HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार

Haryana State Board HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Biology Important Questions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार

वस्तुनिष्ठ प्रश्न-
1. मनुष्य के अगुणित डी.एन.ए. में कितने क्षार युग्म होते हैं?
(अ) 5.5 × 107
(ब) 4.6 × 106
(स) 3.3 × 109
(द) 6.3 × 108
उत्तर:
(स) 3.3 × 109

2. केन्द्रक में मिलने वाले अम्लीय पदार्थ डी.एन.ए. की खोज किसने की थी?
(अ) फ्रेडरीच मेस्वर
(ब) राबर्ट हुक
(स) वाटसन क्रिक
(द) राबर्ट ब्राउन
उत्तर:
(अ) फ्रेडरीच मेस्वर

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3. डी.एन.ए. का वह खण्ड जो आर. एन. ए. का कूटलेखन करता है, उसे कहते हैं-
(अ) रज्जुक
(ब) क्रोमोसोम
(स) जीन
(द) इंट्रान
उत्तर:
(स) जीन

4. फिंगर प्रिंट के लिए निम्न में से किसका DNA का सैम्पल लिया जाता है-
(अ) कपड़ों पर लगे वीर्य
(ब) योनि स्राव
(स) बाल या मृत व्यक्ति के बाल
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी

5. मानव में लगभग 1.4 करोड़ जगहों पर अलग इकहरा क्षार पाया जाता है जिसे कहते हैं-
(अ) स्निप्स
(ब) पिनिप्स
(स) जिनीप्स
(द) टिनिप्स
उत्तर:
(अ) स्निप्स

6. मानव में ज्ञात सबसे बड़ी जीन डिसट्राफिन (Distraphin) में कितने करोड़ क्षार पाए जाते हैं-
(अ) 2.4 करोड़
(ब) 3.4 करोड़
(स) 4.4 करोड़
(द) 5.4 करोड़
उत्तर:
(अ) 2.4 करोड़

7. गुणसूत्रों के एक अगुणित समुच्चयी (Haploid set ) को क्या कहते हैं?
(अ) अनुलेखन
(ब) आनुवंशिक कूट
(स) लैक ओपेरॉन
(द) जीनोम
उत्तर:
(द) जीनोम

8. डी.एन.ए. में अनुलेखन इकाई का भाग नहीं है-
(अ) उन्नायक (प्रमोटर )
(ब) संरचनात्मक जीन
(स) समापक
(द) लैक ओपेरॉन ।
उत्तर:
(द) लैक ओपेरॉन ।

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9. पहला आनुवांशिक पदार्थ था-
(अ) DNA
(ब) RNA
(स) प्रोटीन
(द) CSC
उत्तर:
(ब) RNA

10. आर.एन.ए. के रासायनिक रूपांतरण से किसका विकास हुआ-
(अ) tRNA
(ब) mRNA
(स) rRNA
(द) DNA
उत्तर:
(द) DNA

11. फ्रेडेरिक ग्रिफीथ (1928) ने स्ट्रेप्टोकोकस नीमोनी किस रोग के लिए जिम्मेदार माना-
(अ) हैजा
(ब) निमोनिया
(स) टीबी
(द) टॉयफाइड
उत्तर:
(ब) निमोनिया

12. ‘न्यूक्लिन’ नाम किस वैज्ञानिक ने दिया?
(अ) मेण्डल ने
(ब) हर्ष ने
(स) ओसवाल्ड एवेरी ने
(द) फ्रेडरीच मेस्चर ने।
उत्तर:
(द) फ्रेडरीच मेस्चर ने।

13. निम्न में से किसे पालिन्यूक्लिओटाइड एंजाइम कहते हैं?
(अ) पॉलीमरेज- I
(ब) पॉलीमरेज- II
(स) लाइगेज
(द) राइबोन्यूक्लिएज
उत्तर:
(स) लाइगेज

14. न्यूक्लिओसाइड न्यूक्लिोटाइड से भिन्न होता है, क्योंकि इसमें नहीं होता-
(अ) फास्फेट
(ब) शर्करा
(स) नाइट्रोजन क्षारक
(द) फास्फेट व शर्करा
उत्तर:
(अ) फास्फेट

15. 64 कोडोन्स में से 61 कोडोन्स 20 अमीनो अम्ल को कोड करते हैं, यह कहलाता है-
(अ) कोडोन की वॉवलिंग
(ब) जीन का अतिव्यापन
(स) कोडोन की सार्वभिकता
(द) जेनिटिक कोड का ह्रास
उत्तर:
(द) जेनिटिक कोड का ह्रास

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16. संरचनात्मक जीन्स की क्रिया किसके द्वारा नियंत्रित होती है –
(अ) आपरेटर
(ब) प्रमोटर
(स) लाइगेज
(द) रेग्यूलेटरी जीन ।
उत्तर:
(अ) आपरेटर

17. DNA का अनुलेखन (Transcription ) किसके द्वारा सहायक होता है?
(अ) RNA पॉलीमरेज
(ब) DNA पॉलीमरेज
(स) एक्सोन्यूक्लिएज
(द) रीकाम्बीनेज
उत्तर:
(अ) RNA पॉलीमरेज

18. ओकाजाकी खण्ड किस समय दिखाई देते हैं-
(अ) प्रतिलिपिकरण (Replication)
(ब) पारक्रमण (Transduction )
(स) ट्रांसक्रिप्शन (Transcription)
(द) अनुलिपिकरण (Translation)
उत्तर:
(अ) प्रतिलिपिकरण (Replication)

19. DNA का एक्सरे क्रिस्टलोग्राफी द्वारा अध्ययन करने वाले थे-
(अ) गिफिथ
(ब) वाटसन एवं क्रिक
(स) विलकिन्स
(द) मैकलिन्टॉक
उत्तर:
(स) विलकिन्स

20. आनुवंशिक कूट होते हैं-
(अ) एकक
(ब) द्विक
(स) त्रिक
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) त्रिक

21. आनुवंशिक कूट का वहन करने वाले हैं-
(अ) इन्ट्रॉन
(ब) एम्सॉन
(स) स्पलाइसोम
(द) SRNA
उत्तर:
(ब) एम्सॉन

22. कोशिका जैविकी का केन्द्रीय सिद्धान्त किसने प्रतिपादित किया?
(अ) वाटसन
(ब) विलिकिन्स
(स) ग्रिफिथ
(द) क्रिक
उत्तर:
(द) क्रिक

23. प्रोटीन संश्लेषण स्थान पर अमीनो अम्लों को कौन ले जाता है?
(अ) m.RNA
(स) t.RNA
(ब) r.RNA
(द) DNA
उत्तर:
(स) t.RNA

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24. न्यूक्लिक अम्ल के खोजकर्ता थे-
(अ) मीशर
(स) खुराना
(ब) वानमोल
(द) वाटसन क्रिक
उत्तर:
(अ) मीशर

25. यूकैरियोटोप में DNA के अनुलेखन के पश्चात् बनने वाले RNA को कहते हैं-
(अ) rRNA
(स) RNA
(ब) mRNA
(द) H RNA
उत्तर:
(द) H RNA

26. DNA में क्षारक युग्मों की परस्पर दूरी होती है-
(अ) 20A°
(स) 344°
(ब) 3.4A°
(द) 10A°
उत्तर:
(ब) 3.4A°

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
DNA आनुवंशिक पदार्थ है। इसके बारे में सुस्पष्ट प्रमाण किसने दिये ?
उत्तर:
अल्फ्रेड हर्षे व मार्था चेस ने।

प्रश्न 2.
DNA में शर्करा एवं फॉस्फोरिक अम्ल के मिलने से कौनसा बन्ध बनता है?
उत्तर:
फॉस्फो डाइएस्टर बन्ध ।

प्रश्न 3.
ऐसे खण्डों का नाम बताइये जो hnRNA में से RNA स्प्लाइसिंग के द्वारा काटकर अलग कर दिये जाते हैं।
उत्तर:
इन्ट्रॉन (Intron ) ।

प्रश्न 4.
उस एन्जाइम का नाम लिखिये जो अनुलेखन में सहायता करता है।
उत्तर:
RNA पॉलीमरेज विकर।

प्रश्न 5.
जीन अभिव्यक्ति के नियमन की ऑपेरॉन अवधारणा किन वैज्ञानिकों ने दी ?
उत्तर:
जैकब एवं मोनाड ।

प्रश्न 6.
hnRNA में पाये जाने वाले वे खण्ड जो प्रोटीन संश्लेषण में भाग नहीं लेते हैं, क्या कहलाते हैं?
उत्तर:
इन्ट्रॉन (Intron ) ।

प्रश्न 7.
ऋणात्मक नियमन क्या है ?
उत्तर:
इस नियमन में नियामक जीन का उत्पाद जीन की अभिव्यक्ति को रोक देता है। उदाहरण- लेक ऑपेरॉन ।

प्रश्न 8.
आनुवंशिक कूट में कोमारहित का क्या तात्पर्य है? उत्तर- दो कोडोन के बीच विराम नहीं होता है। एक के बाद दूसरा कोडोन तुरन्त प्रारम्भ हो जाता है।

प्रश्न 9.
snRNP का पूर्ण नाम बताइये ।
उत्तर:
लघुकेन्द्रकीय राइबोन्यूक्लियोप्रोटीन ( Small nuclear ribonucleoprotein) |

प्रश्न 10
सबसे छोटा RNA कौनसा होता है व इसमें कितने न्यूक्लियोटाइड होते हैं?
उत्तर:
t.RNA सबसे छोटे होते हैं। इसमें 75-80 न्यूक्लियोटाइड होते हैं।

प्रश्न 11.
सिस्ट्रॉन की संख्या के आधार पर m. RNA कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
दो प्रकार के मोनोसिस्ट्रानिक ( Monocistronic) तथा पॉलीसिस्ट्रॉनिक (Polycistronic)।

प्रश्न 12.
मोनोसिस्ट्रॉनिक किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह m. RNA जिसमें केवल एक सिस्ट्रॉन अर्थात् प्रोटीन के एक अणु के संकेत अनुलेखित होते हैं। उदाहरण-यूकैरियोटिक कोशिकाओं में।

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प्रश्न 13.
रेप्लीसोम ( Replisome) किसे कहते हैं?
उत्तर:
DNA प्रतिकृति विधि में एन्जाइमों की एक श्रृंखला भाग लेती है जिसे रेप्लीसोम कहते हैं।

प्रश्न 14.
DNA के एक कुण्डल की लम्बाई तथा एक कुण्डल में नाइट्रोजनी क्षारकों की संख्या बताइये।
उत्तर:
लम्बाई 34A° तथा क्षारकों की संख्या 11) होती है।

प्रश्न 15.
RNA कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
तीन प्रकार के r. RNA. t.RNA m. RNA तथा इनके अतिरिक्त विषमांगी केन्द्रकी RNA (hnRNA) तथा लघु केन्द्रकीय RNA भी होते हैं।

प्रश्न 16.
कोशिका में कितने प्रकार के r.RNA अणु पाये जाते हैं?
उत्तर:
लगभग 60 विभिन्न प्रकार के ।

प्रश्न 17.
ओकाजाकी खंड किस घटना से सम्बन्धित है ?
उत्तर:
प्रतिकरण से ।

प्रश्न 18.
BAC व YAC का पूर्ण नाम लिखिए।
उत्तर:
BAC = Bacterial Artificial Chromosome YAC = Yeast Artificial Chromosome.

प्रश्न 19
प्रोटीन में अमीनो अम्लों के अनुक्रमों को निर्धारित करने वाली विधि के विकास का श्रेय किसे जाता है ?
उत्तर:
फ्रेडिरक सेंगर ।

प्रश्न 20.
DNA अंगुलिछापी में किन DNA का महत्त्व है?
उत्तर:
पुनरावृत्ति DNA ( Repetitive DNA ) व अनुषंगी DNA (Satellite DNA) का।

प्रश्न 21.
आनुवंशिक पदार्थ के अणु हेतु आवश्यक चार मानदण्डों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर:
आनुवंशिक पदार्थ के अणु हेतु आवश्यक चार मानदण्ड निम्न हैं-

  • यह अपनी प्रतिकृति बनाने में सक्षम है। (प्रतिकृति)
  • इसे रचना व रासायनिक संगठन के आधार पर स्थित होना चाहिये।
  • इसमें धीमे परिवर्तनों (उत्परिवर्तन) की सम्भावना होती है जो विकास के लिये आवश्यक है।
  • इसे स्वयं ‘मेंडल के लक्षण’ के अनुरूप अभिव्यक्त होना चाहिए।

प्रश्न 22.
आनुवंशिक कूट की चार विशेषताएँ बताइए ।
उत्तर:

  • प्रकूट त्रिक होता है।
  • एक प्रकूट केवल एक अमीनो अम्ल का कूट लेखन होता है अतः यह असंदिग्ध व विशिष्ट होता है।
  • कुछ अमीनो अम्ल का कूट लेखन एक से अधिक प्रकूटों द्वारा होता है, इस कारण इन्हें अपहासित कूट कहते हैं।
  • कूट लगभग सार्वभौमिक होते हैं।

प्रश्न 23.
यदि DNA के एक रज्जुक का अनुक्रम निम्नानुसार है-
5′ – AAGTTACTAGAC – 3′
तो इसके आधार पर बनने वाले m RNA के अनुक्रम लिखिए।
उत्तर:
5′- AAGUUACUAGAC – 3′

लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
पॉलीन्यूक्लियोटाइड से क्या तात्पर्य है? इनके घटकों को बताइये ।
उत्तर:
अनेक न्यूक्लियोटाइड्स आपस में जुड़कर पॉलीन्यूक्लियोटाइड की श्रृंखला बनाकर DNA व RNA की संरचना बनाते हैं। प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड के तीन घटक होते हैं – नाइट्रोजनी क्षार, पेंटोस शर्करा (RNA में रिबोस तथा DNA में डीऑक्सीरिबोज) और एक फॉस्फेट समूह । नाइट्रोजनी क्षार दो प्रकार के होते हैं प्यूरीन्स (एडेनीन व ग्वानीन) व पायरिमिडीन (साइटोसीन, यूरेसिल व थाइमीन) । साइटोसीन DNA व RNA दोनों में मिलता है जबकि थाइमीन DNA में मिलता है ।

थाइमीन के स्थान पर यूरेसील RNA में मिलता है । नाइट्रोजनी क्षार नाइट्रोजन ग्लाइकोसिडिक बंध द्वारा पेंटोस शर्करा से जुड़कर न्यूक्लियोटाइड बनाता है जैसे एडीनोसीन या डीऑक्सी एडीनोसीन, ग्वानोसीन या डीऑक्सी ग्वानोसीन, साइटीडीन या डीऑक्सी साइटीडीन व यूरीडीन या डीऑक्सी थाइमीडिन ।

जब फॉस्फेट समूह फॉस्फोएस्टर बंध द्वारा न्यूक्लियोसाइड 5′ हाइड्रॉक्सिल समूह से जुड़ जाता है तब संबंधित न्यूक्लियोटाइड्स का निर्माण होता है। दो न्यूक्लियोटाइड्स 3-5 फॉस्फोडाइस्टर बंध द्वारा जुड़कर डाइन्यूक्लियोटाइड का निर्माण करता है। इस तरह से अनेक न्यूक्लियोटाइड्स जुड़कर एक पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखला का निर्माण करते हैं।

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प्रश्न 2.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये-
(i) चारगाफ का तुल्यता नियम
(ii) अर्द्ध-संरक्षणीय प्रतिकृतिकरण
(iii) क्लोवर पत्ती प्रतिरूप
(iv) स्प्लाइसियोसोम
(v) समापन कोडोन
(vi) विपरीत अनुलेखन
(vii) बहुराइबोसोम
(viii) hnRNA
उत्तर:
(i) चारगाफ का तुल्यता नियम- चारगाफ ने 1949 में विभिन्न स्रोतों से DNA प्राप्त कर व अध्ययन कर नियम बनाये, जिन्हें चारगाफ का नियम कहते हैं-

  • प्यूरीन की कुल मात्रा पिरिमिडीन की कुल मात्रा के बराबर होती है (A + G = T + C) ।
  • A वT तथा G और C का अनुपात बराबर होता है परन्तु A + T व G+ C का समान होना आवश्यक नहीं है अतः A = T,

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(ii) अर्द्ध संरक्षणीय प्रतिकृतिकरण – DNA के प्रतिकृतिकरण सम्बन्ध में मेसलसन एवं स्टाइल (1958) के द्वारा प्रस्तुत अर्द्ध संरक्षणीय प्रतिकृत मत सर्वमान्य है । इसके अनुसार DNA अणु के दोनों सूत्र एक- दूसरे से अलग होकर अपने-अपने अस्तित्व को बनाये रखते हैं और प्रत्येक सूत्र, कोशिका में उपलब्ध न्यूक्लिओटाइडों के कुण्ड (pool) से अपने सम्पूरक सूत्र का संश्लेषण करते हैं।

इस प्रकार नये बने DNA अणु में एक सूत्र पूर्ववर्ती DNA अणु का एवं एक सूत्र नया संश्लेषित होता है अर्थात् आधा पूर्व जैसा तथा आधा नया, इसे अर्ध संरक्षणीय प्रतिकृति कहते हैं। मेसलसन एवं स्टाइल ने इसकी पुष्टि ई कोलाई जीवाणु पर भारी समस्थानिक N15 का उपयोग करके की थी ।

(iii) क्लोवर पत्ती प्रतिरूप – 1- RNA की संरचना का राबर्ट होले ने प्रतिरूप प्रस्तुत किया जिसे क्लोवर पत्ती प्रतिरूप कहते हैं। क्लोवर पत्ती प्रतिरूप के अनुसार RNA की एक पोलीन्यूक्लिओटाइड श्रृंखला मुड़कर के पांच भुजाएँ बनाती है। मुड़ने के कारण 5 व 3 सिरे पास-पास आ जाते हैं। प्रत्येक tRNA अणु के 3 छोर पर CCA अनुक्रम होता है, इस पर अमीनो अम्ल सिन्थेटेज एन्जाइम की सहायता से एक विशिष्ट अमीनो अम्ल जुड़ जाता है। 5′ छोर पर ‘G’ होता है। दो भुजाएँ –

  • TψC भुजा – इसकी सहायता से 1-RNA राइबोसोम्स से बन्धन करता है तथा
  • D भुजा या DHU भुजा – यह अमीनो अम्ल सिन्थेटेज से बन्धन में भाग लेती है। 1-RNA के नीचे लूप वाले भाग पर तीन क्षारों का अनुक्रम एन्टीकोडन वाले होते हैं। यह m RNA के विशिष्ट कोडोन से क्षार युग्मन करती है।

(iv) स्प्लाइसियोसोम – यूकैरियोटों में अनुलेखन के बाद बनने वाले RNA को hnRNA कहते हैं। RNA दो प्रकार के भागों का बना होता है। इसमें एक को इन्ट्रॉन ( Intron ) कहते हैं, इसमें कोड नहीं होता है। दूसरे भाग को एक्सॉन (Exon) कहते हैं जो आनुवंशिक कूट का वाहन करता है। इनमें से इन्ट्रॉन को RNA Splicing की प्रक्रिया द्वारा निकाल दिया जाता है। स्प्लाइसियोसोम नामक केन्द्रकीय अवयव इस प्रक्रिया में सहायता करते हैं।

(v) समापन कोडोन – ये कोड प्रोटीन श्रृंखला के निर्माण को रोकने या समापन के लिए होते हैं अर्थात् ये किसी भी अमीनो अम्ल को कोड नहीं करते हैं। ये UAA, UAG व UGA हैं। इन्हें स्टोप सिग्नल (Stop Signal) कहते हैं अर्थात् अनर्थक कोडोन (Nonsense Codon) होते हैं। ऐसे कुल 03 कोडोन होते हैं।

(vi) विपरीत अनुलेखन (Reverse transcription)-1970 में टेमिन एवं बाल्टीमोर (Temin and Baltimore) ने इसकी खोज की। अनेक ट्यूमर जनक विषाणुओं में आनुवंशिक पदार्थ के रूप में RNA होता है जिससे पूरक DNA बनता है। यह विपरीत अनुलेखन ट्रान्सक्रिप्टेज द्वारा किया जाता है। ऐसे विषाणुओं को रेट्रो वाइरस (Retro Virus) कहते हैं। इसके अन्तर्गत एड्स रोग HIV विषाणु भी आते हैं।

(vii) बहुराइबोसोम (Polyribosome ) – कभी प्रोटीन संश्लेषण के दौरान m – RNA पर अनेक राइबोसोम का समूह एकत्रित हो जाता है, इसे बहुराइबोसोम कहते हैं। ये राइबोसोम m. RNA के ऊपर 5′ सिरे से 3 सिरे की ओर गति करते हैं । m RNA की लम्बाई के अनुसार 5 से 20 तक राइबोसोम एक के बाद एक क्रम में जुड़ते जाते हैं। वह राइबोसोम जो 5′ सिरे के निकट होता है वह सबसे छोटी तथा जो 3 सिरे के पास होता है सबसे बड़ी पैप्टाइड श्रृंखलायुक्त होता है।

(viii) hnRNA – इसे विषमांगी केन्द्रकी RNA (Heterogenous nuclear RNA) कहते हैं। यूकैरियोटों में DNA के अनुलेखन पश्चात् बनने वाले RNA को ही hnRNA कहते हैं। इसे उच्च आणविक भार RNA या पूर्व केन्द्रकीय RNA या DNA जैसा RNA भी कहते हैं। यह प्राथमिक दूत RNA दो प्रकार के भागों का बना होता है।

इसमें एक को इन्ट्रॉन (Intron ) कहते हैं, इसमें कोड नहीं होता है। दूसरे भाग को एक्सॉन (Exon) कहते हैं जो आनुवंशिक कूट को वहन करता है। इनमें से इन्ट्रॉन को RNA Splicing की प्रक्रिया द्वारा निकल दिया जाता है। स्प्लाइसिओसोम (Spliceosome) नामक केन्द्रकीय अवयव इस प्रक्रिया में सहायता करता है। इसके बाद m – RNA का निर्माण होता है, जो अनुवादन की क्रिया में भाग लेता है।

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प्रश्न 3.
निम्न में अन्तर स्पष्ट कीजिए-
(i) न्यूक्लिओसाइड एवं न्यूक्लिओटाइड
(ii) DNA एवं RNA
(iii) इन्ट्रॉन एवं एक्सॉन
(iv) कोडोन एवं एन्टीकोडोन
(v) अनुलेखन एवं अनुवादन
(vi) प्रेरणीय एवं निरोधक नियमन
(vii) RNA स्प्लाइसिंग एवं RNA सम्पादन ।
उत्तर:
(i) न्यूक्लिओसाइड एवं न्यूक्लिओटाइड (Nucleoside and Nucleotide ) – एक अणु नाइट्रोजन क्षारक के साथ एक अणु शर्करा, के जुड़ने से जो संरचना बनती है, उसे न्यूक्लियोसाइड कहते हैं। इसी प्रकार एक अणु न्यूक्लियोसाइड के साथ फॉस्फोरिक अम्ल का एक अणु जुड़कर न्यूक्लियोटाइड बनता है।

  • नाइट्रोजन क्षारक + शर्करा = न्यूक्लियोसाइड
  • नाइट्रोजन क्षारक + शर्करा + फॉस्फोरिक अम्ल = न्यूक्लियोटाइड ।

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(ii) DNA u RNA

लक्षण DNA RNA
1. प्राप्ति स्थान पादप विषाणुओं के अतिरिक्त अन्य विषाणुओं एवं सभी जीवों में पाया जाता है। जन्तु विषाणु, जीवाणुभोजियों (Bacterio-phages) के अतिरिक्त अन्य विषाणुओं में तथा सभी जीवों में पाया जाता है।
2. कोशिका में स्थिति प्रायः केन्द्रक में पाया जाता है। प्रायः कोशिका द्रव्य में पाया जाता है।
3. रज्जुकों की संख्या द्विरज्जुकीय एकरज्जुकीय
4. पैन्टोस शर्करा डीऑक्सीराइबोस (C5H10O4) राइबोज (C5H10O4)
5. पिरमिडीन क्षारक थायमीन एवं साइटोसिन यूरेसिल एवं साइटोसिन
6. प्यूरीन एवं पिरिमिडीन की मात्रा बराबर होती है। नहीं होती।
7. असामान्य क्षारक ये बहुत ही कम अथवा अनुपस्थित होते हैं। इसमें अधिक संख्या में पाये जाते हैं।
8. क्षारकों का युग्मन पूरी लम्बाई में होता है। केवल मुड़े हुए भाग में होता है।
9. संश्लेषण के लिए एन्जाइम डी एन ए पॉलीमरेज। आर एन ए पॉलीमरेज।
10. कार्य यह प्राणियों में आनुवंशिक पदार्थ का कार्य करता है। इसका मुख्य कार्य प्रोटीन संश्लेषण होता है। पादप विषाणुओं एवं कुछ अन्य विषाणुओं में यह आनुवंशिक पदार्थ का कार्य करता है।

(iii) इन्ट्रॉन एवं एक्सॉन

इन्ट्रॉन (Intron) एक्सॉन (Exon)
इसमें कोड नहीं होता है अतः ये आनुवंशिक कूट को वहन नहीं करते। यह आनुवंशिक कूट को वहन करता है।
RNA Splicing की प्रक्रिया द्वारा बाहर निकाल दिये जाते हैं। बाहर नहीं निकाले जाते हैं।
अनुवादन की क्रिया में भाग नहीं लेता है। भाग लेता है।

(iv) कोडोन एवं एन्टीकोडोन

कोडोन (Codon) एन्टीकोडोन (Anticodon)
m-RNA पर तीन अक्षरों के कोडोन होते हैं। t-RNA पर तीन अक्षरों का एन्टीकोडोन होता है।
इसमें अनर्थक कोडोन (nonsense codons) होते हैं जो संख्या में तीन होते हैं। अनर्थक एन्टीकोडोन नहीं होते हैं।
m-RNA जिस पर कोडोन होते हैं वह m-RNA स्थिर होता है। t-RNA कोशिकाद्रव्य से अमीनो अम्ल को पकड़कर t-RNA उस स्थल पर लगते हैं जहाँ उपयुक्त कोडोन होता है।

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(v) अनुलेखन एवं अनुवाद

अनुलेखन (Transcription) अनुवादन (Translation)
इसमें आनुवंशिक सूचना का स्थानांतरण DNA से RNA में होता है । m-RNA में न्यूक्लिओटाइडों की शृंखला का अमीनो अम्लों की पॉलिपेप्टाइड शृंखला में परिवर्तन होता है।
यह क्रिया केन्द्रक में होती है तथा वहां से m-RNA कोशिकाद्रव्य में आता है। यह क्रिया कोशिकाद्रव्य में राइबोसोम की सतह पर होती है।
इसमें कोडोन होते हैं, राइबोसोम पर m-RNA के 5 सिरे पर जुड़ता है। राइबोसोम की m-RNA की 3 सिरे की तरफ गति के होने से m = RNA के कोडोन अनुवादित होते हैं।
इस क्रिया के लिए DNA टेम्पलेट, RNA पॉलीमरेज विकर, सक्रिय अग्रदूत तथा द्विसंयोजक धातु आयन की आवश्यकता होती है। इसके लिये m-RNA, t-RNA राइबोसोम, अमीनो अम्ल विभिन्न अनुवादन कारक आवश्यक होते हैं।

(vi) प्रेरणीय नियमन एवं निरोधक नियमन

प्रेरणीय नियमन (Inducible Regulation) निरोधक नियमन (Repressible Regulation)
इस नियमन के द्वारा जीन को प्रोटीन उत्पन्न करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसमें जीन की सक्रियता निरुद्ध हो जाती है, जिसके कारण प्रोटीन संश्लेषण रुक जाता है।
इन पदार्थों को प्रेरक (Inducer) कहते हैं। इन्हें दमनकर (Repressor) कहते हैं।
उदा.-ई. कोलाई में लेक्टोज के अपचय का नियमन। उदा.-ई.कोलाई के ट्रप्टीफान ऑपेरॉन, हिस्टीडीन ऑपेरॉन।

(vii) RNA स्प्लाइसिंग एवं RNA सम्पादन

RNA स्प्लाइसिंग (RNA Splicing) RNA सम्पादन (RNA Processing)
RNA में से इन्ट्रॉन निकालने की क्रिया है। विभिन्न प्रकार के RNA जैसे m-RNA, t-RNA तथा r-R N A इत्यादि।
प्रोटीन संश्लेषण से पूर्व यह क्रिया होती है। प्रोटीन संश्लेषण के दौरान आवश्यकता होती है।

प्रश्न 4.
DNA की आणविक संरचना का नामांकित चित्र बनाकर वर्णन कीजिए ।
उत्तर:
DNA एक दीर्घ अणु है। इसकी इकाइयों को न्यूक्लिओटाइड कहते हैं। प्रत्येक न्यूक्लिओटाइड में तीन यौगिक- पेन्टोज शर्करा, फॉस्फोरिक अम्ल तथा नाइट्रोजनी क्षारक होते हैं।
I. पेन्टोज शर्करा (Pentose Sugar) – यह पाँच कार्बन युक्त शर्करा होती है जिसे डीआक्सीराइबोज कहते हैं। इसमें राइबोज शर्करा की तुलना में दूसरे कार्बन पर एक ऑक्सीजन का अणु कम होता है।
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II. फॉस्फोरिक अम्ल (Phosphoric Acid ) – यह आर्थोफॉस्फोरिक अम्ल (H3PO4) होता है। न्यूक्लिक अम्लों में फॉस्फोरिक अम्ल एवं पैन्टोज शर्करा एकान्तर क्रम में पाये जाते हैं अर्थात् दो शर्करा के अणुओं के बीच फॉस्फोरिक अम्ल का एक अणु पाया जाता है। प्रत्येक फॉस्फेट समूह एक शर्करा के 3°C तथा दूसरी शर्करा के 5°C से जुड़कर फॉस्फो डाइएस्टर बन्ध (Phospho diester bond) बनाता है। न्यूक्लिक अम्ल की श्रृंखला 5°C से प्रारम्भ होकर 3°C पर समाप्त होती है अथवा 3°C शुरू होकर 5°C पर समाप्त होती है।

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III. नाइट्रोजनी क्षारक (Nitrogenous bases) – ये दो प्रकार के होते हैं-
(i) पिरिमिडीन (Pyrimidine ) – इनमें एक विषमचक्रीय षट्भुजी वलय होती है जिसमें चार कार्बन एवं दो नाइट्रोजन होते हैं। DNA में दो प्रकार के पिरिमिडीन थाइमीन (Thymine = T) एवं साइटोसीन (Cystosine = C ) पाये जाते हैं। RNA में थाइमीन के स्थान पर यूरेसिल (Uracil = U) होता है।

(ii) प्यूरीन (Purine ) – इसमें पिरिमिडीन वलय के चौथे एवं पाँचवें कार्बन से एक इमिडेजोल वलय (imidazole ring) संयुक्त होती है। DNA तथा RNA दोनों में ही एडीनीन (Adenine = A) एवं गुआनीन (Guanine = G) नामक प्यूरीन पाये जाते हैं।

प्रश्न 5.
DNA प्रतिकृतिकरण में भाग लेने वाले प्रमुख एन्जाइमों के नाम लिखिये।
उत्तर:
DNA प्रतिकृतिकरण में भाग लेने वाले एन्जाइम निम्न प्रकार से हैं-

  • हेलिकेज एन्जाइम – DNA की द्विकुण्डली खोलते हैं।
  • एस. एस. बी. प्रोटीन्स एकल लड़ी बंधन प्रोटीन्स सम्बद्ध होकर स्थिति को स्थिर रखते हैं।
  • टोपोआइसोमेरेज एन्जाइम कुण्डलीकरण तनाव को कम करते हैं।
  • R.N.A. पॉलिमेरेज या प्राइमेज एन्जाइम (R.N.A. प्राइमर) – DNA संश्लेषण की प्रक्रिया करने के लिए RNA का छोटा हिस्सा बनाते हैं।
  • DNA पॉलीमेरेज III एन्जाइम प्राइमर को 5-3 दिशा में आगे बढ़ाने का कार्य करने हैं।
  • DNA पॉलीमेरेज I-DNA के खण्डों के मध्य पाये जाने वाले रिक्त स्थानों की पूर्ति करते हैं।
  • लाइगेज एन्जाइम – DNA के खण्डों को जोड़ते हैं।
  • एण्डोन्यूक्लिएज एवं एक्सोन्यूक्लिएज एन्जाइम सही न्यूक्लियोटाइड को जोड़ने का कार्य करते हैं।

प्रश्न 6.
tRNA के क्लोवर पत्ती प्रतिरूप का नामंकित चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राबर्ट होले (Robert Holley) तथा उनके साथियों ने यीस्ट के एलीनीन T- RNA की संरचना का अध्ययन कर बताया कि 1- RNA की संरचना क्लोवर की पत्ती की भांति होती है, इसे क्लोवर पत्ती प्रतिरूप (Model) कहते हैं। इसके अनुसार RNA की एक पोलीन्यूक्लिओटाइड श्रृंखला मुड़कर के पाँच भुजायें बनाती है। मुड़ने के कारण इसके 5 व 3 सिरे पास-पास आ जाते हैं। 5 सीमान्त छोर पर गुआनीन अवशेष ‘G’ तथा 3 सिरे पर ‘CCA अयुग्मित अनुक्रम होता है। अमीनो अम्ल को केवल 3’ छोर पर स्वीकार किया जाता है

क्लोवर पत्ती प्रतिरूप के अनुसार 1-RNA में निम्न भुजायें होती हैं-

  1. ग्राही भुजा (Acceptor arm ) – इसके 3 सिरे पर अमीनो अम्ल जुड़ता है।
  2. डाइहाइड्रो यूरीडीन भुजा (DHU भुजा अथवा D भुजा) – यह अमीनो अम्ल सिन्थेटेज नामक एन्जाइम को बाँधती है।
  3. एन्टीकोडोन (Anticodon arm ) – इसकी लूप में तीन न्यूक्लिओटाइडों का विशिष्ट क्रम प्रतिकूट (anticodon) होता है जो mRNA के कूट (Codon) से क्षार युग्मन करता है।
  4. अतिरिक्त भुजा – यह एन्टीकोडोन भुजा एवं TC भुजा के मध्य पाई जाती है। इसकी लम्बाई अनिश्चित होती है।
  5. TyC भुजा – इसकी भुजा से प्रोटीन संश्लेषण के समय राइबोसोम जुड़ता है।

t.RNA का कार्य – इसकी मुख्य भूमिका प्रोटीन संश्लेषण में त्रिक् आनुवंशिक कूट को पहचान कर अनुरूप अमीनो अम्लों को राइबोसोम तक पहुँचाना है।

प्रश्न 7.
विषमांगी केन्द्रकी RNA व लघुकेन्द्रकीय RNA पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
विषमांगी केन्द्रकी RNA (Heterogenous nuclear RNA = hnRNA)- यूकैरियोटों में DNA में अनुलेखन के पश्चात् बनने वाले RNA को ही hnRNA कहते हैं। इसे उच्च आणविक भार या पूर्व केन्द्रीय RNA या DNA जैसा RNA कहते हैं। यह प्राथमिक m. RNA दो प्रकार के भागों इन्ट्रॉन (intron ) एवं एक्सॉन (exon) से बना होता है। एक्सॉन आनुवंशिक कूट वहन करता ।

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परन्तु इन्ट्रॉन वहन नहीं करता । इन्ट्रॉन को RNA Splicing विधि द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है, इसके लिए केन्द्रकीय अवयव स्प्लाइसिओसोम (Spliceosome) सहायता करते हैं। इसके बाद m- RNA का निर्माण होकर अनुवादन क्रिया में भाग लेता है। लघुकेन्द्रकीय RNA ( Small nuclear RNA = snRNA)- यह यूकैरियोटों के केन्द्रक में मिलता है।

यह केन्द्रक में प्रोटीनों के साथ मिलकर लघुकेन्द्रकीय राइबोन्यूक्लिओप्रोटीन (snRNP) का निर्माण करता है। इसे प्राय: स्नर्प (Snurps ) भी कहते हैं । इनसे स्प्लाइसिओसोम बनता है जो RNA Splicing में सहायता करता है।

प्रश्न 8.
अनुवादन के प्रमुख चरणों के नाम लिखिये ।
उत्तर:
m – RNA में न्यूक्लिओटाइडों की श्रृंखला का अमीनो अम्लों की पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला में परिवर्तन को ही अनुवादन (Translation) कहते हैं । यह क्रिया कोशिकाद्रव्य में राइबोसोम की सतह पर होती है। राइबोसोम – RNA के 5 ́ सिरे पर जुड़ता है तथा इसकी 3 ́ सिरे की ओर गति होने से m-RNA के कोडोन अनुवादित हो जाते हैं। अनुवादन हेतु m-RNA, t-RNA राइबोसोम, अमीनो अम्ल व विभिन्न अनुवादन कारक आवश्यक होते हैं। प्रोकैरियोटों में यह क्रिया निम्न चरणों में पूर्ण होती है-

  1. अमीनो अम्ल का सक्रियण ।
  2. सक्रिय अमीनो अम्ल का t-RNA से जुड़ना ।
  3. पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का समारम्भ।

समारम्भ की प्रक्रिया में समारम्भ कारक (Initiation Factors) आवश्यक होते हैं। प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में ये IFs होते हैं ।

प्रश्न 9.
सेंट्रल डोमा सिद्धान्त किसने बताया व उससे क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आण्विक जीव विज्ञान में फ्रांसिस क्रिक ने सेंट्रल डोमा (Central dogma) का विचार प्रस्तुत किया । सिद्धान्त के अनुसार आनुवंशिक सूचनाओं का बहाव DNA से RNA व इससे प्रोटीन की ओर होता है (DNA → RNA → प्रोटीन) । यद्यपि कुछ विषाणुओं में यह बहाव विपरीत दिशा अर्थात् RNA से DNA की ओर होता है।
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प्रश्न 10.
RNA प्रथम आनुवंशिक पदार्थ है, व्याख्या कीजिए ।
उत्तर:
RNA पहला आनुवंशिक पदार्थ था । अब बहुत पर्याप्त प्रमाण हैं कि जीवन के आवश्यक प्रक्रमों (जैसे- उपापचयी, स्थानांतरण, संबंधन आदि) का विकास RNA से हुआ। RNA आनुवंशिक पदार्थ के साथ एक उत्प्रेरक (जैविक तंत्र में कुछ ऐसी महत्त्वपूर्ण जैव रासायनिक अभिक्रियाएँ हैं जो RNA उत्प्रेरक द्वारा उत्प्रेरित की जाती हैं, प्रोटीन एंजाइम का इसमें कोई योगदान नहीं है )

RNA उत्प्रेरक के रूप में क्रियाशील लेकिन अस्थायी है। इस कारण से RNA के रासायनिक रूपांतरण से DNA का विकास हुआ, जिससे यह अधिक स्थायी है। DNA के द्विरज्जुकों व पूरक रज्जुकों के कारण तथा इनमें मरम्मत प्रक्रियाओं के विकास से अपने में होने वाले परिवर्तनों के प्रति प्रतिरोधी है।

प्रश्न 11.
अनुलेखन की इकाई व जीन को समझाइये |
उत्तर:
जीन वंशागति ( inheritance) की क्रियात्मक इकाई है। जीन DNA पर स्थित होती हैं। DNA अनुक्रम जो 1. RNA व r. RNA को कोडित (Coding) करते हैं उसे भी जीन परिभाषित करते हैं। परिभाषा के अनुसार समपार (Cistron) DNA का वह खंड है जो पॉलीपेप्टाइड का कूटलेखन (Coding) करता है, अनुलेखन (transcription ) इकाई में संरचनात्मक जीन मोनोसिस्ट्रानिक (Monocistronic ) या पॉलीसिस्ट्रानिक (Polycistronic) हो सकती है।

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प्रायः सुकेन्द्रकी (cukaryotic) में मोनोसिस्ट्रानिक तथा पॉलीसिस्ट्रानिक जीवाणु या असीमकेन्द्री (Prokaryotic) में होती है। सुकेन्द्रकी में मोनोसिस्ट्रानिक संरचनात्मक जीन मिलती है जिसमें अंतरापित कूटलेखन (Interrupted Coding) अनुक्रम पाये जाते हैं। सुकेन्द्रकी में जीन विखंडित (Split) होते हैं। कूटलेखन अनुक्रम या अभिव्यक्त अनुक्रमों को व्यक्तेक (exon) कहते हैं।

व्यक्तेक वे अनुक्रम हैं जो परिपक्व या संसाधित (Processed) RNA में मिलते हैं। व्यक्तेक, अव्यक्तेक (intron ) द्वारा अंतरापित (interrupted) होते हैं। अव्यक्तेक या मध्यवर्ती ( intervening) अनुक्रम परिपक्व या संसाधित RNA में नहीं मिलते हैं। लक्षण की वंशागति संरचनात्मक जीन के उन्नायक व नियामक (Promotor and Regulatory) अनुक्रमों द्वारा प्रभावित होती है. क्योंकि कभी-कभी नियामक अनुक्रम अस्पष्ट रूप से नियामक जीन कहलाते हैं। इसके बावजूद भी ये अनुक्रम किसी RNA या प्रोटीन का कूटलेखन नहीं करते हैं ।

प्रश्न 12.
DNA के अग्रक रज्जुक एवं पश्चगामी रज्जुक में अन्तर बताइये ।
उत्तर:

अग्रक रज्जुक (Leading strand) पश्चगामी रज्जुक (Lagging strand)
1. अग्रक सूत्र या रज्जुक DNA के 3→5 सूत्र पर संश्लेषित होता है । पश्चगामी सूत्र जनक DNA के 5→3 सूत्र पर संश्लेषित होता है ।
2. इसके संश्लेषण की दिशा 5→3 व द्विगुणन शाख की तरफ होती है। यह पूर्ण सूत्र 3→5 दिशा में तथा द्विगुणन शाख के विपरीत दिशा में संश्लेषित होता है परन्तु इनके खण्डों का संश्लेषण 5→3 दिशा में ही होता है।
3. इसका संश्लेषण एक शृंखला के रूप में होता है। पश्चगामी रज्जुक का संश्लेषण छोटे -छोटे पॉलीन्यूक्लियोटाइड खण्डों में होता है जिन्हें ओकाजॉकी खण्ड कहते हैं।
4. इसके संश्लेषण हेतु केवल एक RNA प्राइमर होता है। इसमें ओकाजॉकी खण्ड के संश्लेषण हेतु अलग-अलग RNA प्राइमर चाहिए।
5. इसमें संश्लेषण के लिये DNA लाइगेज एन्जाइम की आवश्यकता नहीं होती है। इनमें ओकाजॉकी खण्डों को जोड़ने के लिये DNA लाइगेज एन्जाइम की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 13.
रो – कारक (Rho – factor ) क्या होते हैं?
उत्तर:
ई. कोलाई ( E. coli ) जीवाणु में वह प्रोटीन जो RNA पॉलीमरेज द्वारा एक प्रकार के अनुलेखन (transcription ) समापन स्थलों (terminating sites) पर अनुलेखन समाप्त करने में सहायक होता है, ऐसे स्थलों को रो – निर्भर समापन स्थल कहते हैं। प्रोकैरियोट्स के समापन स्थलों को दो वर्गों में विभक्त किया गया है-

  • रो – स्वतन्त्र समापन स्थल ( rho independent terminator)
  • रो- आश्रित समापन स्थल (rho-dependent terminator)

प्रश्न 14.
यूकैरियोटिक कोशिकाओं में पाये जाने वाले RNA पॉलीमरेज एन्जाइम की स्थिति, कार्य व प्रतिशत को – बताइये ।
उत्तर:

एन्जाइम (Enzyme) स्थिति (Position) कार्य (Functions) प्रतिशतता (Percentage)
1. RNA पॉलीमेरेज-I केन्द्रक में r.RNA का संश्लेषण 50-70%
2. RNA पॉलीमेरेज-II केन्द्रक द्रव्य में m.RNA का संश्लेषण 20-40%
3. RNAपॉलीमेरेज-III केन्द्रक द्रव्य में t.RNA व 5 S RNA का संश्लेषण 10%

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प्रश्न 15.
प्रेरण व दमन में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:

प्रेरण (Induction) दमन (Repression)
1. यह ऑपेरॉन को प्रारम्भ करता है। यह समाप्त करता है।
2. यह अनुलेखन व अनुवादन को प्रारम्भ करता है। यह अनुलेखन व अनुवादन को रोकता है।
3. यह उपचयी पथ (metabolic path) को सुचारु व व्यवस्थित करता है । यह उपचयी पथ को संचालित करता है।
4. ऑपेरॉन जीन से जुड़ने से प्रेरण द्वारा दमन को रोका जाता है। ऑपरेटर जीन से सह-दमनकर के जुड़ने से एपोरिप्रेसर उत्पन्न होता है।

प्रश्न 16.
प्रोकैरियोटिक व यूकैरियोटिक कोशिकाओं में होने वाले अनुलेखन में क्या अन्तर होता है? तुलना कीजिए।
उत्तर:

लक्षण प्रोकैरियोटिक अनुलेखन यूकैरियोटिक अनुलेखन
1. स्थान कोशिक द्रव्य में सम्पन्न होता है। केन्द्रक द्रव्य (Nucleoplasm) में होता है।
2. समय इसके लिये कोशिका चक्र की कोई निश्चित अवस्था नहीं होती है। कोशिका चक्र की G1 व G2 अवस्थाओं में अनुलेखन होता है।
3. RNA संसाधन विभिन्न प्रकार के RNAs का संसाधन या परिपक्वन कोशिका द्रव्य में होता है। RNAS का संसाधन केन्द्रक द्रव्य में होता है।
4. अनुलेखन इकाई एक इकाई में एक से अधिक जीन हो सकते हैं। इसमें केवल एक जीन होती है।
5. एन्जाइम तीनों प्रकार के RNA के संश्लेषण हेतु केवल एक एन्जाइम, RNA पॉलीमेरे ज-I की आवश्यकता होती है। तीनों प्रकार के RNA संश्लेषण हेतु अलग-अलग प्रकार के एन्जाइम की आवश्यकता होती है। इसमें पॉलीमेरेज-I, II व III की आवश्यकता होती है।
6. RNA पॉलीमरेज की संरचना RNA पॉलीमरेज, 5-पॉलीपेप्टाइड शृंखला की जटिल संरचना है। RNA पॉलीमरे ज में 10-15 पॉलीपे प्टाइ ड शृंखलायें होती हैं।
7. अनुलेखन व अनुवादन m.RNA का अनुलेखन तथा पॉलीपेप्टाइड श्वृंखला का अनुवादन साथ होते हैं। ऐसा नहीं होता है।
8. राइबोसोमी RNA तीन प्रकार के राइबोसोमी RANs (23S, 16S, 5S) के लिये केवल एक प्राथमिक ट्रान्सक्रिप्ट RNA अणु बनता है। चार प्रकार के राइबोसोमी RNA के लिये दो प्राथमिक प्रतिलिपि RNA बनते हैं। एक अनुलेखन से 28S, 18S व 5.8S r.RNA बनते हैं तथा दूसरे से केवल 5S r.RNA बनता है।
9. प्रमोटर सरल व छोटा होता है। तुलनात्मक जटिल, बड़ा व विविधापूर्ण होता है।
10 अनुलेखन संकुल क्रोड एन्जाइम + σ  कारक RNA पॉलीमरेज व अनुलेखन कारक।

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प्रश्न 17.
प्रोकैरियोटिक व यूकैरियोटिक DNA में अन्तर बताइये ।
उत्तर:

प्रोकैरियोटिक DNA यूकैरियोटिक DNA
1. DNA के साथ हिस्टोन प्रोटीन्स नहीं पाये जाते हैं। हिस्टोन प्रोटीन्स पाये जाते हैं।
2. निष्क्रिय (non-coding) DNA की बहुत कम मात्रा होती है। बहुत अधिक होती है।
3. कोडिंग खण्डों में नॉन-कोडिंग अनुक्रम (introns) नहीं होते हैं। नॉन-कोडिंग खण्ड पाये जाते हैं।
4. DNA अणु वृत्ताकार होता है। केन्द्रकीय DNA अणु रैखिक (linear) होता है।
5. DNA एक अति कुण्डलित गुणसूत्र बनाता है। गुणसूत्रों की संख्या सदैव एक से अधिक होती है।

प्रश्न 18.
लैक ओपेरॉन क्या है? लैक ओपेरॉन की संरचना तथा इसकी कार्यविधि समझाइये। लेक ओपेरॉन प्रक्रिया का नामांकित चित्र बनाइये ।
उत्तर:
लैक-प्रचालेक (Lac-Operon)-
1. लैक ऑपेरॉन के विषय में स्पष्ट जानकारी जैकब व मोनाड (Jacob \& Monod) ने दी।

2. लैक ऑपेरॉन (यहाँ लैक से तात्पर्य लैक्टोज से है) में पॉलीसिस्ट्रोनिक संरचनात्मक जीन का नियमन एक सामान्य प्रमोटर व नियामक (regulatory) जीन द्वारा होता है। इस प्रकार की व्यवस्था जीवाणु में बहुत सामान्य रूप से देखने को मिलती है व इसे ऑपेरॉन कहा जाता है। उदाहरणार्थ val ऑपेरॉन, his ऑपेरॉन, trp ऑपेरॉन, lac ऑपेरॉन आदि।

3. मानव की आंत में पाये जाने वाले जीवाणु ई-कोलाई सामान्यतया लैक्टोज के अपचय से ऊर्जा को प्राप्त करते हैं। जैकब व मोनाड ने ज्ञात किया कि इसके DNA में तीन जीन का एक समूह लैक्टोज का अपचय करने वाले तीन एन्जाइम के संश्लेषण से सम्बन्धित होता है।
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4. जब पोषण माध्यम में लैक्टोज उपस्थित होता है तो ये जीन सक्रिय होते हैं किन्तु लैक्टोज की अनुपस्थिति होने पर ये निष्क्रिय होते हैं। जैकब व मोनाड ने इन जीन की सक्रियता के नियमन के लिये ऑपेरॉन संकल्पना (operon concept) दी।

5. उक्त संकल्पना के अनुसार जीन की सक्रियता का नियमन अनुलेखन (transcription) स्तर पर प्रेरण या दमन (induction or repression) द्वारा होता है।

6. लैक्टोज के अपघटन और उससे ऊर्जा उत्पादन हेतु तीन एन्जाइम्स की आवश्यकता होती है-

  • बीटा गैलेक्टोसाइडेज (beta-galactosidase),
  • परमिएज (permease) तथा
  • ट्रान्सएसीटिलेज (transacetylase)।

7. इन एन्जाइ म्स का संश्लेषण एक बहु सिस्ट्र भॅनिक (polycistronic) m.RNA अणु के अनुवादकरंण (translation) से होता है। इस बहुसिस्ट्रॉनिक m.RNA का संश्लेषण लैक ऑपेरॉन में स्थित तीन संरचनात्मक जीन्स या सिस्ट्रॉन्स (structural genes or cistrons) की शृंखला के अनुलेखन (transcription) के द्वारा होता है।

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8. इन तीन संरचनात्मक जीन या सिस्ट्रॉन में-

  • सिस्ट्रॉन-Z,
  • सिस्ट्रॉन-Y तथा सिस्ट्रॉन- a होती है। ये एक-दूसरे के समीप होती हैं व इनमें परस्पर समन्वय होता है। ये तीनों जीन इनको कन्ट्रोल करते हैं। इन्हें रेगुलेटर जीन (Regulator gene), प्रोमोटर जीन (Promotor gene) तथा ओपरेटर जीन (Operator gene) कहते हैं।

9. सिस्ट्रॉन- Z जीन बींटा गैलेक्टोसाइडेज के लिये कोड करता है जो डाइसैकेराइड लैक्टोज का जल अपघटन करके उन्हें गैलेक्टोज व ग्लूकोज में विभक्त कर देता है। सिस्ट्रॉन-Y जीन परमीएज के लिये कोड करता है जो beta-गैलेक्टोसाइडेज के लिये कोशिका की पारगम्यता को बढ़ा देते हैं। सिस्ट्रॉन-a जीन ट्रान्सएसीटिलेज के लिये कोड करता है। अतः लैक्टोज के उपापचय के लिये तीनों जीन के उत्पाद लैक ऑप्रॉन में आवश्यक हैं।

लैक ऑपेरॉन का प्रकार्य (Functioning of Lac Operon)-
ई.कोलाई जीवाणु में लैक ऑपेरॉन की कार्यविधि को दो प्रकार से स्पष्ट किया गया है-
(i) लैक्टोज की उपस्थिति में-माध्यम में लैक्टोज-प्रेरक (inducer) के उपस्थित होने पर प्रेरक कोशिका में प्रवेश करके नियामक जीन (regulator gene) से उत्पन्न दमनकारी (repressor) के साथ जुड़ जाता है। परिणामस्वरूप दमनकारी प्रचालक (operator) जीन से नहीं जुड़ने पाता और प्रचालक जीन स्वतन्त्र रहती है।

यह RNA पॉलीमरेज को प्रमोटर जीन (promotor gene) के समारम्भन स्थल से जुड़ने के लिये प्रेरित करता है। फलस्वरूप संरचनात्मक जीन या सिस्ट्रॉन से बहुसिस्ट्रॉनिक m.RNA का अनुलेखन होता है जो लैक्टोज उपयोग के लिये आवश्यक तीनों एन्जाइम्स को कोडित करता है अर्थात् यह लेक्टोज उत्प्रेरक का कार्य करता है। अतः सम्पूर्ण क्रिया एन्जाइम प्रेरण है या यह उत्प्रेरण या प्रेरण (induction or inducer) का उदाहरण है।

(ii) लैक्टोज की अनुपस्थिति में-लैक्टोज प्रेरक की अनुपस्थिति में नियामक जीन एक दमनकारी प्रोटीन उत्पन्न करता है (यह i जीन द्वारा संश्लेषित होता है) जो ओपरेटर स्थल से जुड़कर इसके अनुलेखन को रोक देती है। अतः संरचनात्मक जीन m.RNA का संश्लेषण नहीं कर पाते और प्रोटीन का निर्माण रुक जाता है।

यह संदमन या दमनकारी (repression) का उदाहरण है। कभी-कभी लैक्टोज उत्प्रेरक से जुड़कर दमनकारी में संरचनात्मक परिवर्तन करता है और ओपरेटर से जुड़कर इसके अनुलेखन को रोक देता है। इस प्रकार के उत्प्रेरक को सहदमनकारी (co-repressor) कहते हैं। क्योंकि यह प्रचालक स्थल (operator side) को निष्क्रिय करने के लिये दमनकारी (repressor) को सक्रिय करता है।

प्रश्न 19.
अनुलेखन ( ट्रांसक्रिप्सन) से क्या तात्पर्य है? अनुलेखन क्रिया को चित्र सहित समझाइए ।
अथवा
अनुलेखन किसे कहते है ? जीवाणु में अनुलेखन प्रक्रिया को नामांकित चित्र बनाकर समझाइए ।
उत्तर:

  1. आनुवंशिक सूचनाओं का स्थानान्तरण, DNA से RNA में होता है। वह प्रक्रिया जिसके द्वारा DNA से RNA का निर्माण होता है, अनुलेखन या ट्रांसक्रिप्सन (Transcription) कहलाती है।
  2. हम जानते हैं कि DNA विशिष्ट प्रकार के प्रोटीन्स का संश्लेषण करता है। प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं के केन्द्रकाय ( Nucleoid) तथा यूकेरियोटिक कोशिकाओं के केन्द्रक में DNA पाये जाते हैं परन्तु प्रोटीन संश्लेषण कोशिका द्रव्य में होता है।
  3. DNA अणु केन्द्रक से कोशिका द्रव्य में नहीं जाते और सीधे ही प्रोटीन संश्लेषण को निर्देशित नहीं करते हैं।
  4. DNA अणु प्रोटीन संश्लेषण की सूचनाओं को सन्देशवाहक RNA (m.RNA) पर अंकित करते हैं और कोशिका द्रव्य में जाकर राइबोसोम से जुड़ते हैं। अत: DNA फर्मे (DNA Template) पर RNA के निर्माण को अनुलेखन कहते हैं।
  5. DNA पर जब m. RNA का निर्माण होता है तो इसमें नाइट्रोजन बेस थायमीन के स्थान पर यूरेसिल होता है।
  6. यह प्रक्रिया विशेष प्रकार के एन्जाइम RNA पॉलीमरेज (RNA Polymerase) की उपस्थिति में होती है।

अनुलेखन इकाई (Transcription Unit) –
1. एक DNA खण्ड, जो RNA के अणु का अनुलेखन करता है, उसे अनुलेखन इकाई कहते हैं। अनुलेखन इकाई एक जीन के समान या इसमें अनेक सतत जीन हो सकते हैं।

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2. DNA में अनुलेखन इकाई के मुख्यतः तीन भाग होते हैं-

  • उन्नायक ( Promoter )
  • संरचनात्मक जीन (Structural gene)
  • समापक (Treminator)

3. DNA निर्भर RNA पॉलीमरेज बहुलकीकरण केवल एक दिशा 5→3′ की ओर उत्प्रेरित होते हैं।

4. रज्जुक जिसमें ध्रुवत्व 3→5 की ओर होता है वह टेम्पलेट के रूप में कार्य करता है। इस कारण इसे टेम्पलेट रज्जुक (Template Strand) कहते हैं।

5. दूसरा रज्जुक जिसमें ध्रुवत्व 5→3′ होता है व अनुक्रम (Sequences) RNA के समान होते हैं (थायमीन के स्थान पर यूरेसिल) वह अनुलेखन प्रक्रिया के दौरान विस्थापित (displaced ) या स्थानांतरित हो जाता है। वह रज्जुक जो किसी के लिये कूटलेखन नहीं करता है उसे कूटलेखन रज्जुक (Coding Strand) कहते हैं।

सभी उपर्युक्त बिन्दु या संदर्भ बिन्दु (reference point) जो अनुलेखन इकाई के भाग होते हैं। वे कूटलेखन रज्जुक से बने होते हैं। उदाहरण के रूप में एक परिकल्पित अनुलेखन इकाई के अनुक्रम निम्न प्रकार के होंगे- 3′-AT GC AT GC AT GC AT GC AT GC AT GC 5′ टेम्पलेट रज्जुक 5′-TA CG TA CG TA CG TA CG TA CG TA CG-3′ कूटलेखन रज्जुक

6. अनुलेखन इकाई में संरचनात्मक जीन के दोनों सिरों पर प्रमोटर (उन्नायक ) व टर्मिनेटर ( समापक) जीन उपस्थित होती हैं। संरचनात्मक जीन के 5 (प्रतिप्रवाह upstream) सिरे पर प्रमोटर जीन तथा 3′ ( अनुप्रवाह; down stream) सिरे पर समापन जीन होती है और इससे अनुलेखन प्रक्रम की समाप्ति का निर्धारण होता है। इसके अतिरिक्त उन्नायक (Promoter) के प्रतिप्रवाह ( upstream) व अनुप्रवाह (downstream) की तरफ नियामक अनुक्रम (regulatory sequences) उपस्थित होते हैं।
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6.5.2 अनुलेखन इकाइ व जान (Transcription unit and Gene) –
1. जीन वंशागति ( inheritance) की क्रियात्मक इकाई है। यह t.DNA पर स्थित होते हैं। वह DNA अनुक्रम जो T. RNA अथवा r. RNA अणु के लिये कूटलेखन (Code) करता है, वह भी जीन कहलाता है।

2. समपार या सिस्ट्रॉन (Cistron) DNA का वह खण्ड है जो पॉलीपेप्टाइड का कूटलेखन करता है या जिसमें एक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के संश्लेषण की सूचना कोडित होती है। अतः यह एक जीन के समतुल्य है तथा सिस्ट्रॉन शब्द का प्रयोग एक जीन के लिये ही किया जाता है।

3. प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं में एक ही m. RNA अणु में प्राय: एक से अधिक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं के बहुलकीकरण (Polymerization) की सूचना निहित होती है। अतः इन m. RNA अणुओं को पॉलीसिस्ट्रॉनिक (Polycistronic ) कहते हैं।

4. यूकेरियोटिक कोशिकाओं के m. RNA अणु में केवल एक ही पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के बहुलकीकरण की सूचना निहित होती है। इसलिये इन्हें मोनोसिस्ट्रॉनिक (Monocistronic ) कहते हैं।

5. जैसा कि यूकेरियोटिक कोशिकाओं में अधिकांश जीनों में एक ही प्रोटीन के संश्लेषण की संकेत सूचना DNA के कई छोटे-छोटे खण्डों में होती है। इस कारण इन्हें विपटित जीन (Split genes) कहते हैं। ये DNA खण्ड व्यक्तेक या एक्सॉन ( exon) कहलाते हैं। एक्सॉन्स के बीच-बीच में अक्रिय DNA खण्ड पाये जाते हैं जिनमें प्रोटीन संश्लेषण की सूचना नहीं होती है।

DNA के ये निष्क्रिय खण्ड अव्यक्तेक या इन्ट्रॉन्स (introns) कहलाते हैं। अतः RNA की प्राथमिक प्रतिलिपियों में एक्सॉन्स व इन्ट्रॉन्स दोनों प्रकार के खण्ड होते हैं। RNA की ऐसी प्राथमिक प्रतिलिपि को विषमांगी केन्द्रकीय RNA (heterogenous nuclear RNA or hn RNA) भी कहते हैं।

RNA के प्रकार व अनुलेखन का प्रक्रम (Types of RNA and Process of Transcription)-
1. अनुलेखन में आनुवंशिक सूचनाओं का स्थानान्तरण DNA से RNA में होता है। इस क्रिया में DNA कुण्डली की एक श्रृंखला पर RNA के न्यूक्लियोटाइड्स ( राइबोन्यूक्लियोटाइड्स) आकर जुड़ जाते हैं जिससे एक अस्थायी DNA-RNA संकर का निर्माण हो जाता है। कुछ समय पश्चात् RNA की समजात (complementary) श्रृंखला अलग हो जाती है। इसमें नाइट्रोजन बेस थायमीन के स्थान पर यूरेसिल होता है। इस क्रिया को अनुलेखन कहते हैं। यह क्रिया एन्जाइम RNA पॉलीमरेज (RNA polymerase) द्वारा होती है।

प्रोकेरियोट्स में अनुलेखन (Transcription in Prokaryotes) –
1. प्रोकेरियोट्स में पॉलिसिस्ट्रानिक व सतत संरचनात्मक जीन पाये जाते हैं।

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2. जीवाणुओं में RNA पॉलिमरेज की एक ही जाति से m. RNA, t.RNA तथा r. RNA का संश्लेषण होता है ये तीनों प्रकार के RNA प्रोटीन संश्लेषण के लिये आवश्यक होते हैं। m. RNA टेम्पलेट प्रदान करता है, t.RNA अमीनो अम्लों के लाने व आनुवंशिक कूट को पढ़ने का काम व r.RNA स्थानान्तरण के दौरान संरचनात्मक व उत्प्रेरक की भूमिका निभाता है।

3. RNA पॉलीमरेज एन्जाइम अनुलेखन के प्रारम्भ होने वाले DNA का वर्धक व प्रमोटर स्थल को पहचानने में सहायता करता है। इस एन्जाइम के दो भाग होते हैं-क्रोड एन्जाइम (Core enzyme) तथा क्रोड एन्जाइम के साथ जुड़ने वाला सिग्मा (०) कारक, जो कि RNA का संवर्धन का प्रारम्भन ( initiation) करता है।

4. क्रोड एन्जाइम चार प्रकार के पॉलीपेप्टाइडों से बना होता है-

  • दो a श्रृंखलायें ये पॉलीपेप्टाइड वर्धक (Promotor) DNA के साथ बंध बनाते हैं।

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  • पहली B श्रृंखला – RNA संवर्धन हेतु प्रयुक्त . न्यूक्लियोटाइड को बाँधने का काम यह श्रृंखला करती है।
    दूसरी श्रृंखला – यह टेम्पलेट DNA के बंध स्थापित कर अनुलेखन क्रिया में सहायता करती है।.

5. सिग्मा (σ) कारक क्रोड एन्जाइम के साथ सम्बद्ध होकर इसे सक्रिय बनाने का काम करता है। यह DNA के वर्धक या प्रमोटर स्थल को पहचान करके क्रोड RNA पॉलीमरेज को इसके साथ जोड़ता है एवं अनुलेखन का समारंभ ( initiation) करने में सक्रिय भाग लेता है ।

6. RNA के संवर्धन में (DNA से अनुलेखन की क्रिया में), क्रोड RNA पॉलीमरेज का सिग्मा कारक से सम्बद्ध (bind) होकर सक्रिय हो जाता है । वर्धक स्थल (promotor site ) पर सिग्मा युक्त RNA पॉलीमरेज का बन्धन हो जाता है। इस स्थान से DNA रज्जुक खुल जाता है। दोनों रज्जुकों की पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलायें खुलकर अलग हो जाती हैं। दोनों रज्जुकों में से केवल एक रज्जुक (प्रधान रज्जुक) पर ही संदेशवाहक RNA अणु का निर्माण होता है।
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7. प्रधान रज्जुक फर्मों की भांति काम करता है। प्रधान रज्जुक के क्षारक क्रमों के अनुसार RNA रज्जुक पर क्षारक आते जाते हैं। इस प्रकार RNA श्रृंखला का निर्माण होता जाता है व RNA पॉलीमरेज आगे बढ़ता चला जाता है और अन्त में एक विशेष कारक (रो-p-कारक ) की उपस्थिति में समापन (termination) हो जाता है तथा पॉलीमरेज अलग हो जाता है। इस प्रकार RNA रज्जुक का निर्माण पूरा हो जाता है।

यूकेरियोट्स में अनुलेखन (Transcription in Eukaryotes)-
1. यूकेरियोट्स में तीन प्रकार के पॉलीमरेज होते हैं। इनमें से एक केन्द्रक में होता है तथा इसे RNA पॉलीमरेज – I या RNA पॉलीमरेज (A) कहते हैं। यह राइबोसोमल RNA (285, 18S व 5.8S) को अनुलेखित करता है ।

2. दूसरा RNA पॉलीमरेज केन्द्रकद्रव्य ( Nucleoplasm ) में पाया जाता है। इसे RNA पॉलीमरेज- II या RNA पॉलीमेरज B कहा जाता है। यह hn RNA ( heterogenous nuclear RNA ) के संश्लेषण हेतु उत्तरदायी होता है।

3. तीसरा RNA पॉलीमरेज भी केन्द्रकद्रव्य में ही पाया जाता है। इसे RNA पॉलीमरेज -III कहते हैं जो 5sr RNA व छोटे केन्द्रकीय RNA (snRNA) तथा t. RNA के संश्लेषण के लिये उत्तरदायी होता है।
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4. यूकेरियोट्स में अधिकतर जीन्स विभक्त या स्पिलिट जीन (Split gene) होते हैं। इन खण्डों में संबंधित प्रोटीन अणुओं के संश्लेषण की संकेत सूचना होती है। इन खण्डों को एक्सॉन्स ( exons) कहते हैं। एक्सॉन्स के बीच-बीच में निष्क्रिय DNA के खण्ड होते हैं, जिनमें प्रोटीन अणुओं को संश्लेषण की संकेत सूचना नहीं होती है। DNA के इन निष्क्रिय खण्डों को इन्ट्रॉन्स ( introns) कहते हैं। अनुलेखन क्रिया दोनों ही प्रकार के खण्डों की होती है। अतः इस प्रकार के RNA अणु को प्राथमिक प्रतिलिपि या विषमांगी केन्द्रकीय RNA ( heterogenous nuclear RNA=hnRNA ) कहते हैं।

5. hnRNA अणु को एन्जाइम्स द्वारा पहले एक्सॉन्स तथा इन्ट्रान्स की प्रतिलिपियों में तोड़ा जाता है और इसके बाद केवल एक्सॉन्स की प्रतिलिपियों को संयोजित करके वास्तविक और परिपक्व RNA अणु का निर्माण किया जाता है। इस प्रक्रिया को RNA अणुओं का संसाधन (Processing) या समबंधन ( Splicing) कहते हैं ।

hnRNA में आच्छादन (Capping) व पुच्छन (Tailing) की. अतिरिक्त क्रियाएँ भी होती हैं। आच्छादन के दौरान एक असाधारण न्यूक्लियोटाइड मीथाइल ग्वानोसीन ट्राइफास्फेट hnRNA के 5′ सिरे से जुड़ जाता है व पुच्छन में 200-300 एडीनायलेट अवशेष ( Adenylate residue) hnRNA टेम्पलेट के 3′ सिरे पर स्वतन्त्र रूप से जुड़ जाते हैं।

अब यह पूर्णरूप से संसाधित (Processed) hnRNA या m. RNA कहलाता है व ट्रांसलेशन की क्रिया के लिये केन्द्रक से बाहर स्थानान्तरित हो जाता है। यूकेरियोट्स में अनुलेखन प्रक्रिया में व्याप्त जटिलतायें व विभक्त जीन व्यवस्था (Split gene arrangement) जीनोम के आद्य लक्षण (Primitive character) को दर्शाते हैं।

प्रश्न 20
अर्थ- संरक्षी प्रतिकृति से आपका क्या तात्पर्य है? DNA में अर्ध-संरक्षी प्रतिकृतियन की क्रिया होती है, को प्रमाणित करने के लिए मैथ्यू मेसेल्सन तथा फ्रैंकलिन स्टाल द्वारा किये गये प्रयोग का वर्णन कीजिए। अर्थ- संरक्षी DNA प्रकृतियन प्रतिरूप का चित्र बनाइए।
उत्तर:
जब कोई कोशिका वृद्धि की अधिकतम सीमा तक पहुँच जाती है तो उसके बाद विभाजन के लिये तैयार होती है, इसमें DNA का द्विगुणन भी होता है। सभी जीवों के सम्पूर्ण जीवन चक्र में आनुवंशिक पदार्थ अर्थात् DNA-की बारंबार प्रतिकृति होती है। प्रतिकृति के फलस्वरूप संतति कोशिकाओं में DNA की हूबहू प्रतिलिपियाँ प्राप्त होती हैं।

यद्यपि प्रतिकृति क्रिया के दौरान किसी प्रकार की त्रुटि नहीं होती है परन्तु थोड़ी बहुत ज्रुटि होनी भी चाहिये जिससे उत्परिवर्तन होते रहें। इन उत्परिवर्तनों के फलस्वरूप आनुवंशिक विविधता होती रहती है जो कि जैविक विकास हेतु आवश्यक है।
1. सभी जैविक अणुओं में केवल DNA अणु ही स्वद्विगुणन (Self-duplication) करने में सक्षम होते हैं। DNA स्वद्विगुणन की प्रक्रिया को प्रतिकृतिकरण या रेप्लिकेशन (replication) कहते हैं।

2. सुकेन्द्रीय कोशिकाओं (Eucaryotic cells) में यह प्रतिकृतिकरण कोशिका चक्र की अन्तरालवस्था (interphase) की S-प्रावस्था (synthesis phase) में होती है । प्रतिकृतिकरण की क्रिया केन्द्रक के अन्दर होती है।

3. DNA का प्रतिकृतिकरण तीन प्रकार से हो सकता है-परिक्षेपी (Dispersive), संरक्षी (Conservative) तथा अर्ध-संरक्षी (Semi-conservative) । परन्तु DNA का प्रतिकृतिकरण अर्ध-संरक्षी विधि से ही होता है, इसके अनेक साक्ष्य प्राप्त किये जा चुके हैं।

4. अर्ध-संरक्षी विधि में DNA के दोनों रज्जुक अलग होकर सांचे (Templete) के रूप में कार्यकर नये पूरक रज्जुकों का निर्माण करते हैं। प्रतिकृति के पूर्ण होने पर जो DNA अणु बनता है उसमें एक पैतृक व एक नई निर्मित लड़ी रज्जुक होती है।

प्रायोगिक प्रमाण (Experimental evidence)-
1. यह सिद्ध हो चुका है कि DNA का अर्ध-संरक्षी विधि से प्रतिकृति होती है। इस सम्बन्ध में सर्वप्रथम जानकारी इस्चेरिचिया कोलाई (Escherichia coli) से प्राप्त हुई।

2. मैथ्यू मेसेल्सन व फ्रेंकलिन स्टाल (Mathew Meselson and Franklin Stahl) ने 1958 में जीवाणु ई.कोलाई (E.coli) में DNA द्विगुणन की पुष्टि की थी। जबकि टेलर (Taylor) ने 1957 में यूकेरियोटिक DNA के अर्ध-संरक्षी द्विगुणन को सर्वप्रथम बताया था।
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वाटसन तथा क्रिक (Watson and Crick) ने DNA के द्विरज्जुक (Double helix ) का मॉडल प्रस्तुत करते समय यह स्पष्ट कर दिया था कि DNA का द्विगुणन या प्रतिकृतिकरण अर्द्ध संरक्षी होगा।

मेसेल्सन व स्टाल का प्रयोग (Experiments of Meselson and Stahl) –
1. इन्होंने मानव की आन्त्र में पाये जाने वाले ई-कोलाई को ऐसे संवर्धन माध्यम में विकसित किया जिसमें 15NH4 CI (15N नाइट्रोजन का भारी समस्थानिक है, यह सामान्य 14N नाइट्रोजन अणु से भारी होता है। नाइट्रोजन का स्रोत होता है। इसी संवर्धन माध्यम में इन जीवाणुओं को कई पीढ़ियों तक पुनरुत्पादन करने दिया गया।

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2. जब इन जीवाणुओं के DNA का अध्ययन किया गया तो यह पाया गया कि इनके प्यूरीन्स तथा पिरीमिडिन्स ( Purine and Pyrimidines) में 14N के स्थान पर 15N नाइट्रोजन के आइसोटोप या समस्थानिक थे।

3. इस भारी DNA (15N युक्त) अणु को सामान्य DNA (14N) से सोडियम क्लोराइड के घनत्व प्रवणता में अपकेंद्रीकरण (Cen trifugation) करने से अलग कर सकते हैं। इसके बाद तत्कालीन जीवाणु संतति (15N) को उस माध्यम में स्थानान्तरित कर दिया गया जिसमें नाइट्रोजन स्रोत में नाइट्रोजन का
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सामान्य आइसोटोप 14N उपस्थित था। इस आइसोटोप का घनत्व 15N से कम होता है। तदुपरान्त DNA को विलगित करके आल्ट्रासेन्ट्रीफ्यूगेशन द्वारा (सीजियम क्लोराइड घनत्व प्रवणता पर) उसका घनत्व ज्ञात किया तो यह पाया गया कि प्रथम विभाजन चक्र के बाद संकर DNA अणु को व्यक्त करने वाली केवल एक ही घनत्व की पट्टी प्राप्त हुई थी जिसमें एक श्रृंखला 14N नाइट्रोजन द्वारा तथा दूसरी 15N नाइट्रोजन द्वारा अंकित थी ।

4. इसी प्रकार दूसरे विभाजन चक्र के बाद (ई. कोलाई 20 मिनट में विभाजित होता है, प्रत्येक 20 मिनट बाद नई पीढ़ी बनती है DNA को व्यक्त करने के लिये दो घनत्व पट्टियाँ दिखाई दीं। पहली में दो DNA द्विक कुण्डलों में 15N नाइट्रोजन तथा दूसरी दो में संकर DNA अणु के लिये थी ।

5. संकर DNA अणु में उन्होंने पाया कि दोनों श्रृंखलाओं में परिणामस्वरूप इस अणु का घनत्व 15N वाले DNA तथा 14N वाले DNA अणु के घनत्व के बीच का था। इस प्रयोग द्वारा उन्होंने सिद्ध किया कि DNA की प्रतिकृति अर्ध-संरक्षी विधि से होती है।
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6. इसी प्रकार का प्रयोग टेलर (Taylor) व उनके सहयोगियों ने 1958 में विसिया फाबा (Vicia faba) की मूलाग्र कोशिकाओं पर रेडियोएक्टिव थाइमीडिन का प्रयोग करके किया था । इन्होंने सिद्ध किया कि DNA अर्ध-संरक्षी विधि द्वारा प्रतिकृत होता है।

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DNA द्विगुणन की कार्य प्रणाली व एंजाइम (Mechanism of DNA duplication and Enzymes)-
द्विगुणन प्रक्रिया में प्रत्येक रज्जुक (Strand) का निर्माण 53′ दिशा में बढ़ता है। अतः अलग होने वाले दोनों रज्जुओं पर विपरीत दिशा में नये रज्जुओं के बनने की विधि भिन्न-भिन्न होती है-
(i) 3→5′ दिशा वाले रज्जुक पर श्रृंखला का सतत निर्माण (continuous synthesis) होता है।

(ii) 5’→3′ दिशा वाले रज्जुक पर यह निर्माण असतत तथा छोटे-छोटे भागों में होता है।

इन छोटे-छोटे टुकड़ों को ओकाजाकी खण्ड (Okazaki segments) कहते हैं। बाद में ये खण्ड फॉस्फोडाइएस्टर बन्ध ( Phosphodiester bond) बनाकर DNA लाइगेज (DNA ligase) एन्जाइम की उपस्थिति में आपस में मिलकर सूत्र बनाते हैं। उपरोक्त क्रियाओं के प्रत्येक चरण को चलाने के लिये निश्चित प्रोटीन्स तथा एन्जाइम होते हैं। सभी एन्जाइम एक एन्जाइम तन्त्र के रूप में होते हैं। इसे रेप्लीसोम ( Replisome) कहते हैं। DNA द्विगुणन अग्र चरणों में होता है-

(i) समारम्भन बिन्दु का अभिज्ञान ( Recognition of initiation point)-जिस स्थान से DNA द्विगुणन का प्रारम्भ होता है, उस स्थान को प्रारम्भन का स्थान (Initiation site) कहते हैं। प्रोकेरियोटिक कोशिकाओं में द्विगुणन प्रारम्भ होने का केवल एक ही बिन्दु होता है, जबकि यूकेरियोटिक कोशिकाओं में DNA अणु में अनेक स्थानों पर एक साथ द्विगुणन प्रारम्भ होता है।

(ii) दोहरे हेलिक्स का खुलना (Unwinding of double helix)-एन्जाइम हेलीकेज (Helicase) DNA के रज्जुकों को खोलने का कार्य करता है। जब रज्जुक खुल जाते हैं, तब एन्जाइम 5 टोपो आइसोमरेज (Topoisomerase) या DNA गाइरेज की सहायता से रज्जुक कट जाता है जिससे कुण्डलित DNA का तनाव समाप्त हो जाता है।

हेलिक्स डीस्टैबिलाइजिंग प्रोटीन (Helix destabilizing protein) अलग हुए रज्जुकों को अलग ही बनाए रखने में सहायक होता है। दोहरे हेलिक्स के खुलने के कारण एक Y के आकार की प्रतिकृति द्विशाख (Replication fork) जैसी रचना बन जाती है।

(iii) न्यूक्लियोसाइड्स का सक्रियकरण (Activation of nucleosides)-केन्द्रकद्रव्य में उपस्थित न्यूक्लियोसाइड फॉस्फोरिलेज (Phosphorylase) एन्जाइम तथा ATP की उपस्थिति में सक्रिय हो जाते हैं। इस प्रक्रिया को फॉस्फोरिलेशन ( Phosphorylation) कहते हैं।

(iv) R.N.A. प्राइमर का निर्माण (Formation of RNA Primer) – DNA टेम्पलेट ( DNA Template) पर पहले RNA का एक छोटा टुकड़ा स्थित होता है। इसे RNA प्राइमर कहते हैं। RNA प्राइमर का निर्माण प्राइमेज (Primase) एन्जाइम या RNA पॉलीमरेज (RNA Polymerase) की सहायता से होता है।

(v) DNA श्रृंखला का निर्माण तथा लम्बा होना (Formation of DNA Chain and elongation of Chain)- DNA पॉलीमरेज III (DNA Polymerase III) या रेप्लिकेज ( Replicase) एन्जाइम R. N.A. प्राइमर में 5→3′ दिशा में नए क्षारकों को जोड़ता है। इन क्षारकों का क्रम DNA टेम्प्लेट के अनुसार होता है। DNA के दोनों रज्जुक प्रति समानान्तर होते हैं अर्थात् एक रज्जुक की दिशा 5→3′ होती है और दूसरे रज्जुक की दिशा 3’5′ होती है।
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एन्जाइम DNA पॉलीमरेज III क्षारकों को केवल 5→3′ दिशा में ही जोड़ सकता है; अतः 3→5 दिशा वाले रज्जुक (टेम्पलेट) पर DNA श्रृंखला का सतत् निर्माण होता है। जिस रज्जुक का निर्माण सतत् होता है, उसे अग्रक रज्जुक (Leading Strand) कहते हैं। जिस रज्जुक का निर्माण 3’5′ दिशा में होता है अर्थात् 5’3′ दिशा वाले पितृ रज्जुक (टेम्पलेट) पर होता है, यह लगातार नहीं होता।

छोटे-छोटे टुकड़ों का निर्माण होता है जिन्हें ओकाजाकी खण्ड (Okazaki segments) कहते हैं। इन टुकड़ों को एन्जाइम DNA लाइगेज (Ligase) की सहायता से जोड़ा जाता है। इस प्रकार 35′ दिशा वाले रज्जुक का निर्माण असतत् (Discontinuous ) होता है। इस रज्जुक को पश्चगामी पुत्री रज्जुक (Lagging daughter strand) कहते हैं। DNA द्विगुणन के साथ ही DNA अणु का दोहरा कुण्डल आगे की ओर खुलता चला जाता है।

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(vi) RNA प्राइमर का हटना ( Removal of RNA Primer)-DNA श्रृंखला की लम्बाई बढ़ जाने के बाद RNA प्राइमर श्रृंखला से हट जाता है। एन्जाइम आर. एन. ऐज एच (R.N. Aas H) की सहायता से RNA प्राइमर को DNA श्रृंखला से हटाया जाता है। RNA प्राइमर के हटने से उत्पन्न रिक्त स्थान को भरने में एन्जाइम DNA पॉलीमरेज I सहायता करता है।

(vii) DNA द्विगुणन का अन्त (Termination of DNA Replication)-जब DNA निर्माण पूर्ण हो जाता है, तब एक टर्मिनेशन बाइंडिंग प्रोटीन (Termination binding protein) एन्जाइम DNA हेलीकेज (DNA Helicase) की क्रिया को रोक देता है। DNA द्विगुणन का अन्त टर्मिनेशन जोन (Termination Zone) में पहुँचने पर या दूसरी ओर के द्विगुणन बिन्दु से मिलने पर होता है ।

प्रश्न 21.
पुनरावृत्ति DNA किसे कहते हैं ? अल्फ्रेड हर्षे तथा मार्थांचेज के प्रयोग को सचित्र समझाइये कि DNA एक आनुवंशिक पदार्थ है’।
उत्तर:
DNA फिंगरप्रिन्ट के लिये DNA अनुक्रम में कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में विभिन्नता का पता लगाते हैं। इन स्थानों पर DNA का छोटा भाग कई बार पुनरावृत्त (repeated) होता है। उसे पुनरावृत्ति DNA कहते हैं।
आनुवंशिक पदार्थ DNA है (DNA is Genetic material)-
ए.डी. हर्षे (A.D. Hershey) तथा एम.जे. चेज (M.J. Chase) ने सन् 1952 में विषाणु T2 भोजी (बेक्टिरियोफेज; Bacteriophage) पर प्रयोग करके यह परिणाम निकाला कि DNA आनुवंशिक पदार्थ है, क्योंकि इस क्रिया में संक्रमण करने वाले भोजी का केवल DNA अंश ही परपोषी जीवाणु कोशिका में प्रवेश करता है। वही आनुवंशिक सूचनाओं का वहन करता है जिससे नई भोजी सन्तानें बनती हैं।
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– इन वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों में रेडियोएविटव सल्फर S35 तथा रेडियोएक्टिव फॉस्फोरस P32 बुक्त माध्यम पर उगाकर जीवाणुभोजी DNA को रेडियोएक्टिव बना दिया, क्योंकि जीवाणुभोजी कणों के प्रोटीन में फॉस्फोरस नहीं होता है, किन्तु DNA में फॉस्फोरस होता है इसलिए केवल DNA ही रेडियोएक्टिव फॉस्फोरस द्वारा अंकित होता है।

इसी प्रकार जीवाणुभोजी प्रोटीन में ही सल्फर पाया जाता है। जिसे उन्होंने रेडियोएक्टिव सल्फर (S35) द्वारा अंकित कर दिया। इस प्रकार के विभेदी अंकन द्वारा जीवाणुभोजी के DNA व प्रोटीन घटकों को बिना किसी रासायनिक परीक्षण के सरलता से अलग-अलग पहचानना सम्भव हो पाया।

हर्षे व चेज ने इन अंकित जीवाणुभोजी कणों से अलग-अलग जीवाणु कोशिकाओं को संक्रमित कराया तो, उन्ह्रोंने पाया कि केवल रेडियोएक्टिव (P32) ही जीवाणवीय कोशिकाओं के साथ सम्बद्ध था, किन्तु रेंयोएक्टिव S35 का नहीं था, इन प्रयोगों द्वारा यह सिद्ध हुआ कि जीवाणवीय कोशिका में केवल DNA ही प्रवेश करता है न कि प्रोटीन।

प्रोटीन आवरण परपोषी के बाहर ही रह जाता है तथा DNA ही प्रवेश करने के बाद अपने समान नये जीवाणुभोजी कणों का संश्लेषण करता है। हर्षें तथा चेज के इस प्रयोग द्वारा और अधिक स्पष्ट रूप से प्रमाणित हो गया कि DNA ही आनुवंशिक पदार्थ है।

आनुवंशिक पदार्थ के गुण (Characteristics of Genetic material)-
(i) उपरोक्त प्रयोगों से यह स्पष्ट है कि DNA आनुवंशिक पदार्थ के रूप में कार्य करता है परन्तु कुछ विषाणुओं में RNA आनुवंशिक पदार्थ होता है, उदाहरण-टोबैको मोजेक वाइरस (TMV), क्यूबीटा बैक्टिरियोफेज आदि।

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(ii) वह अणु जो आनुवंशिक पदार्थ के रूप में कार्य करता है वह निम्न मापदंडों को निश्चित रूप से पूरा करता है-
(क) यह अपनी प्रतिकृति बनाने में सक्षम होता है।
(ख) इसे संरचना व रासायनिक संगठन के आधार पर स्थिर होना चाहिए।
(ग) इसमें धीमी गति से उत्परिवर्तन होते हैं, यह विकास हेतु आवश्यक है।
(घ) इसे स्वयं ‘मेंडल के लक्षण’ के अनुरूप अभिव्यक्त होना चाहिए।

(iii) सजीव तंत्र में जितने अणु पाये जाते हैं उनमें प्रतिकृति की क्षमता नर्हीं होती है परन्तु दोनों न्यूक्लिक अम्लों (DNA \& RNA) में यह क्षमता होती है।

(iv) आनुवंशिक पदार्थ स्थायी होता है, जीवन चक्र की विभिन्न अवस्थाओं में आने वाले परिवर्तनों का इस पर कोई प्रभाव नहीं होता है जैसे प्रिफिथ के ‘रूपान्तरित कारक’ से स्पष्ट है कि ताप से जीवाणु की मृत्यु हो जाती है परन्तु आनुर्वंशिक पदार्थ की कुछ विशेष्ताएँ नष्ट नहीं हो पाती हैं।

(v) DNA के दोनों रू्जुक एक-दूसरे के पूरक होते हैं जो गर्म करने पर एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं परन्तु पुन: उचित परिस्थिति के आने पर एक-दूसरे से जुड़ जाते हैं। RNA के प्रत्येक न्यूक्लियोटाइड पर 2 -हाइड्राक्सिल समूह मिलता है। यह एक क्रियाशील समूह है जिसके कारण RNA अस्थिर व आसानी से विखंडित हो जाता है। इस कारण DNA रासायनिक संगठन की दृष्टि से कम सक्रिय व संरचनात्मक दृष्टि से अधिक स्थायी होता है। अतः दोनों प्रकार के न्यूक्लिक अम्लों में से DNA एक अच्च्छा आनुर्वंशिक पदार्थ है।

(vi) DNA में यूरेसील के स्थान पर थाइमीन होने से उसमें. अधिक स्थायित्व होता है।

(vii) दोनों प्रकार के न्यूक्लिक अम्ल उत्परिवर्तित हो सकते हैं। RNA अस्थायी व तीव्र गति से उत्परिवर्तित होता है। यही कारण है कि विषाणुओं में RNA होने से इनकी जीवन अवधि छोटी व तेजी से उत्परिवर्तित होने वाली होती है।

(viii) RNA प्रोटीन संश्लेषण के लिये सीधे कूटलेखन करते हैं, इसी कारण वे आसानी से लक्षण व्यक्त करते हैं। जबकि DNA प्रोटीन संश्लेषण के लिये RNA पर निर्भर है।

(ix) अत: DNA व RNA दोनों अनुर्वंशिक पदार्थ के रूप में कार्य करते हैं। DNA के अधिक स्थायी होने से वह आनुर्वंशिक सूचनाओं के संचय हेतु अधिक उपयोगी है तथा RNA आनुवंशिक सूचनाओं के स्थानान्तरण हेतु डपयुक्त है।

प्रश्न 22.
द्विकुंडली DNA की संरचना की कोई चार मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
(i) यह दो पॉलीन्यूक्लियोटाइड श्रृंखलाओं का बना होता है जिसका आधार शर्करा- फॉस्फेट का बना होता है व क्षार भीतर की ओर प्रक्षेपी होते हैं।

(ii) दोनों श्रृंखलाएँ प्रति समानांतर ध्रुवणता रखती हैं। इसका मतलब एक श्रृंखला की ध्रुवणता 5 से 3′ की ओर हो तो दूसरी की ध्रुवणता 3′ से 5′ की तरह होगी।

(iii) दोनों रज्जुकों के क्षार आपस में हाइड्रोजन बंध द्वारा युग्मित होकर क्षार युग्मक बनाते हैं। एडेनिन व थाइमिन जो विपरीत रज्जुकों में होते हैं, आपस में दो हाइड्रोजन बंध बनाते हैं। ठीक इसी तरह से ग्वानीन, साइटोसीन से तीन हाइड्रोजन बंध द्वारा बंधा रहता है जिसके फलस्वरूप सदैव प्यूरीन के विपरीत दिशा में पिरिमीडीन होता है। इससे कुंडली के दोनों रज्जुकों के बीच लगभग समान दूरी बनी रहती है ।

(iv) दोनों श्रृंखलाएँ दक्षिणवर्ती कुंडलित होती हैं। कुंडली का पिच 3.4 नैनोमीटर व प्रत्येक घुमाव में लगभग 10 क्षार युग्मक मिलते हैं। परिणामस्वरूप एक कुंडली में एक क्षार युग्मक के बीच लगभग 0.34 नैनोमीटर की दूरी होती है ।

प्रश्न 23.
न्यूक्लियोसोम किसे कहते हैं? डीएनए कुंडली का पैकेजिंग समझाइए। न्यूक्लियोसोम का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
यदि DNA द्विकुंडली की लम्बाई की गणना की जाए तो यह लम्बाई काफी अधिक होती है परन्तु जीवों में DNA कुंडली का विशेष पैकेजिंग होता है जो न्यूक्लियोसोम के रूप में होता है। यूकैरियोटिक गुणसूत्रों में 50% अधिक प्रोटीन होती है जो DNA तथा RNA के संश्लेषण से सम्बन्धित होती है परन्तु इनमें से एक बड़ा भाग हिस्टोन का होता है।

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हिस्टोन्स धनात्मक आवेशित क्षारीय प्रोटीन का समूह होता है। हिस्टोन्स में क्षारीय एमीनो अम्लीय लाइसीन व आरजीनीन अधिक मात्रा में मिलते हैं। दोनों एमीनो अम्ल की पार्श्व श्रृंखलाओं पर धनात्मक आवेश होता है। हिस्टोन व्यवस्थित होकर आठ हिस्टोन अणुओं की एक इकाई बनाता है जिसे हिस्टोन अष्टक कहते हैं।

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धनात्मक आवेशित हिस्टोन अष्टक चारों तरफ से ऋणात्मक आवेशित DNA से सटा होता है जिसे न्यूक्लियोसोम कहते हैं। एक प्रारूपी न्यूक्लियोसोम 200 क्षार युग्म की DNA कुंडली होती है । प्रत्येक हिस्टोन अष्टक में H2A, H2B, H3 तथा H के दो-दो अणु होते हैं। न्यूक्लियोसोम संयोजक DNA (linker DNA)

द्वारा एक- दूसरे से जुड़े होते हैं तथा क्रोमेटीन डोरी पर लगभग छ: न्यूक्लियोसोम मिलकर सोलेनायड का निर्माण करते हैं। केन्द्रक में मिलने वाला क्रोमेटीन एक धागे के जैसा होता है तथा इस डोरी पर धूक्लियोसोम गोल मणियों के जैसे दिखाई देते हैं ।

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
आनुवंशिक कूट क्या हैं? इनकी चार विशेषताएँ लिखिए। tRNA का चित्र बनाइए ।
उत्तर:
सजीवों की कोशिकाओं में विभिन्न 20 प्रकार के अमीनो अम्ल होते हैं। प्रोटीन संश्लेषण की क्रिया में अमीनो अम्लों का निश्चित क्रम m. RNA पर उपस्थित चार नाइट्रोजनी क्षारकों (A, G, C, U) के क्रम पर निर्भर रहता है। अतः m. RNA के चार क्षारकों के क्रम व 20 अमीनो अम्लों के बीच आनुवंशिक सूचना के संचरण को ही आनुवंशिक कूट कहते हैं। आनुवंशिक कूट के विषय में जानकारी देने का श्रेय

नीरेनबर्ग (Nirenberg, 1961 ) व उनके सहयोगियों को है। आनुवंशिक कूट की विशेषताएँ-

1. कोड के अक्षर ( Code letters) – m. RNA पर चार क्षार होते हैं अतः ये अक्षर A, G, U, C हैं।

2. कोड शब्द (Code words ) – A, G, U, C चार अक्षरों से त्रिक कोड अनुसार 64 शब्द बनते हैं, इन्हें कोडोन (Codon) कहते हैं। गैमो (Gammow, 1959 ) के अनुसार आनुवंशिक कोड तीन अक्षरों का होता है। कुल 64 कोडोनों में 61 कोड तो 20 अमीनो अम्लों को कोडित करने तथा शेष 03 किसी भी अमीनो अम्ल को कोडित नहीं करते। अतः ये निरर्थक कोडोन (nonsense codon) होते हैं।

3. पठन दिशा (Reading Direction ) – m. RNA के ऊपर आनुवंशिक कोड का पठन 5 से 3′ दिशा की ओर होता है।

4. प्रारम्भी कोडोन (Initiation Codon ) – प्राय m. RNA के प्रारम्भ में 5′ सिरे पर AUG कोडोन पाया जाता है, इसे प्रारम्भी कोडोन कहते हैं। यह कोड मेथियोनीन अमीनो अम्ल को कोडित करता है।

प्रश्न 2.
मानव जीनोम परियोजना क्या है? मानव जीनोम परियोजना की विशेषताएँ लिखिए। मानव जीनोम परियोजना का निरूपक आरेख दीजिए।
उत्तर:
मानव जीनोम परियोजना (Human Genome Project HGP) को जानने से पूर्व यह जानना आवश्यक है कि जीनोम क्या है। किसी भी जीव की जीनी संरचना उसका जीनोम कहलाता है और क्योंकि जीन गुणसूत्रों पर पाये जाते हैं इसलिये गुणसूत्रों के एक अगुणित समुच्चयी (Haploid set ) को जीनोम कहते हैं।

सन्तान को अपने जनकों (Parents) से जो गुणसूत्र प्राप्त होते हैं उनमें सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण अंश DNA है। इस DNA के एक खण्ड को जिसमें आनुवंशिक कूट निहित होता है, उसे वैज्ञानिक ‘जीन’ कहते हैं। अतः किसी भी जीव की आनुवंशिक व्यवस्था उसके DNA में मिलने वाले अनुक्रम से निर्धारित होती है।

दो विभिन्न व्यक्तियों में मिलने वाला DNA अनुक्रम कुछ जगहों पर भिन्न-भिन्न होता है। सन् 1990 में मानव जीनोम के अनुक्रमों को ज्ञात करने के लिए यह योजना प्रारम्भ की गई। – मानव जीनोम परियोजना मानव जीनोम की मुख्य विशेषताएँ-
में निम्न मुख्य विशेषताएँ हैं-

  • मानव जीनोम में 3164.7 करोड़ न्यूक्लियोटाइड क्षार हैं।
  • औसतन जीन में 3000 क्षार होते हैं परन्तु इनके आकार में विभिन्नताएँ मिलती हैं। मानव में ज्ञात सबसे बड़ी जीन डिस्ट्रॉफिन (Dystrophin) में 24 करोड़ क्षार होते हैं।
  • कुछ जीनों की संख्या 30,000 होती है तथा लगभग सभी व्यक्तियों में मिलने वाले न्यूक्लियोटाइड क्षार एकसमान होते हैं।
  • दो प्रतिशत से कम जीनोम प्रोटीन का कूटलेखन करते हैं।
  • मानव जीनोम के बहुत बड़े भाग का निर्माण पुनरावृत्ति अनुक्रम द्वारा होता है।
  • पुनरावृत्ति अनुक्रम डीएनए के फैले हुए भाग हैं जिनकी कभी-कभी सौ से हजार बार पुनरावृत्ति होती है। जिनके बारे में यह विचार है कि इनका सीधा कूटलेखन में कोई कार्य नहीं है लेकिन इनसे गुणसूत्र की संरचना, गतिकीय व विकास के बारे में जानकारी प्राप्त होती है ।
  • गुणसूत्र | में सर्वाधिक जीन (2968) व Y गुणसूत्र में सबसे कम जीन (231) मिलते हैं।
  • वैज्ञानिकों ने मानव में लगभग 14 करोड़ जगहों पर अलग इकहरा क्षार (SNPs – एकल न्यूक्लियोटाइड बहुरूपता; सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमारफीजम; जिसे ‘स्निप्स’ कहा जाता है) का पता लगाया । उपरोक्त जानकारी से गुणसूत्रों में उन जगहों जो रोग आधारित अनुक्रम मानव इतिहास का पता लगाने में सहायक हैं, के विषय में जानकारी एकत्र करने में अधिक सहयोग प्रदान किया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न –

1. ट्रांसलेशन (अनुवादन/ स्थानान्तरण) की प्रथम अवस्था कौनसी होती है ? (NEET-2020)
(अ) डी. एन. ए. अणु की पहचान
(ब) tRNA का एमीनोएसीलेशन
(स) एक एन्टी-कोडॉन की पहचान
(द) राइबोसोम से mRNA का बंधन
उत्तर:
(ब) tRNA का एमीनोएसीलेशन

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार

2. निम्नलिखित में से कौनसा कथन सही है (NEET 2020 )
(अ) एडीनीन एक H-बंध के द्वारा थायमीन के साथ युग्म बनाता है।
(ब) एडीनीन तीन H-बंधों के द्वारा थायमीन के साथ युग्म बनाता है
(स) एडीनीन थायमीन के साथ युग्म नहीं बनाता है
(द) एडीनीन दो H-बंधों के द्वारा थायमीन के साथ युग्म बनाता है।
उत्तर:
(द) एडीनीन दो H-बंधों के द्वारा थायमीन के साथ युग्म बनाता है।

3. यदि दो लगातार क्षार युग्मों के बीच की दूरी 0.34 nm है और एक स्तनपायी कोशिका की DNA द्विकुण्डली में क्षार युग्मों की कुल संख्या 6.6 x 10 bp है। (NEET-2020)
(अ) 2.5 मीटर
(ब) 2.2 मीटर
(स) 2.7 मीटर
(द) 2.0 मीटर
उत्तर:
(ब) 2.2 मीटर

4. अनुलेखन के समय डी.एन.ए. की कुण्डली को खोलने में कौनसा एंजाइम मदद करता है? (NEET-2020)
(अ) डी.एन.ए. . हैलीकेज
(ब) डी. एन. ए. पॉलिमरेज
(स) आर. एन. ए. पॉलिमरेज
(द) डी.एन.ए. लाइगेज
उत्तर:
(स) आर. एन. ए. पॉलिमरेज

5. डी.एन.ए. एवं आर. एन. ए. दोनों में पाये जाने वाले प्यूरीन कौनसे हैं ? (NEET-2019)
(अ) साइटोसिन और थाईमीन
(ब) एडेनीन और थाईमीन
(स) ऐडेनीन और ग्वानीन
(द) ग्वानीन और साइटोसीन
उत्तर:
(स) ऐडेनीन और ग्वानीन

6. व्यक्त अनुक्रम घुंडी (ई.एस.टी.) का क्या तात्पर्य है? (NEET-2019)
(अ) नूतन डी.एन.ए. अनुक्रम
(ब) आर. एन. ए. रूप में जीनों का अभिव्यक्त होना
(स) पॉलिपेप्टाइड अभिव्यक्ति
(द) डी. एन. ए. बहुरूपता ।
उत्तर:
(ब) आर. एन. ए. रूप में जीनों का अभिव्यक्त होना

7. बहुत से राइबोसोम एक mRNA से संबद्ध होकर एक साथ पॉलिपेप्टाइड की प्रतियाँ बनाते हैं। राइबोसोम की ऐसी श्रृंखलाओं को क्या कहते हैं?(NEET-2018)
(अ) प्लस्टिडोम
(स) बहुसूत्र
(ब) बहुतलीय पिण्ड
(द) केन्द्रिकाय
उत्तर:
(स) बहुसूत्र

8. डी.एन.ए. एक आनुवंशिक पदार्थ है? इसका अंतिम प्रमाण किसके प्रयोग से आया ? (NEET-2017)
(अ) ग्रिफिथ
(ब) हर्शे और चेस
(स) अवरी मैकलॉड और मैककार्टी
(द) हरगोविन्द खुराना
उत्तर:
(ब) हर्शे और चेस

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9. निम्नलिखित में से कौन संरचनात्मक जीन के समान है ? (NEET-2016)
(अ) ओपेरॉन
(ब) रिकॉन
(स) म्यूटान
(द) सिस्टॉन
उत्तर:
(द) सिस्टॉन

10. निम्नलिखित में से कौनसा RNA पर लागू नहीं होता ? (NEET-2015)
(अ) 5 फास्फोरिल और 3 हाइड्रोक्सिल सिरे
(ब) विषम चक्रीय नाइट्रोजीनी बेस
(स) चारगॉफ नियम
(द) सम्पूरक बेस युग्मन
उत्तर:
(स) चारगॉफ नियम

11. दिया गया आलेख DNA के आनुवांशिक विचार को महत्त्वपूर्ण संकल्पना दर्शाता है। रिक्त स्थानों (A से लेकर C तक) की पूर्ति कीजिए- (NEET-2013)
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार 17
(अ) A – अनुलेखन B – प्रतिकृतिय C – इरविन चारगॉफ
(ब) A – ट्रांसलेशन B – अनुलेखन C – इरविन चारगॉफ
(स) A – अनुलेखन B – ट्रांसलेशन C – फ्रांसिस क्रिक
(द) A – ट्रांसलेशन B – विस्तार C – रोजेलिन फ्रैंकलिन
उत्तर:
(ब) A – ट्रांसलेशन B – अनुलेखन C – इरविन चारगॉफ

12. यदि DNA के एक रज्जुक के नाइट्रोजनी क्षारकों का अनुक्रम ATCTG है तो उसके पूरक RNA रज्जुक में क्या अनुक्रम होगा? (NEET-2012)
(अ) TTAGU
(ब) UAGAC
(स) AACTG
(द) ATCGU
उत्तर:
(स) AACTG

13. जीव विज्ञान के इतिहास में मानव जीनोम प्रोजेक्ट के अधीन किसका विकास किया गया ? (Mains-2011)
(अ) बायोस्टिमेटिक
(ब) जैव प्रौद्योगिक
(स) बायोमॉनिटरिंग
(द) जैव सूचनिकी
उत्तर:
(द) जैव सूचनिकी

14. निम्नलिखित में से कौनसा एक है जिसमें आण्विक जीवविज्ञान के सेन्ट्रल-डोरमा का अनुसरण नहीं होता? (NEET-2010)
(अ) म्यूकर
(ब) स्लेमाइडोमोनास
(स) HIV
(द) मटर
उत्तर:
(अ) म्यूकर

15. DNA की अर्धसंरक्षी प्रतिकृति सर्वप्रथम किसमें प्रदर्शित की गयी थी? (NEET-2009)
(अ) साल्मोनेला टाइफीमुरिम
(ब) ड्रोसोफिला मैलेनोगेस्टर
(स) एशरिशिचया कोलाई
(द) स्ट्रेप्टोकॉकस न्यूमोनी
उत्तर:
(स) एशरिशिचया कोलाई

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार

16. DNA अणु के भीतर- (NEET-2008)
(अ) थाइमीन के प्रति ऐडेनीन का अनुपात अलग-अलग जीव में अलग-अलग होता है।
(ब) दो रज्जुक होते हैं जो एक-दूसरे के प्रति समान्तर चलते हैं। एक 53 दिशा में तथा दूसरा 35 दिशा में ।
(स) प्यूरीन न्यूक्लियोटाइडों तथा पाइरिमिडिन न्यूक्लियोटाइडों की सकल मात्रा सदैव बराबर नहीं होती ।
(द) दो रज्जुक होते हैं जो 53 दिशा में समानान्तर चलते हैं।
उत्तर:
(ब) दो रज्जुक होते हैं जो एक-दूसरे के प्रति समान्तर चलते हैं। एक 53 दिशा में तथा दूसरा 35 दिशा में ।

17. DNA के खंडों को जोड़ने का कार्य करने वाला एंजाइम है- (Kerala PMT-2005, 09)
(अ) DNA पॉलीमरेज- I
(स) DNA लाइगेज
(ब) DNA पॉलीमरेज – III
(द) एण्डोन्यूक्लिएज
उत्तर:
(स) DNA लाइगेज

18. लैक ऑपेरॉन परिकल्पना में संरचनात्मक जीन का अनुक्रम होता है- (Karnataka CET-2007)
(अ) Lac-a, Lac-Z, Lac – Y
(ब) Lac-Y, Lac-Z, Lac-a
(स) Lac-a, Lac -Y, Lac Z
(द) Lac Z, Lac -Y, Lac-a
उत्तर:
(द) Lac Z, Lac -Y, Lac-a

19. लैक- ऑपेरॉन मॉडल में रिप्रेशर प्रोटीन किस स्थान से जुड़ता है-
(अ) आपरेटर
(ब) प्रमोटर
(स) रेग्यूलेटर
(द) संरचनात्मक जीन
उत्तर:
(अ) आपरेटर

20. श्रृंखला समापन कोडॉन (Stop Codons) हैं- (Bihar CECE -2006; DPMT-2006)
(अ) AGT, TAG UGA
(ब) GAT, AAT, AGT
(स) TAG TAA, TGA
(द) UAG, UGA, UAA
उत्तर:
(द) UAG, UGA, UAA

21. DNA की प्रतिकृति (replication) होता है- (Haryana PMT-2005)
(अ) 25 दिशा में
(ब) 35 दिशा में
(स) 35 व 53 दोनों दिशाओं में
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) 35 व 53 दोनों दिशाओं में

22. RNA में अनुपस्थित तत्व है- (AMU-2005)
(अ) नाइट्रोजन
(ब) सल्फर
(स) ऑक्सीजन
(द) हाइड्रोजन
उत्तर:
(ब) सल्फर

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार

23. RNA का कौन-सा सर्वाधिक हेटरोजीनस होता है? (Haryana PMT-2005)
(अ) t.RNA
(स) r.RNA
(ब) m. RNA
(द) hn. RNA
उत्तर:
(द) hn. RNA

24. यदि एडिनिन का प्रतिशत 30 है तो ग्वानिन का क्या प्रतिशत होगा- (Haryana PMT-2005)
(अ) 10%
(स) 30%
(ब) 20%
(द) 40%
उत्तर:
(ब) 20%
नोट- क्योंकि A+ G का प्रतिशत 50% के बराबर होता है, प्रकार ग्वानिन का प्रतिशत 20% होता है।

25. ओकाजाकी खण्ड का एक सही क्रम में जुड़ते हैं- (Kerala PMT-2005)
(अ) DNA पॉलीमरेज द्वारा
(ब) DNA लाइगेज द्वारा
(स) RNA पॉलीमरेज द्वारा
(द) प्राइमेज द्वारा
उत्तर:
(द) प्राइमेज द्वारा

नोट- अन्तिम चरण में फास्फोडाईएस्टर बंध के द्वारा ओकाजाकी खण्ड को जोड़ने के लिए लेगिंग स्ट्रेन्ड (lagging strand) के पूर्ण संश्लेषण की आवश्यकता होती है जो DNA लाइगेज के द्वारा पूर्ण होती है।

26. ई. कोलाई DNA के रेप्लीकेशन की विधि होती है- (CPMT-2005)
(अ) संरक्षी और एकदिशीय
(ब) अर्द्धसंरक्षी और एकदिशीय
(स) संरक्षी और द्विदिशीय
(द) अर्द्धसंरक्षी और द्विदिशीय
उत्तर:
(द) अर्द्धसंरक्षी और द्विदिशीय

27. निम्न में से कौन-सा सही नहीं है? (DPMT-2003; Haryana PMT 2005 )
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार 21
(ब) A+ T = G+ C
(स) A+G = C + T
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) A+ T = G+ C

28. निम्न में से कौन DNA संश्लेषण हेतु RNA का टेम्पलेट के रूप में प्रयोग होता है- (CBSE PMT-2005)
(अ) रिवर्स ट्रॉन्सक्रिप्टेज
(ब) DNA डिपेन्डेन्ट RNA पॉलीमरेज
(स) DNA पॉलीमरेज
(द) RNA पॉलीमरेज
उत्तर:
(अ) रिवर्स ट्रॉन्सक्रिप्टेज
नोट- टेमिन ओर बाल्टीमोर द्वारा यह ज्ञात किया गया कि RNA टेम्पलेट पर DNA का निर्माण या RNA से भी DNA का निर्माण होता है, इसे रिवर्स ट्रान्सक्रिप्सन या टेमिनिज्म कहते हैं। यह रिवर्स ट्रान्सक्रिप्सन, रिवर्स ट्रान्सक्रिप्टेज एन्जाइम के प्रभाव से होता है।

HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार

29. सुपर कोइल्ड ( Super coiled) DNA पाया जाता है- (Wardha-2005)
(अ) प्रोकैरियोट्स व यूकैरियोट्स में
(ब) केवल यूकैरियोट्स में
(स) केवल प्रोकैरियोट्स में
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) प्रोकैरियोट्स व यूकैरियोट्स में

30. गर्म करने के बाद DNA के विघटन ( Degeneration) का अध्ययन निम्न में से किसकी तुलना करके किया जा सकता है- (Wardha-2005)
(अ) AT अनुपात
(ब) G C अनुपात
(स) शर्करा : फॉस्फेट
(द) न्यूक्लियोटाइड्स की संख्या
उत्तर:
(द) न्यूक्लियोटाइड्स की संख्या

31. जीन का वह भाग जो अनुलेखित (transcript) होता है परन्तु उसका अनुलिपिकरण ( translation) नहीं होता, वह है- (CPMT-2005)
(अ) एक्सॉन
(ब) इन्ट्रॉन
(स) सिस्ट्रॉन
(द) कोडोन
उत्तर:
(ब) इन्ट्रॉन

32. किस RNA का क्लोवर लीफ मॉडल होता है? (CBSE, PMT-2004)
(अ) t.RNA
(ब) r.RNA
(स) hn. RNA
(द) m. RNA
उत्तर:
(अ) t.RNA

33. अनुलेखन के दौरान, यदि DNA में न्यूक्लियोटाइडों का क्रम ATACG है तब m.RNA में न्यूक्लियोटाइडों का क्रम होगा- (CBSE PMT-2004)
(अ) UAUGC
(स) TATGC
(ब) UATGC
(द) TCTGG
उत्तर:
(अ) UAUGC

34. DNA रिपेयरिंग (Repairing) किसके द्वारा की जाती है- (Kerala CET-2002; AFMC-2004; Orissa JEE-2004)
(अ) लाइगेज
(स) DNA पालिमरेज
(ब) DNA पालिमरेज III
(द) DNA पालिमरेज I
उत्तर:
(अ) लाइगेज

35. DNA स्ट्रैण्ड की दिशा से सम्बन्धित सही कथन चुनिए- (MHCET-2004; BVP-2004)
(अ) टेम्पलेट स्ट्रेण्ड पर 5→3
(ब) नए स्ट्रेण्ड पर 3→5
(स) लीडिंग स्ट्रेण्ड पर 5→3
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) लीडिंग स्ट्रेण्ड पर 5→3

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36. वाटसन और क्रिक के डबल हैलिक्स मॉडल को किसके द्वारा जाना जाता है- (CPMT-2004)
(अ) C-DNA
(ब) B-DNA
(स) Z-DNA
(द) D-DNA
उत्तर:
(ब) B-DNA

37. ऑपेरॉन अवधारणा में रेग्यूलेटर जीन किस तरह कार्य करता है- (KCET-2004)
(अ) रिप्रेसर (Represser )
(ब) रेग्यूलेटर ( Regulator)
(स) इनहीबीटर (Inhibitor)
(द) सभी
उत्तर:
(अ) रिप्रेसर (Represser )

38. वह एन्जाइम जो DNA के अणु को खण्डों में काटता है, उसे कहते हैं- (Orissa PMT-2002; Kerala CET-2003)
(अ) DNA पॉलीमरेज
(ब) DNA लाइगेज
(स) रेस्ट्रिक्शन एन्जाइम
(द) DNA जाइरेज
उत्तर:
(स) रेस्ट्रिक्शन एन्जाइम

39. निम्न में से कौन-सा चित्र DNA रेप्लीकेशन की सही विधि को दर्शाता है- (AIIMS 2003)
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार 18
उत्तर:
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार 22

40. DNA पॉलीमरेज एन्जाइम के खोजकर्त्ता थे- (Kerala CET 2003; Kerala PMT 2003)
(अ) ओकाजाकी
(ब) कॉर्नबर्ग
(स) वाट्सन-क्रिक
(द) जैकब-मोनॉड
उत्तर:
(ब) कॉर्नबर्ग

41. यूकैरियोटिक RNA पॉलीमरेज III किसके संश्लेषण को उत्प्रेरित करता है- (Kerala CET 2003)
(अ) m.RNA
(ब) t.RNA
(स) 18.5 r.RNA
(द) इन्ट्रॉन्स
उत्तर:
(ब) t.RNA

42. निम्न में से कौन-सा कोडोन UGC के समान सूचना को कोड करता है- (AIIMS 2003)
(अ) UGU
(ब) UGA
(स) UAG
(द) UGG
उत्तर:
(अ) UGU

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45 RNA पॉलीमरेज का सम्बन्ध किससे है- (CPMT 2003)
(अ) ट्रांसलेशन
(ब) ट्रांसक्रिप्सन
(स) ट्रांसलोकेशन
(द) रेप्लीकेशन
उत्तर:
(ब) ट्रांसक्रिप्सन

44. निम्न में से किस RNA की आयु न्यूनतम होती है- (MP PMT 2002)
(अ) m. RNA
(ब) r.RNA
(स) r.RNA
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) m. RNA

45. प्रोटीन संश्लेषण का सेन्ट्रल डोग्मा होता है- (MHCET 2002)
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार 19
उत्तर:
HBSE 12th Class Biology Important Questions Chapter 6 वंशागति के आणविक आधार 20

46. DNA टेम्पलेट पर नये स्ट्रेण्ड का प्रारम्भन किया जाता है- (MHCET 2002)
(अ) RNA पॉलीमरेज
(ब) DNA पॉलीमरेज
(स) DNA लाइगेज
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं

47. यदि दिये गये DNA खण्ड में ग्वानिन के न्यूक्लियोटाइड्स की संख्या 75 और थाइमिन के 75 हैं तो उस खण्ड में कुल उपस्थित न्यूक्लियोटाइड्स की संख्या होगी -(MHCET 2002)
(अ) 75
(ब) 750
(स) 225
(द) 300
उत्तर:
(द) 300

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