HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

अभ्यास केन प्रश्न

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए

1. दो देशों के मध्य व्यापार कहलाता है-
(A) अंतर्देशीय व्यापार
(B) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
(C) बाह्य व्यापार
(D) स्थानीय व्यापार
उत्तर:
(B) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

2. निम्नलिखित में से कौन-सा एक स्थलबद्ध पोताश्रय है?
(A) विशाखापट्टनम
(B) एन्नौर
(C) मुंबई
(D) हल्दिया
उत्तर:
(A) विशाखापट्टनम

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3. भारत का अधिकांश विदेशी व्यापार वहन होता है-
(A) स्थल और समुद्र द्वारा
(B) स्थल और वायु द्वारा
(C) समुद्र और वायु द्वारा
(D) समुद्र द्वारा
उत्तर:
(C) समुद्र और वायु द्वारा

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
भारत के विदेशी व्यापार की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत के विदेशी व्यापार की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. भारत का विदेशी व्यापार प्रतिकूल रहना।
  2. विभिन्न प्रकार की निर्मित वस्तुओं का निर्यात करना।
  3. विश्व के लगभग सभी देशों के साथ व्यापारिक संबंध।
  4. आयात में विभिन्नता। आयात व्यापार में पेट्रोलियम का आयात अधिक होना।
  5. अधिकांश व्यापार समुद्री मार्गों से होना।

प्रश्न 2.
पत्तन और पोताश्रय में अंतर बताइए।
उत्तर:
पत्तन और पोताश्रय में निम्नलिखित अंतर हैं-

पोताश्नय (Harbour) पत्तन (Port)
1. सागर में जहाज़ों के प्रवेश करने के प्राकृतिक स्थान को पोताश्रय कहते हैं। 1. ये सागरीय तट पर जहाज़ों के ठहरने के स्थान होते हैं।
2. यहाँ जहाज़ सागरीय लहरों तथा तूफानों से सुरक्षित रहते हैं। 2. यहाँ जहाज़ों पर सामान लादा तथा उतारा जाता है।
3. ज्वारनद मुख तथा कटे-फटे तट पर आदर्श प्राकृतिक पोताश्रय मिलती हैं, उदाहरण के लिए मुंबई पोताश्रय। 3. यहाँ बस्तियों तथा गोदामों की सुविधाएँ होती हैं।
4. जलतोड़ दीवारों का निर्माण करके कृत्रिम पोताश्रय बनाई जा सकती हैं; जैसे चेन्नई पोताश्रय। 4. इसमें जल तथा थल दोनों क्षेत्र होते हैं। ये व्यापार के द्वार कहलाते हैं।

प्रश्न 3.
पृष्ठप्रदेश के अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पत्तन के आस-पास का क्षेत्र पृष्ठप्रदेश कहलाता है। पृष्ठप्रदेश की सीमाओं का चिह्नांकन करना मुश्किल होता है क्योंकि यह क्षेत्र पर सुस्थिर नहीं होता। अधिकतर एक पत्तन का पृष्ठप्रदेश दूसरे पत्तन के पृष्ठप्रदेश का अतिव्यापन कर सकता है।

प्रश्न 4.
उन महत्त्वपूर्ण मदों के नाम बताइए जिन्हें भारत विभिन्न देशों से आयात करता है?
उत्तर:
भारत निम्नलिखित वस्तुओं का विभिन्न देशों से आयात करता है

  1. पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम उत्पाद
  2. कच्चा माल एवं खनिज
  3. उर्वरक
  4. मशीनें अथवा पूंजीगत माल
  5. खाद्य पदार्थ
  6. अन्य वस्तुएँ आदि।

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प्रश्न 5.
भारत के पूर्वी तट पर स्थित पत्तनों के नाम बताइए।
उत्तर:
भारत के पूर्वी तट पर स्थित पत्तन निम्नलिखित हैं-

  1. तूतीकोरिन
  2. चेन्नई
  3. विशाखापट्टनम
  4. पारादीप
  5. हल्दिया
  6. कोलकाता।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
भारत में निर्यात और आयात व्यापार के संयोजन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निर्यात और आयात के संयोजन से बनता है। जब कोई देश अपनी वस्तु या सेवा को अन्य देशों को बेचता है तो इसे निर्यात कहते हैं। इसके विपरीत जब कोई देश अन्य देशों से वस्तुएँ और सेवाएँ खरीदता है तो उसे आयात कहते हैं।

भारत का आयात संघटन/संयोजन (Composition of India’s Import)-भारत विश्व का एक प्रमुख आयातक देश है। पिछले 30-40 वर्षों में भारत में 20-25 गुना आयात बढ़ा है। अप्रैल, 2019 में 41.40 अरब अमेरिकी डॉलर (287432.9 करोड़) का आयात हुआ, जो अप्रैल 2018 के मुकाबले डॉलर के लिहाज से 4.48% अधिक है और रुपए की लिहाज से 10.52% अधिक है। हम स्वतंत्रता-प्राप्ति से पहले निर्मित वस्तुओं का आयात करते थे। इसके बाद इन वस्तुओं के आयात में कमी आने लगी। हमारे परिवहन तथा औद्योगिक विकास के लिए पेट्रोलियम के आयात की आवश्यकता बढ़ी है। अन्य आयातक वस्तुओं में खाद्यान्न, मशीनें, उर्वरक, दवाइयाँ, खाने के तेल, कागज़ आदि पदार्थ हैं। इनका विवरण इस प्रकार है-

1. पेट्रोलियम तथा संबंधित उत्पाद सन् 1950-51 में 55 करोड़ रुपए का पेट्रोलियम उत्पाद का आयात किया गया था, जो बढ़कर सन् 1984-85 में 534 करोड़ रुपए हो गया। सन् 2016-17 में 5,82,762 करोड़ रुपए के पेट्रोलियम पदार्थों का आयात किया गया था। भारत मध्य-पूर्व देशों से तेल का आयात करता है।

2. मशीनें-अपने औद्योगिक विकास के लिए भारत को स्वतन्त्रता-प्राप्ति के बाद मशीनों की बहुत आवश्यकता हुई तथा बड़े पैमाने पर इनका आयात किया गया। इनमें कपड़ा बनाने की मशीनें, कृषि मशीनें तथा खनिज उद्योग की मशीनें शामिल हैं।

3. लोहा-इस्पात भारत में लोहे का उत्पादन खपत से कम है। सन् 1950-51 में केवल 16 करोड़ रुपए का लोहा-इस्पात का आयात किया गया था, जो बढ़कर सन् 2012-13 में लगभग 59 करोड़ रुपए का लोहा-इस्पात आयात किया गया। हम जापान, बेल्जियम, ब्रिटेन, जर्मनी तथा दक्षिणी कोरिया से लोहा मंगवाते रहे हैं। 2016-2017 में लोहा-इस्पात के आयात में कुछ कमी आई।

4. उर्वरक देश में कृषि को बढ़ावा देने के लिए भारी उर्वरकों की जरूरत पड़ी। सन् 1985-86 में लगभग 1,436 करोड़ रुपए तथा 2012-13 में 49,433 करोड़ रुपए के उर्वरक बाहर से मंगवाए गए थे, परंतु अब इनका आयात घट रहा है। हम इनको संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी, जापान आदि देशों से मंगवाते हैं। उर्वरक के आयात में 2015-2016 के दौरान 2.1% की वृद्धि हई। . 2016-2017 में इसमें 1.3% की वृद्धि दर दर्ज की गई।

5. हीरे तथा कीमती पत्थर-भारत इनका निर्यातक भी है। भारत बिना कटे हीरे बाहर से मंगवाता है तथा इन्हें काटकर, पॉलिश करके निर्यात करता है। हमने सन् 1986-87 में 1495.48 करोड़ रुपए के हीरों का तथा 2012-13 में 1,23,071 करोड़ रुपए के हीरों तथा कीमती पत्थरों का आयात किया था। 2016-2017 में 1,59,464 करोड़ रुपए के आभूषणों व रत्नों का आयात किया गया।

6. खाद्य तेल-भारत को भारी मात्रा में इन्हें आयात करना पड़ता है। सन् 1955-56 में केवल 7 करोड़ रुपए के मूल्य के ख के तेलों का आयात किया गया था, जो बढ़कर सन् 1986-87 में 611 करोड़ रुपए तथा 2012-13 में 61,106 करोड़ रुपए हो गया। 2016-2017 में 73,048 करोड़ रुपए तेल का आयात हुआ। भारत के लिए इनका मुख्य स्रोत संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील तथा मलेशिया हैं।

7. दवाइयाँ हमारी दवाइयों की मांग में बहुत वृद्धि हो रही है। सन् 1985-86 में 84.4 करोड़ रुपए के मूल्य की दवाइयों का आयात किया गया था। यही आयात बढ़कर 2016-17 में 33504 करोड़ रुपए हो गया। हमारी दवाइयों के मुख्य स्रोत जर्मनी, इटली, चीन, स्पेन, बेल्जियम तथा पोलैंड आदि हैं। वर्तमान में भारत में आयात व्यापार के संघटन में काफी बदलाव हुआ है। सोने का आयात मार्च, 2019 में 31.22 प्रतिशत से बढ़कर 3.27 अरब डॉलर पर पहुँच गया। कच्चे तेल का आयात 5.55 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 11.75 अरब डॉलर रहा। पूरे वित्त वर्ष 2018-19 में निर्यात 9 प्रतिशत बढ़कर 331 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वित्त वर्ष के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 176.42 अरब डॉलर रहा, जो 2017-2018 में 162 अरब डॉलर था।

भारत का निर्यात संघटन/संयोजन (Composition of India’s Export)-स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात नियोजित आर्थिक विकास की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था के साथ-साथ देश के निर्यात व्यापार में भी वृद्धि और विविधता आई
1. कृषि और समवर्गी उत्पाद-पिछले कुछ वर्षों में भारत के निर्यात में कृषि एवं समवर्गी उत्पादों का हिस्सा घटा है। कृषि उत्पादों के अंतर्गत कॉफ़ी, मसाले, चाय व दालों आदि परम्परागत वस्तुओं का निर्यात अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के कारण घटा है।

2. विनिर्मित वस्तुएँ वर्ष 2011-12 में विनिर्माण क्षेत्र ने भारत के कुल निर्यात मूल्य में अकेले 68.6 प्रतिशत की भागीदारी अंकित की थी। निर्यात सूची में इंजीनियरी के सामान, विशेषतः मशीनों और उपकरणों ने महत्त्वपूर्ण वृद्धि दर्शाई है। 2012-13 में देश के कुल निर्यात में इंजीनियरी सामान का हिस्सा 21.68 प्रतिशत था।

3. पेट्रोलियम एवं अपरिष्कृत उत्पाद-यद्यपि भारत कच्चे तेल का आयातक है, लेकिन यह पेट्रोलियम उत्पादों का बड़े पैमाने पर निर्यात भी करता है। इसका कारण यह है कि भारत ने 21 तेल-शोधनशालाएँ लगाकर तेल-शोधन की क्षमता बढ़ा ली है। पेट्रोलियम पदार्थों का निर्यात में 1997-98 में हिस्सा लगभग 1 प्रतिशत था जो बढ़कर 2011-12 में 15.6 प्रतिशत हो गया है। पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात हिस्से में वृद्धि का कारण इनके मूल्य में वृद्धि है।

4. अयस्क एवं खनिज-भारत के निर्यात व्यापार में अयस्कों एवं खनिजों का महत्त्व बढ़ने लगा है। 1999-2000 में इनके कुल निर्यात में हिस्सा 2.5 प्रतिशत था जो 2014-15 में बढ़कर लगभग 12.76 प्रतिशत हो गया। 2016-2017 में 35,947 करोड़ रुपए अयस्क एवं खनिज का निर्यात हुआ।

देश का निर्यात मार्च, 2019 में 11 प्रतिशत से बढ़कर 32.55 अरब डॉलर पर पहुँच गया। फार्मा, रसायन और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में ऊंची वृद्धि की वजह से कुल निर्यात बढ़ा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मार्च, 2019 में आयात भी 1.44 प्रतिशत बढ़कर 43.44 अरब डॉलर रहा। हालांकि इस दौरान व्यापार घाटा घटकर 10.89 अरब डॉलर पर आ गया, जो मार्च, 2018 में 13.51 अरब डॉलर था।

प्रश्न 2.
भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रकृति पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सभी देशों के लिए परस्पर लाभदायक होता है, क्योंकि कोई भी देश आत्मनिर्भर नहीं है। हाल ही के वर्षों में भारत में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की मात्रा (Volume), उसके संघटन (Compositions) और व्यापार की दिशा में आमूल परिवर्तन (Sea Changes) देखे गए। यद्यपि विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी कुल मात्रा का केवल 1.6 प्रतिशत है, फिर भी विश्व की अर्थव्यवस्था में इसकी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रकृति या प्रारूप (Changing Nature or Pattern of International Trade)-समय के साथ भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बड़े परिवर्तन हुए हैं
(1) भारत का विदेशी व्यापार 1950-51 में 1,214 करोड़ रु० मूल्य का था जो 2012-2013 में बढ़कर 43,04,513 करोड़ रु० मूल्य का हो गया था। यह वृद्धि 1707 गुणी थी। विदेशी व्यापार में इस तीव्र वृद्धि के तीन प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

  • विनिर्माण के क्षेत्र में तेज़ तरक्की (Rapid Growth in the field of manufacturing)
  • सरकार की उदार नीतियाँ (Liberal Policies of Government),
  • बाज़ारों की विविधरूपता (Diversification of Markets)।

(2) समय के साथ विदेशी व्यापार की प्रकृति में भी बदलाव आया है। भारत में आयात और निर्यात दोनों की ही मात्रा में वृद्धि हुई है, लेकिन निर्यात की तुलना में आयात का मूल्य अधिक रहा है। 2017 में आयात 344408.90 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2018 में 37813.57 मिलियन डॉलर हो गया तथा निर्यात 2017 में 24726.71 मिलियन डॉलर से 2018 में 25834.36 मिलियन डॉलर हो गया।

(3) अर्थव्यवस्था में विविधता आने के बावजूद आयात तथा निर्यात के मूल्यों में अन्तर बढ़ता रहा और व्यापार सन्तुलन हमारे विपक्ष में होता गया। इसके लिए निम्नलिखित पाँच कारण उत्तरदायी हैं

  • विश्व स्तर पर मूल्यों में वृद्धि।
  • विश्व बाज़ार में भारतीय रुपए का अवमूल्यन।
  • बढ़ती जनसंख्या की घरेलू उत्पादों की बढ़ती मांग और उत्पादन में धीमी प्रगति।
  • घाटे में हुई इस वृद्धि के लिए अपरिष्कृत (Crude) पेट्रोलियम को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है, क्योंकि यह भारत की आयात
  • सूची में एक प्रमुख व महँगा घटक है।

HBSE 12th Class Geography Solutions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

(4) इसी के परिणामस्वरूप विश्व के कुल निर्यात व्यापार में भारत की भागीदारी 2.1 प्रतिशत (सन् 1950) से घटकर सन् 1960 में 1.2 प्रतिशत और सन 2014-15 में मात्र 0.9 प्रतिशत रह गई है।
तालिका : भारत का विदेशी/अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (अरब डॉलर में)

वर्ष निर्यात आयात व्यापार घाटा
2001 42.5 54.5 -12.0
2002 44.5 53.8 -9.3
2003 48.3 61.6 -13.3
2004 57.24 74.15 -16.91
2005 69.18 89.33 -20.15
2006 76.23 113.1 -36.87
2007 112.0 187.9 -75.9
2008 176.4 305.5 -129.1
2009 168.2 274.3 -106.1
2010 201.1 327.0 -125.9
2011 299.4 461.4 -162.0
2012 298.4 500.4 -202.2
2013 313.2 467.5 -154.3
2014 318.2 462.9 -144.7
2015 310.3 447.9 -137.6
2016 262.3 381.0 -118.7
2017 275.8 384.3 -108.5

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार HBSE 12th Class Geography Notes

→ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade) : निर्यात एवं आयात के संयोजन से बनता है।

→ व्यापार संतुलन (Balance of Trade) : आयात और निर्यात का अंतर व्यापार संतुलन कहलाता है।

→ निर्यात (Export) : जब कोई देश अपनी वस्तु या सेवा को अन्य देशों को बेचता है तो उसे निर्यात कहते हैं।

→ आयात (Import) : जब कोई देश अन्य देशों से वस्तुएँ और सेवाएँ खरीदता है तो उसे आयात कहते हैं।

→ पत्तन (Port) : पत्तन गोदी (Dock), घाट तथा सामान उतारने व चढ़ाने की सुविधा से युक्त ऐसा स्थान है जो स्थल मार्गों से जुड़ा होता है।

→ पोताश्रय (Harbour) : सागर में जहाजों के प्रवेश करने के प्राकृतिक स्थान को पोताश्रय कहते हैं।

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