Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन Important Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Geography Important Questions Chapter 6 जल-संसाधन
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
A. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए
1. भारत में सबसे अधिक वर्षा होती है?
(A) अम्बाला में
(B) मॉसिनराम में
(C) कोलकाता में
(D) इलाहाबाद में
उत्तर:
(B) मॉसिनराम में
2. भारत में सिंचाई का सबसे बड़ा स्रोत है-
(A) तालाब
(B) नहरें
(C) भूमिगत जल
(D) जलाशय
उत्तर:
(B) नहरें
3. प्रायद्वीपीय पठारी भाग में सिंचाई का महत्त्वपूर्ण स्रोत है-
(A) नहरें
(B) तालाब
(C) कुएँ
(D) नलकूप
उत्तर:
(B) तालाब
4. नीरू-मीरू (जल और आप) कार्यक्रम का संबंध किस राज्य से है?
(A) आंध्र प्रदेश से
(B) पंजाब से
(C) उत्तर प्रदेश से
(D) पश्चिमी बंगाल से
उत्तर:
(A) आंध्र प्रदेश से
5. भारत में भौम जल संसाधनों की कुल संभावित क्षमता कौन-से राज्य में सबसे अधिक है?’
(A) हिमाचल प्रदेश में
(B) पंजाब में
(C) उत्तर प्रदेश में
(D) पश्चिमी बंगाल में
उत्तर:
(B) पंजाब में
6. सुखोमाजरी जल संभर विकास मॉडल किस राज्य में स्थित है?
(A) हरियाणा में
(B) पंजाब में
(C) हिमाचल प्रदेश में
(D) उत्तर प्रदेश में
उत्तर:
(A) हरियाणा में
7. देश में सबसे कम शुद्ध सिंचित क्षेत्र किस राज्य में है?
(A) उत्तर प्रदेश में
(B) हरियाणा में
(C) पंजाब में
(D) मिज़ोरम में
उत्तर:
(D) मिज़ोरम में
8. भारत में सबसे अधिक शुद्ध सिंचित क्षेत्र किस राज्य में है?
(A) पंजाब में
(B) हरियाणा में
(C) उत्तर प्रदेश में
(D) मिज़ोरम में
उत्तर:
(A) पंजाब में
9. निम्नलिखित में से किस राज्य में भौम जल का उपयोग बहुत अधिक होता है?
(A) पंजाब
(B) हरियाणा
(C) तमिलनाडु
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
10. भारत में कौन-सी नदी के जल की उपयोग योग्य क्षमता अधिक है?
(A) गंगा
(B) कावेरी
(C) ब्रह्मपुत्र
(D) कृष्णा
उत्तर:
(A) गंगा
11. आधुनिक जल संभर योजना कब प्रारंभ हुई?
(A) 1985-86 में
(B) 1988-89 में
(C) 1990-91 में
(D) 1995-96 में
उत्तर:
(A) 1985-86 में
12. राष्ट्रीय जल नीति कब लागू की गई?
(A) सन् 1999 में
(B) सन् 2000 में
(C) सन् 2001 में
(D) सन् 2002 में
उत्तर:
(D) सन् 2002 में
13. पृथ्वी का कितना प्रतिशत भाग धरातलीय पानी से आच्छादित है?
(A) लगभग 60%
(B) लगभग 65%
(C) लगभग 71%
(D) लगभग 90%
उत्तर:
(C) लगभग 71%
14. धरातलीय जल संसाधन के स्रोत हैं-
(A) नदियाँ
(B) झीलें
(C) तालाब
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
15. भारत में जल अधिनियम कब बना था?
(A) सन् 1972 में
(B) सन् 1974 में
(C) सन् 1976 में
(D) सन् 1980 में
उत्तर:
(B) सन् 1974 में
16. भारत में किन नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र बहुत बड़े हैं?
(A) गंगा-सिन्धु-ब्रह्मपुत्र
(B) नर्मदा-ताप्ती-कृष्णा
(C) व्यास-चिनाब-यमुना
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) गंगा-सिन्धु-ब्रह्मपुत्र
17. भारत में विश्व जल संसाधन का कितने प्रतिशत भाग पाया जाता है?
(A) 10%
(B) 5%
(C) 8%
(D) 4%
उत्तर:
(D) 4%
18. घरेलू क्षेत्र में किस प्रकार का जल अधिक उपयोग किया जाता है?
(A) भौम जल
(B) खारा जल
(C) धरातलीय जल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) धरातलीय जल
19. जल प्रदूषण के निवारण का उपाय है
(A) जन जागरुकता
(B) प्रदूषण निवारण के नियमों का पालन
(C) औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषकों पर नियंत्रण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
20. केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जल-संभर विकास परियोजना है-
(A) हरियाली
(B) विवेक
(C) बागवानी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) हरियाली
21. निम्नलिखित में से कौन-सा सुमेल सही नहीं है?
(A) अहमदाबाद-साबरमती
(B) यमुनानगर-गंगा
(C) लखनऊ-गोमती
(D) हैदराबाद-मूसी
उत्तर:
(B) यमुनानगर-गंगा
22. निम्नलिखित में से किस स्थान पर गंगा नदी नहीं बहती?
(A) कानपुर
(B) दिल्ली
(C) वाराणसी
(D) पटना
उत्तर:
(B) दिल्ली
23. किन राज्यों में अधिक जल निकालने के कारण भूमिगत जल में फ्लुओराइड का संकेंद्रण बढ़ गया है?
(A) केरल व कर्नाटक में
(B) हिमाचल व पंजाब में
(C) राजस्थान व महाराष्ट्र में
(D) असम व मणिपुर में
उत्तर:
(C) राजस्थान व महाराष्ट्र में
B. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए
प्रश्न 1.
भारत के किस भाग में नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्रफल अधिकतम है?
उत्तर:
उत्तरी भारत में।
प्रश्न 2.
भारत के किस भाग में तालाबों द्वारा सिंचित क्षेत्रफल अधिकतम है?
उत्तर:
दक्षिणी भारत में।
प्रश्न 3.
किन नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में वर्षा अपेक्षाकृत अधिक होती है?
उत्तर:
गंगा और ब्रह्मपुत्र आदि नदियों के।
प्रश्न 4.
उत्तर भारत की किन्हीं दो नदियों के नाम बताएँ।
उत्तर:
- गंगा
- यमुना।
प्रश्न 5.
दक्षिण भारत की किन्हीं दो नदियों के नाम बताएँ।
उत्तर:
- नर्मदा
- कावेरी।
प्रश्न 6.
दक्षिण भारत की किन नदियों में वार्षिक जल प्रवाह का अधिकतर भाग काम में लाया जाता है?
उत्तर:
कावेरी, कृष्णा और गोदावरी नदियों में।
प्रश्न 7.
किस राज्य में भौम जल का उपयोग सबसे अधिक है? तीन उदाहरण दें।
उत्तर:
- हरियाणा
- पंजाब
- तमिलनाडु
प्रश्न 8.
किस राज्य में भौम जल का उपयोग सबसे कम है? तीन उदाहरण दें।
उत्तर:
- छत्तीसगढ़
- ओडिशा
- केरल।
प्रश्न 9.
लैगूनों और झीलों में सामान्यतः किस प्रकार का जल है?
उत्तर:
खारा जल।
प्रश्न 10.
पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में निवल (शुद्ध) बोए गए क्षेत्र का कितना प्रतिशत भाग सिंचाई के अंतर्गत है?
उत्तर:
लगभग 85 प्रतिशत।
प्रश्न 11.
हरियाणा में कुओं और नलकूपों द्वारा कुल शुद्ध सिंचित क्षेत्र कितना प्रतिशत है?
उत्तर:
लगभग 51.3 प्रतिशत।
प्रश्न 12.
भारत के किस राज्य में कुओं और नलकूपों द्वारा कुल शुद्ध सिंचित क्षेत्र सबसे अधिक है?
उत्तर:
गुजरात में।
प्रश्न 13.
भारत में जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता में कमी का कोई एक कारण बताइए।
उत्तर:
बढ़ती जनसंख्या।
प्रश्न 14.
नीरू-मीरू (जल व आप) कार्यक्रम का संबंध किस राज्य से है?
उत्तर:
आंध्र प्रदेश से।
प्रश्न 15.
‘अखारी पानी संसद’ का संबंध किस राज्य से है?
उत्तर:
राजस्थान (अलवर) से।
प्रश्न 16.
भौम जल का सर्वाधिक उपयोग किसमें किया जाता है?
उत्तर:
सिंचाई कार्य में।
प्रश्न 17.
वर्षा का जल बहकर नदियों, झीलों और तालाबों में चला जाता है, तो उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
पृष्ठीय जल।
प्रश्न 18.
पृष्ठीय जल का मूल स्रोत क्या है?
उत्तर:
वर्षा।
प्रश्न 19.
वर्षा से प्राप्त जल कैसा होता है?
उत्तर:
अलवणीय जल।
प्रश्न 20.
गंगा और ब्रह्मपुत्र बेसिनों में कितना प्रतिशत कुल पुनः पूर्ति योग्य भौम जल संसाधन पाया जाता है?
उत्तर:
लगभग 46 प्रतिशत।
प्रश्न 21.
C.P.C.B. का पूरा नाम लिखें।
उत्तर:
Central Pollution Control Board (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड)।
प्रश्न 22.
भारत की कोई दो सबसे अधिक प्रदूषित नदियों के नाम बताएँ।
उत्तर:
- यमुना
- साबरमती।
प्रश्न 23.
अहमदाबाद का घरेलू व औद्योगिक अपशिष्ट किस नदी में डाला जाता है?
उत्तर:
साबरमती नदी में।
प्रश्न 24.
दिल्ली का घरेलू व औद्योगिक अपशिष्ट किस नदी में डाला जाता है?
उत्तर:
यमुना नदी में।
प्रश्न 25.
हीराकुड बाँध किस नदी पर स्थित है?
उत्तर:
महानदी।
प्रश्न 26.
कानपुर औद्योगिक अपशिष्ट किस नदी में डाला जाता है?
उत्तर:
गंगा नदी में।
प्रश्न 27.
लखनऊ का घरेलू व औद्योगिक अपशिष्ट किस नदी में डाला जाता है?
उत्तर:
गोमती नदी में।
प्रश्न 28.
राष्ट्रीय जल नीति कब लागू की गई?
उत्तर:
सन् 2002 में।
प्रश्न 29.
भारत में विश्व के धरातलीय क्षेत्र का कितने प्रतिशत जल पाया जाता है?
उत्तर:
लगभग 2.45%
प्रश्न 30.
भारत में विश्व के जल संसाधनों का कितने प्रतिशत जल पाया जाता है?
उत्तर:
लगभग 4%
प्रश्न 31.
ओडिशा में किस बाँध और डेल्टा से नहरें निकालकर सिंचाई का काम लिया जाता है?
उत्तर:
ओडिशा में हीराकुड बाँध और महानदी डेल्टा से नहरें निकालकर सिंचाई का काम लिया जाता है।
प्रश्न 32.
भारत की प्रमुख किन्हीं चार नदियों के नाम लिखें।
उत्तर:
- गंगा
- यमुना
- गोदावरी
- कृष्णा।
प्रश्न 33.
भारत में कौन-सी नदी के जल की उपयोग योग्य क्षमता सबसे अधिक है?
उत्तर:
गंगा।
प्रश्न 34.
सुखोमाजरी जल-संभर विकास मॉडल किस राज्य में स्थित है?
उत्तर:
हरियाणा में।
प्रश्न 35.
देश में सबसे कम शुद्ध सिंचित क्षेत्र वाला राज्य कौन-सा है?
उत्तर:
मिज़ोरम।
प्रश्न 36.
भारत में सबसे अधिक शुद्ध सिंचित क्षेत्र वाला राज्य कौन-सा है?
उत्तर:
पंजाब।
प्रश्न 37.
जल किस प्रकार का संसाधन है?
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधन।
प्रश्न 38.
आधुनिक सिंचाई का आरंभ कब से माना जाता है?
उत्तर:
सन् 1831 से।
प्रश्न 39.
‘हरियाली’ क्या है?
उत्तर:
‘हरियाली’ केंद्र सरकार द्वारा प्रवर्तित जल-संभर विकास परियोजना है।
प्रश्न 40.
धरातलीय एवं भौम जल का सबसे अधिक उपयोग किस में होता है?
उत्तर:
कृषि में।
अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
धरातलीय जल के प्रमुख स्रोत कौन-से हैं?
अथवा
धरातलीय जल कहाँ-कहाँ से प्राप्त होता है?
उत्तर:
धरातलीय जल के प्रमुख स्रोत हैं-
- झीलें
- तालाब
- नदियाँ
- अन्य जलाशय आदि।
प्रश्न 2.
भारत में सिंचाई की अनिवार्यता के कोई तीन कारण बताइए।
उत्तर:
- वर्षा की अनिश्चित मात्रा
- वर्षा का अनियमित आगमन
- वर्षा ऋतु की अल्प अवधि
प्रश्न 3.
उत्तरी भारत में नहरों से सिंचाई अधिक क्यों होती है?
उत्तर:
उत्तरी भारत की नरम व मुलायम मिट्टी, समतल मैदान के कारण उत्तरी भारत में नदियों से सिंचाई अधिक होती है।
प्रश्न 4.
राष्ट्रीय जल नीति के दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:
- जल के अपव्यय को कम करना।
- जल संसाधन प्रबंधन व संरक्षण सुनिश्चित करना।
प्रश्न 5.
जल संभर प्रबंधन के अधीन चलाए गए कोई तीन कार्यक्रम बताइए।
उत्तर:
- हरियाली
- नीरू-मीरू
- अरकरी पानी संसद।
प्रश्न 6.
मृदा की गुणवत्ता के घटने के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
- अत्यधिक फसलों को उगाना अर्थात् एक ही वर्ष में एक ही खेत में बार-बार फसलें उगाना।
- पशु चराई।
प्रश्न 7.
जल गुणवत्ता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जल गुणवत्ता से तात्पर्य जल की शुद्धता या अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित जल से है। जल इन बाहरी पदार्थों से प्रदूषित होता है और मानव के उपयोग योग्य नहीं रहता। जब विषैले पदार्थ झीलों, नदियों, समुद्रों और अन्य जलाशयों में प्रवेश करते हैं तो जल प्रदूषण बढ़ता है और जल के गुणों में कमी आने से जलीय तंत्र प्रभावित होते हैं। कभी-कभी प्रदूषक नीचे तक पहुँचकर भौम-जल को प्रदूषित करते हैं।
प्रश्न 8.
सिंचाई (Irrigation) किसे कहते हैं?
उत्तर:
वर्षा के अभाव में शुष्क खेतों या क्षेत्रों तक कृत्रिम रूप से पानी पहुँचाने को सिंचाई कहते हैं।
प्रश्न 9.
जल संभर या जल विभाजक किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह उत्थित सीमा जो विभिन्न अपवाह तंत्रों में बहने वाली सरिताओं के शीर्ष भागों को अलग करती है, जल विभाजक कहलाती है।
प्रश्न 10.
भूमिगत जल किसे कहते हैं? अथवा भौम जल क्या है?
उत्तर:
जब वर्षा का जल भूमि द्वारा सोख लिया जाता है अर्थात् मिट्टी में प्रवेश कर भूमिगत से जाता है उसे भूमिगत या भौम जल कहते हैं।
प्रश्न 11.
पृष्ठीय जल के कोई दो उपयोग बताएँ।
उत्तर:
- पृष्ठीय जल पीने और खाना बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
- कृषि एवं उद्योगों के लिए भी इनका उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 12.
जल संभर प्रबंधन का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
जल संभर प्रबंधन का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों और समाज के बीच संतुलन लाना है।
प्रश्न 13.
वर्षा जल संग्रहण के मुख्य उद्देश्य बताएँ।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- यह पानी की उपलब्धता को बढ़ाता है
- यह भूमिगत जल स्तर को नीचा होने से रोकता है व भूमिगत जल की गुणवत्ता को बढ़ाता है
- यह मृदा अपरदन को रोकता है।
प्रश्न 14.
जल संभर प्रबंधन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जल संभर प्रबंधन से अभिप्राय धरातलीय और भौम-जल संसाधनों के दक्ष प्रबंधन से है। विस्तृत अर्थ में जल संभर प्रबंधन के अंतर्गत प्राकृतिक संसाधन और जल संभर सहित मानवीय संसाधनों के संरक्षण, पुनःउत्पादन और विवेकपूर्ण उपयोग को शामिल किया जाता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
जल संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
जल संसाधनों का संरक्षण निम्नलिखित कारणों से आवश्यक है-
- जल की कमी, विशेष रूप से प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता घट रही है।
- स्थानिक और ऋतुवत असमानता, कुछ प्रदेशों में जल का बाहुल्य है तथा कुछ में कमी है। इसलिए कमी वाले क्षेत्रों में जल संरक्षण नितांत आवश्यक हो जाता है।
- जल की बढ़ती मांग और तेजी से फैलते प्रदूषण के कारण जल संसाधन का संरक्षण आवश्यक हो गया है।
प्रश्न 2.
वर्षा जल संग्रहण की विधियों या तकनीकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण वास्तव में जल भंडारों के पुनर्भरण को पर्यावरण अनुकूल (Eco-friendly) बनाने की तकनीक है। इस तकनीक में वर्षा जल को एकत्र करके भूमि जल भण्डारों में संग्रहित करना शामिल है, जिससे स्थानीय घरेलू मांग को पूरा किया जा सके। इसकी मुख्य तकनीकें अग्रलिखित हैं
- छत के वर्षा जल का संग्रहण।
- बंद व बेकार पड़े कुओं का पुनर्भरण।
- खुदे हुए कुओं का पुनर्भरण।
- रिसाव गड्ढों का निर्माण।
- खेतों के चारों ओर खाइयाँ बनाना।
- पुनर्भरण शाफ्ट द्वारा जल संग्रहण।
- बोर कुएँ सहित क्षैतिज शाफ्ट द्वारा जल संग्रहण।
प्रश्न 3.
उत्तर भारत और दक्षिण भारत की नदियों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
उत्तर भारत तथा दक्षिण भारत की नदियों में निम्नलिखित अंतर हैं-
उत्तर भारत की नदियाँ | दक्षिण भारत की नदियाँ |
1. ये नदियाँ अधिक लंबी व बड़े बेसिन वाली हैं। | 1. ये नदियाँ कम लंबी व छोटे बेसिन वाली हैं। |
2. ये नदियाँ हिमाच्छादित प्रदेशों से निकलती हैं। | 2. ये नदियाँ वर्षा पर निर्भर करती हैं। – |
3. इन नदियों में सारा वर्ष जल बहता है। | 3. ये नदियाँ ग्रीष्म ऋतु में सूख जाती हैं। |
4. ये नदियाँ गहरे गॉर्ज बनाती हैं। | 4. ये नदियाँ चौड़ी व उथली घाटियों का निर्माण करती हैं। |
5. ये नदियाँ विसर्प बनाती हैं। | 5. ये नदियाँ सीधा मार्ग अपनाती हैं। |
6. ये नदियाँ जहाजरानी तथा सिंचाई के लिए उचित हैं। | 6. ये नदियाँ जहाजरानी तथा सिंचाई के लिए उचित नहीं हैं। |
7. ये नदियाँ अपने विकास की बाल्यावस्था में हैं। | 7. ये नदियाँ प्रौढ़ अवस्था में हैं। |
8. ये नदियाँ पूर्ववर्ती हैं। | 8. ये नदियाँ अनुवर्ती हैं। |
प्रश्न 4.
जल संरक्षण के प्रमुख उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
जल संरक्षण के प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं-
- नदियों पर बाँध निर्माण द्वारा-नदियों पर बाँधों का निर्माण करके जल संरक्षण की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
- प्रदूषित जल का पुनःचक्रण-प्रदूषित जल को आधुनिक तकनीकों द्वारा साफ करके पीने योग्य बनाया जा सकता है। पुनःचक्र और पुनःउपयोग के द्वारा अलवणीय जल की उपलब्धता को सुधारा जा सकता है।
- सिंचाई की आधुनिक पद्धतियाँ-सिंचाई की नई पद्धतियाँ; जैसे फव्वारा विधि को अपनाकर मृदा के उपजाऊपन को बचाया जा सकता है और खरपतवार पैदा नहीं होते।
प्रश्न 5.
प्रायद्वीपीय भारत की अपेक्षा विशाल मैदानों में सिंचाई अधिक विकसित क्यों है?
उत्तर:
क्योंकि भारत के विशाल मैदानों का धरातल समतल है तथा यहाँ की अधिकांश नदियाँ हिमाच्छादित प्रदेशों से निकलती हैं जिसके कारण इनमें पानी की कमी नहीं रहती। यहाँ की मिट्टी कोमल तथा मुलायम है जिस पर नहरें आसानी से खोदी जा सकती हैं। मंद ढाल होने के कारण पानी दूर तक पहुँचाया जा सकता है। इन्हीं कारणों से विशाल मैदानों में सिंचाई अधिक विकसित पाई जाती है, जबकि धरातलीय बाधाओं के कारण प्रायद्वीपीय भारत में सिंचाई अधिक विकसित नहीं हो सकी।
प्रश्न 6.
उत्तर भारत के मैदान में नहरों का विस्तृत जाल है। वर्णन करें।
उत्तर:
उत्तरी भारत में अधिकांश नदियाँ हिमाच्छादित प्रदेशों से निकलती हैं, जिनमें सारा साल जल प्रवाहित होता रहता है। भारत की कुल सिंचित भूमि का लगभग 39 प्रतिशत क्षेत्र नहरों द्वारा सिंचित किया जाता है। ज्यादातर नहरें उत्तर:पश्चिमी भारत जल संसाधन के मैदानी भागों में हैं। शीतकाल में हिमीकरण के कारण जल की मात्रा कुछ कम अवश्य हो जाती है, परंतु बांध से एकत्रित जल के द्वारा इस कमी को पूरा किया जाता है।
अतः उत्तर:पश्चिमी भारत के मैदानी भागों में जल के वितरण को नहरों द्वारा व्यवस्थित किया जाता है। यहाँ की मिट्टी कोमल एवं मुलायम होने के कारण नहरें आसानी से खोदी जा सकती हैं। उत्तर प्रदेश में ऊपरी गंगा नहर, निचली गंगा नहर, शारदा नहर, पूर्वी यमुना नहर तथा आगरा नहर के द्वारा सिंचाई की जाती है। पंजाब में सरहिंद नहर, भाखड़ा नहर, बीकानेर नहर, ब्यास नहर तथा हरियाणा में यमुना नहर, जुई नहर, गुड़गांव नहर प्रमुख हैं। बिहार, पश्चिमी बंगाल तथा राजस्थान में भी नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है। इनमें सोन नहर, कोसी बांध, त्रिवेणी नहर, राजस्थान नहर, चंबल नहर, दामोदर नहर आदि प्रमुख सिंचाई के साधन हैं।
प्रश्न 7.
जल के मुख्य उपयोग क्या हैं?
उत्तर:
जल के मख्य उपयोग निम्नलिखित हैं-
- जल सिंचाई के लिए आवश्यक है।
- जल विद्युत उत्पादन में काम आता है।
- औद्योगिक इकाइयों में पर्याप्त जल की आपूर्ति पहली आवश्यकता है।
- परिवहन, सफाई तथा मनोरंजन के लिए भी जल का उपयोग होता है।
- जल जीवन का आधार है। यह जीव-जंतु तथा पेड़-पौधों के लिए अत्यंत आवश्यक है।
प्रश्न 8.
कुओं व नलकूपों द्वारा होने वाली सिंचाई के लाभ बताएँ।
उत्तर:
कुओं तथा नलकूपों द्वारा होने वाली सिंचाई के लाभ निम्नलिखित हैं-
- कुओं तथा नलकूपों के निर्माण में व्यय बहुत कम आता है।
- इनके पानी से भूमि में उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।
- पानी का आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जाता है।
- कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है।
- वर्ष में दो या इससे अधिक फसलें उगाई जा सकती हैं।
- इनको खोदने से भूमि बहुत कम बेकार होती है।
- क्षार फूटने की समस्या उत्पन्न नहीं होती।
प्रश्न 9.
तालाबों द्वारा सिंचाई करने के लाभ बताएँ। अथवा प्रायद्वीपीय भारत में तालाबी सिंचाई क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
तालाबों द्वारा सिंचाई करने के लाभ निम्नलिखित हैं-
- प्राकृतिक तालाब सिंचाई के सस्ते और सरल साधन हैं।
- कठोर चट्टानी इलाकों के होने के कारण तालाब शीघ्र नष्ट नहीं होते।
- रुके हुए पानी में गंदगी का सम्मिश्रण होता है, जिसकी सिंचाई से भूमि में उर्वरा शक्ति बढ़ती है।
- तालाबों में मछलियाँ होती हैं जो खाद्य समस्या को कम करती हैं।
- इनमें पानी का उपयुक्त उपयोग होता है।
प्रश्न 10.
पृष्ठीय जल और भौम जल में क्या अंतर हैं?
उत्तर:
पृष्ठीय जल और भौम जल में निम्नलिखित अंतर हैं-
पृष्ठीय जल | भौम जल |
1. ताल-तलैयों, नदियों, झीलों, सरिताओं और जलाशयों में पाए जाने वाले जल को पृष्ठीय जल कहा जाता है। | 1. वर्षा से प्राप्त जल का जो भाग रिसकर भूमि द्वारा सोख लिया जाता है, उसे भौम जल कहते हैं। |
2. भारत में पृष्ठीय जल की अनुमानित मात्रा 1869 अरब घन मीटर है। | 2. भारत में भौम जल की अनुमानित मात्रा 433.8 अरब घन मीटर है। |
3. देश के संपूर्ण पृष्ठीय जल का 60 प्रतिशत भाग सिंधु-गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों से होकर बहता है। | 3. देश का अधिकांश भौम जल उत्तरी विशाल मैदान में पाया जाता है। |
प्रश्न 11.
राष्ट्रीय जल नीति-2002 की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय जल नीति-2002 की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- सिंचाई तथा बहुउद्देशीय परियोजनाओं में पीने का जल घटक में शामिल करना चाहिए जहाँ पेय-जल के स्रोत का कोई भी विकल्प नहीं है।
- सभी मनुष्य जाति और प्राणियों को पेय-जल प्रदान करना प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए।
- भौम जल के शोषण को नियमित और सीमित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
- जल की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक चरणाबद्ध कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए।
- जल के विविध प्रयोगों की कार्यक्षमता में सुधार करना चाहिए।
- उपक्रमणों, प्रेरकों तथा अनुक्रमणों, शिक्षा विनिमय द्वारा सरंक्षण चेतना बढ़ानी चाहिए।
प्रश्न 12.
जल संभर प्रबंधन के कोई चार उद्देश्य बताएँ।
उत्तर:
जल संभर प्रबंधन के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- वर्षा निर्भर और संसाधनों की कमी वाले क्षेत्रों में कृषि की उत्पादकता में वृद्धि करना।
- भू-जल के स्तर को ऊँचा उठाकर जल की लवणता को नियंत्रित करना।
- पर्यावरण और जल संसाधन के ह्रास को नियंत्रित करना।
- मृदा अपरदन और प्रकृति प्रकोप; जैसे बाढ़ को कम करना।
दीर्घ-उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में सिंचाई क्यों आवश्यक है?
अथवा
भारत में कृषि के लिए सिंचाई की आवश्यकता क्यों है? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में कृषि के लिए भौगोलिक परिस्थितियाँ सभी जगहों पर एक-समान नहीं हैं। इसलिए कृषि को विकसित करने के लिए सिंचाई का विकास बहुत जरूरी है। भारत में सिंचाई के निम्नलिखित कारण हैं
1. मानसून वर्षा की अनिश्चितता-भारत में वर्षा अनिश्चित होती है। भारतीय कृषि मानसून पर निर्भर है। मानसून वर्षा यदि ठीक समय पर हो जाती है तो कृषि अच्छी होती है और यदि मानसून ठीक समय पर नहीं आता तो कृषि व्यवस्था बिगड़ जाती है। मानसून की अनिश्चितता का ज्यादा प्रभाव पड़ता है। हरियाणा और राजस्थान में 70 प्रतिशत कृषि मानसून पर आधारित है। इन राज्यों में मानसून की अनिश्चितता से सूखे की स्थिति आ जाती है।
2. वर्षा की अनियमितता भारत में वर्षा निश्चित मात्रा में कभी नहीं होती। कभी-कभी तो बहुत ज्यादा वर्षा हो जाती है और कभी-कभी बहत कम। इससे कृषि का संतुलन बिगड़ जाता है। कम वर्षा होने की वजह से हमें सिंचाई की आवश्यकता होती है।
3. वर्षा का असमान वितरण-भारत में वर्षा का वितरण हर जगह समान नहीं है। एक तरफ तो मॉसिनराम (चेरापूंजी के निकट) में वर्षा 1140 सेंटीमीटर से भी अधिक होती है, जबकि दूसरी ओर राजस्थान के जैसलमेर में 10 सेंटीमीटर से भी कम वर्षा होती है। किसी भी दो जगहों पर समान वर्षा नहीं होती।
4. विशेष फसलें-चावल तथा गन्ने की फसलों के लिए नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है, जबकि बाजरे की खेती के लिए सिंचाई की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती।
5. शीतकाल की फसलें-भारत में शीतकाल में वर्षा नहीं होती, इसलिए रबी की फसलों के लिए सिंचाई बहुत आवश्यक है।
6. खाद्यान्नों में आत्म-निर्भरता-देश में खाद्यान्न संकट को समाप्त करने के लिए खाद्यान्नों के अतिरिक्त उत्पादन की आवश्यकता है। इसलिए सिंचाई की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2.
देश में सिंचाई के विभिन्न साधनों के सापेक्षिक महत्त्व का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में सिंचाई के प्रमुख साधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सिंचाई के साधन-भारत के विभिन्न भागों में विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियाँ हैं जिनके परिणामस्वरूप सिंचाई के साधनों के भी अनेक रूप हैं। उत्तरी भारत में नहरों तथा कुओं से ज्यादा सिंचाई होती है। इसके विपरीत दक्षिणी भारत में ज्यादातर सिंचाई तालाबों द्वारा की जाती है। भारत में सिंचाई के साधन इस प्रकार हैं-
1. नहरें-उत्तरी भारत में अधिकांश नदियाँ हिमाच्छादित प्रदेशों से निकलती हैं, जिनमें सारा साल जल प्रवाहित होता रहता है। इसलिए उत्तरी भारत में नहरें सिंचाई का प्रमुख साधन हैं। भारत की कुल सिंचित भूमि का लगभग 39 प्रतिशत क्षेत्र नहरों द्वारा सिंचित किया जाता है। ज्यादातर नहरें उत्तर:पश्चिमी भारत के मैदानी भागों में हैं।
शीतकाल में हिमीकरण के कारण जल की मात्रा कुछ कम अवश्य हो जाती है, परंतु बांध से एकत्रित जल के द्वारा इस कमी को पूरा किया जाता है। अतः उत्तर:पश्चिमी भारत के मैदानी भागों में जल के वितरण को नहरों द्वारा व्यवस्थित किया जाता है। यहाँ की मिट्टी कोमल एवं मुलायम होने के कारण नहरें आसानी से खोदी जा सकती हैं। उत्तर प्रदेश में ऊपरी गंगा नहर, निचली गंगा नहर, शारदा नहर, पूर्वी यमुना नहर तथा आगरा नहर के द्वारा सिंचाई की जाती है। पंजाब में सरहिंद नहर, भाखड़ा नहर, बीकानेर नहर, ब्यास नहर तथा हरियाणा में यमुना नहर, जुई नहर, गुड़गांव नहर प्रमुख हैं। बिहार, पश्चिमी बंगाल तथा राजस्थान में भी नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है। इनमें सोन नहर, कोसी बांध, त्रिवेणी नहर, राजस्थान नहर, चंबल नहर, दामोदर नहर आदि प्रमुख सिंचाई के साधन हैं। दक्षिणी भारत में तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश तथा ओडिशा के ‘डेल्टाई’ भागों में नहरों द्वारा सिंचाई की जाती है।
नहरों के क्षेत्रीय वितरण की विशेषताएँ-नहरों के क्षेत्रीय वितरण की विशेषताएँ हैं-
- नहरों का निर्माण केवल समतल भूमि तथा मुलायम मिट्टी में हो सकता है
- मंद ढाल वाले भागों में नहरों का विकास अधिक होता है
- उत्तरी भारत की अधिकांश नदियाँ हिमाच्छादित प्रदेशों से निकलती हैं जिस कारण उनमें वर्ष भर जल प्रवाहित होता रहता है।
- उत्तरी भारत में नहरों के विकास का यह प्रमुख कारण है
- भारत में सरिता प्रवाह जल सभी भागों में भिन्न-भिन्न मिलता है। अतः नहरों का प्रतिरूप भी भिन्न-भिन्न रूप से मिलता है।
नहरों का सिंचाई के लिए महत्त्व-
- नहरों के कारण सिंचित भूमि के क्षेत्रफल में वृद्धि हुई, जिस कारण खेती ऐसे स्थानों पर भी होने लगी, जो पहले पानी के अभाव में बेकार पड़े थे। अब वर्ष में कई फसलें उगाई जाने लगी हैं। इससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होनी शुरू हो गई है
- बहु-उद्देश्यीय परियोजना के अंतर्गत नहरों से सिंचाई के साथ-साथ जल विद्युत् का उत्पादन किया जाता है
- नहरी पानी में अनेक रासायनिक पदार्थ होते हैं जो भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करते हैं
- यह एक सस्ता और सरल साधन है
- नहरों द्वारा बाढ़ पर नियंत्रण किया जा सकता है
- नहरों के विकास से किसानों की आर्थिक व्यवस्था में सुधार हुआ है
- इससे सरकार की आय में भी वृद्धि हुई है।
2. कुएँ तथा नलकूप-प्राचीनकाल से हमारे देश में सिंचाई तथा पेय जल प्राप्त करने के लिए कुओं का प्रयोग हो रहा है। रचना के आधार पर कुएँ तीन प्रकार के होते हैं-
- कच्चा कुआँ
- पक्का कुआँ तथा
- नलकूप।
कुओं द्वारा सिंचाई उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, हरियाणा तथा आंध्र प्रदेश में की जाती है। भारत में नलकूप तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक तथा पंजाब में अधिक पाए जाते हैं।
कुओं तथा नलकूपों का सिंचाई के लिए महत्त्व-
- कुओं तथा नलकूपों के निर्माण में व्यय बहुत कम आता है।
- इनके पानी से भूमि में उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।
- पानी का आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जाता है।
- कृषि उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है।
- वर्ष में दो या इससे अधिक फसलें उगाई जा सकती हैं।
- इनको खोदने से भूमि बहुत कम बेकार होती है।
- क्षार फूटने की समस्या उत्पन्न नहीं होती।
3. तालाबों द्वारा सिंचाई-दक्षिणी भारत में झीलों एवं तालाबों में एकत्रित जल के द्वारा सिंचाई की व्यवस्था आसानी से की जा सकती है। पर्याप्त जलापूर्ति की दशाओं में तालाबों में संचित जल-राशि का प्रयोग प्राचीनकाल से चला आ रहा है। तालाब दो प्रकार के होते हैं-
- प्राकृतिक तथा
- कृत्रिम।
दक्षिणी भारत के ऊबड़-खाबड़ भाग जहाँ नहरें अथवा कुएँ खोदना असंभव है, वहाँ तालाबों द्वारा सिंचाई की जाती है। नदियों ने तंग घाटियों का निर्माण किया है, जिनको बांधकर तालाब आसानी से बनाए जा सकते हैं। दक्षिणी भारत में प्राकृतिक गर्मों की संख्या अधिक है जो जलापूर्ति के कारण तालाब बन जाते हैं। आंध्र प्रदेश में तालाबों द्वारा सर्वाधिक सिंचाई की जाती है। भारत में निजाम सागर (आंध्र प्रदेश), कृष्णराज सागर (कर्नाटक), जप समुद्र, उदय सागर एवं फतेह सागर (राजस्थान) प्रमुख तालाब हैं।
तालाबों का सिंचाई के लिए महत्त्व-
- प्राकृतिक तालाब सिंचाई के सस्ते और सरल साधन हैं
- कठोर चट्टानी इलाकों के होने के कारण तालाब शीघ्र नष्ट नहीं होते
- रुके हुए पानी में गंदगी का सम्मिश्रण होता है, जिसकी सिंचाई से भूमि में उर्वरा शक्ति बढ़ती है
- तालाबों में मछलियाँ होती हैं जो खाद्य समस्या को कम करती हैं
- इनमें पानी का उपयुक्त उपयोग होता है।
प्रश्न 3.
वर्षा जल संग्रहण से आपका क्या अभिप्राय है? इसके उद्देश्य एवं तकनीकों या विधियों का वर्णन करें।
अथवा
वर्षा जल संग्रहण की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण-वर्षा जल संग्रहण विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोकने और एकत्र करने की प्रक्रिया है अर्थात् वर्षा के जल को भविष्य के उपयोग के लिए इक्ट्ठा करना ही वर्षा जल संग्रहण कहलाता है। इसका उपयोग भूमिगत जलमृतों के पुनर्भरण के लिए भी किया जाता है।
वर्षा जल संग्रहण एक पारिस्थितिकी अनुकूल प्रक्रिया है जिसके माध्यम से पानी की प्रत्येक बिंदु को संरक्षित करने के लिए वर्षा के जल को कुओं, तालाबों और नलकूपों में इक्ट्ठा किया जाता है। वास्तव में यह जल भंडारों के पुनर्भरण को पर्यावरण अनुकूल (Eco-friendly) बनाने की तकनीक है।
वर्षा जल संग्रहण के उद्देश्य-वर्षा जल संग्रहण के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- यह पानी की उपलब्धता को बढ़ाता है।
- यह भूमिगत जल स्तर को नीचा होने से रोकता है व भूमिगत जल की गुणवत्ता को बढ़ाता है।
- यह मृदा अपरदन को रोकता है।
- यह तटीय क्षेत्रों में लवणीय जल के प्रवेश को रोकता है।
- यह एकत्रित वर्षा जल को भूमि जल भंडारों में संग्रहित करता है।
- यह बाढ़ को रोकता है और वर्षा के पानी को सड़कों पर फैलने से रोकता है।
- यह जल की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करता है जिससे सूखे या अनावृष्टि के हालातों में सामना किया जा सके।
- यह भौम जल के भंडारों में वृद्धि करता है।
वर्षा जल संग्रहण की विभिन्न विधियाँ या तकनीकें देश में विभिन्न समुदायों द्वारा अनेक विधियों की सहायता से वर्षा जल संग्रहण किया जा रहा है। इनमें से कुछ विधियाँ या तकनीकें निम्नलिखित हैं
- छत के वर्षा जल का संग्रहण
- बंद व बेकार पड़े कुओं का पुनर्भरण
- खुदे हुए कुओं का पुनर्भरण
- रिसाव गड्ढों का निर्माण
- खेतों के चारों ओर खाइयाँ बनाना
- पुनर्भरण शाफ्ट द्वारा जल संग्रहण
- बोर कुएँ सहित क्षैतिज कूप द्वारा जल संग्रहण
- सर्विस कूप द्वारा जल संरक्षण।