Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Samas-Prakaran समास-प्रकरण Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran समास-प्रकरण
समास-प्रकरण
वर्गों के मेल से जहाँ संधि होती है, वहाँ शब्दों के मेल से समास बनता है। अन्य शब्दों में, दो या दो से अधिक शब्दों के मिलने से जो एक नया स्वतंत्र पद बनता है, उसे समास कहते हैं।
परिभाषा:
आपस में संबंध रखने वाले दो शब्दों के मेल को समास कहते हैं; जैसे राजा का महल = राजमहल । विधि के अनुसार = यथाविधि। समास करते समय परस्पर संबंध दिखाने वाले विभक्ति चिह्नों का लोप हो जाता है; जैसे ‘गंगा का जल’ = गंगाजल में का विभक्ति का लोप हो गया।
Samas In Hindi Class 9 HBSE प्रश्न 1.
‘समास-विग्रह’, किसे कहते हैं?
उत्तर:
समस्त पद या सामासिक शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है। यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार। तुलसीकृत = तुलसी के द्वारा कृत।
समास Class 9 HBSE प्रश्न 2.
समास के कितने भेद होते हैं? प्रत्येक का सोदाहरण उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
समास के निम्नलिखित चार भेद होते हैं-
(1) अव्ययीभाव समास
(2) तत्पुरुष समास
(3) द्वंद्व समास
(4) बहुब्रीहि समास।
1. अव्ययीभाव समास
Samas Class 9 HBSE प्रश्न 1.
अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस समास में पहला पद अव्यय हो तथा दूसरे शब्द से मिलकर पूरे समस्त पद को ही अव्यय बना दे, उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं; जैसे-
यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
रातों-रात – रात ही रात में
यथाविधि – विधि के अनुसार
घर-घर – घर ही घर
यथामति – मति के अनुसार
द्वार-द्वार – द्वार ही द्वार
हरसाल – साल-साल
मन-मन – मन ही मन
हररोज – रोज-रोज
बीचों-बीच – बीच ही बीच
बेकाम – काम के बिना
दिनों-दिन – दिन ही दिन
बेशक – शक के बिना
धीरे-धीरे – धीरे ही धीरे
बेमतलब – मतलब के बिना
आजन्म – जन्म-पर्यन्त
निडर – बिना डर के
आजीवन – जीवन पर्यन्त
2. तत्पुरुष समास
Class 9 Hindi Vyakaran Samas HBSE प्रश्न 1.
तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? इसके कितने भेद होते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस समास में दूसरा पद प्रधान हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। इस समास में कर्ता और संबोधन कारकों को छोड़कर शेष सभी कारकों के विभक्ति चिह्न लुप्त हो जाते हैं। जिस कारक की विभक्ति प्रयुक्त होती है, उसी के नाम पर तत्पुरुष समास का नामकरण होता है। विभक्तियों के अनुसार तत्पुरुष के छह उपभेद होते हैं; जैसे-
(i) कर्म तत्पुरुष
(ii) करण तत्पुरुष
(iii) संप्रदान तत्पुरुष
(iv) अपादान तत्पुरुष
(v) संबंध तत्पुरुष
(vi) अधिकरण तत्पुरुष।
(i) कर्म तत्पुरुष:
जिस समास में दो शब्दों के मध्य से कर्म-विभक्ति के चिह्नों का लोप होता है, उसे कर्म तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे परलोकगमन-परलोक को गमन, ग्रामगत ग्राम को (गमन) गत, शरणागत-शरण को आगत (आया हुआ) आदि।
(ii) करण तत्पुरुष-जिस समास में करण कारक का लोप हो, उसे ‘करण तत्पुरुष’ समास कहते हैं; जैसे-
रेखांकित – रेखा से अंकित
दईमारा – देव से मारा
तुलसीकृत – तुलसी द्वारा कृत
मुंहमांगा – मुँह से माँगा
हस्तलिखित – हाथ से लिखित
हृदयहीन – हृदय से हीन
रेलयात्रा – रेल द्वारा यात्रा
गुणयुक्त – गुणों से युक्त
मदांध – मद से अंध
मनमानी – मन से मानी
(iii) संप्रदान तत्पुरुष-जब समास करते समय संप्रदान कारक चिह्न ‘के लिए’ का लोप हो तो वह ‘संप्रदान तत्पुरुष’ कहलाता है; जैसे-
हथकड़ी – हाथों के लिए कड़ी
राज्यलिप्सा – राज्य के लिए लिप्सा
क्रीडाक्षेत्र – क्रीड़ा के लिए क्षेत्र
पाठशाला – पाठ के लिए शाला
रसोईघर – रसोई के लिए घर
मालगोदाम – माल के लिए गोदाम
सत्याग्रह – सत्य के लिए आग्रह
राहखर्च – राह के लिए खर्च
देशार्पण – देश के लिए अर्पण
युद्धभूमि – युद्ध के लिए भूमि
(iv) अपादान तत्पुरुष-जिस समास में अपादान कारक चिह्नों ‘से’ (जुदाई) का लोप हो तो उसे ‘अपादान तत्पुरुष समास’ कहते हैं; जैसे-
ऋणमुक्त – ऋण से मुक्त
देशनिकाला – देश से निकाला
भयभीत – भय से भीत
गुणहीन – गुण से हीन
पथभ्रष्ट – पथ से भ्रष्ट
धनहीन – धन से हीन
धर्मविमुख – धर्म से विमुख
जन्मांध – जन्म से अंधा
(v) संबंध तत्पुरुष-समास करते समय जब संबंध कारक चिह्नों (का, के, की आदि) का लोप हो तो वहाँ ‘संबंध तत्पुरुष समास’ होता है; जैसे-
विश्वासपात्र – विश्वास का पात्र
राष्ट्रपति – राष्ट्र का पति
घुड़दौड़ – घोड़ों की दौड़
जन्मभूमि – जन्म की भूमि
माखनचोर – माखन का चोर
राजपुत्र – राजा का पुत्र
रामकहानी – राम की कहानी
राजसभा – राजा की सभा
राजकन्या – राजा की कन्या
रामदरबार – राम का दरबार
बैलगाड़ी – बैलों की गाड़ी
शासनपद्धति – शासन की पद्धति
सेनापति – सेना का पति
पनचक्की – पानी की चक्की
(vi) अधिकरण तत्पुरुष-जिस समास में अधिकरण कारक के विभक्ति चिह्नों का लोप किया जाता है, उसे अधिकरण तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे-
आपबीती – अपने पर बीती
घुड़सवार – घोड़े पर सवार
सिरदर्द – सिर में दर्द
रसमग्न – रस में मग्न
शरणागत – शरण में आगत
धर्मवीर – धर्म में वीर
दानवीर – दान में वीर
व्यवहारकुशल – व्यवहार में कुशल
तत्पुरुष समास के कुछ अन्य उपभेद
Hindi Samas Class 9 HBSE प्रश्न 1.
तत्पुरुष समास के कुछ अन्य उपभेद कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
तत्पुरुष समास के कुछ अन्य उपभेद निम्नलिखित हैं-
(1) नञ् तत्पुरुष
(2) अलुक् तत्पुरुष
(3) उपपद तत्पुरुष
(4) कर्मधारय तत्पुरुष
(5) द्विगु तत्पुरुष ।
(क) नञ् तत्पुरुष
Class 9 Vyakaran Samas HBSE प्रश्न 2.
नञ् तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जब अभाव अथवा निषेध अर्थ को व्यक्त करने के लिए व्यंजन से पूर्व ‘अ’ तथा स्वर से पूर्व ‘अन्’ लगाकर समास बनाया जाता है तो उसे नञ् तत्पुरुष समास का नाम दिया जाता है; जैसे-
अहित – न हित
अस्थिर – न स्थिर
अपूर्ण – न पूर्ण
अनादि – न आदि
अनागत – न आगत
अज्ञान – न ज्ञान
अभाव – न भाव
अन्याय – न न्याय
असंभव – न संभव
अधर्म – न धर्म
अनंत – न अंत
अकर्मण्य – न कर्मण्य
(ख) अलुक् तत्पुरुष
Samas Prakaran HBSE प्रश्न 3.
अलुक् तत्पुरुष समास की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
अलुक् का अर्थ है लोप न होना। संस्कृत में कुछ विशेष नियमों के अनुसार कुछ ऐसे शब्द हैं जिनमें तत्पुरुष समास होते हुए भी दोनों शब्दों के मध्य की विभक्ति का लोप नहीं होता, ऐसे शब्दों को अलुक् समास माना जाता है। ये सभी शब्द संस्कृत के हैं और हिंदी भाषा में ज्यों के त्यों प्रयुक्त होते हैं; जैसे-
मनसिज (काम-भावना) – मन में उत्पन्न
मृत्युंजय (शिव) – मृत्यु को जीतने वाला
वाचस्पति (विद्वान) – वाच (वाणी) का पति
खेचर (पक्षी) – आकाश में विचरने वाला
युधिष्ठिर – युद्ध में स्थिर
(ग) उपपद तत्पुरुष
समास प्रकरण HBSE प्रश्न 4.
उपपद समास किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस समस्त पद के दोनों शब्दों अथवा पदों के मध्य में से कोई पद लुप्त हो, उसे उपपद समास कहते हैं; जैसे-
रेलगाड़ी – रेल पर चलने वाली गाड़ी
बैलगाड़ी – बैलों से खींची जाने वाली गाड़ी
पनचक्की – पानी से चलने वाली चक्की
गोबर-गणेश – गोबर से बना गणेश
दही बड़ा – दही में डूबा हुआ बड़ा
पर्ण-कुटीर – पर्ण से बना कुटीर
(घ) कर्मधारय तत्पुरुष
Samas Class 9th HBSE प्रश्न 5.
कर्मधारय तत्पुरुष समास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
कर्मधारय तत्पुरुष, तत्पुरुष समास का ही एक भेद है। जिस समास में उत्तर पद प्रधान हो किंतु पूर्व पद एवं उत्तर पद में उपमान-उपमेय या विशेषण-विशेष्य का संबंध हो, उसे कर्मधारय तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे-
उपमान-उपमेय संबंध वाले उदाहरण-
चंद्रमुख – चंद्रमा के समान मुख
चरण कमल – कमल के समान चरण
मुखचंद्र – मुख रूपी चंद्र
कर कमल – कमल के समान कर
देहलता – देह रूपी लता
नरसिंह – सिंह के समान है जो नर
कनकलता – कनक की-सी लता
कमल नयन – कमल के समान नयन
विशेषण-विशेष्य संबंध के उदाहरण-
नीलगाय – नीली है जो गाय
पीतांबर – पीत (पीला) अंबर
नीलगगन – नीला है जो गगन
काली मिर्च – काली है जो मिर्च
नीलकमल – नीला है जो कमल
नरोत्तम – नर में (जो) उत्तम
(ङ) द्विगु
Class 9th Hindi Samas HBSE प्रश्न 6.
द्विगु समास की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
द्विगु समास वस्तुतः कर्मधारय समास का ही एक भेद है। इसमें पूर्व पद संख्यावाची होता है और दोनों में विशेषण-विशेष्य का संबंध होता है। यह समास समूहवाची भी होता है; जैसे-
त्रिलोकी – तीनों लोकों का स्वामी
चौराहा – चार राहों का समाहार
दोपहर – दो पहरों का समाहार
नवरत्न – नौ रत्नों का समूह
चौमासा – चार मासों का समाहार
सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह
नवरात्र – नौ रात्रियों का समाहार
अठन्नी – आठ आनों का समूह
शताब्दी – शत् (सौ) अब्दों (वर्षों) का समाहार
त्रिभुवन – तीन भवनों का समूह
पंचवटी – पाँच वटों का समाहार
पंचमढ़ी – पाँच मढ़ियों का समूह
3. द्वंद्व समास
प्रश्न 7.
द्वंद्व समास किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस समास में दोनों पद समान रूप से प्रधान हो, उसे द्वंद्व समास कहते हैं। समास बनाते समय ‘तथा’ या ‘और’ समुच्चयबोधक शब्दों का लोप हो जाता है; जैसे
गंगा-यमुना – गंगा और यमुना
रात-दिन – रात और दिन
जल-थल – जल और थल
गुण-दोष – गुण और दोष
माता-पिता – माता और पिता
नर-नारी – नर और नारी
धनी-मानी – धनी और मानी
दाल-रोटी – दाल और रोटी
तीन-चार – तीन और चार
घी-शक्कर – घी और शक्कर
छात्र-छात्राएँ – छात्र और छात्राएँ
राजा-रंक – राजा और रंक
पृथ्वी-आकाश – पृथ्वी और आकाश
बच्चे-बूढ़े – बच्चे और बूढ़े
4. बहुब्रीहि समास
प्रश्न 8.
बहुब्रीहि समास की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जब समस्त पद के दोनों पदों में से कोई भी पद प्रधान न हो तथा कोई बाहर का पद प्रधान हो तो उसे बहुब्रीहि समास कहते हैं। बहुब्रीहि समास का समस्त पद अन्य पद के लिए विशेषण का कार्य करता है; जैसे-
बारहसिंगा – बारह सींगों वाला
चतुर्भुज – चार भुजाओं वाला
महात्मा – महान आत्मा वाला
पतझड़ – जिसमें पत्ते झड़ जाते हैं
गिरिधर – गिरि को धारण करने वाला
पतिव्रता – एक पति का व्रत लेने वाली
दशानन – दस हैं आनन जिसके (रावण)
विशाल हृदय – विशाल है हृदय जिसका
जितेंद्रिय – इंद्रियों को जीतने वाला
कनफटा – फटे कानों वाला
चंद्रमुखी – चंद्र जैसे मुख वाली
पीतांबर – पीले हैं अंबर जिसके (श्रीकृष्ण)
नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका (शिव)
सुलोचना – सुंदर हैं लोचन जिसके (स्त्री विशेष)
चक्रपाणि – चक्र है पाणि (हाथ) में जिसके (विष्णु)
लंबोदर – लंबे उदर वाला (गणेश जी)
दुरात्मा – दुष्ट (बुरी) आत्मा वाला
धर्मात्मा – धर्म में आत्मा लीन है जिसकी
परीक्षोपयोगी कुछ महत्त्वपूर्ण समास
निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखें-