Haryana State Board HBSE 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु Important Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Chemistry Important Questions Chapter 14 जैव-अणु
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. मोनोसैकैराइड का सरल उदाहरण है–
(अ) माल्टोस
(ब) सूक्रोस
(स) सेलुलोस
(द) राइबोस
उत्तर:
(द) राइबोस
2. निम्नलिखित में से अपचायी शर्करा है-
(अ) स्टार्च
(ब) सेलुलोस
(स) लैक्टोस
(द) सूक्रोस
उत्तर:
(स) लैक्टोस
3. प्रोटीन होते हैं-
(अ) पॉलिएस्टर
(ब) पॉलिपेप्टाइड
(स) पॉलिसैकैराइड
(द) पॉलिन्यूक्लिओटाइड
उत्तर:
(ब) पॉलिपेप्टाइड
4. न्यूक्लिक अम्ल होते हैं-
(अ) सरल अणु
(ब) प्रोटीन
(स) शर्करा
(द) बहुलक
उत्तर:
(द) बहुलक
5. DNA में निम्नलिखित में से कौनसा क्षारक नहीं होता?
(अ) ऐडेनीन
(ब) यूरेसिल
(स) थायमीन
(द) साइटोसीन
उत्तर:
(ब) यूरेसिल
6. संतरा तथा आँवला में पाया जाने वाला मुख्य विटामिन है-
(अ) D
(ब) C
(स) K
(द) E
उत्तर:
(ब) C
7. रतौधी रोग (रात्रि अंधता) किस विटामिन की कमी से होता है?
(अ) B6
(ब) A
(स) C
(द) D
उत्तर:
(ब) A
8. दो ऐमीनो अम्लों की परस्पर क्रिया से बने बन्ध को क्या कहते हैं?
(अ) आयनिक बन्ध
(ब) ग्लाइकोसाइडी बन्ध
(स) हाइड्रोजन बन्ध
(द) पेप्टाइड बन्ध
उत्तर:
(द) पेप्टाइड बन्ध
9. निम्नलिखित में से किसमें निरपवाद रूप से नाइट्रोजन उपस्थित होता है?
(अ) वसा
(ब) कार्बोहाइड्रेट
(स) प्रोटीन
(द) स्टार्च
उत्तर:
(स) प्रोटीन
10. विटामिन B1 है-
(अ) थायमीन
(ब) राइबोफ्लेविन
(स) ऐस्कॉर्बिक अम्ल
(द) पिरिडाक्सिन
उत्तर:
(अ) थायमीन
11. निम्नलिखित में से कौनसी शर्करा शेष तीनों से अधिक मीठी है?
(अ) ग्लूकोस
(ब) लैक्टोस
(स) फ्रक्टोस
(द) सूक्रोस
उत्तर:
(स) फ्रक्टोस
12. निम्नलितित में से कौन डाइसैकैराइड नहीं है?
(अ) सूक्रोस
(ब) गैलैक्टोस
(स) लैक्टोस
(द) माल्टोस
उत्तर:
(ब) गैलैक्टोस
13. कोशिका के आनुवांशिक गुणों के नियंत्रण के लिए उत्तरदायी है-
(अ) RNA
(ब) प्रोटीन
(स) DNA
(द) विटामिन
उत्तर:
(स) DNA
14. ग्लूकोस को ब्रोमीन जल से ऑक्सीकृत करने पर बना अम्ल है-
(अ) ग्लाइकॉलिक अम्ल
(ब) सैकैरिक अम्ल
(स) ग्लूकोनिक अम्ल
(द) ग्लिसरिक अम्ल
उत्तर:
(स) ग्लूकोनिक अम्ल
15. दुग्ध में पाए जाने वाली शर्करा है-
(अ) ग्लूकोस
(ब) लैक्टोस
(स) माल्टोस
(द) सूक्रोस
उत्तर:
(ब) लैक्टोस
16. प्राणी शरीर में कार्बोहाइड्रेट किसके रूप में संग्रहित रहता है?
(अ) स्टार्च
(ब) सेलुलोस
(स) ग्लाइकोजन
(द) माल्टोस
उत्तर:
(स) ग्लाइकोजन
17. निम्नलिखित में से आवश्यक ऐमीनो अम्ल है-
(अ) ऐलानिन
(ब) ग्लाइसीन
(स) वैलीन
(द) ऐस्पार्टिक अम्ल
उत्तर:
(स) वैलीन
18. प्रोटीन की तृतीयक संरचना में वे कौनसे प्रमुख बल हैं जो 2° तथा 3° संरचनाओं को स्थायित्व प्रदान करते हैं?
(अ) ह्यडड्रोजन आबंध
(ब) डाइसल्फाइड बन्ध
(स) स्थिर विद्युत आकर्षण बल
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
19. माल्टोस के जल अपघटन से ग्लूकोस बनता है। इस अभिक्रिया में प्रयुक्त एन्जाइम है-
(अ) इनवर्टेस
(ब) जाइमेस
(स) माल्टेस
(द) यूरियेस
उत्तर:
(स) माल्टेस
20. वसा में विलेय विटामिन है-
(अ) A
(ब) B
(स) C
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(अ) A
21. मनुष्य के पाचन तंत्र द्वारा निम्न में से किसका जल अपघटन नहीं होता?
(अ) ग्लाइकोजन
(ब) सेलुलोस
(स) माल्टोस
(द) स्टार्च
उत्तर:
(ब) सेलुलोस
22. निम्नलिखित में कौनसा यौगिक ज्विटर आयन के रूप में नहीं पाया जाता है?
(अ) ऐलानिन
(ब) ग्लाइसीन
(स) सल्फेनिलिक अम्ल
(द) p-ऐमीनो बेन्जोइक अम्ल
उत्तर:
(द) p-ऐमीनो बेन्जोइक अम्ल
23. निम्नलिखित में से जल विलेय विटामिन कौनसा है?
(अ) विट्रमिन D
(ब) विटामिन C
(स) विटामिन E
(द) विटामिन A
उत्तर:
(ब) विटामिन C
24. ग्लोबुलर (गोलिकाकार) प्रोटीन में कौनसा बन्ध पाया जाता है?
(अ) हाइड्रोजन बन्ध
(ब) वान्डरवाल आकर्षण बल
(स) डाइसल्फाइड बन्ध
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
25. एक शर्करा-रोगी के मूत्र में किसका परीक्षण किया जाता है?
(अ) ग्लूकोस
(ब) फ्रक्टोस
(स) सुक्रोस
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(अ) ग्लूकोस
26. DNA का पूर्ण जल अपघटन पेन्टोस शर्करा, डिआक्सीराइबोस बनाता है। राइबोस से डिऑक्सीराइबोस इस तरह भिन्न है कि इसमें किस कार्बन पर -OH ग्रुप नहीं होता है ?
(अ) C – 1
(ब) C – 2
(स) C – 3
(द) C – 4
उत्तर:
(ब) C – 2
27. एक महत्त्वपूर्ण विट्रामिन जो कि तेल एवं वसा में विलेय है तथा जल में अविलेय। यह बच्चों में रिकेट्स एवं वयस्कों में ऑस्टियोमेलेशिया के लिये उत्तरदायी है। यह विटामिन है-
(अ) विटामिन B12
(ब) विटामिन C
(स) विटामिन D
(द) विटामिन E
उत्तर:
(स) विटामिन D
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
फ्रक्टोस में उपस्थित क्रियात्मक समूह बताइए।
उत्तर:
फ्रक्टोस में – OH समूहों के अतिरिक्त कार्बन संख्या-2 पर कीटोनिक समूह होता है।
प्रश्न 2.
ओलिगोसैकैराइड किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे कार्बोहाइड्रेट जिनके जल अपघटन से 2 से 10 मोनोसैकैराइड इकाइयाँ प्राप्त होती हैं उन्हें ओलिगोसैकैराइड कहते हैं।
प्रश्न 3.
जैव तंत्र में पाए जाने वाले मुख्य जैव अणु कौनसे ह हैं?
उत्तर:
जैव तंत्र में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल तथा लिपिड इत्यादि जैव अणु पाए जाते हैं।
प्रश्न 4.
ऐसे दो यौगिकों के नाम बताइए जिनमें हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का अनुपात 2:1 है लेकिन वे कार्बोहाइड्रेट नहीं हैं।
उत्तर:
ऐसिटिक अम्ल (C2H4O2) तथा लैक्टिक अम्ल (C3HO3)।
प्रश्न 5.
एरिथ्रोस की संरचना दीजिए।
उत्तर:
CH2 (OH) – (CHOH)2 – CHO
प्रश्न 6.
डाइसैकैराइडों के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
माल्टोस तथा लैक्टोस।
प्रश्न 7.
राइबोस की संरचना दीजिए।
उत्तर:
CH2(OH) – (CHOH)3 – CHO
प्रश्न 8.
एक ऐसा यौगिक बताइए जो कार्बोहाइड्रेट है लेकिन इसका अणु सूत्र कार्बोहाइड्रेट के सामान्य सूत्र के अनुसार नहीं है।
उत्तर:
रेम्नोस (C6H12O5)
प्रश्न 9.
ग्लूकोस की निम्न के साथ अभिक्रिया के उत्पाद बताइए – (i) ब्रोमीन जल (ii) सोडियम अमलगम तथा जल।
उत्तर:
- ग्लूकोस ब्रोमीन जल द्वारा ऑक्सीकृत होकर ग्लूकोनिक अम्ल देता है।
- सोडियम अमलगम (Na / Hg) तथा जल द्वारा ग्लूकोस का अपचयन हो जाता है तथा सार्बिटॉल प्राप्त होता है।
प्रश्न 10.
जन्तुओं के यकृत में संग्रहित पॉलिसैकैराइड कौनसा होता है?
उत्तर:
ग्लाइकोजन।
प्रश्न 11.
सूक्रोस के स्रोत बताइए।
उत्तर:
सुक्रोस गन्ने तथा चुकन्दर से प्राप्त होता है।
प्रश्न 12.
a-D-ग्लूकोस तथा B-D-ग्लूकोस के विशिष्ट घूर्णन का मान बताइए।
उत्तर:
a-D- ग्लूकोस के विशिष्ट घूर्णन का मान 112° तथा B-D- ग्लूकोस के विशिष्ट घूर्णन का मान 19° होता है।
प्रश्न 13.
पेप्टाइड बन्ध का सूत्र क्या होता है?
उत्तर:
पेप्टाइड बन्ध का सूत्र – CO-NH – होता है।
प्रश्न 14.
ऐलानिन ( ऐमीनो अम्ल ) का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
ऐलानिन का सूत्र होता है।
प्रश्न 15.
क्षारक किस प्रकार के यौगिक होते हैं?
उत्तर:
क्षारक विषमचक्रीय यौगिक होते हैं?
प्रश्न 16.
क्षारकीय ऐमीनो अम्ल कौनसे होते हैं?
उत्तर:
वे ऐमीनो अम्ल जिनमें कार्बोक्सिल ( – COOH) समूहों की तुलना में ऐमीनो (-NH2 ) समूहों की संख्या अधिक होती है, उन्हें क्षारकीय ऐमीनो अम्ल कहते हैं।
प्रश्न 17.
जल में विलेय विटामिन बताइए।
उत्तर:
B वर्ग के विटामिन तथा विटामिन C जल में विलेय होते हैं।
प्रश्न 18.
प्रोटीन के मुख्य स्रोत बताइए।
उत्तर:
दूध, पनीर, दालें, मूंगफली तथा मांस प्रोटीन के मुख्य स्रोत होते हैं।
प्रश्न 19.
विटामिन K का मुख्य स्रोत बताइए।
उत्तर:
विटामिन K हरे पत्ते वाली सब्जियों में पाया जाता है।
प्रश्न 20.
प्रोटीन को निनहाइड्रिन के साथ गरम करने पर क्या होते हैं?
उत्तर:
प्रोटीन को निहाइड्रिन के साथ गरम करने पर नीला रंग प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 21.
विटामिन B2 का नाम बताइए।
उत्तर:
विटामिन B2 को राइबोफ्लेविन कहते हैं।
प्रश्न 22.
सायनोकोबालैमीन किस विटामिन का नाम है?
उत्तर:
विटामिन B12
प्रश्न 23.
विटामिन D की कमी से कौनसे रोग होते हैं?
उत्तर:
विटामिन D की कमी से रिकेट्स तथा ऑस्टियोमेलेशिया रोग होते हैं।
प्रश्न 24.
यकृत में संग्रहित जल में विलेय विटामिन कौनसा होता है?
उत्तर:
विटामिन B12
प्रश्न 25.
प्रोटीन → पॉलीपेप्टाइड → α – ऐमीनो अम्ल
इस अभिक्रिया अनुक्रम के लिए आवश्यक एन्जाइम बताइए।
उत्तर:
प्रोटिऐस तथा पेप्टाइडेस।
प्रश्न 26.
न्यूक्लिओटाइड आपस में कौनसे बन्ध द्वारा जुड़े होते हैं?
उत्तर:
फास्फोडाइएस्टर बन्ध।
प्रश्न 27.
ग्लूकोस को डेक्सट्रोस क्यों कहते हैं?
उत्तर:
ग्लूकोस दक्षिण ध्रुवण घूर्णक होता है अतः इसे डेक्सट्रोस भी कहते हैं।
प्रश्न 28.
सर्वाधिक मीठी शर्करा कौनसी होती है ?
उत्तर:
फ्रक्टोज सर्वाधिक मीठी शर्करा होती है।
प्रश्न 29.
कार्बोहाइड्रेट्स को सैकैराइड क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेट शर्करा या शर्करा एकलकों के बहुलक होते हैं अतः इन्हें सैकैराइड कहा जाता है।
प्रश्न 30.
मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए दूध पीना आवश्यक है, क्यों ?
उत्तर:
दूध एक सम्पूर्ण आहार है जिसमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन तथा विटामिन होते हैं अतः मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए दूध पीना आवश्यक है।
प्रश्न 31.
नर लिंग हॉर्मोनों को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
एन्ड्रोजन।
प्रश्न 32.
इन्सुलिन हॉर्मोन का क्या कार्य है ?
उत्तर:
रक्त में ग्लूकोस की मात्रा को सन्तुलित रखना।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अपचायी तथा अनअपचायी शर्करा में अन्तर बताइए तथा उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
अपचायी शर्करा में अपचायक गुण होते हैं अतः ये फेलिंग विलयन तथा टॉलेन अभिकर्मक इत्यादि का अपचयन कर देते हैं। उदाहरण सभी मोनोसैकैराइड, माल्टोस तथा लैक्टोस । अनअपचायी शर्करा में अपचायक गुण नहीं होता अतः ये फेलिंग विलयन तथा टॉलेन अभिकर्मक का अपचयन नहीं करते हैं। उदाहरण- सूक्रोस ।
प्रश्न 2.
ग्लूकोस एक ऐल्डोहेक्सोस मोनोसैकैराइड है फिर भी यह हाइड्रोजन सायनाइड से क्रिया करके सायनोहाइड्रिन तो देता है लेकिन सोडियम हाइड्रोजनसल्फाइट के साथ योग नहीं करता। क्यों?
उत्तर:
ग्लूकोस की चक्रीय संरचना होती है जिसमें – CHO समूह के प्रयोग से चक्रीय हैमीऐसीटैल संरचना बनती है अतः इसमें स्वतंत्र ऐल्डिहाइड समूह नहीं होता जिसके कारण इसकी सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट (NaHSO3) के साथ अभिक्रिया नहीं होती लेकिन हाइड्रोजन सायनाइड (HCN) से क्रिया में इसकी चक्रीय संरचना की वलय टूटकर ऐल्डिहाइड समूह स्वतंत्र हो जाता है क्योंकि ग्लूकोस की वलय तथा विवृत श्रृंखला संरचना में साम्य होता है। अतः HCN के साथ क्रिया द्वारा यह सायनो हाइड्रिन दे देता है।
प्रश्न 3.
कार्बोहाइड्रेटों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
कार्बोहाइड्रेटों को निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जाता है-
प्रश्न 4.
सूक्रोस की संरचना तथा गुण बताइए।
उत्तर:
सूक्रोस (इक्षु-शर्करा) से-सूक्रोस को तनु HCl अथवा H2SO4 के साथ ऐल्कोहॉलिक विलयन में उबालने पर ग्लूकोस तथा फ्रक्टोज के एक-एक मोल (समान मात्रा) प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 5.
लैक्टोस की संरचना बताइए।
उत्तर:
लैक्टोस (Lactose) –
(i) लैक्टोस को दुग्ध शर्करा भी कहते हैं क्योंकि यह दुग्ध में उपस्थित होती है।
(ii) लैक्टोस के जल अपघटन से D (+) ग्लूकोस तथा D (+) गैलेक्टोस के समान मोल प्राप्त होते हैं।
(iii) लैक्टोस की संरचना – लैक्टोस, ß – [D] गैलेक्टोस तथा ß- [D] ग्लूकोस से मिलकर बनी होती है। गैलैक्टोस के C1 तथा ग्लूकोस के C4 के मध्य ग्लाइकोसाइडी बंध होता है विलयन में ग्लूकोस इकाई C-1 पर मुक्त एल्डिहाइड समूह उत्पन्न होता है। अतः माल्टोस की तरह यह भी एक अपचायी शर्करा है।
(iv) यह एक क्रिस्टलीय ठोस होता है जो कि जल में विलेय तथा ऐल्कोहॉल एवं ईथर में अविलेय है।
प्रश्न 6.
ग्लूकोस के α तथा ß रूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ग्लूकोस प्रकृति में मुक्त अथवा संयुक्त अवस्था में पाया जाता है। यह मीठे फलों जैसे पके हुए अंगूर तथा शहद में पाया जाता है।
प्रश्न 7.
एपीमरीकरण किसे कहते हैं? समझाइए।
उत्तर:
वे ऐल्डोस जिनके α- कार्बन परमाणु (C2) के विन्यास में भिन्नता होती है उन्हें एक-दूसरे के एपीमर कहते हैं तथा एक एपीमर के दूसरे एपीमर में परिवर्तित होने की प्रक्रिया को ऐपीमरीकरण कहते हैं। उदाहरण- ग्लूकोस तथा मैनोस।
ग्लूकोस में C2 पर – OH समूह दाईं ओर जबकि मैनोस में यह बायीं ओर होता है।
प्रश्न 8.
ऐमीनो अम्ल अम्लीय क्षारीय तथा उदासीन होते हैं। इनकी व्याख्या उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर:
(i) अम्लीय ऐमीनो अम्लों में ऐमीनो समूहों की तुलना में कार्बोक्सिल समूहों की संख्या अधिक होती है जैसे- ऐस्पार्टिक अम्ल
(ii) क्षारीय ऐमीनो अम्ल वे होते हैं जिनमें कार्बोक्सिल समूहों की तुलना में ऐमीनो समूहों की संख्या अधिक होती है जैसे- लाइसीन
(iii) वे ऐमीनो अम्ल जिनमें कार्बोक्सिल समूह तथा ऐमीनो समूह समान संख्या में होते हैं उन्हें उदासीन ऐमीनो अम्ल कहते हैं। जैसे-ग्लाइसीन
प्रश्न 9.
प्रोटीन का निर्माण किस प्रकार होता है ? समझाइए।
उत्तर:
प्रोटीन α-ऐमीनो अम्लों के बहुलक होते हैं जो आपस में पेप्टाइड अंघ द्वारा जुड़े होते हैं। ऐमीनो अम्लों के एक अणु के – COOH तथा दूसरे अणु के – NH2 समूह के मध्य अभिक्रिया होकर जल के अणु से निकलने से बने बन्ध को पेप्टाइड बन्ध कहते हैं जिसे – CONH- द्वारा दर्शाया जाता है।
प्रोटीनों में α- ऐमीनो अम्ल समान तथा भिन्न भी हो सकते हैं। जब बनने वाला उत्पाद दो ऐमीनो अम्लों से बनता है तो इसे डाइपेप्टाइड कहते हैं। उदाहरण, ग्लाइसीन का कार्बोक्सिल समूह, ऐलानीन के ऐमीनो समूह के साथ क्रिया करता है तो एक डइपेप्टाइड, ग्लाइसिलऐलानिन बनता है। अतः डाइपेप्टाइड में एक पेप्टाइड बन्ध होता है।
जब तीसरा ऐमीनो अम्ल, डाइपेप्टाइड के साथ क्रिया करता है तो बने उत्पाद को ट्राइपेप्टाइड कहते हैं। अतः एक ट्राइपेप्टाइड में तीन ऐमीनो अम्ल दो पेप्टाइड बन्धों द्वारा जुड़े होते हैं। इसी प्रकार चार, पाँच तथा छः ऐमीनो अम्लों के आपस में जुड़ने से बने उत्पादों को टेट्रापेप्टाइड पेन्टापेप्टाइड तथा हेक्सापेप्टाइड कहते हैं बहुत से ऐमीनो अम्लों (10 से अधिक) के आपस में संघनन द्वारा बने पेप्टाइडों को पॉलिपेप्टाइड कहते हैं।
वे पॉलिपेप्टाइड जिनमें असंख्य (100 से अधिक) भिन्न-भिन्न ऐमीनो अम्ल होते हैं तथा जिनका आण्विक द्रव्यमान 10,000 से अधिक होता है, उन्हें प्रोटीन कहते हैं। यद्यपि पॉलिपेप्टाइड तथा प्रोटीन विभेद अधिक स्पष्ट नहीं है। 100 से कम ऐमीनो अम्लों वाले पॉलिपेप्टाइडों को भी प्रोटीन कहा जाता है यदि उनमें प्रोटीन जैसा स्पष्ट संरूपण (conformation) हो। उदाहरण इन्सुलिन 51 ऐमीनो अम्लों से मिलकर बना होता है।
प्रोटीनों के सामान्य गुण:
- प्रोटीन रंगहीन तथा अक्रिस्टलीय होते हैं लेकिन इन्सुलिन क्रिस्टलीय होती है।
- प्रोटीन के गलनांक तथा क्वथनांक अनिश्चित होते हैं।
- प्रोटीन सामान्यतः जल, ऐल्कोहॉल तथा ईधर इत्यादि में अविलेव होते हैं।
- प्रोटीन, बहुलक होते हैं जिनका आण्विक द्रव्यमान अधिक होता है, अतः ये जल में कोलाइडों के रूप में पाए जाते हैं।
- प्रोटीन उभयधर्मी होते हैं जिनके समविभव बिन्दु निश्चित होते हैं।
आण्विक आकृति के आधार पर प्रोटीनों का वर्गीकरण प्रोटीनों को इनकी आण्विक आकृति के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है- रेशेदार प्रोटीन तथा गोलिकाकार प्रोटीन।
(a) रेशेदार या तन्तुक प्रोटीन (Fibrous Proteins) – ये जल में अविलेय जन्तु प्रोटीन है जो प्रोटियोलिटिक एन्जाइम द्वारा भी अप्रभावित रहते हैं। इनमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं समानांतर होती हैं जो हाइड्रोजन तथा डाइसल्फाइड बन्धों द्वारा जुड़कर रेशों के समान संरचना बनाती हैं।
उदाहरण – किरेटिन तथा मायोसिन । किरेटिन बाल, ऊन तथा रेशम में एवं मायोसिन मांसपेशियों में उपस्थित होती है।
(b) गोलिकाकार प्रोटीन (Globular Proteins)- ये जल विलेय प्रोटीन हैं। इनमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं कुण्डली बनाकर गोलाकार आकृति ग्रहण कर लेती हैं।
उदाहरण- इन्सुलिन तथा ऐल्बुमिन।
प्रोटीनों की संरचना तथा आकृति का अध्ययन चार स्तरों पर किया जाता है – प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक तथा चतुष्क संरचनाएं। इनका प्रत्येक स्तर पूर्व स्तर की तुलना में अधिक जटिल होता है।
(i) प्रोटीन की प्राथमिक संरचना प्रोटीनों में एक या अधिक पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं उपस्थित होती हैं किसी प्रोटीन के प्रत्येक पॉलिपेप्टाइड में ऐमीनो अम्ल एक विशिष्ट तथा निश्चित क्रम में जुड़े होते हैं। ऐमीनो अम्लों के विशिष्ट क्रम को ही प्रोटीनों की प्राथमिक संरचना कहते हैं। भिन्न-भिन्न प्रोटीनों में यह क्रम भिन्न-भिन्न होता है। फ्रेडरिंग सेंगर (1953) ने सर्वप्रथम अग्न्याशय द्वारा उत्सर्जित, इन्सुलिन की प्राथमिक संरचना का निर्धारण किया था।
किसी विशिष्ट प्रेटीन में उपस्थित विभिन्न ऐमीनो अम्लों में से एक a- ऐमीनो अम्ल के स्थान पर किसी अन्य x – ऐमीनो अम्ल के आ जाने से उस प्रोटीन की जैव रासायनिक क्रियाशीलता में परिवर्तन आ जाता है या नष्ट हो जाती है। उदहरण- हीमोग्लोबिन में ग्लुटेमिक अम्ल के स्थान पर वैलीन आ जाने पर सिकल सेल एनिमिया रोग हो जाता है। प्रोटीनों की प्राथमिक संरचना को चित्र 14.1 द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।
(ii) प्रोटीनों की द्वितीयक संरचना-प्रोटीन की द्वितीयक संरचना इनकी आकृति से सम्बन्धित होती है जिसमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला उपस्थित होती है। यह दो प्रकार की संरचनाओं में पायी जाती है(i) α-हेलिक्स तथा (ii) ß-प्लीटेड शीट संरचना (या लहरियादार चादर
संरचना)। ये संरचनाएं पेप्टाइड बंध के तथा -NH- समूह के मध्य हाइड्रोजन बंध के कारण पॉलिपेप्यइड की मुख्य श्रृंखला के नियमित कुंडलन (Folding) में उत्पन्न होती हैं।
(i) α-हेलिक्स संरचना की पॉलिपेप्यइड शृंखला में सभी संभव हाइड्रोजन बन्ध बन सकते हैं तथा इसकी पॉलिपेप्यइड शृंखला दक्षिणावर्ती पेच की तरह मुड़ी होती है जिससे प्रत्येक ऐमीनो अम्ल अवशिष्ट का NH-समूह कुण्डली के अगले मोड़ पर स्थित >C = O समूह के साथ हाइड्रोजन बंध बनाता है।
(ii) ß-प्लीटेड शीट संरचना (लहरियादार चादर संरचना) में पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं एक-दूसरे के पाश्र्व में होती हैं जिनमें अधिकतम खिंचाव होता है तथा ये आपस में अंतरा आण्विक हाइड्रोजन बन्ध द्वारा जुड़ी होती हैं। यह संरचना वस्त्रों (लहरियादार चादर) के समान होती है। अतः इसे ß-प्लीटेड शीट संरचना कहते हैं।
α-हेलिक्स तथा ß-प्लीटेड शीट संरचना को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
प्रश्न 10.
प्रोटीनों के सामान्य गुण बताइए।
उत्तर:
प्रोटीनों के सामान्य गुण:
- प्रोटीन रंगहीन तथा अक्रिस्टलीय होते हैं लेकिन इन्सुलिन क्रिस्टलीय होती है।
- प्रोटीन के गलनांक तथा क्वथनांक अनिश्चित होते हैं।
- प्रोटीन सामान्यतः जल, ऐल्कोहॉल तथा ईधर इत्यादि में अविलेव होते हैं।
- प्रोटीन, बहुलक होते हैं जिनका आण्विक द्रव्यमान अधिक होता है, अतः ये जल में कोलाइडों के रूप में पाए जाते हैं।
- प्रोटीन उभयधर्मी होते हैं जिनके समविभव बिन्दु निश्चित होते हैं।
आण्विक आकृति के आधार पर प्रोटीनों का वर्गीकरण प्रोटीनों को इनकी आण्विक आकृति के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया गया है- रेशेदार प्रोटीन तथा गोलिकाकार प्रोटीन।
(a) रेशेदार या तन्तुक प्रोटीन (Fibrous Proteins) – ये जल में अविलेय जन्तु प्रोटीन है जो प्रोटियोलिटिक एन्जाइम द्वारा भी अप्रभावित रहते हैं। इनमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं समानांतर होती हैं जो हाइड्रोजन तथा डाइसल्फाइड बन्धों द्वारा जुड़कर रेशों के समान संरचना बनाती हैं।
उदाहरण – किरेटिन तथा मायोसिन । किरेटिन बाल, ऊन तथा रेशम में एवं मायोसिन मांसपेशियों में उपस्थित होती है।
(b) गोलिकाकार प्रोटीन (Globular Proteins)- ये जल विलेय प्रोटीन हैं। इनमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएं कुण्डली बनाकर गोलाकार आकृति ग्रहण कर लेती हैं।
उदाहरण- इन्सुलिन तथा ऐल्बुमिन।
प्रश्न 11.
प्रोटीनों के परीक्षण बताइए।
उत्तर:
प्रोटीनों का परीक्षण:
- बाइयूरेट परीक्षण-प्रोटीन में थोड़ा-सा 10% NaOH तथा कुछ बूंद 1% CuSO4 विलयन डालने पर नीला-बैंगनी रंग आता है।
- जेन्थोप्रोटिक परीक्षण-प्रोटीन को सान्द्र HNO3 के साथ गर्म करने पर यह पीले ग का अवक्षेप देती है, इसे जेन्थोप्रोटिक परीक्षण कहते हैं।
- निनहाइड्रिन परीक्षण-प्रोटीन में कुछ बूंदें निनहाइड्रिन विलयन मिलाकर उबालने से गहरा नीला रंग प्राप्त होता है।
प्रश्न 12.
DNA तथा RNA में उपस्थित शर्कराओं की संरचना बताइए।
उत्तर:
DNA में ß-D-2-डिऑक्सीराइबोस शर्करा होती है जबकि RNA में ß-D-राइबोस शर्करा होती है जिनकी संरचनाएं निम्न प्रकार होती हैं-
प्रश्न 13.
DNA की द्विकुंडलनी संरचना की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
DNA की द्विकुंडलनी संरचना (Double Strand Helix Structure of DNA):
न्यूक्लिक अम्ल की एक शृंखला के अनुक्रम से संबंधित जानकारी को इसकी प्राथमिक संरचना कहते हैं। प्रोटीन के समान न्यूक्लिक अम्लों की द्वितीयक संरचना भी होती है। जेम्स वाटसन तथा फ्रांसिस क्रिक ने DNA की द्विकुंडलनी त्रिविमीय संरचना दी।
DNA की वाटसन-क्रिक संरचना के अनुसार पॉलिन्यूक्लिओटाइड की दो सर्पिल शृंखलाएँ या स्ट्रेण्ड क्षारक इकाइयों के मध्य हाइड्रोजन बन्धन द्वारा जुड़कर परस्पर समानान्तर रूप से कुण्डिलत अवस्था में विद्यमान रहती हैं। एक पॉलिन्यूक्लिओटाइड शृंखला के पिरिमिडीन क्षारक तथा दूसरी पॉलिन्यूक्लिओटाइड श्रंखला के प्यूरीन क्षारक के मध्य ही हाइड्रोजन बन्ध बन सकता है। इसके पश्चात् प्रयोगों से ज्ञात हुआ कि प्रकृति में क्षारक ऐडेनीन A केवल थायमीन T के साथ दो हाइड्रोजन बन्धों द्वारा जुड़ सकता है तथा ग्वानीन G केवल साइटोसीन C के साथ तीन H बन्धों द्वारा जुड़ सकता है।
इस प्रकार, ‘ T तथा A ‘ और ‘ G तथा C’ क्षारकों के युग्म बनते हैं अर्थात् T तथा A एक-दूसरे के पूरक हैं और G तथा C एक-दूसरे के पूरक हैं। DNA में T: A तथा G: C अनुपात 1: 1 पाया गया, इससे उपरोक्त युग्मों की पुष्टि हो जाती है। अतः यह कहा जा सकता है कि DNA की दो पॉलिपेप्टाइड शृंखलाओं के मध्य निश्चित क्षारक युग्मों की उपस्थिति के कारण एक श्रृंखला (रज्जुक) दूसरी शृंखला की पूरक होती है, अर्थात् यदि एक पॉलिपेप्टाइड शृंखला में क्षारक अनुक्रम ज्ञात हो तो दूसरी शृंखला का क्षारक अनुक्रम स्वतः ही निश्चित हो जाता है। इसे निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है-
प्रश्न 14.
DNA की द्विकुण्डलनी त्रिविमीय संरचना को चित्रित कीजिए।
उत्तर:
DNA की तुलना में RNA की संरचना कम जटिल होती है। RNA की द्वितीयक संरचना में कुण्डली केवल एक रज्जुक (Strand) से बनी होती है जो कभी-कभी स्वयं के मुड़ने से ही द्विकुण्डलनी हो जाती है। RNA में थायमीन के स्थान पर यूरेसिल क्षारक तथा डीऑक्सीराइबोस के स्थान पर राइबोस शर्करा होती है। RNA तीन प्रकार के होते हैं जिनके कार्य भिन्न-भिन्न हैं-
- संदेशवाहक RNA (m-RNA)
- राइबोसोमल RNA (r-RNA)
- अंतरण या स्थानान्तरण RNA (t-RNA)
प्रश्न 15.
DNA अंगुली छापन क्या होता है? समझाइए तथा इसके उपयोग भी बताइए।
उत्तर:
डी.एन.ए. अंगुली छापन (DNA Finger Printing)प्रत्येक जीव के अंगुली छाप अद्वितीय (Unique) होते हैं। ये अंगुली के शीर्ष पर होते हैं तथा पहले इन्हें किसी व्यक्ति की पहचान करने के लिए काम में लाया जाता था, लेकिन शल्य चिकित्सा के द्वारा इन्हें बदला जा सकता है। किसी व्यक्ति में DNA के क्षारकों का अनुक्रम अद्वितीय होता है तथा DNA के क्षारकों के अनुक्रम का निर्धारण ही DNA अंगुली छापन कहलाता है। यह प्रत्येक कोशिकां के लिए समान होता है तथा इसे किसी भी इलाज द्वारा परिवर्तित नहीं किया जा सकता।
DNA अंगुली छापन एक महत्वपूर्ण तकनीक है जिसके निम्नलिखित उपयोग हैं-
- विधि संबंधी प्रयोगशाला में अपराधी की पहचान करने में।
- किसी व्यक्ति की पैतृकता (Paternity) को निर्धीरित करने में।
- दुर्घटना में मृत व्यक्ति के शरीर की पहचान करने के लिए उसके बच्चों या जनक के DNA से तुलना करने में।
- जैव विकास के पुनर्लेखन में किसी प्रजाति की पहचान करने में।
प्रश्न 16.
DNA की स्वप्रतिकृति (Self Replication) किस प्रकार होती है? समझाइए।
उत्तर:
स्व-प्रतिकृति (Self Replication)-डी.एन.ए. आनुवांशिकता का रासायनिक आधार होता है तथा यह आनुवांशिक सूचनाओं का संग्राहक होता है। DNA लाखों वर्षों से किसी जीव की विभिन्न प्रजातियों की पहचान को बनाए रखने के लिए विशिष्ट रूप से जिम्मेदार है।
जीवों में कोशिका विभाजन के समय DNA की प्रतिकृति होती है। इसमें जनक DNA दो संतति DNA में विभाजित हो जाता है। उपयुक्त एन्जाइम की उपस्थिति में पहले DNA के एक सिरे से हाइड्रोजन बन्धों के टूटने से दो स्ट्रेण्ड पृथक् होती जाती हैं तथा प्रत्येक स्ट्रेण्ड पर उपयुक्त न्यूक्लिओटाइड जुड़ते चले जाते हैं और दो समान संतति द्विकुण्डलनियाँ बन जाती हैं। इस प्रकार बनी प्रत्येक संतति द्विकुण्डलनी में एक कुण्डलनी जनक DNA से आती है तथा दूसरी कुण्डलनी नयी बनती है, जिन्हें क्रमशः जनक स्ट्रेण्ड तथा संतति स्ट्रेण्ड कहा जाता है। इस प्रकार पुत्री कोशिका में समान रज्जुक का अंतरण होता है।
प्रश्न 17.
DNA द्वारा प्रोटीन संश्लेषण के नियंत्रण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रोटीन संश्लेषण का नियन्त्रण (Control of Protein Synthesis)-न्यूक्लिक अम्ल प्रोटीन संश्लेषण भी करते हैं। वास्तव में कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण विभिन्न प्रकार के RŃA द्वारा होता है। परन्तु किसी विशेष प्रोटीन के संश्लेषण का संदेश DNA में उपस्थित होता है। DNA का वह भाग जो प्रोटीन संश्लेषण का नियंत्रण करता है उसे जीन कहते हैं। मानव कोशिका के केन्द्रक में एक DNA में सामान्यतः दस लाख जीन होते हैं।
न्यूक्लिक अम्ल की कुण्डलनी पर उपस्थित तीन-तीन क्रमागत विषमचक्रीय क्षारकों के समुच्चय एक त्रिककूट (Triplet Code) का काम करते हैं। प्रत्येक त्रिककूट का सम्बन्ध एक विशिष्ट ऐमीनो अम्ल से होता है। अतः अनेक त्रिककूटों का निश्चित अनुक्रम, विशिष्ट ऐमीनो अम्लों को निश्चित क्रम में व्यवस्थित करके प्रोटीन संश्लेषण को नियन्त्रित करता है।
प्रश्न 18.
(i) सिकल सेल एनिमिया रोग कब होता है?
(ii) थायमीन तथा यूरेसिल के संरचना सूत्रों में क्या अन्तर होता है ?
(iii) आनुवांशिकता तथा क्रोमोसोम को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
(i) हीमोग्लोबिन में ग्लूटेमिक अम्ल के स्थान पर वेलिन – ऐमीनो अम्ल आ जाता हैं तो सिकल सेल एनिमिया रोग हो जाता है।
(ii) यूरेसिल के संरचना सूत्र में > C = 0 के पास वाले कार्बन पर हाइड्रोजन के स्थान पर मेथिल समूह आ जाने पर थायमीन की संरचना प्राप्त होती है।
(iii) प्रत्येक प्रजाति की किसी पीढ़ी के गुण उसके पूर्वजों से मिलते-जुलते होते हैं जीवों के इस गुण को आनुवांशिकता कहते हैं। किसी सजीव कोशिका के नाभिक में उपस्थित वे कण जो अनुवांशिकता के लिए जिम्मेदार होते हैं, उन्हें क्रोमोसोम कहते हैं।
प्रश्न 19.
ग्लूकोस तथा स्टार्च में विभेद कीजिए।
उत्तर:
- ग्लूकोस, आयोडीन विलयन के साथ क्रिया नहीं करता जबकि स्टार्च, आयोडीन विलयन के साथ नीला रंग देता है।
- ग्लूकोस का जल अपघटन नहीं होता जबकि स्टार्च के जल अपघटन से ग्लूकोस बनता है।
- ग्लूकोस, फेलिंग विलयन के साथ लाल अवक्षेप देता है लेकिन स्टार्च नहीं।
प्रश्न 20.
सूक्रोसको तनु H2SO4 या तनु HCl के साथ गर्म करने पर क्या होता है?
उत्तर:
सूक्रोसको तनु H2SO4 या तनु HCl के साथ गर्म करने पर इसका जल अपघटन होकर ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस बनते है।
प्रश्न 21.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
(i) ऐड्रिनोकॉर्टिकॉइड हॉर्मोन
(ii) प्रोटीन हॉर्मोन।
उत्तर:
(i) ऐड्डिनोकॉर्टि कॉइड हॉर्मोन (Adrenocorticoid Hormones)-ये वृक्क या गुर्दों (Kidney) में विद्यमान अधिवृक्क ग्रन्थि (Adrenal gland) तथा वल्कुट (Cortex) द्वारा स्रावित होते हैं। जन्तुओं में ये हॉर्मोन अनुपस्थित होने पर तत्काल मृत्यु हो जाती है। ये हॉर्मोन अनेक प्रक्रियाओं का नियन्त्रण करते हैं। उदाहरणग्लूकोक्रॉर्टिकायड हार्मोन कार्बोहाइड्रेट उपापचय का नियंत्रण करते हैं, जलन उत्पत्र करने वाली अभिक्रियाओं में कमी करते हैं तथा तनाव के प्रति प्रतिक्रिया में भी सम्मिलित होते हैं।
मिनरैलोकॉर्टिकॉयड गुर्दों से उत्सर्जित होने वले जल तथा लवण के स्तर को नियंत्रित करते हैं। यदि ऐड्रिनल कॉर्टेक्स ठीक से कार्य न करें तो इसके परिणामस्वरूप ऐडीसन्सडिजीज हो सकती है जिसके लक्षण हैं हाइपोग्लाइसीमिया, दुर्बलता और तनाव के प्रति संवेदनशीलता की संभावना बढ़ना।
(ii) प्रोटीन हॉर्मोन-प्रोटीन हॉर्मोनों को पॉलिपेप्टाइड हॉर्मोन भी कहा जाता है क्योंकि ये विभिन्न ऐमीनो अम्लों के संघनन सहबहुलकीकरण से बनते हैं। इन्सुलिन, ग्लूकागॉन, ऑक्सीटोसिन, वैसोप्रेसिन, गैस्ट्रिन तथा एन्डोर्फिन इस परिवार के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं। इन्सुलिन तथा ग्लूकागॉन का स्रवण अग्न्याशय (Pancreas) में होता है जबकि ऑक्सीटोसिन तथा वैसोप्रेसिन का स्रवण पीयूष ग्रन्थि (Pituitary Gland) में होता है।
इन्सुलिन तथा ग्लूकागॉन दोनों एक साथ कार्बोहाइड्रेट उपापचय को नियंत्रित करके रक्त में ग्लूकोस की मात्रा को सामान्य स्तर पर बनाये रखते हैं। रक्त में ग्लूकोस को मात्रा तेजी से बढ़ने पर इन्सुलिन निकलने लगती है। दूसरी ओर हॉर्मोन ग्लूकागॉन की प्रवृत्ति रक्त में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ाने की होती है। ऑक्सीटोसिन, प्रसव के बाद गर्भाशय के संकुचन तथा स्तन ग्रन्थियों से दूध के मोचन (Release of milk) को नियंत्रित करता है। वैसोप्रेसिन हॉर्मोन रक्त दाब (Blood Pressure) को बढ़ाता है तथा वृक्क की जल-धारण क्षमता में वृद्धि करता है। गैस्ट्रिन, आमाशय में जठर रस के स्रवण को नियंत्रित करके प्रोटीन के पाचन में अपनी भूमिका निभाता है।
बोर्ड परीक्षा के दृष्टिकोण से सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1.
चार क्षारकों के नाम लिखिए जो DNA में विद्यमान हैं। इनमें से कौनसा एक RNA में विद्यमान नहीं है?
उत्तर:
DNA में विद्यमान क्षारक साइटोसीन, ऐडेनीन, ग्वानीन तथा थायमीन हैं। इनमें से थायमीन RNA में नहीं पाया जाता लेकिन इसके स्थान पर यूरेसिल होता है।
प्रश्न 2.
वसा में घुलनशील दो विटामिनों के नाम, उनके स्रोत और उनकी भोजन में कमी से होने वाली बीमारियों के नाम बताइए।
उत्तर:
विटामिन A तथा Dवसा में घुलनशील होते हैं। विटामिन A गाजर, मक्खन, दूध तथा मछली के यकृत के तेल में पाया जाता है तथा इसकी कमी से रात्रि अंधता (रतौंधी) नामक बीमारी हो जाती है।
विटामिन D, सूर्य के प्रकाश, मछली तथा अंडे से प्राप्त होता है तथा इसकी कमी से रिकेट्स नामक बीमारी हो जाती है।
प्रश्न 3.
अपचायी शर्करा से क्या समझा जाता है?
उत्तर:
वे कार्बोहाइड्रेट जो टॉलेन अभिकर्मक या फेलिंग विलयन को अपचयित करते हैं उन्हें अपचायी शर्करा कहते हैं। इनमें स्वतंत्र ऐल्डिहाइड या कीटोन समूह होता है। जैसे-ग्लूकोस, फ्रक्टोस, माल्टोस तथा लैक्टोस।
प्रश्न 4.
ऐमीनो अम्ल संभवतः अम्लीय, क्षारीय अथवा उदासीन होते हैं। यह किस प्रकार होता है? आवश्यक और अनावश्यक ऐमीनो अम्ल क्या होते हैं? प्रत्येक प्रकार का एकएक नाम बताइए।
उत्तर:
(a) ऐमीनो अम्लों की प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण- ऐमीनो अम्लों में उपस्थित ऐमीनो तथा कार्बोक्सिल समूहों की संख्या के आधार पर इन्हें अम्लीय क्षारीय तथा उदासीन में वर्गीकृत किया जाता है।
(i) अम्लीय ऐमीनो अम्ल – वे ऐमीनो अम्ल जिनमें ऐमीनो समूहों की तुलना में कार्बोक्सिल समूहों की संख्या अधिक होती है उन्हें अम्लीय ऐमीनो अम्ल कहते हैं। उदाहरण-
(ii) क्षारीय ऐमीनो अम्ल ऐमीनो अम्ल, जिनमें कार्बोक्सिल समूहों की तुलना में ऐमीनो समूहों की संख्या अधिक होती है, उन्हें क्षारीय ऐमीनो अम्ल कहते हैं। उदाहरण-
(iii) उदासीन ऐमीनो अम्ल वे ऐमीनो अम्ल, जिनमें कार्बोक्सिल समूहों तथा ऐमीनो समूहों की संख्या समान होती है, वे उदासीन ऐमीनो अम्ल कहलाते हैं। उदाहरण-
(b) संश्लेषण के आधार पर वर्गीकरण – संश्लेषण के आधार पर ऐमीनो अम्लों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है; अनावश्यक तथा आवश्यक ऐमीनो अम्ल।
(i) अनावश्यक ऐमीनो अम्ल वे ऐमीनो अम्ल जिनका संश्लेषण हमारे शरीर में हो जाता है उन्हें अनावश्यक ऐमीनो अम्ल कहते हैं। आवश्यक ऐमीनो अम्लों के अतिरिक्त सभी ऐमीनो अम्ल इस श्रेणी में लिए जाते हैं जैसे ग्लाइसीन, ऐलानिन इत्यादि।
(ii) आवश्यक ऐमीनो अम्ल – वे ऐमीनो अम्लं जिनका संश्लेषण हमारे शरीर में नहीं होता है तथा जिनको भोजन में लेना आवश्यक होता है उन्हें आवश्यक ऐमीनो अम्ल कहते हैं। आवश्यक ऐमीनो अम्लों की संख्या 10 होती है जो निम्नलिखित हैं-
ट्रिप्टोफेन (T), वैलीन (V), मेथिओनिन (M), आइसोल्यूसीन (I), ल्यूसीन (L.), लाइसीन (L), फेनिल ऐलानिन (P), आर्जिनीन (A), ट्रिप्टोफेन (T) तथा हिस्टिडीन (H)
आवश्यक ऐमीनो अम्लों को इनके अंग्रेजी नामों के प्रथम अक्षर ‘टीवीमीलपाथ’ (TVMILLPATH) से याद रखा जा सकता है।
ऐमीनो अम्लों के गुण-
(i) एमीनो अम्ल रंगहीन, अवाष्पशील क्रिस्टलीय ठोस होते हैं।
(ii) ये जल में विलेय तथा कार्बनिक विलायकों में अविलेय होते हैं तथा इनका गलनांक उच्च होता है क्योंकि इनमें -NH2 तथा -COOH दोनों समूह होने के कारण ये लवणों के समान व्यवहार करते हैं।
(iii) ग्लाइसीन के अतिरिक्त प्रकृति में उपलब्ध सभी ऐमीनो अम्ल ध्रुवण घूर्णक (optically active) होते हैं क्योंकि इनमें α-कार्बन परमाणु असममित होता है।
(iv) ये ‘D’ तथा ‘L’ रूपों में पाए जाते हैं।
(v) अधिकांश प्राकृतिक ऐमीनो अम्लों का विन्यास ‘L’ होता है तथा L- एमीनो अम्लों में NH2 समूह को सूत्र में बाईं ओर लिखकर दर्शाया जाता है।
प्रश्न 5.
स्पष्ट कीजिए कि निम्नलिखित से क्या समझा जाता है?
(i) पेप्टाइड लिंकेज
(ii) ग्लूकोस की पिरानोस संरचना।
उत्तर:
(i) वह बन्ध (लिंकेज) जिसके द्वारा विभिन्न α- ऐमीनो अम्ल आपस में जुड़कर प्रोटीन बनाते हैं उसे पेप्टाइड लिंकेज (-CONH-) कहते हैं। यह α – ऐमीनो अम्ल के एक अणु के – COOH तथा दूसरे अणु के -NH2 समूह से जल के निकलने से बनता है।
(ii) ग्लूकोस की छः सदस्यीय वलय युक्त संरचना पाइरैन के समान होती है अतः इसे पिरानोस (पाइरैनोस) संरचना कहते हैं। पाइरैन पांच कार्बन तथा एक ऑक्सीजन युक्त चक्रीय यौगिक होता है।
प्रश्न 6.
DNA और RNA में मुख्य संरचनात्मक अंतर लिखिए। चार क्षारकों में से उनके नाम लिखिए जो इन दोनों में पाए जाते हैं।
उत्तर:
DNA की तुलना में RNA की संरचना कम जटिल होती है। RNA की द्वितीयक संरचना में कुण्डली केवल एक रज्जुक (Strand) से बनी होती है जो कभी-कभी स्वयं के मुड़ने से ही द्विकुण्डलनी हो जाती है। RNA में थायमीन के स्थान पर यूरेसिल क्षारक तथा डीऑक्सीराइबोस के स्थान पर राइबोस शर्करा होती है। RNA तीन प्रकार के होते हैं जिनके कार्य भिन्न-भिन्न हैं-
- संदेशवाहक RNA (m-RNA)
- राइबोसोमल RNA (r-RNA)
- अंतरण या स्थानान्तरण RNA (t-RNA)
DNA तथा RNA में विभेद
(a) संरचनात्मक विभेद्
- DNA, कोशिका के नाभिक में स्थित क्रोमोसोम (गुणसूत्र ) में पाया जाता है जबकि RNA मुख्यतः कोशिकाद्रव्य में पाया जाता है
- DNA में ß-D-डीऑक्सीराइबोस शर्करा होती है जबक् RNA में ß-D राइबोस शर्करा होती है।
- पिरीमिडीन क्षारक, थायमीन केवल DNA में होता है जबक् यूरेसिल केवल RNA में होता है।
- DNA की द्विकुंडलनी संरचना होती है जबकि RNA कं एककुंडलनी संरचना होती है।
(b) क्रियात्मक विभेद: DNA में स्वप्रतिकरण (Self Replication) का गुण होता है तथ यह आनुवांशिक गुणों के स्थानान्तरण को नियंत्रित करता है जबकि RNA प्रोटीन संश्लेषण को नियंत्रित करता है। साइटोसीन, ऐडेनीन तथा ग्वानीन धारक DNA तथा RNA दोनों में पाए जाते हैं।
प्रश्न 7.
उस उत्पाद की संरचना लिखिए जो ग्लूकोस पर नाइट्रिक अम्ल की ऑक्सीकारक अभिक्रिया से प्राप्त होता है।
उत्तर:
ग्लूकोस पर नाइट्रिक अम्ल की ऑक्सीकारक अभिक्रिया से ग्लूकोनिक अम्ल प्राप्त होता है।
HOOC – (CHOH)4 – CH2OH
प्रश्न 8.
α- ग्लूकोस और ß – ग्लूकोस में विशेषतः क्या अंतर है? ग्लूकोस की पायरैनोस संरचना से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
α-ग्लूकोस तथा ß- ग्लूकोस में C1 पर उपस्थित हाइड्रॉक्सिल (-OH) समूह के विन्यास में भिन्नता होती है। α – ग्लूकोस में यह -OH समूह दायीं ओर (नीचे की तरफ ) जबकि ß-ग्लूकोस में यह बायीं ओर (ऊपर की तरफ) स्थित होता है इसलिए C1 कार्बन को ऐनोमरी कार्बन कहते हैं।
ग्लूकोस की ये संरचनाएँ विषमचक्रीय यौगिक पाइरैन के समान होती हैं अतः इन्हें पाइरैनोस संरचना कहते हैं।
प्रश्न 9.
(i) शारीरिक वृद्धि में मंदता होने पर व्यक्ति को किस प्रकार का आहार देना चाहिए?
(ii) ग्लूकोस की ऐसी अभिक्रियाएँ दीजिए जिससे यह सिद्ध होता है कि-
(A) ग्लूकोस के सभी छः कार्बन परमाणु एक सीधी श्रृंखला में जुड़े हैं।
(B) ग्लूकोन में ऐल्डिहाइड समूह पाया जाता है।
(iii) एन्जाइम किसे कहते हैं ?
उत्तर:
(i) शारीरिक वृद्धि में मंदता होने पर व्यक्ति को विटामिन B1 (थायमीन) युक्त आहार जैसे हरी सब्जियाँ, दालें तथा दूध इत्यादि देना चाहिए।
(ii)
ग्लूकोस की HI से क्रिया द्वारा n हेक्सेन का बनना यह सिद्ध करता है कि ग्लूकोस के सभी छः कार्बन परमाणु एक सीधी श्रृंखला में जुड़े हैं।
(B) ग्लूकोस का दुर्बल ऑक्सीकारक जैसे ब्रोमीन जल से ऑक्सीकरण कराने पर ग्लूकोनिक अम्ल बनता है। इससे सिद्ध होता है कि ग्लूकोस में ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित है।
(iii) सजीवों में होने वाली जैव रासायनिक क्रियाओं में प्रयुक्त होने वाले जैव उत्प्रेरकों को एन्जाइम कहते हैं। जैसे – माल्टेस एन्जाइम की उपस्थिति में माल्टोस के जल अपघटन से ग्लूकोस बनता है।
प्रश्न 10.
(अ) DNA की द्विकुंडलनी संरचना का नामांकित चित्र बनाइए।
(ब) हमारे शरीर में विटामिन C संचित नहीं हो सकता है। कारण दीजिए।
(स) ग्लूकोस से कैसे प्राप्त करेंगे? (केवल समीकरण दीजिए)
(i) ग्लूकोनिक अम्ल
(ii) n-हैक्सेन।
उत्तर:
(अ) DNA की द्विकुंडलिनी संरचना निम्न प्रकार होती है-
(ब) विटामिन C जल में विलेय होता है अतः यह हमारे शरीर में संचित नहीं हो सकता क्योंक यह जलीय विलयन के रूप में हमारे शरीर से बाहर निकल जाता है।
(स) (i) ग्लूकोस से ग्लूकोनिक अम्ल-
(ii) ग्लूकोस से n-हैक्सेन-
प्रश्न 11.
(अ) सूक्रोस का हावर्थ सूत्र लिखिए।
(ब) सूक्रोस एक अनपचायी शर्करा है। क्यों?
उत्तर:
उत्तर:
(अ) सूक्रोस (C12H12O11) का हावर्थ सूत्र निम्न प्रकार होता है-
इसमें α- ग्लूकोस के C1 तथा ß – फ्रक्टोज के C2 के मध्य ग्लाइकोसाइडी बन्ध होता है।
(ब) सूक्रोस में उपस्थित ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस के अपचायक समूह ग्लाइकोसाइडी बन्ध बना लेते हैं अतः यह एक अनअपचायी शर्करा है।
प्रश्न 12.
(a) दो ऐमीनो अम्लों को जोड़ने वाले बन्धन का नाम लिखिए।
(b) श्रीमती अनुराधा के घर में सहायक शान्ति एक दिन फर्श को पोंछते हुए अचानक बेहोश होकर गिर गई। श्रीमती अनुराधा शीप्र ही उसे निकट के अस्पताल में ले गई जहाँ बताया गया कि शान्ति को अत्यधिक रक्त की कमी हो गयी है। डॉक्टर ने उसके लिए लोह धारक भोजन और बहु विटामिनी गोलियाँ लिख दीं। औषधि खरीदने में श्रीमती अनुराधा ने उसकी आर्थिक सहायता की। एक माह पश्चात् निदान कराने पर शान्ति को साधारण बताया गया।
उपर्युक्त लेख को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(i) श्रीमती अनुराधा ने किन मूल्यों का परिचय दिया ?
(ii) उस विटामिन का नाम बताइए जिसके अभाव में शान्ति को ‘हानिकारक रक्त अभाव’ (प्रणांशी रक्ताल्पता) हुआ।
(iii) जलविलेय विटामिन का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
(a) दो ऐमीनो अम्लों को जोड़ने वाले बन्धन को पेप्टाइड बन्धन कहते हैं।
(b) (i) श्रीमती अनुराधा ने मानवता का परिचय दिया जो कि दयालु, बुद्धिमान तथा दूसरे व्यक्ति के स्वास्थ्य के प्रति भी सजग है।
(ii) विटामिन B12
(iii) विटामिन C
प्रश्न 13.
(i) स्टार्च का कौनसा घटक जल में विलेय होता है?
(ii) कौनसे विटामिन की कमी से रात्रि अंधता रोग उत्पन्न होता है?
(iii) उस क्षारक का नाम बताइए जो केवल RNA के न्युक्लिओटाइड में पाया जाता है।
(iv) ग्लूकोस की HI के साथ अभिक्रिया से n-हेक्सेन बनता है, इससे ग्लूकोस की संरचना के बारे में क्या जानकारी प्राप्त होती है?
उत्तर:
(i) ऐमिलोस
(ii) विटामिन-A
(iii) यूरेसिल
(iv) ग्लूकोस की HI के साथ अभिक्रिया से n-हेक्सेन का बनना यह सिद्ध करता है कि ग्लूकोस में सभी छः कार्बन परमाणु सीधी श्रृंखला में होते हैं।
प्रश्न 14.
वह रासायनिक अभिक्रिया लिखिए जिससे ग्लूकोस में कार्बोनिल समूह की उपस्थिति की पुष्टि होती है।
उत्तर:
ग्लूकोस, हाइड्रॉक्सिल ऐमीन (NH2OH) के साथ अभिक्रिया करके एक ऑक्सिम देता है। इस अभिक्रिया से ग्लूकोस में कार्बोनिल समूह (
प्रश्न 15.
विटामिन A, B, C और D को जल तथा वसा में विलेयता के आधार पर वर्गीकृत कर उनकी तुलना कीजिए।
उत्तर:
जल तथा वसा में विलेयता के आधार पर विटामिनों को दो समूहों में वर्गीकृत किया जाता है-
(i) वसा विलेय विटामिन-ये विटामिन वसा तथा तेल में विलेय होते हैं लेकिन जल में अविलेय होते हैं। ये विटामिन A तथा D हैं। ये यकृत तथा ऐडिपोस ऊतक में संग्रहित रहते हैं अतः इनका उत्सर्जन नहीं होता है।
(ii) जल विलेय विटामिन-ये विटामिन जल में विलेय होते हैं। ये विटामिन B तथा C हैं। ये मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाते हैं। इस कारण हमारे शरीर में संचित नहीं हो पाते हैं।
प्रश्न 16.
मोनोसैकैराइड क्या होते हैं?
उत्तर:
मोनोसैकैराइड वे कार्बोहाइड्रेट होते हैं जिनको और अधिक सरल यौगिकों में जल अपघटित नहीं किया जा सकता है। इनका सामान्य सूत्र C2H2nOn होता है। यहाँ n = 3 से 7. उदाहरण – ग्लूकोस, फ्रक्टोस तथा राइबोस।
प्रश्न 17.
प्रोटीन के विकृतिकरण को एक उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
जब प्राकृतिक प्रोटीन के ताप तथा pH में परिवर्तन किया जाता है तो उसमें उपस्थित हाइड्रोजन बन्धों की व्यवस्था बिगड़ जाती है जिसके कारण प्रोटीन की गोलिका खुल जाती है तथा हैलिक्स अकुंडलित हो जाती है अतः प्रोटीन अपनी जैविक सक्रियता खो देता है, इसे प्रोटीन का विकृतिकरण कहते हैं। उदाहरण-अंडे को उबालने पर उसमें उपस्थित सफेदी का स्कंदन।
प्रश्न 18.
(i) निम्नलिखित में कौनसा एक डाइसैकेराइड है : स्टार्च, माल्टोस, फ्रक्टोस, ग्लूकोस
(ii) अम्लीय ऐमीनो ऐसिड और क्षारीय ऐमीनो ऐसिड में क्या अन्तर है?
(iii) दो न्यूक्लिओटाइडों को जोड़ने वाली लिंकेज का नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) माल्टोस एक डाइसैकेराइड है।
(ii) अम्लीय ऐमीनो ऐसिड में ऐमीनो समूहों की तुलना में कार्बोक्सिल समूहों की संख्या अधिक होती है जबकि क्षारीय ऐमीनो ऐंसिड में कार्बोक्सिल समूहों की तुलना में ऐमीनो समूहों की संख्या अधिक होती है। उदाहरण-अम्लीय ऐमीनो ऐसिड-
(iii) दो न्यूक्लिओटाइडों को जोड़ने वाली लिंकेज को फॉस्फोडाइएस्टर बंधन कहते हैं।