HBSE 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का अँचल

Haryana State Board HBSE 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का अँचल Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 10th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का अँचल

HBSE 10th Class Hindi माता का अँचल Textbook Questions and Answers

Class 10 Kritika Chapter 1 Question Answer HBSE  प्रश्न 1.
प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है?
उत्तर-
निश्चय ही पाठ में दिखाया गया है कि बच्चे (लेखक) को अपने पिता से अधिक लगाव था। उसके पिता ने उसके लालन-पालन में ही सहयोग नहीं दिया, अपितु वे उसके अच्छे दोस्त भी थे। उसके खेल में साथ रहते थे। विपदा के समय बच्चे को लाड़-प्यार की अपेक्षा ममता एवं सुरक्षा की भावना की आवश्यकता होती है, वह उसे माँ की गोद में मिल सकती है। बच्चा माँ की गोद में अपने-आपको जितना सुरक्षित महसूस करता है उतना पिता के लाड़-प्यार की छाया में नहीं। इसी कारण संकट में बच्चे को माँ की याद आती है, पिता की नहीं। माँ की ममता बच्चे के घाव भरने में मरहम का काम करती है।

Class 10 Kritika Chapter 1 Solution HBSE प्रश्न 2.
आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?
उत्तर–
बच्चा सदैव अपने साथियों में खेलना व रहना पसंद करता है। भोलानाथ भी एक साधारण बालक था। उसे अपने साथियों के साथ खेलने में गहरा आनंद मिलता था। वह अपने साथियों को शोर मचाते, शरारतें करते और खेलते हुए देखकर सब कुछ भूल जाता है। इसी मग्नावस्था में वह सिसकना भी भूल जाता था।

Class 10th Kritika Chapter 1 Question Answer HBSE प्रश्न 3.
आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब-तब खेलते-खाते समय किसी न किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है।

Kritika Chapter 1 Class 10 HBSE प्रश्न 4.
भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर-
आज के युग में और भोलानाथ के युग में बहुत अंतर आ गया है। आज माता-पिता बच्चों को भोलानाथ और उसके साथियों की भाँति ऐसे-वैसे गली-मोहल्ले में घूमने की इजाजत नहीं देते। वे बच्चों का बहुत ध्यान रखते हैं। आज के बच्चे घर बनाना, विवाह रचना, चिड़ियाँ पकड़ना, दुकान बनाना, खेती करना आदि खेल नहीं खेलते। आज के बच्चे क्रिकेट, साइकिल चलाना, दौड़ना, कार्टून बनाना, तैरना, लूडो, आदि खेल खेलते हैं। भोलानाथ के समय के बच्चों के खेलों की सामग्री और साधन भी अलग थे; जैसेचबूतरा, सरकंडे, टूटी चूहेदानी, गीली मिट्टी, टूटे हुए घड़े के टुकड़े, पुराने व टूटे हुए कनस्तर आदि। आजकल के बच्चों के खेलों की सामग्री व साधन हैं टी.वी., कंप्यूटर, साइकिल, बैट-बॉल, फुटबॉल आदि।

Hindi Class 10 Kritika Chapter 1 Question Answers HBSE प्रश्न 5.
पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों?
उत्तर-
पाठ में आए कुछ ऐसे प्रसंग हैं जो पाठक के हृदय को छू जाते हैं-
(1) देखिए, मैं खिलाती हूँ। मरदुए क्या जाने कि बच्चों को कैसे खिलाना चाहिए, और महतारी के हाथ से खाने पर बच्चों का पेट भी भरता है। यह कह वह थाली में दही-भात सानती और अलग-अलग तोता, मैना, कबूतर हंस, मोर आदि के बनावटी नाम से कौर बनाकर यह कहते हुए खिलाती जाती कि जल्दी खा लो, नहीं तो उड़ जाएँगे; पर हम उन्हें इतनी जल्दी उड़ा जाते थे कि उड़ने का मौका ही नहीं मिलता।

(2) एक टीले पर जाकर हम लोग चूहों के बिल में पानी उलीचने लगे। नीचे से ऊपर पानी फेंकना था। हम सब थक गए। तब तक गणेश जी के चूहे की रक्षा के लिए शिव जी का साँप निकल आया। रोते-चिल्लाते हम लोग बेतहाशा भाग चले!

(3) इसी समय बाबू जी दौड़े आए। आकर झट हमें मइयाँ की गोद से अपनी गोद में लेने लगे। पर हमने मइयाँ के आँचल की प्रेम और शांति के चँदोवे की-छाया न छोड़ी………।

Class 10 Kritika Chapter 1 HBSE प्रश्न 6.
इस उपन्यास के अंश में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं? ।
उत्तर-
तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति और आज की ग्राम्य संस्कृति में पर्याप्त अंतर दिखाई देता है। आज कुओं से पानी भरना व कुओं से खेतों की सिंचाई का प्रचलन समाप्त हो गया है। गाँवों में पीने के लिए पानी की वाटर सप्लाई हो गई है और खेतों में ट्यूबवैल लग गए हैं। खेतों में बैलों की अपेक्षा ट्रैक्टर से काम लिया जाता है। संपूर्ण ग्राम अंचल के विवाह संबंधी रीति-रिवाज़ बदल गए हैं। भौतिकवाद और उपभोक्तावाद का प्रभाव ग्राम्य संस्कृति में भी दिखाई देने लगा है। आपसी भाईचारा व मेल-मिलाप भी कम होने लगा है। आज मनोरंजन के साधन बदल चुके हैं। चौपालों में हुक्के गुड़गुड़ाने की अपेक्षा हमारे बुजुर्ग भी टी.वी. के आगे बैठकर क्रिकेट के मैच का आनंद लेते हुए देखे जा सकते हैं। ग्रामीण अंचल की मौज-मस्ती भरे जीवन के स्थान पर व्यस्त एवं तेज़ रफ़्तार वाला जीवन देखा जाता है।

Kritika Chapter 1st Question Answer HBSE 10th Class प्रश्न 7.
पाठ पढ़ते-पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता का लाड़-प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंकित कीजिए।
उत्तर-
बचपन में पिता के स्थान पर माता ही हमें जगाया करती थी तथा शीघ्रता से नहाकर खाना खाने के लिए कहती, यदि इस काम में थोड़ी सी देरी हो जाती तो डाँट पड़नी निश्चित थी। पिता जी ने पैरों पर बिठाकर कई बार झूले दिए थे। जब सबसे ऊँचा झूला मिलता था तो हमारी खुशी का ठिकाना न रहता। कभी पिता जी अपने साथ खेत में भी ले जाया करते थे। वहाँ तरह-तरह की फसलों को देखकर हम बहुत खुश होते थे। खेतों में चरते हुए पशु भी मुझे बहुत अच्छे लगते थे। खेत में चल रहे ट्यूबवैल के चबचों में नहाने का तो आनंद ही और था। स्कूल में जाते समय माता-पिता से पैसे लेना हम कभी नहीं भूलते थे। उन पैसों को दोस्तों के साथ मिलकर खर्च करने का आनंद भी कम नहीं था। देर तक घर से बाहर रहने पर कई बार फटकार भी सुननी पड़ती थी।

Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 HBSE प्रश्न 8.
यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में आदि से अंत तक माता-पिता का बच्चों के प्रति वात्सल्य भाव का ही उद्घाटन हुआ है। यह व्यक्त करना ही पाठ का प्रमुख लक्ष्य है। लेखक का उसके पिता के पास सोना प्रातः समय पर उठकर उनके साथ नहाना-धोना और पिता के द्वारा भोजन कराया जाना, कम भोजन खाने पर चिंता व्यक्त करना। पिता जी द्वारा कंधे पर बैठाकर गंगा के किनारे ले जाना। उसके साथ कुश्ती करना। बच्चों को खुश रखने के लिए खेल में हार जाना। साँप को देखने से डर जाने पर माँ द्वारा आँचल में छुपा लेना आदि में वात्सल्य भाव का ही चित्रण हुआ है।

Class 10th Kritika Chapter 1st HBSE प्रश्न 9.
‘माता का अँचल’ शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए।
उत्तर-
माता का अँचल’ नामक पाठ का शीर्षक उपयुक्त नहीं है क्योंकि यह पाठ के अंतिम भाग पर लागू होता है, संपूर्ण पाठ में पिता और पुत्र के संबंधों का उल्लेख किया गया है। केवल एक घटना में बच्चे सर्प को देखकर डर जाते हैं तथा लेखक (बालक) माँ से अलग होने का नाम नहीं लेता। यह बात पूरी काल्पनिक सी लगती है, क्योंकि बच्चा दिन-रात पिता के साथ घुला-मिला रहता है। उसका अधिकांश समय पिता के साथ बीतता है लेकिन जब पिता डरे हुए बालक के पास जाता है तो वह और भी अधिक माँ के आँचल में छुप जाता है। ऐसा संभव नहीं क्योंकि पिता, पिता ही नहीं बालक का अच्छा मित्र भी है। इस पाठ का शीर्षक हो सकता है ‘मेरा बचपन’ अथवा ‘मेरा शैशवकाल’ ।

Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 Question Answer HBSE  प्रश्न 10.
बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?
उत्तर-
बच्चे अपने माता-पिता के साथ रहते हुए, माता-पिता की बताई हुई अच्छी बातों पर अमल करके, उनके साथ खेलकर, उनकी आज्ञा का पालन करके, उनकी गोद में बैठकर आदि बातों से अपने प्रेम को उनके प्रति व्यक्त करते हैं।

Class 10 Hindi Mata Ka Aanchal Question Answer HBSE प्रश्न 11.
इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?
उत्तर-
यह पाठ काफी समय पहले का लिखा हुआ है। उस समय और आज के समय के जीवन में दिन-रात का अंतर हो गया . है। उस समय के बचपन में बच्चों पर पढ़ाई-लिखाई का कोई दबाव नहीं था। सब बच्चे मिल-जुलकर खूब खेलते थे। किंतु अब आपस में स्नेह भाव, विचारों का आदान-प्रदान व विश्वास की कमी हो गई है। आज के युग में बच्चों की पढ़ाई के पाठ्यक्रम इतने मुश्किल हो गए हैं कि उन्हें पूरा करने में इतना समय लगता है कि उनके पास खेलने तक का समय नहीं बचता। इसके अतिरिक्त माता-पिता के पास भी इतना समय नहीं कि वे बच्चों के साथ कुछ समय खेल सकें। आज खेल की सामग्री व साधन भी बदल गए हैं। गिल्ली-डंडे के स्थान पर क्रिकेट है। वीडियो गेम, टी.वी. आदि अनेक आधुनिकतम साधन हैं। गली में नाटक खेलना, गीली मिट्टी के खिलौने बनाना, विवाह रचना, खेती करना आदि खेल अब नहीं रह गए हैं।

Mata Ka Aanchal Class 10 Question Answer HBSE  प्रश्न 12.
फणीश्वरनाथ रेणु और नागार्जुन की आँचलिक रचनाओं को पढ़िए।
उत्तर-
विद्यार्थी अपने विद्यालय के पुस्तकालय से इन रचनाओं को लेकर स्वयं पढ़ें।

HBSE 10th Class Hindi माता का अँचल Important Questions and Answers

Mata Ka Aanchal Question Answer HBSE 10th Class प्रश्न 1.
‘माता का अँचल’ पाठ का मूल भाव लिखिए।
उत्तर-‘माता का अँचल’ पाठ में लेखक की बाल्यावस्था का अत्यंत आकर्षक रूप में चित्रण किया गया है। लेखक ने बताया है कि उसे अपने माता-पिता का भरपूर स्नेह मिला है। बचपन में कितनी निश्चिंतता और भोलापन होता है, इसका साक्षात् रूप पाठ में देखने को मिलता है। बच्चे अपने खेल में तल्लीन होकर खेलते हैं। वहाँ किसी प्रकार का भेदभाव, घृणा व जलन का भाव नहीं होता। बच्चों की दुनिया की सजीव तस्वीर अंकित करना लेखक का प्रमुख लक्ष्य रहा है, जिसमें उसे पूर्ण सफलता भी मिली है।

Hindi Class 10 Chapter 1 Kritika HBSE प्रश्न 2.
लेखक का तारकेश्वरनाथ से भोलानाथ नाम कैसे पड़ा?
उत्तर-
लेखक के पिता बहुत सवेरे उठते थे। वे अपने साथ-साथ लेखक और उसके भाई को भी उठा देते थे। अपने साथ ही उन्हें नहला-धुलाकर पूजा में बिठा लेते थे। पूजा के पश्चात् दोनों बेटों के चौड़े मस्तक पर चंदन की अर्धचंद्राकार रेखाएँ बना देते थे। उन दोनों के लंबे-लंबे बाल भी थे। लेखक के मस्तक पर भभूत भी बहुत अच्छी लगती थी। इसलिए प्यार से तारकेश्वरनाथ को उनके पिता भोलानाथ कहकर पुकारते थे। तभी उनका नाम भोलानाथ पड़ा था।

Chapter 1 Kritika Class 10 HBSE प्रश्न 3.
‘मरदुए क्या जाने कि बच्चों को कैसे खिलाना चाहिए’ इस पंक्ति में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से पुरुष वर्ग पर करारा व्यंग्य किया गया है। यह वाक्य लेखक की माता ने उनके पिता से कहा था। यह पूर्ण सत्य है कि नारी की अपेक्षा पुरुष में ममता का भाव कम होता है। एक बच्चे को जो लाड़-प्यार माता के रूप में एक नारी कर सकती है, वह पिता के रूप में एक पुरुष नहीं कर सकता। पिता की अपेक्षा माँ बच्चों के मनोभाव को शीघ्र भाँप जाती है। माँ भावात्मक रूप से अपने बच्चों से जुड़ी रहती है लेकिन पुरुष ऐसा नहीं कर पाते।

प्रश्न 4.
पाठ में बच्चों के द्वारा बनाए गए घरौंदे का उल्लेख अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर-
लेखक की बचपन की मित्र-मंडली ने एक दिन घर बनाने का खेल खेलने का निश्चय किया। धूल-मिट्टी की दीवारें खड़ी की गईं तथा तिनकों को जोड़कर छप्पर डाला गया, दातुन के खंभे खड़े किए गए दियासलाई की डिब्बी के किवाड़ खड़े किए गए, टूटे हुए घड़े के टुकड़ों से चूल्हा-चक्की बनाई गई, घर में पानी का घी बनाया गया, धूल के पिसान और बालू की चीनी बनाई। भोजन का भी प्रबंध किया गया। सब लोगों ने घर के अंदर पंगत में बैठकर भोजन किया। इस प्रकार लेखक ने बच्चों के अद्भुत व विचित्र घरौंदे का सजीव चित्र अंकित किया है।

प्रश्न 5.
पठित पाठ के आधार पर लेखक के पिता के जीवन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
‘माता का अँचल’ नामक पाठ पढ़ने पर पता चलता है कि लेखक के पिता ईश्वर में विश्वास रखने वाले व्यक्ति थे। वे प्रतिदिन ईश्वर की वंदना करते थे। साथ ही अपने दोनों बेटों को भी वंदना करते समय अपने पास बिठा लेते थे। तत्पश्चात् वे ‘रामनामा बही’ पर हजार बार ‘राम-राम’ लिखते थे। वे राम-नाम की पर्चियाँ बनाकर उनमें आटा लपेटकर गंगा नदी में मछलियों को खिला आते थे। इस प्रकार पता चलता है कि लेखक के पिता ईश्वरभक्त व्यक्ति थे।
वे स्वभाव से सरल एवं भोले थे। उनके मन में संतान के प्रति अथाह स्नेह था। अपने बच्चों को डरे हुए देखकर वे व्याकुल हो उठते थे। वे बच्चों के साथ मित्रता का व्यवहार करते थे।

प्रश्न 6.
‘बचपन में बच्चे सरल, निर्दोष और मस्त होते हैं पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए।
उत्तर-
बचपन में सभी बच्चे सरल होते हैं। उनके मन में जो भाव उठते हैं वे उन्हें सहज एवं सरल वाणी में कह देते हैं। वे मन से भी निर्दोष होते हैं। उन्हें किसी प्रकार की चिंता व भय नहीं सताता। वे बूढ़े दूल्हे को पसंद नहीं करते, इसलिए उसे खसूट कह देते हैं। उन्हें अपनी शरारत के दुष्परिणाम का बोध नहीं था, इसलिए बूढ़ा दूल्हा उनके पीछे पड़ जाता है। बच्चे खेल में इतने मस्त हो जाते हैं, कि उन्हें घर-बार यहाँ तक कि माँ की भी याद नहीं आती।

प्रश्न 7.
खेल खेलते हुए बच्चे पिता को देखकर क्यों भाग खड़े होते हैं?
उत्तर-
गाँव में बच्चे अपनी इच्छा एवं रुचि के अनुकूल खेल खेलते हैं। वे वैसी सामग्री भी जुटाते हैं। वे खेल में पूर्णतः लीन हो जाते हैं। वे अपनी खेल की दुनिया में किसी की दखलअंदाजी नहीं चाहते अर्थात् वे नहीं चाहते कि उनके खेल में बड़े लोग भी सम्मिलित हों। इसलिए जब भी लेखक के पिता ने उन्हें खेलते हुए देखा और उनके करीब चले गए, तो बच्चे अपना खेल अधूरा छोड़कर भाग खड़े होते हैं।

प्रश्न 8.
पठित पाठ से हमें बाल्य जीवन की कौन-सी जानकारी प्राप्त होती है?
उत्तर-
इस पाठ से पता चलता है बाल्य जीवन में बच्चे मन में दूसरों के प्रति कोई भेदभाव की भावना नहीं रखते। वे सब मिलकर खेल रचते हैं। उनके मन में किसी प्रकार की जातिगत भावना भी नहीं होती। सब जाति-धर्मों के बच्चे मिलकर खेलते हैं। बच्चे अपने मन में किसी प्रकार की बात को छुपाकर नहीं रखते। यदि वे दुःखी हैं या भयभीत हैं तो रोकर या चिल्लाकर व्यक्त कर देते हैं। प्रसन्नता के भाव को वे खिलखिलाकर व हँसकर व्यक्त कर देते हैं। इसी प्रकार रोते-रोते खुश हो जाना और तुरंत खेल में लग जाना बच्चों का विचित्र स्वभाव है। वे मन में कभी बदले की भावना नहीं रखते। जो उनके मन में भाव या इच्छा होती है उसे वे कह डालते हैं। उसका परिणाम क्या होगा, उसकी चिंता उन्हें नहीं होती।

सबसे बड़ी बात यह है कि बच्चों के मन पर तनाव या किसी विचार का बोझ नहीं होता। वे बीती बातों को याद करके दुःखी नहीं होते। उनके सामने जो भी उनकी रुचि के अनुकूल खेल या प्रसंग आता है वे उसी में लीन हो जाते हैं।

प्रश्न 9.
बूढ़े दूल्हे पर की गई टिप्पणी के माध्यम से लेखक ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर–
प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बूढ़े दूल्हे पर बच्चों के माध्यम से व्यंग्यात्मक टिप्पणी की है। लेखक ने यहाँ यह बताया है कि बुढ़ापे में विवाह करना उचित कार्य नहीं है। हर कार्य समय पर ही अच्छा लगता है। बुढ़ापे में दूल्हा बनना न केवल सामाजिक दृष्टि से बल्कि नैतिक दृष्टि से भी उचित नहीं है। लेखक का संदेश है कि वृद्ध-विवाह नहीं होना चाहिए।

प्रश्न 10.
लेखक को बचपन में स्कूल के अध्यापक से डाँट क्यों सुननी पड़ी थी?
उत्तर-
लेखक को बचपन में स्कूल के अध्यापक की डाँट-फटकार इसलिए सुननी पड़ी थी क्योंकि उसने अन्य बच्चों के साथ मिलकर मूसन तिवारी नामक बूढ़े व्यक्ति को अपशब्द कहे थे। बैजू नामक लड़के ने मस्ती करते हुए मूसन तिवारी को ‘बुढ़वा बेईमान माँगे करैला का चोखा’ कहकर चिढ़ाया था। अन्य बच्चों ने भी मस्ती में आकर ये शब्द दोहराए थे। नतीजा यह हुआ कि मूसन तिवारी अपने अपमान का बदला लेने के लिए स्कूल में जा पहुँचे और बच्चों को अध्यापक से खूब डाँट पड़वाई।

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बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘माता का अँचल’ नामक कहानी के लेखक कौन हैं?
(A) कमलेश्वर
(B) शिवपूजन सहाय
(C) प्रेमचंद
(D) मधु कांकरिया
उत्तर-
(B) शिवपूजन सहाय

प्रश्न 2.
लेखक के पिता प्रातः उठकर क्या करते थे?
(A) कसरत
(B) सैर
(C) पूजा
(D) समाचार पढ़ना
उत्तर-
(C) पूजा

प्रश्न 3.
लेखक बचपन में किसका तिलक लगाता था?
(A) चंदन का
(B) गोरस का
(C) रोली का
(D) भभूत का
उत्तर-
(D) भभूत का

प्रश्न 4.
भभूत लगाने से लेखक क्या बन जाते थे?
(A) श्रीकृष्ण
(B) श्रीराम
(C) बम-भोला
(D) राजकुमार
उत्तर-
(C) बम-भोला

प्रश्न 5.
लेखक का वास्तविक नाम क्या था?
(A) तारकेश्वरनाथ
(B) महेशनाथ
(C) पृथ्वीराज
(D) भोलानाथ
उत्तर-
(A) तारकेश्वरनाथ

प्रश्न 6.
लेखक के पिता बचपन में उसे क्या कहकर पुकारते थे?
(A) नाथ
(B) भोलानाथ
(C) अमरनाथ
(D) शिव महाराज
उत्तर-
(B) भोलानाथ

प्रश्न 7.
लेखक के पिता कितनी बार ‘राम’ शब्द लिखकर ‘रामनामा बही पोथी बंद करते थे?
(A) पाँच सौ बार
(B). छह सौ. बार
(C) सात सौ बार
(D) एक हज़ार बार
उत्तर-
(D) एक हज़ार बार

प्रश्न 8.
लेखक के पिता कितनी बार कागज़ के छोटे-छोटे टुकड़ों पर राम नाम लिखकर आटे की गोलियों में लपेटकर मछलियों को खिलाने जाते थे?
(A) पाँच सौ बार
(B) चार सौ बार
(C) तीन सौ पाँच बार
(D) दो सौ इक्कावन बार
उत्तर-
(A) पाँच सौ बार

प्रश्न 9.
‘मरदुए’ शब्द कहानी में किसने किसके लिए प्रयोग किया है?
(A) लेखक ने पिता के लिए
(B) लेखक की माता ने उसके पिता के लिए
(C) लेखक की माता ने लेखक के लिए
(D) इनमें से किसी ने नहीं
उत्तर-
(B) लेखक की माता ने उसके पिता के लिए

प्रश्न 10.
‘ठौर’ शब्द का अर्थ है-
(A) ठहरना
(B) दौड़ना
(C) स्थान
(D) आकाश
उत्तर-
(C) स्थान

प्रश्न 11.
लेखक गली में कौन-सा खिलौना लेकर जाते थे?
(A) कार
(B) बैलगाड़ी
(C) हाथी
(D) काठ का घोड़ा
उत्तर-
(D) काठ का घोड़ा

प्रश्न 12.
लेखक को बचपन में कैसे खेल पसंद थे?
(A) तरह-तरह के नाटक करना
(B) गिल्ली-डंडा खेलना
(C) लुका-छिपी खेलना
(D) चोर-सिपाही बनना
उत्तर-
(A) तरह-तरह के नाटक करना

प्रश्न 13.
वर्षा आने पर बच्चों ने कहाँ का आसरा लिया था?
(A) झोंपड़ी में
(B) पेड़ की जड़ों के पास
(C) किसी कमरे में
(D) छतरी के नीचे
उत्तर-
(B) पेड़ की जड़ों के पास

प्रश्न 14.
बच्चों की शिकायत किस व्यक्ति ने की थी?
(A) लेखक के पिता ने
(B) बाग के मालिक ने
(C) मूसन तिवारी ने
(D) लेखक की माता ने
उत्तर-
(C) मूसन तिवारी ने

प्रश्न 15.
‘चिरौरी करना’ का क्या अर्थ है?
(A) चिड़ाना
(B) नकल करना
(C) चोरी करना
(D) विनती करना
उत्तर-
(D) विनती करना

प्रश्न 16.
“चिड़िया की जान जाए, लड़कों का खिलौना।” ये शब्द किसने कहे?
(A) लेखक के पिता जी और उनके मित्रों ने
(B) लेखक की माता ने
(C) लेखक के मित्रों और उनके मित्रों ने
(D) खेत के मालिक ने
उत्तर-
(A) लेखक के पिता जी और उनके मित्रों ने

प्रश्न 17.
बूढ़े दूल्हे पर की गई टिप्पणी के द्वारा क्या संदेश दिया गया है?
(A) बूढ़ा दूल्हा सुंदर नहीं होता
(B) बुढ़ापे में विवाह करना उचित नहीं
(C) हर कार्य समय पर अच्छा होता है
(D) बूढ़ा दूल्हा सम्मानित नहीं होता
उत्तर-
(B) बुढ़ापे में विवाह करना उचित नहीं

प्रश्न 18.
भोलानाथ को सबसे अच्छा क्या लगता है?
(A) भोजन खाना
(B) पढ़ना
(C) खेलना
(D) सोना
उत्तर-
(C) खेलना

माता का अँचल Summary in Hindi

माता का अँचल पाठ का सार

प्रश्न-
‘माता का अँचल’ शीर्षक पाठ का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ श्री शिवपूजन सहाय के ‘देहाती दुनिया’ नामक उपन्यास का अंश है। ‘देहाती दुनिया’ हिंदी साहित्य का पहला आंचलिक उपन्यास है। इसे शिशु भोलानाथ के चरित्र को मध्य में रखकर रचा गया है। संकलित अंश में ग्रामीण अंचल और उसके चरित्रों का एक अद्भुत चित्र अंकित किया गया है। बालकों के खेल, कौतूहल, माँ की ममता, पिता का प्यार, लोकगीत आदि का एक साथ चित्रण किया गया है। बाल-सुलभ मनोभावों की सुंदर अभिव्यक्ति हुई है। साथ ही तत्कालीन समाज के पारिवारिक परिवेश का भी उल्लेख किया गया है। पाठ का सार इस प्रकार है-

लेखक अभी बच्चा ही था कि वह अपने पिता जी के साथ प्रातः शीघ्र उठकर, स्नान आदि करके पूजा करने बैठ जाता था। वह अपने पिता से जिद्द करके माथे पर त्रिपुंड लगवाया करता था। अपनी लंबी-लंबी जटाओं के कारण वह भोलानाथ अथवा बम-भोला ही लगता था। लेखक अपने पिता जी को बाबू जी और माताजी को मइयाँ कहकर पुकारता था। जब उसके पिता जी रामायण का पाठ करते तो वह भी वहाँ बैठ जाता था। वह वहाँ बैठा-बैठा दर्पण देखा करता था, जब उसके पिता जी उसकी तरफ देखते तो वह हँस पड़ता था। लेखक के पिता पूजा-पाठ करने के पश्चात् रामनामा बही पर हज़ार बार राम-नाम लिखते थे। फिर कागज़ के टुकड़ों पर पाँच सौ बार राम-नाम लिखकर तथा उन्हें आटे की गोलियों में लपेटकर गंगा जी में मछलियों को खिलाने के लिए जाते थे। भोलानाथ भी पिता के साथ गंगा तट पर जाता था। उस समय वह पिता के कंधों पर बैठकर मुस्कराता रहता था।

लेखक बचपन में पिता के.साथ अनेक खेल खेलता था। कभी-कभी कुश्ती भी लड़ता था और उनकी छाती पर बैठकर उनकी मूंछे उखाड़ने लगता था। तब उसके पिता उससे पूँछे छुड़वाकर उसका हाथ चूम लेते थे। पिता जी उसके दोनों गाल चूमते व उन पर अपनी दाढ़ी रगड़ देते। लेखक फिर उनकी मूंछे उखाड़ने लगता और वे झूठ-मूठ का रोने लगते। लेखक पिता जी के साथ भोजन करता। पिता उसे अपने हाथों से भोजन खिलाते थे। जब उसका पेट भर जाता था तो उसे माँ और भोजन खिलाने की जिद्द करती और कहती-

‘जब खाएगा बड़े-बड़े कौर, तब पाएगा दुनिया में ठौर’ वह अपने पति को ताना देती हुई कहती है कि आप मर्द लोग बच्चों को खाना खिलाना क्या जानो। तब माँ उसे तोता, मैना, चिड़िया, मोर आदि पक्षियों के नाम ले-लेकर भोजन कराती। कभी-कभी माँ उसके बालों में चुल्लू भर कड़वा तेल लगा देती, उसके माथे पर बिंदी लगा देती, उसकी चोटी गूंथ देती तथा उसमें फूलदार लट्ट भी बाँध देती। उसे रंगीन कुर्ता और टोपी पहना देती। तब वह गली में खेलने के लिए चल देता।

लेखक बच्चों के साथ मिलकर तरह-तरह के खेल खेलता था। वह मिठाइयों की दुकान सजाता तो कभी नाटक किया करता। दुकान में पत्तों की पूरियाँ, गीली मिट्टी की जलेबियाँ भी बनाई जातीं। जब पिता उन्हें ऐसे खेलता देख लेता तो वह सबको तोड़-फोड़ देता और पिता हँसने लगते। इसी प्रकार लेखक घर बनाने का खेल व विवाह रचाने, बारात को भोजन कराने के खेल भी खेला करता था। वह बच्चों के साथ मिलकर बारात का जुलूस निकालने का खेल भी खेलता था जिसमें कनस्तर का तंबूरा बजता, आम के पौधे की शहनाई बजती, टूटी हुई चूहेदानी की पालकी सजाई जाती, समधी बनकर बकरे पर चढ़ जाते। यह जुलूस चबूतरे के एक कोने से दूसरे कोने तक जाता। कभी-कभी खेती करने का खेल भी खेला जाता। इस प्रकार के खेल और नाटक करना प्रतिदिन का काम था।

कभी किसी दूल्हे के आगे चलती पालकी देखते तो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगते। एक बार एक बूढ़े वर ने लेखक मंडली को खदेड़कर ढेलों से मारा। एक बार रास्ते में आते हुए मूसन तिवारी को बुढ़वा बेईमान कहकर चिढ़ा दिया। मूसन तिवारी ने भी उनको खूब डाँटा। उसके बाद मूसन तिवारी स्कूल पहुंच गए। वहाँ चारों लड़कों में से बैजू तो भाग निकला, किंतु लेखक और उसका भाई पकड़े गए। यह सुनकर बाबू जी दौड़ते हुए पाठशाला गए। गुरु जी से विनती कर बाबू जी उन्हें घर ले गए। लेखक और उसके मित्र एक बार मकई के खेत में चिड़ियाँ पकड़ने घुस गए। चिड़ियाँ तो पकड़ी नहीं गईं और खेत से अलग होकर वे सब मिलकर ‘राम जी की चिरई, राम जी का खेत, खा लो चिरई, भर-भर पेट’ गीत गाने लगे। कुछ ही दूरी पर खड़े बाबूजी व अन्य लोग उनका यह तमाशा देखकर प्रसन्न हो रहे थे।

टीले पर जाकर लेखक और उसका भाई अपने मित्रों के साथ चूहों के बिलों में पानी डालने लगे। कुछ देर बाद उसमें से श्रीगणेश जी के चूहे की अपेक्षा सर्प निकल आया। उससे वे इतने डर गए कि वहाँ से रोते-चिल्लाते भागते हुए घर आ गए। गिरने, फिसलने व काँटे लग जाने के कारण सब लहूलुहान हो गए। सब अपने-अपने घरों में घुस गए। उस समय बाबू जी बरामदे में बैठकर हुक्का पी रहे थे। वे दोनों अपनी माँ की गोद में जाकर छिप गए। उन्हें डर से काँपते हुए देखकर माँ भी रोने लगी। वह व्याकुल होकर कारण पूछने लगी। वह उन्हें कभी अपने आँचल में छिपाती तो कभी गले से लगाती। माँ ने तुरंत हल्दी पीसकर लेखक और उसके भाई के घावों पर लगाई। उनके शरीर अभी भी काँप रहे थे। आँखें चाहकर भी नहीं खुलती थीं। बाबू जी भी उन्हें अपनी गोद में लेने लगे। किंतु वे माँ के आँचल में ही छिपे रहे।

कठिन शब्दों के अर्थ

(पृष्ठ-1) अँचल = गोद, आँचल। संग = साथ। मृदंग = वाद्य यंत्र। तड़के = प्रातःकाल। नाता = संबंध। भभूत = राख। दिक करना = तंग करना। लिलार = ललाट। त्रिपुंड करना = माथे पर तीन आड़ी या अर्धचंद्राकार रेखाएँ बनाना। जटाएँ = बालों का जुड़कर रस्सी के समान बन जाना। रमाने = लगाना। बम-भोला = शिव का ही एक नाम। आइना = दर्पण। निहारना = देखना। पोथी = ग्रंथ, पुस्तक।

(पृष्ठ-3) विराजमान = उपस्थित। शिथिल = ढीला, सुस्त। पछाड़ना = हराना। उतान पड़ना = पीठ के बल लेटना। नोचना = जोर से खींचना। चौका = भोजन बनाने का स्थान । गोरस = दूध । भात = चावल । सानकर = मिलाकर। फूल का कटोरा = काँच का कटोरा। अफरना = भरपेट से अधिक खा लेना। कौर = रोटी का टुकड़ा। ठौर = स्थानं । मरदए = मर्द, पुरुष । महतारी = माता।

(पृष्ठ-4) काठ = लकड़ी। कड़वा तेल = सरसों का तेल। बिगड़ना = क्रोध में आना, गुस्सा करना। बोथना = लगाना। नाभी = पेट का मध्य भाग। बाट जोहना = प्रतीक्षा करना। हमजोली = साथी। रंगमंच = नाटक खेलने का स्थान। तमाशे करना = खेल खेलना। सरकंडा = एक प्रकार का नुकीला पौधा। चँदोआ = छोटा शामियाना। खोंचा = ढाँचा। बताशे = चीनी की मिठाई। ठीकरा = मिट्टी का टुकड़ा। घरौंदा = घर, रहने का स्थान। आचमनी = पानी पीने के काम आने वाला बर्तन। कलछी = दाल या भात डालने वाला बर्तन। पिसान = पिसी हुई वस्तु। बालू = रेत। ज्योनार = दावत, भोजन। पाँत = पंक्ति। जीमना = भोजन खाना। लोट-पोट हो जाना = खूब ज़ोर से हँसना।

(पृष्ठ-5) कनस्तर = टिन का खाली पीपा। तंबूरा = एक प्रकार का बर्तन। कलसा = कलश। खटोली = छोटी-सी चारपाई। ओहार = परदे के लिए डाला हुआ कपड़ा। कुल्हिए = मिट्टी का बर्तन। गराड़ी = गरारी। कसोरा = मिट्टी का बना बर्तन। जुआठा = बैल को हल में जोतना। ओसाना = अनाज को भूसे से अलग करना। पटाना = सींचना । बटोही = राही, पथिक। ठिठककर = चौंककर।

(पृष्ठ-6) रहरी = अरहर। खसूट-खब्बीस = लूटने वाला पापी व्यक्ति। जमाई = दामाद। घोड़ मुँहा = घोड़े के मुख जैसा। पट पड़ना = औंधे पड़ना। मेघ = बादल। कौंधना = चमकना। छितराई = फैली हुई। बिलाई = धुल गई। अँठई = कुत्ते या शेर के शरीर में चिपके रहने वाले छोटे कीड़े। चोखा = भरथा। सुर = स्वर। बेतहाशा = बहुत ज़ोर-शोर से, आवेग के साथ। आँधी होना = तेज़ भागना। नौ-दो ग्यारह होना = गायब होना। खबर लेना = कठोरता से व्यवहार करना। चिरौरी = दीनतापूर्वक की गई प्रार्थना।

(पृष्ठ-7-8) हाथ न आना = पकड़ में न आना। चिरई = चिड़िया। पराई पीर = दूसरों का दुःख। उलीचना = हाथों से पानी डालना। अंटाचिट = पूरी तरह से चित करना। छलनी होना = बिंध जाना। ओसारा = बरामदा। अमनिया = साफ। कुहराम मचाना = शोर मचाना। रोंगटे खड़े होना = हैरान होना।

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