Uncategorized

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक गेंद को ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर 19.6 मी/सेकण्ड के वेग से फेंका जाता है। गेंद अधिकतम ऊँचाई तक कितने सेकण्ड में पहुँचेगी?
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4
उत्तर:
(b) 2

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

प्रश्न 2.
एक कण का वेग \(\vec{v}=k(y \hat{i}+x \hat{j})\) से गतिशील है, जहाँ k एक स्थिरांक है। इसके पथ का व्यापक समीकरण है:
(a) y = x2 + स्थिरांक
(b) y2 = x + स्थिरांक
(c) xy = स्थिरांक
(d) y2 = x2+ स्थिरांक
उत्तर:
(d) y2 = x2+ स्थिरांक

प्रश्न 3.
मन्दित गति के लिए वेग समय ग्राफ का ढाल है:
(a) धनात्मक
(b) ऋणात्मक
(c) शून्य
(d) धनात्मक, ऋणात्मक, शून्य या कुछ भी।
उत्तर:
(b) ऋणात्मक

प्रश्न 4.
एक ट्रक एवं एक कार दोनों समान वेग से चल रहे हैं। ब्रेक लगाने के बाद।
(a) ट्रक कम दूरी तय करेगा
(b) कार कम दूरी तय करेगी
(c) दोनों समान दूरी तय करेंगे
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(b) कार कम दूरी तय करेगी

प्रश्न 5.
किसी वस्तु का विस्थापन समय के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होता है तो वस्तु की गति होती है।
(a) एकसमान त्वरण से
(b) असमान त्वरण से
(c) एकसमान वेग से
(d) असमान त्वरण परन्तु एकसमान चाल से।
उत्तर:
(a) एकसमान त्वरण से

प्रश्न 6.
स्वतन्त्रतापूर्वक गिर रही एक वस्तु द्वारा अपने प्रथम तथा द्वितीय सेकण्ड में पार की गयी दूरियों में अनुपात है।
(a) 1 : 2
(b) 1 : 3
(c) 3 : 2
(d) 1 : √3
उत्तर:
(b) 1 : 3

प्रश्न 7.
यदि दो राशियों के परस्पर ग्राफ सरल रेखा में हों, तो दोनों राशियाँ।
(a) अचर होती हैं
(b) बराबर होती हैं।
(c) अनुक्रमानुपाती होती हैं।
(d) व्युत्क्रमानुपाती होती हैं।
उत्तर:
(c) अनुक्रमानुपाती होती हैं।

प्रश्न 8.
1.0m त्रिज्या के अर्द्धवृत्त में गतिमान एक कण 1 सेकण्ड में बिन्दु A से बिन्दु B तक जाता है, औसत वेग का परिमाण है:

(a) 3.14m/s
(b) 2.0m/s
(c) 1.0m/s
(d) शून्य
उत्तर:
(b) 2.0m/s

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

प्रश्न 9.
x अक्ष के अनुदिश एक कण की स्थिति x समय t के पदों में दी जाती है, x = at2 – t3 जिसमें ‘x’ में तथा सेकण्ड में है। जब कण की चाल अधिकतम है तो कण की स्थिति (x) होगी:
(a) \(\frac{2 a^3}{27}\)मी
(b) \(\frac{4 a^3}{27}\)मी
(c) \(\frac{2 a}{27}\)मी
(d) \(\frac{4 a}{27}\)मी
उत्तर:
(c) \(\frac{2 a}{27}\)मी

प्रश्न 10.
एक पिण्ड विरामावस्था से चलना प्रारम्भ करके ऋजुरेखीय पथ पर अचर त्वरण से गति करता है। वेग का विस्थापन के साथ परिवर्तन होगा:

उत्तर:

प्रश्न 11.
दो पिण्ड जिनके द्रव्यमान तथा m1 m2 हैं, क्रमश: h1 तथा h2 ऊँचाई से गिरते हैं। पिण्डों द्वारा धरातल से टकराने में लगे समय का अनुपात है:
(a) h1 : h2
(b) \(\sqrt{h_1}: \sqrt{h_2}\)
(c) m2 h1 : m2h2
(d) \(\sqrt{m_1 h_1}: \sqrt{m_2 h_2}\)
उत्तर:
(b) \(\sqrt{h_1}: \sqrt{h_2}\)

प्रश्न 12.
एक पिण्ड का विस्थापन समय के अनुक्रमानुपाती है। पिण्ड के त्वरण का परिमाण:
(a) समय के साथ बढ़ रहा है
(b) समय के साथ घट रहा है
(c) शून्य
(d) अचर है, लेकिन शून्य नहीं है
उत्तर:
(a) समय के साथ बढ़ रहा है

अति लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
बिन्दु वस्तु क्या हैं?
उत्तर:
यदि गतिशील वस्तु द्वारा तय की गयी दूरी वस्तु के आकार की तुलना में बहुत अधिक हो तो उसे बिन्दु वस्तु कहते हैं।

प्रश्न 2.
कणों के गतिकीय व्यवहार से सम्बन्धित अध्ययन की भौतिकी की शाखा क्या कहलाती है?
उत्तर:
गतिकी।

प्रश्न 3.
एक विमीय, द्विविमीय एवं त्रिविमीय गति में कितने-कितने निर्देशांक होते हैं?
उत्तर:
एक विमीय गति में 1 निर्देशांक द्विविमीय गति में 2 निर्देशांक तथा त्रिविमीय गति में 3 निर्देशांक होते हैं।

प्रश्न 4.
जब कोई कण या कणों का निकाय किसी निश्चित अक्ष के परितः घूर्णन करे तो वह कौन सी गति कहलाती है?
उत्तर:
घूर्णन गति।

प्रश्न 5.
वृत्ताकार गति में एक चक्र में विस्थापन कितना होता है?
उत्तर:
वृत्तीय गति में एक चक्र पूरा करने पर प्रारम्भिक एवं अंतिम स्थितियाँ समान हो जाती है, अतः विस्थापन शून्य हो जाता है।

प्रश्न 6.
चाल का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
चाल =

प्रश्न 7.
वाहनों का स्पीडोमीटर क्या नापता है?
उत्तर:
तात्क्षणिक चाल।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

प्रश्न 8.
चाल कैसी राशि है? S.I. प्रणाली में चाल का मात्रक क्या है?
उत्तर:
चाल अदिश राशि है एवं इसका S. I. प्रणाली में मात्रक मीटर / सेकण्ड (ms-1) है।

प्रश्न 9.
वर्षा की बूँदें एक समान वेग से गिरती है या समान त्वरण से?
उत्तर:
वर्षा की बूँदें एकसमान वेग से गिरती हैं।

प्रश्न 10.
मन्दन किसे कहते हैं?
उत्तर:
समय के साथ वेग घटने की दर को मन्दन कहते हैं अर्थात् ऋणात्मक त्वरण ही मन्दन होता है।

प्रश्न 11.
क्या गतिशील वस्तु की दूरी व विस्थापन शून्य हो सकता है?
उत्तर:
गतिशील वस्तु का विस्थापन शून्य हो सकता है दूरी नहीं।

प्रश्न 12.
संलग्न चित्र (a) व (b) में प्रदर्शित वक्रों द्वारा वस्तु के वेग व त्वरण के बारे में क्या निष्कर्ष निकलता है?

उत्तर:
दोनों वक्रों द्वारा एकसमान वेग की गति प्रदर्शित है अत: त्वरण शून्य होगा।

प्रश्न 13.
यदि एक व्यक्ति 4 मीटर पूर्व फिर 3 मीटर दक्षिण तथा पुनः वहाँ से 4 मीटर पश्चिम चले तो उसका विस्थापन कितना होता?
उत्तर:
व्यक्ति का विस्थापन s = 33m दक्षिण में।

प्रश्न 14.
ऋणात्मक त्वरण को क्या कहते हैं?
उत्तर:
मन्दन।

प्रश्न 15.
एकांक समय में तय विस्थापन को क्या कहते हैं?
उत्तर:
वेग

प्रश्न 16.
विस्थापन समय वक्र का ढाल क्या बताता है?
उत्तर:
वेग

प्रश्न 17.
वेग समय वक्र का ढाल क्या बताता है?
उत्तर:
त्वरण।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

प्रश्न 18.
वेग समय वक्र का क्षेत्रफल क्या दर्शाता है?
उत्तर:
दूरी।

प्रश्न 19.
यदि कोई कण एक नियत वेग से गतिशील है तो उसका त्वरण कितना होगा?
उत्तर:
∵ त्वरण a = \(\frac{\Delta v}{\Delta t}\)
∴ वेग नियत होने पर ∆v = 0
अतः त्वरण a = 0 (शून्य)

प्रश्न 20.
स्वतन्त्रता पूर्वक गिर रही वस्तु द्वारा प्रथम व द्वितीय सेकण्ड में पार की गई दूरियों का अनुपात क्या है?
उत्तर:
n वें सेकण्ड में चली गई दूरी,
Xnth = u + a (2n – 1)
∴ x1 = 0 + \(\frac{1}{2}\)g(2 × 1 – 1) = \(\frac{1}{2}\)g
x2 = 0 + \(\frac{3}{2}\)g(2 × 1 – 1) = \(\frac{3}{2}\)g
∴ x1 : x2 = 1 : 3

प्रश्न 21.
धनात्मक दिशा में गतिशील मंदित कण के लिए विस्थापन समय ग्राफ बनाइये।
उत्तर:
अभीष्ट ग्राफ संलग्न चित्र में प्रदर्शित है।

प्रश्न 22.
क्या किसी वस्तु की चाल ऋणात्मक हो सकती है?
उत्तर:
नहीं; क्योंकि दूरी कभी भी ऋणात्मक नहीं हो सकती।

प्रश्न 23.
दो गतिमान वस्तुओं का आपेक्षिक वेग कब शून्य हो सकता है?
उत्तर:
जब दोनों वस्तुएँ समान चाल से एक ही दिशा में गतिशील हों।

प्रश्न 24.
संलग्न चित्र में प्रदर्शित विस्थापन समय ग्राफ पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर:
दिया गया ग्राफ सम्भव नहीं है क्योंकि ग्राफ के अनुसार समय परिवर्तन के बिना विस्थापन परिवर्तित होता है।

प्रश्न 25.
क्या किसी वस्तु की चाल स्थिर व वेग परिवर्ती हो सकती है?
उत्तर:
हाँ; एक समान वृत्तीय गति यह सम्भव है।

प्रश्न 26.
क्या किसी वस्तु की औसत चाल शून्य हो सकती है? क्या औसत वेग शून्य हो सकता है?
उत्तर:
नहीं; गतिशील वस्तु की औसत चाल शून्य नहीं हो सकती है लेकिन औसत वेग शून्य हो सकता है।

प्रश्न 27.
किस परिस्थिति में औसत वेग तात्कालिक वेग के तुल्य होता है?
उत्तर:
जब वस्तु एकसमान वेग से गति करती है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

प्रश्न 28.
क्या किसी समय पिण्ड स्थिर एवं गतिशील दोनों स्थितियों में हो सकता है?
उत्तर:
हाँ, क्योंकि गति आपेक्षिक है।

प्रश्न 29.
किसी पिण्ड का वेग नियत होने पर क्या उसकी चाल परिवर्ती हो सकती है?
उत्तर:
नहीं, वेग नियत होने पर उसका परिमाण एवं दिशा दोनों अपरिवर्तित रहते हैं; अतः चाल परिवर्ती नहीं हो सकती।

प्रश्न 30.
एक कण का समय विस्थापन ग्राफ संलग्न चित्र में प्रदर्शित है। कण का तात्कालिक वेग किस बिन्दु पर ऋणात्मक होगा?

उत्तर:
बिन्दु E पर क्योंकि इस बिन्दु पर वक्र की प्रवणता ऋणात्मक है।

प्रश्न 31.
गति के समीकरणों को किस वैज्ञानिक ने ज्ञात किया था?
उत्तर:
गैलीलियो ने।

प्रश्न 32.
एक पिण्ड नियत वेग से गतिमान है, इसके लिए विस्थापन और समय में सम्बन्ध बताइये।
उत्तर:
विस्थापन ∝ समय।

लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
दूरी तथा विस्थापन में क्या अन्तर हैं? लिखिए।
उत्तर:

  1. दूरी अदिश राशि है जबकि विस्थापन सदिश राशि है।
  2. दो बिन्दुओं के मध्य वस्तु द्वारा अपनाए गये पथ की वास्तविक लम्बाई दूरी होती है, जबकि उन बिन्दुओं के मध्य न्यूनतम दूरी विस्थापन कहलाती है।

प्रश्न 2.
स्थानान्तरीय गति का विवरण देते हुए इसे उदाहरण सहित समझाइये।
उत्तर:
स्थानान्तरीय गति- जब कोई कण किसी निर्देश तन्त्र के सापेक्ष एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित होता है तो इस प्रकार की गति को स्थानान्तरीय गति कहते हैं।
उदाहरण: सीधी सड़क पर चलने वाली गाड़ी की गति।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

प्रश्न 3.
एक व्यक्ति 4 मीटर पूर्व में चलकर 5 मीटर उत्तर की ओर जाता है तथा वहाँ से चलकर पुनः दायीं ओर मुड़कर 8 मीटर सीधा जाता है। व्यक्ति द्वारा चली गई दूरी तथा उसका विस्थापन ज्ञात कीजिए।

उत्तर:
व्यक्ति द्वारा चली गई दूरी = 4 + 5 + 8 = 17km
तथा विस्थापन

या
AD = 13 km

प्रश्न 4.
किसी पिण्ड द्वारा तय की गई दूरी समय वर्ग के अनुक्रमानुपाती होती है। इस पिण्ड में किस प्रकार की गति होती है?
उत्तर:
दिया है:
x ∝ t2
या
x = kt2
∴ पिण्ड का वेग
जहाँ k एक नियतांक है।
v = \(\frac{d x}{d t}\) = \(\frac{d}{d t}\) = (kt2) = 2kt
और त्वरण a = \(\frac{d x}{d t}\) = \(\frac{d}{d t}\) = (2kt) = 2k
या a = 2k = नियतांक
अतः पिण्ड गति एकसमान त्वरित गति है।

प्रश्न 5.
एक गेंद को ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंका जाता है। कुछ समय पश्चात् यह धरती पर लौट आती है। गेंद के लिए चाल – समय ग्राफ खींचिए। (वायु का प्रतिरोध नगण्य मानिए।)
उत्तर:
जब कुछ प्रारम्भिक वेग देकर किसी गेंद को ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंका जाता है उसका वेग नियत दर से कम होता रहता है और एक स्थिति में शून्य हो जाता है। यहीं से वस्तु नीचे गिरना प्रारम्भ करती है और उसका वेग उसी दर से बढ़ता है जिस दर से ऊपर जाने पर घटा था। अतः भूमि पर पहुँचते समय उसका वेग प्रारम्भिक वेग के तुल्य जायेगा। अतः वेग- समय ग्राफ चित्र की भांति होगा।

प्रश्न 6.
यदि किसी कण का तात्क्षणिक वेग शून्य हो तो क्या इसका तात्क्षणिक त्वरण भी शून्य होना चाहिए?
उत्तर:
नहीं; जब कोई कण ऊपर की ओर फेंका जाता है तो उच्चतम बिन्दु पर कण का तात्क्षणिक वेग तो शून्य हो जाता है लेकिन गुरुत्वीय त्वरण (g) तब भी प्रभावी रहेगा।

प्रश्न 7.
यदि किसी गतिमान वस्तु द्वारा चली गई दूरी समय के अनुक्रमानुपाती हो तो वस्तु की गति किस प्रकार की होती है?
उत्तर:
दिया है: x ∝ t
∴ x = kt
जहाँ k एक नियतांक है।
∴ वस्तु का वेग
v = \(\frac{d x}{d t}\) = \(\frac{d}{d t}(k t)\)
या
v = k = नियतांक
जहाँ k एक नियतांक है।
अतः वस्तु की गति एकसमान वेग की गति होगी।

प्रश्न 8.
एक रेलगाड़ी के इंजन तथा आखिरी डिब्बे के एक खम्भे से गुजरते हुए वेग क्रमशः तथा हैं। रेलगाड़ी के मध्य में स्थित डिब्बे का वेग क्या होगा?
उत्तर:
इंजन तथा मध्य डिब्बे के लिए गति का समीकरण
v2 – u2 = 2ax …(1)
आखिरी डिब्बे एवं मध्य डिब्बे के लिए गति का समीकरण
v2 – u2 = 2ax …(2)

समीकरण (1) से (2) को घटाने पर
v2 – u2 – u2 + v2 = 0
v2 – 2u2 + v2 = 0
2u2 = v2 + v2
या
u = \(\sqrt{\frac{v^2+v^{\prime 2}}{2}}\)

प्रश्न 9.
किसी गतिमान वस्तु का वेग-समय ग्राफ चित्र (a) में प्रदर्शित है। वस्तु का त्वरण क्या है? वस्तु की गति के लिए विस्थापन समय ग्राफ भी बनाइये।

उत्तर:
वेग समय ग्राफ में समय के साथ वेग नियत है अतः
त्वरण = \(\frac{\Delta v}{\Delta t}\) = 0 (शून्य)
वस्तु की गति के लिए विस्थापन समय ग्राफ चित्र (b) में प्रदर्शित है।

प्रश्न 10.
संलग्न चित्र ग्राफ एक कण का वेग समय ग्राफ दर्शाता है तो ग्राफ के छायांकित भाग का क्षेत्रफल क्या प्रदर्शित करेगा?

उत्तर:
छायांकित भाग का क्षेत्रफल = ∆OAB का क्षेत्रफल
= \(\frac{1}{2}\) × OB × AB
= \(\frac{1}{2}\) × t0 × v0
= \(\frac{1}{2}\) V0 – f0
= कण द्वारा चली गई दूरी
अतः छायांकित भाग का क्षेत्रफल कण द्वारा चली दूरी प्रदर्शित

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

प्रश्न 11.
क्या संलग्न ग्राफ किसी कार के एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने तथा वापस आने का विस्थापन समय ग्राफ हो सकता है?

उत्तर:
नहीं; क्योंकि ग्राफ के अनुसार 2 व 3 घंटे के बीच कार एक ही समय पर दो स्थानों पर है जोकि सम्भव नहीं है।

प्रश्न 12.
एक कण का त्वरण समय के साथ समीकरण a = bt के अनुसार बढ़ता है। यदि कण का प्रारम्भिक वेग v0 हो तो t समय में कण का विस्थापन ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
त्वरण a = bt
∴ \(\frac{d v}{d t}\) = bt => dv = bt.dt
=> \(\int d v= \int b t \cdot d t\)
समाकलन करने पर
v = \(\frac{1}{2}\)bt2 + c
जहाँ c = समाकलन नियतांक
दिया है जब t = 0 तो v = v0
∴ vo = 0 + c अर्थात् c = Vo
∴ v = \(\frac{1}{2}\)bt2 + vo
या
\(\frac{d x}{d t}\) = \(\frac{1}{2}\)bt2 + vo
या
dx = \(\frac{1}{2}\)bt2 .dt + vodt
पुनः समाकलन करने
\(\int d x=\int \frac{1}{2} b t^2 \cdot d t+\int v_0 d t\)
या
x = \(\frac{1}{2}\)b × \(\frac{t^3}{3}\) + vot
या
x = \(\frac{1}{6}\)bt3 + vot
या
x = vot + \(\frac{1}{6}\)bt3

प्रश्न 13.
त्वरण के प्रदर्शन में समय को दो बार क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
क्योंकि त्वरण विस्थापन का द्वितीय अवकलन है।
a = \(\frac{d^2 x}{d t^2}\)
अतः त्वरण के प्रदर्शन में समय को दो बार पुकारा जाता है।

प्रश्न 14.
जब दो ट्रेनें समान वेग से एक-दूसरे के समान्तर गतिशील होती हैं तो एक ट्रेन में बैठे व्यक्ति को दूसरी ट्रेन स्थिर क्यों प्रतीत होती है?
उत्तर:
यह अनुभव सापेक्ष वेग के कारण होता है, क्योंकि दोनों ट्रेनों का वेग बराबर है, अतः उनका एक-दूसरे के सापेक्ष वेग शून्य होगा। उदाहरणार्थ: यदि दो ट्रेनों के वेग 50 km.hr-1 है अर्थात्
VA = VB = 50km.hr-1
∴ A के सापेक्ष B का आपेक्षिक वेग
VBA = VB – VA = 50 – 50 = 0 (शून्य)

प्रश्न 15.
किसी कण की चाल नियत रहने पर क्या उसमें त्वरण हो सकता है?
उत्तर:
हाँ, यह एक समान वृत्तीय गति में सम्भव है, क्योंकि इस गति में कण की चाल तो नियत रहती है पर प्रति क्षण उसकी दिशा बदलने से उसका वेग बदलता रहता है, अतः उस पर अभिकेन्द्रीय त्वरण कार्य करता है।

प्रश्न 16.
क्या यह सम्भव है कि किसी वस्तु का औसत वेग शून्य हो परन्तु औसत चाल शून्य न हो? क्या इसका विपरीत भी सम्भव है?
उत्तर:
हाँ, यदि एक पिण्ड को ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंका जाये तथा वह अपने प्रारम्भिक बिन्दु पर लौट आये तो उसका औसत वेग शून्य होगा लेकिन औसत चाल शून्य नहीं होगी। माना कोई गेंद पृथ्वी तल से ऊर्ध्वाधरत: ऊपर की ओर फेंकी गयी है और वह कुछ ऊँचाई (माना मीटर) तक ऊपर जाकर कुछ समय पश्चात् पृथ्वी पर वापस लौट आती है। उसके द्वारा चली गई दूरी 2h तथा उसका विस्थापन 01 चूँकि औसत चाल दूरी / समय तथा औसत वेग विस्थापन / समय, अतः गेंद में औसत चाल होगी, जबकि इसका औसत वेग शून्य होगा। इसका विपरीत सम्भव नहीं है।

प्रश्न 17.
यदि एक कण की गति को x = ut + \(\frac{1}{2}\) a1 t2 में बनाया गया है, जहाँ x स्थिति है, t समय है और u व a1 दर्शाइये कि कण का त्वरण नियत है।
उत्तर:
दिया है:
x = ut + \(\frac{1}{2}\) a1 t2
अतः वेग v = \(\frac{d x}{d t}\) =\(\frac{d}{d t}\)[ut + \(\frac{1}{2}\) a1 t2]
= u +\(\frac{1}{2}\) a1.2t
या v = u + at
त्वरण a = \(\frac{d x}{d t}\) =\(\frac{d}{d t}\)[u + a1t]
= 0 + a1
या
a = a1 = नियतांक
अतः कण का त्वरण नियत है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक समान त्वरित गति हेतु गणितीय विधि से गति के तीनों समीकरण व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर:
(ii) कलन विधि (Calculus Method):
(a) प्रथम समीकरण: त्वरण की परिभाषा से
a = \(\frac{d v}{d t}\)
या
dv = adt
इस समीकरण के दोनों पक्षों का t = 0 पर वेग = u एवं समय पर वेग = v की सीमा में समाकलन करने पर
\(\int_u^v d v=\int_0^t a d t\)
या
[v]vu = a[t]t0
या
v – u = a [ t – 0] = at
∴ v = u + at

(b) द्वितीय समीकरण: वेग की परिभाषा से
v = \(\frac{d s}{d t}\)
या
ds = V. dt (u + at )dt
उक्त समीकरण का समाकलन t = 0 पर s = 0 एवं t = t पर s = s
सीमा के अन्तर्गत करने पर
\(\int_0^s d s=\int_0^t(u+a t) d t=\int_0^t u d t+\int_0^t a t d t\)
या
[s]s0 = u[t]t0 + a\(\left[\frac{t^2}{2}\right]_0^t\)
या
s – 0 = u(t – 0) + \(\frac{a}{2}\)[t2 – 0]
या
S = ut + \(\frac{a}{2}\)at2

(c) तृतीय समीकरण: त्वरण की परिभाषा से
a = \(\frac{d v}{d t}\) = \(\frac{d v}{d s} \cdot \frac{d s}{d t}\)
या
a = v\(\frac{d v}{d t}\)
या
a.ds = vdv
इस समीकरण का भी पूर्व में दी गई सीमाओं के अन्तर्गत समाकलन करने पर
\(\int_0^s a d s=\int_u^v v \cdot d v\)
या
\(a[s]_0^s=\left[\frac{v^2}{2}\right]_u^v\)
या
a[s – 0] = \(\left[\frac{v^2}{2}-\frac{u^2}{2}\right]\)
या
as = \(\frac{1}{2}\) [v2 – u2]
या
2as = v2 – u2
या
v2 = u2 + 2as

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

प्रश्न 2.
निम्न की परिभाषा दीजिए
(i) विस्थापन
(ii) वेग
(iii) त्वरण
(iv) चाल
(v) औसत वेग
(vi) तात्क्षणिक वेग
(vii) औसत त्वरण
(viii) तात्क्षणिक त्वरण
उत्तर:
(i) विस्थापन(displacement):
दूरी तथा विस्थापन में अन्तर समझने के लिए एक सामान्य उदाहरण पर विचार करते हैं। माना कोई वस्तु A बिन्दु से पहले पूर्व दिशा में 4m चलकर B बिन्दु पर पहुँचती है और फिर वहाँ से 3m उत्तर की ओर चलकर C बिन्दु पर पहुँचती है। इस यात्रा में वस्तु के द्वारा तय किये गये पथ की वास्तविक लम्बाई 4 + 3 = 7m है जिसे ‘दूरी’ कहते हैं। प्रारम्भिक बिन्दु A से अंतिम बिन्दु C के मध्य सीधी लम्बाई AC(5m) है जिसे ‘विस्थापन’ कहते हैं। AC की लम्बाई निम्न प्रकार प्राप्त है

समकोण ∆A B C में, पाइथागोरस प्रमेय से,
AC2 = AB2 + BC2
AC = \(\sqrt{(4)^2+(3)^2}\) = \(\sqrt{16+9}\) = \(\sqrt{25}\)
∴ AC = 5m

(ii) वेग(velocity): “निश्चित दिशा में एकांक समय में तय की गई दूरी को वेग कहते हैं।” दिशा सहित दूरी को विस्थापन कहते हैं, अत: वेग की परिभाषा इस प्रकार भी की जा सकती है, “समय के साथ विस्थापन परिवर्तन की दर को वेग कहते हैं।” यह सदिश राशि है।
∴ वेग = चाल + दिशा
और
या \(\vec{v}\) = \(\frac{\vec{s}}{t}\) = \(\frac{\Delta \vec{s}}{\Delta t}\)
∴ वेग का M.K.S. पद्धति में मात्रक ms-1 एवं C.G.S. प्रद्धति में cms-1 होता है तथा विमीय सूत्र [M0L1T-1] है।

(iii) त्वरण (Acceleration): यदि किसी वस्तु का वेग विभिन्न समयों पर भिन्न-भिन्न होता है तो वस्तु की गति को असमान गति कहते हैं। यदि समय बढ़ने के साथ-साथ वेग बढ़ता है तो गति त्वरित कहलाती है। इसके विपरीत यदि समय बढ़ने के साथ वस्तु का वेग घटता है तो वस्तु की गति अवमंदित गति कहलाती है। अर्थात्
“समय के साथ वेग परिवर्तन की दर को त्वरण कहते हैं।”
इसे ‘a’ से प्रदर्शित करते हैं।
∴ त्वरण =
या \(\vec{a}=\frac{\Delta \vec{v}}{\Delta t}\)
त्वरण का M.K.S पद्धति में मात्रक मीटर/सेकण्ड2 ms-1 होता है। त्वरण एक सदिश राशि है। जिसकी दिशा वेग परिवर्तन की दिशा होती है।
माना कोई वस्तु प्रारम्भिक वेग u से चलना प्रारम्भ करती है और t समय के बाद उसका वेग v हो जाता है तो

(iv) चाल (speed): किसी वस्तु की चाल वह भौतिक राशि है, जो वह अनुभव कराती है कि वस्तु कितनी तेजी से गति कर रही है। ” किसी गतिमान वस्तु द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी को चाल कहते हैं।” अथवा ” समय के साथ दूरी परिवर्तन की दर को चाल कहते हैं।'” यदि किसी गतिमान वस्तु द्वारा। समय में s दूरी तय की जाती है तो उसकी,
चाल =
या
\(v=\frac{s}{t}\)
चाल का M.K.S. पद्धति में मात्रक ms-1 एवं C.G.S. पद्धति में cms-1 है।

= [M0L1T-1]

(v) औसत वेग (Average Velocity): किसी गतिमान वस्तु का औसत वेग कुल विस्थापन परिवर्तन तथा कुल समयान्तराल का अनुपात होता है।

(vi) तात्क्षणिक वेग (Instantaneous Velocity): यदि गतिमान वस्तु का वेग परिवर्ती वेग है तो, “किसी क्षण विशेष पर उसका वेग तात्कालिक वेग कहलाता है।’ इसकी गणना के लिए समयान्तराल को अत्यन्त छोटा ∆t → 0 माना जाता है।
∴ तात्कालिक वेग \((\vec{v})=\lim _{\Delta t \rightarrow 0} \frac{\overrightarrow{\Delta s}}{\Delta t}=\frac{d \vec{s}}{d t}\)
यहाँ \(\frac{d \vec{s}}{d t}\), \(\vec{s}\) का t के सापेक्ष अवकलन है जिसे अवकलन गणित की सहायता से ज्ञात कर सकते हैं। एक समान वेग से गति की स्थिति में औसत वेग व तात्कालिक वेग का मान एवं औसत वेग का मान समान होता है। वेग का मान धनात्मक, शून्य या ऋणात्मक हो सकता है।

(vii) औसत त्वरण (Average Acceleration):यदि गतिमान वस्तु परिवर्ती त्वरण से गति करती है तो वस्तु के वेग में कुल परिवर्तन ∆v एवं समयान्तराल ∆t के अनुपात को औसत त्वरण कहते हैं अर्थात्

या
\(\overrightarrow{a_{a v}}=\frac{\Delta \vec{v}}{\Delta t}\)
यदि समय t1 पर वेग \(\overrightarrow{v_1}\) एवं t2 पर वेग \(\overrightarrow{v_2}\) हो तो
\(\overrightarrow{a_{a v}}=\frac{\overrightarrow{v_2}-\overrightarrow{v_1}}{t_2-t_1}\)
\(\frac{\Delta \vec{v}}{\Delta t}\)

(viii) तात्क्षणिक या तात्कालिक त्वरण (Instantaneous Acceleration): “किसी निश्चित समय या क्षण पर वस्तु के त्वरण को तात्कालिक त्वरण कहते हैं।” इसके लिए समयान्तराल अत्यन्त छोटा लेते हैं अर्थात् ∆t = 0
तात्क्षणिक त्वरण
\(\vec{a}=\lim _{\Delta t \rightarrow 0} \frac{\Delta \vec{v}}{\Delta t}=\frac{d \vec{v}}{d t}\)
या
\(\vec{a}=\frac{d \vec{v}}{d t}\)
परन्तु
\(\vec{v}=\frac{d \vec{s}}{d t}\)

प्रश्न 3.
आलेखीय विधि द्वारा गति के समीकरणों की व्युत्पत्ति कीजिए।
उत्तर:
(i) आलेखीय विधि (Graphical Method): माना किसी गतिशील वस्तु का प्रारम्भिक वेग 14 है और त्वरण a है। इसका वेग समय ग्राफ AB संलग्न चित्र 3.13 में प्रदर्शित है। बिन्दु B के संगत समय एवं वेग v है।
(a) प्रथम समीकरण: गति का प्रथम समीकरण
v = u + at
उपपत्ति: ∵ त्वरण वेग-समय ग्राफ की प्रवणता

समयान्तराल (t – 0) = t
∴ a = tan θ = \(\frac{B C}{A C}\)
या
a = \(\frac{v-u}{t-0}=\frac{v-u}{t}\)
या at = v – u
∴ v = u + at …………(1)

(b) द्वितीय समीकरण – गति का द्वितीय समीकरण
s = ut + \(\frac{1}{2}\) at2
जहाँ s = t समय में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी
उपपत्ति: वेग समय ग्राफ में ग्राफीय रेखा एवं समय-अक्ष के मध्य घिरा क्षेत्रफल विस्थापन अर्थात् तय की गई दूरी प्रदान करता है। अत:
s = समलम्ब चतुर्भुज OABD का क्षेत्रफल

[समी० (1) से]
या
s = ut + \(\frac{1}{2}\) at2 …….(2)

(c) तृतीय समीकरण: गति का तृतीय समीकरण
v2 = u2 + 2as (v – u)
उपपत्ति – समी० (1) से, \(t=\frac{(v-u)}{a}\)
समी० (2) में का यह मान रखने पर
s = \(u \frac{(v-u)}{a}+\frac{1}{2} a \frac{(v-u)^2}{a^2}\)
या
= \(\frac{\left(u v-u^2\right)}{a}+\frac{1}{2 a}\) [v2 + u2 – 2uv]
या
s = [2uv – 2u2 + v2 + u2 – 2uv]
या
2as = v2 – u2
या
v2= u2 + 2as

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

प्रश्न 4.
नियत त्वरण से गतिमान पिण्ड के लिए वेग-समय ग्राफ खींचिए एवं इस ग्राफ की सहायता से गति के समीकरणों की स्थापना कीजिए।
उत्तर:
(i) आलेखीय विधि (Graphical Method): माना किसी गतिशील वस्तु का प्रारम्भिक वेग 14 है और त्वरण a है। इसका वेग समय ग्राफ AB संलग्न चित्र 3.13 में प्रदर्शित है। बिन्दु B के संगत समय एवं वेग v है।
(a) प्रथम समीकरण: गति का प्रथम समीकरण
v = u + at
उपपत्ति: ∵ त्वरण वेग-समय ग्राफ की प्रवणता

समयान्तराल (t – 0) = t
∴ a = tan θ = \(\frac{B C}{A C}\)
या
a = \(\frac{v-u}{t-0}=\frac{v-u}{t}\)
या at = v – u
∴ v = u + at …………(1)

(b) द्वितीय समीकरण – गति का द्वितीय समीकरण
s = ut + \(\frac{1}{2}\) at2
जहाँ s = t समय में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी
उपपत्ति: वेग समय ग्राफ में ग्राफीय रेखा एवं समय-अक्ष के मध्य घिरा क्षेत्रफल विस्थापन अर्थात् तय की गई दूरी प्रदान करता है। अत:
s = समलम्ब चतुर्भुज OABD का क्षेत्रफल

[समी० (1) से]
या
s = ut + \(\frac{1}{2}\) at2 …….(2)

(c) तृतीय समीकरण: गति का तृतीय समीकरण
v2 = u2 + 2as (v – u)
उपपत्ति – समी० (1) से, \(t=\frac{(v-u)}{a}\)
समी० (2) में का यह मान रखने पर
s = \(u \frac{(v-u)}{a}+\frac{1}{2} a \frac{(v-u)^2}{a^2}\)
या
= \(\frac{\left(u v-u^2\right)}{a}+\frac{1}{2 a}\) [v2 + u2 – 2uv]
या
s = [2uv – 2u2 + v2 + u2 – 2uv]
या
2as = v2 – u2
या
v2= u2 + 2as

प्रश्न 5.
आपेक्षिक गति की विवेचना करते हुए आपेक्षिक वेग के सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
आपेक्षिक गति (Relative Motion): “किसी कण की गति की अवस्था का अनुमान सदैव किसी अन्य निर्देश वस्तु या तन्त्र के सापेक्ष ही कर सकते हैं; निरपेक्ष रूप से गति की अवस्था को प्रेक्षित नहीं किया जा सकता है। यही आपेक्षिक गति कहलाती है।’ गति से तात्पर्य सदैव आपेक्षिक गति से ही होता है तथा निर्देश तन्त्र की स्थितियों के कारण किसी वस्तु की गति भिन्न-भिन्न निर्देश तन्त्रों के सापेक्ष परिस्थिति के अनुसार समान या भिन्न-भिन्न प्रतीत हो सकती हैं।

संलग्न चित्र 3.14 के अनुसार दो निर्देश तन्त्रों S व \(S^{\prime}\) पर विचार करते हैं, जिनके मूल बिन्दु प्रेक्षकों O व \(O^{\prime}\) के सम्पाती हैं। प्रेक्षक O के निर्देश तन्त्र में बिन्दु P का स्थिति सदिश है एवं प्रेक्षक \(\vec{r}\) के निर्देश तन्त्र में उसी बिन्दु का स्थिति सदिश \(\vec{r}\) है। \(O^{\prime}\) का O के सापेक्ष स्थिति सदिश
\(\vec{r}_0\) है, तो
\(\overrightarrow{r_0}+\overrightarrow{r^{\prime}}=\vec{r}\)
∴ \(\overrightarrow{r^{\prime}}=\vec{r}-\overrightarrow{r_0}\) ……….(1)
इस समी० (1) का समय के सापेक्ष अवकलन करने पर
\(\frac{d}{d t} \overrightarrow{r^{\prime}}=\frac{d \vec{r}}{d t}-\frac{d \overrightarrow{r_0}}{d t}\)
या
\(\overrightarrow{v^{\prime}}=\vec{v}-\overrightarrow{v_0}\) ………….(2)
यहाँ निर्देश तन्त्र S’ का S के सापेक्ष वेग है।
समी० (2) S व S’ में वेग सदिशों का सम्बन्ध प्रदर्शित करता है।
समीकरण (2) का t के सापेक्ष अवकलन करने पर,
\(\frac{d \overrightarrow{v^{\prime}}}{d t}=\frac{d \vec{v}}{d t}-\frac{d \overrightarrow{v_0}}{d t}\)
या
\(\overrightarrow{a^{\prime}}=\vec{a}-\overrightarrow{a_0}\) …………(3)
यहाँ निर्देश तन्त्र S’ का s के सापेक्ष त्वरण है। यदि a0 = 0 अर्थात् यदि फ्रेम s एवं S’ एक-दूसरे के सापेक्ष नियत वेग से गति कर रहे हों, तो
\(\overrightarrow{a^{\prime}}=\vec{a}\)
अतः इस अवस्था में किसी कण का दोनों निर्देश तन्त्रों में नापा गया त्वरण समान प्राप्त होता है।
यदि एक विमीय गति पर विचार करें तो माना दो वस्तुएँ A व B -अक्ष की दिशा में नियत वेग VA व VB से गतिमान हैं। यदि किसी क्षण वस्तुओं की स्थितियाँ क्रमशः XA व XB; हैं तो वस्तु A के सापेक्ष B की स्थिति
XBA = XB – XA ……(4)

प्रश्न 6.
औसत चाल से क्या समझते हो? विभिन्न परिस्थितियों में इसकी विवेचना कीजिए।
उत्तर:
चाल (speed): किसी वस्तु की चाल वह भौतिक राशि है, जो वह अनुभव कराती है कि वस्तु कितनी तेजी से गति कर रही है। ” किसी गतिमान वस्तु द्वारा एकांक समय में तय की गई दूरी को चाल कहते हैं।” अथवा ” समय के साथ दूरी परिवर्तन की दर को चाल कहते हैं।'” यदि किसी गतिमान वस्तु द्वारा। समय में s दूरी तय की जाती है तो उसकी,
चाल =
या
\(v=\frac{s}{t}\)
चाल का M.K.S. पद्धति में मात्रक ms-1 एवं C.G.S. पद्धति में cms-1 है।

= [M0L1T-1]

चाल के प्रकार (Types of Speed):
(a) एक समान चाल (Uniform Speed)-यदि कोई गतिमान वस्तु समान समयान्तरालों में समान दूरी तय करती है तो उसकी चाल को एक समान चाल कहते हैं। उदाहरणार्थ-घड़ी की सुइयों की चाल।
(b) परिवर्ती चाल (Variable Speed)-यदि कोई गतिमान वस्तु समान समयान्तरालों में भिन्न-भिन्न दूरी तय करती है तो उसकी चाल परिवर्ती चाल कहलाती है। उदाहरण के लिए-भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर वाहनों की चाल।
(c) औसत चाल (Average Speed)-गतिमान वस्तु द्वारा तय की गई कुल दूरी एवं कुल समय के अनुपात को औसत चाल कहते हैं।

∴ औसत चाल =
या \(\vec{v}=\frac{\Delta s}{\Delta t}\)
औसत चाल को समझने के लिए एक उदाहरण पर विचार करते हैं। माना किन्हीं दो स्थानों के मध्य दूरी 300km है तथा इसे तय करने में किसी कार को 5 घंटे का समय लगता है, तो कार की, औसत चाल
\(\vec{v}=\frac{300}{5}\) = 60Kmhr-1

पूरी यात्रा के दौरान कार की चाल 60Kmhr-1 रहना आवश्यक नहीं है और न ही यह आवश्यक है कि कार लगातार चलती रही हो। उपलब्ध मार्ग के अनुसार कार की चाल घट/बढ़ सकती है और कुछ समय के लिए कार विश्राम की स्थिति में रह सकती है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

प्रश्न 7.
निर्देश तन्त्र से क्या अभिप्राय है? वामावर्त एवं दक्षिणावर्त निर्देशांक निकाय की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
संसार में कोई वस्तु निरपेक्ष रूप से स्थिर नहीं है, सभी वस्तुएँ सापेक्षिक रूप से स्थिर व गतिशील होती हैं। एक वस्तु किसी निकाय के सापेक्ष स्थिर तो किसी अन्य निकाय के सापेक्ष गतिशील हो सकती है। उदाहरणार्थ-गतिशील बस में बैठा यात्री अपने पड़ोसी यात्रियों के सापेक्ष तो स्थिर होता है लेकिन सड़क के किनारे खड़े किसी दर्शक के सापेक्ष गतिशील होता है। इसी प्रकार चलती बस का रेलगाड़ी में बैठा यात्री जब खुद को स्थिर मानता है तो मार्ग के किनारे खड़े पेड़ उसे पीछे भागते दिखायी देते हैं और जब पेड़ों को स्थिर मानता है तो स्वयं को गतिशील अनुभव करता है। इसी प्रकार एक ही दिशा में दो कारें A व B क्रमश: 50 km hr-1 एवं 40km hr-1 की चालों से गतिशील हैं तो कार B में बैठे यात्री को कार 4 की चाल 10km hr-1 प्रतीत होती है, जबकि सड़क पर खड़े व्यक्ति को कार 4 की चाल 50 km hr प्रतीत होती है। उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि गति सापेक्ष होती है और वस्तु की गति का अध्ययन करने के लिए किसी न किसी सन्दर्भ वस्तु निकाय की आवश्यकता होती है, जिसके सापेक्ष हम वस्तु की स्थिति का अध्ययन कर सकें। अतः, “वह निकाय जिसके सापेक्ष कण की स्थिति का अध्ययन किया जाता है, निर्देश तन्त्र कहलाता है।”

निकायों का प्रयोग किया जाता है:

  1.  वामावर्ती निर्देशांक पद्धति
  2. दक्षिणावर्ती निर्देशांक पद्धति

    सामान्यतः हम दक्षिणावर्ती कार्तीय निर्देश तन्त्र का प्रयोग करते हैं। जिसके अनुसार दाहिने हाथ की अंगुलियों को यदि OX अक्ष के समान्तर करके OY की ओर घुमाएं तो अंगुलियों के लम्बवत् रखने पर अंगूठा OZ की दिशा बताता है। इसके अनुसार किसी कण की गति का अध्ययन x, y, 2 निर्देशांकों के आधार पर किया जाता है।

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
एक धावक 50 m त्रिज्या के वृत्ताकार पथ पर दौड़ता है। धावक द्वारा तीन चौथाई पथ तय करने में विस्थापन एवं दूरी की गणना कीजिए।
उत्तर:
70.7m 235.7m

प्रश्न 2.
एक कण को 20 ms-1 की प्रारम्भिक चाल से ऊपर की ओर फेंका जाता है। 3.0 बाद कण द्वारा तय की गई दूरी तथा विस्थापन की गणना कीजिए। (g = 10ms-2)
उत्तर:
दूरी = 25m; विस्थापन = 15m]

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

प्रश्न 3.
पद्मा अपने घर से स्कूल 50 km की दूरी एक समान चाल से 50km. hr-1 की चाल से जाती है। छुट्टी होने पर वह भीड़ भाड़ होने के कारण 30km.hr-1 की औसत चाल से घर पहुँचती है। यात्रा के दौरान कुल औसत चाल की गणना कीजिए।
उत्तर:
37.5 km.hr-1

प्रश्न 4.
एक वस्तु X- अक्ष की दिशा में गति कर रही है जिसका विस्थापन निम्न प्रकार प्रदर्शित होता है x = 30 + 20t2, जहाँ x, m एवं t,s में है।
1. वस्तु का वेग तथा त्वरण ज्ञात कीजिए।
2. वस्तु का प्रारम्भिक वेग तथा स्थिति ज्ञात कीजिए।
उत्तर:

  1. 40rms-1; 40ms-2
  2. 0ms-1; 30m

प्रश्न 5.
एक कण विरामावस्था से चलना आरम्भ करके t समय में स्थिर त्वरण से s1 दूरी तय करता है। यदि कण अगले ‘t समय में s2 दूरी तय कर ले तो दर्शाइये कि
उत्तर:
s2 = 3s1

प्रश्न 6.
एक गतिमान वस्तु प्रथम 25 में 200m दूरी तय करती अगले 4 में वह 220m की दूरी तय करती है। गतिमान वस्तु का वेग सातवें सेकण्ड के अन्त में ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
10ms-1

प्रश्न 7.
एक कार 15 ms-1 के वेग से सड़क पर चल रही है। ब्रेक लगाने पर इसकी अवरोधन दूरी 18m है। यदि इसी कार का वेग 25ms-1 हो तथा ब्रेक लगाने पर वही मन्दन उत्पन्न किया जाये तो
कार की नयी अवरोधन दूरी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
50m

प्रश्न 8.
एक कण 5वें सेकण्ड में 25 m तथा 7वें सेकण्ड में 33 mm की दूरी तय करता है। यदि गति समान रूप से त्वरित हो तो यह अगले 35 में कितनी दूर चलेगा।
उत्तर:
123m

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 3 सरल रेखा में गति

प्रश्न 9.
किसी क्षण पर एक कण का विस्थापन निम्नलिखित सूत्र द्वारा दिया जाता है:
x = – 15t2 + 20t + 30
जहाँ x मीटर में तथा सेकण्ड में है। t = 0 पर कण की स्थिति, वेग तथा त्वरण ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
Xo = 30m; v0 = 20 ms-1; a0 = 30ms-2

प्रश्न 10.
किसी पिण्ड का त्वरण समय का फलन है, चित्र के अनुसार यदि t = 0 पर पिण्ड का वेग u = 0 हो:
(a) बाद वाले समय पर पिण्ड का वेग क्या है?
(b) t समय में पिण्ड कितनी दूरी तय करेगा?

उत्तर:
\(\frac{\sqrt{3}}{2}\)t2 ms-1 \(\sqrt{3} \frac{t^3}{6}\)m

प्रश्न 11.
एक 80 m लम्बी ट्रेन 60ms-1 के वेग से एक अन्य 100 m लम्बी ट्रेन से आगे निकलती है। दूसरी ट्रेन की चाल 40 ms-1 है। पहली ट्रेन द्वारा दूसरी ट्रेन से आगे निकलने में कितना समय लगेगा?
उत्तर:
9s

प्रश्न 12.
दो समान्तर सीधी रेल की पटरियों में एक पर एक मालगाड़ी 72 km. hr-1 की चाल से और दूसरी पर एक सवारी गाड़ी 108 km.hr-1 की चाल से चल रही है। मालगाड़ी की लम्बाई 150m और सवारी गाड़ी की लम्बाई 90m है। यदि:
1. दोनों गाड़ियाँ एक ही दिशा में हैं;
2. दोनों विपरीत दिशा में हैं तब एक-दूसरे को पार करने में कितना समय लगेगा?
उत्तर:

  1. 24s
  2.  4.8s

प्रश्न 13.
एक कण की स्थिति \(\vec{r}=\left(3 t \hat{i}+4 t^3 \hat{j}+5 \hat{k}\right)\) द्वारा दी जाती है। ज्ञात कीजिए।
1. कण का वेग तथा त्वरण
2. t = 5s पर कण के वेग और त्वरण का परिमाण बताओ।
उत्तर:

  1. \(\left(3 \hat{i}+12 t^2 \hat{j}\right)\) ms-1; \((24 t \hat{j})\) ms-2
  2. 300 ms-1; 120 ms-2

प्रश्न 14.
एक कण के निर्देशांक x = (4t – 1) m तथा y = 8t2 m है। निम्न की गणना कीजिए।
1. कण का t = 1s से t = 2s समयान्तराल में औसत वेग तथा
2. t = 2s पर कण का तात्क्षणिक वेग
उत्तर:

  1.  \(\overrightarrow{v_{a v}}=(4 \hat{i}+24 \hat{j})\) ms-1
  2. 32.25ms-1

Must Read:

LTTS Pivot Point Calculator

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
किसी प्रक्षेप्य पर ऊँचाई y तथा क्षैतिज तल के अनुदिश दूरी x क्रमश: y = 8t – 5t2 तथा x = 6t है, जहाँ t सेकण्ड में तथा दूरियाँ मीटर में हैं। प्रक्षेप्य का प्रक्षेपण वेग होगा:
(a) 8 मीटर/सेकण्ड
(b) 6 मीटर/सेकण्ड
(c) 10 मीटर/सेकण्ड
(d) उपर्युक्त विवरण से प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
उत्तर:
(c) 10 मीटर/सेकण्ड

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 2.
आकाश में उड़ता एक वायुयान क्षैतिज तल में मोड़ ले रहा है। ऐसा करते समय उसके पंख:
(a) क्षैतिज रहते हैं
(b) ऊर्ध्वाधर हो जाते हैं।
(c) भीतर की ओर झुक जाते हैं।
(d) बाहर की ओर झुक जाते हैं।
उत्तर:
(c) भीतर की ओर झुक जाते हैं।

प्रश्न 3.
यदि एक बन्दूक से वेग से छोड़ी गयी गोली की परास R हो, तो बन्दूक का क्षैतिज से झुकाव होगा।
(a) cos-1\(\frac{v^2}{R g}\)
(b) cos-1\(\frac{R g}{v^2}\)
(c) tan-1\(\frac{v^2}{R g}\)
(d) sin-1\(\frac{g R}{v^2}\)
उत्तर:
(d) sin-1\(\frac{g R}{v^2}\)

प्रश्न 4.
एक कण x y तल में गति कर रहा है और किसी बिन्दु पर उसके निर्देशांक, x = Asin ωt तथा y = Acosωt हैं, जहाँ ω एक नियत राशि है। कण का पथ है।
(a) सरल रेखा
(b) दीर्घ वृत्ताकार
(c) वृत्ताकार
(d) परवलयाकार
उत्तर:
(c) वृत्ताकार

प्रश्न 5.
एक नाव जिसकी शान्त जल में चाल 5 km/hr है, 1 km चौड़ी नदी को सबसे छोटे सम्भव मार्ग से 15 मिनट में पार करती है। नदी के जल का km/hr में वेग है।
(a) 1
(b) 3
(c) 4
(d) √41
उत्तर:
(b) 3

प्रश्न 6.
दो कण A व B एक दृढ़ छड़ AB द्वारा जुड़े हैं। छड़ लम्बवत् पटरियों पर फिसलती है, जैसा कि चित्र में प्रदर्शित है । कण 4 का बायीं ओर वेग 10 m/s है। जब कोण α = 60° है, तो कण B का वेग होगा।

(a) 5.8m/s
(b) 9.8m/s
(c) 10m/s
(d) 17.3m/s
उत्तर:
(a) 5.8m/s

प्रश्न 7.
एक कण एक समान चाल से वृत्ताकार पथ पर चक्कर लगाता है। कण का त्वरण है।
(a) वृत्त की परिधि के अनुदिश
(b) स्पर्श रेखा के अनुदिश
(c) त्रिज्या के अनुदिश
(d) शून्य।
उत्तर:
(c) त्रिज्या के अनुदिश

प्रश्न 8.
किसी प्रक्षेप्य का पथ होता है?
(a) सरल रेखीय
(b) परवलयिक
(c) दीर्घवृत्तीय
(d) अतिपरवलयिक
उत्तर:
(b) परवलयिक

प्रश्न 9.
एक प्रक्षेप्य से किस कोण से प्रक्षेपित किया जाये कि उसकी परास एवं अधिकतम ऊँचाई समान हो।
(a) tan-1 (√3)
(b) tan-1 (√2)
(c) tan-1 (4)
(d) tan-1 (√4)
उत्तर:
(c) tan-1 (4)

प्रश्न 10.
एक कण r त्रिज्या के वृत्तीय पथ में गति करता हैं। अर्द्धवृत्त पूर्ण करने पर उसका विस्थापन होगा।
(a) 2r
(b) \(\frac{r}{2}\)
(c) \(\frac{r}{4}\)
(d) r
उत्तर:
(a) 2r

प्रश्न 11.
एक गेंद को क्षैतिज θ कोण पर किसी वेग फेंका जाता है। उसकी क्षैतिज परास अधिकतम होने के लिए θ का मान होगा:
(a) 30°
(b) 0°
(c) 45°
(d) 60°
उत्तर:
(c) 45°

प्रश्न 12.
समान परास के लिए एक पिण्ड को समान चाल से कितनी दिशाओं में (कोणों पर) प्रेक्षित किया जा सकता है?
(a) 2
(b) 3
(c) 4
(d) 1
उत्तर:
(a) 2

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 13.
एक प्रक्षेप्य की अधिकतम ऊँचाई पर चाल उसकी प्रारम्भिक चाल की आधी है। प्रक्षेप्य की क्षैतिज परास है।
(a) \(\frac{3 u^2}{g}\)
(b) \(\frac{\sqrt{3} u^2}{2 g}\)
(c) \(\frac{u^2}{2 g}\)
(d) \(\frac{2 u^2}{g}\)
उत्तर:
(b) \(\frac{\sqrt{3} u^2}{2 g}\)

प्रश्न 14.
एक मोटर कार 30 मीटर / सेकण्ड की चाल से 500 मीटर त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर गतिमान है। यदि इसकी चाल 2 मीटर/सेकण्ड2 की दर से बढ़ रही है तब इसका परिणामी त्वरण है।
(a) 2 मी/से2
(b) 2.2 मी/से2
(c) 2.7 मी/से2
(d) 3.8 मी/से2
उत्तर:
(c) 2.7 मी/से2

अति लघुत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
एकांक सदिश किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह सदिश जिसका परिमाण इकाई होता है, एकांक सदिश कहलाता है। इसका उपयोग सदिश को दिशा देने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2.
X- अक्ष, Y-अक्ष तथा Z-अक्ष के अनुदिश एकांक सदिश बताइये।
उत्तर:
X- अक्ष की दिशा में एकांक वेक्टर \(\hat{i}\), Y-अक्ष के अनुदिश \(\hat{j}\) तथा Z-अक्ष के अनुदिश \(\hat{k}\) होता है।

प्रश्न 3.
शून्य सदिश किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऐसा सदिश जिसका परिमाण शून्य होता है, शून्य सदिश कहलाता है। इस सदिश की दिशा का निर्धारण सम्भव नहीं है।

प्रश्न 4.
सदिशों का वियोजन कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:
सदिशों का वियोजन दो प्रकार का होता है:

  1.  द्विविमीय वियोजन
  2.  त्रिविमीय वियोजन।

प्रश्न 5.
क्या दो सदिशों के परिणामी सदिश का परिमाण दिये गये सदिशों में से किसी एक सदिश के परिमाण से कम हो सकता है?
उत्तर:
हाँ, यदि दोनों सदिशों के मध्य कोण 90° से अधिक हो।

प्रश्न 6.
निम्न भौतिक राशियों में से अदिश तथा सदिश राशियों को अलग-अलग कीजिए-
बल आघूर्ण, पृष्ठ तनाव, संवेग, ताप, ऊर्जा, वेग, त्वरण, चाल।
उत्तर:
अदिश राशियाँ: पृष्ठ तनाव, ताप, ऊर्जा, वेग, त्वरण चाल।
सदिश राशियाँ: बल आघूर्ण, संवेग।

प्रश्न 7.
क्या एक अदिश और एक सदिश राशि को जोड़ा जा सकता है?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि एक सी प्रकार की राशियों का योग सम्भव है। और अदिश में दिशा नहीं होती है, जबकि सदिश में परिमाण के साथ-साथ दिशा भी होती है।

प्रश्न 8.
यदि किसी सदिश राशि का एक घटक शून्य हो व अन्य घटक शून्य न हो, तो क्या वह सदिश राशि शून्य हो सकती है?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 9.
दो सदिशों के सदिश गुणनफल से प्राप्त सदिश की दिशा क्या होती है?
उत्तर:
दो सदिशों के सदिश गुणनफल की दिशा (\(\hat{n}\)) दोनों सदिशों के तल की लम्ब दिशा में होती है।

प्रश्न 10.
दो समान्तर सदिशों का सदिश गुणनफल क्या होता है?
उत्तर:
यदि \(\vec{A} \| \vec{B}\) A x B = A. B. sin O \(\hat{n}\) = 0 (शून्य) अर्थात् दो समान्तर सदिशों का सदिश गुणनफल शून्य होता है।

प्रश्न 11.
क्या एक स्केलर को वेक्टर से गुंणा किया जा सकता
उत्तर:
हाँ ; बल \(\vec{F}=m \vec{a}\) एवं संवेग \(\vec{p}=m \vec{v}\) इसी के उदाहरण हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 12.
क्या विभिन्न परिमाणों के दो सदिशों को ऐसे जोड़ा जा सकता है कि उनका परिणामी शून्य हों?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 13.
बल F एक स्थिर पिण्ड को दूरी तक विस्थापित करता है। इस क्रिया को सदिश संकेत से कैसे दिखायेंगे?
उत्तर:
W = \(\vec{F} \cdot \vec{d}\)
= F.d.cos θ

प्रश्न 14.
किस अवस्था में दो अशून्य सदिशों का स्केलर गुणनफल अधिकतम होता है?
उत्तर:
\(\vec{A} \cdot \vec{B}\)
= ABcos θ
जब
θ = 0° तो cos θ = 1
\((\vec{A} \cdot \vec{B})\)max = AB
अतः समान दिशा में होने पर स्केलर गुणनफल अधिकतम होगा।

प्रश्न 15.
किसी सदिश का ग्राफीय निरूपण कैसे किया जाता।
उत्तर:
तीर (Arrow) चिन्ह द्वारा।

प्रश्न 16.
क्या सदिशों की वियोजन संक्रिया में साहचर्य गुणधर्म लागू होता है?
उत्तर:
हाँ; क्योंकि \((\vec{P}+\vec{Q})-\vec{R}=\vec{P}+(\vec{Q}-\vec{R})\)

प्रश्न 17.
क्या चार असमतलीय सदिशों का परिणामी शून्य हो सकता है?
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 18.
यदि a अदिश राशि है और b सदिश राशि हो तो ab किस प्रकार की राशि होगी?
उत्तर:
सदिश।

प्रश्न 19.
यदि \(\vec{P} \cdot \vec{R}=\vec{Q} \cdot \vec{R}\) तो क्या \(\overrightarrow{\boldsymbol{P}}\) और \(\overrightarrow{\boldsymbol{Q}}\) सदैव परस्पर बराबर होंगे?
उत्तर:
\(\vec{P}\) और \(\vec{Q}\) परस्पर तभी बराबर होंगे, जब दोनों में से प्रत्येक \(\vec{R}\) के साथ समान कोण बनाए।

प्रश्न 20.
दो अक्षीय सदिशों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कोणीय वेग, बल-आघूर्ण।

प्रश्न 21.
बल तथा दाब में कौन सी सदिश राशि है?
उत्तर:
बल।

प्रश्न 22.
क्या \(\vec{A}+\vec{B}\) का परिमाण वही है जो \(\vec{B}+\vec{A}\) का है?
उत्तर:
हाँ दोनों के परिमाण एवं दिशाएं समान हैं।

प्रश्न 23.
क्या \(\vec{A}-\vec{B}\) का परिमाण वही है जो \(\overrightarrow{\boldsymbol{B}}-\overrightarrow{\boldsymbol{A}}\) का है? क्या दोनों की दिशाएं भी समान हैं?
उत्तर:
\(\vec{A}-\vec{B}\) व \(\overrightarrow{\boldsymbol{B}}-\overrightarrow{\boldsymbol{A}}\) दोनों के परिमाण तो समान होंगे लेकिन दिशाएं परस्पर विपरीत होंगी।

प्रश्न 24.
दो सदिशों का योग कब अधिकतम व कब न्यूनतम होता है?
उत्तर:
जब दोनों सदिश एक ही दिशा में होते हैं (अर्थात् θ = 0) तो उनका योग अधिकतम होता है और जब परस्पर विपरीत दिशा में (अर्थात् θ = 180°) होते हैं तो उनका योग न्यूनतम होता है।

प्रश्न 25.
यदि किन्हीं दो सदिशों के पीरमाण को अपरिवर्तित रखते हुए केवल उनके बीच का कोण परिवर्तित कर दें तो उनके परिणामी सदिश पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
परिणामी सदिश के परिमाण व दिशा दोनों बदल जायेंगे।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 26.
क्या किसी सदिश के वियोजित घटक का मान उस सदिश के मान से अधिक हो सकता है?
उत्तर:
नहीं; किसी सदिश के वियोजित घटक का अधिकतम मान सदिश के मान के बराबर हो सकता है।

प्रश्न 27.
क्या दो सदिशों का अदिश गुणन ऋणात्मक हो सकता है?
उत्तर:
हाँ, यदि दोनों सदिशों के मध्य कोण 90° से 270° के मध्य हों।

प्रश्न 28.
प्रक्षेप्य पथ के किस बिन्दु पर चाल न्यूनतम होती है?
उत्तर:
उच्चतम बिन्दु पर।

प्रश्न 29.
प्रक्षेप्य पथ किस प्रकार का होता है? क्या यह ऋजुरेखीय हो सकता है?
उत्तर:
प्रक्षेप्य पथ परवलयाकार होता है। प्रक्षेपण कोण θ = 90° के लिए यह ऋजुरेखीय होगा।

प्रश्न 30.
प्रक्षेप्य गति में अधिकतम परास के लिए प्रक्षेपण कोंण कितना होना चाहिए?
उत्तर:
45°

प्रश्न 31.
वायु के प्रतिरोध का प्रक्षेप्य के उड्डयन काल तथा परास क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
वायु के प्रतिरोध के कारण उड्डयन काल बढ़ जाता है। लेकिन परास घट जाता है।

प्रश्न 32.
किस प्रक्षेपण कोण के लिए महत्तम ऊँचाई एवं परास बराबर होते हैं?
उत्तर:
0 = tan-1(4) = 76°

प्रश्न 33.
जब प्रक्षेप्य को क्षैतिज के साथ किसी कोण (90° को छोड़कर) पर प्रक्षेपित किया जाता है तो गति के दौरान वेग का कौन सा घटक नियत रहता है?
उत्तर:
वेग का क्षैतिज घटक (ucosθ) नियत रहता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
दो बराबर सदिशों का परिणामी सदिश कब:
1. शून्य हो सकता है
2. प्रत्येक के बराबर हो सकता है?
उत्तर:

  1. परिमाण में समान दो सदिश के मध्य जब 180° का कोण होता है तो उनका परिणामी शून्य होगा।
  2. जब परिमाण में समान दो सदिश 120° के कोण पर होते हैं तो उनके परिणामी का परिमाण उनके परिमाण के बराबर प्राप्त होता है।

प्रश्न 2.
दो सदिश \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) इस प्रकार हैं कि \(\vec{A} \cdot \vec{B}\) = 0 \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) के विषय में क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर:
यदि \(\vec{A} \cdot \vec{B}\) = 0 तो निम्नलिखित दो सम्भावनाएँ हैं:

  1. \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) में कोई एक शून्य है।
  2.  \(\vec{A} \cdot \vec{B}\) = 0 या ABcosθ = 0

AB ≠ 0 या cos θ = 0
अतः θ = 90°
इस प्रकार \(\vec{A} \perp \vec{B}\) अर्थात् दोनों सदिश परस्पर लम्बवत् होंगे।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 3.
यदि \(\vec{A} \cdot \vec{B}\) = AB तो \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) के विषय में क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर:
\(\vec{A} \cdot \vec{B}\) = AB
या
AB cosθ = AB
या
cos θ = 1
∴ θ = 0°
अर्थात् \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) परस्पर समान्तर होंगे।

प्रश्न 4.
यदि \(\vec{R}=\vec{A} \times \vec{B}\) तो
(i) R तथा 1 के बीच कोण क्या है?
(ii) में तथा 8 के बीच कोण क्या है?
उत्तर:
दिया है:
R = 1 x B
अतः की दिशा व के तल के लम्बवत् होगी।
∴ की दिशा व B दोनों के लम्बवत् होगी अर्थात् दोनों के साथ कोण 90° होगा।

प्रश्न 5.
क्या तीन असमतलीय सदिशों का परिणामी शून्य हो सकता है?
उत्तर:
नहीं; किन्हीं दो सदिशों का परिणामी उन सदिशों के तल में ही होता है, अतः यह तीसरे सदिश जो कि भिन्न तल में है, के प्रभाव को निरस्त नहीं कर सकता है।

प्रश्न 6.
जब सदिश \(\vec{A}\) का सदिश \(\vec{B}\) में की दिशा में घटक शून्य है तो आप दोनों सदिशों के बारे में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर:
माना दो सदिशों \(\vec{A}\) का \(\vec{B}\) के मध्य कोण θ है। सदिश \(\vec{B}\) की दिशा में सदिश \(\vec{A}\) का घटक Acosθ होगा।
यदि यह घटक शून्य है अर्थात्
या
A cosθ = 0
cos θ = 0
⇒ θ = 90°
स्पष्ट है कि \(\vec{A} \perp \vec{B}\) अर्थात् दोनों सदिश परस्पर लम्बवत् होंगे।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 7.
क्या शून्य सदिश (\(\overrightarrow{\mathbf{0}}\)) को सदिश कहना सही है?
उत्तर:
दो सदिशों का अन्तर भी सदिश होता है अत: \(\vec{R}-\vec{R}=\overrightarrow{0}\) अतः शून्य सदिश को सदिश कहना सही है।

प्रश्न 8.
यद्यपि बल \(\vec{F}\) है व विस्थापन \(\overrightarrow{\boldsymbol{S}}\) दोनों सदिश राशियाँ हैं, फिर भी इन दोनों के गुणन से प्राप्त कार्य अदिश राशि है क्यों? यदि
\(\overrightarrow{\boldsymbol{F}}\) व \(\overrightarrow{\boldsymbol{s}}\) शून्य न हों फिर भी W का मान शून्य हो सकता है, कब?
उत्तर:
दो सदिश राशियों का डॉट गुणनफल अदिश राशि होती है
और कार्य W = \(\vec{F}\)\(\vec{S}\) डे, अतः कार्य अदिश राशि है।
पुन:
W = \(\vec{F}\)\(\vec{S}\) = F S cosθ
स्पष्ट है कि जब cosθ = 0 तो W = 0 होगा।
अर्थात्
θ = 90° हो \(\overrightarrow{\boldsymbol{F}}\) व \(\overrightarrow{\boldsymbol{s}}\) के अशून्य होने पर भी W का मान शून्य होगा।

प्रश्न 9.
सदिशों के योग का समान्तर चतुर्भुज नियम लिखिए।
उत्तर:
सदिशों के संयोजन का समान्तर चतुर्भुज नियम (Law of Parallelogram of Vectors Addition): इस नियम की सहायता से हम दो सदिशों को जोड़ सकते हैं। इस नियम के अनुसार, “यदि दो सदिशों को परिमाण व दिशा दोनों में किसी समान्तर चतुर्भुज की दो आसन्न भुजाओं द्वारा व्यक्त किया जा सके तो उनका परिणामी परिमाण व दिशा दोनों में चतुर्भुज के उस विकर्ण द्वारा प्रदर्शित होगा जो उन भुजाओं के कटान बिन्दु से होकर जाता है। ”

“चित्र 4.15 में माना दो सदिश व परिमाण व दिशा दोनों में समान्तर चतुर्भुज OABC की आसन्न भुजाओं OA व OB द्वारा व्यक्त किये जाते हैं तो इनका परिणामी विकर्ण OB द्वारा व्यक्त होगा अर्थात्

प्रश्न 10.
सदिशों के योग के लिए बहुभुज नियम लिखिए।
उत्तर:
(C) सदिशों के संयोजन का बहुभुज नियम (Law of Polygon of Vectors Addition): इस नियम की सहायता से दो से अधिक सदिशों को जोड़ा जा सकता है। इस नियम के अनुसार, यदि (n-1) सदिशों को भुजाओं वाले बहुभुज की (n-1) क्रमागत भुजाओं द्वारा प्रदर्शित किया जा सके तो उनका परिणामी बहुभुज की अन्तिम (n वीं) भुजा द्वारा नियमित क्रम में प्रदर्शित होगा।” सदिशों के बहुभुज नियम को दूसरे शब्दों में इस प्रकार भी व्यक्त कर सकते हैं, “यदि दो से अधिक सदिशों को परिमाण व दिशा दोनों में एक खुले बहुभुज की भुजाओं द्वारा एक क्रम में निरूपित किया जा सके तो बहुभुज को बन्द करने वाली भुजा द्वारा परिमाण व दिशा दोनों में उनका परिणामी व्यक्त होगा।”

विधि – बहुभुज नियम द्वारा सदिश योग ज्ञात करने के लिए उचित पैमाना मानकर योग की क्रिया किसी एक सदिश को खींचकर प्रारम्भ करते हैं, फिर उसके शीर्ष पर दूसरे सदिश का पुच्छ रखकर दूसरा सदिश खींचते हैं। इसी प्रकार दिये गये सभी सदिश क्रमशः खींच लेते हैं। प्रथम सदिश के पुच्छ एवं अंतिम वेक्टर के शीर्ष को मिला देते हैं। यही परिणामी वेक्टर होता है। इसे नापकर पैमाने का गुणा करके परिणामी का परिमाण ज्ञात करं – लेते हैं।
उदाहरणार्थ: माना चार सदिश A, B, C, D का योग बहुभुज नियम द्वारा ज्ञात करना है।

सत्यापन: त्रिभुज नियम के आधार पर

प्रश्न 11.
निम्न कथन की विवेचना कीजिए।
विस्थापन सदिश मूलतः स्थिति सदिश है।
उत्तर:
संलग्न चित्र में A व B के स्थिति सदिश क्रमशः \(\overrightarrow{r_A}\) व \(\overrightarrow{r_B}\) हैं। यदि कोई वस्तु A से B तक विस्थापित होती है तो विस्थापन सदिश

यदि प्रारम्भिक बिन्दु A मूल बिन्दु पर हो तो \(\overrightarrow{r_A}\) = 0 होगा, अतः
\(\overrightarrow{\Delta r}\) = \(\overrightarrow{r_B}\) जो कि B का स्थिति सदिश है।
स्पष्ट है कि विस्थापन सदिश मूलतः स्थिति सदिश है।

प्रश्न 12.
क्या सदिश को अदिश से गुणा करने पर इसकी प्रकृति बदल जाती है?
उत्तर:
बदल भी सकती है और नहीं भी उदाहरण के लिए जब एक सदिश शुद्ध अंक (जैसे, 1, 2, 3….. ) से गुणा करते हैं तो सदिश की प्रकृति नहीं बदलती है लेकिन यदि सदिश को अदिश भौतिक राशि से गुणा करते हैं तो सदिश की प्रकृति बदल जाती है। उदाहरण के लिए जब वेग \(\vec{v}\) सदिश को द्रव्यमान (m) अदिश से गुणा करते हैं तो सदिश राशि संवेग \(\vec{p}\) प्राप्त होता है जिसकी प्रकृति वेग से भिन्न है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 13.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित एक समतल से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स (अदिश), समतल के क्षेत्रफल तथा चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (सदिश) के गुणनफल के बराबर होता है। बताइये कि समतल का क्षेत्रफल सदिश है या अदिश?
उत्तर:
दो सदिश राशियों का स्केलर गुणनफल एक अदिश राशि होता है।
चुम्बकीय फ्लक्स Φ = \(\vec{B}\) . \(\vec{A}\)
अतः समतल का क्षेत्रफल सदिश राशि (\(\vec{A}\)) है।

प्रश्न 14.
क्या परिमाण व दिशा दोनों वाली राशियाँ निश्चित रूप से सदिश राशियाँ होती हैं? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नहीं; क्योंकि परिमाण व दिशा वाली राशियाँ यदि सदिश योग के नियम का पालन करती हैं तो वे सदिश राशियाँ होती हैं परन्तु यदि वे सदिश योग के नियम का पालन नहीं करती हैं तो वे अदिश राशि की श्रेणी में आती हैं; उदाहरणार्थ – विद्युत् धारा, समय आदि।

प्रश्न 15.
एक गेंद को वेग से ऊर्ध्वाधर ऊपर फेंकने पर यह ऊँचाई तक जाती है। यदि वेग को दोगुना (2u) कर दें तो ऊँचाई पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
गेंद का वेग उच्चतम बिन्दु पर शून्य हो जायेगा, अत: सूत्र
v2 = u2 + 2as’
से
0 = u2 – 2gh
या
2gh = u2
h = \(\frac{u^2}{2 g}\)
यदि वेग (2u) कर दिया जाये तो माना ऊँचाई ‘ हो जाती है अतः
h = \(\frac{(2 u)^2}{2 g}\) = \(\frac{4 u^2}{2 g}\) = \(4 \times\left(\frac{u^2}{2 g}\right)\)
या
h = 4h
अर्थात् वेग दो गुना कर देने पर ऊँचाई चार गुनी हो जायेगी।

प्रश्न 16.
प्रक्षेप्य गति किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्रक्षेप्य गति: जब किसी वस्तु को क्षैतिज से किसी कोण पर ऊर्ध्वाधर तल में किसी प्रारम्भिक वेग से प्रक्षेपित की जाती है तो फेंके जाने के पश्चात् यह वस्तु पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में गति करती है। इस प्रकार की गति को प्रक्षेप्य गति कहा जाता है। इस गति के दौरान वस्तु परवलयाकार पथ का अनुसरण करती है।

प्रश्न 17.
क्रिकेट का एक खिलाड़ी किसी गेंद को 100 मी० की अधिकतम क्षैतिज दूरी तक फेंक सकता है। वह खिलाड़ी उसी गेंद को जमीन से ऊपर कितनी ऊँचाई तक फेंक सकता है?
उत्तर:
दिया है, Rmax = 100 मी०
किसी प्रक्षेप्य की अधिकतम ऊँचाई
⇒ \(Y=\frac{T^2}{4 \pi^2 L}\)
= 100 मी०
\(h_m=\frac{v_0^2 \sin ^2 \theta_0}{2 g} \)
\(\left(h_m\right)_{\max }=\frac{v_0^2}{2 g} \)
जबकि θ° = 90°
H = \(\frac{1}{2}\) x \(\frac{v_0^2}{g}\)
= \(\frac{1}{2}\) x 100 मी० = 50 मी०

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 18.
एक प्रक्षेप्य की महत्तम ऊँचाई H तथा उड्डयन काल T है। सिद्ध कीजिए कि 8H = gT2
उत्तर:
महत्तम ऊँचाई, H = \(\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2g}\)
एवं उड्डयन काल T = \(\frac{2 u \sin \theta}{g}\)
∴ \(\frac{H}{T^2}=\frac{\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}}{\frac{4 u^2 \sin ^2 \theta}{g^2}}=\frac{g}{8}\)
∴ 8H = gT2

प्रश्न 19.
सिद्ध कीजिए H ऊँचाई (महत्तम ऊँचाई) तक पहुँचाने के लिए प्रक्षेपण वेग u = \(\frac{\sqrt{2 g H}}{\sin \theta}\) होगा।
उत्तर:
प्रक्षेप्य द्वारा प्राप्त महत्तम ऊँचाई
\(H=\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}\)
u2 sin2 θ = 2Hg
या
u2 = \(\frac{2 H g}{\sin ^2 \theta}\) ⇒ u = \(\sqrt{\frac{2 H g}{\sin ^2 \theta}}\)
या
u = \(\frac{\sqrt{2 H g}}{\sin \theta}\)

प्रश्न 20.
यदि प्रक्षेप्य का परास एवं महत्तम ऊँचाई बराबर हों तो प्रक्षेपण कोण ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
∵ क्षैतिज परास = महत्तम ऊँचाई
\(\frac{u^2 \sin 2 \theta}{g}=\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}\)
या
sin 2θ = \(\frac{\sin ^2 \theta}{2}\)
या
2sinθ.cosθ = \(\frac{\sin ^2 \theta}{2}\)
या
2cos θ = \(\frac{\sin \theta}{2}\)
या
4 = \(\frac{\sin \theta}{\cos \theta}\)
= tan θ
∴ θ = tan-1 (4) = 75.96°

प्रश्न 21.
समान ऊँचाई से एक ही क्षण एक गोली 4 स्वतन्त्रता पूर्वक गिराई जाती है तथा दूसरी गोली B क्षैतिज दिशा में फेंकी जाती है। यदि वायु का प्रतिरोध नगण्य हो तो बताइये।
1. कौन सी गेंद जमीन पर पहले टकरायेगी?
2. जमीन से टकराते समय किस गोली का ऊर्ध्वं वेग अधिक होगा?
3. क्या गोलियाँ एक ही स्थान पर गिरेंगी?
4. गोली B का क्षैतिज परास किस बात पर निर्भर करेगा?
उत्तर:

  1. दोनों गोलियाँ एक साथ जमीन से टकरायेंगी।
  2.  दोनों का ऊर्ध्व वेग समान होगा।
  3. नहीं।
  4.  ऊँचाई तथा क्षैतिज वेग पर।

प्रश्न 22.
सभी दिशाओं में, वेग से कई गोलियाँ दागी जाती हैं. पृथ्वी तल पर वह अधिकतम क्षेत्रफल क्या होगा। जिस पर ये गोलियाँ फैल जायेंगी?
उत्तर:
वह क्षेत्रफल जिसमें गोलियाँ फैलेगी = πr2
जहाँ r = अधिकतम परास Rmax = \(\frac{u^2}{g}\)
यहाँ
u = v
∴ r = \(\frac{v^2}{g}\)
(जब θ = 45°)
अतः प्रभावित क्षेत्रफल = πr2 = π \(\left(\frac{v^2}{g}\right)^2\) = \(\frac{\pi v^4}{g^2}\)

प्रश्न 23.
वृत्तीय गति में अभिकेन्द्रीय त्वरण क्या होता है? इसके लिए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
अभिकेन्द्रीय त्वरण (Centripetal Acceleration):
चित्र 4.30 के अनुसार हम एक कण की वृत्ताकार गति पर विचार करते हैं। किसी भी क्षण t पर कण बिन्दु P पर है जिसकी कोणीय स्थिति θ है। अब P बिन्दु पर एक एकांक सदिश \(\overrightarrow{P A}=\hat{e_r}\) वृत्त की त्रिज्या के बाहर की ओर की दिशा में खींचते हैं तथा एक एकांक सदिश \(\overrightarrow{P B}=\hat{e_t}\) इस बिन्दु P पर स्पर्श रेखा की ओर कोण θ के बढ़ने की दिशा में खींचते हैं। \(\hat{e_r}\) को हम त्रिज्या एकांक सदिश तथा \(\hat{e_t}\) को स्पर्श रेखीय एकांक संदिश कहते हैं।

अब X- अक्ष के समान्तर PX’ एवं Y-अक्ष के समान्तर PY’ रेखाएं खींचते हैं। अब चित्र 4.30 से स्पष्ट है
\(\overrightarrow{P A}=P A \cdot \cos \theta \hat{i}+P A \sin \theta \hat{j}\)
या
\(\frac{\overrightarrow{P A}}{P A}=\hat{i} \cos \theta+\hat{j} \sin \theta\)
या
\(\hat{e}_r=\hat{i} \cdot \cos \theta+\hat{j} \sin \theta\) ……(1)
यहाँ PA = \(|\overrightarrow{P A}|\) = 1 तथा \(\hat{i}\) एवं \(\hat{j}\) क्रमश: X – एवं Y अक्षों की दिशाओं में एकांक सदिश हैं।
इसी प्रकार
\(\frac{\overrightarrow{P B}}{P B}=-\hat{i} \sin \theta+\hat{j} \cos \theta\)
या
\(\overrightarrow{e_t}=-\hat{i} \sin \theta+\hat{j} \cos \theta\) ……(2)
अब समय t पर कण का स्थिति सदिश
\(\vec{r}=\overrightarrow{O P}\)
या
\(\vec{r}=\hat{i} \cdot r \cos \theta+\hat{j} r \sin \theta\)
या
\(\vec{r}=r(\hat{i} \cdot \cos \theta+\hat{j} \sin \theta)\) ……..(3)
समीकरण (3) का समय के साथ अवकलन करने पर हमें किसी भी
समय t पर कण का वेग ज्ञात होता है।
अतः कण का वेग
\(\vec{v}=\frac{d \vec{r}}{d t}=\frac{d}{d t}[r(\hat{i} \cos \theta+\hat{j} \sin \theta)]\)
= \(\left[\hat{i}\left(-\sin \theta \cdot \frac{d \theta}{d t}\right)+\hat{j}\left(\cos \theta \cdot \frac{d \theta}{d t}\right)\right]\)
= rω[-\(\hat{i}\)sinθ +[-\(\hat{j}\)cosθ] ……….(4)
क्योंकि
\(\frac{d \theta}{d t}\) = ω
या
\(\vec{v}\) = rω.\(\hat{e_t}\) ……..(5)
[समी० (2) से]
उपरोक्त समी० (5) से हम देखते हैं कि पद rω किसी भी समय t पर कण की चाल है और इसकी दिशा \(\hat{e}_t\) की ओर अर्थात् स्पर्श रेखा की ओर है।
किसी समय t पर कण का त्वरण समी० (4) को समय t के सापेक्ष अवकलन करके ज्ञात किया जा सकता है। अतः कण का त्वरण

या \(\vec{a}\) = -ω2.r.\(\hat{e}_r\) + rα\(\hat{e}_t\) ………..(6)
यहाँ पर सभी ० (1) व (2) का उपयोग किया गया है। समी० (6) से हम देखते हैं कि एक कण की सामान्य वृत्तीय गति में त्वरण \(\vec{a}\) के दो घटक होते हैं
(i) \(\vec{a}\) = -ω2 r\(\hat{e}_r\), जिसकी दिशा (-\(\hat{e}_r\)) की ओर अर्थात् वृत्त के केन्द्र की ओर होती है। अतः इसे ‘अभिकेन्द्रीय त्वरण’ (centripetal acceleration) कहते हैं होती है अत: ‘स्पर्श रेखीय त्वरण’ (tangential acceleration) कहते हैं। इसका मान होगा। एक कण की असमान वृत्तीय गति में ये दोनों त्वरण होंगे। एक कण की एक समान वृत्तीय
ω नियत रहता है (क्योंकि v = rω)।
अत: \(\frac{d v}{d t}\) = \(r \frac{d \omega}{d t}\) = 0
अतः स्पर्श रेखीय त्वरण \(\vec{a}_t\) का मान शून्य होगा। अत: समी० (6) से अभिकेन्द्रीय त्वरण
\(\vec{a}_r\) = -ω2.r.\(\hat{e}_r\) ………..(7)
इस त्वरण की दिशा केन्द्र की ओर होगी। इस त्वरण का परिणाम
ar = ω2.r = \(\frac{\omega^2 r^2}{r}\) = \(\frac{v^2}{r}\) ……..(8)
यहाँ यह ध्यान रखने की बात है कि एक समान वृत्तीय गति में कण की चाल तो नियत रहती है, परन्तु वेग की दिशा प्रति क्षण बदलने से वेग परिवर्तित होता रहता है। इसीलिए कण में अभिकेन्द्र त्वरण होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
निम्न की परिभाषा दीजिए:
1. एकांक सदिश
2. समान या तुल्य सदिश
3. विपरीत सदिश
4. शून्य सदिश
5. समान्तर संदिश।
उत्तर:
1. तुल्य या समान सदिश (Equivalent Vectors): वे सदिश जिनके परिमाण एवं दिशाएँ समान होते हैं, समान वेक्टर या तुल्य सदिश कहलाते हैं।

संलग्न चित्र में प्रदर्शित दो वेक्टर \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) बराबर वेक्टर हैं अर्थात्
\(\vec{A}\) = \(\vec{B}\)
तथा
A = B

2. असमान सदिश (Unequal Vectors): यदि दो सदिशों के परिमाण समान हों परन्तु दिशाएँ भिन्न हों अथवा परिमाण भिन्न हों किन्तु दिशाएँ समान हों अथवा परिमाण व दिशाएँ दोनों भिन्न हों तो दोनों सदिश असमान सदिश कहलाते हैं। चित्र 4.6 में असमान सदिशों की उक्त तीनों स्थितियाँ प्रदर्शित की गई हैं-

3. विपरीत सदिश (Opposite Vectors): जब दो सदिशों के परिमाण तो समान हों किन्तु दिशाएँ विपरीत हों तो वे परस्पर विपरीत सदिश कहलाते हैं। संलग्न चित्र 4.7 में दो सदिश \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) दिये हैं तो

\(\vec{A}\) = \(\vec{B}\)
अथवा
\(\vec{B}\) = –\(\vec{A}\)

4. एकांक सदिश (Unit Vectors): वह सदिश जिसका परिमाण इकाई अर्थात् 1 होता है, एकांक सदिश कहलाता है।
एकांक सदिश को किसी सदिश की दिशा प्रदर्शित करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। उदाहरणार्थ: माना किसी सदिश का परिमाण है एवं सदिश की दिशा में एकांक सदिश है। [ एकांक सदिश को व्यक्त करने के लिए कैप (^) का प्रयोग किया जाता है।]
\(\vec{r}\) = r.r
या
\(\hat{r}=\frac{\vec{r}}{r}=\frac{\vec{r}}{|\vec{r}|}\)

5. समकोणिक एकांक सदिश (Orthogonal Unit Vectors): X- अक्ष, Y-अक्ष एवं Z अक्ष के अनुदिश एकांक सदिश क्रमश: \hat{i} \hat{j} एवं \hat{k} समकोणिक एकांक सदिश कहलाते हैं। संलग्न चित्र 4.8 में इन एकांक सदिशों को प्रदर्शित किया गया है।

6. सरेखीय सदिश (Collinear Vectors): ऐसे सदिश जो एक ही रेखा के अनुदिश होते हैं, संरेखीय सदिश कहलाते हैं। ये सदिश दिशीय अथवा विपरीत दिशीय हो सकते हैं जैसा कि संलग्न चित्र 4.9 में प्रदर्शित है।

7. शून्य सदिश (Zero Vectors): वह सदिश जिसका परिमाण शून्य हो, शून्य सदिश कहलाता है। इसकी दिशा का निर्धारण नहीं किया जा सकता है। यह निम्न स्थितियों में प्राप्त किया जाता है:

  1. \(\vec{A}\) व –\(\vec{A}\) सदिशों को जोड़ने पर \(\vec{A}\) + –\(\vec{A}\) = \(\overrightarrow{0}\)
  2. सदिश \(\vec{A}\) को शून्य से गुणा करने पर \(\vec{A}\) .0 = \(\overrightarrow{0}\)
  3.  वस्तु गति करने के पश्चात् अपनी प्रारम्भिक स्थिति में लौट आती है तो उसका ‘शून्य सदिश’ अर्थात् \(\overrightarrow{0}\) होता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 2.
कार्तीय निर्देशांक पद्धति में, एक विमीय, द्विविमीय एवं त्रिविमीय सदिशों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
कार्तीय निर्देशांक पद्धति में एक विमीय, द्विविमीय एवं त्रिविमीय सदिश (One Dimensional, Two Dimensional and Three Dimensional Vectors in Cartesian Coordinate System):
किसी बिन्दु की स्थिति को पूर्णतः व्यक्त करने के लिए मूल बिन्दु एवं तीन परस्पर लम्बवत् अक्षों से निर्मित तन्त्र कार्तीय निर्देशांक तन्त्र कहलाता है। कार्तीय निर्देशांक तन्त्र में क्रमश: धनात्मक एवं Z – अक्ष के अनुदिश एकांक सदिश क्रमश: \(\hat{i}\) \(\hat{j}\) व \(\hat{k}\) X- अक्ष, Y-अक्ष होते हैं। संलग्न

चित्र 4.10 में बिन्दु P (x, y, z) की स्थिति मूल बिन्दु 0 तथा परस्पर लम्बवत् अक्षों X, Y व Z के सापेक्ष बताई गयी है। निर्देश तन्त्र में मूल बिन्दु 0 तथा किसी एक अक्ष का चयन स्वच्छ है, शेष दो अक्षों का निर्धारण क्रमागत वामावर्त (Anticlockwise) दिशा में स्वतः हो जाता है।

(i) एक विमीय सदिश (One Dimensional Vectors): वह सदिश जिसकी दिशा केवल एक अक्ष (X- अक्ष अथवा Y अक्ष अथवा Z-अक्ष) के अनुदिश हो तो उसे एक विमीय सदिश कहते हैं।
निम्न चित्र 4.11 में तीन दिशाओं में एक विमीय सदिश की स्थितियाँ दर्शायी गई हैं।

(i) यदि सदिश X- अक्ष की दिशा में है तो \(\vec{r}\) = x\(\hat{i}\)
(ii) यदि सदिश – अक्ष की दिशा में है तो \(\vec{r}\) = y\(\hat{j}\)
(iii) यदि सदिश Z-अक्ष की दिशा में है तो \(\vec{r}\) = z\(\hat{k}\)

(ii) द्विविमीय सदिश (Two Dimensional Vectors): वह सदिश जो एक तल में स्थित होता है, द्विविमीय सदिश कहलाता है। द्विविमीय सदिश का प्रभाव किन्हीं दो दिशाओं अथवा दो अक्षों के अनुदिश होता है। इस प्रकार के सदिश की निम्न तीन स्थितियाँ सम्भव हैं।
(a) यदि कोई सदिश \(\vec{r}\), X-Y तल में स्थित है तो,
\(\vec{r}\) = (x\(\hat{i}\) + y\(\hat{j}\)) चित्र 4.12 (a)
(b) यदि कोई सदिश X-Z तल में है तो,
\(\vec{r}\) = (x\(\hat{i}\) + z\(\hat{k}\)) चित्र 4.12(b)
(c) यदि कोई सदिश Y-Z तल में है तो,
\(\vec{r}\) = (y\(\hat{j}\) + z\(\hat{k}\)) चित्र 4.12(c)

(iii) त्रिविमीय सदिश (Three Dimensional Vector):
वह सदिश जो आकाश (Space) में स्थित हो, त्रिविमीय सदिश कहलाता है। इस सदिश का प्रभाव तीनों अक्षों के अनुदिश होता है। चित्र (4.13) में ऐसा ही एक सदिश प्रदर्शित है जिसका प्रारम्भिक बिन्दु मूलबिन्दु 0 एवं शीर्ष बिन्दु P (x, y, z) है। अतः यह सदिश,

प्रश्न 3.
सदिशों के संयोजन के लिए त्रिभुज नियम क्या है? इस नियम का उपयोग करके परिणामी के परिमाण व दिशा के लिए सूत्र स्थापित कीजिए।
उत्तर:
(i) दो सदिशों के परिणामी सदिश का परिमाण ज्ञात करना (To Determine the Magnitude of Resultant Vector of Two Vectors): त्रिभुज नियम का उपयोग करके यदि दो सदिशों \(\vec{A}\) व \(\vec{B}\) को जोड़ा जाये तो उनका परिणामी \(\vec{R}\) चित्र 4.17(b) की भाँति प्राप्त होगा। माना दोनों सदिशों के बीच कोण है। परिणामी का परिमाण ज्ञात करने के लिए आधार ON आगे बढ़ाते हैं और इस पर Q से OP लम्ब डालते हैं।

∴ समकोण त्रिभुज NPQ में,
sin α = \(\frac{Q P}{N Q}\)=\(\frac{Q P}{B}\)
QP = B sinα …(1)
तथा
cos α = \(\frac{N P}{N Q}\)=\(\frac{N P}{B}\)
∴NP = Bcosα …(2)
अब त्रिभुज OPQ में,
OP = ON + NP = A + B cosα …(3)
पाइथागोरस प्रमेय से
समकोण ∆OPQ में
या
(OQ)2 = (OP)2 + (QP)2
(R)2 = (A + B cosα)2 + (Bsinα)2
या R2 = A2+ 2 AB cosα + B2 cos2α + B2 sin2α
या
R2 = A2 + B2 (cos2α + sin2α ) + 2AB cosα
या
R2 = A2 + B2 + 2ABcosα
या
R = \(\sqrt{A^2+B^2+2 A B \cos \alpha}\) …(4)
उपरोक्त समीकरण को कोज्या का नियम कहते हैं।

प्रश्न 4.
सदिशों के द्विविमीय वियोजन की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सदिशों का वियोजन (Resolution of Vectors):
व्यापक रूप से एक सदिश को अनेक स्वैच्छ घटकों में वियोजित किया जा सकता है परन्तु यहाँ हम केवल दो या तीन समकोणिक घटकों में वियोजन का अध्ययन करेंगे। इस प्रकार के वियोजन के लिए कार्तीय निर्देशांक पद्धति का उपयोग करेंगे। वियोजन की क्रिया योग की क्रिया की विपरीत क्रिया है। इस क्रिया में एक सदिश को दो या तीन घटकों (Components) में वियोजित किया जाता है। सदिश के घटकों का योग करने पर योगफल के रूप में मूल सदिश ही प्राप्त होता है। सदिश वियोजन की निम्न दो विधियाँ हैं।
(i) द्विविमीय निर्देश तन्त्र में वियोजन (Resolution in Two Dimensions):

माना X-Y तल में स्थित \(\vec{A}\) जो X- अक्ष के साथ 6 कोण बनाता है, का दो लम्बवत् घटकों में वियोजन करता है। सदिश \(\vec{A}\) के शीर्ष P से X व Y- अक्षों पर लम्ब क्रमश: PM व PN खींचे तो OM सदिश \(\vec{A}\) का X- अक्ष के अनुदिश घटक \(\overrightarrow{A_x}\) होगा और ON, Y-अक्ष के अनुदिश घटक \(\overrightarrow{A_y}\) होगा।
अतः त्रिभुज ∆OPM में त्रिभुज नियम से संयोजन करने पर
\(\overrightarrow{O P}=\overrightarrow{O M}+\overrightarrow{M P}\)
या
\(\vec{A}=\overrightarrow{A_x}+\overrightarrow{A_y}\) …(1)
(क्योंकि \(\overrightarrow{M P}\) = \(\overrightarrow{O N}\) = \(\overrightarrow{A_y}\))
यदि X व Y – अक्षों के अनुदिश एकांक सदिश क्रमशः \(\hat{i}\) व \(\hat{j}\) हों तो,
\(\overrightarrow{A_x}\) = Ax\(\hat{i}\) ……..(2)
एवं
\(\overrightarrow{A_y}\) = Ay\(\hat{j}\) …….(3)
अतः समी० (1) को निम्न प्रकार लिख सकते हैं:
\(\vec{A}\) = Ax\(\hat{i}\) + Ay\(\hat{j}\) ……..(4)

वेक्टर \(\vec{A}\) के घटकों के परिमाण निम्न प्रकार ज्ञात करते हैं:
समकोण त्रिभुज OMP से
cos θ = \(\frac{A_x}{A}\)
अतः
Ax = A.cosθ …(5)
तथा
sin θ = \(\frac{A_Y}{A}\)
अतः
Ay = A sinθ ……(6)
घटकों के पदों में सदिश \(\vec{A}\) का परिमाण
समी० (5) व (6) के वर्गों को जोड़ने पर:
AxA2 + 4 = ( A cosθ)2 + (Asinθ)2
= A2cos2θ + A2 sin2θ
= A2 [cos2θ + sin2θ] = A2
या
A2 = AxA2 + AyA2
∴ A = \(\sqrt{A_x^2+A_y^2}\)
घटकों के पदों में 8 का मान
पुन: समी० (5) व (6) से
\(\frac{A_y}{A_x}=\frac{A \sin \theta}{A \cos \theta}\) = tanθ
या
tanθ = \(\frac{A_y}{A_x}=\frac{A \sin \theta}{A \cos \theta} \)
∴ θ = tan-1 \(\frac{A_y}{A_x}=\frac{A \sin \theta}{A \cos \theta}\)
स्पष्ट है कि यदि किसी सदिश के घटक ज्ञात हों तो उसका परिमाण समी० (7) की सहायता एवं उसकी दिशा समी० (8) की सहायता से ज्ञात कर सकते हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 5.
सदिशों के सदिश गुणनफल की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सदिश गुणनफल या क्रॉस गुणनफल (Vector Product or Cross Product): सदिशों का यह गुणनफल सदिश राशि होता है अत: इसे सदिश गुणनफल कहते हैं और इसे व्यक्त करने के लिए क्रॉस (x) चिन्ह का उपयोग किया जाता है, अतः इसे क्रॉस गुणनफल या वज्रीय गुणनफल भी कहते हैं। दो सदिशों का सदिश गुणनफल दोनों सदिशों के परिमाणों व उनके मध्य कोण की ज्या के गुणनफल के बराबर होता है एवं परिणामी सदिश की दिशा उन दोनों सदिशों के तल के लम्बवत् दक्षिणावर्त पेंच नियम द्वारा निर्धारित दिशा में होती है।
दो सदिशों का सदिश गुणनफल निम्न सूत्र से प्राप्त होता है:
\(\vec{A} \). \(\vec{B} \) = A.Bsinθ. \(\hat{n}\) …..(1)
जहाँ
A = | \(\vec{A} \)| = \(\vec{A} \) का परिमाण
B = | \(\vec{B} \) | = \(\vec{B} \) का परिमाण
तथाव के तल के लम्बवत् दिशा में एकांक वेक्टर
सदिश गुणनफल \(\vec{A} \times \vec{B} \) की दिशा निम्न दो नियमों से प्राप्त कर सकते हैं।

(i) दायें हाथ का नियम (Right Hand Rule): इस नियम के अनुसार, यदि हम दाँयें हाथ की अंगुलियों को इस प्रकार मोड़ें कि ये सदिश \(\vec{A} \) से सदिश \(\vec{b} \) की ओर रहे तथा उनके बीच के लघु कोण की ओर घूमने की दिशा को प्रदर्शित करें तो अंगूठा सदिश \(\vec{A} \times \vec{B} \) की दिशा को व्यक्त करेगा [चित्र 4.20 (a)]

(ii) दक्षिणावर्त पेंच का नियम (Right Hand Screw Rule): इस नियम के अनुसार, “यदि हम अपने दाँये हाथ से पेंच को सदिश \(\vec{A} \) से \(\vec{B} \) की ओर उनके बीच के लघु कोण की ओर घुमाएँ तो पेंच की नोंक की गति की दिशा \(\vec{A} \times \vec{B} \) की दिशा होगी [चित्र 4.20 (b)]।

प्रश्न 6.
सिद्ध कीजिए कि प्रक्षेप्य की गति का पथ परवलय होता है।
उत्तर:
प्रक्षेप्य का पथ (Path of Projectile):
माना कोई प्रक्षेप्य क्षैतिज के साथ 6 के कोण पर ऊपर की ओर प्रक्षेपित किया जाता है। प्रक्षेप्य के वेग का क्षैतिज घटक
ux = ucosθ ……(1)

एवं ऊर्ध्व घटक,
uy = usinθ …(2)
गति के दौरान वस्तु पर केवल गुरुत्वीय त्वरण कार्य करता है, जो कि ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर होता है, अतः त्वरण के क्षैतिज व ऊर्ध्व घटक, ax = 0 तथा ay = -g होंगे।
माना प्रक्षेप्य पथ पर कोई बिन्दु P (x,y,t) स्थित है तो सूत्र
s = ut + \(\frac{1}{2}\) का प्रयोग करने पर
x = ux.t + 0 = ucosθ.t
x = ucosθ.t …(3)
y = uyt + \(\frac{1}{2}\)ayt2
या
y = usinθ.t – \(\frac{1}{2}\)gt2 …(4)
समी० (3) से,
x = \(\frac{x}{u \cos \theta}\)
समय का यह मान समी० (4) में रखने पर
y = usinθ x \(\frac{x}{u \cos \theta}-\frac{1}{2} g \frac{x^2}{u^2 \cos ^2 \theta}\)
या
y = tanθ.x – \(\left(\frac{g}{2 u^2 \cos ^2 \theta}\right) \cdot x^2\)
या
y = ax – bx2 …..(5)
जहाँ
a = tanθ एवं b = \(\frac{g}{2 u^2 \cos ^2 \theta}\)
समीकरण (5) एक परवलय का समीकरण है अतः “प्रक्षेप्य पथ परवलयाकार होता है।”

प्रश्न 7.
प्रक्षेप्य की गति हेतु उड्डयन काल (T), प्रक्षेप्य की अधिकतम ऊँचाई (H) व प्रक्षेप्य की क्षैतिज परास (R) हेतु व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
प्रक्षेप्य का उड्डयन काल (T) (Time of Flight of Projectile):
प्रक्षेप्य जितने समय तक वायु में रहता है अर्थात् प्रक्षेपण के बाद भूमि से टकराने तक प्रक्षेप्य को जितना समय लगता है, उसे प्रक्षेप्य का उड्डयन काल कहते हैं। इसे 7 से व्यक्त करते हैं।
प्रक्षेप्य जब अपने पथ के उच्च बिन्दु पर पहुँचता है तो ऊर्ध्व वेग घटक uy = 0 हो जाता है; अतः यदि इस आधी यात्रा का समय : मान लें तो ऊर्ध्व वेग घटक के लिए सूत्र
v = u + at
0 = usinθ – gt
या
gt = usinθ
∴ t = \(\frac{u \sin \theta}{g}\)
वायु के प्रतिरोध को यदि नगण्य मान लें तो जितना समय प्रक्षेप्य ऊपर जाने में लेता है ठीक उतना ही समय नीचे आने में लेता है। अतः प्रक्षेप्य का उड्डयन काल
T = t + t = 2t
या
T = \(\frac{2 u \sin \theta}{g}\) …….(6)

प्रक्षेप्य की महत्तम ऊँचाई (H) (Maximum Height of Projectile):
प्रक्षेप्य पथ के उच्चतम बिन्दु के संगत प्रक्षेप्य की ऊँचाई को महत्तम ऊँचाई कहते हैं। इसे H से व्यक्त करते हैं। सूत्र
v2 = u2 + 2as से के लिए
ऊर्ध्वं वेग घटक uy के लिए,
या
0 = (usinθ)2 + 2(-g) H = u2sin2θ – 2gH
2gH = u2 sin2θ
H = \(\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}\) ………(7)
प्रक्षेप्य को अधिकतम ऊँचाई प्रदान करने के लिए sin2θ का मान
अधिकतम अर्थात् 1 होना चाहिए। अतः के लिए,
sin2θ = 1 => sinθ = 1
अधिकतम ऊँचाई के लिए,
=> θ = 90°
स्पष्ट है कि अधिकतम ऊँचाई तक फेंकने के लिए प्रक्षेप्य को 90° के प्रक्षेपण कोण पर अर्थात् ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंकना होगा।
Hmax = \(\frac{u^2}{2 g}\) ………(8)

प्रक्षेप्य की क्षैतिज परास (R) (Horizontal Range of a Projectile):
प्रक्षेप्य द्वारा सम्पूर्ण उड्डयन काल के दौरान तय की गई क्षैतिज दूरी को प्रक्षेप्य का परास कहते हैं। इसे R से व्यक्त करते हैं।
यदि वायु के घर्षण को नगण्य मान लें तो प्रक्षेप्य के क्षैतिज वेग में कोई परिवर्तन नहीं होता है अतः प्रक्षेप्य का क्षैतिज परास,
R = क्षैतिज वेग x उड़ान का समय
= ucosθ x T
= ucosθ x \(\frac{2 u \sin \theta}{g}\)
या
R = \(\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}\) ……(9)
(i) अधिकतम क्षैतिज परास के लिए,
sin2θ = 1 ⇒ 2θ = 90°
θ = 45°
अतः अधिकतम परास के लिए प्रक्षेपण कोण 45° होना चाहिए।
Rmax = \(\frac{u^2}{g}\) …….(10)

(ii) θ प्रक्षेपण कोण के लिए परास
R = \(\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}\)
यदि प्रक्षेपण कोण (90° – θ) हो तो परास,
R’ = \(\frac{u^2}{g}\)sin2( 90°- θ)
या R = \(\frac{u^2}{g}\) sin (180° – 2θ) = \(\frac{u^2 \sin ^2 \theta}{2 g}\)
या
R = R
अर्थात् प्रक्षेपण कोण θ हो या (90° – θ) हो; दोनों स्थितियों में परास का मान समान होगा लेकिन महत्तम ऊँचाई भिन्न होगी।

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
यदि \(\vec{a}\) तथा \(\vec{b}\) एकांक सदिश हों तो सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
\(\sin \left(\frac{\theta}{2}\right)=\frac{1}{2}|(\vec{a}-\vec{b})\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 2.
30 N तथा 40 N के दो बल एक ही बिन्दु पर परस्पर 60° के कोण पर कार्य कर रहे हैं। इन बलों का परिणामी बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
60.83 NJ

प्रश्न 3.
एक कण पर दो बल 5 N तथा 10 N एक साथ कार्यरत् हैं। उनके बीच का कोण 120° है। इन बलों का परिणामी बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
8.66 N

प्रश्न 4.
क्षैतिज से 30° के कोण पर कार्यरत एक बल का ऊर्ध्व घटक 200 N है। आरोपित बल का मान बताइये।
उत्तर:
400N

प्रश्न 5.
घास के रोलर के हत्थे को 50N के बल से खींचा जाता है। यदि हत्था क्षैतिज से 30° का कोण बनाए तो बल के क्षैतिज एवं ऊर्ध्व घटक बताइये।
उत्तर:
43.3 N; 25 N

प्रश्न 6.
किसी बिन्दु पर बल \(\vec{F}=(2 \hat{i}-3 \hat{j}+4 \hat{k})\) न्यूटन \(\vec{s} = (3 \hat{i}+2 \hat{j}+3 \hat{k})\) मीटर है। इसके बल आघूर्ण की गणना कीजिए।
उत्तर:
\((17 \hat{i}-6 \hat{j}-13 \hat{k})\)N-m

प्रश्न 7,
यदि वेक्टर \(\vec{A}=(2 \hat{i}+2 \hat{j}-2 \hat{k})\) और \(\overrightarrow{\boldsymbol{B}}= \hat{i}-5 \hat{j}+2 \hat{k}\) हों, तो \(\vec{A} \times \vec{B}\) का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
\(-6 \hat{i}-18 \hat{j}-24 \hat{k}\)

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 8.
यदि \(\vec{A}=(2 \hat{i}+2 \hat{j}-2 \hat{k})\) तथा \(\vec{B}=-5 \hat{i}-5 \hat{j}+5 \hat{k}\) तो \(\vec{A} \times \vec{B}\) का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
\((15 \hat{i}-20 \hat{j}-5 \hat{k}\)

प्रश्न 9.
एक मीनार से तीन गोलियाँ A, B व C क्रमश: 0.5 ms-1; 1ms-1 तथा 2ms-1 के क्षैतिज वेग से फेंकी जाती है। सबसे पहले कौन सी गोली पृथ्वी से टकरायेगी? कौन सी गोली मीनार के आधार पर सबसे अधिक दूर टकरायेगी?
उत्तर:
तीनों गोलियाँ एक साथ पृथ्वी से टकरायेंगी C गोली सबसे अधिक दूरी तय करेगी।

प्रश्न 10.
40m ऊँची मीनार की चोटी से एक गोला क्षैतिज में 20ms-1 के वेग से छोड़ा जाता है। यह कितने समय पश्चात् तथा मीनार से कितनी क्षैतिज दूरी पर पृथ्वी से टकरायेगा ? (g = 9.8ms-2)
उत्तर:
2.88 s; 57.14m

प्रश्न 11.
एक हवाई जहाज 1960 m की ऊंचाई पर 500/3 ms-1 के क्षैतिज वेग से उड़ रहा है। जब जहाज पृथ्वी के किसी स्थान 4 के ठीक ऊपर होता है, तो उससे एक बम छोड़ा जाता है जो पृथ्वी तल पर किसी बिन्दु Q पर टकराता है। बम की प्रक्षेपण बिन्दु से टकराने के बिन्दु तक की क्षैतिज दूरी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
3.333km

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 4 समतल में गति

प्रश्न 12.
एक गेंद 30ms-1 के वेग से क्षैतिज से 60° का कोण बनाते हुए फेंकी जाती है। ज्ञात कीजिए
1. उड़ान का समय,
2. अधिकतम ऊँचाई,
3. परास,
4. पृथ्वी से टकराने पर गेंद के वेग का परिमाण व दिशा।
उत्तर:

  1.  5.2s,
  2. 33.75m,
  3. 78m,
  4. 30ms-1, क्षैतिज के साथ 60° नीचे की ओर

प्रश्न 13.
एक पुल से एक पत्थर क्षैतिज से नीचे की ओर 30° के कोण पर 20 ms-1 के वेग से फेंका जाता है। यदि पत्थर 2.0s में जल से टकराता है तो जल के तल से पुल की ऊँचाई क्या है? (g = 9:8 ms-2)
उत्तर:
39.6m

प्रश्न 14.
0.1 kg द्रव्यमान के एक पत्थर को 1.0m लम्बी डोरी के एक सिरे पर बाँधकर \(\frac{10}{\pi}\) चक्कर प्रति सेकण्ड की दर से एक क्षैतिज वृत्त में घुमाया जाता है। डोरी में तनाव ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
40N

प्रश्न 15.
एक डोरी के सिरे पर बँधी हुई 1kg द्रव्यमान की एक वस्तु 0.1m त्रिज्या के क्षैतिज वृत्त में 3 चक्कर प्रति सेकण्ड के वेग से घुमायी जा रही है। गुरुत्व का प्रभाव नंगण्य मानकर
1. वस्तु का रेखीय वेग,
2. अभिकेन्द्रीय त्वरण
3. डोरी में तनाव का परिकलन कीजिए।
4. यदि डोरी टृट जाये तो क्या होगा?
उत्तर:

  1. 1.88 ms-1
  2. 35.34ms-2
  3. 35.34N
  4. यदि डोरी टूट जाती है तो डोरी टूटने पर तनाव समाप्त हो जायेगा, फलस्वरूप वस्तु स्पर्श रेखा की दिशा में गति करने लगेगी।

प्रश्न 16.
0.10kg द्रव्यमान का पिण्ड 1.0m व्यास के वृत्तीय पथ पर 31.4s में 10 चक्कर की दर से घूम रहा है। पिण्ड पर लगने वाले
उत्तर:
0.2N

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन


बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
यदि बल, लम्बाई तथा समय मूल मात्रक हों तो द्रव्यमान का विमीय सूत्र होता है:
(a) [F1 L-1 T2]
(b) [F1 L1 T2]
(c) [F1 L1 T-1]
(d) [F1 l1 T1]
उत्तर:
(b) [F1 L1 T2]

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 2.
एक ठोस गोले की त्रिज्या के आयतन मापन में 2% त्रुटि है, इसके मापन में 2% की त्रुटि है:
(a) 10%
(b) 20%
(c) 6%
(d) 8%
उत्तर:
(c) 6%

प्रश्न 3.
\(\frac{1}{\sqrt{\mu_0 \varepsilon_0}}\) का विमीय सूत्र है:
(a) [[M0L0T0]
(b) [M0L1T-1A-1]
(c) [M0L1T-1A-1]
(d) [M0LT-1]
उत्तर:
(d) [M0LT-1]

प्रश्न 4.
\(\frac{E}{B}\) का विमीय सूत्र है:
(a) [M0L0T0]
(b) [ML2T-2K-1]
(c) [M0LT-1]
(d) [MLT3A-1]
उत्तर:
(c) [M0LT-1]

प्रश्न 5.
एक प्रकाश वर्ष (ly) की दूरी का मान है:
(a) 9.46 x 1010 km
(b) 9.46 x 1012 km
(c) 9.46 x 1012m
(d) 9.46 x 1015 cm
उत्तर:
(b) 9.46 x 1012 km

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 6.
किसी कण द्वारा तय की गई दूरी तथा समय में निम्न सम्बन्ध हैं:
x = At + Bt2 इनमें A व B की विमाएँ हैं:
(a) [M0L1T1][M0L1T-2]
(b) [M0L1T-1][M0L1T-2]
(c) [M0L1T1][M0L1T-2]
(d) [M0L1T1][M0L1T-1]
उत्तर:
(b) [M0L1T-1][M0L1T-2]

प्रश्न 7.
एक भौतिक राशि Y = MaLbT-c द्वारा व्यक्त की जाती है। यदि M, L व T के मापन में क्रमशः α%, β% व γ% त्रुटि हो, तो कुल प्रतिशत त्रुटि होगी-
(a) [aα – bβ + cγ]%
(b) [aα – bβ – cγ]%
(c) [aα + bβ – cγ]%
(d) [aα + bβ + cγ]?
उत्तर:
(d) [aα + bβ + cγ]?

प्रश्न 8.
कोणीय संवेग व रेखीय संवेग के अनुपात की विमा है:
(a) [M0LT0]
(b) [MLT-1]
(c) [ML2T-1]
(d) [M-1L-1T-1]
उत्तर:
(a) [M0LT0]

प्रश्न 9.
एक घन की लम्बाई और द्रव्यमान के मापन में अधिकतम प्रतिशत त्रुटि 2% और 3% है। घनत्व के मापन में अधिकतम प्रतिशत त्रुटि होगी:
(a) 9%
(b) 3%
(c) 27%
(d) 6%
उत्तर:
(a) 9%

प्रश्न 10.
1 सेकण्ड तुल्य है:
(a) क्रिप्टॉन घड़ी के 1650763.73 आवर्ती के
(b) क्रिप्टॉन घड़ी के 652189.63 आवर्ती के
(c) सीजियम घड़ी के 1650763.73 आवर्तों के
(d) सीजियम घड़ी के 9192631770 आवतों के
उत्तर:
(a) क्रिप्टॉन घड़ी के 1650763.73 आवर्ती के

प्रश्न 11.
गुरुत्वीय नियतांक G का विमीय सूत्र है:
(a) [M1L2T2]
(b) [M-1L3T-2]
(c) [M-1L2T-2]
(d) [M-1L1T-2]
उत्तर:
(b) [M-1L3T-2]

प्रश्न 12.
विमीय विश्लेषण विधि से निम्न सूत्र व्युत्पन्न नहीं किया जा सकता है:
(a) T = 2π \(\sqrt{\frac{l}{g}}\)
(b) s = ut + at2
(c) F = 6πrv
(d) v = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\)
उत्तर:
(b) s = ut + at2

प्रश्न 13.
ताप का SI पद्धति में मात्रक है:
(a) सेण्टीग्रेड
(b) लम्बाई
(c) केल्विन
(d) रूमर
उत्तर:
(c) केल्विन

प्रश्न 14.
निम्न में से कौन सी राशि व्युत्पन्न है?
(a) द्रव्यमान
(b) फॉरेनहाइट
(c) समय
(d) वेग
उत्तर:
(d) वेग

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 15.
एक वैज्ञानिक किसी प्रयोग में 100 प्रेक्षण लेता है। वह पुन: इस प्रयोग को दोहराता है तथा 400 प्रेक्षण लेता है, तो त्रुटि:
(a) अपरिवर्तित होगी
(b) आधी हो जायेगी
(c) चौथाई हो जायेगी
(d) चौगुनी हो जायेगी
उत्तर:
(c) चौथाई हो जायेगी

प्रश्न 16.
7000 में सार्थक अंकों की संख्या है:
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4
उत्तर:
(a) 1

प्रश्न 17.
जूल सेकण्ड मात्रक है:
(a) बल आघूर्ण का
(b) कोणीय संवेग का
(c) ऊर्जा का
(d) शक्ति का
उत्तर:
(b) कोणीय संवेग का

प्रश्न 18.
धारा I = ktan θ सूत्र में का मात्रक होगा:
(a) ऐम्पियर
(b) रेडियन
(c) वोल्ट
(d) ओम
उत्तर:
(a) ऐम्पियर

प्रश्न 19.
तरंग संख्या k = \(\frac{2 \pi}{\lambda}\) का विमीय सूत्र होगा:
(a) [M0L-1T1]
(b) [M0L0T1]
(c) [M0L0T0]
(d) [M0L-1T0]
उत्तर:
(d) [M0L-1T0]

प्रश्न 20.
एक मोल गैस के लिए PV = RT समीकरण में R का विमीय सूत्र होगा:
(a) [M1L-2T-2K-1]
(b) [M1L2T2K-1]
(c) [M1L2T-2K-1]
(d) [M2L2T-2K]
उत्तर:
(c) [M1L2T-2K-1]

प्रश्न 21.
1 नैनोमीटर तुल्य है:
(a) 109 मीटर
(b) 106 मीटर
(c) 10-7 सेमी
(d) 10-9 सेमी
उत्तर:
(c) 10-7 सेमी

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 22.
3.513 kg का एक पिण्ड 5.0 m/s की चाल से x- दिशा में संवेग का परिमाण रिकॉर्ड किया अनुदिश गतिमान है। इसके जायेगा:
(a) 17.56 kg ms-1
(b) 17.57 kg ms-1
(c) 17.6 kg ms-1
(d) 17.565 kg ms-1
उत्तर:
(c) 17.6 kg ms-1

प्रश्न 23.
यदि E = ऊर्जा, G = गुरुत्वाकर्षण नियतांक l = आवेग तथा M द्रव्यमान, \(\frac{G I M^2}{E^2}\) तब की विमाएँ किस राशि को प्रदर्शित करती हैं?
(a) समय
(b) द्रव्यमान
(c) लम्बाई
(d) बल
उत्तर:
(a) समय

प्रश्न 24.
निम्नलिखित इकाइयों में से कौन-सी विमा दर्शाती है, जहाँ विद्युत आवेश दर्शाता है?
(a) \(\frac{\mathrm{Wb}}{\mathrm{m}^2}\)
(b) हेनरी (H)
(c) \(\frac{\mathrm{H}}{\mathrm{m}^2}\)
(d) वेबर (Wb)
उत्तर:
(b) हेनरी (H)

अति लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
माइक्रोन किस भौतिक राशि का मात्रक है?
उत्तर:
माइक्रोन दूरी अथवा लम्बाई का मात्रक है। (एक माइक्रोन = 10-6 मीटर)

प्रश्न 2.
रेडियन तथा स्टेरेडियन किसके मात्रक हैं?
उत्तर:
रेडियन समतलीय कोण का एवं स्टेरेडियन घन कोण का मात्रक है।

प्रश्न 3.
पूरक मात्रकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
रेडियन व स्टेरेडियन।

प्रश्न 4.
1 सेकण्ड में कितने नैनो सेकण्ड होते हैं?
उत्तर:
1 सेकण्ड में 109 नैनो सेकण्ड होते हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 5.
1 सेकण्ड माध्य सौर दिवस का कौन सा भाग होता है?
उत्तर:
1 सेकण्ड माध्य सौर दिवस का 86,400 वाँ भाग होता है।

प्रश्न 6.
mN, Nm तथा nm में क्या अन्तर है?
उत्तर:
mN मिली न्यूटन को, Nm न्यूटन मीटर को तथा nm नैनो मीटर को प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 7.
वेग प्रवणता का विमीय ‘सूत्र’ लिखिये।
उत्तर:
वेग प्रवणता =
अतः वेग प्रवणता का विमीय सूत्र
\(\frac{\left[\mathrm{M}^0 \mathrm{~L}^1 \mathrm{~T}^{-1}\right]}{\left[\mathrm{M}^0 \mathrm{~L}^1 \mathrm{~T}^0\right]}\) = [M0L0T-1 ]

प्रश्न 8.
S.I. पद्धति में प्रदीपन तीव्रता का मात्रक क्या होता है?
उत्तर:
S.I. पद्धति में प्रदीपन तीव्रता का मात्रक “कैण्डिला” (cd) होता है।

प्रश्न 9.
पदार्थ की मात्रा का मूल मात्रक क्या है?
उत्तर:
पदार्थ की मात्रा का मूल मात्रक ‘मोल’ (mol) है।

प्रश्न 10.
एक जूल ऊर्जा कितने अर्ग के बराबर होती है?
उत्तर:
1 जूल = 107 अर्ग।

प्रश्न 11.
प्लांक नियतांक का मात्रक क्या होता है?
उत्तर:
प्लांक नियतांक / का मात्रक ‘जूल सेकण्ड’ (Js) होता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 12.
गुरुत्वीय त्वरण तथा सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) की विमाएं लिखिए।
उत्तर:
गुरुत्वीय त्वरण (g) का विमीय सूत्र = [M0L1T-2] तथा सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक (G) का विमीय सूत्र = [M-1L3T-2]

प्रश्न 13.
उस भौतिक राशि का नाम बताइये, जिसकी विमा प्लाँक नियतांक की विमा के बराबर हो।
उत्तर:
कोणीय संवेग।

प्रश्न 14.
उन राशियों के नाम बताइये जिनका विमीय सूत्र [M1L2T-1] हो।
उत्तर:
कोणीय संवेग तथा प्लांक नियतांक।

प्रश्न 15.
उन राशियों के नाम बताइये जिनका विमीय सूत्र [M1L2T-1] हो।
उत्तर:
कार्य एवं बल आघूर्ण।

प्रश्न 16.
समीकरण E = at + bt2 में E ताप विद्युत् वाहक बल है एवं तापान्तर है तथा वb नियतांक है। यहाँ का मात्रक क्या होगा ?
उत्तर:
∵ at का मात्रक = E का मात्रक
∴ का मात्रक = \(\frac{E}{t}\) = imm वोल्ट / डिग्री।

प्रश्न 17.
पृष्ठ तनाव की विमा क्या होती है?
उत्तर:
[M1L0T-2]

प्रश्न 18.
एक मीटर में Kr 86 की कितनी तरंगदैर्ध्य होती हैं?
उत्तर:
1 मीटर में Kr86 की तरंग संख्या = 1,650,763.73

प्रश्न 19.
आवेग की विमा किसकी विमा के समान होती है?
उत्तर:
आवेग की विमा [M1L1T-1] ‘संवेग’ की विमा के समान होती है।

प्रश्न 20.
दो विमाहीन राशियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कोण, विकृति।

प्रश्न 21.
उन भौतिक राशियों के नाम लिखिये जिनके विमीय सूत्र [M1L-1 T-2] हैं।
उत्तर:
दाब, प्रतिबल, प्रत्यास्थता गुणांक।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 22.
किसी ऐसी भौतिक राशि का नाम लिखिये जिसका मात्रक तो हो लेकिन विमाहीन हो।
उत्तर:
कोण

प्रश्न 23.
सूत्र \(T=2 \pi \sqrt{L Y}\) में T समय एवं L लम्बाई हो तो Y का विमीय सूत्र लिखिए।
उत्तर:
दिया है:
\(T=2 \pi \sqrt{L Y}\) ⇒ \(Y=\frac{T^2}{4 \pi^2 L}\)
∴ [y] = [M0L-1T-2]

प्रश्न 24.
बल, त्वरण, संवेग तथा शक्ति में न्यूटन सेकण्ड किसका मात्रक है?
उत्तर:
संवेग का।

प्रश्न 25.
क्या किसी भौतिक राशि की विमाएँ भिन्न-भिन्न पद्धतियों में भिन्न-भिन्न होती हैं?
उत्तर:
नहीं; किसी भौतिक राशि की विमाएँ सभी पद्धतियों में समान होती हैं।

प्रश्न 26.
भौतिक राशि Z की गणना सूत्र Z = \(\frac{a b^3}{c^6}\)द्वारा की जाती है। a, b तथा में से कौन सी राशि अधिक यथार्थता से नापी जानी चाहिए और क्यों?

उत्तर:
c क्योंकि c की घात अधिकतम है और त्रुटि में घात का गुणा किया जाता है।

प्रश्न 27.
प्लॉक के सार्वत्रिक नियतांक (h) का मात्रकं प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
फोटॉन की ऊर्जा, E = hv ⇒ h = \(\frac{E}{\mathrm{v}}\)
∴ h का मात्रक =
= जूल- सेकण्ड

प्रश्न 28.
किसी कोण की माप क्या लम्बाई के मात्रक पर निर्भर करती है?
उत्तर:
नहीं कोण दो लम्बाइयों का अनुपात होता है; अतः यह लम्बाई के मात्रक से स्वतन्त्र है।

प्रश्न 29.
X के मान में आपेक्षिक त्रुटि बताइये यदि X = \(\frac{A^4 B^{1 / 3}}{C \cdot D^{3 / 2}}\)
उत्तर:
X के मान में अधिकतम आपेक्षिक त्रुटि
\(\left|\frac{\Delta X}{X}\right|_{\max }=4 \frac{\Delta A}{A}+\frac{1}{3} \frac{\Delta B}{B}+\frac{\Delta C}{C}+\frac{3}{2} \frac{\Delta D}{D}\)

प्रश्न 30.
निम्न में सार्थक अंकों की संख्या बताइये:
1. 0.0020 × 104m;
2. 5.30 x 106 kg
उत्तर:

  1.  दो सार्थक अंक
  2. तीन सार्थक अंक

प्रश्न 31.
1 मिली सेकण्ड में कितने नैनो सेकण्ड होते हैं?
उत्तर:
1 ms = 10-3 s = 10-3 × 109 s = 106 ns.

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 32.
बल नियतांक का विमीय सूत्र लिखिये।
उत्तर:
बल नियतांक का विमीय सूत्र = [M1 L0T-2]

प्रश्न 33.
उन दो राशियों के नाम बताइये जिनके विमीय सूत्र [M1L0T-2] हों।
उत्तर:
बल नियतांक पृष्ठ तनाव।

प्रश्न 34.
आवेग का विमीय सूत्र लिखिए।
उत्तर:
आवेग = बल x समयान्तराल
= [M1L1T-2] × [T1] = [M1L1T-1]

प्रश्न 35.
किसी तार में अनुप्रस्थ तरंग की चाल V = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\) है, जहाँ T तनाव बल है। यदि m तार की एकांक लम्बाई का द्रव्यमान kg-m-1 में हो तथा वेग 1, ms-1 में हो तो तनाव t का मात्रक बताइये
उत्तर:
सूत्र V = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\)
⇒ T = v2.m
∴ T का मात्रक = (ms-1)2 kg.m-1 = kg.m.s-2 या न्यूटन

प्रश्न 36.
कोणीय संवेग की विमा तथा मात्रक लिखिए।
उत्तर:
कोणीय संवेग L = Iω
∴ L का मात्रक = kg-m2 s-1 तथा विमीय सूत्र
= [M2L2T-1]

प्रश्न 37.
दो ऐसे नियतांकों के नाम बताइये जो विमाहीन न हों।
उत्तर:
प्लांक नियतांक; गैस नियतांक

प्रश्न 38.
श्यानता गुणांक की विमा लिखिये।
उत्तर:
[M1L-1T-1]

लघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
मात्रक किसे कहते हैं तथा मात्रकों की कितनी पद्धतियाँ होती हैं?
उत्तर:
भौतिक राशि के मापन के लिए नियत किये मान को मात्रक कहते हैं। किसी भौतिक राशि के निश्चित वास्तविक मूल रूप को उस राशि का मानक मात्रक कहते हैं।
मात्रकों की निम्नलिखित तीन पद्धतियाँ हैं:

  1. C.GS. पद्धति अर्थात् सेन्टीमीटर ग्राम सेकण्ड पद्धति।
  2. M. KS. पद्धति अर्थात् मीटर किलोग्राम सेकण्ड पद्धति।
  3. F.P.S. पद्धति अर्थात् फुट पाउण्ड सेकण्ड पद्धति।

प्रश्न 2.
एक रेडियन की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
एक तलीय कोण
∆s = \(\frac{\Delta s}{r}\) rad
यदि
∆s = r तो ∆θ = 1 rad.
अर्थात् एक रेडियन वह तलीय कोण है जो वृत्त की त्रिज्या के बराबर चाप द्वारा वृत्त के केन्द्र पर अन्तरित किया जाता है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 3.
किसी माप की यथार्थता तथा परिशुद्धता में क्या अन्तर है?
उत्तर:
किसी माप की यथार्थता से अभिप्राय है कि राशि का मापित मान उसके वास्तविक मान के कितना निकट है, जबकि किसी माप की परिशुद्धता से अभिप्राय है कि राशि किस विभेदन सीमा तक मापी गयी।
माप की परिशुद्धता ∝

प्रश्न 4.
आपेक्षिक तथा निरपेक्ष त्रुटि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
निरपेक्ष त्रुटि: किसी राशि के वास्तविक एवं मापित मान के अन्तर को निरपेक्ष या परम त्रुटि कहते हैं।
जब वास्तविक मान न दिया हो बल्कि मापन के पाठ्यांक दिये हों उनका माध्यमान ही वास्तविक मान मान लिया जाता है अर्थात्
\(\bar{a}=\sum_{i=1}^n \frac{a_i}{n}\)
अतः i वे माप की निरपेक्ष त्रुटि
∆a = \(\bar{a}-a_i\)
और कुल निरपेक्ष त्रुटि
∆\(\bar{a}=\frac{1}{n} \sum_{i=1}^n\left|\Delta a_i\right|\)
आपेक्षिक त्रुटि: माध्य परम त्रुटि एवं माध्यमान के अनुपात को आपेक्षिक त्रुटि कहते हैं।
∴ आपेक्षिक त्रुटि = \(\frac{\Delta \bar{a}}{a}\)

प्रश्न 5.
शून्य अंक किन परिस्थितियों में सार्थक माना जाता है?
उत्तर:
शून्य अंक निम्न परिस्थितियों में सार्थक माना जाता है:

  1. यदि यह दो अशून्य अंकों के मध्य हो।
  2. यदि यह दशमलव बिन्दु के आगे अशून्य अंक के बाद हो।
  3.  यदि शून्य युक्त पूर्ण संख्या मापन से प्राप्त होती है जैसे किसी छड़ की लम्बाई मापने पर 200 cm प्राप्त होती है तो इसके दोनो शून्य सार्थक हैं।

प्रश्न 6.
एक गोले की त्रिज्या के मापन में 2% की त्रुटि होती है। इसके आयतन के मापन में कितने प्रतिशत त्रुटि होगी?
उत्तर:
गोले का आयतन v = \(\frac{4}{3}\)πr3
∴ \(\frac{\Delta V}{V}\) x 100 = 3 \(\frac{\Delta r}{r}\) × 100 = 3 x 2% = 6%
∴ गोले के आयतन में प्रतिशत त्रुटि = 6%

प्रश्न 7.
3.27 मीटर तथा 3.25 मीटर का अन्तर 0.02 मीटर या 2 x 10-2 मीटर है। क्या इसे 2.00 × 102 मीटर लिख सकते हैं?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि 2 के बाद के अंक निश्चित नहीं है अतः इन अंकों को शून्य नहीं माना जा सकता है।

प्रश्न 8.
यदि किसी प्रयोग में विभिन्न मापों में सार्थक अंकों की संख्या भिन्न-भिन्न हो तो किस राशि को अधिक शुद्धता से मापना चाहिए तथा क्यों?
उत्तर:
जिस राशि में सार्थक अंकों की संख्या सबसे कम हो, उसको अधिक शुद्धता से मापना चाहिए क्योंकि इसके कारण प्रतिशत त्रुटि सबसे अधिक आती है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 9.
किसी कण का विस्थापन s = ct3 द्वारा प्रदर्शित है, जहाँ t समय है। c का विमीय सूत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विस्थापन s = ct3 ⇒ c =
∴ c का विमीय सूत्र = \(\frac{\left[\mathrm{M}^0 \mathrm{~L}^1 \mathrm{~T}^0\right]}{\left[\mathrm{M}^0 \mathrm{~L}^0 \mathrm{~T}^3\right]}\)
= [M0L1T-3]
= [M0L1T-3]

प्रश्न 10.
यदि वेग, बल एवं समय को मूल मात्रक मान लिया जाये तो ऊर्जा का विमीय सूत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
∵ ऊर्जा = कार्य = बल x विस्थापन = बल x वेग x समय
∴ ऊर्जा का विमीय सूत्र = [F1V1t1]

प्रश्न 11.
S.I. पद्धति की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  1. यह मात्रकों की परिमेयकृत पद्धति है अर्थात् इस पद्धति में किसी एक भौतिक राशि के लिए एक ही मात्रक का उपयोग होता है।
  2.  इस पद्धति में मात्रक अचर तथा उपलब्ध मानकों पर आधारित हैं।
  3.  यह मात्रकों की सम्बद्ध पद्धति है अर्थात् इस पद्धति में सभी भौतिक राशियों के व्युत्पन्न मात्रक केवल मूल मात्रकों को गुणा एवं भाग करके प्राप्त हो सकते हैं।
  4.  ये सभी मात्रक सुपरिभाषित एवं पुन: स्थापित होने वाले हैं।
  5.  यह मीट्रिक या दशमलव पद्धति है।
  6.  S.I. पद्धति विज्ञान की सभी शाखाओं में प्रयोग की जा सकती है परन्तु M.K.S. पद्धति को केवल यांत्रिकी में प्रयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 12.
विमीय विश्लेषण विधि के उपयोग बताइये।
उत्तर:
विमीय समीकरणों के निम्नलिखित उपयोग हैं:

  1.  किसी समीकरण की सत्यता की जाँच करना।
  2. विभिन्न भौतिक राशियों के मध्य सम्बन्ध स्थापित करना।
  3.  भौतिक राशियों के मात्रकों को मापन की एक पद्धति से दूसरी पद्धति में बदलना।

1. किसी समीकरण की सत्यता की जाँच करना (To Check the Truthfulness of an Equation):
जिस समीकरण की सत्यता की जाँच करनी होती है, उसके दोनों पक्षों की विमाओं की तुलना करते हैं। यदि दोनों पक्षों की विमाएं समान मिलती हैं तो समीकरण सही होगा अन्यथा गलत होगा। यदि समीकरण के किसी पक्ष में एक से अधिक पदों का योग अथवा अन्तर हो तो सत्यता की जाँच अर्द्ध-समीकरण बनाकर करते हैं। यदि सभी अर्द्ध समीकरण विमीय दृष्टि से सही मिलते हैं तो दिया गया समीकरण सही होगा, अन्यथा गलत होगा।

प्रश्न 13.
क्या विमाहीन एवं मात्रकहीन भौतिक राशि का अस्तित्व सम्भव है?
उत्तर:
विमाहीन राशियों का अस्तित्व सम्भव है जैसे – कोण, विकृति इसी प्रकार मात्रक विहीन राशियों का अस्तित्व भी संभव है जैसे – विकृति, अपवर्तनांक, आपेक्षिक घनत्व।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति में मात्रकों के नाम एवं संकेत लिखने के नियम लिखिए।
उत्तर:

  1. भौतिक राशियों को प्रतीक रूप में सामान्यतः अंग्रेजी वर्णमाला के किसी अक्षर से निरूपित करते हैं तथा इन्हें तिरछे अथवा ढालू टाइप में छपवाया जाता है तथापि जिस राशि के लिए दो अक्षरीय प्रतीक आवश्यक हों तो उन्हें दो प्रतीकों के गुणनफल के रूप में प्रदर्शित करना होता है परन्तु इन प्रतीकों को पृथक् दर्शाने के लिए कुछ स्थान छोड़ना आवश्यक होता है।
  2.  नामों अथवा व्यंजकों के संक्षिप्त रूपों, जैसे- Potential Energy के लिए P.E. का उपयोग भौतिक समीकरणों में नहीं किया जाता है। पाठ्य सामग्री में इन संक्षिप्त रूपों को साधारण रोमन (सीधे) टाइप में छपवाया जाता है।
  3.  सदिश राशियों को मोटे टाइप में तथा सीधे छपवाया जाता है।
  4.  दो भौतिक राशियों के गुणनफल को उनके बीच कुछ स्थान छोड़कर लिखा जाता है। एक भौतिक राशि को दूसरी राशि से विभाजित करना एक क्षैतिज दण्ड खींचकर अथवा सॉलिडस (अर्थात् तिरछा रेखा) के साथ निर्दिष्ट किया जा सकता है अथवा अंश तथा हर के प्रथम घात के व्युत्क्रम के (जैसे- m/s या ms) के रूप में गुणनफल लिख सकते हैं।
  5.  मात्रकों के मानक तथा अनुमोदित प्रतीकों को अंग्रेजी वर्णमाला के छोटे अक्षरों से आरम्भ करके रोमन (सीधे टाइप) में लिखा जाता है। मात्रकों के लघु उल्लेखों, जैसे- kg, m, s, cd आदि को प्रतीकों के रूप में लिखा जाता है, संक्षिप्त रूप में नहीं मात्रकों को केवल तभी बड़े अक्षर से लिखा जाता है जब प्रतीक को किसी वैज्ञानिक के नाम से व्युत्पन्न किया जाता है जैसे- न्यूटन (N), जूल (J), ऐम्पियर (A) आदि।
  6.  मात्रकों के प्रतीकों को उनके लिए अनुमोदित अक्षरों में लिखने के पश्चात् उनके अन्त में पूर्ण विराम नहीं लगाया जाता तथा मात्रकों के प्रतीकों के केवल एक वचन में ही लिखा जाता है बहुवचन में नहीं अर्थात् किसी मात्रक का प्रतीक बहुवचन में अपरिवर्तित रहता है।
  7.  सॉलिडस (Solidus) अर्थात् (l) के उपयोग का अनुमोदन केवल एक अक्षर के मात्रक प्रतीक के अन्य मात्रक प्रतीक द्वारा विभाजन का संकेतन करने के लिए किया गया है। एक से अधिक सॉलिडस का उपयोग नहीं किया जाता है।

प्रश्न 2.
विमीय समीकरणों के उपयोग से किसी समीकरण में नियतांकों एवं चरों की विमाएँ ज्ञात करने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
किसी समीकरण में नियतांकों एवं चरों की विमाएं ज्ञात करना (To Find the Dimensions of Constants and Variables in the Given Equation):
समीकरणों में नियतांकों और चरों की विमाएँ भी विमाओं की समांगता के नियम से ज्ञात की जा सकती हैं अर्थात् किसी भी भौतिक राशि में जोड़ी या घटाई जाने वाली राशियों की विमाएँ समान होती हैं तथा समीकरण के दोनों पक्षों की विमाएँ भी समान होती हैं।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 3.
विमा, विमीय सूत्र, विमीय समीकरण एवं विमीय समांगता का सिद्धान्त विस्तार पूर्वक समझाइये।
उत्तर:
विमा (Dimensions and Dimensional Analysis):
“किसी भौतिक राशि की विमाएँ वे घातें होती हैं, जिन्हें उस भौतिक राशि के व्युत्पन्न मात्रक प्राप्त करने के लिए मूल मात्रकों पर चढ़ाया जाता है।” उदाहरणार्थ-

= (दूरी का मात्रक)1 x ( समय का मात्रक)-1
स्पष्ट है कि चाल का मात्रक प्राप्त करने के लिए हमें लम्बाई के मात्रक पर 1 की घात एवं समय के मात्रक पर (-1) की घात चढ़ानी होती है। चाल के मात्रक को विभिन्न पद्धतियों में लिख सकते हैं – मीटर / सेकण्ड, सेमी/सेकण्ड, फुट/सेकण्ड। अतः ये सभी मात्रक अलग-अलग हैं परन्तु प्रत्येक की विमा में दूरी की । घात एवं समय की (-1) घात है। अतः, “किसी भौतिक राशि की विमाएँ राशि को व्यक्त करने वाले मात्रकों पर निर्भर नहीं करती हैं।”

कुछ पदों की परिभाषा निम्न प्रकार की जा सकती है:
1. विमीय सूत्र (Dimensional Formula): वह पद जो यह प्रदर्शित करता है कि व्युत्पन्न मात्रक को बनाने के लिए कौन सी मूल राशियों के मात्रक प्रयुक्त किये गये हैं, और कौन सी घातें इस कार्य में प्रयुक्त हैं, इसे भौतिक राशि का विमीय सूत्र कहते हैं। विमीय सूत्रों को सदैव बड़े कोष्ठक में लिखा जाता है।
उदाहरणार्थ: बल का विमीय सूत्र [M1L1 T-2] है।

2. विमीय समीकरण (Dimensional Equation): भौतिक राशि के संकेत को उसके विमीय सूत्र के बराबर रखने पर प्राप्त समीकरण को विमीय समीकरण कहते हैं।
उदाहरणार्थ:
[बल] = [M1L1T-2]
या
[F] = [M1L1T-2]

3. विमाओं का समांगता का सिद्धान्त (Principle of Homogeneity of Dimensions): इस सिद्धान्त के अनुसार “किसी भौतिक सम्बन्ध के लिए दोनों ओर के सभी पदों की विमाएँ समान होनी चाहिए।”
उदाहरण के लिए:
v = u + at में,
v की विमाएँ = [L1T-1]
u की विमाएँ = [L1T-1]
at की विमाएँ = [L1 T-2][T]=[LT-1]
उपयुक्त भौतिक समीकरण के दोनों पक्षों के सभी पदों की विमाएँ समान हैं, जोकि विमाओं की समांगता के सिद्धान्त के अनुरूप है।
विमीय सूत्र ज्ञात करना-यदि हमें यह ज्ञात हो कि किसी भौतिक राशि में कौन-कौन सी मूल राशियाँ शामिल हैं तो उस राशि का विमीय सूत्र हम निम्न प्रकार ज्ञात कर सकते हैं

प्रश्न 4.
किसी भौतिक राशि के संख्यात्मक मान तथा उसके मात्रक में क्या सम्बन्ध है? विमीय विधि में इस सम्बन्ध की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
भौतिक राशियों के मात्रकों को एक पद्धति से दूसरी पद्धति में बदलना (Conversion of Units of Physical Quantities from One to Another System):
किसी भौतिक राशि के आंकिक मान (n) तथा मात्रक (u) का गुणनफल नियत रहता है; अर्थात्
n. [u] = नियतांक …….(1)
माना किसी भौतिक राशि Q का विमीय सूत्र [MaLbTc] है। इस राशि का एक पद्धति में आंकिक मान n1 एवं मात्रक [Ma1Lb1T c1] तथा दूसरी पद्धति में आंकिक मान n2 एवं मात्रक [Ma2Lb2Tc2] है। अत: समीकरण (1) से
Q = n1u1 = n2u2
या Q = n1 [M4LT] = n2[M£LT′′]
या n2 = n \(\frac{\left[\mathrm{M}_1^a \mathrm{~L}_1^b \mathrm{~T}_1^c\right]}{\left[\mathrm{M}_2^a \mathrm{~L}_2^b \mathrm{~T}_2^c\right]}\)
या n2 = n1 \(\left[\frac{\mathrm{M}_1}{\mathrm{M}_2}\right]^a\left[\frac{\mathrm{L}_1}{\mathrm{~L}_2}\right]^b\left[\frac{\mathrm{T}_1}{\mathrm{~T}_2}\right]^c\)
इस सूत्र की सहायता से किसी भौतिक राशि के आंकिक मान को एक पद्धति से दूसरी पद्धति में बदला जा सकता है।

प्रश्न 5.
त्रुटि किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की त्रुटियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(A) क्रमबद्ध त्रुटियाँ (Systematic Errors): ” वे त्रुटियाँ जो किसी क्रमबद्ध नियम से निर्धारित होती हैं, क्रमबद्ध त्रुटियाँ कहलाती हैं।” क्रमबद्ध त्रुटियों को निर्धारित करने वाले नियम का पता लगाया जा सकता है। इस नियम के ज्ञात होते ही क्रमबद्ध त्रुटि को न्यूनतम किया जा सकता है। क्रमबद्ध त्रुटियों के कुछ स्रोत निम्नलिखित हैं-
(a) उपकरणी त्रुटियाँ ( Instrumental Errors ): सभी उपकरणी त्रुटियाँ क्रमबद्ध त्रुटियों के अन्तर्गत आती हैं। इनके उदाहरण हैं

  1.  स्केल का त्रुटिपूर्ण अंशांकन: त्रुटिपूर्ण अंशांकन के कारण एक तापमापी द्वारा N. T.P. पर जल का क्वथनांक 100°C के स्थान पर 95°C पढ़ा जा सकता है।
  2.  उपकरण की शून्यांक त्रुटि: वर्नियर कैलीपर्स, पेंचमापी की शून्यांक त्रुटि प्रकाशिक बेंच की सूचक त्रुटि (index error) भी क्रमबद्ध त्रुटियाँ हैं। सुग्राही एवं उच्च गुणवत्ता के यंत्रों का उपयोग करके इस प्रकार की त्रुटि को कम किया जा सकता है।

(b) प्रायोगिक तकनीक में अपूर्णता (Imperfection in Experimental Technique): प्रयोग के दौरान बाह्य प्रतिबन्धों जैसे – ताप, आर्द्रता, वायु-वेग आदि में क्रमबद्ध परिवर्तन तथा मापन की अनुचित तकनीक ( Imperfect Technique) क्रमबद्ध त्रुटियों के अन्तर्गत आते हैं। उदाहरणार्थ: यदि किसी व्यक्ति का ताप कन्धे व भुजा के बीच तापमापी को दबाकर मापा जाये तो इसका पाठ वास्तविक ताप से कम होगा। ऊष्मा के प्रयोगों में कुछ ऊष्मा का विकिरण द्वारा ह्रास हो जाता है।

(c) व्यक्तिगत त्रुटियाँ (Personal Errors): ये त्रुटियाँ उपकरण की अनुचित व्यवस्था तथा प्रेक्षण के दौरान उचित सावधानी न बरतने के कारण उत्पन्न होती हैं।
निराकरण (Elimination): क्रमबद्ध त्रुटियों को दूर करने के लिए भिन्न-भिन्न स्थितियों में भिन्न-भिन्न विधियों प्रयुक्त की जाती हैं।

  1. कुछ स्थितियों में त्रुटियों का निर्धारण वास्तविक प्रयोग से पहले किया जाता है। उदाहरणार्थ: यंत्र की शून्यांक त्रुटि प्रयोग से पहले ज्ञात की जाती है तथा प्रत्येक माप से संगत संशोधन किया जाता है।
  2.  कुछ स्थितियों में त्रुटियों का निर्धारण प्रयोग के बाद किया जाता है। उदाहरणार्थ: ऊष्मा के प्रयोग में विकिरण के ह्रास का संशोधन विभिन्न समयों में लिए ताप के प्रेक्षण से किया जाता है।

(B) यादृच्छिक त्रुटियाँ (Random Errors): इस प्रकार की त्रुटियाँ अत्यधिक भिन्नता के कारण होती हैं। कभी-कभी इस प्रकार की त्रुटियाँ अवसरीय त्रुटि कहलाती हैं। यदि कोई व्यक्ति अपने पाठ्यांकों की पुनरावृत्ति करे तो व्यक्ति प्रत्येक प्रेक्षण में त्रुटि करता है एवं इस प्रकार की त्रुटि को अंकगणितीय माध्य के द्वारा कम करके शुद्धतम मान प्राप्त किया जा सकता है।
माना किसी राशि के लिए लिये गये n पाठ्यांकों का मान क्रमश a1, a2, a3, ……….. an हो, तो शुद्ध मान निम्न होगा
या
स्पष्ट है कि प्रेक्षणों की संख्या n जितनी अधिक होगी, त्रुटि उतनी ही \(\left(\frac{1}{n}\right)\)
यदि 100 प्रेक्षणों के औसत मान में यादृच्छिक त्रूटि x है तो 500 प्रेक्षणों के औसत मान में यह त्रुटि \(\left(\frac{x}{5}\right)\) होगी।

(C) स्थूल त्रुटियाँ (Gross Errors): व्यक्ति की असावधानी के कारण मापन में जो त्रुटि हो जाती है, वह सम्पूर्ण अथवा स्थूल त्रुटि कहलाती है। इनके उत्पन्न होने के कारण निम्न हैं।

  1.  किसी उपकरण की उचित व्यवस्था किये बिना पाठ्यांक लेने के कारण।
  2.  गलत तरीके से पाठ्यांक लेना।
  3.   पाठ्यांक को लिखते समय गलत लिख लेना।
  4.  परिकलन में पाठ्यांक का मान गलत रख देना।

प्रश्न 6.
दो राशियों के गुणनफल तथा भागफल में होने वाली अधिकतम त्रुटियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राशियों के गुणनफल में त्रुटि (Error in Product of Quantities): माना कोई भौतिक राशि Z राशियों A व B के गुणनफल के बराबर है, अर्थात्
Z = A x B
माना ∆A = A राशि में परम त्रुटि
∆B = B राशि में परम त्रुटि
और ∆Z = Z के आंकलन में परम त्रुटि

∵ राशि \(\frac{\Delta A \cdot \Delta B}{A B}\) बहुत छोटी राशि है अत: इसे छोड़ने पर,
\(\pm \frac{\Delta Z}{Z}\) = \(\pm \frac{\Delta A}{A} \pm \frac{\Delta B}{B}\)
∴ अधिकतम भिन्नात्मक त्रुटि-
\(\left|\frac{\Delta Z}{Z}\right|_{\max }\) = \(\frac{\Delta A}{A}+\frac{\Delta B}{B}\)

वैकल्पिक विधि (Alternative Method):
∴ Z = A.B
दोनों ओर का लघुगुणक (log) लेने पर:
log Z = log A.B
या log Z = log A + log B
दोनों पक्षों का अवकलन करने पर,
\(\frac{\Delta Z}{Z}\) = \(\frac{\Delta A}{A}+\frac{\Delta B}{B}\)
∴ \(\left|\frac{\Delta Z}{Z}\right|_{\max }\) = \(\frac{\Delta A}{A}+\frac{\Delta B}{B}\)
अतः दो राशियों के गुणनफल में अधिकतम भिन्नात्मक त्रुटि, गुणक राशियों की भिन्नात्मक त्रुटियों के योग के बराबर होती है।

राशियों के भागफल में त्रुटि (Error in Division of Quantities): माना कोई भौतिक राशि Z दो राशियों A व B के बराबर है, अर्थात्
Z = \(\frac{A}{B}\)
माना ∆A = A के मापन में परम त्रुटि ∆B = B के मापन में परम त्रुटि
तथा ∆Z = Z के आंकलन में परम त्रुटि
अतः
Z = \(\frac{A}{B}\)
दोनों ओर का लघुगुणक लेने पर
log Z = log A – log B
दोनों पक्षों का अवकलन करने पर
\(\frac{\Delta Z}{Z}\) = \(\frac{\Delta A}{A}-\frac{\Delta B}{B}\)
अतः अधिकतम त्रुटि के लिए
\(\left|\frac{\Delta Z}{Z}\right|_{\max }\) = \(\frac{\Delta A}{A}+\frac{\Delta B}{B}\)
अतः दो राशियों के गुणनफल में अधिकतम भिन्नात्मक त्रुटि, गुणक राशियों की भिन्नात्मक त्रुटियों के योग के बराबर होती है।

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 7.
अल्पतमांक से क्या अभिप्राय है? वर्नियर कैलिपर्स एवं स्क्रूगेज की अल्पतमांक का उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
(A) वर्नियर कैलीपर्स: “किसी उपकरण द्वारा मापी जा सकने वाली न्यूनतम माप को उस उपकरण की अल्पतमांक (Least Count) कहते हैं।” साधारण मीटर स्केल का अल्पतमांक 0.1 cm होता है। इससे छोटी दूरी के मापन के लिए फ्रान्सीसी वैज्ञानिक “पियरे वर्नियर” ने मुख्य पैमाने के साथ सरकने वाले एक सहायक पैमाने का विकास किया जिसे वर्नियर पैमाना कहते हैं। वर्नियर पैमाने के n भागों का मान मुख्य पैमाने के (n – 1) भागों के मान के बराबर होता है अर्थात् वर्नियर पैमाने के 1 खाने का मान मुख्य स्केल के 1 भाग के मान से छोटा होता है। इन दोनों के मानों में अन्तर ही अल्पतमांक कहलाता है।

वर्नियर पैमाने का उपयोग दो जबड़ों वाले कैलीपर्स के साथ करने से वर्नियर कैलीपर्स बनता है। वर्नियर कैलीपर्स का अल्पतमांक साधारणतः 0.01 cm होता है। वर्नियर पैमाने के 10 भागों का मान 9 mm होता है, अतः एक भाग का मान 0.9mm होगा।
∴ वर्नियर कैलीपर्स का अल्पतमांक
= 1mm – 0.9mm = 0.1mm
= 0.01 cm
इस प्रकार व्यापक रूप से वर्नियर कैलीपर्स का

वर्नियर कैलीपर्स का नामांकित आरेख संलग्न चित्र 2.7 में दर्शाया है।

(B) स्क्रूगेज अथवा पेंचमापी – यह उपकरण पेंच के सिद्धान्त पर कार्य करता है, इसलिए इसे पेंचमापी (Screw gauge) कहते हैं। पेंच में दो क्रमागत चूड़ियों के बीच की दूरी को चूड़ी अन्तराल (pitch) कहते हैं। पेंच को एक पूरा चक्कर घुमाने पर पेंच की नोंक का विस्थापन चूड़ी अन्तराल के बराबर होता है। पेंचमापी का नामांकित आरेख संलग्न चित्र 2.8 में दर्शाया है। इसमें एक वृत्ताकार पैमाना एक मुख्य पैमाने पर एक पेंच की सहायता से गति करता है।

प्रश्न 8.
सूक्ष्म दूरियों के मापन की स्पष्ट विवेचना कीजिए एवं उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(A) सूक्ष्म दूरियों का मापन (Measurement of Very Small Distances): अणु का व्यास 108 m से 10-10m की कोटि का होता है। किसी भी सूक्ष्मदर्शी की एक सीमा होती है। प्रकाशीय सूक्ष्मदर्शी में प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य 5 x 10-7m होती है। ऐसा सूक्ष्मदर्शी 10-7 मी कोटि की तरंगदैर्ध्य के तुल्य विभेदन के लिए उपयोगी होता है इसलिए सूक्ष्मदर्शी से 100 मी कोटि के आकार वाले कणों की माप की जा सकती है। इलेक्ट्रॉन पुंज में भी तरंग गुण होते हैं एवं इलेक्ट्रॉन-तरंगों की तरंगदैर्ध्य 1A = 10-10 m की कोटि की होती है तथा इलेक्ट्रॉनों को वैद्युत् व चुम्बकीय क्षेत्रों द्वारा फोकसित भी किया जा सकता है। इसी आधार पर इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की रचना की गई है। इसके द्वारा परमाणुओं एवं अणुओं का विभेदन सम्भव है। जिससे इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी अणुओं के आंकलन के लिए उपयुक्त होता है। आजकल सुरंगन सूक्ष्मदर्शी (Tunnelling microscope) उपयोग किया जाता है। अतः अति सूक्ष्म लम्बाइयों के मापन के लिए कुछ परोक्ष विधियाँ भी उपयोगी होती हैं। यहाँ पर हम कुछ ऐसी विधियों का वर्णन करेंगे

आंकिक प्रश्न:

प्रश्न 1.
विमीय विधि से निम्न समीकरण की सत्यता की जाँच कीजिए
v = \(\sqrt{\frac{2 G M}{r}}\) जहाँ v वेग; G गुरुत्वाकर्षण नियतांक एवं दूरी है।
उत्तर:
सत्या

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 2.
m द्रव्यमान का एक पिण्ड किसी स्प्रिंग के सिरे पर लटका हुआ दोलन करता है। स्प्रिंग का बल नियतांक K तथा दोलनकाल T है। विमीय विधि से ज्ञात कीजिए कि T = 2π \(\frac{m}{K}\) अशुद्ध है।
उत्तर:
अशुद्ध।

प्रश्न 3.
आइंस्टीन के अनुसार किसी पदार्थ की ऊर्जा उसके द्रव्यमान (m), तथा प्रकाश की चाल (c) पर निर्भर करती है। विमीय विधि से ऊर्जा के लिए सूत्र व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर:
E = mc2

प्रश्न 4.
मान लीजिए किसी माध्यम में अनुदैर्ध्य तरंगों की चाल (v), प्रत्यास्थता गुणांक (E) व घनत्व (p) पर निर्भर करती है। विमीय विधि से चाल (v) के लिए सूत्र व्युत्पन्न कीजिए।
उत्तर:
v = \(\sqrt{\frac{E}{\rho}}\)

प्रश्न 5.
एक क्षैतिज तल में वृत्तीय कक्षा में परिक्रमा कर रहा है। कण पर लगने वाला अभिकेन्द्र बल कण के द्रव्यमान (m), वृत्त की त्रिज्या (r) तथा कण की चाल (ρ) पर निर्भर करता है। विमीय विधि से अभिकेन्द्र बल के लिए सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
F = \(\frac{m v^2}{r}\)

प्रश्न 6.
गुरुत्वीय त्वरण का मान 9.8 ms-2 है। इसका मान किलोमीटर/मिनट में विमीय विधि से ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
35.28 किमी / मिनट2

प्रश्न 7.
जल में ध्वनि की चाल 1440ms-1 है। यदि लम्बाई का मात्रक km तथा समय का मात्रक hr हो तो इसका मान क्या होगा?
उत्तर:
5184 km. hr-1

प्रश्न 8.
स्टील का यंग प्रत्यास्थता गुणांक 19 × 1010 Nm2 है। इसका मान dyne cm2 में ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
19 x 1011 dyne cm-2

प्रश्न 9.
पृथ्वी के दो व्यासतः अभिमुख बिन्दुओं A व B से चन्द्रमा को प्रेक्षित करने पर, प्रेक्षण दिशाओं के मध्य कोण θ का मान 1.54° प्राप्त होता है। पृथ्वी का व्यास 1.276 x 107 m लेते हुए पृथ्वी से चन्द्रमा की दूरी का आंकलन कीजिए।
उत्तर:
3.85 x 105 km

प्रश्न 10.
हाइड्रोजन परमाणु का आकार लगभग 0.4Å है। हाइड्रोजन परमाणु के एक मोल का कुल आयतन m3 में ज्ञात कीजिए। दिया है: 1 A = 10-10 m.
उत्तर:
1.6 x 107 m3

प्रश्न 11.
एक पेंचमापी की अल्पतमांक 0.001 cm है। इसके द्वारा तार का व्यास 0.225 cm मापा जाता है। इस माप में प्रतिशत त्रुटि ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
0.4%

प्रश्न 12.
एक वर्नियर कैलिपर्स का अल्पतमांक 0.01 cm है। इसके द्वारा किसी गोले कां व्यास 2.52 cm मापा जाता है। इस माप में प्रतिशत त्रुटि ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
0.39%

प्रश्न 13.
सरल लोलक के प्रयोग में लोलक की लम्बाई L नापने में 0.1% की त्रुटि तथा आवर्तकाल T नापने में 2% की त्रुटि होती है। इन प्रेक्षणों से प्राप्त L/T2 के मान में अधिकतम प्रतिशत त्रुटि ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
4.1%

HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 2 मात्रक और मापन

प्रश्न 14.
घनत्व नापने के प्रयोग में एक विद्यार्थी ने वस्तु का द्रव्यमान 7.34 g तथा आयतन 13.4 cm3 मापा उसके फल में कितने प्रतिशत अधिकतम सम्भावित त्रुटि है?
उत्तर:
0.88%

प्रश्न 15.
एक तनी हुई डोरी में ध्वनि की चाल = \(\sqrt{\frac{T}{m}}\) जहाँ T = Mg है। प्रयोग द्वारा M 2.0kg तथा m = 1.5g.m ज्ञात किया गया। के मान में अधिकतम सम्भावित प्रतिशत त्रुटि ज्ञात कीजिए। उत्तर:
5.8%

प्रश्न 16.
एक घन के द्रव्यमान तथा उसकी एक भुजा की लम्बाई की मापों में अधिकतम त्रुटियाँ क्रमशः 3% तथा 2% हैं। घन के पदार्थ के परिकलित घनत्व में प्रतिशत त्रुटि ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
9%

प्रश्न 17.
एक भौतिक राशि तीन मापी गई भौतिक राशियों a, b व c से निम्न सूत्र द्वारा सम्बन्धित हैं:
\(s=\frac{a b^2}{c^3}\)
यदि a, b व c के मापन में क्रमशः 1, 2 और 3 प्रतिशत की त्रुटियाँ हों तो s के मान में अधिकतम सम्भावित त्रुटि क्या होगी?
उत्तर:
14%

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

Haryana State Board HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

(A) वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

1. सामान्य मनुष्य में विश्राम अवस्था में ज्वारीय आपतन होता है-
(A) 0.5 लीटर
(B) 2.5 लीटर
(C) 1.2 लीटर
(D) 4.9 लीटर।
उत्तर:
(A) 0.5 लीटर

2. फेफड़े की कोशिकाओं में कूपिका से रुचिर में O2 अभिगमन के लिए उत्तरदायी है-
(A) सक्रिय अभिगमन
(B) निस्यन्दन
(C) सुगमीकृत विसरण
(D) निष्क्रिय विसरण।
उत्तर:
(D) निष्क्रिय विसरण।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

3. मस्तिष्क में उपस्थित श्वसन केन्द्र किस परिवर्तन के प्रति अनुक्रिया दर्शाति
(A) रुधिर में O2 सान्द्रण
(B) रुधिर में CO2 सान्द्रण
(C) माइटोकॉण्ड्रिया में ग्लूकोस
(D) माइटोकॉण्ड्रिया में वसा ।
उत्तर:
(D) माइटोकॉण्ड्रिया में वसा ।

4. श्वसन सतह में से गैसों का अभिगमन होता है-
(A) विसरण द्वारा
(B) सक्रिय श्वसन द्वारा
(C) संचालन द्वारा
(D) सुगमीकृत विसरण द्वारा।
उत्तर:
(B) सक्रिय श्वसन द्वारा

5. कौन-सी रचना फुफ्फुस के विभाजन का अन्तिम भाग है तथा गैसीय विनिमय का स्थान है-
(A) ट्रेकिओल
(B) वायु कोष्ठिका
(C) श्वसनिकाएँ
(D) श्वसन श्वसनिकाएँ।
उत्तर:
(A) ट्रेकिओल

6. कार्बन डाइ ऑक्साइड का परिवहन होता है-
(A) हीमोग्लोबिन द्वारा
(B) प्लाज्मा द्वारा
(C) लाल रक्त कणिकाओं द्वारा
(D) इन सभी के द्वारा।
उत्तर:
(B) प्लाज्मा द्वारा

7. दौड़ने पर श्वसन दर बढ़ जाती है क्योंकि रक्त में-
(A) लैक्टिक अम्ल की मात्रा कम होती है
(B) CO2 की सान्द्रता अधिक होती है।
(C) CO2 की सान्द्रता कम होती है
(D) CO2 व लैक्टिक अम्ल की सान्द्रता कम होती है।
उत्तर:
(C) CO2 की सान्द्रता कम होती है

8. उनकों में ऑक्सीहीमोग्लोविन से O2 का विघटन होने का कारण है-
(A) O2 की कम सान्द्रता
(B) CO2 की कम सान्द्रता
(C) O2 की अधिक सान्द्रता
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(D) इनमें से कोई नहीं।

9. एक बार साँस लेने में वायु की जो मात्रा बाहर निकाली जाती है या भीतर ली जाती है कहलाती है-
(A) प्रवाही आयतन
(B) अवशेषी आयतन
(C) सजीव आयतन
(D) निःश्वसन एवं प्रश्वसन
उत्तर:
(C) सजीव आयतन

10. अन्तःश्वसन के समय डायाफ्राम हो जाता है-
(A) संकुचित
(B) प्रसारित
(C) विश्रामावस्था में
(D) कोई परिवर्तन नहीं
उत्तर:
(B) प्रसारित

11. फेफड़ों में श्वासनली (Trachea ) की शाखा का अन्तिम भाग तथा गैसीय विनिमय का स्थान है-
(A) श्वसनियाँ
(B) श्वसनिकाएँ
(C) वायु-कूपिकाएँ
(D) वायुकोष
उत्तर:
(A) श्वसनियाँ

12. रुचिर में फेफड़ों तक CO2 का संवहन मुख्यतः होता है-.
(A) कार्बोनिक अम्ल तथा कार्बोमिनोहीमोग्लोबिन के रूप में
(B) प्लाज्मा में घुली अवस्था में
(C) केवल कार्बोनिल अम्ल के रूप में
(D) केवल हीमोग्लोबिन से मिलकर।
उत्तर:
(D) केवल हीमोग्लोबिन से मिलकर।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

13. कोष्ठकीय वायु की तुलना में वायुमंडलीय वायु का PCO2 व PO2 होगा –
(A) कम PO2 उच्च PCO2
(C) उच्च PO2 उच्च PPCO2
(B) उच्च PO2 कम PCO2
(D) कम PO2कम PCO2
उत्तर:
(B) उच्च PO2 कम PCO2

14. निम्न में से किसका मान सबसे कम होता है ?
(A) प्रवाही आयतन
(B) सजीव क्षमता
(C) अन्त: श्वसनी व्युत्क्रम आयतन
(D) बाह्य श्वसनी व्युत्क्रम आयतन ।
उत्तर:
(C) अन्त: श्वसनी व्युत्क्रम आयतन

15. फेफड़े के कोष्ठकों में गैसीय विनिमय किसके द्वारा होता है ?
(A) चेष्टा संवहन
(B) परासरण
(C) साधारण विसरण
(D) निष्चेष्ट संवहन।
उत्तर:
(B) परासरण

16. हीमोग्लोबिन द्वारा वहन ऑक्सीजन का निर्धारण किसके द्वारा होता है-
(A) pH
(B) ऑक्सीजन का आंशिक दाब
(C) CO2 का आंशिक दाब
(D) इनमें से सभी।
उत्तर:
(B) ऑक्सीजन का आंशिक दाब

17. उनकों में हीमोग्लोबिन का विघटन किस कारण होता है-
(A) उच्च PO2
(B) कम PO2
(C) समान PO 2
(D) PO2 के विपरीत।
उत्तर:
(B) कम PO2

18. क्रेन्स चक्र के अन्त में प्राप्त ATP की संख्या होती है- (RPMT)
(A) 2 ATP
(B) 4 ATP
(C) 36 ATP
(D) 38 ATP.
उत्तर:
(C) 36 ATP

19. वायवीय श्वसन में ग्लूकोज के अणु से ATP के कितने अणु प्राप्त होते है- (UP CPMT)
(A) 12
(B) 18
(C) 30
(D) 38.
उत्तर:
(B) 18

20. एक हीमोग्लोबिन कितने ऑक्सीजन अणुओं का वहन करता है- (UP CPMT)
(A) 4
(B) 2
(C) 6
(D) 8.
उत्तर:
(B) 2

21. वायवीय श्वसन सम्बन्धित है- (RPMT)
(A) माइटोकॉण्ड्रिया से
(B) प्लाज्मा झिल्ली से
(C) गॉल्जी काय से
(D) अन्तः प्रद्रव्यी जालिका से
उत्तर:
(C) गॉल्जी काय से

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

22. मेढ़क में सुप्तावस्था के समय श्वसन होता है- (RPMT)
(A) त्वचा द्वारा
(B) फेफड़ों द्वारा
(C) मुखीय फैरिंक्स द्वारा
(D) फैरिंक्स द्वारा ।
उत्तर:
(D) फैरिंक्स द्वारा ।

23. रुधिर द्वारा CO2 किस रूप में पायी जाती है- (RPMTS UPCPMT)
(A) Hb CO2
(B) Na HCO3
(C) कार्बोनिक अम्ल
(D) Hb CO2 कार्बोनिक अम्ल
उत्तर:
(A) Hb CO2

24. श्वसन केन्द्र उपस्थित होते हैं- (RPMT)
(A) सेरीबेलम में
(B) सेरीब्रम में
(C) मैड्यूला ऑब्लांगेटा में
(D) हाइपोथैलेमस में ।
उत्तर:
(A) सेरीबेलम में

25. बुक लेग्स श्वसन अंग हैं- (RPMT)
(A) प्रोटोजो अन्स में
(C) आर्थ्रोपोड में
(B) निडेरिया में
(D) ऐम्फीबियन में।
उत्तर:
(A) प्रोटोजो अन्स में

26. जब तापमान कम होता है तब ऑक्सी-Hb वक्र हो जाएगा- (UP CPMT)
(A) अधिक झुका
(B) सीधा
(C) पैराबोला
(D) ये सब ।
उत्तर:
(B) सीधा

27. ऑक्सीजन विघटन वक्र होता है- (RPMT)
(A) सिग्मॉइड
(B) पैराबोलिक
(C) हाइपरबोलिक
(D) सीधी रेखा ।
उत्तर:
(A) सिग्मॉइड

28. फेफड़ों का प्रवाही आयतन होता है- (CBSE)
(A) 500 मिली
(B) 1000 मिली
(C) 1500 मिली
(D) 2000 मिली ।
उत्तर:
(D) 2000 मिली ।

29. ऑक्सीजन विघटन वक्र होता है-
(A) सिग्मॉइड
(B) पैराबोलिक
(C) हाइपरबोलिक
(D) सीधी रेखा
उत्तर:
(C) हाइपरबोलिक

30. फेफड़ों का प्रवाही आयतन होती है-
(A) 500MI
(C) 1500mL
(B) 100mL
(D) 2000mL
उत्तर:
(A) 500MI

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

31. ऊतकों द्वारा ग्रहण किए जाने के पश्चात् भी मनुष्य के रुधिर में ऑक्सीजन का एक बड़ा अनुपात अप्रयुक्त रह जाता है।
(A) रुधिर के PCO2 को 75 mm Hg तक बढ़ा देती है
(B) ऑक्सी- हीमोग्लोबिन संतृप्तता को 96% पर बनाए रखने के लिए पर्याप्त होती है
(C) उपकला ऊतकों में अधिक ऑक्सीजन मुक्त करने में सहायता करती है
(D) पेशीय व्यायाम के दौरान एक रिजर्व की भाँति कार्य करती है।
उत्तर:
(B) ऑक्सी- हीमोग्लोबिन संतृप्तता को 96% पर बनाए रखने के लिए पर्याप्त होती है

32. निःश्वसन के दौरान डायाफ्राम हो जाता है- (RPMT)
(A) सामान्य
(B) चपटा
(C) गुम्बदाकार
(D) तिरछा
उत्तर:
(C) गुम्बदाकार

33. इलेक्ट्रॉन परिवहन श्रृंखला में इलेक्ट्रॉन का अन्तिम ग्राही होता है-
(A) जल
(C) राइटोक्रोम-a
(B) साइट्रोक्रोम-a-3
(D) ऑक्सीजन
उत्तर:
(D) ऑक्सीजन

34. CO2 परिवहन में भाग लेने वाला एन्जाइम कार्बनिक एनहाइड्रेस पाया जाता है-
(A) WBCs में
(B) लिम्फोसाइट्स में
(C) RBCS में
(D) मोनोसाइट्स में।
उत्तर:
(B) लिम्फोसाइट्स में

35. मनुष्यों में श्वसन के सम्बन्ध में निम्नलिखित में से सत्य कथन है-
(A) सिगरेट के पीने से श्वसनी शोथ (inflamation of bronchi) उत्पन्न हो सकता है।
(B) मस्तिष्क के पोन्स भाग में स्थित न्यूमोटॉक्सिक केन्द्र से उत्पन्न तंत्रिकीय संकेत अन्तःश्वसन की अवधि को बढ़ा सकते हैं
(C) पत्थर तोड़ने एवं घिसने के उद्योग में कार्यरत मजदूर फुफ्सीय रेशीमयता (lung fibrosis) नामक रोग से पीड़ित हो सकते हैं।
(D) CO2 का लगभग 90% भाग हीमोग्लोबिन द्वारा कार्बमीनो- हीमोग्लोबिन के रूप में ले जाया जाता है।
उत्तर:
(A) सिगरेट के पीने से श्वसनी शोथ (inflamation of bronchi) उत्पन्न हो सकता है।

36. चित्र में मानव श्वसन तंत्र का एक आरेखी दृश्य दर्शाया गया है जिसमें चार नामांकन A, B, C और D दिए गए हैं। अंग की सही पहचान के साथ-साथ उसके प्रमुख कार्य और / अथवा विशिष्टता के विकल्प चुनिए । (NEET UG)
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 1
उत्तर:
(D)

(B) अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
फेफड़ों में ऐसी कौन-सी रचनाएँ हैं जो श्वसन केन्द्र को नियन्त्रित करती हैं ?
उत्तर:
फेफड़ों में श्वसन केन्द्र को नियन्त्रित करने हेतु विशेष प्रकार के स्फीति प्राही (Inflation receptors) तथा अपस्फीति ग्राही (Deflation receptors) पाये जाते हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

प्रश्न 2.
गैसीय विनिमय एवं गैसों के परिवहन को संयुक्त रूप से क्या कहते हैं ?
उत्तर:
गैसीय विनिमय एवं गैसों के परिवहन को संयुक्त रूप से बाह्य श्वसन (External respiration) कहते हैं।

प्रश्न 3.
कोशिका में सम्पन्न होने वाली ऐसी कौन-सी क्रिया है, जिसके द्वारा कार्बन डाई ऑक्साइड का निर्माण होता है ?
उत्तर:
कोशिका में सम्पन्न होने वाली क्रिया कोशिकीय श्वसन (cellular respiration) में CO2 का निर्माण होता है।

प्रश्न 4.
ज्वारीय आयतन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
सामान्य अवस्था में प्राणी के फेफड़ों में वायु के जिस आयतन का आवागमन होता है, उसे ज्वारीय आयतन (Tidal volume) कहते हैं।

प्रश्न 5.
अन्तःश्वसन संचयी आयतन से क्या समझते हैं ?
उत्तर:
पेशीय प्रयास बढ़ाने से अन्तःश्वसन के समय वायु के अतिरिक्त आयतन को ग्रहण किया जा सकता है। इस आयतन को अन्तःश्वसन संचयी आयतन (Inspiratory Reserve Volume) कहते हैं।

प्रश्न 6.
बहिःश्वसन संचयी आयतन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अतिरिक्त पेशीय प्रयास में बहिःश्वसन के समय वायु के अतिरिक्त आयतन को फेफड़ों से बाहर निकाला जा सकता है। इसे बहिःश्वसन आयतन (Expiratory Reserve Volume) कहते हैं।

प्रश्न 7.
कशेरुकी प्राणियों में ऑक्सीजन का अधिकतम संवहन रुधिर में किस रूप में होता है ?
उत्तर:
कशेरुकी प्राणियों के रुधिर में लाल रुधिराणुओं (R.B.C.) में उपस्थित हीमोग्लोबिन के साथ एक अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन [Hb (O2)4] के रूप में ऑक्सीजन का अधिकतम संवहन होता है।

प्रश्न 8.
फेफड़ों की जैव क्षमता से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
फेफड़ों की जैव क्षमता वायु का वह आयतन है जो सबसे गहरे निश्वास के बाद और सबसे शक्तिशाली उच्छ्वास द्वारा बाहर निकलता है। मनुष्य में इसका औसत आयतन 4,600 ml होता है।

प्रश्न 9.
बाह्य श्वसन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
कोशिकाओं द्वारा पर्यावरण से ऑक्सीजन ग्रहण करना और कार्बन डाइ-ऑक्साइड बाहर निकालना बाह्य श्वसन कहलाता है।

प्रश्न 10.
गैस विनिमय की प्रमुख सतह क्या है ?
उत्तर:
वायु कूपिकाएँ ।

प्रश्न 11.
रुधिर द्वारा परिवर्तित ऑक्सीजन का कितने प्रतिशत भाग हीमोग्लोबिन के साथ संयुक्त होता है?
उत्तर:
97%

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

प्रश्न 12.
हीमोग्लोबिन के साथ O2 की बंधुता किस पर निर्भर करती है ?
उत्तर:
pH – तापमान एवं डाइफॉस्फोग्लिसरेट पर ।

प्रश्न 13.
स्पाइरीमीटर क्या है ?
उत्तर:
फेफड़ों के व्यावहारिक कार्यों को निर्धारित करने के लिए उनके आयतन तथा क्षमताएँ जिस उपकरण से मापी जाती हैं, उन्हें स्पाइरोमीटर (Spirometer) कहते हैं।

प्रश्न 14.
ज्वारीय उच्छ्वसन की माप क्या होगी ?
उत्तर:
500 मिली ।

प्रश्न 15
निश्वसन आरक्षित आयतन क्या है ?
उत्तर:
सामान्य निश्वसन के बाद अधिकतम निश्वसित की जा सकने वाली वायु का आयतन निश्वसन आरक्षित आयतन होता है। इसका माप लगभग 300 मिली होता है।

प्रश्न 16.
उच्छ्वसन आरक्षित आयतन किसे कहते हैं ?
उत्तर:
सामान्य उच्छ्वसन के पश्चात् बलपूर्वक अधिकतम उच्छ्वसित की गई वायु का आयतन उच्छ्वसन आरक्षित आयतन (Expiratory Reserve Volume) कहलाता है। इसका माप 1100 मिली होता है।

प्रश्न 17.
अवशिष्ट आयतन किसे कहते हैं ?-
उत्तर:
बलपूर्वक अधिकतम उच्छ्वसित की गयी वायु के पश्चात् भी फेफड़ों में जो वायु बची रहती है उसे अवशिष्ट आयतन ( Residual Volume) कहते हैं। इसकी माप 1200 मिली होती है।

प्रश्न 18.
निश्वसन क्षमता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
वायु की उस अधिकतम मात्रा को जो एक निश्वसन में ग्रहण की जा सकती है, निश्वसन क्षमता कहते हैं। इसका योग TV (ज्वारीय आयतन) + IRV (निश्वसित आरक्षित आयतन) के बराबर होता है।

प्रश्न 19.
कार्यात्मक अवशिष्ट क्षमता किसे कहते हैं ?
उत्तर:
सामान्य उच्छ्वसन के पश्चात् जो वायु की मात्रा फेफड़ों में शेष बचती है उसे कार्यात्मक अवशिष्ट क्षमता कहते हैं। इसका मान ERV (उच्छ्वसन आरक्षित आयतन) + RV ( अवशिष्ट आयतन) के बराबर होता है।

प्रश्न 20.
अधर श्वसन केन्द्र कहाँ स्थित होता है ?
उत्तर:
मैड्यूला (Medulla) में।

प्रश्न 21.
PCO2 PO2, TV शब्दों का विस्तार कीजिए।
उत्तर:
PCO2 = कार्बन डाई ऑक्साइड का आंशिक दाब
PO2 = ऑक्सीजन का आंशिक दाब
TV = Tidal Volume (ज्वारीय आयतन) ।

प्रश्न 22.
बोहर का प्रभाव किसे कहते हैं ?
उत्तर:
उच्च PCO2 की उपस्थिति में ऑक्सीहीमोग्लोबिन के विघटन को ‘बोहर का प्रभाव’ कहते हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

प्रश्न 23.
फेफड़े की कुल सामर्थ्य कितनी होती है ?
उत्तर:
फेफड़े की कुल सामर्थ्य 5000 6000 mm होती हैं।

प्रश्न 24.
हैल्डेन प्रभाव क्या होता है ?
उत्तर:
जैसे-जैसे रुधिर का pH मान कम होता जाता है, रुधिर से वायु कूपिकाओं में अधिक CO2 मुक्त होती है और अधिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन बनती है। ऊतकों में यह क्रिया विपरीत दिशा में होती है। इसे ‘हैल्डेन प्रभाव’ कहते हैं।

(C) लघूत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
श्वसन किसे कहते हैं ? श्वसन और श्वासोच्छ्वास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
श्वसन (Respiration ) – ऑक्सीजन का शरीर में प्रवेश करना; कार्बन डाइ ऑक्साइड (CO2) का शरीर से बाहर निकलना तथा वे सभी रासायनिक अभिक्रियाएँ जिनके फलस्वरूप ऊर्जा उत्पन्न होती है, श्वसन कहलाता है।

श्वसन तथा श्वासोच्छ्वास में अन्तर –

श्वसन (Respiration) श्वासोच्छ्वास (Breathing)
1. यह एक अपचयी क्रिया है जिसमें कोशिकाओं के अन्दर भोज्य पदार्थों का ऑक्सीकरण होता है 1. यह एक यान्त्रिक क्रिया है जिसमें वातावरण की शुद्ध वायु श्वसनांगों तक पहुँचाई जाती है। और CO2 तथा जल वाष्प बाहर निष्कासित की जाती है।
2. इसमें ग्लूकोज के ऑक्सीकरण से CO2 तथा जल बनते हैं और ऊर्जा ऊष्मा के रूप में विमुक्त होती है। यह ATP में संचित हो जाती है और कोशिकीय उपापचय में काम आती है। 2. इसमें श्वसन के बाद उत्पन्न CO2 व जलवाष्प आदि श्वसनांगों से वातावरण में बाहर चली जाती है।
3. इसके चार चरण हैं-
(i) बाह्य श्वसन
(ii) गैसीय संवहन
(iii) अन्तःश्वसन
(iv) कोशिकीय श्वसन ।
3. इसकी केवल दो ही अवस्थाएँ हैं-
(i) निश्वसन तथा
(ii) निःश्वसन ।
अतः यह केवल बाह्य कोशिकीय प्रक्रिया है।
4. यह भौतिक एवं रासायनिक क्रियाओं का एक सम्मिलित रूप है। 4. यह केवल एक भौतिक क्रिया मात्र है ।

प्रश्न 2.
श्वसन में कितने चरण होते हैं ? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
श्वसन के चरण (Steps of Respiration) श्वसन में निम्नलिखित चरण सम्मिलित है –

  1. श्वसन का फुफ्फुसी संवातन जिससे वायुमंडलीय वायु अन्दर खींची जाती है और CO2 से भरपूर कूपिका की वायु को बाहर मुक्त किया जाता है।
  2. कूपिका झिल्ली के आर-पार गैसों (O2 व CO2) का विसरण ।
  3. रुधिर द्वारा गैसों का परिवहन।
  4. रुधिर और ऊतकों के बीच O2और CO2का विसरण
  5. उपापचयी क्रियाओं के लिए कोशिकाओं द्वारा O2 का उपयोग और उसके फलस्वरूप CO2 का उत्पन्न होना ।

प्रश्न 3.
गैसीय परिवहन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गैसीय परिवहन (Transportation of gases) – फेफड़ों से ऑक्सीजन का रुधिर केशिकाओं द्वारा ऊतकों तक पहुँचने तथा ऊतकों से CO2 का रुधिर केशिकाओं के द्वारा फेफड़ों में छोड़ने की क्रिया को गैसीय परिवहन कहते हैं। इस परिवहन में लाल रुधिर कणिकाओं में उपस्थित श्वसन वर्णक के रूप में हीमोग्लोबिन का विशेष योगदान रहता है।

गैसीय परिवहन दो पदों में होता हैं –
(1) ऑक्सीजन का परिवहन फेफड़ों की कूपिकाओं में आयी हुई CO2 को हीमोग्लोबिन अवशोषित करके अस्थायी यौगिक ऑक्सीहीमोग्लोबिन में परिवर्तित हो जाता है। रुधिर परिवहन के साथ यह ऊतकों में पहुँचकर ऑक्सीजन को मुक्त करके पुनः हीमोग्लोबिन में बदल जाता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 2
(ऑक्सीहीमोग्लोबिन) इस प्रकार फेफड़ों से ऑक्सीजन ऊतकों में पहुँच जाती है। ऑक्सीजन का कुछ भाग रुधिर प्लाज्मा में घुलकर ऊतक कोशिकाओं तक पहुँच जाता है।

(2) कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कोशिकीय श्वसन के पश्चात् CO2 तथा जल के अणुओं का निर्माण होता है। कोशिकाओं में मुक्त हुई CO2 धीरे-धीरे ऊतकीय द्रव के माध्यम से विसरित होकर केशिकाओं में निम्नोक्त रूपों में पहुंचती है, जहाँ से वह रुधिर परिवहन के साथ फेफड़ों में जाती है-

  • कार्बनिक अम्ल (H2CO3) के रूप में,
  • बाइकार्बोनेट के रूप में,
  • कार्बन एमीनो यौगिक के रूप में।

उपर्युक्त अस्थायी पदार्थों से फेफड़ों के समीप CO2 मुक्त होकर कोशिकाओं तथा फेफड़ों की पतली भित्तियों से विसरित होकर फेफड़ों में पहुँचती है, जहाँ से CO2 निःश्वसन द्वारा वातावरण में मुक्त हो जाती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

प्रश्न 4.
श्वसन किसे कहते हैं ? बाह्य एवं आनरिक श्वसन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
श्वसन (Respiration) श्वसन उन भौतिक एवं रासायनिक क्रियाओं का सम्मिलित रूप है, जिसके अन्तर्गत बाह्य वायुमण्डल की ऑक्सीजन शरीर के अन्दर कोशिकाओं तक पहुँचती है और उन सजीव कोशिकाओं में उपस्थित संचित खाद्य का क्रमिक ऑक्सीकरण होता है तथा ऊर्जा (Energy) मुक्त होती है। यह ऊर्जा विभिन्न दैहिक कार्यों में उपयोग की जाती है। इस क्रिया में उत्पन्न हुई CO2 शरीर से बाहर निकाल दी जाती है।

श्वसन के दो चरण –

  1. बाह्य श्वसन तथा
  2. आन्तरिक श्वसन होते

1. बाह्य श्वसन (External Respiration ) – यह वह भौतिक क्रिया होती है जिसके द्वारा कोई जन्तु अपने आवासी पर्यावरण से ऑक्सीजन (O2) को निरन्तर एवं नियमित रूप से प्राप्त करता है तथा साथ ही कार्बन डाइ-ऑक्साइड (CO2) का निष्कासन करता है। इसे साँस लेना ( breathing) कहते हैं। संक्षेप में फेफड़ों के अन्दर वायु की O2 एवं रुधिर की CO2 के विनिमय को बाह्य श्वसन कहते हैं।

2. आन्तरिक श्वसन (Internal Respiration) – इसके अन्तर्गत वे सभी रासायनिक क्रियाएँ सम्मिलित होती हैं, जिनके द्वारा कोशिकाओं में उपस्थित खाद्य पदार्थों का ऑक्सीजन की उपस्थिति में ऑक्सीकरण होता है और ऊर्जा मुक्त होती है। इसे कोशिकीय या ऊतकीय श्वसन (Cellular or Tissue Respiration) भी कहते हैं।

प्रश्न 5.
ऑक्सीजनित रक्त (Oxygenated blood) ऊतकों से गुजर रहा हो तथा इसकी ऑक्सीजन का आंशिक दाब अचानक पारे के 40 मिमी से 10 मिमी तक कम हो जाये, तो हीमोग्लोबिन पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर:
ऊतकों में ऑक्सीजन का आंशिक दाब कम रहता है, तभी ऑक्सीहीमोग्लोबिन टूटकर ऑक्सीजन विमुक्त करता है जो ऊतक की कोशिकाओं में विसरित हो जाती है।
Hb(O2)4 → НЫ + 4O2
प्रश्नानुसार, ऊतकों में ऑक्सीजन का आंशिक दाब 40 मिमी से 10 मिमी पारे के स्तम्भ तक कम हो जाता है। यह लगभग सम्पूर्ण ऑक्सीहीमोग्लोबिन के हीमोग्लोबिन तथा ऑक्सीजन में टूट जाने की सम्भावना है।

प्रश्न 6.
आंशिक दाब किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अणुओं का वह दाब जो उन्हें उच्च सान्द्रण से निम्न सान्द्रण वाले स्थान पर प्रतिगमन हेतु आवश्यक होता है, आंशिक दाब कहलाता है। वायु या जल में ऑक्सीजन अणु का आंशिक दाब कोशिकाओं की तुलना में अधिक होता है अतः ऑक्सीजन कोशिकाओं में प्रवेश कर जाती है और कोशिकाओं के अन्दर कार्बन डाइ ऑक्साइड का आंशिक दाब अधिक होने से यह बाहर चली जाती है।

प्रश्न 7.
निश्वसन की क्रिया-विधि समझाइए ।
उत्तर:
निश्वसन (Inspiration)
श्वसन क्रिया में निश्वसन वह प्रक्रिया है जो डायाफ्राम एवं बाह्य अन्तरापर्शुक पेशियों (external intercostal muscles) के संकुचन से प्रारम्भ होती है। जब डायाफ्राम संकुचित होता है तो चपटा हो जाता है इसके साथ-साथ उदर की ओर नीचे आ जाता है। परिणामस्वरूप वक्ष गुहा का आयतन बढ़ जाता है। बाह्य अन्तरापर्शुक पेशियाँ भी साथ-साथ संकुचित होने लगता हैं।

अन्तरापर्शुक पेशियों के संकुचन से पसलियाँ ऊपर एवं बाहर की ओर – खींची जाती हैं जिससे वक्ष गुहा का आयतन बढ़ जाता है। अतः वक्ष गुहा एवं फेफड़ों में वायु दाब वायुमण्डल दाब से कम हो जाता है । फलस्वरूप दाब कम होने से अवशोषण बल उत्पन्न होता है और वायुमण्डल की वायु श्वसन पथ से होती हुई फेफड़ों में पहुँचती है। दा के इस अन्तर के कारण वायुमण्डल से वायु श्वसन मार्ग से होती हुई वायु कूपिकाओं में तेजी से तब तक भरती है जब तक कि कूपिकाओं का दाब वायुमण्डल के दाब के बराबर न हो जाये। वायुमार्ग इस प्रकार होता है –
नासा → द्वार → नासा गुहा → आन्तरिक नासा छिद्र → प्रसनी → घांटी → श्वसन नली → श्वसनियाँ → श्वसनिकाएँ → वायुकूपिका वाहिनी → वायु कूपिका कोष → वायु कूपिकाएँ ।

(D) निबन्धात्मक प्रश्न (Long Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
वायवीय तथा अवायवीय श्वसन से आप क्या समझते हैं ? इनके उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अवायवीय या अनॉक्सी श्वसन (Anaerobic respiration):
ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में खाद्य पदार्थों के विषटन को अवायवीय श्वसन (anaerobic respiration) कहते हैं। इस प्रक्रिया में ग्लूकोज का अपूर्ण विघटन होता है। जिसके फलस्वरूप CO2 एथिल ऐल्काहॉल या लैक्टिक अम्ल तथा कुछ ऊर्जा मुक्त होती है। यह ऊर्जा ग्लूकोज अणु में संचित ऊर्जा का केवल 5% है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 3
अवायवीय श्वसन (anaerobic respiration) प्राणियों के भीतरी ऊ्तकों में होता है। इस प्रक्रिया को आंत्र के परजीवी जैसे—फीताकृमि, गोलकृमि, हकवर्म तथा यक्त कुमियों में देखा जा सकता है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 4
अवायवीय श्वसन (anaerobic respiration) के समय पेशियों में लैक्टिक अम्ल (lactic acid) बनता है। पेशियों (muscles) में एकत्रित होकर यह पेशी श्रांति (muscle fatigue) उत्पन्न करता है। बाद में यह धीरे-धीरे यकृत कोशकाओं तथा छद्पेशियों (cardiac muscles) द्वारा पूर्ण रूप से ऑक्सीकृत (oxidise) हो जाता है। लाल रुधिराणुओं में माइटोकॉण्ड्रिया नहीं होते, अतः इनमें भी केवंल अवायवीय शवसन होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

वायवीय श्वसन में गैसीय विनिमय (Gaseous Exchange in Aerobic Respiration)
सभी वायवीय जीव श्वसन के लिए विसरण द्वारा पर्यावरण से ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं और CO2 बाहर निकालते हैं। वायु में 21% तथा जल में 0.7% ऑक्सीजन होती है। अतः स्थलीय जीवों को जलीय जीवों की तुलना में अधिक अंक्सीजन उपलब्ध होती है।

जीवों में यह विनिमय (exchange) दो प्रकार से होता है –

1. प्रत्यक्ष गैसीय विनिमय (Direct gaseous exchange)-इसमें जीवों के शरीर की कोशिकाओं तथा जलीय माध्यम मेंCO2 व CO2 का सीधा विनिमय होता है। इनमें गैसों के परिवहन के लिए रुधिर जैसा कोई परिवहन माध्यम नहीं होता। यह विनिमय एक कोशिकीय जीवों, जैसे-प्रोटोजोआ, स्पंजों तथा सीलेन्ट्रेट्स में होता है।

2. अप्रत्यक्ष गैसीय विनिमय (Indirect gaseous exchange)-अधिकांश बहुकोशीय जन्तुओं में दैठिक कोशिकाओं का बाहा पर्यावरण से सीधा सम्पर्क नहीं होता है। इनमें विशेष श्वसनांग पाए जाते हैं। अतः इनमें दो स्तर पर गैसीय विनिमय होता है-
(i) बाह्य श्वसन (External respiration) – इसमें गैसीय आदान-प्रदान बाह्म पर्यावरण (जल या वायु) तथा रुधर के बीच होता है। यह क्रिया शरीर की सतह पर, श्वसन सतह पर तथा श्वसन अंगो, में होती है। इसमें साँस लेना भी सम्मिलित है। यह केवल भौतिक प्रक्रिया है।

(ii) आंतरिक श्वसन (Internal respiration) – इसमें CO2 तथा CO2 का विनिमय रुधिर तथा ऊतक कोशिकाओं के बीच होता है। यह क्रिया कोशिकीय स्तर पर होती है। इसे ऊतकीय श्वसन भी कहते हैं। इसमें गैस विनिमय तथा भोजन का ऑक्सीकरण (oxidation) व ऊर्जा की मुक्ति भी शामिल है। अतः यह भौतिक रासायनिक क्रिया है।
जन्तुओं के विभिन्न समूहों में गैसों के विनिमय के लिए श्वसन संरचनाएँ (Respiratory Structure for the Exchange of Gases in Different Groups of Animals) –

जन्तु समूह (Animal Group) श्वसन संरचना (Respiratory structure)
1. प्रोटोजोआ (उदाहरण – अमीबा, पैरामीशियम आदि) जीवद्रव्य कला (Plasma membrane)
2. पॉरीफेरा (उदाहरण-साइकन) कोशिकाओं की जीवद्रव्य कला (plasma membrane of cells)
3. निडेरिया (उदाहरण हाइड्रा) शरीर सतह (Body surface)
4. प्लेटीहेल्मिन्थीज
(a) मुक्तजीवी (उदाहरण – प्लेनेरिया)(b) परजीवी (उदाहरण फीताकृमि)
शरीर सतह (Body surface)

गैसीय विनिमय नहीं (अनॉक्सी श्वसन)

5. निमेटोडा

(a) मुक्तजीवी (उदाहरण – रेब्डीटिस)

(b) परजीवी (उदाहरण – ऐस्केरिस)

शरीर सतह (Body surface)

गैसीय विनिमय नहीं (अनॉक्सी श्वसन)

6. ऐनेलिडा (उदाहरण केंचुआ) त्वचा (skin)
7. ऑथ्रोपोडा

(a) झींगा मछली, क्रेफिश

(b) कीट, सेन्टीपोड्स, मिलीपीड्स, खटमल

(c) बिच्छू, मकड़ी

(d) किंग केंकड़ा ( लिमूलस)

क्लोम (gills)

ट्रेकिया (trachea )

बुक लंग्स (book lungs)

बुक लंग्स (book lungs)

8. मौलस्का

(a) यूनियो (सीप)

(b) पाइला (घोंघा)

क्लोम (gills)

एक क्लोम तथा एक पल्मोनरी कोष्ठ (lung)

9. इकाइनोडर्मेटा (उदाहरण – तारा मछली) नाल पाद (tube feet)
10. हेमीकॉर्डेटा (उदाहरण – बैलेनोग्लॉसस) ग्रसनी भित्ति (pharyngeal wall)
11. कॉर्बेट

(a) यूरोकॉर्डेटा (उदाहरण – हर्डमानिया)

(b) सिफेलोकॉर्डेटा (उदाहरण – बैंकियोस्टोमा)

(c) बर्टीब्रेटा

ग्रसनी भित्ति (pharyngeal wall)

प्रसनी भिति (pharyngeal wall)

(i) साइक्लोस्टोम, मछलियाँ

(ii) ऐम्फीबिया

(iii) रेप्टीलिया, एवीज, स्तनधारी

क्लोम (gills)

त्वचा, मुखप्रसनी अस्तर, फेफड़े

फेफड़े (lungs)

प्रश्न 2.
विभिन्न जीवधारियों में श्वसन अंगों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
श्वसन अंग (Respiratory Organ):
विभिन्न जीवधारियों में गैसीय विनिमय के लिए विभिन्न प्रकार के श्वसन अंग पाए जाते हैं। प्रोटोजोआ, पॉरीफेरा एवं नीडेरिया संघ के प्राणियों में विशिष्ट श्वसन अंग नहीं होते हैं, इनमें गैसों का विनिमय प्राणी के शरीर की सामान्य सतह से विसरण (diffusion) द्वारा होता है। मेढ़क में भी त्वचा (skin) द्वारा विसरण हो सकता है। केंदुआ, फीताकृमि, गोलकृमि आदि। जन्तुओं में गैसों का विसरण (diffusion) नम त्वचा (Moist skin) द्वारा होता है।

संष आध्रोपोड़ा के प्राणियों में गैसों के विनिमय के लिए ब्जोम (gills), द्रेंकिया या श्वसनी (trachea) या बुक लंग्स (book lungs) पाए जाते हैं। अधिकाश जलीय कशेरुकियों (vertebrates) में गैसों का विनिमय क्लोमों (gills) द्वारा होता है। क्लोम्स में जल संवहनी तंत्र होता है तथा इनमें रुधिर संवहन (blood vasculation) भी अधिक होता है जिससे जल में घुली हुई ऑक्सीजन O2 रुधिर द्वारा अवशोषित कर ली जाती है और CO2 जल में छोड़ दी जाती है, इसे जलीय श्वसन कहते हैं। स्थलीय प्राणियों में गैसों का विनिमय फेफड़ों (lungs) द्वारा होता है जिसमें ऑक्सीजन वायुमण्डल से पहुण की जाती है इसलिए इसे वायवीय श्वसन (aerobic respiration) भी कहते हैं। बैसे-उभयचर (amphibians), सरीसुप (reptiles), पक्षी एवं स्तनधारी (Mammals)।

(1) शरीर की सामान्य स्ता द्वारा श्वसन (Respiration through General Body Sufrace)-प्रोटोजोआ, पॉरीफेरा, सीलेन्द्रेटा संघ के प्राणी तथा जल व नमीयुक्त वावावरण में रहने वाले अनेक प्राणियों में शरीर की सामान्य सतह ह्वारा ही श्वसन छोता है। प्रोटोजोआ, पॉरीफेरा व सीलेन्ट्रेटा (नीडेरिया) संघ के प्राणियों में विशिष्ट श्वसन अंग नहीं छोते और न ही गैसीय संवहान के लिए परिसंचरण तन्त्र होता है। ऐसी स्थिति में शरीर की सामान्य नम सतह ही गैस विनिमय का कार्य करती है परन्तु केंचुए (carthworm) व मेंडक (frog) की त्वचा पर नमी के साथ-साथ रक्त परिवहन भी होता है जो गैसों के विनिमय को आसान बनाता है।

(2) क्लोम छ्वारा श्वसन (Respiration Through Gills)-कुछ आश्रोंपोडा, मोलस्का व सभी मछलियों में क्लोम (gills) मुख्य श्वसन अंग होते हैं। क्लोम (gills) जलीय प्राणियों के प्रमुख श्वसन अंग है। क्लोम में अनेक सूक्ष्म तन्तु पाये जाते हैं जिन्हें गिल तन्तु (gill filaments) कहते हैं। ये पतली व अत्यधिक संवहुनीय उपकला द्वारा ढके होते हैं।

जब जल इन गिल तन्तुओं से निकलता है तो सान्द्रता भिम्नता के कारण जल में घुलित ऑक्सीजन रक्त में चली जाती है और रक्त से कार्बन डाईऑक्साइड CO2 जल में बाहर आं जाती है और सामान्य विसरण क्रिया द्वारा गैसो का आदान-प्रदान हो जाता है। गिल्स में जल व रक परिवहन की दिशा एक- दूसरे के विपरीत होती है, जिससे एक प्रातिारा तन्त्र का निर्माण होता है जो गैसों के विनिमय को और आसान बना देता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

(3) ट्रेजिया या प्वास नली द्वारा ए्क्तन (Respiration Through Trachea)-हीमोग्लोबिन (haemoglobin) के अभाव के कारण कीटों का रुधि ऑक्सीजन के वाहक के र्रूप में कार्य नहीं करता। इसलिए क्तकों और शरीर के विभिन्न भागों में ऑक्सीजन पहुँचाने के लिए इनमें श्वास नलियाँ (ट्रिकिया trachea) जाल के रूप में फैली रहती हैं। शरीर के पार्श्व भागों में स्थित 10 जोड़ी दरार जैसे श्वास रन्यों (Spiracles) द्वारा बाहर की वायु इन श्वासनलियों में प्रवेश करती है। श्वास रन्ध्र छोटे वेश्म (atrium) में खुलते हैं।

श्वास रन्त्रों (spiracles) पर रोम जैसे शूक (bristles) होते हैं जो वायु को छानकर धूल आदि के कणों को वेश्म (atrium) में प्रवेश करने से रोकते हैं। प्रत्येक रन्ध्र पर इसे खोलने और बंद करने एवं जल की हानि को रोकने के लिए कपाट (valve) मी होता है। कीटों के प्रत्येक उदर खंड में अनेक पेशियाँ होती हैं।

इन पेशियों के बार-बार संकुचन और अनुशिधिलन से कीटों का उदर नियमित समयान्तरों पर फूलता व पिचकता रहता है। उदर भाग के फूलने पर बाहर की वायु श्वास रन्द्रों से होकर शवास नलियों में प्रवेश कर जाती है। इस प्रक्रिया को अन्तीश्वसन या नि:स्वसन (inspiration) कहते हैं। इसके विपरीत, शरीर के पिचकने पर वायु बाहर निकलती है। इस प्रक्रिया को निश्वसन या उच्छूवास (expiration) कहते हैं।

गैसीय विनिमय (Gaseous exchange)-श्वास नलिकाओं की भित्ति से होकर ऑक्सीजन विसरण द्वारा ऊतकों में पहुँचती है। कीटों (insects) की विश्राम अवस्था में श्वास नलिकाओं में अन्दर आई ऑक्सीजन धीरे-षीरे ऊतक द्रव्य में घुलकर शरीर के ऊतकों में पहुँचती है और कीट की सक्रिय अवस्था में ऊतक द्रव्य निकलकर ऊतक कोशिकाओं में चला जाता है तथा ऑक्सीजन ऊतकों में सीधी पहुँच जाती है। ऊतकों के अन्दर ऑक्सीकरण क्रिया में मुक्त हुई CO2 श्वासनलिका में आ जाती है और फिर श्वास नलियों के श्वासरन्द्रों (spiracles) तथा अध्यावरण (integument) द्वारा विसरित होकर बाहर निकलती रहती है।
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 5

(4) फेफ्छे (Lungs) – उभयचरों, सरीसुप, पथी तथा स्तनधारियों (mammals) में श्वसन फेफड़ों (lungs) द्वारा होता है। इस अध्याय में फेफड़ों द्वारा श्वसन क्रिया का विस्तु वर्णन किया गया है।

प्रश्न 3.
मनुष्य के श्वसन तंत्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर;
मनुष्य का श्वसन-तंत्र (Respiratory System of Man)
मनुष्य के मुख्य श्वसनांग फेफड़े (Lungs) हैं और शेष सहायक अंग हैं। इस प्रकार मनुष्य के श्वसनांगों में नासिका, नासामार्ग, म्रसनी, स्वरयन्त, श्वासनाल या वायुनाल, श्वासनली तथा फेफड़े सम्मिलित हैं।

(1) नासा तथा नासामार्ग (Nose \& Nasal Passages) – मनुष्य का श्वसन तंत्र नासिका से प्रारम्भ होता है। यह दो बाह्य नासारन्ध्रों (nostril) द्वारा नीचे मुख की ओर खुलती है। ये दोनों नासारन्त्र दाहिने तथा बायें दो पथक् नासा वेश्मों (nasal fossa) में खुलते हैं। नासा वेश्म श्लेष्म द्वारा नम तथा रोमयुक्त (hairy) होते हैं जिससे धूल के कण, जीवाणु तथा अन्य पदार्थ फेफड़ों (lungs) में जाने से रुक जाते हैं।

नासा वेश्मों में वायु शुद्ध, नम तथा शरीर के ताप के अनुकूल हो जाती है। नासावेश्म (nasal fossa) दायें तथा बायें नासामार्गों में खुलते हैं। ये नासा पह्ट (nasal septum) द्वारा एक-दूसरे से पृथक् रहते हैं। दोनों ओर के नासा मार्ग अन्न:नासारन्रों (internal nares) द्वारा कण्ठ द्वार के समीप नासा वसनी (nasopharynx) में खुलते हैं।

प्रत्येक नासामार्ग तीन भागों में विभेदित होता है –
(1) प्रकोष्ठ या प्रश्राण या वेछ्ट्यूल (Vestibule)-यह नासिका का सबसे निचला उभरा हुआ भाग होता है। इसके दोनों ओर दो अण्डाकार बाहा नासा छिद्र होते हैं, यह भाग त्वचीय होता है। इसकी आन्तरिक सतह पर तैल प्रन्थि (sebacious glands) व स्वेद मन्थियाँ (sweat glands) होती हैं। इस पर कड़े व संवेदी रोम (sensory hair) होते हैं।

(2) घ्राण धाग या आल्फैक्ट्री धाग (Olfactory region)-यह नासागुछा का मध्य भांग है। इसकी श्लेष्य उपकला (mucous membrane) में घ्राण कोशिकाएँ होती हैं। अतः यह भाग घ्राण अंग (olfactory organ) कहलाता है।

(3) श्वसन भाग (Respiratory Region) -यह नासिका गुहा का निचला भाग है। नासिका गुहा की पार्श्व दीवार से तीन सर्पिल या टरबाइनल अस्थियाँ (turbinal bones) नासा गुहा में उभरी रहती हैं। ये स्रॉल के समान घुमावदार तथा वलित (folded) होती हैं। इन वलनों पर श्लेष्म उपकला (Mucus membrane) का महीन आवरण होता है, इनकी कोशिकाएँ रोमयुक्त (ciliated) होती हैं और म्यूकस का स्राव करती हैं। जो नासिका गुरा को नम बनाए रखता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

इन अस्थियों के वलनों (folds) के बीच सँकरे व घुमावदार पथ बन जाते हैं। इन्हें शंखिकाएँ या मिएटाई (conchae or meati) कहाते हैं। इनके तीन समूहों को ऊपर से नीचे की ओर क्रमशः ऊर्ष्ववर्ती (superior), मध्यवर्ती (middle) तथा अधोवर्ती (inferior) शंखिकाएँ कहते हैं।

नासिका के कार्य-यद्यपि हम नासिका तथा मुख दोनों से ही साँस ले सकते हैं, किन्तु नासिका द्वारा साँस लेने से निम्नलिखित लाभ हैं-

  • टरबाइनल अस्थियों द्वारा नासामागों को घुमावदार बनाने से इनका भीतरी क्षेत्रफल काफी अधिक बढ़ जाता है। इन लम्बे नासामागों से होकर गुजरते समय बाहरी गर्म वायु का ताप शरीर ताप के बराबर हो जाता है ।
  • नासामार्ग फिल्टर की भाँति कार्य करते हैं क्योंकि ये धूल के कणों एवं सूक्ष्म जीवों को अन्दर आने वाली वायु में से अलग करते हैं जो म्यूकस अर्थात् श्लेष्म से उलझकर नासामार्गों में ही रह जाते हैं।
  • म्यूकोसा नासाकक्षों को नम रखती है जिससे फेफड़ों में पहुँचने वाली वायु नम हो जाती है।
  • श्नीडेरियन कला (Schreiderian membrane) घ्राण संवेदी होती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 6

2. प्यसनी (Pharynx) – मुखगुहा पीछे की ओर एक कीपाकार गुहा में खुलती है जिसे म्रसनी (Pharynx) कहते हैं। यह लगभग 12.5 सेमी लम्बी नली है जो तीन भागों में बँटी होती है-
(1) नासोफैरिंक्स (Nasopharynx) – यह तालू (Palate) के ऊपर का चौड़ा और कोमल भाग है। इसमें एक जोड़ी अंतः नासाछिद्र तथा एक जोड़ी यूस्टेकियन नलिका के छिद्र खुलते हैं। अंतः नासाछिद्र का श्वसन से तथा यूस्टेकियन छिद्र का कर्ण गुहा से सम्बन्ध होता है।

(2) ओरोफरिक्स (Oropharynx)-यह कोमल तालू के नीचे स्थित होता है। यह भोजन के संवहन में सहायता करता है।

(3) कंठ व्रसनी या लेरिंगोफैरिंक्स (Laryngopharynx) – यह कोमल तालू के नीचे तथा कंठ या लैरिंक्स के पीछे स्थित होता है।

इस भाग में दो छिद्र खुलते हैं –

  • भोजन नलिका द्वार अर्थात् ग्रसिका (gullet) जो म्रास नली में खुलता है।
  • श्वास नली का द्वार या घाँटी द्वार (glottis), जो श्वसन नली में खुलता है। घाँटी द्वार पर घाँटी ढक्कन या एपिग्लॉटिस नाम का एक पतला-सा पर्दा लटका रहता है।

कार्य (Functions)-भोजन तथा वायु क्रमशः मसनी में से होकर भोजन नली और श्वास नली में पहुँचते हैं। श्वास लेते समय घांटी ढक्कन घाँटी द्वार से हट जाता है परन्तु भोजन निगलते समय कोमल तालू ऊपर उठ जाता है तथा घांटी ढक्कन घटी द्वार को ढक लेता है जिससे भोजन कंठ में नहीं जा पाता है। जब कभी भोजन के कण श्वासनली में चले जाते हैं तो तीव्र खांसी होती है।

(3) वायुनाल (Wind pipe)-वायुनाल म्रीवा से होकर वक्ष गुहा (thoracic cavity) में प्रवेश करती है। वायु नाल मास नली के अधर वल पर स्थित होती है। वायु नाल दो भागों में विभेदित होती है। ऊपरी वेश्मवत् कंठ या स्वरयंत्न (larynx) – यह घांटी द्वार के ठीक पीछे स्थित होता है। निचला लम्बा भाग श्वास नाल या श्वास नली (trachea) कहलाता है। स्वरयंत्र (Larynx) में वाक्रज्जु उपस्थित होते हैं। जब वायु स्वर यंत्र से बाहर निकलती है तब वाक्रज्जुओं में कम्पन होता है जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है।

(4) श्वास नली (Trachea) -श्वास नली कंठ से जुड़ी पतली भित्ती की अर्द्ध पारदर्शक लम्बी नली होती है जो वक्ष गुहा में पहुँचकर दाहिनी तथा बायीं शाखाओं में विभाजित हो जाती है। इन शाखाओं को ए्वसनियाँ (Bronchi) कहते हैं। ये अपनी-अपनी ओर के फेफड़े में प्रवेश कर जाती हैं, श्वास नली तथा श्वसनियों की भित्ति में अनेक C के आकार के अपूर्ण व लचीले उपास्थीय छल्ले (Cartilagenous rings) होते हैं, जो इनकी भित्ति को चिपकने से रोकते हैं और सदैव खुला रखते हैं ताकि इनमें वायु स्वतन्त्रतापूर्वक आवागमन कर सके। प्रत्येक श्वसनी छोटी-छोटी नलिकाओं में निरन्तर विभाजित होती हुई थैलीवत् सूक्ष्म रचना में समाप्त हो जाती है जिन्हें कूपिका या वायुकोष्ठ (alveoli) कहते हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 7

लैरिंक्स या कंठ तथा ध्वनि उत्पादक यंत्र (Larynx and Sound Production System)
इसे स्वर यन्न कण्ठ (Larynx) भी कहते हैं। यह ट्रेकिया अथवा श्वसन नाल के अम्र भाग पर स्थित होता है। मनुष्य का स्वरयन्त 9 उपास्थियों से बना होता है। ये उपास्थियाँ परस्पर स्नायुओं/लिगामेन्ट्स द्वारा संलग्न रहती है। उपास्थियाँ इकहरी व जोड़ीदार होती हैं।
इकहरी = एकल (unpaired) उपास्वियाँ-इनकी संख्या तीन होती हैं-

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

(i) बायरोंड्ड उपास्थि (Thyroid cartilage)- सबसे बड़ी काँचाभ उपास्थि (hyaline cartilage) है। लैरिंक्स या स्वरयन्त्र का अधर-पार्ण भाग बनाती हैं। पुरुष की थायरॉइड उपास्थि सामने से फूली हुई होती है तथा त्रिकोणाकार आकृति समान दिखाई देती है। इस उभरे हुए भाग को टेंटुआ या एडम्स एक (Adam’s apple) कहते हैं। स्रियों में इसका आकार छोटा होता है। अप्रभाग में थायरॉइड उपास्थि थाइरोहाइऔइड स्नायु (Thyrohyoid ligament) छारा जीभ के आधार भाग पर स्थित आइऔइड अस्थि (hyoid bone) से संलग्न रहती है।

(ii) एविम्लोडिस (Epiglottis)-पतली पर्ण समान ढक्कन रूपी होती है और लचीली उपास्थि की बनी होती है। यह थायरॉइड उपास्थि के अप्र सिरे व हाइऔइड अस्थि से स्नायुओं द्वारा संलग्न रहती है। यह उपास्थि ढक्कन समान ग्लॉटिस/घांटी द्वार को भोजन को निगलते समय ढकने में सहायक होती है। इस कारण से घांटीढापन कहते हैं।

(iii) किकिकोड्ड उपास्थि (Cricoid Carlilage)-सैरिंक्स का आधार भाग बनाती है। थाइॉॉडड के नीचे मुद्राकार उपास्थि जो पूर्ण छल्ले या वलय के रूप में होती है। यह काचाभ उपास्थि (hyline cartilage) होती है। इस उपास्थि का पृष्ठ/पीठ की ओर वाला भाग अधिक चौड़ा तथा अधर भाग या सामने वाला भाग संकरा होतां है। युग्मित उपास्थियाँ (Paired cartilages)

1. ऐरिटिनोइड उपास्थि (Arytenoid cartilage)-काँचाभ उपास्थियाँ (hyaline cartilages) होती हैं। दोनों उपास्थियाँ आकार में छोटी व पिरामिड समान होती हैं। ये दोनों लैरिंक्स के पृष्ठ तल पर क्रिकॉइड उपास्थि के चौड़े भाग के ऊपर लगी होती हैं। इन दोनों के पार्श्व किनारे थायरॉइड उपास्थि के पृष्ठ पार्श्व किनारों से सम्पर्क में रहते हैं।

2. कोर्नीक्युलेट उपास्थि (Carniculate cartilage)-ये दोनों उपास्थियाँ घुण्डी समान होती हैं। ऐरिटिनॉइड उपास्थियों के अप्र सिरों पर लगी होती हैं।

3. क्यूनीफोर्म उपास्थि (Cuneiform Cartilage)-ये दोनों उपास्थियाँ लम्बी व संकरी होती हैं। ये कोर्नीक्युलेट उपास्थियों के ऊपर स्थित होती हैं।

वाक् रु् या स्वर स्तु या वोकलकोईस (Vocal cords)-संख्या दो जोड़ी होते हैं। ये कण्ठकोष/लैरिंजिअ चैम्बर की गुहा में थायरॉइड्ड व ऐरिटिनॉइड्स उपास्थियों के बीच अनुप्रस्थ रूप में फैले होते हैं। एक जोड़ी मिथ्या/कूट स्वर रज्जु व एक जोड़ी सत्य स्वर रज्जु होती हैं।
(1) कृट/मिध्या स्वर रत्डु (False Vocal Cords)-एक जोड़ी कुछ मोटे व कम लचीले स्वर रज्जु लैरिन्जियल कोष/चैम्बर के ऊपरी भाग में थायरॉइड व एरिटिनॉइड्ड उपास्थियों के बीच फैले होते हैं। ये स्वर-खज्जु ध्वनि उत्पादन में भाग नहीं लेते हैं। ये सत्य या यथार्थ स्वर-रज्जुओं को नम बनाए रखने व सहारा देने में सहायक होते हैं।

(2) सख्य/यधार्ध स्वर स्सा (True Vocal Cords)-ये एक जोड़ी अपेक्षाकृत पतले, अधिक लचीले एवं सफेद से होते हैं तथा लैरेन्जियल कोष के निचले भाग में, क्ट स्वर रज्जुओं में नीचे स्थित होते हैं। ये दोनों थाइॉॉड्ड व ऐरेटाइड्ड उपास्थियों के बीच फैले रहते हैं। इन दोनों सत्य रजुओं के बीच में अवकाश

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 8

को रीमा ग्लोटीडस कहते हैं। फेफड़ों से बाहर निकलने वाली वायु जष सत्य स्वर रज्जुओं के बीच स्थित अवकाश से होकर गुजरती है तब इन रज्जुओं में कम्पन्न होता है जिससे ध्वनि उत्पादन होता है। घनि उतपादन (Sound Production)-जब लैरिंक्स की आंतरिक पेशियों के संकुचन से ऐरिटिनाइड उपास्थियों की स्थिति परिवर्तित हो जाती है तो दोनों सत्य स्वर रज्जु भी पास आ जाते हैं।

इन रज्जुओं के बीच उपस्थित बड़ा अवकाश संकरा व दरार रूपी हो जाता हैं जब निश्वास के दौरान वायु फेफड़ों से मुक्त होकर संकरे दरार रूपी अवकाश से गुजरती है तब सत्य स्वर रज्जुओं में कम्पन होता है एवं ध्वनि उत्पन्न होती है। स्वर रज्जुओं की लम्बाई में होने वाला परिवर्तन जिसके कारण इनमें शिथिलता या तनाव आता है, ध्वनि के स्वर स्तर या पिच को निर्षारित करता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

मनुष्य के लैरिंक्स द्वारा ध्वनि उत्पादन में मसनी, मुखगुहा, नासामार्ग रचनाएँ प्रतिध्वनि उत्पन्न करते हैं। लड़कों में लैरिक्स का विकास लड़कियों की अपेक्षा अधिक होता है, फलस्वरूप यौवनारम्प अवस्था में लड़कों की आवाज भारी तथा लड़कियों की आवाज पतली होती है।

(5) फेकड़े (Lungs)-मनुष्य में दो बड़े शंक्वाकार फेफड़े प्रमुख श्वसनांग होते हैं जो क्यय के पार्श्व में स्थित होते हैं, फेफड़े़ गुलाबी रंग के, कोमल और संजी होते हैं तथा अपनी-अपनी ओर की प्लूरल गुहाओं में घिरे रहते हैं। ये डायाफ्राम के ऊपर स्थित रहते हैं। दोनों फेफड़ों का निचला चोड़ा अवतल भाग डायाफ्राम के उभरे हुए भाग पर चिपका रहता है।

प्रत्येक फेफड़ा चारों ओर से एक पतली और दोहरी झिल्ली के आवरण परल कला (pleural membrane) से घिरा रहता है। प्लूरल कला की दोनों झिल्लियों के बीच फ्लूरल द्रव (plural fluid) भरा रहता है। जो फेफड़ों को रगड़ से बचाता व इनको सुरक्षा प्रदान करता है। दाहिना फेफड़ा तीन पिण्डों (lobules) में तथा बायाँ फेरड़ा दो पिण्डों में बंटा रहता है।

फेफड़ों में महीन नलिकाओं का जाल फैला रहता है जिसे ए्वसनीय वक्ष (respiratory tree) कहते हैं। श्वसनी की छोटी शाखाओं को ए्वसनिका (bronchial) कहते हैं। यह श्वसनिका क्रमशः छोटी-छोटी अनेक कृषिका नलिकाओं में विभाजित हो जाती है। ये फिर वायुकोष्ठ में खुलती हैं। प्रत्येक कोष्ठ दो या अधिक वायुकोष्ठकों या कुपिकाओं (alveoli) में बंटा रहता है। कूपिकाओं में रुधिर केशिकाओं का जाल फैला रहता है। गैसों का विनिमय कूपिकाओं की वायु तथा रुधिर कोशिकाओं के मध्य होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 9

प्रश्न 4.
मनुष्य के ध्वनि उत्पादक अंगों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
लैरिंक्स या कंठ तथा ध्वनि उत्पादक यंत्र (Larynx and Sound Production System)
इसे स्वर यन्न कण्ठ (Larynx) भी कहते हैं। यह ट्रेकिया अथवा श्वसन नाल के अम्र भाग पर स्थित होता है। मनुष्य का स्वरयन्त 9 उपास्थियों से बना होता है। ये उपास्थियाँ परस्पर स्नायुओं/लिगामेन्ट्स द्वारा संलग्न रहती है। उपास्थियाँ इकहरी व जोड़ीदार होती हैं।
इकहरी = एकल (unpaired) उपास्वियाँ-इनकी संख्या तीन होती हैं –

(i) बायरोंड्ड उपास्थि (Thyroid cartilage)- सबसे बड़ी काँचाभ उपास्थि (hyaline cartilage) है। लैरिंक्स या स्वरयन्त्र का अधर-पार्ण भाग बनाती हैं। पुरुष की थायरॉइड उपास्थि सामने से फूली हुई होती है तथा त्रिकोणाकार आकृति समान दिखाई देती है। इस उभरे हुए भाग को टेंटुआ या एडम्स एक (Adam’s apple) कहते हैं। स्रियों में इसका आकार छोटा होता है। अप्रभाग में थायरॉइड उपास्थि थाइरोहाइऔइड स्नायु (Thyrohyoid ligament) छारा जीभ के आधार भाग पर स्थित आइऔइड अस्थि (hyoid bone) से संलग्न रहती है।

(ii) एविम्लोडिस (Epiglottis)-पतली पर्ण समान ढक्कन रूपी होती है और लचीली उपास्थि की बनी होती है। यह थायरॉइड उपास्थि के अप्र सिरे व हाइऔइड अस्थि से स्नायुओं द्वारा संलग्न रहती है। यह उपास्थि ढक्कन समान ग्लॉटिस/घांटी द्वार को भोजन को निगलते समय ढकने में सहायक होती है। इस कारण से घांटीढापन कहते हैं।

(iii) किकिकोड्ड उपास्थि (Cricoid Carlilage)-सैरिंक्स का आधार भाग बनाती है। थाइॉॉडड के नीचे मुद्राकार उपास्थि जो पूर्ण छल्ले या वलय के रूप में होती है। यह काचाभ उपास्थि (hyline cartilage) होती है। इस उपास्थि का पृष्ठ/पीठ की ओर वाला भाग अधिक चौड़ा तथा अधर भाग या सामने वाला भाग संकरा होतां है।

युग्मित उपास्थियाँ (Paired cartilages) –
1. ऐरिटिनोइड उपास्थि (Arytenoid cartilage)-काँचाभ उपास्थियाँ (hyaline cartilages) होती हैं। दोनों उपास्थियाँ आकार में छोटी व पिरामिड समान होती हैं। ये दोनों लैरिंक्स के पृष्ठ तल पर क्रिकॉइड उपास्थि के चौड़े भाग के ऊपर लगी होती हैं। इन दोनों के पार्श्व किनारे थायरॉइड उपास्थि के पृष्ठ पार्श्व किनारों से सम्पर्क में रहते हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

2. कोर्नीक्युलेट उपास्थि (Carniculate cartilage)-ये दोनों उपास्थियाँ घुण्डी समान होती हैं। ऐरिटिनॉइड उपास्थियों के अप्र सिरों पर लगी होती हैं।

3. क्यूनीफोर्म उपास्थि (Cuneiform Cartilage)-ये दोनों उपास्थियाँ लम्बी व संकरी होती हैं। ये कोर्नीक्युलेट उपास्थियों के ऊपर स्थित होती हैं। वाक् रु् या स्वर स्तु या वोकलकोईस (Vocal cords)-संख्या दो जोड़ी होते हैं। ये कण्ठकोष/लैरिंजिअ चैम्बर की गुहा में थायरॉइड्ड व ऐरिटिनॉइड्स उपास्थियों के बीच अनुप्रस्थ रूप में फैले होते हैं। एक जोड़ी मिथ्या/कूट स्वर रज्जु व एक जोड़ी सत्य स्वर रज्जु होती हैं।

(1) कृट/मिध्या स्वर रत्डु (False Vocal Cords)-एक जोड़ी कुछ मोटे व कम लचीले स्वर रज्जु लैरिन्जियल कोष/चैम्बर के ऊपरी भाग में थायरॉइड व एरिटिनॉइड्ड उपास्थियों के बीच फैले होते हैं। ये स्वर-खज्जु ध्वनि उत्पादन में भाग नहीं लेते हैं। ये सत्य या यथार्थ स्वर-रज्जुओं को नम बनाए रखने व सहारा देने में सहायक होते हैं।

(2) सख्य/यधार्ध स्वर स्सा (True Vocal Cords)-ये एक जोड़ी अपेक्षाकृत पतले, अधिक लचीले एवं सफेद से होते हैं तथा लैरेन्जियल कोष के निचले भाग में, क्ट स्वर रज्जुओं में नीचे स्थित होते हैं। ये दोनों थाइॉॉड्ड व ऐरेटाइड्ड उपास्थियों के बीच फैले रहते हैं।

इन दोनों सत्य रजुओं के बीच में अवकाश –

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 10

को रीमा ग्लोटीडस कहते हैं। फेफड़ों से बाहर निकलने वाली वायु जष सत्य स्वर रज्जुओं के बीच स्थित अवकाश से होकर गुजरती है तब इन रज्जुओं में कम्पन्न होता है जिससे ध्वनि उत्पादन होता है। घनि उतपादन (Sound Production)-जब लैरिंक्स की आंतरिक पेशियों के संकुचन से ऐरिटिनाइड उपास्थियों की स्थिति परिवर्तित हो जाती है तो दोनों सत्य स्वर रज्जु भी पास आ जाते हैं।

इन रज्जुओं के बीच उपस्थित बड़ा अवकाश संकरा व दरार रूपी हो जाता हैं जब निश्वास के दौरान वायु फेफड़ों से मुक्त होकर संकरे दरार रूपी अवकाश से गुजरती है तब सत्य स्वर रज्जुओं में कम्पन होता है एवं ध्वनि उत्पन्न होती है। स्वर रज्जुओं की लम्बाई में होने वाला परिवर्तन जिसके कारण इनमें शिथिलता या तनाव आता है, ध्वनि के स्वर स्तर या पिच को निर्षारित करता है। मनुष्य के लैरिंक्स द्वारा ध्वनि उत्पादन में मसनी, मुखगुहा, नासामार्ग रचनाएँ प्रतिध्वनि उत्पन्न करते हैं। लड़कों में लैरिक्स का विकास लड़कियों की अपेक्षा अधिक होता है, फलस्वरूप यौवनारम्प अवस्था में लड़कों की आवाज भारी तथा लड़कियों की आवाज पतली होती है।

(3) फेकड़े (Lungs)-मनुष्य में दो बड़े शंक्वाकार फेफड़े प्रमुख श्वसनांग होते हैं जो क्यय के पार्श्व में स्थित होते हैं, फेफड़े़ गुलाबी रंग के, कोमल और संजी होते हैं तथा अपनी-अपनी ओर की प्लूरल गुहाओं में घिरे रहते हैं। ये डायाफ्राम के ऊपर स्थित रहते हैं। दोनों फेफड़ों का निचला चोड़ा अवतल भाग डायाफ्राम के उभरे हुए भाग पर चिपका रहता है। प्रत्येक फेफड़ा चारों ओर से एक पतली और दोहरी झिल्ली के आवरण परल कला (pleural membrane) से घिरा रहता है।

प्लूरल कला की दोनों झिल्लियों के बीच फ्लूरल द्रव (plural fluid) भरा रहता है। जो फेफड़ों को रगड़ से बचाता व इनको सुरक्षा प्रदान करता है। दाहिना फेफड़ा तीन पिण्डों (lobules) में तथा बायाँ फेरड़ा दो पिण्डों में बंटा रहता है। फेफड़ों में महीन नलिकाओं का जाल फैला रहता है जिसे ए्वसनीय वक्ष (respiratory tree) कहते हैं।

श्वसनी की छोटी शाखाओं को ए्वसनिका (bronchial) कहते हैं। यह श्वसनिका क्रमशः छोटी-छोटी अनेक कृषिका नलिकाओं में विभाजित हो जाती है। ये फिर वायुकोष्ठ में खुलती हैं। प्रत्येक कोष्ठ दो या अधिक वायुकोष्ठकों या कुपिकाओं (alveoli) में बंटा रहता है। कूपिकाओं में रुधिर केशिकाओं का जाल फैला रहता है। गैसों का विनिमय कूपिकाओं की वायु तथा रुधिर कोशिकाओं के मध्य होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 11

प्रश्न 5.
फेफड़े की आन्तरिक संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर;
फेफड़े की आन्तरिक संरचना (Internal Structure of Lung)
मनुष्य में एक जोड़ी फेफड़े होते हैं। प्रत्येक फेफड़ा प्लूरल कला के आन्तरिक स्तर द्वारा ढका होता है। श्वास नली वक्ष भाग में पहुँचकर दो शाखाओं में बँट जाती है, प्रत्येक शाखा श्वसनिका या बोंकस (bronchus) कहलाती है। प्रत्येक ब्रोंकस अपने ओर के पिंडों की संख्या के अनुसार पिण्डकीय श्वसनियों (lobular bronchi) में विभाजित हो जाता है। ये दोनों ओर की पिम्डकीय श्वसनियाँ पुनः विभाजित छोकर तृतीयक श्वसनियाँ (bronchi) बनाती हैं। प्रत्येक खण्डीय श्वसनिका पुनः शाखित होकर अन्तः फुफ्फुसीय श्वसनियाँ (intrapulmonary bronchi) बनाती हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 12

ट्रेकिया बोंकाई, पिण्डकीय श्वसनियों, खण्डीय श्वसनियों व अन्तरा फुफ्फुसीय श्वसनियों में उपास्थि के बने ‘ C ‘ आकार के छल्ले पाए जाते हैं। जिससे ये पिचकती नहीं हैं। इनसे आगे की नलिकाओं में ये छल्ले अनुपस्थित होते हैं। प्रत्येक अन्तः फुफ्फुसीय श्वसनियाँ अनेक छल्ले रहित श्वसनिकाओं अथवा बोन्कियोल्स (bronchioles) में बँटती हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

ये ब्रोन्कियोल्स अन्तस्थ श्वसनिकाओं (terminal bronchioles) में बँटती है तथा प्रत्येक अन्तस्थ श्वसनिका अनेक श्वसन श्वसनिकाओं अथवा श्वसनीय बोन्कियोल्स में विभाजित हो जाती है। प्रत्येक श्वसनीय ब्रोन्कियोल्स 2.11 कूपिका नलिका अथवा एल्वियोलर नलिकाओं (alveolar ducts) में बँटा हाता है तथा प्रत्येक एल्वियोलर नलिका भी अनेक सूक्ष्म नलिकाओं में बँटी होती है जिन्हें आलिन्द या एट्रियम (atrium) कहते हैं। प्रत्येक एट्रियम वायुकोष या एल्वियोलर सैक (alveolar sac) में खुलता है।

एल्वियोलर सैक को इस्पष्डीबुलम भी कह्ने हैं तथा प्रत्येक वायुकोष में दो या अधिक कूपिकाएँ (alveoli) पायी जाती हैं। ये कूपिकाएँ ही फेफड़ीं की सबसे छोटी संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई (Structural and functional units) होती है । ये शल्की उपकला स्तर की बनी होती है तथा इनके चारों ओर रक्त केशिकाओं का सघन जाल होता है। कपिकाओं में फफ््फसीय धमनी ‘अशुद्ध’ (विऑक्सीजनित) रक्त लाती है व फुफ्फुसीय शिरा ‘शुद्ध’ (ऑक्सीजनित) रक्त को बाहर ले जाती है।

बाह्य नासाछ्छिद्र से अन्तस्थ श्वसनिकाओं तक का भाग चालन भाग कहलाता है। यह वायुमण्डल से वायु को कूपिकाओं तक भेजने का कार्य करता है। इसके लिए यह वायु को बाह्म कणों से मुक्त करता है, श्लेष्मा द्वारा आद्र बनाता है तथा बाह्य वायु के ताप को शरीर के तापक्रम के बराबर कर देता है।

जबकि कूपिकाएँ व उनकी नलिकाएँ श्वसन तन्न्र का श्वसन या विनिमय भाग बनाता है जो रक्त बाहा वायुमण्डल के बीच गैसों का विनिमय करता है और अश्वसनीय सतह (वास्तविक विसरण स्थल) को बनाता है। ब्रोंकस से कूपिका तक अनेक संरचनाएँ व उनकी शाखाएँ वृक्ष की भाँति संरचना बनाती हैं। अतः इसे श्वसन वृष्ष (bronchial Tree) कहते हैं।

मनुष्य के दोनों फेफड़ों में लगभग 60 करोड़ कूपिकाएँ पायी जाती हैं जिनका क्षेत्रफल लगभग 100 वर्ग मीटर होता है। श्वसन, श्वसनिकाएँ, वायु कूपिकाएँ, वायु कूपिका वाहिनी, एट्रियम मिलकर श्वसन इकाई बनाते हैं। कूपिका की अन्तः व बाद्य सतह पर श्लेष्मा का पतला स्तर पाया जाता है। कूपिका की उपकला भी बहुत पतली होती है। कूपिका की सतह श्वसनीय सतह कहलाती है। इसका व्यास लगभग 0.2 मिमी होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 13
HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 14

प्रश्न 6.
श्वासोच्छ्वास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
फुफ्फसीय संवातन (Pulmonary Ventilation)-वायुमण्डल से फेफड़ों के अन्दर वायु खींचना फुफ्फुसीय संवातन (Ventilation) या साँस लेना (breathing) कहलाता है। इसमें O2 का फेफड़ों में प्रवेश तथा CO2 का फेफड़ों से निष्कासन होता है। यह एक भौतिक क्रिया है, इसे दो भागों में विभक्त किया जा सकता है-अन्तः श्वास तथा निश्वास। फेफड़ों में पेशियाँ अनुपस्थित होती हैं।

अतः इनमें स्वतः प्रसारित होने या संकुचन की क्षमता नहीं होती है। फेफड़ों में संकुचन या शिथिलन वक्ष गुहा (thoracic cavity) के आयतन के घटने व बढ़ने के फलस्वरूप होता है। इस क्रिया में वक्षीय बॉक्स या केज सहायता करता है। यह शरीर के वक्ष भाग में उपस्थित होता है। इसका पृष्ठ भाग कशेरुक दण्ड का व अधर भाग उरोस्थि (sternum) का बना होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

दोनों पार्श्व सतहें पसलियों की बनी होती हैं। इसका अप्र भाग मीवा व पश्चभाग डायक्राम (diaphragm) का बना होता है। डायफ्राम एक मोटा व अत्यधिक पेशीय पर्दा है जो वक्ष गुढ्र को उदर गुहाँ से अलग करता है। इसमें अरीय पेशियाँ पायी जाती हैं जिनके संकुचन से यह चपटा व शिथिलन से गुम्बद के आकार का हो जाता है। यह श्वसन के साथ-साथ मल-मु्र त्यागने एवं प्रसव में भी सह़ायक होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 15

मनुष्य में 12 जोड़ी पसलियाँ पायी जाती हैं। दो क्रमागत पसलियों के बीच एक जोड़ी अन्तरापर्शुक (intercostal muscles) के समूह पाए जाते हैं। जिन्हें बाद्य इन्टर कॉस्टल पेशी (External intercostal muscle = EICM) तथा अन्तः इन्टर कॉस्टल पेशी (internal intercostal muscle : IICM) कहते हैं।

इन्हीं के संकुचन एवं शिथिलन से पसलियाँ गति करती हैं। संवातन में 75 प्रतिशत भूमिका ड्डायाफ्राम व अरीय पेशियों की तथा 25 प्रतिशत भूमिका पसलियों की इन्टरकॉस्टल पेशियों की होती है। वक्षीय पिंजड़ा (thoracic cage or box) एक वायु अवरुद्ध (air tight) कोष्ठ है। इसके आयतन में कमी या वृद्धि से ही वक्ष गुहा एवं फेकड़ों के आयतन में कमी या वृद्धि होती है।

यदि डायफ्राम या श्वसन बॉक्स को पंक्चर कर दिया जाए तो वक्ष गुहा फेफड़ों पर दाब नहीं बना पाती है और साँस लेना अवरुद्ध हो जाएगा और कुछ समय में व्यक्ति की मृत्यु हो जाएगी। श्वास खींचना या अन्तः श्वसन (Inspiration) – ऑक्सीजन युक्त वायु (oxygenated air) का फेफड़ों में प्रवेश करना अन्तः श्वसन कहलाता है। यह तभी सम्भव होता है जब फेफड्रों की वाय का दाब वायमण्डलीय दाब से कम हो। इसमें निम्नलिखित क्रियाएँ होती हैं-

  • सर्वप्रथम डायफ्राम की अरीय पेशियाँ (radial Muscle) संकुचित होती हैं जिससे डायाफ्राम चपटा हो जाता है।
  • अब बादा इण्टर-कॉस्टल पेशी (बाद्य अंतरापर्शुक पेशियों) में संकुचन होता है चिससे पसलियाँ बाहर की ओर व स्टरनम ऊपर की ओर उठ जाता है।
  • इन दोनों क्रियाओं के फलस्वसूप वक्ष गुहा का आयतन बढ़ता है तथा फेफड़े फूल जाते हैं। फेफड़ों पर दाब कम हो जासा है तथा

फेफड़ों के अन्दर का वायु दाब भी इस समय बाह्य वायुमण्डलीय दाब से 1-3 mm hg कम हो जाता है, जिससे वायु बाहर से फेफड़ों में प्रवेश कर जाती है। इसका मार्ग निम्न प्रकार होता है-
बाह्म नासा छिद्र → नासा मार्ग → अन्तः नासा छिद्र → मसनी → घाँटी द्वार → श्वासनली → श्वसनियाँ श्वसनिकाएँ → वायु कूपिका वाहिनी → वायु कूपिका कोश → वायु कूपिकाएँ।

  • फेफड़ों में वायु का प्रवेश करना ही अन्तः श्वसन कहलाता है।
  • अन्तःशवन एक सक्रिय क्रिया (active process) है, जिसमें ऊर्जा का व्यय होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 16श्वास बाहर निकालना या नि:श्वसन (Expiration) – फेफड़ों से CO2 युक्त वायु का शरीर से बाहर निकालना निश्वसन कहलाता है। यह तभी सम्भव है जब फुफ्फुसीय दाब वायुमण्डलीय दाब से अधिक होता है।
(i) बाह्य इन्टर कॉस्टल पेशियों का शिथिलन होता है। जिससे पसलियाँ व स्टरनम पुनः अपनी पूर्व स्थिति में आ जाते हैं।

(ii) अब डायाक्राम की अरीय पेशियों में शिथिलन होता है और ये गुम्बद के आकार का हो जाता है।

(iii) इन दोनों क्रियाओं के फलम्बरूप वक्ष गुहा का आयतन कम हो जाता है और फेफढ़ों पर दाब बढ़ु जाता है। जिससे फेफड़ों से वायु बाहु निकल जाती है, इस समय फेफड़ों का वायु दाब बाहरी वायुमण्डलीय दाब से लगभग 1-3 mm Hg अधिक होता है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

(iv) इस प्रकार वायु का फेफड़़ों से बाहर निकलना ही निःशवसन कहलाता है।

(v) यह एक निक्किय (passive process) है, सामान्य शांत निश्वास या उच्छवसन में किसी पेशी का संकुचन नहीं छोता है। अन्तः श्वास के बाद पेशियों का शिथिलन होता है, जिससे पसलियाँ, स्र्रम एवं डायाफ्राम अपनी सामान्य अवस्था में आ जाते हैं। व्यायाम के समय यह क्रिया सक्रिय (active) हो जाती है। मनुष्य की सामान्य श्वासोच्छवास दर (Breathing rate) 12 से 16 प्रति मिनट होती है, लेकिन क्यायाम एवं घबराहट के समय श्वसन दर बढ़ जाती है।

इस समय डायाफ्राम की पेशियों एवं बाह्य इंटर कॉस्टल पेशियों के संकुचन की दर 4.5 गुना बढ़ जाती है, जिससे वक्ष गुहा के आयतन में भी सामान्य स्थिति में 15-20 प्रतिशत अधिक वृद्धि होती है। इससे श्वसन क्षमता बढ़ जाती है और कोशिकाओं, उत्तकों व पेशियों को पर्याप्त औक्सीजन मिल पाती है। दो प्रकार के

श्वासोच्छवास (Two Types of Breathing) –
(i) उदरीय श्वासोच्छवास (Abdominal breathing)-यछ्ष शांत श्वासोच्छवास है, जो मुख्यतः डायाफ्राम की गतियों द्वारा संचालित छोता है। निश्वास के दौरान डायाफ्राम के चपटा होने से उदर गुछ्षा में स्थित अंगों पर दबाव पड़ता है। इस कारण उदरीय अंग उदर की दीवार पर दाब डालते हैं जिससे उदर फूलता है। निश्वास में उदर पुनः सामान्य हो जाता है। इसमें वक्ष का फूलना व पिचकना अत्यधिक कम होता है।

(ii) चेस्ट श्वासोच्छवास (Forced breathing)-इस गहरी श्वासोच्छवास भी कहते हैं। इसमें वक्षीय गति उदरीय गति से अधिक होती है इसीलिए इसे वक्षीय श्वासोच्छवास कहते हैं। अन्त: अन्तरापर्शुक पेशियों का संकुचन अधिक होता है फलस्वस्लप पसलियाँ एवं स्रर्नम अन्दर की ओर खींचकर वक्षीय बॉक्स का आयतन अत्यधिक कम कर देते हैं। इसमें उदरीय पेशियों का संकुचन भी होता है जिससे उदर अंगों पर दाब पड़ता है और ये उदर अंग डायाफ्राम को वक्ष गुहां की ओर अधिक दबाते हैं।

इन सभी क्रियाओं के फलस्वरूप फेफड़े सामान्य से अधिक दाते हैं तथा सामान्य से अधिक वायु फेफड़ों से निकल जाती है। अन्तःश्वास के दौरान ही बाह्य अन्तरापर्शुक पेशियों का संकुचन भी पूर्ण एवं प्रभावी होता है साथ ही डायाक्राम का संकुचन भी सामान्य से अधिक होता है। इस कारण वक्ष गुहा का आयतन सामान्य से अधिक 15-20 प्रतिशत से अधिक हो जाता है। इस गहरी अन्तः श्वास के दोरान फेफड़ों में सामाम्य से अधिक वाय भरती है। इस प्रकार का श्वासोच्छवास व्यायाम, घबराहटट तथा थकान के दौरान होता है।
अन्त शसन तथा निएकतन में अत्तार –

अन्तः श्वसन या निश्वसन (Inspiration) निःश्वसन (Expiration)
वायुमण्डलीय वायु फेफड़ों में प्रवेश करती है। फेफड़ों में भरी वायु फेफड़ों से बाहर निकलती है।
निश्वसन के समय फेफड़ों में वायुदाब कम होता है। निःश्वसन में फेफड़ों में वायुदाब अधिक होता है।
डायाफ्राम की अरीय पेशियाँ सिकुड़ती हैं जिससे डायाफ्राम चपटा हो जाता है। डायाफ्राम की अरीय पेशियाँ शिथिल हो जाती हैं जिससे डायाफ्राम गुम्बद के समान हो जाता है।
बाह्य इंटर कॉस्टल पेशियों और आन्तर इंटरकॉस्टल पेशियों के कार्टिलेजिनस भाग सिकुड़ते हैं जिससे वक्ष कंडी बाहर खिंच जाती हैं। अन्तः इंटर कॉस्टल पेशियों के सिकुड़ने और बाह्य इंटरकास्टल पेशियों के शिथिलन से वक्ष कंडी अन्दर खिंच जाती है।
प्लूरल गुहाओं का आयतन बढ़ जाता है। प्लूरल गुहाओं का आयतन कम हो जाता है।

प्रश्न 7.
मनुष्य में गैसीय विनिमय का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
फेफड़ों में गैसों का विनिमय (Exchange of Gases in Lungs)-मनुष्य के फेफड़ों में लगभग 30 करोड़ वायु कोष्ठ या कूपिकाएँ (alveoli) होती हैं। कूपिकाओं की दीवारें बहुत पतली और शल्की एपिथीलियम की बनी होती हैं। ये दीवारें ऑक्सीजन O2 तथा CO2 दोनों के लिए पारगम्य होती हैं। इनमें रुधिर कोशिकाओं का घना जाल बिछा रहता है। श्वास नाल (trachea), श्वसनी (bronchus), श्वसनिका (bronchiole) तथा कूपिका नलिकाओं (alveolar duct) आदि में रुधिर कोशिकाओं का जाल फैला हुआ नहीं होता है।

अतः कूपिकाओं को छोड़कर अन्य श्वसन भागों में गैसीय विनिमय नहीं होता है। सामान्यतः प्रहण की गई 500 ml प्रवाही वायु में से लगभग 350 ml. वायु कूपिकाओं में पहुँचती है, शेष श्वास मार्ग में ही रह जाती हैं। वायु कोष्ठों या कूपिकाओं की दीवार तथा रुधिर कोशिकाओं की दीवार मिलकर श्वसन कला (respiratory membrane) बनाती हैं। इसमें ऑक्सीजन O2 तथा कार्बन डाई क्साइड CO2 का विनिमय आसानी से हो जाता है। गैसीय विनिमय सामान्य विसरण क्रिया द्वारा होता है। इसमें गैसें उच्च आंशिक दाब से कम आंशिक दाब की ओर विसरित होती हैं।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 17

वायु कोष्ठों में O2 का आंशिक दाब PO 100-104 mmHg और CO2 का आंशिक दाब PCO2 40 mmHg होता है। फेफड़ों की रुधिर केशिकाओं में आए अशुद्ध रुधर में O2 का आंशिक दाब 40 mm Hg और CO2 का आंशिक दाब 45-46 mm Hg होता है। वायु प्रकोष्ठ का कूपिकाओं में आई हुई वायु में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

यह ऑक्सीजन कूपिकाओं की भीतरी नम दीवारों में उपस्थित श्लेष्म में घुलकर विसरण द्वारा पल्मोनरी केशिकाओं में पहुँच जाती है। इसके बदले में रुधिर केशिकाओं में उपस्थित CO2 कूपिकाओं की वायु में विसरित हो जाती है। इस प्रकार कूपिकाओं से रधधर केशिकाओं में रधिर ऑक्सीजन युक्त होता है। फेफड़ों से निष्कासित वायु में O2 लगभग 15.7% और CO2 लगभग 3.6 % होती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय 18

प्रश्न 8.
मनुष्य के रुधिर द्वारा O2 तथा CO2 का परिवहन किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
कोशिकीय श्वसन (Cellular Respiration) अथवा रुधिर एवं ऊतकों के बीच ऑक्सीजन का विसरण ऑक्सीजन युक्त रुधिर पल्मोनरी शिरा द्वारा सर्वप्रथम हृदय में, तत्पश्चात् रुधिर परिसंचरण द्वारा शरीर के विभिन्न अंगों में पहुँचता है। उन स्थानों पर जहाँ O2 की सान्द्रता कम तथा CO2 की सान्द्रता अधिक होती है, ऑक्सीहीमोग्लोबिन पुनः हीमोग्लोबिन और ऑक्सीजन में टूट जाता है-
Hb (O2)4 → Hb + 4O2
मुक्त हुई ऑक्सीजन रुधिर केशिकाओं की दीवारों से विसरित होकर ऊतक द्रव या लसीका में पहुँचती है और वहाँ से विसरित होकर अंगों की ऊतक कोशिकाओं में प्रवेश करती है। कोशिकाओं के अन्दर ऑक्सीजन की सहायता से भोज्य पदार्थों (ग्लूकोज) का ऑक्सीकरण होता है। परिणामस्वरूप क्रिया के अन्त में CO2 जल एवं ऊर्जा मुक्त होती है। यह CO2 पुनः फेफड़ों में पहुँचायी जाती है।C6H12O6 + 6O2 6CO2 + 6H2O + 673 कि. कैलोरी (ऊर्जा)

17.5.5 CO2 का रुधिर द्वारा परिवहन (Transport of CO2 by Blood):
ऊतकों में संचित खाद्य पदार्थों के ऑक्सीकरण से उत्पन्न CO2 विसरण द्वारा रुधिर केशिकाओं में चली जाती है। रुधिर केशिकाओं द्वारा इसका परिवहन श्वसनांगों तक निम्नलिखित प्रकार से होता है –

(1) कार्बोनिक अम्ल के रूप में (In the form of carbonic acid) CO2 जल में अधिक घुलनशील होती है। इसका 5-10% भाग प्लाज्मा के जल के साथ मिलकर कार्बोनिक अम्ल (H, CO) बनाता है। CO2 + HCO2O → H2CO3

समस्त CO2 का लगभग 10% भाग रुधिर में H2CO2 के रूप में रहता है और शेष भाग शीघ्र ही हाइड्रोजन तथा बाइकार्बोनेट के आयनों में टूट जाता है –
H2CO3 → HCO3 + H+
(2) बाइकार्बोनेट के रूप में (In the form of Bicarbonate) – लगभग 70-75% CO2 बाइकार्बोनेट के रूप में रुधिर प्लाज्मा के सोडियम आयन (Nat) तथा लाल कणिकाओं के पोटैशियम आयन (K+) से मिलकर सोडियम तथा पोटैशियम के बाइकार्बोनेट बनाते हैं-
HCO3 + Na+ → NaHCO3 (सोडियम बाइकार्बोनेट)
HCO3 + K+ → KHCO3 (पोटैशियम बाइकार्बोनेट)

(3) कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन के रूप में (In the form of Carboxyhaemoglobin ) – लगभग 10% CO2 लाल रुधिर कणिकाओं के हीमोग्लोबिन से मिलकर अस्थायी यौगिक कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन बनाता है –
Hb + 4CO2 → Hb (CO2)4

(4) कार्बन एमीनो यौगिक के रूप में (In the form of carbon amino compound) – लगभग 10% CO2 रुधिर प्लाज्मा की प्रोटीन से संयोग करके कार्बन एमीनो यौगिक बनाती है – प्लाज्मा प्रोटीन + CO2 कार्बन एमीनो यौगिक (अस्थायी)

कार्बोनिक अम्ल सोडियम व पोटैशियम के बाइकार्बोनेट, कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन तथा कार्बन एमीनो यौगिक आदि पदार्थों से युक्त रुधिर अशुद्ध होता है। यह अशुद्ध रुधिर केशिकाओं से शिराओं द्वारा हृदय में और फिर हृदय में फुफ्फुस धमनी द्वारा श्वसनांगों (फेफड़ों) में शुद्ध होने के लिए जाता है और रुधिर में से CO2 श्वसनांगों से मुक्त होकर बाहर निकल जाती है।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

(5) अस्थायी पदार्थों से CO2 का मुक्त होना (Release of CO2 from unstable substances ) – फेफड़ों के समीप रुधिर केशिकाओं में ऑक्सीहीमोग्लोबिन की मात्रा अधिक होती है। यह अधिक अम्लीय होता है। ऑक्सीहीमोग्लोबिन के अम्लीय स्वभाव से सभी अस्थायी यौगिक टूट जाते हैं। और CO2 मुक्त करते हैं-
2NaHCO3 → Na2CO3 + H2O + CO2
2KHCO3 → K2CO3 + H2O + CO2
H2CO3 → H3O + CO3
Hb (CO2) 4 → Hb + 4CO2

इस प्रकार मुक्त हुई CO2 रुधिर केशिकाओं तथा फेफड़ों की पतली भित्तियों से विसरित होकर फेफड़ों में पहुँचती है जहाँ से CO2 को निःश्वसन की क्रिया द्वारा वातावरण में छोड़ दिया जाता है। क्लोराइड शिफ्ट (Chloride Shift ) प्लाज्मा एवं RBC के बीच CT तथा HCO3 आयतन के पारस्परिक आदान-प्रदान को क्लोराइड शिफ्ट या हेम्बर्गर परिघटना ( Hamburger’s Phenomenon) कहते हैं।

(i) प्लाज्मा प्रोटीन्स के साथ मिलकर अस्थाई कार्बएमीन यौगिक के रूप में लगभग 10 प्रतिशत CO2 कार्य ऐमीनों यौगिक बनाती है। आक्सीकरण द्वारा एमीनो अम्ल दो समूह अमीनो मुप (-NH2) तथा कार्बोक्सिलिक ग्रुप ( – COOH) में टूट जाते हैं। ऐमीनो ग्रुप CO2 के साथ मिलकर कार्य ऐमीनो यौगिक बनाता है।
CO2 + NH2 → NHCOOH
CO2 की कुछ मात्रा रुधिर के प्रोटीन्स के साथ रासायनिक यौगिक बनाती है, जैसे CO2 हीमोग्लोबिन के साथ कार्बोक्सिल हीमोग्लोबिन बनाती है –
Hb NH2 + CO2– → Hb NHCOOH

(ii) लाल रुधिर कणिकाओं में बाइकार्बोनिट्स के रूप में लगभग 80-85 प्रतिशत CO2 सोडियम व पोटेशियम के साथ मिलकर बाइकार्बोनेट बनाती Na2CO3 + H2O + CO2 → NaHCO3 हेल्डेन प्रभाव (Haldane Effect)- कूपिकीय रुधिर में O2 एवं Hb के जुड़ने से अधिकाधिक CO2 का रुधिर से निष्कासन होता है। इस प्रभाव को हेल्डेन प्रभाव (Haldane effect) कहते हैं। हेल्डेन प्रभाव का मुख्य कारण H. Hb एवं O2 के संयोजन से बने ऑक्सीहीमोग्लोबिन HbO, तथा H+ आयन्स हैं। जैसे ही RBC में ये H+ आयन्स मुक्त होते हैं RBC से क्लोराइड आयन्स (CIT) प्लाज्मा में तथा प्लाज्मा से HCO2 आयन्स RBC में आ जाते हैं। H+ तथा HCO2 आयम्स परस्पर मिलकर कार्बनिक अम्ल (H2 CO2) का निर्माण करते हैं जो बाद में जल व CO2 में वियोजित हो जाता है।

प्रश्न 9.
मानव में श्वसन सम्बन्धी व्याधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
श्वसन सक्बन्धी रोग (Respiratory Disorders):
श्वसन सम्बन्धी प्रमुख रोग निम्नलिखित हैं-
(1) दमा (Asthma) – यह एक एलर्जी रोग है। यह मुख्यतः परागकण, धूल पदार्थ, धुआँ, धुम्रपान आदि के कारण ठोता है। इस रोंग में साँस लेने में कठिनाई होने लगती है। इस रोग का प्रमुख लक्षण है-निरन्तर खाँसी आना। दमा के रोगियों को दरंरे पड़ने की भी शिकायत रहती है। अधिक संकुचन के कारण श्वसनियों का संकरा हो जाना, इसमें अधिक इलेष्मा बनना तथा कभी-कभी सूजन आ जाना। वह सब श्वास लेने में कठिनाई उत्पन्न करते हैं। इसके रोगियों के लिए अवि आवश्यक है, एलर्जी उस्न करने वाले कारकों से दूर रहना। इसके साथ-साथ एण्टीबायोटिक औषधि भी ली जाती है।

(2) श्वसनी शोथ या बोकाईहित (Bronchitis) – इस रोग में श्वसनी की आन्तरिक सतह पर सूञन आ जती है। इससे रोगी को लगातार खाँसी होती रहती है। इससे श्वास लेने में कठिनाई छोती है और खाँसी के साथ छल्का-पीला कफ आवा है। इस रोग का प्रमुख कारण सिगरेट आदि का धुग्रपान है। धुमपान के कारण श्लेष्मा अधिक बनता है और श्वसनी में सूजन आ जाती है। इससे सीलिया भी नष्ट हो जाती हैं। इस रोग से बच्चने का उपाय है-धूग्रपान से दूर रहना।

HBSE 11th Class Biology Important Questions Chapter 17 श्वसन और गैसों का विनिमय

(3) वात स्यीति या एक्काइसिया (Emphysea) – पढ रोग लगात्तार धूम्रपान के कारण होता है। धूस्तपान से फेकड़ों में उक्तेजना उत्पन्न होने लगती है जिसके कारण कूपिकाएँ नष्ट होने लगती हैं और वायु स्थान फैलकर बड़े हो जाते हैं। इससे श्वसन सतह का क्षेत्रफल घटकर कम हो जाता है। केकड़े की प्रत्यास्थता भी कम हो जाती है और उच्छृषसन बहुत कठिन हो जाता है। इस रोग के कारण श्वसनिकाएँ सँकरी हो जाती हैं और अत्यधिक कफ के कारण श्वास लेने में कठिनाई होने लगती है। धूम्रपान से बचकर ही इस रोग से बचा जा सकता है।

(4) सिलिकोसिस एवं एन्सेसेसिस (Silicosis and Asbestosis) – इस रोग का प्रमुख कारण वायु प्रद्षण है। वे श्रमिक जो खानों या कारखानों में काम करते हैं, उनमें यह रोग होने की सम्भावना अधिक छोती है। श्वास के साथ इन पदार्थों के कणों का केकड़ों में जाना इस रोग का प्रमुख कारण है। ये कण फेफड़ों के उपरी भाग में फाइबोसिस तथा सूञन पैदा करते हैं। ये असाध्य रोग हैं।

(5) न्यूमोनिया (Pneumonia)-यह फेफड़ों का संक्रमण है जो स्ट्प्टोकोकस न्यूमोनी नामक जीवाणु के कारण होता है। संक्रमण से कूपिकाएँ मृत केशिकाओं एवं तरल से भर जाती हैं। इनमें सूचन आ जाती है जिससे श्वास लेने में कठिनाई होने लगती है।

(6) डिस्पनोइया (Dyspnoea) इसमें व्यक्ति बैचेनी का अनुभव करता है और श्वसन गत्ति बढ़ जाती है। यह प्राय: अत्यधिक व्यायाम, अकस्मात तेज दौड़ने या उर जाने की स्थिति में होता है।