HBSE 10th Class Hindi Vyakaran समास

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Samas समास Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran समास

समास

Samas 10th Class HBSE Hindi प्रश्न 1.
समास किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से जो नया शब्द बनता है, उसे समस्त पद कहते हैं और इस मेल की प्रक्रिया को समास कहते हैं।
अथवा
परस्पर संबंध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों के मेल को समास कहते हैं;
जैसे-
विद्यालय = विद्या का आलय
चंद्रमुख = चंद्र-सा मुख

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran समास

Hindi Vyakaran Samas HBSE 10th Class प्रश्न 2.
समास के कितने भेद हैं?
उत्तर:
समास के मुख्य रूप से चार भेद हैं
(i) तत्पुरुष समास
(ii) द्वंद्व समास
(iii) बहुव्रीहि समास
(iv) अव्ययीभाव समास
इसके अतिरिक्त दूसरे पद की प्रधानता की दृष्टि से तत्पुरुष के दो भेद माने जाते हैं
(क) कर्मधारय समास
(ख) द्विगु समास

Samas Hindi Class 10 HBSE प्रश्न 3.
तत्पुरुष समास किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
जिस समास में दूसरा पद प्रधान होता है तथा पहला पद विशेषण होने के नाते गौण होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
इस समास में दोनों शब्दों के बीच में आने वाली कारक विभक्तियों का लोप हो जाता है, इसलिए कारक-चिह्नों की दृष्टि से तत्पुरुष समास के छः भेद किए जा सकते हैं।
(क) कर्म तत्पुरुष समास-जहाँ पूर्वपद में कर्म कारक की विभक्ति ‘को’ का लोप हो जाता है, वहाँ कर्म तत्पुरुष समास होता है।

समस्त पद – विग्रह
स्वर्गप्राप्त – स्वर्ग को प्राप्त
शरणागत – शरण को आगत
गगनचुंबी – गगन को चूमने वाला
सर्वप्रिय – सब को प्रिय
ग्रामगत – ग्राम को गया हुआ
ग्रंथकार – ग्रंथ को रचने वाला
आशातीत – आशा को लाँघ कर गया हुआ
गृहागत – गृह को आगत
यश प्राप्त – यश को प्राप्त
परलोकगमन – परलोक को गया हुआ
मरणासन्न – मरण को पहुँचा हुआ
पदप्राप्त – पद को प्राप्त

(ख) करण तत्पुरुष-जहाँ पूर्वपद में करण कारक की विभक्ति का लोप हो जाता है, उसे करण तत्पुरुष समास कहते हैं।

समस्त पद – विग्रह
सूरकृत – सूर द्वारा कृत
हस्तलिखित – हाथ से लिखा हुआ
दयार्द्र – दया से आर्द्र
रेखांकित – रेखा से अंकित
शक्तिसंपन्न – शक्ति से संपन्न
अकालपीड़ित – अकाल से पीड़ित
मनगढंत – मन से गढ़ी हुई
शोकाकुल – शोक से आकुल
गुणयुक्त – गुण से युक्त
प्रेमातुर – प्रेम से आतुर
मदांध – मद से अंधा
जन्मरोगी – जन्म से रोगी
बिहारी रचित – बिहारी द्वारा रचित
कष्टसाध्य – कष्ट से साध्य
कीर्तियुक्त – कीर्ति से युक्त
अनुभवजन्य – अनुभव से जन्य
भुखमरा – भूख से मरा
स्वरचित – स्व द्वारा रचित
सुनामीपीड़ित – सुनामी से पीड़ित
ईश्वरप्रदत्त – ईश्वर द्वारा प्रदत्त
मालगाड़ी – माल से भरी गाड़ी
तुलसीकृत – तुलसी द्वारा कृत
मदमस्त – मद से मस्त
वाग्दत्ता – वाणी द्वारा दत्त

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran समास

(ग) संप्रदान तत्पुरुष-जहाँ पूर्वपद में संप्रदान कारक की विभक्ति के लिए’ का लोप हो जाता है, वहाँ संप्रदान तत्पुरुष समास होता है।
समस्त पद – विग्रह
राहखर्च – राह के लिए खर्च
परीक्षा केंद्र – परीक्षा के लिए केंद्र
विद्यालय – विद्या के लिए आलय
गुरु दक्षिणा – गुरु के लिए दक्षिणा
पुण्यदान – पुण्य के लिए दान
देश-भक्ति – देश के लिए भक्ति
क्रीड़ा क्षेत्र – क्रीड़ा के लिए क्षेत्र
पाठशाला – पाठ के लिए शाला
रसोई-घर – रसोई के लिए घर
आराम-कुर्सी – आराम के लिए कुर्सी
युद्ध-भूमि – युद्ध के लिए भूमि
मार्ग-व्यय – मार्ग के लिए व्यय
गौशाला – गौ के लिए शाला
चुनाव – आयोग चुनाव के लिए आयोग
डाकगाड़ी – डाक के लिए गाड़ी
पूजाघर – पूजा के लिए घर
बलि पशु – बलि के लिए पशु
मालगोदाम – माल के लिए गोदाम
पाठशाला – पाठ के लिए शाला
देशार्पण – देश के लिए अर्पण
रंगमहल – रंग के लिए महल
सत्याग्रह – सत्य के लिए आग्रह
हथघड़ी – हाथ के लिए घड़ी
हथकड़ी – हाथ के लिए कड़ी
हवन सामग्री – हवन के लिए सामग्री
राज्य लिप्सा – राज्य के लिए लिप्सा

(घ) अपादान तत्पुरुष-जहाँ पूर्वपद में अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ (अलग होने का भाव) का लोप हो जाता है, वहाँ अपादान तत्पुरुष समास होता है।
समस्त पद – विग्रह
धनहीन – धन से हीन
देश निकाला – देश से निकाला
ऋण मुक्त – ऋण से मुक्त
पथ भ्रष्ट – पथ से भ्रष्ट
धर्म विमुख – धर्म से विमुख
पापमुक्त – पाप से मुक्त
भयभीत – भय से भीत
पदच्युत – पद से च्युत देश
निर्वासित – देश से निर्वासित
बंधनमुक्त – बंधन से मुक्त
लक्ष्य भ्रष्ट – लक्ष्य से भ्रष्ट
विद्याहीन – विद्या से हीन
ईश्वर विमुख – ईश्वर से विमुख
आकाश पतित – आकाश से पतित
धर्म भ्रष्ट – धर्म से भ्रष्ट
जन्मांध – जन्म से अंधा

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran समास

(ङ) संबंध तत्पुरुष-जहाँ पूर्वपद में अपादान कारक की विभक्ति का, के, की का लोप हो जाता है, वहाँ संबंध तत्पुरुष समास होता है।
समस्त पद – विग्रह
देशवासी – देश का वासी
राजपुत्री – राजा की पुत्री
समयानुसार – समय के अनुसार
विद्यारत्न – विद्या का रत्न
देवालय – देव का आलय
घुड़दौड़ – घोड़ों की दौड़
उद्योगपति – उद्योग का पति
पराधीन – पर के अधीन
प्रेमसागर – प्रेम का सागर
भारतरत्न – भारत का रत्न
राजनीतिज्ञ – राजनीति का ज्ञाता
राजकुमार – राजा का कुमार
अछूतोद्धार – अछूतों का उद्धार
राजाज्ञा – राजा की आज्ञा
रामभक्त – राम का भक्त
राष्ट्रपति भवन – राष्ट्रपति का भवन
जलधारा – जल की धारा
मृत्युदंड – मृत्यु का दंड
आज्ञानुसार – आज्ञा के अनुसार
राजसभा – राजा की सभा
दिनचर्या – दिन की चर्या
परोपकार – पर के लिए उपकार
परनिंदा – पर की निंदा
प्रसंगानुसार – प्रसंग के अनुसार
गंगातट – गंगा का तट
जीवन साथी – जीवन का साथी
राजमाता – राजा की माता
जलप्रवाह – जल का प्रवाह
परोपकार – दूसरों का उपकार
कनकघट – कनक का घट
ग्राम सेवक – ग्राम का सेवक
रामभक्ति – राम की भक्ति
भ्रातृ स्नेह – भ्रातृ का स्नेह
देवमूर्ति – देव की मूर्ति
देशरक्षा – देश की रक्षा
पूंजीपति – पूंजी का पति
विद्याभंडार – विद्या का भंडार
सचिवालय – सचिव का आलय
लोकसभा – लोक की सभा
सेनानायक – सेना का नायक

(च) अधिकरण तत्पुरुष-जहाँ पूर्वपद में अधिकरण कारक में, पर विभक्ति का लोप हो जाता है, वहाँ अधिकरण तत्पुरुष समास होता है।
समस्त पद – विग्रह
दानवीर – दान में वीर
आपबीती – आप पर बीती
सिरदर्द – सिर में दर्द
शरणागत – शरण में आया हुआ
कार्यकुशल – कार्य में कुशल
आत्मविश्वास – आत्म में विश्वास
घुड़सवार – घोड़े पर सवार
धर्मवीर – धर्म में वीर
स्वर्गवास – स्वर्ग में वास
लोकप्रिय – लोक में प्रिय
विचारमग्न – विचार में मग्न
नीतिनिपुण – नीति में निपुण
पुरुषोत्तम – पुरुषों में उत्तम
कुलश्रेष्ठ – कुल में श्रेष्ठ
जगबीती – जग पर बीती
आनंदमग्न – आनंद में मग्न
रण कौशल – रण में कौशल
व्यवहारकुशल – व्यवहार में कुशल
गृह प्रवेश – गृह में प्रवेश
डिब्बाबंद – डिब्बे में बंद
विद्याप्रवीण – विद्या में प्रवीण
अश्वारोही – अश्व पर सवार
नरोत्तम – नरों में उत्तम
रणवीर – रण में वीर
कार्यनिपुण – कार्य में निपुण
कलानिपुण – कला में निपुण
कविश्रेष्ठ – कवियों में श्रेष्ठ
कवि शिरोमणि – कवियों में शिरोमणि

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran समास

Samas In Hindi Class 10 HBSE  प्रश्न 4.
कर्मधारय समास किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
कर्मधारय समास में एक पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है अथवा एक पद उपमेय तथा दूसरा उपमान होता है अर्थात् दोनों में से एक की तुलना या उपमा दूसरे से की जाती है।
(क) विशेषण-विशेष्य
समस्त पद – विग्रह
महादेव – महान् है जो देव
अंधकूप – अंधा है जो कूप
नीलांबर – नीला है जो अंबर
नीलगाय – नीली है जो गाय
महात्मा – महान् है जो आत्मा
नराधम – नरों में है जो अधम
पुरुषोत्तम – पुरुषों में है जो उत्तम
मुनिश्रेष्ठ – मुनियों में है जो श्रेष्ठ
नीलकमल – नीला है जो कमल
भलामानस – भला है जो मनुष्य
नवगीत – नया है जो गीत
काली-मिर्च – काली है जो मिर्च
महाराजा – महान् है जो राजा
पीतांबर – पीला है जो अंबर
सज्जन – सत् है जो जन
सद्गुण – सद् हैं जो गुण
महाविद्यालय – महान् है जो विद्यालय
कालापानी – काला है जो पानी
महारानी – महान् है जो रानी
नीलकंठ – नीला है जो कंठ
महाजन – महान है जो जन
दीनदयाल – दीनों पर जो है दयाल
मानवोचित – मानव के लिए जो है उचित
पुरुष रत्न – पुरुषों में है जो रत्न
कुबुद्धि – बुरी है जो बुद्धि
अधपका – आधा है जो पका
कापुरुष – कायर है जो पुरुष
दुरात्मा – बुरी है जो आत्मा
दुश्चरित्र – बुरा है जो चरित्र
परमानंद – परम है जो आनंद
नील गगन – नीला है जो गगन
महापुरुष – महान् है जो पुरुष
प्रधानाध्यापक – प्रधान है जो अध्यापक
श्वेतांबर – श्वेत है जो अंबर
लालटोपी – लाल है जो टोपी
शुभागमन – शुभ है जो आगमन
सद्धर्म – सत् है जो धर्म
कृष्णसर्प – काला है जो साँप

(ख) उपमेय-उपमान
समस्त पद – विग्रह
कमलनयन – कमल के समान नयन
चंद्रमुख – चंद्र के समान मुख
घनश्याम – घन के समान श्याम
कनकलता – कनक के समान लता
मृगनयन – मृग के समान नयन
ग्रंथ-रत्न – ग्रंथ रूपी रत्न
करकमल – कमल रूपी कर
देहलता – लता रूपी देह
भवसागर – सागर रूपी भव
चरण कमल – कमल रूपी चरण
प्राण-प्रिय – प्राणों के समान प्रिय
विद्याधन – विद्या रूपी धन
बुद्धिबल – बुद्धि रूपी बल
नरसिंह – सिंह के समान नर
कर-पल्लव – पल्लव रूपी कर
गुरुदेव – गुरु रूपी देव
कुसुम कोमल – कुसुम के समान कोमल
क्रोधाग्नि – क्रोध रूपी अग्नि
भुजदंड – दंड के समान भुजा
मृगलोचन – मृग के समान लोचन
वचनामृत – अमृत रूपी वचन
स्त्री रत्न – स्त्री रूपी रत्न

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran समास

Samaas Class 10 HBSE Hindi प्रश्न 5.
द्विगु समास किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर;
द्विगु समास के समस्त पद का पहला पद संख्यावाचक होता है। इसमें भी पूर्वपद तथा उत्तर पद में विशेषण-विशेष्य का संबंध होता है।
समस्त पद – विग्रह
पंचनद – पाँच नदियों का समाहार
चौराहा – चार राहों का समाहार
नवरत्न – नौ रत्नों का समाहार
त्रिवेणी – तीन वेणियों का समाहार
दशानन – दस आनन (मुखों) का समाहार
चौमासा – चार मासों का समाहार
सतसई – सात सौ (पदों) का समाहार
नवरात्र – नौ रातों का समाहार
दोपहर – दो पहरों का समाहार
नवग्रह – नौ ग्रहों का समाहार
चवन्नी – चार आनों का समाहार
अठन्नी – आठ आनों का समाहार
शताब्दी – सौ वर्षों का समाहार
सप्तर्षि – सात ऋषियों का समाहार
सप्ताह – सात दिनों का समाहार
त्रिभुवन – तीन भुवनों (लोकों) का समाहार
अष्टाध्यायी – आठ अध्यायों का समाहार
चौपाई – चार पदों का समाहार
पंचवटी – पाँच वटों (वृक्षों) का समाहार
चतुर्वर्ण – चार वर्णों का समाहार
त्रिफला – तीन फलों का समाहार
तिरंगा – तीन रंगों का समाहार
पंचतत्त्व – पाँच तत्त्वों का समाहार
अष्टसिद्धि – आठ सिद्धियों का समाहार
दुराहा – दो राहों का समाहार
पंजाब – पाँच आबों का समाहार
षड्रस – छः रसों का समाहार
त्रिलोक – तीन लोकों का समाहार
सप्तद्वीप – सात द्वीपों का समाहार
द्विगु – दो गौओं का समाहार

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran समास

प्रश्न 6.
द्वंद्व समास किसे कहते हैं? उदाहरण सहित व्याख्या करें।
उत्तर:
द्वंद्व का अर्थ होता है दोनों अर्थात् जिस समस्त पद में दोनों पद प्रधान हों, उसे द्वंद्व समास कहते हैं। इसका विग्रह करने पर दोनों पदों के बीच ‘और’, ‘तथा’, ‘अथवा’ और ‘या’ का प्रयोग का होता है तथा दोनों पदों को मिलाते समय इन योजकों का लोप हो जाता है।
समस्त पद – विग्रह
रुपया-पैसा – रुपया और पैसा
अपना-पराया – अपना और पराया
हानि-लाभ – हानि और लाभ
यश-अपयश – यश और अपयश
धनी-मानी – धनी और मानी
माता-पिता – माता और पिता
राजा-रंक – राजा और रंक
खट्टा-मीठा – खट्टा और मीठा
अन्न-जल – अन्न और जल
स्त्री-पुरुष – स्त्री और पुरुष
लव-कुश – लव और कुश
भाई-बहन – भाई और बहन
नर-नारी – नर और नारी
भूख-प्यास – भूख और प्यास
जन्म-मरण – जन्म और मरण
गंगा-यमुना – गंगा और यमुना
पाप-पुण्य – पाप और पुण्य
धर्माधर्म – धर्म और अधर्म
वेद-पुराण – वेद और पुराण
दीन-ईमान – दीन और ईमान
भीमार्जुन – भीम और अर्जुन
लाभालाभ – लाभ और अलाभ
दिन-रात – दिन और रात
अमीर-गरीब – अमीर और गरीब
भला-बुरा – भला और बुरा
देश-विदेश – देश और विदेश
पाप-पुण्य – पाप अथवा पुण्य
छोटा-बड़ा – छोटा और बड़ा
नदी-नाले – नदी और नाले
दूध-दही – दूध और दही
न्यूनाधिक – न्यून अथवा अधिक
गुण-दोष – गुण और दोष
राम-लक्ष्मण – राम और लक्ष्मण
घी-शक्कर – घी और शक्कर
हाथ-पैर – हाथ और पैर
सोना-चाँदी – सोना और चाँदी
जय-पराजय – जय और पराजय
तन-मन – तन और मन
जलवायु – जल और वायु
घर-बाहर – घर और बाहर
देवासुर – देव और असुर
जल-थल – जल और थल
दो-चार – दो या चार
दीन-दुःखी – दीन और दुःखी
दाल-रोटी – दाल और रोटी

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प्रश्न 7.
बहुव्रीहि समास किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
जिस समास के समस्त पदों में से कोई भी पद प्रधान नहीं होता, ये दोनों मिलकर किसी तीसरे पद के विशेषण होते हैं और यह तीसरा पद प्रधान होता है, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
समस्त पद – विग्रह
नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका वह (शिव)
चतुर्भुज – चार भुजाएँ हैं जिसकी वह (विष्णु)
चतुर्मुख – चार मुख हैं जिसके वह (ब्रह्मा)
दशानन – दश आनन (मुख) हैं जिसके वह (रावण)
चक्रपाणि – चक्र है हाथ में जिसके वह (कृष्ण)
वीणापाणि – वीणा है हाथ में जिसके वह (सरस्वती)
लंबोदर – लंबा है उदर (पेट) जिसका वह (गणेश)
त्रिनेत्र – तीन हैं नेत्र जिसके वह (शिव)
पीतांबर – पीला है अंबर जिसका वह (कृष्ण)
दीर्घ बाहु – लंबी भुजाएँ हैं जिसकी वह (विष्णु)
अष्टभुजा – आठ भुजाएँ हैं जिसकी वह (दुर्गा)
त्रिवेणी – तीन नदियों का संगमस्थल (प्रयाग)
एकदंती – एक दांत है जिसका वह (गणेश)
निशाचर – निशा में विचरण करने वाला (राक्षस)
तपोधन – तप ही है धन जिसका वह (तपस्वी)
कुरूप – बुरा है रूप जिसका वह (कोई व्यक्ति)
महात्मा – महान् है आत्मा जिसकी वह (कोई महान् व्यक्ति)
दिगंबर – दिशाएँ ही हैं वस्त्र जिसके वह (नग्न)
सुलोचना – सुंदर हैं लोचन जिसके वह (स्त्री विशेष)
चंद्रमुखी – चंद्र के समान मुख है जिसका वह (स्त्री विशेष)
अजानुबाहु – घुटनों तक लंबी हैं भुजाएँ जिसकी वह (व्यक्ति विशेष)
अंशुमाली – अंशु (किरणे) ही हैं माला जिसकी वह (सूर्य)
सहस्त्र बाहु – सहस्त्र (हज़ारों) भुजाएँ हैं जिसकी वह (दैत्यराज)
बजरंगी – बज्र के समान अंग हैं जिसके वह (हनुमान)
द्विरद् – दो ही रद (दाँत) हैं जिसके वह (हाथी)
कनफटा – कान है फटा जिसका वह (व्यक्ति विशेष)
मृत्युंजय – मृत्यु को जीत लिया है जिसने वह (शंकर)
पतझड़ – पत्ते झड़ते हैं जिसमें वह (पतझड़ ऋतु)
मेघनाद – मेघ के समान नाद है जिसका वह (रावण का पुत्र)
घनश्याम – घन के समान श्याम है जो वह (कृष्ण)
मक्खीचूस – मक्खी को चूसने वाला (कँजूस)
विषधर – विष को धारण करने वाला (सप)
बारहसिंगा – बारह सींग हैं जिसके वह (मृग विशेष)
श्वेतांबर – सफेद हैं वस्त्र जिसके वह (सरस्वती)
चंद्रशेखर – चंद्र है मस्तक पर जिसके वह (शिव)
गजानन – गज के समान आनन है जिसका वह (गणेश)
नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका वह (शिव)
जितेंद्रिय – जीत लिया है इंद्रियों को जिसने वह (संयमी पुरुष)
अनाथ – नाथ (स्वामी) न हो जिसका कोई वह (कोई बालक)
अल्पबुद्धि – अल्प है बुद्धि जिसकी वह (व्यक्ति विशेष)
चक्रधर – चक्र को धारण किया है जिसने वह (कृष्ण)
दूधमुँहा – मुँह में दूध है जिसके वह (बालक)
अल्पाहारी – अल्प आहार करता है जो (व्यक्ति विशेष)
त्रिलोकी – तीन लोकों का स्वामी है जो (राम)
निर्दयी – नहीं है दया जिसमें वह (व्यक्ति विशेष)
पतिव्रता – पति ही है व्रत जिसका वह (स्त्री विशेष)
मृगनयनी – मृग के समान नयन हैं जिसके वह (स्त्री विशेष)
कैलाशपति – कैलाश पर्वत का स्वामी है जो (शिव)
महादेव – महान् है जो देव वह (शिव)
राजीव लोचन – राजीव (कमल) के समान नयन हैं जिसके वह (राम)
तीव्रबुद्धि – तीव्र बुद्धि है जिसकी वह (व्यक्ति विशेष)

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran समास

प्रश्न 8.
अव्ययीभाव समास किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।
उत्तर:
अव्ययीभाव का अर्थ है-अव्यय हो जाना। जिस समास में पहला पद प्रधान हो तथा वह अव्यय हो तो उसके योग से समस्त पद भी अव्यय बन जाता है। पूर्वपद अव्यय होने के कारण इसका रूप कभी नहीं बदलता।
समस्त पद – विग्रह
आजन्म – जन्म से लेकर
प्रतिदिन – प्रत्येक दिन
प्रतिपल – प्रत्येक पल
यथाक्रम – क्रम के अनुसार
आमरण – मरण तक
आसमुद्र – समुद्र पर्यंत
यथासंभव – जितना संभव हो सके
यथाविधि – विधि के अनुसार
प्रत्यक्ष – आँखों के सामने
हाथों-हाथ – हाथ ही हाथ में
यथाशीघ्र – जितना शीघ्र हो सके
दिनों-दिन – दिन ही दिन में
भरपेट – पेट भर के
यथोचित – जो उचित हो
अनजाने – बिना जाने
निस्संदेह – बिना संदेह के
भरपेट – शक के बिना
प्रतिवर्ष – हर वर्ष
यथानियम – नियम के अनुसार
बीचोंबीच – बीच ही बीच में
आजीवन – जीवन भर
आसेतु – सेतु तक
गाँव-गाँव – प्रत्येक गाँव
गली-गली – प्रत्येक गली
निडर – डर रहित
प्रतिमास – हर मास
यथामति – मति के अनुसार
बेखटके – यथारुचि रुचि के अनुसार
यथावसर – यथास्थिति स्थिति के अनुसार
यथायोग्यता – यथासमय समय के अनुसार
यथाशक्ति – शक्ति के अनुसार
रातभर – पूरी रात
अनुरूप – रूप के अनुसार
बखूबी – खूबी के साथ
निधड़क – बिना धड़क
भरसक – पूरी शक्ति से
बाकायदा – कायदे के अनुसार

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