निबंध
(C) एकांकी
(D) संस्मरण
उत्तर-
(C) एकांकी

प्रश्न 2.
‘रीढ़ की हड्डी’ कैसा एकांकी है ?
(A) व्यंग्यात्मक
(B) सामाजिक
(C) मनोवैज्ञानिक
(D) धार्मिक
उत्तर-
(A) व्यंग्यात्मक

प्रश्न 3.
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक एकांकी के लेखक हैं
(A) प्रेमचंद
(B) रामकुमार वर्मा
(C) जगदीश चंद्र माथुर
(D) हजारीप्रसाद द्विवेदी
उत्तर-
(C) जगदीश चंद्र माथुर

प्रश्न 4.
श्री जगदीश चंद्र माथुर का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1917
(B) सन् 1920
(C) सन् 1927
(D) सन् 1930
उत्तर-
(A) सन् 1917

प्रश्न 5.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का प्रमुख लक्ष्य है
(A) बेरोजगारी को दर्शाना
(B) लड़कियों की उपेक्षा को व्यक्त करना
(C) दहेज प्रथा पर प्रकाश डालना
(D) अंधविश्वासों का खंडन करना
उत्तर-
(B) लड़कियों की उपेक्षा को व्यक्त करना

प्रश्न 6.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में नायिका कौन है ?
(A) उमा
(B) उमा की माता
(C) शंकर की माता
(D) नौकरानी
उत्तर-
(A) उमा

प्रश्न 7.
उमा के पिता का क्या नाम है ?
(A) गोपाल प्रसाद
(B) शंकर
(C) रामस्वरूप
(D) रामदीन
उत्तर-
(C) रामस्वरूप

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

प्रश्न 8.
उमा को देखने आए लड़के का क्या नाम है ?
(A) गोपाल प्रसाद
(B) रामस्वरूप
(C) मातादीन
(D) शंकर
उत्तर-
(D) शंकर

प्रश्न 9.
शंकर किसका बेटा है ?
(A) गोपाल प्रसाद
(B) रामस्वरूप
(C) सोहन लाल
(D) किशनलाल
उत्तर-
(A) गोपाल प्रसाद

प्रश्न 10.
रामस्वरूप के नौकर का नाम है-
(A) प्रभुदीन
(B) रामरतन
(C) रतन
(D) घासीराम
उत्तर-
(C) रतन

प्रश्न 11.
उमा की माँ का नाम है-
(A) रामेश्वरी
(B) प्रेमा
(C) राजेश्वरी
(D) शीला
उत्तर-
(B) प्रेमा

प्रश्न 12.
रामस्वरूप के अनुसार पाउडर का कारोबार किसके सहारे चलता है ?
(A) लड़कों के
(B) लड़कियों के
(C) विज्ञापनों के
(D) पुरुषों के
उत्तर-
(B) लड़कियों के

प्रश्न 13.
उमा ने कहाँ तक शिक्षा प्राप्त की थी ?
(A) मिडिल
(B) मैट्रिक
(C) इंटर
(D) बी.ए.
उत्तर-
D) बी.ए.

प्रश्न 14.
गोपाल प्रसाद अपने लड़के के लिए कैसी पत्नी चाहता है ?
(A) अनपढ़
(B) विदुषी
(C) कम पढ़ी-लिखी
(D) एम.ए. पास
उत्तर-
(C) कम पढ़ी-लिखी

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प्रश्न 15.
‘अच्छा तो साहब ‘बिजनेस’ की बात हो जाए।’ इस वाक्य में गोपाल प्रसाद ने ‘बिजनेस’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है ?
(A) व्यापार
(B) विवाह
(C) बातचीत
(D) स्वार्थ
उत्तर-
(B) विवाह

प्रश्न 16.
गोपाल प्रसाद सरकार को किस वस्तु पर टैक्स लगाने पर परामर्श देता है ?
(A) चाय पर
(B) चीनी पर
(C) आम पर
(D) खूबसूरती पर
उत्तर-
D) खूबसूरती पर

प्रश्न 17.
‘लड़की का खूबसूरत होना निहायत जरूरी है’-ये शब्द किसने कहे हैं ?
(A) प्रेमा ने
(B) शंकर ने
(C) गोपाल प्रसाद ने
(D) रामस्वरूप के
उत्तर-
(C) गोपाल प्रसाद ने

प्रश्न 18.
एकांकी में उमा किस कवि या कवयित्री द्वारा रचित भजन सुनाती है ?
(A) महादेवी
(B) मीराबाई
(C) रविदास
(D) सूरदास
उत्तर-
(B) मीराबाई

प्रश्न 19.
उमा को देखकर गोपाल प्रसाद एवं शंकर क्यों चौंक पड़ते हैं ?
(A) वह काले रंग की है
(B) वह बदसूरत है
(C) उसे चश्मा लगा हुआ है
(D) उसने बेढंगे कपड़े पहने हुए हैं
उत्तर-
(C) उसे चश्मा लगा हुआ है

प्रश्न 20.
उमा गाते-गाते एकाएक क्यों रुक जाती है ?
(A) उसे खाँसी आ गई
(B) उसे नींद आ गई
(C) वह गीत भूल गई
(D) उसने शंकर को पहचान लिया
उत्तर-
(D) उसने शंकर को पहचान लिया

प्रश्न 21.
“तुमने कुछ इनाम-विनाम भी जीते हैं ?” यह प्रश्न उमा से किसने पूछा है ?
(A) गोपाल प्रसाद ने
(B) शंकर ने
(C) रतन ने
(D) रामस्वरूप ने
उत्तर-
(A) गोपाल प्रसाद ने

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प्रश्न 22.
“क्या लड़कियाँ बेबस भेड़-बकरियाँ होती हैं ?” ये शब्द एकांकी के किस पात्र ने कहे हैं ?
(B) रतन ने
(C) रामस्वरूप ने
(D) उमा ने
उत्तर-
D) उमा ने

प्रश्न 23.
शंकर ने किसके पैरों में पड़कर जान बचाई थी ?
(A) प्रेमा के
(B) उमा के
(C) होस्टल की नौकरानी के
(D) अपनी माँ के
उत्तर-
(C) होस्टल की नौकरानी के

प्रश्न 24.
‘शंकर की बैकबोन नहीं है’-ये शब्द उसे कौन कहता है ?
(A) रामस्वरूप
(B) गोपाल प्रसाद
(C) शंकर के मित्र
(D) उमा
उत्तर-
(C) शंकर के मित्र

प्रश्न 25.
‘बाबू जी मक्खन……।’ ये शब्द एकांकी के किस पात्र ने कहे हैं ?
(A) उमा
(B) प्रेम
(C) उमा की सखी
(D) रतन
उत्तर-
(D) रतन

रीढ़ की हड्डी प्रमुख गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/भाव ग्रहण

 

रीढ़ की हड्डी Summary in Hindi

रीढ़ की हड्डी पाठ-सार/गध-परिचय

प्रश्न-
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक एकांकी का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
रीढ़ की हड्डी’ श्री जगदीश चंद्र माथुर का एक व्यंग्य एकांकी है। इसमें उन्होंने विवाह संबंधी समस्या को चित्रित किया है। रामस्वरूप लड़की का पिता है। लड़की का नाम उमा है। वह बी०ए० पास है। प्रेमा लड़की की माता है। रतन घर का नौकर है। आज उमा को देखने के लिए गोपाल प्रसाद और उसका बेटा शंकर आने वाले हैं।

रामस्वरूप एवं उसके परिवार के सभी सदस्य घर को सजाने में लगे हुए हैं। सारी तैयारियाँ हो रही हैं। घर में एक तख्त और उस पर एक सफेद चादर बिछा दी गई है। घर का नौकर रतन भी घर के काम में व्यस्त है। तख्त पर हारमोनियम, सितार आदि सजाए गए हैं। उमा की संगीत की परीक्षा वहीं होगी। प्रेमा ने नाश्ते की सब वस्तुएँ सजा दी हैं। नौकर मक्खन लेने जाता है।
रामस्वरूप अपनी पत्नी प्रेमा को कहता है कि वह उमा को कहे कि वह सज-सँवरकर आए, किंतु उमा मुँह फुलाए बैठी है। उसे बाहरी दिखावा अच्छा नहीं लगता। माँ बेटी के व्यवहार से तंग है। उमा बी०ए० पास है, किंतु वर-पक्ष को उसकी शिक्षा मैट्रिक तक बताई गई है। रामस्वरूप ने अपनी पत्नी को समझा दिया है कि जब वर-पक्ष वाले आएँ तो वह उमा को सजा-सँवारकर भेजे, किंतु उमा को पाउडर आदि वस्तुएँ प्रयोग करने का शौक नहीं है।

तभी शंकर और उसके पिता गोपाल बाबू आ जाते हैं। गोपाल बाबू की आँखों से लोक-चतुराई टपकती है। उसकी आवाज़ से पता चलता है कि वह अनुभवी और लालची है। शंकर कुछ खीसें निपोरने वाले नौजवानों में से है। उसकी आवाज़ पतली और खिसियाहट भरी तथा कमर कुछ झुकी हुई है।

बाबू रामस्वरूप उन दोनों को अत्यंत आदर-भाव से स्वागत करते हुए बिठाते हैं। बातचीत करते हुए रामस्वरूप ने शंकर की शिक्षा के विषय में जानकारी प्राप्त की। बाबू गोपाल प्रसाद ने बताया कि शंकर एक साल बीमार पड़ गया था। क्या बताऊँ कि इन लोगों को इसी उम्र में सारी बीमारियाँ सताती हैं। एक हमारा जमाना था कि स्कूल से आकर दर्जनों कचौड़ियाँ उड़ा जाते थे, मगर फिर जो खाने बैठते तो भूख वैसी-की-वैसी। पढ़ाई का यह हाल था कि एक बार कुर्सी पर बैठे तो बारह-बारह घंटे की ‘सिटिंग’ हो जाती थी।
बातचीत करते हुए गोपाल प्रसाद ने पूछा कि आपकी बेटी तो ठीक है। उसकी पढ़ाई-लिखाई के विषय में जो सुना है, वह तो गलत है न। साफ बात यह है कि हमें अधिक पढ़ी-लिखी लड़की नहीं चाहिए। मेम साहब तो रखनी नहीं है।

नाश्ता समाप्त हो चुका है। तभी उमा हाथों में तश्तरी लिए वहाँ आती है। उसने सादगी के कपड़े पहने हैं। उसकी गर्दन झुकी हुई है। बाबू गोपाल प्रसाद आँखें गड़ाकर और शंकर आँखें झुकाकर देखता है। उमा पान की तश्तरी अपने पिता को दे देती है। उमा जब चेहरा ऊपर उठाती है तो उसके नाक पर रखा हुआ चश्मा दिख जाता है। बाप-बेटा दोनों एक साथ चौंककर कहते हैं’चश्मा! बाबू रामस्वरूप बात को संभालते हुए कहते हैं कि पिछले महीने इसकी आँखें दुखनी आ गई थीं। इसलिए कुछ दिनों के लिए चश्मा लगाना पड़ रहा है। बाबू गोपाल प्रसाद उमा को बैठने के लिए कहते हैं। वह उससे गाने-बजाने के विषय में पूछते हैं। रामस्वरूप उमा को एक-आध गीत सुनाने के लिए कहते हैं।

उमा उन्हें मीरा का भजन गाकर सुनाती है मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरा न कोई। गीत में तल्लीन होने पर उसका मस्तक ऊपर उठा। उसने शायद शंकर को पहचान लिया। वह गाते-गाते एकदम रुक गई। उमा उठने को हुई, तो उसे रोक लिया गया। फिर गोपाल प्रसाद उससे पेंटिंग और सिलाई की शिक्षा के विषय में पूछने लगे। तसल्ली होने पर इनाम आदि की जानकारी भी चाही इस पर वह चुप रही।

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जब उमा से संबंधित अधिकतर प्रश्नों के उत्तर उसके पिता ने दिए, तो गोपाल प्रसाद ने कहा कि जरा लड़की को भी मुँह खोलना चाहिए, तो रामस्वरूप ने उमा को जवाब देने के लिए कहा। उमा ने कहा, “क्या जवाब +, बाबू जी! जब कुर्सी-मेज़ बिकती है, तब दुकानदार कुर्सी-मेज़ से कुछ नहीं पूछता, सिर्फ खरीदार को दिखला देता है। पसंद आ गई तो अच्छा है, वरना……. ।”
रामस्वरूप के रोकने पर भी उमा कहती है-“ये जो महाशय मेरे खरीदार बनकर आए हैं, इनसे जरा पूछिए कि क्या लड़कियों के दिल नहीं होता? क्या उनके चोट नहीं लगती ? क्या वे बेबस भेड़-बकरियाँ हैं, जिन्हें कसाई अच्छी तरह देख भालकर …….. ?” वह पुनः कहती है कि क्या “हमारी बेइज्जती नहीं होती जो आप इतनी देर से नाप-तोल कर रहे हैं और आप जरा अपने इन साहबजादे से पूछिए कि अभी पिछली फरवरी में ये लड़कियों के होस्टल के इर्द-गिर्द क्यों घूम रहे थे, और वहाँ से कैसे भगाए गए थे। इस पर गोपाल प्रसाद पूछते हैं क्या तुम कॉलेज में पढ़ी हो ? तब उमा कहती है-“जी हाँ, मैं कॉलेज में पढ़ी हूँ मैं बी.ए. पास हूँ। कोई पाप नहीं किया है, कोई चोरी नहीं की और न आपके पुत्र की भाँति ताक-झाँककर कायरता दिखाई है। मुझे अपनी इज्जत, अपने मान का ख्याल तो है। लेकिन इनसे पूछिए कि किस तरह नौकरानी के पैरों में पड़कर अपना मुँह छिपाकर भागे थे।” गोपाल प्रसाद और शंकर अधिक अपमान न सहन कर सके और वे चलने लगे। तभी उमा कहती है-“जी हाँ, जाइए, जरूर चले जाइए। लेकिन घर जाकर यह पता लगाइएगा कि आपके लाडले बेटे के रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं, यानी बैकबोन, बैकबोन!”

उमा के इन शब्दों से गोपाल प्रसाद के चेहरे का रंग उड़ जाता है। वह निराश होकर बाहर निकल जाता है। शंकर का चेहरा रुआँसा हो जाता है। रामस्वरूप भी कुर्सी पर धम्म से बैठ जाता हैं। उमा सिसकियां भरने लगती है। तभी रतन मक्खन लेकर आता है। इस प्रकार एकांकी का अंत करुणाजनक स्थिति में होता है।

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-27) : मामूली = अत्यंत साधारण। सिरा = किनारा। कसरत = व्यायाम। कलस = घड़ा।

(पृष्ठ-28) : मेज़पोश = मेज़ पर बिछाने का सजावटी कपड़ा। झाड़न = सफाई के काम आने वाला कपड़ा। सहसा = अनायास। गंदुमी = गेहुँआ रंग। भीगी बिल्ली = सहमा हुआ-सा। उल्लू = मूर्ख। मुँह फुलाए = नाराज़ होकर, गुस्से में।

(पृष्ठ-29) : मर्ज़ = रोग। पकड़ में आना = काबू में आना। सिर चढ़ाना = बढ़ावा देना। जंजाल = झंझट । ठठोली = मज़ाक। राह पर लाना = सीधे रास्ते पर लाना, समझा-बुझा कर मनाना। टीमटाम = दिखावा। नफरत = घृणा। बाज़ आना = हारना।

(पृष्ठ-30) : इंट्रेंस = कक्षा बारह। हाथ रहना = नियंत्रण में रहना। ज़बान पर काबू होना = बोलने पर नियंत्रण होना। जिक्र = चर्चा। उगलना = कह देना। खुद = स्वयं।

(पृष्ठ-31) : करीने से = सही ढंग से, सँवर कर। दकियानूसी ख्याल = पुराने विचार। सोसाइटी = लोगों का मिलन-स्थल। सवा सेर = अधिक तेज़। तालीम = शिक्षा। कोरी-कोरी सुनाना = साफ-साफ कहना। चौपट करना = बेकार कर डालना। कमबख्त = अभागा। दस्तक = खटखट की आवाज़।

(पृष्ठ-32) : लोक चतुराई = लोक-व्यवहार में सयानापन। टपकती = झलकती, दिखाई देनी। अनुभवी = जिसने दुनिया का व्यवहार देखा हो। फितरती = शरारती, स्वभावगत। खीस निपोरना = चापलूसी करना, बेकार में दाँत निकालना। खिसियाहट = शर्म, संकोच। तशरीफ लाना = बैठना। काँटों में घसीटना = परेशानी में डालना। मुखातिब = मुँह करके। वीक-एंड = सप्ताह के अंत में। मार्जिन = अंतर, फासला।

(पृष्ठ-33) : उड़ जाना = खा जाना। जनाब = महोदय। बालाई = खाने वाला पदार्थ । हज़म करना = पचाना। वगैरह = आदि। मजाल = हिम्मत, शक्ति। फरटि = तेज़ गति से, धारा-प्रवाह। मुकाबला = होड़। ज़ब्त करना = रोकना। रंगीन = आनंदपूर्ण।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

(पृष्ठ-34) : तकल्लुफ = शिष्टाचार। तकदीर = भाग्य। काबिल = योग्य। हैसियत = शक्ति। बँखारकर = खाँसी की आवाज़ करके। बैकबोन = रीढ़ की हड्डी। ज़ायका = स्वाद।।

(पृष्ठ-35) : आमदनी = आय। यूँ करना = विरोध में बोलना। स्टैंडर्ड = मापदंड, गुणवत्ता। माफिक = के अनुसार। बेढब होना = बिगड़ जाना। निहायत = बहुत, अधिक। राज़ी = मान जाना, स्वीकार करना।

(पृष्ठ-36) : रस्म = रिवाज़। जायचा = जन्मपत्री। ठाकुर = भगवान। चरणों = कदमों। भनक पड़ना = चोरी-छिपे बात का पता चलना। मेम साहब = पढ़ी-लिखी नखरेबाज़ औरत। ग्रेजुएट = बी०ए० बी० कॉम या बी०एस-सी० तक पढ़ी हुई। अक्ल के ठेकेदार = स्वयं को बुद्धिमान मानने वाला। काबिल = योग्य। पालिटिक्स = राजनीति। बहस = चर्चा।

(पृष्ठ-37) : तालीम = शिक्षा। तश्तरी = प्लेट। आँखें गड़ाना = ध्यान से देखना। ताकना = देखना। सकपकाकर = घबराकर।

(पृष्ठ-38) : वजह = कारण। अर्ज करना = प्रार्थना करना। संतुष्ट = तसल्ली, तृप्त। छवि = सुंदरता। तल्लीनता = मग्नता। झेंपती आँखें = शर्माती आँखें। तसवीर = चित्र, पेंटिंग।

(पृष्ठ-39) : अधीर होना = बेचैन होना। सकपकाना = घबराना। मुँह खोलना = बोलना। चोट लगना = बुरा लगना। कसाई = पशुओं की हत्या करने वाला। नाप-तोल करना = एक-एक चीज़ ठोक बजाकर लेना। साहबज़ादा = प्यारा पुत्र।

(पृष्ठ-40) : ताक-झाँक करना = इधर-उधर देखना। मान = इज्जत, सम्मान। ख्याल = ध्यान। मुँह छिपाकर भागना = शर्मिंदा होकर भागना। दगा करना = धोखा करना। गज़ब होना = बहुत बुरा होना। ठिकाना = सीमा। रुलासापन = रोने का भाव।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 6 सड़क सुरक्षा

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 6 सड़क सुरक्षा Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 6 सड़क सुरक्षा

HBSE 9th Class Hindi सड़क सुरक्षा Textbook Questions and Answers

सड़क सुरक्षा HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 1.
साइबर कैफे में जाकर दोनों मित्र क्या करते थे ?
उत्तर-
दोनों मित्र साइबर कैफे में जाकर कार रेस लगाने वाली वीडियो गेम खेलते थे।

HBSE 9th Class सड़क सुरक्षा Hindi प्रश्न 2.
दोनों मित्रों का गाड़ी चलाना सही था या नहीं ? कारण सहित बताइए।
उत्तर-
दोनों मित्रों का गाड़ी चलाना सही नहीं था क्योंकि एक तो वे अभी नाबालिग थे अर्थात छोटे बच्चे थे। दूसरा, उन्हें गाड़ी चलाना भी नहीं आता था कि कहाँ एकाएक ब्रेक लगानी है और कहाँ गाड़ी को रोकना है। गाड़ी चलाते समय जो धैर्य होना चाहिए, वह बच्चों में नहीं था। इसलिए उनका गाड़ी चलाना उचित नहीं था।

प्रश्न 3.
अरविंद समय पर ब्रेक क्यों नहीं लगा पाया ?
उत्तर-
अरविंद समय पर ब्रेक इसलिए नहीं लगा पाया था क्योंकि वह घबरा गया था। इसलिए उसका पैर ब्रेक पर रखे जाने की अपेक्षा एक्सलरेटर पर पड़ गया और गाड़ी की गति बढ़ गई थी।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 6 सड़क सुरक्षा

प्रश्न 4.
व्यक्ति के कार से टकराने पर क्या हुआ ?
उत्तर-
व्यक्ति जो कार से टकरा गया था वह कार की चपेट में आ गया था और कार के पहिए के साथ ही घसीटता चला गया था। उसे काफी चोटें आईं और उसकी कमर की हड्डी टूट गई थी।

प्रश्न 5.
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर-
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें सड़क के नियमों का पालन करना चाहिए। जब तक हमारा ड्राइविंग लाइसेंस न बन जाए और हम कार चलाने की सही ट्रेनिंग न ले लें तब तक हमें कार सड़क पर नहीं चलानी चाहिए क्योंकि हमारी और दूसरों की जान खतरे में पड़ सकती है।

गतिविधियाँ

  1. ‘सड़क सुरक्षा’ पर पोस्टर बनाकर अपनी कक्षा में तथा स्कूल के प्रांगण में लगाइए।
  2. बच्चों को इंटरनेट के लाभ तथा नुकसान के बारे में बताइए।
  3. अपने पड़ोस तथा आस-पास के इलाके में जाकर लोगों को सड़क सुरक्षा के बारे में बताइए।
  4. यदि कोई भी गाड़ी चलाने का प्रशिक्षण देने वाली संस्था बिना ठीक से प्रशिक्षण दिए लाइसेंस दिलवाती है तो उसकी शिकायत करते हुए एक पत्र लिखिए।
  5. अखबारों में प्रतिदिन आने वाली सड़क दुर्घटनाओं के चित्र और खबरें एकत्रित करके स्कूल और कक्षा के नोटिस बोर्ड पर लगाइए।
  6. दुर्घटना स्थल पर दी जाने वाली प्राथमिक चिकित्सा के बारे में बताइए और उसका अभ्यास कराइए।
  7. कक्षा को दो समूहों में बाँटिए। ‘पुलिस के भय से दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की सहायता करनी चाहिए या नहीं’ इस विषय पर दोनों समूहों में आपस में चर्चा करके अपने विचार बताने के लिए कहिए।

नोट-इन गतिविधियों को छात्र/छात्राएँ अपने अध्यापक व अध्यापिका की सहायता से करेंगे।

अभ्यास

(अ) निम्नलिखित का उपयोग क्यों किया जाता है? हैल्मेट, सीट-बेल्ट, ब्रेक, डिक्की, साइलेंसर, साइड इंडीकेटर।
उत्तर-
हैल्मेट का प्रयोग इसलिए किया जाता है कि सिर पर चोट न लगे। सीट बेल्ट लगाने से दुर्घटना के समय बचाव रहता है। ब्रेक से गाड़ी की गति कम हो सकती है तथा गाड़ी रुक भी जाती है। डिक्की में सामान रखा जाता है। साइलेंसर से आवाज को नियंत्रण में रखा जाता है। साइड इंडीकेटर के प्रयोग से अपने आगे व पीछे चलने वालों को बताया जाता है उन्हें किस तरफ मुड़ना है।

(ब) ‘कर’ प्रत्यय लगाकर तीन शब्द लिखें।
उत्तर-
पढ़कर, खाकर, उठकर।

(स) कहानी में से क्रिया विशेषण शब्द छाँटिए।
उत्तर-
बहुत, लम्बी, फर्क, बाहर, उदास, निराश आदि।

(द) निम्नलिखित शब्दों से असंगत शब्दों पर x का निशान लगाइए।
बोनट, दुर्घटना, सीट बेल्ट, ब्रेक, पुलिस
उत्तर-
x दुर्घटना तथा x पुलिस।

ज्ञानवर्धक जानकारी

मोटरयान कानून 1988-धारा-4

मोटरयान चलाने के संबंध में आयु सीमा

1. कोई भी व्यक्ति, जो अठारह वर्ष से कम आयु का है, किसी सार्वजनिक स्थान में मोटरयान नहीं चलाएगा। परन्तु कोई व्यक्ति सोलह वर्ष की आयु का होने के पश्चात् किसी सार्वजनिक स्थान में (50 सी.सी. से अनधिक क्षमता वाली) मोटर साइकिल चला सकेगा।

2. धारा 18 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, कोई भी व्यक्ति, जो बीस वर्ष से कम आयु का है, किसी सार्वजनिक स्थान
में परिवहन यान नहीं चलाएगा।

3. कोई शिक्षार्थी अनुज्ञप्ति उस वर्ग के लिए, जिसके लिए उसने आवेदन किया है, उस यान को चलाने के लिए
किसी व्यक्ति को तब तक नहीं दी जाएगी जब तक कि वह इस धारा के अधीन उस वर्ग के यान को चलाने के लिए पात्र नहीं है।

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HBSE 9th Class Hindi सड़क सुरक्षा Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘सड़क सुरक्षा’ पाठ के आधार पर सड़क दुर्घटनाओं के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में बताया गया है कि सड़क दुर्घटना उस समय होती है जब हम सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं करते। जैसे गाड़ी को निर्धारित गति सीमा से अधिक तेज गति से दौड़ने के कारण गाड़ी नियन्त्रण से बाहर हो जाती है उस स्थिति में दुर्घटना की सम्भावना बढ़ जाती है। शराब पीकर या अन्य प्रकार का नशा करके या नींद में गाड़ी चलाने, मोबाइल पर बातें करने तथा सड़क के अन्य नियमों का उल्लंघन करने से भी सड़क दुर्घटना होती है।

प्रश्न 2.
‘सड़क सुरक्षा’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘सड़क सुरक्षा’ सम्बन्धी कहानी का मूल उद्देश्य पाठकों को सड़क सुरक्षा सम्बन्धित जानकारी देना है। सड़क सुरक्षा के नियमों के ज्ञान के अभाव में कितने ही लोग प्रतिदिन जान से हाथ धो बैठते हैं। इससे केवल एक व्यक्ति के जीवन की ही हानि नहीं होती अपितु उसके पूरे परिवार व सगे सम्बन्धियों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। किन्तु सड़क के नियमों की जानकारी प्राप्त करके और गाड़ी चलाते समय उनका पालन करके हम सदा सुरक्षित रूप से यात्रा सम्पूर्ण कर सकते हैं। इस पाठ में बताया गया है कि सड़क पर गाड़ी चलाते समय हमें पूर्ण रूप से अलर्ट रहना चाहिए तभी हम अपने लक्ष्य पर सुरक्षित रूप से पहुँच सकते हैं।

प्रश्न 3.
कहानी के प्रमुख पात्र राजू का मित्र कौन है और वे दोनों कहाँ और क्यों जाते हैं?
उत्तर-
अरविंद राजू का पक्का मित्र है, वे दोनों प्रतिदिन साइबर कैफे में जाते हैं। वहाँ वे कार रेस खेल की वीडियो पर खेलते हैं। राजू सदा तेज गति से कार का खेल खेलता है। उसे असली कार चलाने की भी बहुत रुचि है।

प्रश्न 4.
अरविंद और राजू को उनके माता-पिता कार चलाने की आज्ञा क्यों नहीं देते?
उत्तर-
राजू और अरविंद दोनों पक्के मित्र हैं। दोनों की आयु लगभग 13-13 वर्ष की है। दोनों ही अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की योग्यता नहीं रखते। इसलिए दोनों के माता-पिता उन्हें कार चलाने की आज्ञा नहीं देते। यदि वे ऐसा करेंगे तो पकड़े जाने पर उन्हें सजा भी मिल सकती है।

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प्रश्न 5.
अरविंद ने किसकी सलाह से कार निकाली और उसका परिणाम क्या हुआ?
उत्तर-
अरविंद समझदार एवं विचारवान बालक था। वह माता-पिता की आज्ञा का पालन करता है। उसके मित्र राजू ने उसे गाड़ी चलाने की सलाह दी, पहले तो वह माना नहीं किन्तु बार-बार कहने पर वह मान गया और स्वयं कार चलाने लगा वह कार को घर से बाहर निकालकर सर्विस लॉन में चलाने लगा वहाँ उसकी कार अनियन्त्रित हो गई। एक आदमी के साथ टकरा गई। उसकी कमर की हड्डी टूट गई तथा कार का सन्तुलन बिगड़ने से कार डिवाइडर से टकरा कर रुक गई।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘सड़क सुरक्षा’ पाठ में किन नियमों का वर्णन हुआ है?
(A) कानून संबंधित
(B) समाज संबंधित
(C) न्याय संबंधित
(D) सड़क सुरक्षा संबंधित
उत्तर-
(D) सड़क सुरक्षा संबंधित

प्रश्न 2.
सड़क दुर्घटना होने की संभावना कब होती है?
(A) शराब पीकर गाड़ी चलाने से
(B) सतर्क होकर गाड़ी चलाने से
(C) लालबत्ती का ध्यान रखते हुए
(D) सड़क के नियमों का पालन करने पर
उत्तर-
(A) शराब पीकर गाड़ी चलाने से

प्रश्न 3.
लालबत्ती न देखकर गाड़ी चलाने से क्या हो सकता है?
(A) गाड़ी शीघ्रता से निकल जाती है
(B) सामने या बगल से आने वाली गाड़ियों से टकरा सकते हैं
(C) पुलिस को चकमा दिया जा सकता है
(D) शीघ्र घर पहुँच सकते हैं
उत्तर-
(B) सामने या बगल से आने वाली गाड़ियों से टकरा सकते हैं

प्रश्न 4.
राजू के मित्र का क्या नाम था?
(A) कैलाश
(B) अरविंद
(C) राजेश
(D) मोहन लाल
उत्तर-
(B) अरविंद

प्रश्न 5.
अरविन्द और राजू कहाँ जाते थे?
(A) क्रिकेट खेलने
(B) सिनेमा देखने
(C) साइबर कैफे
(D) कैन्टीन में
उत्तर-
(C) साइबर कैफे

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प्रश्न 6.
अरविंद और राजू साइबर कैफे में क्या खेल खेलते थे?
(A) फुटबॉल
(B) क्रिकेट
(C) कुश्ती
(D) कार चलाने का वीडियो
उत्तर-
(D) कार चलाने का वीडियो

प्रश्न 7.
राजू को कौन-सा शौक था?
(A) देर तक पढ़ने का
(B) देर से उठने का
(C) असली कार चलाने का
(D) कबड्डी खेलने का
उत्तर-
(C) असली कार चलाने का

प्रश्न 8.
राजू के अंकल के बेटे की उम्र क्या बताई गई है?
(A) 8 वर्ष
(B) 10 वर्ष
(C) 11 वर्ष
(D) 13 वर्ष
उत्तर-
(D) 13 वर्ष

प्रश्न 9.
ड्राइविंग लाइसेंस किस आयु में बनवा सकते हैं?
(A) 18 वर्ष की आयु में
(B) 19 वर्ष की आयु में
(C) 15 वर्ष की आयु में
(D) कभी भी
उत्तर-
(A) 18 वर्ष की आयु में

प्रश्न 10.
राजू और अरविंद को कार चलाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई थी?
(A) वे बहुत होशियार नहीं थे
(B) उनकी आयु कम थी
(C) वे बीमार थे
(D) वे शरारती थे
उत्तर-
(B) उनकी आयु कम थी

प्रश्न 11.
कार चलाने की जिद्द पर कौन अड़ गया था? ।
(A) राजू
(B) अरविंद
(C) राजू का भाई
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) राजू

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प्रश्न 12.
अरविंद से कार चलाते समय क्या गलती हुई थी?
(A) कार रुक गई थी
(B) एक्सलरेटर पर पैर रखा गया था
(C) हॉर्न नहीं बजाया था
(D) सामने नहीं देखा था
उत्तर-
(B) एक्सलरेटर पर पैर रखा गया था

प्रश्न 13.
पुलिस राजू और अरविंद को पकड़ कर कहाँ ले गई?
(A). थाने में
(B) कोर्ट में
(C) स्कूल में
(D) उनके घर
उत्तर-
(A) थाने में

प्रश्न 14.
दोनों को पुलिस थाने से किसने छुड़वाया था?
(A) उनके माता-पिता ने
(B) वकील ने
(C) हैड मास्टर ने
(D) उनके मित्रों ने
उत्तर-
(A) उनके माता-पिता ने

प्रश्न 15.
दोनों ने पुलिस थाने में क्या वायदा किया था?
(A) कभी कार नहीं चलाएँगे
(B) बालिग होने तक कार नहीं चलाएँगे
(C) खूब पढ़ाई करेंगे
(D) कभी साइबर कैफे नहीं जाएँगे
उत्तर-
(B) बालिग होने तक कार नहीं चलाएँगे

प्रश्न 16.
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
(A) सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करना चाहिए
(B) स्कूल में नियम पर जाना चाहिए
(C) अध्यापक का कहना मानना चाहिए
(D) पुलिस से डरना नहीं चाहिए
उत्तर-
(A) सड़क-सुरक्षा के नियमों का पालन करना चाहिए

सड़क सुरक्षा Summary in Hindi

सड़क सुरक्षा पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘सड़क सुरक्षा’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘सड़क सुरक्षा’ किसे कहते हैं? इसके जानने से पहले हमें सड़क दुर्घटना के कारण और सड़क दुर्घटना से बचने के उपायों पर दृष्टि डाल लेनी चाहिए। वस्तुतः तेज गति से वाहन चलाने, शराब पीकर वाहन चलाने, लालबत्ती को देखे बिना वाहन चलाते जाना, गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बातें करना, गाड़ी में खराबी व बच्चों द्वारा गाड़ी चलाने आदि कारणों से सड़क दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है।

सड़क दुर्घटना की स्थिति को हम एक छोटी-सी कहानी के सार के माध्यम से भी समझ सकते हैं जोकि इस प्रकार है-राजू और अरविंद दो मित्र हैं। दोनों साइबर कैफे में जाते हैं। वहाँ वे कार चलाने का वीडियो खेल खेलते हैं। राजू खेल में तेज गति से गाड़ी चलाता है और विजयी भी होता है। राजू को असली की कार चलाने का बहुत शौक है। किन्तु राजू के पापा उसे कार नहीं चलाने देते। कहते हैं कि अभी तू छोटा है। अरविंद भी राजू के पापा की बात को सही बताता है कि उसे कार नहीं चलानी चाहिए। राजू तर्क देता है कि मेरे अंकल का बेटा अभी 13 वर्ष का ही है और वह कार चलाता है किन्तु वह ड्राइवर की बगल में बैठकर चलाता है। अरविंद ने कहा ड्राइवर के साथ बैठकर तुम भी कार ड्राइव कर सकते हो। तुम चाहो तों हमारे ड्राइवर से कार सीख सकते हो। राजू के पापा 15 दिन के लिए बाहर गए हुए थे। इसलिए उसे अरविंद का यह विचार अच्छा लगा।

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अरविंद और राजू दोनों ही अरविंद के ड्राइवर के साथ कार चलाना सीखते हैं। ड्राइवर ने पहले उन्हें कार के विभिन्न पुर्जी की जानकारी दी। फिर उन्हें पास बैठाकर पुों के प्रयोग के बारे में बताया किन्तु उन्हें कभी अकेले कार नहीं चलाने दी। उन्हें केवल एक बार कार-स्टीयरिंग पकड़कर कार चलाने तक ही सीमित रखा। पूरी तरह कार चलाने के लिए कार उनके हाथों में नहीं दी। राजू ने अपने घर कार सीखने की बात नहीं बताई।

अगले दिन रविवार था और छुट्टी थी। उनकी गर्मी की छुट्टियाँ भी समाप्त हो गई थीं। अरविंद का कार ड्राइवर उस दिन नहीं आया था। राजू बहुत निराश हो गया। वह अरविंद से कहता है कि चलो आज हम अकेले ही कार चलाते हैं। अरविंद ने अनेक तर्क देते हुए कहा कि हमें कार नहीं चलानी चाहिए। किन्तु राजू की उदासी देखकर अन्त में अरविंद कार चलाने को मान गया। कार घर से बाहर निकाली और घर के पास के सर्विस लॉन में कार चलाने लगे। अरविंद कार चला रहा था और बहुत खुश था, वह कार तेजी से चलाने लगा। वहाँ कुछ लोग सैर कर रहे थे। दो व्यक्ति सड़क के बीचोंबीच चल रहे थे। अरविंद ने हॉर्न दिया तो उनमें से एक व्यक्ति हट गया दूसरा नहीं हटा। अरविंद हॉर्न देना भूल गया और ब्रेक पर पैर रखने की अपेक्षा एक्सलरेटर पर पैर रख दिया। कार की स्पीड कम होने की अपेक्षा बढ़ गई और घबराहट के कारण उस व्यक्ति को टक्कर मार दी, वह गिर पड़ा और उसकी कमर की हड्डी टूट गई। उधर कार का सन्तुलन बिगड़ गया और वह डिवाइडर से टकराकर रुक गई। लोगों ने दुर्घटना की सूचना पुलिस को दी और पुलिस उन दोनों को थाने में ले गई। उन दोनों के घर वाले थाने में आकर उनको छुड़ाकर ले गए। दोनों ही बहुत घबरा गए थे और दोनों ने बालिग होने तक कभी भी कार न चलाने का वायदा किया।

इस कहानी से बहुत अच्छी शिक्षा मिलती है किन्तु हमें उन बातों को भी जानना चाहिए जिनसे सड़क दुर्घटना को रोका जा सकता है। जैसे-हमें सड़क के नियमों का प्रचार करना चाहिए। माता-पिता छोटे बच्चों को गाड़ी चलाने की अनुमति न दें। सड़क सुरक्षा के नियम का उल्लंघन करने वालों को प्यार से समझाना चाहिए। गाड़ी की देखभाल करनी चाहिए और सदा ही कम गति पर कार चलाएँ जिससे गाड़ी और सवारियाँ दोनों ही सुरक्षित रहें।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

HBSE 9th Class Hindi माटी वाली Textbook Questions and Answers

माटी वाली के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
‘शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं।’ आपकी समझ से वे कौन-से कारण रहे होंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ को सब पहचानते थे?
उत्तर-
माटी वाली को शहर के सब लोग भली-भाँति जानते थे, क्योंकि वह अकेली औरत थी। जो सभी घरों में लाल मिट्टी पहुँचाती थी। उसके अतिरिक्त शहर में मिट्टी देने वाली दूसरी कोई स्त्री नहीं थी। उसकी मिट्टी से ही चूल्हे बनाए जाते थे। उसके बिना घर में चूल्हे नहीं जलते थे। हर घर में प्रतिदिन चूल्हा लीपने और साल दो साल में घर की भी लिपाई करनी पड़ती थी। इसलिए इन दोनों कामों के लिए वह ही मिट्टी पहुँचाती थी। मिट्टी देने के कारण ही उसे सब लोग पहचानते थे।

माटी वाली पाठ 4 के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 2.
माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज़्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?
उत्तर-
माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के विषय में सोचने का अधिक समय नहीं था, क्योंकि वह दिन भर नगर के घरों में मिट्टी पहुँचाने का काम करने में व्यस्त रहती थी। माटाखान से मिट्टी निकालने और उसे शहर के लोगों के घरों तक पहुँचाने की दौड़-धूप करने के कारण उसके पास किसी और बात के बारे में सोचने का समय नहीं था।

Class 9 Hindi Kritika Chapter 4 HBSE प्रश्न 3.
‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
इस तथ्य के माध्यम से लेखक ने यह बताना चाहा है कि भोजन मीठा या स्वाद नहीं हुआ करता। वह भूख के कारण ही मीठा या स्वाद लगता है। यदि किसी व्यक्ति को भूख लगी हो तो उसे रूखा-सूखा भोजन भी बहुत स्वादिष्ट लगता है। इसलिए रोटी चाहे सूखी हो या साग के साथ या फिर चाय के साथ हो, वह मीठी या स्वाद तो भूख के कारण ही लगती है। अतः लेखक के दिए गए कथन के अनुसार ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से यही तात्पर्य है कि भूख के कारण ही रोटी अच्छी व स्वाद लगती है।

माटी वाली पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 4.
‘पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीज़ों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।’मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
जब माटी वाली ने मालकिन के पीतल के गिलास के विषय में बात की तो उसने उसे समझाते हुए कहा कि उसे अपने पुरखों की सब चीजों के प्रति मोह है। न जाने उसके पुरखों ने कितनी मेहनत से पेट काट-काट कर ये चीजें बनाई होंगी। इसलिए उन चीजों को सुरक्षित रखना जरूरी है। उन्हें सस्ते दामों में बेचना उचित नहीं है।
मेरे विचार से मालकिन की बातों में सच्चाई है। हमें अपने पूर्वजों की निशानी को बचाकर रखना चाहिए। किंतु यह मोह जीवन से बढ़कर नहीं होना चाहिए। यदि इस मोह के कारण जीवन का विकास रुकता है तो इस मोह को त्याग देने में ही भलाई है।

Class 9 Hindi Chapter 4 Mati Wali Question Answer HBSE प्रश्न 5.
माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?
उत्तर-
माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी गरीबी को प्रकट करता है। उसके पास अपना और अपने बूढ़े पति का पेट भरने के लिए पर्याप्त भोजन भी नहीं है। इससे एक अन्य मजबूरी का भी पता चलता है कि उसका पति बीमार एवं असहाय है। वह कोई काम नहीं कर सकता। इसलिए उसके भोजन का प्रबंध भी उसे ही करना पड़ता है। माटी वाली का अपने । पति के सिवाय इस दुनिया में दूसरा कोई सहारा भी नहीं है।

Kritika Class 9 Chapter 4 HBSE प्रश्न 6.
‘आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी’-इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
माटी वाली के इस कथन से उसके हृदय में अपने बूढ़े पति के लिए कितना सम्मान व प्यार है, इसका पता चलता है। वस्तुतः वह हर रोज़ अपने पति को रूखी-सूखी रोटी देती है। किंतु आज उसने मिट्टी बेचकर कुछ पैसे भी प्राप्त कर लिए थे। उन पैसों से उसने पावभर प्याज खरीदे। उसने सोच लिया था कि आज वह उसे प्याज कूटकर तथा उन्हें तलकर रोटी के साथ देगी ताकि वह रोटी को आनंद से खा सके। इससे उसके अपने पति के प्रति प्रेम की भावना का पता चलता है।

Class 9 Kritika Chapter 4 Mati Wali Question Answer HBSE प्रश्न 7.
‘गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए’-इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
माटी वाली हरिजन बुढ़िया के पति की मृत्यु हो जाती है। उधर टिहरी बाँध बनने से उसकी झोंपड़ी की जगह भी छिन जाती है। श्मशान घाट में बाँध का पानी भर गया था। इसलिए उसके सामने एक नहीं, दो-दो समस्याएँ थीं। अपने रहने का ठिकाना नहीं और मृतक पति के अंतिम संस्कार के लिए स्थान नहीं। इसलिए उस वृद्धा के इस कथन में उसके हृदय की पीड़ा समाई हुई है। गरीब आदमी का घर छिनने के पश्चात कोई दूसरा ठिकाना भी नहीं होता। उसके लिए यह बहुत बड़ी समस्या है। इसी समस्या की ओर ध्यान दिलाना इस कथन का मूल आशय है।

Class 9 Hindi Chapter 4 Mati Wali HBSE  प्रश्न 8.
‘विस्थापन की समस्या पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर-
शहरों के विकास तथा औद्योगीकरण की प्रक्रिया ने विस्थापन की समस्या को जन्म दिया है। धन-दौलत व साधन संपन्न लोग तो समय रहते ही अपना ठिकाना अन्यत्र बना लेते हैं। किंतु वास्तविक समस्या का सामना गरीब लोगों को करना पड़ता है, जो हर रोज़ कमाकर हर रोज़ चूल्हा जलाते हैं। विस्थापितों को अपना निवास स्थान छोड़कर नया निवास स्थान ढूँढना पड़ता है। नए स्थान पर जीवन-यापन करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। छोटे किसान, मजदूर व छोटे दुकानदारों के लिए तो यह समस्या और भी विकट बन जाती है। विस्थापन होने की प्रक्रिया में प्रत्येक व्यक्ति को पूरा-पूरा न्याय नहीं मिल पाता। इसलिए सरकार को लोगों को उनके स्थान से अलग करने से पहले इस समस्या पर पूर्ण रूप से विचार करना चाहिए।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

HBSE 9th Class Hindi माटी वाली Important Questions and Answers

Class 9 Kritika Chapter 4 Question Answer HBSE प्रश्न 1.
माटी वाली किस नगर में, किस प्रकार और कैसे मिट्टी पहुँचाती थी?
उत्तर-
माटी वाली एक हरिजन वृद्धा थी। वह टिहरी नगर के समीप के गाँव में रहती थी। टिहरी नगर टिहरी बाँध के समीप बसा हुआ था। वहाँ नदी के किनारे की रेतीली मिट्टी थी। घरों के चूल्हे बनाने, उन्हें प्रतिदिन लीपने व साल-दो-साल में घरों को लीपने के लिए उन्हें चिकनी मिट्टी चाहिए थी। माटी वाली यह चिकनी मिट्टी हर घर के लिए माटाखान से कंटर में भरकर लाती थी। एक टीन के कनस्तर के ऊपरी ढक्कन को काटकर निकाल दिया गया था। वह उसमें मिट्टी भर कर सिर पर कपड़े को मोड़कर बनाए गोल डिल्ले पर अपना कनस्तर रखकर गाँव से नगर तक मिट्टी पहुँचाती थी।

प्रश्न 2.
‘माटी वाली’ शीर्षक पाठ के आधार पर ‘माटी वाली’ हरिजन वृद्धा के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी की प्रमुख पात्र माटी वाली ही है। संपूर्ण कथानक उसके चरित्र के आस-पास ही घूमता है। इस पाठ में दिखाया गया है कि माटी वाली वृद्धा बहुत ही परिश्रमी और ईमानदार है। वह प्रतिदिन तीन-चार किलोमीटर सिर पर मिट्टी से भरा हुआ कनस्तर नगर में ले जाकर लोगों के घरों में देती है। फिर रात को पुनः लौटकर अपने पति के लिए भोजन की व्यवस्था करती है, वह मेहनती होने के साथ-साथ साहसी भी है, क्योंकि वह उस जंगली मार्ग से अकेले ही आती जाती है।

‘माटी वाली’ वृद्धा पति परायण नारी है। इस बुढ़ापे में उसे सहारे की आवश्यकता है, किंतु वह स्वयं अपने वृद्ध एवं बीमार पति का सहारा बनकर जीती है। कहीं से दो रोटी पाने पर वह पहले एक रोटी पति के लिए रख लेती है। कभी-कभी तो दोनों रोटी ही पति के लिए बचाकर रख लेती है। वह अपने पति के लिए तीन रोटियों का प्रबंध करती है। उसे खुश देखने के लिए प्याज मोल लेती है और उनको भूनकर पकौड़ियाँ बनाने का प्रबंध भी करती है। उसके इस कार्य से उसके पति परायण होने का पता चलता है।
वह पूरे टिहरी नगर में प्रसिद्ध है। वह विनम्र स्वभाव वाली स्त्री है। इसलिए पूरे नगर में लोग उसको जानते हैं और उसके आने की प्रतीक्षा भी करते हैं। सब लोग उसका आदर करते हैं।

प्रश्न 3.
‘माटी वाली’ शीर्षक कहानी के लक्ष्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
‘माटी वाली’ कहानी का प्रमुख लक्ष्य टिहरी बाँध के बनने पर वहाँ से विस्थापित होने वाले असहाय एवं गरीब लोगों की दयनीय दशा का यथार्थ चित्रण करना है। लेखक चाहता है कि वहाँ से विस्थापित लोगों की समस्याओं और पीड़ाओं को लोग समझें और उनके प्रति सहानुभूतिपूर्ण भावना बनाएँ तथा उनके स्थापित होने में सहयोग भी दें।
कहानी के आरंभ में माटी वाली के जीवन और उसके काम पर प्रकाश डाला गया है। यह भी बताया गया है कि टिहरी नगर के लोगों के लिए ‘माटी वाली’ की क्या महत्ता है। उसकी लाई गई मिट्टी से वहाँ चूल्हों और घरों की चमक एवं पवित्रता बनी रहती है। इन्हीं लोगों के सहारे उसका जीवन चलता आया है। वह माटी को मामूली से दामों में बेचती है। इसके साथ-साथ लोग उसे रोटी व खाने की अन्य वस्तुएँ भी देते हैं।

लेखक ने कहानी के अंतिम भाग में टिहरी पर बाँध बनने के कारण माटी वाली या उस जैसे अनेक गरीब लोगों के विस्थापित अर्थात घर उठाए जाने की समस्या की ओर पाठक का ध्यान आकृष्ट किया है। लेखक ने बताया है कि जिन लोगों की ज़मीन-जायदाद नहीं है, वे क्या क्लेम करेंगे ? उनको उनके घरों से निकालने का सीधा अर्थ उन्हें उजाड़ना है। अनपढ़ और गरीब आदमी के पास जमीन-जायदाद ही नहीं होती तो उसके कागज़ कहाँ से आएँगे ? सरकारी अधिकारी तो ज़मीन के कागज़ देखकर ही उन्हें ज़मीन दिलाने की बात कहते हैं, किंतु संबंध तो उस स्थान से सदियों से बना आया है। उसके लिए उन्हें किसी कागज़ या प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं थी। अब ऐसे गरीब एवं मजदूर लोगों का क्या होगा ? इसी प्रश्न को उठाना कहानी का मूल लक्ष्य है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 4.
‘माटी वाली’ पाठ के आधार पर वृद्धा के पति की अवस्था का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में दिखाया गया है कि माटी वाली वृद्धा का पति अत्यंत असहाय, शक्तिहीन और लाचार है। वह कोई काम नहीं कर सकता। वह पूर्ण रूप से अपनी पत्नी (माटी वाली) पर निर्भर रहता है। जब संध्या के समय माटी वाली मिट्टी बेचकर घर लौटती है तो वह उसे कातर दृष्टि से देखता रहता है। भूख के मारे वह खाना बनाती हुई अपनी पत्नी के पास पहुँच जाता है।
बीमारी और बुढ़ापे ने उसके शरीर को गठरी के समान बना दिया है। वह सारा दिन झोंपड़ी में पड़ा-पड़ा अपनी पत्नी की प्रतीक्षा किया करता है। वह पत्नी द्वारा रूखी-सूखी दी गई रोटियाँ खाकर पड़ा रहता है। निश्चय ही उसका जीवन अत्यंत दयनीय और असहाय है।

प्रश्न 5.
‘माटी वाली’ को लोग किस कारण से जानते हैं?
उत्तर-
माटी वाली’ को लोग इसलिए जानते हैं, क्योंकि वह हर घर में चूल्हा बनाने व घर लीपने के लिए चिकनी मिट्टी पहुंचाया करती है। मिट्टी लाने वाला पूरे नगर में दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है।

प्रश्न 6.
टिहरी के लोग माटी वाली को मिट्टी की कीमत के अतिरिक्त और क्या देते हैं?
उत्तर-
टिहरी के लोगों के मन में माटी वाली वृद्धा के प्रति दया एवं सहानुभूति है। वे उसे मिट्टी के लिए थोड़ी-सी कीमत देते हैं। इसके अतिरिक्त वे माटी वाली को रोटी, चाय व खाने की अन्य वस्तुएँ देते हैं। लोग उसकी गरीबी और लाचारी को समझते हुए उसके प्रति दया एवं सहानुभूति रखते हैं।

प्रश्न 7.
टिहरी नगर की ठकुराइन ने पीतल का गिलास अब तक सँभालकर क्यों रखा हुआ था?
उत्तर-
ठकुराइन एक परंपरावादी एवं गंभीर स्त्री है। उसके मन में अपने पुरखों द्वारा बनाई हुई वस्तुओं के प्रति मोह ही नहीं, सम्मान की भावना भी है। वह जानती है कि उसके पुरखों ने अपनी गाढ़ी कमाई से ये वस्तुएँ बनाई थीं। इसके अतिरिक्त आज पीतल का भाव भी बहुत बढ़ गया है। जबकि पीतल खरीदने वाले व्यापारी लोग उन्हें बहुत सस्ते दामों में खरीदते हैं। इसलिए वह पुरखों की वस्तु को सस्ते में नहीं देना चाहती। इन्हीं दो कारणों से उसने अब भी पीतल के गिलास सँभालकर रखे हुए हैं।

प्रश्न 8.
ठकुराइन द्वारा दी गई दो रोटियों में माटी वाली द्वारा एक रोटी छिपा लेने का क्या कारण था?
उत्तर-
माटी वाली का वृद्ध पति अत्यंत लाचार था। वह कोई काम नहीं कर सकता था। वह पूर्णतः अपनी पत्नी पर ही निर्भर था। वह दिन भर माटी वाली (अपनी पत्नी) की प्रतीक्षा किया करता था। माटी वाली के मन में सदा अपने पति का ख्याल रहता था। अतः दो रोटी मिलने पर उसने एक रोटी अपने वृद्ध पति को देने के लिए छिपा ली थी।

प्रश्न 9.
माटी वाली द्वारा दी गई मिट्टी टिहरीवासियों के किस काम आती थी?
उत्तर-
माटी वाली वृद्धा टिहरी के लोगों को लाल एवं चिकनी मिट्टी देती थी। यह मिट्टी वहाँ के लोगों के दैनिक जीवन में बहुत काम आती थी। वे इस मिट्टी से प्रतिदिन अपना चूल्हा लीपते थे। इसके अतिरिक्त साल दो साल के पश्चात अपने घरों की दीवारों को भी उस मिट्टी से लीपते थे। अतः वह मिट्टी टिहरी के लोगों के लिए अत्यंत. उपयोगी वस्तु थी।

प्रश्न 10.
टिहरी बाँध बनने के कारण ठकुराइन को क्या परेशानी है?
उत्तर-
टिहरी बाँध बनने के कारण ठकुराइन को भी परेशानी थी। उसे पता था कि बाँध बनने से उसे अपना बसा-बसाया घर छोड़कर अन्यत्र जाना पड़ेगा। उसे अपने अनिश्चित भविष्य को लेकर बहुत परेशानी हो रही थी। वह सोचती रहती थी कि यहाँ से उजड़कर हम कहाँ जाएँगे।

प्रश्न 11.
लेखक ने ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ कथन के माध्यम से किसे मीठा कहा है?
उत्तर-
लेखक ने भूख को मीठा बताया है क्योंकि यदि हमें भूख नहीं होती तो हमें अच्छे-से-अच्छा भोजन भी मीठा अर्थात स्वादिष्ट नहीं लगता। भूख लगी हो तो सूखी रोटियाँ भी स्वादिष्ट लगती हैं। लेखक के इस तर्क के अनुसार तो भूख मीठी है। किंतु हम लेखक के इस तर्क से पूर्णतः सहमत नहीं हैं।

प्रश्न 12.
पुनर्वास के लिए माटी वाली जैसे लोगों को किस समस्या का सामना करना पड़ता है?
उत्तर-
सरकारी अधिकारी गरीबों के प्रति सहानुभूति रखने की अपेक्षा सबूतों में अधिक विश्वास करते हैं। वे सबूत या प्रमाण के अभाव में उनकी सहायता नहीं कर पाते। यथा टिहरी बाँध बनाने से इस क्षेत्र के अधिकारी लोग माटी वाली से उसके निवास स्थान का प्रमाण-पत्र माँग रहे थे अर्थात जिस जमीन पर उसकी झोंपड़ी बनी हुई थी, वह जमीन उसकी अपनी है तो उसका प्रमाण-पत्र माँग रहे थे। सच्चाई यह थी कि वह जमीन तो ठाकुर की थी। इस माटी वाली वृद्धा को अन्य स्थान पर कोई जगह अलाट नहीं हो सकती थी। ऐसे अनेक लोग हैं, जिनका कई पुश्तों से मकान तो बना हुआ है, किंतु उस जमीन की मलकीयत का कोई सबूत उनके पास नहीं होता। ऐसे लोगों को पुनः स्थापित होने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘माटी वाली’ पाठ के लेखक का क्या नाम है?
(A) विद्यासागर नौटियाल
(B) फणीश्वरनाथ रेणु
(C) मृदुला गर्ग
(D) जगदीशचंद्र माथुर
उत्तर-
(A) विद्यासागर नौटियाल

प्रश्न 2.
माटी वाली किस नगर की रहने वाली है?
(A) कलकत्ता
(B) टिहरी
(C) दिल्ली
(D) हरिद्वार
उत्तर-
(B) टिहरी

प्रश्न 3.
वह नगर के घरों में क्या पहुँचाती है?
(A) सफेद मिट्टी
(B) काली मिट्टी
(C) लाल मिट्टी
(D) साधारण मिट्टी
उत्तर-
(C) लाल मिट्टी

प्रश्न 4.
घरों में लाल मिट्टी किस काम आती है?
(A) खिलौने बनाने के
(B) बर्तन बनाने के
(C) धार्मिक मूर्तियाँ बनाने के
(D) चूल्हे-चौके की लिपाई के लिए
उत्तर-
(D) चूल्हे-चौके की लिपाई के लिए

प्रश्न 5.
टिहरी शहर किस नदी के तट पर बसा हुआ है?
(A) यमुना
(B) ब्यास
(C) भागीरथी
(D) गोदावरी
उत्तर-
(C) भागीरथी

प्रश्न 6.
माटाखाना किसे कहा जाता है?
(A) जहाँ मिट्टी रखी जाती है
(B) जहाँ से मिट्टी खोदकर लाई जाती है
(C) जहाँ मिट्टी को भिगोया जाता है
(D) जहाँ मिट्टी पूजी जाती है
उत्तर-
(B) जहाँ से मिट्टी खोदकर लाई जाती है

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

प्रश्न 7.
‘भूख मीठी कि भोजन’ का अभिप्राय क्या है?
(A) भोजन मीठा है
(B) भूख मीठी है
(C) भूख और भोजन दोनों मीठे होते हैं
(D) भूख के कारण भोजन मीठा लगता है
उत्तर-
(D) भूख के कारण भोजन मीठा लगता है

प्रश्न 8.
“गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजाड़ना चाहिए।”-ये शब्द किसने कहे हैं?
(A) घर की मालकिन ने
(B) माटी वाली ने
(C) माटीवाली के पति ने
(D) नगर के किसी व्यक्ति ने
उत्तर-
(B) माटी वाली ने

प्रश्न 9.
टिहरी बाँध बनने से वहाँ के लोगों को क्या कठिनाई हुई होगी?
(A) नगर छोड़कर अन्यत्र जाना पड़ा
(B) घर पहुंचने में कठिनाई हुई होगी
(C) खेतों में पानी भर गया होगा
(D) पशुओं के चरने के स्थान पर पानी भर गया
उत्तर-
(A) नगर छोड़कर अन्यत्र जाना पड़ा।

प्रश्न 10.
‘माटी वाली’ कहानी में किस समस्या की ओर संकेत किया गया है?
(A) बेरोजगारी की
(B) पुनःस्थापित होने की
(C) महँगाई की
(D) आवास की
उत्तर-
(B) पुनःस्थापित होने की

प्रश्न 11.
ठकुराइन द्वारा दी गई दो रोटियों में से एक रोटी माटी वाली ने किसके लिए छुपाकर रख ली थी?
(A) अपने बच्चों के लिए
(B) अपने लिए
(C) अपने वृद्ध पति के लिए
(D) गाय को देने के लिए
उत्तर-
(C) अपने वृद्ध पति के लिए

प्रश्न 12.
माटी वाली से उसके घर का प्रमाण-पत्र किसने माँगा था?
(A) ठाकुर साहब ने
(B) पुनर्वास के साहब ने
(C) गाँव के सरपंच ने
(D) तहसीलदार ने
उत्तर-
(C) गाँव के सरपंच ने

माटी वाली Summary in Hindi

माटी वाली पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘माटी वाली’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
श्री विद्यासागर नौटियाल द्वारा रचित इस पाठ में टिहरी बाँध के कारण विस्थापित लोगों के जीवन की समस्या का वर्णन किया गया है। इस पाठ में माटी बेचने वाली स्त्री के जीवन का मार्मिक वर्णन किया गया है। टिहरी के सेमल का तप्पड़ मोहल्ले के आखिरी घर की खोली में पहुँचकर माटी वाली ने अपना कनस्तर उतारा। टिहरी नगर का बच्चा-बच्चा माटी वाली को जानता था तथा वह भी सबको जानती थी। वह सबके घरों में चूल्हे-चौके लीपने वाली मिट्टी पहुँचाती थी। यूँ कह सकते हैं कि उसके कारण ही लोगों के घरों में चूल्हे जलते थे। वह लाल मिट्टी पहुँचाने वाली अकेली औरत है। शहर में कहीं माटाखान नहीं है। नदियों के तटों की रेतीली मिट्टी से घरों की लिपाई नहीं हो सकती थी। टिहरी नगर के नए-नए किराएदार भी उसके ग्राहक बन जाते थे।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

माटी वाली एक हरिजन बुढ़िया है। घर की मालकिन ने उसे आँगन में मिट्टी उड़ेलने के लिए कहा। उसने सारी मिट्टी आँगन के एक कोने में रख दी। मालकिन ने उसे खाने के लिए दो रोटियाँ दीं। उसने एक रोटी मालकिन द्वारा दी गई चाय के साथ खा ली। दूसरी रोटी उसने अपने बूढ़े पति के लिए छुपाकर रख ली थी। माटी वाली ने मालकिन से कहा यह चाय भी अपने-आप में एक साग है। किंतु मालकिन ने कहा नहीं भूख ही अपने-आप में एक साग है। भूख में रूखी-सूखी रोटी भी स्वाद लगती है। “भूख मीठी कि भोजन मीठा ?”
माटी वाली ने पीतल के गिलास में चाय पीते हुए कहा कि आजकल चाय पीने के लिए लोगों ने काँच या स्टील के गिलास खरीद लिए हैं। पीतल के गिलास तो बहुत कम लोगों ने सँभालकर रखे हुए हैं। मालकिन ने कहा कि अपने पुरखों की वस्तुओं से सबको मोह होता है। इसलिए मैं इन गिलासों को कभी नहीं बेचती। वह पुनः कहती है कि अब यदि टिहरी बाँध के कारण इस जगह को छोड़ना पड़ा तो वह कहाँ जाएँगे।

माटी वाली ने बड़े दुःख और निराशा के साथ कहा, “ज़मीन-जायदादों के मालिक हैं, वे तो किसी-न-किसी ठिकाने पर ही जाएँगे। पर मैं सोचती हूँ मेरा क्या होगा! मेरी तरफ देखने वाला तो कोई भी नहीं” माटी वाली वहाँ से किसी दूसरे घर में गई, जहाँ उसे मिट्टी लाने का आदेश मिला और साथ ही दो रोटियाँ भी। उसने उन्हें भी कपड़े के किनारे से बाँध लिया।
माटी वाली का गाँव नगर से दूर था। उसे गाँव में पैदल चलकर पहुंचने में एक घंटा लग जाता था। उसने रास्ते में एक पाव प्याज़ खरीदे। वह सोच रही थी कि पहले जाकर प्याज़ पीतूंगी और फिर बूढ़े पति को रोटी दूंगी। वह मेरा इंतजार करता होगा।

माटी वाली की प्रतिदिन की यही दिनचर्या थी-मिट्टी खोदना, शहर पहुँचाना और फिर रात तक गाँव में लौटना। उसके पास न कोई अपना खेत था न ज़मीन। यहाँ तक कि उसकी झोंपड़ी भी ठाकुर की जमीन पर बनी हुई थीं। उसके बदले में उसे ठाकुर की बेगार करनी पड़ती थी। यह सोचते-सोचते वह घर पहुँची और देखा कि उसका बूढ़ा पति उसे छोड़कर जा चुका था। – टिहरी बाँध के पुनर्वास से संबंधित अधिकारी ने उससे उसके घर का पता पूछा। उसने बताया कि उसने जिंदगी भर टिहरी के लोगों को मिट्टी पहुँचाई है। अधिकारी ने फिर प्रश्न किया कि क्या माटाखान उसके नाम है ? बुढ़िया ने बताया-माटाखान मेरी रोज़ी है, वह मेरे नाम नहीं है। अधिकारी कुछ तीखे स्वर में बोला-‘बुढ़िया हमें ज़मीन का कागज़ चाहिए, रोज़ी का नहीं।’
बुढ़िया कुछ सकपकाकर बोली, ‘बाँध बनने के बाद मैं क्या खाऊँगी साब’ ? साहब बोला-‘इस बात का फैसला हम नहीं कर सकते। यह बात तो तुझे खुद तय करनी पड़ेगी।’
इसी के साथ ही टिहरी बाँध की दो सुरंगों को बंद कर दिया गया। फलस्वरूप नगर में पानी भरने लगा। चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। नगर के लोग घरों को छोड़-छोड़कर बाहर भागने लगे। पानी भरने से श्मशान घाट भी डूब गए।

माटी वाली अपनी झोंपड़ी के बाहर बैठी हुई हर आने-जाने वाले से कहती है-“गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।”

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-42) : खोली = छोटी-सी कोठरी। कंटर = कनस्तर, पीपा। माटी = मिट्टी। कुल = सभी। निवासी = रहने वाले। प्रतिद्वंद्वी = मुकाबला करने वाला। बगैर = बिना। समस्या = कठिनाई। अवस्था = हालत। मौजूद = उपस्थित। अलावा = अतिरिक्त।

(पृष्ठ-43) : गोबरी लिपाई = गोबर और मिट्टी से की जाने वाली पुताई। माटाखान = मिट्टी की खान । तट = छोर, किनारा। ग्राहक = खरीददार । नाटा कद = छोटा शरीर । डिल्ला = सिर पर बोझ के नीचे रखने के लिए कपड़े की गद्दी। छुलबुल = पूरा भरा हुआ। इस्तेमाल = प्रयोग। उड़ेलना = उलटना। भाग्यवान = अच्छी किस्मत वाला।

(पृष्ठ-44) : फौरन = जल्दी, शीघ्रता से। हड़बड़ी = घबराहट। इकहरा = जिसका एक ही पल्लू हो। सद्दा = ताज़ा। बासी = कुछ समय पहले का बना हुआ। सुड़कना = सूं-तूं की आवाज़ करते हुए पीना। पुरखे = पूर्वज । गाढ़ी कमाई = मेहनत की कमाई। हराम के भाव = बिना मूल्य के, बहुत सस्ते। दिल गवाही देना = दिल मानना। तंगी = अभाव, कष्ट। चटपटी = मसालेदार। मन मसोसना = मन को मारना।

(पृष्ठ-45) : दिमाग चकराना = परेशान हो जाना । काँसा = एक मिश्रित धातु । जायदाद = संपत्ति । छोर = किनारा । अशक्त = शक्तिहीन । कातर = डरी हुई, घबराई हुई। हवाले करना = सुपुर्द करना, दे देना। चेहरा खिल उठना = प्रसन्न हो उठना।

(पृष्ठ-46) : रात घिरना = रात का छाना। एवज़ = के बदले। बेगार करना = बिना कुछ आमदनी लिए काम करना। आमदनी = आय, कमाई। परोसना = खाने के लिए रखना। हद से हद = ज्यादा-से-ज्यादा। आहट = आवाज़ । माटी छोड़ना = दुनिया को छोड़ना। पुनर्वास = फिर से बसाना। जिनगी = जिंदगी। रोज़ी = रोटी कमाने का साधन।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

(पृष्ठ-47) : तय = निश्चित करना। सुरंग = गहरा गोल भीतरी रास्ता। आपाधापी मचना = हलचल होना। श्मशान = जहाँ मुर्दे जलाए जाते हैं।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया

HBSE 9th Class Hindi किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया Textbook Questions and Answers

Kritika Chapter 5 Question Answer HBSE 9th Class प्रश्न 1.
वह ऐसी कौन-सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया ?
उत्तर-
लेखक को किसी ने कुछ ऐसी बात कही होगी जिससे उनके स्वाभिमान पर आघात हुआ होगा। इसलिए वे अपने घर , से कुछ बनने के लिए निकल पड़े थे। उसी समय उन्होंने तय किया होगा कि अब उन्हें जो कोई काम मिलेगा, वह करेगा।

उन्होंने दूसरों के भरोसे बहुत जीवन व्यतीत कर दिया। अब अवश्य ही कुछ बनकर दिखाना होगा।

किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 2.
लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का अफसोस क्यों रहा होगा ?
उत्तर-
लेखक के घर का माहौल उर्दू वातावरण का था। वह अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति या तो अंग्रेज़ी भाषा में करते थे या फिर उर्दू गज़ल के रूप में। निराला, पंत और बच्चन जी के संपर्क में आने के पश्चात ही लेखक का हिन्दी की ओर रुझान बढ़ा। बच्चन जी ने ही लेखक को हिन्दी के प्रांगण में स्थापित किया। लेखक ने श्रेष्ठ हिंदी साहित्य की रचना की और प्रसिद्धि भी प्राप्त की। इसलिए बाद में लेखक को अफ़सोस रहा होगा कि उसने पहले अंग्रेजी कविता लिखने में व्यर्थ ही समय गँवाया। इसलिए उन्हें अंग्रेजी कविता करने का अफ़सोस रहा होगा।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया

किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया Summary HBSE 9th Class प्रश्न 3.
अपनी कल्पना से लिखिए कि बच्चन ने लेखक के लिए ‘नोट’ में क्या लिखा होगा ?
उत्तर-
एक बार बच्चन लेखक से मिलने उनके स्टूडियो में गए, लेकिन वे क्लास समाप्त होने के पश्चात वहाँ से जा चुके थे। अतः उन्होंने लेखक के नाम एक नोट लिखा था-

प्रिय अनुज,

तुमसे मिलने की प्रबल इच्छा मेरे हृदय को बहुत समय से बेचैन कर रही थी। इसलिए मैं यहाँ देहरादून में तुम्हें मिलने चला आया था। किंतु आज तुम मुझे नहीं मिल सके। अतः मुझे यहाँ आना व्यर्थ लगा। मुझे पता चला कि तुम स्टूडियो में बहुत अच्छा काम कर रहे हो। नाम कमा रहे हो। एक दिन महान कलाकार बनोगे। भूले-भटके कभी इस बदनसीब को भी याद कर लिया करो।

तुम्हारा अपना
-बच्चन

Class 9 Hindi Kritika Chapter 5 Summary HBSE  प्रश्न 4.
लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है ?
उत्तर-
लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के निम्नलिखित रूपों को उभारा है-
सहृदय-बच्चन अत्यंत कोमल हृदय वाले व्यक्ति थे। वे किसी के दुःख को देखकर अत्यंत दुःखी हो जाते थे। वे अपनी पहली पत्नी को बहुत चाहते थे। उनकी अकस्मात मृत्यु ने उन्हें हिलाकर रख दिया था। वे न केवल अपनी पीड़ा से पीड़ित थे, अपितु लेखक की पत्नी की मृत्यु के वियोग की पीड़ा को भी समझते थे।

सहयोगी-श्री बच्चन के व्यक्तित्व की दूसरी प्रमुख विशेषता थी दूसरों को सहयोग देना। उन्होंने न केवल लेखक को इलाहाबाद बुलाया, अपितु उनको पढ़ाने व पूर्णतः बसाने तक का सहयोग भी दिया, जिसे लेखक आजीवन नहीं भूल सका। वे लेखक के संरक्षक बन गए थे।

निपुण, पारखी एवं प्रेरक-श्री बच्चन निपुण, पारखी एवं प्रेरक थे। वे सामने वाले की प्रतिभा को तुरंत भाँप जाते थे और यथासंभव उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देते थे। उन्होंने लेखक को देखकर तुरंत समझ लिया था कि उनमें काव्य-रचना की प्रतिभा है। इसलिए उन्हें इलाहाबाद बुलवाया और उनकी कविताओं को पढ़कर काँट-छाँट कर सुंदर रचना बना दी। श्री बच्चन अत्यंत सरल स्वभाव वाले व्यक्ति थे। छल-कपट तो उन्हें कभी छू भी नहीं सका था।

Class 9th Kritika Chapter 5 Question Answer HBSE प्रश्न 5.
बच्चन के अतिरिक्त लेखक को अन्य किन लोगों का तथा किस प्रकार का सहयोग मिला ?
उत्तर-
लेखक को बच्चन जी के अतिरिक्त निम्नलिखित लोगों का सहयोग मिला था-

1. तेज बहादुर सिंह-ये लेखक के बड़े भाई थे, जिन्होंने घर में रहते हुए और घर से बाहर भी उनकी सहायता की थी।
2. सुमित्रानंदन पंत-सुमित्रानंदन पंत का स्वभाव भी अत्यंत सहयोगी था। उन्होंने लेखक को इंडियन प्रेस में अनुवाद का काम दिलवाया था। उससे उनकी आर्थिक सहायता भी हुई थी। इसके पश्चात ही लेखक ने हिंदी में कविता रचने का मन बनाया था। ‘सरस्वती’ पत्रिका में छपने वाली एक कविता पर भी निराला जी ने लेखक की प्रशंसा की थी।
3. ससुराल पक्ष के लोग-लेखक जब बेरोज़गार था, तब उन्होंने उन्हें कैमिस्ट की दुकान पर काम दिया था।

प्रश्न 6.
लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लेखक ने सन् 1933 में ‘चाँद’ और ‘सरस्वती’ में प्रकाशित होने के लिए रचनाएँ लिखी थीं।
तीन-चार वर्ष के अंतराल के पश्चात सन् 1937 में फिर लिखना शुरू किया। उस समय वे श्री बच्चन की प्रमुख रचना ‘निशा-निमंत्रण’ से बहुत प्रभावित थे। उन्हीं दिनों कुछ निबंध भी लिखे।
‘रूपाभ’ के कार्यालय में हिंदी का प्रशिक्षण भी लिया। बनारस से प्रकाशित होने वाले ‘हंस’ के कार्यालय में नौकरी की।
इस प्रकार लेखक ने हिंदी में लिखने के लिए अनेक प्रयास किए। अंततः वे हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकारों की पंक्ति में जा बैठे।

प्रश्न 7.
लेखक ने अपने जीवन में जिन कटिनाइयों को झेला है, उनके बारे में लिखिए।
उत्तर-
लेखक के जीवन में कठिनाइयों का क्रम-सा बना रहा। एक के बाद एक कठिनाई पूरे जोश के साथ उनके जीवन में . आती रही। यथा पत्नी की मृत्यु के पश्चात वियोग की पीड़ा को सहन करना पड़ा। बेरोज़गारी की मार झेलनी पड़ी। मात्र सात रुपए लेकर दिल्ली काम ढूँढने व पढ़ने जाना पड़ा। वहाँ कुछ साइनबोर्ड पेंट करके गुजारा करना पड़ा। ऐसी विकट परिस्थितियों में उनका लेखन कार्य किसी-न-किसी रूप में निरंतर जारी रहा। इसके पश्चात ससुराल की दवाइयों की दुकान पर रहकर केमस्ट्सि का कार्य सीखना पड़ा जिसे बाद में सदा के लिए अलविदा कह दिया। श्री बच्चन जी के सहयोग से एम०ए० की परीक्षा पास करने का प्रयास किया। श्री पंत द्वारा दिलाए गए अनुवाद का कार्य भी गुजारा करने के लिए करना पड़ा। इस प्रकार उन्हें एक के बाद एक कठिनाई का सामना करना पड़ा।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया

HBSE 9th Class Hindi किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
पठित पाठ के आधार पर उन कारणों पर प्रकाश डालिए जिनके कारण एक साहित्यकार के जीवन में प्रसन्नता का समावेश होता है।
उत्तर-
एक कवि-कलाकार की खुशी सांसारिक सुखों पर उतनी निर्भर नहीं होती, जितनी उसके द्वारा रचित किसी रचना की सफलता पर निर्भर होती है। लेखक श्री शमशेर बहादुर सिंह के जीवन से यह बात पूर्णतः सिद्ध हो जाती है। लेखक दिल्ली नौकरी की तलाश में जाता है, वहाँ उन्हें कुछ काम भी मिल जाता है, किंतु उन्हें उससे कोई विशेष प्रसन्नता नहीं होती। वे वहाँ एक अच्छा कलाकार बनने का प्रयास करते रहे। इसी प्रकार लेखक के गुरु श्री शारदाचरण के चित्रकला प्रशिक्षण केंद्र के बंद होते ही उन्हें लगा कि अब कोई उनके हृदय की भावनाओं को समझने वाला नहीं रहा। इतना ही नहीं, उन्हें अपना जीवन बेकार लगने लगा। इसी प्रकार लेखक देहरादून में रहते हुए कंपाउंडर का काम सीख गए थे और पैसे भी कमाने लगे थे। किंतु हरिवंशराय बच्चन द्वारा उनकी एक सॉनेट की सराहना किए जाने पर उन्हें जो प्रसन्नता मिली, वह अवर्णनीय है। वे उनके कहने पर देहरादून छोड़कर इलाहाबाद चले आए। वहाँ भी उन्हें एम०ए० की परीक्षा पास करने में इतनी खुशी नहीं मिली, जितनी उन्हें कवि-सम्मेलन में जाकर अपनी रचनाएँ पढ़ने व दूसरों की रचनाएँ सुनने
और बड़े-बड़े साहित्यकारों से मिलने में हुई। इस प्रकार स्पष्ट है कि साहित्यकारों की दुनिया में सांसारिक सुख-समृद्धि इतना महत्त्व नहीं रखती जितना उनके द्वारा रचित साहित्य। यही उनकी प्रसन्नता का प्रमुख कारण होता है।

प्रश्न 2.
पठित पाठ में अभिव्यक्त कविवर बच्चन जी के पत्नी-वियोग पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
पठित पाठ में बताया गया है कि श्री हरिवंशराय बच्चन अपनी पत्नी के वियोग में अत्यधिक व्याकुल एवं व्यथित रहते थे। उनके जीवन में उनकी पत्नी का वही स्थान था जो शिव के मस्त नृत्य में उमा का था। जिस प्रकार शिव पत्नी-वियोग में व्याकुल रहे थे, वैसे ही श्री बच्चन भी पत्नी के वियोग में दुःखी रहे। उस समय उन्हें संसार की प्रत्येक वस्तु व्यर्थ प्रतीत होती थी। उनकी पत्नी उनकी सच्ची संगिनी थी। उनके जीवन की प्रेरणा थी। श्री बच्चन जी पत्नी के प्रति समर्पित थे। इसलिए उसकी आकस्मिक मृत्यु ने उनके कवि एवं भावुक हृदय को झकझोर कर रख दिया।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया

प्रश्न 3.
लेखक (श्री शमशेर बहादुर सिंह) को अकेलापन क्यों अच्छा लगता था ? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर-
वस्तुतः लेखक बचपन से ही अत्यंत संकीर्ण एवं एकांतप्रिय स्वभाव के थे। वे घर से बाहर अति आवश्यक काम से ही निकलते थे। इसलिए लोगों से मिलना-जुलना भी कम ही होता था। उन्हें सदा भ्रम-सा बना रहता था कि निजी दुनिया में उनका कोई साथी नहीं बन सकता। इसलिए उन्होंने अकेलेपन को ही साथी समझ लिया था। वे अपने अकेलेपन में अपने हृदय में बसे कवि से ही बातें करते थे। लेखक के अनुसार-अंदर से मेरा हृदय बहुत उद्विग्न रहता, यद्यपि अपने को दृश्यों व चित्रों में खो देने की मुझमें शक्ति थी।’ लेखक ने अन्यत्र लिखा है कि उसे सड़कों पर अकेले घूमना, कविताएँ लिखना और स्कैच बनाना अच्छा लगता था। किंतु अपनी खोली में पहुंचकर बोरियत महसूस होती थी। लेखक के इन कथनों से स्पष्ट है कि लेखक अपनी रचनाओं की दुनिया में ही खोया रहना चाहता था। वह इसमें किसी प्रकार की बाधा को सहन नहीं कर सकता था। इसलिए उसे अकेलापन अच्छा लगता था।

प्रश्न 4.
लेखक के हिंदी लेखन की ओर मुड़ने के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
लेखक आरंभ में उर्दू और अंग्रेज़ी में अपनी रचनाएँ लिखा करता था। उर्दू में रचित उनकी रचनाएँ काफी प्रसिद्ध थीं। किंतु सन् 1930 में जब श्री हरिवंशराय बच्चन अपनी प्रसिद्धि के शिखर पर थे, तब वे लेखक के संपर्क में एक रचना के माध्यम से आए। लेखक ने अपनी एक ‘सॉनेट’ श्री बच्चन के पास भेजी। उन्हें वह सॉनेट बहुत अच्छी लगी। श्री बच्चन जी समझ गए थे कि इस युवक में साहित्य रचने की प्रतिभा है। इसलिए उन्होंने लेखक को इलाहाबाद बुला लिया और उन्हें हिंदी में लिखने के लिए प्रेरित किया। इलाहाबाद में रहते हुए उन्हें हिंदी का वातावरण मिला। वहाँ उनका परिचय श्री पंत, श्री निराला जैसे महान कवियों से हुआ जिनसे उन्हें हिंदी में लिखने की प्रेरणा मिली। निराला जी ने उनकी एक कविता पर सुंदर टिप्पणी लिखी। पंत जी ने उनकी कविताओं में सुधार किया। इलाहाबाद रहते हुए उन्हें कवि-सम्मेलनों में जाने का अवसर भी मिला। इस प्रकार लेखक हिंदी लेखन की ओर मुड़े और हिंदी साहित्यकार बन गए।

प्रश्न 5.
लेखक को दिल्ली में उकील आर्ट स्कूल में बिना फीस के क्यों दाखिल किया गया था?
उत्तर-
उनकी चित्रकला की महान प्रतिभा को देखकर उन्हें बिना फीस के आर्टस् स्कूल में दाखिल कर लिया गया था। उन्हें उससे इस क्षेत्र में उन्नति करने की बहुत उम्मीदें थीं।

प्रश्न 6.
लेखक दिल्ली क्यों गया था? .
उत्तर-
वस्तुतः लेखक देहरादून में बेरोज़गार था। वहाँ उसके पास करने के लिए कुछ काम नहीं था। घरवाले व दूसरे लोग उसे बेकार घूमने पर ताने भी देते थे। इसलिए लेखक दिल्ली काम की तलाश में गया था। वहाँ उसने काम और चित्रकला की शिक्षा दोनों ही एक साथ आरंभ की थीं।

प्रश्न 7.
दिल्ली आने पर लेखक अपना समय कैसे बिताता था ?
उत्तर-
लेखक ने दिल्ली पहुंचने पर करोलबाग में सड़क के किनारे एक कमरा किराए पर लिया तथा आर्ट की कक्षाओं में जाने लगा। इसी बीच चित्र बनाने व कविताएँ लिखने का काम भी करता था। जब भी कुछ समय मिलता तो सड़कों पर घूमने निकल पड़ता। इस प्रकार लेखक ने दिल्ली में अपना समय व्यतीत किया।

प्रश्न 8.
इलाहाबाद में श्री बच्चन ने लेखक के लिए कौन-सी योजना तैयार की थी ?
उत्तर-
इलाहाबाद में लेखक को बुलाने के पश्चात श्री बच्चन ने यह योजना बनाई थी कि वह किसी प्रकार एम०ए० की परीक्षा पास कर ले। उसका जिम्मा उन्होंने खुद ले लिया था। वे चाहते थे कि लेखक पढ़-लिखकर अपने पाँवों पर खड़ा हो जाए।

प्रश्न 9.
लेखक दिल्ली में रहता हुआ अपने कमरे में आकर बोर क्यों हो जाता था ?
उत्तर-
लेखक को एकांत एवं अकेलापन बहुत प्रिय था। वह अकेलेपन एवं एकांत में खोकर नए-नए विषयों पर विचार करता और उन पर कुछ लिखता। किंतु कमरे में और भी लोग रहते थे। लेखक को उनकी बातों में कोई रुचि नहीं थी। इसलिए वह कमरे में आकर बोर हो जाता था।

प्रश्न 10.
लेखक मार्ग में आने-जाने व उससे मिलने वाले चेहरों को गौर से क्यों देखता था ?
उत्तर-
लेखक को हर चेहरे में अपनी ड्राईंग के लिए कोई-न-कोई विषय मिल जाता था। उसे हर विषय और हर दृश्य में कोई-न-कोई विशेष अर्थ मिल जाता था। इसके लिए उसे गहरा निरीक्षण करना पड़ता था। इसीलिए वह मार्ग में आने-जाने वाले लोगों के चेहरों को गौर से देखता था।.

प्रश्न 11.
लेखक ने जो सॉनेट श्री बच्चन जी को भेजा था, उसका प्रमुख विषय क्या था ? उन्होंने यह सॉनेट बच्चन जी को ही क्यों भेजा था ?
उत्तर-
लेखक द्वारा रचित उस सॉनेट में बच्चन जी के प्रति उनसे मिलने के लिए कृतज्ञता के भाव थे। यह सॉनेट अंग्रेजी भाषा में लिखा था और अतुकांत मुक्त छंद में था। उन्होंने बच्चन के पास अपना यह सॉनेट नमूने के रूप में भेजा था।

प्रश्न 12.
लेखक दिल्ली से देहरादून क्यों आया था ?
उत्तर-
लेखक आजीविका कमाने और पेंटिंग अथवा चित्रकला से जुड़ने के लिए देहरादून आया था। वहाँ उनके गुरु शारदाचरण उकील ने पेंटिंग का स्कूल खोला हुआ था। वहाँ आकर उसने ससुराल वालों की कैमिस्ट की दुकान पर कंपाउंडरी भी सीखी।

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प्रश्न 13.
लेखक को सरकारी नौकरी से घृणा क्यों थी ?
उत्तर-
लेखक को सरकारी नौकरी से घृणा थी। अपने पिता जी की सरकारी नौकरी के बंधनों को देखकर उन्होंने अपने मन में सरकारी नौकरी न करने की ठान ली थी। दूसरा प्रमुख कारण था कि साहित्यकार बंधन के जीवन को पसंद नहीं करता है।

प्रश्न 14.
कविवर बच्चन लेखक से एम०ए० की परीक्षा देने के लिए बार-बार क्यों कहते थे ?
उत्तर-
कविवर बच्चन दूसरों की प्रतिभा को पहचानने की कला में प्रवीण थे। उन्होंने लेखक की सॉनेट को पढ़कर उनकी प्रतिभा का अनुमान लगा लिया था। दूसरा कारण था कि उसकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी। वे उसके हृदय की पीड़ा को भी समझते थे। इसलिए वे उन्हें आर्थिक संकट एवं पत्नी-वियोग की पीड़ा से निकालने के लिए ऐसा कहते थे।

प्रश्न 15.
लेखक ने किस-किस भाषा में रचना की और अंत में किस भाषा के साहित्य के लिए प्रसिद्धि मिली ?
उत्तर-
लेखक ने उर्दू एवं अंग्रेज़ी भाषाओं में लिखना आरंभ किया था, किंतु बाद में श्री बच्चन की प्रेरणा से हिंदी में कविता लिखने लगे थे। वे कुछ समय पश्चात हिंदी के अच्छे कवि बन गए थे और उन्हें हिंदी कवि के रूप में ही प्रसिद्धि प्राप्त हुई थी।

प्रश्न 16.
कविवर शमशेर बहादुर सिंह को हिंदी की ओर ले जाने में किन-किन का प्रयास रहा है ?
उत्तर-
सर्वप्रथम तो कविवर हरिवंशराय बच्चन ने लेखक (शमशेर बहादुर सिंह) को हिंदी की ओर मोड़ने का सफल प्रयास किया था। इसके अतिरिक्त कविवर पंत और निराला जी ने भी लेखक को हिंदी की ओर मोड़ने में सहयोग दिया था।

प्रश्न 17.
लेखक श्री बच्चन के जीवन की किस विशेषता से सबसे अधिक प्रभावित थे ? ।
उत्तर-
लेखक श्री बच्चन की दूसरों की प्रतिभा को पहचानने और उसे बढ़ावा देने की विशेषता से अधिक प्रभावित थे। वे सदा दूसरों की प्रतिभा को उभारने के लिए तत्पर रहते थे। वे उसे उचित प्रोत्साहन देते और आगे बढ़ने के अवसर भी प्रदान करते थे।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
“किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया” शीर्षक पाठ के लेखक कौन हैं?
(A) शमशेर बहादुर सिंह.
(B) फणीश्वरनाथ रेणु
(C) मृदुला गर्ग
(D) जगदीशचंद्र माथुर
उत्तर-
(A) शमशेर बहादुर सिंह

प्रश्न 2.
श्री शमशेर बहादुर सिंह ने दिल्ली में किस आर्ट स्कूल में प्रवेश लिया था?
(A) उनीस आर्ट स्कूल
(B) उकील आर्ट स्कूल
(C) नीलांभ आर्ट स्कूल
(D) चित्रा आर्ट स्कूल
उत्तर-
(B) उकील आर्ट स्कूल

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प्रश्न 3.
लेखक दिल्ली में आरंभ में कहाँ ठहरा हुआ था?
(A) मोती नगर
(B) उत्तम नगर
(C) करोलबाग
(D) कश्मीरी गेट
उत्तर-
(C) करोलबाग

प्रश्न 4.
आरंभ में श्री शमशेर बहादुर किस भाषा में लिखते थे?
(A) हिंदी में
(B) संस्कृत में
(C) उर्दू में
(D) बांग्ला में
उत्तर-
(C) उर्दू में

प्रश्न 5.
श्री शमशेर बहादुर सिंह को श्री हरिवंशराय बच्चन सर्वप्रथम कहाँ मिले थे?
(A) दिल्ली में
(B) इलाहाबाद में
(C) बनारस में
(D) देहरादून में
उत्तर-
(D) देहरादून में

प्रश्न 6.
देहरादून में आकर लेखक ने कौन-सा कार्य सीखा था?
(A) कविता लिखना
(B) पेंटिंग करना
(C) कंपाउंडरी
(D) दस्तकारी
उत्तर-
(C) कंपाउंडरी

प्रश्न 7.
श्री शमशेर बहादुर को आर्टस सिखाने वाले गुरू का क्या नाम था? ।
(A) श्री बच्चन
(B) श्री पंत
(C) शारदाचरण उकील
(D) निराला जी
उत्तर-
(C) शारदाचरण उकील

प्रश्न 8.
लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का पश्चात्ताप क्यों था?
(A) वह दूसरी भाषाएँ नहीं जानता था
(B) उनके घर का वातावरण उर्दू भाषा का था
(C) उसे संस्कृत का ज्ञान था किंतु उसमें नहीं लिखता था
(D) लेखक को अन्य भाषाओं में लिखने में लज्जा आती थी
उत्तर-
(B) उनके घर का वातावरण उर्दू भाषा का था

प्रश्न 9.
लेखक की दृष्टि में बच्चन जी के जीवन की सबसे बड़ी विशेषता कौन-सी थी?
(A) वे महान् कवि थे
(B) कोमल हृदय व्यक्ति
(C) पारदर्शी व्यक्तित्व के धनी
(D) परिश्रमी
उत्तर-
(B) कोमल हृदय व्यक्ति

प्रश्न 10.
लेखक ने सर्वप्रथम हिंदी में कविता कब लिखी थी?
(A) सन् 1933 में
(B) सन् 1935 में
(C) सन् 1937 में
(D) सन् 1938 में
उत्तर-
(A) सन् 1933 में

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प्रश्न 11.
श्री हरिवंशराय बच्चन के पत्नी वियोग की तुलना लेखक ने किससे की है?
(A) श्रीराम के साथ
(B) मेघदूत के पक्ष के साथ
(C) शिव के साथ
(D) रतनसेन के साथ
उत्तर-
(C) शिव के साथ

प्रश्न 12.
लेखक को बच्चन कहाँ ले गए थे?
(A) इलाहाबाद
(B) दिल्ली
(C) बनारस
(D) कानपुर
उत्तर-
(A) इलाहाबाद

प्रश्न 13.
लेखक ने इलाहाबाद में आकर किस विषय में एम.ए. की परीक्षा की तैयारी की थी?
(A) अंग्रेज़ी
(B) इतिहास
(C) हिंदी
(D) संस्कृत
उत्तर-
(C) हिंदी

प्रश्न 14.
लेखक दिल्ली से देहरादून क्यों आया था?
(A) उनके गुरु उकील ने वहाँ आर्ट स्कूल खोल लिया
(B) उसे वहाँ नौकरी मिल गई
(C) उसके ससुराल वालों ने बुला लिया था
(D) अपने माता-पिता की चिंता के कारण
उत्तर-
(A) उनके गुरु उकील ने वहाँ आर्ट स्कूल खोल लिया।

प्रश्न 15.
लेखक सरकारी नौकरी क्यों नहीं करना चाहता था?
(A) उसे पसंद नहीं थी ।
(B) नौकरी उसके लिए बंधन के समान थी
(C) लेखक स्वच्छ प्रवृत्ति वाला व्यक्ति था
(D) नौकरी में झूठ बोलना पड़ता
उत्तर-
(B) नौकरी उसके लिए बंधन के समान थी।

प्रश्न 16.
लेखक को किस भाषा में लिखने से प्रसिद्धि मिली थी?
(A) उर्दू ,
(B) अंग्रेजी
(C) हिंदी
(D) संस्कृत
उत्तर-
(C) हिंदी

किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया Summary in Hindi

किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ एक संस्मरण है। इसमें लेखक ने श्री हरिवंशराय बच्चन तथा सुमित्रानंदन पंत के साथ बिताए जीवन के क्षणों को याद किया है। प्रस्तुत संस्मरण का सार इस प्रकार है

इस संस्मरण में बताया गया है कि लेखक को किसी ने ऐसा कुछ कहा कि वह पहली बस पकड़कर दिल्ली आ गया। उसने सोच लिया था कि अब उसे दिल्ली में रहना है और पेंटिंग का काम सीखना है। लेखक को उकील आर्ट स्कूल में मुफ्त में दाखिला मिल गया था। वह करोल बाग में एक कमरा किराए पर लेकर वहाँ रहने लगा था। वह रास्ते में चलता-चलता अंग्रेज़ी, हिंदी व उर्दू की कविताएँ करता था। उसकी आदत-सी बन गई थी कि वह हर आने-जाने वाले के चेहरे को ध्यानपूर्वक देखता और उनमें अपनी पेंटिंग के विषय ढूँढता। कुछ साइनबोर्ड पेंट करके तथा कुछ बड़े भाई से प्राप्त धन से गुजारा करता। उसके साथ महाराष्ट्र का एक पत्रकार भी आकर रहने लगा। वह भी बेकार था। वह इलाहाबाद की चर्चा किया करता था।
लेखक उन दिनों बहुत अकेला और बेचैन-सा रहता था। पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी। एक बार बच्चन स्टूडियो में आए, किंतु लेखक क्लास खत्म होने के पश्चात जा चुका था। वे लेखक के लिए एक नोट छोड़ गए थे। वह नोट अत्यंत सारगर्भित और प्रभावशाली था। लेखक ने उसके लिए अपने-आपको अत्यंत कृतज्ञ अनुभव किया। जवाब में कृतज्ञतापूर्ण एक कविता भी लिखी, किंतु उनके पास कभी भेजी नहीं।

कुछ समय बाद दिल्ली में कुछ ऐसी घटनाएँ घटीं कि लेखक पुनः देहरादून आ गया। वहाँ आकर लेखक अपनी ससुराल की केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स की दुकान पर कंपाउंडरी का काम सीखने लगा। इस काम में वह सफल भी हो गया। तभी उनके गुरु श्री शारदाचरण ने पेंटिंग की क्लास बंद कर दी। इससे लेखक को कला-बोध की कमी खलने लगी। कलात्मकता के अभाव में लेखक अपने-आपको बहुत अकेला अनुभव करने लगा था। उनकी आंतरिक रुचियों की किसी को परवाह नहीं थी। इसी उधेड़बुन में उन्होंने एक दिन श्री हरिवंशराय बच्चन को लिखी हुई अपनी कविता पोस्ट कर दी। संयोग ही था कि एक बार बच्चन जी देहरादून आए और लेखक के यहाँ मेहमान बनकर रहे।

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उन दिनों बच्चन जी साहित्य के क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध हो चुके थे। लेखक को उस भयानक आँधी की याद आ गई जिसमें असंख्य पेड़ जड़ से उखड़कर गिर पड़े थे। बच्चन जी एक पेड़ के नीचे आने से बाल-बाल बच गए थे। उन्हीं दिनों बच्चन जी को भी अपनी पत्नी श्यामा का वियोग हुआ था। वे इतने दुःखी थे कि मानो मस्त नृत्य करते शिव से उनकी उमा को छीन लिया गया हो। वे अपनी बात के धनी थे। एक दिन बहुत बारिश थी और रात के समय उन्हें गाड़ी पकड़नी थी। मेजबान के रोकने पर भी वे न रुके। बिस्तर बाँधा और काँधे पर रखकर स्टेशन जा पहुंचे।

लेखक इस बात को सोचकर हैरान होता है कि वे बच्चन जी के आग्रह पर इलाहाबाद जा पहुंचेंगे। उनकी बच्चन जी से अधिक गहरी जान-पहचान नहीं थी। वे हमेशा एकांत को पसंद करते थे। उन्हें ऐसा भ्रम रहता था कि उनके एकांत में उनके साथ चलने वाला कोई नहीं था। एक ओर बच्चन जी ने कहा कि देहरादून में रहेगा तो मर जाएगा। उधर केमिस्ट्स की दुकान पर बैठने वाले डॉक्टर ने भी कहा इलाहाबाद गया तो वहाँ उसका जीवित रहना असंभव होगा। इस प्रकार वह भ्रमित-सा हो गया। किंतु उसने इलाहाबाद जाने का निश्चय कर लिया। बच्चन जी ने एम०ए० हिंदी की पढ़ाई का जिम्मा अपने ऊपर लिया तथा कहा कि जब कमाएगा तो लौटा देना। बच्चन जी चाहते थे कि वह काम का आदमी बन जाए, किंतु वह न एम०ए० की परीक्षा दे सका और न नौकरी कर सका।

वहाँ रहते हुए लेखक का पंत जी से भी परिचय हुआ। उनकी कृपा से ही उन्हें अनुवाद करने का काम मिल गया था। अब लेखक के मन में हिंदी कविता लिखने की रुचि जाग गई थी, किंतु उन्हें तो अंग्रेजी कविता और उर्दू गज़लें लिखने का अभ्यास था। बच्चन जी ने उनकी कविताओं की सराहना की और हिंदी में लिखने का अभ्यास भी निरंतर बढ़ने लगा था। जाट परिवार से संबंधित होने के कारण भी भाषा की दीवार उन्हें रोक न सकी। लेखक हिंदी की ओर बढ़ने के अपने आकर्षण का कारण निराला, पंत, श्री बच्चन आदि महान हिंदी कवियों व इलाहाबाद के अन्य साहित्यकारों से मिलने वाले उत्साह को मानता है। यद्यपि वे हिंदी में बढ़ रही गुटबाजी से दुःखी थे। बच्चन जी उस समय इस गुटबाजी के विरुद्ध लड़ रहे थे।

सन् 1937 में लेखक को लगा कि वह श्री बच्चन जी की भाँति फिर से जीवन की ओर लौट रहा है। उसे भी बच्चन जी की भाँति ही आर्थिक दृष्टि से सबल होना है। बच्चन जी ने उसे 14 पंक्तियों का नया सॉनेट लिखना सिखाया था। इसमें बीच में अतुकांत पंक्तियाँ भी थीं और तुकांत भी। लेखक ने भी कुछ ऐसी ही एक रचना लिखी लेकिन वह कभी प्रकाशित नहीं हो सकी। लेखक अब श्री बच्चन जी के ‘निशा-निमंत्रण’ से प्रभावित हुआ और कुछ उसी पैटर्न पर कविताएँ भी लिखने लगा था। नौ पंक्तियाँ, तीन स्टैंजा। यद्यपि पंत जी ने लेखक की ऐसी कविताओं का संशोधन भी किया, किंतु उन्हें कोई विशेष सफलता नहीं मिली।

लेखक द्वारा अपनी पढ़ाई की ओर ध्यान न दिए जाने पर बच्चन जी बड़े दुःखी थे। लेखक एम०ए० की परीक्षा नहीं दे सका, किंतु उनकी हिंदी कविता में रुचि बढ़ती जा रही थी। वे एक दिन बच्चन जी के साथ एक कवि सम्मेलन में गए। उनका कविता लिखने का प्रभाव बेकार नहीं गया। उन्हीं दिनों उनकी एक कविता ने निराला जी का ध्यान आकृष्ट किया और उन्होंने लेखक को ‘हंस’ प्रकाशन में काम दिला दिया। इसलिए उन्हें हिंदी में लाने का श्रेय श्री बच्चन जी को जाता है।

लेखक का मानना है कि उनके जीवन को नया मोड़ देने के पीछे बच्चन जी की मौन-सजग प्रतिभा रही है। उनमें दूसरों की प्रतिभा को व्यक्तित्व प्रदान करने की स्वाभाविक क्षमता है। लेखक बच्चन जी से प्रायः दूर ही रहा है। परंतु उनके लिए दूर और समीप की परिभाषा दूसरों से हटकर है। वह नजदीक के लोगों के साथ भी दूरी अनुभव करता रहे और दूर के लोगों के साथ भी बहुत करीब रहे।

जिस प्रकार कवि अपनी कविता के माध्यम से अपने ही बहुत करीब रहता है। न वह कविता से कभी मिलता है, न कभी बात करता है फिर भी उसके अत्यधिक निकट रहता है। ठीक वैसे ही लेखक श्री बच्चन जी के निकट रहा। उनकी यह महानता उनके अच्छे-से-अच्छे कवि से भी महान है। श्री बच्चन जी ऐसे ही बहुत-से लोगों के करीब रहे हैं। उनका सहज एवं स्वाभाविक होना लेखक को बहुत अच्छा लगता है। इसी स्वाभाविकता के कारण लेखक अपने-आपको मुक्त समझता है। ऐसा अनुभव और लोगों को भी होता होगा। लेखक को विश्वास है कि बच्चन जैसे लोग दुनिया में हुआ करते हैं। वे असाधारण नहीं होते। होते तो साधारण हैं, किंतु होते बिरले हैं, दुष्प्राप्य हैं।

 

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-49) : जुमला = वाक्य । पेंटिंग = चित्रकारी। फौरन = जल्दी ही। किस्सा = कथा, घटना। मुख्तसर = संक्षिप्त, सार रूप में। शौक = रुचि। बिला-फीस = बिना फीस के। भर्ती = दाखिला। लबे-सड़क = सड़क के किनारे।

(पृष्ठ-51) : वहमो-गुमान = भ्रम, अनुमान। तरंग = लहर। टीस = वेदना। चुनाँचे = अतः, इसलिए। शेर = गज़ल के दो चरण। बगौर = ध्यानपूर्वक। तत्त्व = सार, तथ्य। दृश्य = दिखाई देने वाला। गति = चाल। विशिष्ट = विशेष। आकर्षण = खिंचाव। साइनबोर्ड = विज्ञापन के पट या पर्दे । बेकार = बेरोज़गार। जिक्र = चर्चा । हृदय = दिल। उद्विग्न = परेशान। टी०बी० = क्षय रोग। घसीटता = लापरवाही से लिखना। स्केच = रेखाचित्र। बोर होना = ऊब जाना। मुलाकात = भेंट। संलग्न = लगे हुए। वसीला = सहारा। नोट = कागज़ पर लिखा संदेश। कृतज्ञ = उपकार को अनुभव करना।

(पृष्ठ-52) : मौन = खामोश। उपलब्धि = प्राप्ति। अफसोस = दुःख। सॉनेट = यूरोपीय कविता का एक लोकप्रिय छंद। अतुकांत = तुक के बिना। मुक्तछंद = छंदों से मुक्त कविता। उफ = ओह । गोया = मानो, जैसे। केमिस्ट्रस = दवाइयाँ तथा रसायन बेचने वाला। ड्रगिस्ट्स = दवाइयाँ बेचने वाला। कंपाउंडरी = चिकित्सा में सहायता करने वाला कर्मचारी। महारत = कुशलता। अजूबा = अद्भुत, हैरान करने वाली। नुस्खा = तरीका। गरज़ = चाह, मतलब। आंतरिक = भीतरी, अंदरूनी। दिलचस्पी = रुचि। अदब-लिहाज़ = शर्म, संकोच। घुट्टी में पड़ना = जन्म से ही स्वभाव में होना। अभ्यासी = आदती। खिन्न = परेशान, दुःखी। सामंजस्य = तालमेल। कर्त्तव्य = करने योग्य काम। इत्तिफाक = संयोग।

(पृष्ठ-53) : प्रबल = मज़बूत, शक्तिशाली। झंझावात = आँधी। स्पष्ट = साफ़। मस्तिष्क = दिमाग। वियोग = बिछुड़ना। उमा = शिव की पत्नी पार्वती। अर्धांगिनी = पत्नी। मध्य वर्ग = धन की दृष्टि से बीच के लोग। भावुक = भावना से भरे, कोमल। आदर्श = सिद्धांत। उत्साह = जोश। संगिनी = साथिन। निश्छल = सरल, छल-रहित। आर-पार देखना = साफ़ एवं स्पष्ट होना। बात का धनी = अपनी बात पर टिके रहने वाला। वाणी का धनी = जिसकी वाणी बहुत मधुर एवं पटु हो। संकल्प = इरादा, निश्चय। फौलाद = बहुत मज़बूत। बरखा = वर्षा । झमाझम = बहुत तेजी से, अधिकता से। मेज़बान = आतिथ्य करने वाला। इसरार = आग्रह। बराय नाम = केवल नाम के लिए, दिखावे-भर को।

(पृष्ठ-54) : वहम = भ्रम, संदेह । गरीब-गरबा = गरीबों के लिए। नुस्खा = तरीका, ढंग, उपाय। थ्री टाइम्स अ-डे = एक दिन में तीन बार। बेफिक्र = चिंता से रहित। लोकल गार्जियन = स्थानीय अभिभावक। दर्ज होना = नाम लिखा जाना। सूफी नज्म = सूफ़ी कविता। प्रीवियस = पहला, पूर्व । फाइनल = अंतिम। काबिल = योग्य। प्लान = योजना। फारिग होना= मुक्त होना। पैर जमाकर खड़ा होना = नौकरी करने योग्य हो जाना। दिल में बैठना = दृढ़ होना। तर्क-वितर्क = बहसबाजी। घोंचूपन = नालायकी, कायरता, मूर्खता। पलायन = भागना। कॉमन रूम = सबके उठने-बैठने का कमरा।

(पृष्ठ-55) : गंभीरता = गहरी रुचि। शिल्प = शैली, तरीका। फर्स्ट फार्म = पहली भाषा। खालिस = शुद्ध। भावुकता = भावों की कोमलता। अभाव = कमी। विषयांतर = दूसरे विषय की तरफ भटक जाना। पुनर्संस्कार = फिर से स्वभाव में डालना। मतभेद = विचारों की भिन्नता। अभिव्यक्ति = भाव प्रकट करना। माध्यम = सहारा। एकांततः = अपने लिए ही। पछाँही = पश्चिम दिशा का। दीवार = बाधा। चेतना = मन, मस्तिष्क, हृदय। संस्कार = आदतें, गुण। प्रोत्साहन = उत्साह, बढ़ावा। विरक्त = अलगाव होना, अरुचि होना। संकीर्ण = तंग। सांप्रदायिक = एक संप्रदाय के प्रभाव वाला।

(पृष्ठ-56) : मर्दानावार = वीरों की भाँति। उच्च घोष = ऊँची आवाज । मनःस्थिति = मन की दशा। द्योतक = परिचायक। अंतश्चेतना = अंतर्मन। निश्चित = बेफिक्र । कमर कसना = तैयार होना। स्टैंज़ा = गीत का एक चरण या अंतरा । तुक = कविता के प्रत्येक चरण के अंतिम वर्णों का एक-सा होना। प्रभावकारी = प्रभावशाली। विन्यास = रचना। अतुकांत = तुक से रहित। बंद = पहरा, अनुच्छेद, चरण। फार्म = रूप। आकृष्ट करना = खींचना। संशोधन = सुधार। सुरक्षित = बचाकर रखे हुए।

(पृष्ठ-57) : क्षोभ = व्याकुलता। स्थायी संकोच = हमेशा महसूस होने वाली शर्म। निरर्थक = बेकार। प्रशिक्षण = ट्रेनिंग, सीखना। प्रांगण = आँगन, क्षेत्र। घसीट लाना = खींच लाना। आकस्मिक = अचानक। मौन-सजग = चुपचाप जाग्रत। प्रातिभ = प्रतिभा से युक्त। नैसर्गिक = सहज, प्राकृतिक। क्षमता = शक्ति। बेसिकली = मूल रूप से। व्यवधान = बाधा, रुकावट। प्रस्तुत होना = पेश होना, दिखाई देना, प्रकट होना। सामान्य = आम।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया

(पृष्ठ-58) : विशिष्ट = खास, विशेष। असाधारण = जो साधारण न हो, विशेष। मर्यादा = शान। दुष्प्राप्य = कठिनाई से मिलने वाला।

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HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Varn Prakaran वर्ण प्रकरण Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण

वर्ण प्रकरण

Varn Prakaran HBSE 9th Class प्रश्न 1.
वर्ण किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
भाषा की सबसे छोटी ध्वनि को वर्ण कहते हैं। दूसरे शब्दों में, उस छोटी-से-छोटी ध्वनि को वर्ण कहते हैं, जिसके आगे टुकड़े न किए जा सकें; जैसे अ, इ, ऋ, क, ख, ड्र आदि। वर्गों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में 46 वर्ण हैं। हिन्दी की वर्णमाला को मुख्यतः स्वर एवं व्यंजन दो भागों में बाँट सकते हैं। हिन्दी की वर्णमाला निम्नलिखित है
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण 1
हिन्दी वर्णमाला के 46 अक्षर संस्कृत भाषा से आए हैं, जिनमें 13 स्वर हैं और शेष व्यंजन हैं। प्रश्न 2. संयुक्त व्यंजनों से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण उत्तर दीजिए। उत्तर-जो व्यंजन एक से अधिक व्यंजनों के योग से बने हों, उन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं; जैसे
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण 2

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण

वर्ण के भेद

Varn Prakaran Class 9 HBSE प्रश्न 3.
वर्ण के कितने भेद होते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
वर्ण के दो भेद होते हैं- स्वर एवं व्यंजन।
स्वर- अ, इ, उ, ऋ आदि।
व्यंजन- क, ख, प, फ आदि।

वर्ण प्रकरण Class 9 HBSE प्रश्न 4.
स्वर किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
वह वर्ण जो बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से बोला जाए, उसे स्वर कहते हैं। मात्रा के अनुसार स्वरों के तीन भेद होते हैं-हस्व स्वर, दीर्घ स्वर और प्लुत स्वर।

वर्ण प्रकरण Class 9 Vyakaran HBSE प्रश्न 5.
उच्चारण की दृष्टि से स्वरों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
उच्चारण के अनुसार स्वरों के निम्नलिखित दो भेद हैं
(1) सानुनासिक तथा
(2) निरनुनासिक।
1. सानुनासिक: जिनका उच्चारण मुख और नासिका से होता है, वे सानुनासिक स्वर कहलाते हैं; जैसे बाँटना, हँसना, दाँत आदि।
2. निरनुनासिक: जिनका उच्चारण केवल मुख से होता है, वे निरनुनासिक स्वर होते हैं; जैसे कौन, दीन आदि।

Hindi Varna HBSE 9th Class प्रश्न 6.
अनुस्वार एवं अनुनासिक किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
अनुनासिक के उच्चारण में हवा नाक और मुख दोनों से निकलती है और अनुस्वार के उच्चारण में हवा केवल नाक से निकलती है। इसके उच्चारण में बल भी अधिक लगता है। अनुनासिक व्यंजन ध्वनि मानी जाती है, जबकि अनुस्वार स्वर माना जाता है। अनुस्वार का चिह्न ऊपर बिन्दु ( . ) है और अनुनासिक का चिह्न चन्द्रबिन्दु (ं) है।
अनुस्वार: गंगा, बंगाल, संधि, संभावना आदि।
अनुनासिक: मुँह, हँसी, बाँटना, दाँत आदि।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण

In 9th Standard HBSE प्रश्न 7.
मात्रा से क्या अभिप्राय है? सभी स्वरों के मात्रा रूप बताइए।
उत्तर:
जब किसी स्वर को व्यंजन के साथ जोड़ा जाता है तो स्वर के स्थान पर उसका जो चिह्न लगाया जाता है, उसे मात्रा कहते हैं। स्वरों की मात्राएँ निम्नलिखित हैं
HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण 3
वर्ण प्रकरण कक्षा 9 HBSE प्रश्न 8.
व्यंजन किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
उत्तर:
जो वर्ण स्वरों की सहायता से बोले जाते हैं, उन्हें व्यंजन कहते हैं। ये स्वरों की सहायता के बिना नहीं बोले जा सकते। इनके उच्चारण में वायु रुकावट के साथ बाहर आती है; जैसे क् + अ = क । यही नियम सभी व्यंजनों पर लागू होता है। बिना स्वर के योग के सभी वर्गों के नीचे हलन्त लगता है; जैसे क्, ख, ग, ट्, त्, ड्, न आदि।

उच्चारण के अनुसार व्यंजनों के तीन भेद किए जा सकते हैं
(1) स्पर्श,
(2) अन्तःस्थ
(3) ऊष्म।

प्रश्न 9.
‘र’ और ‘ऋ’ में क्या अन्तर है? व्यंजनों के साथ ‘र’ लगाने के कौन-से नियम हैं ?
उत्तर:
र व्यंजन है और ऋ स्वर है। हिन्दी में रि और ऋ के उच्चारण में काफी समानता प्रतीत होती है। व्यंजनों के साथ ‘र’ लगाने के नियम निम्नलिखित हैं-
(1) यदि ‘र’ से पूर्व कोई स्वर रहित व्यंजन अर्थात् हलन्त वाला व्यंजन हो तो ‘र’ व्यंजन के नीचे आकर जुड़ जाता है; जैसे-
क् + र = क्र (क्रम),
म् + र = म्र (ताम्र),
द् + र = द्र (द्रव्य),
प् + र = प्र (प्रकाश)।

किन्तु ‘र’ से पूर्व यदि कोई टवर्ग का व्यंजन स्वर रहित (हलन्त) हो, तो इसका प्रयोग इस तरह किया जाएगा-
ट् + र = ट्र (ट्रक),
ड् + र = ड्र (ड्रामा)।

(2) यदि स्वर रहित ‘र’ अन्य वर्गों से पहले आए तो अपने से अगले व्यंजन के ऊपर (शिरोरेख के ऊपर) लगाया जाता है; जैसे
ध + र् + म = धर्म,
पू + र् + व = पूर्व,
सू + र् + य = सूर्य ।

(3) यदि ‘र’ के साथ ‘इ’ या ‘ई’ की मात्रा लगी हो, तो इसे मात्रा के बाद जोड़कर लिखा जाता है; जैसे कर्मी, फुर्ती, दर्शी, महर्षि, गर्वित।

(4) यदि ‘र’ संयुक्त अक्षर के साथ आए तो ‘र’ को संयुक्ताक्षर के अन्तिम वर्ण पर लगाया जाता है; जैसे मर्त्य, दुर्घर्ष।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण

परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वर्ण किसे कहते हैं? हिन्दी वर्णमाला में कितने वर्ण हैं? इनको हम कितने भागों में बाँट सकते हैं?
उत्तर:
भाषा की लघुतम इकाई को वर्ण कहते हैं या वह लघु ध्वनि जिसके आगे टुकड़े न हो सकें, उसे वर्ण कहते हैं; जैसे आ, इ, क, खु आदि। हिन्दी भाषा में 46 वर्ण होते हैं। वर्ण को हम दो भागों में बाँट सकते हैं-
(1) स्वर,
(2) व्यंजन।

प्रश्न 2.
स्वर किसे कहते हैं? मात्रा के अनुसार ये कितने प्रकार के हैं?
उत्तर:
वह वर्ण जो अन्य वर्ण की सहायता से बोला जा सके, स्वर कहलाता है। मात्रा के आधार पर इन्हें तीन भागों में बाँटा जा सकता है-
(1) ह्रस्व स्वर,
(2) दीर्घ स्वर,
(3) प्लुत स्वर।

प्रश्न 3.
ह्रस्व स्वर किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस स्वर के उच्चारण में थोड़ा अथवा एक मात्रा का समय लगे, उसे ह्रस्व स्वर कहते हैं। ये चार हैं-अ, इ, उ, ऋ। इन्हें एक मात्रिक स्वर भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
दीर्घ स्वर किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस स्वर के उच्चारण में ह्रस्व से दुगुना समय लगे, उसे दीर्घ स्वर कहते हैं। ये सात हैं आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ। इन्हें द्वि-मात्रिक स्वर भी कहते हैं।

HBSE 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण

प्रश्न 5.
प्लुत स्वरों की परिभाषा देते हुए उदाहरण भी लिखें।
उत्तर:
चिल्लाते या पुकारते समय जब किसी स्वर के उच्चारण में तीन गुणा समय लगे, तो वह स्वर प्लुत कहलाता है। जैसे- ओ३म्, हे राम आदि।

प्रश्न 6.
हिन्दी में दीर्घ स्वरों का क्या महत्व होता है? सोदाहरण स्पष्ट करें।
उत्तर:
हिन्दी में दीर्घ स्वरों का बहुत महत्व होता है। ये शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं; जैसे-

ह्रस्व स्वर – दीर्घ स्वर
कल – काल
कम – काम
जाति – जाती
दिन – दीन
सुत – सूत
कुल – कूल
खल – खाल
पुत्र – पूत
नग – नाग
खिल – खील

नोट-
अंग्रेज़ी के डॉक्टर, कॉलेज, बॉल आदि शब्दों में आ और ओ ध्वनियों के मध्यवर्ती दीर्घ स्वर ‘ऑ’ का उच्चारण होता है। हिन्दी के इन दीर्घ स्वरों से इसको भिन्न लिखने और बोलने के कारण इसका प्रचलन हो गया है।

प्रश्न 7.
अनुस्वार एवं अनुनासिक में क्या अन्तर है?
उत्तर:
अनुस्वार के उच्चारण में वायु केवल नाक से निकलती है तथा अनुनासिक के उच्चारण में वायु नाक एवं मुख दोनों से निकलती है; यथा
अनुस्वार – कंगन, गंगा।
अनुनासिक – दाँत, चाँद ।

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प्रश्न 8.
व्यंजन किसे कहते हैं? उच्चारण के विचार से इनके कितने भेद हैं?
उत्तर:
स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण को व्यंजन कहते हैं; जैसे क, ख, ग आदि। उच्चारण की दृष्टि से व्यंजन के तीन भेद होते हैं-
(1) स्पर्श व्यंजन,
(2) अन्तःस्थ व्यंजन,
(3) ऊष्म व्यंजन।

प्रश्न 9.
अंतःस्थ व्यंजन की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा पूरी तरह से मुख के किसी भाग का स्पर्श नहीं करती, उन्हें अंतःस्थ व्यंजन कहते हैं; जैसे य, र, ल, व। ये चार व्यंजन ही अंतःस्थ हैं।

प्रश्न 10.
स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा मुख के विभिन्न भागों से पूरी तरह स्पर्श करती हो, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। स्पर्श व्यंजन संख्या में 25 होते हैं; जैसे-
कवर्ग – क ख ग घ ङ
चवर्ग – च छ ज झ ञ
टवर्ग – ट ठ ड ढ ण
तवर्ग – त थ द ध न
पवर्ग – प फ ब भ म

प्रश्न 11.
ऊष्म व्यंजन किसे कहते हैं? इनकी कितनी संख्या होती है?
उत्तर:
जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु रगड़ खाकर निकलती है अर्थात् वायु एक प्रकार से ऊष्म-सी हो जाती है, उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं; जैसे श, ष, स, ह। ये चार वर्ण ऊष्म कहलाते हैं।

प्रश्न 12.
इन शब्दों के पृथक्-पृथक् वर्ण लिखिएयूनिवर्सिटी, अमृतसर, पंजाब, मद्रास, कश्मीर।
उत्तर:
यूनिवर्सिटी – य् + ऊ + न् + इ + व् + अ + र् + स् + इ + ट् + ई।
अमृतसर – अ + म् + ऋ + त् + अ + स् + अ + र् + अ
पंजाब – प् + अं + ज् + आ + ब् + अ
मद्रास – म् + अ + द् + र् + आ + स् + अ
कश्मीर – क् + अ + श् + म् + ई + र् + अ

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प्रश्न 13.
नीचे लिखे वर्गों के योग से बनने वाले शब्द लिखिए
(1) र् + आ + त् + अ
(2) स् + अ + त् + अ + ल् + उ + ज् + अ
(3) व् + ऐ + ज् + ञ् + आ + न् + इ + क् + अ
(4) क् + ऋ + प् + आ + ण् + अ
(5) त् + उ + ल् + अ + स् + ई।
उत्तर:
(1) रात
(2) सतलुज
(3) वैज्ञानिक
(4) कृपाण
(5) तुलसी।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित वर्गों को जोड़कर शब्द बनाओ
(1) ल् + अ + त् + आ
(2) अ +ध् + य् + आ + य् + अ
(3) म् + इ + त् + र् + अ
(4) क् + ष् + अ + म् + आ
(5) आ + ज् + ञ् + आ
उत्तर:
(1) लता
(2) अध्याय
(3) मित्र
(4) क्षमा
(5) आज्ञा।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित शब्दों को वर्गों में विभक्त करोश्लोक, ज्ञान, छात्र, विद्यालय, भारतवर्ष, भक्ति, कृष्ण, परिश्रम।
उत्तर:
श्लोक = श् + ल् + ओ + क् + अ।
ज्ञान = ज् + ञ् + आ + न् + अ।
छात्र = छ + आ + त् + र् + अ।
विद्यालय = व् + इ + द् + य् + आ + ल् + अ + य् + अ।
भारतवर्ष = भ् + आ + र् + अ + त् + अ + व् + र् + ष् + अ।
भक्ति = भु + अ + क + तु + इ।
कृष्ण = क् + ऋ + ष् + ण + अ।
परिश्रम = प् + अ + र् + इ + श् + र् + अ + म् + अ।

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प्रश्न 16.
स्वर और व्यंजन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
स्वर:
स्वतन्त्र अर्थात् दूसरे वर्ण की सहायता के बिना बोले जाने वाले वर्ण को स्वर कहते हैं। स्वर ऐसी ध्वनियाँ हैं जिनके उच्चारण में सांस की हवा कंठ, जीभ और होंठों की सहायता के बिना बाहर निकल जाती है; जैसे अ, इ, उ।

व्यंजन:
जो वर्ण स्वरों की सहायता से बोले जाएं, उन्हें व्यंजन कहते हैं। इनके उच्चारण में सांस की हवा कंठ, जीभ और होंठ आदि मुख के अंगों में रुकावट पैदा करके निकलती है। ये क से लेकर ह तक तैंतीस व्यंजन हैं।

प्रश्न 17.
अनुस्वार और अनुनासिक में क्या अन्तर है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अनुस्वार:
जिस ध्वनि के उच्चारण में सांस केवल नाक से निकले, उसे अनुस्वार ध्वनि कहते हैं। अनुस्वार का चिह्न बिन्दु (ं) है; जैसे संत, गंगा, व्यंजन आदि। हिन्दी वर्णमाला में ङ्, ञ्, ण, न और म् अनुस्वार ध्वनियाँ हैं।

अनुनासिक:
जब सांस की हवा कुछ तो नाक से निकल जाए और कुछ मुँह से निकले तो अनुनासिक स्वरों को बोला जाता है और उसका चिह्न चन्द्रबिन्दु (ँ) होता है; जैसे आँख, चाँद, माताएँ आदि। हिन्दी में अनुनासिकता अधिकतर दीर्घ स्वरों में ही मिलती है।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित वर्गों के उच्चारण स्थान उनके सामने दिए कोष्ठकों में लिखो
प् ( )
न ( )
ठ ( )
ज् ( )
घ् ( )
व ( )
औ ( )
ए ( )
उत्तर:
प् (ओष्ठ),
न् (नासिका),
ठ् (मूर्धा),
ज् (तालु),
घ् (कण्ठ),
व् (दन्तोष्ठ),
औ (कंठौष्ठ),
ए (कंठ तालु)।

प्रश्न 19.
टवर्ग, पवर्ग, कवर्ग, तवर्ग की नासिक्य ध्वनियाँ लिखो।
उत्तर:
टवर्ग – ण।
पवर्ग – म्।
कवर्ग – ङ्।
तवर्ग – न्।

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प्रश्न 20.
(क) कंठ-स्थान से बोला जाने वाला ऊष्म व्यंजन लिखो।
(ख) तालु-स्थान से बोला जाने वाला एक अंतस्थ व्यंजन लिखो।
उत्तर:
(क) ह
(ख) य।

प्रश्न 21.
अयोगवाह किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्वरों एवं व्यंजनों के अतिरिक्त हिन्दी वर्णमाला में दो वर्ण और भी हैं, ये हैं अं और अः । अनुस्वार और विसर्ग ये दोनों स्वरों के बाद लिखे जाते हैं। स्वतंत्र गति न होने के कारण ये स्वरों की संख्या में नहीं आ सकते। इसलिए इन्हें अयोगवाह कहते हैं। न स्वरों के योग, न व्यंजनों से, फिर भी ध्वनि वहन करते हैं। अतः ये अयोगवाह हैं।

प्रश्न 22.
‘अक्षर’ की परिभाषा देते हुए हिन्दी भाषा के प्रमुख अक्षरों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
किसी एक ध्वनि या ध्वनि समूह की उच्चरित न्यूनतम इकाई को अक्षर कहते हैं। अक्षर केवल स्वर, स्वर तथा व्यंजन या अनुनासिकता सहित स्वर हो सकता है। दूसरे शब्दों में, वह छोटी-से-छोटी इकाई अक्षर है, जिसका उच्चारण वायु के एक झटके से होता है; जैसे आ, जी, क्या आदि। हिन्दी अक्षरों के कुछ प्रमुख उदाहरण देखिए
(1) केवल स्वर, औ, आ, ओ।
(2) स्वर व्यंजन, अब, आज्, आँख् ।
(3) व्यंजन स्वर, न, खा, हाँ।
(4) व्यंजन स्वर व्यंजन, घर, देर्, साँप् ।
(5) व्यंजन-व्यंजन स्वर, क्या, क्यों।
(6) व्यंजन-व्यंजन-व्यंजन स्वर, स्त्री।

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HBSE 9th Class Maths Important Questions and Answers

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

HBSE 9th Class Hindi दो बैलों की कथा Textbook Questions and Answers

दो बैलों की कथा प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 1.
कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी क्यों ली जाती होगी ?
उत्तर-
कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी इसलिए ली जाती होगी, ताकि उनमें से किसी पशु को कोई चुराकर न ले जाए। कांजीहौस में लाए गए पशुओं की देखभाल की जिम्मेदारी भी कांजीहौस के कर्मचारियों की ही होती थी।

पाठ 1 दो बैलों की कथा के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 2.
छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया ?
उत्तर-
एक सच्चाई है कि दुखी व्यक्ति ही दूसरे दुखी व्यक्ति के दुख को अधिक अनुभव कर सकता है। गया के घर में छोटी बच्ची की विमाता हर समय उसके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार करती थी। जब उसने देखा कि गया (छोटी बच्ची का पिता) अपने बैलों को अच्छा चारा देता है और झूरी के बैलों को रूखा-सूखा भूसा खाने को देता है और मारता भी है तो उनके प्रति गया के अन्याय को देखकर छोटी बच्ची के मन में प्रेम उमड़ आया था।

दो बैलों की कथा का प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 3.
कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभरकर आए हैं ?
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी में नीति संबंधी अनेक विषयों की…………. ओर संकेत किया गया है। उनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-

(क) अपने स्वामी के प्रति सदा वफादार रहना चाहिए।
(ख) सच्चा मित्र वही होता है, जो हर सुख-दुःख में साथ रहे।
(ग) आत्मसम्मान की रक्षा के लिए संघर्ष करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है।
(घ) आजादी के लिए बार-बार संघर्ष करना पड़ता है।
(ङ) एकता में सदा बल होता है।
(च) परोपकार के लिए आत्मबलिदान देना महान् कार्य है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

दो बैलों की कथा प्रश्न उत्तर Class 9 HBSE Hindi प्रश्न 4.
प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ ‘मूर्ख’ का प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है ?
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी में कहानीकार ने गधे को ‘मूर्ख’ न कहकर उसकी अन्य स्वभावगत विशेषताओं का उल्लेख किया है, यथा-वह निरापद सहिष्णु होता है। यदि कोई उसको मारता है या दुर्व्यवहार करता है तो वह शांत स्वभाव से उसे सहन कर लेता है। उसका प्रतिरोध नहीं करता, जैसे अन्य पशु करते हैं। उसे कभी किसी बात पर क्रोध नहीं आता। वह सदा उदास व निराश ही दिखाई देता है। वह सुख-दुःख, हानि-लाभ सब स्थितियों में समभाव रहता है। अतः उसका सीधापन ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है, इसीलिए लोग उसे ‘मूर्ख’ की पदवी दे देते हैं।

दो बैलों की कथा के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 5.
किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी ? ।
उत्तर-
हीरा और मोती, दोनों सदा एक-दूसरे के सुख-दुःख में साथ देते थे। उदाहरणार्थ-जब गया ने हीरा को अत्यधिक मारा तो मोती ने विद्रोह कर दिया और हल जुआ आदि लेकर भाग गया और उन्हें तोड़ डाला और कहा कि यदि वह तुम पर हाथ उठाएगा तो मैं भी उसे गिरा दूंगा। इसी प्रकार जब दोनों को भारी-भरकम साँड़ का सामना करना पड़ा तो भी दोनों सच्चे मित्रों की भाँति उससे संघर्ष किया और उसे हरा दिया। इसी प्रकार जब मोती मटर के खेत में फंस गया था, हीरा ने वहाँ से न भागकर उसके साथ ही अपने आपको पकड़वा लिया। इसी प्रकार जब कांजीहौस में हीरा रस्सी से बँधा हुआ था, किन्तु मोती स्वतंत्र था। वह चाहता तो कांजीहौस से भाग सकता था, किन्तु उसने ऐसा नहीं किया और हीरा के साथ ही खड़ा रहा और कांजीहौस के चौकीदार से मार भी खाई। इन सब घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी।

दो बैलों की कथा पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 6.
‘लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।’-हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मोती को यह देखकर कि गया की छोटी-सी बच्ची को गया की पत्नी (बच्ची की विमाता) खूब मारती व तंग करती है। वह गया की पत्नी को उठाकर पटकने की बात कहता है। यह सुनकर हीरा उपरोक्त शब्द कहता है। हीरा के इन शब्दों से पता चलता है कि प्रेमचंद नारी के प्रति अत्यंत उदार दृष्टिकोण एवं सम्मान की भावना रखते थे। वे मानते थे कि नारी को पीटना व मारना कोई बहादुरी का काम नहीं है। यह हमारी संस्कृति के भी विपरीत है।

प्रश्न 7.
किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है ?
उत्तर-
किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को अत्यंत आत्मीयतापूर्ण व्यक्त किया गया है। झूरी किसान है। उसके पास हीरा और मोती नामक दो बैल हैं। वह अपने बैलों को अत्यधिक प्यार करता है। उनकी देखभाल भी भली-भाँति करता है। उन्हें अपने से दूर करने में उसका जी छोटा होता है, किन्तु उन्हें पुनः प्राप्त करके अत्यंत खुश होता है। उनसे गले लगकर मिलता है जैसे बिछुड़े हुए मित्र मिलते हैं। उसकी पत्नी भी अपनी गलती मानकर बैलों के माथे चूम लेती है। अतः स्पष्ट है कि किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को अत्यंत निकटता एवं आत्मीयता के संबंधों के रूप में व्यक्त किया गया है।

प्रश्न 8.
“इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे।”-मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
मोती भले ही स्वभाव का विद्रोही लगता हो, किन्तु वास्तव में वह एक सच्चा मित्र और पशु होते हुए भी मानवीय गुणों का प्रतीक है। जहाँ कहीं भी उसे अन्याय या अत्याचार अनुभव होता है, वहीं वह अपना विद्रोह व्यक्त करता है। वह दूसरों के दुःखों को अनुभव करता है और उसे दूर करने के लिए बड़े-से-बड़ा त्याग करने के लिए तत्पर रहता है। छोटी बच्ची के प्रति होने वाले अन्याय को देखकर वह कह उठता है कि “मालकिन को ही उठाकर पटक हूँ।” इसी प्रकार कांजीहौस में वह सींगों से दीवार को गिराकर अन्य पशुओं की जान बचा देता है। उसे इसके लिए बहुत मार खानी पड़ी और कसाई के हाथों नीलाम होना पड़ा, किन्तु उसे अपने बारे में कोई चिंता नहीं थी। वह चाहता है कि वह अधिक-से-अधिक दूसरों के काम आए।

प्रश्न 9.
आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है।
(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानों भोजन मिल गया।
उत्तर-
(क) कहानीकार ने प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से हीरा और मोती के चरित्रों पर प्रकाश डाला है। इन दोनों बैलों में कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे वे एक-दूसरे की भावनाओं को तुरंत समझ जाते थे। भले ही वह गया को मजा चखाने की योजना हो, साँड से भिड़ने की बात हो अथवा कांजीहौस में परोपकार करने में आत्मबलिदान की बात हो। इन सब घटनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी जिससे वे एक-दूसरे की भावनाओं को तुरंत समझ लेते थे। ऐसी शक्ति से अपने आपको प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ समझने वाला मनुष्य वंचित लगता है।

(ख) गया के घर में दोनों बैलों का अत्यधिक अनादर होता था, किन्तु गया की छोटी-सी बच्ची बैलों का सम्मान करती थी और घरवालों से चोरी-चोरी उन्हें एक रोटी रोज लाकर खिलाती थी। इतने बड़े-बड़े बैलों का एक-एक रोटी में कुछ नहीं बनता था, किन्तु सम्मान की दृष्टि से बैलों का मन संतुष्ट हो जाता था। उनसे भले ही उनकी भूख न मिट सके, किन्तु मन को यह यकीन हो जाता था कि यहाँ भी हमारा सम्मान करने वाला अवश्य है।

प्रश्न 10.
गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि-
(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुःखी था।
(घ) उसे खली आदि सामग्री की जानकारी न थी।
(सही उत्तर के आगे (√) का निशान लगाइए)
उत्तर-
(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुःखी था।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 11.
हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
उत्तर-
निश्चय ही यदि कोई व्यक्ति शोषण या अन्याय के प्रति अपनी आवाज़ ऊँची करता है तो उसे सदा ही संघर्ष करना पड़ता है और अनेक मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। इतिहास इस बात का गवाह है। हीरा और मोती ने गया के द्वारा किए गए अन्याय तथा शोषण का विरोध किया तो उसने उन्हें भूखा रखा। इसी प्रकार कांजीहौस में कांजीहौस के मुँशी और पहरेदार के शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई तो वहाँ भी उन्हें मार खानी पड़ी। अतः यह स्पष्ट है कि शोषण के विरुद्ध बोलने वाले को सदा ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

प्रश्न 12.
क्या आपको लगता है कि यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है ?
उत्तर-
दो बैलों की कथा’ शीर्षक कहानी में मुंशी प्रेमचंद ने आजादी की लड़ाई की ओर भी संकेत किया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय अत्यधिक सीधे और सरल हैं इसलिए अंग्रेज सरकार उनका शोषण करती है और उनके जन्मसिद्ध अधिकार स्वतंत्रता से वंचित रखना चाहती थी। प्रेमचंद ने दोनों बैलों के चरित्र के माध्यम से यह समझाया है कि यदि हम बैलों की भाँति एकता बनाकर संघर्ष करेंगे तो हमें स्वतंत्रता प्राप्त हो सकती है। यदि आपस में झगड़ते रहे तो कभी आजाद नहीं हो सकेंगे। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए बार-बार संघर्ष करना पड़ता है। अतः यह कहानी भारत की आजादी की लड़ाई की ओर संकेत करने वाली कहानी है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 13.
बस इतना ही काफी है।
फिर मैं भी ज़ोर लगाता हूँ
‘ही’, ‘भी’ वाक्य में किसी बात पर जोर देने का काम कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं। कहानी
में से पाँच ऐसे वाक्य छाँटिए जिनमें निपात का प्रयोग हुआ हो।
उत्तर-
(क) फिर भी बदनाम हैं।
(ख) कभी-कभी अड़ियल बैल भी देखने में आता है।
(ग) कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लिया करते थे।
(घ) मालकिन मुझे मार ही डालेगी।
(ङ) पीछे से तुम भी उन्हीं की-सी कहोगे।

प्रश्न 14.
रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए तथा उपवाक्य छाँटकर उसके भी भेद लिखिए
(क) दीवार का गिरना था कि अधमरे-से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
(ख) सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया।
(ग) हीरा ने कहा-गया के घर से नाहक भागे।
(घ) मैं बेचूंगा, तो बिकेंगे।
(ङ) अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
उत्तर-
(क) मिश्र वाक्य
दीवार का गिरना था। (प्रधान उपवाक्य)
अधमरे-से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे। (संज्ञा उपवाक्य)

(ख) मिश्र वाक्य
जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर। (विशेषण उपवाक्य)
सहसा एक दढ़ियल आदमी आया। (प्रधान वाक्य)

(ग) मिश्र वाक्य
हीरा ने कहा। (प्रधान वाक्य)
गया के घर से नाहक भागे। (संज्ञा उपवाक्य)

(घ) मिश्र वाक्य
मैं बेचूँगा। (प्रधान वाक्य)
तो बिकेंगे। (क्रिया-विशेषण उपवाक्य)

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

(ङ) मिश्रवाक्य –
अगर वह मुझे पकड़ता। (प्रधान वाक्य)
मैं बे-मारे न छोड़ता। (क्रियाविशेषण उपवाक्य)

प्रश्न 15.
कहानी में जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग हुआ है। कोई पाँच मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर-

  • ईंट का जवाब पत्थर से देना-भारतवर्ष शांतिप्रिय अवश्य है, किन्तु ईंट का जवाब पत्थर से देना भी भली-भाँति जानता है।
  • दाँतों पसीना आना-पी०एच०डी० की उपाधि प्राप्त करने के लिए तो दाँतों पसीना आ जाता है।
  • कोई कसर न उठा रखना-मैंने परीक्षा में प्रथम आने में कोई कसर न उठा रखी थी।
  • मज़ा चखाना-मोती और हीरा ने मिलकर साँड को खूब मजा चखाया था।
  • जान से हाथ धोना-मोहन को चरस बेचने के धंधे में जान से हाथ धोने पड़े।

पाठेतर सक्रियता

पशु-
पक्षियों से संबंधित अन्य रचनाएँ ढूँढकर पढ़िए और कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है।

HBSE 9th Class Hindi दो बैलों की कथा Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘दो बैलों की कथा’ नामक कहानी का उद्देश्य लिखिए।
उत्तर-
‘दो बैलों की कथा’ शीर्षक कहानी एक सोद्देश्य रचना है। इस कहानी में लेखक ने कृषक समाज एवं पशुओं के भावात्मक संबंधों का वर्णन किया है। कहानी में बताया गया है कि स्वतंत्रता सरलता से प्राप्त नहीं हो सकती, इसलिए बार-बार प्रयास किया जाता है। स्वामी के प्रति वफादारी निभाने का वर्णन करना कहानी का प्रमुख लक्ष्य है। कहानीकार का सच्ची मित्रता पर प्रकाश डालना भी एक उद्देश्य है। एक सच्चा मित्र ही सुख-दुःख में साथ देता है। आत्म रक्षा के लिए सदैव संघर्ष करना चाहिए। ‘एकता में सदा बल है’ इस सर्वविदित सत्य को दर्शाना भी कहानी का मूल उद्देश्य है।

प्रश्न 2.
‘दो बैलों की कथा’ कहानी के अनुसार बताइए कि आज संसार में किन लोगों की दुर्दशा हो रही है और क्यों?
उत्तर-
‘दो बैलों की कथा’ नामक कहानी में बताया गया है कि आज सीधे-सादे व साधारण लोगों की दुर्दशा हो रही है। इस संसार में सरलता, सीधापन, सहनशीलता आदि गुणों का कोई महत्त्व नहीं रह गया है। सरलता को मूर्खता और सहनशीलता को डरपोक होना समझा जाता है। आज इन्हीं गुणों के कारण व्यक्ति का शोषण होता है। आज हर सीधे-सादे व्यक्ति का शोषण किया जाता है। आज शक्तिशाली व चालाक व्यक्ति को सम्मान दिया जाता है। उससे सभी लोग डरते हैं। प्रस्तुत कहानी में प्रश्न उठाया है कि अफ्रीका व अमेरिका में भारतीयों का सम्मान क्यों नहीं है ? स्वयं ही इसका उत्तर देते उसने कहा है, क्योंकि वे सीधे-सादे
और परिश्रमी हैं। वे चोट खाकर भी सब कुछ सहन कर जाते हैं। इसके विपरीत जापान ने युद्ध में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करके दुनिया में अपना सम्मान अर्जित कर लिया है।

प्रश्न 3.
‘हीरा और मोती सच्चे मित्रों के आदर्श हैं’ कैसे?
उत्तर-
सच्चे मित्र एक-दूसरे पर पूरा विश्वास करते हैं। वे एक-दूसरे के लिए त्याग भी करते हैं और एक साथ खाते-पीते भी हैं। ये सभी गुण हीरा और मोती दोनों बैलों में भी देखे जा सकते हैं। हीरा और मोती एक-दूसरे से प्यार करते हैं। एक-दूसरे को चाट-चूमकर और सूंघकर अपने प्यार का प्रदर्शन करते हैं। वे आपस में कौल-क्रीड़ा, शरारत आदि भी करते हैं। हीरा-मोती गहरे मित्र हैं। वे इकट्ठे खाते-पीते, खेलते व एक-दूसरे से सींग भिड़ाते हैं। वे एक-दूसरे को संकट से बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल देते हैं। इससे पता चलता है कि हीरा-मोती बैल होते हुए भी सच्चे मित्रों के आदर्श हैं।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत कहानी के आधार पर मोती के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
कहानी में मोती एक बैल है। वह कुछ गर्म स्वभाव वाला है। वह स्वामिभक्त है। वह अन्याय करने वाले का विरोध करता है। झूरी का साला गया जब उनके प्रति अन्याय एवं अत्याचार करता है तो मोती उसका हल-जुआ लेकर भाग जाता है। मोती कहता भी है कि “मुझे मारेगा तो उठाकर पटक दूंगा।” जब गया उसका अपमान करता है और मारता है तो वह हीरा से कहता है कि “एकाध को सींगों पर उठाकर फैंक दूंगा।” इसी प्रकार वह दढ़ियल कसाई को भी सींग दिखाकर गाँव से भगा देता है। किन्तु वह दुखियों के प्रति दया का भाव भी रखता है। वह गया की बेटी तथा कांजीहौस में फँसे हुए जानवरों के प्रति दया दिखाता है।

प्रश्न 5.
‘हीरा एक धैर्यशील एवं अहिंसक प्राणी है’-पठित कहानी के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर-
कहानी को पढ़कर लगता है कि हीरा गांधीवादी विचारधारा का समर्थक है। वह मुसीबत के समय धैर्य बनाए रखता है। उसे पता है कि धैर्य खो देने से काम बिगड़ जाता है। वह कदम-कदम पर अपने मित्र मोती को भी धैर्य से काम लेने का परामर्श देता है। जब गया बैलों को गाड़ी में जोत कर ले जा रहा था तो मोती ने दो बार गया को गाड़ी सहित सड़क की खाई में गिराना चाहा, किन्तु हीरा ने उसे संभाल लिया। इसी प्रकार गया जब बैलों के प्रति अन्याय करता है, और उन्हें सूखा भूसा देता है तो भी मोती को गुस्सा आ जाता है और वह उससे बदला लेने की ठान लेता है। वह उसे मार गिराना चाहता है। उस समय हीरा ने ही उसे रोक लिया था, गया की पत्नी को भी मोती सबक सिखाना चाहता था, किन्तु हीरा ने कहा कि स्त्री जाति पर हाथ उठाना या सींग चलाना मना है, यह क्यों भूल जाता है। हीरा के धैर्य की परीक्षा तो उस समय होती है जब कांजीहौस की दीवार तोड़ता हुआ पकड़ा जाता है। उसे मोटी रस्सी में बाँध दिया जाता है। वह कहता है कि जोर तो मारता ही जाऊँगा चाहे कितने ही बँधन क्यों न पड़ जाएँ? इन सब तथ्यों से पता चलता है कि हीरा एक धैर्यशील बैल था।

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प्रश्न 6.
साँड के साथ बैलों की टक्कर की घटना से हमें क्या उपदेश मिलता है ?
अथवा
साँड को मार गिराने की घटना के माध्यम से लेखक क्या उपदेश देना चाहता है ?
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी में बैलों द्वारा साँड को हरा देने की घटना के पीछे एक महान संदेश छिपा हुआ है। इस घटना के माध्यम से लेखक ने संगठित होकर शत्रु का मुकाबला करने की प्रेरणा दी है। उसने बताया है जिस प्रकार हीरा और मोती दो बैल शक्तिशाली साँड को मार भगाते हैं, उसी प्रकार भारतीय भी आपसी मतभेद को त्यागकर एकजुट होकर अंग्रेजों को देश से बाहर कर सकते हैं। अतः लेखक ने ‘एकता में बल है’ नीति वाक्य को भी इस घटना के माध्यम से सिद्ध करने का सफल प्रयास किया है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘दो बैलों की कथा’ पाठ हिंदी साहित्य की किस विधा के अंतर्गत आता है ?
(A) कविता
(B) निबंध
(C) एकांकी
(D) कहानी
उत्तर-
(D) कहानी

प्रश्न 2.
‘दो बैलों की कथा’ कहानी के लेखक कौन हैं ?
(A) हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
(B) प्रेमचंद
(C) महादेवी वर्मा
(D) जाबिर हुसैन
उत्तर-
(B) प्रेमचंद

प्रश्न 3.
प्रेमचंद अपनी किस प्रकार की रचनाओं के लिए प्रसिद्ध हुए थे ?
(A) कविता
(B) उपन्यास
(C) एकांकी
(D) निबंध
उत्तर-
(B) उपन्यास

प्रश्न 4.
प्रेमचंद ने अपनी कहानी ‘दो बैलों की कथा’ में किसका वर्णन किया है ?
(A) विद्यार्थियों का
(B) पक्षियों का
(C) बैलों की मित्रता का
(D) किसान का
उत्तर-
(C) बैलों की मित्रता का

प्रश्न 5.
‘दो बैलों की कथा’ कहानी में किस-किस का संबंध दिखाया गया है ?
(A) किसान और उसके पशुओं का
(B) किसान और महाजन का
(C) महाजन और पशुओं का
(D) इनमें से किसी का नहीं
उत्तर-
(A) किसान और उसके पशुओं का

प्रश्न 6.
लेखक के अनुसार सबसे बुद्धिहीन जानवर किसे समझा जाता है ?
(A) बैल को
(B) गाय को
(C) भैंस को
(D) गधे को
उत्तर-
(D) गधे को

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प्रश्न 7.
हम जब किसी व्यक्ति को मूर्ख बताते हैं तो उसे क्या कहते हैं ?
(A) बैल
(B) कुत्ता
(C) गधा
(D) ऊँट
उत्तर-
(C) गधा

प्रश्न 8.
गाय किस दशा में सिंहनी का रूप धारण कर लेती है ?
(A) बैठी हुई
(B) दौड़ती हुई
(C) चरती हुई
(D) ब्याही हुई
उत्तर-
(D) ब्याही हुई

प्रश्न 9.
गधे के चेहरे पर कौन-सा स्थायी भाव सदा छाया रहता है ?
(A) प्रसन्नता का
(B) असंतोष का
(C) विषाद का
(D) निराशा का
उत्तर-
(C) विषाद का

प्रश्न 10.
भारतवासियों को किस देश में घुसने नहीं दिया जा रहा था ?
(A) अमेरिका
(B) इंग्लैंड
(C) जर्मनी
(D) अफ्रीका
उत्तर-
(A) अमेरिका

प्रश्न 11.
किस देश के लोगों की एक विजय ने उन्हें सभ्य जातियों के लोगों में स्थान दिला दिया ?
(A) भारत
(B) जापान
(C) अमेरिका
(D) इंग्लैंड
उत्तर-
(B) जापान

प्रश्न 12.
“अगर वे भी ईंट का जवाब पत्थर से देना सीख जाते, तो शायद सभ्य कहलाने लगते” ये शब्द लेखक ने किसके लिए कहे हैं ?
(A) भारतीयों के लिए
(B) जापान के लोगों के लिए
(C) पाकिस्तान के लोगों के लिए
(D) चीन के लोगों के लिए
उत्तर-
(A) भारतीयों के लिए

प्रश्न 13.
‘बछिया का ताऊ’ किसके लिए प्रयोग किया जाता है ?
(A) शेर के
(B) हाथी के
(C) भैंसा के
(D) बैल के
उत्तर-
(D) बैल के

प्रश्न 14.
हीरा और मोती बैलों के स्वामी का क्या नाम था ?
(A) किश्न
(B) झूरी
(C) होरी
(D) रामेश्वर
उत्तर-
(B) झूरी

प्रश्न 15.
झूरी के दोनों बैल किस जाति के थे ?
(A) पछाईं
(B) राजस्थानी
(C) मूर्रा
(D) जंगली
उत्तर-
(A) पछाईं

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 16.
झूरी के साले का क्या नाम था ?
(A) मोहन
(B) गया
(C) बृज
(D) किश्न
उत्तर-
(B) गया

प्रश्न 17.
दोनों बैल कौन-सी भाषा में एक-दूसरे के भावों को समझ लेते थे ?
(A) मूक भाषा
(B) सांकेतिक भाषा
(C) संगीतात्मक भाषा
(D) रंभाकर
उत्तर-
(A) मूक भाषा

प्रश्न 18.
झूरी ने प्रातः ही नाद पर खड़े बैलों को देखकर क्या किया ?
(A) बैलों को पीटा
(B) उन्हें गले से लगा लिया
(C) घर से निकाल दिया
(D) बेच दिया
उत्तर-
(B) उन्हें गले से लगा लिया

प्रश्न 19.
“कैसे नमकहराम बैल हैं कि एक दिन वहाँ काम न किया” ये शब्द किसने कहे ?
(A) गया ने
(B) झूरी की पत्नी ने
(C) झूरी ने
(D) झूरी की बेटी ने
उत्तर-
(B) झूरी की पत्नी ने

प्रश्न 20.
“वे लोग तुम जैसे बुद्धओं की तरह बैलों को सहलाते नहीं” ये शब्द किसने किसके प्रति कहे ?
(A) झूरी की पत्नी ने झूरी को
(B) गया ने झूरी के प्रति
(C) गया की बेटी ने गया को
(D) इनमें से किसी ने नहीं
उत्तर-
(A) झूरी की पत्नी ने झूरी को

प्रश्न 21.
दूसरी बार गया बैलों को कैसे ले गया ?
(A) पीटता हुआ
(B) बैलगाड़ी में जोतकर
(C) हल में जोतकर
(D) प्रेमपूर्वक
उत्तर-
(B) बैलगाड़ी में जोतकर

प्रश्न 22.
गया की लड़की को बैलों से सहानुभूति क्यों थी ?
(A) उसकी माँ मर चुकी थी
(B) सौतेली माँ मारती थी
(C) उसे दोनों बैल सुंदर लगते थे
(D) वह किसी को भूखा नहीं देख सकती थी
उत्तर-
(B) सौतेली माँ मारती थी

प्रश्न 23.
गया के घर में दूसरी बार बैलों की रस्सियाँ किसने खोली थी ?
(A) गया की पत्नी ने
(B) गया के नौकर ने
(C) गया की बेटी ने
(D) स्वयं गया ने
उत्तर-
(C) गया की बेटी ने

प्रश्न 24.
हीरा ने मोती को गया की पत्नी पर सींग चलाने से मना क्यों कर दिया था ?
(A) वह बीमार थी
(B) वह दयालु थी
(C) वह स्त्री जाति थी
(D) वह बूढ़ी थी
उत्तर-
(C) वह स्त्री जाति थी

प्रश्न 25.
“गिरे हुए बैरी पर सींग न चलाना चाहिए” ये शब्द किसने कहे थे ?
(A) हीरा ने
(B) मोती ने
(C) साँड ने
(D) झूरी ने
उत्तर-
(A) हीरा ने

प्रश्न 26.
खेत के मालिक ने दोनों बैलों को कहाँ बंद कर दिया था ?
(A) जेल में
(B) अपने घर में
(C) कांजीहौस में
(D) थाने में
उत्तर-
(C) कांजीहौस में

प्रश्न 27.
‘दीवार को तोड़ना’ से बैलों की कौन-सी भावना का बोध होता है ?
(A) अनुशासन
(B) विद्रोह
(C) दया
(D) घृणा
उत्तर-
(B) विद्रोह

प्रश्न 28.
मोती द्वारा दीवार गिरा देने पर भी कौन-सा जानवर नहीं भागा ?
(A) घोड़ी
(B) बकरी
(C) भैंस
(D) गधा
उत्तर-
(D) गधा

प्रश्न 29.
कांजीहौस से हीरा और मोती को किसने खरीदा?
(A) सड़ियल ने
(B) दड़ियल ने
(C) मुच्छड़ ने
(D) अड़ियल ने
उत्तर-
(B) दड़ियल ने

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

दो बैलों की कथा प्रमुख गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/भाव ग्रहण

1. जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को परले दरजे का बेवकूफ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच बेवकूफ है, या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता। गायें सींग मारती हैं, व्याही हुई गाय तो अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती है। कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है, लेकिन कभी-कभी उसे भी क्रोध आ ही जाता है; किन्तु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहे गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की छाया भी न दिखाई देगी।[पृष्ठ 5]

शब्दार्थ-बुद्धिहीन = मूर्ख । परले दरजे का बेवकूफ = अत्यधिक मूर्ख । निरापद = कष्ट न पहुँचाने की भावना। सहिष्णुता = सहनशीलता। पदवी = उपाधि। अनायास = अचानक। क्रोध = गुस्सा। असंतोष की छाया = संतोषहीनता का भाव।

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित ‘दो बैलों की कथा’ शीर्षक कहानी से अवतरित है। इसके लेखक महान् कथाकार मुंशी प्रेमचंद हैं। इस कहानी में लेखक ने दो बैलों की कहानी के माध्यम से भारतीय जीवन-मूल्यों पर प्रकाश डाला है। इन पंक्तियों में बताया गया है कि गधे के सीधेपन के कारण ही उसे गधा, मूर्ख कहा जाता है। वस्तुतः लेखक ने ‘गधा’ शब्द पर व्यंग्य करते हुए ये शब्द कहे हैं

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक ने बताया है कि सब जानवरों व पशुओं में गधा ही सीधा एवं सरल पशु है। वह सबसे अधिक नासमझ पशु है। अपने सीधेपन और मंद-बुद्धि के कारण उसका सर्वत्र अपमान होता है। समाज में जब किसी को परले दरजे का मूर्ख कहा जाता है तो उसे ‘गधा’ शब्द से संबोधित करते हैं। सीधेपन, बुद्धिहीनता, सहनशीलता आदि गुणों के कारण उसे यह उपाधि (गधा) मिली है। गधे में अधिकार-बोध की भावना तनिक भी नहीं होती। न उसमें विद्रोह की भावना है और न अधिकारचेष्टा ही। वह एक सहनशील प्राणी है, जो हर प्रकार के कष्टों को चुपचाप सहन कर लेता है। गाय भी सींग मारती है, भले ही उसे लोग गाय माता कहते हों, किन्तु वह जब ब्याई हुई होती है तो अचानक ही शेरनी का रूप धारण कर लेती है। यहाँ तक कि कुत्ते को भी लोग गरीब कहते हैं, किन्तु उसे भी कभी-न-कभी गुस्सा आ ही जाता है। किन्तु गधे जी को कभी गुस्सा करते न देखा होगा और न सुना होगा। उससे जितना चाहे काम लो, जितना चाहे पीट लो, और तो और चाहे सड़ी-गली व सूखी घास भी डाल दो तो भी उसके चेहरे पर कभी असंतोष की झलक दिखाई नहीं देगी।

विशेष-

  1. ‘गधा’ शब्द की अनेक अर्थों में सुंदर व्यंजना की गई है।
  2. ‘गधा’ शब्द को मूर्खता का पर्याय सिद्ध किया गया है।
  3. अन्य पशुओं से गधे की तुलना करके कहानीकार ने गधे की मूर्खता को स्पष्ट करने का सफल प्रयास किया है।
  4. भाषा सरल एवं सुबोध है।

उपर्युक्त गयांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) हम किसी व्यक्ति को गधा क्यों कहते हैं ?
(2) गधे के जीवन की प्रमुख विशेषता क्या है ?
(3) ‘परले दरजे का बेवकूफ’ से क्या अभिप्राय है ?
(4) गधे को गधा क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
(1) जब हम किसी व्यक्ति को मूर्ख कहना चाहते हैं, तब ही उसे गधा कहते हैं।
(2) सीधापन ही गधे के जीवन की प्रमुख विशेषता है।
(3) ‘परले दरजे का बेवकूफ’ से अभिप्राय है-पूर्णतः मूर्ख व्यक्ति, जिसे दीन-दुनिया की कोई खबर न हो।
(4) गधे की अत्यधिक सहनशीलता, सरलता, अक्रोधी स्वभाव, असंतोष को व्यक्त न करना एवं सुख-दुःख में सदा समान रहने के कारण ही उसे गधा कहते हैं। दूसरे जानवर ऐसे नहीं होते, वे क्रोध भी करते हैं और असंतोष भी दिखाते हैं।

2. उसके चेहरे पर एक स्थायी विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुँच गए हैं। पर आदमी उसे बेवकूफ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा। कदाचित सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है। [पृष्ठ 5]

शब्दार्थ-विषाद = दुःख। दशा = हालत। पराकाष्ठा = चरम सीमा। बेवकूफ = मूर्ख । अनादर = अपमान। सीधापन = सरलता।
प्रसंग-प्रस्तुत गद्यावतरण हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित प्रेमचंद की कहानी ‘दो बैलों की कथा’ से अवतरित किया गया है। इसमें लेखक ने गधे के सीधेपन का व्यंग्यार्थ के रूप में चित्रण किया है। आज के युग में सीधा या साधारण व सरल हृदयी होना मूर्खता कहलाता है। इन शब्दों में यही भाव झलकता है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-प्रेमचंद गधे के स्वभाव का उल्लेख करते हुए बताते हैं कि गधा स्वभाव से सीधा होता है। उसमें किसी प्रकार का छल-कपट नहीं होता और न ही कभी प्रसन्नता की झलक ही दिखाई देती है। उसके चेहरे पर सदा निराशा का भाव ही छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ, सभी दशाओं में यह विषाद उसके चेहरे पर स्थायी रूप से छाया रहता है। ऐसा लगता है मानों ऋषि-मुनियों के सभी श्रेष्ठ गुण पराकाष्ठा को पहुँच गए हैं। इन्हीं श्रेष्ठ गुणों के कारण ही आदमी उसे ‘बेवकूफ’ कहता है। यह उसके सद्गुणों का अनादर है। ऐसा लगता है कि गधे का सीधापन उसके लिए अभिशाप है। अति सरलता के कारण संसार के लोग उस पर टीका-टिप्पणी करते हैं।

विशेष-

  1. गधे के सीधेपन को व्यंग्य रूप में प्रस्तुत किया गया है। उसका अत्यधिक सीधापन ही उसकी मूर्खता बन गया है।
  2. कहानीकार ने गधे के वर्णन के माध्यम से सीधे-सादे व्यक्तियों को मूर्ख समझकर उनका शोषण करने वाले चालाक लोगों पर करारा व्यंग्य किया है।
  3. भाषा सरल, सहज एवं सुबोध है।
  4. ‘सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं’ का अभिप्राय है, संसार में सदा टेढ़ा बनकर ही रहना चाहिए।’
  5. विचारात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।

उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) प्रस्तुत गद्यांश का आशय स्पष्ट कीजिए।
(2) लेखक के अनुसार गधे और ऋषि-मुनियों में कौन-सी समानताएँ हैं ?
(3) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने क्या संदेश दिया है ?
(4) स्थायी विषाद का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर-
(1) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने बताया है कि कुछ ही क्षणों या अवसरों को छोड़कर गधे के जीवन में सदा निराशा व दुःख ही छाया रहता है। ऋषि-मुनियों की भाँति सुख-दुःख में वह सदा समभाव रहता है। गधा सरल हृदय होता है। इतना कुछ होते हुए भी संसार गधे को मूर्ख कहता है। संसार में सीधापन उचित नहीं है।
(2) लेखक ने गधे और ऋषि-मुनियों की समानताएँ बताते हुए कहा है कि गधा और ऋषि-मुनि दोनों ही सरल स्वभाव वाले होते हैं। वे सुख-दुःख में सदा एक समान रहते हैं। वे अत्यधिक सहनशील और संतोषी होते हैं। उन्हें क्रोध भी बहुत कम आता है।
(3) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने हमें संदेश दिया है कि हमें अत्यधिक सरल, सीधा व सहनशील नहीं होना चाहिए। हमें अत्याचार, अन्याय आदि के प्रति असंतोष प्रकट करना चाहिए और उसका विरोध भी करना चाहिए।
(4) चेहरे पर सदा छाई रहने वाली निराशा को ही लेखक ने स्थायी विषाद कहा है।

उपर्युक्त गयांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) हम किसी व्यक्ति को गधा क्यों कहते हैं ?
(2) गधे के जीवन की प्रमुख विशेषता क्या है ?
(3) ‘परले दरजे का बेवकूफ’ से क्या अभिप्राय है ?
(4) गधे को गधा क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
(1) जब हम किसी व्यक्ति को मूर्ख कहना चाहते हैं, तब ही उसे गधा कहते हैं।
(2) सीधापन ही गधे के जीवन की प्रमुख विशेषता है।
(3) ‘परले दरजे का बेवकूफ’ से अभिप्राय है-पूर्णतः मूर्ख व्यक्ति, जिसे दीन-दुनिया की कोई खबर न हो।
(4) गधे की अत्यधिक सहनशीलता, सरलता, अक्रोधी स्वभाव, असंतोष को व्यक्त न करना एवं सुख-दुःख में सदा समान रहने के कारण ही उसे गधा कहते हैं। दूसरे जानवर ऐसे नहीं होते, वे क्रोध भी करते हैं और असंतोष भी दिखाते हैं।

3. लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी है, जो उससे कम ही गधा है, और वह है ‘बैल’। जिस अर्थ में हम गधे का प्रयोग करते हैं, कुछ उसी से मिलते-जुलते अर्थ में ‘बछिया के ताऊ’ का भी प्रयोग करते हैं। कुछ लोग बैल को शायद बेवकूफों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे; मगर हमारा विचार ऐसा नहीं है। [पृष्ठ 6]

शब्दार्थ-गधा = मूर्ख । बछिया का ताऊ = सीधा-सादा, भोंदू। बेवकूफी = मूर्खता। सर्वश्रेष्ठ = सबसे उत्तम। . प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित एवं महान् कथाकार प्रेमचंद कृत ‘दो बैलों की कथा’ शीर्षक कहानी से उद्धृत है। इन पंक्तियों में कहानीकार ने गधे और बैल के गुणों की तुलना करते हुए बैल को गधे से बेहतर बताया है तथा ‘बछिया के ताऊ’ की सुंदर व्याख्या की है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक ने गधे और बैल के प्रसंग के माध्यम से मनुष्य के कम या अधिक गुणों के आधार पर समाज में उसके स्थान व सम्मान की ओर संकेत किया है। ‘गधा’ शब्द का व्यंजनामूलक अर्थ है-मूर्ख। जब किसी व्यक्ति को अव्वल दरजे का मूर्ख कहना हो, तो उसे गधा कहा जाता है। सामान्यतः बैल को ‘बछिया का ताऊ’ कहा जाता है। यह शब्द भी मूर्खता के अर्थ में प्रयुक्त होता है। कुछ लोग बैल को गधे से ज्यादा मूर्ख मानते हैं, लेकिन लेखक की मान्यता है कि बैल गधे से अधिक मूर्ख नहीं है। बैल में अपने अपमान का बदला लेने की भावना होती है। बैल में गधे की अपेक्षा अधिक संवेदना होती है। अतः बैल गधे की अपेक्षा श्रेष्ठ होता है।

विशेष-

  1. लेखक ने समाज के सरल एवं सीधे-सादे लोगों के स्वभाव की व्यंग्यार्थ विवेचना की है।
  2. ‘बछिया का ताऊ’ मुहावरे का व्यंजनामूलक अर्थों में सुंदर विश्लेषण किया गया है। किसी को कम मूर्ख कहना हो तो इस मुहावरे का प्रयोग किया जाता है।
  3. भाषा सरल, सुबोध एवं मुहावरेदार है।
  4. वाक्य-योजना सरल एवं सार्थक है। – उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) गधे का छोटा भाई किसे बताया गया है और क्यों ?
(2) ‘बछिया का ताऊ’ किसे कहा जाता है और क्यों ?
(3) लेखक के अनुसार बैल का स्थान गधे से नीचा क्यों है ?
(4) बैल कैसा व्यवहार करता है ?
उत्तर-
(1) गधे का छोटा भाई बैल को बताया गया है क्योंकि जो गुण गधे में होते हैं, वे ही गुण कुछ कम मात्रा में बैल में भी पाए जाते हैं।

(2) बैल को ही ‘बछिया का ताऊ’ कहा जाता है। बछिया अर्थात गाय जो सरल और सीधी होती है। बैल में ये गुण उससे अधिक होते हैं। वह सरल, सीधा एवं कार्यशील होता है। अतः अत्यधिक सरलता और सीधेपन के कारण उसे ‘बछिया का ताऊ’ कहा जाता है।

(3) बैल कभी-कभी सहनशीलता छोड़कर क्रोध में सींग चला देता है। वह असंतोष भी प्रकट करता है तथा अपने अनुकूल व्यवहार न होने पर कभी-कभी अड़ भी जाता है। इसलिए उसका स्थान सीधेपन में गधे से नीचा है।

(4) बैल स्वभावतः सरल, सीधा एवं परिश्रमी होता है, किन्तु कभी-कभी दूसरों को मारता है, अड़ियलपन पर उतर आता है तथा अपना विरोध भी प्रकट करता है।

4. दोनों आमने-सामने या आस-पास बैठे हुए एक-दूसरे से मूक-भाषा में विचार-विनिमय करते थे। एक, दूसरे के मन की बात कैसे समझ जाता था, हम नहीं कह सकते। अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है। दोनों एक-दूसरे को चाटकर और सूंघकर अपना प्रेम प्रकट करते, कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लिया करते थे-विग्रह के नाते से नहीं, केवल विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से, जैसे दोस्तों में घनिष्ठता होते ही धौल-धप्पा होने लगता है। इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ हलकी-सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता। [पृष्ठ 6]

शब्दार्थ-मूक-भाषा = मौन-भाषा। विनिमय = आदान-प्रदान। वंचित = रहित। विग्रह = मतभेद। विनोद = मज़ाक। आत्मीयता = अपनेपन। घनिष्ठता = गहन । फुसफुसी = हलकी, कच्ची।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी की पाठ्यपुस्तक ‘क्षितिज’ भाग-1 में संकलित प्रेमचंद की कहानी ‘दो बैलों की कथा’ से लिया गया है। लेखक ने इन पंक्तियों में हीरा-मोती की आपसी मित्रता की गहनता, आत्मीयता और प्रेमभाव को सुंदर ढंग से दर्शाया है। साथ ही पक्की दोस्ती के लक्षण की ओर भी संकेत किया है।

व्याख्या/भाव ग्रहण-लेखक का कथन है कि हीरा और मोती, दोनों बैलों के बीच अद्भुत मित्रता थी। दोनों आमने-सामने बैठकर मूक-भाषा में अपने हृदय की भावना व्यक्त करते थे। वे एक-दूसरे के मन की बात कैसे समझ पाते थे-यह बताना कठिन है। उनमें एक गुप्त शक्ति थी, जिसे आत्मीयता कहते हैं। इसी शक्ति के कारण उनके हृदय आपस में जुड़े हुए थे। प्रकृति के सर्वश्रेष्ठ प्राणी मनुष्य में इस शक्ति का अभाव है। लेखक ने हीरा और मोती की दोस्ती के विषय में बताया है कि दोनों एक-दूसरे को चाटकर या सूंघकर अपने प्रेम को प्रकट करते थे। चाटना, चूमना व सूंघना ही जानवरों के पास अपने प्रेम या स्वामिभक्ति को व्यक्त करने का साधन है, किन्तु हीरा और मोती कभी-कभी सींग भी भिड़ाते थे। ऐसा वे शत्रुता या नाराज़गी के कारण नहीं, अपितु हँसी-मजाक में ही करते थे। इससे उनकी आत्मीयता का भाव भी व्यक्त होता था। फिर दोस्ती में धक्का-मुक्का धौल-धप्पा तो चलता ही है। इसके अभाव में दोस्ती में बनावटीपन व हल्कापन रहता है। ऐसी दोस्ती पर विश्वास नहीं किया जा सकता। कहने का भाव है कि जहाँ आत्मीयता, सरलता, स्पष्टता, हँसी-मज़ाक आदि सब कुछ होता है, वहीं दोस्ती में गहनता होती है।

विशेष-

  1. लेखक ने हीरा और मोती की दोस्ती का वर्णन किया है।
  2. पशुओं की मूक भाषा की ओर संकेत किया गया है।
  3. भाषा सरल, सहज एवं सुबोध है। – उपर्युक्त गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(1) मोती और हीरा दोनों परस्पर किस भाषा में विचार-विमर्श करते थे ?
(2) उनमें कौन-सी शक्ति होने की बात कही है ?
(3) दोनों बैल अपना प्रेम किस प्रकार प्रकट करते थे ?
(4) कैसी दोस्ती पर अधिक विश्वास नहीं किया जा सकता ? ।
उत्तर-
(1) मोती और हीरा दोनों बैल मूक-भाषा में विचार-विमर्श करते थे।
(2) लेखक ने दोनों बैलों के बीच किसी गुप्त शक्ति के होने की बात कही है।
(3) दोनों बैल एक-दूसरे को चाटकर अथवा सूंघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे।
(4) फुसफुसी व हल्की दोस्ती में अधिक विश्वास नहीं किया जा सकता।

दो बैलों की कथा Summary in Hindi

दो बैलों की कथा लेखक-परिचय

प्रश्न-
मुंशी प्रेमचंद का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी कहानी-कला की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
मुंशी प्रेमचंद का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-मुंशी प्रेमचंद एक महान् कथाकार थे। उन्हें उपन्यास-सम्राट के रूप में भी जाना जाता है। उनका जन्म सन् 1880 में बनारस के निकट लमही नामक गाँव के एक साधारण कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका वास्तविक नाम धनपतराय था। पाँच वर्ष की आयु में ही उनकी माता का देहांत हो गया था। उनके पिता ने दूसरा विवाह कर लिया था। विमाता (सौतेली माँ) का व्यवहार उनके प्रति अच्छा नहीं था। 13 वर्ष की आयु में उनका विवाह कर दिया गया था। 14 वर्ष की आयु में पिता की मृत्यु के पश्चात् परिवार का सारा बोझ इनके कंधों पर आ पड़ा। 16 वर्ष की आयु में ही उन्हें एक स्कूल में अध्यापक की नौकरी करनी पड़ी। नौकरी के दौरान ही प्रेमचंद जी डिप्टी-इंस्पैक्टर के पद तक पहुँचे। वे स्वभाव से स्वाभिमानी थे। सन् 1928 में प्रेमचंद जी नौकरी से त्याग-पत्र देकर गांधी जी द्वारा चलाए गए राष्ट्रीय आंदोलन में कूद पड़े थे। उन्होंने जीवन-पर्यन्त साहित्य-सेवा की। सन् 1936 में उनका देहांत हो गया।

2. प्रमुख रचनाएँ-मुंशी प्रेमचंद ने आरंभ में उर्दू में लिखना शुरू किया तथा बाद में हिंदी में आए थे। उन्होंने ‘वरदान’, ‘सेवासदन’, ‘रंगभूमि’, ‘कर्मभूमि’, ‘गबन’, ‘निर्मला’, ‘प्रेमाश्रम’, ‘गोदान’ आदि ग्यारह उपन्यासों की रचना की है तथा तीन सौ के लगभग कहानियाँ लिखी हैं जिनमें ‘कफन’, ‘पूस की रात’, ‘दो बैलों की कथा’, ‘पंच परमेश्वर’, ‘बड़े घर की बेटी’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’ आदि प्रमुख हैं।

3. कहानी-कला की विशेषताएँ-मुंशी प्रेमचंद का संपूर्ण कहानी-साहित्य ‘मानसरोवर’ के आठ भागों में संकलित है। कहानी-कला की दृष्टि से प्रेमचंद अपने युग के श्रेष्ठ कहानीकार हैं। उन्होंने अपने कहानी-साहित्य में जीवन के विभिन्न पहलुओं को विषय बनाकर कहानी को जन-जीवन से जोड़ा है। उनकी कहानी-कला की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

(i) विषय की विभिन्नता-मुंशी प्रेमचंद की कहानियों में विभिन्न विषयों का वर्णन किया गया है। उन्होंने जीवन के विविध पक्षों पर जमकर कलम चलाई है। उनकी कहानियों के विषय की व्यापकता पर टिप्पणी करते हुए डॉ० हजारीप्रसाद द्विवेदी ने लिखा है
“प्रेमचंद शताब्दियों से पददलित, अपमानित और शोषित कृषकों की आवाज़ थे। पर्दे में कैद, पद-पद पर लांछित, अपमानित और शोषित नारी जाति की महिमा के वे ज़बरदस्त वकील थे, गरीबों और बेकसों के महत्त्व के प्रचारक थे। अगर आप उत्तर भारत की समस्त जनता के आचार-विचार, भाषा-भाव, रहन-सहन, आशा-आकांक्षा, सुख-दुःख और सूझबूझ जानना चाहते हैं तो प्रेमचंद से उत्तम परिचायक आपको नहीं मिल सकता। उनकी कहानियों में तत्कालीन समाज का सजीव चित्र देखा जा सकता है।”

(ii) गांधीवादी विचारधारा का प्रभाव मुंशी प्रेमचंद के संपूर्ण साहित्य पर गांधीवादी विचारधारा का प्रभाव देखा जा सकता है। इस संबंध में मुंशी प्रेमचंद स्वयं यह स्वीकार करते हुए लिखते हैं-“मैं दुनिया में महात्मा गांधी को सबसे बड़ा मानता हूँ। उनका उद्देश्य भी यही है कि मज़दूर और काश्तकार सुखी हों। महात्मा गांधी हिंदू-मुसलमानों की एकता चाहते हैं। मैं भी हिंदी और उर्दू को मिलाकर हिंदुस्तानी बनाना चाहता हूँ।” यही कारण है कि प्रेमचंद की कहानियों में गांधीवादी विचारधारा की झलक सर्वत्र देखी जा सकती है। उनके पात्र गांधीवादी आदर्शों पर चलते हैं और उनका समर्थन करते हैं।

(iii) मानव-स्वभाव का विश्लेषण-मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में जहाँ अपने पात्रों के बाह्य आकार व रूप-रंग का वर्णन किया है, वहाँ उनके मन का भी सूक्ष्म विवेचन-विश्लेषण किया है। वे मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से मुक्त कहानी को उत्तम मानते थे। मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के विषय में उन्होंने लिखा है-“वर्तमान आख्यायिका मनोवैज्ञानिक विश्लेषण, जीवन के यथार्थ और स्वाभाविक चित्रण को अपना ध्येय समझती है।”

(iv) ग्रामीण-जीवन का चित्रांकन-मुंशी प्रेमचंद ने जितना ग्रामीण-जीवन का वर्णन किया है, उतना वर्णन किसी अन्य कहानीकार ने नहीं किया। उन्होंने कथा-साहित्य को जन-जीवन से जोड़ने का सार्थक प्रयास किया है। उनकी कहानियों में ग्रामीण-जीवन की विभिन्न समस्याओं का यथार्थ चित्रण सहानुभूतिपूर्वक किया गया है। उन्होंने अपने कथा-साहित्य में गाँव के गरीब किसानों, मज़दूरों, काश्तकारों, दलितों और पीड़ितों के प्रति विशेष संवेदना दिखाई है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

(v) आदर्शोन्मुखी यथार्थवाद-मुंशी प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में जीवन की विभिन्न समस्याओं का यथार्थ चित्रण किया है, किन्तु उनके समाधान प्रस्तुत करते हुए आदर्श भी प्रस्तुत किए हैं। इस प्रकार, इनकी कहानियों में यथार्थ एवं आदर्श का अनुपम सौंदर्य है। इस विषय में प्रेमचंद जी का स्पष्ट मत है कि साहित्यकार को नग्नताओं का पोषक न बनकर मानवीय स्वभाव की उज्ज्वलताओं को भी दिखाने वाला होना चाहिए।

4. भाषा-शैली-मुंशी प्रेमचंद आरंभ में उर्दू भाषा में लिखते थे और बाद में इन्होंने हिंदी भाषा में लिखना आरंभ किया। इसलिए इनकी लेखन-भाषा में उर्दू के शब्दों का प्रयुक्त होना स्वाभाविक है। इनकी कहानियों की भाषा जितनी सरल, स्पष्ट और भावानुकूल है, उतनी ही व्यावहारिक भी है। लोक-प्रचलित मुहावरों और लोकोक्तियों के प्रसंगानुकूल प्रयोग से इनकी भाषा में गठन एवं रोचकता का समावेश हुआ है। कहीं-कहीं मुहावरों के प्रयोग की झड़ी-सी लग जाती है। सूक्तियों के प्रयोग में तो प्रेमचंद बेजोड़ हैं।

प्रेमचंद की कहानियों में भावानुकूल एवं पात्रानुकूल भाषा का सार्थक प्रयोग किया गया है। सफल संवाद-योजना के कारण उनकी भाषा-शैली में नाटकीयता के गुण का समावेश हुआ है। कहानियों में वर्णन-शैली के साथ-साथ व्यंग्यात्मक शैली का भी सफल प्रयोग किया गया है। प्रेमचंद जी की भाषा-शैली में प्रेरणा देने की शक्ति के साथ-साथ पाठकों को चिंतन के लिए उकसाने की भी पूर्ण क्षमता है। अपनी कहानी-कला की इन्हीं प्रमुख विशेषताओं के कारण प्रेमचंद अपने युग के सर्वश्रेष्ठ कहानीकार माने जाते हैं।

दो बैलों की कथा पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘दो बैलों की कथा’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘दो बैलों की कथा’ प्रेमचंद की एक महत्त्वपूर्ण कहानी है। इसमें उन्होंने कृषक समाज एवं पशुओं के भावात्मक संबंधों का वर्णन किया है। उन्होंने बताया है कि स्वतंत्रता सरलता से नहीं मिलती। उसके लिए बार-बार प्रयास करना पड़ता है तथा आपसी भेदभाव त्यागकर एक-जुट होकर संघर्ष भी करना पड़ता है। कहानी का सार इस प्रकार है-

लेखक ने बताया है कि जानवरों में सबसे मूर्ख गधे को माना जाता है, क्योंकि वह अत्यंत सीधा और सरल है। वह किसी बात का विरोध नहीं करता। अन्य जानवरों को कभी-न-कभी गुस्सा आ जाता है, किन्तु गधे को कभी गुस्सा करते नहीं देखा। बैल के विषय में लोगों की कुछ और ही धारणा रही है तभी तो उसे ‘बछिया का ताऊ’ कहते हैं। किन्तु यह बात सच नहीं है क्योंकि बैल को गुस्सा भी आता है, वह मारता भी है और अड़ियल रुख भी अपना लेता है। इसलिए उसे लोग गधे से बेहतर समझते हैं।

झूरी काछी के यहाँ दो बैल थे। एक का नाम हीरा, दूसरे का नाम मोती था। दोनों सुंदर, स्वस्थ और काम करने वाले थे। दोनों में पक्की मित्रता थी। दोनों साथ-साथ रहते और काम करते थे।

संयोगवश एक बार झूरी ने दोनों बैल अपने साले गया को दे दिए। बैलों को लगा कि उन्हें बेच दिया गया है। अतः गया को बैलों को घर तक ले जाने में बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ा। शाम को जब वे गया के घर पहुंचे तो उन्होंने घास को मुँह तक नहीं लगाया। दोनों आपस में मूक भाषा में सलाह कर रात को रस्सियाँ तुड़वाकर झूरी के घर की ओर चल पड़ते हैं। झूरी प्रातःकाल उठकर देखता है कि उसके दोनों बैल नाद पर खड़े घास खा रहे हैं। झूरी दौड़कर स्नेहवश दोनों को गले से लगा लेता है। गाँव के सभी लोग बैलों की स्वामिभक्ति पर आश्चर्यचकित थे, किन्तु झूरी की पत्नी से यह देखते न बना। वह पति और बैलों को भला-बुरा . बताने लगी।

अगले दिन से पत्नी ने मजदूर को बैलों के पास सूखी घास डालने को कहा। मजदूर ने वैसा ही किया। दोनों बैलों ने कुछ नहीं खाया। दूसरे दिन झूरी का साला फिर आया और दोनों बैलों को फिर से ले जाकर मोटी-तगड़ी रस्सियों में बाँधकर सूखा भूसा डाल दिया और अपने बैलों को अच्छा चारा दिया।

अगले दिन दोनों को खेत में जोता गया, लेकिन मार खाने पर भी दोनों ने पैर न उठाने की कसम खा रखी थी। अधिक मार खाने पर दोनों भाग खड़े हुए। मोती के दिल में क्रोध की ज्वाला भड़क रही थी, किन्तु हीरा के समझाने पर मोती खड़ा हो गया। गया ने दूसरे लोगों की सहायता से उसको पकड़ा और घर ले जाकर फिर मोटी रस्सियों में बाँध दिया तथा फिर वही सूखा भूसा डाल दिया गया।

इस प्रकार दोनों बैल दिन-भर परिश्रम करते और मार खाते और संध्या के समय सूखा भूसा खाते। एक दिन गया की लड़की ने दोनों को खोल दिया और फिर शोर मचा दिया कि बैल भाग गए हैं। गया हड़बड़ाकर बाहर भागा और गाँव वालों की सहायता के लिए चिल्लाया, लेकिन बैल भाग चुके थे। दोनों बैल भागते-भागते अपनी राह भी भूल बैठे। अब वे भूख से बेहाल थे, लेकिन पास ही मटर का खेत देखकर उसमें चरने लगे और फिर खेलने लगे। कुछ ही देर में उधर एक साँड आया और उनसे भिड़ गया। दोनों ने जान हथेली पर रखकर बड़े प्रयत्न से उसे आगे-पीछे से रौंदना शुरू किया। दोनों ने बड़े साहस के साथ साँड पर विजय प्राप्त की। साँड मार खाकर गिर पड़ा। संघर्ष के बाद दोनों को फिर भूख लग गई थी। सामने मटर का खेत देखकर उसमें पुनः चरने लगे थे। किन्तु थोड़ी देर में खेत के रखवालों ने दोनों को पकड़कर कांजीहौस में बंद कर दिया।

कांजीहौस में उनसे अच्छा व्यवहार नहीं किया गया। उन्हें रात-भर किसी प्रकार का भोजन नहीं दिया गया। वे भूख के मारे मरे जा रहे थे। हीरा के मन में विद्रोह भड़क उठा। मोती के समझाने पर भी वह न माना और उसने सामने कच्ची दीवार को तोड़ना शुरू कर दिया। इतने में चौकीदार लालटेन लेकर पशुओं को गिनने आया। हीरा को इस प्रकार दीवार तोड़ते देखकर उसने उसको रस्सी से बाँधकर कई डंडे दे मारे। चौकीदार के जाने के बाद मोती ने भी साहस बटोरकर दीवार गिरानी आरंभ कर दी। इस प्रकार काफी संघर्ष के बाद आधी दीवार गिर गई। काफी जानवर भाग निकले। मोती ने फिर हीरा की रस्सी काटनी आरंभ की, लेकिन रस्सी नहीं टूटी। के. दोनों वहीं पड़े रहे।

एक सप्ताह तक वे दोनों कांजीहौस में भूखे मरते रहे। वे बहुत ही कमजोर पड़ गए थे। दोनों बैलों को एक दढ़ियल के हाथों नीलाम कर दिया गया। दढ़ियल उन्हें लिए जा रहा था कि दोनों को परिचित राह मिल गई और वे उससे छूटकर सीधे झूरी के घर जा पहुँचे। झूरी धूप सेक रहा था। बैलों को आता देखकर उसने उन्हें गले से लगा लिया। झूरी और दढ़ियल में झगड़ा हो गया। किन्तु बैलों को फिर वही स्नेह मिला। झूरी ने उनकी पीठ सहलाई और मालकिन ने उनका माथा चूम लिया। दोनों बैलों को अच्छा चारा दिया गया। वे दोनों अब सुखद अनुभव कर रहे थे।

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-5) : ज्यादा = अधिक। बुद्धिहीन = मूर्ख । परले दरजे का बेवकूफ = अत्यधिक मूर्ख । निरापद = सुरक्षित। सहिष्णुता = सहनशीलता। अनायास = अचानक ही। कुलेल करना = खेलकूद करना। विषाद = निराशा, दुःख। पराकाष्ठा = चरम सीमा। अनादर = अपमान। दुर्दशा = बुरी हालत। कुसमय = बुरा समय। जी तोड़कर काम करना = खूब परिश्रम करना। गम खाना = चुप रहना। ईंट का जवाब पत्थर से देना = मुँह तोड़ जवाब देना।

(पृष्ठ-6) : मिसाल = उदाहरण। गण्य = प्रमुख। बछिया का ताऊ = सीधा। अड़ियल = जिद्दी। काछी = किसान। पछाईं = पालतू पशुओं की एक नस्ल। डील = कद। विचार-विनिमय = विचारों का आदान-प्रदान। वंचित = रहित, न मिलना। विग्रह = अलग होना। आत्मीयता = अपनेपन का भाव। घनिष्ठता = समीपता। फुसफुसी = हल्की, दिखावटी। वक्त = समय।

(पृष्ठ-7) : दाँतों पसीना आना = खूब परिश्रम करना। पगहिया = पशु बाँधने की रस्सियाँ। हुँकारना = गुस्से से आवाज निकालना। कोई कसर न उठा रखना = कोई कमी न छोड़ना। चाकरी = सेवा। जालिम = निर्दयी। मूक-भाषा = मौन भाषा। अनुमान होना = अंदाजा लगाना। गराँव = रस्सी जो बैलों के गले में बाँधी जाती है। विद्रोहमय = क्रांतियुक्त। प्रेमालिंगन = प्रेम से गले लगाना। मनोहर = सुंदर। अभूतपूर्व = जो पहले कभी न हुई हो।

(पृष्ठ-8) : प्रतिवाद = विरोध करना। साहस न होना = हौंसला न पड़ना। जल उठना = अत्यधिक गुस्सा आना। नमक हराम = किए हुए उपकार को न मानने वाला। कामचोर = काम न करने वाला। ताकीद करना = आदेश देना।

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(पृष्ठ-9) : मजा चखाना = बदला लेना, तंग करना। टिटकार = मुँह से निकलने वाला टिक-टिक का शब्द। आहत = घायल। सम्मान = इज्जत, आदर। व्यथा = पीड़ा। काबू से बाहर होना = सीमा से बाहर होना। व्यर्थ = बेकार।

(पृष्ठ-10) : दिल में ऐंठकर रह जाना = विवश होना। तेवर = गुस्से से युक्त शक्ल। मसलहत = हितकर। सज्जन = भला व्यक्ति।

(पृष्ठ-11) : बरकत = संतुष्टि। दुर्बल = कमजोर। विद्रोह = क्रांति, गुस्सा। अनाथ = जिसका कोई नहीं होता। उपाय = साधन। सहसा = अचानक। गराँव = पशुओं को बाँधने वाली रस्सियाँ । आफत आना = मुसीबत आना। संदेह = शंका।

(पृष्ठ-12) : हड़बड़ाकर = घबराकर । मौका = अवसर। बेतहाशा = बिना सोचे-समझे । व्याकुल = बेचैन। आहट = किसी के आने की ध्वनि। आज़ादी = स्वतंत्रता। बगलें झाँकना = डर के कारण इधर-उधर देखना। आरजू = इच्छा।

(पृष्ठ-13) : कायरता = डरपोकपन। नौ-दो ग्यारह होना = भाग जाना। रगेदना = खदेड़ना। जोखिम = खतरा। हथेलियों पर जान लेना = जीवन को खतरे में डालना। मल्लयुद्ध = कुश्ती। बेदम होना = थक जाना।

(पृष्ठ-14) : संगी = साथी। कांजीहौस = मवेशीखाना, वह बाड़ा जिसमें दूसरे का खेत आदि खाने वाले या लावारिस पशुओं को बंद किया जाता है और कुछ दंड लगाकर छोड़ दिया जाता है। साबिका = वास्ता। टकटकी लगाए ताकना = निरंतर देखते रहना। विद्रोह की ज्वाला दहक उठना = क्रांति की भावना जागृत होना। हिम्मत हारना = साहस या धीरज त्यागना।

(पृष्ठ-15) : उजड्डपन = शरारतीपन। डडे रसीद करना = डंडे मारना। जान से हाथ धोना = जीवन गँवाना। प्रतिद्वंद्वी= विरोधी। जोर-आज़माई = शक्ति लगाना।

(पृष्ठ-16) : विपत्ति = मुसीबत। अपराध = दोष, कसूर । खलबली मचना = बेचैनी उत्पन्न होना। मरम्मत होना = मार पड़ना। ठठरियाँ = हड्डियाँ। मृतक = मरा हुआ।

(पृष्ठ-17) : सहसा = अचानक। दढ़ियल = दाढ़ी वाला। अंतर्ज्ञान = आत्मा का ज्ञान। दिल काँप उठना = भयभीत हो जाना। भीत नेत्र = डरी हुई आँखें। नाहक = व्यर्थ में। नीलाम होना = बोली पर बिकना। रेवड़ = पशुओं का समूह। पागुर करना = जुगाली करना। प्रतिक्षण = हर पल । दुर्बलता = कमजोरी। गायब होना = समाप्त होना।

(पृष्ठ-18-19) : उन्मत्त = मतवाले। कुलेलें करना = क्रीड़ा करना । अख्तियार = अधिकार। रास्ता देखना = प्रतीक्षा करना। शूर = बहादुर। उछाह-सा = उत्साह ।

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HBSE 9th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

Haryana State Board HBSE 9th Class Sanskrit Solutions व्याकरणम् Shabd Roop शब्द-रूप Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

Class 9 Sanskrit शब्द-रूप HBSE

1. राम (राम)

विभक्ति प्रथमाएकवचनद्विवच्नबहुवचन
द्वितीयारामःरामौरामाः
तृतीयारामम्रामौरामान्
चतुर्थीरामेणरामाभ्याम्रामैः
पंचमीरामायरामाभ्याम्रामेभ्यः
षष्ठीरामात्रामाभ्याम्रामेभ्यः
सप्तमीरामस्यरामयो:रामाणाम्
सम्बोधन,रामेरामयो:रामेषु

शब्द-रूप In Sanskrit Class 9 HBSE

2. बालक (बच्चा)

प्रथमाबालक:बालकौबालका:
द्वितीयाबालकम्बालकौबालकान्
तृतीयाबालकेनबालकाभ्याम्बालकः:
चतुर्थीबालकायबालकाभ्याम्बालकेभ्य:
पंचमीबालकात्बालकाभ्याम्बालकेभ्य:
षष्ठीबालकस्यबालकयो:बालकानाम्
सप्तमीबालकेबालक्यो:बालकेषु
सम्बोधन,हे बालक!हे बालकौ!हे बालका:!

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

3. छात्र

प्रथमाछात्र:छात्रौछात्रा:
द्वितीयाछानम्छात्रौछात्रान्
तृतीयाछात्रेणछात्राभ्याम्छात्रै:
चतुर्थीछात्रायछात्राभ्याम्छात्रेभ्य:
पंचमीछात्रात्छात्राभ्याम्छात्रेभ्य:
षष्ठीछात्रस्यछात्रयोछात्राणाम्
सप्तमीछात्रेछात्रयो:छात्रेषु
सम्बोधन,हे छात्र!हे छात्रौ!हे छात्रा:!

4. रमा

प्रथमारमारमेरमाः
द्वितीयारमाम्रमेरमाः
तृतीयारमयारमाभ्याम्रमाभि:
चतुर्थीरमायैरमाभ्याम्रमाभ्य:
पंचमीरमायाःरमाभ्याम्रमाभ्य:
षष्ठीरमायाःरमयो:रमाणाम्
सप्तमीरमायाम्रमयो:रमासु
सम्बोधन,हे रमे!हे रमे!हे रमाः !

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

5. लता (बेल)

प्रथमालतालतेलता:
द्वितीयालताम्लतेलता:
तृतीयालतयालताभ्याम्लताभि:
चतुर्थीलतायैलताभ्याम्लताभ्य:
पंचमीलताया:लताभ्याम्लताभ्य:
षष्ठीलताया:लतयो:लतानाम्
सप्तमीलतायाम्लतयो:लतासु
सम्बोधन,हे लते!है लते!हे लता:!

6. विद्या

प्रथमाविद्याविद्येविद्या:
द्वितीयाविद्याम्विद्येविद्या:
तृतीयाविद्ययाविद्याभ्याम्विद्याभि::
चतुर्थीविद्यायैविद्याभ्याम्विद्याभ्य:
पंचमीविद्याया:विद्याभ्याम्विद्याभ्य:
षष्ठीविद्याया:विद्ययो:विद्यानाम्
सप्तमीविद्यायाम्विद्ययो:विद्यासु
सम्बोधन,हे विद्ये!हे विद्ये!है विद्या:

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

7. कवि

प्रथमाकविःकवीकवयः
द्वितीयाकविम्कवीकवीन
तृतीयाकविनाकविभ्याम्कविभिः
चतुर्थीकवयेकविभ्याम्कविभ्य:
पंचमीकवे:कविभ्याम्कविभ्य:
षष्ठीकवे:कव्योःकवीनाम्
सप्तमीकवौकव्यो:कविषु
सम्बोधन,हे कवे!है कवी!हे कवयः!

8. हरि

प्रथमाहरिःहरीहरयः
द्वितीयाहरिमूहरीहरीन्
तृतीयाहरिणाहरिभ्याम्हरिभिः
चतुर्थीहरयेहरिभ्याम्हरिभि:
पंचमीहरे:हरिभ्याम्हरिभि:
षष्ठीहरे:हर्यो:हरिणाम्
सप्तमीहरौहर्योःहरिष
सम्बोधन,हे हरे!हे हरी!हे हरय: !

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

9. भानु

विभक्तिएकवचनद्विवचन भानूबहुवचन
प्रथमाभानु:भानूभानवः
द्वितीयाभानुम्भानूभानू :
तृतीयाभान्वाभानुभ्यामुभानुभि:
चतुर्थीभान्वै, भानवेभानुभ्याम्भानुभ्य:
पंचमीभान्वा: भानवो:भानुभ्याम्भानुभ्य:
षष्ठीभान्वाः, भानो:भान्वो:भानुनाम्
सप्तमीभान्वाम्, भानौभान्दो:भानुष्
सम्बोधन,हे भानो!हे भानू !हे भानवः!

10. साधु (भला)

प्रथमासाधु:साधूसाधव:
द्वितीयासाधुम्साधूसाधून्
तृतीयासाधुनासाधुभ्याम्साधुभि:
चतुर्थीसाधवेसाधुभ्याम्साधुभ्यः
पंचमीसाधो:साधुभ्याम्साधुभ्य:
षष्ठीसाधो:साध्वो:साधूनाम्
सप्तमीसाधौसाध्वोःसाधुषु
सम्बोधन,हे साधो!हे साधू!है साधवः!

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

11. मनस् (मन )

प्रथमामन:मनसीमनांसि
द्वितीयामनःमनसीमनांसि
तृतीयामनसामनोभ्याम्मनोभि:
चतुर्थीमनसेमनोभ्याम्मनोभ्य:
पंचमीमनसःमनोभ्याम्मनोभ्य:
षष्ठीमनस:मनसो:मनसाम्
सप्तमीमनसिमनसो:मनस्सु
सम्बोधन,हे मन !हे मनसी!हे मनांसि!

सर्वनाम शब्द
1. अस्मद् (में)

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमाअहमूआवाम्वयम्
द्वितीयामाम्, माआवाम्, नौअस्मान्, नः
तृतीयामयाआवाभ्याम्अस्माभिः
चतुर्थीमह्यम्, मेआवाभ्यामू, नौअस्मभ्यम्, नः
पंचमीमत्आवाभ्याम्अस्मतू
षष्ठीमम, मेआवयोः, नौअस्माकमू, नः
सप्तमीमयिआवयोःअस्मासु

नोट-‘अस्मद्’ शब्द के तीनों लिड्गें में एक जैसे रूप होते हैं।

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

2. युष्मद् (तू)

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमात्वम्युवाम्यूयम्
द्वितीयात्वाम्, त्वायुवाम्, वाम्युष्मान्, वः
तृतीयात्वयायुवाभ्याम्युष्माभि:
चतुर्थीतुभ्यम्, तेयुवाभ्याम्, वाम्युष्मभ्यम्, वः
पंचमीत्वत्युवाभ्याम्युष्मत्
षष्ठीतव, तेयुवयो:, वाम्युष्माकम्, वः
सप्तमीत्वयियुवयो:युष्मासु

नोट-‘युष्मद्” शब्द के तीनों लिड़ों में एक जैसे रूप होते हैं।
3. (i) किम् (कौन), पुंल्लिडूग

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमाकःकौके
द्वितीयाकमकोकान
तृतीयाकेनकाभ्याम्कै:
चतुर्थीकस्मैका्यामूकेभ्यः
पंचमीकस्मात्काभ्यामकेभ्य:
षष्ठीकस्यक्यो:केषाम्
सप्तमीकस्मिन्कयो:केषु

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

(ii) किम् (कौन), स्त्रीलिडूग

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमाकाकेकाः
द्वितीयाकाम्केका:
तृतीयाकयाकाभ्यामकाभि:
चतुर्थीकस्थकाभ्यामकाम्य:
पंचमीकस्या:काभ्याम्काभ्य:
षष्ठीकस्या:क्यो:कासाम
सप्तमीकस्याम्कयो:कासु

(iii) किम् (कौन), नपुंसकलिड़्ग

प्रथमाकाकेकाः
द्वितीयाकाम्केका:

नोट-‘किम्’ नपुंसकलिड्ग के शेष रूप ‘किम्’ पुंल्लिड्ग के समान होते हैं।
4. (i) एतद् (यह), पुंल्लिडून

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमाएषःएतौएते
द्वितीयाएतम्एतौएतान्
तृतीयाएतेनएताभ्याम्एतै:
चतुर्थीएतस्मैएताभ्याम्एतेभ्यः
पंचमीएतस्मात्एताभ्याम्एतेभ्यः
षष्ठीएतस्यएतयो:एतेषाम्
सप्तमीएतस्मिन्एतयो:एतेषु

(ii) एतद् (यह), स्त्रीलिडून

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमाएषाएतेएता:
द्वितीयाएताम्एतेएताः
तृतीयाएतयाएताभ्याम्एताभि:
चतुर्थीएतस्यैएताभ्याम्एताभ्यः
पंचमीएतस्था:एताभ्याम्एताभ्य:
षष्ठीएतस्था:एतयो:एतासाम्
सप्तमीएतस्याम्एतयो:एतासु

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

(iii) एतदू (यह), नपुंसकलिडून्ग

प्रथमाएतत्एतेएतानि
द्वितीयाएतत्एतेएतानि

नोट-‘एतत्’ नपुंसकलिड्ग के शेष रूप ‘एतद्’ पुंल्लिड्न के समान होते हैं।
5. (i) तत् (वह), पुंद्रिज्ञाग

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमासःतौते
द्वितीयातम्तौतान्
तृतीयातेनताभ्याम्तै:
चतुर्थीतस्मैताभ्याम्तेभ्यः
पंचमीतस्मात्ताभ्याम्तेभ्यः
षष्ठीतस्यतयो:तेषाम्
सप्तमीतस्मिन्तयो:तेषु

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

(ii) तत् (वह), स्त्रीलिडून्ग

प्रथमासातेता:
द्वितीयाताम्तेताः
तृतीयातयाताभ्याम्ताभि:
चतुर्थीतस्यैताभ्याम्ताभ्य:
पंचमीतस्या:ताभ्याम्ताभ्यः
षष्ठीतस्या:तयो:तासाम्
सप्तमीतस्याम्तयोःतासु

(iii) तत् (वह), नपुंसकलिडूग

प्रथमातत्तेतानि
द्वितीयातत्तेतानि

नोट ‘तत्’ नपुंसकलिड्ग के शेष रूप ‘तत्’ पुंल्लिड्ग के समान होते हैं।
6. (i) यत् (जो), पुंल्लिड़ग

विभक्तिएकबचनद्विवचनबहुबचन
प्रथमाय:यौये
द्वितीयायम्यौयान्
तृतीयायेनयाभ्याम्यैः
चतुर्थीयस्मैयाभ्याम्येथ्य
पंचमीयस्मात्याभ्याम्येभ्य:
षष्ठीयस्यययो:येषाम्
सप्तमीयस्मिन्ययो:येषु

(ii) यत् (जो), स्त्रीलिडूग

प्रथमायायेया:
द्वितीयायाम्येयाः
तृतीयाययायाभ्याम्याभिः
चतुर्थीयस्थैयाभ्याम्याभ्य:
पंचमीयस्याःयाभ्याम्याभ्य:
षष्ठीयस्याःययोःयासाम्
सप्तमीयस्याम्ययोःयासु

HBSE 10th Class Sanskrit व्याकरणम् शब्द-रूप

(iii) यत् (जो), नपुंसकलिडून्ग

प्रथमायत्येयानि
द्वितीयायत्येयानि

 

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