HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. भारत का पहला सूती वस्त्र उद्योग कब और कहाँ स्थापित किया गया?
(A) दुर्गापुर में, सन् 1845 में
(B) कोलकाता में, सन् 1852 में
(C) मुम्बई में, सन् 1854 में
(D) अहमदाबाद में, सन् 1875 में
उत्तर:
(C) मुम्बई में, सन् 1854 में

2. निम्नलिखित में से उद्योगों का भौगोलिक कारक है
(A) कच्चे माल की प्राप्ति
(B) पूँजी व बैंकिंग
(C) सरकार की नीति
(D) प्रारम्भिक संवेग
उत्तर:
(A) कच्चे माल की प्राप्ति

3. जब उद्योगों का स्वामित्व कुछ व्यक्तियों के हाथ में हो तो वह कहलाता है
(A) सार्वजनिक उद्योग
(B) निजी उद्योग
(C) सहकारी उद्योग
(D) बहुराष्ट्रीय उद्योग
उत्तर:
(B) निजी उद्योग

4. निम्नलिखित में से वन आधारित उद्योग का उदाहरण है-
(A) चीनी
(B) सीमेंट
(C) चमड़ा रंगने का उद्योग
(D) एल्यूमीनियम
उत्तर:
(C) चमड़ा रंगने का उद्योग

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

5. निम्नलिखित में से किसे आधारभूत उद्योग कहा जाता है-
(A) चीनी उद्योग को
(B) वस्त्र उद्योग को
(C) लौह-इस्पात उद्योग को
(D) खाद्य उद्योग को
उत्तर:
(C) लौह-इस्पात उद्योग को

6. चीनी उद्योग का प्रमुख उत्पादक राज्य है-
(A) अहमदाबाद
(B) महाराष्ट्र
(C) उत्तर प्रदेश
(D) मिज़ोरम
उत्तर:
(B) महाराष्ट्र

7. गुजरात का प्रमुख सही वस्त्र उत्पादन केन्द्र कौन-सा है?
(A) सूरत
(B) कोटा
(C) अहमदाबाद
(D) वडोदरा
उत्तर:
(C) अहमदाबाद

8. TISCO की स्थापना कब की गई?
(A) सन् 1875 में
(B) सन् 1907 में
(C) सन् 1912 में
(D) सन् 1919 में
उत्तर:
(B) सन् 1907 में

9. जर्मनी के सहयोग से किस लौह-इस्पात कारखाने की स्थापना की गई?
(A) SAIL
(B) VISL
(C) TISCO
(D) IISCO
उत्तर:
(A) SAIL

10. वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापित लौह इस्पात उद्योग के विकास की देख-रेख करती है-
(A) TISCO
(B) IISCO
(C) VISL
(D) SAIL
उत्तर:
(D) SAIL

11. सोवियत संघ (वर्तमान रूस) की आर्थिक व तकनीकी सहायता से किस कारखाने की स्थापना हुई?
(A) बोकारो
(B) दुर्गापुर
(C) भिलाई
(D) राउरकेला
उत्तर:
(B) दुर्गापुर

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

12. ब्रिटिश पूँजी व तकनीक से किस स्टील प्लांट का विकास हुआ?
(A) बोकारो
(B) दुर्गापुर
(C) भिलाई
(D) राउरकेला
उत्तर:
(B) दुर्गापुर

13. भारत का पहला समुद्र तटीय लौह-इस्पात कारखाना कहाँ लगाया गया था?
(A) रांची में
(B) बंगलौर में
(C) विशाखापट्टनम में
(D) तमिलनाडु में
उत्तर:
(C) विशाखापट्टनम में

14. हीरापुर में लौह-इस्पात संयंत्र की स्थापना कब हुई?
(A) सन् 1908 में
(B) सन् 1913 में
(C) सन् 1923 में
(D) सन् 1927 में
उत्तर:
(A) सन् 1908 में

15. हुगली औद्योगिक प्रदेश में मुख्य उद्योग स्थापित है-
(A) पेट्रो-रसायन उद्योग
(B) चीनी उद्योग
(C) पटसन उद्योग
(D) लौह-इस्पात उद्योग
उत्तर:
(C) पटसन उद्योग

16. भारत में इलेक्ट्रॉनिक उद्योग का सबसे बड़ा केंद्र है-
(A) मुंबई
(B) बंगलौर
(C) अहमदाबाद
(D) चेन्नई
उत्तर:
(B) बंगलौर

17. भारत का पहला नैप्था आधारित रसायन उद्योग कब और कहाँ स्थापित किया गया?
(A) सन् 1855 में, रिशरा में
(B) सन् 1961 में, मुंबई में
(C) सन् 1875 में, कुल्टी में
(D) सन् 1972 में, बोकारो में
उत्तर:
(B) सन् 1961 में, मुंबई में

18. उत्पादों के उपयोग के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कितने भागों में किया जाता है-
(A) 2
(B) 3
(C) 4
(D) 5
उत्तर:
(C) 4

19. एशिया का सबसे बड़ा उर्वरक का कारखाना है-
(A) बोकारो
(B) सिंद्री
(C) मुंबई
(D) बर्नपुर
उत्तर:
(B) सिंद्री

20. अनुकूल दशाओं के कारण जब एक ही स्थान पर अनेक प्रकार के उद्योग स्थापित हो जाएँ तो वह कहलाता है-
(A) औद्योगिक गुच्छ
(B) बहुसंयंत्र कंपनी
(C) बहुराष्ट्रीय कंपनी
(D) मिश्रित अर्थव्यवस्था
उत्तर:
(A) औद्योगिक गुच्छ

21. नई औद्योगिक नीति की घोषणा कब की गई?
(A) सन् 1951 में
(B) सन् 1975 में
(C) सन् 1985 में
(D) सन् 1991 में
उत्तर:
(D) सन् 1991 में

22. भारत का सबसे पुराना औद्योगिक प्रदेश है-
(A) गुजरात प्रदेश
(B) दिल्ली गुड़गाँव मेरठ प्रदेश
(C) बंगलौर तमिलनाडु प्रदेश
(D) हुगली औद्योगिक प्रदेश
उत्तर:
(D) हुगली औद्योगिक प्रदेश

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

23. ऑयल इंडिया लिमिटेड एक है-
(A) निजी उद्योग
(B) सार्वजनिक उद्योग
(C) सहकारी उद्योग
(D) संयुक्त उद्योग
उत्तर:
(B) सार्वजनिक उद्योग

24. लोहा और इस्पात उद्योग है-
(A) सार्वजनिक क्षेत्र उद्योग
(B) भारी उद्योग
(C) सहकारी क्षेत्र उद्योग
(D) निजी क्षेत्र उद्योग
उत्तर:
(B) भारी उद्योग

25. विजाग इस्पात संयंत्र में उत्पादन कब शुरू हुआ?
(A) सन् 1990 में
(B) सन् 1991 में
(C) सन् 1992 में
(D) सन् 1993 में
उत्तर:
(C) सन् 1992 में

26. कौन-सा स्टील संयंत्र भारत में सन् 1965 में जर्मनी के सहयोग से शुरू हुआ था?
(A) बोकारो स्टील संयंत्र
(B) दुर्गापुर स्टील संयंत्र
(C) राउरकेला स्टील संयंत्र
(D) जमशेदपुर टाटा स्टील संयंत्र
उत्तर:
(C) राउरकेला स्टील संयंत्र

27. भिलाई इस्पात संयंत्र किसकी मदद से स्थापित किया गया?
(A) रूस के
(B) जर्मनी के
(C) फ्रांस के
(D) इंग्लैंड के
उत्तर:
(A) रूस के

28. दुर्गापुर लौह-इस्पात संयंत्र किस देश के सहयोग से स्थापित किया गया?
(A) ब्रिटेन
(B) फ्रांस
(C) रूस
(D) जर्मनी
उत्तर:
(A) ब्रिटेन

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

29. भारत में चीनी का प्रमुख उत्पादक राज्य कौन-सा है?
(A) महाराष्ट्र
(B) पंजाब
(C) राजस्थान
(D) गोवा
उत्तर:
(A) महाराष्ट्र

30. विनिर्माण उद्योग का उदाहरण है
(A) कागज उद्योग
(B) चीनी उद्योग
(C) कपड़ा उद्योग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

31. कृषि आधारित उद्योग का उदाहरण है-
(A) सूती वस्त्र उद्योग
(B) पटसन उद्योग
(C) चीनी उद्योग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

32. निम्नलिखित में से कौन-सी एजेंसी सार्वजनिक क्षेत्र में स्टील को बाज़ार में उपलब्ध कराती है?
(A) हेल (HAIL)
(B) सेल (SAIL)
(C) टाटा स्टील
(D) एम० एन० सी० सी० (MNCC)
उत्तर:
(B) सेल (SAIL)

33. निम्नलिखित में से कौन-सा उद्योग दूरभाष, कंप्यूटर आदि संयंत्र निर्मित करता है?
(A) स्टील
(B) एल्यूमिनियम
(C) इलेक्ट्रोनिक
(D) सूचना प्रौद्योगिकी
उत्तर:
(C) इलेक्ट्रोनिक

34. खनिज आधारित उद्योग का उदाहरण है-
(A) लोहा
(B) इस्पात
(C) सीमेंट
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए

प्रश्न 1.
कच्चे माल की उपलब्धि पर आधारित एक उद्योग का नाम लिखें।
उत्तर:
कच्चे माल की उपलब्धि पर आधारित उद्योग चीनी उद्योग है।

प्रश्न 2.
शक्ति के उत्पादन पर आधारित एक उद्योग का नाम लिखें।
उत्तर:
विद्युत धातुकर्मी तथा विद्युत रसायन उद्योग।

प्रश्न 3.
बाजार की निकटता पर आधारित एक उद्योग का नाम लिखें।
उत्तर:
बाजार की निकटता पर आधारित उद्योग भारी मशीन उद्योग व पेट्रोलियम परिशोधन शालाएँ हैं।

प्रश्न 4.
तमिलनाडु राज्य का प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादन केन्द्र कौन-सा है?
उत्तर:
तमिलनाडु राज्य का प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादन केन्द्र कोयंबटूर है।

प्रश्न 5.
भारत में चीनी बनाने का आधुनिक कारखाना कब लगाया गया?
उत्तर:
सन् 1903 में।

प्रश्न 6.
टाटा लौह-इस्पात कंपनी (TISCO) की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
सन् 1907 में।

प्रश्न 7.
भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (SAIL) की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
सन् 1973 में।

प्रश्न 8.
वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र में स्थापित लौह-इस्पात उद्योग के विकास की देख-रेख कौन-सी संस्था करती है?
उत्तर:
स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL)।

प्रश्न 9.
भारत के कोई दो औद्योगिक प्रदेश बताएँ।
उत्तर:
तमिलनाडु और गुजरात।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 10.
ब्रिटिश पूँजी व तकनीक से किस स्टील प्लांट (इस्पात संयंत्र) का विकास हुआ?
उत्तर:
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र।

प्रश्न 11.
भारत में किस उद्योग में सबसे अधिक लोग कार्यरत हैं?
उत्तर:
कपड़ा उद्योग में।

प्रश्न 12.
भारत का पहला समुद्र तटीय लौह-इस्पात कारखाना कहाँ लगाया गया था?
उत्तर:
विशाखापट्टनम में।

प्रश्न 13.
हीरापुर में लौह-इस्पात संयंत्र की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1908 में।

प्रश्न 14.
भिलाई स्टील कारखाना किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:
भिलाई स्टील कारखाना छत्तीसगढ़ में स्थित है।

प्रश्न 15.
ज्ञान आधारित उद्योग का कोई एक उदाहरण दें।
उत्तर:
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर।

प्रश्न 16.
किस उद्योग को आधारभूत उद्योग कहते हैं?
उत्तर:
लौह-इस्पात को आधारभूत उद्योग कहते हैं।

प्रश्न 17.
नई औद्योगिक नीति की घोषणा कब की गई?
उत्तर:
सन् 1991 में।

प्रश्न 18.
हिंदुस्तान मशीन टूल्स (HMT) किस औद्योगिक प्रदेश के अंतर्गत आता है?
उत्तर:
बंगलौर-तमिलनाडु।

प्रश्न 19.
भारत का सबसे पहला बड़ा गैर-सरकारी लौह-इस्पात उद्योग कौन-सा था?
उत्तर:
टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (सांकची), जमशेदपुर।

प्रश्न 20.
छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश के अंतर्गत आने वाले किन्हीं दो औद्योगिक केंद्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. रांची
  2. हजारीबाग।

प्रश्न 21.
हुगली औद्योगिक प्रदेश के अंतर्गत आने वाले किन्हीं दो औद्योगिक केंद्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. हल्दिया
  2. कोलकाता।

प्रश्न 22.
भारत का सबसे बड़ा तेल शोधक कारखाना कहाँ स्थित है?
उत्तर:
जामनगर (गुजरात) में।

प्रश्न 23.
विजयनगर इस्पात संयंत्र कहाँ विकसित किया गया?
उत्तर:
हॉस्पेट (कर्नाटक) में।

प्रश्न 24.
भारत के कोई दो मुख्य औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. हगली औद्योगिक प्रदेश
  2. मंबई-पणे औद्योगिक प्रदेश।

प्रश्न 25.
भारत के कोई दो लघु औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. दुर्ग-रायपुर औद्योगिक प्रदेश
  2. अंबाला-अमृतसर औद्योगिक प्रदेश।

प्रश्न 26.
भारत की पहली जूट मिल की स्थापना कब और कहाँ की गई?
उत्तर:
सन् 1855 में रिशरा में।

प्रश्न 27.
सेलम इस्पात संयंत्र कहाँ स्थित है?
उत्तर:
तमिलनाडु में।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 28.
भारत का सबसे बड़ा उद्योग कौन-सा है?
उत्तर:
कपड़ा उद्योग।

प्रश्न 29.
हरियाणा में चीनी मिलों के कोई दो केंद्र बताएँ।
उत्तर:

  1. यमुनानगर
  2. +रोहतक।

प्रश्न 30.
भारत की पहली आधुनिक सूती मिल कब और कहाँ स्थापित की गई?
उत्तर:
सन् 1854 में मुंबई में।

प्रश्न 31.
झारखण्ड राज्य के एक लौह-इस्पात उत्पादन केंद्र का नाम लिखें।
उत्तर:
बोकारो।

प्रश्न 32.
आंध्र प्रदेश राज्य के एक लौह-इस्पात उत्पादन केंद्र का नाम लिखें।
उत्तर:
विशाखापट्टनम।

प्रश्न 33.
कर्नाटक राज्य का प्रमुख लौह-इस्पात केंद्र कहाँ है?
उत्तर:
भद्रावती में।

प्रश्न 34.
छत्तीसगढ़ राज्य के एक लौह-इस्पात उत्पादन केंद्र का नाम लिखें।
उत्तर:
भिलाई।

प्रश्न 35.
चीनी उद्योग में प्रयुक्त कच्चे पदार्थ का नाम लिखें।
उत्तर:
गन्ना।

प्रश्न 36.
भारत की इलेक्ट्रोनिक राजधानी के रूप में किस शहर को जाना जाता है?
उत्तर:
बंगलुरु को।

प्रश्न 37.
भारत में सूती वस्त्र बनाने का पहला कारखाना कब और कहाँ लगा था?
उत्तर:
सन् 1854 में मुंबई में।

प्रश्न 38.
भारतीय लोहा और इस्पात कंपनी ने अपना पहला कारखाना कहाँ स्थापित किया?
उत्तर:
हीरापुर में।

प्रश्न 39.
विश्वेश्वरैया आयरन एंड स्टील वर्क्स प्रारंभ में किस नाम से जाना जाता था?
उत्तर:
मैसूर लोहा और इस्पात वर्क्स के नाम से।

प्रश्न 40.
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र किस देश की सरकार के सहयोग से स्थापित किया गया था?
उत्तर:
यूनाइटेड किंगडम की सरकार के सहयोग से।

प्रश्न 41.
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र (पश्चिमी बंगाल) में उत्पादन कब आरंभ हुआ?
उत्तर:
सन् 1962 में।

प्रश्न 42.
भारत का पहला पत्तन आधारित इस्पात संयंत्र कौन-सा है?
उत्तर:
विजाग इस्पात संयंत्र (विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश)।

प्रश्न 43.
विजाग इस्पात संयंत्र किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:
विशाखापट्टनम, आंध्र प्रदेश में।

प्रश्न 44.
विजयनगर इस्पात संयंत्र की स्थापना किस पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत की गई?
उत्तर:
चौथी पंचवर्षीय योजना के।

प्रश्न 45.
राउरकेला इस्पात संयंत्र की स्थापना किस पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत की गई?
उत्तर:
दूसरी पंचवर्षीय योजना के।

प्रश्न 46.
हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड, दुर्गापुर की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
सन् 1956 में।

प्रश्न 47.
भारत के किस राज्य में सर्वाधिक चीनी मिलें स्थापित हैं?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश में।

प्रश्न 48.
निम्नलिखित का पूरा नाम लिखें SAIL, TISCO, HSL, FDI, IISCO, VISW, NOCIL, CIPET, BHEL
उत्तर:

  1. SAIL : Steel Authority of India Limited
  2. TISCO : Tata Iron and Steel Company
  3. HSL : Hindustan Steel Limited
  4. FDI : Foreign Direct Investment
  5. IISCO : Indian Iron Steel Company
  6. VISW : Visvesvaraya Iron and Steel Works
  7. NOCIL : National Organic Chemical Industries Limited
  8. CIPET : Central Institute of Plastics Engineering & Technology
  9. BHEL : Bharat Heavy Electricals Limited

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कच्चे माल के आधार पर वर्गीकृत उद्योगों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. कृषि आधारित उद्योग
  2. वन आधारित उद्योग
  3. खनिज आधारित उद्योग एवं
  4. चरागाह आधारित उद्योग।

प्रश्न 2.
उद्यमशीलता अथवा स्वामित्व के आधार पर वर्गीकृत उद्योगों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. सार्वजनिक उद्योग
  2. निजी उद्योग
  3. सहकारी उद्योग एवं
  4. बहुराष्ट्रीय उद्योग।

प्रश्न 3.
वन आधारित उद्योगों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कागज़, गत्ता, चमड़ा रंगने का उद्योग, लाख, बीड़ी, रेजिन व टोकरी उद्योग।

प्रश्न 4.
स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद अपनाई गई पहली औद्योगिक नीति में किन उद्देश्यों पर बल दिया गया था?
उत्तर:
सन 1948 में अपनाई गई इस औद्योगिक नीति में रोजगार जनन, उच्चतर उत्पादकता तथा आर्थिक विकास में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करना जैसे उद्देश्यों पर बल दिया गया था।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 5.
वर्तमान में स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAIL) के अंतर्गत कौन-कौन से इस्पात संयंत्र सम्मिलित हैं?
उत्तर:

  1. भिलाई
  2. दुर्गापुर
  3. राउरकेला
  4. बोकारो
  5. सेलम
  6. TISCO
  7. विश्वेश्वरैया तथा
  8. महाराष्ट्र इलेक्ट्रोस्मेल्ट आदि इस्पात संयंत्र SAIL के अंतर्गत सम्मिलित हैं।

प्रश्न 6.
पेट्रो-रसायन उद्योग कौन-सा कच्चा माल उपयोग में लाते हैं?
उत्तर:
पेट्रो-रसायन उद्योग खनिज तेल और प्राकृतिक गैस को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 7.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग की अवस्थिति के कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग की अवस्थिति के कारण निम्नलिखित हैं-

  1. कच्चे माल की प्राप्ति
  2. यांत्रिक उपकरण या मशीनें
  3. ऊर्जा या शक्ति
  4. बाजार स्थिति
  5. श्रमिक
  6. परिवहन आदि।

प्रश्न 8.
आधारभूत उद्योग क्या है? उदाहरण दें।
उत्तर:
वे उद्योग जिनसे निर्मित माल दूसरे सभी उद्योगों का आधार होता है, उन्हें आधारभूत उद्योग कहते हैं।
उदाहरण – लोहा तथा इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है, क्योंकि अन्य सभी भारी, हल्के और मध्यम उद्योग इनसे बनी मशीनरी पर निर्भर हैं। विविध प्रकार के इंजीनियरिंग सामान, निर्माण सामग्री, रक्षा, चिकित्सा, टेलिफोन, वैज्ञानिक उपकरण और विभिन्न प्रकार की उपभोक्ता वस्तुओं के निर्माण के लिए इस्पात की जरूरत होती है।

प्रश्न 9.
बड़े पैमाने के उद्योग किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
जिन उद्योगों में बहुत बड़ी संख्या में श्रमिकों को रोजगार मिला होता है उन्हें बड़े पैमाने के उद्योग कहते हैं; जैसे सूती वस्त्र उद्योग।

प्रश्न 10.
छोटे पैमाने के उद्योग किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
वे उद्योग जो व्यक्ति विशेष के स्वामित्व एवं संचालन में छोटी संख्या में श्रमिकों की सहायता से चलाए जाते हैं, उन्हें छोटे पैमाने के उद्योग कहते हैं; जैसे गुड़ और खांडसारी उद्योग।

प्रश्न 11.
भारी उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसे उद्योग जिनका कच्चा और तैयार माल भारी और अधिक परिमाणु वाला होता है, उन्हें भारी उद्योग कहते हैं।

प्रश्न 12.
कृषि आधारित उद्योग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जो उद्योग अपने उत्पादन के लिए पूर्ण रूप से कृषि उत्पादों से प्राप्त कच्चे माल पर निर्भर होते हैं, उन्हें कृषि आधारित उद्योग कहते हैं; जैसे वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग और वनस्पति तेल उद्योग।

प्रश्न 13.
भारत में रूस के सहयोग से स्थापित दो लोहा इस्पात कारखानों के नाम बताइए।
उत्तर:
भिलाई स्टील प्लांट, छत्तीसगढ़, बोकारो स्टील प्लांट, झारखंड।

प्रश्न 14.
भारत में जर्मनी तथा ब्रिटेन के सहयोग से स्थापित एक-एक लोहा इस्पात उद्योग का नाम बताइए।
उत्तर:

  1. जर्मनी के सहयोग से राउरकेला स्टील प्लांट, ओडिशा।
  2. ब्रिटेन के सहयोग से दुर्गापुर स्टील प्लांट, पश्चिम बंगाल।

प्रश्न 15.
उद्योग किन चार प्रकार के प्रदूषण के लिए उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण।

प्रश्न 16.
खनिज आधारित उद्योग किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
वे उद्योग जो खनिज पदार्थों को अपने कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं, उन्हें खनिज आधारित उद्योग कहते है . जैसे लोहा एवं इस्पात, सीमेंट, एल्यूमिनियम उद्योग इत्यादि।

प्रश्न 17.
महाराष्ट्र के चार महत्त्वपूर्ण सूती वस्त्र उद्योग केन्द्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
मुम्बई, पूणे, सतारा व कोल्हापुर।

प्रश्न 18.
सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रमों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (BHEL)
  2. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL)।

प्रश्न 19.
भारत में इलेक्ट्रॉनिक सामान के तीन उत्पादक केन्द्रों के नाम बताइए।
उत्तर:
मुम्बई, बंगलुरु व हैदराबाद।

प्रश्न 20.
उद्योगों का वर्गीकरण, निर्मित उत्पादकों की प्रकृति के आधार पर कीजिए।
उत्तर:
उद्योगों के इस वर्गीकरण में 8 प्रकार के उद्योग हैं-

  1. धातुकर्म उद्योग
  2. यांत्रिक इंजीनियरी उद्योग
  3. रासायनिक और संबंद्ध उद्योग
  4. वस्त्र उद्योग
  5. खाद्य संसाधन उद्योग
  6. विद्युत उत्पादन उद्योग
  7. इलेक्ट्रॉनिक
  8. संचार उद्योग।

प्रश्न 21.
ज्ञान आधारित उद्योग का क्या अर्थ है?
उत्तर:
ऐसे उद्योग जिनके लिए उच्च-स्तरीय विशिष्ट ज्ञान, उच्च प्रौद्योगिकी तथा निरंतर शोध अनुसंधान और सुधार की आवश्यकता रहती है, ज्ञान आधारित उद्योग कहलाते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी ज्ञान आधारित उद्योग का एक उदाहरण है। भारतीय सॉफ्टवेयर उद्योग भी ज्ञान आधारित उद्योग है, जो अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्र के रूप में उभरा है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 22.
औद्योगिक जड़त्व क्या है?
उत्तर:
किसी उद्योग की उस स्थान पर अपनी क्रिया बनाए रखने की प्रवृत्ति, जहाँ पर उसके स्थापित होने के कारण महत्त्वहीन हैं या समाप्त हो चुके हैं, औद्योगिक जड़त्व कहलाता है।

प्रश्न 23.
वैश्वीकरण की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
वैश्वीकरण का अर्थ देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना है; जैसे विदेशी कम्पनियों को ऐसी सुविधाएँ देना कि वे भारत के विभिन्न आर्थिक क्रियाकलापों में निवेश कर सकें। उदार आयात कार्यक्रम को लागू करना निर्माण उद्योग

तथा भारतीय कम्पनियों का विदेशी कम्पनियों को सहयोग देने की अनुमति देना तथा बाहर के मुल्कों में संयुक्त उद्यम लगाने के लिए प्रोत्साहित करना।

प्रश्न 24.
आजादी से पहले भारत के औद्योगिक विकास के दो लक्षण बताइए।
उत्तर:

  1. आजादी से पूर्व भारत का औद्योगिक विकास बहुत धीमा था।
  2. भारतीय उद्योग केवल ब्रिटिश उद्योगों के उत्पादों की कमी को पूरा करने वाले थे।

प्रश्न 25.
आजादी के बाद भारत के औद्योगिक विकास के दो लक्षण बताइए।
उत्तर:

  1. औद्योगिक आधार का व्यापक विविधिकरण किया गया।
  2. सार्वजनिक क्षेत्र का विकास किया गया।

प्रश्न 26.
औद्योगिक समूहन की पहचान के लिए उपयोग में लाए गए चार सूचकों के नाम बताइए।
उत्तर:
उद्योगों के समूहन की पहचान के लिए प्रमुख चार सूचक निम्नलिखित हैं-

  1. औद्योगिक इकाइयों की संख्या
  2. औद्योगिक कामगारों की संख्या
  3. औद्योगिक उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त ऊर्जा की मात्रा
  4. कुल औद्योगिक उत्पादन।

प्रश्न 27.
राउरकेला इस्पात संयंत्र कब, कहाँ और किस देश के सहयोग से स्थापित किया गया था?
उत्तर:
राउरकेला इस्पात संयंत्र (स्टील प्लांट) सन् 1959 में ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले में जर्मनी के सहयोग से स्थापित किया गया था।

प्रश्न 28.
द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1956-57) के अंतर्गत कौन-से तीन इस्पात संयंत्र विदेशी सहयोग से स्थापित किए गए थे?
उत्तर:

  1. राउरकेला इस्पात संयंत्र-ओडिशा
  2. भिलाई इस्पात संयंत्र-छत्तीसगढ़
  3. दुर्गापुर इस्पात संयंत्र-पश्चिम बंगाल।

प्रश्न 29.
भिलाई इस्पात संयंत्र कब, कहाँ और किस देश के सहयोग से स्थापित किया गया था?
उत्तर:
भिलाई इस्पात संयंत्र सन् 1959 में छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में रूस के सहयोग से स्थापित किया गया था।

प्रश्न 30.
भारत के कोई चार सूती वस्त्र केंद्रों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. मैसूर सूती वस्त्र केंद्र-कर्नाटक
  2. मुंबई सूती वस्त्र केंद्र महाराष्ट्र
  3. अहमदाबाद सूती वस्त्र केंद्र-गुजरात
  4. हुगली सूती वस्त्र केंद्र-पश्चिम बंगाल

प्रश्न 31.
भारत के किन्हीं छः औद्योगिक जिलों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. आगरा – उत्तर प्रदेश
  2. भोपाल – मध्य प्रदेश
  3. कानपुर – उत्तर प्रदेश
  4. नागपुर – महाराष्ट्र
  5. कोटा – राजस्थान
  6. ग्वालियर – मध्य प्रदेश

प्रश्न 32.
औद्योगिक गुच्छ क्या है?
उत्तर:
अनुकूल दशाओं के कारण जब एक ही स्थान पर अनेक प्रकार के उद्योग स्थापित हो जाएँ तो उसे ‘औद्योगिक गुच्छ’ कहा जाता है।

प्रश्न 33.
सूती वस्त्र उद्योग मुम्बई से अहमदाबाद की ओर क्यों बढ़ रहा है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मुम्बई की अपेक्षा अहमदाबाद में जमीन सस्ती है। इसके अतिरिक्त सूती वस्त्र उद्योग के विकास के लिए आवश्यक सभी कारक मुम्बई की तरह अहमदाबाद में भी उपलब्ध हैं। अहमदाबाद में मुम्बई की तरह औद्योगिक झगड़े व तालाबन्दी जैसी समस्याएँ भी नहीं हैं। गुजरात का औद्योगिक माहौल भी श्रेष्ठ है। इन कारणों से सूती वस्त्र उद्योग मुम्बई से अहमदाबाद की ओर बढ़ रहा है।

प्रश्न 34.
औद्योगिक क्रांति क्या है?
उत्तर:
यूरोपीय इतिहास में सन् 1750 से आधुनिक समय तक का काल जिसमें महत्त्वपूर्ण आविष्कारों के परिणामस्वरूप अधिकाधिक औद्योगिक विकास हुआ है।

प्रश्न 35.
चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग क्यों है?
उत्तर:
भारत में चीनी की मिलें गन्ने की कटाई के बाद केवल 4-5 महीने अर्थात् नवंबर से अप्रैल तक चलती हैं। वर्ष के बाकी 7-8 महीने से मिलें बंद रहती हैं। इसलिए चीनी उद्योग को मौसमी उद्योग कहा जाता है।

प्रश्न 36.
भारत का चीनी उद्योग उत्तर से दक्षिण की ओर क्यों स्थानान्तरित हो रहा है?
उत्तर:
प्रायद्वीपीय भारत का गन्ना मोटा और उसमें रस अधिक होता है। उपजाऊ काली मिट्टी के कारण वहाँ गन्ने की प्रति हैक्टेयर उपज भी अधिक है। आर्द्र जलवायु के कारण वहाँ गन्ने की पिराई की अवधि भी लम्बी है। इन्हीं बेहतर दशाओं का लाभ उठाने के लिए चीनी उद्योग दक्षिण की ओर स्थानान्तरित हो रहा है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 37.
किस नगर को “तमिलनाडु का मानचेस्टर” कहते हैं?
उत्तर:
भारत में सबसे अधिक सूती कपड़े की मीलें तमिलनाडु में है, परंतु ये मीलें छोटी हैं। अतः यहाँ कुल उत्पादन भी कम है। कोयंबटूर में सबसे बड़ा सूती वस्त्र उद्योग का केंद्र है। यहाँ तमिलनाडु की आधे से ज्यादा मीलें लगी हुई हैं। इसी कारण कोयंबटूर को तमिलनाडु का मानचेस्टर कहा जाता है।

प्रश्न 38.
औद्योगिक क्षेत्र या प्रदेश किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस प्रदेश में आर्थिक, सामाजिक, भौगोलिक तथा राजनैतिक कारणों से एक से अधिक श्रृंखलाबद्ध उद्योग स्थापित हो जाते हैं, उसे औद्योगिक प्रदेश कहते हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हुगली औद्योगिक प्रदेश की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हगली औद्योगिक प्रदेश की तीन विशेषताएँ हैं-

  1. यह देश का सबसे पुराना और दूसरा सबसे बड़ा औद्योगिक प्रदेश है। कोलकाता और हावड़ा इस प्रदेश के हृदय स्थल हैं और हुगली नदी इसकी रीढ़ की हड्डी है
  2. सघन जनसंख्या के कारण देश के इस भाग में निर्मित वस्तुओं की माँग अधिक रहती है
  3. इस क्षेत्र में औद्योगिक विकास के लिए आरंभिक लाभ प्राप्त हैं। इससे एक पर्यावरण बन जाता है जो उद्योगों की स्थापना को आकर्षित करता है।

प्रश्न 2.
स्वामित्व के आधार पर भारत में कितने प्रकार के उद्योग हैं?
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर भारत में तीन प्रकार के उद्योग पाए जाते हैं जो निम्नलिखित हैं-

  1. सार्वजनिक उद्योग-इन उद्योगों का संचालन सरकार करती है; जैसे भिलाई लौह-इस्पात केंद्र, नंगल उर्वरक कारखाना, टेलीफोन उद्योग आदि।
  2. निजी उद्योग-ये उद्योग व्यक्ति-विशेष चलाते हैं; जैसे टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी।
  3. सहकारी उद्योग-इन उद्योगों का संचालन कुछ व्यक्ति किसी सहकारी समिति के सहयोग से करते हैं; जैसे भारतीय चीनी उद्योग।

प्रश्न 3.
भारी उद्योग तथा हल्के उद्योग में अंतर बताइए।
उत्तर:
भारी उद्योग तथा हल्के उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-

भारी उद्योग हल्के उद्योग
1. ये प्रायः खनिज संसाधनों पर आधारित हैं। 1. ये उद्योग खनिज़ संसाधनों तथा कृषि पर आधारित होते हैं।
2. इनमें बड़े पैमाने पर मशीनें तथा यंत्र बनाए जाते हैं। 2. इनमें प्रायः दैनिक प्रयोग की वस्तुओं का निर्माण होता है।
3. इन उद्योगों में अधिक पूँजी की आवश्यकता पड़ती है। 3. इन उद्योगों में कम पूँजी से कार्य आरंभ किया जा सकता है।
4. ये उद्योग प्रायः विकसित देशों में स्थापित किए जाते हैं। 4. ये उद्योग विकासशील देशों में स्थापित होते हैं।
5. ये बड़े वर्ग के उद्योग हैं। 5. ये मध्यम तथा छोटे वर्ग के उद्योग हैं।

प्रश्न 4.
निजी उद्योग तथा सार्वजनिक उद्योग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निजी उद्योग तथा सार्वजनिक उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-

निज़ी उद्योग सार्वजनिक उद्योग
1. इस वर्ग में उपभोग्य वस्तुओं तथा छोटे यंत्रों के उद्योग आते हैं। 1. इनमें भारी तथा आधारभूत उद्योग शामिल हैं।
2. ऐसे उद्योग में सारी पूँजी, लाभ तथा हानि एक ही व्यक्ति की होती है। 2. इन उद्योगों में सारी पूँजी, लाभ तथा हानि सरकार की होती है।
3. ऐसे उद्योग अधिकतर संयुक्त राज्य अमेरिका तथा जापान में प्रचलित हैं। 3. ये उद्योग समाजवादी देशों; जैसे रूस तथा भारत में प्रचलित हैं।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता तथा उत्पादक वस्तुओं के उद्योग में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता तथा उत्पादक वस्तुओं के उद्योग में निम्नलिखित अंतर हैं-

उपभोक्ता वस्तु उदोग उत्पादक वस्तु उधोग
1. ये उद्योग मुख्य रूप से कृषि पर आधारित हैं। 1. ये उद्योग खनिज पदार्थों पर आधारित हैं।
2. इनमें उन वस्तुओं का निर्माण किया जाता है जिनका. प्रयोग प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता करते हैं। 2. इनमें मुख्य रूप से मशीनों का निर्माण किया जाता है।
3. इन उद्योगों में कम पूँजी की आवश्यकता पड़ती है। 3. इन उद्योगों में अधिक पूँजी आवश्यक है।
4. इन उद्योगों में अधिक श्रमिकों की आवश्यकता है। 4. इन उद्योगों में आधुनिक प्रौद्योगिकी की आवश्यकता है।
5. ये छोटे पैमाने के उद्योग हैं। 5. ये बड़े पैमाने के उद्योग हैं।

प्रश्न 6.
भारी तथा कृषि उद्योगों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारी तथा कृषि उद्योगों में निम्नलिखित अंतर हैं-

भारी उद्योग कृषि उद्योग
1. ये गौण उद्योग होते हैं। 1. ये प्राथमिक उद्योग होते हैं।
2. ये प्रायः खनिज संसाधनों पर आधारित हैं तथा इनमें बड़े पैमाने पर मशीनें एवं यंत्र बनाए जाते हैं। 2. ये उद्योग कृषि पदार्थों पर आधारित हैं जिनमें कृषि की उपजों का रूप तथा रंग बदलकर उपयोगिता लाई जाती है।
3. इन उद्योगों में अधिक पूँजी की जरूरत पड़ती है। 3. इन उद्योगों में अधिक श्रम की जरूरत पड़ती है।
4. ये उद्योग अधिकतर विकसित देशों में पाए जाते हैं। 4. ये उद्योग अधिकतर विकासशील देशों में पाए जाते हैं।
5. ये बड़े वर्ग के उद्योग होते हैं। 5. ये छोटे तथा मध्यम वर्ग के उद्योग होते हैं।

प्रश्न 7.
मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग की उन्नति के क्या कारण हैं?
अथवा
मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के मुख्य भौगोलिक कारण क्या हैं?
उत्तर:
मुंबई शहर में सूती वस्त्र उद्योग की उन्नति के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. यहाँ की जलवायु आर्द्र है जिस कारण धागा बार-बार नहीं टूटता।
  2. यह एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह है तथा बाहर से मशीनें आदि आसानी से मंगवाई जा सकती हैं।
  3. पश्चिमी घाट पर तैयार पनबिजली से सस्ती शक्ति इन उद्योगों को मिल जाती है।
  4. मुंबई की पृष्ठ-भूमि काली मिट्टी की बनी हुई है, अतः यहाँ बहुत कपास उगती है।
  5. मुंबई के आस-पास के क्षेत्रों में सस्ते तथा कुशल मज़दूर मिल जाते हैं। यहाँ कपड़ों की धुलाई तथा रंगाई की सुविधाएँ प्राप्त हैं।

अतः उपर्युक्त कारणों से यहाँ सूती वस्त्र उद्योग बहुत उन्नत है।

प्रश्न 8.
क्या कारण है कि चीनी उद्योग की दक्षिणी भारत की ओर स्थानांतरण की प्रवृत्ति पाई जाती है?
उत्तर:
पहले, उत्तर प्रदेश तथा बिहार राज्यों में देश की 90% चीनी तैयार की जाती थी, किंतु अब ये प्रदेश 60% से 65 % ही चीनी पैदा करते हैं। पिछले 30 वर्षों से चीनी उद्योगों की दक्षिण की ओर स्थानांतरण की प्रवृत्ति पाई गई है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-

  • गर्म जलवायु के कारण दक्षिण भारत के गन्ने में चीनी का अंश अधिक मिलता है, जिससे चीनी निर्माण में कम लागत आती है।
  • दक्षिण भारत में गन्ना पेरने का मौसम उत्तर भारत से अधिक लंबा होता है, यहाँ यह 8 मास तक पेरा जा सकता है, जबकि उत्तर भारत में यह अवधि केवल 4 मास तक है।
  • दक्षिण भारत में अधिकांश मिलें नई हैं, जिसके कारण उत्पादकता अधिक है। ये मिलें सहकारी क्षेत्र में हैं, इसलिए इनका संचालन ठीक ढंग से किया जाता है।

प्रश्न 9.
छोटा नागपुर पठार के एक औद्योगिक संकुल के रूप में उभरने के क्या कारण हैं?
उत्तर:
छोटा नागपुर का पठार भारत का एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक प्रदेश है। इस क्षेत्र को ‘भारत का रूर’ कहा जाता है। इस प्रदेश की औद्योगिक उन्नति के निम्नलिखित कारण हैं

  • झरिया, रानीगंज, बोकारो तथा गिरडीह आदि क्षेत्रों से कोयला प्राप्त होता है जोकि यहाँ औद्योगिक शक्ति का मुख्य आधार है
    बिहार और उड़ीसा की खदानों से उत्तम कोटि का लोहा प्राप्त होता है
  • छोटा नागपुर के पठार से भारी मात्रा में बांस प्राप्त होता है, जोकि यहाँ कागज के उद्योग के लिए कच्चा माल है
  • इस क्षेत्र में रेल-मार्गों की सुविधाएँ प्राप्त हैं जो कि इसे कोलकाता बंदरगाह से जोड़ती हैं
  • इस क्षेत्र को सरकारी प्रोत्साहन की भी सुविधा प्राप्त है। इस कारण यह क्षेत्र बहुत उन्नत है।

प्रश्न 10.
सूती वस्त्र उत्पादन उद्योग मुंबई प्रदेश से अहमदाबाद की ओर बढ़ रहे हैं, क्यों?
अथवा
वस्त्रोत्पादन उद्योग मंबई प्रदेश से अहमदाबाद की ओर क्यों बढ़ रहा है? उपयुक्त उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग सबसे पहले बंबई (मुंबई) में स्थापित हुआ, क्योंकि यहाँ पर्याप्त मात्रा में पूँजी तथा विदेशों से आधुनिक मशीनरी मंगवाने की सुविधाएँ उपलब्ध थीं, परंतु कपास पंजाब, मध्य प्रदेश तथा गुजरात राज्यों से मंगवाई जाती थी। श्रमिकों की मज़दूरी बढ़ने तथा हड़तालों के कारण सूती वस्त्र उद्योग मुंबई से अहमदाबाद की ओर बढ़ा। इसके निम्नलिखित कारण हैं

  • अहमदाबाद में कपास की पर्याप्त उपलब्धता
  • पर्याप्त मात्रा में पूँजी का होना
  • कारखानों के लिए खुले स्थानों की उपलब्धता।

प्रश्न 11.
कच्चे माल पर आधारित उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
कच्चे माल पर आधारित उद्योगों को निम्नलिखित वर्गों में बांटा जा सकता है-

  1. कृषि पर आधारित उद्योग-सूती वस्त्र, चीनी उद्योग
  2. खनिज पर आधारित उद्योग-लौह-अयस्क, सीमेंट उद्योग
  3. वन पर आधारित उद्योग-कागज, लाख उद्योग
  4. चरागाह पर आधारित उद्योग-खाल, हड्डी, सींग उद्योग।

प्रश्न 12.
भारत के औद्योगिक विकास पर उदारीकरण के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में नई औद्योगिक नीति की घोषणा सन् 1991 में की गई थी। इस नीति की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  • उदारीकरण
  • निजीकरण
  • वैश्वीकरण।

उदारीकरण की नीति से भारत के औद्योगिक विकास पर अनुकूल प्रभाव पड़ा। इस प्रक्रिया से औद्योगिक विकास में तेजी आई। सुरक्षा, सामरिक और पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील केवल छः उद्योगों को छोड़कर अन्य सभी वस्तुओं के लिए लाइसेंस निर्माण उद्योग की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकारी शेयरों में से कुछ भाग वित्तीय संस्थाओं तथा

आम लोगों को देने के फैसले से सरकार का नियंत्रण और निष्क्रियता कम हुई है। इसके साथ काम की क्षमता और निष्पादन बढ़े हैं। लाइसेंस मुक्त किसी भी उद्योग में निवेश के लिए सरकार से पूर्व अनुमति न लेने से उद्योगों के विकेंद्रीकरण को बढ़ावा मिला है। इससे दुर्गम और अविकसित क्षेत्रों में भी उद्योग लगने लगे हैं।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 13.
शुद्ध कच्चे पदार्थ तथा कुल कच्चे पदार्थ में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शुद्ध कच्चे पदार्थ तथा कुल कच्चे पदार्थ में निम्नलिखित अंतर हैं-

शुद्ध कच्चे पदार्थ कुल कच्चे पदार्थ
1. पृथ्वी से वास्तविक रूप से उपलब्ध तथा खनन किए गए पदार्थों को शुद्ध कच्चे पदार्थ कहते हैं। 1. पृथ्वी में कुल उपस्थित प्राकृतिक संसाधनों को कुल कच्चे पदार्थ कहते हैं।
2. इनकी मात्रा निश्चित होती है। 2. इनकी मात्रा अनिश्चित होती है।
3. इनका प्रयोग वर्तमान काल में विभिन्न उद्योगों में होता है। 3. इनका उपयोग भविष्य में संभव है।
4. इनमें अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है। 4. इनमें वैज्ञानिक अनुसंधानों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 14.
नई औद्योगिक नीति के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर:
नई औद्योगिक नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. उद्योगों की कमियों और विकृतियों को सुधारना।
  2. उत्पादन वृद्धि की निरंतरता को बनाए रखना।
  3. रोजगार के ज्यादा-से-ज्यादा अवसर पैदा करना।
  4. उत्पादन को विश्व बाजार की प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाना।
  5. उद्योगों से मिलने वाले लाभों को बनाए रखना।

प्रश्न 15.
चीनी उद्योग की मुख्य समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
चीनी उद्योग की मुख्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं-

  1. यह एक मौसम उद्योग है जो वर्ष में 4 या 5 महीने ही चीनी का उत्पादन करता है।
  2. भारत में गन्ने का प्रति हैक्टेयर उत्पादन कम है।
  3. चीनी में गंधक का प्रयोग किया जाता है जो कि भारत में बहत कम मिलती है।
  4. भारत में इन मिलों का उचित स्थानीयकरण नहीं है।
  5. इसके परिवहन पर अधिक व्यय आता है क्योंकि गन्ना ह्रासमान पदार्थ है।
  6. भारत में इस उद्योग को स्थापित करने के लिए तकनीकी ज्ञान की कमी है।
  7. इस उद्योग पर सरकार ने ऊँचे कर लगा रखे हैं।

प्रश्न 16.
स्पष्ट कीजिए कि कृषि और उद्योग किस प्रकार साथ-साथ बढ़ रहे हैं?
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि और उद्योग का घनिष्ठ संबंध है। ये दोनों एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। दोनों का विकास साथ-साथ हो रहा है।

कृषि ने उद्योगों को सुदृढ़ आधारशिला प्रदान की है। कृषि अनेक उद्योगों के लिए कच्चे माल की पूर्ति का स्रोत है। गन्ना, तिलहन, कच्चा पटसन और कच्चा कपास ऐसे प्रमुख कृषि उत्पाद हैं जो खाद्य तेल उद्योग, चीनी उद्योग, पटसन उद्योग और कपड़ा उद्योग के लिए कच्चे माल का काम करते हैं।

उद्योगों के विकास के कारण ही कृषि का विकास भी संभव हो पाया है। कृषि के लिए ट्रैक्टर, कम्बाइन, हार्वेस्ट जलपम्प और स्प्रिंग कलर इत्यादि उद्योगों से ही प्राप्त होते हैं। उर्वरक, कीटनाशक दवाइयाँ, पेट्रोल, डीजल और बिजली आदि का कृषि में उपयोग उद्योगों पर आधारित है।

स्पष्ट है कि कृषि और उद्योग दोनों का विकास एक-दूसरे के विकास पर निर्भर करता है।

प्रश्न 17.
उद्योगों का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में क्या योगदान है?
उत्तर:
पिछले दो दशकों से सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण उद्योग का योगदान 27 प्रतिशत में से 17 प्रतिशत ही रह गया है क्योंकि 10 प्रतिशत भाग खनिज खनन, गैस तथा विद्युत ऊर्जा का योगदान है।

भारत की तुलना में अन्य पूर्वी एशियाई देशों में विनिर्माण का योगदान सकल घरेलू उत्पाद का 25 से 35 प्रतिशत है। पिछले एक दशक से भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में 7 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से वृद्धि हुई है। वृद्धि की यह दर अगले दशक में 12 प्रतिशत अपेक्षित है। वर्ष 2003 से विनिर्माण क्षेत्र का विकास 9 से 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से हुआ है। उपयुक्त सरकारी नीतियों तथा औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि की नई कोशिशों से अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि विनिर्माण उद्योग अगले एक दशक में अपना लक्ष्य पूरा कर सकता है।

प्रश्न 18.
लोहा और इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग आधारभूत उद्योग माना जाता है। इसे समस्त उद्योगों की कुंजी कहा जाता है क्योंकि इस पर अन्य सभी उद्योग आधारित हैं। इसलिए लोहा-इस्पात उद्योग भारत के तीव्र औद्योगिकीकरण की आधारशिला है।

कारण-लोहा-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग कहने के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. लगभग सभी उद्योगों के लिए मशीनें और उपकरण लोहा-इस्पात से ही बनाए जाते हैं।
  2. सभी प्रकार के हल्के, मध्यम, कुटीर एवं भारी उद्योग लोहा-इस्पात पर आधारित हैं।
  3. संचार एवं परिवहन भी लोहा-इस्पात पर आधारित हैं।
  4. भवन-निर्माण में भी लोहा-इस्पात का प्रयोग किया जाता है।
  5. कृषि के लिए विभिन्न प्रकार के यंत्र एवं उपकरण; जैसे ट्रैक्टर, पम्प-सेट, हल, खुरपा और दराँती आदि सभी लोहा-इस्पात से ही बनाए जाते हैं।

प्रश्न 19.
महाराष्ट्र और गुजरात में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
महाराष्ट्र और गुजरात में सती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के निम्नलिखित कारण हैं-

  1. इन राज्यों की काली मिट्टी कपास की उपज के लिए अति उत्तम है। इसीलिए यहाँ अधिक कपास पैदा होती है।
  2. अधिक जनसंख्या के कारण यहाँ मजदूर और कारीगर सस्ते व आसानी से मिल जाते हैं।
  3. इन राज्यों में बैंकिंग प्रणाली विकसित है। यहाँ बहुत-से पूंजीपति रहते हैं। इसलिए इस उद्योग के विकास के लिए पूँजी प्राप्त हो जाती है।
  4. यहाँ यातायात एवं संचार के साधन विकसित हैं।
  5. यहाँ श्रम और बिजली दोनों ही आसानी से तथा सस्ती दर पर मिल जाती हैं।
  6. मुम्बई इस क्षेत्र का एक बहुत बड़ा प्राकृतिक पत्तन है। यहाँ मिश्र और संयुक्त राष्ट्र से लंबे रेशे की कपास मँगवाई जाती है। देश की मिलों में तैयार सूती कपड़ा विदेशों में भेजा जाता है।

प्रश्न 20.
विनिर्माण उद्योग का क्या महत्त्व है?
अथवा
“किसी भी देश की आर्थिक शक्ति को वहाँ के विनिर्माण उद्योग के विकास से मापा जाता है।” इस कथन की पुष्टि करें।
अथवा
“विनिर्माण उद्योग आर्थिक विकास की रीढ़ है।” उदाहरण सहित व्याख्या करें।
उत्तर:
विनिर्माण उद्योग आर्थिक विकास की रीढ़ है। यह बात इसके महत्त्वों से स्पष्ट होती है; जैसे

  1. रोजगार-विनिर्माण उद्योग भारी मात्रा में प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध करवाता है। इससे देश की गरीबी और बेरोजगारी कम हो रही है।
  2. विदेशी मुद्रा विनिर्मित उत्पादों के निर्यात से वाणिज्य और व्यापार बढ़ता है और आवश्यक विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।
  3. प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग-प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग से देश का विनिर्माण उद्योग विकसित हो गया है। इससे देश का आर्थिक विकास होता है।
  4. रोजमर्रा की जरूरतें विनिर्माण उद्योग रोजमर्रा की जरूरत की चीजें उत्पादित करता है, जिससे सामान्य व्यक्ति अपनी मूल जरूरतें पूरी कर सकता है।

प्रश्न 21.
राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड पर एक भौगोलिक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड देश के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में बिजली के वितरण की अवसंरचना अथवा साधन है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विद्युत उत्पादन की दशाएँ एक-जैसी नहीं हैं और न ही विद्युत के स्रोत एक-जैसे हैं। परिणामस्वरूप कहीं तो विद्युत अधिशेष है और कहीं भारी माँग के कारण विद्युत की कमी है।

बिजली की कमी के कारण-बिजली की कमी के कारण निम्नलिखित हैं-

  • देश में विद्युत के उत्पादन की क्षमता बहुत ही कम है।
  • हमारे पास विद्युत के लिए एक भी राष्ट्रीय ग्रिड नहीं है।

राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड के लाभ-जब एक राष्ट्रीय विद्युत ग्रिड बन जाएगा तो उसके निम्नलिखित लाभ होंगे

  • आपातकाल और अत्यधिक माँग के समय बिजली के अधिशेष क्षेत्रों से बिजली की कमी वाले क्षेत्रों में स्थानान्तरण किया जा सकेगा।
  • क्षेत्रों के भीतर और विभिन्न क्षेत्रों के बीच बिजली की आपूर्ति नियमित हो जाएगी।
  • विद्युत उत्पादन केन्द्रों का इष्टतम उपयोग होगा।

राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय पावर ग्रिड देश में बिजली की समस्या का स्थाई समाधान खोजने के लिए केंद्र सरकार ने सन 1980 में सिद्धान्त के रूप में अपने स्वामित्व और नियन्त्रण में राष्ट्रीय पावर ग्रिड की स्थापना को मंजूरी दी थी, जिसके विकास का दायित्व पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया को सौंपा गया। देश में पाँच क्षेत्रीय विद्युत ग्रिड हैं। इनका संचालन अलग-अलग होता है, एकीकृत ढंग से नहीं। ये ग्रिड हैं-

  • उत्तरी ग्रिड
  • पश्चिमी ग्रिड
  • दक्षिणी ग्रिड
  • पूर्वी ग्रिड
  • उत्तर-पूर्वी ग्रिड।

दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में उद्योगों के स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले भौगोलिक तथा आर्थिक कारकों की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा
भारत में उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इतिहास साक्षी है कि भारत की औद्योगिक प्रगति पश्चिमी देशों से अधिक थी। भारत में बनी वस्तुएँ विशेषकर वस्त्र और दस्तकारी, विश्व विख्यात थीं। विश्व के अनेक राष्ट्र भारत की वस्तुएँ लेने के लिए लालायित रहते थे। भारत धन-धान्य से परिपूर्ण तथा संपन्न था, इसी कारण भारत ‘सोने की चिड़िया’ कहलाता था।

अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना तथा उनकी गलत औद्योगिक नीति के फलस्वरूप भारतीय कुटीर उद्योगों को बहुत हानि यूरोप की औद्योगिक क्रांति के कारण मशीनी युग का श्रीगणेश हुआ और हमारे देश के परंपरागत उद्योग धीरे-धीरे लुप्त होते गए। भारत का कच्चा माल ब्रिटेन को भेजा जाने लगा और भारत मात्र कच्चे माल का उत्पादक क्षेत्र बनकर रह गया। ब्रिटेन में जो माल तैयार होकर आता था, उसको ऊँची कीमतों पर बेचा जाता था।

भारत में आधुनिक उद्योग सन् 1854 में प्रारंभ हुआ जब मुंबई में सूती वस्त्र की मिल स्थापित की गई। उसके बाद चीनी, सीमेंट, रसायन तथा अन्य उद्योग भी संचालित किए गए, लेकिन 1947 तक औद्योगिक विकास की दर धीमी रही।

एक उद्योग किसी स्थान पर उसी समय स्थापित होता है, जब वहाँ अधिक-से-अधिक भौगोलिक परिस्थितियाँ उपलब्ध हो जाती हैं। उद्योगों को स्थापित करने के लिए भौगोलिक, आर्थिक तथा राजनीतिक कारक महत्त्वपूर्ण होते हैं।

1. भौगोलिक कारक (Geographical Factors) उद्योगों को प्रभावित करने वाले प्रमुख भौगोलिक कारक निम्नलिखित हैं
(क) कच्चे माल की प्राप्ति (Availability of Raw Material) कच्चा माल उद्योगों के लिए एक आधारभूत कारक है। कच्चे माल की प्राप्ति उद्योगों के केंद्रीयकरण को आकर्षित करती है; जैसे उत्तर प्रदेश में चीनी उद्योग, महाराष्ट्र और गुजरात में सूती वस्त्र उद्योग तथा छोटा नागपुर के पठार में लौह-इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण के लिए कच्चा माल उपलब्ध है।

(ख) शक्ति (Force)-उद्योगों को संचालित करने के लिए ऊर्जा या शक्ति के साधनों; जैसे कोयला, जल-विद्युत्, पेट्रोलियम तथा परमाणु ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है; जैसे जमशेदपुर में लौह-इस्पात उद्योग की स्थापना का कारण रानीगंज और झरिया से प्राप्त कोयले की शक्ति पर निर्भर है। पंजाब में औद्योगिक विकास में भाखड़ा नंगल जल-विद्युत् परियोजना का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

(ग) परिवहन एवं संचार (Transportation and Communication) कच्चे माल को उद्योगों तक पहुँचाने तथा निर्मित माल को बाजार तक उपलब्ध कराने के लिए परिवहन के साधनों का विकास आवश्यक है। सड़कों, रेलों तथा समुद्री यातायात के द्वारा औद्योगिक विकास प्रभावित होता है। कोलकाता, मुंबई, चेन्नई तथा दिल्ली जैसे महानगरों का औद्योगिक विकास वहाँ के यातायात के साधनों के कारण ही हुआ है। संचार के साधनों; जैसे डाक, टेलीफोन आदि का भी औद्योगिक विकास में महत्त्वपूर्ण स्थान है।

(घ) श्रम (Labour)-उद्योग-धंधों में कुशल एवं सस्ते श्रमिकों के कारण औद्योगिक विकास को बल मिलता है। कानपुर, फरीदाबाद, लुधियाना, जालंधर एवं मेरठ के औद्योगिक विकास में वहाँ के सस्ते एवं कुशल कारीगरों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

(ङ) जलवायु (Climate)-उद्योग-धंधों के कुशल संचालन के लिए वहाँ काम करने वाले कारीगरों के लिए जलवायु का स्वास्थ्यवर्धक होना आवश्यक है। कई उद्योग ऐसे हैं, जिनमें जलवायु का महत्त्वपूर्ण हाथ होता है, जैसे कपड़ा उद्योग के लिए नम जलवायु आवश्यक है, क्योंकि आर्द्र जलवायु में धागा कम टूटता है।

(च) सस्ती भूमि एवं बाजार (Easy availability of Land and Market)-उद्योगों की स्थापना के लिए सस्ती तथा पर्याप्त भूमि आवश्यक है। यही कारण है कि बड़े-बड़े नगरों से दूर उद्योग केंद्रित किए जाते हैं। दिल्ली, मुंबई तथा कोलकाता में भूमि की कीमतें अधिक होने से आस-पास के क्षेत्रों में औद्योगिक केंद्र विकसित हो गए हैं। उद्योगों में निर्मित माल की पूर्ति के लिए बाजार की निकटता भी आवश्यक है, जिससे कम परिवहन लागत पर उपभोक्ताओं को वस्तुएँ प्राप्त हो सकें।

2. आर्थिक कारक (Economic Factors)-प्रौद्योगिक विकास एवं विश्व-व्यापी उदारीकरण की नीति के कारण भौगोलिक कारकों से अधिक आर्थिक कारक महत्त्वपूर्ण हो चुके हैं।
(क) पूंजी (Capital) किसी भी उद्योग या कारखाने को स्थापित करने के लिए बहुत बड़ी मात्रा में पूंजी की आवश्यकता होती है। दिल्ली, मुंबई एवं कोलकाता के समीपवर्ती क्षेत्रों में उद्योगों के केंद्रीयकरण का कारण इन महानगरों में बड़े-बड़े पूंजीपति तथा उद्योगपतियों का होना है।

(ख) बैंकिंग सुविधा (Banking Facility)-उद्योगों के केंद्रीयकरण में बैंकिंग सुविधा होना आवश्यक है, क्योंकि उद्योगपतियों को पैसा जमा करने तथा निकालने की सुविधा होनी चाहिए। आजकल अधिकांश लेन-देन बैंकों के माध्यम से ही होता है। छोटे उद्योगपतियों को पूंजी उचित ब्याज की दर पर बैंकों से प्राप्त हो जाती है।

(ग) बीमे की सुविधा (Facility of Insurance)-उद्योगपति जब करोड़ों रुपए का निवेश करते हैं, तो वे किसी प्रकार का जोखिम नहीं उठाना चाहते। कई बार भारी मशीनों या कारखानों में आग लग जाए या अन्य क्षति हो जाए या अन्य कोई दुर्घटना हो जाए तो इसके लिए वे बीमे की भी व्यवस्था करते हैं।

3. राजनीतिक कारक (Political Factors)-राजनीतिक कारक उद्योगों की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
(क) सरकारी नीति (Government Policy)-भारत में 1991 के बाद जो उदारीकरण आया वह सरकार की नीति का परिणाम ही था। इससे अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों का भारत में प्रवेश हुआ तथा उससे भारत के अनेक भागों में उद्योग-धंधों की स्थापना हुई, जिससे स्थानीय जनता को रोजगार मिला तथा हमारा आर्थिक विकास अधिक हुआ। इसी प्रकार सरकार ने महानगरों में बढ़ते हुए प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से कई उद्योगों को वहाँ से हटाकर समीपवर्ती क्षेत्रों में उद्योगों के स्थानीयकरण को प्रोत्साहित किया जिससे प्रादेशिक असंतुलन भी कम होगा और महानगरों में बढ़ते हुए प्रदूषण पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा।

(ख) राजनीतिक स्थिरता (Political Stability) उद्योगपति हमेशा यही प्रयास करते हैं कि उन क्षेत्रों या देशों में उद्योग स्थापित किए जाएँ जहाँ राजनीतिक रूप से स्थिरता हो, सरकारें स्थिर हों, जिससे उन्हें उनके उत्पादनों का अधिकतम लाभ मिल सके।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 2.
भारत में पेट्रो-रसायन उद्योग का वर्णन करें।
उत्तर:
पेट्रो-रसायन उद्योग-कच्चे खनिज तेल और प्राकृतिक गैस से अनेक प्रकार के रसायन और चिकने पदार्थ प्राप्त . होते हैं जिनका प्रयोग अनेक उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। इन सभी उद्योगों को सम्मिलित रूप से पेट्रो-रसायन उद्योग कहा जाता है। इन उद्योगों को निम्नलिखित चार उपवर्गों में बाँटा जाता है

  • बहुलक (पालिमस)
  • कृत्रिम रेशे
  • प्रत्याथस्लक
  • पृष्ठ सक्रियक मध्यवर्ती।

विकास (Development)-भारत में यह एक अपेक्षाकृत नया उद्योग है। सन् 1960 में देश में कार्बनिक रसायनों की माँग इतनी ज्यादा बढ़ गई कि कोयला, एल्कोहल और कैल्शियम कार्बाइड द्वारा तैयार किए गए रसायनों से उसे पूरा करना मुश्किल हो गया। इसी समय पेट्रोलियम परिष्करण उद्योग का तेजी से विस्तार हुआ। देश में व्याप्त इसी अनुकूल वातावरण के चलते सन् 1966 में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड ने मुंबई के निकट ट्रांबे नामक स्थान पर पेट्रो-रसायन का पहला कारखाना लगाया।

सन् 1969 में कोयली तेल परिष्करणशाला पर एक ऐसा ही दूसरा कारखाना लगाया गया। वडोदरा में इंडियन पेट्रोकैमिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (-IPCL) नामक सार्वजनिक क्षेत्र का पहला पेट्रो-रसायन संयंत्र लगाया गया। सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा पेट्रो-रसायन कारखाना बोंगई गाँव में स्थापित किया गया है। हल्दिया और बरौनी में भी पेट्रो-रसायन के दो संयंत्र लगाए गए हैं।

उद्योग का संकेंद्रण-तेल शोधन खनिज तेल आधारित सबसे महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्रिया है। सभी पेट्रो-रसायन उद्योग तेल शोधन-शालाओं के निकट अवस्थित मिलते हैं। भारत में मुंबई पेट्रो-रसायने उद्योग का केंद्र माना जाता है।

प्रशासनिक नियंत्रण-भारत में पेट्रो-रसायन उद्योग के विकास, दिशा-निर्देश और नियंत्रण के लिए निम्नलिखित संगठन कार्यरत हैं
1. इंडियन पेट्रोकैमिकल्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (IPCL) सार्वजनिक क्षेत्र का यह प्रतिष्ठान पालिमर्स, रसायन रेशों और रेशों के मध्यवर्ती जैसी वस्तुओं का उत्पादन और वितरण करता है। लगातार घाटे में चलने के कारण मार्च, 2001 में इसका विनिवेश करके इसे बंद कर दिया गया है। 4 जून, 2002 के बाद IPCL सरकारी कंपनी नहीं रही।

2. पेट्रोफिल्स को-ऑपरेटिव लिमिटेड (PCL)-यह देश की बुनकर सहकारी समितियों और भारत सरकार का संयुक्त उद्यम है। यह संगठन गुजरात के वडोदरा और नलधारी में स्थित कारखानों में पोलिएस्टर, फिलामैंट धागा व नायलान चिप्स का उत्पादन करता है।

3. सेन्ट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी (CIPET) यह संगठन प्लास्टिक के ज्ञान-विज्ञान के विकास हेतु विद्यार्थियों को प्रशिक्षण सेवाएँ प्रदा

प्रश्न 3.
भारत की नई औद्योगिक नीति की तीन प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
नई औद्योगिक नीति की घोषणा सन् 1991 में की गई थी। इस नीति की तीन प्रमुख विशेषताएँ हैं जो निम्नलिखित हैं-

  • उदारीकरण (Liberalisation)
  • निजीकरण (Privatisation)
  • वैश्वीकरण (Globalisation)।

1. उदारीकरण-नियंत्रित अर्थव्यवस्था के स्थान पर केंद्र सरकार ने उदारीकरण की नीति अपनाई है। इससे अभिप्राय नियमों व प्रतिबंधों में ढील देने से है, जो उद्योगों के विकास में सहायक हो। उदारीकरण के लिए निम्नलिखित उपाय बताए गए हैं

  • उद्योगों की स्थापना के लिए लाइसेंस प्रणाली खत्म करना
  • बिना सरकार की अनुमति के औद्योगिक क्षमता का विस्तार करना
  • सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित उद्योगों की संख्या कम कर देना
  • विदेशी कंपनियों को भारत में उद्योग स्थापित करने की अनुमति देना
  • मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना तथा विदेशी निवेश को प्रोत्साहन देना।

2. निजीकरण-सार्वजनिक क्षेत्र सक्षम और कुशल नहीं होता, यह सारे संसार में अनुभव किया जाने लगा था। सार्वजनिक क्षेत्र के प्रति मोह भंग की प्रक्रिया तब तेज हुई जब सन् 1980 के दशक में समाजवादी अर्थव्यवस्थाओं का तिलिस्म बिखरने लगा। दूसरी ओर, विश्व की विकसित अर्थव्यवस्थाओं में निजी क्षेत्र के कारण हो रही आर्थिक वृद्धि के कारण लोगों का निजीकरण में स बढ़ने लगा। निजीकरण वह सामान्य प्रक्रिया है जिसके द्वारा निजी लोग किसी सरकारी उद्यम के मालिक बन जाते हैं या उसका प्रबंध करते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र में उद्यमों में सुधार की प्रक्रिया के उपाय निम्नलिखित हैं-

  • बीमार उद्योगों को बंद करना
  • भविष्य में सफल हो सकने वाले उद्योगों की पुनर्संरचना तथा पुनर्जीवन
  • कामगारों के हितों की पूरी रक्षा करना।

3. वैश्वीकरण-वैश्वीकरण का अर्थ देश की अर्थव्यवस्था का विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय सुझाए गए हैं

  • विदेशी कंपनियों को ऐसी सुविधाएँ देना कि वे भारत के विभिन्न आर्थिक क्रियाकलापों में निवेश कर सकें
  • बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारत में प्रवेश करते समय आने वाली दिक्कतों और प्रतिबंधों को हटाना
  • भारतीय कंपनियों का विदेशी कंपनियों को सहयोग देने की अनुमति देना तथा विदेशियों को संयुक्त उद्यम लगाने के लिए प्रोत्साहित करना
  • उदार आयात कार्यक्रम को लागू करना
  • पूँजी, वस्तुओं, सेवाओं, श्रमिक और संसाधनों को एक देश से दूसरे देश में स्वतंत्रतापूर्वक आ-जा सकने की अनुमति देना।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित औद्योगिक प्रदेशों का संक्षेप में वर्णन करें
(क) गुजरात औद्योगिक प्रदेश
(ख) बंगलौर-तमिलनाडु औद्योगिक प्रदेश
(ग) छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश
(घ) गुड़गांव-दिल्ली-मेरठ औद्योगिक प्रदेश
उत्तर:
(क) गुजरात औद्योगिक प्रदेश-यह औद्योगिक प्रदेश उत्तर में साबरमती के किनारे से दक्षिण में वडोदरा तक फैला हुआ है अर्थात् खंभात की खाड़ी के इर्द-गिर्द फैला यह क्षेत्र सूती वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। इस प्रदेश में देश की लगभग 120 सूती मिलें हैं। अहमदाबाद स्वयं सूती वस्त्र का एक बहुत बड़ा केंद्र है। अहमदाबाद के अलावा वडोदरा तथा सूरत भी सूती वस्त्र का उत्पादन करते हैं।

सूती वस्त्र उद्योग के अतिरिक्त रेशमी वस्त्र, कागज, रसायन तथा दियासलाई उद्योग इस प्रदेश की प्रमुख औद्योगिक इकाइयाँ हैं। वडोदरा सूती वस्त्र के साथ-साथ रसायन तथा दवाइयों के लिए भी विख्यात है। खंभात की खाड़ी में खनिज तेल के अपार भंडार हैं, जिससे यहाँ पेट्रो-रसायन उद्योगों का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। कच्छ की खाड़ी के सिरे पर स्थित कांडला बंदरगाह का इस क्षेत्र के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान है। इस औद्योगिक प्रदेश के विकास में निम्नलिखित सुविधाओं का योगदान है

  • इस क्षेत्र में कच्चे माल के रूप में कपास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
  • यहाँ मुम्बई की तुलना में भूमि सस्ती है, जिससे उद्योगों को स्थापित करने एवं उसके विकास की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।
    पूर्वी गुजरात एवं राजस्थान में सस्ता श्रम उपलब्ध है।
  • कांडला तथा मुम्बई बंदरगाहों से आयात एवं निर्यात की सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
  • यहाँ रेल तथा सड़क यातायात की सुविधाएँ सुलभ हैं, जिससे कच्चे माल एवं निर्मित माल को लाने तथा ले जाने में सुविधा रहती है।
  • खंभात की खाड़ी में पेट्रोलियम की उपलब्धता से अनेक पेट्रो-रसायन उद्योगों की स्थापना में मदद मिली है।
  • इस प्रदेश में अनेक देशी तथा विदेशी कंपनियों के कारण अनेक बैंकों तथा बीमा कंपनियों की स्थापना हुई है।

(ख) बंगलौर-तमिलनाडु औद्योगिक प्रदेश-इस औद्योगिक प्रदेश का विस्तार तमिलनाडु तथा कर्नाटक राज्यों में है। यह दक्षिण में मदुरई से लेकर उत्तर में बंगलुरु (बंगलौर) तक विस्तृत है। तीन महत्त्वपूर्ण केंद्रों मदुरई, कोयंबटूर तथा बंगलुरु में अधिक उद्योग-धंधे स्थापित हैं।

मदुरई वस्त्र उद्योग का बड़ा केंद्र है जो भारत के महत्त्वपूर्ण कपास क्षेत्र में स्थित है। कोयंबटूर तमिलनाडु का सबसे बड़ा औद्योगिक केंद्र है। इसे ‘तमिलनाडु का मानचेस्टर’ भी कहते हैं। यहाँ का दूसरा प्रमुख उद्योग चीनी उद्योग है, क्योंकि समीपवर्ती क्षेत्रों में गन्ना पर्याप्त मात्रा में उगाया जाता है। यहाँ केंद्रीय गन्ना अनुसंधान केंद्र स्थापित है जो गन्ने की गुणवत्ता और विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। इस औद्योगिक प्रदेश में इन दो उद्योगों के अतिरिक्त इंजीनियरिंग, सीमेंट, चमड़ा, सिगरेट तथा फिल्म उद्योग भी विकसित हैं। पाइकारा जल-विद्युत केंद्र उद्योगों के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।

लौर इस औद्योगिक प्रदेश का तीसरा महत्त्वपूर्ण केंद्र है। यहाँ पर भारत के कुछ विशिष्ट उद्योग; जैसे हिंदुस्तान वायुयान निर्माण (HAL), हिंदुस्तान मशीन टूल्स (HMT), दूरभाष उद्योग और भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स (BEL) हैं। इनके अतिरिक्त यहाँ कांच का सामान, चीनी-मिट्टी के बर्तन तथा ऊनी एवं रेशमी वस्त्र उद्योग भी विकसित हैं।

(ग) छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश-इसे बिहार और पश्चिमी बंगाल का औद्योगिक प्रदेश भी कहते हैं। इस औद्योगिक प्रदेश में भारत के विविध तथा विशाल खनिजों के भंडार हैं, इसलिए इस प्रदेश को भारत का रूर (Ruhr) भी कहा जाता है। इस प्रदेश में दामोदर घाटी के कोयले और बिहार तथा ओडिशा के लौह-अयस्क का महत्त्वपूर्ण योगदान है। यहाँ भारी इंजीनियरिंग उद्योग, रसायन उद्योग आदि स्थापित हैं। इस क्षेत्र के विकसित होने के निम्नलिखित कारण हैं

  • उत्तम किस्म का लौह-अयस्क छोटा नागपुर के पठार में उपलब्ध है।
  • रानीगंज, झरिया और बोकारो के विशाल कोयला भंडार शक्ति के साधन के रूप में प्रयुक्त किए जाते हैं।
  • यह क्षेत्र परिवहन के साधनों के रूप में दक्षिणी एवं पूर्वी रेलवे से जुड़ा है।
  • बिहार के संथाल परगना का सस्ता श्रम उद्योगों के लिए उपलब्ध है।
  • दामोदर और उसकी सहायक नदियों से स्वच्छ जल की सुविधा प्राप्त है।
  • दामोदर घाटी परियोजना के विकास के फलस्वरूप सस्ती जल-विद्युत शक्ति उद्योगों के विकास में सहायक है।

(घ) गड़गांव-दिल्ली-मेरठ औद्योगिक प्रदेश-इस औद्योगिक प्रदेश का विस्तार दिल्ली तथा उसके समीपवर्ती राज्यों; जैसे हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश में हुआ है। इस औद्योगिक प्रदेश का विस्तार 1947 में हुआ। यह औद्योगिक प्रदेश आगरा, मथुरा, मेरठ, सहारनपुर के मध्य विकसित है और इस क्षेत्र की दूसरी पेटी हरियाणा में फरीदाबाद, गुड़गांव, सोनीपत तथा पानीपत तक फैली है। इस औद्योगिक पेटी के विकास में भाखड़ा-नंगल बांध की जल-विद्युत् तथा फरीदाबाद, नरेला और पानीपत की ताप-विद्युत् योजनाओं का विशेष योगदान है।

दिल्ली तथा समीपवर्ती औद्योगिक प्रदेश में चीनी, वस्त्र, रसायन, इंजीनियरिंग, कागज, इलेक्ट्रॉनिक्स और साइकिल उद्योग प्रमुख हैं। इनके अतिरिक्त फरीदाबाद में ट्रैक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग, गुड़गांव (गुरुग्राम) में कार उद्योग, अंबाला में वैज्ञानिक मेरठ में खेल के सामान से संबंधित उद्योग तथा मथुरा में तेल परिष्करण-शाला इस प्रदेश की प्रमुख औद्योगिक इकाइयाँ हैं। गाजियाबाद, सहारनपुर और यमुनानगर कृषि पर आधारित उद्योगों के केंद्र हैं। सोनीपतं साइकिल तथा रेवाड़ी पीतल के बर्तनों के लिए प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 5.
हुगली औद्योगिक प्रदेश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हुगली औद्योगिक प्रदेश भारत का सबसे बड़ा तथा प्रमुख औद्योगिक प्रदेश है जो हुगली नदी के किनारे 100 कि०मी० की लंबाई तथा 3 कि०मी० की चौड़ाई में पश्चिम बंगाल में फैला हुआ है। इसे कोलकाता औद्योगिक प्रदेश भी कहते हैं। इस औद्योगिक प्रदेश का विकास अंग्रेजों द्वारा किया गया। 17वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में बंगाल से आई और इन्होंने कोलकाता को अपनी सुविधानुसार विकसित किया। हुगली नदी के दोनों किनारों पर उद्योगों का केंद्रीयकरण हुआ है। नदी के दाएँ किनारे पर सिरामपुर, रिशरा, बांसबरिया, चांपदानी, वैद्यवारी, वेली, बैलूर, हावड़ा, शिवपुर, सौकरैल और बाएँ किनारे पर नेहाटी, काकीनाड़ा, टीटागढ़, अगरपाढ़ा, बेलगुरिया, आलम बाजार, कोलकाता, बजबज तथा बिलासपुर आदि स्थित हैं।

हुगली औद्योगिक प्रदेश में पटसन उद्योग सबसे महत्त्वपूर्ण उद्योग है। भारत की 90% पटसन मिलें इसी क्षेत्र में स्थापित हैं, दूसरा प्रमुख उद्योग कागज उद्योग है, जो नेहाटी, काकीनाड़ा और टीटागढ़ में है। सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्र हावड़ा, मुर्शीदाबाद, हुगली, श्यामनगर, श्रीरामपुर आदि हैं। इस प्रदेश में इंजीनियरिंग उद्योग भी विकसित हैं। यहाँ डीजल इंजन, कपड़ा बुनने की मशीनें, सिलाई मशीनें तथा साइकिल आदि के कारखाने भी हैं। इसके अतिरिक्त बिजली का सामान बनाने और रसायन उद्योग भी उन्नत अवस्था में हैं।

उपरोक्त उद्योगों के अतिरिक्त इस प्रदेश में फिल्म उद्योग, जिनमें बांग्ला तथा हिंदी फिल्में बनाई जाती हैं, भी प्रसिद्ध हैं। इस औद्योगिक प्रदेश के विकास के निम्नलिखित कारण हैं –

  • इस औद्योगिक प्रदेश में कच्चा माल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। पटसन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होती है। साथ-ही-साथ लोहा, कोयला और अन्य खनिज पदार्थ भी इस प्रदेश की पृष्ठभूमि में उपलब्ध हैं।
  • इस औद्योगिक प्रदेश में शक्ति के साधन के रूप में कोयला तथा दामोदर घाटी परियोजना से जल-विद्युत् की सुविधा प्राप्त है।
    कोलकाता स्वयं एक विकसित बंदरगाह है, जिसमें सामान के आयात-निर्यात की सुविधा उपलब्ध है।
  • इस क्षेत्र में रेल तथा सड़कों का जाल बिछा है। यातायात की कोई समस्या नहीं है।
  • बिहार तथा पश्चिम बंगाल के पिछड़े हुए क्षेत्रों से सस्ते तथा कुशल श्रमिक मिल जाते हैं।
  • हुगली नदी के जल द्वारा पटसन उद्योग, कागज उद्योग तथा अन्य उद्योगों के लिए स्वच्छ एवं पर्याप्त जल की सुविधा उपलब्ध हो जाती है।
  • कोलकाता इस प्रदेश का ही नहीं, अपितु देश का दूसरा बड़ा नगर है, जहाँ पूंजी, बीमा तथा बैंकिंग की सुविधाएँ हैं।
    यह संपूर्ण क्षेत्र सघन जनसंख्या वाला है, जिससे निर्मित माल की बड़ी मांग है।

हुगली औद्योगिक प्रदेश की समस्याएँ एवं समाधान-
(1) सन् 1947 में देश के विभाजन के समय पटसन उत्पादक क्षेत्र पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) में चला गया, जिससे यहाँ के पटसन उद्योग को बहुत बड़ा धक्का लगा, लेकिन धीरे-धीरे पटसन के उत्पादन में वृद्धि से इस समस्या का कुछ समाधान निकाल लिया गया है।

(2) हुगली नदी में मिट्टी के निक्षेप के कारण पानी की गहराई निरंतर कम हो रही है। अतः खाड़ी के शीर्ष से कोलकाता पोताश्रय तक 97 कि०मी० लंबे मार्ग में बड़े जहाजों को आने-जाने के लिए कम-से-कम 9 मीटर गहरे पानी की आवश्यकता होती है। अतः पानी की गहराई बनाए रखने के लिए निक्षेपित मिट्टी को लगातार निकालते रहना चाहिए, इस समस्या के समाधान के लिए गंगा नदी पर फरक्का बांध का निर्माण किया गया।

(3) पूर्वी पाकिस्तान के विभाजन के कारण कोलकाता और असम के बीच जल संबंध टूट गए हैं, जिसके कारण परिवहन की लागत अधिक आती है।

(4) कोलकाता बंदरगाह पर पोताश्रय छोटा होने के कारण जहाजों को माल उतारने तथा लादने के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इस समस्या के समाधान के लिए कोलकाता के दक्षिण में हल्दिया पोताश्रय का निर्माण किया गया है।

प्रश्न 6.
भारत में पाए जाने वाले उद्योगों का वर्गीकरण किन-किन आधारों पर किया जाता है?
उत्तर:
उद्योगों के वर्गीकरण के विभिन्न आधार इस प्रकार से हैं-
1. प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर

  • कृषि आधारित-इन उद्योगों को चलाने के लिए कच्चा माल कृषि क्षेत्र से प्राप्त होता है। इनमें सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, पटसन, रेशमी वस्त्र, रबर, चीनी, चाय, कॉफी तथा वनस्पति तेल उद्योग आदि शामिल हैं।
  • खनिज आधारित-इन उद्योगों को चलाने के लिए कच्चा माल खनिजों से प्राप्त होता है। लोहा तथा इस्पात, सीमेंट, एल्यूमिनियम, मशीन, औजार तथा पेट्रो-रसायन उद्योग इसके उदाहरण हैं।

2. प्रमुख भूमिका के आधार पर

  • भूत उद्योग-ये वे उद्योग होते हैं जिनके उत्पादन या कच्चे माल पर दूसरे उद्योग निर्भर हैं; जैसे लोहा इस्पात, ताँबा प्रगलन व एल्यूमिनियम प्रगलन उद्योग।
  • उपभोक्ता उद्योग-ये वे उद्योग होते हैं जो अपना उत्पादन उपभोक्ताओं के सीधे उपयोग हेतु करते हैं; जैसे चीनी, दंतमंजन, कागज, पंखे, सिलाई मशीन आदि।

3. श्रम एवं पूँजी निवेश के आधार पर
(क) श्रम-प्रधान उद्योग-

  • जिन उद्योगों में मजदूरों की एक बहुत बड़ी संख्या काम करती है और पूँजी का कम महत्त्व होता है, उन्हें श्रम-प्रधान उद्योग कहते हैं।
  • इन उद्योगों में अधिक मजदूर काम करते हैं और मशीनों का कम प्रयोग होता है।
  • पटसन उद्योग, रेल, डाक और वस्त्र उद्योग श्रम-प्रधान उद्योग हैं।

(ख) पूँजी-प्रधान उद्योग-

  • जिन उद्योगों की स्थापना और विकास में बड़े पैमाने पर पूँजी की जरूरत होती है और श्रम का इतना अधिक महत्त्व नहीं होता, उन्हें पूँजी-प्रधान उद्योग कहते हैं।
  • इन उद्योगों में अधिकतर काम मशीनों द्वारा किया जाता है।
  • लोहा-इस्पात उद्योग, जलयान-निर्माण उद्योग, तेल परिष्करणशाला उद्योग पूँजी-प्रधान उद्योग हैं।

4. स्वामित्व के आधार पर
(क) सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व राज्य सरकार या केंद्रीय सरकार के किसी संगठन के पास होता है, उन्हें सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे भारतीय रेल उद्योग, भिलाई, दुर्गापुर और राउरकेला के इस्पात उद्योग।

(ख) निजी क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व किसी एक या कुछ व्यक्तियों या कंपनियों के पास होता है, उन्हें निजी क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे-जमशेदपुर में टाटा लौह-इस्पात उद्योग।

(ग) सम्मिलित क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व राज्य एवं कुछ लोगों या निजी फर्मों के पास सम्मिलित रूप से होता है, उन्हें सम्मिलित क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे इंडियन ऑयल कम्पनी लिमिटेड।

(घ) सहकारी क्षेत्र के उद्योग-वे उद्योग, जिनका स्वामित्व और प्रबंध एक वर्ग के लोगों के हाथ में होता है और यह वर्ग उस उद्योग के लिए कच्चे माल का उत्पादक भी होता है, उन्हें सहकारी क्षेत्र के उद्योग कहते हैं; जैसे महाराष्ट्र के चीनी उद्योग।

5. कच्चे तथा तैयार माल की मात्रा व भार के आधार पर
(क) भारी उद्योग-

  • ये वे उद्योग हैं, जिनका कच्चा और तैयार माल दोनों ही भारी होते हैं तथा अधिकांश कार्य मशीनों की सहायता से किया जाता है।
  • लोहा-इस्पात उद्योग, सीमेंट उद्योग आदि भारी उद्योगों के उदाहरण हैं।
  • इनमें तैयार माल और कच्चे माल का परिवहन खर्च अधिक होता है।

(ख) हल्के उद्योग-

  • ये वे उद्योग हैं, जिनका कच्चा और तैयार माल दोनों ही हल्के होते हैं तथा इनमें महिला श्रमिक भी काम करती हैं।
  • बिजली के पंखे, सिलाई मशीनें, रेडियो आदि बनाने वाले उद्योग हल्के उद्योगों की श्रेणी में आते हैं।
  • इनमें परिवहन खर्च कम आता है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 7.
भारत में लोहा-इस्पात उद्योग की प्रगति की समीक्षा कीजिए तथा उन तत्त्वों की विवेचना कीजिए जिन्होंने इसके स्थानीयकरण को प्रभावित किया है।
अथवा
भारत में लौह एवं इस्पात के प्रमुख कारखानों का संक्षिप्त विवरण दीजिए तथा प्रत्येक कारखाने के स्थानीयकरण की विवेचना कीजिए।
अथवा
भारत में लौह-इस्पात उद्योग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग (Iron and Steel Industry) प्रगतिशील राष्ट्र में प्रत्येक उद्योग के लिए लोहा एवं इस्पात की आवश्यकता होती है। भारी मशीनों से लेकर छोटे-छोटे पुों तक में इसका उपयोग होता है, इसलिए इसे आधारभूत उद्योग (Key Industry) कहते हैं।

भारत का यह उद्योग अत्यंत प्राचीन है। इतिहास में इस बात के प्रमाण हैं कि दमिश्क की तलवारों के लिए लोहा भारत से जाता था। दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार के निकट लौह-स्तम्भ इस बात का प्रमाण है कि भारत में इस्पात बनाने की कला कितनी उन्नत थी, क्योंकि अभी तक भी इस पर जंग नहीं लगा। अंग्रेजी साम्राज्य के दौरान न तो अंग्रेजों ने चाहा कि भारत में कोई आधारभूत उद्योग पनपे और न ही उन्होंने इस दिशा में कारीगरों को प्रोत्साहित किया, जिसके कारण उद्योगों का विकास 19वीं और 20वीं शताब्दी के मध्य तक बहुत मंद रहा।

देश में आधुनिक लौह-इस्पात का कारखाना पश्चिमी-बंगाल में कुल्टी नामक स्थान पर सन् 1870 में ‘बंगाल आयरन वर्क्स’ के नाम से खोला गया, लेकिन 40 वर्षों तक उत्पादन में कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई। सन् 1907 में बिहार में सांची नामक स्थान पर जमशेद जी टाटा के प्रयासों से टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी (TISCO) की स्थापना से इस उद्योग को काफी बल मिला। इस कंपनी का उत्पादन निरंतर बढ़ता गया और अब जमशेदपुर (TISCO) देश के इस्पात उत्पादन में महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है। इण्डियन आयरन एण्ड स्टील कंपनी (IISCO) ने सन् 1919 में बर्नपुर में तथा सन् 1923 में कर्नाटक में भद्रावती में इस्पात कारखाने स्थापित किए। भद्रावती का कारखाना पहले निजी क्षेत्र में था, लेकिन अब संयुक्त रूप से केंद्र सरकार तथा कर्नाटक सरकार के स्वामित्व में प्रसिद्ध इंजीनियर डॉ० विश्वेश्वरैया के नाम पर ‘विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील वर्क्स लिमिटेड’ के नाम से कार्यरत है।

प्रमुख इस्पात इकाइयाँ (Main Steel Plants) सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाने के लिए सन् 1973 में एक नई कंपनी ‘भारतीय इस्पात प्राधिकरण’ (SAIL) की स्थापना की गई। वर्तमान में SAIL पाँच इस्पात कारखानों भिलाई, बोकारो, दुर्गापुर, राउरकेला तथा बर्नपुर का प्रबंधन तथा संचालन कर रहा है। निजी क्षेत्र में टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी, जमशेदपुर देश का सबसे बड़ा इस्पात कारखाना है। इसके अलावा जिंदल विजयनगर इस्पात लिमिटेड, बेल्लारी, इस्पात इण्डस्ट्रीज लिमिटेड, रायगढ़, एस्सार इस्पात लिमिटेड, हजीरा आदि मुख्य हैं।
1. टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी (TISCO)-जमशेद जी टाटा द्वारा सन् 1907 में जमशेदपुर में आधुनिक किस्म का कारखाना स्थापित किया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध तक इस कारखाने ने विशेष उन्नति नहीं की। इस कारखाने में लौह-इस्पात का उत्पादन सन् 1911 से शुरू हुआ। इस उद्योग के स्थानीयकरण में अनेक भौगोलिक सुविधाओं की उपलब्धता है।

  • कच्चा लोहा झारखंड में सिंहभूम जिले की नोआमुण्डी और ओडिशा की गुरुमहिसानी से प्राप्त होता है। ये दोनों खाने 100 वर्ग कि०मी० के क्षेत्र में स्थित हैं, इनमें उत्तम कोटि का हैमेटाइट लोहा उपलब्ध है।
  • कोयला 270 कि०मी० की दूरी पर रानीगंज तथा झरिया से प्राप्त होता है।
  • चना एवं डोलोमाइट ओडिशा के गंगपर से तथा मैंगनीज बिहार व कछ मध्य प्रदेश से मंगवाया जाता है।
  • जमशेदपुर नगर स्वर्ण रेखा तथा खोरकाई नदियों के निकट स्थित होने से लोहे को ठण्डा करने तथा कारखाने के अन्य उपयोग के लिए यहाँ जल की उचित सुविधा उपलब्ध है।

2. इण्डियन आयरन एण्ड स्टील कंपनी (IISCO) इस कंपनी के कारखाने पश्चिमी बंगाल में कुल्टी, बर्नपुर तथा हीरापुर में हैं। कुल्टी बाराकर नदी के तट पर कोलकाता से 215 कि०मी० की दूरी पर उत्तर पश्चिम में तथा हीरापुर आसनसोल से दक्षिण में 6 कि०मी० की दूरी पर स्थित है। दूसरी इकाई कुल्टी में हीरापुर से 16 कि०मी० पश्चिम में तथा तीसरी इकाई बर्नपुर में आसनसोल से 5 कि०मी० दक्षिण पश्चिम में है। कुल्टी के कारखाने में इस्पात-पिण्ड तथा हीरापुर में लौह-पिण्ड और बर्नपुर में तैयार इस्पात बनाया जाता है। ये तीनों कारखाने संगठित रूप से कार्य करते हैं। सन 1976 से इनका प्रबंधन भारतीय इस्पात प्राधिकरण कर रहा है।

इन केंद्रों में निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध हैं-

  • लोहा झारखण्ड की सिंहभूम तथा ओडिशा की म्यूरभंज की बादाम पहाड़ियों से प्राप्त होता है।
  • कोयला निकटवर्ती झरिया एवं रानीगंज की खानों से मंगवाया जाता है।
  • चूने का पत्थर पाराघाट तथा गंगपुर से उपलब्ध हो जाता है।
  • इस कारखाने को दामोदर नदी से जल की सुविधा प्राप्त है।
  • बिहार एवं पश्चिमी बंगाल से सस्ता श्रम उपलब्ध है।
  • यातायात की सुविधा आसनसोल जंक्शन से प्राप्त है।

कोलकाता तथा हुगली के औद्योगिक क्षेत्र यहाँ से 200 कि०मी० दूर हैं। इसकी उत्पादन क्षमता एक लाख टन की है। बर्नपुर संयंत्र की इस्पात उत्पादन क्षमता लगभग 3.5 लाख टन प्रतिवर्ष है।।

3. विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील वर्क्स लिमिटेड (VISWL)-कर्नाटक राज्य में भद्रावती के किनारे सन् 1923 में मैसूर आयरन एण्ड स्टील कंपनी के नाम से कारखाने की स्थापना हुई, लेकिन अब यह संयुक्त उपक्रम है, जिसका संचालन केंद्र सरकार तथा कर्नाटक सरकार करती है। इस उद्योग के लिए निम्नलिखित सुविधाएँ प्राप्त हैं

  • लोहा (अयस्क) कादूर जिले के बाबाबूदान की पहाड़ियों से प्राप्त होता है।
  • यहाँ कोयले की सविधा उपलब्ध नहीं है, लेकिन समीपवर्ती क्षेत्रों से लकडी के ईंधन का प्रयोग किया जाता है, लेकिन अब शिमसा विद्युत केंद्र से शक्ति के रूप में विद्युत भी प्राप्त है।
  • चूने का पत्थर भद्रावती से केवल 10 कि०मी० की दूरी पर भण्डीगुड्डा से प्राप्त होता है।
  • माल लाने तथा ले जाने के लिए यातायात, के साधन, विशेषकर रेल यातायात उपलब्ध है। यहाँ उत्तम किस्म का मिश्रित इस्पात बनाया जाता है। वर्तमान में यह कंपनी कर्नाटक सरकार तथा SAIL के स्वामित्व में है।

4. हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड (Hindustan Steel Limited) स्वतंत्रता के पश्चात् देश में औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि के उद्देश्य से भारत सरकार ने तीन कारखानों की स्थापना, राउरकेला, भिलाई एवं दुर्गापुर में की। ये सभी कारखाने विदेशी सहायता से चलाए जाते हैं। प्रारंभ में इन सभी कारखानों की उत्पादकता का लक्ष्य 10 लाख टन प्रति कारखाना निर्धारित किया गया था।
(क) राउरकेला – राउरकेला स्टील प्लांट ओडिशा राज्य में सारन तथा कोयना नदियों के संगम पर स्थित है। इस केंद्र को जर्मनी के सहयोग से स्थापित किया गया है। प्रारंभ में इसकी उत्पादन क्षमता 10 लाख टन इस्पात तैयार करने की थी, लेकिन अब यह 18 लाख टन से अधिक लोहा तथा इस्पात तैयार करता है।

इस केंद्र को निम्नलिखित सुविधाएँ प्राप्त हैं-

  • लौह-अयस्क 80 कि०मी० की दूरी पर बरसुआ की खानों से प्राप्त होता है।
  • कोयला झरिया, बोकारो तथा करगली की खानों से मंगवाया जाता है।
  • 150 कि०मी० की दूरी पर हीराकुण्ड बांध से जल-विद्युत प्राप्त की जाती है।
  • डोलोमाइट मध्य प्रदेश की हीरा खानों से उपलब्ध है।
  • चूना पत्थर 25 कि०मी० दूर हाथीबाड़ी से प्राप्त किया जाता है।
  • दक्षिणी-पूर्वी रेल मार्ग पर स्थित होने के कारण यातायात की पूर्ण सुविधा है।

(ख) भिलाई-इस लौह-इस्पात केंद्र की स्थापना सन् 1957 में तत्कालीन सोवियत रूस की सहायता से की गई। यह कारखाना छत्तीसगढ़ में भिलाई नामक स्थान पर रायपुर से पश्चिम में 22 कि०मी० दूर दुर्ग-रायपुर रेलमार्ग पर बनाया गया है। यह भारत का सबसे आदर्श संयंत्र माना जाता है। यह देश का सबसे बड़ा इस्पात संयंत्र भी है। इस कारखाने में लगभग 40 लाख टन इस्पात तथा लगभग 31.53 लाख टन तैयार इस्पात का निर्माण होता है। इस केंद्र को निम्नलिखित सुविधाएँ प्राप्त हैं

  • लौह-अयस्क 80 कि०मी० दक्षिण में डाली-राझरा लौह-क्षेत्र से प्राप्त होता है।
  • कोयला झरिया तथा कोरवा की खानों से आता है।
  • चूने का पत्थर 25 कि०मी० की दूरी पर नंदनी क्षेत्र से प्राप्त होता है।
  • तेंदुला नहर से जल की सुविधाएँ प्राप्त हैं।
  • मैंगनीज़ वारसियोनी की खानों से प्राप्त होता है।
  • निकटवर्ती क्षेत्रों में सस्ता तथा कुशल श्रम उपलब्ध है।

(ग) दुर्गापुर-यह केंद्र पश्चिमी बंगाल में आसनसोल के निकट सन् 1959 में स्थापित किया गया है। यह ब्रिटिश सरकार की आर्थिक एवं तकनीकी सहायता से संचालित है। सन् 1987-88 में इस कारखाने की उत्पादन क्षमता 9.36 लाख टन इस्पात पिण्ड तथा 8.3 लाख टन तैयार इस्पात उत्पादन करने की थी, लेकिन इस समय में यह केंद्र लगभग 16 लाख टन इस्पात पिण्ड तथा लगभग 12.5 लाख टन तैयार इस्पात का उत्पादन करता है। इस केंद्र को निम्नलिखित सुविधाएं प्राप्त हैं

  • लौह-अयस्क बिहार की खानों से प्राप्त होता है।
  • कोयला झरिया की खानों से मंगवाया जाता है।
  • चूना-पत्थर हाथीबाड़ी की खानों से प्राप्त किया जाता है, लेकिन सुंदरगढ़ से भी भविष्य में चूना पत्थर प्राप्त होने की संभावना है।
  • मैंगनीज़ ओडिशा के बराविल क्षेत्र से प्राप्त होता है।
  • जल की सुविधा दामोदर नदी पर बने दुर्गापुर बैराज से प्राप्त है।
  • कोलकाता आसनसोल रेलमार्ग पर स्थित होने के कारण यातायात की अच्छी सुविधा प्राप्त है।

(घ) बोकारो-हिन्दुस्तान स्टील लिमिटेड का यह चौथा कारखाना है। यह केंद्र सन् 1964 में बिहार राज्य के हजारीबाग जिले में बोकारो तथा दामोदर नदी के संगम पर स्थापित किया गया है। इस कारखाने को भी आर्थिक एवं तकनीकी सहायता तत्कालीन सोवियत रूस से प्राप्त थी। प्रारंभ में इसकी उत्पादन क्षमता 10 लाख टन निर्धारित की गई थी, लेकिन बाद में चार गुना बढ़ा दी गई। वर्तमान में इस केंद्र में 7.80 लाख टन कच्ची इस्पात तथा लगभग 30 लाख टन बिक्री योग्य इस्पात तैयार की गई। इस केंद्र को निम्नलिखित सुविधाएँ उपलब्ध हैं

  • लौह-अयस्क ओडिशा के क्योंझर जिले में 250 कि०मी० की दूरी से मंगवाया जाता है।
  • बोकारो स्वयं कोयले का क्षेत्र है तथा कुछ कोयला झरिया से भी मंगवाया जाता है।
  • दामोदर घाटी परियोजना (DVC) से सस्ती जल-विद्युत भी उपलब्ध है।
  • बिहार के पलामू जिले से चूने का पत्थर मंगवाया जाता है।
  • यह केंद्र कोलकाता बंदरगाह से 300 कि०मी० की दूरी पर स्थित होने के कारण व्यापार के लिए भी सुविधाजनक है।
  • रेल यातायात एवं श्रमिकों की सुविधाएँ भी इस केंद्र को प्राप्त हैं।

उपर्युक्त कारखानों के अतिरिक्त हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड ने 3 इस्पात केंद्रों की योजना पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में तैयार की, जिनमें तमिलनाडु में सेलम, आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम तथा कर्नाटक में विजयनगर क्षेत्र मुख्य हैं। तमिलनाडु के सेलम केंद्र ने सन् 1982 से उत्पादन शुरू कर दिया है। विशाखापट्टनम् का केंद्र अति आधुनिक मशीनों एवं सुविधाओं के साथ स्थापित है।

प्रश्न 8.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास तथा वितरण का विस्तृत वर्णन करें।
अथवा
भारत में सूती वस्त्र उद्योग का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण व उत्पादन का वर्णन करें।
उत्तर:
जिन उद्योगों को कच्चा माल कृषि से प्राप्त होता है, उन्हें कृषि पर आधारित उद्योग कहते हैं। इनमें वस्त्र उद्योग, चीनी उद्योग, चमड़ा उद्योग तथा तेल उद्योग प्रमुख हैं। वस्त्र उद्योग के अंतर्गत सूती वस्त्र, रेशमी वस्त्र, ऊनी कृत्रिम रेशम के वस्त्र सम्मिलित हैं।

सूती वस्त्र उद्योग (Cotton Textile Industry) भारतीय सूती वस्त्र उद्योग अत्यंत प्राचीन है। ईसा से 4,000 वर्ष पूर्व यहाँ के वस्त्रों की विश्व में ख्याति थी। ‘ढाका की मलमल’ संपूर्ण विश्व में विख्यात थी, किंतु उस समय यह उद्योग घरेलू उद्योग के रूप में विकसित था। साधारण उपकरणों की सहायता से वस्त्र बनाए जाते थे। श्रम तथा समय अधिक लगने के कारण कपड़े की उत्पादन लागत अधिक थी। यूरोप में मशीनी क्रांति के कारण विद्युत संचालित यंत्रों से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय कपड़े की कीमतें अधिक होने के कारण भारतीय कपड़ा विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धा से हट गया। भारत में अंग्रेजी शासन के दौरान इस उद्योग की अत्यंत क्षति हुई। भारतीय कपास मानचेस्टर (ब्रिटेन) सूती वस्त्र उद्योग के लिए भेजी जाने लगी और भारतीय वस्त्र का गौरवशाली इतिहास लुप्त हो गया।

सन् 1851 में भारत में मुंबई में पहली आधुनिक मिल की स्थापना हुई। मुंबई की अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों (कपास तथा अनुकूल जलवायु) ने इस उद्योग के विकास को प्रोत्साहित किया। सन् 1861 में अहमदनगर में शाहपुर मिल तथा सन् 1863 में कैलिकों मिल की स्थापना की गई। स्वतंत्रता के बाद भारत में इस उद्योग को पुनर्जीवित करने के प्रयास किए गए। भारत पुनः कपडे के उत्पादन में विश्व में अपना प्रमुख स्थान बनाने के प्रयास में है। आज भारत में अनेक किस्मों का कपड़ा तैयार किया जाता है, जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मांग है।

उत्पादन एवं वितरण (Production and Distribution) देश की अर्थव्यवस्था में सूती वस्त्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वर्ष 2012 में 2708 सूती वस्त्र निर्माण मिलें थीं। इनमें से 192 मिलें सार्वजनिक क्षेत्र में, 153 मिलें निगम अथवा सहकारी क्षेत्र .. में तथा अन्य 2,363 मिलें निजी क्षेत्र में थीं। 1951 में संगठित सेक्टर का उत्पादन 81% था। देश में उत्पादित सूती वस्त्र का 83.1% विकेन्द्रित सेक्टर में पावरलूम द्वारा व 12.2% हैंडलूम द्वारा व 1.4% अन्य द्वारा उत्पादित किया जाता है। हमारे देश में असंगठित क्षेत्र में सूती वस्त्र बनाने के 3,500 से अधिक छोटे-छोटे कारखाने हैं जहाँ लगभग एक करोड़ श्रमिक काम करते हैं। 2016-17 में देश में सूती वस्त्र का उत्पादन लगभग 33.09 मिलियन टन हुआ। 2017-18 में यह उत्पादन घटकर लगभग 32.27 मिलियन टन हो गया।

राष्ट्र महाराष्ट्र राज्य सूती वस्त्र के उत्पादन में भारत का प्रथम राज्य है, जो भारत का 38% कपड़ा तैयार करता है। इस राज्य में सूती वस्त्र की लगभग 125 मिलें हैं, जिनमें से 65 मिलें अकेले मुंबई महानगर में हैं, इसलिए मुंबई को ‘भारत का मानचेस्टर’ कहते हैं। मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के लिए निम्नलिखित अनुकूल भौगोलिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं

  • मुंबई के पृष्ठ प्रदेश में काली मिट्टी का क्षेत्र है जो कपास के उत्पादन के लिए सर्वोत्तम क्षेत्र है अर्थात् कच्चे माल की पूर्ति आसानी से पर्याप्त रूप से हो जाती है
  • समुद्र तट पर स्थित होने के कारण मुंबई की जलवायु नम तथा आर्द्र है, जिसमें धागा आसानी से टूटता नहीं है तथा वस्त्र बनाने में आसानी रहती है
  • मुंबई के निकट पश्चिमी घाट में कई जल विद्युत् केंद्र स्थापित हैं, जिससे ऊर्जा का संकट नहीं है
  • मुंबई स्वयं भारत की एक प्रमुख बंदरगाह है जिससे भारी मशीनों के आयात एवं निर्मित माल को भेजने में सुविधा रहती है
  • मुंबई महानगर देश के विभिन्न भागों से रेल लाइनों तथा सड़कों से जुड़ा हुआ है, जिससे यातायात की पूर्ण सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

2. गुजरात-सूती वस्त्र के उत्पादन में गुजरात का दूसरा स्थान है। अहमदाबाद सूती वस्त्र का सबसे बड़ा केंद्र है। यहाँ सूती कपड़े की लगभग 73 मिलें हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण केंद्र भावनगर, पोरबंदर, राजकोट आदि हैं। संपूर्ण गुजरात में सूती कपड़े की 120 से अधिक मिलें हैं। अहमदाबाद में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के लिए निम्नलिखित अनुकूल सुविधाएँ उपलब्ध हैं

  • अहमदाबाद कपास उत्पादक क्षेत्र के निकट स्थित है
  • आर्द्र एवं नम जलवायु है
  • मुंबई तथा अन्य महानगरों की तुलना में यहाँ भूमि सस्ती है जिससे उद्योगों के स्थानीयकरण को बढ़ावा मिलता है
  • सस्ती जल-विद्युत् उपलब्ध है
  • सस्ते एवं कुशल श्रमिक उपलब्ध हैं
  • अहमदाबाद यातायात एवं संचार के साधनों द्वारा देश के महत्त्वपूर्ण महानगरों से जुड़ा हुआ है।

3. मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश में कपास बहुतायत में उत्पन्न होती है। शक्ति के साधन के रूप में कोयले की खाने हैं तथा सस्ते श्रमिक भी उपलब्ध हैं। मध्य प्रदेश राज्य में इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, इंदौर, जबलपुर एवं भोपाल प्रमुख सूती वस्त्र के उत्पादक केंद्र हैं।

4. उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश में कच्चा माल (कपास) उत्पन्न नहीं होता फिर भी यहाँ सती वस्त्र के कारखाने हैं। कच्चे माल के आ राज्य में अन्य सभी भौगोलिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं। कानपुर राज्य सूती वस्त्र का सबसे बड़ा उत्पादक केंद्र है। यहाँ सूती वस्त्र की 17 मिलें हैं। इसे उत्तर प्रदेश का ‘मानचेस्टर’ कहा जाता है। उत्तर प्रदेश में जनसंख्या सघन होने के कारण श्रमिक पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं। कानपुर के अतिरिक्त आगरा, वाराणसी, मुरादाबाद, बरेली, मोदीनगर, रामपुर और मिर्जापुर में भी सूती वस्त्र की मिलें हैं।

5. पश्चिमी बंगाल-मुंबई की तरह कोलकाता भी भारत की प्रमुख बंदरगाह है। यहाँ की जलवायु सूती वस्त्र उद्योग के लिए आदर्श है। कोलकाता स्वतंत्रता के पूर्व से ही विकसित महानगर रहा है। अनेक पूंजीपतियों एवं उद्योगपतियों का केंद्र कोलकाता, निवेश के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ उपलब्ध करवाता है तथा सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना में भी इनका मुख्य हाथ रहा है। कोलकाता बंदरगाह से दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों से आयात-निर्यात की सुविधा है। कोलकाता हुगली, हावड़ा, मुर्शीदाबाद, सेरमपुर, पानीहर आदि वस्त्र उद्योग के केंद्र हैं।
HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग 1

6. तमिलनाडु-तमिलनाडु दक्षिणी भारत का प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादक राज्य है। यहाँ देश की सबसे अधिक 208 सूती वस्त्र की मिलें हैं, लेकिन ये छोटी-छोटी मिलें हैं, जिसके कारण उत्पादन अधिक नहीं है। तमिलनाडु में कोयंबटूर सबसे बड़ा केंद्र है। इसके अतिरिक्त चेन्नई, मदुरै, त्रिनेवली, सेलम, पैरांबूर, कोकनाडा आदि प्रमुख केंद्र हैं।

7. अन्य राज्य-

  • आंध्र प्रदेश व तेलंगाना हैदराबाद, सिकंदराबाद, गुंटूर, वारंगल तथा देवगिरी।
  • कर्नाटक मैसूर, बंगलौर, बिलारी, मंगलौर, चित्तल दुर्ग।
  • बिहार-पटना, गया, भागलपुर, भदानी।
  • केरल-त्रिवेंद्रम, अलगप्पा, चलापुरम, पापनीसेरी।
  • पंजाब-फगवाड़ा, अमृतसर, लुधियाना।
  • हरियाणा-भिवानी, रोहतक, हिसार।

प्रश्न 9.
मुंबई-पुणे औद्योगिक प्रदेश का वर्णन कीजिए।
औद्योगिक क्षेत्र से आप क्या समझते हैं? भारत में मुंबई-पुणे औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर:
औद्योगिक क्षेत्र या प्रदेश का अर्थ (Meaning of Industrial Region)-भारत में उद्योगों का केंद्रीकरण कुछ विशिष्ट स्थानों या प्रदेशों में हुआ है। उसके कई कारण हैं, जहाँ पर उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ मिल जाती हैं, वहीं उद्योगों का जमघट या समूह मिलता है, जिन्हें औद्योगिक क्षेत्र, समूह अथवा औद्योगिक प्रदेश कहते हैं। भारत औद्योगिक दृष्टि से विकासोन्मुख राष्ट्र है, लेकिन औद्योगिक विकास कुछ विशिष्ट क्षेत्रों या प्रदेशों तक सीमित रह गया है। देश में समान रूप से इनका वितरण नहीं है। औद्योगिक प्रदेश या गुच्छ को पहचानने के अग्रलिखित आधार हैं

  • उद्योग पास-पास तथा अधिक संख्या में हों।
  • विशाल जनसंख्या तथा श्रमिकों को रोजगार की सुविधाएँ उपलब्ध हों।
  • किसी प्रमुख उद्योग के साथ-साथ उस पर निर्भर कुछ अन्य छोटे उद्योग भी हों।

मुंबई-पुणे औद्योगिक प्रदेश यह देश का दूसरा प्रमुख औद्योगिक प्रदेश है। इस प्रदेश का प्रमुख उद्योग सूती वस्त्र उद्योग है। यहाँ देश का लगभग 40% सूती वस्त्र तैयार किया जाता है। इस औद्योगिक प्रदेश की पृष्ठभूमि में कपास पर्याप्त मात्रा में मिलती है। मुंबई में सूती वस्त्र उद्योग के अतिरिक्त रेशमी तथा ऊनी वस्त्र उद्योग भी विकसित हैं। औषधि-निर्माण उद्योग, इंजीनियरिंग उद्योग, रसायन उद्योग, वनस्पति तेल और बिजली का सामान तैयार करने के उद्योग भी इस प्रदेश में विकसित हैं। फिल्म उद्योग के लिए मुंबई विश्व भर में प्रसिद्ध है, इसलिए इसे भारत का हॉलीवुड भी कहते हैं। इस औद्योगिक प्रदेश के विकास में निम्नलिखित कारकों का योगदान है-

  • इस औद्योगिक प्रदेश में अंग्रेजी शासन-काल से ही उद्योग स्थापित थे।
  • इस प्रदेश की पृष्ठभूमि में काली मिट्टी का क्षेत्र, जो कपास के लिए वरदान है, सूती वस्त्र उद्योग के लिए कच्चे माल की पूर्ति करने में सक्षम है।
  • पश्चिमी घाट की पहाड़ियों में जल-विद्युत् से उद्योगों के लिए ऊर्जा की पूर्ण व्यवस्था है।
  • मुंबई भारत की व्यापारिक एवं व्यावसायिक राजधानी है, जहाँ बैंकिंग, बीमा तथा बड़े-बड़े पूंजीपति और विदेशी कंपनियाँ भी रहती हैं, जिससे औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन मिला है। इस औद्योगिक प्रदेश में यातायात की सभी सुविधाएँ, सड़क, रेल, जल और वायु मौजूद हैं। मुंबई देश के सभी प्रमुख नगरों में परिवहन इन सुविधाओं द्वारा जुड़ा है।

HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग

प्रश्न 10.
भारत में चीनी उद्योग के वितरण व उत्पादन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में चीनी उद्योग का वितरण-भारत में विश्व का सबसे अधिक गन्ना उत्पन्न होने के बावजूद भी चीनी के उत्पादन में हमारा क्यूबा के बाद दूसरा स्थान है। हमारे देश में चीनी के अतिरिक्त गन्ने से खांड तथा गुड़ भी बनाए जाते हैं। कारखाने पुराने तथा उनकी क्षमता कम है। गन्ने की प्रजाति उन्नत किस्म की नहीं है। चीनी उद्योग मौसमी उद्योग होने के कारण इसमें श्रमिकों को स्थायी रूप से रोजगार नहीं दिया जा सकता तथा पिराई के समय श्रमिकों का अभाव बहुत बड़ी समस्या है। चीनी उद्योग के स्थानीयकरण में गन्ने की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए चीनी मिलें गन्ने के उत्पादन क्षेत्रों में लगाई जाती हैं। गन्ना भारी होने के कारण इसका परिवहन व्यय अधिक आता है। भारत की लगभग 90% चीनी देश के 6 राज्यों में उत्पन्न होती हैं। ये राज्य हैं महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र
प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक।
1. महाराष्ट्र-चीनी के उत्पादन की दृष्टि से महाराष्ट्र का स्थान देश में प्रथम है। देश की लगभग 37% चीनी महाराष्ट्र राज्य में उत्पन्न होती है। महाराष्ट्र में अहमदनगर, कोल्हापुर, पुणे, सतारा, शोलापुर, औरंगाबाद और सांगली राज्य में चीनी की मिलें हैं।

2. उत्तर प्रदेश-चीनी मिलों की संख्या की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का दूसरा स्थान है। इस राज्य में चीनी मिलें दो क्षेत्रों में फैली हैं-

  • गंगा-यमुना के दोआब (सहारनपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद),
  • तराई क्षेत्र-गोरखपुर, बस्ती, देवरिया, सीतापुर, गोंडा, फैजाबाद आदि।

3. आंध्र प्रदेश-यहाँ गन्ने के उत्पादन के लिए उत्तम जलवायु है, लेकिन वाणिज्यिक फसलों में रुचि लेने के कारण पिछले कुछ वर्षों में यहाँ गन्ने का उत्पादन घटा है। आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम, पूर्वी तथा पश्चिमी गोदावरी, कृष्णा, हैदराबाद, चित्तूर आदि जिलों में चीनी मिलें हैं।।

4. कर्नाटक-यहाँ बेलगांव, हापेरट, पांडवपुरा, गंगावती, कोलार आदि जिलों में लगभग 11 चीनी मिलें हैं। 5. बिहार-बिहार में चीनी की मिलें चम्पारन, सारन, पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, गया, शाहबाद तथा भागलपुर जिलों में हैं।

अन्य राज्य-उपर्युक्त राज्यों के अलावा तमिलनाडु में कोयंबटूर, तिरुचिरापल्ली, अर्काट, रामनाथपुरम, पंजाब में गुरदासपुर, अमृतसर, पटियाला। हरियाणा में यमुनानगर, पानीपत, सोनीपत, रोहतक, अंबाला तथा जींद में चीनी मिलें हैं।

उत्पादन (Production)-भारत में गन्ना चीनी तैयार करने का मुख्य स्रोत है। चीनी के अतिरिक्त गन्ने से गुड़ और खांड भी तैयार की जाती है। सन् 1931 तक भारत में चीनी उद्योग विकसित नहीं था। हमें विदेशों से चीनी का आयात करना पड़ता था। सन् 1932 में सरकार ने स्वदेशी चीनी को प्रोत्साहन देकर आयात शुल्क में वृद्धि की, जिससे चीनी उद्योग का विकास हुआ। सन् 1931 में भारत में कुल 21 चीनी मिलें थीं। वर्ष 1950-51 देश में जहाँ 139 चीनी मिलें थीं, वहाँ 2011-12 में चीनी मिलों की संख्या बढ़कर 506 हो गई और चीनी का उत्पादन बढ़कर 177 लाख टन से अधिक हो गया।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *