HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Kriya क्रिया Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

क्रिया

क्रिया HBSE 10th Class Hindi Vyakaran प्रश्न 1.
क्रिया की परिभाषा उदाहरण सहित दीजिए। उत्तर-क्रिया वह शब्द अथवा पद है जिससे किसी कार्य के होने का बोध हो; जैसे
(क) चिड़िया आकाश में उड़ रही है।
(ख) मोहन दौड़ रहा है।
(ग) राम पत्र लिख रहा है।
(घ) बच्चे स्कूल गए।
(ङ) शीला ने गीत गाया।
उपर्युक्त वाक्यों में प्रयुक्त ‘उड़’, ‘दौड़’ ‘लिख’, ‘गए’ और ‘गाया’ शब्दों से किसी-न-किसी क्रिया के होने का ज्ञान होता है। अतः ये सब क्रिया पद हैं।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

धातु

क्रिया 10th Class Hindi HBSE Vyakaran प्रश्न 2.
धातु किसे कहते हैं? सोदाहरण समझाइए।
उत्तर:
क्रिया के मूल रूप को धातु कहते हैं; जैसे पढ़ना, लिखना, दौड़ना, पीना, चलना, गाना आदि क्रियाओं में पढ़, लिख, दौड़, पी, चल, गा आदि क्रिया के मूल रूप होने के कारण धातु हैं।

10th Class Hindi HBSE Vyakaran क्रिया प्रश्न 3.
धातु के कितने भेद होते हैं? प्रत्येक का सोदाहरण वर्णन कीजिए।
उत्तर:
धातु के मुख्यतः पाँच भेद माने जाते हैं
(क) सामान्य (मूल) धातु।
(ख) व्युत्पन्न धातु।
(ग) नामधातु।
(घ) सम्मिश्रण धातु।
(ङ) अनुकरणात्मक धातु।

1. सामान्य (मूल) धातु:
जो क्रिया धातुएँ भाषा में रूढ़ शब्द के रूप में प्रचलित हो चुकी हैं, वे सामान्य (मूल) धातुएँ कहलाती हैं। ये धातुएँ किसी के योग से नहीं उत्पन्न होतीं। उदाहरणार्थ-सोना, खाना, लिखना, पढ़ना, देखना, खेलना, सुनना, जाना आदि क्रियाओं की धातुएँ सामान्य हैं।

2. व्युत्पन्न धातु:
जो धातुएँ किसी मूल धातु में प्रत्यय लगाकर अथवा मूल धातु को अन्य प्रकार से परिवर्तित करके बनाई जाती हैं, उन्हें व्युत्पन्न धातुएँ कहा जाता है; जैसे-
पीना – पिलवाना
खोलना – खुलवाना
करना – करवाना
सुनना – सुनवाना
देखना – दिखाना
गाना – गवाना

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

धातुओं के व्युत्पन्न रूपों की तालिका देखिए
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया 1

उपर्युक्त ‘उड़ना’ एवं ‘उठना’ धातुओं को वाक्यों द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उड़ना-
(क) चिड़िया उड़ रही है। (मूल अकर्मक उड़ना)
(ख) श्याम ने चिड़िया को उड़ा दिया। (मूल अकर्मक उड़ना का व्युत्पन्न प्रेरणार्थक रूप)
(ग) मोहन पतंग उड़ा रहा है। (मूल सकर्मक उड़ाना)
(घ) पतंग आकाश में उड़ रही है। (मूल सकर्मक उड़ाना का अकर्मक रूप)

उठना-
(क) बच्चा उठ गया। (मूल अकर्मक उठना)
(ख) माँ बच्चे को उठा रही है। (मूल अकर्मक उठना का व्युत्पन्न प्रेरणार्थक)
(ग) कुली सामान उठा रहा है। (मूल सकर्मक उठाना)
(घ) कुली से सामान नहीं उठ रहा है। (मूल सकर्मक उठाना का व्युत्पन्न अकर्मक)
यहाँ कभी धातु की अकर्मक क्रिया मूल में है और कभी सकर्मक क्रिया।

3. नामधातु-संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण शब्दों में प्रत्यय लगाकर जो क्रिया धातुएँ बनती हैं, उन्हें नामधातु कहते हैं; जैसे-
(i) संज्ञा शब्दों से बात से बतियाना, रंग से रँगना, खर्च से खर्चना, गाँठ से गाँठना, झूठ से झुठलाना।
(ii) सर्वनाम से-अपना से अपनाना।
(iii) विशेषण से गरम से गरमाना, चिकना से चिकनाना, साठ से सठियाना, लँगड़ा से लँगड़ाना आदि।

4. सम्मिश्रण/ मिश्र धातुएँ-संज्ञा, विशेषण और क्रियाविशेषण शब्दों के बाद ‘करना’, ‘होना’ आदि के योग से जो धातुएँ बनती हैं, उन्हें सम्मिश्रण मिश्र धातुएँ कहते हैं; जैसे दर्शन करना, पीछा करना, प्यार करना होना आदि।
कुछ अन्य उदाहरण-
(क) करना – काम करना, पीछा करना, प्यार करना आदि।
(ख) होना – काम होना, दर्शन होना, प्यार होना, तेज़ होना, धीरे होना।
(ग) देना – काम देना, दर्शन देना, राज देना, कष्ट देना, धन्यवाद देना।
(घ) जाना – सो जाना, जीत जाना, रूठ जाना, पी जाना, खा जाना।
(ङ) आना – याद आना, पसंद आना, नींद आना।
(च) खाना – मार खाना, हवा खाना, रिश्वत खाना।
(छ) मारना – झपट्टा मारना, डींग मारना, गोता मारना, मस्ती मारना।
(ज) लेना – खा लेना, पी लेना, सो लेना, काम लेना, भाग लेना।

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5. अनुकरणात्मक धातु-जो धातुएँ ध्वनि के अनुकरण पर बनाई जाती हैं, उन्हें अनुकरणात्मक धातुएँ कहा जाता है; जैसे-
हिनहिन – हिनहिनाना
भनभन – भनभनाना
टनटन – टनटनाना
झनझन – झनझनाना
खटखट – खटखटाना
थरथर – थरथराना

क्रिया के भेद

प्रश्न 4.
क्रिया के कितने भेद हैं? सोदाहरण वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हिंदी में क्रिया मुख्यतः दो प्रकार की होती है
(1) अकर्मक क्रिया और
(2) सकर्मक क्रिया।

1. अकर्मक क्रिया – अकर्मक क्रिया में कर्म नहीं होता, अतः क्रिया का व्यापार और फल कर्ता में ही पाए जाते हैं; जैसे
(क) मोहन पढ़ता है।
(ख) सोहन सोया है।
उपर्युक्त दोनों वाक्यों में पढ़ता है’ और ‘सोया है’ अकर्मक क्रियाएँ हैं।

2. सकर्मक क्रिया – जिन क्रियाओं का फल कर्म पर पड़ता है, उन्हें सकर्मक क्रियाएँ कहते हैं; यथा
(क) मोहनं पुस्तक पढ़ता है।
(ख) सीता पत्र लिखती है।
इन दोनों वाक्यों में पढ़ने का प्रभाव पुस्तक पर और लिखने का प्रभाव पत्र पर है, अतः ये दोनों सकर्मक क्रियाएँ हैं।

प्रश्न 5.
अकर्मक क्रिया कितने प्रकार की होती है? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अकर्मक क्रिया तीन प्रकार की होती है
1. स्थित्यर्थक अकर्मक क्रिया – यह क्रिया बिना कर्म के पूर्ण अर्थ का बोध कराती है तथा कर्ता की स्थिर दशा का भी ज्ञान कराती है; जैसे-
(क) प्रीत सिंह इस समय जाग रहा है। (जागने की दशा)
(ख) राम हँस रहा है। (हँसने की दशा)

2. गत्यर्थक पूर्ण अकर्मक क्रिया यह क्रिया बिना कर्म के पूर्ण अर्थ का ज्ञान कराती है तथा कर्ता की गत्यात्मक स्थिति का बोध भी कराती है; जैसे-
(क) राजा पत्र लिख रहा है।
(ख) रानी गीत गा रही है।

3. अपूर्ण अकर्मक क्रियाएँ-ये वे अकर्मक क्रियाएँ होती हैं जिनके प्रयोग के समयं अर्थ की पूर्णता के लिए कर्ता से संबंध रखने वाले किसी शब्द विशेष की आवश्यकता पड़ती है। पूरक शब्द के बिना वाक्य अथवा अर्थ अधूरा रहता है; जैसे मैं हूँ।

यह वाक्य कर्ता और क्रिया की दृष्टि से पूर्ण है किंतु अर्थ स्पष्ट नहीं है। अतः इसमें पूरक लगाने की आवश्यकता है; जैसे मैं भूखा हूँ। इस प्रकार, पूरक (भूखा) लगाने से वाक्य एवं उसका अर्थ पूर्ण हो जाता है।

प्रश्न 6.
सकर्मक क्रिया के कितने भेद होते हैं? प्रत्येक का सोदाहरण वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सकर्मक क्रिया तीन प्रकार की होती है
(1) एककर्मक क्रिया,
(2) द्विकर्मक क्रिया तथा
(3) अपूर्ण सकर्मक क्रिया।।

1. एककर्मक क्रिया – जिस क्रिया में एक कर्म हो, उसे एककर्मक क्रिया कहते हैं; जैसे राम पुस्तक पढ़ता है। यहाँ ‘पुस्तक’ एक ही कर्म है।

2. द्विकर्मक क्रिया – जिस क्रिया में दो कर्म हों, उसे द्विकर्मक क्रिया कहते हैं; यथा राम श्याम को पत्र भेजता है। इस वाक्य में ‘श्याम’ और ‘पत्र’ दोनों कर्म हैं। अतः ‘भेजता है’ द्विकर्मक क्रिया है।
द्विकर्मक क्रिया में जिस कर्म के साथ ‘को’ परसर्ग लगा होता है, वह गौण कर्म होता है लेकिन जिसके साथ ‘को’ परसर्ग नहीं होता, वह मुख्य कर्म होता है। उपर्युक्त वाक्य में ‘श्याम’ गौण और ‘पत्र’ मुख्य कर्म है।

3. अपूर्ण सकर्मक क्रिया-ये वे क्रियाएँ हैं जिनमें कर्म रहते हुए भी कर्म को किसी पूरक शब्द की आवश्यकता होती है अन्यथा अर्थ अपूर्ण रहता है; जैसे-
(क) मोहन सोहन को समझता है।
मोहन सोहन को मूर्ख समझता है।

(ख) वह तुम्हें मानता है।
वह तुम्हें मित्र मानता है।
उपर्युक्त दोनों वाक्यों में ‘मूर्ख’ एवं ‘मित्र’ पूरक शब्द हैं।

अकर्मक से सकर्मक में परिवर्तन (अंतरण)

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 7.
अकर्मक क्रियाएँ सकर्मक क्रियाओं में कैसे प्रयुक्त होती हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
क्रियाओं का सकर्मक या अकर्मक होना उनके प्रयोग पर निर्भर करता है। अतः यही कारण है कि कभी अकर्मक क्रियाएँ सकर्मक रूप में और सकर्मक क्रियाएँ अकर्मक रूप में प्रयुक्त होती हैं। इसे ही क्रिया परिवर्तन कहते हैं, जैसे
पढ़ना (सकर्मक) – राम किताब पढ़ रहा है।
पढ़ना (अकर्मक) – राम आठवीं में पढ़ रहा है।
खेलना (अकर्मक) – बच्चे दिन-भर खेलते हैं।
इसके विपरीत, हँसना, लड़ना आदि अकर्मक क्रियाएँ हैं, फिर भी, सजातीय कर्म लगने पर ये सकर्मक रूप में प्रयुक्त होती हैं; जैसे-
(क) अकबर ने अनेक लड़ाइयाँ लड़ीं।
(ख) वह मस्तानी चाल चल रहा था।

ऐंठना, खुजलाना आदि क्रियाओं के दोनों रूप मिलते हैं; जैसे-
(क) पानी में रस्सी ऐंठती है। (अकर्मक)
(ख) नौकर रस्सी ऐंठ रहा है। (सकर्मक)
(ग) उसका सिर खुजलाता है। (अकर्मक)
(घ) वह अपना सिर खुजलाता है। (सकर्मक)

अकर्मक से सकर्मक क्रिया बनाने के नियम

प्रश्न 8.
अकर्मक से सकर्मक क्रिया बनाने के नियमों का सोदाहरण वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अकर्मक क्रियाओं से सकर्मक क्रियाएँ बनाने के निम्नलिखित नियम हैं

1. दो वर्ण वाली अकर्मक धातुओं के अंतिम ‘अ’ को दीर्घ ‘आ’ करने से सकर्मक क्रियाएँ बन जाती हैं; जैसे-

धातु अकर्मक सकर्मक
जल जलना जलाना
डर डरना डराना
उठ उठना उठाना
गिर गिरना गिराना
सुन सुनना सुनाना

2. कभी-कभी दो वर्ण वाली धातुओं के प्रथम वर्ण को दीर्घ की मात्रा लगाने से सकर्मक क्रियाएँ बन जाती हैं; जैसे

धातु अकर्मक सकर्मक
कट कटना काटना
टल टलना टालना
मर मरना मारना

3. तीन वर्षों से बनी धातुओं के दूसरे स्वर को दीर्घ करने से भी सकर्मक क्रियाएँ बनाई जा सकती हैं; जैसे-

धातु अकर्मक सकर्मक
निकल निकलना निकालना
संभल संभलना संभालना
उछल उछलना उछालना
उखड़ उखड़ना उखाड़ना

4. दो वर्ण से बनी धातुओं के आदि ‘इ’, ‘ई’ को ‘ए’ तथा ‘उ’, ‘ऊ’ को ‘ओ’ कर देने पर भी सकर्मक क्रियाओं का निर्माण किया जा सकता है; जैसे

धातु अकर्मक सकर्मक
खुल खुलना खोलना
फिर फिरना फेरना
घिर घिरना घेरना
मुड़ मुड़ना मोड़ना
दिख दिखना देखना

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

5. कुछ धातुओं के अंतिम ‘ट’ को ‘ड’ करने पर भी सकर्मक क्रियाओं का निर्माण किया जा सकता है; जैसे-

धातु अकर्मक सकर्मक
टूट टूटना तोड़ना
फट फटना फाड़ना

6. कभी-कभी सकर्मक क्रिया बनाने के लिए अकर्मक क्रिया में भारी परिवर्तन करना पड़ता है; जैसे-

धातु अकर्मक सकर्मक
जा जाना भेजना
पी पीना पिलाना
रो रोना रुलाना
बिक बिकना बेचना
सो सोना सुलाना

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 9.
अपूर्ण क्रिया किसे कहते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब किसी वाक्य में व्याकरण की दृष्टि से सभी तत्त्व विद्यमान हों, फिर भी, वह वाक्य पूर्ण अर्थ प्रदान न करे तो उसे अपूर्ण क्रिया कहते हैं; यथा-
(क) सरदार पटेल भारत के थे।
(ख) वह है।
ये दोनों वाक्य व्याकरण की दृष्टि से तो पूर्ण हैं लेकिन अर्थ की दृष्टि से अपूर्ण हैं। इन दोनों वाक्यों की क्रियाएँ अपूर्ण हैं।

अर्थ की दृष्टि से वाक्य तभी पूर्ण होंगे जब इस प्रकार लिखे जाएँगे-
(क) सरदार पटेल भारत के लौह पुरुष थे।
(ख) वह बुद्धिमान है।
उपर्युक्त दोनों वाक्यों में ‘लौह पुरुष’ और ‘बुद्धिमान’ पूरक हैं।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 10.
पूरक किसे कहते हैं? पूरक के भेदों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अपूर्ण क्रिया वाले वाक्यों की पूर्ति के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता हैं, उन्हें पूरक कहा जाता है। पूरक के दो प्रकार हैं
(1) कर्तृपूरक
(2) कर्मपूरक।
1. कर्तृपूरक – अपूर्ण अकर्मक क्रिया की पूर्ति के लिए लगने वाले पूरक को कर्तृपूरक कहते हैं।
2. कर्मपूरक – अपूर्ण सकर्मक क्रिया की पूर्ति के लिए लगने वाले पूरक कर्मपूरक कहलाते हैं।

समापिका तथा असमापिका क्रियाएँ

प्रश्न 11.
समापिका तथा असमापिका क्रियाओं की सोदाहरण परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
1. समापिका क्रियाएँ – जो क्रियाएँ वाक्य के अंत में लगती हैं, उन्हें समापिका क्रियाएँ कहते हैं; जैसे
(क) गीता खाना खा रही है।
(ख) चिड़िया आकाश में उड़ रही है।
(ग) घोड़ा सड़क पर दौड़ता है।
(घ) राम दूध अवश्य पीएगा।
(ङ) सीताराम अपना काम कर रहा है।
(च) बड़ों का आदर करो।

2. असमापिका क्रियाएँ – असमापिका क्रियाएँ उन्हें कहते हैं जो वाक्य की समाप्ति पर नहीं, अन्यत्र लगती हैं; जैसे-
(क) वृक्ष पर चहचहाती हुई चिड़िया कितनी सुंदर है।
(ख) वह सामने बहता हुआ दरिया सुंदर लग रहा है।
(ग) बड़ों को खड़े होकर प्रणाम करो।
(घ) मोहन ने खाना खाकर हाथ धोए।

संरचना की दृष्टि से क्रिया के भेद

प्रश्न 12.
संरचना की दृष्टि से क्रिया के भेद लिखिए।
उत्तर:
संरचना की दृष्टि से क्रिया के तीन भेद हैं
(1) प्रेरणार्थक क्रिया।
(2) संयुक्त क्रिया।
(3) नामधातु क्रिया।

प्रेरणार्थक क्रियाएँ

प्रश्न 13.
प्रेरणार्थक क्रिया किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
जिन क्रियाओं का कार्य कर्ता स्वयं न करके किसी अन्य को प्रेरणा देकर करवाता है, उन्हें प्रेरणार्थक क्रियाएँ कहते हैं; जैसे सीता शीला से पत्र लिखवाती है। इस वाक्य में लिखवाना प्रेरणार्थक क्रिया है। प्रेरणार्थक रचना की भी दो कोटियाँ होती है-
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया 2
संयुक्त क्रियाएँ

प्रश्न 14.
संयुक्त क्रियाएँ किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
दो या दो से अधिक धातुओं के मेल से बनने वाली क्रिया को संयुक्त क्रिया कहते हैं। जैसे
(क) मोहन पढ़ सकता है।
(ख) राम रूठकर चला गया।
इन वाक्यों में पढ़ सकना’ तथा ‘चला गया’ क्रियाओं में दो-दो धातुओं का संयोग है। संयुक्त क्रियाएँ निम्नलिखित प्रकार की होती हैं
1. शक्तिबोधक – चल सकता हूँ, हँस सकता है, चल सकेगा।
2. आरंभबोधक – चलने लगा, हँसने लगा, खेलने लगता है।
3. समाप्तिबोधक – चल चुका, पढ़ चुका, खेल चुका।
4. इच्छाबोधक – चलना चाहता हूँ, पढ़ना चाहता हूँ, खेलना चाहेगा।
5. विवशताबोधक – चलना पड़ा, पढ़ना पड़ेगा, खेलना पड़ता है।
6. अनुमतिबोधक – चलने दो, पढ़ने दो, खेलने दो।
7. निरंतरताबोधक – पढ़ता रहता है, हँसता रहता था, खेलता रहेगा।
8. समकालबोधक – चलते-चलते (हँसता है), हँसते-हँसते (खेलता है)।
9. अपूर्णताबोधक – पढ़ रहा है, खेल रहा था।

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नामधातु क्रियाएँ

प्रश्न 15.,
नामधातु क्रियाएँ किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
1. नामधातु क्रियाएँ-मूल धातुओं के अतिरिक्त जब संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों के साथ प्रत्यय लगाकर क्रियापद बनाए जाते हैं, तब उन्हें नामधातु क्रियाएँ कहते हैं; जैसे हाथ से हथियाना, शर्म से शर्माना।
नामधातु क्रियाएँ चार प्रकार के शब्दों से बनती हैं-

(क) संज्ञा शब्दों से-
रंग से रंगना – बात से बतियाना
खर्च से खर्चना – हाथ से हथियाना
दुःख से दुखना – झूठ से झुठलाना
लाज से लजाना – गाँठ से गाँठना
चक्कर से चकराना – फिल्म से फिल्माना

(ख) सर्वनाम शब्दों से-
अपना से अपनाना – मैं से मिमियाना

(ग) विशेषण से-
गरम से गरमाना – दोहरा से दोहराना
मोटा से मुटाना – साठ से सठियाना

(घ) अनुकरणवाची शब्दों से-
हिनहिन से हिनहिनाना
मिनमिन से मिनमिनाना
खटखट से खटखटाना
थरथर से थरथराना

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

क्रिया के अन्य भेद

प्रश्न 16.
क्रिया के निम्नलिखित प्रकारों का वर्णन कीजिए
(1) पूर्वकालिक क्रिया,
(2) तात्कालिक क्रिया,
(3) रंजक क्रिया,
(4) कृदंत क्रिया।
उत्तर:
1. पूर्वकालिक क्रिया-जब कर्ता किसी क्रिया को करने के तुरंत पश्चात् दूसरी क्रिया में प्रवृत्त हो जाता है तो पहली क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं, जैसे-
उसने स्नान करके भोजन किया।
इस वाक्य में स्नान करके’ पूर्वकालिक क्रिया है तथा दूसरी क्रिया मुख्य क्रिया कहलाती है। इस क्रिया के कुछ अन्य उदाहरण देखिए
(क) राम ने स्कूल पहुँचकर अध्यापक को प्रणाम किया।
(ख) सीता ने मंदिर जाकर पूजा की।
(ग) कृष्ण दौड़कर स्टेशन पहुंचा।
(घ) वह पुस्तक पढ़कर सो गया।

2. तात्कालिक क्रिया-जब किसी वाक्य में दो क्रियाएँ हों और पहली क्रिया के कारण तुरंत दूसरी क्रिया हो तो पहली क्रिया को तात्कालिक क्रिया कहेंगे; जैसे-
गाड़ी की सीटी सुनते ही राम चल पड़ा।
इसं वाक्य में ‘सुनते ही’ तात्कालिक क्रिया है जिसके होते ही मुख्य क्रिया आरंभ हो गई। धातु के साथ ‘ते ही’ लगाकर तात्कालिक क्रियाओं का निर्माण होता है; यथा
(क) राम भोजन करते ही स्कूल पहुंच गया।
(ख) अध्यापक के जाते ही बच्चों ने शोर मचा दिया।
(ग) घंटी बजते ही विद्यार्थी कक्षाओं में आ गए।
(घ) सीता पत्र लिखते ही सो गई।

3. रंजक क्रियाएँ-जो क्रियाएँ मुख्य क्रियाओं में जुड़कर अपना अर्थ खोकर मुख्य क्रिया में नवीनता और विशेषता उत्पन्न कर देती हैं अर्थात् संयुक्त क्रिया में पहली क्रिया मुख्य तथा बाद में जुड़ने वाली क्रिया रंजक क्रिया कहलाती है; जैसे-
(क) नेवले ने साँप को मार डाला।
(ख) मोहन उठकर खड़ा हो गया।
(ग) सीता गाना गा सकी।
(घ) तुम इधर आ जाओ।
इन वाक्यों में डाला, कर, सक, जा आदि रंजक क्रियाएँ हैं।

4. कृदंत क्रियाएँ:
कृत् प्रत्ययों के योग से बनने वाली क्रियाएँ कृदंत क्रियाएँ कहलाती हैं। हिंदी में ये क्रियाएँ तीन प्रकार की होती हैं-
(क) वर्तमानकालिक कृदंत क्रिया – खाता, पीता, सोता, हँसता आदि।
(ख) भूतकालिक कृदंत क्रिया – खाया, पीया, सोया आदि।
(ग) पूर्वकालिक कृदंत क्रिया – खाकर, पीकर, सोकर, हँसकर आदि।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

कृदंत रूपों की रचना

प्रश्न 17.
रचना की दृष्टि से कृदंत रूपों से क्रियाएँ कैसे बनती हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
क्रिया के कृदंत रूपों की रचना चार प्रकार के प्रत्ययों से होती है
1. अपूर्ण कृदंत – ता, ते, ती; जैसे बहता फूल, बहते पत्ते, बहती नदी।
2. पूर्ण कृदंत – आ, ई, ए; जैसे बैठा सिंह, बैठे बंदर, बैठी हिरणी।
3. क्रियार्थक कृदंत – ना, नी, ने; जैसे पढ़ना है, पढ़नी है, पढ़ने हैं, पढ़ने के लिए।
4. पूर्वकालिक कृदंत + कर – जैसे पढ़कर, खड़े होकर, जागकर आदि।

प्रश्न 18.
शब्द की दृष्टि से क्रिया के कृदंत रूपों का सोदाहरण वर्णन कीजिए।
उत्तर:
संज्ञा, विशेषण तथा क्रियाविशेषण ही कृदंत शब्द होते हैं; जैसे
1. संज्ञा :
ना : दौड़ना, कूदना, बैठना, टहलना आदि।
ने मिलने, पढ़ने, जगाने, खाने, पहनने आदि।

2. विशेषण :
ता/ती/ते –
चलता हुआ जहाज रुक गया।
चलती गाड़ी पर न चढ़ें।
खिलते फूलों को तोड़ना मना है।

आ/ई/ए –
सूखी कलियाँ अच्छी नहीं लगती।
गिरे हुए पत्तों पर मत चलें।
अच्छा विद्यार्थी सदा समय पर काम करता है।

3. क्रियाविशेषण :
ते-ही – राम भोजन करते ही सो गया।
ते-ते – वह गीत सुनते-सुनते आ गया।
कर – सीता गाना गाकर उठ गई।
ऐ-ऐ – वह बैठे-बैठे थक गया।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

प्रश्न 19.
प्रयोग की दृष्टि से कृदंतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रयोग की दृष्टि से कृदंत छह प्रकार के होते हैं
1. क्रियार्थक कृदंत – भाववाचक संज्ञा के रूप में इसका प्रयोग होता है; जैसे पढ़ना, लिखना। सुबह अवश्य टहलना चाहिए।
2. कर्तृवाचक कृदंत – धातु + ने + वाला/वाली वाले। इस कृदंत रूप से कर्तृवाचक संज्ञा बनती है; जैसे भागने वालों को पकड़ो।
3. वर्तमान-कालिक कृदंत – बहता हुआ (पानी आदि)। ये विशेषण हैं। विशेषण में यह भाव बताते हैं कि क्रिया उस समय हो रही है।
4. भूतकालिक कृदंत – पका (हुआ फल आदि)। ये भी विशेषण हैं। विशेषण में यह भाव बताते हैं कि क्रिया उस समय तक पूरी हो चुकी है।
5. तात्कालिक कृदंत – इन कृदंतों की समाप्ति पर तुरंत मुख्य क्रिया संपन्न हो जाती है। इनका निर्माण ‘ते ही’ के योग से किया जाता है; जैसे आते ही, करते ही, जाते ही आदि।
उदाहरण-
घंटी बजते ही चपरासी आ गया।
6. पूर्वकालिक कृदंत-इनका निर्माण धातु के साथ ‘कर’ के योग से होता है; जैसे पढ़कर, खोकर, सोकर आदि।
(क) मोहन पुस्तक पढ़कर सो गया।
(ख) उसने स्नान करके भोजन किया।

क्रिया की रूप-रचना

प्रश्न 20.
क्रिया की रूप-रचना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
क्रिया भी संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण के समान विकारी शब्द है। अतः लिंग, वचन एवं पुरुष के कारण इसमें परिवर्तन आ जाता है। इस परिवर्तन को निम्नलिखित रूपावलियों की सहायता से समझा जा सकता है।
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया 3
रूपावलियों की रचना

हिंदी में होने वाले क्रियागत परिवर्तनों को 16 रूपावलियों के द्वारा दर्शाया जा सकता है। इन रूपावलियों के मुख्य दो भेद हैं-
1. बिना सहायक क्रिया ‘होना’ के रूप
(i) पुरुषानुसारी – इनमें धातु रूपों के साथ पुरुषानुसारी प्रत्ययों का प्रयोग होता है; जैसे मैं पढूँ, हम पढ़ें, वे पढ़ें आदि। उदाहरण के रूप में रूपावली 1, 3, 4 देखें।
(ii) लिंगानुसारी रूप – इनमें धातु-रूपों के साथ वर्तमान कृदंत अथवा भूत कृदंत वचनों का लिंग के अनुसार प्रयोग होता है; जैसे पढ़ता, पढ़ते, गया, गई आदि। देखिए रूपावली 5 और 6।
(iii) पुरुष लिंगानुसारी रूप – इनमें धातु के वचन, पुरुषानुसारी रूपों के बाद गा, गे, गी आदि प्रत्ययों का लिंगानुपाती प्रयोग होता है; यथा मैं पढूंगा, मैं पढूंगी, हम पढ़ेंगे आदि। उदाहरण के लिए रूपावली 2 देखें।

2. सहायक क्रिया होना’ सहित यहाँ क्रिया ‘होना’ के पूर्व या वर्तमान कृदंत (ता, ते, ती) लगा रूप अथवा भूतकृदंत (आ, ई, ए) रूप लगा होता है। सहायक क्रिया होना’ के पाँच अलग-अलग रूपावली रूप प्रयुक्त होते हैं।
रूपावला वर्ग
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया 4

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

रुपावली वर्ग-1

संभाव्य भविष्यत काल

पुरुष एकवचन बहुवचन
उत्तम पुरुष मैं पर्दै (- ॐ) हम पढ़ें (- एँ)
मध्यम पुरुष तू पढ़े (- ए) तुम पढ़ो (- ओ)
अन्य पुरुष वह पढ़े (- ए) वे पढ़ें (- एं)

उदाहरण-
(क) भगवान आपको सफलता प्रदान करे।
(ख) यदि निपुणता चाहते हो तो अभ्यास करो।

रूपावली वर्ग-2

सामान्य भविष्यत काल

पुरुष एकवचन बहुवचन
उत्तम पुरुष मैं पहँगा (-ॐ + गा/गी) हम पढ़ेंगे (- एँ + गे/गी)
मध्यम पुरुष तू पढ़ेगा (- ए + गा/गी) तुम पढ़ोगे (- ओ + गे/गी)
अन्य पुरुष वह पढ़ेगा (- ए + गा/गी) वे पढ़ेंगे (- एँ + गे/गी)

उदाहरण-
(क) ऐसा दृश्य अन्यत्र नहीं मिलेगा।
(ख) तू लिखेगा कि नहीं लिखेगा।

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रूपावली वर्ग-3

प्रत्यक्ष विधि

पुरुष एकवचन बहुवचन
मध्यम पुरुष तू पढ़ (Φ) तुम पढ़ो (- ओ)
मध्यम पुरुष (आप) आप पढ़िए (- इए-गा) आप पढ़िए (- इए-गा)

उदाहरण-
(क) अब स्टेशन पर चलो, गाड़ी निकल जाएगी।
(ख) अब पढ़िए।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

रूपावली वर्ग-4

परोक्ष विधि

पुरुष एकवचन बहुवचन
मध्यम पुरुष तू पढ़ना (-ना) तुम पढ़ना (- ना)
मध्यम पुरुष (आप) आप पढ़िए (- इएगा) आप पढ़िए (- इएगा)

उदाहरण-
(क) कल पाठ पढ़कर आना।
(ख) आप अवश्य आइएगा।

रूपावली वर्ग-5

सामान्य संकेतार्थ हेतुहेतुमद् भूत

मैं पढ़ता/ती हम पढ़ते/तीं
तू पढ़ता/ती तुम पढ़ते/तीं
वह पढ़ता/ती वे पढ़ते/तीं

उदाहरण-
(क) यदि मैं शीघ्र आ जाता तो उनसे मिल लेता।
(ख) अगर तुमसे पढ़ लेती तो यह गलती न करती।

रूपावली वर्ग-6

सामान्य भूत

मैं चला/चली हम चले/चली
तू चला/चली तुम चले/चली
वह चला/चली वे चले/चली

उदाहरण-
(क) चोर घर से भाग निकले।
(ख) आप चलें मैं अभी आया।
(ग) आप पढ़ें मैं सुनता हूँ।

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रूपावली वर्ग-7

सामान्य वर्तमान

मैं पढ़ता/ती हूँ हम पढ़ते/ती हैं।
तू पढ़ता/ती है तुम पढ़ते/ती हो
वह पढ़ता/ती है वे पढ़ते/ती हैं

उदाहरण-
(क) माता जी आप को बुलाती हैं।
(ख) मैं पत्र लिखता हूँ।
(ग) मेरा छोटा भाई आठवीं कक्षा में पढ़ता है।

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रूपावली वर्ग-8

पूर्ण वर्तमान आसन्नभूत

मैं चला/चली हूँ हम चले/चली हैं
तू चला/चली है तुम चले/चली हो
वह चला/चली है वे चले/चली हैं

उदाहरण-
(क) महर्षि वेदव्यास ने ‘महाभारत’ लिखा है।
(ख) क्या आपने पत्र नहीं लिखा है?
(ग) राम ने खाना खाया है।

रूपावली वर्ग-9

अपूर्ण भूतकाल

मैं पढ़ता/ती था/थी हम पढ़ते/ती थे/थीं
तू पढ़ता/ती था/थी तुम पढ़ते/ती थे/थीं
वह पढ़ता/ती था/थी वे पढ़ते ती थे/थीं

उदाहरण-
(क) पुलिस जो पूछती थी वह बताता जाता था।
(ख) वह पहले बहुत गाता था।

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रूपावली वर्ग-10

पूर्ण भूतकाल

मैं चला/ली था/थी हम चले ली थे/थीं
तू चला/ली था/थी तुम चले/ली थे/थीं
वह चला/ली था/थीं वे चले ली थे/थीं

उदाहरण-
(क) आज सवेरे वह आपके यहाँ गया था।
(ख) डॉक्टर के आने से पहले रोगी मर चुका था।

रूपावली वर्ग-11

संभाव्य वर्तमान

मैं पढ़ता/ती होऊँ हम पढ़ते/ती हों
तू पढ़ता ती हो तुम पढ़ते/ती होओ
वह पढ़ता/ती हो वे पढ़ते/ती हों

उदाहरण-
(क) शायद सोहन स्कूल जाता हो।
(ख) मुझे लगा कि कोई हमारी बात न सुनता हो।

रूपावली वर्ग-12

संभाव्य भूतकाल

मैं चला/चली होऊँ हम चले/ली हों
तू चला/ली हो तुम चले/ली होओ
वह चला/ली हो वे चले/ली हों

उदाहरण-
(क) हो सकता है कि किसी ने हमें देख लिया हो।
(ख) शायद वह वहाँ से चला गया हो।

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रूपावली वर्ग-13

संदिग्ध वर्तमान

मैं पढ़ता/ती होऊँगा/गी हम पढ़ते/ती होंगे/गी
तू पढ़ता/ती होगा/गी तुम पढ़ते/ती होंगे/गी
वह पढ़ता ती होगा/गी वे पढ़ते ती होंगे/गी

उदाहरण-
(क) वे आते ही होंगे।
(ख) वे गीत गाते ही होंगे।

रूपावली वर्ग-14

संदिग्ध वर्तमान

मैं चला ली होऊँगा/गी हम चले/ली होंगे/गी
तू चला/ली होगा/गी तुम चले/ली होंगे/गी
वह चला/ली होगा/गी वे चले ली होंगे/गी

उदाहरण-
(क) उसकी घड़ी नौकर ने कहीं रख दी होगी।
(ख) शायद वे बीमार होंगे।

रूपावली वर्ग-15

अपूर्ण संकेतार्थ

मैं पढ़ता/ती होता/ती हम पढ़ते/ती होते/ती
तू पढ़ता/ती होता/ती तुम पढ़ते/ती होते/ती
वह पढ़ता ती होता/ती वे पढ़ते/ती होते/तीं

उदाहरण-
(क) अगर वह तेज़ चलता होता तो अब तक यहाँ पहुँच गया होता।
(ख) अगर वह पढ़ता होता तो पास हो गया होता।

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रूपावली वर्ग-16

पूर्ण संकेतार्थ

मैं चला/ली होता/ती हम चले/ली होते/तीं
तू चला/ली होता/ती तुम चले/ली होते ती
वह चला/ली होता/ती वे चले/ली होते/ती

उदाहरण-
(क) यदि वह परिश्रम करता तो पास हो जाता।
(ख) वे चले होते तो पहुँच गए होते।

HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया

काल

प्रश्न 1.
काल किसे कहते हैं? काल के भेदों का सोदाहरण वर्णन कीजिए।
उत्तर:
क्रिया के करने या होने के समय को काल कहते हैं। काल के तीन भेद होते हैं-
(1) भूतकाल,
(2) वर्तमान काल तथा
(3) भविष्यत काल।

1. भूतकाल: ‘भूत’ का अर्थ है-बीता हुआ। क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि क्रिया का व्यापार पहले समाप्त हो चुका है, वह भूतकाल कहलाता है; जैसे सीता ने खाना पकाया। इस वाक्य से क्रिया के समाप्त होने का बोध होता है। अतः यहाँ भूतकाल क्रिया का प्रयोग हुआ है।।

2. वर्तमान काल: वर्तमान का अर्थ है-उपस्थित अर्थात जिस क्रिया से इस बात की सूचना मिले कि क्रिया का व्यापार अभी भी चल रहा है, समाप्त नहीं हुआ, उसे वर्तमान काल कहते हैं; जैसे मोहन गाता है। शीला पढ़ रही है।

3. भविष्यत काल: भविष्यत का अर्थ है-आने वाला समय। अतः क्रिया के जिस रूप से भविष्य में क्रिया के होने का बोध हो, उसे भविष्यत काल की क्रिया कहते हैं; जैसे सीता कल दिल्ली जाएगी। गा, गे, गी भविष्यत काल के परिचायक चिह्न हैं।

काल-भेद के कारण दोनों लिंगों, दोनों वचनों और तीनों पुरुषों में क्रिया का रूपांतर होता है; जैसे-
(क) लड़का पढ़ता है। (एकवचन, पुल्लिंग, अन्य पुरुष)
(ख) लड़की पढ़ती है। (एकवचन, स्त्रीलिंग, अन्य पुरुष)
(ग) लड़के पढ़ते हैं। (बहुवचन, पुल्लिंग, अन्य पुरुष)
(घ) लड़कियाँ पढ़ती हैं। (बहुवचन, स्त्रीलिंग, अन्य पुरुष)
(ङ) तू पढ़ता है। (एकवचन, पुल्लिंग, मध्यम पुरुष)
(च) मैं पढ़ता हूँ। (एकवचन, पुल्लिंग, उत्तम पुरुष)
(छ) तुम/आप पढ़ते हो। (बहुवचन, पुल्लिंग, मध्यम पुरुष)
(ज) हम पढ़ते हैं। (बहुवचन, पुल्लिंग, उत्तम पुरुष)

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रूप-रचना

खेल (खेलना) √धातु

1. भूतकाल
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया 5

2. वर्तमान काल
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया 6

3. भविष्यत काल
HBSE 10th Class Hindi Vyakaran क्रिया 7

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