Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 पृष्ठ रसायन Important Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 5 पृष्ठ रसायन
बहुविकल्पीय प्रश्न:
1. कोलॉइडी सॉल होता है-
(अ) वास्तविक विलयन
(ब) निलम्बन
(स) विषमांगी सॉल
(द) समांगी सॉल
उत्तर:
(स) विषमांगी सॉल
2. निम्नलिखित में से किस गैस का सक्रियित चारकोल पर अधिशोषण सुगमता से होगा?
(अ) SO2
(ब) O2
(स) N2
(द) H2
उत्तर:
(अ) SO2
3. दूध, निम्नलिखित में से किसका उदाहरण है?
(अ) पायस (इमल्शन )
(ब) निलम्बन
(स) सॉल
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) पायस (इमल्शन )
4. निम्नलिखित में से किस धातु का सॉल नहीं बनाया जा सकता?
(अ) Au
(ब) Pt
(स) Cu
(द) K
उत्तर:
(द) K
5. कोहरा निम्नलिखित में से किसका कोलॉइड है-
(अ) द्रव में परिक्षिप्त ठोस
(ब) गैस में परिक्षिप्त द्रव
(स) द्रव में परिक्षिप्त गैस
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) गैस में परिक्षिप्त द्रव
6. log \(\frac { x }{ m }\) तथा log p के मध्य ग्राफ खींचने पर सीधी रेखा प्राप्त होती है जिसका ढाल किसके तुल्य होगा-
(अ) n
(ब) log k
(स) 1/n
(द) k
उत्तर:
(स) 1/n
7. किसी ऋणावेशित कोलॉइड के स्कंदन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त लवण है-
(अ) Na3PO4
(ब) K4[Fe(CN)6]
(स) AlCl3
(द) ZnSO4
उत्तर:
(स) AlCl3
8. निम्नलिखित में से किसका सॉल जलविरोधी है?
(अ) स्टार्च
(ब) गोंद
(स) प्रोटीन
(द) आसनियस सल्फाइड
उत्तर:
(द) आसनियस सल्फाइड
9. किसी आयन की कोलॉइड को स्कन्दित करने की क्षमता निर्भर करती है-
(अ) आयन के आकार पर
(ब) आयन के आवेश पर
(स) ताप पर
(द) आयन की मात्रा तथा आवेश पर
उत्तर:
(द) आयन की मात्रा तथा आवेश पर
10. अधिशोषण सिद्धान्त, निम्नलिखित में से किस प्रकार के उत्प्रेरण की व्याख्या करता है?
(अ) समांगी उत्प्रेरण
(ब) एन्जाइम उत्प्रेरण
(स) अम्ल-क्षार उत्प्रेरण
(द) विषमांगी उत्प्रेरण
उत्तर:
(द) विषमांगी उत्प्रेरण
11. निम्नलिखित में कौनसा कोलॉइड का उदाहरण नहीं है?
(अ) तेल तथा जल का मिश्रण
(ब) दूध तथा पानी
(स) साधारण जल
(द) पनीर
उत्तर:
(स) साधारण जल
12. कोलॉइड को आवेशविहीन करके अवक्षेपित करना कहलाता है-
(अ) अपोहन
(ब) स्कन्दन
(स) पायसीकरण
(द) परिरक्षण
उत्तर:
(ब) स्कन्दन
13. स्टार्च के माल्टोस में परिवर्तन हेतु उपयुक्त एन्जाइम है-
(अ) माल्टेज
(ब) डायस्टेज
(स) जाइमेज
(द) इन्वर्टेज
उत्तर:
(ब) डायस्टेज
14. निम्नलिखित में से कौनसा पदार्थ अच्छा अधिशोषक है?
(अ) चारकोल
(ब) सिलिका जेल
(स) ऐलुमिना जेल
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
15. ताप बढ़ाने पर भौतिक अधिशोषण-
(अ) बढ़ता है
(ब) घटता है
(स) स्थिर रहता है
(द) कभी बढ़ता है, कभी घटता है
उत्तर:
(ब) घटता है
16. निम्नलिखित में से किस एन्जाइम का स्रोत यीस्ट (खमीर) नहीं है?
(अ) इन्वर्टेज
(ब) जाइमेज
(स) माल्टेज
(द) यूरिएज
उत्तर:
(द) यूरिएज
17. वृहदाण्विक कोलॉइड का उदाहरण निम्नलिखित में से कौनसा नहीं है?
(अ) संश्लेषित रबर
(ब) सल्फर सॉल
(स) स्टार्च
(द) एन्जाइम
उत्तर:
(ब) सल्फर सॉल
18. ऋणावेशित सॉल का उदाहरण है-
(अ) हिमोग्लोबिन
(ब) गोल्ड सॉल
(स) Al2O3 . x H2O
(द) TiO2 सॉल
उत्तर:
(ब) गोल्ड सॉल
19. निम्नलिखित में से कौनसा कोलॉइड का उदाहरण है-
(अ) पेंट
(ब) स्याही
(स) रबर
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
20. समान सांद्रता पर कोलॉइडी विलयन के अणुसंख्यक गुणों का मान, वास्तविक विलयन की तुलना में-
(अ) कम होता है।
(ब) अधिक होता है।
(स) समान होता है।
(द) कभी कम तथा कभी अधिक होता है।
उत्तर:
(अ) कम होता है।
21. As2S3 के कोलॉइडी विलयन के स्कन्दन में निम्नलिखित में से किसका स्कन्दन मान न्यूनतम होगा-
(अ) BaCl2
(ब) KCl
(स) AlCl3
(द) NaCl
उत्तर:
(स) AlCl3
22. रक्षी कोलॉइडों A, B, C तथा D की स्वर्ण संख्या क्रमशः 0.5, 0.01 0.10 तथा 0.005 है तो इनकी रक्षण क्षमता का सही क्रम
(अ) B < D < A < C
(ब) C < B < D < A
(स) D < A < C < B
(द) A < C < B < D
उत्तर:
(द) A < C < B < D
23. निम्नलिखित में से जेल का उदाहरण है-
(अ) पनीर
(ब) कुहरा
(स) साबुन
(द) दूध
उत्तर:
(अ) पनीर
24. अधिशोषण प्रक्रम में किसका मान ऋणात्मक (शून्य से कम) होता है?
(अ) △H
(ब) △S
(स) △G
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
25. उत्प्रेरक रासायनिक अभिक्रिया के वेग को बढ़ाता है-
(अ) सक्रियण ऊर्जा घटाकर
(ब) अभिकारकों से क्रिया करके
(स) उत्पादों से क्रिया करके
(द) सक्रियण ऊर्जा बढ़ाकर
उत्तर:
(अ) सक्रियण ऊर्जा घटाकर
26. सल्फर (गन्धक) के सॉल में होते हैं-
(अ) विविक्त सल्फर अणु
(ब) ठोस सल्फर में परिक्षिप्त जल
(स) सल्फर अणुओं के बड़े समूह
(द) विविक्त सल्फर परमाणु
उत्तर:
(स) सल्फर अणुओं के बड़े समूह
27. फिटकरी द्वारा जल का शोधन होता है-
(अ) अपोहन से
(ब) अधिशोषण से
(स) स्कन्दन से
(द) अवशोषण से
उत्तर:
(स) स्कन्दन से
28. कृत्रिम वर्षा निम्नलिखित में से किसका उदाहरण है-
(अ) स्कन्दन
(ब) अपोहन
(स) वैद्युतकणसंचलन
(द) पेप्टीकरण
उत्तर:
(अ) स्कन्दन
29. मानव शरीर में वृक्क (Kidney) द्वारा रक्त का शोधन है-
(अ) स्कन्दन
(ब) अपोहन
(स) वैद्युत परासरण
(द) वैद्युतकणसंचलन
उत्तर:
(ब) अपोहन
30. विभिन्न विधियों से प्राप्त गोल्ड सॉल का रंग भिन्न-भिन्न होने का कारण है-
(अ) भिन्न सान्द्रण
(ब) कणों का भिन्न-भिन्न आकार
(स) भिन्न अशुद्धियाँ
(द) भिन्न संयोजकता
उत्तर:
(ब) कणों का भिन्न-भिन्न आकार
31. स्वर्णांक मापक है-
(अ) रक्षी कोलॉइड की रक्षण क्षमता का
(ब) स्वर्ण की शुद्धता का
(स) धात्विक स्वर्ण का
(द) विद्युत लेपित स्वर्ण का
उत्तर:
(अ) रक्षी कोलॉइड की रक्षण क्षमता का
32. निम्नलिखित में से कौनसा मिलान अशुद्ध है?
उत्तर:
(द)
33. फेरिक क्लोराइड का प्रयोग कटने के कारण होने वाले रक्तस्राव को रोकने के लिए किया जाता है, क्योंकि
(अ) Fe3+ आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि एक ऋणावेशित सॉल है।
(ब) Fe3+ आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि एक धनावेशित सॉल है।
(स) Cl– आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि धनावेशित सॉल है।
(द) Cl– आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि एक ऋणावेशित सॉल है।
उत्तर:
(अ) Fe3+ आयन रक्त का स्कन्दन करता है जो कि एक ऋणावेशित सॉल है।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
अधिशोषण एक सतही घटना है, क्यों?
उत्तर:
ठोस या द्रव की सतह पर मुक्त संयोजकताएँ पाई जाती हैं। अतः अधिशोषण सतह पर ही होता है अतः यह एक सतही घटना है।
प्रश्न 2.
अवशोषण को परिभाषित कीजिए ।
उत्तर:
वह प्रक्रिया जिसमें एक पदार्थ के कण दूसरे पदार्थ में प्रवेश करके समान रूप से वितरित हो जाते हैं, उसे अधिशोषण कहते हैं।
प्रश्न 3.
शर्करा के विलयन को रंगहीन करने के लिए कौनसा अधिशोषक प्रयुक्त किया जाता है?
उत्तर:
शर्करा विलयन को रंगहीन करने के लिए जान्तव चारकोल प्रयुक्त किया जाता है।
प्रश्न 4.
Pd, Pt, Au तथा Ni की अधिशोषण क्षमता का घटता क्रम बताइए।
उत्तर:
इन धातुओं की अधिशोषण का क्षमता क्रम निम्न प्रकार होता है Pd > Pt > Au > Ni
प्रश्न 5.
दो अधिशोषण सूचकों के नाम बताइए।
उत्तर:
ईओसीन तथा फ्लुओरेसीन अधिशोषण सूचक का कार्य करते हैं।
प्रश्न 6.
रासायनिक अधिशोषण पर ताप का प्रभाव बताइए ।
उत्तर:
ताप बढ़ाने पर रासायनिक अधिशोषण पहले बढ़ता है फिर कम होता है।
प्रश्न 7.
अधिशोषण समतापी क्या होता है?
उत्तर:
निश्चित ताप पर अधिशोषित गैस की मात्रा तथा साम्यावस्था दाब के मध्य सम्बन्ध को अधिशोषण समतापी कहते हैं।
प्रश्न 8.
समांगी उत्प्रेरण का सिद्धान्त बताइए।
उत्तर:
समांगी उत्प्रेरण, माध्यमिक यौगिक सिद्धान्त पर कार्य करता है।
प्रश्न 9.
टेट्रा एथिल लैड (C2H5)4Pb का उपयोग क्या है?
उत्तर:
टेट्रा एथिल लैड पेट्रोल की गुणवत्ता बढ़ाकर उसके अपस्फोटन को कम करता है।
प्रश्न 10.
एन्जाइम की कार्यप्रणाली क्या होती है?
उत्तर:
एन्जाइम ताला चाबी सिद्धान्त पर कार्य करता है।
प्रश्न 11.
सहएन्जाइम क्या होते हैं?
उत्तर:
वे अप्रोटीन भाग जो एन्जाइम के साथ जुड़े होते हैं तथा एन्जाइम की सक्रियता में वृद्धि करते हैं, उन्हें सहएन्जाइम कहते हैं। मुख्यतः ये विटामिनों के व्युत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 12.
एन्जाइम की सक्रियता को कम करने वाले विषकारकों (उत्प्रेरक विष) के उदाहरण बताइए।
उत्तर:
CS2 तथा HCN विषकारकों की भाँति कार्य करते हैं।
प्रश्न 13.
पेप्सिन एन्जाइम का कार्य बताइए |
उत्तर:
पेप्सिन एन्जाइम प्रोटीनों को एमीनो अम्लों में परिवर्तित करता है।
प्रश्न 14.
ऐल्कोहॉल को गैसोलीन (पेट्रोल) में परिवर्तित करने वाला उत्प्रेरक कौनसा होता है?
उत्तर:
ZSM-5
प्रश्न 15.
एन्जाइम के अणुओं का आकार कितना होता है?
उत्तर:
एन्जाइम के अणुओं का आकार 10Å से 1000Å तक होता है।
प्रश्न 16.
सर्वप्रथम उत्प्रेरक शब्द का प्रयोग करने वाले वैज्ञानिक कौन थे?
उत्तर:
बर्जीलियस ने सर्वप्रथम उत्प्रेरक शब्द का प्रयोग किया था।
प्रश्न 17.
उत्प्रेरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी उत्प्रेरक द्वारा रासायनिक अभिक्रिया के वेग में वृद्धि करने की क्रिया को उत्प्रेरण कहते हैं।
प्रश्न 18.
वर्धक क्या होते हैं?
उत्तर:
वे पदार्थ जो उत्प्रेरक की क्रियाशीलता को बढ़ा देते हैं, उन्हें उत्प्रेरक वर्धक कहते हैं। जैसे NH3 के निर्माण में Mo, Fe की क्रियाशीलता को बढ़ा देता है।
प्रश्न 19.
दो गैसों के मिलाने पर कोलॉइड नहीं बनता, क्यों?
उत्तर:
कोलॉइड विषमांगी तंत्र होता है जबकि गैसें आपस में मिलकर हमेशा समांगी विलयन बनाती हैं अतः दो गैसों को मिलाने पर कोलॉइड नहीं बनता।
प्रश्न 20.
दूध को कोलॉइडी विलयनों की किस श्रेणी में लिया जाता है?
उत्तर:
दूध, जल में तेल श्रेणी का एक पायस है।
प्रश्न 21.
सबसे कम तथा सबसे अधिक स्वणांक वाले द्रव स्नेही कोलॉइडों का नाम बताइए।
उत्तर:
जिलेटिन का स्वर्णाक सबसे कम (0.005) तथा आलू के स्टार्च का स्वणांक सबसे अधिक (25) होता है।
प्रश्न 22.
द्रव स्नेही सॉल, द्रव विरोधी सॉल की तुलना में अधिक स्थायी होता है, क्यों?
उत्तर:
द्रव स्नेही सॉल के अधिक स्थायित्व का कारण उनके कणों का जलयोजन (विलायकन) है।
प्रश्न 23.
कैसियस का पर्पल क्या होता है?
उत्तर:
गोल्ड के कोलॉइडी विलयन को कैसियस का पर्पल कहते हैं।
प्रश्न 24.
निम्नलिखित को किस प्रकार के कोलॉइड में वर्गीकृत किया जाएगा?
(i) साबुन का सान्द्र विलयन
(ii) जल में अण्डे का सफेद भाग ।
उत्तर:
(i) सहचारी कोलॉइड
(ii) वृहदाण्विक कोलॉइड (प्रोटीन) ।
प्रश्न 25.
कालाजार बुखार के इलाज के लिए प्रयुक्त कोलॉइड बताइए ।
उत्तर:
कोलॉइडी ऐण्टीमनी को कालाजार बुखार के इलाज के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
प्रश्न 26.
फोटोग्राफी में जिलेटिन का क्या कार्य है?
उत्तर:
फोटोग्राफी में जिलेटिन रक्षी कोलॉइड का कार्य करता है।
प्रश्न 27.
दो नदियों के मिलने पर डेल्टा नहीं बनता, क्यों?
उत्तर:
दो नदियों में उपस्थित कोलॉइडी कणों पर समान आवेश होने के कारण, उनका स्कन्दन नहीं होता अतः डेल्टा नहीं बनता।
प्रश्न 28.
कोलॉइडों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन का कारण बताइए।
उत्तर:
कोलॉइडों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन ( टिन्डल प्रभाव ) का कारण परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम के अपवर्तनांक में अन्तर है।
प्रश्न 29.
उत्प्रेरक किस प्रकार कार्य करते हैं?
उत्तर:
उत्प्रेरक अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा को कम करके उसे एक नया पथ प्रदान करते हैं जिससे अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है।
प्रश्न 30.
एन्जाइम तथा अकार्बनिक उत्प्रेरक में एक अन्तर बताइए ।
उत्तर:
एन्जाइम उच्च अणुभार युक्त जटिल प्रोटीन होते हैं जबकि अकार्बनिक उत्प्रेरक सरल अणु या आयन होते हैं।
प्रश्न 31.
ब्राउनी गति किस सिद्धान्त के पक्ष में प्रायोगिक प्रमाण प्रस्तुत करती है?
उत्तर:
गैसों का अणुगति सिद्धान्त ।
प्रश्न 32.
भौतिक अधिशोषण बहुपरतीय होता है जबकि रासायनिक अधिशोषण एकपरतीय क्यों?
उत्तर:
भौतिक अधिशोषण के बहुपरतीय होने का कारण वान्डरवाल बल है जबकि रासायनिक अधिशोषण के एकपरतीय होने का कारण रासायनिक बन्ध का बनना है।
प्रश्न 33.
अधिशोषक का विशिष्ट क्षेत्रफल क्या होता है?
उत्तर:
किसी अधिशोषक के प्रतिग्राम पृष्ठ क्षेत्रफल को उसका विशिष्ट क्षेत्रफल कहते हैं।
प्रश्न 34.
नमी को नियंत्रित करने के लिए प्रयुक्त दो अधिशोषक बताइए।
उत्तर:
सिलिका जेल तथा ऐलुमिना जेल।
प्रश्न 35.
जल की कठोरता को दूर करने के लिए प्रयुक्त अधिशोषक कौनसा होता है?
उत्तर:
जिओलाइट।
प्रश्न 36.
एन्जाइम उत्प्रेरण समांगी होता है या विषमांगी ।
उत्तर:
एन्जाइम उत्प्रेरण विषमांगी होता है।
प्रश्न 37.
उस अभिक्रिया का समीकरण लिखिए जो माइकोडर्मा एसीटि एन्जाइम द्वारा उत्प्रेरित होती है।
उत्तर:
माइकोडर्मा एसीटि
C2H5OH + O2 → CH3COOH + H2O
प्रश्न 38.
समान रंग के कोलाइड तथा वास्तविक विलयन में कैसे अन्तर करेंगे?
उत्तर:
टिन्डल प्रभाव द्वारा, क्योंकि वास्तविक विलयन में टिन्डल प्रभाव नहीं होता।
लघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
ठोसों पर गैसों के अधिशोषण के प्रकार बताइए।
उत्तर:
ठोसों पर गैसों के अधिशोषण को, अधिशोष्य तथा अधिशोषक के अणुओं के मध्य आकर्षण बलों के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है-
(a) भौतिक अधिशोषण
(b) रासायनिक अधिशोषण या रसोवशोषण
(a) भौतिक अधिशोषण (Physical Adsorpiton or Physiorption) या वान्डरवाल अधिशोषण (Vanderwal Adsorption) – किसी ठोस की सतह पर जब गैस का अधिशोषण वान्डरवाल बलों के कारण होता है तो इसे भौतिक अधिशोषण कहते हैं। दुर्बल वान्डरवाल बलों के कारण ताप बढ़ाने से या दाब कम करने से इसे आसानी से कम किया जा सकता है। भौतिक अधिशोषण में अधिशोष्य तथा अधिशोषक के मध्य किसी प्रकार के रासायनिक बन्ध का निर्माण नहीं होता।
रासायनिक अधिशोषण या लेग्मूर अधिशोषण (Chemisorption or Chemical Adsorption or Langmuir Adsorption)-जब किसी ठोस की सतह पर गैस के अधिशोषण में रासायनिक बन्ध बनते हैं तो इसे रासायनिक अधिशोषण कहते हैं। ये रासायनिक बन्ध आयनिक या सहसंयोजक हो सकते हैं, लेकिन प्रायः यह बन्ध सहसंयोजक होता है। रासायनिक अधिशोषण की सक्रियण ऊर्जा उच्च होती है अतः इसे सक्रियत अधिशोषण (activated adsorption) भी कहते हैं।
भौतिक एवं रासायनिक अधिशोषण साथ-साथ भी हो सकते हैं। तब निम्न ताप पर होने वाला भौतिक अधिशोषण, ताप बढ़ाने पर रासायनिक अधिशोषण में परिवर्तित हो जाता है। उदाहरण, H2 गैस पहले Ni की सतह पर वान्डरवाल बलों के द्वारा अधिशोषित होती है। उसके बाद हाइड्रोजन के अणु, परमाणुओं में वियोजित होकर रासायनिक अधिशोषण द्वारा निकल की सतह पर बंध जाते हैं, क्योंकि उच्च ताप पर अभिकारकों को सक्रियण ऊर्जा प्राप्त हो जाती है।
रासायनिक अधिशोषण में अधिशोषक की सतह पर उत्पाद बनता है, अतः विशोषण के समय उत्पाद का ही विशोषण होता है। जैसे कार्बन की सतह पर O2 के अधिशोषण से CO तथा CO2 बनती है तथा इन्हीं CO तथा CO2 का विशोषण होता है।
प्रश्न 2.
रासायनिक अधिशोषण के मुख्य अभिलक्षण बताइए।
उत्तर:
रासायनिक अधिशोषण या लेग्मूर अधिशोषण (Chemisorption or Chemical Adsorption or Langmuir Adsorption)-जब किसी ठोस की सतह पर गैस के अधिशोषण में रासायनिक बन्ध बनते हैं तो इसे रासायनिक अधिशोषण कहते हैं। ये रासायनिक बन्ध आयनिक या सहसंयोजक हो सकते हैं, लेकिन प्रायः यह बन्ध सहसंयोजक होता है। रासायनिक अधिशोषण की सक्रियण ऊर्जा उच्च होती है अतः इसे सक्रियत अधिशोषण (activated adsorption) भी कहते हैं।
भौतिक एवं रासायनिक अधिशोषण साथ-साथ भी हो सकते हैं। तब निम्न ताप पर होने वाला भौतिक अधिशोषण, ताप बढ़ाने पर रासायनिक अधिशोषण में परिवर्तित हो जाता है। उदाहरण, H2 गैस पहले Ni की सतह पर वान्डरवाल बलों के द्वारा अधिशोषित होती है। उसके बाद हाइड्रोजन के अणु, परमाणुओं में वियोजित होकर रासायनिक अधिशोषण द्वारा निकल की सतह पर बंध जाते हैं, क्योंकि उच्च ताप पर अभिकारकों को सक्रियण ऊर्जा प्राप्त हो जाती है।
रासायनिक अधिशोषण में अधिशोषक की सतह पर उत्पाद बनता है, अतः विशोषण के समय उत्पाद का ही विशोषण होता है। जैसे कार्बन की सतह पर O2 के अधिशोषण से CO तथा CO2 बनती है तथा इन्हीं CO तथा CO2 का विशोषण होता है।
प्रश्न 3.
भौतिक अधिशोषण तथा रासायनिक अधिशोषण की तुलना कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 4.
(a) नारियल चारकोल द्वारा अक्रिय गैसों का पृथक्करण किस प्रकार किया जाता है? समझाइए।
(b) अधिधारण किसे कहते हैं?
उत्तर:
(a) अक्रिय गैसों के मिश्रण को नारियल चारकोल पर प्रवाहित करके इन्हें पृथक किया जाता है क्योंकि इस चारकोल की अधिशोषण क्षमता भिन्न-भिन्न गैसों के लिए भिन्न-भिन्न होती है। यह अधिशोषण भिन्नभिन्न तापों पर किया जाता है।
(b) किसी धातु के द्वारा हाइड्रोजन गैस के अधिशोषण को अधिधारण (Occlusion) कहते हैं।
प्रश्न 5.
एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं के तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रियाओं के उदाहरण निम्नलिखित हैं-
(i) स्टार्च का माल्टोस में परिवर्तन-डायस्टेज एन्जाइम स्टार्च को माल्टोस में परिवर्तित कर देता है।
(ii) माल्टोस का ग्लूकोस में परिवर्तन-माल्टेज एन्जाइम माल्टोस को ग्लूकोज में बदल देता है।
(iii) यूरिया का अमोनिया तथा कार्बन डाइऑक्साइड में अपघटन-यह अपघटन यूरिएज एन्जाइम द्वारा होता है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित एन्जाइमों द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रियाएँ लिखिए-
(i) इन्वर्टेस
(ii) जाइमेज
(iii) पेप्सिन
(iv) ट्रिप्सिन
(v) लैक्टोबैसिलस।
उत्तर:
(i) इन्बर्टेस एन्जाइम इक्षु शर्करा (सूक्रोस) को ग्लूकोस एवं फ्रक्टोस में परिवर्तित कर देता है। इसे शर्करा का प्रतीपन कहते हैं।
(ii) जाइमेज एन्जाइम से ग्लूकोस, ऐथिल ऐल्कोहॉल एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
यहाँ ग्लूकोस का किण्वन हो रहा है।
(iii) पेप्सिन एन्जाइम, आमाशय में प्रोटीनों को पेप्टाइडों में परिवर्तित
(iv) ट्रिप्सिन एन्जाइम आँत में प्रोटीनों को ऐमीनो अम्लों में परिवर्तित करता है।
(v) लेक्टोबैसिलस द्वारा दुग्ध का दही में परिवर्तन होता है।
प्रश्न 7.
स्वः उत्प्रेरक क्या होता है ? समझाइए।
उत्तर:
समांगी उत्प्रेरण- किसी अभिक्रिया में जब अभिकारकों तथा उत्प्रेरकों की भौतिक अवस्था समान (द्रव या गैस) होती है तो इसे समांगी उत्प्रेरण कहते हैं।
उदाहरण:
(i) सीस कक्ष विधि (लेड चेंबर प्रक्रम) में नाइट्रिक ऑक्साइड उत्प्रेक की उपस्थिति में, सल्फर डाइऑक्साइड की ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया द्वारा सल्फर ट्राइऑक्साइड में ऑक्सीकरण-
(ii) शर्करा का जल अपघटन, सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा प्राप्त H+ आयनों द्वारा होता है।
(iii) NO की उपस्थिति में CO का CO2 में ऑक्सीकरण-
(iv) HCl द्वारा प्राप्त H+ आयनों की उपस्थिति में मेथिल ऐसीटेट का जल अपघटन-
प्रश्न 8.
कोलॉइडी विलयनों के अणुसंख्यक गुण वास्तविक विलयनों से कम होते हैं, क्यों?
उत्तर:
अणुसंख्य गुण, कणों की संख्या पर निर्भर करते हैं। कोलॉइडी कण बड़े पुंज या समूह के रूप में होते हैं अतः क्रोलॉइडी विलयन हैं में कणों की संख्या वास्तविक विलयन की अपेक्षा कम होती है। अतः समान सान्द्रता पर इसके अणुसंख्य गुणों (परासरण दाब, वाष्पदाब अवनमन, हिमांक अवनमन, क्वथनांक उन्नयन आदि) के मान वास्तविक विलयन से कम होते हैं।
प्रश्न 9
रक्षी कोलॉइड क्या होते हैं? इनसे द्रव विरोधी कोलॉइडों का रक्षण किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
कोलॉइडी विलयनों के गुण:
कोलॉइडी विलयनों के मुख्य गुण निम्नलिखित हैं-
- विषमांगी प्रकृति – कोलॉइडी विलयन विषमांगी होता है, जिसमें दो घटक परिक्षेपण माध्यम तथा परिक्षिप्त प्रावस्था होते हैं।
- निस्यन्दता – कोलॉइडी विलयन के कण साधारण फिल्टर पत्र से छन जाते हैं लेकिन जान्तव झिल्ली या चर्म पत्र से नहीं छनते।
- सतही क्षेत्रफल – कोलॉइड में उपस्थित कोलाँइडी कणों का सतही क्षेत्रफल बहुत अधिक होता है अतः कोलॉइड अच्छे अधिशोषक तथा प्रभावी उत्प्रेरक होते हैं।
- स्थायित्व – द्रवस्नेही कोलॉइड, द्रव विरोधी कोलॉइड की तुलना में अधिक स्थायी होते हैं।
प्रश्न 10.
(a) वैद्युत परासरण किसे कहते हैं?
(b) निम्नलिखित सॉलों में से धनावेशित तथा ऋणावेशित सॉलों को वर्गीकृत कीजिए-
Sh2S3 सॉल, सिल्वर सॉल, इओसिन रंजक, जिलेटिन, हिमोग्लोबिन, TiO2 सॉल।
उत्तर:
(a) वैद्युत परासरण जब किसी उपयुक्त विधि द्वारा वैद्युतकणसंचलन अर्थात् कोलॉइडी कणों की गति को रोका जाता है तो विद्युत क्षेत्र द्वारा परिक्षेपण माध्यम गति करना प्रारम्भ कर देता है। इस प्रक्रम को वैद्युत परासरण कहते हैं।
(b) धनावेशित सॉल – हिमोग्लोबिन (रक्त) TiO2 सॉल
ऋणावेशित सॉल – Sb2S3 सॉल, सिल्लर सॉल, इओसिन रंजक, जिलेटिन।
प्रश्न 11.
(a) स्वर्णांक क्या होता है? समझाइए।
(b) खतरे के संकेत हमेशा लाल रंग के ही बनाए जाते हैं, नीले रंग के नहीं, क्यों?
उत्तर:
(a) स्वणांक से द्रव स्नेही सॉल (रक्षक कोलॉइड) की रक्षण क्षमता को व्यक्त किया जाता है। स्वर्णक, रक्षक कोलॉइड की मिलीग्राम में वह न्यूनतम मात्रा है, जो NaCl के 10 प्रतिशत विलयन के एक मिली आयतन को 10 मिली मानक गोल्ड सॉल में मिलाने पर उसके स्कन्दन को रोकने के लिए पर्याप्त होती है।
(b) लाल रंग का प्रकीर्णन सबसे कम होता है जिससे खतरे का संकेत स्पष्ट रूप से दिखाई देता है जबकि नीले रंग का प्रकीर्णन अधिक होने के कारण संकेत फैला हुआ दिखाई देता है जो कि स्पष्ट नहीं होता । अतः खतरे के संकेत हमेशा लाल रंग के ही बनाए जाते हैं।
प्रश्न 12.
उद्योगों में मिलों की चिमनियों में कॉट्रेल अवक्षेपक का प्रयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
कोलॉइडों के अनुप्रयोग – कोलॉइडों के महत्वपूर्ण औद्योगिक अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं-
(i) चर्मशोधन – पशुओं की खाल कोलॉइडी प्रकृति की होती है जिस पर धनात्मक आवेशित कण होते हैं। इसे टेनिन में भिगोया जाता है, जिसमें ऋणावेशित कोलॉइडी कण होते हैं, जिनसे पारस्परिक स्कंदन हो जाता है। इससे चमड़ा कठोर हो जाता है तथा इस प्रक्रिया को चर्मशोधन कहते हैं। टेनिन के स्थान पर क्रोमियम लवणों का उपयोग भी चर्मशोधन में किया जाता है।
(ii) धूम्र का विद्युतीय अवक्षेपण – धूम्र, कार्बन, आर्सेनिक यौगिकों, धूल आदि ठोस कणों
का वायु में कोलॉइडी विलयन होता है। उद्योगों में चिमनी के बाहर आने से पहले धुएँ को इसके कणों से विपरीत आवेशित इलैक्ट्रोडों के कक्ष में से गुजारा जाता है। कण इन प्लेटों के संपर्क में आने पर अपना आवेश खोकर अवक्षेपित हो जाते हैं। इस प्रकार प्राप्त कण कक्ष के फर्श पर बैठ जाते हैं। इस अवक्षेपक को कॉट्रेल अवक्षेपक कहते हैं।
(iii) पेयजल का शुद्धिकरण – प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त जल में प्रायः अशुद्धियाँ मिली होती हैं। ऐसे जल से अशुद्धियों को स्कंदित करने के लिए फिटकरी मिलाई जाती है जिससे जल पीने योग्य हो जाता है।
(iv) औषधियाँ – अधिकांश औषधियाँ कोलॉइडी प्रकृति की होती हैं। उदाहरणार्थ, आँखों का लोशन आर्जिरॉल, एक सिल्वर सॉल है। कोलॉइडी एन्टिमनी का उपयोग कालाजार के इलाज में होता है। कोलॉइडी गोल्ड का उपयोग अन्तःपेशी इन्जेक्शन में होता है। दूधिया मैग्नीशिया (पायस) का उपयोग पेट की बीमारियों में किया जाता है। कोलॉइडी औषधियों का पृष्ठ क्षेत्रफल अधिक होने के कारण, इनका स्वांगीकरण आसानी से होता है अतः ये अधिक प्रभावी होती हैं।
(v) फोटोग्राफी प्लेटें एवं फिल्में – जिलेटिन में प्रकाश संवेदी सिल्वर ब्रोमाइड के इमल्शन का ग्लास प्लेटों या सेलुलॉइड फिल्मों पर लेपन करके फोटोग्राफी की प्लेटें या फिल्म बनायी जाती हैं।
(vi) रबर उद्योग – लेटेक्स, रबर के ऋणात्मक आवेशित कणों का कोलॉइडी विलयन होता है। अतः रबर को लेटेक्स के स्कंदन से बनाया जाता है।
(vii) औद्योगिक उत्पाद – पेंट, स्याही, संश्लेषित प्लास्टिक, रबर, ग्रेफाइट, स्नेहक, सीमेन्ट आदि सभी पदार्थ कोलॉइड हैं।
(vii) औद्योगिक उत्पाद – पेंट, स्याही, संश्लेषित प्लास्टिक, रबर, ग्रेफाइट, स्नेहक, सीमेन्ट आदि सभी पदार्थ कोलॉइड हैं।
(viii) साबुन की शोधन क्रिया – साबुन की शोधन क्रिया में मिसेल का निर्माण होता है। इसकी व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती है। हम पढ़ चुके हैं कि मिसेल निर्माण में जलविरोधी हाइड्रोकार्बन का एक केन्द्रीय कोड (भाग) होता है। शोधन क्रिया में साबुन के अणु तेल या चिकनाई की बूँदों के चारों ओर इस प्रकार मिसेल बनाते हैं कि स्टिऐरेट आयन (साबुन) का जलविरोधी भाग तेल की बूँदों के अंदर होता है एवं जल-स्नेही भाग चिकनाई की बूँदों के बाहर निकला रहता है।
(ix) वहित मल या अवशिष्ट का विसर्जन – नालियों में बहने वाले गन्दे जल में मल तथा मिट्टी के कण ऋणावेशित कोलॉइड के रूप में होते हैं, इसे शहर के बाहर बड़े-बड़े कुण्डों में लगे इलेक्ट्रोडों पर से प्रवाहित किया जाता है तो गन्दगी के कोलॉइडी कण अवक्षेपित होकर पृथक् हो जाते हैं, जिसे खाद के रूप में तथा जल को सिंचाई के लिए प्रयुक्त करते हैं। इस प्रकार के संयंत्रों को अवशिष्ट निस्तारण संयंत्र (Sewage Treatment Plant) कहते हैं।
प्रश्न 13.
(a) आइसक्रीम में जिलेटिन मिलाया जाता है, क्यों?
(b) गोंद तथा जिलेटिन का स्वर्णांक 0.10 तथा 0.005 है। इनमें से किसकी रक्षण क्षमता अधिक है तथा क्यों ?
उत्तर:
(a) आइसक्रीम में जिलेटिन मिलाने से इसमें उपस्थित दूध, . शर्करा तथा बर्फ का स्कन्दन नहीं होता है।
(b) गोंद तथा जिलेटिन में से जिलेटिन की रक्षण क्षमता अधिक है। क्योंकि जिस रक्षी कोलॉइड का स्वर्णाक कम होता है, उसकी रक्षण क्षमता अधिक होती है।
प्रश्न 14.
फाउण्टेन पेन की स्याही क्यों नहीं चिपकती है? कारण बताइए।
उत्तर:
स्याही बनाते समय इसमें काजल के साथ गोंद मिलाया जाता है जो कि रक्षी कोलॉइड है। यह स्याही को स्कन्दित होने से रोकता है अर्थात् उसको स्थायित्व प्रदान करता है। स्याही का स्कन्दन नहीं होने के कारण उसमें चिपचिपाहट नहीं होती अतः फाउण्टेन पेन की स्याही नहीं चिपकती।
प्रश्न 15.
सॉल, जेल तथा पायस में विभेद तथा उदाहरणों को सारणीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 16. बादलों से कृत्रिम वर्षा किस प्रकार की जाती है? समझाइए।
उत्तर:
बादल, कोलॉइडी अवस्था में होते हैं, जिसमें वायु में जल के कण परिक्षिप्त रहते हैं। इनके ऊपर विपरीत आवेशयुक्त लवण का छिड़काव करने से बादल में उपस्थित कोलॉइडी कणों का आवेश समाप्त हो जाता है, जिससे उनका स्कंदन होकर पानी की बूँदों (वर्षा) के रूप में नीचे आ जाते हैं, इसे कृत्रिम वर्षा कहते हैं।
प्रश्न 17.
सूजी का हलवा बनाते समय उसमें गोंद मिलाने पर क्या प्रभाव होता है तथा क्यों?
उत्तर:
सूजी का हलवा एक प्रकार का कोलॉइड (जेल) होता है जिसमें सूजी में पानी कण परिक्षिप्त होते हैं। गोंद रक्षी कोलॉइड होता है जिसे मिलाने पर हलवे को स्थायित्व प्राप्त होता है जिससे इसका स्वाद बढ़ जाता है एवं काफी समय तक नर्म बना रहता है।
प्रश्न 18.
सूर्यास्त के समय सूर्य लाल दिखाई देता है। क्यों ?
उत्तर:
सूर्यास्त के समय सूर्य क्षितिज की ओर होता है अतः सूर्य से निकलने वाले प्रकाश की किरणें वायुमण्डल में लम्बी दूरी तय करती हैं। इसलिए वायु में उपस्थित धूल के कण प्रकाश के नीले भाग का प्रकीर्णन कर देते हैं अतः शेष भाग लाल दिखाई देता है।
बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न:
प्रश्न 1.
निम्नलिखित का वर्णन कीजिए-
(i) टिन्डल प्रभाव
(ii) आकृति वरणात्मक उत्प्रेरण।
उत्तर:
(i) टिन्डल प्रभाव (Tyndal effect) – जब अंधेरे में रखा एक समांगी विलयन, प्रकाश की दिशा से देखा जाता है, तो यह स्वच्छ दिखाई देता है तथा यदि इसे प्रकाश किरण पुंज की दिशा के लंबवत् देखा जाता है तो यह पूर्णतया अदीप्त (Perfect dark) दिखाई देता है। कोलॉइडी विलयन को भी इसी प्रकार से पारगमन प्रकाश (Transmitted light) द्वारा देखने पर पर्याप्त स्वच्छ या पारदर्शी दिखाई देते हैं परन्तु इसे प्रकाश के पथ की दिशा से लम्बवत् देखने पर वह मंद से प्रबल दूधियापन दर्शाता है।
अर्थात् प्रकाश किरण पुंज का पारगमन पथ नीले प्रकाश से प्रदीप्त हो जाता है, इसे टिन्डल प्रभाव कहते हैं तथा प्रकाश का चमकीला शंकु (Cone), टिन्डल शंकु कहलाता है। इस प्रभाव को सर्वप्रथम फैराडे ने प्रेक्षित किया था अतः इसे फैराडे टिन्डल प्रभाव भी कहते हैं।
(ii) आकृति वरणात्मक उत्प्रेरण-वह उत्प्रेरकी अभिक्रिया जो उत्प्रेरक की रन्द्र संरचना (Pore structure) तथा अभिकारक एवं उत्पाद अणुओं के आकार पर निर्भर करती है उसे आकार वरणात्मक उत्प्रेरण कहते हैं। मधुमक्खी के छत्ते जैसी संरचना के कारण जिओलाइट अच्छे आकृति-वरणात्मक उत्त्रेरक होते हैं। ये त्रिविमीय नेटवर्क वाले तथा सूक्ष्मरंध्री होते हैं। जिओलाइटों में होने वाली अभिक्रियाएँ जिओलाइटों के संरंध्रों एवं कोटरों (cavities) पर भी निर्भर करती हैं। जिओलाइट प्रकृति में उपलब्ध होते हैं तथा उत्प्रेरक वरणात्मकता के लिए इनका संश्लेषण भी किया जाता है।
जिओलाइटों के उपयोग-
- जिओलाइट, पेट्रोरसायन उद्योग में हाइड्रोकार्बनों के भंजन (cracking) तथा समावयवीकरण (Isomerisation) में उत्प्रेरक की भाँति प्रयुक्त किए जाते हैं। इससे ईंधन की गुणवत्ता बढ़ती है।
- ZSM-5 (एक जिओलाइट) ऐल्कोहॉल का निर्जलीकरण करके हाइड्रोकार्बन का मिश्रण बनाता है और यह उन्हें सीधे ही गैसोलीन (पेट्रोल) में परिवर्तित कर देता है।
- जल योजित सोडियम जिओलाइट, आयन विनिमयक के रूप में कठोर जल को मृदु करने में प्रयुक्त किया जाता है।
प्रश्न 2.
कोलॉइडी विलयन के स्कन्दन से क्या समझा जाता है ? किसी एक विधि का नाम बताइए जिससे द्रव विरोधी सॉल का स्कन्दन किया जा सकता हो ।
देखें।
उत्तर:
कोलॉइडों का स्कंदन या अवक्षेपण – द्रवस्नेही कोलॉइड-द्रवस्नेही कोलॉइडों का स्थायित्व उन पर उपस्थित आवेश तथा कणों के विलायकन (Solvation) के कारण होता है। जब इन दोनों कारकों को हटा दिया जाए तो द्रवरागी सॉल का स्कंदन हो जाता है क्योंकि इसके कण गुरुत्व बल के कारण नीचे बैठ जाते हैं।
इसके लिए वैद्युत अपघट्य या उपयुक्त विलायक मिलाया जाता है। जब द्रवस्नेही सॉल में ऐल्कोहॉल एवं ऐसीटोन आदि विलायक मिलाते हैं तो परिक्षिप्त प्रावस्था का निर्जलीकरण हो जाता है। इस स्थिति में विद्युत अपघट्य की कम मात्रा से भी स्कंदन हो जाता है। अतः कोलॉइडी कणों के स्कंदित होकर नीचे बैठ जाने के प्रक्रम को स्कंदन या अवक्षेपण कहते हैं।
प्रश्न 3.
आकृति आधारित (शेष सेलेक्टिव) उत्प्रेरण का क्या अर्थ होता है?
उत्तर:
ज़िओलाइटों का आकृति वरणात्मक उत्प्रेरण-
जिओलाइट-जिओलाइट, विभिन्न धातुओं के ऐलुमिनो सिलिकेट होते हैं जिनका सामान्य सूत्र \(\mathrm{M}_{\mathrm{x} / \mathrm{n}}\left[\left(\mathrm{Al}_2 \mathrm{O}_3\right)_{\mathrm{x}}\left(\mathrm{SiO}_2\right)_{\mathrm{y}}\right]_{\mathrm{z}}^{\mathrm{m}} \mathrm{H}_2 \mathrm{O}\) होता है। यहाँ n = धातु आयन पर आवेश।
जिओलाइट में पाए जाने जाने वाले धनायन मुख्यतः Na+, K+, Mg2+ तथा Ca2+ आदि होते हैं। जिओलाइट आकार वरणात्मक उत्प्रेरण में प्रयुक्त होते हैं। इनमें कुछ Si परमाणु Al परमाणुओं द्वारा प्रतिस्थापित होकर Al-O-Si दाँचे का निर्माण करते हैं।
आकृति वरणात्मक उत्त्रेरण – वह उत्प्रेरकी अभिक्रिया जो उत्प्रेरक की रन्ध्र संरचना (Pore structure) तथा अभिकारक एवं उत्पाद् अणुओं के आकार पर निर्भर करती है उसे आकार वरणात्मक उत्प्रेरण कहते हैं। मधुमक्खी के छत्ते जैसी संरचना के कारण जिओलाइट अच्छे आकृति-वरणात्मक उत्प्रेरक होते हैं।
ये त्रिविमीय नेटवर्क वाले तथा सूक्ष्मरंध्री होते हैं। जिओलाइटों में होने वाली अभिक्रियाएँ जिओलाइटों के संरंध्रों एवं कोटरों (cavities) पर भी निर्भर करती हैं। जिओलाइट प्रकृति में उपलब्ध होते हैं तथा उत्प्रेरक वरणात्मकता के लिए इनका संश्लेषण भी किया जाता है।
जिओलाइटों के उपयोग-
- जिओलाइट, पेट्रोरसायन उद्योग में हाइड्रोकार्बनों के भंजन (cracking) तथा समावयवीकरण (Isomerisation) में उत्प्रेरक की भाँति प्रयुक्त किए जाते हैं। इससे ईंधन की गुणवत्ता बड़ती है।
- ZSM-5 (एक जिओलाइट) ऐल्कोहॉल का निर्जलीकरण करके हाइड्रोकार्बन का मिश्रण बनाता है और यह उन्हे सीधे ही गैसोलीन (पेट्रोल) में परिवर्तित कर देता है।
- जल योजित सोडियम जिओलाइट, आयन विनिमयक के रूप में कठोर जल को मुद करने में प्रयुक्त किया जाता है।
प्रश्न 4.
परिक्षेपण माध्यम जल वाले कोलॉइडों का वर्गीकरण कीजिए । प्रत्येक वर्ग की विशेषता और एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
परिक्षेपण माध्यम जल वाले कोलॉइडों को दो भागों में वर्गीकृत किया जाता है-
(i) जल स्नेही सॉल (द्रव स्नेही)
(ii) जल विरोधी सॉल (द्रव विरोधी)
विभिन्न प्रकार के कोलॉइडों में से सबसे अधिक उपयोगी एवं प्रचलित कोलॉइड, सॉल (द्रव में ठोस), जेल (ठोस में द्रव) तथा इमल्सन (द्रव में द्रव ) हैं।
सॉलों का वर्गीकरण – परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम के मध्य अन्योन्य क्रिया के आधार पर कोलॉइडी सॉलों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है, द्रवरागी या द्रवस्नेही (विलायक को आकर्षित करने वाले) एवं द्रवविरागी या द्रव विरोधी (विलायक को प्रतिकर्षित करने वाले )। जब परिक्षेपण माध्यम जल होता है तो जलरागी एवं जलविरागी शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
(i) द्रवरागी या द्रवस्ने ही कोलॉइड – द्रवरागी का अर्थ है द्रव को आकर्षित करने वाला। वे कोलॉइड जिन्हें पदार्थों को उचित द्रव (परिक्षेपण माध्यम) में मिलाने से सीधे ही कोलॉइड प्राप्त हो जाते हैं उन्हें द्रवरागी कोलॉइड (सॉल) कहते हैं। जैसे गोंद, जिलेटिन, स्टार्च, रबर इत्यादि। इन्हें उत्क्रमणीय कोलॉइड भी कहते हैं क्योंकि परिक्षेपण माध्यम तथा परिक्षिप्त प्रावस्था के पृथक् हो जाने के पश्चात् इन्हें पुनः मिश्रित करने पर कोलॉइड बन जाता है। ये स्थायी होते हैं अतः इनका स्कंदन आसानी से नहीं होता।
(ii) द्रवविरागी या द्रव विरोधी कोलॉइड (Lyophobic colloids )-द्रवविरागी का अर्थ है द्रव का विरोध करने वाला अर्थात् द्रव को प्रतिकर्षित करने वाला। परिक्षिप्त प्रावस्था तथा परिक्षेपण माध्यम को मिश्रित करने से ये कोलॉइड नहीं बनते अतः इन्हें विशेष विधियों से बनाया जाता है। इस प्रकार के कोलॉइडों को द्रवविरोधी कोलॉइड कहते हैं। उदाहरण धातुएँ तथा उनके सल्फाइडों के सॉल।
द्रव विरोधी सॉलों को वैद्युत अपघट्य की थोड़ी सी मात्रा मिलाकर, गर्म करके या हिलाकर आसानी से अवक्षेपित (स्कंदित) किया जा सकता है इसलिए ये स्थायी नहीं होते अतः एक बार अवक्षेपित होने के बाद, परिक्षेपण माध्यम मिलाने से ये पुनः कोलॉइड नहीं बनाते। अतः इनको अनुत्क्रमणीय कोलॉइड भी कहते हैं। द्रवविरागी सॉल के परिरक्षण के लिए स्थायी कारक आवश्यक होते हैं।
प्रश्न 5.
पेप्टीकरण पद को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किसी अवक्षेप में वैद्युत अपघट्य की थोड़ी-सी मात्रा मिलाकर, परिक्षेपण माध्यम के साथ हिलाकर कोलॉइडी सॉल बनाने की प्रक्रिया को पेप्टीकरण कहते हैं।
प्रश्न 6.
प्रत्येक के लिए एक-एक उपयुक्त उदाहरण देते हुए, निम्नलिखित पदों की व्याख्या कीजिए-
(i) ऐरोसॉल (Aerosol )
(ii) इमल्शन (Emulsion )
(iii) मिसेल (Micelle )
उत्तर:
- ऐरोसॉल वह कोलॉइड होता है जिसमें परिक्षेपण माध्यम गैस होती है। उदाहरण-धुआँ (ठोस एरोसॉल) इसमें ठोस के कण गैस में परिक्षिप्त रहते हैं।
- दो आंशिक मिश्रणीय या अमिश्रणीय द्रवों से मिलकर बने कोलॉइड को इमल्शन कहते हैं। उदाहरण- दूध (द्रव वसा का जल में परिक्षेपण) ।
- वे पदार्थ जो कम सान्द्रता पर प्रबल वैद्युत अपघट्य के समान व्यवहार करते हैं, लेकिन उच्च सान्द्रताओं पर कोलॉइड की भाँति व्यवहार करते हैं, उन्हें मिसेल कहते हैं। उदाहरण-जल में साबुन ।
प्रश्न 7.
कोलॉइडी विलयन टिण्डल प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। दो कारण दीजिए।
उत्तर:
कोलॉइडी विलयन के कणों का आकार वास्तविक विलयन से अधिक होता है तथा ये प्रकाश को अन्तराल में सभी दिशाओं में प्रकीर्णित करते हैं। प्रकाश का यह प्रकीर्णन कोलॉइडी परिक्षेपण में किरण के पथ को प्रदीप्त करता है। अतः कोलॉइडी विलयन टिण्डल प्रभाव प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न 8.
जल विरागी कोलॉइड का स्कन्दन आसानी से हो जाता है। कारण दीजिए।
उत्तर:
जल विरागी कोलॉइड विलायक को प्रतिकर्षित करते हैं तथा अस्थायी होते हैं। इनका स्थायित्व आवेश के कारण होता है। अतः किसी भी प्रकार से आवेश को समाप्त कर देने पर इनके कण एक-दूसरे के पास आकर आसानी से स्कंदित हो जाते हैं।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रक्रियाओं के प्रभाव को दर्शाने के लिए उपयुक्त शब्द दीजिए—
(अ) आर्सेनिक सल्फाइड सॉल में फेरिक हाइड्रोक्साइड सॉल मिलाया जाता है।
(ब) फेरिक हाइड्रोक्साइड के ताजा अवक्षेप में फेरिक क्लोराइड का विलयन मिलाया जाता है।
(स) आर्सेनिक ऑक्साइड के विलयन में H2S गैस प्रवाहित की जाती है।
(द) कोलॉइडी विलयन में प्रकाश पुंज गुजरता है।
उत्तर:
(अ) स्कन्दन (Coagulation)
(ब) पेप्टन या पेप्टीकरण ( Peptisation)
(स) As2S3 का कोलॉइडी विलयन बनता है।
(द) टिण्डल प्रभाव।
प्रश्न 10.
(अ) भौतिक अधिशोषण एवं रासायनिक अधिशोषण में दो अन्तर लिखिए।
(ब) समांगी एवं विषमांगी उत्प्रेरण को परिभाषित कीजिए। प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दीजिए।
(स) विद्युत अपोहन का नामांकित चित्र बनाइए ।
उत्तर:
(अ) भौतिक अधिशोषण एवं रासायनिक अधिशोषण में निम्न अन्तर हैं-
- भौतिक अधिशोषण वान्डरवाल बलों के कारण होता है जबकि रासायनिक अधिशोषण रासायनिक बन्ध बनने के कारण होता है।
- भौतिक अधिशोषण उत्क्रमणीय होता है जबकि रासायनिक अधिशोषण अनुत्क्रमणीय होता है।
(ब) (i) समांगी उत्प्रेरण किसी अभिक्रिया में जब अभिकारकों एवं उत्प्रेरकों की भौतिक अवस्था समान (द्रव या गैस) होती है तो इसे समांगी उत्प्रेरण कहते हैं।
उदाहरण:
शर्करा का जल अपघटन, सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा उत्पन्न H+ आयनों से उत्प्रेरित होता है।
(ii) विषमांगी उत्प्रेरण – किसी अभिक्रिया में जब अभिकारक एवं उत्प्रेरक भिन्न-भिन्न भौतिक अवस्था में होते हैं तो इसे विषमांगी उत्प्रेरण कहते हैं।
प्रश्न 11.
(अ) द्रवरागी एवं द्रवविरागी कोलॉइडों में दो अन्तर लिखिए।
(ब) यीस्ट में उपस्थित दो एन्जाइमों के नाम दीजिए। इनके द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रियाओं के समीकरण भी दीजिए।
(स) ब्रेडिंग आर्क विधि का नामांकित चित्र बनाइए ।
उत्तर:
(अ) (i) द्रवरागी कोलाइड उत्क्रमणीय होते हैं जबकि द्रवविरागी कोलाइड अनुत्क्रमणीय होते हैं।
(ii) द्रवरागी कोलाइड, पदार्थ को उचित परिक्षेपण माध्यम में मिलाने से सीधे ही प्राप्त हो जाते हैं क्योंकि इनमें पदार्थ द्रव को अपनी ओर आकर्षित ‘करता है जबकि द्रवविरागी कोलाइड विशेष विधियों द्वारा बनाए जाते हैं क्योंकि इनमें पदार्थ द्रव का विरोध करता है। रबर का कोलाइड द्रवरागी होता है जबकि धातु सल्फाइडों के कोलाइड द्रवविरागी होते हैं।
(ब) यीस्ट में इन्वर्ट्स तथा जाइमेज एन्जाइम पाए जाते हैं। इनके द्वारा उत्प्रेरित अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
(i) इन्वर्टेस एन्जाइम इक्षु शर्करा (सूक्रोस) को ग्लूकोस एवं फ्रक्टोस में परिवर्तित कर देता है।
(ii) जाइमेज एन्जाइम से ग्लूकोस एथिल ऐल्कोहॉल एवं कार्बन डाइऑक्साइड में परिवर्तित हो जाता है।
(स) ब्रेडिंग आर्क विधि द्वारा कोलाइड बनाने का नामांकित चित्र निम्नलिखित है-
प्रश्न 12.
(i) जब एक प्रकाश किरण पुंज को कोलॉइडी विलयन में गुजारा जाता है, तो क्या होता है ?
(ii) बहु आण्विक कोलॉइड किसे कहते हैं?
उत्तर:
(i) जब एक प्रकाश किरण पुंज को कोलॉइडी विलयन में से गुजारा जाता है तथा इसे प्रकाश किरण पुंज की दिशा में लम्बवत् देखा जाता है तो प्रकाश किरण पुंज का पारगमन पथ नीले प्रकाश से प्रदीप्त हो जाता है, इसे टिन्डल प्रभाव कहते हैं।
(ii) किसी पदार्थ को घोलने पर उसके बहुत से परमाणु या अणु एकत्रित होकर ऐसी स्पीशीज बनाते हैं जिनका आकार कोलॉइडी सीमा में होता है तो इन्हें बहु आण्विक कोलॉइड कहते हैं। उदाहरण- गोल्ड तथा सल्फर सॉल।
प्रश्न 13.
(i) द्रवस्नेही तथा द्रवविरोधी सॉल के एक-एक उदाहरण बताइए।
(ii) फ्रॉयन्डलिक अधिशोषण समतापी के सन्दर्भ में ठोसों पर गैसों के अधिशोषण के व्यंजक को एक समीकरण के रूप में लिखिए |
(iii) सहचारी कोलॉइड का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- द्रवस्नेही सॉल-गोंद
द्रवविरोधी सॉल – सिल्वर सॉल - अधिशोषित गैस की मात्रा = \(\frac{x}{\mathrm{~m}}=\mathrm{kp}^{\frac{1}{n}}\)
- साबुन तथा अपमार्जक सहचारी कोलॉइड के उदाहरण हैं।
प्रश्न 14.
(अ) सोने का कोलाइडी सॉल बनाने की विधि का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
(ब) सॉल एवं जैल में क्या अन्तर है ?
(स) स्कंदन किसे कहते हैं? समझाइए ।
अथवा
(अ) वैद्युत अपघट्य की अतिरिक्त मात्रा की अशुद्धियों वाले कोलाइडी विलयन के शुद्धिकरण की विधि का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
(ब) एरोसॉल एवं फोम में क्या अन्तर है?
(स) पेष्टन किसे कहते हैं ? समझाइए ।
उत्तर:
(अ) सोने का कोलाइडी सॉल बनाने के लिए विद्युत परिक्षेपण विधि (ब्रेडिंग आर्क विधि) परिक्षेपण एवं संघनन दोनों ही होते हैं प्रयुक्त की जाती है। इस प्रक्रम में गोल्ड, सिल्वर तथा प्लेटिनम इत्यादि धातुओं के कोलॉइडी सॉल इस विधि से बनाये जाते हैं। इस विधि में परिक्षेपण माध्यम में डूबे हुए धातु के इलैक्ट्रोडों के बीच एक विद्युत आर्क उत्पन्न किया जाता है, इससे उत्पन्न अत्यधिक ऊष्मा द्वारा धातु वाष्पित हो जाती है जो पुनः हिमशीत जल द्वारा संघनित होकर कोलॉइडी अवस्था में आ जाती है। इसमें परिक्षेपण माध्यम सामान्यतः KOH या NaOH का तनु जलीय विलयन लिया जाता है।
(ब) सॉल वे कोलॉइड होते हैं जिनमें ठोस (परिक्षिप्त प्रावस्था), ठोस, द्रव या गैस (परिक्षेपण माध्यम ) में वितरित रहता है। मुख्यतः सॉल वे होते हैं जिनमें ठोस, द्रव में वितरित रहता है, जैसे गोंद, स्टार्च इत्यादि । जबकि जैल वे कोलॉइड हैं जिनमें द्रव प्रावस्था ठोस परिक्षेपण माध्यम में वितरित होती है, जैसे-पनीर, मक्खन इत्यादि ।
(स) स्कंदन – जब किसी सॉल में कोई विद्युत अपघट्य मिलाया जाता है तो उसका आवेश समाप्त हो जाता है जिससे इसके कण नीचे बैठ जाते हैं अर्थात् उनका अवक्षेपण हो जाता है। इसे सॉल का स्कंदन कहते हैं।
अथवा
(अ) कोलॉइडी विलयन में उपस्थित वैद्युत अपघट्यों की अशुद्धियों को अपोहन द्वारा पृथक् किया जाता है। इस विधि में एक उपयुक्त झिल्ली द्वारा वैद्युत अपघट्य के कणों को पृथक् किया जाता है। वास्तविक विलयन के कण जांतव झिल्ली ( ब्लैडर), पार्चमेन्ट पत्र या सेलोफेन शीट में से निकल जाते हैं परन्तु कोलॉइडी कण नहीं, अतः जांतव झिल्ली को अपोहन में प्रयुक्त किया जाता है। अपोहन के लिए प्रयुक्त उपकरण अपोहक कहलाता है।
अशुद्ध कोलॉइडी विलयन से भरा एक उपयुक्त झिल्ली का बैग पात्र में लटकाया जाता है जिसमें से होकर लगातार जल बहता रहता है। अणु एवं आयन झिल्ली में से विसरित होकर बाहरी जल में आ जाते हैं तथा शुद्ध कोलॉइडी विलयन बच जाता है। विद्युत प्रवाहित करने पर यह प्रक्रम जल्दी होता है तथा इस प्रक्रम को विद्युत अपोहन कहते हैं।
(ब) एरोसॉल में परिक्षेपण माध्यम गैस होती है जिसमें ठोस या द्रव परिक्षिप्त रहता है। जैसे तम्बाकू का धुआँ (ठोस एरोसॉल) तथा कोहरा (द्रव एरोसॉल), जबकि फोम में द्रव में गैस के कण परिक्षिप्त रहते हैं जैसे फेन (फ्रोथ ) तथा फेंटी हुई क्रीम।
(स) पेप्टन या पेप्टीकरण – किसी अवक्षेप में वैद्युत अपघट्य की थोड़ी-सी मात्रा मिलाकर परिक्षेपण माध्यम के साथ हिलाकर इसे कोलॉइडी सॉल में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को पेप्टन कहते हैं तथा पेप्टन में प्रयुक्त वैद्युत अपघट्य को पेप्टीकारक कहते हैं। यह स्कंदन का विपरीत प्रक्रम है। इस विधि से ताजा बने अवक्षेप को कोलॉइडी सॉल में परिवर्तित किया जाता है।
प्रश्न 15.
(अ) एन्जाइम उत्प्रेरण किसे कहते हैं? एक उदाहरण लिखिए।
(ब) दूध किस प्रकार का इमल्शन है ? समझाइए।
(स) वैद्युतकणसंचलन को नामांकित चित्र सहित समझाइए।
अथवा
(अ) उत्प्रेरक की वरणात्मकता किसे कहते हैं ? उदाहरण लिखिए।
(ब) जलयोजित फेरिक ऑक्साइड एवं आर्सेनियस सल्फाइड सॉल को मिश्रित करने पर क्या होता है ?
(स) टिन्डल प्रभाव को नामांकित चित्र सहित समझाइए ।
उत्तर:
(अ) एन्जाइमों द्वारा विभिन्न अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने की प्रक्रिया को एन्जाइम उत्प्रेरण कहते हैं। उदाहरण-
माल्टोस का ग्लूकोस में परिवर्तन-
(ब) दूध, जल में तेल प्रकार का इमल्शन है। दूध में जल परिक्षेपण माध्यम है जिसमें द्रव वसा के कण परिक्षिप्त रहते हैं।
(स) जब किसी कोलॉइडी विलयन में डूबे हुये दो प्लैटिनम इलैक्ट्रॉडों पर विद्युत विभव लगाते हैं तो कोलॉइडी कण विपरीत आवेशित इलैक्ट्रॉड की ओर गमन करते हैं। इसे वैद्युत कण संचलन कहते हैं। धनात्मक आवेशित कण कैथोड की ओर तथा ऋणात्मक आवेशित कण ऐनोड की ओर गति करते हैं । वैद्युत कण संचलन से कोलाइडी कणों पर आवेश की उपस्थिति की पुष्टि होती है।
(अ) उत्प्रेरक की उपस्थिति में किसी अभिक्रिया द्वारा विशिष्ट उत्पाद बनाने की क्षमता को उत्प्रेरक की वरणात्मकता कहते हैं अर्थात् विशिष्ट उत्पाद बनाते समय उत्प्रेरक अभिक्रिया को निश्चित दिशा प्रदान करता है। उदाहरण- Ni उत्प्रेरक की उपस्थिति में CO तथा H2 की क्रिया से CH4 बनती है जबकि Cu उत्प्रेरक की उपस्थिति में HCHO बनता है।
(ब) जलयोजित फेरिक ऑक्साइड ( धन-आवेशित सॉल) एवं आर्सेनियस सल्फाइड (ऋण आवेशित सॉल) को मिश्रित करने पर ये अवक्षेपित (स्कंदित) हो जाते हैं, इसे पारस्परिक स्कंदन भी कहते हैं।
(स) टिन्डल प्रभाव – जब अंधेरे में रखा एक समांगी विलयन, प्रकाश की दिशा से देखा जाता है, तो यह स्वच्छ दिखाई देता है तथा यदि इसे प्रकाश किरण पुंज की दिशा के लंबवत् देखा जाता है तो यह पूर्णतया अदीप्त (Perfect dark) दिखाई देता है। कोलॉइडी विलयन को भी इसी प्रकार से पारगमन प्रकाश (Transmitted light) द्वारा देखने पर पर्याप्त स्वच्छ या पारदर्शीं दिखाई देते हैं परन्तु इसे प्रकाश के पथ की दिशा से लम्बवत् देखने पर वह मंद से प्रबल दूधियापन दर्शाता है।
अर्थात् प्रकाश किरण पुंज का पारगमन पथ नीले प्रकाश से प्रदीप्त हो जाता है, इसे टिन्डल प्रभाव कहते हैं तथा प्रकाश का चमकीला शंकु (Cone), टिन्डल शंकु कहलाता है। इस प्रभाव को सर्वप्रथम फैराडे ने प्रेक्षित किया था अतः इसे फैराडे टिन्डल प्रभाव भी कहते हैं।
प्रश्न 16.
AlCl3 और NaCl में से कौन-सा ऋणात्मक सॉल को स्कंदित करने में अधिक प्रभावशाली है और क्यों?
उत्तर:
AlCl3 और NaCl में से AlCl3 ऋणात्मक सॉल को स्कंदित करने में अधिक प्रभावशाली है क्योंकि इसमें धनायन (Al3+) पर आवेश अधिक है जो कि ऋणात्मक सॉल के कणों को अधिक आसानी से उदासीन करेगा।
प्रश्न 17.
एक उदाहरण सहित अधिशोषण को परिभाषित कीजिए । क्या कारण है कि अधिशोषण स्वभाव में ऊष्माक्षेपी होता है ? अधिशोष्य और अधिशोषी के बीच बलों की प्रकृति के आधार पर अधिशोषण के प्रकार लिखिए।
उत्तर:
इस प्रश्न के उत्तर के लिए पाठ्यपुस्तक के अभ्यास प्रश्न संख्या 5.1 तथा 5.8 का उत्तर देखें तथा अधिशोष्य और अधिशोषी (अधिशोषक) के बीच बलों की प्रकृति के आधार पर अधिशोषण दो प्रकार के होते हैं।
- भौतिक अधिशोषण या वान्डरवाल अधिशोषण
- रासायनिक अधिशोषण या लैग्म्यूर अधिशोषण।