Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Avikari Shabd अविकारी शब्द Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran अविकारी शब्द
अविकारी शब्द
जिन शब्दों जैसे क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक तथा विस्मयादिबोधक आदि के स्वरूप में किसी भी कारण से परिवर्तन नहीं होता, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। अविकारी शब्दों को अव्यय भी कहा जाता है।
अव्यय
अविकारी शब्द HBSE 9th Class प्रश्न 1.
अव्यय किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं? प्रत्येक के दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अव्यय वे शब्द हैं जिनमें लिंग, वचन, पुरुष, काल आदि की दृष्टि से कोई परिवर्तन नहीं होता; जैसे यहाँ, कब और आदि। अव्यय शब्द पाँच प्रकार के होते हैं
(1) क्रियाविशेषण – धीरे-धीरे, बहुत।
(2) संबंधबोधक – के साथ, तक।
(3) समुच्चयबोधक – तथा, एवं, और।।
(4) विस्मयादिबोधक – अरे, हे।
(5) निपात – ही, भी।
(1) क्रियाविशेषण
Avikari Shabd HBSE 9th Class प्रश्न 2.
क्रियाविशेषण अव्यय की परिभाषा देते हुए उसके भेदों का सोदाहरण वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जो अविकारी या अव्यय शब्द क्रिया के साथ जुड़कर उसकी विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे-
(क) राम धीरे-धीरे चलता है।
(ख) मैं बहुत थक गया हूँ।
इन दोनों में धीरे-धीरे’ तथा ‘बहुत’ दोनों अव्यय शब्द क्रिया की विशेषता बताने के कारण क्रियाविशेषण हैं। क्रियाविशेषण चार प्रकार के होते हैं (1) कालवाचक, (2) स्थानवाचक, (3) परिमाणवाचक तथा (4) रीतिवाचक।
1. कालवाचक क्रियाविशेषण:
जिस क्रियाविशेषण के द्वारा क्रिया के होने या करने के समय का ज्ञान हो, उसे कालवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; यथा कल, आज, परसों, जब, तब, सायं आदि। जैसे
उदाहरण-
(क) कृष्ण कल जाएगा।
(ख) मैं अभी-अभी आया हूँ।
(ग) वह प्रतिदिन नृत्य करती है।
(घ) वह कभी देर से नहीं आता।
2. स्थानवाचक क्रियाविशेषण:
जो क्रियाविशेषण क्रिया के होने या न होने के स्थान का बोध कराएँ, स्थानवाचक क्रियाविशेषण कहलाते हैं; जैसे
(क) राम कहाँ गया?
(ख) ऊषा ऊपर खड़ी है।
(ग) मोहन और सोहन एक-दूसरे के समीप खड़े हैं।
(घ) उधर मत जाओ।
इसी प्रकार, यहाँ, इधर, उधर, बाहर, भीतर, आगे, पीछे, किधर, आमने, सामने, दाएँ, बाएँ, निकट आदि शब्द स्थानवाची क्रियाविशेषण हैं।
3. परिमाणवाचक क्रियाविशेषण :
जो क्रियाविशेषण क्रिया की मात्रा या उसके परिमाण का बोध कराए, उसे परिमाणवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे
(क) कम खाओ।
(ख) बहुत मत हँसो।
(ग) राम दूध खूब पीता है।
(घ) उतना पढ़ो जितना ज़रूरी है।
इनके अतिरिक्त, थोड़ा, सर्वथा, कुछ, लगभग, अधिक, कितना, केवल आदि शब्द परिमाणवाचक क्रियाविशेषण हैं।
4. रीतिवाचक क्रियाविशेषण:
जिन शब्दों से क्रिया के होने की रीति अथवा प्रकार का ज्ञान होता है, उन्हें रीतिवाचक क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे
(क) वह वहाँ भली-भाँति रह रहा है।
(ख) आप कहते जाइए मैं ध्यानपूर्वक सुन रहा हूँ।
(ग) वह पैदल चलता है।
इनके अतिरिक्त, कैसे, ऐसे, वैसे, ज्यों, त्यों, सहसा, सुखपूर्वक, सच, झूठ, तेज़, अवश्य, नहीं, अतएव, वृक्ष, शीघ्र इत्यादि शब्द – रीतिवाचक क्रियाविशेषण हैं।
नोट – जो क्रियाविशेषण काल, स्थान अथवा परिमाणवाचक नहीं हैं, उन सबकी गणना रीतिवाचक में कर ली जाती है। अतः रीतिवाचक क्रियाविशेषण के भी अनेक भेद हैं
1. निश्चयात्मक – अवश्य, सचमुच, वस्तुतः आदि।
2. अनिश्चयात्मक – शायद, प्रायः, अक्सर, कदाचित आदि।
3. कारणात्मक क्योंकि, अतएव आदि।
4. स्वीकारात्मक – सच, हाँ, ठीक आदि।
5. आकस्मिकतात्मक – अचानक, सहसा, एकाएक आदि।
6. निषेधात्मक – न, नहीं, मत, बिल्कुल नहीं आदि।
7. आवृत्त्यात्मक – धड़ाधड़, फटाफट, गटागट, खुल्लमखुल्ला आदि।
8. अवधारक – ही, तो, भर, तक आदि।
क्रियाविशेषण की रचना
आविकारी शब्द HBSE 9th Class प्रश्न 3.
क्रियाविशेषण की रचना-विधि का उल्लेख उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर:
रचना की दृष्टि से क्रियाविशेषण दो प्रकार के होते हैं
(1) मूल क्रियाविशेषण तथा
(2) यौगिक क्रियाविशेषण।
1. मूल क्रियाविशेषण: जो शब्द अपने मूल रूप में अर्थात प्रत्यय के योग के बिना क्रियाविशेषण हैं, उन्हें मूल क्रियाविशेषण कहते हैं; जैसे आज, ठीक, निकट, सच आदि।
2. यौगिक क्रियाविशेषण: जो शब्द दूसरे शब्दों में प्रत्यय लगाने से या समास के कारण क्रियाविशेषण बनते हैं, उन्हें यौगिक क्रियाविशेषण कहते हैं, जैसे एकाएक, धीरे-धीरे, गटागट आदि।
क्रिया-प्रविशेषण
विकारी शब्द HBSE 9th Class प्रश्न 4.
क्रिया-प्रविशेषण किसे कहते हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जो शब्द क्रियाविशेषण की विशेषता प्रकट करते हैं, उन्हें क्रिया-प्रविशेषण कहते हैं। ये शब्द क्रियाविशेषण से पूर्व प्रयुक्त होते हैं; जैसे
(क) पी०टी० ऊषा बहुत तेज़ दौड़ती है।
(ख) आपने बहुत ही मधुर गीत गाया।
(ग) वे बहुत बीमार हैं, इसलिए आप इससे भी धीरे चलिए।
अतः स्पष्ट है कि इन वाक्यों में बहुत, बहुत ही, इससे भी आदि क्रियाविशेषण-तेज़, मधुर एवं धीरे की विशेषता प्रकट कर रहे हैं। इसलिए इन्हें क्रिया-प्रविशेषण कहा गया है।
(2) संबंधबोधक
Avikari Shabd In Hindi HBSE 9th Class प्रश्न 5.
संबंधबोधक अव्यय किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
जो अविकारी शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों के साथ जुड़कर दूसरे शब्दों से उनका संबंध बताते हैं, वे संबंधबोधक अव्यय कहलाते हैं; जैसे धन के बिना मनुष्य का जीवन नरक है। इस वाक्य में ‘के बिना’ संबंधबोधक है। इसी प्रकार से ओर, पास, सिवाय, की खातिर, के बाहर आदि भी संबंधबोधक हैं; यथा
(क) दोनों कक्षाएँ आमने-सामने हैं।
(ख) चलते हुए दाएं-बाएँ मत देखो।
(ग) विद्या के बिना मनुष्य पशु है।
(घ) राजमहल के ऊपर तोपें लगी हुई हैं।
अन्य संबंधबोधक अव्यय हैं-
1. के कारण, की वजह से, के द्वारा द्वारा, के मारे, के हाथ (से-)।
2. के लिए, के वास्ते, की खातिर, के हेतु, के निमित्त।
3. से लेकर/तक, पर्यंत।
4. के साथ, के संग।
5. के बिना, के बगैर, के अतिरिक्त, के अलावा।
6. की अपेक्षा, की तुलना में, के समान/सदृश, के जैसे।
7. के बदले, की जगह में पर।
8. के विपरीत, के विरुद्ध, के प्रतिकूल, के अनुसार, के अनुकूल।
9. के बाबत, के विषय में।
(3) समुच्चयबोधक
Avikari HBSE 9th Class प्रश्न 6.
समुच्चयबोधक की सोदाहरण परिभाषा दीजिए तथा उसके भेदों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
दो शब्दों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ने वाले शब्दों को समुच्चयबोधक अव्यय या अविकारी कहते हैं; जैसे मोहन पढ़ता है और सोहन लिखता है। इस वाक्य में ‘और’ शब्द समुच्चबोधक अव्यय है। इसे योजक अव्यय भी कहते हैं।
समुच्चयबोधक अव्यय के दो भेद हैं-
(1) समानाधिकरण समुच्चयबोधक,
(2) व्यधिकरण समुच्चयबोधक।
1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय:
जो अव्यय दो समान स्तर के वाक्यों, वाक्यांशों या दो स्वतंत्र शब्दों को मिलाते हैं, उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहते हैं; जैसे मोहन पढ़ता है और सोहन लिखता है। इस वाक्य में ‘और’ समानाधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय है। इसके भी आगे चार भेद हैं
(i) संयोजक; यथा-और, तथा, एवं आदि।
(ii) विभाजक; यथा-या, वा, चाहे, नहीं, तो आदि।
(iii) विरोधदर्शक; यथा-लेकिन, परंतु, किंतु आदि।
(iv) परिणामदर्शक; यथा-अतएव, अतः, सो, इस कारण आदि।
2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय:
जो अव्यय शब्द एक या एक से अधिक वाक्यों को प्रधान वाक्यों से जोड़ते हैं, वे व्यधिकरण समुच्चयबोधक कहलाते हैं; यथा-
राम बुद्धिमान तो है परंतु अनुभवी नहीं है।
उपर्युक्त वाक्य में ‘परंतु’ व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय है। इसके भी आगे चार प्रकार हैं
(i) कारणवाचक; जैसे वह दुखी है क्योंकि वह गरीब है। क्योंकि, जो कि, इसलिए, कि, चूँकि इत्यादि कारणवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय हैं।
(ii) स्वरूपवाचक; जैसे राम ने कहा कि वह घर नहीं जाएगा। मानो, अर्थात, कि, माने, जो कि आदि स्वरूपवाचक व्यधिकरण समुच्चयबोधक अव्यय हैं।
(iii) उद्देश्यवाचक; जैसे वह परिश्रम करता है ताकि अच्छे अंक प्राप्त कर सकें। कि, जो, ताकि, जिससे, जिसमें आदि उद्देश्यवाचक समुच्चयबोधक अव्यय हैं।
(iv) संकेतवाचक; जैसे अगर तुम आओगे तो मैं अवश्य चलूँगा। जो….… तो, यदि……तो, अगर……. तो, यद्यपि……. तथापि, चाहे…..परंतु आदि संकेतवाचक समुच्चयबोधक अव्यय हैं।
(4) विस्मयादिबोधक
प्रश्न 7.
विस्मयादिबोधक अविकारी किसे कहते हैं? सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जो अविकारी शब्द हमारे मन के हर्ष, शोक, घृणा, प्रशंसा, विस्मय आदि भावों को व्यक्त करते हैं, उन्हें विस्मयादिबोधक अविकारी शब्द कहते हैं; जैसे अरे, ओह, हाय, ओफ, हे आदि। इसके अन्य भेद अग्रलिखित हैं-
1. विस्मय – ओह! ओहो! हैं! क्या! ऐं!
2. शोक – आह!, उफ!, हाय!, अह!, त्राहि!, हे राम!
3. हर्ष – वाह!, अहा!, धन्य!, शाबाश!
4. प्रशंसा – शाबाश!, खूब!, बहुत खूब!
5. भय – बाप रे!, हाय!
6. क्रोध – धत!, चुप!, अबे!
7. घृणा और तिरस्कार – छिः, धत!
8. अनुमोदन – ठीक-ठीक, हाँ-हाँ!
9. आशीर्वाद – जय हो!, जियो!
नोट – कभी-कभी संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, अव्यय आदि शब्द भी विस्मयादिबोधक अव्यय के रूप में प्रयुक्त होते हैं; जैसे-
संज्ञा- हे राम! मैं तो उजड़ गई।
हाय राम! यह क्या हो गया।
विशेषण- अच्छा! तो यह बात है।
सर्वनाम- क्या! वह फेल हो गया।
कौन! तुम्हारा भाई आया है।
क्रिया- हट! पागल कहीं का।
जा-जा! तेरे जैसे बहुत देखे हैं।
(5) निपात
प्रश्न 8.
‘निपात’ किसे कहते हैं? हिंदी के प्रमुख निपातों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जो अविकारी शब्द किसी शब्द या पद के बाद जुड़कर उसके अर्थ में विशेष प्रकार का बल भर देते हैं, उन्हें निपात कहते हैं। हिंदी में प्रचलित ‘निपात’ निम्नलिखित हैं
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1.
अव्यय शब्द की क्या विशेषता है? पाँच अव्यय शब्द लिखिए।
उत्तर:
अव्यय शब्द की विशेषता यह है कि लिंग, वचन, पुरुष, काल आदि की दृष्टि से उसके रूप में परिवर्तन नहीं होता। पाँच अव्यय, शब्द-
(1) बहुत
(2) धीरे
(3) कल
(4) तेज़
(5) और।
प्रश्न 2.
अव्यय के पाँच भेदों का नाम लिखिए और उनके दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अव्यय के पाँच भेद उदाहरण सहित अग्रलिखित हैं
1. क्रियाविशेषण-धीरे-धीरे चलो। – श्याम कल आएगा।
2. संबंधबोधक-वह घर के बाहर है। – झंडा भवन के ऊपर लगा है।
3. समुच्चयबोधक-राम और श्याम आ रहे हैं। – उसने पाठ पढ़ा या नहीं।
4. विस्मयादिबोधक-शाबाश! कमाल कर दिया। – हाय! वह मर गया।
5. निपात-मोहन ही जा रहा है। – राम भी जा रहा है।
प्रश्न 3.
कालवाचक, स्थानवाचक, रीतिवाचक और परिमाणवाचक क्रियाविशेषणों का प्रयोग करते हुए दो-दो वाक्य लिखिए।
उत्तर:
कालवाचक क्रियाविशेषण-
(क) वह कल नहीं आया।
(ख) वह अभी चला गया।
स्थानवाचक क्रियाविशेषण-
(क) मोहन नीचे आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।
(ख) दोनों सेनाएँ आमने-सामने खड़ी हैं।
रीतिवाचक क्रियाविशेषण-
(क) मेरी बात को ध्यानपूर्वक सुनो।
(ख) धीरे-धीरे मत चलो।
परिमाणवाचक-क्रियाविशेषण-
(क) थोड़ा बोलो।
(ख) कम खाओ।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों के रिक्त स्थान में उचित अव्यय शब्दों का प्रयोग कीजिए और यह भी बताइए कि ये अव्यय किस भेद में आते हैं
(1) मैं …………. आगरा जाऊँगा।
(2) हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति …………… गर्व है।
(3) मुझे रेडियो ………… घड़ी चाहिए।
(4) यदि तुम परीक्षा में सफल होना चाहते हो …………. श्रम करो।
(5) बाहर जाने …………. पहले मुझसे मिलना।
(6) ……….. आप मिल गए।
(7) वह जल्दी चला गया …………… ट्रेन पकड़ सके।
(8) ………… तो यह तुम्हारी शरारत है।
(9) तुम बकवास बंद करो …………… मुझे कुछ करना पड़ेगा।
(10) ………… तुमने यह क्या कर डाला?
उत्तर:
(1) मैं कल आगरा जाऊँगा। – (कालवाचक)
(2) हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति पर गर्व है। – (समानाधिकरण समुच्चयबोधक)
(3) मुझे रेडियो और घड़ी चाहिए। – (समानाधिकरण समुच्चयबोधक)
(4) यदि तुम परीक्षा में सफल होना चाहते हो तो श्रम करो। – (व्यधिकरण समुच्चयबोधक)
(5) बाहर जाने से पहले मुझसे मिलना। – (संबंधबोधक)
(6) बहुत अच्छा! आप मिल गए। – (हर्षबोधक)
(7) वह जल्दी चला गया ताकि ट्रेन पकड़ सके। – (व्यधिकरण समुच्चयबोधक)
(8) वाह! तो यह तुम्हारी शरारत है। – (प्रशंसाबोधक)
(9) तुम बकवास बंद करो अन्यथा मुझे कुछ करना पड़ेगा। – (समानाधिकरण समुच्चयबोधक)
(10) हाय! तुमने यह क्या कर डाला। – (शोकबोधक)
प्रश्न 5.
नीचे दिए वाक्यों से कौन-सा भाव प्रकट होता है? वाक्यों के सामने लिखिए।
(1) शाबाश! तुमने बहुत अच्छा काम किया।
(2) बाप रे! मैं तो बर्बाद हो गया।
(3) छिः छिः! तुम तो बड़े नीच आदमी हो।
(4) हाय! अब मैं क्या करूँ?
(5) अजी! ले भी लो।
(6) अबे हट! नहीं तो मारूँगा।
(7) बचो! सामने से ट्रक आ रहा है।
(8) वाह! फिल्म देखकर मज़ा आ गया।
उत्तर:
(1) प्रशंसा
(2) शोक
(3) घृणा
(4) शोक/पीड़ा
(5) संबोधन/आग्रह
(6) क्रोध
(7) चेतावनी तथा
(8) हर्ष।
प्रश्न 6.
निपात किसे कहते हैं? ही, भी, तो, तक, मात्र, भर का प्रयोग करते हुए वाक्य बनाइए।
उत्तर:
जो अव्यय शब्द वाक्य के शब्दों व पदों के बाद लगकर उनके अर्थ में एक विशेष प्रकार का बल उत्पन्न कर देते हैं, उन्हें ‘निपात’ कहते हैं।
निपातों का वाक्यों में प्रयोग-
ही – मोहन ही जा रहा है।
तक – उसने तो देखा तक नहीं।
भी – राम भी लिख रहा है।
मात्र – कहने मात्र से काम नहीं चलेगा।
तो – वह तो कब का चला गया।
भर – वह दिनभर आपकी प्रतीक्षा करती रही।
प्रश्न 7.
चार ऐसे शब्द लिखिए जो विशेषण और क्रियाविशेषण दोनों रूपों में प्रयुक्त हो सकते हैं। इनमें वाक्य-प्रयोग द्वारा विशेषण और क्रियाविशेषण का अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1. अच्छा :
मोहन एक अच्छा विद्यार्थी है। (विशेषण)
मोहन अच्छा लिखता है। (क्रियाविशेषण)
2. मधुर :
तुम्हारी मधुर बातें बहुत प्रिय हैं। (विशेषण)
वह बहुत मधुर गाता है। (क्रियाविशेषण)
3. गंदा :
मोहन गंदा लड़का है। (विशेषण)
मोहन गंदा रहता है। (क्रियाविशेषण)
4. तेज़ :
उसकी चाल बहुत तेज़ है। (विशेषण)
वह तेज़ लिखता है। (क्रियाविशेषण)
उपर्युक्त वाक्यों से यह स्पष्ट है कि विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता को प्रकट करते हैं लेकिन क्रियाविशेषण क्रिया की विशेषता बताते हैं।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त समुच्चयबोधक अव्ययों को छाँटिए और बताइए कि वे समानाधिकरण हैं या व्यधिकरण?
(क) बाग में बालक और बालिकाएँ खेल रही हैं।
(ख) राम गरीब है किंतु ईमानदार है।
(ग) मैंने उससे कुछ लिया नहीं बल्कि कुछ दिया है।
(घ) मैं परीक्षा में नहीं बैठी क्योंकि बीमार थी।
(ङ) जीवन में तुम सुख चाहते हो तो परिश्रम करो।
उत्तर:
प्रश्न 9.
क्रियाविशेषण और संबंधबोधक में क्या अंतर है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुछ कालवाचक एवं स्थानवाचक क्रियाविशेषणों का भी संबंधबोधक के रूप में प्रयोग होता है। यदि उनका प्रयोग क्रिया के साथ शुरु हुआ हो तो उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं तथा यदि वे संज्ञा या सर्वनाम के साथ विभक्ति रूप में प्रयुक्त हों तो उन्हें संबंधबोधक स्वीकार करना चाहिए; यथा-
(क) तुम पहले उठो। (क्रियाविशेषण)
परीक्षा से पहले खूब पढ़ो। (संबंधबोधक)
(ख) पुजारी जी यहाँ आए थे। (क्रियाविशेषण)
मोहन तुम्हारे यहाँ गया था। (संबंधबोधक)
(ग) उसके सामने बैठो।। (क्रियाविशेषण)
उसका घर तुम्हारे स्कूल के सामने है। (संबंधबोधक)