HBSE 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

HBSE 10th Class Hindi जॉर्ज पंचम की नाक Textbook Questions and Answers

Kritika Chapter 2 Class 10 HBSE प्रश्न 1.
सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है?
उत्तर-
सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है, वह उनकी गुलाम मानसिकता को दर्शाती है। उनकी इस मानसिकता से पता चलता है कि वे स्वतंत्र होकर भी अंग्रेजों के प्रभाव से प्रभावित हैं। उन्हें अपने उस मेहमान की नाक बहुमूल्व लगती है जिसने भारतवर्ष को गुलाम बनाया और अपमानित किया। उनके पास जॉर्ज पंचम जैसे लोगों के बरे कार्यों को उजागर कर विरोध करने का साहस नहीं है। वे उन्हें सम्मान देकर अपनी दासता की भावना को प्रमाणित करना चाहते हैं। इस पाठ में लेखक ने भारतीय संस्कृति की ‘अतिथि देवोभव’ की परंपरा पर प्रश्नचिह्न अवश्य लगा दिया। उसका कथन है कि अतिथि का सम्मान करना उचित है, किंतु अपने सम्मान की बलि देकर नहीं।

जॉर्ज पंचम की नाक Summary HBSE 10th Class प्रश्न 2.
रानी एलिज़ाबेथ के दरज़ी की परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे?
उत्तर-
रानी एलिज़ाबेथ के दरजी की परेशानी का कारण रानी के द्वारा भारत, नेपाल और पाकिस्तान के दौरे के समय पहनी जाने वाली पोशाकों की विविधता, सुंदरता और आकर्षण था। इन पोशाकों में रानी कैसी लगेगी? दरज़ी की परेशानी उसकी अपनी दृष्टि से तर्कसंगत थी। हर व्यक्ति अपने द्वारा किए गए कार्य को सर्वश्रेष्ठ रूप में प्रस्तुत करना चाहता है ताकि वह दूसरों द्वारा की गई प्रशंसा को सहज रूप में बटोर सके। एलिज़ाबेथ उस देश की रानी थी जिसने उन देशों पर राज्य किया था जहाँ अब वह दौरे पर आ रही थी। हर व्यक्ति की दृष्टि में पहली झलक शारीरिक सुंदरता एवं वेशभूषा की होती है। इसी कारण वह बाहर से आने वाले व्यक्ति के विषय में अपना मत बनाता है। यही कारण है कि दरज़ी रानी के लिए अति सुंदर एवं आकर्षक पोशाक बनाना चाहता था। यही उसकी परेशानी का कारण भी था।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

Class 10 Kritika Chapter 2 HBSE प्रश्न 3.
‘और देखते ही देखते नयी दिल्ली का काया पलट होने लगा’-नयी दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे?
उत्तर-
जब इंग्लैंड की रानी एलिज़ाबेथ ने भारत की यात्रा करने का निश्चय किया तो भारत सरकार की प्रसन्नता का कोई ठिकाना न रहा। नई दिल्ली की शोभा के माध्यम से सारे देश की झलक दिखाने का भाव उत्पन्न हो गया। नई दिल्ली की सड़कें टूटी-फूटी और धूल से भरी हुई थीं। उन्हें साफ करके उनकी मुरम्मत की गई होगी। पुराने भवनों को भी संवारा व सजाया गया होगा। हर चौराहे को रानी के स्वागत हेतु बंदनवार और फूलों से सजाया गया होगा। रानी के स्वागत के लिए रंग-बिरंगे बोर्ड तैयार किए गए होंगे। सड़कों के किनारे सुंदर-सुंदर पौधों से सजे हुए गमलों को रखा गया होगा। सड़कों पर पानी का छिड़काव किया गया होगा।

Kritika Class 10 Chapter 2 HBSE प्रश्न 4.
आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है
(क) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं? (ख) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?
उत्तर-
(क) आज की पत्रकारिता चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों के बारे में कुछ-न-कुछ लिखने में गर्व अनुभव करती है। ऐसी पत्रकारिता से सामान्य लोगों को उन लोगों के निजी जीवन के संबंध में शाब्दिक जानकारी तो अवश्य मिलती है, जिनके बारे में वे न जाने क्या-क्या सोचते रहते हैं। उनके जीवन के विषय में कुछ-न-कुछ जानने का अहसास अवश्य कर सकते हैं। ऐसी पत्रकारिता से मनोरंजन भी होता है। किंतु ऐसी खबर को अखबार की प्रमुख खबर के रूप में नहीं छापना चाहिए।

(ख) इस प्रकार की पत्रकारिता आम जनता को रहन-सहन के तौर-तरीके और फैशन के प्रति अवश्य जागरूक करती है किंतु इसका कभी-कभी इतना अधिक प्रभाव पड़ता है कि युवक-युवतियाँ पढ़ाई-लिखाई की अपेक्षा फैशन की ओर अधिक ध्यान देने लगते हैं। ऐसे युवक व युवतियाँ वास्तविकता की अपेक्षा दिखावे पर अधिक विश्वास करने लगते हैं।

Class 10 Kritika Chapter 2 Question Answer HBSE प्रश्न 5.
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?
उत्तर-
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने अनेक यत्न किए। उसने सबसे पहले वैसा ही पत्थर खोजने के लिए देश-भर के पर्वत छान डाले जिससे उसकी मूर्ति बनी हुई थी। सरकारी फाइलें भी ढूँढी ताकि वहाँ से कोई अता-पता चल सके। देश भर के महान् पुरुषों की बनी प्रतिमाओं की नाकों का नाप भी लिया गया पर वे उससे बड़ी थीं। अंत में किसी की जीवित नाक काटकर जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर लगा दी गई।

जॉर्ज पंचम की नाक प्रश्न उत्तर HBSE 10th Class प्रश्न 6.
प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए ‘फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी हैं।’ ‘सब हुक्कामों ने एक-दूसरे की तरफ ताका।’ पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी में मौजूदा व्यवस्था पर चोट करने वाले निम्नलिखित कथन आए हैं-
(क) शंख इंग्लैंड में बज रहा था, गूंज हिंदुस्तान में आ रही थी।
(ख) गश्त लगती रही और लाट की नाक चली गई।
(ग) सभी सहमत थे कि यदि लाट की नाक नहीं तो हमारी भी नाक नहीं रह जाएगी।
(घ) फाइलों के पेट चीरे गए परंतु कुछ भी पता न चला।
(ङ) हर हालत में इस नाक का होना बहुत ज़रूरी है।
(च) लानत है आपकी अक्ल पर। विदेशों की सारी चीजें हम अपना चुके हैं।
(छ) लेकिन बड़ी होशियारी से।

George Pancham Ki Naak Important Questions HBSE 10th Class प्रश्न 7.
नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए।
उत्तर-
लेखक का प्रमुख लक्ष्य ही नाक को मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक सिद्ध करना रहा है। जॉर्ज पंचम भारत पर विदेशी शासन का प्रतीक है। उनकी लाट यानि प्रतिमा से नाक चली जाना उनका अपमान है। इसका अर्थ यह हुआ कि स्वतंत्र भारत में जॉर्ज पंचम की नीतियों को भारत विरोधी मानकर उनका खंडन किया गया है।
रानी एलिज़ाबेथ के भारत आगमन पर सभी सरकारी अधिकारी अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध अपनी नाराजगी जाहिर करने की अपेक्षा उसकी आराधना में जुट गए। यह कार्य भारत की नाक कटने के समान था। जॉर्ज पंचम विदेशी शासक था। उसकी नीतियाँ भारत-विरोधी थीं। इसलिए उसकी नाक किसी भारतीय सेनानी से छोटी थी। इसके बावजूद सरकारी अधिकारी उसकी नाक लगाने के लिए कटिबद्ध दिखाई देते हैं। उसकी नाक लगाने के लिए हज़ारों-लाखों रुपए खर्च कर दिए। अंत में कोई जीवित नाक उस पर लगा दी गई। इससे तो भारतीयों की नाक और भी कट गई।

George Pancham Ki Naak Summary HBSE 10th Class प्रश्न 8.
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है?
उत्तर-
जॉर्ज पंचम की नाक सभी भारतीय नेताओं और भारतीय बच्चों की नाक से छोटी थी, के माध्यम से लेखक ने बताया है कि भारतीय नेताओं और बलिदान देने वाले बच्चों का मान-सम्मान जॉर्ज पंचम की नाक से अधिक था। गाँधी, लाला लाजपतराय, सुभाषचंद्र बोस, नेहरू आदि नेता तो निश्चित रूप से जॉर्ज पंचम से कहीं अधिक सम्माननीय थे। यह संकेत करना ही यहाँ लेखक का लक्ष्य रहा है।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 HBSE प्रश्न 9.
अखबारों ने जिंदा नाक लगाने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?
उत्तर-
अखबारों ने जिंदा नाक लगाने की खबर को केवल इतना ही प्रस्तुत किया कि नाक का मसला हल हो गया है। राजपथ पर इंडियागेट के पास वाली जॉर्ज पंचम लाट के नाक लग रही है।

Hindi Class 10 Chapter 2 Kritika HBSE प्रश्न 10.
“नयी दिल्ली में सब था……..सिर्फ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर-
इस कथन के माध्यम से लेखक ने बताया है कि देश में स्वतंत्रता के पश्चात् दिल्ली में हर प्रकार की सुख-सुविधा थी। केवल जॉर्ज पंचम का अभिमान और मान-मर्यादा की ऊँची नाक नहीं थी। अंग्रेजी राज्य में उनकी यहाँ तूती बोलती थी। उन्हीं का आदेश चलता था, किंतु अब इंडिया गेट के पास वाली उनकी मूर्ति की नाक भी शेष नहीं बची थी।

Kritika Class 10 Chapter 2 Question Answer HBSE प्रश्न 11.
जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?
उत्तर-
जॉर्ज पंचम की मूर्ति को चालीस करोड़ भारतीयों में से किसी एक की जिंदा नाक लगाने की जिम्मेदारी मूर्तिकार ने ली थी। अखबारों में खबर छप गई कि नाक लगा दी गई। उस दिन भारतीयों को लगा कि उन सबकी नाक कट गई। संपूर्ण भारतीय जनता का बहुत बड़ा अपमान हुआ। आज देश में उस व्यक्ति की मूर्ति को जिंदा नाक लगा दी गई, जिसने सारे भारत को गुलामी की जंजीरों में बाँधे रखा था। इसलिए इस अपमानजनक घटना के बाद अखबार चुप थे। अपमान की पीड़ा से व्याकुल होने के कारण उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं था। इसलिए उस दिन सभी अखबार चुप रहे।

HBSE 10th Class Hindi जॉर्ज पंचम की नाक Important Questions and Answers

George Pancham Ki Naak Class 10th HBSE  प्रश्न 1.
मूर्तिकार लाट की नाक लगाने के लिए तैयार क्यों हुआ था?
उत्तर-
मूर्तिकार भारतीय था। प्रत्येक भारतीय की भाँति उसमें भी भारतीयता की भावना विद्यमान थी। किंतु वह धन की दृष्टि से विवश था अर्थात् उसके पास धन का अभाव था। खाली-पेट मनुष्य से कौन-सा काम नहीं करवाया जा सकता। अपनी गरीबी की विवशता के कारण ही मूर्तिकार लाट की नाक लगाने के लिए तैयार हुआ था।

प्रश्न 2.
इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ के भारत आगमन के समय भारतीय अखबारों में क्या छप रहा था?
उत्तर-
इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ के भारत आगमन पर भारतीय अखबारों में यहाँ की जाने वाले तैयारियों की खबरें छप रही थीं। रानी के द्वारा पहने जाने वाले वस्त्रों का वर्णन भी अखबारों में पढ़ा जा सकता था। रानी की जन्म-पत्री, प्रिंस फिलिप के कारनामे, शाही नौकरों, बावरचियों और अंगरक्षकों की लंबी-लंबी चर्चा छपती थी। साथ ही शाही महल के कुत्तों की तस्वीरें भी छपती थीं।

प्रश्न 3.
जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक कैसे और कहाँ चली गई थी?
उत्तर-
एक समय था कि दिल्ली में इस विषय पर जोरदार बहस होती थी कि हिंदुस्तान को गुलामी देने वाले जॉर्ज पंचम की नाक रहे या न रहे। इस संबंध में राजनीतिक दलों ने प्रस्ताव पास किए, नेताओं ने लंबे-चौड़े भाषण झाड़े, गर्मागर्म बहसें हुईं और अखबारों के पन्ने रंग गए। कुछ लोग इस पक्ष में थे कि नाक नहीं रहनी चाहिए और कुछ लोग इसका विरोध भी कर रहे थे। इस आंदोलन को देखते हुए जॉर्ज पंचम की लाट (मूर्ति) पर पहरेदार तैनात कर दिए गए। किसी की क्या मज़ाल कि कोई नाक तक पहुँच भी सकता। किंतु उन्हीं हथियारबंद पहरेदारों की उपस्थिति में लाट की नाक चली गई। पहरेदारों के द्वारा गश्त लगाते हुए उनकी नाक के नीचे से लाट की नाक कौन ले गया और कहाँ गई, यह पता न चल सका।

प्रश्न 4.
‘प्रस्तुत पाठ में सरकारी सुरक्षा तंत्र का मज़ाक उड़ाया गया है’-सिद्ध कीजिए।
उत्तर-
लेखक ने सरेआम सरकारी सुरक्षा तंत्र का मज़ाक उड़ाया है। यह कैसा आश्चर्य है कि हथियारबंद पहरेदार हर वक्त मूर्ति का पहरा देते रहे, उनकी गश्त चलती रही। फिर भी जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक चोरी हो गई। किसी को इस बात की भनक तक नहीं लगी। इससे पता चलता है कि सरकारी सुरक्षा तंत्र कितना बेकार एवं निकम्मा है।

प्रश्न 5.
रानी एलिज़ाबेथ के भारत आगमन के समय कौन-सी मुसीबत आ पड़ी थी?
उत्तर-
रानी एलिज़ाबेथ के आगमन से कुछ समय पहले जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक चोरी हो गई थी। रानी आकर जब उस मूर्ति को देखती तो भारतीयों के विषय में क्या सोचती। बस यह नाक-कटना ही उस समय भारतीय प्रशासन की सबसे बड़ी समस्या बन गई थी। उस कटी हुई नाक के स्थान पर वैसी ही नाक कैसे लगाई जाए? ।

प्रश्न 6.
आपकी दृष्टि में नई दिल्ली की कायापलट क्यों और कैसे होने लगी थी?
उत्तर-
भारतवर्ष में इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ का दौरा होने वाला था। वह भारत में अपने पति के साथ आ रही थी। भारत के शासक उनका शाही स्वागत करना चाहते थे। इसलिए नई दिल्ली को पूरी तरह सजा देना चाहते थे। वहाँ की धूल भरी
और टूटी सड़कों की मुरम्मत करवाई गई, पुराने भवनों को भी सजाया गया, स्थान-स्थान पर बंदनवार बनाए गए। इस प्रकार नई दिल्ली की कायापलट हो गई थी।

प्रश्न 7.
मूर्तिकार जॉर्ज के नाप की नाक की खोज में देश-दौरे पर किस-किस प्रांत में पहुँचा?
उत्तर-
मूर्तिकार जॉर्जे के नाम की नाक की खोज के लिए गुजरात, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मद्रास, पंजाब, दिल्ली आदि प्रदेशों में पहुंचा था, किन्तु उसे कुछ नहीं मिला था।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

प्रश्न 8.
सभापति ने किस आधार पर कहा था कि हम भारतवासियों ने अंग्रेजी सभ्यता को स्वीकार कर लिया है?
उत्तर-
भारत देश पूर्णतः आजाद हो गया है। अंग्रेज़ी शासन भी यहाँ से जा चुका है। किंतु अब भी यहाँ पर अंग्रेज़ों का प्रभाव पूरी तरह से बना हुआ है। जब मूर्तिकार ने सभापति को बताया कि जिस पत्थर से जॉर्ज पंचम की मूर्ति बनी है, वह पत्थर विदेशी है और यहाँ के पर्वतों के पत्थरों से वह मेल नहीं खाता। तो तैश में आकर सभापति ने कहा था कि लानत है आपकी अक्ल पर। विदेशों की सारी चीजें हम अपना चुके हैं-दिल दिमाग, तौर-तरीके और रहन-सहन, जब हिंदुस्तान में बाल डांस तक मिल जाता है तो पत्थर क्यों नही मिल सकता? अंग्रेज़ी सभ्यता के प्रभाव के कारण ही शुभचिंतक लाट की टूटी हुई नाक की जगह नई नाक लगवाना चाहते हैं।

प्रश्न 9.
मूर्तिकार ने मूर्ति की नाक के लिए उपयुक्त पत्थर प्राप्त ना कर पाने का क्या कारण बताया था?
उत्तर-
मूर्तिकार ने लाट की नाक के लिए उचित पत्थर प्राप्त करने के लिए देश के सभी पर्वतीय क्षेत्रों का भ्रमण किया था। पत्थरों की खादानों में भी खोजबीन की थी, पर उसे मूर्ति की नाक के लिए उपयुक्त पत्थर नहीं मिला था। तो उसने इसका कारण बताते हुए कहा कि वह पत्थर विदेशी था ।

प्रश्न 10.
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ शीर्षक पाठ का उद्देश्य निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ नामक पाठ में लेखक का प्रमुख उद्देश्य स्वाभिमानशून्य भारतीय शासकों पर करारा व्यंग्य करना है। लेखक स्वतंत्र भारत के उन शासकों को मज़ाक करता है जो अपने आत्म-सम्मान को भूल चुके हैं। वे अतीत में हुए अपने अपमान को भूलकर अन्यायी एवं हमें गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों के सम्मान में लगे हुए हैं। उन्हें भारतीय महापुरुषों, शहीदों, संघर्ष करने वालों, बच्चों तथा स्त्रियों की कोई चिंता नहीं है। उन्हें चिंता है तो बस इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ के स्वागत की। वे भूल चुके हैं कि इसी महारानी ने हमें कभी गुलाम बनाया था। साथ ही लेखक ने सरकारी कार्य-प्रणाली पर भी व्यंग्य किया है। सरकार के सभी कार्य सरसरी तौर पर किए जाते हैं। सभी अधिकारी अपनी ज़िम्मेदारी दूसरों पर डाल देते हैं। अंत में गाज गिरती है छोटे कर्मचारियों पर। वे मौके पर क्षमा माँगकर ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ देते हैं। अतः स्पष्ट है कि लेखक का उद्देश्य भारतीयों में आत्म – सम्मान की भावना जगाना और कर्त्तव्यनिष्ठ बनाने की प्रेरणा देना भी है।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ के लेखक का क्या नाम है?
(A) धर्मवीर भारती
(B) कमलेश्वर
(C) शिवपूजन सहाय
(D) प्रेमचंद
उत्तर-
(B) कमलेश्वर

प्रश्न 2.
समाज में ‘नाक’ किसका प्रतीक मानी जाती है?
(A) धन का
(B) महानता का
(C) इज्जत का
(D) सुंदरता का
उत्तर-
(C) इज्जत का

प्रश्न 3.
जॉर्ज पंचम कौन था?
(A) अंग्रेज़ अधिकारी
(B) अंग्रेज़ लेखक
(C) अंग्रेज़ व्यापारी
(D) अंग्रेज़ पत्रकार
उत्तर-
(A) अंग्रेज़ अधिकारी

प्रश्न 4.
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ नामक कहानी के अनुसार कहाँ की रानी भारत में आने वाली थी?
(A) अमेरिका की
(B) इंग्लैंड की
(C) नेपाल की
(D) श्रीलंका की
उत्तर-
(B) इंग्लैंड की

प्रश्न 5.
रानी के पहुंचने से पहले किन लोगों की फौज तैयार की गई थी?
(A) सिपाहियों की
(B) नौकरों की
(C) फोटोग्राफरों की
(D) पत्रकारों की
उत्तर-
(C) फोटोग्राफरों की

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

प्रश्न 6.
‘कायापलट होना’ का क्या अर्थ है?
(A) शरीर बदल जाना
(B) काया का समाप्त होना
(C) नियम बदल देना
(D) पूर्णतः परिवर्तन होना
उत्तर-
(D) पूर्णतः परिवर्तन होना

प्रश्न 7.
लेखक के अनुसार कुछ नाकों को उतारकर कहाँ पहुँचा दिया गया?
(A) अजायब घरों में
(B) विद्यालयों में
(C) कैद खानों में
(D) कार्यालयों में
उत्तर-
(A) अजायब घरों में

प्रश्न 8.
‘फाइलों के पेट चीरना’ का क्या अभिप्राय है?
(A) फाइलों को फाड़ देना ।
(B) फाइलों को काट देना
(C) फाइलों को आदि से अंत तक पढ़ना
(D) फाइलों को बंद करना
उत्तर-
(C) फाइलों को आदि से अंत तक पढ़ना

प्रश्न 9.
प्रस्तुत कहानी में मूर्तिकार ने किन बच्चों का उल्लेख किया है?
(A) नालायक बच्चों का
(B) सन् 1942 में शहीद होने वाले बच्चों का
(C) खेल में प्रथम आने वाले बच्चों का
(D) शिक्षा के क्षेत्र में नाम कमाने वाले बच्चों का
उत्तर-
(B) सन् 1942 में शहीद होने वाले बच्चों का

प्रश्न 10.
अंत में मूर्तिकार ने जॉर्ज पंचम की लाट पर कैसी नाक लगाने का निर्णय लिया था?
(A) जिंदा नाक लगाने का
(B) पत्थर की नाक लगाने का।
(C) कागज़ की नाक लगाने का
(D) प्लास्टिक की नाक लगाने का
उत्तर-
(A) जिंदा नाक लगाने का

प्रश्न 11.
जॉर्ज पंचम की नाक लगाने की परेशानी से भारतीयों की कैसी मानसिकता झलकती है?
(A) आत्म सम्मान की
(B) गुलामी की
(C) कायरता की
(D) गर्व की
उत्तर-
(B) गुलामी की

प्रश्न 12.
‘नाक कट जाना’ का क्या अर्थ है?
(A) बेइज्जती होना
(B) नाक न रहना
(C) नाक पर ज़ख्म होना
(D) नाक पर चोट आना
उत्तर-
(A) बेइज्जती होना

प्रश्न 13.
जॉर्ज पंचम की लाट कहाँ स्थित थी?
(A) राजपथ पर
(B) मध्य पथ पर
(C) उत्तरी पथ पर
(D) रिंग रोड़ पर
उत्तर-
(A) राजपथ पर

प्रश्न 14.
मूर्तिकार की विवशता का क्या कारण था?
(A) लालच
(B) गरीबी
(C) बीमारी
(D) आत्मप्रशंसा
उत्तर-
(B) गरीबी

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

प्रश्न 15.
जॉर्ज पंचम की नाक काटने के पीछे प्रमुख कारण क्या रहा होगा?
(A) धन का लालच
(B) जॉर्ज पंचम का अपमान करना
(C) भारतीयों के अपमान का बदला लेना
(D) अंग्रेजों की नाक को पसंद न करना
उत्तर-
(C) भारतीयों के अपमान का बदला लेना

जॉर्ज पंचम की नाक Summary in Hindi

जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का सार

प्रश्न-
जॉर्ज पंचम की नाक’ शीर्षक पाठ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी में श्री कमलेश्वर जी ने भारतीयों की गुलाम मानसिकता पर करारा व्यंग्य किया है। भले ही आज हम स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र नागरिक हैं, किंतु आज भी हम विदेशी लोगों की जी-हुजूरी करने में अपना बड़प्पन समझते हैं। समाज में नाक इज्जत व सम्मान की प्रतीक मानी गई है। नाक को लेकर अनेक मुहावरों की रचना की गई है, यथा-नाक कटवाना, नाक कटना, ऊँची नाक, नाक रखना आदि। यहाँ ‘नाक कटना’ मुहावरे के अर्थ का विस्तार करते हुए इसका प्रयोग किया गया है। सारा व्यंग्य इस मुहावरे के इर्द-गिर्द घूमता है। प्रस्तुत पाठ में सत्ता से जुड़े हुए लोगों की गुलाम मानसिकता और विदेशी आकर्षण पर गहरी चोट की गई है। पाठ का सार इस प्रकार है

बात उन दिनों की है, जब इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय अपने पति के साथ भारत आ रही है। महारानी के भारत दौरे की खबरें प्रतिदिन अखबारों में छपती थीं। एलिज़ाबेथ के दरज़ी उसकी पोशाक को लेकर परेशान थे। इंग्लैंड के अखबारों की कतरनें यहाँ के अखबारों में खूब प्रकाशित हो रही थीं कि रानी के लिए कौन-सी पोशाक बनाई जा रही हैं? रानी की जन्मपत्री, प्रिंस फिलिप के कारनामे, नौकरों, बावरचियों आदि के साथ-साथ शाही महल के कुत्तों की तस्वीरें भी छप रही थी। रानी के आगमन को लेकर भारतवर्ष में सनसनी मची हुई थी। रानी के स्वागत के लिए तैयारियाँ धूम-धाम से हो रही थीं। देखते-ही-देखते दिल्ली की कायापलट हो रही थी। सड़कों की सफाई व मुरम्मत भी हो रही थी। सभी मुख्य इमारतें भी सजाई जा रही थीं।

एकाएक समस्या सामने आ खड़ी हुई कि जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक गायब थी। पहले भी इस संबंध में राजनीतिक आंदोलन और बहसें हो चुकी थीं, किंतु राजनीतिक आंदोलन कभी किसी समस्या का समाधान नहीं कर सकते। कुछ दल नाक लगवाने के पक्ष में थे तो कुछ कटवाने के। इसलिए समस्या ज्यों-की-त्यों बनी रही। किंतु एक हादसा हो गया कि हथियार-बंद जवानों के पहरे के होते हुए भी जॉर्ज पंचम की मूर्ति की नाक कट गई। किंतु रानी के आगमन के समय नाक के कटने का अर्थ तो अपनी नाक कटाने के समान हो गया।

देश के विभिन्न स्थानों पर शुभचिंतकों की मीटिंग बुलाई गई और एक मत होकर कहा गया कि रानी के आने से पहले नाक लग जानी चाहिए। इसी संदर्भ में तुरंत एक मूर्तिकार को बुलाया गया। मूर्तिकार पैसों के मामले में कुछ लाचार था। उसने अधिकारियों के चेहरों की घबराहट को जान लिया। तभी उसने एक आवाज़ सुनी कि जॉर्ज पंचम की नाक लगानी है। मूर्तिकार ने सहज भाव से उत्तर दिया, “नाक लग जाएगी। पर मुझे यह मालूम होना चाहिए कि यह लाट कब और कहाँ बनी थी। इस लाट के लिए पत्थर कहाँ से लाया गया था?” अधिकारियों के चेहरों की हवाइयाँ उड़ गईं। अंततः पुरातत्त्व विभाग की फाइलों के ढेर-के-ढेर खोले गए, किंतु कुछ भी पता न चल सका। अधिकारी गण फिर परेशान हो गए। एक खास कमेटी का गठन किया गया, उसे नाक लगाने का काम सौंप दिया गया।

मूर्तिकार ने कमेटी को सुझाव दिया कि मैं देशभर के पर्वतों पर जाकर पत्थर की किस्म का पता लगाऊँगा। कमेटी के सदस्यों की जान-में-जान आ गई। सभापति ने भाषण भी जारी कर दिया, “ऐसी क्या चीज़ है जो हिंदुस्तान में मिलती नहीं। हर चीज़ इस देश के गर्भ में छिपी है, ज़रूरत खोज करने की है। खोज करने के लिए मेहनत करनी होगी, इस मेहनत का फल हमें मिलेगा ……आने वाला ज़माना खुशहाल होगा।” यह भाषण हर अखबार में छप गया। मूर्तिकार हर एक पहाड़ की खाक छान आया, किंतु वह कीमती पत्थर न मिल सका। उसने कहा कि यह विदेशी पत्थर है। सभापति उत्तेजित होकर बोला, “लानत है आपकी अक्ल पर! विदेशों की सारी चीजें हम अपना चुके हैं…………तो पत्थर क्यों नहीं मिल सकता?” मूर्तिकार चुप खड़ा रहा।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

बहुत सोचने पर मूर्तिकार के मन में एक विचार कौंध गया। उसने अखबार वालों तक खबर न पहुँचाने की शर्त पर एक सुझाव दिया। देश में अपने नेताओं की मूर्तियाँ भी तो बनाई गई हैं। उनमें से किसी भी नेता की नाक जॉर्ज पंचम की नाक से मिलती-जुलती हो तो उसे ले लिया जाए। पहले तो सभा में सन्नाटा-सा छा गया। फिर सभापति ने कहा कि यह काम ज़रा होशियारी से करना।

मूर्तिकार ने देश का भ्रमण किया। जॉर्ज पंचम की नाक का नाप उसके पास था। उसने दादा भाई नौरोजी, गोखले, तिलक, शिवाजी, सुभाषचंद्र बोस, गाँधीजी, सरदार पटेल, गुरुदेव रवींद्रनाथ, राजा राममोहन राय, चंद्रशेखर आज़ाद, मदनमोहन मालवीय, लाला लाजपतराय, भगतसिंह आदि सबकी मूर्तियों को भली-भाँति देखा और परखा। सबके नाक की माप ली गई पर सबकी नाक जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी थी। वे इस पर फिट नहीं बैठती थी। इस बात से अधिकारी वर्ग में खलबली मच गई। अगर जॉर्ज की नाक न लग पाई तो रानी के स्वागत का कोई अर्थ नहीं था।

अंत में मूर्तिकार ने एक और सुझाव प्रस्तुत किया। एक ऐसा सुझाव जिसका पता किसी को नहीं लगना चाहिए था। देश की चालीस करोड़ जनता में से किसी की जिंदा नाक काटकर मूर्ति पर लगा देनी चाहिए। यह सुनकर सभापति महोदय परेशान हो गए। किंतु उसे इसकी अनुमति दे दी गई। अखबारों में केवल इतना ही छपा कि नाक का मसला हल हो गया है और जॉर्ज पंचम की लाट की नाक लग रही है। नाक लगाने से पहले पहरे का पूरा बंदोबस्त कर दिया गया। मूर्ति के आस-पास का तालाब सुखाकर साफ कर दिया गया। उसकी रवाब (काई) निकाली गई और ताज़ा पानी डाल दिया गया ताकि लगाई जाने वाली नाक जिंदा रह सके, सूख न जाए।

अखबारों में छप गया कि जॉर्ज पंचम की जिंदा नाक लगाई गई है, जो बिल्कुल पत्थर की नहीं लगती। उस दिन अखबारों . में किसी प्रकार के उल्लास और उत्साह की खबर नहीं छपी। किसी का ताज़ा चित्र भी नहीं छपा। ऐसा लगता था कि जॉर्ज पंचम की जिंदा नाक लगने से सारे देशवासियों की नाक कट गई थी। किसी की नाक नहीं बची थी। जिन विदेशियों ने हमारे देश को इतने लंबे समय तक गुलाम बनाकर रखा था, उनकी नाक के लिए हम अपनी नाक कटवाने को क्यों तैयार रहते हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ

(पृष्ठ-10) मय = साथ। चर्चा = बातें होना। शाही-दौरा = राजा-महाराजा का आगमन। सेक्रेटरी = सचिव। तूफानी = तेज़। फौज-फाटा = सेना तथा अन्य शाही कर्मचारी। कतरन = अखबार से काटा हुआ अंश। कारनामे = कार्य। बावरची = रसोइया। खानसामा = शाही महल के रसोईघर का प्रबंधक। सनसनी फैलाना = खलबली मचाना।

(पृष्ठ-11) जान हथेली पर रखना = जीवन को खतरे में डालना। शान-शौकत = ठाठ-बाट। रहमत = कृपा, दया। कायापलट होना = पूर्णतः परिवर्तन होना। करिश्मा = जादू। जवान होना = पुनः सुधार होना। नाज़नीन = कोमल स्त्री। शृंगार = सजावट । उम्मीद = आशा। दास्तान = कहानी। प्रस्ताव पास करना = किसी मत या विचार को समर्थन देना। पन्ने रंगना = बहुत सारा लिखना। विपक्ष = विरोध। अजायबघर = वह स्थान जहाँ पुरानी वस्तुओं को रखा जाता है। लाट = खंभा, मूर्ति। गुरिल्ला युद्ध = जिस युद्ध में छिपकर वार किया जाता है। हादसा = दुर्घटना । एकाएक = अचानक । गश्त लगाना = पहरेदार का घूमना। खैरख्वाह = शुभ कामना करने वाला। मसला = समस्या।

(पृष्ठ-12) मशवरा = सलाह। दिमाग खरोंचना = दिमाग लगाना। फौरन = तुरंत । हाज़िर = उपस्थित । लाचार = मजबूर। हुक्काम = शासक । बदहवास = घबराए हुए। ताका = देखा। छानबीन = जाँच। खता = गलती, दोष। हज़म करना = खा जाना।

(पृष्ठ-13) दारोमदार = जिम्मेदारी। जान में जान आना = आशा के कारण आनंद आना। हताश = उदास, निराश । लानत बरसना = धिक्कार का भाव होना। सिर लटकाना = उदास और हताश होना। चप्पा-चप्पा खोजना = हर जगह ढूँढ़ना। तैश = आवेश। बाल डांस = विदेशी नृत्य का एक प्रकार। आँखों में चमक आना = आशा का भाव जागना। होशियारी = सावधानी।

(पृष्ठ-14) परिक्रमा = चारों ओर चक्कर लगाना। ढाढ़स बँधाना = हिम्मत देना। हैरतअंगेज़ खयाल = हैरान कर देने वाला विचार। कौंधा = अचानक आया। सन्नाटा = चुप्पी। अचकचाना = चौंक उठना। कानाफूसी होना = कानों-ही-कानों में धीमी-धीमी बातें होना।

HBSE 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

(पृष्ठ-15) राजपथ = दिल्ली संसद-भवन के पास का एक राजमार्ग। हिदायत = निर्देश। उद्घाटन = शुरुआत। फीता काटना = शुरुआत करना । सार्वजनिक सभा = आम जनता की सभा। अभिनंदन = स्वागत । मानपत्र भेंट = किसी को सम्मान भेट करना।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *