HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Important Questions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. कितनी कोशिका अवस्था वाले निषेचित अण्डे को बिना शल्य चिक्रिसा से प्रास कर प्रतिनियुक्त मादा में स्थानान्तरित किया जाता है-
(अ) 8-32 कोशिका
(ब) 6-8 कोशिका
(स) 1-5 कोशिका
(द) 33-40 कोशिका
उत्तर:
(ब) 6-8 कोशिका

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2. निम्न में गौ पशुओं में सुधार का कार्यक्रम है-
(अ) मल्टीपल ओबियूलेशन
(ब) एैम्ब्रयो ट्रांसफर
(स) (अ) व (ब) दोनों
(द) अन्तःप्रजनन अवसादन
उत्तर:
(ब) एैम्ब्रयो ट्रांसफर

3. शहद के उत्पादन के लिए मधुमक्खिखों के छत्तों के रखरखाव को कहते हैं-
(अ) मौन पालन
(ब) मछली पालन
(स) पशुपालन
(द) कुक्कुट पालन
उत्तर:
(अ) मौन पालन

4. निम्न में से मधुमक्खी के द्वारा परागण की क्रिया होती है-
(अ) सूर्यमुखी
(ब) सरसों
(स) नाशपाती
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

5. स्पाइरुलिना किसका धनी स्रोत है ?
(अ) प्रोटीन
(ब) विटामिन
(स) खनिज
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(अ) प्रोटीन

6. किसी कोशिका कर्तोतकी से पूर्ण पादप में जनित्र होने की क्षमता कहलाती है-
(अ) ऊतक संवर्धन
(ब) अमरता
(स) सूक्ष्म प्रवर्धन
(द) पूर्णशक्तता
उत्तर:
(द) पूर्णशक्तता

7. जल अभाव के प्रति प्रतिरोधी उच्च उत्पादन वाली किस्में हैं-
(अ) संकर मक्का
(ब) संकर ज्वार
(स) संकर बाजरा
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

8. ए. ऐसकुलैटस की नई किस्म है-
(अ) हरित क्रान्ति
(ब) नील क्रान्ति
(स) परभनी क्रान्ति
(द) नरभनी क्रान्ति
उत्तर:
(स) परभनी क्रान्ति

9. पशुओं की फार्मिंग (रखरखाव) के दौरान एक किलो मांस उत्पन्न करने के लिए कितने किलो धान्यों की आवश्यकता होती है?
(अ) 3-10 किग्रा.
(ब) 10-12 किग्रा.
(स) 14-15 किग्रा.
(द) 17-18 किय्रा.
उत्तर:
(अ) 3-10 किग्रा.

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10. भारतीय कृषि अनुसंधान, नई दिल्ली द्वारा मोचित की गई कौनसी सब्जी की फसल है जिसमें विटामिन ‘सी’ प्रचुर मात्रा में पाया जाता है ?
(अ) करेला
(ब) बधुआ
(स) सरसों
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

11. डॉ. नार्गन बोरलॉग का नाम किससे जुड़ा है?
(अ) हरित क्रांति
(ब) स्वेत क्रांति
(स) पीत क्रांति
(द) नील क्रांति
उत्तर:
(अ) हरित क्रांति

12. गेहूं का किसके साथ संकरण द्वारा ट्रिटीकेल प्रास हुआ-
(अ) जई
(ब) जौ
(स) मक्का
(द) राई
उत्तर:
(द) राई

13. फसली पौधों में प्रेरित उत्परिवर्तनजन के लिए सामान्यतः किसका उपयोग किया जाता है?
(अ) गामा किरणें (कोबाल्ट 60 से)
(ब) ऐल्फा कफ
(स) X-किरणें
(द) UV (200 mm)
उत्तर:
(अ) गामा किरणें (कोबाल्ट 60 से)

14. कर्तोतक का उपयोग होता है-
(अ) आनुर्वंशिक अभियांत्रिकी में
(स) सूक्ष्म प्रवर्धन में
(ब) DNA पुनर्बोगज में
(द) संरक्षण में।
उत्तर:
(स) सूक्ष्म प्रवर्धन में

15. मूंग में जो पीत मोजेक वायरस तथा चूर्णिल आसिता के प्रति प्रतिरोधक क्षमता किसके द्वारा प्रेरित थी-
(अ) अन्तःप्रेजनन
(ब) उत्परिवर्तन
(स) बहि:प्रजनन
(द) कृत्रिम गर्भाधान
उत्तर:
(ब) उत्परिवर्तन

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16. विश्व की सर्वाधिक छाद्य अनाज प्रदान करने वाल तीन फसलें कौनसी हैं?
(अ) गेहु, चावल और मक्का
(ब) चावल, मक्का और सोरघम
(स) गेहूँ, मक्का और सोरघम
(द) गेहूं, चावल और जो
उत्तर:
(अ) गेहु, चावल और मक्का

17. गेहूँ की अर्द्धवामन किस्म का विकास किस वैज्ञानिक ने किया-
(अ) नारमैन ई. बारलौग
(ब) चारवेल ई. यारलौग
(स) चारमैन ई. लारलोग
(द) वारमैन ई. प्यारलौग।
उत्तर:
(द) वारमैन ई. प्यारलौग।

18. लबलब तथा गार्डन मटर में कौनसा पोषक तत्त्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है-
(अ) विटामिन-ए
(ब) विटामिन-सी
(स) आयरन एवं कैल्सियम
(द) प्रोटीन
उत्तर:
(द) प्रोटीन

19. विश्व की अत्यन्त उत्कृष्ट ऊन प्रदान करने वाली पश्मीना नस्ल किसकी है?
(अ) कश्मीर भेड़ तथा अफगान भेड़ का संकर
(ब) बकरी
(स) भेड़
(द) बकरी और भेड़ का संकर
उत्तर:
(ब) बकरी

20. गेहूँ के पास स्टेम सॉफ्लाई किसके कारण नहीं आती है?
(अ) जड़
(ब) पत्ती
(स) तना
(द) पुष्प
उत्तर:
(स) तना

21. मधुमक्खी पालन कहलाता है-
(अ) सेरीकल्चर
(ब) ऐपीकल्चर
(स) टिशूकल्चर
(द) पिसीकल्चर
उत्तर:
(ब) ऐपीकल्चर

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22. हिसरडैल क्या है?
(अ) गाय
(ब) बकरी
(स) सुअर
(द) भेड़
उत्तर:
(द) भेड़

23. निम्न में कौनसे तीन मुख्य खाद्य पदार्थ (वसा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट) एक साथ हमें मिलते हैं?
(अ) केला
(ब) मूंगफली
(स) नारंगी
(द) चना
उत्तर:
(ब) मूंगफली

24. मक्का में संकर औज का समायोजन किसके द्वारा किया जाता है?
(अ) उत्परिवर्तनों का प्ररेण करके
(ब) बीजों में DNA का प्रभेदन करके
(स) अन्तःप्रजनन किए गए दो जनक वंशक्रमों में प्रसंकरण करके
(द) सर्वाधिक उत्पादनशील पौधों से बीज प्राप्त करके
उत्तर:
(स) अन्तःप्रजनन किए गए दो जनक वंशक्रमों में प्रसंकरण करके

25. भारत में यूरोपीयन्स के आने से पहले कौनसी सब्जी अनुपस्थित थी?
(अ) आलू तथा टमाटर
(ब) शिमला मिर्च तथा बैंगन
(स) मक्का तथा चिचिडा
(द) करेला
उत्तर:
(अ) आलू तथा टमाटर

26. पूर्ण शक्तता (Totipotency) का अर्थ है-
(अ) जन्तुओं द्वारा खोये गये अंगों को पुनः उत्पन्न करने की क्षमता
(ब) कायिक कोशिकाओं द्वारा पूर्ण जीव उत्पन्न करने की क्षमता
(स) कोशिका के डी.एन.ए. में बाह्य जीन प्रविष्ट कराना
(द) अपरिपक्व भ्रूणों के वर्धन की तकनीक
उत्तर:
(ब) कायिक कोशिकाओं द्वारा पूर्ण जीव उत्पन्न करने की क्षमता

27. रोगाणुरहित पौधों को तैयार करने के लिए पौधे के कौनसे भाग में विभज्योतक का संवर्धन करते हैं?
(अ) कैम्बियम
(ब) प्ररोहशीर्ष
(स) अन्तर्वेशीय विभज्योतक
(द) मूलशीर्ष
उत्तर:
(ब) प्ररोहशीर्ष

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28. टमाटर का प्रोटोप्लास्ट आलू के प्रोटोप्लास्ट से युग्मित होने के परिणामस्वरूप किसका निर्माण होता है?
(अ) पोमेटो
(ब) टोमेटो
(स) सोमेटो
(द) जीटोमेटो
उत्तर:
(अ) पोमेटो

29. निम्न में से जीवाणु जनित रोग है-
(अ) तम्बाकू मोजेक
(ब) शलजम मोजेक
(स) आले पछेती अंगमारी
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) आले पछेती अंगमारी

30. निम्न में पशुधन है-
(अ) भैंस
(ब) गाय
(स) सूअर
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

31. कौनसी मछली मच्छर के लार्वा को चुन-चुन कर खाती है?
(अ) गेम्बूसिया
(ब) रोहू
(स) क्लेरियस
(द) एक्सोसीटस
उत्तर:
(अ) गेम्बूसिया

32. प्राणिकोशिका संवर्धन प्रौद्योगिकी का आज सर्वाधिक अनुप्रयोग किसके उत्पादन में हो रहा है ?
(अ) इंसुलिन
(ब) इंटरफेरोन
(स) वैक्सीन
(द) खाद्यशील प्रोटीन
उत्तर:
(स) वैक्सीन

33. कौनसा पीड़कनाशी वसा-स्नेही है-
(अ) आर्गेनोक्लोरीन
(ब) आर्गेनोफास्फेट
(स) ट्राइआजीन
(द) पायरिथोयड
उत्तर:
(अ) आर्गेनोक्लोरीन

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
उस जीव का नाम लिखिए जिसका प्रयोग एकल कोशिका प्रोटीन के व्यापारिक उत्पादन में किया जाता है।
उत्तर:
स्पाइरुलाइना जिसका प्रयोग एकल कोशिका प्रोटीन के व्यापारिक उत्पादन में किया जाता है।

प्रश्न 2.
डेयरी उद्योग किसका प्रबंधन है ?
उत्तर:
डेयरी उद्योग पशु प्रबंधन है।

प्रश्न 3.
कर्तोंतक किसे कहते हैं?
उत्तर:
संवर्धन आरम्भ करने के लिए उपयोग में लाये जाने वाले पौधों से लिए गये ऊतक या अंग के कटे हुए टुकड़े को कर्तोतक कहते हैं।

प्रश्न 4.
पशुपालन किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानव कल्याण के लिए पशुधन एवं देखभाल को पशुपालन कहते हैं।

प्रश्न 5
वांछित विशेषकों (ट्रेटों) के लिए मवेशियों में समयुग्मता बढ़ाने के लिए उपयोग की जाने वाली रणनीति के विषय में बताइए ।
उत्तर:
वांछित विशेषकों (ट्रेटों) के लिए मवेशियों में समयुग्मता बढ़ाने के लिए उपयोग की जाने वाली रणनीति के विषय अन्तः प्रजनन (Interbreeding) हैं।

प्रश्न 6.
अर्द्ध- वामन धान की किस्मों को किससे व्युत्पन्न किया गया ?
उत्तर:
अर्द्ध-वामन धान की किस्मों को IR-8 तथा थाइचूंग नेटिव -1 से व्युत्पन्न किया गया।

प्रश्न 7.
पामेटो का निर्माण किस-किसके प्रोटोप्लास्ट से युग्मन के फलस्वरूप होता है?
उत्तर:
पोमेटो का निर्माण टमाटर का प्रोटोप्लास्ट व आलू के प्रोटोप्लास्ट के युग्मन से बनता है।

प्रश्न 8.
जननद्रव्य (जर्मप्लाज्म ) संग्रहण किसे कहते हैं?
उत्तर:
फसल में पाये जाने वाले सभी जीनों के विभिन्न अलील का समस्त संग्रहण (पादपों/ बीजों) को उसका जननद्रव्य (जर्मप्लाज्म ) संग्रहण कहते हैं।

प्रश्न 9.
पादपों में विषाणु द्वारा उत्पन्न होने वाले किन्हीं दो रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(अ) तंबाकू मोजेक
(ब) शलजम मोजेक

प्रश्न 10.
एस. टी. पी. का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
एस. टी. पी. का पूरा नाम एकल कोशिका प्रोटीन है।

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प्रश्न 11.
अलवण जल में पाई जाने वाली किन्हीं दो मछलियों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • कतला
  • रोहू

प्रश्न 12.
स्पाइरुलाइना का आर्थिक महत्त्व क्या है?
उत्तर:
यह प्रदूषण को कम करने में एवं प्रोटीन का बहुत अच्छा स्रोत है।

प्रश्न 13.
हिसरडैल क्या है? इसका विकास किसके संगम से हुआ है?
उत्तर:
हिसरडैल भेड़ की नस्ल है। इसका विकास एवीज तथा मैरीनोरेम्स के बीच संगम कराने से हुआ है।

प्रश्न 14.
गाय में पुटक परिपक्वन तथा उच्च अंडोत्सर्जन को प्रेरित करने के लिए कौनसा हार्मोन दिया जाता है ?
उत्तर:
गाय में पुटक परिपक्वन तथा उच्च अंडोत्सर्जन को प्रेरित करने के लिए एफ एस एच (FSH) नामक हार्मोन दिया जाता है।

प्रश्न 15.
पारजीनी गाय रोजी से उत्पन्न दूध की क्या विशेषता
उत्तर:
पारजीनी गाय रोजी के दूध में वसा की मात्रा कम तथा प्रोटीन की मात्रा अधिक थी।

प्रश्न 16.
मधुमक्खी की उस प्रजाति का नाम लिखिए जिन्हें पाला जा सकता है।
उत्तर:
ऐपिस इंडिका मधुमक्खी की वह प्रजाति है जिसे पाला जा सकता है।

प्रश्न 17.
पुष्पीकरण के समय मधुमक्खी के छत्तों को खेत के बीच रखने पर पौधों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
पुष्पीकरण के समय मधुमक्खी के छत्तों को खेत के बीच रखने पर पौधों की परागण क्षमता बढ़ जायेगी ।

प्रश्न 18.
अन्त: प्रजनन किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक ही नस्ल के पशुओं के मध्य होने वाले प्रजनन को अन्तः प्रजनन कहते हैं।

प्रश्न 19.
पशु प्रजनन का एक उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
पशु प्रजनन का उद्देश्य पशुओं के उत्पादन को बढ़ाना तथा उनके उत्पादों की वांछित गुणवत्ता में सुधार करना है।

प्रश्न 20.
हरित क्रान्ति से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
उच्च उत्पादन क्षमता वाली उन्नत किस्मों के विकास द्वारा खाद्यान्न ( धान व गेहूँ) में हुई तीव्र वृद्धि की प्रावस्था को हरित क्रान्ति कहते हैं।

प्रश्न 21.
बर्ड फ्लू के रोगकारक का नाम लिखिए।
उत्तर:
बर्ड फ्लू HgN, विषाणु है। के रोगकारक का नाम इन्फ्लुन्जा-ए-विषाणु या

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प्रश्न 22.
श्वेत क्रान्ति किससे सम्बन्धित है ?
उत्तर:
श्वेत क्रान्ति डेयरी उत्पादों में वृद्धि के लिए हुए क्रान्तिकारी परिवर्तनों से सम्बन्धित है।

प्रश्न 23.
कितनी कोशिका अवस्थाओं वाले निषेचित अण्डे को बिना शल्य चिकित्सा से प्राप्त कर प्रतिनियुक्त मादा (माँ) में स्थानांतरित किया जाता है ?
उत्तर:
8-32 कोशिका अवस्थाओं वाले निषेचित अण्डे को बिना शल्य चिकित्सा से प्राप्त कर प्रतिनियुक्त मादा (माँ) में स्थानांतरित किया जाता है।

प्रश्न 24.
बहि: प्रजनन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
भिन्न-भिन्न नस्लों के मध्य होने वाले प्रजनन को बहि: प्रजनन कहते हैं।

प्रश्न 25.
दक्षिण भारत में पैदा होने वाला उष्णकटिबंधीय गन्ने का वानस्पतिक नाम लिखिए।
उत्तर:
दक्षिण भारत में पैदा होने वाला उष्णकटिबंधीय गन्ने का वानस्पतिक नाम सैकरम ऑफीसिनेरम है।

प्रश्न 26.
पामफ्रैट एवं मैकेरेल कौनसे जल में पाई जाती है?
उत्तर:
पामफ्रैट एवं मैकेरेल लवणीय जल (समुद्र) में पाई जाती है।

प्रश्न 27.
परभनी क्रान्ति क्या है?
उत्तर:
परभनी क्रान्ति भिण्डी की पीत मॉजेक वायरस प्रतिरोधी किस्म है।

प्रश्न 28.
नीली क्रान्ति किससे सम्बन्धित है ?
उत्तर:
नीली क्रान्ति मात्स्यकी उद्योग में आये क्रान्तिकारी परिवर्तनों से सम्बन्धित है।

प्रश्न 29.
आनुवंशिक रूपान्तरित पादपों के कोई दो नाम लिखिए।
उत्तर:

  • गोल्डन राइस
  • फ्लेवर सेवर ।

प्रश्न 30.
जैव प्रबलीकरण का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
इसके द्वारा प्राप्त जैव पुष्टिकारक, विटामिन, खनिज, प्रोटीन तथा स्वास्थ्यवर्द्धक वसा वाली प्रजनित फसलें जननस्वास्थ्य को सुधारने के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 31.
भेड़ की नयी नस्ल ‘हिसरडेल’ के जनकों के नाम दीजिए।
उत्तर:
बीकानेरी एैवीज (भेड़) तथा मैरीनो रेम्स (मेढ़ा या मेष)

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प्रश्न 32.
अन्त: प्रजनन किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक ही नस्ल के पशुओं के मध्य होने वाले प्रजनन को अन्तः प्रजनन कहते हैं।

प्रश्न 33.
जैव प्रबलीकरण का महत्त्व बताइये।
उत्तर:
जैव पुष्टि कारक विटामिन तथा खनिज के उच्च स्तर वाली अथवा उच्च प्रोटीन तथा स्वास्थ्यवर्धक वसा वाली प्रजनित फसलें जन- स्वास्थ्य को सुधारने में महत्त्व है।

प्रश्न 34.
ऐसे दो पौधों के नाम लिखिए जो कृत्रिम वरण द्वारा उत्पन्न किये गये हैं।
उत्तर:

  • कल्याण सोना
  • शाइनिंग मूंग ।

प्रश्न 35.
सोमा क्लोन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
ऊतक संवर्धन के अन्तर्गत एक पादप से प्राप्त कर्तोंतक द्वारा उत्पन्न सभी आनुवांशिक रूप से समान पादप सोमा क्लोन कहलाते हैं।

प्रश्न 36.
फसलों के सुधार के लिए उपयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकी का नाम लिखिए।
उत्तर:
ऊतक संवर्धन ।

प्रश्न 37.
पूर्ण शक्तता (Totipotency) क्या है ?
उत्तर:
किसी कोशिका से सम्पूर्ण नये पौधे के उत्पन्न होने की क्षमता पूर्ण शक्तता (Totipotency) कहलाती है।

प्रश्न 38
इच्छित विशेषक (trait) के लिए पशुओं में समयुग्मजता (Homozygosity) वृद्धि के लिए कार्यनीति बताइये ।
उत्तर:
अन्त: प्रजनन समयुग्मजता प्राप्त करने की कार्यनीति है।

प्रश्न 39.
व्यावसायिक रूप में प्रयुक्त जीव का नाम बताइये जो एकल कोशिका प्रोटीन उत्पादित करता है।
उत्तर:
स्पाइरुलीना (Spirulina)।

प्रश्न 40.
आधुनिक गेहूँ के त्रिगुणित पूर्वज नाम क्या है?
उत्तर:
आधुनिक गेहूँ के त्रिगुणित पूर्वज का नाम ट्रिटिकम ड्यूरम (Triticum durum) है।

प्रश्न 41.
कवक द्वारा फसलों में उत्पन्न कोई एक रोग का नाम लिखिए ।
उत्तर:
श्वेत किट्ट रोग।

प्रश्न 42.
‘पोमेटो’ पादप का निर्माण किन दो पादपों के प्रोटोप्लास्ट संलयन से होता है?
उत्तर:
टमाटर तथा आलू ।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
अंतः विशिष्ट संकरण को उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर:
अन्तः विशिष्ट संकरण (Inter Specific Hybridisation) – जन्तुओं में सुधार हेतु प्रयुक्त इस विधि में एक जाति के नर या मादा जन्तुओं का किसी अन्य जाति के मादा या नर जन्तुओं के साथ संगम कराया जाता है। ऐसे संगम से उत्पन्न संततियाँ सामान्यतः दोनों जनक जातियों से भिन्न लक्षण दर्शाती हैं।

दुर्भाग्य से अधिकतर अन्तरजातीय संकर जन्तु बन्ध्य होते हैं तथा इनकी उत्तरजीविता काफी कम होती है किन्तु कई बार ऐसे कुछ संकरों की संततियों में दोनों ही जनक प्रजातियों के वांछनीय लक्षण उपस्थित होते हैं जो कि आर्थिक महत्त्व के हो सकते हैं। उदाहरणार्थ घोड़ी एवं गधे के बीच संगम से उत्पन्न खच्चर (Mule) अपनी जनक प्रजातियों की तुलना में अधिक दमदार एवं पुष्ट होता है। यह कठिन मार्गों तथा पर्वतीय क्षेत्रों में दुलाई जैसे कठिन कार्य के लिए अधिक उपयोगी होता है।

प्रश्न 2.
पशुधन किसे कहते हैं? पशुधन में कौन-कौनसे जन्तु सम्मिलित हैं?
उत्तर:
पशुधन – ऐसे समस्त जन्तु या पशु जो उनकी मानव के लिए लाभदायक उपयोगिता के कारण मनुष्य द्वारा पालतू बनाए जाते हैं।
व उनकी देखभाल की जाती है, सामूहिक रूप से जन्तु सम्पदा या पशुधन कहते हैं। पशुधन में निम्न जन्तु सम्मिलित हैं-

  • गाय
  • बकरी
  • ऊँट
  • भैंस
  • बैल
  • घोड़ा
  • सूअर आदि।

प्रश्न 3.
एकल कोशिका प्रोटीन से क्या तात्पर्य है ? उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर:
एकल कोशिका प्रोटीन (Single Cell Protein) – अनाज, दालें, सब्जियों, फल आदि के पारंपरिक कृषि उत्पादन से मनुष्यों तथा पशुओं की संख्या जिस गति से बढ़ रही है, आहार संबंधी उसकी माँग पूरी नहीं हो पाती। अनाज से मांस की ओर बढ़ने से भी धान्यों की माँग बढ़ गई है क्योंकि पशुओं के रख-रखाव के दौरान एक किलोग्राम मांस उत्पन्न करने के लिए उसे तीन से दस किलोग्राम धान्यों की आवश्यकता होती है।

25 प्रतिशत से भी अधिक मानव की जनसंख्या भूख तथा कुपोषण (malnutrition) की शिकार है। पशु तथा मानव पोषण के लिए प्रोटीन के वैकल्पिक स्रोतों में से एक एकल कोशिका प्रोटीन (Single Cell Protein) है। प्रोटीन के अच्छे स्रोत के रूप में सूक्ष्मजीवों का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है। मशरूम को आजकल अधिकांश लोगों के द्वारा भोजन के रूप में उपयोग किया जा रहा है।

अतः बड़े पैमाने पर मशरूम संवर्धन एक प्रकार से बढ़ता हुआ उद्योग है। जिससे अब विश्वास – सा होने लगा है कि सूक्ष्मजीव भी आहार के रूप में स्वीकार्य हो जायेंगे। सूक्ष्मजीव जैसे स्पाइरुलाइना (Spirulina) को आलू संसाधन संयंत्र (जिसमें स्टार्च है) घासफूस, शीरा, खाद और यहाँ तक वाहितमल पर आसानी से उगाया जा सकता है; ताकि बड़ी मात्रा में यह प्राप्त हो सके।

स्पाइरुलाइना (Spirulina) में प्रोटीन, खनिजों, वसा, कार्बोहाइड्रेटों तथा विटामिनों की प्रचुर मात्रा विद्यमान है। गणना के अनुसार 250 किलोग्राम वाली गाय 200 ग्राम प्रोटीन पैदा करती है। इतने ही समय में 250 ग्राम सूक्ष्मजीव जैसे- मिथायलोफिलस मिथायलो ट्राफस (Methylophilus Methylotrophus) इनकी वृद्धि तथा बायोमास उत्पादन की उच्चदर से सम्भावित 25 टन तक प्रोटीन उत्पन्न कर सकते हैं।

प्रश्न 4.
पादपों में प्रजनन की क्रिया अपनाने से पूर्व किन महत्त्वपूर्ण दो बातों का ध्यान रखना चाहिए? कवक, जीवाणु एवं विषाणु द्वारा फसलों में होने वाले दो-दो रोगों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पादपों में प्रजनन की क्रिया अपनाने से पूर्व निम्न दो बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  1. रोगकारक जीव के बारे में जानकारी
  2. उसके प्रसार की क्रियाविधि की जानकारी

1. कवकों द्वारा उत्पन्न रोग-

  • गेहूँ का भूरा किट्ट (Brown rust of wheat)
  • गन्ने का रैंड रॉट रोग (Red rot of sugarcane)

2. जीवाणुओं द्वारा उत्पन्न रोग-

  • आलू पछेती अंगमारी ( Late blight of potato)
  • क्रूसीफर का ब्लैक राट (Black rot of crucifers)

3. विषाणु द्वारा उत्पन्न रोग-

  • तंबाकू मोजेक (Tobacco mosaic)
  • शलजम मोजेक (Turnip mosaic )

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प्रश्न 5.
जैव तकनीक से प्राप्त एकल कोशिका प्रोटीन (SCP) के चार उपयोग लिखिए।
उत्तर:
एकल कोशिका प्रोटीन के निम्न चार उपयोग हैं-

  1. इनमें गुणवत्ता वाले प्रोटीन की मात्रा अधिक तथा वसा व कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है।
  2. इनका उत्पादन वर्षभर किया जा सकता है तथा उत्पादन जलवायु पर निर्भर नहीं होता।
  3. सूक्ष्मजीवों की वृद्धि दर अधिक होने से कम क्षेत्रफल से अधिक मात्रा में SCP प्राप्त किया जा सकता है।
  4. विश्व में प्रोटीन की कमी को पूरा करने का यह एक उपयुक्त साधन है।

प्रश्न 6.
सूक्ष्मप्रवर्धन का संक्षिप्त महत्त्व लिखिए।
उत्तर:
सूक्ष्मप्रवर्धन का महत्त्व – ऊतक संवर्धन के माध्यम से पादप के पुनर्जनन अथवा पुनर्उद्भवन को सूक्ष्म प्रवर्धन कहते हैं। इस तकनीक द्वारा कायिक प्रजनन करने वाले आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण पौधों का बहुगुणन तेजी से किया जाता है। इस तकनीक की विशेषता यह है कि बहुत ही कम समय में कम स्थान में अधिक संख्या में पौधों का उत्पादन किया जा सकता है।

इस तकनीक को कई पौधों के तीव्र बहुगुणन में काम में लिया जा चुका है, उदाहरण- आर्किडस कटेलीया, सिम्बिडियम, डेन्ड्रोबियम, वान्डा एवं शोभाकारी पादप- जरबेरा, गुलदाऊदी, कारनेशन, बिगोनिया आदि । भारत में व्यापक स्तर पर सूक्ष्मप्रवर्धन का उपयोग हो रहा है जिसमें अनेक प्राइवेट कम्पनियों ने सफलता प्राप्त की है।

इस विधि का प्रयोग निर्यात के लिए अलंकारिक पौधों को भारी संख्या में प्राप्त करने के लिए भी किया जा रहा है। कुछ पौधे जैसे केला में जहाँ बीज या तो कम बनते हैं या इनके विकसित होने में अनेक बाधायें आती हैं वहाँ यह लाभदायक तकनीक है। दुर्लभ एवं संकटग्रस्त या विलुप्ति के कगार पर पहुँचे पौधों का गुणन क्लोनिंग द्वारा किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
कर्तोंतकों के प्रकार लिखिये ।
उत्तर:
कर्तोंतक चार प्रकार के होते हैं-

  1. पूर्ववर्ती विभज्योतक युक्त कर्तोतक (Explant having pre-existing meristems)
  2. पुमंगधानी (Anthers)
  3. तरुण भ्रूण (Young embryo)
  4. प्रोटोप्लास्ट (Protoplast)।

प्रश्न 8.
पादप प्रजनन क्या है? इसमें आनुवंशिकी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
फसलों के जीनप्ररूप में मानव के लिए उपयोगी परिवर्तन करने की क्रिया को पादप प्रजनन कहते हैं। पादप प्रजनन में अच्छी किस्में तैयार की जाती हैं। ये किस्में खेती के लिए उपयोगी, अधिक उत्पादन करने वाली एवं रोग प्रतिरोधी होती हैं। पूर्व में पादप प्रजनकों को आनुवंशिकी का ज्ञान नहीं था।

1856 में मेण्डल ने वंशागति के नियमों का प्रतिपादन किया, फिर इन नियमों की 1900 में पुनः खोज हुई। बाद में जीन, अन्योन्यक्रिया, सहलग्नता की खोज हुई तथा ज्ञात हुआ कि जीन गुणसूत्रों पर स्थित होते हैं। मेण्डल के नियमों के अनुसार लक्षण जीन द्वारा नियंत्रित होते हैं। जीनों में विसंयोजन तथा स्वतन्त्र अपव्यूहन होने के कारण लक्षणों में विविधता उत्पन्न होती है। पादप प्रजनकों द्वारा पहले दो किस्मों का आपस में संकरण किया जाता है।

इस संकरण से प्राप्त F, पीढ़ी में स्वपरागण किया जाता है। इस प्रकार प्राप्त F पीढ़ी तथा बाद की पीढ़ियों में नए व उत्कृष्ट जीन संयोजनों वाले पौधों का चयन कर एक नई किस्म का विकास किया जा सकता है। इस प्रकार पादप प्रजनन विधियाँ आनुवंशिकी के सिद्धान्तों पर आधारित होती हैं। पादप प्रजनक द्वारा फसल सुधार की परियोजनाओं का प्रारूप आनुवंशिकी सिद्धान्तों के आधार पर तैयार किया जाता है।

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प्रश्न 9.
कायिक संकरण का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
कायिक संकरण का महत्त्व – कायिक संकरण विधि से ऐसी जातियों के संकर प्राप्त किये जा सकते हैं, जिनमें लैंगिक संकरण संभव नहीं है। उदाहरण के लिए, आलू के पुष्पी एवं अपुष्पी क्लोन के कायिक संकर जननक्षम (Fertile) पुष्प देते हैं। गाजर एवं चावल के कायिक संकर प्राप्त कर सकते हैं। इनमें लैंगिक संकर प्राप्त करना संभव नहीं है। कायिक संकरों से जीन स्थानान्तरण एवं कोशिकाद्रव्य स्थानान्तरण किया जा सकता है।

प्रश्न 10.
जन्तु नस्लों में सुधार के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर:
जन्तु नस्लों में सुधार के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं-

  1. जन्तुओं की वृद्धि दर में सुधार करना
  2. दूध, मांस, अण्डे एवं ऊन आदि के उत्पादन में वृद्धि करना
  3. उक्त उत्पादों की गुणात्मक वृद्धि में सुधार
  4. जन्तुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
  5. उच्च स्तर या संतोषजनक स्तर की जनन दर
  6. उत्पादक जीवनकाल में वृद्धि आदि ।

प्रश्न 10.
जन्तु नस्लों में सुधार के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर:
जन्तु नस्लों में सुधार के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं-

  1. जन्तुओं की वृद्धि दर में सुधार करना
  2. दूध, मांस, अण्डे एवं ऊन आदि के उत्पादन में वृद्धि करना
  3. उक्त उत्पादों की गुणात्मक वृद्धि में सुधार
  4. जन्तुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि
  5. उच्च स्तर या संतोषजनक स्तर की जनन दर
  6. उत्पादक जीवनकाल में वृद्धि आदि।

प्रश्न 11.
संकर ओज क्या है?
उत्तर:
संकर ओज- आनुवंशिक गुणों में विभिन्न दो समयुग्मजी अन्तःप्रजातों का जब परस्पर क्रॉस कराते हैं तो प्राप्त संकरण संतति उत्पादकता, दृढ़ता और कद में जनकों से अधिक प्रबल या ओजस्वी अथवा श्रेष्ठ होती है। संकर सन्तान की जनकों की तुलना में अधिक उत्पादकता व अधिक उत्तमता को संकर ओज कहते हैं। जैविक प्रभाव – जनन क्षमता में वृद्धि, जीवन में अधिक सक्षमता, अनुकूलनता व रोग कीट प्रतिरोधकता में वृद्धि ।

गुणात्मक प्रभाव – आकार में वृद्धि, मात्रात्मक गुणों जैसी उपज प्रति हैक्टर में वृद्धि, पौधा अधिक प्रबल व बहुस्वस्थ । जनकों में जितनी अधिक वंशागत विभिन्नता होगी संकर संगति में उतना अधिक संकर ओज होगा। उदाहरण- संकर मक्का, संकर बाजरा आदि । जन्तुओं में कुक्कुटों एवं सूअरों के लगभग सभी संकर, अन्तःप्रजात क्रमों के मध्य संकरण द्वारा उत्पन्न किये जाते हैं।

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प्रश्न 12.
निम्न को परिभाषित कीजिये-

  1. कर्तोंतक (Explant)
  2. कैलस (Callus)
  3. जीवद्रव्यक ( Protoplast )
  4. निर्जर्म (Aseptic or Sterile )
  5. निर्जर्मीकरण (Sterilization)
  6. निवेशित करना ( Inoculate )
  7. पात्रे (In Vitro)
  8. भ्रूणाभ (Embryoid)

उत्तर:

  1. कर्तोंतक (Explant) – संवर्ध आरम्भ करने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले पौधे से लिए गए ऊतक या अंग के काटे हुए टुकड़े।
  2. कैलस (Callus ) – प्रायः घाव से या ऊतक संवर्धन में विकसित होने वाली अविभेदित एवं विभेदित कोशिकाओं के सक्रिय रूप से विभाजित होने वाले असंगठित ऊतक ।
  3. जीवद्रव्यक ( Protoplast ) – कोशिका भित्ति के एन्जाइमी विघटन द्वारा प्राप्त होने वाली पादप कोशिका । क्रिया ।
  4. निर्जर्म (Aseptic or Sterile ) – सभी सूक्ष्मजीवों से मुक्त।
  5. निर्जर्मीकरण (Sterilization) – सूक्ष्मजीवों के उन्मूलन की
  6. निवेशित करना ( Inoculate ) – कर्तोंतकों को पोषक माध्यम में रखना ।
  7. पात्रे (In Vitro) – परखनली, बोतल आदि में संवर्धन।
  8. भ्रूणाभ (Embryoid ) – पात्रे कायिक कोशिकाओं के द्वारा उत्पन्न संरचना में भ्रूण सदृश पादपक (Plantlet = छोटे पौधे) ।

प्रश्न 13.
कायिक संकरण के लाभ लिखिये।
उत्तर:
कायिक संकरण के लाभ निम्नलिखित हैं-

  • ऐसे संकरों की रचना सम्भव हो गई है जो वर्गिकीय या अन्य बाधाओं के कारण सामान्य संकरणों से सम्भव नहीं थी ।
  • ऐसे पौधों से संकर बनाना कायिक संकरण से सम्भव हो गया है, जिनमें लैंगिक अंग असामान्य होते हैं या जिनमें नरबन्ध्यता होती है।

प्रश्न 14.
संवर्धन माध्यम किसे कहते हैं? इन माध्यमों में एक निश्चित अनुपात में कौन-कौनसे पदार्थ लिये जाते हैं? नाम लिखिये ।
उत्तर:
संवर्धन माध्यम वह माध्यम जिस पर पादप अंगों, ऊतकों व कोशिकाओं को संवर्धित करते हैं, संवर्धन माध्यम कहलाता है।
इन माध्यमों में निम्न पदार्थ एक निश्चित अनुपात में लिये जाते हैं –

  1. अकार्बनिक पोषक
  2. विटामिन
  3. कार्बन स्रोत (सामान्यत: सुक्रोस)
  4. वृद्धि नियामक, जैसे ऑक्सिन व साइटोकाइनिन
  5. जटिल कार्बनिक पदार्थ जैसे नारियल का पानी, केसीन जल अपघटनी, टमाटर रस आदि ।

प्रश्न 15.
कृत्रिम गर्भाधान के क्या-क्या लाभ हैं?
उत्तर:
कृत्रिम गर्भाधान ( Artificial Insemination) के लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. प्राकृतिक प्रजनन द्वारा एक वर्ष में एक सांड 60-100 गायें गर्भित कर सकता है, जबकि कृत्रिम गर्भाधान द्वारा 10,000 या अधिक गायें गर्भित कराई जा सकती हैं।
  2. उत्तम नस्ल के सांड के उपलब्ध न होने पर वहाँ उनके वीर्य का उपयोग किया जा सकता है।
  3. वीर्य एक स्थान से दूसरे स्थान पर सुगमता से ले जाया जा सकता है।
  4. कृत्रिम गर्भाधान विधि से बड़े सांड़ों का वीर्य छोटी गाय पर प्रयोग में लाया जा सकता है।
  5. इस प्रणाली में जो गायें लूली, लंगड़ी या चोट आदि लग जाने से प्राकृतिक सम्भोग के लिए अयोग्य होती हैं, उन्हें भी गर्भित करके बच्चे प्राप्त किए जा सकते हैं।
  6. कृत्रिम ढंग से पशु सुधार करने पर थोड़े ही सांड़ों द्वारा काम चल जायेगा।
  7. विदेशों से भी श्रेष्ठ एवं चयनित सांड़ों का वीर्य आयात कर प्रयोग में लिया जा सकता है।
  8. प्राकृतिक गर्भाधान की तुलना में इस विधि द्वारा गर्भाधान कराने में सफलता अधिक मिलती है।
  9. पशुपालक को सांड़ रखने की आवश्यकता नहीं होती है।
  10. इस विधि में मादाओं को जननेन्द्रिय रोग होने की आशंका नहीं होती है।
  11. कृत्रिम गर्भाधान विधि द्वारा प्रजनन सम्बन्धित पूर्ण लेखा- जोखा रखा जा सकता है।

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प्रश्न 16.
पशुधन का भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्त्वपूर्ण स्थान है। समझाइए ।
उत्तर:
भारत एक कृषि प्रधान देश होने से यहाँ की जनसंख्या का 70 प्रतिशत भाग गाँवों में रहता है तथा पशुधन से अपनी आजीविका कमाता है। जिस देश की उपज अच्छी रहती है वहाँ की अर्थव्यवस्था भी सुदृढ़ होती है।

प्रश्न 17.
पशुपालन किसे कहते हैं? पालतू जानवरों का संक्षिप्त में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
पशुपालन कृषि की वह शाखा है जिसका संबंध पालतू जानवरों के प्रजनन, उनके खाने-पिलाने और अन्य देखभाल करने से है। जब इसमें आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण पालतू जानवरों के उचित उपयोग को शामिल कर लिया जाता है तब इसे पशुधन प्रबंधन (Livestock Management) कहते हैं।

पालतू जानवरों का महत्त्वश्रेणी उसके अन्तर्गत आने वाले प्राणी
1. दूध और मांस प्रदायी गाय, भैंस, बकरी, भेड़, सूअर, मुर्गा, मछली आदि
2. भारवाहक बैल, घोड़ा, गधा, खच्चर, ऊँट आदि
3. रेशा, खाल या चमड़ा प्रदायी भेड़, बकरी, गाय, भैंस, ऊँट आदि
4. अण्डा प्रदायी मुर्गी, बतख

प्रश्न 18.
डेयरी उत्पाद पर टिप्पणी लिखिए ।
उत्तर:
डेयरी उत्पाद – दूध मनुष्यों तथा जानवरों के बच्चों के लिए सम्पूर्ण भोजन है। इसमें प्रोटीन, वसा, लैक्टोज, शर्करा, कैल्सियम तथा फॉस्फोरस जैसे खनिज, विटामिन ‘ए’ तथा ‘बी’ और साथ ही साथ प्रतिरक्षा प्रदान करने वाले एंटीबॉडी भी होते हैं। अलग-अलग लोग अपनी-अपनी पसंद और आवश्यकतानुसार दूध को अनेक प्रकार से इस्तेमाल करते हैं। दही, मक्खन, मट्ठा, पनीर, घी, क्रीम, खोया, दूध का पाउडर, कंडेस्ट मिल्क आदि प्रमुख डेयरी उत्पाद हैं ।

प्रश्न 19.
मधुमक्खियों से मिलने वाले उत्पाद क्या हैं? प्रत्येक के दो-दो उपयोग भी लिखिए।
उत्तर:
मधुमक्खियों से मिलने वाले उत्पाद निम्न हैं-

  1. शहद
  2. मोम

शहद के उपयोग-

  1. भोजन – शहद एक पोषक भोजन है, इसमें भरपूर ऊर्जा तथा विटामिन होते हैं।
  2. औषध – आयुर्वेदिक तथा यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में बहुत-सी दवाइयाँ शहद में मिलाकर या शहद के साथ दी जाती हैं। यह मृदुरोचक, रुधिर शोधक तथा जुकाम, खाँसी व ज्वर के रोध के रूप में कार्य करता है।
  3. मादक पेय तथा सौन्दर्य प्रसाधक लोशन तैयार करने के लिए।
  4. वैधानिक अनुसंधान में बैक्टिरिया के संवर्धन बनाने में।
  5. फल- मक्खियों तथा अन्य नाशकीटों के लिए विषैला चारा बनाने में।

मोम के उपयोग-

  1. मोमबत्तियों के बनाने में ।
  2. दवाइयों के निर्माण में ।
  3. वार्निशों तथा पेंट्स के बनाने में।
  4. जलरोधन तथा धागों पर मोम चढ़ाना।

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प्रश्न 20.
निम्न फसलों की किस्म का नाम बताइए जो पीड़क के प्रति प्रतिरोधकता रखते हैं, साथ ही पीड़क अथवा रोग प्रतिरोधक का नाम भी बताइए ।
(1) ब्रैसिका ( रेपसीड मस्टर्ड )
(2) फलैट बीन
(3) ओकरा (भिंडी) ।
उत्तर:
निम्न फसलों की किस्म एवं रोग के प्रति प्रतिरोधक –

फसल का नाम किस्म रोग के प्रति प्रतिरोधक
1. ब्रैसिका (रेपसीड मस्टर्ड) पूसा गौरव ऐफिड
2. फलैट बीन पूसा सेम 2 पूसा सेम 3 जैसिड, ऐफिड तथा फलभेदक
3. ओकरा (भिंड़ी) पूसा स्वामी पूसा-ए-4 शूट तथा फलभेदक

प्रश्न 21.
मछली पालन का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
मछली पालन का महत्त्व निम्नलिखित है-

  1. भोजन के रूप में मछलियों का पालन स्वादिष्ट एवं अधिक पौष्टिक मांस प्राप्ति हेतु किया जाता है।
  2. तेल- मछलियों से प्राप्त तेल स्नेहक, सौन्दर्य प्रसाधनों, पेन्ट एवं वार्निश के निर्माण में उपयोग किया जाता है।
  3. मत्स्य त्वचा – मछलियों की त्वचा का उपयोग ताश के डिब्बे, आभूषणों के डिब्बे, जूते, स्त्रियों के लटकाने वाले विशेष पर्स आदि में किया जाता है।
  4. रजतशल्क द्वारा मोती का निर्माण-प्र – फ्रान्स में मछली के शल्कों का उपयोग कृत्रिम मोती निर्माण में किया जाता है।
  5. उर्वरक के रूप में मछलियों के मरने के बाद इनका उपयोग उर्वरक के रूप में किया जाता है। इनको सुखाकर मत्स्य चूर्ण तैयार किया जाता है जिसका उपयोग तम्बाकू, चाय व कॉफी की खेती में उर्वरक के रूप में किया जाता है।
  6. औषधि के रूप में मछलियों के यकृत निष्कर्षण द्वारा यकृत तेल प्राप्त होता है। इसमें विटामिन ए, सी, डी, ई की मात्रा पायी जाती है जो अभाव रोग के उपचार में औषधि का काम करती है। अनेक व्यक्ति मछली पालन के व्यवसाय से रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।

प्रश्न 22.
मधुमक्खी पालन की सफलता के आवश्यक बिन्दु बताइये ।
अथवा
मधुमक्खी पालन की सफलता के लिए आप किन बातों का ध्यान रखेंगे?
उत्तर:
सफल मधुमक्खी पालन के लिए निम्नलिखित बिन्दु महत्त्वपूर्ण हैं-

  1. मधुमक्खियों की प्रकृति तथा स्वभाव का ज्ञान ।
  2. मक्खी के छत्तों को रखने के लिए उपयुक्त स्थान का चयन ।
  3. मक्खियों के समूह ( दल) को पकड़ना तथा उन्हें छत्ते में रखना।
  4. विभिन्न मौसमों में छत्तों को प्रबंधन ।
  5. शहद तथा मोम का रख-रखावं तथा एकत्रीकरण ।
  6. मधुमक्खियाँ हमारी बहुत-सी फसलों जैसे- सूर्यमुखी, सरसों, सेब तथा नाशपाती के लिए परागणक हैं।

पुष्पीकरण के समय यदि इन छत्तों को खेतों के बीच रख दिया जाये तो इससे पौधों की परागण क्षमता बढ़ जाती है और इस प्रकार फसल तथा शहद दोनों के उत्पादन में सुधार हो जाता है।

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प्रश्न 23.
कुक्कुट पालन से क्या तात्पर्य है? कुक्कुट पालन के महत्त्वपूर्ण घटक कौन-कौनसे हैं ?
उत्तर:
मुर्गीपालन या कुक्कुट पालन (Poultry Farming)- मुर्गियों एवं कुछ अन्य पक्षियों की प्रजातियों का पालन और प्रजनन मुर्गीपालन कहलाता है। इन पक्षियों से प्राप्त मांस एवं अण्डे प्रोटीन के सम्पन्न स्रोत होते हैं। प्रोटीन के अतिरिक्त इनमें अन्य पोषक पदार्थ भी मिलते हैं। मुर्गीपालन को पशु-पालन (Cattle rearing ) की अपेक्षा अधिक उपयोगी माना जाता है क्योंकि ये अधिक दर से अण्डे देती हैं व विभिन्न जलवायु दशाओं में रह सकती हैं।

मुर्गीपालन के लिए बहुत कम स्थान की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त इनका पालन सरल होता है व कम समय में ही यह अच्छी आय का स्रोत बन सकता है ।

कुक्कुट पालन में उपयोगी पक्षी-पक्षियों की कई प्रजातियों को कुक्कुट पालन हेतु उपयोग में लिया जाता है जिनमें मुख्य प्रजातियाँ निम्न हैं-

  1. मुर्गा प्रजातियाँ (Breeds of Fowl ) – भारत में घरेलू मुर्गी (Domestic fowl), गैलस डोमेस्टिकस (Gallus domesticus) को मुख्य रूप से पाला जाता है।
  2. बतख ( Ducks) – बतखों से भी अण्डे व मांस प्राप्त किया जाता है। भारत में कुल कुक्कुटों की जनसंख्या (Poultry population) का 6 प्रतिशत योगदान बतखों का है। ये सामान्यतः भारत के दक्षिणी एवं पूर्वी प्रदेशों में पाई जाती हैं।
  3. टर्की (Turkey) – टर्की (Meleagris) हाल के कुछ वर्षों में ही पालतू बनाया गया पक्षी है।

कुक्कुट पालन के प्रमुख घटक – कुक्कुट फार्म प्रबंधन के लिए उपयुक्त नस्लें, सही, सुरक्षित फार्म की परिस्थितियाँ, सही-सही आहार तथा जल और सफाई एवं स्वास्थ्य के महत्त्वपूर्ण घटक हैं।

प्रश्न 24.
मुर्गीपालन के किन्हीं चार महत्त्वपूर्ण घटकों की
सूची बनायें।
उत्तर:

  • स्वास्थ्य तथा सफाई का ध्यान
  • रोगमुक्त तथा उपयुक्त जाति का चयन
  • सुरक्षित एवं नियमित फार्म परिस्थितियाँ
  • जल व दाने की समुचित व्यवस्था ।

प्रश्न 25.
किसी रोगयुक्त गन्ने के पौधे से पुनः स्वस्थ गन्ने के पौधे प्राप्त करने में वैज्ञानिक सफल हो गए हैं-
(a) पौधे के उस भाग का नाम लिखिए जिसे वैज्ञानिकों ने कर्तोंतक (एक्सप्लान्ट ) के रूप में उपयोग किया था।
(b) स्वस्थ पौधों की पुनःप्राप्ति के लिए वैज्ञानिकों ने जो कार्यविधि अपनाई उसका वर्णन कीजिए।
(c) फसलों के सुधार के लिए उपयोग की जाने वाली इस प्रौद्योगिकी का नाम लिखिए।
उत्तर:
(a) विभज्योतक (meristem) शीर्षस्थ एवं अक्षीय ।
(b) अक्षीय विभज्योतक भाग को वैज्ञानिक द्वारा अलग करके उसे निजर्मीकरण कर लेते हैं तदुपरान्त कृत्रिम माध्यम में उगाया जाता है। इस माध्यम में पोषक तत्व तथा प्रतिजैविक का उपयोग किया जाता है, जिससे विषाणु रहित पौधे उत्पन्न होते हैं।
(c) फसलों के सुधार के लिए उपयोग की जाने वाली इस प्रौद्योगिकी को ऊतक संवर्धन (Tissue Culture) कहते हैं।

प्रश्न 26.
यदि कुक्कुट फार्म में कुछ कुक्कुट बर्ड फ्लू से संक्रमित हो जायें तब इसे फैलने से किस प्रकार रोकेंगे?
उत्तर:
बर्ड फ्लू से संक्रमित होने पर इसे निम्न प्रकार से फैलने से रोका जा सकता है-

  1. बर्ड फ्लू एक संक्रमित रोग है जो संक्रमित कुक्कुट से स्वस्थ कुक्कुट में तेजी से फैलता है अतः संक्रमित कुक्कुटों को स्वस्थ कुक्कुटों से अलग रखना चाहिये ।
  2. मृत संक्रमित कुक्कुटों को जमीन में गहरी दफना देना चाहिए।
  3. स्वस्थ कुक्कुटों का टीकारण करवाना चाहिए ।

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प्रश्न 27.
एक केला शाक वायरस संक्रमित हो गया है। इस शाक से आप केले का स्वस्थ पौधा कैसे प्राप्त करेंगे? समझाइये |
उत्तर:
इसके लिए ऊतक संवर्धन तकनीक का उपयोग करना चाहिए। यद्यपि पौधा विषाणु से संक्रमित है, परन्तु विभज्योतक ( शीर्ष एवं कक्षीय) विषाणु से अप्रभावित रहता है। अतः विभज्योतक को अलग कर उसे विट्रो में उगाया जाता है ताकि विषाणुमुक्त पादप तैयार हो सके।

प्रश्न 28.
शहद उत्पादन बढ़ जाता है जब छत्तों को खेतों में पुष्पन के दौरान रखा जाता है। समझाइए ।
उत्तर:
मधुमक्खियां बहुत-सी फसलों जैसे सूर्यमुखी, सरसों, सेब, नाशपाती के लिए परागणक है। पुष्पीकरण के समय यदि इन छत्तों को खेतों के बीच रखा जाता है तो इससे पौधों की परागण क्षमता बढ़ जायेगी और इस प्रकार फसल एवं शहद का उत्पादन भी बढ़ जायेगा ।

प्रश्न 29.
डेरी फार्म में पशुओं की दुग्ध उत्पादकता स्वास्थ्य तथा सफाई को उन्नत करने के लिए कौन-से प्रयास किये जा रहे हैं? समझाइये ।
उत्तर:
दुग्ध उत्पादन मूल रूप से फार्म में रहने वाले पशुओं की नस्ल की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। अच्छी नस्ल का चयन तथा उनकी रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को महत्त्वपूर्ण माना जाता है अच्छी उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के लिए पशुओं की देखभाल, जिससे उनके रहने का अच्छा घर तथा पर्याप्त जल तथा रोगाणुमुक्त वातावरण होना चाहिए। पशुओं का भोजन प्रदान करने का तरीका वैज्ञानिक होना चाहिए।

इसमें विशेषकर चारे की गुणवत्ता तथा मात्रा पर बल दिया जाना चाहिये। इसके अलावा दुग्धीकरण, दुग्ध उत्पादों का भण्डारण तथा परिवहन के दौरान सफाई तथा पशु पर कार्य करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य सर्वोपरि है। समय-समय पर डेयरी फार्मों व पशुओं के स्वास्थ्य का परीक्षण भी आवश्यक है। किसी पशु चिकित्सक से पशुओं की नियमित जाँच होनी चाहिए।

प्रश्न 30.
हरित क्रान्ति क्या है?
उत्तर:
सन् 1952 में हमारे देश में गेहूँ तथा चावल की उपज क्रमश: 654 Kg. तथा 800 Kg. प्रति हेक्टर थी। यह उत्पादन की मांग की तुलना में बहुत कम था। अतः सरकार और कृषि वैज्ञानिकों ने कृषि में सुधार की दिशा में खास ध्यान दिया। ऐसा करने से अनाज फसलों में भारी बढ़ोतरी हुई और हम आत्मनिर्भर हो गये। इस लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में जो भी विभिन्न कदम उठाये गये उन सबको एक साथ मिलाकर हरित क्रान्ति का नाम दिया जाता है।

हरित क्रान्ति – कृषि में आधुनिक तकनीकों को लगाकर खासतौर से अनाजों की फसलों में जो चमत्कारिक वृद्धि हुई उसे हरित क्रान्ति कहा जाता है। भारत में हरित क्रान्ति का जनक डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन को माना जाता है। विश्व संदर्भ में यह श्रेय नोबेल पुरस्कार से पुरस्कृत डॉ. नॉर्मन बोरलॉग को जाता है जिन्होंने कि 1963 में गेहूँ की अर्द्धवामन किस्म का विकास किया था।

हरित क्रान्ति में सहायक रहे कारक इस प्रकार थे-

  • फसलों की अधिक उपज देने वाली किस्मों को शामिल किया गया।
  • बहुफसलन (multiple cropping), बेहतर सिंचाई और उर्वरकों की पर्याप्त सप्लाई ।
  • फसलों को रोगों तथा नाशी जीवों से बचाने के लिए सुरक्षा उपाय अपनाना ।
  • वैज्ञानिक कृषि को अनुसंधान खेतों से गाँव के किसानों तक पहुँचाना।
  • खेतों की उपज को बाजार तक पहुँचाने के लिए सुसंगठित प्रबंध करना।

प्रश्न 31.
मानव कल्याण में पशुपालन की क्या भूमिका है?
उत्तर:
विज्ञान की वह शाखा जिसका संबंध पालतू जानवरों तथा उनकी देखभाल से है, पशुपालन कहलाता है। प्रबंधन के फलस्वरूप अच्छे उत्पाद और सेवाएँ पशुपालन द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। हसबेन्ड्री (पालन) शब्द हसबैण्ड (Husband) पति शब्द से आया है, जिसका अर्थ है ऐसा व्यक्ति जो उचित देखभाल कर सके। जब इसमें आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पालतू जानवरों के उचित उपयोग के अध्ययन को शामिल कर लिया जाता है तब इसे पशु प्रबंधन (Livestock Management) कहते हैं।

पशुपालन का संबंध पशुधन जैसे गाय, भैंस, सूअर, घोड़ा, भेड़, ऊँट, बकरी आदि के प्रजनन तथा उनकी देखभाल से होता है जो मनुष्य के लिए लाभप्रद हैं। इसमें कुक्कुट तथा मत्स्य पालन भी शामिल है। मत्स्य पालन के अन्तर्गत मत्स्यों (Fishes), मृदुकवची मोलस्का तथा क्रस्टेशियाई प्रॉन (Prawn) व केकड़ा (Crab) का पालन किया जाता है। इसके अन्तर्गत इन्हें पकड़ना, शिकार कर बेचना तथा पालन करना शामिल है।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

अति प्राचीन काल से मानव मधुमक्खी, रेशमकीट, झींगा (प्रॉन), केकड़ा (Crab), मछलियाँ, पक्षी, सूअर, भेड़, ऊँट आदि का प्रयोग उनके उत्पादों जैसे शहद, रेशम, मांस, दूध, अण्डे, ऊन आदि प्राप्त करने के लिए कर रहा है। एक गणना के अनुसार विश्व का सत्तर प्रतिशत से भी अधिक पशुधन भारत तथा चीन में है। अतः पशु प्रजनन तथा देखभाल की पारंपरिक पद्धतियों के अतिरिक्त गुणवत्ता तथा उत्पादकता में सुधार लाने के लिए नयी प्रौद्योगिकी का प्रयोग करना आवश्यक हो गया है।

प्रश्न 32.
MOET का पूरा नाम लिखें। पशुओं की उन्नति की इस तकनीक की व्याख्या करें।
उत्तर:
MOET का पूरा नाम मल्टीपल औवियूलेशन ऍम्ब्रयो ट्रांसफर (Mutiple Ovulation Embryo Transfer) है। इस तकनीक के अन्तर्गत एक गाय को पुटक परिपक्व एवं उच्च अण्डोत्सर्ग (ovulation ) प्रेरित करने के लिए FSH (Follicular Stimulating Hormone) हार्मोन दिया जाता है जिसके फलस्वरूप गाय 6-8 अण्डे उत्सर्ग करती है जबकि सामान्यतः प्रतिचक्र में एक अण्डे का निर्माण होता है। इस गाय का क्रॉस उच्च नस्ल के साँड के साथ कराया जाता है या फिर कृत्रिम वीर्यसेचन (Artificial Insomination) कराया जाता है।

इसके बाद 8-32 कोशिकीय निषेचित अण्डे को सावधानीपूर्वक जनन मार्ग से होकर बाहर निकाल लिया जाता है। इसके पश्चात् इसका स्थानान्तरण सोरगेट मादा के गर्भाशय में स्थानांतरित कर दिया जाता है जहाँ भ्रूण का पुनः विकास होता है। इस तकनीक द्वारा कम समय में ही अधिक दुग्ध उत्पादन व उच्च गुणवत्ता वाले गौ पशुओं की नस्लें उत्पन्न की गई हैं। इस तकनीक (MOET) का प्रयोग सफलतापूर्वक गाय, भेड़, खरगोश, भैंस, घोड़ा आदि में किया जा सकता है।

प्रश्न 33.
एकल कोशिका प्रोटीन किसे कहते हैं? यह कैसे बनता है? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए। मानवों के लिए यह किस प्रकार उपयोगी है?
उत्तर:
अनाज, दालें, सब्जियों, फल आदि के पारंपरिक कृषि उत्पादन से मनुष्यों तथा पशुओं की संख्या जिस गति से बढ़ रही है, आहार संबंधी उसकी मांग पूरी नहीं हो पाती। अनाज से मांस की ओर बढ़ने से भी धान्यों की मांग बढ़ गई है क्योंकि पशुओं के रख-रखाव के दौरान एक किलोग्राम मांस उत्पन्न करने के लिए उसे तीन से दस किलोग्राम धान्यों की आवश्यकता होती है।

25 प्रतिशत से अधिक मानव की जनसंख्या भूख तथा कुपोषण की शिंकार है। पशु तथा मानव पोषण के लिए प्रोटीन के वैकल्पिक स्रोतों में से एक एकल कोशिका प्रोटीन (Single Cell Protein) है। प्रोटीन के अच्छे स्रोत के रूप में सूक्ष्मजीवों का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा है। मशरूम को आजकल अधिकांश लोगों के द्वारा भोजन के रूप में उपयोग किया जा रहा है।

अतः बड़े पैमाने पर मशरूम संवर्धन एक प्रकार से बढ़ता हुआ उद्योग है। जिससे अब विश्वास सा होने लगा है कि सूक्ष्मजीव भी आहार के रूप में स्वीकार्य हो जायेंगे। सूक्ष्मजीव जैसे स्पाइरूलाइना (Spirulina) को आलू संसाधन संयंत्र (जिसमें स्टार्च है)। घासफूस, शीरा, खाद और यहाँ तक वाहितमल पर आसानी से उगाया जा सकता है, ताकि बड़ी मात्रा में यह प्राप्त हो सके। स्पाइरूलाइना (Spirulina) में प्रोटीन, खनिजों, वसा, कार्बोहाइड्रेटों तथा विटामिनों की प्रचुर मात्रा विद्यमान है।

गणना के अनुसार 250 किलोग्राम वाली गाय 200 ग्राम प्रोटीन पैदा करती है। इतने ही समय में 250 ग्राम सूक्ष्म जीव जैसे मिथायलोफिलस मिथायलोट्राफस (Methylophilus Methylotrophus) इनकी वृद्धि तथा बायोमास उत्पादन की उच्च दर से सम्भावित 25 टन तक प्रोटीन उत्पन्न कर सकते हैं।

प्रश्न 34.
रोग प्रतिरोधक फसल प्राप्त करने के लिए कृषक के द्वारा उपयोग किये जाने वाले विभिन्न चार चरणों को क्रम से लिखिए।
उत्तर:
रोग प्रतिरोधक फसल प्राप्त करने के लिए कृषक द्वारा उपयोग किये जाने वाले चार चरण निम्न हैं-

  • प्रतिरोधकता स्रोतों के लिए जननद्रव्य को छानना।
  • चयनित जनकों का संकरण।
  • संकरों का चयन तथा मूल्यांकन।
  • नयी किस्मों का परीक्षण तथा उन्हें उत्पन्न करना।

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प्रश्न 35.
MOET कार्यक्रम ने पशुओं की वांछित प्रजाति की संख्या को अत्यधिक बढ़ाने में सहायता की है। कार्यक्रम को चलाने के लिए चरणों को बनाइये।
उत्तर:
MOET (मल्टीपल औवियूलेशन एैम्ब्रयो ट्रांसफर) कार्यक्रम को चलाने के लिए निम्नलिखित चरण हैं-

  • सुपरओव्यूलेशन (Superovulation ) – मादा पशु को FSH (Follicular Stimulating Hormone) हार्मोन देकर सुपर अण्ड निर्माण के लिए उद्दीपित किया जाता है।
  • सुपर ओव्यूलेटेड मादा का क्रॉस प्राकृतिक विधि से उच्च नस्ल के साँड (नर) या उच्च नस्ल नर (साँड) का वीर्य लेकर कृत्रिम विधि से मादा को निषेचित किया जाता है।
  • S-32 कोशिकीय निषेचित अण्ड को सोरगेट मादा के गर्भाशय में स्थानान्तरित कर दिया जाता है ।

प्रश्न 36.
उत्तरी भारत के क्षेत्रों में गन्ने के उच्च उत्पादन एवं वांछनीय गुण, , जैसे कि मोटा तना तथा उच्च शर्करा वाले पौधे प्राप्त करने के लिये कौन-सी तकनीक अपनाई जाती है? समझाइये।
उत्तर:
सैकेरम बारबरी ( Saccharum barberi) को मूलत: उत्तरी भारत में पैदा किया जाता था, परन्तु इसका शर्करा अंश तथा उत्पादन क्षमता बहुत कम थी। दक्षिण भारत में पैदा होने वाला उष्णकटिबंधीय गन्ना सैरम ऑफीसिनेरम (Saccharum officinarum) का तना मोटा था तथा इसमें शर्करा अंश कहीं अधिक था, परन्तु यह उत्तरी भारत में ठीक से नहीं पनप पाया। इन दोनों किस्मों को सफलतापूर्वक संकरित कराया गया ताकि उच्च उत्पादन के वांछनीय गुण जैसे कि मोटा तना तथा उच्च शर्करा वाले पौधे प्राप्त हो सकें और साथ ही इसे उत्तरी भारत के गन्ना उत्पादन क्षेत्रों में भी पैदा किया जा सके।

प्रश्न 37.
डेरी फार्म प्रबन्धन की प्रक्रियाओं को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
डेरी फार्म वह फार्म है जहाँ दुग्ध उत्पादों को प्राप्त करने के लिए दुग्ध उत्पन्न करने वाले पशुओं जैसे गाय, भैंस, ऊँट, बकरी आदि का पालन-पोषण किया जाता है। ऐसे कार्य जहाँ दूध का उत्पादन होता है, के प्रबन्धन को डेरी फार्म प्रबन्धन कहते हैं। इससे दुग्ध की गुणवत्ता में सुधार तथा उसका उत्पादन बढ़ता है। दुग्ध उत्पादन मूल रूप से फार्म में रहने वाले पशुओं की नस्ल की गुणवत्ता पर निर्भर करता है अच्छी नस्ल का चयन तथा उनकी रोगों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को महत्त्वपूर्ण माना जाता है।

अच्छी उत्पादन क्षमता प्राप्त करने के लिए पशुओं की अच्छी देखभाल, जिसमें उनके रहने का अच्छा घर तथा पर्याप्त जल तथा रोगाणुमुक्त वातावरण होना चाहिए। पशुओं को भोजन प्रदान करने का तरीका वैज्ञानिक होना चाहिए। इसमें विशेषकर चारे की गुणवत्ता तथा मात्रा पर अधिक ध्यान दिया जाता है।

इसके अतिरिक्त दुग्धीकरण, दुग्ध उत्पादों का भण्डारण तथा परिवहन के दौरान सफाई तथा पशु पर कार्य करने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य सर्वोपरि है। समय-समय पर डेरी फार्मों की सफाई व पशुओं के स्वास्थ्य का परीक्षण भी आवश्यक है। किसी पशु चिकित्सक से पशुओं की नियमित जाँच होनी चाहिए जिससे उनकी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियाँ दूर कराई जा सकें।

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
भारतीय उच्च उत्पादन वाली संकर फसलों का वर्णन कीजिए ।
अथवा
निम्न भारतीय संकर फसलों का वर्णन कीजिए-
(1) गेहूँ एवं धान
(2) गन्ना
(3) ज्वार ।
उत्तर:
पादप प्रजनन क्या है –
पादप प्रजनन पादप प्रजातियों का एक उद्देश्यपूर्ण परिचालन है ताकि-

  • वांछित पादप किस्में तैयार हो सकें।
  • किस्में खेती के लिए अधिक उपयोगी हों।
  • अच्छा उत्पादन करने वाली हों।
  • रोग प्रतिरोधी हों।
  • मृदा की अम्लीयता, लवणता व क्षारीयता के प्रति प्रतिरोधी किस्में तैयार करना।
  • फसल परिपक्वन काल में कमी लाना अर्थात् पादप जीवन चक्र (Plant life cycle) की अवधि को छोटा करना।

पूरे संसार के सरकारी संस्थानों तथा व्यापारिक कंपनियों द्वारा पादप प्रजनन कार्यक्रम अत्यन्त सुव्यवस्थित ढंग से चलाए जाते हैं।फसल की नयी आनुवंशिक नस्ल विकसित करने से प्रजनन के निम्नलिखित प्रमुख पद हैं-
(1) विभिन्नताओं का चयन (Selection of Variability)प्रजनन में किसी भी नस्ल के सुधार से विभिन्नताओं का उपस्थित होना व इनका चयन ही प्रमुख आधार है। अनेक फसलों में पूर्ववर्ती आनुवंशिक विभिन्नतायें उन्हें अपनी जंगली प्रजातियों से प्राप्त हुई हैं।

विभिन्न जंगली किस्मों, प्रजातियों तथा कृषि योग्य प्रजातियों के संबंधियों का संग्रहण एवं परिरक्षण तथा उनके अभिलक्षणों का मूल्यांकन उनके समष्टि में उपलब्य प्राकृतिक जीन के प्रभावकारी समुपयोजन के लिए पूर्वापेक्षित होता है। किसी जाति के सम्पूर्ण आनुवंशिक द्रव्य या उसमें उपस्थित समस्त जीनों के योग को उस जाति का जनन द्रव्य (Germ plasm) कहते हैं। जनन द्रव्य को नष्ट होने से बचाने के लिए द्रव्य संरक्षण किया जाता है। जनन द्रव्य संरक्षण प्रायः पादपों/बीजों के रूप में किया जाता है।

(2) जनकों का मूल्यांकन तथा चयन (Evaluation and selection of parents)-पादपों की पहचान हेतु जर्म प्लाजम (Germ plasm) का आकलन किया जाता है जिससे वाँछित लक्षणों का समावेश किया जा सके। चयनित वांछित लक्षणों वाले उत्कृष्ट पाद्पों की संख्या में वृद्धि (बहुगुणन) करके इनको संकरण प्रक्रिया के लिए काम में लेते हैं। यदि आवश्यकता होती है तो शुद्ध वंशक्रम भी प्राप्त कर लिया जाता है।

(3) चयनित जनकों के बीच पर संकरण (Crops Hybridization among selected parents)-वांछित लक्षणों को बहुधा दो भिन्न पादपों (जनकों) से प्राप्त कर संयोजित किया जाता है। जैसे एक जनक में उच्च प्रोटीन उपस्थित है तथा दूसरे में रोग निरोधक गुण उपस्थित है तो ऐसे जनकों के गुणों का समावेश संकरण द्वारा संकर जाति में किया जाता है।

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इस क्रॉस संकरण द्वारा निर्मित संकर जाति में उच्च गुणवत्ता का प्रोटीन व रोग प्रतिरोधक क्षमता दोनों ही पायी जाती हैं परन्तु यह अधिक प्रक्रिया कठिन एवं अधिक समय लेती है। इसके लिए वांछित गुणयुक्त नर के परागकणों को एकत्रित करके वांछित गुणों युक्त मादा पादप के वर्तिकाग्र पर छिड़काव किया जाता है। इसके फलस्वरूप बने पादपों में वांछित संयोजन की संभावना सैकड़ों हजारों में एक की ही रहती है।

(4) श्रेष्ठ पुनर्योगज का चयन तथा परीक्षण (Selection and Testing of Superior Recombination)-इसके अन्तर्गत संकरों की संतति के बीच से पाद्प का चयन किया जाता है जिनमें वांछित लक्षण संयोजित होते हैं। अतः संतति का वैज्ञानिक मूल्यांकन किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप ऐसे पादप उत्पन्न होते हैं जो दोनों जनकों में श्रेष्ठ होते हैं। इनका कई पीढ़ियों तक स्वपरागण क्रिया तब तक कराते हैं जब तक कि समरूपता की अवस्था नहीं आ जाती (समयुग्मजता)। जिससे संतति में लक्षण विसंयोजित नहीं हो पाते।

(5) नये कंषणों का परीक्षण, निर्मुक्त होना तथा व्यापारीकरण (Test of New cultivative Release and Commercilization)-नव चयनित वंशक्रम का उनके उत्पादन, गुणवत्ता, कीट प्रतिरोधकता एवं रोग प्रतिरोधकता आदि के लक्षणों के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। मूल्यांकन की कसौटी पर खरा उतरने पर इन पादपों को आदर्श परिस्थितियों में अनुसंधान वाले खेतों में उगाया जाता है।

यहाँ पादपों में वांछित गुणों का मूल्यांकन करते हैं। इसके पश्चात् इन पौधों का परीक्षण देश भर में किसानों के खेत में कई स्थानों पर, कम से कम तीन ऋतुओं तक किया जाता है। यदि नई किस्में स्थानीय श्रेष्ठ किस्म से अधिक उत्कृष्ट होती हैं तो इसे किस्म के रूप में मोचित किया जा सकता है। नई किस्म के मोचन का प्रस्ताव किस्म मोचन समिति के समक्ष रखा जाता है।

प्रस्ताव स्वीकार होने पर इसे एक नाम देकर नई किस्म के रूप में मोचित कर दिया जाता है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की लगभग 33 प्रतिशत आय तथा समष्टि की लगभग 62 प्रतिशत जनसंख्या को रोजगार कृषि से प्राप्त होता है। भारत की स्वतंत्रता के बाद देश के सामने मुख्य चुनौती उसकी बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए पर्याप्त आहार का उत्पादन करना था।

1960 के मध्य गेहूँ तथा धान की बहुत-सी उच्च उत्पादन वाली प्रजातियों का विकास पादप प्रजनन तकनीकों के प्रयोग से किया गया। परिणामस्वरूप खाद्य उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई। यही प्रावस्था सामान्यतः हरित क्रान्ति के नाम से जानी जाती है। उच्च उत्पादन वाली किस्मों की भारतीय संकर फसलों को नीचे चित्र में प्रदर्शित किया गया है-
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गेहूं तथा धान (Wheat & Paddy)- 1960 से 2000 तक के वर्षों के दौरान गेहूं का उत्पादन ग्यारह मिलियन टन से बढ़कर पचहत्तर मिलियन टन हुआ। जबकि धान का उत्पादन पैंतीस मिलियन टन से बढ़कर 89.5 मिलियन टन तक पहुँच गया। इसका कारण गेहूं तथा धान की अर्द्धवामन किस्मों का विकसित होना है। मैक्सिको स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर व्हीट एंड मेंज में नोबेल पुरस्कार पुरस्कृत डॉ. नॉरमैन ई. बारलौग ने गेहूं की अर्द्धवामन किस्म का विकास किया।

यह उसी का परिणाम है कि सन् 1963 में उच्च उत्पादन तथा प्रतिरोधी किस्मों की वंश रेखाएं जैसे सोनालिका तथा कल्याण सोना का विकास कर उन्हें भारत के गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में प्रयोग किया। अर्द्धवामन धान की प्रजातियों को IR-8 (इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट IRRI, फिलिपींस में विकसित) तथा थाइचूंग नेटिव-I (ताइवान) से व्युत्पन्न किया गया। सन् 1966 में इन किस्मों को प्रयोग में लाया गया।

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बाद में और अधिक उत्पादन क्षमता वाली अर्द्धवामन प्रजातियों जया तथा रत्ना का विकास भारत में किया गया। गन्ना (Sugarcane)-सै के रम बारबरी (Saccharum barberi) को मूलत: उत्तरी भारत (North India) में उगाया जाता था।. लेकिन इसमें शर्करा की मात्रा कम एवं इसकी उत्पादन की क्षमता कम थी। दक्षिणी भारत में पैदा होने वाला उष्णकटिबंधीय गन्ना सैकेरम ऑफीसिनेरम (Saccharum officinarum) का तना मोटा एवं इसमें शर्करा की मात्रा कहीं अधिक थी, किन्तु यह उत्तरी भारत में सही ढंग से विकसित नहीं हो रहा था।

इन दोनों किस्मों को सफलतापूर्वक संकरित किया गया ताकि उच्च उत्पादन के वांछनीय गुण जैसे कि मोटा तना तथा उच्च शर्करा वाले पौधे प्राप्त हो सकें और साथ ही इसे उत्तरी भारत (North India) के गन्ना उत्पादन क्षेत्रों में भी पैदा किया जा सके। ज्वार (Millets)-संकर मक्का, ज्वार और बाजरा का सफलतापूर्वक विकास भारत में किया जा चुका है। इनका विकास संकर प्रजनन (Hybrid Breeding) के फलस्वरूप हुआ है। ये किस्में जल अभाव के प्रति प्रतिरोधी एवं उच्च उत्पादन वाली हैं।

प्रश्न 2.
रोग प्रतिरोधकता के लिए प्रजनन विधियों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
रोग प्रतिरोधकता के लिए पादप प्रजनन (Plant breeding for Disease Resistant)-
अनेक प्रकार के रोगकारक, जैसे-कवक, जीवाणु तथा विषाणु उष्णकटिबन्धीय जलवायु की कृष्य जातियों को व्यापक रूप से प्रभावित करते हैं। इन रोगकारकों के कारण फसलों को 20-30 प्रतिशत तक हानि या कभी-कभी पूर्ण हानि भी होती है। ऐसी परिस्थितियों में रोग के प्रति प्रतिरोधी खेतिहर जातियों में प्रजनन तथा विकास से खाद्य उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

इन्हें उगाने से जीवाणुनाशी तथा कवकनाशी पदार्थों का प्रयोग भी कम हो जाता है तथा उन पर आश्रितता कम हो जाती है। पोषी पादपों की प्रतिरोधकता उसकी रोगजनकों को रोग उत्पन्न करने से रोकने की क्षमता है तथा इसका निर्धारण पोषी पादप के आनुवंशिक ढाँचे द्वारा किया जाता है।

प्रजनन की क्रिया अपनाने से पहले रोगकारक जीव के बारे में जानकारी तथा उसके प्रसार की क्रियाविधि की जानकारी महत्वपूर्ण है। कवकों द्वारा उत्पन्न कुछ रोग निम्न हैं-गेहूं का भूरा किट्ट, गन्ने का रैड रॉट रोग तथा आलू पछेती अंगमारी। विषाणु द्वारा तथा जीवाणु द्वारा उत्पन्न रोग के उदाहरण क्रमशः निम्न हैं-तम्बाकू मोजेक, शलजम मोजेक, टमाटर का पर्ण बेलन आदि एवं जीवाणु द्वारा उत्पन्न रोग सिट्स कैकर चावल का किट्ट। रोग प्रतिरोधकता के लिए प्रजनन विधियाँ (Methods of Breeding for Disease Resistance)-
रोग प्रतिरोधकता उत्पन्न करने की परम्परागत विधियाँ निम्न प्रमुख हैं-

  1. संकरण (Hybridisation)
  2. चयन (Selection)

इसके अन्तर्गत निम्नलिखित पदों को अपनाते हैं-

  • प्रतिरोधकता स्रोतों के जनन द्रव्य को छानना
  • चयनित जनकों का संकरण
  • संकरों का चयन
  • मूल्यांकन
  • नयी किस्मों का परीक्षण
  • तथा उन्हें उत्पन्न करना

संकरण तथा चयन द्वारा प्रजनित कुछ शस्य कवकों, जीवाणुओं तथा विषाणुओं के प्रति रोग प्रतिरोधकता होती है। ये शस्य प्रजातियाँ नीचे तालिका में दी गई हैं –

फसल किस्म/प्रजाति रोग के प्रति प्रतिरोधक
1. गेहूं हिमगिरी पर्ण तथा धारी किट्ट हिलबंट
2. सरसों पूसा स्वर्णिम श्वेत किट्ट
3. फूलगोभी पूसा शुभ्रा, पूसा स्नोबॉल K-1 कुंचित अंगमारी (शीर्णन) कृष्ण विगलन
4. लोबिया पूसा कोमल जीवाणीय अंगमारी (शीर्णन)
5. मिर्च पूसा सदाबहार चिली मोजेक वायरस, तम्बाकू मोजेक वायरस तथा पर्ण कुंचन

रोग प्रतिरोधी जीन जो विभिन्न फसलों की प्रजातियों अथवा उनकी जंगली प्रजातियों में उपस्थित रहती है लेकिन इनकी सीमित संख्या में उपलब्धि के कारण पारम्परिक प्रजनन प्रायः निरुद्ध होता है। पादपों में विभिन्न प्रक्रियाओं द्वारा उत्परिवर्तन (Mutation) प्रेरित किया जाता है तथा बाद में प्रतिरोधकता के लिए पादप पदार्थों की स्क्रीनिंग द्वारा वांछनीय जीन की पहचान की जाती है।

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वांछनीय लक्षण वाले पौधे को या तो सीधे ही गुणित किया जा सकता है अथवा इसका प्रयोग प्रजनन में किया जा सकता है। उत्परिवर्तन सोमाक्लोनल वैरिएंट तथा आनुवंशिक अभिंयान्त्रिकी में चुनाव की अन्य प्रजनन विधियाँ, जिनका प्रयोग इस कार्य में किया जाता है। उत्परिवर्तन (Mutation)-जीन के भीतर आधार अनुक्रम में परिवर्तन द्वारा जो आनुवंशिक भिन्नताएँ उत्पन्न हो जाती हैं, उसे उत्परिवर्तन (Mutation) कहते हैं। इसी के फलस्वरूप नये लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं जो अपने जनकों से भिन्न होते हैं।

उत्परिवर्तन को कृत्रिम रूप से रसायनों के प्रयोग अथवा विकिरण जैसे गामा विकिरण द्वारा प्रेरित किया जाता है। ऐसे पादपों के चयन एवं प्रयोग द्वारा जिनसे प्रजनन के लिए वांछनीय लक्षण स्रोत के रूप में उत्परिवर्तन प्रजनन (Mutation Breeding) कहलाता है। मूंग में जो पीत मोजेक वायरस (Yellow mosaic virus) तथा चूर्णिल आसिवा (Powdery mildew) के प्रति प्रतिरोधक क्षमता उत्परिवर्तन के कारण ही है।

पादपों की विभिन्न कृष्य प्रजातियों से सम्बन्धित अधिकांश जंगली पादप कुछ प्रतिरोधक लक्षण प्रदर्शित करते हैं परन्तु उनका उत्पादन बहुत ही कम होता है, अतः उच्च उत्पादन के लिए इन प्रजातियों के जीनों को कृष्य प्रजातियों के जीनों में मिलाने की आवश्यकता है। भिण्डी (एबेलमासकाल ऐस्क्यूलैटस) में पीत मोजेक वायरस (Yellow mosaic virus) के प्रति प्रतिरोधकता इसकी जंगली प्रजाति से स्थानान्तरित की गई है। जिसके परिणामस्वरूप ए. ऐसकुलैटस की एक नई किस्म परमनी क्रान्ति उत्पन्न हुई।

प्रश्न 3.
फसलों में सुधार की आधुनिक तकनीक का नाम बताइए। यह फसल सुधार में किस प्रकार लाभदायक है? समझाइए ।
अथवा
ऊतक संवर्धन पर निबन्ध लिखिये।
उत्तर:
फसलो में सुधार की आधुनिक तकनोंक उतक संवधन (Tissue Culture) है। जब पारम्परिक प्रजनन विधियों से फसलों की उन्नत किस्में तैजार की गई तब भी बढ़ती हुई खाद्यान्नों की मांगों को पूरा नहीं किया जा सका। अतः पर्याप्त उन्तत फसलों को तैयार करने व बढ़ती खाधान्न मांगों की आपूर्ति हेतु आधुनिक तकनीक ऊतक संवर्धन का सहारा लिया गया।

20 र्वी सदी के मध्य में जीच वैज्ञानिकों ने अनुसंधान करके बह ज्ञात किया कि पौधे के भाग से सम्पर्ण पौधों को युनर्जनित किया जाना सम्भव है, उसे कत्तोतक कहते हैं। किसी कोशिका कर्तोतक से पूर्ण पादप में जानत होने की क्षमता को पूर्णशक्तता कहते हैं। कर्तोतक का एक विशिष्ट पोश माध्यम में तथा रोगाणुरहित स्थिति में पात्रे संबर्धन किया जाता है। इस पोश माध्यम में कार्बन स्रोत जैसे सुक्रोज तथा अकार्यनिक लवण, विटामिन, अमीनो अम्ल तथा वृद्धि नियंत्रक जैसे-ऑंक्सिन, साइटोकाइटिन आदि उपस्थित होने चाहिए।

ऊतक संबर्धन विधि द्वारा पौधे के कायिक या वानस्पतिक प्रवर्धन को सूक्ष्म प्रवर्धन कहते हैं। इस विधि में बहुत छोटे कत्तोंतक का उपभोग करके बहुत छोटे-छोटे पौधे कम समय में उत्पादित करते हैं। इनमें प्रत्येक पादप आनुर्वंशिक रूप से मूल पादक के समान होते हैं, जहाँ से वह पैदा हुए हैं, इन्हें सोमाक्लोन (Somaclone) कहते हैं। ऊतक संवर्धन तक्रीक से रोगमुक्त पादपों का संबर्धन उत्पादन सम्भव है ।

प्रत्येक पादप विषाणु (Virus) से संक्रमित होते हैं, परन्तु उन पौधों के विभग्योतक (शीर्घ तथा कक्षीय) विषाणु से प्रभावित नहीं होते है। अतः विषाणुमुक्त पादप तैयार करने के लिए विभज्योतक को पृथक् कर उसका पात्रे संवर्धन करते हैं। संवर्धन से तैयार पादप विघाणु रोग से पूर्णतया मुक्त होते हैं। वैज्ञानिकों ने केला, गन्ना, आलू आदि में विभज्योतक संबर्धन द्वारा व्यापारिक स्तर पर रोगमुक्त पादप तैयार किये हैं।

कतक संवर्धन के अन्तर्गत चैज्ञानिकों ने पादपों से एकल कोशिकाएँ पृथक् कर उनकी कोशिका भित्ति को सैल्यूलोज तथा पैविट्नेज एन्जाइम की सहायता से प्लाज्मा झिल्ली द्वारा चिरा नग्न जीवद्रव्य पृथक कर लिया। प्रत्येक किस्म में वांधनीय लक्षण विद्यमान होते है। पादर्पों की दो आनुबंशिक रूप से भिन्न किस्मों से अलग किया गया जीवद्रव्य युग्मित होकर संकर जीवद्रव्य उत्पन्न करता है, जिससे नए पादप तैयार किये जाहे हैं।

यह संकर कायिक संकर, जबांक यह प्रक्रम कायिक संकरण कहलाता है। इस विधि के द्वारा पोमेटो (आलू तथा टमाटर के जोवद्रव्य संकरण से प्राप्त कायिक संकर) तथा ब्रोमेटो (थँगन तथा टमाटर के जीवद्रब्य संकरण से प्राप्त कायिक संकर) विकसित किये गये हैं। इन दोनों कायिक संकरों के पादपों में व्यावसायिक उपयोग हेतु वींहित्त समुचित अभिलक्षणों का अभाव था। ऊतक संवर्धन विधि का प्रयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने पादपों में विभिन्नता प्राप्त की, उसे सोमाक्लोनल विभिन्नता कहते हैं। ये विभिन्नताएँ स्थायी होती हैं तथा कृषि के लिए उपयोगी होती हैं।

प्रश्न 4.
मत्स्य पालन पर एक निबन्धात्मक लेख लिखिए।
उत्तर:
मत्स्य पालन- मछलियों की उपयोगी व उच्च उत्पादक क्षमता से युक्त प्रजातियों का संवर्धन मत्स्य पालन कहलाता है। मछलियों से हमें उत्तम किस्म की खास प्रोटीन, विटामिन ए व डी तथा कई अन्य उपयोगी व उपउत्पाद प्राप्त होते हैं। इनकी अत्यधिक उपयोगिता के कारण इनके संवर्धन व पालन हेतु विशेष वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग किया जाता है।

मछलियों समेत कई अन्य जलीय जीव जैसे-प्रॉन, लोब्स्टर, मोलस्का इत्यादि के पालन व संवर्धन को जल संवर्धन या जल कृषि (एक्वाकल्चर) कहते हैं। भारत का चीन के बाद विश्व में मत्स्य पालन में दूसरा स्थान है। एवं सम्पूर्ण विश्व में चौथे स्थान पर है। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, केरल तथा पंजाब में मत्स्य पालन चावल के खेतों, बांधों, सिंचाई नहरों, झीलों व तालाबों के जलीय स्रोतों में किया जाता है।

संवर्धन योग्य मछलियाँ – इन मछलियों को दो भागों में बाँटा गया है –
(1) पारंपरिक स्वच्छ जलीय मछलियाँ अलवणीय जल की मछलियाँ – इनका पालन स्वच्छ अर्थात् अलवणीय जल में किया जाता है; जैसे- नदियां, तालाब व जलाशय आदि। उदाहरण- लेबियो रोहिता या रोहूं, कतला कतला, सिरिनस म्रिगला या मृगल, लेबियो कालबासु, चन्ना मछलियों की प्रजातियां, वैलेगो अट्टू (मुल्ली) आदि।

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(2) लवणीय जल की मछलियाँ – जिनका पालन लवण जल में किया जाता है, लवणीय मछलियां कहलाती हैं। मछलियों का उत्पादन खारे पानी की तुलना में मीठे पानी में अधिक होता है। उदाहरण- हिल्ला, सरडाइन, मैकेरल तथा पामफ्रैट आदि । पालने हेतु ऐसी मछलियों का चयन किया जाता है जो उच्च खाद्य गुणों से युक्त, उच्च प्रजनन एवं वृद्धि दर दर्शाने वाली, रोग प्रतिरोधी क्षमता से युक्त, वातावरणीय

परिवर्तन के प्रति सहनशीलता, प्राकृतिक एवं कृत्रिम भोजन को आसानी से ग्रहण करने में समर्थ तथा वातावरण में उपस्थित अन्य मछलियों के प्रति न्यूनतम प्रतिस्पर्धा आदि गुण रखती हों। मेजर कार्प, लेबियो रोहिता, कतला कतला, सिरिनस म्रिगंला आदि इन सभी मछलियों का प्रमुख विदेशी कार्प मछलियों के साथ उचित अनुपात में एक साथ सरोवर में पालन किया जाता है। इस तकनीक को कम्पोजिट मत्स्य पालन कहते हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-

1. किस विधि द्वारा बीकानेरी ऐबीज एवं मैरीनो रेक्स से भेड़ की नई नस्ल ‘हिसारडेल’ तैयार की गई है? (NEET-2020)
(अ) उत्परिवर्तन प्रजनन
(ब) संकरण
(स) अंतःप्रजनन
(द) बहिःप्रजनन
उत्तर:
(ब) संकरण

2. अधिक दूध देने वाली गायों को प्राप्त करने के लिए किया गया कृत्रिम वरण क्या दर्शाता है? (NEET-2019)
(अ) स्थायीकारक वरण क्योंकि यह जनसंख्या में इस लक्षण का स्थायीकरण करता है।
(ब) दिशात्मक वरण क्योंकि यह लक्षण माध्य को एक दिशा में धकेल देता है।
(स) विदारक क्योंकि यह जनसंख्या को दो में विभाजित करता है, एक अधिक उत्पादन करने वाली एवं अन्य कम उत्पादन करने वाली।
(द) स्थायीकारक के बाद विदारक क्योंकि यह जनसंख्या में उच्च उत्पादक गायों का स्थायीकरण करता है।
उत्तर:
(ब) दिशात्मक वरण क्योंकि यह लक्षण माध्य को एक दिशा में धकेल देता है।

3. अनुचित कथन का चयन करो- (NEET-2019)
(अ) अंतःप्रजनन श्रेष्ठ जीनों के संग्रह एवं अवांछनीय जीनों के उन्मूलन में सहायता करता है।
(ब) अंतः प्रजनन समयुग्मता में वृद्धि करता है।
(स) अंतःप्रजनन किसी जानवर को शुद्ध वंशक्रम के विकित होने के लिए आवश्यक है।
(द) अंतःप्रजनन हानिकारक अप्रभावी जीनों का चयन करता है जो जननता एवं उत्पादकता कम करते हैं।
उत्तर:
(द) अंतःप्रजनन हानिकारक अप्रभावी जीनों का चयन करता है जो जननता एवं उत्पादकता कम करते हैं।

4. पशुओं में शुद्ध वंशक्रम में समयुग्मजी किस प्रकार प्राप्त किए जा सकते हैं? (NEET-2017)
(अ) एक ही नस्ल के सम्बन्धित पशुओं के संगम द्वारा
(ब) एक ही नस्ल के असंबंधित पशुओं के स्रोत द्वारा
(स) विभिन्न नस्लों के पशुओं के संगम द्वारा
(द) विभिन्न प्रजातियों के पशुओं के संगम द्वारा
उत्तर:
(अ) एक ही नस्ल के सम्बन्धित पशुओं के संगम द्वारा

5. एक वास्तविक प्रजनन पादप वह है जो कि- (NEET II-2016)
(अ) लगभग समजात हो और अपनी तरह की संतान उत्पन्न करता हो
(ब) अपने आनुवंशिक गहन में हमेशा समजात अप्रभावी हो।
(स) अपने आप प्रजनन कर सके।
(द) असंबद्ध पादपों के बीच पर-परागण से उत्पन्न किया गया हो।
उत्तर:
(अ) लगभग समजात हो और अपनी तरह की संतान उत्पन्न करता हो

6. निम्नलिखित खाद्यमछलियों में से कौनसी समुद्री मछली है जो ओमेगा-3 वसा अम्लों का उत्तम स्रोत है? (NEET-2016)
(अ) मिग्रल
(ब) मैकेरल
(स) मिस्टस
(द) मांगुर
उत्तर:
(ब) मैकेरल

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

7. लेग्यूम या घास को चारागाह में या चक्रीय फसल द्वारा मिट्टी की संरचना या उत्पादकता को सुधारने के लिए जो प्रक्रिया अपनाते हैं, कहलाती है- (NEET I-2016)
(अ) स्ट्रिपखेती
(ब) शिफ्टिंग कृषि
(स) ले खेती
(द) काउण्टर खेती
उत्तर:
(स) ले खेती

8. ‘जीवद्रव्यक’ एक कोशिका है- (NEET-2015)
(अ) केन्द्रक रहित
(ब) विभाजित हुई
(स) कोशिका भित्ति रहित
(द) प्रद्रव्यरहित
उत्तर:
(स) कोशिका भित्ति रहित

9. पशुपालन में बहि:प्रजनन एक महत्त्वपूर्ण क्रियाविधि है क्योंकि यह- (NEET-2015)
(अ) जन्तुओं के शुद्ध वंशक्रमों को उत्पन्न करने में उपयोगी है।
(ब) अन्तःप्रजनन के अवसाद को दूर करने में उपयोगी है।
(स) हानिकारक अप्रभावी जीनों को अनावृत कर देता है जिन्हें चयन द्वारा निष्कासित किया जा सकता है।
(द) बेहतर जीनों के एकत्रीकरण में मदद करता है।
उत्तर:
(ब) अन्तःप्रजनन के अवसाद को दूर करने में उपयोगी है।

10. ऊतक संवर्धन तकनीक द्वारा रोगी पादप से विषाणु मुक्त स्वस्थ पादपों को प्रास करने के लिए रोगी पादप के किस भाग/भागों को लिया जाएगा? (NEET-2014)
(अ) केवल शीर्ष विभज्योतक
(ब) पेलीसेड पेरेन्काइमा
(स) शीर्ष और अक्षीय विभज्योतक दोनों ही
(द) केवल अधिचर्म।
उत्तर:
(स) शीर्ष और अक्षीय विभज्योतक दोनों ही

11. पादपों में स्वपात्रे क्लोनीय प्रवर्धन किसके द्वारा चित्रित होता है- (NEET-2014)
(अ) पी.सी.आर. और आर.ए.पी.डी.
(ब) नार्दन शोषण
(स) वैद्युत कण संचलन और एच.पी.एल.सी.
(द) सूक्ष्मदर्शीकी।
उत्तर:
(अ) पी.सी.आर. और आर.ए.पी.डी.

12. सूक्ष्मप्रवर्धन के लिए वाइरस रहित पौधे बनाने के लिए कौनसा भाग सबसे उपयुक्त होगा- (NEET-2012)
(अ) छाल
(ब) संवहनीय ऊतक
(स) विभज्योतक
(द) नोड (पर्व)
उत्तर:
(स) विभज्योतक

13. भारत में हरित क्रान्ति किस दौरान हुई थी? (Mains-2012)
(अ) 1960 के दशक में
(ब) 1970 के दशक में
(स) 1980 के दशक में
(द) 1950 के दशक में
उत्तर:
(अ) 1960 के दशक में

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14. किट्ट रोगजनक के विरुद्ध रोगरोधन के लिए संकरण तथा चयन द्वारा विकसित हिमगिरी किसकी एक किस्म है? (NEET-2011)
(अ) मिर्च
(ब) मक्का
(स) गन्ना
(द) गेहूं
उत्तर:
(द) गेहूं

15. भारत में सर्वाधिक आनुवंशिक विविधता प्रदर्शित करता है- (CBSE, 2011)
(अ) चावल
(ब) मक्का
(स) आम
(द) मूंगफली
उत्तर:
(स) आम

16. ट्रान्सजीनिक जन्तुओं के रूप में सर्वाधिक संख्या में पाये जाने वाले जीव हैं- (CBSE, 2011)
(अ) चूहे
(ब) गाय
(स) सूअर
(द) मछली
उत्तर:
(अ) चूहे

17. भारत में हरित क्रान्ति के लिए विकसित की गई ‘जया’ और ‘रत्ना’ किस्में हैं- (CBSE, 2011)
(अ) चावल की
(ब) गेहुँ की
(स) बाजरे की
(द) मक्के की
उत्तर:
(अ) चावल की

18. सोमेक्लोन (Somaclones) प्राप्त होते हैं- (NEET 2009, CBSE, 2010)
(अ) ऊतक संवर्धन द्वारा
(ब) पादप प्रजनन द्वारा
(स) विकिरणन द्वारा
(द) जीनी अभियान्त्रिकी द्वारा।
उत्तर:
(अ) ऊतक संवर्धन द्वारा

19. ट्रांसजीनिक बासमती चावल की उन्नत किस्म- (CBSE, 2010)
(अ) को रासायनिक उर्वरकों तथा वृद्धि हार्मोनों की आवश्यकता नहीं होती है।
(ब) उच्च उत्पादन तथा विटामिन- A से प्रचुर होती है।
(स) सभी कीट-पीड़कों तथा धान के रोगों के प्रति पूर्णतया प्रतिरोधक होती है ।
(द) उच्च उत्पादन करती है किन्तु इसमें कोई अभिलाक्षणिक सुगंध नहीं होती है।
उत्तर:
(ब) उच्च उत्पादन तथा विटामिन- A से प्रचुर होती है।

20. ऐसी फसलों के प्रजनन को, जिनमें खनिज प्रोटीन, विटामिन के स्तर ऊँचे हो, क्या कहते हैं? (NEET-2010)
(अ) जैव प्रबलीकरण
(ब) जैव आवर्धन
(स) सूक्ष्म प्रवर्धन
(द) कायिक संकरण
उत्तर:
(अ) जैव प्रबलीकरण

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21. पॉली एथीलीन ग्लाइकॉल विधि का उपयोग किस काम के लिए किया जाता है- (NEET-2009)
(अ) मल जल (सीवेज) से ऊर्जा का उत्पादन
(ब) बिना किसी वेक्टर के जीन स्थानान्तरण
(स) बायोडीजल उत्पादन
(द) बीज रहित फल उत्पादन
उत्तर:
(ब) बिना किसी वेक्टर के जीन स्थानान्तरण

22. एक लोकप्रिय कवकनाशी के रूप में बोडों मिश्रण की खोज के साथ किसका सम्बन्ध रहा है? (NEET-2008)
(अ) गेहूं के श्लथ कंड
(ब) गेहूं का काला किट्ट
(स) चावल की जीवाण्विक पत्ती शीर्णता
(द) अंगूर की मृदुरोमिल आसिता
उत्तर:
(द) अंगूर की मृदुरोमिल आसिता

23. निम्नांकित सही मिलाया गया है- (RPMT, 2008)
(अ) एपीकल्चर-मधुमक्खी
(ब) पिसीकल्चर-सिल्कमॉथ
(स) सेरीकल्चर-मछली
(द) एक्वाकल्चर-मच्छर
उत्तर:
(अ) एपीकल्चर-मधुमक्खी

24. वह कौनसी एक पारजीनी खाद्य फसल है जिससे विकासशील देशों में रतौंधी की समस्या का समाधान हो सकता है? (NEET-2008)
(अ) फ्लैव सैव्र किस्म के टमाटर
(ब) स्टारालिंग मक्का
(स) Bt सोयाबीन
(द) गोल्डन राइस (सुनहरा चावल)
उत्तर:
(द) गोल्डन राइस (सुनहरा चावल)

25. सांड की तुलना में बैल अधिक सीधा-साधा (विनम्र) इसलिए होता है कि बैल के भीतर- (NEET-2007, CBSE-2007)
(अ) रक्त में ऐड्रीनलीन/नार ऐड्रीनलीन के निम्न स्तर होते हैं
(ब) कार्टिसोन के उच्च स्तर होते हैं
(स) थायरॉक्सिन केस्तर ऊँचे होते हैं
(द) रक्त टेस्टोस्टेरोन के स्तर निम्न होते हैं।
उत्तर:
(द) रक्त टेस्टोस्टेरोन के स्तर निम्न होते हैं।

26. निम्नलिखित में से कौनसी एक दशा मुर्गियों का एक विषाणु रोग है- (NEET-2007)
(अ) पाश्चुरेलोसिस
(ब) साल्मोनेलोसिस
(स) कोइराजा
(द) न्येकैस्टल रोग
उत्तर:
(द) न्येकैस्टल रोग

27. निम्नलिखित में से कौनसा एक जोड़ा गलत मिलाया गया है- (NEET-2007)
(अ) बाम्बिक्स मोराई-रेशम
(ब) पाइलाग्लोबोमा-मोती
(स) एपिस इण्डिका-शहद
(द) केनिया लाका-लाख।
उत्तर:
(अ) बाम्बिक्स मोराई-रेशम

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28. मवेशियों के क्लोनिंग में एक निषेचित अण्डे की माता गऊ के गर्भाशय से निकालकर- (CBSE, 2007)
(अ) उस अण्डे को 4 जोड़ी कोशिकाओं में विभाजित किया जाता है जिन्हें अन्य गायों के गर्भाशयों में अन्तर्रोपित कर दिया जाता है।
(ब) उसकी आठ कोशिका अवस्था में, कोशिकाओं को पृथक् किया जाता है और उन्हें छोटे-छोटे भ्रूण बनने तक संवर्धित किया जाता है जिसके बाद उन्हें अन्य गायों के गर्भाशय में अन्तर्रोपित कर दिया जाता है।
(स) उसकी आठ, कोशिका अवस्था में, कोशिकाओं को विद्युत् परिवेश में पृथक् कर दिया जाता है और उससे आगे का परिवर्धन संवर्धन माध्यम में किया जाता है।
(द) उससे आठ अभिन्न जुड़वाँ बच्चे पैदा किये जा सकते हैं।
उत्तर:
(ब) उसकी आठ कोशिका अवस्था में, कोशिकाओं को पृथक् किया जाता है और उन्हें छोटे-छोटे भ्रूण बनने तक संवर्धित किया जाता है जिसके बाद उन्हें अन्य गायों के गर्भाशय में अन्तर्रोपित कर दिया जाता है।

29. मक्का में संकर ओज किससे सबसे ज्यादा प्राप्त होता है? (CBSE, 2006)
(अ) जीवद्रव्यक में DNA बॉम्बार्ड करके
(ब) दो अन्तःप्रजात वंशक्रमों के बीच संकरण करके
(स) सर्वाधिक उत्पादनशील पौधों से बीज एकत्रित करके
(द) उत्परिवर्तनों को प्रेरित करके
उत्तर:
(ब) दो अन्तःप्रजात वंशक्रमों के बीच संकरण करके

30. सुनहरा चावल एक बहुत ही सम्भावनापूर्ण पारजीनी फसल है। कृषि में उतारने पर यह किस चीज में सहायक होगा? (CBSE 2006)
(अ) विटामिन-A का अभाव दूर करने में
(ब) पीड़क प्रतिरोध में
(स) शाकनाशी सहनता में
(द) चावल से एक पेट्रोल-सरीखा ईंधन बनाने में।
उत्तर:
(अ) विटामिन-A का अभाव दूर करने में

31. ऊतक संवर्धन द्वारा विषाणु-मुक्त पौधे प्राप्त करने की सबसे अच्छी विधि क्या है ? (CBSE, PMT 2006)
(अ) एन्थर संवर्धन
(ब) विभज्योतक संवर्धन
(स) जीवद्रव्य संवर्धन
(द) भूरण रस्क्यू
उत्तर:
(ब) विभज्योतक संवर्धन

32. एकल कृषि में उगाए जाने वाले फसल पौधे कैसे होते हैं? (CBSE, 2006)
(अ) कम उत्पादन करने वाले
(ब) अंतःजातीय स्पर्धा से मुक्त
(स) क्षीण मूल तन्त्र के अभिलक्षण वाले
(द) पीड़कों के लिए अति प्रवृत्त।
उत्तर:
(द) पीड़कों के लिए अति प्रवृत्त।

33. निम्न में से कौन फसल के सुधार में प्रयुक्त नहीं होता- (Bihar CECE, 2006)
(अ) अन्तःप्रजनन
(ब) परिचय
(स) संकरण
(द) उत्परिवर्तन
उत्तर:
(अ) अन्तःप्रजनन

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 9 खाद्य उत्पादन में वृद्धि की कार्यनीति

34. यदि किसी पादप कोशिका में सम्मूर्ण पौधा बनाने की क्षमता पायी जाती है तब कोशिका के उस गुण को क्या कहते हैं? (HP PMT, 2005)
(अ) ऊतक संवर्धन
(ब) टोटीपोटेन्सी
(स) प्ल्यूरीपोटेन्सी
(द) जीन क्लोनिंग
उत्तर:
(ब) टोटीपोटेन्सी

35. कायिक संकरण उत्पन्न होता है- (Manipal 2005)
(अ) जीवद्रव्य संयुग्मन द्वारा
(ब) टिशु कल्चर द्वारा
(स) परागण कल्चर द्वारा
(द) हाइब्रिडोमा प्रक्रिया द्वारा
उत्तर:
(अ) जीवद्रव्य संयुग्मन द्वारा

36. खच्चर (Mule) उत्पन्न होता है- (AFMC, 2004)
(अ) ब्रीडिंग द्वारा
(ब) म्यूटेशन द्वारा
(स) हाइब्रिडाइ जेशन द्वारा
(द) इन्टरस्पेस्फिक हाइब्रिडाइजेशन द्वारा
उत्तर:
(स) हाइब्रिडाइ जेशन द्वारा

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