Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Important Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए
1. विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आयात-निर्यात को क्या कहते हैं?
(A) स्थानीय व्यापार
(B) अनुकूल व्यापार
(C) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
(D) क्षेत्रीय व्यापार
उत्तर:
(C) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
2. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कितने प्रकार का होता है?
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर:
(A) 2
3. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के द्वार हैं-
(A) समुद्री बंदरगाह
(B) हवाई पत्तन
(C) जहाजों की रक्षा
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) हवाई पत्तन
4. जब एक ही क्षेत्र के निवासी वस्तु विनिमय करते हैं, तो यह कौन-सा व्यापार है?
(A) स्थानीय व्यापार
(B) क्षेत्रीय व्यापार
(C) राष्ट्रीय व्यापार
(D) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
उत्तर:
(A) स्थानीय व्यापार
5. क्षेत्रीय व्यापार को कहते हैं-
(A) स्थानीय व्यापार
(B) देशी व्यापार
(C) बहुपक्षीय व्यापार
(D) द्विपक्षीय व्यापार
उत्तर:
(B) देशी व्यापार
6. दो देशों के बीच वस्तुओं का विनिमय क्या कहलाता है?
(A) व्यापार
(B) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
(C) क्षेत्रीय व्यापार
(D) द्विपक्षीय व्यापार
उत्तर:
(D) द्विपक्षीय व्यापार
7. आयात और निर्यात के बीच मूल्य के अंतर को क्या कहा जाता है?
(A) व्यापार संतुलन
(B) अनुकूल व्यापार संतुलन
(C) विलोम व्यापार संतुलन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) व्यापार संतुलन
8. जब निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा आयात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है तो व्यापार कहलाता है-
(A) व्यापार संतुलन
(B) अनुकूल व्यापार संतुलन
(C) ऋणात्मक व्यापार संतुलन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) ऋणात्मक व्यापार संतुलन
9. ओपेक में सम्मिलित देश नहीं है-
(A) ईरान
(B) कुवैत
(C) भारत
(D) इराक
उत्तर:
(C) भारत
10. एक देश द्वारा दूसरे देश से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद कहलाती है-
(A) व्यापार
(B) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
(C) आयात
(D) निर्यात
उत्तर:
(C) आयात
11. एक देश द्वारा दूसरे देश को वस्तुओं का भेजना, क्या कहलाता है?
(A) व्यापार
(B) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
(C) निर्यात
(D) आयात
उत्तर:
(C) निर्यात
12. निम्नलिखित में से कौन-सा देश सार्क (SAARC) का सदस्य नहीं है?
(A) भारत
(B) चीन
(C) पाकिस्तान
(D) भूटान
उत्तर:
(B) चीन
13. गैट व्यापारिक समझौता लागू हुआ था
(A) सन् 1948 में
(B) सन् 1959 में
(C) सन् 1994 में
(D) सन् 2005 में
उत्तर:
(A) सन् 1948 में
14. निम्नलिखित देशों में से कौन-सा सार्क का नया सदस्य बना है?
(A) भूटान
(B) नेपाल
(C) श्रीलंका
(D) अफगानिस्तान
उत्तर:
(D) अफगानिस्तान
15. विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय कहाँ है?
(A) न्यूयार्क
(B) जेनेवा
(C) पेरिस
(D) शंघाई
उत्तर:
(B) जेनेवा
16. सार्क (SAARC) के सदस्य देशों की संख्या कितनी है?
(A) 6
(B) 7
(C) 8
(D) 9
उत्तर:
(C) 8
17. अंतर्राष्ट्रीय तेल उत्पादक राष्ट्रों का समूह है-
(A) सार्क (SAARC)
(B) आसियान (ASEAN)
(C) 311406 (OPEC)
(D) इ०यू० (यूरोपीय संघ)
उत्तर:
(C) 311406 (OPEC)
18. आसियान का मुख्यालय है-
(A) जकार्ता में
(B) पेरिस में
(C) जेनेवा में
(D) लंदन में
उत्तर:
(A) जकार्ता में
19. जो पत्तन समुद्री मार्गों के मध्य विकसित होते हैं, उन्हें कहा जाता है-
(A) पोर्ट ऑफ कॉल पत्तन
(B) बाह्य पत्तन
(C) आंतरिक पत्तन
(D) सवारी पत्तन
उत्तर:
(A) पोर्ट ऑफ कॉल पत्तन
20. गहरे समुद्र में बनाए गए पत्तन को कहा जाता है-
(A) आंतरिक पत्तन
(B) बाह्य पत्तन
(C) तैल पत्तन
(D) सवारी पत्तन
उत्तर:
(B) बाह्य पत्तन
21. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्वपूर्ण पक्ष में सम्मिलित है-
(A) व्यापार का परिमाण
(B) व्यापार की दिशा
(C) व्यापार का संयोजन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
22. हगली नदी पर बना कोलकाता पत्तन निम्नलिखित में से किस प्रकार का है?
(A) बाह्य पत्तन
(B) आंत्रेपो पत्तन
(C) आंतरिक पत्तन
(D) सवारी पत्तन
उत्तर:
(C) आंतरिक पत्तन
23. जिन पत्तनों पर तेल का आयात-निर्यात और परिष्करण होता है, उन्हें कहा जाता है-
(A) वाणिज्यिक पत्तन
(B) बाह्य पत्तन
(C) आंतरिक पत्तन
(D) तैल पत्तन
उत्तर:
(D) तैल पत्तन
24. फारस की खाड़ी पर स्थित अबादान निम्नलिखित में किस प्रकार का पत्तन है?
(A) वाणिज्यिक पत्तन
(B) नौ सैनिक पत्तन
(C) तैल पत्तन
(D) आंत्रेपो पत्तन
उत्तर:
(C) तैल पत्तन
25. कौन-से देश ने इलैक्ट्रॉनिक के सामान के व्यापार में विशिष्ट दक्षता प्राप्त की है तथा जिसकी मांग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है?
(A) भारत
(B) चीन
(C) अमेरिका
(D) जापान
उत्तर:
(D) जापान
26. छोटे-छोटे कल पुों के विशिष्टीकरण के व्यापार को कहा जाता है-
(A) क्षैतिज व्यापार
(B) उर्ध्वाधर व्यापार
(C) द्विपक्षीय व्यापार
(D) बहुपक्षीय व्यापार
उत्तर:
(B) उर्ध्वाधर व्यापार
27. व्यापारिक अनुबंधों में सामान्यीकृत प्रणाली से कार्य करने वाले देशों के समूह को कहा जाता है-
(A) व्यापार संघ
(B) प्रादेशिक व्यापार संघ
(C) यूरोपीय संघ
(D) दक्षिण एशिया प्रादेशिक सहयोग संघ
उत्तर:
(A) व्यापार संघ
28. बंदरगाह जो जंगी जहाजों के लिए काम करता है, उसे कहते हैं-
(A) तेल बंदरगाह
(B) आंतरिक पत्तन
(C) पोर्ट ऑफ काल
(D) नौ सैनिक पत्तन
उत्तर:
(D) नौ सैनिक पत्तन
29. जब आयात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है, तो व्यापार कहलाता है-
(A) व्यापार संतुलन
(B) ऋणात्मक व्यापार संतुलन
(C) धनात्मक व्यापार संतुलन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) धनात्मक व्यापार संतुलन
B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए
प्रश्न 1.
विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आयात-निर्यात को क्या कहते हैं?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार।
प्रश्न 2.
विश्व व्यापार संगठन (W.T.0.) की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1995 में।
प्रश्न 3.
जब एक ही क्षेत्र के निवासी वस्तु-विनिमय करते हैं, तो यह कौन-सा व्यापार है?
उत्तर:
स्थानीय व्यापार।
प्रश्न 4.
दो देशों के बीच वस्तुओं का विनिमय क्या कहलाता है?
उत्तर:
द्विपक्षीय व्यापार।
प्रश्न 5.
एक देश द्वारा दूसरे देश को वस्तुओं का भेजना, क्या कहलाता है?
उत्तर:
निर्यात।
प्रश्न 6.
विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
जेनेवा में।
प्रश्न 7.
किस महाद्वीप में विश्व व्यापार का सर्वाधिक प्रवाह होता है?
उत्तर:
उत्तरी अमेरिका में।
प्रश्न 8.
सार्क (SAARC) के सदस्य देशों की संख्या कितनी है?
उत्तर:
आठ।
प्रश्न 9.
आसियान के कोई दो सदस्य देशों के नाम लिखें।
उत्तर:
- मलेशिया
- इण्डोनेशिया।
प्रश्न 10.
जो पत्तन समुद्री मार्गों के मध्य विकसित होते हैं, उन्हें क्या कहा जाता है?
उत्तर:
पोर्ट ऑफ कॉल पत्तन।
प्रश्न 11.
हुगली नदी पर बना कोलकाता पत्तन किस प्रकार का पत्तन है?
उत्तर:
आंतरिक प्रकार का।
प्रश्न 12.
जिन पत्तनों पर तेल का आयात-निर्यात और परिष्करण होता है, उन्हें क्या कहा जाता है?
उत्तर:
तैल पत्तन।
प्रश्न 13.
कौन-से देश ने इलेक्ट्रॉनिक के सामान के व्यापार में विशिष्ट दक्षता प्राप्त की है?
उत्तर:
जापान ने।
प्रश्न 14.
जो पत्तन जंगी जहाजों के लिए काम करता है, उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
नौ सैनिक पत्तन।
प्रश्न 15.
सार्क देशों का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
काठमाण्डू (नेपाल) में।
प्रश्न 16.
व्यापार के दो प्रकार बताइए।
उत्तर:
- घरेलू व्यापार
- विदेशी व्यापार।
प्रश्न 17.
यूरोपीय संघ का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
ब्रूसेल्स में।
प्रश्न 18.
भारत किस प्रादेशिक व्यापार समूह का सदस्य है?
उत्तर:
साफ्टा (SAFTA)।
प्रश्न 19.
उस देश का नाम लिखें जहाँ व्यापारिक रूप से हर किसान सहकारी संस्था का सदस्य है?
उत्तर:
डेनमार्क।
प्रश्न 20.
आसियान का गठन कब हुआ और इसका मुख्यालय कहाँ है?
अथवा
आसियान समूह का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
गठन-वर्ष 1967 में; मुख्यालय-जकार्ता में।
प्रश्न 21.
विश्व व्यापार संगठन (W.T.0.) की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
15 अप्रैल, 1997 को।
प्रश्न 22.
यूरोपीय आर्थिक समुदाय (E.E.C.) का गठन कब हुआ?
उत्तर:
मार्च, 1957 में।
प्रश्न 23.
यूरोपीय आर्थिक समुदाय को कब ‘यूरोपीय संघ’ नाम दिया गया?
अथवा
यूरोपीय संघ का गठन कब हुआ?
उत्तर:
सन् 1992 में।
प्रश्न 24.
नाफ्टा का गठन कब हुआ?
उत्तर:
सन् 1988 में।
प्रश्न 25.
साफ्टा का गठन कब हुआ?
उत्तर:
सन् 2006 में।
प्रश्न 26.
ओपेक का गठन कब हुआ और इसका मुख्यालाय कहाँ है?
अथवा
ओपेक देशों के समूह का मुख्यालय कहाँ है?
उत्तर:
गठन-सन् 1949 में; मुख्यालय-वियना में।
प्रश्न 27.
किन्हीं दो प्रादेशिक व्यापार समूहों के नाम बताएँ।
उत्तर:
- आसियान
- साफ्टा।
प्रश्न 28.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का तोरण या अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रवेश द्वारा किसे कहा जाता है?
उत्तर:
पत्तन (Port) को।
प्रश्न 29.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार किसका परिणाम है?
उत्तर:
उत्पादन में विशिष्टीकरण का।
प्रश्न 30.
रेशम मार्ग किन दो देशों को आपस में जोड़ता है?
उत्तर:
चीन तथा दक्षिणी-पश्चिमी एशिया को।
प्रश्न 31.
अनुकूल व्यापार संतुलन से क्या तात्पर्य है?
अथवा
किसी देश का व्यापार संतुलन धनात्मक कब होता है?
उत्तर:
जब निर्यात का मूल्य आयात के मूल्य से अधिक हो तो उसे धनात्मक या अनुकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।
प्रश्न 32.
गैट (GATT) को कब विश्व व्यापार संगठन (WTO) में रूपांतरित किया गया?
उत्तर:
सन् 1995 में।
प्रश्न 33.
निम्नलिखित का पूर्ण रूप लिखें-
- WTO
- GATT
- OPEC
- EEC
- SAARC
- CIS
- COMECON
- EFTA
- ASEAN
- NAFTA
- SAFTA
- LAIA
उत्तर:
- WTO : World Trade Organisation
- GATT : General Agreement on Trade and Tariffs
- OPEC : Organisation of Petroleum Exporting Countries
- EEC : European Economics Community
- SAARC : South Asian Association of Regional Co-operation
- CIS : Common Wealth of Independent States
- COMECON : Council for Mutual Economic Assistance
- EFTA : European Free Trade Association
- ASEAN : Association of South East Asian Nations
- NAFTA : North American Free Trade Agreement
- SAFTA: South Asian Free Trade Area
- LAIA : Latin American Integration Association
अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्या है?
उत्तर:
विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आयात और निर्यात को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।
प्रश्न 2.
तटीय व्यापार क्या है?
उत्तर:
एक ही देश की बंदरगाहों के बीच होने वाला व्यापार तटीय व्यापार कहलाता है।
प्रश्न 3.
आयात क्या है?
उत्तर:
किसी दूसरे देश से किसी वस्तु या सेवा का अपने देश के लिए खरीदना आयात कहलाता है।
प्रश्न 4.
निर्यात क्या है?
उत्तर:
किसी वस्तु या सेवा का दूसरे देश में बेचना निर्यात कहलाता है।
प्रश्न 5.
उर्ध्वाधर व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब कोई देश एक वस्तु का दूसरे देश से आयात कर अपने यहाँ उपभोग कर किसी अन्य वस्तु का निर्माण कर उसे किसी दूसरे देश को निर्यात करे तो उसे उर्ध्वाधर व्यापार कहते हैं।
प्रश्न 6.
क्षैतिज व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब किसी उत्पाद का संपूर्ण कार्य एक ही देश में हो और उसे दूसरे देश में निर्यात किया जाए तो उसे क्षैतिज व्यापार कहते हैं।
प्रश्न 7.
संसार के पाँच सबसे बड़े व्यापारिक देशों के नाम बताइए।
उत्तर:
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- युनाइटेड किंगडम
- फ्रांस
- जर्मनी
- जापान।
प्रश्न 8.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के चार महत्त्वपूर्ण पक्ष कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
- व्यापार की मात्रा
- व्यापार की संरचना या संगठन
- व्यापार की दिशा
- व्यापार संतुलन।
प्रश्न 9.
व्यापार संघ क्या है?
उत्तर:
व्यापार संघ ऐसे देशों का समूह होता है जिनके बीच व्यापारिक शर्तों की सामान्यीकृन प्रणाली काम करती है।
प्रश्न 10.
ओपेक देशों के नाम बताइए।
उत्तर:
ओपेक देश 13 हैं इरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब, वेनेजुएला, अल्जीरिया, इक्वेडोर, इंडोनेशिया, लीबिया, नाइजीरिया, कतर, गैबन व संयुक्त अरब अमीरात (UAE)।
प्रश्न 11.
सार्क (SAARC) देशों के नाम बताइए।
उत्तर:
सार्क देश भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव और अफगानिस्तान हैं। ये आठ दक्षिण एशियाई देश हैं।
प्रश्न 12.
प्रतिकूल व्यापार संतुलन से क्या तात्पर्य है?
अथवा
किसी देश का व्यापार संतुलन ऋणात्मक कब होता है?
उत्तर:
जब निर्यात का मूल्य आयात के मूल्य से कम हो तो ऋणात्मक या प्रतिकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।
प्रश्न 13.
‘सैलेरी’ शब्द से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘सैलेरी’ शब्द लैटिन भाषा के शब्द “सैलेरिअम’ से बना है, जिसका अर्थ है-नमक के द्वारा भुगतान। क्योंकि उस समय समुद्र के जल से नमक बनाने का पता नहीं था : यही वजह है कि यह भुगतान का एक माध्यम बना।
प्रश्न 14.
विदेशी मुद्रा विनिमय क्या है?
उत्तर:
यह एक ऐसी प्रणाली है जिसके अंतर्गत एक देश की मुद्रा का दूसर देश की मुद्रा से अदल-बदल किया जाता है।
प्रश्न 15.
अंतर्देशीय पत्तन किसे कहते हैं? दो उदाहरण दें।
उत्तर:
ये पत्तन समुद्री तट से दूर अवस्थित होते हैं। ये समुद्र से एक नदी अथवा नहर द्वारा जुड़े होते हैं। ऐसे पत्तन चौरस तल वाले जहाज़ द्वारा ही गम्य होते हैं; जैसे मानचेस्टर, कोलकाता।
प्रश्न 16.
बाह्य पत्तन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ये गहरे जल के पत्तन हैं जो वास्तविक पत्तन से दूर बने होते हैं। ये उन जहाजों, जो अपने बड़े आकार के कारण उन तक पहुँचने में असमर्थ हैं, को ग्रहण करके पैतृक पत्तनों को सेवाएँ प्रदान करते हैं।
प्रश्न 17.
धनात्मक व्यापार संतुलन क्या होता है?
उत्तर:
किसी समयावधि में आयात एवं निर्यात के बीच मूल्यों के अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं। यदि किसी देश में आयात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है तो ऐसे देशों के व्यापार संतुलन को धनात्मक कहा जाता है। इसे अनुकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।
प्रश्न 18.
रेशम मार्ग किसे कहते हैं?
उत्तर:
रेशम मार्ग एक स्थलीय मार्ग है जो प्राचीनकाल में चीन तथा दक्षिणी पश्चिमी एशिया को व्यापारिक दृष्टि से जोड़ता था। इस मार्ग द्वारा कारवां रेशम, दाल चीनी, लोहे का सामान आदि अपने साथ व्यापार के लिए लेकर चलते थे। इस मार्ग पर प्राचीन नगरों के अवशिष्ट क्षेत्र अब भी दिखाई पड़ते हैं।
प्रश्न 19.
पारस्परिक आर्थिक सहयोग परिषद् (COMECON) के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
इस परिषद् का गठन पूर्वी यूरोप के सात देशों रूस, बुल्गेरिया, चेको-स्लोवाकिया, हंगरी, जर्मनी, पोलैंड तथा रोमानिया ने किया। इन देशों की परिषद् ने आर्थिक नियोजन के अंतर्गत ही व्यापार की नीतियों का निर्धारण किया है।
प्रश्न 20.
प्रादेशिक व्यापार समूह क्या होता है?
उत्तर:
प्रादेशिक व्यापार समूहों का जन्म भौगोलिक सामीप्य एवं समरूपता वाले देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने तथा विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबन्धों को हटाने के लिए हुआ है। वर्तमान में 120 व्यापार समूह विश्व के लगभग 52 प्रतिशत व्यापार का जनन कर रहे हैं। इन व्या समूहों का विकास प्रादेशिक व्यापार को गति देने में वैश्विक संगठनों के असफल होने के प्रत्युत्तर में हुआ है।
प्रश्न 21.
मुक्त व्यापार अथवा व्यापारिक उदारीकरण से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
व्यापार के लिए बिना किसी शर्त के अर्थव्यवस्थाओं को खोलने की प्रक्रिया को मुक्त व्यापार कहते हैं। इसको व्यापारिक उदारीकरण भी कहा जाता है।
प्रश्न 22.
व्यापारिक समूहों के निर्माण द्वारा राष्ट्रों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
- व्यापार की मदों में भौगोलिक समीपता, समरूपता व पूरकता प्राप्त होना।
- विभिन्न राष्ट्रों के बीच व्यापार बढ़ने व व्यापार पर प्रतिबंध हटाने में सहायता मिलना।
प्रश्न 23.
प्रादेशिक व्यापार समूहों का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
- व्यापार शुल्क को समाप्त करना या हटाना।
- मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना।
- व्यापार की मदों में भौगोलिक समीपता, समरूपता व पूरकता लाना।
- व्यापार को बढ़ावा देना और विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबंध हटाना आदि।
प्रश्न 24.
यूरोपीय संघ व्यापार समूह में कौन-से पाँच देश शामिल हैं?
उत्तर:
- ऑस्ट्रिया
- बेल्जियम
- डेनमार्क
- फ्रांस
- फिनलैंड आदि।
प्रश्न 25.
साफ्टा व्यापार समूह में शामिल किन्हीं पाँच देशों के नाम बताएँ।
उत्तर:
- बांग्लादेश
- मालदीव
- भूटान
- नेपाल
- भारत
प्रश्न 26.
आसियान व्यापार समूह में शामिल किन्हीं पाँच देशों के नाम बताएँ।
उत्तर:
- ब्रुनेई
- इंडोनेशिया
- मलेशिया
- सिंगापुर
- थाइलैंड।
प्रश्न 27.
प्रादेशिक व्यापार समूह के कोई चार संगठन बताएँ।
उत्तर:
- ओपेक
- आसियान
- साफ्टा
- नाफ्टा।
प्रश्न 28.
विनिमय व्यवस्था (Barter System) क्या होती है?
अथवा
वस्तु विनिमय से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आदिम समाज में व्यापार का आरम्भिक रूप विनिमय व्यवस्था (Barter System) थी जिसमें बिना मुद्रा के वस्तुओं के विनिमय द्वारा ही व्यापार होता था अर्थात् वस्तु के बदले वस्तु ही दी जाती थी। यह व्यवस्था आज भी विश्व की आदिवासी जातियों में प्रचलित है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
व्यापार कितने प्रकार के होते हैं? वर्णन करें।
उत्तर:
व्यापार निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं-
- स्थानीय व्यापार-इसमें एक ही क्षेत्र के निवासी वस्तुओं का आदान-प्रदान करते हैं।
- क्षेत्रीय व्यापार-इसमें एक से दूसरे क्षेत्र में वस्तुओं का आदान-प्रदान होता है। इसे देशी व्यापार भी कहते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार-इसमें विभिन्न देश आपस में व्यापार करते हैं।
प्रश्न 2.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कितने प्रकार के होते हैं? वर्णन करें।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार दो प्रकार का हो सकता है-
- द्विपक्षीय व्यापार-इसमें दो देशों के बीच वस्तुओं का विनिमय होता है। ऐसा तभी संभव होता है जब एक देश औद्योगिक उत्पादों के बदले कच्चे माल या ऊर्जा का विनिमय करे।
- बहुपक्षीय व्यापार-इसमें वस्तुओं और सेवाओं का कई देशों के बीच विनिमय होता है।
प्रश्न 3.
व्यापार संतुलन क्या है? यह कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:
व्यापार संतुलन-किसी समयावधि में आयात एवं निर्यात के बीच मूल्यों के अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं। प्रकार-व्यापार संतुलन दो प्रकार का होता है-
- धनात्मक व्यापार संतुलन-यदि किसी देश में आयात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है तो ऐसे देशों के व्यापार संतुलन को धनात्मक कहा जाता है। इसे अनुकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।
- ऋणात्मक व्यापार संतुलन यदि किसी देश में निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा आयात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है तो उस देश का व्यापार संतुलन ऋणात्मक कहा जाता है। इसे विलोम व्यापार संतुलन या प्रतिकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।
प्रश्न 4.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास का मापदंड क्यों होता है?
उत्तर:
वर्तमान युग व्यापार का युग है। किसी भी देश का आर्थिक विकास उस देश द्वारा किए गए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर निर्भर करता है। प्रौद्योगिकी तथा यातायात के साधनों में विकास के कारण व्यापार में काफी वृद्धि हुई है। जब कोई राष्ट्र अपनी उत्पादक वस्तुओं का निर्यात करता है तो विदेशी मुद्रा अर्जित करता है तथा संपन्नता को प्राप्त करता है। इसलिए अब विश्व में बड़े-बड़े व्यापारिक देश उन्नति के शिखर पर पहुँचकर विकसित देश बन गए हैं। औद्योगिक विकास होने के कारण कई देश दूसरे देशों का कच्चा माल निर्यात करते हैं तथा विदेशी मुद्रा प्राप्त करते हैं जिससे उस देश के लोगों के रहन-सहन तथा जीवन-स्तर में प्रगति होती है। कच्चा माल आयात करने वाले देश निर्मित वस्तुओं का निर्यात कर मुद्रा अर्जित करते हैं। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार किसी भी देश की आर्थिक संपन्नता का मापदंड है।
प्रश्न 5.
पत्तन को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार कहते हैं। क्यों?
उत्तर:
पत्तन आयात तथा निर्यात करने के क्षेत्र हैं। ये अपने पृष्ठ क्षेत्र से यातायात के साधनों द्वारा जुड़े होते हैं। यहाँ स्थल मार्गों द्वारा विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ आती हैं जिन्हें सागरीय मार्ग द्वारा दूसरे देशों में भेजा जाता है तथा अन्य देशों से आयात किया गया माल इन पत्तनों द्वारा ही पृष्ठ देश में भेजा जाता हैं। इसलिए पत्तन अन्य देशों से आए माल के लिए प्रवे: देश के माल को अन्य देशों में भेजने के लिए निकास द्वार का कार्य करता है। इस प्रकार पत्तन के द्वारा ही आयात-निर्यात का कार्य होता है। इसलिए पत्तन को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के द्वार कहते हैं। .
प्रश्न 6.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का जन-जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का जन-जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है-
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से कुछ देशों का शोषण होने लगता है और वाणिज्यिक प्रतिस्पर्धा कई बार राष्ट्रों को युद्धों की ओर धकेल देती है।
- वैश्विक व्यापार पर्यावरण, लोगों के स्वास्थ्य व कल्याण के साथ-साथ जीवन के अन्य अनेक पक्षों को प्रभावित करता है। आज ज्यादातर देश विश्व व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बरकरार रखने अथवा उसे बढ़ाने के लिए प्रतिस्पर्धी बनते जा
- उपभोगवादी जीवन-शैली के चलते समुद्री जीवन तेजी से नष्ट हो रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है और नदी बेसिन पेयजल कंपनियों को बेचते जा रहे हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को बढ़ावा मिलता है। प्रदूषण से जन-जीवन बहुत प्रभावित होता है।
प्रश्न 7.
दक्षिण-एशियाई मुक्त व्यापार समझौते (SAFTA) का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
दक्षिण एशियाई देशों में आपसी सहयोग, सहभागिता तथा समन्वय बढ़ाने के उद्देश्य से जिस प्रकार आठ देशों (भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका व भूटान) का ‘सार्क’ (SAARC) संगठन वर्ष 1985 में अस्तित्व में आया था। उसी तर्ज पर इस क्षेत्र में परस्पर आर्थिक तथा व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए मई, 1995 में नई दिल्ली में सार्क देशों की बैठक के दौरान ‘दक्षिण एशियाई वरीयता व्यापार समझौता’ (South Asian Preferential Trading Agreement-SAPTA) अस्तित्व में आया। इसके तहत सार्क देशों के बीच प्रारम्भ में 226 वस्तुओं के व्यापार पर 10 फीसदी से 100 फीसदी तक की रियायत प्रशुल्क दरें लगाने की व्यवस्था की गई है, जबकि सर्वाधिक 106 वस्तुओं पर रियायत भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई।
सार्क बैठक के दौरान सदस्य देशों के शासनाध्यक्षों द्वारा 5-7 जनवरी, 2004 को इस्लामाबाद में हस्ताक्षरित एक संधि के द्वारा ‘दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार संधि’ (SAFTA) अस्तित्व में आया, जबकि 1 जनवरी, 2006 से SAFTA’ को प्रभावी माना गया। इसके अन्तर्गत प्रशुल्कों को न्यूनतम दर पर लाकर गैर-प्रशुल्कीय बाधाओं को दूर किया जाना शामिल है। प्रतिवर्ष तकरीबन 20 बिलियन डॉलर व्यापार वाले क्षेत्र सार्क में तमाम ऐसी सम्भावनाएँ तथा विशेषताएँ मौजूद हैं जिनका दोहन कर आपसी सामाजिक-आर्थिक विषमताओं तथा समस्याओं को दूर किया जा सकता है। मगर क्षेत्र में लम्बे समय से चल रहे राजनीतिक गतिरोध के कारण इस समझौते के अधिकतम लाभ नहीं मिल पाए हैं।
दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार संधि के तहत समस्त सदस्य देशों को संवेदनशील सूची में क्रमबद्ध तरीके से कमी लाने पर सहमति बनी है। मालदीव अपनी संवेदनशील सूची में 681 प्रशुल्क लाइनों (Tariff Lines) को 78 प्रतिशत कम करके 152 प्रशुल्क लाइनों पर ले आया है। भारत द्वारा क्षेत्र के अल्पविकसित देशों के लिए संवेदनशील सूची की 480 प्रशुल्क लाइनों को 95 प्रतिशत कम करके 25 प्रशुल्क लाइनों के स्तर पर लाया गया है।
प्रश्न 8.
विश्व व्यापार संगठन (WTO) का वर्णन कीजिए।
अथवा
विश्व व्यापार संगठन क्या है? इसके आधारभूत कार्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
सन् 1994 में सदस्य देशों द्वारा राष्ट्रों के बीच मुक्त एवं निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देने के लिए स्थायी संस्था के गठन का निर्णय लिया गया तथा 1 जनवरी, 1995 से गैट (GATT) को विश्व व्यापार संगठन में रूपान्तरित कर दिया गया। इस प्रकार विश्व व्यापार संगठन एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो संयुक्त राष्ट्र के अधीन है। सन् 1995 में इसके सदस्य देशों की संख्या 124 थी जो वर्तमान में बढ़कर 164 हो गई है।
विश्व व्यापार संगठन के कार्य-विश्व व्यापार संगठन के कार्य निम्नलिखित हैं-
- यह एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो राष्ट्रों के मध्य वैश्विक नियमों को लागू करता है। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न सदस्य देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को निबोध रूप से विकसित करना है।
- यह विश्वव्यापी व्यापार तंत्र के लिए टैरिफ और गैर टैरिफ बाधाओं को दूर करने के लिए नियम बनाता है।
- विश्व व्यापार संगठन वस्तु व्यापार, सेवा व्यापार; जैसे दूरसंचार व बैंकिंग, आदि विषयों को अपने कार्यों में सम्मिलित करता है।
- यदि कोई सदस्य देश समझौतों और नियमों का पालन नहीं करता तो उसकी शिकायत विवाद निपटारा समिति को की जाती है।
- यह संगठन विश्व व्यापार नीति निर्माण में समन्वय लाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक को सहयोग करता है।
प्रश्न 9.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आयातक एवं निर्यातक दोनों देशों के लिए लाभदायक होता है। व्याख्या करें।
उत्तर:
दो या दो से अधिक देशों का आपस में वस्तुओं तथा सेवाओं का आदान-प्रदान करना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है। एक देश दूसरे देश को उसकी आवश्यकता की वस्तुएँ भेजता है तथा बदले में उससे अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ मंगवा लेता है। कोई भी देश जो किसी विशिष्ट वस्तु का उत्पादन अधिक करता है, वह उन्हें अन्य देशों को निर्यात करता है, जिससे उसे विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। कुछ देशों में वस्तुओं की खपत की तुलना में उत्पादन कम होता है। वे अन्य देशों से उन वस्तुओं का आयात कर लेते हैं। उन देशों की अर्थव्यवस्था आयात किए गए कच्चे माल पर आधारित होती है। इस कच्चे माल से वे निर्मित वस्तुएँ बनाकर निर्यात कर देते हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आयातक एवं निर्यातक देशों के लिए लाभदायक होता है।
प्रश्न 10.
पत्तनों का नौभार के आधार पर वर्गीकरण करें।
उत्तर:
नौभार के आधार पर पत्तनों का वर्गीकरण निम्नलिखित है-
- सवारी पत्तन-ये सवारी लाइनर के ठहरने के पत्तन होते हैं जो आन्तरिक भाग से रेल व सड़क मार्गों से जुड़े होते हैं। मुम्बई, लंदन व न्यूयॉर्क ऐसे ही सवारी पत्तन हैं।
- वाणिज्यिक पत्तन-इन पत्तनों से आयात-निर्यात किया जाता है। इनमें से कुछ पत्तनों पर सवारियाँ भी उतारी-चढ़ाई जाती हैं। कई वाणिज्य पत्तन मत्स्यन जलपोतों को भी आश्रय देते हैं।
- विस्तृत पत्तन-ये वे पत्तन हैं जो बड़े परिमाण वाले तथा सामान्य नौभार को थोक में हैण्डल करते हैं। विश्व के अधिकांश महान् पत्तन विस्तृत पत्तनों के रूप में वर्गीकृत किए गए हैं।
- औद्योगिक पत्तन-ये पत्तन थोक नौभार के लिए विशेषीकृत होते हैं।
प्रश्न 11.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण होने वाली किन्हीं चार हानियों का उल्लेख करें।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के कारण होने वाली हानियाँ निम्नलिखित हैं-
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से प्राकृतिक संसाधनों का उत्पादन बढ़ जाता है। इससे इनका इतनी तेजी से दोहन होता है कि इनकी पुनः पूर्ति नहीं हो पाती।
- इससे विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को बढ़ावा मिलता है।
- शोषण और व्यापारिक प्रतिद्वन्द्विता से विश्व में युद्ध की आशंका रहती है।
- इससे विकास के वितरण में असमानता हो जाती है।
प्रश्न 12.
निम्नलिखित में अंतर स्पष्ट करें-
(क) उर्ध्वाधर व्यापार और क्षैतिज व्यापार
(ख) बाह्य पत्तन और आंतरिक पत्तन
(ग) अनुकूल व्यापार संतुलन और प्रतिकूल व्यापार संतुलन
(घ) द्विपक्षीय व्यापार और बहुपक्षीय व्यापार।।
उत्तर:
(क) उर्ध्वाधर व्यापार और क्षैतिज व्यापार में अन्तर-
उर्ध्वाधर व्यापार | क्षैतिज व्यापार |
जब कोई देश एक वस्तु का दूसरे देश से आयात कर अपने यहाँ उपभोग कर किसी अन्य वस्तु का निर्माण कर उसे किसी दूसरे देश को निर्यात करे उसे उर्ध्वाधर व्यापार कहते हैं। | जब किसी उत्पाद का संपूर्ण कार्य एक ही देश में हो और उसे दूसरे देश में निर्यात किया जाए तो उसे क्षैतिज व्यापार कहते हैं। |
(ख) बाह्य पत्तन और आंतरिक पत्तन में अन्तर-
बाह्य पत्तन | आंतरिक पत्तन |
1. ये गहरे समुद्र में बनाए जाते हैं। | 1. ये पत्तन समुद्र तट से दूर होते हैं। परंतु किसी नदी या नहर द्वारा समुद्र से जुड़े होते हैं। |
2. इनका आकार बड़ा होता है। ऐसे जहाज जो वास्तविक पत्तन तक नहीं पहुंच पाते, उन्हें बाह्य पत्तन लंगर डालने की सुविधा प्रदान कर वास्तविक पत्तन तक पहुंचाने में सहायता करता है। | 2. इनका आकार छोटा होता है। ये पत्तन चपटे तलों वाले जहाजों के लिए बनाए जाते हैं। |
(ग) अनुकूल व्यापार संतुलन और प्रतिकूल व्यापार संतुलन में अन्तर-
अनुकूल व्यापार संतुलन | प्रतिकूल व्यापार संतुलन |
जब किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक हो तो इसे उस देश का अनुकूल व्यापार संतुलन कहा जाएगा। | जब किसी देश का आयात उसके निर्यात से अधिक हो तो इसे उस देश का प्रतिकूल संतुलन व्यापार कहा जाएगा। |
(घ) द्विपक्षीय व्यापार और बहुपक्षीय व्यापार में अन्तर-
द्विपक्षीय व्यापार | बहुपक्षीय व्यापार |
1. इसमें दो देशों के बीच व्यापार होता है। | 1. ये पत्तन समुद्र तट से दूर होते हैं। परंतु किसी नदी या नहर द्वारा समुद्र से जुड़े होते हैं। |
2. इसमें एक देश अपने दूसरे मित्र व्यापारिक देश से ही व्यापार करता है। | 2. इसमें एक देश अनेक देशों से व्यापार कर सकता है। |
3. द्विपक्षीय व्यापार में लगभग व्यापार दो देशों के अन्तर्गत ही सीमित है। | 3. विकासशील देश अनेक देशों में अपना व्यापार बढ़ाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं। |
प्रश्न 13.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के इतिहास पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
प्राचीन समय में व्यापार स्थानीय बाज़ार तक ही सीमित था। लोग तब अपने संसाधनों का अधिकांश भाग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं-रोटी, कपड़ा और मकान पर खर्च करते थे। केवल धनी लोग ही आभूषण और महंगे वस्त्र खरीदते थे। रोमन साम्राज्य के विखंडन के बाद 12वीं व 13वीं शताब्दी के दौरान यूरोपीय वाणिज्य को बढ़ावा मिला। 15वीं शताब्दी से यूरोपीय उपनिवेशवाद शुरू हुआ और विदेशी वस्तुओं के साथ जो व्यापार आरंभ हुआ उसे दास व्यापार कहा गया।
औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् कच्चे माल; जैसे अनाज, मांस, ऊन की माँग बढ़ने लगी, लेकिन विनिर्माण की वस्तुओं की तुलना में उनका मौद्रिक मूल्य कम हो गया। औद्योगिक राष्ट्रों ने कच्चे माल के रूप में प्राथमिक उत्पादों का आयात किया व तैयार माल को अनौद्योगीकृत राष्ट्र को निर्यात कर दिया।
19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में प्राथमिक वस्तुओं का उत्पादन करने वाले प्रदेश अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं रहे और औद्योगिक राष्ट्र एक-दूसरे के मुख्य ग्राहक बन गए। प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार राष्ट्रों ने व्यापार कर और प्रतिबंध लगाए। विश्वयुद्ध के बाद के समय के दौरान विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने शुल्क घटाने में सहायता की।
प्रश्न 14.
व्यापार का परिमाण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्त्वपूर्ण पक्ष क्यों है? वर्णन करें।
उत्तर:
व्यापार की गई वस्तुओं के वास्तविक तौल को व्यापार का परिमाण कहा जाता है। हालांकि तौल से मूल्य का सही-सही ज्ञान कभी नहीं हो पाता और न ही व्यापारिक सेवाओं को तौल में मापा जा सकता है। इसलिए व्यापार की गई कुल वस्तुओं तथा सेवाओं के कल मूल्य को व्यापार के परिमाण के रूप में जाना जाता है। इस परिमाण प्रक्रिया से ही व्यापार की स्थिति का पता चलता है। इसी कारण यह पक्ष अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्त्वपूर्ण पक्ष है।
प्रश्न 15.
पत्तन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समुद्र तट पर स्थित वह स्थलीय भाग जहाँ जहाजों को ठहरने, उनमें सामान लादने तथा उतारने, यात्रियों को ठहरने तथा सामान को सुरक्षित रखने के लिए माल गोदाम आदि सुविधाएँ होती हैं, उन्हें पत्तन कहते हैं। इन स्थानों पर जहाजों को खड़ा करने की सुरक्षित जगह होती है। वास्तव में ये अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार होते हैं, जहाँ से जहाजों की यात्रा आरंभ होती है तथा पुनः इसी जगह पर समाप्त होती है। ये स्थल तथा समुद्र के संगम पर द्वार की भांति होते हैं। किसी भी पत्तन का विकास उसके पृष्ठ प्रदेश (Winter Land) पर आधारित होता है। उसका पृष्ठ प्रदेश जितना अधिक समृद्धशाली होगा, वह पत्तन उतना ही अधिक वस्तुओं का व्यापार करेगा तथा उसका आकार भी विस्तृत होगा। पत्तन देश के आंतरिक भागों से सड़कों, रेलमार्गों तथा वायुमार्गों द्वारा भी जुड़े हैं। उदाहरणार्थ, न्यूयार्क, मुंबई (बंबई), कोलकाता, शंघाई, सिडनी आदि। विश्व में व्यापार की बढ़ती हुई प्रवृत्ति तथा जनसंख्या वृद्धि के कारण पत्तनों की भी विशिष्टता है।
दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्या होता है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के क्या आधार हैं? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कई कारकों पर निर्भर करता है, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-
1. प्राकृतिक संसाधनों की विविधता-विश्व में धरातलीय एवं भूगर्भिक संरचना, जलवायु तथा मिट्टी आदि की विभिन्नताओं के कारण प्राकृतिक संसाधनों में भी विभिन्नताएँ मिलती हैं। इस कारण कुछ देशों में आवश्यकता से अधिक संसाधन मिलते हैं और कुछ देशों में बहुत कम संसाधन मिलते हैं, इस प्रकार संसाधनों की विभिन्न मात्रा में उपलब्धि व्यापार का महत्त्वपूर्ण आधार है।
2. वस्तुओं का अतिरेक उत्पादन-किसी देश में यदि वस्तु का उत्पादन अधिक होता है तो उसे दूसरे देशों को निर्यात किया जाता है तथा बदले में अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ आयात की जाती हैं; जैसे भारत में चाय, ब्राजील में कहवा, बांग्लादेश में पटसन, मलाया में रबड़, ऑस्ट्रेलिया में ऊन तथा नार्वे और स्वीडन में कागज आदि। इसलिए ये देश इन वस्तुओं का निर्यात करते हैं तथा निर्मित वस्तुएँ यूरोपीय देशों तथा अमेरिका से आयात करते हैं।
3. वस्तुओं तथा सेवाओं का अभाव आज विश्व का कोई भी देश आत्म-निर्भर नहीं है। उसको किसी-न-किसी वस्तु या सेवा के लिए दूसरे देश पर निर्भर रहना पड़ता है। जापान तथा ब्रिटेन जैसे विकसित देशों को भी कच्चे माल के लिए विदेशों का मंह ताकना पड़ता है। जापान तथा ब्रिटेन को उद्योगों के लिए कोयला, खनिज तेल, लोहा, चाय तथा चीनी के लिए विकासशील देशों पर आश्रित रहना पड़ता है। 12 मई तथा 13 मई 1998 को भारत ने पोखरण में 5 परमाणु परीक्षण किए तो संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी दी। इससे साफ जाहिर है कि भारत को प्रौद्योगिकी तथा अन्य वस्तुओं के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका पर निर्भर रहना पड़ता है। हमारे पास पर्याप्त संसाधन होते हुए भी हमारी कुछ-न-कुछ निर्भरता विदेशों पर है।
4. परिवहन तथा संचार के साधनों का विकास वस्तुओं तथा सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए विकसित यातायात तथा संचार के साधनों का होना आवश्यक है। देश के आंतरिक भागों से बंदरगाहों तक पहुंचने के लिए सड़क तथा रेल यातायात तथा विदेशों में भेजने के लिए समुद्री परिवहन तथा वायु परिवहन का विकास आवश्यक है। भारी वस्तुएँ; जैसे खनिज पदार्थ (कोयला, लोहा आदि) को जलपोतों द्वारा तथा हल्की एवं बहुमूल्य वस्तुओं को वायु यातायात द्वारा भेजा जाता है; जैसे दूध, घी, मक्खन, फल, सब्जी इनके लिए वायु यातायात के साधनों का विकास करके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिलता है।
5. आर्थिक विकास तथा जीवन-स्तर-विश्व के औद्योगिक रूप से संपन्न देशों में कच्चे माल की कमी है लेकिन वे विदेशों से मंगवाकर इसकी पूर्ति करते हैं क्योंकि उनकी क्रय-शक्ति अधिक है। जापान तथा जर्मनी विदेशों से कच्चा माल आयात कर उद्योग संचालित करते हैं तथा ऊंचे दामों पर मशीनें तथा अन्य निर्मित सामान विकासशील देशों को बेचते हैं जिससे अधिक लाभ कमाते हैं और जीवन-स्तर ऊंचा रखते हैं।
6. सांस्कृतिक विशेषताएँ दुनिया के कुछ देश ऐसे हैं जो अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं के आधार पर कुछ विशिष्ट वस्तुओं का उत्पादन करते हैं तथा निर्यात भी करते हैं तथा उन वस्तुओं की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मांग अधिक है; जैसे भारत का हथकरघा तथा हौजरी का सामान, चीन का रेशम, जापान के खिलौने, ईरान के कालीन आदि। इन वस्तुओं की विदेशों में अधिक मांग है और यदि ये देश इन वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाएँ तो बहुत बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकते हैं।
7. युद्ध और शांति युद्ध और शांति का भी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। युद्ध के दौरान कोई भी देश उस देश से व्यापार संबंध तथा वस्तुएँ नहीं भेजता क्योंकि उसे सामान के लूटे जाने तथा क्षतिग्रस्त होने का भय रहता है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को शांति से ही प्रोत्साहन मिलता है। खाड़ी युद्ध के दौरान कोई भी देश इराक से व्यापारिक संबंध बनाने तथा अपनी वस्तुओं को आसानी से निर्यात करने को सहमत नहीं था।
8. व्यापारिक नीति-व्यापार पर प्रतिबंध लगाने से व्यापार पर प्रतिकल प्रभाव पड़ता है। जो देश स्वतंत्र व्यापार की नीति अपनाते हैं, उनका व्यापार बहुत बढ़ जाता है। भारत ने तिलहनों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसी प्रकार अनेक उद्योगों को प्रोत्साहन तथा संरक्षण देने के उद्देश्य से भारत सरकार ने कई वस्तुओं के आयात पर भारी कर लगाए हैं जिससे उनका आयात बंद या बहुत कम मात्रा में होता है।
9. राजनीतिक संपर्क-राजनीतिक संपर्क एवं मित्रता का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर प्रभाव पड़ता है। विश्व के साम्यवादी देश, चीन, हंगरी, यूगोस्लाविया तथा पूर्व सोवियत संघ आपस में ही व्यापारिक संबंध रखना चाहते थे। इन देशों का आपसी लेन-देन होता था। इसी प्रकार मध्य पूर्व के देशों में पहले ब्रिटेन का प्रभाव अधिक था। उसके साथ व्यापारिक संबंध थे लेकिन अब ये देश संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभाव में अधिक हैं। उससे ही अधिकांश व्यापार करना चाहते हैं। इसलिए अमेरिका बार-बार खाड़ी के देशों को आर्थिक प्रतिबंधों की धमकी देता है।
प्रश्न 2.
पत्तनों (Port) का वर्गीकरण कीजिए।
अथवा
विभिन्न आधारों में पत्तनों का वर्गीकरण कीजिए।
अथवा
पत्तन कितने प्रकार के होते हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पत्तनों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधारों पर किया जाता है-
I. अवस्थिति के आधार पर पत्तनों का वर्गीकरण/प्रकार – अवस्थिति के आधार पर पत्तनों के प्रकार निम्नलिखित हैं
- अंतर्देशीय पत्तन-ये पत्तन समुद्री तट से दूर अवस्थित होते हैं। ये समुद्र से एक नदी अथवा नहर द्वारा जुड़े होते हैं। ऐसे पत्तन चौरस तल वाले जहाज़ द्वारा ही गम्य होते हैं। उदाहरणतया मानचेस्टर, कोलकाता।
- बाह्य पत्तन-ये गहरे जल के पत्तन हैं जो वास्तविक पत्तन से दूर बने होते हैं। ये उन जहाजों, जो अपने बड़े आकार के कारण उन तक पहुँचने में असमर्थ हैं, को ग्रहण करके पैतृक पत्तनों को सेवाएँ प्रदान करते हैं।
II. निपटाए गए नौभार के आधार पर पत्तनों का वर्गीकरण/प्रकार-निपटाए गए नौभार के आधार पर पत्तनों के प्रकार निम्नलिखित हैं
- सवारी पत्तन-ये सवारी लाइनर के ठहरने के पत्तन होते हैं जो आन्तरिक भाग से रेल व सड़क मार्गों से जुड़े होते हैं। मुम्बई, लंदन व न्यूयॉर्क ऐसे ही सवारी पत्तन हैं।
- वाणिज्यिक पत्तन-इन पत्तनों से आयात-निर्यात किया जाता है। इनमें से कुछ पत्तनों पर सवारियाँ भी उतारी-चढ़ाई जाती हैं। कई वाणिज्य पत्तन मत्स्यन जलपोतों को भी आश्रय देते हैं।
- विस्तृत पत्तन-ये वे पत्तन हैं जो बड़े परिमाण वाले तथा सामान्य नौभार को थोक में हैण्डल करते हैं। विश्व के । अधिकांश महान् पत्तन विस्तृत पत्तनों के रूप में वर्गीकृत किए गए हैं।
- औद्योगिक पत्तन-ये पत्तन थोक नौभार के लिए विशेषीकृत होते हैं।
III. विशिष्टीकृत कार्यकलापों के आधार पर पत्तनों का वर्गीकरण/प्रकार-विशिष्टीकृत कार्यकलापों के आधार पर पत्तनों के प्रकार निम्नलिखित हैं
1. आंत्रपो पत्तन ये पत्तन एक देश के माल को दूसरे देश में भेजने का कार्य करते हैं। इन पत्तनों पर जो माल आता है, उसका गंतव्य अन्य देश होते हैं।
2. मार्ग या विश्राम पत्तन ये ऐसे पत्तन होते हैं जो मूल रूप से मुख्य समुद्री मार्गों पर विश्राम केंद्र के रूप में विकसित हुए।
3. पैकेट स्टेशन इन पत्तनों का प्रयोग छोटे समुद्री मार्ग वाले यात्रियों को उतारने तथा चढ़ाने के लिए किया जाता है। इनमें डाक लाने तथा ले जाने की भी सुविधा होती है। इन्हें नौका पत्तन (Ferry Port) भी कहा जाता है। इनका नामकरण छोटे जहाजों के आधार पर पैकेट स्टेशन रखा गया : ब्रिटिश चैनल के एक ओर डोबर (इंग्लैंड) तथा दूसरी ओर कैलेस (फ्रांस) इस प्रकार के पैकेट स्टेशन पोर्ट हैं।
4. नौ सेना पत्तन-सामरिक दृष्टि से इनका अत्यधिक महत्त्व होता है। इनमें नौसेना के लड़ाकू विमानों के ठहरने तथा उनके प्रशिक्षण और मुरम्मत की व्यवस्था होती है।
5. तैल पत्तन-20वीं शताब्दी में तेल का ऊर्जा के रूप में अधिक महत्त्व होने के कारण ऐसे पत्तन विकसित किए गए जहाँ तेल वाहक टैंकर ठहर सकें। इन्हें टैंकर पोर्ट भी कहते हैं। इन पत्तनों से तेल का आयात-निर्यात किया जाता है। कुछ तैल पत्तनों पर परिष्करण शालाएँ (तल शोधन शालाएँ) भी स्थापित की गई हैं। ये पत्तन तेल की पाइप लाइनों द्वारा तेल क्षेत्र से जुड़े होते हैं। वेनेजुएला में माराकायबो, लेबनॉन में ट्रिपोली तथा फारस की खाड़ी पर परिष्करणशाला या तैल पत्तन हैं।
प्रश्न 3.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की नूतन प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए। अथवा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की नूतन प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं-
(1) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के स्वरूप में अत्यधिक परिवर्तन आए हैं। पहले जनसंख्या कम थी तथा लोगों की आवश्यकताएँ भी सीमित थीं। देश या क्षेत्र उत्पादित वस्तुओं से ही अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर लेते थे, लेकिन जनसंख्या वृद्धि के साथ-साथ आत्म-निर्भरता कम होती गई। पहले व्यापार बहुत कम या सीमित वस्तुओं का होता था जिनमें अधिकांश बहुमूल्य वस्तुएँ: जैसे हीरा, सोना, चांदी. जवाहरात आदि का ही या विलासिता की वस्तुएँ; जैसे कहवा, चाय तथा चीनी का व्यापार होता था।
17वीं और 18वीं शताब्दी में उपनिवेशवाद के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का स्वरूप भी परिवर्तित हुआ। शासकों ने उपनिवेशों से प्राकृतिक संसाधनों का (कच्चे माल के रूप में) शोषण कर अपने देश ले जाना आरंभ किया तथा अपना औद्योगिक विकास मजबूत किया और निर्मित वस्तुओं को ऊँची कीमत पर उपनिवेशों को बेचना आरंभ किया।
(2) 18वीं शताब्दी की औद्योगिक क्रांति ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की संरचना में मूलभूत परिवर्तन किए। विलासिता एवं बहुमूल्य वस्तुओं के स्थान पर खनिज पदार्थो तथा ऊजा के संसाधनों (कोयला, पेट्रोल) आदि का व्यापार होने लगा। औद्योगिक देशों से निर्मित माल कम विकसित और विकासशील देशों को भेजा जाने लगा। विकासशील देश इन औद्योगिक देशों से मशीनें, इंजीनियरिंग का सामान तथा इलेक्ट्रॉनिक्स सामान आयात करने लगे। विकासशील देश विभिन्न कृषि उपजें; जैसे रबड़, कहवा, चाय, चीनी, मसाले, रेशम आदि का निर्यात कर अपनी राष्ट्रीय आय में वृद्धि करने लगे। व्यापार संतुलन बनाने के प्रयास जारी किए गए। इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन मिला।
(3) 20वीं शताब्दी में उपनिवेश देशों को स्वतंत्रता मिल गई। इन देशों में आर्थिक विकास के स्तर को ऊँचा करने, लोगों के जीवन-स्तर में सुधार के अनेक प्रयास किए गए। प्राथमिक व्यवसायों के अतिरिक्त उद्योगों को भी प्रोत्साहित करने के प्रयास किए गए। ताकि अधिकतर कच्चा माल निर्यात करने की बजाय उद्योगों में वस्तुओं का निर्माण किया जाए। औद्योगिक विकास के लिए अनेक प्रोत्साहन तथा संरक्षण दिए गए जिससे औद्योगिक विकास की गति भी तीव्र हुई और अब विकासशील देश अपना सारा कच्चा माल विदेशों में भेजने की बजाय स्वयं उसका अधिकतर उपयोग करने लगे तथा वस्तुओं का निर्माण शुरू किया जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का स्वरूप परिवर्तित हो गया।
(4) परिणामस्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का एक ऐसा स्वरूप सामने आया जिसमें उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों से शीतोष्ण कटिबन्धीय औद्योगिक देशों की और कम मूल्य वाले प्राथमिक उत्पादों; जैसे कपास, वनस्पति, खाद्यान्न, ऊन, रबड़, चाय, तेल, खनिज व कहवा आदि का निर्यात तथा शीतोष्ण कटिबन्धीय देशों से उष्ण कटिबन्धीय देशों को अधिक मूल्य वाले पदार्थो; जैस रासायनिक उत्पाद, मशीनरी, वस्त्र, मोटर, दवाइयों आदि का निर्यात होने लगा।
(5) कच्चा तेल, मशीनें तथा खनिज पदार्थ एवं परिवहन उत्पाद अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्वपूर्ण बनते जा रहे हैं।
(6) विकसित गष्ट्रों का आयात-निर्यात बढ़ रहा है तथा अधिकांश देशों में व्यापार-सन्तुलन धनात्मक है जबकि विकासशील देशों का व्यापार-सन्तुलन निरन्तर बिगड़ रहा है। किंतु विश्व के पेट्रोल निर्यातक देश इसके अपवाद हैं।
(7) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संवर्धन (Promotion) के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं; जैसे विश्व व्यापार संगठन (WTO) एवं राष्ट्र व्यापार संघ व्यापार एवं विकास संस्था (UNCTAD) के होने के बाद भी विभिन्न राष्ट्रों द्वारा अपने हितों की रक्षा के लिए व्यापार संघों तथा क्लबों में लामबन्द होना अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की एक नई प्रवृत्ति सामने आई है।
प्रश्न 4.
विश्व के विभिन्न प्रादेशिक व्यापार समूहों का वर्णन कीजिए।
अथवा
विश्व के किन्हीं चार प्रादेशिक व्यापार समूहों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्व के विभिन्न प्रादेशिक व्यापार समूह संघ/समूह निम्नलिखित हैं-
1. गैट-गैट (General Agreement on Trade and Tariffs-GATT) की स्थापना सन् 1948 में जेनेवा में हुई थी जिसका मुख्य उद्देश्य व्यापार के प्रतिबंधों को कम करके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि करना था। दूसरे विश्वयुद्ध के पश्चात् गैट ने भूमंडलीय
आर्थिक क्रान्ति को बढ़ावा दिया।
2. विश्व व्यापार संगठन-सन् 1995 में GATT का नाम बदलकर WTO (World Trade Organisation-WTO) हो गया। यह व्यापारिक झगड़ों का निपटारा करता है। सेवाओं के व्यापार को भी नियंत्रित करता है।
3. ओपेक-विश्व में 13 ऐसे देश हैं जो संपूर्ण निर्यात का लगभग 85 प्रतिशत तेल निर्यात करते हैं। इन्होंने सन् 1949 में एक संगठन गठित किया जिसे ओपेक (Organisation of Petroleum Exporting Countries-OPEC) के नाम से जाना जाता है। ये देश विश्व में तेल के सम्बन्ध में अपने संगठन की नीति बनाते हैं, उनका कार्यान्वयन करते हैं। इसमें जो 13 सदस्य देश हैं, उनके नाम इस प्रकार हैं-अल्जीरिया, सऊदी अरब, ईरान, इराक, कुवैत, इंडोनेशिया, इक्वेडोर, गैबन, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, लीबिया, नाइजीरिया तथा वेनेजुएला। इस संगठन का उद्देश्य अपने सदस्य देशों के मध्य समन्वय, एकीकरण तथा तेल सम्बन्धी नीतियों का निर्धारण करना है।
4. यूरोपीय आर्थिक समुदाय-यूरोप के देशों का समुदाय ‘European Economic Community’ का गठन सन् 1957 में किया गया। प्रारंभ में इसमें फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, लैग्जमबर्ग, नीदरलैंड तथा इटली 6 देश थे, लेकिन सन् 1973 में 3 देश डेनमार्क, ब्रिटेन तथा आयरिश गणराज्य भी सम्मिलित किए गए। इस समुदाय का उद्देश्य अपने सदस्य देशों के साथ स्वतंत्र व्यापार स्थापित करना तथा व्यापार प्रतिबंधों को समाप्त करना है। अब इन 9 देशों के बीच कोई व्यापारिक प्रतिबंध नहीं है।
स्वतंत्र व्यापार की नीति के अंतर्गत एक देश-दूसरे देश से व्यापार करता है। सन् 1995 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय यूरोपीय संघ में परिवर्तित हो गया। इसने कई उत्पादन एवं व्यापार नीतियों का सामंजस्यीकरण किया। सन् 1999 के प्रारंभ में सभी सदस्य देशों में समान रूप से चलने वाली मुद्रा-‘यूरो’ को भी प्रचलन में लाया गया, ताकि सभी देशों को एक आर्थिक व्यवस्था के अंतर्गत प्रभावशाली ढंग से एक सूत्र में बाँधा जा सके। यह संघ विश्व का अकेला सबसे बड़ा बाजार है।
5. यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ-इस संघ का निर्माण सन् 1994 में हुआ। प्रारंभ में इसके 7 सदस्य देश-ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, नार्वे, पुर्तगाल, स्वीडन, ग्रेट ब्रिटेन व स्विटज़रलैंड थे, लेकिन ग्रेट ब्रिटेन, डेनमार्क व पुर्तगाल इस संघ को छोड़ गए व फिनलैंड व आइसलैंड इसमें शामिल हो गए।
6. उत्तरी अमेरिकन स्वतन्त्र व्यापार संघ-इसका संगठन सन 1988 में विश्व के दो बड़े व्यापारिक सहयोगियों-संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा के बीच व्यापारिक प्रतिबंधों को समाप्त करने के लिए किया गया था। सन् 1994 में इसका व्यापक विस्तार किया गया और मैक्सिको को भी इसका सदस्य बनाया गया। यह ऐसा पहला अवसर था, जब किसी विकासशील देश को विकसित देशों के व्यापारिक संघ में सदस्यता मिली थी। अब इस संघ में लैटिन अमेरिकी देशों को भी सम्मिलित कर लिया गया है। इससे एक ऐसे स्वतन्त्र व्यापार क्षेत्र का निर्माण हुआ है, जो अलास्का से टिएरा डेल फ्यूगो तक फैला हुआ है। कृषि उत्पाद, मोटरगाड़ियाँ, स्वचालित पुजे, कम्प्यूटर, वस्त्र आदि इन देशों के मध्य प्रमुख व्यापारिक वस्तुएँ हैं।
7. दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों का संगठन-आसियान देशों का गठन सन् 1967 में हुआ। इसके सदस्य देश हैं इंडोनेशिया, थाइलैंड, मलेशिया, कंबोडिया, फिलीपींस और सिंगापुर। भारत भी आसियान देशों का सह-सदस्य है। जापान, यूरोपीय संघ तथा ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से व्यापारिक बातचीत करते समय आसियान देश एक संयुक्त वार्ता करके उनकी मदद करता है।
8. दक्षिण एशिया प्रादेशिक सहयोग संगठन-सात दक्षिण एशियाई देशों-भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव ने मिलकर सार्क का गठन किया है। इसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच व्यापार विकसित करना है। वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या आठ है।
9. स्वतंत्र राष्ट्रों का संघ इस व्यापार समूह का गठन तत्कालीन सोवियत संघ के विघटन के बाद मिस्क (बेलारूस) में किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था, प्रतिरक्षण तथा विदेश नीति के मामलों पर समन्वय एवं सहयोग स्थापित करना है। बेलारूस, जॉर्जिया, आरमीनिया, अज़रबैजान, कजाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, यूक्रेन, खिरगिस्तान, मॉल्डोवा तथा उज्बेकिस्तान इस संगठन के सदस्य हैं। इन देशों के मध्य अशोधित तेल, प्राकृतिक गैस, सोना, कपास, रेशे, एल्यूमिनियम आदि मुख्य व्यापारिक वस्तुओं का व्यापार होता है।
10. लैटिन अमेरिकन इंटीग्रेशन एसोसिएशन इस व्यापारिक समूह का गठन सन् 1960 में किया गया था। इसका मुख्यालय मॉण्टोविडियो (उरुग्वे) में है। इसका मुख्य उद्देश्य दक्षिण अमेरिका के देशों के बीच आपसी व्यापार को बढ़ाना है। ब्राजील, कोलंबिया, अर्जेंटाइना, बोलीविया, इक्वाडोर, मैक्सिको, पराग्वे, पेरू, उरुग्वे तथा वेनेजुएला इसके सदस्य देश हैं।
प्रश्न 5.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के परिमाण, व्यापार संयोजन व व्यापार की दिशा का वर्णन करें।
अथवा
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रतिरूप को निर्धारित करने वाले महत्त्वपूर्ण पक्षों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रतिरूप को निर्धारित करने वाले महत्त्वपूर्ण चार पक्ष होते हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित हैं
1. व्यापार का परिमाण-व्यापार की गई वस्तुओं के वास्तविक तौल को व्यापार का परिमाण कहा जाता है। हालांकि तौल से मूल्य का सही-सही ज्ञान कभी नहीं हो पाता और न ही व्यापारिक सेवाओं को तौल में मापा जा सकता है। इसलिए व्यापार की गई कुल वस्तुओं तथा सेवाओं के कुल मूल्य को व्यापार के परिमाण के रूप में जाना जाता है। इस परिमाण प्रक्रिया से ही व्यापार की स्थिति का पता चलता है। इसी कारण यह पक्ष अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्त्वपूर्ण पक्ष है। विभिन्न देशों के बीच व्यापार के परिमाण की भिन्नता उत्पादित पदार्थों, सेवाओं की प्रकृति, द्विपक्षीय सन्धियों व व्यापार निषेधों पर निर्भर करती है।
2. व्यापार का संयोजन-अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में जगह पाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के प्रकार भी बदलते रहते हैं। 20वीं शताब्दी के आरम्भ में आयात और निर्यात की वस्तुओं में प्राथमिक उत्पादों की प्रधानता थी। बाद में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में विनिर्मित वस्तुओं ने प्रमुखता प्राप्त कर ली। वर्तमान समय में यद्यपि विश्व व्यापार के अधिकांश भाग पर विनिर्माण क्षेत्र का आधिपत्य है, सेवा क्षेत्र जिसमें परिवहन तथा अन्य व्यावसायिक सेवाएँ शामिल हैं। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि की प्रवृत्ति दिखा रहा है। इस प्रकार वस्तुओं के उत्पादन की अपेक्षा सेवाओं का उत्पादन ज्यादा लाभदायक होता है।
3. व्यापार की दिशा-18वीं सदी तक विकासशील देश यूरोप को विनिर्मित वस्तुएँ निर्यात किया करते थे। 19वीं सदी में व्यापार की दिशा बदली और यूरोप से विनिर्मित माल तीन दक्षिणी महाद्वीपों-दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका व ऑस्ट्रेलिया की ओर आने लगा। बदले में ये महाद्वीप कच्चे माल व खाद्य पदार्थों को यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच होने लगा। अब भारत, चीन व अन्य विकासशील देश भी विनिर्मित वस्तुओं के व्यापार में विकासशील देशों से प्रतिस्पर्धा करने लगे हैं।
4. व्यापार संतुलन-किसी समयावधि में आयात एवं निर्यात के बीच मूल्यों के अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं।
(i) धनात्मक व्यापार संतुलन यदि किसी देश में आयात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है तो ऐसे देशों के व्यापार संतुलन को धनात्मक कहा जाता है। इसे अनुकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।
(ii) ऋणात्मक व्यापार संतुलन यदि किसी देश में निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की अपेक्षा आयात की जाने वाली वस्तुओं का मूल्य ज्यादा होता है तो उस देश का व्यापार संतुलन ऋणात्मक कहा जाता है। इसे विलोम व्यापार संतुलन या प्रतिकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।