Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Sangya संज्ञा Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran संज्ञा
विकारी
जिन शब्दों में लिंग, वचन, कारक, काल, वाच्य आदि के कारण परिवर्तन होता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया आदि विकारी शब्द हैं क्योंकि इनके मूल रूप में लिंग, वचन और कारक के कारण परिवर्तन आ जाता है।
संज्ञा
संज्ञा HBSE 10th Class Hindi Vyakaran प्रश्न 1.
संज्ञा की परिभाषा देते हुए उसके भेदों के नाम लिखिए।
उत्तर:
संज्ञा का शाब्दिक अर्थ है-नाम। यह नाम किसी भी वस्तु, व्यक्ति, प्राणी या भाव का हो सकता है। अतः संज्ञा की परिभाषा इस प्रकार से दी जा सकती है-किसी वस्त, स्थान, प्राणी या भाव के नाम का बोध कराने वाले शब्दों को ‘संज्ञा’ कहते हैं; जैसे राम, मोहन, हिमालय, गुलाब, लड़का, मनुष्य, गाय, प्रेम, ऊँचा आदि।
संज्ञा के तीन भेद हैं-
(1) जातिवाचक
(2) व्यक्तिवाचक
(3) भाववाचक।
संज्ञा 10th Class Hindi Vyakaran HBSE प्रश्न 2.
जातिवाचक संज्ञा की परिभाषा देते हुए उसके कुछ उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
जिन शब्दों से किसी जाति के सभी पदार्थों या प्राणियों का बोध हो, उन्हें जातिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे पुस्तक, नदी, पर्वत, गाँव, प्रदेश, सेना आदि जातिवाचक संज्ञाएँ हैं।
(i) घोड़ा, गाय, शेर, कोयल, मोर, बैल आदि पशु-पक्षियों के नाम हैं।
(ii) आम, केला, कमल, गुलाब आदि फल-फूलों के नाम हैं।
(iii) पर्वत, नदी, पुस्तक, पैन, घड़ी आदि वस्तुओं के नाम हैं।
(iv) शिक्षक, लेखक, चित्रकार, लोहार आदि व्यावसायिक नाम हैं।
(v) नगर, गाँव, चौराहा आदि स्थानवाचक नाम हैं।
(vi) लड़का, लड़की, नर, नारी आदि मनुष्य जाति के नाम हैं।
प्रश्न 3.
व्यक्तिवाचक संज्ञा किसे कहते हैं? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जिन शब्दों से किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु आदि के नाम का ज्ञान हो, उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे राम, मोहन, भारत, करनाल, हिमालय, यमुना आदि।
(i) रमेश, सीता, मोहन, सुमन आदि व्यक्तियों के नाम हैं।
(ii) भारत, श्रीलंका, करनाल आदि स्थानों के नाम हैं।
(iii) हिमालय, कैलाश आदि पर्वतों के नाम हैं।
(iv) गंगा, यमुना, सरस्वती, हिंद महासागर आदि नदियों और समुद्रों के नाम हैं।
(v) पद्मावत, रामचरितमानस, साकेत, कामायनी आदि पुस्तकों के नाम हैं।
प्रश्न 4.
भाववाचक संज्ञा की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जिन शब्दों से व्यक्ति, वस्तु आदि के धर्म, गुण, भाव, दशा आदि का बोध होता हो, उन्हें भाववाचक संज्ञा कहा जाता है; जैसे मधुरता, वीरता, बचपन आदि।
(i) मित्रता, सज्जनता, शत्रुता आदि गुण-दोष हैं।
(ii) आनंद, क्रोध, श्रद्धा, भक्ति आदि भाव हैं।
(iii) बचपन, यौवन, बुढ़ापा आदि दशाएँ हैं।
संज्ञा के अन्य दो भेद
प्रश्न 5.
संज्ञा के द्रव्यवाचक एवं समूहवाचक अन्य दो भेदों की उदाहरण सहित परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
1. द्रव्यवाचक: जिन शब्दों से किसी धातु अथवा द्रव्य का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे सोना, चाँदी, लोहा, दूध, तेल पानी आदि।
2. समूहवाचक: जिन शब्दों से व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि के समूह अथवा समुदाय का ज्ञान हो, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे कक्षा, संघ, गाँव आदि। लेकिन अगर हम गहराई के साथ विचार करें तो पता चलता है कि ये जातिवाचक संज्ञा में ही समाहित हो जाते हैं।
व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग
प्रश्न 6.
व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा के रूप में कब और कैसे प्रयुक्त होती है?
उसर-जब अपने विशेष गुणों या अवगुणों के कारण व्यक्तिवाचक संज्ञा अधिक का बोध कराने लगे तब वह जातिवाचक संज्ञा बन जाती है; जैसे-
देश में आज भी जयचंदों और विभीषणों की कमी नहीं है।
इस वाक्य में जयचंद और विभीषण शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ नहीं हैं। यहाँ जयचंद का अर्थ है ‘देशद्रोही लोग’ और ‘विभीषण’ का अर्थ है ‘घर के भेदी’। अतः ये शब्द जातिवाचक हो गए हैं। कुछ अन्य उदाहरण देखिए-
(क) उसकी बात विश्वास करने योग्य है, वह बिल्कुल भीष्म पितामह है।
(ख) कलियुग में हरिश्चंद्र कहाँ मिलते हैं?
(ग) हमें आज जयचंदों पर कड़ी नज़र रखनी होगी।
जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग
प्रश्न 7.
जातिवाचक संज्ञा व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में कैसे प्रयोग होती है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
जब कोई जातिवाचक संज्ञा व्यक्ति विशेष के लिए प्रयुक्त हो, तब वह जातिवाचक संज्ञा होती हुई भी व्यक्तिवाचक संज्ञा बन जाती है; जैसे
(i) भारत गांधी का देश है।
(ii) नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त जातिवाचक संज्ञाएँ ‘गांधी’ और ‘नेहरू’, व्यक्ति विशेष की ओर संकेत कर रही हैं। इसलिए ये जातिवाचक होती हुई भी व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ हैं।
टिप्पणियाँ:
1. जब कभी द्रव्यवाचक संज्ञा शब्द बहुवचन के रूप में द्रव्यों का बोध कराता है, तब वह जातिवाचक संज्ञा बन जाता है; जैसे यह फर्नीचर कई प्रकार की लकड़ियों से बना है।
इसी प्रकार, समूहवाचक संज्ञा जब बहुत-सी समूह इकाइयों का बोध कराती है, तब वे बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं; जैसे
(i) दोनों सेनाएँ आपस में बड़े जोरों से लड़ीं।
(ii) इस गाँव में हरिजनों के घर-परिवार रहते हैं।
2. जब कभी भाववाचक संज्ञा शब्द बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं, तब वे जातिवाचक संज्ञा बन जाते हैं; जैसे-
(i) बुराइयों से सदा बचो।
(ii) आपस में उनकी दूरियाँ बढ़ती गईं।
3. कुछ भाववाचक शब्द मूल शब्द होते हैं; जैसे प्रेम, घृणा आदि। अधिकांश भाववाचक शब्द यौगिक होते हैं; जैसे अच्छाई, बुढ़ापा आदि।
भाववाचक संज्ञाओं की रचना
प्रश्न 8.
भाववाचक संज्ञाएँ किस प्रकार के शब्दों से और कैसे बनती हैं?
उत्तर:
भाववाचक संज्ञाएँ अमूर्त एवं मानसिक संकल्पनाएँ होती हैं। भाववाचक संज्ञाएँ नीचे दिए गए शब्दों से बनती हैं
भाववाचक संज्ञाओं की रचना
संज्ञा शब्दों की रूप-रचना
प्रश्न 9.
रूप-रचना किसे कहते हैं तथा रूप-परिवर्तन कैसे होता है?
उत्तर:
निम्नलिखित वाक्यों को ध्यान से पढ़िए-
लड़का जा रहा है। (‘लड़का’ मूल शब्द)
तीन लड़का जा रहा है। (अशुद्ध वाक्य)
तीन लड़के जा रहे हैं। (शुद्ध वाक्य, ‘लड़का’ का बहुवचन रूप।)
उस लड़का ने पुस्तक देखी। (अशुद्ध वाक्य)
उस लड़के ने पुस्तक देखी। (शुद्ध वाक्य)
‘लड़का’ परसर्ग के साथ आने वाला रूप। सभी लड़का को परिश्रम से पढ़ना चाहिए। (अशुद्ध वाक्य)
सभी लड़कों को परिश्रम से पढ़ना चाहिए। (शुद्ध वाक्य) ‘लड़का’ का बहुवचन परसर्ग के साथ आने वाला रूप।
उपर्युक्त वाक्यों से स्पष्ट है कि संज्ञा शब्द कभी अपने मूल रूप में प्रयुक्त होता है और कभी परिवर्तित रूप में। ये परिवर्तन रूप-रचना के अंतर्गत आते हैं। रूप-रचना में बताया जाता है कि कहाँ शब्द अपने मूल रूप में आता है और कहाँ परिवर्तित रूप में तथा शब्द के रूप में परिवर्तन कैसे होता है।
प्रश्न 10.
संज्ञा के कितने रूपावली वर्ग होते हैं?
उत्तर:
संज्ञा के चार रूपावली वर्ग होते हैं
(1) पुल्लिंग आकारांत लड़का, बच्चा, कमरा, खिलौना आदि।
(2) पुल्लिंग आकारांत से भिन्न-घर, मुनि, माली, गुरु, चाक, चौबे, जौ आदि।
(3) स्त्रीलिंग इ/ईकारांत तथा इया प्रत्ययांत-विधि, रीति, नदी, कोठरी, बेटी, बुढ़िया आदि।
(4) स्त्रीलिंग इ/ईकारांत आदि से भिन्न-माता, बहन, वस्तु, बहू, बालू, गौ आदि।
वचन
प्रश्न 11.
वचन किसे कहते हैं? हिंदी में वचन कितने प्रकार के होते हैं? उदाहरण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
संज्ञा अथवा अन्य विकारी शब्दों के जिस रूप से संख्या का बोध हो, उसे वचन कहते हैं, जैसे लड़का, पुस्तकें आदि। हिंदी में वचन दो प्रकार के माने गए हैं-
1. एकवचन
2. बहुवचन।
1. एकवचन: शब्द के जिस रूप से एक वस्तु या एक व्यक्ति का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं; जैसे लड़का, घोड़ा, नदी, वृक्ष, पक्षी आदि।
2. बहुवचन: शब्द के जिस रूप से एक से अधिक वस्तुओं या व्यक्तियों का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं; जैसे लड़के, घोड़े, नदियाँ, स्त्रियाँ आदि।
प्रश्न 12.
उदाहरण देकर एकवचन और बहुवचन का अंतर बताइए।
उत्तर:
जिन शब्दों से किसी वस्तु के एक होने का पता चले, उसे एकवचन और जिन शब्दों से वस्तु के एक से अधिक होने का पता चले, उन्हें बहुवचन कहते हैं; जैसे पुस्तक, मेज़, लड़का। ये शब्द एकवचन के उदाहरण हैं। इसी प्रकार, पुस्तकें, मेजें, लड़कों आदि बहुवचन शब्द हैं।
प्रश्न 13.
गणनीय एवं अगणनीय संज्ञाओं का अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गणनीय संज्ञाएँ उन्हें कहते हैं जो गिनी जा सकें; जैसे लड़का, पैन, पुस्तक, गिलास, वृक्ष, आदमी आदि। अगणनीय संज्ञाएँ उन्हें कहते हैं जिन्हें गिना न जा सके, केवल तोला या नापा जा सके; जैसे आटा, दूध, पानी, तेल आदि।
वचन प्रयोग संबंधी कुछ नियम
प्रश्न 14.
हिंदी भाषा में वचन-प्रयोग संबंधी सामान्य नियमों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हिंदी भाषा में एक वस्तु या व्यक्ति के लिए एकवचन तथा एक से अधिक वस्तुओं और व्यक्तियों के लिए बहुवचन का प्रयोग किया जाता है। हिंदी में इनके अतिरिक्त कुछ और भी नियम हैं जो वचन प्रयोग में प्रयुक्त होते हैं; यथा
(क) सम्मान व्यक्त करने के लिए एकवचन को बहुवचन में प्रयुक्त किया जाता है जैसे
(i) पिता जी दिल्ली गए हैं।
(ii) गुरु जी कक्षा में हैं।
(iii) मंत्री जी मंच पर पधार चुके हैं।
(iv) श्रीकृष्ण हिंदुओं के अवतार हैं। यहाँ एकवचन का प्रयोग बहुवचन में हुआ है। इसे आदरार्थक बहुवचन कहते हैं।
(ख) हिंदी में हस्ताक्षर, प्राण, दर्शन, होश आदि का बहुवचन में प्रयोग होता है; जैसे
(i) तुम्हारे हस्ताक्षर बहुत सुंदर हैं।
(ii) तुम्हारे प्राण बच गए, यही गनीमत है।
(iii) आपके तो दर्शन भी दुर्लभ हो गए हैं।
(iv) आज का समाचार सुनकर उसके होश उड़ गए।
(ग) कुछ एकवचन शब्द गण, लोग, जन, समूह, वृंद आदि हिंदी शब्दों के साथ जुड़कर बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं; यथा-
(i) आज मज़दूर लोग हड़ताल पर हैं।
(ii) अध्यापक-वृंद परीक्षाओं में व्यस्त हैं।
(iii) अपार जन-समूह दिखाई दे रहे हैं।
(iv) कृषक-वृंद हल चला रहे हैं।
(v) छात्रगण आजकल अनुशासनहीनता पर उतर आए हैं।
(घ) जाति, सेना, दल शब्दों के साथ प्रयुक्त होने से एकवचन का बहुवचन में प्रयोग-
(i) नारी जाति प्रगति-पथ पर अग्रसर है।
(ii) छात्र-सेना हड़ताल पर है।
(iii) सेवा-दल रोगियों की सेवा कर रहा है।
(ङ) व्यक्तिवाचक एवं भाववाचक संज्ञाएँ सदा एकवचन में रहती हैं; जैसे
(i) राम खेल रहा है।
(ii) सत्य की सदा जीत होती है।
(iii) उसने झूठ नहीं बोला।
(iv) प्रेम सदा अमर रहता है।
(च) कुछ शब्द सदा एकवचन में ही रहते हैं। जैसे-जनता, वर्षा, आग; जैसे
(i) आग कितनी तेज़ जल रही है।
(ii) जनता सदा पिसती रहती है।
(iii) कितनी अच्छी वर्षा हो रही है।
(छ) बहुवचन के स्थान पर एकवचन का प्रयोग-कभी-कभी जातिवाचक संज्ञा अपनी सारी जाति या समूह की बोधक होती हुई भी अधिक संख्या, परिमाण या गुण को सूचित करने के लिए एकवचन में प्रयुक्त होती है; जैसे
(i) आज का मानव स्वार्थी हो गया है।
(ii) कुत्ता स्वामिभक्त होता है।
(iii) मथुरा का पेड़ा विश्व भर में प्रसिद्ध है।
(iv) उसने जुए में बहुत रुपया लुटाया है।
(v) बाज़ार में अंगूर सस्ता बिक रहा है।
वचन बदलने के नियम
1. अकारांत शब्दों के अंतिम ‘आ’ को ए कर देने से बहुवचन-
एकवचन – बहुवचन
कपड़ा – कपड़े
बेटा – बेटे
बच्चा – बच्चे
लोटा – लोटे
घोड़ा – घोड़े
पंखा – पंखे
लड़का – लड़के
घड़ा – घड़े
अपवाद: नेता, राजा, पिता, योद्धा, मामा, नाना, चाचा, सूरमा आदि शब्द इस नियम के अपवाद हैं।
2. आकारांत तथा अकारांत शब्दों के अंतिम ‘अ’, ‘आ’ को ‘एं’ कर देने से बहुवचन-
अकारांत शब्द-
पुस्तक – पुस्तकें
नहर – नहरें
बहिन – बहिनें
आँख – आँखें
रात – रातें
दीवार – दीवारें
गाय – गायें
कलम – कलमें
सड़क – सड़कें
बोतल – बोतलें
किताब – किताबें
आकारांत शब्द-
कथा – कथाएँ
माला – मालाएँ
अध्यापिका – अध्यापिकाएँ
गाथा – गाथाएँ
विद्या – विद्याएँ
भावना – भावनाएँ
माता – माताएँ
आत्मा – आत्माएँ
लता – लताएँ
कन्या – कन्याएँ
झील – झीलें
3. इकारांत तथा ईकारांत शब्दों के अंत में ‘याँ’ जोड़ने से बहुवचन। इस अवस्था में ई का इ भी हो जाता है।
घोड़ी – घोड़ियाँ
शक्ति – शक्तियाँ
समिति – समितियाँ
रोटी – रोटियाँ
निधि – निधियाँ
लड़की – लड़कियाँ
राशि – राशियाँ
बेटी – बेटियाँ
पंक्ति – पंक्तियाँ
नदी – नदियाँ
रात्रि – रात्रियाँ
लिपि – लिपियाँ
रीति – रीतियाँ
स्त्री – स्त्रियाँ
4. उकारांत, ऊकारांत, एकारांत, ओकारांत शब्दों में एँ जोड़कर बहुवचन। ‘ऊ’ का ‘उ’ भी हो जाता है।
धेनु – धेनुएँ
गौ – गौएँ
धातु – धातुएँ
वधू – वधुएँ
बहु – बहुएँ
वस्तु – वस्तुएँ
ऋतु – ऋतुएँ
5. ‘या’ अथवा ‘इया’ से समाप्त होने वाले शब्दों में केवल अनुस्वार जोड़कर बहुवचन बनाना-
बिटिया – बिटियाँ
चिड़िया – चिड़ियाँ
चुहिया – चुहियाँ
बुढ़िया – बुढ़ियाँ
गुड़िया – गुड़ियाँ
कुतिया – कुतियाँ
बछिया – बछियाँ
डिबिया – डिबियाँ
6. ‘अ’ तथा ‘आ’ से समाप्त होने वाले शब्दों में अंतिम ‘अ’ या ‘आ’ के स्थान पर ओं लगाकर बहुवचन बनाना-
घर से – घरों से
झील पर – झीलों पर
घोड़े पर – घोड़ों पर
माता की – माताओं की
बंदर का – बंदरों का
खरबूजा – खरबूजों
7. उकारांत या ऊकारांत शब्दों के अंत में ‘ओं’ प्रत्यय लगाकर बहुवचन बनाना। ऐसे शब्दों में अंतिम ‘ऊ’ को ‘उ’ हो जाता है।
ऋतु – ऋतुओं
बहू – बहुओं
धातु – धातुओं
वधू – वधुओं
वस्तु – वस्तुओं
चाकू – चाकुओं
धेनू – धेनुओं
डाकू – डाकुओं
8. इकारांत तथा ईकारांत शब्दों के संबोधन बहुवचन में ‘यो’ प्रत्यय लगाकर बहुवचन बनाना। प्रत्यय पूर्व स्वर दीर्घ का हस्व हो जाता है।
लड़की! – लड़कियो!
मुनि! – मुनियो!
भाई! – भाइयो!
सिपाही! – सिपाहियो!
9. ‘अ’ और ‘आ’ अंत वाले शब्दों में ओं लगाकर बहुवचन बनाना-
बहन – बहनों
माता – माताओं
कन्या – कन्याओं
भ्राता – भ्राताओं
वाक्य-रचना पर वचन का प्रभाव
प्रश्न 15.
वाक्य-रचना पर वचन-परिवर्तन या वचन का क्या प्रभाव पड़ता है? उदाहरण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
वचन-परिवर्तन के कारण वाक्य के विभिन्न अंगों में भी परिवर्तन होता है। वचन परिवर्तन विशेषण, क्रिया, क्रियाविशेषण को प्रभावित करता है; जैसे
1. बालक ने अच्छा गीत गाया। – एकवचन
बालकों ने अच्छे गीत गाए। – बहुवचन
लड़की पुस्तक पढ़ रही है। – एकवचन
लड़कियाँ पुस्तकें पढ़ रही हैं। -बहुवचन
2. बच्चा चलता-चलता गिर पड़ा। – एकवचन
बच्चे चलते-चलते गिर पड़े। – बहुवचन
लिंग
प्रश्न 16.
लिंग किसे कहते हैं? उदाहरण सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
जिस संज्ञा शब्द से किसी पुरुष जाति या स्त्री जाति का पता चले, उसे लिंग कहते हैं अर्थात् जिन चिह्नों से शब्दों का स्त्रीवाचक या पुरुषवाचक होने का पता चले, उन्हें लिंग कहते हैं; जैसे ‘छात्र’ पुल्लिंग तथा ‘छात्रा’ स्त्रीलिंग है।
प्रश्न 17.
हिंदी में लिंग कितने प्रकार के होते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
हिंदी में मुख्यतः दो प्रकार के लिंग माने जाते हैं-
1. पुल्लिंग
2. स्त्रीलिंग।
1. पुल्लिंग: जिन संज्ञा शब्दों से पुरुष जाति का बोध हो, उन्हें पुल्लिंग कहते हैं; जैसे बेटा, हाथी, कुत्ता आदि।
2. स्त्रीलिंग: जिन संज्ञा शब्दों से स्त्री जाति का बोध हो, उन्हें स्त्रीलिंग कहते हैं; जैसे लड़की, रानी, कुतिया, बकरी आदि।
टिप्पणी:
हिंदी में जड़ वस्तुओं के लिंग के लिए समस्या है; जैसे पर्वत, नदी, हवा, दही, घी आदि में स्त्रीलिंग या स्त्री जाति तथा पुल्लिंग या पुरुष जाति जैसी कोई चीज़ नहीं होती किंतु व्याकरणिक दृष्टि से संज्ञा शब्द का स्त्रीलिंग या पुल्लिंग . होना ज़रूरी है। सजीव प्राणियों में नर या मादा लगाकर भी लिंग निर्धारित कर लिया जाता है; यथा नर भेड़िया या मादा भेड़िया आदि।
हिंदी में कुछ ऐसे भी शब्द हैं जिनमें लिंग-परिवर्तन नहीं होता; यथा प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, डॉक्टर, प्रिंसिपल, मैनेजर आदि। इन पदों पर पुरुष भी हो सकते हैं तथा नारी भी। ऐसे पदवाची शब्द उभयलिंगी शब्द कहलाते हैं।
लिंग संबंधी युग्म शब्द
प्रश्न 18.
हिंदी में लिंग संबंधी युग्म शब्दों से क्या अभिप्राय है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-हिंदी में पुल्लिंग तथा उनके स्त्रीलिंग रूपों के लिए पृथक-पृथक शब्द प्रचलित हैं, उन्हें युग्म शब्द कहते हैं, जैसे-
माता-पिता – विद्वान्-विदुषी
पुरुष-स्त्री – सम्राट्-साम्राज्ञी
गाय-बैल – विधुर-विधवा
राजा-रानी – वर-वधू
हिंदी तथा संस्कृत के लिंग शब्दों में अंतर
प्रश्न 19.
संस्कृत में प्रचलित लिंग से हिंदी में पाई जाने वाली भिन्नता को व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
कुछ संस्कृत शब्दों में प्रचलित लिंगों की हिंदी में भिन्नता पाई जाती है; जैसे संस्कृत में आत्मा, महिमा, पुल्लिंग माने जाते हैं किंतु हिंदी में ये स्त्रीलिंग के रूप में स्वीकार किए गए हैं। ‘अग्नि’ शब्द भी ऐसा ही है।
लिंग परिवर्तन संबंधी नियम
(क) अकारांत तत्सम शब्दों के ‘अ’ को ‘आ’ कर देने से-
पुल्लिंग – स्त्रीलिंग
सुत – सुता
प्रिय – प्रिया
छात्र – छात्रा
शिष्य – शिष्या
पूज्य – पूज्या
बाल – बाला
तनुज – तनुजा
कांत – कांता
आचार्य – आचार्या
मूर्ख – मूर्खा
(ख) अकारांत शब्दों के अंतिम ‘अ’ या ‘आ’ को ‘ई’ कर देने से-
देव – देवी
मृग – मृगी
पहाड़ – पहाड़ी
कबूतर – कबूतरी
दास – दासी
सुअर – सुअरी
पुत्र – पुत्री
चाचा – चाची
साला – साली
लड़का – लड़की
घोड़ा – घोड़ी
मामा – मामी
बेटा – बेटी
गधा – गधी
भतीजा – भतीजी
बंदर – बंदरी
बकरा – बकरी
भाँजा – भाँजी
(ग) परिवर्तन के बिना शब्दों के अंत में ‘नी’ प्रत्यय लगाकर
सिंह – सिंहनी
भील – भीलनी
ऊँट – ऊँटनी
मज़दूर – मज़दूरनी
जाट – जाटनी
सियार – सियारनी
शेर – शेरनी
मोर – मोरनी
राजपूत – राजपूतनी
(घ) परिवर्तन के बिना शब्दों के अंत में ‘आनी’ प्रत्यय जोड़ने से
देवर – देवरानी
भव – भवानी
नौकर – नौकरानी
सेठ – सेठानी
मेहतर – मेहतरानी
चौधरी – चौधरानी
रुद्र – रुद्राणी
क्षत्रिय – क्षत्राणी
इन्द्र – इन्द्राणी
जेठ – जेठानी
(ङ) अंतिम स्वर में कुछ परिवर्तन करके ‘इन’ प्रत्यय लगाने से
नाइ – नाइन
कुम्हार – कुम्हारिन
तेलि – तेलिन
पड़ोसी – पड़ोसिन
ठठेरा – ठठेरिन
धोबी – धोबिन
दर्जी – दर्जिन
माली – मालिन
भक्त – भक्तिन
जुलाहा – जुलाहिन
ग्वाला – ग्वालिन
कहार – कहारिन
चमार – चमारिन
भंगी – भंगिन
नाती – नातिन
दूल्हा – दूल्हिन
पापी – पापिन
(च) अंतिम स्वर के स्थान पर ‘आइन’ प्रत्यय लगाकर तथा अन्य स्वरों में कुछ परिवर्तन करके-
लाला – ललाइन
ठाकुर – ठकुराइन
चौबे – चौबाइन
गुरु – गुरुआइन
मिसिर – मिसराइन
बाबू – बबुआइन
चौधरी – चौधराइन
(छ) अंतिम ‘अ’ या ‘आ’ को ‘इया’ बनाकर-
बंदर – बंदरिया
बूढ़ा – बुढ़िया
कुत्ता – कुतिया
डिब्बा – डिबिया
(ज) शब्दों के अंतिम ‘अक’ को ‘इका’ बनाकर-
पाठक – पाठिका
लेखक – लेखिका
गायक – गायिका
बालक – बालिका
अध्यापक – अध्यापिका
उपदेशक – उपदेशिका
सेवक – सेविका
पाचक – पाचिका
निरीक्षक – निरीक्षिका
नायक – नायिका
(झ) अंतिम ‘वान’ और ‘मान’ के स्थान पर ‘अती’ लगाकरगुणवान
(ञ) कुछ पुल्लिंग शब्दों के स्त्रीलिंग में विशेष रूप बन जाते हैं
प्रश्न 20.
लिंग-परिवर्तन के कारण हिंदी में होने वाले परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
लिंग-परिवर्तन के कारण हिंदी भाषा में दो स्तरों पर परिवर्तन देखा जा सकता है
1. शब्द स्तर पर।
2. वाक्य स्तर पर।।
1. शब्द स्तर पर होने वाले परिवर्तन का वर्णन पहले किया जा चुका है।
2. वाक्य स्तर पर होने वाले परिवर्तन निम्नलिखित हैं-
(i) अच्छा गायक अच्छा गीत गाता है।
अच्छी गायिका अच्छा गीत गाती है।
(ii) तुम्हारा लड़का पढ़ता-पढ़ता सो गया।
तुम्हारी लड़की पढ़ती-पढ़ती सो गई।
(iii) मेरा पुत्र विद्यालय जाता है।
मेरी पुत्री विद्यालय जाती है।
उपर्युक्त वाक्यों को देखने पर स्पष्ट हो जाता है कि लिंग-परिवर्तन के कारण वाक्यों की क्रिया में, विशेषण में, क्रियाविशेषण में तथा संबंध कारकीय प्रयोगों में परिवर्तन आ जाता है।
प्रश्न 21.
निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों के लिंग तथा वचन बताएँ
1. मेरे पास एक पुस्तक है।
2. अध्यापक विद्यार्थियों को पढ़ा रहा है।
3. बालिका ने भिखारी को रोटी दी।
4. बाज़ार में फूल नहीं मिलते।
5. खेत में किसान हल चलाता है।
उत्तर:
1. पुस्तक-स्त्रीलिंग एकवचन।
2. अध्यापक-पुल्लिंग बहुवचन।
विद्यार्थियों-पुल्लिंग बहुवचन।
3. बालिका स्त्रीलिंग बहुवचन।
रोटी-स्त्रीलिंग एकवचन।
4. फूल-पुल्लिंग एकवचन।
5. किसान-पुल्लिंग एकवचन।
कारक
प्रश्न 22.
कारक की परिभाषा देते हुए उसके रूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
“कारक’ शब्द का अर्थ है-क्रिया को करने वाला अर्थात क्रिया को पूरी करने में किसी-न-किसी भूमिका को निभाने वाला।
परिभाषा: संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसके संबंध का वाक्य के दूसरे शब्दों से पता चले, उसको कारक कहते हैं। यह संबंध-ज्ञान कभी तो पृथक शब्द के रूप में या चिहनों के रूप में होता है तथा कभी यह मूल शब्द में घुला-मिला रहता है। कभी मूल शब्द में केवल कुछ विकार हो जाता है तथा परसर्ग के रूप में भी जुड़ा रहता है।
कारकों का रूप प्रकट करने के लिए उनके साथ जो शब्द-चिह्न लगे रहते हैं, उन्हें विभक्ति कहते हैं। इन कारक-चिह्नों को परसर्ग भी कहते हैं।
कारक सहित शब्द के दो रूप होते हैं मूल रूप एवं विकारी रूप। शब्द के इन दोनों रूपों में कभी विभक्ति का प्रयोग होता है और कभी नहीं होता; जैसे
1. मोहन पुस्तक पढ़ता है। (मोहन कर्ता, पुस्तक कर्म, दोनों विकार रहित)
2. मोहन ने पुस्तक को फेंक दिया। (मोहन कर्ता, पुस्तक कर्म, दोनों के साथ परसर्ग चिह्न ‘ने’ और ‘को’)
3. बालकों से पुस्तक ले लो। (बालक कर्ता में विकार और परसर्ग दोनों परंतु पुस्तक विकार रहित)
कारक के भेद
प्रश्न 23.
हिंदी कारकों के कितने भेद होते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हिंदी में कारकों के आठ भेद माने जाते हैं
(i) कर्ता-क्रिया को करने वाला।
(ii) कर्म-जिस पर क्रिया का प्रभाव या फल पड़े।
(iii) करण-जिस साधन से क्रिया संपन्न हो।
(iv) संप्रदान-जिसके लिए क्रिया की जाए।
(v) अपादन-जिससे अलगाव हो।
(vi) अधिकरण-क्रिया के संचालन का आधार।
(vii) संबंध-क्रिया का अन्य पदों से संबंध सूचित करने वाला।
(viii) संबोधन-जिससे संज्ञा को पुकारा जाए।
प्रश्न 24.
हिंदी में प्रयुक्त होने वाले कारकों के चिह्नों या विभक्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हिंदी में आठ कारक हैं। इनके नाम और चिह्न निम्नलिखित प्रकार से हैं
कारक – विभक्ति चिहन या परसर्ग
1. कर्ता – ने अथवा कुछ नहीं
2. कर्म – को अथवा कुछ नहीं
3. करण – से, के द्वारा, के साथ (साधन)
4. संप्रदान – को, के लिए
5. अपादान – से पार्थक्य
6. संबंध – का, के, की (रा, रे, री या ना, ने, नी)
7. अधिकरण – में, पर
8. संबोधन – हे, रे, अरे, री, अरी, ओ (संबोधन शब्द से पूर्व जुड़ता है)
नोट- ये परसर्ग संज्ञा शब्दों से अलग लिखे जाते हैं लेकिन सर्वनामों के साथ जुड़कर आते हैं; यथा-
1. राम ने रावण को बाण से मारा।
2. तुमको, उसने, आपकी इत्यादि।
कारक संबंधी नियम
प्रश्न 25.
हिंदी के सभी कारकों का सोदाहरण परिचय दीजिए।
उत्तर:
1. कर्ता कारक क्रिया करने वाले को कर्ता कारक कहते हैं। इसका परसर्ग ‘ने’ है। इसका प्रयोग सकर्मक धातुओं के साथ भूतकाल में होता है। वर्तमान और भविष्यत काल में इस परसर्ग का प्रयोग नहीं होता।
मोहन पत्र लिखता है। (वर्तमान काल)
मोहन पत्र लिखेगा। (भविष्यत काल)
मोहन ने पत्र लिखा। (भूतकाल)
इन तीनों वाक्यों में लिखने की क्रिया करने वाला मोहन है। अतः मोहन ही कर्ता है।
यद्यपि कर्ता की मूल विभक्ति ‘ने’ है तथापि कभी-कभी अन्य विभक्तियों के साथ भी कर्ता का बोध होता है; जैसे-
अब मोहन को सो जाना चाहिए।
कृष्णा को आज दिल्ली जाना होगा।
यात्री को आज हरिद्वार पहुंचना है।
यहाँ ‘मोहन’, ‘कृष्णा’ तथा ‘यात्री’ के लिए ‘को’ कर्ता कारक है।
असमर्थता के लिए कर्ता के साथ ‘से’ विभक्ति का प्रयोग होता है; जैसे-
रोगी से बैठा नहीं जा रहा है।
कर्मवाच्य एवं भाववाच्य में कर्ता के साथ क्रमशः ‘से’, ‘के द्वारा’ विभक्ति का प्रयोग किया जाता है; जैसे
1. मोहन से पुस्तक पढ़ी गई।
2. सिपाहियों द्वारा चोर पीटा गया।
3. बच्चों द्वारा चित्र बनाए गए।
2. कर्म कारक:
क्रिया का फल जिस शब्द पर पड़ता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। कर्म कारक की विभक्ति ‘को’ होती है। कभी-कभी विभक्ति का प्रयोग नहीं होता।
इन पुस्तकों को उठा लो।
राम को कहो।
रवि पुस्तक पढ़ता है।
इन वाक्यों में ‘पुस्तकों को’ ‘राम को’ तथा ‘पुस्तक’ कर्म कारक के प्रयोग हैं। द्विकर्मक वाक्यों में मुख्य और गौण दो कर्म होते हैं। मुख्य कर्म क्रिया के समीप रहता है। उसमें विभक्ति नहीं लगती; यथा-शिक्षक ने विद्यार्थी को पाठ पढ़ाया।
यहाँ पाठ मुख्य कर्म है और विद्यार्थी गौण कर्म।
3. करण कारक:
जिस शब्द रूप की सहायता से क्रिया का व्यापार होता है, उसे करण कारक कहते हैं। इसके विभक्ति चिह्न हैं-‘से’, ‘द्वारा’, ‘के द्वारा’, ‘के साथ’; यथा-
राम ने रावण को बाण से मारा।
मुझे पत्र द्वारा सूचित करना।
मज़दूर ने गुड़ के साथ रोटी खाई।
बच्चों ने पैंसिल से चित्र बनाया।
शिकारी ने बंदूक से शेर को मारा।
4. संप्रदान कारक:
जिसके लिए क्रिया की जाती है, संज्ञा या सर्वनाम के उस रूप को संप्रदान कारक कहा जाता है; जैसे राजा भिखारी को दान देता है। यहाँ भिखारी के लिए दान दिया जाता है, इसलिए यहाँ ‘भिखारी’ संप्रदान कारक है। इसके विभक्ति चिह्न हैं-‘के लिए’, ‘को’ या ‘के वास्ते’ आदि। अन्य उदाहरण-
मैंने आप के लिए भोजन छोड़ा।
पिता ने पुत्र को पुस्तक दी।
वह अपने भाई के लिए दवाई साया।
सैनिक देश की रक्षा के वास्ते सीमा पर डटे हुए हैं।
5. अपादान कारक:
संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु तथा व्यक्ति के दूसरी वस्तु तथा व्यक्ति से पृथक होने, डरने, सीखने, लजाने अथवा तलना करने का भाव हो, उसे अपादान कारक कहते हैं। इसमें ‘से’ विभक्ति चिहन का प्रयोग होता है, यथा
वृक्षों से पत्ते गिरते हैं।
में घर से आया हूँ।
गंगा हिमालय से निकलती है।
6. संबंध कारक:
शब्द के जिस रूप से किसी व्यक्ति या पदार्थ का दूसरे व्यक्ति या पदार्थ से संबंध प्रकट होता है, उसे संबंध कारक कहते हैं। ‘का’, ‘के’, ‘की’ इसके विभक्ति चिहून हैं। संज्ञा सर्वनाम पुल्लिंग के साथ ‘का’, स्त्रीलिंग के साथ ‘की’ तथा बहुवचन के साथ ‘के’ परसर्ग का प्रयोग होता है; यथा
शीला सीता की बहिन है।
राम के दो भाई हैं।
आपकी पुस्तक मेरे पास है।
7. अधिकरण कारक:
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते है। जैसे रुपया मेरे हाथ में है। बच्चा छत पर है। यहाँ हाथ में और छत पर’ अधिकरण कारक हैं। अतः ‘में’, ‘पर’ तथा ‘के ऊपर’ इसकी विभक्तियों हैं; यथा
पानी में मगरमच्छ रहता है।
पुस्तक मेज़ पर रखी है।
छत के ऊपर गेंद पड़ी है।
अनेक बार ‘के मध्य’, ‘के बीच’, ‘के भीतर’ आदि का भी प्रयोग होता है; जैसे-
घर के भीतर चलो।।
इस डिबिया के अंदर कितनी गोलियों हैं?
कभी-कभी विभक्ति रहित अधिकरण का भी प्रयोग होता है; जैसे-
तुम्हारे घर क्या होगा?
इस जगह पूर्ण शांति है।
8. संबोधन कारक: संज्ञा के जिस रूप से किसी को पुकारा जाए, उसे संबोधन कारक कहते हैं। इसमें शब्द से पूर्व है, अरे, ओ, अजी आदि का प्रयोग होता है; जैसे-
रामू! घर चलो।
अरे पुत्र! मेरे पास आओ।
भाई साहब! मेरी बात सुनो।
बहुवचन में शब्दांत में ‘ओ’ प्रत्यय लगता है; यथा-
बच्चो! शोर मत करो।
हे बालक! तुम कहीं चले गए थे।
कारकों को एक दृष्टि में समझने के लिए निम्नलिखित तालिका देखिए-
परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1.
संज्ञा किसे कहते हैं? कोई तीन उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
जो शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान और भाव का बोध कराएँ, उन्हें संज्ञा कहते हैं। उदाहरणार्थ-पुस्तक, दिल्ली, वृक्ष, घृणा आदि।
प्रश्न 2.
संज्ञा के कितने भेद होते हैं? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
संज्ञा के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं
(1) व्यक्तिवाचक संज्ञा; जैसे हिमालय, राम, करनाल आदि।
(2) जातिवाचक संज्ञा; जैसे मनुष्य, नगर, पुस्तक आदि।
(3) भाववाचक संज्ञा; जैसे अच्छाई, मिठास, बुराई, भलाई आदि।
प्रश्न 3.
नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यान से पढ़िए और संज्ञा शब्दों को छाँटकर उसके तीनों भेदों के दो-दो उदाहरण दीजिए।
“मोहन एक अच्छा लड़का है। एक दिन वह पहाड़ पर गया। उस पहाड़ को हिमालय पर्वत कहा जाता है। गंगा नदी हिमालय से ही निकलती है। मोहन की बचपन से ही यह इच्छा थी कि वह पहाड़ों की ऊँचाई और नदियों की गहराई को निकटता से देखे।” उसने इनको हरिद्वार में देखा। इनकी सुंदरता देखकर वह प्रसन्न हो गया।
उत्तर:
व्यक्तिवाचक संज्ञा-शब्द: मोहन, हिमालय, गंगा, हरिद्वार।
जातिवाचक संज्ञा-शब्द: लड़का, दिन, पहाड़, पर्वत, नदी।
भाववाचक संज्ञा-शब्द: बचपन, इच्छा, ऊँचाई, गहराई, सुंदरता, प्रसन्न।
प्रश्न 4.
द्रव्यवाचक और समूहवाचक संज्ञाओं के दो-दो उदाहरण देकर वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
द्रव्यवाचक संज्ञाएँ: सोना एवं लकड़ी
सोना: सोने से आभूषण बनाए जाते हैं।
लकड़ी: आजकल लकड़ी बहुत महँगी हो गई है।
समूहवाचक संज्ञाएँ: सेना एवं कक्षा
सेना: भारतीय सेना अपनी बहादुरी के लिए प्रसिद्ध है।
कक्षा: अध्यापक कक्षा को पढ़ा रहा है।
प्रश्न 5.
नीचे दिए गए शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइएअच्छा, लड़का, सुंदर, शत्रु, बच्चा, लड़ना, बुरा, बूढ़ा, कड़वा, गरम, अपना, मीठा, पंडित, चतुर, बुनना।
उत्तर:
अच्छा-अच्छाई
लड़का-लड़कपन
सुंदर-सुंदरता
शत्रु-शत्रुता
बच्चा-बचपन
लड़ना-लड़ाई
बुरा-बुराई
बूढ़ा-बुढ़ापा
कड़वा-कड़वाहट
गरम-गरमी
अपना-अपनापन
मीठा-मिठास
पंडित-पांडित्य
चतुर-चतुराई
बुनना-बुनावट
प्रश्न 6.
निम्नलिखित पुल्लिंग शब्दों के स्त्रीलिंग रूप लिखिएबेटा, चूहा, लड़का, बंदर, नाती, धोबी, नौकर, मोर, शेर, सदस्य, लेखक, कवि, देवर, माली, श्रीमान।
उत्तर:
बेटा-बेटी
चूहा-चुहिया
लड़का-लड़की
बंदर-बंदरिया
नाती-नातिन
धोबी-धोबिन
नौकर-नौकरानी
मोर-मोरनी
शेर-शेरनी
सदस्य-सदस्या
पुस्तक-पुस्तकें.
लेखक-लेखिका
कवि-कवयित्री
देवर-देवरानी
माली-मालिन
श्रीमान श्रीमती
प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के मूल विभक्ति में बहुवचन रूप लिखिएजाति, बहन, रोटी, पुस्तक, माला, कक्षा, बस, कहानी, महिला, राज, गुड़िया, बहू, कमरा, चिड़िया, परछाई।
उत्तर:
जाति-जातियाँ
बहन-बहनें
रोटी-रोटियाँ
माला-मालाएँ
कक्षा-कक्षाएँ
बस बसें
कहानी-कहानियाँ महिला-महिलाएँ
राज-राजगण। गुड़िया-गुड़ियाँ
बहू-बहुएँ कमरा कमरे
चिड़िया-चिड़ियाँ
परछाई-परछाइयाँ
प्रश्न 8.
नीचे दिए गए वाक्यों में बहुवचन के गलत प्रयोगों को पहचानिए और उन्हें सही रूप में लिखिए
1. उन स्त्री ने खाना खा लिया।
2. दो लड़के आ रहा हैं।
3. महिलाओं लड़ रही हैं।
4. उन कमरे में बिजली नहीं है।
5. उसकी रुचिएँ फिल्म देखना और कहानी पढ़ना हैं।
6. भारत में कई पवित्र नदियाँ हैं।
उत्तर:
शुद्ध रूप-
1. उन स्त्रियों ने खाना खा लिया।
2. दो लड़के आ रहे हैं।
3. महिलाएँ लड़ रही हैं।
4. उन कमरों में बिजली नहीं है। .
5. उसकी रुचि फिल्में देखना और कहानियाँ पढ़ना है।
6. भारत में अनेक पवित्र नदियाँ हैं।
प्रश्न 9.
कारक किसे कहते हैं? कारक के भेदों का परिचय दीजिए।
उत्तर:
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से उसका क्रिया के साथ संबंध ज्ञात हो, उसे कारक कहते हैं। भेद-कारक के आठ भेद माने जाते हैं, जिनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है-
1. कर्ता कारक (क्रिया को करने वाला)
2. कर्म कारक (जिस पर क्रिया का प्रभाव या फल पड़े)
3. करण कारक (जिस साधन से क्रिया हो)
4. संप्रदान कारक (जिसके लिए क्रिया की गई हो)
5. अपादान कारक (अलग होने का भाव)
6. अधिकरण कारक (क्रिया के संचालन का आधार)
7. संबंध कारक (क्रिया से भिन्न किसी अन्य पद से संबंध बताने वाला)
8. संबोधन कारक (संबोधित करने वाले शब्द)
प्रश्न 10.
‘ने’ परसर्ग का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित वाक्यों को बदलिए
1. राम खाना खा रहा है।
2. श्याम मोहन को पुस्तक देता है।
3. गोपाल रोटी खा चुका।
4. आप यह क्यों कह रहे हैं?
5. प्रधानमंत्री सूखाक्षेत्र का दौरा कर रहे हैं।
उत्तर:
1. राम ने खाना खा लिया है।
2. श्याम ने मोहन को पुस्तक दी है।
3. गोपाल ने रोटी खा ली है।
4. आपने यह क्यों कहा है?
5. प्रधानमंत्री ने सूखाक्षेत्र का दौरा किया है।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित वाक्यों से कारकों को छाँटकर उनके नाम लिखिए
1. मोहन चाकू से फल काट रहा है।
2. मोहन ने सोहन को अपनी पुस्तक दे दी है।
3. रमेश को स्कूल जाना है।
4. वह इलाज के लिए दिल्ली आ रहा है।
5. गंगा हिमालय से निकलती है।
6. मैं कलम से पत्र लिखूगा।
7. वह दुकान पर नहीं है।
8. वह कल घर पर था।
9. परीक्षा मार्च में होगी।
10. मैं शाम को आऊँगा।
उत्तर:
1. मोहन (कत्ता), फल (कम), चाकू से (करण)।
2. मोहन ने (कत्ता) सोहन को (कम) पुस्तक (कम)।
3. रमेश को (कत्ता) स्कूल (अधिकरण)।
4. वह (कत्ता) इलाज के लिए (संप्रदान) दिल्ली (अधिकरण)।
5. गंगा (कत्ता) हिमालय से (अपादन)।
6. मैं (कत्ता) कलम से (करण) पत्र (कम)।
7. वह (कत्ता) दुकान पर (अधिकरण)।
8. वह (कत्ता) घर पर (अधिकरण)।
9. परीक्षा (कम) मार्च में (अधिकरण)।
10. मैं (कत्ता) शाम को (अधिकरण)।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित शब्दों में से गणनीय और अगणनीय संज्ञा शब्दों की अलग-अलग सूची बनाइएपेड़, कुर्सी, पानी, किताब, हवा, नदी, गेहूँ, आटा, दूध, घर।
उत्तर:
1. गणनीय संज्ञा-शब्द-पेड़, कुर्सी, किताब, नदी, घर।
2. अगणनीय संज्ञा-शब्द-पानी, हवा, गेहूँ, आटा, दूध।
प्रश्न 13.
ऐसे दो वाक्य बनाइए, जिनमें व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयुक्त हुई हो।
उत्तर:
(1) देश में जयचंदों की कमी नहीं है।
(2) कंसों से बचकर रहो।
प्रश्न 14.
कर्म और संप्रदान अथवा करण और अपादान कारकों का अंतर स्पष्ट करते हुए दो-दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कर्म और संप्रदान-प्रायः ‘को’ परसर्ग कर्म के लिए आता है लेकिन अनेक बार संप्रदान कारक के लिए भी ‘को’ परसर्ग का प्रयोग हो जाता है। संप्रदान कारक में किसी को कुछ देने अथवा कुछ उपकार करने का भाव होता है। अतः जहाँ देने या करने की क्रिया हो, वहाँ संप्रदान कारक माना जाएगा शेष प्रयोगों में कर्म कारक; यथा-
संप्रदान कारक : मैंने सीता को पैन दिया।
कर्म कारक: मैंने श्याम को बुलाया।
करण और अपादान:
करण और अपादान दोनों कारकों में से’ परसर्ग का प्रयोग होता है। इसलिए दोनों के अंतर का प्रश्न उत्पन्न होता है। जहाँ ‘से’ परसर्ग अलग होने का भाव प्रकट करे, वहाँ अपादान कारक होगा और जहाँ ‘से’ परसर्ग साधन के अर्थ में आता है, वहाँ करण कारक होगा। यथा-
अपादान कारक-
वृक्षों से पत्ते गिरते हैं।
लड़के स्कूल से आए हैं।
करण कारक-
मोहन रिक्शा से आया है।
पेड़ों से हमें लकड़ी मिलती है।
प्रश्न 15.
व्यक्तिवाचक, जातिवाचक एवं भाववाचक संज्ञा के दो-दो उदाहरण देकर उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
1. व्यक्तिवाचक संज्ञा:
उदाहरण-चंडीगढ़, गंगा।
वाक्य-(i) चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है।
(ii) गंगा हमारी पवित्र नदी है।
2. जातिवाचक संज्ञा:
पशु एवं पुस्तक।
वाक्य-
(i) राम के घर पशु नहीं हैं।
(ii) पुस्तकों में ज्ञान भरा पड़ा है।
3. भाववाचक संज्ञा:
वीरता, प्रेम।
वाक्य-
(i) वीरता मानव का महान गुण है।
(ii) प्रेम से सबको जीता जा सकता है।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर इसमें से संज्ञा शब्द छाँटकर उनके नाम लिखिए
एक दिन आनंद की इस दीवार में एक दरार पड़ गई और तब मुझे सोचना पड़ा कि अपने घर, अपने पड़ोस, अपने नगर की सभाओं में समता, सहारा, ज्ञान और आनंद के उपहार पाकर भी मेरी स्थिति एकदम हीन है और हीन भी इतनी कि मेरा कहीं भी कोई अपमान कर सकता है।
उत्तर:
संज्ञा शब्द – संज्ञा का नाम
आनंद – भाववाचक संज्ञा
दीवार – जातिवाचक संज्ञा
दरार – भाववाचक संज्ञा
घर – जातिवाचक संज्ञा
पड़ोस – जातिवाचक संज्ञा
नगर – जातिवाचक संज्ञा
सभा – जातिवाचक संज्ञा
समता – भाववाचक संज्ञा
सहारा – भाववाचक संज्ञा
ज्ञान – भाववाचक संज्ञा
उपहार – भाववाचक संज्ञा
स्थिति – भाववाचक संज्ञा
हीन – भाववाचक संज्ञा
अपमान – भाववाचक संज्ञा
प्रश्न 17.
दो ऐसे वाक्य बनाइए जिनमें जातिवाचक संज्ञा व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयुक्त हुई हो।
उत्तर:
(1) पंडित जी हमारे प्रधानमंत्री थे।
(2) भारत गाँधी का देश है।
यहाँ पंडित’ और ‘गाँधी’ जातिवाचक संज्ञाएँ होती हुई भी व्यक्ति विशेष की ओर संकेत कर रही हैं।
प्रश्न 18.
पाँच ऐसी भाववाचक संज्ञाएँ लिखिए जो मूलतः भाववाचक संज्ञाएँ न हों अपित अन्य शब्दों से बनी हुई हों। जैसे-चढ़ना (क्रिया) से चढ़ाई।
उत्तर:
भाववाचक संज्ञाएँ – शब्द जिनसे ये संज्ञाएँ बनी हैं।
कालिमा – ‘काला’ विशेषण से
मिलन – “मिलना’ क्रिया से
ममता – ‘मम’ सर्वनाम से
मनुष्यत्व – ‘मनुष्य’ जातिवाचक संज्ञा से
निकटतां – ‘निकट’ अव्यय से।
प्रश्न 19.
निम्नलिखित वाक्यों में मोटे अक्षरों में मुद्रित संज्ञाओं से लिंग, वचन और कारक बताइए
(क) पढ़ते समय मेरी आँखों से पानी निकलता है।
(ख) बिजली के चले जाने पर हम मोमबत्ती जलाते हैं।
(ग) उद्यान में फूल खिल रहे हैं।
(घ) प्रकाश से अंधकार नष्ट होता है।
(ङ) उसे तार द्वारा सूचित कर रहा हूँ।
उत्तर:
प्रश्न 20.
तीन उदाहरण देकर लिंग परिवर्तन के कारण वाक्य स्तर पर होने वाले परिवर्तन स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1. अच्छा गायक अच्छा गीत गाता है। अच्छी गायिका अच्छा गीत गाती है।
यहाँ लिंग परिवर्तन से विशेषण तथा क्रिया में परिवर्तन हुआ है।
2. तुम्हारा पुत्र पढ़ता-पढ़ता सो गया। तुम्हारी पुत्री पढ़ती-पढ़ती सो गई।
यहाँ लिंग-परिवर्तन के कारण संबंध कारक, क्रियाविशेषण तथा क्रिया पद में परिवर्तन हुआ है।
3. मेरी बेटी महाविद्यालय जाती है। मेरा बेटा महाविद्यालय जाता है।
यहाँ लिंग परिवर्तन के कारण विशेषण तथा क्रिया में परिवर्तन हुआ है।
प्रश्न 21.
आदरार्थक बहुवचन से क्या तात्पर्य है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
एकवचन संज्ञा के साथ जब आदर के लिए बहुवचन का प्रयोग किया जाता है तो उसे आदरार्थक बहुवचन कहते हैं। यथा
1. मंत्री जी मंच पर पधार गए हैं।
2. प्रधानमंत्री रूस गए हैं।
3. प्राचार्य महोदय अपने कार्यालय में हैं।
4. महात्मा गांधी हमारे राष्ट्रपिता थे।
उपर्युक्त वाक्य में एक व्यक्ति का वर्णन है परंतु आदर-प्रदर्शन के लिए बहुवचन का प्रयोग किया गया है।
प्रश्न 22.
निम्नलिखित अप्राणिवाचक संज्ञा शब्दों का लिंग बताइएहीरा, दाँत, चाँदी, चंद्रमा, चैत्र, लंका, शस्त्र, विस्तार
उत्तर:
हीरा-पुल्लिंग
दाँत-पुल्लिंग
चाँदी-स्त्रीलिंग
चंद्रमा-पुल्लिंग
चैत्र-पुल्लिंग
लंका-स्त्रीलिंग
शस्त्र-पुल्लिंग
विस्तार-पुल्लिंग
प्रश्न 23.
निम्नलिखित मोटे एवं रेखांकित पदों का कारक बताइए
(क) सुनीता स्कूल से आई है।
(ख) रात को आकाश में तारे चमकते हैं।
(ग) रमेश को स्कूल जाना है।
(घ) शिकारी ने पक्षी को मार गिराया।
(ङ) मैंने पेंसिल से चित्र बनाया है।
(च) बालक ने भिखारी को रुपया दिया।
उत्तर:
(क) सुनीता- कर्ता कारक
(ख) रात को- अधिकरण कारक
(ग) रमेश को- कर्ता कारक
(घ) पक्षी को- कर्म कारक
(ङ) पेंसिल से- करण कारक
(च) भिखारी को- संप्रदान कारक।
प्रश्न 24.
किन-किन कारणों से संज्ञा शब्दों में रूपांतर होता है? एक-एक उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
संज्ञा शब्दों में लिंग, वचन और कारक के कारण परिवर्तन होता है। यथा-
लिंग- लड़का-लड़की, नर-नारी।
वचन- बेटा-बेटे नारी-नारियाँ।
कारक- पिता-पिता ने पिता को, पिता से, पिता के लिए, पिता का, पिता में, हे पिता!
प्रश्न 25.
पाँच ऐसे शब्द लिखिए जो सदा स्त्रीलिंग ही हों।
उत्तर:
रोटी, गाय, कोयल, मोभी, मैना।
प्रश्न 26.
पाँच ऐसे शब्द लिखिए जो नित्य पुल्लिंग रूप में ही प्रयुक्त होते हों।
उत्तर:
कौआ, तोता, खरगोश, उल्लू, खटमल।