Author name: Prasanna

HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने

Haryana State Board HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने

HBSE 12th Class Hindi डायरी के पन्ने Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
“यह साठ लाख लोगों की तरफ से बोलनेवाली एक आवाज़ है। एक ऐसी आवाज़, जो किसी संत या कवि की नहीं, बल्कि एक साधारण लड़की की है।” इल्या इहरनबुर्ग की इस टिप्पणी के संदर्भ में ऐन फ्रैंक की डायरी के पठित अंशों पर विचार करें।
उत्तर:
ऐन फ्रैंक की डायरी में उसके निजी जीवन का वर्णन नहीं किया गया, बल्कि साठ लाख यहूदियों पर जो अत्याचार किए गए थे उनकी यह जीती-जागती कहानी है। यह लड़की न कोई संत थी, न कवि बल्कि हिटलर के अत्याचारों के द्वारा भूमिगत रहने वाले परिवार की एक आम सदस्या थी। वह कोई विशेष लड़की नहीं थी, परंतु वह एक ऐसी आवाज थी जिसमें अत्याचार सहन करने वाले लोगों की आवाज को बुलंद किया। अतः इल्या इहरनबुर्ग की टिप्पणी पूर्णतया सही है। दूसरे विश्वयुद्ध में हिटलर ने यहूदियों पर अत्यंत अत्याचार किए। यहूदी भूमिगत जीवन जीने के लिए मजबूर हो गए।

हिटलर की सेना का इतना डर बैठा हुआ था कि यहूदी लोग भूमिगत होकर अभावग्रस्त जीवन जी रहे थे। वे लोग न दिन का सूरज देख सकते थे और न ही रात का चंद्रमा। सड़क पर सूटकेस लेकर निकलना निरापद नहीं था। ब्लैक कोड वाले पर्दे लगाकर जैसे-तैसे दिन और रात व्यतीत करते थे। राशन की बहुत कमी रहती थी और बिजली का कोटा निर्धारित था। चोर-उच्चके उनके सामान को उठा लेते थे। यहूदी लोग फटे-पुराने कपड़े तथा घिसे-पिटे जूते पहनकर समय काट रहे थे। जब कभी हवाई आक्रमण होता था तो बेचारे काँप जाते थे। इसलिए यह कहना सर्वथा उचित है कि डायरी के पन्ने में वर्णित कहानी किसी एक परिवार की नहीं है बल्कि यह साठ लाख लोगों की कहानी है।

प्रश्न 2.
“काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता। अफसोस, ऐसा व्यक्ति मुझे अब तक नहीं मिला…..।” क्या आपको लगता है कि ऐन के इस कथन में उसके डायरी लेखन का कारण छिपा है?
उत्तर:
यह एक सच्चाई है कि लेखक अपनी अनुभूतियों को व्यक्त करने के लिए कविता, कहानी या कोई लेख लिखता है। यदि लिखने वाला व्यक्ति किसी के सामने अपनी बात को प्रकट कर देता है तो उसे लिखने की आवश्यकता नहीं पड़ती। परंतु यदि उसे कोई गंभीर श्रोता न मिले तो वह किसी कल्पित पात्र अथवा पाठकों के लिए अपनी अभिव्यक्ति करता है। ऐन फ्रैंक के साम यही स्थिति थी। वह भूमिगत रहने वाले सदस्यों में सबसे छोटी थी। कोई भी उसकी बात को सुनने के लिए तैयार नहीं था। मिसेज वान दान तथा मिस्टर डसेल उसकी कमियाँ निकालते रहते थे। इसलिए वह उनसे घृणा करती थी।

उसकी मम्मी हमेशा केवल एक उपदेशिका की भूमिका निभाती रही। उसने कभी भी अपनी बेटी की व्यथा नहीं सुनी। केवल पीटर से ही ऐन की बनती थी लेकिन उसके साथ संवाद करना सरल न था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि भूमिगत आवास में वह क्या करे। वह बाहर की प्रकृति को देखना चाहती थी, सूरज तथा चाँद को निहारना चाहती थी परंतु यह वर्जित था। वह निर्णय नहीं कर पाई कि वह किसके सामने अपनी भावनाएँ प्रकट करें। सच्चाई तो यह है कि उसकी भावनाओं को और उसकी बातों को सुनने वाला कोई नहीं था। इसलिए उसने अपने उद्गार इस डायरी में व्यक्त किए हैं।

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प्रश्न 3.
‘प्रकृति-प्रदत्त प्रजनन-शक्ति के उपयोग का अधिकार बच्चे पैदा करें या न करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें इस की स्वतंत्रता स्त्री से छीन कर हमारी विश्व-व्यवस्था ने न सिर्फ स्त्री को व्यक्तित्व-विकास के अनेक अवसरों से वंचित किया है बल्कि जनाधिक्य की समस्या भी पैदा की है।’ ऐन की डायरी के 13 जून, 1944 के अंश में व्यक्त विचारों के संदर्भ में इस कथन का औचित्य ढूँढ़ें।।
उत्तर:
ऐन का विचार है कि पुरुष शारीरिक दृष्टि से सक्षम होता है और नारियाँ कमज़ोर होती हैं इसलिए पुरुष नारियों पर शासन करते हैं। उसका कहना है कि नारियों को समाज में उचित सम्मान नहीं मिलता। बच्चे को जन्म देते समय नारी जो पीड़ा व व्यथा भोगती है, वह युद्ध में घायल हुए सैनिक से कम नहीं है। सच्चाई तो यह है कि नारी अपनी बेवकूफी के कारण अपमान व उपेक्षा को सहन करती रहती हैं, परंतु नारियों को समाज में उचित सम्मान मिले यह जरूरी है। परंतु ऐन का यह अभिप्राय नहीं है कि महिलाएँ बच्चा पैदा करने बंद कर दें। प्रकृति चाहती है कि महिलाएँ बच्चों को जन्म दें। समाज में औरतों का योगदान विशेष महत्त्व रखता है। ऐन का यह भी विचार है कि आने वाले काल में औरतों के लिए बच्चे पैदा करना कोई जरूरी नहीं होगा।

अब समय काफी बदल चुका है। हमारा देश परंपरावादी है। इसलिए यहाँ महिलाओं की स्थिति में अभूतपूर्व परिवर्तन देखा जा सकता है। जहाँ तक अशिक्षित ग्रामीण समाज का प्रश्न है वहाँ पर पुरुष स्त्रियों पर हावी रहते हैं। शिक्षित समाज में स्त्रियाँ पुरुषों से बेहतर हैं। उन्हें घर-परिवार, समाज, समूह, राष्ट्र सभी स्थानों पर सम्मान मिल रहा है। अब बच्चा पैदा करना या न करना अब नारी के हाथ में है। इसलिए ऐन फ्रैंक की डायरी में वर्णित नारी की स्थिति की तुलना में भारतीय स्थिति की हालत काफी बेहतर है। हमारे यहाँ नारियाँ सरकारी व गैर-सरकारी विभागों में नौकरियाँ कर रही हैं जिनमें से कुछ नारियाँ डॉक्टर हैं तो कुछ इंजीनियर हैं। शिक्षा जगत में तो नारियों ने अपना आधिपत्य जमा लिया है।

प्रश्न 4.
“ऐन की डायरी अगर एक ऐतिहासिक दौर का जीवंत दस्तावेज़ है, तो साथ ही उसके निजी सुख-दुख और भावनात्मक उथल-पुथल का भी। इन पृष्ठों में दोनों का फर्क मिट गया है।” इस कथन पर विचार करते हुए अपनी सहमति या असहमति तर्कपूर्वक व्यक्त करें।
उत्तर:
डायरी लेखक जब अपने जीवन का वर्णन करता है तब वह अपने आसपास के वातावरण पर भी प्रकाश डालता है। ऐन एक सामान्य लड़की है वह कोई साहित्यकार नहीं है। फिर भी उसने अपने निजी सुख-दुख और भावनात्मक उथल-पुथल का संवेदनात्मक वर्णन किया है। जिस परिवेश में वह रहने को मजबूर है वह असाधारण है। जर्मनी ने हॉलैंड पर अपना अधिकार प्राप्त कर लिया था, परंतु ब्रिटेन हॉलैंड को मुक्त कराने के लिए युद्ध लड़ रहा था। दूसरी तरफ यहूदियों पर अत्याचार हो रहे थे। वे भूमिगत होकर अभावमय और कष्टमय जीवन व्यतीत कर रहे थे। ऐन भी उन्हीं में से एक है। इसलिए ऐन ने व्यक्तिगत जीवन के सुख-दुख और भावनात्मक उथल-पुथल का संवेदनात्मक वर्णन किया है।

लेकिन ऐन तत्कालीन ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन करती है; जैसे अज्ञातवास जाने के कारण का बुलावा, आवास में जर्मनों के डर के कारण दिन-रात अंधकार में छिपकर रहना, युद्ध के अवसर पर राशन तथा बिजली की कमी होना, लड़की द्वारा तटस्थता की घोषणा करना, ब्रिटेन द्वारा हॉलैंड को मुक्त कराने का प्रयास करना, प्रतिदिन 350 वायुयानों द्वारा 550 टन गोले बारूद की वर्षा करना, हिटलर के सैनिकों द्वारा दिए गए साक्षात्कार का रेडियो पर विवरण आदि तत्कालीन ऐतिहासिक दौर के जीवंत दस्तावेज कहे जा सकते हैं। ऐन ने निजी जीवन की व्यथा के साथ-साथ इन ऐतिहासिक तथ्यों का यदा-कदा वर्णन किया है जिससे दोनों का अंतर मिट गया है।

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प्रश्न 5.
ऐन ने अपनी डायरी ‘किट्टी’ (एक निर्जीव गुड़िया) को संबोधित चिट्ठी की शक्ल में लिखने की ज़रूरत क्यों महसूस की होगी?
उत्तर:
आठ सदस्य अज्ञातवास में रह रहे थे। इनमें ऐन सबसे छोटी आयु की लड़की थी। इस आयु की लड़कियाँ किसी से बात करना चाहती हैं। परंतु आठ सदस्यों में से कोई भी उसकी भावनाओं को नहीं समझता। भूमिगत आवास में से बाहर निकलना संभव नहीं है। उसकी माँ केवल उपदेश देती है। मिसेज वान दान और मिस्टर डसेल उसकी हर बात की नुक्ता-चीनी करती रहती थीं। सात सदस्यों की बातें वही हजारों बार सुन चुकी है। इसलिए वह अपनी गुड़िया किट्टी से बातचीत करती है। यही बातचीत उसके डायरी के पन्ने बन गए हैं। इसमें वे पत्र भी हैं जो उसने अपनी गुड़िया किट्टी को लिखे थे। किट्टी को संबोधित करके चिट्ठियाँ लिखना उसकी मजबूरी थी।

इसे भी जानें

नाजी दस्तावेजों के पाँच करोड़ पन्नों में ऐन फ्रैंक का नाम केवल एक बार आया है लेकिन अपने लेखन के कारण आज ऐन हज़ारों पन्नों में दर्ज हैं जिसका एक नमूना यह खबर भी है
उत्तर:
नाज़ी अभिलेखागार के दस्तावेजों में महज़ एक नाम के रूप में दफन है ऐन फ्रैंक बादरोलसेन, 26 नवंबर (एपी)। नाज़ी यातना शिविरों का रोंगटे खड़े करने वाला चित्रण कर दुनिया भर में मशहूर हुई ऐनी फ्रैंक का नाम हॉलैंड के उन हज़ारों लोगों की सूची में महज़ एक नाम के रूप में दर्ज है जो यातना शिविरों में बंद थे।

नाज़ी नरसंहार से जुड़े दस्तावेज़ों के दुनिया के सबसे बड़े अभिलेखागार एक जीर्ण-शीर्ण फाइल में 40 नंबर के आगे लिखा हुआ है-ऐनी फ्रैंक। ऐनी की डायरी ने उसे विश्व में खास बना लिया लेकिन 1944 में सितंबर माह के किसी एक दिन वह भी बाकी लोगों की तरह एक नाम भर थी। एक भयभीत बच्ची जिसे बाकी 1018 यहूदियों के साथ पशुओं को ढोने वाली गाड़ी में पूर्व में स्थित एक यातना शिविर के लिए रवाना कर दिया गया था।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद डच रेडक्रास ने वेस्टरबोर्क ट्रांजिट कैंप से यातना शिविरों में भेजे गए लोगों संबंधी सूचना एकत्र कर इंटरनेशनल ट्रेसिंग सर्विस (आईटीएस) को भेजे थे। आईटीएस नाज़ी दस्तावेजों का एक ऐसा अभिलेखागार है जिसकी स्थापना युद्ध के बाद लापता हुए लोगों का पता लगाने के लिए की गई थी।

इस युद्ध के समाप्त होने के छह दशक से अधिक समय के बाद अब अंतर्राष्ट्रीय रेडक्रास समिति विशाल आईटीएस अभिलेखागार को युद्ध में जिंदा बचे लोगों, उनके रिश्तेदारों व शोधकर्ताओं के लिए पहली बार सार्वजनिक करने जा रही है। एक करोड़ 75 लाख लोगों के बारे में दर्ज इस रिकार्ड का इस्तेमाल अभी तक परिजनों को मिलाने, लाखों विस्थापित लोगों के भविष्य का पता लगाने और बाद में मुआवजे के दावों के संबंध में प्रमाण पत्र जारी करने में किया जाता रहा है। लेकिन आम लोगों को इसे देखने की अनुमति नहीं दी गई है।

मध्य जर्मनी के इस शहर में 25.7 किलोमीटर लंबी अलमारियों और कैबिनेटों में संग्रहीत इन फाइलों में उन हज़ारों यातना शिविरों, बंधुआ मजदूर केंद्रों और उत्पीड़न केंद्रों से जुड़े दस्तावेजों का पूर्ण संग्रह उपलब्ध है।

किसी ज़माने में थर्ड रीख के रूप में प्रसिद्ध इस शहर में कई अभिलेखागार हैं। प्रत्येक में युद्ध से जुड़ी त्रासदियों का लेखा-जोखा रखा गया है। आईटीएस में एनी फ्रैंक का नाम नाज़ी दस्तावेजों के पाँच करोड़ पन्नों में केवल एक बार आया है। वेस्टरबोर्क से 19 मई से 6 सितंबर 1944 के बीच भेजे गए लोगों से जुड़ी फाइल में फ्रैंक उपनाम से दर्जनों नाम दर्ज हैं।

में ऐनी का नाम, जन्मतिथि. एम्सटर्डम का पता और यातना शिविर के लिए रवाना होने की तारीख दर्ज है। इन लोगों को कहाँ ले जाया गया वह कालम खाली छोड़ दिया गया है। आईटीएस के प्रमुख यूडो जोस्त ने पोलैंड के यातना शिविर का जिक्र करते हुए कहा यदि स्थान का नाम नहीं दिया गया है तो इसका मतलब यह आशविच था। ऐनी, उनकी बहन मार्गोट व उसके माता-पिता को चार अन्य यहूदियों के साथ 1944 में गिरफ्तार किया गया था। ऐनी डच नागरिक नहीं जर्मन शरणार्थी थी। यातना शिविरों के बारे में ऐनी की डायरी 1952 में ‘ऐनी फ्रैंक दी डायरी ऑफ़ द यंग गर्ल’ शीर्षक से छपी थी।
-साभार जनसत्ता 27 नवंबर, 2006

HBSE 12th Class Hindi डायरी के पन्ने Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘डायरी के पन्ने’ नामक पाठ के आधार पर सेंधमारों वाली घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
युद्ध काल में सेंधमारों ने आम जीवन को कष्टमय बना दिया था। बेचारे डॉक्टर अपने मरीजों को देख नहीं पाते थे। जैसे ही वे अपनी पीठ मोड़ते थे, उनकी कारें व मोटर साइकिलें चुरा ली जाती थीं। चोरी-चकारी निरंतर बढ़ती जा रही थी। डच लोगों ने हाथों में अंगूठी पहनना बंद कर दिया था। आठ-दस साल के छोटे बच्चे भी खिड़कियाँ तोड़कर घरों में घुस जाते थे और जो कुछ मिलता था, उसे उठाकर ले जाते थे। कोई भी आदमी पाँच मिनट के लिए अपना घर खाली नहीं छोड़ सकता था। टाइपराइटर, ईरानी कालीन, बिजली से चलने वाली घड़ियाँ, कपड़े आदि चोरी हो जाते थे। उन्हें वापिस पाने के लिए लोग अपने विज्ञापन देते रहते थे। सेंधमार गली व नुक्कड़ों पर लगी हुई बिजली से चलने वाली घड़ियाँ उतार लेते थे और सार्वजनिक टेलीफोनों का पुर्जा-पुर्जा अलग कर देते थे। मालिकों के उठने तक वे भाग जाते थे। उसके हटते ही पुनः आ जाते थे। गोदाम में जब वे सेंधमारी कर रहे थे, तब पुलिस की आवाज़ सुनकर भाग गए। पर फाटक बंद करते ही वे पुनः वापस आ गए। जब दरवाजे पर कुल्हाड़ी से वार किया गया, तब सेंधमार भाग गए।

प्रश्न 2.
हजार गिल्डर के नोट अवैध मुद्रा घोषित करने से उत्पन्न कठिनाइयों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
हजार गिल्डर के नोट को अवैध मुद्रा घोषित किए जाने के पीछे ब्लैक मार्किट का काम करने वाले और उन जैसे लोगों के लिए एक भारी झटका तो था, किन्तु जन-साधारण के लिए तो एक बड़ा संकट भी था। क्योंकि जो लोग भूमिगत थे या जो अपने धन का हिसाब-किताब नहीं दे सकते ये उनके लिए भी संकट का समय था। हजार गिल्डर का नोट बदलवाने के लिए आप इस स्थिति में हों कि यह नोट आपके पास आया कैसे और इसका सबूत भी देना पड़ता था। इन्हें कर अदा करने के लिए ही उपयोग में लाया जा सकता है। वह भी केवल एक सप्ताह तक ही। इस प्रकार हजार गिल्डर के नोट को अवैध मुद्रा घोषित करने से भूमिगत लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई थी।

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प्रश्न 3.
अपने मददगारों के बारे में ऐन ने क्या लिखा है?
उत्तर:
अपने मददगारों के बारे में ऐन ने लिखा है कि ये लोग अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की रक्षा करते हैं। ऐन आशावान है कि ये उन्हें सुरक्षित बचा लेंगे। उनके बारे में वे लिखती भी हैं, “उन्होंने कभी नहीं कहा कि हम उनके लिए मुसीबत हैं। वे रोज़ाना ऊपर आते हैं, पुरुषों से कारोबार और राजनीति की बात करते हैं, महिलाओं से खाने और युद्ध के समय की मुश्किलों की बात करते हैं, बच्चों से किताबों और अखबारों की बात करते हैं। वे हमेशा खुशदिल दिखने की कोशिश करते हैं, जन्मदिनों और दूसरे मौकों पर फूल और उपहार लाते हैं। हमेशा हर संभव मदद करते हैं। हमें यह बात कभी भी नहीं भूलनी चाहिए। ऐसे में जब दूसरे लोग जर्मनों के खिलाफ युद्ध में बहादुरी दिखा रहे हैं, हमारे मददगार रोज़ाना अपनी बेहतरीन भावनाओं और प्यार से हमारा दिल जीत रहे हैं।”

प्रश्न 4.
‘डायरी के पन्ने पढ़कर आपके मन पर कैसी प्रतिक्रिया होती है?
उत्तर:
‘डायरी के पन्ने’ ऐन फ्रैंक की एक सफल डायरी कही जा सकती है। यद्यपि ऐन फ्रैंक कोई साहित्यकार नहीं थी लेकिन जिस प्रकार उसने विश्वयुद्ध के काल में जर्मनी द्वारा यहूदियों पर किए गए अत्याचारों का वर्णन किया है, वह यथार्थपरक बन पड़ा है। हिटलर सचमुच एक क्रूर शासक था। वह यहूदियों से अत्यधिक घृणा करता था। उसने लाखों नागरिकों को यातनाएँ देकर मार डाला। इस डायरी को पढ़कर हमारे मन पर यह प्रतिक्रिया होती है कि युद्ध और कट्टर जातिवाद दोनों ही भयानक हैं। जातीय अहंकार का शिकार बना हुआ शासक हिंसक पशु बन जाता है और वह अपने विरोधियों को नेस्तनाबूद कर देना चाहता है। यही कुछ हिटलर और उसके सैनिकों ने किया। डायरी पढ़ने से हमारे मन में उन लोगों के प्रति सहानुभूति उत्पन्न होती है जो बेकसूर होते हुए भी अत्याचारों के शिकार बनें। उन्हें छिपकर रहना पड़ा और लंबे काल तक सर्य चंद्रमा, खली हवा, धूप आदि से वंचित रहना पड़ा। यह डायरी हमारे मन में करुणा की भावनाएँ जगाती है और पाठकों को यह संदेश देती है कि अत्याचारी शासकों का डटकर विरोध करना चाहिए।

प्रश्न 5.
मिसेज बान दान की प्रकृति का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
मिसेज बान दान ऐन के परिवार की मित्र महिला है। इसके पति और ऐन के पिता में मित्रता थी। इनका परिवार भी ऐन के परिवार के साथ अज्ञातवास में रहता है। मिसेज बान दान ऐन के परिवार के लिए बहुत-सी जरूरत की वस्तुएँ लाकर देती है। कहने का तात्पर्य है कि मिसेज बान दान दूसरों की कठिनई एवं दुःख-दर्द भली-भाँति अनुभव ही नहीं करती, अपितु उनकी सहायता भी करती है। इससे पता चलता है कि मिसेज बान-दान एक भली, दयावान और सहयोगी नारी है।

प्रश्न 6.
लेखिका के पिता किस कारण से नर्वस हो गए थे?
उत्तर:
लेखिका के पिता एक दिन बहुत-ही घबराए हुए थे। एक रात उनके घर के नीचे वाले गोदाम में चोरी और लूट-मार करने के लिए कुछ सेंधमार घुस गए। उन्होंने गोदाम के दरवाजे का फट्टा गिरा दिया और लूट-माट करने लगे। लेखिका के पिता और वान दान परिवार ऊपर छिपकर रह रहे थे। वे चोरों के सामने नहीं आना चाहते थे, तब अचानक वान दान पुलिस कहकर चिल्लाया। पुलिस शब्द सुनते ही सेंधमार भाग गए। अगले ही क्षण फट्टा फिर गिरा दिया गया और सेंधमार फिर से चोरी करने लगे। यह सब देखकर लेखिका का पिता घबरा गया। उसे डर था कि यदि पुलिस आ गई तो उन्हें हिटलर के यातना शिविरों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए वे नर्वस हो गए थे।

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प्रश्न 7.
मिस्टर डसेल के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
मिस्टर डसेल एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति था। वह बड़ा सनकी, झक्की, ऊबाने वाला और अनुशासन प्रिय व्यक्ति था। वह पुराने जमाने के अनुशासन में विश्वास करता था और बात-बात पर लंबे भाषण देने लगता था। यदि कोई व्यक्ति उनके कहे अनुसार काम नहीं करता था तो वह उन्हें फटकारने लगता था। उनके चरित्र की बड़ी कमज़ोरी यह थी कि वह चुगलखोर था। वह अकसर लेखिका की चुगली उसकी माँ से कर देता था। फिर ऐन को माँ के लंबे उपदेश सुनने पड़ते थे। वह बड़ा ही क्रोधी और असहनशील व्यक्ति भी था। एक बार जब किसी ने उसका कुशन उठा लिया तो वह बहुत-ही व्याकुल और बेचैन हो उठा। सारा घर सिर पर उठा लिया।

प्रश्न 8.
ऐन फ्रैंक के फिल्मी प्रेम पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ऐन फ्रैंक तेरह-चौदह वर्ष की किशोरी थी। इस आयु में फिल्मों व फिल्मी कलाकारों के प्रति आकर्षण होना स्वाभाविक है। किन्तु ऐन फ्रैंक ऐसी नहीं थी, अपितु वह बहुत गम्भीर स्वभाव वाली थी। वह रविवार को अपने प्रिय फिल्मी कलाकारों की तस्वीरें अलग करने और देखने में गुजारती थी। यद्यपि उसके परिवार वाले फिल्मी सिनेमा की पत्रिका आदि को पैसों की बरबादी मानते थे। उसे फिल्म व फिल्मी कलाकारों के प्रति इतना प्रेम था कि वह एक वर्ष बाद भी किसी फिल्म के से सकती थी। जब बेप उसे बताती थी कि शनिवार को वह फलां फिल्म देखने जाना चाहती है तो वह उस फिल्म के मुख्य नायक-नायिकाओं के नाम एवं समीक्षा फर्राटे से बता देती थी। उसकी माँ ने तो व्यंग्य में यहाँ तक कह डाला इसे फिल्में देखने जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी क्योंकि ऐन को सारी फिल्मों की कहानियाँ, नायकों के नाम तथा समीक्षाएँ ज़बानी याद हैं। अतः इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि ऐन फ्रैंक को फिल्मों के प्रति अत्यधिक प्रेम था।

प्रश्न 9.
ऐसी कौन-सी घटना हुई जिससे ऐन को लगा कि उसकी पूरी दुनिया उलट-पुलट गई है?
उत्तर:
8 जुलाई, 1942 को ऐन फ्रैंक के परिवार को यह संदेश मिला कि ऐन की बहन मार्गोट का ए०एस०एस० से बुलावा आया था। इसका मतलब था उसे यातना शिविर में भेजना और उसे जर्मन सेना के हवाले करना। यह समाचार पाकर ऐन अत्यधिक घबरा गई थी। उसके माता-पिता किसी भी शर्त पर मार्गोट को यातना शिविर पर नहीं भेजना चाहते थे। इसलिए उन्होंने तत्काल भूमिगत होने का फैसला कर लिया। इस घटना से ऐन को ऐसा लगा कि जैसे उसकी पूरी दुनिया उलट-पुलट हो गई हो।

प्रश्न 10.
‘डायरी के पन्न’ नामक पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए एन बहुत ही प्रतिभाशाली तथा परिपक्व युवती थी।
अथवा
‘डायरी के पन्ने के आधार पर ऐन की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
‘डायरी के पन्ने’ से हमें पता चलता है कि ऐन एक प्रतिभावान और धैर्यवान युवती थी। उसमें सहजता और शालीनता थी। किशोरावस्था की चंचलता उसमें बहुत कम दिखाई देती थी। वह बहुत कम अवसरों पर विचलित और बेचैन होती थी। उसने अपने स्वभाव पर नियंत्रण पा लिया था। उसकी सोच सकारात्मक, परिपक्व और सुलझी हुई थी। उसमें अत्यधिक सहनशीलता और संवेदनशीलता थी। वह बड़ों की गलत बातों को भी बड़ी शालीनता से सुनती थी और उनके प्रति सम्मान की भावना रखती थी। पीटर के प्रति भले ही उसके मन में प्रेम हो परंतु वह अपनी भावनाओं को डायरी में ही लिखती थी। किशोरावस्था। सराहनीय है। अपनी परिपक्व सोच के कारण ही उसने अपने मन के भाव और उद्गार डायरी में व्यक्त किए। यदि उसके चरित्र में धैर्य, शालीनता और परिपक्वता न होती तो शायद हमें इतनी उत्कृष्ट डायरी पढ़ने को न मिलती।

प्रश्न 11.
ऐन के स्त्री-पुरुष अधिकारों पर क्या विचार थे?
उत्तर:
ऐन का विचार है कि पुरुष शारीरिक दृष्टि से सक्षम होता है और नारियाँ कमज़ोर होती हैं इसलिए पुरुष नारियों पर शासन करते हैं। उसका कहना है कि नारियों को समाज में उचित सम्मान नहीं मिलता। बच्चे को जन्म देते समय नारी जो पीड़ा व व्यथा भोगती है, वह युद्ध में घायल हुए सैनिक से कम नहीं है। सच्चाई तो यह है कि नारियाँ अपनी बेवकूफी के कारण अपमान व उपेक्षा को सहन करती रहती हैं, परन्तु नारियों को समाज में उचित सम्मान मिले यह जरूरी है। परंतु ऐन का यह अभिप्राय नहीं है कि महिलाएँ बच्चे पैदा करने बंद कर दें। प्रकृति चाहती है कि महिलाएँ बच्चों को जन्म दें। समाज में औरतों का योगदान विशेष महत्त्व रखता है। ऐन का यह भी विचार है कि आने वाले काल में औरतों के लिए बच्चे पैदा करना कोई जरूरी नहीं होगा।

अब समय काफी बदल चुका है। अब महिलाओं की स्थिति में अभूतपूर्व परिवर्तन देखा जा सकता है। शिक्षित समाज में स्त्रियाँ पुरुषों से बेहतर हैं। उन्हें घर-परिवार, समाज, समूह, राष्ट्र सभी स्थानों पर सम्मान मिल रहा है। बच्चा पैदा करना या न करना अब नारी के हाथ में है। इसलिए ऐन फ्रैंक की डायरी में वर्णित नारी की स्थिति की तुलना में भारतीय नारी की हालत काफी बेहतर है। हमारे यहाँ नारियाँ सरकारी व गैर-सरकारी विभागों में नौकरियाँ कर रही हैं जिनमें से कुछ नारियाँ डॉक्टर हैं तो कुछ इंजीनियर हैं। शिक्षा जगत में तो नारियों ने अपना आधिपत्य जमा लिया है।

प्रश्न 12.
हिटलर अपने सैनिकों से मुख्य रूप से क्या पूछा करता था?
उत्तर:
हिटलर और उसके सैनिकों की बात को अकसर रेडियो पर प्रसारित किया जाता था। बातों का मुख्य विषय युद्ध में घायल हुए सैनिकों का हाल-चाल जानना होता था। हिटलर अपने घायल सैनिकों का हाल-चाल जानकर उनका उत्साह बढ़ाते थे। वे अकसर घायल सैनिकों के युद्ध-स्थान का नाम और उनके घायल होने के कारण के बारे में पूछते थे। घायल सैनिक उत्साहपूर्वक अपना नाम, घायल होने का स्थान तथा घायल होने के कारण भी बताते थे। वे बड़े गर्व के साथ अपनी वीरता का बखान करते थे।

प्रश्न 13.
ऐन की अज्ञातवास के समय क्या रुचियाँ थीं?
उत्तर:
अज्ञातवास के समय ऐन अपने-आपको व्यस्त रखने के लिए दूसरों से बातें करती रहती थी। वह उस समय के क्रूर शासन की गतिविधियों में भी रुचि रखती थी। आर्थिक संकट के विषय में सोचकर ऐन चिंतित हो जाती थी। ऐन की रेडियो सुनने में भी रुचि थी। वह तत्कालीन क्रूर शासक हिटलर की गतिविधियों में भी रुचि रखती थी तथा उस समय चल रहे युद्ध में भी ऐन रुचि रखती थी। जो लोग अज्ञातवास में उनकी सहायता कर रहे थे ऐन उनके प्रति दिल से शुक्रिया का भाव रखती थी। वह अपने साथी पीटर से बातचीत करने में भी रुचि रखती थी। ऐन युद्ध के समय तत्कालीन अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में भी रुचि रखती थी। अज्ञातवास के समय महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के प्रति भी विरोध जताती है।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने

प्रश्न 14.
ऐन ने अपने थैले में क्या-क्या भरा और क्यों?
उत्तर:
ऐन ने अपने थैले में एक डायरी, कर्लर, रूमाल, स्कूली किताबें, एक कंघी, कुछ पुरानी चिट्टियाँ आदि भर ली थीं। क्योंकि जहाँ वह जा रही थी, वहाँ से वस्तुएँ नहीं मिल सकती थीं।

प्रश्न 15.
ऐन फ्रैंक के नारी सम्बद्ध विचारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ऐन फ्रैंक भले ही आयु में कम थी, किन्तु उसकी सामाजिक सोच बहुत गम्भीर थी। उसने तत्कालीन नारी समाज की वस्तु स्थिति की ओर भी संकेत किए हैं। वह नारी की स्वतन्त्रता के पक्ष में थी। ऐन को यह बात पंसद नहीं है कि पुरुष कमा कर लाता है और परिवार का पालन-पोषण करता है। इस आधार पर वह नारियों पर रौब जमाता रहे। अब हालात ब अब तक पुरुष की ज्यादतियों को सहती चली आ रही थीं। सौभाग्य से अब शिक्षा तथा प्रगति ने औरतों की आँखें खोल दी हैं। कुछ पुरुषों ने भी अब इस बात को महसूस किया है कि इतने लम्बे अरसे तक इस तरह की स्थिति को झेलते जाना गलत ही था। आधुनिक महिलाएँ पूरी तरह स्वतन्त्र होने का हक चाहती हैं।

प्रश्न 16.
कैबिनेट मंत्री मिस्टर बोल्के स्टीन ने क्या घोषित किया था कि जिससे ऐन को खुशी मिली थी?
उत्तर:
कैबिनेट मंत्री मिस्टर बोल्के स्टीन ने लंदन में एक उच्च प्रसारण में घोषणा की थी कि युद्ध के बाद युद्ध का वर्णन करने वाली डायरियों व पत्रों का संग्रह किया जाएगा। ऐन ने कहा था कि मुझे प्रसन्नता है कि जब मैं इस गुप्त एनेक्सी के बारे में छपवाऊँगी तो लोग इसे जासूसी कहानी समझेंगे। यहूदियों के रूप में अज्ञातवास में रहते हुए हम लोगों के बारे में जानने की लोगों में उत्सुकता होगी।

प्रश्न 17.
जॉन और मिस्टर क्लीमेन के व्यवहार का परिचय दीजिए।
उत्तर:
जॉन और मिस्टर क्लीमेन ऐन के पिता के कार्यालय में काम करते थे। उन दोनों का व्यवहार बहुत ही सहज, सरल, और मानवीय था। वे दूसरों के दुःख-दर्द को अनुभव कर यथासम्भव सहायता व सहयोग करने वाले लोग थे। जब सब लोग अज्ञातवास में थे, उस समय भी उन्होंने ऐन के परिवार की सहायता की थी।

डायरी के पन्ने Summary in Hindi

डायरी के पन्ने लेखक-परिचय

प्रश्न-
ऐन फ्रैंक का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
ऐन फ्रैंक का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर:
जीवन-परिचय-ऐन फ्रैंक का जन्म 12 जून, 1929 को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट नगर में हुआ। उसकी मृत्यु नाज़ियों के यातनागृह में सन् 1945 के फरवरी या मार्च महीने में हुई। अज्ञातवास काल में ही ऐन फ्रैंक ने अपनी प्यारी किट्टी को संबोधित करते हुए डायरी लिखी थी। यह डायरी संसार की सर्वाधिक पढ़ी गई किताबों में से एक है। मूलतः इसका प्रकाशन सन् 1947 में डच भाषा में हुआ। सन् 1952 में यह डायरी ‘दी डायरी ऑफ़ द यंग गर्ल’ के नाम से अंग्रेज़ी में प्रकाशित हुई। तब से ले संपादित, असंपादित तथा आलोचनात्मक अनेक रूपों में प्रकाशित हो चुकी है। यह संसार की बहुचर्चित तथा बहुपठित डायरी मानी गई है जिसमें एक किशोर युवती की संवेदनशील भावनाओं का यथार्थ वर्णन किया गया है। इस पर फिल्म, नाटक तथा धारावाहिक भी बन चुके हैं।

डायरी के पन्ने पाठ का सार

प्रश्न-
ऐन फ्रैंक द्वारा रचित ‘डायरी के पन्ने’ नामक पाठ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी के शासकों के अत्याचारों के फलस्वरूप हॉलैंड के यहूदी परिवारों को असंख्य यातनाओं तथा पीड़ाओं को सहन करना पड़ा। यहूदियों ने गुप्त तहखानों में छिपकर अपने जीवन को बचाने का प्रयास किया। उन्हें शारीरिक तथा मानसिक यातनाएँ सहन करनी पड़ी। उन्होंने भूख, गरीबी और बीमारी को झेला। सरकार ने उनके साथ पशुओं जैसा व्यवहार किया। जर्मनी के शासकों ने गैस चैंबरों तथा फायरिंग स्कॉवओडों द्वारा लाखों यहूदियों को मृत्यु की नींद में सुला दिया। ऐसे काल में दो यहूदी परिवार ऐसे भी थे, जिन्होंने एक गुप्त आवास में दो वर्ष तक छिपकर जीवन व्यतीत किया। पहला, ऐन फ्रैंक का परिवार था, जिसमें माता-पिता के अतिरिक्त तेरह वर्षीय ऐन तथा सोलह वर्षीय उसकी बड़ी बहन मार्गोट थी। दूसरा परिवार वान दान दंपति का था। उनका सोलह साल का लड़का भी उनके साथ था। आठवाँ व्यक्ति मिस्टर डसेल था। फ्रैंक के ऑफिस में काम करने वा ईसाई कर्मचारियों ने उनकी खूब सहायता की।

ऐन फ्रैंक ने गुप्त आवास में जो दो वर्ष व्यतीत किए थे, उसकी जीवन-चर्या को डायरी में लिपिबद्ध किया। किंतु 4 अगस्त, 1944 को किसी ने आठों व्यक्तियों के बारे में सरकार को सूचित कर दिया और वे पकड़े गए। परंतु यह डायरी पुलिस के हाथों नहीं लगी। सन् 1945 में ऐन अकाल मृत्यु का शिकार हो गई। बाद में उसके पिता ओरो फ्रैंक ने सन् 1948 में इस डायरी को प्रकाशित करवाया। डायरी में ऐन ने अपनी किट्टी नामक गुड़िया को संबोधित करते हुए चिट्ठियाँ लिखी हैं। इसमें 13 वर्षीय ऐन फ्रैंक ने गुप्त आवासकाल के भय, आतंक, भूख, प्यास, मानवीय संवेदनाएँ, घृणा, हवाई हमले का भय, अकेलेपन की व्यथा, मानसिक और शारीरिक जरूरतों का यथार्थ वर्णन किया है। वस्तुतः यह डायरी यहूदियों पर किए गए अत्याचारों का जीवंत दस्तावेज कही जा सकती है। ‘डायरी के पन्ने’ का सार इस प्रकार है

HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने

बुधवार, 8 जुलाई, 1942-मेरी प्यारी किट्टी, रविवार से मेरे जीवन में जो परिवर्तन हुआ है, उसे तुम नहीं जानती। भले ही मैं जीवित हूँ, परंतु मेरी परिस्थितियों के बारे में कुछ मत पूछो। रविवार की दोपहर को मैं तीन बजे के लगभग बाल्कनी में धूप में अलसाई सी बैठी कुछ पढ़ रही थी। उसी समय मार्गोट ने धीमी आवाज से कहा कि पापा को ए०एस०एस०द्वारा बुलाए जाने का नोटिस मिला है, परंतु माँ पापा के बिजनेस पार्टनर तथा प्रिय मित्र वान दान को मिलने जा चुकी है। बुलावे का समाचार पाकर मैं हक्की-बक्की रह गई। इसका मतलब है यातना शिविर में नारकीय जीवन भोगना। माँ वान दान से यह पूछने गई थी कि कल ही दोनों परिवार छिपने वाले स्थान पर चले जाएँ। उधर पापा यहूदी अस्पताल में किसी मरीज को देखने गए हैं। उसी समय वान दान और माँ घर में आए और उन्होंने तत्काल दरवाजा बंद कर दिया। मैं और मार्गोट बेडरूम में बैठे बातें कर रहे थे। उस समय माँ और वान दान अकेले में वार्तालाप करना चाहते थे। इसलिए उनके कमरे में किसी और को नहीं जाने दिया।

तब मार्गोट ने कहा कि बुलावा पापा के लिए नहीं आया, बल्कि स्वयं उसके लिए आया है। यह सुनकर मैं चीख उठी। उस समय मेरी बहन की उम्र सोलह वर्ष की थी। मेरे मन में यह शंका थी कि हम कहाँ जाकर छिपेंगे। हम दोनों बहनों ने शीघ्र ही आवश्यक सामान थैले में डालना शुरू कर दिया। मैंने एक डायरी, कर्लर, रूमाल, स्कूली किताबें, एक कंघी, कुछ पुरानी चिट्ठियाँ थैले में रख ली थीं। बाद में हमने मिस्टर क्लिीमेन को फोन करके सांयकाल को अपने घर पर बुलाया। उधर मिस्टर वान मिएप को लेने चले गए। मिएप आ तो गई लेकिन वह रात को पुनः आने का वचन देकर चली गई। रात को वे दोनों सामान से भरा थैला लेकर आ गए। हम सभी इतने डरे हुए थे कि किसी ने खाना तक नहीं खाया। मिएप और जॉन गिएज रात के ग्यारह बजे पहुँचे। ये दोनों पति-पत्नी पापा के अच्छे मित्र थे। रात मुझे गहरी नींद आ गई। हम सबने अपने-अपने शरीर पर बहुत कपड़े पहने, क्योंकि कोई भी यहूदी सूटकेस लेकर नहीं आ सकता था। मिएप ने अपने थैले में स्कूली किताबें भर ली और अज्ञात स्थान के लिए चली गई। साढ़े सात बजे हम भी अज्ञात स्थान की ओर चल पड़े।

तुम्हारी ऐन गुरुवार, 9 जुलाई, 1942-प्यारी किट्टी, मैं और मम्मी-पापा थैले तथा शॉपिंग बैग लेकर तेज बारिश में भीगते हुए घर से निकल पड़े थे। सुबह-सुबह काम पर जाने वाले लोग हमें ध्यान से देख रहे थे। जब हम गली में प्रवेश कर गए तब मैंने मम्मी-पापा को बातें करते सुना कि हम सबको 16 जुलाई को अज्ञातवास में चले जाना होगा, परंतु अचानक मार्गोट के लिए बुलावा आ गया है। इसलिए हमें कुछ समय पहले जाना पड़ेगा। पापा के ऑफिस की इमारत में ही छिपने का स्थान बनाया गया था। इस इमारत के भू-तल में एक गोदाम था, जहाँ काली मिर्च, लौंग, इलायची की पिसाई होती थी। इस ऑफिस में बेप, मिएप, मिस्टर क्लीमेन काम करते थे। छोटे-से गलियारे में एक छोटा-सा बैंक ऑफिस था, जहाँ दम घोटने वाला अंधकार था, वहाँ मिस्टर कुगलर और वान दान बैठते थे। इस ऑफिस से बाहर निकलकर बंद गलियारे में चार सीढ़ियाँ चढ़कर एक ऑफिस बनाया गया था। जहाँ फर्नीचर, फर्श, कालीन, रेडियो, लैंप आदि सब कुछ था। ये सभी उत्तम दरजे की वस्तुएँ थीं। रसोईघर में दो हीटर तथा चूल्हे भी थे। पास ही एक शौचालय था। निचले गलियारे की सीढ़ियों के पास दूसरी मंजिल का रास्ता था। सीढ़ियों के ऊपर हमारी गुप्त एनेक्सी थी। उसके ऊपर फ्रैंक परिवार का कमरा था। एक छोटा-सा कमरा हम दोनों बहनों के लिए बना था।

ऊपर गुसलखाना, शौचालय, एक बिना खिड़कियों वाला कमरा था जिसमें एक वॉस बेसिन भी लगा हुआ था। ऊपर के एक कमरे में वान दान तथा उसकी पत्नी थी, जिसमें एक गैस चूल्हा तथा सिंक भी थी। तुम्हारी ऐन शुक्रवार, 10 जुलाई, 1942-मेरी प्यारी किट्टी, मैं तुम्हें बताना चाहती हूँ कि हम कहाँ पर आ गए हैं। मिएप हमें लंबे गलियारे से सीढ़ियों से ऊपर दूसरी मंजिल पर ले गई और फिर वह हमें एनेक्सी में ले गई। मार्गोट वहाँ पहले से ही थी। हमारी बैठक तथा दूसरे कमरे सामान से भरे पड़े थे। छोटा कमरा फर्श से लेकर छत तक कपड़ों से भरा पड़ा था। मैं और पापा सफाई करने लगे। माँ और मार्गोट थककर गद्दियों पर ही सो गईं। हम दिन-भर काम करते रहे। जब हम थक गए तो हम भी साफ बिस्तरों पर सो गए। अगले दिन हमने अधूरे काम को पूरा किया। बेप और मिएप हमारे राशन कुपन लेकर सामान लेने गए। इधर पापा ने ब्लैक कोड वाले पर्दे लगा दिए। बुधवार तक मैं इस घर की सफाई करने में लगी रही।

तुम्हारी ऐन शनिवार, 28 नवंबर, 1942-मेरी प्यारी किट्टी, इन दिनों हमारे घर में बिजली बहुत खर्च हो रही है। इसलिए अब हमें थोड़ी किफायत करनी होगी। साढ़े चार बजे अँधेरा हो जाता है, इसलिए हम पढ़ नहीं सकते। अनेक प्रकार की हरकतें करके हम समय काटते हैं। दिन में हम पर्दे को एक इंच भी नहीं हटा सकते थे। अंधकार हो जाने के बाद हम पर्दे हटाकर पड़ोसियों के घरों की ताका-झाँकी कर लेते हैं। मैं मिस्टर डसेल के साथ एक कमरे में रहती हूँ, जो एक अनुशासन-प्रिय व्यक्ति है, परंतु वह चुगलखोर भी है। वह अकसर मेरी मम्मी से शिकायत कर देता है जिससे मुझे मम्मी का उपदेश सुनना पड़ता है, जिससे पाँच मिनट बाद मम्मी मुझे अपने पास बुला लेती है। यदि परिवार वाले घर के किसी सदस्य को दुत्कारते तथा फटकारते रहें तो उन्हें सहन करना कठिन हो जाता है और मैं दिन-भर अपने कामों के बारे में सोचती हूँ। तब मैं हँसती भी हूँ और रोती भी हूँ। मैं चाहती हूँ कि मैं अपने-आपको बदलूँ। अब मैं और नहीं लिख सकती क्योंकि कागज खत्म हो गया है।

शुक्रवार, 19 मार्च, 1943-मेरी प्यारी किट्टी, हमें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि टर्की इंग्लैंड के साथ मिल गया है, परंतु दुख का समाचार यह है कि हजार गिल्डर का नोट अवैध मुद्रा घोषित किया जा चुका है। अगले हफ्ते तक पाँच सौ गिल्डर के नोट भी अवैध घोषित हो,जाएँगे। इन नोटों को बदलने के लिए जरूरी है कि उनका प्रमाण दिया जाए। जो लोग ब्लैक मार्किट का धंधा करते हैं, उनके लिए तो यह मुसीबत बन गई है क्योंकि उन लोगों के पास अपने धन का कोई हिसाब-किताब नहीं है। गिएज एंड कंपनी के पास जो हजार गिल्डर के नोट थे, वे अगली अदायगी में खर्च किए जा चुके थे। इसलिए अभी चिंता की कोई बात नहीं है। हमने
वितान (भाग 2) (डायरी के पन्ने]

रेडियो पर घायल हिटलर और उसके साथियों की बातें सुनीं जो अपने घावों की चर्चा कर रहे थे। वे अपने जख्म दिखाते हुए गर्व महसूस कर रहे थे। उनमें से एक हिटलर से हाथ मिलाने को इतना उत्साहित हो रहा था कि बोल भी नहीं पाया। मिसेज डसेल के साबुन पर मेरा पैर पड़ गया, जिससे वह पूरा साबुन ही नष्ट हो गया। उन्हें प्रति माह घटिया साबुन की एक ही बट्टी मिलती थी। मैंने अपने पापा से कहा कि उस साबुन की भुगताई कर दें।

तुम्हारी ऐन शुक्रवार, 23 जनवरी, 1944 मेरी प्यारी किट्टी, मुझे कुछ सप्ताहों से अपने परिवार के वंशजों और राजसी परिवारों के वंशजों की तालिकाओं में गहरी रुचि हो गई। मैं खोज करके अधिक-से-अधिक जानकारी हासिल करना चाहती थी। साथ ही मैं स्कूल का काम भी नियमित रूप से करती थी और रेडियो पर बी०बी०सी० की होम सर्विस को समझती थी।

रविवार को खाली बैठे मैं अपने प्रिय फिल्मी कलाकारों की तस्वीरें इकट्ठी करती थी और सोमवार को मिस्टर कुगलर जो पत्रिका देते थे उसे पढ़ती और देखती थी। परिवार के सभी सदस्य समझते थे कि मैं इन पत्र-पत्रिकाओं पर पैसा खराब कर रही हूँ। छुट्टी के दिन बेप अकसर अपने बॉयफ्रेंड के साथ फिल्म देखने जाती, लेकिन मैं पहले से ही उनको उस फिल्म के बारे में सब कुछ बता देती। इस पर मम्मी कहती कि इसे तो फिल्म देखने की कोई जरूरत नहीं है। जब मैं नई केश-सज्जा बनाकर बाहर आती हूँ तो घरवाले मुझे अवश्य ही टोकते हैं कि मैं फलाँ फिल्म स्टार की नकल कर रही हूँ। मेरा जवाब होता है कि यह स्टाइल मेरा अपना बनाया हुआ है। जब मैं सबकी बातें सुन-सुनकर बोर हो जाती हूँ तो गुसलखाने में जाकर अपने बाल फिर से खोल लेती हूँ। इससे मेरे बाल पहले जैसे धुंघराले बन जाते हैं।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने

तुम्हारी ऐन बुधवार, 28 जनवरी, 1944 मेरी प्यारी किट्टी, मैं तुम्हें हर रोज बासी खबरें सुनाती हूँ। तुम्हें मेरी बातें नाली के पानी की तरह नीरस लगेंगी। मैं क्या करूँ, मैं मजबूर हूँ। मुझे हर रोज वही बातें सुनानी पड़ती हैं। खाने के समय कभी-कभी राजनीति वाली बातें हो जाती हैं। कभी-कभी मझे अपनी मम्मी और वान दान की बचपन की बातें सननी पडती हैं जो हम हजार बा हैं। उधर डसेल हमें महँगे चॉकलेट, लीक करने वाली नौकाएँ, चार वर्षीय तैरने वाले बच्चे, रेस वाले घोड़े, पीड़ित माँसपेशियाँ और भयभीत मरीजों की कहानियाँ सुनाते हैं। हमें सभी किस्से याद हो गए हैं। अब कुछ नया सुनाने के लिए नहीं है। जब कोई बात करता है तो मैं बीच में टोकने का प्रयास नहीं करती। जॉन और मिस्टर क्लीमेन अज्ञातवास में छिपे लोगों की तकलीफें हमें सुनाते हैं।

जो लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, उनके प्रति हमारी सहानुभूति है। जो लोग कैद से मुक्त हो जाते हैं, उनकी खुशी में हम भी खुश हो जाते हैं। अज्ञातवास में रहना अब सामान्य-सी बात हो गई है। फ्री नीदरलैंड्स के लोग अपनी जान खतरे में डालकर अज्ञातवास में रहने वालों को धन की सहायता देते हैं। उनके लिए नकली पहचान-पत्र बनवाते हैं और ईसाई युवकों के लिए काम करते हैं। कुछ लोग हमारी भी सहायता कर रहे हैं। कुछ लोग जर्मनों के विरुद्ध युद्ध में भाग ले रहे हैं। कुछ हम जैसों की मदद कर रहे हैं। कुछ दिलचस्प बातें सुनने को मिली हैं। क्लीमेन ने बताया कि गेल्डरलैंड में पुलिसकर्मियों और भूमिगत लोगों के साथ फुटबॉल मैच हुआ। खुशी की बात है कि हिल्वरसम में भूमिगत लोगों को राशनकार्ड दिए गए। पर ये सब काम छिपकर किए जाते हैं।

तुम्हारी ऐन बुधवार, 29 मार्च, 1944-मेरी प्यारी किट्टी, कैबिनेट मंत्री मिस्टर बोल्के स्टीन ने लंदन में डच प्रसारण में यह घोषणा की कि युद्ध समाप्त होने के बाद उन डायरी तथा पत्रों का संग्रह किया जाएगा, जिसमें युद्ध का वर्णन किया गया है। मुझे यह जानकर खुशी है कि जब यह गुप्त एनेक्सी की कहानी छपेगी तो लोग इसे जासूसी कहानी समझेंगे। हम लोगों के बारे में जानकारी पाकर लोग उत्सुक हो जाएँगे। मैं तुम्हें यह बताना चाहती हूँ कि हवाई हमले के समय औरतें काफी डर जाती हैं। पिछले रविवार ब्रिटिश वायुसेना के 350 ब्रिटिश वायुयानों ने इज्मुईडेन पर 550 टन बारूद के गोले बरसाए। उस समय हमारा मकान घास की पत्तियों के समान काँपता दिखाई पड़ रहा था। मैं तुम्हें यह बताना चाहती हूँ कि यहाँ लोग लाइन बनाकर सामान खरीदते हैं।

चोरी का भय हमेशा बना रहता है। लोग हाथों में अंगूठियाँ नहीं पहनते। छोटे बच्चे भी चोरी करने लगे हैं। लोग चौराहे की घड़ियाँ तथा सार्वजनिक टेलीफोन भी उतार लेते हैं। डच लोग नैतिकता को छोड़ चुके हैं। सभी लोग भूख से परेशान हैं। हफ्ते का राशन सिर्फ दो दिन चलता है। बच्चे बीमारी तथा भूख से व्याकुल हो रहे हैं। फटे कपड़े तथा फटे-पुराने जूते पहनने पड़ते है। जूतों की मरम्मत के लिए चार-पाँच महीनों तक मोची की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। लोगों को जर्मनी भेजा जा रहा है। सरकारी अधिकारियों पर भी हमले बढ़ते जा रहे हैं। खाद्य कार्यालय और पुलिस अधिकारी लोगों की सहायता कर रहे हैं। यह गलत बात है कि लोग डच में गलत काम करते हैं।

तुम्हारी ऐन मंगलवार, 11 अप्रैल, 1944-मेरी प्यारी किट्टी, शनिवार का दिन है। 2 बजे के लगभग तेज गोलाबारी होने लगी। मशीनगर्ने भी चलने लगीं। रविवार को मेरे बुलाने पर पीटर साढ़े चार बजे मुझसे मिलने आया। हम ऊपर अटारी पर चले गए। उस समय रेडियो पर मोत्ज़ार्ट संगीत बज रहा था। हम दोनों एक पेटी पर सटकर बैठे हुए थे। मोश्ची भी हमारे साथ थी। पौने नौ बजे मिस्टर मिस्टर डसेल का कशन लेकर नीचे आ गए। इस पर डसेल हमसे नाराज हो गया। साढ़े नौ बजे पीटर ने पापा को ऊपर बुलाया। पिताजी, वान दान और पीटर जल्दी से नीचे गए और मैं, माँ, मार्गोट और मिसेज वान दान ऊपर इंतजार करने लगीं। एक जोरदार धमाके से हम सभी औरतें डर गई। दस बजे जब पापा ऊपर आए, तब वह घबराए हुए थे।

तब उन्होंने आज्ञा दी कि हम बत्तियाँ बुझाकर ऊपर चली जाएँ। डर था कि पुलिस आ रही है। सभी आदमी नीचे थे। घर में घना काला अंधकार था। फिर से दो जोरदार धमाके हुए। पता चला कि गोदाम का आधा फाटक गायब था। होम गार्ड्स को सावधान कर दिया। वे चारों धीरे-धीरे नीचे गए। उन्होंने देखा कि गोदाम में सेंधमार अपने काम में लगे हुए थे। पुलिस के डर के कारण सेंधमार भाग गए थे। किसी प्रकार फाटक फिर से बंद कर दिया गया। इसी बीच एक आदमी और एक औरत पुलिस वहाँ पहुँच गए। सभी आदमी ऊपर बुककेस के पीछे छिप गए थे।

मंगलवार, 13 जून, 1944 मेरी प्यारी किट्टी, अब मैं पंद्रह वर्ष की हो गई हूँ। जन्मदिन पर मुझे कलात्मक इतिहास की पुस्तक, चड्डियों का एक सेट, बैल्टें, जैम की शीशी, रूमाल, दही के दो कटोरे, ब्रेसलेट, मिठाई, मीठे मटर, वनस्पति विज्ञान की पुस्तक, लिखने की कापियाँ, चीज के स्लाइस, मारिया लेरेसा की एक किताब और गुलदस्ता मिला है। इधर मौसम बड़ा खराब है। हमले अभी भी जारी हैं। जो फ्रांसीसी गाँव ब्रिटिश कब्जे से मुक्त हो गए हैं, उन्हें देखने के लिए चर्चिल, स्मट्स आइजनहाबर तथा आर्मोल्ड आदि गए। इनमें चर्चिल बहुत ही बहादुर व्यक्ति है। ब्रिटिश सैनिक अपना उद्देश्य पूरा कर रहे हैं, परंतु हॉलैंड के लोग इस पक्ष में नहीं हैं कि वे ब्रिटिश पर कब्जा करें। वे चाहते हैं कि ब्रिटिश सैनिक लड़ाई करें और हॉलैंड को स्वतंत्र कराने के लिए खुद का बलिदान करें तथा आजादी मिलने पर माफी माँगते हुए हॉलैंड को छोड़कर चले जाएँ। इन्हें यह नहीं पता कि ब्रिटेन जर्मनी के साथ सुलह कर लेता तो हॉलैंड जर्मनी बन गया होता।

डच लोगों को यह समझाना जरूरी है कि जर्मन हमारे हमलावर हैं और ब्रिटेन हमारे रक्षक हैं। मैं हर समय विचारों में डूबी रहती हूँ। मुझ पर आरोप लगाए जाते हैं तथा डाँट-फटकार भी सुननी पड़ती है। मुझे अपनी कमजोरियों और खामियों का पता है। मैं स्वयं को बदलना चाहती हूँ। सभी मुझे अक्खड़ मानते हैं। मिसेज वान दान और डसेल मुझ पर आरोप लगाते रहते हैं, लेकिन मैं जानती हूँ कि मिसेज वान दान मुझसे भी अधिक अक्खड़ हैं। उनका कहना है कि मेरी पोशाकें छोटी हैं। उनकी अपनी पोशाकें भी छोटी पड़ गई हैं। वे मुझे तीसमारखाँ कहती हैं, जबकि वे मुझसे अधिक तीसमारखाँ हैं।

वे अकसर उन विषयों के बारे अधिक बोलती हैं, जिनके बारे में उन्हें कुछ पता नहीं है लेकिन मैं बहुत कुछ जानती हूँ जब मैं अपनी तुलना किसी से करती हूँ तो अपने आप को धिक्कारने लगती हूँ। माँ के उपदेश सुन-सुनकर मैं तंग आ चुकी हूँ। इससे मेरी कब मुक्ति होगी। मेरा विचार है कि मुझे कोई नहीं समझता, मेरी भावनाओं को कोई नहीं समझता। मैं चाहती हूँ कि कोई ऐसा व्यक्ति हो जो मेरी भावनाओं को समझ सके। मेरा विचार है कि पीटर मुझे दोस्त समझकर प्यार करता है, गर्लफ्रेंड समझकर नहीं। उसका प्रेम हर दिन बढ़ता चला जा रहा है पर कोई रहस्यात्मक शक्ति हमें पीछे धकेल रही है।

मैं कई बार सोचती हूँ कि मैं पीटर के पीछे प्रेम में दीवानी हो चुकी हूँ। जब मैं उससे नहीं मिलती तो परेशान हो जाती हूँ। पीटर एक भला लड़का है, पर उसके धर्म के प्रति विचार उचित नहीं हैं। वह हर समय खाने की बातें करता रहता है इसलिए हम दोनों ने निर्णय किया है कि हम आपस में कभी झगड़ा नहीं करेंगे। वह बहुत शांतिप्रिय, सहनशील तथा बहुत-ही सहज आत्मीय व्यक्ति है। वह मेरी गलत बातों को भी सहन कर लेता है। वह चाहता है कि काम-काज में सही तरीका व सही सलीका हो। कोई उस पर आरोप न लगाए। परंतु वह अपने दिल की बात मुझसे नहीं बताता है। वह एक घुन्ना व्यक्ति है।

मैंने और पीटर ने कुछ दिन इकट्ठे एनेक्सी में बिताए हैं। हमने वर्तमान, भविष्य तथा भूतकाल की बातें की हैं। मैं बहुत दिनों से घर से बाहर नहीं निकली। मैं प्रकृति का आनंद लेना चाहती हूँ। एक दिन गर्मी की रात के साढ़े ग्यारह बजे थे। मैं चाँद को देखना चाहती थी। बाहर चाँदनी की तीव्रता थी। इसलिए मैं खिड़की नहीं खोल पाई। अन्ततः एक दिन मैंने बरसात के समय खिड़की खोलकर रात में तेज हवाओं और बादलों को देखा। डेढ़ बरस में पहली बार मुझे यह मौका मिला था। .

आसमान, बादलों, चाँद, तारों को देखकर मुझे शांति मिलती है और आशा की भावना ने मुझको बोर कर दिया। शांति तो रामबाण दवा के समान है। प्रकृति के वरदान की समता कोई नहीं कर सकता। मेरा विचार है कि पुराणों में शारीरिक क्षमता अधिक होती है। इसलिए वे औरतों पर आरंभ से शासन करते हैं। पुरुष कमाकर लाता है, बच्चों का पालन-पोषण करता है और जो मन में आए वही करता है। औरतें इस बेवकूफी का शिकार बनती हैं। परंतु यह प्रथा बहुत पुरानी पड़ चुकी है। अब शिक्षा, प्रगति और काम ने औरतों को जागृत कर दिया है। कुछ देशों में औरतों को पुरुषों के बराबर हक मिल चुके हैं, परंतु औरत आज पूर्ण स्वतंत्रता चाहती है। मेरा विचार है कि औरतों को भी पुरुषों को समान उचित सम्मान मिलना चाहिए।

औरतों को सैनिकों-सा कहीं अधिक यंत्रणा को सहन क दर्जा मिलना चाहिए। युद्ध में लड़ते समय सैनिक जिस पीड़ा और यत्रंणा को सहन करते हैं औरतें बच्चे को जन्म देते समय उससे को सहन करती हैं, ऐसा मैंने पढ़ा है। परंत बच्चा पैदा करने के बाद औरत की संदरता नष्ट हो जाती है। औरत के कारण ही मानव जाति आगे बढ़ रही है। वह बहुत अधिक मेहनत करती है, पर पुरुष उसे उचित सम्मान नहीं देता। मेरा कहना है कि औरतों को बच्चे पैदा नहीं करने चाहिएँ। मैं ऐसे पुरुषों की निंदा करती हूँ जो समाज में औरतों के योगदान को महत्त्व नहीं देते। मैं इस पुस्तक के लेखक श्री पोल दे क्रुइफ से पूरी तरह सहमत हूँ कि सभ्य समाज में औरतों द्वारा बच्चे पैदा करना अनिवार्य काम नहीं है क्योंकि औरत के समान पुरुष को इस तरह गुजरना नहीं पड़ता। मेरा विचार है कि अगली सदी तक यह धारणा बदल जाएगी कि औरतों का काम सिर्फ बच्चे पैदा करना है। आने वाले समय में औरतों को अधिक सम्मान तथा आदर प्राप्त होगा।
तुम्हारी
ऐन फ्रैंक

कठिन शब्दों के अर्थ

अलसाई सी = आलस्य से युक्त। बिजनेस पार्टनर = व्यापार का साँझीदार। नज़ारे = दृश्य। हर्गिज़ = बिल्कुल। अज्ञातवास = छिपकर रहना। आतंकित = डरे हुए। कुलबुलाना = उथल-पुथल मचाना, व्याकुल होना। अफसोस = पछतावा। अजीबो-गरीब = विचित्र आश्चर्यजनक। स्मृति = यादें। पोशाक = पहनने वाले वस्त्र। मायने = अर्थ। स्टॉकिंग्स = लंबी जुराबें जो पूरी टाँगों को ढक लेती हैं। सन्नाटा = चुप्पी, मौन। अजनबी = अपरिचित। घोड़े बेचकर सोना = चिंता रहित सोना। किस्मत = भाग्य। बदन = शरीर। वजह = कारण। परवाह = चिंता करना। दिलचस्पी = रुचि । अरल्लम-गरल्लम = उल्टी-सीधी। बेचारगी = मजबूरी, लाचारी। निगाह = नज़र। वाहन = सवारी। दास्तान = विवरण, कथा। दौरान = मध्य, बीच में। यानी = अर्थात। गलियारा = संकरा रास्ता। दमघोंटू = साँस को रोकने वाला। पैसज = गलियारा। जरिया = द्वारा। सपाट = साधारण। बेडरूम = सोने का कमरा। स्टडीरूम = पढ़ने का कमरा। गुसलखाना = नहाने का कमरा। गरीबखाना = रहने का मकान। बखान = वर्णन। किस्सा = कहानी, वर्णन। राह देखना = इंतजार करना। अटा पड़ा = भरा हुआ। तरतीब = ढंग से, क्रमानुसार। पस्त = निढाल, थकी हुई।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने

ढह गए = गिर गए। फुर्सत = समय की कमी। इस्तेमाल = प्रयोग करना। किफायत = कम खर्चा करना। पखवाड़े = पंद्रह दिन का समय। अरसा = समय, वक्त। तरीका = उपाय। डिनर = रात का भोजन। दरअसल = वास्तव में। शेयर करना = भाग लेना। खरादेमाग = उल्टा-सीधा सोचने वाला, अक्खड़। तुनकमिजाज = जल्दी क्रोध करने वाला। वाकई = सचमुच। मीनमेख निकालना = कमियाँ निकालना। दुत्कारना-फटकारना = धमकाना। खामी = कमी। आसान = सरल। अजीब = विचित्र । ख्याल = विचार । तटस्थता = निष्पक्षता। भूमिगत = छिपकर रहना। अफवाह = झूठी बात। सुबूत = प्रमाण। हफ्ता = सत्ता। अनुमानित = लगभग। अदा करना = चुकाना। अदायगी = चुकाने की प्रक्रिया। फिलहाल = इस समय। गर्दन पानी के ऊपर होना = सुरक्षित होना, कुशलमंगल होना। कायदे-नियम = पत्राचार, पत्र-व्यवहार। कारोबार = व्यापार। सवाल-जवाब = प्रश्नोत्तर। सिलसिला = क्रम। महसूस करना = अनुभव करना। वंश वृक्ष = परिवार की वंशावली। खासी = अधिक। अतीत = गुजरा हआ समय। मेहरबान = दयाल । फरटि = तेजी से। फिकरा कसना = ताने म न होना। टोक देना = बीच में रोकना। फलाँ = अमुक। कान पकना = सुनने की इच्छा न होना।

जुगाली = बार-बार चबाने की प्रक्रिया। जरा = तनिक। हिमाकत = अशिष्टता। दिवाला पिटना = सारा धन समाप्त हो जाना। तकलीफ = कष्ट। हमदर्दी = सहानुभूति। प्रतिरोधी दल = मुकाबला करने वाला दल। वित्तीय = आर्थिक। रोजाना = हर रोज, प्रतिदिन। मनि खुशदिल = प्रसन्नचित्त। उपहार = भेंट। मदद = सहायता। दिलचस्प = रोचक। आग्रह = अनुरोध। मोची = जूतों की मरम्मत करने वाला व्यक्ति। मर्द = पुरुष। आमंत्रण = बुलावा। अटारी = मकान की ऊपर की मंजिल का कमरा। खूबसूरत = सुंदर। दिव्य = अलौकिक। सटकर बैठना = पास-पास। खफा = नाराज। प्रहसन = हास्य नाटक। दाल में काला = कुछ गड़बड़ होना। सेंधमारी = चोरी करना। आशंका = डर। निगाह = नजर। ताला जड़ना = ताला लगाना। थरथराना = काँपना। निष्फल = बेकार। ढिठाई = धृष्टता। फटाफट = जल्दी, शीघ्र । जुटा नहीं पाना = व्यवस्था न कर पानी। उपहार = भेंट। जन्मजात = जन्म से, पैदायशी। ब्रिटिश = ब्रिटेन की सरकार। नफरत = घृणा। वाहियात = बेकार की बातें, बकवास। बुढ़ाते = वृद्ध व्यक्ति। प्रताड़ित करना = मारना, कष्ट देना। ताकत = शक्ति। सांत्वना = दिलासा देना, संतोष। आत्मीय = अपनापन। इल्ज़ाम = आरोप। घुन्ना = चुप रहने वाला। मंत्रमुग्ध = ध्यान में मग्न, वशीभूत । साक्षात्कार = भेंट, इंटरव्यू। उत्कट चाह = तीव्र अभिलाषा। सराबोर = पूर्ण करना। विनम्रता = शालीनता से। वाहियात = बेकार की बातें। स्वतंत्र = आजाद। सानी = मुकाबला। अलंकृत = सुशोभित। जनना = पैदा करने वाली। भर्त्सना = निंदा, चुगली। डींग हाँकना = झूठी प्रशंसा करना। हकदार = असली मालिक।

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HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

Haryana State Board HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

HBSE 12th Class Hindi सिल्वर अतीत में दबे पाँव Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सिंधु-सभ्यता साधन-संपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था, कैसे?
उत्तर:
सिंधु सभ्यता का नगर सुनियोजित था जिसमें पानी की समुचित व्यवस्था थी। मुख्य सड़कें चौड़ी थीं और अन्य छोटी थीं। इस सभ्यता के लोगों का मुख्य काम खेती करना था। इन्हें ताँबे और काँसे का पता था। यहाँ की खुदाई में मिले काँसे के बर्तन, चाक पर बने विशाल मिट्टी के बर्तन, उन पर की गई चित्रकारी, चौपड़ की गोटियाँ, कंघी, ताँबे का दर्पण, मनके के हार, सोने के आभूषण आदि यह सिद्ध करते हैं कि सिंधु सभ्यता साधन-संपन्न थी। ये लोग अपने यहाँ से निर्यात भी करते थे और बाहर से ऊन के वस्त्र आयात भी करते थे। यातायात के लिए वे बैलगाडियों का प्रयोग करते थे। उनके भंडार हमेशा अनाज से भरे रहते थे। गेहूँ, ज्वार, बाजरा, कपास आदि इनकी मुख्य फसलें थीं। उनके घरों में गृहस्थी की सभी आवश्यक सुविधाएँ थीं। वे साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखते थे।

उनकी कला-कृतियों से पता चलता है कि वे सुरुचि संपन्न लोग थे और उन्हें सौंदर्य-बोध का समुचित ज्ञान था। उनकी कला संस्कृति राज-पोषित व धर्म-पोषित न होकर समाज-पोषित थी। साधन-संपन्न होने के बावजूद इस सभ्यता में भव्यता का आडंबर नहीं था। न ही वहाँ कोई भव्य प्रसाद था और न ही मंदिर। यहाँ तक कि राजाओं और महंतों की समाधियाँ भी यहाँ नहीं थीं। यहाँ के मूर्तिशिल्प या औजार छोटे थे। मकान भी छोटे थे और उनके कमरे भी छोटे थे। राजा का मुकुट भी छोटा और नाव भी छोटी थी। किसी भी वस्तु से इस सभ्यता में आडंबर का एहसास नहीं होता। इसलिए यह कहना सर्वथा उचित है कि सिंधु सभ्यता साधन-संपन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था।

प्रश्न 2.
“सिंधु-सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य-बोध है जो राज-पोषित या धर्म-पोषित न होकर समाज-पोषित था।’ ऐसा क्यों कहा गया?
उत्तर:
उस काल के मनुष्यों की दैनिक प्रयोग की वस्तुओं को देखकर यह प्रतीत होता है कि सिंधु घाटी के लोग कला प्रिय थे। वास्तुकला में वे अत्यधिक प्रवीण थे। वहाँ पर धातु तथा मिट्टी की मूर्तियाँ मिली हैं तथा चाक के बने बर्तन मिले हैं जिन पर चित्र बने हुए हैं। वनस्पति, पशु-पक्षी की छवियाँ, मुहरें, खिलौने, आभूषण, केश-विन्यास, ताँबे का बर्तन, कंघी तथा सुघड़ लिपि भी प्राप्त हुई है। ये सब उपलब्धियाँ इस सभ्यता के सौंदर्य-बोध को प्रमाणित करती हैं। यहाँ भव्य मंदिरों, स्मारकों आदि के कोई अवशेष नहीं मिले। ऐसा कोई चित्र या मूर्ति प्राप्त नहीं हुई जिससे पता चले कि ये लोग प्रभुत्व तथा आडंबर प्रिय हों। यहाँ से प्राप्त सौंदर्य-बोध जन-सामान्य से जुड़ा प्रतीत होता है। लगता है कि यहाँ की कला-संस्कृति को राजा तथा धर्म का कोई प्रश्रय नहीं मिला। इसलिए यह कहना समीचीन होगा कि सिंधु सभ्यता का सौंदर्य-बोध राज-पोषित या धर्म-पोषित न होकर समाज-पोषित था।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

प्रश्न 3.
पुरातत्त्व के किन चिह्नों के आधार पर आप यह कह सकते हैं कि “सिंधु सभ्यता ताकत से शासित होने की अपेक्षा समझ से अनुशासित सभ्यता थी।”
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो के अजायबघर में जिन वस्तुओं तथा कलाकृतियों का प्रदर्शन किया गया है, उनमें औजार तो हैं परंतु हथियार नहीं हैं। आश्चर्य की बात यह है कि मुअनजो-दड़ो हड़प्पा से लेकर हरियाणा तक संपूर्ण सिंधु सभ्यता में किसी भी जगह हथियार के अवशेष नहीं मिले। इससे पता चलता है कि वहाँ कोई राजतंत्र नहीं था, बल्कि समाजतंत्र था। यदि इस सभ्यता में शक्ति का कोई केंद्र होता तो उसके चित्र अवश्य मिलते। इस सभ्यता के नरेश का मुकुट भी बहुत छोटा मिला है। राजमहल, मंदिर, समाधि के कोई चिह्न नहीं मिले हैं। इससे स्वतः स्पष्ट हो जाता है कि इस सभ्यता में सत्ता का कोई केंद्र नहीं था। यह सभ्यता स्वतः अनुशासित थी, ताकत के बल पर नहीं। इसलिए पुरातत्त्ववेत्ताओं का यह विचार है कि शायद इस सभ्यता में कोई सैन्य सत्ता न हो। यहाँ के लोग अपनी सोच-समझ के अनुसार ही अनुशासित थे।

प्रश्न 4.
‘यह सच है कि यहाँ किसी आँगन की टूटी-फूटी सीढ़ियाँ अब आपको कहीं नहीं ले जाती; वे आकाश की तरफ अधूरी रह जाती हैं। लेकिन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर हैं, वहाँ से आप इतिहास को नहीं, उस के पार झाँक रहे हैं। इस कथन के पीछे लेखक का क्या आशय है?
उत्तर:
पुरातत्त्ववेत्ताओं का विचार है कि मुअनजो-दड़ो की सभ्यता पाँच हजार वर्ष पुरानी है। जबकि हमारे पास लिपिबद्ध इतिहास चौथी शताब्दी ई०पू० से ही उपलब्ध हो जाता है। इससे पता चलता है कि सिंधु सभ्यता वर्तमान इतिहास के काल से दुगुने काल की है। मुअनजो-दड़ो की खुदाई में मिली टूटी-फूटी सीढ़ियों पर पैर रखकर हम किसी छत पर नहीं पहुँच सकते परंतु जब हम इन सीढ़ियों पर पैर रखते हैं तो हमें गर्व होता है कि हमारी सभ्यता उस समय सुसंस्कृत तथा उन्नत सभ्यता थी जबकि शेष संसार में उन्नति का सूर्य अभी प्रकट भी नहीं हुआ था। अन्य शब्दों में, हम कह सकते हैं कि सिंधु घाटी सभ्यता संसार की शिरोमणि सभ्यता है। हम इतिहास के पार देखते हैं कि इस सभ्यता के विकास में एक लंबा समय लगा होगा। मुअनजो-दड़ो की वास्तुकला आज के सुनियोजित नगरों के लिए आदर्श नमूना है। यदि आज के महानगरों में चौड़ी सड़कें हों तो आज यातायात में कोई बाधा नहीं आएगी। उन लोगों की सोच कितनी उत्तम थी कि उनके घरों के दरवाजे मुख्य सड़कों की ओर नहीं खुलते थे, जबकि आज सब कुछ विपरीत है।

प्रश्न 5.
टूटे-फूटे खंडहर, सभ्यता और संस्कृति के इतिहास के साथ-साथ धड़कती जिंदगियों के अनछुए समयों का भी दस्तावेज़ होते हैं इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो तथा हड़प्पा के टूटे-फूटे खंडहरों को देखने से हमारे मन में यह भाव उत्पन्न होता है कि आज से पाँच हजार वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों की सभ्यता कितनी विकसित तथा साधन संपन्न थी। ये खंडहर हमें सिंधु घाटी सभ्यता तथा संस्कृति से परिचित कराते हैं। हमारे मन में यह विचार पैदा होता है कि हम लोग उन्हीं लोगों की संतान हैं जो यहाँ रहते थे। हम किसी-न-किसी प्रकार से इस सभ्यता से जुड़े हैं। ये हमारे ही पूर्वजों के घर थे। परंतु हमारा दुर्भाग्य है कि हम आज केवल दर्शक बनकर रह गए हैं। इन खंडहरों को देखकर हम ये कल्पना कर सकते हैं कि यहाँ हजारों साल पहले कितनी चहल-पहल रही होगी और लोगों के मन में कितनी खुश-शांति रही होगी। काश हम भी उनके पद-चिह्नों का अनुसरण कर पाते। ये खंडहर हमारे उस प्राचीन सभ्यता के प्रमाण हैं जिन्हें हम कभी नहीं भुला पाएँगे।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

प्रश्न 6.
इस पाठ में एक ऐसे स्थान का वर्णन है, जिसे बहुत कम लोगों ने देखा होगा, परन्तु इससे आपके मन में उस नगर की एक तसवीर बनती है। किसी ऐसे ऐतिहासिक स्थल, जिसको आपने नज़दीक से देखा हो, का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर:
इस पाठ में मुअनजो-दड़ो के अवशेषों का चित्रात्मक वर्णन किया गया है। भले ही हमने इस स्थान को न देखा हो पर पाठ को पढ़ने से वहाँ के मकानों, बौद्ध स्तूप, चौड़ी सड़कों, नालियों, चित्रकारी, कलाकारी आदि के चित्र हमारी आँखों के सामने झूल जाते हैं। सचमुच मुअनजो-दड़ो की सभ्यता संसार की सर्वाधिक विकसित सभ्यता कही जा सकती है।

कुछ महीने पहले हमारे विद्यालय के शिक्षकों ने दिल्ली के ऐतिहासिक स्थानों पर घूमने का कार्यक्रम बनाया था। मैंने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। इतिहास का विद्यार्थी होने के कारण मैं ऐतिहासिक स्थल देखने की अधिक रुचि रखत हम सबसे पहले लालकिला देखने गए। प्रस्तुत पाठ को पढ़ने के बाद मैं लालकिले के बारे में एक बार यह हमारे देश का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थान है। मुगल बादशाह शाहजहाँ ने इस किले का निर्माण करवाया था। इसकी भव्यता दूर से ही व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करती है। यमुना नदी के किनारे पर बने इस किले में लाल पत्थरों का प्रयोग किया गया है।

इसके मुख्य द्वार की शोभा तो अत्यधिक आकर्षक है। इसी द्वार की छत पर हमारे प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा झंडा फहराते हैं। किले में अनेक महल बने हैं जिनमें संगमरमर का प्रयोग किया गया है। शाहजहाँ के काल में महलों की दीवारों पर सोने की नक्काशी की गई थी। दीवाने-आम तथा दीवाने-खास को देखकर दर्शकों की आँखें भौचक्की हो जाती हैं। परंतु लालकिले की सभ्यता भव्यता लिए हुए है और यह राजशक्ति का प्रमाण है। इसके मुकाबले में सिंधु घाटी सभ्यता राज-पोषित न होकर समाज-पोषित है। इसलिए मन में कभी-कभी ख्याल आता है कि शाहजहाँ ने तत्कालीन जनता का कितना शोषण किया होगा।

प्रश्न 7.
नदी, कुएँ, स्नानागार और बेजोड़ निकासी व्यवस्था को देखते हुए लेखक पाठकों से प्रश्न पूछता है कि क्या हम सिंधु घाटी सभ्यता को जल-संस्कृति कह सकते हैं? आपका जवाब लेखक के पक्ष में है या विपक्ष में? तर्क दें।
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो सिंधु नदी के समीप बसा था। नगर में लगभग सात सौ कएँ थे। प्रत्येक घर में स्नानागार व जल निकासी की बेजोड़ व्यवस्था थी। अतः लेखक द्वारा सिंधु घाटी सभ्यता को जल-संस्कृति कहना उचित है। इस संदर्भ में निम्नलिखित प्रमाण दिए जा सकते हैं

  • आज भी संसार में बड़े-बड़े नगर तटों के पास बसे हैं। मुअनजो-दड़ो के पास ही सिंधु नदी थी।
  • पीने के पानी के लिए नगर में लगभग सात सौ कुओं की व्यवस्था थी। प्रत्येक घर में स्नानागार था।
  • जल निकासी की व्यवस्था इतनी अच्छी थी कि आज भी विकसित नगरों में ऐसी व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। प्रत्येक नाली पक्की ईंटों से निर्मित थी और ईंटों से ढकी थी।
  • आज के नगरों तथा कस्बों में बदबू छोड़ती नालियाँ व गंदे नाले देखे जा सकते हैं।
  • यहाँ के मकान छोटे थे तथा कमरे भी छोटे-छोटे थे ताकि अधिकाधिक लोगों को आवासीय सुविधा प्राप्त हो सके। मुअनजो-दड़ो में जल की समुचित व्यवस्था को देखकर यह कहा जा सकता है कि सिंधु घाटी सभ्यता जल-संस्कृति का श्रेष्ठ उदाहरण है।

प्रश्न 8.
सिंधु घाटी सभ्यता का कोई लिखित साक्ष्य नहीं मिला है। सिर्फ अवशेषों के आधार पर ही धारणा बनाई है।
नजो-दड़ो के बारे में जो धारणा व्यक्त की गई है, क्या आपके मन में इससे कोई भिन्न धारणा या भाव भी पैदा होता है? इन संभावनाओं पर कक्षा में समूह-चर्चा करें।
उत्तर:
सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में पुरातत्त्ववेत्ताओं ने काफी कुछ लिखा है। यह निश्चित है कि इस सभ्यता के बारे में लिखित प्रमाण नहीं मिला। हमें केवल अवशेषों के आधार पर अवधारणा बनानी पड़ी है। लेखक ने मुअनजो-दड़ो के बारे में जो धारणा व्यक्त की है वह काफी हद तक सही प्रतीक होती है क्योंकि हमें मुअनजो-दड़ो तथा हड़प्पा की खुदाई करने पर जो अवशेष मिले हैं उस आधार पर सिंधु घाटी का अनुमान लगाया गया है। भले ही कुछ लोग इन अनुमानों की सत्यता पर शंका व्यक्त करें, पर शंका व्यक्त करने का कोई तर्कसंगत प्रमाण नहीं मिलता। हमें तो केवल अवशेषों को ही प्रमाण मानना है। यहाँ से प्राप्त अवशेषों के काल का निर्धारण
रे पास कई वैज्ञानिक उपकरण हैं और पुरातत्त्ववेत्ताओं ने उनकी आवश्यक सहायता लेकर इस सभ्यता का काल निर्णय किया है। जहाँ तक आलोचकों का प्रश्न है वे अनेक तर्क देकर अपनी विभिन्न धारणाएँ व्यक्त कर सकते हैं।

HBSE 12th Class Hindi अतीत में दबे पाँव Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
मुअनजोदड़ो कहाँ बसा हुआ था? इसे विशेष प्रकार से क्यों बसाया गया था?
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो के विशेषज्ञों ने यह अनुमान लगाया है कि यह नगर अपने समय में सभ्यता का केंद्र रहा होगा। ऐसा माना जाता है कि यह क्षेत्र 200 हैक्टेयर क्षेत्र में फैला था और इसकी जनसंख्या 85 हजार के लगभग रही होगी। पाँच हजार वर्ष पूर्व यह नगर महानगर की परिभाषा को स्पष्ट करता है। भले ही सिंधु घाटी एक मैदानी संस्कृति थी परंतु सिंधु नदी को सैलाब से बचाने के लिए उसे छोटे-छोटे टीलों पर बनाया गया था। विद्वानों का विचार था कि ये टीले प्राकृतिक नहीं थे बल्कि पक्की व कच्ची ईंटों से धरती की सतह को ऊँचा उठाकर उस पर बनाए गए थे। यह वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण था। भले ही यहाँ की इमारतें खंडहर बन चुकी हैं, नगर व गलियों के विस्तार से यह स्पष्ट हो जाता है कि नगर का नियोजन पूर्णतया सुनियोजित था। यह नगर सिंधु नदी से पाँच किलोमीटर की दूरी पर बना था। स्तूप वाले चबूतरे के पीछे ‘गढ़’ और सामने ‘उच्च’ वर्ग की बस्ती तथा दक्षिण की ओर के खंडहरों में कामगारों की बस्ती है।

सामूहिक स्थान के लिए 40 फुट लंबा, 25 फुट चौड़ा, 7 फुट गहरा कुंड था जिसमें उत्तर तथा दक्षिण से सीढ़ियाँ उतरती थीं। इसके तीन तरफ साधुओं के कक्ष बने थे। कुंड के पानी की निकासी के लिए नालियाँ भी थीं। कुंड के दूसरी ओर विशाल कोठार था। कुंड उत्तर:पूर्व में एक लंबी इमारत थी जिसमें दालान तथा बरामदे बने थे। दक्षिण में 20 कमरों वाला एक विशाल मकान था। नगर की मुख्य सड़कों की चौड़ाई 33 फुट तक थी। परंतु गलियों की सड़कें 9 फुट से 12 फुट तक चौड़ी थीं। प्रत्येक घर में एक स्नानघर था और घरों के भीतर पानी की निकासी की व्यवस्था भी थी। बस्ती के भीतर छोटी सड़कें व गलियाँ थीं। इस नगर में कुओं का उचित प्रबंध था जोकि पक्की ईंटों से निर्मित थे। नगर में यदि छोटे घर थे, तो बड़े घर भी थे। पर सभी पंक्तिबद्ध थे। घर के कमरे छोटे थे ताकि आवास की समस्या का हल निकाला जा सके। संपूर्ण नगर की वास्तुशैली एक ही प्रकार की प्रतीत होती है। इसलिए यह नगर वास्तुकला की दृष्टि से सुनियोजित और सुव्यवस्थित रहा होगा।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

प्रश्न 2.
‘अतीत में दबे पाँव’ पाठ के आधार पर बौद्ध स्तूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो के जो खंडहर प्राप्त हुए हैं उनमें सबसे ऊँचे चबूतरे पर एक बौद्ध स्तूप के अवशेष मिले हैं। इसका चबूतरा 25 फुट ऊँचा है। लेखक का कथन है कि इसका निर्माणकाल 26 सौ वर्ष पहले का है। चबूतरे पर भिक्षुओं के लिए अलग-अलग कमरे बने हुए हैं। यह बौद्ध स्तूप भारत का प्राचीनतम लैंडस्केप कहा जा सकता है। इसे देखकर दर्शक आश्चर्यचकित रह जाता है। पुरातत्त्वविदों के अनुसार, मुअनजो-दड़ो के स्तूप वाला भाग ‘गढ़’ है जिसके सामने एक बस्ती है जिसका संबंध शायद उच्च वर्ग से है। इसके पीछे पाँच किलोमीटर की दूरी पर सिंधु नदी है।

प्रश्न 3.
‘अतीत में दबे पाँव’ नामक पाठ के आधार पर महाकुंड का वर्णन करें।
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो में एक तालाब भी मिला है। इसे पुरातत्त्वविदों ने महाकुंड का नाम दिया है। इसकी लंबाई 40 फुट, चौड़ाई 25 फुट तथा गहराई 7 फुट है। उत्तर और दक्षिण से सीढ़ियाँ कुंड में उतरती हैं। उत्तर दिशा में दो पंक्तियों में 8 स्नानघर भी बने हुए हैं। इसके बारे में लेखक लिखता है-‘वह अनुष्ठानिक महाकंड भी है जो सिंधु घाटी सभ्यता के अद्वितीय वास्तुकौशल को स्थापित करने के लिए अकेला ही काफी माना जाता है। कुंड से पानी को बाहर निकालने के लिए नालियाँ बनी हुई हैं। ये सभी नालियाँ ईंटों से बनी हैं तथा ईंटों से ढकी हुई हैं। कुंड के तीन तरफ साधुओं के कक्ष हैं। इस कुंड की विशेष बात यह है कि इसमें पक्की ईंटों का जमाव है। कुंड का पानी रिस न सके और बाहर का अशुद्ध पानी कुंड में न आए, इसके लिए कुंड के तल में और दीवारों पर ईंटों के बीच चूने और चिरोड़ी के गारे का प्रयोग किया गया है। पार्श्व की दीवारों के साथ दूसरी दीवार खड़ी की गई है। कुंड के पानी के प्रबंध के लिए एक तरफ कुआँ है। दोहरे घेरे वाला यह अकेला कुआँ है। कुंड के पानी को बाहर बहाने के लिए नालियाँ बनी हुई हैं।

प्रश्न 4.
सिन्धु घाटी की सभ्यता की फसलों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सिंधु घाटी की सभ्यता के बारे में पहले यह विचार था कि यहाँ के लोग अनाज पैदा नहीं करते थे, बल्कि आयात करते थे। परंतु हाल की खोज ने इस विचार को गलत सिद्ध कर दिया है। अब विद्वान यह मानते हैं कि सिंधु घाटी की सभ्यता खेतीहर और पशुपालक सभ्यता थी। आरंभ में लोहे का प्रयोग नहीं होता था परंतु पत्थर और ताँबे का खूब प्रयोग होता था। पत्थर तो सिंध में ही होता था और ताँबे की खानें राजस्थान में थीं। इनसे बनाए गए उपकरण खेती-बाड़ी के काम में लाए जाते थे। इतिहासकार इरफान हबीब ने यह सिद्ध किया है कि यहाँ पर कपास, गेहूँ, जौ, सरसों तथा चने की खेती होती थी। आरंभ में यहाँ की सभ्यता तट युग की सभ्यता थी लेकिन बाद में यह सूखे में बदल गई। विद्वानों का यह भी विचार है कि यहाँ के लोग ज्वार, बाजरा और भी पाप्त हए हैं।

रागी की भी खेती करते थे। यही नहीं, यहाँ खरबूजे, खजूर और अंगूर भी उगाए जाते थे। झाड़ियों से बेर इकट्ठे किए जाते थे। भले ही कपास के बीज नहीं मिले परंतु सूती कपड़ा मिला है। जिससे सिद्ध होता है कि ये लोग कपास की खेती भी करते थे। यहाँ से सूत का निर्यात किया जाता था।

प्रश्न 5.
निम्न वर्ग के मकानों के बारे में लेखक ने क्या लिखा है?
उत्तर:
लेखक का कहना है कि सिंधु घाटी की सभ्यता में समाज का निम्न वर्ग भी था क्योंकि यहाँ उच्च वर्ग की बस्ती के साथ-साथ कामगारों की बस्ती भी मिली है। इस बस्ती के घर टूटे-फूटे हैं जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि निम्न वर्ग के मकान अधिक मजबूत नहीं रहे होंगे। दूसरी बात यह भी है कि निम्न वर्ग के मकान मुख्य बस्ती से दूर बसे हुए थे। हल्के मकान होने के कारण ये पाँच हजार साल तक नहीं टिक पाए। यदि मुअनजो-दड़ो के दूसरे टीलों की खुदाई की जाए तो निम्न वर्ग के मकानों के बारे में बहुत कुछ जानकारी मिल सकती है।

प्रश्न 6.
मुअनजो-दड़ो के अजायबघर में खुदाई के समय मिली कौन-कौन सी चीजें रखी हुई हैं?
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो की खदाई में निकली हई पंजीकत वस्तओं की संख्या 50 हजार से भी अधिक है, लेकिन बहत कम वस्तएँ ही अजायबघर में प्रस्तुत की गई हैं। ये वस्तुएँ सिंधु घाटी की सभ्यता की झलक दिखाने के लिए पर्याप्त हैं। अजायबघर में काला पड़ गया गेहूँ, ताँबे और काँसे के बर्तन, मोहरें, आटे चाक पर बने हुए विशाल मिट्टी के बर्तन, उन पर की गई चित्रकारी, वाद्य, माप-तोल के पत्थर, चौपड़ की गोटियाँ, ताँबे के बर्तन, मिट्टी की बैलगाड़ी, दो पाटों वाली चक्की, रंग-बिरंगे पत्थरों के मनके वाले हार और मिट्टी के कंगन आदि अनेक वस्तुएँ देखी जा सकती हैं। अजायबघर के अली नवाज़ के अनुसार यहाँ कुछ सोने के गहने भी थे जो बाद में चोरी हो गए। हैरानी की बात यह है कि यहाँ औजारों का तो प्रदर्शन किया गया है लेकिन कोई हथियार नहीं मिला। इसी प्रकार ताँबे और काँसे की बहुत-सी सुईयाँ हैं। नर्तकी और दाढ़ी वाले नरेश की मूर्तियाँ भी प्राप्त हैं। इसके अतिरिक्त हाथी दाँत और ताँबे के सुए भी प्रा प्राप्त हुए हैं।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

प्रश्न 7.
मुअनजो-दड़ो के सामूहिक स्नानागार को धार्मिक स्थल माना जा सकता है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो के सामूहिक स्नानागार को महाकुंड का नाम दिया गया है। यह कुंड करीब 40 फुट लंबा, 25 फुट चौड़ा और 7 फुट गहरा है। इसमें उत्तर और दक्षिण से सीढ़ियाँ नीचे उतरती हैं। महाकुंड की तीन दिशाओं में साधुओं के कक्ष बने हुए हैं। उत्तर में दो पंक्तियों में स्नानागार हैं जिसमें से किसी का दरवाजा भी दूसरे के सामने नहीं खुलता। कुंड में पक्की ईंटों का जमाव है। इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि कुंड के पानी का रिसाव न हो पाए और बाहर का अशुद्ध पानी कुंड में न आए। इसके लिए कुंड के तल में और दीवारों में ईंटों के बीच चूने और चिरोड़ी के गारे का प्रयोग किया गया है। महाकुंड के लिए पानी का प्रबंध करने के लिए दोहरे घेरे वाला एक कुआँ बनाया गया है। कुंड के पानी को बाहर निकालने के लिए पक्की ईंटों की नाली बनाई गई है। महाकुंड की विशेषताओं से पता चलता है कि यह कुंड किसी धार्मिक अनुष्ठान से जुड़ा हुआ रहा होगा।

प्रश्न 8.
‘अतीत में दबे पाँव’ के कथ्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
ओम थानवी ने अतीत में दबे पाँव की रचना यात्रा वृत्तांत के रूप में की है परंतु यह रिपोर्ट से मिलता-जुलता लेख है। इसमें लेखक ने अतीत काल की सिंधु घाटी सभ्यता का रोचक और सजीव वर्णन किया है। यह सभ्यता दो महानगरों मुअनजो-दड़ो और हड़प्पा में बसी हुई थी। इस लेख में मुअनजो-दड़ो शहर और वहाँ की सभ्यता व संस्कृति पर समुचित प्रकाश डाला गया है। लेखक ने यहाँ की बड़ी बस्ती का वर्णन करते हुए महाकुंड का भी परिचय दिया है। सिंधु घाटी सभ्यता में स्तूप, गढ़, स्नानागार, टूटे-फूटे घर, चौड़ी और कम चौड़ी सड़कें, बैलगाड़ियाँ, सूईयाँ, छोटी-छोटी नौकाएँ, मिट्टी के बर्तन, मूर्तियाँ और औजार प्राप्त हुए हैं। ये सब वस्तुएँ यहाँ की सभ्यता पर समुचित प्रकाश डालती हैं। मुअनजो-दड़ो से प्राप्त अवशेषों के आधार पर पाँच हजार वर्ष पहले की सिंधु घाटी सभ्यता की सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक गतिविधियों का सहज अनुमान लगाया जा सकता है।

प्रश्न 9.
सिंधु सभ्यता में नगर नियोजन से भी कहीं अधिक सौंदर्य-बोध देखा जा सकता है। ‘अतीत में दबे पाँव’ नामक पाठ के आधार पर विवेचन करें।
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो की खुदाई से यहाँ जो वस्तुएँ प्राप्त हुई हैं वे उस समय के लोगों के सौंदर्य-बोध की परिचायक हैं। इन वस्तुओं में धातु और पत्थर की मूर्तियाँ, मिट्टी के बर्तन, उन पर की गई चित्रकारी, सुंदर मोहरें, उन पर बारीकी से की गई आकृतियाँ, खिलौने, केश-विन्यास, आभूषण आदि हिंदू सभ्यता के सौंदर्य-बोध का परिचय देती हैं। यहाँ की सुघड़ लिपि और आश्चर्यचकित करने वाली वास्तुकला तथा नगर नियोजन आदि भी सौंदर्य-बोध के परिचायक हैं। सिंधु सभ्यता में आवास की सुंदर व्यवस्था थी। अन्न का सही भंडारण किया जाता था और सबसे बढ़कर सुंदर कलाकृतियाँ भी बनाई जाती थीं। इन सब बातों से पता चलता है कि सिंधु सभ्यता में नगर नियोजन के साथ-साथ सौंदर्य-बोध के भी दर्शन होते हैं।

प्रश्न 10.
‘अतीत में दबे पाँव’ नामक पाठ के आधार पर सिंधु सभ्यता में प्राप्त वस्तुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो की खदाई में प्राप्त वस्तओं का जो पंजीकरण किया गया. उनकी संख्या 50 हजार से भी अधिक है। इनमें से अधिकांश वस्तुएँ कराची, लाहौर, लंदन तथा दिल्ली में रखी हुई हैं। केवल कुछ वस्तुएँ ही यहाँ के अजायबघर में हैं जिनमें काला पड़ गया गेहूँ, चौपड़ की गोटियाँ, माप-तोल के पत्थर, ताँबे के बर्तन, दीपक, मिट्टी की बैलगाड़ी, कुछ खिलौने, कंघी, दो पाटों वाली चक्की, रंग-बिरंगे पत्थर के मनकों के हार तथा पत्थर के औजार गिनवाए जा सकते हैं। अजायबघर के चौकीदार के अनुसार यहाँ पर सोने के आभूषण भी थे जो कि चोरी हो चुके हैं। यही नहीं यहाँ काँसे के बर्तन, मोहरें, चाक पर बने विशाल मिट्टी के बर्तन, कुछ लिपिबद्ध चिह्न आदि वस्तुएँ भी प्राप्त हुई हैं। यहाँ की उल्लेखनीय वस्तु दाढ़ी वाले नरेश की मूर्ति है जिसके शरीर पर एक सुंदर गुलकारी वाला दुशाला है। यही नहीं, हाथी दाँत और ताँबे की सुइयाँ भी मिली हैं। खुदाई में प्राप्त नर्तकी की मूर्ति एक अद्वितीय कला का नमूना है। इतिहासकारों का कहना है कि सिंधु घाटी की सभ्यता संसार की सर्वश्रेष्ठ सभ्यता कही जा सकती है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मुअनजो-दड़ो के नगर की दशा आज कैसी है?
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो का प्राचीनतम नगर एक पुराने खंडहर में बदल चुका है। इस नगर के मकानों की छतें गायब हैं परंतु अंदर के कमरे, रसोई, अधूरी सीढ़ियाँ, चौड़ी सड़कें और गलियाँ ज्यों-की-त्यों हैं। वहाँ जाकर दर्शक यह अनुभव करता है कि मानो अभी यह नगर नींद में से जागकर उठ जाएगा और यहाँ रहने वाले लोग फिर से अपने काम में लग जाएँगे।

प्रश्न 2.
रईसों की बस्ती का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
‘अतीत में दबे पाँव पाठ में सिंधु घाटी की खुदाई से प्राप्त तथ्यों का वर्णन किया गया है। इस खुदाई से उस समय के घरों की बनावट से ही अनुमान लगाया गया है कि वहाँ गरीबों व रईसों की अलग-अलग बस्तियाँ थीं। रईसों की बस्ती यानी बड़े घर, चौडी सड़कें ज्यादा कुएँ हैं। इन घरों में स्नानघरों की भी सुन्दर व्यवस्था थी। यहाँ सड़क के दोनों ओर ढकी हुई नालियाँ भी मिली हैं जिससे वहाँ पानी की निकासी के प्रबन्धन का पता चलता है। वहाँ की बस्ती के भीतर छोटी सड़कें हैं और उनसे छोटी गलियाँ थीं। गलियों से ही घरों तक पहुँचा जाता है। यहाँ कुँओं का प्रबन्धन भी बहुत आकर्षक है।

प्रश्न 3.
‘देखना अपनी आँख का देखना है। बाकी सब आँख का झपकना है’ आशय स्पष्ट करें।
उत्तर:
लेखक के इस कथन का अर्थ यह है कि किसी भी दृश्य अथवा वस्तु को आँखों से देखकर ही उसे जाना जा सकता है। मुअनजो-दड़ो नगर की भी यही स्थिति थी। उसे आँखों से देखकर ही मनुष्य पर सही और स्थायी प्रभाव पड़ सकता है। चित्रों, सही कल्पना साकार नहीं हो सकती।

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प्रश्न 4.
मुअनजो-दड़ो के नगर नियोजन का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
नगर नियोजन में मुअनजो-दड़ो की अपनी पहचान है भले ही इमारतें खंडहरों में बदल गई हों किन्तु शहर के विस्तार को स्पष्ट करने के लिए सड़कों और गलियों के ये खंडहर काफी हैं। यहाँ की सड़कें सीधी या आड़ी हैं। वास्तुकार इसे ‘ग्रिड प्लान’ कहते हैं। आजकल की सैक्टरनुमा कालोनियों में सीधा-आड़ा नियोजन बहुत देखने को मिलता है। अतः मुअनजो-दड़ो की नगर नियोजन उत्तम है।

प्रश्न 5.
पुरातत्त्ववेत्ताओं ने किस भवन को देखकर ‘कॉलेज ऑफ प्रीस्ट्स’ की कल्पना की है?
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो के महाकुंड के उत्तर:पूर्व में एक लंबी इमारत के अवशेष प्राप्त हुए हैं जिसके बीचो-बीच एक खुला दालान है। उसके तीन तरफ बरामदे भी बने हुए हैं। संभवतः इनके साथ कुछ छोटे-छोटे कमरे भी रहे होंगे। कुछ पुरातत्त्ववेत्ताओं का यह भी कहना है कि इस इमारत में धार्मिक अनुष्ठान किए जाते होंगे क्योंकि इसके दक्षिण में एक अन्य इमारत के खंडहर प्राप्त हुए हैं। यहाँ बीस खंभों वाला एक विशाल हाल है। विद्वानों का यह विचार है कि यह राज्य सचिवालय, सभा भवन अथवा कोई सामुदायिक केंद्र रहा होगा। इस लंबी इमारत और साथ की खंडहर इमारत के आधार पर विद्वानों का कहना है कि यहाँ निश्चित से धर्म और विज्ञान पर विचार-विमर्श होता होगा। इसीलिए इसके लिए ‘कॉलेज ऑफ प्रीस्ट्स’ की कल्पना की गई है।

प्रश्न 6.
मुअनजो-दड़ो और चंडीगढ़ की नगर-योजना में कौन-सी समानता देखी जा सकती है?
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो और चंडीगढ़ के नगर-निर्माण शिल्प में एक महत्त्वपूर्ण समानता है। दोनों नगरों की मुख्य सड़कों पर किसी भी मकान का दरवाजा नहीं खुलता। नगर के घरों में जाने के लिए पहले चौड़ी सड़क पर जाना पड़ता है। वहाँ से गली में प्रवेश करके घर में जाया जा सकता है। मुख्य सड़कों की ओर मकानों की पीठ है।

प्रश्न 7.
मुअनजो-दड़ो की सभ्यता सफाई और स्वच्छता के प्रति जागरूक थी। सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो की सभ्यता सफाई और स्वच्छता के प्रति विशेष रूप से जागरूक थी। नगर में पानी की निकासी का विशेष प्रबंध था। प्रत्येक घर में स्नानघर था। घरों के अंदर का मैला पानी नाली के द्वारा बाहर की हौदी में गिरता था जो कि नालियों के जाल से जुड़ा हुआ था। सभी नालियाँ पत्थर से ढकी हुई थी जिससे मक्खी-मच्छर के बैठने की संभावना नहीं थी।

प्रश्न 8.
मुअनजो-दड़ो में रंगरेज का कारखाना भी था। सिद्ध करें।
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो में एक ऐसा भवन मिला है जिसकी जमीन में ईंटों के गोल गड्ढे बनाए गए हैं। पुरातत्त्ववेत्ताओं का विचार है कि इनमें वे बर्तन रखे जाते होंगे जो रंगाई के काम आते हैं। इस भवन में सोलह छोटे-छोटे मकान भी हैं। एक पंक्ति मुख्य सड़क पर है और दूसरी पंक्ति पीछे की सड़क पर है। ये सभी मकान एक मंजिले और छोटे हैं। प्रत्येक मकान में दो कमरे हैं और सभी घरों में स्नानघर भी हैं। ऐसा लगता है कि यहाँ पर रंगरेज रहते होंगे और रंगाई का काम भी करते होंगे।

प्रश्न 9.
‘जूझ’ पाठ में बचपन में लेखक के मन में पढ़ने के प्रति क्या विचार थे?
उत्तर:
बचपन में लेखक के मन में पढ़ने की प्रबल इच्छा थी। इसलिए वह सोचता था कि खेत में काम करने से उसके हाथ कुछ नहीं लगेगा, उसे किसी भी कीमत पर पढ़ना चाहिए।

प्रश्न 10.
मुअनजो-दड़ो को देखकर लेखक को राजस्थान के कुलधरा गाँव की याद क्यों आ गई?
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो के उजड़े हुए वीरान नगर को देखकर लेखक अचानक राजस्थान के कुलधरा गाँव को याद कर उठा। यह गाँव भी लंबे काल से वीरान पड़ा हुआ है। कहा जाता है कि लगभग 150 साल पहले यहाँ के राजा तथा गाँववासियों के बीच झगड़ा हो गया था। गाँव के लोग बड़े स्वाभिमानी थे। वे रातो-रात अपने घर छोड़कर कहीं ओर चले गए। तब से इस गाँव के घर खंडहर हो गए हैं। वे आज भी मानो अपने बाशिंदों के इंतजार में खड़े हुए हैं।

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प्रश्न 11.
‘कॉलेज ऑफ प्रीस्टस’ किसे कहा गया है? इसका निर्माण क्यों हुआ होगा?
उत्तर:
महाकुंड के उत्तर:पूर्व में एक बड़ी इमारत के अवशेष हैं। इसके बिल्कुल बीच में खुला और बड़ा दालान है। इसके तीनों तरफ बरामदे हैं। पुरातत्व जानकार के अनुसार धार्मिक अनुष्ठानों में ज्ञानशालाएँ साथ-साथ होती थीं, उस नजरिये से इसे ‘कॉलेज ऑफ प्रीस्टस’ माना जा सकता है। कॉलेज ऑफ प्रीस्टस’ उस कॉलेज को कहा गया है, जहाँ प्रीस्टस को धार्मिक शिक्षा दी जाती है। इसका निर्माण प्रीस्टस को शिक्षित करने हेतु किया गया होगा।

प्रश्न 12.
मुअनजो-दड़ो में जल की निकासी की व्यवस्था कैसे की गई थी?
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो में जल की निकासी की अत्यन्त कुशल व्यवस्था थी। मुअनजो-दड़ो के समीप सिन्धु नदी बहती थी। निश्चय ही लोग उसका पानी अपने विभिन्न कार्यों में प्रयोग करते होंगे। इसके अतिरिक्त नगर में कुएँ, स्नानघर आदि थे। इनके पानी की निकासी के लिए उचित व्यवस्था थी। पानी की निकासी के लिए पक्की इंटों से बनी नालियों की व्यवस्था थी। ये नालियाँ ईंटों से ढकी हुई थीं। आज की जल-निकासी की व्यवस्था उसके मुकाबले में तुच्छ प्रतीत होती है।

प्रश्न 13.
मुअनजो-दड़ो से प्राप्त बैलगाड़ी और आज की बैलगाड़ी में क्या अंतर है? स्पष्ट करें।
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो में ठोस लकड़ी के पहियों वाली बैलगाड़ियाँ काम में लाई जाती थीं। संभव है उससे पहले कमानी या आरे वाले पहियों का प्रयोग भी किया जाता हो परंतु बाद में बैलगाड़ियों में काफी परिवर्तन हुआ। जीप के उतरे हुए पहिए लगाकर बैलगाड़ी चलाई जाने लगी। ऊँटगाड़ी में हवाई जहाज के उतरे पहिए लगाए जाने लगे। आज की बैलगाड़ियों में बैलों पर अधिक बोझ नहीं पड़ता।

प्रश्न 14.
मुअनजोदड़ो के अजायबघर में हथियारों के न होने से क्या संकेत मिलता है?
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो के अजायबघर में अनेकानेक वस्तुएँ हैं, किन्तु हथियार एक भी नहीं है। इससे पता चलता है कि वहाँ कोई राजतंत्र नहीं था, अपितु समाजतंत्र था। यदि इस सभ्यता में शक्ति का कोई केन्द्र होता तो उसके चित्र अवश्य मिलते। इस सभ्यता के नरेश का मुकुट भी बहुत छोटा मिला है। यहाँ राजमहल, मन्दिर, समाधि आदि के कोई चिहन नहीं मिले। इससे स्पष्ट है कि इस सभ्यता में सत्ता का कोई केन्द्र नहीं था। यह सभ्यता स्वतः अनुशासित थी, ताकत के बल पर नहीं थी। यहाँ के लोग अपनी सोच-समझ के अनुसार ही अनुशासित थे।

प्रश्न 15.
मुअनजो-दड़ो और हड़प्पा किस कारण से प्रसिद्ध हैं?
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो और हड़प्पा सिंधु घाटी के स्मारक नगर कहे जा सकते हैं। इसे संसार की प्राचीनतम सभ्यताओं में गिना जाता है। खुदाई में मिले यहाँ के नगर प्राचीनतम नियोजित नगर हैं। इन नगरों का निर्माण आज के उन्नत नगरों के समान पूर्णतया व्यवस्थित है।

प्रश्न 16.
क्या मुअनजोदड़ो को सिंधु घाटी का महानगर कह सकते हैं?
उत्तर:
मुअनजो-दड़ो आज के सुनियोजित नगरों के समान है। यह नगर लगभग 200 हैक्टेयर में फैला हुआ है। यह अनुमान कि इसकी आबादी 85 हजार के लगभग रही होगी। इस नगर के मकान, गलियाँ, जल निकासी आदि का प्रबंध पूर्णतया व्यवस्थित है। अवश्य ही यह उस समय का महानगर रहा होगा।

अतीत में दबे पाँव Summary in Hindi

अतीत में दबे पाँव लेखक-परिचय

प्रश्न-
श्री ओम थानवी का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
ओम थानवी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर:
1. जीवन-परिचय-ओम थानवी का जन्म सन् 1957 में हुआ। इन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा बीकानेर में प्राप्त की और बाद में राजस्थान विश्वविद्यालय से व्यावसायिक प्रशासन में एम. कॉम. की। मूलतः ओम थानवी एक सफल पत्रकार कहे जा सकते हैं। 1980-89 तक वे ‘राजस्थान पत्रिका’ में कार्यरत रहे। बाद में इन्होंने ‘इतवारी पत्रिका’ का संपादन किया और इस साप्ताहिक पत्रिका को विशेष प्रतिष्ठा दिलाई। ओम थानवी के प्रयासस्वरूप ‘इतवारी पत्रिका’ ने सजग और बौद्धिक समाज में अपना विशेष स्थान बनाया।

ओम थानवी सामाजिक और सांस्कृतिक सरोकारों से जुड़े रहे हैं। यही नहीं, एक अभिनेता और निर्देशक के रूप में भी इन्होंने सफलता प्राप्त की है। साहित्य, सिनेमा, कला, वास्तुकला, पुरातत्त्व और पर्यावरण में इनकी गहन रुचि रही है। 80 के दशक में ‘सेंटर फॉर साइंस एनवायरमेंट’ को फेलोशिप प्राप्त करने के बाद इन्होंने राजस्थान के पारंपरिक जल-स्रोतों पर खोज करके विस्तारपूर्वक लिखा। पत्रकारिता के लिए इन्हें अनेक पुरस्कार मिले। इनकी मुख्य उपलब्धि गणेशशंकर विद्यार्थी पुरस्कार है। 1999 में इन्होंने दैनिक जनसत्ता दिल्ली और कलकत्ता के संस्करणों के संपादन का कार्यभार संभाला। पिछले 17 वर्षों से वे इंडियन एक्सप्रेस समूह के हिंदी दैनिक जनसत्ता’ में संपादक के रूप में काम कर रहे हैं।

2. साहित्यिक विशेषताएँ मूलतः ओम थानवी एक पत्रकार के रूप में जाने जाते हैं। परंतु साहित्य और कला में भी इनकी विशेष रुचि रही है। इन्होंने विभिन्न विषयों पर लेखन कार्य किया है जो समय-समय पर समाचार-पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होता रहा है। उन्होंने प्रायः सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों पर सफल निबंध लिखें। इनके द्वारा लिखित संपादकीय बड़े ही रोचक और प्रभावशाली रहे।

3. भाषा-शैली-ओम थानवी की भाषा-शैली सहज, सरल और साहित्यिक है। भाषा के बारे में इनका दृष्टिकोण बड़ा उदार रहा है। यही कारण है कि इन्होंने अपनी भाषा में हिंदी के तत्सम, तद्भव शब्दों के अतिरिक्त अंग्रेज़ी के शब्दों का भी सुंदर मिश्रण किया है। इनका वाक्य विन्यास भावानुकूल और प्रसंगानुकूल है। इन्होंने प्रायः वर्णनात्मक, विवेचनात्मक, विचारात्मक तथा व्यंग्यात्मक शैलियों का सफल प्रयोग किया है। आज भी वे अपनी लेखनी के द्वारा सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों पर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं।

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अतीत में दबे पाँव पाठ का सार

प्रश्न-
ओम थानवी द्वारा रचित ‘अतीत में दबे पाँव’ नामक पाठ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
अखंड भारत में बीसवीं शताब्दी के तीसरे दशक में प्राचीन सभ्यता की खोज हेतु दो स्थानों पर खुदाई करवाई गई थी। आज ये दोनों स्थान पाकिस्तान में हैं। पहला स्थान पाकिस्तान के सिंध प्रांत मुअनजो-दड़ो के नाम से प्रसिद्ध है, दूसरा पंजाब प्रांत में हड़प्पा के नाम से जाना जाता है। पुरातत्त्व विभाग के विद्वानों ने इन दोनों स्थानों की खुदाई करके सिंधुकालीन सभ्यता की जानकारी प्राप्त की।
(1) मुअनजोदड़ो का संक्षिप्त परिचय-मुअनजो-दड़ो और हड़प्पा विश्व के प्राचीनतम नियोजित नगर माने गए हैं। मुअनजो-दड़ो का अर्थ है-मुर्दो का टीला। मानव जाति ने छोटे-छोटे टीलों पर इस नगर का निर्माण किया था। किंतु इस नगर के नष्ट होने के बाद इसे मुअनजो-दड़ो नाम दिया गया। यह नगर सिंधु घाटी सभ्यता का सर्वश्रेष्ठ नगर माना जाता है। पुरातत्त्व विभाग ने जब इसकी खुदाई की, तब यहाँ असंख्य इमारतें, सड़कें, धातु-पत्थर की मूर्तियाँ, चाक पर चित्रित भांडे, मुहरें, साजो-सामान और खिलौने आदि प्राप्त हुए हैं। ये नगर अपने समय में सभ्यता का केंद्र था। विद्वानों का विचार यह है कि यह नगर शायद उस क्षेत्र की राजधानी थी। पूरा नगर दो सौ हैक्टेयर में फैला हुआ था। पाँच हजार वर्ष पूर्व यह एक बड़ा महानगर रहा होगा। इस नगर से सैकड़ों मील दूर हड़प्पा नगर था। परंतु रेललाइन बिछाने के कारण इसके अनेक प्रमाण नष्ट हो गए हैं।।

मुअनजो-दड़ो नगर मैदान में नहीं अपितु टीलों पर बसाया गया था। ये टीले प्राकृतिक न होकर मानव निर्मित थे। यहाँ कच्ची-पक्की ईंटों से धरती की सतह को ऊँचा उठाया गया था। ताकि सिंधु नदी के पानी से नगर को बचाया जा सके। भले ही यह नगर आज खंडहर बन चुका है। फिर भी इसके स्वरूप के बारे में आसानी से अनुमान लगा सकते हैं। इस नगर में गलियाँ, सड़कें, रसोई, खिड़की, चबूतरे, आँगन, सीढ़ियाँ आदि सुनियोजित ढंग से बनाई गई हैं। नगर की सभी सड़कें सीधी व आड़ी हैं। आधुनिक वास्तुकार इसे ‘ग्रिड प्लान’ की संज्ञा देते हैं। सिरे पर बौद्धस्तूप बना हुआ है और उसके पीछे ‘गढ़’ है। सामने ‘उच्च’ वर्ग की बस्ती है। उसके पीछे पाँच किलोमीटर दूर सिंधु नदी बहती है। दक्षिण में कामगारों की बस्ती बनी हुई है। यही नहीं, नगर में महाकुंड नाम का तालाब भी है जो चालीस फुट लंबा और पच्चीस फुट चौड़ा है।

इसकी गहराई लगभग सात फुट है। कुंड में उत्तर:दक्षिण से सीढ़ियाँ नीचे उतर रही हैं। इसके तीन ओर साधुओं के कक्ष बने हुए हैं। उत्तर दिशा में आठ स्नानघर हैं। इसमें किसी भी स्नानघर का दरवाजा किसी दूसरे के सामने नहीं खुलता। महाकुंड का तल तथा दीवारें चूने और पक्की ईंटों को मिलाकर बनाई गई हैं। कुंड में बाहर का गंदा पानी न आए, इसका विशेष ध्यान रखा गया है। कुंड में पानी भरने के लिए एक कुआँ भी है जो दोहरे घेरे वाला है। कुंड के पानी को निकालने के लिए पक्की ईंटों की नालियाँ बनाई गई हैं जो ऊपर से ढकी हुई हैं। पानी की निकासी की ऐसी सुंदर व्यवस्था पूर्व कालीन इतिहास में कहीं नहीं मिलती। कुंड के दूसरी ओर एक विशाल कोठार है जिसमें अनाज रखा जाता था। यही नहीं यहाँ नौ-नौ चौकियों की तीन-तीन हवादार कतारें हैं। इसके उत्तर में एक गली है जिससे संभवतः बैलगाड़ियों में भरकर अनाज लाया जाता होगा। एक ऐसा ही कोठार हड़प्पा में भी मिला है।

(2) बौद्ध स्तूप के अवशेष-मुअनजो-दड़ो सभ्यता के नष्ट होने के बाद एक जीर्ण-शीर्ण टीले के सबसे ऊँचे चबूतरे पर बहुत बड़ा बौद्ध स्तूप बना हुआ है जोकि पच्चीस फुट ऊँचे चबूतरे पर बना है। इसका निर्माणकाल छब्बीस सौ वर्ष पहले का है। चबूतरे पर भिक्षुओं के लिए कमरे बनाए गए हैं। राखालदास बनर्जी का कहना है कि ये अवशेष ईसवी पूर्वकाल के हैं। तत्पश्चात भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण के महानिदेशक जॉन मार्शल ने खुदाई का कार्य आरंभ करवाया, जिसके फलस्वरूप भारतीय सभ्यता की गिनती मिस्र और मेसोपोटामिया (इराक) की प्राचीन सभ्यता के साथ की जाने लगी।

यह बौद्ध स्तूप भारत का प्राचीनतम लैंडस्केप कहा जा सकता हैं जिसे देखकर दर्शक भी रोमांचित हो उठते हैं। स्तूप का यह चबूतरा मुअनजो-दड़ो के एक विशेष भाग के सिरे पर स्थित है जिसे विद्वानों ने ‘गढ’ कहा है। तत्कालीन धार्मिक तथा राजनीतिक सत्ता के केंद्र चारदीवारी के अंदर ही होते थे। शहर ‘गढ़’ से कुछ दूरी पर स्थित हैं। मुअनजो-दड़ो में ऐसी इमारत है जो अपने स्वरूप को आज भी बनाए हुए है। मुअनजो-दड़ो की शेष इमारतें लगभग खंडहर हो चुकी हैं।

(3) सिंधु घाटी का परिचय-सिंधु घाटी में व्यापार और खेती दोनों काफी उन्नत स्थिति में थे। वस्तुतः उस समय के लोग खेती करते थे अथवा पशुओं को पालते थे। यहाँ कपास, गेहूँ, जौ, सरसों और चने आदि की फसलें उगाई जाती थीं। कुछ विद्वानों का मत है कि यहाँ ज्वार, बाजरा और रागी की फसलें भी होती थीं। यही नहीं खजूर, अंगूर, खरबूजे भी यहाँ उगाए जाते थे। मुअनजो-दड़ो में जहाँ एक ओर सूत की कताई-बुनाई होती थी वहीं दूसरी ओर रंगाई भी होती थी। खुदाई में रंगाई का छोटा-सा कारखाना भी मिला है। इस सभ्यता के लोग सुमेर से ऊन का आयात करते थे और सूती कपड़े का निर्यात करते थे। इन्हें ताँबे का समुचित ज्ञान था। उस समय सिंध में काफी मात्रा में पत्थर थे, वहीं राजस्थान में ताँबे की खानें थीं। खुदाई से खेती-बाड़ी के उपकरण भी मिले हैं।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 3 अतीत में दबे पाँव

महाकुंड के आस-पास उत्तरपूर्व में एक बहुत लंबी इमारत के अवशेष मिले हैं जिसमें दालान, बरामदे तथा छोटे-छोटे कमरे बने हुए हैं। दक्षिण में एक छोटी इमारत भी है जिसमें बीस कमरों वाला एक हाल भी था। यह शायद राज्य सचिवालय या सभा भवन या सामुदायिक केंद्र होगा। ‘गढ़’ की चारदीवारी के बाहर छोटे-छोटे टीले हैं। इन पर जो बस्ती बनी है उसे ‘नीचा नगर’ कहा गया है। पूर्व में ‘रईसों की बस्ती’ है जिसमें बड़े-बड़े घर, चौड़ी सड़कें और काफी मात्रा में कुएँ हैं। जिन पुरातत्त्ववेत्ताओं ने मुअनजो-दड़ो की खुदाई करवाई थी उनके नाम से यहाँ मुहल्ले बनाए गए है; जैसे ‘डीके’ हलका-दीक्षित काशीनाथ की खुदाई आदि।

‘डीके’ के नाम से दो हलके हैं। यह क्षेत्र दोनों बस्तियों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हलका माना गया है क्योंकि यहाँ शहर की मुख्य सड़क है जोकि बहुत लंबी है। आज तो केवल आधा मील बची है। इस सड़क की चौड़ाई तैंतीस फीट है। भले ही सड़क के दोनों ओर मकान बने हैं जिनमें से किसी का भी दरवाजा बीच सड़क पर नहीं खुलता। घरों के दरवाजे अंदर की गलियों में खुलते हैं। मुख्य सड़क से गली में जाकर ही किसी घर में पहुँचा जा सकता है। प्रत्येक घर में स्नानघर है। खुली नालियाँ भीतर बस्ती में भी नहीं हैं। घर का पानी पहले हौदी में आता है फिर सड़क की नाली में। बस्ती के भीतर की गलियाँ नौ से बारह फीट चौड़ी हैं। बस्ती में कुओं का प्रबंध भी है। संपूर्ण नगर में लगभग सात सौ कुएँ हैं। मुअनजो-दड़ो को जल संस्कृति का नगर कहा गया है क्योंकि इसमें नदी, कुंड, तालाब, स्नानघर, कुएँ और पानी निकासी की व्यवस्था भी है।

बड़ी बस्ती में पुरातत्त्वशास्त्री काशीनाथ दीक्षित के नाम पर ‘डीके-जी’ का हलका है। यहाँ की दीवारें ऊँची और मोटी हैं। संभवतः यहाँ दो मंजिल वाले मकान रहे होंगे। कुछ दीवारों में छेद हैं। वे शायद शहतीरों के छेद होंगे। सभी घर भट्ठे की पक्की ईंटों के बने हैं जिनका अनुपात 1:2:4 है। इन घरों में पत्थर का उपयोग नहीं किया गया है। छोटे तथा बड़े घर एक ही पंक्ति में बनाए गए हैं। अधिकतर घर 30 जरबे 30 फुट के हैं। इनमें से कुछ दुगुने तथा कुछ तिगुने आकार के भी हैं। सभी घरों की वास्तुकला एक जैसी है। नगर में एक मुखिया का घर भी है जिसमें 20 कमरे तथा दो आँगन हैं। बड़े घरों में ऊपर की मंजिल होने के प्रमाण मिले हैं। घर चाहे छोटे हों या बड़े, पर कमरों का आकार बहुत छोटा है। इससे पता चलता है कि जनसंख्या काफी अधिक होगी। छोटे घरों में सीढ़ियाँ संकरी हैं तथा पायदान ऊँचे हैं। घरों की खिड़कियों तथा दरवाजों पर छज्जों के कोई सबूत नहीं मिले। ऐसा लगता है कि इस नगर में नहर नहीं थी। हो सकता है कि बारिश खूब होती हो, क्योंकि कुओं का तो कोई अभाव नहीं था।

(4) राजस्थान संबंधी सूचना-मुअनजो-दड़ो की गलियों और घरों को देखकर लेखक को राजस्थान के घरों की याद आ जाती है। क्योंकि यहाँ पर भी ज्वार, बाजरे की खेती होती थी। बेर भी होते थे। जैसलमेर का कुलधरा गाँव मुअनजो-दड़ो से मिलता-जुलता है। इस गाँव में लोगों का राजा से झगड़ा हो गया। इसलिए वे सभी गाँव खाली करके चले गए। पीले पत्थरों से बना यह सुंदर गाँव आज भी अपने बाशिंदों की राह देख रहा है। राजस्थान के अतिरिक्त पंजाब, हरियाणा, गुजरात में भी कुएँ, कुंड, गली-कूचे तथा कच्ची-पक्की ईंटों के कई घर वैसे ही मिलते हैं जैसे हज़ारों साल पहले थे। जॉन मार्शल ने मुअनजो-दड़ो पर तीन खंडों का एक विशद प्रबंध प्रकाशित करवाया है जिसमें सिंधु घाटी में सौ वर्ष पहले तथा खुदाई में मिली लोहे के पहियों वाली गाड़ी के चित्र दिखाए हैं। इससे पता चलता है कि इस सभ्यता की परंपरा निरंतर आगे चलती रहती है। गाड़ी में जो कमानी या आरे वाले पहिए लगे हैं, वे परिवर्ती हैं। अब तो किसान बैलगाड़ियों में जीप से उतरे पहिए भी लगाने लग गए हैं। ऊँटगाड़ी में तो हवाई जहाज से उतरे पहिए भी लगाए जाते हैं।

(5) मुअनजो-दड़ो का अजायबघर-मुअनजो-दड़ो भले ही आज खंडहर हैं परंतु यह सिंधु घाटी सभ्यता का अजायबघर कहा जा सकता है। यह किसी कस्बाई स्कूल के छोटे-से कमरे के समान है। परंतु यह अजायबघर छोटा-सा है और इसमें सामान भी कम है। मुअनजो-दड़ो की खुदाई में निकली हुई वस्तुओं का पंजीकरण भी किया गया था। उनकी संख्या पचास हजार से अधिक है। इसकी मुख्य वस्तुएँ दिल्ली, कराची, लाहौर और लंदन में हैं। परंतु यहाँ जो चीजें दिखाई गई हैं वे विकसित सिंधु घाटी की सभ्यता को दिखाने में सक्षम हैं। इन वस्तुओं में काला पड़ गया गेहूँ, ताँबे और काँसे के बर्तन, मुहरें, चाक पर बने मिट्टी के बर्तन, वाद्य, चौपड़ की गोटियाँ, दीपक, माप-तोल के पत्थर, ताँबे का आईना, मिट्टी की बैलगाड़ी, अन्य खिलौने, दो पाटों वाली चक्की, कंघी, मिट्टी के कंगन, रंग-बिरंगे पत्थर के मनकों वाले हार तथा पत्थर के औजार हैं। इस अजायबघर में अली नवाज़ नाम का व्यक्ति तैनात किया गया है जो बताता है कि पहले यहाँ सोने के आभूषण भी थे जो कि चोरी हो गए। अजायबघर को देखकर हैरानी की बात यह लगती है कि यहाँ कोई हथियार नहीं मिला। ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ की सभ्यता में शक्ति के बल पर अनुशासन कायम नहीं किया जाता था। यहाँ पर कोई सेना भी नहीं थी। यह सभ्यता सांस्कृतिक तथा सामाजिक व्यवस्था पर टिकी थी। इसलिए यह अन्य सभी सभ्यताओं से भिन्न प्रतीत होती है।

(6) मुअनजो-दड़ो-हड़प्पा सभ्यता-इस संस्कृति में न कोई सुंदर राजमहल है, न मंदिर और न ही राजाओं और महंतों की समाधियाँ हैं। मूर्तिशिल्प बड़े-छोटे आकार के हैं। राजा का मुकुट भी छोटे आकार का है। नावें भी छोटी हैं। लगता है कि उस काल में लोगों में लघता का विशेष महत्त्व था। मुअनजो-दडो सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा नगर रहा होगा। दृष्टि से समृद्ध प्रतीत होता है कि इसमें न भव्यता थी और न ही आडंबर। यहाँ से प्राप्त हुई लिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी। इसलिए यहाँ की सभ्यता का समुचित ज्ञान नहीं प्राप्त हो सकता। सिंधु घाटी की सभ्यता के बारे में लेखक लिखता भी है-“सिंधु घाटी के लोगों में कला या सुरुचि का महत्त्व ज़्यादा था।

वास्तुकला या नगर-नियोजन ही नहीं, धातु और पत्थर की मूर्तियाँ, ‘ मृद्-भांड, उन पर चित्रित मनुष्य, वनस्पति, पशु-पक्षियों की छवियाँ, सुनिर्मित मुहरें, उन पर बारीकी से उत्कीर्ण आकृतियाँ, खिलौने, केश-विन्यास, आभूषण और सबसे ऊपर सुघड़ अक्षरों का लिपिरूप सिंधु सभ्यता को तकनीक-सिद्ध से ज्यादा कला-सिद्ध ज़ाहिर करता है। एक पुरातत्त्ववेत्ता के मुताबिक सिंधु सभ्यता की खूबी उसका सौंदर्य-बोध है, जो राज-पोषित या धर्म-पोषित न होकर समाज-पोषित था।”

प्रस्तुत अजायबघर में ताँबे और काँसे की बहुत सारी सुइयाँ मिली हैं। काशीनाथ दीक्षित को सोने की तीन सुइयां मिलीं जिनमें से एक तो दो इंच लंबी थी। हो सकता है कि यह सुई काशीदेकारी के काम आती हो। खुदाई में मुअनजो-दड़ो के नाम से प्रसिद्ध जो दाड़ी वाले ‘नरेश’ की मूर्ति प्राप्त हुई है, उसके शरीर पर आकर्षक गुलकारी वाला दुशाला भी है। खुदाई में हाथी दाँत तथा ताँबे के सुए भी मिले हैं। विद्वान मानते हैं कि इनसे शायद दरियों की बुनाई की जाती थी। मुअनजो-दड़ो में सिंधु के पानी का निकास होने लगा है जिसके कारण मुअनजो-दड़ो की खुदाई का काम रोकना पड़ा है। पानी का रिसाव होने के कारण क्षार और दलदल की समस्याएँ सामने आ गई हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि मुअनजो-दड़ो की सभ्यता के खंडहरों को किस प्रकार बचाया जाए।

कठिन शब्दों के अर्थ

अतीत के दबे पाँव = प्राचीन काल के अवशेष। मुअनजो-दड़ो = पाकिस्तान के सिंधु प्रांत में स्थित एक पुरातात्त्विक स्थान जिसका अर्थ है-मुर्दो का टीला। हड़प्पा = पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का पुरातात्त्विक स्थान। परवर्ती = बाद का। परिपक्व दौर = समृद्धि का समय। ताम्र = ताँबा। उत्कृष्ट = सर्वश्रेष्ठ। व्यापक = विस्तृत। तदात = सरका। भाडे = बर्तन। साक्ष्य = प्रमाण। आबाद = बसा हुआ। टीले = मिट्टी के छोटे-छोटे उठे हुए स्थान। खूबी = विशेषता। आदम = अत्यधिक प्राचीन। सहसा = अचानक। सहम = भय। महसूस = अनुभव करना। इलहाम = अनुभूति। निर्देश = आज्ञा। अभियान = तीव्रता से काम करना। पर्यटक = यात्री। सर्पिल = टेढ़ी-मेढ़ी। पगडंडी = संकीर्ण रास्ता। नागर = नगर की सभ्यता। लैंडस्केप = पृथ्वी का दृश्य। आलम = संसार। बबूल = कीकर जैसे वृक्ष। वक्त = समय। निहारना = देखना। जेहन = दिमाग। ज्ञानशाला = विद्यालय (स्कूल)। कोठार = भंडार। अनुष्ठानिक = पर्व से संबंधित। महाकुंड = विशालकुंड। वास्तुकौशल = भवन निर्माण की कुशलता। अंदाजा = अनुमान। नगर-नियोजन = नगर-निर्माण की विधि। अनूठी = अनुपम । मिसाल = उदाहरण। मतलब = आशय। भाँपना = अनुमान लगाना। कमोबेश = थोड़ी-बहुत। अराजकता = अशांति। प्रतिमान = मानक। कामगार = मज़दूर (श्रमिक)। साक्षर = पढ़े-लिखे। इत्तर = भिन्न (अलग)। संपन्न = धनवान (पूँजीपति)। विहार = बौद्धों का आश्रम । सायास = प्रयत्नपूर्वक। धरोहर = उत्तराधिकार में प्राप्त। अनुष्ठान = आयोजन।

पाँत = पंक्ति। पार्श्व = पास या अगल-बगल। समरूप = समान। धूसर = मटमैला रंग। निकासी = निकालना। बंदोबस्त = प्रबंध। परिक्रमा = चक्कर लगाना। जगजाहिर = जिसका सबको पता हो। निर्मूल = बिना शंका के। साबित = प्रमाणित। बहुतायत = अधिकता। आयात = विदेशों से मँगवाना। निर्यात = विदेशों को भेजना। अवशेष = चिह्न। सटी = नजदीक। भग्न = टूटी-फूटी। हलका = क्षेत्र। वास्तुकला = भवन का निर्माण करने की कला। चेतन = मस्तिष्क का वह भाग जिसके सहयोग से मानव काम करता है। अवचेतन = मस्तिष्क का वह भाग, जिसमें भाव सुप्तावस्था में पड़े रहते हैं। मैल = गंदगी। बाशिदें = वासी (रहने वाले)। सरोकार = प्रयोजन (मतलब)। बेहतर = अच्छा। . मुताबिक = अनुसार। तकरीबन = लगभग। कायदा = नियम। याजक-नरेश = यज्ञ करने वाला राजा। शिल्प = कलाकारी। संग्रहालय = अजायबघर। ध्वस्त = टूटी-फूटी। चौकोर = चार भुजाओं वाला। अचरज = आश्चर्य। साज-सज्जा = सजावट। संकरी = तंग। प्रावधान = व्यवस्था। जानी-मानी = प्रसिद्ध। रोज़ = दिन। अंतराल = मध्य। अजनबी = अनजान व्यक्ति। चहलकदमी = टहलना। अनधिकार = अधिकार के बिना। अपराध बोध = गलती की अनुभूति। विशद प्रबंध = विशाल ग्रंथ। इज़हार = प्रकट करना। अहम = मुख्य। मेज़बान = यजमान। पंजीकृत = सूचीबद्ध। मृद्-भांड = मिट्टी के बर्तन। आईना = दर्पण (शीशा)। प्रदर्शित = दिखाई गई। ताकत = शक्ति। राजप्रसाद = राजमहल। समृद्ध = संपन्न। आडंबर = दिखावा। उत्कीर्ण = खोदी हुई। वजह = कारण। केशविन्यास = बालों की साज-सज्जा। सुघड़ = सुंदर बनी हुई। नरेश = कशीदाकारी। साक्ष्य = प्रमाण। हासिल करना = प्राप्त करना। क्षार = नमक।

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HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 2 जूझ

Haryana State Board HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 2 जूझ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 2 जूझ

HBSE 12th Class Hindi जूझ Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘जूझ’ शीर्षक के औचित्य पर विचार करते हुए यह स्पष्ट करें कि क्या यह शीर्षक कथानायक की किसी केंद्रीय चारित्रिक विशेषता को उजागर करता है?
उत्तर:
इस पाठ का शीर्षक ‘जूझ’ संपूर्ण कथानक का केंद्र-बिंदु है। ‘जूझ’ का अर्थ है-‘संघर्ष’ । कथानायक आनंद इस पाठ में हमें आदि से अंत तक संघर्ष करता दिखाई देता है। पाठशाला जाने के लिए आनंद को एक लंबे संघर्ष इस संघर्ष में उसकी माँ तथा दत्ता जी राव देसाई का सहयोग भी उल्लेखनीय है। पाठशाला में प्रवेश लेने के बाद अपने अस्तित्व के लिए आनंद को जूझना पड़ा। तब कहीं जाकर वह कक्षा का मॉनीटर बना। उसने कवि बनने के लिए भी निरंतर संघर्ष किया। वह कागज़ के छोटे टुकड़े अथवा पत्थर की शिला या भैंस की पीठ पर कविता लिखा करता था। उसके संघर्ष में मराठी अध्यापक न.वा.सौंदलगेकर ने साथ दिया। वस्तुतः कथानायक के दादा के अतिरिक्त अन्य सभी पात्रों ने उसका साथ दिया। अतः यह कहना सर्वथा उचित है कि इस उपन्यास का शीर्षक ‘जूझ’ एकदम तर्कसंगत है।

उपन्यास का यह शीर्षक कथानायक की संघर्षमयी प्रवृत्ति की ओर संकेत करता है। जब दादा ने उसे पाठशाला जाने से रोक दिया तो वह चुपचाप नहीं बैठता। सर्वप्रथम वह अपनी माँ को अपने पक्ष में करता है और उसके बाद वह दत्ता जी राव देसाई का सहयोग प्राप्त करता है। यही नहीं, वह अपनी बात को दृढ़तापूर्वक रखते हुए दादा द्वारा लगाए गए आरोपों का डटकर उत्तर देता है और अन्ततः दादा को आश्वस्त करने के बाद पाठशाला में प्रवेश लेता है। पाठशाला की परिस्थितियाँ भी उसके सर्वथा विपरीत थीं, परंतु उसने हार नहीं मानी। अपने जुझारूपन के कारण वह कक्षा का मॉनीटर बन जाता है और स्वयं कविता भी लिखने लग जाता है। यह सब कुछ कथानायक की जूझ का ही परिणाम है।

प्रश्न 2.
स्वयं कविता रच लेने का आत्मविश्वास लेखक के मन में कैसे पैदा हुआ?
उत्तर:
लेखक मराठी भाषा के अध्यापक न.वा.सौंदलगेकर से अत्यधिक प्रभावित हुआ। वे स्वयं कविता लिखते थे और कक्षा में कविता पढ़ाते समय कविता का सस्वर पाठ करते थे। उन्हें लय, छंद, यति-गति, आरोह-अवरोह आदि का समुचित ज्ञान था। जब वे कविता पाठ करते थे तो उनके मुख पर कविता के भाव झलकने लग जाते थे। जिसका कथानायक पर अनुकूल प्रभाव पड़ा। जब उसे पता चला कि अध्यापक ने अपने घर के दरवाजे पर लगी मालती नामक लता पर कविता लिख दी है, तब उसे अनुभव हुआ कि कवि भी अन्य मनुष्यों के समान ही हाड़-माँस, क्रोध, लोभ आदि प्रवृत्तियों का दास होता है। कथानायक ने वह मालती लता देखी थी और उस पर लिखी कविता को भी पढ़ा था। इसके बाद उसे यह महसूस हुआ कि वह अपने गाँव, खेत तथा आसपास के अनेक दृश्यों पर कविता लिख सकता है। शीघ्र ही वह तुकबंदी करने लगा और अध्यापक ने भी उसका उत्साह बढ़ाया। अध्यापक से छठी-सातवीं के विद्यार्थियों के सामने कविता पाठ करने का मौका मिला। यही नहीं, उसने विद्यालय के एक समारोह में कविता का गान भी किया। इससे उसके मन में यह आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ कि वह भी कवि बन सकता है।

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प्रश्न 3.
श्री सौंदलगेकर की अध्यापन की उन विशेषताओं को रेखांकित करें जिन्होंने कविताओं के प्रति लेखक के मन में रुचि जगाई।
उत्तर:
श्री सौंदलगेकर लेखक की कक्षा में मराठी पढ़ाते थे। वे बड़े सुचारु ढंग से कविता पढ़ाया करते थे। उनका गला बड़ा सुरीला था उन्हें छंद की यति, कविता की गति, आरोह-अवरोह का समुचित ज्ञान था। वे प्रायः कविता गाकर सुनाते थे और साथ-साथ अभिनय भी करते थे। उन्होंने कुछ अंग्रेज़ी कविताएँ भी कंठस्थ कर रखी थीं। मराठी के अनेक कवियों के साथ उनका निकट का संबंध था। अतः कविता पढ़ाते समय कवि यशवंत, बा.भ.बोरकर, भा.रा ताँबे, गिरीश, केशव कुमार, आदि के साथ हुई अपनी मुलाकातों के संस्मरण भी सुनाया करते थे। कभी-कभी स्वरचित कविता को कक्षा में भी सुनाते थे।

कविता सुनाते समय उनके चेहरे पर भावों के अनुकूल हाव-भाव देखे जा सकते थे। श्री सौंदलगेकर ने लेखक की तुकबंदी का अनेक बार संशोधन किया और बार-बार उसे प्रोत्साहित भी किया। वे लेखक को यह बताते थे कि कविता की भाषा कैसी होनी चाहिए, संस्कृत भाषा का प्रयोग कविता के लिए किस प्रकार होता है और छंद की जाति कैसे पहचानी जाती है। यही नहीं, उन्होंने लेखक को अलंकार ज्ञान से भी परिचित करवाया और शुद्ध लेखन पर भी बल दिया। वे कभी-कभी लेखक को पुस्तकें तथा कविता-संग्रह भी दे देते थे। इस प्रकार सौंदलगेकर कथानायक को कविता लिखने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते रहे और लेखक भी कविता लेखन में रुचि लेने लगा।

प्रश्न 4.
कविता के प्रति लगाव से पहले और उसके बाद अकेलेपन के प्रति लेखक की अवधारणा में क्या बदलाव आया?
उत्तर:
कविता के प्रति लगाव से पहले कथानायक को ढोर चराते समय, खेत में पानी लगाते समय अथवा कोई दूसरा काम करते समय अकेलापन अत्यधिक खटकता था। यही नहीं, किसी के साथ बातचीत करना, गपशप करना, हँसी मज़ाक करना भी उसे अच्छा लगता था, परंतु अब अकेलापन उसे खटकता नहीं था। कविता लिखते समय वह अपने-आप से खेलता था। अब वह अकेला रहना पसंद करता था। इस अकेलेपन के कारण वह ऊँची आवाज़ में कविता का गान करता था। कभी-कभी वह कविता पाठ करते समय अभिनय करता था और थुई-थुई करके नाचता भी था। इस अकेलेपन के लगाव के कारण उसने अनेक बार नाचकर कविता का गान किया।

प्रश्न 5.
आपके खयाल से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का? तर्क सहित उत्तर दें।
उत्तर:
हमारे विचार में पढ़ाई-लिखाई के संबंध में दत्ता जी राव का रवैया बिल्कुल सही था और लेखक के पिता का रवैया गलत था। लेखक का यह सोचना बिल्कुल सही है कि पढ़ लिखकर कोई नौकरी मिल जाएगी और चार पैसे हाथ में आने से विठोबा आण्णा के समान कोई व्यापार किया जा सकता है। उसका सोचना यह भी सही था कि जन्म भर खेत में काम करने से कुछ भी हाथ नहीं लगेगा। इसी प्रकार दत्ता जी राव का रवैया बिल्कुल सही कहा जा सकता है। उसी ने लेखक के पिता को धमकाया तथा लेखक को पढ़ने के लिए पाठशाला भिजवाया। लेखक के पिता का यह कहना-“तेरे ऊपर पढ़ने का भूत सवार हुआ है। मुझे मालूम है, बालिस्टर नहीं होनेवाला है तू?” यह सर्वथा अनुचित है, परंतु आज के हालात को देखते हुए आज का पढ़ा-लिखा व्यक्ति वैज्ञानिक ढंग से खेती करके अच्छे पैसे कमा सकता है और समाज के निर्माण में समुचित योगदान दे सकता है।

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प्रश्न 6.
दत्ता जी राव से पिता पर दबाव डलवाने के लिए लेखक और उसकी माँ को एक झूठ का सहारा लेना पड़ा। यदि झूठ का सहारा न लेना पड़ता तो आगे का घटनाक्रम क्या होता? अनुमान लगाएँ।।
उत्तर:
कथानायक और उसकी माँ दत्ता जी राव के पास इसलिए गए थे कि वे लेखक के पिता पर दबाव डालकर लेखक को पाठशाला भिजवाया जा सके। उठते समय माँ ने दत्ता जी राव से कहा था-“हमने यहाँ आकर ये सभी बातें कहीं हैं, यह मत बता देना, नहीं तो हम दोनों की खैर नहीं है। माँ अकेली साग-भाजी देने आई थी। यह बता देंगे तो अच्छा होगा।” ऐसा ही झूठ लेखक की माँ ने अपने पति से बोला और उसे दत्ता जी राव के यहाँ मिलने के लिए भेजा।

यदि लेखक की माँ यह झूठ नहीं बोलती तो लेखक के दादा (पिता) बहुत नाराज़ हो जाते और माँ-बेटे की खूब पिटाई करते। दत्ता जी राव को इस बात का पता नहीं चलता कि लेखक का पिता स्वयं अय्याशी करने के लिए बेटे को खेत में झोंके हुए है। इसी प्रकार लेखक ने यह झूठ न बोला होता कि दादा (पिता) को बुलाने आया हूँ, उन्होंने अभी खाना नहीं खाया है। तब लेखक वहाँ जा नहीं पाता और दादा (पिता) लेखक पर झूठे आरोप लगाकर दत्ता जी राव को चुप करा देता। यदि माँ-बेटे यह तीन झूठ न बोलते तो इसका दुष्परिणाम यह होता कि लेखक जीवन-भर पढ़ाई न कर पाता और कोल्हू के बैल के समान खेती में पिसता रहता।

HBSE 12th Class Hindi जूझ Important Questions and Answers

बोधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आनंद अर्थात् कथानायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
अथवा
कथानायक की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
कथानायक में पाठशाला जाकर पढ़ने की बड़ी ललक थी। लेकिन वह अपने दादा के डर से यह नहीं कह पाता कि वह पढ़ने जाएगा। अतः अपनी पढ़ाई को लेकर वह अपनी माँ के सामने अपने मन की इच्छा को प्रकट करता है और माँ को यह सुझाव देता है कि उसे दत्ता जी राव सरकार की सहायता लेनी चाहिए। वस्तुतः यह बालक बड़ा ही दूरदर्शी और बुद्धिमान है। वह इस बात को अच्छी प्रकार जानता है कि उसके दादा न तो उसकी माँ की सुनेंगे और न लेखक की। लेकिन वह दत्ता जी राव के आदेश का पालन अवश्य करेंगे। इसलिए वह माँ को साथ लेकर दत्ता जी राव के सामने सारी सच्चाई खोल देता है।

इसके लिए वह माँ के सहयोग से झूठ का सहारा भी लेता है। गाँव का यह छोटा-सा लड़का इस तथ्य को भली प्रकार जानता है कि पढ़ाई-लिखाई करके कोई नौकरी प्राप्त की जा सकती है अथवा कोई व्यापार भी किया जा सकता है। इसके साथ-साथ यह बालक बड़ा ही परिश्रमी है। सवेरा होते ही वह खेत में जाता है और ग्यारह बजे तक खेत में काम करने के बाद पाठशाला जाता है। यही नहीं, पाठशाला से लौटकर वह ढोर भी चराता है। यद्यपि कक्षा में उसे अपने अस्तित्व के लिए जूझना पड़ता है, लेकिन वह खेती तथा पढ़ाई दोनों को बड़ी मेहनत एवं लगन के साथ करता है।

शीघ्र ही कक्षा के होशियार बच्चों में उसकी गिनती होने लग जाती है तथा मॉनीटर के समान वह दूसरे बच्चों के सवाल जाँचने लगता है। शीघ्र ही यह बालक अध्यापकों को प्रभावित करने लगता है तथा गणित के मास्टर उसे मॉनीटर का कार्य सौंप देते हैं। मराठी अध्यापक के संपर्क में आने के बाद कविता लेखन में उसकी रुचि उत्पन्न होती है। वह छठी-सातवीं के बालकों के सामने कविता गान करता है तथा पाठशाला के समारोह में भी भाग लेता है। मराठी अध्यापक के सहयोग से शुरू में वह तुकबंदी करता है, लेकिन बाद में वह अच्छी कविता लिखने लग जाता है।

प्रश्न 2.
‘जूझ’ कहानी के आधार पर दत्ता जी राव का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर:
दत्ता जी राव गाँव का एक सफल ज़मींदार है। गाँव वाले उनका बड़ा आदर करते हैं। एक समय लेखक के दादा उन्हीं के खेतों पर काम करते थे। वे बड़े ही नेकदिल तथा प्रभावशाली व्यक्ति हैं। दूसरों के दुख में वे सहायता करने वाले व्यक्ति हैं। बच्चों तथा स्त्रियों के प्रति उनका व्यवहार बड़ा ही कोमल और अनुकूल है। जो भी व्यक्ति उनके दरवाजे पर सहायता के लिए आता है वे उसकी सहायता करते हैं। कथानायक उनकी इस प्रवृत्ति से पूरी तरह परिचित है। इसलिए वह अपनी माँ के साथ उनकी सहायता लेने जाता है।

दत्ता जी राव साम, दाम, दंड, भेद आदि सभी तरीके अपनाकर काम निकालना जानते हैं। इसलिए लेखक तथा उसकी माँ के कहने पर दादा को अपने पास बुलाया। लेखक भी बहाने से वहाँ पहुँच गया। इस अवसर पर हुई बातचीत से दादा की सारी कलई खुल गई। राव जी ने उसे खूब फटकारा और खरी-खोटी सुनाई। उसे इस बात के लिए मजबूर कर दिया कि वह लेखक को पढ़ने के लिए पाठशाला अवश्य भेजे। वस्तुतः दत्ता जी राव एक कुशल कुम्हार की भाँति पहले तो उसे खूब ठोकते-पीटते हैं, बाद में अपनी उदारता एवं करुणा द्वारा उसे प्यार से अच्छी प्रकार से समझाते हैं। इसलिए वह लेखक के दादा को सही रास्ते पर ले आता है।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Vitan Chapter 2 जूझ

प्रश्न 3.
लेखक के दादा की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
लेखक का दादा इस उपन्यास का खल पात्र है। वह एक आलसी, निकम्मा तथा ऐय्याश व्यक्ति है। उसकी पत्नी के अनुसार वह दिन भर एक वेश्या के घर पर पड़ा रहता है तथा एक आवारा साँड की तरह गाँव की गलियों में घूमता रहता है। अपने पुत्र के भावी जीवन के बारे में उसके मन में कोई चिंता नहीं है। उसने अपने छोटे-से लड़के को पाठशाला से हटाकर खेती में डाल दिया है। न उसे घर-परिवार की चिंता है और न अपनी पत्नी एवं बेटे की। वह हमेशा आवारागर्दी करता रहता है। बात-बात पर पत्नी को डाँटना एवं मारना उसके लिए एक सामान्य बात है। उसकी पत्नी उसे बरहेला सूअर कहती है।

यदि कोई घर का आदमी उसकी आवारागर्दी में बाधा उत्पन्न करता है तो वह उसे कुचल देता है। वस्तुतः दादा गाँव के आम शराबियों तथा मक्कारों के समान है। अपनी रक्षा के लिए वह बड़े-से-बड़ा झूठ बोल सकता है। यही नहीं, वह अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए अपने मेहनती तथा होनहार बालक पर आरोप लगाने से बाज नहीं आता। लेकिन दादा एक बुरा व्यक्ति होते हुए भी दत्ता जी राव का पूरा आदर-मान करता है और उसकी डाँट-फटकार को सुनकर सीधे रास्ते पर आ जाता है।

प्रश्न 4.
डेढ़ साल तक घर बैठे रहने के बाद भी कथानायक फिर से पाठशाला कैसे पहुँचता है?
उत्तर:
कथानायक जब पाँचवीं कक्षा में था, तब उसके दादा ने उसे पाठशाला से हटाकर खेती के काम में लगा दिया। परंतु कथानायक के मन में पढ़ाई के लिए बड़ी ललक थी। वह सोचता था कि मैं अब भी पाठशाला चला गया तो पाँचवीं कक्षा अवश्य पास कर लूँगा। परंतु वह दादा से अपने मन की बात नहीं कर सकता। इसीलिए उसने माँ की सहायता ली और दोनों माँ-बेटे दत्ता जी राव के पास गए। साथ ही दोनों ने दत्ता जी राव से यह भी कहा कि उनके यहाँ आने की बात दादा से न कहे। उधर माँ ने भी यह बहाना बनाया कि वह दत्ता जी के यहाँ साग-भाजी देने गई थी। इस प्रकार झूठ का सहारा लेकर कथानायक ने अपने दादा पर दत्ता जी राव का दबाव डलवाया। अन्ततः दादा इन शर्तों पर कथानायक को पाठशाला भेजने को तैयार हो गया कि वह सवेरे ग्यारह बजे तक खेत में काम करेगा, फिर पाठशाला जाएगा और पाठशाला से लौटकर उसे खेत में पशु भी चराने पड़ेंगे। इन सब संघर्षों से जूझने के बाद लेखक पाठशाला जा सका।

प्रश्न 5.
पाठशाला जाने पर लेखक को किन परेशानियों का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
कक्षा में गली के केवल दो लड़के ही लेखक के परिचित थे, बाकी सभी अपरिचित थे। लेखक को कमजोर बच्चों के साथ बैठने के लिए मजबूर किया गया। उसके कपड़े पाठशाला के अनुकूल नहीं थे। लट्टे के थैले में पिछली कक्षा की कुछ किताबें और कापियाँ थीं। उसने सिर पर गमछा पहना था और लाल रंग की मटमैली धोती पहनी थी। शरारती लड़के उसका मज़ाक उड़ाने लगे। एक शरारती लड़के ने उसका गमछा छीन लिया और मास्टर जी की मेज पर रख दिया। छुट्टी के मध्यकाल में उसकी धोती की लाँग को भी खींचने का प्रयास किया गया। कक्षा के एक किनारे पर वह एक अपरिचित तथा उपेक्षित विद्यार्थी के समान बैठा था।

छुट्टी के बाद जब वह घर लौटा तो मन-ही-मन सोचा कि लड़के यहाँ मेरा मज़ाक उड़ाते हैं, मेरा गमछा उतारते हैं, मेरी धोती खींचते हैं। इस तरह मैं कैसे निर्वाह कर पाऊँगा। इससे तो खेत का काम ही अच्छा है। परंतु अगले दिन वह पुनः उत्साहित होकर पाठशाला पहुँच गया। उसे आठ दिन तक एक नई टोपी तथा दो नई नाड़ी वाली मैलखाऊ रंग की चड्डियाँ मिलीं। वस्तुतः यही स्कूल की ड्रेस थी। अन्ततः मंत्री नामक कक्षा के अध्यापक के डर के कारण लेखक शरारती लड़कों के अत्याचार से बच पाया और वह मन लगाकर पढ़ाई करने लगा।

प्रश्न 6.
कथानायक की माँ की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
लेखक की माँ एक शोषित तथा प्रताड़ित नारी है। उसके पति ने उसे डरा-धमका कर कुंठित कर दिया है। पति की हिंसक प्रवृत्ति के समक्ष वह हार चुकी है। मन से तो वह अपने पुत्र का कल्याण चाहती है, लेकिन पति के डर के कारण कुछ कर नहीं पाती। वह भी चाहती है कि उसका बेटा पढ़ाई करे, लेकिन वह लाचार है। पुत्र द्वारा पढ़ाई करने का प्रस्ताव रखने पर वह कहती है-“अब तू ही बता, मैं क्या करूँ? पढ़ने-लिखने की बात की तो वह बरहेला सूअर की तरह गुर्राता है।”

अन्ततः लेखक द्वारा दत्ता जी राव के पास चलने के प्रस्ताव को वह स्वीकार कर लेती है। फिर भी उसे विश्वास नहीं है कि उसका पति आनंदा को पाठशाला जाने देगा। परंतु वहाँ जाकर उसकी हिम्मत बढ़ जाती है और वह सारी सच्चाई दत्ता जी राव को बता देती है। लेकिन वह दत्ता जी राव को यह भी कहती है कि वह उसके आने के बारे में उसके पति से कुछ न कहे।

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प्रश्न 7.
सिद्ध कीजिए कि आनंदा एक जुझारू बालक है।
उत्तर:
‘जूझ’ कथांश को पढ़ने से पता चलता है कि आनंदा अर्थात् लेखक एक सच्चा जुझारू है। उसमें निरंतर संघर्ष करने की प्रवृत्ति है। वह प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करता है। वह अपनी मेहनत के द्वारा असंभव काय वह अपनी बुद्धि का प्रयोग करके माँ को दत्ता जी राव का सहयोग लेने के लिए कहता है और सफल भी होता है। पाठशाला में प्रवेश लेने के बाद उसे पुनः घोर निराशा तथा तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। लेकिन वह घबराता नहीं। शरारती बच्चों से बचता हुआ वह न केवल अध्यापक का प्रिय विद्यार्थी बन जाता है, बल्कि कवि भी बन जाता है। लेकिन यह सब करने के लिए वह पाठशाला की पढ़ाई तथा खेतों में निरंतर जूझता रहता है। अतः यह कहना गलत नहीं होगा कि आनंदा एक जुझारू बालक है।

प्रश्न 8.
सिद्ध कीजिए कि लेखक एक बुद्धिमान और प्रतिभा संपन्न बालक है।
उत्तर:
बचपन से ही लेखक में एक बुद्धिमान व्यक्ति के लक्षण देखे जा सकते हैं। अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए वह अपनी माँ को समझाता है और उसे दत्ता जी राव के पास ले जाता है। यही नहीं, वह राव साहब को विश्वास दिलाकर अपने पिता को बाध्य कर लेता है। पाठशाला की प्रतिकूल परिस्थितियों में भी वह अपनी बुद्धि के बल पर अध्यापकों का प्रिय छात्र बन जाता है और गणित तथा साहित्य में अग्रणी स्थान पा लेता है। उसे कक्षा का मॉनीटर भी बना दिया जाता है। मराठी-अध्यापक का सहयोग पाकर वह अच्छी कविता लिखने और गाने लगता है। लेकिन पढ़ाई के काम के साथ-साथ वह अपने पिता द्वारा रखी गई शर्तों के अनुसार खेत के कार्य को पूरी ईमानदारी से संपन्न करता है। अतः यह कहना अनुचित न होगा कि आनंदा एक प्रतिभाशाली तथा बुद्धिमान बालक है।

प्रश्न 9.
‘जूझ’ कहानी में पिता को मनाने के लिए माँ और दत्ता जी राव की सहायता से एक चाल चली गई है। क्या ऐसा कहना ठीक है? क्यों?
उत्तर:
‘जूझ’ कहानी में एक पिता अपने बेटे को पढ़ाने की बजाए खेती के काम में लगाता है और स्वयं दिन भर गाँव में आवारागर्दी करता है। यदि उसे बेटे को पढ़ाने के लिए कहा जाए तो वह बरहेला सूअर की तरह गुर्राता है। लेखक अपनी माँ के साथ मिलकर दत्ता जी राव की शरण में जाता है। तीनों ने मिलकर एक ऐसा उपाय निकाला, ताकि कथानायक की पढ़ाई आरंभ हो सके। यदि यह उपाय न अपनाया जाता तो लेखक आजीवन अनपढ़ ही रहता। अतः इस उपाय को चाल नहीं कह सकते, क्योंकि ‘चाल’ शब्द से षड्यंत्र की बू आती है। इसे युक्ति या उपाय कह सकते हैं।

प्रश्न 10.
किस घटना से पता चलता है कि लेखक की माँ उसके मन की पीड़ा समझ रही थी? ‘जूझ’ कहानी के आधार पर बताइए।
उत्तर:
लेखक ने अपनी माँ से निवेदन किया कि वह आगे पढ़ाई करना चाहता है। पहले तो उसने अपनी लाचारी दिखाई, लेकिन जब लेखक ने माँ को दत्ता जी राव के पास चलने का सुझाव दिया तो वह लेखक की बात को मान गई। उसे लगा कि बेटे की पढ़ाई आरंभ कराने का यही सही रास्ता है। वह तत्काल पुत्र को साथ लेकर राव साहब के पास गई और उसने बड़ी हिम्मत जुटाकर सारी बात उनके सामने रखी। इस घटना से पता चलता है कि माँ अपने बेटे के मन की पीड़ा को समझती थी।

प्रश्न 11.
लेखक को पढ़ाने के लिए उसके पिता ने क्या शर्ते रखी?
उत्तर:
लेखक के पिता ने उसकी पढ़ाई के लिए अनेक शर्ते रखीं। उसने कहा कि पाठशाला जाने से पूर्व वह ग्यारह बजे तक खेत में काम करेगा, पानी लगाएगा और वहीं से पाठशाला जाएगा। सवेरे ही बस्ता लेकर पहले वह खेत में जाएगा। पाठशाला से छुट्टी होने के बाद वह घर पर बस्ता छोड़कर सीधा खेत में आएगा और घंटा भर ढोर चराएगा। जिस दिन खेत में काम अधिक होगा, वह पाठशाला नहीं जाएगा। आखिर लेखक ने दादा की सभी शर्ते मान लीं और पाठशाला जाना आरंभ कर दिया।

प्रश्न 12.
पाठशाला में पहले ही दिन लेखक के साथ कक्षा में क्या शरारतें हुईं? लेखक ने यह क्यों सोचा कि वह आगे से स्कूल नहीं जाएगा?
उत्तर:
पहले ही दिन कक्षा में लेखक को खूब तंग किया गया। चह्वाण नाम के लड़के ने लेखक का गमछा छीनकर अपने सिर पर लपेट लिया और फिर उसे अध्यापक की मेज पर रख दिया। बीच की छुट्टी में उसकी धोती की लाँग को भी खोलने का प्रयास किया। अन्य बच्चों ने उसकी खूब खिल्ली उड़ाई और मनमानी छेड़खानी की। उसकी हालत कौओं की चोंचों से घायल किसी खिलौने जैसी हो गई, जिससे लेखक का मन निराश हो गया। इसलिए उसने मन-ही-मन सोचा कि वह आगे से स्कूल नहीं जाएगा। इससे तो खेती का काम ही ठीक होगा।

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प्रश्न 13.
दत्ता जी राव की सहायता के बिना कहानी का ‘मैं पात्र वह सब नहीं पा सकता था जो उसे मिला। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
यह कथन सर्वथा सही है कि दत्ता जी राव की सहायता के बिना कथानायक न तो आगे पढ़ सकता था और न ही कवि बन सकता था। लेखक और उसकी माँ के कहने पर दत्ता जी राव समझ गए कि ‘मैं’ पात्र में आगे पढ़ने की लगन है। अतः उसने ही उसके पिता (दादा) को डाँट फटकारकर लेखक को आगे पढ़ने के लिए तैयार किया। अतः लेखक के लिए दत्ता जी राव की सहायता का विशेष महत्त्व है।

प्रश्न 14.
दुबारा पाठशाला जाने पर लेखक का पहले दिन का अनुभव किस प्रकार का था?
उत्तर:
दुबारा पाठशाला जाने पर लेखक का पहले दिन का अनुभव कोई अच्छा नहीं था क्योंकि एक तो उसे कम उम्र के साथ बैठना पड़ा। दूसरा, वह इन बालकों को अपने से कम अक्ल का मानता था। कक्षा के सबसे शरारती लड़के चाण ने उसकी खिल्ली उड़ाई और उसका गमछा छीनकर मास्टर की मेज पर रख दिया। वह यह सोचकर डर गया कि कहीं उसका गमछा फट न जाए। बीच की छुट्टी में उसी शरारती लड़के ने उसकी धोती के लंगोट को भी खींचने का प्रयास किया। उसे कक्षा में बेंच के एक कोने पर अलग बैठना पड़ा। इस प्रकार लेखक का दुबारा पाठशाला जाने का पहला दिन कोई खास नहीं था।

प्रश्न 15.
पाँचवीं कक्षा में पास न होने के बाद लेखक को कैसा लगा? ‘जूझ’ कहानी के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
जो लड़के चौथी कक्षा पास करके पाँचवीं में आए थे, उनमें से गली के दो लड़कों को छोड़कर लेखक किसी को नहीं जानता था। जो लड़के कक्षा में उसके साथ थे, वे कम अक्ल तथा मंद बुद्धि के थे। अपनी पुरानी कक्षा का विद्यार्थी होकर भी वह अजनबी के रूप में कक्षा में बैठा था। पुराने सहपाठी उसे अच्छी तरह जानते थे, परंतु नए लड़के उसकी खिल्ली उड़ा रहे थे। कोई उसका गमछा छीन रहा था, कोई उसकी धोती की लाँग को खींचने की कोशिश कर रहा था, कोई उसके थैले का मज़ाक उड़ा रहा था। उसे पश्चाताप हो रहा था कि अवसर मिलने पर वह पाँचवीं कक्षा पास न कर सका और उसे फिर से पढ़ना पड़ रहा है।

प्रश्न 16.
लेखक का पाठशाला में विश्वास कैसे बढ़ा? ‘जूझ’ कहानी के आधार पर बताइए।
उत्तर:
प्रस्तुत कहानी में लेखक के लिए दो घटनाओं का विशेष महत्त्व है। उसने कक्षा के मॉनीटर के समान गणित के सवाल निकालने आरंभ कर दिए। इससे मास्टर जी ने उसे भी अन्य लड़कों के सवाल जाँचने पर लगा दिया। इससे लेखक का आत्मविश्वास बढ़ने लगा। दूसरी घटना यह हुई कि वह भी मराठी अध्यापक के समान लय तथा गति के साथ कविता का गान करने लगा। इससे उसे प्रार्थना सभा में कविता गान करने का अवसर प्राप्त हुआ। उसका विश्वास अब इतना बढ़ गया कि वह स्वयं भी कविता लिखने लगा।

प्रश्न 17.
कथानायक को मास्टर की छड़ी की मार अच्छी क्यों लगती थी?
उत्तर:
लेखक कोई भी कीमत चुका कर पढ़ना चाहता था। इसीलिए वह अपने पिता की सभी शर्ते मान लेता है। वह जानता है कि खेती में उसका भविष्य अंधकारमय है। पढ़-लिख कर वह कोई नौकरी पा सकता है अथवा कोई व्यवसाय भी कर सकता है। इसीलिए वह अपनी पढ़ाई को पूरा करने के लिए पिता की सभी शर्ते मान लेता है। खेती के काम की अपेक्षा वह मास्टर की छड़ी की मार को सहन करना अच्छा समझता है। छड़ी की मार से कम-से-कम उसका भविष्य तो सुधर जाएगा। यही सोच कर वह छड़ी की मार को सहना श्रेयस्कर समझता है।

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प्रश्न 18.
कथानायक ने बचपन में किस प्रकार की कविताएँ लिखने का प्रयास किया?
उत्तर:
कथानायक को जब यह पता चला कि उसके मराठी के अध्यापक सौंदलगेकर ने अपने घर के दरवाज़े पर लगी मालती की लता पर कविता लिखी है, तो उसे लगा कि वह भी अपने आस-पास, अपने खेतों तथा अपने गाँव पर कविता बना सकता है। वह ढोर चराते समय फसलों पर या जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा। इस कार्य के लिए वह अपने पास कागज़ का टुकड़ा तथा पैंसिल रखने लगा। कभी-कभी वह कंकड़ से पत्थर की शिला पर या लकड़ी से भैंस की पीठ पर कविता लिख लेता था। फिर उसे याद करके लिखकर अपने मास्टर को दिखाता था।

प्रश्न 19.
मराठी के अध्यापक से कविता पढ़कर कथानायक को क्या लाभ प्राप्त हुआ?
उत्तर:
मराठी के अध्यापक से कविता पढ़ने के बाद कथानायक में कविता के प्रति अत्यधिक रुचि जागृत हुई। वह गति, लय, आरोह-अवरोह तथा अभिनय के साथ काव्य पाठ करने लगा। धीरे-धीरे वह इस काम में इतना पारंगत हो गया कि उसका काव्य पाठ अध्यापक से अधिक आकर्षक था। फलतः उसे कक्षा के सामने कविता गाने का अवसर मिला और स्कूल के समारोह में भाग लेने का मौका मिला। इससे कथानायक उत्साहित हो गया। वह अकेले में ऊँचे स्वर में कविता का गान करता था, नाचता था और अभिनय करता था। धीरे-धीरे उसे स्वयं कविता लिखने का शौक लग गया।

प्रश्न 20.
लेखक को अकेलेपन में आनंद क्यों आता था?
उत्तर:
जब लेखक अपने खेत में अकेला लय, गीत और ताल के साथ कविता का गान करता था और अभिनय करता था तो अकेलेपन में उसे अत्यधिक आनंद प्राप्त होता था। अकेलेपन में वह खुलकर गा सकता था, अभिनय कर सकता था और नाच भी सकता था। ऐसा करने में उसे बड़ा आनंद मिलता था।

प्रश्न 21.
‘जूझ’ कहानी के माध्यम से लेखक ने क्या सीख दी है?
अथवा
‘जूझ’ कहानी का उद्देश्य (प्रतिपाद्य) स्पष्ट करें।
उत्तर:
‘जूझ’ कहानी पाठकों को निरंतर संघर्ष करने की प्रेरणा देती है। मानव-जीवन में चाहे परिस्थितियाँ कितनी ही प्रतिकूल क्यों न हों अथवा कितनी बाधाएँ और संकट क्यों न हों, उसे निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि धैर्य, हिम्मत तथा संघर्ष के साथ मुसीबतों का सामना करना चाहिए। इस कहानी का कथानायक पढ़ना चाहता है, लेकिन उसका पिता उसे पढ़ने नहीं देता। लेखक इस बाधा का हल निकालता है। वह अपनी माता का सहयोग लेकर दत्ता जी राव के पास जाता है और अन्ततः अपने पिता को राजी कर लेता है। इसके बाद भी बाधाएँ समाप्त नहीं होतीं। स्कूल के शरारती बच्चे उसे तंग करते हैं तथा उसकी खिल्ली उड़ाते हैं। परंतु वह धैर्यपूर्वक उनका भी सामना करता है। अन्त में वह अपने अध्यापकों का चहेता बन जाता है और कक्षा में मॉनीटर बन जाता है।

प्रश्न 22.
‘जूझ’ कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
इस कहानी का शीर्षक ‘जूझ’ पूर्णतया सार्थक है। यह शीर्षक कहानी की मूल भावना के सर्वथा अनुकूल है। कहानी का नायक आनंदा कहानी के आदि से अंत तक लगातार संघर्ष करता हुआ दिखाई देता है। अन्ततः वह सफलता प्राप्त करता है। लेखक ने कथानायक की जुझारू प्रवृत्ति का उद्घाटन करने के लिए यह कहानी लिखी है और उसका नामकरण ‘जूझ’ किया है। दूसरा यह शीर्षक संक्षिप्त, सटीक तथा सार्थक है। यह शीर्षक जिज्ञासावर्धक होने के कारण पाठकों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। अतः यह शीर्षक सर्वथा तर्कसंगत एवं सार्थक है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कथानायक पढ़ना क्यों चाहता था?
उत्तर:
कथानायक को लगा कि खेती में उसके लिए कोई भविष्य नहीं है। यदि वह सारा जीवन खेती-बाड़ी में लगा रहा तो उसे कुछ भी प्राप्त नहीं हो पाएगा। पढ़-लिखकर वह नौकरी कर सकता है या कारोबार कर सकता है। यही सोचकर वह खेती छोड़कर पढ़ना चाहता था।

प्रश्न 2.
लेखक का दादा कोल्हू जल्दी क्यों चलाता था?
उत्तर:
लेखक का दादा खेती के धंधे को अच्छी तरह समझता था। वह इस बात को अच्छी तरह समझता था कि यदि उसके द्वारा बनाया गया गुड़ जल्दी बाज़ार में आएगा तो उसे अच्छे पैसे मिल जाएँगे। इसलिए दादा जल्दी से कोल्हू चलाता था।

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प्रश्न 3.
लेखक का पिता (दादा) राव साहब का नाम सुनते ही उनसे मिलने के लिए क्यों गया?
उत्तर:
पूरे गाँव में दत्ता जी राव का अत्यधिक मान सम्मान था। दादा जी उनके बुलावे को कैसे ठुकरा सकता था, बल्कि वह तो यह जानकर प्रसन्न हो गया कि उन्होंने उसे अपने घर बुलाया है। अतः वह रोटी खाए बिना ही दत्ता जी राव से मिलने के लिए चल दिया।

प्रश्न 4.
कथानायक ने दत्ता जी राव को क्या विश्वास दिलाया?
उत्तर:
कथानायक ने अपनी पढ़ाई के बारे में दत्ता जी राव को विश्वास दिलाया। उसने कहा कि अभी जनवरी का महीना है और दो महीने में वह परीक्षा की पूरी तैयारी कर लेगा और परीक्षा में अवश्य पास हो जाएगा। इस तरह उसका एक साल बच जाएगा। उसने यह भी विश्वास दिलाया कि उसकी पढ़ाई का खेती के काम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

प्रश्न 5.
लेखक ने दत्ता जी राव की उपस्थिति में अपने दादा से निडर होकर बातचीत क्यों की?
उत्तर:
लेखक पहले अपनी माँ के साथ दत्ता जी राव के पास गया था। तब माँ ने अपने पति की आवारागर्दी की सारी बात दत्ता जी राव को बता दी थी। उस समय दत्ता जी राव ने लेखक से कहा कि वह उसके दादा के आने के थोड़ी देर बाद ही वहाँ आ जाए और निडर होकर अपनी सारी बात कहे। इसलिए लेखक ने बड़ी निडरता के साथ अपने पढ़ने की बात को रखा।

प्रश्न 6.
लेखक के पिता ने दत्ता जी राव के समक्ष उसकी पढ़ाई बंद करने के क्या कारण बताए?
उत्तर:
लेखक के पिता ने दत्ता जी राव से झूठ बोलते हुए कहा कि लेखक (कथानायक) को गलत आदतें पड़ गई हैं। वह कंडे बेचता है, चारा बेचता है और सिनेमा देखने जाता है। यही नहीं, वह खेती और घर के काम की ओर उसकी पढ़ाई रोक दी गई है और उसे खेत के काम पर लगा दिया है।

प्रश्न 7.
मंत्री नामक मास्टर के व्यक्तित्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मंत्री नामक मास्टर गणित पढ़ाते थे। लड़कों के मन में उनकी दहशत बैठी हुई थी। वे छड़ी का उपयोग नहीं करते थे। हाथ से गरदन पकड़कर पीठ पर घूसा मारते थे। पढ़ने वाले लड़कों को शाबाशी भी मिलती थी। एकाध सवाल गलत हो जाते तो उसे वे समझा देते थे। किसी लड़के की कोई मूर्खता दिखाई दे तो उसे वहीं ठोंक देते। इसलिए सभी का पसीना छूटने लगता और सभी छात्र घर से पढ़ाई करके आने लगे।

प्रश्न 8.
पाठशाला जाते ही लेखक का मन खट्टा क्यों हो गया?
उत्तर:
पाठशाला जाते ही लेखक को पता चला कि वहाँ का सारा वातावरण बदल चुका है। उसके सभी साथी अगली कक्षा में चले गए थे। उसकी कक्षा के सभी बच्चे उससे कम उम्र के थे और कुछ मंद बुद्धि के थे। गली के दो लड़कों के सिवाय कोई भी कक्षा में उसका परिचित नहीं था। यह सब देखकर उसका मन खट्टा हो गया।

प्रश्न 9.
लेखक को पाँचवीं कक्षा में ही दाखिला क्यों लेना पड़ा?
उत्तर:
जब लेखक पाँचवीं कक्षा में पढ़ रहा था तो दादा ने उसका स्कूल जाना बंद कर दिया और उसे खेती के काम में लगा दिया। अतः पाँचवीं में पास न होने के कारण लेखक को फिर से उसी कक्षा में दाखिला लेना पड़ा।

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प्रश्न 10.
वसंत पाटील के व्यक्तित्व अथवा विद्यार्थी जीवन का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
वसंत पाटील लेखक का सहपाठी था। वह पतला-दुबला, किन्तु पढ़ने में होशियार था। उसका स्वभाव शांत था। उसके गणित के सभी सवाल ठीक निकलते थे। गणित के अध्यापक ने उसे कक्षा का मॉनीटर बना दिया था। लेखक भी उसे देखकर खूब मेहनत करने लगा था। लेखक पर वसंत पाटील का गहरा प्रभाव पड़ा था।

प्रश्न 11.
वसंत पाटिल की नकल करने से कथानायक को क्या लाभ प्राप्त हुआ?
उत्तर:
वसंत पाटील कक्षा में सबसे होशियार विद्यार्थी था। वह कक्षा का मॉनीटर भी था। उसकी नकल करने से कथानायक भी गणित के सवाल हल करने लगा। धीरे-धीरे वह भी कक्षा में वसंत पाटील के समान सम्मान प्राप्त करने लगा। यही नहीं, अध्यापक भी उसका उत्साह बढ़ाने लगे।

प्रश्न 12.
मास्टर सौंदलगेकर की साहित्यिक चेतना/काव्य-ज्ञान को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मास्टर सौंदलगेकर मराठी भाषा का अध्यापक था। वह बहुत तन्मय होकर कक्षा में बच्चों को पढ़ाता था। उस में साहित्य के प्रति गहन आस्था थी। उसे मराठी व अंग्रेज़ी की बहुत-सी कविताएँ कण्ठस्थ थीं। उसका गला बहुत सुरीला था। उसे छंद और लय का भी पूर्ण ज्ञान था। वह कविता के साथ ऐसे जुड़ता कि अभिनय करके भाव बोध करा देता। वह स्वयं भी बहुत सुन्दर कविता रचना करता था। वह कभी-कभी अपनी कविताएँ भी कक्षा में सुनाता था। लेखक ऐसे क्षणों में बहुत तन्मय हो जाता

प्रश्न 13.
गुड़ के विषय में दादा के व्यापारिक ज्ञान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
दादा के अनुसार अगर कोल्हू जल्दी शुरू किया जाता तो ईख की अच्छी-खासी कीमत मिल जाती और उनकी यह सोच सही थी। क्योंकि जब चारों ओर कोल्हू चलने शुरू हो जाते तब बाज़ार में गुड़ की अधिकता हो जाती और भाव नीचे उतर आते। अच्छी कीमत वसूलने के लिए दादा गाँव भर से पहले अपना कोल्हू शुरू करवाते।

प्रश्न 14.
आनंदा के दादा की क्रूरता का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:’
जूझ’ कहानी को पढ़ने से पता चलता है कि आनंदा के दादा (पिता) एक क्रूर व्यक्ति हैं। उसे अपने छोटे-से बालक के प्रति जरा भी सहानुभूति नहीं है। वह उसे पढ़ने के लिए स्कूल भेजने की अपेक्षा खेत मे काम करवाना चाहता है। वह उसकी पढ़ाई का विरोध करता है। वह दत्ता जी राव के कहने से आनंदा को स्कूल भेजने के लिए मान जाता है। उसके लिए भी कई कड़ी शर्ते रखता है। वह आप काम न करके बालक से खेत का काम करवाना चाहता है। यह उसकी क्रूरता का ही प्रमाण है।

प्रश्न 15.
लेखक को यह कब लगा मानो उसके पंख लग गए हों?
उत्तर:
मराठी, अध्यापक के कहने पर लेखक ने अपने द्वारा बनाई गई मनोरम लय को बच्चों के सामने गाया। यही नहीं, उसने स्कूल के समारोह में भी गीत को गाकर सुनाया, जिसे सभी ने पसंद किया। इससे लेखक का उत्साह बढ़ गया। इस प्रकार लेखक को लगा मानो उसके पंख लग गए हों।

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प्रश्न 16.
लेखक के कवियों के बारे में क्या विचार थे? अब वह उन्हें आदमी क्यों समझने लगा?
उत्तर:
पहले लेखक कवियों को किसी अन्य लोक के प्राणी समझता था। किंतु जब उसने देखा कि मराठी के मास्टर जी भी कविता लिखते हैं तब लेखक को समझ में आया कि ये कवि भी उसी के समान हाड़-माँस के आदमी होते हैं। अतः उसके मन का भ्रम दूर हो गया।

प्रश्न 17.
लेखक को मास्टर जी से किन विषयों पर कविताएँ लिखने की प्रेरणा मिली?
उत्तर:
मास्टर जी के घर के द्वार पर मालती की एक लता थी। उन्होंने उस पर एक अच्छी कविता लिखी थी। उसे सुनकर लेखक को भी प्रेरणा मिली। उसने अपने आस-पास के वातावरण, गाँव, खेत, फसल, फल-फूल और पशुओं आदि पर कविताएँ लिखनी आरंभ कर दी।

प्रश्न 18.
आनंदा के काव्य-प्रेम का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आनंदा एक होनहार छात्र था। वह अपने मराठी भाषा के अध्यापक सौंदलगेकर से बहुत प्रभावित था। वह मराठी भाषा में काव्य रचना करता था। आनन्दा ने अपने अध्यापक से प्रेरित होकर काव्य रचना आरम्भ की थी। वह कभी-कभी अपनी कविता को कक्षा में भी पढ़कर सुना देता था। उसे कविता के प्रति इतना प्रेम था कि वह भैंस को चराते समय भैंस की कमर पर भी कविता लिख देता था। कभी-कभी जमीन पर भी कविता लिखने का अभ्यास करता था। बाद में बड़ा होकर उसने अपने परिश्रम से अनेक कविताओं की रचना की थी। इससे उसके काव्य-प्रेम का बोध होता है।

जूझ Summary in Hindi

जूझ लेखक-परिचय

प्रश्न-
श्री आनंद यादव का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी साहित्यिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
श्री आनंद यादव का साहित्यिक परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
श्री आनंद यादव का पूरा नाम आनंद रतन यादव है। इनका जन्म सन् 1935 में कागल कोल्हापुर में हुआ जो कि महाराष्ट्र में स्थित है। पाठकों में वे आनंद यादव के नाम से प्रसिद्ध हैं। इन्होंने मराठी तथा संस्कृत साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधियाँ प्राप्त की और बाद में पी.एच.डी. भी की। बहुत समय तक आनंद यादव पुणे विश्वविद्यालय में मराठी विभाग में कार्यरत रहे। अब तक आनंद यादव की लगभग पच्चीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उपन्यास के अतिरिक्त इनके कविता-संग्रह तथा समालोचनात्मक निबंध भी प्रकाशित हो चुके हैं। इनकी रचना ‘नटरंग’ का प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा किया गया। सन 1990 में साहित्य अकादमी ने इनके द्वारा रचित उपन्यास ‘जूझ’ को पुरस्कार देकर सम्मानित किया। आनंद यादव की साहित्यिक रचनाएँ मराठी साहित्यकारों तथा पाठकों में काफी लोकप्रिय हैं।।

‘जूझ’ एक बहुचर्चित एवं बहुप्रशंसित आत्मकथात्मक उपन्यास है। इसमें एक किशोर के देखे और भोगे हुए गंवई जीवन के खुरदरे यथार्थ की विश्वसनीय गाथा का वर्णन है। इसके साथ-साथ लेखक ने अस्त-व्यस्त निम्न मध्यवर्गीय ग्रामीण समाज तथा संघर्ष करते हुए किसान-मजदूरों के जीवन की यथार्थ झांकी प्रस्तुत की है।

उपन्यास के इस अंश की भाषा सहज, सरल तथा सामान्य हिंदी भाषा है, जिसमें तत्सम, तदभव तथा देशज शब्दों का सुंदर मिश्रण देखा जा सकता है। आत्मकथात्मक शैली के प्रयोग के कारण उपन्यास का यह अंश काफी रोचक एवं प्रभावशाली बन पड़ा है।

जूझ पाठ का सार

प्रश्न-
आनंद यादव द्वारा रचित ‘जूझ’ नामक पाठ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
जूझ’ मराठी के प्रसिद्ध कथाकार आनंद यादव के बहुचर्चित उपन्यास का एक अंश है। इसमें एक संघर्षशील किशोर के जीवन का यथार्थ वर्णन किया गया है। किशोर के पिता ने उसे कक्षा चार के बाद पाठशाला नहीं जाने दिया और खेती के काम में लगा लिया। किशोर को खेतों पर पानी लगाने और कोल्हू पर कार्य करना पड़ता है। दिनभर वह खेतों और घर के काम में जुटा रहता है। उसे पता है कि खेतों में कार्य करने से उसे कुछ भी हाथ नहीं लगेगा। पढ़कर उसे नौकरी मिल सकती है। परंतु वह यह बात अपने दादा से कह नहीं पाता। यदि दादा को इस बात का पता लगेगा तो दादा उसकी बुरी तरह से पिटाई करेंगे। आखिर किशोर अपनी माँ के सहयोग से एक योजना बनाता है। कोल्हू का कार्य लगभग समाप्त हो चुका था। उसकी माँ कंडे थाप रही थी और किशोर बाल्टी में पानी भर-भर कर माँ को दे रहा था। उसने सोचा कि माँ से अकेले में बात करना उचित होगा। आखिर उसने हौंसला करके माँ से बात की। परंतु माँ ने कहा कि जब भी तेरी पढ़ाई की बात चलती है तो तुम्हारे दादा जंगली सूअर के सामान गुर्राने लगता है।

तब किशोर ने अपनी माँ से कहा कि वह दत्ता जी राव देसाई से इस बारे में बात करे। अन्ततः यह तय हुआ कि माँ-बेटा रात को उनसे बात करने जाएँगे। माँ चाहती थी कि उसका पुत्र सातवीं तक पढ़ाई तो अवश्य कर ले। इसलिए दोनों माँ-बेटा दत्ता जी राव के घर गए। दीवार के साथ बैठकर माँ ने दत्ता जी राव को घर की सभी बातें बता दी। उसने यह भी कहा कि उसका पति सारा दिन रखमाबाई के पास रहता है और खेत में खुद काम करने की बजाय उसके लड़के को इस काम पर लगा रखा है। इसलिए उसने उसके पुत्र की पढ़ाई बंद करवा दी है। दत्ता जी का रुख काफी अनुकूल था। यह देखकर किशोर ने कहा कि अब जनवरी का महीना चल रहा है, यदि उसे पाठशाला भेज दिया गया तो वह दो महीने में अच्छी तरह से पढ़कर पाँचवीं कक्षा पास कर लेगा। इस प्रकार उसका एक साल बच जाएगा। किशोर के पिता के काले कारनामे सुनकर राव जी क्रोधित हो उठे और कहा कि वह उसे आज ही ठीक कर देंगे।

राव ने किशोर से यह भी कहा कि जैसे ही तुम्हारे दादा घर पर आएँ तो उसे मेरे यहाँ भेज देना और घड़ी भर बाद तुम भी कोई बहाना करके यहाँ आ जाना। माँ-बेटा दोनों ने मिलकर यह भी निवेदन किया कि उनके यहाँ आने की बात दादा जी को पता न चले। इस पर दत्ता जी राव ने कहा कि तुमसे जो कुछ पूछूगा वह तुम बिना डर के बता देना। आखिर माँ-बेटे घर लौट गए। माँ ने दादा को राव साहब के यहाँ भेज दिया। साथ ही यह बहाना बनाया कि वह उनके यहाँ साग-भाजी देने गई थी। किशोर का दादा राव के बुलावे को अपना सम्मान समझकर तत्काल पहुँच गया। लगभग आधे घंटे बाद माँ ने बच्चे को यह कहकर भेजा कि दादा को खाने पर घर बुलाया है। दत्ता जी ने किशोर को देखकर कहा कि तू कौन-सी कक्षा में पढ़ता है। इस पर किशोर ने उत्तर दिया कि पहले वह पाँचवीं में पढ़ता था। अब पाठशाला नहीं जाता। क्योंकि दादा ने उसे स्कूल जाने से मना कर दिया है और खेतों में पानी देने के काम पर लगा दिया है। दादा ने रतनाप्पा राव को अपनी सारी बात बता दी।

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इस पर राव साहब ने दादा को फटकारते हुआ कहा “खुद खुले साँड की तरह घूमता है, लुगाई और बच्चों को खेती में जोतता है, अपनी मौज-मस्ती के लिए लड़के की बलि चढ़ा रहा है । इसके बाद दत्ता जी ने किशोर से कहा-“तू कल से पाठशाला जा, मास्टर को फीस दे दे, मन लगाकर पढ़, साल बचाना है। यदि यह तुझे पाठशाला न जाने दे, तो मेरे पास चले आना, मैं पढ़ाऊँगा तुझे।” इसके बाद दादा ने किशोर पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह दिन भर जुआ खेलता है, कंडे बेचता है, चारा बेचता है, सिनेमा देखता है, खेती और घर का काम बिल्कुल भी नहीं करता है। परंतु यह सब आरोप झूठे थे। अन्ततः दत्ता जी ने दादा को संतुष्ट कर दिया और किशोर को अच्छी प्रकार समझाया। इस पर दादा ने यह स्वीकार कर लिया कि वह अपने बेटे को पाठशाला भेजेगा। परंतु दादा ने यह भी शर्त लगा दी कि वह सुबह ग्यारह बजे तक खेत में काम करेगा और सीधा खेत से ही पाठशाला जाएगा। यही नहीं, छुट्टी के बाद वह घंटा भर पशु चराएगा।

यदि खेत में अधिक काम हुआ तो वह कभी-कभी स्कूल से छुट्टी भी ले लेगा। किशोर ने यह सभी शर्ते मान लीं।। किशोर पाठशाला की पाँचवीं कक्षा में जाकर बैठ गया। कक्षा में दो लड़के उसकी गली के थे और बाकी सब अपरिचित थे। वे किशोर से कम उम्र के थे। वह बैंच के एक कोने पर जाकर बैठ गया। कक्षा के एक शरारती लड़के ने उसका मजाक उड़ाया। यही नहीं, उसका गमछा छीनकर मास्टर जी की मेज पर रख दिया। छुट्टी के समय उस शरारती लड़के ने किशोर की धोती की लाँग खोल दी। यह सब देखकर किशोर घबरा गया और उसका मन निराश हो गया। उसने अपनी माँ से कह कर बाज़ार से नई टोपी और चड्डी मंगवा ली, जिन्हें पहनकर वह स्कूल जाने लगा। इधर अध्यापक कक्षा के शरारती बच्चों को खूब मारते थे, इससे कक्षा का वातावरण कुछ सुधर गया। कक्षा का वसंत पाटील नाम का लड़का उम्र में छोटा था, परंतु पढ़ने में बहुत होशियार था। वह स्वभाव से शांत था और घर से पढ़कर आता था। इसलिए शिक्षक ने उसे कक्षा का मॉनीटर बना दिया। किशोर भी उसी के समान मन लगाकर पढ़ने लगा। धीरे-धीरे गणित उसकी समझ में आने लगा। अब वह भी वसंत पाटील के समान बच्चों के सवाल जांचने लगा। यही नहीं वसंत अब उसका दोस्त बन चुका था। अध्यापक खुश होकर उसे ‘आनंदा’ के नाम से पुकारते थे। अध्यापक के अपनेपन और वसंत की दोस्ती के कारण धीरे-धीरे उसका मन पढ़ाई में लगने लगा।

पाठशाला में न.वा.सौंदलगेकर नाम के मराठी के अध्यापक थे। उन्हें बहुत-सी मराठी और अंग्रेज़ी कविताएँ आती थीं। वे स्वर में कविताएँ गाते थे और छंदलय के साथ कविता का पाठ करते थे। कभी-कभी वे स्वयं भी अपनी कविता लिखते थे और कक्षा में सुनाते थे। धीरे-धीरे किशोर लेखक को उससे प्रेरणा मिलने लगी। जब भी वह खेत पर पानी लगाता या ढोर चराता, तब वह मास्टर के ही हाव-भाव, यति-गति और आरोह-अवरोह आदि के साथ कविता का गान करता था। यही नहीं, वह स्वयं भी कविताएँ लिखने लगा। अब उसे खेत का अकेलापन अच्छा लगता था। वह ऊँची आवाज़ में कविता का गान करता, अभिनय करता और कभी-कभी नांचने भी लगता। मास्टर जी को भी किशोर लेखक का कविता ज्ञान बहुत अच्छा लगा। उनके कहने पर ही किशोर लेखक ने छठी-सातवीं के बालकों के सामने कविता का गान किया। पाठशाला के एक समारोह में उसे कविता पाठ करने का अवसर मिला।

मास्टर सौंदलगेकर भी स्वयं कविता करते थे और उनके घर में भी कुछ कवियों के काव्य-संग्रह रखे हुए थे। वे अकसर लेखक को कवियों के संस्मरण भी सुनाते रहते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि किशोर लेखक को यह पता चल गया कि कवि भी हमारे समान एक मानव है। वह भी हमारे समान कविता कर सकता है। लेखक ने मास्टर जी के घर के दरवाजे पर लगी मालती की लता और उस पर लिखी कविता भी देखी थी।

उसे लगा कि वह भी अपने खेतों पर, गाँव पर, गाँव के लोगों पर कविताएँ लिख सकता है। इसलिए भैंस चराते समय वह पशुओं तथा जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा। कभी-कभी वह अपनी लिखी हुई कविता मास्टर जी को दिखा देता था। इस काम के लिए वह अपने पास एक कागज़ और पैन रखने लगा। जब भी कागज़ और पैल न होती तो वह कंकर से पत्थर की शिला पर या छोटी लकड़ी से भैंस की पीठ पर कविता लिख देता था। कभी-कभी वह अपनी लिखी हुई कविता मास्टर जी को दिखाने के लिए उनके घर पहुँच जाता था। मास्टर जी भी उसे अच्छी कविता लिखने की प्रेरणा देने लगे और छंद, लय तथा अलंकारों का ज्ञान देने लगे। यही नहीं, वे किशोर युवक को पढ़ने के लिए पुस्तकें भी देने लगे। धीरे-धीरे मास्टर जी और किशोर लेखक में समीपता बढ़ती गई और उसकी मराठी भाषा में सुधार होने लगा। अब किशोर लेखक को शब्द के महत्त्व का पता लगा और वह अलंकार छंद, लय आदि को समझने लगा।

कठिन शब्दों के अर्थ

मन तड़पना = व्याकुल होना। हिम्मत = हौंसला। गड्ढे में धकेलना = पतन की ओर ले जाना। कोल्हू = एक ऐसी मशीन जिसके द्वारा गन्नों का रस निकाला जाता है। बहुतायत = अत्यधिक। मत = विचार। भाव नीचे उतरना = कीमत घटना। अपेक्षा तुलना। जन = मनुष्य। कडे = गोबर के उपले या गौसे। स्वर = वाणी। मन रखना = ध्यान देना। तड़पन = बेचैनी। जोत देना = लगा देना। छोरा = लड़का। निडर = निर्भीक। मालिक = स्वामी। बाड़ा = अहाता। जीमने = खाना खाने। राह देखना = प्रतीक्षा करना। जिरह = बहस । हजामत बनाना = डाँटना, फटकारना। श्रम = मेहनत। लागत = खर्च। लुगाई = स्त्री, पत्नी। काम में जोतना = खूब काम लेना। खुद = स्वयं । बर्ताव = व्यवहार। गलत-सलत = उल्टा-सीधा। ज़रा = तनिक। ना पास = फेल, अनुतीर्ण । वक्त = समय। ढोर = पशु। बालिस्टर = वकील। रोते-धोते = जैसे-तैसे। अपरिचित = अनजान। इंतज़ार = प्रतीक्षा। खिल्ली उड़ाना = मज़ाक उड़ाना। पोशाक = तन के कपड़े। मटमैली = गंदगी। गमछा = पतले कपड़े का तौलिया। काछ = धोती का लाँग।

चोंच मार-मार कर घायल करना = बार-बार पीड़ा पहुँचाना। निबाह = गुज़ारा। उमंग = उत्साह । मैलखाऊ = जिसमें मैल दिखाई न देता हो। दहशत = डर । ऊधम = कोलाहल मचाना। शाबाशी = प्रशंसा। ठोंक देना = पिटाई करना। पसीना छूटना = भयभीत होना। होशियार = चतुर। सवाल = प्रश्न। सही = ठीक। जाँच = परीक्षण। सम्मान = आदर। मुनासिब = उचित। व्यवस्थित = ठीक तरह से। एकाग्रता = ध्यानपूर्वक। मुलाकात = भेंट। दोस्ती जमना = मित्रता होना। कंठस्थ = जबानी याद होना। संस्मरण = पुरानी घटनाओं को याद करना। दम रोककर = तन्मय होकर। मान = आभास। यति-गति = कविता में रुकने तथा आगे बढ़ने के नियम। आरोह-अवरोह = स्वर का ऊँचा-नीचा होना। खटकना = महसूस होना। गपशप = इधर-उधर की बातें। समारोह = उत्सव। तुकबंदी = छंद में बंधी हुई कविता। महफिल = सभा। कविता का शास्त्र = कविता के नियम। ढर्रा = शैली। अपनापा = अपनापन, अपनत्व। सूक्ष्मता = बारीकी से।

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HBSE 12th Class Hindi कैसे बनता है रेडियो नाटक

Haryana State Board HBSE 12th Class Hindi Solutions कैसे बनता है रेडियो नाटक Questions and Answers, Notes.

Haryana Board 12th Class Hindi कैसे बनता है रेडियो नाटक

प्रश्न 1.
रेडियो नाटक का आरंभ कैसे हुआ?
उत्तर:
एक ज़माना था, जब दुनिया में न तो टेलीविज़न था, न ही कंप्यूटर। सिनेमा हॉल और थिएटर भी बहुत कम थे। अगर थे तो आज की तुलना में उनकी संख्या बहुत ही कम थी। किसी भी व्यक्ति को वे आसानी से उपलब्ध नहीं होते थे। ऐसी स्थिति में आम आदमी घर में बैठे मनोरंजन करने के लिए रेडियो का ही सहारा लेता था। रेडियो से ही खबरें सुनी जा सकती थीं, ज्ञानवर्धक कार्यक्रम तथा खेलों का आँखों देखा हाल भी प्रसारित होता था। उस समय एफ.एम. चैनल नहीं थे, लेकिन गीत-संगीत खूब सुनने को मिलता था। उस समय प्रसारित होने वाले रेडियो नाटक ही टी०वी० धारावाहिकों और टेलीफिल्मों की कमी को पूरा करते थे।

हिंदी साहित्य के बड़े-बड़े साहित्यकार साहित्य रचना भी करते थे और रेडियो के लिए नाटक भी लिखते थे। उस समय रेडियो के साथ जुड़ना बड़े सम्मान की बात मानी जाती थी। हिंदी के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं के नाट्य आंदोलन के विकास में रेडियो नाटक ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। हिंदी में कुछ ऐसे नाटक भी हैं जो मूलतः रेडियो के लिए लिखे गए थे लेकिन बाद में साहित्य जगत में काफी लोकप्रिय हुए। इस संदर्भ में धर्मवीर भारती द्वारा रचित ‘अंधा युग’ (गीति नाटक) तथा मोहन राकेश द्वारा रचित ‘आषाढ़ का एक दिन’, सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं। इस प्रकार रेडियो नाटक का इतिहास रेडियो से ही आरंभ होता है।

प्रश्न 2.
रेडियो नाटक और सिनेमा/रंगमंचीय नाटक में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रेडियो नाटक और सिनेमा/रंगमंचीय नाटक में निम्नलिखित अन्तर हैं-

रेडियो नाटकसिनेमा/रंगमंचीय नाटक
1. सिनेमा/रंगमंचीय नाटक दृश्य माध्यम है।1. रेडियो नाटक एक श्रव्य माध्यम है।
2. इनमें दृश्य होते हैं।2. इसमें दृश्य नहीं होते।
3. रेडियो नाटक में साज-सज्जा का कोई महत्त्व नहीं होता क्योंकि वहाँ इसका प्रयोग नहीं होता।3. सिनेमा/रंगमंचीय नाटक में साज-सज्जा का अत्यधिक महत्त्व होता है।
4. रेडियो नाटक में भाव भंगिमा का महत्त्व नहीं होता।4. सिनेमा/रंगमंच में भाव भंगिमा का बहुत महत्त्व होता है।
5. कहानी का विकास संवादों के माध्यम से ही होता है।5. इनमें कहानी का विकास पात्रों की भावनाओं और गतिविधियों तथा संवादों द्वारा किया जाता है।
6. रेडियो नाटक में दृश्य एवं अंक नहीं होते।6. जबकि रंगमंचीय नाटक में दृश्य व अंक होते हैं।

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प्रश्न 3.
सिनेमा, रंगमंच और रेडियो नाटक में क्या समानताएँ और विषमताएँ हैं? स्पष्ट करें।
उत्तर:
मूलतः रेडियो नाटक सिनेमा तथा रंगमंच से मिलती-जुलती विधा है। इसमें सिनेमा तथा रंगमंच की तरह चरित्र होते हैं और इन्हीं चरित्रों द्वारा संवाद बोले जाते हैं तथा संवादों के कारण ही कथानक आगे बढ़ता है। सिनेमा और रंगमंच के समान रेडियो नाटक के कथानक में आरंभ, मध्य और अंत होता है। यही नहीं, इनमें पात्रों के परिचय, द्वंद्व के साथ-साथ अंत में समाधान भी दिया जाता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि रेडियो नाटक सतही तौर पर सिनेमा और रंगमंच के समान है।

लेकिन इनमें कुछ विषमताएँ भी हैं। पहली बात तो यह है कि सिनेमा और रंगमंच में दृश्य होते हैं, परंतु रेडियो नाटक में दृश्य नहीं होते। रेडियो नाटक एक श्रव्य माध्यम है, परंतु सिनेमा और रंगमंच में अभिनेता की भावनाओं द्वारा कथानक प्रस्तुत किया जाता है। रेडियो नाटक में ध्वनि प्रभावों का विशेष महत्त्व होता है और इन्हीं के द्वारा सब कुछ संप्रेषित किया जाता है। सिनेमा और रंगमंच में कथानक के साथ-साथ मंच सज्जा तथा वेश सज्जा का भी ध्यान रखना पड़ता है। रेडियो नाटक में इनका कोई महत्त्व नहीं होता है, क्योंकि वह दृश्य नाटक न होकर श्रव्य नाटक होता है।

प्रश्न 4.
रेडियो नाटक के कथानक में किन-किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है? स्पष्ट करें।
उत्तर:
रेडियो नाटक का कथानक संवादों और ध्वनि प्रभावों पर ही निर्भर रहता है। इसलिए कथानक का चुनाव करते समय अग्रलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है-
(1) रेडियो नाटक का कथानक केवल एक घटना पर आधारित नहीं होना चाहिए। उदाहरण के रूप में, यदि रेडियो नाटक के कथानक का आधार पुलिस द्वारा डाकुओं का पीछा करना है, तो यह कथानक अधिक देर तक नहीं रहना चाहिए, अन्यथा यह उबाऊ हो जाएगा। इसका मतलब यह है कि रेडियो नाटक के कथानक में अत्यधिक संवाद होने चाहिए तथा एक-से-अधिक घटनाएँ भी होनी चाहिए।

(2) सामान्य तौर पर रेडियो नाटक की अवधि 15 से 30 मिनट तक होनी चाहिए। इससे अधिक की अवधि के नाटक को श्रोता सुनना पसंद नहीं करेगा। कारण यह है कि श्रोता की एकाग्रता 15 से 30 मिनट तक ही बनी रहती है। यदि रेडियो नाटक की अवधि लंबी होगी, तो श्रोता की एकाग्रता भंग हो जाएगी और उसका ध्यान भी भटक जाएगा।

(3) रेडियो नाटक में पात्रों की संख्या बहुत कम होनी चाहिए। तीन-चार पात्रों का नाटक आदर्श नाटक कहा जा सकता है। यदि रेडियो नाटक में बहुत अधिक पात्र होंगे, तो श्रोताओं को पात्रों को याद रखना कठिन होगा, क्योंकि श्रोता केवल आवाज़ के माध्यम से रेडियो के पात्रों को याद रखता है।

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प्रश्न 5.
रेडियो नाटक की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
रेडियो नाटक की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

  1. रेडियो नाटक में संकलनत्रय के लिए कोई स्थान नहीं है। इसकी घटनाएँ गौ द्ध से लेकर गांधी युग की यात्रा कर सकती हैं, क्योंकि इसमें केवल प्रभावान्विति पर बल दिया जाता है।
  2. रेडियो नाटक में मनोवैज्ञानिक चित्रण की सुविधाएँ विद्यमान हैं। रेडियो नाटक के पात्रों के मन की गहराई में उतरना सरल है।
  3. रेडियो नाटक में वाद्य संगीत, ध्वनि प्रभाव अथवा शांति के द्वारा दश्य परिवर्तन किया जा सकता है और इस कार्य में बहुत कम समय लगता है।
  4. रेडियो नाटक में सभी प्रकार के दृश्य उपस्थित किए जा सकते हैं; जैसे समुद्र की ऊँची, लहरों पर डूबती-उतरती नौका अथवा कारखानों में काम करते मज़दूर।
  5. रंगमंच पर अस्वाभाविक लगने वाले प्रतीकात्मक पात्र रेडियो नाटक में सजीव एवं स्वाभाविक प्राणी बन जाते हैं। यही नहीं, भाव और विचार भी मानव शरीर धारण कर लेते हैं।
  6. रंगमंच का अस्वाभाविक स्वगत कथन माइक्रोफोन का स्पर्श पाकर रेडियो नाटक पर स्वाभाविक बन जाता है।

प्रश्न 6.
रेडियो नाटक के तत्वों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
रेडियो नाटक का आधार ध्वनि है और ध्वनि ही भावाभिव्यक्ति का सबसे बड़ा साधन है। एक ही शब्द का हम अलग-अलग उच्चारण करके प्रेम, घृणा, क्रोध आदि विभिन्न भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं। रेडियो नाटक में ध्वनि का प्रयोग तीन प्रकार से होता है और यही तीन ही रेडियो नाटक के तत्त्व हैं। ये हैं

  • भाषा
  • ध्वनि प्रभाव
  • संगीत

(1) भाषा-भाषा रेडियो नाटक का मूल आधार है। यही बोलने और सुनने के काम आती है, परंतु रेडियो नाटक में सहज, सरल, स्वाभाविक भाषा का ही प्रयोग होना चाहिए। जटिल भाषा रेडियो नाटक को असफल बनाती है, क्योंकि रेडियो नाटक सुनने वाले आम लोग होते हैं। रेडियो नाटक में भाषा का प्रयोग दो रूपों में किया जाता है

  • कथोपकथन,
  • नैरेशन (प्रवक्ता का कथन)

कथोपकथन रेडियो नाटक के पात्रों की मानसिक स्थितियों से परिचित करवाता है। कथानक को गति देता है, श्रोता को अपनी ओर आकर्षित करता है।

नैरेशन का अर्थ है-नाटक का वह अंश, जिसके द्वारा पात्र नाटक के क्रिया-कलापों के वातावरण का निर्माण करता है, आवश्यक विवरण देता है और घटनाओं की श्रृंखला को जोड़ता है। इस प्रकार के पात्र को सूत्रधार प्रवक्ता, वाचक, वाचिका, आलोचक, उद्घोषक, स्त्री स्वर, पुरुष स्वर आदि नाम दिए जाते हैं।

नैरेटर भी दो प्रकार के होते हैं

  • प्रथम कोटि के नैरेटर का व्यक्तिगत जीवन के नाटक की घटनाओं से कोई संबंध नहीं होता और वह नाटक के क्रिया-कलाप का तटस्थ दर्शक तथा प्रवक्ता होता है।
  • दूसरी कोटि का नैरेटर नाटक का पात्र होता है, जिसके जीवन की घटनाएँ नाटक से प्रत्यक्ष रूप से संबंध रखती हैं। उसके कथन काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं।

(2) ध्वनि प्रभाव ध्वनि का अर्थ है-रेल, तूफ़ान, कारखाना, वर्षा, बादल, बाज़ार आदि की ध्वनियाँ, जिनका प्रयोग नाटक प्रसारित करते समय किया जाता है। इन ध्वनियों के प्रयोग से रेडियो नाटक में वातावरण का निर्माण होता है।

(3) संगीत-ध्वनि और वाद्य संगीत का प्रयोग पात्रों के कार्यों के लिए पृष्ठभूमि तथा वातावरण निर्माण के लिए किया जाता है। यही नहीं, इसके द्वारा भावाभिव्यंजना, दृश्य परिवर्तन तथा देशकाल का परिचय भी दिया जाता है। संगीत के प्रयोग से रेडियो नाटक सजीव एवं प्रभावशाली बन जाता है।

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प्रश्न 7.
रेडियो नाटकों में ध्वनि तथा संवादों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
रेडियो एक श्रव्य माध्यम है। रेडियो रूपक रेडियो से प्रसारित किया जाता है। अतः यह भी श्रव्य विधा है। इसमें संवादों का विशेष महत्त्व रहता है। श्रोता ध्वनि तथा संवादों को सुनकर ही कथानक को समझता है और आनंद उठाता है। नाटक के पात्रों की जानकारी भी संवादों से मिलती है, जिन्हें सुनकर श्रोता अपने मन में पात्र का बिंब बना लेता है। संवादों से ही पात्रों के नाम, उनके काम तथा उनकी चारित्रिक विशेषताओं का परिचय मिलता है। संवाद भाषा पर निर्भर होते हैं। भाषा से ही पता चलता है कि नाटक संवाद शहरी हैं अथवा ग्रामीण। यही नहीं, भाषा से पात्रों की आयु तथा व्यवसाय का भी पता चल जाता है। जब पात्र एक-दूसरे को नाम लेकर बुलाते हैं, तो श्रोता को उसकी जानकारी मिल जाती है। संवाद ही कथानक को गतिशील बनाते हैं और पात्रों की चारित्रिक विशेषताओं का उद्घाटन करते हैं।

जहाँ तक ध्वनि का प्रश्न है, उसके बिना रेडियो नाटक प्रभावहीन होता है। ध्वनि अनुकूल देशकाल तथा वातावरण का निर्माण करती है। आँधी, तूफान, सड़क, वर्षा, बादल, कारखाना, बाज़ार आदि की जानकारी भी ध्वनि से मिलती है। पुनः ध्वनि का सहयोग पाकर ही संवाद गतिशील होते हैं और कथानक को आगे बढ़ाते हैं। अतः संवादों के साथ-साथ ध्वनि प्रभाव का भी रेडियो नाटक में विशेष महत्त्व है।

पाठ से संवाद

प्रश्न 1.
दृश्य-श्रव्य माध्यमों की तुलना में श्रव्य माध्यम की क्या सीमाएँ हैं? इन सीमाओं को किस तरह पूरा किया जा सकता है?
उत्तर:
दृश्य-श्रव्य माध्यम में हम नाटक को अपनी आँखों से देख भी सकते हैं और पात्रों द्वारा बोले गए विभिन्न संवादों को सुन भी सकते हैं। नाटक निर्देशक संपूर्ण नाटक को रंगमंच पर प्रस्तुत करता है। नाटक में अनेक दृश्य होते हैं, जिन्हें मंच पर सजाया जाता है। जब प्रत्येक दृश्य को अभिनय द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तब हम अभिनेताओं के हाव-भाव को देखते हैं, उनके वार्तालाप को सुनते हैं इस प्रकार से हम संपूर्ण नाटक का आनंद लेते हैं। सिनेमा और टी०वी० सीरियल में भी यही स्थिति होती है। परंतु श्रव्य माध्यम की कुछ सीमाएँ हैं। इसमें हम कुछ भी देख नहीं सकते, केवल सुन सकते हैं। रेडियो नाटक में निर्देशक नाटक को इस प्रकार प्रस्तुत करता है कि ध्वनियों के माध्यम से ही सब-कुछ समझना पड़ता है। उदाहरण के रूप में, यदि नदी के किनारे पर दो पात्र वार्तालाप कर रहे हैं, तो नदी के बहने की ध्वनि उत्पन्न की जाएगी और फिर वहाँ पात्र बात करते सुनाई देंगे।

इससे श्रोता अनुमान लगा लेगा कि पात्र नदी के किनारे आपस में बातें कर रहे हैं। इसी प्रकार यदि जंगल का दृश्य प्रस्तुत करना हो, तो जंगल देने वाला संगीत उत्पन्न किया जाता है। कभी-कभी पात्र वातावरण की सृष्टि करने के लिए स्वयं वार्तालाप द्वारा इसे प्रस्तुत करते हैं; जैसे-“ओह! बड़ी सर्दी पड़ रही है। ठंड के मारे हाथ काँप रहे हैं।” यदि वर्षा का वातावरण उत्पन्न करना हो, तो बरसात होने की ध्वनि प्रस्तुत की जाएगी तथा जल्दी-जल्दी चलने की आवाज़ों को उनके वार्तालाप के साथ जोड़ा जाएगा। इस प्रकार हम देखते हैं कि दृश्य-श्रव्य माध्यम की तुलना में श्रव्य माध्यम में साधन बहुत सीमित होते हैं। इसमें केवल ध्वनि द्वारा ही वातावरण का निर्माण किया जा सकता है। इसके विपरीत, नाटक अथवा सिनेमा में दृश्य-श्रव्य दोनों माध्यमों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 2.
नीचे कुछ दृश्य दिए गए हैं। रेडियो नाटक में इन दृश्यों को आप किस-किस तरह से प्रस्तुत करेंगे, विवरण दीजिए।
(क) घनी अँधेरी रात
(ख) सुबह का समय
(ग) बच्चों की खुशी
(घ) नदी का किनारा
(ङ) वर्षा का दिन
उत्तर:
(क) घनी अँधेरी रात-साँय-साँय की आवाज़, किसी पात्र द्वारा यह कहना कि घना काला अँधेरा है, हाथ-को-हाथ नहीं सूझ रहा, चौकीदार की सीटी और जागते रहो का स्वर आदि द्वारा घनी अँधेरी रात के दृश्य को प्रस्तुत किया जा सकता है।

(ख) सुबह का समय-चिड़ियों के चहचहाने का स्वर, मुर्गे द्वारा बाँग देना, किसी पात्र द्वारा प्रातःकालीन भजन का स्वर आदि साधनों से सुबह के समय को प्रस्तुत किया जा सकता है।

(ग) बच्चों की खुशी-बच्चों के कोलाहल का स्वर, उनकी किलकारियाँ, उनकी हँसी तथा उनके खिलौनों की ध्वनियों द्वारा बच्चों की खुशी का दृश्य प्रस्तुत किया जा सकता है।

(घ) नदी का किनारा-नदी के बहते पानी की आवाज़, हवा का स्वर, पक्षियों का कलरव, किसी पात्र द्वारा यह कहना कि नदी का पानी बहुत ठंडा है आदि स्वरों द्वारा नदी के किनारे का दृश्य प्रस्तुत किया जा सकता है।

(ङ) वर्षा का दिन-निरंतर वर्षा होने की ध्वनि, किसी पात्र का यह कहना कि ‘आज तो वर्षा रुकने का नाम नहीं ले रही’, छाता खोल लो, पानी बहने का स्वर, परनाले से पानी गिरने का स्वर आदि के माध्यम से वर्षा के दिन का दृश्य प्रस्तुत किया जा सकता है।

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प्रश्न 3.
रेडियो नाटक लेखन का प्रारूप बनाइए और अपनी पुस्तक की किसी कहानी के एक अंश को रेडियो नाटक में रूपांतरित कीजिए।
उत्तर:
‘ईदगाह’ कहानी के आरंभ में एक ऐसा दृश्य है, जिसमें गाँव के कछ लड़के मिलकर ईदगाह जाने लगते हैं। वे हामिद को बुलाने के लिए उसके घर जाते हैं। हामिद भी ईदगाह के मेले में जाना चाहता है। हामिद की दादी उसे मेले में जाने से थोड़ा सावधान करती है। वह हामिद को मेले के लिए तीन पैसे देती है। रेडियो नाटक के लिए यह दृश्य इस प्रकार हो सकता है
(कुछ बच्चों की मिली-जुली आवाजें आ रही हैं। उनके पैरों की आवाज़ हामिद के घर के समीप आती जा रही हैं। वे हामिद के घर का दरवाज़ा खटखटाते हैं।)

  • एक स्वर-अरे ओ हामिद! हम सब मेले में जा रहे हैं। क्या तुम आ रहे हो?
  • हामिद-रुको! ‘मैं भी चल रहा हूँ।
    (चलने की आवाज़)
  • दादी-बेटे हामिद! थोड़ा रुको।
  • हामिद-(ऊँचे स्वर में) दादी जान क्या है?
  • दादी-मेले में सावधान होकर चलना कहीं……….
  • हामिद-(बीच में टोककर) हाँ! दादी मुझे सारा पता है। चिंता मत करो।
  • दादी-बेटे! मेले में कोई गंदी चीज़ न खाना।
  • हामिद हाँ, दादी ठीक है। ऐसा ही करूँगा।
    (बाहर बच्चों की आवाजें तीव्र हो जाती हैं।)
  • हामिद-(दरवाजा खोलते हुए) चलो! मैं भी साथ चल रहा हूँ।
    (धीरे-धीरे बच्चों की आवाजें मंद पड़ जाती हैं और पैरों की आवाजें भी लुप्त हो जाती हैं।

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HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर

Haryana State Board HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर

HBSE 12th Class Hindi कविता के बहाने, बात सीधी थी पर Textbook Questions and Answers

कविता के साथ

प्रश्न 1.
इस कविता के बहाने बताएँ कि ‘सब घर एक कर देने के माने क्या हैं?
उत्तर:
“सब घर एक कर देने का अभिप्राय है-आपसी भेदभाव तथा ऊँच-नीच के भेद को समाप्त कर देना और एक-दूसरे के प्रति आत्मीयता का अनुभव करना। गली-मोहल्ले में खेलते बच्चे अपने-पराए के भेदभाव को भूल जाते हैं। वे अन्य घरों को अपने घर जैसा मानने लगते हैं। इसी प्रकार कवि भी काव्य रचना करते समय सामाजिक भेदभाव को भूलकर कविता के माध्यम से अपनी बात कहता है।

प्रश्न 2.
‘उड़ने’ और ‘खिलने’ का कविता से क्या संबंध बनता है?
उत्तर:
‘उड़ने’ और ‘खिलने’ का कविता से गहरा संबंध है। कवि कल्पना की उड़ान द्वारा नए-नए भावों की अभिव्यंजना करता है परंतु कवि की उड़ान पक्षियों की उड़ान से अधिक ऊँची होती है। उसकी उड़ान अनंत तथा असीम होती है। जिस प्रकार फूल कर अपनी सुगंध और रंग को चारों ओर फैलाता है, उसी प्रकार कवि भी अपनी कविता के भावों के आनंद को सभी पाठकों में बाँटता है। कवि की कविता सभी पाठकों को आनंदानुभूति प्रदान करती है।

प्रश्न 3.
कविता और बच्चे को समानांतर रखने के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर:
कवि कल्पना के संसार की सृष्टि करके आनंद प्राप्त करता है और बच्चे आनंद प्राप्त करने के लिए क्रीड़ा करते हैं। खेलते समय सभी बच्चे आपस में जुड़ जाते हैं और छोटे-बड़े तथा अपने-पराए के भेद को भूल जाते हैं। कवि भी भेदभाव को भूलकर सबके कल्याणार्थ कविता की रचना करता है। खेल खेलते समय बच्चों का संसार बड़ा हो जाता है और साहित्य-रचना करते समय कवि का। इसीलिए कविता और बच्चे को समानांतर रखा गया है।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर

प्रश्न 4.
कविता के संदर्भ में ‘बिना मुरझाए महकने के माने’ क्या होते हैं?
उत्तर:
फूल कुछ समय अपनी सुगंध और रंग का सौंदर्य बिखेरता है, फिर वह मुरझा जाता है। उसकी कोमल पत्तियाँ सूख कर बिखर जाती हैं, लेकिन कविता एक ऐसा फूल है जो कभी नहीं मुरझाता। कविता की महक अनंतकाल तक पाठकों को आनंद विभोर करती रहती है। हम हज़ारों साल पूर्व रचे गए साहित्य का आज भी आनंद प्राप्त करते रहते हैं।

प्रश्न 5.
‘भाषा को सहूलियत’ से बरतने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘भाषा को सहूलियत’ से बरतने का अभिप्राय है-सहज, सरल तथा बोधगम्य भाषा का प्रयोग करना ताकि श्रोता भावाभिव्यक्ति को आसानी से ग्रहण कर सके। कवि को कृत्रिम तथा चमत्कृत करने वाली भाषा से बचना चाहिए। सरल बात, सरल भाषा में कही गई ही अच्छी लगती है।

प्रश्न 6.
बात और भाषा परस्पर जुड़े होते हैं, किंतु कभी-कभी भाषा के चक्कर में ‘सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। कैसे?
उत्तर:
बात और भाषा का गहरा संबंध होता है। मानव अपने मन की भावनाएँ शब्दों के द्वारा ही व्यक्त करता है। यदि हम अपनी अनुभूति को सहज और सरल भाषा में व्यक्त कर दें तो किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती। परंतु कवि प्रायः अपनी बात को कहने के लिए सुंदर भाषा और चमत्कृत करने वाली भाषा का प्रयोग करने लगते हैं जिससे कवि का कथ्य अस्पष्ट हो जाता है। कवि जो कुछ कहना चाहता है, वह ठीक से कह नहीं पाता। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि हम उन शब्दों को पढ़ रहे होते हैं जो हमारी समझ के बाहर होते हैं अर्थात् कविता का मूल भाव हमारी समझ में नहीं आ पाता। हिंदी साहित्य के रीतिकालीन कवियों ने प्रायः कविता के कलापक्ष को अधिक महत्त्व दिया है जिससे उनकी कविता के भाव अस्पष्ट होकर रह गए।

प्रश्न 7.
बात (कथ्य) के लिए नीचे दी गई विशेषताओं का उचित बिंबों/महावरों से मिलान करें।

बिंब/मुहावराविशेषता
(क) बात की चूड़ी मर जानाकथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना
(ख) बात की पेंच खोलनाबात का पकड़ में न आना
(ग) बात का शरारती बच्चे की तरह खेलनाबात का प्रभावहीन हो जाना
(घ) पेंच को कील की तरह ठोंक देनाबात में कसावट का न होना
(ङ) बात का बन जानाबात को सहज और स्पष्ट करना

उत्तर:

बिंब/मुहावराविशेषता
(क) बात की चूड़ी मर जानाबात का पकड़ में न आना
(ख) बात की पेंच खोलनाबात का प्रभावहीन हो जाना
(ग) बात का शरारती बच्चे की तरह खेलनाबात में कसावट का न होना
(घ) पेंच को कील की तरह ठोंक देनाबात को सहज और स्पष्ट करना
(ङ) बात का बन जानाकथ्य और भाषा का सही सामंजस्य बनना

कविता के आसपास

प्रश्न 1.
बात से जुड़े कई मुहावरे प्रचलित हैं। कुछ मुहावरों का प्रयोग करते हुए लिखें।
उत्तर:

  1. बातें बनाना केवल बातें बनाते रहोगे या मेरा काम भी करोगे।
  2. बात का धनी होना-यह अधिकारी बात का धनी है। यह जरूर हमारा काम करेगा।
  3. बात का बतंगड़ बनाना हमारा पड़ोसी तो हमेशा बात का बतंगड़ बना देता है। कभी-कभी तो झगड़े की नौबत भी आ जाती है।
  4. बात से मुकर जाना-जो लोग बात से मुकर जाते हैं, उन पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
  5. बात-बात पर मुँह बनाना तुम्हारी पत्नी तो बात-बात पर मुँह बनाने लगती है। यह कोई अच्छी बात नहीं है।

व्याख्या करें

“ज़ोर ज़बरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी।
उत्तर:
जब कोई कवि अपनी भावाभिव्यक्ति को व्यक्त करने के लिए जटिल भाषा का प्रयोग करने लगता है तो उसकी व्यंजना कुंद हो जाती है। कवि द्वारा प्रयुक्त जटिल भाषा के कारण कविता का मूल कथ्य नष्ट हो जाता है। अन्ततः कवि-कथ्य कृत्रिम भाषा में फँसकर रह जाता है और श्रोता कवि के भाव को समझ नहीं पाता।

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चर्चा कीजिए

आधुनिक युग में कविता की संभावनाओं पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
आज के वैज्ञानिक युग में कविता की रचना करना काफी कठिन हो गया है, क्योंकि भौतिकवादी दृष्टिकोण को अपनाने के कारण आधुनिक युग अत्यधिक बेचैन और व्याकुल रहता है। ऐसी स्थिति में केवल कविता ही मानव-मन को सुख-शांति प्रदान कर सकती है। आज भी हमारे समक्ष प्रकृति का विशाल प्रांगण है। आज समाज में अनेक समस्याएँ जटिल होती जा रही हैं। अतः कविता की संभावनाएँ काफी बढ़ चुकी हैं। आज प्रेम, मोहब्बत पर कविता लिखना व्यर्थ है, बल्कि जन-जीवन से जुड़ी कविता कवि-सम्मेलनों में वाह-वाही लूटती है। एक अच्छी कविता को पढ़कर आज का उलझा हुआ मानव कुछ राहत महसूस करता है। केवल आवश्यकता इस बात की है कि कविता हमारे जीवन से संबंधित होनी चाहिए।

चूड़ी, कील, पेंच आदि मूर्त उपमानों के माध्यम से कवि ने कथ्य की अमूर्तता को साकार किया है। भाषा को समृद्ध एवं संप्रेषणीय बनाने में, बिंबों और उपमानों के महत्त्व पर परिसंवाद आयोजित करें।
उत्तर:
कविता के बहाने’ कविता में चूड़ी, कील, पेंच आदि मूर्त उपमानों का प्रयोग किया है तथा कथ्य की अमूर्तता को साकार करने का प्रयास किया है इस पर यह संवाद कुछ इस प्रकार आयोजित किया जा सकता है
(क) आज के कवि सहज, सरल भाषा में अपनी बात क्यों नहीं कहते? वे कील, चूड़ी, पेंच आदि मूर्त उपमानों को माध्यम क्यों बनाते हैं?

(ख) एक सफल कवि अपनी बात को हमेशा सरल तथा प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने में समर्थ होता है। कभी-कभी वह प्रतीकों, उपमानों तथा बिंबों का प्रयोग भी करता है। ऐसा करने से कविता के अर्थ में गंभीरता उत्पन्न हो जाती है।

(ग) कवि को जटिल प्रतीकों तथा उपमानों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उसका यह प्रयास रहना चाहिए कि कविता में कही गई बात उलझकर न रह जाए।

आपसदारी

1. सुंदर है सुमन, विहग सुंदर
मानव तुम सबसे सुंदरतम।
पंत की इस कविता में प्रकृति की तुलना में मनुष्य को अधिक सुंदर और समर्थ, बताया गया है। ‘कविता के बहाने’ कविता में से इस आशय को अभिव्यक्त करने वाले बिंदुओं की तलाश करें।
उत्तर:
कविता के बहाने में कवि ने बच्चे को चिड़िया और फूल की अपेक्षा श्रेष्ठ सिद्ध करने का प्रयास किया है। इसके लिए निम्नलिखित पंक्तियाँ उद्धृत हैं –
“कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।”

2. प्रतापनारायण मिश्र का निबंध ‘बात’ और नागार्जुन की कविता ‘बातें’ ढूँढ़ कर पढ़ें।
उत्तर:
विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से पुस्तकालय से पुस्तकें लेकर इन दोनों रचनाओं को पढ़ें।

HBSE 12th Class Hindi कविता के बहाने, बात सीधी थी पर Important Questions and Answers

सराहना संबंधी प्रश्न

कविता के बहाने

प्रश्न 1.
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए
कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने
कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिड़िया क्या जाने?
उत्तर:

  1. प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने कविता और चिड़िया की उड़ान की तुलना करते हुए यह स्पष्ट किया है कि चिड़िया की उड़ान कविता की उड़ान की उपेक्षा ससीम है, जबकि कविता की उड़ान अनंत और असीम है।
  2. ‘कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने’ में वक्रोक्ति अलंकार है।
  3. ‘चिड़िया क्या जाने’ में प्रश्नालंकार के साथ-साथ मानवीकरण का भी पुट है।
  4. ‘कविता के पंख लगा उड़ने’ में रूपक अलंकार का सफल प्रयोग है।
  5. ‘बाहर-भीतर इस घर, उस घर’ में अनुप्रास अलंकार का सुंदर प्रयोग है।
  6. सहज, सरल तथा बोधगम्य हिंदी भाषा का प्रयोग हआ है तथा शब्द-चयन सर्वथा भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
  7. मुक्त छंद का सफल प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए –
कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।
उत्तर:

  1. प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बच्चों के सरल स्वभाव पर प्रकाश डाला है। बच्चे आपस में खेलते समय अपने-पराए के भेदभाव को नहीं जानते।
  2. बच्चे की क्रीड़ाओं तथा कवियों की काव्य रचनाओं में काफी समानता होती है, क्योंकि न तो बच्चे भेदभाव को समझते हैं और न ही कवि। इसीलिए कवि ने कहा है कि सब घर एक कर देना।।
  3. ‘बाहर भीतर’, ‘इस घर, उस घर’ तथा ‘बच्चों के बहाने’ में अनुप्रास अलंकार की छटा दर्शनीय है।
  4. प्रस्तुत पद्य में सहज, सरल तथा प्रवाहमयी भाषा का प्रयोग हुआ है।
  5. शब्द-योजना सार्थक व सटीक है।
  6. मुक्त छंद का सफल प्रयोग हुआ है।

बात सीधी थी पर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए –
1. बात सीधी थी पर एक बार
भाषा के चक्कर में
जरा टेढ़ी फंस गई।
उसे पाने की कोशिश में
भाषा को उलटा पलटा
तोड़ा मरोड़ा
घुमाया फिराया
कि बात या तो बने
या फिर भाषा से बाहर आए-
उत्तर:
(1) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने इस बात पर बल दिया है कि कथ्य के अनुसार कविता की अभिव्यंजना होनी चाहिए। ऐसा करने से अभिव्यक्ति बड़ी सरलता के साथ स्वयं प्रकट हो जाती है।

(2) ‘उलटा-पलटा’, ‘तोड़ा-मरोड़ा’, ‘घुमाया-फिराया’ आदि शब्दों का सटीक प्रयोग हुआ है। ये शब्द भाषा की कृत्रिमता और जटिलता पर व्यंग्य करते हैं।

(3) ‘उलटा-पलटा’, ‘तोड़ा-मरोड़ा’, ‘घुमाया-फिराया’ आदि में अनुप्रास अलंकार का सफल प्रयोग हुआ है।

(4) भाषा का चक्कर’ तथा ‘टेढ़ी-फँसी’, जैसे लोक प्रचलित शब्दों का प्रयोग हुआ है जोकि अभिव्यंजना-शिल्प को सौंदर्य प्रदान करते हैं।

(5) सहज, सरल तथा बोधगम्य हिंदी भाषा का प्रयोग हुआ है।

(6) शब्द-चयन सर्वथा उचित एवं सटीक है।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए –
ऊपर से ठीकठाक
पर अंदर से
न तो उसमें कसाव था
न ताकत!
बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी,
मुझे पसीना पोंछते देख कर पूछा
“क्या तुमने भाषा को
सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा?”
उत्तर:

  1. यहाँ कवि ने भाषा के द्वारा भाव को सजाने का प्रयास किया है लेकिन वह भाव स्पष्ट नहीं हो पाया।
  2. यहाँ बात का सुंदर मानवीकरण किया गया है।
  3. कवि द्वारा ‘पसीना पोंछना’ एक सुंदर दृश्य बिंब है जो परिश्रम की व्यर्थता को सिद्ध करता है।
  4. ‘शरारती बच्चे की तरह’ में उपमा अलंकार का प्रयोग हुआ है।
  5. ‘पसीना पोंछते’ में अनुप्रास अलंकार की छटा दर्शनीय है।
  6. इस पद्य में संवादात्मक शैली का बहुत ही प्रभावशाली प्रयोग हुआ है।
  7. सहज, सरल, बोधगम्य तथा प्रवाहमयी भाषा का प्रयोग हुआ है।
  8. शब्द-योजना सार्थक तथा भावाभिव्यक्ति में सहायक है।

विषय-वस्तु पर आधारित लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘कविता के बहाने’ कविता का प्रतिपाद्य (उद्देश्य) स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इस कविता के माध्यम से कवि यह स्पष्ट करना चाहता है कि कविता की उड़ान आकाश में उड़ने वाली चिड़िया तथा फूल की सुगंध से भी अधिक ऊँची और विस्तृत होती है। चिड़िया की उड़ान ससीम है तथा फूल की महक भी ससीम है। पुनः ये दोनों नश्वर हैं तथा इनके क्रियाकलाप भी नश्वर हैं। परंतु कविता का प्रभाव अनंत और स्थाई होता है। कविता बच्चों के खेल के समान भेदभाव से मुक्त होती है और श्रोता को असीम आनंद प्रदान करती है। इसलिए कविता का प्रभाव अनंत, व्यापक तथा आनंदपूर्ण माना गया है।

प्रश्न 2.
कविता और चिड़िया की उड़ान में क्या अंतर है स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कविता और चिड़िया दोनों ऊँची उड़ान भर सकते हैं, परंतु चिड़िया की अपेक्षा कविता की उड़ान अनंत तथा असीम होती है। चिड़िया एक सीमित दायरे में ही उड़ सकती है, परंतु कवि अपनी कल्पना द्वारा कहीं भी पहुंच सकता है। इसलिए कहा भी गया है
“जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि”।

प्रश्न 3.
कविता और फूल की तुलना करें।
उत्तर:
फूल और उसकी महक ससीम है। पुनः ये दोनों ही नश्वर हैं। फूल क्षण भर के लिए खिलकर अपनी महक फैलाता है और फिर नष्ट हो जाता है, परंतु कवि की कल्पना, उसका भाव और सौंदर्य अनंत काल तक श्रोताओं को आनंद दे सकते हैं।

प्रश्न 4.
बच्चों और कविता में क्या समानता है?
उत्तर:
बच्चे आपसी भेदभाव तथा अपने-पराए के अंतर को भूलकर खेलते हुए आनंद प्राप्त करते हैं। कविता भी अपने-पराए की भावना को भूलकर भावों को ग्रहण करती है। जिस प्रकार बच्चों को खेल से आनंद मिलता है, उसी प्रकार कविता भी आनंदानुभूति के लिए लिखी जाती है।

प्रश्न 5.
‘बात सीधी थी पर’ कविता का प्रतिपाद्य (उद्देश्य)/मूलभाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
‘बात सीधी थी पर कविता के माध्यम से कवि यह बताना चाहता है कि हमें सहज, सरल तथा बोधगम्य भाषा द्वारा अपनी बात को कहना चाहिए। यदि कवि अपनी बात को जटिल तथा चमत्कृत करने वाली भाषा के द्वारा कहता है तो उसकी बात श्रोता तक ठीक से नहीं पहुँच पाती। प्रायः कुछ कवि अपने कथ्य को चमत्कारी बनाने के लिए भाषा को जान-बूझकर तोड़ते-मरोड़ते और घुमाते-फिराते हैं। इससे कविता का भाव-सौंदर्य तथा कलागत सौंदर्य दोनों नष्ट हो जाते हैं।

प्रश्न 6.
‘बात की चूड़ी मरने का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘बात की चूड़ी मरने’ का यह अभिप्राय है कि बेवजह बात को घुमाने-फिराने से उसका प्रभाव समाप्त हो जाता है। जिस प्रकार पेंच की चूड़ी मरने के बाद उसका कसाव ढीला पड़ जाता है, उसी प्रकार भाषा के अनावश्यक विस्तार से मूल बात शब्द-जाल में उलझ जाती है। वह श्रोता तक ठीक से नहीं पहुँच पाती।

प्रश्न 7.
‘बात और अधिक पेचीदा’ क्यों होती चली गई?
उत्तर:
कवि ने भाषा को अनावश्यक विस्तार देते हुए अपनी बात को कहने का प्रयास किया। उसने चमत्कृत करने वाली कृत्रिम भाषा का अधिक प्रयोग किया जिसके फलस्वरूप बात और भी पेचीदा होती चली गई।

प्रश्न 8.
कवि ने हारकर उसे कील की तरह उसी जगह क्यों ठोंक दिया?
उत्तर:
पहले तो कवि ने चमत्कृत भाषा के प्रयोग द्वारा अपनी बात को प्रभावशाली बनाने का प्रयास किया परंतु इससे कवि का कथ्य उलझकर रह गया। वस्तुतः कवि अपना धैर्य खो बैठा। इसलिए उसने निराश होकर अपनी बात को उसी कृत्रिम भाषा में प्रकट कर दिया।

प्रश्न 9.
कवि को पसीना क्यों आ रहा था?
उत्तर:
कवि अपनी बात को सरलता से नहीं कह पा रहा था। वह प्रभावशाली भाषा के प्रयोग में उलझकर रह गया। कवि जो कुछ कहना चाहता था, वह कह नहीं पाया। वह बार-बार काव्य भाषा को बदल रहा था। इस कारण उसकी बात जटिल भाषा में उलझकर रह गई। इसलिए उसे थकावट के कारण पसीना आ रहा था।

प्रश्न 10.
बात ने एक शरारती बच्चे की तरह कवि से क्या कहा?
उत्तर:
बात एक शरारती बच्चे की तरह कवि से क्रीड़ा कर रही थी। वह जानती थी कि कवि उसे ठीक से अभिव्यक्त नहीं कर पा रहा है। इसलिए उसने कवि से कहा कि तुम अभी तक यह भी नहीं सीख पाए कि भाषा का सहज प्रयोग किस प्रकार किया जाता है? अर्थात् कवि को यह समझना चाहिए था कि सहज शब्दावली में भी सहज विचारों को व्यक्त किया जा सकता है। उसके लिए जटिल अथवा उलझी हुई शब्दावली की कोई आवश्यकता नहीं है।

प्रश्न 11.
आखिर कवि को डर किस बात का था?
उत्तर:
कवि अपनी ओर से बात को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करना चाहता था। इसके लिए उसने आडंबर प्रधान भाषा का या। लेकिन बलपूर्वक कृत्रिम भाषा का प्रयोग करने से कवि का कथ्य इस प्रकार प्रभावहीन हो गया जैसे जोर जबरदस्ती करने से चूड़ी मर जाती है।

प्रश्न 12.
बात पेचीदा क्यों होती चली गई?
उत्तर:
कवि सहज एवं सरल भाषा में अपनी बात को कह सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। वह भाषा को तोड़ने-मरोड़ने लगा ताकि उसका कथन अधिक प्रभावशाली हो सके। इसका परिणाम यह हुआ कि उस कृत्रिम भाषा के फलस्वरूप कवि का कथन उलझता चला गया और बात पेचीदा होती चली गई।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. कुँवर नारायण का जन्म कब हुआ?
(A) 19 सितंबर, 1927
(B) 19 सितंबर, 1937
(C) 19 दिसंबर, 1927
(D) 19 अक्तूबर, 1927
उत्तर:
(A) 19 सितंबर, 1927

2. कुँवर नारायण का जन्म कहाँ पर हुआ?
(A) मुरादाबाद
(B) मेरठ
(C) बरेली
(D) फैज़ाबाद
उत्तर:
(D) फैज़ाबाद

3. कुँवर नारायण ने किस विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की?
(A) इलाहाबाद विश्वविद्यालय
(B) लखनऊ विश्वविद्यालय
(C) आगरा विश्वविद्यालय
(D) दिल्ली विश्वविद्यालय
उत्तर:
(B) लखनऊ विश्वविद्यालय

4. कुँवर नारायण ने चेकोस्लोवाकिया, पौलेंड, रूस तथा चीन का भ्रमण कब किया?
(A) सन् 1954 में
(B) सन् 1955 में
(C) सन् 1956 में
(D) सन् 1957 में
उत्तर:
(B) सन् 1955 में

5. सन् 1956 में कुँवर नारायण किस पत्रिका के संपादक मंडल से जुड़ गए?
(A) धर्म युग
(B) दिनमान
(C) नवनीत
(D) युग चेतना
उत्तर:
(D) युग चेतना

6. भारतेंदु नाटक अकादमी में वे किस पद पर नियुक्त हुए?
(A) सचिव
(B) उपाध्यक्ष
(C) अध्यक्ष
(D) सलाहकार
उत्तर:
(C) अध्यक्ष

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7. कुँवर नारायण को ‘हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार’ कब मिला?
(A) सन् 1971 में
(B) सन् 1973 में
(C) सन् 1969 में
(D) सन् 1968 में
उत्तर:
(A) सन् 1971 में

8. कुँवर नारायण को ‘प्रेमचंद पुरस्कार’ कब मिला?
(A) सन् 1973 में
(B) सन् 1975 में
(C) सन् 1976 में
(D) सन् 1977 में
उत्तर:
(A) सन् 1973 में

9. कुँवर नारायण को मध्य प्रदेश का ‘तुलसी पुरस्कार’ कब मिला?
(A) सन् 1981 में
(B) सन् 1982 में
(C) सन् 1984 में
(D) सन् 1984 में
उत्तर:
(B) सन् 1982 में

10. ‘कविता के बहाने’ के कवि का नाम क्या है?
(A) आलोक धन्वा
(B) रघुवीर सहाय
(C) कुँवर नारायण
(D) हरिवंश राय बच्चन
उत्तर:
(C) कुँवर नारायण

11. ‘कविता के बहाने कविता कवि के किस काव्य-संग्रह में संकलित है?
(A) चक्रव्यूह
(B) अपने सामने
(C) इन दिनों
(D) आत्मजयी
उत्तर:
(C) इन दिनों

12.
‘बात सीधी थी पर कविता के कवि का नाम क्या है?
(A) रघुवीर सहाय
(B) मुक्तिबोध
(C) आलोक धन्वा
(D) कुँवर नारायण
उत्तर:
(D) कुँवर नारायण

13. ‘बात सीधी थी पर’ किस काव्य-संग्रह में संकलित है?
(A) इन दिनों
(B) कविता के बहाने
(C) कोई दूसरा नहीं
(D) चक्रव्यूह
उत्तर:
(C) कोई दूसरा नहीं

14. ‘तीसरा सप्तक’ का प्रकाशन कब हुआ?
(A) सन् 1961 में
(B) सन् 1958 में
(C) सन् 1959 में
(D) सन् 1957 में
उत्तर:
(C) सन् 1959 में

15. ‘परिवेश : हम तुम’ के रचयिता का नाम क्या है?
(A) हरिवंश राय बच्चन
(B) रघुवीर सहाय
(C) आलोक धन्वा
(D) कुँवर नारायण
उत्तर:
(D) कुँवर नारायण

16. ‘परिवेश : हम तुम’ का प्रकाशन कब हुआ?
(A) सन् 1961 में
(B) सन् 1962 में
(C) सन् 1959 में
(D) सन् 1963 में
उत्तर:
(A) सन् 1961 में

17. ‘इन दिनों का प्रकाशन वर्ष कौन-सा है?
(A) सन् 1962 में
(B) सन् 1963 में
(C) सन् 1965 में
(D) सन् 1964 में
उत्तर:
(D) सन् 1964 में 18. ‘अपने सामने के रचयिता का नाम क्या है?

18. ‘अपने सामने’ के रचयिता का नाम क्या है?
(A) रघुवीर सहाय
(B) कुँवर नारायण
(C) मुक्तिबोध
(D) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
उत्तर:
(B) कुँवर नारायण

19. ‘अपने सामने का प्रकाशन कब हुआ?
(A) सन् 1996 में
(B) सन् 1995 में
(C) सन् 1997 में
(D) सन् 1999 में
उत्तर:
(C) सन् 1997 में

20. ‘आकारों के आस-पास’ के रचयिता कौन हैं?
(A) आलोक धन्वा
(B) रघुवीर सहाय
(C) मुक्ति बोध
(D) कुँवर नारायण
उत्तर:
(D) कुँवर नारायण

21. ‘आकारों के आस-पास’ किस विधा की रचना है?
(A) काव्य-संग्रह
(B) कहानी संग्रह
(C) निबंध संग्रह
(D) कविता संग्रह
उत्तर:
(B) कहानी संग्रह

22. ‘आज और आज से पहले किस विधा की रचना है?
(A) निबंध संग्रह
(B) उपन्यास
(C) एकांकी संग्रह
(D) समीक्षा
उत्तर:
(D) समीक्षा

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23. ‘कविता के पंख लगाने में कौन-सा अलंकार है?
(A) अनुप्रास
(B) रूपक
(C) उत्प्रेक्षा
(D) उपमा
उत्तर:
(B) रूपक

24. सीधी बात भी किसके चक्कर में फंस गई थी?
(A) निपुणता
(B) शैतानी
(C) भाषा
(D) भय
उत्तर:
(C) भाषा

25. ‘कवि की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने’ में कौन-सा अलंकार है?
(A) रूपक
(B) उपमा
(C) श्लेष
(D) काकुवक्रोक्ति
उत्तर:
(A) रूपक

26. ‘कविता के बहाने’ कविता में किस छंद का प्रयोग हआ है?
(A) कवित्त छंद
(B) सवैया छंद
(C) मुक्त छंद
(D) दोहा छंद
उत्तर:
(C) मुक्त छंद

27. ‘बाहर भीतर इस घर, उस घर’ में कौन-सा अलंकार है?
(A) श्लेष
(B) यमक
(C) अनुप्रास
(D) वक्रोक्ति
उत्तर:
(C) अनुप्रास

28. भाषा के क्या करने से बात और अधिक पेचीदा हो गई?
(A) तोड़ने-मरोड़ने
(B) उलटने-पलटने
(C) घुमाने-फिराने
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

29. ‘बात की चूड़ी मर जाना’ का अर्थ है
(A) स्पष्ट होना
(B) प्रभावहीन होना
(C) प्रभावपूर्ण होना
(D) तर्कपूर्ण होना
उत्तर:
(B) प्रभावहीन होना

30. ‘बात की पेंच खोलना’ का अर्थ है
(A) बात उलझा देना
(B) बात का प्रभावहीन होना
(C) बात को सहज और स्पष्ट करना
(D) बात को घुमाकर कहना
उत्तर:
(B) बात का प्रभावहीन होना

31. ‘बात का शरारती बच्चे की तरह खेलना’ का अर्थ है
(A) बात का प्रभावहीन होना
(B) कोई ठीक उत्तर न देना
(C) बात द्वारा शरारत करना
(D) बात को सहज स्पष्ट करना
उत्तर:
(B) कोई ठीक उत्तर न देना

32. बिन मुरझाए महकना का अर्थ है
(A) कविता का प्रभाव अनंत काल तक रहता है
(B) कविता कभी नहीं मुरझाती
(C) कविता का प्रभाव शीघ्र नष्ट हो जाता है
(D) कविता को लोग पढ़ना नहीं चाहते
उत्तर:
(A) कविता का प्रभाव अनंत काल तक रहता है

33. बात कवि के साथ किसके समान खेल रही थी?
(A) शरारती बच्चे के
(B) खिलौने के
(C) भाषा के
(D) पेंच के
उत्तर:
(A) शरारती बच्चे के

34. बात बाहर निकलने की अपेक्षा कैसी हो गई थी?
(A) पेचीदा
(B) सरल
(C) वक्र
(D) व्यर्थ
उत्तर:
(A) पेचीदा

35. ‘बात सीधी थी पर’ नामक कविता में कवि ने किस पर बल दिया है?
(A) भाषा की जटिलता
(B) भावों की सरसता
(C) भाषा की सहजता
(D) भावों की गरिमा
उत्तर:
(C) भाषा की सहजता

36. ‘बात सीधी थी पर’ कविता में कवि ने कौन-सी कोशिश नहीं की थी?
(A) उलटा पलटा
(B) तोड़ा मरोड़ा
(C) हिलाया सरकाया
(D) घुमाया फिराया
उत्तर:
(C) हिलाया सरकाया

37. भाषा को घुमाने फिराने से बात कैसी हो जाती है?
(A) पेचीदा
(B) सरल
(C) दिव्य
(D) सौम्य
उत्तर:
(A) पेचीदा

कविता के बहाने पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

[1] कविता एक उड़ान है चिड़िया के बहाने
कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
कविता के पंख लगा उड़ने के माने
चिड़िया क्या जाने? [पृष्ठ-17]

शब्दार्थ-सरल हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘कविता के बहाने से लिया गया है। यह कविता ‘इन दिनों काव्य-संग्रह से ली गई है तथा इसके कवि कुँवर नारायण हैं। इस कविता में कवि स्पष्ट करता है कि कविता के द्वारा अपार संभावनाओं को खोजा जा सकता है। अतः यह कहना गलत है कि कविता का अस्तित्व समाप्त हो गया है

व्याख्या-कवि कविता की शक्ति का वर्णन करता हुआ कहता है कि कविता एक उड़ान है। जहाँ चिड़िया की उड़ान सीमित होती है, परन्तु कविता की उड़ान असीमित होती है। उसमें नए-नए भाव, नए-नए रंग तथा नए-नए विचार उत्पन्न होते रहते हैं। कविता की उड़ान बड़ी ऊँची होती है। चिड़िया भी कविता की उड़ान के उस छोर तक नहीं पहुँच पाती। कविता के भाव असीम होते हैं। कविता न केवल घर के भीतर की गतिविधियों का वर्णन करती है, बल्कि वह बाहर के क्रियाकलापों को भी व्यक्त करती है। भाव यह है कि कभी तो कविता घर-परिवार की समस्याओं का उद्घाटन करती है तो कभी घर के बाहर के वातावरण का मार्मिक वर्णन करती है। कविता के साथ कल्पना के पंख लगे होते हैं। इसलिए उसकी उड़ान असीम है। बेचारी चिड़िया कविता की असीम शक्ति को कैसे पहचान सकती है। जहाँ प्रकृति का क्षेत्र ससीम है, वहाँ कविता का क्षेत्र अनंत और असीम है।

विशेष –

  1. यहाँ कवि ने कविता और चिड़िया की उड़ान की मनोहारी तुलना की है। चिड़िया एक सीमित क्षेत्र में ही उड़ान भर सकती है, परंतु कविता की उड़ान असीमित है।
  2. ‘चिड़िया क्या जाने’ में प्रश्नालंकार है तथा इसमें मानवीकरण का भी पुट है।
  3. ‘कविता के पंख’ में रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
  4. ‘बाहर भीतर इस घर, उस घर’ में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
  5. सहज, सरल तथा प्रवाहमयी हिंदी भाषा का सफल प्रयोग हुआ है।
  6. शब्द-योजना सार्थक व सटीक है।
  7. वर्णनात्मक शैली है तथा मुक्त छंद का सफल प्रयोग है, लेकिन छंद में लयबद्धता भी है।

पद पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर

प्रश्न-
(क) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(ख) कविता की उड़ान भला चिड़िया क्या जाने इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?
(ग) कविता चिड़िया के बहाने एक उड़ान क्यों है?
(घ) इस पद्यांश का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) कवि-कुँवर नारायण कविता- कविता के बहाने’

(ख) इस पंक्ति द्वारा कवि यह कहना चाहता है कि चिड़िया तो प्रकृति के प्रांगण में ही उड़ान भरती है। उसकी अपनी कुछ सीमाएँ हैं। वह केवल आकाश में ही उड़ सकती है, परंतु वह मानव-मन की सूक्ष्म भावनाओं में प्रवेश नहीं कर पाती। इसलिए वह कविता की उड़ान को नहीं जान सकती।

(ग) जिस प्रकार चिड़िया खुले आकाश में उड़ान भरती है, उसी प्रकार कवि की कल्पना चिड़िया की ऊँची उड़ान को देखकर कल्पना लोक में विचरण करने लगती है। कवि केवल प्राकृतिक सौंदर्य का ही वर्णन नहीं करता, बल्कि वह मानव मन की सूक्ष्म भावनाओं का वर्णन भी करता है। अतः चिड़िया की उड़ान कविता के लिए प्रेरणा का काम करती है।

(घ) इस पद्यांश में कवि ने चिड़िया की उड़ान और कविता की उड़ान की तुलना की है। चिड़िया की उड़ान की अपेक्षा कविता की उड़ान अधिक प्रभावशाली, शक्तिशाली तथा व्यापक है। कविता की उड़ान का संबंध मानव मन की सूक्ष्म भावनाओं से भी है।

[2] कविता एक खिलना है फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला फूल क्या जाने!
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने? [पृष्ठ-17]

शब्दार्थ-महकना = सुगंध बिखेरना।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘कविता के बहाने’ से लिया गया है। यह कविता ‘इन दिनों काव्य-संग्रह से ली गई है। इसके कवि कुँवर नारायण हैं। इस कविता में कवि ने स्पष्ट किया है कि कविता के द्वारा अपार संभावनाओं को खोजा जा सकता है। अतः यह कहना गलत है कि कविता का वजूद समाप्त हो गया है। इस पद्य में कवि कविता की तुलना फूल के साथ करता है।

व्याख्या-कवि कहता है कि कविता फूलों को देखकर खिलती है और पुष्पित होती है। फूलों के समान कविता में भी नए-नए रंग भर जाते हैं। कविता का खिलना असीम है, जबकि फूल का खिलना ससीम है। फल केवल खिलकर अपने चारों ओर स तथा सुंदरता को बिखेर देता है, परंतु फूल कविता के खिलने को ठीक से समझ नहीं पाता। फूल का क्षेत्र सीमित है। एक समय ऐसा आता है जब फूल मुरझाकर नष्ट हो जाता है। उसके साथ-साथ उसकी सुगंध तथा सुंदरता भी समाप्त हो जाती है, परंतु कविता की सुगंध तथा सुंदरता कभी समाप्त नहीं होती। वह न केवल घर के बाहर तथा भीतर अपनी सुगंध तथा सुंदरता को बिखेरती है, बल्कि वह प्रत्येक घर में अपने भाव-सौंदर्य को बिखेरती रहती है। फूल तो केवल इतना जानता है कि बस सुगंध उत्पन्न करना तथा एक दिन झर जाना। फूल बिना मुरझाए महकने के अर्थ को नहीं जान सकता। कविता हमेशा अपने भावों की सुगंध बिखेरती रहती है। उसका भाव शाश्वत होता है तथा वह कभी नष्ट नहीं होता।

विशेष –

  1. इस पद्यांश में कवि ने कविता तथा फूल की तुलना बहुत सुंदर ढंग से की है। कविता की तुलना में फूल ससीम है परंतु कविता अनंत और असीम है।
  2. ‘कविता का खिलना फूल क्या जाने’ इस पद्य पंक्ति में काकूवक्रोक्ति अलंकार का वर्णन हुआ है।
  3. ‘फूल क्या जाने’ में प्रश्नालंकार है तथा मानवीकरण अलंकार का पुट भी है।
  4. संपूर्ण पद्य में अनुप्रास अलंकार की छटा दर्शनीय है।
  5. सहज, सरल तथा बोधगम्य हिंदी भाषा का सफल प्रयोग हुआ है।
  6. शब्द-चयन सर्वथा उचित व भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
  7. वर्णनात्मक शैली है तथा मुक्त छंद का सफल प्रयोग हुआ है, लेकिन छंद में लयबद्धता भी है।

पद पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) कविता का खिलना फूल क्या जाने-पंक्ति में कवि क्या कहना चाहता है?
(ख) कविता और फूल के खिलने में क्या अंतर है?
(ग) कविता बिना मुरझाए बाहर भीतर कैसे महकती है?
(घ) इस पद्य का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) कवि फूल की सीमाओं पर प्रकाश डालता हुआ कहता है कि भले ही वह खिलकर चारों ओर सुगंध बिखेरता है, परंतु उसका खिलना सीमित होता है। वह कविता के मर्म को नहीं जान पाता। निश्चय से कविता फूल से अधिक मूल्यवान है। उसकी प्रभावोत्पादकता असीम है।

(ख) फूल खिलकर एक सीमित क्षेत्र में अपनी सुगंध तथा सुंदरता को बिखेरता है। परंतु कविता का क्षेत्र असीमित होता है। कविता की कल्पना सर्वत्र पहुँच सकती है। फूल कविता के समान व्यापक नहीं है। इसलिए कहा भी गया है
“जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि।”

(ग) कविता एक ऐसा फूल है जो कभी नहीं मुरझाता और हमेशा अपनी महक को बिखेरता रहता है। कविता बाह्य प्रकृति और आंतरिक प्रकृति दोनों का वर्णन करने में समर्थ है। वह अनंत काल तक अपनी सुगंध को बिखेरती रहती है। कविता का प्रभाव अनंत तथा असीम है।

(घ) इस पद्यांश द्वारा कवि कविता और फूल की तुलना करते हुए कहता है कि फूल एक सीमित दायरे में अपनी सुगंध तथा सुंदरता को बिखेरता है। कुछ समय के बाद शीघ्र ही वह नष्ट हो जाता है। परंतु कविता मानव मन के बाहर तथा भीतर दोनों को सुगंधित करती है। इसलिए फूल की शक्ति ससीम है, परंतु कविता की शक्ति असीम है।

[3] कविता एक खेल है बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने। [पृष्ठ-17]

शब्दार्थ-सरल हैं।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2′ में संकलित कविता ‘कविता के बहाने से लिया गया है। यह कविता ‘इन दिनों काव्य-संग्रह से ली गई है। इसके कवि कुँवर नारायण हैं। इस कविता में कवि ने स्पष्ट किया है कि कविता के द्वारा अपार संभावनाओं को खोजा जा सकता है। अतः यह कहना गलत है कि कविता का वजूद समाप्त हो गया है। इसमें कवि ने बच्चों में पाई जाने वाली स्वाभाविक आत्मीयता और निष्कलुषता का सजीव वर्णन किया है।

व्याख्या-कवि का कथन है कि कवि बच्चों की क्रीड़ाओं को देखकर अपनी कविता द्वारा शब्द-क्रीड़ा करता है। वह शब्दों के माध्यम से नए-नए भावों तथा विचारों के खेल खेलता है। जिस प्रकार बच्चे कभी घर में खेलते हैं, कभी बाहर खेलते हैं और अपने-पराए का भेदभाव नहीं करते, उसी प्रकार कवि भी कविता के द्वारा सभी के भावों का वर्णन करता है। बच्चों के खेल कवि को भी प्रेरणा देते हैं। खेल-खेल में बच्चे एक-दूसरे को अपना बना लेते हैं और वे एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं। कवि भी बच्चों के समान बाहर और भीतर के मनोभावों का वर्णन करता है। वह समान भाव से सभी लोगों की सूक्ष्म भावनाओं का चित्रण करता है। भाव यह है कि जिस प्रकार बच्चे एक-दूसरे को जोड़ते हैं, उसी प्रकार कवि भी अपनी कविता द्वारा जोड़ने का प्रयास करता है।

विशेष-

  1. यहाँ कवि ने बच्चों में पाई जाने वाली स्वाभाविक आत्मीयता तथा निष्कलुषता का उद्घाटन किया है।
  2. कवि यह स्पष्ट करता है कि बच्चे आपस में खेलते हुए अपने-पराए के भेदभाव को भूल जाते हैं।
  3. संपूर्ण पद्य में अनुप्रास अलंकार की छटा दर्शनीय है।
  4. सहज, सरल तथा बोधगम्य हिंदी भाषा का सफल प्रयोग हुआ है।
  5. शब्द-चयन सर्वथा उचित व सटीक है।
  6. वर्णनात्मक शैली का प्रयोग है तथा मुक्त छंद है।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर

पद पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) कवि ने कविता को खेल क्यों कहा है?
(ख) बच्चे खेल-खेल में कौन-सा महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं?
(ग) बच्चों के खेलने तथा कविता रचने में क्या समानता है?
(घ) इस पद्य से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर:
(क) बच्चे मनोरंजन तथा आत्माभिव्यक्ति के लिए आपस में खेलते हैं। खेलों के पीछे उनका कोई गंभीर उद्देश्य नहीं होता, परंतु क्रीड़ाएँ बच्चों को आनंदानुभूति प्रदान करती हैं। इसी प्रकार कविता की रचना करना भी एक खेल है। कविता के द्वारा कवि न केवल श्रोताओं का मनोरंजन करता है, बल्कि उन्हें आनंदानुभूति भी प्रदान करता है।

(ख) बच्चे खेल-खेल में अपने-पराए के भेदभाव को भूल जाते हैं। खेलों द्वारा उनमें आत्मीयता की भावना उत्पन्न होती है। बच्चे खेलों के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं।

(ग) बच्चों के खेलने तथा कविता रचने में सबसे बड़ी समानता यह है कि दोनों ही आनंदानुभूति प्रदान करते हैं। दोनों ही समाज को जोड़ने का काम करते हैं, तोड़ने का नहीं। दूसरा, दोनों से ही मनोरंजन होता है।

(घ) इस पद्यांश से हमें यह संदेश मिलता है कि बच्चों के समान कविता भी हमें आपस में जोड़ती है। कविता अपने-पराए के भेदभाव को भूलकर सबकी अनुभूतियों को व्यक्त करती है। कविता का क्षेत्र बड़ा ही विस्तृत व व्यापक है। इसका प्रभाव भी शाश्वत और अनंत है।

बात सीधी थी पर पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या एवं अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 

[1] बात सीधी थी पर एक बार
भाषा के चक्कर में
जरा टेढ़ी फँस गई।
उसे पाने की कोशिश में
भाषा को उलटा पलटा
तोड़ा मरोड़ा
घुमाया फिराया
कि बात या तो बने
या फिर भाषा से बाहर आए
लेकिन इससे भाषा के साथ साथ
बात और भी पेचीदा होती चली गई। [पृष्ठ-18]

शब्दार्थ-चक्कर = प्रभाव दिखाने की कोशिश। टेढ़ा फँसना = बुरी तरह फँसना। पेचीदा = जटिल, उलझी हुई।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘बात सीधी थी पर’ में से अवतरित है। यह कविता कुँवर नारायण द्वारा रचित काव्य-संग्रह ‘कोई दूसरा नहीं’ में संकलित है। इस पद्यांश में कवि ने यह स्पष्ट किया है कि कथ्य के अनुसार कविता की भाषा सहज, सरल तथा बोधगम्य होनी चाहिए। सीधी बात को हम सहज एवं सरल भाषा द्वारा प्रभावशाली बना सकते हैं।

व्याख्या-कवि कहता है कि मैं कविता द्वारा एक सहज, सरल बात कहना चाहता था। एक बार ऐसा करते समय मैं भाषा के भ्रम का शिकार बन गया। मैंने सोचा कि मैं बढ़िया-से-बढ़िया भाषा का प्रयोग करूँ, परंतु ऐसा करते समय मेरा कथ्य उलझकर रह गया और बात की सरलता और स्पष्टता नष्ट हो गई। सरल-सी बात भी सुलझकर रह गई। तब मैंने एक बड़ी भारी भूल की। मैंने भाषा के शब्दों को काटना-छाँटना तथा तोड़ना-मरोड़ना आरंभ कर दिया। उसे कभी इधर घुमाया, कभी उधर घुमाया। वस्तुतः मैं अपनी मूल बात को सहज तथा सरल रूप से व्यक्त करना चाहता था, परंतु मेरी बात उलझकर रह गई। तब मैंने यह कोशिश की कि या तो मेरे मन की बात सहजता से व्यक्त हो जाए या मेरी बात को भाषा के उलट-फेर से स्वतंत्रता मिल जाए। परंतु दोनों काम नहीं हो सके। इस प्रयास में भाषा जटिल से जटिलतर होती चली गई और मेरी मूल बात भी सरलता खोकर जटिल बन गई। भाव यह है कि कविता का कथ्य और माध्यम दोनों उलझकर रह गए।

विशेष-

  1. इस पद्य में कवि ने सहज, सरल कथ्य को सहज और सरल माध्यम (भाषा) द्वारा अभिव्यक्त करने की प्रक्रिया पर बल दिया है। ऐसा करने से अभिव्यक्ति की सरलता का भाव स्वतः प्रकट हो जाता है।
  2. सहज, सरल तथा बोधगम्य हिंदी भाषा का प्रयोग हुआ है जिसे लयात्मक गद्य कहा जा सकता है।
  3. प्रस्तुत पद्य में उलटा-पलटा, तोड़ा-मरोड़ा, घुमाया-फिराया आदि शब्दों का सटीक प्रयोग किया गया है। इन शब्द-युग्मों में अनुप्रास अलंकार का सफल प्रयोग हुआ है।
  4. ‘साथ-साथ’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार का प्रयोग है।
  5. ‘भाषा का चक्कर’ तथा ‘टेढ़ी फँसी’ आदि लोक प्रचलित शब्दों का प्रयोग हुआ है।
  6. ज़रा, पेचीदा आदि उर्दू शब्दों का सहज प्रयोग है।
  7. मुक्त छंद है तथा आत्मकथात्मक शैली का प्रयोग है।

पद पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(ख) ‘भाषा के चक्कर’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
(ग) कवि द्वारा भाषा के तरोड़ने-मरोड़ने का क्या दुष्परिणाम हुआ?
(घ) कवि भाषा के चक्कर में क्यों फँस गया?
(ङ) इस पद्यांश का संदेश क्या है?
उत्तर:
(क) कवि-कुँवर नारायण कविता-बात सीधी थी पर (ख) जब कवि कविता की भाषा में अलंकार-सौंदर्य, शब्द-शक्तियों आदि को बलपूर्वक लूंसने का प्रयास करता है तो भाषा में जटिलता उत्पन्न हो जाती है। परिणामस्वरूप मूल संदेश शब्दों में उलझकर रह जाता है। कवि कथ्य के चारों ओर भाषा का ऐसा जंजाल खड़ा हो जाता है कि सीधी बात भी नहीं कही जा सकती।

(ग) कवि द्वारा भाषा को तरोड़ने-मरोड़ने तथा उलटने-पलटने के फलस्वरूप बात और उलझकर रह गई और कवि-कथ्य जटिल और पेचीदा बन गया।

(घ) कवि अपनी सीधी बात को प्रभावशाली ढंग से कहना चाहता था। इसलिए उसने बढ़िया-से-बढ़िया भाषा का प्रयोग करने का प्रयास किया, परंतु उसकी बात और उलझकर रह गई।

(ङ) इस पद्य द्वारा कवि यह संदेश देना चाहता है कि कवि को जान-बूझकर भाषा जटिल नहीं बनानी चाहिए, बल्कि सीधी बात सरल शब्दों में व्यक्त करनी चाहिए। भाषा की जटिलता कथ्य को उलझाकर रख देती है और कविता पाठक को आनंदानुभूति नहीं दे पाती।

[2] सारी मुश्किल को धैर्य से समझे बिना
मैं पेंच को खोलने के बजाए
उसे बेतरह कसता चला जा रहा था
क्यों कि इस करतब पर मुझे
साफ सुनाई दे रही थी
तमाशबीनों की शाबाशी और वाह वाह। [पृष्ठ-18]

शब्दार्थ-मुश्किल = कठिनाई। बेतरह = बुरी तरह। करतब = चमत्कार। तमाशबीन = तमाशा देखने वाले (पाठक)। शाबाशी = प्रशंसा।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्य भाग हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2′ में संकलित कविता ‘बात सीधी थी पर’ में से अवतरित है। यह कविता कुँवर नारायण द्वारा रचित काव्य-संग्रह ‘कोई दूसरा नहीं’ में संकलित है। इस पद्यांश में कवि ने यह स्पष्ट किया है कि कथ्य के अनुसार कविता की भाषा सहज, सरल तथा बोधगम्य होनी चाहिए। इसमें कवि स्पष्ट करता है कि जटिल भाषा का प्रयोग करने वाला कवि लोगों की वाह-वाही तो लूट लेता है, परंतु वह अपने भाव तथा भाषा को जटिल बना देता है

व्याख्या कवि कहता है कि मेरी सहज, सरल बात भाषा के चक्कर में फंस गई थी। मैं इस कठिनाई को धैर्यपूर्वक समझ नहीं पाया, बल्कि मैं समस्या के कारण को समझे बिना ही उसे और जटिल बनाता चला गया। जिस प्रकार कोई कारीगर पेंच को खोलने की बजाए उसे बुरी तरह कसता चला जाता है, उसी प्रकार मैं भी भाषा के साथ ज़बरदस्ती करने लगा। मेरी इस बेवकूफी पर वाह-वाही करने वाले लोग भी अधिक थे जो मुझे शाबाशी दे रहे थे। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि मेरी कविता के भाव और भाषा दोनों जटिल बनते चले गए और कविता का कथ्य उलझकर रह गया।

विशेष-

  1. यहाँ कवि ने स्पष्ट किया है कि कवि का कथ्य जब जटिल भाषा में उलझकर रह जाता है तो वह अपना धैर्य खो बैठता है तब वह जटिल से जटिलतर भाषा का प्रयोग करने लगता है।
  2. ‘तमाशबीन’ शब्द में व्यंग्य छिपा हुआ है। प्रायः दर्शक, श्रोता अथवा प्रशंसक अकारण प्रशंसा द्वारा कवि को भ्रमित कर देते हैं और वह कविता में जटिल भाषा का प्रयोग करने का आदी बन जाता है।
  3. ‘करतब’ शब्द में व्यंग्यात्मकता है। जान-बूझकर भाषा को जटिल बनाना करतब ही कहा जाएगा।
  4. पेंच कसने के बिंब द्वारा कवि अपनी बात को स्पष्ट करता है। यहाँ उद्देश्य बिंब के साथ रूपकातिशयोक्ति अलंकार का प्रयोग हुआ है।
  5. सहज, सरल तथा बोधगम्य हिंदी भाषा का प्रयोग हुआ है।
  6. शब्द-योजना सर्वथा उचित व सटीक है।
  7. मुश्किल, करतब, साफ, तमाशबीन, शाबाशी आदि उर्दू के शब्दों का सफल प्रयोग है जिससे इस पद्यांश की भाषा लोक प्रचलित हिंदी बन गई है।
  8. पेंच खोलने की बजाए उसे कसने में दृश्य बिंब की योजना सुंदर बन पड़ी है।
  9. मुक्त छंद का प्रयोग है तथा आत्मकथात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर

पद पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-
(क) पेंच खोलने का क्या अर्थ है?
(ख) कवि सारी मुश्किल को धैर्य से समझे बिना पेंच को खोलने की बजाए कसता क्यों चला गया?
(ग) तमाशबीन वाह-वाह क्यों कर रहे थे?
(घ) कवि के कार्य को करतब क्यों कहा गया है?
(ङ) इस पद्यांश का मुख्य भाव क्या है?
उत्तर:
(क) यहाँ पेंच खोलने से अभिप्राय अभिव्यक्ति की जटिलता को और अधिक बढ़ाना है। कवि अपना धैर्य खो चुका था। इस कारण वह मूल समस्या को समझे बिना जटिल से जटिलतर भाषा का प्रयोग करता चला गया।

(ख) कवि अपने कथ्य को अत्यधिक प्रभावशाली बनाना चाहता था। इसलिए वह धैर्यपूर्वक समस्या को नहीं समझ पाया और कविता के अभिव्यक्ति पक्ष को जटिल बनाता चला गया।

(ग) तमाशबीन कवि की प्रशंसा करके उसका उत्साह बढ़ा रहे थे। वे अभिव्यक्ति के सौंदर्य को जानते नहीं थे। वे तो केवल कवि की जटिल भाषा से प्रभावित होकर कवि की पीठ ठोंक रहे थे।

(घ) कवि ने सोचे-समझे बिना अपनी बात को उलझाने तथा जटिल बनाने का प्रयास किया। इसलिए कवि के कार्य को करतब कहा गया है।

(ङ) इस पद्यांश के द्वारा कवि यह कहना चाहता है कि कवि को धैर्यपूर्वक सरल अभिव्यक्ति का ही प्रयोग करना चाहिए। सरल भाषा में कही गई बात श्रोता की समझ में शीघ्र आ जाती है और वह कवि की अभिव्यंजना शिल्प से प्रभावित भी होता है। परंतु जो कवि सोचे-समझे बिना बात को उलझाकर जटिल बना देते हैं, उनकी कविता वांछित प्रभाव

[3] आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
ज़ोर ज़बरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी!
हार कर मैंने उसे कील की तरह
उसी जगह ठोंक दिया
ऊपर से ठीकठाक
पर अंदर से
न तो उसमें कसाव था
न ताकत!
बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी,
मुझे पसीना पोंछते देख कर पूछा
“क्या तुमने भाषा को
सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा?” [पृष्ठ-18-19]

शब्दार्थ- ज़ोर ज़बरदस्ती = बलपूर्वक। चूड़ी मरना = पेंच कसने के लिए बनाई गई चूड़ी का नष्ट होना (कथ्य की प्रभावोत्पादकता)। कसाव = कसावट। ताकत = शक्ति। सहूलियत = आसानी, सरलता। बरतना = प्रयोग करना।

प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हिंदी की पाठ्यपुस्तक ‘आरोह भाग 2’ में संकलित कविता ‘बात सीधी थी पर’ में से अवतरित है। यह कविता कुँवर नारायण द्वारा रचित काव्य-संग्रह ‘कोई दूसरा नहीं’ में संकलित है। इस पद्यांश के कवि कुँवर नारायण हैं। इस पद्यांश में कवि ने यह स्पष्ट किया है कि कथ्य के अनुसार कविता की भाषा सहज, सरल तथा बोधगम्य होनी चाहिए।

व्याख्या कवि स्पष्ट करता है कि यहाँ अन्ततः वही परिणाम निकला जिसका कवि को भय था। भाषा को तोड़ने-मरोड़ने तथा जटिल बनाने से कविता की भावाभिव्यक्ति का प्रभाव ही नष्ट हो गया। उसकी अभिव्यंजना कंद हो र भाषा भावहीन होकर पीड़ा करने लगी अर्थात् कविता का मूल कथ्य तो नष्ट हो गया, केवल भाषा की उछल-कूद ही दिखाई देने लगी। अंत में कवि तंग आ गया। उसने निराश होकर अभिव्यक्ति को चमत्कारी शब्दों से बलपूर्वक लूंस दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि ऊपर से वह कविता ठीक लग रही थी, परंतु उसका कथ्य पक्ष बड़ा ही कमज़ोर तथा प्रभावहीन बनकर रह गया। कवि के कथन में न कोई प्रभाव था और न ही भावों की गंभीरता थी। कवि की कविता पूर्णतः प्रभावहीन बनकर रह गई थी।

अंत में कविता के कथ्य ने (बात ने) बच्चे की तरह कवि के साथ क्रीड़ा करते हुए उससे कहा कि तुम मुझ पर व्यर्थ में ही मेहनत कर रहे थे और अपनी इस मूर्खता पर पसीना बहा रहे थे। हैरानी की बात यह है कि तुम्हें आज तक सहज तथा सरल भाषा का प्रयोग करना ही नहीं आया। इससे पता चलता है कि तुम एक अयोग्य और बेकार कवि हो। तुम इस तथ्य को नहीं जान पाए कि सहज तथा सरल भाषा में कही बात ही प्रभावशाली सिद्ध होती है।

विशेष-

  1. कवि ने स्वीकार किया है कि जटिल तथा चमत्कारी भाषा का प्रयोग करने से कविता का मूल भाव प्रभावहीन हो जाता है।
  2. पेंच कसने में दृश्य बिंब की योजना सजीव बन पड़ी है। यहाँ रूपकातिशयोक्ति अलंकार का भी प्रयोग हुआ है।
  3. ‘बात की चूड़ी मरना’ में भी रूपकातिशयोक्ति अलंकार का प्रयोग हुआ है।
  4. ‘कील की तरह ठोंकना’ से अभिप्राय है भाषा का बलपूर्वक प्रयोग करना।
  5. प्रस्तुत पद्य में बात का सुंदर और प्रभावशाली मानवीकरण हुआ है।
  6. ‘कील की तरह’, ‘शरारती बच्चे की तरह’ दोनों में उपमा अलंकार का प्रयोग है।
  7. ‘पसीना पोंछना’, ‘ज़ोर-ज़बरदस्ती’ में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।
  8. ‘कवि का पसीना पोंछना’ में सुंदर बिंब योजना है। यह पद परिश्रम की व्यर्थता को सिद्ध करता है।
  9. इसमें कवि ने सहज, सरल एवं बोधगम्य भाषा का प्रयोग किया है। इसमें आखिर, ज़ोर-ज़बरदस्ती, ताकत, पसीना, सहूलियत आदि उर्दू शब्दों का बड़ा ही सुंदर मिश्रण किया गया है।
  10. शब्द-योजना बड़ी सार्थक व सटीक है।
  11. मुक्त छंद तथा संवादात्मक शैली का प्रयोग है।

पद पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर
प्रश्न-
(क) कवि को किस बात का डर था?
(ख) कवि के सामने कथ्य तथा माध्यम की क्या समस्या थी?
(ग) क्या कवि इस समस्या का हल निकाल सका?
(घ) बात ने शरारती बच्चे के समान कवि से क्या कहा?
(ङ) इस पद्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) कवि को इस बात का डर था कि जटिल भाषा का प्रयोग करने से कविता का मुख्य भाव प्रभावहीन तथा अस्पष्ट हो जाएगा और अंत में ऐसा ही हुआ।

(ख) कवि अपने कथ्य को प्रभावशाली माध्यम के द्वारा व्यक्त करना चाहता था। परंतु कवि इस सच्चाई से अनभिज्ञ था कि सहज तथा बोधगम्य भाषा में कही गई बात ही अधिक प्रभावशाली और गंभीर होती है।

(ग) कवि इस समस्या का हल नहीं निकाल पाया। जटिल भाषा के प्रयोग के कारण कवि की बात उलझकर रह गई। अंततः कवि ने निराश होकर अभिव्यक्ति को चमत्कारी शब्दों से लूंस दिया।

(घ) बात ने शरारती बच्चे के समान कवि से कहा कि तुम व्यर्थ में ही परिश्रम कर रहे हो और अपनी बेवकूफी की मेहनत पर पसीना बहा रहे हो। तुम आज तक समझ नहीं पाए कि कविता में हमेशा सहज, सरल, बोधगम्य भाषा का ही प्रयोग करना चाहिए।

(ङ) इस पद्यांश में कवि स्वीकार करता है कि वह अपने कथ्य को सहज, सरल भाषा के द्वारा अभिव्यक्त नहीं कर पाया। जटिल भाषा के प्रयोग के कारण उसकी बात उलझकर रह गई और प्रभावहीन हो गई।

कविता के बहाने, बात सीधी थी पर Summary in Hindi

कविता के बहाने, बात सीधी थी पर कवि-परिचय

प्रश्न-
श्री कुँवर नारायण का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
श्री कुँवर नारायण का साहित्यिक परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
1. जीवन-परिचय-कुँवर नारायण उत्तर शती के एक महत्त्वपूर्ण नए कवि हैं। उनका जन्म 19 सितंबर, 1927 को फैजाबाद (उत्तर प्रदेश) में हुआ। इंटर तक उन्होंने विज्ञान विषय में शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्हें आरंभ से ही घूमने-फिरने का शौक था। उन्होंने सन् 1955 में चेकोस्लोवाकिया, पौलैंड, रूस तथा चीन का भ्रमण किया। वे सन् 1956 में ‘युग चेतना’ के संपादक मंडल से जुड़ गए। बाद में ‘नया प्रतीक’ तथा ‘धायानट’ के संपादक मंडल में भी रहे तथा उत्तर प्रदेश नाटक मंडली के अध्यक्ष भी बने। कालांतर में वे भारतेंदु नाटक अकादमी के अध्यक्ष बन गए। आरंभ में उन्होंने अंग्रेज़ी में कविताएँ लिखीं। परंतु बाद में हिंदी में कविता लिखने लगे। उनको सन् 1971 में हिंदुस्तानी अकादमी पुरस्कार, 1973 में ‘प्रेमचंद पुरस्कार’ तथा 1982 में मध्यप्रदेश का ‘तुलसी पुरस्कार’ तथा केरल का ‘कुमारन आशान पुरस्कार’ भी प्राप्त हुए। उनके इस काम के लिए उत्तर प्रदेश संस्थान ने भी सम्मानित किया तथा 1955 में ‘व्यास सम्मान’, ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘शतदल’ पुरस्कार मिले। इन्हें ‘कबीर’ सम्मान भी मिला।

2. प्रमुख रचनाएँ-अज्ञेय के संपादन में निकले ‘तीसरा सप्तक’ 1959 में संकलित कविताएँ ‘चक्रव्यूह’ (1956), ‘परिवेश : हम तुम’ (1961), ‘आत्मजयी’ (1965), ‘इन दिनों अपने सामने’ (1997), ‘कोई दूसरा नहीं’ (1993) आदि इनकी प्रसिद्ध काव्य रचनाएँ हैं। इसके अतिरिक्त ‘आकारों के आस-पास’ (कहानी संग्रह); ‘आज और आज से पहले’ (समीक्षा); ‘मेरे साक्षात्कार’ (सामान्य) उल्लेखनीय रचनाएँ हैं।

3. काव्यगत विशेषताएँ-कुँवर नारायण जी की काव्य-यात्रा निरंतर विकास की ओर हुई है। ‘तार सप्तक’ की कविताओं के बाद कवि ने व्यक्ति के मन की स्थिति के चित्रों का अंकन किया है। इनकी काव्यगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(i) सामाजिक चेतना-कुँवर नारायण की कविताओं में सामाजिक चेतना का विकास देखा जा सकता है। ‘चक्रव्यूह’ में जहाँ जीवन के प्रति सामाजिक जीवन का प्रवाह है, वहाँ जीवन-संघर्षों के अनेक प्रश्नों की तलाश भी दिखाई देती है। इस काव्य रचना में कवि ने जीवन व जगत की अनेक स्थितियों का वर्णन किया है। जीवन के संघर्षों को कवि अपनी नियति नहीं मानता, बल्कि वह टुकड़ों में बँटी हुई जिंदगी के सुनहरे क्षणों को देखता है; यथा
जरा ठहरो, जिंदगी के इन टुकड़ों को फिर से सँवार लूँ,
और उन सुनहले क्षणों को जो भागे जा रहे हैं।
पुकार लू …………….
आगे चलकर कवि मानव के अस्तित्व का चित्रण करते हुए उसके सामने उपस्थित भयानक स्थितियों का वर्णन करता है। कवि स्वीकार करता है कि विषम परिस्थितियों में आदमी जानवर बन जाता है। इसका कारण यह है कि परिस्थितियों की जकड़न से बाहर निकलकर उसके स्वभाव में बदलाव आ जाता है। ‘तब भी कुछ नहीं हुआ’, ‘पूरा जंगल’ आदि कविताएँ इसी तथ्य को उजागर करती हैं।

(ii) क्रूर व्यवस्था का वर्णन- कवि ‘अपने सामने’, काव्य-संग्रह में उस क्रूर व्यवस्था का वर्णन करता है जो मनुष्य की स्वतंत्रता, उसके अस्तित्व को जकड़ लेना चाहती है। लेकिन इसके साथ-साथ वह मुक्ति की भी चर्चा करता है। कवि आस्थाशील है। उसके विचारानुसार सत्ता की यह क्रूरता सार्वकालिक नहीं है, इसे हटाया भी जा सकता है। इसके लिए कवि नैतिकता से जुड़ने की सलाह देता है। कवि का विचार है कि हमें क्रूर व्यवस्था का डट कर विरोध करना चाहिए, अन्यथा यह संपूर्ण मानवता को निगल जायेगी।
उनके अफसर, सिपाही और कोतवाल-
उनके सलाहकार, मसखरे और नक्काल-
…………………………………………………
छा गये हैं।
वे सबके सब वापस आ गये हैं।

HBSE 12th Class Hindi Solutions Aroh Chapter 3 कविता के बहाने, बात सीधी थी पर

(iii) सही मार्ग की खोज-कवि चारों ओर फैली हुई छीना-झपटी और दुनियादारी में विश्वास नहीं करता। वह मानव-जीवन को अंधकारमय होने से बचाना चाहता है। वह एक ऐसा मार्ग खोजना चाहता है जो जीवन को गतिशील बनाए रखे और बाधाओं का सामना कर सके। कवि कहता है
मुझको इस छीना-झपटी में विश्वास नहीं।
मुझको इस दुनियादारी में विश्वास नहीं
……………………………………………………….
एक दृष्टि चाहिए मुझे –
भौतिक जीवन बच सके।

(iv) प्रकृति-वर्णन-कवि ने ‘जाड़े की एक सुबह’, ‘बसंत की लहर’, ‘बसंत आ’, ‘सूर्यास्त’ आदि कविताओं में प्रकृति के पूरे निखार का वर्णन किया है। कवि प्रकृति-वर्णन द्वारा उपदेश नहीं देना चाहता, बल्कि उसके सौंदर्य का स्वाभाविक वर्णन करना चाहता है; यथा
नदी की गोद में नादान शिशु-सा
अर्द्ध सोया द्वीप।
झिलमिल चाँदनी में नाचती परियाँ
लहर पर लहर लहराती
बजाकर तालियाँ गाती।

(v) प्रेम के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण-प्रेम के प्रति कुँवर नारायण का दृष्टिकोण पूर्णतया स्वस्थ एवं वैयक्तिक है। उनके विचारानुसार प्रेम मनुष्य के लिए शक्ति का काम करता है। यह निराश तथा कुचले जीवन में भी सजीवता उत्पन्न करता है। इसलिए प्रेम को आत्मा में स्थान देना चाहिए।
जिंदा रहने के लिए
प्यार एक खूबसूरत वजह है
लेकिन जिंदगी के लिए
दिल से कहीं अधिक आत्मा में जग है।

4. भाषा-शैली-कुँवर नारायण ने खड़ी बोली के स्वाभाविक रूप का अधिक प्रयोग किया है। उन्होंने न तो बलपूर्वक लोक भाषा का प्रयोग किया है और न ही संस्कृतनिष्ठ पदावली का। कवि ने सहज, सरल तथा भावानुकूल छंदों, बिंबों, प्रतीकों तथा अलंकारों का ही प्रयोग किया है। उनकी कविता को पढ़कर पाठक आत्मीयता का अनुभव करता है। छंदों के बारे में उनकी दृष्टि खुली है, क्योंकि वे सभी प्रकार के छंदों का प्रयोग करते हैं। यही नहीं उनकी कविताओं में अनुप्रास, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, मानवीकरण आदि अलंकारों का भी सहज प्रयोग हुआ है; यथा-
उपमा –
जहरीली फफूंदी-सी उदासी
छीलकर मन से अलग कर दो।
मानवीकरण-धूप चुपचाप एक कुर्सी पर बैठी
किरणों के ऊन का स्वेटर बुनती रही।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि कुँवर नारायण नयी कविता के प्रसिद्ध हस्ताक्षर हैं। भाव और भाषा दोनों दृष्टिकोणों से उनका काव्य आधुनिक युगबोध से जुड़ा हुआ है।

कविता के बहाने कविता का सार 

प्रश्न-
कुँवर नारायण द्वारा रचित कविता ‘कविता के बहाने’ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता आधुनिक कवि कुँवर नारायण द्वारा रचित एक छोटी-सी कविता है। यह कविता कवि के काव्य-संग्रह ‘इन दिनों में संकलित है। आज के वैज्ञानिक युग में कविता का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। यद्यपि पाश्चात्य काव्यशास्त्री आई०ए० रिचर्डस् ने आज के भौतिकवादी युग के लिए कविता को आवश्यक माना है, लेकिन काव्य प्रेमियों में एक डर-सा समा गया है कि आज के यांत्रिक युग में कविता का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इस संदर्भ में प्रस्तुत कविता अपार संभावनाओं को टटोलने का प्रयास करती है। ‘कविता के बहाने’ कविता चिड़िया की यात्रा से आरंभ होती है और फूल का स्पर्श करते हुए बच्चे पर आकर समाप्त हो जाती है। कवि कविता के महत्त्व का प्रतिपाद्य करते हुए कहता है कि चिड़िया की उड़ान सीमित है। वह एक निश्चित समय में निश्चित दायरे में ही उड़ान भर सकती है। इसी प्रकार फूल भी एक निश्चित समय के बाद मुरझा जाता है। परंतु बालक के मन और मस्तिष्क में असीम सपने होते हैं। बच्चों के खेलों की कोई सीमा नहीं होती। इसी प्रकार कविता के शब्दों का खेल भी अनंत और शाश्वत है। कवि जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य सभी को स्पर्श करता हुआ अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति करता है। कविता में एक रचनात्मक ऊर्जा होती है। इसलिए वह घर, भाषा तथा समय के बंधनों को तोड़कर प्रवाहित होती है। कविता का क्षेत्र अनंत और असीम है।

बात सीधी थी पर कविता का सार 

प्रश्न-
कुँवर नारायण द्वारा रचित ‘बात सीधी थी पर कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
प्रस्तुत कविता कुँवर नारायण द्वारा रचित काव्य-संग्रह ‘कोई दूसरा नहीं’ में संकलित है। इस कविता में कवि ने कथ्य और माध्यम के द्वंद्व को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। कवि हमें यह समझाने का प्रयास करता है कि हमें काव्य के विषय को सहज तथा सरल भाषा के माध्यम से अभिव्यक्त करना चाहिए। परंतु प्रायः कवि कविता में चमत्कार उत्पन्न करने के लिए उसे पेचीदा बना देते हैं। इस प्रकार के कवि इस भ्रम के शिकार हो जाते हैं कि इस क्लिष्ट भाषा का प्रयोग करने से उन्हें अधिकाधिक लोकप्रियता प्राप्त होगी। कुछ क्षणों के लिए ऐसा हो भी जाता है। पाठक अथवा श्रोता भी कवि के भ्रम का शिकार हो जाते हैं, परंतु बाद में कवि द्वारा कही गई बात प्रभावहीन हो जाती है क्योंकि चमत्कार के चक्कर में कवि की भाषा पर पकड़ ढीली पड़ जाती है। इस संदर्भ में कवि उदाहरण भी देता है। वह कहता है कि पेंच को निर्धारित चूड़ियों पर ही कसा जाना चाहिए। यदि चूड़ियाँ समाप्त होने पर पेंच को घूमाएँगे तो चूड़ियाँ मर जाएँगी और उसकी पकड़ ढीली पड़ जाएगी। भले ही उसे बलपूर्वक ठोक दिया जाए, पर वह पहली जैसी बात नहीं रहती। सहज शब्दावली में सहजता के साथ ही भावों की अभिव्यक्ति होनी चाहिए। सहजता की पकड़ मजबूत और स्थाई होती है। इसमें न अधिक परिश्रम करना पड़ता है और न ही अधिक दवाब डालना पड़ता है। इसलिए कवि को अपनी सहज एवं सीधी बात को सहज भाषा के साथ अभिव्यक्त करना चाहिए।

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HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij & Kritika Bhag 1 Haryana Board

Haryana Board HBSE 9th Class Hindi Solutions क्षितिज कृतिका भाग 1

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Bhag 1

HBSE Haryana Board 9th Class Hindi Kshitij गद्य-खंड

HBSE Haryana Board 9th Class Hindi Kshitij काव्य-खंड

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Bhag 1

HBSE Haryana Board 9th Class Hindi Kritika

HBSE Class 9 Hindi व्याकरण

HBSE Class 9 Hindi रचना

HBSE 9th Class Hindi Question Paper Design

Class: 9th
Subject: Hindi
Paper: Annual or Supplementary
Marks: 80
Time: 3 Hours

1. Weightage to Objectives:

ObjectiveKCEATotal
Percentage of Marks2060155100
Marks164812480

2. Weightage to Form of Questions:

Forms of QuestionsESAVSAOTotal
No. of Questions1 + 4 = 5611224
Marks Allotted2418221680
Estimated Time75444516180

3. Weightage to Content:

Units/Sub-UnitsMarks
1. व्याकरण (वर्ण, वाक्य, वर्तनी, र् के विभिन्न रूप, बिन्दु, अर्धचन्द्राकार, नुकता, विकारी-अविकारी शब्द, समास, उपसर्ग-प्रत्यय, भाषा व हिन्दी का मानक रूप, पर्यायवाची, विलोम, अनेकार्थी शब्द, मुहावरों का अर्थ एवं वाक्य में प्रयोग, तत्सम तद्भव शब्द)10
2. निबन्ध, पत्र-लेखन, अलंकार (8, 4, 3)15
3. क्षितिज (भाग-1) (काव्य-खण्ड)
काव्यांश के प्रश्न-उत्तर, काव्य-सौन्दर्य, अभ्यास के प्रश्न-उत्तर, प्रश्न-उत्तर
20
4. क्षितिज (भाग-1) (गद्य-खण्ड)
गद्यांश के प्रश्न-उत्तर, अभ्यास के प्रश्न-उत्तर, लेखक-परिचय, प्रश्न-उत्तर
20
5. कृतिका (भाग-1)
पाठ पर आधारित अभ्यास के प्रश्न-उत्तर
15
Total80

4. Scheme of Sections:

5. Scheme of Options: Internal Choice in Long Answer Question i.e. Essay Type in Two Questions

6. Difficulty Level:
Difficult: 10% marks
Average: 50% marks
Easy: 40% marks

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HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij & Kritika Bhag 2 Haryana Board

Haryana Board HBSE 10th Class Hindi Solutions क्षितिज कृतिका भाग 2

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kshitij Bhag 2

HBSE Haryana Board 10th Class Hindi Kshitij काव्य-खंड

HBSE Haryana Board 10th Class Hindi Kshitij गद्य-खंड

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kritika Bhag 2

HBSE Haryana Board 10th Class Hindi Kritika

HBSE Class 10 Hindi व्याकरण

HBSE Class 10 Hindi रचना

HBSE 10th Class Hindi Question Paper Design

Class: 10th
Subject: Hindi
Paper: Annual or Supplementary
Marks: 80
Time: 3 Hours

1. Weightage to Objectives:

ObjectiveKCEATotal
Percentage of Marks27.55018.753.75100
Marks224015380

2. Weightage to Form of Questions:

Forms of QuestionsESAVSAOTotal
No. of Questions31082 (8 + 8)23
Marks Allotted1830161680
Estimated Time46902816180

3. Weightage to Content:

Units/Sub-UnitsMarks
1. व्याकरण – संधि, उपसर्ग, प्रत्यय, वाच्य, समास, विलोम, पर्यायवाची, मुहावरे, लोकोक्तियाँ, शब्द, पद, पदबंध, वाक्य, विकारी व अविकारी शब्द, अनेकार्थक, अयोगवाह14
2. अलंकार, छंद4
निबंध लेखन6
पत्र-लेखन6
3. क्षितिज (भाग-2) (काव्य-खण्ड)
बहुविकल्पीय प्रश्न1 × 8 = 8
काव्यांश पर आधारित अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न5
काव्यांश सराहना/सौन्दर्यबोध सम्बन्धी प्रश्न4
जीवन मूल्य/रचनात्मक3
क्षितिज (भाग-2) (गद्य-खण्ड)
बहुविकल्पी प्रश्न1 × 8 = 8
लेखक परिचय6
गद्यांश पर आधारित अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न4
जीवन मूल्य/रचनात्मक प्रश्न2
5. कृतिका (भाग-2)
विषय वस्तु व बोध प्रश्न10
Total80

4. Scheme of Sections:

5. Scheme of Options: Internal Choice in Long Answer Question i.e. Essay Type in Two Questions

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HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 1 Food: Where does it Come From

Haryana State Board HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 1 Food: Where does it Come From Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Science Solutions Chapter 1 Food: Where does it Come From

HBSE 6th Class Science Food: Where does it Come From Textbook Questions and Answers

Exercises

Question 1.
Do you find that all living beings need the same kind of food?
Answer:
No, we know that different organisms eat different kinds of food. For example: animals such as buffallow and cow eat grass, oil cake, hay, grain and leaf. Rat eats grains and leftovers. Lion and tiger eat other animals. Human being eats bread, rice, fruits and vegetables. House lizards eat small insects and crow eats meat and other food items. In this way we can say that different organisms eat different kinds of food.

Question 2.
Name five plants and their parts that we eat.
Answer:

Names of the plantsParts that we eat
1. Mustard plantSeeds, (spices) oil and leaf.
2. BrinjalFruits
3. CarrotRoots
4. LotusStem and Leaf.
5. RadishLeafs and roots.

Question 3.
Match the items given in column ‘A’ with that in column ‘B’.

Column AColumn B
1. Milk, curd, paneer, gheeeat other animals.
2 .Spinach, cauliflower, carroteat plants and plants products.
3. Lions & tigersare vegetables
4. Herbivorousare all animals products.

Answer:

  • Milk, curd, paneer, ghee : are all animal products.
  • Spinach, cauliflower carrot : are vegetables.
  • Lions and tigers : eat other animals.
  • Herbovorous : eat plants and plant products.

HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 1 Food : Where Does It Come From

Question 4.
Fill up the blanks with the words given:
Herbivore, plant, milk, sugarcane, carnivore
(a) Tiger is a ________ because it eats only meat.
(b) Deer eats only plant products and so, is called ________.
(c) Parrot eats only ________ products.
(d) The ________ that we drink usually comes from cows, buffaloes and goats is an animal products.
(e) We get sugar from ________.
Answer:
(a) Carnivore
(b) herbivore
(c) plant
(d) milk
(e) sugarcane.

Things To Think About

Question 1.
Answer the following questions:
(a) Does every one around us get enough food to eat? Why?
(b) Write three ways how to avoid wastage of food?
Answer:
(a) Everyone around us does not get enough food to eat, because in our country many people are very poor. Due to lack of money, they do not get sufficient food to eat. High population growth is another factor and our country does not produce enough food for large number of people.

(b) Wastage of food can be prevented by the following methods :

  • Food should be kept in close containers to protect it from germs, flies and insects.
  • Fruits and vegetables should be washed properly before preparing food or before eating.
  • Heating prevents food from spoiling. Many food items can be preserved simply by drying them in the sun.
  • Food should be kept in ice box or refrigerators to prevent them from bacterial attack.
  • Fruits and vegetables are made into jams and jelleys and pickels.

HBSE 6th Class Science Food: Where does it Come From Important Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
If a person does not get food, how does he feel?
Answer:
If a person does not get food, he feels weak and tired.

Question 2.
Why do all living beings need food?
Answer:
All living beings need food for getting energy for doing physical work.

Question 3.
If we do not eat food for one day, what will happen?
Answer:
Our ability for doing physical work will go down.

Question 4.
Do all living beings eat same type of food?
Answer:
No, all living beings eat different types of foods.

HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 1 Food : Where Does It Come From

Question 5.
Which types of foods are eaten by buffalo and cow?
Answer:
They eat grass, oil cake, hay, grain and leaf.

Question 6.
Name three animals which eat only plants.
Answer:

  • Cow
  • Deer
  • Goat.

Question 7.
Name three animals which eat both plants and animals.
Answer:

  • Man
  • Dog
  • Crow.

Question 8.
Name three animals which eat only other animals.
Answer:

  • Tiger
  • King-fisher
  • Vulture.

Question 9.
What is the food of a house lizard?
Answer:
A house lizard eats houseflies, mosquitoes and other insects.

Question 10.
What is the food of a cat?
Answer:
A cat eats small animals, birds, milk, fish and rat etc.

Question 11.
What are those animals called which eat plants and their products only?
Answer:
They are called herbivorous.

Question 12.
Which food items provide us energy?
Answer:
Carbohydrate and fats.

Question 13.
Name two body-building foods.
Answer:

  • Milk
  • Pulses.

HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 1 Food : Where Does It Come From

Question 14.
What do carnivorous animals eat?
Answer:
Carnivorous animals eat other animals.

Question 15.
Name three food products we obtain from animals.
Answer:

  • Milk
  • egg
  • meat.

Question 16.
Name three animals that provide us food.
Answer:

  • Cow
  • buffalo
  • goat.

Question 17.
Where do we get honey?
Answer:
We get honey from honey-bees, which is collected from juice of flowers.

Question 18.
Which animals provide us milk and eggs?
Answer:

  • Cow and buffalo
  • hen.

Question 19.
Write down the names of some edible parts of the plants.
Answer:
Stem, roots and leaves.

Question 20.
Why do we take cooked food?
Answer:
Cooked food can easily be consumed and absorbed by our body.

Question 21.
Name two plants which provide us grains.
Answer:

  • Rice
  • wheat

Question 22.
Name two oil-yielding plants.
Answer:

  • Mustard
  • sunflower.

Question 23.
Name three fruit plants.
Answer:

  • Mango tree
  • papaya
  • grapes.

Question 24.
Which type of food eaten by Tamilnadu people?
Answer:
Idli, dosa, sambar and coconut oil.

Question 25.
Which type of food eaten by U.P. people?
Answer:
Chapati, pulses, rice, parantha and vegetables and fruits.

Short Answer Type Questions

Question 1.
What are the different food products obtained from animals?
Answer:
Different food products obtained from animals are milk, egg, honey eat butter, honey, ghee, etc.

Question 2.
Name the animals which provide us milk, egg, meat, honey and fats.
Answer:
We get milk from cow, buffalo, goat and sheep. Eggs are provided to us from hens. Honey is obtained from honey-bees. Meat provided to us from cock, hen, deer, rabbit and buffalo etc. They also provide us fats such as pigs.

Question 3.
From which plants we obtained grains, pulses, oils and fruits? Name two each plants.
Answer:

  • Grains : We obtain from rice, wheat and maize, etc.
  • Pulses : We get from urad, moong, masoor and gram. etc.
  • Oils: Oil yielding plants are mustard, sunflower etc.
  • Fruits: Mango, orange, lichi and guava etc.

HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 1 Food : Where Does It Come From

Question 4.
Name the plants from which we obtained vegetables?
Answer:
We obtain vegetables from carrot, radish, cauliflower, brinjal, cabbage and mustard plants. We obtained vegetables from their roots, stems leaves and fruits.

Question 5.
How is ghee prepared from cow milk?
Answer:
Cow milk is heated and curd is mixed in it. It is then centrifuged to obtain cream. Cream is converted to butter and after heating and filtering we obtain ghee.

Question 6.
Name six plant products which are useful to man.
Answer:
The products of plants which are useful to man are food : such as grains, pulses, oils, fruits and vegetables. We also get different type of spices from plants. We get wood, wax, lakh, silk and fibres from plants. There are so many products which are useful to mankind.

Question 7.
Name some animal products which are useful to man.
Answer:
We obtain many products from , animals. We obtain milk, eggs and meat from different animals. Many animals provide skin and ^ bones which we use in making shoes and fertilizers. Animal wastes are used as manures for improving ‘ soil fertility. They also provide us wool.

Question 8.
Why does our body need nutritious food?
Answer:
The nutritious food protects our body from many diseases and helps in building our body parts. It also helps in digestion and keep our body healthy.

Question 9.
What are the essential nutrients of our body?
Answer:
The essential nutrients of our body are:

  • Carbohydrates
  • Proteins
  • fats
  • vitamins
  • minerals.

Question 10.
Why do we need carbohydrate?
Answer:
Carbohydrates such as wheat, rice, sugar and potato give us energy. We need energy for doing physical work. This energy is obtained . from carbohydrates. So it is necessary to take carbohydrates in our diet.

Question 11.
Which important mineral does milk give us? Why is it useful?
Answer:
Milk provides us an important mineral; proteins. It is necessary for the building of our ‘ body. Children’s growth and development depends upon proteins. Proteins also help in digestion. Protein also helps in the repairing of our body parts.

Long Answer Type Questions

Question 1.
Write five steps to avoid wastage of food.
Answer:
Steps to avoid wastage of food :

  • All concerned must ensure that at every stage of food production, it does not get wasted, spoiled or eaten away by birds, rats and insects.
  • During storage it must be protected from spoilage or from being eaten away by rodents and insects.
  • While taking our meals ensure that we take only that much quantity of food which we can eat. Nothing should be left in the plate.
  • We should eat only that much food which is good for us. Excess intake of food causes obesity.
  • We should eat food which is easily available in the region and is seasonal.

Question 2.
What food materials come from animals?
Answer:
Food obtained from animals includes meat, fish, milk, eggs and honey.

  • Meat: We get meat from animals such as goat (mutton) and chicken.
  • Fish: Many kinds of fish are eaten. Fishes may be fresh water or sea water fish. The quality of food of both types of fish is good.
  • Milk : We get milk from animals such as cow, goat and buffalo. Milk is used to make products such as cottage cheese (paneer), cheese, butter, cufds and ghee.
  • Eggs : We get eggs from birds such as hen, goose and duck.
  • Honey : We get honey from the hive of. honey bees. Honey bees prepare honey using nectar from flowers.

HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 1 Food : Where Does It Come From

Food: Where does it Come From Class 6 HBSE Notes

1. Food : All living things need energy to do work; they get this energy from the food they eat.

2. Food produces energy which is required to perform various functions to sustain life. It helps us in repairing or replacing damaged cells and tissues.

3. It makes necessary materials for growth and development and reproduction. It also protects our body from disease and infections.

4. Nutrients: All the elements of food such as carbohydrate, fats, proteins, minerals and water and vitamins are essential for maintaining the life process in human
beings, so they are also called nutrients. The amount of various nutrients are different in different foods.

5. Foods are classified on the basis of their action:

  • Energy-giving foods (Carbohydrates and fats): Wheat, rice, sugar, potato, oil, ghee, butter, etc.
  • Body-building food : (Proteins) : It provides to the body which helps in growth, development, repair and maintenance; milk, pulses, eggs, meat.
  • Protective food: This kind of food protects us from some diseases. We get these from fruits, green vegetables and other vegetables.

6. (a) Carbohydrate-rich food : Wheat, rice, potato, sugar, etc.
(b) Protein-rich food: Egg, milk, meat, fish, pulses etc.
(c) Fat-rich food : Oil, ghee, butter, groundnut etc.
(d) Vitamin-containing food: Fruits, green leafy vegetables.
(e) Mineral-containing food: Meat, fish, egg, pulses, etc.

7. On the basis of food habits, animals are divided into three major divisions :
(a) Herbivorous animals : Animals which eat plants or plant products only are called herbivorous animals. Example : Buffalo, cow etc. .

(b) Carnivorous animals : Animals which eat animals that eat plants. Example: Lizard, tiger, frog, vulture etc.

(c) Omnivorous animals : Animals which eat both animals and plants are called omnivorous. Example : Man, crow, dog, cat, etc.

8. There is a variety in the kind of food consumed even within a state.

9. We should grow more food.

10. All of us should use easily and cheaply available food in the region.

11. The food that we produce should not get spoiled or eaten away by animals.

12. Meat, egg and milk are obtained from animals. There are many such animals which provide us food.

13. Plants prepare their own food by the process of photosynthesis and all animals depend for their food directly or indirectly upon plants.

14. Water constitutes 70% of our body weight and is an important constituent of all body cells.

15. Roughage: Fibrous indigestable materials present in a food is termed as roughage.

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HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 8 Body Movements

Haryana State Board HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 8 Body Movements Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 6th Class Science Solutions Chapter 8 Body Movements

HBSE 6th Class Science Body Movements Textbook Questions and Answers

Exercises

Question 1.
Fill in the blanks:
(a) Joints of the bones help in the ________ of the body.
(b) A combination of bones and cartilage form the ________ of the body.
(c) The bones at the elbow are joined by a ________ joint.
(d) The contraction of the ________ pulls the bones during movement.
Answer:
(a) movement
(b) skeletal
(c) balls socket
(d) muscles

Question 2.
Indicate true (T) and false (F) among the following sentences :
(a) The movement and locomotion of all animals is exactly the same.
(b) The cartilage is harder than bones.
(c) The finger bones move in one plane.
(d) The forearm has two bones.
(e) The cockroach have an exoskeleton.
Answer:
(a) False
(b) False
(c) True
(d) True
(e) True.

HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 8 Body Movements

Question 3.
Match the items in column I with appropriate items of column II.

Column IColumn II
(i) Upper jaw(a) have fins on the body.
(ii) Fish(b) has an outer skeleton.
(iii) Ribs(c) can fly in the air.
(iv) Snail(d) as an immovable joint.
(v) Cockroach(e) protect the heart.
(f) shows very slow movement
(g) have a streamlined body.

Answer:
(i) (d)
(ii) (g)
(iii) (e)
(iv) (f)
(v) (c)

Question 4.
Answer the following:
(a) What is a ball and socket joint?
(b) Which of the skull bones are movable?
(c) Why can our elbow not move backward?
Answer:
(a) The round end of one bone fits into the hollow space of the other bone. Such a kind of joint allows movements in all directions. Such joints are called ball and socket joints.
Example : Joints between the upper arms and the shoulders; the thigh and hip joints.

(b) The facial bones of our skull comprises upper and lower jaw; in which lower jaws is movable.

(c) Our elbows have hinge joint. These joints allow movement only in one plane only like a door hinge and not more than 180 degrees.

HBSE 6th Class Science Body Movements Important Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Define tissues.
Answer:
A group of similar cells to perform special functions are called tissues.

Question 2.
What is an organ?
Answer:
Different kinds of tissues group together to perform special function is called an organ.

Question 3.
Define organ system.
Answer:
A large number of related organs group together to form an organ system.
Cells → Tissues → Organs → Organ system → Human body.

Question 4.
Give two examples of organs.
Answer:
Heart, oesophagus.

Question 5.
Name two tissues.
Answer:
Muscles tissue, Nervous tissue.

HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 8 Body Movements

Question 6.
Name any three sense organs of our body.
Answer:
Eyes, ears and nose.

Question 7.
What are the organs of respiration in man?
Answer:
Nostrils, trachea, bronchi, lungs and muscles.

Question 8.
Why do animals move?
Answer:
Animals move from one place to another in search of food, mate and to defend themselves from enemies.

Question 9.
Where do the following animals live?
Whale, elephant and frog
Answer:
Water, forest, water.

Question 10.
Give the names of two vertebrate animals.
Answer:

  • Man
  • Horse.

Question 11.
Name two major groups of animals.
Answer:

  • Vertebrate
  • Non-vertebrate.

Question 12.
What is the function of hair in our nose?
Answer:
They prevent dust and smoke particles from entering enter our body.

Question 13.
Name the organs connected by food pipe.
Answer:
Larynx.

Question 14.
Name the pumping organ in our body.
Answer:
Heart.

Question 15.
Give the full form of RBC.
Answer:
Red blood corpuscles.

HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 8 Body Movements

Question 16.
Name two single-celled animals.
Answer:
Amoeba, Paramecium.

Question 17.
Define the term “cell”.
Answer:
Structural and functional unit of life is called cell.

Question 18.
What is the normal rate of heart beat?
Answer:
70-72 beats per minute.

Question 19.
What are external organs?
Answer:
The organs which can be seen from outside are called external organs.

Question 20.
Name three external organs.
Answer:
Hand, leg and mouth.

Question 21.
How many organ systems do we have?
Answer:
We have ten organ systems.

Question 22.
What is our skeleton made up of?
Answer:
Our skeleton is made of bones and cartilage.

Question 23.
What is the main function of our skeleton system?
Answer:
It gives support to the body and protects the inner organs.

Question 24.
What are bones and cartilages?
Answer:
The hard structures are bones and cartilages are comparatively soft and elastic.

Question 25.
How many vertebrae are found in our back bone?
Answer:
The back bone is composed of 33 small ring-like vertebrae joined end to end.

Question 26.
What are the regions of a backbone?
Answer:
Back-bone has five regions. From the top they are neck, chest, belly, hip and tail.

Question 27.
Which bone forms the shoulder bone?
Answer:
Shoulder bone is formed by the collar bone and the shoulder blade.

Question 28.
Our forearm has bones.
Answer:
Two.

HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 8 Body Movements

Question 29.
How are bones joined together?
Answer:
Bones are held together at joints by strong cords called ligaments.

Question 30.
What are hinge joints?
Answer:
These joints allow movement only in one plane not more than 180 degrees.,

Question 31.
How do muscles move the bones?
Answer:
The muscles move the bones by contraction.

Question 32.
Define movement.
Answer:
When organisms move their body parts without changing their position.

Question 33.
What is locomotion?
Answer:
When animals move from one place to another place. This kind of movement is called locomotion.

Question 34.
How do fishes move?
Answer:
They move with the help of tail fins and anal fins.

Question 35.
How does a cockroach move?
Answer:
Cockroach has distinct muscles attached with skeletal process. These muscles move the body.

Short Answer Type Questions

Question 1.
Define tissue, organ and organ system.
Answer:
→ Tissue : A group of similar cells to perform special functions. These group of cells are called tissues.

→ Organ: Groups of different kinds of tissues which perform special functions are called organs. Each organ of the body has a different structure.

→ Organ system: A large number of related organs together form an organ system. Cells → organ → organ system human body.

Question 2.
Give two examples of each : tissues and organs.
Answer:

  • Tissues : Muscles tissues, Nerve tissues.
  • Organ : Heart, stomach.

Question 3.
Why do animals move?
Answer:
Animals move from one place to another place due to the following reasons:

  • In search of food
  • In search of mate and to protect from enemies.

Question 4.
What is the function of our brain?
Answer:
Brain controls our body activity. It is also the centre of memory and learning.

Question 5.
How does a cockroach move?
Answer:
Cockroach also walks and climbs on the wall and flies in the air. It has three pairs of joined legs attached to the breast region. These help in walking. It has distinct muscles in the breast region which move the wings during flight.

Question 6.
Are nails and hairs organs?
Answer:
No, our hairs and nails have important uses. They are produced by the skin, but they are not organs. Because as they grow, they become dead. They can be cut without pain or bleeding.

HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 8 Body Movements

Question 7.
Define movement in snakes.
Answer:
Locomotion in snakes is like swimming on land. They make many loops at the sides. It is mainly the forward thrust to move forward. They also hitch the skin and body alternately dragging the ventral scales on the ground. Some snakes can swim well in water.

Question 8.
Define skeletal system.
Answer:
Our skeletal system is made up of many bones and cartilages. The bones are hard and cartilages are soft and elastic. It gives support to the body It protects internal organs. Together with muscles it gives shapes to our body. Narrow bone produces red blood cells and some white blood cells.

Question 9.
What are chest bones?
Answer:
Chest is a cone-shaped cage. It encloses the hearts and the lungs. At the back are the vertebrae 12 pairs of ribs curve round .the sides. Ribs are attached to the sides of each vertebrae. Ten of them are also attached by cartilage to the breast bone at the front. Two ribs are free. The ribs are joined in such a way that they allow the needed movement of the chest during breathing.

Question 10.
Define the bones present in our hand.
Answer:
The hand comprises the upper arm, fore-arm, wrist, palm and lingers. The upper arm has one long bone, and fore-arm has two long bones. Wrist is made up of several small bones. The palm is composed of fine slightly longer bones. There are three small bones in each finger.

Question 11.
What is the correct sitting postures?
Answer:
In correct position, one should sit straight and relaxed. One should not bend in front or lean backwards. The fore-arm should be at the same level. The feet should be in rest on the floor. Lower leg should be erect making a right angle at the knee.

Question 12.
Define the following:
(a) Fixed joints, (b) Ball and socket joints,
Answer:
(a) Fixed joints: Some attachments do not allow movements. They are fixed joints. Joint of cranium is a fixed joint.

(b) Ball and socket joints : The rounded end of one bone fits into the hollow space of the other bone. Such a kind of joint allows movements in all directions. Examples : The joints between the upper arm and shoulder, the thigh and the hip joint.

Question 13.
What are bone joints and from what are they joint?
Answer:
The place where two bones or more than two bones meet together is called a joint. There are various kinds of joints. They are held together at joints by strong cords called ligaments.

Question 14.
What is locomotion? Where is it found?
Answer:
Animals move from one place to another for various purposes. This kind of movement is called locomotion. Locomotion is found only in animals. Locomotion helps them in search of food and shelter. It also helps them escape from their enemies.

HBSE 6th Class Science Solutions Chapter 8 Body Movements

Question 15.
Answer the following questions:
(a) What is an organ system?
(b) Which of the skull bones are movable?
(c) Which of the external organs are supported by cartilages?
(d) Draw and label the bones of the leg.
Answer:
(a) When several organs group together as a team to carry out a major activity, such a set of organs is called an organ system.

(b) The facial bones comprise the upper and lower jaws and a few other bones. The bones of lower jaw are movable.

(c) The back bone and its 24 vertebrae are joined by cartilages. Thus it forms a hollow bony tube. Nose, ear and various joints are joined by cartilage.

Long Answer Type Questions

Question 1.
Define the locomotion in snail.
Answer:
The body of a snail is covered with a hard and flexible shell. It has an opening with a lid. Through the opening of the shell, a strong muscular foot and head comes out. The foot is a part of its belly. When it starts moving, the wavy motion of the foot can be seen. The movement is very slow.

Question 2.
How does an earthworm move?
Answer:
The body of a mature earthworm seems to be made of many rings joined end to end. From the paler under surface of the body a large number of minute bristles project out. The bristles are connected with muscles at their bases.

The bristles help to get a good grip on the ground. There are muscles in the body wall which help to extend and shorten the body. During movement, the earthworm first extends the front part of the body, keeping the rear fixed to the ground. Then it fixes the front end and releases the rear end. Thereafter it shortens the body and pulls the rear end forward. The earthworm follows this process repeatedly to move ahead. On a slippery surface, its movement is affected due to the loss of the grip on the surface.

Body Movements Class 6 HBSE Notes

  • The various kinds of animals differ in shape, size and habitat. Therefore their body parts and their working also vary widely.
  • The human body have many parts which have definite functions. They are called organs.
  • Both external and internal (parts) organs are made of many cells and tissues, but every organ works as a single unit.
  • The organs group together as a team to perform a major activity. A set of such organs forms an organ system.
  • There are ten organ systems which in coordination with one another perform all the life activities.
  • Hard structures such as bones and cartilages form the skeletal system of man. It gives the frame and shape to the body and help in movement. It protects internal organs and bones also form red blood cells and some white blood cells.
  • The skeletal comprises of the skull, the back bone, ribs and the breast bone.
  • The skeletal also includes the shoulder and hip bones and bones of hands and legs.
  • Two bones are joined by tough cords called ligaments. The bones are joined to muscles by cord-like tendons.
  • The bones are moved by alternate contractions and relaxations of two sets of muscles.
  • The bone joints are of various kinds on the nature of joints and directions of movement they allow.
  • Strong muscles and light bones work together to help the birds fly by flapping their wings. The fishes swim by forming loops alternately on two sides of the body. The tail pushes them forward and the vertebrates and muscles attached to them work for it. Similarly the snakes crawl on the ground by alternately looping sideways. A large no. of vertebrae and associated muscles push the body forward. The ventral scales also help in the process.
  • The body and legs of insects have hard jointed coverings forming an exoskeleton. The muscles of the breast connected with three pairs of legs and two pairs of wings help the cockroach to walk and fly.
  • The snails are moved by the muscular foot. The hard unjointed shell have no relation with the foot.
  • The earthworm moves by alternate extension and contraction of the body effected by the muscles. The minute movable bristles help in gripping the ground.

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HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 16 Water: A Precious Resource

Haryana State Board HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 16 Water: A Precious Resource Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Science Solutions Chapter 16 Water: A Precious Resource

HBSE 7th Class Science Water: A Precious Resource Textbook Questions and Answers

Question 1.
Mark ‘T” if the statement is true and ‘F’ if it false,:
(a) The fresh water stored in the ground is much more than that present in the rivers and lakes-of the world. (T/F)
(b) Water shortage is a problem faced only by people living in rural areas. (T/F)
(c) Water from rivers is the only source for irrigation in the fields. (T/F)
(d) Rain is the ultimate source of water. (T/F)
Answer:
(a) T, (b) F, (c) F, (d) T.

Question 2.
Explain How gropndwater is recharged?
Answer:
The ground water get recharged through the process of infiltration. Infiltration means seeping in water from rivers and lakes into the empty spaces and crack deep below the ground.

Question 3.
There are ten tubewells in a lane of fifty houses. What could be the long term impact on the water table?
Answer:
The effect on the water table depends on the replenishment of the underground water. As only five families will share a tubewell, the water used for daily domestic purpose will not effect the water table as such. But if there is acute shortage of rains the water used by the families will not replenished and water table will fall down.

Question 4.
You have been asked to maintain a garden. How will you minimise the use of water?
Answer:
The water is used to water the plants in a garden. To minimise the wastage of water we will use the technique of drip irrigation, which directly throws water at the base of plants. I will Check the leakages in the water papers. I will arrange small pits for rain water harvesting, The collected rain water will be used for watering loiter.

HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 16 Water: A Precious Resource

Question 5.
Explain the factors responsible for the depletion of water table.
Answer:
Various factors are responsible for the depletion of water table
(i) Increased Population : Increase in the human population has increased the demand for water. As the number of humans will keep on increasing, the consumption of water will also increase. Sources of water remain limited but consumption keeps on increasing causing great fall in, water table.

(ii) Increasing industries : All industries need water. Inlith increase in human population, the number of industries has also increased; so has increased the consumption of water mainly from ground. This has caused depletion of ground water.

(iii) Agricultural activities : India is a country whose economy depends on the agriculture. With time the land used for cultivation has increased. Therefore, the consumption of water for agricultural purpose has increased. Rains are the main source of water for irrigation. But irregular rain fall has increased the dependence of farmers on the ground water. This has increased the depletion of ground water.

(iv) Lack of water conservation techniques : Main source of/water on earth and for the underground water is the rain. The water of the rain, if conserved can increase the water level. But this is not done due to the lack of rain water harvesting techniques and other water conservation techniques.

Question 6.
Fill in the blanks with the appropriate answers :
(a) People obtain groundwater through _______ and _______ .
(b) Three forms of water are _______, _______ and _______ .
(c) The water bearing layer of the earth is _______.
(d) The process of water seewage into the ground is called _______.
Answer:
(a) wells and handpumps
(b) solid, liquid and vapour
(c) aquifer
(d) infiltration

Question 7.
Which one of the following is not responsible for water shortage?
(i) Rapid growth of industries.
(ii) Increasing population.
(iii) Heavy rainfall.
(iv) Mismanagement of water resources.
Answer:
(iii) Heavy rainfall.

Question 8.
Choose the correct option. The total water
(i) in the lakes and rivers of the world remains constant.
(ii) under the ground remains constant.
(iii) in the seas and oceans of the world remains constant.
(iv) of the world remain constant.
Answer:
(iii) in the seas and oceans of the world remains constant.

HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 16 Water: A Precious Resource

Question 9.
Make a sketch showing groundwater and water tube. Label it.
Answer:
HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 16 Water A Precious Resource 1

Question 10.
Explain how ground water is recharged.
Answer:
The ground water get recharged through the process of infiltration. Infiltration means seeping in water from rivers and lakes into the empty spaces and crack deep below the ground.

Extended Learning-Activities and Projects

Question 1.
Role play
You are a water detective in your school. You have a team of six members. Survey the campus and make a note of the following:
(a) Total number of taps
(b) Number of taps leaking
(c) Amount of water wasted due to leakage
(d) Reasons of leakage
(e) Corrective measures taken
Answer:
Do it yourself.

Question 2.
Groundwater pumped out
Try to find out if there are any hand pumps in your neighbourhood. Go to the owner or the users of a few of these and find out the depth at which they struck water? If there are any differences, think of the probable reason. Write a brief report and discuss it in your class. If possible, visit a place where boring is going on to install a hand pump. Watch the process and find out the depth of the water table at that place. .
Answer:
Do it yourself.

Question 3.
Catching rainwater – Traditional methods
Form groups of 4 to 5 students in the class and prepare a report on the various traditional ways of water harvesting.
Answer:
Do it yourself.

HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 16 Water: A Precious Resource

Question 4.
Conservation of water
Carry out a compaign to conserve water at home and in the school. Design posters to remind others of the importance of water resources.
Answer:
Do it yourself.

Question 5.
Create a logo
Hold a competition to create a logo or a symbol depicting water scarcity.
Answer:
Do it yourself.

HBSE 7th Class Science Water: A Precious Resource Important Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
When do we celebrate water day?
Answer:
We celebrate water day on 22nd March every year.

Question 2.
How much minimum water is required by an individual for his daily requirements?
Answer:
According to survey of United Nations every individual require 50 litres of water every day.

Question 3.
What is the main source of water on the earth?
Answer:
Rain is the main source of water on the earth.

Question 4.
Name the main sources of the natural water.
Answer:
Main source of natural water on earth are two : Surface water and underground water.

Question 5.
What are the sources of surface water?
Answer:
Rain water, River and lake water and sea water are the three sources of surface water on earth.

HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 16 Water: A Precious Resource

Question 6.
What do you mean by underground water?
Answer:
Water from rain and other sources of surface water seeps inside the earth to fill the empty spaces and crack. It is called underground water.

Question 7.
What do you mean by infiltration?
Answer:
The process of seeping of water into the empty spaces of the ground is called infiltration.

Question 8.
What do you understand by aquifer?
Answer:
Aquifer is the underground water bearing layer of the earth, which is below the water table.

Question 9.
What are main sources of underground water?
Answer:
Main sources of underground water are springs, tubewells, wells, handpumps etc.

HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 16 Water: A Precious Resource

Question 10.
What is depletion of water table?
Answer:
Falling level of water at the water table is called depletion of water table.

Question 11.
Name the factors affecting the depletion of water table.
Answer:
Increase in human population, increasing industries and increasing agricultural activities are cause of depletion of water table.

Question 12.
What is water management?
Answer:
Minimum wastage of water is called water management.

Question 13.
What is drip irrigation?
Answer:
It is a technique using narrow tubings to water plants directly at their base without wasting water.

Question 14.
What symplasm in plants show scarcity of water?
Answer:
Wilting and drying.

Question 15.
How can we utilize the rain water?
Answer:
We can store rainwater with help of rain water harvesting techniques.

Short Answer Type Questions

Question 1.
What is the role of water in sustaining life on earth?
Answer:
Water is very important in sustaining life on earth. All the metabolic functions of living beings cannot be ‘performed without water. It provides habital to several animals and plants. So no living organism can survive without water.

Question 2.
What is surface water? What are its source?
Answer:
The water present on the surface of the earth is called the surface water. It can be obtained from rain water, water from rivers and lakes sea water contains maximum surface water.

Question 3.
What is underground water and how can it be obtained?
Answer:
A part of rain water gets percolated into the ground and collect to form a water table. This water is called underground water. Underground water can be obtained from springs, wells and tubewells. Handpumps are also means of obtaining underground water.

Question 4.
What is conservation of water? How can we conserve water.
Answer:
Conservation of water is the wise and fundicious use if, water by us. We can conserve water of harvesting rain water, minimising the wastage of water in houses and industries, using conservation techniques like drip irrigation in agriculture etc. can conserve our fresh water resources.

HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 16 Water: A Precious Resource

Question 5.
What do you mean by rainwater harvesting?
Answer:
Collecting and conserving the rain water from the roof tops of the buildings is called rain water harvesting. Water from the roof tops of the houses, industries etc. is collected. It is used directly or allowed to seep into the soil instead of allowing it to flow down. It helps in raising the water table.

Question 6.
What are water-wise habits?
Answer:
Following are the water-wise habits:

  • brushing teeth shaving, etc with taps turned off while not using water.
  • moking floor instead of washing.
  • using small cisterns in toilets.
  • using a bucket and mug to take bath instead of bathing under a shower.
  • using harvested rain water.

Long Answer Type Questions

Question 1.
List main sources of water explaining each one briefly.
Answer:
There are mainly two sources of natural water.
(i) Surface water : The water which is present on the surface of earth is called the surface water.
It is of three types :

  • Rain water : Rain water is the main source of water on the earth. It is the purest form of natural water.
  • River and Lake water : The water is rivers and lakes came from rain and melting of snow.
  • Sea water : Water from rivers, lakes and streams flow into the sea. Sea water cannot be consumed because it contains various soluble salts.

(ii) Underground Water : A part of rain water predates into the soil and gets collected there. It is called underground water. It can be obtained from the following :

  • Spring Water : Some times the water that is collected above the rocks exert pressure. Consequently it comes out from any opening in the earth. It is called spring water.
  • Well Water : Water collected inside the earth is called water table. Wells are dug to obtain water, borings are made to instal a hand pump or a tube well.

Question 2.
List the cause and effects of water scarcity.
Answer:
Cause of water scarcity : Following reasons cause the scarcity of fresh water on earth :
(а) Uneven Distribution of water :
There is uneven rainfall on the earth. Some places receive planty of rainfall while others do not receive any rain. Almost about half of the earths land area does not get sufficient rain.

(b) Lack of conservation facilities : Most of the rain water goes waste as it cannot be absorbed in the earth. It runs into other resources like sea, rivers etc. This water otherwise can be percolated into the soil and raise water table. Constructing small reservoirs, artificial lakes and other storage facilities can increase the water table.

(c) Pollution of water : Considerable amount of consignable water gets polluted due to human and industrial activities. This water if not polluted, can be consumed by human beings.

Effects following are the effects of water scarcity :

  • acute shortage of water.
  • drying up of pumps and lakes.
  • failure of crops thus shortage of food.
  • death of man and cattle.

Water: A Precious Resource Class 7 HBSE Notes

  • Water is a vital natural resource.
  • Main sources of natural water are surface water and underground water.
  • Rain is the main source of water on the earth.
  • Rain water river and lake water and sea water are the sources of surface water.
  • Spring water tubewells hand pumps are the means of obtaining under ground water.
  • level of water under the ground is called water table.
  • Infiltration is the seeping of rain water into the soil.
  • Infiltration increases the water table.
  • Excess usage of ground water depletes the water table.
  • Rain water harvesting, drip irrigation etc. helps in conserving wafer.
  • Increase in population, increase in industries, etc. Cause scarcity of water.
  • Security of water can snatch away the greenry from the earth.

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HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 17 Forests: Our Lifeline

Haryana State Board HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 17 Forests: Our Lifeline Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Science Solutions Chapter 17 Forests: Our Lifeline

HBSE 7th Class Science Forests: Our Lifeline Textbook Questions and Answers

Question 1.
Explain how animals dwelling in the forest help it grow and regenerate.
Answer:
Animals help in growing and regenerating forests in many ways. Animals work as the cleaning agents in the forest micro-organisms work on the dead bodies of plants and animals and degenerate them. This also renourishes the soil of the forest with the nutrients broken by the micro-organisms. Animals also help in dispersing the seeds of various plants and help in their pollination. This helps in growing a number of plants, which serve as a food for a number of herbivorous animals. Herbivores helps the carnivores to grow as they serve as food for them. Thus, the flora and fauna grows the in forests.

Question 2.
Explain how forest prevent floods.
Answer:
Forests can absorb a lot of water. The roots of the trees absorb the water and prevent it from flowing away. This helps in preventing floods.

Question 3.
What are decomposers? Name any two of them. What do they do in the forest?
Answer:
Decomposers are the organisms which feed on the dead bodies of the plants and animals. They clean the forests of the decaying dead bodies and replensish the nutrient back to the forest soil e.g. beetles and grubs.

HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 17 Forests: Our Lifeline

Question 4.
Explain the role of forest in maintaining the balance between oxygen and carbon dioxide in the atmosphere.
Answer:
Plants release Oxygen in the atmosphere during the process called photosynthesis. This oxygen is inhaled by the animals living in the forest for their respirations. During respiration, they release carbon dioxide, which is absorbed by plants. In this way the O2 – CO2 cycle goes on in the forest.

Question 5.
Explain why there is no waste in a forest.
Answer:
There is no waste in the forest because decomposers convert all the dead bodies of the plants and animals into the humus. Humus gets added to the soil and no waste is remained.

Question 6.
List five products we get from forests?
Answer:
Products we get from forests:

  • We get wood from forests which is used for many purposes like making furniture, paper etc.
  • We get medicines from forest.
  • We get fodder for our animals from forest.
  • We get gum, wax etc.

Question 7.
Fill in the blanks :
(a) The insects, butterflies, honeybees and birds help flowering plants in __________.
(b) A forest is a purifier of __________ and __________.
(c) Herbs form the __________ layer in the forest.
(d) The decaying leaves and animals droppings in a forest enrich the __________.
Answer:
(a) pollination
(b) water and air
(c) lowest layer
(d) soil as humus.

Question 8.
Why should we worry about the conditions and issues related to forests far from us?
Answer:
We should be worried about deforestation, as it would lead to floods, increase in earth’s temperature, depriving animals of their habitats and soil erosion.

Question 9.
Explain why there is a need of variety of animals and plants in a forest.
Answer:
Animals and plants sustain the forest life CO2 – O2 cycle goes on in the forest due to animals and plants. Animals convert the dead plants and animals into humus and increase the fertility of soil. All food cycles and food webs need variety of plants and animals.

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Question 10.
In Fig. the artist had forgotten to put the labels and directions on the arrows. Mark the directions on the arrows and label the diagram using the following labels :
clouds, rain, atmosphere, carbon dioxide, oxygen, plants, animals, soil, roots, water table.
HBSE 7th Class Science Solutions Chapter 17 Forests Our Lifeline 1
Answer:
(See. Fig.)

Question 11.
Which of the following is not a forest product?
(i) Gum
(ii) Plywood
(iii) Sealing wax
(iv) Kerosene
Answer:
(iv) Kerosene

Question 12.
Which of the following statements is not correct?
(i) Forests protect the soil from erosion.
(ii) Plants and animals in a forest are not depedent on one another.
(iii) Forests influesce the climate and water cycle.
(iv) Soil helps forest to grow and regenerate.
Answer:
(ii) Plants and animals in a forest are not depedent on one another.

Question 13.
Micro-organisms act upon the dead plants to produce
(i) sand
(ii) mushrooms
(iii) humus
(iv) wood
Answer:
(iii) humus

Extended Learning-Activities and Projects

Question 1.
The Department of Environment is to decide whether some portion of a forest in your area could be cleared for a housing complex. Write a letter to the department explaining your point of view as a concerned citizen.
Answer:
Do it yourself.

Question 2.
Visit a forest. Here is a list of points that would make your visit more fruitful.
(а) Make sure that you have permission to go into the forest.
(b) Make sure that you can find your way around. Get a map and go along with some one who is familiar with the area.
(c) Keep a record of the things you see and do. Observations make the visit interesting. Sketches and photographs are useful.
(d) You may record bird calls.
(e) Collect different kinds of seeds or hard fruits like nuts.
(f) Try to recognise various types of trees, shrubs, herbs, etc. Make lists of plants from different places in the forest and of diferent layers. You may . not be able to name all the plants, but it is worth recording and seeing where they grow. Make a record of approximate heights of plants, crown shape, bark texture, lea size, and flower colour.
(g) Learn to recognise the animal’s droppings.
(h) Interview the forest officials and the people of surrounding villages and other visitors.
Answer:
Do it yourself.

HBSE 7th Class Science Forests: Our Lifeline Important Questions and Answers

Very Short Answer Type Questions

Question 1.
Write three things we get from forests.
Answer:
Wood, gum and medicine

Question 2.
What is a forest?
Answer:
Forest is a place hosting a number of plants and animals.

Question 3.
Which plants constitute canopy in forests?
Answer:
Tall and giant trees.

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Question 4.
Which plants constitute the understoreys in forest?
Answer:
Shrubs, tall grasses and small trees.

Question 5.
What is the basic unit of any food chain?
Answer:
Plants.

Question 6.
Draw any simple food chain going on in the forest.
Answer:
Grass → insects → frog snake → eagle.

Question 7.
What is Humus?
Answer:
Humus is a dark coloured substance which is formed from the dead bodies of plants and animals.

Question 8.
What are decomposers?
Answer:
The micro-organisms which decompose the dead bodies of the plants and animals are called decomposers.

Question 9.
Who helps in the dispersal of seeds of plants in the forest?
Answer:
Animals and wind helps in dispersal of seed.

Question 10.
How does forest help in preventing floods?
Answer:
Forests absorb the rain water in the soil and prevent the floods.

Question 11.
Why the noise pollution is less in the areas situated near the forests?
Answer:
Forest absorb the noise and prevent noise pollution.

Question 12.
What is deforestation?
Answer:
Cutting and destroying the forest is called deforestation.

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Question 13.
What are the effects of deforestation?
Answer:
Floods, rising temperature, scarcity of food and wood and disturbed food chains are the results of deforestation.

Question 14.
How can we preserve our forest wealth?
Answer:
We can preserve our forest wealth by planting more and more trees.

Question 15.
What do you mean by afforestation?
Answer:
Planting more trees is called afforestation.

Short Answer Type Questions

Question 1.
Write any four products we get from forests.
Answer:

  • We get wood from the forests.
  • We get medicinal plants from the forests.
  • We get gum and paper from the forests.
  • We get food from forests in form of plants and animals.

Question 2.
What kind of flora is found in the forest?
Answer:
We can find wide variety of plants in the forest. We can find huge and giant trees. We can find small trees and shrubs. Various small plants like shrubs and grasses are also found in the forest.

Question 3.
What is a food chain?
Answer:
All the living components of the forest depend upon each other for their food. This interdependence of one organism on other for food is called a food chain.

Question 4.
What do you mean by micro-organisms?
Answer:
Micro-organisms as the name suggest are very small organisms. These organisms are so small that they cannot be seen with naked eyes. They can be seen under a microscope only e.gt bacteria, yeast etc.

Question 5.
What are decomposers?
Answer:
Decomposers are the micro-organisms which feed on the dead bodies of the plants and animals. They convert the dead bodies of these plants and animals into fertile humus.

Question 6.
How forests help in bringing rain?
Answer:
Trees absorbs water from the soil through their roots. They then release the excess of water through the process of transpiration in the form of water vapours. These water vapours form clouds and clouds bring rain.

Long Answer Type Questions

Question 1.
List the utility of forests.
Answer:
Forests are indispensible for us. They play an important role in our lives and in our environment.
Following are the importance of the forests:
(i) Forests give us a number of products which are very useful for us. They provide us wood. Wood is used to make furniture, house, toys, sports and fuel. Forests give us many medicinal plants. They give us gum, wax, catechu fruits, fodder and many more things.

(ii) Forests help in causing rains.

(iii) Forests maintain the temperature of the earth.

(iv) Forests maintain the O2 – CO2 cycle going on in the environment.

(v) Forests maintain the water-cycle going on in the environment.

(vi) Forests prevent many climate disaters like flood and draughts.

(vii) Forest provide shelter to a lot of wild life.

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Question 2.
How forest sustain various variety of animals?
Answer:
Forests have different types of animals in it. Herbivores, Carnivores and Scvengers etc. Forest provide all the conditions necessary for their living. They get their food in the forest itself. The herbivores get their food in the form of plants. Carnivores eat the herbivores and systain their lives. Scavengers live on the dead bodies of all these animals and plants. Various invisible micro-organisms also live in forest. These micro-organisms are called decomposers. They convert the dead remains of animals and plants into the fertile humus.

Question 3.
What is the importance of scavengers and decomposers in the forests?
Answer:
A number of animals and plants live in forests. When they die, no body cremate their dead bodies. They keep on lying there. Scavengers like vultures, eagles etc. eat their dead bodies. They eat the flesh and other soft orgAnswer: The rest of the dead bodies are broken down by various micro-organisms called decomposers. They decompose the dead bodies of animals and plants into a dark substance called humus which is very nutritious for the soil. If scavengers and decomposers do not eat the dead bodies of animals and plants, the forest would become a big store of dead bodies and unfit for any wild life. This would disturb the whole environmental balance.

Forests: Our Lifeline Class 7 HBSE Notes

  • A major part of our land is covered with forest.
  • Forests are very important renewable resource.
  • Forest help in maintaining the CO2-O2 cycle in our environment.
  • They serve as a habitat to a number of plants and animals.
  • Forests are indispensible for human life.
  • A lot of variety of small and big plants can be found in forests.
  • Different species of animals and birds live in forest.
  • All the biotic and abiotic components of the forest are interrelated to each other.
  • All these components serve as the complementory to each other.
  • Forests save the soil erosion and maintain water table beneath the soil.
  • They cause the rains and maintain the water cycle.

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