Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Geography Solutions Chapter 5 प्राथमिक क्रियाएँ
अभ्यास केन प्रश्न
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए
1. निम्नलिखित में से कौन-सी रोपण फसल नहीं है?
(A) कॉफी
(B) गन्ना
(C) गेहूँ
(D) रबड़
उत्तर:
(C) गेहूँ
2. निम्नलिखित देशों में से किस देश में सहकारी कृषि का सफल परीक्षण किया गया है?
(A) रूस
(B) डेनमार्क
(C) भारत
(D) नीदरलैंड
उत्तर:
(B) डेनमार्क
3. फूलों की कृषि कहलाती है-
(A) ट्रक फार्मिंग
(B) कारखाना कृषि
(C) मिश्रित कृषि
(D) पुष्पोत्पादन
उत्तर:
(D) पुष्पोत्पादन
4. निम्नलिखित में से कौन-सी कृषि के प्रकार का विकास यूरोपीय औपनिवेशिक समूहों द्वारा किया गया?
(A) कोलखोज़
(B) अंगूरोत्पादन
(C) मिश्रित कृषि
(D) रोपण कृषि
उत्तर:
(D) रोपण कृषि
5. निम्नलिखित प्रदेशों में से किसमें विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि नहीं की जाती है?
(A) अमेरिका एवं कनाडा के प्रेयरी क्षेत्र
(B) अर्जेंटाइना के पंपास क्षेत्र
(C) यूरोपीय स्टैपीज़ क्षेत्र
(D) अमेजन बेसिन
उत्तर:
(D) अमेजन बेसिन
6. निम्नलिखित में से किस प्रकार की कृषि में खट्टे रसदार फलों की कृषि की जाती है?
(A) बाजारीय सब्जी कृषि
(B) भूमध्यसागरीय कृषि
(C) रोपण कृषि
(D) सहकारी कृषि
उत्तर:
(B) भूमध्यसागरीय कृषि
7. निम्नलिखित कृषि के प्रकारों में से कौन-सा प्रकार कर्तन-दहन कृषि का प्रकार है?
(A) विस्तृत जीवन-निर्वाह कृषि
(B) आदिकालीन निर्वाहक कृषि
(C) विस्तृत वाणिज्य अनाज कृषि
(D) मिश्रित कृषि
उत्तर:
(B) आदिकालीन निर्वाहक कृषि
8. निम्नलिखित में से कौन-सी एकल कृषि नहीं है?
(A) डेयरी कृषि
(B) मिश्रित कृषि
(C) रोपण कृषि
(D) वाणिज्य अनाज कृषि
उत्तर:
(B) मिश्रित कृषि
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
स्थानांतरी कृषि का भविष्य अच्छा नहीं है। विवेचना कीजिए।
उत्तर:
स्थानांतरी कृषि प्राचीन तथा आदिम कालीन पद्धति है। यह उष्ण-आर्द्र वन प्रदेशों में आदिम जातियों द्वारा की गई कृषि है। इस कृषि में लोग अपने भोजन की पूर्ति के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर कृषि करते हैं। इस कृषि से पर्यावरण का विनाश होता है। इस कृषि में मृदा अपरदन की समस्या गंभीर है तथा भूमि की उपजाऊ शक्ति का ह्रास होता है। इसलिए आधुनिक युग में स्थानांतरी कृषि का क्षेत्र कम हो रहा है। भविष्य में इस कृषि को स्थानबद्ध करने के प्रयत्न किए जा रहे हैं। इसलिए स्थानांतरी कृषि का भविष्य उज्ज्वल नहीं है।
प्रश्न 2.
बाज़ारीय सब्जी कृषि नगरीय क्षेत्रों के समीप ही क्यों की जाती है?
उत्तर:
इस प्रकार की कृषि में अधिक कीमत मिलने वाली फसलें उगाई जाती हैं जिनकी माँग नगरीय क्षेत्रों में अधिक होती है। इस कृषि में खेतों का आकार छोटा होता है एवं खेत अच्छे यातायात के साधनों द्वारा नगरीय केंद्रों से जुड़े होते हैं।
प्रश्न 3.
विस्तृत पैमाने पर डेयरी कृषि का विकास यातायात के साधनों एवं प्रशीतकों के विकास के बाद ही क्यों संभव हो सका है?
उत्तर:
डेयरी उत्पाद तथा ट्रक कृषि के उत्पाद; जैसे-सब्जियाँ, फल और फूल शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुएँ हैं। इन्हें शीघ्रता से मांग वाले क्षेत्रों में पहुंचाना आवश्यक है। इसलिए सब्जियों तथा फलों को शहरों में पहुंचाने के लिए तीव्र गति से चलने वाले यातायात के साधनों का प्रयोग किया जाता है। इन वस्तुओं को खराब होने से बचाने के लिए कई देशों में ट्रक प्रयोग किए जाते हैं। इस प्रकार इस कृषि की सफलता तथा उपयोगिता तीव्र गति से चलने वाले यातायात के साधनों पर निर्भर करती है।
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
चलवासी पशुचारण और वाणिज्य पशुधन पालन में अंतर कीजिए।
उत्तर:
चलवासी तथा व्यापारिक पशुपालन में निम्नलिखित अंतर हैं-
चलवासी पशुचारण | व्यापारिक पशुपालन |
1. चलवासी पशुचारण में चरवाहे चारे तथा जल की तलाश में इधर-उधर घूमते हैं। | 1. व्यापारिक पशुपालन में चारे तथा जल की समुचित व्यवस्था की जाती है तथा चरवाहे स्थायी तौर पर एक ही स्थान पर पशुओं के साथ रहते हैं। |
2. चलवासी चरवाहे अविकसित तथा प्राचीन पद्धति से पशुपालन करते हैं। | 2. व्यापारिक पशुपालन में आधुनिक पद्धति से पशुपालन किया जाता है। |
3. चलवासी पशुपालन एक जीवन-निर्वाह पद्धति है। | 3. व्यापारिक पशुपालन में दूध, मांस, खाल, ऊन आदि का उत्पादन होता है जिसका अन्य देशों के साथ व्यापार किया जाता है। अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से उत्पादन किया जाता है। |
4. चलवासी पशुचारण में विभिन्न प्रकार के पशुओं को रखा जाता है। | 4. व्यापारिक पशुपालन में पशुओं को अनुकूल दशाओं के अनुसार रखा जाता है अर्थात् जिस पशु के लिए भौगोलिक दशा अनुकूल हो उनको वहीं रखा जाता है। |
5. चलवासी पशुपालन में चारा प्राकृतिक रूप से विकसित होता है। | 5. व्यापारिक पशुपालन में पशुओं के लिए चारा फार्म में उगाया जाता है। |
6. इसमें पशुओं के प्रजनन तथा नस्ल सुधार के प्रयास नहीं किए जाते। | 6. इस पद्धति में पशुओं के प्रजनन तथा नस्ल सुधार के प्रयास किए जाते हैं। |
7. चलवासी पशुचारण में पशुओं के स्वास्थ्य की जांच तथा उपचार की व्यवस्था नहीं होती है। | 7. व्यापारिक पशुपालन में पशुओं के स्वास्थ्य तथा बीमारियों की रोकथाम तथा उपचार की व्यवस्था होती है। |
8. चलवासी पशुचारण अर्धशुष्क प्रदेशों की कठोर जलवायु में होता है। | 8. व्यापारिक पशुपालन शीतोष्ण घास के मैदानों में सम जलवायु में होता है। |
9. चलवासी पशुचारण के मुख्य क्षेत्र सहारा, दक्षिणी-पश्चिमी व मध्य एशिया, यूरेशिया में टुंड्रा का दक्षिणी सीमांत व दक्षिणी पश्चिमी अफ्रीका हैं। | 9. व्यापारिक पशुपालन के मुख्य क्षेत्र उत्तरी अमेरिका के प्रेयरी, दक्षिणी अमेरिका के लानोस व पम्पास, दक्षिणी अफ्रीका के वेल्ड, ऑस्ट्रेलिया के डाऊन्स व न्यूज़ीलैंड के घास स्थल हैं। |
प्रश्न 2.
रोपण कृषि की मुख्य विशेषताएँ बतलाइए एवं भिन्न-भिन्न देशों में उगाई जाने वाली कुछ प्रमुख रोपण फसलों के नाम बतलाइए।
उत्तर:
रोपण कृषि-रोपण कृषि में कृषि क्षेत्र का आकार बहुत बड़ा होता है। इसमें अधिक पूँजी, उन्नत तकनीक व वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग किया जाता है। इसके लिए अधिक श्रम व विकसित यातायात के साधनों की आवश्यकता होती है।
रोपण कृषि की विशेषताएँ-रोपण कृषि की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- रोपण कृषि के अंतर्गत एक फसली कृषि का विशिष्टीकरण किया जाता है।
- बागानी उपजों को फार्मों पर ही संसाधित करके निर्यात हेतु उपलब्ध कराया जाता है।
- इस कृषि व्यवस्था का आरंभ कम जनसंख्या घनत्व वाले देशों में हुआ था।
- इन फार्मों पर मशीनों, उर्वरकों, कीटनाशक दवाओं व रोगनाशक रसायनों का प्रयोग किया जाता है।
- इन बागानों की प्रमुख उपजें रबड़, चाय, कॉफी, कोको, कपास, गन्ना, केले, अनानास, गरी, पटसन है।
- रोपण कृषि के क्षेत्रों की विकसित यातायात व्यवस्था एवं बाजार है।
- तटीय भागों से कृषि उपजों को सस्ते समुद्री परिवहन द्वारा विदेशों में निर्यात किया जाता है।
- यह एक आधुनिक, संगठित एवं व्यवस्थित कृषि है।
- इस कृषि की तुलना विनिर्माण उद्योग से की जा सकती है।
- बागानों पर श्रमिकों की पूर्ति स्थानीय मजदूरों, बाहर से लाए गए मजदूरों द्वारा की जाती है।
मुख्य फसलें – यूरोपीय लोगों ने विश्व के अनेक भागों का औपनिवेशीकरण किया तथा कृषि के कुछ अन्य रूप जैसे-रोपण कृषि की शुरुआत की। रोपण कृषि की मुख्य फसले हैं-चाय, कॉफी, कोको, रबड़, गन्ना, कपास, केला एवं अनानास।
प्राथमिक क्रियाएँ HBSE 12th Class Geography Notes
→ चरवाही जीवन (Foraging) : जंतुओं को पालतू बनाए बिना उनका शिकार करके और पौधों को स्वयं उगाए बिना उन्हें काटकर भोजन के रूप में प्रयोग करना।
→ संग्रहण (Gathering) : आदिकालीन मानव द्वारा भोजन के लिए वनों से पौधों की जड़ें, पत्तियाँ, छाल, नट व बीज और फल इत्यादि एकत्र करना।
→ ऋतु-प्रवास (Transhumance) : चरवाहे कबीलों द्वारा ऋतु अनुसार अपने पशुओं के साथ प्रवास।
→ खनिज ईंधन (Mineral Fuel): ऐसे खनिज जिनका उपयोग ऊर्जा पैदा करने के लिए ईंधन के रूप में किया जाता है; जैसे कोयला तथा पेट्रोलियम। इन खनिजों की संरचना में कार्बनिक तत्त्वों का योगदान होता है।
→ खनिकूप (Shaft Mine) : गहराई में दबे खनिजों तक पहुँचने के लिए भूपर्पटी में किया गया बड़ा व गहरा छिद्र।
→ कृषि-अवसंरचना (Agricultural Infrastructure) : किसी उद्यम के लिए आधारभूत सुविधाएँ और संरचना; जैसे सड़कें, रेलमार्ग, विद्युत उत्पादक केंद्र, सिंचाई, उर्वरक-उत्पादक केंद्र, मंडियाँ, बैंक इत्यादि।
→ संस्थागत वित्त (Institutional Finance) : ऐसा वित्त या धन जो बैंकों, सहकारी बैंकों, सहकारी समितियों द्वारा उपलब्ध कराया जाए, न कि साहूकारों द्वारा।
→ शस्यावर्तन (Crop Rotation) : फसलों को एक ही खेत में हेर-फेर करके बोने की वैज्ञानिक प्रणाली।
→ खाद्य शस्य (Food Cropping) : दालें, तिलहन, चना, फल व सब्जियाँ आदि जो मानव का मुख्य भोजन न होकर कभी-कभी प्रयुक्त होती हों।
→ गहन कृषि (Intensive Agriculture) : उत्तम बीज, अधिक श्रम, वैज्ञानिक उपकरणों तथा रासायनिक खाद आदि के प्रयोग से प्रति इकाई क्षेत्र अधिक उत्पादन देने वाली खेती को गहन कृषि कहा जाता है।
→ विस्तृत कृषि (Extensive Agriculture) : कम जनसंख्या वाले प्रदेशों में बहुत बड़े भूखंड पर श्रम, पूंजी और वैज्ञानिक साधनों को बढ़ाए बिना की जाने वाली कृषि विस्तृत कृषि कहलाती है।