Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल Important Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. ऐल्डिहाइड तथा कीटोन की मुख्य अभिक्रिया है-
(अ) इलेक्ट्रॉनस्नेही योगात्मक अभिक्रिया
(ब) इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया
(स) नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया
(द) नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया
उत्तर:
(स) नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया
2. कार्बोनिल समूह के कार्बन पर कौनसा संकरण होता है?
(अ) sp
(ब) sp²
(स) sp³
(द) sp³d
उत्तर:
(ब) sp²
3. निम्नलिखित में से किस यौगिक में कैनिजारो अभिक्रिया नहीं होती ?
(अ) C6H5CHO
(ब) HCHO
(स) CCl3CHO
(द) CH3 – CHO
उत्तर:
(द) CH3 – CHO
4. ऐल्किल सायनाइड के जल अपघटन से प्राप्त यौगिक है-
उत्तर:
5. निम्नलिखित में से किसके द्वारा ऐल्डिहाइड तथा कीटोन में विभेद किया जा सकता है?
(अ) NaHCO3
(ब) HCN
(स) फेलिंग विलयन
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) फेलिंग विलयन
6. सोडियम प्रोपेनॉएट (CH3-CH2-COONa) को सोडालाइम (NaOH + CaO) के साथ गर्म करने पर बना उत्पाद है-
(अ) ऐसीटोन
(स) ऐथेन
(ब) मेथेन
(द) एथीन
उत्तर:
(स) ऐथेन
7. यौगिक X फेनिल हाइड्रेजीन से क्रिया करता है लेकिन टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता तो यौगिक X होगा-
(अ) ऐमाइड
(ब) कीटोन
(स) ऐल्डिहाइड
(द) ऐल्कोहॉल
उत्तर:
(ब) कीटोन
8. यौगिक जो ऐल्डोल संघनन नहीं देता, वह है-
(अ) CH3CHO
(ब) CH3 – COCH3
(द) HCHO
उत्तर:
(द) HCHO
9. टॉलेन अभिकर्मक निम्नलिखित में से किस धातु आयन का NH3 के साथ संकुल है?
(अ) Cu2+
(ब) Cu+1
(स) Ag+
(द) Co2+
उत्तर:
(स) Ag+
10. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक आयोडीन के क्षारीय विलयन के साथ गर्म करने पर पीला अवक्षेप देता है?
(अ) मेथेनैल
(ब) प्रोपेनोन
(स) प्रोपेनैल
(द) ब्यूटेनैल
उत्तर:
(ब) प्रोपेनोन
11. निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रबल अम्ल है-
(अ) HCOOH
(ब) CH3COOH
(स) CH3 – CH2-COOH
(द) Cl – CH2 – COOH
उत्तर:
(द) Cl – CH2 – COOH
12. ऐसीटिक अम्ल से ऐसीटिल क्लोराइड बनाने में निम्नलिखित में से किस अभिकर्मक को प्रयुक्त नहीं किया जा सकता ?
(अ) PCl5
(ब) PCl3
(स) SOCl2
(द) Cl2
उत्तर:
(द) Cl2
13. निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में उत्पाद D है-
(अ) CH3 – CH2NH2
(ब) CH3CN
(स) HCONH2
उत्तर:
14. निम्नलिखित में से सिन्नेमैल्डिहाइड का सूत्र कौनसा है ?
उत्तर:
15. का IUPAC नाम है-
(अ) साइक्लोहेक्सेनैल
(ब) साइक्लोहेक्सेन ऐल्डिहाइड
(स) साइक्लोहेक्सेन कार्बेल्डिहाइड
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) साइक्लोहेक्सेन कार्बेल्डिहाइड
16. प्रोपाइन (CH3C ≡ CH) के जलयोजन से प्राप्त यौगिक है-
उत्तर:
17. अभिक्रिया से प्राप्त यौगिक है-
उत्तर:
18. ऐल्डिहाइड तथा कीटोनों के क्वथनांक समतुल्य अणुभार वाले हाइड्रोकार्बनों तथा ईथरों से ………………
(अ) कम होते हैं
(स) समान होते हैं
(ब) अधिक होते हैं
(द) तुलना करना असंभव है
उत्तर:
(ब) अधिक होते हैं
19. कीटोनों की क्लीमेन्सन अपचयन अभिक्रिया से प्राप्त यौगिक होते हैं-
(अ) ऐल्कोहॉल
(ब) ऐल्केन
(स) कार्बोक्सिलिक अम्ल
(द) ऐल्काइन
उत्तर:
(ब) ऐल्केन
20. फेलिंग परीक्षण में प्राप्त लाल अवक्षेप निम्नलिखित में से किस यौगिक के बनने के कारण आता है ?
(अ) Ag2O
(ब) CuO
(स) Cu2O
(द) Cu(OH)2
उत्तर:
(ब) CuO
21. एथिल ब्यूटेनोएट के जल अपघटन से प्राप्त यौगिक है-
उत्तर:
(स) CH3 – CH2-CH2-COOH
22. निम्नलिखित में से सबसे दुर्बल अम्ल है-
(अ) HCOOH
(ब) C2H5-CH2-COOH
(स) CH3COOH
(द) CH3 – CH2-COOH
उत्तर:
(ब) C2H5-CH2-COOH
23. नाइलॉन 66 के निर्माण में किस यौगिक का प्रयोग होता है?
(अ) ब्यूटेन डाइओइक अम्ल
(ब) प्रोपेनोइक अम्ल
(स) हैक्सेन डाइ ओइक अम्ल
(द) बेन्जोइक अम्ल
उत्तर:
(स) हैक्सेन डाइ ओइक अम्ल
24. बेन्जोइक अम्ल द्वारा निम्नलिखित में से कौनसी अभिक्रिया नहीं दर्शायी जाती?
(अ) नाइट्रीकरण
(ब) फ्रीडेल क्राफ्ट्स अभिक्रिया
(स) हैलोजेनीकरण
(द) सल्फोनीकरण
उत्तर:
(ब) फ्रीडेल क्राफ्ट्स अभिक्रिया
25. अभिक्रिया का उत्पाद है-
उत्तर:
26. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है?
(अ) CH3COOH
(ब) CH3COCH3
(स) HCOOH
(द) C6H5COOH
उत्तर:
(स) HCOOH
27. एथेनैल निम्नलिखित में से कौनसा परीक्षण नहीं देता है?
(अ) टॉलेन परीक्षण
(ब) फेलिंग परीक्षण
(स) लुकाश परीक्षण
(द) आयोडोफॉर्म परीक्षण
उत्तर:
(स) लुकाश परीक्षण
28. प्रोपेनाइक अम्ल की श्मिट अभिक्रिया से प्राप्त यौगिक है-
(अ) CH3 – NH2
(ब) CH3CONH2
(स) CH3 – CH2 – NH2
(द) CH3 – CN
उत्तर:
(स) CH3 – CH2 – NH2
29. ऐसीटिलीकरण के लिए सर्वाधिक उपयुक्त यौगिक कौनसा है ?
(अ) CH3CONH2
(ब) CH3COOH
(स) (CH3CO)2O
(द) CH3COOC2H5
उत्तर:
(स) (CH3CO)2O
30. अभिक्रिया
है-
(अ) श्मिट अभिक्रिया
(ब) हुन्स्डीकर अभिक्रिया
(स) राइमर टीमान अभिक्रिया
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) हुन्स्डीकर अभिक्रिया
31. एक हाइड्रोकार्बन के ओजोनी अपघटन पर एक मोल एसीटोन तथा एक मोल फॉर्मेल्डिहाइड बनता है तो वह हाइड्रोकार्बन है-
(अ) प्रोपीन
(ब) 2 – मेथिल प्रोपीन
(द) 2 – मेथिल – ब्यूट- 1 – ईन
(स) 2 – मेथिल – ब्यूट – 2 – ईन
उत्तर:
(ब) 2 – मेथिल प्रोपीन
32. कीटोन किस विधि द्वारा प्राप्त किये जा सकते हैं ?
(अ) रोजेनमुण्ड अपचयन द्वारा
(ब) इटार्ड अभिक्रिया द्वारा
(स) कैनिजारो अभिक्रिया द्वारा
(द) फ्रीडल – क्राफ्ट अभिक्रिया द्वारा
उत्तर:
(द) फ्रीडल – क्राफ्ट अभिक्रिया द्वारा
33. जब प्रोपेनोइक अम्ल की क्रिया जलीय सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ करवाई जाती है तो CO2 गैस निष्कासित होती है। CO2 का कार्बन कहाँ से आता है?
(अ) मेथिल समूह से
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्ल समूह से
(स) मेथिलीन समूह से
(द) बाईकार्बोनेट से
उत्तर:
(द) बाईकार्बोनेट से
34. सोडियम एथॉक्साइड की उपस्थिति में एथिल ऐसीटेट के दो मोल के स्वः संघनन से प्राप्त होता है-
(अ) एथिल ब्यूटरेट
(ब) ऐसीटोऐसीटिक एस्टर
(स) मेथिल ऐसीटोऐसीटेट
(द) एथिल प्रोपिओनेट
उत्तर:
(ब) ऐसीटोऐसीटिक एस्टर
35. निम्नलिखित अभिक्रिया का अन्तिम उत्पाद है-
उत्तर:
(स) CH2 = CHOOOH
36. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक आयोडीन तथा NaOH के साथ पीला अवक्षेप देगा ?
(अ) ICH2COCH2CH3
(ब) CH3COOCOCH3
(स) CH3-CH2-CH(OH)CH2CH3
(द) CH3COOH
उत्तर:
(अ) ICH2COCH2CH3
37. निम्नलिखित में से किस यौगिक के ओजोनीकरण पश्चात् जल-अपघटन से ऐसीटोन प्राप्त होगा ?
(अ) 2- मेथिल – 2 – ब्यूटीन
(ब) 3 – मेथिल- 1- ब्यूटीन
(स) साइक्लोपेन्टेन
(द) 2-मेथिल- 1- ब्यूटीन
उत्तर:
(अ) 2- मेथिल – 2 – ब्यूटीन
38. निम्नलिखित कार्बोक्सिलिक अम्लों की अम्लीयता पर विचार करें-
(i) Ph-COOH
(ii) 0-NO2C6H4COOH
(iii) p-NO2C6H4COOH
(iv) m-NO2C6H4COOH
निम्नलिखित में से कौन-सा क्रम (अवरोही) सही है ?
(अ) (i), (ii), (iii), (iv)
(ब) (ii), (iv), (iii), (i)
(स) (ii), (iv), (i), (iii)
(द) (ii), (iii), (iv), (i)
उत्तर:
(द) (ii), (iii), (iv), (i)
39. CH3CHO और C6H5CH2CHO में किसके द्वारा अन्तर जा सकता है ?
(अ) बेनेडिक्ट विलयन द्वारा
(ब) आयोडोफॉर्म परीक्षण द्वारा
(स) टॉलेन अभिकर्मक द्वारा
(द) फेहलिंग विलयन द्वारा
उत्तर:
(ब) आयोडोफॉर्म परीक्षण द्वारा
40. निम्नलिखित में से किस अभिक्रिया द्वारा बेन्जेल्डिहाइड नहीं बन सकता है?
उत्तर:
41. यौगिक जो जलीय सोडियम बाइकार्बोनेट विलयन द्वारा अभिक्रिया कर CO2 नहीं देता है, वह है-
(अ) बेन्जोइक अम्ल
(ब) बेन्जीन सल्फोनिक अम्ल
(स) सेलिसिलिक अम्ल
(द) कारबोलिक अम्ल (फीनॉल)
उत्तर:
(द) कारबोलिक अम्ल (फीनॉल)
42. यौगिक का IUPAC नाम है-
(अ) प्रोपे- 1, 2, 3-ट्राईकार्बेल्डिहाइड
(ब) 3 – फॉर्मिल – 1, 5- पेन्टेनडाईअल
(स) 3- प्रोपेन- 1, 2, 3 – ट्राई अल
(द) 3 – ऐल्डो -1, 5- पेन्टेनडाईअल
उत्तर:
(अ) प्रोपे- 1, 2, 3-ट्राईकार्बेल्डिहाइड
43. बेन्जेल्डिहाइड एवं फॉर्मेल्डिहाइड के मिश्रण की अभिक्रिया सान्द्र तथा गर्म NaOH से करवाने पर प्राप्त उत्पाद हैं-
(अ) C6H5COONa + CH3OH
(ब) C6H5CH2OH + HCOONa
(स) C6H5COONa + C6H5CH2OH
उत्तर:
(ब) C6H5CH2OH + HCOONa
44. निम्नलिखित में उत्पाद C होगा-
उत्तर:
45. हेल – फोलार्ड – जेलिंस्की अभिक्रिया में 2- मेथिलप्रोपेनॉइक अम्ल एक यौगिक (A) देता है। यह यौगिक (A) है-
उत्तर:
46. निम्नलिखित यौगिकों की अम्ल-सामर्थ्य का अवरोही क्रम है-
(अ) RCOOH > CH = CH > HOH > ROH
(ब) RCOOH > ROH > HOH > CH = CH
(स) RCOOH > HOH > ROH > CH = CH
(द) RCOOH > HOH > CH = CH > ROH
उत्तर:
(स) RCOOH > HOH > ROH > CH = CH
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम को पूर्ण कीजिए-
उत्तर:
प्रश्न 2.
कार्बोक्सिलिक अम्लों से बेन्जेल्डिहाइड बनाने का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
ब्यूट – 2 – आइन के जलयोजन से कौनसा यौगिक बनता है?
उत्तर:
ब्यूटेन – 2 ऑन।
प्रश्न 4.
रोजेनमुंड अभिक्रिया से कौनसा ऐल्डिहाइड प्राप्त नहीं होता?
उत्तर:
HCHO फार्मेल्डिहाइड।
प्रश्न 5.
स्टीफैन अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
किसी ऐल्कीन के ओजोनी अपघटन से CH3COCH3 तथा CH3CHO प्राप्त होते हैं तो उस ऐल्कीन की संरचना बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 7.
ईटाई अभिक्रिया द्वारा टॉलुईन से बेन्जेल्डिहाइड किस प्रकार बनाया जाता है?
उत्तर:
प्रश्न 8.
फार्मेल्डिहाइड की सान्द्र KOH से अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
इसे कैनिजारो अभिक्रिया कहते हैं।
प्रश्न 9.
एक यौगिक सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ करता है लेकिन फेलिंग विलयन से क्रिया नहीं करता, यह यौगिक होगा?
उत्तर:
यह यौगिक कोई कीटोन जैसे ऐसीटोन होगा।
प्रश्न 10.
पाँच कार्बन युक्त द्विशाखित ऐल्डिहाइड बताइए जो कैनिजारो अभिक्रिया देता है।
उत्तर:
प्रश्न 11.
एथेनोइक अम्ल से प्रोपेनोन प्राप्त करने का समीकरण दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 12.
निम्नलिखित कार्बोनिल यौगिकों की HCN के साथ क्रिया के लिए क्रियाशीलता का बढ़ता क्रम लिखिए-
C6H5CHO, CCl3,CHO, CH3CHO
उत्तर:
C6H5CHO < CH3CHO < CCl3CHO
प्रश्न 13.
वह कौनसा ऐल्डिहाइड जिसकी क्रिया सोडियम हाइपो आयोडाइट (NaOI ) के साथ करवाने पर आयोडोफॉर्म बनता है?
उत्तर:
CH3CHO (ऐसिटैल्डिहाइड)।
प्रश्न 14.
ऐसिटेल्डिहाइड से क्रोटोन ऐल्डिहाइड बनाने का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 15.
क्या होगा जब HCHO को कुछ दिन तक बेरायटा जल [Ba(OH)2] के सम्पर्क में रखा जाता है?
उत्तर:
HCHO को कुछ दिन तक Ba(OH)2 के सम्पर्क में रखने पर हेक्सोस शर्कराओं का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे फार्मेस कहते हैं।
प्रश्न 16.
निम्न यौगिकों के क्वथनांक का आरोही क्रम बताइए-
n-ब्यूटेन (I) मेथॉक्सीमेथेन (II), ऐसीटोन (III) प्रोपेनैन (IV), तथा प्रोपेन- 1 ऑल (V)
उत्तर:
I < II < III < IV < V
प्रश्न 17.
CH3CHO की NH3 के साथ क्रिया का अन्तिम उत्पाद क्या होता है?
उत्तर:
CH3CHO की NH के साथ क्रिया कराने पर अन्तिम उत्पाद के रूप में 2, 4, 6 ट्राइमेथिल हेक्साहाइड्रो-1, 3, 5 ट्राइऐजीन ट्राइहाइड्रेट बनता है।
प्रश्न 18.
Br, CI. CN NO2 तथा CF3 समूह के -1 प्रभाव का बढ़ता क्रम लिखिए।
उत्तर:
Br < CI < CN < NO, < CF3
प्रश्न 19.
प्रोपेनोइक अम्ल की थायोनिल क्लोराइड से अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
CH3 – CH2 – COOH + SOCl2 → CH3 – CH2-COCl+SO2+HCl
प्रश्न 20.
ऐसीटिक अम्ल, क्लोरो ऐसीटिक अम्ल, डाइक्लोरो ऐसीटिक अम्ल तथा ट्राइक्लोरोऐसीटिक अम्ल के अम्लीय सामर्थ्य का घटता क्रम क्या होगा ?
उत्तर:
प्रश्न 21.
सेब, नींबू तथा इमली में पाए जाने वाले अम्लों के सूचना सूत्र, सामान्य नाम तथा IUPAC नाम बताइए।
उत्तर:
सेब में मैलिक अम्ल
प्रश्न 22.
निम्नलिखित अम्लों के सूत्र लिखिए-
(i) स्टियरिक अम्ल
(ii) ऑलिक अम्ल।
उत्तर:
(i) C17H35COOH
(ii) C17H33COOH
प्रश्न 23.
फार्मिक अम्ल तथा ऐसीटिक अम्ल को किन विधियों द्वारा नहीं बनाया जा सकता है?
उत्तर:
फार्मिक अम्ल तथा ऐसीटिक अम्ल को ऐल्कीनों के कार्बोनिलीकरण तथा आर्ट आइसटर्ट अभिक्रिया द्वारा नहीं बनाया जा सकता है।
प्रश्न 24.
प्रारम्भिक कार्बोक्सिलिक अम्ल जल में विलेय होते हैं, क्यों?
उत्तर:
प्रारम्भिक कार्बोक्सिलिक अम्ल, जल के साथ अंतराअणुक हाइड्रोजन बंध बना लेते हैं, अतः ये जल में विलेय होते हैं।
प्रश्न 25.
ऐसीटिक अम्ल से मैलोनिक अम्ल बनाने के लिए आवश्यक अभिक्रिया अनुक्रम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 26.
सिरके का संघटन बताइए।
उत्तर:
ऐसीटिक अम्ल का तनु जलीय विलयन (8-10%) सिरका कहलाता है।
प्रश्न 27.
बेन्जोइक अम्ल की जल में विलेयता ऐसीटिक अम्ल की तुलना में कम होती है, क्यों?
उत्तर:
बेन्जोइक अम्ल (C6H5COOH) में फेनिल (हाइड्रोकार्बन) समूह के बड़े आकार के कारण इसकी जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बनाने की प्रवृत्ति कम होती है, अतः यह ऐसीटिक अम्ल की तुलना में जल में कम विलेय होता है।
प्रश्न 28.
फार्मिक अम्ल तथा ऐसीटिक अम्ल में विभेद करने के लिए एक परीक्षण बताइए।
उत्तर:
फार्मिक अम्ल टॉलेन अभिकर्मक के साथ रजत दर्पण देता है जबकि ऐसीटिक अम्ल ऐसा नहीं करता है ।
प्रश्न 29.
सक्रिय हाइड्रोजन युक्त यौगिकों के ऐसिटिलीकरण के लिए ऐसिटिल क्लोराइड की तुलना में ऐसीटिक ऐन्हाइड्राइड अधिक उपयुक्त ह है, क्यों?
उत्तर:
ऐसिटिक ऐन्हाइड्राइड की तुलना में ऐसिटिल क्लोराइड अधिक क्रियाशील होता है। अतः अभिक्रिया का वेग अधिक होता है जिसे नियंत्रित करना मुश्किल होता है अतः ऐसिटिलीकरण के लिए ऐसीटिक ऐन्हाइड्राइड अधिक उपयुक्त होता है।
प्रश्न 30.
ऐसीटिक अम्ल के विभिन्न व्युत्पन्नों को क्वथनांक के बढ़ते क्रम में रखिए।
उत्तर:
CH3COCl < CH3COOCH5 < (CH3CO)2O < CH3CONH2
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
कार्बोनिल यौगिकों के सन्दर्भ में निम्नलिखित के उदाहरण दीजिए—
(i) मध्यावयवता
(ii) स्थिति समावयवता।
उत्तर:
(i) मध्यावयवता – यह समावयवता बहुसंयोजी समूह युक्त यौगिक कीटोन में होती है जिसमें > C = O से जुड़े ऐल्किल समूहों में भिन्नता होती है।
उदाहरण- पेन्टेन – 2 ऑन तथा पेन्टेन 3-ऑन
(ii) स्थिति समावयवता भी कीटोन में ही होती है। उपरोक्त उदाहरण स्थिति समावयवता का भी है।
प्रश्न 2.
टॉलुइन से बेन्जेल्डिहाइड बनाने की विभिन्न विधियाँ बताइए।
उत्तर:
टॉलुइन के पार्श्व शृंखला क्लोरीनीकरण-जल अपघटन द्वारा (By the Side Chain Chlorination-Hydrolysis of Soluene)-सूर्य के प्रकाश में टॉलुईन की क्रिया क्लोरीन से कराने पर पहले बेन्जल क्लोराइड बनता है जिसके जल अपघटन से बेन्जैल्डिहाइड प्राप्त होता है। बेन्जैल्डिहाइड बनाने की यह एक औद्योगिक विधि है।
प्रश्न 3.
(i) रोजेनमुंड अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए। (ii) ऑक्सो अभिक्रिया किसे कहते हैं? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर:
(i) ऐसिल क्लोराइडों के अपचयन द्वारा – रोजेनमुंड अपचयन (By the Reduction of Acyl Chlorides – Rosenmund Reduction) – Pd तथा BaSO की उपस्थिति में ऐसिल क्लोराइड पर हाइड्रोजन की क्रिया (हाइड्रोजनीकरण) से ऐल्डिहाइड बनते हैं, इसे रोजेनमुंड अपचयन कहते हैं।
नोट – (i) इस अभिक्रिया में प्रयुक्त BaSO Pd की उत्प्रेरकं क्षमता को कम कर देता है जिससे ऐल्डिहाइड का पुनः अपचयन होकर प्राथमिक ऐल्कोहॉल नहीं बनता है ।
(ii) इस अभिक्रिया से HCHO नहीं बनाया जा सकता क्योंकि HC-CI अस्थायी होता है।
(ii) ऑक्सो अभिक्रिया द्वारा (हाइड्रोफार्मिलीकरण) (By Oxo Reaction (Hydroformylation) ] – कोबाल्ट उत्प्रेरक की उपस्थिति में ऐल्कीन की क्रिया कार्बन मोनोऑक्साइड तथा हाइड्रोजन के मिश्रण के साथ करवाने पर ऐल्डिहाइड बनते हैं।
इस अभिक्रिया में कोबाल्ट के स्थान पर [Co2(CO)2] को भी प्रयुक्त किया जा सकता है तथा इस अभिक्रिया में द्विबन्ध का वियोजन होकर हाइड्रोजन तथा फार्मिल समूह का योग होता है अतः इसे हाइड्रोफार्मिलीकरण भी कहते हैं।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) बेन्जीन का फ्रीडेल क्राफ्ट ऐसिटिलीकरण
(ii) गाटरमान कोख ऐल्डिहाइड संश्लेषण
(iii) गाटरमान ऐल्डिहाइड संश्लेषण।
उत्तर:
प्रश्न 5.
कार्बोनिल यौगिक नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं, क्यों?
उत्तर:
कार्बोनिल यौगिकों में प्रथम पद में नाभिकस्नेही के आक्रमण से बना ऐल्कॉक्साइड आयन, इलेक्ट्रॉनस्नेही के आक्रमण से बने कार्बोकेटायन की तुलना में अधिक स्थायी होता है। इसी कारण कार्बोनिल यौगिक नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 6.
बेन्जेल्डिहाइड तथा ऐसिटैल्डिहाइड में किस प्रकार विभेद किया जाता है?
उत्तर:
(i) बेन्जेल्डिहाइड (C6H5CHO) आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता जबकि ऐसिटैल्डिहाइड (CH3CHO) आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है।
(ii) C6H5CHO फेलिंग विलयन से क्रिया नहीं करता जबकि CH3CHO, फेलिंग विलयन को अपचयित कर देता है।
प्रश्न 7.
अणुसूत्र C4H8O वाला यौगिक हाइड्रेजीन के साथ क्रिया करके हाइड्रेजोन बनाता है तथा यह आयोडीन व NaOH के साथ क्रिया करके आयोडोफॉर्म बनाता है लेकिन इसकी फेलिंग विलयन से कोई क्रिया नहीं होती तो इस यौगिक की संरचना तथा आवश्यक समीकरण बताइए।
उत्तर:
यौगिक हाइड्रेजीन से क्रिया करता है अतः यह एक कार्बोनिल यौगिक है लेकिन इसकी फेलिंग विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं होती अतः यह कीटोन होगा तथा यह आयोडोफॉर्म बनाता है इसलिए यह ब्यूटेनोन (CH3COCH2-CH3) मेथिल कीटोन है जो कि अणुसूत्र से भी सिद्ध हो जाता है।
उपरोक्त अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार होती हैं-
प्रश्न 8.
CH3CHO की NH3 के साथ अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
परअम्लों से ऑक्सीकरण (बेयर विलिगर अभिक्रिया) परअम्लों द्वारा ऑक्सीकरण से ऐल्डिहाइड तथा कीटेन क्रमशः कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा एस्टर देते हैं।
प्रश्न 9.
एथेनैल की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाओं को समझाइए –
(i) C2H5NH2
(ii) फेनिल हाइड्रेजीन
(iii) सेमीकार्बेजाइड।
उत्तर:
(i) एथेनैल की C2H5NH2 के साथ क्रिया कराने पर एक शिफ क्षारक बनता है।
प्रश्न 10.
ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों के क्वथनांक समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों तथा ईथरों से अधिक होते हैं, लेकिन ऐल्कोहॉलों से कम, क्यों?
उत्तर:
ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों के क्वथनांक समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों तथा ईथरों से अधिक होते हैं, क्योंकि ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों में द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण बल के कारण आण्विक संगुणन पाया जाता है। लेकिन इनके क्वथनांक समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले ऐल्कोहॉलों से कम होते हैं क्योंकि ऐल्कोहॉलों में अंतराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जो कि इनमें नहीं होता ।
प्रश्न 11.
(a) कार्बोनिल यौगिकों में -हाइड्रोजन अम्लीय होते हैं, क्यों?
(b) एथेनैल की एल्डोल संघनन अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(a) कार्बोनिल यौगिकों (ऐल्डिहाइड तथा कीटोन) में α-हाइड्रोजन अम्लीय होते हैं क्योंकि कार्बोनिल समूह -I प्रभाव (इलेक्ट्रॉन आकर्षी प्रभाव) दर्शाता है तथा हाइड्रोजन आयन (Hsup>+) के निकलने से प्राप्त संयुग्मी क्षार, अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है।
(b) एथेनैल में α-हाइड्रोजन उपस्थित होते हैं अतः तनु क्षार की उपस्थिति में इसके दो अणु क्रिया करके 3 -हाइड्रॉक्सी-ब्यूटैनैल बनाते हैं जिसे गर्म करने पर ब्यूट-2-ईनैल बनता है। इस अभिक्रिया को एल्डोल संघनन कहते हैं।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित कार्बोनिल यौगिकों का अम्लीय KMnO4 या अम्लीय K2Cr2O7 से ऑक्सीकरण करवाने पर प्राप्त
उत्पाद बताइए –
(i) CH3CHO
(ii) CH3COCH3
उत्तर:
अभिक्रिया (iii) में प्राप्त उत्पाद पोपाफ के नियम के अनुसार है।
प्रश्न 13.
पोपाफ का नियम क्या होता है ? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
जब किसी असममित कीटोन के ऑक्सीकरण से दो असमान कार्बोक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं तो > C = 0 समूह छोटे ऐल्किल समूह की तरफ जाता है।
प्रश्न 14.
कार्बोनिल यौगिकों की नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया की क्रियाविधि की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया की क्रियाविधि-कार्बोनिल यौगिकों में कार्बोनिल समूह ध्रुवीय होता है प्रथम पद में नाभिकस्नेही का आक्रमण धनावेशित (इलेक्ट्रॉन न्यून) कार्बन पर होता है इसी कारण इसे नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया कहते हैं। प्रथम पद में नाभिकस्नेही के आक्रमण की व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती है-
प्रथम पद में नाभिकस्नेही के आक्रमण से प्राप्त ऐल्कोक्साइड आयन इलेक्ट्रॉनस्नेही के आक्रमण से प्राप्त कार्बोकैटायन की तुलना में अधिक स्थायी होता है, अतः कार्बोनिल समूह पर प्रथम पद में नाभिकस्नेही का आक्रमण होता है। यह पद उत्क्रमणीय होता है।
नाभिकस्नेही, कार्बोनिल समूह के कार्बन पर उस दिशा से आक्रमण करता है जो कार्बोनिल कार्बन के sp² संकरित कक्षकों के तल के लम्बवत् होती है तथा इस क्रिया में कार्बन की संकरण अवस्था sp² से sp³ हो जाती है। इसके पश्चात् द्वितीय पद में इलेक्ट्रॉनस्नेही का आक्रमण होकर योगोत्पाद बन जाता है।
प्रश्न 15.
नाभिकस्नेही संकलन अभिक्रिया के लिए कार्बोनिल यौगिकों की अभिक्रियाशीलता की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया के लिए कार्बोनिल यौगिकों की अभिक्रियाशीलता-इलेक्ट्रॉनिक तथा त्रिविम विन्यासी प्रभावों के कारण नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया के लिए ऐल्डिहाइड की क्रियाशीलता कीटोन से अधिक होती है क्योंकि ऐल्डिहाइडों में कार्बोनिल समूह के कार्बन से केवल एक ऐल्किल समूह जुड़ा होता है जबकि कीटोन में दो ऐल्किल समूह जुड़े होते हैं, जिनकी त्रिविम विन्यासी बाधा के कारण कार्बोनिल कार्बन पर नाभिकस्नेही का आक्रमण मुश्किल हो जाता है तथा इन ऐल्किल समूहों के धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव (+I प्रभाव) के कारण ये कार्बोनिल कार्बन के धनावेश को कम कर देते हैं जिसके कारण नाभिकस्नेही के आक्रमण की सम्भावना कम हो जाती है।
ऐल्डिहाइड तथा कीटोन दोनों में ऐल्किल समूहों का आकार बढ़ने पर इनकी क्रियाशीलता कम होती जाती है, क्योंकि +I प्रभाव तथा त्रिविम विन्यासी बाधा बढ़ती है।
प्रश्न 16.
ऐसीटोन की HCN तथा NaHSO3 के साथ अभिक्रियाएँ बताइए।
उत्तर:
(i) ऐसीटोन की HCN के साथ क्रिया से ऐसीटोन सायनोहाइड्रिन प्राप्त होता है। शुद्ध HCN के साथ यह अभिक्रिया धीमी गति से होती है; अतः यह अभिक्रिया क्षार की उपस्थिति में करवायी जाती है।
(ii) ऐसीटोन की NaHSO3 के साथ क्रिया से ऐसीटोन सोडियमहाइड्रोजन सल्फाइट (योगोत्पाद) बनता है।
प्रश्न 17.
ऐल्डॉल संघनन की क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर:
ऐल्डॉल संघनन की क्रियाविधि-क्षार से प्राप्त \(\overline{\mathrm{O}} \mathrm{H}\), कार्बोनिल यौगिक के α-H (सक्रिय) से क्रिया करके जल तथा कार्बत्रणायन मध्यवर्ती बनाता है जिसमें अनुनाद होता है।
यह कार्ब ऋणायन (नाभिकस्नेही) कार्बोनिल यौगिक के दूसरे अणु से क्रिया करता है तथा जल से H+ को पुनः ग्रहण करके ऐल्डोल बना देता है।
मिश्र या क्रॉस ऐल्डोल संघनन-जब दो भिन्न-भिन्न ऐल्डिहाइड या कीटोन या एक ऐल्डिहाइड व एक कीटेन के मध्य ऐल्डोल संघनन होता है तो उसे क्रॉस ऐल्डोल संघनन कहते हैं। जब दोनों कार्बोनिल यौगिकों में α- हाइड्रोजन होते हैं तो इस अभिक्रिया द्वारा चार उत्पादों का मिश्रण प्राप्त होता है।
उदाहरण-यौगिक A तथा यौगिक B के ऐल्डोल संघनन से चार उत्पाद निम्न प्रकार बनते हैं-
सरल ऐल्डोल संघनन द्वारा-
(i) A पर A के संकलन से [A – A]
(ii) B पर B के संकलन से [B – B]
मिश्र ऐल्डोल संघनन द्वारा-
(iii) A पर B के संकलन से [A – B]
(iv) B पर A के संकलन से [B – A]
यहाँ उत्पाद A – B तथा B – A के संरचना सूत्र भिन्न-भिन्न होंगे, जैसे-एथेनैल व प्रोपेनैल के मिश्रण की ऐल्डोल संघनन अभिक्रिया निम्न प्रकार होगी-
α-H युक्त यौगिक, α-H रहित यौगिक से क्रिया करके भी ऐल्डोल संघनन दर्शाता है।
प्रश्न 18.
पिनेकॉल अपचयन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सोडामाइड या सोडियम के साथ अभिक्रिया-ऐसीटोन की क्रिया सोडियम या सोडामाइड के साथ ईथरी विलयन में कराने पर सोडियम ऐसीटेनेट प्राप्त होता है।
प्रश्न 19.
ऐसिटैल्डिहाइड के त्रिलकीकरण तथा चतुष्टयीकरण के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 20.
ऐसीटोन से निम्नलिखित यौगिकों को किस प्रकार प्राप्त किया जाता है?
(i) मेसिटिल ऑक्साइड (ii) फोरोन (iii) मेसिटिलीन।
उत्तर”
(i) शुष्क HCl की उपस्थिति में ऐसीटेन को गरम करने पर मेसिटिल ऑक्साइड तथा फोरोन का मिश्रण प्राप्त होता है।
(ii) सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में ऐसीटोन को गरम करने पर संघनन तृतीयकरण द्वारा समचक्रीय एरोमैटिक यौगिक मेसिटिलीन प्राप्त होता है।
प्रश्न 21.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं पर टिप्पणी लिखिए- (i) बेन्जोइन संघनन (ii) पर्किन अभिक्रिया।
उत्तर:
ऐरोमैटिक ऐल्डिहाइडों की विशिष्ट अभिक्रियाएँ (Specific Reactions of Aromatic Aldehydes) –
(i) बेन्जॉइन संघनन-बेन्जैल्डिहाइड को जलीय ऐल्कोहॉली KCN के साथ गरम करने पर बेन्जोइन बनता है जो कि एक कीटोनिक द्वितीयक ऐल्कोहॉल है। उत्पाद के नाम के आधार पर इस अभिक्रिया को बेन्जोइन संघनन कहते हैं।
(ii) पर्किन अभिक्रिया-बेन्जैल्डिहाइड को ऐसीटिक एन्हाइड्राइड तथा सोडियम एसीटेट के साथ गरम करने पर सिन्नेमिक अम्ल (α, ß – असंतृप्त अम्ल) प्राप्त होता है, इसे पर्किन अभिक्रिया कहते हैं।
प्रश्न 22.
क्लेजन संघनन तथा नोवेनैजेल अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
क्लेजन संघनन-न्यूनतम दो α-हाइड्रोजन परमाणु युक्त ऐल्डिहाइड या कीटोन की क्रिया तनु क्षार की उपस्थिति में बेन्जैल्डिहाइड के साथ कराने पर α, ß असंतृप्त ऐल्डिहाइड या कीटोन प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया को क्लेजन संघनन कहते हैं।
उदाहरण-बेन्जैल्डिहाइड तथा ऐसीटैल्डिहाइड की क्रिया से सिन्नेमैल्डिहाइड बनता है।
नोवेनैजेल अभिक्रिया-पिरिडीन की उपस्थिति में बेन्जैल्डिहाइड की क्रिया मैलोनिक एस्टर के साथ कराने पर सिन्नैमिक अम्ल प्राप्त होता है। इस अभिक्रिया में मैलोनिक एस्टर में उपस्थित सक्रिय मेथिलीन समूह के दो हाइड्रोजन परमाणु जल के रूप में बाहर निकलते हैं।
प्रश्न 23.
ऐसीटोन की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाओं के समीकरण दीजिए-
(i) नाइट्र्स अम्ल
(ii) सोडामाइड।
उत्तर:
केवल कीटोनों की अभिक्रियाएँ (Reactions of only Ketones) – कुछ अभिक्रियाएँ केवल कीटोनों द्वारा ही दर्शायी जाती हैं जो कि निम्नलिखित हैं-
(i) नाइट्रस अम्ल के साथ अभिक्रिया-ऐसीटेन की क्रिया नाइट्रस अम्ल (HNO2) के साथ कराने पर ऑक्सिमीनोऐसीटोन तथा जल बनता है।
(ii) क्लोरोफॉर्म के साथ अभिक्रिया一क्षार की उपस्थिति में ऐसीयेन तथा क्लोरोफॉर्म की क्रिया से क्लोरीटोन बनता है जो कि निद्राकारी होता है।
(iii) सोडामाइड या सोडियम के साथ अभिक्रिया-ऐसीटोन की क्रिया सोडियम या सोडामाइड के साथ ईथरी विलयन में कराने पर सोडियम ऐसीटेनेट प्राप्त होता है।
प्रश्न 24.
क्या होता है? जब-
(i) लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में ऐसीटिक अम्ल की क्रिया क्लोरीन से करवाई जाती है।
(ii) सिल्वर ऐसीटेट की क्रिया अक्रिय विलायक (CCl4) में ब्रोमीन से करवायी जाती है।
उत्तर:
(i) लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में ऐसीटिक अम्ल, क्लोरीन से क्रिया करके मोनोक्लोरो एसीटिक अम्ल देता है। इस अभिक्रिया को हेलफोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया कहते हैं।
(ii) अक्रिय विलायक में सिल्वर ऐसीटेट की क्रिया ब्रोमीन के साथ करवाने पर मेथिल ब्रोमाइड बनता है। इस अभिक्रिया को हुंस्डीकर अभिक्रिया कहते हैं।
प्रश्न 25.
कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा इनके व्युत्पन्नों में कार्बोनिल समूह पाया जाता है, फिर भी ये कार्बोनिल समूह के गुण नहीं दर्शाते, क्यों?
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा इनके व्युत्पन्नों में कार्बोनिल समूह (> C = O) पाया जाता है लेकिन इन यौगिकों में अनुनाद होता है जिससे कार्बोनिल समूह के कार्बन-ऑक्सीजन द्विबन्ध में एकल बन्ध के गुण आ जाते हैं अतः यह वास्तविक कार्बोनिल समूह नहीं रह पाता है इसी कारण ये यौगिक कार्बोनिल समूह के गुण जैसे ऑक्सिम बनाना इत्यादि नहीं दर्शाते।
अम्ल तथा इसके व्युत्पन्नों की अनुनादी संरचनाएँ निम्नलिखित हैं-
Z = OH तो कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा Z = विभिन्न समूह होने पर ये अम्ल के व्युत्पन्न होंगे।
प्रश्न 26.
निम्नलिखित परिवर्तनों के लिए आवश्यक समीकरण दीजिए-
(i) ऐसीटोफीनॉन से बेंजोइक अम्ल
(ii) प्रोपिओनिक अम्ल से ऐसीटिक अम्ल।
उत्तर:
प्रश्न 27.
कार्बोक्सिलिक अम्लों में श्रृंखला तथा स्थिति समावयवता के उदाहरण बताइए ।
उत्तर:
(i) ब्यूटेनोइक अम्ल तथा 2 मेथिलप्रोपेनोइक अम्ल एक- दूसरे से श्रृंखला समावयवी हैं।
(ii) 2-मेथिल ब्यूटेनॉइक अम्ल तथा 3- मेथिल ब्यूटेनोइक अम्ल एक-दूसरे के स्थिति समावयवी हैं।
प्रश्न 28.
(i) वह सरलतम मोनो कार्बोक्सिलिक अम्ल कौनसा है जो प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है तथा क्यों ?
(ii) प्रोपेनोइक अम्ल तथा एथिल मेथेनॉएट के युग्म में कौनसी समावयवता पायी जाती है तथा क्यों?
उत्तर:
(i) 2 – मेथिलब्यूटेनोइक अम्ल एक सरलतम मोनो कार्बोक्सिलिक अम्ल है जो प्रकाशिक समावयवता दर्शाता है क्योंकि इसमें एक असममित कार्बन उपस्थित है।
(ii) प्रोपेनोइक अम्ल तथा एथिल मेथेनॉएट एक-दूसरे के क्रियात्मक समूह समावयवी हैं क्योंकि इनमें भिन्न-भिन्न क्रियात्मक समूह उपस्थित हैं।
प्रश्न 29.
(i) ऐल्कीनो के कार्बोनिलीकरण से कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाने की एक अभिक्रिया लिखिए।
(ii) आर्ट आइसटर्ट अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(i)
(ii) आणर्ट आइसटर्ट अभिक्रिया से (From Arndt Eistert Reaction)-ऐसिड हैलाइड की क्रिया डाइऐजोमेथेन से कराने पर प्राप्त उत्पाद का जल अपघटन करने से कार्बोक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं जिनमें ऐसिड हैलाइड की तुलना में एक कार्बन अधिक होता है। इस विधि को आण्ट्ट आइसटर्ट अभिक्रिया कहते हैं। इस विधि द्वारा न्यूनतम तीन कार्बन का अम्ल बनाया जा सकता है। अतः यह विधि HCOOH तथा CH3COOH बनाने के लिए उपयुक्त नहीं है।
इस विधि के लिए आवश्यक ऐसिड हैलाइड, कार्बोक्सिलिक अम्लों से ही प्राप्त होता है अतः इस अभिक्रिया को एक सजातीय श्रेणी में आरोहण के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।
प्रश्न 30.
एस्टरीकरण अभिक्रिया की क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
एस्टरीकरण – सान्द्र H2SO4 या HCl गैस उत्प्रेरक की उपस्थिति में कार्बोक्सिलिक अम्लों की क्रिया ऐल्कोहॉल तथा फीनॉल के साथ करवाने पर संगत एस्टर बनते हैं तथा इस अभिक्रिया को एस्टरीकरण कहते हैं।
एस्टरीकरण की क्रियाविधि – कार्बोक्सिलिक अम्लों से एस्टर बनने की अभिक्रिया की व्याख्या निम्नलिखित क्रियाविधि की सहायता से की जा सकती है। समस्थानिक ऑक्सीजन \(\left(\begin{array}{l} 18 \\ \mathrm{O} \end{array}\right)\) युक्त यौगिकों के प्रयोग से यह सिद्ध हो गया है कि इस अभिक्रिया में बने जल में – OH समूह अम्ल से आता है न कि ऐल्कोहॉल से।
कार्बोक्सिलिक अम्लों की ऐल्कोहॉलों के साथ क्रिया द्वारा एस्टरों का बनना एक नाभिकस्नेही ऐसिल प्रतिस्थापन अभिक्रिया है। इसमें पहले कार्बोंक्सिलिक अम्ल में उपस्थित कार्बोनल समूह की ऑक्सीजन का प्रोटेनीकरण (Protonation) होता है, जिससे कार्बोनिल समूह, ऐल्कोहॉल के नाभिकस्नेही योग के लिए सक्रिय हो जाता है।
इसके पश्चात् ऐल्कोहॉल के योग से बने मध्यवर्ती में प्रोटॉन का स्थानान्तरण -OH समूह को –\(\stackrel{+}{\mathrm{O}}\)H2 में परिवर्तित कर देता है जो कि एक आसानी से निकलने वाला समूह होने के कारण, जल के अणु के रूप में निकल जाता है तथा इंस प्रकार बना प्रोटॉनित एस्टर प्रोटॉन को त्यागकर एस्टर बना देता है।
प्रश्न 31.
बेन्जोइक अम्ल से निम्नलिखित यौगिक किस प्रकार बनाए जाते हैं?
(i) m नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(ii) m- ब्रोमो बेन्जोइक अम्ल।
उत्तर:
(i) बेन्जोइक अम्ल को सान्द्र HNO3 तथा सान्द्र H2SO3 (नाइट्रीकारक मिश्रण) के साथ गरम करने पर II- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल प्राप्त होता है।
(ii) FeBr3 की उपस्थिति में बेन्जोइक अम्ल की ब्रोमीन के साथ क्रिया करवाने पर m-ब्रोमोयेन्जोइक अम्ल प्राप्त होता है।
प्रश्न 32.
ऐसिल क्लोराइड तथा ऐसिड ऐन्हाइड्राइड के जल अपघटन से कार्बोक्सिलिक अम्ल बनाने के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 33.
कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक समतुल्य अणुभार वाले ऐल्डिहाइडों, कीटोनों तथा ऐल्कोहॉलों से उच्च होते हैं, क्यों?
उत्तर:
समतुल्य अणुभार वाले ऐल्डिहाइडों कीटोनों तथा ऐल्कोहॉलों की तुलना कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक उच्च होते हैं क्योंकि कार्बोक्सिलिक अम्लों में प्रबल अंतराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है। जिसके कारण इनके अणु आपस में संगुणित हो जाते हैं तथा अधिकांश अम्ल वाष्प अवस्था एवं ऐप्रोटिक विलायकों में द्विलक के रूप में पाए जाते हैं।
प्रश्न 34.
कार्बोक्सिलिक अम्लों के अम्लीय गुणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्ल, क्षारों के साथ क्रिया करके लवण बनाते हैं जिससे इनके अम्लीय गुण की पुष्टि होती है। कार्बोंक्सिलिक
अम्लों के अम्लीय गुण की व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती हैकार्बोक्सिलिक अम्ल, (RCOOH) जल में आयनित होकर RCO\(\overline{\mathrm{O}}\) (कार्बोक्सिलेट आयन) तथा H3 (हाइड्रोनियम आयन) बनाते हैं। RCO\(\overline{\mathrm{O}}\) अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है।
इस अभिक्रिया के लिएसाम्य स्थिरांक, Keq = \(\frac{\left[\mathrm{H}_3 \mathrm{O}^{+}\right]\left[\mathrm{RCOO}^{-}\right]}{\left[\mathrm{H}_2 \mathrm{O}\right][\mathrm{RCOOH}]}\)
अम्ल वियोजन स्थिरांक Ka = Keq[H2O] = ]\(\frac{\left[\mathrm{H}_3 \mathrm{O}^{+}\right]\left[\mathrm{RCOO}^{-}\right]}{[\mathrm{RCOOH}]}\)
अम्लों की सामर्थ्य को सामान्यतः Ka मान की अपेक्षा PKa के से दर्शाते हैं
pKa = – log Ka
किसी अम्ल का pKa मान जितना कम होता है वह उतना ही प्र अम्ल होता है।
अम्लों की प्रबलता को pKa मानों से निम्न प्रकार सम्बन्धित किया जा सकता है-
pKa | अम्लीय प्रबलता |
1 से कम | प्रबल अम्ल |
1 से 5 | मध्यम प्रबल अम्ल |
5 से 15 | दुर्बल अम्ल |
15 से अधिक | अत्यधिक दुर्बल अम्ल |
कुछ अम्लीय यौगिकों के pK मान निम्नलिखित हैं-
यौगिक | pKa मान | यौगिक | pKa मान |
KCl | – 7.0 | CH3COOH | 4.76 |
CF3COOH | 0.23 | C6H5OH | 10 |
C6H5COOH | 4.19 | C2H5OH | ~ 1.6 |
ट्राइफ्लुओरो ऐसीटिक अम्ल (CF3COOH) के pKa मान से यह सिद्ध होता है कि यह प्रबलतम कार्बनिक अम्ल है। कार्बोक्सिलिक अम्ल, खनिज अम्लों से दुर्बल लेकिन ऐल्कोहॉलों तथा फीनॉलों से प्रबल होते हैं।
प्रश्न 35.
कार्बोक्सिलिक अम्लों के अम्ल सामर्थ्य पर विभिन्न प्रतिस्थापियों के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
कार्बोक्सिलिक अम्लों के अम्ल सामर्थ्य पर प्रतिस्थापियों का प्रभाव – कार्बोक्सिलिक अम्लों के आयनन से प्राप्त कार्बोक्सिलेट आयन जितना अधिक स्थायी होता है साम्य उतना ही अग्र दिशा में विस्थापित होता है जिससे हाइड्रोजन आयन (H+) अधिक बनते हैं अतः अम्लीय प्रबलता में वृद्धि होती है।
कार्बोक्सिलिक अम्ल में उपस्थित प्रतिस्थापी कार्बोक्सिलेट आयन (संयुग्मी क्षारक) के स्थायित्व को प्रभावित करते हैं अतः इनसे इनके अम्लीय सामर्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है।
इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने वाले समूह ( – I प्रभाव या EWG) कार्बोक्सिलेट आयन के स्थायित्व को बढ़ाते हैं क्योंकि ये साझित इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं जिससे ऋणावेशित ऑक्सीजन परमाणु का इलेक्ट्रॉन घनत्व कम हो जाता है अर्थात् ऋणावेश का विस्थानीकरण हो जाता है । अतः अम्ल की अम्लीय प्रबलता बढ़ जाती है।
विभिन्न समूहों के – I प्रभाव का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार होता है-
C6H5 – < OCH3 < OH < I < Br < CI < F < CN < NO2 < CF3 (−I प्रभाव )
इसके विपरीत इलेक्ट्रॉन दाता समूह ( + I प्रभाव या EDG) के कारण कार्बोक्सिलेट आयन का स्थायित्व कम हो जाता है क्योंकि यह ऑक्सीजन परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व को बढ़ा देता है, जिससे इसकी क्रियाशीलता बढ़ जाती है अतः अम्ल की अम्लीय प्रबलता कम हो जाती है।
अतः निम्नलिखित अम्लों की अम्लीय प्रबलता का घटता क्रम निम्न प्रकार होता है-
(1) CF3COOH> CCl3COOH > CHCl2COOH > NO2CH2COOH > N≡C-CH2COOH > FCH2COOH > ClCH2COOH > BrCH2COOH > HCOOH > ClCH2CH2COOH > > C6H5COOH > C6H5CH2COOH > CH3COOH > CH3CH2COOH
(+I प्रभाव कम हो रहा है, क्योंकि + I प्रभाव ऐल्किल समूह आकार के समानुपाती होता है। )
(3) अशाखित कार्बोक्सिलिक अम्लों की अम्लीय प्रबलता, शाखित अम्लों की तुलना में अधिक होती है क्योंकि शाखित ऐल्किल समूह का +I प्रभाव अधिक होता है।
(4) इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह, – COOH समूह अम्लीय प्रबलता उतनी ही कम होगी।
(5) – I प्रभाव वाले समूहों की संख्या बढ़ने पर अम्लीय प्रबलता में वृद्धि होती है।
(6) कार्बोक्सिल समूह पर वाइनिल या फेनिल समूह जुड़े होने पर अम्ल की प्रबलता बढ़ जाती है क्योंकि इनमें कार्बोक्सिल समूह से जुड़े कार्बन पर sp² संकरण होता है जिससे कार्बन की विद्युतऋणता बढ़ जाती है तथा इनमें अनुनाद भी पाया जाता है।
(7) ऐलिफैटिक कार्बोक्सिलिक अम्लों के समान, ऐरोमैटिक कार्बोक्सिलिक अम्लों में भी इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने वाले समूह के कारण अम्लीय प्रबलता में वृद्धि होती है जबकि इलेक्ट्रॉनदाता समूह के कारण अम्लीय प्रबलता में कमी होती है।
(8) बेन्जोइक अम्ल में ऑर्थोस्थिति पर कोई भी समूह (+I या -I प्रभाव दर्शाने वाला) उपस्थित होने पर अम्लीय गुण में वृद्धि होती है इसे ऑर्थोप्रभाव कहते हैं।
(ii) धातुओं तथा क्षारों के साथ अभिक्रिया – ऐल्कोहॉलों के समान कार्बोक्सिलिक अम्ल भी सक्रिय धातुओं के साथ क्रिया करके लवण तथा हाइड्रोजन गैस देते हैं।
फनॉल के समान, कार्बोक्सिलिक अम्ल भी क्षारों के साथ क्रिया करके लवण तथा जल बनाते हैं, लेकिन NaHCO3 के साथ केवल कार्बोक्सिलिक अम्ल ही क्रिया करते हैं, फीनॉल नहीं । अतः इस अभिक्रिया द्वारा फीनॉल तथा कार्बोक्सिलिक अम्ल में विभेद किया जा सकता है।
R – COOH + 2NaOH → R – CO\(\overline{\mathrm{O}}\)N\(\overline{\mathrm{a}}\) + H2
2R COOH + Na2CO3 → 2R COONa + H2O + CO2
2R COOH + Ca(OH)2 → (RCOO)2 Ca + 2H2O
RCOOH + AgOH → RCOOAg + H2O
R – COOH + NaHCO3 → R – CO\(\overline{\mathrm{O}}\)N\(\overline{\mathrm{a}}\) + H2O + CO2
प्रश्न 36.
फार्मिक अम्ल की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाएँ दीजिए-
(i) सान्द्र H2SO4 (ii) जलीय Cl2
उत्तर:
प्रश्न 37.
फ्लुओरीन की विद्युतॠणता, क्लोरीन की विद्युतॠणता से अधिक होती है फिर भी p-क्लोरोबेन्जोइक अम्ल की अम्लीय प्रबलता p-फ्लुओरोबेन्जोइक अम्ल से अधिक होती है क्यों ?
उत्तर:
हैलोजन, +M तथा I दोनों प्रभाव दर्शाते हैं लेकिन फ्लुओरीन तथा कार्बन का परमाणु आकार लगभग समान होता है अतः p-फ्लुओरो बेन्जोइक अम्ल में +M प्रभाव p-क्लोरो बेन्जोइक अम्ल की तुलना में अधिक होता है । इसलिए इसमें – I प्रभाव कम प्रभावी रह जाता है इस कारण p-क्लोरोबेन्जोइक अम्ल की अम्लीय प्रबलता, P- फ्लुओरोबेन्जोइक अम्ल से अधिक होती है।
प्रश्न 38.
अणु सूत्र C12H12 युक्त एक ऐल्कीन के ओजोनी अपघटन से दो भिन्न-भिन्न यौगिक प्राप्त होते हैं जिनमें से एक यौगिक आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है लेकिन टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता जबकि दूसरा यौगिक टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है लेकिन आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता तो इस ऐल्कीन तथा उत्पादों के नाम एवं सूत्र बताइए ।
उत्तर:
ऐल्कीन के ओजोनी अपघटन से प्राप्त एक यौगिक टॉलेन अभिकर्मक से क्रिया नहीं करता अतः यह कीटोन होना चाहिए लेकिन आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है अतः यह मेथिल कीटोन होगा जबकि दूसरा यौगिक टॉलेन अभिकर्मक से क्रिया करता है अतः यह एक ऐल्डिहाइड होगा चूंकि एल्कीन में छः कार्बन हैं। अतः एक यौगिक ऐसीटोन तथा दूसरा यौगिक प्रोपिऑन ऐल्डिहाइड होंगा जो कि निम्नलिखित अभिक्रिया से भी स्पष्ट है-
ऐसीटोन (मेथिल कीटोन) आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है लेकिन प्रोपिऑन ऐल्डिहाइड नहीं।
प्रश्न 39.
(i) ऐसी दो विधियाँ बताइए जिनसे C = 0 समूह CH2 में परिवर्तित हो जाता है।
(ii) ऐल्डिहाइडों के शोधन में सोडियम बाइसल्फाइट का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
(i) क्लीमेन्सन अपचयन तथा वोल्फ किश्नर अपचयन द्वारा > C = 0 समूह CH2 में परिवर्तित हो जाता है।
(ii) ऐल्डिहाइड सोडियम बाइ सल्फाइट (NaHSO3) से क्रिया करते हैं लेकिन अन्य अशुद्धियाँ नहीं, अतः अशुद्ध ऐल्डिहाइड की NaHSO3 से क्रिया द्वारा प्राप्त श्वेत ठोस का जल अपघटन करके शुद्ध ऐल्डिहाइड प्राप्त कर लिया जाता है।
प्रश्न 40.
आप निम्नलिखित परिवर्तन कैसे करेंगे?
उत्तर:
प्रश्न 41.
बेन्जोइक अम्ल को ऐनिलीन में किस प्रकार परिवर्तित किया जा सकता है ?
उत्तर:
प्रश्न 42.
(i) अपचायक के प्रयोग के बिना फॉर्मेल्डिहाइड से मेथेनॉल किस प्रकार बनाया जा सकता है?
(ii) फेलिंग विलयन में रोशेल लवण क्यों मिलाया जाता है?
उत्तर:
(i) फॉर्मेल्डिहाइड (HCHO) की सान्द्र NaOH के साथ अभिक्रिया से केनिजारो अभिक्रिया होकर मेथेनॉल (CH3OH) तथा सोडियम फॉर्मेट बनता है। इस अभिक्रिया में प्रयुक्त NaOH अपचायक नहीं है।
(ii) फेलिंग विलयन में क्षारीय माध्यम होता है तथा क्षारीय माध्यम में Cu2+ आयन Cu(OH)2 के रूप में अवक्षेपित हो जाते हैं। अतः रोशेल लवण मिलाने पर Cu2+ तथा रोशेल लवण के मध्य संकुल बन जाता है। जिससे Cu2+ अवक्षेप के रूप में न रहकर विलयन में आ जाते हैं अन्यथा परीक्षण में बाधा उत्पन्न होगी।
प्रश्न 43.
(i) निम्नलिखित अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए-
(ii) ऐसीटोफीनॉन की हाइड्रॉक्सिल ऐमीन के साथ क्रिया से बने दो समावयवियों की संरचना लिखिए।
उत्तर:
(ii) ऐसीटोफीनॉन की हाइड्रॉक्सिलऐमीन के साथ क्रिया से इसका ऑक्सिम बनता है जो कि दो ज्यामितीय समावयवी रूपों में पाया जाता है।
बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1.
(a) निम्नलिखित नामधारिक अभिक्रियाओं (Name reactions) को रासायनिक समीकरण देकर स्पष्ट कीजिए-
(i) कैनिजारो की अभिक्रिया
(ii) हेलफोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया
(b) निम्नलिखित यौगिक युग्मों में भिन्नता की पहचान करने के लिए एक-एक रासायनिक परीक्षण दीजिए-
(i) प्रोपेनेल तथा प्रोपेनोन में
(ii) ऐसीटोफीनोन और बेन्जोफीनोन में
(iii) फीनॉल और बेन्जोइक अम्ल में।
अथवा
(a) निम्नलिखित रूपांतरण आप कैसे करेंगे-
(i) एथेनॉल को 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनेल में
(ii) बेन्जैल्डिहाइड को बेन्जोफीनोन में
(b) एक ऑर्गोनिक (कार्बनिक) यौगिक A (आण्विक सूत्र C8H16O2) को तनु सल्फ्यूरिक अम्ल से जल-अपघटित किया गया जिससे एक कार्बोक्सिलिक अम्ल B और एक ऐल्कोहॉल C उत्पादित हुआ। C के क्रोमिक अम्ल के साथ उपचयन (ऑक्सीकरण) से भी B प्राप्त होता है। C का निर्जलीकरण करने पर ब्यूट-1-ईन प्राप्त होता है। सन्निहित अभिक्रियाओं के लिए समीकरणों को लिखिए।
उत्तर:
(a) (i) फेलिंग अभिकर्मक से क्रिया-फेलिंग अभिकर्मक, फेलिंग विलयन A तथा फेलिंग विलयन B से मिलकर बना होता है।
फेलिंग विलयन A जलीय कॉपर सल्फेट (CuSO) का नीला तथा फेलिंग विलयन B सोडियम पोटैशियम टार्ट्रेट ( रोशेल लवण) का रंगहीन क्षारीय विलयन होता है। विलयन A तथा B को समान मात्रा में मिलाकर ऐल्डिहाइड के साथ गर्म करने पर क्युप्रस ऑक्साइड का लाल भूरा अवक्षेप बनता है।
R – CHO + 2Cu2+ + 5\(\overline{\mathrm{O}}\)H → RCO\(\overline{\mathrm{O}}\) + Cu2O + 3H2O
एरोमैटिक ऐल्डिहाइड जैसे बेन्जेल्डिहाइड, फेलिंग अभिकर्मक में क्रिया नहीं करते हैं।
रोशेल लवण का सूत्र होता है, तथा इस अभिक्रिया में पहले गहरे नीले रंग का संकुल बनता है जिससे Cu2+ आयनों का अवक्षेप [Cu(OH)2] बनने के बजाय ये विलयन में आ जाते हैं। सकुल की संरचना निम्नलिखित है- क्यूरिट आयन (गहरा नीला)
(ii) हैलोजेनीकरण-α, हाइड्रोजन परमाणु युक्त कार्बोक्सिलिक अम्लों की क्रिया क्लोरीन या ब्रोमीन के साथ करवाने पर α – हैलोकार्बोंक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया को हेलफोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया कहते हैं।
फॉस्फोरस की उपस्थिति में मोनोक्लोरो उत्पाद अधिक म्रात्रा में बनता है।
(b) (i) प्रोपेनैल एवं प्रोपेनोन में विभेद – प्रोपेनैल (CH3CH2CHO) एक ऐल्डिहाइड है जबकि (CH3COCH3) एक मेथिल कीटोन है। इनमें निम्न परीक्षणों द्वारा विभेद किया जा सकता है-
- आयोडोफॉर्म परीक्षण – जलीय NaOH तथा I2 के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल में कोई क्रिया नहीं होती जबकि प्रोपेनोन द्वारा आयोडोफॉर्म बनने के कारण पीला अवक्षेप आता है।
- टॉलेन अभिकर्मक (अमोनिकल सिल्वर नाइट्रेट) के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल रजत दर्पण देता है (रजत दर्पण परीक्षण) जबकि प्रोपेनोन में कोई क्रिया नहीं होती।
- फेलिंग विलयन के साथ गर्म करने पर प्रोपेनैल से लाल अवक्षेप बनता है जबकि प्रोपेनोन से कोई अभिक्रिया नहीं होती।
(ii) ऐसीटोफ़ीनॉन एवं बेन्ज़ोफ़ीनॉन में विभेद – ऐसीटोफ़ीनॉन (CH3COC6H5) एक सेथिल कीटोन है अतः यह आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि बेन्ज़ोफ़ीनॉन यह परीक्षण नहीं देता।
(iii) फ़ीनॉल एवं बेन्ज़ोइक अम्ल में विभेद-
(1) फ़ीनॉल NaHCO3 विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं करता जबकि बेन्ज़ोइक अम्ल NaHCO3 विलयन के साथ क्रिया करके CO2 गैस देता है।
C6H5COOH + NaHCO3 → C6H5COONa +CO2↑ + H2
(2) उदासीन FeCl3 विलयन के साथ फ़ीनॉल बैंगनी (Violet) रंग देता है जबकि बेन्ज़ोइक अम्ल के साथ इसकी कोई क्रिया नहीं होती।
अथवा
(b) यौगिक A का अणुसूत्र तथा इसके जल अपघटन से कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा ऐल्कोहॉल बनने से ज्ञात होता है कि यह एक संतृप्त एस्टर है। ऐल्कोहॉल के निर्जलीकरण से ब्यूट-1-ईन प्राप्त होती है अतः ऐल्कोहॉल में सीधी श्रृंखला में चार कार्बन परमाणु हैं अतः कार्बोक्सिलिक अम्ल में भी चार कार्बन परमाणु ही होंगे। सन्निहित अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 2.
1-फेनिल पेन्टेन-1-ओन का संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
टॉलेन अभिकर्मक क्या होता है? इस अभिकर्मक की एक उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
अमोनियामय सिल्वर नाइट्रेट विलयन को टॉलेन अभिकर्मक कहते हैं। इस अभिकर्मक से ऐल्डिहाइड तथा कीटोन में विभेद किया जा सकता है। ऐल्डिहाइड इसके साथ क्रिया करके रजत दर्पण देते हैं लेकिन कीटोन नहीं।
प्रश्न 4.
(a) निम्नलिखित नाम वाली अभिक्रियाओं को प्रत्येक के लिए रासायनिक समीकरण देकर लिखिए-
(i) क्लीमेन्सन अभिक्रिया
(ii) कैनिज़ारो की अभिक्रिया
(b) वर्णन कीजिए कि निम्नलिखित रूपांतरण कैसे किए जाते हैं-
(i) साइक्लोहेक्सैनॉल का साइक्लोहेक्सेन-1-ओन में
(ii) एथिलबेन्जीन का बेन्जोइक अम्ल में
(iii) ब्रोमोबेन्जीन का बेन्जोइक अम्ल में।
अथवा
(a) निम्नलिखित नामों की अभिक्रियाओं को उदाहरण के साथ लिखिए-
(i) हेल-फोलार्ड-जेलिंस्की अभिक्रिया
(ii) वोल्फ-किश्नर अपचयन अभिक्रिया
(b) निम्न रूपांतरण कैसे किए जा सकते हैं-
(i) मेथिल सायनाइड का एथेनोइक अम्ल में
(ii) ब्यूटेन-1-ऑल का ब्यूटेनोइक अम्ल में
सन्निहित अभिक्रियाओं के लिए रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
(a) (i) क्लीमेन्सन अपचयन-कार्बोनिल यौगिकों का अपचयन जिंक अमलगम तथा सान्द्र HCl(Zn/Hg + HCl) के मिश्रण से कराया जाता है तो ऐल्केन बनते हैं, इसे क्लीमेन्सन अपचयन कहते हैं।
यह अभिक्रिया मुख्यतः कीटोनों के लिए प्रयुक्त की जाती है क्योंकि सान्द्र HCl की उपस्थिति में ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइडों का बहुलकीकरण हो जाता है।
(ii) कैनिजारो अभिक्रिया-वे ऐल्डिहाइड जिनमें α हाइड्रोजन नहीं होते वे कैनिजारो अभिक्रिया देते हैं। इन ऐल्डिहाइडों को सान्द्र क्षार (KOH या NaOH) के साथ गर्म करते हैं जिससे एक अणु का ऑक्सीकरण होकर कार्बोक्सिलिक अम्ल का लवण तथा दूसरे अणु के अपचयन से ऐल्कोहॉल बनता है। अतः यह एक असमानुपातन या विषमीकरण अभिक्रिया है।
(b)
अथवा
(a) (i) हैलोजेनीकरण-α, हाइड्रोजन परमाणु युक्त कार्बोक्सिलिक अम्लों की क्रिया क्लोरीन या ब्रोमीन के साथ करवाने पर α – हैलोकार्बोंक्सिलिक अम्ल प्राप्त होते हैं। इस अभिक्रिया को हेलफोलार्ड जेलिंस्की अभिक्रिया कहते हैं।
फॉस्फोरस की उपस्थिति में मोनोक्लोरो उत्पाद अधिक म्रात्रा में बनता है।
(ii) वोल्फ-किश्नर अपचयन-कार्बोनिल यौगिकों की हाइड्रैजीन के साथ अभिक्रिया कराने के पश्चात्, एथिलीन ग्लाइकॉल में सोडियम या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गरम करने पर > C = O समूह – CH2 समूह में बदल जाता है तथा ऐल्केन बनते हैं।
उपरोक्त अभिक्रिया में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (HO-CH2-CH2-O-CH2-OH) तथा KOH लेने पर इसे हुएंगमिनलॉन अभिक्रिया कहते हैं।
प्रश्न 5.
4-क्लोरोपेन्टेन 2-ओन की संरचना आरेखित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
(a) निम्नलिखित नाम वाली अभिक्रियाओं के उदाहरण दीजिए-
(i) कैनिज़ारो की अभिक्रिया
(ii) क्लीमेन्सन अपचयन
(b) निम्नलिखित को आप कैसे प्राप्त करेंगे-
(i) एथेनैल से ब्यूट – 2 – इनैल
(ii) ब्यूटेनॉल से ब्यूटेनोइक अम्ल
(iii) एथिलबेन्जीन से बेन्जोइक अम्ल।
अथवा
(a) निम्नलिखित में विभेद करने के लिए रासायनिक परीक्षणों को लिखिए-
(i) बेन्जोइक अम्ल और एथिल बेन्जोएट
(ii) बेन्जेल्डिहाइड और ऐसीटोफीनोन
(b) निम्नलिखित में अभिकारक अथवा उत्पाद जो न लिखे गए हों उन्हें लिखकर प्रत्येक संश्लेषण को पूर्ण कीजिए-
उत्तर:
(a) (i) कैनिजारो अभिक्रिया-वे ऐल्डिहाइड जिनमें α हाइड्रोजन नहीं होते वे कैनिजारो अभिक्रिया देते हैं। इन ऐल्डिहाइडों को सान्द्र क्षार (KOH या NaOH) के साथ गर्म करते हैं जिससे एक अणु का ऑक्सीकरण होकर कार्बोक्सिलिक अम्ल का लवण तथा दूसरे अणु के अपचयन से ऐल्कोहॉल बनता है। अतः यह एक असमानुपातन या विषमीकरण अभिक्रिया है।
(ii) क्लीमेन्सन अपचयन-कार्बोनिल यौगिकों का अपचयन जिंक अमलगम तथा सान्द्र HCl(Zn/Hg + HCl) के मिश्रण से कराया जाता है तो ऐल्केन बनते हैं, इसे क्लीमेन्सन अपचयन कहते हैं।
यह अभिक्रिया मुख्यतः कीटोनों के लिए प्रयुक्त की जाती है क्योंकि सान्द्र HCl की उपस्थिति में ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइडों का बहुलकीकरण हो जाता है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित का आई.यू. पी. ए. सी. (IUPAC ) नाम लिखिए-
उत्तर:
पेन्ट – 2 – ईन – 1- ऐल।
प्रश्न 8.
(a) उपयुक्त रासायनिक समीकरण को लिखकर निम्नलिखित प्रत्येक रूपांतरण को पूर्ण कीजिए-
(i) ब्यूटेन – 1 – ऑल को ब्यूटेनॉइक अम्ल में
(ii) 4 – मेथिलऐ सीटोफीनोन को बेन्जीन-1, 4- डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल में
(b) एक ऑर्गेनिक (कार्बनिक यौगिक, जिसका आण्विक सूत्र C9H10O है, 2, 4-DNP व्युत्पन्न बनाता है, टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है, और कैनिजारो की अभिक्रिया देता है। तीव्र ऑक्सीकरण पर यह 1, 2 – बेन्जीनडाइकार्बोक्सिलिक अम्ल देता है । यौगिक की पहचान कीजिए।
अथवा
(a) निम्न के बीच अंतर करने के लिए रासायनिक जाँचों को दीजिए-
(i) प्रोपेनैल और प्रोपेनोन में
(ii) बेन्जेल्डिहाइड और ऐसीटीफीनोन में
(b) अग्रलिखित यौगिकों को उनके सामने दिए गए गुणधर्मों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए –
(i) ऐसीट-ऐल्डिहाइड, ऐसीटोन, मेथिल टर्ट (तृतीयक) ब्यूटिल कीटोन (HCN के प्रति क्रियाशीलता)
(ii) बेन्जोइक अम्ल, 3, 4 – डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल, 4- मेथॉक्सीबेन्जोइक अम्ल (अम्ल सामर्थ्य)
(iii) CH3CH2CH(Br)COOH, CH3CH(Br) CH3COOH,
(CH3)2CH COOH (अम्ल सामर्थ्य)
उत्तर:
(a)
(b) यह कार्बनिक यौगिक 2,4-DNP व्युत्पन्न बनाता है। अतः यह कार्बोनिल यौगिक (ऐल्डिहाइड या कीटोन) होगा लेकिन यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचित (reduced) कर रहा है। अतः यह ऐल्डिहाइड है तथा यह कैनिजारो अभिक्रिया दे रहा है। अतः इसमें α-H अनुपस्थित है। इसके आक्सीकरण से 1,2 -बेन्जीनडाईकार्बोक्सिलिक अम्ल बनता है।
ऑक्सीकरण के बाद बने उत्पाद से यह सिद्ध होता है कि इसमें एक बेन्जीन वलय है, एक COOH समूह – CHO समूह के ऑक्सीकरण से तथा दूसरा – COOH समूह ऐल्किल समूह के ऑक्सीकरण से प्राप्त होगा। अतः अणुसूत्र के अनुसार इसका संरचना सूत्र निम्न प्रकार होगा-
अथवा
(a) (i) प्रोपेनैल एवं प्रोपेनोन में विभेद-प्रोपेनैल (CH3CH2CHO) एक ऐल्डिहाइड है जबकि (CH3COCH3) एक मेथिल कीटेन है। इनमें निम्न परीक्षणों द्वारा विभेद किया जा सकता है-
(ii) (1) बेन्ज़ैल्डिहाइड (C6H5CHO) एक ऐल्डिहाइड है जबकि ऐसीटोफ़ीनॉन एक मेथिल कीटोन है अतः ऐसीटोफ़ीनॉन, आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि बेन्ज़ैल्डिहाइड यह परीक्षण नहीं देता है।
(2) बेन्ज़ल्डिहाइड टॉलेन अभिकर्मक से ऑक्सीकृत हो जाता है, जबकि ऐसीटोफ़ीनॉन इससे क्रिया नहीं करता।
(b) (i) ऐल्डिहाइड तथा कीटोन की नाभिकरागी संकलन के लिए क्रियाशीलता + I प्रभाव तथा त्रिविम विन्यासी बाधा पर निर्भर करती है। अतः इनकी HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होगा-डाइ तृतीयक – ब्यूटिल कीटोन – मेथिल तृतीयक ब्यूटिल कीटोन < ऐसीटोन – ऐसिटैल्डिहाइड
(ii) कार्बोक्सिलिक अम्लों का अम्लीय गुण, प्रेरणिक प्रभाव (+I तथा -I) तथा विभिन्न समूहों की स्थिति पर निर्भर करता है। अतः इनके अम्लीय गुण का क्रम निम्न प्रकार होगा-
(CH3)2CHCOOH < CH3CH2CH2COOH < CH3CH(Br)CH2COOH < CH3CH2CH(Br)COOH
(iii) 4 – मेथॉक्सीबेन्जोइक अम्ल < बेन्जोइक अम्ल < 4- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल < 3, 4 – डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(अम्लता की सामर्थ्य का बढ़ता क्रम)
प्रश्न 9.
निम्नलिखित कार्बनिक यौगिकों के आई.यू.पी.ए.सी. नाम लिखिए-
उत्तर:
प्रश्न 10.
(i) रोजेनमुंड अपचयन अभिक्रिया लिखिए।
(ii) HCOOH, CF3COOH, ClCH2CUUH, अम्लों को उनकी अम्लीयता के बढ़ते क्रम में लिखिए।
(iii) एथेनोइक अम्ल की क्रिया अमोनिया से कराने पर यौगिक A बनता है जिसे गर्म करने पर यौगिक B प्राप्त होता है। B का अम्लीय जल अपघटन कराने पर पुन: एथेनोइक अम्ल बनता है। A व B के IUPAC नाम एवं सूत्र लिखो व अभिक्रिया की समीकरण लिखिए।
(iv) कार्बोनिल समूह का कक्षीय आरेख चित्र बनाइए।
अथवा
(i) वोल्फ-किश्नर अपचयन की अभिक्रिया लिखिए।
(ii) संरचना में α हाइड्रोजन परमाणु की अम्लीय प्रकृति को समझाइए।
(iii) एक कार्बोनिल यौगिक A का ऑक्सीकरण टॉलन अभिकर्मक से कराने पर यौगिक B बनता है जिसका अपचयन LiAlH4 से कराने पर एथेनॉल बनता है। A व B के IUPAC नाम एवं सूत्र लिखिए।
(iv) ऐसीटेट आयन की अनुनादी संरचनाएँ बनाइये।
उत्तर:
(i) Pd तथा BaSO4 की उपस्थित में ऐसिल क्लोराइड पर हाइड्रोजन की क्रिया से ऐल्डिहाइड बनते हैं। इसे रोजेनमुंड अपचयन अभिक्रिया कहते हैं।
(ii) अम्लों की अम्लीयता का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार है-
अतः (A) = CH3COONH4 अमोनियम ऐसीटेट या अमोनियम एथेनॉएट
(B) = CH3CONH2 एथेनेमाइड
(iv) कार्बोनिल समूह में कार्बन परमाणु पर sp² संकरण होता है तथा ये तीन sp² संकरित कक्षक तीन σ बन्ध बनाते हैं एवं कार्बन का असंकरित p कक्षक, ऑक्सीजन के p – कक्षक के साथ सम्पार्श्विक अतिव्यापन द्वारा π बन्ध बनाता है।
इस प्रकार कार्बोनिल समूह का कार्बन तथा इससे जुड़े तीन परमाणु एक ही तल में स्थित होते हैं तथा π इलेक्ट्रॉन अभ्र इस तल के ऊपर एवं नीचे स्थित होता है। बंध कोण का मान लगभग 120° होता है तथा ज्यामिति त्रिकोणीय समतल होती है।
कार्बन की तुलना में ऑक्सीजन की विद्युतऋणात्मकता अधिक होने के कारण कार्बन-ऑक्सीजन द्विआबंध ध्रुवित हो जाता है अतः कार्बोनिल समूह का कार्बन एक इलेक्ट्रॉनस्नेही (लूइस अम्ल) केन्द्र तथा ऑक्सीजन एक नाभिकस्नेही (लूइस क्षारक) केन्द्र के समान व्यवहार करता है।
> C = O समूह की ध्रुवता के कारण ही कार्बोनिल यौगिकों के द्विध्रुव आघूर्ण का मान अधिक होता है तथा ये ईथर की तुलना में अधिक ध्रुवीय होते हैं। कार्बोनिल समूह की ध्रुवता का कारण अनुनाद है जिसे निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
अथवा
(i) वोल्फ-किश्नर अपचयन-कार्बोनिल यौगिक की हाइड्रेजीन के साथ अभिक्रिया कराने के पश्चात्, एथिलीन ग्लाइकॉल (विलायक) में सोडियम या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गरम करने पर >C = O समूह -CH2 समूह में बदल जाता है तथा एल्केन बनते हैं।
(ii) संरचना में कार्बोनिल समूह है तथा कार्बोनिल यौगिकों के alpha-हाइड्रोजन परमाणु की अम्लता कार्बोनिल समूह के इलेक्ट्रॉन आकर्षित करने के प्रबल प्रभाव तथा संयुग्मी क्षार के अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त कर लेने के कारण होती है।
(iii) कार्बोनिल यौगिक A का यॅलेन अभिकर्मक द्वारा ऑक्सीकरण हो रहा है अतः यौगिक A ऐल्डिहाइड होगा तथा ऐल्डिहाइड के ऑक्सीकरण से अम्ल बनता है अतः यौगिक B अम्ल होगा जिसका LiAlH4 के द्वारा अपचयन से एथेनॉल बन रहा है। अतः यौगिक B, CH3CHO तथा A, CH3CHO होगा। सम्पूर्ण अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार हैं-
(iv) ऐसीटेट आयन की अनुनादी संरचनाएँ निम्न हैं-
प्रश्न 11.
साइक्लोप्रोपेनॉन-2, 4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रेजोन की संरचना दीजिए।
उत्तर:
साइक्लोप्रोपेनॉन – 2, 4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रेजोन की संरचना निम्नलिखित है-
यह साइक्लोप्रोपेनॉन की 2, 4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रेजीन के साथ क्रिया से बनता है।
प्रश्न 12.
(अ) निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण दीजिए-
(i) कैनिजारो अभिक्रिया
(ii) ऐल्डोल संघनन
(ब) निम्नलिखित यौगिकों को उनके क्वथनांक के बढ़ते क्रम में लिखिए-
(स) टॉलेन अभिकर्मक द्वारा ऐल्डिहाइड एवं कीटोन में विभेद कैसे करेंगे?
अथवा
(अ) निम्नलिखित अभिक्रियाओं के समीकरण दीजिए-
(i) रोजेनमुंड अपचयन
(ii) गाटरमान – कोख अभिक्रिया
(ब) निम्नलिखित यौगिकों को उनकी अम्लीयता के बढ़ते क्रम में लिखिए-
(CH3)2 CH – COOH, HCOOH, CH3 – COOH, (CH3)3 C – COOH
(स) सोडियम बाइकार्बोनेट द्वारा कार्बोक्सिलिक अम्ल व फीनॉल में विभेद किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:
(अ) (i) कैनिजारो अभिक्रिया – वे ऐल्डिहाइड, जिनमें a – हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते, सान्द्र क्षार (NaOH या KOH) की उपस्थिति में स्वऑक्सीकरण व अपचयन (असमानुपातन) दर्शाते हैं। इस अभिक्रिया में ऐल्डिहाइड का एक अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।
(ii) ऐल्डोल संघनन – जिन ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों में a- हाइड्रोजन उपस्थित होते हैं, वे तनु क्षार (NaOH, Ca (OH)2) की उपस्थिति में आपस में क्रिया करके क्रमशः ß-हाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड (एल्डोल) अथवा p-हाइड्रॉक्सी कीटोन (कीटोल) बनाते हैं। इस अभिक्रिया को ऐल्डोल संघनन कहते हैं।
उदाहरण – ऐसीटैल्डिहाइड का ऐल्डोल संघनन-
(ब) क्वथनांक का बढ़ता क्रम-
(स) ऐल्डिहाइड को अमोनियम सिल्वर नाइट्रेट विलयन (AgNO3 + NH4OH) (टॉलेन अभिकर्मक ) के साथ गर्म करने पर सिल्वर बनने के कारण चमकदार सिल्वर दर्पण बनता है तथा ऐल्डिहाइड संगत कार्बोक्सिलेट आयन में ऑक्सीकृत हो जाते हैं।
RCHO + 2[Ag(NH3)2]+ + 3\(\overline{\mathrm{OH}}\) → RCO\(\overline{\mathrm{O}}\) + 2Ag + 2H2O + 4NH3
कीटोन, टॉलेन अभिकर्मक के साथ क्रिया नहीं करते।
अथवा
(अ) (i) रोजेनमुंड अपचयन – Pd तथा BaSO4 की उपस्थिति में एसिल क्लोराइड की हाइड्रोजन के साथ क्रिया (हाइड्रोजनीकरण) से ऐल्डिहाइड बनते हैं, इसे रोजेनमुंड अपचयन कहते हैं।
(ii) गाटरमान – कोख अभिक्रिया – ऐलुमिनियम क्लोराइड की उपस्थिति में बेन्जीन की कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन क्लोराइड के साथ क्रिया कराते हैं तो बेन्जेल्डिहाइड प्राप्त होता है।
इस अभिक्रिया को गाटरमान – कोख अभिक्रिया कहते हैं।
(ब) अम्लीयता का बढ़ता क्रम-
(CH3)3 C – COOH < (CH3)2 CHCOOH < CH3COOH < HCOOH
(स) फीनॉल (C6H5OH) सोडियम बाइकार्बोनेट विलयन के साथ कोई क्रिया नहीं करता जबकि कार्बोक्सिलिक अम्ल (RCOOH), NaHCO3 विलयन के साथ क्रिया करके बुदबुदाहट के साथ CO2 गैस देता है।
RCOOH + NaHCO3 → RCOONa + CO2 ↑ + H2O
प्रश्न 13.
एक कार्बनिक यौगिक जिसका अणुसूत्र C3H6O है, 2, 4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन के साथ नारंगी लाल अवक्षेप देता है किन्तु टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता है। यौगिक का IUPAC नाम व संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
कार्बनिक यौगिक C3H6O 2, 4- डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्रैजीन के साथ नारंगी लाल अवक्षेप देता है अतः यह एक कार्बोनिल यौगिक ( ऐल्डिहाइड या कीटोन) है तथा यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता है अतः यह ऐल्डिहाइड नहीं है इसलिए यह एक कीटोन है। अणुसूत्र के अनुसार इसका संरचना सूत्र तथा IUPAC नाम निम्नलिखित है-
प्रश्न 14.
निम्नलिखित यौगिकों के संरचना सूत्र एवं IUPAC नाम दीजिए-
(अ) फार्मेल्डिहाइड
(ब) ऐसीटोन।
अथवा
निम्नलिखित यौगिकों के संरचना सूत्र एवं IUPAC नाम दीजिए-
(अ) मेलोनिक अम्ल
(ब) सक्सिनिक अम्ल।
उत्तर:
प्रश्न 15.
(अ) कार्बोक्सिलेट आयन किस प्रकार अनुनाद .द्वारा स्थायित्व प्राप्त करता है? संरचाओं द्वारा स्पष्ट करें।
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्ल, फीनॉल की अपेक्षा अधिक अम्लीय होता है। समझाइए |
उत्तर:
(अ) कार्बोक्सिलिक अम्ल, जल में आयनित होकर कार्बोक्सिलेट आयन RCOŌ तथा \(\mathrm{H}_3 \stackrel{+}{\mathrm{O}}\) (हाइड्रोनियम आयन) बनाते हैं। RCOŌ अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है। इसकी अनुनादी संरचनाएँ निम्न प्रकार होती हैं-
इस अभिक्रिया के लिए-
यहाँ Keq साम्यावस्था स्थिरांक तथा Ka अम्ल वियोजन स्थिरांक है।
(ब) फीनॉल के आयनन से प्राप्त फीनॉक्साइड आयन (C6H5O–) में ऋणात्मक आवेश केवल एक ऑक्सीजन परमाणु तथा कम विद्युतऋणी कार्बन पर होता है, जबकि कार्बोक्सिलिक आयन (RCO) में ऋणात्मक आवेश दो विद्युतऋणी ऑक्सीजन परमाणुओं पर वितरित होता है, अतः कार्बोक्सिलेट आयन में ऋणात्मक आवेश का विस्थानीकरण, फीनॉक्साइड आयन से अधिक होता है इस कारण इसका अनुनाद स्थायीकरण अधिक होता है । इसलिए कार्बोक्सिलिक अम्ल, फीनॉल से अधिक अम्लीय है।
प्रश्न 16.
निम्नलिखित यौगिकों को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
CH3-CHO, CH3-CH2-OH, CH3-CH2-CH3
उत्तर:
CH3-CH2-CH3 < CH3-CHO < CH3-CH2-OH
प्रश्न 17.
(i) निम्नलिखित को किस प्रकार परिवर्तित करेंगे-
(a) प्रोपेनॉन से प्रोपेन – 2 – ऑल
(b) एथेनैल से 2- हाइड्रॉक्सीप्रोपेनॉइक अम्ल
(c) टॉलूईन से बेन्जोइक अम्ल
(ii) निम्नलिखित में विभेद कीजिए-
(a) पेन्टेन – 2 – ऑन तथा पेन्टेन- 3 – ऑन
(b) एथेनैल तथा प्रोपेनैल।
उत्तर:
(ii) (a) पेन्टेन-2-ऑन एक मेथिल कीटोन है अतः यह आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि पेन्टेन – 2 – ऑन यह परीक्षण नहीं देता है।
(b) एथेनैल आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि प्रोपेनैल यह परीक्षण नहीं देता।
प्रश्न 18.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए-
उत्तर:
(i) 3- हाइड्रॉक्सीब्यूटेनॉइक अम्ल
(ii) 3-ऐमीनो ब्यूटेनैल
(iii) 4-हाइड्रॉक्सी पेन्टेन-2-ऑन
प्रश्न 19.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पाद लिखिए-
उत्तर:
प्रश्न 20.
उचित उदाहरण के साथ निम्न को समझाइए –
(अ) रोजेनमुंड अपचयन
(ब) गाटरमान – कॉख अभिक्रिया।
अथवा
उचित उदाहरण के साथ निम्न को समझाइए-
(अ) क्लीमेन्सन अपचयन
(ब) स्टीफेन अभिक्रिया।
उत्तर:
(अ) रोजेनमुंड अपचयन – ऐसिल क्लोराइड पर Pd तथा BaSO4 की उपस्थिति में हाइड्रोजन की क्रिया कराने (हाइड्रोजनीकरण) पर ऐल्डिहाइड बनते हैं, इसे रोजेनमुंड अपचयन कहते हैं।
(ब) गाटरमान – कॉख अभिक्रिया – जब बेन्जीन की क्रिया ऐलुमिनियम क्लोराइड की उपस्थिति में कार्बनमोनोऑक्साइड और हाइड्रोजन क्लोराइड के साथ कराते हैं तो बेन्जेल्डिहाइड बनता है।
इस अभिक्रिया को गाटरमान कोख ऐल्डिहाइड संश्लेषण भी कहते हैं।
अथवा
(अ) क्लीमेन्सन अपचयन – इस अभिक्रिया में कार्बोनिल यौगिकों का जिंक अमलगम तथा सान्द्र HCl ( Zn / Hg + HCI) के मिश्रण से अपचयन कराया जाता है जिससे ऐल्केन बनते हैं।
यह अभिक्रिया मुख्यतः कीटोनों के लिए प्रयुक्त की जाती है क्योंकि सान्द्र HCl की उपस्थिति में ऐलिफैटिक ऐल्डिहाइडों का बहुलकीकरण हो जाता है।
(ब) स्टीफेन अभिक्रिया – जब ऐल्केन नाइट्राइल का अपचयन SnCl2 + HCl से कराया जाता है तो संगत इमीन बनते हैं जिनके जल अपघटन से ऐल्डिहाइड बनते हैं। इसे स्टीफेन अभिक्रिया कहते हैं।
प्रश्न 21.
आप एक पद में सोडियम एसिटेट को मेथेन में परिवर्तित कैसे करेंगे?
उत्तर:
सोडियम एसिटेट को सोडालाइम (NaOH तथा CaO का मिश्रण 3 : 1) के साथ गरम करने पर मेथेन प्राप्त होती है।
प्रश्न 22.
(अ) रोजेनमुण्ड अपचयन पर टिप्पणी लिखिए।
(ब) फ्लोरोऐसीटिक अम्ल, क्लोरोऐसीटिक अम्ल की तुलना में अधिक अम्लीय है, क्यों?
(स) कार्बोक्सिलेट आयन की अनुनादी संरचनाएँ बनाइए।
अथवा
(अ) वोल्फ – किश्नर अपचयन पर टिप्पणी लिखिए।
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक लगभग समान अणुभार वाले ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों से उच्च होते हैं, क्यों?
(स) एथेनॉइक अम्ल की वाष्प अवस्था में बनने वाले द्वितय की संरचना बनाइए।
उत्तर:
(अ) रोजेनमुंड अपचयन – ऐसिल क्लोराइड पर Pd तथा BaSO4 की उपस्थिति में हाइड्रोजन की क्रिया कराने (हाइड्रोजनीकरण) पर ऐल्डिहाइड बनते हैं, इसे रोजेनमुंड अपचयन कहते हैं।
(ब) फ्लोरोऐसीटिक अम्ल में उपस्थित फ्लोरीन का इलेक्ट्रॉन आकर्षी प्रभाव (-1 प्रभाव) क्लोरोऐसीटिक अम्ल में उपस्थित क्लोरीन के – I प्रभाव से अधिक होता है अतः यह अम्ल के आयनन से प्राप्त कार्बोक्सिलेट आयन के ऋणावेशित ऑक्सीजन से इलेक्ट्रॉनों को आकर्षित करके उसका स्थायित्व बढ़ा देता है जिससे विलयन में H+ आयन अधिक प्राप्त होते हैं। अतः फ्लोरोऐसीटिक अम्ल, क्लोरोऐसीटिक अम्ल की तुलना में अधिक अम्लीय है।
(स) कार्बोक्सिलेट आयन (RCO\(\overline{\mathrm{O}}\)) की अनुनादी संरचनाएँ निम्न हैं-
अथवा
(अ) (i) वोल्फ-किश्नर अपचयन-कार्बोनिल यौगिक की हाइड्रेजीन के साथ अभिक्रिया कराने के पश्चात्, एथिलीन ग्लाइकॉल (विलायक) में सोडियम या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गरम करने पर > C = O समूह – CH2 समूह में बदल जाता है तथा एल्केन बनते हैं।
(ब) कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक लगभग समान अणुभार वाले ऐल्डिहाइड तथा कीटोनों से उच्च होते हैं क्योंकि इनमें प्रचल अंतराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जिसके कारण इनके अणु आपस में संगुणित हो जाते हैं तथा अधिकांश कार्बोक्सिलिक अम्ल वाष्प अवस्था तथा ऐप्रोटिक विलायकों में द्विलक के रूप में पाए जाते हैं।
(स) एथेनॉइक अम्ल की वाष्प अवस्था में बनने वाले द्वितय (द्विलक) की संरचना निम्न प्रकार होती है-
प्रश्न 23.
बेन्जोइक अम्ल, 4 मेथिल बेन्जोइक अम्ल एवं 4- नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल को अम्लीय सामर्थ्य के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर:
उपरोक्त अम्लों की अम्लीय सामर्थ्य का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार होता है-
प्रश्न 24.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पादों की प्रागुक्ति कीजिए :
उत्तर:
प्रश्न 25.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में जो अभिकर्मक प्रयुक्त होते हैं, उन्हें लिखिए :
अथवा
निम्नलिखित यौगिकों को उनके सामने दिए गए गुणधर्म के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए:
(i) CH3CHO, C6H5CHO, HCHO
(नाभिकस्नेही संकलन अभिक्रिया के प्रति सक्रियता)
(ii) 2,4-डाइनाइट्रोबेन्जोइक एसिड, 4- मेथॉक्सीबेन्जोइक एसिड, 4 – नाइट्रोबेन्जोइक एसिड (अम्लीय व्यवहार)।
उत्तर-
(i)
(ii) CH3COOH + PCl5 → CH3COCl + HCl + POCl3
अतः अभिक्रिया (i) में Zn Hg व सान्द्र HCl तथा अभिक्रिया (ii) में PCL5 अभिकर्मक है।
अथवा
(i) CH3CHO, C6H5CHO HCHO का नाभिकस्नेही संकलन अभिक्रिया के प्रति सक्रियता का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार है-
C6H5CHO < CH3CHO < HCHO
उपरोक्त यौगिकों के अम्लीय व्यवहार का बढ़ता क्रम निम्न प्रकार हैं –
4- मेक्सीबेन्जोइक एसिड < 4- नाइट्रोबेन्जोइक एसिड < 2,4- डाइनाइट्रोक एसिड