Class 12

HBSE 12th Class Biology Important Questions and Answers

Haryana Board HBSE 12th Class Biology Important Questions and Answers

HBSE 12th Class Biology Important Questions in Hindi Medium

HBSE 12th Class Biology Important Questions in English Medium

  • Chapter 1 Reproduction in Organisms Important Questions
  • Chapter 2 Sexual Reproduction in Flowering Plants Important Questions
  • Chapter 3 Human Reproduction Important Questions
  • Chapter 4 Reproductive Health Important Questions
  • Chapter 5 Principles of Inheritance and Variation Important Questions
  • Chapter 6 Molecular Basis of Inheritance Important Questions
  • Chapter 7 Evolution Important Questions
  • Chapter 8 Human Health and Diseases Important Questions
  • Chapter 9 Strategies for Enhancement in Food Production Important Questions
  • Chapter 10 Microbes in Human Welfare Important Questions
  • Chapter 11 Biotechnology: Principles and Processes Important Questions
  • Chapter 12 Biotechnology and Its Applications Important Questions
  • Chapter 13 Organisms and Populations Important Questions
  • Chapter 14 Ecosystem Important Questions
  • Chapter 15 Biodiversity and Conservation Important Questions
  • Chapter 16 Environmental Issues Important Questions

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

बहुविकल्पीय प्रश्न 

1. मोनोसैकैराइड का सरल उदाहरण है–
(अ) माल्टोस
(ब) सूक्रोस
(स) सेलुलोस
(द) राइबोस
उत्तर:
(द) राइबोस

2. निम्नलिखित में से अपचायी शर्करा है-
(अ) स्टार्च
(ब) सेलुलोस
(स) लैक्टोस
(द) सूक्रोस
उत्तर:
(स) लैक्टोस

3. प्रोटीन होते हैं-
(अ) पॉलिएस्टर
(ब) पॉलिपेप्टाइड
(स) पॉलिसैकैराइड
(द) पॉलिन्यूक्लिओटाइड
उत्तर:
(ब) पॉलिपेप्टाइड

4. न्यूक्लिक अम्ल होते हैं-
(अ) सरल अणु
(ब) प्रोटीन
(स) शर्करा
(द) बहुलक
उत्तर:
(द) बहुलक

5. DNA में निम्नलिखित में से कौनसा क्षारक नहीं होता?
(अ) ऐडेनीन
(ब) यूरेसिल
(स) थायमीन
(द) साइटोसीन
उत्तर:
(ब) यूरेसिल

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

6. संतरा तथा आँवला में पाया जाने वाला मुख्य विटामिन है-
(अ) D
(ब) C
(स) K
(द) E
उत्तर:
(ब) C

7. रतौधी रोग (रात्रि अंधता) किस विटामिन की कमी से होता है?
(अ) B6
(ब) A
(स) C
(द) D
उत्तर:
(ब) A

8. दो ऐमीनो अम्लों की परस्पर क्रिया से बने बन्ध को क्या कहते हैं?
(अ) आयनिक बन्ध
(ब) ग्लाइकोसाइडी बन्ध
(स) हाइड्रोजन बन्ध
(द) पेप्टाइड बन्ध
उत्तर:
(द) पेप्टाइड बन्ध

9. निम्नलिखित में से किसमें निरपवाद रूप से नाइट्रोजन उपस्थित होता है?
(अ) वसा
(ब) कार्बोहाइड्रेट
(स) प्रोटीन
(द) स्टार्च
उत्तर:
(स) प्रोटीन

10. विटामिन B1 है-
(अ) थायमीन
(ब) राइबोफ्लेविन
(स) ऐस्कॉर्बिक अम्ल
(द) पिरिडाक्सिन
उत्तर:
(अ) थायमीन

11. निम्नलिखित में से कौनसी शर्करा शेष तीनों से अधिक मीठी है?
(अ) ग्लूकोस
(ब) लैक्टोस
(स) फ्रक्टोस
(द) सूक्रोस
उत्तर:
(स) फ्रक्टोस

12. निम्नलितित में से कौन डाइसैकैराइड नहीं है?
(अ) सूक्रोस
(ब) गैलैक्टोस
(स) लैक्टोस
(द) माल्टोस
उत्तर:
(ब) गैलैक्टोस

13. कोशिका के आनुवांशिक गुणों के नियंत्रण के लिए उत्तरदायी है-
(अ) RNA
(ब) प्रोटीन
(स) DNA
(द) विटामिन
उत्तर:
(स) DNA

14. ग्लूकोस को ब्रोमीन जल से ऑक्सीकृत करने पर बना अम्ल है-
(अ) ग्लाइकॉलिक अम्ल
(ब) सैकैरिक अम्ल
(स) ग्लूकोनिक अम्ल
(द) ग्लिसरिक अम्ल
उत्तर:
(स) ग्लूकोनिक अम्ल

15. दुग्ध में पाए जाने वाली शर्करा है-
(अ) ग्लूकोस
(ब) लैक्टोस
(स) माल्टोस
(द) सूक्रोस
उत्तर:
(ब) लैक्टोस

16. प्राणी शरीर में कार्बोहाइड्रेट किसके रूप में संग्रहित रहता है?
(अ) स्टार्च
(ब) सेलुलोस
(स) ग्लाइकोजन
(द) माल्टोस
उत्तर:
(स) ग्लाइकोजन

17. निम्नलिखित में से आवश्यक ऐमीनो अम्ल है-
(अ) ऐलानिन
(ब) ग्लाइसीन
(स) वैलीन
(द) ऐस्पार्टिक अम्ल
उत्तर:
(स) वैलीन

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

18. प्रोटीन की तृतीयक संरचना में वे कौनसे प्रमुख बल हैं जो 2° तथा 3° संरचनाओं को स्थायित्व प्रदान करते हैं?
(अ) ह्यडड्रोजन आबंध
(ब) डाइसल्फाइड बन्ध
(स) स्थिर विद्युत आकर्षण बल
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

19. माल्टोस के जल अपघटन से ग्लूकोस बनता है। इस अभिक्रिया में प्रयुक्त एन्जाइम है-
(अ) इनवर्टेस
(ब) जाइमेस
(स) माल्टेस
(द) यूरियेस
उत्तर:
(स) माल्टेस

20. वसा में विलेय विटामिन है-
(अ) A
(ब) B
(स) C
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(अ) A

21. मनुष्य के पाचन तंत्र द्वारा निम्न में से किसका जल अपघटन नहीं होता?
(अ) ग्लाइकोजन
(ब) सेलुलोस
(स) माल्टोस
(द) स्टार्च
उत्तर:
(ब) सेलुलोस

22. निम्नलिखित में कौनसा यौगिक ज्विटर आयन के रूप में नहीं पाया जाता है?
(अ) ऐलानिन
(ब) ग्लाइसीन
(स) सल्फेनिलिक अम्ल
(द) p-ऐमीनो बेन्जोइक अम्ल
उत्तर:
(द) p-ऐमीनो बेन्जोइक अम्ल

23. निम्नलिखित में से जल विलेय विटामिन कौनसा है?
(अ) विट्रमिन D
(ब) विटामिन C
(स) विटामिन E
(द) विटामिन A
उत्तर:
(ब) विटामिन C

24. ग्लोबुलर (गोलिकाकार) प्रोटीन में कौनसा बन्ध पाया जाता है?
(अ) हाइड्रोजन बन्ध
(ब) वान्डरवाल आकर्षण बल
(स) डाइसल्फाइड बन्ध
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

25. एक शर्करा-रोगी के मूत्र में किसका परीक्षण किया जाता है?
(अ) ग्लूकोस
(ब) फ्रक्टोस
(स) सुक्रोस
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(अ) ग्लूकोस

26. DNA का पूर्ण जल अपघटन पेन्टोस शर्करा, डिआक्सीराइबोस बनाता है। राइबोस से डिऑक्सीराइबोस इस तरह भिन्न है कि इसमें किस कार्बन पर -OH ग्रुप नहीं होता है ?
(अ) C – 1
(ब) C – 2
(स) C – 3
(द) C – 4
उत्तर:
(ब) C – 2

27. एक महत्त्वपूर्ण विट्रामिन जो कि तेल एवं वसा में विलेय है तथा जल में अविलेय। यह बच्चों में रिकेट्स एवं वयस्कों में ऑस्टियोमेलेशिया के लिये उत्तरदायी है। यह विटामिन है-
(अ) विटामिन B12
(ब) विटामिन C
(स) विटामिन D
(द) विटामिन E
उत्तर:
(स) विटामिन D

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
फ्रक्टोस में उपस्थित क्रियात्मक समूह बताइए।
उत्तर:
फ्रक्टोस में – OH समूहों के अतिरिक्त कार्बन संख्या-2 पर कीटोनिक समूह होता है।

प्रश्न 2.
ओलिगोसैकैराइड किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे कार्बोहाइड्रेट जिनके जल अपघटन से 2 से 10 मोनोसैकैराइड इकाइयाँ प्राप्त होती हैं उन्हें ओलिगोसैकैराइड कहते हैं।

प्रश्न 3.
जैव तंत्र में पाए जाने वाले मुख्य जैव अणु कौनसे ह हैं?
उत्तर:
जैव तंत्र में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल तथा लिपिड इत्यादि जैव अणु पाए जाते हैं।

प्रश्न 4.
ऐसे दो यौगिकों के नाम बताइए जिनमें हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का अनुपात 2:1 है लेकिन वे कार्बोहाइड्रेट नहीं हैं।
उत्तर:
ऐसिटिक अम्ल (C2H4O2) तथा लैक्टिक अम्ल (C3HO3)।

प्रश्न 5.
एरिथ्रोस की संरचना दीजिए।
उत्तर:
CH2 (OH) – (CHOH)2 – CHO

प्रश्न 6.
डाइसैकैराइडों के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
माल्टोस तथा लैक्टोस।

प्रश्न 7.
राइबोस की संरचना दीजिए।
उत्तर:
CH2(OH) – (CHOH)3 – CHO

प्रश्न 8.
एक ऐसा यौगिक बताइए जो कार्बोहाइड्रेट है लेकिन इसका अणु सूत्र कार्बोहाइड्रेट के सामान्य सूत्र के अनुसार नहीं है।
उत्तर:
रेम्नोस (C6H12O5)

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

प्रश्न 9.
ग्लूकोस की निम्न के साथ अभिक्रिया के उत्पाद बताइए – (i) ब्रोमीन जल (ii) सोडियम अमलगम तथा जल।
उत्तर:

  1. ग्लूकोस ब्रोमीन जल द्वारा ऑक्सीकृत होकर ग्लूकोनिक अम्ल देता है।
  2. सोडियम अमलगम (Na / Hg) तथा जल द्वारा ग्लूकोस का अपचयन हो जाता है तथा सार्बिटॉल प्राप्त होता है।

प्रश्न 10.
जन्तुओं के यकृत में संग्रहित पॉलिसैकैराइड कौनसा होता है?
उत्तर:
ग्लाइकोजन।

प्रश्न 11.
सूक्रोस के स्रोत बताइए।
उत्तर:
सुक्रोस गन्ने तथा चुकन्दर से प्राप्त होता है।

प्रश्न 12.
a-D-ग्लूकोस तथा B-D-ग्लूकोस के विशिष्ट घूर्णन का मान बताइए।
उत्तर:
a-D- ग्लूकोस के विशिष्ट घूर्णन का मान 112° तथा B-D- ग्लूकोस के विशिष्ट घूर्णन का मान 19° होता है।

प्रश्न 13.
पेप्टाइड बन्ध का सूत्र क्या होता है?
उत्तर:
पेप्टाइड बन्ध का सूत्र – CO-NH – होता है।

प्रश्न 14.
ऐलानिन ( ऐमीनो अम्ल ) का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
ऐलानिन का सूत्र HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 1 होता है।

प्रश्न 15.
क्षारक किस प्रकार के यौगिक होते हैं?
उत्तर:
क्षारक विषमचक्रीय यौगिक होते हैं?

प्रश्न 16.
क्षारकीय ऐमीनो अम्ल कौनसे होते हैं?
उत्तर:
वे ऐमीनो अम्ल जिनमें कार्बोक्सिल ( – COOH) समूहों की तुलना में ऐमीनो (-NH2 ) समूहों की संख्या अधिक होती है, उन्हें क्षारकीय ऐमीनो अम्ल कहते हैं।

प्रश्न 17.
जल में विलेय विटामिन बताइए।
उत्तर:
B वर्ग के विटामिन तथा विटामिन C जल में विलेय होते हैं।

प्रश्न 18.
प्रोटीन के मुख्य स्रोत बताइए।
उत्तर:
दूध, पनीर, दालें, मूंगफली तथा मांस प्रोटीन के मुख्य स्रोत होते हैं।

प्रश्न 19.
विटामिन K का मुख्य स्रोत बताइए।
उत्तर:
विटामिन K हरे पत्ते वाली सब्जियों में पाया जाता है।

प्रश्न 20.
प्रोटीन को निनहाइड्रिन के साथ गरम करने पर क्या होते हैं?
उत्तर:
प्रोटीन को निहाइड्रिन के साथ गरम करने पर नीला रंग प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 21.
विटामिन B2 का नाम बताइए।
उत्तर:
विटामिन B2 को राइबोफ्लेविन कहते हैं।

प्रश्न 22.
सायनोकोबालैमीन किस विटामिन का नाम है?
उत्तर:
विटामिन B12

प्रश्न 23.
विटामिन D की कमी से कौनसे रोग होते हैं?
उत्तर:
विटामिन D की कमी से रिकेट्स तथा ऑस्टियोमेलेशिया रोग होते हैं।

प्रश्न 24.
यकृत में संग्रहित जल में विलेय विटामिन कौनसा होता है?
उत्तर:
विटामिन B12

प्रश्न 25.
प्रोटीन → पॉलीपेप्टाइड → α – ऐमीनो अम्ल
इस अभिक्रिया अनुक्रम के लिए आवश्यक एन्जाइम बताइए।
उत्तर:
प्रोटिऐस तथा पेप्टाइडेस।

प्रश्न 26.
न्यूक्लिओटाइड आपस में कौनसे बन्ध द्वारा जुड़े होते हैं?
उत्तर:
फास्फोडाइएस्टर बन्ध।

प्रश्न 27.
ग्लूकोस को डेक्सट्रोस क्यों कहते हैं?
उत्तर:
ग्लूकोस दक्षिण ध्रुवण घूर्णक होता है अतः इसे डेक्सट्रोस भी कहते हैं।

प्रश्न 28.
सर्वाधिक मीठी शर्करा कौनसी होती है ?
उत्तर:
फ्रक्टोज सर्वाधिक मीठी शर्करा होती है।

प्रश्न 29.
कार्बोहाइड्रेट्स को सैकैराइड क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेट शर्करा या शर्करा एकलकों के बहुलक होते हैं अतः इन्हें सैकैराइड कहा जाता है।

प्रश्न 30.
मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए दूध पीना आवश्यक है, क्यों ?
उत्तर:
दूध एक सम्पूर्ण आहार है जिसमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन तथा विटामिन होते हैं अतः मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए दूध पीना आवश्यक है।

प्रश्न 31.
नर लिंग हॉर्मोनों को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
एन्ड्रोजन।

प्रश्न 32.
इन्सुलिन हॉर्मोन का क्या कार्य है ?
उत्तर:
रक्त में ग्लूकोस की मात्रा को सन्तुलित रखना।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
अपचायी तथा अनअपचायी शर्करा में अन्तर बताइए तथा उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
अपचायी शर्करा में अपचायक गुण होते हैं अतः ये फेलिंग विलयन तथा टॉलेन अभिकर्मक इत्यादि का अपचयन कर देते हैं। उदाहरण सभी मोनोसैकैराइड, माल्टोस तथा लैक्टोस । अनअपचायी शर्करा में अपचायक गुण नहीं होता अतः ये फेलिंग विलयन तथा टॉलेन अभिकर्मक का अपचयन नहीं करते हैं। उदाहरण- सूक्रोस ।

प्रश्न 2.
ग्लूकोस एक ऐल्डोहेक्सोस मोनोसैकैराइड है फिर भी यह हाइड्रोजन सायनाइड से क्रिया करके सायनोहाइड्रिन तो देता है लेकिन सोडियम हाइड्रोजनसल्फाइट के साथ योग नहीं करता। क्यों?
उत्तर:
ग्लूकोस की चक्रीय संरचना होती है जिसमें – CHO समूह के प्रयोग से चक्रीय हैमीऐसीटैल संरचना बनती है अतः इसमें स्वतंत्र ऐल्डिहाइड समूह नहीं होता जिसके कारण इसकी सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट (NaHSO3) के साथ अभिक्रिया नहीं होती लेकिन हाइड्रोजन सायनाइड (HCN) से क्रिया में इसकी चक्रीय संरचना की वलय टूटकर ऐल्डिहाइड समूह स्वतंत्र हो जाता है क्योंकि ग्लूकोस की वलय तथा विवृत श्रृंखला संरचना में साम्य होता है। अतः HCN के साथ क्रिया द्वारा यह सायनो हाइड्रिन दे देता है।

प्रश्न 3.
कार्बोहाइड्रेटों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेटों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 2

प्रश्न 4.
सूक्रोस की संरचना तथा गुण बताइए।
उत्तर:
सूक्रोस (इक्षु-शर्करा) से-सूक्रोस को तनु HCl अथवा H2SO4 के साथ ऐल्कोहॉलिक विलयन में उबालने पर ग्लूकोस तथा फ्रक्टोज के एक-एक मोल (समान मात्रा) प्राप्त होते हैं।
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प्रश्न 5.
लैक्टोस की संरचना बताइए।
उत्तर:
लैक्टोस (Lactose) –
(i) लैक्टोस को दुग्ध शर्करा भी कहते हैं क्योंकि यह दुग्ध में उपस्थित होती है।
(ii) लैक्टोस के जल अपघटन से D (+) ग्लूकोस तथा D (+) गैलेक्टोस के समान मोल प्राप्त होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 4
(iii) लैक्टोस की संरचना – लैक्टोस, ß – [D] गैलेक्टोस तथा ß- [D] ग्लूकोस से मिलकर बनी होती है। गैलैक्टोस के C1 तथा ग्लूकोस के C4 के मध्य ग्लाइकोसाइडी बंध होता है विलयन में ग्लूकोस इकाई C-1 पर मुक्त एल्डिहाइड समूह उत्पन्न होता है। अतः माल्टोस की तरह यह भी एक अपचायी शर्करा है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 5
(iv) यह एक क्रिस्टलीय ठोस होता है जो कि जल में विलेय तथा ऐल्कोहॉल एवं ईथर में अविलेय है।

प्रश्न 6.
ग्लूकोस के α तथा ß रूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्लूकोस प्रकृति में मुक्त अथवा संयुक्त अवस्था में पाया जाता है। यह मीठे फलों जैसे पके हुए अंगूर तथा शहद में पाया जाता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु

प्रश्न 7.
एपीमरीकरण किसे कहते हैं? समझाइए।
उत्तर:
वे ऐल्डोस जिनके α- कार्बन परमाणु (C2) के विन्यास में भिन्नता होती है उन्हें एक-दूसरे के एपीमर कहते हैं तथा एक एपीमर के दूसरे एपीमर में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को ऐपीमरीकरण कहते हैं। उदाहरण- ग्लूकोस तथा मैनोस।

ग्लूकोस में C2 पर – OH समूह दाईं ओर जबकि मैनोस में यह बायीं ओर होता है।

प्रश्न 8.
ऐमीनो अम्ल अम्लीय क्षारीय तथा उदासीन होते हैं। इनकी व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर:
(i) अम्लीय ऐमीनो अम्लों में ऐमीनो समूहों की तुलना में कार्बोक्सिल समूहों की संख्या अधिक होती है जैसे- ऐस्पार्टिक अम्ल HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 5a

(ii) क्षारीय ऐमीनो अम्ल वे होते हैं जिनमें कार्बोक्सिल समूहों की तुलना में ऐमीनो समूहों की संख्या अधिक होती है जैसे- लाइसीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 5b

(iii) वे ऐमीनो अम्ल जिनमें कार्बोक्सिल समूह तथा ऐमीनो समूह समान संख्या में होते हैं उन्हें उदासीन ऐमीनो अम्ल कहते हैं। जैसे-ग्लाइसीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 5c

प्रश्न 9.
प्रोटीन का निर्माण किस प्रकार होता है ? समझाइए।
उत्तर:
प्रोटीन α-ऐमीनो अम्लों के बहुलक होते हैं जो आपस में पेप्टाइड अंघ द्वारा जुड़े होते हैं। ऐमीनो अम्लों के एक अणु के – COOH तथा दूसरे अणु के – NH2 समूह के मध्य अभिक्रिया होकर जल के अणु से निकलने से बने बन्ध को पेप्टाइड बन्ध कहते हैं जिसे – CONH- द्वारा दर्शाया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 6
प्रोटीनों में α- ऐमीनो अम्ल समान तथा भिन्न भी हो सकते हैं। जब बनने वाला उत्पाद दो ऐमीनो अम्लों से बनता है तो इसे डाइपेप्टाइड कहते हैं। उदाहरण, ग्लाइसीन का कार्बोक्सिल समूह, ऐलानीन के ऐमीनो समूह के साथ क्रिया करता है तो एक डइपेप्टाइड, ग्लाइसिलऐलानिन बनता है। अतः डाइपेप्टाइड में एक पेप्टाइड बन्ध होता है।

जब तीसरा ऐमीनो अम्ल, डाइपेप्टाइड के साथ क्रिया करता है तो बने उत्पाद को ट्राइपेप्टाइड कहते हैं। अतः एक ट्राइपेप्टाइड में तीन ऐमीनो अम्ल दो पेप्टाइड बन्धों द्वारा जुड़े होते हैं। इसी प्रकार चार, पाँच तथा छः ऐमीनो अम्लों के आपस में जुड़ने से बने उत्पादों को टेट्रापेप्टाइड पेन्टापेप्टाइड तथा हेक्सापेप्टाइड कहते हैं बहुत से ऐमीनो अम्लों (10 से अधिक) के आपस में संघनन द्वारा बने पेप्टाइडों को पॉलिपेप्टाइड कहते हैं।

वे पॉलिपेप्टाइड जिनमें असंख्य (100 से अधिक) भिन्न-भिन्न ऐमीनो अम्ल होते हैं तथा जिनका आण्विक द्रव्यमान 10,000 से अधिक होता है, उन्हें प्रोटीन कहते हैं। यद्यपि पॉलिपेप्टाइड तथा प्रोटीन विभेद अधिक स्पष्ट नहीं है। 100 से कम ऐमीनो अम्लों वाले पॉलिपेप्टाइडों को भी प्रोटीन कहा जाता है यदि उनमें प्रोटीन जैसा स्पष्ट संरूपण (conformation) हो। उदाहरण इन्सुलिन 51 ऐमीनो अम्लों से मिलकर बना होता है।

प्रोटीनों के सामान्य गुण:

  • प्रोटीन रंगहीन तथा अक्रिस्टलीय होते हैं लेकिन इन्सुलिन क्रिस्टलीय होती है।
  • प्रोटीन के गलनांक तथा क्वथनांक अनिश्चित होते हैं।
  • प्रोटीन सामान्यतः जल, ऐल्कोहॉल तथा ईधर इत्यादि में अविलेव होते हैं।
  • प्रोटीन, बहुलक होते हैं जिनका आण्विक द्रव्यमान अधिक होता है, अतः ये जल में कोलाइडों के रूप में पाए जाते हैं।
  • प्रोटीन उभयधर्मी होते हैं जिनके समविभव बिन्दु निश्चित होते हैं।

आण्विक आकृति के आधार पर प्रोटीनों का वर्गीकरण प्रोटीनों को इनकी आण्विक आकृति के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है- रेशेदार प्रोटीन तथा गोलिकाकार प्रोटीन।

(a) रेशेदार या तन्तुक प्रोटीन (Fibrous Proteins) – ये जल में अविलेय जन्तु प्रोटीन है जो प्रोटियोलिटिक एन्जाइम द्वारा भी अप्रभावित रहते हैं। इनमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं समानांतर होती हैं जो हाइड्रोजन तथा डाइसल्फाइड बन्धों द्वारा जुड़कर रेशों के समान संरचना बनाती हैं।
उदाहरण – किरेटिन तथा मायोसिन । किरेटिन बाल, ऊन तथा रेशम में एवं मायोसिन मांसपेशियों में उपस्थित होती है।

(b) गोलिकाकार प्रोटीन (Globular Proteins)- ये जल विलेय प्रोटीन हैं। इनमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं कुण्डली बनाकर गोलाकार आकृति ग्रहण कर लेती हैं।

उदाहरण- इन्सुलिन तथा ऐल्बुमिन।

प्रोटीनों की संरचना तथा आकृति का अध्ययन चार स्तरों पर किया जाता है – प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुष्क संरचनाएं। इनका प्रत्येक स्तर पूर्व स्तर की तुलना में अधिक जटिल होता है।

(i) प्रोटीन की प्राथमिक संरचना प्रोटीनों में एक या अधिक पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं उपस्थित होती हैं किसी प्रोटीन के प्रत्येक पॉलिपेप्टाइड में ऐमीनो अम्ल एक विशिष्ट तथा निश्चित क्रम में जुड़े होते हैं। ऐमीनो अम्लों के विशिष्ट क्रम को ही प्रोटीनों की प्राथमिक संरचना कहते हैं। भिन्न-भिन्न प्रोटीनों में यह क्रम भिन्न-भिन्न होता है। फ्रेडरिंग सेंगर (1953) ने सर्वप्रथम अग्न्याशय द्वारा उत्सर्जित, इन्सुलिन की प्राथमिक संरचना का निर्धारण किया था।

किसी विशिष्ट प्रेटीन में उपस्थित विभिन्न ऐमीनो अम्लों में से एक a- ऐमीनो अम्ल के स्थान पर किसी अन्य x – ऐमीनो अम्ल के आ जाने से उस प्रोटीन की जैव रासायनिक क्रियाशीलता में परिवर्तन आ जाता है या नष्ट हो जाती है। उदहरण- हीमोग्लोबिन में ग्लुटेमिक अम्ल के स्थान पर वैलीन आ जाने पर सिकल सेल एनिमिया रोग हो जाता है। प्रोटीनों की प्राथमिक संरचना को चित्र 14.1 द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।
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(ii) प्रोटीनों की द्वितीयक संरचना-प्रोटीन की द्वितीयक संरचना इनकी आकृति से सम्बन्धित होती है जिसमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला उपस्थित होती है। यह दो प्रकार की संरचनाओं में पायी जाती है(i) α-हेलिक्स तथा (ii) ß-प्लीटेड शीट संरचना (या लहरियादार चादर
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 8
संरचना)। ये संरचनाएं पेप्टाइड बंध के HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 9 तथा -NH- समूह के मध्य हाइड्रोजन बंध के कारण पॉलिपेप्यइड की मुख्य श्रृंखला के नियमित कुंडलन (Folding) में उत्पन्न होती हैं।
(i) α-हेलिक्स संरचना की पॉलिपेप्यइड शृंखला में सभी संभव हाइड्रोजन बन्ध बन सकते हैं तथा इसकी पॉलिपेप्यइड शृंखला दक्षिणावर्ती पेच की तरह मुड़ी होती है जिससे प्रत्येक ऐमीनो अम्ल अवशिष्ट का NH-समूह कुण्डली के अगले मोड़ पर स्थित >C = O समूह के साथ हाइड्रोजन बंध बनाता है।

(ii) ß-प्लीटेड शीट संरचना (लहरियादार चादर संरचना) में पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं एक-दूसरे के पाश्र्व में होती हैं जिनमें अधिकतम खिंचाव होता है तथा ये आपस में अंतरा आण्विक हाइड्रोजन बन्ध द्वारा जुड़ी होती हैं। यह संरचना वस्त्रों (लहरियादार चादर) के समान होती है। अतः इसे ß-प्लीटेड शीट संरचना कहते हैं।

α-हेलिक्स तथा ß-प्लीटेड शीट संरचना को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 10

प्रश्न 10.
प्रोटीनों के सामान्य गुण बताइए।
उत्तर:
प्रोटीनों के सामान्य गुण:

  • प्रोटीन रंगहीन तथा अक्रिस्टलीय होते हैं लेकिन इन्सुलिन क्रिस्टलीय होती है।
  • प्रोटीन के गलनांक तथा क्वथनांक अनिश्चित होते हैं।
  • प्रोटीन सामान्यतः जल, ऐल्कोहॉल तथा ईधर इत्यादि में अविलेव होते हैं।
  • प्रोटीन, बहुलक होते हैं जिनका आण्विक द्रव्यमान अधिक होता है, अतः ये जल में कोलाइडों के रूप में पाए जाते हैं।
  • प्रोटीन उभयधर्मी होते हैं जिनके समविभव बिन्दु निश्चित होते हैं।

आण्विक आकृति के आधार पर प्रोटीनों का वर्गीकरण प्रोटीनों को इनकी आण्विक आकृति के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है- रेशेदार प्रोटीन तथा गोलिकाकार प्रोटीन।

(a) रेशेदार या तन्तुक प्रोटीन (Fibrous Proteins) – ये जल में अविलेय जन्तु प्रोटीन है जो प्रोटियोलिटिक एन्जाइम द्वारा भी अप्रभावित रहते हैं। इनमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं समानांतर होती हैं जो हाइड्रोजन तथा डाइसल्फाइड बन्धों द्वारा जुड़कर रेशों के समान संरचना बनाती हैं।

उदाहरण – किरेटिन तथा मायोसिन । किरेटिन बाल, ऊन तथा रेशम में एवं मायोसिन मांसपेशियों में उपस्थित होती है।

(b) गोलिकाकार प्रोटीन (Globular Proteins)- ये जल विलेय प्रोटीन हैं। इनमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं कुण्डली बनाकर गोलाकार आकृति ग्रहण कर लेती हैं।
उदाहरण- इन्सुलिन तथा ऐल्बुमिन।

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प्रश्न 11.
प्रोटीनों के परीक्षण बताइए।
उत्तर:
प्रोटीनों का परीक्षण:

  • बाइयूरेट परीक्षण-प्रोटीन में थोड़ा-सा 10% NaOH तथा कुछ बूंद 1% CuSO4 विलयन डालने पर नीला-बैंगनी रंग आता है।
  • जेन्थोप्रोटिक परीक्षण-प्रोटीन को सान्द्र HNO3 के साथ गर्म करने पर यह पीले ग का अवक्षेप देती है, इसे जेन्थोप्रोटिक परीक्षण कहते हैं।
  • निनहाइड्रिन परीक्षण-प्रोटीन में कुछ बूंदें निनहाइड्रिन विलयन मिलाकर उबालने से गहरा नीला रंग प्राप्त होता है।

प्रश्न 12.
DNA तथा RNA में उपस्थित शर्कराओं की संरचना बताइए।
उत्तर:
DNA में ß-D-2-डिऑक्सीराइबोस शर्करा होती है जबकि RNA में ß-D-राइबोस शर्करा होती है जिनकी संरचनाएं निम्न प्रकार होती हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 11

प्रश्न 13.
DNA की द्विकुंडलनी संरचना की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
DNA की द्विकुंडलनी संरचना (Double Strand Helix Structure of DNA):
न्यूक्लिक अम्ल की एक शृंखला के अनुक्रम से संबंधित जानकारी को इसकी प्राथमिक संरचना कहते हैं। प्रोटीन के समान न्यूक्लिक अम्लों की द्वितीयक संरचना भी होती है। जेम्स वाटसन तथा फ्रांसिस क्रिक ने DNA की द्विकुंडलनी त्रिविमीय संरचना दी।

DNA की वाटसन-क्रिक संरचना के अनुसार पॉलिन्यूक्लिओटाइड की दो सर्पिल शृंखलाएँ या स्ट्रेण्ड क्षारक इकाइयों के मध्य हाइड्रोजन बन्धन द्वारा जुड़कर परस्पर समानान्तर रूप से कुण्डिलत अवस्था में विद्यमान रहती हैं। एक पॉलिन्यूक्लिओटाइड शृंखला के पिरिमिडीन क्षारक तथा दूसरी पॉलिन्यूक्लिओटाइड श्रंखला के प्यूरीन क्षारक के मध्य ही हाइड्रोजन बन्ध बन सकता है। इसके पश्चात् प्रयोगों से ज्ञात हुआ कि प्रकृति में क्षारक ऐडेनीन A केवल थायमीन T के साथ दो हाइड्रोजन बन्धों द्वारा जुड़ सकता है तथा ग्वानीन G केवल साइटोसीन C के साथ तीन H बन्धों द्वारा जुड़ सकता है।

इस प्रकार, ‘ T तथा A ‘ और ‘ G तथा C’ क्षारकों के युग्म बनते हैं अर्थात् T तथा A एक-दूसरे के पूरक हैं और G तथा C एक-दूसरे के पूरक हैं। DNA में T: A तथा G: C अनुपात 1: 1 पाया गया, इससे उपरोक्त युग्मों की पुष्टि हो जाती है। अतः यह कहा जा सकता है कि DNA की दो पॉलिपेप्टाइड शृंखलाओं के मध्य निश्चित क्षारक युग्मों की उपस्थिति के कारण एक श्रृंखला (रज्जुक) दूसरी शृंखला की पूरक होती है, अर्थात् यदि एक पॉलिपेप्टाइड शृंखला में क्षारक अनुक्रम ज्ञात हो तो दूसरी शृंखला का क्षारक अनुक्रम स्वतः ही निश्चित हो जाता है। इसे निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
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प्रश्न 14.
DNA की द्विकुण्डलनी त्रिविमीय संरचना को चित्रित कीजिए।
उत्तर:
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DNA की तुलना में RNA की संरचना कम जटिल होती है। RNA की द्वितीयक संरचना में कुण्डली केवल एक रज्जुक (Strand) से बनी होती है जो कभी-कभी स्वयं के मुड़ने से ही द्विकुण्डलनी हो जाती है। RNA में थायमीन के स्थान पर यूरेसिल क्षारक तथा डीऑक्सीराइबोस के स्थान पर राइबोस शर्करा होती है। RNA तीन प्रकार के होते हैं जिनके कार्य भिन्न-भिन्न हैं-

  • संदेशवाहक RNA (m-RNA)
  • राइबोसोमल RNA (r-RNA)
  • अंतरण या स्थानान्तरण RNA (t-RNA)

प्रश्न 15.
DNA अंगुली छापन क्या होता है? समझाइए तथा इसके उपयोग भी बताइए।
उत्तर:
डी.एन.ए. अंगुली छापन (DNA Finger Printing)प्रत्येक जीव के अंगुली छाप अद्वितीय (Unique) होते हैं। ये अंगुली के शीर्ष पर होते हैं तथा पहले इन्हें किसी व्यक्ति की पहचान करने के लिए काम में लाया जाता था, लेकिन शल्य चिकित्सा के द्वारा इन्हें बदला जा सकता है। किसी व्यक्ति में DNA के क्षारकों का अनुक्रम अद्वितीय होता है तथा DNA के क्षारकों के अनुक्रम का निर्धारण ही DNA अंगुली छापन कहलाता है। यह प्रत्येक कोशिकां के लिए समान होता है तथा इसे किसी भी इलाज द्वारा परिवर्तित नहीं किया जा सकता।

DNA अंगुली छापन एक महत्वपूर्ण तकनीक है जिसके निम्नलिखित उपयोग हैं-

  • विधि संबंधी प्रयोगशाला में अपराधी की पहचान करने में।
  • किसी व्यक्ति की पैतृकता (Paternity) को निर्धीरित करने में।
  • दुर्घटना में मृत व्यक्ति के शरीर की पहचान करने के लिए उसके बच्चों या जनक के DNA से तुलना करने में।
  • जैव विकास के पुनर्लेखन में किसी प्रजाति की पहचान करने में।

प्रश्न 16.
DNA की स्वप्रतिकृति (Self Replication) किस प्रकार होती है? समझाइए।
उत्तर:
स्व-प्रतिकृति (Self Replication)-डी.एन.ए. आनुवांशिकता का रासायनिक आधार होता है तथा यह आनुवांशिक सूचनाओं का संग्राहक होता है। DNA लाखों वर्षों से किसी जीव की विभिन्न प्रजातियों की पहचान को बनाए रखने के लिए विशिष्ट रूप से जिम्मेदार है।

जीवों में कोशिका विभाजन के समय DNA की प्रतिकृति होती है। इसमें जनक DNA दो संतति DNA में विभाजित हो जाता है। उपयुक्त एन्जाइम की उपस्थिति में पहले DNA के एक सिरे से हाइड्रोजन बन्धों के टूटने से दो स्ट्रेण्ड पृथक् होती जाती हैं तथा प्रत्येक स्ट्रेण्ड पर उपयुक्त न्यूक्लिओटाइड जुड़ते चले जाते हैं और दो समान संतति द्विकुण्डलनियाँ बन जाती हैं। इस प्रकार बनी प्रत्येक संतति द्विकुण्डलनी में एक कुण्डलनी जनक DNA से आती है तथा दूसरी कुण्डलनी नयी बनती है, जिन्हें क्रमशः जनक स्ट्रेण्ड तथा संतति स्ट्रेण्ड कहा जाता है। इस प्रकार पुत्री कोशिका में समान रज्जुक का अंतरण होता है।
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प्रश्न 17.
DNA द्वारा प्रोटीन संश्लेषण के नियंत्रण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रोटीन संश्लेषण का नियन्त्रण (Control of Protein Synthesis)-न्यूक्लिक अम्ल प्रोटीन संश्लेषण भी करते हैं। वास्तव में कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण विभिन्न प्रकार के RŃA द्वारा होता है। परन्तु किसी विशेष प्रोटीन के संश्लेषण का संदेश DNA में उपस्थित होता है। DNA का वह भाग जो प्रोटीन संश्लेषण का नियंत्रण करता है उसे जीन कहते हैं। मानव कोशिका के केन्द्रक में एक DNA में सामान्यतः दस लाख जीन होते हैं।

न्यूक्लिक अम्ल की कुण्डलनी पर उपस्थित तीन-तीन क्रमागत विषमचक्रीय क्षारकों के समुच्चय एक त्रिककूट (Triplet Code) का काम करते हैं। प्रत्येक त्रिककूट का सम्बन्ध एक विशिष्ट ऐमीनो अम्ल से होता है। अतः अनेक त्रिककूटों का निश्चित अनुक्रम, विशिष्ट ऐमीनो अम्लों को निश्चित क्रम में व्यवस्थित करके प्रोटीन संश्लेषण को नियन्त्रित करता है।
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प्रश्न 18.
(i) सिकल सेल एनिमिया रोग कब होता है?
(ii) थायमीन तथा यूरेसिल के संरचना सूत्रों में क्या अन्तर होता है ?
(iii) आनुवांशिकता तथा क्रोमोसोम को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
(i) हीमोग्लोबिन में ग्लूटेमिक अम्ल के स्थान पर वेलिन – ऐमीनो अम्ल आ जाता हैं तो सिकल सेल एनिमिया रोग हो जाता है।

(ii) यूरेसिल के संरचना सूत्र में > C = 0 के पास वाले कार्बन पर हाइड्रोजन के स्थान पर मेथिल समूह आ जाने पर थायमीन की संरचना प्राप्त होती है।
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(iii) प्रत्येक प्रजाति की किसी पीढ़ी के गुण उसके पूर्वजों से मिलते-जुलते होते हैं जीवों के इस गुण को आनुवांशिकता कहते हैं। किसी सजीव कोशिका के नाभिक में उपस्थित वे कण जो अनुवांशिकता के लिए जिम्मेदार होते हैं, उन्हें क्रोमोसोम कहते हैं।

प्रश्न 19.
ग्लूकोस तथा स्टार्च में विभेद कीजिए।
उत्तर:

  1. ग्लूकोस, आयोडीन विलयन के साथ क्रिया नहीं करता जबकि स्टार्च, आयोडीन विलयन के साथ नीला रंग देता है।
  2. ग्लूकोस का जल अपघटन नहीं होता जबकि स्टार्च के जल अपघटन से ग्लूकोस बनता है।
  3. ग्लूकोस, फेलिंग विलयन के साथ लाल अवक्षेप देता है लेकिन स्टार्च नहीं।

प्रश्न 20.
सूक्रोसको तनु H2SO4 या तनु HCl के साथ गर्म करने पर क्या होता है?
उत्तर:
सूक्रोसको तनु H2SO4 या तनु HCl के साथ गर्म करने पर इसका जल अपघटन होकर ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस बनते है।
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प्रश्न 21.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(i) ऐड्रिनोकॉर्टिकॉइड हॉर्मोन
(ii) प्रोटीन हॉर्मोन।
उत्तर:
(i) ऐड्डिनोकॉर्टि कॉइड हॉर्मोन (Adrenocorticoid Hormones)-ये वृक्क या गुर्दों (Kidney) में विद्यमान अधिवृक्क ग्रन्थि (Adrenal gland) तथा वल्कुट (Cortex) द्वारा स्रावित होते हैं। जन्तुओं में ये हॉर्मोन अनुपस्थित होने पर तत्काल मृत्यु हो जाती है। ये हॉर्मोन अनेक प्रक्रियाओं का नियन्त्रण करते हैं। उदाहरणग्लूकोक्रॉर्टिकायड हार्मोन कार्बोहाइड्रेट उपापचय का नियंत्रण करते हैं, जलन उत्पत्र करने वाली अभिक्रियाओं में कमी करते हैं तथा तनाव के प्रति प्रतिक्रिया में भी सम्मिलित होते हैं।

मिनरैलोकॉर्टिकॉयड गुर्दों से उत्सर्जित होने वले जल तथा लवण के स्तर को नियंत्रित करते हैं। यदि ऐड्रिनल कॉर्टेक्स ठीक से कार्य न करें तो इसके परिणामस्वरूप ऐडीसन्सडिजीज हो सकती है जिसके लक्षण हैं हाइपोग्लाइसीमिया, दुर्बलता और तनाव के प्रति संवेदनशीलता की संभावना बढ़ना।

(ii) प्रोटीन हॉर्मोन-प्रोटीन हॉर्मोनों को पॉलिपेप्टाइड हॉर्मोन भी कहा जाता है क्योंकि ये विभिन्न ऐमीनो अम्लों के संघनन सहबहुलकीकरण से बनते हैं। इन्सुलिन, ग्लूकागॉन, ऑक्सीटोसिन, वैसोप्रेसिन, गैस्ट्रिन तथा एन्डोर्फिन इस परिवार के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं। इन्सुलिन तथा ग्लूकागॉन का स्रवण अग्न्याशय (Pancreas) में होता है जबकि ऑक्सीटोसिन तथा वैसोप्रेसिन का स्रवण पीयूष ग्रन्थि (Pituitary Gland) में होता है।

इन्सुलिन तथा ग्लूकागॉन दोनों एक साथ कार्बोहाइड्रेट उपापचय को नियंत्रित करके रक्त में ग्लूकोस की मात्रा को सामान्य स्तर पर बनाये रखते हैं। रक्त में ग्लूकोस को मात्रा तेजी से बढ़ने पर इन्सुलिन निकलने लगती है। दूसरी ओर हॉर्मोन ग्लूकागॉन की प्रवृत्ति रक्त में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ाने की होती है। ऑक्सीटोसिन, प्रसव के बाद गर्भाशय के संकुचन तथा स्तन ग्रन्थियों से दूध के मोचन (Release of milk) को नियंत्रित करता है। वैसोप्रेसिन हॉर्मोन रक्त दाब (Blood Pressure) को बढ़ाता है तथा वृक्क की जल-धारण क्षमता में वृद्धि करता है। गैस्ट्रिन, आमाशय में जठर रस के स्रवण को नियंत्रित करके प्रोटीन के पाचन में अपनी भूमिका निभाता है।

बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
चार क्षारकों के नाम लिखिए जो DNA में विद्यमान हैं। इनमें से कौनसा एक RNA में विद्यमान नहीं है?
उत्तर:
DNA में विद्यमान क्षारक साइटोसीन, ऐडेनीन, ग्वानीन तथा थायमीन हैं। इनमें से थायमीन RNA में नहीं पाया जाता लेकिन इसके स्थान पर यूरेसिल होता है।

प्रश्न 2.
वसा में घुलनशील दो विटामिनों के नाम, उनके स्रोत और उनकी भोजन में कमी से होने वाली बीमारियों के नाम बताइए।
उत्तर:
विटामिन A तथा Dवसा में घुलनशील होते हैं। विटामिन A गाजर, मक्खन, दूध तथा मछली के यकृत के तेल में पाया जाता है तथा इसकी कमी से रात्रि अंधता (रतौंधी) नामक बीमारी हो जाती है।

विटामिन D, सूर्य के प्रकाश, मछली तथा अंडे से प्राप्त होता है तथा इसकी कमी से रिकेट्स नामक बीमारी हो जाती है।

प्रश्न 3.
अपचायी शर्करा से क्या समझा जाता है?
उत्तर:
वे कार्बोहाइड्रेट जो टॉलेन अभिकर्मक या फेलिंग विलयन को अपचयित करते हैं उन्हें अपचायी शर्करा कहते हैं। इनमें स्वतंत्र ऐल्डिहाइड या कीटोन समूह होता है। जैसे-ग्लूकोस, फ्रक्टोस, माल्टोस तथा लैक्टोस।

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प्रश्न 4.
ऐमीनो अम्ल संभवतः अम्लीय, क्षारीय अथवा उदासीन होते हैं। यह किस प्रकार होता है? आवश्यक और अनावश्यक ऐमीनो अम्ल क्या होते हैं? प्रत्येक प्रकार का एकएक नाम बताइए।
उत्तर:
(a) ऐमीनो अम्लों की प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण- ऐमीनो अम्लों में उपस्थित ऐमीनो तथा कार्बोक्सिल समूहों की संख्या के आधार पर इन्हें अम्लीय क्षारीय तथा उदासीन में वर्गीकृत किया जाता है।

(i) अम्लीय ऐमीनो अम्ल – वे ऐमीनो अम्ल जिनमें ऐमीनो समूहों की तुलना में कार्बोक्सिल समूहों की संख्या अधिक होती है उन्हें अम्लीय ऐमीनो अम्ल कहते हैं। उदाहरण-
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(ii) क्षारीय ऐमीनो अम्ल ऐमीनो अम्ल, जिनमें कार्बोक्सिल समूहों की तुलना में ऐमीनो समूहों की संख्या अधिक होती है, उन्हें क्षारीय ऐमीनो अम्ल कहते हैं। उदाहरण-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 19

(iii) उदासीन ऐमीनो अम्ल वे ऐमीनो अम्ल, जिनमें कार्बोक्सिल समूहों तथा ऐमीनो समूहों की संख्या समान होती है, वे उदासीन ऐमीनो अम्ल कहलाते हैं। उदाहरण-
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(b) संश्लेषण के आधार पर वर्गीकरण – संश्लेषण के आधार पर ऐमीनो अम्लों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है; अनावश्यक तथा आवश्यक ऐमीनो अम्ल।
(i) अनावश्यक ऐमीनो अम्ल वे ऐमीनो अम्ल जिनका संश्लेषण हमारे शरीर में हो जाता है उन्हें अनावश्यक ऐमीनो अम्ल कहते हैं। आवश्यक ऐमीनो अम्लों के अतिरिक्त सभी ऐमीनो अम्ल इस श्रेणी में लिए जाते हैं जैसे ग्लाइसीन, ऐलानिन इत्यादि।

(ii) आवश्यक ऐमीनो अम्ल – वे ऐमीनो अम्लं जिनका संश्लेषण हमारे शरीर में नहीं होता है तथा जिनको भोजन में लेना आवश्यक होता है उन्हें आवश्यक ऐमीनो अम्ल कहते हैं। आवश्यक ऐमीनो अम्लों की संख्या 10 होती है जो निम्नलिखित हैं-

ट्रिप्टोफेन (T), वैलीन (V), मेथिओनिन (M), आइसोल्यूसीन (I), ल्यूसीन (L.), लाइसीन (L), फेनिल ऐलानिन (P), आर्जिनीन (A), ट्रिप्टोफेन (T) तथा हिस्टिडीन (H)

आवश्यक ऐमीनो अम्लों को इनके अंग्रेजी नामों के प्रथम अक्षर ‘टीवीमीलपाथ’ (TVMILLPATH) से याद रखा जा सकता है।
ऐमीनो अम्लों के गुण-
(i) एमीनो अम्ल रंगहीन, अवाष्पशील क्रिस्टलीय ठोस होते हैं।

(ii) ये जल में विलेय तथा कार्बनिक विलायकों में अविलेय होते हैं तथा इनका गलनांक उच्च होता है क्योंकि इनमें -NH2 तथा -COOH दोनों समूह होने के कारण ये लवणों के समान व्यवहार करते हैं।

(iii) ग्लाइसीन के अतिरिक्त प्रकृति में उपलब्ध सभी ऐमीनो अम्ल ध्रुवण घूर्णक (optically active) होते हैं क्योंकि इनमें α-कार्बन परमाणु असममित होता है।

(iv) ये ‘D’ तथा ‘L’ रूपों में पाए जाते हैं।

(v) अधिकांश प्राकृतिक ऐमीनो अम्लों का विन्यास ‘L’ होता है तथा L- एमीनो अम्लों में NH2 समूह को सूत्र में बाईं ओर लिखकर दर्शाया जाता है।

प्रश्न 5.
स्पष्ट कीजिए कि निम्नलिखित से क्या समझा जाता है?
(i) पेप्टाइड लिंकेज
(ii) ग्लूकोस की पिरानोस संरचना।
उत्तर:
(i) वह बन्ध (लिंकेज) जिसके द्वारा विभिन्न α- ऐमीनो अम्ल आपस में जुड़कर प्रोटीन बनाते हैं उसे पेप्टाइड लिंकेज (-CONH-) कहते हैं। यह α – ऐमीनो अम्ल के एक अणु के – COOH तथा दूसरे अणु के -NH2 समूह से जल के निकलने से बनता है।

(ii) ग्लूकोस की छः सदस्यीय वलय युक्त संरचना पाइरैन के समान होती है अतः इसे पिरानोस (पाइरैनोस) संरचना कहते हैं। पाइरैन पांच कार्बन तथा एक ऑक्सीजन युक्त चक्रीय यौगिक होता है।
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प्रश्न 6.
DNA और RNA में मुख्य संरचनात्मक अंतर लिखिए। चार क्षारकों में से उनके नाम लिखिए जो इन दोनों में पाए जाते हैं।
उत्तर:
DNA की तुलना में RNA की संरचना कम जटिल होती है। RNA की द्वितीयक संरचना में कुण्डली केवल एक रज्जुक (Strand) से बनी होती है जो कभी-कभी स्वयं के मुड़ने से ही द्विकुण्डलनी हो जाती है। RNA में थायमीन के स्थान पर यूरेसिल क्षारक तथा डीऑक्सीराइबोस के स्थान पर राइबोस शर्करा होती है। RNA तीन प्रकार के होते हैं जिनके कार्य भिन्न-भिन्न हैं-

  • संदेशवाहक RNA (m-RNA)
  • राइबोसोमल RNA (r-RNA)
  • अंतरण या स्थानान्तरण RNA (t-RNA)

DNA तथा RNA में विभेद

(a) संरचनात्मक विभेद्

  • DNA, कोशिका के नाभिक में स्थित क्रोमोसोम (गुणसूत्र ) में पाया जाता है जबकि RNA मुख्यतः कोशिकाद्रव्य में पाया जाता है
  • DNA में ß-D-डीऑक्सीराइबोस शर्करा होती है जबक् RNA में ß-D राइबोस शर्करा होती है।
  • पिरीमिडीन क्षारक, थायमीन केवल DNA में होता है जबक् यूरेसिल केवल RNA में होता है।
  • DNA की द्विकुंडलनी संरचना होती है जबकि RNA कं एककुंडलनी संरचना होती है।

(b) क्रियात्मक विभेद: DNA में स्वप्रतिकरण (Self Replication) का गुण होता है तथ यह आनुवांशिक गुणों के स्थानान्तरण को नियंत्रित करता है जबकि RNA प्रोटीन संश्लेषण को नियंत्रित करता है। साइटोसीन, ऐडेनीन तथा ग्वानीन धारक DNA तथा RNA दोनों में पाए जाते हैं।

प्रश्न 7.
उस उत्पाद की संरचना लिखिए जो ग्लूकोस पर नाइट्रिक अम्ल की ऑक्सीकारक अभिक्रिया से प्राप्त होता है।
उत्तर:
ग्लूकोस पर नाइट्रिक अम्ल की ऑक्सीकारक अभिक्रिया से ग्लूकोनिक अम्ल प्राप्त होता है।
HOOC – (CHOH)4 – CH2OH

प्रश्न 8.
α- ग्लूकोस और ß – ग्लूकोस में विशेषतः क्या अंतर है? ग्लूकोस की पायरैनोस संरचना से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
α-ग्लूकोस तथा ß- ग्लूकोस में C1 पर उपस्थित हाइड्रॉक्सिल (-OH) समूह के विन्यास में भिन्नता होती है। α – ग्लूकोस में यह -OH समूह दायीं ओर (नीचे की तरफ ) जबकि ß-ग्लूकोस में यह बायीं ओर (ऊपर की तरफ) स्थित होता है इसलिए C1 कार्बन को ऐनोमरी कार्बन कहते हैं।

ग्लूकोस की ये संरचनाएँ विषमचक्रीय यौगिक पाइरैन के समान होती हैं अतः इन्हें पाइरैनोस संरचना कहते हैं।

प्रश्न 9.
(i) शारीरिक वृद्धि में मंदता होने पर व्यक्ति को किस प्रकार का आहार देना चाहिए?
(ii) ग्लूकोस की ऐसी अभिक्रियाएँ दीजिए जिससे यह सिद्ध होता है कि-
(A) ग्लूकोस के सभी छः कार्बन परमाणु एक सीधी श्रृंखला में जुड़े हैं।
(B) ग्लूकोन में ऐल्डिहाइड समूह पाया जाता है।
(iii) एन्जाइम किसे कहते हैं ?
उत्तर:
(i) शारीरिक वृद्धि में मंदता होने पर व्यक्ति को विटामिन B1 (थायमीन) युक्त आहार जैसे हरी सब्जियाँ, दालें तथा दूध इत्यादि देना चाहिए।

(ii)
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ग्लूकोस की HI से क्रिया द्वारा n हेक्सेन का बनना यह सिद्ध करता है कि ग्लूकोस के सभी छः कार्बन परमाणु एक सीधी श्रृंखला में जुड़े हैं।

(B) ग्लूकोस का दुर्बल ऑक्सीकारक जैसे ब्रोमीन जल से ऑक्सीकरण कराने पर ग्लूकोनिक अम्ल बनता है। इससे सिद्ध होता है कि ग्लूकोस में ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
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(iii) सजीवों में होने वाली जैव रासायनिक क्रियाओं में प्रयुक्त होने वाले जैव उत्प्रेरकों को एन्जाइम कहते हैं। जैसे – माल्टेस एन्जाइम की उपस्थिति में माल्टोस के जल अपघटन से ग्लूकोस बनता है।

प्रश्न 10.
(अ) DNA की द्विकुंडलनी संरचना का नामांकित चित्र बनाइए।
(ब) हमारे शरीर में विटामिन C संचित नहीं हो सकता है। कारण दीजिए।
(स) ग्लूकोस से कैसे प्राप्त करेंगे? (केवल समीकरण दीजिए)
(i) ग्लूकोनिक अम्ल
(ii) n-हैक्सेन।
उत्तर:
(अ) DNA की द्विकुंडलिनी संरचना निम्न प्रकार होती है-
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(ब) विटामिन C जल में विलेय होता है अतः यह हमारे शरीर में संचित नहीं हो सकता क्योंक यह जलीय विलयन के रूप में हमारे शरीर से बाहर निकल जाता है।

(स) (i) ग्लूकोस से ग्लूकोनिक अम्ल-
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(ii) ग्लूकोस से n-हैक्सेन-
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प्रश्न 11.
(अ) सूक्रोस का हावर्थ सूत्र लिखिए।
(ब) सूक्रोस एक अनपचायी शर्करा है। क्यों?
उत्तर:
उत्तर:
(अ) सूक्रोस (C12H12O11) का हावर्थ सूत्र निम्न प्रकार होता है-
इसमें α- ग्लूकोस के C1 तथा ß – फ्रक्टोज के C2 के मध्य ग्लाइकोसाइडी बन्ध होता है।
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(ब) सूक्रोस में उपस्थित ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस के अपचायक समूह ग्लाइकोसाइडी बन्ध बना लेते हैं अतः यह एक अनअपचायी शर्करा है।

प्रश्न 12.
(a) दो ऐमीनो अम्लों को जोड़ने वाले बन्धन का नाम लिखिए।
(b) श्रीमती अनुराधा के घर में सहायक शान्ति एक दिन फर्श को पोंछते हुए अचानक बेहोश होकर गिर गई। श्रीमती अनुराधा शीप्र ही उसे निकट के अस्पताल में ले गई जहाँ बताया गया कि शान्ति को अत्यधिक रक्त की कमी हो गयी है। डॉक्टर ने उसके लिए लोह धारक भोजन और बहु विटामिनी गोलियाँ लिख दीं। औषधि खरीदने में श्रीमती अनुराधा ने उसकी आर्थिक सहायता की। एक माह पश्चात् निदान कराने पर शान्ति को साधारण बताया गया।

उपर्युक्त लेख को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) श्रीमती अनुराधा ने किन मूल्यों का परिचय दिया ?
(ii) उस विटामिन का नाम बताइए जिसके अभाव में शान्ति को ‘हानिकारक रक्त अभाव’ (प्रणांशी रक्ताल्पता) हुआ।
(iii) जलविलेय विटामिन का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(a) दो ऐमीनो अम्लों को जोड़ने वाले बन्धन को पेप्टाइड बन्धन कहते हैं।
(b) (i) श्रीमती अनुराधा ने मानवता का परिचय दिया जो कि दयालु, बुद्धिमान तथा दूसरे व्यक्ति के स्वास्थ्य के प्रति भी सजग है।
(ii) विटामिन B12
(iii) विटामिन C

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प्रश्न 13.
(i) स्टार्च का कौनसा घटक जल में विलेय होता है?
(ii) कौनसे विटामिन की कमी से रात्रि अंधता रोग उत्पन्न होता है?
(iii) उस क्षारक का नाम बताइए जो केवल RNA के न्युक्लिओटाइड में पाया जाता है।
(iv) ग्लूकोस की HI के साथ अभिक्रिया से n-हेक्सेन बनता है, इससे ग्लूकोस की संरचना के बारे में क्या जानकारी प्राप्त होती है?
उत्तर:
(i) ऐमिलोस
(ii) विटामिन-A
(iii) यूरेसिल
(iv) ग्लूकोस की HI के साथ अभिक्रिया से n-हेक्सेन का बनना यह सिद्ध करता है कि ग्लूकोस में सभी छः कार्बन परमाणु सीधी श्रृंखला में होते हैं।

प्रश्न 14.
वह रासायनिक अभिक्रिया लिखिए जिससे ग्लूकोस में कार्बोनिल समूह की उपस्थिति की पुष्टि होती है।
उत्तर:
ग्लूकोस, हाइड्रॉक्सिल ऐमीन (NH2OH) के साथ अभिक्रिया करके एक ऑक्सिम देता है। इस अभिक्रिया से ग्लूकोस में कार्बोनिल समूह ( HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 28

प्रश्न 15.
विटामिन A, B, C और D को जल तथा वसा में विलेयता के आधार पर वर्गीकृत कर उनकी तुलना कीजिए।
उत्तर:
जल तथा वसा में विलेयता के आधार पर विटामिनों को दो समूहों में वर्गीकृत किया जाता है-
(i) वसा विलेय विटामिन-ये विटामिन वसा तथा तेल में विलेय होते हैं लेकिन जल में अविलेय होते हैं। ये विटामिन A तथा D हैं। ये यकृत तथा ऐडिपोस ऊतक में संग्रहित रहते हैं अतः इनका उत्सर्जन नहीं होता है।

(ii) जल विलेय विटामिन-ये विटामिन जल में विलेय होते हैं। ये विटामिन B तथा C हैं। ये मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाते हैं। इस कारण हमारे शरीर में संचित नहीं हो पाते हैं।

प्रश्न 16.
मोनोसैकैराइड क्या होते हैं?
उत्तर:
मोनोसैकैराइड वे कार्बोहाइड्रेट होते हैं जिनको और अधिक सरल यौगिकों में जल अपघटित नहीं किया जा सकता है। इनका सामान्य सूत्र C2H2nOn होता है। यहाँ n = 3 से 7. उदाहरण – ग्लूकोस, फ्रक्टोस तथा राइबोस।

प्रश्न 17.
प्रोटीन के विकृतिकरण को एक उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
जब प्राकृतिक प्रोटीन के ताप तथा pH में परिवर्तन किया जाता है तो उसमें उपस्थित हाइड्रोजन बन्धों की व्यवस्था बिगड़ जाती है जिसके कारण प्रोटीन की गोलिका खुल जाती है तथा हैलिक्स अकुंडलित हो जाती है अतः प्रोटीन अपनी जैविक सक्रियता खो देता है, इसे प्रोटीन का विकृतिकरण कहते हैं। उदाहरण-अंडे को उबालने पर उसमें उपस्थित सफेदी का स्कंदन।

प्रश्न 18.
(i) निम्नलिखित में कौनसा एक डाइसैकेराइड है : स्टार्च, माल्टोस, फ्रक्टोस, ग्लूकोस
(ii) अम्लीय ऐमीनो ऐसिड और क्षारीय ऐमीनो ऐसिड में क्या अन्तर है?
(iii) दो न्यूक्लिओटाइडों को जोड़ने वाली लिंकेज का नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) माल्टोस एक डाइसैकेराइड है।

(ii) अम्लीय ऐमीनो ऐसिड में ऐमीनो समूहों की तुलना में कार्बोक्सिल समूहों की संख्या अधिक होती है जबकि क्षारीय ऐमीनो ऐंसिड में कार्बोक्सिल समूहों की तुलना में ऐमीनो समूहों की संख्या अधिक होती है। उदाहरण-अम्लीय ऐमीनो ऐसिड-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु 29
(iii) दो न्यूक्लिओटाइडों को जोड़ने वाली लिंकेज को फॉस्फोडाइएस्टर बंधन कहते हैं।

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन

बहुविकल्पीय प्रश्न:

1. 250 ग्राम जल में 2 g NaOH घुला हुआ है तो विलयन की सान्द्रता होगी –
(अ) 0.2 M
(ब) 0.2 N
(स) 0.2 m
(द) 4 ग्राम लीटर-1
उत्तर:
(स) 0.2 m

2. निम्न में से किस मात्रक में विलयन की सान्द्रता ताप पर निर्भर नहीं करती है?
(अ) मोलरता
(ब) नार्मलता
(स) फार्मलता
(द) मोललता
उत्तर:
(द) मोललता

3. निम्नलिखित में से किस विलयन का परासरण दाब न्यूनतम होगा?
(अ) 0.1M BaCl2
(ब) 0.1M यूरिया
(स) 0.1M HCl
(द) 0.2M ग्लूकोस
उत्तर:
(ब) 0.1M यूरिया

4. वाट हॉफ गुणक के लिए कौनसा सूत्र सही नहीं है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 1

5. निम्नलिखित में से किसके लिए वान्ट हॉफ गुणक का मान K4[Fe (CN)6] के लिए वान्ट हॉफ गुणक के बराबर होगा ?
(अ) NaCl
(ब) Na2SO4
(स) Al2(SO4)3
(द) Al(NO3)3
उत्तर:
(स) Al2(SO4)3

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन

6. प्रकृति में कुल कितने प्रकार के विलयन संभव हैं?
(अ) 6
(ब) 10
(स) 12
(द) 9
उत्तर:
(द) 9

7. शुद्ध जल की मोलरता कितनी होती है?
(अ) 5.5
(ब) 55.5
(स) 18.0
(द) 10.0
उत्तर:
(ब) 55.5

8. प्रतिलोम परासरण (Reverse osmosis) के लिए प्रयुक्त अर्धपारगम्य झिल्ली किससे बनी होती है?
(अ) सेलोफेन
(ब) सूअर का ब्लेडर
(स) सेलूलोस ऐसीटेट
(द) पार्चमेन्ट
उत्तर:
(स) सेलूलोस ऐसीटेट

9. रुधिर कोशिका में स्थित द्रव का परासरण दाब निम्नलिखित में से किसके समान होता है?
(अ) 1% (w/V) NaCl विलयन
(ब) 0.9% (w/V) NaCl विलयन
(स) 1% (w/V) Na2SO4 विलयन
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) 0.9% (w/V) NaCl विलयन

10. विलायक के प्रति किलोग्राम में उपस्थित विलेय के मोलों की संख्या कहलाती है-
(अ) मोलरता
(ब) मोलरता
(स) मोललता
(द) मोल भिन्न
उत्तर:
(स) मोललता

11. परासरण की क्रिया को रोकने हेतु प्रयुक्त दाब कहलाता है-
(अ) वाष्प दाब
(ब) आंशिक दाब
(स) परासरण दाब
(द) वायुमण्डलीय दाब
उत्तर:
(स) परासरण दाब

12. समान परासरण दाब वाले विलयन कहलाते हैं-
(अ) अतिपरासरी विलयन
(ब) अल्पपरासरी विलयन
(स) समपरासरी विलयन
(द) सामान्य परासरी विलयन
उत्तर:
(स) समपरासरी विलयन

13. दो द्रवों का विलयन जो संघटन में परिवर्तन के बिना एक निश्चित ताप पर आसवित होता है, कहलाता है-
(अ) संतृप्त विलयन
(ब) आदर्श विलयन
(स) स्थिर क्वाथी मिश्रण
(द) असंतृप्त विलयन
उत्तर:
(स) स्थिर क्वाथी मिश्रण

14. एक वायुमण्डलीय दाब पर निम्नलिखित में से किसका क्वथनांक उच्चतम होगा-
(अ) 0.1M ग्लूकोस
(ब) 0.1 M यूरिया
(स) 0.1M बेरियम क्लोराइड
(द) 0.1M NaCl
उत्तर:
(स) 0.1M बेरियम क्लोराइड

15. निम्नलिखित में से कौनसा गुण अणुसंख्य गुण नहीं है ?
(अ) क्वथनांक उन्नयन
(स) हिमांक अवनमन
(ब) वाष्प दाब अवनमन
(द) हिमांक
उत्तर:
(द) हिमांक

16. बेन्जीन और टॉलूईन का मिश्रण है-
(अ) धनात्मक विचलन युक्त विलयन
(ब) ऋणात्मक विचलन युक्त विलयन
(स) आदर्श विलयन
(द) अनादर्श विलयन
उत्तर:
(स) आदर्श विलयन

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन

17. निम्नलिखित में से कौनसा युग्म आदर्श विलयन नहीं बनाता?
(अ) C2H5Br, C2H5I
(ब) C2H5I, C2H5OH
(स) C6H5Cl, C6H5Br
(द) C6H6, C6H5CH3
उत्तर:
(ब) C2H5I, C2H5OH

18. H2SO4 का एक मोलर विलयन किसके समान होगा?
(अ) नॉर्मल विलयन
(ब) N/2 विलयन
(स) 2N विलयन
(द) 4N विलयन
उत्तर:
(स) 2N विलयन

19. निम्नलिखित में से किस मिश्रण में मुख्य रूप से द्विध्रुव – द्विध्रुव आकर्षण पाया जाता है?
(अ) KCl तथा H2O
(ब) C6H6 तथा CCl4
(स) C6H6 तथा C2H5OH
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 2
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 3

20. आदर्श विलयन के लिए निम्नलिखित में से कौनसी शर्त सही है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 4

21. सोडा वाटर होता है-
(अ) CO2 गैस में जल का विलयन
(ब) CO2 गैस का जल में विलयन
(स) CO2 तथा O2 का विलयन
(द) CO2 तथा N2 का विलयन
उत्तर:
(ब) CO2 गैस का जल में विलयन

22. निम्नलिखित में से कौनसा अणुसंख्य गुण है?
(अ) पृष्ठ तनाव
(ब) श्यानता
(स) परासरण दाब
(द) चालकता
उत्तर:
(स) परासरण दाब

23. 0.1 M KCl, 0.1 M CaSO4 तथा 0.1M K2CO3 के जलीय विलयनों के हिमांक अवनमन का अनुपात होगा-
(अ) 1 : 1 : 3
(ब) 2 : 2 : 5
(स) 1 : 1 : 1.5
(द) 1 : 1 : 1
उत्तर:
(स) 1 : 1 : 1.5

24. जब विलयन में वैद्युत अपघट्य वियोजित होता है तो इसके वान्ट हॉफ गुणक का मान होगा-
(अ) > 1
(ब) < 1
(स) 1
(द) शून्य
उत्तर:
(अ) > 1

25. यूरिया के एक जलीय विलयन के क्वथनांक में उन्नयन 0.52° है। [Kb = 0.52°C मोल’ किग्रा.] तो इस विलयन में यूरिया का मोल प्रभाज है-
(अ) 0.982
(स) 0.943
(ब) 0.567
(द) 0.018
उत्तर:
(द) 0.018

26. अर्द्धपारगम्य झिल्ली अनुमति करती है-
(अ) एक विलयन को गुजरने देना
(ब) विलेय को गुजरने देना
(स) विलायक को गुजरने देना
(द) विलेय एवं विलायक दोनों को गुजरने देना
उत्तर:
(स) विलायक को गुजरने देना

27. 5 ग्राम NaOH के 450 मिली. विलयन की मोलरता होगी-
(अ) 0.189 मोल dm-3
(ब) 0.278 मोल dm-3
(स) 0.556 मोल dm-3
(द) 0.027 मोल dm-3
उत्तर:
(ब) 0.278 मोल dm-3

28. किसी जलीय विलयन का हिमांक- 0.186°C है, इसी विलयन के क्वथनांक में उन्नयन का मान है ( Kf = 1.86°C mol-1 kg) (Kb = 0.512°C mol-1 kg)
(अ) 0.186°C
(ब) 0.0512°C
(स) 1.86°C
(द) 5.12°C
उत्तर:
(ब) 0.0512°C

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन

29. निम्नलिखित में से द्रवों का कौन-सा युग्म राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करता है?
(अ) जल-हाइड्रोजन अम्ल
(ब) बेन्जीन – मेथेनॉल
(स) जल- नाइट्रिक अम्ल
(द) ऐसीटोन – क्लोरोफॉर्म
उत्तर:
(ब) बेन्जीन – मेथेनॉल

30. समान तापमान पर 5% ग्लूकोस ( अणु भार 180 ) का विलयन एवं 10% अज्ञात पदार्थ का विलयन समपरासरी है, तो अज्ञात पदार्थ का अणुभार है-
(अ) 90
(ब) 180
(स) 360
(द) 45
उत्तर:
(स) 360

31. कौनसा सान्द्रता अभिव्यक्ति का माध्यम ताप से स्वतंत्र है?
(अ) मोलरता
(ब) नार्मलता
(स) फॉर्मलता
(द) मोललता
उत्तर:
(द) मोललता

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न :

प्रश्न 1.
0.2 मोलल विलयन का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
0.2 मोलल विलयन का अर्थ है कि 0.2 मोल विलेय 1000g (1 kg) विलायक में घुला हुआ है।

प्रश्न 2.
जलीय विलयन के लिए मोललता तथा किसी पदार्थ (विलेय) मोल अंश में क्या सम्बन्ध होगा?
उत्तर:
विलेय का मोल अंश = \(\frac { m }{ m + 55.5 }\)
m = मोललता, 1000 ग्राम जल के मोल = \(\frac { 1000 }{ 18 }\) = 55.5

प्रश्न 3.
विलयन का ताप बढ़ाने पर मोलरता पर क्या प्रभाव होगा ?
उत्तर:
विलयन का ताप बढ़ाने पर मोलरता कम हो जाती है क्योंकि विलयन का आयतन बढ़ जाता है।

प्रश्न 4.
H2O2 की आयतन सान्द्रता से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
एक आयतनं H2O2 विलयन के वियोजन से NTP पर प्राप्त ऑक्सीजन का आयतन, इसकी आयतन सान्द्रता कहलाती है।

प्रश्न 5.
मोलरता की तुलना में मोललता को अधिक महत्त्व दिया जाता है, क्यों?
उत्तर:
मोलरता की तुलना में मोललता को अधिक महत्त्व दिया जाता है क्योंकि मोललता ताप पर निर्भर नहीं करती।

प्रश्न 6.
एक मोलल तथा एक मोलर जलीय विलयन में से किसकी सान्द्रता अधिक होती है?
उत्तर:
एक मोलर विलयन।

प्रश्न 7.
ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता पर क्या प्रभाव
उत्तर:
ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता कम हो जाती है।

प्रश्न 8.
हेनरी के नियम की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
किसी विलयन में गैस का मोल अंश, उस विलयन के ऊपर उपस्थित गैस के आंशिक दाब के समानुपाती होता है, अर्थात् किसी गैस का वाष्प अवस्था में आंशिक दाब, उस विलयन में गैस के मोल अंश के समानुपाती होता है। इसे हेनरी का नियम कहते हैं।

प्रश्न 9.
किस प्रकार के द्रवों में आदर्श विलयन बनाने की प्रवृत्ति होती है?
उत्तर:
बहुत अधिक तनु विलयन, लगभग समान संरचना तथा ध्रुवता वाले द्रवों में आदर्श विलयन बनाने की प्रवृत्ति होती है।

प्रश्न 10.
स्थिरक्वाथी मिश्रण में उपस्थित अवयवों को प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् नहीं किया जा सकता। क्यों?
उत्तर:
स्थिर क्वाथी मिश्रण में उपस्थित अवयव निश्चित अनुपात में होते हैं जो निश्चिंत ताप पर एक साथ उबलते हैं, अतः इन्हें प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 11.
समान ताप पर नाइट्रोजन की जल में विलेयता, हाइड्रोजन की तुलना में कम होती है तो किस गैस का हेनरी स्थिरांक अधिक है?
उत्तर:
नाइट्रोजन का हेनरी स्थिरांक अधिक है क्योंकि किसी गैस की
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 5

प्रश्न 12.
गैसों की द्रवों में विलेयता पर दाब का क्या प्रभाव
उत्तर:
दाब बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता बढ़ती है।

प्रश्न 13.
अमोनिया की बोतल को खोलने से पहले ठण्डा किया जाता है। क्यों?
उत्तर:
अमोनिया की बोतल को ठण्डा करने से उसका वाष्प दाब कम हो जाता है जिससे द्रव अमोनिया तेजी से बाहर नहीं निकलती ।

प्रश्न 14.
विलयन में विलेय की वियोजन की मात्रा तथा वान्ट हॉफ गुणक में क्या सम्बन्ध होता है ?
उत्तर:
∝ = \(\frac{i-1}{n-1}\)
∝ = वियोजन की मात्रा, n = वियोजन से प्राप्त कणों की संख्या तथा i = वान्टहॉफ गुणक ।

प्रश्न 15.
जल में थोड़ा-सा ग्लुकोस मिलाने पर इसके वाष्पदाब पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
ग्लुकोस मिलाने से जल का वाष्पदाब कम हो जाएगा क्योंकि ग्लुकोस अवाष्पशील पदार्थ है।

प्रश्न 16.
किसी विलयन के क्वथनांक उन्नयन (△Tb) तथा विलेय के मोलर द्रव्यमान में सम्बन्ध बताइए।
उत्तर:
△Tb, विलेय के मोलर द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन

प्रश्न 17.
प्रतिलोम परासरण कब होता है?
उत्तर:
जब विलयन पर परासरण दाब से अधिक दाब लगाते हैं तो प्रतिलोम परासरण होता है।

प्रश्न 18.
शर्करा तथा KCl के सममोलर विलयन समपरासरी होंगे या नहीं, तथा क्यों?
उत्तर:
शर्करा तथा KCl के सममोलर विलयन समपरासरी नहीं होते क्योंकि KCl वियोजित होकर दो आयन देता है जबकि शर्करा का वियोजन नहीं होता।

प्रश्न 19.
जल के लिए मोलल अवनमन (Kf) स्थिरांक 1.86 K Kg mol-1 होता है, इसका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जल के लिए Kf = 1.86 का अर्थ है कि जब 1 मोल अवाष्पशील विलेय को 1 Kg विलायक में घोला जाता है तो जल के हिमांक में 1.86 K की कमी हो जाती है।

प्रश्न 20.
अण्डे के बाहरी खोल को हटाकर जब उसे लवण (NaCl) के संतृप्त विलयन में रखा जाता है, तो क्या होगा ?
उत्तर:
अण्डे में बाह्यपरासरण होगा जिसके कारण वह सिकुड़ जाता है।

प्रश्न 21.
मोललता तथा क्वथनांक उन्नयन में सम्बन्ध बताइए |
उत्तर:
क्वथनांक उन्नुयन तथा मोललता एक-दूसरे के समानुपाती होते हैं।

प्रश्न 22.
एक प्रतिहिम (Anti Freezing Agent) पदार्थ का उदाहरण दीजिए ।
उत्तर:
एथिलीन ग्लाइकॉल प्रतिहिम का कार्य करता है।

प्रश्न 23.
आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल को त्वचा पर रगड़ने से शीतलन का अनुभव होता है, क्यों?
उत्तर:
आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल वाष्पशील होता है अतः यह त्वचा से गुप्त ऊष्मा का अवशोषण करके वाष्प में परिवर्तित हो जाता है, जिसके कारण शीतलन का अनुभव होता है।

प्रश्न 24.
गले में सूजन होने पर साधारण नमक के पानी से गरारे करने की सलाह दी जाती है । क्यों?
उत्तर:
नमक का पानी अतिपरासरी (हाइपरटोनिक ) होता है, जिसके कारण यह गल में खिंचाव उत्पन्न करने वाले कारक को बाहर निकाल देता है।

प्रश्न 25.
जलीय जीवजन्तु गरम जल की अपेक्षा ठण्डे जल में अधिक आसानी से रहते हैं, क्यों ?
उत्तर:
ताप बढ़ाने पर गैसों की जल में विलेयता कम होती है अतः गरम जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है इसलिए जलीय जीवजन्तु गरम जल की अपेक्षा ठण्डे जल में अधिक आसानी से रहते हैं ।

लघूत्तरात्मक प्रश्न :

प्रश्न 1.
राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन की व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए ।
उत्तर:
दो द्रव A तथा B के मिश्रण में धनात्मक विचलन होने पर A-B आकर्षण A-A तथा B-B के मध्य आकर्षण की तुलना में दुर्बल होता है। अर्थात् इस स्थिति में विलेय-विलायक अणुओं के मध्य अंतराआण्विक आकर्षण बल विलेय-विलेय और विलायक – विलायक अणुओं की तुलना में दुर्बल होते हैं। अतः इस प्रकार के विलयनों में से A अथवा B के अणु शुद्ध अवयव की तुलना में अधिक आसानी से निकल सकते हैं, जिसके कारण वाष्प दाब में वृद्धि होती है।

उदाहरण-एथेनॉल तथा ऐसीटोन का मिश्रण। शुद्ध एथेनॉल में अणुओं के हाइड्रोजन बंध होते हैं। इसमें ऐसीटोन मिलाने पर इसके अणु एथेनॉल के अणुओं के बीच में आ जाते हैं, जिसके कारण इनके बीच पहले से उपस्थित हाइड्रोजन बंध टूट जाते हैं। इससे अंतराआण्विक आकर्षण बल दुर्बल हो जाने के कारण यह मिश्रण राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन दर्शाता है।

प्रश्न 2.
राउल्ट के नियम से ऋणात्मक विचलन को उदाहरण सहित समझाइए |
उत्तर:
दो द्रव A तथा B के मिश्रण में ऋणात्मक विचलन की स्थिति में A-A तथा B-B के मध्य आर्कषण बल A-B की तुलना में दुर्बल होता है। इसके कारण वाष्पदाब कम हो जाता है। उदाहरण- फीनॉल तथा ऐनिलीन का मिश्रण। इस स्थिति में फीनॉलिक प्रोटॉन एवं ऐनिलीन के नाइट्रोजन परमाणु के एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म के मध्य अंतराआण्विक हाइड्रोजन बंध समान अणुओं के मध्य हाइड्रोजन बंध की तुलना में प्रबल होता है। इसी प्रकार से क्लोरोफॉर्म तथा ऐसीटोन का मिश्रण भी उल्ट के नियम से ऋणात्मक विचलन दर्शाता है। इसका कारण यह है कि क्लोरोफॉर्म, ऐसीटोन के साथ हाइड्रोजन बंध बना लेता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 6

प्रश्न 3.
एक शीतल पेय पदार्थ जो कि कार्बोनेटीकृत है, की house बोतल को खोलने पर गैस के बुलबुले तेजी से बाहर निकलते हैं। क्यों?
उत्तर:
कार्बोनेटीकृत पेय की बोतल में उच्च दाब पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) गैस भरी होती है। जब बोतल का ढक्कन खोला जाता है, तो यह गैस उच्च दाब से निम्न दाब की ओर तेजी से बाहर निकलती है। अतः गैस के बुलबुले बाहर की तरफ निकलते हुए दिखाई देते हैं।

प्रश्न 4.
NaOH की जल में विलेयता पर ताप का क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
NaOH का जल में विलयन बनना एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है अतः ले-शातैलिए के नियमानुसार ऊष्माक्षेपी प्रक्रम हेतु ताप बढ़ाने पर साम्यावस्था पश्च दिशा में जाती है अर्थात् NaOH की विलेयता कम हो जाएगी।

प्रश्न 5.
ऐनॉक्सिया क्या है?
उत्तर:
ऐनॉक्सिया एक प्रकार की बीमारी है जो सामान्यतः अधिक ऊँचाई पर रहने वाले लोगों में पाई जाती है। इसमें व्यक्तियों के रक्त एव ऊतकों में ऑक्सीजन की सान्द्रता कम हो जाती है अतः वे कमजोर हो जाते हैं तथा उनकी सोचने की क्षमता में भी कमी आ जाती है।

प्रश्न 6.
एथिल ऐल्कोहॉल तथा साइक्लोहेक्सेन का मिश्रण, राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन दर्शाता है, क्यों?
उत्तर:
साइक्लोहेक्सेन के अणुओं के मध्य वान्डरवाल बल तथा एथिल ऐल्कोहॉल (एथेनॉल) के अणुओं के मध्य हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है लेकिन जब एथेनॉल तथा साइक्लोहेक्सेन को मिलाया जाता है तो एथेनॉल के अणुओं के मध्य उपस्थित हाइड्रोजन बन्ध टूट जाते हैं अर्थात् A-B आकर्षण, A-A तथा B-B आकर्षण से कम है अतः अणु दूर-दूर जाते हैं इसलिए यह धनात्मक विचलन का उदाहरण है।

प्रश्न 7.
राउल्ट के नियम की सीमाएँ बताइए ।
उत्तर:

  • यह नियम केवल तनु विलयनों पर ही लागू होता है।
  • विद्युत अपघट्यों के विलयनों पर यह नियम नहीं लगता है।
  • जब विलयन में पदार्थ का संगुणन या वियोजन होता है तो भी राउल्ट का नियम नहीं लगता।

प्रश्न 8.
नमक के सान्द्र विलयन में ताजा अंगूर डालने पर वे सिकुड़ जाते हैं जबकि इन्हें पुन: जल में डालने पर ये फूल जाते हैं। क्यों?
उत्तर:
परासरण के कारण विलायक निम्न सान्द्रता युक्त विलयन से उच्च सान्द्रता वाले विलयन की ओर गमन करता है। यहाँ अंगूर की कोशिका झिल्ली, अर्धपारगम्य झिल्ली की तरह व्यवहार करती है अतः अंगूर को नमक के सान्द्र विलयन में रखने पर जल अंगूर से बाहर आ जाता है, जिसके कारण वे सिकुड़ जाते हैं तथा इन्हें पुनः जल में डालने पर जल अंगूर में प्रवेश कर जाता है अतः वे फूलकर पुनः ताजा हो जाते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन

प्रश्न 9.
हिमांक अवनमन विधि से अणुभार ज्ञात करने के लिए साधारण थर्मामीटर के स्थान पर विशिष्ट थर्मामीटर (बैकमान थर्मामीटर) का प्रयोग किया जाता है। क्यों?
उत्तर:
विलायक में विलेय मिलाने पर होने वाला हिमांक अवनमन बहुत कम मात्रा में होता है जिसका मापन साधारण थर्मामीटर द्वारा नहीं होता क्योंकि इसमें न्यूनतम माप 0.01°C से अधिक होती है जबकि बैकमान ने इस कार्य के लिए एक विशिष्ट थर्मामीटर बनाया जो बहुत संवेदी (Sensi- tive) होता है जिसमें न्यूनतम माप 0.01°C होती है जिससे कम मात्रा में होने वाले हिमांक अवनमन का भी मापन हो जाता है अतः हिमांक अवनमन विधि में साधारण थर्मामीटर के स्थान पर यह विशिष्ट थर्मामीटर (बैकमान थर्मामीटर) प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 10.
किसी पदार्थ के गलनांक तथा क्वथनांक से उसमें उपस्थित अशुद्धियों के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाती है। इस कंथन की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
शुद्ध अवस्था में प्रत्येक पदार्थ का गलनांक तथा क्वथनांक निश्चित होता है। जब इसमें अवाष्पशील अशुद्धि मिली होती है तो क्वथनांक में वृद्धि तथा गलनांक में कमी हो जाती है, अशुद्धि की मात्रा बढ़ने पर ये मान भी उसी अनुपात में परिवर्तित हो जाते हैं, अतः गलनांक तथा क्वथनांक के मान से किसी पदार्थ में उपस्थित अशुद्धियों की जानकारी प्राप्त हो जाती है ।

प्रश्न 11.
प्याज को सामान्य ताप पर काटने के बजाय फ्रिज में ठण्डा करने के बाद काटने से आँसू कम आते हैं। क्यों?
उत्तर:
प्याज को जब ठण्डा करते हैं तो उसमें उपस्थित वाष्पशील द्रव जिनके कारण आँसू आते हैं, का वाष्पदाब कम हो जाता है, अतः उनका वाष्पन कम होता है। अतः ठण्डे प्याज को काटने पर आँसू कम आते हैं।

प्रश्न 12.
क्वथनांक उन्नयन से किसी वाष्पशील पदार्थ का मोलर द्रव्यमान ज्ञात नहीं किया जा सकता। क्यों?
उत्तर:
क्वथनांक उन्नयन इत्यादि विधियाँ (अणुसंख्यक गुण) केवल अवाष्पशील पदार्थों के लिए ही उपयुक्त होती हैं क्योंकि विलयन में वाष्पशील पदार्थ मिलाकर गर्म किया जाता है तो वाष्पशील पदार्थ, वाष्प बनकर बाहर निकल जाता है, जिससे इसके कारण क्वथनांक में उन्नयन ही नहीं होगा अतः इस विधि से वाष्पशील पदार्थ का मोलर द्रव्यमान ज्ञात नहीं- कर सकते।

प्रश्न 13.
सर्दी के मौसम में गाड़ी के रेडिएटर में जल के साथ एथिलीन ग्लाइकॉल मिलाया जाता है। क्यों?
उत्तर:
सर्दी के मौसम में केवल जल को गाड़ी का इंजन ठण्डा करने में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता क्योंकि जल 0°C (273K) पर ही जम जाता है जबकि 35% (V/V) एथिलीन ग्लाइकॉल के जलीय विलयन का हिमांक – 17.6°C होता है, अतः यह निम्न ताप पर भी नहीं जमता इसलिए इसे शीतलक (Coolant) के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। यहाँ एथिलीन ग्लाइकॉल हिमरोधी (Anti Freezing Agent ) का कार्य करता है। अतः एथिलीन ग्लाइकॉल को सर्दी के मौसम में गाड़ी के रेडिएटर में जल के साथ मिलाया जाता है।

प्रश्न 14.
सड़कों पर जमी बर्फ को हटाने के लिए NaCl के स्थान पर CaCl2 लेना अधिक उपयुक्त है। क्यों?
उत्तर:
NaCl तथा CaCh2 दोनों ही प्रतिहिम कारक का कार्य करते हैं क्योंकि इनको मिलाने से जल का हिमांक कम हो जाता है लेकिन हिमांक अवनमन एक कण संख्यक गुण है जो कणों की संख्या पर निर्भर करता है। CaCl2 के आयनन से तीन आयन (Ca+2 तथा 2Cl) प्राप्त होते हैं जबकि NaCl के आयनन से केवल दो आयन ही प्राप्त होंगे, अतः CaCl2 मिलाने पर बर्फ अधिक तेजी से पिघलती है क्योंकि हिमांक में अधिक कमी हो जाने के कारण बर्फ के जमने की प्रवृत्ति कम हो जाती है।

प्रश्न 15.
प्रेशर कुकर में भोजन जल्दी पकता है लेकिन पहाड़ों पर भोजन धीरे पकता है । इसकी व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
प्रत्येक द्रव का क्वथनांक निश्चित होता है तथा दाब बढ़ाने पर क्वथनांक में वृद्धि होती है। प्रेशर कुकर में दाब अधिक होने के कारण, जल का क्वथनांक बढ़ जाता है अतः यह अधिक ताप पर उबलता है जिसके कारण भोजन को अधिक ऊष्मा प्राप्त होती है इसलिए वह जल्दी पक जाता है जबकि पहाड़ों पर वायुमण्डलीय दाब कम होता है जिसके कारण क्वथनांक भी कम हो जाता है अतः पानी उबल तो जल्दी जाता है लेकिन भोजन को कम ऊष्मा प्राप्त होती है, जिससे वह धीरे पकता है ।

प्रश्न 16.
किसी विलायक के लिए मोलल उन्नयन स्थिरांक का मान निश्चित होता है। क्यों?
उत्तर:
मोलल उन्नयन स्थिरांक को निम्नलिखित सूत्र से ज्ञात किया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 7
इस सूत्र में उपस्थित सभी मान, R ( विलयन स्थिरांक या गैस स्थिरांक), M1 ( विलायक का मोलर द्रव्यमान ), Tb ( विलायक का क्वथनांक) तथा △Hवाष्पन( वाष्पन एन्थैल्पी) किसी विलायक के लिए निश्चित होते हैं अतः मोलल उन्नयन स्थिरांक (Kb) का मान भी निश्चित होगा ।

प्रश्न 17.
केवल दूध से आइसक्रीम बनाने की तुलना में शर्करायुक्त दूध से आइसक्रीम बनाने में अधिक समय लगता है। क्यों?
उत्तर:
दूध में शर्करा (चीनी) मिलाने पर दूध का हिमांक कम हो जाता है (हिमांक अवनमन) अर्थात् दूध पहले की तुलना में कम ताप पर जमेगा अतः इससे आइसक्रीम बनाने में अधिक समय लगता है।

प्रश्न 18.
दो ग्राम शर्करा को 100 ग्राम जल में घोलने पर विलयन X तथा 2 ग्राम यूरिया को 100 ग्राम जल में घोलने पर विलयन Y प्राप्त होता है तो किस विलयन में क्वथनांक उन्नयन अधिक होगा तथा क्यों ?
उत्तर:
विलयन Y में क्वथनांक उन्नयन अधिक होगा क्योंकि यूरिया का अणुभार शर्करा के अणुभार से कम होता है अतः विलयन Y की मोललता, विलयन X की मोललता से अधिक होगी तथा क्वथनांक उन्नयन मोललता के समानुपाती होता है।

प्रश्न 19
(i) प्रतिहिम (Antifreezing agent) क्या होता है ?
(ii) विहिमीकारक (de-icing agent) किसे कहते हैं? समझाइए |
उत्तर:

  • वह पदार्थ जिसे जल में मिलाने पर उसके हिमांक को कम कर देता है, उसे प्रतिहिम कहते हैं। उदाहरण – एथिलीन ग्लाइकॉल।
  • वह पदार्थ जो जल के हिमांक को कम करता है तथा जिसे बर्फ पर डालने से बर्फ जल्दी पिघलती है, उसे विहिमीकारक कहते हैं, जैसे- – NaCl, CaCl2 इत्यादि ।

बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न :

प्रश्न 1.
राउल्ट के नियम से धनात्मक तथा ऋणात्मक विचलन दर्शाने वाले विलयनों के उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
धनात्मक विचलन- एथेनॉल तथा ऐसीटोन से बना विलयन ऋणात्मक विचलन- नाइट्रिक अम्ल तथा जल से बना विलयन

प्रश्न 2.
‘परासरण’ और ‘परासरणी दाब’ पदों को परिभाषित कीजिए । अन्य अणुसंख्य गुणधर्मों की तुलना में परासरण दाब के उपयोग का विलयनों में विलेय पदार्थों के मोलर द्रव्यमान ज्ञात करने के लिए क्या लाभ होता है ?
उत्तर:
परासरण – प्रकृति तथा घर पर कई सामान्य घटनाएँ होती हैं जैसे वातावरण में जल की कमी से लचीली हुई गाजर को जल में रखने पर ताजा होना, मटर के सूखे दानों को जल में रखने पर उनकी फूलना, मुरझाए हुए फूलों को ताजे जल में रखने पर पुनः ताजा होना, कच्चे आम के टुकड़ों को नमक के जलीय विलयन में रखने पर उनका सिकुड़ना तथा लाल रुधिर कणिकाओं को लवण जल में रखने पर सिकुड़ना इत्यादि। ये सभी परासरण के उदाहरण हैं तथा इनमें सभी पदार्थ झिल्लियों युक्त हैं जिसे अर्धपारगम्य झिल्ली कहते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन

प्रश्न 3.
NaCl (मोलर द्रव्यमान = 58.5 g mol-1) की कितनी मात्रा 65 g जल में घोली जाए जिससे हिमांक में 7.5°C की गिरावट आ जाए ? जल के लिए हिमांक अवनमन स्थिरांक Kf, 1.86 K Kg mol-1 है। यह मानकर चलिए कि NaCl के लिए वाट हॉफ गुणक 1.87 है।
उत्तर:
हिमांक अवनमन
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 8

प्रश्न 4.
निम्नलिखित का कथन लिखिए-
(i) विलयनों के सन्दर्भ में सामान्य रूप में राउल्ट का नियम ।
(ii) मिश्रण में एक गैस के आंशिक दाब के सम्बन्ध में हेनरी का नियम ।
उत्तर:

  • वाष्पशील द्रवों के विलयन में किसी अवयव का आंशिक दाब, विलयन में उसके मोल अंश के समानुपाती होता है।
  • किसी विलयन में गैस का मोल अंश उस विलयन के ऊपर उपस्थित गैस के आंशिक दाब के समानुपाती होता है, अर्थात् किसी गैस का वाष्प अवस्था में आंशिक दाब (P) उस विलयन में गैस के मोल अंश (x) के समानुपाती होता है।

प्रश्न 5.
जल के 35.0 mL में जीन के एक खण्ड की 8.95 mg मात्रा घुलाकर विलयन बनाया गया, जिसका 25°C पर परासरण दाब 0.335.torr. है । यह मानते हुए कि जीन खण्ड विद्युत अपघट्य है, इसका आणव (मोलर) द्रव्यमान ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
परासरण दाब
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 9

अतः जीन खण्ड का मोलर द्रव्यमान = 14.218 kg.

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पदों को परिभाषित कीजिए-
(a) (i) मोल प्रभाज (Mole fraction)
(ii) आदर्श विलयन
(b) एक अज्ञात आण्विक पदार्थ की 15.0 g मात्रा को जल 450g में घुलाया जाता है। प्राप्त विलयन – 0.34°C पर हिमीभूत होता है । पदार्थ का मोलर द्रव्यमान क्या है ? ( जल के लिए Kf = 1.86 K Kg mol-1)
अथवा
(a) निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए-

  • एक द्रव में किसी गैस के घुलने के सम्बन्ध में हेनरी का नियम ।
  • एक विलायक के लिए क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक ।

(b) जल के 500 g में कुछ ग्लिसरॉल को घुलाकर ग्लिसरॉल (C3H8O3) का एक विलयन बनाया जाता है। इस विलयन का क्वथनांक 100.42°C है। इस विलयन को बनाने में ग्लिसरॉल की कितनी मात्रा घुलाई गई थी ? (जल के लिए Kb = 0.512K Kg mol-1)
उत्तर:
(a) (i) मोलरता – एक लीटर विलयन में घुले हुए विलेय के मोलों की संख्या को विलयन की मोलरता (M) कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 18
यदि w ग्राम विलेय, V मिली विलयन में घुला हो तो
मोलरता (M) = \(\frac{\mathrm{W} \times 1000}{\mathrm{M} . \mathrm{W} \cdot \times \mathrm{V}}\)
M.W. = विलेय का अणुभार
उदाहरण- NaOH के 0.25 molL-1(0.25 M) विलयन का अर्थ है कि 0.25 मोल NaOH एक लीटर विलयन में घुला हुआ है।

(ii) आदर्श विलयन :
वह विलयन जो ताप तथा सान्द्रता के सभी मानों पर राउल्ट के नियम का पालन करता है, उसे आदर्श विलयन कहते हैं। एक पूर्ण रूप से आदर्श विलयन होना बहुत मुश्किल है लेकिन कुछ विलयन व्यवहार में लगभग आदर्श होते हैं। आदर्श विलयन के लिए आवश्यक शर्तें-
(i) विलयन बनने पर एन्थैल्पी परिवर्तन शून्य होता है अर्थात् इसके अवयवों को मिश्रित करने पर ऊष्मा का उत्सर्जन या अवशोषण नहीं होता, अर्थात् △Hमिश्रण = 0।

(ii) आयतन में परिवर्तन शून्य होता है अर्थात् विलयन का आयतन दोनों अवयवों के आयतन के योग के बराबर होता है, अर्थात् △Vमिश्रण = 0।

(iii) राउल्ट के नियम के अनुसार,
\(\mathrm{P}_{\text {कुल }}=\mathrm{p}_{\mathrm{o}} \mathrm{A}+\mathrm{p}_{\mathrm{B}}\)
\(\mathrm{p}_{\text {कुल }}=\mathrm{p}_{\mathrm{A}} \mathrm{X}_{\mathrm{A}}+\stackrel{\circ}{\mathrm{p}} \mathrm{B}_{\mathrm{B}} \mathrm{X}_{\mathrm{B}}\)

माना मिश्रण दो अवयव (द्रव) A तथा B से बना है जिनमें अन्तराआण्विक आकर्षण A-A तथा B-B प्रकार के हैं लेकिन द्विअंगी विलयन (मिश्रण) में A-A तथा B-B आकर्षण के साथ-साथ A-B प्रकार का आकर्षण भी होगा जो कि A-A तथा B-B के बीच अंतराआण्विक आकर्षण बल के ही समान होगा।

इसलिए △H=0 तथा △V=0, इसी कारण यह आदर्श विलयन बनाता है। अत: A-B आकर्षण = A-A आकर्षण तथा B-B आकर्षण।
आदर्श विलयनों के उदाहरण-
(i) n-हेक्सेन + n-हेप्टेन (n-C6H14 + n-C7H16)
(ii) बेन्जीन + टॉलूईन (C6H6 + C6H5 – CH3)
(iii) ब्रोमोएथेन + क्लोरोएथेन (C2H5Br + C2H5Cl)
(iv) कार्बन टेट्राक्लोरइड + सिलिकन टेट्रक्लोरइड (CCl4 + SiCl4)
(v) मेथिल ऐल्कोहॉल + एथिल एल्कोहॉल (CH3OH + C2H5OH)
(vi) क्लोरोबेन्जीन + ब्रोमोबेन्जीन (C6H5Cl + C6H5Br)

(b) हिमांक अवनमन
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 14
अतः पदार्थ का मोलर द्रव्यमान = 182.3
अथवा
(a)

  • गैसों की द्रवों में विलेयता: भिन्न-भिन्न गैसों की जल या अन्य विलायकों में विलेयता भिन्न-भिन्न होती है। कुछ गैसें जल में अधिक्त मात्रा में घुल जाती हैं जब्वक्रि ऑक्सीजन जल में बहुत कम मात्रा में घुलती है तथा इसी घुली हुई ऑक्सीजन के कारण जलीय जीवन जीवित रहता है। गैसों की द्रव में विलेयता को अवशोषण गुणांक द्वारा समझा सकते हैं। निश्चित ताप तथा वायुमण्डलीय दाब पर किसी विलायक के निश्चित आयतन में घुली हुई गैस के मानक ताप व दाब (NTP) पर आयतन को उस गैस का अवशोषण गुणांक (Absorption Coefficient) कहते हैं।
  • किसी विलायक का क्वथनांक उन्नयन स्थिरांक उस विलायक के क्वथनांक में वह वृद्धि है जो उसके 1 Kg में एक मोल अवाष्पशील विलेय मिलाने पर होती है।

(b) क्वथनांक उन्नयन
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 10
अतः ग्लिसरॉल की मात्रा = 37.7 ग्राम।

प्रश्न 7.
प्रतिलोम परासरण किसे कहते हैं? इसका एक उपयोग दीजिए।
उत्तर:
प्रतिलोम परासरण – विलयन पर परासरण दाब से अधिक बाहरी दाब लगाने पर शुद्ध विलायक, अर्धपारगम्य झिल्ली द्वारा विलयन से बाहर निकलता है अर्थात् परासरण की दिशा बदल जाती है, इसे प्रतिलोम परासरण कहते हैं। प्रतिलोम परासरण का उपयोग समुद्री जल के विलवणीकरण (Desalination) में किया जाता है।

प्रश्न 8.
यदि 10% (w/w) जलीय H2SO4 का घनत्व 1.84 ग्राम सेमी 3 है तो H2SO4 विलयन की मोललता की गणना कीजिए | (H2SO4 का मोलर द्रव्यमान = 98 ग्राम मोल-1 )
उत्तर:
मोललता
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 11

प्रश्न 9.
निम्नलिखित विलयनों को वान्ट हॉफ गुणक के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
0.1 M CaCl2, 0.1M KCl, 0.1 M Al2 (SO4)3, 0.1 M C12H22O11.
उत्तर:
उपर्युक्त विलयनों के वान्ट हॉफ गुणक का बढ़ता क्रम निम्नलिखित है-
C12H22O11 < KCl < CaCl2 < Al2(SO4)3

प्रश्न 10.
5g NaOH को 500 ml जल में घोला गया। विलयन की मोलरता ज्ञात कीजिए ।
उत्तर:
NaOH के मोल = 5g/40g mol-1 = 0.125 mol
विलयन का लीटर में आयतन = \(\frac{500 \mathrm{ml}}{1000 \mathrm{ml} \mathrm{L}^{-1}}\)
मोलरता = विलेय के मोल / विलयन का लीटर में आयतन
= \(\frac{0.125 \times 1000 \mathrm{ml} \mathrm{L}^{-1}}{500 \mathrm{ml}}\)
= o.25 M

प्रश्न 11.
एक प्रोटीन के 0.2 L जलीय विलयन में 1.26 g प्रोटीन है। 300 K पर इस विलयन का परासरण दाब 2.57 × 10-3 bar पाया गया। प्रोटीन के मोलर द्रव्यमान का परिकलन कीजिए। (R = 0.083 L bar mol-1 K-1)
उत्तर:
मोलर द्रव्यमान (M2) = \(\frac{W_2 \mathrm{RT}}{\Pi \mathrm{V}}\)

W2 = 1.26 g, R = 0.083 L bar mol-1 K-1
T = 300K, Π = 2.57 × 10-3 bar, V = 0.2 L
M2 = \(\frac{1.26 \mathrm{~g} \times 0.083 \mathrm{LbarK}^{-1} \mathrm{~mol}^{-1} \times 300 \mathrm{~K}}{2.57 \times 10^{-3} \mathrm{bar} \times 0.2 \mathrm{~L}}\)
M2 = 61038 g mol-1
अतः प्रोटीन का मोलर द्रव्यमान = 61038 g mol-1

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 विलयन

प्रश्न 12.
(i) स्थिर क्वाथी मिश्रण को परिभाषित कीजिए ।
(ii) वाष्पशील घटकयुक्त विलयन के लिए राउल्ट के नियम की व्याख्या कीजिए तथा किस प्रकार राउल्ट का नियम, हेनरी के नियम की एक विशेष स्थिति है ?
उत्तर:

  • दो या अधिक घटकों का वह मिश्रण जिसका संघटन द्रव तथा वाष्प अवस्था में होता है तथा जिसका क्वथनांक निश्चित होता है, उसे स्थिर क्वाथी मिश्रण कहते हैं।
  • 2.4.1. द्रव-द्रव विलयना का वाष्प दाब – एक बंद पात्र में दो वाष्पशील द्रवों का विलयन लेते हैं तो इन द्रवों का वाष्पीकरण होगा तथा कुछ समय के बाद वाष्य अवस्था तथा द्रव अवस्था के मध्य साम्य स्थापित हो जाता है।
  • माना दोनों द्रवों के आंशिक वाष्प दाब क्रमशः p1 p2 हैं तथा कुल दाब pकुल है, तो राउल्ट के नियम के अनुसार, वाष्पशील द्रवों के विलयन में किसी अवयव (द्रव) का आंशिक दाब, विलयन में उसके मोल अंश के समानुपाती होता है।
    अतः प्रथम द्रव के लिए-
    p1 ∝ x1
    या \(\mathrm{p}_1=\mathrm{p}_1^0 \mathrm{x}_1\)
    यहाँ \(\mathrm{p}_1^0\) = शुद्ध अवस्था में प्रथम घटक का समान ताप पर वाष्प दाब है। इसी प्रकार द्वितीय द्रव के लिए-
    \(\mathrm{p}_2=\mathrm{p}_2^0 \mathrm{x}_2\)
    यहाँ \(\mathrm{p}_2^0\) द्वितीय शुद्ध द्रव का वाष्प दाब है।डाल्टन के आंशिक दाब के नियम के अनुसार, पात्र में विलयन का कुल दाब \(\mathrm{p}_{\text {कुल }}\), विलयन के सभी अवयवों के आंशिक दाब के योग के बराबर होता है। अतः
    \(\mathrm{p}_{\text {कुल }}\) = p1 + p2
    p1 व p2 का मान रखने पर,
    HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 15
    इस समीकरण से निम्नलिखित निष्कर्ष प्राप्त होते हैं-
    (1) किसी विलयन के कुल वाष्प दाब को उसके किसी अवयव के मोल-अंश से संबंधित कर सकते हैं।
    HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 16
    (2) किसी विलयन का कुल वाष्प दाब द्वितीय अवयव के मोल-अंश के साथ रेखीय रूप से बदलता है।
    (3) शुद्ध अवयवों के वाष्प दाब पर निर्भर रहते हुए विलयन का कुल वाष्प दाब प्रथम अवयव के मोल-अंश के बढ़ने से कम या अधिक होता है।किसी विलयन के लिए p1 या p2 का x1 तथा x2 के मध्य आलेखित करने पर सीधी रेखा प्राप्त होती है। जब x1 व x2 का मान 1 होता है तो ये रेखाएँ (I व II) क्रमशः बिंदु \(\mathrm{p}_1^0\) व \(\mathrm{p}_2^0\) से होकर गुज़रती हैं। इसी प्रकार pकुल का x2 के साथ आलेख (लाइन III) भी रेखीय होता है। pकुल का न्यूनतम मान \(\mathrm{p}_1^0\) तथा इसका अधिकतम मान \(\mathrm{p}_2^0\) होगा। यहाँ प्रथम घटक द्वितीय घटक की तुलना में कम वाष्पशील है अर्थात् \(\mathrm{p}_1^0<\mathrm{p}_2^0\) |वाष्प अवस्था में संघटन – विलयन के साथ साम्य अवस्था में स्थित वाष्प प्रावस्था के संघटन का निर्धारण अवयवों के आंशिक दाब से किया जा सकता है। यदि y1 एवं y2 क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय अवयव के वाष्पीय अवस्था में मोल-अंश हैं तो डाल्टन के आंशिक दाब के नियम के अनुसार
    HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 17
    राउल्ट का नियम : हेनरी के नियम की एक विशेष स्थिति राउल्ट के नियम से
    \(\mathrm{p}_{\mathrm{i}}=\mathrm{x}_{\mathrm{i}} \mathrm{p}_{\mathrm{i}}^0\)
    अर्थात् किसी विलयन में उसके वाष्पशील अवयव का वाष्पदाब उसके मोल अंश के समानुपाती होता है। किसी द्रव में गैस के विलयन में गैसीय अवयव गैस के रूप में-ही रहता है जिसकी विलेयता हेनरी के नियम के अनुसार होती है।अतः p = KH.xअतः राउल्ट के नियम तथा हेनरी के नियम की तुलना करने पर यह निष्कर्ष निकलता है कि वाष्पशील घटक (गैस) का आंशिक दाब विलयन में उसके मोल-अंश के समानुपाती होता है, केवल समानुपातिक स्थिरांक KH एवं \(\mathrm{p}_{\mathrm{i}}^0\) में भिन्नता है। अतः राउल्ट का नियम, हेनरी के नियम की एक विशेष स्थिति है जिसमें KH तथा \(\mathrm{p}_{\mathrm{i}}^0\) के मान के बराबर हो जाते हैं।

प्रश्न 13.
(i) समपरासरी विलयन किसे कहते हैं?
(ii) आदर्श विलयन को परिभाषित कीजिए तथा इसका एक लक्षण बताइए।
(iii) मोलल उन्नयन स्थिरांक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:

  • दिए गए ताप पर दो विलयन, जिनका परासरण दाब समान होता है, उन्हें ‘समपरासरी’ विलयन कहते हैं। इन विलयनों की मोलर सान्द्रता समान होती है।
  • वह विलयन जो ताप तथा सान्द्रता के सभी मानों पर राउल्ट के नियम का पालन करता है, उसे आदर्श विलयन कहते हैं। आदर्श विलयन बनने पर एन्थैल्पी परिवर्तन शून्य होता है।
  • 1000 g विलायक में एक मोल अवाष्पशील विलेय घुला होने पर क्वथनांक में जितनी वृद्धि होती है, उसे मोलल उन्नयन स्थिरांक कहते हैं।

प्रश्न 14.
(अ) (i) जल वाष्प दाब का क्या होगा यदि एक चम्मच चीनी उसमें डाल दी जाए?
(ii) वृहदअणुओं के मोलर द्रव्यमान ज्ञात करने के लिए कौन-सा अणुसंख्य गुणधर्म उपयुक्त है ?
(ब) क्या क्वथनांक का उन्नयन समान होगा यदि 0.1 मोल सोडियम क्लोराइड या 0.1 मोल चीनी को 1 लीटर जल में विलेय किया जाए? समझाइए ।
(स) क्या हम स्थिर क्वाथी मिश्रण के यौगिकों को प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् कर सकते हैं? समझाइए ।
उत्तर:
(अ)

  • जल में एक चम्मच चीनी डालने पर उसका वाष्प दाब कम हो जाता है क्योंकि वाष्प दाब अवनमन कणों की संख्या पर निर्भर करता है तथा जल में चीनी डालने पर कणों की संख्या बढ़ जाती है।
  • बृहदअणुओं के मोलर द्रव्यमान ज्ञात करने के लिए परासरण दाव विधि अधिक उपयुक्त है क्योंकि ये उच्च ताप पर स्थायी नहीं होते हैं तथा परासरण दाब कमरे के ताप पर ही ज्ञात किया जाता है एवं परासरण दाब का परिमाण भी अधिक होता है।

(च) 0.1 मील सोडियम क्लोराइड या 0.1 मोल चीनी को 1 लीटर जल में विलेय करने पर क्वथनांक का उन्नयन समान नहीं होगा क्योंकि चीनी का आयनन नहीं होता जबकि सोडियम क्लोराइड (NaCl) का आयनन होकर दुगुनी संख्या में आयन प्राप्त होंगे।

(स) स्थिर क्वाथी मिश्रण के यौगिकों को प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक् नहीं किया जा सकता क्योंकि इस मिश्रण का व्वथनांक निश्चित होता है जिस पर मिश्रण में उपस्थित सभी यौगिक निश्चित अनुपात में एक साथ आसवित होते हैं। अतः इस मिश्रण के यौगिकों को स्थिर क्वाथी आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जाता है।

प्रश्न 15.
विलयन की मोललता ज्ञात करने का सूत्र लिखिये ।
उत्तर:
विलयन की मोललता को निम्नलिखित सूत्र से ज्ञात किया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 12

प्रश्न 16.
400 K तापक्रम पर किसी विलयन का परासरण दाब 0.0821 वायुमण्डल है तो विलयन की सान्द्रता मोल / लीटर में ज्ञात कीजिए। [R 0.0821 L atm K-1 mol-1]
उत्तर:
परासरण दाब Π = CRT
Π = 0.0821 वायुमण्डल,
R = 0.0821 L atm K-1 mol-1
T = 400K
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 2 Img 13
C = 0.0025 mol L-1

प्रश्न 17.
(i) क्या कारण है कि जलीय जीव ठण्डे जल में अधिक अच्छा महसूस करते हैं अपेक्षाकृत गर्म जल में?
(ii) क्या होता है जब हम रक्त सेल को नमकीन जल के विलयन (अतिपरासरणदाबी विलयन) में रखते हैं? कारण बताइए।
उत्तर:

  • जलीय जीव गर्म जल की अपेक्ष ठण्डे जल में अधिक अच्छा महसूस करते हैं क्योंकि ताप बढ़ने पर गैसों की जल में विलेयता कम होती है जिसके कारण जल में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है।
  • जब रक्त सेल को नमकीन जल के विलयन (अतिपरासरण- दात्री विलयन) में रखा जाता है तो परासरण के कारण रक्त सेल संकुचित हो जाती हैं अर्थात् जल रक्त सेल से बाहर आ जाता है।

प्रश्न 18.
20°C पर जल का वाष्प दाब 17.5 mm Hg है। ग्लूकोस (मोलर द्रव्यमान = 180 gmol-1) का 15 g जल के घुला हो, तो 20°C पर जल का वाष्प दाब परिकलित कीजिए ।
उत्तर:
\(\frac{\mathrm{P}_1^0-\mathrm{P}_1}{\mathrm{P}_1^0}\) = \(\frac{\mathbf{W}_2 \times \mathbf{M}_1}{\mathbf{M}_2 \times \mathbf{W}_1}\)
\(\mathrm{P}_1^0\) = शुद्ध जल का वाष्प दाब = 17.5 mm Hg
P1 = विलयन का वाष्प दाब = ?
W1 = 150 g, W2 = 15 g, M1 = 18 g mol-1
M2 = 180g mol-1
अतः = \(\frac{17.5 \mathrm{~mm} \mathrm{Hg}-\mathrm{P}_1}{17.5 \mathrm{~mm} \mathrm{Hg}}\) = \(\frac{15 \mathrm{~g} \times 18 \mathrm{~g} \mathrm{~mol}^{-1}}{180 \mathrm{~g} \mathrm{~mol}^{-1} \times 150 \mathrm{~g}}\)
\(\frac{17.5-\mathrm{P}_1}{17.5}\) = \(\frac { 270 }{ 27000 }\)
\(\frac{17.5-P_1}{17.5}\) = 0.01
17.5 – P1 = 17.5 × 0.01
17.5 – P1 = 0.175
P1 = 17.5 – 0.175
P1 = 17.325mm Hg
अतः 20°C पर ग्लूकोसयुक्त जल का वाष्प दाब (P1) = 17.325 mm Hg.

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

बहुविकल्पीय प्रश्न 

1. पी.वी.सी. (पॉलि वाइनिल क्लोराइड) है एक-
(अ) योगात्मक बहुलक
(ब) संघनन बहुलक
(स) सहबहुलक
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) योगात्मक बहुलक

2. निम्नलिखित में से कौनसा जैव बहुलक है?
(अ) पॉलिथीन
(ब) नाइलॉन-66
(स) प्रोटीन
(द) टेफ्लॉन
उत्तर:
(स) प्रोटीन

3. PHBV है एक-
(अ) प्राकृतिक बहुलक
(ब) जैव बहुलक
(स) जैवनिम्ननीय बहुलक
(द) संश्लेषित बहुलक
उत्तर:
(स) जैवनिम्ननीय बहुलक

4. योगात्मक बहुलकीकरण है-
(अ) पद वृद्धि अभिक्रिया
(ब) शृंखला वृद्धि अभिक्रिया
(स) विलोपन अभिक्रिया
(द) संघनन अभिक्रिया
उत्तर:
(ब) शृंखला वृद्धि अभिक्रिया

5. निम्नलिखित में से कौनसा प्राकृतिक बहुलक नहीं है?
(अ) स्टार्च
(ब) ऊन
(स) रेशम
(द) नाइलॉन
उत्तर:
(द) नाइलॉन

6. एथिलीन ग्लाइकॉल तथा टेरेफ्थैलिक अम्ल के सहबहुलकीकरण से बना बहुलक है-
(अ) नाइलॉन
(ब) टेरीलीन या डेक्रॉन
(स) पॉलिस्टाइरीन
(द) बैकेलाइट
उत्तर:
(ब) टेरीलीन या डेक्रॉन

7. टैफ्लॉन के विशेष गुण निम्नलिखित में से किस तत्व के कारण होते हैं ?
(अ) क्लोरीन
(ब) नाइट्रोजन
(स) फ्लुओरीन
(द) फॉस्फोरस
उत्तर:
(स) फ्लुओरीन

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

8. जब रबर को सल्फर के साथ गर्म किया जाता है तो इस प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
(अ) गैल्वेनीकरण
(ब) सल्फोनीकरण
(स) बेसेमरीकरण
(द) वल्कनीकरण
उत्तर:
(द) वल्कनीकरण

9. निम्नलिखित में से किस बहुलक में हैलोजन नहीं होता है?
(अ) टेफ्लॉन
(ब) निओप्रीन
(स) नाइलॉन-6
(द) पी.वी.सी.
उत्तर:
(स) नाइलॉन-6

10. निम्नलिखित में से कौनसा तापदृढ़ बहुलक का उदाहरण है?
(अ) पॉलिस्टाइरीन
(ब) पॉलिथीन
(स) बैकेलाइट
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) बैकेलाइट

11. निम्नलिखित में से कौनसा रेखीय बहुलक नहीं है?
(अ) पॉलीएस्टर
(ब) पॉलीप्रोपिलीन
(स) बैकेलाइट
(द) पॉलिथीन
उत्तर:
(स) बैकेलाइट

12. निम्नलिखित में से कौनसा तापसुघट्य बहुलक नहीं है?
(अ) पॉलिथीन
(ब) पॉलिस्टाइरीन
(स) फ़ीनॉल-फार्मेल्डिहाइड रेजिन
(द) पॉलिवाइनिलक्लोरइड
उत्तर:
(स) फ़ीनॉल-फार्मेल्डिहाइड रेजिन

13. निम्नलिखित में से कौनसा बहुलक ऐरोमैटिक है?
(अ) नाइलॉन-66
(ब) टेफ्लॉन
(स) निओप्रीन
(द) पॉलिस्टाइरीन
उत्तर:
(द) पॉलिस्टाइरीन

14. निम्नलिखित में से किस प्रकार के बहुलक में सबसे प्रबल अन्तराणुक बल पाए जाते हैं?
(अ) रेशेदार बहुलक
(ब) प्रत्यास्थ बहुलक
(स) तापदृढ़ बहुलक
(द) तापसुघट्य बहुलक
उत्तर:
(स) तापदृढ़ बहुलक

15. वैद्युत स्विच बनाने में प्रयुक्त बहुलक होता है-
(अ) पॉलिप्रोपीन
(ब) ग्लिप्टल
(स) बैकेलाइट
(द) पॉलिस्टाइरीन
उत्तर:
(स) बैकेलाइट

16. बहुलक, ब्यूना-S में S किससे सम्बन्धित है?
(अ) सल्फर
(ब) सोडियम
(स) स्टाइरीन
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) स्टाइरीन

17. CF2 = CF2 निम्नलिखित में से किस बहुलक का एकलक है?
(अ) ग्लिप्टल
(ब) ब्यूना- N
(स) टैफ्लॉन
(द) नाइलॉन-6
उत्तर:
(स) टैफ्लॉन

18. बहुलक ऑरलॉन का एकलक है-
(अ) ग्लाइकॉल
(ब) क्लोरोप्रीन
(स) एक्रिलो नाइट्राइल
(द) वाइनिल क्लोराइड
उत्तर:
(स) एक्रिलो नाइट्राइल

19. निम्नलिखित में से कौनसा बहुलक पूर्णतः फ्लुओरीनीकृत है?
(अ) PAN
(ब) PTFE
(स) PVC
(द) PMMA
उत्तर:
(ब) PTFE

20. निम्नलिखित में से कौनसा सहबहुलक है?
(अ) PVC
(ब) प्राकृतिक बहुलक
(स) पॉलीप्रोपीन
(द) नाइलॉन-66
उत्तर:
(द) नाइलॉन-66

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्रियात्मक समूह के आधार पर टैरीलीन किस प्रकार का बहुलक है?
उत्तर:
टैरीलीन, पॉलिएस्टर वर्ग का बहुलक है।

प्रश्न 2.
त्सीग्लर – नट्टा उत्प्रेरक क्या है? इसका उपयोग भी बताइए।
उत्तर:
ट्राइएथिल ऐलुमिनियम तथा टाइटेनियम टेट्राक्लोराइड का मिश्रण [(C2H5)3)Al+TiC4] त्सीग्लर नट्टा उत्प्रेरक होता है। यह एथीन तथा अन्य ऐल्कीनों के बहुलकीकरण में प्रयुक्त होता है।

प्रश्न 3.
ऐकिलन बहुलक बनाने में प्रयुक्त एकलक का सामान्य तथा IUPAC नाम बताइए।
उत्तर:
ऐक्रिलन (पॉलिएक्रिलोनाइट्राइल) बहुलक, ऐक्रिलोनाइट्राइल CH2 = CHCN) से बनता है। इसका IUPAC नाम प्रोपीननाइट्राइल है।

प्रश्न 4.
नॉनस्टिक (न चिपकने वाली) सतह से लेपित बर्तन बनाने में कौनसा बहुलक प्रयुक्त होता है?
उत्तर:
नॉनस्टिक सतह से लेपित बर्तन बनाने में प्रयुक्त बहुलक टेफ्लॉन होता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

प्रश्न 5.
अभंजनीय बर्तन बनाने में प्रयुक्त बहुलक किनसे बनता है?
उत्तर:
अभंजनीय बर्तन बनाने में मेलैमीन बहुलक काम में आता है। जो कि मेलैमीन तथा फॉर्मेल्डिहाइड से बनता है।

प्रश्न 6.
प्राकृतिक रबर में कौनसा यौगिक पाया जाता है? इसका सूत्र तथा नाम बताइए।
उत्तर:
प्राकृतिक रबर में आइसोप्रीन पाया जाता है। इसका सूत्र HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 1है तथा इसका IUPAC नाम 2-मेथिल-1,3-ब्यूटाडाईन है।

प्रश्न 7.
ताप सुघट्य बहुलकों के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
पॉलिप्रोपीन तथा पॉलिवाइनिल क्लोराइड ताप सुघट्य बहुलक हैं।

प्रश्न 8.
रेशेदार बहुलकों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
नाइलॉन-6,6 तथा टैरीलीन रेशेदार बहुलक हैं।

प्रश्न 9.
ऐसे दो बहुलक बताइए जो संघनन बहुलकीकरण से बनते हैं तथा जिनमें तिर्यक बन्धन होता है।
उत्तर:
बैकेलाइट तथा मैलेमीन।

प्रश्न 10.
ताप दृढ़ बहुलकों के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
बैकेलाइट तथा यूरिया फार्मेल्डिहाइड रेजिन।

प्रश्न 11.
बहुलकों के अणुभार ज्ञात करने के प्रकार बताइए तथा उनके सूत्र भी दीजिए।
उत्तर:
बहुलकों के अणुभार दो प्रकार से ज्ञात किए जाते हैं।

  • संख्या औसत अणुभार (\(\overline{M}\)n) = \(\frac{\sum \mathbf{n}_i \mathbf{M}_i}{\sum \mathbf{n}_i}\)
  • भार औसत अणुभार (\(\overline{M}\)w) = \(\frac{\sum \mathrm{n}_i \mathbf{M}_i^2}{\sum \mathrm{n}_i \mathbf{M}_i}\)

प्रश्न 12.
वल्कनीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
अपरिष्कृत रबर को 373K से 415K ताप पर सल्फर के साथ गरम करने पर इसकी प्रत्यास्थता तथा कठोरता में वृद्धि हो जाती है। इसे रबर का वल्कनीकरण कहते हैं।

प्रश्न 13.
रबर के वल्कनीकरण में सल्फर का क्या कार्य है?
उत्तर:
रबर के वल्कनीकरण में सल्फर, बहुलक श्रृंखलाओं के मध्य तिर्यक बन्ध बनाता है जिसके कारण ही इसकी प्रत्यास्थता बढ़ती है।

प्रश्न 14.
बबलगम का मुख्य अवयव कौनसा बहुलक होता है?
उत्तर:
SBR (स्टाइरीन ब्यूटाडाईन रबर)।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
(a) जैव बहुलक क्या होते हैं? इनके दो उदाहरण दीजिए।
(b) बहुलकीकरण की मात्रा क्या होती है ?
उत्तर:
(a) वे बहुलक जो जीवों (पौधे तथा जन्तुओं) में पाए जाते हैं उन्हें जैव बहुलक कहते हैं। प्रोटीन तथा पॉलिसैकैराइड (कार्बोहाइड्रेट) इनके उदाहरण हैं।

(b) बहुलकीकरण की प्रक्रिया में प्राप्त उत्पाद की मात्रा को बहुलकीकरण की मात्रा कहते हैं। इससे किसी बहुलक में उपस्थित एकलक इकाइयों की संख्या ज्ञात होती है।

प्रश्न 2.
रैखिक तथा शाखित श्रृंखला बहुलकों की सचित्र व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
संरचना के आधार पर बहुलक तीन प्रकार के होते हैं-
(a) रैखिक बहुलक रैखिक बहुलकों में एकलक इकाइयाँ आपस में जुड़कर सीधी शृंखला बनाती हैं जो कि पास-पास व्यवस्थित होती हैं। अतः इनके घनत्व तथा गलनांक अधिक होते हैं तथा इनमें प्रबल अन्तराअणुक आकर्षण बल होता है। उदाहरण-उच्च घनत्व पॉलिथीन (HDP), पॉलीवाइनिल क्लोराइड (PVC) नाइलॉन तथा पॉलिएस्टर इत्यादि।

(b) शाखित शृंखला बहुलक-इन बहुलकों में रेखीय शृंखलाओं में कुछ शाखाएं जुड़ी होती हैं। इनके घनत्व व गलनांक कम होते हैं तथा इनमें आकर्षण बल अपेक्षाकृत दुर्बल होते हैं। उदाहरण-निम्न घनत्व पॉलिथीन (LDP)।

(c) तिर्यकबंधित या जालक्रम या नेटवर्क बहुलक-तिर्यक बंधित बहुलक सामान्यतः द्विक्रियात्मक तथा त्रिक्रियात्मक समूह युक्त एकलकों से बनते हैं। इनमें रेखीय बहुलक शृंखलाएँ तिर्यक बंधों द्वारा जुड़ी होती हैं तथा इन रेखीय बहुलक शृंखलाओं के मध्य प्रबल सहसंयोजक बन्ध होता है। इस कारण ये बहुलक कठोर, दृढ़ तथा भंगुर होते हैं। उदाहरण-बैकेलाइट तथा मैलैमीन इत्यादि।

प्रश्न 3.
जालक्रम या नेटवर्क बहुलक क्या होते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
तिर्यकबंधित या जालक्रम या नेटवर्क बहुलक-तिर्यक बंधित बहुलक सामान्यतः द्विक्रियात्मक तथा त्रिक्रियात्मक समूह युक्त एकलकों से बनते हैं। इनमें रेखीय बहुलक श्रृंखलाएँ तिर्यक बंधों द्वारा जुड़ी होती हैं तथा इन रेखीय बहुलक शृंखलाओं के मध्य प्रबल सहसंयोजक बन्ध होता है। इस कारण ये बहुलक कठोर, दृढ़ तथा भंगुर होते हैं। उदाहरण-बैकेलाइट तथा मैलैमीन इत्यादि।

प्रश्न 4.
प्रत्यास्थ तथा रेशेदार बहुलकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(a) प्रत्यास्थ बहुलक (Elastomers)-प्रत्यास्थ बहुलकों में बहुलक शृंखलाएँ आपस में दुर्बल अंतराआण्विक बलों द्वारा जुड़ी होती हैं। ये दुर्बल बल बहुलक को तनित होने देते हैं। शृंखलाओं के बीच कुछ ‘तिर्यकबंध’ भी होते हैं अतः ये बहुलक खींचने पर लम्बे हो जाते हैं तथा छोड़ देने पर पुनः अपनी पूर्व अवस्था में आ जासे हैं अर्थात् इनमें प्रत्यास्थता का गुण पाया जाता है। ये रबर के समान ठोस होते हैं जैसे वल्कनीकृत रबर। ब्यूना- N, ब्यूना-S तथा निओप्रीन भी प्रत्यास्थ बहुलकों के उदाहरण हैं।

(b) रेशे या रेशेदार बहुलक (Fibres or Fibrous Polymers)-रेशेदार बहुलकों में तनन सामर्थ्य उच्च होता है क्योंकि इनमें बहुलक शृंखलाओं के मध्य असंख्य प्रबल अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाए जाते हैं। इसी कारण ये क्रिस्टलीय ठोस होते हैं तथा इनका गलनांक तीक्ष्ण होता है। ये बहुलक धागे बनाने में प्रयुक्त होते हैं। उदाहरण-पॉलिएस्टर (टैरीलीन) तथा पॉलिऐमाइड (नाइलॉन6,6) इत्यादि।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

प्रश्न 5.
धनायनिक तथा ऋणायनिक बहुलकीकरण को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
आयनिक क्रियाविधि-शृंखला वृद्धि बहुलकीकरण की क्रिया आयनिक क्रियाविधि द्वारा भी होती है। इसमें श्रंखला को प्रारम्भ करने के लिए सक्रिय आयन प्रयुक्त होते हैं। ये धनायन अथवा ऋणायन हो सकते हैं।
(i) धनायनिक बहुलकीकरण-धनायनिक बहुलकीकरण Al3 तथा BF3 इत्यादि (लुइस अम्ल) की उपस्थिति में या अम्लीय माध्यम (H2SO4) में होता है। इसमें सर्वप्रथम एकलक तथा अम्ल की क्रिया से धनायन बनता है जो कि बहुलकीकरण को आगे बढ़ाता है। उदाहरण-आइसोब्यूटिलीन से पॉलि आइसो ब्यूटिलीन का निर्माण।

(ii) ऋणायनिक बहुलकीकरण-ऋणायनिक बहुलकीकरण में ऋणावेशित आयन श्रृंखला वाहक का कार्य करते हैं जैसे \(\overline{N}\)H2 (NaNH2 से) उदाहरण-स्टाइरीन से पॉलिस्टाइरीन का निर्माण।

नोट-आयनिक क्रियाविधि का विस्तृत विवेचन आपके पाठ्यक्रम में नहीं है।

प्रश्न 6.
ऐल्कीन से बनने वाले बहुलकों के दो उदाहरण दीजिए तथा उनके बनाने का समीकरण भी लिखिए।
उत्तर:
पॉलिथीन तथा पॉलिप्रोपीन ऐल्कीनों से बनने वाले महत्त्वपूर्ण बहुलक हैं-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 2a

प्रश्न 7.
निम्नलिखित बहुलकों को बनाने का समीकरण, उनके गुण तथा उपयोग दीजिए।
(i) पॉलिस्टाइरीन
(ii) निओप्रीन।
उत्तर:
(i) (a) पॉलिस्टाइरीन (Polystyrene)-इसे स्टाइरीन को परॉक्साइड की उपस्थिति में गरम करके बनाया जाता है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 2
पॉलिस्टाइरीन एक रंगहीन, पारदर्शी तथा सुदृढ़ प्लास्टिक होता है। इसे विद्युतरोधी के रूप में, खिलौने, रेडियो, टेलीविजन के केबिनेट बनाने में तथा रेफ्रिजरेटरों व एयरकन्डीशनरों में प्रयुक्त किया जाता है। इसे साँचे में ढले सामान बनाने में भी प्रयुक्त किया जाता है।

(b) पॉलिडाइईन बहुलक-पॉलिडाइईन बहुलकों को 1,3 डाईईनों अथवा उनके व्युत्पन्नों के योगात्मक बहुलकीकरण से अथवा कुछ अन्य असंतृप्त यौगिकों के साथ योगात्मक बहुलकीकरण से बनाया जाता है।
1. पॉलिआइसोप्रीन-पॉलिआइसोप्रीन को आइसोप्रीन के बहुलकीकरण से बनाया जाता है। इसके गुण प्राकृतिक रबर के समान होते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 3
2. निओप्रीन अथवा पॉलिक्लोरोप्रीन-यह क्लोरोप्रीन के बहुलकीकरण से प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 4
निओप्रीन प्रत्यास्थ तथा अत्यन्त सुदृढ़ रबर होता है अतः यह जूतों के क्रेप सोल, गोताखोरों के सूट, पेन्ट, आसंजक इत्यादि के बनाने में उपयोगी होता है। यह वनस्पति तथा खनिज तेल के प्रति प्रतिरोधक होता है, अतः इसे गास्केट वाहक पट्टे तथा हौज बनाने में प्रयुक्त करते हैं।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित बहुलकों को किस प्रकार बनाया जाता है?
(i) टेफ्लॉन
(ii) पॉलिएक्रिलोनाइट्राइल
उत्तर:
टे फ्लॉन (पॉॅलिटे ट्राफ्लु ओरोएथीन) [Teflon (Polytetra-fluoroethenc)! (PTFE)-टेफ्लॉन, टेट्राफ्लुओरोएथीन को मुक्तमूलक अथवा परसल्फेट उत्प्रेरक के साथ उच्च दाब पर गर्म करके बनाया जाता है। यह रासायनिक रूप से अक्रिय तथा संक्षारक अभिकर्मकों के प्रति प्रतिरोधी होता है। अतः इसको तेल सीलों तथा गैस्केटों के निर्माण में एवं न चिपकने वाली (नॉन-स्टिक) सतह से लेपित बर्तन बनाने में उपयोग में लिया जाता है। टेफ्लॉन परत 573 K(300°C) से ऊपर ताप पर विघटित हो जाती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 5
पॉलिऐक्रिलेट बहुलक-पॉलिऐक्रिलेट बहुलकों को विभिन्न ऐक्रिलिक एकलकों के योगात्मक बहुलकीकरण द्वारा बनाया जाता है।

पॉलिऐक्रिलोनाइट्राइल (PAN) या ऑरलॉन (ORLON) या एक्रिलन-परॉक्साइड उत्प्रेरक की उपस्थिति में ऐक्रिलोनाइट्राइल (वाइनिल सायनाइड) के योगात्मक बहुलकीकरण से पॉलिऐक्रिलोनाइट्राइल प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 6
पॉलिऐक्रिलोनाइट्राल का उपयोग ऊन के प्रतिस्थापी के रूप में, औद्योगिक रेशे जैसे ऑरलॉन या ऐक्रिलन बनाने में होता है। ऐक्रिलन से बने रेशे, धब्बों, रसायनों, कीटों तथा कवक के प्रति प्रतिरोधी होते हैं।

प्रश्न 9.
यूरिया फार्मेल्डिहाइड रेजिन बनाने की विधि, गुण तथा उपयोग बताइए।
उत्तर:
यूरिया-फॉर्मैल्डिहाइड रेजिन-यूरिया तथा फॉर्मैल्डिहाइड को पिरिडीन या अमोनिया की अल्प मात्रा की उपस्थिति में गरम करने पर पहले मेथिलॉल यूरिया बनता है जिसके बहुलकीकरण से बैकेलाइट के समान तापदृढ़ बहुलक बनाता है जिसे यूरिया फॉर्मैल्डिहाइड रेजिन कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 7
यूरिया-फॉर्मैल्डिहाइड रेजिन का उपयोग साँचे में ढले उपकरण, सुरक्षा कवच, कागज, आसंजक, न टूटने वाले कप तथा पटलित चादरें (laminated sheets) आदि के निर्माण में किया जाता है।

प्रश्न 10.
(a) प्रत्यास्थ बहुलक का एक उदाहरण बताइए।
(b) बहुलकीकरण की क्रियाविधि के आधार पर योगात्मक तथा संघनन बहुलकों के नाम बताइए।
उत्तर:
(a) वल्कनीकृत रबर, प्रत्यास्थ बहुलक का उदाहरण है।

(b) बहुलकीकरण की क्रियाविधि के आधार पर योगात्मक बहुलकों को श्रृंखला वृद्धि बहुलक तथा संघनन बहुलकों को पदशःवृद्धि बहुलक कहते हैं।

प्रश्न 11.
(a) PHBV का सम्पूर्ण नाम बताइए।
(b) नाइलॉन-2-नाइलॉन-6 बहुलक किस प्रकार का होता है तथा इसे कैसे बनाया जाता है?
उत्तर:
(a) PHBV का सम्पूर्ण नाम पॉलि ß-हाइड्रॉक्सीब्यूटिरेट-को-ß-हाइड्रॉक्सी वैलेरेट है।

(b) नाइलॉन-2-नाइलॉन 6 जैवनिम्ननीय बहुलक है जो कि ग्लाइसीन (H2N-CH2-COOH) तथा ऐमीनोकैप्रोइक अम्ल (H2N-(CH2)5-COOH) का एकान्तर पॉलिऐमाइड बहुलक है।

प्रश्न 12.
ब्यूना – N बहुलक के बनाने की विधि तथा उपयोग बताइए।
उत्तर:
1,3-ब्यूटाडाईन तथा एक्रिलोनाइट्राइल के सोडियम की उपस्थिति में सहबहुलकीकरण से ब्यूना – N प्राप्त होता है। यह पेट्रोल, स्नेह तेल तथा कार्बनिक विलायकों के प्रति प्रतिरोधी होता है, अतः इसे तेल सील तथा टंकियों के अस्तर इत्यादि बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 13.
बहुलकों के आण्विक द्रव्यमान सदैव औसत के रूप में व्यक्त किए जाते हैं। क्यों?
उत्तर:
बहुलकों के गुण उनके आण्विक द्रव्यमान, आकार तथा संरचना पर निर्भर करते हैं। बहुलकों की श्रृंखला की लंबाई उनके निर्माण के दौरान अभिक्रिया मिश्रण में उपस्थित एकलकों की उपलब्धता पर निर्भर करती है। इस प्रकार, बहुलक के नमूने में विभिन्न लम्बाई की श्रृंखलाएं उपस्थित होती हैं, अतः बहुलक का आण्विक द्रव्यमान भी भिन्न-भिन्न होता है। इसलिए इनका आण्विक द्रव्यमान सदैव एक औसत के रूप में व्यक्त किया जाता है। बहुलकों के आण्विक द्रव्यमान को रासायनिक तथा भौतिक विधियों द्वारा ज्ञात किया जाता है।

बहुलनों के औसत अणुभार (आण्विक द्रव्यमान) दो प्रकार के होते हैं-

  • संख्या औसत अणुभार तथा
  • भार औसत अणुभार।

(a) संख्या औसत अणुभार (The Number Average Molecular Weight)-बहुलक में उपस्थित विभिन्न बहुलक अणुओं के अणुभारों के योग में कुल बहुलक अणुओं की संख्या का भाग देने पर प्राप्त अणुभार, संख्या औसत अणुभार कहलाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 8
माना कि बहुलक के नमूने में n1 संख्या M1 अणुभार वाले n2 संख्या M2 अणुभार वाले तथा n3 संख्या M3 अणुभार वाले बहुलक अणुओं की है तो बहुलक अणुओं का कुल भार W= n1M1 + n2M2 + n3M3
बहुलक अणुओं की कुल संख्या = n1 + n2 + n3
अतः \(\overline{M}\)n = \(\frac{\mathbf{n}_1 \mathbf{M}_1+\mathbf{n}_2 \mathbf{M}_2+\mathbf{n}_3 \mathbf{M}_3}{\mathbf{n}_1+\mathbf{n}_2+\mathbf{n}_3}\)
या \(\overline{M}\)n = \(\frac{\sum \mathrm{n}_i \mathbf{M}_i}{\sum \mathrm{n}_i}\)
यहाँ ni = i प्रकार के अणुओं की संख्या
तथा Mi = i प्रकार के अणुओं का अणुभार
उदाहरण (1) – एक बहुलक के तीन अणुओं के द्रव्यमान 1000, 5000 तथा 10,000 है तो इस बहुलक का संख्या औसत अणु भार ज्ञात कीजिए।
हल- \(\overline{M}\)n = \(\frac{(1000 \times 1)+(5000 \times 1)+(10,000 \times 1)}{1+1+1}\)
\(\overline{M}\)n = \(\frac{1000+5000+10,000}{3}\) = \(\frac { 16000 }{ 3 }\)
= 5333.3

(b) भार औसत अणुभार (Weight Average Molecular Weight) – बहुलक के नमूने में उपस्थित प्रत्येक बहुलक अणु के कुल भार को उसके अणुभार से गुणा करते हैं तथा प्राप्त सभी गुणकों को जोड़कर बहुलक नमूने में उपस्थित प्रत्येक प्रकार के बहुलक अणुओं के कुल भार से भाग देने पर प्राप्त अणुभार भार औसत अणुभार कहलाता है।
अतः भार औसत अणुभार (\(\overline{M}\)w) = \(\frac{W_1 M_1+W_2 M_2+W_3 M_3 \cdots}{W_1+W_2+W_3}\)
यहाँ W1, W2 तथा W3 विभिन्न प्रकार के बहुलक अणुओं के कुल भार हैं तथा M1, M2, तथा M3 क्रमशः उन बहुलक अणुओं के अणुभार हैं।
तो w1 = n1M1 , w2 = n2M2, w3 = n3M3
मान रखने पर
\(\overline{M}\)w = \(\frac{\mathrm{n}_1 \mathrm{M}_1^2+\mathrm{n}_2 \mathrm{M}_2^2+\mathrm{n}_3 \mathrm{M}_3^2}{\mathrm{n}_1 \mathrm{M}_1+\mathrm{n}_2 \mathrm{M}_2+\mathrm{n}_3 \mathrm{M}_3}\)
\(\overline{M}\)w = \(\frac{\sum \mathrm{n}_i \mathbf{M}_i^2}{\sum \mathrm{n}_i \mathbf{M}_i}\)
\(\overline{M}\)w का मान \(\overline{M}\)n से अधिक होता है।

उदाहरण (2) – बहुलक के एक नमूने में 25% अणुओं का अणुभार 30,000, 45% अणुओं का अणुभार 20,000 तथा शेष अणुओं का अणुभार 50,000 है तो इसके संख्या औसत अणुभार तथा भार औसत अणुभार ज्ञात कीजिए।

हन – (i) संख्या औसत अणुभार
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 9

बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
संघनन बहुलकीकरण और योगात्मक बहुलकीकरण में अंतर स्पष्ट कीजिए। प्राप्त होने वाले प्रत्येक प्रकार के बहुलक का एक-एक उदाहरण दीजिए ।
उत्तर:
संकलन या योगात्मक बहुलकन (बहुलकीकरण) में समान अथवा भिन्न अंसतृप्त एकलक अणु मिल कर बृहत् बहुलक अणु बनाते हैं जबकि संघनन बहुलकन में दो अथवा अधिक प्रकार के द्विक्रियात्मक एकलक अणु संघनन अभिक्रिया द्वारा बहुलक बनाते हैं, इस प्रक्रिया में छोटे अणु जैसे जल, ऐल्कोहॉल इत्यादि का विलोपन होता है। उदाहरण-प्रोपीन (CH3CH = CH2) से पॉलिप्रोपीन HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 10का बनना संकलन बहुलकन है जबकि हैक्सा मेथिलीन डाइऐमीन (NH2-(CH2)6NH2) तथा ऐडिपिक अम्ल (HOOC- (CH2)4COOH) के बहुलकन से नाइलॉन 6,6 का बनना संघनन बहुलकन है। इसमें H2O का विलोपन होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 11

प्रश्न 2.
नाइलॉन – 6,6 में ‘6,6’ क्या संकेत करता है?
उत्तर:
नाइलॉन 6,6 ऐडिपिक अम्ल HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 12तथा हेक्सामेथिलीन डाइऐमीन (H2N-(CH2)6-NH2) से बनता है। इन दोनों यौगिकों में 6 कार्बन परमाणु हैं अतः नाइलॉन – 6,6 में ‘6,6’ एकलक अणुओं में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या का संकेत करता है।

प्रश्न 3.
इनके एकलकों की आण्विक संरचनाएँ आरेखित कीजिए :
(i) PVC
(ii) टेफ्लॉन।
उत्तर:
(i) PVC का एकलक CH2 = CH-Cl ( वाइनिल क्लोराइड) होता है।
(ii) टेफ्लॉन का एकलक CF2 = CF2 टेट्राफ्लुओरो एथीन होता है।

प्रश्न 4.
पॉलिथीन के एकलक की संरचना बनाइए।
उत्तर:
पॉलिथीन की एकलक एथीन (CH2) = CH2) होती है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

प्रश्न 5.
थर्मोप्लास्टिक (तापसुघट्य) और थर्मोसेटिंग (तापदृढ़) बहुलकों के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए। प्रत्येक का एक- एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सभी प्रकार के अणुओं में अन्तराअणुक बल पाए जाते हैं लेकिन बहुलकों में ये बल आपस में मिलकर अधिक प्रभावी होते हैं जिससे इनमें विशिष्ट गुण उत्पन्न हो जाते हैं। जैसे-तनन सामर्थ्य, प्रत्यास्थता तथा चर्मलता। इन बलों द्वारा बहुलक शृंखलाएँ आपस में जुड़ी होती हैं। बहुलकों के यांत्रिक गुणों के आधार पर ही इन्हें दैनिक जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग में लिया जाता है।
बहुलकों को उनमें उपस्थित अंतराआण्विक बलों के परिमाण के आधार पर इन्हें निम्नलिखित चार उपसमूहों में वर्गीकृत किया गया है-

(a) प्रत्यास्थ बहुलक (Elastomers) -प्रत्यास्थ बहुलकों में बहुलक शृंखलाएँ आपस में दुर्बल अंतराआण्विक बलों द्वारा जुड़ी होती हैं। ये दुर्बल बल बहुलक को तनित होने देते हैं। श्रृंखलाओं के बीच कुछ ‘तिर्यकबंध’ भी होते हैं अतः ये बहुलक खींचने पर लम्बे हो जाते हैं तथा छोड़ देने पर पुनः अपनी पूर्व अवस्था में आ जासे हैं अर्थात् इनमें प्रत्यास्थता का गुण पाया जाता है। ये रबर के समान ठोस होते हैं जैसे वल्कनीकृत रबर। ब्यूना- N, ब्यूना- S तथा निओप्रीन भी प्रत्यास्थ बहुलकों के उदाहरण हैं।

(b) रेशे या रेशेदार बहुलक (Fibres or Fibrous Polymers) -रेशेदार बहुलकों में तनन सामर्थ्य उच्च होता है क्योंक इनमें बहुलक शृंखलाओं के मध्य असंख्य प्रबल अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाए जाते हैं। इसी कारण ये क्रिस्टलीय ठोस होते हैं तथा इनका गलनांक तीक्ष्ण होता है। ये बहुलक धागे बनाने में प्रयुक्त होते हैं।

उदाहरण-पॉलिएस्टर (टैरीलीन) तथा पॉलिऐमाइड (नाइलॉन 6,6) इत्यादि।

(c) तापसुघट्य बहुलक या ताप सुनम्य बहुलक (Thermoplastic Polymers) -ये बहुलक रेखीय अथवा अल्प शाखित लंबी श्रृंखला युक्त होते हैं, जिन्हें बार-बार गरम करने से मृदुल और ठंडा करने से कठोर हो जाते हैं अतः इन्हें साँचों में ढाला जा सकता है। इन बहुलकों में अंतराआण्विक आकर्षण बल प्रत्यास्थ बहुलकों से अधिक तथा रेशों से कम होता है। उदाहरण-पॉलिथीन, पॉलिस्टाइरीन, पॉलिवाइनिल क्लोराइड, पॉलिप्रोपिलीन इत्यादि।

(d) तापदृढ़ बहुलक या थर्मोसेटिंग बहुलक (Thermosetting Polymers)-ये बहुलक तिर्यक बद्ध अथवा अत्यधिक शाखित होते हैं। इन्हें गर्म करने पर तिर्यक बन्धन बढ़ जाते हैं तथा इनकी संरचना त्रिविमीय जालक के समान हो जाती है अतः ये दुर्गलनीय (Infusible) हो जाते हैं। इसलिए इनका पुनः उपयोग नहीं किया जा सकता। ताप दृढ़ बहुलकों को सामान्यतः निम्न अणु भार वाले अर्ध तरल बहुलकों को गरम करके बनाया जाता है। उदाहरण-बैकेलाइट, यूरिया-फार्मेल्डिहाइड रेजिन इत्यादि।

प्रश्न 6.
नाइलॉन – 6 बहुलक की एकलक इकाई का नाम व सूत्र लिखिए।
उत्तर:
नाइलॉन – 6 बहुलक की एकलक इकाई कैप्रोलैक्टम है जिसका सूत्र निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 13

प्रश्न 7.
चार व पाँच कार्बनयुक्त कार्बोक्सिलिक अम्लों के सहबहुलकीकरण से बनने वाले जैव निम्ननीकृत बहुलक जिसका उपयोग औषधियों के नियंत्रित मोचन से होता है, के बनाने की समीकरण दीजिए।
उत्तर:
पॉलि ß-हाइड्रॉक्सीब्यूटिरेट-को-ß-हाइड्रॉक्सी वैलेरेट (PHBV)-यह एक ऐलिफैटिक पॉलिएस्टर है। यह 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनॉइक अम्ल तथा 3-हाइड्रॉक्सीपेन्टेनॉइक अम्ल के सहबहुलकीकरण से बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 14
PHB V का उपयोग विशिष्ट पैकेजिंग, अस्थियों में प्रयुक्त युक्तियों (Devices) तथा औषधों के नियंत्रित मोचन (release) में होता है। पर्यावरण में PHBV का जीवाण्विक निम्नीकरण (Bacterial degradation) हो जाता है।

प्रश्न 8.
अंतराआण्विक बलों के मान के आधार पर निम्नलिखित बहुलकों को वर्गीकृत कीजिए-
बैकेलाइट, टेरीलीन, निओप्रीन, पॉलिथीन।
उत्तर:
अंतराआण्विक बलों के मान के आधार पर इन बहुलकों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है-

  • बैकेलाइट – तापदृढ़ बहुलक
  • टेरीलीन – रेशे बहुलक
  • निओप्रीन – प्रत्यास्थ बहुलक
  • पॉलिथीन – तापसुघट्य बहुलक।

प्रश्न 9.
नाइलॉन – 6, 6 को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलकों के नाम दीजिए ।
उत्तर:
नाइलॉन – 6, 6 को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलक हैक्सा मेथिलीन डाइऐमीन तथा ऐडिपिक अम्ल हैं।

प्रश्न 10.
मुक्तमूलक योगज बहुलकीकरण में प्रयुक्त प्रारंभक का संरचना सूत्र व इसकी उपयोगिता दीजिए।
उत्तर:
मुक्तमूलक योगज बहुलकीकरण में प्रयुक्त प्रारम्भक का संरचना सूत्र निम्नलिखित है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 15
यह फेनिलमुक्त मूलक बनाकर अभिक्रिया को प्रारम्भ करता है।

प्रश्न 11.
तापदृढ़ व तापसुघट्य बहुलकों में दो अन्तर लिखिए।
उत्तर:

  1. तापदृढ़ बहुलक तिर्यकबद्ध या अधिकशाखित होते हैं जबकि तापसुघट्य बहुलक रेखीय या अल्पशाखित होते हैं।
  2. तापदृढ़ बहुलकों को पुनः मृदु नहीं बनाया जा सकता जबकि तापसुघट्य बहुलकों को गर्म करके पुनः मृदु बनाया जा सकता है।

प्रश्न 12.
(अ) योगज बहुलक को एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
(ब) संश्लेषित रबर के विरचन का समीकरण लिखिए।
(स) डेक्रॉन को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलकों के नाम दीजिए।
अथवा
(अ) संघनन बहुलक को एक उदाहरण द्वारा समझाइए।
(ब) ताप सुघट्य एवं ताप दृढ़ बहुलकों के एक-एक उदाहरण दीजिए।
(स) ब्यूना – N को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलकों के नाम दीजिए।
उत्तर:
(अ) योगज बहुलक या योगात्मक बहुलक – द्विबन्ध तथा त्रिबन्ध युक्त एकलक अणुओं के पुनरावृत्त योग से बने बहुलकों को योगज बहुलक कहते हैं। ये एकलक अणु समान या भिन्न होते हैं।
उदाहरण – एथीन से पॉलिथीन का बनना।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 16
(ब) निओप्रीन एक संश्लेषित रबर है। यह क्लोरोप्रीन के मुक्त मूलक बहुलकन से बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 17
(स) डेक्रॉन बनाने के लिए प्रयुक्त एकलक एथिलीन ग्लाइकॉल (एथेन-1,2-डाइऑल) तथा टेरेफ्थैलिक अम्ल (बेन्जीन-1,4डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल ) हैं।
अथवा
(अ) संघनन बहुलक-संघनन बहुलक दो भिन्न द्विक्रियात्मक अथवा त्रिक्रियात्मक एकलक इकाइयों के मध्य पुनरावृत्त संघनन अभिक्रिया से बनते हैं। इस बहुलकन अभिक्रिया में छोटे अणुओं जैसे जल, ऐल्कोहॉल, हाइड्रोजन क्लोरइड आदि का विलोपन होता है। उदाहरण-नाइलॉन- 6,6 हैक्सामेथिलीनडाइऐमीन और ऐडिपिक अम्ल के संघनन से बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 18

(ब) पॉलिस्टाइरीन एक ताप सुघट्य बहुलक है जबकि बैकेलाइट एक ताप दृढ़ बहुलक है।

(स) ब्यूना-N 1,3-ब्यूटाडाईईन तथा एक्रिलो नाइट्राइल एकलकों के सहबहुलकीकरण से प्राप्त होता है।

प्रश्न 13.
(i) संघनन बहुलक का एक उदाहरण दीजिए।
(ii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 19 एक समबहुलक है या सहबहुलक।
उत्तर:
(i) नाइलॉन- 6,6 संघनन बहुलक का उदाहरण है क्योंकि यह एडिपिक अम्ल तथा हैक्सा मेथिलीन डाइएमीन के संघनन से बनता है।
(ii) HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 20एक समबहुलक है क्योंकि यह केवल एक ही प्रकार के एकलक अणुओं से बना है।

प्रश्न 14.
प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबन्ध के बाद एक स्कूल के विद्यार्थियों ने प्लास्टिक की थैलियों का पर्यावरण तथा यमुना नदी पर होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को सजग करने की योजना बनायी। इन्होंने दूसरे स्कूल के विद्यार्थियों के साथ मिलकर रैली निकाली तथा सब्जी वालों एवं दुकानदारों को कागज से बनी थैलियाँ वितरित कीं तथा सभी विद्यार्थियों ने पॉलिथीन की थैलियों का प्रयोग नहीं करने की शपथ ली ताकि यमुना नदी को बचाया जा सके।
इस गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) विद्यार्थियों द्वारा किन मूल्यों का प्रदर्शन किया गया?
(ii) जैव निम्ननीय बहुलक क्या होते हैं ? एक उदाहरण दीजिए।
(iii) पॉलिथीन एक संघनन बहुलक है या योगात्मक बहुलक?
उत्तर:
(i) विद्यार्थी प्लास्टिक की थैलियों के पर्यावरण तथा यमुना नदी पर होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति सजग हैं।

(ii) जैव निम्ननीय बहुलक वे बहुलक होते हैं जो एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं द्वारा विघटित हो जाते हैं। उदाहरण पॉलि- ß हाइड्रॉक्सीब्यूटिरेट को- ß-हाइड्रॉक्सी वैलेरेट (PHB V)।

(iii) पॉलिथीन एक योगात्मक बहुलक है।

प्रश्न 15.
ताप दुढ़ बहुलक क्या हैं?
उत्तर:
ताप दृढ़ बहुलक तिर्यक बद्ध अथवा अत्यधिक शाखित होते हैं जिन्हें गर्म करने पर तिर्यक बन्धन बढ़ जाते हैं तथा इनकी संरचना त्रिविमीय जालक के समान हो जाती है। अतः ये दुर्गलनीय हो जाते हैं। उदाहरण-बैकेलाइट।

प्रश्न 16.
PHBV बहुलक के एकलकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
PHBV एक ऐलिफैटिक पॉलिएस्टर है तथा यह 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनॉइक अम्ल एवं 3-हाइड्रॉक्सीपेन्टेनॉइक अम्ल एकलकों के सहबहुलकीकरण से बनता है।

प्रश्न 17.
नाइलॉन 6,6 किस प्रकार प्राप्त किया जाता है? अभिक्रिया दीजिए।
उत्तर:
हेक्सामेथिलीनडाइऐमीन तथा ऐडिपिक अम्ल के उच्च दाब तथा उच्च ताप (553 K) पर संघनन से नाइलॉन- 6,6 प्राप्त होता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक 21

प्रश्न 18.
समझाइए कि वल्कनीकृत रबड़ एक प्रत्यास्थ बहुलक होता है।
उत्तर:
वल्कनीकृत रबड़ में शृंखलाओं के मध्य कुछ तिर्यक बन्ध होते हैं अतः यह खींचने पर लंबा तथा छोड़ देने पर पुनः अपनी पूर्व अवस्था में आ जाता है अर्थात् इसमें प्रत्यास्थता का गुण होता है अतः यह एक प्रत्यास्थ बहुलक है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 15 बहुलक

प्रश्न 19.
योगात्मक तथा संघनन बहुलकीकरण में कोई दो अन्तर लिखिए।
उत्तर:
योगात्मक तथा संघनन बहुलकीकरण में निम्नलिखित अन्तर हैं-
(i) योगात्मक बहुलकीकरण में समान अथवा भित्र असंतृप्त एकलक अणु आपस में मिल कर बृहद बहुलक अणु बनाते हैं जबकि संघनन बहुलकीकरण में दो अथवा अधिक प्रकार के द्विक्रियात्मक एकलक अणु संघनन अभिक्रियाओं द्वारा बहुलक बनाते हैं।

(ii) योगात्मक बहहुलकीकरण में किसी छोटे अणु का विलोपन नहीं होता जबकि संघनन बहुलकीकरण में छोटे अणु जैसे जल, ऐल्कोहॉल इत्यादि का विलोपन होता है। उदाहरण-पॉलिप्रोपीन योगात्मक बहुलक है जबकि नाइलॉन- 6,6 संघनन बहुलक है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित बहुलकों के एकलकों के नाम और उनकी संरचनाएँ लिखिए :
(i) नाइलॉन-6,6
(ii) बेकेलाइट
(iii) पॉलिस्टाइरीन।
उत्तर:
(i) नाइलॉन-6,6-इसे प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलक हैक्सामेथिलीनडाइऐमीन (H2N – (CH2)6NH2) तथा ऐडिपिक अम्ल (HOOCl(CH2)4COOH है।

(ii) बैकेलाइट बहुलक के बनाने में प्रयुक्त होने वाले एकलक फार्मेल्डिहाइड (HCHO) और फीनॉल (C6H5OH) हैं।

(iii) पॉलिस्टाइरीन बहुलक बनाने के लिए प्रयुक्त एकलक स्टाइरीन (C6H5CH = CH2) है।

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
फलक-केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की संख्या कितनी होती है ?
(अ) 1
(ब) 2
(स) 4
(द) 6
उत्तर:
(स) 4

प्रश्न 2.
घनीय निविड संकुलन (ccp) संरचना की संकुलन क्षमता होती है-
(अ) 68%
(ब) 74%
(स) 78%
(द) 84%
उत्तर:
(ब) 74%

प्रश्न 3.
अक्रिस्टलीय ठोस है-
(अ) ग्रेफाइट
(ब) काँच
(स) श्वेत टिन
(द) एकनताक्ष गंधक
उत्तर:
(ब) काँच

प्रश्न 4.
फेरीचुंबकीय पदार्थ का उदाहरण है –
(अ) Fe2O3
(ब) Mn2O3
(स) MnO
(द) Fe3O4
उत्तर:
(द) Fe3O4

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

प्रश्न 5.
हीरे का क्रिस्टल किसका उदाहरण है ?
(अ) आयनिक ठोस
(ब) धात्विक ठोस
(स) सहसंयोजक ठोस
(द) आण्विक ठोस
उत्तर:
(स) सहसंयोजक ठोस

प्रश्न 6.
क्रिस्टलों का घनत्व ज्ञात करने का सही सूत्र है-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 21
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 22

प्रश्न 7.
किसी ठोस पदार्थ के क्रिस्टल में कितने प्रकार के त्रिविमीय जालकों का निर्माण संभव है ?
(अ) 7
(ब) 14
(स) 21
(द) 28
उत्तर:
(ब) 14

प्रश्न 8.
लोहचुंबकीय पदार्थ का उदाहरण है-
(अ) TiO2
(ब) VO2
(स) CuO
(द) CrO2
उत्तर:
(द) CrO2

प्रश्न 9.
क्रिस्टलीय ठोस का उदाहरण है-
(अ) हीरा
(ब) काँच
(स) रबर
(द) हीरा तथा काँच दोनों
उत्तर:
(अ) हीरा

प्रश्न 10.
अनुचुंबकीय पदार्थ है-
(अ) N2
(ब) F2
(स) O2
(द) CO2
उत्तर:
(स) O2

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौनसी व्यवस्था षट्कोणीय निविड संकुलन को दर्शाती है ?
(अ) ABC…..ABA……
(ब) ABC…..ABC……
(स) ABABA….
(द) ABB ABB….
उत्तर:
(स) ABABA….

प्रश्न 12.
षट्कोणीय निविड संकुलन संरचना में धातु की उपसहसंयोजन संख्या होती है-
(अ) 4
(ब) 12
(स) 8
(द) 16
उत्तर:
(ब) 12

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से सहसंयोजक ठोस है-
(अ) Fe
(ब) NaCl
(स) Cu
(द) SiC
उत्तर:
(द) SiC

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में से किस प्रकार के ठोसों का गलनांक उच्चतम होता है ?
(अ) आयनिक ठोस
(ब) सहसंयोजक ठोस
(स) आण्विक ठोस
(द) धात्विक ठोस
उत्तर:
(ब) सहसंयोजक ठोस

प्रश्न 15.
एक N गोलों वाली निविड संकुलन व्यवस्था में चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या होगी-
(अ) \(\frac { N }{ 2 }\)
(ब) N
(स) 4N
(द) 2N
उत्तर:
(द) 2N

प्रश्न 16.
निम्नलिखित में से किस दोष के कारण क्रिस्टल का घनत्व कम हो जाता है ?
(अ) शॉट्की
(ब) फ्रेंकेल
(स) अन्तराकाशी
(द) F-केन्द्र
उत्तर:
(अ) शॉट्की

प्रश्न 17.
फलक – केन्द्रित घन संरचना में प्रत्येक गोले के लिए अष्टफलकीय रिक्तियों की संख्या होगी-
(अ) 8
(ब) 4
(स) 1
(द) 2
उत्तर:
(स) 1

प्रश्न 18.
निम्नलिखित में से किसमें फ्रेंकेल दोष पाया जाता है ?
(अ) NaCl
(ब) AgBr
(स) CsCl
(द) हीरा
उत्तर:
(ब) AgBr

प्रश्न 19.
सरल घनीय जालक की संकुलन क्षमता होती है-
(अ) 68%
(ब) 74%
(स) 52.4%
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) 52.4%

प्रश्न 20.
हाइड्रोजन आबंधित आण्विक ठोस का उदाहरण है-
(अ) HCl
(ब) H2O
(स) H2
(द) Fe
उत्तर:
(ब) H2O

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

प्रश्न 21.
विषमदैशिक प्रकृति के ठोस होते हैं-
(अ) क्रिस्टलीय
(ब) अक्रिस्टलीय
(स) क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) क्रिस्टलीय

प्रश्न 22.
प्रकाश वोल्टीय (Photo Voltic) पदार्थ है-.
(अ) Cs
(ब) Si ( अक्रिस्टलीय)
(स) NaCl
(द) ग्रेफाइट
उत्तर:
(ब) Si ( अक्रिस्टलीय)

प्रश्न 23.
विद्युत का सुचालक ठोस है-
(अ) NaCl ठोस
(ब) ग्रेफाइट
(स) हीरा
(द) AlN
उत्तर:
(ब) ग्रेफाइट

प्रश्न 24.
शॉट्की दोष युक्त यौगिक का उदाहरण है-
(अ) NaCl
(ब) KCl
(स) CsCl
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 25.
ताप बढ़ाने पर अर्धचालकों की विद्युत चालकता –
(अ) कम होती है
(ब) बढ़ती है
(स) स्थिर रहती है
(द) कम या अधिक हो सकती है।
उत्तर:
(ब) बढ़ती है

प्रश्न 26.
वे पदार्थ जिनमें सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होते हैं, वे होते हैं-
(अ) अनुचुंबकीय
(ब) प्रतिचुंबकीय
(स) लोहचुंबकीय
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) प्रतिचुंबकीय

प्रश्न 27.
एक क्रिस्टलीय ठोस नर्म तथा विद्युत का सुचालक है जिसमें परमाणुओं के मध्य सहसंयोजी बन्ध होता है, वह होगा-
(अ) सिल्वर
(ब) हीरा
(स) AlN
(द) ग्रेफाइट
उत्तर:
(द) ग्रेफाइट

प्रश्न 28.
सोलर सेल में कौनसा तत्व प्रयुक्त किया जाता है ?
(अ) Rb
(ब) Pb
(स) Si
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(स) Si

प्रश्न 29.
CaF2 में क्रिस्टल की एकक कोष्ठिका में Ca2+ आयनों की संख्या होती है-
(अ) 6
(ब) 8
(स) 4
(द) 12
उत्तर:
(स) 4

प्रश्न 30.
एकान्तर धारा (A.C.) को दिष्ट धारा (D.C.) में परिवर्तित करने में प्रयुक्त अर्धचालक होता है-
(अ) p-प्रकार
(ब) n-p संधि
(स) n- प्रकार
(द) नैज
उत्तर:
(द) नैज

प्रश्न 31.
बिन्दु दोष पाया जाता है-
(अ) आयनिक ठोस में
(ब) अक्रिस्टलीय ठोस में
(स) आण्विक ठोस में
(द) द्रवों में
उत्तर:
(अ) आयनिक ठोस में

प्रश्न 32.
निम्नलिखित चित्र में किस प्रकार का क्रिस्टल दोष दर्शाया गया है ?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 1
(अ) फ्रेन्केल दोष
(ब) फ्रेन्केल तथा शॉट्की दोष
(स) अन्तराकाशी दोष
(द) शॉट्की दोष
उत्तर:
(द) शॉट्की दोष

प्रश्न 33.
एक ठोस की घनीय क्रिस्टल जालक संरचना में W परमाणु घन के शीर्षों पर, O परमाणु भुजाओं के केन्द्र में तथा Na परमाणु घन के केन्द्र पर स्थित है तो यौगिक का सूत्र है-
(अ) NaWO2
(ब) NaWO3
(स) Na2WO5
(द) NaWO4
उत्तर:
(ब) NaWO3

प्रश्न 34.
एक ठोस AX में A+ आयन पर X की व्यवस्था ( सही मापसूचक में नहीं) चित्र में दी गयी है। यदि X का अर्द्धव्यास 250 pm है तो A+ का अर्द्धव्यास होगा।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 2
(अ) 104 pm
(ब) 125 pm
(स) 183 pm
(द) 57 pm
उत्तर:
(अ) 104 pm

प्रश्न 35.
कैल्सियम फलक – केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका में क्रिस्टलित होता है तो कैल्सियम (Ca) की एकक कोष्ठिका के लिए संकुलन भिन्न होगी-
(अ) π/6
(ब) π/3
(स) \(\frac{\sqrt{2} \pi}{3}\)
(द) \(\frac{\sqrt{2} \pi}{6}\)
उत्तर:
(द) \(\frac{\sqrt{2} \pi}{6}\)

प्रश्न 36.
निम्नलिखित में से किसकी संकुलन क्षमता निम्नतम है ?
(अ) आद्य घनीय एकक कोष्ठिका
(ब) अंतः केन्द्रित घनीय एकक ‘कोष्ठिका
(स) फलक- केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका
(द) षट्कोणीय निविड संकुलित संरचना
उत्तर:
(अ) आद्य घनीय एकक कोष्ठिका

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न :

प्रश्न 1.
क्रिस्टल जालक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी ठोस के अन्तराल (space) में बिन्दुओं (परमाणु या आयनों) की नियमित त्रिविमीय व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं।

प्रश्न 2.
धात्विक ठोस के गुण बताइए ।
उत्तर:
धात्विक ठोस कठोर, उच्च गलनांक युक्त तथा विद्युत के सुचालक होते हैं। इनमें आघातवर्ध्यता तथा तन्यता का गुण भी होता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

प्रश्न 3.
अंत: केंद्रित घनीय एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की संख्या कितनी होती है ?
उत्तर:
अंत: केंद्रित घनीय एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की संख्या दो होती है।

प्रश्न 4.
फलक- केन्द्रित घन संरचना की विलगित एकक कोष्ठिका में परमाणुओं की संख्या तथा एक एकक कोष्ठिका में कणों की वास्तविक संख्या कितनी होती है ?
उत्तर:
फलक- केन्द्रित घन संरचना की विलगित एकक कोष्ठिका में 14 परमाणु तथा एक एकक कोष्ठिका में कणों की वास्तविक संख्या 4 होती है।

प्रश्न 5.
एकक कोष्ठिका तथा क्रिस्टल जालक में क्या सम्बन्ध होता है ?
उत्तर:
एकक कोष्ठिका की पुनरावृत्ति से ही क्रिस्टल जालक का निर्माण होता है ।

प्रश्न 6.
ज्यामितीय विन्यास के आधार पर क्रिस्टलों को कितने समूहों में वर्गीकृत किया जाता है ?
उत्तर:
ज्यामितीय विन्यास के आधार पर क्रिस्टलों को सात समूहों में वर्गीकृत किया जाता है।

प्रश्न 7.
घनीय क्रिस्टल तंत्र में अक्षीय कोण का मान बताइए ।
उत्तर:
घनीय क्रिस्टल तंत्र में अक्षीय कोण α = β = γ = 90° होते हैं।

प्रश्न 8.
एक घन में कितने फलक तथा कितने किनारे होते हैं ?
उत्तर:
एक घन में 6 फलक तथा 12 किनारे होते हैं।

प्रश्न 9.
धात्विक ठोसों का रंग तथा चमक का कारण क्या है ?
उत्तर:
मुक्त इलेक्ट्रॉन ।

प्रश्न 10.
अष्टफलकीय रिक्ति की त्रिज्या (r) तथा परमाणु (गोले) की त्रिज्या (R) में क्या सम्बन्ध है ?
उत्तर:
r = 0.414R

प्रश्न 11.
hcp तथा ccp संरचना युक्त धातुएँ उच्च गलनांक की होती हैं। क्यों ?
उत्तर:
hcp तथा ccp संरचना की संकुलन क्षमता उच्च (74%) होने के कारण परमाणु एक-दूसरे के अधिक निकट होते हैं तथा इनमें प्रबल धात्विक बन्ध होता है, अतः इनका गलनांक उच्च होता है।

प्रश्न 12.
यदि किसी क्रिस्टल के लिए त्रिज्या अनुपात 0.225 है तो उसकी ज्यामिति किस प्रकार की होगी ?
उत्तर:
त्रिज्या अनुपात 0.225 होने पर क्रिस्टल की ज्यामिति चतुष्फलकीय होगी।

प्रश्न 13.
अष्टफलकीय रिक्ति की समन्वयी संख्या कितनी होती है ?
उत्तर:
अष्टफलकीय रिक्ति की समन्वयी संख्या छः होती है ।

प्रश्न 14.
Zn+2, Cu+1, Cu+2 तथा Fe+3 में से अनुचुंबकीय आयन कौनसे हैं ?
उत्तर:
Cu+2 तथा Fe3+ अनुचुंबकीय हैं क्योंकि इनमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित हैं।

प्रश्न 15.
प्रतिलोहचुम्बकीय पदार्थ का उदाहरण बताइए ।
उत्तर:
MnO प्रतिलोहचुम्बकीय पदार्थ का उदाहरण है।

प्रश्न 16.
किस प्रकार के ठोसों में दाब विद्युत गुण पाया जाता है ?
उत्तर:
नेट द्विध्रुव युक्त क्रिस्टलों में दाब विद्युत गुण पाया जाता है।

प्रश्न 17.
ताप विद्युत प्रभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
ऐसे क्रिस्टल जिन्हें गर्म करने पर विद्युत धारा उत्पन्न होती है, उन्हें ताप विद्युत क्रिस्टल कहते हैं तथा इस प्रभाव को ताप विद्युत प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 18.
ताप बढ़ाने पर चालकों की चालकता कम हो जाती है। क्यों ?
उत्तर:
ताप बढ़ाने पर चालकों में ऊष्मीय कम्पन बढ़ने के कारण प्रतिरोध बढ़ता है, जिससे उनकी चालकता कम हो जाती है।

प्रश्न 19.
चालकों तथा अर्धचालकों की चालकता को किस सिद्धान्त द्वारा समझाया जाता है ?
उत्तर:
बैण्ड सिद्धान्त या आण्विक कक्षक सिद्धान्त ।

प्रश्न 20.
CaF2 में समन्वयी संख्याओं का अनुपात बताइए ।
उत्तर:
8 : 4 (CaF2)

प्रश्न 21.
CsCl की एकक कोष्ठिका का नाम लिखिए ।
उत्तर:
अन्तः केन्द्रित घन संरचना ।

प्रश्न 22.
सूर्य के प्रकाश को विद्युत में परिवर्तित करने के लिए उपयुक्त ठोस पदार्थ बताइए ।
उत्तर:
अक्रिस्टलीय सिलिका। यह एक फोटोवोल्टीय पदार्थ है ।

प्रश्न 23.
क्यूरी ताप किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वह ताप जिससे कम ताप पर कोई चुम्बकीय पदार्थ, लोहचुम्बकीय हो जाता है, उसे क्यूरी ताप कहते हैं ।

प्रश्न 24.
गैस लाइटर को दबाने से चिंगारी उत्पन्न होती है, क्यों ?
उत्तर:
गैस लाइटर में दाब विद्युत क्रिस्टल होते हैं, अतः जब इस पर दाब लगाया जाता है तो विद्युत चिंगारी उत्पन्न होती है।

प्रश्न 25.
किस ताप पर अधिकतर धातुएँ अतिचालक की भाँति व्यवहार करती हैं?
उत्तर:
2K – 5K

लघूत्तरात्मक प्रश्न :

प्रश्न 1.
ठोसों की विषमदैशिक तथा समदैशिक प्रकृति में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
विषमदैशिक ठोस वे होते हैं जिनके भौतिक गुण जैसे विद्युत प्रतिरोधकता तथा अपवर्तनांक, भिन्न-भिन्न दिशाओं में मापने पर भिन्न-भिन्न मान दर्शाते हैं। यह अलग-अलग दिशाओं में कणों की भिन्न- भिन्न व्यवस्था के कारण होता है। क्रिस्टलीय ठोस विषमदैशिक होते हैं। अपवाद – घनीय क्रिस्टल |
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 3
समदैशिक ठोस वे होते हैं जिनके भौतिक गुणों का मान सभी दिशाओं में समान होता है। अक्रिस्टलीय ठोस समदैशिक होते हैं, क्योंकि इनमें कणों की दीर्घ परासी व्यवस्था नहीं होती तथा सभी दिशाओं में अनियमित विन्यास होता है ।

प्रश्न 2.
(a) सरल घनीय एकक कोष्ठिका में अवयवी कणों की गणना किस प्रकार करते हैं?
उत्तर:
सरल घन की एकक कोष्ठिका में आठ कोनों पर आठ कण होते हैं तथा प्रत्येक कण का योगदान \(\frac { 1 }{ 8 }\) होता है अतः कुल अवयवी कण = \(\frac { 1 }{ 8 }\) × 8 = 1

(b) बन्धों की प्रकृति के आधार पर निम्नलिखित ठोसों का वर्गीकरण कीजिए-
CaO, Sn, बर्फ ।
उत्तर:
CaO – प्रबल स्थिर वैद्युत आकर्षण बल (आयनिक ठोस )
Sn – धात्विक बन्ध ( धात्विक ठोस )
बर्फ – परमाणुओं के मध्य सहसंयोजी बन्ध तथा अणुओं के मध्य हाइड्रोजन बन्ध (हाइड्रोजन आबन्धित आण्विक ठोस) ।

प्रश्न 3.
हाइड्रोजन बंधित आण्विक ठोसों की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
हाइड्रोजन बंधित आण्विक ठोसों में अणुओं के मध्य प्रबल हाइड्रोजन बन्ध होता है। इसके लिए H तथा F, O व N के मध्य ध्रुवीय सहसंयोजी बन्ध होना चाहिए। ये ठोस विद्युत के कुचालक होते हैं। उदाहरण – बर्फ (ठोस H2O) तथा ठोस NH3 आदि।

प्रश्न 4.
धात्विक ठोसों के गुण लिखिए।
उत्तर:
धातुएँ सामान्यतः ठोस अवस्था में होती हैं, अतः इन्हें धात्विक ठोस कहते हैं। इनमें धनायन, मुक्त तथा गतिशील इलेक्ट्रॉनों के समुद्र में व्यवस्थित होते हैं। प्रत्येक धातु परमाणु, एक या अधिक इलेक्ट्रॉन देता है । ये इलेक्ट्रॉन क्रिस्टल में समान रूप से फैले रहते हैं । गतिशील इलेक्ट्रॉनों के कारण ही धातुएं विद्युत एवं ऊष्मा की सुचालक होती हैं। विद्युत प्रवाहित करने पर इलेक्ट्रॉन, धनायनों के नेटवर्क में प्रवाहित होते हैं। धातुओं का विशेष रंग होता है तथा उनमें चमक पायी जाती है। धातुएं अत्यधिक आघातवर्धनीय एवं तन्य होती हैं।

प्रश्न 5.
पदार्थों के अनुचुम्बकीय तथा लोहचुम्बकीय गुण में मुख्य अन्तर क्या है?
उत्तर:
अनुचुम्बकीय गुण बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति में ही पाया जाता है जबकि लोहचुम्बकीय गुण चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में भी पाया जाता है।

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

प्रश्न 6.
क्षार धातु हैलाइडों में शुद्ध अवस्था में फ्रेंकेल दोष क्यों नहीं पाया जाता?
उत्तर:
शुद्ध अवस्था में क्षार धातु हैलाइडों में फ्रेंकेल दोष नहीं पाया जाता क्योंकि क्षार धातु आयनों के बड़े आकार के कारण ये अन्तराकाशी स्थानों में स्थान ग्रहण नहीं कर सकते।

प्रश्न 7.
लोहचुम्बकीय तथा फेरीचुम्बकीय पदार्थों में अन्तर बताइए ।
उत्तर:
लोहचुम्बकीय पदार्थों में अधिक संख्या में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं तथा इनमें चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में भी चुम्बकीय गुण पाया जाता है जबकि फेरीचुम्बकीय पदार्थों में डोमेनों के चुम्बकीय आघूर्णों की व्यवस्था समानान्तर तथा प्रतिसमानान्तर दिशा में असमान संख्या में होती है जिसके कारण इनमें परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण पाया जाता है तथा ये चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा दुर्बल रूप से आकर्षित होते हैं।

प्रश्न 8.
प्रतिलोहचुम्बकत्व तथा फेरीचुम्बकत्व (लघु- लोहचुम्बकत्व) में अन्तर बताइए ।
उत्तर:
प्रतिलोहचुम्बकत्व उन पदार्थों का गुण है जिनमें चुम्बकीय आघूर्ण का मान शून्य होता है जबकि फेरीचुम्बकत्व युक्त पदार्थों में अल्प मात्रा में चुम्बकीय आघूर्ण होता है अतः इनका चुम्बकत्व कम होता है। MnO प्रतिलोहचुम्बकीय पदार्थ है जबकि Fe3O4 चुम्बकीय होता है।

प्रश्न 9.
फ्रेंकेल तथा शॉट्की दोषों में दो अन्तर बताइए ।
उत्तर:
(i) फ्रेंकेल त्रुटि (दोष) से पदार्थ का घनत्व अपरिवर्तित रहता है जबकि शॉट्की त्रुटि के कारण पदार्थ का घनत्व कम हो जाता है ।
(ii) फ्रेंकेल त्रुटि उन क्रिस्टलों में पाई जाती है जिनमें समन्वयी संख्या निम्न होती है जबकि शॉट्की त्रुटि, उच्च समन्वयी संख्या युक्त क्रिस्टलों में पाई जाती है।

बोई परीक्षा के हृष्टिकोण से सम्भावित महवपूर्ण प्रश्न :

प्रश्न 1.
ठोस क्रिस्टलों में किस त्रुटि के कारण क्रिस्टल का घनत्व अप्रभावित रहता है?
उत्तर:
फ्रेन्केल त्रुटि ।

प्रश्न 2.
सिलिकन के क्रिस्टल में जब आर्सेनिक की अशुद्धि मिलाते हैं तो इस प्रकार बने अर्धचालक का नाम क्या होगा?
उत्तर:
n – प्रकार का अर्धचालक ।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित को उदाहरण सहित समझाइए –
(अ) शॉट्की त्रुटि
(ब) अन्तराकाशी त्रुटि ( दोष ) ।
उत्तर:
(अ) शॉट्की त्रुटि – यह मुख्य रूप से आयनिक ठोसों का रिक्तिका दोष ( vacancy defect) है। विद्युत उदासीनता को बनाए रखने के लिए क्रिस्टल से गायब होने वाले धनायनों और ऋणायनों की संख्या बराबर होती है अर्थात् धनायन तथा ऋणायन दोनों ही अपने स्थान से गायब हो. जाते हैं। सरल रिक्तिका दोष की भाँति, शॉट्की दोष से भी पदार्थ का घनत्व कम हो जाता है। आयनिक ठोसों के ऐसे दोषों में संख्या महत्वपूर्ण होती है ।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 4
जैसे NaCl में कमरे के ताप पर लगभग 10° शॉट्की युगल प्रति cm3 होते हैं। एक cm में करीब 1022 आयन होते हैं। इस प्रकार प्रति 1016 आयनों में एक शॉट्की दोष होता है। शॉट्की दोष उन आयनिक पदार्थों में होता है जिनमें धनायन और ऋणायन लगभग समान आकार के होते हैं तथा जिनकी समन्वयी संख्या उच्च होती है। उदाहरण NaCl, KCl, CsCl | AgBr में फ्रेंकेल तथा शॉट्की दोनों ही प्रकार के दोष होते हैं।

(ब) अन्तराकाशी दोष : किसी क्रिस्टल जालक में जब कुछ अवयवी कण अंतराकाशी स्थल पर उपस्थित होते हैं तो इसे अंतराकाशी दोष कहते हैं। इससे पदार्थ का घनत्व बढ़ जाता है। ‘रिक्तिका दोष तथा अंतराकाशी दोष अनआयनिक ठोसों में पाए जाते हैं। आयनिक ठोसों में विद्युत उदासीनता रहना आवश्यक है। अतः इन दोषों को फ्रेंकेल तथा शॉट्की दोषों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 5
(a) फ्रें केल दोष या फ्रें के ल त्रुटि (Frenkel defect) – यह दोष आयनिक ठोसों में पाया जाता है। छोटा आयन (साधारणतः धनायन) अपने वास्तविक स्थान से विस्थापित होकर अन्तराकाशी स्थान में चला जाता है। इससे वास्तविक स्थान पर रिक्तिका दोष और नए स्थान पर अंतराकाशी दोष उत्पन्न होता है। (dislocation defect) भी कहते हैं।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 6
इससे ठोस के घनत्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस त्रुटि के कारण क्रिस्टल विद्युत चालकता दर्शा सकते हैं तथा इससे यौगिक का परावैद्युतांक (Dielectric Constant) बढ़ जाता है। फ्रेंकेल दोष उन आयनिक पदार्थों द्वारा दर्शाया जाता है जिनमें आयनों (धनायन तथा ऋणायन) के आकार में अधिक अंतर होता है तथा जिनमें समन्वयी संख्या कम होती है। उदाहरण – ZnS, AgCl, AgBr और AgI |
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 7

प्रश्न 4.
सिल्वर fcc एकक कोष्ठिका के रूप में पाया जाता है जिसकी कोर लम्बाई 409 pm है तो सिल्वर परमाणु की त्रिज्या ज्ञात कीजिए। (इसमें प्रत्येक फलक परमाणु चार कोनों को स्पर्श कर रहा है )।
उत्तर:
एक एकक कोष्ठिका की कोर लम्बाई a = 409 pm
अतः (fcc संरचना) परमाणु त्रिज्या (r) = \(\frac{a}{2 \sqrt{2}}\) = \(\frac{409}{2 \sqrt{2}}\)
r = \(\frac{409}{2 \times 1.414}\) = 144.6 pm

प्रश्न 5.
एक ध्रुवीय आण्विक ठोस में अणुओं को परस्पर एकत्र रखने में किस प्रकार की पारस्परिक क्रिया होती है?
उत्तर:
एक ध्रुवीय आण्विक ठोस में अणुओं को परस्पर एकत्र रखने में द्विध्रुव-द्विध्रुव अन्योन्य क्रिया होती है।

प्रश्न 6.
कॉपर धातु का घनत्व 8.95 g cm-3 है। यदि कॉपर परमाणु की त्रिज्या 127.8 pm हो तो कॉपर एकक सेल इनमें से किस प्रकार का होगा – साधारण घनीय, काय- केन्द्रित घनीय अथवा फलक- केन्द्रित घनीय?
(दिया गया है – Cu का परमाणु द्रव्यमान = 63.54 g mol-1 और NA = 6.02 × 1023 mol-1)
उत्तर:
दिया गया है – d = 8.95 g cm-3, r = 127.8 pm = 127.8 × 10-10 cm
M = 63.54 g mol-1, NA = 6.02 × 1023, Z = ?
माना Cu की संरचना फलक – केन्द्रित घनीय है जिसके लिए a = 2√2r अतः
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 8
अतः कॉपर का एकक सेल फलक-केन्द्रित घनीय होगा

प्रश्न 7.
यदि आप एक अज्ञात धातु का द्रव्यमान, घनत्व और इसके क्रिस्टल के एकक सेल की लम्बाई-चौड़ाई (विमाएँ ) जानते हों तो इसका परमाणु द्रव्यमान कैसे ज्ञात करेंगे? व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
माना दिया गया द्रव्यमान घनत्व = d
तथा एकक सेल की विमा = a
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 9
माना एक परमाणु का द्रव्यमान = M
तथा एक एकक सेल में परमाणुओं की संख्या = Z
एक एकक सेल का परमाणु द्रव्यमान = ZM = IMG
M = मोलर द्रव्यमान, NA = आवोगाद्रो संख्या
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 10
इस सूत्र की सहायता से M ज्ञात किया जा सकता है, जब z का मान ज्ञात हो ।

प्रश्न 8.
साधारण घनाकार जालक के लिए एक धातु क्रिस्टल की पैकिंग क्षमता परिकलित कीजिए ।
उत्तर:
सरल घनीय क्रिस्टल की संकुलन क्षमता 52.4 प्रतिशत होती है। जिसकी गणना निम्नलिखित है-
एक सरल घनीय जालक में परमाणु केवल घन के कोनों पर स्थित होते हैं। घन के किनारों पर स्थित कण एक-दूसरे के सम्पर्क में रहते हैं
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 11
a = 2r
इसलिए घन की भुजा की लंबाई ‘a’ और प्रत्येक कण की त्रिज्या, में निम्न संबंध है-
a = 2r
अतः घनीय एकक कोष्ठिका का आयतन = a3 = (2r)3 = 8r3
चूँकि सरल घनीय एकक कोष्ठिका में केवल 1 परमाणु उपस्थित होता है।
इसलिए घेरे गए त्रिविमीय स्थान का आयतन = \(\frac { 4 }{ 3 }\) πr3
अतः, संरचना की संकुलन क्षमता
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 12

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 ठोस अवस्था

प्रश्न 9.
कॉपर फलक- केन्द्रित घनीय यूनिट सेलों में क्रिस्टलित होता है। यदि कॉपर परमाणु की त्रिज्या 127.8 pm है तो कॉपर धातु का घनत्व परिकलित कीजिए।
(Cu का परमाणु द्रव्यमान = 63.554 और ऐवोगाद्रो संख्या NA = 6.022 × 1023 mol-1 )
अथवा
आयरन का यूनिट सेल कॉय-केन्द्रित घनीय होता है और इस सेल का सिरा 286.65 pm है। आयरन का घनत्व 7.87 g cm-3 है । इस सूचना का उपयोग करके ऐवोगाद्रो संख्या का परिकलन | (Fe का परमाणु द्रव्यमान = 56.04)
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 13

प्रश्न 10.
काँच को अतिशीतित द्रव कहते हैं । कारण दीजिए ।
उत्तर:
काँच अक्रिस्टलीय ठोस है तथा इसमें द्रवों के समान ‘प्रवाह’ की प्रवृत्ति होती है, यद्यपि यह बहुत धीमे होता है, अतः इसे अतिशीतित द्रव कहते हैं।

प्रश्न 11.
लौह चुम्बकीय पदार्थ स्थायी चुम्बक बनाते हैं। कारण दीजिए ।
उत्तर:
लौह चुम्बकीय पदार्थ स्थायी चुम्बक बनाते हैं क्योंकि ये चुम्बकीय क्षेत्र की ओर प्रबलता से आकर्षित होते हैं। ठोस अवस्था में इनमें धातु आयन छोटे खण्डों में एक साथ समूहित हो जाते हैं, इन्हें डोमेन कहते हैं। पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर सभी डोमेन चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में अभिविन्यासित हो जाते हैं जिससे स्थायी तथा प्रबल चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न होता है ।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित क्रिस्टल संरचनाओं की संकुलन क्षमता तथा उपसहसंयोजन संख्या दीजिए |
(अ) अंतःकेन्द्रित घनीय
(ब) घनीय निविड संकुलन ।
उत्तर:
(अ) अंतः केन्द्रित घनीय क्रिस्टल संरचना की संकुलन क्षमता 68% तथा उपसहसंयोजन संख्या 8 होती है।
(ब) घनीय निविड संकुलन क्रिस्टल संरचना की संकुलन क्षमता 74% तथा उपसहसंयोजन संख्या 12 होती है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में से कौन-से ध्रुवीय आण्विक ठोस हैं? ठोस सल्फर डाइऑक्साइड, ठोस अमोनिया, आयोडीन क्रिस्टल, ग्रेफाइट, कार्बन टेट्राक्लोराइड ।
उत्तर:
ठोस सल्फर डाइऑक्साइड तथा ठोस अमोनिया ध्रुवीय आण्विक ठोस हैं।

प्रश्न 14.
एक घनीय क्रिस्टल P तथा Q दो तत्वों से बना है । इसमें Q के परमाणु घन के कोनों पर तथा P घन के केन्द्र में स्थित है तो यौगिक का सूत्र क्या होगा ?
उत्तर:

  • घन के कोने पर स्थित परमाणु का एकक कोष्ठिका में योगदान = \(\frac { 1 }{ 8 }\)
    अतः Q परमाणुओं की संख्या = \(\frac { 1 }{ 8 }\) × 8 = 1
  • घन के केन्द्र में स्थित परमाणु का एकक कोष्ठिका में योगदान = 1
    अतः P परमाणुओं की संख्या = 1 × 1 = 1
    इसलिए यौगिक का सूत्र = P : Q = 1 : 1 = PQ

प्रश्न 15.
(a) निम्नलिखित का कारण बताइए-
(i) शॉट्की त्रुटि के कारण ठोस का घनत्व कम हो जाता है।
(ii) Si को P से डोपित करने पर चालकता बढ़ती है।
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 14
उत्तर:
(a)

  • शॉट्की त्रुटि में धनायन तथा ऋणायन समान संख्या में क्रिस्टल में से गायब हो जाते हैं अतः द्रव्यमान कम हो जाता है इसलिए घनत्व कम हो जाता है।
  • Si को P से डोपित करने पर, बन्ध बनाने के पश्चात् बचे इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र रहते हैं जिनके कारण चालकता बढ़ जाती है।

(b) उपर्युक्त संरेखण में चुम्बकीय आघूर्ण के सभी डोमेन एक ही दिशा में अभिविन्यासित हैं अतः यह लोहचुम्बकत्व को प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 16.
निम्नलिखित त्रुटियुक्त क्रिस्टल का परीक्षण कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 15
तथा निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) क्रिस्टल किस प्रकार का रससमीकरणमितीय दोष दर्शाता
(ii) इस त्रुटि के कारण क्रिस्टल के घनत्व पर क्या प्रभाव होता है?
(iii) किस प्रकार के आयनिक यौगिक यह त्रुटि दर्शाते हैं?
उत्तर:
(i) क्रिस्टल में शॉट्की दोष (त्रुटि) है।
(ii) इस त्रुटि के कारण क्रिस्टल का घनत्व कम हो जाता है।
(iii) यह त्रुटि उन आयनिक यौगिकों द्वारा दर्शाई जाती है जिनमें धनायन तथा ऋणायन लगभग समान आकार के होते हैं।

प्रश्न 17.
एक तत्व जिसका घनत्व 11.2 g cm-3 जाक बनाता है जिसके किनारे की लम्बाई 4 × 10-8cm है तो तत्व का परमाणु द्रव्यमान परिकलित कीजिए । (NA = 6.022 × 1023 mol-1)
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 16

प्रश्न 18.
(i) LiCI के गुलाबी रंग के लिए किस प्रकार का अरससमीकरणमितीय दोष उत्तरदायी होता है?
(ii) NaCl किस प्रकार का रससमीकरणमितीय दोष दर्शाता है?
उत्तर:

  • ऋणायनिक रिक्तिका के कारण धातु आधिक्य दोष
  • शॉट्की दोष ।

प्रश्न 19.
( अ ) यह मानते हुए कि परमाणु एक-दूसरे के सम्पर्क में हैं, सरल घनीय धातु के क्रिस्टल में संकुलन क्षमता की गणना कीजिए ।
(ब) आयनिक ठोसों की प्रकृति के आधार पर फ्रेंकेल दोष एवं शॉटकी दोष की तुलना कीजिए।
उत्तर:
(अ) सरल घनीय क्रिस्टल की संकुलन क्षमता 52.4 प्रतिशत होती है जिसकी गणना निम्नलिखित है-
एक सरल घनीय जालक में परमाणु केवल घन के कोनों पर स्थित होते हैं। घन के किनारों पर स्थित कण एक-दूसरे के सम्पर्क में रहते हैं इसलिए घन की भुजा की लंबाई ‘a’ और प्रत्येक कण की त्रिज्या r में निम्न संबंध है –
a = 2r
अतः घनीय एकक कोष्ठिका का आयतन
= a3 = (2r)-3 = 8r3
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 17
चूँकि सरल घनीय एकक कोष्ठिका में केवल 1 परमाणु उपस्थित
इसलिए घेरे गए स्थान का आयतन = \(\frac { 4 }{ 3 }\)πr3,
अतः, संरचना की संकुलन क्षमता
एक परमाणु का आयतन घनीय एकक कोष्ठिका का आयतन
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 18
(ब) आयनिक ठोसों की प्रकृति के आधार पर फ्रेंकेल दोष एवं शॉट्की दोष की तुलना निम्नलिखित है
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 19

प्रश्न 20.
( अ ) षट्कोणीय क्रिस्टल तंत्र हेतु अक्षीय कोणों के मान लिखिए।
(ब) सिलिकन में बोरॉन अपमिश्रित करने पर किस प्रकार का अर्धचालक प्राप्त होता है? समझाइए ।
उत्तर:
(अ) षट्कोणीय क्रिस्टल तंत्र में अक्षीय कोण a, B तथा y का मान क्रमश: 90°, 90° तथा 120° होता है।
(ब) सिलिकन में बोरॉन अपमिश्रित करने पर p-प्रकार का अर्धचालक प्राप्त होता है क्योंकि बोरॉन में तीन संयोजी इलेक्ट्रॉन होते हैं अतः वह स्थान जहाँ चौथा इलेक्ट्रॉन नहीं होता उसे इलेक्ट्रॉन छिद्र कहते हैं। पास वाले परमाणु से इलेक्ट्रॉन आकर इस इलेक्ट्रॉन छिद्र को भर देता है, ऐसा होने पर वह अपने मूल स्थान पर इलेक्ट्रॉन छिद्र छोड़ देता है, इससे ऐसा लगता है जैसे कि इलेक्ट्रॉन छिद्र जिस इलेक्ट्रॉन द्वारा यह भरा गया है।

उसकी विपरीत दिशा में चल रहा है। विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में इलेक्ट्रॉन, इलेक्ट्रॉन छिद्रों में से धनावेशित प्लेट की ओर चलते हैं। परन्तु ऐसा लगता है जैसे इलेक्ट्रॉन छिद्र धनावेशित हैं तथा ॠणावेशित प्लेट की ओर चल रहे हैं । अतः इस प्रकार के अर्धचालकों को p-प्रकार के अर्धचालक कहते हैं। यहाँ p= धनात्मक (Positive)

प्रश्न 21.
उस यौगिक का सूत्र लिखिए जिसमें Y तत्त्व ccp जालक बनाता है और X के परमाणु चतुष्फलकीय रिक्तियों का 1/3 वाँ भाग घेरते हैं ।
उत्तर:
ccp जालक, तत्त्व Y से बना है अतः उत्पन्न चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या उसमें उपस्थित Y परमाणुओं की संख्या की दोगुनी होगी। इन रिक्तियों का 1/3 भाग X के परमाणुओं से भरा है अतः Y तथा X के परमाणुओं का अनुपात Y: 2X x 1/3 है। इसलिए यौगिक का सूत्र Y3X2 या X2Y3 है।

प्रश्न 22.
दिए गए दोषपूर्ण क्रिस्टल की जाँच कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 1 Img 20
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) उपर्युक्त दोष रससमीकरणमितीय (स्टॉइकियोमीट्रिक ) है अथवा अ-रससमीकरणमितीय ( अन-स्टॉइकियोमीट्रिक ) है ?
(ii) इलेक्ट्रॉन वाली स्थिति के लिए जो पद प्रयुक्त होता है, उसे लिखिए।
(iii) इस प्रकार का दोष दिखाने वाले यौगिक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • उपर्युक्त दोष अरससमीकरणमितीय है क्योंकि इस यौगिक के आयन रससमीकरणमितीय अनुपात में नहीं हैं।
  • इलेक्ट्रॉन की इस स्थिति को F केन्द्र कहते हैं ।
  • NaCl इस प्रकार का दोष दर्शाता है ।

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन

बहुविकल्पीय प्रश्न 

1. निम्नलिखित में से कौनसा पदार्थ दर्द निवारक (पीड़ाहारी) है?
(अ) ऐस्प्रिन
(स) इण्डिगो
(ब) पेनिसिलिन
(द) सैकरीन
उत्तर:
(अ) ऐस्प्रिन

2. निम्नलिखित में से कौनसा पदार्थ पूतिरोधी है ?
(अ) पैरासिटैमॉल
(ब) ल्यूमीनल
(स) डेटॉल
(द) प्रोथजिन
उत्तर:
(स) डेटॉल

3. सोडियम बेन्जोएट है-
(अ) खाद्य रंग
(ब) खाद्य परिरक्षक
(स) कृत्रिम मधुरक
(द) प्रति-ऑक्सीकारक
उत्तर:
(ब) खाद्य परिरक्षक

4. सैकरीन है-
(अ) खाद्य परिरक्षक
(ब) खाद्य रंग
(स) प्रति आक्सीकारक
(द) कृत्रिम मधुरक
उत्तर:
(द) कृत्रिम मधुरक

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन

5. अपमार्जक होते हैं-.
(अ) प्राकृतिक पदार्थ
(ब) क्षारीय
(स) संश्लेषित पदार्थ
(द) दुर्बल अम्ल तथा प्रबल क्षार का लवण
उत्तर:
(स) संश्लेषित पदार्थ

6. पैरासिटैमॉल का सही संरचना सूत्र निम्नलिखित में से कौनसा है?
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन 1
उत्तर:
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन 2

7. निम्नलिखित में से कौनसा पदार्थ लक्ष्य- अणु अथवा औषध-लक्ष्य है?
(अ) कार्बोहाइड्रेट
(ब) प्रोटीन
(स) न्यूक्लीक अम्ल
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

8. निम्नलिखित में से कौनसा पदार्थ कृत्रिम मधुरक है?
(अ) ऐस्पार्टेम
(ब) ऐलिटेम
(स) सूक्रालोस
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

9. निम्नलिखित में से अपमार्जक का सूत्र कौनसा है?
(अ) (C17H35COO)2Ca
(ब) CH3(CH2)10CH2O SO3 Na
(स) C17H35COONa
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) CH3(CH2)10CH2O SO3 Na

10. निम्नलिखित में से कौनसा पदार्थ पूतिरोधी तथा विसंक्रामक दोनों की भाँति कार्य करता है?
(अ) आयोडीन
(ब) फीनॉल
(स) क्लोरीन
(द) सोफ्रामाइसिन
उत्तर:
(ब) फीनॉल

11. साबुन तथा अपमार्जक होते हैं-
(अ) पृष्ठ अक्रिय
(ब) जल विरोधी
(स) पृष्ठ सक्रिय
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) पृष्ठ सक्रिय

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन

12. निम्नलिखित में से कौनसी औषध प्रतिजैविक नहीं है?
(अ) क्लॉरैम्फेनिकॉल
(ब) सल्फा औषध
(स) पेनिसिलिन
(द) बाइथायोनल
उत्तर:
(द) बाइथायोनल

13. 2-ऐसिटॉक्सी बेन्जोइक अम्ल है-
(अ) प्रतिरोधी
(ब) ज्वरनाशी
(स) प्रतिअम्ल
(द) प्रतिजैविक
उत्तर:
(ब) ज्वरनाशी

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1.
एन्जाइम संदमक किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वे औषध जो एन्जाइम के उत्प्रेरक कार्य में अवरोध उत्पन्न करती हैं, उन्हें एन्जाइम संदमक कहते हैं।

प्रश्न 2.
रासायनिक संदेशवाहक किन्हें कहते हैं ?
उत्तर:
वे रसायन जो दो तंत्र कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) और तंत्र कोशिकाओं तथा पेशी के मध्य संदेश का संचार करते हैं, उन्हें रासायनिक संदेशवाहक कहते हैं।

प्रश्न 3.
प्रतिहिस्टैमिन के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
संश्लिष्ट औषध, ब्रोमफेनिरामिन तथा टरफेनाडीन (सेलडेन) प्रतिहिस्टैमिन का कार्य करते हैं।

प्रश्न 4.
पीड़ाहारी के दो प्रकार बताइए ।
उत्तर:
पीड़ाहारी (i) अस्वापक (अनासक्त) या नॉन एडिक्टिव तथा (ii) स्वापक (नारकोटिक) प्रकार के होते हैं।

प्रश्न 5.
जनन नियंत्रण गोलियों में प्रयुक्त प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्न का नाम बताइए ।
उत्तर:
नॉरएथिनड्रान संश्लिष्ट प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्न है जिसे जनन नियंत्रण गोलियों में प्रयुक्त किया जाता है।

प्रश्न 6.
दर्द को कम करने के लिए प्रयुक्त मुख्य स्वापक पीड़ाहारी वर्ग कौनसा होता है?
उत्तर:
मार्फीन एक महत्त्वपूर्ण स्वापक पीड़ाहारी वर्ग है।

प्रश्न 7.
फेनैसिटीन किस बीमारी के इलाज के लिए प्रयुक्त किया जाता है?
उत्तर:
फेनैसिटीन एक ज्वरनाशी औषध होती है।

प्रश्न 8.
प्रभावी प्रतिअम्लों के उदाहरण बताइए।
उत्तर:
सिमेटिडीन तथा रेनिटिडीन (जैनटेक) प्रभावी प्रतिअम्ल हैं।

प्रश्न 9.
प्रशांतक क्या होते हैं?
उत्तर:
वे औषध जो बिना नींद के मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाती हैं तथा जिनका उपयोग तनाव तथा मानसिक बीमारियों में किया जाता है उन्हें प्रशान्तक कहते हैं।

प्रश्न 10.
पीड़ाहारी औषध क्या होते हैं?
उत्तर:
वे औषध जो तंत्रिका तंत्र में बाधा उत्पन्न किए बिना दर्द को कम अथवा समाप्त कर देती हैं, उन्हें पीड़ाहारी औषध कहते हैं।

प्रश्न 11.
प्रतिसूक्ष्म जैविक औषध क्या होते हैं?
उत्तर:
वे औषध जो जीवाणु, कवक, वायरस या परजीवियों को चयनित करके उनका विनाश करती हैं या उनकी वृद्धि को रोकती हैं अथवा सूक्ष्मजीवियों के परजीवी प्रभाव को रोकती हैं, उन्हें प्रतिसूक्ष्म जैविक औषध कहते हैं।

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प्रश्न 12.
आँखों के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पूतिरोधी का नाम बताइए।
उत्तर:
बोरिक अम्ल (H3BO3)

प्रश्न 13.
प्रतिजनन क्षमता औषध क्या होती है? इसके दो उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
वे औषध जो जीव की जनन क्षमता में कमी करती हैं उन्हें प्रतिजनन क्षमता औषध कहते हैं। उदाहरण- नारएथिनड्रान तथा एथाइनिलएस्ट्राडाइऑल (नोवएस्ट्रॉल)।

प्रश्न 14.
जैव निम्ननीकृत अपमार्जक में किस प्रकार की शृंखलाएँ होती हैं?
उत्तर:
जैव निम्ननीकृत अपमार्जक में अशाखित श्रृंखलाएँ होती हैं।

प्रश्न 15.
खाद्य पदार्थों में परिरक्षक क्यों मिलाए जाते हैं?
उत्तर:
खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकने के लिए परिरक्षक मिलाए जाते हैं ताकि वे खराब न हों।

प्रश्न 16.
कृत्रिम मधुरक सैकरीन का संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
सैकरीन का संरचना सूत्र अग्रलिखित है-
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प्रश्न 17.
अनआयनिक अपमार्जक किन यौगिकों से मिलकर बनता है?
उत्तर:
अनआयनिक अपमार्जक स्टीऐरिक अम्ल तथा पॉलिएथिलीन ग्लाइकॉल की अभिक्रिया से बनता है।

प्रश्न 18.
धनायनी अपमार्जक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सेटिल ट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड, एक धनायनी अपमार्जक है।

प्रश्न 19.
किसी औषध के लिए आण्विक लक्ष्य के चयन का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
किसी औषध के वांछित चिकित्सकीय प्रभाव को प्राप्त करने के लिए आण्विक लक्ष्य का चयन किया जाता है।

प्रश्न 20.
निम्नलिखित रोगों के इलाज में कौनसा ऐल्केलॉयड उपयोग किया जाता है ?

  1. मलेरिया बुखार
  2. हाइपर टेंशन
  3. दर्द

उत्तर:

  1. क्विनीन
  2. रेसर्पिन
  3. मॉर्फीन।

लघूत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1.
औषधों का वर्गीकरण किन-किन मापदंडों के अनुसार किया जाता है ?
उत्तर:
औषधों का वर्गीकरण निम्नलिखित मापदंडों के आधार पर किया जाता है-

  • भेषजगुणविज्ञानीय (फार्माकोलोजिकल) प्रभाव
  • औषध का प्रभाव
  • रासायनिक संरचना
  • लक्ष्य अणु।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित व्यापारिक नाम युक्त औषधियों में उपस्थित रसायनों का नाम बताइए-
(a) (i) क्रोसीन, (ii) डिस्प्रिन।
(b) साबुन में पूतिरोधी गुण उत्पन्न करने के लिए कौनसा यौगिक मिलाया जाता है?
उत्तर:
(a) (i) क्रोसीन – पेरासिटैमॉल, (ii) डिस्प्रिन – ऐसिटिल-सैलिसिलिक अम्ल।
(b) साबुन में पूतिरोधी गुण उत्पन्न करने के लिए बाइथायोनॉल मिलाया जाता है।

प्रश्न 3.
बाइथायोनॉल तथा क्लोरैम्फेनिकॉल की संरचना बताइए।
उत्तर:
(i) डेटॉल, क्लोरोजाइलिनॉल टर्पीनिऑल तथा परिशुद्ध ऐल्कोहॉल का मिश्रण होता है।
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(ii) बाइथायोनॉल (बाइथायोनैल) को साबुन में पूतिरोधी गुण उत्पन्न करने के लिए मिलाया जाता है।
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(iii) आयोडोफॉर्म (CHl3) को घावों पर पूतिरोधी के रूप में प्रयोग करते हैं क्योंकि यह विघटित होकर आयोडीन देता है।

(iv) बोरिक अम्ल (H3BO3) का तनु जलीय विलयन आँखों के लिए दुर्बल पूतिरोधी होता है।

(v) आयोडीन एक प्रबल पूतिरोधी है तथा इसके ऐल्कोहॉल-जल मिश्रण में 2-3% विलयन को आयोडीन का टिंक्चर कहते हैं। इसे घाव पर लगाया जाता है।

(vi) अनेक कार्बनिक रंजकों में बैक्टीरियाई कोशिका के केन्द्रक में उपस्थिति क्रोमेटिन से जुड़कर उसे निष्क्रिय कर देने की क्षमता होती है जिससे बैक्टीरिया निष्प्रभावी हो जाते हैं। उदाहरण- मेथिलीन ब्लू, मर्क्युरोक्रोम तथा जेन्शियन वायलेट।

(vii) पूतिरोधियों को टूथपेस्ट, माउथवाश, फेस पाउडर तथा साबुन को दुर्गन्धरहित करने के लिए भी मिलाया जाता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित औषधों का वर्गीकरण उनके उपयोग के आधार पर कीजिए –
(a) फीनॉल, बाइथॉयोनॉल, क्लोरोजाइलिनॉल तथा ऐम्पिसिलिन
(b) इक्वेनिल, ल्यूमिनल, फेनैसिटीन तथा वेरोनल।
उत्तर:
(a) पूतिरोधी – फीनॉल, बाइथॉयोनॉल, क्लोरोजाइलिनॉल, प्रतिजैविक – ऐम्पिसिलिन।
(b) प्रशान्तंक – इक्वेनिल, ल्यूमिनल तथा वेरोनल फेनैसिटीन – ज्वरनाशी।

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प्रश्न 5.
प्रतिअम्ल (एन्ट – एसिड) क्या होते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
मनुष्य द्वारा अत्यधिक मात्रा में चाय, कॉफी, अचार तथा ऐलोपेथी दवाइयों इत्यादि के सेवन से आमाशय में अम्ल का उत्पादन बढ़ जाता है जिससे अत्यधिक पीड़ा होती है तथा कभी-कभी आमाशय में घाव (अल्सर) भी हो जाते हैं। आमाशय की इस अम्लता को कम करने के लिए प्रतिअम्ल प्रयुक्त किए जाते हैं। अतः वे रासायनिक पदार्थ जो आमाशय की

अम्लता को कम करने के लिए प्रयुक्त होते हैं उन्हें प्रतिअम्ल कहते हैं।

प्रारम्भ में अम्लता का उपचार सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट (NaHCO3) या ऐलुमिनियम तथा मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड। Al(OH)3 तथा Mg(OH)2] द्वारा किया जाता था लेकिन NaHCO3 की अधिक मात्रा के कारण आमाशय क्षारीय हो जाता है जिसके कारण अम्ल का उत्पादन अधिक होता है। अतः धात्विक हाइड्रॉक्साइड अच्छे प्रतिअम्ल माने जाते हैं क्योंकि ये अविलेय होते हैं जिससे pH का मान 7 (उदासीन) से अधिक नहीं हो पाता है। इनोफ्रूटसाल्ट भी एक सामान्यतः प्रयुक्त किए जाने वाला प्रतिअम्ल है जिसे जल के साथ प्रयुक्त किया जाता है। उपरोक्त सभी प्रतिअम्लों से रोग का कारण ठीक नहीं होता, केवल रोग के लक्षण नियंत्रित होते हैं, अतः अत्यधिक मात्रा में अल्सर होना प्राणघातक भी हो सकता है। इस कारण पहले आमाशय के रोगयुक्त भाग को ही निकाल दिया जाता था।

आजकल पुदीन हरा जैसे हर्बल प्रतिअम्ल भी प्रयोग में लिए जाते हैं। आगे के शोध से ज्ञात हुआ कि सिमेटिडीन तथा रैनिटिडीन (ज़ैनटेक) प्रभावी प्रतिअम्ल हैं। हिस्टैमिन, आमाशय की दीवारों में स्थित ग्राही के साथ क्रिया करता है जिससे आमाशय में पेप्सिन तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का उत्पादन बढ़ जाता है जिसे रोकने के लिए सिमेटिडीन औषध का प्रयोग किया जाता है। लेकिन आजकल रेनिटिडीन को प्रतिअम्ल के रूप में सर्वाधिक मात्रा में उपयोग में लिया जाता है। वर्तमान में ओमेप्रेजॉल तथा लैन्सोप्रेजॉल को भी प्रतिअम्ल के रूप में प्रयुक्त किया जा रहा है।
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प्रश्न 6.
ग्राही (Receptors) किस प्रकार औषध लक्ष्य की तरह कार्य करते हैं? समझाइए।
उत्तर:
शरीर की संचार व्यवस्था में निर्णायक भूमिका निभाने वाले प्रोटीनों को ग्राही कहते हैं। इनमें से अधिकतर प्रोटीन, कोशिका झिल्ली (कला) में पाए जाते हैं तथा ये ग्राही प्रोटीन, कोशिका झिल्ली में इस प्रकार स्थित होते हैं कि उनकी सक्रिय सतह वाला छोटा भाग कोशिका झिल्ली के बाहरी क्षेत्र की और खुलता है।

शरीर में दो न्यूरॉन्स (तंत्र कोशिका) एवं न्यूरॉन तथा पेशी (Muscle) के मध्य संदेश का संचार कुछ रसायनों द्वारा होता है उन्हें रासायनिक संदेशवाहक (Chemical Messengers) कहा जाता है। ये रसायन ग्राही की बंधनी सतह द्वारा ग्रहण किए जाते हैं। ग्राही के आकार में परिवर्तन होने से संदेशवाहक, ग्राही के साथ समायोजित हो जाता है जिससे संदेश कोशिका तक पहुँच जाता है। इस प्रकार रासायनिक संदेशवाहक कोशिका में प्रवेश किए बिना ही संदेश को कोशिका के अन्दर पहुँचा देते हैं। रासायनिक संदेशवाहक दो प्रकार के होते हैं : (i) हॉर्मोन तथा (ii) तत्त्रिकीय संदेशवाहक।
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प्रश्न 7.
हिस्टैमिन तथा प्रतिहिस्टैमिन क्या होते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
प्रतिहिस्टैमिन, वे रासायनिक पदार्थ हैं जो त्वचा (Skin) पर उत्पन्न खुजली तथा जल इत्यादि के प्रभाव को कम करते हैं। हिस्टैमिन एक वाहिका विस्फारक (वैसोडाइलेटर) पदार्थ है जो कि श्वास नलिकाओं तथा आहार नली की पेशियों को संकुचित करता है एवं रुधिर वाहिकाओं की दीवारों को नरम (Relax) करता है। जुकाम के कारण होने वाला नासिक संकुलन (Nasal congestion) तथा परागकणों के कारण उत्पन्न एलर्जी भी हिस्टैमिन के कारण ही होती है। प्रतिहिस्टैमिन, हिस्टैमिन के प्राकृतिक कार्यों में बाधा उत्पन्न करते हैं।

प्रतिहिस्टैमिन, ग्राही की उस बंधनी सतह पर जुड़ती है जिस पर हिस्टैमिन अपना प्रभाव डालती है अर्थात् इस बंधनी सतह के लिए हिस्टैमिन तथा प्रतिहिस्टैमिन में प्रतिस्पर्धा होती है। ब्रोमफेनिरामिन (डाइमेटेप) तथा टरफेनाडीन (सेलडेन ) नामक संश्लिष्ट औषध, प्रतिहिस्टैमिन का कार्य करती हैं। प्रतिहिस्टैमिन, आमाशय के अम्ल स्रवण पर प्रभाव नहीं डालती क्योंकि प्रतिएलर्जी तथा प्रति-अम्ल औषध भिन्न-भिन्न ग्राहियों पर कार्य करती है।
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प्रश्न 8.
स्वापक पीड़ाहारी क्या होते हैं? समझाइए।
उत्तर:
स्वापक (नारकोटिक या ऐनाल्जेसिक) पीड़ाहारी-ये पीड़ाहारी दर्द को कम करते हैं लेकिन इनसे नींद तथा बेहोशी आती है। इनकी अधिक मात्रा के सेवन से भावशून्यता (Stupor), कोमा में आना (सम्मूच्छा ) तथा मरोड़ (Convulsions) जैसे प्रभाव उत्पन्न होते हैं तथा अन्त में मृत्यु भी हो सकती है।

मॉर्फीन एक महत्वपूर्ण स्वापक पीड़ाहारी वर्ग है, इन्हें ओपिएट्स (अहिफेनी) भी कहते हैं क्योंकि ये पोस्त (ओपियम पौपी) से प्राप्त किए जाते हैं। ये पीड़ाहारी मुख्यतः हृदय के दर्द, ऑपरेशन (शल्य चिकित्सा) के बाद होने वाले दर्द, प्रसव पीड़ा तथा कैंसर की अन्तिम अवस्था में होने वाले दर्द से आराम देने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं। इन पीड़ाहारियों के प्रयोग से मनुष्य इनका आदी हो जाता है। हेरोइन तथा कोडीन भी महत्वपूर्ण स्वापक पीड़ाहारी होती हैं। हेरोइन को मॉर्फीन के ऐसिटिलीकरण द्वारा बनाया जाता है तथा यह एक शक्तिशाली पीड़ाहारी है।
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प्रश्न 9.
प्रतिजैविक (एन्टिबायोटिक) क्या होते हैं ? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रतिजैविक (ऐन्टिबॉयोटिक) या प्रतिजीवाणु-प्रतिजैविक वे औषध हैं, जो सूक्ष्म जीवों (Micro organisms) जैसे जीवाणु (वायरस) तथा कवक (फफूँदी) द्वारा उत्पन्न होते हैं तथा ये अन्य सूक्ष्मजीवों के उपापचयी प्रक्रमों में अवरोध उत्पन्न करके उनकी वृद्धि को रोकते हैं या उनका विनाश करते हैं। प्रतिजैविक, पूर्ण अथवा आंशिक रासायनिक संश्लेषण द्वारा प्राप्त की जाती हैं।

इन्हें कम सान्द्रता में प्रयुक्त किया जाता है तथा ये कम विषैली होती हैं अतः इन्हें संक्रमण (Infections) के उपचार हेतु प्रयोग में लिया जाता है। उन्नीसवीं शताब्दी में ऐसे रसायनों की खोज हुई जो आक्रमणकारी जीवाणुओं पर तो प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं, लेकिन परपोषी (होस्ट) पर इनका कोई प्रभाव नहीं होता। प्रतिजैविकों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-
1. आर्सेनिक आधारित औषध आर्सफेनेमीन (सैल्वरसैन) सिफलिस के उपचार के लिए प्रयुक्त होती है, जिसकी खोज पॉल एर्लिश ने की थी। सैल्वरसैन मनुष्य के लिए विषैली होती है, लेकिन इसका प्रभाव मनुष्य की अपेक्षा सिफलिस उत्पन्न करने वाले जीवाणु (स्पाइरोकीट) पर अधिक होता है।

2. प्रॉन्टोसिल एक प्रतिजीवाणु है जो शरीर में सल्फैनिलऐमाइड में बदल जाता है जो कि वास्तविक असरकारक सल्फा औषध है।
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3. सल्फा औषधों में सल्फापिरिडीन सर्वाधिक प्रभावकारी प्रतिजैविक होती है।
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4. सल्फोनैमाइडों की सफलता के बाद 1929 में ऐलेक्जेन्डर फ्लैमिंग ने पेनिसिलियम नोटेटम नामक फफूँदी से एक प्रतिजैविक औषधि पेनिसिलिन की खोज की, जिसका सामान्य सूत्र निम्नलिखित है-
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पेनिसिलिन देने से पहले इसके प्रतिएलर्जी का परीक्षण करना आवश्यक होता है। प्रतिजैविक, सूक्ष्म जीवों को नष्ट करते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोकते हैं। कुछ जीवाणुनाशी (Bactericidal) तथा जीवाणुरोधी (Bacteriostatic) प्रतिजैविकों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-

जीवाणुनाशीजीवाणुरोधी
पेनिसिलिनएरिश्रोमाइसिन
ऐमीनोग्लाइकोसाइडटेट्रासाइक्लीन
ऑफ्लोक्सासिनक्लौरैम्फेनिकॉल

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प्रश्न 10.
प्रतिजनन क्षमता औषध क्या होती हैं? समझाइए।
उत्तर:
वे औषध जो जीव की जनन क्षमता में कमी करती हैं, उन्हें प्रतिजननक्षमता औषध कहते हैं। जनन नियंत्रण गोलियों में संशिलष्ट एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्नों का मिश्रण होता है। ये दोनों ही हार्मोन होते हैं। प्रोजेस्टेरोन अंडोत्सर्ग को निरोधित करता है। संश्लेषित प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्न प्राकृतिक प्रोजेस्टेरोन की तुलना में अधिक प्रभावशाली होते हैं। नॉरएथिनड्रान एक संशिलष्ट प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्न है जिसे मुख्य रूप से जनन नियंत्रण गोलियों में प्रयुक्त किया जाता है। एथाइनिलएस्ट्राडाइऑल (नोवएस्ट्रॉल) एक एस्ट्रोजन व्युत्पन्न है जिसे प्रोजेस्टेरोन व्युत्पन्न के साथ जनन नियंत्रण गोलियों में प्रयुक्त किया जाता है।
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वे यौगिक जो गर्भधारण में रुकावट डालते हैं उन्हें गर्भ निरोधक पदार्थ (Contraceptive Substances) कहते हैं तथा वे रसायन जिनसे सन्तानोत्पत्ति की क्षमता नष्ट हो जाती है उन्हें रसोबन्ध्यक (Chemosterilants) कहा जाता है।

उदाहरण-
(i) मटर के तेल से प्राप्त m-जाइलोहाइड्रोक्विनोन चूहों में गर्भ धारण क्षमता को कम कर देता है तथा इसका महिलाओं की गर्भधारण क्षमता पर भी काफी प्रभाव होता है।
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(ii) डैनैजॉल नामक रसायन से पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में प्रभावी कमी आ जाती है।

(iii) बिनौले के तेल से प्राप्त गोसिपॉल नामक ऐरोमैटिक हेक्साहाइड्रॉक्सीडाइऐल्डिहाइड पुरुषों के लिए सर्वाधिक प्रभावी प्रतिनिषैची (प्रतिजनन क्षमता) कर्मक होता है।
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प्रश्न 11.
सैकरीन के संश्लेषण में प्रयुक्त अभिक्रिया अनुक्रम लिखिए।
उत्तर:
वे पदार्थ जो शर्करा (Sugar) के स्थान पर मधुरक (Sweetening agent) के रूप में प्रयोग में लिए जाते हैं लेकिन उनका कोई पोषण मान (Nutritional value) नहीं होता, उन्हें कृत्रिम मधुरक कहते हैं।

प्राकृतिक मधुरक जैसे सूक्रोस इत्यादि ग्रहण की गई कैलोरी मान को बढ़ाते हैं। अतः आजकल बहुत से व्यक्ति कृत्रिम मधुरकों का प्रयोग करने लगे हैं। सैकरीन एक प्रथम अधिक प्रचलित कृत्रिम मधुरक है जिसकी खोज 1879 में हुई थी। यह सूक्रोस से लगभग 550 गुना अधिक मीठी होती है तथा इसका रासायनिक नाम आर्थोसल्फो-बेन्जीनीमाइड है तथा यह एक श्वेत क्रिस्टलीय ठोस है।

सैकरीन के प्रयोग का लाभ यह है कि इसका शरीर में पाचन नहीं होता तथा यह अपरिवर्तित रूप में ही मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाती है क्योंकि यह पूर्णतः अक्रिय होता है तथा इससे कोई हानि भी नहीं होती। इसी कारण इसे मधुमेह के रोगियों के लिए आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है।

सैकरीन जल में अविलेय होती है लेकिन इसका सोडियम लवण जल में विलेय होता है। सैकरीन का संश्लेषण निम्नलिखित प्रकार से किया जाता है-
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सैकरीन के अतिरिक्त ऐस्पार्टेम सूक्रालोस तथा ऐलिटेम भी महत्वपूर्ण कृत्रिम मधुरक हैं।
(i) ऐस्पार्टेम-यह एक व्यापक रूप से प्रयुक्त किए जाने वाला कृत्रिम मधुरक है। यह एस्पार्टिक अम्ल तथा फेनिलऐलानिन से बने डाइपेप्टाइड का मेथिल एस्टर है। यह सूक्रोस की तुलना में लगभग 100 गुना अधिक मीठा होता है। एस्पार्टेम का प्रयोग केवल ठंडे खाद्य एवं पेय पदार्थों को मीठा करने के लिए ही प्रयुक्त किया जाता है क्योंकि इसे खाना बनाने के ताप तक गर्म करने पर यह विघटित हो जाता है। इसकी संरचना निम्नलिखित है-
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(ii) सूक्रालोस-यह सूक्रोस का ट्राइक्लोरो व्युत्पन्न है। शर्करा के समान यह भी क्रिस्टलीय ठोस होता है लेकिन यह सूक्रोस की तुलना में लगभग 600 गुना मीठा होता है। यह खाना पकाने के तापमान पर स्थायी होता है तथा इससे कोई कैलोरी प्राप्त नहीं होती है। सूक्रालोस संरचना निम्नलिखित है-
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(iii) ऐलिटेम-यह एक प्रबल कृत्रिम मधुरक है तथा ऐस्पार्टेम की तुलना में अधिक स्थायी होता है। यह सूक्रोस से लगभग 2000 गुना अधिक मीठा होता है तथा इसकी मिठास को नियंत्रित करना कठिन होता है। इसकी संरचना निम्नलिखित है-
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प्रश्न 12.
एक अच्छे खाद्य परिरक्षक के गुण बताइए।
उत्तर:
खाद्य पदार्थों को पड़ा रखने पर उनमें सूक्ष्म जीव उत्पन्न हो जाते हैं जिसके कारण ये खराब हो जाते हैं। अतः वे पदार्थ जिन्हें खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। उन्हें खाद्य परिरक्षक कहते हैं।

कुछ सामान्य परिक्षक निम्नलिखित हैं-साधारण नमक, चीनी, वनस्पति तेल, सोडियम बेन्जोएट (C6H5COONa), सॉर्बिक अम्ल तथा प्रोपेनॉइक अम्ल के लवण।

सोडियम बेन्जोएट का प्रयोग सीमित मात्रा में किया जाता है क्योंकि यह शरीर द्वारा उपापचयित हो जाता है।

एक अच्छे खाद्य परिरक्षक में निम्नलिखित गुण होने चाहिये-

  • खाद्य पदार्थों पर इनका लम्बे समय तक असर रहना चाहिए।
  • ये स्वादहीन होने चाहिए।
  • इन्हें अल्प मात्रा में ही प्रयुक्त किया जाना चाहिए।
  • इनकी खाद्य पदार्थों से कोई क्रिया नहीं होनी चाहिए।
  • इनके प्रयोग से जलन, अम्लता, एलर्जी, गैस तथा पित्त नहीं होनी चाहिए।

प्रश्न 13.
साबुन क्या होते हैं तथा इन्हें किस प्रकार बनाया जाता है ?
उत्तर:
दीर्घ श्रृंखलायुक्त वसा अम्लों के सोडियम तथा पोटैशियम लवणों को साबुन कहते हैं। संतृप्त तथा असंतृप्त मोनोकार्बोक्सिलिक अम्लों को वसा अम्ल (Fatty Acids) कहते हैं। जैसे स्टिऐरिक अम्ल (C17H35COOH), पामिटिक अम्ल (C15H31COOH) तथा ओलीक अम्ल (C17H33COOH)। ये प्रकृति में प्रमुखता से पाये जाते हैं।

वसा अम्लों के सेडियम लवणों को सोडियम साबुन अथवा कठोर साबुन (Hard Soaps) अथवा धावन साबुन (Washing Soaps) कहते हैं, जबकि पोटैशियम साबुन को नहाने के साबुन (Bathing Soaps) अथवा मृदु साबुन (Soft Soaps) कहते हैं।

साबुन बनाना – वसा (वसा अम्लों के ग्लिसरिल एस्टर) को सोडियम हाइड्रॉक्साइड के जलीय विलयन के साथ गर्म करने पर साबुन प्राप्त होता है तथा साबुन बनाने की इस प्रक्रिया को साबुनीकरण ( Saponification) कहते हैं। इस अभिक्रिया में वसा अम्लों के एस्टर का जल अपघटन होता है तथा प्राप्त साबुन कोलॉइडी अवस्था में होता है। इसे विलयन में सोडियम क्लोराइड (NaCl) डालकर अवक्षेपित कर लेते हैं। साबुन को पृथक् कर लेने के बाद बचे हुए विलयन में ग्लिसरॉल रह जाता है जिसे प्रभाजी आसवन के द्वारा प्राप्त किया जाता है।
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आठ से अठारह कार्बन परमाणु युक्त साबुन की गुणवत्ता अच्छी होती है । अठारह से अधिक कार्बन होने पर इनकी जल में विलेयता कम होती है तथा अठारह से कम कार्बन होने पर इनकी शोधन शक्ति (Cleansing Power) कम हो जाती है। सोडियम तथा पोटेशियम साबुन जल में विलेय होते हैं तथा इन्हें सफाई के लिए प्रयुक्त किया जाता है। पोटेशियम साबुन मृदु होते हैं अतः इस प्रकार के साबुन त्वचा के लिए कोमल होते हैं। पोटेशियम साबुन बनाने के लिए NaOH के विलयन के स्थान पर KOH का विलयन लिया जाता है।

साबुन के प्रकार (Types of Soaps ) साबुनों के उपयोगों के आधार पर ये अग्रलिखित प्रकार के होते हैं-
(i) प्रसाधन साबुन (Toilet Soap ) – ये अच्छे वसा एवं तेलों से बनाए जाते हैं तथा इनसे क्षार के आधिक्य को निकाल लिया जाता है। इन्हें आकर्षक बनाने के लिए इनमें रंग तथा सुगंध मिलाते हैं।

(ii) पानी में तैरने वाले साबुन (Floating Soap ) – तैरने वाले साबुन बनाने के लिए इनके कठोर होने से पहले इनमें वायु के छोटे-छोटे बुलबुले विस्पंदित (प्रवाहित ) किए जाते हैं।

(iii) पारदर्शी साबुन (Transparent Soap ) – साबुन को एथेनॉल में मोलकर और फिर विलायक के आधिक्य को वाष्पित करने से पारदर्शी साबुन बनते हैं।

(iv) औषध ‘साबुन (Medicated Soap ) – इनमें औषधीय गुण वाले पदार्थ मिलाए जाते हैं। कुछ साबुनों में गंधहारी (Deodorants) पदार्थं भी मिलाए जाते हैं।

(v) दाढ़ी बनाने का साबुन (Shaving Soap ) – दाढ़ी बनाने साबुन बनाने के लिए इसमें रोजिन नामक गोंद मिलायी जाती है जिससे सोडियम रोजिनेट बनता है जो झाग बनाने में मदद करता है तथा इसे जल्दी सूखने से बचाने के लिए इसमें ग्लिसरॉल भी मिलाया जाता है।

धुलाई के साबुन में सोडियम रोजिनेट, सोडियम कार्बोनेट, सोडियम सिलिकेट तथा बोरेक्स जैसे पूरक (Fillers) भी मिलाए जाते हैं तथा साबुन की छीलन ( Soap Chips) बनाने के लिए ठंडे सिलिंडर पर साबुन की पतली परत चढ़ाकर उसे छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में खुरच लिया जाता है। दानेदार साबुन (Soap Granules) सूखे हुए साबुन के छोटे-छोटे बुलबुले होते हैं।

साबुन का पाउडर तथा मार्जन साबुन में कुछ साबुन, मार्जक (अपघर्षी) जैसे झामक चूर्ण ( Powdered Pumice) या बारीक रेत तथा सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) एवं ट्राइसोडियम फॉस्फेट (Na3PO4) जैसे बिल्डर मिले होते हैं। बिल्डर से साबुन की क्रियाशीलता बढ़ जाती है।

साबुन की शोधन क्रिया (Cleansing Action of Soaps) – साबुन की शोधन क्रिया में पायसीकरण ( इमल्सीकरण ) होता है। इस प्रक्रिया में साबुन, कपड़े पर लगे ग्रीस तथा मिट्टी के कणों का जल के साथ इमल्सन (पायस) बनाने में मदद करता है।

स्पष्टीकरण (Explanation ) – साबुन के अणु में अध्रुवीय जल विरोधी तथा ध्रुवीय जलस्नेही भाग होता है। कपड़े की सतह पर मिट्टी के कण, ग्रीस या तेल द्वारा चिपके रहते हैं। ग्रीस या तेल जल में अविलेय होता है अतः मिट्टी के कणों को केवल जल द्वारा नहीं हटाया जा सकता। जब साबुन का प्रयोग किया जाता है तो इसका अध्रुवीय एल्किल समूह तेल की बूंदों में विलेय होता है जबकि ध्रुवीय – COON+a समूह जल में विलेय होता है अतः तेल की प्रत्येक बूँद के चारों ओर ऋणावेश आ जाता है इससे इमल्सन बन जाता है तथा मिट्टी के कण युक्त तेल की बूँदें जल द्वारा साफ हो जाती हैं।
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साबुन केवल मृदु जल (Soft Water) में ही कार्य करते हैं। कठोर जल में नहीं, क्योंकि कठोर जल में Ca2+ तथा Mg2+ आयन होते हैं इसलिए सोडियम अथवा पोटैशियम साबुन को कठोर जल में घोलने पर वह अघुलनशील कैल्सियम तथा मैग्नीशियम साबुन में परिवर्तित हो जाता है।
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ये अघुलनशील साबुन, मलफेन (Scum) की भाँति जल से पृथक् हो जाते हैं तथा शोधन अभिकर्मक के रूप में उपयुक्त नहीं रहते। ये अच्छी धुलाई में रुकावट डालते हैं क्योंकि यह अवक्षेप कपड़ों पर चिपक जाता है। कठोर जल से धुले बाल इसी चिपचिपे पदार्थ के कारण ही चमकदार नहीं होते हैं। कठोर जल और साबुन से धुले कपड़ों में इस चिपचिपे पदार्थ के कारण रंजक भी एकसमान रूप से अवशोषित नहीं होता है।

प्रश्न 14.
अपमार्जकों के संश्लेषण की विधियों के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
अपमार्जकों का संश्लेषण (Synthesis of Detergents) – अपमार्जकों को निम्नलिखित विधियों द्वारा संश्लेषित किया जाता है-
(i)
HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन 22
(ii) रीड अभिक्रिया द्वारा (By Reed Reaction)
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साबुन तथा अपमार्जक में अन्तर (Difference between Soaps and Detergents)
(i) उच्चतर (दीर्घ श्रृंखला युक्त) मोनोकार्बोक्सिलिक अम्लों का सोडियम अथवा पोटैशियम लवण साबुन कहलाता है, जबकि उच्चतर ऐल्केन सल्फोनिक अम्ल अथवा ऐल्केन हाइड्रोजनसल्फेट के सोडियम लवणों को अपमार्जक कहते हैं। अर्थात् साबुन तथा अपमार्जक के ध्रुवीय सिरे में रासायनिक भिन्नता होती है।

(ii) साबुन दुर्बल अम्ल (RCOOH) तथा प्रबल क्षार के लवण होते हैं; जबकि अपमार्जक, प्रबल अम्ल (RSO3H अथवा RSO4H ) तथा प्रबल क्षार के लवण होते हैं। इसी कारण कठोर जल में उपस्थित Ca2+ तथा Mg2+ आयन साबुन के साथ क्रिया करके कैल्सियम तथा मैग्नीशियम लवण बनाते हैं, जो कि सहसंयोजी होने के कारण जल में अविलेय होते हैं। अपमार्जक कठोर जल में भी शोधन करते हैं क्योंकि इनके कैल्सियम तथा मैग्नीशियम आयनिक प्रकृति के होने के कारण जल में विलेय होते हैं।

(iii) साबुन जल अपघटित होकर क्षारीय विलयन देते हैं, जबकि अपमार्जक का जलीय विलयन उदासीन होता है। इसी कारण अपमार्जकों को ऊनी, रेशमी तथा अन्य कोमल वस्त्रों को धोने के काम में लेते हैं, लेकिन साबुन द्वारा इन कोमल वस्त्रों का शोधन नहीं किया जा सकता है।
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बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पदार्थ क्या होते हैं? प्रत्येक का एक- एक उदाहरण दीजिए-
(i) धनायनी अपमार्जक
(ii) एन्जाइम
(iii) स्वीटनिंग कर्मक या मिठासकारक (मधुरक)।
उत्तर:
(i) धनायनी अपमार्जक ऐमीनो के ऐसीटेट, क्लोराइड या ब्रोमाइड आयनों के साथ बने चतुष्क अमोनियम लवण होते हैं। उदाहरण- सेटिलट्राइमेथिल अमोनियमब्रोमाइड।

(ii) जैव रासायनिक अभिक्रियाओं में उत्प्रेरक का कार्य करने वाले प्रोटीन युक्त पदार्थों को एन्जाइम अथवा जैव उत्प्रेरक कहते हैं। उदाहरण- यूरिऐस।

(iii) वे पदार्थ जो शर्करा के स्थान पर मधुरक के रूप में प्रयुक्त किए जाते हैं, उन्हें कृत्रिम मधुरक कहते हैं। उदाहरण- सैकरीन।

प्रश्न 2.
प्रत्येक स्थिति में एक-एक उदाहरण सहित निम्नलिखित पदों की व्याख्या कीजिए-
(i) खाद्य परिरक्षक
(ii) अपमार्जक
(iii) एन्टासिड (Antacid)।
उत्तर:
(i) खाद्य परिरक्षक- वे पदार्थ जो खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं उन्हें खाद्य परिरक्षक कहते हैं। उदाहरण- सोडियम बेन्जोएट।

(ii) अपमार्जक – वे शोधन अभिकर्मक जिनमें साबुन के सभी गुण पाए जाते हैं लेकिन रासायनिक दृष्टि से ये साबुन नहीं होते हैं उन्हें अपमार्जक कहते हैं। उदाहरण- सेटिल ट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड।

(iii) एन्टासिड (प्रतिअम्ल) वे औषध होती हैं जो आमाशय में उत्पन्न अधिक अम्ल के प्रभाव को समाप्त करके पीड़ा से बचाती हैं। जैसे- रैनिटिडीन।

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प्रश्न 3.
रोगाणुनाशी और पूतिरोधी पदार्थों के बीच अंतर कीजिए।
उत्तर:
पूतिरोधी तथा विसंक्रामी (संक्रमणहारी) ऐसे रसायन होते हैं जो या तो सूक्ष्मजीवियों को मार देते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोकते हैं।

पूतिरोधियों (Antiseptic) को सजीव ऊतकों, जैसे-घाव, चोट तथा अल्सर पर लगाया जाता है। फ्यूरासिन तथा सोफ्रामाइसिन इसके मुख्य उदाहरण हैं।

संक्रमणहारी (रोगाणुनाशी) (Disinfectant) भी सूक्ष्मजीवियों को नष्ट करते हैं तथा इनका प्रयोग निर्जीव वस्तुओं जैसे-फ़र्श, नालियाँ तथा यंत्रों को रोगाणुमुक्त करने में प्रयुक्त किया जाता है। उदाहरण-फ़ीनॉल का एक प्रतिशत विलयन।

प्रश्न 4.
(i) ऋणायनिक एवं धनायनिक अपमार्जक किसे कहते हैं? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण भी लिखिए।
(ii) निम्नलिखित के संरचना सूत्र लिखिए-
(A) बाईथायोनल
(B) सैकरीन।
अथवा
(i) साबुन किसे कहते हैं? साबुनीकरण की अभिक्रिया लिखिए। साबुन के दो प्रकारों का वर्णन कीजिए।
(ii) स्वापक व अस्वापक पीड़ाहारी में दो अन्तर लिखिए।
उत्तर:
(i) संश्लिष्ट अपमार्जक (Synthetic Detergents) – संश्लिष्ट अपमार्जक वे शोधन अभिकर्मक (Cleansing Agents) होते हैं जिनमें साबुन के सभी गुण पाए जाते हैं लेकिन रासायनिक दृष्टि से ये साबुन नहीं होते हैं। अतः इन्हें साबुन रहित साबुन या सिन्डेट्स भी कहा जाता है।

अपमार्जक कठोर जल में भी झाग बनाते हैं अतः इन्हें कठोर तथा मृदु दोनों प्रकार के जल में उपयोग में लिया जा सकता है।

संश्लिष्ट अपमार्जक तीन प्रकार के होते हैं-
(a) धनायनी अपमार्जक
(b) ऋणायनी अपमार्जक
(c) अनआयनिक अपमार्जक।
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(a) धनायनी अपमार्जक (Cationic Detergents)-धनायनी अपमार्जक एमीनों के ऐसीटेट, क्लोराइड या ब्रोमाइड आयनों के साथ बने चतुष्क अमोनियम लवण होते हैं। इनमें धनात्मक भाग में लंबी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला तथा नाइट्रोजन परमाणु पर धन आवेश होता है। अतः इन्हें धनायनी अपमार्जक कहते हैं। उदाहरण-सेटिलट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड।

धनायनी अपमार्जकों को बालों के कन्डीशनरों में प्रयुक्त किया जाता है तथा इनमें जीवाणुनाशक गुण पाया जाता है। महंगे होने के कारण इनका उपयोग सीमित मात्रा में होता है।

(b) ऋणायनी अपमार्जक (Anionic Detergents)-ऋणायनी अपमार्जक लम्बी श्रंखलायुक्त सल्फोनीकृत ऐल्कोहॉलों अथवा हाइड्रोकार्बनों के सोडियम लवण होते हैं। जैसे-सोडियम p-ऐल्किल बेन्जीन सल्फ्रेनेट तथा सोडियम लॉरिल सल्फोनेट या सल्फेट। दीर्घ शृंखला वाले ऐल्कोहॉलों की सांद्र सल्प्यूरिंक अम्ल (H2SO4 के साथ अभिक्रिया कराने पर पहले ऐल्किल हाइड्रोजन सल्फेट बनते हैं जिनकी क्रिया क्षार से कराने पर ऋणायनी अपमार्जक बनते हैं। इसी प्रकार ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनेट, ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनिक अम्लों की क्षार के साथ क्रिया से प्राप्त होते हैं।
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ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनेटों के सोडियम लवण महत्त्वपूर्ण ऋणायनी अपमार्जक होते हैं। ऋणायनी अपमार्जकों में इनका ऋणात्मक भाग शोधन (Cleansing) क्रिया में भाग लेता है। ये सामान्यतः घरेलू उपयोग में आते हैं। ऋणायनी अपमार्जक दंतमंजन में भी प्रयुक्त किए जाते हैं।

(c) अनआयनिक अपमार्जक (Non-Ionic Detergents) अनायनिक अपमार्जकों में कोई आयन नहीं होता है, अतः इसे अनआयनिक अपमार्जक कहते हैं। उदाहरण-(i) स्टिऐरिक अम्ल तथा पॉलीएथिलीन ग्लाइकॉल की अभिक्रिया से बना अपमार्जक।
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(ii) संरचना सूत्र
(A) बाईथायोनल
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(B) सैकरीन
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प्रश्न 5.
(अ) साबुन व संश्लेषित अपमार्जक में दो अन्तर दीजिए।
(ब) निम्नलिखित को कृत्रिम मधुरक, परिरक्षक, साबुन, अपमार्जक में वर्गीकृत कीजिए-
सोडियम पॉमिटेट, सुक्रालोस, सार्बिक अम्ल का लवण, सेटिल ट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड ।
अथवा
(अ) पूतिरोधी व विसंक्रामी में दो अन्तर दीजिए।
(ब) निम्नलिखित को प्रतिहिस्टैमिन, प्रतिअम्ल, प्रशांतक, प्रतिजैविक औषधि में वर्गीकृत कीजिए-
पेनिसिलीन, मेप्रोबमेट, टरफेनाडीन, रैनिटिडीन।
उत्तर:
(अ) (i) साबुन कठोर जल में कार्य नहीं करते जबकि संश्लेषित अपमार्जक कठोर जल में भी कार्य करते हैं।
(ii) साबुन को मृदु कपड़ों (Soft cloths) जैसे ऊन, रेशम आदि को धोने में प्रयुक्त नहीं किया जाता है जबकि अपमार्जकों द्वारा इन्हें धोया जा सकता है।

(ब) कृत्रिम मधुरक- सुक्रालोस
परिरक्षक-सार्विक अम्ल का लवण
साबुन- सोडियम पॉमिटेट
अपमार्जक सेटिल ट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड।
अथवा
(अ) पूतिरोधी तथा विसंक्रामी (संक्रमणहारी) ऐसे रसायन होते हैं जो या तो सूक्ष्मजीवों का विनाश करते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोकते हैं। पूतिरोधियों (Antiseptic) को सजीव ऊतकों, जैसे- घाव, चोट तथा अल्सर पर लगाया जा सकता है। उदाहरण- फ्यूरासिन तथा सोफ्रामाइसिन।

संक्रमणहारी (Disinfectant) का प्रयोग निर्जीव वस्तुओं, जैसे- फर्श, नालियों तथा यंत्रों पर किया जाता है। उदाहरण- फीनॉल का एक प्रतिशत विलयन सान्द्रता परिवर्तन से वही पदार्थ पूतिरोधी अथवा विसंक्रामी का कार्य कर सकता है।

(ब) प्रतिहिस्टैमिन – टरफेनाडीन
प्रतिअम्ल – रैनिटिडीन
प्रशांतक – मेप्रोबमेट
प्रतिजैविक – पेनिसिलीन

प्रश्न 6.
(अ) मधुमेह के रोगियों को कृत्रिम मधुरकों की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
(ब) एक खाद्य परिरक्षक का नाम लिखिए। यह खाद्य परिरक्षण किस प्रकार करता है?
(स) ऋणायनी अपमार्जक का नाम एवं सूत्र लिखिए।
उत्तर:
(अ) प्राकृत मधुरक जैसे सूक्रोस ग्रहण की गई कैलोरीमान बढ़ाते हैं अतः मधुमेह के रोगियों को कृत्रिम मधुरकों की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि कृत्रिम मधुरक अपरिवर्तित रूप में ही मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाते हैं तथा ये पूर्णतः अक्रिय होते हैं एवं इनसे कोई हानि नहीं होती। ये कैलोरी में भी वृद्धि नहीं करते हैं।

(ब) सोडियम बेन्जोएट एक खाद्य परिरक्षक है। खाद्य पदार्थों में सूक्ष्म जीवों की वृद्धि होती है जिसके कारण ये खराब हो जाते हैं। खाद्य परिरक्षक इन सूक्ष्म जीवों की वृद्धि को रोकते हैं जिससे खाद्य पदार्थ खराब नहीं होते हैं।

(स) सोडियम लॉरिल सल्फेट [CH3(CH2)10CH2OSO2Na+] एक ऋणायनी अपमार्जक है।

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प्रश्न 7.
(i) रैनिटिडीन किस वर्ग की औषध है?
(ii) यदि जल में Ca2+ आयन घुले हुए हैं तो कपड़ों को साफ
करने के लिए आप साबुन तथा अपमार्जक में से किसे प्रयुक्त करेंगे?
(iii) निम्नलिखित में से कौनसा पूतिरोधी है ?
0.2% फीनॉल, 1% फीनॉल
उत्तर:
(i) रैनिटिडीन एक प्रतिअम्ल है क्योंकि यह आमाशय की अम्लता को दूर करती है।

(ii) जल में Ca2+ आयन घुले हुए हैं अतः यह कठोर जल है। इसलिए कपड़ों को साफ करने के लिए साबुन की तुलना में अपमार्जकों को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि अपमार्जकों के कैल्सियम लवण जल में विलेय होते हैं जबकि साबुन के कैल्सियम लवण जल में अविलेय होते हैं अतः अधिक साबुन बेकार चला जाता है।

(iii) 0.2% फीनॉल, पूतिरोधी की भांति व्यवहार करता है जबकि 1% फीनॉल रोगाणुनाशी होता है।

प्रश्न 8.
(i) दो वृहत अणुओं के उदाहरण बताइए जिन्हें औषध लक्ष्य की तरह चुना जाता है।
(ii) पूतिरोधी क्या होते हैं ? एक उदाहरण दीजिए।
(iii) ऐस्पार्टेम का प्रयोग ठंडे खाद्य तथा पेय पदार्थों तक ही क्यों सीमित है ?
उत्तर:
(i) न्यूक्लिक अम्ल तथा प्रोटीन ऐसे वृहत अणु हैं जिन्हें औषध लक्ष्य की तरह चुना जाता है।

(ii) पूतिरोधी वे रसायन हैं जो सूक्ष्मजीवियों को मार देते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोक देते हैं लेकिन जिनका ऊतकों पर कोई प्रभाव नहीं होता है। उदाहरण-बोरिक अम्ल का तनु विलयन

(iii) ऐस्पार्टेम खाना बनाने के ताप तक गर्म करने पर यह विघटित हो जाता है अतः इसका प्रयोग ठंडे खाद्य एवं पेय पदार्थों तक ही सीमित है।

प्रश्न 9.
निम्न को समझाइए –
(अ) पूतिरोधी
(ब) कृत्रिम मधुरक
(स) प्रतिअम्ल।
अथवा
निम्न को समझाइए – (अ) विसंक्रामी (ब) खाद्य परिरक्षक (स) प्रशांतक ।
उत्तर:
(अ) पूतिरोधी-वे रसायन होते हैं जो सूक्ष्मजीवियों को मार देते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोक देते हैं। पूतिरोधियों को सजीव ऊतकों जैसे घाव, चोट तथा अल्सर पर लगाया जा सकता है। उदाहरण-सोफ्रामाइसिन, डेटॉल, आयोडोफार्म तथा बोरिक अम्ल इत्यादि।

(ब) कृत्रिम मधुरक-वे पदार्थ जो शर्करा (Sugar) के स्थान पर मधुरक (Sweetening agent) के रूप में प्रयोग में लिए जाते हैं लेकिन उनका कोई पोषण मान (Nutritional value) नहीं होता, उन्हें कृत्रिम मधुरक कहते हैं।
उदाहरण सैकरीन (आर्थों सल्फोबेन्जीनीमाइड), सूकालोस तथा ऐलिटेम।

(स) प्रतिअम्ल-रासायनिक पदार्थ जो आमाशय की अम्लता को कम करने के लिए प्रयुक्त होते हैं उन्हें प्रतिअम्ल कहते हैं।
उदाहरण-धात्विक हाइड्रॉक्साइड जैसे Mg(OH)2। इसके अतिरिक्त सिमेटिडीन तथा रैनिटिडीन प्रभावी प्रतिअम्ल होते हैं।
अथवा
(अ) विसंक्रामी – वे रसायन होते हैं जो सूक्ष्मजीवियों को नष्ट करते हैं परन्तु जैव ऊतकों पर इनका उपयोग सुरक्षित नहीं होता है। अतः इन्हें निर्जीव वस्तुओं जैसे फर्श, नालियाँ तथा यंत्रों इत्यादि को रोगाणुमुक्त करने के काम में लिया जाता है। उदाहरण क्लोरीन, सल्फरडाइऑक्साइड।

(ब) खाद्य परिरक्षक-खाद्य पदार्थों को पड़ा रखने पर उनमें सूक्ष्म जीव उत्पन्न हो जाते हैं जिसके कारण ये खराब हो जाते हैं। अतः वे पदार्थ जो खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए प्रयुक्त किए जाते हैं उन्हें खाद्य परिरक्षक कहते हैं। उदाहरण साधारण नमक, चीनी, वनस्पति तेल तथा सोडियम बेन्जोएट।

(स) प्रशांतक वे औषध जो बिना नींद के मानसिक तनाव से मुक्ति दिलाती हैं उन्हें प्रशांतक कहते हैं। अतः प्रशांतकों का उपयोग तनाव तथा मानसिक बीमारियों में किया जाता है। उदाहरण-इप्रोनाइजिड तथा फिनल्जिन (नारडिल)।

प्रश्न 10.
(अ) अस्वापक पीड़ाहारी किसे कहते हैं? एक उदाहरण लिखिए।
(ब) ठण्डे पेय एवं खाद्य पदार्थों में ही कृत्रिम मधुरक एस्पार्टेम का उपयोग क्यों किया जाता है?
(स) पूतिरोधी व रोगाणुनाशी में कोई एक अंतर लिखिए।
अथवा
(अ) ऋणायनी अपमार्जक किसे कहते हैं ? एक उदाहरण लिखिए।
(ब) खाद्य पदार्थों में रसायन क्यों मिलाये जाते हैं ? कोई दो कारण लिखिए।
(स) विस्तृत स्पेक्ट्रम व संकीर्ण स्पेक्ट्रम प्रतिजीवाणु में कोई एक अंतर लिखिए।
उत्तर:
(अ) वे पीड़ाहारी जो दर्द को कम करते हैं लेकिन इनकी आदत नहीं पड़ती अर्थात् व्यक्ति इनका आदी नहीं होता उन्हें अस्वापक पीड़ाहारी कहते हैं। उदाहरण – ऐस्पिरिन।

(ब) (i) न्यूक्लिक अम्ल तथा प्रोटीन ऐसे वृहत अणु हैं जिन्हें औषध लक्ष्य की तरह चुना जाता है।

(ii) पूतिरोधी वे रसायन हैं जो सूक्ष्मजीवियों को मार देते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोक देते हैं लेकिन जिनका ऊतकों पर कोई प्रभाव नहीं होता है।
उदाहरण-बोरिक अम्ल का तनु विलयन

(iii) ऐस्पार्टेम खाना बनाने के ताप तक गर्म करने पर यह विघटित हो जाता है अतः इसका प्रयोग ठंडे खाद्य एवं पेय पदार्थों तक ही सीमित है।

(स) पूतिरोधी व रोगाणुनाशी दोनों ही सूक्ष्मजीवियों को मार देते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोकते हैं लेकिन पूतिरोधी को सजीव ऊतकों, जैसे-घाव, चोट तथा अल्सर पर लगाया जाता है जबकि रोगाणुनाशी का प्रयोग निर्जीव वस्तुओं, जैसे- फर्श तथा नालियों को रोगाणुमुक्त करने में किया जाता है परन्तु जैव ऊतकों पर इनका उपयोग सुरक्षित नहीं होता है।

अथवा

(अ) वे अपमार्जक जिनमें यौगिक का ऋणायनिक भाग अपमार्जन का कार्य करता है उन्हें ऋणायनी अपमार्जक कहते हैं। ऋणायनी अपमार्जक लम्बी श्रृंखलायुक्त सल्फोनीकृत ऐल्कोहॉलों अथवा हाइड्रोकार्बनों के सोडियमलवण होते हैं। जैसे- सोडियम p- ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनेट तथा सोडियम लॉरिल सल्फेट।

(ब) खाद्य पदार्थों में रसायन मिलाने के निम्न कारण हैं-

  • खाद्य पदार्थों का परिरक्षण तथा
  • खाद्य पदार्थों की पौष्टिक गुणवत्ता बढ़ाना।

(स) संकीर्ण स्पेक्ट्रम प्रतिजीवाणु मुख्यतः ग्रैम ग्राही या ग्रैम अग्राही जीवाणुओं पर ही अपना प्रभाव डालते हैं, जबकि विस्तृत स्पेक्ट्रम प्रतिजीवाणु ग्रैम ग्राही तथा ग्रैम अग्राही दोनों प्रकार के जीवाणुओं के विस्तृत परास को नष्ट करते हैं या उनका निरोध करते हैं। पेनिसिलिन जी संकीर्ण स्पेक्ट्रम प्रतिजीवाणु है जबकि ऐम्पिसिलिन एक विस्तृत स्पेक्ट्रम प्रतिजीवाणु है।

प्रश्न 11.
जवान बच्चों में मधुमेह और अवसाद (उदासी) की बढ़ती संख्या को देखकर, एक प्रसिद्ध स्कूल के प्रिंसिपल श्री लुगानी ने एक सेमिनार का आयोजन किया जिसमें अन्य प्रिंसिपलों और बच्चों के माता-पिताओं को आमंत्रित किया। यह निर्णय लिया गया कि स्कूलों में सड़े खाने (Junk Food) की वस्तुएँ बन्द की जाएँ और स्वास्थ्यवर्धक वस्तुएँ, जैसे सूप, लस्सी, दूध आदि उपलब्ध कराई जाएँ।

उन्होंने यह भी निर्णय लिया कि स्कूलों में रोज प्रात:काल की ऐसेम्बली के साथ बच्चों को आधा घण्टे का शारीरिक व्यायाम अनिवार्य रूप से कराया जाए। छः माह पश्चात्, श्री लुगानी ने अधिकतर स्कूलों में फिर स्वास्थ्य परीक्षण कराया और बच्चों के स्वास्थ्य में अनुपम सुधार पाया गया।

उपर्युक्त विवरण को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(i) श्री लुगानी द्वारा किन मूल्यों (कम-से-कम दो) को प्रदर्शित किया गया?
(ii) एक विद्यार्थी के रूप में, आप इस विषय में कैसे जागरूकता फैलाएँगे?
(iii) प्रति-अवसादक (ऐन्टिडीप्रीसेन्ट) ड्रग्स क्या हैं? एक उदाहरण दीजिए।
(iv) एक मधुमेह के रोगी के लिए मिठाई बनाने के लिए जो मीठाकारी अभिकर्मक (मधुकर) प्रयुक्त होता है, उसका नाम दीजिए।
उत्तर:
(i) श्री लुगानी द्वारा अपने कर्त्तव्य तथा बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति अपनी जिम्मेदारी जैसे मूल्यों को प्रदर्शित किया गया।

(ii) एक विद्यार्थी के रूप में, मैं समाज तथा अपने निवास स्थान के आसपास भी सड़ा खाना नहीं खाना तथा शारीरिक व्यायाम के बारे में जागरूकता फैलाऊँगा, इसके लिए सभाओं का आयोजन करूँगा।

(iii) जब नॉरएड्रीनेलिन की मात्रा कम हो जाती है तो व्यक्ति अवसादग्रस्त हो जाता है तो इसके लिए प्रयुक्त ड्रग को प्रति अवसादक कहते हैं। ये ड्रग नॉरएड्रीनेलिन का निम्नीकरण करने वाले एन्जाइम को संदमित करती है। उदाहरण-फिनल्जिन।

(iv) सैकरीन एक मीठाकारी अभिकर्मक (मधुकर) है।

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HBSE 12th Class Chemistry Important Questions and Answers

Haryana Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions and Answers

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions in Hindi Medium

HBSE 12th Class Chemistry Important Questions in English Medium

  • Chapter 1 The Solid State Important Questions
  • Chapter 2 Solutions Important Questions
  • Chapter 3 Electrochemistry Important Questions
  • Chapter 4 Chemical Kinetics Important Questions
  • Chapter 5 Surface Chemistry Important Questions
  • Chapter 6 General Principles and Processes of Isolation of Elements Important Questions
  • Chapter 7 The p-Block Elements Important Questions
  • Chapter 8 d-and f-Block Elements Important Questions
  • Chapter 9 Coordination Compounds Important Questions
  • Chapter 10 Haloalkanes and Haloarenes Important Questions
  • Chapter 11 Alcohols, Phenols and Ehers Important Questions
  • Chapter 12 Aldehydes, Ketones and Carboxylic Acids Important Questions
  • Chapter 13 Amines Important Questions
  • Chapter 14 Biomolecules Important Questions
  • Chapter 15 Polymers Important Questions
  • Chapter 16 Chemistry in Everyday Life Important Questions

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HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन Textbook Exercise Questions and Answers.

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प्रश्न 16.1.
हमें औषधों को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत करने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
औषधों (Drugs) का वर्गीकरण विभिन्न प्रकार से किया जाता है क्योंकि औषधों से सम्बन्धित विभिन्न व्यक्तियों के लिए यह उपयोगी होता. है। जैसे भेषजगुणविज्ञानीय (फार्माकोलोजिकल) प्रभाव के आधार पर वर्गीकरण डॉक्टरों के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे इन्हें किसी बीमारी से सम्बन्धित सभी औषधों की जानकारी हो जाती है। इसी प्रकार रासायनिक संरचना या लक्ष्य अणुओं (Molecular targets) पर आधारित वर्गीकरण एक केमिस्ट (रसायनज्ञ ) के लिए उपयोगी होता है जो औषध का संश्लेषण करता है।

प्रश्न 16.2.
औषध रसायन के पारिभाषिक शब्द, लक्ष्य- अणु अथवा औषध – लक्ष्य को समझाइए ।
उत्तर:
औषध रसायन में लक्ष्य- अणु या औषध – लक्ष्य (Target Molecule) वे वृहद् अणु (जैव अणु) होते हैं जिनसे औषधि क्रिया करके चिकित्सीय प्रभाव ( therapeutic effect) दर्शाती है, जैसे- कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड तथा न्यूक्लीक अम्ल ।

प्रश्न 16.3.
उन वृहद अणुओं के नाम लिखिए जिन्हें औषध- लक्ष्य चुना जाता है।
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड तथा न्यूक्लीक अम्ल वे वृहद् अणु हैं जिन्हें औषध-लक्ष्य चुना जाता है।

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प्रश्न 16.4.
बिना डॉक्टर से परामर्श लिए दवाइयाँ क्यों नहीं लेनी चाहिए?
उत्तर:
बिना डॉक्टर से परामर्श लिए दवाइयाँ नहीं लेनी चाहिए क्योंकि अनुशंसित (Recommended ) मात्रा से अधिक मात्रा का उपयोग करने पर अधिकांश दवाइयाँ विष की भांति कार्य करती हैं। केवल डॉक्टर ही बीमारी का सही निदान (Diagnosis) करके सही दवा की उचित मात्रा बता सकता है।

प्रश्न 16.5.
‘रसायन चिकित्सा’ शब्द की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
रसायन चिकित्सा वह चिकित्सा है जिसमें रसायनों द्वारा रोगों का इलाज किया जाता है।

प्रश्न 16.6.
एन्जाइम की सतह पर औषध (Drugs) को थामने के लिए कौन से बल कार्य करते हैं?
उत्तर:
एन्जाइम की सतह पर औषध को थामने के लिए आयनिक बंध, हाइड्रोजन बंध, वान्डरवालस बल या द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण बल कार्य करते हैं।

प्रश्न 16.7
प्रतिअम्ल एवं प्रति एलर्जी औषध हिस्टैमिन के कार्य में बाधा डालती हैं परंतु ये एक-दूसरे के कार्य में बाधक क्यों नहीं होतीं?
उत्तर:
प्रतिअम्ल (antacids) तथा प्रतिएलर्जी औषध (antiallergic drugs) एक-दूसरे के कार्य में बाधक नहीं होतीं क्योंकि ये अलग-अलग ग्राहियों (Receptors) पर कार्य करती हैं। अतः प्रतिहिस्टैमिन (antihistamines) आमाशय के अम्ल स्रवण पर प्रभाव नहीं डालती क्योंकि यह आमाशय की दीवारों में स्थित ग्राहियों से क्रिया नहीं करती।

प्रश्न 16.8.
नॉरऍड्रिनेलिन का कम स्तर अवसाद का कारण होता है। इस समस्या के निदान के लिए किस प्रकार की औषध की आवश्यकता होती है? दो औषधों के नाम लिखिए।
उत्तर:
नॉरऍड्रिनेलिन का कम स्तर अवसाद का कारण होता है। इस समस्या के निदान के लिए वे औषध लेते हैं जो उस एन्जाइम को संदमित (Inhibit) करती हैं जो नारएड्रिनेलिन के विघटन ( निम्ननीकरण) को उत्प्रेरित करता है। जब यह एन्जाइम संदमित हो जाता है तो इस महत्वपूर्ण तंत्रकीय संचारक (Neurotransmitter) का उपापचयन (Metabolism) धीरे होता है तथा यह अपने ग्राही को लम्बे समय तक सक्रिय रख सकता है। इससे अवसाद (Depression) का असर कम हो जाता है।

इप्रोनाइजिड तथा फिनल्जिन (नारडिल) ऐसी दो औषध हैं।

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प्रश्न 16.9.
वृहद् – स्पेक्ट्रम जीवाणुनाशी शब्द से आप क्या समझते हैं? समझाइए।
उत्तर:
जीवाणु अथवा अन्य सूक्ष्मजीवियों का वह परास (range). जिस पर प्रतिजैविक (Antibiotic) का प्रभाव होता है उसे प्रतिजीवाणु (प्रतिजैविक) का स्पेक्ट्रम कहते हैं। जो प्रतिजीवाणु ग्रैम-ग्राही (ग्रैम पॉजिटिव ) तथा ग्रैम-अग्राही (ग्रैम नेगेटिव) दोनों प्रकार के जीवाणुओं के विस्तृत प का विनाश या निरोध (Inhibition) करके बहुत से संक्रमणों को ठीक कर देते हैं इन्हें वृहद् या विस्तृत स्पेक्ट्रम (ब्रॉड स्पेक्ट्रम) जीवाणुनाशी (प्रतिजीवाणु) कहते हैं। उदाहरण- क्लोरैम्फेनिकॉल, इसे न्यूमोनिया, टाइफाइड, पेचिश, मूत्र. संक्रमण, मेनिनजाइटिस ( मस्तिष्क ज्वर) में प्रयुक्त करते हैं।

प्रश्न 16.10.
पूतिरोधी तथा संक्रमणहारी (रोगाणुनाशी) किस प्रकार से भिन्न हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
पूतिरोधी तथा विसंक्रामी (संक्रमणहारी) ऐसे रसायन होते हैं जो या तो सूक्ष्मजीवियों को मार देते हैं अथवा उनकी वृद्धि को रोकते हैं।

पूतिरोधियों (Antiseptic) को सजीव ऊतकों, जैसे घाव, चोट तथा अल्सर पर लगाया जाता है। फ़्यूरासिन तथा सोफ्रामाइसिन इसके मुख्य उदाहरण हैं।

संक्रमणहारी (रोगाणुनाशी) ( Disinfectant) भी सूक्ष्मजीवियों को नष्ट करते हैं तथा इनका प्रयोग निर्जीव वस्तुओं जैसे- फ़र्श, नालियाँ तथा यंत्रों को रोगाणुमुक्त करने में प्रयुक्त किया जाता है। उदाहरण- फ़ीनॉल का एक प्रतिशत विलयन।

प्रश्न 16.11.
सिमेटिडीन तथा रैनिटिडीन सोडियम हाइड्रोजन- कार्बोनेट अथवा मैग्नीशियम या ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड की तुलना में श्रेष्ठ प्रतिअम्ल क्यों हैं?
उत्तर:
सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के कारण आमाशय क्षारीय हो जाता है जिसके कारण अम्ल का उत्पादन अधिक होता है तथा मैग्नीशियम या ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड जैसे प्रतिअम्लों से केवल रोग के लक्षण कम होते हैं, कारण नहीं इसलिए सिमेटिडीन तथा रैनिटिडीन को प्रति अम्ल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है क्योंकि ये हिस्टैमिन की क्रिया को रोककर अम्ल के उत्पादन को ही रोक देते हैं। अतः ये श्रेष्ठ प्रतिअम्ल हैं।

प्रश्न 16.12.
एक ऐसे पदार्थ का उदाहरण दीजिए जिसे पूतिरोधी तथा संक्रमणहारी, दोनों प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है।
उत्तर:
फीनॉल एक ऐसा पदार्थ है जिसे पूतिरोधी तथा संक्रमणहारी, दोनों प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है। सांद्रता में परिवर्तन से वही पदार्थ पूतिरोधी अथवा विसंक्रामी (संक्रमणहारी) का कार्य कर सकता है। फीनॉल का 0.2 प्रतिशत विलयन पूतिरोधी होता है जबकि इसका एक प्रतिशत विलयन विसंक्रामी ( रोगाणुनाशी) होता है।

प्रश्न 16.13.
डेटॉल के प्रमुख संघटक कौनसे हैं ?
उत्तर:
डेटॉल के प्रमुख संघटक क्लोरोज़ाइलिनॉल तथा टपनिऑल होता है।

प्रश्न 16.14.
आयोडीन का टिंक्चर क्या होता है? इसके क्या उपयोग हैं?
उत्तर:
आयोडीन का ऐल्कोहॉल-जल मिश्रण में 2.3 प्रतिशत विलयन आयोडीन का टिंक्चर कहलाता है। इसे घाव पर लगाते हैं तथा यह पूतिरोधी होता है।

प्रश्न 16.15.
खाद्य पदार्थ परिरक्षक क्या होते हैं?
उत्तर:
खाद्य पदार्थों को पड़ा रखने पर उनमें सूक्ष्म जीव उत्पन्न हो जाते हैं जिसके कारण ये खराब हो जाते हैं। अतः वे पदार्थ जिन्हें खाद्य पदार्थों को खराब होने से बचाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। उन्हें खाद्य परिरक्षक कहते हैं।

कुछ सामान्य परिरक्षक निम्नलिखित हैं- साधारण नमक, चीनी, वनस्पति तेल, सोडियम बेन्जोएट (C6H5COONa), सॉर्बिक अम्ल तथा प्रोपेनॉइक अम्ल के लवण |

सोडियम बेन्जोएट का प्रयोग सीमित मात्रा में किया जाता है क्योंकि यह शरीर द्वारा उपापचयित हो जाता है।

एक अच्छे खाद्य परिरक्षक में निम्नलिखित गुण होने चाहिये-

  • खाद्य पदार्थों पर इनका लम्बे समय तक असर रहना चाहिए ।
  • ये स्वादहीन होने चाहिए।
  • इन्हें अल्प मात्रा में ही प्रयुक्त किया जाना चाहिए।
  • इनकी खाद्य पदार्थों से कोई क्रिया नहीं होनी चाहिए ।
  • इनके प्रयोग से जलन, अम्लता, एलर्जी, गैस तथा पित्त नहीं होनी चाहिए।

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प्रश्न 16.16.
ऐस्पार्टेम का प्रयोग केवल ठंडे खाद्य एवं पेय पदार्थों तक सीमित क्यों है?
उत्तर:
ऐस्पार्टेम एक कृत्रिम मधुरक है जिसका प्रयोग केवल ठंडे खाद्य एवं पेय पदार्थों तक ही सीमित है, क्योंकि इसे खाना बनाने के ताप तक गर्म करने पर यह विघटित हो जाता है।

प्रश्न 16.17.
कृत्रिम मधुरक क्या हैं? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वे पदार्थ जो शर्करा (Sugar) के स्थान पर मधुरक (Sweet- ening agent) के रूप में प्रयोग में लिए जाते हैं लेकिन उनका कोई पोषण मान नहीं होता, उन्हें कृत्रिम मधुरक कहते हैं। सैकरीन (ऑर्थोसल्फोबेन्जीनीमाइड) तथा ऐस्पार्टेम कृत्रिम मधुरकों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 16.18.
मधुमेह के रोगियों के लिए मिठाई बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले मधुरकों के नाम क्या हैं?
उत्तर:
मधुमेह के रोगियों के लिए मिठाई बनाने के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला मुख्य मधुरक सैकरीन (ऑर्थोसल्फोबेन्जीनीमाइड) है क्योंकि इसका कोई पोषण मान नहीं होता तथा यह शरीर से अपरिवर्तित रूप में ही मूत्र द्वारा उत्सर्जित हो जाता है। यह पूर्णतः अक्रिय तथा अहानिकारक होता है। इसके अतिरिक्त सुक्रालोस को भी इसके लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 16.19.
ऐलिटेम को कृत्रिम मधुरक की तरह उपयोग में लाने पर क्या समस्याएँ होती हैं?
उत्तर:
ऐलिटेम एक अधिक प्रबल कृत्रिम मधुरक है जो कि सूक्रोस से 2000 गुना अधिक मीठा होता है। यह स्थायी होता है लेकिन इसके द्वारा- उत्पन्न मिठास को नियंत्रित करना कठिन होता है।

प्रश्न 16.20.
साबुनों की अपेक्षा संश्लेषित अपमार्जक किस प्रकार से श्रेष्ठ हैं?
उत्तर:
साबुनों की अपेक्षा संश्लेषित अपमार्जक श्रेष्ठ होते हैं क्योंकि ये मृदु एवं कठोर दोनों प्रकार के जल में उपयोग किए जा सकते हैं। अपमार्जक कठोर जल में भी झाग बनाते हैं क्योंकि इनके कैल्सियम तथा मैग्नीशियम लवण जल में विलेय होते हैं अतः ये अवशेष नहीं बनाते। अपमार्जकों को अम्लीय माध्यम में भी प्रयुक्त किया जा सकता है। साबुनों का विलयन क्षारीय होता है जबकि अपमार्जकों का विलयन उदासीन होता है अतः इन्हें ऊनी, रेशमी जैसे कोमल वस्त्रों को धोने के लिए भी प्रयुक्त किया जा सकता है।

प्रश्न 16.21.
निम्नलिखित शब्दों को उपयुक्त उदाहरणों द्वारा समझाइए-
(क) धनात्मक अपमार्जक
(ख) ऋणात्मक अपमार्जक
(ग) अनआयनिक अपमार्जक ।
उत्तर:
संश्लिष्ट अपमार्जक वे शोधन अभिकर्मक (Cleansing Agents ) होते हैं जिनमें साबुन के सभी गुण पाए जाते हैं लेकिन रासायनिक दृष्टि से ये साबुन नहीं होते हैं। अतः इन्हें साबुन रहित साबुन या सिन्डेट्स भी कहा जाता है।

अपमार्जक कठोर जल में भी झाग बनाते हैं अतः इन्हें कठोर तथा मृदु दोनों प्रकार के जल में उपयोग में लिया जा सकता है।

संश्लिष्ट अपमार्जक तीन प्रकार के होते हैं-
(a) धनायनी अपमार्जक
(b) ऋणायनी अपमार्जक
(c) अनआयनिक अपमार्जक ।
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(a) धनायनी अपमार्जक ( Cationic Detergents ) – धनायनी अपमार्जक एमीनों के ऐसीटेट, क्लोराइड या ब्रोमाइड आयनों के साथ बने चतुष्क अमोनियम लवण होते हैं। इनमें धनात्मक भाग में लंबी हाइड्रोकार्बन श्रृंखला तथा नाइट्रोजन परमाणु पर धन आवेश होता है। अतः इन्हें धनायनी अपमार्जक कहते हैं। उदाहरण – सेटिलट्राइमेथिल अमोनियम ब्रोमाइड ।

धनायनी अपमार्जकों को बालों के कन्डीशनरों में प्रयुक्त किया जाता है तथा इनमें जीवाणुनाशक गुण पाया जाता है। महंगे होने के कारण इनका उपयोग सीमित मात्रा में होता है।

(b) ऋणायनी अपमार्जक (Anionic Detergents ) – ऋणायनी अपमार्जक लम्बी श्रृंखलायुक्त सल्फोनीकृत ऐल्कोहॉलों अथवा हाइड्रोकार्बनों के सोडियम लवण होते हैं। जैसे- सोडियम p-ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनेट तथा सोडियम लॉरिल सल्फोनेट या सल्फेट । दीर्घ श्रृंखला वाले ऐल्कोहॉलों की सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) के साथ अभिक्रिया कराने पर पहले ऐल्किल हाइड्रोजन सल्फेट बनते हैं जिनकी क्रिया क्षार से कराने पर ऋणायनी अपमार्जक बनते हैं। इसी प्रकार ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनेट, ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनिक अम्लों की क्षार के साथ क्रिया से प्राप्त होते हैं।
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ऐल्किल बेन्जीन सल्फोनेटों के सोडियम लवण महत्त्वपूर्ण ऋणायनी अपमार्जक होते हैं। ऋणायनी अपमार्जकों में इनका ऋणात्मक भाग शोधन (Cleansing) क्रिया में भाग लेता है। ये सामान्यतः घरेलू उपयोग में आते हैं। ऋणायनी अपमार्जक दंतमंजन में भी प्रयुक्त किए जाते हैं।

(c) अनआयनिक अपमार्जक (Non-lonic Detergents) अनायनिक अपमार्जकों में कोई आयन नहीं होता है, अतः इसे अनआयनिक अपमार्जक कहते हैं। उदाहरण- (i) स्टीऐरिक अम्ल तथा पॉलीएथिलीन ग्लाइकॉल की अभिक्रिया से बना अपमार्जक ।
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प्रश्न 16.22.
जैव-निम्ननीकृत होने वाले और जैव-निम्ननीकृत न होने वाले अपमार्जक क्या हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जैव निम्ननीकृत तथा जैव अनिम्ननीकृत अपमार्जक (Bio degradable and Non Bio-degradable Detergents) – वे अपमार्जक जो जीवाणुओं द्वारा आसानी से विघटित हो जाते हैं उन्हें जैव निम्ननीकृत अपमार्जक कहते हैं। इनसे प्रदूषण नहीं होता है। उदाहरणअशाखित हाइड्रोकार्बन शृंखलायुक्त अपमार्जक-n-लॉरिल सल्फेट।

वे अपमार्जक जो जीवाणुओं द्वारा आसानी से निम्ननीकृत नहीं होते, उन्हें जैव-अनिम्ननीकृत अपमार्जक कहते हैं। अपमार्जक जिनमें हाइड्रोकार्बन श्रृंखला शाखित होती है, वे जैव अनिम्ननीकृत होते हैं। उदाहरण-
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इसका निम्ननीकरण (Degradation) धीमा होने के कारण ये एकत्र होते जाते हैं तथा जल के साथ तालाब, नदी आदि में पहुँच जाते हैं एवं झाग उत्पन्न करते हैं जिससे पानी प्रदूषित हो जाता है।

आजकल हाइड्रोकार्बन शृंखला में शाखन को नियंत्रित करके इसे न्यूनतम रखा जाता है। अशाखित शृंखलाएँ आसानी से जैव निम्ननीकृत हो जाती हैं, अतः प्रदूषण नहीं होता है।

अपमार्जकों का संश्लेषण (Synthesis of Detergents) अपमार्जकों को निम्नलिखित विधियों द्वारा संश्लेषित किया जाता है-
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(ii) रीड अभिक्रिया द्वारा (By Reed Reaction)
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प्रश्न 16.23.
साबुन कठोर जल में कार्य क्यों नहीं करता?
उत्तर:
दीर्घ शृंखलायुक्त वसा अम्लों के सोडियम तथा पोटैशियम लवणों को साबुन कहते हैं। संतृप्त तथा असंतृप्त मोनोकार्बोक्सिलिक अम्लों को वसा अम्ल (Fatty Acids) कहते हैं। जैसे स्टिऐरिक अम्ल (C17H35COOH), पामिटिक अम्ल (C15H31 COOH ) तथा ओलीक अम्ल (C17H33 COOH)। ये प्रकृति में प्रमुखता से पाये जाते हैं।

वसा अम्लों के सोडियम लवणों को सोडियम साबुन अथवा कठोर साबुन (Hard Soaps) अथवा धावन साबुन (Washing Soaps) कहते हैं, जबकि पोटैशियम साबुन को नहाने के साबुन (Bathing Soaps) अथवा मृदु साबुन (Soft Soaps) कहते हैं।

साबुन बनाना – वसा (वसा अम्लों के ग्लिसरिल एस्टर) को सोडियम हाइड्रॉक्साइड के जलीय विलयन के साथ गर्म करने पर साबुन प्राप्त होता है तथा साबुन बनाने की इस प्रक्रिया को साबुनीकरण (Saponification) कहते हैं । इस अभिक्रिया में वसा अम्लों के एस्टर का जल अपघटन होता है तथा प्राप्त साबुन कोलॉइडी अवस्था में होता है। इसे विलयन में सोडियम क्लोराइड (NaCl) डालकर अवक्षेपित कर लेते हैं। साबुन को पृथक् कर लेने के बाद बचे हुए विलयन में ग्लिसरॉल रह जाता है जिसे प्रभाजी आसवन के द्वारा प्राप्त किया जाता है।
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आठ से अठारह कार्बन परमाणु युक्त साबुन की ‘गुणवत्ता अच्छी होती है। अठारह से अधिक कार्बन होने पर इनकी जल में विलेयता कम होती है तथा अठारह से कम कार्बन होने पर इनकी शोधन शक्ति (Cleansing Power) कम हो जाती है। सोडियम तथा पोटेशियम साबुन जल में विलेय होते हैं तथा इन्हें सफाई के लिए प्रयुक्त किया जाता है। पोटेशियम साबुन मृदु होते हैं अतः इस प्रकार के साबुन त्वचा के लिए कोमल होते हैं। पोटेशियम साबुन बनाने के लिए NaOH के विलयन के स्थान पर KOH का विलयन लिया जाता है।

प्रश्न 16.24.
क्या आप साबुन तथा संश्लेषित अपमार्जकों का प्रयोग जल की कठोरता जानने के लिए कर सकते हैं?
उत्तर:
साबुन का प्रयोग जल की कठोरता जानने के लिए किया जा सकता है क्योंकि मृदु जल, साबुन के साथ तुरन्त झाग देता है जबकि कठोर जल में झाग बनने में बहुत समय लगता है तथा इसमें चिपचिपा अवक्षेप भी बनता है तथा अवक्षेप की मात्रा के अनुसार जल की कठोरता भी अधिक होगी लेकिन संश्लेषित अपमार्जकों का प्रयोग जल की कठोरता जानने के लिए नहीं कर सकते क्योंकि ये कठोर तथा मृदु दोनों प्रकार के जल के साथ झाग (Lather) देते हैं।

प्रश्न 16.25.
साबुन की शोधन क्रिया को समझाइए |
उत्तर:
साबुन की शोधन क्रिया (Cleansing Action of Soaps):
साबुन की शोधन क्रिया में पायसीकरण (इमल्सीकरण) होता है। इस प्रक्रिया में साबुन, कपड़े पर लगे ग्रीस तथा मिट्टी के कणों का जल के साथ इमल्सन (पायस) बनाने में मदद करता है।

स्पष्टीकरण (Explanation) – साबुन के अणु में अध्रुवीय जल विरोधी तथा ध्रुवीय जलस्नेही भाग होता है। कपड़े की सतह पर मिट्टी के कण, ग्रीस या तेल द्वारा चिपके रहते हैं। ग्रीस या तेल जल में अविलेय होता है अतः मिट्टी के कणों को केवल जल द्वारा नहीं हटाया जा सकता। जब साबुन का प्रयोग किया जाता है तो इसका अध्रुवीय एल्किल समूह तेल की बूँदों में विलेय होता है जबकि ध्रुवीय -COON+a समूह जल में विलेय होता है अतः तेल की प्रत्येक बूँद के चारों ओर ऋणावेश आ जाता है इससे इमल्सन बन जाता है तथा मिट्टी के कण युक्त तेल की बूँदें जल द्वारा साफ हो जाती हैं।
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साबुन केवल मृदु जल (Soft Water) में ही कार्य करते हैं कठोर जल में नहीं, क्योंकि कठोर जल में Ca2+ तथा Mg2+ आयन होते हैं इसलिए सोडियम अथवा पोटैशियम साबुन को कठोर जल में घोलने पर वह अघुलनशील कैल्सियम तथा मैग्नीशियम साबुन में परिवर्तित हो जाता है।
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ये अघुलनशील साबुन, मलफेन (Scum) की भाँति जल से पृथक् हो जाते हैं तथा शोधन अभिकर्मक के रूप में उपयुक्त नहीं रहते। ये अच्छी धुलाई में रुकावट डालते हैं क्योंकि यह अवक्षेप कपड़ों पर चिपक जाता है। कठोर जल से धुले बाल इसी चिपचिपे पदार्थ के कारण ही चमकदार नहीं होते हैं। कठोर जल और साबुन से धुले कपड़ों में इस चिपचिपे पदार्थ के कारण रंजक भी एकसमान रूप से अवशोषित नहीं होता है।

प्रश्न 16.26.
यदि जल में कैल्सियम हाइड्रोजन कार्बोनेट घुला हो तो आप कपड़े धोने के लिए साबुन एवं संश्लेषित अपमार्जकों में से किसका प्रयोग करेंगे?
उत्तर:
जब जल में कैल्सियम हाइड्रोजन कार्बोनेट Ca(HCO3)2 घुला हो तो कपड़े धोने के लिए साबुन एवं संश्लेषित अपमार्जक में से संश्लेषित अपमार्जक का प्रयोग करेंगे क्योंकि अपमार्जकों के कैल्सियम लवण जल में विलेय होते हैं जबकि साबुन Ca+2 आयनों के साथ अवक्षेप बना देते हैं।

प्रश्न 16.27.
निम्नलिखित यौगिकों में जलरागी एवं जलविरागी भाग दर्शाइए-
(क) CH3(CH2)10CH2OS\(\overline{\mathbf{O}}\)3, \(\stackrel{+}{\mathbf{N}} \mathbf{a}\)
(ख) CH3(CH2)15N(CH3)3Br
(ग) CH3(CH2)COO(CH2CH2O)nCH2CH2CH
उत्तर:
उपरोक्त यौगिकों में जलरागी तथा जलविरागी भाग निम्नानुसार हैं-
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HBSE 12th Class Chemistry दैनिक जीवन में रसायन Intext Questions

प्रश्न 16.1.
अनिद्राग्रस्त रोगियों को चिकित्सक नींद लाने वाली गोलियाँ लेने का परामर्श देते हैं, परततु बिना चिकित्सक से परामर्श लिए इनकी खुराक लेना उचित क्यों नहीं है?
उत्तर:
नींद की गोलियाँ तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती हैं, परन्तु अधिक मात्रा में या बिना आवश्यकता के लेने पर ये शरीर के अंगों पर विपरीत प्रभाव डालती हैं तथा विष का कार्य करती हैं। अतः ये प्राणघातक भी हो सकती हैं। इसलिए चिकित्सक के परामर्श के बिना इन्हें नहीं लेना चाहिए।

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प्रश्न 16.2.
किस वर्गीकरण के आधार पर वक्तव्य (Statement), रैनिटिडिन प्रतिअम्ल है’, दिया गया है?
उत्तर:
यह वक्तव्य भेषजगुणविज्ञानीय प्रभाव (Pharmacological effect) वर्गीकरण के आधार पर दिया गया है, क्योंकि कोई भी औषध जो अम्ल के आधिक्य (excess) का प्रतिकार (Counteract) करती है उसे प्रतिअम्ल कहते हैं। रैनिटिडीन भी अम्ल के प्रभाव को कम करती है। अतः यह एक प्रतिअम्ल है।

प्रश्न 16.3.
हमें कृत्रिम मधुरकों की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
प्राकृतिक मधुरक जैसे सूक्रोस ग्रहण की गई कैलोरी मान बढ़ाते हैं अतः मधुमेह के रोगी तथा वे व्यक्ति जिन्हें कैलोरी ग्रहण करने पर नियंत्रण की आवश्यकता होती है, उन्हें कृत्रिम मधुरकों की आवश्यकता पड़ती है। क्योंकि कृत्रिम मधुरक अपरिवर्तित रूप में ही मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाते हैं तथा ये पूर्णतः अक्रिय होते हैं तथा इनसे कोई हानि नहीं होती एवं इनसे कैलोरी में भी वृद्धि नहीं होती।

प्रश्न 16.4.
ग्लिसरिल ओलिएट तथा ग्लिसरिल पामिटेट से सोडियम साबुन बनाने के लिए रासायनिक समीकरण लिखिए। इनके संरचनात्मक सूत्र नीचे दिए गए हैं-
(i) (C15H31COO)3C3H5 – ग्लिसरिल पामिटेट
(ii) (C17H33COO)3C3H5 – ग्लिसरिल ओलिएट।
उत्तर:
(i) ग्लिसरिल पामिटेट (C15H31COO)3C3H5 से सोडियम साबुन बनाना-
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(ii) ग्लिसरिल ओलिएट (C17H33COO)3C3H5 से सोडियम साबुन बनाना-
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प्रश्न 16.5.
निम्न प्रकार के अनायनिक अपमार्जक, द्रव अपमार्जकों, इमल्सीकारकों और क्लेदन कारकों (Wetting agents) में उपस्थित होते हैं। अणु में जलरागी (Hydrophilic ) तथा जलविरागी (Hydrophobic) हिस्सों को दर्शाइए। अणु में उपस्थित प्रकार्यात्मक समूह की पहचान करिए।
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उत्तर:
उपरोक्त अपमार्जक में बायीं ओर का हिस्सा जलविरागी (जल प्रतिकर्षी) है जबकि दायों ओर का हिस्सा जलरागी (जलस्नेही) है तथा इस अपमार्जक में ईथर तथा ऐल्कोहॉल प्रकार्यात्मक समूह (Functional Group) उपस्थित है।
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HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक

प्रश्न 15.1.
बहुलक और एकलक पदों की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:

  1. बहुलक उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले बृहदाणु होते हैं। जिनमें बहुत अधिक संख्या में, एकलक अणुओं से बनी पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाइयाँ उपस्थित होती हैं।
  2. एकलक सरल तथा क्रियाशील अणु होते हैं जो बहुलकीकृत होने में सक्षम होते हैं तथा इनसे पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाई बनती है।

प्रश्न 15.2.
प्राकृतिक और संश्लिष्ट बहुलक क्या हैं? प्रत्येक के दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर:

  1. प्राकृतिक बहुलक उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले बृहदाणु होते हैं जो प्रकृति (पादपों और जंतुओं) में पाए जाते हैं। प्रोटीन तथा न्यूक्लीक अम्ल इनके उदाहरण हैं।
  2. संश्लिष्ट बहुलक मानव निर्मित उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले बृहदाणु होते हैं। संश्लिष्ट प्लास्टिक तथा रबर इनके उदाहरण हैं।

प्रश्न 15.3.
समबहुलक और सहबहुलक पदों (शब्दों) में विभेद कर प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
समबहुलक – समान प्रकार की एकलक स्पीशीज़ के बहुलकीकरण से बने बहुलकों को समबहुलक कहते हैं। उदाहरण- पॉलिथीन ।
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सहबहुलक – दो भिन्न प्रकार की एकलक स्पीशीज के बहुलकीकरण से बने बहुलकों को सहबहुलक कहा जाता है। उदाहरण- ब्यूना – S
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प्रश्न 15.4.
एकलक की प्रकार्यात्मकता को आप किस प्रकार समझाएंगे ?
उत्तर:
एकलक में स्थित आबंधी स्थितियों की संख्या को एकलक की प्रकार्यात्मकता कहते हैं।
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प्रश्न 15.5.
बहुलकन पद (शब्द) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
बहुलकन (Polymerisation ) – एक अथवा अधिक (समान या भिन्न) छोटे तथा सरल अणु (एकलक) आपस में क्रिया करके उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले वृहद अणु बनाते हैं इन्हें बहुलक कहते हैं तथा बहुलक बनने की इस क्रिया को बहुलकन कहते हैं।

प्रश्न 15.6.
(NH-CHR – CO) एक समबहुलक है या सहबहुलक?
उत्तर:
(NH-CHR-CO) इकाई एक ही प्रकार के एकलक अणु से बनी है अतः यह एक समबहुलक है।

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प्रश्न 15.7.
प्रत्यास्थ बहुलकों में प्रत्यास्थ गुण किस कारण से होता है?
उत्तर:
प्रत्यास्थ बहुलकों में विभिन्न श्रृंखलाएं एक-दूसरे के साथ दुर्बल वान्डरवाल्स अन्योन्य क्रियाओं द्वारा जुड़ी होती हैं तथा कुंडलित संरचना बना लेती हैं इसलिए इन्हें स्प्रिंग की तरह खींचा जा सकता है अतः इन दुर्बल अन्तरा आण्विक बलों के कारण ही इनमें प्रत्यास्थ गुण होता है।

प्रश्न 15.8.
संकलन (योगात्मक) और संघनन बहुलकन के मध्य आप किस प्रकार विभेद करेंगे?
उत्तर:
संकलन या योगात्मक बहुलकन (बहुलकीकरण) में समान अथवा भिन्न अंसतृप्त एकलक अणु मिल कर बृहत् बहुलक अणु बनाते हैं जबकि संघनन बहुलकन में दो अथवा अधिक प्रकार के द्विक्रियात्मक एकलक अणु संघनन अभिक्रिया द्वारा बहुलक बनाते हैं, इस प्रक्रिया में छोटे अणु जैसे जल, ऐल्कोहॉल इत्यादि का विलोपन होता है। उदाहरण-प्रोपीन (CH3CH = CH2) से पॉलिप्रोपीन HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक 3 का बनना संकलन बहुलकन है जबकि हैक्सा मेथिलीन डाइऐमीन (NH2-(CH2)6NH2) तथा ऐडिपिक अम्ल (HOOC- (CH2)4COOH) के बहुलकन से नाइलॉन 6,6 का बनना संघनन बहुलकन है। इसमें H2O का विलोपन होता है।
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प्रश्न 15.9.
सहबहुलकन शब्द (पद) की व्याख्या कीजिए और दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सहबहुलकन या सहबहुलकीकरण – सहबहुलकीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें बहुलक के निर्माण में एक से अधिक प्रकार की एकलक स्पीशीज़ प्रयुक्त होती है। सहबहुलक में प्रत्येक एकलक की अनेक इकाइयाँ होती हैं। 1, 3 – ब्यूटाडाईन तथा स्टाइरीन और 1, 3 – ब्यूटाडाईन एवं ऐक्रिलोनाइट्राइल के सहबहुलक इसके उदाहरण हैं।
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प्रश्न 15.10.
एथीन के बहुलकन के लिए मुक्त मूलक क्रियाविधि दीजिए ।
उत्तर:
एथीन के बहुलकन की मुक्तमूलक क्रियाविधि में निम्नलिखित तीन पद होते हैं-
(1) श्रृंखला प्रारंभक पद-
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(2) श्रृंखला संचरण पद-
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(3) शृंखला समापन पद-दीर्घ श्रृंखला के समापन के लिए मुक्त- मूलक विभिन्न प्रकार से जुड़कर पॉलिथीन बनाते हैं।
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प्रश्न 15.11.
तापसुघट्य और तापदृढ़ बहुलकों को प्रत्येक के दो उदाहरण के साथ परिभाषित कीजिए ।
उत्तर:
आण्विक बलों पर आधारित वर्गीकरण (Classifcation based on Molecular Forces):
सभी प्रकार के अणुओं में अन्तराअणुक बल पाए जाते हैं लेकिन बहुलकों में ये बल आपस में मिलकर अधिक प्रभावी होते हैं जिससे इनमें विशिष्ट गुण उत्पन्न हो जाते हैं। जैसे- तनन सामर्थ्य प्रत्यास्था तथा चर्मलता। इन बलों द्वारा बहुलक श्रृंखलाएँ आपस में जुड़ी होती हैं। बहुलकों के यांत्रिक गुणों के आधार पर ही इन्हें दैनिक जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग में लिया जाता है।

बहुलकों को उनमें उपस्थित अंतराआण्विक बलों के परिमाण के आधार पर इन्हें निम्नलिखित चार उपसमूहों में वर्गीकृत किया गया है-
(a) प्रत्यास्थ बहुलक (Elastomers ) – प्रत्यास्थ बहुलकों में बहुलक श्रृंखलाएँ आपस में दुर्बल अंतराआण्विक बलों द्वारा जुड़ी होती हैं। ये दुर्बल बल बहुलक को तनित होने देते हैं। श्रृंखलाओं के बीच कुछ ‘तिर्यकबंध’ भी होते हैं अतः ये बहुलक खींचने पर लम्बे हो जाते हैं तथा छोड़ देने पर पुनः अपनी पूर्व अवस्था में आ जाते हैं अर्थात् इनमें प्रत्यास्थता का गुण पाया जाता है। ये रबर के समान ठोस होते हैं। जैसे वल्कनीकृत रबर । ब्यूना – N, ब्यूना S तथा निओप्रीन भी प्रत्यास्थ बहुलकों के उदाहरण हैं।

(b) रेशे या रेशेदार बहुलक (Fibres or Fibrous Poly- mers ) – रेशेदार बहुलकों में तनन सामर्थ्य उच्च होता है क्योंकि इनमें बहुलक श्रृंखलाओं के मध्य असंख्य प्रबल अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाए जाते हैं। इसी कारण ये क्रिस्टलीय ठोस होते हैं तथा इनका गलनांक तीक्ष्ण होता है। ये बहुलक धागे बनाने में प्रयुक्त होते हैं।

उदाहरण-पॉलिएस्टर (टैरीलीन) तथा पॉलिऐमाइड (नाइलॉन- 6,6 ) इत्यादि ।

(c) तापसुघट्य बहुलक या ताप सुनम्य बहुलक (Thermo plastic Polymers) – ये बहुलक रेखीय अथवा अल्प शाखित लंबी श्रृंखला युक्त होते हैं, जिन्हें बार-बार गरम करने से मृदुल और ठंडा करने से कठोर हो जाते हैं अतः इन्हें साँचों में ढाला जा सकता है। इन बहुलकों में अंतराआण्विक आकर्षण बल प्रत्यास्थ बहुलकों से अधिक तथा रेशों से कम होता है। उदाहरण- पॉलिथीन, पॉलिस्टाइरीन, पॉलिवाइनिल क्लोराइड, पॉलिप्रोपिलीन इत्यादि ।

(d) तापदुढ़ बहुलक या थर्मोसेटिंग बहुलक (Thermoset- ting Polymers)-ये बहुलक तिर्यक बद्ध अथवा अत्यधिक शाखित होते हैं। इन्हें गर्म करने पर तिर्यक बन्धन बढ़ जाते हैं तथा इनकी संरचना त्रिविमीय जालक के समान हो जाती है अतः ये दुर्गलनीय ( Infusible ) हो जाते हैं। इसलिए इनका पुनः उपयोग नहीं किया जा सकता। ताप दृढ़ बहुलकों को सामान्यतः निम्न अणु भार वाले अर्ध तरल बहुलकों को गरम करके बनाया जाता है। उदाहरण-बैकेलाइट, यूरिया – फार्मेल्डिहाइड रेजिन इत्यादि ।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक

प्रश्न 15.12.
निम्न बहुलकों को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलक लिखिए-
(i) पॉलिवाइनिल क्लोराइड
(ii) टेफ्लॉन
(iii) बैकेलाइट।
उत्तर:
उपर्युक्त बहुलकों को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलक निम्न प्रकार हैं-

  • पॉलिवाइनिल क्लोराइड का एकलक CH2=CH-CI (वाइनिल क्लोराइड) है।
  • टेफ्लॉन का एकलक CF2 = CF2 (टेट्राफ्लुओरोएथिलीन) है।
  • बैकेलाइट के बनने में प्रयुक्त होने वाले एकलक HCHO (फार्मेल्डिहाइड) और C6H5OH (फ़ीनॉल) हैं।

प्रश्न 15.13.
मुक्तमूलक योगज बहुलकन में प्रयुक्त एक सामान्य प्रारंभक का नाम और संरचना लिखिए।
उत्तर:
मुक्तमूलक योगज बहुलकन में सामान्यतः बेन्जॉयल परॉक्साइड को प्रारंभक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है जिसकी संरचना निम्न प्रकार होती है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक 9

प्रश्न 15.14.
रबर अणुओं में द्विबंधों की उपस्थिति किस प्रकार उनकी संरचना और क्रियाशीलता को प्रभावित करती है?
उत्तर:
संरचनात्मक रूप से प्राकृतिक रबर एक रेखीय सिस – 1, 4 – पॉलि आइसोप्रीन है। इसमें द्विआबंध, आइसोप्रीन इकाइयों के C, और C के मध्य स्थित होते हैं तथा द्विआबंध का सिस अभिविन्यास होता है अतः इसकी श्रृंखलाओं के मध्य दुर्बल अंतराआण्विक आकर्षण होने के कारण ये समीप नहीं आ पाती हैं। इस कारण प्राकृतिक रबर की कुंडलित संरचना होती है तथा यह प्रत्यास्थता का गुण प्रदर्शित करता है ।

प्रश्न 15.15.
रबर के वल्कनीकरण के मुख्य उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक रबर उच्च ताप (> 335K ) पर नरम तथा निम्न ताप पर (< 283K) भंगुर हो जाता है तथा इसमें जल को अवशोषित करने की क्षमता होती है। यह अध्रुवीय विलायकों में विलेय होता है तथा ऑक्सीकारकों के प्रति प्रतिरोधी नहीं होता है।

रबर के इन भौतिक गुणों में सुधार करने के लिए रबर का वल्कनीकरण किया जाता है। वल्कनीकरण से, द्विबंधों की क्रियाशील स्थितियों पर सल्फर तिर्यक बन्ध बन जाते हैं। इससे रबर की कठोरता तथा प्रत्यास्थता बढ़ जाती है।

प्रश्न 15.16.
नाइलॉन – 6 और नाइलॉन – 6,6 में पुनरावृत्त एकलक इकाइयाँ क्या हैं?
उत्तर:
नाइलॉन 6 की पुनरावृत्त एकलक इकाई [-NH(CH2)5-CO-] है तथा नाइलॉन – 6,6 बहुलक की पुनरावृत्त एकलक इकाई दो एकलकों हैक्सामेथिलीनडाइऐमीन और ऐडिपिक अम्ल से बनती है जो कि निम्न प्रकार है-
[-NH-(CH2)6-NH-CO-CH2)4-CO-]

प्रश्न 15.17.
निम्नलिखित बहुलकों के एकलकों का नाम और संरचना लिखिए-
(i) ब्यूना – S
(ii) ब्यूना – N
(iii) डेक्रॉन
(iv) निओप्रीन ।
उत्तर:
उपर्युक्त बहुलकों के बनने में प्रयुक्त एकलकों के नाम तथा संरचना निम्न प्रकार है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक 10

प्रश्न 15.18.
निम्नलिखित बहुलक संरचनाओं के एकलक की पहचान कीजिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक 14
उत्तर:
उपर्युक्त बहुलकों में प्रयुक्त एकलक निम्नलिखित हैं-
(i) डेकेन – 1, 10 – डाइओइक अम्ल (HOOC(CH2)8 COOH) और हैक्सामेथिलीन डाइऐमीन H2N(CH2)6NH2

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक 15

प्रश्न 15.19.
एथिलीन ग्लाइकॉल और टेरेपथैलिक अम्ल से डेक्रॉन किस प्रकार प्राप्त किया जाता है?
उत्तर:
एथिलीन ग्लाइकॉल तथा टेरेपथैलिक अम्ल की क्रिया से टेरिलीन अथवा डेक्रॉन बनाने का समीकरण निम्न है। यह संघनन बहुलकन का उदाहरण है क्योंकि इसमें जल का अणु निकलता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक 11

प्रश्न 15.20
जैवनिम्ननीय बहुलक क्या है? एक जैवनिम्ननीय ऐलिफैटिक पॉलिएस्टर का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
बहुत से बहुलक पर्यावरण निम्नीकरण प्रक्रियाओं के प्रति प्रतिरोधी होते हैं तथा ये लम्बे समय तक अनिम्नीकृत रूप में ही पड़े रहते हैं। ये बहुलक ठोस अपशिष्ट द्रव्य के रूप में एकत्रित हो जाते हैं जिनसे पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं इसी कारण जैव निम्ननीय बहुलकों का विकास हुआ।

जैवनिम्ननीय बहुलक वे बहुलक होते हैं जो एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं द्वारा विघटित हो जाते हैं। ये एन्जाइम, जीवाणुओं (Micro organisms) द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं। जैवनिम्ननीय बहुलकों में, जैव बहुलकों के समान क्रियात्मक समूह उपस्थित होते हैं। जैवनिम्ननीय बहुलकों से पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न नहीं होतीं। जैवनिम्ननीय बहुलकों के उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(1) पॉलि β-हाइड्रॉक्सीब्यूटिरेट-को-β-हाइड्रॉक्सी वैलेरेट (PHB V)-यह एक ऐलिफैटिक पॉलिएस्टर है। यह 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनॉइक अम्ल तथा 3-हाइड्रॉक्सीपेन्टेनॉइक अम्ल के सहबहुलकीकरण से बनता है।
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक 12

PHB V का उपयोग विशिष्ट पैकेजिंग, अस्थियों में प्रयुक्त युक्तियों (Devices) तथा औषधों के नियंत्रित मोचन (release) में होता है। पर्यावरण में PHBV का जीवाण्विक निम्नीकरण (Bacterial degradation) हो जाता है।

(2) नाइलॉन-2-नाइलॉन-6-यह ग्लाइसिन (NH2-CH2-COOH) तथा ऐमीनो कैप्रोइक अम्ल (NH2(CH2)5COOH) का एकान्तर पॉलिऐमाइड है। यह सहबहुलकीकरण का एक उदाहरण है जिसको निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक 13

HBSE 12th Class Chemistry बहुलक Intext Questions

प्रश्न 15.1.
बहुलक क्या होते हैं?
उत्तर:
बहुलक उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले पदार्थ होते हैं जिनमें बहुत अधिक संख्या में पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाइयाँ पाई जाती हैं। जोकि कुछ सरल तथा क्रियाशील अणुओं से प्राप्त होती हैं जिन्हें एकलक कहते हैं। ये इकाइयाँ सहसंयोजक बंधों द्वारा आपस में जुड़ी होती हैं। बहुलकों को बृहदाणु भी कहते हैं। उदाहरणपॉलिथीन तथा बैकेलाइट, रबर तथा नाइलॉन-6,6.

प्रश्न 15.2.
निम्नलिखित बहुलकों को बनाने वाले एकलकों के नाम लिखिए-
HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक 16
उत्तर:
उपर्युक्त बहुलकों को बनाने वाले एकलकों के नाम निम्नलिखित हैं-

  • हैक्सामेथिलीनडाइऐमीन तथा ऐडिपिक अम्ल
  • कैप्रोलैक्टम
  • टेट्राफ्लुओरोएथीन।

प्रश्न 15.3
निम्न को योगज (योगात्मक) (Addition) और संघनन बहुलकों में वर्गीकृत कीजिए-टेरिलीन, बैकेलाइट, पॉलिथीन, टेफ्लॉन।
उत्तर:

  1. योगज बहुलक-पॉलिथीन, टैफ्लॉन।
  2. संघनन बहुलक-टेरिलीन, बैकेलाइट।

प्रश्न 15.4.
ब्यूना-N और ब्यूना-S के मध्य अंतर समझाइए।
उत्तर:
ब्यूना-N, 1,3-ब्यूटाडाईन (CH2 = CH – CH = CH2) तथा ऐक्रिलो नाइट्राइल HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक 17 का सहबहुलक है जबकि ब्यूना-S, 1,3-ब्यूटाडाईन तथा स्टाइरीन HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक 18का सहबहुलक है।

प्रश्न 15.5.
निम्न बहुलकों को उनके अंतराआण्विक बलों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
नाइलॉन-6,6, ब्यूना-S, पॉलिथीन
उत्तर:
उपरोक्त बहुलकों में अंतराआण्विक बलों का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार होता है-
ब्यूना-S < पॉलिथीन < नाइलॉन-6,6

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HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण


(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

1. फॉस्फोरस किसके लिए संरचनात्मक तत्व है ?
(A) न्यूक्लिक अम्ल
(B) कार्बोहाइड्रेट
(C) प्रोटीन्स
(D) लिपिड
उत्तर:
(A) न्यूक्लिक अम्ल

2. निम्न में से महापोषक शृंखला है-
(A) Mg, Mn, Mo
(B) N, P,K
(C) N, P, B
(D) B, C, H
उत्तर:
(B) N, P,K

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

3. मक्के का श्वेत कलिका रोग किसकी कमी से होता है ?
(A) बोरॉन
(B) आयरन
(C) जिंक
(D) मैग्नीज
उत्तर:
(C) जिंक

4. चुकन्दर का अन्तः विगलन (Heart rot) रोग किसकी कमी से होता है ?
(A) बोरॉन
(C) लौह
(B) जिंक
(D) मैग्नीज
उत्तर:
(A) बोरॉन

5. निम्न में से विटामिन B12 का एक घटक तत्व है-
(A) Ni
(B) Cu
(C) Hg
(D) Co
उत्तर:
(D) Co

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

6. चाय के पौधों में पीली बीमारी होती है-
(A) सल्फर की कमी से
(B) सल्फर की अधिकता से
(C) नाइट्रोजन की कमी से
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) सल्फर की कमी से

7. मृदा से प्राप्त पोषक तत्व कहलाते हैं-
(A) खनिज लवण
(B) अखनिज तत्व
(C) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) खनिज लवण

8. वृहत् पोषक तत्व है-
(A) नाइट्रोजन
(B) Cd
(C) Ni
(D) Mo
उत्तर:
(D) Mo

9. रन्धों के खुलने एवं बन्द होने में किस तत्व की महत्वपूर्ण भूमिका है ?
(A) ऑक्सीजन
(B) नाइट्रोजन
(C) पोटैशियम
(D) कैल्शियम
उत्तर:
(C) पोटैशियम

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

10. पादप कोशिका की मे पटलिका का प्रमुख तत्व है-
(A) Ca
(B) Mg
(C) Co
(D) Mn
उत्तर:
(B) Mg

11. किसकी कमी से ‘Dle back’ रोग होता है ?
(A) K.
(C) B
(B) Cu
(D) Fe
उत्तर:
(A) K.

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

12. नाइट्रोजन उपापचय हेतु आवश्यक तत्व है-
(a) K
(B) Mo
(C) Mg
(D) Fe
उत्तर:
(B) Mo

13. किस तत्व की पूर्ति के लिए कीटभक्षी पौधे कीटों को पकड़ते हैं ?
(A) O
(B) C
(C) K
(D) N
उत्तर:
(D) N

14. I सूची के तत्वों को सूची II में न्यूनता से होने वाले लक्षणों से सुमेलित कीजिए तथा सही कूट बुनिए-

III
1. N(a) पत्तियों का ताम्रवर्णी होना
2. Mg(b) अपरिपक्व पत्तियों का गिरना
3. B(c) अन्तरशिरीय हरिमाहीनता
4. P(d) चितकबरी हरिमाहीनता तथा ऊतक क्षरण

(A) 1. (a) 2. (b) 3. (c) 4. (d)
(B) 1. (d) 2. (c) 3. (a) 4. (b)
(C) 1. (b) 2. (c) 3. (d) 4. (a)
(D) 1. (d) 2. (c) 3. (b) 4. (a)
उत्तर:
(B) 1. (d) 2. (c) 3. (a) 4. (b)

15. पौधों में सर्वाधिक पाया जाने वाला तत्व है-
(A) Mg
(B) Ne
(C) C
(D) Fe
उत्तर:
(C) C

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

16. जौ में भूरे धव्यों का कारण है-
(A) Zn
(B) Mo
(C) Cu
(D) Fe
उत्तर:
(B) Mo

17. अनिवार्यता की कसौटी प्रतिपादित की-
(A) मार्गन ने
(B) आर्नन ने
(C) लैंग ने
(D) स्मिथ ने
उत्तर:
(B) आर्नन ने

18. कौन-सा खनिज तत्व आवश्यक नहीं है ?
(A) Co
(B) Ni
(C) Mo
(D) Cd
उत्तर:
(D) Cd

19. सूक्ष्म पोषक पदार्थ-
(A) दीर्घ पोषक पदार्थों के समान महत्वपूर्ण हैं परन्तु कम मात्रा में उपयोग होते हैं।
(B) दीर्घ पोषक पदार्थों से कम महत्वपूर्ण हैं।
(C) सूक्ष्म कहलाते हैं क्योंकि ये पादप उपापचय में सूक्ष्म भूमिका अदा करते हैं।
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।

20. लेग्यूम (फलीदार) पौधे पर्यावरण हेतु महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि वे-
(A) N, स्थिरीकरण में सहायक हैं।
(B) उपरोक्त सभी।
(C) मृदा की उर्वरता बढ़ाते हैं।
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(C) मृदा की उर्वरता बढ़ाते हैं।

21. माइकोराइजा सहायक है-
(A) श्वसन में
(B) जल अवशोषण में
(C) पोषक पदार्थ अवशोषण में
(D) फॉस्फेट अवशोषण में
उत्तर:
(C) पोषक पदार्थ अवशोषण में

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

22. दिये गये तत्वों में से कौन-सा पादप वृद्धि के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है?
(A) मैग्नीशियम
(C) कॉपर
(B) जिंक
(D) कैल्शियम
उत्तर:
(D) कैल्शियम

23. पौधे को मैग्नीशियम की आवश्यकता होती है-
(A) कोशिकाओं को जोड़ने में
(B) प्रोटीन संश्लेषण में
(C) पर्णहरित संश्लेषण में
(D) कोशिका भित्ति विकास में
उत्तर:
(C) पर्णहरित संश्लेषण में

24. एनस की मूल गुलिकाओं में नाइट्रोजन स्थिरीकरण होता है-
(A) ब्रेडीराइजोबियम द्वारा
(B) क्लोस्ट्रीडियम द्वारा
(C) किया द्वारा
(D) एजोराइजोबियम द्वारा
उत्तर:
(C) किया द्वारा

25. मैगनीज आवश्यक होता है-
(A) न्यूक्लिक अम्ल के संश्लेषण हेतु
(B) पादप कोशिका भित्ति के निर्माण हेतु
(C) प्रकाश संश्लेषण के दौरान जल प्रकाश अपघटन हेतु
(D) पर्णहरिम के संश्लेषण हेतु
उत्तर:

26. नाइट्रोजन स्थिरीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला तत्व है-
(A) मोलिब्डेनम (Mo)
(B) कॉपर (Cu)
(C) मैगनीज (Mn)
(D) जिंक (Zn)
उत्तर:
(A) मोलिब्डेनम (Mo)

27. एनास्ट्रोसायनिन में उपस्थित होता है-
(A) Cu
(B) Fe
(C) Ca
(D) K.
उत्तर:
(A) Cu

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28. रन्धों के खुलने एवं बंद होने में सहायक आयन है-
(A) Mn+
(B) Mg+
(C) Ca2+
(D) K+
उत्तर:
(D) K+

29. निम्नलिखित में से कौन पौधों द्वारा मृदा से फॉस्फोरस के अवशोषण में सहायता करता है-
(A) राइजोबियम
(B) फ्रेंकिया
(C) एनाबीना
(D) ग्लोमस
उत्तर:
(D) ग्लोमस

30. किस तत्व के बाहर निकलने से मध्य पटलिका मुलायम हो जाती है?
(A) कैल्शियम
(C) पोटैशियम
(B) मैग्नीशियम
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) मैग्नीशियम

31. निम्नलिखित में से कौन एक सूक्ष्म पोषक तत्व है-
(A) Mg
(C) S
(B) Ca
(D) Cu
उत्तर:
(D) Cu

32. निम्नलिखित कथनों में से कौन असत्य है ?
(A) एनाबीना तथा नास्टॉक स्वतंत्रजीवी अवस्था में भी नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने में सक्षम है।
(B) जड़ मन्यिकाओं का निर्माण करने वाले नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीव स्वतंत्रजीवी दशाओं में वायवीय जीवों की भाँति रहते हैं।
(C) फॅस्फोरस कोशिका कलाओं, कुछ न्यूक्लिक अम्लों तथा सभी प्रोटीनों का एक संघटक है।
(D) नाइट्रोसोमोनास तथा नाइट्रोबैक्टर रसायन स्वपोषी होते हैं।
उत्तर:
(C) फॅस्फोरस कोशिका कलाओं, कुछ न्यूक्लिक अम्लों तथा सभी प्रोटीनों का एक संघटक है।

33. सबसे प्रचुर अन्तरकोशिकीय धनायन कौन-सा है?
(A) Na+
(B) CO2+
(C) H+
(D) K+.
उत्तर:
(D) K+.

34. निम्नलिखित में से कौन-सा मानदण्ड संसाधित अभिगमन से सम्बन्ध नहीं रखता है ?
(A) विशिष्ट कला प्रोटीन की आवश्यकता
(B) उच्च चयनता
(C) अभिगमन संतृप्तता
(D) ऊर्ध्व अभिगमन ।
उत्तर:
(D) ऊर्ध्व अभिगमन ।

35. फॉस्फोरस का प्राकृतिक भण्डार कौन-सा है ?
(A) समुद्री जल
(B) प्राणि अस्थियाँ
(C) शैल
(D) जीवाश्म ।
उत्तर:
(C) शैल

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36. नाइट्रोजन और पोटैशियम की कमी के लक्षण सर्वप्रथम कहाँ दिखते हैं?
(A) तरुण पत्तियों में
(B) जड़ों में
(C) कलियों में
(D) जीर्णमान पत्तियों में।
उत्तर:
(D) जीर्णमान पत्तियों में।

(B) अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions )

प्रश्न 1.
खनिज पोषण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
पौधों की वृद्धि एवं परिवर्धन के लिए आवश्यक खनिज तत्वों को ग्रहण करना खनिज पोषण (Mineral nutrition) कहलाता है।

प्रश्न 2.
बालू संवर्धन (sand culture) क्या है?
उत्तर:
शुद्ध बालू में पौधों को उगाते हैं। बालू में पोषक विलयन डालते रहते हैं। है?

प्रश्न 3.
किस पादप हॉर्मोन के लिए संश्लेषण हेतु जिंक (Zn) आवश्यक
उत्तर:
IAA इण्डोल ऐसीटिक अम्ल ।

प्रश्न 4.
पौधों की वृद्धि एवं परिवर्धन हेतु आवश्यक पोषक तत्वों की संख्या कितनी होती है?
उत्तर:
17.

प्रश्न 5.
पादप शरीर का प्राधार या अंश तत्व किसे कहते हैं?
उत्तर:
-C, H तथा O को प्राधार तत्व (frame work elements ) कहते हैं।

प्रश्न 6.
पर्णहरित का संघटक पोषक तत्व कौन-सा है?
उत्तर:
Mg (मैग्नीशियम)।

प्रश्न 7.
सेब के फलों में आन्तरिक कार्क (Internal cork) नामक रोग किस तत्व की कमी से होता है?
उत्तर:
बोरॉन (B)।

प्रश्न 8.
क्रान्तिक तत्व (critical elements) कौन-से तत्व होते हैं?
उत्तर:
-N, P तथा K.

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प्रश्न 9.
ऑक्सिन संश्लेषण में कौन-सा पोषक तत्व आवश्यक होता है?
उत्तर:
जिंक (Zinc)!

प्रश्न 10.
उत्प्रेरक कार्य तत्व किसे कहते हैं?
उत्तर:
Mg, Cu आदि एन्जाइम के सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। इनकी अनुपस्थिति में एन्जाइम क्रियाशील नहीं होते। अतः इन्हें उत्प्रेरक कार्य तत्व कहते हैं।

प्रश्न 11.
डाल्टन ने किस नये तत्व को आवश्यक तत्व के रूप में माना?
उत्तर:
निकिल ( nickle)

प्रश्न 12.
लौह का एक प्रमुख कार्य लिखिए।
उत्तर:
लौह श्वसन विकर सायटोक्रोम (cytochrome) का मुख्य घटक होता है।

प्रश्न 13.
जल संवर्धन क्या है?
उत्तर:
मृदारहित पोषक विलयन के घोल में पौधों को उगाना जल संवर्धन (Hydroponics) कहलाता है।

प्रश्न 14.
नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले नीले हरे शैवाल के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
एनाबीना ( Anabaena), नास्टॉक ( Nostoc)

प्रश्न 15.
प्रकाश संश्लेषण में जल के प्रकाश अपघटन में कौन-से तत्व भाग लेते हैं?
उत्तर:
क्लोरीन तथा मैंगनीज ।

प्रश्न 16.
खनिज तत्वों की अनिवार्यता की कसौटियाँ (criteria of essentiality) किसने प्रस्तावित की थी?
उत्तर:
आर्नन (Arnon; 1938) ने।

प्रश्न 17.
उस लक्षण को क्या कहते हैं, जिसमें पत्तियों के पर्णहरित के ह्रास से पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं?
उत्तर:
हरिमाहीनता ( chlorosis)।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

प्रश्न 18.
जीवद्रव्यी तत्व किसे कहते हैं?
उत्तर:
नाइट्रोजन, सल्फर, फॉस्फोरस को जीवद्रव्यी तत्व कहा जाता है, क्योंकि ये C, H तथा के साथ मिलकर जीवद्रव्य का प्रमुख भाग बनाते हैं।

प्रश्न 19.
राइजोबियम जीवाणु की विशेषता लिखिए।
उत्तर:
राइजोबियम जीवाणु स्वतन्त्र अवस्था में ऑक्सी (aerobic) तथा मन्थिकाओं में अनॉक्सी (anaerobic) होता है।

प्रश्न 20.
अनॉक्सी नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु का नाम लिखिए।
उत्तर:
रोडोस्पाइरिलियम (Rhodospirillium)।

प्रश्न 21.
नाइट्रोजिनेस एन्जाइम की सुरक्षा कौन करता है?
उत्तर:
लेगहीमोग्लोबिन (leghaemoglobin, Ib)।

प्रश्न 22.
सर्वाधिक गतिशील तत्व तथा अगतिशील तत्व का नाम लिखिए।
उत्तर:
सर्वाधिक गतिशील तत्व = पोटैशियम (K)
सर्वाधिक अगतिशील तत्व = आयरन (Fe)

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण

(C) लघु उत्तरीय प्रश्न-1 (Short Answer type Questions-1)

प्रश्न 1.
उत्प्रेरक प्रभाव उत्पन्न करने वाले खनिजों के नाम लिखिए।
उत्तर:
उत्प्रेरक प्रभाव (Catalytic Effect ) – लोहा (Fe), कॉपर (Cu), जिंक (Zn) आदि तत्व कुछ विकरों के प्रास्थेटिक समूह (prosthetic groups ) का कार्य करते हैं। इसके विपरीत मैगनीज (Mn), मैग्नीशियम (Mg), कोबाल्ट (Co) आदि के आयन्स अनेक विकरों की क्रियाओं के लिए सक्रियकारक या रोधक का कार्य करते हैं।

प्रश्न 2.
पौधों का ताजा भार तथा शुष्क भार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पौधे या उसके किसी भाग का वजन करें तो इसे उसका ताजा भार (fresh weight) कहते हैं। यदि पौधे या उसके किसी भाग को 100°C ताप पर सुखाकर शेष बचे भाग का वजन करें तो इसे उसका शुष्क भार (dry weight) कहते हैं।

प्रश्न 3.
आर्नन की अनिवार्यता की कसौटियाँ क्या हैं?
उत्तर:
आर्जन (Arnon, 1938) के अनुसार अनिवार्य तत्व वे हैं-
(i) जो उपापचय में सीधे भाग लेते हैं।
(ii) जिनकी कमी या अभाव में विकार उत्पन्न हो जाते हैं।
(iii) जिनकी कमी का निदान उसी तत्व की पूर्ति से सम्भव है।

प्रश्न 4.
विनाइट्रीकरण क्या है? इसके लिए कौन-सी परिस्थितियाँ उपयुक्त होती हैं?
उत्तर:
कुछ जीवाणुओं द्वारा मृदा में उपस्थित नाइट्रेट को स्वतन्त्र नाइट्रोजन में बदल दिया जाता है। इसे विनाइट्रीकरण (denitrification) कहते हैं। जैसे— स्यूडोमोनास (Pseudomonas), थायोबैसीलस (Thiobacillus ) आदि । विनाइट्रीकरण के लिए प्रायः अनॉक्सी परिस्थितियाँ उपयुक्त हैं।

प्रश्न 5.
नाइट्रीकरण क्या है? दो नाइट्रीकारी जीवाणुओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
अमोनिया का नाइट्रेट में बदला जाना नाइट्रीकरण (nitrification) कहलाता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 12 खनिज पोषण 1
दो नाइट्रीकारी जीवाणु नाइट्रोसोमोनास ( Nitrosomonas ) तथा नाइट्रोवैक्टर (Nitrobacter) हैं।

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प्रश्न 6.
अन्य पौधों की तुलना में लैग्यूम (दाब कुल) के पौधों में प्रोटीन की मात्रा अधिक क्यों होती है?
उत्तर:
लैग्यूमिनोसी कुल के पौधों की जड़ों में नाइट्रोजन स्थित जीवाणु उपस्थित होते हैं जो वायु नाइट्रोजन को नाइट्राइट एवं नाइट्रेट में परिवर्तित कर देते हैं जिससे पौधे नाइट्रोजन को पर्याप्त मात्रा में संचित कर लेते हैं। चूँकि नाइट्रोजन का मुख्य घटक है। इस कारण इस कुल के पौधों में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा होती है।

(D) लघु उत्तरीय प्रश्न- II ( Short Answer Type Questions-II)

प्रश्न 1.
नॉप के पोषक विलयन के संघटक लिखिए।
उत्तर:
नॉप का पोषक विलयन (Knop’s Nutrient Solution)

1. कैल्शियम नाइट्रेट0-8 g/L
2. मैग्नीशियम सल्फेट0-2 g/L
3. पोटैशियम नाइट्रेट0-2 g/L
4. पोटैशियम डाइहाइड्रोजन फॉस्फेट0-2 g/L
5. फेरस सल्फेट0-2 g/L
6. फेरस टारट्रेटसूक्ष्म मात्रा में।

प्रश्न 2.
पौधों में नाइट्रोजन व पोटैशियम का क्या क्या कार्य है?
उत्तर:
नाइट्रोजन (Nitrogen):
पौधे मृदा से नाइट्रोजन को NOT NH, NH के रूप में अवशोषित करते हैं नाइट्रोजन, प्रोटीन, कोएन्जाइम, न्यूक्लिक अम्ल (DNA, RNA) तथा अन्य कार्बनिक यौगिकों के संश्लेषण के लिए आवश्यक होता है। यह जीवद्रव्य व पर्णहरित का मुख्य भाग है। रन्धों के खुलने व बन्द होने, जल की गति एवं सन्तुलन में नाइट्रोजन सहायक होती है।

पोटैशियम (Potassium):
यह विभज्योतक (meristematic) कोशिकाओं की वृद्धि, पत्तियों की वृद्धि एवं द्वितीयक जड़ों के निर्माण में महत्वपूर्ण होता है। यह जीवद्रव्य की जैविकता को बनाये रखने के लिए आवश्यक है । रन्धों के खुलने व बन्द होने में इनकी विशेष भूमिका होती है। यह एन्जाइम्स का सहकारक होता है।

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प्रश्न 3.
सहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकारक के कुछ उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
सहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकारक (Symbiotic Nitrogen Fixers)
1. मटर, चना, बाकला, सेम आदि की प्रन्थिकामय जड़ों में पाया जाने वाला राइजोबियम जीवाणु ।
2. एनस की जड़ मन्थियों में पाया जाने वाला फ्रैंकिया सूक्ष्म जीव । 3. सायकस की कोरेलॉयड जड़ में नॉस्टॉक (Nastoc), एनाबीना (Anabaena) |
4. एजोला (Azolla) फर्न की पत्तियों में एनाबीना ।
5. लाइकेन (Lichens) के सूकाय ( thalloid) में नीले हरे शैवाल या सायनोबैक्टीरिया ।

प्रश्न 4.
पोटैशियम तथा नाइट्रोजन के अभाव में उगने वाले पौधों में उत्पन्न लक्षण लिखिए।
उत्तर:
(i) पोटैशियम की कमी से पत्तियों पर निर्जीव धब्बे ( necrosis ) बन जाते हैं प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया मन्द हो जाती है रोगों के लिए प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। यान्त्रिक ऊतक कम विकसित होता है। पौधे झाड़ीनुमा (bushy) हो जाते हैं।

(ii) नाइट्रोजन की कमी से पत्तियाँ पीली हो जाती हैं। कोशिका विभाजन, श्वसन क्रिया प्रोटीन संश्लेषण मन्द हो जाता है। पौधों की वृद्धि रुक जाती है। पुष्पन विलम्ब से होता है। अनाज के दाने सिकुड़ जाते हैं।

प्रश्न 5
खनिज तत्वों के सामान्य कार्य लिखिए।
उत्तर:
(1) खनिज तत्व पादप शरीर के निर्माणक तत्व (framework elements) हैं, जैसे -C, H तथा O शरीर का ढाँचा बनाते हैं।
(2) जीवद्रव्यी तत्व (Protoplasmic Elements), जैसे-N, S, P आदि ये C H तथा ) के साथ मिलकर जीवद्रव्य बनाते हैं।
(3) उत्प्रेरक तत्व (Catalytic Elements) Mg, Cu आदि एन्जाइम के सहकारक का कार्य करते हैं। इनके अभाव में एन्जाइम क्रियाशील नहीं होते।
(4) सन्तुलन तत्व (Balancing Elements) – Cu, Mg K आदि अन्य खनिजों के विषैले प्रभाव को समाप्त करते हैं।

प्रश्न 6.
सामान्य पोषक विलयन की आवश्यक परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मृदा रहित पोषक विलयन तैयार करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि विलयन में सभी अनिवार्य पोषक तत्व उपस्थित हों। इसके अतिरिक्त निम्नलिखित परिस्थितियाँ आवश्यक हैं-
(i) सभी अनिवार्य तत्व घुलित अवस्था में हों।
(ii) विलयन तनु हो तथा इसे समय-समय पर बदलते रहने की व्यवस्था
(iii) विलयन में वातायन की उचित व्यवस्था हो ।
(iv) विलयन का pH निश्चित रहे ।

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प्रश्न 7.
जल संवर्धन क्या है ? इसका क्या महत्व है?
उत्तर:
जल संवर्धन (Hydroponics): यह वह तकनीक है जिसमें पौधे को मृदाविहीन माध्यम अर्थात् जलीय विलयन में उगाया जाता है। इसके लिए
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पोषक विलयन संवर्धन के लिए एक आदर्श अवस्था का आरेख
काँच का बना अक्रिय पात्र लेकर इसमें सन्तुलित पोषक युक्त विलयन भर दिया जाता है। इस विलयन के ऊपर जाली लगाकर नवोद्भिद् (seedling) पौधे की जड़ को विलयन में डुबो दिया जाता है तथा प्ररोह ऊपर रखा जाता है। विलयन में वातायन (aeration) की उचित व्यवस्था रखी जाती है।

महत्व:
जल संवर्धन विधि द्वारा तत्वों की कमी या पौधों में प्रभाव का अध्ययन किया जा सकता है। इसके द्वारा कुछ शाकीय पौधे उगाये जा सकते हैं तथा कायिक जनन कराया जा सकता है।

प्रश्न 8.
पौधे मृदा से फॉस्फोरस को किस रूप में ग्रहण करते हैं? फॉस्फोरस का पौधों में कहाँ उपयोग होता है? फॉस्फोरस की कमी के दो लक्षण लिखिए।
उत्तर:
पौधे फॉस्फोरस को मुख्यतया फॉस्फेट आयन (PO)” ) तथा डाइहाइड्रोजन फॉस्फेट H, PO, आयन के रूप में ग्रहण करते हैं। फॉस्फोरस का उपयोग कोशिका कला, पत्तियों के निर्माण, जड़ों की वृद्धि आदि में होता है। फॉस्फोरस प्रोटीन, न्यूक्लिओप्रोटीन्स, न्यूक्लिओटाइड आदि के संश्लेषण में प्रयुक्त होता है।
फॉस्फोरस की कमी से पत्तियों पर एन्थोसायनिन ( anthocyanin ) के धब्बे प्रकट हो जाते हैं और पत्तियाँ शीघ्र गिर जाती हैं।

प्रश्न 9.
असहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण सूक्ष्म जीवों के उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रजीवी या असहजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकरण सूक्ष्मजीवी प्रायः ऑक्सीजीवी (aerobes) या अनॉक्सीजीवी (Anaerobes) होते हैं। उदाहरण रोडोस्पाइरिलम (Rhodospirillium), अनॉक्सीजीवी तथा एजोटोबैक्टर (Azotobacter), विजेरन्किया (Beijemikia) आदि आक्सीजीवी जीवाणु हैं। स्वतन्त्रजीवी नीले हरे शैवाल (Blue green algae) जैसे – एनाबीना (Anabaena), नास्टॉक (Nostoc), टोलीपोथ्रिक्स (Tolypothrix) आदि हैं। यीस्ट की प्रजातियाँ भी नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक होती हैं।

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प्रश्न 10.
हीमोग्लोबिन तथा लैगहीमोग्लोबिन में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
हीमोग्लोबिन (Leghaemoglobin) में अन्तर

हीमोग्लोजिन (Haemoglobin)लैगहीमोम्लोबिन (Leghaemoglobin)
यह जन्तुओं, मुख्यतः कशेरुकियों में पाया जाता है।यह फलीदार फसलों की जड़ों में मूल गुलिकाओं (root nodules) में पाया जाता है।
यह लाल चमकीला होता है।यह भूरा तथा धुँधला होता है।
यह ऑक्सीजन वाहक का कार्य करता है।यह ऑक्सीजन से तेजी से संयुक्त होता है तथा नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक है।
यह श्वसन में भाग लेता है।यह नाइट्रोजिनेज (nitrogenase) विकर की सुरक्षा करता है।

(E) निबन्धात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions )

प्रश्न 1.
प्रकृति में नाइट्रोजन चक्र का आरेख सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle)
नाइट्रोजन, (N2) कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के बाद पौधों में पाया जाने वाले प्रमुख तत्व हैं। यह ऐमीनो अम्ल, न्यूक्लिक अम्ल, प्रोटीन्स, पर्णहरित, विटामिन्स, पादप हॉर्मोन्स आदि का प्रमुख संघटक हैं। पौधे नाइट्रोजन को मृदा से नाइट्रेट, नाइट्राइट आदि रूप में मूण करते हैं। वायुमण्डल में लगभग 78% नाइट्रोजन पायी जाती है।

पौधे वायुमण्डल की स्वतन्त्र नाइट्रोजन (free nitrogen) का उपयोग सीधे ही नहीं कर पाते। अत: इसे विभिन्न यौगिकों के रूप में ही पहुण किया जा सकता है। पृथ्वी तथा वायुमण्डल में नाइट्रोजन का अनुपात स्थिर बना रहता है जो कि नाइट्रोजन चक्र (nitrogen cycle) द्वारा सम्भव होता है। नाइट्रोजन चक्र निम्न पदों में पूर्ण होता है-
1. अऔव नाइट्टोजन स्थिरीकरण (Non-biological Nitrogen Fixation)बिजली के तड़कने से वायुमण्डलीय नाइट्रोजन ऑक्सीजन से संयोग करके नाइट्रोजन पर-ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड तथा नाइट्रक अम्ल बनाती हैं। ये पानी में घुलकर वर्षा के साथ भूमि पर आ जाते हैं और मृदा में पहुँचकर नाइट्रेट्स तथा नाइट्राइट्स बनाते हैं।

2. औविक नाझ्ट्रोजन स्थिरीकरण (Biological Nitrogen Fixation)स्वतन्त्रजीवी, सहजीवी जीवाणुओं (symbiotic bacteria) तथा नीले हरे शैवालों (blue green algae) द्वारा वायुमण्डल की स्वतन्त्र नाइट्रोजन को इसके यौगिकों में बदल दिया जाता है। जैसे-एजोटोबैक्टर (Azotobacter), रोडोस्पाइरिलम (Rhodospirillium), क्लॉस्टरीडियम (Clostridium) आदि जीवाणु तथा नास्टॉक (Nostoc), एनाबीना (Anabaena) आदि स्वतन्त्रजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकारी सूक्ष्म जीव हैं।

मटर कुल के पौर्धों की जड़ों की मूल गुलिकाओं (Root nodules) में पाये जाने वाले जीवाणु राइजोबियम (Rhizobium) सहजीवी के रूप में पाये जाते हैं। ये स्वतन्त्र नाइट्रोजन को अमोनिया में बदल देवे हैं।

3. अमोनीकरण (Ammonification)-मृत जीव- जन्तुओं तथा पौधों में उपस्थित नाइट्रोजनी कार्बनिक पदार्थों का अमोनिया में अपघटन अमोनीकरण (ammonification) कहललाता है। मुक्त अमोनिया जल, मृदा या वातावरण में मुक्त हो जाती है।

4. नाइड्थीकरण (Nitrification) – अमोनीकरण के द्वारा मुक्त अमोनिया मृदा में उपस्थित जीवाणुओं द्वारा नाइट्राइट तथा नाइट्रेट में बदल दी जाती है जो पौधों के लिए प्राप्त होती है।
नाइट्रोसोमोनास (Nitrosomonas), नाइट्रोकोकस (Nitrococcus) आदि जीवाणु भी अमोनिया को नाइट्राइड में बदल देते हैं। नाइट्रोबैक्टर (Nitrobacter) नाइट्राइट को नाइट्रेट में बदल देता है जो घुलित अवस्था में जड़ों द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।

5. विनाइट्रीकरण (Denitrification)- मृदा में उपस्थित कुछ जीवाणु जैसे-थायोबैसीलस, स्यूडोमोनास आदि नाइट्रोजनी यौगिकों का अपघटन करके स्वतन्त नाइट्रोजन में बदल देते हैं। यह क्रिया विनाइट्रीकरण (denitrification) कहलाती है। नाइट्रोजन चक्र का महत्व (Importance of Nitrogen Cycle)
(i) इसके द्वारा वायुमण्डल में नाइट्रोजन का सन्तुलन बना रहता है।
(ii) नाइट्रोजन ऑक्सीजन की सक्रियता को कम करने में सहायक है।
(iii) नाइट्रोजन चक्रीकरण से पौधों को तथा जन्तुओं को नाइट्रोजन उपलब्य हो पाता है।
(iv) जीव-जन्तुओं के अपशिष्टों के विषटन से नाइट्रोजन वायुमण्डल में पहुँचती है।
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प्रश्न 2.
निम्नलिखित तत्वों के कार्य व न्यूनता के लक्षण लिखिए- (क) Ca (ख) Mg (ग) Fe (घ) P (ङ) SI
उत्तर:
नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle)
नाइट्रोजन, (N2) कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के बाद पौधों में पाया जाने वाले प्रमुख तत्व हैं। यह ऐमीनो अम्ल, न्यूक्लिक अम्ल, प्रोटीन्स, पर्णहरित, विटामिन्स, पादप हॉर्मोन्स आदि का प्रमुख संघटक हैं। पौधे नाइट्रोजन को मृदा से नाइट्रेट, नाइट्राइट आदि रूप में मूण करते हैं। वायुमण्डल में लगभग $78 \%$ नाइट्रोजन पायी जाती है।

पौधे वायुमण्डल की स्वतन्त्र नाइट्रोजन (free nitrogen) का उपयोग सीधे ही नहीं कर पाते। अत: इसे विभिन्न यौगिकों के रूप में ही पहुण किया जा सकता है। पृथ्वी तथा वायुमण्डल में नाइट्रोजन का अनुपात स्थिर बना रहता है जो कि नाइट्रोजन चक्र (nitrogen cycle) द्वारा सम्भव होता है। नाइट्रोजन चक्र निम्न पदों में पूर्ण होता है-

1. अऔव नाइट्टोजन स्थिरीकरण (Non-biological Nitrogen Fixation)बिजली के तड़कने से वायुमण्डलीय नाइट्रोजन ऑक्सीजन से संयोग करके नाइट्रोजन पर-ऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड तथा नाइट्रक अम्ल बनाती हैं। ये पानी में घुलकर वर्षा के साथ भूमि पर आ जाते हैं और मृदा में पहुँचकर नाइट्रेट्स तथा नाइट्राइट्स बनाते हैं।

2. औविक नाझ्ट्रोजन स्थिरीकरण (Biological Nitrogen Fixation)स्वतन्त्रजीवी, सहजीवी जीवाणुओं (symbiotic bacteria) तथा नीले हरे शैवालों (blue green algae) द्वारा वायुमण्डल की स्वतन्त्र नाइट्रोजन को इसके यौगिकों में बदल दिया जाता है। जैसे-एजोटोबैक्टर (Azotobacter), रोडोस्पाइरिलम (Rhodospirillium), क्लॉस्टरीडियम (Clostridium) आदि जीवाणु तथा नास्टॉक (Nostoc), एनाबीना (Anabaena) आदि स्वतन्त्रजीवी नाइट्रोजन स्थिरीकारी सूक्ष्म जीव हैं।
मटर कुल के पौर्धों की जड़ों की मूल गुलिकाओं (Root nodules) में पाये जाने वाले जीवाणु राइजोबियम (Rhizobium) सहजीवी के रूप में पाये जाते हैं। ये स्वतन्त्र नाइट्रोजन को अमोनिया में बदल देवे हैं।

3. अमोनीकरण (Ammonification)-मृत जीव- जन्तुओं तथा पौधों में उपस्थित नाइट्रोजनी कार्बनिक पदार्थों का अमोनिया में अपघटन अमोनीकरण (ammonification) कहललाता है। मुक्त अमोनिया जल, मृदा या वातावरण में मुक्त हो जाती है।

4. नाइड्थीकरण (Nitrification) – अमोनीकरण के द्वारा मुक्त अमोनिया मृदा में उपस्थित जीवाणुओं द्वारा नाइट्राइट तथा नाइट्रेट में बदल दी जाती है जो पौधों के लिए प्राप्त होती है।
नाइट्रोसोमोनास (Nitrosomonas), नाइट्रोकोकस (Nitrococcus) आदि जीवाणु भी अमोनिया को नाइट्राइड में बदल देते हैं। नाइट्रोबैक्टर (Nitrobacter) नाइट्राइट को नाइट्रेट में बदल देता है जो घुलित अवस्था में जड़ों द्वारा अवशोषित कर ली जाती है।
5. विनाइट्रीकरण (Denitrification)- मृदा में उपस्थित कुछ जीवाणु जैसे-थायोबैसीलस, स्यूडोमोनास आदि नाइट्रोजनी यौगिकों का अपघटन करके स्वतन्त नाइट्रोजन में बदल देते हैं। यह क्रिया विनाइट्रीकरण (denitrification) कहलाती है। नाइट्रोजन चक्र का महत्व (Importance of Nitrogen Cycle)
(i) इसके द्वारा वायुमण्डल में नाइट्रोजन का सन्तुलन बना रहता है।
(ii) नाइट्रोजन ऑक्सीजन की सक्रियता को कम करने में सहायक है।
(iii) नाइट्रोजन चक्रीकरण से पौधों को तथा जन्तुओं को नाइट्रोजन उपलब्य हो पाता है।
(iv) जीव-जन्तुओं के अपशिष्टों के विषटन से नाइट्रोजन वायुमण्डल में पहुँचती है।
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प्रश्न 3.
विभिन्न पोषक तत्वों की कमी से उत्पन्न प्रभावों को कैसे ज्ञात करते हैं? समझाइए।
उत्तर:
पौधों में पोषक तत्वों की कमी से उत्पन्न प्रभावों का अध्ययन जब हम किसी विशेष पोषक तत्व की उपयोगिता का अध्ययन या तत्व की कमी से उत्पन्न प्रभाव का अध्ययन करते हैं तो इसके लिए पौधों हेतु जलीय माध्यम प्रयोग में लाया जाता है। इसके लिए हम कई बोतलों में जलीय संवर्धन माध्यम तैयार (aquatic culture medium) करते हैं। इनमें से एक में सभी आवश्यक तत्वों को उचित अनुपात में मिलाया जाता है। अन्य बोतलों में उस तत्व की कमी रखी जाती है जिसका अध्ययन करना होता है। अब पौधों को वृद्धि करने के लिए छोड़ दिया जाता है। कुछ समय बाद पौधों का तुलनात्मक अध्ययन करते हैं। पौधे में उत्पन्न प्रभाव किसी विशेष तत्व की कमी का लक्षण होता है।

तत्वों के प्रभाव के अध्ययन के लिए तालिका
संवर्धन घोल में तत्व की कमीप्रभाव (लक्षण)
सामान्य पोषक विलयन (Control)पौधे की सामान्य वृद्धि।
मैग्नीशियम का अभाव (Deficency of Mg)कम वृद्धि, पत्तियाँ पीली।
कैल्शियम का अभाव (Deficency of Ca)कमजोर पौधा, जड़ें अविकसित, पत्तियों पर धब्बे।
आयरन का अभाव (Deficency of Fe)पत्तियाँ सफेद-पीली, कम वृद्धि।
पोटैशियम का अभाव (Deficency of K)कम वृद्धि, पत्तियाँ भूरी, पौधा शीघ्र मर जाता है।
फॉस्फोरस का अभाव (Deficency of P)जड़ों की वृद्धि प्रभावित होने से पौधा मर जाता है।
नाइट्रोजन का अभाव (Deficency of N)वृद्धि कम, पत्तियाँ पीली, कमजोर पौधा।

प्रश्न 4.
जड़ों द्वारा खनिज तत्वों के अवशोषण को समझाइए। खनिज तत्वों का अवशोषण
उत्तर:
(Absorption of Mineral Element )
अधिकांश खनिज तत्व जल में घुलित अवस्था में मूलरोमों द्वारा अवशोषित होते हैं। ये खनिज मूल की बाह्य त्वचा (epiblema) एवं बल्कुट (cortex) में से विसरित होते हुए अन्तस्त्वचा (Endodermis ) तक पहुँचते हैं। अन्तस्त्वचा में कैस्पेरियन पट्टियाँ (casparian strips) पायी जाती हैं जो खनिज लवणों व जल के विसरण में रुकावट पैदा करती हैं।

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बटलर (Butler, 1953) तथा एप्सटीन (Epstein, 1955) के अनुसार वल्कुट (cortex) की कोशिकाएँ जीवित होती हैं तथा इनमें लवणों के अभिगमन के लिए उपापचयी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसे सक्रिय अवशोषण कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि कोशिकाद्रव्य का एक भाग प्रत्यक्ष स्वतन्त्र सतह द्वारा घिरा रहता है। अतः आयनों का स्थानान्तरण कोशिका भित्ति तथा कोशिकाद्रव्यी तन्तुओं (plasmodesmata) द्वारा अन्तस्त्वचा तक होता है। अतः आयन जाइलम में प्रवेश करा दिये जाते हैं। इसे आयन ग्रहण सरल विधि कहा जाता है।

अन्तस्त्वचा (endodermis ) से जाइलम की निर्जीव कोशिकाओं तक आयनों का सक्रिय स्थानान्तरण होता है। जड़ों की वल्कुट कोशिकाएँ श्वसन द्वारा उत्पादित ऊर्जा का प्रयोग करके आयनों को मृदा से खींचती हैं और जाइलम (xylem) में पहुँचा देती हैं। इस क्रिया को सक्रिय स्थानान्तरण कहते हैं। लवणों का जाइलम में प्रवेश होने के बाद यह वाष्पोत्सर्जन खिंचाव (transpiration pull) द्वारा तथा संसंजन बल द्वारा जल के साथ ऊपर की ओर चढ़ते हैं। गन्तव्य तक पहुँचकर इनका उपयोग कर लिया जाता है।

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HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु

Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु

प्रश्न 14.1.
मोनोसैकैराइड क्या होते हैं?
उत्तर:
वे कार्बोहाइड्रेट जिनको पॉलिहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड अथवा टोन के और अधिक सरल यौगिकों में जल अपघटित नहीं कर सकते, उन्हें मोनोसैकैराइड कहते हैं। लगभग 20 मोनोसैकैराइड प्रकृति में ज्ञात हैं। जैसे- ग्लूकोस, फ्रक्टोस, राइबोस आदि ।

प्रश्न 14.2.
अपचायी शर्करा क्या होती है?
उत्तर:
वे कार्बोहाइड्रेट जो टॉलेन अभिकर्मक या फेलिंग विलयन को अपचयित करते हैं उन्हें अपचायी शर्करा कहते हैं। इनमें स्वतंत्र ऐल्डिहाइड या समूह होता है। जैसे-ग्लूकोस, फ्रक्टोस, माल्टोस तथा लैक्टोस ।

प्रश्न 14.3.
पौधों में कार्बोहाइड्रेटों के दो, मुख्य कार्यों को कीटोन लिखिए।
उत्तर:

  • कार्बोहाइड्रेट, वनस्पतियों में स्टार्च के रूप में पाए जाते हैं।
  • पौधों की कोशिका भित्ति सेलुलोस से बनी होती है जो कि एक कार्बोहाइड्रेट है।

प्रश्न 14.4.
निम्नलिखित को मोनोसैकैराइड तथा डाइसैकैराइड में वर्गीकृत कीजिए – राइबोस, 2 – डीऑक्सीराइबोस, माल्टोस, गैलैक्टोस, फ्रक्टोस तथा लैक्टोस ।
उत्तर:
मोनोसैकैराइड – राइबोस, 2 – डीऑक्सीराइबोस, गैलैक्टोस तथा फ्रक्टोस ।
डाइसैकैराइड – माल्टोस तथा लैक्टोस।

प्रश्न 14.5.
ग्लाइकोसाइडी बंध से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ओलिगोसैकैराइडों तथा पॉलिसैकैराइडों में दो मोनोसैकैराइड इकाई ऑक्साइड या ईथर बंध द्वारा जुड़ी होती हैं जो कि जल के एक अणु के निष्कासन से बनता है, इसे ग्लाइकोसाइडी बंध कहते हैं। इस प्रकार दो मोनोसैकैराइडों के मध्य ऑक्सीजन परमाणु से बने बन्ध को ग्लाइकोसाइडी बंध कहते हैं।

HBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु

प्रश्न 14.6.
ग्लाइकोजन क्या होता है तथा यह स्टार्च से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर:
प्राणियों के शरीर में कार्बोहाइड्रेट, ग्लाइकोजन के रूप में संग्रहित रहता है। इसकी संरचना ऐमिलोपेक्टिन के समान होती है, अतः इसे प्राणी स्टार्च भी कहते हैं लेकिन यह ऐमिलोपेक्टिन से अधिक शाखित होता है। यह यकृत, मांसपेशियों तथा मस्तिष्क में उपस्थित होता है। जब शरीर को ग्लूकोस की आवश्यकता होती है, एन्जाइम, ग्लाइकोजन को ग्लूकोस में तोड़ देते हैं। ग्लाइकोजन यीस्ट तथा कवक में भी मिलता है।

स्टार्च के दो घटक होते हैं – एमिलोस तथा ऐमिलोपेक्टिन । एमिलोस, α-D- ग्लूकोस का रेखीय बहुलक है जबकि ऐमिलोपेक्टिन α-D-ग्लूकोस का शाखित बहुलक है।

प्रश्न 14.7.
(अ) सूक्रोस तथा (ब) लैक्टोस के जल अपघटन से कौनसे उत्पाद प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
(अ) सूक्रोस के जल अपघटन से α-D- ग्लूकोस तथा ß-D- फ्रक्टोस बनते हैं।
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(ब) लैक्टोस के जल अपघटन से ß-D-ग्लूकोस तथा ß-D-गैलैक्टोस प्राप्त होते हैं।
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प्रश्न 14.8.
स्टार्च तथा सेलुलोस में मुख्य संरचनात्मक अंतर क्या है?
उत्तर:
स्टार्च -ग्लूकोस का बहुलक है तथा इसमें दो घटक ऐमिलोस तथा ऐमिलोपेक्टिन होते हैं । ऐमिलोस 200-1000 α-D (+) – ग्लूकोस इकाइयों की अशाखित श्रृंखला होती है जो कि C1 – C4 ग्लाइकोसाइडी बंध द्वारा जुड़ी होती हैं।

ऐलोपेक्टिन में α-D-ग्लूकोस इकाइयों से बनी शाखित श्रृंखला होती है, जिसमें C1-C4 ग्लाइकोसाइडी बंध होते हैं तथा शाखन C1 – C6 ग्लाइकोसाइडी बंध द्वारा होता है जबकि सेलुलोस, ß-D-ग्लूकोस से बना रेखीय शृंखलायुक्त पॉलिसैकैराइड है जिसमें एक ग्लूकोस इकाई के C1 तथा दूसरी ग्लूकोस इकाई के C4 के मध्य ग्लाइकोसाइडी बंध बनता है।

प्रश्न 14.9.
क्या होता है जब D – ग्लूकोस की अभिक्रिया निम्नलिखित अभिकर्मकों से करते हैं?
(i) HI
(ii) ब्रोमीन जल
(iii) HNO3
उत्तर:
(i) HI से अभिक्रिया – ग्लूकोस को HI के साथ लंबे समय तक गरम करने पर यह अपचयित होकर n – हैक्सेन देता है। इससे सिद्ध होता है कि इसमें सभी छः कार्बन परमाणु एक सीधी श्रृंखला में होते हैं।
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(ii) ब्रोमीन जल से अभिक्रिया – ग्लूकोस ब्रोमीन जल द्वारा ऑक्सीकृत होकर ग्लूकोनिक अम्ल बनाता है। इससे सिद्ध होता है कि ग्लूकोस का कार्बोनिल समूह ऐल्डिहाइड समूह के रूप में होता है ।
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(iii) HNO3 से अभिक्रिया – ग्लूकोस का नाइट्रिक अम्ल द्वारा ऑक्सीकरण कराने पर एक डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल, सैकैरिक अम्ल बनता है। इससे ग्लूकोस में प्राथमिक ऐल्कोहॉलिक समूह की उपस्थिति की पुष्टि होती है ।
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प्रश्न 14.10.
ग्लूकोस की उन अभिक्रियाओं का वर्णन कीजिए जो इसकी विवृत श्रृंखला ( खुली श्रृंखला) संरचना के द्वारा नहीं समझाई जा सकतीं।
उत्तर:
ग्लूकोस की निम्नलिखित अभिक्रियाएँ इसकी विवृत श्रृंखला संरचना द्वारा नहीं समझाई जा सकती-

  • ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित होते हुए भी ग्लूकोस 2,4-DNP परीक्षण तथा शिफ परीक्षण नहीं देता। यह NaHSO के साथ भी क्रिया नहीं करता।
  • ग्लूकोस पेन्टाऐसीटेट, हाइड्रॉक्सिलऐमीन के साथ अभिक्रिया नहीं करता जो मुक्त -CHO समूह की अनुपस्थिति को दर्शाता है।
  • ग्लूकोस दो भिन्न क्रिस्टलीय रूपों में पाया जाता है जिन्हें o तथा B ग्लूकोस कहते हैं।

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प्रश्न 14.11.
आवश्यक तथा अनावश्यक ऐमीनो अम्ल क्या होते हैं? प्रत्येक प्रकार के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वे ऐमीनो अम्ल जो हमारे शरीर में संश्लेषित हो जाते हैं, उन्हें अनावश्यक ऐमीनो अम्ल कहते हैं; जैसे-ग्लाइसीन तथा ऐलानिन एवं वे ऐमीनो अम्ल जो हमारे शरीर में संश्लेषित नहीं होते तथा जिनको भोजन में लेना आवश्यक होता है, उन्हें आवश्यक ऐमीनो अम्ल कहते हैं; जैसे-वैलीन तथा ल्यूसीन आवश्यक ऐमीनो अम्लों की संख्या दस होती है।

प्रश्न 14.12.
प्रोटीन के संदर्भ में निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए-
(i) पेप्टाइड बंध
(ii) प्राथमिक संरचना
(iii) विकृतीकरण
उत्तर:
(i) पेप्टाइड बंध- वह बन्ध जिसके द्वारा विभिन्न – ऐमीनो अम्ल आपस में जुड़कर प्रोटीन बनाते हैं, उसे पेप्टाइड बंध कहते हैं। पेप्टाइड बंध को – CONH से दर्शाते हैं जो कि – ऐमीनो अम्ल के एक अणु के – COOH समूह तथा दूसरे अणु के – NH2 समूह से जल के निकलने से बनता है।

(ii) प्रोटीन की प्राथमिक संरचना- प्रोटीनों में एक या अधिक पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं उपस्थित होती हैं किसी प्रोटीन के प्रत्येक पॉलिपेप्टाइड में ऐमीनो अम्ल एक विशिष्ट तथा निश्चित क्रम में जुड़े होते हैं। ऐमीनो अम्लों के इस विशिष्ट क्रम को ही प्रोटीनों की प्राथमिक संरचना कहते हैं। प्राथमिक संरचना में किसी भी प्रकार का परिवर्तन होने पर अर्थात् ऐमीनो अम्लों के क्रम में परिवर्तन से भिन्न प्रोटीन बनते हैं।

(iii) प्रोटीन का विकृतीकरण – जैविक तंत्र में पायी जाने वाली विशिष्ट त्रिविम संरचना तथा जैविक सक्रियता वाले प्रोटीन, प्राकृतिक प्रोटीन कहलाते हैं। जब प्राकृतिक प्रोटीन के ताप तथा pH में परिवर्तन (भौतिक या रासायनिक परिवर्तन) किया जाता है तो हाइड्रोजन बन्धों की व्यवस्था बिगड़ जाती है जिसके कारण प्रोटीन की गोलिका (ग्लोब्यूल) खुल जाती है तथा हैलिक्स अकुंडलित हो जाती है इससे प्रोटीन अपनी जैविक सक्रियता को खो देता है, इसे प्रोटीन का विकृतीकरण कहते हैं उबालने पर अंडे की सफेदी का स्कंदन विकृतीकरण का एक उदाहरण है तथा दूध का जमकर दही बनना भी विकृतीकरण है जो कि दूध में उपस्थित बैक्टीरिया द्वारा लैक्टिक अम्ल उत्पन्न होने के कारण होता है।

प्रश्न 14.13.
प्रोटीन की द्वितीयक संरचना के सामान्य प्रकार क्या हैं?
उत्तर:
प्रोटीन की द्वितीयक संरचना इनकी आकृति से सम्बन्धित होती है जिसमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं उपस्थित होती हैं ये दो प्रकार की संरचनाओं में पायी जाती है-
(i) α-हैलिक्स तथा

(ii) प्रोटिन α-ऐमीनो अम्लों के बहुलक होते हैं जो आपस में पेप्यइड बंध द्वारा जुड़े ह्रेते हैं। ऐमीनो अम्लों के एक अणु के -COOH तथा दूसरे अणु के NH2 समूह के मध्य अभिक्रिया होकर जल के अणु से निकलने से बने बन्ध को पेप्टाइड बन्ध कहते हैं जिसे -CONH- द्वार दर्शाया जाता है।
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प्रोटीनों में α-ऐमीनो अम्ल समान तथा भिन्न भी हो सकते हैं। जब बनने वाला उत्पाद दो ऐमीनो अम्लों से बनता है तो इसे डाइपेप्टाइड कहते हैं। उदाहरण, ग्लाइसीन का कार्बोक्सिल समूह, ऐलानीन के ऐमीनो समूह के साथ क्रिया करता है तो एक डाइपेप्टाइड, ग्लाइसिलऐलानिन बनता है। अतः डाइपेप्टइड में एक पेप्यइड बन्ध होता है।

जब तीसरा ऐमीनो अम्ल, डाइपेप्टाइड के साथ क्रिया करता है तो बने उत्पाद को ट्राइपेप्टाइड कहते हैं। अतः एक ट्राइपेप्टाइड में तीन ऐमीनो अम्ल दो पेप्टाइड बन्धों द्वारा जुड़े होते हैं। इसी प्रकार चार, पाँच तथा छः ऐमीनो अम्लों के आपस में जुड़ने से बने उत्पादों को टेट्रापेप्टाइड पेन्टापेप्टाइड तथा हेक्सापेप्टाइड कहते हैं। बहुत से ऐमीनो अम्लों ( 10 से अधिक) के आपस में संघनन द्वारा बने पेप्टाइडों को पॉलिपेप्टाइड कहते हैं।

वे पॉलिपेप्टाइड जिनमें असंख्य ( 100 से अधिक) भिन्न-भिन्न ऐमीनो अम्ल होते हैं तथा जिनका आण्विक द्रव्यमान 10,000 µ से अधिक होता है, उन्हें प्रोटीन कहते हैं। यद्यपि पॉलिपेप्टाइड तथा प्रोटीन में विभेद अधिक स्पष्ट नहीं है। 100 से कम ऐमीनो अम्लों वाले पॉलिपेप्यइडों को भी प्रोटीन कहा जाता है यदि उनमें प्रोटीन जैसा स्पष्ट संरूपण (conformation) हो। उदाहरण-इन्सुलिन 51 ऐमीनो अम्लों से मिलकर बना होता है।

प्रोटीनों के सामान्य गुण:

  • प्रोटीन रंगहीन तथा अक्रिस्टलीय होते हैं लेकिन इन्सुलिन क्रिस्टलीय होती है।
  • प्रोटीन के गंलनांक तथा क्वथनांक अनिश्चित होते हैं।
  • प्रोटीन सामान्यतः जल, ऐल्कोहॉल तथा ईथर इत्यादि में अविलेय होते हैं।
  • प्रोटीन, बहुलक होते हैं जिनका आण्विक द्रव्यमान अधिक होता है, अतः ये जल में कोलाइडों के रूप में पाए जाते हैं।
  • प्रोटीन उभयधर्मी होते हैं जिनके समविभव बिन्दु निश्चित होते हैं।

प्रश्न 14.14.
प्रोटीन की α-हैलिक्स संरचना के स्थायीकरण में कौनसे आबंध सहायक होते हैं?
उत्तर:
प्रोटीन की α-हैलिक्स संरचना में प्रत्येक ऐमीनो अम्ल का – NH समूह, कुंडली के अगले मोड़ पर स्थितHBSE 12th Class Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु 6 समूह के साथ हाइड्रोजन बंध बनाता है जो इनके स्थायीकरण में सहायक होता है।

प्रश्न 14.15.
रेशेदार तथा गोलिकाकार (Globular) प्रोटीन को विभेदित कीजिए।
उत्तर:

  • रेशेदार प्रोटीन में पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं समानांतर होती हैं तथा हाइड्रोजन एवं डाइसल्फाइड बंधों द्वारा जुड़कर रेशों जैसी संरचना बनाती हैं जबकि गोलिकाकार प्रोटीन में पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं कुंडली बनाकर गोलाकार आकृति बना लेती हैं।
  • रेशेदार प्रोटीन जल में अविलेय होते हैं जबकि गोलिकाकार प्रोटीन जल में विलेय होते हैं।
  • रेशेदार प्रोटीन के उदाहरण किरेटिन (बाल, ऊन तथा रेशम में उपस्थित) तथा मायोसिन (मांसपेशियों में उपस्थित) हैं तथा गोलिकाकार प्रोटीन के उदाहरण इन्सुलिन व ऐल्यूमिन हैं।

प्रश्न 14.16.
ऐमीनो अम्लों की उभयधर्मी प्रकृति को आप कैसे समझाएंगे ?
उत्तर:
ऐमीनो अम्ल लवण के समान व्यवहार करते हैं क्योंकि इनके एक ही अणु में अम्लीय (कार्बोक्सिल समूह) तथा क्षारकीय ( ऐमीनो समूह ) समूह होते हैं। जलीय विलयन में कार्बोक्सिल समूह एक प्रोटॉन दान कर सकता है जबकि ऐमीनो समूह एक प्रोटॉन ग्रहण कर सकता है जिसके कारण एक द्विध्रुवीय आयन बनता है जिसे ज्विटर आयन अथवा उभयाविष्ट आयन या आन्तरिक लवण कहते हैं। यह उदासीन होता है लेकिन इसमें धनावेश तथा ऋणावेश दोनों ही उपस्थित होते हैं।
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उभयाविष्ट आयन के रूप में ऐमीनो अम्ल उभयधर्मी प्रकृति दर्शाते हैं क्योंकि ये अम्लों तथा धारकों दोनों के साथ अभिक्रिया करते हैं।
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प्रश्न 14.17.
एन्जाइम क्या होते हैं?
उत्तर:
सजीवों में होने वाली जैव रासायनिक अभिक्रियाओं में प्रयुक्त होने वाले जैव उत्प्रेरकों को एन्जाइम कहते हैं। एन्जाइम प्रोटीनयुक्त पदार्थ होते हैं।

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प्रश्न 14.18.
प्रोटीन की संरचना पर विकृतीकरण का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
प्रोटीन के विकृतीकरण से इसकी प्राथमिक संरचना प्रभावित नहीं होती लेकिन द्वितीयक तथा तृतीयक संरचनाएँ नष्ट हो जाती हैं, विकृत प्रोटीन की जैविक सक्रियता नष्ट हो जाती है। जैसे अण्डे को उबालने पर विलेय गोलिकाकार प्रोटीन का स्कंदन होकर वह अविलेय रेशेदार प्रोटीन में परिवर्तित हो जाती है।

प्रश्न 14.19.
विटामिनों को किस प्रकार वर्गीकृत किया गया है? रक्त के थक्के जमने के लिए जिम्मेदार विटामिन का नाम दीजिए।
उत्तर:
विटामिनों का वर्गीकरण- जल तथा वसा में विलेयता के आधार पर विटामिनों को दो समूहों में वर्गीकृत किया जाता है-

  • वसा विलेय विटामिन
  • जल में विलेय विटामिन

(i) वसा विलेय विटामिन- ये विटामिन वसा तथा तेल में विलेय होते हैं लेकिन जल में अविलेय होते हैं। ये विटामिन A, D, E तथा K हैं। ये यकृत तथा ऐडिपोस (वसा को संग्रहित करने वाला) ऊतक में संग्रहित रहते हैं।

(ii) जल में विलेय विटामिन B वर्ग के विटामिन तथा विटामिन C जल में विलेय होते हैं। जल में विलेय विटामिनों की पूर्ति हमारे आहार में नियमित रूप से तथा पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिए क्योंकि ये मूत्र के साथ आसानी से उत्सर्जित हो जाते हैं। इस कारण ये हमारे शरीर में (विटामिन B12 के अतिरिक्त) संचित नहीं हो पाते हैं।

रक्त का थक्का जमने के लिए विटामिन K जिम्मेदार होता है।

प्रश्न 14.20.
विटामिन A व C हमारे लिए आवश्यक क्यों हैं? उनके महत्वपूर्ण स्त्रोत दीजिए।
उत्तर:
विटामिन A की कमी से रतौंधी (रात्रि अंधता) तथा ज़िॲपिथेमिया (आँख के कॉर्निया का कठोर होना) नामक रोग हो जाते हैं। तथा विटामिन C की कमी से स्कर्वी (मसूड़ों से रक्तस्राव) तथा दंत क्षय रोग हो जाता है अतः विटामिन A व C हमारे लिए आवश्यक हैं।

विटामिन A के स्रोत – गाजर, पालक, पपीता, मक्खन, दूध, मछली के यकृत का तेल तथा अंडे की जर्दी।

विटामिन C के स्रोत सिट्रस फल ( नींबू, संतरा, मौसमी), आँवला, हरे पत्तेदार सब्जियाँ, अमरूद, टमाटर तथा बेर।

प्रश्न 14.21.
न्यूक्लिक अम्ल क्या होते हैं? इनके दो महत्त्वपूर्ण कार्य लिखिए।
उत्तर:
न्यूक्लिक अम्ल, न्यूक्लिओटाइडों की लम्बी श्रृंखलायुक्त बहुलक होते हैं जो एक धारक, एक पेन्टोस शर्करा तथा फॉस्फेट से मिलकर बनते हैं। ये वे जैव अणु हैं जो प्रोटीन के साथ मिलकर क्रोमोसोम बनाते हैं। न्यूक्लिक अम्ल, जनक से संतति में गुणों के स्थानान्तरण के लिए जिम्मेदार होते हैं। न्यूक्लिक अम्ल के कार्य न्यूक्लिक अम्ल के दो महत्वपूर्ण कार्य निम्नलिखित हैं-

  • स्वप्रतिकृति तथा
  • प्रोटीन संश्लेषण पर नियंत्रण।

प्रश्न 14.22.
न्यूक्लिओसाइड तथा न्यूक्लिओटाइड में क्या अंतर होता है?
उत्तर:
किसी क्षारक (प्यूरीन या पिरीमिडीन) के पेन्टोस शर्करा की 1′ स्थिति से जुड़ने पर बनी इकाई को न्यूक्लिओसाइड कहते हैं तथा न्यूक्लिओसाइड जब शर्करा की 5′ स्थिति पर फॉस्फोरिक अम्ल से जुड़ता है तो न्यूक्लिओटाइड बनता है। अतः न्यूक्लिओसाइड में केवल पेन्टोस शर्करा तथा क्षारक होता है जबकि न्यूक्लिओटाइड में इनके अतिरिक्त फॉस्फेट समूह भी होता है।

प्रश्न 14.23.
DNA के दो रज्जुक (Strands) समान नहीं होते, अपितु एक-दूसरे के पूरक (Complimentary) होते हैं। समझाइए |
उत्तर:
DNA की द्विकुंडलनी संरचना होती है। इसमें न्यूक्लिक अम्ल की दो श्रृंखलाएं आपस में कुंडलित होती हैं तथा क्षारक युग्मों के मध्य हाइड्रोजन बंध द्वारा आपस में जुड़ी रहती हैं। दोनों रज्जुक श्रृंखलाएं एक-दूसरे की पूरक होती हैं क्योंकि धारकों के विशिष्ट युग्मों के मध्य ही हाइड्रोजन बंध बनते हैं जैसे- ऐडेनीन, थायमीन के साथ तथा साइटोसीन, ग्वानीन के साथ हाइड्रोजन बंध बनाता है। अतः DNA के दो रज्जुक समान नहीं होते बल्कि एक-दूसरे के पूरक होते हैं।

प्रश्न 14.24.
DNA तथा RNA में महत्वपूर्ण संरचनात्मक एवं क्रियात्मक अंतर लिखिए।
उत्तर:
DNA तथा RNA में संरचनात्मक अंतर निम्नलिखित हैं-

  • DNA कोशिका के नाभिक में स्थित क्रोमोसोम में पाया जाता है जबकि RNA मुख्यतः कोशिका द्रव्य में पाया जाता है।
  • DNA में B-D-डीऑक्सीराइबोस शर्करा होती है जबकि RNA में B-D राइबोस शर्करा होती है।
  • पिरीमिडीन क्षारक, थायमीन केवल DNA में होता है जबकि यूरेसिल केवल RNA में होता है।
  • DNA की द्विकुंडलनी संरचना होती है जबकि RNA की एकल कुंडलनी संरचना होती है।

DNA तथा RNA में क्रियात्मक अन्तर – DNA में स्वप्रतिकरण का गुण होता है तथा यह आनुवांशिक गुणों के स्थानान्तरण को नियंत्रित करता है, जबकि RNA प्रोटीन संश्लेषण को नियंत्रित करता है।

प्रश्न 14.25.
कोशिका में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के RNA कौनसे हैं ?
उत्तर:
कोशिका में पाए जाने वाले RNA तीन प्रकार के होते हैं जिनके कार्य भिन्न-भिन्न हैं। संदेशवाहक RNA (m-RNA), राइबोसोमल RNA (r-RNA) तथा अंतरण या स्थानान्तरण RNA (t-RNA) हैं।

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प्रश्न 14.1.
ग्लूकोस तथा सूक्रोस जल में विलेय हैं जबकि साइक्लोहैक्सेन अथवा बेन्जीन (सामान्य छः सदस्यीय वलय युक्त यौगिक) जल में अविलेय होते हैं। समझाइए।
उत्तर:
ग्लूकोस तथा सूक्रोस के अणुओं में -OH समूह उपस्थित होने के कारण ये जल के साथ अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध बना लेते हैं अतः ये जल में विलेय हैं जबकि साइक्लोहैक्सेन तथा बेन्जीन हाइड्रोकार्बन हैं तथा ये अध्रुवीय यौगिक हैं अतः ये जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध नहीं बना सकते इसलिये ये जल में अविलेय होते हैं।

प्रश्न 14.2.
लैक्टोस के जल अपघटन से किन उत्पादों के बनने की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर:
लैक्टोस के जल अपघटन से D-(+) गेलेक्टेस तथा D-(+) ग्लूकोस बनते हैं। यह जल अपघटन तनु HCl या एन्जाइम की उपस्थिति में किया जात्म है।
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प्रश्न 14.3.
D-ग्लूकोस के पेन्टाऐसीटेट में आप ऐल्डिहाइड समूह की अनुपस्थिति को कैसे समझाएँगे?
उत्तर:
D-ग्लूकोस के पेन्ट्राऐसीटेट में ऐल्डिहाइड समूह स्वतंत्र न होकर हेमीऐसिटैल के रूप में होता है। इसी कारण ग्लूकोस पेन्टाऐसीटेट हाइड्रोंक्सिल ऐमीन के साथ क्रिया नहीं करता।

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प्रश्न 14.4.
ऐमीनो अम्लों के गलनांक एवं जल में विलेयता सामान्यतः संगत हैलो अम्लों की तुलना में अधिक होती है। समझाइए।
उत्तर:
ऐमीनो अम्लों में एक ही अणु में अम्लीय तथा क्षारीय दोनों समूह उपस्थित होने के कारण ये ज्विटर आयन (NH3CHRCOO)के रूप में पाए जाते हैं अतः ये क्रिस्टलीय ठोस के समान व्यवहार करते हैं, इसलिए इनका गलनांक उच्च होता है तथा इनकी ध्रुवीय प्रकृति के कारण ये जल के साथ अंतराअणुक हाइड्रोजन बन्ध बना लेते हैं अतः ये जल में अत्यधिक विलेय भी होते हैं जबकि हैलो अम्लों में ज्विटर आयन नहीं बनते इसलिए इनके गलनांक तथा जल में विलेयता ऐमीनो अम्लों से कम होती है।

प्रश्न 14.5.
अंडे को उबालने पर उसमें उपस्थित जल कहाँ चला जाता है?
उत्तर:
अंडे को उबालने पर उसमें उपस्थित गोलाकार प्रोटीन विकृत हो जाती है। इस प्रक्रिया में जल का अवशोषण होता है अतः इसमें उपस्थित जल गायब हो जाता है।

प्रश्न 14.6.
हमारे शरीर में विटामिन C संचित क्यों नहीं होता?
उत्तर:
विटामिन C जल में विलेय होता है। अतः यह जलीय विलयन के रूप में हमारे शरीर से बाहर निकल जाता है। इस कारण यह हमारे शरीर में संचित नहीं होता।

प्रश्न 14.7.
यदि DNA के थायमीन युक्त न्यूक्लिओटाइड का जल अपघटन किया जाए तो कौन-कौनसे उत्पाद बनेंगे?
उत्तर:
DNA के थायमीनयुक्त न्यूक्लिओटाइड का जल अपघटन करने पर पेन्टोस शर्करा (β-D-2 डिऑक्सीराइबोस) फॉस्फोरिक अम्ल तथा थायमीन क्षारक ( नाइट्रोजनयुक्त विषमचक्रीय यौगिक ) प्राप्त होते हैं।

प्रश्न 14.8.
जब RNA का जल अपघटन किया जाता है तो प्राप्त क्षारकों की मात्राओं के मध्य कोई संबंध नहीं होता। यह तथ्य RNA की संरचना के विषय में क्या संकेत देता है?
उत्तर:
RNA की संरचना में विभिन्न क्षारक युग्मों के मध्य निश्चित हाइड्रोजन बन्ध नहीं होता है तथा RNA की संरचना में कुण्डलनी केवल एक स्ट्रेण्ड से ही बनी होती है। अतः इसके जल अपघटन से प्राप्त क्षारकों की मात्राओं के मध्य कोई संबंध नहीं होता।

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