Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी
HBSE 9th Class Hindi दो बैलों की कथा Textbook Questions and Answers
रीढ़ की हड्डी एकांकी HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 1.
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर “एक हमारा जमाना था….” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है ?
उत्तर-
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद दोनों वृद्ध अथवा पुरानी पीढ़ी के पात्र हैं। दोनों को अपना युग ही अच्छा लगता है। इसलिए वे बार-बार उसे ही याद करके सराहते रहते हैं। उनके लिए ऐसा करना स्वाभाविक है। अपने युग की यादें अपने-आप ही मन में उभरती रहती हैं। स्वयं की या अपने युग की तारीफ करना बुरा नहीं। किंतु उन्हें दूसरों के सामने व्यक्त करना और इस युग को अपने से हीन दिखाना या तुच्छ बताना अनुचित है। यह तर्कसंगत भी नहीं है। ऐसा करके वे नई पीढ़ी के सामने अपने-आपको उनसे श्रेष्ठ सिद्ध करने का प्रयास करते हैं। वैसे प्रत्येक युग की अलग-अलग परिस्थितियाँ होती हैं। प्रत्येक युग के जीवन में सब बातें अच्छी नहीं होती और सब बातें बुरी नहीं होतीं। हर युग में कुछ कमियाँ होती हैं। इसलिए हमें कमियों की अपेक्षा अच्छाई की ओर ध्यान देना चाहिए। अपने युग के अनुभव सुनाते रहना और दूसरों की एक न सुनना भी तर्कसंगत नहीं है। इससे नए युग के लोग उत्साहित नहीं होते। उनके दिलों में बड़ों के लिए सद्भावना व सम्मान नहीं रहता, अपितु दूरियाँ बढ़ने की संभावना रहती है।
रीढ़ की हड्डी Class 9 Summary HBSE प्रश्न 2.
रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है ?
उत्तर-
निश्चय ही रामस्वरूप अपनी बेटी उमा को बी.ए. तक की शिक्षा दिलवाता है। वह लड़कियों को शिक्षा दिलवाना पिता का कर्त्तव्य मानता है। किंतु जब विवाह-शादी की बात होती है तो वह अपनी बेटी की शिक्षा को छिपाता है। ऐसा वह इसलिए करता है कि उसमें लड़कियों की शिक्षा को बुरा बताने एवं पिछड़े हुए विचारों वाले लोगों का सामना करने की हिम्मत नहीं थी। लोग शिक्षित बहू को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं होते। उनके अनुसार पढ़ी-लिखी बहू नियंत्रण में नहीं रहती। वह बात-बात पर नखरे करती है। वे बहू का पढ़ा-लिखा होना उचित नहीं समझते। इसलिए वे कम पढ़ी-लिखी बहू ही चाहते हैं। रामस्वरूप के घर जो व्यक्ति अपने बेटे के साथ उसकी लड़की उमा को देखने आते हैं वे भी इसी विचारधारा के हैं। इसलिए रामस्वरूप विचित्र स्थिति में फँस जाता है। वह अपनी बेटी की उच्च शिक्षा को छिपाने के लिए विवश होता है।
प्रश्न 3.
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है ?
उत्तर-
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप अपनी बेटी उमा से इस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे थे कि वह सीधी-सादी, चुपचाप तथा कम पढ़ी-लिखी लगने वाली लड़की लगे। उनकी ऐसी अपेक्षा करना नितांत उचित नहीं था। लड़की कोई भेड़-बकरी या मेज-कुर्सी तो नहीं होती। उसका भी दिल होता है। उसका उच्च शिक्षा पाना कोई अपराध नहीं है। वह यदि पढ़ी-लिखी है तो व्यवहार भी ऐसा ही करेगी। इसके अतिरिक्त झूठी बातों पर आधारित रिश्ते अधिक देर तक नहीं टिकते। अतः रामस्वरूप द्वारा अपनी बेटी से ऐसे व्यवहार की अपेक्षा करना न केवल अनुचित अपितु तर्कसंगत भी नहीं है।
प्रश्न 4.
गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं ? अपने विचार लिखें।
उत्तर-
गोपाल प्रसाद और रामस्वरूप, दोनों ही अपने-अपने विचारों के अपराधी हैं। गोपाल प्रसाद विवाह जैसे पवित्र बंधन के महत्त्व को नहीं समझते। वे इसे व्यापार की भाँति ही समझते हैं, जिस प्रकार व्यापार करते समय लाभ-हानि को ध्यान में रखते हुए तरह-तरह की जाँच-पड़ताल की जाती है। उसी प्रकार विवाह के समय भी लाभ-हानि का पूरा ध्यान रखा जाता है।
रामस्वरूप अपनी पढ़ी-लिखी बेटी की योग्यता (पढ़ाई) को छिपाते हैं। गुणों को छिपाना अच्छी बात नहीं है। रामस्वरूप की भले ही यह मजबूरी थी। हमारी राय में उन्हें ऐसे संकीर्ण विचारों वाले युवक से अपनी गुणवती बेटी का रिश्ता नहीं करना चाहिए, जिससे वह बेचारी आजीवन दुःखी रहे। जब किसी बात को छिपाया जाता है, तब वह गलत लगने लगती है। इसलिए रामस्वरूप को ऐसा नहीं करना चाहिए था।
प्रश्न 5.
“……आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं….” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है ?
उत्तर-
इस कथन के माध्यम से उमा शंकर की निम्नलिखित कमियों की ओर संकेत करना चाहती है-
(1) सर्वप्रथम वह बताना चाहती है कि शंकर शारीरिक दृष्टि से अत्यंत कमजोर है, जो सीधा भी नहीं बैठ सकता। उसकी कमर सदा झुकी रहती है। .
(2) वह चरित्रहीन युवक है। लड़कियों के पीछे जाने के कारण वह बुरी तरह से अपमानित हो चुका है। अपमानित व्यक्ति का समाज में कोई स्थान नहीं होता।
(3) शंकर रीढ़ की हड्डी के बिना है अर्थात् उसका कोई व्यक्तित्व व दृढ़ मत नहीं है। वह अपने पिता के इशारों पर चलने वाला निरीह प्राणी है। जैसा उसका पिता उसे कहता है, वह वैसा ही करता है। वह बिना सोचे-समझे पिता की उचित-अनुचित बातों में हाँ-में-हाँ मिलाता है। उसका अपना कोई ठोस विचार या मत नहीं है। अतः ऐसा व्यक्ति पति बनने के योग्य नहीं है।
प्रश्न 6.
शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की-समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है ? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर-
वस्तुतः ‘समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की जरूरत है। उमा के व्यक्तित्व में साहस और हिम्मत है। वह स्पष्टवक्ता है। वह समाज में व्याप्त दकियानूसी अर्थात् रूढ़िवादी विचारों का विरोध कर सकती है। वह गोपाल दास जैसे समाज के तथाकथित ठेकेदारों की वास्तविकता को उजागर करने की हिम्मत रखती है। यहाँ तक कि डरपोक किस्म के (रामस्वरूप जैसे) व्यक्तियों को भी वह आड़े हाथों लेती है। वह समझदार एवं शिक्षित युवती है। उसमें किसी प्रकार की हीन भावना नहीं है। .
शंकर एक चरित्रहीन, दब्बू एवं कमजोर व्यक्तित्व वाला युवक है। वह समाज का किसी प्रकार भला नहीं कर सकता। अतः स्पष्ट है कि समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की आवश्यकता है।
प्रश्न 7.
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-प्रस्तुत एकांकी का शीर्षक ‘रीढ़ की हड्डी’ सर्वथा उपयुक्त एवं सार्थक है। शरीर में रीढ़ की हड्डी का महत्त्वपूर्ण स्थान है। रीढ़ की हड्डी ही शरीर को सीधा और मजबूत बनाए रखती है। यही दशा समाज की भी है। शंकर जैसे युवक रीढ़ की हड्डी से रहित हैं। उनका अपना व्यक्तित्व नहीं है। वे चरित्रहीन हैं। ऐसे लोगों से समाज कभी भी मजबूत व विकसित नहीं हो सकता। उसे उमा जैसे चरित्रवान, कर्मठ एवं दृढ़ निश्चय वाले लोगों.की जरूरत है। ऐसे लोग ही समाज की रीढ़ बनने के योग्य होते है। दूसरी
ओर जिन लोगों की अपनी कोई सत्ता या अस्तित्व नहीं होता उन्हें बैकबोन-विहीन कहा जाता है। प्रस्तुत शीर्षक एकांकी के लक्ष्य को अभिव्यक्त करने में पूर्णतः सार्थक है। अतः यह पूरी तरह से उपयुक्त है।
प्रश्न 8.
कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों ?
उत्तर-
प्रस्तुत एकांकी की कथावस्तु के आधार पर हम उमा को एकांकी का प्रमुख पात्र मानते हैं। इसके अनेक कारण हैं। संपूर्ण कथावस्तु उमा के चरित्र के इर्द-गिर्द घूमती है। एकांकीकार ने अपने लक्ष्य की अभिव्यक्ति भी उसके चरित्र के माध्यम से की है। उसके द्वारा व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं। लेखक को उमा से पूर्ण सहानुभूति भी है। वह अपने सशक्त चरित्र के द्वारा अन्य सभी पात्रों एवं पाठकों को प्रभावित कर लेती है। कथावस्तु की सभी घटनाएँ उसके चरित्र को उजागर करने के लिए ही आयोजित की गई हैं। वह एकांकी का केन्द्र-बिंदु मानी जाती है। संपूर्ण कथानक उसके आस-पास ही चक्कर काटता रहता है।
प्रश्न 9.
एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद दोनों ही एकांकी के प्रमुख पात्र हैं। एकांकी में दोनों की चारित्रिक विशेषताएँ इस प्रकार हैं
रामस्वरूप वह लड़कियों की शिक्षा के पक्ष में है। इसलिए वह अपनी बेटी उमा को बी०ए० तक पढ़ाता है। वह अपनी पत्नी का विरोध सहन करके भी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाता है। वह चाहता है कि लड़कियों को भी लड़कों की भाँति आत्मनिर्भर होना चाहिए।
रामस्वरूप दब्बू स्वभाव वाला व्यक्ति है। वह स्थिति का सामना नहीं कर सकता। इसलिए वह लड़के वालों के सामने अपनी बेटी की उच्च शिक्षा वाली बात को छुपा जाता है। वह न चाहते हुए भी गोपाल प्रसाद की हाँ-में-हाँ मिलाता है।
गोपाल प्रसाद-गोपाल प्रसाद अत्यंत चतुर एवं लालची है। वह समाज की पुरानी परंपराओं व अंधविश्वासों को मानने वाला व्यक्ति है। उसकी कथनी और करनी में बहुत अंतर है। वह विवाह जैसे पवित्र संस्कार को भी बिजनेस मानता है और लड़कियों को हीन दृष्टि से देखता है। शिक्षित होते हुए भी वह लिंग भेदभाव का शिकार है। वह कहता है कि ऊँची तालीम केवल मर्दो के लिए होती है। वह अपने बेटे की कमियों पर पर्दा डालता है और अपनी गलत बात को भी तर्क के सहारे सही करना चाहता है।
प्रश्न 10.
इस. एकांकी का क्या उद्देश्य है ? लिखिए।
उत्तर-
रीढ़ की हड्डी’ एक सोद्देश्य रचना है। इस रचना का प्रमुख लक्ष्य नारी की बदलती स्थिति को चित्रित करना है। वह मूक बनकर पशु की भाँति सब कुछ सहन नहीं कर सकती। वह संवेदनशील है। अब कोई निर्जीव वस्तुओं की भाँति उसके जीवन का सौदा नहीं कर सकता। उमा के चरित्र-चित्रण के माध्यम से एकांकीकार ने पुरानी एवं परंपरावादी विचारधारा पर कड़ा प्रहार किया है। शंकर व उसका पिता गोपाल प्रसाद उमा से व्यर्थ की जाँच-पड़ताल करते हैं। इससे उमा के स्वाभिमान को ठेस पहुँचती हैं। वह शिक्षित युवती है। उसकी भी जीवन के प्रति रुचि-अरुचि है। वह मूक बनकर लालची लोगों के द्वारा किए गए अपमान को सहन नहीं करती अपितु, वह ऐसे लोगों के वास्तविक रूप को प्रकट कर देती है। इस प्रकार लेखक यह बताना चाहता है कि आज नारी शिक्षित हो चुकी है तथा अपने अस्तित्व को पहचानने लगी है।
प्रश्न 11.
समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं ? उत्तर-समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं-
(क) समाज में महिलाओं के उचित प्रतिनिधित्व के लिए संघर्ष कर सकते हैं।
(ख) घर-परिवार में महिलाओं को उचित सम्मान दिलवा सकते हैं।
(ग) महिलाओं को शिक्षा दिलवाकर उनको आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
(घ) दहेज की प्रथा को समाप्त करके लड़कियों का उनकी योग्यता के अनुसार योग्य वर से विवाह करवाकर उन्हें उचित गरिमा दिलवा सकते हैं।
HBSE 9th Class Hindi रीढ़ की हड्डी Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर-
रीढ़ की हड्डी’ एक सामाजिक एकांकी है। इसमें लेखक ने जहाँ समाज की रूढ़िवादिता पर व्यंग्य किया है, वहीं समाज में नारी को सम्माननीय स्थान दिलाने की प्रेरणा भी दी है। हमारा समाज नारी शिक्षा को महत्त्व नहीं देता। इससे समाज के पुराने एवं रूढ़िवादी मूल्य टूटते हैं। पुरुष का आसन हिलता है। पुरुष वर्ग नारी से अपने आपको श्रेष्ठ समझता है, भले ही वह कैसे भी बुरे काम क्यों न करता हो। पति चाहता है कि उसकी पत्नी उसके हाथ की कठपुतली हो। जैसा वह चाहे, वैसा ही वह नाचती रहे। लेखक ने नई रोशनी व ज्ञान के माध्यम से बताया है, कि नारी को मेज-कुर्सी की भाँति नहीं समझना चाहिए। वह भी समाज का ही अभिन्न अंग है। उसे प्रतिष्ठित स्थान मिलना चाहिए। नारी द्वारा शिक्षा प्राप्त करना पाप नहीं, अपितु गर्व की बात है।
प्रश्न 2.
उमा किसकी तुलना मेज-कुर्सी से करती है और क्यों?
उत्तर-
उमा को एकांकी में एक शिक्षित युवती के रूप में दिखाया गया है। वह अपनी और अपने जैसी अन्य लड़कियों की तुलना मेज-कुर्सी से करती है। वह सोचती है कि जैसे बाजार में मेज-कुर्सियों को बेचा जाता है, ठीक वैसे ही विवाह के समय भी लड़कियों से पूछताछ की जाती है। लड़की को देखने आए लोग उससे अपमानजनक प्रश्न पूछते हैं। लड़की के माँ-बाप भी लड़की के गुणों को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं ताकि वह बिकने योग्य बन सके। वे उसके दोषों को छिपाते हैं। बेचारी लड़की की इच्छाओं की ओर कोई ध्यान नहीं देता। उसे मेज-कुर्सी की भाँति बेजान समझा जाता है।
प्रश्न 3.
लड़कियों की खूबसूरती के विषय में गोपाल प्रसाद की विचारधारा कैसी है ?
उत्तर-
गोपाल प्रसाद की दृष्टि में खूबसूरती का अत्यधिक महत्त्व है। वह खूबसूरती का पक्ष लेते हुए कहता है कि अगर सरकार को आमदनी बढ़ानी है तो उसे खूबसूरती पर टैक्स लगाना चाहिए। वह लड़कियों का खूबसूरत होना निहायत जरूरी मानता है। उसका कथन है, “लड़की का खूबसूरत होना निहायत जरूरी है। कैसे भी हो, चाहे पाऊडर वगैरह लगाए चाहे वैसे ही। बात यह है कि हम आप मान भी जाएँ, मगर घर की औरतें तो राजी नहीं होतीं।”
प्रश्न 4.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के आधार पर शंकर का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर-
शंकर प्रस्तुत एकांकी का प्रमुख पुरुष पात्र है। उसकी चरित्र रूपी हड्डी नहीं है। वह आवारा किस्म का युवक है। वह अपना ध्यान पढ़ाई की ओर कम और लड़कियों को देखने में अधिक लगाता है। लड़कियों के होस्टल में ताक-झांक करने के कारण उसकी पिटाई भी होती है।
शंकर की सबसे बड़ी कमज़ोरी है-उसका व्यक्तित्वहीन होना। उसके कोई ठोस विचार नहीं है। उसके मन में इतना दृढ़ निश्चय भी नहीं है कि वह अपनी सही बात पर भी अड़ा रह सके। उसकी अपनी कोई विचारधारा नहीं है। उसका पिता उसे जो कहता है, उसे वह आँखें बंद करके मान लेता है। यहाँ तक कि वह फूहड़ बातों पर भी ही-हीं कर देता है। वह स्वयं पढ़-लिखकर भी कम पढ़ी-लिखी पत्नी चाहता है। उसमें आत्मविश्वास नाम की कोई भावना नहीं है। वह बिन पैंदे का लोटा है। अतः एकांकी में उसका चरित्र एक कमजोर पात्र का चरित्र है।
प्रश्न 5.
प्रेमा अपनी बेटी को इंट्रेंस तक ही क्यों पढ़ाना चाहती थी?
उत्तर-
प्रेमा पुराने विचारों वाली औरत थी। वह चाहती है कि उसकी बेटी केवल इंट्रेंस की परीक्षा ही पास करे। उसे लगता था कि कम पढ़ी-लिखी लड़कियाँ नखरे कम करती हैं। वह माता-पिता की आज्ञा का पालन करती हैं। अधिक पढ़-लिख जाने पर लड़कियाँ मन-मर्जी करती हैं। अतः माता-पिता को परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं। इसलिए प्रेमा चाहती थी कि उसकी बेटी उमा केवल इंट्रेंस तक ही पढ़े।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
रीढ़ की हड्डी’ एक है
(A) कहानी
(B) निबंध
(C) एकांकी
(D) संस्मरण
उत्तर-
(C) एकांकी
प्रश्न 2.
‘रीढ़ की हड्डी’ कैसा एकांकी है ?
(A) व्यंग्यात्मक
(B) सामाजिक
(C) मनोवैज्ञानिक
(D) धार्मिक
उत्तर-
(A) व्यंग्यात्मक
प्रश्न 3.
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक एकांकी के लेखक हैं
(A) प्रेमचंद
(B) रामकुमार वर्मा
(C) जगदीश चंद्र माथुर
(D) हजारीप्रसाद द्विवेदी
उत्तर-
(C) जगदीश चंद्र माथुर
प्रश्न 4.
श्री जगदीश चंद्र माथुर का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1917
(B) सन् 1920
(C) सन् 1927
(D) सन् 1930
उत्तर-
(A) सन् 1917
प्रश्न 5.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का प्रमुख लक्ष्य है
(A) बेरोजगारी को दर्शाना
(B) लड़कियों की उपेक्षा को व्यक्त करना
(C) दहेज प्रथा पर प्रकाश डालना
(D) अंधविश्वासों का खंडन करना
उत्तर-
(B) लड़कियों की उपेक्षा को व्यक्त करना
प्रश्न 6.
‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी में नायिका कौन है ?
(A) उमा
(B) उमा की माता
(C) शंकर की माता
(D) नौकरानी
उत्तर-
(A) उमा
प्रश्न 7.
उमा के पिता का क्या नाम है ?
(A) गोपाल प्रसाद
(B) शंकर
(C) रामस्वरूप
(D) रामदीन
उत्तर-
(C) रामस्वरूप
प्रश्न 8.
उमा को देखने आए लड़के का क्या नाम है ?
(A) गोपाल प्रसाद
(B) रामस्वरूप
(C) मातादीन
(D) शंकर
उत्तर-
(D) शंकर
प्रश्न 9.
शंकर किसका बेटा है ?
(A) गोपाल प्रसाद
(B) रामस्वरूप
(C) सोहन लाल
(D) किशनलाल
उत्तर-
(A) गोपाल प्रसाद
प्रश्न 10.
रामस्वरूप के नौकर का नाम है-
(A) प्रभुदीन
(B) रामरतन
(C) रतन
(D) घासीराम
उत्तर-
(C) रतन
प्रश्न 11.
उमा की माँ का नाम है-
(A) रामेश्वरी
(B) प्रेमा
(C) राजेश्वरी
(D) शीला
उत्तर-
(B) प्रेमा
प्रश्न 12.
रामस्वरूप के अनुसार पाउडर का कारोबार किसके सहारे चलता है ?
(A) लड़कों के
(B) लड़कियों के
(C) विज्ञापनों के
(D) पुरुषों के
उत्तर-
(B) लड़कियों के
प्रश्न 13.
उमा ने कहाँ तक शिक्षा प्राप्त की थी ?
(A) मिडिल
(B) मैट्रिक
(C) इंटर
(D) बी.ए.
उत्तर-
D) बी.ए.
प्रश्न 14.
गोपाल प्रसाद अपने लड़के के लिए कैसी पत्नी चाहता है ?
(A) अनपढ़
(B) विदुषी
(C) कम पढ़ी-लिखी
(D) एम.ए. पास
उत्तर-
(C) कम पढ़ी-लिखी
प्रश्न 15.
‘अच्छा तो साहब ‘बिजनेस’ की बात हो जाए।’ इस वाक्य में गोपाल प्रसाद ने ‘बिजनेस’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है ?
(A) व्यापार
(B) विवाह
(C) बातचीत
(D) स्वार्थ
उत्तर-
(B) विवाह
प्रश्न 16.
गोपाल प्रसाद सरकार को किस वस्तु पर टैक्स लगाने पर परामर्श देता है ?
(A) चाय पर
(B) चीनी पर
(C) आम पर
(D) खूबसूरती पर
उत्तर-
D) खूबसूरती पर
प्रश्न 17.
‘लड़की का खूबसूरत होना निहायत जरूरी है’-ये शब्द किसने कहे हैं ?
(A) प्रेमा ने
(B) शंकर ने
(C) गोपाल प्रसाद ने
(D) रामस्वरूप के
उत्तर-
(C) गोपाल प्रसाद ने
प्रश्न 18.
एकांकी में उमा किस कवि या कवयित्री द्वारा रचित भजन सुनाती है ?
(A) महादेवी
(B) मीराबाई
(C) रविदास
(D) सूरदास
उत्तर-
(B) मीराबाई
प्रश्न 19.
उमा को देखकर गोपाल प्रसाद एवं शंकर क्यों चौंक पड़ते हैं ?
(A) वह काले रंग की है
(B) वह बदसूरत है
(C) उसे चश्मा लगा हुआ है
(D) उसने बेढंगे कपड़े पहने हुए हैं
उत्तर-
(C) उसे चश्मा लगा हुआ है
प्रश्न 20.
उमा गाते-गाते एकाएक क्यों रुक जाती है ?
(A) उसे खाँसी आ गई
(B) उसे नींद आ गई
(C) वह गीत भूल गई
(D) उसने शंकर को पहचान लिया
उत्तर-
(D) उसने शंकर को पहचान लिया
प्रश्न 21.
“तुमने कुछ इनाम-विनाम भी जीते हैं ?” यह प्रश्न उमा से किसने पूछा है ?
(A) गोपाल प्रसाद ने
(B) शंकर ने
(C) रतन ने
(D) रामस्वरूप ने
उत्तर-
(A) गोपाल प्रसाद ने
प्रश्न 22.
“क्या लड़कियाँ बेबस भेड़-बकरियाँ होती हैं ?” ये शब्द एकांकी के किस पात्र ने कहे हैं ?
(B) रतन ने
(C) रामस्वरूप ने
(D) उमा ने
उत्तर-
D) उमा ने
प्रश्न 23.
शंकर ने किसके पैरों में पड़कर जान बचाई थी ?
(A) प्रेमा के
(B) उमा के
(C) होस्टल की नौकरानी के
(D) अपनी माँ के
उत्तर-
(C) होस्टल की नौकरानी के
प्रश्न 24.
‘शंकर की बैकबोन नहीं है’-ये शब्द उसे कौन कहता है ?
(A) रामस्वरूप
(B) गोपाल प्रसाद
(C) शंकर के मित्र
(D) उमा
उत्तर-
(C) शंकर के मित्र
प्रश्न 25.
‘बाबू जी मक्खन……।’ ये शब्द एकांकी के किस पात्र ने कहे हैं ?
(A) उमा
(B) प्रेम
(C) उमा की सखी
(D) रतन
उत्तर-
(D) रतन
रीढ़ की हड्डी प्रमुख गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या/भाव ग्रहण
रीढ़ की हड्डी Summary in Hindi
रीढ़ की हड्डी पाठ-सार/गध-परिचय
प्रश्न-
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक एकांकी का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
रीढ़ की हड्डी’ श्री जगदीश चंद्र माथुर का एक व्यंग्य एकांकी है। इसमें उन्होंने विवाह संबंधी समस्या को चित्रित किया है। रामस्वरूप लड़की का पिता है। लड़की का नाम उमा है। वह बी०ए० पास है। प्रेमा लड़की की माता है। रतन घर का नौकर है। आज उमा को देखने के लिए गोपाल प्रसाद और उसका बेटा शंकर आने वाले हैं।
रामस्वरूप एवं उसके परिवार के सभी सदस्य घर को सजाने में लगे हुए हैं। सारी तैयारियाँ हो रही हैं। घर में एक तख्त और उस पर एक सफेद चादर बिछा दी गई है। घर का नौकर रतन भी घर के काम में व्यस्त है। तख्त पर हारमोनियम, सितार आदि सजाए गए हैं। उमा की संगीत की परीक्षा वहीं होगी। प्रेमा ने नाश्ते की सब वस्तुएँ सजा दी हैं। नौकर मक्खन लेने जाता है।
रामस्वरूप अपनी पत्नी प्रेमा को कहता है कि वह उमा को कहे कि वह सज-सँवरकर आए, किंतु उमा मुँह फुलाए बैठी है। उसे बाहरी दिखावा अच्छा नहीं लगता। माँ बेटी के व्यवहार से तंग है। उमा बी०ए० पास है, किंतु वर-पक्ष को उसकी शिक्षा मैट्रिक तक बताई गई है। रामस्वरूप ने अपनी पत्नी को समझा दिया है कि जब वर-पक्ष वाले आएँ तो वह उमा को सजा-सँवारकर भेजे, किंतु उमा को पाउडर आदि वस्तुएँ प्रयोग करने का शौक नहीं है।
तभी शंकर और उसके पिता गोपाल बाबू आ जाते हैं। गोपाल बाबू की आँखों से लोक-चतुराई टपकती है। उसकी आवाज़ से पता चलता है कि वह अनुभवी और लालची है। शंकर कुछ खीसें निपोरने वाले नौजवानों में से है। उसकी आवाज़ पतली और खिसियाहट भरी तथा कमर कुछ झुकी हुई है।
बाबू रामस्वरूप उन दोनों को अत्यंत आदर-भाव से स्वागत करते हुए बिठाते हैं। बातचीत करते हुए रामस्वरूप ने शंकर की शिक्षा के विषय में जानकारी प्राप्त की। बाबू गोपाल प्रसाद ने बताया कि शंकर एक साल बीमार पड़ गया था। क्या बताऊँ कि इन लोगों को इसी उम्र में सारी बीमारियाँ सताती हैं। एक हमारा जमाना था कि स्कूल से आकर दर्जनों कचौड़ियाँ उड़ा जाते थे, मगर फिर जो खाने बैठते तो भूख वैसी-की-वैसी। पढ़ाई का यह हाल था कि एक बार कुर्सी पर बैठे तो बारह-बारह घंटे की ‘सिटिंग’ हो जाती थी।
बातचीत करते हुए गोपाल प्रसाद ने पूछा कि आपकी बेटी तो ठीक है। उसकी पढ़ाई-लिखाई के विषय में जो सुना है, वह तो गलत है न। साफ बात यह है कि हमें अधिक पढ़ी-लिखी लड़की नहीं चाहिए। मेम साहब तो रखनी नहीं है।
नाश्ता समाप्त हो चुका है। तभी उमा हाथों में तश्तरी लिए वहाँ आती है। उसने सादगी के कपड़े पहने हैं। उसकी गर्दन झुकी हुई है। बाबू गोपाल प्रसाद आँखें गड़ाकर और शंकर आँखें झुकाकर देखता है। उमा पान की तश्तरी अपने पिता को दे देती है। उमा जब चेहरा ऊपर उठाती है तो उसके नाक पर रखा हुआ चश्मा दिख जाता है। बाप-बेटा दोनों एक साथ चौंककर कहते हैं’चश्मा! बाबू रामस्वरूप बात को संभालते हुए कहते हैं कि पिछले महीने इसकी आँखें दुखनी आ गई थीं। इसलिए कुछ दिनों के लिए चश्मा लगाना पड़ रहा है। बाबू गोपाल प्रसाद उमा को बैठने के लिए कहते हैं। वह उससे गाने-बजाने के विषय में पूछते हैं। रामस्वरूप उमा को एक-आध गीत सुनाने के लिए कहते हैं।
उमा उन्हें मीरा का भजन गाकर सुनाती है मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरा न कोई। गीत में तल्लीन होने पर उसका मस्तक ऊपर उठा। उसने शायद शंकर को पहचान लिया। वह गाते-गाते एकदम रुक गई। उमा उठने को हुई, तो उसे रोक लिया गया। फिर गोपाल प्रसाद उससे पेंटिंग और सिलाई की शिक्षा के विषय में पूछने लगे। तसल्ली होने पर इनाम आदि की जानकारी भी चाही इस पर वह चुप रही।
जब उमा से संबंधित अधिकतर प्रश्नों के उत्तर उसके पिता ने दिए, तो गोपाल प्रसाद ने कहा कि जरा लड़की को भी मुँह खोलना चाहिए, तो रामस्वरूप ने उमा को जवाब देने के लिए कहा। उमा ने कहा, “क्या जवाब +, बाबू जी! जब कुर्सी-मेज़ बिकती है, तब दुकानदार कुर्सी-मेज़ से कुछ नहीं पूछता, सिर्फ खरीदार को दिखला देता है। पसंद आ गई तो अच्छा है, वरना……. ।”
रामस्वरूप के रोकने पर भी उमा कहती है-“ये जो महाशय मेरे खरीदार बनकर आए हैं, इनसे जरा पूछिए कि क्या लड़कियों के दिल नहीं होता? क्या उनके चोट नहीं लगती ? क्या वे बेबस भेड़-बकरियाँ हैं, जिन्हें कसाई अच्छी तरह देख भालकर …….. ?” वह पुनः कहती है कि क्या “हमारी बेइज्जती नहीं होती जो आप इतनी देर से नाप-तोल कर रहे हैं और आप जरा अपने इन साहबजादे से पूछिए कि अभी पिछली फरवरी में ये लड़कियों के होस्टल के इर्द-गिर्द क्यों घूम रहे थे, और वहाँ से कैसे भगाए गए थे। इस पर गोपाल प्रसाद पूछते हैं क्या तुम कॉलेज में पढ़ी हो ? तब उमा कहती है-“जी हाँ, मैं कॉलेज में पढ़ी हूँ मैं बी.ए. पास हूँ। कोई पाप नहीं किया है, कोई चोरी नहीं की और न आपके पुत्र की भाँति ताक-झाँककर कायरता दिखाई है। मुझे अपनी इज्जत, अपने मान का ख्याल तो है। लेकिन इनसे पूछिए कि किस तरह नौकरानी के पैरों में पड़कर अपना मुँह छिपाकर भागे थे।” गोपाल प्रसाद और शंकर अधिक अपमान न सहन कर सके और वे चलने लगे। तभी उमा कहती है-“जी हाँ, जाइए, जरूर चले जाइए। लेकिन घर जाकर यह पता लगाइएगा कि आपके लाडले बेटे के रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं, यानी बैकबोन, बैकबोन!”
उमा के इन शब्दों से गोपाल प्रसाद के चेहरे का रंग उड़ जाता है। वह निराश होकर बाहर निकल जाता है। शंकर का चेहरा रुआँसा हो जाता है। रामस्वरूप भी कुर्सी पर धम्म से बैठ जाता हैं। उमा सिसकियां भरने लगती है। तभी रतन मक्खन लेकर आता है। इस प्रकार एकांकी का अंत करुणाजनक स्थिति में होता है।
कठिन शब्दों के अर्थ –
(पृष्ठ-27) : मामूली = अत्यंत साधारण। सिरा = किनारा। कसरत = व्यायाम। कलस = घड़ा।
(पृष्ठ-28) : मेज़पोश = मेज़ पर बिछाने का सजावटी कपड़ा। झाड़न = सफाई के काम आने वाला कपड़ा। सहसा = अनायास। गंदुमी = गेहुँआ रंग। भीगी बिल्ली = सहमा हुआ-सा। उल्लू = मूर्ख। मुँह फुलाए = नाराज़ होकर, गुस्से में।
(पृष्ठ-29) : मर्ज़ = रोग। पकड़ में आना = काबू में आना। सिर चढ़ाना = बढ़ावा देना। जंजाल = झंझट । ठठोली = मज़ाक। राह पर लाना = सीधे रास्ते पर लाना, समझा-बुझा कर मनाना। टीमटाम = दिखावा। नफरत = घृणा। बाज़ आना = हारना।
(पृष्ठ-30) : इंट्रेंस = कक्षा बारह। हाथ रहना = नियंत्रण में रहना। ज़बान पर काबू होना = बोलने पर नियंत्रण होना। जिक्र = चर्चा। उगलना = कह देना। खुद = स्वयं।
(पृष्ठ-31) : करीने से = सही ढंग से, सँवर कर। दकियानूसी ख्याल = पुराने विचार। सोसाइटी = लोगों का मिलन-स्थल। सवा सेर = अधिक तेज़। तालीम = शिक्षा। कोरी-कोरी सुनाना = साफ-साफ कहना। चौपट करना = बेकार कर डालना। कमबख्त = अभागा। दस्तक = खटखट की आवाज़।
(पृष्ठ-32) : लोक चतुराई = लोक-व्यवहार में सयानापन। टपकती = झलकती, दिखाई देनी। अनुभवी = जिसने दुनिया का व्यवहार देखा हो। फितरती = शरारती, स्वभावगत। खीस निपोरना = चापलूसी करना, बेकार में दाँत निकालना। खिसियाहट = शर्म, संकोच। तशरीफ लाना = बैठना। काँटों में घसीटना = परेशानी में डालना। मुखातिब = मुँह करके। वीक-एंड = सप्ताह के अंत में। मार्जिन = अंतर, फासला।
(पृष्ठ-33) : उड़ जाना = खा जाना। जनाब = महोदय। बालाई = खाने वाला पदार्थ । हज़म करना = पचाना। वगैरह = आदि। मजाल = हिम्मत, शक्ति। फरटि = तेज़ गति से, धारा-प्रवाह। मुकाबला = होड़। ज़ब्त करना = रोकना। रंगीन = आनंदपूर्ण।
(पृष्ठ-34) : तकल्लुफ = शिष्टाचार। तकदीर = भाग्य। काबिल = योग्य। हैसियत = शक्ति। बँखारकर = खाँसी की आवाज़ करके। बैकबोन = रीढ़ की हड्डी। ज़ायका = स्वाद।।
(पृष्ठ-35) : आमदनी = आय। यूँ करना = विरोध में बोलना। स्टैंडर्ड = मापदंड, गुणवत्ता। माफिक = के अनुसार। बेढब होना = बिगड़ जाना। निहायत = बहुत, अधिक। राज़ी = मान जाना, स्वीकार करना।
(पृष्ठ-36) : रस्म = रिवाज़। जायचा = जन्मपत्री। ठाकुर = भगवान। चरणों = कदमों। भनक पड़ना = चोरी-छिपे बात का पता चलना। मेम साहब = पढ़ी-लिखी नखरेबाज़ औरत। ग्रेजुएट = बी०ए० बी० कॉम या बी०एस-सी० तक पढ़ी हुई। अक्ल के ठेकेदार = स्वयं को बुद्धिमान मानने वाला। काबिल = योग्य। पालिटिक्स = राजनीति। बहस = चर्चा।
(पृष्ठ-37) : तालीम = शिक्षा। तश्तरी = प्लेट। आँखें गड़ाना = ध्यान से देखना। ताकना = देखना। सकपकाकर = घबराकर।
(पृष्ठ-38) : वजह = कारण। अर्ज करना = प्रार्थना करना। संतुष्ट = तसल्ली, तृप्त। छवि = सुंदरता। तल्लीनता = मग्नता। झेंपती आँखें = शर्माती आँखें। तसवीर = चित्र, पेंटिंग।
(पृष्ठ-39) : अधीर होना = बेचैन होना। सकपकाना = घबराना। मुँह खोलना = बोलना। चोट लगना = बुरा लगना। कसाई = पशुओं की हत्या करने वाला। नाप-तोल करना = एक-एक चीज़ ठोक बजाकर लेना। साहबज़ादा = प्यारा पुत्र।
(पृष्ठ-40) : ताक-झाँक करना = इधर-उधर देखना। मान = इज्जत, सम्मान। ख्याल = ध्यान। मुँह छिपाकर भागना = शर्मिंदा होकर भागना। दगा करना = धोखा करना। गज़ब होना = बहुत बुरा होना। ठिकाना = सीमा। रुलासापन = रोने का भाव।