HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Rachana Patra-Lekhan पत्र-लेखन Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Rachana पत्र-लेखन

पत्र-लेखन

पत्र-लेखन पद्धति

जीवन का एक आवश्यक और महत्त्वपूर्ण अंग है। पत्र के द्वारा मनुष्य अपने मनोभावों को दूसरों तक लिखित रूप में पहुंचाता है। अतः पत्र लिखना एक कला है। मानव-समाज में अनेक तरह के पत्र लिखे जाते हैं। उन्हें हम मुख्य रूप से निम्नलिखित तीन वर्गों में बाँट सकते हैं
(1) सामाजिक अथवा घरेलू पत्र।
(2) व्यावसायिक या व्यापारिक पत्र।
(3) कार्यालयी पत्र।

1. सामाजिक अथवा घरेलू पत्र:
पारिवारिक सगे-संबंधियों, मित्रों आदि को लिखे जाने वाले पत्र सामाजिक या घरेलू पत्र कहलाते हैं। इन पत्रों में औपचारिकता नहीं होती। लेखक इन पत्रों में अपनी निजी बात कहता या पूछता है। अतः ये पत्र व्यक्तिगत होने के कारण लंबे भी हो जाते हैं। निमंत्रण-पत्रों को भी सामाजिक पत्रों में सम्मिलित किया जाता है।

2. व्यावसायिक या व्यापारिक पत्र:
व्यवसाय या व्यापार से संबंधित सभी प्रकार के पत्र इस कोटि में आते हैं। ये पत्र सरल, संक्षिप्त और स्पष्ट होते हैं। इन पत्रों में नपे-तुले शब्दों में ही काम की बात लिखी जाती है। इनकी भाषा भी व्यावसायिक होती है।

3. कार्यालयी पत्र:
कार्यालयी पत्र वह पत्र जो विभिन्न कार्यालयों तथा उनके विभागों के अधिकारियों को लिखे जाते हैं। नौकरी, प्रशिक्षण, शिकायत, प्रशासन से संबंधित अथवा सूचना प्राप्त करने या देने से जुड़े हुए पत्र इसी वर्ग में आते हैं। इन पत्रों में औपचारिकता का पूर्ण निर्वाह होता है तथा विनम्रतापूर्वक अपनी बात कही जाती है।

तत्सम तद्भव शब्द HBSE 9th Class Hindi

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

पत्र के मुख्य रूप से निम्नलिखित पाँच भाग होते हैं-
(क) लिखने का स्थान, लेखक का पता और तिथि आदि:
पत्र में सबसे ऊपर बाईं ओर कोने में पत्र का लेखक अपना पूरा पता और तिथि लिखे; जैसे
1521, रेलवे रोड,
करनाल-132001
15 फरवरी,..

(ख) संबोधन:
दिनांक से अगली पंक्ति में बाईं ओर संबोधन लिखा जाता है। यह संबोधन व्यक्ति-भेद के आधार पर होना चाहिए। बड़ों के लिए ‘आदरणीय’ या ‘मान्यवर’ छोटों के लिए ‘प्रिय’ और बराबर की आयु वालों के लिए ‘प्रियवर’ आदि का संबोधन होना चाहिए।

व्यावसायिक एवं कार्यालयी पत्रों में यहाँ पर व्यक्ति का पद सहित पूरा पता और आदरपूर्वक उचित ढंग से संबोधन करना चाहिए। विभिन्न प्रकार के पत्रों में यह संबोधन निम्नोक्त प्रकार से होना चाहिए-
HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन 1

HBSE 9th Class Hindi तत्सम तद्भव शब्द

(ग) मुख्य विषय:
उपर्युक्त पद्धति के अनुसार पत्र का आरंभ करके मुख्य विषय पर आना चाहिए। विषय का आरंभ पत्र के अनुसार होना चाहिए। आपका पत्र मिला’ विनम्र निवेदन है कि ….. मैं आपका ध्यान … दिलाना चाहता हूँ’ आदि लिखने के बाद पत्र का विषय क्रमबद्ध तथा स्पष्ट रूप में लिखना चाहिए।

(घ) समाप्ति:
मुख्य विषय के समाप्त हो जाने के बाद बाईं ओर संबोधन के अनुसार विनीत/शुभचिंतक, भवदीय, कृपाभाजन, आपका आदि लिखकर अपना पूरा नाम लिखें; यथा-

व्यावसायिक, कार्यालयी एवं सामजिक पत्रों
के अंतर्गत अपरिचित व्यक्तियों को – भवदीय/आपका/विनम्र।
सामाजिक पत्रों में छोटों को – तुम्हारा शुभचिंतक आदि।
सामाजिक पत्रों में बड़ों को – आपका स्नेहभाजन/कृपाकांक्षी आदि।
सामाजिक पत्रों में मित्रों को – तुम्हारा अभिन्न मित्र आदि।

(ङ) पता:
पत्र के अंतिम भाग में पता लिखना चाहिए। पत्र या लिफाफे पर पत्र पाने वाले का नाम और पत्र लिखकर नीचे उसका पूरा पता होना चाहिए। गाँव, नगर, तहसील, प्रदेश का नाम लिखकर पिन कोड का नंबर अवश्य लिखना चाहिए। विदेश भेजे गए पत्र में उस देश का नाम लिखा जाना चाहिए। उदाहरण-
स्थान अथवा पता
तिथि
संबोधन….
मुख्य विषय (पत्र या कलेवर)…………
समाप्ति (स्वनिर्देश)
पत्र प्राप्त करने वाले का पता

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

1. भाई के विवाह के लिए अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,..
मुख्याध्यापक महोदय,
आर्य उच्च विद्यालय,
पानीपत।
श्रीमान् जी,
सविनय प्रार्थना है कि मेरे बड़े भाई का शुभ विवाह 6 अप्रैल 20……को होना निश्चित हुआ है। इसमें मेरा सम्मिलित होना नितांत अनिवार्य है। इसलिए इन तिथियों को मैं विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकूँगा। कृपया मुझे 5 अप्रैल से 8 अप्रैल, 20……. तक चार दिन का अवकाश देकर कृतार्थ करें। मैं आपका अति आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
राजेश कुमार
कक्षा-नौवीं (ख)
तिथि : 03-03-20………

2. जुर्माना माफी के लिए अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को प्रार्थना-पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
एस०डी० वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
अम्बाला।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन यह है कि कल हमारे नए आए कक्षा अध्यापक ने हिंदी का मासिक टेस्ट लेना निश्चित किया था, किंतु प्रातः स्कूल आते समय रास्ते में मेरी साइकिल खराब हो गई। इस कारण मैं स्कूल देर से पहुँचा और टेस्ट में भाग न ले सका। अध्यापक महोदय ने मेरी इस बात का विश्वास नहीं किया और मुझ पर दस रुपए जुर्माना कर दिया। मैं गरीब परिवार से संबंधित हूँ। मेरे पिताजी एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क हैं। वे इस आकस्मिक पड़े आर्थिक बोझ को सहन नहीं कर सकते। मैं सदा परीक्षा में प्रथम आता रहा हूँ। कृपया मेरी आर्थिक स्थिति को सामने रखते हुए मेरा जुर्माना माफ करने की कृपा करें। इसके लिए मैं आपका अति धन्यवादी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
विनोद कुमार
कक्षा-नौवीं (क)
तिथि : 05-03-20……..

3. बीमारी की छुट्टी के लिए मुख्याध्यापक को प्रार्थना पत्र लिखें।
अथवा
अपने विद्यालय के मुख्याध्यापक को बीमारी के कारण 15 दिन का अवकाश स्वीकृत करवाने हेतु प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
विवेकानन्द उच्च विद्यालय,
अम्बाला।
श्रीमान् जी,
विनम्र निवेदन यह है कि मुझे कल से अचानक बुखार हो गया है तथा अभी तक बुखार उतरा नहीं है। डॉक्टर ने मुझे पूर्ण विश्राम की सलाह दी है। इसलिए मैं 15 दिन तक विद्यालय में नहीं आ सकता। अतः कृपा करके मुझे 15 दिन का अवकाश देकर कृतार्थ करें। मैं आपका अति आभारी रहूँगा।
सधन्यवाद,

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
रामलाल
कक्षा-नौवीं (क)
अनुक्रमांक-5
तिथि : 07-03-20……..

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4. पड़ोसी विद्यालय की फुटबॉल टीम के साथ मैच खेलने की स्वीकृति के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
एस०डी० उच्च विद्यालय,
नरवाना।
श्रीमान् जी,
विनम्र निवेदन है कि हमारे विद्यालय की फुटबॉल टीम के सदस्य स्थानीय राजकीय उच्च विद्यालय की फुटबॉल टीम के साथ एक मैत्रीपूर्ण मैच खेलना चाहते हैं। राजकीय उच्च विद्यालय के प्रधानाचार्य जी ने वहाँ की टीम को यह मैच खेलने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। साथ ही वे उक्त मैच हमारे ही विद्यालय के खेल के मैदान में करवाने के लिए सहमत हैं। इस विषय में आपकी स्वीकृति प्राप्त होना आवश्यक है। कृपया आप हमें अपने विद्यालय के खेल के मैदान में कल शाम को तीन बजे यह मैच खेलने की अनुमति प्रदान कर अनुगृहीत करें। मैं आपका अति आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अमन गुप्ता
कप्तान फुटबाल टीम
तिथि : 10-03-20…..
एस०डी०उच्च विद्यालय, करनाल।

5. अपनी आर्थिक कठिनाइयों का वर्णन करते हुए मुख्याध्यापक को फीस माफी के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय, राजकीय उच्च विद्यालय, भिवानी। मान्यवर, – विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में नौवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मैं निम्न मध्यवर्गीय परिवार से संबंध रखता हूँ। मेरे पिताजी एक निजी कार्यालय में चपरासी के पद पर नौकरी करते हैं। उनकी मासिक आय बहुत कम है। हम परिवार के पाँच सदस्य हैं। महँगाई के इस युग में कम वेतन में गुजारा करना कठिन है। ऐसी परिस्थितियों में मेरे पिताजी मेरी स्कूल की फीस देने में असमर्थ हैं।

मेरी पढ़ाई में अत्यधिक रुचि है तथा मैं आगे पढ़ना चाहता हूँ। मैं कक्षा में सदा प्रथम स्थान प्राप्त करता रहा हूँ। मैं स्कूल की अन्य गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेता हूँ। मैं पिछले वर्ष जिले भर में प्रथम रहने वाली फुटबॉल टीम का सदस्य भी रहा हूँ। अतः मेरी आपसे प्रार्थना है कि मेरी फीस माफ करके मुझे आगे पढ़ाई जारी रखने का अवसर प्रदान करें।
मैं आपका आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अशोक कुमार
कक्षा-नौवीं (क)
अनुक्रमांक-6
तिथि : 12-03-20..

6. मुख्याध्यापक को स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र देने हेतु आवेदन-पत्र लिखें।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
रोहतक।
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह है कि मेरे पिताजी का स्थानांतरण रोहतक से भिवानी हो गया है। परिवार के सभी सदस्य भिवानी जा रहे हैं। अतः मुझे भी वहाँ जाना पड़ेगा। आपसे प्रार्थना है कि मुझे विद्यालय त्यागने का प्रमाण-पत्र प्रदान करें ताकि मैं भिवानी जाकर विद्यालय में प्रवेश प्राप्त कर सकूँ। आपकी इस कृपा के लिए मैं सदा आपका आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
जसबीर सिंह
कक्षा-नौवीं
तिथि : 14-03-20….

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7. अपनी मुख्याध्यापिका को क्षमा याचना के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
श्रीमती मुख्याध्यापिका जी,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
करनाल।
आदरणीय महोदया,
विनम्र निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय में नौवीं कक्षा की छात्रा हूँ। मैंने अपनी कक्षा की दो छात्राओं के साथ मिलकर शरारत की तथा कमरे के फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। अब मैं बहुत पछता रही हूँ। गणित की अध्यापिका जी ने मुझ पर 20 रुपए का जुर्माना किया है। मेरे पिताजी एक गरीब आदमी हैं। वे यह दंड की राशि नहीं दे सकते। मैं आपसे प्रार्थना करती हूँ कि इस बार मुझे क्षमा कर दिया जाए। मैं भविष्य में कोई ऐसा काम नहीं करूँगी जिससे किसी प्रकार की क्षति हो। मुझे एक बार क्षमा प्रदान करने का कष्ट करें। आपकी अति कृपा होगी।

आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या,
रजनी बाला
कक्षा नौवीं (ख)
तिथि : 15-03-20………

8. स्कूल की सफाई हेतु सुझाव देते हुए मुख्याध्यापक को प्रार्थना पत्र लिखें।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
तरावड़ी।
मान्यवर,
मैं आपका ध्यान विद्यालय की सफाई-व्यवस्था की ओर दिलाना चाहता हूँ। पिछले दो मास से विद्यालय के लगने के समय कक्षा के कमरों के बाहर कूड़े के ढेर लगे हुए होते हैं। नल के निकट हमेशा कीचड़ जमा रहता है। अतः मेरा विनम्र सुझाव है कि सफाई कर्मचारी को चेतावनी दी जाए कि वह कक्षा के कमरों के सामने कूड़े के ढेर न लगाए। वह सारा कूड़ा उठाकर स्कूल से दूर कहीं गड्ढे में डाला करे। विद्यालय में सफाई विद्यालय लगने से आधा घण्टा पूर्व हो जानी चाहिए।

विद्यार्थियों को भी सूचित कर देना चाहिए कि वे फालतू कागज कूड़ेदान में ही डालें। प्रत्येक श्रेणी के सामने एक ढक्कन सहित कूड़ादान रखा होना चाहिए। पीने के जल की भी उचित व्यवस्था होनी चाहिए। नल के आस-पास पक्का फर्श बनवाना चाहिए ताकि विद्यार्थियों को कोई कठिनाई न हो।

आशा है कि आप मेरे इन सुझावों पर ध्यान देकर विद्यालय में सफाई की उचित व्यवस्था कर देंगे।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
महावीर शर्मा
कक्षा नौवीं (ग)
तिथि : 17-03-20………

9. अपने मुख्याध्यापक को अपनी आर्थिक कठिनाइयों का वर्णन करते हुए छात्रवृत्ति के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
जैन वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
हिसार।
मान्यवर,
विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में नौवीं (ग) कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरे पिताजी पुस्तक-विक्रेता की दुकान पर नौकरी करते हैं। उनकी मासिक आय चार हजार रुपए प्रतिमास है। हम घर में पाँच सदस्य हैं। इस महँगाई के युग में इतनी कम आय में गुजारा करना बड़ा कठिन है। ऐसी स्थिति में मेरे पिताजी मुझे पढ़ाने में असमर्थ हैं। वे मुझे स्कूल से हटाने पर विचार कर रहे हैं, किंतु मैं पढ़ना चाहता हूँ। मैं हर वर्ष अपनी कक्षा में प्रथम स्थान पर रहता हूँ। मेरे सभी अध्यापक भी मेरी पढ़ाई से खुश हैं।

अतः मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप मुझे विद्यालय के आरक्षित कोष (फंड) से छात्रवृत्ति दिलवाने की कृपा करें ताकि मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँ।
सधन्यवाद,

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
अशोक कुमार
कक्षा-नौवीं (ग)
तिथि : 22-03-20………

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

10. मुख्याध्यापक को पाठ्य-पुस्तकों की सहायता के लिए प्रार्थना पत्र लिखें।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
विवेकानन्द उच्च विद्यालय,
करनाल।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में नौवीं (ग) कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मेरे पिताजी सेवानिवृत्त हो चुके हैं जिनकी पेंशन दो हजार रुपए प्रतिमास है। परिवार में आय का अन्य कोई साधन नहीं है। मेरे अतिरिक्त मेरा एक छोटा भाई छठी कक्षा में पढ़ता है। अक्तूबर का महीना बीत रहा है और अभी तक मेरे पास पाठ्य-पुस्तकें नहीं हैं। अब तक मैं अपने साथियों से पुस्तकें माँगकर काम चला रहा था, किंतु परीक्षा के दिनों में मेरे साथी चाहकर भी मुझे अपनी पुस्तकें नहीं दे पाएंगे।

अतः आपसे प्रार्थना है कि मुझे विद्यालय के पुस्तक बैंक से सभी पाठ्य-पुस्तकें दिलवाकर अनुगृहीत करें। मैं आपका अति आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मोहन शर्मा
कक्षा-नौवीं (ख)
तिथि : 24-03-20……..

11. मुख्याध्यापक को बोर्ड का परीक्षा-शुल्क माफ करने के लिए प्रार्थना पत्र लिखें।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
एस०डी० उच्च विद्यालय,
यमुनानगर।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि मेरे पिता एक गरीब मज़दूर हैं। वे प्रतिदिन मजदूरी करके हमारे परिवार का लालन-पालन करते हैं। पहले ही आपने कृपा करके मेरी फीस माफ की हुई है। मेरे पिता बोर्ड के परीक्षा-शुल्क को देने में समर्थ नहीं हैं। अतः आपसे प्रार्थना है कि मेरा बोर्ड का परीक्षा-शुल्क माफ किया जाए। मैं आपका अति आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
रमेश कुमार
कक्षा-नौवीं (ग)

12. मुख्याध्यापक को शहर में लगी सर्कस देखने जाने की अनुमति के लिए प्रार्थना पत्र लिखें।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
गुरु नानक उच्च विद्यालय,
कुरुक्षेत्र।
श्रीमान् जी,
सविनय निवेदन है कि हमारे नगर में ‘अमर सर्कस’ का प्रदर्शन चल रहा है। प्रतिदिन सैकड़ों लोग इसे देखने के लिए जाते हैं। इसमें तरह-तरह के पशु-पक्षी तथा खेल-तमाशे दिखाए जा रहे हैं। ये सर्कस ज्ञान-वृद्धि के साथ-साथ मनोरंजन की दृष्टि से भी उपयोगी है। अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप हमें सर्कस देखने की अनुमति प्रदान करें।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
नवीन कुमार
कक्षा-नौवीं (ख)

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13. सफाई न करने के कारण सफाई कर्मचारी के विरुद्ध स्वास्थ्य निरीक्षक को शिकायत पत्र लिखें।
अथवा
अपनी नगरपालिका/पंचायत को गली की सफाई हेतु प्रार्थना-पत्र लिखें।

422, चक्रवर्ती मोहल्ला,
करनाल।
तिथि : 22.03.20…….

सेवा में,
स्वास्थ्य निरीक्षक महोदय,
नगरपालिका,
करनाल।
आदरणीय महोदय,
हम आपका ध्यान मुहल्ले की सफाई व्यवस्था की ओर आकृष्ट करना अपना कर्तव्य समझते हैं। मेन रोड के दाहिने मोड़ के साथ लगे हुए चक्रवर्ती मुहल्ले का सफाई कर्मचारी दर्शन लाल अपने कर्त्तव्य की अवहेलना कर रहा है। बार-बार रोकने पर भी वह बाहर से लाई हुई गंदगी को मकान नं० 80 के नुक्कड़ पर डाल जाता है। वह सारे मुहल्ले का कूड़ा-कर्कट वहीं फेंकता है। कई-कई दिनों तक कूड़ा-कर्कट वहीं पड़ा रहता है जिससे दुर्गंध उत्पन्न हो जाती है। आने-जाने वालों को नाक बंद करके जाना पड़ता है। वहाँ के निवासियों को कितना कष्ट सहना पड़ता है, यह अनुमान आप स्वयं लगा सकते हैं।

दुर्गंध के अतिरिक्त 24 घंटे मक्खी-मच्छरों के झुंड वहाँ मँडराते रहते हैं। नालियों का पानी रुक जाता है और आने-जाने में बाधा पड़ती है। रात के समय अँधेरे में तो यह स्थान नरक बन जाता है। गंदी वायु के कारण रोग फैलने का भय बना रहता है। हमने उसे कई बार समझाया, किंतु उसके कानों पर जूं तक नहीं रेंगती, उल्टे गाली-गलौच पर उतर आता है। कृपा करके उसके विरुद्ध कोई कड़ा कदम उठाएँ।

निवेदक,
रामकुमार,
राजेश वर्मा,
धीरज कुमार,
रामनिवास शर्मा।

14. काम ठीक न करने वाले डाकिए की शिकायत करते हुए डाकपाल को शिकायत पत्र लिखिए।

सेवा में,
डाकपाल महोदय,
मुख्य डाकघर,
करनाल।
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह है कि आपने हमारी गली के लिए जो डाकिया नियुक्त किया है, वह ठीक प्रकार से डाक नहीं बाँटता। इतना ही नहीं, वह ठीक पते पर पत्र न देकर गलत पते पर पत्रों को फेंक देता है। दरवाजों पर लगे लेटर बॉक्स में वह कभी पत्र नहीं डालता।

डाकिए की इस आदत से जहाँ हमें अपने मित्रों व संबंधियों के दुःख-सुख के समाचार मिलने में देर हो जाती है, वहाँ हमारे व्यापार को भी बहुत हानि होती है। हमारे अनेक बार समझाने पर भी उस पर कोई असर नहीं हुआ। अतः आपकी सेवा में नम्र पत्र-लेखन निवेदन है कि आप उसको ठीक प्रकार से कार्य करने का आदेश देने का कष्ट करें, जिससे भविष्य में वह सावधानी से कार्य करे।

भवदीय,
ऋषि कपूर।
इब्राहिम मंडी,
करनाल।
दिनांक : 01.04. 20………

15. रोडवेज महाप्रबंधक को समय पर बस न मिलने की समस्या के समाधान हेतु पत्र लिखें।

सेवा में,
महाप्रबंधक महोदय,
हरियाणा रोडवेज,
करनाल।
मान्यवर,
मैं एस०डी० वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, करनाल का नौवीं कक्षा का छात्र हूँ और रमाना-रमानी गाँव का रहने वाला हूँ। प्रातःकाल हमारे गाँव से जो बस करनाल जाती है वह कभी समय पर नहीं आती। इसलिए इस रूट (मार्ग) से आने वाले सभी छात्र विद्यालय समय पर नहीं पहुँच सकते। इससे हमारी पढ़ाई में बाधा पड़ती है। अतः आपसे विनम्र प्रार्थना है कि आप बस को समय पर भेजने की व्यवस्था करने की कृपा करें ताकि हम विद्यालय में ठीक समय पर पहुँच सके।

भवदीय
कृष्ण लाल
गाँव रमाना-रमानी
दिनांक …………….

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

16. दूषित पेय जल की समस्या के समाधान हेतु स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखें।

सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी,
करनाल।
श्रीमान जी,
निवेदन है कि मैं शिव कॉलोनी (करनाल) का निवासी हूँ। हमारे मोहल्ले में पिछले सप्ताह से दूषित पेय जल आ रहा है। इससे लोगों के बीमार होने की संभावना बढ़ गई है। अतः आपसे प्रार्थना है कि आप शीघ्र शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करें ताकि लोग स्वस्थ रह सकें। इसके साथ-साथ पानी को समय पर छोड़ने की भी व्यवस्था करें ताकि लोग समय पर अपने खाने-पीने संबंधी व अन्य काम कर सकें।
सधन्यवाद।

भवदीय
राम निवास
म.नं. 181/2
शिव कॉलोनी,
करनाल।

17. अपने क्षेत्र में बिजली संकट की समस्या के समाधान हेतु विद्युत अधिकारी को पत्र लिखें।

सेवा में,
विद्युत अधिकारी,
दिल्ली विद्युत बोर्ड, टाउन हाल,
नई दिल्ली।
विषय : बिजली आपूर्ति की समस्या हेतु।
महोदय,
मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान बिजली आपूर्ति की समस्याओं की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। पिछले कई दिनों से हमारी कॉलोनी में बिजली की आपूर्ति अनियमित हो गई है। दिन में आठ-दस बार बिजली बिना पूर्व सूचना के चली जाती है।

कई बार बिजली इतनी कम होती है कि बिजली के उपकरणों के जलने का भय बना रहता है। इन दिनों विद्यार्थियों की वार्षिक परीक्षा चल रही है और रात को देर तक पढ़ना होता है परंतु बिजली के बार-बार जाने से पढ़ाई में बाधा उत्पन्न होती है। अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि हमारी कॉलोनी की बिजली आपूर्ति को सुचारु और नियमित बनाने की ओर ध्यान दिया जाए।
धन्यवाद सहित।

प्रार्थी,
अभिनव
102, मॉडल टाउन,
नई दिल्ली।
दिनांक : 10 मार्च, 20…..

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

18. अपने मित्र या सहेली को परीक्षा में प्रथम आने पर बधाई-पत्र लिखें।

422, अर्बन एस्टेट,
कुरुक्षेत्र।
तिथि : 22.03.20…….
प्रिय राजेश,
सप्रेम नमस्कार।
आज ही समाचार-पत्र में आठवीं कक्षा का परीक्षा परिणाम देखने पर जब मैंने तुम्हारा नाम प्रथम स्थान पर पाया तो मुझे अपार हर्ष हुआ। तुम्हारे अंकों को देखकर, मुझे तुम्हारी इस शानदार सफलता पर अत्यंत प्रसन्नता हुई। मैं तुम्हें हृदय से बधाई देता हूँ। प्रिय मित्र, तुम वास्तव में इसके योग्य हो। यह तुम्हारे कठोर परिश्रम का ही परिणाम है कि तुम्हें यह सफलता का मुकुट पहनने का अवसर प्राप्त हुआ है। तुमने न केवल अपने परिवार का ही नाम ऊँचा किया है बल्कि विद्यालय का नाम भी उज्ज्वल किया है। कृपया अपने माता-पिता को भी मेरी ओर से हार्दिक बधाई देना। कृपया पत्रोत्तर देते समय यह अवश्य लिखना कि अब किस विद्यालय में प्रवेश लेने का विचार है। शेष मिलने पर।

तुम्हारा मित्र,
वीरेन्द्र कुमार

पता
राजेश कुमार
762, दाना मंडी, अम्बाला छावनी।

19. कुसंगति से बचने के लिए अपने छोटे भाई को शिक्षा भरा पत्र लिखें।

436-बी, विश्वकर्मा मार्ग,
रोहतक।
तिथि : 15.06.20…….

प्रिय मुकेश,
सदा खुश रहो!

आज ही तुम्हारे विद्यालय के मुख्याध्यापक का पत्र मिला। यह जानकर अत्यंत दुःख हुआ कि तुम अब पढ़ाई में मन न लगाकर कक्षा से गायब रहने लगे हो, जिसके परिणामस्वरूप तुम विद्यालय की मासिक परीक्षा में फेल रहे।

प्रिय भाई, तुम तो जानते ही हो कितनी कठिनाई से हम तुम्हें पढ़ा रहे हैं। यदि तुम कुसंगति में पड़कर अपना जीवन नष्ट करोगे तो हमारे साथ-साथ माता-पिता को भी ठेस पहुँचेगी। अब तुम समय के महत्त्व को पहचानो। जीवन के अमूल्य क्षणों को व्यर्थ न गवाँकर अपनी पढ़ाई में मन लगाओ। कुसंगति से दूर रहकर तुम माता-पिता के स्वप्न को साकार कर सकते हो।

आशा करता हूँ कि तुम कक्षा में नियमित रूप से उपस्थित होकर पढ़ाई में मन लगाओगे।

मुझे तुम्हारे चरित्र की पवित्रता का पता है। तुम अपने लक्ष्य को कभी भी नहीं भूलोगे, परंतु मुझे यह भी ज्ञात है कि बुरी संगति बुद्धि हर लेती है, इसलिए मैं तुम्हें बुरी संगति से सावधान करता हूँ। शेष मिलने पर।

तुम्हारा भाई,
राम कुमार

पता-
मुकेश कुमार
826-सी, मॉडल टाउन, गुरुग्राम।

20. परीक्षा में असफल रहने वाले भाई को सांत्वना पत्र लिखिए।

15-ए, मॉडल टाउन,
करनाल।
तिथि : 19.04.20…….

प्रिय रमेश,
सदा खुश रहो!
आज ही आदरणीय पिताजी का पत्र प्राप्त हुआ है। परीक्षा में तुम्हारे असफल रहने का समाचार पढ़कर बहुत दुःख हुआ। मुझे तो तुम्हारे पास होने की पहले ही आशा नहीं थी, क्योंकि जिन परिस्थितियों में तुमने परीक्षा दी थी, उनमें असफल होना स्वाभाविक ही था। पहले माता जी अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गईं, फिर तुम कई दिनों तक बीमार रहे। जिस कष्ट को सहन करके तुमने परीक्षा दी वह मुझसे छिपा नहीं है। इस पर तुम्हें खेद नहीं करना चाहिए। इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। तुम अपने मन से यह बात निकाल दो कि परिवार का कोई सदस्य तुम्हारे असफल होने पर नाराज है। आगामी वर्ष की परीक्षा के लिए अभी से लगन के साथ परिश्रम करो ताकि अधिक अंक प्राप्त कर सको। किसी वस्तु की आवश्यकता हो तो लिखो। माताजी व पिताजी को प्रणाम।

तुम्हारा भाई,
भारत भूषण वर्मा

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

21. अपने छोटे भाई को खेलों का महत्त्व बताते हुए पत्र लिखिए।

238, गाँधी नगर,
हाँसी।
तिथि : 25.03.20……

प्रिय रमन,
खुश रहो!
तुम्हारा पत्र कुछ दिन पूर्व प्राप्त हुआ था, किंतु परीक्षा के कार्य में व्यस्त होने के कारण तुम्हें पत्र लिखने में देर हो गई है। आज छुट्टियों के बाद तुम्हारा स्कूल खुल गया होगा। इसलिए मैं तुम्हें पढ़ाई के साथ-साथ खेलों का महत्त्व भी बताना चाहता हूँ।

प्रिय रमन, यह आयु जिसमें तुम इस समय हो, बड़ी चंचल और बेफिक्री की होती है। इस अवस्था में यह जानकारी नहीं होती कि थोड़ी-सी सावधानी से भविष्य कितना उज्ज्वल हो सकता है तथा थोड़ी-सी असावधानी से कितनी हानि हो सकती है।

तुम पढ़ने में बहुत लायक हो, इसमें संदेह नहीं है। किंतु पढ़ने के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य होना भी जरूरी है। अच्छे स्वास्थ्य के बिना पढ़ाई का कोई लाभ नहीं। इसलिए पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी नियमित रूप से भाग लेना आवश्यक है। किसी ने ठीक ही कहा है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है।
मेरी ओर से पूज्य माता-पिताजी को सादर प्रणाम कहना। पत्र का उत्तर शीघ्र देना।

तुम्हारा भाई,
मुनीश

पता-
रमन कुमार
36, अर्बन अस्टेट, भिवानी।

22. अपने मित्र/सखी को उसके जन्म-दिवस पर बधाई देते हुए पत्र लिखिए।

575, सुभाष नगर,
करनाल।
तिथि : 09.04.20…….

प्रिय मित्र,
सस्नेह नमस्ते!

आज ही तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर बहुत प्रसन्नता हुई कि तुम 15 अप्रैल को अपना जन्म-दिवस मना रहे हो। इस शुभ अवसर पर तुमने मुझे भी आमंत्रित किया है, इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

प्रिय मित्र, मैं इस शुभ अवसर पर अवश्य पहुँचता, लेकिन कुछ कारणों से मेरा उपस्थित होना सम्भव नहीं। मैं अपनी शुभकामनाएँ भेज रहा हूँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह तुम्हें चिरायु प्रदान करे। तुम्हारा भावी जीवन स्वर्णिम आभा से मंडित हो। समय मिलते ही मैं अवश्य आऊँगा। मैं अपनी ओर से एक छोटी-सी भेंट भेज रहा हूँ। आशा है कि तुम्हें पसंद आएगी। इस शुभ अवसर पर अपने माता-पिता जी को मेरी ओर से हार्दिक बधाई अवश्य देना।

तुम्हारा मित्र,
महावीर प्रसाद

पता-
मनोज कुमार
305, नई अनाज मंडी,
फरीदाबाद।

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23. अपने मित्र को नववर्ष की बधाई हेतु पत्र लिखिए।

परीक्षा भवन,
यमुनानगर।
तिथि : 31.12.20…….

प्रिय मित्र,
सस्नेह नमस्कार!
कल नववर्ष आरंभ होगा। इस शुभ अवसर पर मैं तुम्हें बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। आशा करता हूँ कि यह नया वर्ष तुम्हारे लिए खुशियाँ और सफलताएँ देने वाला हो। तुम्हारे परिवार में भी सुख और शांति हो। यह नया वर्ष तुम्हें शारीरिक सुख के साथ-साथ आर्थिक लाभ भी पहुँचाने वाला हो।
एक बार फिर आप सभी के लिए मंगल कामना।

तुम्हारा मित्र,
राधेश्याम

पता-
कृष्ण कुमार,
सुपुत्र श्री दीना नाथ,
82, संत नगर, करनाल।

24. उपहार भेजने पर चाचा जी को धन्यवाद पत्र लिखिए।

52, सदर बाज़ार,
कुरुक्षेत्र।
तिथि : 23.05.20…….

परम आदरणीय चाचा जी,
सादर प्रणाम।
कल मेरा जन्म-दिन था। इस अवसर पर मुझे आपके आने की बहुत प्रतीक्षा रही, परंतु आप किसी कारणवश नहीं आ सके। कार्य-व्यस्तता मनुष्य को कभी-कभी विवश कर देती है, पर मुझे ठीक समय पर आपके द्वारा भेजा गया पार्सल मिल गया था। जब मैंने उसे खोला तो उसमें एक बढ़िया पैन और एक सुंदर घड़ी थी। पार्सल खोलते ही मेरे नेत्र प्यार और श्रद्धा के आसुओं से भर गए। मैंने सोचा, मेरे चाचा जी मुझे इस उपहार के माध्यम से उपदेश दे रहे हैं-‘समय पर उठो, खूब लिखो-पढ़ो।’ वस्तुतः मुझे इन दोनों चीज़ों की बड़ी आवश्यकता थी। पूज्य चाचा जी, मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं आपके इन सांकेतिक उपदेशों
पर चलने का प्रयत्न करूँगा। आपके इस स्नेह के लिए धन्यवाद। मेरी ओर से पूज्य चाची जी को चरण वंदना। टिंकु और मनु को प्यार।

आपका स्नेहपात्र,
तरुण कुमार।

25. अपने मित्र को एक पत्र लिखें, जिसमें उसकी माता की मृत्यु पर शोक प्रकट किया गया हो।

836, नहर कॉलोनी,
हिसार।
तिथि : 04.11.20…….

प्रिय मित्र,
कल के समाचार-पत्र में तुम्हारी माता जी के अचानक स्वर्गवास होने की सूचना पढ़कर अत्यंत दुःख हुआ। तुम पर इतनी छोटी अवस्था में विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है। इस संसार में माँ का स्नेह ही सबसे बड़ा स्नेह है।।

प्रिय मित्र, मृत्यु पर किसी का वश नहीं है, यह तो प्रभु की इच्छा पर निर्भर करती है। इसके आगे सब विवश हैं। मृत्यु रूपी इस कड़वे घूट को पीने के अलावा कोई दूसरा मार्ग नहीं है। इसमें संदेह नहीं कि माता का प्यार विश्व में अन्यत्र नहीं मिल सकता, किंतु यह सब विधि का विधान है। इसे कोई मिटा नहीं सकता। ईश्वर की यही इच्छा थी।
जब तुम्हारी माता जी की आकृति आँखों के सामने आती है तो कलेजा मुँह को आ जाता है; किंतु धैर्य के सिवाय दूसरा कोई उपाय नहीं है।
परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है कि वह माता जी की आत्मा को शांति प्रदान करे तथा तुम सबको शक्ति दे कि तुम सब इस आघात को सहन कर सको।

तुम्हारा मित्र,
मोहन कुमार।

पता
विवेक,
236, प्रताप नगर, करनाल।

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26. चरित्र एवं सदाचरण प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय,
भिवानी।
विषय-चरित्र एवं सदाचरण प्रमाण-पत्र देने हेतु प्रार्थना-पत्र ।
आदरणीय महोदय,
विनम्र निवेदन है कि मैंने आपके विद्यालय से नौवीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। मैं कक्षा में प्रथम रहा था। मेरे पिता जी का स्थानांतरण कैथल में हो गया है। मुझे वहाँ नए स्कूल में दाखिला लेना है। उस स्कूल के नियम के अनुसार पिछले स्कूल द्वारा जारी किया गया चरित्र प्रमाण-पत्र भी आवेदन-पत्र के साथ संलग्न करना होगा, तभी मुझे नए स्कूल में दाखिला मिलेगा।

आदरणीय महोदय मैं विद्यालय की हॉकी टीम का कप्तान रहा हूँ तथा विद्यालय में होने वाली सांस्कृतिक गतिविधियों में भी बढ़-चढ़कर भाग लेता रहा हूँ। मैं स्कूल साहित्य परिषद् का उप-प्रधान भी रहा हूँ। मेरी आपसे प्रार्थना है कि इन गतिविधियों का उल्लेख करते हुए आप मुझे चरित्र एवं सदाचरण प्रमाण-पत्र देने की कृपा करें।
सधन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
सुरेश कुमार,
कक्षा-नौवीं,
अनुक्रमांक-29
दिनांक : 5 अप्रैल, 20….

27. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को अपना कक्षा अनुभाग (सैक्शन) बदलने के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
भगत सिंह उ०मा० विद्यालय,
यमुनानगर।
विषय-कक्षा अनुभाग बदलने हेतु प्रार्थना-पत्र ।
श्रीमान जी,
विनम्र निवेदन है कि मैं आपके स्कूल की नौवीं कक्षा के अनुभाग (ख) का विद्यार्थी हूँ। मेरा गाँव मुबारकबाद है। मेरे गाँव के अन्य विद्यार्थी नौवीं कक्षा के (क) अनुभाग में पढ़ते हैं। मैं अपने गाँव का अकेला विद्यार्थी इस अनुभाग में हूँ। जब कभी मुझे विद्यालय से छुट्टी लेनी पड़ती है तो अध्यापकों द्वारा दिए गए गृहकार्य का मुझे पता नहीं चलता। फलस्वरूप, मेरे कई अध्याय बिना पढ़े ही रह जाते हैं और लिखित गृहकार्य भी पूरा नहीं हो पाता। अतः मेरी पढ़ाई में यह अड़चन बन गई है। कई बार तो मेरा प्रार्थना-पत्र कक्षा अध्यापक के पास सही समय पर नहीं पहुंच पाता। इसलिए अध्यापक महोदय मेरी अनुपस्थिति लगा देते हैं, जिसके लिए मुझे दंड भुगतना पड़ता है।
अतः मान्यवर, मेरी इन कठिनाइयों को देखते हुए मुझे अनुभाग (क) में बैठने की अनुमति प्रदान की जाए। मैं आपका अति धन्यवादी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मोहन लाल शर्मा,
कक्षा-नौवीं,
अनुक्रमांक-52
दिनांक : 4 जुलाई, 20….

28. दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण परीक्षा देने में असमर्थता प्रकट करते हुए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए।

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय कन्या उ०मा० विद्यालय,
रतिया।
विषय-परीक्षा देने में असमर्थता के विषय में।
श्रीमान जी,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा नौवीं (ग) की छात्रा हूँ। कल विद्यालय से छुट्टी होने पर घर जाते समय सड़क पार करते हुए स्कूटर से टकरा जाने के कारण मैं गंभीर रूप से घायल हो गई हूँ। मेरी दाईं टाँग की हड्डी भी टूट गई है। डॉक्टरी रिपोर्ट के अनुसार मैं लगभग दो मास तक चल-फिर नहीं सकती। इसलिए मैं दिसंबर मास में होने वाली परीक्षा देने में असमर्थ हूँ।
अतः आपसे प्रार्थना है कि आप मुझे दो मास का अवकाश देने की कृपा करें। इस प्रार्थना-पत्र के साथ मैं अपना डॉक्टरी प्रमाण-पत्र भी भेज रही हूँ।
सधन्यवाद।

आपकी आज्ञाकारी शिष्या,
कमलेश,
कक्षा नौवीं,
अनुक्रमांक-25
दिनांक : 10 अगस्त, 20….

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29. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखकर खेल संबंधी कठिनाइयों की सूचना दीजिए तथा उन्हें दूर करने की प्रार्थना कीजिए।

सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च विद्यालय,
सोनीपत।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि पिछले साल हमारे विद्यालय ने जिला खेल प्रतियोगिता में बहुत नाम कमाया था। इस सफलता से उत्साहित होकर विद्यालय के अनेक छात्र विभिन्न खेलों में भाग लेने के इच्छुक हैं।

अब नया सत्र शुरू हो गया है परंतु अब खेलों में कई कठिनाइयाँ आ रही हैं। अतः आपसे निवेदन है कि आप हमारी निम्नलिखित कठिनाइयों की ओर ध्यान देते हुए उन्हें दूर करने का प्रयत्न करें।

खेल के मैदान की सफाई का प्रबंध करवाया जाए। मैदान में जगह-जगह गहरे गड्ढे हैं। इन गड्ढों को भरवाया जाए तथा मैदान को समतल करवाया जाए। विभिन्न खेलों के लिए मैदान में निशानदेही करवाई जाए तथा यथास्थान पोल गड़वाने की भी व्यवस्था की जाए। इसके अतिरिक्त, खेल के लिए नया सामान खरीदना भी आवश्यक है। खेल के मैदान के पास पीने के पानी तथा रोशनी का पूरा प्रबंध होना चाहिए। प्रत्येक रविवार को विभिन्न कक्षाओं के बीच खेल प्रतियोगिता का आयोजन होना चाहिए ताकि अच्छे खिलाड़ियों का चुनाव हो सके।
आशा है कि आप हमारी प्रार्थना की ओर ध्यान देते हुए शीघ्र ही उचित कदम उठाएँगे।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
दीपक कपूर (खेल सचिव),
कक्षा-नौवीं,
अनुक्रमांक-29
दिनांक : 7 मई, 20……….

30. विद्यालय को हरा-भरा बनाने के लिए मुख्याध्यापक को प्रार्थना पत्र लिखें।

सेवा में,
मुख्याध्यापक महोदय,
आर्य मॉडल स्कूल,
करनाल।
श्रीमान जी,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की नौवीं ‘ख’ कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मैं आपका ध्यान विद्यालय प्रांगण को हरा-भरा करने की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ। पिछले वर्ष विद्यालय प्रबन्धक कमेटी ने विद्यालय में खड़े बड़े-बड़े वृक्षों को यह कहकर कटवा दिया था कि आँधी, तूफान या वर्षा में इनके गिरने का सदा भय बना रहता है। किंतु एक वर्ष बीत जाने पर पुराने वृक्षों के स्थान पर छायादार वृक्षों के पौधों का रोपण नहीं करवाया गया। पुराने वृक्षों के स्थान पर वृक्षों के नए पौधे लगवाए जाएँ। इसी प्रकार कुछ सौंदर्यवर्द्धक पौधे (Ornamental Plants) भी लगवाए जाएँ। इसके साथ-साथ सीजनल फूल भी लगवाए जाने चाहिएँ। इस कार्य के लिए विद्यार्थीवृंद से सहायता ली जा सकती है। पेड़-पौधे हमें छाया ही नहीं, अपितु शुद्ध स्वच्छ वायु, स्वच्छ वातावरण और सुन्दर दृश्य भी प्रदान करते हैं। पेड़ मानव के निःस्वार्थी एवं त्यागशील मित्र हैं। अतः इस कार्य को शीघ्र ही आरम्भ करवाने की कृपा करें। सधन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
कमलकांते
कक्षा : नौवीं ‘ख’
दिनांक : 5 अप्रैल, 20….

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31. मोबाइल फोन चोरी होने की रिपोर्ट लिखवाते हुए पुलिस अधीक्षक को एक पत्र लिखिए।

सेवा में,
थानाध्यक्ष,
इब्राहिम मंडी,
करनाल।
महोदय,
निवेदन यह है कि मेरा मोबाइल बस में चढ़ने के दौरान चोरी हो गया है। मैं पानीपत से करनाल आ रहा था। बस में अत्यधिक भीड़ थी। जिसका लाभ उठाकर किसी शरारती ने धोखे से मेरा मोबाइल चुरा लिया है। मेरा मोबाइल Nokia ASHA0021 Company का है जिसका नं. …………….. है। मेरे मोबाइल में 500/- रु० की राशि भी शेष थी। मैंने मोबाइल को दीपक इलैक्ट्रॉनिक करनाल से खरीदा था। इसका बिल नं. 00121, दिनांक 15.4……. है। खरीदने की रसीद पत्र के साथ संलग्न है। श्रीमान जी आपसे निवेदन है कि इस सूचना के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करें तथा शीघ्रातिशीघ्र मोबाइल ढूँढवाने की कृपा करें।
सधन्यवाद।

प्रार्थी,
अनिल कुमार
572/13, इब्राहिम मण्डी करनाल।
दिनांक : 16 अगस्त, 20….

32. हरियाणा स्वास्थ्य निदेशालय में कार्यालय सहायक लिपिक के रिक्त स्थान के लिए एक आवेदन-पत्र लिखिए।

सेवा में,
निदेशक,
स्वास्थ्य निदेशालय,
चंडीगढ़ (हरियाणा)।
विषय : कार्यालय सहायक लिपिक के पद हेतु आवेदन-पत्र ।
आदरणीय महोदय,
25 अप्रैल, 20…. के साप्ताहिक रोज़गार समाचार-पत्र में प्रकाशित विज्ञापन क्रमांक-206 के उत्तर में अपनी सेवाएँ उपरोक्त पद के लिए अर्पित करता हूँ। मेरा परिचय और शैक्षणिक योग्यताएँ निम्नलिखित हैं-
नाम : राजकुमार चौहान
पिता का नाम : श्री महेंद्र सिंह चौहान
जन्म-तिथि : 5 नवंबर, 1983
पत्र-व्यवहार का पता : गाँव व डाकखाना उम्मीदपुर, ज़िला करनाल।
शैक्षणिक योग्यता : मैंने दसवीं कक्षा में 80.1% अंक प्राप्त किए हैं तथा 10+2 वाणिज्य में 75% अंक प्राप्त किए हैं। मैंने दो वर्ष का टंकण एवं आशुलिपि का डिप्लोमा किया हुआ है। साथ ही कंप्यूटर चलाने का ज्ञान भी अर्जित किया है।
कार्य अनुभव : मैं गत छह मास से जे०बी०डी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कार्यालय सहायक का कार्य कर रहा हूँ।
आशा है कि आप मुझे अपने कुशल निर्देशन में काम करने का अवसर प्रदान करके अनुगृहीत करेंगे। मैं विश्वास दिलाता हूँ कि मैं पूरी ईमानदारी और परिश्रम से काम करूँगा तथा अपनी क्षमताओं का और अधिक परिचय दे सकूँगा।
सधन्यवाद।

भवदीय,
राजकुमार चौहान,
गाँव व डाकखाना,
उम्मीदपुर,
करनाल।
दिनांक : 6 मई, 20….

33. अपनी सखी को छात्रवृत्ति प्राप्त होने पर बधाई-पत्र लिखिए। 28-ए, मॉडल टाउन, करनाल।

26 जून, 20….
प्रिय सखी रेणु,
सस्नेह नमस्कार!
हरियाणा बोर्ड की दसवीं कक्षा के परिणाम की सूची में तुम्हारा नाम छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले छात्रों की सूची में देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई। मेरे परिवार के सभी सदस्य भी इस सुखद समाचार को पढ़कर बहुत प्रसन्न हैं। प्रिय सखी, हमें तुमसे यही आशा थी। यह तुम्हारे अथक परिश्रम का ही फल है। तुमने सिद्ध कर दिया है कि सच्चे मन से किया गया परिश्रम कभी असफल नहीं रहता। 88% अंक प्राप्त करना कोई मज़ाक नहीं है।

आशा है कि तुम भविष्य में भी अधिकाधिक परिश्रम और पूरी लगन से अध्ययन करोगी तथा सफलता की ऊँचाइयों को इसी प्रकार छूती रहोगी। इस शानदार सफलता पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करो। अपने माता-पिता को मेरी ओर से हार्दिक बधाई देना न भूलना।
तुम्हारी सखी,
सरबजीत कौर।

पता
……………….
……………….

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34. अपने मित्र को ग्रीष्मावकाश साथ बिताने के लिए निमंत्रण-पत्र लिखिए।

मीनार रोड,
करनाल।
12 मई, 20….

प्रिय मित्र मनोज,
सप्रेम नमस्कार।
आज ही तुम्हारा पत्र मिला। तुमने उसमें ग्रीष्मावकाश के बारे में पूछा है। तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैंने इस बार गर्मी की छुट्टियाँ शिमला में बिताने का निर्णय किया है। हमारे अवकाश 6 जून से आरंभ होने जा रहे हैं। अतः 8 जून को मैं और मेरा भाई राजेश शिमला के लिए रवाना हो जाएँगे। मेरा एक और मित्र भी हमारे साथ चलने के लिए तैयार हो गया है।

तुम्हें तो पता ही है कि शिमला में मेरे चाचा जी का अच्छा व्यापार है। वे मुझे वहाँ आने के लिए अनेक बार लिख चुके हैं। मैं चाहता हूँ कि तुम भी हमारे साथ शिमला चलो। शिमला एक पर्वतीय स्थल है। वहाँ की प्रकृति बहुत सुंदर और आकर्षक है। वहाँ चारों ओर चिनार के ऊँचे-ऊँचे वृक्ष हैं। वहाँ की पहाड़ियाँ तो मानो आकाश को स्पर्श करती हैं। वहाँ रहकर हम आस-पास के क्षेत्रों को भी देख सकते हैं। अगर अवसर मिला तो हम ट्रैकिंग करने के लिए जाखू की पहाड़ियों से आगे भी जाएँगे। आशा है कि तुम्हें ग्रीष्मावकाश का यह कार्यक्रम पसंद आएगा। अपनी स्वीकृति शीघ्र भेजें ताकि समुचित व्यवस्था की जा सके।
छोटे भाई को प्यार और माता-पिता को मेरा सादर प्रणाम कहना।

तुम्हारा अभिन्न मित्र,
कमल।

पता
……………….
……………….

35. अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर विषय विशेष की पढ़ाई न होने की शिकायत कीजिए।

सेवा में,
प्रधानाचार्य,
ए०एस० जैन उच्च विद्यालय,
कैथल।
विषय : अंग्रेज़ी की पढ़ाई न होने के विषय में।
श्रीमान जी,
सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय की नौवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मैं आपका ध्यान अपनी कक्षा के अंग्रेजी विषय की पढ़ाई की ओर दिलाना चाहता हूँ। पिछले एक मास से हमारे यहाँ अंग्रेज़ी का पीरियड खाली जा रहा है। जब से श्री रामलाल जी दोबारा पाठ्यक्रम (रिफ्रेशर कोस) के लिए गए हैं, तब से उनके स्थान पर कोई अध्यापक नहीं आया है। इस कारण, हमारा अंग्रेज़ी विषय का पाठ्यक्रम अन्य अनुभागों से काफी पीछे रह गया है। उधर छःमाही परीक्षा भी समीप आ गई है। अतः आपसे प्रार्थना है कि शीघ्रातिशीघ्र अंग्रेज़ी की पढ़ाई की समुचित व्यवस्था करवाने की कृपा करें।
सधन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
मुकेश,
कक्षा नौवीं,
अनुक्रमांक-34
दिनांक : 8 मई, 20….

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36. सहायक स्टेशन मास्टर द्वारा किए गए अशिष्ट व्यवहार के विरुद्ध भारत सरकार के रेलमंत्री के नाम पत्र लिखिए।

सेवा में,
रेलमंत्री महोदय,
भारत सरकार,
नई दिल्ली।
श्रीमान जी,
विनम्र निवेदन है कि मैं कल मुंबई जाने वाली गाड़ी में स्थान आरक्षित करवाने के लिए रेलवे स्टेशन गया। वहाँ श्री रामभज शर्मा सहायक स्टेशन मास्टर यह काम करते हैं। पहले तो वे बीस मिनट तक अपनी सीट पर नहीं आए। जब मैंने उनसे मुंबई जाने वाली गाड़ी में स्थान आरक्षित करवाने के लिए निवेदन किया तो उन्होंने टालमटोल करना चाहा किंतु मैंने उन्हें पुनः प्रार्थना की तो वे मुझसे गुस्से से पेश आए और झगड़ा करने पर उतारू हो गए। उन्होंने मुझे इतने लोगों के सामने अपशब्द भी कहे।

मान्यवर, मेरा आपसे अनुरोध है कि रामभज शर्मा द्वारा मेरे साथ किए गए अशिष्ट व्यवहार के लिए उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि वे भविष्य में किसी के साथ अभद्र एवं अशिष्ट व्यवहार न करें।
सधन्यवाद।

भवदीय,
मनोहर लाल,
108-अंबाला छावनी,
हरियाणा।
दिनांक : 10 अक्तूबर, 20….

37. अपने क्षेत्र में मच्छरों के प्रकोप का वर्णन करते हुए उचित कार्रवाई करने के लिए अपने जिले के स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए।

सेवा में,
ज़िला स्वास्थ्य अधिकारी,
सिरसा।
महोदय,
निवेदन यह है कि मैं हनुमान बस्ती का निवासी हूँ। यह बस्ती नगर की सबसे पिछड़ी बस्ती है। नगरपालिका के कर्मचारी भी इस क्षेत्र की सफाई की ओर कोई ध्यान नहीं देते। यद्यपि नगरपालिका की ओर से इस क्षेत्र की सफाई के लिए कर्मचारी नियुक्त किया गया है परंतु वह बहुत कम ही दिखाई पड़ता है। फलस्वरूप, यह क्षेत्र गंदगी का ढेर बनकर रह गया है। नगरपालिका की गाड़ी भी यहाँ गंदगी उठाने कभी नहीं आती। कूड़ा पड़ा रहने के कारण यहाँ मच्छरों का प्रकोप बहुत बढ़ गया है। मच्छरों ने तो यहाँ अपना स्थाई घर बना लिया है। यही कारण है कि नगर में सबसे अधिक मलेरिया यहीं फैलता है। न तो इस क्षेत्र से मच्छर खत्म करने का कोई उपाय किया गया है और न ही मलेरिया के उपचार का। मच्छरों का मूल कारण गंदगी है।

आपसे सविनय निवेदन है कि आप स्वयं कभी इस क्षेत्र में निरीक्षण का कार्यक्रम बनाएँ। आपके निरीक्षण का समाचार सुनते ही. नगरपालिका के सफाई कर्मचारी इस क्षेत्र को साफ करने में लग जाएँगे। आशा है आप इस क्षेत्र की सफाई की ओर ध्यान देंगे तथा हमें इस गंदगी से मुक्ति दिलाएँगे।
सधन्यवाद।

भवदीय,
रामप्रसाद सक्सेना,
572/13, हनुमान बस्ती,
सिरसा।
दिनांक : 16 अगस्त, 20….

पता
……………….
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38. गलत माल की शिकायत करते हुए खेल सामग्री बेचने वाले प्रतिष्ठान ‘लक्ष्मी स्पोर्ट्स’ को मुख्याध्यापक की ओर से एक पत्र लिखिए।

सेवा में,
व्यवस्थापक महोदय,
लक्ष्मी स्पोर्ट्स,
अंबाला।
महोदय,
हमने दिनांक 15 अगस्त, 20…. को खेल संबंधी कुछ सामान का आदेश भेजा था। उस आदेश का क्रमांक 526 है। हमने दो दर्जन क्रिकेट की गेंदें, 6 बल्ले, 6 टेबल टेनिस के बल्ले तथा 12 रैकेट मँगवाए थे परंतु आपने सारा सामान गलत भेजा है। शायद यह आदेश किसी और ने भेजा था। आपके कर्मचारी ने भूल से यह सामान हमारे पास भेज दिया है।

कृपया आप अपना माल वापिस मँगवा लें और हमें आदेशानुसार हमारा माल शीघ्र भिजवा दें। अतिरिक्त व्यय भार आपको वहन करना होगा।

भवदीय,
राजकुमार चोपड़ा,
मुख्याध्यापक,
राजकीय उच्च विद्यालय,
काछवा (करनाल)।
दिनांक : 25 अगस्त, 20….

39. समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए जिसमें सामान्य नागरिकों की कठिनाइयों का वर्णन हो।

सेवा में,
प्रधान संपादक, दैनिक ट्रिब्यून,
चंडीगढ़।
प्रिय महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार-पत्र द्वारा करनाल नगर के नागरिकों की कठिनाइयों की ओर संबंधित अधिकारियों का ध्यान दिलाना चाहता हूँ। आशा है आप इस पत्र को अपने समाचार-पत्र में स्थान देंगे।
(1) करनाल की सभी मुख्य सड़कें टूटी-फूटी पड़ी हैं। पिछले एक वर्ष से इस ओर ध्यान नहीं दिया गया। स्थान-स्थान पर गड्ढे पड़ गए हैं। वर्षा के समय तो स्थिति और भी खराब हो जाती है।
(2) नगर के मुख्य बाजारों में स्थान-स्थान पर कारें और मोटरें खड़ी रहती हैं। इससे आम लोगों का आना-जाना कठिन हो जाता है। अनेक बार दुर्घटनाएँ भी हो जाती हैं। ट्रैफिक पुलिस का कहीं पता नहीं होता।
(3) कहने को तो नगर में अर्बन एस्टेट है। इसके विकास के लिए लोगों से लाखों रुपए वसूल किए जा रहे हैं परंतु इस क्षेत्र में सफाई नाम की कोई चीज़ नहीं। स्थान-स्थान पर सूअर, कुत्ते, गधे और खच्चर घूमते रहते हैं। लोगों ने घरों में भैंसे और गायें पाल रखी हैं जिससे मच्छर और मक्खियाँ बढ़ती जा रही हैं। स्थान-स्थान पर गोबर के ढेर लगे रहते हैं। अधिकारी वर्ग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। लिखित शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती। वर्षा के दिनों में वर्षा का पानी अनेक घरों में घुस जाता है।

करनाल नगर को सुंदर बनाने के लिए तथा जनता की सुविधा के लिए क्या अधिकारी वर्ग उपर्युक्त बातों की ओर ध्यान देगा ?

भवदीय,
महेंद्र सिंह,
521, अर्बन एस्टेट,
करनाल।
दिनांक : 20 फ़रवरी, 20…

पता-
प्रधान संपादक,
दैनिक ट्रिब्यून,
चंडीगढ़।

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40. समाचार-पत्र के संपादक को एक पत्र लिखिए जिसमें बढ़ती हुई बेरोज़गारी का वर्णन हो।

सेवा में,
प्रधान संपादक,
दैनिक हिंदुस्तान,
नई दिल्ली-110001
प्रिय महोदय,
इस पत्र द्वारा मैं वर्तमान सरकार तथा उसके अधिकारियों का ध्यान देश की बढ़ती हुई बेरोज़गारी की ओर दिलाना चाहता हूँ। आशा है कि आप इस पत्र को छापकर मेरी बातें पाठकों और सरकार तक पहुँचाएँगे।

बेरोज़गारी हमारे देश की प्रमुख समस्याओं में से एक है। इस समस्या से ही अनेक समस्याएँ जुड़ी हुई हैं। गरीबी की समस्या प्रत्यक्ष रूप से इसी से जुड़ी हुई है। एक बेरोज़गार व्यक्ति चोरी कर सकता है, डकैती डाल सकता है अथवा अपना धीरज खोकर कुछ भी कुकर्म कर सकता है। उग्रवाद की समस्या के पीछे भी बेरोज़गारी का ही हाथ है। बेरोज़गारी के कारणों में जनसंख्या की वृद्धि, दूषित शिक्षा-प्रणाली, पूँजीवादी अर्थव्यवस्था, भौतिक दृष्टिकोण आदि उल्लेखनीय हैं। इस विकट समस्या से छुटकारा पाने के लिए निम्नोक्त उपाय हैं
(1) सरकार की ओर से अधिकाधिक लघु उद्योग प्रारंभ किए जाने चाहिएँ।
(2) जब तक बेकारी दूर नहीं हो जाती, तब तक एक परिवार के एक ही व्यक्ति को रोज़गार दिया जाना चाहिए।
(3) परिवार कल्याण कार्यक्रम की ओर अधिकाधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
(4) वर्तमान शिक्षा-पद्धति में परिवर्तन करके उसे रोज़गारोन्मुखी बनाया जाना चाहिए।
(5) कृषि विकास के कार्यक्रमों से जुड़े उद्योग-धंधों को बढ़ावा मिलना चाहिए।
(6) प्रत्येक व्यक्ति की वार्षिक आय का सीमा निर्धारण होना चाहिए ताकि आर्थिक विषमता को अधिक बढ़ावा न मिले।

भवदीय,
सुशील कुमार,
112, न्यू हाऊसिंग बोर्ड,
रोहतक।
दिनांक : 15 जुलाई, 20….

पता-
प्रधान संपादक,
दैनिक हिंदुस्तान,
नई दिल्ली-110001

41. अपने नगर की सफाई-व्यवस्था की दुर्दशा के संबंध में समाचार-पत्र के संपादक के नाम एक पत्र लिखिए।

सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक ट्रिब्यून,
चंडीगढ़।

आदरणीय महोदय,
मैं आपके सुप्रसिद्ध दैनिक पत्र में अपने नगर की सफाई की अव्यवस्था को प्रकाशित करवाकर इस सूचना को सरकार तक पहुँचाना चाहता हूँ।

मान्यवर, पूरे नगर में सफाई का प्रबंध ठीक नहीं है। सफाई कर्मचारी ठीक समय पर नहीं आते। नालियाँ गंदे पानी से भरी पड़ी हैं। कहीं-कहीं गंदा पानी सड़कों पर भी भर गया है। उन सड़कों पर लोगों का आना-जाना कठिन हो गया है। जगह-जगह पर कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। कूड़ा उठाने वाली गाड़ी कई दिन नहीं आती। कूड़े के ढेरों व गंदगी पर मक्खियाँ और मच्छर भिनभिनाते रहते हैं जिससे नगर में बीमारी फैलने का भय बना रहता है। नगर में कई स्थानों पर सीवरेज रुक जाने के कारण तो नगर की दशा और भी बुरी हो गई है। नगरपालिका के अध्यक्ष को भी इस विषय में कई बार लिख चुके हैं किंतु उन पर कोई असर नहीं हुआ। हर बार कोई-न-कोई बहाना बना दिया जाता है।

इसलिए आप अपने समाचार-पत्र में इसे प्रकाशित करने की कृपा करें ताकि नगरवासियों के जीवन की इस कठिनाई की सूचना हरियाणा सरकार तक पहुँच सके।
सधन्यवाद।

भवदीय,
रामपाल,
करनाल।
दिनांक : 10 अप्रैल, 20…..

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42. समाचार-पत्र के संपादक के नाम पत्र लिखिए जिसमें विज्ञापन छापने की प्रार्थना की गई हो।

मुख्याध्यापिका,
शहीद भगत सिंह कन्या माध्यमिक विद्यालय,
झज्जर (रोहतक)।
15 जुलाई, 20….

सेवा में,
प्रधान संपादक,
नवभारत टाइम्स,
नई दिल्ली-110002

प्रिय महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय दैनिक समाचार-पत्र के माध्यम से एक विज्ञापन देना चाहती हूँ। आशा है आप यह विज्ञापन प्रकाशित करके मुझे अनुगृहीत करेंगे। विज्ञापन समाचार-पत्र के दूसरे पृष्ठ पर वर्गीकृत कॉलम में हो और यह आगामी रविवार को प्रकाशित किया जाए। विज्ञापन की सामग्री नीचे दी जा रही है।

शहीद भगत सिंह कन्या माध्यमिक विद्यालय (मान्यता प्राप्त) झज्जर के लिए बी०एस-सी०, बी०ए०, बी०एड०, प्रभाकर, ज्ञानी, ओ०टी०, पी०टी०आई०, जे०बी०टी० अध्यापकों की आवश्यकता है। साक्षात्कार के लिए तत्काल मिलें। महिला शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी। वेतन योग्यतानुसार होगा।
(ह०) मुख्याध्यापिका
विज्ञापन छापने के बाद समाचार-पत्र की एक प्रति और भुगतान के लिए बिल हमारे कार्यालय में भेज दें।

भवदीय,
(ह०) कुमुद जोशी,
मुख्याध्यापिका।

43. हरियाणा रोडवेज के जींद डिपो के महाप्रबंधक को अनियमित बस सेवा में सुधार के लिए पत्र लिखिए।

सेवा में,
महाप्रबंधक,
हरियाणा राज्य परिवहन,
जींद डिपो।

महोदय,
निवेदन यह है कि इस पत्र के द्वारा मैं आपका ध्यान जींद डिपो की अनियमित बस सेवा की ओर दिलाना चाहता हूँ। जींद डिपो की बसें आमतौर पर समय पर नहीं आतीं। इससे सामान्य नागरिकों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। विद्यार्थियों को कक्षा में पहुँचने में देरी हो जाती है तथा कर्मचारी भी बस सेवा के नियमित न होने के कारण समय पर कार्यालय नहीं पहुँच पाते। इसलिए आपसे प्रार्थना है कि आप अपना ध्यान इस ओर दें ताकि अनियमित बस सेवा में सुधार किया जा सके। मैं आपका अत्यंत आभारी रहूँगा।
सधन्यवाद।

भवदीय,
रमेश कुमार गुप्ता,
672, न्यू हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी,
जींद।
दिनांक : 15 मार्च, 20….

पता-
महाप्रबंधक,
हरियाणा राज्य परिवहन,
जींद डिपो।

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44. अपने नगर की टूटी-फूटी सड़कों की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए अपने नगर-परिषद् के अध्यक्ष को एक पत्र लिखिए।

सेवा में,
अध्यक्ष महोदय,
नगर-परिषद्,
भिवानी।

महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि इस पत्र द्वारा हम आपका ध्यान नगर की सड़कों की दयनीय दशा की ओर आकृष्ट करना चाहते हैं। नगर की अधिकांश सड़कें टूट चुकी हैं। हम संबंधित अधिकारी को पहले भी कई बार सड़कों के विषय में लिख चुके हैं किंतु अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। सड़कें जगह-जगह से टूटी हुई हैं। कई स्थानों पर गहरे गड्ढे पड़ चुके हैं। वर्षा के दिनों में इनमें पानी भर जाता है और कई बार दुर्घटनाएँ भी हो चुकी हैं। टूटी हुई सड़कों पर पानी जमा हो जाने से मच्छर मक्खियों का प्रकोप भी बढ़ गया है जिससे बीमारी फैलने का भय बना रहता है। नगर की कई सड़कों पर तो इतना पानी जमा हो जाता है कि वहाँ से आना-जाना बड़ा कठिन हो जाता है। आस-पास की बस्तियों में बदबू फैल गई है। अतः आपसे पुनः प्रार्थना है कि नगर की सड़कों की यथाशीघ्र मरम्मत करवाएँ ताकि नगर के लोग सुविधापूर्वक उन पर से आ-जा सकें तथा मच्छर-मक्खियों के प्रकोप से बच सकें।
सधन्यवाद।

भवदीय,
मोहन सिंह,
मंत्री, नगर सुधार सभा,
भिवानी।
दिनांक : 15 मई, 20….

45. अपनी भूल के लिए क्षमा याचना करते हुए पिता जी को एक पत्र लिखिए।

22, कमला छात्रावास,
हिंदू उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
………. नगर।
15 जनवरी, 20….

पूज्य पिता जी,
सादर चरण वंदना। आशा है कि आपको मेरा पत्र मिला होगा। उसमें मैंने लिखा था कि मुझे 300 रुपए पुस्तकों और कापियों के लिए चाहिएँ। वस्तुतः एक मित्र के बहकावे में आकर मैंने ऐसा लिख दिया था। वास्तव में, हमारे विद्यालय की ओर से जयपुर के लिए शैक्षणिक यात्रा का कार्यक्रम बनाया गया था। मैं भी इसमें भाग लेना चाहता था। मैंने सोचा आप शायद मुझे जयपुर जाने की अनुमति नहीं देंगे। अतः मित्र के कहने पर मैंने यह लिख भेजा था कि मुझे पुस्तकों और कापियों के लिए पैसों की आवश्यकता है। बाद में आपको झूठ लिखने के अपराध के कारण मुझे आत्मग्लानि हुई। दो दिनों तक तो मेरा मन पढ़ाई में भी नहीं लगा। आज आपको पत्र लिखने के बाद मैं इस बोझ से मुक्त हुआ हूँ। आशा है कि आप मेरी पहली भूल को क्षमा करेंगे। मैं आपको पूर्ण विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में मैं ऐसी गलती नहीं करूँगा।

यदि आप अनुमति देंगे, तभी मैं शैक्षणिक यात्रा पर जाऊँगा, अन्यथा नहीं। एक बार पुनः क्षमा-याचना।

आपका सुपुत्र,
दिनेश।

पता-
श्रीमान सोहनलाल
गाँव तथा डाकखाना-फतेहपुर,
जिला-कुरुक्षेत्र

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46. चुनाव के दृश्य का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए।

गुरु नानक खालसा व०मा० विद्यालय,
करनाल।
15 दिसंबर, 20….

प्रिय राकेश,
सप्रेम नमस्कार।
आशा है कि तुम्हारी परीक्षा समाप्त हो गई होगी और तुम अपने माता-पिता के काम में हाथ बँटा रहे होगे। प्रिय इस पत्र में मैं अपने गाँव में हुए चुनाव के दृश्य के विषय में लिख रहा हूँ। आशा है तुम्हें यह दृश्य अच्छा लगेगा।

पिछले सप्ताह हमारे गाँव की पंचायत का चुनाव हुआ था। चुनाव की घोषणा होते ही सारे गाँव में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। चुनाव से लगभग पंद्रह दिन पूर्व चुनाव प्रचार आरंभ हो गया था। चुनाव में भाग लेने वाले उम्मीदवारों ने अपने-अपने चुनाव निशान के रंग-बिरंगे पत्रक छपवाकर गली-गली में बाँट दिए थे। प्रतिदिन सुबह-शाम लोगों के घरों में जाकर उम्मीदवार और उनके समर्थक अपने पक्ष में मत देने का आग्रह करते थे। पक्ष और विपक्ष के उम्मीदवार अपनी भावी योजनाओं के बारे में बताते थे और लोगों को अधिक-से-अधिक सुविधाएँ प्रदान करने के वायदे करते थे।

गाँव की गलियों की दीवारों पर, पंचायत-घर के सामने आदि सभी स्थानों पर पोस्टर भी चिपका दिए गए थे। विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी चुनाव में मदद के लिए पहुंच गए थे। कुछ उम्मीदवारों ने गरीब लोगों को लालच देकर फुसलाने का भी प्रयास किया था। चुनाव के दिन गाँव में चहल-पहल थी। पंचायत भवन और गाँव के विद्यालय में दो चुनाव केंद्र बनाए गए थे। जिला मुख्यालय से उप-चुनाव अधिकारी और अन्य कर्मचारी रात को ही गाँव में पहुंच गए थे। उनके साथ कुछ पुलिस कर्मचारी भी थे। लोग प्रातः आठ बजे से ही वोट डालने के लिए पंक्तियों में आकर खड़े हो गए थे।

पुरुषों के साथ-साथ महिलाएँ भी अलग पंक्तियों में खड़ी हुई थीं। मतदान सुबह नौ बजे से सायं पाँच बजे तक चलता रहा। सरपंच के पद के लिए काँटे का मुकाबला था। शांति बनाए रखने के लिए पुलिस को सतर्क कर दिया गया था। सायं छह बजे परिणाम घोषित हुआ। चौधरी फतेह सिंह दो सौ मतों से चुनाव जीत गए। विजयी पक्ष ने ढोल बजाकर खुशियाँ मनाईं।
अपने माता-पिता को मेरा सादर प्रणाम कहना। परीक्षा का परिणाम आने पर पत्र लिखना न भूलना।

तुम्हारा मित्र,
प्रवीण शर्मा।

47. पुस्तकें मँगवाने हेतु प्रकाशक को एक पत्र लिखिए।

राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,
जींद।
15 मई, 20….

सेवा में,
प्रबंधक महोदय (विक्रय विभाग),
ज्योति बुक डिपो प्रा०लि०,
आर-119, इब्राहिम मंडी, करनाल।
मान्यवर,
हमें अपने विद्यालय के लिए निम्नलिखित पुस्तकों की आवश्यकता है। ये पुस्तकें वी०पी०पी० द्वारा शीघ्रातिशीघ्र भिजवाने की कृपा करें। पुस्तकें भेजते समय यह अवश्य देख लें कि वे नए संस्करण की हों तथा कटी-फटी न हों। मैं पुस्तकों के लिए पाँच सौ रुपए अग्रिम राशि के रूप में भेज रहा हूँ। पुस्तकों की सूची इस प्रकार है-
(1) दीपक हिंदी गाइड (आठवीं कक्षा) 10 प्रतियाँ
(2) दीपक सफलता का सागर (पाँचवीं कक्षा) 5 प्रतियाँ
(3) दीपक अंग्रेज़ी गाइड (दशम कक्षा) 5 प्रतियाँ
(4) दीपक सामाजिक विज्ञान (दशम कक्षा) 5 प्रतियाँ
(5) दीपक थ्री-इन-वन हिंदी (नवम कक्षा) 5 प्रतियाँ

भवदीय,
विकास दीवान,
मॉनीटर,
कक्षा-नौवीं।

पता-
प्रबंधक महोदय (विक्रय विभाग),
ज्योति बुक डिपो प्रा०लि०,
आर-119, इब्राहिम मंडी, करनाल।

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48. अपनी पढ़ाई की प्रगति के संबंध में अपने पिता जी को एक पत्र लिखिए।

डी०ए०वी० हाई स्कूल,
सिरसा।
5 मई, 20….

आदरणीय पिता जी,
सादर प्रणाम। कल ही आपका पत्र मिला। पढ़कर हाल मालूम हुआ। पत्र से यह पता चला कि आप मेरी पढ़ाई के विषय में बहुत चिंतित हैं। मैं यहाँ छात्रावास में बहुत प्रसन्न हूँ और अपनी पढ़ाई का पूरा ध्यान रखता हूँ। यहाँ के सभी अध्यापक बहुत मेहनती हैं। अर्द्धवार्षिक । परीक्षा में मेरा परिणाम बहुत ही अच्छा रहा। मैंने 65% अंक प्राप्त किए हैं। केवल गणित में अंक मेरी आशा से कुछ कम रहे हैं। मुझे आशा है कि भविष्य में मैं इस विषय में भी अच्छे अंक प्राप्त कर लूँगा। आप मेरी पढ़ाई के विषय में निश्चित रहें।
माता जी को सादर चरण वंदना और रुचिका को बहुत-सा प्यार।

आपका बेटा,
रामकुमार।

49. मित्र को पत्र लिखिए जिसमें किसी पर्वतीय स्थल की यात्रा का वर्णन किया गया हो।

232/13, अर्बन एस्टेट
करनाल।
11 जुलाई, 20….

प्रिय मित्र अरविंद,
नमस्ते।
कल तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हुई कि तुम अपना ग्रीष्मावकाश बिताने के लिए उदयपुर गए थे। मैं भी अपने बड़े भाई के साथ इस बार धर्मशाला पर्वतीय क्षेत्र में गर्मी की छुट्टियाँ व्यतीत करने गया था। इस यात्रा का वर्णन मैं तुम्हें पत्र में लिखकर भेज रहा हूँ।

15 जून को हम करनाल से चंडीगढ़ पहुँचे। वहाँ से 11 बजे हमने धर्मशाला की बस पकड़ी और सायं 7 बजे हम पालमपुर पहुँच गए। पालमपुर के छात्रावास में हमें रहने के लिए स्थान मिल गया। छात्रावास का भवन सड़क के किनारे बना हुआ है। पास में ही हिमाचल प्रदेश का कृषि विश्वविद्यालय है। लगभग सभी पहाड़ियाँ घने वृक्षों से ढकी हुई हैं। धौलाधार की ऊँची-ऊँची पहाड़ियाँ यहाँ से साफ़ नज़र आती हैं। जून के महीने में भी रात को काफी सरदी थी जिसके कारण हमें कंबल किराए पर लेने पड़े। अगले दिन हम धर्मशाला के लिए रवाना हुए। लगभग 12.00 बजे हम धर्मशाला पहुँचे। हम धर्मशाला से आगे मतलोडगंज भी गए। यह इस क्षेत्र की सबसे ऊँची पहाड़ी है। यहीं पर धार्मिक नेता दलाईलामा का निवास स्थान तथा प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर है। इस क्षेत्र के चारों ओर चीनार के ऊँचे-ऊँचे वृक्ष हैं। सामने की पहाड़ियाँ बर्फ से ढकी रहती हैं। लगभग दो बजे जोरदार वर्षा हुई जिससे सरदी काफी बढ़ गई। हमने वहाँ रात एक होटल में काटी। अगले दिन हम पहाड़ियों से उतरते हुए नीचे धर्मशाला में आए। यह काफी बड़ा नगर है। पहाड़ियों पर बने हुए घर काफी सुंदर लगते हैं। यहाँ का पार्क तो बहुत ही सुंदर है जो कि शहीद हुए सैनिकों की याद में बनाया गया है। यहाँ पर भी आस-पास पहाड़ी झरने, सुंदर वृक्ष और छोटी पहाड़ियाँ हैं। दो दिन यहाँ पर रहने के बाद हम लौट पड़े। धर्मशाला से लेकर नंगल तक सारा रास्ता पहाड़ी है। मार्ग में हमने काँगड़ा, ज्वालाजी तथा चिंतपूर्णी के प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन किए। इस प्रकार से हमारी पर्वतीय यात्रा काफी रोचक रही।
माता जी और पिता जी को मेरी ओर से प्रणाम कहना।

आपका अभिन्न मित्र,
पंकज।

पता-
श्री अरविंद कुमार,
426/7, अर्बन एस्टेट, गुड़गाँव।

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50. अपने छोटे भाई को पत्र लिखकर उसे सादगी और सदाचार की प्रेरणा दीजिए।

215, तिलक नगर,
नई दिल्ली-110018
3 मार्च, 20….

प्रिय रोहित,
प्रसन्न रहो।
कल ही मुझे पिता जी का पत्र मिला। यह जानकर बहुत दुःख हुआ कि तुम आजकल पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं दे रहे हो बल्कि फैशन की होड़ करने और फिल्में देखने में अपना समय नष्ट कर रहे हो। मैं जानता हूँ कि यह तुम्हारे खाने-पीने और खेलने के दिन हैं। इस आयु में अच्छे कपड़े पहनने और श्रृंगार करने का मन करता है। मैं यह भी नहीं कहता कि तुम सुंदर कपड़े न पहनो और फिल्में न देखो लेकिन प्रत्येक बात की सीमा भी होती है। संस्कृत में कहा गया है-‘अति सर्वत्र वर्जयेत’ अर्थात हर चीज़ की अति बुरी होती है। बनाव-सिंगार करने तथा अच्छा खाने-पहनने के साथ परिवार की आर्थिक स्थिति का भी तो ध्यान रखना चाहिए।

तुम्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि हमारे परिवार में अकेले पिता जी कमाने वाले हैं। हमारे घर की आर्थिक स्थिति कोई अधिक अच्छी नहीं है। मुझे भी छात्रावास को छोड़कर प्राइवेट कमरे में रहना पड़ रहा है। मैं तो खाना भी अपने हाथों से बनाता हूँ। घर पर माता जी भी अस्वस्थ रहती हैं। हमारी दो बहनें भी कॉलेज में पढ़ रही हैं। ऐसी स्थिति में घर की सारी व्यवस्था पिता जी को ही करनी पड़ती है। पिता जी के खून-पसीने की कमाई को फैशन और बनाव-सिंगार में खर्च करना तुम्हें शोभा नहीं देता।

हमारी संस्कृति का प्रमुख गुण है-सादा जीवन उच्च विचार। इस आदर्श पर चलकर आत्मा उज्ज्वल, मन शुद्ध और बुद्धि निर्मल होती है। संसार में जिन महापुरुषों ने नाम कमाया है, उन्होंने सादगी को ही अपनाया था। गांधी जी ने एक लँगोटी पहनकर देश को स्वतंत्र कराया। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने गांधी जी का अनुसरण करते हुए सभी सुख और आराम छोड़ दिए। श्री लालबहादुर शास्त्री का उदाहरण हमारे सामने है। मदर टेरेसा की मिसाल भी भुलाई नहीं जा सकती। ऐसे न जाने और कितने उदाहरण हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि सादगी से मनुष्य अपने जीवन का समुचित विकास कर सकता है।

मुझे पूरा विश्वास है कि जिस प्रकार पहले तुम मेरी बातों को मानते रहे हो, इस बार भी मेरी सलाह की ओर ध्यान दोगे। सदाचार और सादगी का आदर्श अपनाने से तुम्हारा अपना जीवन तो सुखी होगा ही, माता-पिता को भी प्रसन्नता मिलेगी।

तुम्हारा अग्रज,
कृष्ण कुमार।

पता
……………..
……………..

51. विद्यालय में हुए वार्षिकोत्सव का वर्णन करते हुए अपने पिता जी को एक पत्र लिखिए।

1920, नेहरू छात्रावास,
हिसार।
21 जनवरी, 20….

पूज्य पिता जी,
सादर प्रणाम। पिछले सप्ताह ही आपका पत्र मिला लेकिन मैं उत्तर नहीं दे सका। इसके लिए मैं क्षमा याचना करता हूँ। वस्तुतः पिछले पूरे सप्ताह मैं विद्यालय के वार्षिकोत्सव में व्यस्त रहा। इसलिए पत्र लिखने में देरी हुई।

18 जनवरी, 20…. को हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव था। इससे एक सप्ताह पहले से ही विद्यालय में सजावट और सफाई का काम प्रारंभ हो गया था। आप तो जानते ही हैं कि मैं विद्यालय की छात्र परिषद् का अध्यक्ष हूँ। अतः अध्यापकों, विशेषकर, मुख्याध्यापक ने इस उत्सव का अधिकांश कार्यभार मुझे सौंप दिया था। मैं अपने कुछ मित्रों के साथ इस उत्सव की तैयारी में लगा रहा।

18 जनवरी को हमारा विद्यालय नई-नवेली दुल्हन के समान सजा हुआ था। मुख्य द्वार से लेकर विद्यालय के हॉल तक रंग-बिरंगी झंडियाँ लगी हुई थीं। विद्यालय का सारा भवन चमक रहा था। स्काउट, एन०सी०सी० तथा एन०एस०एस० के विद्यार्थी अपनी-अपनी वर्दियाँ पहने हुए मार्ग के दोनों ओर खड़े थे। विद्यालय के मुख्य हॉल को अच्छी तरह सजाया गया था। मुख्य अतिथि के आते ही बैंड वाले छात्रों ने स्वागत की ध्वनि बजाई। मुख्याध्यापक तथा नगर के अधिकारियों ने मुख्य अतिथि को फूल-मालाएँ पहनाईं। उनके स्थान ग्रहण करते ही सरस्वती वंदना के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। तत्पश्चात, मुख्याध्यापक ने स्कूल की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ी। स्कूल के योग्य छात्रों को पुरस्कार बाँटे गए। मुझे भी इस अवसर पर पुरस्कार मिला। मुख्य अतिथि ने अपने भाषण में छात्रों को अनुशासन का पालन करने का संदेश दिया। उन्होंने विद्यालय के नए भवन के लिए पचास हज़ार रुपए के अनुदान की भी घोषणा की। इस प्रकार से हमारे विद्यालय का वार्षिक उत्सव मनाया गया। मुख्य अतिथि के जाने के बाद सभा की समाप्ति हुई।

पूज्य पिता जी, मैं अगले महीने घर आऊँगा क्योंकि मुझे आपकी और माता जी की बहुत याद आती है।

आपका पुत्र,
विक्रमजीत।

पता
……………..
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52. अपने मित्र को एक पत्र लिखिए जिसमें महाकुंभ के मेले का वर्णन किया गया हो।

315, ट्रिब्यून कॉलोनी,
अंबाला कैंट।
15 फरवरी, 20….

प्रिय मित्र राकेश,
सप्रेम नमस्कार।
दो दिन पूर्व तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि तुम पिछले सप्ताह ‘वैष्णो देवी’ गए थे। मैं भी आज ही महाकुंभ के मेले से लौटकर आया हूँ। इस पत्र में मैं इस महा मेले का वर्णन कर रहा हूँ।

यह तो तुम्हें ज्ञात ही है कि महाकुंभ के अवसर पर हिंदुओं के लिए प्रयाग स्थान का विशेष महत्त्व है। अतः लाखों की संख्या में हिंदू इलाहाबाद पहुँचते हैं। यद्यपि यात्रियों को असंख्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है तथापि उनके उत्साह में किसी प्रकार की कमी नहीं आती। इस वर्ष फरवरी महीने में कुंभ का पावन पर्व था। लाखों की संख्या में लोग इलाहाबाद पहुँचने लगे। रेल मंत्रालय की ओर से पूरे भारतवर्ष से विशेष रेलगाड़ियाँ चलाई गई थीं। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से विशेष प्रबंध किया गया था। पुलिस के दस्ते पूरी चौकसी रखे हुए थे। स्थान-स्थान पर सरकार की ओर से सस्ते राशन की दुकानें खोली गई थीं। लाखों साधु-संत इस अवसर पर उपस्थित थे। स्थान-स्थान पर धार्मिक प्रवचनों का प्रबंध था।

मैं अपने माता-पिता के साथ महाकुंभ के दूसरे दिन ही पहुंच गया था। बड़ी मुश्किल से हमें धर्मशाला में रहने का स्थान मिला। अगले दिन प्रातः नौ बजे हम त्रिवेणी में पवित्र स्नान करने गए। स्त्रियों के स्नान के लिए अलग व्यवस्था थी। उस दिन हमारे प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भी प्रयाग में स्नान किया। स्नान करने में हमें कोई विशेष असुविधा नहीं हुई। लगभग एक बजे हम पूजा-पाठ समाप्त करके धर्मशाला में लौट आए।

महाकुंभ के मेले का दृश्य देखने योग्य था। श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिक्षण बढ़ती ही जा रही थी। स्त्रियाँ और पुरुष भजन-कीर्तन करते हुए त्रिवेणी की ओर बढ़ रहे थे। विभिन्न घाटों पर पुरोहित दान-दक्षिणा ले रहे थे। अगले दिन प्रातः पुनः स्नान करने के पश्चात हम लोगों ने वापिस आने का निर्णय लिया।

महाकुंभ का मेला भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है। यही नहीं, यह राष्ट्रीय एकता का भी परिचायक है। मेले में सभी जातियों के लोग भाग लेते हैं। यद्यपि लोगों को अनेक कष्ट सहन करने पड़ते हैं तथापि उनकी आध्यात्मिक रुचि कम नहीं होती।
परिवार के सभी लोगों को मेरी ओर से यथायोग्य अभिवादन कहें।

आपका अभिन्न मित्र,
राजीव कुमार।

पता-
श्री राकेश कुमार शर्मा,
27, हाँसी चौक, भिवानी।

53. धूम्रपान की हानियाँ बताते हुए अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखिए।

215, तिलक नगर,
नई दिल्ली-110008
10 अगस्त, 20….

प्रिय मनोज,
प्रसन्न रहो।
कल ही मुझे पिता जी का पत्र मिला। यह जानकर अत्यंत दुःख हुआ कि आजकल तुम कुछ ऐसे लड़कों के साथ रहते हो जो धूम्रपान करते हैं और तुम भी उनके साथ धूमपान करने लगे हो। प्रिय मनोज, तुम्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है। धूम्रपान से मानव के फेफड़ों तथा गले में कैंसर हो जाता है। श्वास नली नष्ट हो जाती है। धूम्रपान से हमारे सारे शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जो व्यक्ति धूम्रपान का आदी हो जाता है, वह बाद में उसके बिना नहीं रह सकता। इसलिए मैं बड़ा होने के नाते तुम्हें परामर्श देता हूँ कि तुम धूम्रपान करना छोड़ दो और अपने स्वास्थ्य एवं पढ़ाई पर पूरा ध्यान लगाओ। स्वस्थ व्यक्ति ही जीवन में सफल हो सकता है। मुझे आशा है कि तुम मेरी इन बातों पर ध्यान दोगे।
माता-पिता को सादर चरण वंदना और रुचिका को प्यार।

तुम्हारा भाई,
अश्विनी कुमार।

HBSE 9th Class Hindi रचना पत्र-लेखन

54. किसी अपरिचित को खोई वस्तु लौटाने के लिए आभार प्रदर्शन करते हुए पत्र लिखिए।

236, इब्राहिम मंडी,
करनाल।
18 सितंबर, 20….

आदरणीय शर्मा जी,
सादर वंदना।
कल मुझे अपने खोए हुए ड्राइविंग लाइसेंस के डाक द्वारा प्राप्त होने पर बहुत प्रसन्नता हुई। यह लाइसेंस रोहतक बस अड्डे पर खड़ी बस की सीट पर रह गया था। आपने यह लौटाकर मुझ पर अपार कृपा की है। यदि यह आप जैसे देवतुल्य व्यक्ति के हाथ न पड़ता तो मेरे लिए इसे प्राप्त करना असंभव हो जाता। ड्राइविंग लाइसेंस का साथ रखना अति अनिवार्य है।

आपने इसे डाक द्वारा भेजने का जो कष्ट किया है उसके लिए मैं आपका अति आभारी हूँ। आपने जो डाक-व्यय किया है उससे मैं और भी उपकृत हो गया हूँ। आज के युग में आप जैसे निःस्वार्थ और निष्काम भाव से परहित के कार्य करने वाले बहुत कम लोग समाज में हैं।
मेरे योग्य कोई सेवा हो तो अवश्य लिखना।

भवदीय,
प्रतीक गुप्ता।

सेवा में,
श्री द्वारिका प्रसाद शर्मा,
15, नेहरू कॉलोनी, रोहतक।

55. अपनी माता जी को पत्र लिखिए जिसमें उनके स्वास्थ्य की कुशलता के बारे में पूछा गया हो।

कमला कॉलोनी
करनाल।
15 अप्रैल, 20….

पूज्य माता जी,
सादर चरण वंदना।
कल ही रंजना दीदी का पत्र मिला। पढ़कर घर की स्थिति का पता चला कि पिता जी का स्थानांतरण जींद हो गया है। उनके जींद जाने के बाद आप पर घर के कामों का बोझ बढ़ गया है। आपका स्वास्थ्य तो पहले ही ठीक नहीं था। मुझे चिंता लगी रहती है कि काम की अधिकता के कारण कहीं आप फिर बीमार न पड़ जाएँ। इसलिए मैं तो यही कहूँगा कि घर के काम के लिए आप सारे समय के लिए एक नौकर रख लें जिससे आपकी काम में सहायता हो जाएगी।

आदरणीय माता जी, अगले महीने मेरी वार्षिक परीक्षा होगी इसलिए मैं घर नहीं आ सकता। मैं परीक्षा समाप्त होने पर ही घर आऊँगा। इसलिए आप ठीक समय पर दवाई लेती रहना और समय-समय पर डॉक्टर की सलाह भी लेती रहना। आप पत्र द्वारा अपने स्वास्थ्य की सूचना अवश्य देना।
दीदी को सादर नमस्ते एवं मोंटू को प्यार कहना।

पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में,
आपका बेटा,
राजेश शर्मा।

पता-
श्रीमती विद्या देवी शर्मा
श्याम नगर,
कुरुक्षेत्र।

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