HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री

HBSE 9th Class Hindi ग्राम श्री Textbook Questions and Answers

ग्राम श्री कविता के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 1.
कवि ने गाँव को ‘हरता जन मन’ क्यों कहा है ?
उत्तर-
कवि ने गाँव को हरता जन मन अर्थात प्रत्येक व्यक्ति के मन को आकृष्ट करने वाला कहा है, क्योंकि गाँव की प्राकृतिक छटा अत्यधिक मनमोहक है। वह मरकत के खुले डिब्बे के समान सुंदर है। उस पर नीले आकाश के आच्छादित होने से उसकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है। वहाँ का वातावरण अत्यंत शांत एवं स्निग्ध है।

ग्राम श्री की व्याख्या HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 2.
कविता में किस मौसम के सौंदर्य का वर्णन है ?
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में बसंत के मौसम का वर्णन है। आम के वृक्षों पर बौर आना, कोयल का कूकना और चारों ओर फूलों का खिलना सिद्ध करता है कि यह शरद् ऋतु का अंत और बसंत का आगमन है।

Gram Shree Class 9 Question Answer HBSE Hindi प्रश्न 3.
गाँव को ‘मरकत डिब्बे सा खुला’ क्यों कहा गया है ?
उत्तर-
वस्तुतः ‘मरकत’ एक प्रकार का चमकदार रत्न है। अतः स्पष्ट है कि इस रत्न से निर्मित डिब्बा भी अत्यंत सुंदर होता है। कवि की दृष्टि में बसंत की धूप में गाँव भी वैसा ही सुंदर दिखाई दे रहा था। इसीलिए कवि ने उसे ‘मरकत डिब्बे सा खुला’ कहा है।

ग्राम श्री कविता के प्रश्न उत्तर Class 4 HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 4.
अरहर और सनई के खेत कवि को कैसे दिखाई देते हैं ? उत्तर-अरहर और सनई के खेत कवि को सोने की किंकिणियों के समान सुंदर दिखाई देते हैं।
(क) बालू के साँपों से अंकित
गंगा की सतरंगी रेती
(ख) हँसमुख हरियाली हिम-आतप
सुख से अलसाए-से सोए
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने गंगा के तट पर फैली प्राकृतिक सुषमा का अत्यंत मनोरम चित्रण किया है। गंगा के तट पर फैली हुई रेत में चमकते कणों के कारण ही कवि ने उसे सतरंगी रेत कहा है। इसी प्रकार रेत पर हवा या पानी के बहाव के कारण बनी लहरों को साँप से अंकित कहा है।

(ख) प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने ग्रामीण अंचल में फैली हुई हरियाली की सुंदरता का उल्लेख किया है। कवि को वहाँ की – हरियाली हँसती हुई सी लगती है और सर्दी की धूप में सुख का अनुभव करती हुई वह अलसाई हुई भी प्रतीत होती है। कहने का भाव है कि कवि ने हरियाली का मानवीकरण करके उसके सौंदर्य को अत्यंत आकर्षक रूप से प्रस्तुत किया है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री

ग्राम श्री प्रश्न उत्तर Class 4 HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 6.
निम्न पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ? तिनकों के हरे हरे तन पर हिल हरित रुधिर है रहा झलक।
उत्तर-
(i) ‘हरे-हरे’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है,
(ii) ‘हिल हरित’ में अनुप्रास अलंकार की छटा है,
(iii) ‘हरित रुधिर’ में विशेषण विपर्यय अलंकार है।

Gram Shree Class 9 Vyakhya HBSE Hindi प्रश्न 7.
इस कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है, वह भारत के किस भू-भाग पर स्थित है ?
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में जिस गाँव का चित्रण हुआ है, वह भारत के उत्तरी भू-भाग में स्थित है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
भाव और भाषा की दृष्टि से आपको यह कविता कैसी लगी ? उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने ग्रामीण क्षेत्र की प्राकृतिक सुषमा का वर्णन अत्यंत सजीव एवं आत्मीयतापूर्ण भावों में किया है। कवि के द्वारा व्यक्त भाव उनके हृदय की सच्ची अनुभूति हैं। उन्होंने इन भावों को सरल, सहज एवं प्रवाहमयी शुद्ध साहित्यिक हिंदी भाषा में व्यक्त किया है। कवि ने इस कविता में विभिन्न अलंकारों का प्रयोग करके उसे अलंकृत भी बनाया है। भाषा भावों को अभिव्यक्त करने में पूर्णतः सक्षम है।

प्रश्न 9.
आप जहाँ रहते हैं उस इलाके के किसी मौसम विशेष के सौंदर्य को कविता या गद्य में वर्णित कीजिए।
उत्तर-
नोट-यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है। इसलिए विद्यार्थी इसे अपनी कक्षा की अध्यापिका/अध्यापक की सहायता से स्वयं लिखेंगे।

पाठेतर सक्रियता

सुमित्रानंदन पंत ने यह कविता चौथे दशक में लिखी थी। उस समय के गाँव में और आज के गाँव में आपको क्या परिवर्तन नज़र आते हैं ? इस पर कक्षा में सामूहिक चर्चा कीजिए।
अपने अध्यापक के साथ गाँव की यात्रा करें और जिन फ़सलों और पेड़-पौधों का चित्रण प्रस्तुत कविता में हुआ है, उनके बारे में जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर-
नोट-पाठेतर सक्रियता के अंतर्गत सुझाई गई गतिविधियाँ विद्यार्थी स्वयं करेंगे।

HBSE 9th Class Hindi ग्राम श्री Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘ग्राम श्री’ कविता का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘ग्राम श्री’ शीर्षक कविता का उद्देश्य गाँव के प्राकृतिक वातावरण का सजीव चित्रण करना है। कवि ने गाँवों के दूर-दूर तक फैले हुए हरे-भरे खेतों, फल-फूलों से लदे हुए वृक्षों तथा गंगा के किनारे फैले रेत के चमकीले कणों की ओर पाठक का ध्यान विशेष रूप से आकृष्ट किया है। खेतों में खिली सरसों की पीतिमा तथा खेतों में खड़ी अन्य फसलों को देखकर कवि का मन प्रसन्नता से खिल उठता है। विभिन्न पक्षियों की मधुर-मधुर ध्वनियाँ सुनाई पड़ती हैं। गंगा के तट पर बैठे हुए विभिन्न पक्षियों के सौंदर्य की ओर संकेत करना भी कवि नहीं भूलता। कहने का भाव है कि प्रस्तुत कविता में कवि का प्रमुख लक्ष्य ग्राम्य प्राकृतिक वातावरण का पूर्ण चित्र अंकित करना है जिसमें कवि पूर्णतः सफल रहा है।

प्रश्न 2.
कवि को पृथ्वी रोमांचित क्यों लगी है ?
उत्तर-
कवि को पृथ्वी रोमांचित इसलिए लगी है क्योंकि जब कोई रोमांचित होता है तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसी प्रकार जब गेहूँ और जौ की बालियाँ आईं तो वे रोंगटों की भाँति खड़ी हुई-सी लगीं। अतः कवि द्वारा उन्हें देखकर पृथ्वी का रोमांचित-सा लगना उचित प्रतीत होता है।

प्रश्न 3.
‘ग्राम श्री’ नामक कविता में किस मौसम का और कैसा उल्लेख किया गया है?
उत्तर-
‘ग्राम श्री’ कविता गाँव के वातावरण को उद्घाटित करने वाली कविता है। इसमें कवि ने शिशिर ऋतु के मौसम का सजीव चित्रण किया है। इसी मौसम में ढाक और पीपल के पत्ते गिरते हैं। आम के वृक्ष पर मंजरियाँ फूटतीं और चारों ओर फूल खिल उठते हैं। फूलों पर तितलियाँ और भौरे मंडराने लगते हैं। हर प्रकार की सब्जियाँ उपलब्ध होती हैं। गेहूँ तथा जौ के पौधों में बालियाँ फूट पड़ती हैं। सरसों के फूल खिल जाते हैं। चारों ओर प्रसन्नता एवं उत्साह का वातावरण छा जाता है।

प्रश्न 4.
शिशिर ऋतु में सूर्य की किरणों का प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
शिशिर ऋतु में आसमान बिल्कुल साफ होता है और सूर्य पूर्ण रूप से चमकने लगता है। इस ऋतु में सूर्य की किरणों से हरियाली में चमक आ जाती है। हरियाली अधिक कोमल और मखमली प्रतीत होने लगती है। ऐसा लगता है मानो हरियाली पर चाँदी बिछ गई हो। तिनके ऐसे सजीव हो उठते हैं कि मानो नसों में हरा खून प्रवाहित होने लगता है।

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बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘ग्राम श्री’ कविता के रचयिता हैं
(A) जयशंकर प्रसाद
(B) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(C) सुमित्रानंदन पंत
(D) महादेवी वर्मा
उत्तर-
(C) सुमित्रानंदन पंत

प्रश्न 2.
सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1885 में
(B) सन् 1900 में
(C) सन् 1905 में
(D) सन् 1910 में
उत्तर-
(B) सन् 1900 में

प्रश्न 3.
सुमित्रानंदन पंत जी के गाँव का क्या नाम है ?
(A) कौसानी
(B) शामली
(C) गढ़ी
(D) हरिद्वार
उत्तर-
(A) कौसानी

प्रश्न 4.
किसके आह्वान पर पंत जी ने कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी थी ?
(A) पंडित जवाहरलाल नेहरू
(B) महात्मा गाँधी
(C) सरदार पटेल
(D) रवींद्रनाथ टैगोर
उत्तर-
(B) महात्मा गाँधी

प्रश्न 5.
पंत जी किस काव्यधारा के कवि के रूप में प्रसिद्ध रहे हैं ?
(A) नई कविता
(B) प्रयोगवादी
(C) छायावादी
(D) प्रगतिवादी
उत्तर-
(C) छायावादी

प्रश्न 6.
सुमित्रानंदन पंत का देहांत कब हुआ था ?
(A) सन् 1947 में
(B) सन् 1957 में
(C) सन् 1967 में
(D) सन् 1977 में
उत्तर-
(D) सन् 1977 में

प्रश्न 7.
सुमित्रानंदन पंत को प्रसिद्धि प्राप्त हुई है-
(A) उपन्यासकार के रूप में
(B) कवि के रूप में
(C) नाटककार के रूप में
(D) निबंधकार के रूप में
उत्तर-
(B) कवि के रूप में

प्रश्न 8.
‘ग्राम श्री’ कविता का प्रमुख विषय है-
(A) ग्रामीणों की गरीबी
(B) गाँव का सादा जीवन
(C) ग्रामीणों की अनपढ़ता
(D) गाँव की प्राकृतिक सुंदरता
उत्तर-
(D) गाँव की प्राकृतिक सुंदरता

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प्रश्न 9.
खेतों में दूर-दूर तक फैली हुई हरियाली कैसी लग रही है ?
(A) बादल जैसी
(B) पानी जैसी
(C) मखमल जैसी
(D) आकाश जैसी
उत्तर-
(C) मखमल जैसी

प्रश्न 10.
सूर्य की किरणों की तुलना कवि ने किससे की है ?
(A) चाँदी की जाली से
(B) सोने की तारों से
(C) पानी की चमक से
(D) रेत की चमक से
उत्तर-
(A) चाँदी की जाली से

प्रश्न 11.
कवि को हरे-हरे तिनकों पर क्या झलकता प्रतीत हुआ है ?
(A) ओस की बूंदें
(B) हरे रंग का रक्त
(C) पानी
(D) सूर्य की किरणें
उत्तर-
(B) हरे रंग का रक्त

प्रश्न 12.
सूर्य की किरणें किस पर सुशोभित हो रही हैं ?
(A) पानी पर
(B) वृक्षों पर
(C) मखमली हरियाली पर
(D) आकाश पर
उत्तर-
(C) मखमली हरियाली पर

प्रश्न 13.
कवि ने क्या देखकर धरती को रोमांचित-सी कहा है ?
(A) फूल देखकर
(B) बादल देखकर
(C) जौ और गेहूँ की बाली देखकर
(D) वर्षा का जल देखकर
उत्तर-
(C) जौ और गेहूँ की बाली देखकर

प्रश्न 14.
कवि ने किसे सोने की किंकिणियां कहा है ?
(A) गेहूँ की बालियों को
(B) सनई और अरहर की फलियों को
(C) गेंदे के फूलों को
(D) हरी-हरी घास पर पड़ी ओस को
उत्तर-
(B) सनई और अरहर की फलियों को

प्रश्न 15.
कवि के अनुसार तैलाक्त गंध किस पौधे से आ रही थी ?
(A) तीसी
(B) सरसों
(C) अरहर
(D) गेहूँ
उत्तर-
(B) सरसों

प्रश्न 16.
‘वसुधा’ शब्द का अर्थ है-
(A) धन धारण करना
(B) सोना धारण करना
(C) सुगंध धारण करना
(D) सौंदर्य धारण करना
उत्तर-
(A) धन धारण करना

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प्रश्न 17.
‘पीली-पीली’ में कौन-सा प्रमुख अलंकार है ?
(A) अनुप्रास
(B) उपमा
(C) पुनरुक्ति प्रकाश
(D) रूपक
उत्तर-
(C) पुनरुक्ति प्रकाश

प्रश्न 18.
‘आम’ वृक्ष की शाखाएँ किससे लद गई थीं ?
(A) पक्षियों से
(B) भौरों से
(C) मंजरियों से
(D) कलियों से
उत्तर-
(C) मंजरियों से

प्रश्न 19.
बसंत ऋतु आने पर कौन मतवाली हो उठी थी ?
(A) चिड़िया
(B) कोयल
(C) मोरनी
(D) कबूतरी
उत्तर-
(B) कोयल

प्रश्न 20.
पेड़ की डालियाँ किस फल से लद गई थीं ?
(A) अमरूद
(B) आम
(C) केलों
(D) आँवला
उत्तर-
(D) आँवला

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ग्राम श्री प्रमुख अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. फैली खेतों में दूर तलक
मखमल की कोमल हरियाली,
लिपीं जिससे रवि की किरणें
चाँदी की सी उजली जाली!
तिनकों के हरे हरे तन पर
हिल हरित रुधिर है रहा झलक,
श्यामल भू तल पर झुका हुआ
नभं का चिर निर्मल नील फलक! [पृष्ठ 113]

शब्दार्थ-रवि = सूर्य। उजली = उज्ज्वल। हरित = हरे रंग वाला। रुधिर = रक्त, खून। श्यामल भू = हरी-भरी पृथ्वी। नभ = आकाश।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्यांश का काव्य-सौंदर्य/ शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) खेतों में फैली हरियाली की तुलना किससे की गई है ?
(6) चाँदी की सी उजली जाली किसे और क्यों कहा है ?
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-कवि प्रकृति का पुजारी है। वह ग्रामीण अंचल की प्राकृतिक सुंदरता को देखकर भावुक हो उठता है और कहता है कि गाँवों के खेतों में दूर-दूर तक हरियाली छायी हुई है। वह मखमल की भाँति कोमल एवं सुंदर है। उस हरियाली पर जब सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो वह चाँदी की जाली की भाँति उज्ज्वल एवं चमकदार लगने लगती है। खेतों में खड़ी फसलों के तिनकों का हरापन ऐसा प्रतीत होता है कि मानों हरा रक्त झलक रहा हो। हरी-भरी पृथ्वी के तल पर आकाश का नीले रंग का स्वच्छ एवं पावन पर्दा झुका हुआ है।
भावार्थ भाव यह है कि ग्रामीण अंचल में खेतों में फैली हरियाली और उस पर पड़ती हुई सूर्य की किरणों का अत्यंत मनोरम दृश्य उभरता है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश में प्रकृति के मनोहारी दृश्यों का स्वाभाविक चित्र अंकित किया गया है।
(ख) ‘मखमल….. हरियाली’, ‘हिल…….”झलक’ में रूपक अलंकार है।
(ग) ‘चाँदी की सी उजली जाली’ में उपमा अलंकार है।
(घ) संपूर्ण काव्यांश में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(ङ) ‘हरे हरे’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(च) प्रस्तुत पद्य में चित्रात्मक शैली है।
(छ) सरल, सहज एवं प्रवाहमयी भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ज) तत्सम शब्दावली का विषयानुकूल प्रयोग किया गया है।
(झ) अन्त्यानुप्रास के प्रयोग के कारण भाषा में लय का समावेश हुआ है।

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(4) कविवर सुमित्रानंदन पंत ने ग्रामीण क्षेत्र की स्वाभाविक एवं अनुपम प्राकृतिक सुंदरता को उद्घाटित किया है। कवि ने पाठक का ध्यान गाँवों के खेतों में फैली हरियाली की ओर आकृष्ट किया है। कवि ने हरियाली पर सूर्य की उज्ज्वल किरणों के पड़ने से उसके सौंदर्य में हुई वृद्धि का भी सूक्ष्मतापूर्वक उल्लेख किया है। तिनकों के हरेपन को हरित रुधिर कहकर उसके सौंदर्य को सजीवता प्रदान की गई है। हरी-भरी पृथ्वी पर नीले नभ को झुका हुआ बताकर प्राकृतिक सौंदर्य को और भी संवेदनशील बना दिया है।

(5) खेतों में फैली हरियाली की तुलना कोमल मखमल से की गई है।

(6) ‘चाँदी की सी उजली जाली’ कवि ने उस हरियाली को कहा, जो दूर-दूर तक गाँवों के खेतों में फैली हुई थी, क्योंकि जब उस पर सूर्य की उज्ज्वल किरणें पड़ती हैं तब उसकी चमक और भी बढ़ जाती है। इसलिए कवि ने उसे चाँदी की उज्ज्वल जाली के समान कहा है।

2. रोमांचित सी लगती वसुधा
आई जो गेहूँ में बाली,
अरहर सनई की सोने की
किंकिणियाँ हैं शोभाशाली!
उड़ती भीनी तैलाक्त गंध
फूली सरसों पीली पीली,
लो, हरित धरा से झाँक रही
नीलम की कलि, तीसी नीली! [पृष्ठ 113]

शब्दार्थ-रोमांचित = प्रसन्नता व्यक्त करती हुई। वसुधा = पृथ्वी। किंकिणियाँ = करधनी। शोभाशाली = सुंदर। तैलाक्त = तेल से सनी हुई। गंध = खुशबू। धरा = पृथ्वी। तीसी नीली = अलसी के नीले फूल।

प्रश्न
(1) कवि और कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत कवितांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत कवितांश का काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्ति के भाव-सौंदर्य का उल्लेख कीजिए।
(5) कवि को पृथ्वी रोमांचित-सी क्यों लगी ?
(6) कौन हरित धरा से झाँकते हुए-से लगते हैं ?
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत कवितांश में कवि ने बताया है कि गेहूँ और जौ के पौधों की निकली बालियों को देखने से ऐसा लगता है जैसे उनके माध्यम से धरती रोमांचित हो उठी है अर्थात अपने हृदय की प्रसन्नता को व्यक्त कर रही है। खेतों में उगी अरहर की फलियाँ और फूल ऐसे लगते हैं कि मानों सोने से निर्मित सुंदर करधनी धारण कर रखी हो। इसी प्रकार दूर-दूर तक खेतों में पीली-पीली सरसों फूली हुई है। उसके फूलों की सुगंध चारों ओर उड़ रही है। इस हरी-भरी धरती पर नीलम की सुंदर कलियाँ और नीले रंग के फूलों से लदी अलसी भी झाँकती हुई-सी लगती है।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि धरती पर उगी हुई गेहूँ और जौ की फसलें, अरहर और सरसों के फूल वहाँ के सौंदर्य को बढ़ा देते हैं। हरे-भरे खेतों में नीलम और अलसी के फूल भी सुंदर लगते हैं।

(3) (क) संपूर्ण पद्यांश में सरल एवं शुद्ध साहित्यिक भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ख) प्राकृतिक छटा का वर्णन अलंकृत भाषा में किया गया है।
(ग) ‘अरहर …. शोभाशाली’ में रूपक अलंकार है।
(घ) वसुधा, नीलम की कलियों, तीसी नीली आदि का मानवीकरण किया गया है।
(ङ) पीली पीली’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(च) संपूर्ण पद्य में चित्रात्मकता है।
(छ) तत्सम शब्दों का विषयानुकूल प्रयोग किया गया है।

(4) कवि ने खेतों में उगी फसलों का अत्यंत भावपूर्ण एवं मनोरम चित्रण किया है। वसुधा को रोमांचित बताकर आस-पास के प्रसन्नतामय वातावरण को उद्घाटित किया है। अरहर के फूलों व फलियों को सोने से निर्मित सुंदर करधनी की उपमा देकर उसकी सुंदरता को उजागर किया है। इसी प्रकार नीलम की कली और अलसी के नीले फूलों को हरे-भरे खेतों के बीच दिखाकर उनकी सुंदरता को चार चाँद लगा दिए हैं। इसके साथ ही उन्हें झाँकता हुआ कहकर उनका मानवीकरण भी कर दिया है।

(5) कवि को पृथ्वी रोमांचित इसलिए लगी, क्योंकि जब कोई रोमांचित होता है तो उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इसी प्रकार जब गेहूँ और जौ की बालियाँ निकल आईं तो वे रोंगटों की भाँति खड़ी हुई-सी लगीं। इसलिए कवि द्वारा उन्हें देखकर पृथ्वी का रोमांचित-सा लगना उचित प्रतीत होता है।

(6) नीलम की कलियाँ और अलसी के नीले फूल हरित धरा-से झाँकते हुए-से लगते हैं।

3. रंग रंग के फूलों में रिलमिल
हँस रही सखियाँ मटर खड़ी,
मखमली पेटियों सी लटकीं
छीमियाँ, छिपाए बीज लड़ी!
फिरती है रंग रंग की तितली
रंग रंग के फूलों पर सुंदर,
फूले फिरते हों फूल स्वयं
उड़ उड़ व्रतों से वृंतों पर! [पृष्ठ 114]

शब्दार्थ-रिलमिल = मिल-जुलकर। छीमियाँ = मटर की फलियाँ।

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प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखें।
(3) प्रस्तुत काव्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) प्रस्तुत काव्यांश के मूल विषय को स्पष्ट कीजिए।
(6) कवि ने मखमली पेटियाँ किसे और क्यों कहा है ?
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। . कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत काव्यांश में कविवर सुमित्रानंदन पंत ने गाँवों के खेतों में उगी फसलों और वहाँ की प्राकृतिक छटा का वर्णन किया है। कवि का कथन है कि मटर की फसल के पौधों पर तरह-तरह के फूल खिले हुए हैं। उनके मध्य मटर की फलियाँ लटकी हुई हैं, जो मखमली पेटियों के समान लगती हैं। उन पेटियों (मटर की फलियों) में मटर के दानों की लड़ियाँ छिपी हुई हैं अर्थात मटरों की फलियों में मटरों की दोनों पंक्तियाँ विद्यमान हैं। कवि ने पुनः बताया है कि वहाँ विभिन्न रंगों के सुंदर फूलों पर विभिन्न रंगों वाली तितलियाँ उड़ रही हैं। वहाँ इतने अधिक फूल हैं कि ऐसा लगता है कि फूल स्वयं फूले नहीं समा रहे। फूल स्वयं फूलों के समूह पर गिर रहे हैं।
भावार्थ-कवि.के कहने का भाव यह है कि गाँवों के खेतों में खड़ी मटर की फसलें अत्यंत शोभायमान हैं और रंग-रंग के फूलों की अत्यधिक संख्या होने के कारण वहाँ का वातावरण सुंदर एवं सुगंधित बना हुआ है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश शुद्ध साहित्यिक हिंदी भाषा में रचित है।
(ख) ‘रंग-रंग’, ‘उड़-उड़’ आदि शब्दों की आवृत्ति के द्वारा फूलों के विभिन्न व अत्यधिक रंगों और तितलियों की प्रसन्नता को उजागर किया गया है।
(ग) मटर के पौधों का मानवीकरण किया गया है।
(घ) ‘मखमली पेटियों सी’ में उपमा अलंकार है।
(ङ) ‘रंग रंग’ तथा ‘उड़ उड़’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(च) ‘रिलमिल’, ‘मखमली’, ‘छीमियाँ’, ‘छिपाए’ आदि में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(छ) भाषा प्रसादगुण-संपन्न है।
(ज) अभिधा शब्द-शक्ति के प्रयोग के कारण वर्ण्य-विषय सरल एवं स्वाभाविक रूप में व्यक्त हुआ है।

(4) कवि ने अत्यंत प्रवाहमयी भाषा में प्रकृति के दृश्यों का सजीव चित्रण किया है। विभिन्न रंगों के फूलों के बीच हरी-हरी मटर की फलियों को मखमली पेटिका की उपमा देकर कवि ने उनके सौंदर्य एवं उनमें दानों की अधिकता की ओर संकेत किया है। इसी प्रकार रंग-रंग के फूलों पर रंग-रंग की तितलियों का उड़ना दिखाकर प्राकृतिक दृश्य को हृदयग्राही बना दिया है। फूलों के फूल फूलकर फूलों के समूह पर गिरने का भाव भी अत्यंत मौलिक एवं सुंदर है।

(5) प्रस्तुत काव्यांश का मूल विषय प्राकृतिक छटा को मनोरम रूप में उजागर करना है, ताकि लोगों का ध्यान उस ओर आकृष्ट हो सके।

(6) कवि ने मटर की हरी-हरी फलियों को मखमली पेटियाँ कहा है। इन्हें पेटियाँ इसलिए कहा गया है, क्योंकि इनमें मटर के बीज भरे हुए थे।

4. अब रजत स्वर्ण मंजरियों से
लद गई आम्र तरु की डाली,
झर रहे ढाक, पीपल के दल,
हो उठी कोकिला मतवाली!
महके कटहल, मुकुलित जामुन,
जंगल में झरबेरी झूली,
फूले आडू, नींबू, दाडिम,
आलू, गोभी, बैंगन, मूली! [पृष्ठ 114]

शब्दार्थ-रजत = चाँदी। स्वर्ण = सुनहरा। मंजरियों = बौर। तरु = टहनी।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखें।
(3) प्रस्तुत काव्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कोकिला मतवाली क्यों हो उठी थी ?
(6) प्रस्तुत पंक्तियों को पढ़कर कवि के किस ज्ञान का परिचय मिलता है ?
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत कवितांश में कवि ने ग्रामीण क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन करते हुए कहा है कि अब वहाँ आम के वृक्ष की टहनियाँ चाँदी और सुनहरे रंग के बौर से लद गई हैं अर्थात आम की टहनियों पर बौर उग आया है जिससे उन पर फल लगने की आशा हो गई है। इस समय ढाक और पीपल के वृक्षों के पत्ते झड़ रहे हैं। ऐसे सुहावने एवं सुंदर वातावरण में कोयल भी मस्ती में भरकर कूक उठती है। इसके अतिरिक्त कटहल के पेड़ भी महक उठे हैं। जामुन पर भी बौर लग गया है। जंगल में छोटे-छोटे बेरों वाली झाड़ियाँ या बेरियाँ भी झूल उठी हैं। आड़, नींबू, अनार, आलू, गोभी, बैंगन, मूली आदि फल और सब्जियाँ खूब उगे हुए हैं।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि बसंत ऋतु में विभिन्न प्रकार के फलों के वृक्षों पर फल-फूल लग जाते हैं। वातावरण अत्यंत प्रसन्नतामय बन जाता है। ऐसे में कोयल भी अपनी मधुर ध्वनि से उसमें रस घोल देती है।

(3) (क) संपूर्ण कवितांश में शुद्ध साहित्यिक भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ख) तत्सम शब्दों का सफल एवं सुंदर प्रयोग किया गया है।
(ग) चित्रात्मक भाषा-शैली का प्रयोग किया गया है।
(घ) संपूर्ण काव्यांश में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(ङ) शब्द-योजना विषयानुकूल है।

(4) कवि ने इन पंक्तियों में ग्रामीण अंचल की प्रकृति के विभिन्न दृश्यों का वर्णन अत्यंत सजीवता से किया है। बसंत ऋतु के आने पर जहाँ आम के वृक्षों की शाखाएँ बौर से लद जाती हैं, वहीं पीपल और ढाक के वृक्ष पत्र-विहीन हो जाते हैं। बसंत के आते ही कोयल भी मस्ती में भरकर मधुर ध्वनि में बोलने लगती है। विभिन्न प्रकार के फलों और सब्जियों की फसलें भी महक उठती हैं। कवि ने अपने इन सब भावों को सुगठित एवं प्रवाहमयी भाषा में प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया है।

(5) कवि ने बताया है कि बसंत ऋतु में प्रसन्नतायुक्त वातावरण में कोयल भी मस्ती में भरकर कूक उठी है।

(6) इन काव्य-पंक्तियों को पढ़कर कवि के प्रकृति संबंधी ज्ञान का बोध होता है। कवि को प्रकृति का ज्ञान ही नहीं, अपितु उसके प्रति गहन लगाव भी है।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री

5. पीले मीठे अमरूदों में
अब लाल लाल चित्तियाँ पड़ी,
पक गए सुनहले मधुर बेर,
अँवली से तरु की डाल जड़ी!
लहलह पालक, महमह धनिया,
लौकी औ’ सेम फली, फैली
मखमली टमाटर हुए लाल
मिरचों की बड़ी हरी थैली! [पृष्ठ 114]

शब्दार्थ-चित्तियाँ = चित्रियाँ । मधुर = मीठे। अँवली = छोटे आँवले । तरु = वृक्ष । लहलह = लहकना। महमह = महकना।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखें।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कवि ने किन सब्जियों एवं फलों का वर्णन किया है ?
(6) प्रस्तुत पद के प्रमुख विषय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-कवि ने खेतों में लगी सब्जियों एवं वृक्षों पर लगे फलों का वर्णन करते हुए कहा है कि अमरूद के पेड़ों पर लगे अमरूदों पर अब लाल-लाल चिह्न पड़ गए हैं। इनसे पता चलता है कि अमरूद अब पक गए हैं। इसी प्रकार बेरियों पर सुनहरे रंग के मीठे-मीठे बेर लगे हुए हैं। आँवले के वृक्ष की टहनियों पर आँवले भी लदे हुए हैं अर्थात अत्यधिक मात्रा में लगे हुए हैं। खेत में खड़ी पालक लहक रही है और धनिया भी सुंदर लग रहा है। लौकी और सेम की बेलें फैली हुई हैं जिन पर लौकियाँ और सेम की फलियाँ लगी हुई हैं। अब मखमली टमाटर भी पककर लाल रंग के हो गए हैं। मिरचों के पौधों पर भी अत्यधिक बड़ी-बड़ी हरी मिरचें लगी हुई हैं।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि ग्रामीण अंचल में तरह-तरह के फलदार वृक्ष हैं जो वहाँ के लोगों को स्वादिष्ट फल देते हैं। खेतों में भी तरह-तरह की सब्जियाँ उगाई जाती हैं।

(3) (क) कवि ने सरल, सहज एवं प्रवाहमयी हिंदी भाषा का प्रयोग किया है।
(ख) यह पद कवि के फलों व सब्जियों की फसलों के ज्ञान का परिचय करवाता है।
(ग) तत्सम शब्दों का सार्थक एवं सफल प्रयोग किया गया है।
(घ) ‘लाल-लाल’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(ङ) ‘लहलह’, ‘महमह’ में अनुप्रास अलंकार है।
(च) अन्त्यानुप्रास के प्रयोग के कारण भाषा में लय एवं संगीतात्मकता का समावेश हुआ है।
(छ) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है।
(ज) अभिधा शब्द-शक्ति का प्रयोग किया गया है।

(4) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने अत्यंत भावपूर्ण शैली में ग्रामीण अंचल के जीवन का वर्णन किया है। गाँव के खेतों, वहाँ उगी हुई फसलों तथा वहाँ के फलदार पेड़ों के प्रति आत्मीयता का भाव अभिव्यक्त हुआ है। कवि का ग्रामीण क्षेत्र में उगाई जाने वाली सब्जियों का गहन ज्ञान द्रष्टव्य है। कवि ने अमरूद, बेर व आँवले के फलों के साथ-साथ पालक, धनिया, टमाटर और हरी मिरचों का अत्यंत सुंदर एवं सजीव चित्रांकन किया है। इस पद की प्रत्येक पंक्ति में विभिन्न फलों व सब्जियों का मनोहारी वर्णन है।

(5) कवि ने अमरूद, बेर, आँवला आदि फलों तथा पालक, धनिया, टमाटर व हरी मिरच आदि सब्जियों का उल्लेख किया है।

(6) प्रस्तुत पद का प्रमुख विषय गाँव के जीवन का विशेषकर वहाँ के खेतों में उगाए जाने वाले फलों व सब्जियों का उल्लेख करना है।

6. बालू के साँपों से अंकित
गंगा की सतरंगी रेती
सुंदर लगती सरपत छाई
तट पर तरबूजों की खेती;
अँगुली की कंघी से बगले
कलँगी सँवारते हैं कोई,
तिरते जल में सुरखाब, पुलिन पर
मगरौठी रहती सोई! [पृष्ठ 115]

शब्दार्थ-बालू = रेत। अंकित = चित्रित, बने हुए। सतरंगी = सात रंगों वाली। सरपत = घास-पात, तिनके। कलँगी = सिर

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए। (5) कवि ने गंगा के किनारे किन-किन पक्षियों को देखा है ? (6) कवि ने गंगा के किनारे की रेत को साँपों की तरह अंकित क्यों कहा है ?
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने गंगा तट के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहा है कि गंगा के किनारे बिछी हुई सतरंगी रेत व हवा के कारण बनी हुई लहरें साँपों के समान लगती हैं। गंगा के तट पर उगी हुई घास अत्यंत सुंदर लगती है। वहाँ पर किसानों द्वारा तरबूजों की फसल उगाई गई है। अपने पाँव के पंजे से अपने सिर की कलंगी संवारते हुए बगुले अत्यंत सुंदर लगते हैं। चक्रवाक पक्षी गंगा के पानी में तैर रहे हैं और गंगा किनारे बैठी मगरौठी सोई रहती है।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि गंगा के किनारे पर फैली रेत, तरबूजों की फसल और हरी-भरी घास के साथ-साथ वहाँ पर तरह-तरह के पक्षी क्रीड़ाएँ करते हुए अत्यंत सुंदर लगते हैं।

(3) (क) प्रस्तुत कवितांश सरल, सहज एवं शुद्ध साहित्यिक भाषा में रचित है।
(ख) इसमें कवि ने गंगा के किनारे की प्राकृतिक छटा का भावपूर्ण चित्रांकन किया है।
(ग) ‘बालू के साँपों से’ अंकित …..रेती’ में उपमा अलंकार है।
(घ) “अँगुली की कंघी’ ……कोई’ में रूपक अलंकार है।
(ङ) ‘तट पर तरबूजों’, ‘पुलिन पर’ में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(च) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है।।
(छ) अभिधा शब्द-शक्ति के प्रयोग के कारण वर्ण्य-विषय सरल एवं सहज बना हुआ है।

(4) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने अत्यंत भावपूर्ण शैली में ग्रामीण अंचल के प्राकृतिक सौंदर्य एवं गंगा के किनारे की अनुपम छटा को चित्रित किया है। कवि ने बताया है कि गंगा के किनारे बिछी रेत पर अंकित लहरें सौ के आकार की लगती हैं। रेत के कणों की चमक सात रंगों वाली लगती है। इतना ही नहीं, वहाँ उगी हुई हरी-हरी घास और तरबूज की फसल का दृश्य भी मनोहारी है। गंगा के किनारे पर बगुले, सुरखाब, मगरौठी आदि बैठे हुए पक्षी मन को आकृष्ट करते हैं। अतः स्पष्ट है कि कवि ने संपूर्ण पद में गंगा के तट की छटा का सुंदर एवं सजीव रूप प्रस्तुत किया है।

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(5) कवि ने गंगा के किनारे बैठे बगुल्लों, चक्रवात और मगरौठी को देखा है।

(6) कवि ने गंगा के किनारे फैली रेत को साँपों की तरह अंकित इसलिए कहा है क्योंकि रेत में तेज हवा व पानी के बहाव के कारण टेढ़ी-मेढ़ी लहरें-सी बनी हुई थीं।

7. “हँसमुख हरियाली हिम-आतप
सुख से अलसाए-से सोए,
भीगी अँधियाली में निशि की
तारक स्वप्नों में से खोए
मरकत डिब्बे सा खुला ग्राम
जिस पर नीलम नभ आच्छादन
निरुपम हिमांत में स्निग्ध शांत
निज शोभा से हरता जन मन! [पृष्ठ 115]

शब्दार्थ-हिम-आतप = सर्दी की धूप। अँधियाली = अंधेरे वाली। निशि = रात्रि। मरकत = पन्ना नामक रत्न। निरुपम = उपमा-रहित। हिमांत = सर्दी के अंत में। स्निग्ध = कोमल । निज = अपनी। शोभा = सुंदरता। हरना = आकृष्ट करना।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य का उल्लेख कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) प्रस्तुत काव्यांश के प्रमुख विषय का उल्लेख कीजिए।
(6) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने ग्राम को किसकी उपमा दी है ?
उत्तर-
(1) कवि-सुमित्रानंदन पंत। कविता-ग्राम श्री।

(2) व्याख्या-कवि ने ग्रामीण अंचल की प्राकृतिक छटा का उल्लेख करते हुए कहा है कि वहाँ की हँसमुख हरियाली सर्दी की धूप में ऐसी लग रही है मानों वह धूप सेंकने से अलसाई हुई-सी अथवा खोई हुई-सी है। रात के अंधेरे. में वही हरियाली भीगी हुई-सी लगती है और नीले नभ पर रात्रि को चमकते हुए तारे स्वप्नों में खोए हुए-से लगते हैं। सर्दी की ऋतु में चमकती हुई धूप में गाँव पन्ना नामक रत्न का खुला हुआ डिब्बा-सा प्रतीत होता है। उस पर नीले रंग का आकाश छाया हुआ होने के कारण और भी आकर्षक बन पड़ा है। हिमांत में अत्यंत सुंदर, शांत और अनुपम गाँव अपनी शोभा से सबके मन को आकृष्ट करने वाला है।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि गाँव के आस-पास छाई हुई हरियाली सर्दी की धूप में अत्यंत सुंदर लगने लगती है। रात को नीले आकाश में चमकते तारे भी मनमोहक लगते हैं। धूप में चमकता हुआ गाँव तो और भी आकर्षक लगता है।

(3) (क) कवि ने अत्यंत भावपूर्ण शैली में ग्रामीण अंचल की प्राकृतिक शोभा का सजीव चित्रण किया है।
(ख) तत्सम शब्दों का अत्यंत सार्थक एवं सफल प्रयोग किया गया है।
(ग) संपूर्ण पद में हरियाली, तारों, ग्राम आदि का मानवीकरण किया गया है।
(घ) ‘हँसमुख हरियाली’, ‘नीलम-नभ’, ‘जन-मन’ आदि में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(ङ) ‘मरकत डिब्बे सा खुला ग्राम’ में उपमा अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(च) नई-नई उपमाओं के प्रयोग के कारण प्रकृति का सौंदर्य अत्यंत आकर्षक बन पड़ा है।
(छ) भाषा में लाक्षणिकता के प्रयोग से विषय में चमत्कार उत्पन्न हो गया है।

(4) प्रस्तुत पद में कवि ने ग्रामीण अंचल के प्राकृतिक दृश्यों की सुंदरता का अत्यंत सजीव चित्र आत्मीयतापूर्ण भावों में व्यक्त किया है। कवि ने सर्दकालीन हरियाली को हंसमुख और सर्दी की धूप में उसे अलसाई हुई बताकर उसके विविध गुणों व विशेषताओं को उद्घाटित किया है। रात में वही दिन वाली हंसमुख हरियाली भीगी हुई प्रतीत होने लगती है। रात्रि के गहन अंधकार में आकाश में चमकते तारे भी स्वप्नों में खोए हुए लगते हैं और धूप में चमकते गाँव के तो कहने क्या, वह तो पन्ने रूपी रत्न से बने हुए खुले डिब्बे के समान लगता है। उसके ऊपर छाए हुए नीले आकाश से तो उसकी शोभा और भी बढ़ जाती है। शांत, एकांत और अपनी अनुपम शोभा से गाँव सबके मन को आकृष्ट करता है। अतः स्पष्ट है कि प्रस्तुत पद्यांश में अभिव्यक्त भावों में वेग के साथ-साथ आत्मीयता भी है।

(5) प्रस्तुत काव्यांश का प्रमुख विषय गाँव की प्राकृतिक छटा का भावपूर्ण वर्णन करना है। इसमें कवि ने वहाँ के दिन और रात के विविध दृश्यों को कलात्मकतापूर्ण अंकित किया है।

(6) प्रस्तुत पद में कवि ने ग्राम को मरकत के खुले डिब्बे की उपमा दी है जो अपनी अनुपम सुंदरता के लिए सबके हृदय को आकृष्ट करता है।

ग्राम श्री Summary in Hindi

ग्राम श्री कवि-परिचय

प्रश्न-
सुमित्रानंदन पंत का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। अथवा सुमित्रानंदन पंत का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-सुमित्रानंदन पंत का जन्म सन् 1900 को उत्तरांचल प्रदेश के अल्मोड़ा जिले के कौसानी गाँव में हुआ। जन्म के तत्काल बाद उनकी माँ सरस्वती का देहांत हो गया। अतः उनका पालन-पोषण दादी, बुआ और पिता की छत्रछाया में हुआ। उनकी आरंभिक शिक्षा अल्मोड़ा में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई। वे गांधी जी से प्रभावित हुए और उनके साथ आज़ादी के आंदोलन में कूद पड़े थे। उन्होंने अनेक स्थानों पर कार्य किया। वे आकाशवाणी से भी जुड़े रहे। उन्होंने जीवन-भर साहित्य-सेवा की। सन् 1977 में उनका देहांत हो गया था। उनके साहित्य के महत्त्व को देखते हुए उन्हें ‘साहित्य अकादमी’, ‘सोवियत रूस’ तथा ‘ज्ञानपीठ’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

2. प्रमुख रचनाएँ-‘वीणा’, ‘ग्रंथि’, ‘गुंजन’, ‘युगांत’, ‘युगवाणी’, ‘ग्राम्या’, ‘स्वर्ण-किरण’, ‘स्वर्ण-धूलि’, ‘उत्तरा’, ‘अतिमा’, ‘कला और बूढ़ा चाँद’ तथा ‘लोकायतन’ ।

3. काव्यगत विशेषताएँ-पंत जी प्रकृति के चितेरे कवि थे। उनके साहित्य में प्रकृति का मनोरम चित्रण हुआ है। उनका काव्य रोमांटिक एवं व्यक्ति-प्रधान है। उन्होंने अपनी कविताओं में मानव-सौंदर्य का भी चित्रण किया है। छायावादी कवियों में पंत का मुख्य स्थान है।

पंत जी के काव्य में प्रगतिवादी स्वर भी उभरकर आया है। उनकी कविताओं में मानवतावादी दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति हुई है। रहस्यवादी भावना भी उनके काव्य का विषय रही है।

4. भाषा-शैली-पंत जी शब्दों के कुशल शिल्पी माने जाते हैं। वे शब्दों की आत्मा तक पहुँचने में सिद्धहस्त थे। उनकी भाषा में संस्कृत के तत्सम शब्दों की प्रमुखता रही है। वे कोमल, मधुर और सूक्ष्म भावों को प्रकट करने वाले शब्दों का सार्थक प्रयोग करते थे।
पंत जी की काव्य-भाषा में उपमा, अनुप्रास, रूपक, मानवीकरण आदि अलंकारों का सुंदर प्रयोग किया गया है। उनकी काव्य भाषा भावानुकूल एवं लयात्मक है। वे सचमुच हिंदी के गौरवशाली कवि थे।

ग्राम श्री कविता का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘ग्राम श्री’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि सुमित्रानंदन पंत ने गाँवों की प्राकृतिक छटा का अत्यंत मनोरम चित्रण किया है। खेतों में दूर-दूर तक लहलहाती फसलों, फूल-फलों से लदे हुए वृक्षों और गंगा के किनारे फैले रेत के चमकते कणों के प्रति कवि का मन आकृष्ट हो उठता है। खेतों में दूर-दूर तक मखमल के समान सुंदर हरियाली फैली हुई है। जब इस हरियाली पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं तो यह चाँदी की भाँति चमक उठती है। हरी-भरी पृथ्वी पर झुका हुआ नीला आकाश और भी सुंदर लगता है। जौ और गेहूँ की बालियों को देखकर लगता है कि धरती रोमांचित हो उठी है। खेतों में खड़ी अरहर और सनई सोने की करधनी-सी लगती हैं। सरसों की पीतिमा चारों ओर फैली हुई है। इस हरी-भरी धरती पर नीलम की कली भी सुंदर लग रही है। मटर की फलियाँ मखमली पेटियों-सी लटक रही हैं, जो अपने में मटर के बीज की लड़ियाँ छिपाए हुए हैं। चारों ओर खिले हुए रंग-बिरंगे फूलों पर तितलियाँ घूम रही हैं। आम के वृक्ष भी मंजरियों से लद गए हैं। पीपल और ढाक के पुराने पत्ते झड़ गए हैं। ऐसे सुहावने वातावरण में कोयल भी कूक उठती है। कटहल, मुकुलित, जामुन, आडू, नींबू, अनार, बैंगन, गोभी, आलू, मूली आदि सब महक रहे हैं।

HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 13 ग्राम श्री

कवि ने ग्रामों की प्राकृतिक छटा और वहाँ फूल-फलों से लदे वृक्षों के सौंदर्य को अंकित करते हुए पुनः कहा है कि वहाँ पीले रंग के चित्तिरीदार मीठे अमरूद, सुनहरे रंग के बेर आदि फल वृक्षों पर लगे हुए हैं। पालक, धनिया, लौकी, सेम की फलियाँ, लाल-लाल टमाटर, हरी मिरचें आदि सब्जियाँ भी खूब उगी हुई हैं। गंगा के किनारे पर फैली हुई सतरंगी रेत भी सुंदर लगती है। गंगा के किनारे पर तरबूजों की खेती है। गंगा के तट पर बगुले और मगरौठी बैठे हुए हैं तथा सुरखाब पानी में तैर रहे हैं। सर्दियों की धूप में ग्रामीण क्षेत्र की हँसमुख हरियाली अलसायी हुई-सी प्रतीत होती है। रात के अंधेरे में तारे भी सपनों में खोए-से लगते हैं। गाँव मरकत के खुले डिब्बे-सा दिखाई देता है; जिस पर नीला आकाश छाया हुआ है। अपने शांत वातावरण एवं अनुपम सौंदर्य से गाँव सबका मन आकृष्ट करता है।

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