HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Sandhi संधि Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran संधि

संधि

Hindi Vyakaran Sandhi HBSE 10th Class प्रश्न 1.
संधि किसे कहते हैं? इसके कितने भेद हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
संधि का शाब्दिक अर्थ है-मिलना या जुड़ना। निकटवर्ती वर्गों के मेल से होने वाले परिवर्तन को ही संधि कहते हैं अर्थात् जब ध्वनियाँ निकट होने पर आपस में मिल जाती हैं और एक नया रूप धारण कर लेती हैं, तब संधि मानी जाती है; जैसे
विद्या + आलय = विद्यालय
सत् + जन = सज्जन
दुः + जन = दुर्जन
देव + इंद्र = देवेंद्र
रेखा + अंकित = रेखांकित

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

संधि के तीन भेद हैं-
(i) स्वर संधि,
(ii) व्यंजन संधि,
(iii) विसर्ग संधि।

(i) स्वर संधि दो स्वरों के आपस में मेल होने से जो परिवर्तन होता है, उसे स्वर संधि कहते हैं; जैसे-परम + आत्मा = परमात्मा।

स्वर संधि के पाँच उपभेद हैं
1. दीर्घ संधि
2. गुण संधि
3. वृद्धि संधि
4. यण संधि
5. अयादि संधि।

1. दीर्घ संधि-जब ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ से परे क्रमशः ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आए तो दोनों मिलकर क्रमशः आ, ई, ऊ हो जाते हैं।
अ + अ = आ
मत + अनुसार = मतानुसार
वेद + अंत = वेदांत
परम + अणु = परमाणु
सार + अंश = सारांश
धर्म + अर्थ = धर्मार्थ
स्व + अधीन = स्वाधीन

अ + आ = आ
भोजन + आलय = भोजनालय
हिम + आलय = हिमालय
परम + आत्मा = परमात्मा
दश + आनन = दशानन
रत्न + आकर = रत्नाकर
धन + आदेश = धनादेश

आ + अ = आ
यथा + अर्थ = यथार्थ
रेखा + अंकित = रेखांकित
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
दीक्षा + अंत = दीक्षांत
परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी

आ + आ = आ
महा + आत्मा = महात्मा
विद्या + आलय = विद्यालय
महा + आनंद = महानंद
कारा + आवास = कारावास
दया + आनंद = दयानंद
मदिरा + आलय = मदिरालय

इ + इ = ई
रवि + इंद्र = रवींद्र
कवि + इंद्र = कवींद्र
अति + इव = अतीव
कपि + इंद्र = कपींद्र
अभि + इष्ट = अभीष्ट

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

इ + ई = ई
गिरि + ईश = गिरीश
परि + ईक्षा = परीक्षा
कपि + ईश = कपीश
हरि + ईश = हरीश
फणि + ईश्वर = फणीश्वर
मुनि+ ईश्वर = मुनीश्वर

ई + इ = ई
मही + इंद्र = महींद्र
नारी+ इंदु = नारीदु
नदी + इंद्र = नदींद्र
शची+ इंद्र = शचींद्र
नारी + इच्छा = नारीच्छा

ई + ई = ई
रजनी + ईश = रजनीश
नदी + ईश = नदीश
जानकी + ईश = जानकीश
नारी + ईश्वर = नारीश्वर
मही + ईश = महीश
योगी + ईश्वर = योगीश्वर

उ + उ = ऊ
भानु + उदय = भानूदय
सु + उक्ति = सूक्ति
लघु + उत्तर = लघूत्तर
विधु + उदय = विधूदय
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
अनु + उदित = अनूदित

उ + ऊ = ऊ
अंबु + ऊर्मि = अंबूर्मि
सिंधु + ऊर्मि = सिंधूमि
लघु + ऊर्मि = लघूर्मि

ऊ + उ = ऊ
वधू + उत्सव = वधूत्सव
भू + उत्सर्ग = भूत्सर्ग

ऊ + ऊ = ऊ
भू + ऊर्जा = भूर्जा
वधू + ऊर्मि = वधूर्मि

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

Sandhi 10th Class HBSE

2. गुण संधि-यदि ‘अ’ और ‘आ’ के आगे ‘इ’ या ‘ई’, ‘उ’ या ‘ऊ’, ऋ स्वर आते हैं, तो दोनों के मिलने से क्रमशः ‘ए’, ‘ओ’ और ‘अर’ हो जाते हैं।

अ + इ = ए
देव + इंद्र = देवेंद्र
नर + इंद्र = नरेंद्र
भारत + इंदु = भारतेंदु
स्व + इच्छा = स्वेच्छा
सत्य + इंद्र = सत्येंद्र
गज + इंद्र = गजेंद्र

आ + इ = ए
राजा + इंद्र = राजेंद्र
रमा + इंद्र = रमेंद्र
यथा + इष्ट = यथेष्ट
महा + इंद्र = महेंद्र

अ + ई = ए
गण + ईश = गणेश
नर + ईश = नरेश
राज + ईश = राजेश
कमल + ईश = कमलेश
परम + ईश्वर = परमेश्वर
सुर + ईश = सुरेश

आ + ई = ए
रमा + ईश = रमेश
महा + ईश्वर = महेश्वर
राका + ईश = राकेश
लंका + ईश = लंकेश
महा + ईश = महेश
गंगा + ईश्वर = गंगेश्वर

अ + उ = ओ
वीर + उचित = वीरोचित
सूर्य + उदय = सूर्योदय
वसंत + उत्सव = वसंतोत्सव
भाग्य + उदय = भाग्योदय
पर + उपकार = परोपकार
उत्तर + उत्तर = उत्तरोत्तर

अ + ऊ = ओ
जल + ऊर्मि = जलोमि
भाव + ऊर्मि = भावोर्मि
समुद्र + ऊर्मि = समुद्रोर्मि
नव + ऊढ़ा = नवोढ़ा
सागर + ऊर्मि = सागरोर्मि

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

आ + उ = ओ
महा + उत्सव = महोत्सव
महा + उदधि = महोदधि

आ + ऊ = ओ
गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि
महा + ऊर्मि = महोर्मि
महा + ऊष्पा = महोष्मा

अ + ऋ = अर्
देव + ऋषि = देवर्षि
राज + ऋषि = राजर्षि
ब्रह्म + ऋषि = ब्रह्मर्षि
देव + ऋषि = देवर्षि
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि

आ + ऋ = अर्
महा + ऋषि = महर्षि

उद्यत का संधि HBSE 10th Class

3. वृद्धि संधि-जब ‘अ’ या ‘आ’ से परे ‘ए’ या ‘ऐ’ हो तो दोनों मिलकर ‘ऐ’ हो जाते हैं और ‘ओ’ या ‘औ’ हो तो ‘औ’ हो जाता है।

अ + ए = ऐ
एक + एक = एकैक
लोक + एषणा = लोकैषणा

अ + ऐ = ऐ
मत + ऐक्य = मतैक्य
परम + ऐश्वर्य = परमैश्वर्य
धन + ऐश्वर्य = धनैश्वर्य

आ + ए = ऐ
सदा + एव = सदैव
तथा + एव = तथैव/

आ + ऐ = ऐ
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
रमा + ऐश्वर्य = रमैश्वर्य

अ + ओ = औ
परम + ओज = परमौज
दंत + ओष्ठ = दंतौष्ठ
जल + ओघ = जलौघ

अ + औ = औ
वन + औषधि = वनौषधि
परम + औदार्य = परमौदार्य
परम + औषध = परमौषध

आ + ओ = औ
महा + ओजस्वी = महौजस्वी
महा + ओज = महौज
महा + ओघ = महौघ

आ + औ = औ
महा + औषध = महौषध
महा + औदार्य = महौदार्य

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

Sandhi Class 10 HBSE

4. यण संधि-यदि इ, ई, उ, ऊ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आए तो इ/ई का ‘य’, उ/ऊ का ‘व’ और ऋ का ‘र’ हो जाता है।

इ + अ = य
अति + अधिक = अत्यधिक
अति + अंत = अत्यंत
यदि + अपि = यद्यपि
अति + आवश्यक = अत्यावश्यक

इ + आ = या
इति + आदि = इत्यादि
नदी + आगम = नद्यागम

ई + आ = या
सखी + आगमन = सख्यागमन
अति + उत्तम = अत्युत्तम

इ + उ = यु
उपरि + उक्त = उपर्युक्त
अभि + उदय = अभ्युदय
प्रति + उत्तर = प्रत्युत्तर
प्रति + ऊष = प्रत्यूष

इ + ऊ = यू
नि + ऊन = न्यून
वि + ऊह = व्यूह

इ + ए = ये
प्रति + एक = प्रत्येक
अधि + एषणा = अध्येषणा

उ + अ = व
सु + अच्छ = स्वच्छ
मनु + अंतर = मन्वंतर
अनु + अय = अन्वय

उ + आ = वा
सु + आगत = स्वागत
मधु + आलय = मध्वालय
गुरु + आदेश = गुवदिश

उ + इ = वि
अनु + इति = अन्विति
अनु + इत = अन्वित

उ + ए = वे
अनु + एषण = अन्वेषण
प्रभु + एषणा = प्रभ्वेषणा

ऊ + आ = वा
वधू + आगमन = वध्वागमन
भू + आदि = भ्वादि

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

ऋ + आ = रा
मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा
पितृ + आनुमति = पित्रानुमति
मातृ + आदेश = मात्रादेश

Sandhi Class 10 Hindi HBSE

5. अयादि संधि-जहाँ ए/ऐ, ओ/औ के बाद कोई भिन्न स्वर आता है, तो इनके स्थान पर क्रमशः ए का अय, ऐ का आय, ओ का अव तथा औ का आव हो जाता है।

ए + अ = अय
ने + अन = नयन
शे + अन = शयन
चे + अन = चयन

ऐ + अ = आय
नै + अक = नायक
गै + अक = गायक

ऐ + इ = आयि
गै + इका = गायिका
नै + इका = नायिका
कै + इक = कायिक

ओ + अ = अव
पो + अन = पवन
भो + अन = भवन
हो + अन = हवन

औ + उ = आवु
भौ + उक = भावुक

औ + अ = आव
पौ + अन = पावन
पौ + अक = पावक

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

(ii) व्यंजन संधि-व्यंजन ध्वनि से परे कोई स्वर या व्यंजन आने से जो परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं; जैसेजगत् + नाथ =’जगन्नाथ।
व्यंजन संधि के नियम इस प्रकार हैं

1. वर्ग के पहले वर्ण का तीसरे वर्ण में परिवर्तन यदि क, च, ट्, त्, प् वर्ण से परे कोई स्वर या वर्ग का तीसरा-चौथा वर्ण या य, र, ल, व, ह में से कोई वर्ण हो, तो पहले वर्ण का उसी वर्ण का तीसरा वर्ण हो जाता है।
वाक् + दत्ता = वाग्दत्ता
वाक् + ईश = वागीश
षट् + आनन = षडानन
दिक् + अंबर = दिगंबर
दिक् + गज = दिग्गज
सत् + गति = सद्गति
सत् + गुण = सद्गुण
सत् + वाणी = सद्वाणी
अप + धि = अब्धि

2. वर्ग के पहले वर्ण का पंचम वर्ण में परिवर्तन यदि वर्ग के पहले वर्ण से परे कोई अनुनासिक अर्थात् ‘न’ या ‘म’ हो, तो पहला वर्ण उसी वर्ग का अनुनासिक वर्ण हो जाता है।
वाक् + मय = वाङ्मय
षट् + मास = षण्मास
जगत् + नाथ = जगन्नाथ
सत् + मार्ग = सन्मार्ग
चित् + मय = चिन्मय
उत् + मत = उन्मत
सत् + मति = सन्मति
उत् + नायक = उन्नायक
उत् + मेष = उन्मेष
उत् + यत = उद्यत

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

3. ‘त’ सम्बन्धी नियम-
(क) ‘त्’ के बाद यदि ‘ल’ हो तो ‘त’ ‘ल’ में बदल जाता है।
उत् + लेख = उल्लेख
तत् + लीन = तल्लीन
उत् + लास = उल्लास

(ख) ‘त्’ या ‘द्’ के बाद ज/झ हो, तो त्, द् ‘ज्’ में बदल जाता है।
सत् + जन = सज्जन
उत् + ज्वल = उज्ज्वल
जगत् + जननी = जगज्जननी
विपत् + जाल = विपज्जाल

(ग) “त्’ के बाद यदि ट/ड हो तो ‘त’ ट्/ड् में बदल जाता है।
तत् + टीका = तट्टीका ।
उत् + डयन = उड्डयन
बृहत् + टीका = बृहट्टीका

(घ) ‘त्’ के बाद यदि ‘श्’ हो तो ‘त्’ का ‘च’ और ‘श’ का ‘छ्’ हो जाता है।
उत् + श्वास = उच्छवास
सत् + शास्त्र = सच्छास्त्र
तत् + शिव = तच्छिव
उत् + शिष्ट = उच्छिष्ट

‘त्’ के बाद यदि ‘च/छ’ हो तो ‘त्’ का ‘च’ हो जाता है।
उत् + चारण = उच्चारण
सत् + चरित्र = सच्चरित्र
उत् + चरित = उच्चरित
जगत् + छाया = जगच्छाया

‘त्’ के बाद ‘ह’ हो तो ‘त’ का ‘द’ और ‘ह’ का ‘धू’ हो जाता है।
तत् + हित = तद्धित
उत् + हार = उद्धार
पत् + हति = पद्धति
उत् + हत = उद्धत

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

4. ‘छ’ संबंधी नियम-जब किसी शब्द के अंत में स्वर हो और आगे के शब्द का पहला वर्ण ‘छ’ हो, तो ‘छ’ का ‘छ’ हो जाता है।
अनु + छेद = अनुच्छेद
वि + छेद = विच्छेद
स्व + छंद = स्वच्छंद
परि + छेद = परिच्छेद
आ + छादन = आच्छादन
छत्र + छाया = छत्रच्छाया

5. ‘म’ संबंधी नियम-जब पहले शब्द के अंतिम वर्ण ‘म’ के आगे दूसरे शब्द का प्रथम वर्ण (य, र, ल, व) या (श, ष, स, ह) या अन्य स्पर्श व्यंजन हो, तो ‘म’ के स्थान पर पंचम वर्ण अथवा अनुस्वार हो जाता है।
सम् + चय = संचय
सम् + योग = संयोग
सम् + हार = संहार
सम् + भव = संभव
सम् + लाप = संलाप
सम् + लग्न = संलग्न
सम् + स्मरण = संस्मरण
सम् + शोधन = संशोधन
सम् + मति = सम्मति
सम् + बंध = संबंध
सम् + सार = संसार
सम् + रक्षण = संरक्षण
सम् + तोष = संतोष
सम् + गम = संगम
सम् + शय = संशय
अहम् + कार = अहंकार

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

6. ‘न’ का ‘ण’ संबंधी नियम-यदि ऋ, र, ष के बाद ‘न’ व्यंजन आता है तो ‘न’ का ‘ण’ हो जाता है।
परि + नाम = परिणाम
राम + अयन = रामायण
मर + न = मरण
प्र + मान = प्रमाण
भर + न = भरण

7. ‘स’ का ‘ष’ संबंधी नियम-यदि ‘स’ से पहले ‘अ’, ‘आ’ से भिन्न स्वर हो तो ‘स’ का ‘ष’ हो जाता है।
अभि + सेक = अभिषेक
नि + सेध = निषेध
वि + सम = विषम
सु + सुप्ति = सुषुप्ति

(iii) विसर्ग संधि-विसर्ग के बाद यदि स्वर या व्यंजन आने पर विसर्ग में जो परिवर्तन होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं; जैसे
निः + गुण = निर्गुण।

विसर्ग संधि के नियम इस प्रकार हैं-
1. विसर्ग का ‘ओ’ होना विसर्ग से पहले यदि ‘अ’ हो और बाद में ‘अ’ अथवा वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवां अक्षर या य, र, ल, व आ जाए तो विसर्ग के स्थान पर ‘ओ’ हो जाता है।
यशः + गान = यशोगान
मनः + भाव = मनोभाव
सरः + ज = सरोज
मनः + विकार = मनोविकार
अधः + गति = अधोगति
निः + आहार = निराहार
रजः + गुण = रजोगुण
मनः + हर = मनोहर
तपः + बल = तपोबल
वयः + वृद्ध = वयोवृद्ध
पयः + द = पयोद
मनः + अनुकूल = मनोनुकूल

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

2. विसर्ग का ‘र’ होना यदि विसर्ग से पहले ‘अ’, ‘आ’ को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो और आगे का तीसरा, चौथा, पाँचवां अक्षर या य, र, ल, व अथवा स्वर हो, तो विसर्ग का ‘र’ हो जाता है।
निः + आशा = निराशा
दुः + उपयोग = दुरुपयोग
दुः + लभ = दुर्लभ
आशीः + वाद = आशीर्वाद
निः + धन = निर्धन
दुः + जन = दुर्जन
निः + गुण = निर्गुण
बहिः + मुख = बहिर्मुख
पुनः + जन्म = पुनर्जन्म
निः + यात = निर्यात
दुः + बुद्धि = दुर्बुद्धि
निः + उत्तर = निरुत्तर
निः + भय = निर्भय

3. विसर्ग का ‘श’ होना विसर्ग से पहले यदि कोई स्वर हो और बाद में ‘च’ या ‘छ’ हो तो विसर्ग का ‘श्’ हो जाता है।
निः + चल = निश्चल
निः + छल = निश्छल
निः + चय = निश्चय
दुः + चरित्र = दुश्चरित्र
दुः + शासन = दुश्शासन
निः + चिंत = निश्चित

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

4. विसर्ग का ‘स’ होना-विसर्ग के बाद यदि ‘त’ या ‘स’ हो तो विसर्ग का ‘स्’ हो जाता है।
निः + संतान = निस्संतान
निः + तेज = निस्तेज
दुः + साहस = दुस्साहस
मनः + ताप = मनस्ताप
नमः + ते = नमस्ते
निः + संदेह = निस्संदेह

5. विसर्ग का ‘ष’ होना विसर्ग से पहले इ/उ और बाद में क, खं, ट, ठ, प, फ में से कोई वर्ण हो, तो विसर्ग का ‘ष’ हो जाता है।
निः + कलंक = निष्कलंक
दुः + कर = दुष्कर
बहिः + कार = बहिष्कार
निः + फल = निष्फल
दुः + प्रकृति = दुष्प्रकृति
चतुः + पाद = चतुष्पाद
निः + पाप = निष्पाप
निः + कपट = निष्कपट

6. विसर्ग का लोप(क) यदि विसर्ग से पहले अ, आ हो और बाद में कोई भिन्न स्वर हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है; जैसे
अतः + एव = अतएव

(ख) विसर्ग के बाद ‘र’ हो तो विसर्ग लुप्त हो जाता है और स्वर दीर्घ हो जाता है।
निः + रोग = नीरोग
निः + रस = नीरस
निः + रव = नीरव

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

7. विसर्ग यथारूप-यदि विसर्ग के आगे क, प, में से कोई वर्ण हो, तो विसर्ग यथारूप रहता है।
अंतः + करण = अंतःकरण
प्रातः + काल = प्रातःकाल
अधः + पतन = अधःपतन

अभ्यासार्थ कुछ महत्त्वपूर्ण उदाहरण:
सीमा + अंत = सीमांत
निः + सार = निस्सार
भू + ऊर्ध्व = भूर्ध्व
प्रति + एक = प्रत्येक
दुः + कर्म = दुष्कर्म
नर + इंद्र = नरेंद्र
उत् + चारण = उच्चारण
शाक + आहारी = शाकाहारी
देव + इंद्र = देवेंद्र
मनः + विज्ञान = मनोविज्ञान
वाक् + धारा = वाग्धारा ।
उत् + मत = उन्मत्त
दुः + कृत = दुष्कृत
लोक + एषण = लोकेषण
निः + आश्रय = निराश्रय
सम् + वाद = संवाद
परम + आत्मा = परमात्मा
निः +शेष = निश्शेष

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

स्व + अर्थी = स्वार्थी
तथा + अस्तु = तथास्तु
उत् + गम = उद्गम
निः + आमिष = निरामिष
स्व + आधीन = स्वाधीन
देव + आलय = देवालय
तमः + गुण = तमोगुण
रजनी + ईश = रजनीश
भोजन + आलय = भोजनालय
सत् + जन = सज्जन
सम + रक्षक = संरक्षक
शिक्षा + अर्थी = शिक्षार्थी
सम् + सार = संसार
कृष् + न = कृष्ण
परीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी
नमः + आकार = नमस्कार
निर् + मान = निर्माण
सरः + ज = सरोज
मनः + रथ = मनोरथ
परम + ईश्वर = परमेश्वर
मनः + हर = मनोहर
अति + इव = अतीव
महा + इंद्र = महेंद्र
दुः + दशा = दुर्दशा
आयत + आकार = आयताकार
रमा + इंद्र = रमेंद्र
निः + आशा = निराशा

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

पद्य + आत्मक = पद्यात्मक
हित + उपदेश = हितोपदेश
दुः + शासन = दुश्शासन
निः + आकार = निराकार
मानव + उचित = मानवोचित
निः + काम = निष्काम
किम् + चित् = किंचित
जल + ऊर्मि = जलोर्मि
बहिः + कार = बहिष्कार
उत् + हार = उद्धार
गंगा + उदक = गंगोदक
दिन + ईश = दिनेश
तथा + एव = तथैव
देव + ऋषि = देवर्षि
प्रति + उपकार = प्रत्युपकार
विः + छेद = विच्छेद
दया + आनंद = दयानंद
स्व + अर्थ = स्वार्थ
पुरः + हित = पुरोहित
अति + इव = अतीव
सूर्य + अस्त = सूर्यास्त

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

तपः + वन = तपोवन
गिरि + ईश = गिरीश
हरि + ईश = हरीश
मनः + दशा = मनोदशा
कवि + ईश्वर = कवीश्वर
कपी + इंद्र = कपींद्र
निः + मल = निर्मल
नदी + ईश = नदीश
उत् + हरण = उद्धरण
दुः + साहस = दुस्साहस
विधु + उदय = विधूदय
विष् + नु = विष्णु
व्याकर् + अन = व्याकरण
निः + प्राण = निष्प्राण
दुः + परिणाम = दुष्परिणाम
परि + नाम = परिणाम
इति + आदि = इत्यादि
धनुः + धारी = धनुर्धारी
अधः + गति = अधोगति
सु + अल्प = स्वल्प
दिक् + दर्शन = दिग्दर्शन
सरः + वर = सरोवर
षट् + मास = षण्मास
अंतः + जातीय = अंतर्जातीय
निः + गुण = निर्गुण

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran संधि

वाक् + दान = वाग्दान
तव + ऐश्वर्य = तवैश्वर्य
निः + चल = निश्चल
तत् + अनुसार = तदनुसार
महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
निः + कलंक = निष्कलंक
तत् + लीन = तल्लीन
घृत + ओदन = घृतौदन
यशः + गान = यशोगान
सम् + बंध = संबंध
तव + औषधि = तवौषधि
दुः + कर = दुष्कर
अति + अधिक = अत्याधिक
उत् + लेख = उल्लेख
सम् + योग = संयोग
दिक् + अम्बर = दिंगबर

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