Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर Important Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फीनॉल एवं ईथर
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. अणु सूत्र C3H8O से सम्बन्धित ऐल्कोहॉल हो सकते हैं-
(अ) केवल प्राथमिक
(ब) केवल द्वितीयक
(स) प्राथमिक एवं द्वितीयक
(द) प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक
उत्तर:
(स) प्राथमिक एवं द्वितीयक
2. निम्नलिखित में से किस यौगिक से सोडियम धातु की क्रिया नहीं होती ?
(अ) CH3-OH
(ब) CH3COOH
(स) C6H5OH
(द) CH3-O-CH3
उत्तर:
(द) CH3-O-CH3
3. 413K ताप पर एथेनॉल के आधिक्य को सान्द्र H2SO4 साथ गर्म करने पर प्राप्त यौगिक है-
(अ) CH2 = CH2
(ब) C2H5 – O – C2H5
(स) C2H5HSO4
(द) (C2H5)2 SO4
उत्तर:
(ब) C2H5 – O – C2H5
4. फ़ीनॉल पर KOH तथा CHCl3 की अभिक्रिया का नाम है-
(अ) डाइऐजोटीकरण
(ब) नाइट्रोसोकरण
(स) फार्मिलीकरण
(द) कार्बोक्सिलीकरण
उत्तर:
(स) फार्मिलीकरण
5. मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉलों का सामान्य सूत्र है-
(अ) CnH2n+1O2
(ब) CnH2n+2
(स) CnH2n+2O
(द) CnH2nOH
उत्तर:
(स) CnH2n+2O
6. C2H5MgCl + CH3CHO →
उपरोक्त अभिक्रिया से प्राप्त यौगिक Y है-
(अ) ब्यूटेन- 1-ऑल
(ब) ब्यूटेन-2-ऑल
(स) 2-मेथिल-ब्यूटेन-2-ऑल
(द) 2-मेथिल-ब्यूटेन- 1 – ऑल
उत्तर:
(ब) ब्यूटेन-2-ऑल
7. एथेनॉल को सान्द्र H2SO4 के साथ 443K ताप पर गर्म करने पर प्राप्त यौगिक है-
(अ) ईथर
(ब) एथिल हाइड्रोजन सल्फेट
(स) एथीन
(द) प्रोपीन
उत्तर:
(ब) एथिल हाइड्रोजन सल्फेट
8. ऐल्कोहॉल की निम्नलिखित में से किसके साथ क्रिया द्वारा एस्टर बनाता है?
(अ) RCOOH
(ब) RCOCl
(स) (RCO)O2
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
9. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक जल में विलेय है?
(अ) CHCl3
(ब) C2H5-O-C2H5
(स) CCl4
(द) CH3-CH2-OH
उत्तर:
(द) CH3-CH2-OH
10. का IUPAC नाम है-
(अ) 1- मेथॉक्सी प्रोपेन
(ब) मेथॉक्सी मेथिल एथेन
(स) 2- मेथॉक्सी प्रोपेन
(द) आइसोप्रोपिल मेथिल ईथर
उत्तर:
(स) 2- मेथॉक्सी प्रोपेन
11. ईथरों में निम्न में से कौनसी समावयवता नहीं होती ?
(अ) श्रृंखला
(ब) प्रकाशिक
(स) ज्यामितीय
(द) स्थिति समावयवता
उत्तर:
(स) ज्यामितीय
12. 1 – मेथॉक्सीप्रोपेन निम्नलिखित में से किस यौगिक का क्रियात्मक समूह समावयवी है?
(अ) ब्यूटेन- 1-ऑल
(ब) प्रोपेन 1-ऑल
(स) ब्यूटेनैल
(द) ब्यूटेनॉन
उत्तर:
(अ) ब्यूटेन- 1-ऑल
13. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक एक द्वितीयक ऐल्कोहॉल है?
उत्तर:
14 कैटिकॉल का सूत्र है-
उत्तर:
15. कीटोनों के अपचयन से बनने वाला यौगिक है-
(अ) प्राथमिक ऐल्कोहॉल
(ब) द्वितीयक ऐल्कोहॉल
(स) तृतीयक ऐल्कोहॉल
(द) फ़ीनॉल
उत्तर:
(ब) द्वितीयक ऐल्कोहॉल
16. निम्नलिखित में से किस ऐल्कोहॉल की हाइड्रोजन आयन देने की प्रवृत्ति अधिकतम है ?
उत्तर:
(ब) CH3-O-H
17. सैलिसिलिक अम्ल के एसिटिलीकरण से बना यौगिक है-
(अ) सेलॉल
(ब) ऐस्पिरिन
(स) पिक्रिक अम्ल
(द) पैरासिटामोल
उत्तर:
(ब) ऐस्पिरिन
18. इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन में फ़ीनॉल का – OH समूह है-
(अ) m-निर्देशी
(ब) p-निर्देशी
(स) o, p निर्देशी
(द) 0-निर्देशी
उत्तर:
(स) o, p निर्देशी
19. फ़ीनॉल की यशद रज (Zn dust) के साथ अभिक्रिया से बना उत्पाद है-
(अ) टॉलुईन
(ब) बेन्जीन
(स) नाइट्रोबेन्जीन
(द) एनीलीन
उत्तर:
(ब) बेन्जीन
20. शीरे (मोलैसेज) के किण्वन में शर्करा (सुक्रोस) से ग्लूकोस तथा फ्रक्टोज के बनने में प्रयुक्त एन्जाइम है-
(अ) जाइमेज
(ब) इनवर्टेज
(स) माल्टेज
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) इनवर्टेज
21. की HI से अभिक्रिया के उत्पाद हैं-
उत्तर:
22. निम्नलिखित में से कौनसा समूह फ़ीनॉल के अम्लीय गुण में वृद्धि करता है?
(अ) -CH3
(ब) -OCH3
(स) – NO2
(द) OH
उत्तर:
(स) – NO2
23. तृतीयक ऐल्कोहॉल को Cu या ZnO के साथ 573 K ताप पर गर्म करने से प्राप्त उत्पाद होगा-
(अ) कीटोन
(ब) ऐल्डिहाइड
(स) ऐल्कीन
(द) अम्ल
उत्तर:
(स) ऐल्कीन
24. निम्नलिखित में से मिश्रित ईथर कौनसा है?
(अ) CH3-O-CH3
(ब) CH3-O-CH2-CH3
(स) C2H5-O-C2H5
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(ब) CH3-O-CH2-CH3
25. निम्नलिखित में से कौनसा यौगिक NaHCO3 के साथ क्रिया करता है?
(अ) CH3-OH
(स) CH3COOH
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(स) CH3COOH
26. का IUPAC नाम है-
(अ) 3,3 – डाइमेथिल साइक्लोहेक्सेन -1-ऑल
(ब) 1,1 – डाइमेथिल – 3 – हाइड्रॉक्सी साइक्लोहेक्सेन
(स) 1,1 – डाइमेथिल – 3 – साइक्लो हेक्सेनॉल
(द) 3,3 – डाइमेथिल- 1- हाइड्रॉक्सी साइक्लोहेक्सेन
उत्तर:
(अ) 3,3 – डाइमेथिल साइक्लोहेक्सेन -1-ऑल
27. अणुसूत्र C5H11-OH द्वारा कितने प्राथमिक ऐल्कोहॉल संभव हैं?
(अ) 4
(ब) 3
(स) 5
(द) 6
उत्तर:
(अ) 4
28. अणुसूत्र C4H10O से कुल कितने संरचना समावयवी संभव हैं?
(अ) 4
(ब) 7
(स) 6
(द) 5
उत्तर:
(ब) 7
29. फीनॉल की NaOH तथा CO2 के साथ क्रिया का मुख्य उत्पाद निम्नलिखित में से कौनसा है?
उत्तर:
30. अभिक्रिया में निम्न में से कौनसा इलेक्ट्रॉनस्नेही बेन्जीन वलय पर आक्रमण करता है?
(अ) \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}\)HO
(स) \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}\)HCl2
(ब) :CHCl2
(द) \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}\)Cl3
उत्तर:
(स) \(\stackrel{+}{\mathrm{C}}\)HCl2
31. निम्नलिखित में से किस ऐल्कोहॉल की जल में विलेयता सर्वाधिक होती है?
(अ) आइसोब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(ब) तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(स) द्वितीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(द) n ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
उत्तर:
(ब) तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
32. प्राथमिक, द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉल को विभेदित किया जा सकता है-
(अ) राइमर टीमान अभिक्रिया द्वारा
(ब) टॉलेन अभिकर्मक द्वारा
(स) ल्यूकास अभिकर्मक द्वारा
(द) लैसोनें परीक्षण द्वारा
उत्तर:
(स) ल्यूकास अभिकर्मक द्वारा
33. p और m – नाइट्रो फीनॉलों की अपेक्षा ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल जल में कम घुलनशील होता है क्योंकि-
(अ) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल भाप में m और p- समावयवियों की अपेक्षा अधिक वाष्पशील है।
(ब) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल अन्तरआण्विक H-बन्धन दर्शाता है।
(स) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल अन्तः आण्विक H-बन्धन दर्शाता है।
(द) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल का गलनांक अपेक्षाकृत m और p- समावयवियों से कम होता है।
उत्तर:
(स) ऑर्थो नाइट्रोफीनॉल अन्तः आण्विक H-बन्धन दर्शाता है।
34. निम्नलिखित में से किस यौगिक का निर्जलीकरण अत्यधिक सरलता से होगा?
उत्तर:
35. बेन्जीन को बेन्जोइक अम्ल को X के साथ गर्म करके अथवा फीनॉल को Y के साथ गर्म करके प्राप्त किया जा सकता है। यहाँ, X तथा Y क्रमशः हैं-
(अ) जिंक चूर्ण तथा सोडालाइम
(ब) सोडालाइम तथा जिंक चूर्ण
(स) जिंक चूर्ण तथा NaOH
(द) सोडालाइम तथा कॉपर
उत्तर:
(ब) सोडालाइम तथा जिंक चूर्ण
36. ईथर के लिये कुछ अभिक्रियाएँ दी गई हैं। इनमें से कौनसी सही नहीं है?
उत्तर:
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ईथर में ऑक्सीजन पर कौनसा संकरण होता है?
उत्तर:
ईथर में ऑक्सीजन पर sp³ संकरण होता है।
प्रश्न 2.
सर्बिटॉल, किस प्रकार का ऐल्कोहॉल होता है?
उत्तर:
सर्बिटॉल एक पॉलिहाइड्रिक ऐल्कोहॉल है जिसमें 1° तथा 2° – OH समूह उपस्थित होते हैं।
प्रश्न 3.
अणुसूत्र C5H12O द्वारा कुल कितने ऐल्कोहॉल संरचना समावयवी संभव हैं?
उत्तर:
आठ।
प्रश्न 4.
ब्यूटेन- 1- ऑल तथा 2-मेथिल प्रोपेन- 1- ऑल के युग्म कौनसी समावयवता है?
उत्तर:
श्रृंखला समावयवता।
प्रश्न 5.
m – क्रीसॉल का एक क्रियात्मक समूह समावयवी बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
ईथर में मध्यावयवता का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
आपस में मध्यावयवता दर्शाते हैं।
प्रश्न 7.
साबुनीकरण क्या होता है?
उत्तर:
किसी एस्टर के क्षारीय जल अपघटन को साबुनीकरण कहते हैं।
प्रश्न 8.
एथिल ऐमीन की नाइट्स अम्ल के साथ अभिक्रिया दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 9.
300°C पर V2O5, की उपस्थिति में बेन्जीन का ऑक्सीकरण करने पर बना उत्पाद बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 10.
एक यौगिक जो सोडियम के साथ क्रिया करता है तथा आयोडोफॉर्म परीक्षण भी देता है उसका नाम तथा सूत्र बताइए।
उत्तर:
CH3-CH2-OH (एथिल ऐल्कोहॉल)
प्रश्न 11.
किस प्रकार के ऐल्कोहॉल, विक्टरमेयर परीक्षण से नीला रंग देते हैं?
उत्तर:
द्वितीयक ऐल्कोहॉल।
प्रश्न 12.
फीनॉल की ऐसीटिल क्लोराइड के साथ अभिक्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 13.
ब्यूटेन- 1- ऑल के निर्जलीकरण से प्राप्त मुख्य ऐल्कीन कौनसी होती है?
उत्तर:
CH3-CH = CH-CH3 (ब्यूट-2-ईन)
प्रश्न 14.
ल्यूकास अभिकर्मक किसे कहते हैं तथा इसका उपयोग भी बताइए।
उत्तर:
निर्जल ZnCl2 तथा सान्द्र HCl के मिश्रण को ल्यूकास अभिकर्मक कहते हैं तथा इससे 1°, 2° तथा 3° ऐल्कोहॉलों में विभेद किया जाता है।
प्रश्न 15.
डायस्टेस एन्जाइम का कार्य बताइए।
उत्तर:
डायस्टेस एन्जाइम, स्टार्च को माल्टोस में परिवर्तित करता है।
प्रश्न 16.
फीनॉल से एनिसॉल तथा फेनिटोल बनाने के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 17.
पेन्टेन- 1- ऑल (I), 2- मेथिल ब्यूटेन – 2 – ऑल (II) तथा पेन्टेन-2-ऑल (III) की जल में विलेयता का क्रम बताइए।
उत्तर:
(II) > (III) > (I)
प्रश्न 18.
एथेनॉल (I), प्रोपेन (II) तथा मेथॉक्सी मेथेन (III) के क्वथनांक का बढ़ता क्रम लिखिए।
उत्तर:
(II) < (III) < (I)
प्रश्न 19.
C2H5OH जल में विलेय है लेकिन C2H5O C2H5 नहीं, क्यों?
उत्तर:
C2H5OH, जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बना लेता है। लेकिन C2H5 O C2H5 जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध नहीं बना सकता। अतः C2H5OH जल में विलेय है, C2H5 O C2H5 नहीं।
प्रश्न 20.
निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम को पूर्ण कीजिए-
उत्तर:
प्रश्न 21.
एथॉक्सीएथेन के दहन का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
C2H5 O C2H5 + 6O2 → 4CO2 + 5H2O
प्रश्न 22.
विवृत श्रृंखलायुक्त संतृप्त ईथरों का सामान्य सूत्र बताइए।
उत्तर:
CnH2n+2O
प्रश्न 23.
ईथर की विभिन्न हैलोजन अम्लों के साथ क्रियाशीलता का क्रम लिखिए।
उत्तर:
HI > HBr > HCl
प्रश्न 24.
CH3OH, CH3OCH3 तथा C6H5OH को बन्ध कोण के बढ़ते क्रम में रखिए।
उत्तर:
CH3OH < C6H5OH < CH3-O-CH3
प्रश्न 25.
किसी कार्बनिक यौगिक में उपस्थित – OH समूह की पहचान कैसे करेंगे कि यह ऐल्कोहॉलिक है या फीनॉलिक?
उत्तर:
कार्बनिक यौगिक की उदासीन FeCl3 विलयन के साथ क्रिया से गहरा बैंगनी रंग आता है तो यह – OH समूह फीनॉलिक है अन्यथा ऐल्कोहॉलिक।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
(a) बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड से फीनॉल कैसे बनाया जाता है?
(b) सैलिसिलिक अम्ल को फीनॉल में किस प्रकार परिवर्तित किया जाता है ?
उत्तर:
(a) बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड को जल के साथ उबालने पर फीनॉल प्राप्त होता है।
(b) सैलिसिलिक अम्ल को सोडालाइम के साथ गर्म करने पर विकार्बोक्सिलीकरण होकर फीनॉल बनता है-
प्रश्न 2.
निम्नलिखित यौगिकों के अपचयन द्वारा ऐल्कोहॉल बनाने के समीकरण दीजिए-
उत्तर:
प्रश्न 3.
अम्ल के विभिन्न व्युत्पन्नों के अपचयन से ब्यूटेन1-ऑल कैसे बनाते हैं ?
उत्तर:
अम्ल के विभिन्न व्युत्पन्नों का लीथियम ऐलुमिनियम हाइड्राइड द्वारा अपचयन कराने पर प्राथमिक ऐल्कोहॉल बनते हैं। इस विधि द्वारा ब्यूटेन-1-ऑल निम्न प्रकार बनाया जा सकता है-
प्रश्न 4.
कार्बोनिल यौगिकों की ग्रीन्यार अभिकर्मक के साथ क्रिया द्वारा ऐल्कोहॉल बनाने की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्रीन्यार अभिकर्मकों की कार्बोनिल यौगिकों से क्रिया द्वारा (By the reaction of Grignard reagents with carbonyl compounds) – ग्रीन्यार अभिकर्मकों की विभिन्न ऐल्डिहाइड और कीटोन के साथ अभिक्रिया से संगत ऐल्कोहॉल बनते हैं।
अभिक्रिया के प्रथम पद में कार्बोनिल समूह पर ग्रीन्यार अभिकर्मक का नाभिकरागी (नाभिकस्नेही) योग होकर योगोत्पाद बनता है जिसके जल अपघटन से ऐल्कोहॉल प्राप्त होते हैं। मेथेनैल (HCHO) से प्राथमिक ऐल्कोहोल, किसी अन्य ऐल्डिहाइड (RCHO) से द्वितीयक ऐल्कोहॉल तथा कीटोन (RCOR) से तृतीयक ऐल्कोहॉल प्राप्त होते हैं।
अभिक्रिया की सामान्य रूपरेखा को निम्न प्रकार प्रदशित किया जा सकता है-
विभिन्न ऐल्डिहाइडों एवं कीटेनों की ग्रीन्यार अभिकर्मक से अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 5.
ऐस्टरों के जल अपघटन से ऐल्कोहॉल बनाने की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एस्टरों (ऐल्किल ऐल्केनॉएट) के जल अपघटन द्वारा [By the Hydrolysis of Esters (Alkyl Alkanoate)] – एस्टरों के जल अपघटन से संगत कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा ऐल्कोहॉल प्राप्त होते हैं। यह जल अपघटन भाप द्वारा, अम्लीय माध्यम में, क्षारीय माध्यम में या एन्जाइम (हाइड्रोलेस) की उपस्थिति में किया जा सकता है।
यह अभिक्रिया उत्क्रमणीय है अतः इसमें ऐल्कोहॉल की लब्धि कम होती है।
जलीय KOH या NaOH द्वारा जल अपघटन से R COO Na बनते हैं तथा इस अभिक्रिया को साबुनीकरण (Saponification) कहते हैं।
प्रश्न 6.
बेन्जीन से फीनॉल बनाने की राशिग विधि को समझाइए।
उत्तर:
बेन्जीन से (From Benzene)-ताम्रलौह उत्प्रेरक की उपस्थिति में बेन्जीन की HCl तथा वायु (ऑक्सीजन) के साथ क्रिया करवाने पर पहले क्लोरोबेन्जीन बनती है जिसका SiO2 की उपस्थिति में जल अपघटन करवाने पर फीनॉल प्राप्त होता है। इसे राशिग प्रक्रम कहते हैं।
प्रश्न 7.
एथिल ऐल्कोहॉल की सान्द्र H2SO4 के साथ क्रिया से बना उत्पाद अभिक्रिया की परिस्थिति पर निर्भर करता है। इस कथन की व्याख्या विभिन्न समीकरणों द्वारा कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न परिस्थितियों में एथिल ऐल्कोहॉल की सान्द्र H2SO4 के साथ क्रिया से प्राप्त उत्पाद निम्नलिखित हैं-
(i) 0°C तथा उच्च दाब पर-
(ii) 80-100°C पर-
(iii) एथिल ऐल्कोहॉल के आधिक्य में 140°C पर –
(iv) सान्द्र H2SO4 के आधिक्य में 170° C पर-
प्रश्न 8.
निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रमों में X, Y तथा Z की पहचान कीजिए-
उत्तर:
प्रश्न 9.
एक यौगिक (X) PCl5 से क्रिया करके यौगिक Y बनाता है। यौगिक Y की क्रिया मैग्नीशियम के ईथरी विलयन से कराने से प्राप्त यौगिक (Z) की क्रिया प्रोपेनॉन के साथ कराकर जल अपघटन करने से 2 – मेथिल प्रोपेन-2- ऑल बनता है। यौगिक X तथा Y क्या हैं तथा अभिक्रियाओं के समीकरण भी दीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार,
अन्तिम उत्पाद चार कार्बन का 3° ऐल्कोहॉल है जो कि प्रोपेनॉन की यौगिक (Z) से क्रिया कराने पर प्राप्त हो रहा है। अतः यौगिक Z एक कार्बनयुक्त ग्रीन्यार अभिकर्मक है इसलिए प्रारम्भिक यौगिक X एक कार्बन का ऐल्कोहॉल होगा तथा अभिक्रया अनुक्रम निम्न प्रकार होगा-
प्रश्न 10.
एक कार्बनिक यौगिक X (C4H10O) की HCl से क्रिया कराने पर यौगिक Y (C4H9Cl) बनता है जिसके अपचयन सेब्यूटेन प्राप्त होता है। यौगिक X के ऑक्सीकरण से पहले एक कार्बोनिल यौगिक (Z) प्राप्त होता है इसके पश्चात् उतने ही कार्बन का कार्बोक्सिलिक अम्ल (P) बनता है। X, Y Z तथा P का सूत्र बताइए तथा अभिक्रिया अनुक्रम भी लिखिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार यौगिक X, n ब्यूटिल ऐल्कोहॉल है क्योंकि इसके ऑक्सीकरण का अन्तिम उत्पाद उतने ही कार्बन का कार्बोक्सिलिक अम्ल है। इन अभिक्रियाओं के समीकरण निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 11.
एक कार्बनिक यौगिक आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है तथा यह सोडियम धातु के साथ क्रिया करके हाइड्रोजन गैस भी देता है तथा इसके ऑक्सीकरण का अन्तिम उत्पाद एथेनॉइक अम्ल है तो यह यौगिक कौनसा है? समीकरणों सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रश्नानुसार यौगिक आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है अतः यह ऐल्कोहॉल या कार्बोनिल यौगिक होना चाहिए लेकिन कार्बोनिल यौगिक सोडियम धातु के साथ क्रिया नहीं करते तथा इस यौगिक के ऑक्सीकरण का अन्तिम उत्पाद एथेनॉइक अम्ल है अतः यह यौगिक एथेनॉल होगा। अभिक्रियाओं के समीकरण निम्न हैं-
प्रश्न 12.
फीनॉल के अम्लीय गुण पर प्रतिस्थापियों के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
फीनॉल के अम्लीय गुण पर प्रतिस्थापियों का प्रभाव- फीनॉल में इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह ( – I प्रभाव) जुड़ने पर इसके अम्लीय गुण में वृद्धि होती है। ये समूह जब आर्थो तथा पैरा स्थितियों पर होते हैं तो अम्लीय गुण अधिक बढ़ता है क्योंकि इनसे फीनॉक्साइड आयन के ऋणावेश का विस्थापन अधिक मात्रा में होता है। लेकिन इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी (+ I प्रभाव ) समूहों (जैसे CH3-, C2H5-) के कारण फीनॉल का अम्लीय गुण कम हो जाता है, क्योंकि ये फीनॉक्साइड आयन के स्थायित्व में कमी करते हैं जिससे -O-H बन्ध का आयनन कम हो जाता है। + I प्रभाव वाले समूहों की संख्या बढ़ने पर अम्लीय गुण में कमी होती है।
उदाहरण –
फीनॉल की तुलना में क्रीसॉलों को अम्लीय गुण कम होता है तथा इनके om – तथा p- समावयवियों के अम्लीय गुणका क्रम – निम्न प्रकार होता है-
m > p ≈ O
फीनॉल की तुलना में नाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय होते हैं तथा इनके o, m तथा p- समावयवियों के अम्लीय गुण का क्रम निम्न है – p > 0 > m
फीनॉल में – OR समूह जुड़ने पर इसके अम्लीय गुण में सामान्यतः कमी होती है क्योंकि OR समूह +M प्रभाव दर्शाता है जिससे फीनॉल का आयनन कम हो जाता है।
इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूहों की संख्या बढ़ने पर भी फीनॉल के अम्लीय गुण में वृद्धि होती है अतः 2 – नाइट्रोफीनॉल की तुलना में 2, 4- डाइनाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय होता है तथा 2, 4, 6 ट्राइनाइट्रोफीनॉल (पिक्रिक अम्ल) का अम्लीय गुण तो कार्बोक्सिलिक अम्लों के समतुल्य हो जाता है।
फनॉल तथा प्रतिस्थापित फीनॉलों के Pka मान निम्नलिखित सारणी में दिए गए हैं जिससे इनके अम्लीय गुणों की तुलना की जा सकती है।
क्रम सं. | यौगिक | Pka मान |
1. | p-नाइट्रोफीनॉल | 7.1 |
2. | 0-नाइट्रोफीनॉल | 7.2 |
3. | m-नाइट्रोफीनॉल | 8.3 |
4. | फीनॉल | 10.0 |
5. | m-क्रीसॉल | 10.1 |
6. | o-क्रीसॉल | 10.2 |
7. | p-क्रीसॉल | 10.2 |
नोट – Pka मान बढ़ने पर अम्लीय गुण में कमी होती है।
प्रश्न 13.
C2H5OH की निम्नलिखित अभिक्रियाओं का वर्णन कीजिए –
(i) शॉटन बोमान अभिक्रिया
(ii) सान्द्र HNO3 से क्रिया
(iii) NH, के आधिक्य से क्रिया
(iv) लाल P तथा HI से अपचयन।
उत्तर:
प्रश्न 14.
C2H5OH की निम्नलिखित यौगिकों के साथ अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) CH2N2 (डाइएजोमेथेन )
(ii) कीटीन
(iii) HC = CH (एथाइन)
(iv) CH3NCO (मेथिल – आइसोसायनेट)
(v) CH3CHO (एथेनैल)
(vi) 0°C पर सान्द्र H2SO4
उत्तर:
प्रश्न 15.
निम्नलिखित को समझाइए –
(a) हैलोफॉर्म अभिक्रिया
(b) तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल की फेन्टन अभिकर्मक से क्रिया।
उत्तर:
(a) हैलोफॉर्म अभिक्रिया (Haloform Reaction) – समूह, युक्त ऐल्कोहॉलों की क्षार की उपस्थिति में हैलोजन से क्रिया करवाने पर हैलोफॉर्म बनते हैं, इसे हैलोफॉर्म अभिक्रिया कहते हैं। उदाहरण-
इस अभिक्रिया नं क्लोरीन के स्थान पर आयोडीन लेने पर आयोडोफॉर्म (CH3 बनता है जो कि पीला अविलेय ठोस होता है। इसे आयोडोफॉर्म परीक्षण कहते हैं।
(b) फेन्टन अभिकर्मक से अभिक्रिया (Reaction with Fenton’s Reagent) – फेन्टन अभिकर्मक (FeSO4 + H2O2) से ऐल्कोहॉलों का ऑक्सीकारक संघनन द्वितीयकरण होकर ऐल्केन डाइऑल बनते हैं।
प्रश्न 16.
मेथेनॉल तथा एथेनॉल में विभेद कीजिए।
उत्तर:
मेथेनॉल (CH3OH) तथा ऐथेनॉल (C2H5OH) में विभेद (Difference in Methanol and Ethanol)- दोनों ही प्राथमिक ऐल्कोहॉल श्रेणी के प्रथम तथा द्वितीय सदस्य हैं फिर भी इनमें निम्नलिखित विभेद हैं-
ऐल्कोहॉलों में अन्तर्परिवर्तन (Interconversions in Alcohols)
(1) निम्न ऐल्कोहॉल से उच्च ऐल्कोहॉल बनाना
उदाहरण – CH-OH से C2H5OH
(2) उच्च ऐल्कोहॉल से निम्न ऐल्कोहॉल बनाना
CH3-CH2-CH2-OH से CH3CH2OH
(3) 1° – ऐल्कोहॉल से 2° – ऐल्कोहॉल बनाना-
प्रश्न 17.
फीनॉल की सल्फोनीकरण अभिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सल्फोनीकरण (Sulphonation)-कक्ष ताप पर फीनॉल की सान्द्र H2SO4 से क्रिया कराने पर o – तथा p-फीनॉल सल्फोनिक अम्लों का मिश्रण बनता है। इस अभिक्रिया में उच्च ताप (100°C) पर p-समावयवी तथा निम्न ताप (25°C) पर o- समावयवी अधिक मात्रा में बनता है।
प्रश्न 18.
फीनॉल की फीडेल क्राफ्ट अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए।
उत्तर:
(i) ऐल्किलीकरण-
(ii) ऐसिटिलीकरण-
प्रश्न 19.
फीनॉल की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) बेन्जीन डाइएजोनियम क्लोराइड
(ii) एसीटोन
(iii) थैलिक एन्टाइ
उत्तर:
प्रश्न 20.
लेडेरर मानेसे अभिक्रिया क्या होती है ? समझाइए।
उत्तर:
फार्मेल्डिहाइड के साथ अभिक्रिया (लेडेरर मानेसे अभिक्रिया) [Reaction with Formaldehyde (Lederer Manese Reaction)]-तनु अम्ल या क्षार की उपस्थिति में फीनॉल तथा फार्मेल्डिहाइड की क्रिया द्वारा o – तथा p – हाइड्रॉक्सी बेन्जिल ऐल्कोहॉल बनते हैं।
फीनॉल के साथ फॉर्मेल्डिहाइड को अधिक मात्रा में लेकर गर्म करने पर संघनन बहुलकीकरण द्वारा एक त्रिविमीय बहुलक बैकेलाइट बनता है। बैकेलाइट एक ताप सुदृढ़ प्लास्टिक होता है जिसे विद्युत रोधन में प्रयुक्त किया जाता है।
प्रश्न 21.
फीनॉल की निम्नलिखित के साथ अभिक्रियाएँ लिखिए-
(i) PCl5 के साथ
(ii) NH3 के साथ
(iii) हिन्सबर्ग अभिकर्मक
(iv) हाइड्रोजन।
उत्तर:
प्रश्न 22.
t-ब्यूटिल मेथिल ईथर की सान्द्र HI के साथ अभिक्रिया लिखिए तथा इसकी क्रियाविधि भी बताइए।
उत्तर:
इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN1 होती है।
प्रश्न 23.
CH3O C2H5 की HI से क्रिया द्वारा बने उत्पाद बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 24.
CH3O C2H5 के साथ अभिक्रिया की क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
हैलोजन अम्लों के साथ क्रिया – डाइऐल्किल ईथर की क्रिया, हैलोजन अम्लों के आधिक्य से करवाने पर ऐल्किल हैलाइड के दो मोल बनते हैं।
HX की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है-HI > HBr > HCl तथा यह अभिक्रियां सान्द्र HI या HBr द्वारा उच्च ताप पर होती है।
ईथर में एक तृतीयक ऐल्किल समूह उपस्थित होने पर तृतीयक ऐल्किल हैलाइड बनता है।
उदाहरण-
इस अभिक्रिया में तृतीयक ऐल्किल हैलाइड बनने का स्पष्टीकरण अभिक्रिया की क्रियाविधि (SN1) से हो जाता है।
पद – I – ईथर का प्रोटोनीकरण
पद – II
पद – III
पद II में CH3OH तथा t – ब्यूटिल कार्बोकैटायन (3°) बनता है जो कि अधिक स्थायी होता है जिस पर आयोडाइड (I–) की क्रिया से t – ब्यूटिल आयोडाइड बनता है अतः यह SN1 अभिक्रिया है।
एथिल मेथिल ईथर की HI के एक मोल के साथ अभिक्रिया से मेथिल ऐल्कोहॉल तथा एथिल आयोडाइड बनते हैं। लेकिन HI का आधिक्य लेने पर मेथिल आयोडाइड तथा एथिल आयोडाइड बनते हैं।
CH3 – O – C2H5 + HI → CH3OH + C2H5I
CH3O C2H5 + 2HI → CH3I + C2H5I +H2O
इस अभिक्रिया से प्राप्त उत्पादों की व्याख्या इसकी क्रियाविधि से की जा सकती है।
क्रियाविधि –
पद – I – ईथर का प्रोटोनीकरण
पद I से प्राप्त ऑक्सोनियम आयन के कम प्रतिस्थापित कार्बन पर I– के आक्रमण से ऐल्किल आयोडाइड तथा ऐल्कोहॉल बनते हैं तथा इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN2 होती है।
पद – II
अतः दो भिन्न-भिन्न ऐल्किल समूह युक्त मिश्रित ईथर से बनने वाले ऐल्कोहॉल तथा ऐल्किल आयोडाइड, ऐल्किल समूहों की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। जब ईथर में प्राथमिक या द्वितीयक ऐल्किल समूह उपस्थित होते हैं तो छोटा ऐल्किल समूह ऐल्किल आयोडाइड बनाता है।
पद – III – जब HI के आधिक्य में उच्च ताप पर अभिक्रिया की जाती है तो एथेनॉल, HI के दूसरे अणु के साथ क्रिया करके C2H5I दूसरा अणु बना देता है।
चक्रीय ईथर, HBr तथा HI के साथ क्रिया करके डाइलो एल्केन बनाते हैं।
मिश्रित एरोमैटिक ईथर जैसे ऐनिसॉल में C-O बन्ध अधिक स्थायी होता है अतः ऐल्किल समूह के कार्बन तथा ऑक्सीजन के मध्य बन्ध का विदलन होकर फीनॉल एवं ऐल्किल हैलाइड बनते हैं।
इस अभिक्रिया में ऐनिसोल के प्रोटोनीकरण द्वारा मेथिलफेनिल ऑक्सोनियम आयन IMG बनता है। फेनिल समूह के कार्बन की sp² संकरित अवस्था तथा (O – C6H5) समूह के आंशिक द्विबंध के गुण के कारण O-C6H5 आबंध O-CH3 आबन्ध की तुलना में प्रबल होता है। इसलिए I- आयन के आक्रमण से O – CH3 आबंध टूटकर CH3I बनता है तथा फीनॉल पुनः अभिक्रिया करके C6H5I नहीं देते क्योंकि फीनॉल Tsp संकरित कार्बन नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया नहीं दर्शाता जो कि CHI में परिवर्तन के लिए आवश्यक है।
प्रश्न 25.
एक मिश्रित ईथर जिसमें प्राथमिक या द्वितीयक ऐल्किल समूह उपस्थित हैं, की एक मोल HI से क्रिया कराने पर आयोडाइड आयन (I–) कौनसे ऐल्किल समूह से जुड़ता है तथा क्यों?
उत्तर:
प्राथमिक या द्वितीयक ऐल्किल समूह युक्त मिश्रित ईथर की क्रिया HI के साथ कराने पर आयोडाइड आयन कम प्रतिस्थापित कार्बन या छोटे ऐल्किल समूह पर जुड़ता है क्योंकि इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN होती है जिसमें संक्रमण अवस्था बनती है। आयोडाइड के बड़े आकार के कारण यह बड़े या अधिक प्रतिस्थापित ऐल्किल समूह से नहीं जुड़ता क्योंक उस पर त्रिविम विन्यासी बाधा के कारण प्रतिकर्षण होता है।
प्रश्न 26.
एनिसॉल की HI के साथ क्रिया द्वारा फीनॉल तथा मेथिल आयोडाइड बनते हैं न कि आयोडोबेन्जीन तथा मेथिल ऐल्कोहॉल। इस कथन की व्याख्या कारण सहित कीजिए।
उत्तर:
हैलोजन अम्लों के साथ क्रिया – डाइऐल्किल ईथर की क्रिया, हैलोजन अम्लों के आधिक्य से करवाने पर ऐल्किल हैलाइड के दो मोल बनते हैं।
HX की क्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होता है-HI > HBr > HCl तथा यह अभिक्रियां सान्द्र HI या HBr द्वारा उच्च ताप पर होती है।
ईथर में एक तृतीयक ऐल्किल समूह उपस्थित होने पर तृतीयक ऐल्किल हैलाइड बनता है।
उदाहरण-
इस अभिक्रिया में तृतीयक ऐल्किल हैलाइड बनने का स्पष्टीकरण अभिक्रिया की क्रियाविधि (SN1) से हो जाता है।
पद – I – ईथर का प्रोटोनीकरण
पद – II
पद – III
पद II में CH3OH तथा t – ब्यूटिल कार्बोकैटायन (3°) बनता है जो कि अधिक स्थायी होता है जिस पर आयोडाइड (I–) की क्रिया से t – ब्यूटिल आयोडाइड बनता है अतः यह SN1 अभिक्रिया है।
एथिल मेथिल ईथर की HI के एक मोल के साथ अभिक्रिया से मेथिल ऐल्कोहॉल तथा एथिल आयोडाइड बनते हैं। लेकिन HI का आधिक्य लेने पर मेथिल आयोडाइड तथा एथिल आयोडाइड बनते हैं।
CH3 – O – C2H5 + HI → CH3OH + C2H5I
CH3O C2H5 + 2HI → CH3I + C2H5I +H2O
इस अभिक्रिया से प्राप्त उत्पादों की व्याख्या इसकी क्रियाविधि से की जा सकती है।
क्रियाविधि –
पद – I – ईथर का प्रोटोनीकरण
पद I से प्राप्त ऑक्सोनियम आयन के कम प्रतिस्थापित कार्बन पर I– के आक्रमण से ऐल्किल आयोडाइड तथा ऐल्कोहॉल बनते हैं तथा इस अभिक्रिया की क्रियाविधि SN2 होती है।
पद – II
अतः दो भिन्न-भिन्न ऐल्किल समूह युक्त मिश्रित ईथर से बनने वाले ऐल्कोहॉल तथा ऐल्किल आयोडाइड, ऐल्किल समूहों की प्रकृति पर निर्भर करते हैं। जब ईथर में प्राथमिक या द्वितीयक ऐल्किल समूह उपस्थित होते हैं तो छोटा ऐल्किल समूह ऐल्किल आयोडाइड बनाता है।
पद – III – जब HI के आधिक्य में उच्च ताप पर अभिक्रिया की जाती है तो एथेनॉल, HI के दूसरे अणु के साथ क्रिया करके C2H5I दूसरा अणु बना देता है।
चक्रीय ईथर, HBr तथा HI के साथ क्रिया करके डाइलो एल्केन बनाते हैं।
मिश्रित एरोमैटिक ईथर जैसे ऐनिसॉल में C-O बन्ध अधिक स्थायी होता है अतः ऐल्किल समूह के कार्बन तथा ऑक्सीजन के मध्य बन्ध का विदलन होकर फीनॉल एवं ऐल्किल हैलाइड बनते हैं।
इस अभिक्रिया में ऐनिसोल के प्रोटोनीकरण द्वारा मेथिलफेनिल ऑक्सोनियम आयन IMG बनता है। फेनिल समूह के कार्बन की sp² संकरित अवस्था तथा (O – C6H5) समूह के आंशिक द्विबंध के गुण के कारण O-C6H5 आबंध O-CH3 आबन्ध की तुलना में प्रबल होता है। इसलिए I- आयन के आक्रमण से O – CH3 आबंध टूटकर CH3I बनता है तथा फीनॉल पुनः अभिक्रिया करके C6H5I नहीं देते क्योंकि फीनॉल Tsp संकरित कार्बन नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया नहीं दर्शाता जो कि CHI में परिवर्तन के लिए आवश्यक है।
बोर्ड परीक्षा के दूष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिक का IUPAC नाम बताइए-
उत्तर:
प्रश्न 2.
निम्नलिखित अवलोकनों की व्याख्या कीजिए-
(i) एथेनॉल का क्वथनांक मेथॉक्सीमेथेन के क्वथनांक से उच्च होता है।
(ii) फीनॉल एथेनॉल से अधिक अम्लीय होता है।
(iii) o- और p- नाइट्रोफीनॉल अपेक्षाकृत फीनॉल से अधिक अम्लीय होते हैं।
उत्तर:
(i) एथेनॉल में अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जबकि मेथॉक्सी मेथेन में द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण (वान्डरवाल बल) पाया जाता है। अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध की प्रबलता, द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण से अधिक होती है। अतः एथेनॉल का क्वथनांक, मेथॉक्सी मेथेन की तुलना में उच्च होता है।
(ii) फीनॉल के आयनन से प्राप्त C6H5O–, अनुनाद के कारण स्थायी हो जाता है जबकि C2H5O– में ऐसा नहीं होता। अतः फीनॉल (C6H5OH) की H+ देने की प्रवृत्ति अधिक होती है इसलिए यह ऐथेनॉल से अधिक अम्लीय होता है।
(iii) o-नाइट्रोफ़ीनॉल अंतःअणुक हाइड्रोजन बन्ध (Intramolecular H-bond) के कारण भाप में वाष्पशील है क्योंकि इसमें अन्तराअणुक बल, p- समावयवी की तुलना में दुर्बल होता है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिक की अणु संरचना लिखिए जिसका आई.यू.पी.ए.सी. (IUPAC) पद्धति अनुसार नाम इस प्रकार है-
1- फेनिलप्रोपेन-2-ऑल
उत्तर:
प्रश्न 4.
निम्नलिखित का रूपांतर कैसे करेंगे :
(i) फीनॉल का बेन्जोक्विनोन में
(ii) प्रोपेनोन का 2-मेथिलप्रोपेन-2-ऑल में या मेथिल मैग्नीशियम
ब्रोमाइड से 2 – मेथिल प्रोपेन-2-ऑल
(iii) प्रोपीन का प्रोपेन- 2 – ऑल में ।
उत्तर:
(i) फीनॉल का ऑक्सीकरण क्रोमिक अम्ल (Na2Cr2O7 + H2SO4) द्वारा करवाने पर बेन्जोक्विनोन प्राप्त होता है।
(ii) प्रोपेनॉन की क्रिया मेथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड (CH3MgBr) से करवाने पर पहले योगोत्पाद बनता है जिसके जल अपघटन से 2- मेथिल प्रोपेन 2- ऑल प्राप्त होता है।
(iii) प्रोपीन की तनु H2SO4 से क्रिया करवाने पर जलयोजन होकर प्रोपेन- 2 – ऑल बनता है।
प्रश्न 5.
एथेनॉल को एथीन में आप कैसे रूपांतरित करेंगे?
उत्तर:
एथेनॉल को 443 K पर सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर एथीन प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया में निर्जलीकरण होता है।
प्रश्न 6.
एक ऐल्कीन के अम्ल उत्प्रेरित जलयोजन से सम्बद्ध ऐल्कोहॉल बनाने की क्रियाविधि की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एथीन का जलयोजन-तनु अम्ल (HCl, H2SO4) की उपस्थिति में एल्कीन की जल के साथ अभिक्रिया से ऐल्कोहॉल बनता है तथा असममित ऐल्कीनों में योगात्मक अभिक्रिया मार्कोनीकॉफ के नियम के अनुसार होती है।
एथीन का जलयोजन निम्न प्रकार होता है-
क्रियाविधि-इस अभिक्रिया की क्रियाविधि में निम्नलिखित तीन पद होते हैं-
पद 1-H3O+ के इलेक्ट्रॉनस्नेही के आक्रमण के द्वारा ऐल्कीन के प्रोटोनीकरण (Protonation) से कार्बोकैटायन बनता है।
पद 2-कार्बोकैटायन पर जल का नाभिकस्नेही (Nucleophyllic) आक्रमण
पद 3-विप्रोटोनीकरण (deprotonation) जिससे ऐल्कोहोल बनता है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित व्यवहारों की व्याख्या कीजिए-
(i) तुलनीय आण्विक द्रव्यमानों के हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक घुलनशील होते हैं।
(ii) ऑर्थो – मेथॉक्सीफीनॉल की अपेक्षा ऑर्थो – नाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय होता है।
उत्तर:
(i) ऐल्कोहॉलों में ध्रुवीय -OH समूह उपस्थित होने के कारण ये जल के साथ आसानी से हाइड्रोजन बन्ध बना लेते हैं जबकि हाइड्रोकार्बन, जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध नहीं बना सकते। अतः समतुल्य आण्विक द्रव्यमान वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक विलेय होते हैं।
(ii) ऑर्थो-नाइट्रोफीनॉल, ऑर्थो-मेथॉक्सी फ़ीनॉल से अधिक अम्लीय होती है क्योंकि – NO2 समूह का इलेक्ट्रॉन-आकर्षी अनुनाद प्रभाव ( -I तथा – M) फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ाता है जबकि – OCH3 ( मेथॉक्सी) समूह का इलेक्ट्रॉन-प्रतिकर्षी प्रभाव फीनॉक्साइड आयन के स्थायित्व को कम करता है। फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ने से फीनॉल का वियोजन अधिक होता है अतः अम्लीय प्रबलता बढ़ती है।
प्रश्न 8.
शर्करा के किण्वन से एथेनॉल बनाते समय हम प्रभाजी आसवन विधि से 95% से अधिक सान्द्रता का एथेनॉल क्यों नहीं बना सकते हैं?
उत्तर:
शर्करा के किण्वन से एथेनॉल बनाते समय प्रभाजी आसवन विधि से 95% से अधिक सान्द्रता का एथेनॉल नहीं बना सकते क्योंकि 95% एथेनॉल तथा 5% जल का मिश्रण स्थिर क्वथनांकी मिश्रण होता है, जिसका प्रभाजी आसवन सम्भव नहीं है क्योंकि इसका क्वथनांक निश्चित होता है।
प्रश्न 9.
उपर्युक्त अभिक्रिया में बने उत्पाद X व Y के रासायनिक सूत्र तथा नाम लिखो। X तथा Y को वाष्पीय आसवन विधि से पृथक् क्यों किया जा सकता है?
उत्तर:
फीनॉल की तनु HNO3 से क्रिया निम्न प्रकार होती है-
उपर्युक्त अभिक्रिया से प्राप्त दोनों समावयवियों को वाष्पीय आसवन से पृथक् कर सकते हैं क्योंकि o- नाइट्रोफीनॉल अंतः अणुक (intra- molecular H-bond) हाइड्रोजन बन्ध के कारण भाप में वाष्पशील होता है तथा इसमें अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध, p-समावयवी की तुलना दुर्बल है।
प्रश्न 10.
उपर्युक्त अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए एवं अभिक्रिया की क्रियाविधि समझाइए।
उत्तर:
एथेनॉल को 443 K ताप पर सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर इसका निर्जलीकरण होकर एथीन बनती है।
एथेनॉल के निर्जलीकरण (Dehydration) की क्रियाविधि में निम्नलिखित पद होते हैं-
क्रियाविधि-
I. प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल का बनना-
II. कार्बोकैटायन का बनना (Formation of Carbocation )यह सबसे धीमा पद है अतः यह वेग निर्धारक पद है-
III. विप्रोटोनीकरण-
पद 1 में प्रयुक्त अम्ल, पद 3 में स्वतंत्र हो जाता है। इस अभिक्रिया में साम्य को दाईं ओर विस्थापित करने के लिए, एथीन को बनते ही निकाल लिया जाता है।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में A, B, C व D को पहचानिए –
उत्तर:
प्रश्न 12.
निम्नलिखित के कारण दीजिए-
(अ) ऐथिल ऐल्कोहॉल से फीनॉल अधिक अम्लीय है।
(ब) प्रोपेनॉल का क्वथनांक ब्यूटेन से अधिक है।
उत्तर:
(अ) फीनॉलों का अम्लीय गुण तथा ऐल्कोहॉल के अम्लीय गुण से इसकी तुलना-फीनॉल का अम्लीय गुण, ऐल्कोहॉल की तुलना में अधिक होता है तथा फीनॉल एथेनॉल से लगभग दस लाख गुना अधिक अम्लीय होता है। इसकी पुष्टि इसकी जलीय NaOH के साथ क्रिया द्वारा भी होती है।
फीनॉल के अधिक अम्लीय गुण की व्याख्या निम्न प्रकार की ज़ा सकती है-
फीनॉल में -OH समूह, बेन्जीन वलय के sp² संकरित कार्बन से जुड़ा होता है जिसकी विद्युत ऋणता अधिक होने के कारण यह इलेक्ट्रॉन आकर्षी समूह की तरह कार्य करता है जिसके कारण फीनॉल में अनुनाद होता है एवं इसकी ऑक्सीजन धनावेशित होकर -O-H बन्ध की ध्रुवता बढ़ा देती है जिससे ऐल्कोहॉल की तुलना में फीनॉल का आयनन अधिक होता है। फीनॉल की अनुनादी संरचनाएँ निम्नलिखित हैं-
ऐल्कोहॉल तथा फीनॉल का आयनन निम्न प्रकार होता है-
ऐल्कॉक्साइड आयन में ऋणावेश ऑक्सीजन पर ही स्थायीकृत (Localised) रहता है जबकि फीनॉक्साइड आयन में अनुनाद के कारण ऋणावेश का विस्थानीकरण (Delocalisation) हो जाता है जिससे इसका स्थायित्व अधिक होता है। इसी कारण फीनॉल का आयनन, ऐल्कोहॉल की तुलना में अधिक होता है जो इसके अधिक अम्लीय गुण के लिए उत्तरदायी है।
फीनॉल में भी अनुनाद के द्वारा आवेश का विस्थानीकरण (delocalisation) होता है लेकिन इसकी अनुनादी संरचनाओं में आवेशों का पृथक्करण (Separation) होता है अत: फीनॉक्साइड आयन की तुलना में फीनॉल कम स्थायी होता है।
(ब) प्रोपेनॉल का क्वथनांक, हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन से अधिक होता है क्योंकि प्रोपेनॉल में प्रबल अंतराआण्विक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है जिसे तोड़ने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है; जबकि ब्यूटेन में अणुओं के मध्य दुर्बल वान्डरवाल बल पाया जाता है जिसे तोड़ने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 13.
हिन्सबर्ग अभिकर्मक का रासायनिक नाम एवं सूत्र लिखिए।
उत्तर:
ऐरिल सल्फोनिल क्लोराइड को हिन्सबर्ग अभिकर्मक कहते हैं, जैसे- बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड
प्रश्न 14.
(अ) द्वितीयक – ब्यूटिल ऐल्कोहॉल का IUPAC नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए।
(ब) निम्नलिखित यौगिकों से फीनॉल विरचन के समीकरण दीजिए-
(i) बेन्जीन
(ii) ऐनिलीन।
(स) फीनॉल की अनुनादी संरचनाएँ लिखिए।
अथवा
(अ) मेथिल n प्रोपिल ईथर का IUPAC नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए।
(ब) निम्नलिखित अभिक्रियाओं द्वारा ईथर विरचन के समीकरण दीजिए-
(i) ऐल्कोहॉल के निर्जलन द्वारा
(ii) विलियम्सन संश्लेषण द्वारा।
(स) ऐल्कॉक्सी बेन्जीन की अनुनादी संरचनाएँ लिखिए।
उत्तर:
(अ) द्वितीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल का संरचना सूत्र होता है तथा इसका IUPAC नाम
(ब)
(स) फीनॉल की अनुनादी संरचनाएँ निम्नलिखित हैं-
अथवा
(अ) मेथिल n. प्रोपिल ईथर का संरचना सूत्र CH3-O-CH2-CH2-CH3 होता है तथा इसका IUPAC नाम 1 मेथॉक्सी प्रोपेन है।
(ब) (i) ऐल्कोहॉल का निर्जलन-
(ii) विलियम्सन संश्लेषण-
(स) ऐल्कॉक्सी बेन्जीन (C6H5OR) की अनुनादी संरचनाएँ प्रकार होती हैं-
प्रश्न 15.
निम्नलिखित अभिक्रिया की क्रियाविधि की व्याख्या कीजिये –
उत्तर:
एथेनॉल को 443 K ताप पर सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर इसका निर्जलीकरण होकर एथीन बनती है।
एथेनॉल के निर्जलीकरण (Dehydration) की क्रियाविधि में निम्नलिखित पद होते हैं-
क्रियाविधि-
I. प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल का बनना-
II. कार्बोकैटायन का बनना (Formation of Carbocation )यह सबसे धीमा पद है अतः यह वेग निर्धारक पद है-
III. विप्रोटोनीकरण-
पद 1 में प्रयुक्त अम्ल, पद 3 में स्वतंत्र हो जाता है। इस अभिक्रिया में साम्य को दाईं ओर विस्थापित करने के लिए, एथीन को बनते ही निकाल लिया जाता है।
प्रश्न 16.
विलियम्सन ईथर संश्लेषण में सन्निहित अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
विलियम्सन ईथर संश्लेषण में सन्निहित अभिक्रिया निम्नलिखित है-
उदाहरण-
प्रश्न 17.
(i) निम्नलिखित में से कौनसा समावयवी अधिक वाष्पशील है : o – नाइट्रोफीनॉल या p- नाइट्रोफीनॉल।
(ii) निम्नलिखित अभिक्रिया अनुक्रम में A, B तथा पहचानिए-
उत्तर:
(i) o-नाइंट्रेफीनॉल, p-नाइट्रोफीनॉल से अधिक वाष्पशील होता है क्योंकि इसमें अन्तःअणुक हाइड्रोजन बन्ध पाया जाता है। अतः इसमें अन्तराअणुक हाइड्रोजन बन्ध p-नाइट्रोफीनॉल की तुलना में दुर्बल होता है।
(ii)
प्रश्न 18.
आप फिनॉल को बेन्जीन में परिवर्तित कैसे करेंगे?
उत्तर:
फीनॉल को यशदरज (जिंक चूर्ण) के साथ गर्म करने पर यह बेन्जीन में परिवर्तित हो जाता है।
प्रश्न 19.
जब एथेनॉल की क्रिया सान्द्र H2SO4 के साथ 413K पर कराई जाती है, तब मुख्य उत्पाद क्या बनता है?
उत्तर:
एथेनॉल की सान्द्र H2SO4 के साथ 413 K पर क्रिया कराने पर मुख्य उत्पाद ईधर प्राप्त होता है।
प्रश्न 20.
क्या होता है जब 19 एवं 2° पृथक् ऐल्कोहॉलों का निर्जल क्रोमियम ट्राइऑक्साइड (CrO3) द्वारा ऑक्सीकरण किया जाता है? रासायनिक समीकरणें लिखिए।
उत्तर:
निर्जल क्रोमियम ट्राइऑक्साइड (CrO3) द्वारा प्राथमिक ऐल्कोहॉलों के ऑक्सीकरण से ऐल्डिहाइड तथा द्वितीयक ऐल्कोहॉलों के ऑक्सीकरण से कीटोन प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 21.
(अ) अधोलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए-
(i) CH2 = CH – CH2 – OH
(ब) निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए-
(i) फीनॉल की CS2 की उपस्थिति में ब्रोमीन के साथ
(ii) एथेनॉल को Cu की उपस्थिति में 573 K ताप पर गरम करने पर।
अथवा
(अ) अधोलिखित यौगिकों के IUPAC नाम लिखिए-
(ब) निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए –
(i) फीनॉल की सान्द्र HNO3 के साथ
(ii) फीनॉल की यशद रज के साथ।
उत्तर:
प्रश्न 22.
दिए गए यौगिक का आई.यू.पी.ए.सी. नाम लिखिए:
उत्तर:
इस यौगिक का आई.यू.पी.ए.सी. नाम 2 2 – डाईमेथिल प्रोपेन -1- ऑल है।
प्रश्न 23.
निम्नलिखित के लिए कारण दीजिए :
(i) p- मेथिलफीनॉल की अपेक्षा p- नाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय है।
(ii) फीनॉल में C-O आबन्ध लम्बाई अपेक्षाकृत छोटी है मेथेनॉल में के उसी आबन्ध से।
(iii) सोडियम मेथॉक्साइड (N\(\stackrel{+}{a}\)\(\stackrel{-}{O}\) CH3) के साथ अभिक्रिया करने पर (CH3)3C – Br मुख्य उत्पाद के रूप में ऐल्कीन देता है न कि ईथर |
उत्तर:
(i) p- मेथिल फीनॉल की अपेक्षा p-नाइट्रोफीनॉल अधिक अम्लीय है क्योंकि – NO2 समूह का – I तथा M प्रभाव फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ाता है जबकि मेथिल ( – CH3) समूह का + I प्रभाव फीनॉक्साइड आयन के स्थायित्व को कम करता है। फीनॉक्साइड आयन का स्थायित्व बढ़ने से फीनॉल का वियोजन अधिक होता है, अतः अम्लीय प्रबलता बढ़ती है।
(ii) इस प्रश्न के उत्तर के लिए अभ्यास 11.1 में लघुत्तरात्मक प्रश्न संख्या 1 (b) का उत्तर देखें ।
(iii) सोडियम मेथॉक्साइड (N\(\stackrel{+}{a}\)\(\stackrel{-}{O}\) CH3) के साथ अभिक्रिया करने पर (CH3)3C – Br मुख्य उत्पाद के रूप में ऐल्कीन देता है न किं ईथर, क्योंकि सोडियम मेथॉक्साइड एक प्रबल नाभिक स्नेही एवं प्रबल क्षारक है अतः विलोपन अभिक्रिया, प्रतिस्थापन अभिक्रिया से अधिक प्रभावी होती है।