HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 3 उत्पादन तथा लागत

Haryana State Board HBSE 12th Class Economics Solutions Chapter 3 उत्पादन तथा लागत Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Economics Solutions Chapter 13 उत्पादन तथा लागत

पाठयपुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्पादन फलन की संकल्पना को समझाइए।
उत्तर:
उत्पादन फलन से अभिप्राय भौतिक आगतों और अधिकतम संभावित निर्गत के तकनीकी संबंध से है। अर्थात् उत्पादन फलन (q) = f (L, K)
यहाँ f = फलन
L = श्रम की भौतिक इकाइयाँ
K = पूँजी की भौतिक इकाइयाँ
उत्पादन फलन दो प्रकार के हो सकते हैं-

  • आगतों का स्थिर अनुपात उत्पादन फलन
  • आगतों का परिवर्ती अनुपात उत्पादन फलन

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प्रश्न 2.
एक आगत का कुल उत्पाद क्या होता है?
उत्तर:
एक आगत (Input) का कुल उत्पाद उस आगत की सभी इकाइयों से प्राप्त कुल निर्गत (Output) है यदि अन्य आगतों को स्थिर रखा जाता है। अन्य शब्दों में, उत्पादन प्रक्रिया में प्रयोग हुई परिवर्ती कारक की प्रत्येक इकाई के उत्पादन का योग कुल उत्पाद है। अर्थात्
TP = \(\sum_{i=1}^{n} \mathrm{MP}\)
एक परिवर्ती कारक की सभी इकाइयों के सीमांत उत्पाद (MP) को जोड़कर हम कुल उत्पाद (TP) प्राप्त कर सकते हैं।

प्रश्न 3.
एक आगत का औसत उत्पाद क्या होता है?
उत्तर:
एक आगत का औसत उत्पाद उस आगत के कुल उत्पाद को परिवर्ती आगत की इकाइयों से विभाजित करने से प्राप्त उत्पाद है। इस प्रकार,
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प्रश्न 4.
एक आगत का सीमांत उत्पाद क्या होता है?
उत्तर:
एक आगत का सीमांत उत्पाद उस आगत की अतिरिक्त इकाई में परिवर्तन करने से कुल उत्पाद में होने वाला परिवर्तन है। इस प्रकार,
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प्रश्न 5.
एक आगत के सीमांत उत्पाद तथा कुल उत्पाद के बीच संबंध समझाइए।
उत्तर:
परिवर्ती अनुपातों के नियम के अनुसार सीमांत उत्पाद और कुल उत्पाद में महरा संबंध है और सीमांत उत्पाद के कारण ही कुल उत्पाद में परिवर्तन होता है। सीमांत उत्पाद और कुल उत्पाद तीन अवस्थाओं से गुजरता है-

  • प्रथम अवस्था में, जब सीमांत उत्पाद बढ़ता है तो कुल उत्पाद अधिक दर से बढ़ता है।
  • द्वितीय अवस्था में, जब सीमांत उत्पाद घटता है तो कुल उत्पाद घटती हुई दर से बढ़ता है।
  • तृतीय अवस्था में, जब सीमांत उत्पाद ऋणात्मक होता है तो कुल उत्पाद भी घटता है।

इस संबंध को हम निम्न तालिका द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं-

श्रमिकों की संख्या सीमांत उत्पाद कुल उत्पाद
1 100 100
2 120 220
3 130 350
4 100 450
5 60 510
6 20 530
7 00 530
8 -10 520

प्रश्न 6.
अल्पकाल तथा दीर्घकाल की संकल्पनाओं को समझाइए।
उत्तर:
अल्पकाल समय की वह अवधि है जिसमें उत्पादन के कुछ कारक स्थिर और कुछ परिवर्ती होते हैं, जिनके फलस्वरूप उत्पादन में परिवर्तन एक सीमा में ही किया जा सकता है। दीर्घकाल समय की वह अवधि है जिसमें उत्पादन के सभी कारक परिवर्ती होते हैं, जिसके फलस्वरूप उत्पादन में परिवर्तन वांछित मात्रा में किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
हासमान सीमांत उत्पाद का नियम क्या है?
उत्तर:
हासमान सीमांत उत्पाद का नियम यह बताता है कि जब स्थिर कारकों (Constant Factors) के साथ परिवर्ती कारक (Variable Factors) की मात्रा में वृद्धि की जाती है तो एक सीमा के पश्चात् कुल उत्पाद घटती दर से प्राप्त होते हैं।

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प्रश्न 8.
परिवर्ती अनुपात का नियम क्या है?
उत्तर:
परिवर्ती अनुपात का नियम यह बताता है कि जब स्थिर आगतों के साथ परिवर्ती आगत की मात्रा में वृद्धि की जाती है, तो पहले औसत तथा सीमांत उत्पाद एक सीमा तक बढ़ेंगे और उसके पश्चात् घटने लगेंगे।

प्रश्न 9.
एक उत्पादन फलन स्थिर पैमाने के प्रतिफल को कब संतुष्ट करता है?
उत्तर:
एक उत्पादन फलन स्थिर पैमाने के प्रतिफल को उस समय संतुष्ट करता है, जब सभी आगतों की इकाइयों में निश्चित अनुपात में वृद्धि करने से कुल उत्पाद में भी उसी अनुपात में वृद्धि हो।

प्रश्न 10.
एक उत्पादन फलन वर्धमान पैमाने के प्रतिफल को कब संतुष्ट करता है?
उत्तर:
एक उत्पादन फलन वर्धमान पैमाने के प्रतिफल को उस समय संतुष्ट करता है, जब कुल उत्पाद में उस अनुपात से अधिक वृद्धि होती है जिस अनुपात में आगतों को बढ़ाया जाता है।

प्रश्न 11.
एक उत्पादन फलन ह्रासमान पैमाने के प्रतिफल को कब संतुष्ट करता है?
उत्तर:
एक उत्पादन फलन ह्रासमान पैमाने के प्रतिफल को उस समय संतुष्ट करता है, जब कुल उत्पाद में उस अनुपात से कम वृद्धि होती है जिस अनुपात में आगतों को बढ़ाया जाता है।

प्रश्न 12.
लागत फलन की संकल्पनाओं को संक्षिप्त में समझाइए।
उत्तर:
लागत फलन एक निर्गत स्तर और उसकी न्यूनतम लागत के संबंध को दर्शाता है। लागत फलन को निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है
C = f(Q, P, T, K………) यहाँ C = कुल लागत, f= फलन, Q = निर्गत, P = आगतों की कीमतें, T = उत्पादन तकनीक, K = मशीनरी।

प्रश्न 13.
एक फर्म की कुल स्थिर लागत, कुल परिवर्ती लागत तथा कुल लागत क्या हैं? वे किस प्रकार संबंधित हैं?
उत्तर:
कुल स्थिर लागत से हमारा अभिप्राय उन लागतों से है जो विभिन्न उत्पादन स्तरों पर एक-समान रहती हैं। कुल परिवर्ती लागत से हमारा अभिप्राय उन लागतों से है जो उत्पादन में परिवर्तन के साथ-साथ परिवर्तित होती हैं। कुल लागत से हमारा अभिप्राय उन सभी लागतों से है जिसका संबंध एक वस्तु के उत्पादन से है। कुल लागत, कुल स्थिर लागत और कुल परिवर्ती लागत का जोड़ है। इस प्रकार,
कुल लागत = कुल स्थिर लागत + कुल. परिवर्ती लागत

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प्रश्न 14.
एक फर्म की औसत स्थिर लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा औसत लागत क्या है, वे किस प्रकार संबंधित हैं?
उत्तर:
औसत स्थिर लागत से अभिप्राय प्रति इकाई स्थिर लागत से है। कुल स्थिर लागत को उत्पादन की मात्रा (इकाइयों) से भाग देने पर औसत स्थिर लागत प्राप्त होती है। अर्थात्
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औसत परिवर्ती लागत से अभिप्राय प्रति इकाई परिवर्ती लागत से है। कुल परिवर्ती लागत को उत्पादन की मात्रा (इकाइयों) से भाग देने पर औसत परिवर्ती लागत प्राप्त होती है। अर्थात्
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औसत लागत से अभिप्राय प्रति इकाई उत्पादन लागत से है। कुल लागत को उत्पादन की मात्रा (इकाइयों) से भाग देने पर औसत लागत प्राप्त होती है। अर्थात्
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इस प्रकार औसत लागत, औसत स्थिर लागत और औसत परिवर्ती लागत का योग है।

प्रश्न 15.
क्या दीर्घकाल में कुछ स्थिर लागत हो सकती है? यदि नहीं तो क्यों?
उत्तर:
दीर्घकाल में कोई भी लागत स्थिर नहीं हो सकती, क्योंकि दीर्घकाल वह अवधि है जिसमें सभी आगत परिवर्ती हो जाते हैं।

प्रश्न 16.
औसत स्थिर लागत वक्र कैसा दिखता है? यह ऐसा क्यों दिखता है?
उत्तर:
औसत स्थिर लागत वक्र एक आयताकार अतिपरवलय (Rectangular Hyperbola) होता है। यदि हम निर्गत (उत्पादन) के किसी भी मूल्य को उससे संबंधित औसत स्थिर लागत से गुणा करते हैं, तब हम कुल स्थिर लागत प्राप्त करते हैं। औसत स्थिर लागत वक्र को संलग्न रेखाचित्र द्वारा दर्शाया गया है। औसत स्थिर लागत वक्र का आकार आयताकार अतिपरवलय होता है क्योंकि इस वक्र के विभिन्न बिंदुओं पर वक्र के नीचे कुल क्षेत्रफल समान रहता है।
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प्रश्न 17.
अल्पकालीन सीमांत लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा अल्पकालीन औसत लागत वक्र कैसे दिखाई देते हैं?
उत्तर:
अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र, औसत परिवर्ती लागत वक्र और अल्पकालीन औसत लागत वक्र-ये तीनों वक्र U आकार के होते हैं, परंतु इनका यह आकार एक-समान नहीं होता। ऐसा परिवर्ती अनुपातों के नियम के लागू होने के कारण होता है। इन लागत वक्रों को संलग्न रेखाचित्र द्वारा दर्शाया गया है। संलग्न रेखाचित्र से यह स्पष्ट है कि एक सीमा तक ये तीनों वक्र नीचे गिरते हैं और फिर ऊपर उठने लगते हैं। अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र तेजी से नीचे गिरता है और तेजी से ऊपर उठता है। ऊपर उठते हुए यह वक्र औसत परिवर्ती लागत वक्र और अल्पकालीन औसत लागत वक्र को उनके न्यूनतम बिंदुओं पर काटता है।
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औसत परिवर्ती लागत और अल्पकालीन औसत परिवर्ती लागत वक्र धीरे-धीरे गिरते हैं और फिर धीरे-धीरे ऊपर उठते हैं। प्रारंभिक अवस्था में तीनों वक्रों में अधिक अंतर होता है लेकिन बाद में यह अंतर कम होता जाता है परंतु ये वक्र कभी-भी एक-दूसरे को स्पर्श नहीं करते।

प्रश्न 18.
क्यों अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र औसत परिवर्ती लागत वक्र को काटता है, औसत परिवर्ती लागत वक्र के न्यूनतम बिंदु पर?
उत्तर:
अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र और औसत परिवर्ती लागत वक्र दोनों ही ‘U’ आकार के होते हैं क्योंकि परिवर्ती अनुपातों का नियम लागू होता है। प्रारंभिक अवस्था में दोनों वक्र नीचे गिरते हुए होते हैं और एक सीमा के बाद दोनों ऊपर उठते हुए होते हैं। लेकिन सीमांत लागत के बढ़ने और घटने की दर औसत परिवर्ती लागत के बढ़ने और घटने की दर से अधिक होती है। इसलिए सीमांत लागत वक्र प्रारंभ में औसत परिवर्ती लागत वक्र से नीचे होता है और कुछ सीमा के बाद उठते हुए औसत लागत वक्र को न्यूनतम स्तर पर काटते हुए ऊपर उठता है। इसे हम संलग्न रेखाचित्र द्वारा दिखा सकते हैं।
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प्रश्न 19.
किस बिंदु पर अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र अल्पकालीन औसत लागत वक्र को काटता है? अपने उत्तर के समर्थन में कारण बताइए।
उत्तर:
अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र अल्पकालीन औसत लागत वक्र को उसके न्यूनतम बिंदु पर काटता है। इसे हम संलग्न रेखाचित्र द्वारा स्पष्ट कर सकते हैं। रेखाचित्र से यह स्पष्ट होता है कि प्रारंभिक अवस्था में अल्पकालीन औसत लागत वक्र और अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र दोनों ही नीचे गिरते हुए होते हैं, लेकिन अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र अल्पकालीन औसत लागत वक्र की तुलना में तेजी से गिरता है। अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र अल्पकालीन औसत लागत वक्र की तुलना में अधिक ऊपर उठता है। ऊपर उठते हुए अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र, अल्पकालीन औसत लागत वक्र को उसके न्यूनतम बिंदु पर काटता है। जैसे-जैसे उत्पादन बढ़ता जाता है, दोनों ही वक्र ऊपर उठते हैं परंतु अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र तेजी से ऊपर उठता है।
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प्रश्न 20.
अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र ‘U’ आकार का क्यों होता
उत्तर:
अल्पकालीन सीमांत लागत (MC) वक्र ‘U’ आकार का इसलिए होता है क्योंकि अल्पकाल में परिवर्ती अनुपातों का नियम लागू होता है। परिवर्ती अनुपातों के नियम के कारण सीमांत उत्पाद प्रारंभ में तेजी से बढ़ता है और एक सीमा के बाद सीमांत उत्पाद गिरने लगता है। सीमांत उत्पाद वक्र उल्टे ‘U’ आकार का होता है। जबकि अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र का आकार ‘U’ की तरह होता है जो यह दर्शाता है कि प्रारंभिक अवस्था में सीमांत लागत गिरती है और बाद में उठती है। इसे हम संलग्न रेखाचित्र द्वारा दिखा सकते हैं।
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प्रश्न 21.
दीर्घकालीन सीमांत लागत तथा औसत लागत वक्र कैसे दिखते हैं?
उत्तर:
दीर्घकाल में एक फर्म के सीमांत लागत वक्र और औसत लागत वक्र पैमाने के प्रतिफल पर निर्भर करते हैं। पैमाने के प्रतिफल की तीन अवस्थाएँ होती हैं-वर्धमान प्रतिफल, स्थिर प्रतिफल और ह्रासमान प्रतिफल। इन अवस्थाओं के कारण दीर्घकाल में औसत लागत वक्र और सीमांत लागत वक्र ‘U’ आकार का होता है, लेकिन अल्पकालीन औसत लागत वक्र और सीमांत लागत वक्र की तुलना में दीर्घकालीन औसत लागत व सीमांत लागत वक्र कम गहरे अर्थात् अधिक चपटे होते हैं। दीर्घकालीन औसत लागत वक्र तश्तरी (Dish) का आकार भी ग्रहण कर सकता है। इसे हम संलग्न रेखाचित्र द्वारा दिखा सकते हैं।
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प्रश्न 22.
निम्नलिखित तालिका श्रम का कुल उत्पादन अनुसूची देती है। तदनुरूप श्रम का औसत उत्पाद तथा सीमांत उत्पाद अनुसूची निकालिए।

L 0 1 2 3 4 5
कुल उत्पाद 0 15 35 50 40 48

हल
औसत उत्पाद तथा सीमांत उत्पाद अनुसूची

श्रम की इकाइयाँ (L) कुल उत्पाद औसत उत्पाद सीमांत उत्पाद
0 0 0 0
1 15 15 15
2 35 17.5 20
3 50 16.67 15
4 40 10 10
5 48 9.6 8

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प्रश्न 23.
नीचे दी हुई तालिका श्रम का औसत उत्पाद अनुसूची बताती है। कुल उत्पाद तथा सीमांत उत्पाद अनुसूची निकालिए, जबकि श्रम प्रयोगता के शून्य स्तर पर यह दिया गया है कि कुल उत्पाद शून्य है।

L 1 2 3 4 5 6
कुल उत्पाद 2 3 4 4.25 4 3.5

हल
कुल उत्पाद तथा सीमांत उत्पाद अनुसूची

श्रम की इकाइयाँ (L) औसत उत्पाद कुल उत्पाद सीमांत उत्पाद
0 0 0 0
1 2 2 2
2 3 6 4
3 4 12 6
4 4.25 17 5
5 4 20 3
6 3.5 21 1

सूत्रों का प्रयोग : (i) कुल उत्पाद = औसत उत्पाद x श्रम की इकाइयाँ
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प्रश्न 24.
निम्नलिखित तालिका श्रम का सीमांत उत्पादं अनुसूची देती है। यह भी दिया गया है कि श्रम का कुल उत्पाद शून्य है। प्रयोग के शून्य स्तर पर श्रम के कुल उत्पाद तथा औसत उत्पाद अनुसूची की गणना कीजिए।

L 1 2 3 4 5 6
सीमांत उत्पाद 3 5 7 5 3 1

हल
कुल उत्पाद तथा औसत उत्पाद अनुसूची

श्रम की इकाइयाँ (L) सीमांत उत्पाद कुल उत्पाद औसत उत्पाद
0 0 0 0
1 3 3 3
2 5 8 4
3 7 15 5
4 5 20 5
5 3 23 4.6
6 0 24 4

सूत्रों का प्रयोग:
(i) कुल उत्पाद = सीमांत उत्पाद1 + सीमांत उत्पाद2 + ………+ सीमांत उत्पादn
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प्रश्न 25.
नीचे दी गई तालिका एक फर्म की कुल लागत अनुसूची दर्शाती है। इस फर्म का कुल स्थिर लागत क्या है? फर्म के कुल परिवर्ती लागत, कुल स्थिर लागत, औसत परिवर्ती लागत, अल्पकालीन औसत लागत तथा अल्पकालीन सीमांत लागत अनुसूची की गणना कीजिए।

Q 0 1 2 3 4 5 6
कुल उत्पाद 10 30 45 55 70 90 120

हल:
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सूत्रों का प्रयोग-
(i) कुल स्थिर लागत = शून्य उत्पादन पर कुल लागत

(ii) कुल परिवर्ती लागत = कुल लागत कुल स्थिर लागत
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प्रश्न 26.
निम्नलिखित तालिका एक फर्म के लिए कुल लागत अनुसूची देती है। यह भी दिया गया है कि औसत स्थिर लागत निर्गत की 4 इकाइयों पर 5 रुपए है। कुल परिवर्ती लागत, कुल स्थिर लागत, औसत परिवर्ती लागत, औसत स्थिर लागत, अल्पकालीन औसत लागत, अल्पकालीन सीमांत लागत अनुसूची फर्म के निर्गत के तदनुरूप मूल्यों के लिए निकालिए।

Q कुल लागत
1 50
2 65
3 75
4 95
5 130
6 185

हल:
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सूत्रों का प्रयोग
(i) कुल स्थिर लागत = शून्य उत्पादन पर कुल लागत

(ii) कुल परिवर्ती लागत = कुल लागत-कुल स्थिर लागत
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प्रश्न 27.
एक फर्म की अल्पकालीन सीमांत लागत अनुसूची निम्नलिखित तालिका में दी गई है। फर्म की स्थिर लागत 100 रुपए है। फर्म के कुल परिवर्ती लागत, कुल लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा अल्पकालीन औसत लागत अनुसूची निकालिए।

Q अल्पकालीन सीमांत लागत
0
1 500
2 300
3 200
4 300
5 500
6 800

हल:
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सूत्रों का प्रयोग
(i) कुल परिवर्ती लागत = अल्पकालीन सीमांत लागत1 + अल्पकालीन सीमांत लागत2 +…….. + अल्पकालीन सीमांत लागतn

(ii) कुल लागत = कुल परिवर्ती लागत + कुल स्थिर लागत
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प्रश्न 28.
मान लीजिए, एक फर्म का उत्पादन फलन है, q = \(5 \mathrm{~L}^{\frac{1}{2}} \mathrm{~K}^{\frac{1}{2}}\) 100 इकाइयाँ L तथा 100 इकाइयाँ K द्वारा अधिकतम संभावित निर्गत निकालिए, जिसका उत्पादन फर्म कर सकती है।
हल:
उत्पादन फलन
q = \(5 \mathrm{~L}^{\frac{1}{2}} \mathrm{~K}^{\frac{1}{2}}\) = 100
यहाँ,
L = 100
K = 100
इस प्रकार,
q = \(5 \times 100^{\frac{1}{2}} \times 100^{\frac{1}{2}}\)
q = 5 x 10 x 10
= 500
अधिकतम संभावित निर्गत = 500 उत्तर

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प्रश्न 29.
मान लीजिए, एक फर्म का उत्पादन फलन है, q = 2L²K² 5 इकाइयाँ L तथा 2 इकाइयाँ K द्वारा अधिकतम संभावित निर्गत ज्ञात कीजिए, जिसका फर्म उत्पादन कर सकती है। शून्य इकाई L तथा 10 इकाई K द्वारा अधिकतम संभावित निर्गत क्या है, जिसका फर्म उत्पादन कर सकती है?
हल:
उत्पादन फलन-
q = 2L²K²
यहाँ,
L = 5
K = 2
इस प्रकार,
q = 2 x 5² x 2²
= 2 x 5 x 5 x 2 x 2
अधिकतम संभावित निर्गत = 200
यदि,
L = 0
K = 10
इस प्रकार,
q = 2L²K²
= 2 x 0 x 10²
= 2 x 0 x 0 x 10 x 10
= शून्य
अधिकतम संभावित निर्गत = शून्य उत्तर

प्रश्न 30.
एक फर्म के लिए शून्य इकाई L तथा 10 इकाइयाँ K द्वारा अधिकतम संभावित निर्गत निकालिए, जब इसका उत्पादन फलन है-q = 5L x 2K
हल:
उत्पादन फलन
q = 5L x 2K
यहाँ,
L = 0
K = 10
इस प्रकार,
q = 5 x 0 x 2 x 10
= शून्य
अधिकतम संभावित निर्गत = शून्य उत्तर

उत्पादन तथा लागत HBSE 12th Class Economics Notes

→ उत्पादन फलन-एक फर्म का उत्पादन फलन उपयोग में लाए गए आगतों तथा फर्म द्वारा उत्पादित निर्गतों के मध्य का संबंध है। उपयोग में लाए गए आगतों की विभिन्न मात्राओं के लिए यह निर्गत की अधिकतम मात्रा प्रदान कर सकता है, जिसका उत्पादन किया जा सकता है। उत्पादन फलन को इस प्रकार भी लिखा जा सकता है
q = f(x1 + x2)
यह बताता है कि हम कारक 1 की x1 मात्रा तथा कारक 2 की x2 मात्रा का प्रयोग कर वस्तु की अधिकतम मात्रा q का उत्पादन कर सकते हैं।

→ कुल उत्पाद-किसी विशेष अवधि में कारकों की किसी विशेष मात्रा में फर्म द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की कुल .. मात्रा को कुल उत्पाद (TP) कहा जाता है।

→ औसत उत्पाद औसत उत्पाद निर्गत की प्रति इकाई परिवर्ती आगत के रूप में परिभाषित किया जाता है।

→ सीमांत उत्पाद-निर्गत के एक स्थिर कारक पर परिवर्ती कारक की एक अतिरिक्त इकाई लगाने से कुल उत्पाद में जो वृद्धि होती है, उसे सीमांत उत्पाद कहा जाता है।

→ परिवर्ती अनुपातों का नियम-परिवर्ती अनुपात का नियम बताता है कि जैसे-जैसे स्थिर कारक के साथ एक परिवर्ती कारक की अधिक-से-अधिक इकाइयों का प्रयोग किया जाता है तो एक स्थिति ऐसी अवश्य आ जाती है जब परिवर्ती कारक का अतिरिक्त योगदान अर्थात् परिवर्ती कारक का सीमांत उत्पादन कम होने लगता है।

→ कारक के प्रतिफल-यदि उत्पादक उत्पादन में परिवर्तन अन्य कारकों को स्थिर रखकर उत्पादन के केवल एक ही कारक में वृद्धि अथवा कमी के द्वारा करता है तथा इसके फलस्वरूप उत्पादन के कारकों के मिश्रण का अनुपात बदलता है तो उत्पादन और उत्पादन के कारकों के इस संबंध को कारक के प्रतिफल या परिवर्ती अनुपात का नियम कहते हैं।

→ उत्पादन की तीन अवस्थाएँ होती हैं-

प्रथम अवस्था बढ़ते (वर्धमान) प्रतिफल की है जब परिवर्ती कारक का सीमांत उत्पाद (MP) बढ़ रहा होता है।
दूसरी अवस्था घटते (हासमान) प्रतिफल की है जब परिवर्ती कारक का सीमांत उत्पाद (MP) घट रहा (किंतु धनात्मक) होता है।
तीसरी अवस्था ऋणात्मक प्रतिफल की है जब परिवर्ती कारक का सीमांत उत्पाद (MP) ऋणात्मक होता है। उत्पादक केवल दूसरी अवस्था में ही उत्पादन करेगा, प्रथम और तीसरी अवस्थाओं में नहीं।

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→ कारक के प्रतिफल या परिवर्ती अनुपात के नियम की अवस्थाएँ-

  • कारक के वर्धमान (बढ़ते) प्रतिफल
  • कारक के समान प्रतिफल
  • कारक के ह्रासमान (घटते) प्रतिफल।

→ पैमाने के प्रतिफल पैमाने के प्रतिफल का संबंध सभी कारकों के समान अनुपात में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप कुल उत्पाद में होने वाले परिवर्तन से है।

→ पैमाने के प्रतिफल की तीन अवस्थाएँ-

  • पैमाने के वर्धमान (बढ़ते) प्रतिफल
  • पैमाने के ह्रासमान (घटते) प्रतिफल
  • पैमाने के स्थिर (समान) प्रतिफल।

→ औसत लागत-औसत लागत से अभिप्राय प्रति इकाई लागत से है।
या

→ औसत लागत औसत परिवर्ती लागत तथा औसत स्थिर लागत का जोड़ है। अर्थात्
AC = AVC + AFC
ध्यान रहे कि, AFC वक्र नीचे की ओर प्रवणता वाली होती है, जबकि AVC वक्र ‘U’ आकार की होती है।

→ सीमांत लागत-सीमांत लागत से अभिप्राय है एक इकाई का अधिक या कम उत्पादन करने से कुल लागत में होने वाला परिवर्तन।
MC = \(\)

→ अल्पकालीन सीमांत लागत, औसत परिवर्ती लागत तथा अल्पकालीन औसत लागत वक्र ‘U’ आकार के होते हैं।

→ अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र, औसत परिवर्ती लागत वक्र को नीचे से औसत परिवर्ती लागत के न्यूनतम बिंदु पर काटता है।

→ अल्पकालीन सीमांत लागत वक्र, अल्पकालीन औसत लागत वक्र को नीचे से अल्पकालीन औसत लागत के न्यूपर काटता है।

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